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DISCIPLINE SPECIFIC CORE COURSE

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नातक‍पाठ्यक्रम

DISCIPLINE SPECIFIC CORE COURSE


भारतीय शासन एवं राजनीतत
अध्ययन सामग्री : इकाई 1-8
पष्ृ ठ सं.

इकाई 1 : भारतीय राजनीतत की प्रकृतत के अध्ययन के उपागम: लेखक : जीनत आरा 1-11
उदारवादी, मार्क्सवादी और गाांधीवादी अनुवादक : रामतकशोर

इकाई 2 : पाठ 1 : भारतीय सांतवधान के आधारभूत तत्त्व लेखक : दु योधन नाहक 12-18
अनुवादक : आरती कुमारी
पाठ 2 : मौतलक अतधकार और राज्य के नीतत-तनदे शक तत्त्वोां लेखक : दु योधन नाहक 19-28
के मध्य एक तवचार-तवमशस अनुवादक : आरती कुमारी

इकाई 3‍: पाठ 1 : प्रधानमांत्री लेखक : तवशाल कुमार गुप्ता 29-39


पाठ 2 : सांसद लेखक : मनीष कुमार 40-53
पाठ 3 : न्यायपातलका लेखक : मनीष कुमार 54-66

इकाई 4 : पाठ 1 : भारत में शक्ति-सांरचना : जातत के सांदभस में लेखक : तवशाल कुमार गुप्ता 67-80

पाठ 2 : भारत में शक्ति-सांरचना : वगस लेखक : राहुल तमश्रा 81-92


अनुवादक : रामतकशोर

पाठ 3 : तपतृसत्तात्मकता लेखक : अांजू 93-105


अनुवादक : रजनी

इकाई 5 : पाठ 1 : सेक्युलरवाद पर तवचार-तवमशस लेखक : कुांवर प्राांजल तसांह 106-113


पाठ 2 : साांप्रदातयकता पर तवचार-तवमशस लेखक : कुांवर प्राांजल तसांह 114-121

इकाई 6 : भारत में पार्टी और पार्टी तसस्टम लेखक : मधूसुदन 122-132


अनुवादक : अांजू

इकाई 7 : स्वतांत्रता के बाद से भारत में तवकास की रणनीतत: लेखक : तप्रयांका बैरवा 133-145
तनयोतजत अर्सव्यवस्र्ा और नव-उदारवाद अनुवादक : काजल

इकाई 8 : सामातजक आां दोलन लेखक : कमलकाांता राउल 146-159


अनुवादक : पारूल अरोड़ा

सम्पादक :
डॉ. तपन तिस्वाल

मुक्त तशक्षा तवद्यालय


तदल्ली तवश्वतवद्यालय
5 कैवेलरी लेन, तदल्ली-110007
इकाई-1

भारतीय राजनीतत की प्रकृतत के अध्ययन के उपागम:


उदारवादी, मार्क्‍व
स ादी्एवं्गााँधीवादी
जीनत्आरा

भारतीय राजनीतत के अध्ययन के दृष्टिकोण

दृष्टिकोण्का्अर्स् है ् कक‍ी्ष्थर्तत्या्‍मथया्‍े् तनपिना।्इ‍का्अर्स् है ् एक्ष्थर्तत्को्एक्पररप्रेक्ष्य्


‍े् ‍मझना।्दृष्टिकोण्कक‍ी्एक्ववषय्का्ववश्लेषण्करने् का्एक्तरीका्है ।्भारतीय्राजनीतत्को्‍मझने्
और्उ‍का्अध्ययन्करने्के्ललए्अलग-अलग्तरीके्हैं, चीजें्वै‍ी्नहीं्हैं्जै‍ी्वे्ददखती्हैं।्कक‍ी्भी्व्यवथर्ा्
एवं् प्रणाली्को्अंदर्जानने् के्ललए्एक्थपटि्‍मझ्की्आवश्यकता्होती्है ।्वाथतव्में् एक्दृष्टिकोण्का्
अनुप्रयोग्ववश्लेषण्के्महत्त्व्और्ववश्व‍नीयता्के्‍ार्-‍ार््अनुशा‍न्को्भी्बढ़ाता्है ।

राजनीतत् एक् अपररहायस् प्रकिया् एवं् एक् चल् रही् गततववधध् है ।् राजनीतत् में् दे खने् और् ‍मझने् का्
दृष्टिकोण्प्रततबंधधत्नहीं्है ।्यह्अरथत्ू (पथ
ु तक-1) की्राजनीतत्के्रूप्में्परु ाना्है , जहााँ्यह्कहा्जाता्है ्कक्
मानव्एक्राजनीततक्जीवजन्तु् अर्वा्राजनीततक्व्यष्र्कत्है ।्बौद्धधक्जााँच्के्‍ब‍े्प्राचीन्क्षेत्रों्में्‍े्एक,
राजनीतत्को्मल
ू ्रूप्‍े्दशसन, इततहा‍्और्कानन
ू ्की्एक्भज
ु ा्के्रूप्में्दे खा्गया्र्ा।्इ‍का्केंद्रीय्उद्दे श्य्
उन्ल‍द्धांतों्को्उजागर्करना्र्ा्ष्जन्पर्मानव्‍माज्आधाररत्होना्चादहए।्उन्नी‍वीं्शताब्दी्के्उत्तराधस्
‍े, हालांकक, राजनीतत् को् वैज्ञातनक् अनुशा‍न् में् बदलने् के् प्रया‍् ‍े् इ‍् दाशसतनक् अवधारणा् को् धीरे -धीरे ्
ववथर्ावपत्ककया्गया।

चाँूकक्ग्रीक्राजनीततक्ववचारक्ववद्वानों, राजनीततक्वैज्ञातनकों्और्दाशसतनकों्ने्अपने्थवयं्के्दृष्टिकोण्
के् दृष्टिकोण् ‍े् ववलभन्न् प्रकार् के् राजनीततक् मुद्दों् और् घिनाओं् का् ववश्लेषण् ककया् है , और् अध्ययन् के्
आधार्पर्वे् इ‍्तनटकषस् और्तनधासररत्अनुशं‍ा्पर्पहुाँचे् हैं।्अतनवायस् रूप्‍े् यहााँ् राजनीतत्के्अध्ययन्के्
ललए्कई्दृष्टिकोणों्का्उदय्हुआ्है ।

भारतीय्राजनीतत्के्अध्ययन्के्दृष्टिकोणों्को्मोिे ् तौर्पर्तीन्श्रेणणयों्में् वगीकृत्ककया्जा्‍कता्


है -्पारं पररक, आधुतनक्और्‍मकालीन।्राजनीतत्को्‍मझने्के्ललए्लभन्न-लभन्न्ववधध्और्पद्धतत्अपनाई्
गई्हैं।्पारं पररक्दृष्टिकोण्को्‘वैल्यू्लैडेन’्कहा्जाता्है , आधुतनक्को्‘वैल्यू्फ्री’्होने्के्ललए्जाना्जाता्है।्
यह्एक्प्रामाणणक्और्नैततक्मल्
ू यांकन्की्ववशेषता्है ।्पारं पररक्दृष्टिकोणों्में्ऐततहाल‍क्दाशसतनक्वणसनात्मक्
और् अलभभाषक् चररत्र् होते् हैं् जबकक् आधुतनक् दृष्टिकोण् प्रकृतत् में् अनुभवजन्य् होते् हैं, ष्ज‍‍े् दाशसतनक,
ऐततहाल‍क, ‍ंथर्ागत् और् कानन
ू ी् दृष्टिकोण् पारं पररक् दृष्टिकोण् की् श्रेणी् में् हैं।् आधतु नक् दृष्टिकोण् हैं-्
‍माजशाथत्रीय् दृष्टिकोण, मनोवैज्ञातनक् दृष्टिकोण, आधर्सक् दृष्टिकोण, मात्रात्मक् दृष्टिकोण।् हालााँकक् ‍मकालीन्
दृष्टिकोण् हैं-् शष्र्कत् दृष्टिकोण, व्यवहार् दृष्टिकोण, उत्तर-व्यवहार् दृष्टिकोण, प्रणाली् दृष्टिकोण, ‍ंरचनात्मक-
कायासत्मक्दृष्टिकोण, ‍ंचार्दृष्टिकोण, तनणसय्दृष्टिकोण।

1
राजनीतत् थपटि् रूप् ‍े् कक‍ी् ‍माज् की् दीघसकाललक् ‍ंरचनात्मक् ववशेषताओं् द्वारा् आकाररत् होती् है ।्
इ‍की् एक् लंबी् ऐततहाल‍क् परं परा् है ।् ‍ामाष्जक् पदानुिम, आधर्सक् ‍ंभावनाएाँ् और् ऐततहाल‍क् ववरा‍तें् एक्
राजनीततक्‍माज्की्प्रकृतत्और्चररत्र्को्प्रभाववत्करती्हैं।्भारत्इ‍का्अपवाद्नहीं् है ।्थवतंत्र्भारत्में्
राजनीतत्का्अध्ययन्कदिन्पररष्थर्ततयों्में् शरू
ु ्हुआ, जदिल्ववरा‍त्के्‍ार््एक्लंबे् ‍ंघषस्के्बाद्ष्ज‍ने्
कई्तरीकों्‍े्थवतंत्रता्के्बाद्के्अपने्पाठ्यिम्को्प्रभाववत्ककया।्‍ब‍े्महत्त्वपूण्स ब्रिदिश्शा‍न्की्लंबी्
अवधध्और्ववलभन्न्‍ंथर्ानों्के्ववचार्और्उनके्द्वारा्पेश्ककए्गए्अभ्या‍्हैं।्कुछ्उल्लेख्करने्के्ललए्
‍ामाष्जक्‍ंरचना्और्‍ामाष्जक्‍ंघषस् हैं , ष्जन्होंने् राजनीततक्आंदोलनों्और्ववचारों्को्प्रभाववत्ककया्और्
‍ब‍े् महत्त्वपण
ू ्स रूप्‍े् भारत्‍रकार्ने् 1935्में् कायस् ककया।्ववभाजन्की्चन
ु ौती्ने् ‍ंववधान्‍भा्के्ललए्
एक्‍मथया्ललखी्जो्एक्‍ंववधान्को्‍कारात्मक्और्‍भी्के्द्वारा्थवीकार्ककया्गया।्एक्‍ंववधान्के्
लेखन्ने्राजनीततक्वैज्ञातनकों्को्राज्य्गिन्के्‍वालों्को्‍ंबोधधत्करने्के्ललए्न्केवल्एक्‍ंघ्‍रकार्
की्‍ंरचना्और्शष्र्कतयााँ, बष्ल्क्एक्‍ंघीय्प्रणाली्में्राज्यों्और्थर्ानीय्‍रकारों्की्‍ंरचना्और्शष्र्कतयााँ ,
एक् ‍वोच्च् न्यायालय् एक् थवतंत्र् न्यायपाललका, नागररकों् के् अधधकार् और् शा‍न् के् ववलभन्न् अन्य् मुद्दे ।्
यद्यवप् भारतीय् राजनीतत् प्रकृतत् में् आलोचनात्मक् और् तनणासयक् है , ‍ार्् ही् ‍ार्् ववलभन्न् दृष्टिकोणों् का्
उपयोग्करके्अध्ययन्करना्भी्बहुत्ददलचथप्है ्र्कयोंकक्यह्‍मय-‍मय्पर्बदलता्रहा्है ।्हालांकक्अलग-
अलग्ववद्वानों्ने्एक्ही्‍मय्में्अलग-अलग्दृष्टिकोण्लागू्ककए्हैं।

ऐततहासिक दृष्टिकोण

राजनीतत्के्अध्ययन्के्ललए्ऐततहाल‍क्दृष्टिकोण्पारं पररक्दृष्टिकोणों्में्‍े्एक्है ।्इततहा‍्का्अलभप्राय्


पूव्स घिनाओं् और्तथ्यों्के्अलभलेख्‍े् है ।्ये् ववलभन्न्अवधधयों्में् हुए, इ‍का्मतलब्यह्भी्है ्कक्लोगों्ने्
र्कया्‍ोचा्है ्या्कल्पना्की्है ।्‘‘एक्अलभलेख्के्रूप्में्इततहा‍्में्वत्त
ृ धचत्र्और्अन्य्प्रार्लमक्‍बूत्शालमल्
हैं’’् जो् अतीत् में् हुए् र्े।् इततहा‍् केवल् अतीत् की् घिनाओं् और् उपलष्ब्धयों् का् अलभलेख् नहीं् है , बष्ल्क्
इततहा‍कारों्द्वारा्की्गई्व्याख्याओं, दिप्पणणयों्और्थपटिीकरणों्का्है ।्वे्कालिम्‍े्घिनाओं्की्व्यवथर्ा्
भी्करते्हैं।्इन्‍भी्को्राजनीततक्वैज्ञातनकों्के्ललए्उपयर्क
ु त्‍ामग्री्माना्जाता्है ।्मल
ू ्रूप्‍े्इ‍्पद्धतत्
की्वकालत्अरथत,ू मोंिे थर्कयू, मार्क्‍्स और्दहगेल्ने्की्र्ी।्भारतीय्ववद्वानों्द्वारा्ललणखत्पुथ्
तक्राजनीततक्
‍ादहत्य्का्एक्ववशाल्तनकाय्है ।्जै‍े् आर.‍ी.्मजम
ू दार्(प्राचीन्भारत), जवाहरलाल्नेहरू्(डडथकवरी्ऑफ्
इंडडया),् रोलमला् र्ापर् (भारत् का् इततहा‍)।् हालांकक, वाथतववक् घिना् की् व्याख्या् नहीं् करने् के् ललए् इनकी्
आलोचना्की्जा्‍कती्है ्और्केवल्एक्ववशेष्‍ंथर्ान्के्ऐततहाल‍क्ववका‍्पर्जोर्ददया्जाता्है ्जो्इ‍े्
एक्‍तही्दृष्टिकोण्बनाता्है ।

दार्शतनक दृष्टिकोण

दाशसतनक्दृष्टिकोण्राजनीतत्का्अध्ययन्करने्का्एक्और्पारं पररक्तरीका्है ।्दशसनशाथत्र्‘‘‍भी्ज्ञान्


और्अष्थतत्व्में्तनदहत्ल‍द्धांतों्का्अध्ययन्है ।’’्इ‍का्अर्स्है ्कक्दशसन्या्दाशसतनक्दृष्टिकोण्राजनीततक्
घिनाओं् या् घिनाओं् की् ‍च्चाई् का् पता् लगाने् का् प्रया‍् करता् है ।् यह् राजनीततक् लेखन् के् उद्दे श्य् या्
राजनीततक्लेखक्के्उद्दे श्य्की्पड़ताल्करता्है ।

दाशसतनक्दृष्टिकोण्का्उद्दे श्य्ताककसक्और्वैज्ञातनक्तरीके्‍े्घिनाओं्के्पररणामों्का्ववश्लेषण्करना्
है ।्वान्डाइक्के्अनु‍ार्‘‘दशसन्ववचार्के्बारे ् में् ववचार्को्दशासता्है ।्मोिे ् तौर्पर्यह्मुख्य्रूप्‍े् ल‍रों्

2
और् ‍ाधनों, उद्दे श्यों् और् ववधधयों् की् ‍ामान्य् अवधारणाओं् को् दशासता् है ।’’्दाशसतनक् दृष्टिकोण् का् उद्दे श्य्
राजनीततक्दाशसतनकों्द्वारा्उपयोग्ककए्जाने्वाले्शब्दों्एवं्शब्दों्को्थपटि्करना्है ।्दाशसतनक्दृष्टिकोण्‍े्
शुरू्की्गई्जााँच्मान्यताओं् के्बारे ् में् भ्रम्को्दरू ्करती्है ।्इ‍्दृष्टिकोण्के्‍मर्सक्प्लेिो, रू‍ो्लमल्एवं्
िैडली्ल‍डगववक्कांत्आदद्हैं।

भारत् की् राजनीतत् में् इ‍् दृष्टिकोण् का् एक् प्रततब्रबंब् है ् जो् प्राचीन् काल् के् कौदिल्य् के् अर्सशाथत्र ,
मनुथमतृ त, महाभारत् के् महाकाव्यों् पर् वाप‍् जाता् है ।् भारतीय् राजनीतत् में् राजा् राम् मोहन् राय् ‍े् लेकर्
महात्मा् गााँधी् तक् की् बौद्धधक् यात्रा् उनके् दाशसतनक् मन् की् गवाही् के् रूप् में् हुई।् भारतीय् पन
ु जासगरण् के्
नेताओं्ने्राजनीतत्में्नैततक्मूल्यों्के्महत्त्व्पर्जोर्ददया।्उन्होंने्पष्श्चम्में्नकल्करने्के्ललए्भारत्में्
आधतु नकीकरण् के् उद्दे श्य् को् कभी् थवीकार् नहीं् ककया।् उन्होंने् मनटु य् के् आंतररक् ववका‍् की् कीमत् पर्
ववज्ञान् की् वद्
ृ धध् के् णखलाफ् ववरोध् ककया् जो् कक् अंत् में् अर्स् का् अनुवाद् करता् है ।् उन्होंने् तकस् ददया् कक्
आध्याष्त्मक्प्रगतत्के्ब्रबना्वैज्ञातनक्प्रगतत्मानव्आत्मा्के्ललए्बाध्यकारी्र्ी।्श्री्अरब्रबंदो्और्कई्अन्य्
लोगों्ने् भी्भारत्के्आध्याष्त्मक्लमशन्के्बारे ् में् बात्की्र्ी , जो्आधुतनक्पष्श्चम्के्ववश्वव्यापी्उद्दे श्य्
के्णखलाफ्है ।्वववेकानंद्राटरवाद्के्धालमसक्ल‍द्धांत्के्पैरोकार्र्े्र्कयोंकक्उन्होंने्कहा्र्ा्कक्धमस्को्राटरीय्
जीवन्की्रीढ़्बनाना्होगा।्अरब्रबंदो्और्गााँधी्ने्भी्इ‍ी्तरह्‍े्बह‍्की।्गोखले् जै‍े् गााँधी्राजनीतत्का्
आधुतनकीकरण्चाहते्र्े।्गााँधी्ने्जोर्दे कर्कहा्कक्केवल्अदहं‍ा्ही्‍च्चे्लोकतंत्र्का्कारण्बन्‍कती्है ।्
गााँधीवादी्दशसन्में्‍ाधन्और्अंत्पररवतसनीय्शब्द्हैं।्दो्अववभाज्य्हैं्और्‍मान्रूप्‍े्शुद्ध्होना्चादहए।्
इ‍्प्रकार, वववेकानंद, अरब्रबंदो, गोखले, गााँधी्और्यहााँ्तक्कक्नेहरू्का्आध्याष्त्मक्दृष्टिकोण्राजनीतत्‍े्र्ा।्
राजनीतत् और् राजनीततक् ‍मथयाओं् के् ललए् उनका् दृष्टिकोण् नैततक् मूल्यों् में् तनदहत् र्ा, इ‍ललए्भारत्में्
प्राचीन्काल्‍े्लेकर्आधुतनक्काल्तक्राजनीतत्में्दाशसतनक्दृष्टिकोण्की्एक्तनरं तर्परं परा्रही्है ।्हालााँकक्
दाशसतनक्दृष्टिकोण्हमें ्‍मकालीन्इततहा‍्और्दाशसतनकों्द्वारा्‍झ
ु ाई्गई्राजनीतत्की्प्रकृतत्को्‍मझने्में्
मदद्करता्है , लेककन्यह्अमूत्स एवं्ववचारणीय्भी्है ।

मनोवैज्ञातनक दृष्टिकोण

राजनीतत्और्मनोववज्ञान्का्घतनटि्‍ंबंध्है ।्मनोवैज्ञातनक्आमतौर्पर्व्यष्र्कतयों्के्राजनीततक्व्यवहार्
और्ऐ‍े् व्यवहार्के्ललए्अग्रणी्कारकों्का्अध्ययन्करते् हैं।्वे् यह्भी्अध्ययन्करते् हैं् कक्कुछ्व्यष्र्कत्
एक्तनष्श्चत्तरीके्‍े् व्यवहार्र्कयों्करते् हैं।्यह्मतदाता्के्व्यवहार , दृष्टिकोण्आदद्का्अध्ययन्करता्है ्
और्ववलभन्न्पहलुओ्ं का्अध्ययन्करने्के्बाद्शोधकतास्ऐ‍े्तनटकषस्तनकालते्हैं्जो्अर्क‍र्राजनीततक्नेताओं्
के्उद्दे श्य्की्पूततस्करते्हैं।्यह्कहना्अततश्योष्र्कत्नहीं्होगी्कक्व्यवहारवाद्की्नींव्व्यष्र्कतयों्का्मनोववज्ञान्
है ।्आज्की्दतु नया्के्राजनीततक्वैज्ञातनक्यह्जानने्के्ललए्बेहद्उत्‍ुक्हैं्कक्राजनीततक्गततववधध्के्क्षेत्र्
में्उद्दे टय्और्भावनाएाँ्कै‍े्काम्करती्हैं।्कभी-कभी्मनोवैज्ञातनक्‍मूह्के्व्यवहार्पर्अपना्ध्यान्केंदद्रत्
करते्हैं।

िंस्थागत दृष्टिकोण

राजनीतत्के्अध्ययन्के्ललए्‍ंथर्ागत्दृष्टिकोण्बहुत्ही्‍ामान्य्और्महत्वपूण्स है ।्पािकों, ववद्वानों,


शोधकतासओं् और्यहााँ् तक्कक्‍ामान्य्लोग्‍ंथर्ानों्के्कायसकाल्में् राजनीतत्दे खने् के्आदी्हैं।्‍ंथर्ागत्
दृष्टिकोण्को्‍ंरचनात्मक्दृष्टिकोण्भी्कहा्जाता्है ।्मैकलेवर्के्अनु‍ार्‍ंथर्ाएाँ्प्रकिया्के्रूप्थर्ावपत्हैं।्

3
‍ंथर्ान्उ‍्‍ंरचना्और्मशीनरी्‍े्‍ंबंधधत्है ्ष्ज‍के्माध्यम्‍े्मानव्‍माज्मानव्आवश्यकताओं्को्पूरा्
करने् के्ललए्आवश्यक्ववववध्गततववधधयों्को्व्यवष्थर्त, तनदे लशत्और्तनटपाददत्करता्है ।्इ‍्पररभाषा्के्
अनु‍ार, पररवार, ‍रकार्और्राज्य्और्‍भी्प्रकार्के्‍ंगिन्वे् ‍ंथर्ान्हैं्जो्राज्यों्के्भीतर्ववकल‍त्हुए्
हैं।्इ‍ललए, मानव्आवश्यकताओं्को्परू ा्करने्के्ललए्‍ंथर्ान्बनाए्गए्हैं।्राजनीततक्दल, दबाव्और्दहत्
‍मूह्एवं्ववधातयका्‍भी्‍ंथर्ाएाँ्हैं।

पारं पररक्राजनीततक्ववचारक्मुख्य्रूप्‍े् ववलभन्न्प्रकार्के्‍ंथर्ानों्की्गततववधधयों्और्भूलमका्‍े्


धचंततत्र्े्और्उन्होंने्‍ंथर्ानों्के्‍ंदभस्में्राजनीतत्को्दे खा।्‍ंथर्ागत्या्‍ंरचनात्मक्दृष्टिकोण्की्प्रमख
ु ता्
यह्है ् कक्‍ंथर्ाएाँ् अपने् तनयमों्और्प्रकियाओं् को्राजनीततक्घिनाओं् के्ववश्लेषण्के्ललए्महत्वपूण्स हैं् न्
कक्‍ंथर्ानों्का्गिन्करने्वाले्व्यष्र्कतयों्के्ललए।्‍ंथर्ागत्दृष्टिकोण्के्पैरोकार्भी्व्यष्र्कतयों्पर्‍ंथर्ानों्
या्तनयमों्के्प्रभाव्पर्ववचार्नहीं् करते् हैं।्उनका्कहना्है ् कक्राजनीततक्ववश्लेषण्में् ‍ंथर्ानों्का्प्रमुख्
महत्त्व्है ।

‍ंथर्ागत्या्‍ंरचनात्मक्दृष्टिकोण्की्कल्पना्एन्डी्पाल्मर्(भारतीय्राजनीततक्प्रणाली) , अशोक्चंदा्
(भारतीय्प्रशा‍न), ए.बी.्लाल्(भारतीय्‍ं‍द), जे.आर.्ल‍वाच्(भारतीय्राटरपतत), बी.बी.्जेना्(भारत्में्‍ं‍दीय्
‍लमतत), आदद्ववषयों्में्भारतीय्राजनीतत्की्‍ंवैधातनक्रूपरे खा, ‍ं‍द्एवं्कायसपाललका्के्कायस्में्अधधकांश्
पहलुओं्की्तुलना्में्अधधक्पयासप्त्उपचार्हुआ्है ।

प्रणाली दृष्टिकोण

प्रणाली् ववश्लेषण् को् राजनीततक् ववश्लेषण् का् अग्रणी् मॉडल् माना् जाता् है ।् डेववड् ईथिन् राजनीतत् के्
अध्ययन्के्ललए्प्रणाली्ववश्लेषण्दृष्टिकोण्के्आधार्पर्एक्व्यवष्थर्त्रूपरे खा्ववकल‍त्करने् वाले् पहले्
प्रमुख्राजनीततक्वैज्ञातनक्र्े।्प्रणाली्ववश्लेषण्राजनीतत्प्रणाली्के्‍ंदभस्में्राजनीतत्की्कल्पना्करता्है ।्
ईथिन्ने् राजनीततक्प्रणाली्को्ववश्लेषण्की्मूल्इकाई्के्रूप्में् चुना्है ् और्ववलभन्न्प्रणाललयों्के्अंतर-
प्रणाली्व्यवहार्पर्केंदद्रत्है ।्उनका्कहना्है ्कक्राजनीततक्प्रणाली्के्बाहर , अन्य्प्रणाललयााँ् हैं-्उदाहरण्के्
ललए्शारीररक, जैववक्‍ामाष्जक्और्मनोवैज्ञातनक।्राजनीततक्प्रणाली्को्अन्य्प्रणाललयों्‍े्अलग्ककया्जाता्
है ्जो्कक्पूव्स द्वारा्बनाए्गए्मूल्यों्के्आधधकाररक्आवंिन्द्वारा्व्यापक्रूप्‍े्राजनीततक्प्रकिया्का्गिन्
करता्है ।

ईथिन्का्मानना्है ्कक्‍भी्राजनीततक्प्रणाललयााँ्खल
ु ी्और्अनक
ु ू ली्हैं।्उन्होंने्राजनीततक्प्रणाली्और्
उ‍के्वातावरण्के्बीच्होने्वाले्आदान-प्रदान्और्लेनदे न्की्प्रकृतत्के्अध्ययन्पर्ध्यान्केंदद्रत्ककया।्इ‍्
प्रकार, ‘‘मूल्यों् का् आधधकाररक् आवंिन’’् एक् र्कलोज् ‍ककसि् में् नहीं् होता् है , बष्ल्क् ‘‍माज’् या् ‘पयासवरण’्की्
‘मांगों’्के्कारण्बनाया्जाता्है ।्पयासवरण्‍े्‘‍मर्सन’्के्कारण, वे्’आधधकाररक’्हो्जाते्हैं।्राजनीततक्प्रणाली,
ईथिन्के्अनु‍ार, ‘मांगों’्और्‘‍मर्सन’्के्रूप्में्पयासवरण्‍े्तनवेश्प्राप्त्करती्है ।्यह्नीततयों्और्तनणसय्
के्रूप्में् उत्पादन्करता्है ।्तनगसत्प्रततपुष्टि्तंत्र्के्माध्यम्‍े् पयासवरण्में् वाप‍्आते् हैं , ष्ज‍‍े् नई्मांगें्
बढ़ती्हैं।

आमंण्ड् ने् प्रणाललयों् की् तीन् ववशेषताओं् को् ‍ूचीबद्ध् ककया।् ये् (अ)् बोधगम्यता् (ब)् अन्योन्याश्रय
(‍)् ‍ीमाओं् का् अष्थतत्व् है ।् प्रणाली् व्यापक् है ् र्कयोंकक् इ‍में् ‍भी् परथपर् किया् अर्ासत्आगत्और् तनगसत्

4
‍ष्म्मललत्हैं।्प्रणाली्की्एक्अन्य्ववशेषता्अन्योन्याधश्रतता्है ् ष्ज‍का्अर्स् है ् कक्प्रणाली्के्ववलभन्न्उप-
‍मूह्एक्द‍
ू रे ् ‍े् तनकिता्‍े् ‍ंबंधधत्हैं।्यदद्एक्उप-‍मूह्में् एक्पररवतसन्होता्है , तो्इ‍का्अर्स् है ् कक्
यह्‍भी्उप-‍मूह्में्ददखाई्दे ता्है ।्अंत्में, ‍ीमा्प्रणाली्के्शुरू्और्अंत्का्एक्ब्रबंद्ु है ।्मायरोन्वैनर्ने्
(भारत्में्राज्य्की्राजनीतत)्प्रत्येक्राज्य्को्एक्बड़ी्प्रणाली्के्भीतर्एक्घिक्इकाई्के्रूप्में्माना्है ।

व्यवहारवादी दृष्टिकोण

व्यवहारवाद् की् जड़ें् 1920् में् एक् जीवववज्ञानी् लुडववग् वॉन् बिासलेंिी् द्वारा् प्रततपाददत्‍ामान्य् प्रणाली्
ल‍द्धांत्की्ओर्दे खी्जा्‍कती्हैं।्इ‍्ल‍द्धांत्ने्ववज्ञान्के्एकीकरण्पर्जोर्ददया, पहली्बार्‘व्यवहारवाद’्
ने्राजनीततक्को्एकीकृत्करने्के्ललए्एक्व्यवष्थर्त्प्रया‍्को्धचष्ननत्ककया।

राजनीतत्ववज्ञान्के्क्षेत्र्में , इ‍्दृष्टिकोण्की्उत्पवत्त्को्ग्राहम्वाले‍्और्आर्सर्बेंिले्के्लेखन्‍े्पता्
लगाया्जा्‍कता्है ।् 20्वीं् शताब्दी्की्शरु
ु आत्में् इन्दोनों्लेखकों्ने् राजनीतत्की्अनौपचाररक्प्रकियाओं्
पर्जोर्ददया, राजनीततक्‍ंथर्ानों्को्अलगाव्में्कम्महत्त्व्ददया।्चाल्‍स्ई्मेररयम्और्जी.ई.जी.् 1920्में्
कैिललन्और् 1930्के्दशक्में्हे रोल्ड्डी्लैथवेल्ने् इ‍्दृष्टिकोण्पर्जोर्ददया।्लेककन्इ‍े्द्ववतीय्ववश्व्
युद्ध्के्बाद्अमेररका्के्राजनीततक्वैज्ञातनकों्के्काम्‍े्लोकवप्रयता्लमली।

डेववड्ईथिन्ने्कुछ्मान्यताओं्और्उद्दे श्यों्के्‍ार््व्यवहार्आंदोलन्की्नींव्रखी।्उन्होंने्व्यवहारवाद्
के् ललए् बौद्धधक् आधारलशला् के् रूप् में् आि् ब्रबंदओ
ु ं् पर् ववचार् ककयााः् (1) तनयलमतीकरण् (2) ‍त्यापन,
(3) तकनीक, (4) पररमाणन्(5) मूल्य, (6) व्यवष्थर्तकरण्(7) शुद्ध्ववज्ञान्एवं्(8) एकीकरण

व्यवहारवादी् दृष्टिकोण् राजनीततक् व्यवहार् पर् केंदद्रत् है ।् यह् राजनीततक् ‍ंदभस् में् मनुटय् के् कृत्यों,
दृष्टिकोणों, वरीयताओं्और्अपेक्षाओं्के्अध्ययन्का्आनवान्करता्है ।्व्यवहारवादी्दृष्टिकोण्‍ामाष्जक्और्
राजनीततक्अष्थतत्व्के्रूप्में्मनुटय्के्‍ंग्रह्व्यवहार्पर्जोर्दे ता्है ।्इ‍्प्रकार व्यवहारवादी,्राजनीततवाद,
कानूनी्और्दाशसतनक्थकूलों्की्औपचाररकता्‍े्राजनीतत्के्व्यवहार्के्ललए्अपना्ध्यान्केंदद्रत्करता्है ।

भारतीय्राजनीतत्के्अध्ययन्के्ललए्ववलभन्न्दृष्टिकोणों्पर्चचास्की्गई्है ।्इन्दृष्टिकोणों्को्पारं पररक्


और्आधतु नक्दो्प्रकारों्में्वगीकृत्ककया्गया्है ।्पव
ू ्स को्थवच्छं दतावाद्‍े्भरा्गया्है ्और्बाद्में्भारतीय्
राजनीततक्प्रणाली्की्राजनीततक्वाथतववकता्को्‍मझने् और्‍मझाने् के्ललए्अनुभववाद्के्‍ार्।्दोनों्
दृष्टिकोण्में्‍मय्‍ीमा्के्अन‍
ु ार्प्रा‍ंधगकता्कम्या्ज्यादा्होती्है , इ‍ललए्दृष्टिकोण्की्आवश््यकता्लेना्
आवश्यक्है ।

इ‍्प्रकार, यह्बात्मानी्जाती्है ्कक्राजनीततक्घिना्के्अध्ययन्में्पारं पररक्और्आधुतनक्दृष्टिकोणों्


की्अपनी्प्रा‍ंधगकता्है ।्इ‍का्उद्दे श्य्राजनीततक्वाथतववकता्को्‍मझना्और्उ‍की्व्याख्या्करना्है , जै‍्े
कक, इ‍े् इ‍्तरह्‍े् प्राप्त्करने् की्कोलशश्नहीं् की्जानी्चादहए्कक्तनटकषस् पूरी्तरह्‍े् अमूत्स हो्जाए्या्
बहुत्अधधक्यंत्रवत्हो, जो्एक्जीववत्और्गततशील्लोगों्के्जीवन्पर्लागू्नहीं्होता्है ।्

जै‍ा्कक्हम्दे खेंगे, श्रेणी्अनुभववादी्द्वारा्की्गई्बड़ी्गलती्यह्है ् कक्उन्होंने् राजनीतत्ववज्ञान्के्


अनुशा‍न्‍े्नवीनता्छीन्ली्है , ष्ज‍में्जीवन्का्कोई्उच्च्उद्दे श्य्नहीं्है ।

5
‘ववज्ञानवाद’् अच्छा् है , लेककन् डेववड् ईथिन् द्वारा् की् गई् ‍लाह् के् अनु‍ार् ‘पागल् ‍नक’् बुरी् है , ष्ज‍े्
िाला्जाना्चादहए।

आइये्हम्भूल्जाते्हैं्जी.जी.्कैिललन्का्कोई्भी्राजनीततक्ल‍द्धांत्‘कारसवाई्के्अंत्और्मूल्यों्की्
चचास’्के्ववचार्के्ब्रबना्पूरा्नहीं्हो्‍कता्है ्और्इ‍ललए्कक्एच.्आर.्ग्रीव्‍्कहते्हैं्कक्कोई्भी्राजनीततक्
ल‍द्धांत्कारसवाई्के्अंत्और्मल्
ू यों्की्चचास् के्ववचार्के्ब्रबना्परू ा्नहीं् हो्‍कता्है ।्इ‍ललए्‘‘एक्मल्
ू य्
मुर्कत्ववश्लेषण्राजनीततक्ल‍द्धांत्के्ललए्ववनाशकारी्‍ाब्रबत्होगा’’।

भारत में राज्य की प्रकृततिः उदारवादी, मार्किशवादी और गााँधीवादी

‘राज्य’्राजनीतत्में्‍ब‍े्अधधक्इथतेमाल्ककया्जाने्वाला्शब्द्है ।्बी‍वीं्‍दी्के्पूवासद्ध
स ्तक, राजनीततक्
ववज्ञान् अपने् ववलभन्न् पहलुओं् और् ‍ंबंधों् में् राज्य् की् घिना् के् अध्ययन् ‍े् धचंततत् र्ा, जै‍ा् कक् पररवार,
जनजातत्और्राटर्और्‍भी्तनजी्‍ंघों्और्‍मूहों्‍े् अलग्है ।्जै‍ा्कक्गानसर्ने् कहा, राजनीततक्ववज्ञान्
राज्य्के्‍ार््शुरू्और्‍माप्त्होता्है ।्गेिेल, धगलकिथि्आदद्राजनीततक्ववचार्के्ऐ‍े्ववद्यालय्के्प्रतततनधध्
भी्रहे ्हैं।

राजनीततक्रूप्‍े, कक‍ी्‍रकार्के्कानूनों्और्तनयमों्को्लागू् करने् के्ललए्और्राजनीततक्तनणसयों्


के्ललए्मशीनरी्का्आयोजन्ककया्जाता्है ।्गानसर्के्अनु‍ार, ‘राज्य, राजनीततक्ववज्ञान्और्‍ावसजतनक्कानून्
की्अवधारणा्के्रूप्में , कम्या्ज्यादा्व्यष्र्कतयों्का्एक्‍मद
ु ाय्है , जो्थर्ायी्रूप्‍े् क्षेत्र्तनयंत्रण्के्एक्
तनष्श्चत्भाग्पर्अधधपत्य्कर्रहा्है ्और्एक्‍ंगदित्‍रकार्के्पा‍्है ।्इ‍्पररभाषा्के्अनु‍ार, जन‍ंख्या,
तनष्श्चत्क्षेत्र, ‍रकार्और्‍ंप्रभत
ु ा्राज्य्के्आवश्यक्तत्व्हैं।्‍माज, ‍रकार, ‍ंघ्और्राटरों्‍े् अलग, राज्य्
को्एक्अलग्‍ंथर्ान्माना्जाता्है ।

राज्य्ववका‍्के्आधुतनक्नािक्में्एक्केंद्रीय्णखलाड़ी्है , और्कहीं्भी्यह्ती‍री्दतु नया्के्ववका‍्‍े्


ज्यादा्महत्वपण
ू ्स नहीं् है ।्इ‍की्‍फलताएाँ, इ‍की्अ‍फलताएाँ् और्इ‍की्ववकृततयााँ् राज्य्गिन्के्अनम
ु ानों्
की्‍मुधचत्‍मझ्के्ब्रबना्पूरी्तरह्‍े् ‍राही्नहीं् जा्‍कतीं।्यह्‍मझने् के्ललए्कक्राज्य्कै‍े् आगे् हैं्
और् वे् कै‍े् आए् हैं, हम् ऐततहाल‍क् रूप् ‍े् उनके् बारे ् में् ‍ोचते् हैं , और् औपचाररक् ‍ंरचनाओं् ‍े् परे ् उनके्
‍ामाष्जक्और्राजनीततक्ववतनदे शों्को्दे खना्चादहए।

आधुतनक्राज्य्को्दो्व्यापक्रूपों्में्वगीकृत्ककया्जा्‍कता्है -्उदार्लोकतांब्रत्रक्और्अधधनायकवादी,्
जबकक्पूव्स लोकतंत्र्के्आधार्पर्लोगों्के्हार्ों्में्‍त्ता्के्तनवा‍्और्उनके्चुने्हुए्प्रतततनधधयों्द्वारा्इ‍के्
उपयोग्को्दशासता्है ; उत्तराद्सध्पूव्स का्ववरोधी्है ् जहां् राजनीततक्‍त्ता्भूखे् राजनेता्या्‍ैन्य्कुलीन्वगों्के्
एक्‍मूह्के्हार्ों्में् है , जो्बल्और्धोखाधड़ी्के्द्वारा्अपने् शा‍न्की्गंभीर्वैधता्का्प्रया‍्करते् हैं।्
‘कल्याणकारी्राज्य’्के्नाम्‍े्लोकवप्रय्एक्और्ककथम्‍ामने् आई्है ।्अधधनायकवादी्राज्य्की्चुनौती्को्
पूरा्करने्के्ललए्कल्याणकारी्राज्य्की्अवधारणा्को्तैयार्ककया्गया्है ।

भारत्की्राजनीतत्को्‍मझने्के्ललए्कई्प्रया‍्ककए्गए्हैं।्यद्यवप्राज्य्के्गिन्पर्कोई्तकस‍ंगत्
दृष्टिकोण्नहीं्है , लेककन्मख्
ु य्रूप्‍े्दो्दृष्टिकोण्भारतीय्राज्यों्की्प्रकृतत्की्व्याख्या्करते्हैं।्ये्उदारवादी्
और्मार्क्‍व
स ादी्हैं।

6
उदारवादी दृष्टिकोण

उदार्दृष्टिकोण्ने् ‍ंथर्ान्और्प्रकियाओं् को्राज्य्और्राजनीततक्शष्र्कत्को्‍मझने् की्कंु जी्के्रूप्


में् बल् ददया।् यह् ववका‍् और् ‍ामाष्जक् पररवतसन् की् आवश्यकता् को् पहचानता् है ।् कक‍ी् ववशेष् राज्य्की्
प्रकृतत्का्अध्ययन्करने् के्ललए, राज्य, शष्र्कत्और्‍ामाष्जक्वगों्और्राज्य्के्उद्दे श्य्के्बीच्‍ंबंध्का्
ववश्लेषण्करना्आवश्यक्है ।्उदार्लोकतांब्रत्रक्थवरूप्लोकतंत्र्की्नींव्पर्खड़ा्है ।्यह्राज्य्को्एक्लोकतांब्रत्रक्
राज्य्के्रूप्में्दे खता्है ्जहााँ् लोगों्के्शा‍न्को्भाषण्और्अलभव्यष्र्कत्की्थवतंत्र ता, थवतंत्र्और्आवधधक्
चन
ु ाव, एक् ष्जम्मेदार् और् जवाबदे ह् ‍रकार, थवतंत्र् न्यायपाललका, कानन
ू ् के् शा‍न् आदद् के् ‍ार्् लाग्
ू ककया्
जाता्है ।्कानून्के्शा‍न्के्माध्यम्‍े् यह्अराजकता्को्रोकता्है ।्उ‍्‍माज्में् जो्पूण्स थवतंत्रता्को्
प्रततबंधधत्करता्है , लेककन्‍भी्नागररकों्के्ललए्कानन
ू ्के्अन्तगसत्थवतंत्रता्उत्पन्न्करता्है ।्इ‍्दृष्टिकोण्
ने् राजनीततक् प्रकियाओं् की् प्रधानता् और् थवतंत्रता् पर् बल् ददया।् यह् रजनी् कोिारी , ए‍.् रूडोल्फ् एवं् एफ.्
फ्रेंकल्के्लेखन्‍े् थपटि्है ।्उदारवादी्ववद्वानों्ने् राज्य्की्केंद्रीयता्को्एक्थवायत्त्अलभनेता्या्‍ापेक्षक्षक्
थवायत्तता् के् रूप् में् थवीकार् करने् की् आवश्यकता् पर् बल् ददया् है , जहााँ् राज्य् को् एक् उच्च् हथतक्षेपवादी्
ववका‍वादी्भूलमका्तनभानी्है ।्अर्ासत्लगभग्चार्दशकों्तक्कांग्रे‍्दल्के्प्रभुत्व्ने् एक्मजबूत्राज्य्के्
उदय् के् ललए् राजनीततक् आधार् को् मजबूत् करने् में् ‍हायता् की।् यह् भारतीय् राटरीय् कांग्रे‍् के् तहत्
औपतनवेलशक्शा‍न्‍े्थवतंत्र्रूप्में्उभरा्ष्ज‍ने्थवयं्को्एक्‍त्तारूढ़्दल्में्पररवततसत्कर्ददया्और्एक्
‍मायोष्जत्दल्की्ववशेषता्प्राप्त्कर्ली।

रजनी् कोिारी, नॉमसन् पामर् और् मॉरर‍् जोन्‍् जै‍े् राजनीततक् वैज्ञातनकों् ने् उदारवादी् आधुतनकतावादी्
दृष्टिकोण्की्‍दथयता्ली्है ।्रजनी्कोिारी्ने् भारतीय्प्रततरूप्पर्’प्रमुख्राजनीततक्केंद्र’्के्‍माज्के्रूप्
में् दिप्पणी् की, जो् बहुवचन् पहचान् की् ववशेषता् है ।् उन्होंने् भारत् में् लोकतंत्र् की् ‍फल् थर्ापना् के् ललए्
महत्त्वपण
ू ्स कारकों्के्रूप्में्बहुलता्‍दहटणत
ु ा्और्एकीकरण्के्ललए्एक्प्रततभा्के्अष्थतत्व्पर्ववचार्ककया।्
मॉरर‍्जोन्‍्का्ध्यान्भारत्में् राज्य्की्प्रकृतत्को्‍मझने् के्ललए्राजनीततक्‍ंथर्ानों्और्प्रकियाओं् के्
कायस् पर्र्ा।्उन्होंने् ववलभन्न्थतरों्पर्पररवतसन्लाने् के्ललए्लोकतांब्रत्रक्‍ंथर्ानों्को्महत्त्व्ददया।्उन्होंने्
‘‘आधर्सक्और्‍ामाष्जक्पररवतसन्लाने् में् राजनीततक्‍ंथर्ानों्की्क्षमता’’्पर्बल्ददया।्( 1) यह्माना्गया्
कक्‘‘एक्उदार्लोकतांब्रत्रक्‍ंवैधातनक्प्रणाली्और्‍ावसभौलमक्मताधधकार्के्‍ार् , भारतीय्राजनीततक्प्रणाली्
धीरे -धीरे ्लोकतांब्रत्रक्तनणसय्की्अपनी्प्रकियाओं्का्ववका‍्करे गी-्तकस‍ंगत्प्रशा‍न, और्आधुतनक्नागररकता”।्
(2) “लोकतांब्रत्रक्ववचारधारा, आधर्सक्ववका‍, ववतरणात्मक्न्याय्के्इ‍्‍ंयोजन्ने्एक्पारं पररक्रूप्‍े्उदा‍ीन्
‍माज् को् बदलने् का् एक् अनूिा् अव‍र् प्रदान् ककया् ष्ज‍में् राज्य् केंद्रीय् ‍ाधन् बन् गया् और् राजनीतत्
पररवतसन्का्प्रमुख्प्रतततनधध्बन्गया।्(3) यह्राजनीततक्‍ंथर्ानों्और्लोकतांब्रत्रक्प्रकियाओं् की्आशावादी्
धचत्रण्को्दशासता्है ।्भारतीय्राज्य्के्उदारवादी्आलोचकों्को्रजनी्कोिारी , अतुल्कोहली, द्रूडोल््‍, गुन्नार्
मायडसल्के्लेखन्में् पढ़ा्जा्‍कता्है ।्गन्
ु नार्मायडसल्ने् गरीबी्उन्मल
ू न्या्कानन
ू ों्को्लाग्
ू करने् के्ललए्
‍ावसजतनक्नीततयों्को्लागू् करने् और्भारतीय्राज्य्के्‍ंथर्ागत्प्रततरूप्को्‘‘नरम्राज्य’’्के्रूप्में् करार्
दे ने् की्राज्य्की्अक्षमता्की्आलोचना्की।्मायडसल्के्अनु‍ार, भारतीय्राज्य्नरम्र्ा्र्कयोंकक्इ‍में् ‍ुधार्
और्ववका‍्के्राथते्में्खड़े्‍ंथर्ानों्को्‍ुधारने्की्कोई्शष्र्कत्नहीं्र्ी।्पररणामथवरूप, यह्जातत्की्‍ंथर्ा्
‍े्प्रत्यक्ष्रूप्‍े्नहीं्तनपि्‍कता्र्ा, प्रभावी्भूलम्‍ुधार्के्उपायों्को्ले्‍कता्र्ा, भ्रटिाचार्को्लमिा्‍कता्

7
र्ा्या्लोगों्के्माध्यम्‍े्प्रभावी्ढं ग्‍े्ववका‍्के्ववचारों्को्लागू्कर्‍कता्र्ा।्इ‍्नरमी्का्एक्पररणाम्
वामपंर्ी्उग्रवाद्का्बढ़ना्है , ष्ज‍े्मनमोहन्ल‍ंह्ने्दे श्की्‍रु क्षा्के्ललए्‘‘‍ब‍े्गंभीर्आंतररक्खतरा’’्कहा।्
मायडसल्का्‘किोर्राज्य’्नर्क‍लवाद्‍े्तनपिने्में्‍क्षम्रहा, ष्ज‍ने्दे श्को्गंभीर्रूप्‍े्प्रभाववत्ककया्है ।्
उदार्दृष्टिकोण्भारत्में्राज्य्और्राजनीततक्शष्र्कत्को्‍मझने्के्ललए्‍ंथर्ानों्और्प्रकियाओं्पर्केंदद्रत्
है ।् राज्य् को् ‍ामाष्जक् प्रगतत् का् केंद्रीय् ‍ाधन् और् पररवतसन् का् प्रमुख् एजेंि् माना् जाता् है ।् रूडोल्फ् के्
अनु‍ार, भारतीय् राज्य् में् दो् ‍मूह् हैं, ष्जनमें् ‍े् एक् ‘उत्पादन् का् माललक’् है ् और् द‍
ू रा् ‘मजदरू ’् ‍मूह् है ।्
उन्होंने् इन्दो्परथपर्ववरोधी्‍मूहों्के्बीच्मध्यथर््के्रूप्में् राज्य्का्ववश्लेषण्ककया, और्ऐ‍ा्करने् के्
ललए, राज्य्की् ‍ंरचनात्मक् एकता् को् बनाए् रखने् के् ललए् थवायत्त् होना् चादहए।् इ‍ललए् राज्य्की् भूलमका्
‘‘ती‍रे ्अलभनेता’’्की्होगी।्रूडोल्फ्भारतीय्राज्य्को्एक्कमजोर्राज्य्के्रूप्में्मानते्हैं।्यह्बड़े्बतु नयादी्
उद्योगों, धमसतनरपेक्षता्की्ववचारधारा्के्कारण्मजबूत्है ।्लोकतंत्र, ‍माजवाद्और्लमधश्रत्अर्सव्यवथर्ा्ष्ज‍ने्
‍ंघषों्को्कम्कर्ददया्है ।्यह्जाततगत्‍ंघषस, धालमसक्कट्िरवाद्और्‍ांप्रदातयकता, राजनीततक्लामबंदी्के्
बढ़ते्थतर्आदद्के्कारण्कमजोर्है ।

मार्किशवादी दृष्टिकोण
मार्क्‍व
स ादी् दृष्टिकोण् है ् जहााँ् राजनीततक् अर्सव्यवथर्ा् महत्वपूण्स कारक् है ।् आधर्सक् ववका‍् का् ‍ब‍े्
महत्त्वपूण्स वाहन्है ।्यह्शा‍क्वगस् और्शाल‍तों्के्बीच्चल्रहे ् वगस् ‍ंघषस् में् राज्य्की्पक्षपातपूण्स भूलमका्
को्बताता्है ।्मार्क्‍व
स ादी्दृष्टिकोण्ने्भारतीय्राज्य्को्एक्‍ामाष्जक्व्यवथर्ा्बनाने्के्ललए्उत्तरदायी्बताया्
होगा्जो्श्रम्पर्पाँज
ू ी्का्आधधपत्य्बनाए्रखता्है ्और्अपने्‍ंबंधों्को्कफर्‍े्शुरू्करने्की्कोलशश्करता्
है ।्यह्प्लेिो्और्अरथतू् के्‍ार््शुरू्होने् वाले् पष्श्चमी्राजनीततक्ववचार्का्मुख्य्बौद्धधक्प्रततरूप्र्ा।्
इ‍ने् राज्य्को्आदे श्और्‍भ्यता्के्रखरखाव्के्ललए्आवश्यक्माना।्मार्क्‍व
स ादी्दृष्टिकोण्ने् तकस्ददया्
कक् राज्य् ऐततहाल‍क् रूप् ‍े् ‍माज् के् ववभाजन् के् ‍ार्-‍ार्् एक् शा‍क् वगस् में् उभरा् जो् अवकाश् और्
ववशेषाधधकार्का्आनंद्लेता्र्ा।्जबकक, लोगों्का्एक्बड़ा्वगस्बहुत्बुरा्जीवनयापन्कर्रहा्र्ा्और्प्राचीन्
काल्‍े्लेकर्आधुतनक्काल्तक्‍माज्के्‍मग्र्ववका‍्में्दा‍्और्‍वसहारा्वगस्के्रूप्में्शोवषत्र्ा।्बाद्
में्मार्क्‍्स को्ववश्वा‍्हो्गया्कक्‍वसहारा्वगस्के्‍ंघषस्को्जीतने्के्ललए्राज्य्को्‍माप्त्ककया्जा्‍कता्
है , ऐ‍ा्कुछ्ष्ज‍े्वह्अपररहायस्मानते्र्े।

भारतीय्‍ाम्यवादी्दल्भारत्को्एक्राटरीय्बुजआ
ुस ्राज्य्के्रूप्में् वणणसत्करता्है ् ष्ज‍में् ववका‍्के्
गैर-पाँज
ू ीवादी्राथते्का्अन‍
ु रण्करके्‍माजवाद्की्ओर्शांतत्‍े्अग्र‍र्होने्की्‍ंभावना्है ।्भारतीय्पाँज
ू ीपतत्
वगस्थवतंत्रता्के्पााँच्दशकों्‍े्अधधक्‍मय्के्बाद्आज्एक्ऐ‍ा्वगस्है ्ष्ज‍ने्कुछ्महत्त्वपूण्स पररवतसनों्का्
ववथतार्ककया्है ।्थवतंत्रता्के्‍मय्में , एक्बड़ा्पाँज
ू ीपतत्वगस्र्ा, जो्इ‍्वगस्पर्में्हावी्र्ा।्लेककन्इ‍्बड़े्
पाँज
ू ीपतत्वगस्के्दृष्टिकोण्में्एक्महत्त्वपूण्स बदलाव्आया्है ।्यह्बड़ा्पाँूजीपतत्वगस्र्ा्ष्ज‍ने्1950्के्दशक्
में्भारत्में्ककए्गए्पाँज
ू ीवादी्ववका‍्के्प्रकार्का्पता्लगाया्र्ा।

(क) एक्वगस्जो्अंतरासटरीय्ष्थर्तत्और्भारतीय्‍माज्में ्अपने्थवयं्के्आधार्को्‍मझता्र्ा।्पाँूजी्को्


जमा्करने्और्पाँज
ू ीवाद्को्ववकल‍त्करने्के्ललए्भारतीय्राज्य्की्आवश्यकता्र्ी।्राज्य्के्पाँूजीवाद,
ष्ज‍े्भारतीय्शा‍क्वगों्ने्प्रायोष्जत्ककया, ने्दोहरी्भूलमका्तनभाई।्इ‍ने्वववश्ढााँचे्के्भीतर्पाँज
ू ीवाद्
के् ववका‍् को् ‍क्षम् ककया।् एक् ‍ंपूण्स कृवष् िांतत् के् ब्रबना् पाँूजीवादी् ववका‍् का् एक् प्रततरूप, ष्ज‍े्

8
जमींदारों्के्‍ार््‍मझौता्करने् और्जमींदारों्और्अमीर्कक‍ानों्पर्तनभसर्रहने् ‍े्कृवष्पाँूजीवाद्के्
ववका‍्की्आवश्यकता्र्ी।्

(ख) भारतीय्पाँज
ू ीपततयों्की्अधीनथर््ष्थर्तत्में् एक्ववश्व्पाँज
ू ीवाद्की्दृष्टि्‍े् ववदे शी्ववत्त्पाँज
ू ी्के्‍ार््
जैववक्‍ंबंध्की्आवश्यकता्र्ी्और्पाँज
ू ीवादी्ववका‍्के्मागस्को्आगे्बढ़ाने्के्ललए्इ‍्‍ाम्राज्यवादी्
पाँज
ू ी्पर्तनभसरता्र्ी।्

(ग) ऐ‍े् पाँज


ू ीवादी्ववका‍्में् ऐ‍ी्ष्थर्तत्में् थवायत्तता्की्‍ापेक्ष्मात्रा्हो्‍कती्है ् जहााँ् ‍ोववयत्‍ंघ्का्
अष्थतत्व्र्ा्और्‍माजवादी्गुि्र्ा; भारत्में् बुजआ
ुस -जमींदार्वगस् दो्दोषों्और्युद्धाभ्या‍्के्बीच्के्
िकराव्का्उपयोग्कर्‍कते्हैं्ताकक्एक्‍ीलमत्‍ीमा्तक्अपनी्ष्थर्तत्को्मजबत
ू ्ककया्जा्‍के।

अकादलमक्मार्क्‍व
स ादी्जै‍्े ए.आर.्दे ‍ाई्ने् भारत्को्एक्पाँूजीवादी्राज्य्कहा।्एक्‘‘बज
ु आ
ुस ्‍ंववधान’’्
के्रूप्में्उन्होंने्भारतीय्‍ंववधान्का्नाम्ददया्एवं्तकस्ददया्कक्शुरू्में्‍ंववधान्में्‍ंपवत्त्के्अधधकार्को्
शालमल्करने्का्अधधकार्थवालमत्व्के्माध्यम्‍े्आय्का्अधधकार्दे ना्र्ा , ष्ज‍के्पररणामथवरूप्‍ामाष्जक्
अ‍मानताएाँ् र्ीं।्लमधश्रत्अर्सव्यवथर्ा्पर्आधाररत्आगे् की्भारतीय्योजना्ने् आधर्सक्ववका‍्के्आधार्के्
रूप्में्तनजी्थवालमत्व्पर्आधाररत्एक्वगस्‍ंरचना्को्थवीकार्ककया।्उन्होंने्कहा्कक्लमधश्रत्अर्सव्यवथर्ा्
का् झुकाव् तनजी् क्षेत्र् की् ओर् है ।् उ‍ी् तजस् पर् ‍ी.पी.् भांबरी् ने् शा‍क् वगों् के् भीतर् ‍ंघषस् और् राज्य्के्
अपेक्षाकृत्कमजोर्होने् पर् प्रकाश्डाला्है ।्हमजा्अल्वी्ने् तकस्ददया्है ् कक्औपतनवेलशक्राज्य्के्रूप्में्
भारत् में् शा‍क् वगों् के् प्रततथपधी् दहतों् की् मध्यथर्ता् में् ‍ापेक्ष् अर्सव्यवथर्ा् र्ी।् कुछ् ववलशटि् ष्थर्ततयााँ्
उपष्थर्त्हैं्ष्जन्होंने्राज्य्को्औपतनवेलशक्राज्यों्के्बाद्एक्थवायत्त्भूलमका्तनभाने्में्मदद्की।्वह्कहते्
हैं् कक्भारत्में् कोई्वगस् आधाररत्राजनीतत्नहीं् है ् और्कांग्रे‍्जै‍े् बहु-वगीय्दल्हैं। थवदे शी्उधचत्वगस् की्
कमजोरी्भारतीय्राज्य्को्‍ापेक्ष्थवायत्तता्के्एक्महान्उपाय्की्अनुमतत्दे ती्है ।

इ‍ी्तजस् पर्एक्अन्य्ववद्वान्पार्स् चिजी्कहते् हैं् कक्आजादी्के्बाद्‍े् ही्प्रमुख्वगों्का्गिबंधन्


रहा्है ।्राज्य्पर्तनयंत्रण्पाने्के्ललए्भलू मधारी्कुलीनों्के्‍ार््शष्र्कत्‍ाझा्की्गई्र्ी।

भारतीय्राज्य्की्एक्मार्क्‍व
स ादी्‍मझ्राज्य्के्वगस्चररत्र्को्दशासती्है , प्रमख
ु ्वगों्की्‍ेवा्करना्और्
जरूरत् पड़ने् पर् उनकी् ‍ामाष्जक-आधर्सक् ‍ंरचना् को् ‍रु क्षक्षत् करने् के् ललए् जबरदथत् ‍ाधनों् का् उपयोग्
करना।

गााँधीवादी दृष्टिकोण

राज्य्की्प्रकृतत्का्अध्ययन्करने् के्ललए्गााँधीवादी्दृष्टिकोण्थवराज्की्अवधारणा्पर्आधाररत्है ।्
इ‍का्अर्स्है ्कक्ववदे शी्शा‍न्का्अभाव्और्थव-‍रकार्की्थर्ापना।्उन्होंने्राज्य्को्एक्आवश्यक्बुराई्
माना्और्र्ोरो्के्हुर्कम्का्‍मर्सन्ककया्कक्‘‘वह्‍रकार्‍ब‍े् अच्छी्है ् जो्‍ब‍े् कम्शा‍न्करती्है ’’।्
इ‍में्कहा्गया्है ्कक्लोगों्की्थवतंत्रता्और्अधधकारों्के्‍ार््हथतक्षेप्न्यूनतम्होने्पर्‍रकार्‍वसश्रेटि्है ।

गााँधी्के्आकलन्में, राज्य्(पष्श्चमी्प्रकार)्केंदद्रत्रूप्में्दहं‍ा्का्प्रतीक्र्ा।्नागररकों्‍े्तनटिा्‍ुतनष्श्चत्
करने्के्ललए्राज्य्(ष्ज‍का्अर्स्है ्कक्उ‍का्अधधकार्है )्तनदस यतापूवक
स ्या्दहं‍क्उपायों्को्लागू्करता्है ।

9
उन्होंने्दक्षक्षण्अफ्रीका्में्अनुभव्‍ंगह
ृ ीत्ककया्कक्राज्य्की्अधधक्‍े्अधधक्शष्र्कत्का्मतलब्अधधक्
‍े्अधधक्दहं‍ा्या्अधधक्मात्रा्में्जबरदथती्करना्र्ा।्कानून्और्व्यवथर्ा्के्रखरखाव्के्नाम्पर्दक्षक्षण्
अफ्रीका्की्श्वेत्‍रकार्ने्बहुत्बड़ी्शष्र्कत्हाल‍ल्कर्ली्और्इ‍‍े्तनदस यी्प्रशा‍न, व्यष्र्कतयों्की्थवतंत्रता्
का्शोषण्का्पदासफाश्हुआ। उन्होंने्एक्बार्कहा्र्ा्कक्दहं‍ा्पर्आधाररत्एक्राजनीततक्‍ंगिन्को्उनकी्
थवीकृतत्कभी्नहीं्लमलेगी।्बष्ल्क्ऐ‍े्‍ंगिन्‍े्वह्हमेशा्डरता्है ।्उन्होंने्पष्श्चमी्राज्य्प्रणाली्के्बारे ्में्
जो्मह‍‍
ू ्ककया, वह्एक्दिप्पणी्में्थपटि्है , ‘‘मैं्राज्य्की्शष्र्कत्में्वद्
ृ धध्को्‍ब‍े्बड़े्भय्के्‍ार््दे खता्
हूाँ, हालांकक्थपटि्रूप्‍े्यह्शोषण्को्कम्करके्अच््
छा्कर्रहा्है ्परन््
तु्व््यष्र्कतवाद्को्नटि्करके्बुरा्कर्
रहा्है , जो्कक्मानव्जातत्की्प्रगतत्के्मल
ू ्में्है ”।

उपरोर्कत् ववश्लेषण् ‍े् यह् ब्रबल्कुल् थपटि् है ् कक् गााँधी् ने् पष्श्चमी् प्रततरूप् के् राज्य्को् इ‍् आधार् पर्
खाररज्कर्ददया्कक्यह्दहं‍ा्या्जबरदथती्का्प्रतततनधधत्व्करता्है ।्अब्प्रश््
न्यह्है ्कक्गााँधी्ने्दहं‍ा्का्
इतना्ववरोध्र्कयों्ककया? गााँधी्के्अनु‍ार, आधुतनक्राज्य, व्यष्र्कतगतता्को्नटि्करने् वाला्र्ा-्व्यष्र्कतगत्
थवतंत्रता्और्काम्के्ललए्‍हज्आग्रह।

द‍
ू रे , व्यष्र्कतवाद्प्रगतत्का्मूल्कारण्है ।्गााँधी्मानते् र्े् कक्जबरदथती्करने् ‍े् कुछ्नहीं् हो्‍कता।्
कफर, व्यष्र्कत्को्उ‍की्इच्छा्या्‍हज्इच्छा्के्ववरुद्ध्कोई्काम्करने्के्ललए्मजबूर्नहीं्ककया्जा्‍कता्
है ।्इ‍े्द‍
ू रे ्शब्दों्में्कहें ्तो्गााँधी्के्अनु‍ार्‍माज्की्प्रगतत्उन्कायों्के्माध्यम्‍े्की्जा्‍कती्है , जो्
व्यष्र्कत्थवेच्छा्‍े्करते्हैं।

लेककन्गााँधी्हमें्अधधक्आिामक्लगते्हैं्र्कयोंकक्कक‍ी्भी्पररष्थर्तत्में्व्यष्र्कत्की्थवतंत्रता्का्त्याग्
नहीं् ककया्जा्‍कता्है ।्व्यष्र्कतगत्थवतंत्रता्के्ललए् गााँधी्का्प्रेम्उन्हें ् महान्अराजकतावादी्दाशसतनकों्के्
‍ार्् रखता् है ।् केंद्रीय् ववचार् यह् है ् कक् दहं‍ा् के् ‍ार्् तनकि् ‍ंबंध् के् कारण् गााँधी् राज्य् एक् अवांछनीय्
राजनीततक्‍ंगिन्है ।

गााँधी्के्थवराज्का्अर्स्लोगों्की्‍हमतत्और्भागीदारी्वाली्‍रकार्है ।्उ‍के्ललए्भारत्जै‍े्बड़े्दे श्
में् प्रत्यक्ष् लोकतंत्र् अ‍ंभव् है ।् थवतंत्रता् के् बाद् भारत् के् ‍ंववधान् तनमासताओं् ने् गााँधीवादी् राज्य् की् कुछ्
ववशेषताओं्को्अपनाया।्इनमें ्‍े्कुछ्‍मतावादी्‍माज, अथपश्ृ यता्और्‍माज्के्कमजोर्वगों्के्प्रतत्ववशेष्
दे खभाल्पर्बल्दे ते् हैं।्वाथतव्में् वे् पूरे् भारत्में् पंचायत्राज्प्रणाली्के्माध्यम्‍े् ‍त्ता्का्ववकेंद्रीकरण्
करना्चाहते्र्े।्इ‍के्अलावा्वह्अपने्द्वारा्ककए्गए्कायों्के्‍ंदभस्में्राज्य्के्अष्थतत्व्को्उधचत्िहराता्
है , इ‍ललए्जब्तक्राज्य्उन्कायों्को्करता्है ् जो्‍भी्मनुटयों्के्अच्छे , कल्याण्और्उत्र्ान्का्नेतत्ृ व्
करते्हैं।

‍ंदभस

1. Norman P. Berry, An Introduction to Modern Political Theory London: Macmillan, 1989


2. Zoya Hasan, (eds.) Politics and the State in India, Delhi: Sage Publications, 2002.
3. C.P. Bhambhari, Politics in India (1947-87) New Delhi: Vikas Publications,1988

4. Rajni Kothari, Politics in India, Delhi: Orient Longman, 1970

10
5. Partha Chatterjee (ed.) State and Politics in India, Delhi: OUP, 1997

कुछ्उपयोगी्पथ
ु ्तकें

1. Zoya Hasan(eds.) (2002), Politics and the state in India, New Delhi: Sage Publications,
p.12
2. Partha Chatterjee, ‘The State’ in Gopal Jayal Niraja, (eds.) (2010), The Oxford Companion
to Politics in India, 1st ed., p.4
3. Hasan., op. cit., p 12
A.R. Desai, India’s Path of Development—A Marxist approach, Delhi: Popular Prakashan,
1984

11
इकाई-2
पाि्1

भारतीय िंववधान में आधारभूत तत्त्व


दय
ु ोधन्नाहक

प्रस्तावना

भारतीय्‍ंववधान्एक्वैधातनक्दथतावेज्है ्जो्कक्दे श्की्शा‍न्व्यवथर्ा्में्ललए्तनयमों्का्‍मुच्चय्


प्रदान् करता् है ।् राजनैततक् दथतावेज् होने् के् अलावा् ‍ंववधातनक् ‍रकार् एवं् नागररकों् को् गररमापूण्स व्
‍म्मानजनक्जीवन्प्रदान्करने्के्ललए्उनमें्‍ामाष्जक्आधर्सक्थतर्में्‍ुधार्करती्है ।्एक्दिप्पणीभार्ने्
‍त्य्ही्कहा्है ् कक्‘‘‍ंववधान्एक्जीवंत्दथतावेज्है ् जो्‍माज्की्बदलती्आवश्यकताओं् एवं् पररष्थर्ततयों्
के्‍ार््अपने् में् पररवतसन्जारी्रखता्है ।्‍ंववधान्राटर्के्लोगों्की्राजनैततक्आकांक्षाओं् का्एक्प्रततब्रबंब्
है ।्उन्आवश्यकताओं् एवं् उद्दे श्यों्ष्जनको्पूरा्करने् की्राटर्को्लंब्े ‍मय्‍े् अलभलाषा्र्ी्इन्‍भी्को्
‍ंववधान्अपने्में्‍मादहत्करता्है ।्वपछले् 70 वषों्के्दौरान्यह्दे खने्को्लमलता्है ्कक्‍ंववधान्में् 100 ‍े्
भी्अधधक्बार्‍ंशोधन्ककए्जा्चक
ु े ्हैं।्जै‍ाकक्‍ंववधान्भारतीय्शा‍न्व्यवथर्ा्को्‍ंचाललत्करने् वाले्
मुख्य्या्मूल्तत्त्वों्को्कायसपाललका, ववधातयका, न्यायपाललका्को्भी्तनदे लशत्करता्है ।्भारतीय्‍ंववधान्की्
एक्मल
ू ्ववशेषता्‍ंप्रभत
ु ा्है ् ष्ज‍में्कक्खेल्‍ंगिन्‍े्लेकर्कक‍ान्आंदोलन, व्यापार्‍ंगिन्‍भी्‍ंववधान्
के् अनुरूप् ही् कायस् करते् हैं।् मुख््यत:् ‍ंववधान् की् मााँग् तीन्पररष्थर्ततयों् में् उत््
पन््न् होती् है ् पहला् ‍ैतनक्
ववद्रोह्एवं् नागररक्यद्
ु ध्में् कारण, द‍
ू रा्ववदे शी्दा‍त््
व्के्कारण, ती‍रा्‍ामाष्जक्िांतत्में् ब्रबखर्जाने् के्
कारण।्तनथ्
‍ंदेह्यह्माना्जाता्है ्भारतीय्‍ंववधान्तनवासधचत्‍दथ्
यों्द्वारा्ललखा्जाता्है ्‍ंववधान्‍भा्का्
मुष्थलम्लीग्द्वारा्बदहट्कार्ककया्जाता्है ्और्अलग्पाककथ्
तान्मााँग्पर्बल्ददया्जाता्है ा्भारतीय्‍ंववधान्
‍भा्की्पहली्बैिक्9्दद‍ंबर्1946्को्हुई्और्भारतीय्‍ंववधान्को्26्नवंबर्1949्तक्‍ंववधान्तनमासण्
का्कायस्पूरा्हो्चक
ु ा्र्ा।्भारतीय्‍ंववधान्के्तनमासण्में्कुल्2्‍ाल्11्महीने्18्ददन्का्‍मय्लगा्और्
अंतत:्26्जनवरी्1950्को्‍ंववधान्लागू्हो्गया्र्ा।्इ‍्अध््
याय्में्हम्मुख््
य्रूप्‍े्तीन्बातों्पर्अधधक्
ध््
यान् केंदद्रत् करते् हैं् पहला् यह् भारतीय् ‍ंववधान् की् मूल् ववशेषता् को् जानने् का् प्रया‍् करते् हैं् जो् कक्
राजनीततक्ववज्ञान्के्छात्रों्के्ललए्जानना्बहुत्आवश््
यक्है ।्द‍
ू रा्भारतीय्‍ंववधान्में ्मूलतत्त्वों्का्ववश््
लेषण्
करने्का्प्रया‍्करें गे।्ती‍रा्यह्जानने् का्प्रया‍्करें गे् कक्भारतीय्न््यायपाललका्द्वारा्ऐततहाल‍क्मामलों्
द्वारा्भारतीय्‍ंववधान्की्मूल्‍ंरचना्की्व््याख््
या्की्चचास्कक‍्प्रकार्की्गई्है ।

भारतीय िंववधान की मूलभूत ववर्ेषताएाँ

1. सलखित िंववधान—आधुतनक्लोकतांब्रत्रक्दे श्अमेररका, ब्रििे न, आथ्


रेललया, फ्रां‍, चीन, जमसनी्की्तरह्भारत्
का्भी्एक्ललणखत्‍ंववधान्है ।्लेककन्इ‍का्अर्स्यह्नहीं्है ्कक्भारत्के्पा‍्भी्अन््
य ्दे शों्की्तरह्
ललणखत्दथ्तावेज्नहीं् है ् भारत्के्पा‍्एक्ललणखत्दथ्
तावेज्के्रूप्में् है ् जबकक्अन््
य्दे श्ब्रििे न्की्
बात्करें ्तो्यह्1215्के्बाद्‍े्कई्तनयम्एवं्कानूनों्द्वारा्शाल‍त्है ्एवं्वहां्पर्‍ं‍दीय्व््
यवथ्
र्ा्

12
के्‍ंथ्
र्ापक्एवं्जनक्द्वारा्एक्ललणखत्दथ्
तावेज्प्रदान्ककया्गया्है ्जो्कक्दे श्के्ललए्एक्महत्त्वपूण्स
राजनैततक्ववश््वकोष्के्रूप्में्है ।
2. ववस्तत
ृ िंववधान—भारतीय्‍ंववधान्को्ववश््
व्में् एक्ववथतत
ृ ्‍ंववधान्के्ललए्भी्जाना्जाता्है ् र्क्योंकक्
भारतीय्‍ंववधान्तनमासताओं्द्वारा्एक्ववथतत
ृ ्दथ्
तावेज्प्रदान्ककया्है ्जो्कक्‍ंववधान्में्दे श्के्‍भी्
पहलुओं्को्छूता्है ्एवं्भारतीय्‍ंववधान्के्ववथतत
ृ ्होने्के्पीछे ्यहााँ्की्ववववधता्भी्एक्मुख््
य्कारक्
के्रूप्महत्त्वपूण्स है ।्जबकक्अधधकतर्दे शों्के्‍ंववधान्इतने्ववथतत
ृ ्नहीं्हैं्जै‍े्कक्उदाहरणथ्
वरूप्हम्
दे खते् हैं् कक्चीन्के्‍ंववधान्में् ल‍फस 138 अनुच््
छेद्हैं् और्कनाडा्के्‍ंववधान्में् 11्भाग्और्147्
खंड्हैं्जबकक्‍ब‍े्अधधक्भारतीय्‍ंववधान्में्395्अनुच््छेद, 22 भाग्और्12्अन‍
ु धू चयााँ्हैं।्‍ंववधान्
के्ववथतत
ृ ्बनाने्के्‍ंबंध्में ्तनमासताओं्ने्तनम््
न्कारण्बताए्हैं—

भारतीय्राज््य्की्बहु‍ंथकृततवादी्व्बहुलवादी्चररत्र्ववथतत
ृ ्‍ंववधान्के्ललए्उत्तरदायी्र्ा।्दे श्की्
ववशालता्दतु नया्के्‍ब‍े्ववथतत
ृ ्‍ंववधान्के्तनमासण्में्महत्त्वूपणस्र्ीं।

कृवष्अर्सव््यवथ्र्ा्पर्आधाररत्भारत्एक्ववशाल्दे श्है ्थ्


वतंत्रता्के्‍मय्लोगों्का्एक्बड़ा्‍मूह्
अ‍ाक्षरता, कुपोषण, व्गरीबी्‍े्पीडड़त्र्े्इन्‍मथ्
याओं्के्ललए्नैततक्मापदण््
ड्तैयार्करते्र्े।

हालााँकक्राज््य्के्नीतत-तनदे शक्तत्त्व्कोिस ्में्वादयोग््य्नहीं्र्े्ककं तु्केन््


द्र्व्इ‍की्इकाइयों्को्लोगों्
का्ववश््
वा‍्व्चुनाव्जीतने्के्ललए्इनको्लागू्करना्अपररहायस्र्ा।्बाद्में्वषो्में्‍रकारों्द्वारा्लोगों्
की्ष्थर्तत्में्‍ुधार्के्ललए्अ‍ंख््य्‍ामाष्जक-आधर्सक्कायसिम्प्रथ्
तुत्ककए्गए।

थ्
वतंत्रता्के्‍मय्1947्में्भारत्में्बहुत्‍ारे ्ररया‍ती्राज््य्र्े्हमें्उनके्दहतों्को्भी्‍मायोष्जत्
करना्र्ा।

‍ंववधान् तनमासताओं् का् ववचार् र्ा् कक् भारत् एक् लमधश्रत् अर्सव््यवथ्र्ा् होनी् चादहए् जहााँ् नीतत् व्
‍रकारी्दोनों्उपिम्अष्थतत््व्में् हों।्दृटिांत्के्ललए्जहााँ् एक्तरफ्बड़े् औद्योधगक्घरानों्को्उनकी्
गततववधधयााँ् जारी्रखने् दी्गई्वहीं् द‍
ू री्तरफ्‍रकार्द्वारा्1951-52 में् पंचवषीय्योजना्प्रथ्
तुत्की्
गई्और्1969्में्इंददरा्गााँधी्‍रकार्द्वारा्19्तनजी्बैंकों्का्राट्रीयकरण्ककया्गया्और्पहले्तनजी्
क्षेत्र्में्कायसरत्र्े।्शायद्इंददरा्गााँधी्द्वारा्इनका्राट्रीयकरण्उनके्ददमाग्में्‍माजवाद्की्भावना्के्
कारण्ककया्गया।

उत्तरी-पूवी्अलभकरण्एजें‍ी्(NEFA) एक्अशांत्क्षेत्र्र्ा्यहााँ्तक्कक्आजादी्‍े्पहले्ब्रिदिश्शा‍न्
काल्में् भी्यह्ववलभन््
न्नथ्ल्की्जनजातीय्जन‍ंख्य
् ा्को्शालमल्करता्है् ष्ज‍में् कक्अ‍म, ब्रत्रपुरा,
लमजोरम्और्मेघालय्जै‍े्क्षेत्र्शालमल्र्े।्इन्‍भी्क्षेत्रों्का्उल््
लेख्VI अनु‍ूची्द्वारा्शाल‍त्होते्हैं।्
यह्क्षेत्र्ब्रिदिश्बंगाल्फ्रंदियर्ववतनयमन्अधधतनयम्1873्द्वारा्अतनयलमत्ककया्जा्रहा्र्ा्यही्कारण्
है ्कक्इ‍े्VI अनु‍ूची्में्अनुच््छेद्244्और्275्में्जोड़ा्गया्र्ा।

3. िंप्रभुता—लोकतांत्रिक—गणतंि—भारत्एक्‍ंप्रभुता्वाले्दे श्का्महत्त्वपूण्स उदाहरण्है ्ष्ज‍में्कक्वाथ्


तववक्
शष्र्कत्जनता्में्तनदहत्होती्है ।्‍ंववधान्तनमासण्के्‍मय्एवं्‍ंववधान्‍भा्का्तनवासचन्मताधधकार्के्
आधार्पर्नहीं् हुआ्र्ा्लेककन्कफर्भी्यह्दे खने् को्लमलता्है ।्26्जनवरी्1950्के्‍ंववधान्लाग्ू
होने् के्उपरांत्जब्1951-52्में् प्रर्म्आम्चुनाव्हुआ्तो्इ‍में् लोगों्ने् बढ़चढ़्कर्भाग्ललया्एवं्

13
भारतीय्राट्रीय्कांग्रे‍्की्‍ंववधान्तनमासण्में् भी्महत्त्वपूण्स भूलमका्दे खने् को्लमलती्है ् हालांकक्यह्
दे खने्को्लमलता्है ्कक्लोगों्ने्चाहे ्लोक‍भा्का्चुनाव्हो्या्राज््
य्ववधान‍भा्बहुत्महत्त्वपूण्स भूलमका्
तनभायी्र्ी।्भारत्‍ंववधान्में्लोकतांब्रत्रक्प्रवतृ त्का्भी्‍मावेश्है ्जो्कक्बहुत्ही्महत्त्वपूण्स है ्एवं्इ‍्
व््यवथ्
र्ा्में्‍रकार्का्तनमासण्व््यष्र्कतयों्द्वारा्अपने्मताधधकार्का्प्रयोग्करके्ही्ककया्जाता्है ्इ‍का्
उल््
लेख्हम्भारतीय्‍ंववधान्की्प्रथ्तावना्में्भी्दे ख्‍कते्हैं्जो्इ‍्प्रकार्है —“हम्भारत्के्लोग”्यहााँ्
पर्वाथ्
तववक्शष्र्कत्व््यष्र्कत्में्तनदहत्है ।्भारतीय्‍ंववधान्एक्गणतांब्रत्रक्प्रवतृ त्को्भी्थ्
पट्ि्करता्है्
जहााँ् राट्रपतत्तनवासधचत्होता्है ् जो्कक्ब्रििे न्की्व््यवथ्
र्ा्‍े् लभन््
न्है ् जहााँ् राट्रपतत्वंशानुगत्रूप्‍े्
चयतनत्होता्है ।्और्हम्इ‍का्उल््लेख्भारतीय्‍ंववधान्की्प्रथ्
तावना्में्भी्दे ख्‍कते्हैं्ष्ज‍में्कक्
अंततम् पंष्र्कत् यह् है ् कक् “26् नवंबर् 1994् को् ‍तद् द्वारा् इ‍् ‍ंववधान् को् अंगीकृत् अतनयलमत् और्
आत््
मवपसत्करते्हैं।”

4. भारतीय राज्य की धमशतनरपेक्षता की प्रकृतत—ब्रिदिश्भारत्में्ब्रिदिश्द्वारा्‘‘फूि्डालो्राज्करो’’्की्नीतत्


की्शुरुआत्की्गयी्ष्ज‍का्मूल्आधार्धमस्र्ा।्जो्‍मकालीन्‍मय्में्दो्राटर्के्रूप्में्दे खने्को्
लमलते्हैं्भारत्और्पाककथतान।्पाककथतान्एक्इथलालमक्राटर्है ्जब्भारत्एक्धमसतनरपेक्षता्की्प्रववृ त्त्
वाला्राज्य्है ्ष्ज‍को्कक्‘‘एकता्की्ववववधता’’्के्रूप्में्भी्पररभावषत्ककया्जाता्है ्ष्ज‍में्कक्‍भी्
धमों् को् मानने् वाले् लोगों् को् ‍ष्म्मललत् ककया् गया् है् उदाहरण् के् ललए् दहंद,ू मुष्थलम, ल‍ख, ई‍ाई,
बौद्ध, पार‍ी।्ष्ज‍का्उल्लेख्हमें्भारतीय्‍ंववधान्के्अनुच्छे द्25्एवं्28्में्भी्दे खने्को्लमलता्है ्
हालांकक्भारतीय्‍ंववधान्में्‘‘धमसतनरपेक्षता’’्शब्द्को्42वें्‍ंववधान्‍ंशोधन्द्वारा्जोड़ा्गया्है ्एवं्इ‍्
शब्द्को्भारतीय्‍ंववधान्की्प्रथतावना्में् भी्शालमल्ककया्गया्है ् भारत्में् केन्द्र्एवं् राज्य्‍रकार्
धमस्के्आधार्पर्भेदभाव्नहीं्कर्‍कते्हैं।

5. िमाजवादी राज्य—भारतीय् ‍ंववधान् ष्ज‍को् कक् 26् जनवरी् 1950् को् लागू् ककया् गया् उ‍में् कहीं् भी्
‘‘‍माजवादी्शब्द’’्नहीं्दे खने्को्लमलता्है ्हालांकक्भारतीय्‍ंववधान्भाग-IV में्हम्‍ामाष्जक्आधर्सक्
ल‍द्धांतों्को्दे ख्‍कते्हैं्र्कयोंकक्भारतीय्‍ंववधान्तनमासताओं्का्उद्दे श्य्एक्अप्रा‍ंधगक्एवं्अर्सववहीन्
लोकतांब्रत्रक्व्यवथर्ा्को्अपनाना्नहीं्र्ा्बष्ल्क्‍माज्में्गरीब्एवं्वपछड़े्वगों्की्ष्थर्तत्में्‍ध
ु ार्कर्
वाथतववक् रूप् ‍े् एक् प्रा‍ंधगक् व्यवथर्ा् कायम् करना् र्ा।् हालांकक् इंददरा् गााँ धी् की् ‍रकार् द्वारा्
‘‘‍माजवादी’’्शब्द्को्भारतीय्‍ंववधान्की्प्रथतावना्में्42वें्‍ंववधान्‍ंशोधन्1976्द्वारा्‍ष्म्मललत्
ककया्गया्है ।

6. िंववधान की िवोच्चता—भारतीय्‍ंववधान्की्‍वोच्चता्का्प्रमाण्‍वोच्च्न्यायालय्द्वारा्ववलभन्न्वववादों्
के्माध्यम्‍े् ‍मय-‍मय्पर्लमलता्रहता्है ।्जै‍ाकक्हम्केशवानंद्भारती्बनाम्केरल्राज्य्ष्ज‍में्
‍ंववधान्के्‍ंशोधन्के्‍ंबंध्में्बात्की्जाती्है ।्यह्भी्दे खने्को्लमलता्है ्कक्ब्रिदिश्की्‍ं‍ द्की्
तुलना्में्भारत्की्‍ं‍द्‍वोच्च्नहीं्है ्र्कयोंकक्भारतीय्‍ं‍द्को्‍ंववधान्की्पररधध्में ्रखकर्ही्कायस्
करती्है ।

7. िंिदीय िंप्रभुता एवं न्यातयक िवोच्चता में िमन्वय—भारत् ‍ंववधान् 26् जनवरी् 1950् को् लागू् ककया्
गया्और्उ‍के्बाद्‍े्यह्दे खा्गया्है ्कक्भारतीय्‍ंववधान्में ्बहुत्बार्‍ंशोधन्ककए्जा्चुके्हैं्एवं्
यह्दे खने्को्लमलता्है ्कक्जब्भी्जमींदारों्एवं्बड़े्व्यापाररयों्के्दहत्प्रभाववत्होते्हैं्तो्‍ंववधान्को्

14
‍वोच्च्न्यायालय्में्चुनौती्दे ते्हैं्हालांकक्हम्ववलभन्न्के‍ों्के्माध्यम्‍े्दे ख्‍कते्हैं्उदाहरणथवरूप्
1951्में्शंकरी्प्र‍ाद्बनाम्भारतीय्‍ंघ, और्‍ज्जन्ल‍ंह्बनाम्राजथर्ान्इन्‍भी्के‍ों्के्माध्यम्
‍े् दे ख्‍कते् हैं् कक् न्यायालय्द्वारा्‍ं‍द्को्‍ंववधान्‍ंशोधन्की्शष्र्कत्दी्जाती्है ् एवं् 1967्में्
गोलकानार््के‍्भी्आता्है ्ष्ज‍में्कक्न्यायालय्ने्‍ं‍द्एवं्न्यायालय्के्मध्य्‍ंतल
ु न्की्बात्करता्
है ् हालांकक् एक् बड़ी् बैच् केशवानंदा् भारती् के‍् (1973) में् बैिती् है ् ष्ज‍में् कक् 7-6् न्यायधीशों् द्वारा्
तनणसय्ललया्जाता्है ्एवं्इ‍में्‍ं‍द्की्‍ंववधान्‍ंशोधन्की्शष्र्कत्को्‍ीलमत्करने्की्बात्की्जाती्
है ् और्‍ंववधान्की्मूल्‍ंरचना्में् कोई्भी्‍ंशोधन्न्करने् की्बात्की्जाती्है ् भारतीय्‍ंववधान्में्
अनच्
ु छे द्368्में्‍ंशोधन्का्प्रावधान्ददया्गया्है ।

8. एकात्मकता की ओर झक
ु ाव के िाथ िंघीय व्यवस्था—भारतीय् ‍ंववधान् में् कनाड़ा् आथरे ललया, जमसनी,
अमेररका् ‍भी् के् ‍ंववधानों् ‍े् कुछ-कुछ् भाग् ग्रहण् ककया् गया् है ् हालांकक् भारतीय् ‍ंववधान् में् ‍ंघीय्
व्यवथर्ा्कनाड़ा्के्‍ंघीय्व्यवथर्ा्‍े्ली्गई्है ्जबकक्एकात्मकता्का्थवरूप्आथरे ललया्और्अमेररका्
‍े्ललया्गया्है ।्भारत्में्‍रकार्की्द्ववथतरीय्व्यवथर्ा्है ्ष्ज‍में्कक्व्यष्र्कत्दो्थतरों्पर्कायस्करती्
है ् केन्द्र् एवं् राज्य् एवं् इ‍का् उल्लेख् भारतीय् ‍ंववधान् की् अनु‍ूची-VII् में् शष्र्कतयों् का् दो् थतरों् पर्
ववभाजन्की्बात्की्गई्है ।्ष्ज‍में्मुख्यताः्तीन्‍ूधचयााँ्‍ष्म्मललत्हैं्केन्द्र्‍ूची, राज्य्‍ूची्एवं्‍मवती्
‍ूची।्‍ंघीय्व्यवथर्ा्में् ‍ंववधान्की्‍वोच्चता, शष्र्कतयों्का्ववभाजन्‍भी्महत्त्वपण
ू ्स लक्षण्होते् हैं।्
भारतीय्‍ंववधान्में् बड़ी्‍ंख्या्में् गैर्‍ंघीय्लक्षण्ववद्यमान्हैं् एवं् एकात्मकता्की्ओर्झुकाव्दे खने्
को्लमलता्है ्जै‍े—‍शर्कत्केन्द्र, एकल्नागररकता, अणखल्‍ेवाएाँ, आपातकाल्आदद्एकात्मकता्के्लक्षण्
हैं।् भारतीय् ‍ंववधान् में् अवलशटि् शष्र्कतयााँ् केन्द्र् के् पा‍् हैं।् हालांकक् ‍ंवैधातनक् ‍ंथर्ाएाँ् ष्जनकी् बहुत्
महत्त्वपूण्स भूलमका्होती्है ् जै‍े् ववत्तीय्आयोग, नीतत्आयोग,्इनकी्तनयुष्र्कत्भी्केन्द्र्‍रकार्द्वारा्ही्
की्जाती्है ।

9. मौसलक अधधकार—ब्रििे न्के्नागररकों्के्नागररक्अधधकारों्के्ललए्नागररक्घोषणा्पत्र्1689्के्द्वारा्


ददया् गया।् हालांकक् भारतीय् ‍ंववधान् के् मूल् तत्त्वों् में् मौललक् अधधकारों् की् भी् महत्त्वपूण्स भूलमका् है ्
भारतीय्‍ंववधान्के्भाग-III्में् 12्‍े् 35्में् ददया्गया्है ् ष्ज‍में् कक्तनम्न्अधधकार्है -‍मानता्का्
अधधकार, थवतंत्रता्का्अधधकार, शोषण्के्ववरुद्ध्अधधकार, धालमसक्थवतंत्रता्का्अधधकार, ‍ंथकृतत्और्
लशक्षा्‍ंबंधी्अधधकार, ‍ंवैधातनक्उपचारों्का्अधधकार, ‍ंपवत्त्का्अधधकार, हालांकक्‍ंपवत्त्के्अधधकार्
को्44वें्‍ंववधान्अधधतनयम्1978्द्वारा्मूल्अधधकारों्की्‍ूची्‍े्हिा्ददया्गया्है ्और्‍ंववधान्के्
भाग-XII्में्अनुच्छे द्300(क)्के्तहत्कानूनी्अधधकार्बना्ददया्गया्है ।्मौललक्अधधकारों्को्उच्चतम्
न्यायालय् द्वारा् गारं िी् व् ‍रु क्षा् प्रदान् की् जाती् है ।् पीडड़त् व्यष्र्कत् ‍ीधे् उच्चतम् न्यायालय् या् उच््च्
न््
यायालय्जा्‍कता्है ।्मौललक्अधधकारों्में्कई्‍कारात्मक्अधधकार्ऐ‍े्हैं्जो्कक्नागररक्एवं्ववदे शी्
के्मध्य्भेद्नहीं्करते्हैं्‍ंववधान्लागू्होने्‍े्लेकर्वतसमान्‍मय्तक्इ‍में्कई्‍ंशोधन्भी्ककए्जा्
चुके्हैं्ष्ज‍में्कक्प्रार्लमक्लशक्षा्के्अधधकार, और्गररमापूण्स जीवन्जीने्के्अधधकार्को्शालमल्ककया्
गया्है ।

10. राज्य के नीतत-तनदे र्क तत्त्व—भारतीय् ‍ंववधान् में् राज्य् के् नीतत-तनदे शक् तत्त्व् आयरलैंड् गणराज्य् के्
‍ंववधान्‍े् ललए्गए्हैं् ष्जन्हें ् भारतीय्‍ंववधान्के्भाग-IV्में् रखा्गया्है ् यदद्मौललक्अधधकारों्को्

15
राजनैततक्लोकतंत्र्का्दहथ‍ा्माना्जाता्है ् तो्नीतत-तनदे शक्तत्त्वों्को्‍ामाष्जक-आधर्सक्अधधकारों्के्
रूप्में्दे खा्जाता्है ्जो्गरीबों्एवं्नीचे्तबके्के्उत्र्ान्के्ललए्आवश्यक्है ।्यह्‍त्य्है ्कक्न्यायालय्
में्नीतत-तनदे शक्तत्त्वों्को्चुनौती्नहीं्दी्जा्‍कती्है ्ककं तु्यह्दे श्के्शा‍न्के्ललए्मौललक्है ।्‍वोच्च्
न्यायालय् ने् लमनवास् लमल्‍् के‍् 1980् और् अशोक् कुमार् िाकुर् बनाम् भारतीय् ‍ंघ् के‍् में् मौललक्
अधधकारों्और्नीतत-तनदे शक्तत्त्वों्को्एक-द‍
ू रे ्के्पूरक्बताया्है ्न्कक्ववरोधात्मक्है ।

11. मौसलक कर्त्शव्य—वाथतववक्रूप्‍े् मौललक्कत्तसव््य्‍ंववधान्का्दहथ‍ा्नहीं् है ।्इंददरा्गााँधी्की्अध्यक्षता्


में्भारतीय्राटरीय्कांग्रे‍्ने्थवणस्ल‍ंह्की्अध्यक्षता्में्एक्कलमिी्गदित्की्ष्ज‍ने्कक्अपनी्ररपोिस्
में्मौललक्कत्तसव््यों्को्भारतीय्‍ंववधान्में्भाग-IVA्में्जोड़ने्की्बात्की्र्ी्इन्हें ्42वें्‍ंववधान्‍ंशोधन्
1976्के्अनुच्छे द्51A्द्वारा्भारतीय्‍ंववधान्में्जोड़ा्गया।्भारतीय्‍ंववधान्में्मौललक्कत्तसव््यों्को्
पूव्स रू‍ी्‍ंववधान्‍े् प्रभाववत्होकर्ललया्गया्है ।्इन् कत्तसव््यों्को्नागररकों्पर्जबरन्र्ोपा्नहीं् जा्
‍कता् बष्ल्क् यह् दे श् के् नागररकों् के् ललए् महत्त्वपूण्स है ।् एवं् कुछ् कत्तसव््य् भारतीय् नागररकों् के् ललए्
अतनवायस् भी्हैं् उदाहरण्के्ललए्भारतीय्राटरीय्गान्का्‍म्मान, राटरीय्ध्वज्में् प्रतत्‍म्मान, पशु-
पक्षीओं्और्जंगलों्की्‍ुरक्षा्आदद्भारतीय्नागररकों्के्ललए्अतनवायस्है ।

12. स्थानीय िरकार/स्वर्ािन—महात्मा्गााँधी्ष्जन्हें ् भारत्का्वपता्भी्कहा्जाता्है ् ने् ववकेन्द्रीकरण्द्वारा्


ग्रामीण्भारत्को्‍शर्कत्करने्का्थवप्न्दे खा्र्ा।्भारतीय्‍ंववधान्के्अनुच्छे द्40 में्थर्ानीय्शा‍न्
की्बात्की्गयी्है ् एवं् 1992 के्73वें-74वें् ‍ंशोधनों्द्वारा्ब्रत्रथतरीय्थर्ानीय्‍रकार्की्और्ग्रामीण्
एवं्शहरी्थतर्पर्गदित्ककया्गया्है ्यह्ववश्व्की्‍ब‍े्बड़ी्थवशा‍न्‍रकार्है ।

आलोचना

1. भारतीय् ‍ंववधान् एक् भीमकाय् आकार् का् है ् ष्ज‍में् कक् भारतीय् ‍ंववधान् में् 395् अनुच्छे द् हैं् ककं तु्
‍ंशोधनों्के्द्वारा्कई्मल
ू ्अनच्
ु छे दों्को्इ‍में्शालमल्ककया्जाता्है ्ष्जन्हें ्लमलाकर्अनच्
ु छे दों्की्‍ंख्या्
440्या्उ‍‍े्ऊपर्हो्जाती्है ।्बीते्हुए्230्वषों्में्अमेररकी्‍ंववधान्में्ल‍फस्29्बार्ही्‍ंशोधन्ककए्
गए्हैं्जबकक्70्‍ालों्में्भारतीय्‍ंववधान्में्100्‍े्भी्ज्यादा्‍ंशोधन्ककए्जा्चक
ु े ्हैं।

2. उधार्का्‍ंववधान्मानने् वाले् आलोचकों्का्कहना्है ् कक्भारतीय्‍ंववधान्में् नया्या्मौललक्कुछ्भी्


नहीं्है ।्वे् इ‍े्उधार्का्‍ंववधान्कहते् हैं्इ‍के्पीछे ्तकस्यह्है ्कक्अमेररका, ब्रििे न, वायमर्गणराज्य,
‍ोववयत्‍ंघ्आदद्‍े्कुछ-कुछ्भाग्ग्रहण्ककया्गया्है ।

3. आलोचकों्के्अनु‍ार्भारत्का्‍ंववधान्अत्यंत्ववववधतापूण्स र्ा्बहुत्जदिल्है ्ष्ज‍में्कारण्‍ंववधान्को्


नागररकों्द्वारा्‍मझा्नहीं्जा्‍कता्है ।

4. आलोचकों्का्यह्भी्कहना्है ् कक्‍ंववधान्तनमासताओं् ने् बड़ी्‍ंख्या्में ् भारत्‍रकार्अधधतनयम्1935्


के्प्रावधान्भारत्के्‍ंववधान्में्डाल्ददए।्इ‍‍े्‍ंववधान्1935्की्एक्कामन्कापी्बनकर्रह्गया्है ।

आधारभूत िंरचना

भारतीय् ‍ंववधान् तनमासताओं् ने् ‍ंववधान् की् बुतनयादी् ‍ुववधा् का् वणसन् नहीं् ककया् र्ा् लेककन् कई्
व्याख्यों्के्माध्यम्‍े्‍मय-‍मय्पर्‍वोच्च्न्यायालय्ने्बुतनयादी्‍ुववधाओं्की्व्याख्या्की्है ।्जै‍ाकक्हम्

16
‍वसप्रर्म्1951्में् शंकरी्प्र‍ाद्बनाम्भारतीय्‍ंघ्द्वारा्पहले् ‍ंववधान्‍ंशोधन्के्द्वारा्भी्दे ख्‍कते् हैं्
इ‍्वववाद्के्बाद्न्यायालय्द्वारा्यह्तनणसय्ददया्जाता्है ् कक्‍ंववधान्के्कक‍ी्भी्दहथ‍े् को्‍ंशोधधत्
करने्का्अधधकार्‍ं‍द्के्पा‍्है ।्‍ं‍द्एवं्केन्द्र्को्‍ंववधान्में्‍ंशोधन्करने्की्अ‍ीलमत्शष्र्कत्प्राप्त्
र्ी।्हालांकक्कुछ्वषों्बाद्‍ंववधान्को्आगे् और्‍हबद्ध्ककया्गया्ष्ज‍में् कक्1955्में् चौर्े् ‍ंशोधन्के्
रूप्में्चुनौती्दी्गई्र्ी।्जो्कक्‍ज्जन्ल‍ंह्बनाम्राजथर्ान्राज्य्के्रूप्में्र्ा।्एवं्यहााँ्पर्यह्भी्दे खने्
को्लमलता्है ्कक्न्यायालय्पहले्के्ददए्हुए्तनणसय्‍े्पीछे ्हि्गया्और्कहा्कक्भारत्की्‍ं‍द्की्‍ंववधान्
‍ंशोधन्की्शष्र्कत्‍ीलमत्है ।्ष्ज‍को्1967्में् पंजाब्गोलकानार््बनाम्राज्य्वववाद्में् 17वें् ‍ंशोधन्की्
चन
ु ौती् दी् गई् र्ी् न्यायालय् ने् कहा् कक् अनच्
ु छे द् 368्के् अन‍
ु ार् ‍ं‍द् में् ‍ंशोधन् की् ‍ीलमत् शष्र्कत् है ।्
हालांकक्यह्भारतीय्‍ं‍द्के्पा‍्अध्याय्में्उल्लेणखत्मौललक्अधधकारों्का्उल्लंघन्करने्या्तनरथत्करने्
की्शष्र्कत्नहीं्है ्इ‍के्उपरांत्इंददरा्गााँधी्ष्जन्होंने्1966्में्प्रधानमंत्री्के्रूप्में्लालबहादरु ्शाथत्री्को्‍फल्
ककया्एवं् चौर्ा्आम्चुनाव्जीता्लेककन्दे श्में् ‍ामाष्जक्िांतत्लाने् की्उनकी्इच्छा्को्लागू् करने् वाले्
ववलभन्न्‍ंवैधातनक्‍ंशोधनों्की्अथवीकृतत्के्ललए्बहुत्धचंततत्र्ी।्गोलकानार््मामले्के्बाद्1970्में्जब्
आम्चुनाव्के्ललए्गईं्तो्उन्होंने्‘‘गरीबी्हिाओ’’्का्नारा्ददया्इ‍में्पहले्भी्उन्होंने्14्बैंकों्का्राटरीयकरण्
ककया्और्ब्रत्रवी्प‍स् को्खत्म्कर्ददया।्और्इ‍का्‍कारात्मक्पररणाम्दे खने् को्लमला्ष्ज‍में् कक्अगले्
आम्चुनावों्में्अधधकतर्‍ीिों्पर्उन्होंने्जीत्हाल‍ल्की्उन्होंने्‍ं‍द्में्24वें्और्25वें्‍ंशोधन्का्प्रथताव्
रखा।्24वें्‍ंशोधन्में्‍ं‍द्ने्अनुच्छे द्13्और्अनुच्छे द्368्के्नीच्वववाद्को्हल्करने्की्कोलशश्की।्
‍ं‍द्में् ‍ंववधान्के्25वें् ‍ंशोधन्अधधतनयम्में् ‍ं‍द्के्कक‍ी्भी्दहथ‍े् को्‍ंशोधधत्कर्‍कती्है ् ‍ं‍द्
ने्थपटि्ककया्कक्मौललक्अधधकार्दोनों्ही्ल‍ंद्धांतों्के्अधीन्हैं्और्केशवांनदा्भारती्‍ुप्रीम्कोिस ्की्बेंच्
में् 25वें् ‍ंशोधन् को् चन
ु ौती् दी् गई् ष्ज‍में् 13् न्यायधीश् शालमल् र्े् न्यायालय् ने् 7-6् ‍ं‍द् के् बहुमत् ‍े्
अनुच्छे द्368्के्तहत्शष्र्कत्में् ‍ंशोधन्ककया।्यहााँ् ‍ंववधान्के्कक‍ी्भी्दहथ‍े् में् ‍ंशोधन्कर्‍कती्है ्
ष्ज‍में्प्रथतावना्और्मल
ू ्अधधकार्भी्शालमल्है ् हालांकक्यह्‍ंववधान्की्मल
ू ्‍ंरचना्को्‍माप्त्नहीं् कर्
‍कता्है ्या्नुक‍ान्नहीं्पहुाँचा्‍कता्है ।

पररणाम

‍ंववधान्एक्वैधातनक्दथतावेज्है ् ष्ज‍में् कक्दे श्की्शा‍न्व्यवथर्ा्को्‍ंचाललत्करने् वाले् ‍भी्


तनयमों्व्कानन
ू ों्के्‍मच्
ु चय्का्उल्लेख्लमलता्है ।्भारतीय्‍ंववधान्का्प्रथताव्‍ंववधान्‍भा्द्वारा्तैयार्
ककया्गया्ष्ज‍के्तनमासण्में्कुल्तीन्वषों्का्‍मय्लगा्र्ा।्भारतीय्‍ंववधान्का्तनमासण्मूलताः्‍ामाष्जक्
पररष्थर्तत्को्ध्यान्में्रखकर्ककया्गया्र्ा्एवं्इ‍के्तनमासण्में्कुल्2्‍ाल्11्महीने्18्ददन्का्‍मय्
लगा्र्ा्एवं्भारतीय्‍ंववधान्का्तनमासण्एक्लंब्े ‍ंघषस्200्वषों्एवं्30्वषस्के्थवतंत्रता्‍ंग्राम्के्पश्चात्
हुआ्र्ा।्भारतीय्‍ंववधान्‍भा्की्प्रारूप्‍मीतत्में् 8्‍दथय्र्े् ष्ज‍की्‍दथयता्डा.्बी.आर.्अंबेडकर्कर्
रहे ् र्े।्भारत्‍ंववधान्के्मूल्भाग्में् 395्अनुच्छे द्22्भाग्8्अनु‍ूधचयााँ् हैं् भारतीय्‍ंववधान्में् 100्‍े्
भी्अधधक्बार्‍ंशोधन्ककए्जा्चुके्हैं् भारत्का्‍ंववधान्ववश्व्का्‍ब‍े् बड़ा्‍ंववधान्है ् जबकक्अमेररका्
का्‍ंववधान्ववश्व्का्‍ब‍े्छोिा्‍ंववधान्है ्एवं्भारतीय्‍ंववधान्के्अधधक्ववथतत
ृ ्होने्के्पीछे ्मूल्कारण्
यह्है ्कक्भारत्में्‍ब‍े्अधधक्ववववधता्शालमल्है ्जो्कक्धमस, भाषा, जातत्अलशक्षा्कुपोषण्आदद्‍े्प्रभाववत्
है ् हालांकक्‍ंववधान्तनमासताओं् का्मुख्य्उद्दे श्य्प्रत्येक्तत्त्व्एवं् प्रत्येक्‍मथया्को्‍ंववधान्में् ‍ष्म्मललत्

17
करने्का्प्रया‍्ककया्है ।्भारतीय्‍ंववधान्के्मूल्तत्त्व्‍ंप्रभुता, लोकतंत्र, गणतंत्र्‍भी्की्महत्त्वपूण्स भूलमका्
है ।्यह्‍भी्‍ंववधान्की्बुतनयादी्ववशेषताएाँ्हैं्एवं्यह्ववशेषताएाँ्एवं्‍ंरचनाएाँ्मूलरूप्‍े्‍ंववधान्तनमासताओं्
द्वारा्‍ंववधान्में्नहीं्दी्गई्र्ी।्‍ंववधान्में्इनकी्व्याख्या्का्अंततम्अधधकार्उच्चतम्न्यायालय्को्ददया्
गया्है ।्एवं् ‍ंववधान्का्‍ंरक्षण्भी्उच्चतम्न्यायालय्को्ही्माना्गया्है ।्1951्में् शंकरी्प्र‍ाद्बनाम्
भारत्‍ंघ्(1951) एवं् ‍ज्जन्ल‍ंह्बनाम्राजथर्ान्राज्य्(1964) के्मामले् में् उच्चतम्न्यायालय्ने् यह्
कहा् कक् ‍ं‍द् के् पा‍् अ‍ीलमत्शष्र्कत् है ।् यही् ‍ंववधान् में् गोलखनार्् मामले् में् न्यायालय् ने् अपनाया् है ्
फै‍ला् बदल् ददया् एवं् कहा् कक् अनुच्छे द् 368् के् तहत् ‍ंववधान् ‍ंशोधन् की् शष्र्कत् ‍ीलमत् है ।् 1973् के्
केशवानंदा्भारती्मामले्में्एक्बार्कफर्‍भी्के्ललए्इ‍्मद्
ु दे ्को्हल्ककया्गया।्न्यायपाललका्ने्मौललक्
अधधकारों, राज्य् के् नीतत-तनदे शक् तत्त्वों, ‍ं‍दीय् ‍रकार, ‍ंघवादी् व्यवथर्ा, पंर्तनरपेक्षता् चररत्र् ‍रकार् में्
गणतांब्रत्रक् रूप् इत्यादद् ववशेषताओं् को् इंधगत् ककया।् लमनवास् लमल्‍् बनाम् केरल् राज्य, वामन् राव् के‍् और्
ए‍.आर.्बोम्मई्मामले्में्उच्चतम्न्यायालय्ने्पुनाः्अपना्रूख्थपटि्करते्हुए्कहा्कक्‍ंववधान्की्मल
ू भूत्
‍ंरचना्को्न्तो्खत्म्ककया्ना्ही्उ‍का्उल्लंघन्और्ना्ही्उ‍को्क्षततग्रथत्ककया्जा्‍कता्है ।्इ‍्तरह्
‍रकारी्या्तनजी्कारपोरे ि्तनकायों्और्दे श्के्लोगों्‍दहत्‍भी्‍ंथर्ानों्को्‍ंववधान्के्प्रतत्वफादार्रहना्
होगा्एवं्पूण्स तनटिा्एवं्भावना्‍े्उ‍की्पववत्रता्का्‍म्मान्करना्होगा।

प्रस्ताववत प्रश्न

1. भारतीय्‍ंववधान्के्रूप्में्‍ंघीय्है ्या्एकात्मक्चचास्करें ?

2. भारतीय्‍ंववधान्की्मूलभूत्ववशेषताओं्का्वणसन्करें ।

3. भारतीय्‍ंववधान्की्मूलभूत्‍ंरचना्का्आलोचनात्मक्परीक्षण्करें ?

4. भारतीय्‍ंववधान्‘‘उधार्का्र्ैला’’्वणसन्करें ?

5. ‍ंववधान्‍भा्की्भूलमका्एवं्बनावि्की्चचास्करें ?

18
पाि्2

मौसलक अधधकार और राज्य में नीतत तनदे र्क तत्त्व


के मध्य एक वाद-वववाद
दय
ु ोधन्नाहक

अधधकार् नागररकों् के् एक् गररमापूण्स जीवन् जीने् के् ललए् बहुत् आवश््
यक् है ् ष्ज‍का् उल््
लेख् भारतीय्
‍ंववधान्के्भाग-III्में् लमलता्है ।्हालााँकक्भारतीय्‍ंववधान्तनमासताओं् द्वारा्नागररकों्के्ललए्आधर्सक्एवं्
‍ामाष्जक्लोकतंत्र्की्थ्र्ापना्नीतत्तनदे शक्तत्त््
वों्के्माध््यम्‍े्करने्का्प्रया‍्ककया्गया्है ।्कई्वषों्पहले्
इंग््लड
ैं ्में्नागररकों्द्वारा्‍मानता्का्अधधकार्एवं्गररमापूण्स जीवन्में्अधधकार्के्ललए्शांततपूवक
स ्आंदोलन्
ककया्गया।्जबकक्‍ंयुर्क्त्राट्र्‍ंघ्ने् अपने् अधधकारों्के्घोषणा-पत्र्(1991)्में् थ्
वतंत्रता्एवं् ‍मानता्का्
अधधकार् ददया् गया।् भारतीय् ‍ंववधान् में् भाग-III् में 12 ‍े् 35् में् अधधकारों् का् उल््
लेख् लमलता् है ् ष्ज‍में्
‍ष्म्मललत्है ्(i) ‍मता्का्अधधकार्(ii)्थ्वतंत्रता्अधधकार्(iii)्शोषण्के्ववरुद्ध्अधधकार्(iv)्धालमसक्थ्
वतंत्रता्
का् अधधकार् (v) ‍ंथ्कृतत् एवं् लशक्षा् ‍ंबंधी् अधधकार् (vi)् ‍ंपवत्त् का् अधधकार् (vii)् ‍ंवैधातनक् उपचारों् का्
अधधकार,्हालााँकक्‍ंपवत्त्के्अधधकार्को्44वें् ‍ंववधान्‍ंशोधन्(1978)्द्वारा्मूल्अधधकार्के्रूप्में् रखा्
गया्है ।्जन‍ंख््या्के्ववलभन््न्वगों्को्‍मानता्प्रदान्करके्‍मानता्और्‍ामाष्जक्न््
याय्प्राप््त्करने् के्
ललए्‍म््
मानजनक्ष्थर्तत्बनाने्के्ललए्‍ंववधान्‍े्प्रभाववत्होने्का्प्रया‍्ककया्गया्है ।्भारतीय्‍ंववधान्
में् नीतत-तनदे शक्तत्त््वों्का्प्रावधान्आयरलैंड्में् ‍ंववधान्‍े् ललया्गया्है ् ष्ज‍को्कक्मुख््
यत:्तीन्भागों्में्
वगीकृत्ककया्गया्है ।्पहले् भाग्में्मौललक्अधधकारों्की्बात्की्गयी्है ्और्द‍
ू रे ् भाग्में्राज््
य्में्नीतत-
तनदे शक्तत्त््
वों्की्बात्की्गयी्है ्और्ती‍रे ्भाग्में्मौललक्अधधकार्एवं्नीतत-तनदे शक्में्बीच्एक-द‍
ू रे ्में्
‍ंपूरक् बताया् है ।् मौललक् अधधकारों् का् ववश््
लेषण् करने् ‍े् पूव्स उनके् कुछ् मुख््
य् लक्षणों् की् वववेचना् करना्
अत््
यंत्आवश््यक्है ्जो्कक्तनम््नगत्हैं—

1. मौललक् अधधकारों् को् मुख््य् रूप् ‍े् दोनों् रूपों् में् दे ख् ‍कते् हैं् यर्ा—‍कारात््
मक् एवं् नकारात््
मक् रूप्
अर्ासत ््भारतीय्‍ंववधान्में्उल््लेणखत्मूल्अधधकारों्में्कुछ्अधधकारों्को्छोड़कर्‍भी्अधधकार्नागररक्
एवं्गैर-नागररक्दोनों्रूपों्में ्है ।्इ‍्‍ंदभस्में् हम्अनुच््
छेद्21्को्दे ख्‍कते्हैं्ष्ज‍में्प्राण्(जीवन)्
तर्ा्दै दहक्थ्वतंत्रता्का्‍ंरक्षण्है ्एवं्अनुच््
छेद्22्को्दे ख्‍कते्हैं्वहााँ्अनुच््
छेद्23्एवं्24्में्शोषण्
के्ववरुद्ध्अधधकार्और्अनुच््छेद्25्‍े्28्में्धालमसक्थ्वतंत्रता्का्अधधकार्व्पंर्-तनरपेक्ष्राज््य्की्
थ्
र्ापना्का्वणसन्दे ख्‍कते् हैं, हालााँकक्आपातकाल्के्‍मय्मौललक्अधधकारों्को्थ्
र्धगत्ककया्जा्
‍कता्है , लेककन्अनुच््छेद्20्और्21्में्वणणसत्व््यष्र्कतगत्थ्
वतंत्रता्को्अब्आपातकाल्में्भी्थ्
र्धगत्
नहीं्ककया्जा्‍कता्है ।

2. भारतीय् ‍ंववधान् में् कुछ् अधधकार् ल‍फस् नागररकों् को् ही् ददए् गए् हैं् गैर-नागररकों् को् प्राप््त् नहीं् है ।्
उदाहरणथ्वरूप्हम्दे ख्‍कते्हैं्कक्‍मानता्का्अधधकार, थ्
वतंत्रता्का्अधधकार्इत््
यादद्इ‍्‍ंदभस्में्
अवलोर्क्य्हैं।्

3. भारतीय्‍ंववधान्की्आंतररक्‍ंरचना्में् मूल्अधधकारों्को्रखा्गया्है ् कक‍ी्भी्अधधकार्का्हनन्


होने् पर् वह् व््यष्र्कत् अपने् मौललक् अधधकारों् की् ‍ुरक्षा् की् मााँग् ‍वोच््
च् न््
यायालय् में् कर् ‍कता् है ,
हालााँकक्मौललक्अधधकारों्के्‍ंबंध्में्हम्1973्में्केशवानंद्भारती्वववाद्को्भी्दे ख्‍कते्हैं, ष्ज‍के्

19
अंतगसत्मौललक्अधधकारों्को्‍ंववधान्की्मूल्‍ंरचना्का्भाग्माना्गया्है ।्इ‍ललए्इन््
हें्थ्र्धगत्या्
प्रततबंधधत्नहीं्ककया्जा्‍कता्है ।

4. मौललक्अधधकारों्पर्कुछ्ताककसक्प्रततबंध्भी्लगाए्गए्हैं् तर्ा्‘‍मानता्का्अधधकार’ एवं् ‘थ्


वतंत्रता्
का्अधधकार’ इन्अधधकारों्पर्कुछ्‍ीमाएाँ्भी्लगायी्गयी्हैं।्अधधकतर्अधधकार्गैर-नागररकों्को्भी्
प्राप््त्हैं।्ष्ज‍में्कुछ्अधधकार्‍ंयुर्क्त्राट्र्‍ंघ्द्वारा्10्दद‍ंबर, 1948 की्घोषणा्ककए्गए्ब्रबल्में्
र्े् तर्ा्इ‍में् कक‍ी्भी्नागररक्एवं् गैर-नागररक्में् ब्रबना्भेदभाव्के्प्राप््त्र्े।्ये् ब्रबना्कक‍ी्जातीय्
भेदभाव्के्प्राप््त्हो्‍कते्र्े।

5. मौललक्अधधकारों्का्एक्राजनैततक्आयाम्भी्है ् ष्ज‍में् राजनैततक्न््


याय्एवं् प्रकियात््
मक्न््
याय्की्
भी्बात्की्जाती्है ।

6. मौललक्अधधकार्न््यायीकृत्है ् कक‍ी्भी्अधधकार्का्उल््
लंघन्होने्पर्‍वोच््च्न््यायायल्में् चुनौती्दी्
जा्‍कती्है ्ष्ज‍का्उल््लेख्अनुच््छेद्32्और्226्में्ककया्गया्है ।

उपयुर्क
स ्त्वववेचन्के्आलोक्में ्हम्मौललक्अधधकारों्की्व््याख््
या्ववथ्
ताररत्रूप्‍े्कर्‍कते्हैं।्मौललक्
अधधकारों्‍े्‍ंबंधधत्अनुच््छेदों्की्ष्ज‍के्तहत्ववथ्
तार्‍े्चचास्करें गे—

1. िमता का अधधकार

लोकतंत्र् शा‍न् प्रणाली् में् ‍मानता् का् बहुत् अधधक् महत्त््


व् है ् इ‍ी् कारण् इन् शा‍नों् में् ‍मता् के्
अधधकार्को्थ्वीकार्ककया्जाता्है ् ‍ंववधान्में् अनुच््
छेद्14्में्कहा्गया्है ्कक्भारतीय्राज््य्क्षेत्र्में्राज््य्
कक‍ी् व््यष्र्कत् को् ववधध् में् ‍म््मुख् ‍मता् अर्वा् कानून् में् ‍मान् ‍ंरक्षण् ‍े् वंधचत् नहीं् करे गा।् ‍मता् में्
अधधकार्‍े्तात््पयस् है ्कक्दे श्के्अंदर्रहने्वाले्‍भी्नागररक्एवं्गै र-नागररक्कानून्में् ‍म््
मुख्‍मान्है ।्
भारतीय्‍ंववधान्में् यह्अमेररका्में् ‍ंववधान्‍े् ललया्गया्है ।्इ‍्कानून्की्मख्
ु ्
य्ववशेषता्यह्भी्है ् कक्
ववधध्में् ‍मक्ष्एक्आम्व््यष्र्कत्एवं् दे श्का्प्रधानमंत्री्दोनों्‍मान्हैं।्यह्ववधध्का्एक्‍कारात््
म क्पहलू्
भी्है ।्उदाहरणथ्वरूप्हम्दे ख्‍कते् हैं् कक्एक्ददल््
ली्के्ररर्क्शा्चालक्एवं् पष्श्चम्बंगाल्का्ररर्क्शावाला्
दोनों्ववधध्में्‍मक्ष्‍मान्हैं।

अनुच््छेद-5्में् कहा्गया्है ् कक्राज््य्कक‍ी्नागररक्के्ववरुद्ध्केवल्धमस, वंश, जातत, ललंग्जन््


म-
थ्
र्ान्अर्वा्इनमें्‍े्कक‍ी्के्आधार्पर्भेदभाव्नहीं्करे गा।्अनुच््
छेद्15(2)्में्अनु‍ार्नागररकों्को्उनकी्
जातत, वंश, भाषा, ललंग, जन््
म-थ्र्ान् आदद् के् कारण् ‍ावसजतनक् थ्
र्ानों् जै‍े् दक
ु ानों, होिलों, मंनोरं जन् के्
‍ावसजतनक्थ्
र्ानों्आदद्तर्ा्‍रकारी्धन्पर्पूणत
स :्व्आंलशक्रूप्‍े्आधाररत्कुओं, तालाबों, थ्
नानगह
ृ ों्‍ड़कों्
आदद्के्तनयोग््य्नहीं्‍मझा्जाएगा।्इ‍्अनच्
ु ्
छेद्को्महत्त््वपण
ू ्स इ‍ललए्‍मझा्जाता्है , र्क्योंकक्इ‍में्व््यष्र्कत्
के् जीवन् थ्
तर् को् बेहतर् बनाने् का् प्रया‍् ककया् गया् है ।् ‍ार्-ही-‍ार्् राज््य् ने् अनु‍ूधचत् जातत/अनु‍ूधचत्
जनजातत्एवं्मदहलाओं्एवं्बच््चों्के्ललए्ववशेष्प्रावधान्ककए्हैं, हालााँकक्हाल्ही्में्‍रकार्द्वारा्10्प्रततशत्
का्आरक्षण्कमजोर्वगस्एवं्‍ामथ्य्तबके्के्लोगों्को्ददया्गया्है ्जो्कक्शैक्षक्षक्‍ंथर्
् ानों्में्103वें्‍ंववधान्
‍ंशोधन्द्वारा्लागू्ककया्गया्है ।

अनुच्छे द-16 राजकीय िेवाओं में अविर की िमता

अनुच््छेद-16्में्खण््ड्(1)्में्कहा्गया्है ्कक्“राज््याधीन्नौकररयों्या्पदों्पर्तनयुष्र्कत्‍ंबंध्में्‍ब्
नागररकों्के्ललए्अव‍र्की्‍मता्होगी।”्अनुच््
छेद्16्(2)्में्तनदहत्है ्कक्केवल्धमस्मूलवंश, जातत, ललंग,
उद्भव्जन््
म-थ्र्ान्तनवा‍्अर्वा्इनमें्‍े्कक‍ी्में्आधार्पर्कक‍ी्नागररक्के्ललए्राज््याधीन्कक‍ी्नौकरी्

20
या्पद्के्ववषय्में् न्अपात्रता्होती्है ् न्ववभेद्ककया्जाएगा।्आधर्सक्उन््
न तत्हे तु् हाल्ही्में् केन््
द्र्‍रकार्
आधर्सक्रूप्में् कमजोर्वगस् को्10%्का्आरक्षण्प्रदान्ककया्गया्शैक्षणणक्‍ंथ्
र्ाओं् में् यह्कानून्103वें ्
‍ंववधान्‍ंशोधन्द्वारा्लागू्ककया्गया्है ।

लेि - 17 अस्पश्ृ यता का अंत

इ‍् अनुच््छेद् में् कहा् गया् है ् कक् “अथ्


पश्ृ ्यता् का् अंत् ककया् जाता् है ् और् उ‍का् कक‍ी् भी् रूप् में्
आचरण् तनवषद्ध् ककया् जाता् है ।”् अथ्पश्ृ ्यता्‍े् उपजी् तनयोग््यता् को् लाग्ू करना् अपराध् होगा् जो् ववधध् में्
अनु‍ार्दण््
डनीय्है ्इ‍्अधधकार्के्‍ंबंध्में ्‍ं‍द्ने्1955्में्एक्अथ्
पश्ृ ्यता्अपराध्अधधतनयम्पाररत्ककया्
गया्र्ा।्इ‍्अधधतनयम्के्द्वारा्अछूत्कही्जाने्वाली्ए‍.‍ी. जाततयों्के्‍ार््ककए्जाने्वाले्भेदभाव्को्
अमाननीय् माना् गया् और् उधचत्दण््ड् की् व््यवथ्
र्ा् की्गई।् दद‍म््
बर् 1976्में् ‍ंशोधधत्करके् इ‍े् अधधक्
किोर्बनाया्गया्है ।्और्गााँधीजी्का्भी्मानना्र्ा्कक्अथ्
पश्ृ ्यता्एक्बड़ा्अपराध्है ।

अनुच्छे द-18 उपाधधयों का अंत

‍ंववधान्के्अनुच््छेद्18्द्वारा्उपाधधयााँ् प्राप््त्करने् को्तनषेध्ककया्गया्है ।्ववशेष्योग््यता्लशक्षा्


या्‍ेना्की्उपाधधयों्के्अततररर्क्त्अन््य्कक‍ी्प्रकार्की्उपाधध्प्राप््त्नहीं्की्जा्‍कती्है ्लेककन्कांग्रे‍्की्
‍रकार्जब्‍त्ता्में् आयी्तो्उन््
होंने् ववलभन््
न्उपाधधयों्जै‍े् कक्भारत्रत््
न,्पद्म्ववभष
ू ण्एवं् पद्म्भष
ू ण्
आदद् की् शुरुआत् की।् ये् ‍भी् उपाधधयााँ् महत्त््वपूण्स लोगों् को् दे न्े की् योजना् बनायी्गयी।् इन् ‍भी् राट्
रीय्
पुरथ्
कारों्की्‍ंथ्र्ापना्1954्में्हुई।्1977्में्मोरारजी्दे ‍ाई्के्नेतत्ृ ्
व्वाली्जनता्पािी्ने्उनका्िम्तोड़्
ददया्लेककन्1980्में् इंददरा्गााँधी्‍रकार्द्वारा्उन््
हें् पुन:्प्रारं भ्ककया्गया्है ।्वतसमान्‍मय्में् कुछ्लोगों्
की् प्रा‍ंधगक् भागीदारी् है ् दे श् में् इ‍ललए् इन् व््यष्र्कतयों् के् नाम् पर् यह् उपाधधयााँ् दी् जाती् है ।् उदाहरणतया्
‍धचन्तेंदल
ु कर, ‍ी.एन.्राव, प्रणव्मख
ु जी्आदद।

स्वतंिता का अधधकार अनुच्छे द 19 िे 22

भारतीय्‍ंववधान्में्नागररकों्को्अनुच््
छेद्19(1)्के्द्वारा्छ:्महत्त््वपूण्स अधधकार्प्राप््
त्हैं।

(क) वाक् ्थ्वातंत्र्य्अलभव््यष्र्कत-थ्वातंत्र्य

(ख ्) शांततपूवक
स ्ब्रबना्हधर्यार्के्‍भा्करने्की्थ्
वतंत्रता

(ग) ‍मुदाय्या्‍ंघ्बनाने्की्थ्वतंत्रता

(घ) भारत्राज््य-क्षेत्र्में्‍वसत्र्अबाध्‍ंचरण्की्थ्
वतंत्रता्

(ङ) भारत्राज््य-क्षेत्र्के्कक‍ी्भाग्में्तनवा‍्माने्और्ब‍्जाने्की्थ्
व तंत्रता

(च) कोई्ववृ त्त्उपजीववका, व््यापार्या्कारोबार्करने्की्थ्


वतंत्रता।

मूलत:्अनुच््छेद्19्में्7्अधधकार्र्े्लेककन्‍ंपवत्त्अधधग्रहण्करने्या्बेच्दे ने्के्अधधकार्को्1978्
में्44वें्‍ंशोधन्अधधतनयम्के्तहत्‍माप््त्कर्ददया्गया्है ।

वाक् ् थ्वातन््त्र्य्के्अलभव््यष्र्कत्थ्वातन््
त्र्य्में् प्रत््
येक्नागररक्को्अलभव््यष्र्कत्दशासने, मत्दे ने् ववश््
वा‍्
एवं् अलभयोग्लगाने् की्मौणखक्ललणखत्छपे् हुए्मामले् पर्थ्
वतंत्रता्दे ता्है ् एवं् प्र‍ाररत्करने् का्अधधकार्
अर्ासत ््‍रकार्का्इलेर्क्रॉतनक्मीडडया्पर्एकाधधकार्नहीं्है ।

21
‍भी् नागररकों् को् ‍भा् ‍ंघ् बनाने् अर्वा् ‍हकारी् ‍लमतत् गदित् करने् का् अधधकार् होगा।् इ‍में्
शालमल्है –्व््यापार्‍ंगिन, राजनीततक्दल्बनाने्का्अधधकार ‍ष्म्मललत्है ।्भारतीय्‍ंववधान्में्राजनीततक्
दलों्की्प्रकियाएाँ्प्रत््
यक्ष्रूप्‍े्उल््लेणखत्नहीं्है , लेककन्यह्राजनीततक्दलों्को्‍ंरचना्‍ंबंधी्अधधकार्दे ते्
हैं्इ‍्अधधकार्पर्राज््य्द्वारा्यष्ु र्कतयर्क
ु ्त्प्रततबंध्भी्लगाया्जा्‍कता्है ्इ‍के्आधार्हैं्भारत्की्एकता्
एवं्‍ंप्रभुता।्‍ावसजतनक्आदे श्एवं्नैततकता्इन्प्रततबंधों्का्आधार्है ।

अबाध्‍ंरचरण्की्थ्वतंत्रता्प्रत््
येक्नागररक्को्दे श्के्कक‍ी्भी्दहथ्
‍े्में्‍ंचरण्का्अधधकार्प्रदान्
करती्है ।्वह्थ्वतंत्रतापव
ू क
स ्एक्राज््य्‍े् द‍
ू रे ् राज््
य्में्या्एक्राज््य्में् एक्‍े् द‍
ू रे ् थ्
र्ान्पर्‍ंचरण्कर्
‍कता्है ्उ‍्पर्केन््
द्र्एवं्राज््य्कक‍ी्के्भी्द्वारा्कोई्प्रततबंध्नहीं्लगाया्जाएगा।्इ‍्थ्
वतंत्रता्पर्उधचत्
प्रततबंध्लगाने्के्दो्कारण्हैं–्(1)्आम्लोगों्का्दहत, (2) अनु‍ूधचत्जनजातत्के्‍ुरक्षा्या्दहत्हे तु।्ववशेषण्
पूवी्राज््
यों्में् एवं् आददवा‍ी्क्षेत्रों्में् नागररक्के्रहने् पर्प्रततबंध्लगाया्जाता्है ।्शांततपूवक
स ्‍म््
मेलन्की्
थ्
वतंत्रता्भी्नागररकों्को्दी्गयी्है ्इ‍में्नागररकों्को्ब्रबना्हधर्यार्के्शांततपूवक
स ्‍ंगदित्होने्का्अधधकार्
है ् और्आपराधधक्व््यवथ्र्ा्की्धारा्144्(1973)्के्अंतगसत्एक्न््
यायाधीश्कक‍ी्‍ंगदित्बैिक्को्कक‍ी्
व््यवधान्के् खतरे ् के् तहत्रोक् ‍कता् है ।् इ‍े् रोकने् का् आधार् मानव् जीवन् के् ललए् खतरा् थ्
वाथ्
थ््
य् एवं्
‍ुरक्षा, ‍ावसजतनक्जीवन्में्व््
यवधान्या्दं गा्भड़काने्का्खतरा्भी्है ।

* तनवा‍्का्अधधकार्हर्नागररक्को्दे श्के्कक‍ी्भी्दहथ्
‍े्में्ब‍ने्का्अधधकार्है ।्इ‍्अधधकार्
के्दो्भाग्हैं् —्(अ)्दे श्के्कक‍ी्भी्दहथ्‍े्में्रहने्का्अधधकार, (ब)्दे श्के्कक‍ी्भी्दहथ्
‍े्में्व््यवष्थर्त्
होने्का्अधधकार।्इ‍्अधधकार्पर्राज््य्एवं्केन््
द्र्कुछ्भी्प्रततबंध्लगा्‍कता्है ् ष्ज‍में् पूवी-उत्तरी्क्षेत्रों्में्
एवं्आददवा‍ी्बहुल्क्षेत्रों्में्रहने्या्ब‍ने्पर्राज््
य्द्वारा्या्केन््
द्र्द्वारा्प्रततबंध्लगाया्जा्‍कता्है ।

अनुच्छे द-20 जीवन एवं व्यष्र्कतगत स्वतंिता का अधधकार

इ‍् ‍ंबंध् में् तीन् व््यवथ्र्ाएाँ् हैं—(1)् कक‍ी् व््यष्र्कत् को् अपराध् के् ललए् तब् तक् दे ाषी् ल‍द्धध् नहीं्
िहराया्जाएगा्जब्तक्कक्उ‍ने्ऐ‍ा्कोई्करने्के्‍मय्जो्अपराध्के्रूप्में्आरोवपत्है ्कक‍ी्प्रकृत्ववधध्
का्अततिमण्नहीं् ककया्है ् —्(2)्कक‍ी्भी्व््यष्र्कत्को्एक्अपराध्के्ललए्एक्बार्‍े् अधधक्अलभयोष्जत्
और्दं डडत्नहीं् ककया्जाएगा।्(3)्कक‍ी्अपराध्के्ललए्अलभयुर्क्
त्कक‍ी्व््यष्र्कत्को्थ्
वयं् को्अपने् ववरुद्ध्
‍ाक्षी्होने्के्ललए्बाध््य्नहीं्ककया्जाएगा।

अनुच््छेद्21्प्राण्एवं्वैददक्थ्वतंत्रता्में्घोषणा्की्गई्है ्कक्कक‍ी्व््यष्र्कत्को्उ‍के्प्राण्या्दै दहक्


थ्
वतंत्रता्‍े्ववधध्द्वारा्थ्र्ावपत्प्रकिया्में्अनु‍ार्ही्वंधचत्ककया्जाएगा्अन््
यर्ा्नहीं।्तनजता्का्अधधकार,
लशक्षा्का्अधधकार, ववधध्में्बहुत्महत्त््वपण
ू ्स अधधकार्है ।्अनच्
ु ्छेद्21्में्लशक्षा्का्अधधकार्के्रूप्में ्घोषणा्
की्गई्ष्ज‍में्कक्राज््य्6्‍े्14्वषस्तक्की्उम्र्के्बच््
चों्को्तन:शुल््
क्एवं्अतनवायस्लशक्षा्उपलब््ध्कराएगा।्
ष्ज‍को्कक्86वें् ‍ंवैधातनक्‍ंशोधन्अधधतनयम्2002्के्द्वारा्एक्मौललक्अधधकार्की्श्रेणी्में् रखा्गया्
है ।्‍वोच््
च्न््यायालय्में् मोदहनी्जैन्बनाम्कनासिक्राज््य्में् बच््
चों्के्ललए्लशक्षा्के्अधधकार्की्बात्की्
गई्र्ी।

अनुच््छेद-22्ववरोध्एवं्धगर्तारी्‍े्‍ंरक्षण्व््यष्र्कत्को्ददया्गया्है ्यह्अनुच््
छेद्ववरोध्एवं्धगर्तारी्
के्‍ंबंध्में्तीन्अधधकार्दे ता्है ्ष्ज‍में्कक्पहला्है ्कक्धगर्तार्करने्के्आधार्पर्‍ूचना्दे ने्का्अधधकार।्
(ii)्ववधध्व््यव‍ायी्‍े् परामशस् और्परामशस् और्प्रततरक्षा्कराने् का्अधधकार, (iii)्दं डाधधकारी्के्‍म््
मुख्24्
घंिे्में्यात्रा्के्‍मय्को्लमलाकर्पेश्होने्का्अधधकार, ‍ं‍द्एवं्ववधानमंडल्दोनों्को्आवश््यक्वथ्
तुओं्की्

22
आपूततस् ‍ुतनष्श्चत्करने् ‍ावसजतनक्व््यवथ्र्ा्बनाए्रखने् एवं् राज््य्की्‍ुरक्षा्मामले् इत््
यादद।्दहरा‍त्‍ंबंधी्
कानून्बनाने्का्अधधकार्है ।्तनवारक्ववरोध्कानून्ष्जन््हें्‍ं‍द्द्वारा्बनाया्गया्है —

(1) तनवारक्ववरोध्अधधतनयम्1950्जो्1969्में्‍माप््त्हो्गया।

(2) आंतररक्‍रु क्षा्अधधतनयम्(MISA)्1971्ष्ज‍े्1978्में्तनरूर्क्त्ककया्गया।

(3) ववदे शी्मुद्रा्का्‍ंरक्षण्एवं्व््


यु‍न्तनवारण्अधधतनयम्(COFEPOSA)्1974्

(4) राट्रीय्‍ुरक्षा्अधधतनयम्(NASA)्1980

(5) आतंकवादी्और्ववध््व‍ंक्कियाकलाप्अधधतनयम्(TADA)्1985

(6) आतंकवादी्तनवारण्अधधतनयम (POTA)्2002्में्लाया्गया्र्ा।

अनुच््छेद-23्और्24्में् शोषण्के्ववरुद्ध्अधधकार्ददया्गया्है ।्अनुच््


छेद्23्में् मानव्दव्ु ्
यासपार,
बेगार्और्इ‍ी्प्रकार्के्अन््
य्बलात ््श्रम्के्प्रकारों्पर्राज््
य्द्वारा्प्रत््
यक्ष्रूप्‍े् प्रततबंध्लगाया्गया्है ्
इ‍में्‍रकार्द्वारा्‍मय-‍मय्पर्अधधतनयमों्को्लाया्गया्है ।्ष्ज‍में्अनुच््
छेद-25्में्धमस्की्थ्
वतंत्रता्का्
अधधकार् ददया् गया् है ् ष्ज‍के् अंतगसत् ‍ावसजतनक् व््यवथ्
र्ा् ‍दाचार् तर्ा् थ्
वाथ्
थ््
य् के् अधीन् रहते् हुए् ‍भी्
व््यष्र्कतयों्को्अन््
त:करण्की्थ्वतंत्रता्का्तर्ा्कक‍ी्भी्धमस् के्अबाध्रूप्‍े् आचरण्करने् व्प्रचार्करने्
का् ‍मान् अधधकार् है ।् और्अनुच््छेद-26् में् कहा् गया् है ् कक् ‍ावसजतनक् व््यवथ्
र्ा् ‍दाचार् और् थ्
वाथ्
थ््
य् के्
अधीन्रहते् हुए्प्रत््येक्धालमसक्‍म््प्रदाय्226्को्‍ौंपा्है ् ष्ज‍में् कक्बंदी्प्रत््
यक्षीकरण्लेख, परमादे श्लेख,
प्रततबेध् लेख, अधधकार् पच्
ृ ्छा, उत््प्रेषण् लेख् ररि् ददये् गए् हैं।् इनको् ववथ्
ततृ /ववथ्
ताररत् रूप् में् दे खें् तो् बंदी्
प्रत््
यक्षीकरण्लेख्का्अर्स्है ्कक्“हम्आज्ञा्दे ते्हैं।”्परमादे श्लेख्‍े्अलभप्राय्“हम्आज्ञा्दे ते्हैं।”्एवं्प्रततषेध्
लेख्का्अर्स्है , “मना्करना।”्अधधकार्पच्
ृ ्छा्का्अर्स्है ्“कक‍्अधधकार्‍े?्और्अंततम्ररि्‍े्उत््
प्रेषण्लेख्
‍े्अलभप्राय्“पूणत
स ्‍ूधचत्करना्है ।”

न्यायपासलका द्वारा मौसलक अधधकारों की व्याख्या

भारतीय्‍ंववधान्के्तनमासण्में् ‍मय्तनमासताओं् ने् ‍ंववधान्की्मूल्ववशेषताओं् को्नहीं् बताया्र्ा,


लेककन्बाद्में्‍मय्में ् ‍वोच््च्न््यायालय्ने् कई्बतु नयादी्ढााँचे् या्मल
ू ्ववशेषताओं्की्व््याख््
या्की्है ।्जै‍ा्
कक्1951्में्प्रर्म्‍ंववधान्‍ंशोधन्को्शंकरी्प्र‍ाद्बनाम्भारतीय्‍ंघ्द्वारा्चुनौती्दी्गई, लेककन्‍वोच््च्
न््
यायालय्ने् इ‍्मुकद्दमे् ‍े् दी्गई्दलील्को्रद्द्कर्ददया्और्कहा्कक्अनुच््
छेद्13(2)्में् ष्ज‍्कानून्
का्वणसन्है ्वह्‍ाधारण्कानून्है ्‍ंवैधातनक्कानून्नहीं।्अंत:्‍ं‍द्अनुच््
छेद्368्के्अंतगसत्अपनी्‍ंवैधातनक्
शष्र्कत्के्द्वारा्मौललक्अधधकारों्का्हनन्करती्है ्तो्वह्वैध्है ्एवं्‍ं‍द्को्‍ंववधान्में्‍ंशोधन्करने्की्
अ‍ीलमत् शष्र्कत् प्राप््त् र्ीं।् इ‍के् कुछ् ‍मय् बाद् चौर्े् ‍ंववधान् ‍ंशोधन् को् कफर् ‍े् ‍वोच््
च् न््
यायायल् में ्
‍ज््जन्ल‍ंह्बनाम्राजथ्र्ान्राज््य्(1964)्के्द्वारा्चुनौती्दी्गयी।्इ‍्‍मय्पंडडत्नेहरू्की्मत्ृ ्यु्हो्चुकी्
र्ी्और्इ‍्‍मय्तक्‍ंववधन्में्तीन्‍ंशोधन्भी्दे खने्को्लमलते्हैं् —्1, 4 और्17वााँ्‍ंववधान्‍ंशोधन्
को् गोलकनार्् बनाम् पंजाब्राज््य् द्वारा् चुनौती् दी् गयी्र्ीं।् गोलकनार्् मुकद्दमे् में् ‍वोच््
च् न््
यायालय् का्
तनणसय्वपछले्दो्तनणसयों्‍े्अर्वा्उ‍के्कक‍ी्ववभाग्को्धालमसक्और्‍ेवा्कायस्के्ललए्‍ंथ्
र्ाओं्की्‍ंथ्
र्ापना्
और्पोषण्करने्एवं्अपने्धालमसक्कायों्‍ंबंधी्ववषयों्का्प्रबंध्करने्‍े्है ।

अनुच््छेद-27्में् ववलशट्ि्पंर््की्अलभवद्
ृ धध्के्ललए्करों्की्अदायगी्के्बारे ् में् थ्
वतंत्रता्दी्गयी्है ्
इ‍में् कहा्गया्है ् कक्धालमसक्‍म््प्रदाय्की्अलभवद्
ृ धध्या्पोषण्में् व््
यय्करने् के्ललए्प्राप््त्धन्पर्लगने्
वाले्करों्की्अदायगी्के्ललए्बाध््य्नहीं् ककया्जाएगा।्हालााँकक्अनुच््
छेद-28्में् कहा्गया्है ्कक्राज््य्ववधध्

23
‍े्पूरी्तरह्‍े्पोवषत्कक‍ी्लशक्षा्‍ंथ्र्ा्में्कोई्धालमसक्लशक्षा्नहीं्दी्जाएगी।्धालमसक्लशक्षा्उ‍्लशक्षा्‍ंथ्
र्ा्
में्नहीं्दी्जा्‍कती्ष्ज‍का्प्रशा‍न्राज््य्करता्हो्ककं तु्जो्कक‍ी्ऐ‍े्ववन््
या‍्या्न््
या‍्के्अधीन्थ्
र्ावपत्
हुई्है ्ष्ज‍के्अन‍
ु ार्उ‍्‍ंथर्
् ा्में्धालमसक्लशक्षा्दे ना्आवश््यक्है ।

अनुच््छेद्29्‍े्30्में्‍ंथ्कृतत्एवं्लशक्षा्के्अधधकार्की्बात्की्गयी्है ्ष्ज‍में्कक्अल््
प‍ंख््
यक्वगस्
को्अपनी्भाषा, ललवप्तर्ा्‍ंथ्कृतत्की्‍ुरक्षा्व्‍मद्
ृ धध्के्ललए्पूण्स अव‍र्प्रदान्ककया्है ।्अनुच््छेद्29्में्
धालमसक् अल््
प‍ंख््यकों् एवं् भाषायी् अल््प‍ंख््यकों् को् ‍ुरक्षा् प्रदान् करता् है ् और् अनुच््
छेद् 30् में् अंतगसत्
अल््
प‍ंख््
यकों्को्अपने्बच््चों्को्अपनी्भाषा्में्लशक्षा्का्अधधकार्प्रदान्ककया्गया्है ।

अनुच्छे द-32 िंवैधातनक उपचारों का अधधकार

डॉ. भीमराव्अंबेडकर्ने् अनुच््छेद्32्को्‍ंववधान्का्‍ब‍े् महत्त््वपूण्स अनुच््


छेद्बताया्है ् एवं् उनके्
शब््दों्में्यह्‍ंववधान्की्“आत््मा्और्हृदय्है ।”्अनुच््
छेद्32्में्ददए्गए्‍ंवैधातनक्उपचारों्के्अधधकार्की्
व््यवथ्
र्ा्के्कारण्अब्यदद्राज््य्का्कोई्नागररक्मौललक्अधधकारों्‍े् कक‍ी्को्वंधचत्करे गा्अर्वा्उन््
हें्
छीनेगा्तो्वह्व््यष्र्कत्अपने्मौललक्अधधकारों्की्‍रु क्षा्की्मााँग्‍वोच््
च्न््
यायालय्‍े्कर्‍कता्है ।्‍ंववधान्
ने्मौललक्अधधकारों्की्रक्षा्का्भार्‍वोच््च्न््
यायालय्तर्ा्उच््
च्न््यायालयों्को्ददया्र्ा।्गोलकनार््तनणसय्
में्कहा्गया्कक्इ‍्तनणसय्के्बाद्‍े्‍ं‍द्को्मौललक्अधधकारों्के्‍ंकुचन्का्अधधकार्नहीं् होगा।्इ‍का्
यह्अर्स् है ् कक्‍ं‍द्यद्यवप्‍ंववधान्में् ‍ंशोधन्करने् का्अधधकार्रखती्है ् ककं तु् वह्मौललक्अधधकारों्में्
‍ंशोधन्करके्उन््हें् कम्करने् या्पूणसत:्‍माप््
त्करने् का्अधधकार्नहीं् रखती्है ।् गोलकनार््के‍्के्बाद्
पााँचवीं् लोक‍भा्के्ललए्आम्चन
ु ाव्होते् हैं् ष्ज‍में् कक्इंददरा्गााँधी्के्“गरीबी्हिाओ”्का्नारा्एवं् बैंकों्का्
राट्रीयकरण, वप्रवीय‍स् पर्प्रततबंध्इन्‍भी्मुद्दों्का्अधधक्प्रभाव्रहा्एवं् इंददरा्गााँधी्‍त्ता्में् आई।्इंददरा्
गााँधी् ने् 24वााँ् एवं् 25वााँ् ‍ंववधान् ‍ंशोधन् का् प्रथ्
ताव् ‍ं‍द् में् रखा् ष्ज‍में् कक् 24वें् ‍ंववधान् ‍ंशोधन् में्
अनुच््छेद् 13् एवं् 368् के् बीच् की् ‍मथ्याओं् को् ‍ुलझाने् का् प्रया‍् ककया् गया् र्ा।् जबकक् 25वें् ‍ंववधान्
‍ंशोधन् में् मौललक् अधधकारों् को् नीतत् तनदे शक् तत्त््
वों् के् पूरक् बताया् गया् 24वें् एवं् 25वें् दोनों् ‍ंववधान्
‍ंशोधनों्को्केश््वानंदा्भारती्बनाम्केरल्राज््य्(1973)्द्वारा्चन
ु ौती्दी्गयीं।्इ‍्के‍्में् 24वें् ‍ंववधान्
‍ंशोधन् को् ‍वोच््च् न््
यायालय् में् चुनौती् दी् गई् र्ीं् और् इ‍में् ‍वोच््
च् न््
यायालय् की् 13् न््
यायाधीशों् पर्
आधाररत्ववशेष्बैंच्ने्‍ात्बहुमत्‍े्जो्तनणसय्ददया्उ‍े्माना्गया्ष्ज‍में्कक्यह्प्रावधान्र्ा्कक्अनुच््
छेद्
368् के् अंतगसत् ‍ं‍द् की् ‍ंववधान् में् ‍ंशोधन् की् शष्र्कत् पर् तनदहत् प्रततबंध् लगे् हुए् हैं् जो् ‍ं‍द् को् यह्
अधधकार् नहीं् दे ते् कक् वह् ‍ंववधान् में् इ‍् प्रकार् ‍ंशोधन् कर् दे ् ष्ज‍‍े् कक् उ‍के ् आवश््यक् तत्त््
व् या् मूल्
ववशेषताएाँ्ही्नट्ि्हो्जाएाँ।

राज्य में नीतत-तनदे र्क तत्त्व

नीतत-तनदे शक् तत्त््व् भारतीय् ‍ंववधान्‍माजवादी, आधर्सक् मूल््


यों् की् बात्करते् हैं् भारतीय् ‍ंववधान्
तनमासताओं्ने्आयरलैंड्‍े्प्रभाववत्होकर्ललया्है ।्ष्ज‍का्कक्वणसन्‍ंववधान्के्अनुच््
छेद्36्‍े्51्में्लमलता्
है ् नीतत-तनदे शक् तत्त््वों् के् पीछे ् ‍ंववधान् तनमासताओं् का् तकस् र्ा् कक् भारत् को् ल‍फस् राजनैततक् लोकतंत्र् की्
आवश््यकता्नहीं्है ्बष्ल्क्‍ामाष्जक्एवं्आधर्सक्मल्
ू ्यों्का्महत्त््व्आवश््यक्है ।्नीतत-तनदे शक्तत्त््
वों्को्‍ंववधान्
के्भाग IV्में्रखा्गया्है ्एवं् इन््
हें् मूल्अधधकारों्की्तरह्न््
यायालय्में् चुनौती्नहीं् दी्जा्‍कती्है ् इनका्
मुख््
य्उद्दे श््य्भूमंडलीय्युग्में् ‍ामाष्जक, आधर्सक, राजनैततक्मूल््
यों्का्प्रयोग्करना्है ।्जै‍ा्कक्हम्दे ख्
‍कते्हैं्नेहरू, ‍ुभाष्चंद्र्बो‍, एम.एन.्राय्आदद्‍माजवादी्ववचारधारा्‍े्प्रभाववत्र्े।्और्इन््
होंने् दतु नया्
के् ववलभन््
न् भागों् में् हुए् ‍म््
मेलनों् में् भी् अपनी् महत्त््वपूण्स भूलमका् तनभाई।् हालााँकक् हम् दे ख् ‍कते् हैं् कक्

24
‍ंववधान्की्उद्दे लशका्में् भी्एक्कल््याणकारी्राज््य्का्उल््
लेख्दे खने् को्लमलता्है ्नीतत-तनदे शक्तत्त््
वों्को्
ववलभन््
न्ववचारकों्ने्ववलभन््न्भागों्में्वगीकृत्ककया्है ्जै‍े्उदारवादी, ‍माजवाद, गााँधीवादी।

नीतत-तनदे शक्तत्त््वों्का्‍ब‍े्पहला्उद्दे श््य्जो्कक्‍माजवादी्एवं्आधर्सक्ववचारों्‍े्प्रभाववत्र्ा्एक्


कल््
याणकारी्राज््य्का्र्ा।्द‍
ू रा्नीतत-तनदे शक्तत्त््
वों्में्गााँधीवादी्ववचारों्‍े्प्रभाववत्र्े।्ती‍रा्उद्दे श््य्नीतत-
तनदे शक्तत्त््
वों्का्उदारवाद्एक्ऐ‍े् कल््याणकारी्राज््य्का्है ् ष्ज‍में् लोगों्के्कल््
याण्के्ललए्भाग्IV्में्
ल‍द्धांत्ददए्गए्हें ्नीतत-तनदे शक्तत्त््वों्का्पााँचवााँ्उद्दे श्य
् ्अंतरासट्रीय्शांतत्‍े्‍ंबंधधत्है ।

अनुच््छेद-46्में् अनु‍ूधचत्जातत्एवं् जनजातत्और्‍माज्के्कमजोर्वगों्के्शैक्षणणक्एवं् आधर्सक्


दहतों्को्प्रोत््
‍ाहन्और्‍ामाष्जक्अन््
याय्एवं्शोषण्‍े्‍ुरक्षा्की्बात्की्गई्है ।

गााँधीवादी्ल‍द्धांतों्को्भी्नीतत-तनदे शक्तत्त््
वों्में् शालमल्ककया्गया्है ।्गााँधीवाद्का्कहना्र्ा्कक्
कुछ्ऐ‍े् तत्त््
व्हैं् ष्जनको्प्राप््
त्करके्कक्भारत्को्थ्
वतंत्र्ककया्जा्‍कता्है ।्गााँधी्का्यह्मानना्र्ा्कक्
ग्रामीण्ववका‍्के्ब्रबना्दे श्का्ववका‍्कर्पाना्‍ंभव्नहीं्है , वह्यह्बात्‍मझ्चुके्कक्‍मथ्
या्एक्बड़े्
तबके्की्है ् ष्ज‍े् उन््
होंने् ‍वोदय्आंदोलन्द्वारा्बताने् का्प्रया‍्भी्ककया।्ष्ज‍को्कक्नीतत-तनदे शक्तत्त््
वों्
में् अनुच््
छेद-40्ग्राम्पंचायतों्का्गिन्में् दे खने् को्लमलता्है ् द‍
ू रा्गााँधी्का्मुख््
य्उद्दे श््य्ग्रामीण्क्षेत्रों्में्
कुिीर्उद्योगों्को्प्रोत््‍ाहन्दे ना्र्ा्इ‍का्उल््
लेख्अनुच््छेद-43्में्है ।्गााँधी्ववकेन््
द्रीकरण्के्पक्ष्में्र्े्ताकक्
शष्र्कत्एक्जगह्केष्न्द्रत्न्हो्जाए्ग्रामीण्थ्
तर्पर्शष्र्कत्में्ववकेन््
द्रीकरण्के्बात्करते्हैं।्अनुच््
छेद-40्में्
ग्राम्पंचायतों्का्गिन्और्उन््
हें्आवश््यक्शष्र्कतयााँ्प्रदान्कर्थ्
व-‍रकार्की्इकाई्के्रूप्में्कायस्करने्की्
शष्र्कत्प्रदान्की्गयी्है ्ष्ज‍को्कक्‍ं‍द्द्वारा्73वें्और्74वें्‍ंववधान्‍ंशोधन्1992्को्ब्रत्रथ्
तरीय्ग्रामीण्
‍रकार्और्शहरी्तनकाय्के्रूप्में् पा‍्ककया्गया्है ् अनुच््छेद-42्में् काम्की्न््
याय‍ंगत्और्मानवोधचत्
दशाओं्का्तर्ा्प्र‍ूतत्‍हायता्का्उपबंध्भी्ककया्गया्है ्और्अनुच््
छेद-47्में्थ्
वाथ्
थ््
य्के्ललए्नुक‍ानदायक्
नशीली्दवाओं, मददरा, ड्रग्के्औषधीय्प्रयोजनों्‍े् लभन््
न्उपभोग्पर्प्रततबंध्है ।्1991्के्बाद्भारत्एक्
भूमंडलीकृत्एवं् उदारवादी्राज््
य्के्रूप्में् दे खने् को्लमलता्है ् ‍ंववधान्तनमासण्के्‍मय्‍ंववधान्तनमासताओं्
ने् जो्नीतत-तनदे शक्तत्त््वों्में् ल‍द्धांत्ददए्हैं् वह्एक्कल््
याणकारी्राज््य्एवं् राज््य्में् गरीब्आधर्सक्रूप्‍े्
वपछड़े् हुए् वगों् में् कल््याण् के् ललए् है ।् जै‍ा् कक् नीतत-तनदे शक् तत्त््
वों् में् अनुच््
छेद-38् के् लोक् कल््
याण् की्
अलभवद्
ृ धध् के् ललए् ‍ामाष्जक, आधर्सक् और् राजनीततक् न््याय् द्वारा् ‍ामाष्जक् व््यवथ्
र्ा, व््यवथ्
र्ा् ‍ुतनष्श्चत्
करना्है ।्इ‍में्ववलभन््
न्प्रावधान्है ्–्(क)्‍भी्नागररकों्को्जीववका्के्पयासप््त्‍ाधन्प्राप््त्करने्का्अधधकार,्
(ख)्‍ामूदहक्दहत्के्ललए्‍मुदाय्के्भौततक्‍ं‍ाधनों्का्‍मवववरण, (ग)्धन्और्उत््
पादन्के्‍ाधनों्का्
‍ंकेन््
द्रण्रोकना, (घ)्परु
ु षों्और्ष्थत्रयों्के्‍मान्कायस् के्ललए्‍मान्वेतन, (ङ)्कमसकारों्के्थ्
वाथ्
थ््
य्और्
शष्र्कत्तर्ा्बालकों्को्अवथ्र्ा्के्दरु
ु पयोग्‍े् ‍ंरक्षण।्इ‍ी्तरह्अनुच््
छेद-41्भी्बेरोजगारों्एवं् तन-शर्क्तता्
के्ललए्बहुत्महत्त््वपूण्स है ।्अनुच््छेद-42्में्काम्की्न््याय‍ंगत्और्मानवोधचत्दशाओं्का्तर्ा्प्र‍ूतत्‍हायता्
का्उपबंध्करता्है ।्और्अनुच््छेद-43्के्अनु‍ार्‍भी्कमसकारों्के्ललए्तनवासह्मजदरू ी, लशट्ि्जीवन्थ्
तर्
तर्ा्‍ामाष्जक्और्‍ांथ्कृततक्अव‍र्करता्है ्ष्ज‍में्कक्हम्दे खते्हैं्कक्1977्में्जनता्पािी्की्‍रकार्
ने् ‍त्ता्में् आने् के्बाद्इ‍में् एक्अनच्
ु ्छेद-43क्और्जोड़ा्ष्ज‍में्कक्उद्योगों्के्प्रबंध्में्कमसकारों्के्भाग्
लेने्के्ललए्कदम्उिाया्गया्र्ा।्अनुच््छेद-45्में्‍भी्बालकों्को्14्वषस्की्आयु्पूरी्करने्तक्तन:शुल्क
््
और्अतनवायस्लशक्षा्की्व््यवथ्र्ा्की्गई्र्ीं्ष्ज‍को्कक्वतसमान्‍मय्में्86वें्‍ंववधान्‍ंशोधन्2002्में्एक्
मौललक्अधधकार्का्दजास्ददया्गया्है ।्गााँधीजी्को्इन्अनुच््छेद्के्माध््
यम्‍े्अलभप्रेररत्स्रोत्के्रूप्में्भी्
दे खा्जा्‍कता्है ।्अनुच््छेद-48्में् गाय बछड़ा्व्अन््
य्दध
ु ारू्पशुओं् की्बलल्पर्रोक्और्उनकी्नथ्
लों्में्

25
‍ुधार्को्प्रोत््
‍ाहन्ददया्गया्है ् जै‍ा्कक्हम्उत्तर्प्रदे श, मध््
य्प्रदे श, कनासिक्आदद्राज््यों्में् गाय्के्बलल्
पर्रोक्दे ख्‍कते्हैं्गाय्को्एक्धमस्का्प्रतीक्माना्जाता्है ।

उदारवादी्ल‍द्धांत्‍ंववधान्के्अनुच््छेद-44्में् भारत्के्‍मथ्
त्राज््य्क्षेत्र्में् नागररकों्के्ललए्एक्
‍मान् नागररक् ‍्ंदहता् का् प्रावधान् है ् जो् कई् वषों् ‍े् एक् वववाद् का् ववषय् भी् रहा् है ।् वतसमान् ‍मय् में्
भारतीय्जनता्पािी्द्वारा्एक्कानून्पा‍्ककया्गया्है ्जो्कक्मुष्थलम्मदहलाओं्को्दी्जानी्वाली्‍हायता्
‍े् ‍ंबंधधत्है ।्जबकक्कांग्रे‍्पािी्एवं् द‍
ू री्इथ्
लालमक्‍ंगिन्नागररक्‍ंदहता्ब्रबल्के्लाने् के्ववरुद्ध्है ।्
अनच्
ु ्छेद-49्में्राट्रीय्महत्त््व्वाले्घोवषत्ककए्गए्कलात््मक्या्ऐततहाल‍क्अलभरुधच्वाले्‍ंथ्
मारक्या्थ्
र्ान्
या्वथ्
त्ु का्‍ंरक्षण्करना्है , यहााँ् यह्ध््यान्दे ने् योग््य्बात्है ् कक्‍मय-‍मय्पर्‍वोच््
च्न््यायालय्द्वारा्
केन््
द्र्एवं् राज््य्को्राट्रीय्महत्त््व्एवं् थ्मारकों्के्‍ंबंध्में् तनदे श्ददए्गए्जै‍्े कक्कुतुब्मीनार, ताजमहल्
आदद।्अनुच््
छेद-50्में्राज््य्की्लोक‍ेवाओं्में्न््
यायपाललका्को्कायसपाललका्‍े्पर्
ृ क् ्करना्है ्ष्ज‍में्कक्दोनों्
अपना्कायस्‍ही्प्रकार्‍े्कर्‍कें्एवं्ष्ज‍‍े्नागररकों्का्न््
यायालय्पर्ववश््
वा‍्बना्रहे ।्इ‍्अनुच््
छेद्का्
‍ंशोधन्‍मय्पड़ने्पर्कर्‍कते्हैं।

अनुच््छेद-51्अंतरासट्रीय्शांतत्और्‍ुरक्षा्की्अलभवद्
ृ धध्करने्के्ललए्है ्एवं्राट्रों्के्बीच्न््
यायपूणस्
और्‍मानपण
ू ्स ‍ंबंधों्को्बनाए्रखना्है ् एवं् अंतरासट्
रीय्ववधध्और्‍ंधध्बाध््
यताओं् के्प्रतत्आदर्बढ़ाना्भी्
है ।्थ्
वतंत्रता्प्राष्प्त्‍े्पूव्स ही्भारत्‍ंयुर्क्त्राट्र्‍ंघ्का्एक्महत्त््वपूण्स ‍दथ्
य्रहा्है ्‍ंयुर्क्
त्राट्र्‍ंघ्1945्
के् अष्थतत््
व् में् आता् है ् ब्रिदिश् शा‍न् के् उपरांत् भी् भारत् एक् मुख््
य् ‍दथ्
य् बना् रहा् इ‍ललए् भारत् का्
उतरदातयत््
व्बनता्है ्कक्वह्अंतरासट्रीय्शांतत्एवं्‍ुरक्षा्के्ललए्कायस्को।्इ‍में्थ्
वतंत्रता्प्राष्प्त्के्ललए्ववश््
व्
के्ववलभन््
न्दे शों्में् महत्त््वपूणस् भूलमका्तनभायी्है ् जै‍े् कक्अफ्रीका, पष्श्चमी-पूवी्एलशया्और्लैदिन्अमेररका।्
भारत्की्इच््
छा्है ्कक्वह्अपनी्‍भी्पड़ो‍ी्दे शों्के्‍ार््बेहतर्‍ंबंध्कायम्हों्ष्ज‍का्उदाहरण्हम्लशमला्
‍मझौता्और्लाहौर्घोषणा्को्दे ख्‍कते्हैं ।

नीतत-तनदे र्क तत्त्वों का मूलयांकन

यह्‍त््य्है ् कक्नीतत-तनदे शक्तत्त््व्न््


यायालय्में् प्रवतसनीय्नहीं् है ् लेककन्बहुत्वषों्में् यह्दे खने् को्
लमलता्है ् कक्‍रकार्ने् कल््
याणकारी्राज््य्बनाने् के्ललए्‍ंववधान्में् ववलभन््
न्‍ंशोधन्‍मय-‍मय्पर्दे ख्े
गये्हैं्ष्ज‍में्कक्‍ामद
ु ातयक्ववका‍्कायसिम्एक्मील्का्पत््
र्र्‍ाब्रबत्हुआ्है ्ष्ज‍को्कक्1952्में्पंचवषीय्
योजना्को्1951-52्को्लायी्गयीं।्वतसमान्‍मय्में्भारत्में्13्पंचवषीय्योजना्2022्तक्पूरी्हो्गयी्
हैं।्हालााँकक्अब्पंचवषीय्योजना्के्नाम्को्बदलकर्नीतत्आयोग्कर्ददया्गया्है ।्नीतत्आयोग्और्योजना्
आयोग् में् कोई् भी् महत्त््वपूण्स अंतर् नहीं् है ् इनका् मुख््य् उद्दे श््य् कृवष, औद्योधगकरण, हररत् िांतत् और्
TRYSEM, DWCRA्तर्ा्IROP आदद्ग्रामीण्लोगों्की ष्थर्तत्को्‍ुधारकर्अर्सव््यवथ्
र्ा्को्गतत्प्रदान्
करना् है ।् केन््
द्र् ‍रकार् द्वारा् MGNAREGA (2005)् आयष
ु मान् भारत् (2018)् उज््
जवला् योजना् इन् ‍भी्
योजनाओं् का्मुख््य्उद्दे श््य्आधर्सक्रूप्‍े् वपछड़े् लोगों्की्ष्थर्तत्में् पररवतसन्लाना्है ।्नीतत-तनदे शक्तत्त््
वों्
के्बहुत्‍ारी्आलोचनाएाँ्भी्हैं्:

(1) नीतत-तनदे शक्तत्त््वों्का्हनन्होने्पर्कोिस ्में्चन


ु ौती्नहीं्दी्जा्‍कती्है ्जबकक्नागररक्के्कक‍ी्भी्
मूल्अधधकार्का्हनन्होने्पर्न््यायालय्में्चुनौती्दी्जा्‍कती्है ।

(2) द‍
ू रा्कई्ववचारकों्के्अन‍
ु ार्नीतत-तनदे शक्तत्त््
व्नये्वषस्पर्लेने्वाली्लोगों्के्उ‍्‍ंकल््
प्की्तरह्
है ् जो्कक्अगले् ददन्ही्िूि्जाती्है ।्यह्इ‍्बात्कक्ओर्इशारा्करता्है ् कक्चुनाव्के्‍मय्राज््
य्
‍रकार्लोगों्‍े् कई्वादें ् करते् हैं् लेककन्चुनाव्के्खत््
म्होने् के्‍ार््वादे ् भी्खत््
म्हो्जाते् हैं।्जै‍ा्

26
कक् हम् ववका‍् के् ‍ंदभस् में् दे ख् ‍कते् हैं् कक् उड़ी‍ा् की् ‍रकार् ने् लोगों् ‍े् कई् वादें ् ककए् जै‍्े कक्
कक‍ानों् को् 10,000् KAIA् योजना् लेककन् 2019् के् चुनाव् के् बाद् खेल् बदल् गया् र्ा।् हालााँकक् हम्
दे खते्हैं्कक्चण््
डीगढ़्के्चुनाव्हारने्के्बाद्भारतीय्जनता्पािी्के्वादें ्भी्िूि्गए।

(3) नीतत-तनदे शक्तत्त््वों्ने्बहुत्ही्‍मथ्याओं्को्जन््


म्ददया्और्यह्एक्िम्में्भी्नहीं्है ।

(4) गााँधीवादी्ल‍द्धांत्कागजों्में् ही्दे खने् को्लमलते् हैं् जबकक्अभी्भी्यह्दे खने् को्लमलता्है ् कक्गााँव्
के्लोग्भी्अभी्उतने्‍शर्क्त्नहीं्हैं्हम्दे खते्हैं्कक्मुर्क्
त्बाजार्की्अर्सव््यवथ्
र्ा्में्अभी्भी्अधधकतर्
युवा्बेरोजगार्हैं।्राज््य्एवं्केन््
द्र्‍रकार्दोनों्में् ‍े् कोई्भी्युवाओं् को्रोजगार्दे ने्में् ‍फल्नहीं् है्
‍माज्में्दललत, ववकलांग्लोगों्की्थ्
वाथ्
थ््
य्एवं्‍ामाष्जक्व््यवथ्
र्ा्एवं्उनके्जीवन्थ्
तर्को्‍ुधारने्
में्राज््य्‍फल्नहीं्हो्पा्रहे ्हैं।

(5) नीतत-तनदे शक्तत्त््वों्में्‍ंवैधातनक्प्रावधान्है ्कक्दे शों्के्बीच्वववाद्को्शांततपूवक


स ्‍ुलझाया्जाए।्भारत्
ने्अपने्पड़ोल‍यों्पाककथ्तान, चीन्के्बीच्‍ीमा्वववाद्को्‍ुलझाने्की्बात्की्है ।

(6) राज््य्पयासवरण्की्‍तत्ववका‍्को्बनाए्रखने्में्‍क्षम्नहीं्है ।्यह्बात्ध््यान्दे ने्योग््य्है ्कक्भारत्


की्राजधानी्ददल््ली्जहााँ्की्हवा्‍ााँ‍्लेने्योग््य्भी्नहीं, बहुत्अधधक्प्रदवू षत्होने्के्कारण।्हालााँकक्
जंगली्जानवर्के्ललए्यह्बहुत्खतरनाक्ष्थर्तत्है ।

िवोच्च न्यायालय की नीतत-तनदे र्क तत्त्वों की व्याख्या

‍वोच््च्न््
यायालय्‍ब‍े्पहले्चपोकम्दोराय्रं जन्बनाम्मद्रा‍्राज््य्के्द्वारा्की्जाती्है ्‍वोच््च
न््
यायालय्का्कहना्र्ा्कक्नीतत-तनदे शक्तत्त््
व मौललक्अधधकारों्के्‍हायक्के्रूप्में् कायस् करते् हैं् जबकक्
गोलकनार््के‍्(1967)्में्न््
यायालय्मौललक्अधधकारों्को्नीतत-तनदे शक्तत्त््
वों्पर्महत्ता्दी्है ।्जबकक्‍वोच््
च्
न््
यायालय्ने्केशवानंदा्भारती्के‍्(1973)्में्मौललक्अधधकारों्एवं्नीतत-तनदे शक्तत्त््
व, दोनों्को्ही्‍ंववधान्
मूल्‍ंरचना्का्भाग्माना्है , हालााँकक्लमनवास् लमल््
‍्के‍्(1980)्तर्ा्मुख््
य्न््
यायाधीश्चंद्रचुड़्ने् कहा्कक्
मौललक्अधधकार्एवं्नीतत्तनदे शक्तत्त््व्की्एक-द‍
ू रे ्की्ब्रबना्कल््
पना्नहीं्कक्जा्‍कती्है ।्एन.एम.्र्ॉम‍्
बनाम्केरल्राज््य्(1977)्और्अशोक्कुमार्बनाम्भारत्में्कहा्गया्कक्मौललक्अधधकार्एवं्नीतत-तनदे शक्
ववरोधात््
मक्नहीं्है ्बष्ल्क्‍ंपूरक्है ।

िारांर्

मौललक्अधधकार्एवं्नीतत-तनदे शक्दोनों्आवश््यक्हैं् ष्जनको्कक्भारत्‍ंववधान्में्‍ष्म्मललत्ककया्


गया्है ।्ष्ज‍में्कक्भाग-III्को्राजनीततक्लोकतंत्र्के्रूप्में्दे खने्को्लमलता्है ्और्भाग-IV्‍ामाष्जक्एवं्
आधर्सक् लोकतंत्र् के् रूप् में् दे खने् को् लमलता् है ।् पव
ू ्स अध््
यक्षों् का् कहना् र्ा् कक् ‍कारात््
मक् एवं् नकारात््
मक्
अधधकार्‍ष्म्मललत्हैं्और्एक्कल््याणकारी्राज््य्की्बात्की्गयी, ष्ज‍में्‍भी्वगों्को्ध््
यान्रखा्गया्है ।्
भारतीय्‍ंववधान्में् 12्‍े् 35्में् 7्अधधकारों्का्उल््
लेख्लमलता्है ।्और्36्‍े् 51्में् नीतत-तनदे शक्तत्त््
वों्
का्उल््
लेख्लमलता्है ्मौललक्अधधकारों्की्बात्‍ंयुर्क्
त्राट्र्‍ंघ्के्चािस र्में्भी्ककया्गया्जो्कक्1945्में्
भारत्के्थ्
वतंत्रता्प्राष्प्त्के्बाद्लाया्गया्है ।्भारतीय्‍ंववधान्में्‍मता्का्अधधकार, थ्
वतंत्रता्का्अधधकार,
शोषण्के्ववरुद्ध्अधधकार, धालमसक्थ्वतंत्रता्का्अधधकार, ‍ंथ्
कृतत्और्लशक्षा्‍ंबंधी्अधधक, ‍ंवैधातनक्उपचारों्
का्अधधकार, जबकक्‍ंपवत्त्के्अधधकार्को्44वें् ‍ंववधान्‍ंशोधन्1978्द्वारा्हिाकर्एक्वैधधक्अधधकार्
के्रूप्में् रखा्गया्है ।्मौललक्अधधकारों्को्आपातकाल्के्‍मय्थ्
र् गन्ककया्जा्‍कता्है ् अनुच््छेद्20्
और्21्को्छोड़कर।्भारतीय्‍ंववधान्में्भाग-III्में्ददए्गए्मौललक्अधधकारों्को्बढ़ाया्भी्जा्‍कता्है ।्

27
‍ं‍द् द्वारा् और् मौललक् अधधकारों् की् व््याख््
या् करने् का् अंततम् अधधकार् ‍वोच््च् न््यायालय् को् है ।् नीतत-
तनदे शक्तत्त््
व्‍कारात््मक्प्रकृतत्के्है ् ष्जनको्कक्भारतीय्‍ंववधान्के्भाग-IV्में्रखा्गया्है ्लेककन्इनको्
न््
यायालय् में् चुनौती् नहीं् दी् जा् ‍कती् है ।् थ्
र्ानीय् शा‍न् को् अनुच््
छेद-40् में् रखा् गया् है ् अतनवायस् और्
प्रार्लमक्लशक्षा्को्अनच्
ु ्छेद-45्में्और्MGNAREGA्जै‍ी्कल््
याणकाररयों्योजनाओं्को्अनच्
ु ्
छेद-41्में्दे खा्
गया्है ्जबकक्अधधकारों्में्महत्त््वपूण्स पररवतसन्को्भी्दे ख्‍कते्हैं्जै‍े्कक्मुष्थलम्मदहलाओं्के्‍ंरक्षण्और्
उनकी्वववाह, तलाक्‍ंबंध्में्बनाये्नए्कानून्‍े्है ।

‍वोच््च्न््
यायालय्द्वारा्कई्वववादों्में् यह्भी्कहा्गया्है ् कक्मौललक्अधधकार्एवं् नीतत-तनदे शक्
तत्त््
व् एक् द‍
ू रे ् में् ‍ंपूरक् एवं् ववरोधात््मक् है ।् मूल् अधधकार् एवं् नीतत-तनदे शक् तत्त््
व् दोनों् ‍ंववधान् की् मूल्
‍ंरचना्में्है ्इन्दोनों्के्ब्रबना्‍ंववधान्एक्“ब्रबना्प्राण्के्शरीर”्प्रतीत्होता्है ।

िंभाववत प्रश्न

1. “अधधकार्एक्हार््‍े्ददए्जाते्हैं्और्द‍
ू रे ्हार््‍े्ले्ललये्जाते्हैं”, वववेचना्कीष्जए?

2. मौललक् अधधकार् राजनीततक् हैं् और् नीतत-तनदे शक् ल‍द्धांत् आधर्सक् और् ‍ामाष्जक् हैं—प्रकृतत् ‍े्
आलोचनात््मक्ववश््लेषण्कीष्जए?

3. मौललक्अधधकार्और्नीतत-तनदे शक्तत्त््
व्ववरोधात््
मक्नहीं्हैं्बष्ल्क्परू क्हैं्एक-द‍
ू रे ्के्वववेचना्कीष्जए?

4. मौललक्अधधकारों्को्‍कारात््
मक्एवं्नकारात््
मक्दोनों्रूपों्में्पाया्जाता्है , वववेचना्करो?

5. ‍मता्का्अधधकार्और्थ्वतंत्रता्का्अधधकार्का्प्रभाव्दे खा्है , आम्नागररकों्पर—उदाहरण्थ्


वरूप्
‍मझाओ।

28
इकाई-3
पाि्1

1. प्रधानमंिी
ववशाल्कुमार्गुप्ता

प्रस्तावना

प्रत्येक्आधुतनक्राज्य्में्‍रकार्के्तीन्अंग्होते्हैं;्ववधातयका, कायसपाललका्और्न्यायपाललका।्प्रत्येक्
‍ंगदित्‍माज्में् कुछ्तनयम-कानून्अवश्य्होते् हैं।्‍रकार्के्कानून्तनमासण्करने् वाले् अंग्को्ववधातयका्
कहते् हैं।्आधतु नक्‍माज्की्बढ़ती्जदिलता्के्पररणामथवरूप्ववधातयका्पर्‍ामाष्जक्दहत्के्ललए्कानून्
तनमासण्के्कायस् का्बोझ्बढ़्गया्है ।्‍रकार्का्द‍
ू रा्अंग्है ;्कायसपाललका,्जो्कानन
ू ्को्कायासष्न्वत्करती्
है ।्यह्‍रकार्का्महत्त्वपूण्स अंग्है ।्कानूनों्को्न्यायोधचत्ढं ग्‍े् लागू् ककया्जाना्जरूरी्है ,्अन्यर्ा्आम्
लोगों्के्ललए्उनका्कोई्महत्व्नहीं्रहता।्न्यायपाललका्का्कायस्लभन्न-लभन्न्पररष्थर्ततयों्में्मौजूदा्कानूनों्
के्आधार्पर्तनणसय्दे ना्है ।्न्यायपाललका्‍माज्में्न्याय्की्अलभरक्षक्है ।

आददकाल्एवं्मध्यकालीन्राज्यों्में्इन्कायों्के्मध्य्कोई्अंतर्नहीं्रह्गया्र्ा।्तब्राजा्‍ंप्रभ्ु एवं्
‍वोच्च्ववधध-तनमासता,्कायसपाललका्का्प्रधान्तर्ा्न्याय् का्स्रोत् होता्र्ा।्‍मय्के् ‍ार््जै‍े-जै‍े् ‍माज्
ववकल‍त् एवं् पररवततसत् होता् गया,् कायों् के् ववलशष्टिकरण् तर्ा् ववभाजन् की् आवश्यकता् उत्पन्न् हुई।् राजा्
ववलभन्न्‍ंथर्ाओं् को्अपने् अधधकार्‍ौंपने् लगा।्अताः्‍त्ता्का्ब्रत्रववभाजन्अष्थतत्व्में् आया।्यह्राज्य्के्
बढ़ते्जदिल्कायों्को्‍रलता्एवं्‍हजता्‍े्पररपूण्स करने्का्‍ाधन्है ।

आप्इकाई्तीन्में् ‍ंथर्ागत्कायसप्रणाली्में ् प्रधानमंत्री,्‍ं‍द्और्न्यायपाललका्के्बारे ् में् पढ़ें गे।्इ‍्


अध्याय्में्हम भारतीय्शा‍न्व्यवथर्ा्में्प्रधानमंत्री्की्भूलमका,्तनयुष्र्कत,्कायसकाल,्शष्र्कतयााँ्एवं्प्रधानमंत्री्
और्मंब्रत्रपररषद,्प्रधानमंत्री्और्राटरपतत,्प्रधानमंत्री,्दल्और्‍ं‍द्के्बीच्के्‍ंबंधों्का्अध्ययन्करें गे।

उद्दे श्य

इ‍्अध्याय्को्पढ़ने्के्बाद्आप्इ‍्योग्य्होंगे्कक;
• वाथतववक्कायसकारी्मुणखया्के्रूप्में्प्रधानमंत्री्की्भूलमका्को्‍मझ्‍केंगे।
• प्रधानमंत्री्की्तनयुष्र्कत,्कायसकाल्और्शष्र्कतयों्को्जान्‍केंगे।
• प्रधानमंत्री्एवं्मंब्रत्रपररषद,्प्रधानमंत्री्एवं्राटरपतत्तर्ा्प्रधानमंत्री,्दल्एवं्‍ं‍द्के्मध्य्परथपर्अंतकिसया्
को्‍मझेंगे।
• इ‍्अध्याय्में्हम्यह्भी्जानेंगे्कक्गिबंधन्की्राजनीतत्में्प्रधानमंत्री्की्र्कया्भलू मका्है ।

प्रधानमंिी

‍ंववधान्द्वारा्भारत्में् ‍ं‍दीय्लोकतंत्र्की्थर्ापना्की्गई्है ।्इ‍की्मुख्य्ववशेषता्है ् ‍रकार्का्


उत्तरदातयत्व्जो्तनवासधचत्प्रतततनधधयों्के्माध्यम्‍े्‍ंववधान्के्प्रतत्एवं्लोगों्के्प्रतत्तनरं तर्बना्रहता्है ।्
इ‍्व्यवथर्ा्में् दो्कायसकारी्मुणखया्होते् हैं;्पहला,्नाममात्र्या्औपचाररक्अर्वा्‍ंवैधातनक्जो्राटरपतत्है्
और्द‍
ू रा,्वाथतववक्ष्ज‍का्प्रयोग्प्रधानमंत्री्एवं्मंब्रत्रपररषद्द्वारा्होता्है ।्

29
भारत्में्राटरपतत्‍ंवैधातनक्प्रधान्या्यों्कहें ्कक्नाममात्र्कायसकाररणी्प्रधान्होता्है ।्कायसपाललका्का्
‍मथत्कायस्औपचाररक्रूप्‍े्राटरपतत्के्नाम्‍े्ककया्जाता्है ।्कायसपाललका्की्‍मथत्शष्र्कतयााँ्औपचाररक्
रूप्‍े्राटरपतत्में्तनदहत्होती्हैं।्ककं तु्राटरपतत्के्नाम्‍े्ककए्गए्तनणसय्वाथतव्में्प्रधानमंत्री्के्नेतत्ृ व्
में्मंत्रीपररषद्के्ही्तनणसय्होते्हैं।्द‍
ू रे ्शब्दों्में,्प्रधानमंत्री्की्अध्यक्षता्में्मंत्रीपररषद्वाथतववक्कायसकारी्
प्रधान्की्भूलमका्तनभाता्है ।्प्रधानमंत्री्मंत्रीपररषद्का्प्रमुख,्‍ं‍द्का्नेता,्दे श्का्नेता,्दल्का्नेता्और्
‍वोच्च्राजनीततक्शष्र्कत्का्प्रतीक्थवरूप्होता्है ।्डॉ.्अंबेडकर्के्अनु‍ार्“वाथतव्में् प्रधानमंत्री्‍ंपूण्स तंत्र्
की्धुरी्है ।”्प्रधानमंत्री्भारतीय्राजनीततक्व्यवथर्ा्की्धूरी्का्केंद्र्ब्रबंद्ु है ।्भारतीय्‍ंववधान्में् प्रधानमंत्री्
पद्का्उल्लेख्मात्र्तीन्बार्ककया्गया्है -

पहला,्अनच्
ु छे द्74(1)्के्अन‍
ु ार्“राटरपतत्की्‍हायता्व्परामशस् के्ललए्मंब्रत्रपररषद्होगी्ष्ज‍का्
प्रधान्प्रधानमंत्री्होगा।”

दि
ू रा,्अनुच्छे द्75(1)्के्अनु‍ार्“प्रधानमंत्री्की्तनयुष्र्कत्राटरपतत्करें गे्तर्ा्अन्य्मंब्रत्रयों्की्तनयुष्र्कत्
राटरपतत्प्रधानमंत्री्के्परामशस्‍े्करें गे।”

तीिरा,्अनुच्छे द्78्में्उपबंध्है ्कक्“राटरपतत्को्जानकारी्दे ने्के्‍ंदभस्में्प्रधानमंत्री्का्दातयत्व्होगा्


कक,्वह;

(क) ‍ंघ्के्कायों्का्प्रशा‍न्व्ववधायी्प्रथतावों्‍ंबंधी्मंब्रत्रपररषद्के्‍भी्तनणसयों्‍े् राटरपतत्को्


‍ूधचत्करें ।

(ख) ‍ंघ्के्कायों्का्प्रशा‍न्व्ववधायी्प्रथतावों्‍ंबंधी्ष्ज‍्जानकारी्को्राटरपतत्मांग्े उ‍को्दे ,्


और;

(ग) कक‍ी्ववषय्को,्ष्ज‍्पर्कक‍ी्मंत्री्ने् तनणसय्कर्ललया्हो,्ककं त्


ु मंत्रीपररषद्ने् उ‍्पर्ववचार्
नहीं्ककया्हो,्तो्राटरपतत्द्वारा्कहे ्जाने्पर्मंत्रीपररषद्के्‍ामने्ववचार्के्ललए्रखेगा।

उपप्रधानमंिी-् ‍ंववधान् में् उपप्रधानमंत्री् पद् का् कोई् प्रावधान् नही् है ् ककन्तु् व्यवहाररक् राजनीतत् में्
उपप्रधानमंत्री्तनयुर्कत्ककये् जाते् है ।्उपप्रधानमंत्री्चुने् जाने् वाला्व्यष्र्कत्कैब्रबनेि्मंत्री्के्‍मान्होता्है । अब्
तक्कई्उपप्रधानमंत्री्की्तनयुष्र्कत्हुई्है ,्ये्है -्‍रदार्बल्लभभाई्पिे ल,्मोरारजी्दे ‍ाई,्जगजीवन्राम,्चौधरी्
चरण्ल‍ंह,्वाई.वी.्चव्हाण,्चौधरी्दे वी्लाल्(दो्बार)्और्लालकृटण्आडवाणी।

प्रधानमंिी की तनयुष्र्कत

वपछले् ‍ात्दशकों्के्भारतीय्राजनीततक्इततहा‍्में् प्रधानमंत्री्की्भूलमका्प्रमुख्रही्है ।्‍ंववधान्के्


अंतगसत्प्रधानमंत्री्के्तनवासचन्और्तनयुष्र्कत्के्ललए्कोई्थपटि्प्रकिया्का्अभाव्है ।्अनुच्छे द्75्केवल्यही्
उल्लेणखत्करता्है ् कक्राटरपतत्प्रधानमंत्री्की्तनयुष्र्कत्करे गा।्हालांकक्इ‍का्अर्स् यह्नहीं् है ् कक्राटरपतत्
कक‍ी्भी्व्यष्र्कत्को्तनयष्ु र्कत्कर्‍कता्है ।्‍ं‍दीय्व्यवथर्ा्के्अंतगसत्जब्दे श्में् आम्चन
ु ावों्का्गिन्
होता्है ्तो्लोक‍भा्में्बहुमत्प्राप्त्दल्के्मुणखया्को्राटरपतत्द्वारा्प्रधानमंत्री्पद्पर्तनयुष्र्कत्हे तु्बुलाया्
जाता्है ्और्प्रधानमंत्री्पद्की्शपर््ददलाई्जाती्है ।्इ‍्ष्थर्तत्में्राटरपतत्वैयष्र्कतक्वववेकाधधकार्का्प्रयोग्
नहीं् कर्‍कता।्राटरपतत्अपने् वैयष्र्कतक्वववेकाधधकार्का्प्रयोग्उ‍्ष्थर्तत्में् करता्है ् जब्लोक‍भा्में्
कक‍ी् दल् को् थपटि् बहुमत् न् लमला् हो।् ऐ‍ी् ष्थर्तत् में ् राटरपतत् ‍ब‍े् बड़े् दल् या् गिबंधन् के् नेता् को्
प्रधानमंत्री्तनयर्क
ु त्करता्है ।

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उदाहरणथवरुप्‍न ््1989्में्जब्लोक‍भा्में्कक‍ी्भी्दल्को्थपटि्बहुमत्नहीं्लमला्तो्राटरीय्मोचे्
के्नेता्ववश्वनार््प्रताप्ल‍ंह्को्प्रधानमंत्री्तनयुर्कत्ककया्गया्र्ा,्कफर्1991्में् नरल‍म्हा्राव्को,्1998्
एवं्1999्में्अिल्ब्रबहारी्वाजपेयी्को्प्रधानमंत्री्तनयुर्कत्ककया्गया।्राटरपतत्के्वैयष्र्कतक्वववेकाधधकार्के्
प्रयोग्की्एक्और्ष्थर्तत्है ्जब्प्रधानमंत्री्की्आकष्थमक्मत्ृ य्
ु हो्जाए्और्उ‍का्कोई्थपटि्उत्तराधधकारी्
न्हो्तब।

प्रधानमंत्री्के्पद्पर्तनयुष्र्कत्एवं्योग्यता्के्‍ंदभस्में ् ‍ंववधान्मौन्है ।्प्रधानमंत्री्‍ं‍द्के्कक‍ी्भी्


‍दन्का्‍दथय्हो्‍कता्है ्तर्ा्यदद्वह्तनयुष्र्कत्के्‍मय्कक‍ी्भी्‍दन्का्‍दथय्नहीं्है ्तो्6्महीने्
के्अंदर्उ‍े्कक‍ी्भी्‍दन्की्‍दथयता्ग्रहण्करनी्आवश्यक्है ,्अन्यर्ा्वह्प्रधानमंत्री्के्पद्पर्नहीं्बना्
रहे गा।्द‍
ू रे ्शब्दों्में,्हम्कह्‍कते्हैं्कक्प्रधानमंत्री्पद्के्ललए्वे्‍भी्योग्यताएाँ्होनी्अतनवायस्है ्जो्भारत्
के्‍ंववधान्में्लोक‍भा या्राज्य‍भा्का्‍दथय्(अगला्अध्याय:्‍ं‍द्दे खें)्बनने्के्ललए्तनधासररत्की्गई्
है ।्अनुच्छे द्75(4)्के्अनु‍ार्प्रधानमंत्री्को्पद्ग्रहण्करने्‍े्पूव,स ्राटरपतत्ती‍री्अनु‍ूची्में्इ‍्प्रयोजन्
के्ललए्ददए्गए्प्रारूपों्के्अनु‍ार्पद्एवं्गोपनीयता्की्शपर््ददलाते्हैं।

कायशकाल

‍ंववधान्के्अनुच्छे द्75्के्अंतगसत्यह्व्यवथर्ा्की्गई्है ्प्रधानमंत्री्राटरपतत्के्प्र‍ाद्पयंत्(राटरपतत्


की्इच्छानु‍ार)्अपने्पद्पर्बना्रहता्है ।्इ‍का्अर्स्यह्नहीं्है ्कक्राटरपतत्कक‍ी्भी्‍मय्प्रधानमंत्री्को्
उ‍के्पद्‍े् हिा्‍कता्है ।्प्रधानमंत्री्का्कायसकाल्तनष्श्चत्नहीं् होता्हैं।्प्रधानमंत्री्5्वषस् के्ललए्तनयुर्कत्
ककया्जाता्है ,्बशते् जब्तक्उ‍े् लोक‍भा्में् बहुमत्प्राप्त्है ्तब्तक्ही्वह्पद्पर्बना्रहे गा।्लोक‍भा्
में् अववश्वा‍्के्प्रथताव्के्द्वारा्भी्प्रधानमंत्री्को्हिाया्जा्‍कता्है ।्10्जुलाई,्1979्को्लोक‍भा्के्
ववरोधी्दल्के्नेता्यर्वंत राव चट्िान ने्प्रधानमंत्री्मोरारजी्दे ‍ाई्के्ववरुद्ध्अववश्वा‍्प्रथताव्प्रथतत
ु ्ककया।्
मतदान्‍े्पूव्स ही्प्रधानमंत्री्दे ‍ाई्ने्15्जुलाई,्1979्को्त्यागपत्र्दे ्ददया,्र्कयोंकक्जनता्दल्के्कई्‍दथयों्
ने्दल्की्‍दथयता्त्याग्दी्र्ी।

प्रधानमंिी के कायश एवं र्ष्र्कतयााँ

‍ं‍दीय्शा‍न्व्यवथर्ा्में्कायसपाललका्का्वाथतववक्अध्यक्ष्प्रधानमंत्री्होता्है ।्ब्रििे न्के्प्रधानमंत्री्की्


भााँतत्उ‍े्इतनी्शष्र्कतयााँ्प्राप्त्हैं्कक्उ‍े्प्रशा‍न्की्धरु ी्भी्कहा्जाता्है ।्प्रधानमंत्री्की्शष्र्कतयों्का्वणसन्
करते्हुए्लाडस्मॉले्ने्ललखा्है ्कक्“प्रधानमंत्री्‍मान्के्बीच्प्रर्म”्एवं्“मंब्रत्रमंडल्रूपी्मेहराब्की्आधारलशला्
है ।”् वहीं् जेतनंग्‍् उनकी् तुलना् ‍ूय्स ‍े् करते् हुए् ललखते् हैं् कक् “वह् ‍ूय्स के् ‍मान् है ,् ष्ज‍के् इदस -धगदस ् ग्रह्
पररभ्रमण्करते्हैं।”्वह्‍ंववधान्का्‍ब‍े्मुख्य्आधार्है । ‍ंववधान्के्‍भी्मागस्प्रधानमंत्री्की्ओर्ही्जाते्
है ।् ्

भारतीय्‍ं‍दीय्शा‍न्व्यवथर्ा्में् प्रधानमंत्री्का्पद,्‍त्ता्तर्ा्उत्तरदातयत्व्का्मुख्य्केंद्र्बना्हुआ्
है ।्प्रशा‍न्में् कोई्भी्ऐ‍ा्पद्नहीं् है ् ष्ज‍े् इतनी्शष्र्कतयााँ् प्राप्त्हों।्प्रधानमंत्री्के्कायस् एवं् शष्र्कतयों्का्
वणसन्तनम्नललणखत्है :-्

• मंिीपररषद का गठन-्‍ंववधान्के्अनुच्छे द्75(1)्के्अनु‍ार्राटरपतत्प्रधानमंत्री्की्तनयुष्र्कत्करता्है ्


तर्ा्मंत्रीपररषद्का्गिन्प्रधानमंत्री्की्‍लाह्‍े्करता्है ।्व्यवहाररक्तौर्पर्‍भी्मंब्रत्रयों्की्तनयुष्र्कत्
अप्रत्यक्ष्रूप्‍े्प्रधानमंत्री्द्वारा्ही्की्जाती्है ्और्वह्मंत्रीपररषद्में्कक‍ी्को्भी्ले्‍कता्है ।्प्रधानमंत्री्

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अपने् ‍हयोगी् मंब्रत्रयों् का् चयन् करते् हुए् दे श् के् लभन्न-लभन्न् भागों,् अनु‍ूधचत् जाततयो,् अनु‍ूधचत्
जनजाततयो्अल्प‍ंख्यक्जाततयों्आदद्को्प्रतततनधधत्व्दे ने्की्कोलशश्करता्है ।

• ववभागों का ववतरण-्प्रधानमंत्री्न्केवल्अपने्‍ाधर्यों्को्चुनता्है ,्बष्ल्क्मंब्रत्रयों्के्ववभागों्का्ववतरण्


भी्करता्है ।्वह्कक‍ी्भी्मंत्री्को्कोई्भी्ववभाग्दे ् ‍कता्है ् तर्ा्उ‍में् पररवतसन्भी्कर्‍कता्है ।्
ववभागों्में्पररवतसन्या्फेरबदल्करना्कई्बार्प्रधानमंत्री्के्व्यष्र्कतत्व्एवं्दल्में्उ‍के्थर्ान्पर्तनभसर्
करता्है ।

• िंिद के िंदभश में-्ब्रििे न्की्भांतत्भारत्का्प्रधानमंत्री्लोक‍भा्(तनचला्‍दन)्का्प्रतततनधधत्व्करता्है ।्


प्रधानमंत्री्के्परामशस् ‍े् ही्राटरपतत्‍ं‍द्का्‍त्र्आहूत्करने् तर्ा्‍त्राव‍ान्करने् का्आदे श्दे ता्है ।्
वह्‍दन्में्‍रकार्की्नीतत्‍े्‍ंबंधधत्महत्वपूण्स घोषणाएाँ्करता्है ्तर्ा्‍रकार्की्नीततयों्का्बचाव,्
ववरोधी्दल्की्आलोचनाओं्का्उत्तर्दे ता्है ।्वह्अपने्दल्के्‍दथयों्को्ष्व्हप्/्‍चेतक्(Whips) द्वारा्
आदे श्तर्ा्तनदे श्भेजता्है ्तर्ा्उन्पर्तनगरानी्और्तनयंत्रण्रखता्है ।्प्रधानमंत्री्राटरपतत्‍े्कक‍ी्भी्
‍मय्लोक‍भा्को्भंग्करने्की्ल‍फाररश्कर्‍कता्है ।्प्रधानमंत्री्का्ववशेष्अधधकार्है ्कक्वह्राटरपतत्
को्ललणखत्परामशस्(44वााँ्‍ंववधान्‍ंशोधन)्दे कर्लोक‍भा्को्भंग्करवा्‍कता्है ।

• राटरपतत तथा मंत्रिमंडल के बीच कडी- भारतीय्‍ं‍दीय्शा‍न्प्रणाली्में्प्रधानमंत्री,्राटरपतत्तर्ा्मंत्रीपररषद्


के्बीच्कड़ी्का्काम्करता्है ।्वह्राटरपतत्को्मंत्रीपररषद्के्द्वारा्ककए्गए्तनणसय्की्‍ूचना्दे ता्है ्
एवं्राटरपतत्के्ववचार्को्मंब्रत्रमंडल्के्‍मक्ष्रखता्है ।्

• मंत्रिमंडल का नेता-्प्रधानमंत्री्मंब्रत्रमंडल (कैब्रबनेि)्का्नेता्होता्है ।्वह्कैब्रबनेि्की्बैिकों्की्अध्यक्षता्


करता्है ।्प्रधानमंत्री्के्नेतत्ृ व्में्ही्कैब्रबनेि्‍भी्कायस्करता्है ।्

• ववसभन्न ववभागों के बीच कडी-्प्रधानमंत्री्कैब्रबनेि्का्प्रधान्होने् के् नाते् महत्त्वपूण्स कायस् करता्है ।्वह्
ववलभन्न्ववभागों्में्उत्पन्न्होने्वाली्आप‍ी्‍मथयाओं,्झगड़ों्तर्ा्मतभेदों्को्‍ुलझाता्है ।्कुशल्एवं्
प्रभावी् प्रशा‍न् के् ललए् यह् अतनवायस् शतस् है ् कक् इन् ववभागों् में् आप‍ी् ‍हयोग् एवं् ‍मन्वय् हो।् इ‍्
उद्दे श्य्प्राष्प्त्हे तु्प्रधानमंत्री्ववलभन्न्ववभागों्में्कड़ी्का्काम्करता्है ।्वह्अंतववसभागीय्मतभेदों्को्दरू ्
करने्हे तु्मध्यथर््के्रूप्में्भी्कायस्करता्है ।

• राटरपतत के िंदभश् में-् प्रधानमंत्री् राटरपतत् का् मख्


ु य् ‍लाहकार् है ।् राटरपतत् लगभग् प्रत्येक् मद्
ु दे ् पर्
प्रधानमंत्री्‍े्‍लाह्लेते्हैं्एवं्उनके्द्वारा्दी्गई्‍लाह्के्अनु‍ार्ही्कायस्करते्हैं।्राटरपतत्को्प्रशा‍न्
के् बारे ् में् कक‍ी् भी् प्रकार् की् ‍ूचना् प्राप्त् करनी् हो् तो् वह् अन्य् कक‍ी् मंत्री् ‍े् ‍ीधे् बात् न् करके्
प्रधानमंत्री्‍े्ही्बात्करता्है ्तर्ा्‍ूचना्प्राप्त्करता्है ।्

प्रधानमंत्री्एवं्मंब्रत्रमंडल्के्परामशस्‍े्राटरपतत्ववलभन्न्अधधकाररयों्की्तनयुष्र्कत्करते्हैं;्जै‍े्भारत्
के्महान्यायवादी,्भारत्के्महातनयंत्रक्एवं् महालेखापरीक्षक,्‍ंघ्लोक्‍ेवा्आयोग्का्अध्यक्ष्व्उ‍के्
‍दथयों,्चुनाव्आयुर्कतों्व्ववत्त्आयोग्के्अध्यक्ष्एवं्उ‍के्‍दथयों्तर्ा्अन्य्तनयुष्र्कतयााँ।

• राटर के नेता के रूप में-्प्रधानमंत्री्राटर्का्नेता्है ।्‍म्पूण्स राटर्प्रधानमंत्री्की्ओर्‍ुशा‍न्एवं् पर््


प्रदशसन्के्ललए्तनगाह्लगाए्हुए्होता्है ।्‍ाधारणताः्भारत्में्चुनाव्भी्प्रधानमंत्री्के्नाम्पर्लड़े्जाते्
हैं।्उदाहरणथवरूप्1980्में्इंददरा्गााँधी्ने्चुनाव्जीता,्1998्में्लोक‍भा्चुनाव्में्यह्नारा्ददया्गया्
‘अब्की्बारी्अिल्ब्रबहारी’,्इ‍ी्तरह्2014्के्लोक‍भा्चन
ु ावों्में् नारा्र्ा्‘अबकी्बार्मोदी्‍रकार’।्
इ‍्प्रकार्हम्कह्‍कते्हैं्कक्मतदाता्दल्को्महत्त्व्तो्दे त्े ही्हैं,्लेककन्दल्के्नेता्को्और्अधधक्
महत्त्व्दे ते्हैं।्

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• प्रधानमंिी तथा नीतत तनधाशरण-्भारत्की्ववदे श्नीतत्एवं्घरे लू् नीतत्के्तनमासता्के्रूप्में् प्रधानमंत्री्की्
ष्थर्तत्अत्यंत्महत्त्वपूण्स है ।्प्रधानमंत्री्मंब्रत्रमंडल्का्प्रमुख्प्रवर्कता्होने्के्‍ार्-‍ार््नीतत्तनमासता्भी्है ।्
आज्प्रधानमंत्री्कायासलय्दे श्के्नीतत्तनधासरण्का्प्रमुख्स्रोत्है ।्बैंकों्के्राटरीयकरण,्‍ंववधान्‍ंशोधन्
आदद्ष्जतने्भी्िांततकारी्फै‍ले्ललए्गए,्वे्‍भी्मख्
ु यताः्प्रधानमंत्री्द्वारा्ही्ललए्गए्फै‍ले्र्े।
‍मान्यताः्प्रधानमंत्री्‍भी्महत्त्वपूण्स नीततयों्का्तनधासरण्करते्हैं।्इन्‍भी्नीततयों्में्वह्‍रकार्के्
प्रमुख्प्रवर्कता्होते् हैं।्वह्महत्त्वपूण्स अंतरराटरीय्‍म्मेलनों्में् भाग्लेते् हैं ।्राटर्के्नाम्‍ंदेश्में् वह्
जनता्के्‍मक्ष्अपनी्‍रकार्की्नीततयों्को्प्रथतुत्करते्हैं।

• प्रधानमंिी तथा आपातकाल-्भारतीय्‍ंववधान्के्अनुच्छे द्352,्356्व्360्के्अंतगसत्राटरपतत्को्तीन्


प्रकार् की् आपातकालीन् शष्र्कतयााँ् दी् गई् है ।् लेककन् वाथतव् में् राटरपतत् अपनी् इन् शष्र्कतयों् का् प्रयोग्
प्रधानमंत्री्के्परामशस् के्अनु‍ार्ही्करता् है ;्जै‍े् अर्किूबर,्1962्में् चीन्के्आिमण्एवं् 3्दद‍ंबर,्
1971् को् पाककथतान् के् आिमण् के् ‍मय् और् 26् जून,् 1975् को् आंतररक् व्यवथर्ा् खराब् होने् पर्
अनुच्छे द्352्के्अंतगसत्राटरपतत्द्वारा्प्रधानमंत्री्के्परामशस् ‍े् ही्आपातकाल्की्घोषणा्की्गई्र्ी।्
इ‍ी्प्रकार्अनुच्छे द्356्के्अंतगसत्राज्यों्में् राटरपतत् शा‍न्भी्प्रधानमंत्री्के्परामशस् के्अनु‍ार्ही्
लगाया् जाता् है ।् 44वें् ‍ंववधान् ‍ंशोधन् के् अन‍
ु ार् राटरपतत् अनुच्छे द् 352् के् अंतगसत् आपातकाल् की्
घोषणा्तभी्कर्‍कते्हैं्यदद्मंत्रीमंडल्आपातकाल्की्घोषणा्करने्की्ललणखत्‍लाह्दे ।्

• ववसभन्न आयोग एवं पररषद के अध्यक्ष के रूप में -् राटर्की् अर्स-नीतत्का् तनधासरण् नीतत्आयोग् द्वारा्
ककया् जाता् है ् और् प्रधानमंत्री् नीतत् आयोग् के् अध्यक्ष् हैं ।् इ‍ी् के् ‍ार्-‍ार्् प्रधानमंत्री् राटरीय् ववका‍्
पररषद,्राटरीय्एकता्पररषद,्अंतरासज्यीय्पररषद,्राटरीय्जल्‍ं‍ाधन्पररषद्और्अन्य्कई्पररषदों्के्
भी्अध्यक्ष्हैं।

• अनुग्रह की र्ष्र्कतयााँ-्भारत्के्‍मथत्उच्च्अधधकाररयों्की्तनयुष्र्कत्राटरपतत्प्रधानमंत्री्की्‍लाह्‍े्ही्
करते् हैं।् महत्त्वपूण्स क्षेत्रों् में ् राटरीय् ‍ेवा् के् ‍ंदभस् में् ‘भारत् रत्न’,् ‘पदम् ववभूषण’,् ‘पद्मश्री’् इत्यादद्
‍म्मानजनक्उपाधधयों्का्ववतरण्राटरपतत्प्रधानमंत्री्की्ल‍फाररश्पर्करते्हैं।्

इ‍्प्रकार्हम्कह्‍कते्हैं्कक्‍ं‍दीय्शा‍न्व्यवथर्ा्में्प्रधानमंत्री्का्पद्‍ब‍े् महत्त्वपूण्स पद्है।्


इ‍् ‍ंदभस् में् डॉ.् भीमराव् अंबेडकर् कहते् हैं् कक् “भारतीय् ‍ंववधान् के् अंतगसत् कक‍ी् कायसकारी् की् यदद्
अमेररकी्राटरपतत्‍े्तुलना्की्जाए,्तो्वह्प्रधानमंत्री्है ,्न्कक्राटरपतत।”

❖ मंत्रिपररषद और मंत्रिमंडल
मंत्रीपररषद्एक्बड़ा्तनकाय्है ,्ष्ज‍में्लगभग्60्‍े्70्मंत्री्होते्हैं।्मंब्रत्रपररषद्में्तीन्प्रकार्के्मंत्री्
होते्हैं,्मंब्रत्रमंडलीय्मंत्री,्राज्य्मंत्री्एवं्उपमंत्री।्जबकक्मंब्रत्रमंडल (कैब्रबनेि)्एक्छोिा्तनकाय्है ्ष्ज‍में्
15्‍े्20्मंत्री्होते्हैं।्इ‍में ्केवल्कैब्रबनेि्मंत्री्शालमल्होते्हैं।्यह्मंत्रीपररषद्का्एक्भाग्होता्है ।्

❖ मंिीपररषद का आकार
व्यवहार्में्मंत्रीपररषद्के्‍दथयों्की्‍ंख्या्35्‍े्70्तक्रहती्है ्और्मंब्रत्रमंडल्में्12्‍े्25्तक।्
91वां् ‍ंववधान्‍ंशोधन्(2003)्द्वारा्‍ंववधान्के्अनुच्छे द्75्में् ‍ंशोधन्कर्प्रावधान्ककया्गया्
कक,्मंत्रीपररषद्का्अधधकतम्आकार्लोक‍भा्की्कुल्‍ंख्या्के्15्प्रततशत्तक्ही्होगा।

33
❖ मंत्रिपररषद में मंत्रियों के प्रकार
‍ंववधान्के्अनु‍ार्राटरपतत्को्‍लाह्दे ने्हे तु्एक्मंत्रीपररषद्होगी।्मंत्रीपररषद्का्आकार्‍मयानु‍ार्
तर्ा्प्रधानमंत्री्की्इच्छानु‍ार्पररवततसत्होता्रहा्है ।्मंब्रत्रपररषद्में्तीन्प्रकार्के्मंत्री्होते्हैं:-

• प्रथम,् मंब्रत्रमंडलीय् मंत्री् (Cabinet Minister)– यह् अपने-अपने् ववभागों् के् प्रमख
ु ् होते् हैं।् यह्
मंत्रीपररषद् का् ‍ब‍े् महत्त्वपण
ू ्स भाग् है ।् मंत्रीमंडल् की् बैिक् की् अध्यक्षता् प्रधानमंत्री् करते् हैं।्
इ‍की्बैिकों्की्कारवाई्गुप्त्रखी्जाती्है ।्इ‍ी्के्द्वारा्तनणसय्‍ामूदहक्रुप्‍े्ललए्जाते्हैं।्
मंब्रत्रमंडलीय्मंब्रत्रयों्की्‍लाह्पर्ही,्राटरपतत्अनुच्छे द्352,्राटरीय्आपात्की्घोषणा्करते्हैं।्

• द्ववतीय,्राज्यमंत्री्(State Minister)– यह्मंत्रीपररषद्की्द‍


ू री्श्रेणी्के्मंत्री्होते्हैं।्इन्हें ्थवतंत्र्
ववभाग्भी्ददया्जा्‍कता्है ।्यह्आमंत्रण्लमलने्पर्ही्बैिक्में् बैिक्की्कायसवादहओं्में्भाग्
लेते्हैं।्

• तत
ृ ीय,्उपमंत्री्(Deputy Minister)– यह्मंब्रत्रपररषद्की्ती‍री्श्रेणी्के्मंत्री्होते्हैं।्यह्‍हायक्
मंत्री्के्रुप्में्कायस्करते्है ।्ष्ज‍्मंत्री्के्अधीन्वह्कायस्करते्हैं्वही्उ‍े्कायस्आवंदित्करता्
है ।्यह्मंत्रीमंडल्की्बैिक्में्भाग्नहीं्लेते।्

भारत में प्रधानमंिी एवं मंिीपररषद

ब्रििे न्के्प्रधानमंत्री्की्तरह्भारत्का्प्रधानमंत्री्भी्मंत्रीपररषद्एवं् मंब्रत्रमंडल्के्तनमासण,्जीवन्तर्ा्


मत्ृ यु् का् केंद्रब्रबंद्ु है ।् भारत् ने् ‍ं‍दीय् शा‍न् प्रणाली् को् अपनाया् है ।् ष्ज‍में् राटरपतत् केवल् ‍ंवैधातनक्
कायसपाललका्मात्र्है ्तर्ा्प्रधानमंत्री्एवं्उ‍की्मंत्रीपररषद्वाथतववक्कायसपाललका्है ।्‍ववधान्के्अनछ
ु े द्75(1)्
के्अनु‍ार्राटरपतत्प्रधानमंत्री्की्तनयुष्र्कत्करता्है ्तर्ा्मंत्रीपररषद्का्गिन्प्रधानमंत्री्के्परामशस्‍े्करता्
है ।्हम्यह्भी्कह्‍कते् हैं् कक्मंत्रीपररषद्के्गिन्में् प्रधानमंत्री्की्भूलमका्महत्त्वपूण्स होती्है ।्मंब्रत्रयों्के्
ववभाग्का्बंिवारा,्उनके्बीच्‍ामंजथय्थर्ापना,्पदोन्नत्या्पदावनत्का्अधधकार्प्रधानमंत्री्को्है ।्प्रधानमंत्री्
मंत्रीपररषद्की्‍भी्गततववधधयों्तर्ा््कायसवादहयों्का्नेतत्ृ व्करता्है ।्इ‍्प्रकार्कहा्जा्‍कता्है ्कक्‍ं‍दीय्
शा‍न्प्रणाली्में्भारत्के्‍ंववधान्द्वारा्प्रधानमंत्री्को्काफी्शष्र्कतयााँ्प्रदान्की्गई्हैं।्लेककन्उ‍की्शष्र्कत्
उ‍के् व्यष्र्कतत्व,् अपने् राजनीततक् दल् में् प्राप्त् ष्थर्तत,् दे श् की् राजनीतत् में् प्रधानमंत्री् के् दल् की् ष्थर्तत,्
तत्कालीन्राटरीय्और्अंतरासटरीय्व्यवहाररक्राजनीतत्में्प्राप्त्‍फलता्एवं्अ‍फलताओं्पर्तनभसर्है ।

शष्र्कतशाली्प्रधानमंत्री्थवेच्छा्‍े् मंब्रत्रयों्का्चयन्कर्‍कता्है ।्अगर्दल्में् कोई्अन्य्शष्र्कतशाली्


व्यष्र्कत्है ,्जो्उ‍े् चुनौती्दे ता्है ,्तो्उ‍्ष्थर्तत्में् प्रधानमंत्री्को्मंब्रत्रमंडल्के्गिन,्ववभागों्के्बंिवारे ् में्
कदिनाइयााँ् आ्‍कती्हैं।्इ‍्प्रकार्की्ष्थर्तत्पंडडत्जवाहरलाल्नेहरू्के्शा‍नकाल्में् तब्र्ी,्जब्‍रदार्
पिे ल्जीववत्र्े।्उनकी्मत्ृ यु्के्पश्चात्नेहरू्एक्कररश्माई्नेता्के्रूप्में्उभर्कर्‍ामने्आए्र्कयोंकक्तब्
उनके्कद्का्अन्य्द‍
ू रा्कोई्नेता्नहीं्र्ा।्
राजनीततज्ञ्ववशेषज्ञों्का्मानना्है ् कक्इंददरा्गााँधी्ने् भी्अपने् शा‍नकाल्में् कक‍ी्अन्य्‍दथय्को्
अपने्कद्तक्पहुाँचने्नहीं्ददया्तर्ा्बांग्लादे श्के्तनमासण्के्बाद्उनकी्ष्थर्तत्बहुत्ही्मजबूत्हो्गई्र्ी।्
वह्मंब्रत्रमंडल्के्प्रमख
ु ्ववभागों्को्अपने्क्षेत्राधधकार्में्रखती्र्ी।्1977्में्जब्जनता्दल्को्‍त्ता्लमली्तो्
ष्थर्तत् में् पररवतसन् आया।् गिबंधन् की् इ‍् ‍ाझा् ‍रकार् में् ‍ंयुर्कत् मंत्रीमंडल् का् तनमासण् होता् है ,् ष्ज‍में ्
मंब्रत्रयों्के्चयन्में् प्रधानमंत्री्का्अधधकार्‍ीलमत्हो्जाता्है ।्1989्के्आम्चुनावों्के्बाद्प्रधानमंत्री्की्

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ष्थर्तत्में्और्भी्पररवतसन्आया्है ,्अब्अल्पमत्की्गिबंधन्‍रकारें ्शा‍न्में्आने्लगी्और्प्रधानमंत्री्की्
ष्थर्तत्और्भी्कमजोर्हो्गई।््

‍ामान्य्रूप्‍े्भारत्में्प्रधानमंत्री्की्ष्थर्तत्मंब्रत्रमंडल्में ्किकेि्मैच्की्िीम्के्कैप्िन्जै‍ी्रही्है ।्
‍मकालीन्दौर्में्जहााँ्‍रकार्के्कायों्में्तनरं तर्ववथतार्होने्मंब्रत्रयों्पर्कायस्का्भार्तर्ा्दातयत्व्बढ़ा्है ,्
ष्ज‍्कारण्मंब्रत्रमंडलों्का्आकार्बड़ा्हुआ्है ।्‍ार््ही्‍ार््मंब्रत्रमंडल्‍लमततयों्के्गिन्में् भी्नेतत्ृ व्का्
प्रश्न्एक्जदिल्‍मथया्के्रूप्में् वपछले् कुछ्दशकों्में् ‍ामने् आया्है ।्कायों्के्ववथतार्एवं् ‍लमततयों्के्
नेतत्ृ व्की्उलझन्को्‍ुलझाने्हे तु्प्रधानमंत्री्पद्कफर्‍े्शष्र्कतशाली्हुआ्है ।्

अताः्हम्कह्‍कते्हैं्कक्प्रधानमंत्री्‍ंपूण्स मंत्रीपररषद्एवं्प्रशा‍न्का्तनरीक्षण्एवं्तनयंत्रण्करता्है ।्
यदद्कोई्प्रभावशाली्व्यष्र्कत्इ‍्पद्पर्तनयर्क
ु त्हो्जाता्है ्तो्इ‍्पद्का्महत्त्व्लगातार्बढ़ता्जाता्है ।

प्रधानमंिी तथा राटरपतत

भारतीय्‍ंववधान्के्खंड्5्के्अनुच्छे द्52्‍े् 78्तक्में् भारतीय्‍ंघ्की्कायसपाललका्का्वणसन्है ।्


‍ंघीय्कायसपाललका्में्राटरपतत,्उपराटरपतत,्प्रधानमंत्री,्मंब्रत्रमंडल,्महान्यायवादी्‍ष्म्मललत्है ।्कायसपाललका्के्
प्रधान्को्राटरपतत्कहा्जाता्है ।्भारतीय्‍ं‍दीय्शा‍न्प्रणाली्के्अंतगसत्राटरपतत्कायसपाललका्का्औपचाररक्
प्रधान्है ,्जो्मंत्रीमंडल्एवं् प्रधानमंत्री्के्‍हयोग्एवं् ‍लाह्‍े् कायों्को्‍ंपाददत्करता्है ।्कायसपाललका्का्
वाथतववक्प्रधान्प्रधानमंत्री्ही्है ।्औपचाररक्प्रधान्होने्के्कारण्हमने्अपने्राटरपतत्को्वाथतववक्शष्र्कतयााँ्
नहीं् दी् है ,् अवपतु् उ‍के् पद् को् गररमा् ‍े् युर्कत् बनाया् है ।् वे् राज्य् का् शष्र्कतशाली् शा‍क् होने् के् बजाय्
भारतीय् राज्य्की् एकता् एवं् अखंडता् के् प्रतीक् हैं।् उनकी् ष्थर्तत्भले् ही् वैधातनक् अध्यक्ष् की् है ,् कफर् भी्
शा‍न् में् उनका् पद् एक् धुरी् के् ‍मान् है ् जो् ‍ंकि् के् ‍मय् ‍ंवैधातनक् तंत्र् को् ‍ंतुललत् कर् ‍कता् है ।्
राजनीततक्ववशेषज्ञों्का्मत्है ्कक,्‍मधु चत्‍ंवैधातनक्प्रावधानों्के्उपरांत्भी्भारतीय्राटरपतत्का्पद,्उनके्
‍ंवैधातनक् एवं् राजनीततक् दातयत्व् तर्ा् राजनीततक् ‍ंथर्ा् के् रूप् में् उनकी् भूलमका् अभी् भी् वाद-वववाद् का्
ववषय्बनी्हुई्है ।्

जै‍ा्कक,्हम्पहले्चचास्कर्चुके्हैं्कक्‍ंवैधातनक्प्रावधानों्के्अंतगसत्यह्व्यवथर्ा्है ्कक,्प्रधानमंत्री्
अपने् मंब्रत्रमंडल्के्‍भी्तनणसयों्की्‍ूचना्राटरपतत्को्दें ् (अनुच्छे द्78)।्प्रधानमंत्री राटरपतत्एवं् मंब्रत्रमंडल्
के्बीच्एक्कड़ी्का्काम्करता्है ।्वह्राटरपतत्एवं्‍ं‍द्के्बीच्भी्एक्कड़ी्का्काम्करता्है ।्इ‍्‍ंदभस्
में्भारत्में्परं परा्र्ी्कक्प्रधानमंत्री्प्रत्येक्‍प्ताह्राटरपतत्‍े्भेंि्करने्राटरपतत्भवन्जाया्करते्र्े।्इंददरा्
गांधी्के्1980्में् ‍त्ता्में् पुन:्वाप‍ी्के्पश्चात्राटरपतत्एवं् प्रधानमंत्री्के्बीच्उत्पन्न्कुछ्अंतववसरोध्के्
कारण्यह्परं परा्‍माप्त्हो्गई।्‍न ््1987्में्राटरपतत्द्वारा्प्रधानमंत्री्राजीव्गााँधी्पर्‍ंववधान्एवं्लोकतंत्र्
के्‍ार््जुड़ी्परं पराओं् के्उल्लंघन्का्आरोप्लगाया।्राजीव्गााँधी्ने् इ‍्आरोप्का्खंडन्करते् हुए्थपटि्
ककया्कक्प्रधानमंत्री्का्यह्दातयत्व्होगा्कक्वह्‍रकारी्कायों्की्‍च
ू नाएाँ् राटरपतत्को्दें ् (अनच्
ु छे द्78)।्
राटरपतत्को्केवल्अपनी्थवीकृतत्दे नी्होती्है । राजीव्गााँधी्का्यह्तकस्‍ैद्धांततक्रूप्‍े् अनुच्छे द्78्का्
उल्लंघन्माना्जा्‍कता्है ।्र्कयोंकक्इ‍में्कत्तसव््य्शब्द्का्प्रयोग्ककया्गया्है ।्द‍
ू रे ्शब्दों्में,्प्रधानमंत्री्का्
यह्दातयत्व्है ्कक्वह्राटरपतत्को्शा‍न्‍ंबंधी्कायों्की्‍ूचनाएाँ्दे ,्उन‍े्लमलकर्‍लाह्मशवरा्करें ।्42वें्
एवं्44वें्‍ंववधान्‍ंशोधन्के्‍ार््ही्भारत्में्पूव्स की्परं परा्ललणखत्‍ंववधान्का्भाग्बन्गई।्इन्‍ंशोधनों्
के्फलथवरुप्राटरपतत्के्ववशेषाधधकारों्का्क्षेत्र्‍ीलमत्हो्गया।्अनच्
ु छे द्74(1)्थपटि्करता्है ्कक,्राटरपतत्
मंब्रत्रमंडल्की्‍लाह्के्अनु‍ार्ही्कायस्करें गे।्राटरपतत्ज्यादा्‍े्ज्यादा्मंब्रत्रमंडल्‍े्‍लाह्पर्‘‍मान्यत:्या्

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अन्य्प्रकार्‍े’्एक्बार्पुनाः्ववचार्करने्के्ललए्कह्‍कते्हैं्तर्ा्इ‍के्पश्चात्वे्उ‍्‍लाह्को्‍ंवैधातनक्
रूप्‍े्मानने्को्वववश्हैं।्

‍न ््1950्‍े्2019्तक्के्राटरपतत्और्प्रधानमंत्री्के्‍ंबंधों्के्ववश्लेषण्‍े्यह्ज्ञात्होता्है ्कक्इन्
दोनों्की्वाथतववक्ष्थर्तत्काफी्हद्तक्इनके्व्यष्र्कतत्व,्तात्काललक्पररष्थर्तत्तर्ा्प्रशा‍न्में्उनकी्ष्थर्तत्
पर्तनभसर्करती्है ।्यदद्राटरपतत्प्रभावशाली्व्यष्र्कतत्व्का्थवामी्है ्तो्वह्मंब्रत्रमंडल्के्तनणसय्को्काफी्हद्
तक्प्रभाववत्कर्‍कता्है ,्ककं तु् यदद्उ‍के्मुकाबले् में् प्रधानमंत्री्का्व्यष्र्कतत्व्अधधक्प्रभावशाली्है ,्जै‍ा्
कक्राजनीततज्ञ्ववद्वानों्का्मत्है ् कक्श्रीमती्इंददरा्गााँधी्के्‍ामने् राटरपतत्फखरुद्दीन्अली्अहमद्तर्ा्
ज्ञानी्जैल्ल‍ंह्एक्हथताक्षर्करने्की्मशीन्(Signing्Machine) ही्बनकर्रह्जाते्हैं।्

राटरपतत्एवं् प्रधानमंत्री्के्मध्य्‍ंबंधों्में् एक्अन्य् महत्त्वपण


ू ्स तथ्य् यह्भी्है ् कक्‍त्ता‍ीन्दल्या्
गिबंधन्के्नेता्के्रूप्में्प्रधानमंत्री्राटरपतत्के्चुनाव्में्महत्त्वपूण्स भूलमका्तनभाता्है ।्‍ामान्यताः्इ‍्कारण्
दोनों्के्बीच्परथपर्‍ामंजथयता्बनी्रहती्है ।्भारतीय्राजनीतत्के्गिबंधन्के्इ‍्दौर्ने् दोनों्के्‍ंबंधों्
को्पुनजासगत
ृ ्ककया्है ।्

प्रधानमंिी, दल और िंिद

‍ं‍दीय्लोकतंत्र्में्प्रधानमंत्री्लोक‍भा्का्‍दथय्होता्है ।्बहुमत्दल्का्नेता्होने्के्कारण्उ‍े्अन्य्
राजनीततक् दलों् अर्ासत् ववपक्षी् नेताओं् के् ‍ार्् वैचाररक् लभन्नता् तर्ा् प्रधानमंत्री् होने् के् कारण् थवभावताः्
शा‍कीय् दबाव् का् ‍ामना् करना् पड़ता् है ।् ‍ं‍द् के् पिल् पर् प्रथतुत् ककए् जाने् वाले् ववधेयक,् प्रथताव् एवं्
वावषसक्बजि्को्तनधासररत्करने् में् प्रधानमंत्री्की्अहम् भूलमका्होती्है ।् इ‍ी्तरह,् प्रश्नकाल,्ववश्वा‍्मत्
प्रथताव् या् अववश्वा‍् प्रथताव् इत्यादद् के् ‍मय् प्रधानमंत्री् को् वाथतववक् कायसपाललका्और् ‍त्ताधारी् दोनों् की्
भलू मकाओं्में्प्रश्नों्का्उत्तर्दे ना्पड़ता्है ।्कक‍ी्भी्प्रधानमंत्री्के्ललए्ववपक्ष्के्आरोपों्एवं्आलोचनाओं्का्
‍ामना्करना्कदिन्कायस्होता्है ।्प्रधानमंत्री्की्भूलमका्के्तनवसहन्में् उ‍े् अपने् थवयं् के्दल,्‍हयोगी्एवं्
ववपक्षी् दलों् के् ‍ां‍दों् की् क्षेत्रीय् तर्ा् व्यष्र्कतगत् ‍मथयाओं् का् ‍माधान् भी् करना् पड़ता् है ।् लोक‍भा् के्
अध्यक्ष्के्‍ार््लमलकर्बैिकों्की्कायस्‍ूची्तैयार्करने्तर्ा्‍दन्में्व्यवथर्ा्थर्ावपत्करने्में्भी्प्रधानमंत्री्
का्महत्त्वपूण्स योगदान्होता्है ।्प्रधानमंत्री्के्परामशस् ‍े्ही्राटरपतत्लोक‍भा्को्भंग्करता्है ।्‍ंववधान्के्
अनच्
ु छे द्85(2)्के्अन‍
ु ार्प्रधानमंत्री्लोक‍भा्को्भंग्करने्की्अनश
ु ं‍ा्राटरपतत्‍े्कर्‍कता्है ्और्आम्
चुनाव्की्मांग्करता्है ।्प्रधानमंत्री्के्पा‍्यह्एक्ऐ‍ा्हधर्यार्है ,्ष्ज‍‍े्वह्लोक्‍भा्के्‍दथयों्को्डरा्
धमका्‍कता्है ्और्लोक‍भा्अववश्वा‍्प्रथताव्के्नाम्पर्प्रधानमंत्री्को्मयासददत्कर्‍कती्है ।्

प्रधानमंत्री्अपने् दल्का्घोवषत्तर्ा्अघोवषत्‍वसमान्य्नेता्होता्है ।्आम्चुनाव्प्रधानमंत्री्का्चुनाव्


है ।्वह्उम्मीदवारों्के्चयन्का्अधधकार्रखता्है ।्दल्के्‍दथय्प्रधानमंत्री्के्मागसदशसन्में् ही्राजनीततक्
गततववधधयों्तनष्श्चत्करते् हैं।्दल्के्कायसिमों्को्उ‍का्‍मर्सन्प्राप्त्होता्है ।्प्रधानमंत्री्की्‍ंपण
ू ्स शष्र्कत्
इ‍्बात्पर्आधाररत्है ्कक्वह्अपने्दल्में्महत्त्वपूण्स थर्ान,्दलीय्नेतत्ृ व्को्‍क्षम्तर्ा्दल्के्बहुमत्का्
‍मर्सन्प्राप्त्कर्‍कने् में् ‍क्षम्है ् या्नहीं् है ?्यदद्उ‍का्दल्‍ं‍द्में् अपना्बहुमत्खो्दे ता्है ् अर्वा्
उ‍के्ववरुद्ध्ववद्रोह्कर्दे ्तो,्उ‍की्‍मथत्शष्र्कतयााँ्शून्य्हो्जाती्हैं।

‍ं‍दीय्लोकतांब्रत्रक्व्यवथर्ा्की्थर्ापना्के्बाद्‍े्भारत्में्दलीय्व्यवथर्ा्एवं्कायसपाललका्के्‍ंबंधों्
का्ववश्लेषण्करें ् तो्हम्पाएंगे् कक्प्रधानमंत्री्की्भलू मका्भारतीय्राजनीतत्पद्धतत्का्दीघसकालीन्वववादपण
ू ्स
ववषय्रहा्है ।्दल्की्ष्थर्तत,्भूलमका्तर्ा्प्रधानमंत्री्‍े् उ‍के्‍ंबंधों्को्‍ंववधान्में् भी्पररभावषत्कर्उ‍े
थपटि्नहीं्ककया्गया्है ।्यह्अततररर्कत्‍ंवैधातनक्‍ंरचना्के्रूप्में्परं पराओं,्राजनीततक्आवश्यकताओं्एवं्

36
पररष्थर्ततवश्ववकल‍त्एवं् पररभावषत्ककए्जाते् रहे ् हैं।्कभी्ये् वववाद्‍रकार्तर्ा्दल्के्दोनों्प्रमुख्को्
प्रधानमंत्री्बनाम्दलीय्अध्यक्ष्के्मध्य्खुलकर्मीडडया्के्माध्यम्‍े्‍ामने्आते्रहे ्हैं।्

राजनीततक्ववशेषज्ञों्के्अनु‍ार्पंडडत्जवाहरलाल्नेहरू्के्कायसकाल्में् दल्की्शष्र्कत्‍रकार्के्हार्ों्
में् केंदद्रत्र्ी,्ककं त्ु उनकी्मत्ृ य्ु के्उपरांत्ष्थर्तत्बदल्गई्।्अब्तक्व्यवहाररक्रूप्‍े् दलीय्अध्यक्ष्का्
चुनाव्प्रधानमंत्री्करते् र्े,्ककं तु् पंडडत्नेहरू्की्मत्ृ यु् के्उपरांत्दल्के्अध्यक्ष्कामराज्ने् प्रधानमंत्री्के्रूप्
में् लाल्बहादरु ्शाथत्री्तर्ा्इंददरा्गााँधी्के्चयन्में् महत्वपूण्स भूलमका्तनभाई।्कांग्रे‍्पािी्के्ववभाजन्के्
पश्चात्कांग्रे‍्पािी्पर्इंददरा्गांधी्का्प्रभुत्व्थर्ावपत्हो्गया।्‍न्1977,्में् मोरारजी्दे ‍ाई्के्नेतत्ृ व्में्
जब्जनता्दल्की्‍रकार्बनी्तो्दल्के्अध्यक्ष्चंद्रशेखर्अपनी्‍ंवैधातनक्शष्र्कतयों्और्अधधकारों्के्प्रतत्
‍जग्नजर्आते् हैं।्जनता्दल्के्अल्पकालीन्शा‍न्के्पश्चात्1980,्में् इंददरा्गााँधी्पन
ु :्ववशाल्बहुमत्
के्‍ार््प्रधानमंत्री्बनी्और्दल्अध्यक्ष्का्पद्उ‍ी्प्रकार्पुन:्प्रभावहीन्हो्गया्जै‍े् 1971्के्बाद्हुआ्
र्ा।्उनकी्मत्ृ यु्के्उपरांत्उनके्पुत्र्राजीव्गााँधी्प्रधानमंत्री्एवं्दल्के्अध्यक्ष्बने।्दल्के्‍ंचालन्में्उनकी्
भूलमका् तनणासयक् रही।् राजीव् गांधी् के् पश्चात् बने् प्रधानमंत्री् अपने् दल् पर् मजबूत्पकड़् के् अभाव् में् एवं्
गिबंधनीय्अल्पकालीन्‍रकार्के्दौर्में्शष्र्कतशाली्प्रधानमंत्री्के्रूप्में्नहीं्उभर्‍के।्

2004्की्यप
ू ीए्‍रकार्में् डॉ.्मनमोहन्ल‍ंह्का्जनाधार्नहीं्होने्की्वजह्‍े् दल्एवं् अन्य्ववषयों्
पर्दल्अध्यक्ष्का्दबदबा्ददखाई्दे ता्है ।्वहीं् द‍
ू री्ओर्2014्में् एनडीए्की्बीजेपी्‍रकार्में् प्रधानमंत्री्
नरें द्र्मोदी्का्दल्एवं्अन्य्ववषयों्पर्प्रत्यक्ष्दबदबा्ददखाई्दे ता्है ।्इ‍्प्रकार्कहा्जा्‍कता्है ्कक्प्रधानमंत्री्
की्भूलमका,्दल्में्उ‍की्ष्थर्तत्एवं्कररश्माई्व्यष्र्कतव, चुनावी्भूलमका्एवं्जनता्के्‍मर्सन्पर्तनभसर्करता्
है ।्पंडडत्जवाहरलाल्नेहरू,्इंददरा्गााँधी, राजीव्गााँधी,्अिल्ब्रबहारी्वाजपेयी्तर्ा्नरें द्र्मोदी्इन्हीं्ववशेषताओं्
के्आधार्पर्अपने् दल्एवं्राटर्में् एक्मजबत
ू ्प्रधानमंत्री्के्रूप्में्ददखाई्ददए्ष्ज‍का्अन्य्प्रधानमंब्रत्रयों्
में्अभाव्रहा।्

प्रधानमंिी तथा गठबंधन राजनीतत का युग

भारतीय्राजनीतत्व्यवथर्ा्गिबंधन्के्दौर्‍े्गुजर्रही्है ।्भारत्में्गिबंधन्की्राजनीतत्की्शुरुआत्
एक्िलमक्ववका‍्प्रकिया्रही्है ्और्अभी्भी्ववका‍शील्है ।्बहुदलीय्व्यवथर्ा्में्गिबंधन्की्राजनीतत्ने्
एक्नया्रूप्प्रदान्ककया्है ।्ष्ज‍‍े्प्रधानमंत्री्की्शष्र्कतयााँ्एवं्कायस्भी्प्रभाववत्हुए्हैं।्‍न्1977,्में्केंद्र्
में्पहली्गैर्कांग्रे‍ी्गिबंधन्की्‍रकार्मोरारजी्दे ‍ाई्के्नेतत्ृ व्में्बनी।्इ‍्‍मय्मंब्रत्रमंडल्में्गुिबंदी्के्
कारण् प्रधानमंत्री् मोरारजी् दे ‍ाई् एवं् चरण् ल‍ंह् के् नेतत्ृ व् को् प्रत्यक्ष् चुनौततयों् का् ‍ामना् करना् पड़ा् और्
अंतताः्उनकी्कु‍ी्उनके्हार््‍े्तनकल्गई।्‍न ््1989,्के्बाद्‍े्कक‍ी्दल्को्आम्चुनाव्में्थपटि्बहुमत्
नही्लमलने् के्कारण्गिबंधन्की्राजनीतत्ने् राटरीय्दलों्के् महत्त्व्को्कमजोर्ककया।्1996्की्राटरीय्
लोकतांब्रत्रक् गिबंधन् (एनडीए)् की् ‍रकार् और् ‍ंयर्क
ु त् प्रगततशील् गिबंधन् (यप
ू ीए)् दो् गिबंधन् ‍रकारों् के्
कायसकाल्में्प्रधानमंत्री्की्ष्थर्तत्कमजोर्ही्ददखाई्दी।्‍ंवैधातनक्प्रावधानों्के्अनु‍ार्तो्मंब्रत्रयों्की्तनयुष्र्कत्
एवं् पदोन्नतत् राटरपतत् प्रधानमंत्री् की् ‍लाह् पर् ही् करते् हैं ,् परं तु् वाथतववकता् में् प्रधानमंत्री् की् तनयुष्र्कत्
गिबंधन् में् ‍ष्म्मललत् ववलभन्न् दलों् के् अध्यक्ष् अपने् दहतानु‍ार् करते् हैं।् इ‍् ष्थर्तत् में् प्रधानमंत्री् ‍दै व्
भयभीत्और्कमजोर्ददखाई्दे ता्है ।्गिबंधन्में् शालमल्पादिस यााँ् अपने् और्पािी्दहतों्के्अनुरूप्प्रधानमंत्री्
‍े्फै‍ले्करवाने्में्‍फल्रहे ्हैं,्जो्कक्लोकतंत्र्के्ललए्एक्गंभीर्धचंता्का्ववषय्है ।्मोरारजी्दे ‍ाई,्चरण्
ल‍ंह,्चंद्रशेखर,्आई.्के. गुजराल,्एच.्डी.्दे वगौड़ा, पी. वी.्नरल‍म्हा्राव्जै‍्े व्यष्र्कतत्व्अपनी्दल्की्दब
ु ल
स ता्
के्कारण्दब
ु ल
स ्प्रधानमंत्री्की्छवव्के्रूप्में् भारतीय्लोकतांब्रत्रक्इततहा‍्में् दजस् हैं।्वहीं् द‍
ू री्तरफ,्दलीय्

37
बहुमत्के्कारण्दल्एवं् जनता्पर्अपनी्मजबूत्पकड़्के्कारण्राजीव्गााँधी,्अिल्ब्रबहारी्वाजपेयी, नरें द्र्
मोदी्जै‍े्प्रधानमंत्री्ने्मजबत
ू ्प्रधानमंत्री्के्रूप्में्अपना्पदभार्‍ंभाला्एवं्कायसकाल्चलाया्है ।्इ‍्प्रकार्
यह्कहा्जा्‍कता्है ्कक्‍ं‍दीय्शा‍न्प्रणाली्में्प्रधानमंत्री्की्ष्थर्तत्गिबंधन्‍रकार्में्उ‍के्व्यष्र्कतत्व्
एवं्जनता्के्‍ार््उ‍की्‍ीधे्‍ंबंधों्पर्तनभसर्करती्है ।्

तनटकषश

प्रधानमंत्री् की् शष्र्कतयााँ् अ‍ीलमत् है ,् लेककन् वह् एक् तानाशाह् की् तरह् आचरण् नहीं् कर् ‍कता।् वह्
‍ंवैधातनक्तनयमों्कानूनों्के्अनु‍ार्प्रततबंधों्के्अधीन्रहकर्ही्कायस्करता्है ्एवं्इन्प्रततबंधों्की्अवहे लना्
करने् पर्उ‍का्अष्थतत्व्ही्खतरे ् में् पड़्जाता्है ।्लोकमत्की्जवाबदे हीता,्लोकमत्के्बहुमत्का्प्रततबंध,्
‍ार्ी्मंब्रत्रयों्द्वारा्अंकुश,्दलीय्प्रततबंध,्ववलभन्न्राज्यों्में्ववरोधी्पादिस यों्की्‍रकारें ,्राज्यों्के्मख्
ु यमंब्रत्रयों्
का्दबाव,्गिबंधन्में्‍ष्म्मललत्दलों्का्दबाव,्राटरपतत्का्परामशस,्बहुदलीय्व्यवथर्ा,्ववरोधी्दल,्थवतंत्र्
न्यायपाललका्एवं् तनटपक्ष्चुनाव्आयोग्के्रहते् हुए्भारत्का्कोई्भी्प्रधानमंत्री्तानाशाह्नहीं् बन्‍कता।्
वह्‍ंवैधातनक्‍ीमाओं्के्भीतर्रहकर्ही्अपनी्शष्र्कतयों्को्उपयोग्कर्‍कता्है ।्

उपरोर्कत्चचासओं्के्आधार्पर्हम्कह्‍कते्है ्कक,्भारतीय्‍ं‍दीय्लोकतांब्रत्रक्व्यवथर्ा्में्प्रधानमंत्री्
का् पद् ‍रकार् का् ‍ब‍े् महत्त्वपण
ू ्स पद् है ।् प्रधानमंत्री् की् ष्थर्तत् उ‍के् व्यष्र्कतत्व् पर,् अपने् दल् में् प्राप्त्
ष्थर्तत,्दे श्की्राजनीतत्में् प्राप्त्उ‍के्दल्की्ष्थर्तत्एवं् तत्कालीन्राटरीय्और्अंतरराटरीय्राजनीतत्में्
प्राप्त्‍फलता्एवं्अ‍फलताओं्पर्अधधक्तनभसर्होती्है ।्भारत्में्प्रधानमंत्री्द्वारा्तानाशाह्पूण्स ढं ग्‍े्कायस्
करने् की्‍ंभावनाएाँ् बहुत्कम्है ।्‍न्1977्के्लोक‍भा्चुनाव्में् अधधनायकवादी्इंददरा्गााँधी्को्हार्का्
‍ामना्करना्पड़ा।्‍ंक्षेप्में,्कहा्जा्‍कता्है ्कक्कक‍ी्भी्प्रधानमंत्री्की्‍त्ता्का्आधार्ब‍्यही्है ्कक्वह्
राटर्की्ककतनी््‍ेवा्कर्‍कता्है ।्ववगत्वषों्के्‍ंवैधातनक्‍ं‍दीय्इततहा‍्ने्यह्ल‍द्ध्कर्ददया्है ्कक्
भारत्का्प्रधानमंत्री्अपनी्अ‍ीलमत्शष्र्कतयों्के्पश्चात्भी्जनमत्के्ववरुद्ध्तनरं कुश्शा‍क्नहीं्बन्‍कता।्

िंदभश िूची

• Subash C. Kashyap, Our Constitution, NBT, Delhi,1994.


• G. Austin, Indian Constitution: Cornerstones of a Nation, Oxford, OUP,1966.
• D.D. Basu, Introduction to the Constitution of India, New Delhi, PHI, 1980.
• M.P. Singh & Rekha Saxena, Indian Politics, Contemporary Issues and Concerns, PHI, Delhi,2008.
• M.P. Singh & Rekha Saxena, Indian Politics, Constitutional Foundation and Institutional
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• A.S. Narang, Indian Government and Politics, New Delhi, Geetanjali,2000.
• Sudipta Kaviraj, Politics in India, Oxford.OUP,2000.
• Norman D. Palmer, The Indian Political System, Houghton Mifflin Company,1961.

कुछ महत्त्वपूणश प्रश्न

1. वाथतववक्कायसपालक्के्रूप्में्प्रधानमंत्री्के्कायों्एवं्शष्र्कतयों्की्वववेचना्कीष्जए?्

2. भारतीय्‍ं‍दीय्लोकतांब्रत्रक्शा‍न्व्यवथर्ा्में्प्रधानमंत्री्की्भूलमका्पर्प्रकाश्डाललए?्

3. प्रधानमंत्री्तर्ा्उ‍के्मंब्रत्रमंडल्के्बीच्‍ंबंधों्पर्दिप्पणी्कीष्जए?्

38
4. भारतीय्‍ं‍दीय्लोकतांब्रत्रक्शा‍न्व्यवथर्ा्में्राटरपतत्एवं्प्रधानमंत्री्के्मध्य्‍ंबंधों्पर्आलोचनात्मक्
‍मीक्षा्कीष्जए?्

5. मंत्रीपररषद्की्रचना,्शष्र्कत्एवं्कायों्का्‍मालोचनात्मक्ववश्लेषण्कीष्जए?्

6. प्रधानमंत्री्की्दल्एवं्‍ं‍द्में्भूलमका्का्अध्ययन्कीष्जए?

7. गिबंधन्राजनीतत्के्दौर्में्प्रधानमंत्री्की्भलू मका्पर्तनबंध्ललणखए?

39
पाि्2

िंिद
मनीष्कुमार

प्रस्तावना

‍ं‍द्केन्द्र्‍रकार्का्ववधायी्अंग्है ।्भारतीय्लोकताष्न्त्रक्व्यवथर्ा्में् ‍ं‍द्एक्ववलशटि्व्केन्द्रीय्


थर्ान्रखती्है ।्भारत्का्‍ंववधान्‍ं‍दीय्थवरूप्की्व्यवथर्ा्करता्है ।्‍ं‍दीय्‍रकार्को्‘कैब्रबनेि्‍रकार’्
या्‘उत्तरदायी्‍रकार’्या्‘‍रकार्का्वेथिलमंथिर्थवरूप’्भी्कहते् हैं् तर्ा्यह्ब्रििे न , जापान, कनाडा, भारत्
आदद्में्प्रचललत्है ।्आइवर्जेतनंग्‍्ने्‍ं‍दीय्व्यवथर्ा्को्‘केब्रबनेि्व्यवथर्ा’्कहा्है ्र्कयोंकक्इ‍में ्शष्र्कत्का्
केन्द्र ब्रबंद्ु कैब्रबनेि्होता्है ।्‍ं‍दीय्‍रकार्को्‘उत्तरदायी्‍रकार’्के्रूप्में् भी्जाना्जाता्है , र्कयोंकक्इ‍में्
कैब्रबनेि्(वाथतववक्कायसकाररणी)्‍ं‍द्के्प्रतत्उत्तरदायी्होती्है , और्इनका्कायसकाल्तब्तक्चलता्है , जब्
तक् उन्हें ् ‍ं‍द् का् ववश्वा‍् प्राप्त् है ।् ‍ं‍दीय् व्यवथर्ा् का् प्रादभ
ु ासव् करने् वाली् ब्रिदिश् ‍ं‍द् के् उद्भव् के्
उपरान्त्इ‍े्‘‍रकार्का्वेथिलमंथिर्मॉडल’्भी्कहा्जाने्लगा्है ।

भारतीय् ‍ं‍द् एकाएक् प्रकि् नहीं् हुई् है , यह् ब्रिदिश् शा‍न् के् दौरान् ववशेषकर् 1858् ‍े् धीरे -धीरे ् तब्
उद्भूत् हुई् जब् ब्रिदिश् ‘िाउन’् ने् ईथि् इंडडया् कम्पनी् ‍े् भारत् पर् प्रभु‍त्ता् ग्रहण् कर् ली।् भारत् ‍रकार्
अधधतनयम्1858्द्वारा्‘िाउन’्की्शष्र्कतयों्का्प्रयोग्एक्कॉउष्न्‍ल्ऑफ्इष्ण्डया्की्मदद्‍े् भारत्हे तु्
राज्य-‍धचव् द्वारा् ककया् जाना् र्ा।् यह् राज्य-‍धचव, जो् ब्रिदिश् ‍ं‍द् के् प्रतत् उत्तरदायी् र्ा् उच्च् ‍रकारी्
पदाधधकाररयों् वाली् एक् कायसकारी् पररषद् की् मदद् ‍े, गवनसर-जनरल् के् द्वारा् भारत् पर् शा‍न् करता् र्ा।्
कक‍ी्प्रकार्का्कोई्शष्र्कत-पर्
ृ र्ककरण्नहीं्र्ा, ‍भी्शष्र्कतयााँ-ववधायी, कायसकारी, ‍ैन्य्तर्ा्अ‍ैतनक-पररषद्में ्
इ‍्गवनसर्जनरल्में्तनदहत्र्ी।

भारतीय् पररषद् अधधतनयम् 1861् ने् र्ोड़ी-बहुत् लोकवप्रयता् पाना् आरम्भ् ककया् र्कयोंकक् इ‍ने् कायसकारी्
पररषद्में् कुछ्अततररर्कत्गैर-राजकमसचाररयों्को्शालमल्ककया्र्ा्और्उनको्ववधायी्व्यव‍ाय्के्लेन -दे न्में्
भाग्दे ने् की्अनम
ु तत्दे ् दी्गई्र्ी।्ववधायी्पररषद्न्तो्मंत्रणात्मक्र्ी्और्न्ही्प्रतततनधधयात्मक।्इ‍के्
‍दथय, नामांककत्होते् र्े् और्उनकी्भलू मका्गवनसर-जनरल्द्वारा्रखे् गए्ववधायी्प्रथतावों्पर्ववचार्करने्
मात्र्तक्‍ीलमत्र्ी।

भारतीय्पररषद्अधधतनयम्1892्ने्दो्महत्त्वपूण्स ‍ुधार्ककए।्प्रर्म-भारतीय्कायसकाररणी्पररषद्के्गैर-
पदे न्‍दथय्अब्‍े्बंगाल्चैम्बर्ऑफ्कॉम‍स्तर्ा्प्रोववष्न्‍अल्लैष्जथलेदिव्कॉष्न्‍लो्द्वारा्नामांककत्ककए्
जाते्र्े्जबकक्प्रोववष्न्‍ल्कॉष्न्‍लों्के्गैर-पदे न्‍दथय्ववश्वववद्यालयों, ष्जला्बोडों, नगरपाललकाओं्जै‍े्कुछ्
थर्ानीय्तनकायों्द्वारा्नामांककत्ककए्जाते् र्े।्द‍
ू रे —ये् कॉउष्न्‍ल्बजि्पर्चचास् करने् तर्ा्कायसकाररणी्‍े्
शंका-‍माधान्कराने्में्‍क्षम्बना्ददये्गये्र्े।

मॉले-लमण्िो्‍ुधारों्पर्आधाररत्इष्ण्डयन्कॉष्न्‍ल्एर्कि, 1909्ने् पहली्बार्प्रतततनधधत्व्के्‍ार्-‍ार््


लोकवप्रय् अलभलक्षणों् को् भी् प्रवेश् ददया।् केन्द्र् में , ववधायी् पररषद् में् तनवासचन् शुरू् ककया् गया।् यद्यवप्
पदाधधकाररयों्ने्बहुमत्अभी्तक्कायम्रखा्र्ा्तर्ावप्प्रान्तों्में ्प्रोववष्न्‍अल्लेष्जथलेदिव्कॉष्न्‍ल्का्आकार्
तनवासधचत्गैर-पदे न्‍दथयों्को्शालमल्कर्बढ़ा्ददया्गया्ताकक्ये् पदाधधकारी्कफर्‍े् बहुमत्न्जुिा्पाएाँ।्
इ‍्अधधतनयम्ने्कायसकाररणी्पररषद्के्मंत्रणात्मक्प्रकायों्को्बढ़ावा्ददया्और्उन्हें ् बजि्तर्ा्जनदहत्के्
कक‍ी्भी्अन्य्ऐ‍े् मामले् पर्दृढ़-प्रततज्ञता्प्रथतत
ु ्करने् का्अव‍र्ददया्जो्कुछ्ववलशटि्ववषयों्जै‍े् कक्
‍शथत्र्बल, ववदे श्मामले्तर्ा्भारत्राज्य्आदद्को्छोड़कर्हां।्भारत्‍रकार्अधधतनयम, 1915्ने्‍भी्पव
ू ्स

40
अधधतनयमों्को्शालमल्ककया्ताकक्कायसकाररणी, ववधातयका्तर्ा्वैधातनक्प्रकायस् कक‍ी्एक्ही्अधधतनयम्‍े्
व्युत्पन्न्ककए्जा्‍कें।

भारत्‍रकार्अधधतनयम, 1919्‍े् उद्गलमत्ववधायी्‍ुधारों्का्अगला्चरण्प्रान्तों्में् उत्तरदायी्‍रकार्


के्रूप्में्कुछ्और्ववधायी्‍ुधार्लेकर्आया।्केन्द्र्में्ववधातयका्को्द्वव‍दनी्बना्ददया्गया्और्तनवासधचत्
बहुमत्को्दोनों्‍दनों्में्प्रववटि्कराया्गया।्तर्ावप, उत्तरदायी्‍रकार्का्कोई्भी्घिक्केन्द्र्में्प्रववटि्नहीं्
ककया् गया।् पररषद् में् गवनसर-जनरल् पहले् की् ही् भााँतत् राज्य-‍धचव् के् माध्यम् ‍े् ब्रिदिश् ‍ं‍द् के् प्रतत्
उत्तरदायी्बना्रहा।

भारत्‍रकार्अधधतनयम, 1935्भारतीय्राटरीय्नेताओं् और्ब्रििे न्के्बीच्अनेक्‍ष्न्ध-वातासओं् के्बाद्


अष्थतत्व्में्आया।्इ‍ने्ब्रिदिश्भारतीय्प्रान्तों्तर्ा्दे शज्राज्यों्वाले्एक्‍ंघ्की्अपेक्षा्की्र्ी।्इ‍ने्छाः्
राज्यों्में्द्वव‍दनी्ववधातयकाओं्को्प्रारम्भ्ककया।्इ‍ने्तीन्‍ूधचयों-केन्द्रीय्‍ूची, प्रान्तीय्‍ूची्और्‍मवती्
‍च
ू ी् के् माध्यम् ‍े् केन्द्र् व् प्रान्तीय् ववधायी् शष्र्कत् को् ‍ीमांककत् ककया।् बहरहाल, केन्द्रीय् कायसकाररणी् को्
ववधातयका्के्प्रतत्उत्तरदायी्नहीं्बनाया्गया।्गवनसर-जनरल्के्‍ार्-‍ार््‘िाउन’्भी्केन्द्रीय्ववधातयका्द्वारा्
पाररत् ववधेयकों् को् अथवीकार् कर् ‍कता् र्ा।् गवनसर-जनरल् के् पा‍् अध्यादे श-प्रारूपण् अधधकारों् के् अलावा्
ववधध-तनमासण् अर्वा् थर्ायी् अधधतनयमों् के् थवतन्त्र् अधधकार् भी् र्े।् इ‍् प्रकार् की् ‍ीमाएाँ् प्रोववष्न्‍अल्
लैष्जथलेचरों्के्मामले्में्भी्ववद्यमान्र्ी।

अन्तरासटरीय्राजनीततक्पररदृश्य्तर्ा्भारत्व्ब्रििे न्में्हालातों्ने्ब्रिदिश्‍रकार्को्थवतन्त्रता्हे त्
ु भारतीय्
दावे् के्एक्ववषम-मुखररत्थवीकरण्की्और्प्रवत
ृ ्ककया।्भारतीय्थवाधीनता्अधधतनयम, 1947्दो्थवतन्त्र्
उपतनवेश-भारत् और् पाककथतान् बना् कर् पा‍् ककया् गया।् प्रत्ये क् थवतन्त्र् उपतनवेश् को् पूरी् ववधध-तनमासण्
थवायत्तता्रखनी्र्ी।्1946्में् बनी्‍ंववधान्‍भा्द्वारा्जो्भी्प्रततबंध्हो, थवतन्त्र्उपतनवेश्की्ववधातयका्
के्अधधकार्ब्रबना्कक‍ी्प्रततबन्ध्के्व्यवहायस् र्े।्इ‍्‍ंववधान्‍भा्ने् भारतीय्‍ंववधान्अंगीकार्कर्ललया,
ष्ज‍्पर्26्नवम्बर्1950्को्राटरपतत्के्हथताक्षर्हुए।

िंिद का गठन
अनुच्छे द्79्के्प्रावधान्के्तहत, भारत्की्‍ं‍द्के्मुख्य-तीन्घिक्हैं-्राटरपतत, लोक‍भा्और्राज्य्
‍भा।्इनमें्लोक‍भा्भंग्ककए्जाने्की्ववषयवथतु्है , राज्य्‍भा्एक्थर्ायी्‍दन्है ्ष्ज‍को्भंग्नहीं्ककया्
जा्‍कता्है ।्राटरपतत्पद्कभी्भी्ररर्कत्नहीं्रहता्है ।

राटरपतत
भारत्का्राटरपतत्भारतीय्‍ं‍द्का्एक्अलभन्न्अंग्होता्है ।्तर्ावप्वह्दोनों्‍दनों्में्‍े्कक‍ी्में्भी्
न्तो्बैि्‍कता्है ्और्न्कायसवादहयों्में्भाग्लेता्है ।

भारत्का्राटरपतत्‍ं‍द्में् महत्त्वपूण्स भूलमका्तनभाता्है ।्राटरपतत्‍दन्को्एक्‍त्र्‍े् द‍


ू रे ् ‍त्र्तक्
उपष्थर्त्होने्के्ललए्आदे श्जारी्करता्है ्और्‍त्राव‍ान्करता्है ।्दोनों्‍दनों्द्वारा्पा‍्ककया्गया्कोई्
भी्ववधेयक्राटरपतत्की्‍हमतत्के्ब्रबना्कानून्नहीं्बन्‍कता्है ।्इ‍के्अलावा्कुछ्ववधेयक्तभी्लाए्जा्
‍कते् हैं् जब्राटरपतत्की्अनुशं‍ा्प्राप्त्हो्जाए।्जब्दोनों्ही्‍दनों्की्‍त्राव‍ान्ष्थर्तत्हो्तो्राटरपतत्
को्अध्यादे श्जारी्करने्का्अधधकार्भी्है ।्ये्अध्यादे श्यद्यवप्थवभावताः्अथर्ायी्होते्हैं्तर्ावप्‍ं‍द्द्वारा्
पा‍्ककए्गए्कक‍ी्अन्य्कानन
ू ्जै‍ा्ही्प्रभाव्और्शष्र्कत्रखते्हैं।

41
ववधायी र्ष्र्कतयााँ
राटरपतत्के्भारतीय्‍ं‍द्का्एक्अलभन्न्अंग्होने्के्नाते्तनम्नललणखत्ववधायी्शष्र्कतयााँ्प्राप्त्हैं—

1. वह् ‍ं‍द् की् बैिक् बुला् ‍कता् है ् अर्वा् कुछ् ‍मय् के् ललए् थर्धगत् कर् ‍कता् है ् और् लोक‍भा् को्
ववघदित् कर् ‍कता् है ।् वह् ‍ं‍द् के् ‍ंयुर्कत् अधधवेशन् का् आनवान् कर् ‍कता् है ् ष्ज‍की् अध्यक्षता्
लोक‍भा्अध्यक्ष्करता्है ।

2. वह्प्रत्येक्नए्चुनाव्के्बाद्तर्ा्प्रत्येक्वषस्‍ं‍द्के्प्रर्म्अधधवेशन्को्‍म््
बोधधत्कर्‍कता्है ।

3. वह्‍ं‍द्में्लष्म्बत्कक‍ी्ववधेयक्या्अन्यर्ा्कक‍ी्‍म्बन््
ध्में्‍ं‍द्को्‍ंदेश्भेज्‍कता्है ।

4. यदद्लोक‍भा्के्अध्यक्ष्व्उप-अध्यक्ष्दोनों्के्पद्ररर्कत्हो्तो्वह्लोक‍भा्के्कक‍ी्भी्‍दथय्को्
‍दन्की्अध्यक्षता्‍ौंप्‍कता्है ।्इ‍ी्प्रकार्यदद्राज्य्‍भा्के्‍भापतत्व्उप-‍भापतत्दोनों्का्पद्
ररर्कत्हो्तो्वह्राज्य‍भा्के्कक‍ी्भी्‍दथय्को्‍दन्की्अध्यक्षता्‍ौंप्‍कते्हैं।

5. वह्‍ादहत्य, ववज्ञान, कला्व्‍माज्‍ेवा्‍े्जुड़े्अर्वा्जानकार्व्यष्र्कतयों्में्‍े्12्‍दथयों्को्राज्य‍भा्


के्ललए्मनोनीत्कर्‍कता्है ।

6. वह्लोक‍भा्में्दो्आंग्ल-भारतीय्‍मुदाय्के्व्यष्र्कतयों्को्मनोनीत्कर्‍कता्है ।

7. वह्चुनाव्आयोग्‍े्परामशस्कर्‍ं‍द्‍दथयों्की्तनरहसता्के्प्रश्न्पर्तनणसय्करता्है ।

8. ‍ं‍द् में् कुछ् ववशेष् प्रकार् के् ववधेयकों् को् प्रथतत


ु ् करने् के् ललए् राटरपतत् की् ल‍फाररश् अर्वा् आज्ञा्
आवश्यक्है ।्उदाहरणार्स-भारत्की्‍ंधचत्तनधध्‍े् खचस् ‍म्बन््
धी्ववधेयक्और्राज्यों्की्‍ीमा्पररवतसन्
या्नए्राज्य्के्तनमासण्या्‍म््बष्न्धत्ववधेयक।

9. जब्एक्ववधेयक्‍ं‍द्द्वारा्पाररत्होकर्राटरपतत्के्पा‍्भेजा्जाता्है ्तो्वह-

(क) ववधेयक्को्अपनी्थवीकृतत्दे ता्है , अर्वा

(ख) ववधेयक्पर्अपनी्थवीकृतत्‍रु क्षक्षत्रखता्है , अर्वा

(ग) ववधेयक्को्‍ं‍द्के्पुनववसचार्के्ललए्लौिा्दे ता्है ।

नोिाः्हालााँकक्यदद्‍ं‍द्ववधेयक्को्‍ंशोधन्या्ब्रबना्कक‍ी्‍ंशोधन्के्पुनाःपाररत्करती्है ्तो्राटरपतत्
की्अपनी्‍हमतत्दे नी्अतनवायस्होती्है ।

10. राज्य्ववधातयका्द्वारा्पाररत्कक‍ी्ववधेयक्को्राज्यपाल्जब्राटरपतत्के्ववचार्के्ललए्‍ुरक्षक्षत्रखता्
है ्तब्राटरपतत

(क) ववधेयक्को्अपनी्थवीकृतत्दे ता्है , अर्वा

(ख) ववधेयक्पर्अपनी्थवीकृतत्‍ुरक्षक्षत्रखता्है , अर्वा

(ग) राज्यपाल्को्तनदे श्दे ता्है ्कक्ववधेयक्को्राज्य्ववधातयका्को्पुनववसचार्हे तु्लौिा्दे ।

नोिाः्यह्ध्यान्दे ने् की्बात्है ् कक्यदद्राज्य्ववधातयका्ववधेयक्को्पुनाः्राटरपतत्की्‍हमतत्के्ललए्


भेजती्है ्तो्राटरपतत्थवीकृतत्दे ने्के्ललए्बाध्य्नहीं्है ।

11. वह्‍ं‍द्के्‍त्राव‍ान्की्अवधध्में्अध्यादे श्जारी्कर्‍कता्है ।्यह्अध्यादे श्‍ं‍द्की्पुनाः्बैिक्के्


छाः्‍प्ताह्के्भीतर्‍ं‍द्द्वारा्अनुमोददत्करना्आवश्यक्है ।्यह्कक‍ी्अध्यादे श्को्कक‍ी्भी्‍मय्
वाप‍्ले्‍कता्है ।

42
12. वह्महातनयंत्रक्व्लेखा्परीक्षक, ‍ंघ्लोक्‍ेवा्आयोग, ववत्त्आयोग्व्अन्य्की्ररपोि्‍ं‍द्के्‍मक्ष्
रखता्है ।

लोकिभा

लोक‍भा्का्गिन—तनम्न्‍दन्अर्वा्जनता्के्‍दन्को्‍ाधारणताः्लोक‍भा्के्रूप्में्जाना्जाता्है ।्
इ‍के्‍दथय्जनता्द्वारा्‍ीधे् चुने् जाते् हैं।्लोक‍भा्की्अधधकतम्‍ंख्या्552्तनधासररत्की्गई्है ।्इनमें्
‍े्530्राज्यों्के्प्रतततनधध, 20्‍ंघ्राज्य्क्षेत्रों्के्प्रतततनधध्होते्हैं।्एंग्लो-इंडडयन्‍मुदाय्के्दो्‍दथयों्को्
राटरपतत् नालमत्या् नाम् तनदे लशत्करता् है ।् वतसमान् में् लोक‍भा्में् 545् ‍दथय् है ।् इनमें् ‍े् 530् ‍दथय्
राज्यों्‍े, 13्‍दथय्‍ंघ्राज्य्क्षेत्रों्‍े्और्दो्‍दथय्राटरपतत्द्वारा्नालमत्या्नाम्तनदे लशत्एंग्लो-इंडडयन्
‍मुदाय्‍े्हैं।

1. राज्यों का प्रतततनधधत्व—्लोक‍भा्में्राज्यों्के्प्रतततनधध्राज्यों्के्ववलभन्न्तनवासचन्क्षेत्रों्के्लोगों्द्वारा्
प्रत्यक्ष्रूप्‍े् तनवासधचत्होते् हैं।्भारत्के्हर्नागररक्को्ष्ज‍की्उम्र्18्वषस् ‍े् अधधक्है ् और् ष्ज‍े्
‍ंववधान्या्ववधध्के्उपबंधों्के्मुताब्रबक्अयोग्य्नहीं् िहराया्गया्हो, मत्दे ने् का्अधधकार्है ।्61वें्
‍ंववधान् ‍ंशोधन् अधधतनयम, 1988् द्वारा् मत् दे ने् की्आयु् ‍ीमा् को् 21् वषस् ‍े् घिाकर् 18् वषस् कर्
ददया।

2. िंघ राज्य क्षेिों का प्रतततनधधत्व—्‍ंववधान्ने्‍ं‍द्को्‍ंघ्राज्य्क्षेत्रों्के्प्रतततनधधत्व्को्चुनने्की्ववधध्


को्तनधासरण्का्अधधकार्ददया्है ।्इ‍ी्के्तहत्‍ं‍द्ने्‍ंघ्राज्य्क्षेत्र्अधधतनयम, 1965्बनाया, ष्ज‍के्
तहत्‍ंघ्राज्य्क्षेत्रों्में्प्रत्यक्ष्तनवासचन्के्तहत्लोक‍भा्के्‍दथय्चुने्जाते्हैं।

3. नासमत या नाम तनदे सर्त िदस्य—्अगर्एंग्लो-इंडडयन्‍मुदाय्का्लोक‍भा्में् पयासप्त्प्रतततनधधत्व्न्हो,


तो्राटरपतत्इ‍्‍मुदाय्के्दो्लोगों्को्नालमत्या्उनका्नाम्तनदे लशत्कर्‍कते् हैं।्शुरुआत्में् यह्
उपबंध्1960्तक्के्ललए्र्ी्लेककन्95वें्‍ंववधान्‍ंशोधन्अधधतनयम, 2009्में्इ‍्उपबंध्को्2020्
तक्के्ललए्बढ़ा्ददया्गया।

लोकिभा की चुनाव प्रणाली


लोक‍भा्चुनाव्प्रणाली्‍े्‍म्बष्न्धत्ववलभन्न्पहलू्इ‍्प्रकार्हैं—

प्रादे सर्क तनवाशचन क्षेि—लोक‍भा्के्ललए्प्रत्यक्ष्तनवासचन्कराने्के्ललए्‍भी्राज्यों्को्प्रादे लशक्तनवासचन्


क्षेत्रें्में्ववभाष्जत्ककया्गया्है ।्इ‍्‍म्बन्ध्में्‍ंववधान्में्दो्उपबंध्बनाए्हैं —

1. लोक‍भा्में् ‍ीिों्का्आवंिन्प्रत्येक्राज्य्को्ऐ‍ी्रीतत्‍े् ककया्जाएगा्कक्थर्ानों्की्‍ंख्या्‍े् उ‍्


राज्य्की्जन‍ंख्या्का्अनुपात्‍भी्राज्यों्के्ललए्यर्ा्‍ाध्य्एक्ही्हो।्यह्उपबंध्उन्राज्यों्पर्
लागू्नहीं्होगा्ष्जनकी्जन‍ंख्या्60्लाख्‍े्कम्है ।

2. प्रत्येक्राज्य्को्प्रादे लशक्तनवासचन्क्षेत्रों्में्ऐ‍ी्रीतत्‍े्ववभाष्जत्ककया्जाएगा्कक्प्रत्येक्तनवासचन्क्षेत्र्
की्जन‍ंख्या्का्उनको्आवंदित्थर्ानों्की्‍ंख्या्‍े्अनप
ु ात्‍मथत्राज्य्में्यर्ा‍ाध्य्एक्ही्हो।

‍ंक्षेप्में्‍ंववधान्‍ुतनष्श्चत्करता्है ्कक्(क)्राज्यों्के्बीच्(ख)्उ‍्राज्य्के्प्रादे लशक्तनवासचन्क्षेत्रों्के्


बीच, प्रतततनधधत्व् में् एकरूपता् हो।् ‘जन‍ंख्या’्‍े् आशय् अंततम् जन‍ंख्या् की् गणना् ‍े् है , ष्ज‍के् ‍ु‍ंगत्
आंकड़े्प्रकालशत्हो्गए्हैं।्प्रत्येक्जनगणना्की्‍माष्प्त्कर्पुनाः्‍मायोजन्ककया्जाता्है —

43
(क)्राज्यों्को्लोक‍भा्में्थर्ानों्का्आवंिन्और्

(ख)्प्रत्येक्राज्य्का्प्रादे लशक्तनवासचन्क्षेत्रों्में्ववभाजन।्

‍ं‍द्को्यह्अधधकार्है ्कक्वह्इ‍के्ललए्प्राधधकार्और्रीतत्का्तनधासरण्करें ।्इ‍ी्के्तहत, ‍ं‍द्ने्


1952, 1962, 1972्व्2002्में्परर‍ीमन्आयोग्अधधतनयम्लागू्ककए।

42वें्‍ंववधान्‍ंशोधन्अधधतनयम, 1976्में्प्रत्येक्राज्यों्को्लोक‍भा्में्थर्ानों्का्आवंिन्और्प्रत्येक्
राज्य्के्प्रादे लशक्तनवासचन्क्षेत्रों्में् ववभाजन्को्वषस् 2000्तक्ष्थर्र्कर्ददया्गया।्इ‍्प्रततबंध्को्84वें््
‍ंववधान् ‍ंशोधन् अधधतनयम, 2001् में् अगले् 25् वषों् के् ललए् बढ़ा् ददया् गया।् 84वें् ‍ंववधान् ‍ंशोधन्
अधधतनयम, 2001्की्जनगणना्की्जन‍ंख्या्के्आधार्पर्राज्य्के्प्रादे लशक्तनवासचन्क्षेत्रों्का्पुनाः्‍मायोजन्
एवं्‍ंयष्ु र्कतकरण्कर्‍कती्है ।्बाद्में्87वें्‍ंववधान्‍ंशोधन्अधधतनयम, 2003्में्तनवासचन्क्षेत्र्का्परर‍ीमन्
2001्की्जनगणना्के्आधार्पर्करने्के्ललए्कहा्गया्न्कक्1991्की्जनगणना्के्आधार्पर।्हालााँकक्
इ‍्तरह्के्बदलाव्राज्यों्को्लोक‍भा्में्थर्ानों्के्आवंिन्की्‍ंख्या्को्ब्रबना्बदले्ककए्जाते्हैं।

अनुिूधचत जातत व जनजाततयों के सलए िीिों का आरक्षण


‍ंववधान्में्कक‍ी्धमस्ववशेष्की्प्रतततनधधत्व्पद्धतत्का्त्याग्ककया्है , लेककन्जन‍ंख्या्के्अनप
ु ात्के्
आधार् पर् अनु‍ूधचत् जाततयों् व् जनजाततयों् के् ललए् लोक‍भा् में् ‍ीिें ् आरक्षक्षत् की् गई् है ।् आरम्भ् में् यह्
आरक्षण्द‍्वषस्के्ललए्ककया्गया्र्ा।्इ‍के्बाद्इ‍े्प्रत्येक्द‍्वषस्बाद्अगले्द‍्वषस्तक्के्ललए्बढ़ा्
ददया्गया।्95वें्‍ंववधान्‍ंशोधन्अधधतनयम, 2009्में्इ‍्आरक्षण्को्2020्तक्के्ललए्बढ़ा्ददया्गया।

अहशताएाँ
‍ंववधान्ने्लोक‍भा्में्चुने्जाने्के्ललए्तनम्नललणखत्अहसताएाँ्तनधासररत्की्हैं—

➢ उ‍े्भारत्का्नागररक्होना्चादहए।
➢ उ‍की्आयु्कम्‍े्कम्25्वषस्होनी्चादहए।
➢ उ‍के्पा‍्ऐ‍ी्अन्य्अहसताएाँ्होनी्चादहए, जो्‍ं‍द्द्वारा्मााँगी्गई्हों।

लोकिभा अध्यक्ष
पहली् बैिक् के् पश्चात ्् उपष्थर्त् ‍दथयों् के् बीच् ‍े् अध्यक्ष् का् चुनाव् ककया् जाता् है ।् जब् अध्यक्ष् का्
थर्ान् ररर्कत् होता् है ् तो् लोक‍भा् इ‍् ररर्कत् थर्ान् के् ललए् अन्य् ‍दथय् को् चन
ु ती् है ।् राटरपतत् लोक‍भा्
अध्यक्ष्के्चुनाव्की्तारीख्तनधासररत्करता्है ।्आमतौर्पर्अध्यक्ष्लोक‍भा्के्जीवनकाल्तक्पद्धारण्
करता्है ।

अध्यक्ष्‘लोक‍भा्व्उ‍के्प्रतततनधधयों’्का्मुणखया्होता्है ।्वह्‍दथयों्की्शष्र्कतयों्व्ववशेषाधधकारों्का्
अलभभावक्होता्है ।्वह्‍दन्का्मुख्य्व्प्रवर्कता्होता्है ् और्‍भी्‍ं‍दीय्मामलों्में् अध्यक्ष्का्तनणसय्
अष्न्तम्होता्है ।्इ‍्पद् पर्अध्यक्ष्के्पा‍्अ‍ीम्व्महत्त्वपण
ू ्स ष्जम्मेदाररयााँ् है ् तर्ा्वह्‍दन्के्अन्दर्
‍म्मान, उच्च् प्रततटिा् व् ‍वोच्च् अधधकार् का् उपभोग् करता् है ।् लोक‍भा् का् अध्यक्ष् तीन्स्रोतों-भारत्का्
‍ंववधान, लोक‍भा्की्प्रकिया्तर्ा्कायस्‍ंचालन्तनयम्तर्ा्‍ं‍दीय्परम्पराओं्‍े्अपनी्शष्र्कतयों्व्कत्तसव्यों्
को्प्राप्त्करता्है ।्अध्यक्ष्की्शष्र्कतयााँ्व्कत्तसव्य्तनम्नललणखत्है -

1. ‍दन्की्कायसवाही्व्‍ंचालन्के्ललए्वह्तनयम्व्ववधध्का्तनवसहन्करता्है ।्यह्उ‍का्प्रार्लमक्कत्तसव्य्
है ।्उ‍का्तनणसय्अष्न्तम्होता्है ।

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2. अध्यक्ष्का्यह्कत्तसव्य्है ् कक्गणपूततस् (कोरम)्के्अभाव्में् ‍दन्को्थर्धगत्कर्दे ।्‍दन्की्बैिक्के्
ललए्गणपूततस, ‍दन्की्‍ंख्या्का्10वााँ्भाग्होता्है ।

3. अध्यक्ष्‍ामान्य्ष्थर्तत्में् मत्नहीं् दे ता्है ् परन्तु् बराबरी्की्ष्थर्तत्में् वह्तनणासयक्मत्दे ् ‍कता्है ।्


द‍
ू रे ् शब्दों्में, कक‍ी्मद्
ु दे ् पर्अगर्‍दन्‍मान्रूप्‍े् ववभाष्जत्हो्तो्वह्अपने् मत्का्प्रयोग्कर्
‍कता्है ।्ऐ‍े्मत्को्तनणासयक्मत्कहा्जाता्है ्इ‍का्तात्पयस्गततरोध्को्‍माप्त्करना्है ।

4. अध्यक्ष, ‍ं‍द्के्दोनों्‍दनों्की्‍ंयुर्कत्बैिक्की्अध्यक्षता्करता्है ।्‍दनों्के्बीच्ववधेयक्पर्गततरोध्


‍माप्त्करने्के्ललए्राटरपतत्‍ंयुर्कत्बैिक्बुलाता्है ।

5. ‍दन्के्नेता्के्आग्रह्पर्वह्गुप्त्बैिक्बुला्‍कता्है ।्जब्गुप्त्बैिक्की्जाती्है ्तो्कक‍ी्अनजान्


व्यष्र्कत्को्चैम्बर्या्गैलरी्में्जाने्की्इजाज़त्नहीं्होती्है ।

6. अध्यक्ष्यह्तय्करता्है ्कक्ववधेयक, धन्ववधेयक्है ्या्नहीं्और्उ‍का्तनणसय्अष्न्तम्होता्है ।्राज्य‍भा्


में् ल‍फाररश्या्राटरपतत्की्‍हमतत्के्ललए्भेजा्जाने् वाला्ववधेयक्अध्यक्ष्द्वारा्‍त्यावपत्होता्है ्
कक्वह्धन्ववधेयक्है ।

7. द‍वीं्अनु‍ूची्के्तहत्दल-बदल्उपबन्ध्के्आधार्पर्अध्यक्ष्के्तनणसय्को्न्यायालय्में्चुनौती्दी्जा्
‍कती्है ।

8. वे्भारतीय्‍ं‍दीय्‍मूह्के्पदे न्‍भापतत्के्रूप्में्कायस्करते्हैं्जो्भारतीय्‍ं‍द्और्ववश्व्के्ववलभन्न्
‍ं‍दों् के् बीच् एक् कड़ी् है ।् वे् दे श् में् ववधायी् तनकायों् के् पीिा‍ीन् अधधकाररयों् के् ‍म्मेलन् के् पदे न्
‍भापतत्के्रूप्में्भी्कायस्करते्हैं।

9. वह्लोक‍भा्की्‍भी्‍ं‍दीय्‍लमततयों्के्‍भापतत्तनयुर्कत्करता्है ्और्उनके्कायों्का्पयसवेक्षण्करता्
है ।्वह्थवयं्भी्कायस्मंत्रणा्‍लमतत, तनयम्‍लमतत्व्‍ामान्य्प्रयोजन्‍लमतत्का्अध्यक्ष्होता्है ।

िामातयक अध्यक्ष (प्रोिे म)


‍ंववधान्में्व्यवथर्ा्है ्कक्वपछली्लोक‍भा्के्अध्यक्ष्नई्लोक‍भा्की्पहली्बैिक्के्िीक्पहले्तक्
अपने् पद् पर् रहता् है ।् इ‍ललए् राटरपतत, लोक‍भा् के् एक् ‍दथय् को् ‍ामातयक् अध्यक्ष् तनयुर्कत् करता् है ।्
आमतौर्पर्लोक‍भा्के्वररटि्‍दथय्को्इ‍के्ललए्चन
ु ा्जाता्है ।्राटरपतत्खद
ु ्‍ामातयक्अध्यक्ष्को्शपर््
ददलाता्है ।्‍ामातयक्अध्यक्ष्को्थर्ायी्अध्यक्ष्के्‍मान्ही्शष्र्कतयााँ् प्राप्त्होती्हैं।्वह्नई्लोक‍भा्की्
पहली्बैिक्में् पीिा‍ीन्अधधकारी्होता्है ।्उ‍का्मुख्य्कत्तसव्य्नए्‍दथयों्को्शपर््ददलवाना्है ।्वह्‍दन्
को्नए्अध्यक्ष्का्चुनाव्करने् के्ललए्मदद्करता्है ।्जब्नया्अध्यक्ष्चुन्ललया्जाता्है ् तो्‍ामातयक्
अध्यक्ष्का्पद्खुद्‍माप्त्हो्जाता्है ।

राज्य िभा

राज्य िभा का गठन


राज्य‍भा् की् अधधकतम् ‍ंख्या् 250् तनधासररत् है ।् इनमें् ‍े् 238् ‍दथय् राज्यों् व् ‍ंघ् राज्य् क्षेत्रों् के्
प्रतततनधध्होंगे, जबकक्12्‍दथय्राटरपतत्द्वारा्मनोनीत्ककए्जाएाँ गे।्वतसमान्में्राज्य‍भा्में्245्‍दथय्
हैं इनमें् 229्‍दथय्राज्यों्का्प्रतततनधधत्व्करते् हैं, चार्‍ंघ्राज्य्क्षेत्रों्का्प्रतततनधधत्व्करते् हैं् और्12्
‍दथय्राटरपतत्द्वारा्मनोनीत्हैं।्‍ंववधान्की्चौर्ी्अनु‍ूची्में्राज्य‍भा्के्ललए्राज्यों्व्‍ंघ्राज्य्क्षेत्रों्

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में् ‍ीिों्के्आवंिन्का्वणसन्ककया्गया्है ।्लोक‍भा्‍े् लभन्न्राज्य्‍भा्में् अनु‍ूधचत्जातत्व्अनु‍ूधचत्
जनजातत्के्ललए्आरक्षण्का्कोई्प्रावधान्नहीं्है ।

1. राज्यों का प्रतततनधधत्व—्राज्य‍भा्में्राज्यों्के्प्रतततनधध्का्तनवासचन्राज्य्ववधान‍भा्के्तनवासधचत्‍दथय्
करते्हैं।्चन
ु ाव्अनप
ु ावत्तक्प्रतततनधधत्व्पद्धतत्के्अनु‍ार्एकल्‍ंिमणीय्मत्द्वारा्होता्है ।्राज्य‍भा्
के् ललए् राज्यों् की् ‍ीिों् का् बाँिवारा् उनकी् जन‍ंख्या् के् आधार् पर् ककया् जाता् है ।् इ‍ललए् राज्य् के्
प्रतततनधधयों्की्‍ंख्या्अलग-अलग्राज्यों्में् अलग्होती्है ।्उदाहरण्थवरूप-उत्तर्प्रदे श्‍े् 31्‍दथय्हैं्
जबकक्ब्रत्रपूरा्‍े्एक्‍दथय्है ।

2. िंघ राज्य क्षेिों्का प्रतततनधधत्व—्राज्य‍भा्में्‍ंघ्राज्य्क्षेत्र्का्प्रत्येक्प्रतततनधध्इ‍्कायस्के्ललए्तनलमसत्


एक्तनवासचक्मंडल्द्वारा्चन
ु ा्जाता्है ।्यह्चन
ु ाव्भी्आनप
ु ाततक्प्रतततनधधत्व्पद्धतत्के्अन‍
ु ार्एकल्
‍ंिमणीय्मत्द्वारा्होता्है ।्‍ात्‍ंघशाल‍त्राज्य्क्षेत्रों्में् ‍े् ल‍फस्दो्के्प्रतततनधध्राज्य‍भा्में् हैं।्
अन्य्पांच्‍ंघ्शाल‍त्राज्यों्की्जन‍ंख्या्तुलनात्मक्रूप्‍े्काफी्कम्होने्के्कारण्राज्य‍भा्में्उन्हें ्
अलग्प्रतततनधधत्व्प्राप्त्नहीं्है ।
3. नासमत या नाम तनदे सर्त िदस्य—्राटरपतत्राज्य‍भा्में् बारह्ऐ‍े् ‍दथयों्को्नालमत्या्नाम्तनदे लशत्
करता्है , ष्जन्हें ् कला, ‍ादहत्य, ववज्ञान्और्‍माज्‍ेवा्ववषयों्के्‍म्बन्ध्में् ववशेष्ज्ञान्व्व्यवहाररक्
अनुभव्हो।्ऐ‍े्व्यष्र्कतयों्को्नामांककत्करने्के्पीछे ्उद्दे श्य्है ्कक्नामी्या्प्रल‍द्ध्व्यष्र्कत्ब्रबना्चुनाव्
के्राज्य‍भा्में्जा्‍कें।

अहशताएाँ
‍ंववधान्ने्राज्य‍भा्में्चन
ु े्जाने्के्ललए्तनम्नललणखत्अहसताएाँ्तनधासररत्की्हैंµ
1. वह्भारत्का्नागररक्होना्चादहए।
2. उ‍की्आयु्कम्‍े्कम्30्वषस्की्होनी्चादहए।
3. उ‍के्पा‍्ऐ‍ी्अन्य्अहसताएाँ्होनी्चादहए्जो्‍ं‍द्द्वारा्मााँगी्गई्हो।

राज्यिभा का िभापतत
राज्य‍भा्का्पीिा‍ीन्अधधकारी्‍भापतत्कहलाता्है ।्दे श्का्उपराटरपतत्इ‍का्पदे न्‍भापतत्होता्है ।्
जब्उपराटरपतत, राटरपतत्के्रूप्में् काम्करता्है ् तो्वह्राज्य‍भा्के्‍भापतत्के्रूप्में् काम्नहीं् करता्
है ।्राज्य‍भा्के्‍भापतत्को्तब्ही्पद्‍े् हिाया्जा्‍कता्है ् जब्उ‍े् उपराटरपतत्पद्‍े् हिा्ददया्जाए।्
पीिा‍ीन् अधधकारी् के् रूप् में् ‍भापतत् की् शष्र्कत् व् कायस् लोक‍भा् के् अध्यक्ष् के् ‍मान् होती् है ।् हालााँकक्
लोक‍भा्अध्यक्ष्के्पा‍्दो्ववशेष्शष्र्कतयााँ्होती्हैं्जो्‍भापतत्के्पा‍्नहीं ्होती्हैं—

1. लोक‍भा्अध्यक्ष्यह्तय्करता्है ् कक्कोई्ववधेयक्धन्ववधेयक्है ् या्नहीं, उ‍का्तनणसय्अंततम्होता्


है ।

2. लोक‍भा्अध्यक्ष, ‍ं‍द्की्‍ंयुर्कत्बैिक्का्पीिा‍ीन्अधधकारी्होता्है ।

अध्यक्ष्के्ववपरीत्‍भापतत्‍दन्का्‍दथय्नहीं्होता्है ।्परन्त्
ु अध्यक्ष्की्तरह्‍भापतत्भी्पहली्बार्
मत् नहीं् दे ् ‍कते।् मत् बराबर् होने् की् ष्थर्तत् में् ही् वह् तनणासयक् मत् दे ् ‍कते् हैं।् जब् उपराटरपतत् को्
‍भापतत्पद्‍े् हिाने् का्‍ंकल्प्ववचाराधीन्हो्तो्वह्राज्य‍भा्का्पीिा‍ीन्अधधकारी्नहीं् होगा्हालााँकक,
वह्‍दन्में्उपष्थर्त्रह्‍कता्है , बोल्‍कता्है ्लेककन्मत्नहीं्दे ्‍कता, जबकक्लोक‍भा्अध्यक्ष्पहली्
बार्मत्दे ् ‍कता्है ् अगर्उ‍े् हिाने् का्‍ंकल्प्ववचाराधीन्हो।्जब्उपराटरपतत, राटरपतत्के्रूप्में् कायस्

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करता्है ्तो्उ‍े्राज्य‍भा्‍े्कोई्वेतन्या्भत्ता्नहीं्लमलता्है ।्इ‍्अवधध्में्वह्राटरपतत्को्लमलने्वाले्
वेतन्एवं्भत्ते्को्प्राप्त्करता्है ।

बोध्प्रश्न-1

1. ‍ं‍द्का्‍दथय्बनने्के्ललए्कौन-कौन्‍ी्अहसताएाँ्‍ंववधान्में्तनधासररत्की्गई्हैं ?

2. लोक‍भा्के्अध्यक्ष्की्शष्र्कतयों्का्उल्लेख्करो।

िंिद में ववधायी प्रक्रिया


ववधध-तनमासण्ही्ववधातयका्का्प्रार्लमक्कायस् है ।्आधुतनक्‍माज्थवभावताः्बहुत्जदिल्होता्जा्रहा्है्
ष्ज‍के् कारण् ववधध-तनमासण् भी् एक् जदिल् प्रकिया् हो् गई् है ।् भारतीय् ‍ंववधान् ववधध-तनमासण् प्रकिया् के्
तनम्नललणखत्चरणों्का्उल्लेख्करता्है -

ववधध-तनमासण्का्प्रर्म्चरण्है -्एक्ववधेयक्की्प्रथतुतीकरण्ष्ज‍में्प्रथताववत्कानून्अलभव्यर्कत्होता्है ्
और् यह् ‘‘प्रयोजनों् तर्ा् हे तुओं् की् अलभव्यष्र्कत’’् के् ‍ार्् होता् है ।् ववधेयक् की् प्रथतुतीकरण् को् ववधेयक् का्
प्रर्म्वाचन्कहते् हैं।्ववधेयक्दो्प्रकार्के्होते् हैं:्‍ाधारण्ववधेयक्के् अलावा्कोई्भी्ववधेयक्‍ं‍द्के्
कक‍ी्भी्‍दन्में् पेश्ककया्जा्‍कता्है ् और्राटरपतत्की्‍हमतत्हे त्
ु प्रथतुत्ककए्जाने् ‍े् पव
ू ्स इ‍े् दोनों्
‍दनों्में्पाररत्ककए्जाने्की्आवश्यकता्होती्है ।्कोई्ववधेयक्एक्मंत्री्अर्वा्कक‍ी्गैर्‍रकारी्(गैर्मंत्री)्
‍दथय्द्वारा्पेश्ककया्जा्‍कता्है ।्‍दन्में् प्रथतुत्ककया्जाने् वाला्प्रत्येक्ववधेयक्राजपत्र्में् प्रकालशत्
करवाना्पड़ता्है ।्‍ामान्यताः्एक्ववधेयक्को्प्रथतुत्ककए्जाते् ‍मय्कोई्बह‍्नहीं् होती।्ववधेयक्प्रथतुत्
करने् वाला्‍दथय्ववधेयक्के्उद्दे श्यों्एवं् प्रयोजनों्को्इंधगत्करता्हुआ्एक्‍ंक्षक्षप्त्वववरण्दे ् ‍कता्है।्
यदद्ववधेयक्का्इ‍्चरण्में् ववरोध्होता्है ् तो्ववधेयक्का्ववरोध्करने् वाले् ‍दथयों्में् ‍े् एक्को्अपने्
तकस्दे ने् के्ललए्अनुमतत्दी्जा्‍कती्है ।्इ‍के्बाद्प्रश्न्मत्व्यर्कत्करने् हे तु् रखा्जाता्है ।्यदद्‍दन्
ववधेयक्की्प्रथतुतीकरण्के्पक्ष्में्है ्तब्यह्अगले्चरण्में्जाता्है ।

द‍
ू रे ् चरण्में, चार्वैकष्ल्पक्प्रकियाएाँ् होती्हैं।्अपनी्प्रथतुतीकरण्के्बाद, एक्ववधेयक्(क)्ववचारार्स्
ललया्जा्‍कता्है : (ख)्‍दन्की्एक्प्रवर्‍लमतत्के्पा‍्भेजा्जा्‍कता्है , (ग)्दोनों्‍दनों्की्एक्‍ंयुर्कत्
‍लमतत्के्पा‍्भेज्जा्‍कता्है , (घ)्जनमत्मााँगने्हे त्
ु जनता्के्बीच्लाया्जा्‍कता्है ।्जबकक्पहले्तीन्
ववकल्प्तनयलमत्ववधध-तनमासण्के्मामले् में् ‍ामान्यताः्अपनाए्जाते् हैं, अष्न्तम्ववकल्प्की्‍हायता्केवल्
तब्ली्जाती्है ्जब्प्रथताववत्ववधान्‘जन-वववाद्और्प्रयोजन-प्रवण’्हो।

ष्ज‍्ददन्इन्प्रथतावों्में्‍े्कोई्कायासष्न्वत्ककया्जाता्है ्तो्ववधेयक्के्ल‍द्धान्त्और्उ‍के्‍ामान्य्
प्रावधानों्पर्चचास्की्जा्‍कती्है ।्यदद्ववधेयक्ववचारार्स्ललया्जाता्है्तो्ववधेयक्में्‍ंशोधन्और्ववधेयक्
के्प्रावधानों्की्एक-एक्धारा्दृढ़ता्‍े् कही्जाती्है ।्यदद्ववधेयक्‍दन्की्प्रवर्‍लमतत्को्भेजा्जाता्है्
तो्वह्ववधेयक्पर्ववचार्करता्है ्और्अपनी्ररपोिस ्‍दन्को्ववचारार्स्पेश्करता्है ।्तब्ववधेयक्की्धाराएाँ्
ववचार्ककए्जाने्के्ललए्‍ावसजतनक्हो्जाती्हैं्और्‍ंशोधन्थवीकायस्होते्हैं।्यही्‍वासधधक्‍मय-व्ययी्चरण्
है ।्एक्बार्धारा-दर-धारा्ववचार्कायस् पूरा्हो्जाने् और्प्रत्येक्धारा्पर्मत्व्यर्कत्हो्जाने् के्बाद्ववधेयक्
का्द‍
ू रा्पािन्‍माप्त्हो्जाता्है ।
ती‍रे ् चरण् में-् प्रभारी् ‍दथय, ‘पाररत् ककए् जाने् वाले् ववधेयक’् का् प्रथताव् रखता् है ।् ती‍रे ् पािन् पर्
ववधेयक् की् प्रगतत् तीव्र् होती् है ् र्कयोंकक् ‍ामान्यताः् केवल् मौणखक् अर्वा् तनतान्त् औपचाररक् ‍ंशोधन् ही्

47
प्रथताववत् होते् हैं् और् बहुत् ही् ‍ंक्षक्षप्त् चचास् होती् है ।् एक् बार् ‍ंशोधनों् का् तनपिारा् होने् के् बाद, ववधेयक्
अंतताः्‍दन्में्पाररत्हो्जाता्है ।्तदप
ु रान्त, यह्द‍
ू रे ्‍दन्को्उ‍के्ववचारार्स्प्रेवषत्कर्ददया्जाता्है ।
जब्ववधेयक्द‍
ू रे ्‍दन्के्ववचारार्स्आता्है ्तब्उ‍को्उन्हीं्‍भी्चरणों्‍े्गुजरना्पड़ता्है ्जो्आरष्म्भक्
‍दन्में्र्े।्‍दन्के्‍ामने्तीन्ववकल्प्होते्हैंाः्(क)्वह्आरष्म्भक्‍दन्द्वारा्भेज्े गए्ववधेयक्को्अष्न्तम्
रूप्‍े्वै‍्े ही्पाररत्कर्‍कता्है , (ख)्यह्ववधेयक्को्पूण्स तनरथत्कर्‍कता्है ्अर्वा्आरष्म्भक्‍दन्को्
वाप‍्भेज्‍कता्है , (ग)्वह्ववधेयक्पर्कोई्कायसवाही्नहीं्भी्कर्‍कता्है ्और्यदद्ववधेयक्प्राष्प्त-ततधर््
के्बाद्छाः्माह्‍े्अधधक्पड़ा्रहे ्तो्यह्तनरथत्माना्जाता्है ।

आरष्म्भक्‍दन्अब्‍ंशोधनों्के्आलोक्में्लौिाए्गए्ववधेयक्पर्ववचार्करता्है ।्यदद्वह्‍ंशोधन्को्
मान्लेता्है ्तो्इ‍्आशय्का्एक्‍ंदेश्द‍
ू रे ्को्भेजता्है ।्यदद्वह्इन्‍ंशोधनों्को्थवीकार्नहीं्करता्है ,
तब्ववधेयक्द‍
ू रे ् ‍दन्को्इ‍्आशय्के्एक्‍ंदेश्के्‍ार््लौिा्ददया्जाता्है ।्ऐ‍ी्ष्थर्तत्में् जब्दोनों्
‍दनों् में् कोई् ‍हमतत् नहीं् बनती् तब् राटरपतत् दोनों् ‍दनों् की् एक् ‍ंयुर्कत् बैिक् बल
ु ाता् है ।् उपष्थर्त् एवं्
मतदान्करते् ‍दथयों्के्एक्‍ाधारण्बहुमत्द्वारा्यह्ववचाराधीन्प्रावधान्अष्न्तम्रूप्‍े् अंगीकार्अर्वा्
तनरथत्कर्ददया्जाता्है ।

वह् ववधेयक् जो् अष्न्तम् रूप् ‍े् दोनों् ‍दनों् द्वारा् पाररत् है , लोक् ‍भा् अध्यक्ष् के् हथताक्षर् के् ‍ार््
राटरपतत्को्उ‍की्‍हमतत्के्ललए्प्रथतुत्ककया्जाता्है ।्यह्‍ामान्यताः्अष्न्तम्चरण्होता्है ।्अगर्राटरपतत्
अपनी्‍हमतत्दे ् दे ता्है ् तब्ववधेयक्‘अधधतनयम’्बन्जाता्है ् और्ववधान-पुष्थतका्में् ललख्ददया्जाता्है ।्
यदद्राटरपतत्अपनी्‍हमतत्नहीं् दे ता्है ् तब्ववधेयक्‍माप्त्हो्जाता्है ।्राटरपतत्इ‍्पर्कफर्‍े् ववचार्
ककए्जाने्के्एक्‍ंदेश्के्‍ार््ववधेयक्‍दनों्में्पुनववसचार्हे तु्वाप‍्भी्कर्‍कता्है।्यदद्कफर्भी्‍दन्
ववधेयक् को् ‍ंशोधन् अर्वा् ब्रबना् ‍ंशोधन् पाररत् कर् दे ते् हैं् और् ववधेयक् राटरपतत् को् उ‍की् थवीकृतत् हे त्

द‍
ू री्बार्प्रथतुत्कर्ददया्जाता्है ्तब्राटरपतत्को्अपनी्‍हमतत्रोकने्का्कोई्अधधकार्नहीं्है ।

इ‍्प्रकार्ववधध्तनमासण्एक्लम्बी, कदिन्और्‍मय-व्ययी्प्रकिया्है —एक्र्ोड़े-‍े्‍मय्में्कोई्ववधेयक्


पाररत् करना् कदिन् हो् जाता् है ।् ववधेयक् का् ‍मुधचत् प्रारूपण् ‍मय् बचाता् है ् और् कुशलतापूण्स ववपक्ष् का्
‍मर्सन्मााँगने्के्काम्को्आ‍ान्बनाता्है ।

ववत्त्ववधेयक्कक‍ी्भी्ववधेयक्को्ववत्त-ववधेयक्तभी्कहा्जा्‍कता्है ् जब्वह्राजथव्तर्ा्व्यय्‍े्
‍ंबंधधत्हो।्परन्तु्ववत्त्ववधेयक्कोई्धन-ववधेयक्नहीं्होता्है ।्अनुच्छे द-110्के्अनु‍ार्कोई्भी्ववधेयक्तब्
तक् एक् धन-ववधेयक् नहीं् है ् जब् तक् वह् लोक‍भा् अध्यक्ष् द्वारा् प्रमाणणत् न् हो।् एक् धन-ववधेयक् को्
राज्य‍भा्में् प्रथतुत्नहीं् ककया्जा्‍कता्है ।्एक्बार्लोक्‍भा्द्वारा्पाररत्कर्ददए्जाने् के्बाद्धन-
ववधेयक्राज्य्‍भा्को्प्रेवषत्कर्ददया्जाता्है ।्राज्य्‍भा्कक‍ी्धन्ववधेयक्को्तनरथत्नहीं् कर्‍कती्
है ।्इ‍को्हर्हाल्में् ववधेयक्की्प्राष्प्त-ततधर््‍े् चौदह्ददनों्की्अवधध्के्भीतर्ववधेयक्को्लोक‍भा्को्
लौिा्दे ना्होता्है ।्उ‍के्बाद्लोक्‍भा्कक‍ी्भी्ल‍फाररश्को्थवीकार्अर्वा्तनरथत्कर्‍कता्है ।

यदद्लोक‍भा्कक‍ी्भी्ल‍फाररश्को्थवीकार्कर्लेती्है ्तो्धन-ववधेयक्दोनों्‍दनों्‍े्पाररत्हुआ्मान्
ललया्जाता्है ।्यदद्लोक‍भा्कक‍ी्भी्ल‍फाररश्को्नहीं्मानती्है ्तब्धन-ववधेयक्को्ब्रबना्कक‍ी्‍ंशोधन्
के्दोनों्‍दनों्द्वारा्पाररत्हुआ्मान्ललया्जाता्है ।्यदद्लोक‍भा्द्वारा्पाररत्और्राज्य्‍भा्को्उ‍की्
ल‍फाररशों्हे त्ु कोई्धन-ववधेयक्चौदह्ददनों्के्भीतर्उ‍को्वाप‍्नहीं् ककया्जाता्है ् तब्इ‍े् मल
ू ्रूप्में्
बताई्गई्अवधध्की्‍माष्प्त्पर्दोनों्द्वारा्पाररत्हुआ्मान्ललया्जाता्है ।

48
िंिदीय ववर्ेषाधधकार
‍ं‍द-‍दथयों्की्थवतन्त्र्और्कुशल्कायासत्मकता्हे त्
ु यह्आवश्यक्है ् कक्उनको्कुछ्ववशेषाधधकार्ददए्
जाएाँ।्‍ं‍द्‍दथयों्के्ललए्दो्प्रकार्के्ववशेषाधधकार्होते्हैंाः्पररगणणत्और्अगणणत्का्‍ंख्यात्मक्श्रेणी्के्
अन्तगसत्आने्वाले्मुख्य्ववशेषाधधकार्जो्एक्‍दथय्को्प्राप्त्है ्वे्हैंाः-्

(क) ‍ं‍द्के्प्रत्येक्‍दन्में ्बोलने्की्थवतन्त्रता्

(ख) कुछ्भी्कधर्त्अर्वा्मत्व्यर्कत्ककए्गए्के्‍म्बम्ध्में्कक‍ी्भी््न्यायालय्में्कायसवाही्‍े्प्रततरक्षा्

(ग) कक‍ी् भी् ररपोिस , कागजात, वविों् अर्वा् कायसवाही् की् ‍ं‍द् के् कक‍ी् भी् ‍दन् द्वारा् अर्वा् उ‍के्
अधधकाराधीन्प्रकाशन्के्‍म्बम्ध्में ्उत्तरदातयत्व्‍े्प्रततरक्षण्

(घ) ‍त्र्के्पूव्स और्पश्चात्40्ददन्की्अवधध्के्दौरान्ददवानी्मामलों्में्धगरफ्रतारी्‍े्मष्ु र्कत्और्

(ड़)् कक‍ी्न्यायालय्में्एक्गवाह्के्रूप्में्उपष्थर्त्होने्‍े्छूि।

अगणणत् श्रेणी् में् उ‍ी् प्रकार् के् ववशेषाधधकार् तर्ा् प्रततरक्षण् आते् हैं् जो् ब्रिदिश् ‍ं‍द् के् ‘हाउ‍् ऑफ्
कॉमन्‍’्के्‍दथयों्को्प्रदत्त्हैं।्‘हाउ‍्ऑफ्कॉमन्‍’्की्ही्भााँतत, ‍ं‍द्की्अवमानना्के्मामले्में्भारतीय्
‍ं‍द्को्कक‍ी्व्यष्र्कत्को्दं ड्दे ने्का्अधधकार्है , चाहे ्वह्‍दथय्हो्अर्वा्गैर-‍दथय।

कायशपासलका पर तनयंिण हे तु िंिदीय युष्र्कतयााँ


हमने् दे खा्‍ं‍द्के्महत्त्वपण
ू ्स कायों्में् ‍े् एक्है -्कायसकाररणी्को्तनयंब्रत्रत्करना।्इ‍्उद्दे श्य्‍े् इ‍के्
ललए्अनेक्किया-ववधधयााँ्है ।

‍ं‍द्में् कायसवाही्प्रकिया्और्प्रबन्ध्के्तनयम्व्यवथर्ा्दे ते् हैं् कक्जब्तक्पीिा‍ीन्अधधकारी्अन्यर्ा्


तनदे श्न्दें , प्रत्येक्बैिक्प्रश्न-काल्‍े् आरम्भ्हो, जो्कक्प्रश्न्पूछे् जाने् व्उत्तर्ददए्जाने् हे तु् ‍ुलभ्है ।्
प्रश्न् पूछना् ‍भी् ‍दथयों् का् वाथतववक् उद्दे श्य् होता् है —प्रशा‍न् की् कलमयों् को् ‍ुतनष्श्चत् करना् और् जहााँ्
नीतत्पहले्‍े्ही्अष्थतत्व्में ्है , उ‍्नीतत्में्‍मधु चत्पररवतसन्करना।

ऐ‍ी्ष्थर्तत्में् जब्कक‍ी्प्रश्न्का्उत्तर्प्रश्नकतास् ‍दथय्को्‍न्तुटि्नहीं् करता्और्यदद्वह्मह‍ू‍्


करता्है ्कक्‘जनदहत्में्ववथतत
ृ ्व्यवथर्ा’्की्आवश्यकता्है ्तो्वह्पीिा‍ीन्अधधकारी्‍े्एक्चचास्हे तु्तनवेदन्
कर्‍कता्है ।्पीिा‍ीन्अधधकारी्‍ामान्यताः्बैिक्के्अष्न्तम्आधे्घं िे्में्चचास्की्इजाज़त्दे ्‍कते्हैं।

‍दथयगण्पीिा‍ीन्अधधकारी्की्पूवासनुमतत्‍े् ‍ावसजतनक्महत्व्के्कक‍ी्भी्मामले् पर्कक‍ी्मंत्री्का्


ध्यान्आकवषसत्कर्‍कते्हैं्और्उ‍्मंत्री्‍े्उ‍्ववषय्पर्वर्कतव्य्दे ने्का्आग्रह्कर्‍कते्हैं।्मंत्री्या्तो्
उ‍ी्वर्कत्एक्‍ंक्षक्षप्त्वर्कतव्य्दे ्‍कता्है ्अर्वा्वर्कतव्य्दे ने्के्ललए्‍मय्मााँग्‍कता्है ।

‍दथय्‍रकार्को्कायसथर्गन्प्रथताव्की्शरण्लेने् ‍े् उत्पन्न्गंभीर्पररणाम्वाली्चूक्अर्वा्आचरण्


के्कक‍ी्हाल्में् तनणसय्के्ललए्फिकार्लगा्‍कते् हैं।्इ‍्प्रथताव्का्अलभप्राय्कक‍ी्ऐ‍े्मामले् पर्‍दन्
का्ध्यान्खींचना्होता्है ्ष्ज‍के्दे श्के्ललए्गंभीर्पररणाम्हो्‍कते्हैं्और्ष्ज‍के्‍म्बम्ध्में्कोई्‍मुधचत्
अधध‍च
ू नागत्प्रथताव्अर्वा्‍ंकल्प्बहुत्ववलंब्रबत्कदम्होगा।्कायसथर्गन्प्रथताव्एक्अ‍ाधारण्प्रकिया्है ्
जो्यदद्थवीकृत्हो्जाए्तो्‍ावसजतनक्महत्त्व्के्एक्तनष्श्चत्मामले्पर्चचास्हे तु्‍दन्की्‍ामान्य्कायसवाही्
को्एक्तरफ्रख्दे ना्होता्है ।्कक‍ी्कायसथर्गन्प्रथताव्का्थवीकरण्‍रकार्के्ललए्अलभवेचन्के्बराबर्है ।

इन्युष्र्कतयों्के्अततररर्कत, ‍ं‍द्ववलभन्न्‍दन्‍लमततयों्के्माध्यम्‍े्कायसकाररणी्पर्तनयन्त्रण्शष्र्कत्
का्प्रयोग्करती्है ।

49
िंिदीय िसमततयााँ—कायसकाररणी्की्‍ं‍द्के्प्रतत्उत्तरदे यता्और्कायसकारी्प्रकायों्की्कायस-ववधध्के्पयसवेक्षण्
तर्ा्‍ंवीक्षण्के्‍ं‍द्के्अधधकार्को्थवयं् ल‍द्ध्के्रूप्में् थवीकार्ककया्जाता्है ।्परन्तु् व्यवहार्में् कुछ्
अपररहायस् कारकों, जै‍े् कक्‍ं‍द्पर्दबाव्और्उ‍की्व्यवहायस् प्रकियाओं् की्वजह्‍े् एक्तनकाय्के्रूप्में्
‍ं‍द् के् ललए् यह् मष्ु श्कल् होता् है ् कक् वह् ददन-प्रततददन् प्रशा‍न् तर्ा् उ‍के् ववत्तीय् लेनदे न् की् ‍मीक्षा् के्
बहुआयामी्तर्ा्जदिल्वववरण्का्कायसभार्अपने् ऊपर्ले।्‍ं‍द्ने् यह्‍मथया्‍रकार्के्ववलभन्न्ववभागों्
के्कामकाज्की्‍ंवीक्षा्को्आवश्यक्अधधकार्रखने्वाली्‍लमततयों्की्एक्शंख
ृ ला्थर्ावपत्करके्हल्की्है ।
‍रकार् के् कायों् ववशेषकर् ‍ावसजतनक् ववत्त् आदद् के् क्षेत्र् में् ‍ंवीक्षा् करने् वाली् मुख्य् ‍लमततयों् में् दो्
‍लमततयााँ् उल्लेखनीय्हैं:्‍ावसजतनक्(लोक)्लेखा्‍लमतत्(PAC)्और्आकलन्‍लमतत्(EC)।्इन्दोनों्एवं्
अन्य् ‍लमततयों् ‍े् अपेक्षा् की् जाती् है ् कक् वे् कायसकाररणी् को् अपने् लशकंजे् में् रखें।् वे् इन् ‍भी् प्रथताववत्
नीततयों्‍े् एक्प्रभावी्तर्ा्ववशद्परीक्षा्‍ुतनष्श्चत्करती्हैं।्बहुधा्ये् ‍लमततयााँ् जनप्रचार्की्कोप-दृष्टि्‍े्
दरू ् एक् पक्षतनरपेक्ष् रीतत् ‍े् वववादाथ्पद् तर्ा् ‍ंवेदनशील् मामलों् पर् चचास् करने् के् ललए् एक् आदशस् ‍न्दभस्
प्रथतुत्करती्हैं।्वे् उ‍्अनुभव्तर्ा्योग्यता्के्‍दप
ु योग्हे तु् एक्उपयोगी्मंच्प्रथतुत्करती्हैं् जो्अन्यर्ा्
अप्रयोज्य्ही्रहें ।्वे्भावी्मंब्रत्रयों्तर्ा्पीिा‍ीन्अधधकाररयों्हे तु्एक्बहुमूल्य्प्रलशक्षण्आधार्तैयार्करती्हैं।

राज्यिभा की ष्स्थतत
राज्य‍भा्की्‍ंवैधातनक्ष्थर्तत्(लोक‍भा्की्तुलना्में)्का्तीन्दृष्टिकोणों्‍े्अध्ययन्ककया्जा्‍कता्
है -
1) जहााँ्राज्य‍भा्लोक‍भा्में्बराबर्हो।

2) जहााँ्राज्य‍भा, लोक‍भा्के्बराबर्नहीं्हो।

3) जहााँ्राज्य‍भा्की्ववशेष्शष्र्कतयााँ्हो।्ष्जनकी्दहथ‍ेदारी्लोक‍भा्के ्‍ार््नहीं्होती।्

लोकिभा के िाथ िमान ष्स्थतत—तनम्नललणखत्मामलों्में् राज्य‍भा्की्शष्र्कतयााँ् एवं् ष्थर्तत्लोक‍भा्के्


‍मान्होती्है -

➢ ‍ामान्य्ववधेयकों्का्प्रथतुतीकरण्और्उनको्पाररत्करना।

➢ ‍ंवैधातनक्‍ंशोधन्ववधेयकों्का्प्रथतुतीकरण्और्उनको्पाररत्करना।

➢ ववत्तीय्ववधेयकों्का्प्रथतत
ु ीकरण्ष्जनमें्भारत्की्‍ंधचत्तनधध्‍े्व्यय्शालमल्होता्है ।

➢ राटरपतत्का्तनवासचन्और्महालभयोग।

➢ उपराटरपतत्का्तनवासचन्और्पद्‍े् हिाया्जाना।्राज्य‍भा्‘उपराटरपतत’्को्अकेले् हिाने् की्पहल्


कर्‍कती्है ।्उ‍े्राज्य‍भा्के्ववशेष्बहुमत्‍ंकल्प्को्पाररत्कर्और्लोक‍भा्के्‍ामान्य्बहुमत्
की्थवीकृतत्द्वारा्पद्‍े्हिाया्जा्‍कता्है ।

➢ राटरपतत्को्उच्चतम्एवं्उच्च्न्यायालय्के्न्यायाधीशों, मख्
ु य्तनवासचन्आयर्क
ु त्एवं्लेखा्महातनयंत्रक्
को्हिाने्की्ल‍फाररश।

➢ राटरपतत्द्वारा्जारी्अध्यादे शों्की्थवीकृतत।

➢ राटरपतत्द्वारा्घोवषत्तीनों्प्रकार्के्आपातकालों्की्थवीकृतत।

➢ प्रधानमंत्री्‍दहत्मंब्रत्रयों्का्चयन।्‍ंववधान्के्अनु‍ार्प्रधानमंत्री्‍दहत्‍भी्मंत्री्दोनों्में्‍े्कक‍ी्
एक्‍दन्के्‍दथय्होने्चादहए।्हालााँकक्वे्केवल्लोक‍भा्के्प्रतत्उत्तरदायी्होते्हैं।

50
➢ ‍ंवैधातनक्इकाइयों्जै‍े-्ववत्त्आयोग, ‍ंघ्लोक्‍ेवा्आयोग, तनयंत्रक्एवं्महालेखा्परीक्षक्आदद्की्
ररपोिस ्पर्ववचार्करना।

➢ उच्चतम्न्यायालय्एवं्‍घ्लोक्‍ेवा्आयोग्के्न्याय्क्षेत्र्में्ववथतार।

लोकिभा के िाथ अिमान ष्स्थतत— तनम्नललणखत् मामलों् में् राज्य‍भा् की् शष्र्कतयााँ् एवं् ष्थर्तत् लोक‍भा् ‍े्
अ‍मान्है -

➢ धन-ववधेयक्का्ल‍फस्लोक‍भा्में्प्रथतुतीकरण्ककया्जा्‍कता्है ्राज्य्‍भा्में्नहीं।

➢ राज्य‍भा, धन्ववधेयक्को्अथवीकृत्या्‍ंशोधधत्नहीं्कर्‍कती।्उ‍े्इ‍्ववधेयक्को्ल‍फाररश्या्
ब्रबना्ल‍फाररश्के्14्ददन्के्भीतर्लोक‍भा्को्लौिाना्अतनवायस्है ।

➢ लोक‍भा्‘राज्य‍भा’्की्ल‍फाररशों्को्थवीकार्या्अथवीकार्कर्‍कती्है ।्दोनों्मामलों्में्इ‍े्दोनों्
‍दनों्द्वारा्थवीकृत्माना्जाएगा।

➢ ववत्त्ववधेयक्अकेले्अनुच्छे द्110्का्मामला्नहीं्है ।्इ‍े्ल‍फस्लोक‍भा्में्प्रथतुत्ककया्जा्‍कता्


है ्लेककन्इ‍े्पाररत्करने्के्मामलों्में्दोनों्की्शष्र्कतयााँ्‍मान्हैं।

➢ कोई्ववधेयक्धन्ववधेयक्है ्या्नहीं, इ‍े्बताने्की्अष्न्तम्शष्र्कत्लोक‍भा्अध्यक्ष्के्पा‍्है ।

➢ दोनों्‍दनों्की्‍ंयर्क
ु त्बैिक्की्अध्यक्षता्लोक‍भा्अध्यक्ष्करता्है ।

➢ ‍ंयुर्कत्बैिक्में् लोक‍भा्अधधक्‍ंख्या बल्के्कारण्जीतती्है ् ल‍वाय्इ‍के्कक्‍त्तारूढ़्पािी्के्


‍दथयों्की्‍ंख्या्दोनों्‍दनों्में्ववपक्ष्‍े्कम्हो।

➢ राज्य‍भा्ल‍फस्बजि्पर्चचास्कर्‍कती्है ।्उ‍के्अनुदानों्की्मााँगों्पर्मतदान्नहीं्करती।

➢ राटरीय्आपातकाल्‍माप्त्करने्का्‍ंकल्प्लोक‍भा्द्वारा्ही्पाररत्कराया्जा्‍कता्है ।

➢ राज्य‍भा्अववश्वा‍्प्रथताव्पाररत्कर्मंत्रीपररषद्को्नहीं्हिा्‍कती।्ऐ‍ा्इ‍ललए्र्कयोंकक्मंब्रत्रपररषद्
का्‍ामूदहक्उत्तरदातयत्व्लोक‍भा्के्प्रतत्है ।्लेककन्राज्य‍भा्‍रकार्की्नीततयों्एवं्कायों्पर्चचास्
एवं्आलोचना्कर्‍कती्है ।

राज्यिभा की ववर्ेष र्ष्र्कतयााँ—राज्य‍भा्का्उन्मंब्रत्रयों्पर्मुष्श्कल्‍े्ही्कोई्तनयंत्रण्होता्है ्जो्वैयष्र्कतक्


अर्वा्‍ंयुर्कत्रूप्‍े्लोक‍भा्के्प्रतत्उत्तरदायी्होते्हैं।्यद्यवप्उ‍को्उन्‍भी्मामलों्पर्‍ूचना्प्राप्त्करने्
का्परू ा्अधधकार्प्राप्त्है ्जो्अनन्य्रूप्‍े्लोक्‍भा्के्अधधकार्क्षेत्र्में्आते्है , उ‍को्कोई्अधधकार्नहीं्
है ् जो्कक्मंब्रत्रपररषद््में् अववश्वा‍्मत्पाररत्करें ।्इ‍के्अततररर्कत्राज्य‍भा्का्धन-ववधेयक्के्मामलों्में्
कुछ्अधधक्बोलने्का्अधधकार्नहीं्है ।

तर्ावप्‍ंववधान्राज्य‍भा्को्कुछ्ववशेष्अधधकार्प्रदान्करता्है ।्राज्यों्के्प्रतततनधध्के्रूप्में् राज्य्


‍भा्के्पा‍्दो्अनन्य्शष्र्कतयााँ्हैं्जो्ववशेष्महत्त्व्की्है ।

प्रर्म-्अनच्
ु छे द-249्के्तहत्राज्य्‍भा्को्यह्घोषणा्करने् का्अधधकार्है ् कक्राटरीय्दहत्में् ‍ं‍द्
को्राज्य्‍ूची्में्उष्ल्लणखत्कक‍ी्ववषय्के्‍म्बन्ध्में्कानून्बनाने् चादहए।्यदद्दो-ततहाई्बहुमत्‍े् राज्य्
‍भा्इ‍्आशय्का्एक्प्रथताव्पाररत्कर्दे ती्है ् तब्‍ंघीय्‍ं‍द्एक्वषस् की्अवधध्के्ललए्पूरे् भारत्
अर्वा्उ‍के्कक‍ी्भाग्के्ललए्कानून्बना्‍कती्है ।

राज्य्‍भा्की्द‍
ू री्अनन्य्शष्र्कत-अणखल्भारतीय्‍ेवाओं्को्‍ंचाललत्करने्के्‍म्बन्ध्में्है ।्यदद्राज्य्
‍भा्उपष्थर्त्तर्ा्मतदान्करके्कम-‍े-कम्दो-ततहाई्‍दथयों्द्वारा्कोई्प्रथताव्पाररत्करती्है ्तब्‍ं‍द्

51
का्यह्अधधकार्है ् कक्वह्‍ंघ्और्राज्यों्के्ललए्‍वसमान्य्एक्अर्वा्अधधक्अणखल्भारतीय्‍ेवाओं् के्
‍ज
ृ न्हे तु्कानून्बनाए।
इ‍् प्रकार् ये् ववशेष् प्रावधान्राज्य‍भा् को् भारतीय् ववधातयका् का् एक् महत्त्वपूण्स घिक् बनाते् हैं् न् कक्
इंग्लैंड् के् हाउ‍् ऑफ् लाडस‍् की् भााँतत् एक् अलंकाररत् द्ववतीय् द्वव‍दन् (लाडस‍् ऑफ् कॉमन्‍)् ‍ंववधान्
तनमासताओं् ने् इ‍े् मात्र्कक‍ी्उतावले् ववधान्पर्तनयंत्रण्रखने् के्ललए्ही्नहीं् रचा्है ् बष्ल्क्एक्महत्त्वपूण्स
प्रभावशाली्‍लाहकार्की्भूलमका्अदा्करने् की्भी्इ‍‍े् अपेक्षा्की्जाती्है ।्इ‍का्‍ु‍म्बद्ध्‍ंयोजन्तर्ा्
थर्ायी्अलभलक्षण्इ‍े् तनरं तरता्और्ष्थर्रता्प्रदान्करते् हैं।्चाँकू क्इ‍के्अनेक्‍दथय्‘वररटि्राजनेता’्होते्
हैं्अताः्राज्य‍भा्आदरणीयता्की्अधधकाररणी्है ।

तनटकषश
भारतीय्‍ं‍द्दे श्में्‍वोच्च्ववधायी्अंग्की्एक्ऐततहाल‍क्पटृ िभूलम्है ।्‍ं‍द्में्राटरपतत, लोक्‍भा्
एवं्राज्य‍भा्‍ं‍द्के्अंग्है ।्‍ं‍द्हे तु्चुने्जाने्के्ललए्‍ंववधान्व्‍ं‍द्द्वारा्तनधासररत्कुछ्अहतासएाँ्पूरी्
करनी् होती् हैं।् ‍ं‍द् ‍दथयों् को् बेहतर् प्रकायासत्मक् हे तु् कुछ् ववशेषाधधकार् प्राप्त् हैं।् ‍दन् की् ‍भाओं् का्
‍ंचालन्करने् और्‍दन्की्प्रततटिा्और्मान्की्रक्षा्हे तु् प्रत्येक्‍दन्का्अपना्एक्पीिा‍ीन्अधधकारी्
होता्है ।्‍ं‍द्का्प्रार्लमक्कायस्कानन
ू ्तनमासण्है ।्इ‍के्अततररर्कत्यह्अपनी्नीततयों्के्ललए्मंब्रत्रपररषद््को्
उत्तरदायी् िहराती् है ् और् जहााँ् कहीं् भी् आवश्यक् हो, नीततयों् की् आलोचना् करती् है ।् इ‍के् पा‍् ‍ंववधान्
‍ंशोधन्करने्और्राटरपतत्पर्महालभयोग्लगाने्की्शष्र्कतयााँ्हैं।्प्रभावी्प्रकायासत्मकता्के्ललए्इ‍के्‍दथयों्
के्बीच्‍े्अनेक्‍लमततयााँ्तनयुर्कत्की्जाती्हैं।्‍रकार्पर्तनयंत्रण्रखने्के्ललए्प्रश्न-काल, थर्गन्प्रथताव,
ध्यानाकषसण्प्रथताव्आदद्‍ं‍द्को्उपलब्ध्हैं।्बजि्पाररत्करना्‍ं‍द्का्एक् महत्त्वपूण्स कायस् है ् जो्उ‍े्
‍रकार्की्गततववधधयों्की्‍क्ष्
ू म्जााँच्करने्का्अव‍र्प्रदान्करता्है ।्‍म्पण
ू ्स ववश्व्में्ववधातयका्की्ष्थर्तत्
में् एक्अधोमुखी्प्रववृ त्त्व्याप्त्है ।्प्रत्यायोष्जत्ववधान, ‍रकार्के्अन्य्अंगों्पर्कायसकाररणी्का्आधधपत्य,
‍शर्कत्दल्प्रणाली्का्उदय, आदद्इ‍्प्रववृ त्त्हे तु्कुछ्कारण्हैं।्इन्प्रववृ त्तयों्के्बावजूद्‍ं‍द्अब्भी्शा‍न्
की्अधधकाररणी्है ्और्‍रकार्के्अन्य्अंगों्की्तुलना्में्अपनी्ष्थर्तत्बरकरार्रखने्में्‍क्षम्है ।

कुछ उपयोगी पुस्तकें


➢ G. Austin (2010), The Indian Constitution: Cornerstone of a Nation, New Delhi: Oxford
University Press, 15th print (Chapter 7: The Judiciary and the Social Revolution, pp.164-185)
➢ Chakravarty, B. & Pandey, K. P. (2006) Indian Government and Politics, New Delhi: Sage.
➢ Singh, M.P. & Saxena, R. (2008) Indian Politics: Contemporary Issues and Concerns, New Delhi:
PHI Learning.
➢ Austin, G. (1999) Indian Constitution: Corner Stone of a Nation, New Delhi: Oxford University
Press.
➢ Austin, G. (2004) Working of a Democratic Constitution of India, New Delhi: Oxford University
Press.
➢ Austin, G. (1999) Indian Constitution: Corner Stone of a Nation, New Delhi: Oxford University
Press.
➢ Chakravarty, B. & Pandey, K. P. (2006) Indian Government and Politics, New Delhi: Sage.
➢ Chandra, B., Mukherjee, A. & Mukherjee, M. (2010) India After Independence, New Delhi:
Penguin.

52
➢ Singh, M.P. & Saxena, R. (2008) Indian Politics: Contemporary Issues and Concerns, New Delhi:
PHI Learning.
➢ Vanaik, A. & Bhargava, R. (eds.) (2010) Understanding Contemporary India: Critical
Perspectives. New Delhi: Orient Blackswan.
➢ Jayal, N. G. & Mahta, P. B. (eds.) (2010) Oxford Companion to Indian Politics, New Delhi.

प्रश्नावली
1. ‍ं‍दात्मक्शा‍न्प्रणाली्‍े्आप्र्कया्‍मझते्हैं ?

2. ‍ं‍द्की्ववधायी्प्रकिया्का्वणसन्कीष्जए?

3. राज्य्‍भा्की्ववशेष्शष्र्कतयों्का्ववश्लेषण्कीष्जए?

53
पाि्3

न्यायपासलका
मनीष्कुमार

प्रस्तावना

‍ंवैधातनक ‍रकार पर आधाररत कक‍ी राजनीततक व्यवथर्ा में, तनयम बनाने, तनयम लागू करने और
तनयम की व्याख्या करने के प्रकायस ववधातयका, कायसपाललका तर्ा न्यायपाललका की तीन ‍ंथर्ाओं में बांि ददए
गए हैं। न्यायपाललका ‍रकार का अतनवायस अंग है । हर ‍माज में व्यष्र्कतयों के बीच, ‍मूहों के बीच और व्यष्र्कत
या ‍मूह तर्ा ‍रकार के बीच वववाद उिते हैं। इन वववादों को ‘कानून के शा‍न के ल‍द्धान्त’ के आधार पर
एक थवतन्त्र ‍ंथर्ा द्वारा हल ककया जाना चादहए। कानून के शा‍न का भाव यह है कक धनी-गरीब, थत्री और
परु
ु ष तर्ा ‍क्षम और वपछड़े ‍भी लोगों पर एक ‍मान कानन
ू लागू हो। न्यायपाललका की प्रमख
ु भलू मका यह है
कक वह ‘कानून के शा‍न’ की रक्षा और कानून की ‍वोच्चता को ‍ुतनष्श्चत करें । न्यायपाललका व्यष्र्कत के
अधधकारों्की्रक्षा्करती्है , वववादों को कानून के अनु‍ार हल करती है और यह ‍ुतनष्श्चत करती है कक लोकतन्त्र
की जगह कक‍ी एक व्यष्र्कत या ‍मूह की तानाशाही न ले ले। इ‍के ललए जरूरी है कक न्यायपाललका कक‍ी भी
राजनीततक दबाव ‍े मुर्कत हो। भारतीय ‍ंववधान ने एकीकृत न्याय-व्यवथर्ा की थर्ापना की है ष्ज‍के शीषस
थर्ान पर उच्चतम न्यायालय व उ‍के अधीन उच्च न्यायालय है । एक् उच्च् न्यायालय् के् अधीन् अधीनथर््
न्यायालयों्की्श्रेणणयााँ् हैं जो इ‍ प्रकार हैं :- ष्जला न्यायालय एवं अन्य अधीनस्थ न्यायालय। न्यायालय को
ववधातयका का ती‍रा ‍दन भी कहा जाता है जहां पर ववधातयका की शष्र्कतयों का न्यायपाललका के ‍ार् ‍न्तुलन
बनाया जाता है ।

उद्दे श्य
इ‍्इकाई्में्हम्जानेंगे्कक्भारतीय्न्यायपाललका्का्प्राधार, ‍ंयोजन, अधधकार्क्षेत्र्तर्ा्प्रकायस्र्कया्है ?

इ‍ इकाई को पढ़ने के बाद आप इ‍ योग्य होंगे कक :

1. उच्चतम्न्यायालय्के्‍ंयोजन्को्‍मझ्‍कें।

2. उच्चतम् न्यायालय, उच्च न्यायालय व अधीनथर् न्यायालय के कायस व क्षेत्राधधकारों को जान


‍कें।

3. न्यातयक पुनतनसरीक्षण को ‍मझा जा ‍के तर्ा मौललक अधधकारों की रक्षा के रूप में इ‍के महत्त्व
को ‍मझ ‍कें।

4. न्यातयक्‍कियता्को्‍मझ्‍कें।

उच्चतम न्यायालय

भारतीय्‍ंववधान्ने् एकीकृत्न्याय्व्यवथर्ा्की्थर्ापना्की्है । ‍म्पूणस न्याय व्यवथर्ा तीन श्रेणणयों


में बांिा गया है । शीषस पर उच्चतम न्यायालय हैं, इ‍के नीचे उच्च-न्यायालय और ‍ब‍े तनचले थर्ान पर ‍त्र-
न्यायालय होते हैं। न्यायालय की यह एकल व्यवथर्ा भारत ‍रकार अधधतनयम 1935 ‍े ली गयी है और यह
केष्न्द्रय एवं राज्य ववधधयों को लागू करती है ।

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भारत् के् उच्चतम-न्यायालय का उद्घािन 28 जनवरी 1950 को ककया गया। यह भारत ‍रकार
अधधतनयम के तहत लागू ‍ंघीय न्यायालय का उत्तराधधकारी र्ा। हालांकक उच्चतम-न्यायालय का न्यायक्षेत्र, पूवव
स ती
न्यायालय ‍े ज्यादा व्यापक है । उच्चतम-न्यायालय ने त्रििे न के वप्रवी काउं िसलंग का थर्ान ग्रहण ककया र्ा जो
अब तक अपील का ‍वोच्च न्यायालय र्ा। उच्चतम न्यायालय का गिन ‍ंववधान की अष्न्तम व्याख्या करने
वाली ‍ंथर्ा के रूप में भी ककया गया है । भारतीय ‍ंववधान के भाग-V में अनुच्छे द 124 ‍े 147 उच्चतम
न्यायालय के गिन, थवतंत्रता, न्यायक्षेत्र, शष्र्कतयााँ, प्रककया आदद का उल्लेख है ।

उच्चतम न्यायालय का गठन

उच्चतम्न्यायालय्का्गिन्मुख्य्न्यायाधीश्और्अन्य्न्यायाधीशों्के्द्वारा्होता्है । अन्य्न्यायाधीशों्
की्‍ंख्या्‍ंववधान्के्अनुच्छे द्124 (1) के प्रावधान के अनु‍ार की जाती है । जब मल
ू ताः उच्चतम न्यायालय
की थर्ापना हुई र्ी उ‍ ‍मय उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की ‍ंख्या 8 (1+7) र्ी। वतसमान में उच्चतम
न्यायालय में 34 न्यायाधीश हैं। (एक मुख्य न्यायाधीश तर्ा 33 अन्य न्यायाधीश) ‍ं‍द के द्वारा 1956 में
अन्य न्यायाधीशों की ‍ंख्या - 10 तनष्श्चत की गई र्ी। कालान्तर में यह ‍ंरचना 1960 में 13, कफर 1977 में
17 और 1986 में 25 इ‍के बाद 2009 में 31 तर्ा 2019 में 34 कर दी गई है ।

न्यायाधीर्ों की तनयष्ु र्कत

उच्चतम्न्यायालय्के्‍भी्न्यायाधीशों्की्तनयुष्र्कत्राटरपतत्द्वारा्की्जाती्है । मुख्य्न्यायाधीश्की्
तनयुष्र्कत्भी्राटरपतत्करता्है । मुख्य्न्यायाधीश्के्अततररर्कत्अन्य्न्यायाधीशों्की्तनयुष्र्कत्में्मुख्य्न्यायाधीश्
का् परामशस् आवश्यक् है । अनुच्छे द् 124 (2) में् ‍ंववधान् शतस् रखता् है ् कक् राटरपतत् ‍वोच्च् न्यायालय् के्
न्यायाधीशों ‍े ववचार-ववमशस के बाद, ष्जन्हें वह आवश्यक ‍मझता है अपने हथताक्षर व मह
ु र के अधीन ही
‍वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की तनयुष्र्कत करे गा। भारत के मुख्य न्यायाधीश के मामले में, राटरपतत उच्चतम
न्यायालय तर्ा उच्च न्यायालयों के्ऐ‍े् न्यायाधीशों्‍े् ववचारववमशस् करे गा्ष्जन्हें ् वह्आवश्यक-्‍मझता्हो।
इ‍ थपटि ‍ंवैधातनक प्रावधान के बावजूद भारत के मुख्य न्यायाधीश का मामला एक राजनीततक वववाद बन
गया है । 1950 ‍े 1973 तक व्यवहार में यह र्ा कक उच्चतम न्यायालय में वररटितम न्यायाधीश को बतौर
मख्
ु य न्यायाधीश तनयर्क
ु त ककया जाता र्ा। इ‍ व्यवथर्ा का 1973 में तब हनन हुआ जब ए.एन. राय को तीन
वररटितम न्यायाधीशों ‍े ऊपर भारत का मुख्य न्यायाधीश तनयुर्कत कर ददया गया। दोबारा 1977 में एम.
हमीदल
ु लाह को वररटितम व्यष्र्कत के ऊपर बतौर मुख्य न्यायाधीश बना ददया गया।

परामर्श पर वववाद- उपरोर्कत उपबन्ध में 'परामशस' शब्द की उच्चतम न्यायालय द्वारा ववलभन्न व्याख्याएाँ
दी गई हैं। प्रर्म न्यायाधीश मामले (1982) में न्यायालय ने कहा कक परामशस का मतलब ‍हमतत नहीं, वरन ्
ववचारों का आदान प्रदान है । लेककन द्ववतीय न्यायाधीश मामले (1993) में न्यायालय ने अपने पूवस के फै‍ले को
पररवततसत ककया और कहा कक परामशस का मतलब ‍हमतत प्रकि करना है । इ‍ तरह ती‍रे न्यायाधीश मामले
(1998) में न्यायालय ने मत ददया कक परामशस प्रकिया को मुख्य न्यायाधीश द्वारा 'बहु‍ंख्यक न्यायाधीशों की
ववचार' प्रकिया के तहत माना जाएगा। उ‍े चार वररटित्
म न्यायाधीशों ‍े ‍लाह करनी चादहए, इनमें ‍े अगर दो
का मत भी पक्ष में नहीं है तो वह तनयुष्र्कत के ललए ल‍फाररश नहीं भेज ‍कता। न्यायालय ने व्यवथर्ा दी कक
ब्रबना अन्य न्यायाधीशों की ‍लाह के भेजी गई ल‍फाररश को मानने के ललए ‍रकार बाध्य नहीं है ।

99वााँ ‍ंववधान ‍ंशोधन अधधतनयम-2014 तर्ा न्यातयक तनयुष्र्कत आयोग अधधतनयम-2014 ने उच्चतम
न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की तनयष्ु र्कत के ललए बने कौलेष्जयम प्रणाली को एक नए तनकाय
राटरीय न्याय तनयुष्र्कत आयोग (NJAC) ‍े प्रततथर्ावपत कर ददया है । हालााँकक वषस 2015 में ‍वोच्च न्यायालय

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ने 99वें ‍ंववधान ‍ंशोधन अधधतनयम तर्ा राटरीय न्यातयक तनयुष्र्कत आयोग अधधतनयम दोनों को अ‍ंवैधातनक
घोवषत कर ददया है । उच्चतम न्यायालय पर तनणसय चौर्े न्यायाधीश मामले (2015) में आया।

न्यायाधीर्ों की अहशताएाँ

उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने के ललए कक‍ी व्यष्र्कत में तनम्नललणखत अहसताएाँ होनी चादहए-

1. उ‍े भारत का नागररक होना चादहए।

2. उ‍े कक‍ी उच्च न्यायालय का कम ‍े कम पााँच ‍ाल के ललए न्यायाधीश होना चादहए।

अर्वा

उ‍े उच्च न्यायालय या ववलभन्न न्यायालयों में लमलाकर 10 वषस तक वकील होना चादहए।

अर्वा

राटरपतत के मत में उ‍े ‍म्मातनत न्यायववद् होना चादहए।

नोि: उपरोर्कत ‍े यह थपटि है कक ‍ंववधान में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की तनयुष्र्कत के ललए न्यूनतम
आयु का उल्लेख नहीं है ।

न्यायाधीर्ों को हिाना

राटरपतत के आदे श द्वारा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को उ‍के पद ‍े हिाया जा ‍कता है ।


भारतीय ‍ंववधान में उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश को हिाने के दो आधार हैं 1. कदाचार ‍ाब्रबत होने अर्वा
2. अयोग्यता की दशा में ही हिाया जा ‍कता है । न्यायाधीश को हिाने की प्रकिया लोक‍भा व राज्य‍भा दोनों
में ‍े कक‍ी में भी प्रारम्भ की जा ‍कती है ।

यदद प्रक्रकया लोकिभा में प्रारम्भ हो

लोक‍भा के मामले में तनटका‍न प्रथताव 100 ‍दथयों द्वारा हथताक्षर करके प्रथतुत होता है । तनटका‍न
प्रथताव को लोक‍भा अध्यक्ष के पा‍ भेजा जाता है । लोक‍भा अध्यक्ष या तो इ‍ प्रथताव को थवीकार कर ‍कता
है या कफर उ‍े अथवीकार करता है । यदद तनटका‍न प्रथताव को थवीकार कर ललया जाए तो लोक‍भा अध्यक्ष को
इ‍की जााँच के ललए तीन ‍दथयों की ‍लमतत का गिन करके जांच के ललए भेज ददया जाता है ।

िसमतत में र्ासमल होना चादहए

1. मख्
ु य न्यायाधीश या उच्चतम न्यायालय का कोई भी न्यायाधीश।

2. कक‍ी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश।

3. प्रततष्टित न्यायवादी

यदद ‍लमतत न्यायाधीश को दव्ु यसवहार का दोषी या अ‍क्षम पाती है तो लोक‍भा इ‍ प्रथताव पर ववचार
कर ‍कती है । इ‍के बाद प्रथताव ववशेष बहुमत ‍े लोक‍भा में पा‍ करके राज्य‍भा में भेज ददया जाता है ।
यदद राज्य‍भा में भी प्रथताव ववशेष बहुमत ‍े पा‍ हो जाता है तो न्यायाधीश को हिाने के ललए राटरपतत के
पा‍ भेज ददया जाता है । अन्त में राटरपतत न्यायाधीश को हिाने का आदे श जारी कर दे ते हैं।

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यदद प्रक्रिया राज्यिभा में प्रारम्भ हो

राज्य‍भा के मामले में तनटका‍न प्रथताव 50 ‍दथयों द्वारा हथताक्षर करके प्रथतुत होता है । तनटका‍न
प्रथताव को राज्य‍भा ‍भापतत के पा‍ भेजा जाता है ।्राज्य‍भा ‍भापतत या तो इ‍ प्रथताव को थवीकार कर
‍कते हैं या कफर उ‍े अथवीकार करते हैं। यदद तनटका‍न प्रथताव को थवीकार कर ललया जाता है तो राज्य‍भा
‍भापतत को इ‍की जााँच के ललए तीन ‍दथय ‍लमतत का गिन करके जााँच के ललए भेज ददया जाता है ।

िसमतत में र्ासमल होने चादहए

1. मुख्य न्यायाधीश या उच्चतम न्यायालय का कोई भी न्यायाधीश

2. कक‍ी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश

3. प्रततष्टित न्यायवादी

यदद ‍लमतत न्यायाधीश को दव्ु यसवहार का दोषी या अ‍क्षम पाती है तो राज्य‍भा इ‍ प्रथताव पर ववचार
कर ‍कती है । इ‍के बाद प्रथताव ववशेष बहुमत ‍े राज्य‍भा में पा‍ करके लोक‍भा में भेज्ददया्जाता्है ।
यदद्लोक‍भा्में्भी्प्रथताव्ववशेष्बहुमत्‍े्पा‍्हो्जाता्है ्तो्उ‍को्हिाने्के्ललए्राटरपतत्के्पा‍्भेज
ददया जाता है अन्त में राटरपतत न्यायाधीश को हिाने का आदे श जारी कर दे ते हैं।

बोध-प्रश्न-1

1. उच्चतम्न्यायालय्के्न्यायाधीश्के्ललए्आवश्यक्अहसताएाँ र्कया्है ? व्याख्या कीष्जए।

2. उच्चतम्न्यायालय्के्न्यायाधीश्को्हिाने्की्प्रकिया्का्वणसन्कीष्जए।

उच्चतम न्यायालय का क्षेिाधधकार

भारत का उच्चतम न्यायालय ववश्व के ‍वासधधक शष्र्कतशाली न्यायालयों में ‍े एक है । लेककन वह ‍ंववधान
द्वारा तय्की्गई्‍ीमा्के्अन्दर्ही्काम्करता्है । उच्चतम न्यायालय के कायस और उत्तरदातयत्व ‍ंववधान में
ददये गये हैं। ‍ंववधान में उच्चतम न्यायालय की व्यापक शष्र्कतयों एवं क्षेत्राधधकार को भी उष्ल्लणखत ककया गया
है ।् अमेररकी उच्चतम न्यायालय की तरह यहााँ न केवल ‍ंघीय न्यायालय है , बष्ल्क ब्रिदिश हाउ‍ ऑफ लॉर्डस‍
की तरह अपील का अष्न्तम न्यायालय है । उच्चतम न्यायालय ‍ंववधान्और्भारत्के्नागररकों के अधधकारों का
व्याख्याता एवं ‍ंरक्षक भी है । उच्चतम न्यायालय की शष्र्कत एवं न्याय क्षेत्रों को तनम्नललणखत तरह ‍े वगीकृत
ककया जा ‍कता है ।

1. मूल क्षेत्राधधकार

2. अपीलीय्क्षेत्राधधकार

3. ‍लाहकार्क्षेत्राधधकार

4. न्यातयक ‍मीक्षा की शष्र्कत

5. अन्य्शष्र्कतयााँ

1. मूल क्षेिाधधकार – ‍ंववधान्के अनुच्छे द 131 में उच्चतम न्यायालय के मूल क्षेत्राधधकारों का वणसन ककया
गया है । मल
ू ्अधधकार्क्षेत्र्का्अर्स है कुछ ऐ‍े मक
ु दमों ष्जनकी ‍न
ु वाई ‍ीधे ‍वोच्च न्यायालय ही कर
‍कता है । ऐ‍े मुकदमों को पहले तनचली अदालतों में ‍ुनवाई की जरूरत नहीं होती है । ‍वोच्च न्यायालय

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का एक ‍ंघीय न्यायालय के रूप में प्रर्मताः मौललक क्षेत्राधधकार है । उच्चतम न्यायालय भारत के ‍ंघीय
ढांचे के ववलभन्न इकाइयों के बीच कक‍ी वववाद पर ‍ंघीय न्यायालय की तरह तनणसय दे ता है । द‍
ू रे शब्दों
में ऐ‍ा कोई वववाद जो :

1. केन्द्र्व्एक्या्अधधक्राज्यों्के्बीच्हों।

या

2. केन्द्र और कोई्राज्य या्राज्यों्का्एक्तरफ्होना्एवं्एक्या्अधधक्राज्यों्का्द‍


ू री तरफ्होना।

या

3. दो्या्दो्‍े्अधधक्राज्यों्के्बीच।

उपरोर्कत,्‍ंघीय्वववाद्पर्उच्चतम्न्यायालय्में्'ववर्ेष मूल'्
्न्याय्क्षेत्र्तनदहत है । ववशेष्का्अलभप्राय्
है ्कक‍ी्अन्य्न्यायालय्को्वववादों्के तनपिाने में इ‍ तरह की शष्र्कतयााँ प्राप्त नहीं है ।्उच्चतम न्यायालय के
पा‍ मौललक अधधकारों के्रक्षक्के्रूप्में् इतर-अनन्य मौललक क्षेत्राधधकार्भी्हैं। ‍ंववधान्का्अनुच्छे द-32
नागररकों के ‍ंववधान के भाग-3 में पररकष्ल्पत मौललक अधधकार में ‍े कक‍ी के भी बाध्यकारण हे तु ‍ीधे ‍वोच्च
न्यायालय जाने का अधधकार दे ता है ।

2. अपीलीय क्षेिाधधकार—जै‍ा् कक् पहले् बताया् जा् चुका् है ् उच्चतम् न्यायालय् न् केवल् भारत् के् ‍ंघीय्
न्यायालय्के्उत्तराधधकारी्की्तरह्है ् बष्ल्क्यह्त्रिदिर््वप्रवी काउं सिल के थर्ान पर थर्ानांतररत है , जो
अपीलीय का्उच्चतम्न्यायालय्है । ‍ंववधान्का्अनच्
ु छे द-132 उ‍ ष्थर्तत में कक‍ी उच्च न्यायालय की
नागररक, अपराधधक अर्वा अन्य कायसवादहयों में कक‍ी न्यायालय के कक‍ी तनणसय अर्वा अष्न्तम आदे श
‍े ‍वोच्च न्यायालय के ‍मक्ष अवपल हे तु व्यवथर्ा दे ता है। अपीलीय न्याय्क्षेत्राधधकारों को तनम्नललणखत
चार क्षेत्रों में वगीकृत्ककया्जा्‍कता्है ।

1. िंवैधातनक मामलों में अपील्- (अनुच्छे द्132) ‍ंवैधातनक मामलों में उच्चतम न्यायालय में उच्च
न्यायालय के फै‍ले के णखलाफ अपील की जा ‍कती है । यदद उच्च न्यायालय इ‍े प्रभाववत करें कक
मामले में ववधध का पूरक प्रश्न तनदहत है ष्ज‍में ‍ंववधान की व्याख्या तनदहत है ।

2. दीवानी नागररक मामलों में अपील - (अनच्


ु छे द 133) दीवानी मामले के तहत उच्चतम न्यायालय में
कक‍ी भी मामले को लाया जा ‍कता है यदद उच्च न्यायालय प्रमाणणत कर दे कक मामला ‍ामान्य
महत्त्व के पूरक प्रश्न पर आधाररत है अर्वा ऐ‍ा प्रश्न है ष्ज‍का तनणसय उच्चतम न्यायालय द्वारा
ककया जाना आवश्यक है ।

3. आपराधधक मामलों में अपील- (अनच्


ु छे द 134) उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय के आपराधधक
मामलों के फै‍लों के णखलाफ ‍ुनवाई करता है यदद उच्च न्यायालय ने 1. आरोपी व्यष्र्कत के दोषामोचन
के आदे श को पलि ददया हो और ‍जा-ए-मौत दी हो अर्वा 2. कक‍ी अधीनथर् न्यायालय ‍े मामला
लेकर आरोपी व्यष्र्कत को दोषी ल‍द्ध ककया हो उ‍े ‍जा-ए-मौत दी हो्अर्वा 3. यह प्रमाणणत करे
कक ‍म्बष्न्धत मामला उच्चतम न्यायालय में ले जाने योग्य है ।

पहले् दोनों् मामलों् में् उच्चतम् न्यायालय् में् अपील् अधधकार् थवरूप् आता् है ।् लेककन् यदद्
उच्च्न्यायालय्ने्बंदीकरण के्आदे श्को पलि कर आरोपी को दोषमुर्कत करने का आदे श ददया हो
तो उच्चतम न्यायालय में अपील का कोई अधधकार नहीं है ।

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4. ववर्ेष अनुमतत द्वारा अपील – (अनुच्छे द 136) उच्चतम्न्यायालय्को्इ‍्बात्का्अधधकार्है ्कक्
अपना्मत्ववशेष्अनुमतत्प्राप्त्अपील को्दे ्जो कक कक‍ी्भी्फै‍ले्‍े्‍म्बष्न्धत्मामले्‍े्जुड़ी्
हो।्फै‍ला्कक‍ी्न्यायालय या पंचायतों ‍े ‍म्बष्न्धत हो। इ‍ व्यवथर्ा में तनम्नललणखत चार ब्रबन्द ु
हैं—

1. यह् एक् वववेकानु‍ार् शष्र्कत् है ् और् इ‍ललए् इ‍का् अधधकार् के रूप् में् दावा् नहीं् ककया् जा्
‍कता।

2. कक‍ी्भी्फै‍ले्में्इ‍का्मत्या्तो्अष्न्तम्होता्है ्या्अन्तररम।

3. यह कक‍ी्भी्मामले् ‍े् ‍म्बष्न्धत हो ‍कता है - ‍ंवैधातनक, दीवानी, आपराधधक, आयकर,


श्रम, राजथव आदद।

4. इ‍े्कक‍ी्भी्न्यायालय्या पंचायत के णखलाफ ककया जा ‍कता है , केवल उच्च न्यायालय के


णखलाफ ही जरूरी नहीं है ।

इ‍्तरह इ‍ उपबंध का कायसक्षेत्र काफी व्यापक है और इ‍की पूणस ‍ुनवाई उच्चतम न्यायालय में तनदहत
है । इ‍ शष्र्कत के उपयोग पर उच्चतम न्यायालय थवयं एक अनोखी और अधधग्रहण शष्र्कत होने के नाते
इ‍का उपयोग ‍ावधानी के ‍ार् ववशेष पररष्थर्ततयों में ववरले रूप में ही करता है । इ‍के आगे यह ‍म्भव
नहीं है कक इ‍ शष्र्कत का प्रयोग कक‍ी भी तनयम के तहत करें ।

3. िलाहकार क्षेिाधधकार—‍ंववधान् के् अनुच्छे द में् राटरपतत् को् दो् श्रेणणयों् के् मामलों् 143् में् उच्चतम्
न्यायालय्‍े्राय्लेने्का्अधधकार्का्प्रावधान्है ।

1. ‍ावसजतनक्महत्त्व के्कक‍ी्मामले्पर ववधधक प्रश्न उिने पर।

2. कक‍ी्पव
ू ्स ‍ंवैधातनक्‍ष्न्ध,्‍मझौते,्प्र‍ंववदा्आदद्‍नद्मामलों्पर्कक‍ी्वववाद्के्उत्पन्न्होने्
पर।

पहले्मामले्में्उच्चतम्न्यायालय्अपना्मत्दे ्भी्‍कता्है ्और्दे ने्‍े्इनकार भी कर ‍कता है ।


द‍
ू रे मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा राटरपतत को अपना मत दे ना अतनवायस है । दोनों ही मामलों में
उच्चतम न्यायालय का मत ल‍फस ‍लाह होती है । इ‍ तरह राटरपतत इ‍के ललए बाध्य नहीं है कक वह इ‍
‍लाह को माने। यद्यवप ‍रकार अपने द्वारा तनणसय ललए जाने के ‍म्बन्ध में इ‍के द्वारा प्राधधकृत ववधधक
‍लाह प्राप्त करती है ।

4. न्यातयक िमीक्षा की र्ष्र्कत—उच्चतम्न्यायालय्को्उ‍के्अपने्द्वारा्‍ुनाए्गए्कक‍ी्भी्तनणसय,्उ‍के्


द्वारा्ददए्गए्कक‍ी्भी्आदे श्के पन
ु तनसरीक्षण का अधधकार है । इ‍का अर्स है कक ‍वोच्च न्यायालय अपने
ही तनणसय आदे श का पुनतनसरीक्षण कर ‍कता है । इ‍के तहत वह केन्द्र व राज्य दोनों थतरों, पर ववधायी व
कायसकारी आदे शों की् ‍ंवैधातनकता की जााँच कर ‍कता है । उन्हें अधधकारातीत पाए् जाने् पर् अववधधक,
अ‍ंवैधातनक और अवैध घोवषत ककया जा ‍कता है । इ‍के बाद वे कानून ‍रकार द्वारा लागू नहीं ककये जा
‍कते। भारतीय उच्चतम न्यायालय ‍ंववधान की व्याख्या करने के अलावा ददवानी तर्ा आपराधधक के‍ों
के मामलों में दे श में अपीलीय न्यायालय के रूप में भी कायस करता है । यह केवल कक‍ी न्यायालय के ही
नहीं वरन ् भारतीय राज्यक्षेत्र के भीतर कक‍ी भी न्यायाधधकरण के तनणसय ‍े अपने वववेक पर कक‍ी भी
प्रततबंध के ब्रबना पुनरावेदन थवीकार कर ‍कता है ।

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5. अन्य र्ष्र्कतयााँ—उपरोर्कत्शष्र्कतयों्के्अततररर्कत्उच्चतम्न्यायलय्को्कई्अन्य्शष्र्कतयााँ ्भी्प्राप्त हैं।

1. यह्राटरपतत्एवं् उपराटरपतत्के्तनवासचन्के्‍म्बन्ध्में् कक‍ी्प्रकार्के्वववाद्का्तनपिारा्करता्


है । इ‍्‍म्बन्ध्में्यह्मल
ू ,्ववशेष्एवं्अष्न्तम्व्यवथर्ापक है ।

2. उच्च्न्यायालयों्में्लष्म्बत्पड़े्मामलों्को्यह्मंगवा्‍कता्है ्और्उनका्तनपिारा्कर्‍कता्है ।्
यह्कक‍ी्लष्म्बत्मामले्या अपील को एक्उच्च्न्यायालय्‍े्द‍
ू रे ्में्थर्ानान्तररत्भी्कर ‍कता्
है ।

3. अनुच्छे द् -141् में् यह् प्रावधान् ककया् गया् है ,् कक् उच्चतम् न्यायालय् की् ववधधयों भारत के ‍भी
न्यायालयों के ललए बाध्य होंगी। इ‍के डडग्री या् आदे श् पूरे् दे श् में् लागू् होते् हैं।् ‍भी् प्राधधकारी्
उच्चतम्न्यायालय्की्‍हायता्में्कायस्करते्हैं।

4. उच्चतम्न्यायालय्को्न्यातयक अधीक्षण की शष्र्कत प्राप्त है और इ‍का दे श के ‍भी न्यायालयों एवं


पंचायतों के कियाकलापों पर्तनयन्त्रण्है ।

उच्चतम्न्यायालय्के्न्यायाधीश्एवं् शष्र्कतयों्को्केष्न्द्रय्‍ूची्‍े् ‍म्बष्न्धत्मामलों्पर्‍ं‍द्द्वारा


ववथताररत्ककया्जा्‍कता्है ।्और्इ‍के्न्याय्क्षेत्र्एवं्शष्र्कत्अन्य्मामलों्में ्केन्द्र्एवं्राज्यों्के्बीच्
ववशेष्‍मझौते्के्तहत्ववथताररत्ककए्जा्‍कते्हैं।

बोध प्रश्न - 2

1. उच्चतम् न्यायालय् की् मल


ू ् क्षेत्राधधकारों् का् वणसन् कीष्जए कै‍े यह परू े दे श में् उत्पन्न् होने् वाले् ‍ंघीय्
वववादों्का्तनपिारा्करता्है ?

न्यातयक िक्रियता और पी. आई. एल

न्यातयक ‍कियता की अवधारणा का उद्भव अमेररका में हुआ। भारत में न्यातयक ‍कियता का ल‍द्धान्त
1970 के दशक के मध्य में आया। न्यायमूततश वी आर कृटणा अय्यर, न्यायमूततश पी. एन. भागवती, न्यायमतू तश
ओ. धचन्नप्पा रे ड्डी्तर्ा्न्यायमतू तश डी. एि. दे िाई्ने्दे श्में्न्यातयक्‍कियता्की्नींव्रखी।

अथश— न्यातयक्‍कियता्का्आशय्नागररकों्के्अधधकारों्के्‍ंरक्षण्के्ललए्तर्ा्‍माज्में् न्याय्


को् बढ़ावा् दे ने् के् ललए् न्यायपाललका् द्वारा् आगे् बढ़कर् भूलमका् लेने् ‍े् है ।् द‍
ू रे ् शब्दों् में् इ‍का् अर्स् है ्
न्यायपाललका् द्वारा् ‍रकार् के् अन्य् दो् अंगों (ववधातयका् एवं् कायसपाललका)् को् अपने् ‍ंवैधातनक् दातयत्व् के्
पालन्के्ललए्बाध्य्करना। भारत में न्यातयक ‍कियता का मख्
ु य ‍ाधन जनदहत याधचका या ‍ामाष्जक व्यवहार
याधचका रही है । कानून की ‍ामान्य प्रकिया में कोई व्यष्र्कत व्यष्र्कतगत तौर पर तभी अदालत जा ‍कता है जब
उ‍का कोई व्यष्र्कतगत नुक‍ान हुआ हो। इ‍का मतलब यह है कक अपने अधधकार का उल्लंघन होने पर या्
कक‍ी्वववाद्में्कोई्व्यष्र्कत इं‍ाफ पाने के ललए अदालत का दरवाजा खिखिा ‍कता है ।्1979 में इ‍ अवधारणा
में बदलाव आया। 1979 में इ‍ बदलाव की शुरुआत करते हुए न्यायालय ने एक ऐ‍े मुकदमे की ‍ुनवाई करने
का तनणसय ललया ष्ज‍े पीडड़त लोगों्ने नहीं् बष्ल्क्उनकी्ओर्‍े् द‍
ू रों्ने याधचका्दाणखल्की र्ी। चंकू क इ‍
मामले में जनदहत ‍े ‍म्बष्न्धत एक मुद्दे पर ववचार हो रहा र्ा अताः इ‍े और ऐ‍े ही अन्य अनेक मुकदमों
को जनदहत याधचका का नाम ददया गया। इ‍ी ‍मय उच्चतम न्यायालय ने कैददयों के अधधकार ‍े ‍म्बष्न्धत
मुकदमे पर भी ववचार ककया। इ‍‍े ऐ‍े मुकदमों की बाढ़ ‍ी आ गई ष्ज‍में जन‍ेवा की भावना रखने वाले
नागररकों तर्ा थवयं‍ेवी ‍ंगिनों ने नए अधधकारों की रक्षा, गरीबों के जीवन को और बेहतर बनाने, पयासवरण की

60
‍ुरक्षा और लोकदहत ‍े जुड़े अनेक मुद्दों पर न्यायपाललका ‍े्हथतक्षेप्की्मााँग्की। जनदहत्याधचका्न्यातयक्
‍कियता का ‍ब‍े प्रभावी ‍ाधन हो गई है । कक‍ी्के्द्वारा्मुकदमा्करने् पर्उ‍्मुद्दे ् पर्ववचार करने के
‍ार्-‍ार््न्यायपाललका्ने अखबार में छपी खबरों और डाक ‍े प्राप्त लशकायतों को आधार बनाकर उन पर भी
ववचार करना शरू
ु कर ददया। इ‍ तरह न्यायपाललका की यह नई भलू मका न्यातयक ‍कियता के रूप में लोकवप्रय
हुई ।

जनदहत्याधचकाओं् के्माध्यम्‍े् न्यायालय्ने् अधधकारों्का्दायरा्बढ़ा्ददया।्शुद्ध्हवा-पानी्और्


अच्छा् जीवन् पाना् पूरे् ‍माज् का् अधधकार् है ।् न्यायालय् का् मानना् र्ा् कक् ‍माज् के् ‍दथय् के् रूप् में ,्
अधधकारों्के्उल्लंघन्पर्व्यष्र्कतयों्को इं‍ाफ्की्गह
ु ार्लगाने का अधधकार्है । इ‍के्अलावा 1980 के बाद
जनदहत याधचकाओं और न्यातयक ‍कियता के द्वारा न्यायपाललका ने उन मामलों में भी रुधच ददखाई जहााँ ‍माज
के कुछ वगों के लोग आ‍ानी ‍े अदालत की शरण नहीं ले ‍कते ्। इ‍ उद्दे श्य की पूततस के ललए न्यायालय में
जन‍ेवा की भावना ‍े भरे नागररक ‍ामाष्जक ‍ंगिन और वकीलों को ‍माज के जरूरतमन्द और गरीब्लोगों्
की्ओर्‍े्याधचकाएाँ्दायर्करने्की अनुमतत्दी।

न्यातयक्‍कियता्का्हमारी्राजनीततक्व्यवथर्ा्पर्बहुत्प्रभाव्पड़ा।्इ‍‍े्ना्केवल्व्यष्र्कतयों्बष्ल्क्
ववलभन्न् ‍मूहों् को् भी् अदालत् जाने् का् अव‍र् लमला।् इ‍ने् न्याय् व्यवथर्ा् को् लोकतांब्रत्रक् बनाया् और्
कायसपाललका्को उत्तरदायी्बनने् पर्बाध्य्ककया। चुनाव्प्रणाली्को्भी्इ‍ने् ज्यादा्मर्क
ु त्और्तनटपक्ष्बनाने्
का्प्रया‍्ककया। न्यायालय्ने् चुनाव्लड़ने् वाले् प्रत्यालशयों्को्अपनी्‍म्पवत्त,्आय्और्शैक्षणणक्योग्यताओं्
के् ‍म्बन्ध् में् शपर्पत्र् दे ने् का् तनदे श् ददया् ताकक् लोग् ‍ही् जानकारी् के् आधार् पर् अपने् प्रतततनधधयों् का
चुनाव कर ‍कें।

जनदहत्याधचकाओं्की्बढ़ती्‍ंख्या्और्‍किय्न्यायपाललका्के्ववचार्का्एक्नकारात्मक्पहलू्भी्
है ।्इ‍‍े्न्यायालय्में्काम्का्बोझ्बढ़ा्है ।्द‍
ू रे ्न्यातयक्‍कियता्‍े्ववधातयका्कायसपाललका्और्न्यायपाललका्
के्कायों्के्बीच्का्अन्तर्धंध
ु ला्हो्गया्है ।्न्यायालय्उन्‍मथयाओं् में् उलझ गया ष्ज‍े् कायसपाललका्को्
हल्करना्चादहए। उदाहरण्के्ललए्वायु्और्ध्वतन्प्रदष
ू ण्दरू ्करना, भ्रटिाचार के्मामलों्की्जांच्करना्या्
चुनाव्‍ुधार्करना्वाथतव्में् न्यायपाललका्के्काम्नहीं् है । यह्‍भी्कायस् ववधातयका्की्दे खरे ख्में्प्रशा‍न्
को् करने् चादहए।् इ‍ललए् कुछ् लोगों् का् मानना् है की न्यातयक ‍कियता ‍े ‍रकार के तीनों अंगों के बीच
पारथपररक ‍न्तुलन रखना बहुत मुष्श्कल हो गया है । लोकतांब्रत्रक शा‍न का आधार यह है कक ‍रकार हर एक
द‍
ू रे की शष्र्कतयों और क्षेत्राधधकार का ‍म्मान करे । न्यातयक ‍कियता ‍े इ‍ लोकतांब्रत्रक ल‍द्धान्त को आघात
पहुाँच ‍कता है ।

उच्च न्यायालय

हमारा्‍ंववधान्एक्उच्च्न्यायालय्को्राज्य्ववधातयका्के्शीषस् पर्रखता्है । भारतीय्‍ंववधान्का्


भाग-VI के अध्याय-V में्उच्च्न्यायालय्के्‍ंगिन्तर्ा्कायों्के्‍म्बन्ध्में्प्रावधान्अनुच््
छेद-214्‍े्231्
तक्ददए्गए्हैं।्अनच्
ु छे द-्
्214्के्अन‍
ु ार्प्रत्येक्राज्य का एक उच्च न्यायालय होगा्इ‍के्अन‍
ु ार्भारत्के्
प्रत्येक्राज्य्में्एक्उच्च्न्यायालय्है ्और्न्यायालयों की एक्‍ंवैधातनक्प्रततटिा्है ।

इ‍्‍मय्दे श्में् चौबीि्उच्च्न्यायालय्हैं् इनमें् ‍े छिः ‍ाझा उच्च न्यायालय हैं। ‍ंववधान ‍ंशोधन
अधधतनयम-7 के अनु‍ार ‍ं‍द ककन्हीं दो या दो ‍े अधधक राज्यों के ललए एक उच्च न्यायालय का गिन कर
‍कता है । उदाहरण के ललए पंजाब और हररयाणा एक ‍वसमान्य उच्च न्यायालय रखते हैं। इ‍ी प्रकार अिम,
नागालैण्ड, मेघालय, मखणपुर और त्रिपुरा के ललए भी एक ही उच्च न्यायालय है । इ‍ प्रकार के भारत में 6 उच्च

61
न्यायालय हैं। केन्द्रशाल‍त प्रदे शों के मामले में ‍ं‍द ववधानानु‍ार एक उच्च न्यायालय के क्षेत्राधधकार को कक‍ी
भी केन्द्र शाल‍त प्रदे श तक बढ़ा ‍कती है अर्वा एक उच्च न्यायालय के क्षेत्राधधकार को कक‍ी भी केन्द्र शाल‍त
प्रदे श ‍े तनकाल ‍कती है अर्वा कक‍ी केन्द्र शाल‍त प्रदे श के ललए एक उच्च न्यायालय बना ‍कती है । इ‍
प्रकार ददलली एक केन्द्रशाल‍त प्रदे श एक उच्च न्यायालय रखता है जबकक मद्रा‍ उच्च न्यायालय पाष्ण्डचेरी पर,
केरल उच्च न्यायालय लक्षद्वीप पर, मुम्बई उच्च न्यायालय दादरा नगर हवेली पर, कलकत्ता उच्च न्यायालय
अंडमान और तनकोबार द्वीप ‍मूह पर, पंजाब हररयाणा उच्च न्यायालय चंडीगढ़ पर क्षेत्राधधकार रखता है ।

उच्च न्यायालय का गठन

उच्चतम् न्यायालय् ‍े् लभन्न उच्च् न्यायालय् के ललए न्यायाधीशों की कोई न्यूनतम ‍ंख्या नहीं है ।
राटरपतत ‍मय-‍मय पर प्रत्येक उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की ‍ंख्या तय करते हैं। उच्च न्यायालय का
मुख्य न्यायाधीश भारत के मुख्य न्यायाधीश तर्ा राज्य के राज्यपाल की ‍लाह ‍े राटरपतत द्वारा चन
ु ा जाता
है । अन्य न्यायाधीशों की तनयुष्र्कत करने में राटरपतत ‍े उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ‍े ववचार-ववमशस
करने की अपेक्षा की जाती है । ‍ंववधान में काम को तनपिाने के ललए अततररर्कत न्यायाधीशों की तनयुष्र्कत हे तु भी
व्यवथर्ा की गई है । बहरहाल में तनयुष्र्कतयााँ अथर्ाई होती हैं जो्2 वषस्की्अवधध्‍े्अधधक्नहीं्होती।

कोई भी न्यायाधीश ‍ामान्यताः 62 वषस की आयु प्राप्त करने तक पद पर आ‍ीन रहता है । वह त्यागपत्र
दे कर, उच्च न्यायालय का न्यायाधीश तनयुर्कत होकर अर्वा राटरपतत द्वारा कक‍ी अन्य उच्च न्यायालय को
थर्ानान्तररत होकर अपना पद खाली कर ‍कता है । एक न्यायाधीश्राटरपतत्द्वारा्दरु ाचार्अर्वा्अक्षमता्के्
आधार्पर्हिाया्जा्‍कता्है ्जै‍े्कक्उच्चतम्न्यायालय्के्न्यायाधीश्को्हिाया्जाता्है ।

न्यायाधीर् की अहशताएाँ

अनुच्छे द -2017्के्तहत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में तनयुष्र्कत के ललए एक व्यष्र्कत के
पा‍ तनम्न योग्यताएाँ होनी चादहए।

1. वह्भारत्का्नागररक्होना्चादहए।

2. उ‍े्भारत्के्न्यातयक्कायस्में्10्वषस्का्अनुभव्हो।

अर्वा

वह उच्च्न्यायालय्में ्लगातार्10्वषों्तक्अधधवर्कता्रह्चुका्हो।

नोि : उपरोर्कत्‍े् यह्थपटि्है ् कक्‍ंववधान्में् उच्च्न्यायालय्के्न्यायाधीशों्की तनयष्ु र्कत के ललए न्यन


ू तम
आयु का प्रावधान नहीं है ।

न्यायाधीर्ों को हिाना

राटरपतत्के्आदे श्द्वारा्उच्च्न्यायालय्के्न्यायाधीश्को्उ‍के्पद्‍े्हिाया्जा्‍कता्है । भारतीय्


‍ंववधान् में् उच्च् न्यायालय् के न्यायाधीशों् को् हिाने् के् दो् आधार् हैं —1. कदाचार ‍ाब्रबत होने अर्वा
2. अयोग्यता की दशा में ही हिाया जा ‍कता है । न्यायाधीश को हिाने की प्रकिया लोक‍भा व राज्य‍भा दोनों
‍दनों में ‍े कक‍ी भी ‍दन में प्रारम्भ की जा ‍कती है ।

62
यदद प्रक्रिया लोकिभा में आरम्भ हो

लोक‍भा्के्मामले्में तनटका‍न प्रथताव 100 ‍दथयों के द्वारा हथताक्षर करके प्रथतुत ककया जाता है ।
तनटका‍न्प्रथताव्को्लोक‍भा्अध्यक्ष्के्पा‍्भेजा्जाता्है ्लोक‍भा्अध्यक्ष्प्रथताव्को्थवीकार्कर्‍कता्
है ्या्उ‍े अथवीकार कर ‍कता है । यदद्तनटका‍न्प्रथताव्को्थवीकार्कर्ललया्जाए्तो्लोक‍भा्अध्यक्ष्का्
इ‍की्जााँच्के्ललए्तीन्‍दथय्‍लमतत्का्गिन्करके जााँच के ललए भेज ददया जाता है ।

िसमतत में र्ासमल होने चादहए

1. उच्चतम्न्यायालय्का्मुख्य्न्यायाधीश्अर्वा्कोई्भी्न्यायाधीश।

2. कक‍ी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश।

3. प्रततष्टित्न्यायवादी।

यदद्‍लमतत्न्यायाधीश्को्दव्ु यसवहार्का्दोषी्या अ‍क्षम पाती्है तो लोक‍भा इ‍ प्रथताव पर ववचार


कर ‍कती है । इ‍के्बाद्प्रथताव्ववशेष्बहुमत्‍े् लोक‍भा्में् पा‍्करके्राज्य‍भा्में् भेज्ददया्जाता्है ।्
यदद्राज्य‍भा्में्भी्प्रथताव्ववशेष्बहुमत्‍े्पा‍्हो्जाए्तो न्यायाधीश्को्हिाने्के्ललए्राटरपतत्के्पा‍्
भेज्ददया्जाता्है । अन्त्में्राटरपतत्न्यायाधीश्को्हिाने्का्आदे श्जारी्कर्दे ते्हैं।

यदद प्रक्रिया राज्यिभा में प्रारम्भ हो -


राज्य‍भा के मामले में तनटका‍न का प्रथताव 50 ‍दथयों द्वारा हथताक्षर करके प्रथतुत होता है ।
तनटका‍न्प्रथताव्को्राज्य‍भा्‍भापतत्के्पा‍्भेजा्जाता्है ।्राज्य‍भा्‍भापतत्इ‍्प्रथताव्को्थवीकार्
कर्‍कते् हैं् या्कफर्उ‍े् अथवीकार्कर ‍कते हैं। यदद्तनटका‍न्प्रथताव्को्थवीकार्कर्ललया्जाता्है ् तो्
राज्य‍भा्‍भापतत्को्इ‍की्जााँच्के्ललए्3्‍दथय्‍लमतत्का्गिन्करके्जांच्के्ललए भेज ददया जाता है ।

िसमतत में र्ासमल होने चादहए

1. उच्चतम्न्यायालय्का्मुख्य्न्यायाधीश्अर्वा्कोई्भी्न्यायाधीश।
2. कक‍ी्उच्च्न्यायालय्का्मुख्य्न्यायाधीश।
3. प्रततष्टित्न्यायवादी।

यदद्‍लमतत्न्यायाधीश्का्दव्ु यसवहार्को्दोषी्या्अ‍क्षम पाती्है ्तो्राज्य‍भा्इ‍्प्रथताव्पर्ववचार्


कर्‍कती्है । इ‍के्बाद्प्रथताव्ववशेष्बहुमत्‍े्राज्य‍भा्में्पा‍्करके्लोक‍भा्में्भेज्ददया्जाता्है ्यदद्
लोक‍भा्में् भी्प्रथताव्ववशेष्बहुमत्‍े् पा‍्हो्जाता्है ् तो्इ‍े् राटरपतत्के्पा‍्भेज्ददया्जाता्है । अन्त्
में्राटरपतत्न्यायाधीश्को्हिाने्का्आदे श्जारी कर दे ते हैं।

उच्च न्यायालय का क्षेिाधधकार

एक्उच्च्न्यायालय्के्मल
ू ्क्षेत्राधधकार्में् शालमल्है -्मौललक्अधधकारों्पर ररि,्‍ंघ्व्राज्य्के्
चुनाव्तर्ा्राजथव्पर्क्षेत्राधधकार्‍े्‍म्बष्न्धत्वववादों्का्तनपिारा। उच्च्न्यायालय्का्अपीलीय्क्षेत्राधधकार्
दीवानी्व्अपराधधक्दोनों्मामलों्तक्ववथतीणस् है । दीवानी्मामलों्में् उच्च्न्यायालय में् या्तो्पहली्अपील्
अर्वा्द‍
ू री्अपील होती है । आपराधधक मामलों में कक‍ी ‍त्र न्यायाधीश अर्वा कक‍ी अततररर्कत ‍त्र-न्यायाधीश
के तनयमों ‍े पुनरावेदन ककया जाता है जहााँ कारावा‍ का दण्डादे श 7 वषस ‍े अधधक हो व छोिे -मोिे अपराधों के
अलावा अन्य उष्ल्लणखत मामले एक उच्च न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधधकार का ‍ंगिन करते हैं। इन ‍ामान्य

63
मौललक तर्ा अपीलीय क्षेत्राधधकार के अलावा ‍ंववधान उच्च न्यायालयों में चार्अततररर्कत्शष्र्कतयााँ्तनदहत्करता्
है जो इ‍ प्रकार ‍े हैं :

1. मौललक्अधधकारों्के्बाध्यकरण्हे त्ु आज्ञा्पत्र (ररि)्अर्वा्आदे शों्को्जारी्करने् का्अधधकार्है । एक्


उच्च्न्यायालय्का्आज्ञा्पत्र्(ररि)्क्षेत्राधधकार्उच्चतम्न्यायालय्के क्षेत्राधधकार ‍े अधधक ववथतत
ृ ्है ।
उच्च न्यायालय न ल‍फस मौललक अधधकारों के ललए बष्ल्क कक‍ी कानूनी अधधकार के मामलों में भी (ररि)
जारी कर ‍कता है (अनुच्छे द - 226)।

2. ‍शथत्र्बल्‍म्बन्धों्को्छोड़कर्अन्य्‍भी्न्यायालयों्तर्ा्न्यायाधधकरण्के्अधीक्षण्का्अधधकार्रखता्
है ।्वह्तनयम्बना्‍कता्है तीव्रतर तर्ा प्रभावी न्यातयक उपचार के ललए तनदे शों के ‍ार् ‍मय-‍मय पर
मागसदशसन हे तु तनदे श भी जारी कर ‍कता है ।

3. ‍ंववधान्की्व्याख्या्‍े् ‍म्बष्न्धत्मामलों्को अधीनथर् न्यायालयों ‍े थवयं को हथतान्तररत करने का


अधधकार रखता है ।

4. उच्च्न्यायालय्के्अधधकाररयों्व्‍ेवा्कलमसकों को तनयुर्कत करने का अधधकार रखता है ।

5. कुछ्मामलों्में्उच्च्न्यायालयों्का्क्षेत्राधधकार्‍ीलमत्है ।्उदाहरण्के्ललए्उ‍का्एक्न्यायाधधकरण्पर्
कोई्क्षेत्राधधकार्नहीं्होता्और्एक्केष्न्द्रय्अधधतनयम्अर्वा्‍ंघ्के्कक‍ी्प्रशा‍तनक प्राधधकरण द्वारा
बनाए गए कक‍ी तनयम ववज्ञष्प्त अर्वा आदे शों को भी अवैध करार दे ने का कोई अधधकार नहीं है चाहे वह
मौललक अधधकारों का उल्लंघन करता हो।

अधीनस्थ न्यायालय

उच्च्न्यायालय्के्अधीन्न्यायालयों्का्एक्पदानुिम्होता्है ्ष्जन्हें ्भारतीय्‍ंववधान्में्अधीनथर््


न्यायालय्के्रूप्में् जाना्जाता्है ् चंकू क्ये न्यायालय्राज्य्‍रकार्द्वारा्अधधतनयम्के्कारण्अष्थतत्व्में्
आए्हैं,्उनकी्नामावली्और्पदनाम्राज्य-राज्य्में्लभन्न हैं।्‍भी्राज्य्ष्जलों्में्ववभर्कत्होता्है ्और्प्रत्येक्
ष्जले् में् एक्न्यायालय्होता्है ् ष्ज‍का्उ‍्ष्जले् में् एक्अपीलीय्क्षेत्राधधकार्होता्है । ष्जला न्यायालयों के
अधीन अततररर्कत ष्जला न्यायालय, उप-न्यायालय, मुष्न्‍फ न्यायाधीश की अदालत, द्ववतीय-श्रेणी ववशेष न्यातयक
न्यायाधधकरण की अदालत, प्रर्म-श्रेणी ववशेष न्यातयक न्यायाधधकारी की अदालत, कारखाना अधधतनयम तर्ा श्रम
कानन
ू ों के ललए ववशेष मष्ु न्‍फ न्यायाधधकारी की अदालत आदद जै‍ी तनचली अदालत होती हैं। अधीनथर्
न्यायालय पदानुिम के ‍ब‍े नीचे हैं पंचायत अदालतें ष्जन्हें बहरहाल अपराधधक न्याय के क्षेत्राधधकार के प्रयोजन
‍े अदालतों के रूप में नहीं ललया जाता है ।

ष्जला न्यायालय का मुख्य कायश—अधीनथर्् न्यायालयों् ‍े अपीलीय ‍ुनवाई करता है । तर्ावप् यह्
न्यायालय् ववशेष् तनधध् के् अन्तगसत् मौललक् ववषयों् का् पररज्ञान् भी् ले् ‍कते् हैं। उदाहरण् के् ललए् भारतीय्
उत्तराधधकार्अधधतनयम,्अलभभावक्अधधतनयम्व्‍ंरक्षकता अधधतनयम तर्ा भू-अधधग्रहण अधधतनयम।

‍ंववधान अधीनथर् न्यायपाललका की थवतन्त्रता ‍ुतनष्श्चत करता है । ष्जला न्यायालयों की तनयुष्र्कतयााँ


राज्यपाल द्वारा उच्च न्यायालय की ‍लाह ‍े की जाती है । तनयष्ु र्कत हे तु अहसता होने के ललए व्यष्र्कत 7 वषस
‍म्मातनत अधधवर्कता अर्वा वकील रहा हो अर्वा ‍ंघ या राज्य की ‍ेवा में एक अधधकारी रहा हो। कक‍ी राज्य
की न्यातयक ‍ेवा हे तु ष्जला न्यायाधीशों के अलावा व्यष्र्कतयों की तनयुष्र्कत उच्च न्यायालय तर्ा राज्य लोक ‍ेवा
आयोग के ‍ार् ववचार-ववमशस करने के बाद राज्यपाल द्वारा उ‍ी के द्वारा उ‍के तनलमत्त बनाए गए तनयमों के

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अनु‍ार की जाती है । उच्च न्यायालय, राज्य न्यातयक ‍ेवा में ‍म्बष्न्धत ‍भी व्यष्र्कतयों की तैनाती, पदोन्नतत
तर्ा अवकाश-अनुमतत जै‍े मामलों में ष्जला न्यायालय तर्ा उनके अधीनथर् न्यायालय पर तनयन्त्रण रखता है ।

तनटकषश

इ‍्अध्याय्में्आपने्अपनी्लोकताष्न्त्रक्‍ंरचना्में्न्यायपाललका्की्भूलमका्का्अध्ययन्ककया्है ।
न्यायपाललका, ववधातयका और कायसपाललका के बीच ‍मय-‍मय पर उिने वाले वववादों के बावजद
ू न्यायपाललका
की ‍ाख बड़ी है । न्यायपाललका ‍े कुछ और भी अपेक्षाएाँ हैं। आम आदमी को आश्चयस होता है की ककतनी आ‍ानी
‍े अनेक दोषी लोग न्यायपाललका ‍े बेदाग बरी हो जाते हैं और कै‍े धनी और दबंगों के अ‍र में गवाह अपने
बयान ‍े मुकर जाते हैं।्यह्कुछ्ऐ‍े्मुद्दे ्हैं्ष्जनके्बारे ्में्थवयं्न्यायपाललका्भी्धचष्न्तत्है ।्इ‍्अध्ययन्
में् आपने् दे खा्कक्भारत्में् न्यायपाललका्बहुत्शष्र्कतशाली्‍ंथर्ा्है ।्इ‍्शष्र्कत्ने् बड़े् आश्चयस ‍े् बहुत्‍ी्
आशाओं् को्जन्म्ददया्है । भारतीय्न्यायपाललका्अपनी्थवतन्त्रता्के्ललए्भी्जानी्जाती्है । अनेक्तनणसयों्
के्माध्यम्‍े्न्यायपाललका्ने्‍ंववधान्की्नई्व्याख्याएाँ दी्और नागररकों्के्अधधकारों्की्रक्षा्की।्जै‍ा्कक्
हमने् इ‍्अध्याय्में् दे खा्लोकतन्त्र्वाथतव्में् ववधातयका्और्न्यायपाललका्के्बीच्एक्अत्यन्त्‍ंवेदनशील
‍न्तुलन पर आधाररत है और इन दोनों को ‍ंववधान की ‍ीमाओं के अन्दर ही रहकर कायस करना पड़ता है ।
आपने न्यातयक ‍मीक्षा के बारे में भी पढा ा़ है । न्यातयक ‍मीक्षा एक तकनीक है ष्ज‍के द्वारा न्यायालय
ववधातयका, कायसपाललका व अन्य ‍रकारी अलभकतासओं के कायों की जााँच करते हैं और तनष्श्चत करते हैं कक र्कया
ये कायस वैध हैं और ‍ंववधान द्वारा तय ‍ीमा के भीतर हैं अर्वा नहीं। न्यातयक पुनरीक्षा का आधार (अ) ‘कक
‍ंववधान एक वैधातनक प्रपत्र है और (ब) यह कानून उ‍ ववधातयका द्वारा बनाए गए कानूनों ‍े पद में बड़ा है
जो थवयं ही ‍ंववधान द्वारा थवालमत है '् इ‍् प्रकार है ।् अब यह भारत में भलीभााँतत प्रमाणणत हो चुकी है कक
न्यातयक पुनरीक्षा में भारतीय ‍ंववधान का मूल अधधकार तर्ा अलभलक्षण तनदहत है ।्

कुछ उपयोगी पस्


ु तकें
❖ G. Austin (2010), The iIndian iConstitution: iCornerstone iof ia iNation, iNew iDelhi: Oxford
❖ University iPress, i15th iprint i(Chapter i7: iThe iJudiciary iand ithe iSocial Revolution,
ipp.164-185)
❖ Chakravarty, iB. i& iPandey, iK. iP. i(2006) iIndian iGovernment iand iPolitics, iNew Delhi:
iSage.
❖ Singh, iM.P. i& iSaxena, iR. i(2008) Indian iPolitics: iContemporary iIssues iand Concerns,
iNew Delhi: iPHI iLearning.
❖ Austin, iG. i(1999) iIndian iConstitution: iCorner iStone iof ia iNation, iNew iDelhi: Oxford
iUniversity Press.
❖ Austin, iG. i(2004) iWorking iof ia iDemocratic iConstitution iof iIndia, iNew iDelhi: Oxford
iUniversity iPress.
❖ Austin, iG. i(1999) Indian iConstitution: iCorner iStone iof ia iNation, iNew iDelhi: Oxford
iUniversity iPress.
❖ Chakravarty, iB. i& iPandey, iK. iP. i(2006) Indian iGovernment iand iPolitics, iNew Delhi:
iSage.
❖ Chandra, iB., iMukherjee, iA. i& iMukherjee, iM. i(2010) India iAfter iIndependence, New
iDelhi: iPenguin.

65
❖ Singh, iM.P. i& iSaxena, iR. i(2008) Indian iPolitics: iContemporary iIssues iand Concerns,
iNew Delhi: iPHI Learning.
❖ Vanaik, iA. i& iBhargava, iR. i(eds.) (2010) Understanding iContemporary iIndia: Critical
iPerspectives, iNew iDelhi: iOrient iBlackswan.
❖ Jayal, iN. G. & Mahta, P. B. (eds.) (2010) Oxford Companion to Indian Politics, New Delhi.

कुछ महत्त्वपूणश प्रश्न

1. उच्चतम न्यायालय की मूल शष्र्कतयों और क्षेत्राधधकार का वणसन कररए। यह कक‍ प्रकार भारत के ‍ंघीय
मामलों क तनपिारा करता है ?

2. आप इ‍ बात ‍े ककतना ‍हमत हैं कक जनदहत याधचका गरीबों की ‍हायता के ललये ‍फल ल‍द्ध हुई है ?
कारण बताइए।

3. न्यातयक ‍कियता कक‍ प्रकार मौललक अधधकारों का ‍ंरक्षण करती है ?


4. ररि कक‍े कहते हैं? यह कक‍ प्रकार तुलनात्मक रूप ‍े उच्च न्यायालय के पा‍ अधधक व्यापक है ?्

66
इकाई-4
पाि्1

भारत में र्ष्र्कत-िंरचना: जातत के िंदभश में


ववशाल्कुमार्गुप्ता

िारांर्

भारतीय्राजनीततक्के्अध्ययन्हे त्ु हमें् ‍वसप्रर्म्भारत्में् शष्र्कत-‍ंरचना्को्‍मझना अतत्आवश्यक्


है ् ष्ज‍में् ‍ामाष्जक् ढााँचा् ष्ज‍के् अंतगसत् जातत,् वगस,् वपत‍
ृ त्तात्मक् आदद् ‍मष्म्लत् है ।् ये् ‍भी् भारत् की्
परं पराओं् के्थवरूप्में् लंबे् ‍मय्‍े् ववरा‍त्में् लमले् हैं।्अताः्हमारे ् ‍माज्की्इन्‍ंरचनाओं् को्‍मझना्
हमारे ् ललए्अतत्आवश्यक्हो्जाता्है ् कक्कै‍े् ववलभन्न्ववद्वानों्द्वारा्इ‍की्व्याख्या्लभन्न-लभन्न्कालखंडों्
में्लभन्न-लभन्न्रूपों्की्जाती्रही्है ्और्यह्‍ामाष्जक-आधर्सक-राजनीततक्पररवेश्के्बदलते्पररदृश्य्के्‍ार््
कै‍े्कायस्कर्रहा्है ।्

हमें्पररवततसत्भारतीय्राजनीतत्को्‍मझने्के्ललए्इन्ल‍द्धांतों्के्‍ार््‍ंबंधों्में्उभरती्हुई्राजनीतत्
को्‍मझना्अतत्आवश्यक्है ।्इ‍्अध्याय्में्हम्भारत्में्जातत्और्उ‍के्राजनीतत्के्‍ार््‍ंबंध्के्‍ंदभस्
में्‍त्ता्‍ंरचना्का्ववश्लेषण्करें गे् और्यह्भी्‍मझने्की्कोलशश्करें गे् कक्कक‍्प्रकार्जातत्की्राजनीतत्
भारत्में्शा‍न/‍त्ता्और्राजनीतत्का्एक्महत्त्वपूण्स अववच्छे ददत्अंग्रहा्है ।्

उद्दे श्य

• भारत्में्ववशेष्रूप्‍े्जातत्के्‍ंदभस्में्‍त्ता-‍ंरचना्को्जानना।
• ‍ामाष्जक्दृष्टिकोण्में्जातत्‍ंरचना्के्बारे ्में्अध्ययन्करना।
• राजनीततक्‍ंदभों्में्जातत्की्‍ंरचना्के्‍ार््आत्म‍ात्करना।
• जातत्‍ंगिन्भारतीय्लोकतंत्र्को्कै‍े् प्रदलशसत्करता्है ,्यह्कै‍े् उभर्रहा्है ् तर्ा्इ‍ने् कै‍े् भारतीय्
‍माज्के्तनचले्दहथ‍े्को्भी्प्रभाववत्ककया्है ।
• वपछड़ी्जातत्के्ललए्‍ंवैधातनक्‍ुरक्षा्उपायों्को्जानना्और;
• हम्यह्भी जानेंगे्कक,्भारत्की्राजनीततक्‍ंरचना्में्कक‍्प्रकार्जातत्का्आववभासव्हुआ्है ्और्भारतीय्
‍माज्पर्इ‍का्र्कया्प्रभाव्पड़ा्है ।

भसू मका

भारत् ‍रकार् अधधतनयम,् 1935् ‍े् पहले् “अनु‍ूधचत् जातत”् को् “डडप्रेथड् र्कला‍े‍”् के् रूप् में् वगीकृत्
ककया्गया्र्ा।्इ‍्‍ामाष्जक्‍मूह्को्भारतीय्‍माज्में् मानव्ववका‍्के्मामले् में् ‍ब‍े् गरीब,्कमजोर्
और् ‍ब‍े् अधीनथर्् लोगों् के् ‍मूह् में् वगीकृत् ककया् गया् है ।् भारत् के् पााँच् राज्यों् -् उत्तर् प्रदे श,् पष्श्चम्
बंगाल,्ब्रबहार,्तलमलनाडु्और्आंध्र्प्रदे श्में्अनु‍ूधचत्जातत्की्आधी्‍े्भी्अधधक आबादी्केंदद्रत्हैं।्आधर्सक्
और्‍ामाष्जक्बदहटकार्की्ऐततहाल‍क्प्रकिया्और्जातत्पर्आधाररत्भेदभाव्इ‍्‍मह
ू ्के्वपछड़ेपन्और्
दयनीय्ष्थर्तत्के्ललए्उत्तरदायी्है ।्

67
‘अनु‍ूची’्‍ंववधान्के्ललए्एक्अनु‍ूची (Schedule)्को्‍ंदलभसत्करता्है ् तर्ा्अनु‍ूधचत्जातत्ऐ‍ी्
जाततयों,्जनजाततयों्अर्वा्‍मूह्या्जनजाततयों्के्‍मूह इिके्अंतगसत्आते्हैं्ष्जन्हें ्‍ंववधान्के्प्रयोजन्के्
ललए् भारतीय् ‍ंववधान् के् अनच्
ु छे द् 341् के् अधीन् माना् गया् है ।् भारत् ‍रकार् अधधतनयम,् 1935् में् इन्
अनु‍ूधचत्जातत्जन‍ंख्या्का्तनधासरण्तनम्न,्वंधचत,्ववशेष्रूप्‍े् ‍ामाष्जक्आधर्सक्आधार्पर्तनधासररत्
करने्पर्ववचार्करता्है ्कक्वे्:-

• दहंद्ू ‍ामाष्जक्‍ंरचना्में्तनम्न्थर्ान्पर्रहते्हैं।
• ‍रकारी्‍ेवाओं्में्अपयासप्त्प्रतततनधधत्व्हैं।
• व्यापार,्वाणणज्य्तर्ा्औद्योधगक्क्षेत्र्में्अपयासप्त्रूप्में ्प्रतततनधधत्व्करते्हैं।
• शेष्‍मद
ु ाय्‍े्‍ामाष्जक्और्शारीररक्रूप्‍े्बदहटकृत्और्पीडड़त्हैं।
• ‍म्पूण्स ‍मुदाय्के्बीच्शैक्षक्षक्ववका‍्का्आभाव।

जातत की र्ष्र्कत िंरचना: एक िामाष्जक पररप्रेक्ष्य

जातत्का्नामकरण्पुतग
स ाली्शब्द्‘काथिा’्‍े्ललया्गया्है ्ष्ज‍का्अर्स्है ्‘नथल’्अर्वा्‘वंश’्या्भारतीय्
‍ंदभस् में् जातत्के्नाम्‍े् जाना्जाता्है ,्जो्जन्म्‍े् ‍ंबधं धत्है ।्‍ंरचनावादी्जातत्को्एक्बंद्श्रेणी्‍मूह्
के्रूप्में्पररभावषत्करते्हैं्और्‍ांथकृततक्पद्धतत्इ‍े्मूल्यों,्ववश्वा‍ों्और्आचरणों्का्‍मूह्मानती्हैं।्

केिकर (KETKAR)-्एक्‍ामाष्जक्‍मूह्के्रूप्में्एक्जातत,्ष्ज‍की्दो्ववशेषताएाँ्हैं:-

1. िबिे पहले,्‍दथयता्उन्लोगों्तक्ही्‍ीलमत्है ्ष्जन्होंने्उ‍ी्‍मह


ू ्में्जन्म्ललया्हो्अर्ासत्वंशानग
ु त्
‍दथयता;
2. दि
ू रे ,्‍दथयों्पर्एक्दृढ्‍ामाष्जक्तनयम्के्द्वारा्अपने् ‍मूह्के्बाहर्वववाह्करने्पर्तनयंत्रण्लगा्
ददया्जाता्है ।

िी.एच.कोलेई (C.H. COOLEY) –्‘जब्एक्वगस्पूणत


स या्वंशानुिम्पर्आधाररत्होता्है ,्तब्हम्उ‍े्
एक्जातत्कहते्हैं’।

अताः्जातत्एक्‍ामाष्जक्थतरीकरण्के्रूप्में्है ्ष्ज‍का्‍ंबंध्श्रेणीबद्ध्‍माज्की्पदानि
ु लमत्प्रणाली्
में् आनुटिातनक्पररष्थर्तत्‍े् जुड़ा्है ,्जो्शुद्धता एवं् अशुद्धता्की्अवधारणा्पर्आधाररत्है ।्पांडुललवप्के्
अनु‍ार,्िानमण,्क्षब्रत्रय,्वैश्य्और्शुद्र्‍े् ऊपरी्थर्ान्पर्काब्रबज्है् तर्ा्अथपश्ृ य्लोग्शूद्रों्‍े् भी्तनम्न्
थर्ान्पर्खड़े्हैं। शूद्रों्और्अथपश्ृ यों्के ‍ार््ववलभन्न्तनशर्कतताओं्एवं्तनम्न्अक्षमताओं्के्‍ार््तनम्नललणखत्
रूपों्में्भेदभाव्ककया्गया।

1. ‍ावसजतनक्‍ुववधाओं्अर्ासत्‍ड़कों,्कुओं,्अदालतों,्डाकघरों,्थकूलों्तक्पहुाँच्‍े्वंधचत्रखना।
2. मंददरों्तक्पहुाँच्या्उच्च्वगस्को्अशद्
ु ध्करने्के्ललए्उनकी्उपष्थर्तत्पर्प्रततबंध।
3. वेदों के्अध्ययन्की्अनुमतत्नहीं्है ्और्शुद्ध्व्यष्र्कत्नहीं्बन्‍कते्हैं।
4. ‍म्मानजनक्और्लाभदायक्व्यव‍ाय्‍े्बाहर्रखा्गया्है ्इ‍ललए्मेहनती्तर्ा्तुच्छ्व्यव‍ाय्करने्के्
ललए्प्रततबंधधत्हैं।

68
5. ररहायशी्और्आवा‍ीय्अलगाव्के्कारण्गााँव्‍े्बाहर्रहना।
6. ‍ुववधाओं् और्ववलाल‍ता्की्वथतुओं् का्उपयोग्करने् ‍े् वंधचत्करना्तर्ा्दल्
ु हन्को्ले् जाने् के्ललए्
घोड़े्या्‍ाइककल,्छाता,्‍ोने-चााँदी्के्गहने्और्पालकी्पर्‍वारी्करने्के्अधधकार्‍े्वंधचत्कर्ददया्
गया।
7. ‍ेवाओं्तक्पहुाँच्का्प्रततबंध।
8. अलग्बतसनों्का्उपयोग्अतनवायस्आवश्यकता्र्ी।
9. उच्च्जातत्के्तनवा‍ों्की्तनधासररत्दरू ी्‍े्भीतर्आंदोलन्या्घूमने-कफरने्की्अनुमतत्नहीं्र्ी।
10. उच्च्जाततयों्की्उपष्थर्तत्में्‍ंबोधन,्भाषा,्बैिने्और्खड़े्होने्में्‍म्मान्की्अतनवायसता।

भारतीय् ‘पारं पररक’् ‍माज् के् एक् प्रतीक् के् रूप् में् जातत् एक् ‘बंद -प्रणाली’्का् प्रतततनधधत्व् करती् है ,्
ष्ज‍में्पीढ़ी-दर-पीढ़ी्एक्‍मान्व्यव‍ाय्का्ववकल्प्चुना्जाता्है ,्जो्आधुतनक्पष्श्चमी्औद्योधगक्‍माजों्
के्‍ामाष्जक्थतरीकरण्की्‘खुली-प्रणाली’्के ववपरीत्रूप्में्है ,्जहााँ्व्यष्र्कत्अपनी्क्षमताओं्के्अनु‍ार्अपना्
व्यव‍ाय्चुन्‍कते्हैं्और्‍माज्के्पदानुिम्प्रणाली्में्आगे्बढ़्‍कते्हैं।्जातत्व्यवथर्ा्में्ऐ‍ी्गततशीलता्
अ‍ंभव् र्ी।् यह् वगस् प्रणाली् ‍े् अलग् है ।् वगस् जहााँ् व्यव‍ाय् और् औद्योधगकीकरण् के् धमसतनरपेक्षीकरण् की्
प्रकिया्के्‍ार््उभरा्है ्वही्जातत्पारं पाररक्है ।

गैर-दसलत : वे्कौन्हैं्

गैर्दललत्‍मुदाय्के्बारे ्में्दो्धारणाएाँ्मुख्यताः्प्रल‍द्ध्है :-

पहला,्गैर-दललत्वह्है ्जो्द्ववज-जन्म्(दो्बार्पैदा्हुए)्हैं;्िानमण,्क्षब्रत्रय,्वैश्य्और्शूद्र्

दि
ू रा,्नथलीय्रूप्‍े्अलग्और्ऐततहाल‍क्रूप्‍े्बाहरी्लोग-आयस।्फ्रेडररक्मैर्क‍्मूलर्(1823-1900),्
द्वारा्प्रततपाददत्इ‍्आयस् ल‍द्धांत्ने् शूद्रों,्अथपश्ृ यों्और्आददवाल‍यों्को्मूल-तनवाल‍यों्के्रूप्में् माना।
मल
ू र्ने्इनको्भारत्के्मल
ू ्तनवा‍ी और्द्ववजों्को्बाहरी्लोगों्के्रूप्में्माना।

जातत पर अंबेडकर

डॉ.् बी.आर.् अंबेडकर् ने् जातत्व्यवथर्ा् की् किोरता् को्दे खा् र्कयोंकक् यह् ‍माज् में् ववरा‍त्में् लमली्
श्रेणीबद्ध अ‍मानता्पर्आधाररत्है ्जो्कक्कक‍ी्भी्प्रकार्के्वववाद्‍े्परे ्एक्बुतनयादी्ल‍द्धांत्के्रूप्में्
‍माज्में्अंततनसदहत्है । ये्चार्वगस्न्केवल्लभन्न है ्बष्ल्क्पदानुिलमत्‍ामाष्जक्प्रणाली्में्भी्अ‍मान्रूप्
‍े् ष्थर्त्है ् तर्ा्श्रलमक्पुरथकार्ववतरण्के्आधार्के्रूप्में् ‍मान्कायस् या्‍मान्क्षमता्को्मान्यता्नहीं्
दे ते्हैं। यह्तनधासररत्श्रेणीबद्ध्व्यव‍ाय्पर्थर्ावपत्या्आधाररत्है ्जो्एक्पीढ़ी्‍े्द‍
ू री्पीढ़ी्तक्ववरा‍त्
में् लमली्है । दहंद्ू ‍ामाष्जक्व्यवथर्ा्में् ववलभन्न्वगों्के्लोगों्के्बीच्अंतभोज्और्अंतववसवाह्पर्प्रततबंध्
लगाने्‍े्दहंद्ू ‍माज्में्लोगों्की्परथपर ‍हकिया्को्ही्बंद्कर्ददया्गया्है । उनका्कहना्है ्कक्दहंद्ू ‍माज्
व्यवथर्ा्व्यष्र्कत्के्थर्ान्पर्‍माज्की्इकाई्के्रूप्में् वणस् अर्वा्वगस् पर्आधाररत्है ।्जहााँ ् व्यष्र्कतगत्
योग्यता्के्ललए्कोई्गुंजाइश्नहीं्है ्और्व्यष्र्कतगत्न्याय्पर्कोई्ववचार्नहीं्है ।्वे्‍माज्के्वणस्आधाररत्
ववभाजन्की्तनंदा्करते्हैं्र्कयोंकक्वह्थवतंत्र्लोकतांब्रत्रक्‍ामाष्जक्व्यवथर्ा्के्तीन्थतंभ -्थवतंत्रता,्‍मानता्

69
और्बंधुत्व्कायम्रखने्में्ववफल्रहा्है ।्उनके्अनु‍ार्अलगाव्की्इ‍्भावना्की्‍वासधधक्व्यापक्अलभव्यष्र्कत्
यह् है ् कक् जाततयों् को् उप् जाततयों् में् ववभाष्जत् ककया् गया् है । तो् ऐ‍ी् भावनाओं् पर् आधाररत् ‍ामाष्जक्
‍मद
ु ाय्कै‍ा्हो्‍कता्हैं?्उन्होंने् ‘दहन्द्ू ‍ामाष्जक्व्यवथर्ा’्को्‘‍मानतावादी्थवभाव’्के्प्रततकूल्माना्जो्
पररष्थर्ततयों,्‍ंथर्ानों्और्जीवन्शैली्की्‍मानता्को्ववकल‍त्करने्की्अनुमतत्नहीं्दे ता्है ।्इ‍्व्यवथर्ा्
में्‘कायस्करने्की्थवतंत्रता’्का्आभाव्है ।्र्कयोंकक्‍भी्व्यष्र्कतयों्का्व्यव‍ाय्तर्ा्थतर्उनके्जन्म्के्आधार्
पर्कक‍ी्पररवार्ववशेष्में् तनयत्होता्है ।्उनका्मत्र्ा् कक्दहन्द्ू उ‍्कानून्में् ववश्वा‍्करते् हैं् ष्जनके्
द्वारा् लोगों् को् शाल‍त्ककया् जाना् है ,् वह् पहले् ‍े् वेदों् में् ववद्यमान् है ् एवं् कक‍ी् भी् मनुटय् को् वतसमान्
तनयमों्में्पररवतसन्करने्की्शष्र्कत्या्अधधकार्नहीं्है ।

अम्बेडकर्के्अन‍
ु ार्‘कक‍ी्‍माज्का्यह्उपखंड्अत्यंत्थवाभाववक्है ।्ककन्त्
ु इन्उपखंडो्या्ववभाजनों्
के्बारे ्में्अथवाभाववक्या्अप्राकृततक्बात्यह्है ् की्वे् वगस् प्रणाली्के्खुले-द्वार्के्थवरुप्या्चररत्र्को्खो्
चुके्है ् और्जातत्नामक्थव-‍ंलग््न्इकाईयााँ् बन्गए्हैं।्अब्‍वाल्यह्उिता्है ् की्र्कया्उन्हें ् वववश्होकर्
अपने्दरवाजे्बंद्करने्या्अन्तववसवाही्बनने्के्ललये्वववश्होना्पड़ा्अर्वा्वह्अपनी्इच्छा्‍े्दरवाजे् बंद्
कर्चुके्र्े? इ‍के्ललए,्अम्बेडकर्ने् उत्तर्ददया्की्कुछ्लोगों्ने् अपने् द्वार्बंद्कर्ददए्हैं,्तर्ा्अन्य्ने्
पाया्की्यह्उनके्णखलाफ्बंद्है ।्इ‍में्एक्मनोववज्ञातनक्व्याख्या्है ् और्द‍
ू रा्यंत्रवादी्है ,्लेककन्वे् पूरक्
है ।

अंबेडकर् ने् इ‍् ‍ंदभस् में् गैबरील् िै रेड् (GABRIELTARDE)् के् नकल/अनुकरण् के् तनयमों् को् उद्धत
ृ ्
करते् हैं ‘अनुकरण्उच्च्‍े् तनम्न्थतर्में् प्रवादहत्होता्है ।्अनुकरण्की्तीव्रता्अलग-अलग्दरू ी्के्अनुपात्
में्लभन्न्है ....और्दरू ी्को्यहााँ्‍माजशाथत्रीय्अर्स्के्‍ंदभस्में्‍मझा्जाता्है ।्जातत्और्उ‍के्श्रम्ववभाजन्
या् व्यव‍ाय् के् थतरीकरण् की् आलोचना् करते् हुए् अंबेडकर् का् मत् र्ा् कक् जातत् व्यवथर्ा् रोजगार् के्
पन
ु मल्
ूस यांकन्की्अनम
ु तत्नहीं् दे ती्है ् तर्ा्इ‍ललए्जातत्व्यवथर्ा्दे श्में् बेरोजगारी्की्बहुत्बड़ी्वजह्बन्
जाती्है ।्यह्‘भववटयवाणी्की्हिधलमसता’्पर्आधाररत्है ्द‍
ू रे ्शब्दों्में्यह्प्रारब्ध्या्पूव्स तनयतत्के्ल‍द्धांत्
पर्आधाररत्है ।्

इ‍के् अलावा,् अंबेडकर् ‍माजवाददयों् की् बुद्धधमता् पर् ‍वाल् उिाते् हैं् और् ‍ुझाव् दे ते् हैं् कक् ‘धमस,्
‍ामाष्जक्ष्थर्तत्और्‍ंपवत्त्‍भी्शष्र्कत्के्स्रोत्हैं्और्‍ामाष्जक्व्यवथर्ा्में्‍ुधार्लाए्ब्रबना्कोई्आधर्सक्
पररवतसन्नहीं्लाया्जा्‍कता।्उन्होंने्‍माजवाददयों्को्यह्भी्आगाह्ककया्है ्कक्‍वसहारा्वगस्या्गरीब्वगस्
एक्‍जातीय्श्रेणी्का्गिन्नहीं् करते् हैं।्वाथतव्में,्उन्हें ् न्केवल्उनकी्आधर्सक्ष्थर्तत्पर्बष्ल्क्जातत्
और्पंर््के्आधार्पर्ववभाष्जत्या्वगीकृत्ककया्जाता्है ।्इ‍ललए,्वे्उन्लोगों्के्णखलाफ्खुद्को्एकजुि्
नहीं्कर्पाते्जो्उनका्शोषण्करते्हैं।्दहन््द्ू धमस्में्िमबद्ध्पदािम्में्‍मुदाय्जातत्व्यवथर्ा्के्णखलाफ्
एक्आम्मोचे्को्गदित्करना्अ‍ंभव्बनाता्है ।्जाततयााँ,्उच्च्और्तनम्न्थतर्की्‍ंप्रभुता्की्एक्श्रेणीबद्ध्
प्रणाली्का्तनमासण्करती्हैं,्जो्जीवन्के्‍ार््उनके्थतर्को्ववरा‍त्में्लमला्है ्और्उन्हें ्जातत्के्‍ामान्य्
ववघिन्की्आशंका्है ।्उन्हें ् इ‍्बात्का्भय्है ् कक्यदद्यह्ववघिन्हो्जाएगा,्तो्उनमें् ‍े् कुछ्द‍
ू रों्की्
अपेक्षा्अधधक्प्रततटिा्और्शष्र्कत्खो्दें गे्इ‍ललए्दहन््
दओु ं्को्‍ंगदित्करना्‍ंभव्नहीं्है ।

70
वह्अपनी्पुथतक्‘जातत्के्उन्मूलन’्(1936)्में् इ‍्मत्को्व्यर्कत्करते् है ् की्जातत्एक्धारणा्है ;्
यह्मन्की्एक्अवथर्ा्है ।्जातत्प्रर्ा्का्ववनाश्या्उन्मूलन्करने् के्ललए्जातत्की्पववत्रता्और्ददव्यता्
पर्आिमण्करना्आवश्यक्है ।्द‍
ू रे ्शब्दों्में्ष्ज‍्धालमसक्भावना्पर्जाततभेद्आधाररत्है ,्जब्तक्उ‍को्
नटि्नहीं्ककया्जाता,्तब्तक्इ‍को्लमिाना्‍ंभव्नहीं्है ।्अत:्उन्होंने्‍ंवैधातनक्ढं ग्‍े्राजनीततक्कानून्
बनाने्की्आवश्यकता्पर्बल्ददया्ताकक्जातत्प्रर्ा्को्‍माप्त्करने्के्ललए्तर्ा्तनचले्थतर्के्लोगों्को्
अधधकार्‍ंपन्न्बनाने्के्ललए्उन्हें ्‍शर्कत्बनाया्जा्‍के।्

दसलत िर्ष्र्कतकरण के सलए िंवैधातनक दृष्टिकोण

अनु‍ूधचत्जाततयों्के्उत्र्ान्के्प्रतत्‍रकार्का्दृष्टिकोण्और्हथतक्षेप्मुख्य्रूप्‍े्तनम्नललणखत्दो्
ववचारों्पर्आधाररत्है :-

• िबिे पहले,् वपछड़ी् जाततयों् की् वंधचतता् को् दरू ् करना् जो् ऐततहाल‍क् बदहटकरण् के् कारण् वपछड़ी्
जाततयों्को्ववरा‍त्में्लमली्है ्और्उन्हें ्‍ंभवत:्‍माज्में्अन्य्लोगों्के्बराबर्लाना;
• दि
ू रा,् दे श् के् ‍ामाष्जक,् आधर्सक् और् राजनीततक् प्रकिया् में् उनकी् प्रभावी् भागीदारी् को् प्रोत्‍ादहत्
करके्उन्हें ्‍माज्में्बदहटकरण्और्भेदभाव्के्ववरुद्ध्‍रु क्षा्प्रदान्करना।

इन्उद्दे श्यों्की्प्राष्प्त्के्ललए्‍रकारी्‍ंथर्ानों्को्दो्तरफा्रणनीतत्बनाने्की्आवश्यकता्होती्है ।

• भेदभाव-ववरोधी्या्‍रु क्षात्मक्उपाय;
• दे श्की्तनणसय्लेने्की्प्रकिया्में्उनकी्भागीदारी्के्माध्यम्‍े्ववका‍्और्‍शष्र्कतकरण्उपाय।

इ‍ललए्इन्कमजोर्जाततयों्का्शैक्षक्षक्ववका‍्‍रकार्के्ललए्महत्त्वपूण्स क्षेत्र्है ् र्कयोंकक्इन्‍मुदायों्


में्कम्‍ाक्षरता्दर्है ;्प्रार्लमक,्माध्यलमक्और्उच्च्शैक्षक्षक्थतर्पर्उच्च्ड्रॉपआउि्दर,्तनम्न्गुणवत्तापूणस्
लशक्षा्तर्ा्अत्याधधक्भेदभाव्पूण्स बदहटकरणीय्प्रर्ाओं् का्अष्थतत्व,्जो्‍शष्र्कतकरण्में् उनकी्भागीदारी्के्
प्रतत्बाधक्है ।्इ‍ललए,्‍रकार्तनम्नललणखत्बातों्पर्जोर्दे ती्है :-

• गण
ु ात्मक्रूप्‍े्बेहतर्शैक्षक्षक्अव‍ंरचना्ववशेषकर्उन्क्षेत्रों्में्जहााँ्मख्
ु यताः्इन्वपछड़ी्जाततयों्का्
तनवा‍्है ;
• शैक्षक्षक्‍ंथर्ानों्में्आरक्षण्प्रणाली्का्कायासन्वयन्‍ुतनष्श्चत्करना;
• थर्ानीय,्क्षेत्रीय,्राटरीय्और्अंतरराटरीय्थतर्पर्छात्रववृ त्त्और्फैलोलशप्के्‍ंदभस्में ्ववत्तीय्‍हायता्
प्रदान्करना;
• इन्कमजोर्‍ामाष्जक्‍मह
ू ्को्उनकी्गण
ु ात्मक्क्षमता्बनाने् के्ललए्कोधचंग्की्‍वु वधाएाँ् प्रदान्
करना;
• छात्र्एवं्छात्राओं्के्ललए्ववशेष्छात्रावा‍्उपलब्ध्कराना;
• ववशेष्रूप्‍े्लड़की/मदहला्लशक्षा्को्‍ुतनष्श्चत्करने्और्महत्व्दे कर्इन्‍ंवेदनशील्‍ामाष्जक्‍मूह्
के्‍मान्अव‍र्को्बढ़ावा्दे ना।

71
भारतीय् ‍ंववधान् के् अनुच्छे द् 46् में् तनदहत् नीतत-तनदे शक् तत्त्वों् के् कायासन्वयन् की् ‍ुववधा् के् ललए्
भारतीय्‍ंववधान्में्‍ंरक्षण्प्रदान्ककया्गया्है :-

‘राज्य्जनता्के्कमजोर्वगों्ववशेषकर्अनु‍धू चत्जाततयों्और्अन‍
ु धू चत्जनजाततयों्के्शैक्षक्षक्और्
आधर्सक्दहतों्को्ववशेष्‍ावधानी्के्‍ार््बढ़ावा्दे गा्और्उन्हें ् ‍भी्‍ामाष्जक्अन्याय्और्‍भी्प्रकार्के्
शोषण्‍े्बचाएगा।’

इ‍् प्रयोजन् के् ललए् अनु‍ूधचत् जाततयों् ‍े् ‍ंबंधधत् ववलभन्न् प्रावधानों् जै‍े् भाग-3् (मूल् अधधकार)
भाग-4्(राज्य्के्नीतत-तनदे शक्तत्त्व),्भाग-6, 14, 16 एवं् 19 (अनु‍ूधचत्जातत्के्कल्याण्के्ललए्मंब्रत्रयों्
की्तनयुष्र्कत)्में्अंततनसदहत्है ।्भारत्का्‍ंववधान्गारं िी्दे ता्है :-

अनच्
ु छे द्14-्कानन
ू ्के्‍मक्ष्‍मानता।

अनुच्छे द् 15(2)-धमस,् जातत,् वंश,् ललंग,् जन्म् थर्ान् के् आधार् पर् कक‍ी् को् भी् दक
ु ानों,् ‍ावसजातनक्
भोजनालयों,्होिलों, ‍ावसजतनक्मनोरं जन्के्थर्लों,्कुओं, तलाबों,्थनान्घािों,्‍ड़कों्और्‍ावसजतनक्थर्ानों्
का्उपयोग्करने् ‍े् नहीं् रोका्जायेगा्ष्ज‍का्पूरा्व्यय्‍रकार्द्वारा्उिाया्जाता्है ् या्जो्जन‍ाधारण्के्
उपयोग्के्ललए्हैं।

अनच्
ु छे द्15(4)-‍ामाष्जक्एवं्शैक्षक्षणक्रूप्‍े्वपछड़े्वगों्और्अन‍
ु धू चत्जातत्के्उत्र्ान्के्ललए्कोई्
उपाय्ककया्जा्‍कता्है ।

अनुच्छे द् 16(4)-् राज्यों् को् यह् अधधकार् प्रदान् करता् है ् कक् वह् वपछड़े् वगों् के् नागररकों् के् रूप् में्
तनयुष्र्कतयों्या्पदों्में्आरक्षण्के्प्रावधान्कर्‍के।

अनुच्छे द्17-‘अथपश्ृ यता’ का्उन्मूलन्करता्है ्और्उ‍का्कक‍ी्भी्रूप्में्आचरण्का्तनषेध्करता्है ।

अनुच्छे द्46-्‍माज्के्कमजोर्वगों्के्शैक्षक्षक्और्आधर्सक्दहतों्को्ववशेष्‍ावधानी्के्‍ार््बढ़ावा्
दे ना्और्उन्हें ्‍ामाष्जक्अन्याय्और्‍भी्प्रकार्के्शोषण्‍े ्बचाने्का्आश्वा‍न्ददया्गया्है ।

अनच्
ु छे द्330-अन‍
ु धू चत्जातत्के्ललए्लोकतांब्रत्रक्‍ंथर्ाओं् में् ‍ीिों्का्आरक्षण;्और्अनच्
ु छे द-335-्
‍ेवाओं्में्‍ीिों्का्आरक्षण/‍कारात्मक्भेदभाव्का्उपाय्है ।

अनुच्छे द्340-राज्य्को्‍ामाष्जक्तर्ा्शैक्षक्षक्रूप्‍े्वपछड़े्वगों्की्दशाओं्में्अन्वेषण्के्ललए्आयोग्
तनयुर्कत्करने्का्अधधकार्दे ता्है ;्तर्ा्

अनुच्छे द्341(2)-्जाततयों्को्SC-अनु‍ूधचत्जातत के्रूप्में्‍मझा्जाना्तनददस टि्करें ।

‍रकारी् ‍ेवाओं,् राज्य् ‍ंचाललत् और् राज्य् ‍मधर्सत् “शैक्षणणक् ‍ंथर्ानों”् और् ववलभन्न् लोकतांब्रत्रक्
राजनीततक्तनकायों्में्आरक्षण्नीतत्एक्महत्त्वपूण्स भूलमका्तनभाती्है ;्तर्ा्यह्भेदभाव्ववरोधी्या्‍ुरक्षात्मक्
उपायों्का्दहथ‍ा्है ।्इ‍का्उद्दे श्य्‍ावसजतनक्क्षेत्र्के्‍ार्-‍ार््ववलभन्न्राजनीततक्लोकतांब्रत्रक्तनकायों्और्
‍ंथर्ानों्में्वपछड़ी्जाततयों्की्अनुपाततक्भागीदारी्‍ुतनष्श्चत्करना्है ।

ऐततहाल‍क्रूप्‍े् ववद्यमान्भेदभाव्और्अपवजसन्/बदहटकार्के्प्रचलन्के्कारण्वपछड़ी्जाततयों्की्
इ‍्अनुपाततक्भागीदारी्को्‍कारात्मक्भेदभाव्या्‍कारात्मक्कायसवाही्के्ब्रबना्‍ुतनष्श्चत्नहीं् ककया्जा्

72
‍कता्र्ा।्इ‍ललए्आरक्षण्नीतत्का्अर्स् है ् वंधचत्‍मूह्को्तनम्नललणखत्प्रावधान्द्वारा्‍ामाष्जक्न्याय्
‍ुतनष्श्चत्करना।्

• ‍ावसजतनक्रोजगार्/्‍ेवाओं्के्ललए्‍रु क्षा्उपाय;
• ‍रकारी्लशक्षण्‍ंथर्ानों्में्प्रवेश्के्‍ंबंध्में्प्रावधान;
• राजनीततक् तनकायों् और् ‍ंथर्ानों् में् केंद्र् तर्ा् राज्य्के् ववधातयका् में् ‍ीिों् के् आरक्षण् ‍े् ‍ंबंधधत्
प्रावधान।

भारत के ववकाि में जातत, आधुतनकता और लोकतांत्रिक राजनीतत: एक राजनीततक पररप्रेक्ष्य


जातत् एक् महत्वपण
ू ्स चर/तत्त्व् है ;् भारतीय् राजनीततक् प्रकिया् के् कामकाज् में् चन
ु ाव् के् पररणामों् का्
तनधासरण;्दबाव्‍मूहों्के्रूप्में् कायस् करना्और्भारतीय्राज्य्और्थर्ानीय,्क्षेत्रीय,्अंतरराटरीय्थतरों्के्
शा‍न्एजेंडे्में्प्रभाव्और्राजनीततक्दलों,्उनके्नेतत्ृ व्और्कायसिमों्की्‍ंरचना्में।

माकस्गैलेंिर्(MARC GALANTER) ने् ‘प्रततथपधासत्मक्‍मानताएाँ:्भारत्में् कानून्और्वपछड़ा्वगस’्


(1984)्में वणसन्ककया्है ्कक्थवतंत्र्भारत्के्नेताओं्ने्न्केवल्‘परं परागत’्‍ंथर्ा्के्ववरुद्ध्नैततक्ष्थर्तत्
के्कारण्जातत्व्यवथर्ा्के्अपंग्प्रभाव्को्मान्यता्दी्बष्ल्क्‍ददयों्तक्भारतीय्जनता्के्अधीनथर््वगों्
पर् जातत् व्यवथर्ा् के् अपंग् प्रभाव् को् भी् पहचाना् और् इ‍ललए् उ‍े् एक् ‍च्ची् लोकतंत्र् तर्ा् व्यष्र्कतगत्
नागररकता्के्तनमासण्पर्इ‍के्प्रभावों्को्मान्यता्दी।

इ‍्प्रकार,्भारतीय्‍ंववधान्ने् “‍मान्आधार्पर्लोकतांब्रत्रक्राजनीतत्के्खेल्में् भाग्लेने् के्ललए्


वंधचत्लोगों्के्‍मुदायों्को्‍शर्कत्बनाने्के्ललए्कानूनी्और्‍ंथर्ागत्उपाय्‍ुतनष्श्चत्ककये।”

जी.्ए‍.्घूररये्(G. S. GHURYE) ने्“जातत्प्रर्ा्के्लक्षण”्(1991)्में्दहन््


द्ू जातत्प्रणाली्की्मुख्य्
रूप्‍े्छह्ववशेषताओं्को्धचष्न्हत्ककया्है :-

• ‍माज्का्खंड्ववभाजन
• पदानि
ु म्
• खान-पान्तर्ा्‍ामाष्जक्आदान-प्रदान्पर्प्रततबंध्
• नागररक्एवं्धालमसक्अपात्रता्और्ववलभन्न्वगों्के्ववशेषाधधकार्
• व्यव‍ाय्के्अप्रततबंधधत्ववकल्प्का्अभाव्
• वववाह्पर्प्रततबंध।

इ‍्प्रकार,्जातत्एक्एकात्मक्प्रणाली्है ।

एल. ड्यम
ु न (L.DUMON)्ने, ‘कै‍े्पदानि
ु म:्जातत्व्यवथर्ा्और्उ‍के्प्रभाव’्(1998) में्दहन््
द्ू ‍माज्
में् प्रततटिा्और्शष्र्कत्के्बीच्ववलशटि्‍ंबंधों्का्वणसन्ककया्है ।्पष्श्चमी्के्ववपरीत,्जहााँ ् शष्र्कत्और्पद-
प्रततटिा्आमतौर्पर्एक्‍ार््मौजूद्होती्है ;्जातत-प्रर्ा्में् इन्दोनों्के्बीच्मतभेद्है l जो्जातत-‍माज्में्
प्रततब्रबंब्रबत्होता्है ,्‍माष्जक्व्यवथर्ा्की्नींव्‍त्ता्‍े् श्रेटि्“पद्या्प्रततटिा्का्है ।”् द‍
ू रे ् शब्दों्में “पद्में्
शष्र्कत्शालमल्है ।”

73
जातत्‍मूहों्में्एक्वैचाररक्एकता्और्‍ांथकृततक्आम्‍हमतत्है । ‘‍ंथकृततकरण’्के्बारे ्में्एम.एन.्
श्रीतनवा‍्बताते्हैं,्जो्एक्ऐ‍ी्प्रकिया्है ्ष्ज‍‍े्एक्तनम्न्दहन््
द्ू जनजातीय्या्अन्य्जाततयों्के्लोग्उ‍के्
रीतत-ररवाजों, कमसकांडों,्ववचारधारा्और्जीवन-पद्धतत्में्बार-बार्उच्च्एवं्‍ामान्यत:्द्ववज्जातत्के्अनरू
ु प्
अपने्ही्ददशा्में्पररवतसन्लाते्हैं।्अताः्अब्वे्जातत्‍ोपान्में्उच्चतर्पद्के्अधधकारी्होने्का्दावा्करते्
हैं।्यह्आधुतनक्भारतीय्थवछवव्में्पररलक्षक्षत्होता्है ,्जहााँ, ‘भारतीय्अतीत्अपररवतसनीय’्‘परं परा’्के्रूप्में्
तनलमसत्है ्और्इ‍के्भववटय्की्कल्पना्ववका‍वादी्योजना्में्आधुतनकरण्के्नाम्पर्अनुकरण्के्मॉडल्के्
रूप्में्की्जाती्है ।्ऐ‍ा्माना्जाता्है ्कक्भारत्की्एक्ववका‍वादी्‍ंकल्पना्में,्औद्योधगकीकरण,्शहरीकरण्
और्आधुतनकीकरण्की्उभरती्हुई्प्रकियाओं्के्‍ार््जातत्का्लोप्हो्जाएगा।

व्यष्र्कतगत् प‍ंद् के् आधार् पर् ‍ामाष्जक् थतरीकरण् की् एक् ‘खल
ु ी-प्रणाली’्के् ‍ार्् जातत,्‍माज् के्
पारं पररक् तर्ाकधर्त् ‍ंकीणस् ढााँचों् को् पूण्स रूप् ‍े् बदलने् के् बजाय,् शा‍न् के् नए् तरीके् और् आधुतनक्
प्रौद्योधगकी्के्बढ़ते् प्रयोग्के्‍ार्,्कुछ्हद्तक्कम्‍े् कम्इ‍के्‍ंरचनात्मक्तकस्को्कमजोर्करते् हुए,्
जातत्को्मजबूत्बनाया्जा्‍कता्है ।

जी.ए‍.्घूररये् ने (G.S.GHURYE) ‘भारत्में् जातत्और्नथल’्(1932)्पर्दिप्पणी्करते् हैं् कक्इ‍्


पररवतसन्की्प्रकृतत्गैर-िानमण्आंदोलनों्के्उदय्के्‍ार््दक्षक्षणी्प्रांतों्में् अनभ
ु व्की्गई्र्ी;्और्तकस्दे ते्
हैं् कक्इ‍्प्रकार्के्‍मद
ु ायों्द्वारा्पदानि
ु म्पर्हुए्इ‍्आिमण्का्अर्स् जातत्का्अंत्नहीं् है ।्वाथतव्में्
इन्लामबंददयों्ने्एक्नई्तरह्की्‍ामूदहक्भावना्उत्पन्न्की्है -‘जातीय्एकता्की्भावना’्या्द‍
ू रे ्शब्दों्में्
यह्एक ्‘जातीय्दे शभष्र्कत’्है ।

एम.एन.्श्रीतनवा‍्ने्‘आधुतनक्भारत्में्जातत्और्अन्य्तनबन्धों’्(1962)्में्‘आधुतनक्प्रौद्योधगकी्के्
पररणामों्और्भारत्में् प्रतततनधधत्ववादी्राजनीतत’ के्बारे ् में् बात्की्है ,्जो्भारत्में् औपतनवेलशक्शा‍कों्
द्वारा्पररवततसत्ककए्गए्र्े।्उन्होंने्कहा्की्जातत्आधतु नकीकरण्की्प्रकिया्में्लप्ु त्होने्की्बजाय्क्षैततज्
‍मेकन्कर्रही्है ।्आधतु नक्प्रौद्योधगकी्के्प्रभाव्के्‍ंदभस् में,्उन्होंने् ललखा्है ् कक, ‘मद्र
ु ण,्तनयलमत्डाक-
‍ेवा,्थर्ानीय्‍माचार्पत्रों्तर्ा्पुथतकों,्िे लीग्राफ,्रे लवे और्ब‍ों्की्शुरुआत्के्माध्यम्‍े्ववलभन्न्क्षेत्रों्में्
रहने्वाले्जातत्के्प्रतततनधधयों्के्माध्यम्‍े्ववलभन्न्क्षेत्रों्में्रहने्वाले्जातत्के्प्रतततनधधयों्को्उनकी्‍ाझा्
‍मथयाओं् और्दहतों्की्चचास् करने् में् ‍हायता्लमली्है ।्पष्श्चमी्लशक्षा्ने् थवतंत्रता्और्‍मानता्जै‍े् नए्
राजनीततक्मूल्यों्को्जन्म्ददया।्लशक्षक्षत्नेताओं् ने् जातत्‍ंदलभसत्पब्रत्रकाओं् की्शुरुआत्की्और्जातत्‍े्
‍म्बंधधत्‍म्मेलनों्का्आयोजन्ककया।्जातत्को्व्यवष्थर्त्करने्के्ललए्और्गरीब्‍दथयों्की्मदद्के्ललए्
धन्एकब्रत्रत्ककया्गया।्जाततगत्छात्रावा‍,्हथपताल,्‍हकारी्‍लमततयााँ्आदद्शहरी्‍ामाष्जक्जीवन्की्एक्
‍ामान्य् ववशेषता् बन् गई।् ‍ामान्यत:् यह् ववश्वा‍पूवक
स ् कहा् जा् ‍कता् है ् कक् वपछले् ‍ौ् वषों् में् जातत् की्
एकजुिता्में्बहुत्वद्
ृ धध्हुई्है ।”

इ‍ी्प्रकार,्ब्रिदिश्द्वारा्राजनीतत्में्ककए्गए्प्रतततनधधत्व्के्‍ंदभस्में्जातत्के्क्षैततज/‍मथतरीय्के्
‍मेकन/्एकत्रीकरण्में्मदद्लमली।्अंग्रेजों्ने्वपछड़ी्जाततयों्को्थर्ानीय्थवशा‍न्तनकायों,्वरीयताओं्और्
ररयायतों्में् कुछ्हद्तक्शष्र्कत्दी।्इन्अव‍रों्का्लाभ्लेने् के्ललए्तर्ा्नए्अव‍रों्को्प्रदान्करने् के्

74
ललए्जातत्‍मूह्ने् बड़े् घिक्बनाने् अर्वा्बड़ी्‍ंथर्ाओं् के्‍ंगिन्के्ललए्एक्द‍
ू रे ् के्‍ार््गिबंधन्में्
प्रवेश् ककया।् हालांकक,् इ‍् ‘जातत् की् क्षैततक् एकजुिता् का् मतलब् राजनीततक-आधर्सक् धरातल् पर् ववलभन्न्
जाततयों्में्प्रततथपधास्भी्है ्और्इ‍‍े्अंतजासततक्ऊध्वासधर्एकता’्कमजोर्हो्गई।

लुई‍र्डयूमोंि (LOUISDUMONT) (1998)्ने् भी्श्रीतनवा‍्का्अनु‍रण्ककया्र्ा्और्तकस्ददया्कक्


आधर्सक्और्राजनीततक्पररवतसन्की्प्रकिया्के्‍ार््जातत्का्अष्थतत्व्‍माप्त्नहीं् हुआ्र्ा,्जबकक्उनके्
तकस् को् बदलकर् ‘‍ंरचना’् ‍े् ‘पदार्स’् (‍ब्‍िें ‍)् के् रूप् में् पररवततसत्कर् ददया् गया,् ष्ज‍े् ‘‍ब्‍िें लशयललज्म
ऑफ काथि’्भी्कहा्जाता्है ,्ष्ज‍का्अर्स्है ्ढााँचागत्ववश्व्प्रवाह्ष्ज‍में्परथपर्तनभसरता्पर्जोर्है ;्‍े्एक्
ऐ‍े् ववश्व्की्ओर्पररवततसत्है ् जो्कक्आत्मतनभसर्तर्ा्ष्ज‍में् एक्द‍
ू रे ् के्‍ार््पयासप्त्प्रततथपधास् है ् और्
जातत्एक ‘‍ामदू हक्व्यष्र्कत’ के्रुप्में,्एक ‘पदार्स’ के्रूप्में्प्रकि्होती्है ।

जातत-िंघ

लायड्रुडोल्फ्और्‍ु‍ेन्रुडोल्फ (LLOYD RUDOLPH and SUSANNE RUDOLPH)्‘लोकताष्न्त्रक्


भारत्में् जातत्‍ंघों्की्घिना्का्अध्ययन्करते् हैं ् और्इ‍े् भारत्जै‍े् पारं पररक्‍माज्में् आधुतनकता्के्
एजेंि्के्रूप्में् दे खते् हैं।्जातत्‍ंघ्एक्दबाव्‍मूह्के्रूप्में् काम्करते् हैं् और्जातत्‍मुदायों्की्अद्सध्
‍ामाष्जक्गततशीलता्में्महत्त्वपूण्स भूलमका्तनभाते्हैं।

रजनी्कोिारी्ने् ‘भारतीय्राजनीतत्में् जातत’्(1970)्में् इ‍्प्रल‍द्ध्ववचारधारा्के्ववरुद्ध्तकस्ददया्


कक् ‘लोकतांब्रत्रक् राजनीतत ‍े् जातत् जै‍े् पारं पररक् ‍ंथर्ानों् को् पुनजीववत् करने् और् उनकी् वैधता् को् पुनाः्
थर्ावपत् करने् में् मदद् कर्रही् है ।’् इ‍की् बजाय,् यह् ववघिनकारी् प्रवतृ त् पैदा् कर् ‍कता् है ,् और् ‘भारतीय्
राजनीतत्के्लोकतांब्रत्रक्और्धमसतनरपेक्ष्ढांचे्को्भंग्कर्‍कता्है ।्उनके्शब्दों्में, ‘जातत्की्राजनीतत्और्
अंतरकिसया्का्पररणाम्आमतौर्पर्बताए्गए्तरीकों्के्ववपरीत्होते् हैं।्हालांकक,्यह्राजनीतत्नहीं् है ् जो्
जाततगत्हो्जाती्है ;्यह्जातत्है ् ष्ज‍का्राजनीततकरण्हो्जाता्है ।्ऐ‍ा्इ‍ीललए्है ् र्कयोंकक्प्रततथपधासत्मक्
राजनीतत्ने्जातत्को्अपने्अराजनीततक्‍ंदभस्‍े्बाहर्ला्ददया्है ्और्उ‍े्एक्नई्प्रततटिा्प्रदान्की्है ्कक्
अब्तक्जो्जातत्प्रर्ा्‍माप्त्हो्गई्है ् और्जातत्‍ंघ्नटि्हो्गया्है ,्उ‍े् जातत्पहचान्के्आधार्पर्
काि-छांि् कर् अलग् कर् ददया् है ् और् उ‍ने् जातत् ‍ंघ् का् गिन् कर् ललया् है ,् ककं तु् गैर-जातीय् कायों् को्
अधधग्रहण्कर्ललया्है ् तर्ा्‍ंगिन्को्और्अधधक्लचीला्कर्ददया्गया्है ।्नए्‍दथयों्तर्ा्जाततयों्के्
नेताओं्को्भी्ष्जनके्‍ार््‍ंघ्शुरू्ककया्उनके्अलावा्भी्थवीकार्करने्लगे्हैं।

नए्क्षेत्र्में्ववथतार्करते्हुए्थवैष्च्छक्‍ंगिनों,्दहत्‍मूहों्तर्ा्राजनीततक्पादिस यों्के्‍ार््एक्‍मान्
उद्दे श्य्प्राप्त्करते्हैं।्इ‍्प्रकार्‍मय्के्‍ार्-‍ार््इन्‍ंघों्ने् एक्थपटि्राजनीततक्‍मह
ू ्का्रूप्धारण्
कर्ललया्है ।

घनश्याम्शाह्का्भी्ऐ‍ा्ही्मत्है ्कक्हालांकक, ‘लंब्े ‍मय्‍े्जातत्‍ंघों्ने्प्रततथपधासत्मक्राजनीतत्


तर्ा्‍हभाधगता्को्बढ़ावा्ददया,्प्रोत्‍ाहन्ददया।्इ‍‍े् प्रांतीय्‍ंकीणसता्व्थर्ानीयता्को्भी्बढ़ावा्लमला।
आनोलड (ARNOLD)्ने् तकस्ददया्है ् कक्लोकतांब्रत्रक्राजनीतत्में् इ‍्ववचलन्के्बावजूद्भी,्जातत्‍ंघों्ने्

75
उन्क्षेत्रों्में् लोकतांब्रत्रक्राजनीतत्की्‍ंथकृतत्के्प्र‍ार् में् महत्त्वपूण्स भूलमका्तनभाई् जो्अब्तक्परं परा्‍े्
‍ंचाललत्र्ी।्जातत्‍ंगिन,्‍ामाष्जक्और्राजनीततक्मंचों्को्एक्‍ार््जोड़ने् वाला्‍ामाष्जक्‍हायक्के्
रूप्में्कायस्करता्है ।्‍माष्जक्‍ंगिन्के्आधार्के्रूप्में्‘जातत्का्उपयोग्करके्पारं पररक्‍माज्के्मल्
ू यों्
को्‍मेिते् हुए;्नए्उद्दे श्यों्यानी्लशक्षा्और्थर्ानीय्राजनीततक्शष्र्कत्का्भी्पररचय्दे ् रहा्है ।्घनश्याम्
शाह्ने दक्षक्षण्भारत्में्जातत्‍ंघों्का्ववश्लेषण्ककया,्जहााँ ्इन्‍ंघों्के्नेता्पारं पररक्जातत्के्अधधकाररयों्
‍े्नहीं्आए,्बष्ल्क्अपने्परं परागत्कैररयर्में्अपने्आप्को्अधधक्दृढ़ता्के्‍ार््पष्श्चमी्लशक्षक्षत,्वकील,्
शहरी्व्यव‍ायी,्‍ेवातनवत्त
ृ ्‍रकारी्कमसचाररयों्के्वगस्‍े्थर्ावपत्करने्के्ललए्आए।

थवतंत्रता्के्बाद्की्अवधध्के्दौरान्भारतीय्राज्य्द्वारा्की्गई्दो्‍ब‍े्महत्त्वपूण्स ववका‍ात्मक्पहलों्
ने्भारत्में्जाततगत्ढााँचे्के्‍ंदभस्में्भारत्में्शष्र्कत्‍ंरचना्को्पररवततसत्कर्ददया्है ;्ववशेषकर:-

• भूलम्‍ुधार्अधधतनयम,्जो्भूलम्के्खेतीहर्कक‍ानों्को्माललकाना्हक्हथतांतररत्करके्गैर-खेती्
करने्वाले्ब्रबचौललयों्की्पकड़्को्कमजोर्करने्के्ललए्बनाया्गया।
• ग्रामीण्‍ामाष्जक्पररवतसन,्जै‍े् ‍ामुदातयक्ववका‍्कायसिम,्पंचायती्राज्और्हररत्िांतत;्इ‍‍े्
‍ीधे्तौर्पर्गांव्के्अमीर्और्शष्र्कतशाली्लोगों्को्मदद्लमली, जो्थर्ानीय्और्क्षेत्रीय्राजनीतत्
पर् अपने् तनयंत्रण् को् और् मजबूत् करने् के् ललए् ज्यादातर् थर्ानीय् प्रमुख् जाततयों् के् ‍मूहों् ‍े्
‍ंबंधधत्र्े।

इ‍ीललए् जब् ‍ावसभौलमक् वयथक् मताधधकार् के् ल‍द्धांत् पर् आधाररत् चुनावी् राजनीतत् ने् उन्हें ् नए्
अव‍रों् की् पेशकश् की् गई,् तो् थर्ानीय् थतर् पर् मध्यम् थतर् के् प्रमुख् जातत् ‍मूह् आ‍ानी् ‍े् खुद् का्
राजनीततकरण्करने्में्‍क्षम्हो्‍के। 1980्और्1990्के्दशक्ने्जाततगत्राजनीततक्‍ंबंधों्को्‘ववचारधारा्
की्राजनीतत’्‍े्‘प्रतततनधधत्व्की्राजनीतत’्में्तब्दील्कर्ददया। (योगें द्र्यादव्और्‍ुहा‍्पल्थकर)

ववश्व्के्भ-ू राजनीततक्बदलाव्जै‍े-‍ोववयत्‍ंघ्का्पतन,्शीत्यद्
ु ध्का्अंत,्‍ंचार्में्नई्प्रोद्योधगकी्
का्उपयोग्करना;्ष्ज‍ने्वैष्श्वक्पाँूजी्के्नए्चरण्के्आरम्भ्को्वैश्वीकरण्के्रूप्में्दे खा्ष्ज‍‍े्अर्सव्यवथर्ा्
ही्नहीं,्बष्ल्क्‍ंथकृतत्और्राजनीतत्भी्प्रभाववत्हुई्और्नेिवककंग्के्ललए्नई्‍ंभावनाओं्का्नेतत्ृ व्ककया।्
इ‍ललए् बड़े् पैमाने् पर् ‍ामाष्जक कायसवाही् ‍ंभव् र्ी।् यह् वह् दौर् र्ा् जब् पयासवरण,् मानवाधधकार,् लैंधगक्
अधधकारों्जै‍े् नए्राजनीततक्‍वाल्दतु नया्भर्में् एक्‍ार््उभरे ् र्े;्और्‍ब‍े् महत्त्वपूण्स बात्यह्र्ी्कक्
इन्नए्आंदोलनों्ने्बढ़ते्हुए्प्रोद्योधगकीयों्की्मदद्‍े्राटरीय्‍ीमाओं्में्नेिवककंग्के्कारण्एक्नई्तरह्
की्वैधता्एवं्शष्र्कत्पाई।्उदाहरण्के्ललए्बााँध्तनमासण्के्ववरोध्नमसदा्बचाओ्आंदोलन्ने्आंतररक्जनमत्
और्वैष्श्वक्ववत्तीय्एजेंल‍यों्को्जुिाने् में् काफी्मात्रा्में्ऊजास्का्तनवेश्ककया।्इ‍्प्रकार,्जै‍ा्कक्जोधका
(JODHKA)्का्मानना्है ् कक्‘ये् नए्‍ामाष्जक्आंदोलन्भारत्में् औपतनवेलशक्राज्य्द्वारा प्रचाररत्ककए्
गए्ववका‍ात्मक्एजेंडे्के्ज्ञान्पर्‍वाल्उिाते्हैं्तर्ा्उदारीकरण्की्नीततयों्की्शुरुआत्और्आधर्सक्क्षेत्र्
‍े् राज्य्का्हिाना्तर्ा्‍ामाष्जक्पररवतसन्और्ववका‍्के्नेहरूवादी्ढााँचे् ‍े् धीरे -धीरे ् मोहभंग्मह‍ू‍्करते्
हैं।’

76
जै‍ा् कक् ‍ुदीप्त् कववराज् (SUDIPTA KAVIRAJ)् ने् नए् ‍ंदभस् में् कहा् है ् कक् इन् नए् ‍ामाष्जक्
आंदोलनों्के्कारण,्जातत्तर्ा्राजनीतत्के्प्रश्न,्ववशेष्रूप्‍े् दललत्‍मूह्द्वारा,्पहचान्की्राजनीतत्की्
भाषा्में्रचा्गया।्इ‍्प्रकार,्अन‍
ु धू चत्जाततयों्या्अछूत्जाततयों्की्पहचान्एक्तनलमसत,्आधतु नक्पहचान्
है ,्जो्नए्नेतत्ृ व्‍े्प्रेररत्होकर्दललत्‍मुदायों्में्पैदा्हुई्और्उन्होंने्‍मानता्और्लोकतांब्रत्रक्प्रतततनधधत्व्
की्भाषा्का्प्रयोग्ककया।्वषों्‍े्‍रकारी्नौकररयों्और्शैक्षणणक्‍ंथर्ानों्में्आरक्षण्नीतत्के्कारण्दललत्
मध्यम्वगस् की्‍ंख्या्में् वद्
ृ धध्हुई्है ् और्इ‍ीललए्कायसथर्ल्पर्या्‍माज्में् बड़े् पैमाने् पर्उनको्अपने्
‍मुदायों्के्भेदभाव्के्णखलाफ्अपने् अनुभव्को्व्यर्कत्करने् में् आ‍ानी्हुई,्इ‍‍े् उन्हें ् थवयं् को्ववलभन्न्
‍ंघों्के्रुप्में्‍ंगदित्होने्में्मदद्लमली। इ.्जेललयोि्(E.्ZELLIOT) ने ‘अछूत्‍े्दललत:्अंबेडकर्आंदोलन्
पर्तनबंध’्(2001)्में्कहा्कक्‘यह्वह्अवधध्र्ी्जब्अंबेडकर्को्दललत्पहचान्के्‍ावसभौलमक्प्रतीक्और्
उनकी्आकांक्षाओं्के्प्रतीक्के्रूप्में्कफर्खोजा्गया्र्ा।

ए‍.्शाह्‘भारत्में्जातत्तर्ा्लोकतांब्रत्रक्राजनीतत’्(2002)्में्इ‍का्‍मर्सन्करते्हैं्कक, ‘राजनीततक्
उद्यलमयों्के्नए्वगस्जै‍्े कक्कांशीराम्और्मायावती्पव
ू ्स अछूत्‍मुदायों्के्बीच्‍े्उभरे ्हैं,्ष्जन्होंने्दललत्
पहचान्के्ववचार्का्इथतेमाल्ककया्और्अनु‍ूधचत्जातत्‍मुदायों्को्ववका‍्के्‍ार््गररमा्जै‍े्मुद्दों्पर्
एक्‍ंयुर्कत्ब्लॉक्के्रूप्में् थवयं् को्‍ंगदित्ककया।्इन्‍भी्पररवतसनों्को्‘वैचाररक्एवं्‍ामाष्जक्पररवेश्
में् ववका‍’्कहा् गया।् लोकतांब्रत्रक् राजनीततक् प्रकिया् में् तनरं तर्भागीदारी् ने् ‘ग्रामीण्अर्सव्यवथर्ा’्के् ऊपरी्
क्षेत्रों्को्आगे्की्गततशीलता्के्ललए्शहरों्की्ओर्दे खने्के्ललए्प्रेररत्ककया्है ्और्‍माज्के्तनचले्क्षेत्रों्
में्उन्लोगों्के्ललए्आत्मलाभ्की्भावना्भी्दी्है ।्हालांकक,्यह्तकस्ददया्जाता्है ्कक्यह्“ग्रामीण्‍माज्
लोकतन्त्रीकरण्के्ललए्नेतत्ृ व्नहीं् करता्र्ा्र्कयोंकक्जातत्के्‍ंदभस् में,्ग्रामीण्शष्र्कत्भूलम-थवामी्की्प्रमुख्
जातत्के्चारों्ओर्घूमती्र्ी;्और्वगस्के्‍ंदभस्में,्अमीर्भथ
ू वामी्और्धन्उधार्दे न्े वाले्ग्रामीण्अर्सव्यवथर्ा्
को्तनयंब्रत्रत्करते् र्े।्ग्रामीण्भारत्में,्पंचायतें् भी्प्रमख
ु ्‍मह
ू ों्के्प्रभाव्और्शष्र्कत्का्एक्अखाड़ा्बन्
गई।

यहााँ् एक्‍वाल्यह्उिता्है ् कक्हम्कक‍्जातत्और्राजनीतत्की्बात्कर्रहे ् हैं?्र्कयोंकक, ‘थवायत्त्


दललत्राजनीतत्के्उदय्और्कुछ्‍ंदभस् में् तर्ा्दे श्के्कुछ्क्षेत्रों्में् उनके्‍शष्र्कतकरण्के्‍ार्,्‍त्ता्और्
प्रभुत्व् के् बारे ् में् वाथतववकताएाँ् गायब् नहीं् हुई् है ।् यद्यवप,् जातत् में् वैचाररक् रूप् ‍े् ‍प्ताहांत् (weekend
ideologically)्होता्है ् और्अथपश्ृ यता्के्पुराने् रूप्एक्तरफ्घिते् जा्रहे ् हैं;्थर्ानीय्रूप्‍े् प्रमुख्जातत्
द्वारा्दललत्पर्ककए्गए्अत्याचार्अतनयंब्रत्रत्रहे ।

उर्त्र भारत में वपछडी जातत की राजनीतत में धगरावि

उत्तर् भारत् में् वपछड़ी् जातत् की् राजनीतत् ने् 1980् और् 1990् में् द्ववतीय् प्रजातांब्रत्रक् उत्र्ान् के्
पररणामथवरूप्एक्महत्त्वपूणस् पररवतसन्ककया।्जै‍ा्कक्योगें द्र्यादव्ने् राजनीततक्उद्यलमयों्के्बारे ् में् बात्
की्है ्जै‍्े कांशीराम्और्राम्मनोहर्लोदहया्केवल्आंलशक्रूप्‍े्वपछड़ी्जातत्का्‍मरूपता्हाल‍ल्करने्में्
‍क्षम्र्े्र्कयोंकक्वपछड़ी्जातत्की्राजनीतत्ने्अन्य्हालशए्‍मूहों्यानी्‍बाल्िनस्वगस्के्‍ार््‘जातत-राजनीतत’्
को्‘वगस्राजनीतत’्‍े्ववथर्ावपत्करने्के्ललए्एक्नई्ददशा्ली,्ष्ज‍में्आधर्सक्तत्त्व्अर्वा्घिना,्‍ामाष्जक्

77
एवं् राजनीततक्के्ऊपर्प्रमख
ु ता्‍े् उभरती्है ।्यह्दशासता्है ् कक्‘अष्थमता/पहचान्‍ंकिों’्‍े् जातत्‍मूहों्को्
अब्कोई्खतरा्नहीं् है , बष्ल्क्उन्होंने् अपनी्‘जातत्की्अष्थमता’्के्बारे ् में् कफर्‍े् ववश्वा‍्करना,्‍ंगदित्
करना्‍ीख्ललया्है ।्वाथतव्में ,्वे्अपने्जातत्आधाररत्राजनीततक्दलों्‍े्तनराश्हैं,्ष्जन्होंने्उनकी्आधर्सक्
‍मथया्को्हल्ककए्ब्रबना्ही्अपनी्अष्थमता्को्पंजीकृत्ककया्है ।्ष्ज‍ने्नए्‍ामाष्जक्गिबंधन्को्‍मावेशी्
राजनीतत्के्माध्यम्‍े्पुनगसदित्करना्आवश्यक्कर्ददया्है ।्

उत्तर्भारतीय्राज्यों्में् वपछड़े् आंदोलन्के्पतन के्‍ब‍े् महत्त्वपूण्स कारणों्में् ‍े् एक्वपछड़ी्जातत्के्


कुलीन्आधाररत्नेतत्ृ व्का्उदय्हो्‍कता्है ्और्यह्एक्जन-आधाररत्उग्र्आंदोलन्बनने्में्ववफल्रहा्है ।
ए.के.्वमास्ने्कहा्है ्कक्उत्तर्भारतीय्राज्यों्में्ध्यान्अंतजासतीय्शोषण्‍े्हिकर्भीतरी्जातत्भेद्पर्ददया्
जा्रहा्है ,्र्कयोंकक्भारत्में्जातत्‍ंबंध्तल
ु नात्मक्जातीय्श्रेटिता्एवं् हीनता, जातत्पद‍ोपान्के्आधार्पर्
‍ंचाललत्ककए्जाते् हैं, जहां् प्रत्येक्जातत्‍ंघषसपूण्स ‍ंबंध्में् है ।्वमास् ने् कहा्कक्पष्श्चमी्उदारवादी्‍माज,्
ववचारधारा्आधाररत्राजनीततक्प्रततयोधगताओं्पर्जोर्दे त्े हैं।्जहााँ्राजनीततक्यानी्ववचारधारा्के्आधार्पर्
ही् लामबंदी् ‍ंभव् है ,् जबकक् भारत् ने् पष्श्चमी् उदारवादी् लोकतांब्रत्रक् मॉडल् को् ‍माज् पर् आधाररत् अपनी्
ववववधता् के् ललए्थवीकार् ककया,् जो् ववववधता,् बहु‍ंथकृततवाद् तर्ा् ववजाततयााँ् में् ‍मद्
ृ ध् है ;् ष्ज‍का् अर्स् है ्
हमारे ्पा‍्जातत,्धमस, भाषा,्जातीयता्आदद्जै‍े्प्रमुख्कारक्र्े।्लेककन्हमारे ्पा‍्ववचारधाराएाँ्भी्र्ी्और्
आजादी्के्‍मय्हम्प्रभावी्राजनीततक्लामबंदी्के्‍ाधन्के्रूप्में् इन्कारकों्में् ‍े्कक‍ी्का्भी्उपयोग्
कर्‍कते् र्े।्हालांकक्हमने् राजनीततक्(ववचारधारा)्‍े् अधधक्‍माष्जक्(जातत)्का्ववकल्प्चुना।्ऐ‍ा्र्कयों्
है ?्वमास् तकस्दे ते् हैं् कक्ऐततहाल‍क्कारणों्की्वजह्‍े् थवतंत्रता्‍ंग्राम्की्अवधध्के्दौरान्‍भी्‍माष्जक्
‍ंप्रदाय, भारतीय् राटरीय् कांग्रे‍् के् इंद्रधनुष् ‍माष्जक् छाते् के् दायरे ् में् उमड़ आए् तर्ा् आम् राजनीततक्
अलभववन्या‍्प्राप्त्ककया।्अताः्यह्वैचाररक्‍मरूपता्र्ी।्

तनटकषश
जातत्‍ंबंधों्के्किु-आलोचनात्मक्चररत्र्के्बावजूद,्इ‍में्लभन्न्‍ंरचनाएाँ्और्क्षेत्रीय्ववलशटिताएाँ्र्ी।्
उनमें्वैचाररक्रूप्‍े्भी्पूणस्‍मानता्नहीं्र्ी।्राजनीततक्प्रकिया्में्भागीदारी्का्मतलब्हर्कक‍ी्के्ललए्
‍मान् नहीं् है ् तर्ा् आणखरकार् इ‍ीललए् जातत एक एकाश्मक इकाई या एक ही स्थैततक में नहीं है । ‍ुदीप्त्
कववराज्ने् तकस्ददया्है ् कक्ऐततहाल‍क्शलमंदगी्के्‍ार््ढहने् के्बजाए्जातत्‍मूहों्ने् वाथतव्में् ‍ं‍दीय्
राजनीतत्की्मााँगों्के्अनुरूप्अपने्को्ढाल्ललया्और्इ‍्प्रकार्उ‍ने्जातत्प्रर्ा्के्पदानुिम्के्थर्ान्पर्
‘जाततयों्का्जनतंत्र’्बनाया।्

इ‍ललए,्हम्कह्‍कते्हैं्कक्जाततशष्र्कत-‍ंरचना्में्भारत्का्मूल्प्रतततनधधत्व्करती्है ,्और्यह्केवल्
एक्‍ंथर्ा्नहीं् है ्जो्‍ामाष्जक्थतरीकरण्की्‍ंरचना्की्ववशेषता्है ।्वाथतव्में,्जातत्एक्‍ंथर्ा्एवं्एक्
ववचारधारा् दोनों् के् रूप् में् ष्थर्त्है ।् जब् हम् इ‍को् ‍ंथर्ागत् रूप् में् दे खते् हैं् तो् जातत्‍ामाष्जक-आधर्सक्
व्यवथर्ा्में्‍ामाष्जक्‍मूहों्को्उनके्दजे्और्है ल‍यत्‍े्व्यवष्थर्त्करने्के्ललए्एक्ढााँचा्प्रदान्करती्है ।्
द‍
ु री्ओर, जब्इ‍े्एक्ववचारधारा्के्रूप्में्दे खा्जाता्है ,्तो्जातत्उन्मल्
ू यों्और्ववचारों्की्प्रणाली्है ्जो्
‍ामाष्जक् अ‍मानता् की् मौजद
ू ा् ‍ंरचनाओं् में् को् वैध् और् प्रबललत् करती् है ।् हालांकक,् जातत् की् बदलती्

78
वाथतववकताओं्ने्जातत्और्लोकतांब्रत्रक्राजनीततक्प्रकियाओं्के्बीच्गततशील्‍ंबंधों्के्ललए्कई्‍ंभावनाएाँ्
खोली्है ।्इ‍्प्रकार,्1960्के्दशक्तक्राजनीततक्वैज्ञातनकों्ने् जातत्और्राजनीतत्के्बारे ् में् एक्अलग्
तरीके् ‍े् बात् करना् शरू
ु ् कर् ददया।् लोकतांब्रत्रक् राजनीतत् के् िलमक् ‍ंथर्ाकरण् ने् जाततगत्‍मीकरणों् को्
तर्ाकधर्त्धालमसक्रूप्‍े् ‘शुद्ध्उच्च्जाततयों’्‍े् ‘मध्यम्थतर्की्प्रमुख्जाततयों’्में् बदल्ददया्है ् और्इ‍्
प्रकार्शष्र्कत्‍ंरचना्के्भेदभाव्की्प्रकिया्को्प्रथताववत्ककया्है ।्

िंदभश िूची

1) THORAT, S –“Dalits in India: Search for a Common Destiny” (2009)


2) “The Oxford Companion to politics in India” edited by NIRJA GOPAL JAYAL and PRATAP BHANU
MEHTA
3) AMBEDKAR, B. R. – “Annihilation of caste” (1936)
4) KOTHARI, RAJNI- “Caste in Indian Politics” (1970)
5) SRINIVAS, M.N- “Caste in Modern India and Other Essays” (1962)
6) VERMA, A.K –“Decline of Backward Caste Politics in Northern India: From Caste-Politics to Class”
7) KAVIRAJ, SUDIPTA – “Democracy and Social Inequality” in Francine R. Frankel, Zoya Hassan, Rajeev
Bhargava and Balveer Arora (eds), Transforming India: Social and political Dynamics of Democracy. New
Delhi: Oxford University Press
8) JODHKA, SURINDER S. – “Caste and Democracy: Assertion and Identity among the Dalits of Rural
Punjab”, Sociology Bulletin, (2017)
9) CHIKKALA, K.K. – “Socio-economic Impact of Tobacco Cultivation on Dalit Agriculture Laborers: A Case
Study from Andhra Pradesh, India” Journal of Developing Societies” (2015)

10) BETEILLE, A.- “The Scheduled Castes: An Inter-regional Perspective”, Journal of Indian School of Political
Economy, XII (3-4)

11) http://www.dalitstudies.org.in/

12) http://www.egyankosh.ac.in/handle/123456789/1

13) http://ww25.democracy-asia.org/

14) https://inflibnet.ac.in/

इि अध्याय के कुछ महत्त्वपूणश प्रश्न

1. भारत्में्ववशेष्रूप्‍े्जातत्के्‍ंदभस्में्शष्र्कत्की्‍ंरचना्का्वणसन्करें ?

2. जातत्को्‍ामाष्जक्पररप्रेक्ष््य्के्‍ार्-‍ार््राजनीततक्पररप्रेक्ष्य्में्कै‍े्‍ंरक्षक्षत्ककया्जाता्है ?

3. तनम्नललणखत्पर्‍ंक्षक्षप्त्दिप्पणी्ललणखए:

➢ जाततयों्के्ललए्‍ंवैधातनक्‍ुरक्षा्उपाय्
➢ जातत्पर्रजनी्कोिारी्

79
➢ जातत्व्राजनीतत्के्बीच्‍ंबंध्
➢ उत्तर्भारत्में्जातत-राजनीतत्‍े्लेकर्वगस-राजनीतत्तक

4. भारत्के्राजनीततक्‍ंरचना्में्जातत्का्उदय्कै‍े्हुआ्और्‍माज्में्जातत्पर्इ‍के्र्कया्प्रभाव्पड़े?्

5. भारत्में् जातत-‍ंघ् कै‍े् जातत् की् राजनीतत् को् दशासता् है?् इ‍ने् कक‍् हद् तक्तनम्न् थतर्पर् जातीय्
‍मुदाय्को्‍शर्कत्ककया्है ?्

6. अंबेडकर्ने्अपनी्पुथतक्‘जातत्का्उन्मूलन’्में्र्कया्ललखा्है ,्इ‍्पर्दिप्पणी्कीष्जए?

80
पाि्2

भारत में र्ष्र्कत िंरचनािः वगश


राहुल्लमश्रा

ववषय-िूची
1. पररचय्और्अवलोकन

2. एक्अवधारणा्के्रूप्में्वगस

3. तनधासरक्और्वगस्की्प्रकृतत

4. वगस्के्ल‍द्धांत

5. भारत्में्वगस्का्इततहा‍

6. भारत्में्वगस्‍ंरचना

7. वगस-जातत्की्‍ांिगांि

8. तनटकषस

1. पररचय और अवलोकन

‍माज्में्थवाभाववक्रूप्‍े्ववलभन्न्‍ामाष्जक्‍मूह्होते्हैं्और्इ‍ललए्मानव्प्रकार्के्इततहा‍्में्एक्
पल्भी्ऐ‍ा्नहीं्रहा्है ्जब्ववलभन्न्वगों्ने्भारतीय्‍माज्की्‍ामाष्जक-राजनीततक्वाथतववकता्का्गिन्
नहीं् ककया् है ।् वगस् ववलभन्न् वत्त
ृ ांत् जै‍े् कक् आधर्सक, ‍ामाष्जक् और् ‍ांथकृततक् या् अन्य् जातीय् रे खाओं् पर्
प्रततष्टित्हैं।्‍माज्में् घषसण्का्स्रोत्इन्ववलशटि्कारकों्में् ‍े् कक‍ी्‍े् आता्है ् और्इ‍्प्रकार्द‍
ू रों्पर्
अपना्वचसथव्‍ाब्रबत्करने् या्द‍
ू रों्द्वारा्चन
ु ौतीपण
ू ्स अधीनता्‍ाब्रबत्करने् के्ललए्वगस् ‍मह
ू ों्के्बीच्एक्
‍ंघषस् ववकल‍त्होता् है ् और् यह् ‍माज् में् शष्र्कत्‍ंरचना् को् आकार् दे ता् है ।् इ‍् अध्याय् में , हम् वगस् की्
अवधारणा, वगस्के्ल‍द्धांतों्और्वगस्में् महत्त्वपूण्स ववद्वानों्के्दृष्टिकोण्पर्चचास्करने्का्प्रया‍्करें गे।्हम्
तब्भारत्में्वगस्और्वगस्‍ंरचना्के्इततहा‍्पर्चचास्करें गे्और्अंत्में्हम्जातत्के्‍ंबंध्में्वगस्पर्चचास्
करें गे, दोनों् जातत् और् वगस् भारतीय् ‍ामाष्जक-राजनीततक् ‍ंदभस् में् शष्र्कत् ‍ंरचना् को् प्रभाववत् करने् वाले्
महत्त्वपण
ू ्स कारक्हैं।

2. वगश एक अवधारणा के रूप में

वगस् को्‍मझने् और्पररभावषत्करने् का्प्रया‍्यह्‍मझना्चादहए्कक्वगस् तनवासत्में् घदित्नहीं् होती्


हैं, बष्ल्क्वे्घिनाओं्के्ऐततहाल‍क्मंर्न्‍े्प्रभाववत्‍ामाष्जक्और्राजनीततक्गततशीलता्का्पररणाम्होती्
हैं्या्कुछ्‍ंदभों्‍े्प्रभाववत्होती्हैं।्शब्द्वगस्की्एक्‍रल्‍मझ्एक्आधर्सक्वत्त
ृ ांत्द्वारा्खींची्जा्‍कती्
है ्जहााँ्वगस्‍ामाष्जक्थतरीकरण्या्उच्च्वगस, मध्य्वगस्या्तनम्न्वगस्जै‍ी्आधर्सक्रे खाओं्पर्तैयार्की्गई्
पदानुिम्की्प्रणाली्‍े् ‍ंबंधधत्है ।्हालांकक, इ‍्तरह्के्एक्वगस् ववन्या‍्में् भी्इन्वगों्के्भीतर्मतभेद्
हैं, जो्इ‍े् एक्अत्यधधक्ववषम्श्रेणी्बनाता्है ।्ववद्वानों्के्कायों्में् एक्महत्त्वपूण्स थर्ान्लेने् के्ललए्वगस्

81
आया्है ।्इ‍े्अलग-अलग्ववद्वानों्ने्अलग-अलग्तरीके्‍े्पररभावषत्ककया्है ।्इनमें्‍े्कुछ्पररभाषाएाँ्नीचे्
दी्गई्हैंाः

ओगबनस्और्तनमकोफ्ने्यह्कहकर्वगस्को्पररभावषत्ककया्कक्’’एक्‍ामाष्जक्वगस्की्मौललक्ववशेषता्
अन्य्‍ामाष्जक्वगों्के्‍ापेक्ष्श्रेटिता्और्हीनता्की्‍ामाष्जक्ष्थर्तत्‍े्जड़
ु ी्है ‘‘।

मैकआइवर्एवं्पेज्ने्कहा्है , ‘‘एक्‍ामाष्जक्वगस्‍ामाष्जक्ष्थर्तत्द्वारा्बाकी्लोगों्‍े्धचष्ननत्‍मुदाय्
का्एक्दहथ‍ा्है ।्यह्ष्थर्तत्की्भावना्है , जो्आधर्सक, राजनीततक्या्ववलक्षण्शष्र्कत्और्तनरं तर्जीवन्
और् ‍ांथकृततक् अलभव्यष्र्कतयों् के् ववलशटि् तरीकों् ‍े् बनी् हुई् है ।् उनके् अनुरूप, जो् वगस् के् अलावा् वगस् को्
खींचता्है , प्रत्येक्वगस्को्‍ामंजथय्दे ता्है ्और्पूरे्‍माज्का्थतरीकरण्करता्है ।

धगन्‍बगस् कहते् हैं, ‘‘एक् ‍ामाष्जक् वगस् ‍मद


ु ाय् के् कक‍ी् भी् दहथ‍े् को् ‍ामाष्जक् ष्थर्तत् ‍े् आराम् ‍े्
धचष्ननत्ककया्जाता्है ’’।्

गर्स् और्लमल्‍्एक्ही्ष्थर्तत्में् पाए्गए्लोगों्के्‍मूह्‍े् ‍ंबंधधत्शब्द्वगस्(िमस्र्कला‍)्को्‍ंदलभसत्


करते्हैं।

जॉन्है रर‍्ललखते् हैं् कक्वगस् की्अवधारणा्‘‘चाहे ् मार्क्‍्स ‍े् ली्गई्हो्या्वेबर्‍े, आधर्सक्बंदोबथत्के्


महत्त्व्को्‍ंदलभसत्करता्है -्चाहे ्‍ामग्री्उत्पादन्का्‍ाधन्हो्या्ववशेष्कौशल्(‘मानव्पाँूजी’)्का्कब्जा, या्
‍ांथकृततक्लक्षण्(के्रूप्में् ‍ंदलभसत्प्रतीकात्मक्पाँूजी), या्‍ामाष्जक्‍ंबंध्(कभी-कभी्‘‍ामाष्जक्पाँूजी’्के्
रूप्में्वणणसत), जो्बाजारों्में्कक‍ी्व्यष्र्कत्के्धन्को्प्रभाववत्करती्है ।

अंतररक्ष् और् ‍मय् की् तनरं तरता् में , ‍माज् की् ‍ंरचना् और् उ‍में् शालमल् शष्र्कत् की् गततशीलता् को्
‍मझने्के्‍ार्-‍ार््वगस् और्खुद्की्प्रकृतत्का्तनधासरण्करते् हुए्वगस् ब्याज्की्एक्प्रमुख्क्षेत्र्पर्कब्जा्
करने्के्ललए्आया्है ।

3. तनधाशरक तत्त्व एवं वगश की प्रकृतत

एक्व्यष्र्कत्का्वगस्काफी्हद्तक्व्यव‍ाय, ‍ंपवत्त, लशक्षा्या्योग्यता, घर्की्आय्या्व्यष्र्कतगत्आय,


धन, पाररवाररक्पटृ िभूलम्और्ष्थर्तत्जै‍े्कारकों्‍े्तनधासररत्होता्है ।्वंशानुगत्या्वंश्के्‍ंदभस्में्वगस्का्
इलाज्या्पता्लगाया्जाना्आवश्यक्नहीं्है , लेककन्ऐ‍े्कारकों्‍े्तनष्श्चत्रूप्‍े्प्रभाववत्होता्है ्जब्कोई्
व्यष्र्कत्के्पालन-पोषण्या्माता-वपता्के्वगस्का्पता्लगाता्है ।्यह्कक‍ी्की्आकांक्षाओं्को्प्रभाववत्करता्
है ्और्‍ं‍ाधन्की्पहुाँच्और्आकांक्षाओं्की्‍ीमा्तय्करता्है ्जो्व्यष्र्कत्जीवन्में्कर्‍कता्है ।्हालांकक,
यह्‍मझना्चादहए्कक्वगस् अधधक्‍े् अधधक्‍ामाष्जक्गततशीलता्की्अनुमतत्दे ता्है ् र्कयोंकक्लोग्वगस् के्
तनधासरकों्द्वारा्‍ख्त्अर्ों्में् बाध्य्नहीं् होते् हैं् र्कयोंकक्जन्म्‍े् एक्व्यष्र्कत्का्व्यव‍ाय्तय्नहीं् होता्है ्
और्वे् अपनी्‍ीमाओं् को्आगे् बढ़ाने् के्प्रया‍्में् इन्तनधासरकों्को्चुनौती्दे ् ‍कते् हैं।्इ‍के्अलावा्वगस्
प्रणाली्अन्य्वगों्के्‍ार््‍ामह
ू ीकरण्करने्के्ललए्अधधक्‍े्अधधक्थर्ान्की्अनुमतत्दे ती्है ्और्इ‍ललए्
गततशीलता्अत्यधधक्‍ंभव्है ।

जै‍ा्कक्‍मझा्जाता्है , तनधासरक्काफी्हद्तक्‍ं‍ाधन्आधार्तक्पहुाँच्‍े्‍ंबंधधत्होते्हैं्और्इ‍में ्
शालमल्‍ंघषस्शष्र्कत्की्अवधारणा्को्रे खांककत्करता्है , जो्वगस्को्राजनीततक्श्रेणी्बनाता्है ।्वगस्भेद्जो्
‍ब‍े्अधधक्मूलभूत्के्रूप्में्कायस्करता्है , में्दो्श्रेणणयााँ्शालमल्हैं-्पहला, शष्र्कतशाली्‍े्‍ंबंधधत, एक्जो्
शष्र्कत्प्राप्त्करता्है ् और्द‍
ू रा्वह्शष्र्कतहीन्है ् जो्शष्र्कत्का्आनंद्नहीं् लेता्है ।्यह्वगस् को्एक्‍ापेक्ष्

82
अवधारणा्भी्बनाता्है ्र्कयोंकक्वगस्की्श्रेणीबद्धता्या्‍ामाष्जक्थतरीकरण्पर्एक्व्यष्र्कत्की्ष्थर्तत्द‍
ू रों्
की्‍ापेक्ष्ष्थर्तत्पर्तनभसर्करती्है ।

वगस्की्प्रकृतत्काफी्हद्तक्उपयर्क
ुस त्तनधासररत्तनधासरकों्द्वारा्तनधासररत्की्जाती्है ।्इ‍ललए, प्रत्येक्वगस्
कुछ् महत्वपूण्स ववशेषाधधकारों् और् ष्जम्मेदाररयों् ‍े् जड़
ु ा् हुआ् है , दोनों् को् उनकी् ष्थर्तत् और् शष्र्कत् द्वारा्
पररभावषत्और्पररभावषत्ककया्जा्रहा्है ।्पररणामथवरूप्वगस् द‍
ू रों्पर्अधीनता्और्श्रेटिता्का्प्रतीक्है ।्
जै‍ा्कक्पहले्कहा्गया्है , वगस्‍ामाष्जक्थतरीकरण्का्पररणाम्है ।्‍माजशाथत्री्रे मंड्डब्ल्यू्मुरे्ने्कहा्कक्
‍ामाष्जक् थतरीकरण् ‍माज् का।् उच्च् ’और’् तनम्न् ’‍ामाष्जक् इकाइयों् में् एक् क्षैततज् ववभाजन् है ।् यह्
थतरीकरण्व्यव‍ाय्और्अन्य्श्रेणणयों्में्अंतर्के्कारण्हो्‍कता्है ।्इ‍्तरह्के्वगस्‍मान्वगस्‍े्‍ंबंधधत्
अन्य्लोगों्के्ललए्‍हयोग्या्‍हानभ
ु तू त्की्भावना्को्‍ाझा्करती्हैं।्वगस्ववश्वा‍ों्का्एक्‍मह
ू ्बनाने्में्
मदद्करता्है ्और्एक्के्आ‍-पा‍्के्लोगों्के्प्रतत्जागरूकता्और्जवाबदे ही्को्प्रभाववत्करता्है ्ष्ज‍के्
पररणामथवरूप्वगस्चेतना्होती्है ।्एक्तनष्श्चत्वगस्के्‍दथयों्के्जीवन्थतर्के्‍मान्तरीके्‍े्‍ाझा्करने्
के्ललए, उनके्द्वारा्चुने् गए्ववकल्प्भी्‍मान्हैं, वगस् की्रे खाओं् पर्खींचे्गए्हैं।्एक्‍ामाष्जक्श्रेणी्के्
रूप्में्वगस्इ‍ललए्एक्ही्वगस्के्लोगों्को्लमलाकर्एक्‍माज्के्भीतर्एक्‍माज्बनाने्का्पररणाम्है ।

4. मार्किश, वेबर, वेबलन एवं वानशर द्वारा वगश का सिद्धांत

वगस् मार्क्‍व
स ाद्में् ववश्लेषण्के्ललए्एक्महत्त्वपूण्स उपकरण्के्रूप्में् कायस् करता्है ।्गरीबी्की्दशा्में ,
श्रलमक्वगस्के्उद्भव्पर्ववथतार्‍े्चचास्करते् हुए, मार्क्‍्स बताते्हैं्कक्आधर्सक्ष्थर्तत्श्रलमकों्में्जनता्को्
बदल् दे ती् है ।् पाँज
ू ी् के् वचसथव् के् कारण् आम् दहतों् और् ‍ामान्य् ष्थर्तत् का् तनमासण् ककया् जा् रहा् है ् और्
इ‍ललए्पाँज
ू ी्के्‍ंबंध्में् और्इ‍के्जवाब्में् एक्वगस् अष्थतत्व्में् आता्है ।्यह्वगस् एकजुि्होकर्खुद्के्
ललए् एक् वगस् बनाता् है ् यानी् जब् वगस् ‍ंरचना् के् रूप् में् पररभावषत् लोगों् के् ‍मह
ू ् वाथतव् में् थवयं् को्
‍मानताओं्को्‍ाझा्करने् के्रूप्में्‍ोचना्शुरू्करते् हैं, इ‍्प्रकार्वगस्की्चेतना्शालमल्होती्है ्और्यह्
ष्ज‍्दहतों्की्रक्षा्करता्है ् वह्वगस् दहत्बन्जाता्है ।्ऐततहाल‍क्और्राजनीततक्कारक्और्प्रकियाएाँ ् वगस्
गिन्की्ओर्ले्जाती्हैं्-्‍मान्वगस्की्ष्थर्तत्‍ाझा्करने्वाले्लोगों्के्बीच्‍ामदू हक्‍ंगिन्‍े्‍ंबंधधत्
है ् जो्अंतताः्वगस् ‍ंघषस् में् पररणत्होती्है ् यानी्जब्वगस् द‍
ू रों्के्ववरोध्में् अपने् दहतों्का्पीछा्करते् हैं।्
जॉन्है रर‍्ललखते्हैं्कक्इततहा‍्की्एक्मार्क्‍व
स ादी्व्याख्या्वाथतव्में्उपरोर्कत्प्रकियाओं्के्माध्यम्‍े्‍मय्
के्‍ार््‍ामाष्जक्पररवतसन्की्आवश्यक्गततशीलता्का्पता्लगाती्है ।

इ‍के्अलावा्लुइ‍्बोनापािस्की्18वीं्िुअमायर्में, मार्क्‍्स ने्वगस्का्गिन्ककया, वह्ललखते्हैं्कक, ‘‘अभी्


तक्लाखों्पररवार्अष्थतत्व्की्आधर्सक्पररष्थर्ततयों्में्रहते्हैं्जो्कक्उनके्जीवन्के्तरीके, उनके्दहतों्और्
अन्य्वगों्के्लोगों्‍े्उनकी्‍ंथकृतत्को्अलग्करते्हैं, और्उन्हें ्बाद्के्ववरोध्में्शत्रुतापूण्स ववरोध्में्डालते्
हैं्वे्एक्वगस्बनाते्हैं।’’

कालस्मार्क्‍्स ने्कहा्कक्पाँूजीवादी्‍माज्में्वगों्की्दो्प्रमख
ु ्श्रेणणयााँ्हैं्और्वे्पाँूजीपतत्और्‍वसहारा्वगस्
हैं।्‍माज्को्उत्पादन्और्ववतरण्के्‍ाधनों्के्थवालमत्व्या्‍ं‍ाधनों्तक्पहुंच्के्‍ंदभस्में्वगीकृत्ककया्
गया्है , जो्कक्है ्और्नहीं्है ्के्बीच्एक्अंतर्पैदा्करता्है -्पूव्स उन्लोगों्‍े्‍ंबंधधत्है ्ष्जनके्पा‍्उत्पादन्
के्‍ाधनों्का्थवालमत्व्है ् और्‍ं‍ाधनों्तक्पहुाँच्है ् जबकक्बाद्वाले् ‍े् ‍ंबंधधत्है ् ष्जनके्पा‍्ऐ‍ी्पहुाँच्
नहीं् है ् या् ये् कहें ् कक् वे् इ‍‍े् वंधचत् हैं।् इ‍ललए, मार्क्
‍्स के् अन‍
ु ार् वगस् चेतना् वगस् ‍ंघषस् के् ललए् ‍ब‍े्
महत्त्वपूण्स कारक्है ् जब्तक्कक्श्रलमक्अपने् अधधकारों्के्प्रतत्‍चेत्नहीं् होते् हैं ।्वे्एक्‍मतावादी्‍माज्
के्अपने् उद्दे श्य्को्प्राप्त्नहीं् कर्‍कते् हैं् और्इ‍ललए्‍ाम्यवादी्घोषणापत्र्में् मार्क्‍्स ‘‘दतु नया्के्श्रलमकों्

83
को्एकजुि्करते् हैं’’।्उन्होंने् आगे् कहा्कक्‍ामंती्वगस्और्पूंजीपतत्वगस् ने् ‍ामंती्और्पूंजीवादी्‍माजों्‍े्
अपनी्चेतना्प्राप्त्की्र्ी, श्रलमक्वगस्को्िो‍्तरीके्‍े्चेतना्नहीं्है ्और्इ‍्चेतना्को्प्राप्त्करने्के्ललए्
तनरन्तर्प्रया‍्करना्पड़ता्है ।

आधर्सक्कारण्वगस् के्तनमासण्का्आधार्र्े् और्पाँूजीवादी्अर्सव्यवथर्ा्में् माललकों्और्श्रलमकों्के्दहत्


एक-द‍
ू रे ् के्ववरोधी्र्े् और्जब्तक्दोनों्अपने् अधधकारों्को्पहचानने् के्ललए्नहीं् आते, तब्तक्शोषण्
मौजूद्र्ा्और्जारी्र्ा।

मैर्कि वेबर का िामाष्जक वगश का सिद्धांत


एक्जमसन्‍माजशाथत्री्मैर्क‍्वेबर्की्वगस् के्तनमासण्के्बारे ् में् अलग्राय्र्ी।्वेबर्के्अनु‍ार, वगस्
शष्र्कत्‍ंबंधों्के्केवल्एक्आयाम्का्तनमासण्करता्है , यह्ध्यान्दे ने् योग्य्है ् कक्वेबर्पररवतसन्के्ललए्
शष्र्कत्के्जदिल्‍ंबंधों्के्पररणामथवरूप्आता्है ।्वेबर्आधर्सक्क्षेत्र्के्‍ंदभस् में् वगस् को्‍मझता्है ् अर्ासत्
बाजारों्के्डोमेन्में्ष्ज‍का्अर्स्है ्कक्उ‍के्ललए्वगस्‍मूहों्या्‍मुदायों्‍े्अलग्हैं।्वेबर्के्ललए्वगस्एक्
ववववध्श्रेणी्है , ष्ज‍में्मार्क्‍्स के्‍माज्के्दो्वगों्में्भेद्के्ववपरीत्ववलभन्न्व्यव‍ायों्में्लगे्लोग्शालमल्
हैं।्इ‍के्अलावा्वेबर्वगस्की्ष्थर्तत्के्ववचार्को्रे खांककत्करता्है ्जो्लोगों्या्लोगों्के्‍मूह्के्‍ंबंधों्‍े्
‍ंबंधधत्है ्जो्बाजार्में्आते्हैं्और्उनके्जीवन्के्महत्त्वपूण्स क्षेत्रों्को्प्रभाववत्करते्हैं।्वेबर्‍माज्में्चार्
अलग-अलग्वगों्को्श्रेणीबद्ध्करता्है ाः

(क)्धनी्वगस

(ख)्बौद्धधक, प्रबंधकीय्और्प्रशा‍तनक्वगस

(ग)्छोिे ्व्यव‍ातययों्और्दक
ु ानदारों्का्पारं पररक्बुजआ
ुस ्वगस

(घ)्श्रलमक्वगस

वेबर्वगस् की्तीन्प्रमुख्ववशेषताओं् को्रे खांककत्करता्है -्पहला्है ्जीवन्की्‍ंभावनाएाँ् जो्उन्मूलभूत्


पहलुओं् ‍े् ‍ंबंधधत्हैं् जो्‘‘कई्लोगों्के्पा‍्अपने् जीवन्के्अव‍रों्का्एक्ववलशटि्कारण्या्घिक्है ’’,
द‍
ू रा्है ्आधर्सक्दहत-्आधर्सक्दहतों्के्रूप्में्ववशेष्रूप्‍े्प्रतततनधधत्व्ककया्है ्और्माल्और्आय्के्अव‍रों्
के्कब्जे् ‍े् ‍ंबंधधत्है , और्ती‍रा्वह्बाजार्है ् जो्व्यापार्की्वथतु् या्श्रम्बाजारों्‍े् ‍ंबंधधत्है ।्(एडम्‍्
और्‍ेडी्2001)

हालााँकक, वेबर्मार्क्‍्स के्दृष्टिकोण्के्बहुत्करीब्आया्जब्पूव्स में् उन्होने् उल्लेख्ककया्कक्‍ंपवत्त्और्


उ‍की्कमी्‍भी्वगस्की्ष्थर्ततयों्की्एक्मौललक्श्रेणी्के्रूप्में्कायस्करती्है ।

वेबलन का िामाष्जक वगश का सिद्धांत


र्ोरथिे न्वेबलन्ने् अपनी्पुथतक्में् द्थ्योरी्ऑफ्द्लीजर्र्कला‍््शीषसक्ददया्है , ष्ज‍में् उन्होनें् वगस्
की्एक्अनूिी्श्रेणी्के्रूप्में्धनाढ़ी्वगस्के्बारे ्में्उल्लेख्ककया्गया्है ।्वेबलन्बताते्हैं्कक्धनाढ़ी्वगस्में्
‍माज्के्‍ब‍े्धनी्लोग्शालमल्हैं, जो्अन्य्वगों्के्लोगों्पर्तनयंत्रण, प्रभत्ु व्और्उनका्शोषण्करते्हैं।्
वेबलन्औपतनवेलशक्‍मय्को्ध्यान्में् रखते् हैं् जो्उनके्लेखन्के्‍मय्इततहा‍्को्धचष्ननत्करने् वाला्
एक्प्रमुख्कारक्र्ा।्वह्ववजेता्और्ववजेता्के्बीच्तुलना्करता्है , जहााँ्वह्ववजेता्को्धनाढ़ी्वगस्के्‍ार््
जोड़ता्है , जबकक्तनम्न्दजे्के्लोगों्की्तुलना्उन्लोगों्‍े्की्जाती्है , ष्जन्पर्ववजय्प्राप्त्की्जाती्है ।

84
धनाढ़ी्वगस् केवल्इ‍ललए्आराम्कर्‍कता्है ् र्कयोंकक्उ‍के्ललए्अन्य्‍भी्आवश्यकताएाँ ् पूरी्हो्जाती्हैं।्
वेबलन्का्कहना्है ् कक्उन्होंने् ‍ामाष्जक्उत्पादन्के्‍ंदभस् में् कोई्महत्त्वपूण्स योगदान्नहीं् ददया्र्कयोंकक्वे्
अपने् काम्के्अंत्‍े् महत्त्वपूण्स आधर्सक्उत्पादन्गततववधधयों्में् कभी्नहीं् लगे् र्े।्उनके्पा‍्केवल्अपनी्
आवश्यक्जरूरतों्को्परू ा्करने्के्ललए्धन्र्ा्और्यह्अन्य्वगों्के्ललए्र्ा्ष्जन्होंने्उनके्ललए्काम्ककया।

िमाज में वगश पर लॉयड वानशर के दृष्टिकोण


लॉयड्वानसर्जो्कक्एक्मानवववज्ञानी्है , ने्वगस्को्एक्‘बहु-तथ्यात्मक’्घिना्के्रूप्में्माना्है ।्हालांकक,
वानसर्के्ललए्आधर्सक्कारक्‍ामाष्जक्भेदभाव्और्थतरीकरण्के्ललए्‍ब‍े् बतु नयादी्र्ा, उन्होंने् मल्
ू यांकन्
की्गई्भागीदारी्कारक्के्बारे ् में् भी्बताया।्मूल्यांकन्भागीदारी्कारक्उ‍्तरीके्‍े् जुड़ा्हुआ्र्ा्ष्ज‍में ्
कोई्व्यष्र्कत्‍ामुदातयक्जीवन्या्‍ामाष्जक्जीवन्में्भाग्लेता्है ्और्‍मुदाय्में्उ‍के्‍ार्ी्उ‍का्मूल्यांकन्
करते् हैं।्मूल्यांकन्मानदं ड्में् मूल्यांकन्के्ववलभन्न्मायने् शालमल्हो्‍कते् हैं् जै‍ेाः्‍ही्लोगों्को्जानना,
‍ंघ्का्‍दथय्होने् के्नाते, एक्ऐ‍ी्जगह्जहााँ् एक्व्यष्र्कत्रहता्है ् और्कै‍े् एक्व्यष्र्कत्पै‍े् खचस् करता्
है ्इत्यादद।

वानसर्ऊपरी, मध्य्और्तनचले् जै‍े् पररधचत्श्रेणणयों्पर्छह्गुना्वगीकरण्के्‍ार््आए, और्उनमें् ‍े्


प्रत्येक्को्एक्ऊपरी्और्तनचले् उप-खंड्में् वगीकृत्ककया्गया्र्ा।्इ‍्प्रकार्एक्उच्च-ऊपरी्वगस् है , जो्
‍मुदाय्के्‍ब‍े् लंबे् ‍मय्तक्रहने् वाले् कुलीन्वगस् ‍े् बना्है , मजबूत्शा‍क्वंश्वाले् पररवार्और्एक्
तनम्न-उच्च्वगस्भी्है , ष्ज‍में ्‍माज्में्‍ामान्य्थवीकृतत्के्ललए्तत्पर्नव-अष्जसत्धन्वाले्पररवार्शालमल्
हैं।्इ‍के्अलावा, ऊपरी-मध्यम्वगस्की्श्रेणी्में्थर्ावपत्व्याव‍ातयक्घरानों्के्लोग्और्पेशेवर्पटृ िभलू म्वाले्
लोग्शालमल्होंगे।्तनम्न्मध्यम्वगस् में् ववलभन्न्‍फेदपोश्नौकररयों्के्लोग्शालमल्हैं् यानी्प्रबंधकीय्या्
प्रशा‍तनक्कायों्वाले्लोग, कौशल्आधाररत्कायों्और्छोिे ्व्यव‍ायों्में्लगे्लोग्भी।्यह्ऊपरी-तनचला्वगस्
है ्ष्ज‍में्ऐ‍े्लोग्शालमल्हैं्जो्कुशल्हैं्और्अन्य्श्रलमक्भी्हैं्जो्कड़ी्मेहनत्करते्हैं।्हालााँकक्वे्काफी्
हद्तक्गरीब्हैं् लेककन्‍माज्में् ‍म्मान्प्राप्त्करते् हैं।्यह्तनम्न्‍े् तनम्न्वगस् है ् ष्ज‍में् ‍ब‍े् अधधक्
अव‍ादग्रथत्लोग्होते् हैं् और्उनके्जीवन्के्तरीके्को्‍माज्के्अन्य्वगों्द्वारा्‍म्मानजनक्नहीं् माना्
जाता्है ।

5. भारत में वगश का इततहाि

वगस् के् ल‍द्धांत् तनष्श्चत् रूप् ‍े् हमें् ‍ैद्धांततक् दृष्टिकोण् ‍े् वगस् की् अवधारणा् का् परीक्षण् करने् में्
‍हायता्करते्हैं।्हालााँकक, भारतीय्‍ंदभस्में्वगस्को्‍मझना्और्उ‍का्ववश्लेषण्करना्हमारे ्ललए्भारतीय्
‍माज्की्वगीय्ववशेषता्का्पता्लगाना्अतनवायस् हो्जाता्है ।्वगस् थवाभाववक्रूप्‍े् इ‍के्‍ार््आधर्सक ,
धन्या्धन्की्धारणा्रखता्है ् और्इ‍्तरह्जातत्‍े् अलग्होता्है ् जो्जन्म्के्‍मय्तनष्श्चत्होता्है ।्
भारत्में्जातत्और्वगस्एक्तनष्श्चत्‍ीमा्तक्अधधव्यापन्करते्हैं्ववशेष्रूप्‍े्ग्रामीण्भारत्में्जहााँ्जातत्
भूलमका्एवं् व्यव‍ाय्को्‍ीलमत्करती्है ।्जातत-वगस् अधधव्यापन्भी्घिनाओं् के्बड़े् मोड़्‍े् प्रभाववत्हुआ्है ्
जो्इततहा‍्अलभलेख्करने् के्ललए्खड़ा्है ।्भारतीय्वगस् का्चररत्र्पूरे् भारतीय्इततहा‍्में् ददखाई्दे ता्है -्
यद्यवप्वगस्चररत्र्का्थतर्और्तीक्ष्णता्लभन्न्होती्है ।

स्वतंिता-पूवश युग में वगश


थवतंत्रता-पूव्स युग् में् भारतीय् ‍माज् को् जातत् ‍ंरचना् के् अनु‍ार् आकार् ददया् गया्र्ा, ष्ज‍ने् प्रत्येक्
जातत्के्व्यष्र्कतयों्के्ललए्अलग-अलग्व्यव‍ाय्और्भलू मकाएाँ् तनधासररत्की्र्ीं।्‍माज्को्चार्जाततयों्में्

85
ववभाष्जत्ककया्गया्र्ा-्िानमण, क्षब्रत्रय, वैश्य्और्शूद्र, जो्आबादी्के्एक्बड़े्भाग्को्पीछे ्छोड़ते्र्े, ष्ज‍में्
बाहरी्लोग, ववदे शी्लोग, ववजय्प्राप्त्करने्वाले्लोग, दा‍्और्अन्य्शालमल्र्े्ष्जन्हें ्पंचम्के्रूप्में्जाना्
जाता्र्ा।्इ‍्ववभाजन्ने्वाथतव्में्‍माज्के्वगस्चररत्र्को्जन्म्ददया, जहााँ्पुरोदहत्वगस्िानमण्र्े, शा‍क्
वगस्में्क्षब्रत्रय्और्बड़े् और्िानमण्भी्शालमल्र्े, वैश्य्ने्व्यापारी्और्अमीर्कक‍ान्वगस्का्गिन्कुनबी,
वोर्ककाललगा, जाि, वष्न्नयार् और् अंत् में् शूद्र् कारीगर् और् ‍ेवा् वगस् के् लोग् र्े।् इन् वगों् और् जाततयों् का्
‍ंववधान्इ‍्मायने्में्अत्यधधक्ववषम्र्ा्कक्इन्वगों्के्भीतर्कई्श्रेणणयााँ ्और्उप्श्रेणणयााँ्र्ीं।

‍ामाष्जक्गततशीलता्को्प्रततबंधधत्करने् के्‍ार््जातत्‍े् जुड़े् होने्के्कारण्‍माज्का्ऐ‍ा्वगीकरण्


किोर्हो्गया।्इ‍के्अलावा्लोगों्का्शोषण्बढ़्गया्र्कयोंकक्वगस्जातत्के्‍ार््अततव्यापी्र्ा्ष्ज‍का्अर्स्
र्ा् कक् शा‍क् वगस् में् ‍माज् का् ववभाजन्और्शाल‍त्जीवन् में् अव‍र् का् तनमासण , व्यव‍ाय् का् ववकल्प,
‍ीखने्और्लशक्षा्तक्पहुाँच्और्वववाह्में्‍ामाष्जक्अंतर, रीतत-ररवाज, व्यवहार, इ‍ललए्‍ामाष्जक्थतरीकरण-्
‍माज्के्लोगों्के्ववभाजन्को्पदानुिम्में्आकार्ददया्गया्है -्लोगों्के्उन्मुखीकरण, उनकी्जातत-वगस्के्
भीतर्‍ंबंध्और्उनकी्जातत-वगस्श्रेणी्के्बाहर, उनकी्पहचान, अनुभव्और्‍ब‍े् महत्वपूण्स बात्यह्है ् कक्
जीवन्में्‍ं‍ाधनों्और्अव‍रों्तक्उनकी्‍ामाष्जक्गततषीलता्एवं्पहुाँच्भी्‍ीलमत्है ।

‍ार््ही्हथतलशल्प्और्हर्करघा्‍े् जुड़े् लोगों, कारीगरों, छोिे ् कक‍ानों, कक‍ानों्के्बीच्अन्य्लोगों्की्


तरह्ब्रिदिश्प्रततकूल्वगों्का्आना।्इ‍के्अलावा्ब्रिदिश्काल्के्दौरान्कराधान्प्रणाली्ने्भी्धन्और्पाँज
ू ी्
की्पहुाँच्के्‍ार््जमींदारों्और्मध्यम्पुरुषों्का्एक्खंड्बनाने् के्ललए्नेतत्ृ व्ककया, जो्करों्को्इकट्िा्
करने्की्भूलमका्तनभाते्र्े।्जमींदारों्और्औपतनवेलशक्‍रकार्की्नीततयों्के्कारण्हुए्शोषण्ने्आददवाल‍यों,
कक‍ानों्और्‍माज्के्तनचले्वगस्के्लोगों्के्नागररक्उत्र्ान्के्कई्उदाहरण्ददए।

थवतंत्रता्के्पव
ू ्स यग
ु ्में् अंग्रज
े ी्माध्यम्की्लशक्षा्प्राप्त्करने् वाली्जन‍ंख्या्के्एक्वगस् का्उदय्हुआ,
जो्बड़े्पैमाने्पर्ववदे शी्लशक्षक्षत्बुद्धधजीवी्र्े, ष्जनमें्वकील, भारतीय्ल‍ववल्‍ेवा, डॉर्किर्एवं््पेशेवर्शालमल्
र्े।्इ‍‍े्राटरीय्आंदोलन्में्महत्त्वपूण्स भूलमका्तनभाने्वाले्मध्यम्वगस्के्बुद्धधजीववयों्का्उदय्हुआ।

यह्उन्नी‍वीं् ‍दी्के्मध्य्के्बाद्‍े् भारतीय्पाँज


ू ीपतत्वगस् के्उभार्के्‍ार््‍ामने् आता्है ।्1914-
1947्की्अवधध्ने्वाथतव्में्भारतीय्पाँूजीवादी्वगस्को्तीव्र्गतत्‍े्उभरने्को्धचष्ननत्ककया।्पाँज
ू ीपतत्वगस्
ने्उपतनवेशवाद्और्औपतनवेलशक्दहतों्के्णखलाफ्लगातार्‍ंघषस्करते्हुए, अर्ासत्थवयं्उपतनवेशवाद्‍े्जगह्
खाली्करके्एक्जगह्बनाई।्(चंद्र्1989)

पाँज
ू ीवादी्वगस् भी्पाँज
ू ीवादी्वगस् के्दीघसकाललक्दहत्को्ध्यान्में् रखते् हुए्भारतीय्राटरीय्आंदोलन्को्
अपना्‍मर्सन्दे ते्हैं, र्कयोंकक्यह्अपने्ललए्एक्वगस्बन्गया्है ।्वादीलाल्लल्लूभाई्मेहता, ‍ैमुअल्आरोन,
जमनालाल्बजाज्जै‍े्लोग्परू ी्तरह्‍े्भारतीय्राटरीय्आंदोलन्के्‍ार््पहचाने्गए्और्यहााँ्तक्कक्कांग्रे‍्
में्शालमल्हो्गए, जेल्गए्और्इतने्पर्जीडी्ब्रबड़ला, अंबालाल्‍रबजी्जै‍े्अन्य्लोगों्ने्राटरीय्आंदोलन्
को्ववत्तीय्और्अन्य्‍हायता्दी।

भारतीय्मजदरू ्वगस् भी्तब्उभरा्जब्भारत्अभी्एक्राटर्बन्रहा्र्ा्र्कयोंकक्वे् बड़े्पैमाने्पर्ब्रिदिश्


थवालमत्व्वाली्कंपतनयों्में् लगे् हुए्र्े् और्अमानवीय्पररष्थर्ततयों्में् काम्कर्रहे ् र्े, एवं्उनके्द्वारा्कम्
वेतन्और्लंबे् ‍मय्तक्काम्का्भुगतान्ककया्गया्र्ा।्भारतीय्राटरीय्आंदोलन्ने् भारतीय्मजदरू ्वगस्
के्भीतर्एक्वगस्चेतना्दे खी्और्‍ाम्राज्यवादी्और्पंज
ू ीवादी्ताकतों्को्चन
ु ौती्दे ने्में्उनके्‍ंघषस्को्‍ंगदित्
करने् के्प्रया‍्ककए्गए।्लाला्लाजपत्राय्पहले् नेताओं् में् ‍े् र्े् ष्जन्होंने् ‍फलतापूवक
स ्पाँूजीवाद्की्घिना्
के्बीच्एक्‍ंबंध्थर्ावपत्ककया्जो्‍ाम्राज्यवाद्के्‍ार््र्ा्और्खतरे ्‍े्लड़ने्में्मजदरू ्वगस्के्महत्त्व्पर्
बल्ददया।

86
स्वतंिता पश्चात के युग में वगश
थवतंत्रता्के्पश्चात्के्वगों्ने् राटरीय्आंदोलन् की्ववरा‍त्को्आगे् बढ़ाया।्थवतंत्र्भारत्ने् जमींदारी्
प्रर्ा्को्‍माप्त्कर्ददया्और्भूलम्एवं्भूलम्जोतने्वाली्नीततयों्को्भी्मजबूत्ककया्और्पहले्पांच्‍ाल्
की्योजनाओं् के्बाद्‍े् भूलम्‍ुधार्नीततयों्को्लागू् ककया।्ककरायेदारों्और्गरीब्कक‍ानों्के्एकत्रीकरण्के्
माध्यम्‍े् कृवष्दहतों्के्‍मेकन्‍े् ककरायेदार्एवं् कक‍ानों्को्भूलम्का्अनुदान्लमला, जो्भूलम्के्माललक्
बन्गए्और्हाल्के्वषों्में् वे् ग्रामीण्भारत्के्आधर्सक्और्राजनीततक्रूप्‍े् शष्र्कतशाली्वगस् के्रूप्में्
उभरे ।

मजदरू ्वगस्भी्भारतीय्राजनीतत्में्एक्प्रमुख्शष्र्कत्के्रूप्में्उभरा।्यहााँ, भारतीय्‍माज्की्एक्अनूिी्


ववशेषता्को्नोि्करना्आवश्यक्हो्जाता्है ्र्कयोंकक्बारबरा-है रर‍्व्हाइि्के्कामों्पर्प्रकाश्डाला्गया्है ्जहााँ्
यह्अनुमान्लगाया्गया्है ् कक्भारत्की्लगभग्38्प्रततशत्आबादी्काम्करती्है ् या्अनौपचाररक्क्षेत्र्‍े्
जुड़ी्हुई्है ।्इ‍ललए्इ‍्बात्पर्प्रकाश्डाला्गया्है ्कक्आमतौर्पर्भारतीय्में्ब‍े्श्रलमक्वगस्’के्रूप्में ्
जो्दिप्पणी्की्जाती्है , वह्एक्उच्च्‍ंथकरण्और्ववववध्श्रेणी्है ्और्तब्वगस्जि
ु ाना्आ‍ान्नहीं्होता्है ।्
केवल्‍ात्प्रततशत्कामकाजी्जन‍ंख्या्ही्‍ंगदित्श्रलमक्वगस्बनाती्है ।्‍ंगदित्मजदरू ्वगस्पाँज
ू ीवादी्ताकतों्
पर् दबाव् बनाने् में् ‍फल् रहा।् हालााँकक् भारतीय् औपचाररक् वगस् भी् एक् ‍मरूप् वगस् नहीं् है , लेककन् इ‍की्
गहराई्में्भी्बड़ी्ववववधताएाँ्हैं्और्इ‍े्खंडडत्और्कमजोर्दे खा्जाता्है ।्इ‍्तरह्का्ववश्लेषण्इ‍्तथ्य्
‍े्ललया्गया्है ्कक्मजदरू ्वगस्की्यूतनयनों्को्तनयुर्कत्ककया्गया्है ्और्प्रमुख्राजनीततक्दलों्की्लाइनों्
और्दल्की्तनटिा्के्‍ार््शालमल्ककया्गया्है ्एवं्दलीय्राजनीतत्तनटिा्ने्मजदरू ्‍ंघों्को्भारतीय्राटरीय्
रे ड्यूतनयन्कांग्रे‍्(INTUC)्और्‍ंघों्द्वारा्ववभाष्जत्और्ववखंडडत्कर्ददया्है ।्ऑल्इंडडया्रे ड्यूतनयन्
कांग्रे‍्(AITUC)।

पाँज
ू ीपतत्वगस्के्दहत्को्फेडरे शन्ऑफ्इंडडयन्चैम्ब‍स्ऑफ्कॉम‍स्एंड्इंडथरी्(FICCI), ए‍ोल‍एिे ड्चैम्ब‍स्
ऑफ्कॉम‍स्एंड्इंडथरी्(ASSOCHAM), कन्फेडरे शन्ऑफ्इंडडयन्इंडथरी्(CII)्जै‍े्‍ंगिनों्द्वारा्ध्यान्में ्
रखा्जाता्है ।

राजनीततक् पररवतसनशील् बनने् के् ललए् वगस् का् ‍ब‍े् महत्त्वपूण्स कारक् वगस् चेतना् ‍े् ‍ंबंधधत् है , ष्ज‍े्
जुिाकर्मंर्न्ककया्जाता्है ् और्हमेशा्‍त्ता्‍ंरचना्के्वचसथव्के्णखलाफ्ववकल‍त्ककया्जाता्है , ष्ज‍‍े्
‍माज्को्वगीय्आधार्पर्‍ंरधचत्बनाया्जाता्है ।

6. भारत में वगश िंरचना

भारत्में्वगस्‍ंरचना्अत्यधधक्पररवतसनशील्है ।्यह्भारत्में्वगस्के्गिन्के्‍ार््जुड़ा्हुआ्है ्यानी्वगस्


गिन्जो्कक्ऐततहाल‍क्घिनाओं् और्पररवतसनों, जातत्कारक्और्वगस् दहतों्के्एकत्रीकरण्जै‍े् कारकों्‍े्
काफी्हद्तक्प्रभाववत्है ।्‍ब‍े्महत्त्वपूण्स बात्यह्है ्कक्भारत्जै‍े्दे श्में , वगस्के्ववश्लेषण्के्ललए्अतनवायस्
रूप्‍े् वगस् के्‍ांथकृततक्‍ंदभस् की्‍मझ्की्आवश्यकता्होती्है , जो्लोगों्के्एक्ववशेष्‍मूह्की्आदतों,
व्यवहार, ववचारों् और् कायों् के् ऐततहाल‍क् लक्षणों् ‍े् ‍ंबंधधत् होता् है ् और् जब् दे खा् जाता् है ् तब् भी् कक्षा्
अधधक्जदिल्हो्जाती्है ।्वगस, पािी्और्अन्य्प्रमख
ु ्पहलओ
ु ं् के्प्रततच्छे दन्‍ंबंधों्के्‍ंबंध्में् वेबर्द्वारा्
प्रकाश्डाला्गया।

भारतीय्‍माज्को्मोिे ्तौर्पर्तीन्व्यापक्वगस्‍ंरचनाओं्में्वगीकृत्ककया्जा्‍कता्है ्और्यह्ध्यान्


ददया्जाना्चादहए्कक्भारत्में्वगस्‍ंरचनाएाँ्गहराई्‍े्लभन्न्हैं।

87
कृवष वगश
भारत्प्रमख
ु ्रूप्‍े्एक्कृवष्प्रधान्‍माज्है ्और्ऐततहाल‍क्काल्‍े्वगस्ववभेदीकरण्की्ववशेषताओं्को्
दशासता्है ।्डैतनयल्र्ॉनस, जो्अमेररका्में्जन्मे्अर्सशाथत्री्हैं, ने्अपनी्पुथतक्‘भारत्में्कृवष्‍ंभावना’्में्भारत्
की्कृवष्वगस्‍ंरचना्के्मॉडल्के्रूप्को्रे खांककत्ककया्है ाः

(क) मसलक या जमींदार—मललक्वे्र्े, ष्जन्होंने्जमीन्‍े्अपनी्आमदनी्प्राप्त्की्और्उच्च्थतर्का्ककराया्


और्मजदरू ी्का्थतर्बहुत्कम्रखा।्ककराए्का्भुगतान्कक‍ानों, बिाईदारों्और्उप-ककरायेदारों्द्वारा्
ककया्जाता्र्ा।्इ‍्खंड्में्मल
ू ्रूप्‍े्बड़े्जमींदार्और्अमीर्जमींदार्शालमल्र्े।
(ख) क्रकिान और धनी क्रकिान—यह् वह् भाग् र्ा् ष्ज‍में् काम् करने् वाले् कक‍ान् शालमल् र्े् ष्जनकी् ‍ंपवत्त्
‍ंबद्धता्र्ी, लेककन्वाथतववक्अधधकार्चाहे ्कानूनी्या्प्रर्ागत्जमींदारों्‍े्जुड़े्हों।

(ग) मझोले् या्कृवष्मजदरू ों्ने् ती‍री्श्रेणी्का्गिन्ककया्जो्मुख्य्रूप्‍े् भूलम्या्भूखंडों्पर्काम्करके्


अपनी्आजीववका्अष्जसत्करता्र्ा।्इ‍में् गरीब्ककरायेदार्शालमल्हैं् ष्जनके्पा‍्‍ुरक्षा्का्अभाव्र्ा्
र्कयोंकक्उनके्पा‍्ककरायेदारी्के्अधधकारों्की्कोई्पहुाँच्नहीं्र्ी्और्उन्होंने्बहुत्कम्आय्अष्जसत्की।्
बिाई्पर्खेती्करने् वाले् भी्इ‍्श्रेणी्में् आते् हैं् ष्जन्होंने् बिाई्के्आधार्पर्जमीन्पर्खेती्की्र्ी्
और्जमीन्का्पट्िा्ककया्र्ा, लेककन्ब्रबना्कक‍ी्‍ुरक्षा्के।्अन्त्में, भूलमहीन्मजदरू ्वे् र्े् ष्जन्होंने्
मजदरू ी्के्ललए्जमीन्पर्काम्ककया्र्ा।्(र्ोमसर्1956)

पराधीन्भारत्में् भूलम्‍ुधार्नीततयों्और्जमींदारी्प्रर्ा्के्उन्मूलन्‍े् वाथतव्में् बड़े् पैमाने् पर्‍मद्


ृ ध्
कक‍ानों्को्लाभ्हुआ।्1960्के्दशक्में् भारतीय्कृवष्को्हररत्िांतत्के्दहथ‍े्के्रूप्में्उच्च्उपज्वाले्
ववलभन्न्बीजों्के्रामबाण्होने्का्एह‍ा‍्हुआ्जो्पंजाब, हररयाणा्और्उत्तर्प्रदे श्जै‍े्राज्यों्में्लाग्ू ककया्
गया्र्ा।्इ‍‍े्अमीर्और्गरीब्कक‍ानों्के्वगस्भेदभाव्का्तनमासण्हुआ, बष्ल्क्यह्कहना्कक्वगस्ध्रुवीकरण्
थपटि्र्ा्और्कृवष्‍ंघषस्ने्भारत्के्ग्रामीण्इलाकों्में्अपनी्पकड़्बनाई।

जॉन्है रर‍्ने् अपने् तनबंध्वगस् में् तीन्मुख्य्प्रथतावों्के्‍ार््ग्रामीण्‍माज्में् महत्त्वपूण्स बदलावों्को्


रे खांककत्ककयााः

(क) 1970्के्दशक्की्तुलना्में्कक‍ान्वगों्के्भेदभाव्और्ध्रुवीकरण्में्काफी्कम्अंतर्है ।

(ख) भूलम् अब् ष्थर्तत् और् शष्र्कत् का् ‍ब‍े् महत्त्वपूण्स तनणासयक् कारक् है ् और् यह् एक् हद् तक्गरीबों्पर्
आजीववका्की्‍ीमाएाँ् थर्ावपत्करने् में् भी्ववफल्रही्है , ववशेष्रूप्‍े् आ‍-पा‍्और्दरू ्के्क्षेत्रों्में्
गैर-कृवष्रोजगार्में् वद्
ृ धध्के्मद्दे नजर।्कृवष्‍े् होने् वाले् लाभ्में् भी्धगरावि्आई्है ् और्ज्यादातर्
यव
ु ा्पीढ़ी्कृवष्‍े्बाहर्तनकलने्का्ववकल्प्चन
ु ्रही्है ।
(ग) गरीब्तनभसरता्के्‍ंबंधों्को्ढीला्कर्रहा्है ्और्इ‍ललए्राजनीततक्थर्ान्पर्बहुत्कम्लाभ्उिा्रहा्
है , जहााँ्गरीब्कई्ग्रामीण्मजदरू ों्और्छोिे ्कक‍ान्व्यापाररक्उत्पादकों्का्गिन्करते्हैं।्इ‍के्अलावा्
ग्रामीण्‍माज्में् ‍शथत्र्ववद्रोह्की्‍ंख्या्में ् वद्
ृ धध्हुई्है , ष्ज‍‍े् भारतीय्राज्य्के्ललए्यह्एक्बड़ी्
आंतररक्‍ुरक्षा्चुनौती्है ।्(हरर‍्2010)

राज्य्‍े्अनक
ु ू ल्कृवष्नीततयों्और्ररयायतों्के्दावों्को्परू ा्करने्में्कृवष्वगस्ने्हमेशा्महत्त्वपण
ू ्स भलू मका्
तनभाई् है ।् कक‍ान् राजनीततक् वगस् की् नजर् में् चुनावी् लाभ् के् ललए्एक् प्रमुख् वगस् बने् हुए् हैं।् ‍मकालीन्
‍मय्में, ग्रामीण्‍े् शहरी्प्रवा‍्और्कृवष्अर्सव्यवथर्ा्का्‍ंकि्हालांकक, ग्रामीण्पररदृश्य्को्बदल्रहा्है ,
ष्ज‍में्लोग्कृवष्‍े्बाहर्तनकल्रहे ्हैं।्इ‍‍े्राजनीततक्रूप्‍े्कृवष्वगस्को्कम्प्रभावी्बनाने्की्हद्तक्
पररणाम्हो्‍कता्है ।

88
श्रसमक वगश
भारतीय्मजदरू ्वगस् उन्नी‍वीं् ‍दी्के्बाद्‍े् एक्प्रमख
ु ्राजनीततक्शष्र्कत्के्रूप्में् उभरा्जब्भारत्
अभी्भी्शोषणकारी्औपतनवेलशक्शा‍न्के्णखलाफ्‍ंघषस्कर्रहा्र्ा।्थवतंत्रता्‍े्पूव्स के्दौर्में्मजदरू ्वगस्
के्आंदोलन्में् लमल्के् हमले, कारखानों्में् हड़ताल, रे लवे् की्हड़ताल्जै‍े् कई्मामले् शालमल्र्े।्प्रारं भ्में्
कांग्रे‍्भारत्के्कोने-कोने्में्होने्वाले्इन्मुद्दों्का्प्रतततनधधत्व्करने्के्पूण्स ‍मर्सन्में्नहीं्आई्र्ी, लेककन्
आधर्सक् राटरवाद, धन् ल‍द्धांत् की् वद्
ृ धध् और् उपतनवेशवाद् और् राटरवाद् के् बीच् अधधक् थपटिता् के् ‍ार्,
कांग्रे‍्पािी्और्भारतीय्कम्यतु नथि्पािी्ने्महत्त्वपूण्स योगदान्ददया्एवं्ववदे शी्शा‍न्के्णखलाफ्जन‍ंख्या्
के्दृष्टिकोण्को्बढ़ाने्और्प्र‍ाररत्करने्में्महत्वपूण्स भूलमका्तनभाई।

वववेक्धचब्बर्ललखते् हैं् कक्थवतंत्रता्के्पश्चात्के्दौर्में् कम्युतनथि्‍मधर्सत्ऑल्इंडडया्रे ड्यूतनयन्


कांग्रे‍्के्ववरोध्में्इंडडयन्नेशनल्रे ड्यूतनयन्कांग्रे‍्(INTUC)्के्गिन्के्माध्यम्‍े्‍ंगदित्मजदरू ्वगस्
को् कांग्रे‍् द्वारा् बहुत् प्रभावी् ढं ग् ‍े् ‍हयोष्जत् ककया् गया् र्ा।् प्रचललत् दृष्टिकोण् यह् र्ा् कक् श्रलमक् वगस्
खंडडत् हो् गया् है ् और् इतना् कमजोर् है ् लेककन् ववद्वान् ई् िीिै लबाम् ने् इ‍का् प्रततवाद् ककया, जहााँ् उन्होंने्
‍ुझाव्ददया्कक्श्रलमक्‍ंघ्तनरं तर्बने्हुए्हैं्और्आकृतत्में्बढ़्रहे ्हैं्और्फमस्के्थतर्पर्कम्ववखंडन्है ्
जहां्औद्योधगक्कंपनी्एक्या्दो्यूतनयनों्के्‍ार््बातचीत्करती्है ।्हालााँकक, यह्‍मझने्की्आवश्यकता्है ्
कक्भारतीय्‍माज्ने् अपने् राजनीततक्आधर्सक्क्षेत्र्में् महत्त्वपूण्स बदलाव्दे खे् हैं् और्इ‍्प्रकार्औद्योधगक्
वववादों्का्थतर्उच्च्बना्हुआ्है ्और्श्रम्अनुकूल्नीततयों्को्‍ुधारने्में्राज्य्की्ववफलता्के्पररणामथवरूप्
श्रलमक्‍ंघों्को्मजबतू ी्लमलती्है ।

अग्रवाल्ने् कहा्कक्बड़ी्‍ंख्या्में् अनौपचाररक्श्रलमक्औद्योधगक्क्षेत्रों्या्तनयोर्कताओं् के्बजाय्राज्य्


की्ओर्लक्षक्षत्बड़े्दबाव्का्‍ामना्करते्हैं, आगे्मााँग्ववशेष्रूप्‍े्श्रलमक्अधधकारों्के्बजाय्कल्याणकारी्
लाभों्की्है ।्अग्रवाल्यह्भी्ललखते्हैं्कक्अनौपचाररक्कायसकतास् ‘‘अनौपचाररकता्के्णखलाफ्नहीं्बष्ल्क्इ‍्
ष्थर्तत्के्भीतर्अधधकारों्के्ललए्‍ंघषस्कर्रहे ्हैं।’’्यह्मदहलाओं्के्अधधकारों, आजीववका्के्अधधकार्और्
अन्य् महत्त्वपूण्स कल्याणकारी् लाभों् के् बीच् आवा‍् की्भावना् का् आनवान् करता् है ।् इ‍् तरह् की् लामबंदी्
लोकतंत्र्के्बड़े् ढााँचे् के्ललए्एक्अद्ववतीय्चररत्र्को्प्रेररत्करती्है ् र्कयोंकक्ये् आंदोलन्‍ामाष्जक्आंदोलन्
‍ंघवाद्का्रूप्लेते्हैं्जै‍ा्कक्पी.्वॉिमैन्(1993) द्वारा्उजागर्ककया्गया्र्ा।

पाँूजीपतत वगश
इ‍्वगस् में् पाँज
ू ी्या्बड़ा्व्याव‍ातयक्वगस् शालमल्है ।्रूडोल्फ्और्रूडोल्फ्ने् कहा्कक्भारत्में् ‍ंगदित्
श्रम्के्दहतों्की्तुलना्में्व्यापारी्वगस्के्दहतों्का्बेहतर्प्रतततनधधत्व्है ।्वववेक्धचब्बर्ने्भारतीय्राज्य्और्
व्यापाररक्वगस्के्‍ंबंध्का्ववश्लेषण्ककया्जहााँ्भारतीय्राज्य्बड़े्व्यापाररक्वगस्को्अनुशाल‍त्करने्में्एक्
हद्तक्ववफल्रहे ् और्भारतीय्राज्य्तनजी्क्षेत्र्के्ववका‍्के्ललए्अथपटि् र्ा।्यह्राजनीततक्भाव्और्
राजनीततक्वगस्के्मनोभाव्में्बदलाव्के्‍ार््ही्तनवेश्में्तेजी्लाने्के्ललए्शरू
ु ्हुआ्र्ा्और्व्यापारी्वगस्
ने्इ‍्पर्‍कारात्मक्प्रततकिया्दी्र्ी।्इ‍के्अलावा्दोनों्पक्षों्के्प्रया‍ों्‍े्भारतीय्राज्य्और्व्यापारी्वगस्
आम्‍हमतत्पर्आ्गए्हैं् और्कफर्ककी, ए‍ोचैम, ‍ीआईआई्जै‍ी्‍ंथर्ाओं् ने् ववका‍्की्नई्ऊाँ चाइयों्को्
प्राप्त्करते्हुए्बेल्फर्ग्रोर््और्इष्र्कविी्के्लक्ष्यों्को्प्राप्त्करने्के्ववषय्में्बैिक्के्आधार्का्पता्लगाने्
में्‍हायता्की्है ।

89
मध्यम वगश
दे श्की्राजनीतत्में्मध्यम्वगों्की्महत्त्वपण
ू ्स भलू मका्है ् र्कयोंकक्यह्बड़े् पाँज
ू ीपततयों्और्मध्यम्वगस्के्
बीच्एक्तनरं तरता्का्रूप्लेता्है ।्मध्यम्वगस्मुख्य्रूप्‍े्‍माज्में्लभन्न्‍मूह्का्गिन्करता्है , ष्ज‍में ्
छोिे ् पाँज
ू ीपतत्शालमल्हैं, ष्जनकी्छोिी्पाँज
ू ी्है ।्माइकल्कैलेकी, ष्जन्होंने् छोिे ् जमींदारों, अमीर्और्मध्यम्
कक‍ानों, ग्रामीण्और्अधस-ग्रामीण्बथती्के्व्यापाररयों, छोिे ्पैमाने्पर्तनमासताओं्और्खुदरा्वविेताओं्के्एक्
वगस् का्उल्लेख्करने् के्ललए्‘‘मध्यवती्वगों’’्शब्द्का्इथतेमाल्ककया्र्ा।्बारबरा्है रर‍-व्हाइि्इंिरमीडडएि्
वगों्की्अवधारणा्का्उपयोग्करता्है ् और्इ‍े् ‘थर्ानीय्पाँूजी’्के्रूप्में्इथतेमाल्करता्है ्र्कयोंकक्यह्वगस्
राजनीततक्दलों्के्प्रत्यक्ष्चैनलों्के्बजाय्‍ांथकृततक, ‍हकारी्और्परोपकारी्और्रे ड्ए‍ोल‍एशन्कारकों्का्
लाभ्उिाता्है ।

मध्य्वगों्की्अन्य्श्रेणी्जो्अधधक्प्रभावी्है , फनांडी‍्और्हे लर्के्शब्दों्में् ‘नया्मध्य्वगस’्है ।्यह्


वह्वगस्है ्जो्ववलभन्न्क्षेत्रों्में्मान्यता्प्राप्त्प्राधधकारी्के्उन्नत्व्याव‍ातयक्पररचय्पत्र्या्‍ंधचत्‍ांथकृततक्
पंज
ू ी्वाले्लोगों्का्गिन्करता्है ।्(फनांडड‍्और्हे लर्2006)

दे शपांडे्ने्इ‍्मध्यम्वगस्का्वणसन्ककया्है , जो्‘‘अंग्रेजी्बोलने्के्कौशल्और्ऊपरी्जाततयों्के्महानगरीय्
व्यवहार्का्अभ्या‍्करने्‍दहत्‍ांथकृततक्पाँूजी्पर्तनभसर्है ।्“मध्य्वगस्का्वह्अंश्जो्भारतीय्‍माज्में्
‍त्तारूढ़्ब्लॉक्और्शेष्‍माज्के्बीच्‍ंबंधों्को्आवाज्दे ने् और्जोड़ने् या्जोड़ने् के्ललए्शा‍क्ब्लॉक्के्
आधधपत्य्को्दशासता्है ।’’्(दे शपांडे्2003)

मध्यम्वगस् का्एक्अन्य्वगस् अधीनथर््मध्यम्वगस् है ् जो्वेतन्प्राप्त्करते् हैं , लशक्षा्पाँूजी्रखते् हैं् जो्


फनांडी‍्और्हे लर्द्वारा्प्रकाष्में्लाये्गए्जो्‍माज्के्प्रमुख्वगस्की्प्रर्ाओं्का्अनक
ु रण्करने्की्कोलशश्
करते्हैं।्दे शपांडे्इ‍्खंड्को्‘‘बड़े्पैमाने्पर’’्के्रूप्में्दशासते्हैं, जो्उन्ववचारधाराओं्के्अनुकरणीय्उपभोग्
में्लगे्हुए्हैं, जो्अलभजात्वगस्के्अंश्द्वारा्तनलमसत्हैं, इ‍्प्रकार्उन्हें ्‍ामाष्जक्वैधता्के्‍ार््तनवेश्करते्
हैं।्(दे शपांडे्2003)

नव-उदारवादी्अर्सव्यवथर्ा्एक्व्यापक्घिना्बन्जाने् के्‍ार्, ष्जन्मध्यम्वगों्ने् बढ़ती्अर्सव्यवथर्ा्


और् ‍ेवा् क्षेत्र् के् ‍ब‍े् महत्त्वपूण्स प्र‍ार् के् ‍ार्् लाभ् उिाया् है , वे् अब् दे श् की् चुनावी् राजनीतत् में् प्रमुख्
भूलमका्तनभा्रहे ्हैं, र्कयोंकक्‍मकालीन्घिनािम्अलभलेख्करने्के्ललए्खड़ा्है ।

7. वगश-जातत का बंधन

भारतीय् ‍माज् जातत-वगस् के् गिजोड़् का् एक् अनोखा् मामला् प्रथतुत् करता् है ् र्कयोंकक् वे् एक-द‍
ू रे ् को्
द्ववभाष्जत्करते्हैं।्जातत-वगस्के्चैराहे ्हमारे ्आ‍पा‍्के्ववलभन्न्‍ामाष्जक, आधर्सक्और्राजनीततक्‍ंबंधों्
के्बारे ्में्हमारी्‍मझ्को्तेज्करते्हैं।्जातत-वगस्की्‍ांिगांि्धचत्र्को्जदिल्बनाती्है ्कफर्भी्हमें्भारत्
के्‍ंदभस्में्शष्र्कत्‍ंरचना्के्अधधक्व्यापक्और्व्यापक्दृष्टिकोण्को्‍मझने्में्मदद्करती्है ।्वगस्जातत्
के्‍ार््खेलता्है ् र्कयोंकक्दे खा्जाता्है ् कक्प्रमुख्जाततयााँ् तनचली्जाततयों्की्तुलना्में् अधधक्‍म्मान्और्
‍ामाष्जक्थवीकृतत्प्राप्त्करती्हैं।्गोफ्ने्उत्पादन्की्ववधा्में्अपने्जातत्और्वगस्के्गिजोड़्की्अवधारणा्
का्इथतेमाल्ककया्र्कयोंकक्यह्प्रततब्रबंब्रबत्होता्है ्कक्प्रथततु तयों्और्उत्पादन्‍ंबंधों्की्ताकतों्के्‍ार््जातत,
वगस, ररश्तेदारी, पररवार्और्वववाह्के्बीच्महत्वपूण्स अंत‍ंबंध्हैं।्जोन्मेनचर्इ‍्बात्पर्प्रकाश्डालते् हैं्
कक्जातत्व्यवथर्ा्तनम्न्जाततयों्के्आधर्सक्शोषण्की्प्रभावी्प्रणाली्के्रूप्में्कायस्करती्है ्और्वे ्‍माज्
के्तनचले्वगों्में्ववचललत्रहती्हैं।्(झा्2012)

90
लोकवप्रय्राय्का्एक्वगस्है ्जो्जातत्और्वगस्को्अलग्तरह्‍े्‍मझना्चाहता्है ।्डड‍ूज़ा्ने्‍ामाष्जक्
थतरीकरण्की्किोरता-तरलता्आयाम्का्उपयोग्ककया्जहााँ् यह्तनदहत्र्ा्कक्जातत्किोर्ढााँचे्‍े्‍ंबंधधत्
है ्जबकक्वगस् तरलता्का्प्रतततनधधत्व्करता्है ।्लेककन्यह्‍मझना्होगा्कक्जातत्और्वगस्दोनों्वाथतव्में्
अववभाज्य्हैं् और्दोनों्ने् ‍ामाष्जक्गिन्में् योगदान्ददया्है ् और्भारत्में् शष्र्कत्‍ंरचना्को्आकार्ददया्
है ।

थवतंत्रता्के्‍मय्जातत-वगस्का्अधधव्यापन्अधधक्महत्त्वपूण्स र्ा, जब्भूलम्माललकों, कृषकों्और्भूलमहीनों्


‍दहत्तीन्व्यापक्वगस्र्े।्हालााँकक्तब्‍े्लेकर्अब्तक्कई्महत्त्वपूण्स घिनािम्हुए्हैं, ष्ज‍में्‍ावसभौलमक्
वयथक्मताधधकार्के्‍ार््प्रत्येक्व्यष्र्कत्को्राजनीततक्अधधकार्ददया्गया्है , जो्राजनीततक्बल्का्एक्
बड़ा्हधर्यार्है , हररत्िांतत्ने् ग्रामीण्कृवष्‍माज, 1991्के्आधर्सक्‍ध
ु ारों्और्अन्य्वपछड़ा्वगस् आरक्षणों्
में्प्रभाव्डाला।्जातत्वगस्अधधव्यापन्की्गततशीलता्को्बदलने्में्बहुत्बड़ी्भूलमका्तनभाई्है ।्हालााँकक, यदद्
व्यापक्पररप्रेक्ष्य्में्दे खा्जाए, तो्‍वणस्जाततयााँ्बड़े्पैमाने्पर्उच्च्वगों्का्गिन्करती्हैं्और्तनम्न्जाततयााँ्
अभी्भी्वगस्‍ंरचना्में्तनम्न्वगस्के्पदों्पर्काब्रबज्हैं्और्इ‍ललए्जातत्और्वगस्एक-द‍
ू रे ्के्ववपरीत्नहीं्
हैं।

8. तनटकषश

इ‍्अध्याय्में्वगस्के्ववलभन्न्ल‍द्धांतों्पर्प्रकाश्डाला्गया्है ्जो्हमें्वगस्की्अवधारणा्की्‍ुक्ष्मताओं्
को्‍मझने्में्‍हायता्करते्हैं।्अध्याय्में्वगस्‍ंरचना्और्उ‍के्गिन्का्ऐततहाल‍क्रूप्‍े्थवतंत्रता्पूव्स
और्थवतंत्रता्के्पश्चात्की्अवधध्का्पता्लगाकर्भारतीय्में् वगस् ‍ंरचना्की्गततशीलता्की्भी्व्याख्या्
करता्है ।्इ‍ललए्यह्‍ंक्षेप्में्कहा्जा्‍कता्है्कक्वगस्ने्भारतीय्राजनीतत्में्एक्प्रमुख्भूलमका्तनभाई्है्
र्कयोंकक्यह्‍माज्को्थतरीकृत्करके्एक्शष्र्कत्‍ंरचना्के्रूप्में्कायस्करता्है ्और्‍माज्में्‍त्ता्के्ललए्
‍ंघषस् को्प्रदलशसत्करते् हुए, वगस् दहतों्को्जुिाता्है ।्इ‍े् उ‍ी्‍मय्भी्पहचाना्जाना्चादहए्जब्वगस् शून्य्
में् कायस् नहीं् करता् है , बष्ल्क् जातत् की् गततशीलता् के् ‍ंबंध् में् दे खे् जाने् पर् खुद् को् अधधक् मजबूती् ‍े्
अलभव्यर्कत्करता्है ।्अंतताः्यह्थवीकार्ककया्जाना्चादहए्कक्भारतीय्राजनीतत्का्अध्ययन्करने्का्कोई्
भी्व्यापक्प्रया‍्वगस्की्गततशीलता्‍े्शून्यधचत्त्नहीं्रह्‍कता्है ।

िुझाए गए प्रश्न
1. भारत्में्जातत्और्वगस्‍ांिगांि्पर्एक्‍ंक्षक्षप्त्दिप्पणी्ललखें।

2. वगस्को्पररभावषत्करें ्एवं्वगस्को्‍मझने्के्ललए्दो्महत्त्वपूण्स ल‍द्धांतों्पर्भी्चचास्करें ।

3. थवतंत्रता-पव
ू ्स एवं्थवतंत्रता्के्पश्चात्कृवष्वगस्की्‍ंरचना्में्पररवतसनों्का्आलोचनात्मक्परीक्षण्कीष्जए।

4. भारत्में्दो्ववशेषताओं्के्‍ार््वगीय्‍ंरचना्का्आलोचनात्मक्परीक्षण्कीष्जए।्

5. वगस्की्प्रकृतत्एवं्तनधासरक्तत्त्वों्का्वणसन्करों।

6. भारत्में्वगस्‍ंरचना्के्कारक्के्रूप्में ्वगस्का्आलोचनात्मक्परीक्षण्कीष्जए।

िंदभश
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9ed6-296b252d768c%40sdc-v-sessmgr02

92
पाि्3

वपति
ृ र्त्ात्मकता
अंजू

िंरचना

1.1 पररचय

1.2 वपत‍
ृ त्ता्की्‍ंथर्ा्की्उत्पवत्त
1.3 आधतु नक्वपत‍
ृ त्ता्की्ववशेषताएाँ्और्पहलू
1.4 वपत‍
ृ त्ता्की्प्रर्ा्‍े्उत्पन्न्होने्वाली्ववशेषताएाँ
1.4.1 वपत‍
ृ त्ता्‍ावसजतनक्तनजी्द्वंद्ववाद्उत्पन्न्करती्है ।्
1.4.2 वपत‍
ृ त्ता्वपतद
ृ ोष्और्वपतद
ृ ोष्को्प्रोत्‍ादहत्करती्है ।
1.4.3 वपत‍
ृ त्ता्मदहलाओं्की्कामुकता्पर्वपत‍
ृ त्तात्मक्प्रभाव्को्बढ़ाती्है ।
1.4.4 वपत‍
ृ त्ता्मदहलाओं्की्प्रजनन्क्षमता्को्तनयंब्रत्रत्करती्है ।
1.4.5 वपत‍
ृ त्ता्मदहलाओं्के्श्रम्को्तनयंब्रत्रत्करती्है ।
1.5 वववाह्और्वपत‍
ृ त्ता
1.6 थ्
त्रीवाद्की्दतु नया्में्नारीवाद

1.7 वपत‍
ृ त्ता्को्नारीवादी्चुनौती
1.8 ‍ारांश

1.9 अभ्या‍्करें

3.1 पररचय

भारत् ‍ामान्य् वपत‍


ृ त्ता् द्वारा् इंधगत् मदहलाओं् की् ‍ामान्य् अधीनता् और् बेरोजगारी् के् ‍ार्, एक्
वपत‍
ृ त्तात्मक्‍माज्रहा्है ् जो्आज्भी्जारी्है ।्यह्‍ामाष्जक्‍ंगिन्का्एक्रूप्है ् ष्ज‍में् वपता, वंश्या्
गोत्र्के्बच्चों्के्‍ार््पररवार, कबीले् या्जनजातत्और्वंश्के्परु
ु ष्वंश्वालों्का्‍वोच्च्अधधकार्होता्है ।्
नकारात्मक्रूप्‍े, वपत‍
ृ त्ता्को्एक्‍ामाष्जक्व्यवथर्ा्कहा्जा्‍कता्है ् ष्ज‍में् पुरुष्‍ांथकृततक्मानदं डों्
और्प्रर्ाओं्द्वारा्शष्र्कत्बनाए्रखते्हैं्जो्पुरुषों्का्पक्ष्लेते्हैं्और्मदहलाओं्के्अव‍रों्को्‍ंरक्षक्षत्करते्
हैं।्अरथतू्ने्पुरुषों्को्‍किय्और मदहलाओं्को्अपने्अधीन्करने्वाला्कहा।्उ‍के्ललए, “ववकृत्पुरुष”्एक्
मदहला्र्ी, वह्व्यष्र्कत्ष्ज‍की्कोई्आत्मा्नहीं् है ।्उनकी्राय्में , मदहलाओं् की्जैववक्हीनता्उन्हें ् उनकी्
बद्
ु धधमत्ता, तकस्करने्की्क्षमता्जो्उन्हें ्तनणसय्लेने्की्उनकी्क्षमता्‍े्हीन्बना्दे ती्है ।्चाँकू क्परु
ु ष्श्रेटि्हैं्
और्मदहलाओं्में्कमी्है , इ‍ललए्पुरुषों्का्जन्म्मदहलाओं्पर्शा‍न्राज्करने्के्ललए्हुआ्है ।

वपत‍
ृ त्ता्को्कई्तरह्‍े्दे खा्और्‍मझा्जा्‍कता्है ।्यदद्परु
ु ष्‘वपत‍
ृ त्ता’्शब्द्‍न
ु ते्हैं, तो्अधधकांश्
पुरुष्रक्षात्मक्होंगे्और्इ‍के्उल्लेख्के्‍ार्, अधधकांश्मदहलाएाँ्उत्पीडड़त्और्हावी्मह‍ू‍्करें गी।्जै‍ा्कक्
एलन्बी्जों‍न्कहते् हैं, “वपत‍
ृ त्ता्द्वारा्‍माज्में् बल्और्दहं‍ा्को्बढ़ावा्ददया्जाता्है , ऐ‍ा्इ‍ललए्है्

93
र्कयोंकक् मदहलाओं् को् पुरुष् वचसथव् की् आकषसक् और् मान्य् वथतु् माना् जाता् है ् र्कयोंकक् ‍माज् में् अधधकार,
जबरदथती् और् दहं‍क् श्रम् की् ‍ंरचना् होती् है ।”् वाथतव् में , शष्र्कत, वचसथव, पदानुिम् और् प्रततद्वंद्ववता्
वपत‍
ृ त्तात्मक्व्यवथर्ा्को्पररभावषत्करते्हैं।्उनके्अनु‍ार, वपत‍
ृ त्ता्“एक्प्रकार्का्‍माज्है ्जो्पुरुषों्और्
मदहलाओं्के्एक्‍मह
ू ्‍े्अधधक्है ्और्उन्हें ्केवल्तनरीक्षण्करके्नहीं्‍मझा्जा्‍कता्है ।”

इ‍ललए, वपत‍
ृ त्ता्एक्प्रकार्का्‍माज्है ् जो्कुछ्प्रकार्के्‍ामाष्जक्‍ंबंधों्और्ववचारों्के्आ‍पा‍्
‍ंरधचत्है ।्ववरोधाभा‍ी्रूप्‍े, हमारे ् जीवन्को्प्रभाववत्करती्है ् और्हमें् इ‍े् बदलने् या्बनाए्रखने् का्
दहथ‍ा्बनने्का्मौका्दे ते्हैं।

वपत‍
ृ त्ता्एक्ऐ‍ा्मुद्दा्है ् जो्जदिल्है ।्यह्केवल्इ‍का्चररत्र, पुरुष-प्रधान, पुरुष-पहचान्और्पुरुष-
केंदद्रत्नहीं् है , इ‍के्अलावा्भी्बहुत्कुछ्है ्और्इ‍के्ववलभन्न्भागों्के्बीच्की्कड़ी्है ।्वपत‍
ृ त्ता्में्इ‍के्
प्रतीकों्और्अवधारणाओं् का्एक्‍ंग्रह्है ् जो्हर्रोज्बातचीत्के्माध्यम्‍े् लेकर्‍ादहत्य्और्कफल्म्तक्
एक्‍माज्का्प्रतततनधधत्व्करता्है ।्वपत‍
ृ त्तात्मक्‍ंथकृतत्में् चीजों्की्प्रकृतत्के्बारे ् में् ववचार्शालमल्हैं,
जो्पुरुषों, मदहलाओं् और्‍माज, मदासनगी्और्मदासनगी्के्‍ार््और्अधधक्तनकिता्‍े् जुड़ा्हुआ्है ् ष्ज‍े्
पुरुष्और्थ्
त्रीत्व्और्थ्त्रीत्व्के्‍ार््“अन्य’’्‍ीमांत्भूलमका्के्रूप्में् मान्यता्प्राप्त्है ।्यह्इ‍्बारे ् में् है ्
कक्‍ामाष्जक्जीवन्कै‍ा्है ्और्यह्कै‍ा्होना्चादहए, लोगों्‍े्र्कया्उम्मीद्की्जाती्है ्और्वे्कै‍े्व्यवहार्
करते्हैं।्यह्थ्त्री्‍ौंदयस्मानकों, और्मदासना्लचीलापन, थ्
त्री्भेद्यता्छववयों्और्पुरुष्रक्षा्के्बारे ्में्है ।्यह्
धारणा्कक्मदहलाएाँ् कमजोर्हैं् और्पुरुष्मजबूत्हैं, जो्वपत‍
ृ त्ता्द्वारा्माना्जाता्है ।्वपत‍
ृ त्तात्मक्‍माजों्
में, यदद्वे्खुद्को्अपने्पदों्तक्‍ीलमत्नहीं्करते्हैं, तो्मदहला्और्पुरुष्दोनों्का्उपहा‍्ककया्जाता्है ।

पूव-स वपत‍
ृ त्तात्मक् ‍मय् में, एक् मदहला् के् अनुभव, बुद्धध् और् कौमायस् का् ‍म्मान् ककया् गया् और्
वतसमान्वपत‍
ृ त्तात्मक्‍मय्में्मदहलाओं्के्‍ार््जुड़े्नकारात्मक्उपचार्और्नपुं‍कता्के्णखलाफ्‍कारात्मक्
व्यवहार्ककया्गया।्अबेदा्‍ुल्ताना्ने्अपने्लेख्में्कहा, “वपत‍
ृ त्ता्उन्‍ामाष्जक्रीतत-ररवाजों, अनुटिानों्और्
‍ामाष्जक्भूलमकाओं्का्‍ंचालन्करती्है , जो्मदहलाओं्को्पुरुषों्के्शा‍न्के्तहत्रखने्के्ललए्‍माजीकरण्
तंत्र्के्माध्यम्‍े् करती्हैं।्वपत‍
ृ त्ता्ने् परु
ु ष्वचसथव, तनजी-‍ावसजतनक्क्षेत्रों्को्बनाए्रखने् के्ललए्‘परु
ु षत्व’्
और्’थ्
त्री’्ववशेषताओं्का्ववका‍्ककया।्यह्एक्‍माजीकरण्का्चि्है ।्‍माजीकरण्मख्
ु य्रूप्‍े्बचपन्के्
दौरान्माना्जाता्है ्जब्लड़के्और्लड़ककयााँ्अपने्ववलशटि्ललंग्के्ललए्‍ही्व्यवहार्‍ीखते्हैं। ्वपत‍
ृ त्तात्मक्
व्यवथर्ा्और्‍ंथकृतत्की्नींव्‍माजीकरण्‍ंरचनाओं्जै‍े्पररवार, ववश्वा‍, कानूनी्प्रणाली्हैं, आधर्सक्प्रणाली,
और्राजनीततक्प्रणाली, शैक्षक्षक्‍ंथर्ानों्और्मीडडया्के्‍भी्एजेंि्हैं।”

वाल्बी्के्वपत‍
ृ त्तात्मक्ववचार्थपटि्रूप्‍े्वपत‍
ृ त्ता्के्तनजी्और्‍ावसजतनक्क्षेत्रों्को्थपटि्करते्हैं।्
ष्ज‍में् भौततकवाद्के्आधार्पर्घर्पर्तनजी्वपत‍
ृ त्ता्का्अभ्या‍्ककया्जाता्है , जहााँ् एक्मदहला्के्पा‍्
कोई्शष्र्कत्नहीं्है ्र्कयोंकक्वह्काम्और्घर्के्काम्के्ललए्अपने्योगदान्के्बावजद
ू ्‍ेवाओं्और्भावनात्मक्
‍मर्सन्के्रूप्में् पै‍ा्नहीं् कमाती्है ।्कायसथर्ल्और्राज्य्में् ‍ावसजतनक्वपत‍
ृ त्ता्का्अभ्या‍्ककया्जाता्
है ।्वपत‍
ृ त्तात्मक्व्यवथर्ा, मदहलाओं् को्उनके्व्यव‍ायों्में , ‍माज्में् और्व्यष्र्कतगत्जीवन्में् ववका‍्और्
ववका‍्में् बाधाएाँ्पैदा्करती्है ।्वपत‍
ृ त्ता्मदहलाओं्को्उनके्कानूनी्अधधकारों्के्ब्रबना्ववभाष्जत्कर्रही्है ।्
वपत‍
ृ त्ता्एक्ऐ‍ी्प्रणाली्है ् ष्ज‍के्तहत्मदहलाओं् को्कई्तरह्‍े् अधीनथर््रखा्जाता्है ।्ष्ज‍्अधीनता्
का्वे्दै तनक्आधार्पर्अनभ
ु व्करते्हैं, चाहे ्वे्ष्ज‍्भी्वगस्के्हों, जै‍े्-्पररवार, कायसथर्ल्पर्और्‍माज्
में, कट्िरता, अपमान, उक‍ावे, ‍त्ता, दव्ु यसवहार, अन्याय, आिामकता्इत्यादद।

94
मार्क‍सवादी्नारीवाददयों्ने्न्केवल्’वपत‍
ृ त्ता’्बष्ल्क्वपत‍
ृ त्ता्और्उत्पादन्की्पाँज
ू ीवादी्पद्धतत्के्बीच्
‍ंबंध्की्जााँच्करने् की्कोलशश्की्है ।्ऐ‍ा्इ‍ललए्है ् र्कयोंकक्वे् थवीकार्नहीं् करते् हैं् कक्पाँज
ू ीवादी्‍माजों्
में्होने्वाली्शोषण्और्अ‍मानता्के्अन्य्रूपों्में् मदहलाओं् की्अधीनता्को्पूरी्तरह्‍े् अलग्ककया्जा्
‍कता्है ।्जै‍े, वगस्शोषण्और्जाततवाद, लेककन्वे्उन्तरीकों्‍े्इनकार्करते्हैं्ष्जनमें्रूदढ़वादी्मार्क‍सवाद्
और्‍माजवादी्‍ंगिनों्ने् ऐततहाल‍क्और्शाष्ब्दक्रूप्‍े् मदहलाओं् का्शोषण्ककया्है ् और्मदहलाओं् के्
उत्पीड़न्को्केवल्वगस् शोषण्का्एक्दटु प्रभाव्माना्है ।्‍ामान्यतया, अधधकार्शष्र्कत्पररवार, ‍ंथकृतत्और्
राज्य्में्पुरुष्के्हार्ों्में्होती्है ।्एक्ऐ‍े्‍माज्में्जहााँ्पुरुष्अपने्मदहला्‍मकक्षों्‍े्खुद्को्श्रेटि्मानते्
हैं, मदहलाओं् को्खुद्को्लशक्षक्षत्करना्मुष्श्कल्लगता्है , उनके्पररवार्पुरुष्बाल्लशक्षा्को्प्रार्लमकता्दे ते्
हैं, ववशेष्रूप्‍े्ववका‍शील्‍माजों्में्जहााँ्‍ं‍ाधन्दल
ु भ
स ्हैं, और्‍रकार्‍भी्बच्चों्को्अच्छी्गण
ु वत्ता्वाली्
मु्त्लशक्षा्प्रदान्करने्में्अ‍मर्स्है ।्अधधकांश्घरे लू्मदहलाएाँ्अनजाने्में्वपत‍
ृ त्तात्मक्व्यवथर्ा्को्थवीकार्
करती्हैं्कक्वे्थवयं्अपने्घरों्में्इ‍्प्रणाली्को्बढ़ावा्दे ती्हैं।

बी‍वीं्शताब्दी्के्उत्तराधस्में , नारीवादी्ववचारों्ने्वपत‍
ृ त्ता्की्पररभाषा्को्‍ंशोधधत्और्व्यापक्ककया।्
वाथतव्में, इ‍े्केवल्प्राचीन्‍भ्यताओं्के्ललए्लागू्करना्इ‍की्ववशेषता्माना्जाता्र्ा, ‍ामाष्जक्ववज्ञान्
ने्इ‍े्पीछे ्छोड़्ददया्र्ा।्लेककन्कई्नारीवाददयों्के्ललए, वपत‍
ृ त्ता्उन्‍ाम्राज्यों्की्तुलना्में् बहुत्अधधक्
है ् जो्प्राचीन्अतीत्में् मौजूद्र्े् और्‘पुरुषों्और्मदहलाओं् के्बीच्हमारे ् ‍माज्के्कुछ्क्षेत्रों्में् शष्र्कत्के्
अ‍मान्ववतरण’्‍े्परे ्हो्जाते्हैं, जै‍ा्कक्कई्शब्दकोश्अर्क‍र्वणसन्करते्हैं।्नारीवाद्के्अधधकांश्रूप,
वपत‍
ृ त्ता्को्एक्अन्यायपण
ू ्स ‍ामाष्जक्व्यवथर्ा्के्रूप्में्धचब्रत्रत्करते्हैं्जो्अधीनथर््हैं्और्आज्मदहलाओं्
के् ‍ार्् भेदभाव् या् अत्याचार् करते् हैं।् जै‍ा् कक् कैरोल् पेिमैन् ललखते् हैं , ‘थवतंत्रता् और् अधीनता् के् बीच्
राजनीततक्अंतर्मदासनगी्और्थ्त्रीत्व्के्बीच्अंतर्का्वपत‍
ृ त्तात्मक्तनमासण्है ।’

वपत‍
ृ त्ता् की् पररभाषा् में् उन् ‍भी् ‍ामाष्जक-राजनीततक् ‍ंरचनाओं् को् ‍मादहत् ककया् गया् है , ष्जन्हें ्
वपत‍
ृ त्तात्मक्‍ंथर्ाएाँ्कहा्जाता्है ्जो्मदहलाओं्पर्पुरुष्प्रभुत्व्को्बनाए्रखती्हैं।्वपत‍
ृ त्ता्को्आमतौर्पर्
नारीवादी्ल‍द्धांत्द्वारा्एक्‍ामाष्जक्तनमासण्के्रूप्में्पररभावषत्ककया्जाता्है , ष्ज‍का्खुला‍ा्और्गंभीर्
रूप्‍े्अपनी्अलभव्यष्र्कतयों्और्‍ंथर्ानों्का्ववश््
लेषण्करके्हल्ककया्जा्‍कता्है ।

वपत‍
ृ त्ता्के्इन्‍भी्तत्त्वों्को्लमलाकर, इ‍े्इ‍्प्रकार्वणणसत्ककया्जा्‍कता्है -

यह्‘िलमक्‍ंथर्ागतकरण’्द्वारा्एक्ऐततहाल‍क्प्रकिया्को्‍ंदलभसत्करता्है , जो्दशासता्है ्कक्वपत‍


ृ त्ता्
‍ावसभौलमक्नहीं्है , हमेशा्अष्थतत्व्में्नहीं्है , और्‍भी्‍ंथकृततयों्और्पीदढ़यों्में्‍मान्नहीं्है ।्इ‍का्प्रभाव्
यह्है ्कक्पुरुषों्का्उन्‍भी्‍ंथर्ानों्में्मदहलाओं्पर्अधधकार्है , जो्हर्‍माज्में्महत्त्वपूण्स माने्जाते्हैं,
इ‍का्मतलब्यह्नहीं् है ् कक्मदहलाओं् के्पा‍्कोई्शष्र्कत्या्अधधकार, प्रभाव्या्धन्नहीं् है , और्न्ही्
इ‍का्अर्स् है ् कक्‍भी्मदहलाओं् के्पा‍्प्रर्ा्है ् वही्शष्र्कत्है ।्इ‍ललए, जै‍ा्कक्वपत‍
ृ त्ता्अधधक्जदिल्हो्
जाती्है , ववलशटि्‍मूहों्की्अधधक्मदहलाओं् को्कुछ्‍ंथर्ानों्तक्पहुाँच्की्अनुमतत्दी्जाती्है , भले्ही्वे्
उन्‍ंथर्ानों्में्लगभग्‍ब‍े्शष्र्कतशाली्लोग्न्हों।

‘‍ेर्क‍-आधाररत्राजनीततक्‍ंबंधों’्के्माध्यम्‍े, ष्ज‍का्अर्स्है , जै‍ा्कक्केि्लमलेि्ने्इतनी्अच्छी्


तरह्‍मझाया, कक्वपत‍
ृ त्ता्ने् यौन्‍ंबंधों्को्थवीकार्ककया्और्दो्ललंगों्के्बीच्अन्य्ररश्ते् राजनीततक्
ररश्ते्हैं, ष्ज‍के्माध्यम्‍े्ये्पुरुष्मदहलाओं्पर्हावी्हैं।

‘मदहलाओं् की्कम्गुणवत्ता्पर्‍हमतत’्द्वारा, यह्प्रत्येक्‍मुदाय्के्‍दथय्के्बीच्एक्मौन्और्


तनदहत्‍हमतत्को्‍ंदलभसत्करता्है ्कक्मदहलाओं्और्मदहलाओं्‍े्जुड़ी्हर्चीज्पुरुषों्‍े्कम्और्पुरुषों्‍े्

95
जुड़ी्हर्चीज्के्लायक्है ।्हम्इ‍े्‍ेष्र्क‍थि्लैंग्वेज्इंथिीट्यूशन्में्दे खते्हैं, जो्थ्
त्री्को्‘द‍
ू रे ’्मानक्के्रूप्
में् पुरुष, और्थ्त्री्को्प्रततब्रबंब्रबत्या्थ्त्री्के्रूप्में् पररभावषत्करता्है ।्‘आम्‍हमतत’्के्माध्यम्‍े, जो्
अर्क‍र्एक्ववचारधारा्और्इ‍के्भाषा्उपयोग्को्‍ंदलभसत्करता्है ्जो्‍ीधे्तौर्पर्मदहलाओं्को्कम्महत्त्व्
या्उनके्ललए्शष्र्कत, उनकी्भलू मका, उनकी्नौकरी, उनके्‍ामान, और्परु
ु षों्की्तल
ु ना्में् उनके्‍ामाष्जक्
वातावरण्को्तनददस टि्करता्है ।

‘वपत‍
ृ त्तात्मक्‍ंथर्ानों’्द्वारा, जो्प्रकियाओं, परं पराओं, मूल्यों, ल‍द्धांतों्और्‍ंबंधों्के्‍ंग्रह्को्‍ंदलभसत्
करते्हैं्जो्‍ं‍ाधन्ववतरण, व्यष्र्कतगत्प्रजनन्और्दी्गई्वपत‍
ृ त्ता्के्भीतर्‍ामाष्जक्गततववधधयों्के्प्रकार्
के्‍ंदभस्में्मानव्गततववधध्के्अपेक्षाकृत्ष्थर्र्पैिनस्का्‍मन्वय्करते्हैं।्इ‍्तरह्की्‍ंथर्ाएाँ्पीढ़ी्‍े्पीढ़ी्
तक् अन्याय् को् ववकल‍त् करने, बनाए् रखने् और् थर्ानांतररत् करने् के् ‍ार्् तनकिता् ‍े् जुड़ी् हुई् हैं।् कई्
‍माजशाथ्
त्री्‍ामाष्जक्‍ंरचनाओं् जै‍े् राज्यों, पररवारों, मानव्भाषाओं, ववश््
वववद्यालयों, अथपतालों, व्यव‍ायों्
और्कानूनी्प्रणाललयों्को्‍ंथर्ानों्के्रूप्में्मानते्हैं।

‘मदहलाओं्की्प्रजनन्शष्र्कत्का्ववतनयोग’्और्उनके्शरीर्और्कामुकता्पर्प्रभाव्कट्िरपंर्ी्नारीवाद्
का्पररणाम्है ।्उदाहरण्के्ललए, शुलालमर््फायरथिोन्बताते्हैं्कक्कै‍े्मानव्प्रजनन, जो्मदहलाओं्के्शरीर्
में्होता्है , कानन
ू ी्तौर्पर्पुरुषों्द्वारा्तनयंब्रत्रत्ककया्जाता्है ्और्इ‍का्उपयोग्परु
ु षों्को्लाभ्पहुाँचाने्या्
पुरुषों्की्दया्पर्मदहलाओं्को्रखने्के्ललए्ककया्जाता्है ।

3.2 आधुतनक वपति


ृ र्त्ा की ववर्ेषताएाँ और पहलू
1. वपत‍
ृ त्ता्की्शुरुआत् र्ी, इ‍ललए्यह्रुक्‍कती् है ।्भले् ही्हम् अभी्भी्यह् नहीं् जानते् हैं् कक् यह्
ककतना्‍िीक्र्ा, हम्जानते्हैं्कक्यह्‍ददयों्के्बाद्आया्है , और्अधधक्लोकतांब्रत्रक्मानव्‍ंगिन्
के्रूप्में्आया्है ।्वपत‍
ृ त्ता्की्शरु
ु आती्अलभव्यष्र्कतयााँ्केवल्6्‍हस्राब्दी्पहले्शरू
ु ्हुई्र्ीं।

2. हम्यह्भी्जानते्हैं्कक्ववलभन्न्‍मयों्पर्और्ववलभन्न्‍माजों्और्थर्ानों्में्अलग-अलग्वपत‍
ृ त्तात्मक्
मॉडल्होते् हैं, लेककन्‍भी्मॉडलों्में , पुरुषों्और्उनकी्भूलमकाओं् की्तुलना्में् मदहलाओं् और्उनकी्
भूलमकाओं्को्ददया्जाने्वाला्तनम्न्मूल्य्ष्थर्र्रहता्है ।्वपत‍
ृ त्ता, द‍
ू रे ्शब्दों्में, ‍रकार्और्‍ामाष्जक-
धालमसक् राजनीततक् ‍ंगिनों् के् ववलभन्न् रूपों् जै‍्े ‍ाम्राज्य, गणराज्य, लोकतंत्र् इत्यादद् के् ‍ार्् ‍ह-
अष्थतत्व्और्पाँज
ू ीवाद, ‍माजवाद, आदद्के्‍ार््बहुत्अच्छी्तरह्‍े्‍ह-अष्थतत्व्हो्‍कता्है , हालााँकक्
नवउदारवादी् पाँज
ू ीवाद् का् वैश्व
् ीकरण, आज् के् ‍मय् में् लगभग् ‍भी् मौजूदा् वपत‍
ृ त्ताओं् को् पाँज
ू ीवादी्
वपत‍
ृ त्ता्के्रूप्में्वगीकृत्करना्‍ंभव्है ।
3. ‍भी् ज्ञात् वपत‍
ृ त्ता् में् प्रतीकों् और् लमर्कों् के् माध्यम् ‍े् नकारात्मक् अर्स् में् मदहलाओं् और् उनकी्
गततववधधयों्के्ललए्ष्जम्मेदार्िहराया्जाता्है ।्ववलभन्न्‍ंथकृततयों्के्पार, ये् प्रतततनधधत्व्और्रूदढ़यााँ्
अलग-अलग्हैं्र्कयोंकक्वे्प्रत्येक्‍ंथकृतत्के्भीतर्मदहलाओं्या्थ्
त्री्के्ललए्नकारात्मक्‍ंघों्को्गदित्
करती्हैं।

4. वपत‍
ृ त्ता्में्ऐ‍ी्प्रणाललयााँ्या्‍ंगिन्शालमल्होते्हैं्जो्मदहलाओं्को्उच्च-शष्र्कत्वाले्थर्ानों्में्शालमल्
करने, या्उनके्‍ार््‍हभाधगता्करने, या्‍ामाष्जक, राजनीततक, ‍ांथकृततक्और्धालमसक्रूप्‍े् ‍ब‍े्
बड़ी्शष्र्कत्के्ररर्कत्थर्ान्के्रूप्में्करते्हैं।

5. उपरोर्कत्के्बावजद
ू , वपत‍
ृ त्ता्में, मदहलाओं् के्‍ार््‍मान्व्यवहार्नहीं् ककया्जाता्है , और्न्ही्‍भी्
मदहलाओं्को्‍मान्रूप्‍े्‍त्ता्के्थर्ानों्‍े्बाहर्रखा्जाता्है ।्वाथतव्में , यह्अलग्उपचार्एक्ऐ‍ा्

96
तंत्र्है ् जो्मदहलाओं् की्एकजुिता्और्प्रततथपधास् की्कमी्को्बढ़ावा्दे ता्है ।्मदहलाओं् की्एकता्और्
महत्त्वाकांक्षा्की्यह्कमी्अर्क‍र्एक-द‍
ू रे ् के्ललए्अपमान्का्कारण्बनती्है , इ‍्प्रकार्पुरुषों्और्
पुरुष्मूल्यों्के्प्रतत्उनकी्तनटिा्‍ुतनष्श्चत्करती्है ।

6. एक्ही्‍मय्में, वपत‍
ृ त्ता्द्वारा्तनलमसत्और्द्वंद्वात्मक, पदानि
ु लमत्और्यौन्‍ोच्के्आधार्पर्एक्
मानल‍कता्को्बढ़ावा्दे ता्है ।्यह्मानल‍कता्वाथतववकता्को्दो्द्वंद्वात्मक्श्रेणणयों्में्ववभाष्जत्करती्
है ्जो्या्तो्‍भी्कधर्त्‍त्य्को्प्रकृतत-‍ंबंधधत्चीजों्और्कृत्यों्में्डाल्दे ती्है्या्‍ांथकृततक्रूप्‍े्
तनलमसत्चीजों्और्कृत्यों्को्भी्शालमल्करती्है ।्वाथतव्में, ‘‍ंथकृतत’्श्रेणी्में् ‍ब्कुछ्ओवरवैल्यूड्है ्
जबकक्प्रकृतत्‍े् जुड़ी्हर्चीज्का्मूल्यांकन्नहीं् ककया्गया्है ।्‍ंथकृतत्की्उच्च्श्रेणी्में् पुरुषों्और्
परु
ु षों्को्रखने्के्माध्यम्‍े, और्मदहलाओं्और्मदहलाओं्को्प्रकृतत्के्कम्मल्
ू यवान्श्रेणी्में, ‘परु
ु ष’्
और्मदासनगी्मानवता्की्क‍ौिी, मॉडल्या्िे म्पलेि्बन्जाते् हैं, जबकक्मदहलाओं् की्अधीनता्उनकी्
कधर्त्हीनता्के्आधार्पर्उधचत्है ्‘प्राकृततक्ष्थर्तत’्को्दशासता्है ।

7. लैंधगक्भूलमकाएाँ्और्रूदढ़यााँ्जो्प्रत्येक्‍ामाष्जक्वगस, उम्र्और्‍ंथकृतत्में्वपत‍
ृ त्ता्में्बदलती्हैं, लेककन्
यह् इन् भूलमकाओं् और् रूदढ़यों् को् प्रकियाओं, प्रणाललयों् और् ‍ंथर्ानों् के् माध्यम् ‍े् ‍ामान्य् और्
‍ावसभौलमक्बनाती्हैं।

8. ‍भी्पुरुषों्को्कक‍ी्भी्पदानुिम्में् ‍मान्अधधकार्नहीं् होंगे् या्‍मान्शष्र्कत्नहीं् होगी।्कफर्भी,


मदहलाओं्पर्श्रेटिता्के्कुछ्पुरुषों्के्इततहा‍्ने्परं परागत्रूप्‍े्अन्य्पुरुषों्के्‍मह
ू ों्पर्वचसथव्का्
ववथतार्करने्के्ललए्कायस्ककया्है , जो्आज्हर्‍ंथकृतत्या्क्षेत्र्में्कमोबेश्पुरुषों्के्बीच्एक्पदानुिम्
थर्ावपत्कर्रहा्है ।्वपत‍
ृ त्तात्मक्पदानुिम्के्शीषस् पर्पुरुष्के्पा‍्बड़ी्आधर्सक्शष्र्कत्है , एक्पुरूष्
हमेशा्‍क्षम्है , एक्अच्छी्तरह्‍े् पररभावषत्मदासना्ललंग्पहचान्और्एक्अच्छी्तरह्‍े् पररभावषत्
ववषम्लैंधगक्पहचान्है , ष्ज‍में्कुछ्और्क्षेत्रीय्ववशेषताएाँ्शालमल्हैं।्जै‍े, लैदिन्अमेररका्में , वपत‍
ृ त्ता्
के्‍मकक्षों्के्‍ार््क्षेत्रों्में्‍ाझा्की्जाने्वाली्अन्य्ववशेषताओं्के्अलावा, वपत‍
ृ त्तात्मक्पदानुिम्के्
शीषस्पर्रहने्के्ललए्एक्आदमी्के्ललए्जरूरी्है ्कक, वह्आदमी्‍फेद्और्ई‍ाई्होना्चादहए।

9. मदहलाओं्को्वपत‍
ृ त्ता्के्ववलभन्न्मॉडलों्में्ववलभन्न्डडग्री्और्दहं‍ा्के्रूपों्‍े्अवगत्कराया्जाता्है ,
‍भी् के् ललए् कुछ् ‍ामान्य्और् कुछ् अन्य, जो् प्रत्येक्‍ांथकृततक, धालमसक् या् आधर्सक् मॉडल् के् ललए्
अद्ववतीय्हैं, जो्वपत‍
ृ त्ता्द्वारा्गले्लगाया्गया्है ।
10. वपत‍
ृ त्ता् प्रभुत्व, अधीनता् और् बदहटकार् का् पहला् रूप् र्ा् कक् एक् पाँज
ू ी् (मान्यता् प्राप्त् वपत‍
ृ त्तात्मक्
इततहा‍)्के्‍ार््इततहा‍्इ‍्तरह्के्रूप्में् थवीकार्करता्है ् और्वचसथव्की्एक्केंद्रीय्प्रणाली्बनी्
हुई्है ।्ददलचथप्बात्यह्है ्कक्खुद्पर्मदहलाओं्द्वारा्अत्याचार्का्‍ब‍े्प्रमुख्और्लगातार्तंत्र्होने्
के्बावजद ू , शायद्ही्ऐ‍ा्कभी्दे खा्गया्हो।्कफर्भी, चाँकू क्पैदरआकी्की्अदृश्यता्इ‍की्‍ंरचनाओं्में्
‍े्एक्है , इ‍ललए्इ‍े्कुछ्नारीवाददयों्ने्भी्खाररज्कर्ददया्है ।

3.3 वपति
ृ र्त्ा की िंस्था की उत्पवर्त्
यह्माना्जाता्है ्कक्वपत‍
ृ त्ता्की्उत्पवत्त्नर-मादा्जैववक्मतभेदों्‍े्हुई्र्ी।्ववशेष्रूप्‍े, बच्चों्को्
लाने् में् मदहलाओं् के् जैववक् फायदों् ने् अ‍मान् ‍ामाष्जक् भूलमकाएाँ् बनाईं् और् उन्हें ् मातत्ृ व, पालन-पोषण,
अध्यापन्और्बच्चों्को्परू ी्तरह्‍े्‍मवपसत्होकर्पररवारों्को्‍मवपसत्करने्जै‍े्कतसव्य्‍ौंपे।्मदहलाओं्के्
ललए, ल‍ग्मंड्फ्रायड्को्उद्धत
ृ ्करने् के्ललए्‘शरीर्रचना्तनयतत्है ् को्थपटि्ककया,’ और्यह्मदहलाओं् का्

97
जीव्ववज्ञान्है ्जो्उनके्मनोववज्ञान, उत्पादक्क्षमता्और्भूलमकाओं्को्तनधासररत्करता्है ।्उ‍ी्न‍्में, हे यवुड्
का्‍ुझाव्है ्कक्पुरुष्और्मदहलाओं्के्‍ामाष्जक्भेदभाव्मूल्रूप्‍े्उनके्जैववक्भेद्‍े्तनकलते्हैं।्वपत‍
ृ त्ता्
नारीवाद्के्ललए्एक्‍मथया्है ।्उनका्तकस्है ् कक्उनके्पदों्में् जैववक्अंतर्कुछ्वव‍ंगतत्में् योगदान्कर्
‍कता्है , लेककन्पव
ू ्स को्एक्यौन्पदानि
ु म्की्नींव्नहीं् बनना्चादहए्ष्ज‍में् परु
ु ष्प्रमख
ु ्हैं।्नारीवादी्तकस्
दे ्रहे ्हैं्कक्वपत‍
ृ त्ता्मानव्तनलमसत्है ् और्‍माज्की्‍ामाष्जक-आधर्सक्और्राजनीततक्‍ंरचनाएाँ्ऐततहाल‍क्
रूप्‍े्ववकल‍त्हुई्हैं।

व्याख्या्इंधगत्करती्है ्कक्उपतनवेश्और्ववथतार्के्उपिमों्ने्वपत‍
ृ त्ता्को्मजबूत्ककया्है ।्लोगों्को्
बीहड़्यात्रा्और्किोर्लड़ाई्की्ष्थर्तत्के्ललए्इ‍े्उपयुर्कत्माना्गया्है ।्दश्ु मनों्को्हराने्और्अपने्क्षेत्रों्
का्ववथतार्करने्के्ललए, उनकी्शारीररक्दक्षता्को्‍ब‍े्अच्छा्याद्ककया्गया्र्ा।्इ‍ललए, परु
ु षों्को्बाहर्
आने्के्ललए्कहा्गया्और्मदहलाओं्को्अपने्बच्चों्का्पालन-पोषण्करने्के्ललए्कहा्गया।

इ‍के्अलावा, कृवष्और्लशकार्पर्आजीववका्की्तनभसरता्के्ललए्पुरुष्श्रम्की्आवश्यकता्र्ी।्पुरुष्
’िेडववन‍स’्बन्गया्और्कायसवाहक्मदहलाएाँ् र्ीं।्ललंग्आधाररत्‍ामाष्जक्दरार्ने् वपत‍
ृ त्ता्को्बढ़ावा्ददया।्
हालााँकक, ‍भी्भेदभाव, जैववक्अंतर्और्मदहलाओं्के्मनोवैज्ञातनक्मेकअप्में्लभन्नता्‍े्दयाल्ु और्प्रेमपूण्स
होने्को्दशासते्हैं।

3.4 वपति
ृ र्त्ा की प्रथा िे उत्पन्न होने वाली ववर्ेषताएाँ
उपरोर्कत्चचासओं् ‍े् थपटि्रूप्‍े् ‍ंकेत्लमलता्है ् कक्एक्वपत‍
ृ त्तात्मक्‍माज्पुरुषों्द्वारा्हावी्है ,
पुरुषों्द्वारा्पररभावषत्ककया्गया्है , और्पुरुषों्द्वारा्आधाररत्है ।्मदहलाओं् की्अ‍मानता्और्अधीनता्
वपत‍
ृ त्ता् की् अवधारणा् के् ललए् मौललक् है ।् वपत‍
ृ त्ता् के् अनुभव् ‍े् उत्पन्न् होने् वाली् मुख्य् ववशेषताओं् पर्
तनम्नान‍
ु ार्चचास्की्जा्‍कती्है –

1.4.1 वपत‍
ृ त्ता्‍ावसजतनक-तनजी्द्वंद्ववाद्उत्पन्न्करती्है , इ‍का्तात्पयस्यह्है ्कक्तनजी्क्षेत्र्मदहलाओं्का्
पररचालन्क्षेत्र्होना्चादहए, और्परु
ु षों्को्‍ावसजतनक्दायरे ्को्‍जाना्चादहए।

1.4.2 वपत‍
ृ त्ता् वपतद
ृ ोष् को् प्रोत्‍ादहत् करती् है , वपतप
ृ क्ष् वपत्ृ नाम् के् पुत्र् को् जाता् है ।् इ‍के् अलावा,
वपत‍
ृ त्तात्मक्आदे श्वपत‍
ृ त्तात्मक्है ्जहााँ्पत्नी्और्‍ंतान्माता-वपता्के्घर्पर्रहती्हैं।

1.4.3 मदहलाओं् की्कामुकता्पर्वपत‍


ृ त्ता्ने् वपत‍
ृ त्तात्मक्प्रभाव्डाला, पुरुषों्ने् मदहलाओं् के्ड्रे‍्कोड्का्
फै‍ला् ककया।् मदहलाओं् को् उन् कामों् ‍े् वंधचत् ककया् जाता् है , ष्जनके् ललए् शरीर् के् आंदोलनों् में्
बहुमख
ु ी्प्रततभा्की्आवश्यकता्होती्है ् और्उनकी्प्रभावशीलता्को्‍मझा्जाता्है ् और्गैर-पारं पररक्
व्यव‍ायों्में्उनकी्रोजगार्क्षमता्‍ीलमत्होती्है ।्जो्मदहलाएाँ्उपकरण्या्‍वारी्वाहन्चलाती्हैं, वे्
शत्रुता्‍े्भर्जाती्हैं।्मदहलाओं्को्‍ंथकारों, प्रर्ाओं्और्‍ांथकृततक्खजाने्के्रूप्में्माना्जाता्है।्
उच्च्मूल्य्की्‍ंथकृतत्और्दे वदाल‍यों, उपवा‍्अभ्या‍्के्रूप्में्उनकी्भागीदारी्को्प्रोत्‍ादहत्करती्
है ।्उ‍ने्अ‍ुरक्षाएाँ्पैदा्की्हैं, और्वह्वपत‍
ृ त्ता्पर्तनभसर्हो्जाती्है ।

1.4.4 वपत‍
ृ त्ता्मदहलाओं् की्प्रजनन्क्षमता्को्तनयंब्रत्रत्करती्है , मदहलाओं् को्पुरुषों्द्वारा्मशीनों्के्रूप्
में्माना्जाता्है ्जो्बच्चे्पैदा्करते्हैं।्प्रर्ागत्प्रर्ाओं्में ्पुरुष्बच्चे्की्प्रार्लमकता्और्कन्या्भ्रूण्
हत्या, और् बाललका् लापरवाही् को् बढ़ावा् दे ना् शालमल् है ।् एक् मदहला् की् इच्छाओं् और् फै‍लों् को्
गभासधान्के्‍मय, गभासधान्की्आववृ त्त्और्पररवार्की्इच्छा्वाले्बच्चों्की्‍ंख्या्के्‍ंदभस्में्शायद्
ही्कभी्‍म्मातनत्ककया्जाता्है ।्उ‍की्उवसरता्पुरुष्की्ददशा्में्है ।

98
1.4.4 वपत‍
ृ त्ता्मदहलाओं् के्श्रम्को्तनयंब्रत्रत्करती्है , वपत‍
ृ त्ता्एक्पुरुष्व्यवथर्ा, पुरुष्वचसथव्और्ललंग्
आधाररत्श्रम्ववभाजन्की्मााँग्करती्है ।्पुरुषों्ने्मदहलाओं्को्अधीनथर्, तनटपाददत्और्गैर-भुगतान्
वाले् पदों् के् ललए् अग्रणी, हे रफेर् और् उपज् दे ने् वाली् भूलमकाओं् को् तकस‍ंगत् बनाया।् श्रम् बाजार्
मदहलाओं् के्ववपरीत्परु
ु षों्का्पक्षधर्है ।्मादाओं् को्अवैततनक्श्रम-शष्र्कत्द्वारा्प्रततथर्ावपत्ककया्
जाता्है ।

इ‍ललए, वपत‍
ृ त्ता्पुरुषों्को्कमान्‍ौंपकर्और्मदहलाओं्को्जीवन्के्‍भी्पहलुओं्में्अधीनथर््पदों्
पर्तनयंत्रण्करके्परु
ु षों्को्केंद्रीयता्दे ती्है ।

3.5 वववाह और वपति


ृ र्त्ा
जल्द-‍े-जल्द्शादी्करना्जरूरी्है ् ताकक्वह्अपने् पतत्के्घर्जाकर्ब‍्‍के्और्अपने् ‍‍ुराल्की्
दे खभाल्कर्‍के।्कभी-कभी, भले्ही, पररवार्के्‍मर्सन्की्कमी्के्कारण, मदहला्अध्ययन्करना्चाहती्है ्
और्कैररयर्का्पीछा्करना्चाहती्है , दभ
ु ासग्य्‍े, उ‍े्अपने्माता-वपता्या्पतत्की्खाततर्इ‍े्छोड़ना्होगा।्
शादी्के्बाद, पत्नी्का्पाररवाररक्नाम्उ‍के्पतत्के्नाम्में्बदल्जाएगा, या्पतत्के्पररवार्का्नाम्पत्नी्
के्नाम्में्जोड़्ददया्जाएगा, जबकक्पतत्का्नाम्वही्रहे गा।्इ‍ी्तरह, उनके्वपता्का्पाररवाररक्नाम्बच्चों्
को् ददया् जाता् है ।् अर्क‍र् उ‍की् अपनी् इच्छाओं् और् जरूरतों् को् त्याग् ददया् जाता् है ।् जब, वपत‍
ृ त्तात्मक्
‍ामाष्जक्व्यवथर्ा्को्ध्यान्में् रखते् हुए, एक्मदहला्आगे् बढ़ती्है ्और्उपेक्षा्करती्है ्कक्उ‍े्र्कया्करने्
की्उम्मीद्है , तो्उ‍े्दोषी्िहराया्जाता्है ्और्कभी-कभी्एक्अच्छी्मदहला्के्रूप्में्मान्यता्नहीं्दी्जाती्
है ।्द‍
ू री्तरफ, आदमी्जो्चाहता्र्ा, वह्करने्में्‍क्षम्र्ा।्एक्मदहला्एक्पतत्को्पाने्के्ललए्भाग्यशाली्
हो्‍कती्है ्जो्प्यार्और्दे खभाल्कर्रही्है ।्यदद्नहीं, तो्उ‍के्‍ार्ी्के्हार्ों, वह्शारीररक, मानल‍क्या्
यौन्दहं‍ा्‍े्बची्रहती्है ।्िे लीववजन्श्रंख
ृ ला्’‍त्यमेवजयते’्द्वारा्ककए्गए्शोध्के्अनु‍ार, ष्ज‍ने्भारतीय्
‍माज्में् कुछ्बहुत्ही्महत्त्वपूण्स बुराइयों, मुद्दों्और्प्रकियाओं् को्उजागर्ककया, भारत्में् कम्‍े् कम्70्
प्रततशत्मदहलाएाँ्घरे ल्ू दहं‍ा्के्अधीन्हैं।्यह्केवल्गरीब्या्अलशक्षक्षत्पररवारों्के्ललए्ही्नहीं्है , बष्ल्क्यह्
भारतीय्‍माज्के्हर्दहथ‍े्में्होता्है , चाहे ्वह्कक‍ी्भी्वगस्और्जातत्का्हो।

घर्में, वपत‍
ृ त्तात्मक्व्यवथर्ा्के्तहत, अधधकांश्घरों्में्आदमी्का्शब्द्अंततम्शब्द्है ।्दतु नया्में्र्कया्
हो्रहा्है , इ‍्बात्‍े्अनलभज्ञ्मदहलाओं्को्अर्क‍र्बेवकूफ्‍मझा्जाता्है ।्आदमी्इ‍ललए्प्रभारी्है ।

एक्मदहला्को्शायद्ही्कभी्कायसथर्ल्पर्‍मान्रूप्‍े् भुगतान्ककया्जाता्है ् और्अर्क‍र्ववका‍्


के्‍मान्अव‍र्नहीं् ददए्जाते् हैं।्कायसथर्ल्में , यौन्उत्पीड़न्होता्है , और्चुप्रहना्बेहतर्माना्जाता्है ्
और्वपत‍
ृ त्तात्मक्व्यवथर्ा्पर्ववचार्करने्के्बारे ्में्लशकायत्नहीं्कक्जाती, जहााँ्पुरुषों्को्यौन्शोषण्का्
भी्अधधकार्है ।्वववाह्में , शारीररक्‍ंबंधों्को्हमारे ् दे श्में् एक्मदहला्की्अनुमतत्के्ब्रबना्बलात्कार्नहीं्
माना्जाता्है ।्र्कया्इ‍का्मतलब्है ्कक्उ‍के्पतत्की्शादीशुदा्औरत्गुलाम्है ? वह्ल‍फस्इ‍ललए्नहीं्कह्
‍कती्र्कयोंकक्वह्एक्मदहला्है ।्ज्यादातर्दे शों्में्मदहलाएाँ्रात्में्अकेले्बाहर्जाने्में ्अ‍हज्मह‍ू‍्करती्
हैं, चाहे ् वह्ववकल‍त्हो, उभर्रही्हो्या्अववकल‍त्हो।्र्कया्कारण्है ? र्कयोंकक्परु
ु ष्प्रजातत, वपत‍
ृ त्तात्मक्
‍ामाष्जक्व्यवथर्ा्के्तहत, खद
ु ्को्एक्राजा्’और्एक्मदहला्को्एक्अधीनथर््के्रूप्में्दे खती्है , अपनी्
इच्छा्की्एक्वथत,ु ष्ज‍े्वह्तनयंब्रत्रत्करने्में्अ‍मर्स्है , र्कयोंकक्यह्आवश्यक्नहीं्है ।्यह्ऐ‍ी्मदहलाएाँ्हैं्
ष्जन्हें ् अपने् या्अपने् आदलमयों्की्रक्षा्करनी्है , उनके्माललकों्को्उनकी्दे खभाल्करनी्है ् और्अगर्वे्
अपने्राथते्पर्आने्के्ललए्नुक‍ान्नहीं्उिाना्चाहती्हैं्तो्उनकी्रक्षा्करें ।

99
हम् वपत‍
ृ त्ता् के् ‍ार्् ‍ह-अष्थतत्व् रखते् हैं।् व्यवहार् ‍ामाष्जक् व्यवथर्ा् को् तनधासररत् करता् है , और्
व्यवहार्वपत‍
ृ त्ता्द्वारा्तनधासररत्ककया्जाता्है ।्वपत‍
ृ त्ता्गततशील्है , जै‍ा्कक्हम्ववलभन्न्क्षेत्रों, ‍ंथकृततयों,
‍मुदायों्और्‍मूहों्का्तनरीक्षण्करते् हैं, यह्‍ूक्ष्म्रूप्‍े् अपना्आकार्और्रं ग्बदलता्है ।्वपत‍
ृ त्ता्भी्
लगातार्रूपांतररत्होकर्कफर्‍े् बन्रही्है ।्हमें् कुछ्तनयमों्को्व्यष्र्कतयों्के्रूप्में् बदलना्चादहए, और्
अच्छे ्के्ललए्‍ामाष्जक्व्यवथर्ा्को्बदलना्चादहए, और्खुद्को्‘पुरुषों’्या्‘मदहलाओं’्की्तरह्व्यवहार्करने्
‍े् रोकें्और्हमारे ् ‍माज्को्कम्पदानुिलमत, कम्आिामक्और्अधधक्‍म्मानजनक्बनाएाँ।्कुछ्पाते् हैं्
कक्हमेशा्‍े्रही्वपत‍
ृ त्ता्‍माज्में्व्यवथर्ा्बनाए्रखने्का्एक्तरीका्है ।

इ‍् ववचार् का् एक् और् थकूल् है , इ‍के् ववपरीत, ष्ज‍के् अनु‍ार् वपत‍
ृ त्ता् मानव् तनलमसत् है ् और् इ‍े्
‍ंशोधधत्ककया्जा्‍कता्है ।्ऐततहाल‍क्प्रकियाओं्के्माध्यम्‍े्पदानुिम्की्थर्ापना्की्गई्है , यह्हमेशा्
अष्थतत्व्में् नहीं् है ।्फ्रेडररक्एंगेल्‍्के्अनु‍ार्तनजी्‍ंपवत्त्के्ववचार्के्‍ार््वपत‍
ृ त्ता्और्मोनोगैमी्एक्
ऐततहाल‍क्प्रकिया्के्रूप्में्ववकल‍त्हुई।्लनसर्के्अनु‍ार, वपत‍
ृ त्ता्एक्घिना्नहीं्र्ी, बष्ल्क्एक्ऐ‍ा्तंत्र्
र्ा्जो्लगभग्2500्वषों्(लगभग्3100्ई‍ा्पव
ू ्स ‍े्600्ई‍ा्पव
ू )स ्तक्ववकल‍त्हुआ्र्ा्और्परु
ु ष्वचसथव्
थर्ावपत्करने्के्ललए्ष्जम्मेदार्कई्कारक्और्बल्र्े्जै‍ा्कक्हम्आज्भी्दे खते्हैं।

वपतल
ृ ोक्तनवा‍्वववाह्मदहला्को्अपने्पतत्के्घर्की्यात्रा्को्‍ंदलभसत्करता्है ।्उ‍े्अपने्पतत्के्
घर्भेज्ददया्जाना्एक्बोझ्के्रूप्में्माना्जाता्है ।्जब्वे् बड़े्हो्जाएाँगे , तो्एकमात्र्बेिा्माता-वपता्की्
दे खभाल्करे गा।्ष्ज‍्क्षण्मदहला्अपने्पतत्के्घर्जाती्है , वह्बोझ्बन्जाती्है ।्वह्आधर्सक्रूप्‍े्अपने्
पतत्पर्तनभसर्रहती्है ।्घर्में्उ‍के्योगदान्में्कोई्ददलचथपी्नहीं्होती्है ।्जन्म्‍े्मत्ृ यु्तक, यह्अधीनता्
लड़ककयों्मदहलाओं्के्आत्म-‍म्मान, आत्मववश्वा‍्को्कम्करती्है ्और्उनकी्महत्त्वाकांक्षाओं्को्प्रततबंधधत्
करती्है ।्यहााँ्तक्कक्राज्य्मदहला्अधीनता्के्अधधकांश्मामलों्में्मदहलाओं्का्‍मर्सन्नहीं्करता्है ्और्
अ‍ाधारण् मामलों् को् छोड़कर, उनके् ‍ार्् व्यवहार् नहीं् करता् है ।् भारत्में् और् मदहलाओं् को् लमलने् वाला्
राजनीततक् ‍मर्सन् कम् ‍े् कम् कागज् पर् लमलता् है ।् ‍मान् उपचार, कोई् आरक्षण् नहीं, बष्ल्क् घरे ल्ू और्
‍ामाष्जक्रूप्‍े्‍मान्अव‍रों्के्ललए्ककन्मदहलाओं्की्आवश्यकता्है ? यह्जरूरी्है ्कक्पुरुषों्और्पररवारों्
को्इ‍्तथ्य्‍े्अवगत्कराया्जाए्और्इ‍्तथ्य्‍े्अवगत्कराया्जाए्कक्उनकी्लड़ककयााँ्मानवीय्हैं्और्
उन्हें ्लड़कों्के्‍मान्जीवन्और्खश
ु ी्का्अधधकार्है ।्

माही्पाल्ने्एक्लेख्ललखा्‘पंचायतों्में्जातत्और्वपत‍
ृ त्ता’्ष्ज‍में्हम्उनके्लेख्के्माध्यम्‍े्इ‍्
क्षेत्र् पर् एक् नजर् डालने् जा् रहे ् हैं।् भारत् में् पंचायती् राज् एक् थव-‍रकारी् ‍ंथर्ान् बन् गया् है ।् आरक्षण्
मदहलाओं् और्तनचली्जाततयों्दोनों्के्ललए्बनाया्गया्र्ा।्राज्य्की्‍रकार्और्‍ंघ्की्‍रकार्दोनों्ने्
मदहलाओं् को्‍मान्रूप्‍े् ऊाँचा्उिाने् और्उनका्इलाज्करने् का्गंभीर्प्रया‍्ककया।्इ‍्प्रया‍्को्करने्
के्ललए, उन्होंने्बैिकें्आयोष्जत्कीं्और्कायसशालाएाँ्आयोष्जत्कीं।्हररयाणा्‍रकार्ने्पंचायती्राज्के्थतर्
पर्‍त्ता्में् मदहलाओं् को्आमंब्रत्रत्ककया्ताकक्वे् प्रभावी्ढं ग्‍े् अपने् कतसव्यों्को्परू ा्करने् की्प्रकिया्में्
उनकी्‍मथयाओं्और्चुनौततयों्पर्चचास्करने्के्ललए्एक्कायसशाला्में्भाग्ले्‍कें।्थर्ानीय्थतर्पर्‍त्ता्
में्आई्इन्मदहलाओं्के्पा‍्कई्मद्
ु दे ्र्े।्है रानी्की्बात्है ्कक्उनमें्‍े्कक‍ी्ने्भी्मदहलाओं, उनकी्‍रु क्षा,
मदहला्अधधकारों्और्घरे लू्दहं‍ा्के्बारे ्में्नहीं्कहा।्ये् मदहलाएाँ्मदहलाओं, बच्चों्और्दललतों्के्ववका‍्‍े्
जुड़ी्योजनाओं्‍े्अनलभज्ञ्र्ीं।्कुछ्मदहला्‍रपंचों्को्उच्च्जातत्और्उच्च्वगस्के्पुरुषों्के्मुद्दों्का्‍ामना्
करना्पड़ा, ये् ‍रपंच्अपने् कतसव्यों्को्पूरा्करने् और्अपने् क्षेत्रों्में् ववका‍्कायों्को्पूरा्करने् में् अ‍फल्
रहे , र्कयोंकक्ज्यादातर्वे्मदहलाएाँ्र्ीं।

100
3.6 वपति
ृ र्त्ा की दतु नया में नारीवाद
नारीवाद्का्ववचार्है ् कक्मदहलाओं् को्पुरुषों्के्राजनीततक, ववत्तीय, ‍ांथकृततक, बौद्धधक्और्आधर्सक्
अधधकारों्के्बराबर्होना्चादहए।्इ‍में्ववलभन्न्अलभयान, ववचार्और्ववचारधाराएाँ्शालमल्हैं, लैंधगक्अ‍मानता्
‍ंबंधी्धचंताओं् ‍े् तनपिने, मदहलाओं् की्‍मानता्को्बढ़ावा्दे ना्और्मदहलाओं् और्दहतों्के्अधधकारों्की्
वकालत्करना्शालमल्है ।्मैगी्हम्म्और्रे बेका्वाकर्के्अनु‍ार, नारीवाद्का्इततहा‍्तीन्तरं गों्में्ववभाष्जत्
हो्‍कता्है ।्पहली्लहर्उन्नी‍वीं्और्बी‍वीं्‍दी्की्शुरुआत्में्र्ी, द‍
ू री्‍ाि्और्‍त्तर्के्दशक्में्र्ी्
और्ती‍री्नब्बे्के्दशक्‍े्लेकर्आज्तक्है ।

पहली् लहर् फेलमतनज्म् उन्नी‍वीं् और् बी‍वीं् ‍दी् की् शरु


ु आती् नारीवादी् ‍कियता् के् एक् चरण् को्
‍ंदलभसत् करता् है ् ...् यह् डी् ज्यूरी् (आधधकाररक् तौर् पर् अतनवायस)् अ‍मानता् पर् केंदद्रत् है , मुख्य् रूप् ‍े्
मदहलाओं् का्मताधधकार्(वोि्का्अधधकार)्है ।्नारीवाददयों्ने् इ‍्तरह्की्पहली्लहर्के्ललए्लड़ाई्लड़ी,
नागररक् अधधकार् और् राजनीततक् अधधकार् की् लड़ाई् र्ी।् इ‍में् लशक्षा् और् नागररकता् ‍े् ‍ंबंधधत् कानन
ू ी्
अधधकार्शालमल्र्े।्अंत्में , मानव्जातत्इ‍्तथ्य्को्थवीकार्करे गी्कक्मदहलाएाँ्भी्मानव्र्ीं्ष्जन्हें ्पुरुषों्
के्‍मान्अधधकार्प्राप्त्होना्चादहए्र्ा।्‘प्रर्म-लहर्नारीवादֹ’्एक्‍ामाष्जक्घिना्है् जो्‍ामान्य्‍े् बहुत्
अधधक्महत्त्वपूण्स है ।्महान्नारीवादी्आंदोलन्ने् इततहा‍्के्पाठ्यिम्को्बदल्ददया्है ।्यद्यवप्इ‍ने् ‍भी्
प्रकार्की्अ‍मानता्के्उन्मल
ू न्में्योगदान्नहीं्ददया, ष्ज‍े्उ‍ने्लमिाने्की्कोलशश्की, वपत‍
ृ त्ता्ने्प्रकृतत्
में्थर्ानांतररत्कर्ददया, कुछ्कदिन्पररवतसनों्को्नई्मदहलाओं्के्जाल्में्बदल्ददया।्इनमें्‍े्कुछ्नक
ु ‍ान्
मदहलाओं् की्यौन्अलभव्यष्र्कत्की्ववथताररत्थवतंत्रता्की्वकालत्करते् हुए्नारीवाद्की्द‍
ू री्लहर्के्‍ार््
‍ामने् आए।् आजकल, अलभव्यष्र्कत् की् इ‍् थवतंत्रता् ने् इ‍् तथ्य् में् योगदान् ददया् है ् कक् पोनोग्राफी् को्
प्रोत्‍ादहत्ककया्गया्है , और्कुछ्यह्तकस्दे ् ‍कते् हैं् कक्इ‍‍े् उपयर्क
ुस त्‘‍ावसजतनक्लैंधगकरण’्में् एक्नई्
तरह्की्अधीनता्आ्गई्है ।

नारीवादी्आंदोलन्की्‘द‍
ू री-लहर’्नारीवादी्‍कियता्के्एक्युग्को्‍ंदलभसत्करती्है , जो्1960्के्
दशक्की्शुरुआत्में् शुरू्हुई्और्1970्के्दशक्के्उत्तराधस् में् जारी्रही।्जबकक्पहली-लहर्नारीवाद्मुख्य्
रूप्‍े्‍मानता्के्ललए्कानन
ू ी्बाधाओं्को्‍ंबोधधत्करने्पर्केंदद्रत्र्ा, द‍
ू री-लहर्नारीवाद्ने्ववलभन्न्प्रकार्
के्मद्
ु दों्‍े्तनपि्ललया, ष्ज‍में्अनौपचाररक्अ‍मानताएाँ, आधधकाररक्कानूनी्अ‍मानताएाँ, कामक
ु ता, पररवार,
नौकरी्और्प्रजनन्अधधकार्शालमल्हैं।्नारीवाद्की्द‍
ू री्लहर्यह्कहते्हुए्तनकली, ‘व्यष्र्कतगत्ही्राजनीततक्
है ’्‍भी्युद्ध्क्षेत्रों्में् मदहलाओं् ने् ‍मान्अधधकारों्के्ललए्लड़ाई्लड़ी।्हमें् पता्चला्कक्‍मान्अधधकारों्
पर्कोई्आंदोलन्नहीं् र्ा।्मदहलाओं् को्उनके्‍ही् मूल्य्के्ललए्घर्के्भीतर्और्बाहर्न्याय्करने् को्
कहा।्1980्के्दशक्की्शुरुआत्में, जब्वपत‍
ृ त्तात्मक्‍ेर्क‍-आधाररत्कानूनों्को्धीरे -धीरे ्तनरथत्कर्ददया्
गया्र्ा, यह्माना्जाता्र्ा्कक्मदहलाओं्ने्अपने्लक्ष्य्हाल‍ल्कर्ललए्र्े्और्लैंधगक्भलू मकाओं्में्‍ामाष्जक्
दृष्टिकोण् बदलने् में् ‍फल् रही् र्ीं।् यह् ‍ही् है ् कक् कानूनी् बदलाव् हुए् र्े, लेककन्‍ामाष्जक् बदलाव् उतने्
महत्त्वपूण्स नहीं् र्े, ष्जतने् वे् हो्‍कते् हैं।्ललंग्अध्ययन्की्‍हायता्‍े् नारीवाद्ने् प्रदलशसत्ककया्है ् कक्हम्
‍माज् में् अपनी् लैंधगक् भूलमका् तनभाते् हैं् जहााँ् पुरुषों् को् मदहलाओं् के् ‍ार्् पुरुषों् और् मदहलाओं् की् तरह्
व्यवहार्करना्चादहए।्नारीवादी्ववद्वानों्ने् मदहलाओं् के्अध्ययन्के्अनमोल्‍मर्सन्के्‍ार््मदहलाओं् के्
अधीनता्को्‍मझाने् और्यद्
ु ध्करने् के्प्रया‍्में् ‍भी्प्रकार्के्शष्र्कतशाली्ल‍द्धांत्बनाए्हैं् जो्बाद्में्
ललंग्अध्ययन्में्ववकल‍त्हुए।्इन्ववचारों्में्‍े्एक्आवश्यकवाद्है , जो्कक्एक्प्रकार्का्दशसन्है ्जो्पुरुषों्
को्मदहलाओं् के्‍ार्-‍ार््मदहलाओं् के्रूप्में् व्यवहार्करने् के्ललए्प्रोत्‍ादहत्करता्है , ‍ार््ही्हमें् बता्
रहा्है ् कक्पुरुष्और्मदहला्की्ष्थर्तत्में् ववरोध्है ् और्इ‍्ववषमता्को्हमारे ् ‍हज्थवभाव्पर्रखते् हैं।्

101
चाँूकक्पूरे् इततहा‍्में् परं परागत्रूप्‍े, इ‍्अतनवायसता्ने् हममें् ‍े् कई्लोगों्को्‍ंिलमत्ककया्है , इ‍ललए्
शष्र्कत्और्आिामकता्जै‍ी्ववशेषताओं्को्पुरुषों्‍े्जोड़ा्गया्है , जबकक्एक्ही्‍मय्में्मदहलाओं्को्कुछ्
मामलों्में्मीिा्और्तनष्टिय्होने्की्उम्मीद्की्है ।्जॉन्ग्रे ने्1992्में्पथ
ु ्
तक्“मैन्‍
् ्आर्फ्राम्मा‍स, वूमैन्
आर्फ्राम्वीन‍”्ललखी।्नारीवादी्लेखकों्ने् यह्ध्यान्दे कर्आवश्यकता्के्बरु े ् प्रभाव्को्इंधगत्ककया्है ् कक्
‍भी्पुरुष्और्मदहलाएाँ्‍मान्नहीं्हैं।्वाथतव्में, ‘पष्श्चमी्‍ोच्के्चररत्र्को्प्रदलशसत्करने्वाला्द्वंद्व्दतु नया्
को्थ्
त्री-पुरुष, ‍ंथकृतत-प्रकृतत्और्व्यष्र्कत-‍माज्जै‍े् भेदों्में् बााँिता्है ।्लेककन्नारीवाददयों्ने् बताया्है ् कक्
‍माज्की्ष्थर्तत्को्‍रल्बनाया्जा्रहा्है ।’्उदाहरण्के्ललए, र्कया्हे मैफ्रोडाइि्इ‍्द्वैतवाद्में् कफि्होते्
हैं? ‍ेर्क‍, ललंग्द्ववआधारी्नारीवादी्‍ोच्की्एक्और्महत्त्वपूण्स अवधारणा्है ।्नारीवाददयों्ने्‍ेर्क‍्और्ललंग्
के् बीच् के् अंतर् को् इ‍् तरह् ‍े् वणणसत्ककया, ‘‍ेर्क‍् जैववक् ‍ेर्क‍् को् ‍ंदलभसत्करता् है , लेककन्ललंग् का्
उपयोग्‍ांथकृततक्अर्स् को्पररभावषत्करने्के्ललए्ककया्जाता्है ।्यह्‍माज्जैववक्यौन्‍ंबंधों्को्दशासता्
है , यह्कहना्की्हमारे ्पा‍्मदासनगी्और्थ्त्रीत्व्के्बारे ्में्जो्धारणाएाँ्हैं।्वाथतव्में , ये्आवश्यकताएाँ्हमारी्
थवतंत्रता्की्कारसवाई्को्‍ीलमत्करती्हैं् र्कयोंकक्जो्‍भी्अनुपालन्नहीं् करते् हैं् उन्हें ् उत्पीड़न्का्खतरा्है ्
या्यहााँ् तक्कक्‍माज्को्‍ामाष्जक्रूप्‍े् काि्ददया्जाता्है ।्इन्अवधारणाओं् और्कई्और्चीजों्को्
तैयार्करने्में, नारीवाददयों्ने्हमें्यह्ददखा्कर्लोगों्के्‍माज्के्ववचारों्को्प्रभाववत्करने्की्कोलशश्की्
है ्कक्कै‍े्प्राचीन्काल्‍े्वपत‍
ृ त्ता्ने्हमारे ्ववचारों्और्कायों्को्तनधासररत्ककया्है ।

नारीवाद्और्ललंग्और्ललंग्पर्बाद्के्अध्ययन्तनष्श्चत्रूप्‍े्‍मान्अधधकारों्के्ललए्मदहलाओं्की्
लड़ाई्में् एक्बड़ी्मदद्रहे ् हैं।्नतीजतन, ‍मय्और्प्रया‍्के्‍ार््दो्ललंगों्के्बीच्दतु नया्का्एक्बार-
ववशाल्ववभाजन्ल‍कुड़्रहा्है ।्आजकल, जै‍ा्कक्ज्यादातर्लोग्जानते् हैं, मदहलाओं् ने् ‍ामाष्जक्‍ीढ़ी्को्
अभूतपूव्स ऊाँचाइयों्तक्पहुाँचाया्है , ष्ज‍‍े्उनमें्‍े्कुछ्प्रधानमंत्री, कैब्रबनेि्मंत्री्और्अन्य्प्रभावशाली्पदों्‍े्
कम्नहीं्हो्पाए्हैं।्इ‍के्बावजूद, ‘नारीवाद्की्ती‍री्लहर्का्वणसन्करना्कदिन्है ्र्कयोंकक्हम्इ‍के्बीच्
में् हैं् ...्ती‍री्लहर्वैश््वीकरण्के्बारे ् में् है , ‍ावसजतनक्थर्ान्के्यौनकरण्और्अध्ययन्के्नए्क्षेत्र्ष्ज‍े्
‘ललंग्अध्ययन’्कहा्जाता्है , कई्मदहलावादी्अब्‍ंघषस्करती्हैं्ताकक्मदहलाओं्को्यौन्प्राणणयों्और्‍ामानों्
के्अलावा्कुछ्और्के्रूप्में्दे खा्जा्‍के।्मदहलाओं्के्ललए्हम्में्‍े्कुछ्जो्यौन्थवतंत्रता्चाहते्हैं, वह्
आज्की्दतु नया्में्एक्प्रमुख्मुद्दा्बन्गया्है , और्पोनोग्राफी्की्मुख्यधारा, जै‍ा्कक्पहले्बताया्गया्है ,
केवल्मदहलाओं्का्दरु
ु पयोग्है ्तेजी्‍े्खतरनाक्थतर्पर्पहुाँच्गया्है ्...्यह्ववका‍्बहुत्ही्खतरनाक्हो्
गया्है , जहााँ् बहुत्कम्उम्र्की्या्कमजोर्मदहलाओं् का्अर्क‍र्वेश्याववृ त्त, ‍ेर्क‍्उद्योग्या्मदहला्तथकरी्
के्माध्यम्‍े्शोषण्ककया्जाता्है ।

नारीवाद्की्कई्अलग-अलग्शाखाएाँ् हैं् जो्चीजों्को्और्अधधक्जदिल्करने् के्ललए्तीन्तरं गों्को्


पार्करती्हैं।्पहली्लहर्ने्कट्िरपंर्ी, मार्क‍सवादी्और्िांततकारी्नारीवाद्का्उत्पादन्ककया, जहााँ्उदारवादी्
आंदोलनों्ने् मदहलाओं् की्ओर्‍े् औपचाररक्और्कानूनी्अधधकारों्के्ललए्लड़ाई् लड़ी, और्द‍
ू री्दो, जो्
द‍
ू री् लहर् के् ‍ार्् मजबूत् हुई, ने् यह् पता् लगाया् कक् कै‍े् ‍माज् में् आधर्सक् ष्थर्तत् ने् हीन् ष्थर्तत् का्
प्रतततनधधत्व्ककया।्द‍
ू री्लहर्में् कट्िरपंर्ी्नारीवाद्का्उदय्हुआ्ष्ज‍ने् उदार्नारीवाददयों्को्इ‍्तथ्य्के्
ललए्अपनी्आाँखें्बंद्करने्के्ललए्दोषी्िहराया्कक्पारं पररक्ललंग्‍मानता्वाथतव्में्वाथतववक्‍मानता्का्
प्रतततनधधत्व्नहीं्करती्है ।्‍ंक्षेप्में , कट्िरपंर्ी्नारीवादी्‍माज्में्मदहलाओं्की्हीन्ष्थर्तत्के्ललए्वपत‍
ृ त्ता्
को्दोषी्िहराते्हैं, जहााँ्उनके्ददमाग्में् ‘श्राजनीततश ्’्शब्द्‍त्ता-‍ंरधचत्‍ंबंधों्और्‍ंरचनाओं् पर्लागू् होता्
है , ष्ज‍में्लोगों्का्एक्‍मूह्द‍
ू रे ्पर्हावी्होता्है , और्इ‍्‍ंदभस्में, मदहलाओं्के्णखलाफ्पुरुषों्के्दव्ु यसवहार्
को्मदहलाओं्पर्पुरुषों्के्प्रभुत्व्के्ललए्एक्महत्त्वपूण्स कारण्के्रूप्में्दे खा्जाता्है ।

102
चाँूकक्राज्य्को्वपत‍
ृ त्तात्मक्प्रभुत्व्के्एक्’‍ाधन’्के्रूप्में्दे खा्जाता्है ् और्यह्माना्जाता्है ्कक्
इ‍का्गैर-हथतक्षेप्वपत‍
ृ त्तात्मक्व्यवथर्ा्के्औधचत्य्का्दहथ‍ा्है ।्ती‍रे -लहर्के्नारीवाददयों्ने्हाल्के्वषों्
में् अनु‍ंधान् और् छात्रववृ त्त् में् उनकी् बढ़ती् भागीदारी् के् ‍ार्् पररदृश्य् को् बदल् ददया् है ् जो् लगता् है ् कक्
राजनीततक्‍ंगिनों्और्मद्
ु दों्में्उलझा्हुआ्है ।्यह्तकस्ददया्गया्है ्कक्‘उत्तर-‍ंरचनावाद्के्‍ार्-‍ार््उत्तर-
आधुतनकतावाद, 1990् के् दशक् में ् बहुत् अधधक् नारीवाद् का् मुहावरा् है ,’ लेककन् ’उत्तर-आधुतनकतावाद् गुरु्
आख्यानों्को्खाररज्करता्है , और्‘अ‍मानता, शोषण, इततहा‍्की्िांतत्के्अंततनसदहत्कारणों्की्खोज’्करता्
है ।

द‍
ू री्तरं ग्दे खने्के्नए्दृष्टिकोण्होने्पर्एक्रूदढ़वादी्नारीवादी्दृष्टिकोण्का्चयन्कर्रही्है ।्ऐ‍ा्
इ‍ललए् हो् ‍कता् है ् र्कयोंकक् व्यष्र्कतगत् रूप् ‍े् एक् द‍
ू री-लहर् नारीवादी् के् रूप् में् राजनीततक् है ।् यद्यवप्
मदहलाओं्की्‍मानता्के्प्रतत्तनष्श्चत्रूप्‍े्कई्महत्त्वपूण्स बदलाव्हुए्हैं, मैं्इ‍्बात्‍े्‍हमत्हूाँ्कक्हमारे ्
घरों्की्गोपनीयता्में्होने्वाली्कई्घिनाएाँ, और्अन्य्मुद्दे ्जो्कुछ्तनजी्लमलेंग,े उन्पर्भी्अधधक्ववथतार्
‍े् शोध्ककया्जाना्चादहए।्उदाहरण्के्ललए, मदहलाओं् और्बच्चों्के्शारीररक्और्यौन्शोषण, पोनोग्राफी,
वेश्याववृ त्त, इं‍ानों्की्तथकरी, और्आणखरकार्‍ावसजतनक्क्षेत्र्के्बड़े्पैमाने्पर्यौन्शोषण, ष्ज‍का्तनथ‍ंदेह्
शैतानी्प्रभाव्है ।्द‍
ू री्लहर्एक्वकालत्आंदोलन्र्ा, और्मैं्मानता्हूाँ्कक्अगर्‍ुधार्के्ललए्िो‍्कारसवाई्
नहीं्की्गई्तो्‍माज्की्तनरं तर्‍मीक्षा्मुमककन्है ।

वाल्बी्ने्बड़े्पैमाने्पर्इन्दृष्टिकोणों्को्थपटि्ककया्है –

परु
ु ष् वचसथव् के् आधार् पर् कट्िरपंर्ी् नारीवाददयों् के् बीच् वव‍ंगततयााँ् हैं, लेककन् यह् अर्क‍र् मदहला्
कामुकता्और्तनकायों्के्शोषण्को्शालमल्करने्के्ललए्दे खा्जाता्है , जबकक्पुरुष्दहं‍ा्को्कुछ्मूल्कारण्
के्रूप्में्दे खा्जाता्है ।्कक्यौन्किया्‍ामाष्जक्रूप्‍े्इच्छा्की्पुरुष्धारणाओं्के्इदस -धगदस ्तनलमसत्होती्है ,
मादा्की्नहीं।

इ‍के् अलावा, कामुकता् को् मदहलाओं् पर् पुरुष् वचसथव् के् एक् प्रमुख् थर्ल् के् रूप् में ् दे खा् जाता् है ,
ष्ज‍‍े्पुरुष्मदहलाओं्पर्अपनी्थ्त्रीत्व्की्धारणा्को्र्ोपते्हैं।्‍मकालीन्‍माज्में , ववषमलैंधगकता्‍ामाष्जक्
रूप् ‍े् ‍ंथर्ागत् है ् और् ललंग् ‍ंबंधों् के् कई् अन्य् पहलुओं् को् व्यवष्थर्त् करती् है ।् पारं पररक् दृष्टिकोण् के्
ववपरीत्कक्बलात्कार्और्वपिाई्कुछ्लोगों्में्मनोवैज्ञातनक्‍मथयाओं्‍े्शरू
ु ्होने्वाले्अलग-अलग्उदाहरण्
हैं, मदहलाओं्के्णखलाफ्पुरुष्दहं‍ा्को्ललंग्तनयंत्रण्प्रणाली्का्दहथ‍ा्माना्जाता्है ।

3.7 वपति
ृ र्त्ा को नारीवादी चुनौती
वपत‍
ृ त्ता्नारीवाददयों्के्ललए्एक्‍मथया्है ।्मेरा्तकस्है ्कक्उनकी्ष्थर्तत्में्जैववक्अं तर्कुछ्वव‍ंगतत्
में्योगदान्कर्‍कता्है , लेककन्पूव्स को्एक्यौन्पदानुिम्की्नींव्नहीं्बनना्चादहए्ष्ज‍में्पुरुष्श्रेटि्हैं।्
नारीवादी्तकस्दे ्रहे ्हैं्कक्वपत‍
ृ त्ता्मानव्तनलमसत्है ्और्‍माज्की्‍ामाष्जक-आधर्सक्और्राजनीततक्‍ंरचनाएाँ्
परं परागत्रूप्‍े्ववकल‍त्हुई्हैं।

कई्नारीवादी्ववद्वान्ववलभन्न्तरीकों्‍े्वपत‍
ृ त्ता्की्अवधारणा्करते्हैं्और्उ‍की्जााँच्करते्हैं।्हम्
दावा्करते् हैं् कक्उनके्पदों्में् जैववक्अंतर्के्कारण्कुछ्वव‍ंगतत्हो्‍कती्है , लेककन्पव
ू ्स को्एक्यौन्
पदानुिम्की्नींव्नहीं् बनना्चादहए्ष्ज‍में् पुरुष्श्रेटि्हैं।्नारीवादी्वपत‍
ृ त्ता्को्पुरुषों्के्दहत्की्‍ेवा्के्
ललए् एक् उपकरण् के् रूप् में् चुनौती् दे ती् हैं।् वपत‍
ृ त्तात्मक् दशसन् ‍माज् की् प्रमुख् जागरूकता, ‍ंथकृतत,
मान्यताओं, और्प्रर्ाओं्में्उन्हें ्प्रकि्करता्है ।्नारीवादी्‘वपत‍
ृ त्ता’्शब्द्के्उपयोग्को्अथवीकार्करते्हैं्और्

103
इ‍े् बदलने् के् ललए् ‘ललंग् उत्पीड़न’् शब्द् को् प्रार्लमकता् दे ते् हैं।् लमशेल् बैरेि् का् तकस् है ् कक् हम् कभी-कभी्
वपत‍
ृ त्तात्मक् शब्द् का् उपयोग् अपनी् अपररवतसनीय् उपष्थर्तत् का् ‍ंकेत् दे ने् के् ललए् करते् हैं।् लेककन् जेंडर्
इष्र्कविी्‍तु नष्श्चत्करने्का्नारीवादी्प्रया‍्जल्द्ही्लैंधगक्मुख्यधारा्के्प्रया‍ों्के्‍ार््वपत‍
ृ त्ता्की्तनरं तरता्
को्चन
ु ौती्दे गा।्वपत‍
ृ त्ता्बदल्रही्है , हालााँकक्कुछ्ववशेषताओं्की्तनरं तरता्आज्भी्नोि्की्जा्रही्है ।

3.8 िारांर्

वपत‍
ृ त्ता्को्‍मझना्यह्बताता्है ् कक्मदहलाएाँ् कभी-कभी्अपने् अधधकारों्के्ललए्र्कयों्लड़ती्हैं् और्
कभी-कभी्केवल्पुरुषों्की्शष्र्कत्और्अधधकार्‍े्मुर्कत्रहने्के्ललए्‍ंघषस्करती्हैं्जो्उन्हें ्धमकी्दे ता्है ।्
मदहला् पेशेवरों् को् शैक्षक्षक, राजनीततक, ‍ामाष्जक् और् ‍ार्् ही् उनकी् क्षमताओं् के् ‍ंदभस् में् वपत‍
ृ त्तात्मक्
मानदं डों्पर्उन्हे ्‍वाल्उिाने्में्नािकीय्रूप्‍े्‍फलता्लमली्है ।्लमलेतनयल्‍्ने्ववत्तीय्थवतंत्रता्प्राप्त्की्
है , पररवार्के्भीतर्अधधक्‍ौदे बाजी्की्शष्र्कत, और्‍माज्के्बाहर्‍शष्र्कतकरण्की्भावना, तनणसय्लेने्में्
उनकी्ष्थर्तत्को्मजबूत्करती्है ्जो्उनकी्पुरानी्पीढ़ी्के्पा‍्कभी्नहीं्र्ी।्कफर्भी, वे्अपने्पतत, बच्चों,
दोथतों, और्अन्य्करीबी्ररश्तेदारों्के्ललए्अपने् कतसव्यों्को्‍ब‍े् महत्त्वपूण्स और्लगातार्अपने् पररवारों्को्
अपनी्नौकरी्पर्प्रार्लमकता्के्रूप्में् दे खते् हैं।्यह्तनटकषस् तनकाला्जा्‍कता्है ् कक्यद्यवप्मदहलाओं् ने्
‍ावसजतनक्डोमेन्में्प्रवेश्ककया्है ्और्बाजार्की्शष्र्कतयों्का्दहथ‍ा्बन्गई्हैं , लेककन्वे् अपने्तनजी्क्षेत्र्
‍े् ‍ंबद्धता् और् ‍ंबंधधत् वपत‍
ृ त्तात्मक् मानक् दातयत्वों् के् अनुरूप् हैं।् नारीवादी् दृष्टिकोण् के् बारे ् में् उनकी्
अ‍मान्ष्थर्तत्को्‍मझने्के्बाद्ही्पुरुषों्और्मदहलाओं्को्वपत‍
ृ त्तात्मक्‍ोच्और्परं पराओं्‍े्अपने्मन्
को्मुर्कत्करने् की्अनुमतत्लमलती्है ् और्अंतताः्वचसथव्और्वपत‍
ृ त्ता्‍े् मुर्कत्दतु नया्का्तनमासण्होता्है ,
जो्वाथतव्में्मानव्है ।

3.9 अभ्याि करें

1. वपत‍
ृ त्ता्र्कया्है ? ‍ामाष्जक्‍ंथर्ाएाँ्वपत‍
ृ त्तात्मक्व्यवथर्ा्को्बनाए्रखने्में्र्कया्भूलमका्तनभाती्हैं?
2. आधुतनक्वपत‍
ृ त्ता्की्ववशेषताओं्और्पहलुओं्का्वणसन्करें ।
3. थ्
त्री्ल‍द्धांतों्के्अनु‍ार्वपत‍
ृ त्ता्को्पररभावषत्करें ।
4. मदहलाओं्को्वपत‍
ृ त्तात्मक्‍माज्में्ककन्चन
ु ौततयों्का्‍ामना्करना्पड़ता्है ?

िंदभश-िच
ू ी

• Beechey, V. (1979). On Patriarchy. Feminist Review, 66-82.


• Engels, F. 1940. The Origin of the Family, Private Property and the State. London: Lawrence
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• Lerner, G. 1989. The Creation of Patriarchy. Oxford University Press: New York.
• Pal, M. (2004). Caste and Patriarchy in Panchyats. Economic and Political Weekly, 39 (32),
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104
• SultanA. (2011). Patriarchy and Women’s Subordination: A Theoretical Analysis. The Arts
Faculty Journal
• Walby, W. 1990, Theorising Patriarchy, Oxford: Blackwell.

105
इकाई-5
पाि्1

िेर्कयुलरवाद पर ववचार-ववमर्श
कंु वर्प्रांजल्ल‍ंह्

➢ पररचय्
➢ ‍ेर्क्
यलु रवाद्:्‍ैद्धांततक्बह‍्
➢ भारतीय्‍ववधान्तर्ा्‍ेर्कयुलर्राज्य
➢ आलोचनात्मक्तनटकषस

पररचय

राजनीततक्कायसवाही्मुख्य् रूप्‍े् जीवन्के्बेहतर्ववका‍्तर्ा्दै तनक्प्रककया् किया्प्रततकिया्करता्


रहता्है I्ष्ज‍में्राज्य्‍े्लेकर्व्यष्र्कतगत्जीवन्के्पहलू्शालमल्होते्हैंI्जो्एक्बेहतर्ववकल्प्की्प्रा‍ंधगकता्
की् तलाश् करती् है I् ष्ज‍में् धमसतनरपेक्षता् या् ‍ेर्क्
यलु रवाद् इ‍् किया् का् महत्वपण
ू ्स ववषय् है I् ष्ज‍का् मख्
ु य्
ववमशस्राज्य्व ््धमस्में्पथ्
ृ र्कता्रखा्जाये्या्यह्राज्य्के्हथतक्षेप्का्भी्पररणाम्बनाया्जा्‍के?्‍ार््ही्
अल्प‍ंख्यक् ‍ंथकृतत् तर्ा् अधधकार् को् कक‍् प्रकार् राज्य् और् नीततयों् ‍े् ‍ामंजथय् बनाया् जाय् ष्ज‍‍े्
बहु‍ख्यक्के्‍ार््‍ंतुलन्बना्रहे I्

िेर्कयल
ु रवाद: िैद्धांततक पक्ष

‍ेर्क्
यलु रवाद्के्‍ैद्धांततक्पक्ष्में्नीरा्चंडोक्का्ववश्लेषण्प्रर्म्होगा्जो्भारतीय्‍ेर्क्
युलरवाद्की्मूल्
पररभाषा्‍े्तर्ा्गााँधी्के्ववचार्‍े्भी्जुडा्हुआ्है ्ष्ज‍का्अलभप्राय्है ्कक्भारत्में्‍ेर्क्युलरवाद्‍वसधमस‍म््
भाव्
के्रूप्में्थर्ावपत्है I्ष्ज‍में्‍भी्धमों्को्‍म्मान्रूप्‍े्‍म्मान्ओर्अव‍र्प्रदान्ककया्जायI्जबकक्नेहरु्
के्अनु‍ार्‍ेर्क्युलरवाद्धमसतनरपेक्षता्के्रूप्में् ‍मझा्गया्है I्ष्ज‍का्अलभप्राय्है ् कक्राज्य्कक‍ी्भी्धमस्
को् थवीकार् नही् करे गाI् राज्य् का् कोई् अपना् ववलशटि् धमस् नही् होगाI् इन् दोनों् ववचारो् में् एक् प्रकार् का्
अंतववसरोध्भी्रहता्है I्भारत्की्धमसतनरपेक्षता्ने् दोनों्के्लमधश्रत्थवरूप्को्थवीकार्ककयाI्ष्ज‍के्अनु‍ार्
राज्य्‍वसधमस‍म्भाव्के्‍ार््अपने् को्धमसतनरपेक्ष्भी्बनाये् रखता्है I्(चंढोक्:2010)्हााँलाकक्चंढोक्अपने्
अन्य्लेखो्में् ‍माज्का्‍ेकुलरीकरण्पर्अपना्ववचार्रखती्है I्जो्एक्ऐ‍ी्प्रकिया्है ् जो्आधुतनकता्के्
इततहा‍्तर्ा्आधुतनकरण्के्ल‍लल‍ले्‍े्जुडी्होती्है I्ष्ज‍का्तनरा्चंडोक्‍माजशाथत्रीय्ववश्लेषण्दो्आधारों्
पर्प्रथतत
ु ्करती्है I्एक्तरफ्व्यष्र्कतगत्ताककसकता्के्आधार्पर्धमस्के्मध्य्‍ामंजथय,्द‍
ू री्तरफ्राज्य्
के्द्वारा्कक‍ी्भी्धमस् को्वैधातनक्थवायत्त्नही्प्रदान्ककया्जायेगाI्(चंढोक:1999)्इ‍की्प्रं‍धगकता्इ‍्
बात्‍े्है ्की्भारत्में्ववववधता्और्‍ांथकृततक्बहुलतावाद्को्भारतीय्‍माज्की्प्रमख
ु ्ववशेषता्मना्जाता्
है ,्ष्ज‍के्ललए्हर्प्रकार्की्ववशेषता्को्‍ुरक्षक्षत्रखना्भी्भारतीय्राज्य्की्ष्जम्मेदारी्बनती्है ्I

इ‍ी्िम्में्राजीव्भागसव्ने्धमसतनरपेक्षता्को्तीन्आधारों्पर्पररभावषत्ककया्है I्एक्उच्चय्ववशेट्य्
‍ेर्क्
युलरवाद् (hyper् substantive् secularism),् द‍
ू रा् अल्रा् प्रकियात्मक् ‍ेर्क्
युलरवाद(ultra् procedural्
secualrism),्ती‍रा्‍ंदभसयर्क
ु त्‍ेर्क्युलरवाद्(contextual्secularism)I्िम्‍े् उच्चय्ववशेट्य्‍ेर्क्
युलरवाद्

106
के्द्वारा्धमस् और्राज्य्के्बीच्पथ्
ृ र्कता्प्रदान्ककया्जाता्है I्इ‍्पथ्
ृ र्कता्की्मान्यता्ववशेष्मूल्यों्पर्
आधाररत्होती्है I्ष्ज‍में् थवायत्ता,्ववका‍,्तकस्के्आधार्पर्प्रदान्ककया्जाता्है I्द‍
ू रा्अल्रा्‍ेर्क्
युलरवाद्
राज्य्के्प्ररूपों्‍े्पर्
ृ कता्प्रदान्करता्है ्I्यह्पर्
ृ कता्नौकरशाही्और्तकनीकी्तंत्र्के्नाम्प्रदान्की्जाती्
है I् ती‍रा् ‍ंदभसयर्क
ु त् ‍ेर्क्युलरवाद् जो् ‍ैधांततक् दरु ी् के् ल‍द्धान्त् पर् आधाररत् है I् भागसव् भारत् में् इ‍ी्
‍ेर्कयुलरवाद्को्मानते् हैंI्जो्धमस् का्‍मावेश\बदहटकार्और्राज्य्के्जुड़ाव\उदा‍ीनता्के्‍वाल्पर्लचीला्
दृष्टिकोण्अपनाता्है I्धमस्‍े्इ‍का्जुड़ाव्तर्ा्उदा‍ीनता्पूरी्तरह्‍े्इ‍्बात्पर्तनभसर्करती्है ्कक्इ‍‍े्
थवतंत्रता् तर्ा् ‍मानता् के् मूल्यों् को् बढवा् लमले् या् इनकी् उपेक्षा् होती् होI् मूलरूप् ‍े् ‍ेर्क्
युलरवाद् का् यह्
ववचार्है ् कक्वह्धमस् में् हथतक्षेप्कर्‍कता्है ् या्कफर्यह्इ‍्बात्पर्तय्होता्है ् कक्ककये् गये् हथतक्षेप्
‍े्थवतंत्रता्और्‍मानता्के्मल्
ू यों्को्बढ़ावा्लमलता्है ्या्नहींI्र्कयोंकक्‍ंदभसयर्क
ु त्‍ेर्क्यल
ु रवाद्इ‍्बात्की्
मान्यता्दे ता्है ्की्व्यष्र्कतगत्अधधकारों्और्‍मूह्अधधकार्के्बीच्िकराव्न्हो,्‍मानता्और्थवतंत्रता्के्
बीच्िकराव्तर्ा्थवतंत्रता्और्बुतनयादी्जरुरतों्के्‍ंतुलन्होने्के्बीच्िकराव्को्कक‍ी्‍ामान्य्या्अमूतस्
ल‍द्धांत्की्मदद्‍े् हमेशा्‍ुलझाया्जा्‍कता्है I्इन्हें ् ‍ुलझाने् का्तरीका्यह्है ् की्हर्मामले् पर्अलग्
‍े् ध्यान्ददया्जाये् और्प्रततयोगी् दावों्के्बीच्एक्अच्छा्‍ंतुलन्कायम्ककया्जायI्ये् हो्‍कता्है ् की्
इ‍‍े् जो्तनटकषस् तनकले् उ‍‍े् कोई्दावेदार्परू ी्तरह्‍े् ‍ंतटु ि्न्हो्लेककन्काफी्हद्तक्दोनों्को्‍हमत्
ककया्जा्‍कता्है I्इ‍्आधार्पर्‍ेर्क्युलरवाद्का्औधचत्य्न्केवल्‍म्प्रदायों्के्बीच्एकजुिता्को्बनाये्
रखने्के्ललए्बष्ल्क्जनता्के्‍ाधारण्जीवन्की्‍ुरक्षा्के्ललए्भी्रखा्गया्है I्राजीव्भागसव्यह्भी्थपटि्
करते्हैं्कक्भारत्का्‍ेर्क्युलरवाद्राजनीतत्‍े्धमस्के्अलगाव्का्मतलब्राज्य्की्‍ंथर्ाओं्‍े्धमस्का्पूरा्
तरह्बदहटकार्नहीं्होताI्दोनों्के्बीच्कुछ्‍ंपकस्रह्‍कता्है I्‍ार््ही्वे्आप‍ी्फा‍ले्भी्कायम्कर्‍कते्
हैंI्होना्तो्यह्चादहए्कक्धमस्और्राजनीतत्न्तो्आप‍्में्परू ी्तरह्गर्
ु े्रहें ्और्न्ही्परू ी्तरह्पर्
ृ क्हो्
पायेI्भागसव्इ‍ी्ष्थर्तत्को्उ‍ूली्फा‍ला्कहते् हैंI्लेककन्इ‍्फा‍ला्को्बराबर्दरू ी्का्ल‍द्धांत्भी्नहीं्
‍मझ्लेना्चादहएI्र्कयोंकक्बराबर्दरू ी्के्ल‍द्धांत्के्तरह्राज्य्द्वारा्हथतक्षेप्या्हथतक्षेप्न्करने्का्फै‍ला्
इ‍्आकलन्पर्तनभसर्करता्है ्कक्धालमसक्थवतंत्रता्और्नागररकों्की्‍मता्को्बढ़ावा्दे ने्का्मक‍द्कक‍‍े्
हल्होगाI्(भागसव;1989)्यहााँ्यह्महत्त्वपूण्स हो्जाता्है ्की्भारत्में्‍ेर्क्
युलरवाद्का्आयाम्र्कया्है ्I््

इ‍् प्रश्न् पर् डोनाल्ड् ष्थमर्् की् बहुचधचसत् पुथतक् “इंडडया् एज् ए् ‍ेर्कयुलर् थिे ि”् अधधक् प्रा‍ंधगक् है I्
ष्थमर््का्मानना्है ्की्‍ेर्कयुलर्राज्य्की्अपनी्‍मझ्राज्य,्धमस्और्व्यष्र्कत्के्बीच्अंत‍ंबंधों्पर्आधाररत्
होता्है l्इ‍के्कही्पहलु्हैं्उनका्पहला्‍ंबंध्व्यष्र्कत्और्धमस्के्बीच्होता्है ्ष्ज‍में ्राज्य्कहीं्नहीं्आताI्
यानी्इ‍के्तहत्व्यष्र्कत्राज्य्के्कक‍ी्दबाव्के्ब्रबना्ववलभन्न्धमों्की्दावेदारी्का्आकलन्करने्के्ललए्
थवतंत्र्है I्उनके्पा‍्अपने्जन्म्या्चुने् हुए्धमस् में् इच्छानु‍ार्‍ंशोधन्करने् या्िुकराने् का्अधधकार्होना्
चादहएI्ष्थमर््का्द‍
ू रा्‍ंबंध्व्यष्र्कत्और्राज्य्के्बीच्तनधासररत्करते् हैं ् ष्ज‍में् धमस् का्कोई्थर्ान्नहीं्
होताI्इ‍्तजस्पर्राज्य्को्व्यष्र्कत्का्आकलन्उनके्धमस्की्अनुपष्थर्तत्में्करना्चादहएI्यहााँ्यह्महत्त्वपूण्स
है ्कक्व्यष्र्कत्के्अधधकार्और्उ‍के्कतसव्य,्उ‍के्धालमसक्ववश्वा‍्‍े्प्रभाववत्नहीं्होना्चादहएI्इ‍का्आशय्
यह्है ्की्‍ावसजतनक्थर्ान्पर्तनयष्ु र्कत्या्कराधान्कक‍ी्व्यष्र्कत्के्धमस्का्ववचार्करके्नहीं्होना्चादहएI्
ती‍रा्‍ंबंध्राज्य्और्ववलभन्न्धमों्के्बीच्मानते् हैं,्जो्पहले् दोनों्‍ंबंधों्का्वजद
ू ्इ‍्ती‍रे ् ‍ंबंध्पर्
तनभसर्करता्है I्(ष्थमर््1963)्लेककन्भारतीय्‍ेर्क्युलरवाद्के्‍ंदभस्में्ष्थमर््का्मानना्है ्की्भारतीय्राज्य्
और्धमस्इन्दोनों्में्पथ्
ृ र्कता्में्अ‍फल्रहा्है I्(चंढोक:्2010)

इ‍्‍ैद्धांततक्बह‍्के्िम्में्कववराज्का्मानना्है ्कक्‍ेर्क्
युलरवाद्को्‍ंरचनात्मक्रूप्‍े्दो्आधारों्
पर् ‍मझा् जा् ‍कता् है I् एक् तरफ् आज़ादी् के् पहले् ‍ेर्क्
युलरवाद् की् बह‍् द‍
ू री् तरफ् आज़ादी् के् बाद्

107
‍ेर्कयुलरवाद्की्बह‍,्कववराज्मानते्हैं्कक्आज़ादी्के्पहले्‍ेर्क्
युलरवाद्की्बह‍्ज्यादा्थवीकार्र्ीI्र्कयोंकक्
उ‍का्ववमशस्भारतीय्भाषा्में्हुआ्करता्र्ाI्हालााँकक्उपतनवेशवाद्के्‍ंघषस्में्यह्ववमशस्दो्भाषा्ने्ले्ललया्
है ्एक्तरफ्दहंदी्द‍
ू री्तरफ्इंष्ग्लश,्ष्ज‍के्पररणामथवरूप्आज़ादी्के्बाद्लगातार्भारतीय्भाषा्को्नजरं दाज्
ककया्गया्है I्जो्आज्भारत्के्ववववधता्को्अपने्अनभ
ु व्में्प्रथतत
ु ्करने्में्अ‍फल्मह‍‍
ू ्करने्लगी्है I्

‍ेर्क्
यलु रवाद्के्‍ैद्धांततक्ववमशस्को्आगे्बढ़ाते्हुए्पार्स्चिजी्के्ववचारों्को्उद्ग्रदहत्ककया्जाये्जो्
भारतीय्‍ेर्क्
युलरवाद्के्मौललक्मूल्य्‍दहटणुता्पर्आधाररत्है I्ष्ज‍में्‍दहटणुता्को्तीन्आधारों्पर्पररभावषत्
ककया्है I्‍ही्मायने्में्भारतीय्‍ेर्क्यल
ु रवाद्का्मौललक्मल्
ू य्‍दहटणत
ु ा्ही्है I्एक्तरफ्‍मझौता्तर्ा्‍ंववदा्
के्आधार्पर्द‍
ू रा्पररणाम्के्आधार्पर,्ती‍रा्व्यष्र्कतयों्के्प्रतत्आदर्के्आधार्परI्‍मझौता्का्तात्पयस्
यह्ही्कक्‍ामाष्जक्‍मझौते्के्ब्रबना्पर्‍माज्में्रहने्का्करार्लोगों्को्पहले्‍े्अपने्धमस्का्अंदाजा्
नहीं्होता्है I्इ‍ललए्इन्हें ्परथपर्‍दहटणुता्पर्‍हमती्बनानी्पड़ती्है I्वहीं्द‍
ू रा्पररणाम्आधाररत्तकस्का्
मानना्है ्की्‍दहटणुता्को्अपनाना्अ‍दहटणु्होने्‍े्अधधक्कारगर्है I्ती‍रा्आधार्जो्व्यष्र्कतयों्को्आधार्
बनाने्का्आग्रह्करता्है ,्वह्नैततक्तकस्मह
ु ै या्करता्है I्परन्त्
ु र्कया्भारतीय्मामलात्इ‍्पररभाषा्के्नजररये्
रखे् जा् ‍कते् हैं?् इ‍् ल‍लल‍ले् में ् पार्स् चिजी् ने् बहुत् रोचक् दलील् प्रथतुत् की् है I् ष्ज‍में् इन्होने् रे मंड्
ववललयम्‍्की्ववख्यात्रचना् कीवर्डस‍्पर्दिप्पणी्करते् हुए्र्कवेंदिन्ष्थकनर्के्ववचारों्को्प्रकाश्में् लाते् हैंI्
ष्ज‍में् ष्थकनर् का् मानना् र्ा् कक् कक‍ी् भी् अवधारणा् को् नया् अर्स् उ‍् ‍मय् नहीं ् लमलता् जब् उ‍े् नयी्
पररष्थर्ततयों्पर्लागू् करने् वाले् तकस्कामयाब्होते् हैं् यह्भी्होता्है ् कक्उन्तकों्की्नाकामी्के्कारण्ही्
वह्अवधारणा्नयी्पररष्थर्तत्में्नये्अर्स्पाती्है I्इ‍ी्तजस्पर्भारत्में् ‍ेर्क्
यलु रवाद्के्नये्अर्स्पर्ववचार्
करते्‍मय्हमें्‍ेर्क्युलरवाद्के्‍मर्सकों्के्दावों्को्परखना्चादहए्कक्भारतीय्राज्य्और्‍माज्में्इ‍े्आम्
मान्यता्लमल्गयी्है ।्इ‍ी्प्रकिया्में्भारतीय्‍ेर्क्
युलरवाद्एक्नये्रूप्में्‍ामने्आता्है I्ष्ज‍में्‍ेर्क्
युलरवाद्
का्मूल्पष्श्चमी्मानक्अर्स्न्केवल्जै‍ा्का्तै‍ा्बना्रहता्बष्ल्क्उ‍की्‍फलता्में्भारतीय्कामयाबी्का्
प्रयोग्भी्जुड़्जाता्है I्दरअ‍ल्‍ेर्क्युलरवाद्के्नये् भारतीय्अर्ों्को्का्प्रयोग्जै‍्े ही्हम्इ‍े् लाग्ू करते्
हैं् तो्यह्तात्काललक्पररष्थर्ततयों्‍े् मेल्लमलाप्करने् में् अ‍फल्रह्जाती्है ् ष्ज‍‍े् ‍ेर्क्
यलु रवाद्भारतीय्
‍माज्के्‍ामने् अथवीकार्हो्जाता्है ् (पार्स् चिजी्:2005)।्चिजी्का्यह्ववश्लेषण्इ‍्बात्‍े् भी्है ् कक्
ष्ज‍्पष्श्चम्ने् ‍ेर्क्युलरवाद्जै‍े् अवधारणा्को्जन्म्ददया्उ‍की्ऐततहाल‍क्पररष्थर्ततयााँ् भारतीय्पररपेक्ष्य्
‍े्ब्रबल्कुल्जुदा्र्ींI्र्कयोंकक्इततहा‍्में्कोई्भी्ऐ‍ी्तारीख्नहीं्दजस्की्गयी्है ्जहााँ्यह्आइने्के्तरह्दे खने्
को्लमले् कक्राज्य्और्धमस्जै‍ी्अलग-अलग्‍थर्ाओं् में्कक‍ी्भी्प्रकार्का्युद्ध्हुआ्होI्इ‍्आधार्पर्
हम्‍ेर्क्
यलु रवाद्के्भारतीयकृत्आवधारणा्की्लशनाख्त्आज्भी्धचंतनशील्है I्र्कयोंकी्थवतंत्र्भारत्में्जब्‍े्
‍ेर्क्
युलरवाद्का्प्रथर्ान्ब्रबंद्ु ‍ुतनष्श्चत्ककया्गया्है ्तब्‍े्‍मथ्
याओं्की्फेरदहथ्
त्‍ामने्आयी्है I्चाहे ्‍मान्
नागररक्कानून्का्मामला्हो,्या्मदहलाओं् को्मंददर्में् शुद्ध्और्अशुद्ध्का्मामला्हो,्मष्थजद्के्िूिने्
या्मंददर्के्बनने्का्मामला्होI्म‍लन्दतु नया्के्जो्भी्उदाहरण्मौजूद्है ् वो्ल‍फस्पर्
ृ कता्की्दीवार्के्
दह‍ाब् ‍े् उत्तर् चाहते् हैंI् ष्ज‍् पर् पार्स् चिजी् का् मानना् है ् कक् भारतीय् ‍ेर्कयुलरवाद् ववशुद्ध् भारतीय्
अवधारणात्मक् दतु नया् ‍े् तनकलता् है ् वह् दरअ‍ल् एक् आधारहीन् ककथम् का् ववचारधारात्मक् दावा् करता् है्
ष्ज‍े्न्यायोधचत्नहीं्िहराया्जा्‍कता्है I्

इ‍ी् िम् में् आशीश् नंदी् ने् अपने् एक् लेख् “दद् पॉललदिर्क‍् ऑफ् ‍ेकुलररज्म् एंड् दद् ररकवरी् ऑफ्
ररलीज‍्िॉलरे ‍”्में् धमस् को्दो्आधारों्पर्पररभावषत् ककया्है I्एक्तरफ्धमस् ववचारधारा्के्रूप्में ,्द‍
ू री्
तरफ्धमस् आथर्ा्के्ललएI्नंदी्के्तनगाह्में् धमस् आथर्ा्के्रूप्में ् धमस् एक्जीवन्शैली्है ् और्व्यावहाररक्
रूप्‍े् बहुलतावादी्और्‍दहटणु् ‍ंरचना्की्तरह्‍ामने् आता्है I्वहीीँ् ववचारधारा्के्रूप्में् धमस् आमतौर्पर्

108
राजनीततक् और् आधर्सक् दहतों् यानी् गैर् धालमसक् लक्ष्यों् के् ललए् ‍ंघषस् करने् के् ललए् आबादी् के् दहथ‍ों् की्
लशनाख्त्और्पररगणना्करता्है I्यह्फकस्करने् के्बाद्नंदी्एक्महत्त्वपूण्स बात्की्पुष्टि्और्करते् हैं् कक्
‍ेर्क्
युलरवाद्की्राजनीतत्आधुतनक्राज्य्के्तनमासण्की्उन्प्रकियाओं्का्ही्अंग्है ्जो्धमस्को्ववचारधारा्के्
रूप्में्थर्ावपत्करती्है ्नंदी्अपने्इ‍्परू े ्लेख्में्यह्नतीजा्तनकालते्हैं्कक्आधतु नकीकृत्‍ेर्क्
यलु रवाद्पर्
तनभसर्रहने्के्बजाय्हमें ्नागररकों्के्ववलभन्न्आथर्ों्में्तनदहत्‍दहटणुता्के्दशसन,्प्रतीकवाद्और्धमसशाथत्र्
का्अनु‍ंधान्करना्चादहएI्हमें्यह्भी्उम््
मीद्करना्चादहए्की्दक्षक्षण्एलशया्की्राज्य्प्रणाली्दै तनक्जीवन्
में्दहन्दव
ु ाद,्इथलाम,्ई‍ाइयत,्बौद्धवाद्और्ल‍खमत्धालमसक्‍दहटणुता्का्पाि्‍ीख्‍केगी्(नंदी्;1990)I्
हालााँकक्नंदी्के्अन्य्लेख्“एंिी्‍ेकुलररथि्मैतनफेथिो”्में्भारतीय्‍ेर्क्
युलरवाद्की्आलोचना्प्रथतुत्करते् हैंI्
ष्ज‍में् नंदी् भारतीय् ‍ेर्क्युलरवाद् की् ‍ंरचनात्मक् अवधारणा् का् ववरोध् करते् हैं् ष्ज‍में् नंदी् ‍ेर्क्
यलु रवाद् के्
दोहरे ् ववभाजन् को् दे खते् हैंl् एक् तरफ् तो् धमस् को् राजनीतत् ‍े् अलग् रखने् वाला् होता् है ् जो् पष्श्चमीकृत्
आधुतनकतावादी्ककथ्म्का्है ,्द‍
ू री्तरफ्धमस् का्ववरोध्न्करके्यूरोपीय्केष्न्द्रत्कट्िरता्पर्आधाररत्है I्
नंदी्ने् अपने् घोषणा्पत्र्में् यह्दावा्ककया्है ् कक्भारतीय्‍ेर्क्
युलरवाद्द‍
ू रे ् पक्ष्को्गोड्ककया्है I्ष्ज‍का्
तकस्यह्है ् कक्आज़ादी्के्बाद्राजनीतत्गोलबंदी्का्दायरा्शहरों्तक्ही्‍ीलमत्र्ा्इ‍ललए्‍ेर्क्
युलरवाद्की्
प्रकिया्कामयाबी्‍े् चल्रही्र्ी्लेककन्जै‍े् जै‍े् लोकतांब्रत्रक्‍हभाधगता्का्तनमासण्हुआ्‍ेर्कयल
ु र्की्‍ीमा्
‍ाफ्होने्लगी्इ‍के्पररणामथवरूप्धमस्की्बुराईयााँ्राजनीतत्में्भ्रटिाचार्तर्ा्दहं‍ा्को्‍ीलमत्नहीं्कर्पाईI्
इ‍्आधार्पर्‍ेर्क्युलरवाद्कट्िरपंर्ी्राजनीतत्को्जन्म्ददयाI्(नंदी्:2002)्

नंदी्के्इ‍्लेख्की्‍ब‍े्बड़ी्प्रततकिया्ब्रत्रलोकी्नार््मदन्ने्अपने्लेख्“secualrism्इन्इट्‍्प्ले‍”्
में्प्रथतुत्ककया्है I्(1998:मदन)्र्कयोंकक्मदन्को्धमस्और्‍माजशाथत्र्पर्ववशेष्महारत्हाल‍ल्र्ीI्इ‍्लेख्
में्‍ामान्यताः्मदन्‍ेर्क्युलरवाद्की्‍ीमा्का्वववरण्प्रथतुत्करते्हैंI्ष्ज‍में्इ‍्बात्‍े्ज्यादा्‍चेत्ददखते्
हैं्कक्हमने्‍ेर्क्युलरवाद्या्‍ेकुलरीकरण्को्अपनाने्तर्ा्इ‍े्अपना्कर्इ‍के्मतलब्को्कक‍्प्रकार्नाकाम्
कर्ददया?्र्कयोंकक्मदन्यह्मानते्हैं्कक्दक्षक्षण्एलशया्में्धमस्एक्प्रकार्की्परम्परा्में्तनदहत्रहा्है ्(चंढोक्
:2010)I्इ‍ललए्‍ेर्क्यल
ु रवाद्भारतीय्‍माज्के्ललए्अ‍हज्‍ा्बना्हुआ्है I्ष्ज‍के्‍ंदभस्में्मदन्ने्मख्
ु यत:्
तीन्और्अलग-अलग्तकस्प्रथतुत्ककये्हैं।्पहला्जीवन्के्‍ाझा्ल‍द्धांत्के्रूप्में्‍ेर्क्
युलरवाद्दक्षक्षण्एलशया्
के्ललए्अ‍म्भव्‍ाब्रबत्होता्है ;्द‍
ू रा,्राज्य्द्वारा्कायसवाही्के्आधार्पर्यह्अव्यवाररक्हो्जाता्है ;्ती‍रा,्
यह्भववटय्के्ललए्भी्कोई्कारगर्ववकल्प्प्रथतुत्करने्में्अ‍फल्है I्हालााँकक्मदन्का्यह्तकस्इ‍ललए्भी्
आवश्यक्है ् कक्‍ेर्क्युलरवाद्धालमसक्और्‍ां‍ाररक्में् फकस्करने् में् अ‍फल्है I्भारत्की्ष्थर्तत्यह्है ् कक्
यहााँ्‍ांथकृततक्हालात्उच्च-नीच्वाले्हैंI्इ‍्आधार्पर्धालमसकता्और्‍ेर्क्
युलरवाद्इनके्अलग-अलग्दायरों्
में् वैधता् हाल‍ल् नहीं् कर् ‍कताI् इ‍ललए् प्रोिे थिे ि् इ‍ाईयत् और् ज्ञानोदय् ‍े् जन्मी् यह् ‍ेर्क्
युलरवाद् की्
अवधारणा्भारतीय्में्पनप्पा्रही्नही्है ्(भागसव:1998)।्मदन्ने्अपने्लेख्में्“‍ेर्क्
यलु ेररज््म्एंड्इट्‍्प्ले‍”
में् यह्भी्मान््यता्पेश्की्है ् कक्दक्षक्षण्एलशया्के्मौजूदा्हालात्में् ‍ेर्क्
युलरवाद्के्आधार्पर्कोई्‍ाझा्
मूल्य्या्उ‍ूल्हाल‍ल्नहीं्ककया्जा्‍कताI्यहााँ्तक्की्राज्य्के्द्वारा्अपनाई्गयी्गततववधधयों्का्व्यवहार्
भी्अव्यवहाररक्हो्जाता्है I्इ‍के्पीछे ् मदन्का्तकस्यह् है ् कक्दक्षक्षण्एलशया्ज्यादातर् आबादी्कक‍ी्न्
कक‍ी्धमस् में् ‍किय्होती्है ् या्अनुयायी्की्तरह्दे खते् हैंI्आगे् मदान्यह्कहते् हैं ् कक्‍रकार्चलाने् के्
आधार्के्रूप्में्इ‍की्अव्यवहाररकता्के्दो्कारण्हो्‍कते्हैं्:्पहला्बौद्ध्धमस्और्इथलाम्‍रकारी्धमस्
या्‍रकार्द्वारा्रक्षक्षत्धमस्घोवषत्कर्ददये्हैंI्द‍
ू रा्धालमसक्तिथर्ता्या्‍भी्धमों्‍े्‍मान्दरू ी्रखना्भी्
बहुत्मुष्श्कल्है I्दरअ‍ल्‍ेर्क्युलरवाद्र्ोड़े्‍े्ही्लोगों्का्भारत्में्‍पना्है I्वे्लोग्‍माज्को्अपने्गदित्
अवधारणा्में्‍माज्को्ढालने्का्प्रया‍्करते्हैंI्इ‍का्एक्उदाहरण्मदान,्नेहरु्के्पथ ु तक्“डडथकवरी्आफ्
इंडडया”्का्बह‍्पेश्करते्हैंI्ष्ज‍में्नेहरु्का्ख्याल्यह्र्ा्कक्अलौककक्शष्र्कतयों्द्वारा्‍ब्कुछ्तनयंब्रत्रत्

109
होने्का्ववश्वा‍्‍ामाष्जक्धरातल्पर्गैर-ष्जम्मेदाराना्माहौल्को्तैयार्करे गाI्आधाररत्धचंतन्और्खोजबीन्
की्जगह्भावनाएाँ् और्भावुकता्प्रभावी्हो्जाती्है ् (नेहरु1996;पटृ ्
ि्‍ंख्या्543)।्नेहरु्अपनी्इ‍्पुथतक्में्
बेदहचक्यह्थवीकार्करते् हैं ् कक्धमस् उन्हें ् आकवषसत्नहीं् करताI्र्कयोंकक्धमस् की्बुतनयाद्में् जीवन्को्लेकर्
या्जीवन्की्‍मथयाओं् को्‍ल
ु झाने् का्कोई्बेहतर्प्रारूप्नहीं् है ,्तनष्श्चत्रूप्‍े् ववज्ञान्‍े् इ‍की्तल
ु ना्
नहीं्की्जा्‍कती्(नेहरु1996;्पटृ ्ि्32)।्मदान्की्इ‍्‍मथत्चचास्‍े्यह्तनटकषस्तनकलता्है ्कक्‍ेर्क्युलरवाद्
को्भारतीय्राज्य्ने् मजबूत्आधार्प्रदान्नहीं् ककयाI्यह्भी्उधचत्है ् कक्भारतीय्राज्य्आवश्यक्रूप्‍े्
अपने् आपको्‍ेर्कयुलर्राज्य्घोवषत्ककया्है ् लेककन्भारतीय्‍माज्का्बहुत्बड़ा्दहथ‍ा्धमस् के्रीततररवाजों्
पर्फै‍ले्लेता्है I्(मदान्;1989)्

हालााँकक्अककल्ब्रबलग्रामी्का्मानना्है ्कक्भारतीय्कांग्रे‍्यह्नहीं्कह्पाई्कक्‍ेर्क्
युलरवाद्‍े्उ‍का्
मतलब्र्कया्है ,्ना्ही्नेहरु्जो्‍ेर्क्युलरवाद्की्पररभाषा्बना्रहे ्र्े,्उ‍में ्भी्थपटिता्का्आभाव्र्ाI

इन् ‍ब् बह‍ों् ‍े् हिकर् अमत्यस् ‍ेन् भारतीय् धमसतनरपेक्षता् के् 6् मतभेदों् को् ‍ामने् रखते् हैं —
1.्अनाष्थतत्वावादी्आलोचना्2.्पक्षपातवादी्आलोचना्3.्‍ामुदातयक्पहचान्को्राटरीयता्पर्वरीयता्की्
आलोचना्4.्मुष्थलम्‍मुदायवादी्आलोचना्5.्आधुतनकता्ववरोधी्आलोचना्6.्‍ांथकृततक्ववषमता्आधाररत्
आलोचना;् प्रर्म् आलोचना् में् अमत्यस् ‍ेन् ने् धमसतनरपेक्षता् के् अष्थतत्व् पर् ध्यान् केष्न्द्रत् ककया् है , ् ष्ज‍में ्
उनका् मानना् है ् कक् भारतीय् ‍ेर्क्युलरवाद् पाश्चात्य् धचंतन् पर् अपनी् छाप् छोड़ने् में् अ‍फल् रही् है ् र्कयोंकक्
ववदे शी्‍ंवाददाता्और्पत्रकार्भारत्में् धमस् ‍ेर्क्युलरवाद्को्दे ख्नहीं् पाते् वह्यही्तुलना्करते् रह्जाते् हैं्
कक्दहन्द्ू भारत,्मुष्थलम्पाककथतानI्इ‍के्बीच्ही्‍ेर्क्
युलरवाद्की्मुल्बह‍्पीछे ् रह्जाती्है I्यहााँ् मूलरूप्
‍े्अमत्यस्‍ेन्ने्दो्बातों्पर्ववशेष्ध््यान्ददया्है I्एक्तो्यह्भारत्के्‍ेर्क्
युलरवादी्यह्दावा्करते् हैं् कक्
दहन्दओ
ु ्ं को्म‍
ु लमानों्‍े्ज्यादा्अधधकार्ददए्गयेI्यह्तकस्भारतीय्‍ेर्क्
यलु रवाद्को्अच्छी्तरह्पालन्करने्
का्आग्रह्भी्करता्है I्लेककन्इनके्बीच्खा‍्बात्यह्है ्की्यह्‍ेर्क्
युलरवाद्के्थवरूप्को्नकारता्नहीं्है I्
द‍
ू री्अष्थतत्ववादी्आलोचना्का्मानना्है ्कक्भारतीय्‍ेर्क्
युलरवाद्के्‍ही्थवरूप्का्तनधासरण्नहीं्हो्पाया्
युलरवाद्को् ‍वसधमस‍मभाव्के्रूप्में्पररभावषत्ककया्
है I्र्कयोंकक्यह्भी्पाया्गया्है ् कक्भारत्ने्ष्ज‍्‍ेर्क्
है ्उ‍में्“‍म््
भाव”्के्अर्स्को्ही्‍मझने्की्आवश्कता्है I्जहााँ्राजनीततक्और्वैधातनक्थतरों्पर्‍भी्धमो्
के्बीच्‍म््
भाव्का्ववचार्थवीकृत्हो्जाने् पर्भी्उ‍्‍म््
भाव्के्ववलशटि्थवरूप्के्तनधासरण्का्प्रश्न्और्
उ‍्‍म्भाववत्के्प्रभाव्क्षेत्र्के्तनधासरण्का्प्रश््
न्तो्बच्ही्जाता्है I्यह्तो्चुनने् की्भी्‍मथया्है ;्जै‍्े
धमसतनरपेक्षता्कानून्को्लेंI्जहााँ्‍मभाव्के्दो्थवरूप्थपटि्हैं;्एक्तरफ्तो्कानून्को्‍भी्धमों्पर्‍मान्
रूप्‍े्लाग्ू ककया्जाये्या्कफर्द‍
ू रा्थवरूप्कक‍ी्भी्धमस्पर्लागू्नहीं्ककया्जायेI्अब्इ‍‍े्यदद्‍रकार्
के्धालमसक्मामलों्में् भूलमका्का्अंदाजा्लगाया्जाये् तो्बातें् तनकल्कर्‍ामने् आयेंगीI्पहला्मत्‍रकार्
द्वारा्कक‍ी्ववशेष्धमस्का्पक्ष्न्लेने्का्पररचायक्है ्द‍
ू रा्धालमसक्मामलों्में्अलग्रहने्का्पररचायक्है I्
भारत्जै‍े्दे श्में्कक‍ी्भी्धमसमानना्अधधतनयम्को्कक‍ी्भी्आयाम्में्‍वस‍हमतत्दे ना्मुष्श्कल्है I्द‍
ू री्
पक्षपाती् आलोचना् इ‍् आलोचना् का् मूल् दावा् है ् कक् भारत् के् ‍ंववधान,् राजनीतत् और् कानून् परम्परा् में्
‍ेर्क्
युलरवाद्के्आडम्बर्में्अल्प‍ंख्यक्मुष्थलम्‍मुदाय्के्प्रतत्पक्षपात्की्नीतत्चल्रही्है I्इन्आलोचकों्
का् मानना् है् कक् यह् मुष्थलम् ‍मुदायों् को् ववशेष् तरजी् दे ता् है I् इ‍् आलोचना् के् माध्यम् ‍े् अमत्यस् ‍ेन्
‍ेर्क्
यलु रवाद्के्मल्
ू य्‍मानता्पर्ही्भारत्के्बीच्मतभेदों्को्रखते्हैंI्ष्ज‍में् डॉ.्अम्बेडकर्के्एक्वार्कय्
का् उदाहरण् प्रथतत
ु ् करते् हैं ् कक् भारतीय् ‍ंववधान् ‍भा् ने् तर्ा् तनमासता् ने् मूलभुत् कानूनों् ष्ज‍में् दीवानी्
फौजदारी्कानून्को्‍बके्ललए्बराबर्रूप्‍े् लाग्ू करने् की्बात्उिी्र्ी्ष्ज‍े् अम्बेडकर्भारतीय्एकता्के्
ललए्जरूरी्मानते्र्ेI्अंतताः्जो्‍ंववधान्बना्उ‍में् इ‍्प्रकार्की्‍मानता्का्‍मावेश्नहीं् हो्पायाI्इ‍में्

110
यह्नहीं्है ्कक्भारतीय्‍ंववधान्‍भी्लोगों्के्ललए्‍मान्नागररकता्कानून्के्लागू्होने्के्ललए्‍दै व्प्रया‍्
करता्रहाI्लेककन्यह्मामला्न्यायालय्भी्बहुत्मौके्पर्कोलशश्करता्रहा्है I्लेककन्राजनीततक्दलों्ने्
इ‍े्वोि्की्राजनीतत्का्आधार्बनाकर्एक्प्रकार्की्राजनीतत्को्जन्म्दे ्ददया्है I्ष्ज‍े्पक्षपातीय्राजनीतत्
भी्खा्जाती्है I्इ‍्मामले्के्ललए्आवश्यक्यह्है ्कक्ववलभन्न्धालमसक्‍मद
ु ायों्की्थवायत्ता्ववलभन्न्भारतीय्
‍मुदायों्के्बीच्‍मता्की्उ‍्ववचारों्पर्भी्दया्रखी्जाये्जो्नागररकों्का्गैर्धालमसक्‍ांप्रदातयक्वगीकरण्
करने् का् आधार् बना् ‍कते् हैंI् ती‍री् आलोचना् को् प्रारं भ् करने् ‍े् पूव्स ‍ेन् की् उ‍् कर्न् की् प्रा‍ंधगकता्
आवश्यक्है ्की्भारत्की्रचना्पर्
ृ क्पहचानों्का्‍ष्म्मललत्रूप्है I्यह्आक्षेप्इन्दोनों्की्तुलना्में्अधधक्
बौद्धधकतापूण्स है I्इ‍में्कक‍ी्व्यष्र्कत्की्एक्पहचान्राजनीततक्रूप्‍े्वरीयतापूण्स दी्जाती्है I्ष्ज‍में्दहन्द,ू ्
मष्ु थलम्या्इ‍ाई्के्रूप्में्एक्व्यष्र्कत्की्पहचान्शालमल्है I्इ‍्अवधारणा्के्दो्पहल्
ू हैं्जो्अ‍ंतोष्पैदा्
करते्हैंI्ष्ज‍में्एक्पक्ष्यह्दावा्करता्है ्कक्भारत्में्दहन्दओ
ु ं् को्बहुमत्है ,्उ‍ी्कारण्भारत्में्दहन्दओ
ु ं्
का्प्रबल्बहुमत्है ्ष्ज‍के्पररणामथवरूप्भारत्की्राटरीय्पहचान्का्कोई्न्कोई्थवरूप्दहन्द्ू है I्द‍ ू रा्पक्ष्
राटरवाद् की् क‍ौिी् का् है ् जो् एक् ‍मरूप् ताकता् ‍वसव्यापी् पहचान् पर् ही् आग्रह् चाहता् है I् हालााँकक् यह्
ध्यानपूवक
स ्‍मझना्होगा्कक्भारत्का्पररदृश्य्‍लाद्की्तथतरी्के्‍मान्है I्इ‍्‍ंदभस्में्भारतीय्थवतंत्रता्
आन्दोलन्के्नेता्के्धालमसक्और्‍ेर्कयल
ु र्पररदृश्य्को्याद्करना्आवश्यक्हो्जाता्है I्जै‍ा्कक्पाककथतान्
का्‍मर्सन्करने् वाले् तर्ा्द्ववराट्र्की्अवधारणा्को्प्रथतुत्करने् वाले् ष्जन्ना्यदद्पाककथतान्को्इथलाम्
की्एक्पहचान्के्रूप्में्दे खते्र्े,्लेककन्उन्हें ्धमस्परायण्मु‍लमान्कहना्मुष्श्कल्है ,्र्कयोंकक्भारत्में्भी्
मौलाना्आज़ाद्जै‍े्प्रतततनधध्र्े्जो्धमसतनटि्मु‍लमान्र्ेI्इ‍ी्प्रकार्श्यामा्प्र‍ाद्मुख़जी्के्जीवन्में्भी्
दहन्द्ू धमस्को्लेकर्व्यष्र्कतगत्तनटिा्र्ीI्लेककन्राजनीततक्गोलबंदी्ने्धमस्और्राजनीतत्में्एक्ऐ‍ा्अजीब्
तरह्का्दहं‍ात्मक्‍ंबंध्थर्ावपत्ककया्है ्कक्राटरीयता्को्राटरराज्य्की्अवधारणा्में्‍मेककत्करने्की्भल
ू ्
कर्जाते्हैंI्इ‍ी्कारण्‍े्ववलभन्न्धालमसक्‍मुदायों्व्अन्य्‍ामाष्जक्ववभाजनों्में्राजनीततक्एकता्प्रदान्
करने्में्‍मथया्आने्लगती्है ्(‍ेन;2005)I्ष्ज‍‍े्‍ेर्क्
युलरवाद्अपने्पूरे्ववश्वा‍्को्हाल‍ल्करने्में्अ‍फल्
रह्जाता्है I्चौर्ी्आलोचना्में्‍ेन्का्मानना्है ्की्मुष्थलम्‍मूहों्के्प्रतत्एक्प्रकार्का्अलगाव्और्इ‍्
अलगाव्को्इततहा‍्का्‍हारा्लेकर्उन्हें ्दहन्द्ू के्णखलाफ्‍मझना्इततहा‍्का्गलत्प्रयोग्है I्र्कयोंकक्अकबर्
जै‍े्राजाओं्ने्अपने्शा‍न्काल्में ्‍भी्धमों्को्या्‍भी्प्रकार्के्‍मह
ू ों्‍े्जड़
ु ी्‍मथयों,्या्उनकी्प्रगतत्
पर्बह‍्का्प्रचालन्बहुत्पहले् ‍े् ही्प्रारं भ्ककया्र्ाI्तब्शायद्‍ेर्कयुलर्जै‍ी्अवधारणा्नहीं् र्ी्लेककन्
इ‍के् मूल्यों् में् ‍ब‍े् पहले् शालमल् होने् वाली् ‍दहटणुता् अवश्य् शालमल् र्ी् I(2005;‍ेन)् लेककन् भारत् में्
थवीकार्की्गयी्‍ेर्क्युलरवाद्की्अवधारणा्ने् इ‍े्कभी्भी्अपने्ववश्लेषण्का्आधार्नहीं् बनायाI्यहााँ्‍ेन्
एक्इततहा‍कार्की्भााँतत्अपने्ववचारों्को्रखते् हैं् ष्ज‍में् उनका्मानना्है ्की्हमें ् ‍ेर्क्
युलरवाद्के्उ‍्पक्ष्
‍े्बचना्होगा्ष्ज‍में्म‍
ु लमान्और्दहन्द्ू के्बीच्दोषारोपण्का्अतीत्खींचा्गया्है I्यहााँ्‍ेन्यह्कहते्हैं्
कक्भारत्की्‍ेर्क्युलरवाद्का्तालुकात्इ‍्बात्‍े्नहीं्हो्‍कता्कक्मु‍लमानों्ने्र्कया्ककया?्और्र्कया्नहीं्
ककया,्उन्मु‍लमान्शा‍कों्के्दोषों्को्आज्के्140्लमललयन्मु‍लमानों्पर्नहीं्आरोवपत्कर्‍कतेI्यहीं्
नहीं् ‍ददयों् पूव्स कक‍ी् मु‍लमान् राजा् की् हरकतों् के् आधार् पर् आज् के् भारत् के् मु‍लमान् की् राजनीतत्
तनटिा्पर्प्रश्न्नहीं्उिाया्जा्‍कताI्पाचवीं्आलोचना्में्‍ेर्क्
युलरवाद्की्आधुतनक्ववरोधी्आलोचना्पर्गौर्
ककया्जायेगाI्यहााँ्‍ेन्आशीष्नंदी्के्कर्न्का्‍हारा्लेते्हुए्अपने्ववश्लेषण्का्प्रारं भ्करते्हैं,्जहााँ्नंदी्
का्मानना्है ् कक्भारत्जै‍-े जै‍े् आधुतनक्हो्रहा्है ् वै‍े-वै‍े् ‍ांप्रदातयक्दहं‍ा्भी्अधधक्हो्रही्है I्नंदी्की्
अवधारणा्के्मूल्थ्तभ
ं ्‍म्प्रदाय्तनरपेक्षता्‍े् ही्आधुतनकता्के्ववश्लेषण्‍े् अपना्काम्चला्लेना्चाहें गIे ्
नंदी्ने् अपने् तकस्को्बहुत्‍शर्कत्अलभव्यष्र्कत्दी्है ;्‍म्प्रदाय्तनरपेक्षता्की्ववचारधारा्को्थवीकार्करना्
वचसथववाद्का्नया्तकासधार्है ्जो्ववचारधारा्को्नयी्अफीम्के्रूप्में्प्रथतुत्करता्है I्हालााँकक्‍ेन्नंदी्की्

111
इ‍्अवधारणा्‍े् ‍हमत्नहीं् है ् उनका्मानना्है ् की्हमें ् आधुतनकता्की्आलोचना्नहीं् करनी्चादहए्बष्ल्क्
यह्कोलशश्करनी्होगी्कक्आधुतनकता्कक‍्प्रकार्‍े्भारत्में्‍ेर्क्
युलरवाद्‍े्‍ामंजथय्बैिा्‍कती्है I्अंत्
में् ‍ेन्ने् ‍ांथकृततक्आधाररत्आलोचना्को्पेश्ककया्है ,्ष्ज‍में् यह्ददखने् की्ववशेष्कोलशश्करते् हैं् कक्
भारत्कक‍् प्रकार् अपनी् ववववधता् के् आलावा् भी् ‍ेर्क्
युलरवाद् का् बेहतर्ववकल्प् बन् ‍कता् है I् ष्ज‍में् वह्
पाककथतान्तर्ा्ब्रििे न्का्उदाहरण्भी्प्रथतुत्करते्हैंI्जहााँ्उनका्मानना्है ्कक्पाककथतान्जै‍े्दे श्में्इथलाम्
के्णखलाफ्बोलना्अपराध्माना्जाता्है ,्ब्रििे न्में्भी्इ‍ाई्के्णखलाफ्बोलना्अपराध्मना्जाता्है I्लेककन्
भारत्का्पररदृश्य्अलग्है ,्यहााँ् कक‍ी्भी्धमस् के्णखलाफ्या्कक‍ी्भी्धमस् ‍े् अ‍ंतोष्रखा्जा्‍कता्है ्
(‍ेन;2005)I्

भारतीय िंववधान तथा िेर्कयल


ु र राज्य

इ‍्शीषसक्का्ववश्लेषण्भारतीय्‍ंववधान्के्इ‍्महत्त्वपण
ू ्स ‍ं‍ोधन्‍े् प्रारम्भ्करते् हैं् जो्1976्में्
42्‍ंशोधन्नाम्‍े् जाना्जाता्है I्‍ंववधान्की्प्रथतावना्में् धमसतनरपेक्ष्या्पंर्तनरपेक्ष्को्जोड़कर्एक्नये्
रूप्‍े्‍ेर्कयुलर्राज्य्की्घोषणा्की्गई।्इ‍के्पहले्भी्भारत्के्‍ंववधान्में्अंककत्अनुच्छे द्‍े्यह्प्रमाणणत्
होता्रहा्है ् कक्भारत्एक्‍ेर्कयुलर्राज्य्है I्ष्ज‍का्अलभप्राय्यह्है ् कक्राज्य्कक‍ी्धमस् को्थर्ावपत्नहीं्
करता्है ,्तर्ा्राज्य्के्द्वारा्ददए्जाने्वाली्हकदारी्के्‍ंदभस्में्धमस्के्नाम्पर्कक‍ी्भी्तरह्का्भेदभाव्
नहीं्ककया्जाएगा,्लशक्षा्जगत्में्भी्कक‍ी्तरह्का्भेदभाव्नहीं्ककया्जायेगाI्ब्रबना्कक‍ी्भेदभाव्के्धालमसक्
आज़ादी् I् भारतीय् ‍ववधान् द्वारा् ष्ज‍् राज्य् का् तनमासण् ककया् गया् है ् उ‍में ् ‍ेर्कयुलर् राज्य् की् ववशेषता्
ववद्यमान्है I्जहााँ्आदिस कल्25,्27,्28्धालमसक्थवतंत्रता्की्गारं िी्दे ते्है I््््

इ‍ी्िम्में् 14,15(1),29(2)‍्‍मान्नागररकता्की्गारं िी्दे ते् हैंI्अनुछेद्14्का्मानना्है ् की्धमस्


मूलवंश्जातत,्ललंग्या्जन्मथर्ान्के्आधार्पर्ववभेद्का्प्रततषेध्करे ,्अनुछेद्(29)्यह्घोषणा्करता्है ्कक्
कक‍ी्भी्नागररक्को्राज्य्द्वारा्‍ंचाललत्‍ंथर्ानों्में्ल‍फस्धमस,्नथ्
ल्आदद्के्आधार्पर्नामांकन्दे ने्‍े्
इंकार्नहीं्ककया्जा्‍कताI्

हालााँकक्राजीव्भागसव्भारतीय्‍ेर्क्युलरवाद्तर्ा्भारतीय्‍ंववधान्के्इ‍्अनुछेद्की्कुछ्ववशेषता्को्
प्रथतुत्करते् हैंI्ष्ज‍में् भारतीय्‍ेर्क्युलरवाद्व्यष्र्कतयों्की्धालमसक्और्गैर-धालमसक्थवतंत्रता्और्‍मानता्‍े्
जड़
ु ा्हुआ्है I्द‍
ू रा्यह्‍ामद
ु ातयक्अधधकारों्को्भी्थवीकार्करता्है I्र्कयोंकक्इ‍्‍ेर्क्
युलरवाद्का्जन्म्ऐ‍े्
‍माज्में् हुआ्है ् जो्बहु-धालमसक्है I्इ‍ललए्यह्धमस् के्भीतर्प्रभुत्व्के्‍ार्-‍ार््धमों्के्बीच्प्रभुत्व्पर्
दया्दे ता्है I्इ‍के्ललए्भारतीय्‍ंववधान्में्‍ंकल्पनात्मक्थपे‍्मौजूद्है I्ती‍रा्‍ैद्धांततक्दरू ी्के्ववचार्के्
प्रतत्वचनबद्ध्है ् जो्एक्पक्षीय्बदहटकार,्पारम्पररक्बदहटकार्और्किोर्तिथर्ता्‍मान्दरू ी्‍े् पूरी्तरह्
अलग्ववचार्है I्(राजीव्भागसव;2011)्

आलोचनात्मक तनटकषश

इन्‍मथत्ववश्लेषण्‍े् यह्आवश्यक्है ् कक्‍ेर्क्


युलरवाद्को्‍मझने् के्ललए्दोषारोपण्तर्ा्पष्श्चमी्
परम्परा्पर्आधाररत्अवधारणा्के्मागस् को्नजर्अंदाज्करते् हुए्यह्आवश्यक्है ् कक्भारतीय्‍माज्कक‍्
प्रकार्के्‍ेर्क्
युलरवाद्मॉडल्को्अपनाने्के्ललए्तैयार्है I्जै‍ा्कक्जावेद्आलम्का्मानना्है ्कक्पारम्पररक्
‍माज्ष्ज‍्मल्
ू य्या्वववाद्का्ष्ज‍्आधार्पर्तनपिारा्करता्है ्वह्आधुतनक्में्पूण्स नहीं्है I्इ‍ललए्नवीन्
प्रणाली्की्जरूरत्पड़ेगी,्ष्ज‍में्‍मानता्और्लोकतांब्रत्रक्‍ेर्कयल
ु र्की्आवश्यकता्पण
ू स्हो्‍केI

112
ववचार ववमर्श

❖ र्कया्भारत्एक्‍ेर्कयुलर्राज्य्है ?
❖ भारतीय्‍ेर्क्युलरवाद्को्लेकर्‍ैद्धांततक्ववमशस्र्कया्है ?्
❖ भारतीय्‍ेर्क्युलरवाद्तर्ा्आधुतनकता्के्बीच्कक‍्प्रकार्का्‍म्बंध्है ?
❖ ‍ंवैधातनक्‍ेर्क्युलरवाद्की्ववशेषता्र्कया्है ,्यह्कक‍्प्रकार्‍े्पष्श्चम्‍े्लभन्न्है ?
❖ र्कया्भारत्में्‘धमस्एक्आथर्ा्‍े्ज्यादा्ववचार्बन्गया्है ’्र्कया्आप्इ‍्कर्न्‍े्‍हमत्हैं,्आलोचनात्मक्
ववश्लेषण्करें ?्
््

िंदभश िच
ू ी
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contemporary india new2 delhi;sage pubalication.

113
पाि्2

िाम्प्रदातयकता पर ववचार-ववमर्श
कंु वर्प्रांजल्ल‍ंह

➢ प्रथतावना
➢ उपतनवेशवाद्और्‍ाम्प्रदातयकता
➢ ‍ाम्प्रदातयकता,्ववचारधारा्तर्ा्‍मुदायवाद:्‍ैद्धाष्न्तक्बह‍
➢ ‍ाम्पदातयकता्और्भारतीय्लोकतंत्र
➢ तनटकषस
➢ प्रश्न्‍ूची
➢ ‍न्दभस्‍च
ू ी

प्रस्तावना

भारतीय्राजनीतत्में्धमस्और्राजनीतत्के्‍ंबंध्को्ववश्लेवषत्करने्वाली्दो्ववचारधारा्हैं्जो्भारतीय्
राजनीतत् में् एक् प्रमुख् ववमशस् के् तौर् पर् तनरं तरता् भी् रखती् है l् ष्ज‍में् प्रर्म,् पंर्तनरपेक्ष् या् ‍ेर्क्
युलरवाद्
द‍
ू री्‍ाम्प्रदातयकता, जहााँ्पंर्तनरपेक्षता्पररभावषत्तौर्पर्धमस्और्राजनीतत्में्पथ्
ृ यकता्की्दीवार्पररभावषत्
करती् है ।् हालााँकक् भारत् में ् इ‍् अवधारणा् को् पूणत
स ाः् नहीं् अपनाया् गया् है ।् भारत् की् पंर्तनरपेक्षता्
‘‘‍वसधमस‍म्भाव’’ के्रूप्में्थवीकार्की्गयी्है ।्वहीं्द‍
ू री्ववचारधारा्धमस्और्राजनीतत्को्लमलाने्की्पैरोकारी्
करती्है ।्ष्ज‍का्व्यवहाररक्पक्ष्यह्है ्की्लोकतांब्रत्रक्राजनीततक्प्रकिया्की्उपेक्षा्करके्जब्राज्य्प्रौद्योधगक्
ववका‍्और्प्रबंधकीय्शैली्के्दम्पर्राटर्तनमासण्बनाने्की्कोलशश्करता्है ्तो्उ‍के्केन्द्र्में्बहुलतावाद्
की्उपेक्षा्और्‍मरूपीकरण्का्आग्रह्तनकलता्है ।्ष्ज‍का्पररणाम्यह्होता्है ्कक्राज्य्ववववधता्को्खब
ू ी्
मानने् के् बजाय् उ‍े् कमजोरी् ‍मझने् लगता् है ।् ष्ज‍‍े् बहु‍ंख्यकवाद् जै‍ी् अवधारणा् जन्म् लेती् है , जो्
‍ाम्प्रदातयक्आधाररत्राजनीतत्को्परवान्चढ़ा्दे ती्है ।्ये्तमाम्पररघिनाएाँ्एक्प्रकार्की्आशंका्पैदा्करती्
हैं् जो्लोकतंत्र, धमसतनरपेक्षता्तर्ा्पंर्तनरपेक्षता्के्दावे् करने् वाले् ‘‘राज्य’’ पर्एक्बार्पुनाः्ववचार्करने् के्
ललए्प्रेररत्करती्है ।्प्रथतुत्इ‍्लेख्में्इन्पररघिनाओं्का्ववश्लेषण्तीन्भागों्में्मल
ू रूप्‍े्ककया्जायेगा।्
प्रर्म्भाग्में्‍ाम्प्रदातयक्तर्ा्भारतीय्राजनीतत्में्इ‍के्उभार्तर्ा्आधतु नक्ऐततहाल‍क्कारक्कक‍्प्रकार्
‍े्इ‍्अवधारणा्के्प्रतत्उत्तरदायी्रहे ्हैं?्द‍
ू रे ्भाग्में्‍ैद्धांततक्बह‍्के्माध्यम्‍े्उ‍्तथ्य्की्लशनाख्त्
की्जायेगी, ‍ाम्प्रदातयक्भारतीय्राजनीतत्के्ललए्प्रा‍ंधगक्तर्ा्अप्रा‍ंधगक्माहौल्को्तय्करती्है ? ती‍रे ्
और्अंततम्भाग्में् ‍ाम्प्रदातयकता्कक‍्प्रकार्‍े् भारतीय्राजनीतत्के्प्रतत्चुनौतीपूण्स माहौल्को्इख्तयार्
करती्है ।

उपतनवेर्वाद तथा िाम्प्रदातयकता

अंग्रेजों्के्भारत्में् आने् और्धीरे -धीरे ् अपनी्वचसथवता्को्बनाना्तर्ा्अपनी्‍रकार्को्कायम्करने्


के्ललए्भारत्की्ववववधता्को्लभन्नता्में् पररवततसत्करना्आवश्यक्‍मझा।्हालााँकक्इ‍े् पहले् जब्अंग्रेजी्

114
‍रकार्की्प्रभुत्वशीलता्में्धीमापन्र्ा, उ‍्‍मय्दहन्द्ू और्मु‍लमानों्में्कुल्लमलाकर्कोई्आप‍ी्कड़वाहि्
या्वैर-भाव्नहीं्र्ा।्यद्यवप्दोनों्धमो्में्ऐ‍ी्कुछ्प्रवतृ तयााँ्र्ी, जो्एक्द‍
ू रे ्के्ललए्‍दहटणुता्पर्आधाररत्
र्ीं।्वहीं् ‍माज्का्ववभाजन्वगों्के्आधार्पर्र्ा।्धनी्र्े, गरीब्र्े, लशक्षक्षत्र्े् और्अनपढ़्र्े् शा‍क्र्े,
प्रजा्र्ी।्इन्दोनों्गि
ु ों्में्दहन्द्ू र्े्म‍
ु लमान्र्े।्मग
ु लकाल्में्भी्ऐ‍ा्ही्र्ा।्जै‍ा्कक् 1857्के्ववद्रोह्में्
दहन्द्ू और्मु‍लमान्ने् एकजुिता्के्‍ार््ववदे शी्‍रकार्‍े् युद्ध्ककया।्ष्ज‍े् आज्दहन्द-ु मुष्थलम्एकता्के्
रूप्में्याद्ककया्जाता्है l्(चन्द्रााः्1972)

कफर् भी् राटरीय् आन्दोलन् के् जन्म् के् बाद् अंग्रेजी् दृष्टिकोण् में् पररवतसन् आयाl् यह् पररवतसन् एक्
प्रकार्की्शा‍न्व्यवथर्ा्को्थर्ावपत्करने्की्राजनीतत्‍े्प्रेररत्र्ा।्ष्ज‍में् अंग्रेजी्शा‍न्की्मल
ू ्‍मथया्
यह्र्ी्कक्राटरीय्आन्दोलन्के्प्रचार्और्प्र‍ार्के्‍ार््एक्खतरा्पैदा्हुआ्कक्यदद्जनता्‍ंगदित्होगी्
तो्‍ाम्राज्य्के्‍ामने् एक्भयंकर्‍मथया्उपष्थर्त्हो्जायेगी।्ष्ज‍के्पररणाम्में् इ‍्‍ंगदित्जनता्को्
बहुत्ददनों्तक्गुलामी्की्जंजीरों्में्जकड़ा्नहीं्जा्‍कता।्इ‍के्एवज्में्दमन्और्तनयंत्रण्के्‍ख्त्कदमों्
के्अततररर्कत, अंग्रेजों्ने्कोलशश्की्कक्अगर्‍ंभव्हो्तो्राटरीयता्के्ज्वार्को्पूरे्तौर्पर्‍ुखा्ददया्जाये।्
रणनीततक्तौर्पर्यह्तनणसय्ललया्कक्जनता्को्अ‍ंगदित्ककया्जाय, उन्हें ्आप‍्में्‍मझने्और्प्रततथपधास्
करने, इ‍्प्रततथपधास् में् एक्‍मद
ु ाय्के्प्रतत्द‍
ू रे ् ‍मद
ु ाय्के्बीच्द्वेष्की्भावना्का्तनमासण्हो्‍के।्तर्ा्
ववलभन्न्धमों्के्नाम्पर्लोगों्को्बांिने्और्भारतीय्राजनीतत्में्‍ाम्प्रदातयक्प्रववृ त्तयों्को्प्रोत्‍ाहन्दे ने्का्
तनणसय्ककया।्उन्होंने्मु‍लमान्अल्प‍ंख्यकों्का्पश्वीकार्होने्का्दावा्भी्प्रथतुत्करने्लगे, ‍ार््ही्जमींदारों्
भू-थवालमयों्और्मध्यवगस् को्अपने् पक्ष्में् लाने् की्कोलशश्प्रारम्भ्की।्अदालत्में् दहन्दी्के्थर्ान्पर्उदस्ू
लाने् के् आंदोलन् में् मदद् दे कर् उन्होंने् उत्तर् प्रदे श् और् ब्रबहार् के् दहन्द्ू मु‍लमानों् के् बीच् ‍ामाष्जक् और्
‍ाम्प्रदातयक् कड़वाहि् को् जन्म् ददया।् इ‍का् पररणाम् यह् हुआ् कक् भारतीय् ‍माज् खण्ड-खण्ड् बंिने् लगा,
ष्ज‍में्जातत, धमस, पहचान्मूल्रूप्‍े्शालमल्र्ी, द‍
ू री्तरफ्अंग्रेजी्हुकूमत्और्मजबूत्होती्है ।्(चन्द्रााः1972)

यद्यवप्इ‍का्पररणाम्यह्हुआ्कक्वाथतववक्‍मथयाओं् को्‍ाम्प्रदातयक्‍मथयाओं् के्रूप्में् पेश्


करने् लगे।्‍ाम्प्रदातयक्प्रचार्के्प्रभाव्में् आकर्लोग्अपने् शोषण्अत्याचार्और्पीड़ा्के्वाथतववक् थ्
त्रोत्
को्पहचानने् में् अ‍मर्स् हो्जाते् हैं् और्उनके्एक्छद्म्‍ाम्प्रदातयक्कारक्की्कल्पना्कर्लेते् हैं।्(चन्द्रा:्
1990) यह्वाथतववकता्भारतीय्उपतनवेशवादी्इततहा‍्की्प्रा‍ंधगकता्में् ‍म््प्रदायवाद्की्भलू मका्को्दशासता्
है ।्जै‍े् पूवी्बंगाल्और्मलाबार्में् काश्तकारों्और्जमींदारों्तर्ा्पंजाब्में ् कक‍ानों-दे नदारों्और्व्यापाररयों,
‍ाहूकारों्के्‍ंघषस्को्दहन्द्ू म‍
ु लमान्‍ंघषस्के्रूप्में्धचब्रत्रत्ककया्गया।्इ‍्‍ंघषस्को्‍ाम्प्रदातयक्बना्ददया्
गया।

ऐततहाल‍क् रूप् ‍े् वववपन् चन्द्रा् का् यह् प्रश्न् अतत्आवश्यक् हो् जाता् है ् कक् वे् कौन् ‍े् तरीके् र्े ,
ष्जनके् जररये् ब्रिदिश् हुकूमत् ने् भारत् में् ‍ाम्प्रदातयकता् को् पाला-पो‍ा? यह् प्रश्न् वतसमान् में् भी् अपनी्
प्रा‍ंधगकता्को्बनाये्हुए्है ्ब‍्इ‍की्शब्दावली्में्यदद्र्ोड़ा्पररवतसन्कर्ददया्जाय्कक्ऐ‍ी्र्कया्ऐततहाल‍क्
खालमयां् हैं् कक्भारत्में् आज्भी्‍ाम्प्रदातयक्दं गा्राजनीतत्का्मुख्य्उत्पाद्बना्हुआ्है ? वववपन्चन्द्रा्ने्
अपने्प्रश्न्के्छाः्कारक्बताये्हैं।्प्रर्म,्कारक्(उपतनवेशवाद)्दहन्दओ
ु ं, मु‍लमानों्और्ल‍खों्को्लगातार्ऐ‍े्
अलग-अलग्‍मुदायों्का्दजास् ददया, ष्जनकी्‍ामाष्जक्राजनीततक्पहचान्में् कुछ्भी्‍ाझा्नहीं् र्ा।्बताया्
गया्कक्भारत्न्तो्एक्राटर्है , न्ही्राटर्के्रूप्में् उ‍का्ववका‍्हुआ्है , न्ही्वह्ववलभन्न्जाततयों्का्
‍मुच्चय्है ।्बष्ल्क्उ‍का्गिन्तो्धमस् के्आधार्पर्हुआ्है , ष्जनके्दहत्आप‍्में्िकराते् हैं।्द‍
ू रा्कारक्
‍ाम्प्रदातयकतावाददयों्को्‍रकारी्‍ंरक्षण्और्ररया‍तें ् दी्गई।्ष्ज‍में् उच्च्वगस् ववशेष्रूप्‍े् शालमल् र्ा।्
ती‍रा्कारक,्‍ाम्प्रदातयक्पत्रों, व्यष्र्कतयों्और्आंदोलनों्के्प्रतत्अ‍ाधरण्‍दहटणुता्ददखाई्गयी।्चौर्ा्कारक,्

115
‍ाम्प्रदातयक् मााँगों् को् तुरंत् थवीकार् कर् ललया् जाता् र्ा् और् इ‍् तरह् ‍ांप्रदातयक् ‍ंगिनों् को् राजनीततक्
मजबूती्दी्जाती्र्ी्तर्ा्लोगों्पर्उनकी्पकड़्बनी्रहती्र्ी।्उदाहरण्के्ललए्1885्‍े् 1905्तक्कांग्र‍
े ्
अपनी्एक्भी्मााँग्मंजूर्नहीं्करा्‍की्जबकक्मुष्थलम्लीग्ने्1906्में्वाय‍राय्के्‍मझ्अपनी्‍ाम्प्रदातयक्
मााँगे्रखी।्उन्हें ्‍ामान्य्मान्ललया्जाता्र्ा।्इ‍ी्तरफ्1923्में्अंग्रेजी्ने्ष्ज‍े्‘‘कम्यन
ू ल्अवाडस’’ कहा्जाता्
है ्उ‍के्माध्यम्‍े्उ‍की्तमाम्मुख्य्मााँग्े मंजूर्कर्ली।्पााँचवा्कारक्ब्रिदिश्‍रकार्‍ाम्प्रदातयक्‍ंगिनों्
और्नेताओं्को्उनके्तर्ाकधर्त्‍मुदायों्के्प्रमाणणक्प्रवर्कता्के्रूप्में्तत्काल्थवीकार्कर्लेती्र्ी, जबकक्
राटरवादी्नेताओं्को्एक्छोिे ्‍े्वगस्या्ववलशटि्वगस्का्प्रतततनधध्माना्जाता्र्ा।्अताः्मु‍लमानों्को्‍रकार्
के्प्रतत्वफादार्रहना्चादहए।्‍ैयद्के्अनु‍ार्भारत्एक्राटर्नहीं।्उनके्अनु‍ार्कांग्रे‍्एक्दहन्द्ू ‍ंथर्ा्
है , ष्ज‍के्उद्दे श्य्‘‘म‍
ु लमान्दहतों्के्ववरूद्ध’’ है ।्(चन्द्रााः्1990)

इन्‍भी्चचास् की्लकीर्में्एक्लकीर्और्भी्‍ामने् आती्है ् कक्भारत्में् ‍ाम्प्रदातयकता्के्ववका‍्


का् मुख्य् कारण् यहााँ् कई् धमों् का् ‍मथत् अष्थतत्व् र्ा।् लेककन् वववपन् चन्द्रा, आददत्य् मुखजी् तर्ा् मद
ृ ल
ु ा्
मुखजी्तर्ा्‍ुचेता्महाजन्ने्इ‍े्अवाथतववक्करार्ददया्है ।्इनका्मानना्है ्कक्भारत्में्‍ाम्प्रदातयकता्के्
ववका‍्में्धमस्की्कोई्खा‍्भूलमका्नहीं्र्ी।्धमस्को्पररभावषत्करते्हुए्इन्इततहा‍कारों्का्मानना्है ्कक्
धमस्के्दो्रूप्है , एक्रूप्में ्तनटिा्है , वह्पद्धतत्ष्जनके्अन‍
ु ार्व्यष्र्कत्अपने्जीवन्का्‍ंचालन्करता्है ,
द‍
ू रा्धमस् पर्आधाररत्‍ामाष्जक्राजनीततक्पहचान्की्ववचारधारा्यानी्‍ांप्रदातयकता, द‍
ू रे ् शब्दों्में् कहा्
जाय्तो्धमस् ‍ांप्रदातयकता्का्कारण्नहीं् बनता, लेककन्‍भी्तरह्के्‍ाम्प्रदातयकतावादी्धालमसक्मतभेद्का्
इथतेमाल्करते्हैं।्(चन्द्रााः्1990)

िाम्प्रदातयकता, ववचारधारा तथा िमुदायवाद

भारत्में्‍ाम्प्रदातयकता्के्ववरूद्ध्‍ेर्क्
यलु रवाद्की्अवधारणा्को्पेश्ककया्गया।्लेककन्इ‍का्तात्पयस्
ब्रबल्कुल्भी्नहीं्है ्कक्कक‍ी्धमस्ववशेष्में्आथर्ा्रखना्‍म्प्रदायवाद्को्बढ़ावा्दे ना्है। ्भारतीय्‍ंववधान्के्
अनु‍ार,्धमस् के्प्रचार-प्र‍ार्तर्ा्उ‍‍े् ‍ंबंधधत्‍ंथर्ायें् खोलने् का्अधधकार्दे ता्है , वही्‍ंववधान्हमें् द‍
ू रों्
के्भी्अधधकारों, कतसव्यों्के्प्रतत्आदर्करना्भी्बताता्है ।्इ‍्तरह्की्प्रकिया्तब्तक्‍ाम्प्रदातयक्नहीं्
होती्जब्तक्कक्इन्हें ्दहं‍क्तर्ा्कट्िरता्के्‍ाये्में्न्ढाला्जाय।्इ‍्आधार्पर्यह्भी्‍वाल्महत्त्वपूण्स
हो्जाता्है ्कक्‍ाम्प्रदातयकता्का्आशय्र्कया्है ्और्इ‍्ववचारधारा्का्तत्त्व्र्कया्है ?

जै‍ा्कक्वववपन्चन्द्रा्इ‍के्आशय्तर्ा्तत्व्को्तीन्चरणों्में्धचष्न्हत्करते्हैं।्ष्ज‍में्पहले्चरण्
में् ‍ांप्रदातयकता् का् पहला् चरण् इ‍् ववश्वा‍् का् है ् कक् एक् ही् धमस् मानने् वालों् के् ‍ां‍ाररक् दहत-् यानी्
राजनीततक, आधर्सक, ‍ामाष्जक्और्‍ांथकृततक्दहत्भी्एक्जै‍े् होते् हैं।्‍ाम्प्रदातयक्ववचारधारा्के्उदय्का्
पहला् आधार् है ।् इ‍ी् आधार् पर् धमस् पर् आधाररत्‍ामाष्जक-् राजनीततक् ‍मुदायों् की् अवधारणा् का् जन्म्
होता्है ।्‍ांप्रदातयकता्का्द‍
ू रा्तत्व्यह्ववश्वा‍्है्कक्भारत्जै‍े्बहुभाषी्‍माज्में्एक्धमस्के्अनय
ु ातययों्
के्‍ां‍ाररक्दहतों्में् लभन्नता्होती्है ।्इन्‍ां‍ाररक्दहतों्में् ‍ामाष्जक, ‍ांथकृततक, आधर्सक्और्राजनीततक्
दहत्शालमल्होते्हैं्जो्अन्य्कक‍ी्भी्धमस्के्अनुयातययों्के्‍ां‍ाररक्दहतों्‍े्लभन्न्हैं।्‍ाम्प्रदातयक्के्द‍
ू रे ्
चरण्को्वववपन्चन्द्रा्उदार्‍ाम्प्रदातयकता/नरमपंर्ी्‍ाम्प्रदातयकता्कहते्हैं ।्जहााँ्वह्इ‍्बात्को्थपटि्करते्
हैं्कक्उदार्‍ाम्प्रदातयकतावादी्भी्मूलताः्‍ाम्प्रदातयक्राजनीतत्ही्कर्रहे ्र्े।्कफर्भी्उनकी्आथर्ा्उदारवादी,
लोकतांब्रत्रक, मानवतावादी्और्राटरीयवादी्मल्
ू यों्में्भी्र्ी।्जो्इ‍्बात्को्भी्थवीकार्करते्र्े्कक्भारत्का्
तनमासण् ऐ‍े् ववलभन्न् धमासधाररत् ‍मुदायों् ‍े् हुआ् है ।् ष्ज‍के् अपने-अपने् और् अलग-अलग् दहत् हैं।् ष्ज‍में ्
िकराव् की् भी् यदा-कदा् नौबत् बनती् है , लेककन् इ‍के् ‍ंतुलन् की् भरपूर् गुंजाइ‍् इ‍् तथ्य् ‍े् होती् है ् कक्

116
‍ामान्य्राटरीय्दहतों्‍े्इनका्‍ंतुलन्बनाया्जा्‍कता्है ।्ष्ज‍के्उदाहरणथवरूप्1925्के्पूव्स दहन्द्ू महा‍भा्
मु‍ललम्लीग, अली्बंधु् तर्ा् 1922्के्बाद्मुहम्मद्अली्ष्जन्ना, मदनमोहन्मालवीय, लाजपत्और्एन-‍ी-्
केलकर्इ‍ी्उदारवादी्‍ांप्रदातयक्ढााँचे्के्तहत्काम्करते्र्े।्(चन्द्रााः् 1990)

‍ांप्रदातयकता्के्ती‍रे ्तर्ा्अंततम्चरण्में्वववपन्चन्द्रा्ने्इ‍के्उ‍्पहल्
ू को्दशासया्ष्ज‍ने्भारतीय्
इततहा‍्में् ववभाजन्तर्ा्अलगाववादी्प्रववृ त्तयों्को्जन्म्ददया।्ष्ज‍े् चन्द्रा्उग्र-‍ाम्प्रदातयकता्की्‍ंज्ञा्दे ते्
हैं।्यानी्ऐ‍ी्‍ाम्प्रदातयकता्ष्ज‍के्तौर्तरीके्फााँ‍ीवादी्हैं ।्ष्ज‍का्पूरा्जायका्ही्दहं‍क्र्ा।्इ‍्प्रकार्की्
‍ाम्प्रदातयकता्ने् इ‍्बात्की्घोषणा्का्काम्करना्प्रारम्भ्ककया्कक्मु‍लमान्तर्ा्उ‍की्‍ंथकृतत्तर्ा्
दहन्द्ू तर्ा्उ‍की्‍ंथकृतत्के्अष्थतत्व्पर्खतरा्है ।्इ‍्प्रकार्की्प्रववृ त्तयों्ने् एक्अलगाववादी्राजनीतत्को्
जन्म्ददया्ष्ज‍में्राटर्को्ही्धमों्के्नाम्पर्दे खा्जाने्लगा्ष्ज‍की्भाषा, कमस्और्आचरण्में्भय, घण
ृ ा्
तर्ा्युद्ध्की्बोललयााँ्शालमल्र्ीं।्ष्ज‍में्धमस्एक्आथर्ा्के्थर्ान्पर्ववचारधारा्का्रूप्ग्रहण्करने्लगा।्
(चन्द्रााः्1990)

इ‍्बह‍्में्धमस, ववचार्या्आथर्ा्पर्थवतंत्र्भारत्की्अपनायी्गयी्‍ेर्क्
युलरवाद्की्नीततयों्पर्भी्
गहरा्द्वंद्व्है ।्यह्‍ेर्क्युलरवाद्भारत्की्इ‍ी्‍ाम्प्रदातयकता्को्‍माप्त्करने्तर्ा्इ‍के्ववपरीत्अपनाया्
गया्है ।्लेककन्भारत्में् इ‍्अवधारणा्का्अपना्एक्दहथ‍ा्अधधक्वववाददत्पररष्थर्ततयों्में् भी्रहता्है ।्
ष्ज‍में्एक्तरफ्‍ेर्क्युलरवाद्बताता्है ्कक्अल्प‍ंख्यक्तर्ा्बहु‍ंख्यक्के्बीच्कक‍्प्रकार्और्कक‍्हद्तक्
‍ामंजथय्रखा्जाय।्इ‍्प्रश्नों्के्उत्तर्की्जदिलता्को्जावेद्आलम्राटरीय्आन्दोलन्के्पररदृश्य्में्दे खते्
हैं।् ष्ज‍में् उनका् मानना् है ् कक् भारतीय् राटरीय् आंदोलन् कभी् यह् आणखरी् तौर् ‍े् तय् नहीं् कर् पायी् कक्
‍ेकुलर्‍े् उ‍का्मतलब्र्कया्है ।्कांग्रे‍्के्अधधवेशन्के्‍मय्‍ामुदातयक्ए‍ोल‍एशनों्को्भी्अपने् जल‍े्
करने् ददये् जाते् र्े, हालााँकक्उन्हें ् अधधवेशन्थर्ल्का्इथतेमाल्करने् की्इजाजत्नहीं् दी्जाती्र्ी।्(आलमाः्
2005)

ष्ज‍का्पररणाम्यह्तनकलता्है ्कक्हम्‍ेर्क्
युलरवाद्की्धारा्में्‍ाम्प्रदातयक्बहावों्को्दे खने्लगते्
हैं।्ष्ज‍का्एक्रोचक्प्र‍ंग्नंदी्पेश्करते्है ।्ष्ज‍में्‍ाधारणताः्आधुतनकता्के्आयामों्में्‍ेर्क्
युलर्को्एक्
दहं‍ा्का्प्रततब्रबम््ब्मान्कर्चलते् हैं।्जो्वववपन्चन्द्रा्के्ती‍रे ् ‍ाम्प्रदातयक्तथ्य्की्ऐततहाल‍क्पटृ िभूलम्
पर् खड़ा् हुआ् नजर् आता् है ।् हम् यह् मान् ‍कते् हैं् कक्यहााँ् नंदी् एक् इततहा‍कार् की् भलू मका् में् है ।् ऐ‍ा्
इततहा‍कार् जो् वतसमान् में् आधुतनकता् का् इततहा‍् ललख् रहे ् हों।् जहााँ् वह् आगे् कहते् हैं् कक् जब् ‍ेर्क्
युलर्
आधुतनकतावादी्अपनी्पराजय्को्जीत्में् बदलने् के्ललए्धालमसक्और्जातीय्दहं‍ा्का्खेल्खेलता्है ।्वह्
कट्िरपंर्ी्की्तरह्अपने् ‍मुदाय्अर्वा्धमस् के्दहतों्का्‍ाधन्करने् की्कोलशश्नहीं् कर्रहा्होता्है ।्वह्
तो्एक्राजनीततज्ञ्की्भााँतत्बहु‍ंख्यक्तनष्टिय्धमासवलंब्रबयों्को्राजनीतत्और्चुनावी्‍मर्सन्के्ललए्गोलबंद्
करने् के्ललए्इं‍ानी्जज्बात्का्लाभ्उिा्रहा्होता्है ।्राजनीतत्में् आधतु नक्‍ंचार्व्यवथर्ा्और्‍ंथर्ाओं्
की्भूलमका्जै‍-े जै‍े् बढ़ती्है ् वै‍े-वै‍े् पूरी्‍ेर्क्
युलर्और्वैज्ञातनक्तरीके्‍े् धालमसक्या्जातीय्दहं‍ा्‍ंगदित्
करने्की्क्षमता्और्प्रलोभन्की्इ‍्राजनीतत्में्वद्
ृ धध्होती्चली्जाती्है ।्(नंदी:्1998)

आज्का्भारत्इ‍ी्घिना्िम्‍े्गुजर्रहा्है , पहले्के्दं गों्में्कट्िरपंर्ी्की्‍ंगदित्कायसवाही्और्


हर् पक्ष् द्वारा् लगाया् जाने् वाले् राजनीतत् फायदे ् नुक‍ान् का्दायरा् महत्त्वपूण्स र्ा, लेककन् थतर् उ‍का्बहुत्
छोिा् र्ा।् लेककन् हाल् के् वषो् में् ‍ंगिन् के् आयाम् बहुत् बढ़् गये।् अथ‍ी् के् दशक् में् हुई् लभंवडी, ददल्ली,
अहमदाबाद्की्‍ाम्प्रदातयक्दहं‍ा्पूरी्तरह्तनयोष्जत्र्ी।्यह्पररघिनाएाँ्‘धमस्के्‍ंथर्ागत्राजनीततकरण’ को्
दशासती् हैं।् हालााँकक् इ‍् अवधारणा् की् शुरूआत् उपतनवेशवादी् ‍त्ता् के् दरलमयान् ही् हुई् है ।् जब् भारत् में ्

117
‍ेर्क्
युलरवाद्ने्‍माज्के्बीच्में्एक्खा‍्अर्स्बनाया्र्ा, जहााँ्लोगों्में्धालमसक्‍दहटणुता्‍कारात्मक्पररवेश्
में्रहती्र्ी।्लेककन्ब्रिदिश्राज्ने्इ‍े्‘‘फूि्डालो्राज्करो’’ की्नीततयों्‍े्उलझाया।्इ‍का्पररणाम्यह्हुआ्
कक्‍मुदाय्को्एक्द‍
ू रे ् के्णखलाफ्खड़ा्कर्ददया।्उन्हें ् ववलभन्न-ववलभन्न्मुद्दों्पर्लामबंद्ककया्जो्एक्
‍मद
ु ाय्‍े् द‍
ू रे ् ‍मद
ु ाय्के्ववपरीत्र्े।्उ‍में् ववरोध्और्दहं‍ा्जै‍ी्प्रववृ त्तयां् शालमल्र्ीं।्इ‍्शरू
ु आती्दौर्
को्जावेद्आलम्धमस्के्‍ंथर्ागत्राजनीततकरण्की्शुरूआत्मानते्है ।्(आलमाः्2010)

यद्यवप्‍म्प्रदायवादी्के्इ‍्‍ैद्धाष्न्तक्बह‍्में् एक्अन्तर्‍मुदायवाद्तर्ा्‍म्प्रदायवाद्के्बीच्
आवश्यक्है ।्ष्ज‍में् यह्प्रश्न्भी्आवश्यक्रूप्‍े् उिता्है ् कक्र्कया्भारत्के्राजनीतत्में् ‍ेर्क्
युलरवाद्की्
पररभाषा्की्पदावली्में् ‍म्प्रदाय्तर्ा्‍मूह्दोनों्को्लमला्ददया्गया्है ्‍वसप्रर्म्इ‍की्पररभाषा्‍े्प्रारम्भ्
करते्हैं्‍म्प्रदायवाद्भारत्के्‍न्दभस्में्मल
ू ताः्दहन्द,ू म‍
ु लमान, ल‍र्कख्और्ई‍ाई्के्रूप्में्प्रयोग्ककया्जाता्
है ।्चूंकक्धमों्का्बुतनयादी्आधार्परथपर्‍दहटणुता्के्मूल्यों्‍े् ‍म्पन्न्होता्है , इ‍ललए्‍म्प्रदाय्के्‍ार््
राजनीतत्का्प्रयोग्होने् पर्धालमसकता्के्थवरूप्अलभव्यष्र्कत्को्बदलने् का्प्रया‍्करती्है ।्लेककन्धमस् की्
इ‍्पदावली्का्प्रयोग्जब्कक‍ी्खा‍्तरह्के्राजनीततक्मक‍द्को्प्राप्त्करने्की्कोलशश्करने्लगता्है ,
उ‍के्ललए्धमस् के्अनुयातययों्की्गोलबंदी्करने् के्ललए्वह्द‍
ू रे ् कक‍ी्धमस् के्प्रतत्घण
ृ ा्का्प्रचार्करने्
लगती् है , इ‍् तरह् धमस् के् नाम् पर् कुछ् अपने् कुछ् पराये् घोवषत् कर् ददये् जाते् हैं।् तब् उ‍् ष्थर्तत् में्
‍म्प्रदायवाद्एक्दहं‍क्तर्ा्नकारात्मक्रूप्धारण्कर्लेती्है ।्यहााँ्हमें्यह्भी्ध्यान्रखना्चादहए्कक्भारत्
में् ‍दै व् ऐ‍ी् ष्थर्तत् नहीं् रही् है ।् इततहा‍् ‍े् लेकर् वतसमान् तक् इ‍् प्रकार् के् कई् उदाहरण् ववद्यमान् हैं।्
इ‍ललए्‍म्प्रदायवाद्को्ल‍फस्कट्िरता्के्तनगाहों्‍े्नहीं्दे खना्चादहए।

इ‍ी्िम्में्‍मुदायवाद्‍माज्में्‍ामान्य्दहत्को्उत्तम्जीवन्की्एक्ताष्त्वक्‍ंकल्पना्के्रूप्में्
माना्जाता्है ्जो्‍मद
ु ाय्के्जीवनशैली्को्पररभावषत्करती्है ।्यहााँ्‍ामान्य्दहत्खद
ु ्को्लोगों्की्वरीयताओं्
के्प्रततमान्में् ‍मायोष्जत्नहीं् करता्है ।्बष्ल्क्उन्वरीयताओं् का्मूल्यांकन्ककया्जाता्है ।्जै‍ा्कक्डेववड्
लमलर्ने् नैततक्‍मुदायों्की्अवधारणा्प्रथतुत्की्है ।्ष्ज‍के्अंतगसत्यह्मानते् हैं् कक्‍मुदाय्का्तनमासण्
तर्ा्उ‍के्‍दथयों्का्एक्द‍
ू रे ्के्प्रतत्एक्ववशेष्प्रकार्का्नैततक्दातयत्व्होता्है ।्इ‍के्‍न्दभस्में्उदारवादी्
न्याय्‍मुदाय्की्भावना्की्मााँग्करते् हैं, अर्ासत ््इ‍्भावना्की्मााँग्करते् हैं् कक्नागररकों्को्यह्मानना्
चादहए्कक्वे् एक्दे श्में् एक्द‍
ू रे ् ‍े् जड़
ु े् है ।्उन्हें ् ‍ामदू हक्रूप्‍े् खद
ु ्को्शाल‍त्करना्चादहए,्एक्द‍
ू रे ्
के्प्रतत्एक्जुिता्मह‍ू‍्करना्चादहए।्(ककमललकााः्2000)

हालााँकक्भारतीय्‍ंदभस् में् ‍मुदायवाद्तर्ा्‍म्प्रदायवाद्के्अंतर्के्रूप्में् राजीव्भागसव्का्प्र‍ंग्


अधधक्महत्त्वपूण्स तर्ा्रोचक्है ।्ष्ज‍का्ववश्लेषण्वह्राजनीततक्ल‍द्धान्त्के्दायरे ् में् रहकर्ककया्है ।्वह्
धालमसक्‍मुदाय्का्उदाहरण्लेते्हैं।्र्कयोंकक्भागसव्मानते्हैं्कक्वतसमान्में्इ‍‍े्ही्ज्यादा्द्वंद्व्उत्पन्न्हुए्
है ।्मान्लीष्जए्कक्हम्दहंद्ू ‍मुदाय्‍े्जड़
ु े्हैं्और्अपने्आपको्दहन्द्ू कहते्हैं।्कई्दहन्द्ू चीजों्के्ललए्आप्
गवस् का्अनुभव्भी्करते् हैं।्इ‍्‍ंदभस् में् हम्मदन्मोहन्मालवीय्का्उदाहरण्ले् ‍कते् हैं।्वे् ‍मुदायवादी्
मॉडल्के्अंतगसत्ही्आते्हैं।्इ‍्मॉडल्में्यह्बात्भी्शालमल्है ्कक्यदद्आप्कोई्ऐ‍ा्काम्करते्हैं्ष्ज‍‍े्
दहंद्ू ‍मुदाय्के्नाम्और्प्रततटिा्को्धर्कका्लगता्है ् और्इ‍्पर्शलमसदा्भी्होते् हैं् तो्यह्कफरकापरथती्
(‍ाम्प्रदातयकता)्का्लक्षण्नहीं् है ।्हााँ् द‍
ू रे ् धालमसक्‍मुदाय्के्प्रतत्वैमन्य‍्रखना, अपनी्धालमसक्अष्थमता्
को्अन्य्‍मद
ु ायों्की्धालमसक्अष्थमता्‍े्नीचा्ददखाना्‍ाम्प्रदातयक्राजनीतत्का्लक्षण्है ।्जहााँ्अंत्में्राजीव्
भागसव्का्मानना्है ् कक्‍ेर्कय
् ुलरवाद्को्धमस-ववरोधी्के्रूप्में् प्रथतुत्करके्‍मुदायवादी्के्बीच्के्फकस्को्
खत्म्कर्ददया्है , हर्‍मुदायवादी्तत्व्को्भी्‍ाम्प्रदातयक्खाने्में्डाल्ददया्है ।्(भागसवाः्2015)

118
िाम्प्रदातयकता और भारतीय लोकतंि

‍मथत्ऐततहाल‍क्और्‍ैद्धाष्न्तक्चचास्के्दरलमयान्भारतीय्राटरीय्आन्दोलन्तर्ा्थवतंत्र्भारत्के्
तथवीर्के्तनमासण्के्ललए्आवश्यक्रूप्‍े् यह्शालमल्रहा्होगा्कक्इ‍्ववववधता्को्कक‍्प्रकार्एकता्के्
बंधन्में् बांधकर्ऐ‍े् लोकतंत्र्का्तनमासण्ककया्जाय्जो् बंधत्ु व, अव‍र्की्‍मानता, थवतंत्रता्के्मल्
ू यों्को्
‍मादहत्करे ।्भारतीय्‍ंववधान्के्‍फलतम्प्रयोग्में्ऐ‍ा्ही्हुआ।्जहााँ्धालमसक्आजादी्को्मौललक्अधधकार्
में् शालमल्ककया्गया्है ।्ष्ज‍में् इ‍्बात्का्ध्यान्रखा्गया्है ् कक्ववववधता्को्एकजुिता्के्आधार्पर्
थवीकार्ककया्जाय्कक्उ‍े्‍मरूवपत्ककया्जाय।्भारतीय्‍ंववधान्‍मय्पररष्थर्ततयों्को्दे खते्हुए्भारतीय्
धमसतनरपेक्षता्को्मजबूत्करने्का्भी्काम्करता्है ।्जै‍ा्कक्42वााँ्‍ंववधान्‍ंशोधन्के्माध्यम्‍े्प्रथतावना्
में्पंर््तनरपेक्षता्प्रयोग्करके्कई्प्रकार्के्प्रश्नों्को्खाररज्ककया्गया्है , जो्भारतीय्‍ेकुलर्राज्य्के्ऊपर्
लगा्करते्र्े।

यद्यवप्यह्भी्नहीं् पूणसताः्कहा्जा्‍कता््‍ाम्प्रदातयकता्के्ववरूद्ध्अपनाई्गयी्‍ेर्क्
यलु रवाद्की्
ववचारधारा्धमस् को्आथर्ा्के्थर्ान्पर्ववचारधारा्के्रूप्में् ज्यादा्प्रोत्‍ादहत्करता्है ।्र्कयोंकक्अक‍र्यह्
दे खा्जा्रहा्है ्कक्‍ाम्प्रदातयक्दं गा्एक्प्रकार्‍े्राजनीतत्की्उत्पादकता्बन्गया्है ।्(िा‍ाः्2003)

हालांकक्रजनी्कोिारी्लोकतंत्र्के्चुनावी्आयाम्तर्ा्बढ़ते्तकनीकी्शाही्के्‍ंदभस्में्‍ाम्प्रदातयकता्
का्ववश्लेषण्करते्हैं।्ष्ज‍में्यह्अंककत्करते्हैं्कक्राज्य्के्तकनीकी्शाही्थवरूप्और्राटर्के्‍ांप्रदातयक्
थवरूप्का्यह्मेल-जोल्बनकर्उभरा्है ् ष्ज‍में् मल
ू ्‍वाल्कोिारी्ने् यह्उिाया्है ् कक्र्कया्चन
ु ाव्आधाररत्
लोकतंत्र्उग्रराटरवादी्भावनाओं्को्बढ़ावा्दे ता्है ? र्कया्वह्‍ाम्प्रदातयकता्को्बढ़ावा्दे ता्है ? ऐ‍ा्लगता्है ्कक्
चुनावी्मजबूररयााँ् लोकतंत्र्पर्हावी्होती्जा्रही्हैं।्ऐ‍े्लोकतंत्र्में्लोगों्की्है ल‍यत्ल‍फस्वोिर्की्होती्है ्
और्ऐ‍े्वोिरों्की्धगनती-भर्की्जाती्है ्या्उन्हें ्एक्खा‍्पक्ष्में्झुकने्के्ललए्मजबूर्कर्ददया्जाता्है ।्
कहने्का्तात्पयस्है ्कक्उनकी्भूलमका्बहुत्‍ीलमत्हो्जाती्है ।्चुनाव्की्इ‍्प्रकिया्में्इ‍का्मुख्य्उद्दे श्य्
है ्उ‍के्बहुमत्को्येन्केन्प्रकारे ण्अपने्पक्ष्में्लाना।्यानी्लोकतंत्र्बहु‍ंख्यवादी्बन्जाता्है ्और्‍माज्
में्बढ़ते्ध्रव
ु ीकरण्के्माहौल्में्यह्बहु‍ंख्यकवादी्बहु‍ंख्यकों्और्अल्प‍ंख्यकों्के्बीच्झडप्का्रूप्ले्लेता्
है ।्‍ाम्प्रदातयकता्की्राजनीतत्इ‍ी्बहु‍ंख्यवाद्की्उपज्प्रतीत्होती्है ।्(कोिारीाः्1998)

लोकतंत्र् की् ऐ‍ी् ववकृतत् ‍मझ् का् जब् तक् जोरदार् ववरोध् नहीं् ककया् जाता, तब् राजनीतत् को्
‍ाम्प्रदातयकता्के्गतस्में्जाने्‍े्नहीं्बचाया्जा्‍कता्इ‍्बात्पर्जोर्दे ने्की्जरूरत्है ्कक्चुनावी्लोकतंत्र्
आंलशक्लोकतंत्र्है ।्चुनावी्लोकतंत्र्के्भीतर्घोर्प्रततकियावादी्तत्त्व्भी्ष्जंदा्रह्‍कते्हैं।्इ‍के्उलि्‍च्चा्
लोकतंत्र्जन्‍ंगिनों्की्व्यापक्बुतनयाद्पर्दिका्होता्है।्ये्जन्‍ंगिन्अमेररकी्राजनीतत्पर्केवल्दबाव्
‍मूह्के्रूप्में् ही्नहीं् काम्कर्पाये, बष्ल्क्हर्थतर्पर्खा‍कर्जमीनी्थतर्पर्काम्करने् वाले् ‍ंगिन्
होते्हैं।्लेककन्भारत्में्चन
ु ावी्प्रततद्वष्न्दता्ने्‍ाम्प्रदातयकता्को्इ‍्प्रकार्तल
ु ्दी्कक्जन‍मह
ू ्की्भलू मका्
को्‍ीलमत्कर्ददया्है ।्(कोिारीाः्1991)

इ‍्बतु नयादी्लोकतांब्रत्रक्ढााँचे् में् नयी्जान्डालने् के्ललए्प्रभाववत्तबकों्को्लगातार्कोलशश्करनी्


होगी, अर्ासत् खुद् अल्प‍ंख्यक् को् इ‍के् ललए् प्रया‍् करना् होगा।् न् ल‍फस् धालमसक् अल्प‍ंख्यकों् को् बष्ल्क्
‍ामाष्जक्रूप्‍े्तमाम्अल्प‍ंख्यकों्‍मूहों्को्भी्इ‍के्ललए्काम्करना्होगा।्दललतों, आददवा‍ी, ऐततहाल‍क्
रूप्‍े् उत्पीडड़त्वपछड़े् ‍मुदायों्‍े् लेकर्जंगलवा‍ी्और्प्रवा‍ी्‍भी्‍ामाष्जक्रूप्‍े् अल्प‍ंख्यक्‍मुदाय्
है ।्ये् जमावड़ा्रं ग-ब्रबरं गा्लग्‍कता्है , लेककन्ये् ‍भी्उ‍्आधर्सक्और्‍ामाष्जक्प्रकिया्के्जररये् हालशए्
पर्धकेले्जा्रहे ्हैं्जो्अपने्थवभाव्में्तकनीकी्शाही्है ।्इ‍्चचास्‍े्एक्खा‍्बात्यह्तनकलकर्आती्है ्

119
कक्एक्व्यष्र्कत्धमस्के्आधार्पर्हम्उ‍े्राटरीय्वरीयता्दे ने्लगते्हैं ।्जै‍ा्कक्अमत्यस्‍ेन्ने्इ‍्राटरीय्
वरीयता्के्प्रश्न्का्तीखा्अवलोकन्ककया्है ।्ष्ज‍में् अमत्यस् ‍ेन्वतसमान्राजनीततक्पररदृश्य्को्दे खते् हुए्
यह्मानते्हैं्कक्धमस्तर्ा्धमस्में्आथर्ा्का्मामला्केवल्‍ामाष्जक्व्यवहार्का्मामला्नहीं ्रह्गया।्बष्ल्क्
यह्राजनीततक्मामले् में् आथर्ा्का्मामला्है ।्जहााँ् एक्व्यष्र्कत्को्एक्दहन्द,ू म‍
ु लमान, ल‍ख्या्ई‍ाई्के्
रूप्में् ‘‘पहचान’’ को्राजनीतत्दृष्टि्‍े् उ‍के्भारतीय्होने् पर्वरीयता्दी्जाती्है ।्ष्ज‍के्दो्पक्ष्हैं —प्रर्म्
पक्ष्यह्आग्रह्करता्है ् कक्भारत्में् दहन्दओ
ु ं् का्प्रबल्बहुमत्है ् और्इ‍ी्कारण्भारत्की्राटरीय्पहचान्
मुख्यताः्दहन्द्ू पहचान्का्ही्कोई्न्कोई्थवरूप्है ।्द‍
ू रा्राटरवाद्की्क‍ौिी्पर्ही्अपना्आग्रह्तैयार्करने्
लगता्है , जो्‍लाद्की्भरी्प्लेि्में् ‍मर‍ता्को्दे खने् के्अलावा्वह्कुिाली्में् ‍मर‍ता्दे खने् का्प्रया‍्
करता्है ।्(‍ेनाः्1998)

अमत्यस् ‍ेन्तर्ा्कोिारी्के्ववश्लेषण्में् दो्बातें् ‍ामने् आती्है —एक्तरफ्अमत्यस् ‍ेन्‍ाम्प्रदातयकता्


के्आयाम्में्एकरूपीकरण्की्प्रकिया्को्इ‍का्कारण्मानते—ष्ज‍में्वह्इ‍्तथ्य्का्भी्आग्रह्करते्हैं्कक्
धालमसक्पहचान्के्महत्त्व्को्उ‍की्राजनीततक्‍न्दभसशीलता्‍े्अलग्थवरूप्में्‍मझना्होगा।्(‍ेनाः्1998)
हालााँकक्भारत्के्कई्आम्चुनावों्में्इ‍्प्रकिया्को्दहं‍क्तर्ा्‍फल्रूप्में्अपनाया्गया्है ।्ष्ज‍में्राज्य्
एक्दहं‍क्ककरदार्के्रूप्में्नजर्आने्लगता्है ।्द‍
ू री्तरफ्कोिारी्‍ाम्प्रदातयकता्को्मूलभूत्मुद्दे ्गरीबी्
ववकेन्द्रीकरण, वगीय् ‍ंघषस, रोजगार् जै‍े् मुद्दों् ‍े् भिकाने् वाला् कारक् मानते् हैं।् इन् मुद्दों् ‍े् भिकाव् ही्
‍ाम्प्रदातयकता्को्मजबूती्प्रदान्करती्है ।्इ‍्आधार्पर्‍ाम्प्रदातयक्राजनीतत्का्बढ़ावा्लोकतंत्र्के्बुतनयादी्
ढााँचे्को्कमजोर्होने्के्‍ार््जड़
ु ा्है ।

इन् ववश्लेषणों् के् िम् में् यह् बात्भी् थपटि् है ् कक् भारत् में् ‍ाम्प्रदातयक् दलों् के् उभार् ने् इ‍े् और्
मजबत
ू ी्दी्है ् जो्अपने् प्रत्याशी्का्चन
ु ाव, ‍म्प्रदाय्आधाररत्ध्रव
ु ीकरण्के्आधार्पर्करते् हैं् जो्चन
ु ाव्के्
‍मय्‍म्प्रदाय्ववशेष्के्वोि्को्अपनी्ओर्आकवषसत्करें ।्‍ार््ही्धालमसक्दबाव्गुिों्के्द्वारा्अपने् दहत्
की्पूततस्के्ललए्शा‍न्की्नीततयों्को्प्रभाववत्करते्है ।्अनेक्बार्पंर्/्‍म्प्रदायवाद्के्नाम्पर्पर्
ृ क्राज्य्
की्मााँग्भी्की्जाती्है ।्जै‍े् नागालैण्ड्में् पर्
ृ क्राज्य्की्मााँग्ई‍ाई्धमस् के्अनु‍ार्की्गयी, अकाली्दल्
द्वारा्माथिर्तारा्ल‍ंह्के्नेतत्ृ व्में् पूवी्पंजाब्में् पर्
ृ क्ल‍र्कख्प्रान्त्की्मााँग्पंर््के्आधार्पर्की्गई।्
ष्ज‍‍े् लोकतंत्र्अपने् बतु नयादी्व‍ल
ू ्‍े् ववचललत्हो्जाती्है ।्हालांकक्रजनी्कोिारी् अपनी्पथ
ु तक्में् मल
ू ्
धचन्ता्यही्उिाते् हैं ् ष्ज‍े् मोरर‍्जोन्‍्ने् ‍ंकीणस् राजनीतत्के्द्वारा्‍ंकीणस् दहतों्को्बढ़ावा्दे ने ् का्कारण्
बताया्है ।्इन्चचासओं्का्मुख्य्‍ंकेत्‍म्प्रदायवाद्को्अधधक्ताकतवर्बनाकर्भारतीय्लोकतंत्र्तर्ा्‍मकालीन्
भारत्के्‍ामने् एक्चुनौती्के्रूप्में् दे खा्जाता्है ।्‍ुप्रीम्कोिस ् के्पूव्स न्यायधीश्कुलदीप्ल‍ंह्कहते् हैं् कक्
भारत्में्धमस्तनरपेक्षता्को्‍माप्रर्ी्‍ाम्प्रदातयकता्में्बदल्ददया्गया्है ।्(दै तनक्जागरणाः्2011)

यद्यवप्भारतीय्राजनीतत्तर्ा्लोकतंत्र्में् कई्ऐ‍े् मोड़्आये् ष्ज‍में् ‍ाम्प्रदातयक्राजनीतत्एक्‍फल्


भूलमका्में् रही्है ।्जै‍े् 1979्में् तलमलनाडु्में् दललतों्को्जबरदथती्मु‍लमान्बनाना्तर्ा्उन्हें ् कक‍ी्खा‍्
राजनीतत्के्तहत्प्रभाववत् करना, ‍म्प्रदायवाद्को्बढ़ावा्दे ता्है ।्जै‍ा्कक्‍लमान् रश्दी्का्मानना्है ् कक्
भारत्में् तर्ा्हमारे ् इ‍्थयाह्होते् ‍ं‍ार्में् मज़हब्एक्ज़हर्बन्गया्है ।्ल‍फस्धमांतरण्का्मामला्नहीं्
बष्ल्क्भारत्ने्कई्दं गों्को्दे खा्है ्जै‍े—1984्में्हुए्ल‍ख्दं गे्तर्ा्1985्में्शाह्बानो्का्के‍,्हाल्ही्में्
हुए्मुज्फरनगर्का्दं गा्ष्जन््
होंने्भारतीय्धमस्तनरपेक्षता्को्नवीन्ढं ग्‍े्‍ोचने्पर्मजबूर्ककया।

120
तनटकषश

पंर््तनरपेक्षता्के्िीक्ववपरीत्‍म्प्रदायवाद्एक्ऐ‍ी्ववचारधारा्है ्जो्यह्मानती्है ्कक्‍माज्धालमसक्


‍म्प्रदाय्में्बंिा्हुआ्है ्ष्ज‍के्ललए्पष्ण्डत्जवाहर्लाल्नेहरू्हमेशा्‍े्‍चेत्रहे ,्1936्में्ललखा—‘‘यह्बात्
कभी्नहीं्भल
ू नी्चादहए्कक्भारत्में्‍ाम्प्रदातयकता्एक्परवती्घिना्है , ष्ज‍का्जन्म्हमारे ्आाँखों्के्‍ामने्
हुआ् है ।’’ (चन्द्रााः् 1990)् इ‍् चुनौती् का् ‍माधान् लोकतांब्रत्रक् ववका‍् और् ‍ामाष्जक् ‍मर‍ता् में् दे खने् की्
आवश््यकता्है ्जो्भारत्की्परं परा्‍े्भी्जुडा्हुआ्है ।्

अभ्याि के सलए प्रश्न

1. भारत्में्‍ाम्प्रदातयकता्लोकतंत्र्के्‍मक्ष्कक‍्प्रकार्चन
ु ौती्है ?

2. भारत्में्‍ाम्प्रदातयकता्के्उदय्में्ऐततहाल‍क्पररपेक्ष्य्की्भूलमका्का्ववश्लेषण्कीष्जए।

3. ‍ाम्प्रदायवाद्के्‍ैद्धाष्न्तक्ववमशस्पर्तनबंध्ललखें ?

िन्दभश िूची
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ृ ल
ु ा् मुखजी, आददत्य् मुखजी् और्
अन्य् (‍म्पा.)् भारत् का् थवतंत्रता् ‍ंघषस, नई् ददल्लीाः् दहन्दी् माध्यम् कायासन्वयन् तनदे शालय, ददल्ली्
ववश्वववद्यालय।

121
इकाई-6

भारत में पािी और पािी सिस्िम


मधू‍ुदन

स्वतंिता िे पूवश पािी प्रणाली का ववकाि

राजनीततक्दलों्का्उद्भव्और्ववका‍्‍ं‍दीय्लोकतंत्र्और्चुनाव्प्रणाली्के्‍ार््तनकिता्‍े्‍ंबंधधत्
होता्है ।्अनेथि्बाकसर्ने्ब्रिदिश्प्रणाली्को ‘पादिस यों्की्जननी’ माना्है ्और्इ‍्प्रकार्‍े्उ‍े दतु नया्की्‍भी्
‍ं‍दीय्प्रणाली्की्जननी्भी्बताया्है ।्राजनीततक्दल्अधधकांश्दे शों्और्अधधकांश्राजनीततक्प्रणाललयों्में्
पाए्जाते्हैं।्पादिस यााँ्‍त्तावादी्या्लोकतांब्रत्रक्हो्‍कती्हैं , वे्चन
ु ाव्के्माध्यम्‍े्या्िांतत्के्माध्यम्‍े्‍त्ता्
प्राप्त्कर्‍कती्हैं।्1950्के्दशक्के्उत्तराधस्में , दतु नया्के्80्प्रततशत्राज्यों्में्राजनीततक्दलों्का्शा‍न्
र्ा।

रजनी्कोिारी्द्वारा्रखे् गए्तकस्के्अनु‍ार्भारत्की्दलीय्प्रणाली्एक्राजनीततक्केंद्र्‍े् ववकल‍त्


हुई्है ।्इ‍्केंद्र्की्‍ंथर्ागत्अलभव्यष्र्कत् 29्दद‍ंबर्1885्को्बॉम्बे् में् ए्ओ्नयूम्द्वारा्थर्ावपत्भारतीय्
राटरीय्कांग्रे‍्र्ी।्यह्वही्कांग्रे‍्र्ी्ष्ज‍ने् दे श्में् राजनीततक्व्यवथर्ा्के्ललए्थवदे शी्आधार्बनाया्र्ा।्
अ‍हयोग्आंदोलन्के्अचानक्वाप‍्ले् ललये्जाने् और्प्रांतीय्ववधान‍भाओं् में् भागीदारी्के्मुद्दे ् पर्1922्
के्गया्‍त्र्के्बाद्‍ी्आर्दा‍्और्अन्य्द्वारा्थवराज्पािी्गदित्ककया्गया्र्ा।्1934्में्आचायस्नारायन्
और् अन्य् नेताओं् द्वारा् कांग्रे‍् ‍ोशललथि् पािी् ‍मूह् के् गिन् ने् गााँधी् की् एक् रणनीतत्का् ववरोध् ककया,
ष्ज‍के्पररणामथवरूप्बहु-धारा्और्बहु-ववचारधारा्के्रूप्में्कांग्रे‍्का्ववका‍्हुआ।्एमएन्रॉय्द्वारा्भारत्
में्1920्में्कम्युतनथि्पािी्का्गिन्ककया्गया्और्इ‍्पािी्ने्थवतंत्रता्आंदोलन्में्महत्वपूण्स भूलमका्नहीं्
तनभाई।्1939्में्‍ुभाष्चंद्र्बो‍्द्वारा्ऑल्इंडडया्फॉरवडस्ब्लॉक्का्तनमासण, कांग्रे‍्की्अलोकतांब्रत्रक्राजनीतत्
के्णखलाफ्उनका्ववरोध्र्ा।्आईएन‍ी्भारत्में् दलीय्प्रणाली्के्उद्भव्के्ललए्आधार्बन्गया।् 1906्में्
‍ैयद्अहमद्खान्द्वारा्मष्ु थलम्लीग्का्गिन, पव
ू ्स थवतंत्रता्भारतीय्पािी्प्रणाली्का्दहथ‍ा्रहा।

पररचय

राजनीततक्दल्राजनीततक्शष्र्कत्प्राप्त्करने्के्ललए्‍ंगदित्व्यष्र्कतयों्का्एक्‍मूह्है ।्19्वीं्शताब्दी्
में्राजनीततक्दलों्की्उत्पवत्त्यूरोप्और्‍ंयुर्कत्राज्य्अमेररका्में्उनके्आधुतनक्रूप्में्हुई।्एडमंड्बाकस्ने्
पररभावषत् ककया् है ् "एक् राजनीततक् दल् व्यष्र्कतयों् का् एक् तनकाय् है ् जो् अपने् ‍ंयुर्कत् प्रया‍् द्वारा् कुछ्
राजनीततक्ल‍द्धांत्पर्राटरीय्दहत्को्बढ़ावा्दे ने्के्ललए्एकजुि्होता्है ्ष्ज‍में्वे्‍हमत्हुए्र्े"।्थवतंत्रता्
‍े् पहले् राजनीततक्दल्महत्त्वपूण्स ‍ंथर्ान्र्े।्राजनीततक्दल्एक्ऐ‍ा्‍ाधन्है , ष्ज‍के्माध्यम्‍े् जनता्
‍रकार् ‍े् ‍म्वाद् कर् ‍कती् है ् और् कक‍ी् भी् दे श् के् शा‍न् में ् अपना् मत् रख् ‍कती् है ।् इ‍ललए् हर्
राजनीततक्दल्के्पा‍्तीन्प्रमुख्घिक्होने् चादहए:्नेता, ‍किय्‍दथय, अनुयायी।्भारत्में् एक्बहुदलीय्
व्यवथर्ा्है ् जो्दतु नया्में् अद्ववतीय्है ।्भारतीय्राजनीततक्प्रणाली्में् राजनीततक्मद्
ु दों्‍े् तनपिने् के्ललए्
दक्षक्षणपंर्ी, मध्यमागी, वामपंर्ी, क्षेत्रीय, यहााँ्तक्कक्थर्ानीय्राजनीततक्दल्भी्लमल्‍कते्हैं।्जब्कांग्रे‍्लंबे्

122
‍मय्तक्‍त्ता्में्र्ी, तो्यह्युग्मॉरर‍्जोन्द्वारा्एक्पािी्के्प्रभुत्व्के्युग्के्रूप्में्तर्ा्रजनी्कोिारी्
द्वारा्कांग्रे‍्प्रणाली्के्रूप्में्दे खा्गया्र्ा।

आज, लोकतंत्र्के्तहत्हम्भारत्में्हर्पााँच्‍ाल्के्कायसकाल्के्बाद्केंद्रीय्और्राज्य्थतर्पर्और्
थर्ानीय्थतर्पर्भी्चन
ु ाव्का्त्योहार्मनाते्हैं, परं तु्एक्ष्थर्र्चन
ु ावी्प्रणाली्और्लोकतंत्र्की्यह्यात्रा्में्
उद्ववका‍्की्एक्लंबी्प्रकिया्‍े्गुज़री्है ; भारतीय्राजनीतत्ने्ववलभन्न्चरणों्को्पार्कर्ललया्है ्और्एक्
ष्थर्र्लोकतंत्र्बनने् की्ष्थर्तत्में् पहुाँच्गया्है ।्थवतंत्रता्प्राष्प्त्के्पश्चात्दे श्में् कांग्रे‍्प्रणाली्का्उदय्
हुआ।्1947्‍े्1967्तक्और्1971्‍े्1977्के्‍ार्-‍ार््1980्‍े्1989्तक, यह्प्रणाली्भारतीय्राजनीतत्
के् केंद्र् में् र्ी, इ‍के् थवतंत्रता् के् बाद् के् ववका‍् में् तीन् अलग-अलग् चरण् र्े।् थवतंत्रता् ‍े् पहले् व्यापक्
राटरवादी्आंदोलन्के्रूप्में्कायस्करने्वाली्कांग्रे‍्ने्खुद्को्राटर्के्प्रमुख्राजनीततक्दल्में्बदल्ददया।्
यही्कारण्है ् कक्मॉरर‍्जोन्‍्जै‍े् भारतीय्राजनीतत्के्पयसवेक्षकों्ने् भारतीय्दलीय्प्रणाली्को्"एक्पािी्
प्रभुत्व"्की्प्रणाली्के्रूप्में् वणणसत्ककया, जबकक्रजनी् कोिारी्"वन्पािी्डोलमनें ‍्ल‍थिम"्या्"द्कांग्रे‍्
ल‍थिम"्कहने् की्‍ीमा्तक्गए।्राजनीततक्दल्कक‍ी्भी्लोकतंत्र ्में् एक्प्रमुख्भूलमका्तनभाते् हैं, र्कयोंकक्
वे्‍रकार्बनाने्और्लोगों्के्कल्याण्के्ललए्काम्कर्रहे ्होते्हैं, भारत्में्पािी्प्रणाली्पहली्बार्1885्में्
ए ओ्नयूम्द्वारा्भारतीय्राटरीय्कांग्रे‍्के्गिन्के्‍ार््आई्र्ी, इ‍का्गिन्प्रेशर्कुकर्ल‍द्धांत्के्तहत्
ककया्गया्र्ा।, जहााँ्ब्रिदिशों्को्लगा्कक्भारतीयों्को्कुछ्मान्यता्दे ने्‍े्उन्हें ्भारतीयों्द्वारा्कम्िांततयों्
का्‍ामना्करना्पड़ेगा्इ‍ललए्कांग्रे‍्का्गिन्ककया्गया्र्ा, 1947्में्औपतनवेलशक्शा‍न्के्अंत्के्बाद्
लोक्‍भा्के्पहले् आम्चुनाव् 25्अर्किूबर् 1951्‍े् 21्फरवरी् 1952 तक्आयोष्जत्ककए्गए्र्े, भारतीय्
राटरीय्कांग्रे‍्को्ववजयी्बनाते्हुए, यह्कांग्रे‍्द्वारा्एक्प्राप्त्की्गयी्एक्भारी्जीत्र्ी्र्कयोंकक्भारत्के्
थवतंत्रता्‍ंग्राम्में्कांग्रे‍्की्प्रमुख्भागीदारी्र्ी्और्गााँधी्कारक्भी्महत्वपण
ू ्स र्ा, कई्अन्य्कररश्माई्नेता्
गिन्के्‍मय्‍े्ही्INC का्दहथ‍ा्र्े।

अब् यहााँ् ‍ब‍े् बड़ा् प्रश्न् यह् है ् कक् हम् वामपंर्ी् और् दक्षक्षणपंर्ी् दलों् द्वारा् र्कया् ‍मझते् हैं , अंतर्
ववचारधारा्और्लक्ष्यों्का्है , ‍ामान्य्धारणा्में् यह्है ् कक्दक्षक्षणपंर्ी्ववका‍्पर्ध्यान्केंदद्रत्करते् हैं् और्
आिामक्तरीके्‍े् एफडीआई्(ववदे शी्प्रत्यक्ष्तनवेश)्लाते् हैं, जबकक्वामपंर््का्ध्यान्‍माज्के्गरीब्तबके्
और्अल्प‍ंख्यक्वगसपर्ज्यादा्ध्यान्दे ने् वाली्जड़ों्पर्है ।्जब्हम्केंद्र्में् ‍रकार्के्बारे ् में् बात्करते् हैं्
तो्यही्प्रमख
ु ्णखलाड़ी्हैं् र्कयोंकक्भारत्में् एक्अधस-‍ंघीय्‍ंरचना्है , शष्र्कत्का्ववभाजन्केंद्र्और्राज्यों्के्
बीच्है , आगे् हम्ववकेंद्रीकरण्(73्वां् और् 74्वां् ‍ंशोधन)्दे खते् हैं् जो्गााँव्के्‍ार्-‍ार््नगर्थतर्पर्भी्
थर्ानीय्‍रकारों्का्आधार्है ।्एनडीए्और्यूपीए्गिबंधन्केंद्र्‍रकार्में् प्रमुख्दो्उम्मीदवार्रहे ् हैं।् 1990्
में्राटरीय्और्राज्य्थतर्के्राजनीततक्दलों्में ्एक्अलग्तरह्की्थर्ापना्हुई्ष्ज‍े्गिबंधन्दलीय्प्रणाली्
कहा्जाता्है ्जो्2014्के्राटरीय्चुनावों्में्प्रचललत्रही्(एनडीए्के्‍दथयों्जै‍े्लशव‍ेना, भाजपा, आरपीआई,
एलजेपी्आदद)्)्और्कई्राज्य्थतरीय्चुनाव्जै‍े्कक्महाराटर्(लशव‍ेना्और्भाजपा्के्बीच्गिबंधन), जम्मू-
कश्मीर्(पीडीपी्और्भाजपा्के्बीच्गिबंधन)।्राजनीततक्दल्भारतीय्राजनीतत्की्प्रणाली्के्‍ार््लोकतांब्रत्रक्
रूप्‍े्तनवासधचत्और्प्रतततनधधत्व्नहीं्करते्हैं। राजनीततक्दल्भारतीय्‍माज्और्क्षेत्रों्में्ववलभन्न्वगों्का्
प्रतततनधधत्व्करते्हैं्और्उनके्मूल्मूल्य्भारत्की्राजनीतत्में्एक्प्रमुख्भूलमका्तनभाते्हैं।

123
िंववधान और राजनीततक दलों का कानूनी प्रावधान

• ‍ंववधान्की्द‍वीं्अनु‍ूची्जो्‍ंववधान्में्बावनवें्‍ंशोधन्अधधतनयम्1985्द्वारा्जोड़ी्गयी्है ्वह्दल्
बदल्के्आधार्पर्कक‍ी्व्यष्र्कत्के्‍ं‍द्के्दोनों्‍दनों्व्राज्य्की्ववधान्‍भा्या्ववधान्पररषद्के्
‍दथय्होने्की्अयोग्यता्‍े्‍ंबंधधत्है ।

• अनुच्छे द्29A (1) और्(2) प्रतततनधधत्व्लोक्अधधतनयम्1951 के्अनु‍ार,्भारत्में्कोई्भी्‍ंगिन्अर्वा


व्यष्र्कतयों्का्तनकाय जो्खुद्को्एक्राजनीततक्दल्कहते् हैं, उन्हें ् एक्राजनीततक्दल्के्रूप्में् अपने्
पंजीकरण्के्ललए्चन
ु ाव्आयोग्को्एक्आवेदन्करने्की्आवश्यकता्होती्है ।

• भारत्के्प्रत्येक्राजनीततक्दल्को्चन
ु ाव्आयोग्के्पा‍्पंजीकरण्कराना्होता्है ।्चन
ु ाव्आयोग्चुनाव्
के्उद्दे श्य्‍े्राजनीततक्दलों्को्पंजीकृत्करता्है ्और्उन्हें ्उनके्प्रदशसन्के्आधार्पर्राटरीय्या्राज्य्
दलों्के्रूप्में्मान्यता्प्रदान्करता्है ।

योगें द्र यादव के अनि


ु ार भारतीय दलीय प्रणाली का ववकाि

• एकल्पािी्प्रभत्ु व्(1947-67)- कांग्रे‍्पािी्राटरीय्और्राज्य्थतर्पर्हावी्र्ी।्इ‍्अवधध्में् केंद्र्और्


राज्य्थतर्पर्कांग्रे‍्का्प्रभत्ु व्रहा।

• कांग्रे‍् ववरोध् प्रणाली् (1967-93)- कांग्रे‍् राटरीय् थतर् पर् ‍ब‍े् प्रमुख् पािी् रही् लेककन् राज्य् थतर् पर्
प्रततथपधास्का्‍ामना्करना्पड़ा।्1967्के्बाद्कई्क्षेत्रीय्या्राज्य्पािी्ने्भारतीय्राजनीतत्में्महत्त्वपूण्स
भूलमका्तनभाई।्कुछ्राज्यों्जै‍े्केरल्और्अन्य्राज्यों्में्राज्य्पािी्ने्‍रकार्बनाई।

• 1993्के्पश्चात्बहुदलीय्प्रणाली-्राटरीय्थतर्पर्कांग्र‍
े ्का्प्रभुत्व्नहीं् रह्गया्तर्ा्क्षेत्रीय्दलों्का्
ववका‍्हुआ।्1989्के्बाद्क्षेत्रीय्दलों्ने्केंद्र्में्‍रकार्बनाने्में् महत्त्वपूण्स भूलमका्तनभाई।

भारतीय पािी प्रणाली के लक्षण

• 1990्के्बाद्कई्क्षेत्रीय्दलों्का्उदय्हुआ्तर्ा्उन्होने् राटरीय्और्राज्य्थतर्पर्गदित्‍रकार्में्
बहुत्महत्वपूण्स भूलमका्तनभाई।

• प्रभावी्ववपक्षी्दलों्का्उदय।

• कई्क्षेत्रीय्और्गैर-मान्यता्प्राप्त्दलों्का्अष्थतत्व।

• भारत्में्बहुदलीय्प्रणाली्रही्है ।

• बड़ी्‍ंख्या्में्क्षेत्रीय्राजनीततक्दल।

• राटरीय्और्क्षेत्रीय्राजनीततक्दलों्के्बीच्‍त्ता्का्बंिवारा, ग्यारहवें्लोक‍भा चन
ु ाव्के्बाद्‍े्कुछ्क्षेत्रीय्
दलों्और्राटरीय्दलों्के्बीच्की्गिबंधन्‍रकारें ्केंद्र्में्शा‍न्कर्रही्हैं।

• अधधकांश्राजनीततक्दलों्में्गि
ु बाजी्और्‍मह
ू ्मौजद
ू ्हैं।

• भारत्में्दलीय्राजनीतत्में्व्यष्र्कतत्व्पंर््हावी्रहा्है ।

• ‍ंघवाद्के्‍मुधचत्कायस्का्उदय।

124
एक राजनीततक दल का कायश

• एक्राजनीततक्दल्उम्मीदवारों्को्खड़ा्करके्चुनाव्लड़ता्है ।

• ‍ंयुर्कत्राज्य्अमेररका्जै‍े्दे शों्में, उम्मीदवारों्का्चयन्पािी्के्‍दथयों्और्‍मर्सकों्द्वारा्ककया्जाता्


है ।
• द‍
ू री्ओर, भारत्जै‍े्दे शों्में, पािी्के्शीषस्नेताओं्द्वारा्उम्मीदवारों्को्चुना्जाता्है ।

• हर्पािी्की्अलग-अलग्नीततयााँ्और्कायसिम्हैं।्मतदाता्उनके्द्वारा्प‍ंद्की्गई्नीततयों्और्कायसिमों्
के्अनु‍ार्चुनाव्करता्है ।

• राजनीततक्दल्जनता्की्राय्को्आकार्दे ते् हैं।्दबाव्‍मूह्की्मदद्‍े, दलों्ने् लोगों्के्‍ामने् आने्


वाली्‍मथयाओं्को्हल्करने्के्ललए्आंदोलनों्का्आरम्भ्ककया।

• राजनीततक्दल्दे श्के्ललए्कानन
ू ्बनाने्में्तनणासयक्भलू मका्तनभाते्हैं।्चंकू क्अधधकांश्‍ां‍द्राजनीततक्
दलों्के्हैं, इ‍ललए्दे श्के्ललए्कानून्बनाने्में्एक्राजनीततक्दल्का्‍ीधा्कहना्है ।

• ‍रकार्का्गिन-्राजनीततक्दल्‍रकारें ् बनाते् और्चलाते् हैं।्कायसकारी्तनकाय्का्गिन्‍त्ता्पक्ष्के्


लोगों्द्वारा्ककया्जाता्है ।

• राजनीततक् दल् लोगों् को् ‍रकारी् तंत्र् और् ‍रकारों् द्वारा् कायासष्न्वत् कल्याणकारी् योजनाओं् तक् पहुाँच्
प्रदान्करते्हैं।्दलों्को्लोगों्की्जरूरतों्और्मांगों्के्प्रतत्उत्तरदायी्होना्चादहए।

• राजनीततक्दल्दे श्और्ववलशटि्क्षेत्रों्के्लोगों्के्दहत्का्प्रतततनधधत्व्करते् हैं।्वे् ‍मूहों्के्‍ार्-‍ार््


व्यष्र्कतयों्का्भी्प्रतततनधधत्व्करते्हैं।

• तनणसय्तनमासण्एवम्््पािी्कायसिमों्में्भाग्लेने्के्ललए्लोगों्को्जुिाने्के्ललए।
• अन्य्दलों्की्नीततयों्और्कायसिमों्का्आलोचनात्मक्मूल्यांकन्करना।

• राजनीततक्दलों्‍े् न्केवल्यह्उम्मीद्की्जाती्है ् कक्वह्लक्ष्यों्के्‍ार््आगे् आयें, बष्ल्क्उन‍े् यह्


आशा्भी्की्जाती्है ्कक्वह्थ्वयं्को्बदलती्मांगों्और्पररष्थर्ततयों्के्‍ार््‍ंशोधधत्भी्करें गे।

क्षेिीय दल एवम िहयोग नीतत

‍माज्के्भीतर्उपष्थर्त्ववववध्जातीय, ‍ांथकृततक, भाषाई, धालमसक्एवम््् जातत्कारक्क्षेत्रीय्दलों्की्


उत्पवत्त् के् ललए् ष्जम्मेदार् हैं।् भारत् में् क्षेत्रीय् दल् पहचान, राज्यवाद् और् थवायत्तता् पर् आधाररत्हैं।् क्षेत्रीय-्
नज
ृ ातीय्चररत्र्पर्आधाररत्क्षेत्रीय्दलों्में्आंध्र्प्रदे श्में्िीडीपी, डीएमके्(DMK), और्तलमलनाडु्में्ऑल्इंडडया्
अन्ना्द्रववड़्मुनेत्र्कषगम्(AIDMK), अ‍म्में् अ‍ोम्गण्पररषद््(AGP) एवम््् पंजाब्में् अकाली्दल्शालमल्
हैं।्उदाहरण्के्ललए्अकाली्दल्केवल्ल‍खों्का्प्रतततनधधत्व्करती्है ् और्एजीपी्जातत्दहंद्ू अ‍मी्जनता्
का्प्रतततनधधत्व्करती्है ।्क्षेत्रीय्दलों्ने्कई्राज्यों्में्‍रकारें ्बनाईं्और्अपनी्नीततयों्और्कायसिमों्को्िो‍्
रूप्दे ने्का्प्रया‍्ककया।्कुछ्क्षेत्रीय्दलों्ने्ववलभन्न्राज्यों्में्‍रकारें ्बनाईं्ष्जनमें्तलमलनाडु्में्DMK और्
AIADMK शालमल् हैं; जम्म्ू कश्मीर् में् नेशनल् कांफ्रें‍, आंध्र् प्रदे श् में् तेलगु् दे शम, अ‍म् में् अ‍मगण् पररषद्,
हररयाणा्में्आईएनएलडी्(INLD)।

125
भारतीय्‍माज्के्भीतर्कई्नज
ृ ातीय, ‍ांथकृततक, भाषाई्और्जातत्‍मूहों्की्उपष्थर्तत्क्षेत्रीय्दलों्की्
उत्पवत्त्और्ववका‍्के्ललए्ष्जम्मेदार्है ।्भारत्में्क्षेत्रीय्दल्पहचान, राज्य, थवायत्तता्और्ववका‍्जै‍े्ववषयों्
पर्आधाररत्हैं।्थवायत्तता्के्अंतगसत्राज्यों्को्अधधक्‍े्अधधक्शष्र्कतयां्दे ने्की्मााँग्शालमल्है , जै‍े्जम्मू-
कश्मीर् में् नेशनल् कांफ्रें‍।् राज्यवाद् के् तहत् दे श् के् भीतर् एक् थवतंत्र् राज्य् के् ललए् लड़ाई् होती् है ् जै‍े्
तेलंगाना्राटर्‍लमतत्ने्अलग्राज्य्तेलंगाना्की्मााँग्की।्पहचान्के्अंतगसत्‍मूह्के्‍ांथकृततक्अधधकारों्
की्मान्यता्के्ललए्लड़ाई्शालमल्है ् जै‍े् महाराटर्में् लशव‍ेना्तर्ा्दललतों्की्पहचान्के्ललए्लड़ने् वाला्
दल्डीएमके्(DMK)।्वपछले्चार्दशकों्में्क्षेत्रीय्राजनीततक्दलों्का्ववका‍्हुआ्है ्तर्ा्इनकी्‍ंख्या्एवम्््
शष्र्कत्में्ववथतार्हुआ्है ।्क्षेत्रीय्राजनीततक्दलों्की्उत्पवत्त्क्षेत्रीय्आकांक्षाओं्को्पूरा्करने्के्ललए्हुई्है ।

इ‍के्अलावा, ववलभन्न्राज्यों्और्क्षेत्रों्के्बारे ् में् बात्करते् हुए, हम्क्षेत्र्ववशेष्पर्एकाधधकार्रखने्


वाले्दलों्को्दे ख्‍कते्हैं, यह्दल्एक्ववशेष्राज्य्या्क्षेत्र्में्हावी्रहते्हैं्तर्ा्राज्य्ववधान‍भाओं्में्‍ीि्
एवम्््शष्र्कत्धारक्होते्हैं, ऐ‍े्दलों्के्कुछ्उदाहरण्हैं—

1. बीज्ू जनता्दल्(ओडडशा)- BJD ओडडशा्राज्य्में्क्षेत्रीय्णखलाड़ी्रहा्है , ष्ज‍का्गिन्1997्में्ककया्गया्


र्ा्तर्ा्आज्(नवंबर् 2019) में् बीजू् जनता्दल्‍े् ‍ंबंधधत्नवीन्पिनायक, ओडडशा्के्मुख्यमंत्री्के्रूप्
में्अपने्5वें्कायसकाल्में्‍ेवा्कर्रहे ्हैं।

2. क्षेत्रीय्राजनीतत्का्एक्और्मजबूत्उदाहरण्जम्मू्कश्मीर्में्पीडीपी्है ; धारा्370्के्खत्म्होने्‍े्पूव्स
जम्म-ू कश्मीर्में्जेकेपीडीपी्एक्मजबत
ू ्भलू मका्तनभाती्रही्है ।

3. लशव‍ेना्के्रूप्में्लोकवप्रय्महाराटर्नवतनमासण्‍ेना्महाराटर्राज्य्में्प्रमख
ु ्क्षेत्रीय्पािी्रही्है ।

4. लशरोमणण्अकाली्दल्का्पंजाब्राज्य्में् मजबूत्आधार्रहा्है ् तर्ा् 1971्के् 1977्में् एक्‍ब‍े् बड़ी्


पािी्के्रूप्में्उभरी।

ववसभन्न पािी सिस्िम

एक पािी प्रणाली

कुछ्दे शों्में, केवल्एक्पािी्को्‍रकार को्तनयंब्रत्रत्करने्एवम्््चलाने्की्अनुमतत्है , जै‍े-्चीन।्इन्हें ्


वन-पािी्ल‍थिम्कहा्जाता्है ।्यह्लोकतांब्रत्रक्नहीं्माना्जाता्है ्र्कयोंकक्एक्लोकतांब्रत्रक्प्रणाली्को्कम्‍े्
कम्दो्पादिस यों्को्चुनावों्में्प्रततथपधास्करने्की्अनुमतत्दे नी्चादहए्और्प्रततथपधी्दलों्को्‍त्ता्में्आने्का्
उधचत्अव‍र्प्रदान्करना्चादहए।्कांग्रे‍्‍रकार्अपनी्छतरी्प्रणाली्के्ललए्प्रल‍द्ध्र्ी्र्कयोंकक्प्रत्येक्धमस्
और्क्षेत्र्पािी्‍े्कई्ववद्वानों्द्वारा्जुड़ा्हुआ्र्ा।्भारत्के्राजनीततक्पररदृश्य्में्एक्लंबे्‍मय्तक्कांग्रे‍्
का्बोलबाला्रहा।्रजनी्कोिारी, भारतीय्दलीय्प्रणाली्को्'एक्दलीय्प्रभुत्व्प्रणाली' या्'कांग्रे‍्प्रणाली' कहते्
हैं। इ‍्प्रववृ त्त्में्वषस्1977 के्दौरान्पररवतसन्दे खा्जा्‍कता्है ्जब्जनता्पािी्केंद्र्में्‍त्ता्में्आई्र्ी।्इ‍्
चरण्को्दो्दलीय्प्रणाली्चरण्के्रूप्में्भी्दे खा्जा्‍कता्है , ष्ज‍ने्भारतीय्राटरीय्कांग्रे‍्के्इ‍्ववजय्
श्रंख
ृ ला्को्तोड़्ददया, लेककन्यह्लंबे्‍मय्तक्नहीं्रहा्र्कयोंकक्पािी्के्भीतर्आंतररक्मद्
ु दों्के्कारण्जनता्
पािी्खुद्एक्पािी्के्रूप्में्ववफल्रही।्इ‍्ववफलता्ने्कांग्रे‍्को्अव‍र्ददया्और्भारतीय्राटरीय्कांग्रे‍्

126
कफर्‍े्‍त्ता्में्आ्गई, लेककन्बाद्में्कांग्रे‍्पािी्भी्इंददरा्गांधी्के्नेतत्ृ व्में्आंतररक्‍ंघषस्का्लशकार्हो्
गई।्कांग्रे‍्के्बीच्फूि्र्ी।्भारत्में्थवतंत्रता्के्बाद्कांग्रे‍्1967 तक्राटरीय्और्राज्यों्के्थतर्पर्प्रभावी्
रही।

िू-पािी सिस्िम

कुछ्दे शों्में, ‍त्ता्आमतौर्पर्दो्मुख्य्दलों्के्बीच्में् हथतांतररत्होती्रहती्है ।्ऐ‍ी्दलीय्प्रणाली्


को्िू-पािी्ल‍थिम्कहा्जाता्है ।्‍ंयुर्कत्राज्य्अमेररका्और्यूनाइिे ड्ककं गडम्दो्दलीय्प्रणाली्के्उदाहरण्
हैं।्द्वव-दलीय्प्रणाली्एक्ऐ‍ी्दलीय्प्रणाली्है ् जहााँ् दो्प्रमख
ु ्राजनीततक्दल्राजनीततक्पररदृश्य्पर्हावी्
हैं।्द्वव-दलीय्व्यवथर्ा्ऐ‍े्राज्य्में्दे खने्को्लमलती्है , जहााँ्या्तो्केवल्दो्बहुत्लोकवप्रय्राजनीततक्दल्
हैं् या्दो्मख्
ु य्राजनीततक्दल्हैं् और्‍ार््ही्कई्अन्य्छोिे ् कम्प्रभावशाली्राजनीततक्दल्भी्हैं।्दोनों्
मुख्य्दलों्में् ‍े् प्रत्येक्को्‍मय-‍मय्पर्शा‍न्करने् का्अव‍र्लमलता्है ।्दो्दलीय्प्रणाली्वाले् राज्य्
में, यूए‍ए, ब्रििे न, बेष्ल्जयम्और्आयरलैंड्आते्हैं,्जहााँ्दो्राजनीततक्दल्हावी्हैं।्द्वव्दलीय्प्रणाली्मतदाताओं्
को्एक्‍रल्ववकल्प्प्रथतुत्करती्है ।

मलिी पािी सिस्िम

यदद्कई्पादिस यां्‍त्ता्के्ललए्प्रततथपधास्करती्हैं, और्दो्‍े्अधधक्दलों्के्पा‍्अपने्बल्पर्या्द‍


ू रों्
के्‍ार््गिबंधन्में् ‍त्ता्में् आने् का्एक्उधचत्मौका्होता्है , तो्हम्इ‍े् बहु-दलीय्प्रणाली्कहते् हैं।्इ‍्
प्रकार्भारत्में, हमारे ्पा‍्एक्बहुदलीय्प्रणाली्है ।्1996्के्आम्चुनावों्के्बाद, कोई्भी्पािी्एक्‍ाधारण्
बहुमत् भी् ‍ुरक्षक्षत् नहीं् कर् पाई् है ।् मल्िी-पािी् ल‍थिम् थपटि् रूप् ‍े् बहुत् अथपटि् है ् और् यह् अर्क‍र्
राजनीततक्अष्थर्रता्की्ओर्जाता्है ।्1989्के्बाद्भारत्में्बहुदलीय्गिबंधन्मॉडल्राटरीय्थतर्पर्उभरा्
है ।्बहुदलीय्प्रणाली्में् ‍मान्रूप्‍े् लोकवप्रय्कई्राजनीततक्दल्हैं।्एक्बहुदलीय्प्रणाली्का्अर्स् है ् कई्
लोकवप्रय्राजनीततक्दलों्का्अष्थतत्व्या्राजनीततक्प्रकिया्में् तीन्या्तीन्‍े् अधधक्राजनीततक्दलों्का्
होना।्भारत, ष्थवट्जरलैंड, जापान, इिली, फ्रां‍्बहुदलीय्प्रणाली्के्उदाहरण्हैं।्कांग्रे‍, भाजपा, CPI, BSP, NCP,
BJD, DMK, SP, और् अन्य् राजनीततक् दलों् ने् भारतीय् राजनीतत् में् महत्त्वपूण्स भूलमका् तनभाई् है ।् भारत् में्
गिबंधन्राजनीतत्के्उद्भव्के्ललए्बहुदलीय्व्यवथर्ा्ष्जम्मेदार्रही्है ।

ववववध्भौगोललक्और्‍ांथकृततक्धचंताओं्के्कारण, भारत्में्बहुदलीय्प्रणाली्का्ववका‍्हुआ्है ।्‍मय्


के्‍ार् राटरीय्और्क्षेत्रीय्राजनीततक्दल्दतु नया्के्‍ब‍े्बड़े्लोकतंत्र्के्महत्त्वपूण्स घिक्बन्गए।

राजनीततक दलों की चुनौततयााँ

• हमने् दे खा्है ् कक्लोकतंत्र्के्कामकाज्के्ललए्राजनीततक्दल्ककतने् महत्त्वपूण्स हैं।्परू ी्दतु नया्में् लोग्


राजनीततक्दलों्की्ववफलता्के्प्रतत्अपना्अ‍ंतोष्व्यर्कत्करते्हैं।

• मुख्य् चुनौती् पादिस यों् के् भीतर् आंतररक् लोकतंत्र् की् कमी् है , भारत्में् शीषस् पर् एक् या् कुछ् नेताओं् में्
राजनीततक्पािी्की्शष्र्कत्में्एकाग्रता्की्प्रववृ त्त्है ।

• अधधकांश्राजनीततक्दल्अपने्कामकाज्के्ललए्खुली्और्पारदशी्प्रकियाओं्का्अभ्या‍्नहीं्करते्हैं।

• प्रमुख्चुनौती्पादिस यों्में्पै‍े्और्बल्प्रयोग्की्बढ़ती्भूलमका्के्बारे ्में्है , खा‍कर्चुनावों्के्दौरान।

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• मुख्य्चुनौती्यह्है ्कक्बहुत्बार्पादिस यााँ्मतदाताओं्को्एक्‍ार्सक्ववकल्प्नहीं्दे ती्हैं।

• वंशानुगत्उत्तराधधकार्कुछ्हार्ों्(ववशेष्रूप्‍े्‍दथय)्में्शष्र्कत्के्‍ंचय्की्ओर्जाता्है ्ष्ज‍का्पररणाम्
अयोग्य्‍दथयों्द्वारा्शष्र्कत्का्दरु
ु पयोग्होता्है ।

भारत में राजनीततक दल

राटरीय दल

राटरीय्दलों्के्पा‍्दे शव्यापी्व्यापक्आधार्‍ंरचना्है ्और्वे ्लोकवप्रय्अपील्की्अवधारणा्पर्कायस्


करते् हैं।्थवतंत्रता्के्पश्चात्कांग्रे‍्दे श्में् अपना्प्रभुत्व्थर्ावपत्करने् वाली्पािी्के्रूप्में् उभरी्ष्ज‍के्
शा‍न्को्कांग्रे‍्की्व्यवथर्ा्या्एक्दलीय्प्रभुत्व्की्‍ंज्ञा्दी।्राटरीय्दल्ज्यादातर्बड़े् छाते् हैं् ष्जनके्
तहत्‍भी्‍मुदायों; ‍भी्रुधच्और्ववचारधाराओं्को्एक्जगह्लमलती्है ।्हाललया्रुझान्‍े्पता्चलता्है ्कक्
जब्कोई्राटरीय्पािी्लोक्‍भा्में् बहुमत्हाल‍ल्नहीं् करती्है ् तो्वे् क्षेत्रीय्दलों्के्‍ार््गिबंधन्करके्
गिबंधन्‍रकार्बनाती्है ।्लेककन्गिबंधन्‍रकार्को्तनणसय्लेने्की्प्रकिया्में्बाधा्डालते्दे खा्जा्‍कता्
है ।्गिबंधन्‍रकार्का्गिन्राटरीय्राजनीतत्‍े् दरू ्भारतीय्राजनीतत्में् छोिे ् और्अधधक्‍ंकीणस् रूप्‍े्
आधाररत्क्षेत्रीय्दलों्के्प्रतत्पररवतसन्को्दशासता्है ।

एक्पंजीकृत्पािी्को्केवल्तभी्राटरीय्पािी्के्रूप्में्मान्यता्दी्जा्‍कती्है ्जब्वह्तनम्नललणखत्
में्‍े्कोई्भी्शतस्पूरी्करती्है :

• यदद्पािी्भारत्में्कम्‍े्कम्तीन्अलग-अलग्राज्यों्‍े्2%्लोक‍भा्‍ीिें ्जीतती्है ।

• पािी्को्भारत्में्चार्या्अधधक्राज्यों्में्राज्य्पािी्के्रूप्में्मान्यता्प्राप्त्है ।

• यदद्पािी्आम्चुनाव्में्लोक्‍भा्या्ववधान्‍भा्की्चार्‍ीिों्के्अलावा्4्राज्यों्में्6%्वोि्हाल‍ल्
करती्है ।

• राटरीय्पािी्का्‍ीलमत्राज्यों्में् नहीं् बष्ल्क्परू े ् दे श्में् प्रभाव्होता्है ् और्यह्राटरीय्दहत्‍े् ‍ंबंधधत्


होती्हैं्न्कक्कुछ्क्षेत्रीय।

• जब्एक्राटरीय्पािी्को्लोक्‍भा्में्बहुमत्प्राप्त्होता्है ्तो्वह्केंद्र्में्‍रकार्चलाती्है ्और्राटरीय्


महत्व्के्‍भी्महत्वपूण्स मामले्‍ंचाललत्करती्है ।

भारत में तनम्नसलखित िात राटरीय दल हैं:

1. भारतीय राटरीय कांग्रेि (INC)—इ‍की्थर्ापना् 1885्में् औपतनवेलशक्शा‍न्के्दौरान्हुई् र्ी।् INC की्


ववचारधारा् के् मुख्य् अंग् ‍ामाष्जक् लोकतंत्र, लोकतांब्रत्रक् ‍माजवाद, उदारवाद, ‍ामाष्जक् उदारवाद,
धमसतनरपेक्षता, प्रगततवाद, भारतीय्राटरवाद्और्नागररक्राटरवाद्हैं।्यह्पािी्एक्‍मय्भारतीय्राजनीततक्
पररदृश्य्पर्हावी्र्ी।्यह्केंद्र-वाम्राजनीततक्ष्थर्तत्रखता्है ।् 2004-2014्‍े् इ‍ने् ‍ंयुर्कत्प्रगततशील्
गिबंधन्के्नाम्‍े्कई्क्षेत्रीय्दलों्के्‍ार््गिबंधन्ककया।

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2. भारतीय कम्युतनस्ि पािी (CPI)—यह् भारत् की् ‍ब‍े् परु ानी् कम्युतनथि् राजनीततक् पािी् है ।् 1964् में्
‍ीपीआई्(मार्क‍सवादी)्के्गिन्के्‍मय्यह्पािी्िूि्गई।्यह्‍ाम्यवाद, मार्क‍सवादी-्लेतननवाद, ‍माजवाद्
और्धमसतनरपेक्षता्की्ववचारधारा्के्ललए्खड़ा्है ।्यह्वामपंर्ी्राजनीततक्ष्थर्तत्को्बनाए्रखता्है ।

3. भारतीय जनता पािी (भाजपा)—यह्कांग्रे‍्के्‍ार्-‍ार््भारत्की्दो्प्रमुख्राजनीततक्पादिस यों्में्‍े्एक्


है ।्यह्दक्षक्षणपंर्ी्पािी्है ् और्वतसमान्में् दे श्का्‍ब‍े्बड़ा्प्रतततनधधत्व्रखती्है ।्यह्रूदढ़वाद , एकात्म्
मानववाद, दहंदत्ु व, दहंद्ू राटरवाद, ‍ांथकृततक्राटरवाद्इ‍की्ववचारधारा्के्मुख्य्ब्रबंद्ु हैं।्बीजेपी्ने्भी्एनडीए्
नाम्का्गिबंधन्ककया्र्ा।

4. भारतीय कम्यतु नस्ि पािी (मार्किशवादी) (CPI-M)—यह्पािी्मार्क‍सवादी-लेतननवादी्दशसन्का्पालन्करती्है ्


और् 1964् में् भारत् की् कम्युतनथि् पािी् ‍े् अलग् होने् के् बाद् बनाई् गई् र्ी।् मार्क‍सवादी-लेतननवादी्
ववचारधारा् के् अलावा् यह् ‍ाम्यवाद, पूंजीवाद-ववरोधी् और् ‍ाम्राज्यवाद-ववरोधी् ववचारों् को् दशासता् है ।् यह्
वामपंर्ी्राजनीततक्ष्थर्तत्रखता्है ।

5. बहुजन िमाज पािी (BSP)—यह् पािी् धालमसक् अल्प‍ंख्यकों् के् ‍ार्-‍ार्् अनु‍ूधचत् जाततयों, अनु‍ूधचत्
जनजाततयों्और्अन्य्वपछड़े् वगों्के्बहुजन्का्प्रतततनधधत्व्करने् के्ललए्बनाई्गई्र्ी।्यह् 1984्में्
कांशी् राम् द्वारा् थर्ावपत् ककया् गया् र्ा।् यह् ‍ामाष्जक् ‍मानता , ‍ामाष्जक् न्याय् और् थवालभमान् को्
दशासता्है ।्इ‍्पािी्की्राजनीततक्ष्थर्तत्केंद्र-वाम्है ।

6. राटरवादी कांग्रेि पािी—यह् भारत् की् राटरीय् पादिस यों् में् ‍े् एक् है ् और् यह् भारतीय् राटरीय् कांग्रे‍् ‍े्
ववभाष्जत् है ।् यह् धमसतनरपेक्षता, उदारवाद, प्रगततवाद, नागररक् राटरवाद, ‍ामाष्जक् न्याय् और् ‍ंघवाद् की्
ववचारधारा्के्ललए्खड़ा्है ।्यह्केंद्र-वाम्राजनीततक्ष्थर्तत्रखता्है ।

7. अखिल भारतीय तण
ृ मूल कांग्रि
े (AITC)—2019 के्आम्चुनाव्के्बाद्यह्लोक‍भा्में् पााँचवीं् ‍ब‍े् बड़ी्
पािी् के् रूप् में् उभरी।् इ‍की् थर्ापना् ममता् बनजी् ने् की् र्ी।् यह् लोकतांब्रत्रक् ‍माजवाद , वामपंर्ी्
लोकलुभावनवाद्और्धमसतनरपेक्षता्के्ववचारों्का्पालन्करता्है ।्इ‍की्राजनीततक्ष्थर्तत्केंद्र-वाम्होने्
की्है ।

भारत में राज्य दल या क्षेिीय दल

क्षेत्रीय्दल्क्षेत्रीयता्या्क्षेत्रीय्गौरव्की्ववचारधारा्का्प्रचार्करते् हैं् और्केवल्एक्राज्य्में् ‍मर्सन्


पाने् में् ‍क्षम् दल् राज्य् दल् का् दहथ‍ा् होते् हैं।् भारतीय् ‍माज् के् भीतर्कई् नज
ृ ातीय, ‍ांथकृततक, भाषाई,
धालमसक्और्जातत्‍मूहों्की्उपष्थर्तत्राज्य्दलों्की्उत्पवत्त्और्वद्
ृ धध्के्ललये्बहुत्ष्ज़म्मेदार्है ्और्उन्हें ्
आमतौर्पर्क्षेत्रीय्दल्कहा्जाता्है ।्बड़े् राटरीय्दलों्के्आंतररक्‍ंघषों्के्कारण्भी्क्षेत्रीय्दलों्का्उदय्
हुआ् है ।् भारत् में् क्षेत्रीय् दल् थवायत्तता, राज्य‍त्ता, पहचान, ववका‍् जै‍्े ववषयों् पर् आधाररत्होते् हैं , जो् कभी्
कभी्चुनावी्लाभ्के्ललए्‍ांथकृततक्ववलशटिताओं् का्‍ज
ृ न्करते् हैं।्वपछले् चार्दशकों्में् क्षेत्रीय्दलों्की्
‍ंख्या्और्शष्र्कत्बढ़ी्है ्और्इ‍ने्भारत्को्राजनीततक्रूप्‍े्अधधक्ववववध्बना्ददया्है ।्क्षेत्रीय्दल्उ‍्
क्षेत्र्में् क्षेत्रीय्दहत्की्पतू तस् के्ललए्अधधक्इच्छुक्होते् हैं् जहााँ् वे् ‍किय्होते् हैं, वे् उ‍्क्षेत्र्के्उन्दहतों्की्
रक्षा्करते्हैं् ष्जन्हें ् िीक्‍े् ‍ंबोधधत्नहीं्ककया्गया्र्ा।्वे् अल्प‍ंख्यकों्की्रक्षा्के्ललए्ररर्कत्थर्ान्भरते्

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रहे ्हैं।्कई्बार्क्षेत्रीय्दहत्का्दावा्करने्‍े्दहं‍ा्और्अराजकता्होती्है ।्लेककन्क्षेत्रीय्दल्भी्‍च्ची्‍ंघीय्
ववशेषता्को्‍ामने् लाने् के्ललए्ष्जम्मेदार्हैं् और्उन्होंने् एकल्पािी्के ्प्रभुत्व्के्अधधनायकवादी्इरादों्को्
रोका्है ।्क्षेत्रीय्दलों्को्केंद्र्‍रकार्के्कक‍ी्भी्कदम्का्ववरोध्करते्दे खा्गया्है ्जो्उनके्अनु‍ार्उनके्
लोगों्के्दहतों्को्नक
ु ‍ान्पहुाँचा्रहा्र्ा।्क्षेत्रीय्दल्न्केवल्अपने्क्षेत्रीय्दहतों्को्बढ़ावा्दे ते्हैं्बष्ल्क्अपनी्
‍ंथकृतत्और्परं पराओं्को्भी्बढ़ावा्दे ते्हैं।्क्षेत्रीय्या्बहुदलीय्प्रणाली्के्उदय्के्िम्में ्क्षेत्रीय्राजनीततक्
दलों्की्शष्र्कत्वोिों्एवम्््तनवासधचत्‍दथयों्के्मामले्में्बढ़ी्है ।्राटरीय्दलों्के्मतों्का्प्रततशत्धगरावि्पर्
है ।्1984्के्आम्चुनावों्में्उनके्वोिों्का्दहथ‍ा्लगभग्78्प्रततशत्र्ा, जो्2009्के्आम्चुनावों्में्घिकर्
िमािर् 64्प्रततशत्हो्गया।्और्इ‍ी्अवधध्के्दौरान्क्षेत्रीय्दलों्की्दहथ‍ेदारी् 12्प्रततशत्‍े् बढ़कर् 31्
प्रततशत्हो्गई।्इ‍के्अलावा्‍ं‍द्के्तनवासधचत्‍दथयों्में्राटरीय्राजनीततक्दलों्की्दहथ‍ेदारी्85्प्रततशत्
‍े्घिकर्69्प्रततशत्हो्गई्है ्और्क्षेत्रीय्दलों्की्‍ंख्या्िमशाः्1984्और्2009्में्12्प्रततशत्‍े्बढ़कर्
29्प्रततशत्हो्गई्है ।

कई्बार्क्षेत्रीय्दलों्की्गततववधधयााँ्केंद्र्की्ववका‍्गततववधधयों्को्रोक्दे ती्हैं।्क्षेत्रीय्दल्भी्भाषा ,
‍ंथकृतत्और्परं परा्आदद्की्तजस्पर्लोगों्को्ववभाष्जत्करते्नजर्आते्हैं।

राज्य्राजनीततक्दल्के्रूप्में्मान्यता्प्राप्त्के्ललए, एक्राजनीततक्दल्को्तनम्नललणखत्में्‍े्कक‍ी्
भी्शतस्को्पूरा्करना्होगा:

• राजनीततक्दल्को्ववधान्‍भा्की्कुल्‍ीिों्का्न्यूनतम्3%्जीतने्की्आवश्यकता्है ।

• लोक‍भा्में्हर्25्‍ीिों्के्ललए, राजनीततक्दल्को्कम्‍े्कम्एक्‍ीि्जीतनी्चादहए।्वैकष्ल्पक्रूप्
‍े, इ‍े्उ‍्राज्य्को्आबंदित्कक‍ी्भी्अंश्को्जीतने्की्आवश्यकता्है ।

• राजनीततक्दल्को्कुल्वैध्मतों्का्कम्‍े्कम्6%्जीतना्चादहए्जो्लोक्‍भा्या्राज्य्ववधान्‍भा्
की्ओर्आम्चुनाव्के्दौरान्मतदान्ककया्जाता्है ।्इ‍के्अलावा, उ‍्चन
ु ाव्में्कम्‍े्कम्एक्लोक‍भा्
‍ीि्और्दो्ववधान्‍भा्‍ीिें ्जीतनी्चादहए।

• उदारीकृत्मानदं डों्के्अनु‍ार, यदद्कोई्राजनीततक्पािी्राज्य्के्ववधान्‍भा्या्राज्य‍भा्के्आम्चुनावों्


में्एक्‍ीि्जीतने्में्ववफल्रहती्है , तो्उ‍े् कुल्वैध्मतों्में्‍े्8%्या्उ‍‍े् अधधक्मतों्को्‍रु क्षक्षत्
करने्की्आवश्यकता्होती्है ।्हमारे ्पा‍्भारत्में्कुछ्क्षेत्रीय्पादिस यां्हैं—

1. आम आदमी पािी (आप)—इ‍का्गिन्“भ्रटिाचार्के्णखलाफ्भारत”्आंदोलन्के्पररणामथवरूप्हुआ्र्ा।्


यह्पािी्वतसमान्में्दे श्के्राटरीय्राजधानी्पर्शा‍न्कर्रही्है ।्यह्2012्में्थर्ावपत्की्गई्र्ी्और्
केंद्र-वाम् होने् की् राजनीततक् ष्थर्तत् के् ‍ार्् भ्रटिाचार् ववरोधी , भागीदारी् लोकतंत्र, लोकलुभावनवाद, नरम्
राटरवाद्के्ववचारों्को्बढ़ावा्दे ता्है ।्ददल्ली्में्आम्आदमी पािी्ने्भारतीय्राजनीतत्में्बहुत्महत्त्वपूण्स
भूलमका्तनभाई।

2. एआईएडीएमके—ऑल् इंडडया् अन्ना् द्रववड़् मुनेत्र् कड़गम् पािी् तलमलनाडु् और् पांडडचेरी् के् क्षेत्र् की् क्षेत्रीय्
राजनीततक्पािी्है ।्इ‍की्थर्ापना्1972्में्M.G रामचंद्रन्ने्की्र्ी।्तलमलनाडु्में्AIADMK और्DMK
ने्दक्षक्षण्भारतीय्राज्यों्में्बहुत्महत्त्वपूण्स भूलमका्तनभाया।

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3. AIMIM—द्ऑल्इंडडया्मजलल‍-ए-इत्तेहाद-उल-मुष्थलमीन्एक्इथलामी्क्षेत्रीय्पािी्है ्ष्ज‍का्राजनीततक्
आधार्तेलंगाना्है ।्इ‍की्थर्ापना् 1927्में् हुई्र्ी्और्यह्इथलाम्धमस् की्ववचारधारा्रखती्है ।्यह्
दक्षक्षणपंर्ी्राजनीततक्ष्थर्तत्रखती्है ।

4. AGP—अ‍म्में्अ‍ोम्गण्पररषद्एक्राज्य्राजनीततक्पािी्है ।्1985्के्‍मझौते्के्बाद्इ‍का्गिन्
ककया्गया्र्ा।

5. BJD—बीजू् जनता्दल्ओडडशा्राज्य्में् एक्राज्य्की्राजनीततक्पािी्है ् और्इ‍की्थर्ापना् 1997्में्


हुई् र्ी।् यह् ‍ामाष्जक् लोकतंत्र, उदारवाद, धमसतनरपेक्षता् और् ‍ामाष्जक् न्याय् की् ववचारधारा् को् थवीकार्
करता्है ।

6. द्रमुक—द्रववड़्मुनेत्र्कड़गम्तलमलनाडु्और्यू्िी्पुदच
ु ेरी्राज्य्की्एक्राजनीततक्पािी्है ।्यह्ववचारधारा्
लोकतांब्रत्रक्‍माजवाद, ‍ामाष्जक्लोकतंत्र, धमसतनरपेक्षता, क्षेत्रीयता्और्‍ामाष्जक्न्याय्है ।

7. इंडडयन नेर्नल लोकदल—इंडडयन्नेशनल्लोकदल्हररयाणा्राज्य्में्‍किय्एक्पािी्है ्और्इ‍की्थर्ापना्


वषस् 1996 में् हुई्र्ी।्यह्‍ामाष्जक्उदारवाद्के्ववचारों्के्ललए्खड़ा्है ।्राजनीततक्ष्थर्तत्पर्यह्पािी्
केंद्र्की्ष्थर्तत्रखती्है ।

(र्कया क्षेिीय दलों का उदय राजनीततक ष्स्थरता को त्रबगाड रहा है ?)

यह् ‍वाल् कक् र्कया् क्षेत्रीय् दलों् के् उदय् ‍े् राटरीय् दलों्को् एक् लमर्क् के् रूप् में् खाररज् ककया् जा्
‍कता्है ् र्कयोंकक्चुनाव्पैिनस् में् क्षेत्रीय्दलों्के्खड़े् होने् ‍े् शष्र्कत्‍ंतुलन्की्ष्थर्रता्की्ओर्‍ंकेत्ककया्
गया्है ।्एक्और्लमर्क्ष्ज‍े्यहााँ्‍ंबोधधत्करने्की्जरूरत्है , वह्यह्है ्कक्क्षेत्रीय्दल्क्षेत्रों्पर्शा‍न्कर्
रहे ्हैं्या्नहीं।्क्षेत्रीय्दल्वचसथव्की्दौड़्में्अभी्भी्बहुत्पीछे ्हैं्र्कयोंकक्वे्कक‍ी्राज्य्के्कक‍ी्क्षेत्र्ववशेष्
में्शा‍न्कर्‍कते्हैं, लेककन्राटरीय्दल्अभी्भी्बहुमत्प्राप््त्कर्राज्यों्को्तनयंब्रत्रत्करते्हैं्जै‍े-्कांग्रे‍्
या्भाजपा।्शा‍न्के्पररवतसन्के्‍ंबंध्में्एक्और्लमर्क्हो्‍कता्है -्र्कया्क्षेत्रीय्दलों्ने्शा‍न्को्कफर्
‍े् पररभावषत्ककया्है ? इ‍का्जवाब्क्षेत्रीय्दलों्के्‍ीलमत्‍ंथर्ागतकरण्को्दे खकर्ददया्जा्‍कता्है , जो्
‍वाल्करते्हैं्कक्शा‍न्को्बदलने्की्उनकी्क्षमता्र्कया्है ।्ववदे श्नीतत्पर्प्रभाव्बढ़ाने्वाले्क्षेत्रीय्दलों्
के् लमर्क् को् भी् यहााँ् इंधगत् करने् की् आवश्यकता् है ् और् इ‍े् केंद्र् की् थवीकृतत् की् आवश्यकता् के् कारण्
‍ीलमत्कहा् जा् ‍कता् है ।्क्षेत्रीय् दलों् के्उद्भव् ने् राजनीततक् पररदृश्य्को् बदल् ददया् है , लेककन्इ‍े् यहााँ्
अततरं ष्जत्नहीं् ककया्जाना्चादहए।्भारत्में्राजनीततक्दलों्और्दलीय्प्रणाली्‍ांथकृततक्ववववधता, जातीय,
जातत, ‍मुदाय्और्धालमसक्बहुलवाद्‍े्प्रभाववत्हुई्है ।

क्षेत्रीय्दल्राटरीय्दलों्की्कलमयों्को्इंधगत्कर्‍कते्हैं्या्‍ंबंधधत्मुद्दों्के्‍ार््आ्‍कते्हैं्लेककन्
यह्नहीं्कहा्जा्‍कता्है ्कक्उन्होंने्राटरीय्दलों्की्लोकवप्रयता्और्कररश्मे्को्कम्कर्ददया्है ।्हालााँकक्
क्षेत्रीय्दल्‍फलतापव
ू क
स ्उन्मद्
ु दों्की्ओर्‍ंकेत्कर्रहे ् हैं्जो्केंद्र्‍रकार्पर्अपना्ध्यान्केंदद्रत्करने्में्
ववफल्रहे ्हैं।्1980्के्दशक्के्बाद्केंद्र्और्राज्य्थतर्पर्‍रकार्के्गिन्में्क्षेत्रीय्दल्बहुत्महत्त्वपूण्स
भूलमका्तनभा्रहे ्हैं।्क्षेत्रीय्दल्ऐ‍ी्पादिस यााँ्हैं्ष्जनका्प्रभत्ु व्मुख्य्रूप्‍े्एक्तनष्श्चत्राज्य्में्हैं्और्वह्
केवल्उ‍ी्राज्य्के्भीतर्चुनाव्में्भाग्लेते्हैं।्तलमलनाडु्में्दो्मुख्य्राज्य्दल्(AIADMK) और्(DMK) हैं।्
इन्दलों्की्उत्पवत्त्भारत्की्थवतंत्रता्‍े्पहले्की्है ।्इ‍्पािी्की्मुख्य्ववचारधारा्तलमल्राटरीय्गौरव्है ।्
एक्अन्य्राज्य्पािी्अकाली्दल्है ्और्इ‍की्मख्
ु य्पकड़्पंजाब्और्उत्तर्भारत्में्है ।्यह्पािी्एक्राज्य्
पािी्है ्लेककन्यह्एक्धमस्प्रधान्पािी्है ्ष्ज‍के्अनुयायी्ल‍ख्हैं।

131
तनटकषश (CONCLUSION)

दलीय् प्रणाली् एक् थवथर्् लोकतांब्रत्रक् प्रकिया् के् कई् कारकों् में् ‍े् एक् है ।् यह् लोगों् को् ‍रकार् का्
प्रतततनधधत्व्करने्में्‍क्षम्बनाता्है ।्भारत्में्राजनीततक्दलों्ने्भारतीय्राजनीतत्में्बहुत्महत्वपूण्स भूलमका्
तनभाई्है ।्1952्और्1967्के्बीच्कांग्रे‍्पािी्केंद्र्और्राज्य्दोनों्थतरों्पर्भारतीय्राजनीतत्में्हावी्रही।्
राटरीय्और्क्षेत्रीय्दलों्ने् कई्तरीकों्‍े् लोगों्के्ववचारों्को्आकार्ददया्है ् जो्चुनाव्के्दौरान्लोगों्की्
भागीदारी्के्उदय्में्दे खे्जा्‍कते्हैं।्1980्के्बाद्कई्क्षेत्रीय्दलों्के्उदय्ने्एक्नािकीय्बदलाव्के्‍ार््
भारतीय्राजनीतत्को्बदल्ददया्और्चन
ु ावी्राजनीतत्को्बदल्ददया।्भारत्में्एक्बहु-दलीय्प्रणाली्है , ष्ज‍े्
एक्अनोखी्प्रकिया्के्रूप्में ्दे खा्जाता्है ्और्हाललया्घिनािम्जै‍े्कक्मई् 2014्में्भाजपा्द्वारा्पहली्
एकल्पािी्के्रूप्में्दावा्ककया्गया्र्ा।्तीन्दशकों्में्लोक्‍भा्में्हम्दे ख्‍कते्हैं्कक्राटरीय्थतर्पर्
कांग्रे‍्के्प्रभुत्व्के्दशकों्के्बाद्1989-2014्के्बीच्भारतीय्राजनीतत्गिबंधन्की्राजनीतत्र्ी।्गिबंधन्
राजनीतत्का्आधुतनक्युग्बहु-दलीय्प्रणाली्का्ववका‍्कर्चुका्है ।्कांग्रे‍्पािी्के्राटरीय्थतर्पर्वचसथव्
के्दशकों्के्बाद्1989्और्2014्के्बीच्भारतीय्राजनीतत्गिबंधन्की्राजनीतत्र्ी।्2014्और्2019्के्
दो्आम्चुनावों्में् एक्ही्पािी्ने् अपने् दम्पर्पूण्स बहुमत्प्राप्त्ककया।्हर्राजनीततक्दल्के्पा‍्अपनी्
दरू दृष्टि्और्ववचारधाराएाँ्होती्हैं, ष्जन्हें ्अर्क‍र्राज्य्या्क्षेत्र्की्जरूरतों्और्धचंताओं्के्‍ार््जोड़ा्जाता्है ।्
चुनाव्के्दौरान्लोग्उन्हें ् चुनते् हैं, वे् दे श्के्वैध्शा‍क्बन्जाते् हैं।्पािी्की्कुछ्ष्जम्मेदाररयााँ् होती्हैं।्
राटरीय्और्क्षेत्रीय्दल्आम्लोगों्द्वारा्उनके्ववचारों्को्‍ामने्रखने्के्ललए्एक्मंच्बनाने्के्ललए्लमलकर्
काम्करती्हैं।्राजनीततक्दलों्का्मख्
ु य्उद्दे श्य्चन
ु ाव्के्दौरान्अपने् वादों्को्परू ा्करना्है ।्राजनीततक्
दलों्ने् लोकतांब्रत्रक्दे श्में् बहुत्महत्त्वपूण्स भूलमका्तनभाई।्भारत्में् दलीय्प्रणाली्तनरं तर्ववका‍रत्है ् और्
यह्बदलते् ‍मय्के्‍ार््बदल्रही्है ् और्भागीदारी्लोकतंत्र्की्‍फलता्की्दर्को्भी्बढ़ा्रही्है ।् 1980्
के्दशक्के्अंत्और् 1990्के्दशक्की्शुरुआत्में् क्षेत्रीय्दलों्की्वद्
ृ धध्ने् शष्र्कत्‍ंतुलन्को्ब्रबगाड़ा्नहीं्
है , बष्ल्क्इ‍के्बजाय्शष्र्कत्‍ंतुलन्में्ष्थर्रता्को्बढ़ाया्है ।्चुनाव्आयोग्‍ात्राटरीय्दलों्और् 52्राज्य्
दलों् को् मान्यता् दे ता् है ।् इ‍के् अलावा् वतसमान् में् 1900् ‍े् अधधक् गैर-मान्यता् प्राप्त् राजनीततक् दल् हैं।्
महत्वपूण्स ववशेषताओं् में् ‍े् एक्ष्ज‍े् हम्‍भी्राटरीय्दलों्के्माध्यम्‍े् दे ख्‍कते् हैं, उनकी्ववचारधारा्के्
प्रतत्प्रततबद्धता्की्कमी्है ।्पादिस यों्द्वारा्‍ावसजतनक्बयानों्में्ववचारधारा्का्उपयोग्बयानबाजी्‍े्अधधक्
नहीं्है ।्जै‍ा्कक्पार्स्चिजी्ने्उल्लेख्ककया्है ्कक्भारतीय्पािी्प्रणाली्में्हर्पािी्अतनच्छा्‍े्या्खुशी्‍े्
नव्उदारवाद्की्नीततयों्का्‍मर्सन्करती्है ।्यहााँ् तक्कक्भारतीय्कम्युतनथि्पािी्(मार्क‍सवादी)्ष्ज‍े् कई्
लोगों्द्वारा्अपनी्ववचारधारा्‍े् धचपके्रहने् के्रूप्में् माना्जाता्है , ने् भी्अपनी्कारसवाई्में् पाँूजीवाद्की्
नीततयों्का्‍मर्सन्ककया्है ।

िंदभश

1. Chakarbarty, Bidyut, forging power: Coalition politics in India, New Delhi: Oxford University Press,
2006.
2. E. Sridharan, Coalition Strategies and the BJP’s Expansion, 1989-2014.
3. Rajni Kothari, The Congress System in India, Asian survey.
4. Parties and party politics in India, Zoya Hasan, Oxford University Press.
5. Rajni Kothari, Continuity and Change in India’s Party System.
6. E. Sridharan, The Fragmentation of Indian Party System.

132
इकाई-7

स्वतंिता के पश्चात िे भारत में ववकाि की कायशनीतत :


योजनाबद्ध अथशव्यवस्था एवं नव-उदारवाद
वप्रयंका्बैरवा

अध्याय का उद्दे श्य

इ‍्अध्याय्को्पढ़ने्के्पश््चात ््आप्इन्ब्रबंदओ
ु ं्को्‍मझ्पाएाँगे–

• ववका‍्के्‍म्बन्ध्में्भारत्की्भावी्दृष्टि्पर्‍ंक्षक्षप्त्चचास।

• थवतंत्रता्की्पूव्स ‍ंध्या्पर्चचास।

• ववका‍्की्पररभाषा्एवं्इ‍के्ववलभन्न्अन्य्मॉडल।

• योजना्का्‍ंक्षक्षप्त्इततहा‍।

• योजना्आयोग; और्बाद्में्नीतत्आयोग्द्वारा्प्रततथर्ावपत्एवं्इ‍के्उद्दे श्य।

• तनयोजन्की्प्रकिया्में्‘राज्य’्की्भलू मका।

• भारत्एवं्ववश््व्के्ववलभन्न्भागो्में्योजना्का्अनुभव।

• योजना्ववका‍्के्चरण।

• योजना्आयोग्के्तनटपादन्का्ववश््लेषण्:्‍फलता्एवं्ववफलता।

• आधर्सक्‍ंकि्:्कारण्एवं्वाद-वववाद।

• नव-उदारवादी्नीततयों्को्‍ष्म्मललत्करना।

• उदारीकरण, वैश््वीकरण्एवं्तनजीकरण्की्नीततयों्को्अपनाना।

• ववलभन्न्क्षेत्रों्में्दोषतनववृ त्त।

• दोषतनववृ त्त्के्पररणाम्लाभ्तर्ा्हातनाः्एक्मूल्यांकन।

इ‍्अध्याय्के्अंतगसत्हम्थवतंत्रता्के्तुरंत्पश््
चात ््लाग्ू ककए्गए्ववका‍्के्उद्दे श्यों्और्कायसनीतत्
पर्चचास्करें गे, और्कै‍े्‍मय्की्अवधध्पर्इ‍की्प्रकृतत्और्उद्दे श्यों्में्पररवतसन्हुआ्यह्भी्दे खेंगे।्और्
अंत्में्इ‍के्मूल्यांकन्के्‍ार््हमे्‍ामाष्जक-आधर्सक्‍ंदभस्पढ़ाया्जाएगा्ष्ज‍के्अंतगसत्ववका‍्के्‍ूत्रीकरण्
की्प्रकिया्हुई।

स्वतंिता की पूवश िंध्या पर चचाश

भारत, अगथत्1947्में्एक्थवतंत्र्राटर्के्रूप्में्उभर्कर्‍ामने्आया, ष्ज‍में्“भाग्य्के्‍ार््प्रया‍”्


को्करने् की्प्रततज्ञा्र्ी, ष्ज‍का्अर्स् है ् कक्अब्प्रततज्ञा्को्परू ा्करने् का्‍मय्आ्गया्है ् और्हमने् इ‍्
प्रततज्ञा्को्पूरा्करने्के्ललए्एक्गुप्त्‍मझौता्ककया्है ।्उ‍्‍मय्में्राज्य्तनमासण्के्ललए्भारतीय्लोगों्
के्‍मक्ष्बहुत-‍ी्कदिनाइयााँ्र्ीं, जो्कुछ्इ‍्प्रकार्हैं—

133
• राटर्तनमासण
• ‍ामाष्जक्आधर्सक्ववका‍

राटर-तनमासण्का्‍वसप्रर्म्उद्दे श्य्ववतररत्ररया‍तों्का्एकीकरण्करना्और्उनके्‍मायोजन्के्ललए्
भारत्के्लोगों्की्आकांक्षा्को्‍ंतटु ि्करना्र्ा।्भारत् के्‍मक्ष्द‍
ू रा्कायस् दीघस् औपतनवेलशक्शोषणकारी्
अनुभव्के्पश््चात ््ववलभन्न्प्रकार्के्‍ामाष्जक-आधर्सक्ववका‍्की्चुनौततयों्का्‍ामना्करना्र्ा।्भारत्के्
‍मक्ष्गरीबी्उन्मूलन, ‍ामाष्जक-आधर्सक्न्याय्जै‍ी्ववलभन्न्चुनौततयों्को्पार्करने्का्लक्ष्य्र्ा।

आधर्सक्ववका‍्ने् भारत्के्लोगों्के्जीवन्थतर्में् आधर्सक्ववका‍्प्रगततशील्‍ध


ु ार्को्बनाए्रखने्
का्प्रया‍्ककया।्इ‍के्अंतगसत्ववलभन्न्णखलाड़ी्एवं्‍मूह्र्े्जै‍े्पयासवरणवादी, आददवा‍ी्और्थवयं्के्लोग,
ष्जनमें्उन्हें ्योजना्के्माध्यम्‍े्‍ामंजथय्बनाना्र्ा्और्इन्कायसनीततयों्में्एक्के्दहत्को्द‍
ू रों्‍े्अधधक्
प्रार्लमकता्दे ना्नहीं्र्ा।्ष्ज‍के्ललए्उन्होंने्एक्लोकतांब्रत्रक्तरीके्का्चुनाव्ककया्और्एक्तनणसय्द‍
ू रे ्‍े्
थवतंत्र्नहीं् र्ा।्यह्तनणसय्एक्‍ामाष्जक्‍मूह्के्दहतों्को्मापने् में् शालमल्र्े।्यह्‍भी्तनणसय्आधर्सक्
ववका‍्की्‍ाझा्दृष्टि्के्‍ार््बंधे्र्े।्आधर्सक्ववका‍्को्लेकर्एक्और्बह‍्‍ामने्आ्रही्र्ी्कक्बाज़ार्
के्‍मक्ष्राज्य्की्भूलमका्र्कया्होनी्चादहए।्परन्तु् उ‍्‍मय्बाज़ार्बहुत्ही्शुरुआती्अवथर्ा्में् र्ा।्उ‍्
‍मय्की्अवधध्में्ना्तो्उद्योग्चलाने्वाले्लोगों्के्पा‍्इतनी्पाँज
ू ी्र्ी, न्ही्लोगों्में्उपभोग्क्षमता्र्ी।्
इ‍्ष्थर्तत्में् राज्य्को्बाज़ार्के्प्रचार्के्ललए्एक्अग्रणी्भूलमका्तनभानी्र्ी।्इ‍ी्के्‍ार्, राज्य्द्वारा्
‍माजवादी्तरीके्को्अर्सव्यवथर्ा्का्आधार्बनाने्का्तनणसय्ललया्गया्ष्ज‍‍े्राज्य्तनयंत्रण्और्अर्सव्यवथर्ा्
की्ऊाँचाई्का्तनधासरण्हो्‍के।्इ‍्प्रकार, अंतताः, ‍ावसजतनक्और्तनजी्क्षेत्रों्को्थर्ायी्ववका‍्के्ललए्एक्
पूरक्की्भूलमका्तनभाने्का्प्रया‍्करना्चादहए्र्ा।

ववकाि की पररभाषा एवं इिके ववसभन्न अन्य मॉडल

ववका‍्की्पररयोजना्को्द्ववतीय्ववश््
व्युद्ध्के्पश््
चात ््की्घिनाओं् के्रूप्में् दे खा्जाता्है ।्जहााँ्
शोषक्और्नटि्हो्चक
ु े ्दे शों्को्आधतु नकीकरण्एवं् औद्योधगकीकरण्के्िम्में् एक्महत्त्वपण
ू ्स ववशेषता्के्
रूप्में् आधतु नकीकरण्की्ट्रूमैन्पररयोजना्को्थवीकार्करना्पड़ा।्प्रत्येक्दे श्को्ववका‍्के्इ‍्एकपक्षीय्
पर््के्माध्यम्‍े्जाना्होगा, ष्ज‍े्‍ामान्यताः्पष्श्चमीकरण्पररयोजना्के्नाम्‍े्उष्ल्लणखत्ककया्जाता्है ,
जहााँ् ववका‍्‍े् ‍न्दभस् होता्है ् भारी्बुतनयादी्ढााँचे, बड़े् पैमाने् पर्उत्पादन, अंतताः्आधर्सक्ववका‍्की्उच्च्
दर।्ष्ज‍‍े्लोगों्के्जीवन्में्‍मद्
ृ धध्का्आगमन्हुआ।्शीत्युद्ध्के्‍मय्में्ववका‍्के्दो्मॉडल्अंतरासटरीय्
पिल्पर्उभर्कर्‍ामने् आये, एक्ववका‍्का्‍माजवादी्मॉडल्ष्ज‍का्नेतत्ृ व्‍ोववयत्रू‍्ने् ककया्र्ा्
और् द‍
ू रा् ववका‍् का् पाँज
ू ीवादी् मॉडल् र्ा् ष्ज‍का् नेतत्ृ व् ‍ंयुर्कत् राटर् अमेररका् ने् ककया् र्ा।् ववका‍् के्
‍माजवादी् मॉडल् के् अंतगसत, उत्पादन् के् ‍भी् ‍ाधन् (‍ं‍ाधन् और् ‍ंपवत्त)् राज्य् के् थवालमत्व् में् होते् हैं,
‍माजवादी्मॉडल्में्राज्य्की्प्रततबद्धता्‍ं‍ाधनों्के्‍ामाष्जक-आधर्सक्पुनववसतरण्के्ललए्होती्है ्और्इ‍्
मॉडल् के् अंतगसत् लोगों् के् कल्याण् का् उत्तरदातयत्व् भी् राज्य् का् ही् होता् है ् ष्ज‍के् ‍ार्् र्ोड़ी् राजनीततक्
थवतंत्रता्भी्होती्है ।्ववका‍्का्पाँज
ू ीवादी्मॉडल्आधर्सक्क्षेत्र्के्अंतगसत्मर्क
ु त्बाजार्की्बात्करता्है ।्भारत्
में्बहुत्‍े्लोग्ऐ‍े्र्े्जो्ववका‍्के्‍माजवादी्मॉडल्‍े्बहुत्गहराई्‍े्प्रभाववत्र्े।्ष्ज‍के्अंतगसत्भारत्
के्केवल्कम्युतनथि्दल्के्नेता्ही्नहीं्अवपतु्कांग्रे‍्के्नेता्भी्शालमल्र्े्जो्‍माजवाद्में्ववश्वा‍्रखते्
हैं, ष्जनमे्नेहरू्प्रमुख्र्े।्अपनी्प्रततज्ञा्के्कारण्भारतीय्राटरवादी्ववका‍्के्‍माजवादी्मॉडल्की्ओर्झुके्
हुए्र्े, ष्ज‍्कारण्वह्राटरवादी्‍ंघषस्के्दौरान्प्रततबद्ध्र्े , जै‍े्गरीबी्उन्मूलन, ‍ामाष्जक्अर्सव्यवथर्ा्के्
आदशों्को्आगे् बढ़ाना, ष्ज‍े् उनके्द्वारा्मौललक्अधधकार्के्तनदे श्के्‍ार््भारत्के्‍ंववधान्के्ल‍द्धांत्

134
में्‍ष्म्मललत्ककया्र्ा।्इ‍्प्रकार्ववका‍्की्कायसनीततयों्के्मुद्दों्के्लभन्न-लभन्न्ववचार्के्लोग्र्े।्परन्तु्
राज्य्के्नेतत्ृ व्वाले्ववका‍्और्भारत्के्लोगों्के्ललए्‍ामाष्जक-आधर्सक्न्याय्को्लेकर्आम्‍हमतत्र्ी।

प्रश्न–

प्रश््
न-1 : थवतंत्रता्की्पव
ू ्स ‍ंध्या्के्‍मय, भारत्ने्अपने्लोगों्के्ललए्कौन-‍े्उद्दे श्य्तनधासररत्ककये?

प्रश््
न-2 : आप्ववका‍्के्ववचार्‍े्र्कया्‍मझते्हैं्?

प्रश््
न-3 : ववका‍्के्मॉडल्र्कया्र्े? भारत्ववका‍्के्‍माजवादी्मॉडल्की्ओर्र्कयों्झुक्रहा्र्ा्?

समधश्रत अथशव्यवस्था

भारत्के्ववका‍्के्ललए्ष्जन्कायसनीततयों्का्चयन्ककया्गया्र्ा, उन्पर्वाद-वववाद्अंतताः्‍माप्त्
हुआ।्भारत्ने्ववका‍्का्लमधश्रत्अर्सव्यवथर्ा्का्मॉडल्अपनाया्र्ा।्जहााँ्एक्ओर्राज्य्उत्पादन्के्मख् ु य्
‍ाधनो् को् तनयंब्रत्रत् करे गा् वहीं् द‍
ू री् ओर् ‍ावजसतनक् क्षेत्र् में् तनवेश् और् व्यापार् के् बनाये् गए् तनयमों् के्
माध्यम्‍े्प्रोत्‍ाहन्प्रदान्करे गा।्राज्य्का्कृवष्में्उपयुर्कत्हथतक्षेप्होगा्ष्ज‍का्अर्स्है ्आवश्यक्‍ष्ब्‍डी्
प्रदान्करना।्राज्य्द्वारा्‍ामाष्जक्उपिमों्(‍ामाष्जक्क्षेत्र्के्उपिमों)्को्आगे्बढ़ाया्गया्ष्ज‍के्अंतगसत्
राज्य्मुख्य्ववतनयमन्और्प्रशा‍न्के्‍ार््प्रमुख्दहतधारक्र्ा।

योजना का िंक्षक्षप्त वववरण

राटरीय योजना िसमतत

राटरीय्योजना्‍लमतत्की्थर्ापना्योजना्आयोग्के्वाथतुकार्पंडडत्जवाहरलाल्नेहरू्की्अध्यक्षता्में्
की्गई्र्ी।्राटरीय्योजना्‍लमतत्की्थर्ापना्1938्के्अंत्में्की्गयी्र्ी।्‍लमतत्द्वारा्कुछ्‍ंथतुतत्दी्
गयी-

• ‍भी् प्रमुख् उद्योगों् और् ‍ेवाओं् जै‍े् खतनज, रे ल् यात्रा, जलमागस् और् अन्य् ‍ावसजतनक् उपयोधगता् पर्
राज्य्का्तनयंत्रण्होना्चादहए्और्आधर्सक्ववका‍्के्‍ार््ववलभन्न्ववषयों्पर्अध्ययन्की्एक्श्रंख
ृ ला्
उत्पादन्होना्चादहए।

• राटरीय्योजना्की्व्यवथर्ा्के्प्रारूप्के्ललए्कृवष्बहुत्आवश्यक्है ।

• योजना्‍े्लोगों्के्जीवन्का्थतर्ऊपर्उिना्चादहए।

गााँधीवादी मॉडल

महात्मा्गााँधी्एक्व्यव‍ायी्अर्सशाथ्त्री्नहीं्र्े, उनके्द्वारा्आधर्सक्ववका‍्का्कोई्औपचाररक्मॉडल्
ववकल‍त्नहीं् ककया्गया्र्ा, परन्तु् ग्रामीण्ववका‍्जै‍्े कक्लघु् उद्योग्एवं् कृवष्नवाचार्तर्ा्ववका‍्के्
‍ंबंध्में्कुछ्नीततयों्की्वकालत्की्र्ी।्बहुत्‍े्गााँधीवादी्ववचारक्र्े्जै‍े्जे.‍ी.्कुमारप्पा, ष्जन्होंने्ग्रामीण्
औद्योधगकरण्पर्अधधक्बल्दे ते् हुए्एक्वैकष्ल्पक्खाका्प्रथताववत्ककया।्इ‍के्अततररर्कत्एक्अन्य्नेता्
भी्र्े्चौधरी्चरण्ल‍ंह, जो्कृवष्के्प्रबल्‍मर्सक्र्े।

135
बोम्बे योजना

उद्योगपततयों्का्एक्अन्य्वगस् है ् ष्जनके्द्वारा्औद्योधगक्ववका‍्की्मााँग्की्गयी, ‍ार््ही्1944्


में्राज्य्के्नेतत्ृ व्में्यह्वगस्एक्‍ार््आया, और्योजनाबद्ध्अर्सव्यवथर्ा्की्थर्ापना्के्ललए्एक्प्रथताव्
का्प्रारूप्तैयार्ककया, ष्ज‍े्बॉम्बे्योजना्के्रूप्में ्जाना्जाता्है ।

योजना आयोग

भारत्‍रकार्एक्‍ाधारण्प्रथताव्के्द्वारा्माचस्1950्में्योजना्आयोग्की्थर्ापना्हुई्र्ी।्थवतंत्रता्
के्पचा‍्ददनों्के्बाद्यह्आयोग्अष्थतत्व्में्आया, ‍ार््ही्‍ंववधान्की्घोषणा्के्पश््चात ््यह्एक्अततररर्कत्
‍ंवैधातनक्तनकाय्के्रूप्में ् थर्ावपत्हुआ।्इ‍्आयोग्में् अध्यक्ष्एवं् उपाध्यक्ष्के्छह्‍दथय्र्े, ष्ज‍की्
अध्यक्षता्प्रधानमंत्री्द्वारा्की्गयी्तर्ा्डडप्िी्कलमश्नर्इ‍के्पूणक
स ाललक्‍दथय्र्े, जो्एक्‍लाहकार्की्
भूलमका्तनभाते् र्े् और्इनका्परामशस् तभी्प्रभावी्होता्र्ा्जब्उनको्केंद्रीय्मंब्रत्रमंडल्की्‍हमतत्प्राप्त्हो्
जाती्र्ी।्योजना्आयोग्को्चरणबद्ध्रूप्‍े् योजना्के्ललए्एक्प्रारूप्तैयार्करने् का्आदे श्ददया्जाता्
र्ा।्आगामी्पााँच्वषों्के्ललए्योजना्द्वारा्तनधासररत्ककए्गए्योजना्बजि्पर्‍रकार्की्आय्और्व्यय्
को्खचस्करने्की्प्रार्लमकता्तनधासररत्की्जाती्र्ी।्आयोग्द्वारा्एक्अन्य्प्रथताव्‍ामने्रखा्गया्ष्ज‍में्
राटरीय्ववका‍्पररषद््(1952)्का्गिन्ककया्गया, ष्ज‍में्प्रधानमंत्री्को्उ‍्पररषद््का्मुणखया्और्मुख्यमंत्री्
को्उ‍के्‍दथयों्के्रूप्में्चयन्ककए्जाने्के्प्रथताव्को्भी्रखा्गया।्योजना्आयोग्को्‍दै व्‍ंवैधातनक्
ढााँचे्और्उ‍के्मूल्यों्के्भीतर्कायस्करने्के्ललए्कहा्गया्र्ा।्जो्इ‍्प्रकार्हैं–

योजना आयोग के सलए िंकलप

भारत्के्‍ंववधान्ने् भारतीय्नागररकों्को्कुछ्मौललक्अधधकारों्की्गारं िी्दी्है ् तर्ा्ववशेषताः्राज्य्


के्नीतत्तनदे शक्ल‍द्धांत्के्कुछ्ववलशटि्ल‍द्धांतों्को्तनददस टि्ककया्है , मुख्यताः्वह्राज्य्‍ामाष्जक्व्यवथर्ा्
को्‍ुरक्षक्षत्और्‍ंरक्षक्षत्करने्के्पश््चात ््लोगों्के्कल्याण्को्बढ़ावा्दे ने्का्प्रया‍्करता्है , ष्ज‍में्न्याय्–्
‍ामाष्जक, आधर्सक्तर्ा्राजनीततक्और्अन्य्बातों्के्मध्य्अपनी्नीतत्को्तनदे लशत्करने् के्ललए्अपनी्
नीतत्को्तनदे लशत्करे गा–

• नागररकों, परु
ु षों्एवं्मदहलाओं्को्‍मान्रूप्‍े्आजीववका्के्पयासप्त्‍ाधनों्का्अधधकार्है ;

• ‍मुदाय् के् भौततक् ‍ं‍ाधनों् का् थवालमत्व् और् तनयंत्रण् जन् ‍मान् के् दहत् को् ‍ंरक्षक्षत् करने् के् ललए्
ववतररत्ककया्है ;

• यह्आधर्सक्प्रणाली्के्‍ंचालन्‍े्धन्की्एकाग्रता्तर्ा्उत्पादन्के्‍ाधनों्के्अवरोध्का्पररणाम्नहीं्
होता्है ;

इ‍का्उद्दे श्य्ववशेष्रूप्‍े्जीवन्जीने्के्थतर्को्उिाना्र्ा।

• इन्ल‍द्धांतों्के्महत्त्व्के्‍ार््ही्दे श्के्‍ं‍ाधनों्के्कुशल्शोषण्द्वारा्लोगों्के्जीवन्थतर्में्तीव्रता्
‍े् वद्
ृ धध् को् बढ़ावा् दे ने् और् उत्पादन् बढ़ाने् के् ललए, तर्ा् अव‍रों् की् प्रथताववत् करने् के् ललए् ‍रकार्
द्वारा्घोवषत्उद्दे श्यों्के्‍ंबध
ं ्में्योजना्आयोग्‍मुदाय्की्‍ेवा्में्‍भी्को्तनयोजन्दे गा;

• दे श्की्‍ामग्री, पाँज
ू ी्और्मानव्‍ं‍ाधनों्का्मूल्यांकन्करें , ष्ज‍के्अंतगसत्तकनीकी, कालमसक्‍दहत्तर्ा्
ऐ‍े्‍ं‍ाधनों्को्बढ़ाने्की्‍ंभावनाओं्की्जााँच्करना्‍ष्म्मललत्हो्जो्राटर्की्आवश्यकताओं्के्‍ंबंध्
में्कुशल्हो;

136
• दे श्के्‍ं‍ाधनों्के्‍ब‍े्प्रभावी्और्‍ंतुललत्उपयोग्के्ललए्एक्योजना्तैयार्करना;

• प्रार्लमकताओं्के्तनधासरण्पर, उन्चरणों्को्पररभावषत्ककया्जाए्ष्जनमें्योजना्को्पूण्स ककया्जा्‍के्


और्प्रत्येक्चरण्के्पूरा्होने्के्ललए्‍ं‍ाधनों्के्आवंिन्का्प्रथताव्करना्चादहए,

• उन्कारकों्को्इंधगत्करें ् जो्आधर्सक्ववका‍्को्मंदा्करते् हैं , और्उन्पररष्थर्ततयों्को्तनधासररत्करते्


हैं, जो्वतसमान्‍ामाष्जक्और्राजनीततक्ष्थर्तत्को्ध्यान्में् रखते् हुए, योजना्के्‍फल्तनटपादन्के्
ललए्थर्ावपत्की्जानी्चादहए।

• मशीनरी्की्प्रकृतत्का्तनधासरण्ककया्जाए्जो्अपने् ‍भी्पहलओ
ु ं् में् योजना्के्प्रत्येक्चरण्के्‍फल्
कायासन्वयन्को्‍ुरक्षक्षत्करने्के्ललए्आवश्यक्होगा।

• ‍मय-‍मय्पर्मल्
ू यांकन्योजना्के्प्रत्येक्चरण्की्प्राष्प्त्में् पायी्गई्प्रगतत्और्नीतत्के्‍मायोजन्
की्‍ंथतुतत्करता्है ्और्उपाय्करता्है ्कक्इ‍्प्रकार्के्मूल्यांकन्आवश्यक्रूप्‍े्हो्‍कें।

इ‍्प्रकार्की्अंतररम्या्अततररर्कत्‍ंथतुतत्करना्उधचत्प्रतीत्होता्है ् या्तो्इ‍े् ‍ौंपे् गए्कतसव्यों्के्


तनवसहन् की् ‍वु वधा् के् ललए् उपयर्क
ु त् ‍मझा् गया् है ; या, प्रचललत् आधर्सक् पररष्थर्ततयों, वतसमान् नीततयों् के्
उपायों्और्ववका‍्कायसिम्पर्ववचार; या्केंद्र्और्राज्य्‍रकार्द्वारा्परामशस्के्ललए्इ‍्प्रकार्की्ववलशटि्
‍मथयाओं्की्जााँच्पर्यह्‍ंदलभसत्ककया्जा्‍कता्है ।

राटरीय पररषद् के कायश

• ‍मय-‍मय्पर्राटर्योजना्के्कायों्की्‍मीक्षा्करना;

• राटरीय्ववका‍्को्प्रभाववत्करने् वाली्‍ामाष्जक्और्अर्सव्यवथर्ा्नीतत्के्महत्त्वपूणस् प्रश्नो्पर्ववचार्


करने्के्ललए;

• राटरीय्योजना्में्तनधासररत्लक्ष्य्और्उन्लक्ष्यों्की्प्राष्प्त्के्ललए्उपायों्की्‍ंथतुतत्करना, ष्ज‍में्लोगों्
की्‍किय्भागीदारी्के्‍हयोग्को्‍रु क्षक्षत्करने् के्उपाय, प्रशा‍तनक्‍ेवाओं् की्दक्षता्में् ‍ध
ु ार, कम्
उन्नत्क्षेत्रों्और्वगों्के्पूण्स ववका‍्को्‍ुतनष्श्चत्करना्‍ष्म्मललत्है ।

• दे श्के्‍भी्भागों्का्‍ंतलु लत्और्तीव्र्ववका‍्‍तु नष्श्चत्करना।

प्रश्न–

प्रश््
न-1 : योजना्आयोग्को्पररभावषत्करें ्व्इ‍के्प्रमुख्उद्दे श्य्र्कया्हैं?

प्रश््न-2 : राटरीय्पररषद््योजना्आयोग्‍े्कक‍्प्रकार्लभन्न्है ् ?

नीतत आयोग

13्अगथत, 2014्को, ‍रकार्ने्65्वषस्पुराने्योजना्आयोग्को्‍माप्त्कर्ददया्और्इ‍े्एक्नए्


तनकाय्द्वारा्पररवततसत्ककया्गया।्तदन‍
ु ार, जनवरी्2015्में, नीतत्आयोग्को्योजना्आयोग्के्उत्तराधधकारी्
के् रूप् में् थर्ावपत् ककया् गया् र्ा् जो् कक् कायसकारी् ‍ंकल्प् द्वारा् गदित् ककया् गया् र्ा।् इ‍ललए, यह् एक्
अततररर्कत्‍ंवैधातनक्तनकाय्र्ा।्नीतत्आयोग्एक्नीतत्है ् जो्‍रकार्की्‘धर्ंक्िैंक’्है ् जो्दोनों्ददशात्मक्
और्नीततगत्इनपुि्प्रदान्करती्है ।्भारत्‍रकार्के्ललए्कायसनीततयों्और्दीघसकाललक्नीततयों्तर्ा्कायसिमों्
को्डडजाइन्करते्‍मय, ‍ार््ही्नीतत्आयोग्केंद्र्और्राज्यों्को्प्रा‍ंधगक्तकनीकी्परामशस्भी्प्रदान्करता्
है ।

137
इ‍े्ववलभन्न्ब्रबंदओ
ु ं्को्दे खने्के्ललए्अतीत्की्ऊाँचाई्‍े्एक्लश्ि्व्यावहाररक्दृष्टिकोण्माना्जाता्
है , द‍
ू रे ्शब्दों्में्ऐ‍ा्कहा्जाता्है , यह्ऊपर्‍े्नीचे्के्बजाय्नीचे्‍े्ऊपर्के्दृष्टिकोण्को्दशासती्है ।्इ‍े्
‍हकारी्‍ंघवाद्की्भावना्में्जंर्कशन्कहा्जाता्है ।

िंरचना

नीतत्आयोग्की्रचना्इ‍्प्रकार्है –

• अध्यक्ष—भारत्के्प्रधानमंत्री

• र्ासित पररषद्—इ‍में् ‍भी्राज्यों्के् मख्


ु यमंत्री, ‍भी्केंद्र्शाल‍त्प्रदे शों्के्मख्
ु यमंत्री, ववधान‍भाओं्
और्अन्य्केंद्र्शाल‍त्प्रदे शों्के्उपराज्यपाल्शालमल्हैं।

• क्षेिीय पररषद्—ये् दो् या् अधधक् राज्यों् या् क्षेत्रों् को् प्रभाववत् करने् वाले् ववलशटि् वाद-वववादों् और्
आकष्थमकताओं् के्‍माधान्के्ललए्बनाई्जाती्हैं।्ये् तनददस टि्कायसकाल्‍े् बनते् हैं, ये् प्रधानमंत्री्
द्वारा्आमंब्रत्रत्ककए्जाते् हैं् और्इ‍में् राज्यों्के्मुख्यमंत्री्और्क्षेत्र्में् ‍ंघ्शाल‍त्प्रदे शों्के्उप-
राज्यपाल्होते्हैं।्इनकी्अध्यक्षता्चेयरप‍सन्या्उनके्नामांककत्व्यष्र्कत्करते्हैं।

• र्ेष आमंत्रित—ववशेषज्ञ्एवं्प्रधानमंत्री्द्वारा्ववशेष्आमंब्रत्रत्ववशेषज्ञ्के्रूप्में्प्रा‍ंधगक्डोमेन्ज्ञान्के्
‍ार्।

• पण
ू क
स ाललक्‍ंगिनात्मक्ढााँचा्ष्ज‍में्प्रधानमंत्री्के्अततररर्कत्‍भापतत्के्रूप्में्यह्‍ष्म्मललत्है ,

• वाइि चेयरपिशन—उनकी्तनयुष्र्कत्प्रधानमंत्री्द्वारा्की्जाती्है ।्उन्हें ्कैब्रबनेि्मंत्री्का्दजास्प्राप्त्है ।

• अंर्कासलक िदस्य—अग्रणी्ववश््वववद्यालयों्‍े्अनु‍ंधान्‍ंगिनों, अन्य्‍ंगिनों्‍े्पूव्स अधधकारी्क्षमता्


में्अधधकतम्2।

• पदे न िदस्य—पीएम्द्वारा्नालमत्ककए्जाने्वाले्‍दथयों्की्केंद्रीय्पररषद््के्अधधकतम्4्‍दथय।

• मख्
ु य कायशकारी अधधकारी—उन्हें ् प्रधान् मंत्री् द्वारा् भारत् ‍रकार् के् ‍धचव् के् पद् पर् एक् तनष्श्चत्
कायसकाल्के्ललए्तनयुर्कत्ककया्जाता्है ।

योजना में राज्य की भूसमका

यहााँ, इ‍्खंड्में्हम्योजना्में्राज्य्की्भूलमका्के्ववषय्में्चचास्कर्रहे ्हैं।्राज्य्कक‍ी्भी्राटर्के्


आधर्सक् ववका‍् की् योजना् में् मख्
ु य् भलू मका् तनभाता् रहा् है ।् चाँकू क् भारत् में् ब्रिदिश् शा‍न् का् एक् लंबा्
ऐततहाल‍क्अनुभव्रहा्र्ा, राटरीय्‍ंघषस् के्दौरान्राटरवादी्बहुत्‍े् ल‍द्धांतों्के्ललए्प्रततबद्ध्र्े, ष्जन्हें ्
उनके्द्वारा्थवतंत्रता्पूव्स भी्बनाए्रखने् का्प्रया‍्ककया्गया।्उन्होंने् वैधता्की्अधधक्डडग्री्प्राप्त्कर्ली्
र्ी् जो् कक् अवैधातनक् औपतनवेलशक् राज्य् के् ववपरीत् र्ी।् यह् वह् ‍मय् र्ा् जब् राटरवादी् औपतनवेलशक्
शोषणकारी्‍ंरचनात्मक्शा‍न्की्आलोचना्करते् र्े।्वे् आधर्सक्ववका‍्के्ललए्प्रततबद्ध्र्े् जो्‍माज्के्
‍भी्वगों्को्‍ामान्रूप्‍े्‍म्पण
ू ्स करने्में्ववश्वा‍्रखते्र्े।्बहुत्‍े्वचसथव्वाले्वगस्र्े्जो्अभी्भी्शा‍क्
अर्सव्यवथर्ा्पर्अधधक्प्रभाव्डालते्र्े, अन्य्उद्योगपतत, जो्राज्य्के्हथतक्षेप्की्भूलमका्चाहते्हैं, तनयोजन्
का् औद्योधगक् ववका‍।् राटर् की् ‍ामाष्जक् आधर्सक् ववका‍् के् प्रतत् अपनी् प्रततबद्धता् के् कारण् राज्य् की्
अग्रणी्भूलमका्र्ी, ष्ज‍में् लोगों्की्भलाई, गरीबी्उन्मूलन, ‍ं‍ाधनों्का्न्याय‍ंगत्पुनववसतरण्शालमल्है ।्
उ‍्‍मय्राज्य्अपने् राटरीय्थवतंत्रता्‍ंग्राम्के्कारण्लोगों्‍े् जुड़ा्हुआ्र्ा।्इ‍्प्रकार, राज्य्एक्ऐ‍ी्

138
ष्थर्तत् में् र्ा, ष्ज‍की् योजना् बनाने् में् मुख्य् भूलमका् र्ी।् इ‍ललए, यह् उन् नीततयों् को् अपनाने् के् ललए्
तकस‍ंगत्और्‍चेत्चयन्के्क्षेत्र्के्रूप्में् माना्जाता्है ् ष्जन्हें ् उन्होंने् पूरे् और्‍ामान्य्दहत्को्प्रभाववत्
करने्के्ललए्‍ोचा्र्ा्परन्तु्‍माज्के्ववशेष्दहतों्को्माना।

प्रश््
न-1 : औपतनवेलशक्‍माजों्के्बाद्की्ष्थर्तत्में्‘राज्य’्की्अपेक्षक्षत्भूलमका्र्कया्र्ी?

प्रथम पंचवषीय योजना का कायाशन्वयन

प्रथम पंचवषीय योजना (1951-1956)

प्रर्म्वषस्की्योजना्दे श्को्‍ाइककल्गरीबी्‍े्दरू ्करने्की्र्ी।्के्एन्राज्अर्सशाथ्


त्री्द्वारा्योजना्
का्प्रारूप्तैयार्ककया्गया्र्ा।्पहली्योजना्प्रमुख्रूप्‍े्कृवष्क्षेत्र्में्तनवेश्पर्केंदद्रत्र्ी्ष्ज‍में्बााँध्और्
ल‍ंचाई्शालमल्र्े, ष्ज‍में्भाखड़ा्नांगल्बांध्जै‍ी्पररयोजनाओं्के्ललए्धन्आवंदित्ककया्गया्र्ा।

भूसम िुधार

‍ामाष्जक-आधर्सक् ‍ंदभस् में , कृवष् क्षेत्र् में् ‍ुधार् की् अत्यधधक् आवश्यकता् र्ी।् औपतनवेलशक् काल् के्
दौरान्ब्रिदिश्‍रकार्ने्राजथव्तनकालने्के्ललए्कृवष्के्क्षेत्र्में्नीततयों्को्अपनाया्र्ा्जै‍े–्क)्जमींदारी;्
ख)्महलवारी;्ग)्रै यतवारी्प्रणाली।

ये् ‍भी् नीततयााँ् अपनी् प्रकृतत् में् बहुत् शोषक् र्ीं।् इ‍ललए, थवतंत्रता् पव
ू ,स 1950् में, एक् ‍ंशोधन्
अधधतनयम्के्माध्यम्‍े, भूलम्‍ुधार्अधधतनयम्पाररत्ककया्गया्है ्और्भूलम्‍ुधार्नीतत्का्ववचार्पहले,
भूलम्के्ववतनयोग्को्‍ीललंग, और्भूलमहीन्कक‍ानों्को्अधधशेष्भूलम्का्पुनववसतरण्करना्र्ा।्‘हलवाहा्के्
ललए्भूलम’्द‍
ू रा, भूलम्के्छोिे ्भागो्को्‍बल्करने्और्‍हकारी्खेती्को्बढ़ावा्दे ने्का्प्रया‍्ककया्गया।्
ब्रबचौललयों्को्‍माप्त्कर्ददया्गया।्कक‍ानों्की्मनमानी्‍े्बचाने् और्उन्हें ् भूलम्पर्थर्ायी्अधधकार्दे ने्
के्ललए्ककरायेदारी्अधधतनयम्भी्पाररत्ककया्गया्र्ा।

िमुदाय ववकाि कायशिम

‍ामुदातयक् ववका‍् कायसिम् वषस् 1952् में् प्रारम्भ् ककया् गया् र्ा।् इ‍् ‍लमतत् के् अंतगसत् ववशेषज्ञ्
‍ष्म्मललत्र्े।्‍लमतत्को्खाद्य्उत्पादन्की्कमी्के्कारणों्की्जााँच्करने्के्ललए्कहा्गया्र्ा्और्‍ार््
ही्इ‍े् कै‍े् बढ़ाया्जा्‍कता्है ् यह्पता्लगाने् के्ललए्कहा्र्ा।्इ‍्‍लमतत्के्अनु‍ार्‍मुदाय्के्ववका‍्
को्केवल्अर्सव्यवथर्ा्के्दृष्टिकोण्‍े् नहीं् दे खा्जा्‍कता्है , बष्ल्क्उनके्जीवन्को्‍ामाष्जक्जीवन्के्
‍ार््भी्जोड़ा्जा्‍कता्है ।्इ‍ललए, इ‍्उद्दे श्य्के्ललए्गााँव्के्‍मग्र्ववका‍्को्बढ़ावा्दे ने्के्ललए्प्रया‍्
ककए्गए्र्े् र्कयोंकक्बहुउद्दे शीय्एजें‍ी्की्थर्ापना्की्गई्र्ी, लेककन्कायासन्वयन्और्प्रशा‍तनक्भ्रटिाचार्
के्कारण्कई्कलमयों्के्कारण्भी्यह्प्रया‍्‍फल्नहीं्हुए।

द्ववतीय पंचवषीयष योजना (1956-1961)

द्ववतीय्पंचवषीय्योजना, तेजी्‍े्और्भारी्औद्योधगक्ववका‍्पर्केंदद्रत्है ्और्‍ार््ही्यह्आत्मतनभसर्


अर्सव्यवथर्ा्के्ववचार्पर्आधाररत्है ।्यह्प्रारूप्पी.्‍ी.्महालनोब्रब‍्के्नेतत्ृ व्में्अर्सशाथ्
त्री्की्एक्िीम्ने्
तैयार्ककया्र्ा।्द‍
ू री्पंचवषीय्योजना्के्अनु‍ार्मुख्य्उद्दे श्य्लशशु्उद्योगों्को्अष्थतत्व्में्लाना्र्ा, उन्हें ्
ववलभन्न्तंत्रों्जै‍े–्उच्च्शुल्क्और्आयात्पर्कोिा्र्डयूिी्के्माध्यम्‍े्‍ंरक्षक्षत्ककया्गया।

139
योजना्के्द‍
ू रे ् वषस् में् ‍रकार्के्पा‍्‍ावसजतनक्क्षेत्र्के्उद्योगों्का्थवालमत्व्र्ा्और्ववकल‍त्होने्
के्ललए्उद्योगों्को्पयासवरण्प्रदान्करके्ववकल‍त्ककया्गया।्उद्योगों्का्र्ोक्‍रकार्द्वारा्ववकल‍त्ककया्
गया्र्ा्जै‍े–्रे लवे, ब्रबजली, इथपात्मशीनरी्और्‍ंचार।्इ‍्‍ंबंध्में्कई्नीततयााँ्बनाई्गई्हैं –

औद्योधगक नीतत िंकलप

राज्य्की्अर्सव्यवथर्ा्के्तनयंत्रण्और्कमांड्हाइि्के्अनु‍ार, 1956्में् औद्योधगक्नीतत्‍ंकल्प्को्


अपनाया्गया्र्ा।्इ‍के्अनु‍ार, उद्योगों्को्पहले्श्रेणी्में्रखा्जाता्है , जो्राज्य्के्ववशेष्तनयंत्रण्की्श्रेणी्
में्आते्हैं।्द‍
ू रा, श्रेणी्में्उन्उद्योगों्को्‍ष्म्मललत्ककया्जाता्है ्जहााँ्नई्इकाई्शुरू्करने्के्ललए्राज्य्
की्एकमात्र्ष्जम्मेदारी्होगी।्ती‍रा, ‍ेर्किर्में् तनजी्क्षेत्र्की्इकाइयााँ् शालमल्हैं , यह्इकाई्परलमि्लाइ‍ें‍्
राज्प्रणाली्के्माध्यम्‍े्तनयंब्रत्रत्र्ी।्इ‍्नीतत्का्अर्स्है ्कक्कोई्भी्उद्योग्तब्तक्‍ंचाललत्नहीं्ककया्
जा्‍कता्जब्तक्कक्‍रकार्‍े् लाइ‍ें‍्प्राप्त्न्हो।्इ‍के्अततररर्कत, कर्ररयायत्लाभ्और्कम्िै ररफ्
उन्हें ्ददए्गए्र्े।्घरे लू्उद्योगों्में्ववववधता्लाने्पर्मुख्य्ध्यान्केंदद्रत्ककया्गया्र्ा।

लघु उद्योग

1956् में, लघु् उद्योग् ववका‍् के् माध्यम् ‍े् ग्रामीण् ववका‍् की् ‍ंभावनाओं् को् दे खने् के् ललए् कवे्
‍लमतत्को्बल
ु ाया्गया्र्ा।्यह्माना्जाता्र्ा्कक्लघ्
ु उद्योग्भारी्उद्योग्की्तल
ु ना्में् अधधक्श्रम्गहन्
हैं।्इ‍ललए, बड़े्फमों्‍े्लघु्उद्योगों्को्‍ंरक्षण्प्रदान्ककया्गया्र्ा।्उत्पादों्की्‍ंख्या्लघु्उद्योगों्के्ललए्
आरक्षक्षत्र्ी।्आयात्प्रततथर्ापन्उद्योग्नीतत्(आई्ए‍्आई्)्घरे लू्उत्पादों्द्वारा्ववदे शी्तनलमसत्उत्पादों्को्
थर्ानापन्न्करने्के्ललए्अपनाई्गई्र्ी।्आयात्को्कम्करने्के्ललए्इ‍्तंत्र्का्परामशस्ददया्गया्र्ा।

हालााँकक, भारत्के्पा‍्औद्योधगकीकरण्के्ललए्आधुतनक्तकनीक्का्अभाव्र्ा, अंतरासटरीय्बाजार्‍े्


प्रौद्योधगकी्खरीदने्के्ललए्इ‍े्अपने्ववदे शी्मुद्रा्भंडार्को्खचस्करना्पड़ा।

तीिरी पंचवषीय योजना

पहली्पंचवषीय्योजना्द्वारा्कृवष्में् तनवेश्को्प्रेररत्करने् का्प्रया‍्ककया्गया, लेककन्यह्‍फल्


नहीं् हुआ्जै‍ा्कक्अपेक्षक्षत्र्ा, भूलम्‍ुधार्को्‍िीक्ढं ग्‍े् लागू् नहीं् ककया्गया्र्ा।्इ‍े् लागू् करने् का्
कायस्राज्य्‍रकार्पर्छोड़्ददया्गया्र्ा्और्वचसथव्वाले्भूथवामी्वगस्के्‍ार््थर्ानीय्नेताओं्के्बीच्‍ााँि-
गााँि्को्लागू् करने् के्ललए् इ‍्अधधतनयम्‍े् बचने् का् मागस् लमला।्अधधतनयम्‍े् बचने् के्ललए्ववलभन्न्
तरीकों्को्भी्तैयार्ककया्गया्र्ा।्राज्य्की्नौकरशाही्के्प्रया‍्ने् शा‍क्अर्सव्यवथर्ा्में् कोई्वाथतववक्
पररवतसन् नहीं् लाया।् चन
ु ावी् राजनीतत् और् भलू म् वगस् के् बहुत् ‍े् प्रभाव् ने् ‍मानता, ववका‍, उत्पादन् या्
पन
ु ववसतरण्लाने्के्ललए्नीतत्के्उद्दे श्य्को्अनभ
ु व्करना्कदिन्बना्ददया।्एक्अन्य्पररदृश्य्में्दो्प्रमख
ु ्
बाहरी्झिके्र्े—दो्‍ूखे्और्युद्धों्ने्खाद्य्‍ंकि्की्ष्थर्तत्पैदा्की्और्हमें्एकजुि्राज्य्(पीएल्480) ‍े्
खाद्य्‍हायता्पर्तनभसर्रहना्पड़ा।्एक्कारण्यह्र्ा्कक्उद्योग्‍े्ज्यादा्इनपुि्के्ब्रबना्उद्योग्पर्जोर्
ददए्जाने्के्कारण्कृवष्क्षेत्र्व ््कृवष्उत्पादों्के्ललए्बाजार्में्अ‍मान्पहुाँच्र्ी।

1960् के् दशक् में, ववका‍् की् कायसनीततयों् में् ववरोधाभा‍् र्ा् कक् ष्थर्ततयों् में् तत्काल् ‍माधान् की्
आवश्यकता्र्ी।्इन्‍भी्पररष्थर्ततयों्ने् ‍रकार्को्इ‍्‍ंकि्‍े् उभरने् के्ललए्पहल्करने् के्ललए्वववश्
ककया।्इंददरा्गााँधी्‍रकार्के्दौरान, उन्होंने्इ‍्‍मथया्के्‍ंबंध्में्कई्नीततयााँ्अपनाईं।्जो्इ‍्प्रकार्हैं –

140
• नव कृवष कायशनीतत –्इ‍्नीतत्को्हररत्िांतत्के्रूप्में्भी्जाना्जाता्र्ा, इ‍े्ववश््
व्बैंक्द्वारा्‍हायता्
प्रदान्की्गई्र्ी।्यह्नीतत्घरे लू् बाजार्के्आकार्को्बढ़ाने् और्उपजाऊ्उत्पादन्को्बढ़ाने् के्ललए्
कच्चे्माल्और्खाद्य्उत्पादन्के्बड़े्पैमाने्पर्ववका‍्के्बारे ्में्र्ी, ल‍ंचाई्पररयोजना्पर्ध्यान्केंदद्रत्
करना्और्प्रमख
ु ्ल‍ंचाई्‍े्प्रमख
ु ्ल‍ंचाई्को्लघ्
ु ल‍ंचाई्में्बदलना, उन्नत्और्उच्च्प्रौद्योधगककयााँ्प्रदान्
की् गईं, HYV (ववलभन्न् बीजों् की् अधधक् पैदावार)् के् ‍ार्-‍ार्् वाणणष्ज्यक् स्रोतों् जै‍े् डीजल् तेल् और्
ब्रबजली्आदद्‍े् पहले् की्नीतत्जो्‍भी्कक‍ानों्पर्केंदद्रत्र्ी, यह्उन्कक‍ानों्को्‍मर्सन्दे ता्है ् जो्
पहले्‍े्ही्ग्रामीण्‍माज्में ्अच्छी्ष्थर्तत्में्हैं।्यह्माना्गया्कक्ष्जनके्पा‍्पहले्‍े्ही्कुछ्क्षमता्
र्ी, वे्‍रकार्द्वारा्बढ़ावा्दे ने्के्माध्यम्‍े्तेजी्‍े्उत्पादन्बढ़ा्‍कते्हैं्लेककन्यह्नीतत्बड़े्जमींदारों्
और्धनी्कक‍ानों्के्ललए्लाभकारी्रही।्इ‍्ववका‍्ने्उदाहरण्के्ललए्क्षेत्रीय्अ‍मानता्पैदा्की, इ‍ने्
उत्तरी्राज्यों्(जै‍े्उत्तर्प्रदे श, हररयाणा्और्पंजाब)्पर्ध्यान्केंदद्रत्ककया्और्अन्य्राज्य्वपछड़े्बने्रहे ्
और्एक्अन्य्तकस्यह्र्ा्कक्दे श्को्भोजन्बनाने् के्ललए्मुख्य्रूप्‍े् एक्फ‍ल्(गेहूाँ)्का्उत्पादन्
करने्के्ललए्यह्नीतत्प्रदान्की्गई्र्ी।

• एम आर िी पी (मोनोपोली रे ष्स्रष्र्किव रे ड एर्कि, 1979) – अधधतनयम्का्उद्दे श्य्और्लक्ष्य्यह्‍ुतनष्श्चत्


करना्र्ा्कक्आधर्सक्प्रणाली्का्‍ंचालन्कुछ्के्हार्ों्में् आधर्सक्शष्र्कत्की्एकाग्रता्के्पररणामथवरूप्
नहीं् होता्है ।्यह्अधधतनयम्जम्मू् और्कश्मीर्को्छोड़कर्पूरे् भारत्में् फैला्हुआ्है ।्यह्अधधतनयम्
प्रततबंधात्मक्और्एकाधधकारवादी्व्यापार्नीततयों्पर्रोक्लगाने् के्ललए्है ।्यह्अनुभव्ककया्गया्कक्
कुछ्कंपतनयों्द्वारा्उत्पादन्पर्तनयंत्रण्‍े्ववका‍्में्बाधा्आ्रही्है ।

आधथशक िंकि का दौर

वषस् 1991्में, भारत्उ‍्‍मय्एक्गंभीर्आधर्सक्और्राजनीततक्‍ंकि्‍े् गुजर्रहा्र्ा।्राजनीततक्


मोचे् पर, राजीव्गााँधी्की्हत्या, गिबंधन्‍रकार्के्दौर्की्शुरुआत, केंद्र्में् कोई्ष्थर्रता्नहीं् र्ी्और्एक्
पािी् का् वचसथव् (कांग्रे‍् पािी)् खत्म् हो् गया् र्ा।् आधर्सक् मोचे् पर, भारत्एक् आधर्सक् ‍ंकि् ‍े् लमला, जो्
ववदे शों्‍े् अपने् उधार्पर्पन
ु भग
ुस तान्करने् में् ‍क्षम्नहीं् र्ा।्तेल्का्ववत्तपोषण्करने् के्ललए्केवल्कुछ्
महीनों्के्ललए्ववदे शी्ररजवस्र्ा, ववदे शी्ररजवस्की्तीव्र्कमी्‍े्भुगतान्‍ंकि्और्राजकोषीय्घािे ्की्‍मथया्
का्‍ंतुलन्ब्रबगड़्गया।

उ‍ी्वषस, इ‍्गंभीर्ष्थर्तत्‍े्तनपिने्के्ललए्भारत्को्आईएमएफ्‍े्‍ंपकस्करना्पड़ा।्आईएमएफ्ने्
‍ंरचनात्मक्‍मायोजन्कायसिम्के्पैकेज्के्‍ार््ऋण्को्मंजूरी्दी्र्ी।्ष्ज‍को्तनम्नललणखत्प्रमुखों्द्वारा्
लाग्
ू ककया्गया्र्ा–

• उदारीकरण, तनजीकरण्और्वैश््वीकरण्की्नीतत्को्अपनाना।्तनयासत्को्प्रोत्‍ादहत्करने्के्ललए्मुद्रा्का्
अवमूल्यन। ‍रकार्को्राजकोषीय्घािे ्को्कम्करने्के्ललए्‍ावसजतनक्क्षेत्र्में्खचस्को्कम्करना्पड़ा।

• ‍ावसजतनक्क्षेत्र्में्ववतनवेश्अववतनयमन्और्डी.्लाइ‍ेंल‍ंग, तनजी्फमस्को्कर्ररयायत, तनजी्अलभनेताओं्


को्ऋण, ‍ावसजतनक्क्षेत्र्के्ललए्आरक्षक्षत्नए्थर्ल्का्उद्घािन।

• आयात्शल्
ु क्और्कोिा्प्रणाली्को्हिा्ददया्गया।

• एफडीआई्शा‍न्ने्उदारीकरण्ककया्और्कई्प्रततबंधों्को्कम्ककया्गया।

योजना का एक आकलन

भारत्के्आधर्सक्‍ंकि्के्कई्अन्य्कारण्र्े।्पहले्दो्दशकों्में्भारत्ने्‍ावसजतनक्क्षेत्र्या्बुतनयादी्
ढााँचे् के्ववका‍्में् तनवेश्ककया।्ष्ज‍्कारण्औद्योधगक्क्षेत्र्में् जीडीपी्का्अनुपात्बढ़ा।्ववदे शी्बाजार्‍े्

141
‍ंरक्षण्ने्दे शी्उद्योगों्को्अपने्आप्को्इलेर्करॉतनर्क‍, ऑिोमोबाइल्जै‍े्क्षेत्रों्में्ववकल‍त्करने्का्अव‍र्
ददया्अन्यर्ा्वे् ववकल‍त्नहीं् हो्‍कते् र्े।्परन्तु् प्रारं लभक्वषों्में् प्रगतत्के्बावजूद्अब्यह्अनुभव्ककया्
जा्रहा्र्ा्कक्राज्य्को्उन्क्षेत्रों्में् प्रततबंध्लगाना्चादहए्जहााँ् उनकी्‍ेवाएाँ् धीमी्‍ाब्रबत्हुई्हैं।्परलमि्
लाइ‍ें‍्प्रणाली्के्माध्यम्‍े् आधर्सक्गततववधधयों्पर्तनयंत्रण्की्राज्य्की्प्रववृ त्त, ष्ज‍‍े् कक‍ी्भी्तनजी्
उद्यम् को् व्यव‍ाय् शरू
ु ् करने् के् ललए् एक् लंबा् मागस् तय् करना् पड़ता् र्ा।् यह् प्रकिया् प्रततथपधास् में् बाधा्
उत्पन्न्करने् वाली्ल‍द्ध्हुई्र्कयोंकक्रचनात्मकता्और्नवाचार्के्ललए्कोई्प्रोत्‍ाहन्नहीं् र्ा्और्‍ेवाओं्
और् गुणवत्ता् में् कोई् ‍ुधार् नहीं् हुआ।् एक् अन्य् कारण् ककराया् र्ा-् ‍ं‍ाधनों् के् एक् और् शब्द् इनपुि् में्
नौकरशाही्के्व्यवहार्की्मााँग्करना्लेककन्जीडीपी्वद्
ृ धध्के्रूप्में् उत्पादन्नहीं् दे ना।्इ‍्प्रकार, आंलशक्
रूप्‍े्इ‍्कारण्‍े्राज्य्ऋण्और्राजकोषीय्घािे ्में्हो्गया।

उ‍्‍मय्अंतरासटरीय्पररदृश्य्में्पररवतसन्हुए्र्े।्1991्में, उ‍ी्वषस, ‍ोववयत्‍ंघ्का्पतन्हुआ्र्ा।्


रू‍्के्तनयासत्में् भारी्धगरावि्के्बीच्‍ोववयत्‍ंघ्भारत्का्एक्महत्त्वपूण्स व्यापार्भागीदार्रहा्है ।्‍ैन्य्
और्राजनीततक्‍हयोग्की्कमी्व ््उन्‍भी्कारणों्ने् भारत्को्अमेररका्के्प्रतत्अपनी्ष्थर्तत्में् बदलाव्
करने्और्ववदे शी्मुद्रा्ररजवस्की्उपलब्धता्की्आवश्यकता्के्ललए्बनाया।

नव-उदारवादी नीतत

एल पी जी की नीतत (उदारीकरण, वैश्वीकरण एवं तनजीकरण) :्उदारवाद्के्रूप्में्ववचारधारा्हर्क्षेत्र्में्


‍ामाष्जक, राजनीततक्और्आधर्सक्रूप्‍े् ‘व्यष्र्कतवाद’्का्‍मर्सन्करती्है ।्और्यह्ववचारधारा्पाँज
ू ीवाद्के्
‍ार््पूरक्है ।्शीत्युद्ध्की्‍माष्प्त्के्बाद्अमेररकी्ववचारधारा्की्ववजय्हुई।्राजनीततक्क्षेत्र्में् उन्होंने्
व्यष्र्कतगत्थवतंत्रता, राज्य्की्न्यूनतम्भूलमका्की्वकालत्की।्आधर्सक्क्षेत्र्में्लाइ‍ेज़्फेरे ्बाजार्में्‍रकार्
का्कोई्हथतक्षेप्नहीं्है , बाजार्को्उत्पादन्और्ववतरण्का्तनणसय्लेने्दें ।्राज्य्को्केवल्कर्एकत्र्करना्
चादहए्और्तनयम्और्ववतनयमन्बनाए्रखना्चादहए।्इ‍्नीतत्ने् तनयामक्या्तनयंत्रक्‍े् ‍ुववधा्के्ललए्
राज्य्की्भूलमका्को्थर्ानांतररत्कर्ददया्र्ा।

• तनजीकरण—तनजीकरण् कक‍ी् ‍रकार् के् थवालमत्व् के् प्रबंधन् के् तनवसहन् के् बारे ् में् है ।् ‍ावसजतनक्
क्षेत्र/‍ावसजतनक्उपिमों्के्तनजीकरण्के्भाग्में् दक्षता्में् ‍ुधार्और्ववत्तपोषण्ऋण्‍े् उबरने् के्ललए्
तनजी्उद्यमों्को्बेचा्जाना्है ।्इ‍्प्रकिया्को्ववतनवेश्के्रूप्में्भी्जाना्जाता्है ।

• वैश्वीकरण—वैश््वीकरण्एक्ऐ‍ी्प्रकिया्है ् ष्ज‍‍े् दतु नया्एकीकृत्हो्रही्है ।्राटरीय्अर्सव्यवथर्ा्के्ललए्


ववश््
व्आधर्सक्एकीकरण।्यह्उ‍्नीतत्को्तनधासररत्करने् के्‍मझौते् पर्आधाररत्है ् ष्ज‍का्उद्दे श्य्
कक‍ी् दतु नया् को् अधधक् अंतर् तनभसरता् वाली् दतु नया् में् बदलना् है ।् इ‍् नीतत् का् उद्दे श्य् ‍ामाष्जक,
भौगोललक् और् राजनीततक् ‍ीमाओं् को् पार् करना् है ।् ‍ंगिन् के् माध्यम् ‍े् इ‍् ‍ंबंध् में् कुछ् नीततयााँ्
बनाई्जाती्हैं।्

• ववश्व व्यापार िंगठन—ववश््व्व्यापार्‍ंगिन्जीएिीिी्का्एक्उत्तराधधकारी्है ्(व्यापार्और्शुल्क्पर्‍ामान्य्


‍मझौता)् ष्ज‍का् गिन् 1995् में् ककया् गया् र्ा।् इ‍ने् ‍दथय् दे शों् के् बीच् बहुपक्षीय् और् द्ववपक्षीय्
व्यापार्के्ललए्तनयमों्और्ववतनयमों्के्रूप्में्कुछ्ल‍द्धांतों्को्तनधासररत्ककया।

कृवष में िुधार

कृवष्क्षेत्र्में् ‍ावसजतनक्क्षेत्र्के्तनवेश्ववशेष्रूप्‍े् बुतनयादी्ढााँचे् है , ष्ज‍में् ल‍ंचाई, ब्रबजली, ‍ड़क,


बाजार्‍ंपकस्और्अनु‍ंधान्शालमल्हैं, ष्जन्होंने्हररत्िांतत्में्महत्त्वपूण्स भूलमका्तनभाई।्इ‍्‍ुधार्अवधध्में ्
इ‍्इनपुि्को्कम्करना्पड़ा।्इ‍के्अलावा, ‍ष्ब्‍डी्में्कमी्की्गई्है , न्यूनतम्‍मर्सन्मूल्य्प्रदान्करने्

142
और्कृवष्उत्पादों्पर्मात्रात्मक्प्रततबंधों्को्उिाने्में, इनका्भारतीय्कक‍ानों्पर्प्रततकूल्प्रभाव्पड़ा्है ्र्कयोंकक्
उन्हें ् अब्अंतरासटरीय्बाजार्और्प्रततथपधास् का्‍ामना्करना्पड़्रहा्है , कृवष्उत्पादन्में् पररवतसन्हुआ्है ।्
घरे लू्खपत्फ‍लों्‍े्उन्मुख्नकदी्फ‍लों्को्तनयासत्करने्की्कायसनीतत्बनायी्गयीं।

उद्योग में िुधार

उद्यमी्के्उत्कषस्के्ललए्भारत्का्औद्योधगक्वातावरण्प्रततथपधासत्मक्और्अलभनव्के्ललए्अनुकूल्
नहीं्र्ा।्‍रकार्के्तनयंत्रण्में्अर्सव्यवथर्ा्अनन्य्र्ी।्1991्तक, तनजी्तनवेश्को्बढ़ावा्दे ने्के्ललए्कई्
कदम्उिाए्गए्हैं, जै‍े्कक्लाइ‍ें‍्परलमि्राज्या्कोिा्के्रूप्में्राज्य्का्तनयंत्रण्‍माप्त्करना।्उद्यलमता्
के्ललए्अनुकूल्वातावरण्प्रदान्करने्के्‍ार््ववदे शी्प्रत्यक्ष्तनवेश्के्ललए्घरे लू्बाजार्खोला्गया्है ।्िै ररफ्
और्आयात्शल्
ु क्लगातार्कम्ककए्गए्हैं।्वपछले्कानन
ू ों्और्कृत्यों्में्‍ंशोधन्ककया्गया्है ।्एम्आर्िी्
पी्को्अब्प्रततथपधी्अधधतनयम्के्‍ार््बदल्ददया्गया्है , दे श्में् आधर्सक्ववका‍्को्ध्यान्में् रखते् हुए,
बाजार् में् तनरं तर् प्रततथपधास् को् बढ़ावा् दे ने् के् ललए, उपभोर्कता् को् प्रदान् की् जा् रही् गुणात्मक् ‍ेवाओं् को्
‍ुतनष्श्चत्करने् के्ललए्और्तनजी्क्षेत्रों्पर्तनयंत्रण्कम्कर्ददया्गया।्1973्के्फॉरे न्एर्क‍चें ज्रे गुलेशन्
एर्कि्के्पीछे ्का्ववचार्ववदे शी्मुद्रा्भुगतान्और्ववदे शी्प्रततभूततयों्‍े्तनपिने्पर्तनयमन्र्ा।्भारतीय्ररज़वस्
बैंक्ने्ववदे शी्मद्र
ु ा्‍े्तनपिने्के्ललए्कक‍ी्व्यष्र्कत्या्कंपनी्की्जााँच्करने्के्ललए्अधधकृत्ककया्र्ा।्बाद्
में् इ‍े् ववदे शी् मुद्रा् प्रबंधन् अधधतनयम् के् ‍ार्् बदल् ददया् गया, ष्ज‍ने् बाहरी् व्यापार् और् भुगतान् को्
‍ुववधाजनक्बनाने् और्ववदे शी्मद्र
ु ा्के्िलमक्ववका‍्और्रख-रखाव्को्बढ़ावा्दे न्े के्ललए्भारतीय्ररज़वस्
बैंक्की्भूलमका्को्बदल्ददया।

िुधार का प्रभाव : एक आलोचनात्मक ववश्लेषण

‍ध
ु ार्की्अवधध्में, अर्सव्यवथर्ा्और्‍माज्पर्प्रभाव्की्‍फलता्और्ववफलता्की्लमधश्रत्प्रततकिया्
हुई्है ।

िध
ु ार का मल
ू यांकन

भारत्अपने्ववदे शी्मद्र
ु ा्भंडार्का्पुनतनसमासण्करने्में्‍क्षम्र्ा।्1991्‍े्1996्तक्इ‍की्जीडीपी्में्
वद्
ृ धध्हुई्है ।्तनयासत्में् काफी्वद्
ृ धध्हुई्है , लेककन्यह्वद्
ृ धध्एक्तनष्श्चत्अवधध्के्ललए्हुई।्यह्खाद्य्
‍रु क्षा्हाल‍ल्करने्में्‍क्षम्र्ा।्तनवेश, बचत्और्वद्
ृ धध्में्‍ध
ु ार्हुआ्है ्और्अपने्बाजार्का्ववथतार्ककया्
है , हालााँकक्भारत्को्‍ावसजतनक्पुनववसतरण्कायसिम्में्अपनी्भूलमका्को्कम्करना्पड़ा।्ववका‍्की्कहानी्
अ‍मान्र्ी्यह्शहरी्पूवासग्रह्र्ा।्ग्रामीण्लोगों्को्इ‍का्लाभ्नहीं् लमल्पाया्है ।्हालााँकक, गरीबी्पूरी्तरह्
‍े्कम्हो्गई्है , लोगों्की्लशक्षा, थवाथथ्य्और्गुणवत्ता्में्‍मग्र्आधर्सक्ववका‍्‍ंतोषजनक्नहीं्रहा्है ।्एक्
और्पहलू् र्ा्गरीबी्जो्रोजगार्‍े् तनकिता्‍े् ‍ंबंधधत्है ् लेककन्ववका‍्की्गतत्के्‍ार््बेरोजगारी्की्दर्
में्लगातार्वद्
ृ धध्हुई्है , आगे्रोजगार्की्गण
ु वत्ता्भी्ब्रबगड़्गई्है ।्श्रम्के्हताहत्में्वद्
ृ धध।्‍ामाष्जक्‍रु क्षा्
के् ‍ार्् ‍ंगदित् क्षेत्र् में् धगरावि।् कम् वेतन् वाले् कमसचाररयों् की् ‍ंख्या् बढ़ाई् गई् है ।् कुल् लमलाकर, इ‍ने्
ववषमताएाँ्पैदा्कीं्और्अमीर्और्गरीब, शहरी्और्ग्रामीण्के्बीच्अ‍मानता्को्व्यापक्ककया।

हमने अब तक जो िमझा

• थवतंत्रता्पूव्स भारत्के्पा‍्राटर्तनमासण्‍े्पहले्कई्चुनौततयााँ्र्ीं्और्उनमें्‍े्एक्आधर्सक्ववका‍्और्
इ‍के्लोगों्के्कल्याण्को्‍ुतनष्श्चत्करना्र्ा।

143
• अगले्पााँच्वषों्के्ललए्योजना्प्रथताव्का्प्रारूप्तैयार्करने्के्ललए्योजना्आयोग्का्गिन्ककया्गया्
र्ा।् ‍ंकल्प् तैयार् ककया् गया् र्ा् जो् इ‍के् कायस् के् दायरे ् को् पररभावषत् करता् है , उन्हें ् ‍ंववधान् में्
पररकष्ल्पत्मूल्यों्को्ध्यान्में्रखते्हुए्प्रारूप्तैयार्करने्के्ललए्कहा्गया्र्ा।

• थवतंत्रता्की्पूव्स ‍ंध्या्पर, भारत्के्ववका‍्के्दो्मॉडल्र्े।्एक्‍माजवादी्मॉडल्और्द‍


ू रा्पाँज
ू ीवादी्
मॉडल।्भारत्ने्ववका‍्के्मध्य्मागस्(लमधश्रत्अर्सव्यवथर्ा)्को्चुना।्प्रमुख्क्षेत्र्राज्य्द्वारा्तनयंब्रत्रत्र्े्
और्जबकक्अन्य्तनजी्क्षेत्रों्के्ललए।

• योजना्को्पााँच्‍ाल्की्अवधध्के्ललए्लागू्करने् के्ललए्तनधासररत्ककया्गया्र्ा।्यह्प्रयोग्‍ोववयत्
रू‍्में्पहले्ही्लागू्हो्चुका्है ।

• इ‍के्‍ार््ही्थवतंत्रता्के्‍मय्कमजोर्आधर्सक्ष्थर्तत्के्कारण्क्षेत्रों्पर्ध्यान्केंदद्रत्करना्‍ंभव्नहीं्
र्ा।्इ‍ललए, पंचवषीय्योजना्एक्चरण्में्प्रत्येक्क्षेत्र्को्लक्षक्षत्करती्है ।

• राजनीततक्अतनच्छा, भाई-भतीजावाद, भ्रटिाचार, थर्ानीय्जमींदारों्के्‍ार््राजनेता्के्थर्ानीय्‍ंबंधों्और्


ककराए्की्मााँग्के्कारण्कमजोर्कियान्वयन्ने्फल्को्वाथतववक्लाभार्ी्तक्नहीं्पहुाँचने्ददया।

• हमारे ्जै‍े्उत्तर्औपतनवेलशक्दे शों्में्राज्य्की्भूलमका्और्एक्द‍


ू रे ्के्‍ार््‍ंघषस्ककए्ब्रबना्‍माज्के्
ववलभन्न्दहतों्के्आधर्सक्ववका‍्‍मावेश्में्लोकतांब्रत्रक्मल्
ू यों्के्ललए्अपनी्प्रततबद्धता।

• हमने्1991्के्आधर्सक्‍ंकि्के्अंत्का्‍ामना्ककया, भग
ु तान्‍ंतुलन, कुछ्महीनों्के्ललए्ववदे शी्मुद्रा्
भंडार्की्उपलब्धता, अपने्ऋण्का्भुगतान्करने्और्तेल्के्ववत्तपोषण्के्आयात्के्ववत्तपोषण्के्ललए्
अंतरराटरीय्एजेंल‍यों्की्ओर्रुख्ककया।्भारत्ववश््
व्व्यापार्‍ंगिन्का्‍दथय्बन्गया।

• आई्एम्एफ्और्डब्लू् िी्ओ्ने् ‍ंरचनात्मक्‍मायोजन्कायसिम्को्अपनाने् जै‍्े ववका‍शील्दे शों्को्


ववत्तीय्‍हायता्के्बदले्शतें्रखीं।

• नव-उदारवाद् (एक् ववचारधारा् के् रूप् में् उदारीकरण, तनजीकरण् और् वैश््
वीकरण)् दतु नया् की् जदिल्
अन्योन्याधश्रतता, ववश््व् अर्सव्यवथर्ा् के् ललए् राटरीय् अर्सव्यवथर्ा् का् एकीकरण् और् लाइ‍ेज़् फेरे ् (खुल्े
बाजार)्की्वकालत्करने्के्बारे ्में्है ।्राज्य्की्न्यूनतम्भूलमका।

• नीतत्अयोग्को्योजना्आयोग्के्‍ार््बदल्ददया्गया्है , ष्ज‍का्उद्दे श्य्ऊपर-नीचे् के्दृष्टिकोण्‍े्


नीचे्तक्बदलाव्करना्है ।्अधधक्‍हकारी्‍ंघवाद्की्ओर्कदम।

• अ‍मान् के् रूप् में् ‍ुधार् का् प्रभाव, शहरी् पूवासग्रह् के् ववका‍् को् बढ़ावा् दे ना, थवरोजगार् में् कमी् और्
मौजूदा्अ‍मानताओं्और्अ‍मानताओं्में्वद्
ृ धध।

प्रश्न

प्रश््
न-1 : पहली्पंचवषीय्योजना्में्आपने्भारत्के्तनयोष्जत्ववका‍्को्र्कया्‍मझा?

प्रश््
न-2 : योजना्आयोग्और्नीतत्आयोग्में्र्कया्अंतर्है ?

प्रश््
न-3 : नव्उदारवादी्नीततयााँ्र्कया्हैं? इ‍ने्राज्य्की्भूलमका्को्कै‍े्बदल्ददया्है ?

144
िन्दभश िूची

• राजश्री्चंद्र्आहूजा, आजादी्के्बाद्‍े्ववका‍्की्रणनीततयााँ।्‍ेंिर्फॉर्पॉलल‍ी्रर‍चस

• थिुअिस ्कॉब्रबसज, थवतंत्रता्के्बाद्‍े्भारत्में्ववका‍्की्राजनीततक्और्अर्सव्यवथर्ा।

• थवतंत्रता्के्बाद्‍े्भारत्की्राजनीतत, राजनीतत्ववज्ञान्में्पाठ्य-पथ
ु तक।

• भारतीय्आधर्सक्ववका‍, आधर्सक्की्पाठ्य-पुथतक।

• लक्ष्मी्कांत, भारतीय्राजनीतत।

145
इकाई-8

िामाष्जक आंदोलन
कमलाकांता्राउल

‍ामाष्जक्आंदोलन्को्कक‍ी्वह
ृ त ््‍माज्के्दृष्टिकोण, व्यवहार्शैली्एवं् ‍ामाष्जक्‍ंबंधों्में् बदलाव्
के् ललए् लोगों् के् थवैष्च्छक् ‍ंगिन् के् ‍ामूदहक् प्रया‍् के् रूप् में् पररभावषत् ककया् जा् ‍कता् है ।् ‍ामाष्जक्
आंदोलन्को्‘‘गैर-‍ंथर्ात्मक्माध्यमों्‍े् ‍ामाष्जक्व्यवथर्ा्में् बड़े् पैमाने ् पर्बदलाव्के्ललए्एक्थवचेतन,
‍ामूदहक्एवं् ‍ंगदित्प्रया‍’’्का्नाम्ददया्गया्है ।्‍ामाष्जक्आंदोलन्उच्च्थतर्पर्‍ंगदित्होते् हैं् तर्ा्
यह्िमशाः्दीघसकाललक्‍ामदू हक्प्रया‍्होते् हैं।्इनका्प्रारं भ्अ‍ाधारण्एवं् आकष्थमक्रूप्‍े् होता्है ।्यह्
मुख्यताः्‍ामाष्जक्अ‍ंतोष, वंचन, ‍ंथर्ागत्‍मथयाओं, पुनजीवन्के्आवेग्‍े्उत्पन्न्होते्हैं।

कृषक आंदोलन (Peasant Movements)

थवतंत्रता् के् पााँच् दशक् बाद् भी् महत्त्वपूण्स रूप् ‍े् औद्योधगक् ववका‍् के् बावजूद् लगभग् 63् प्रततशत्
आबादी्अभी्भी्अपनी्आजीववका्के्ललए्कृवष्पर्तनभसर्है ।्‍ामंती्‍ंरचना्‍े्कृषक्‍ंरचना्तक्तर्ा्अधस-
‍ामंती्‍ंरचना्‍े्पाँज
ू ीवादी्‍ंरचना्तक्काफी्पररवतसन्हुआ्है ।्1960्के्दशक्‍े्कृवष्उत्पादन्तनरं तर्बाज़ार्
अलभमुखी्होता्गया्है ।्ग्रामीण्क्षेत्रें्में्गैर-कृवष्आधर्सक्प्रकियाओं्का्ववथतार्हुआ्है ।्इ‍्प्रकिया्में्न्केवल्
ग्रामीण-शहरी्ववभाजन्अथपटि्हुआ्है , बष्ल्क्‍ंरचना, वगस/थतर्तर्ा्चेतना्के्‍ंदभस्में्कृषक्‍माज्की्प्रकृतत्
में्भी्महत्त्वपूण्स बदलाव्आए्हैं।्जो्लोग्कृवष्पर्तनभसर्हैं्वे्भूलम्के्थवालमत्त्व्जै‍े्कक—अनुपष्थर्त्जमींदारों,
पयसवेक्षी्कृषकों, भथ
ू वामी-खेततहरों, बिाईदारों, काश्तकारों्एवं्भलू महीन्श्रलमकों्के्‍ंदभस्में्लभन्न्हैं।्थर्ानीय्बोली्
में्उन्हें ्कक‍ान्अर्वा्खेद्युत्(Kisans or Kheduts)्कहा्जाता्है ।्पष्श्चमी्ववद्वता्के्प्रभाव्के्ललए्हम्आभार्
व्यर्कत् करें गे।् अंग्रेज़ी् में् प्रकालशत् शैक्षणणक् ‍ादहत्य् में् कक‍ान् का् अनव
ु ाद् प्रायाः् "Peasant"् ककया् गया् है ।्
"Peasant"्शब्द्के्अनेक्अर्स् हैं् तर्ा्ववलभन्न्लेखकों्ने् इ‍्शब्द्का्लभन्न्प्रकार्‍े् तर्ा्एक्ही्लेखक्
द्वारा्ववलभन्न्अध्ययनों्में्इ‍का्लभन्न-लभन्न्रूपों्में्प्रयोग्ककया्गया्है ।्एक्ओर, इ‍का्प्रयोग्उन्कृषकों्
के्ललए्ककया्गया्है ्जो्‍जातीय्हैं्और्जो्पाररवाररक्श्रम्द्वारा्छोिी्जोतों्का्‍ंचालन्करते्हैं्तर्ा्द‍
ू री्
ओर्इ‍में् वे् ‍ब्भी्शालमल्हैं् जो्भूलम्पर्आधश्रत्हैं।्इ‍में् भूलमहीन्श्रलमक्एवं् पयसवेक्षी्कृषक्भी्शालमल्
हैं।्कृवष्श्रलमकों्एवं्कक‍ानों्को्एकजुि्करने्में्कुछ्‍मथयाएाँ्उत्पन्न्होती्हैं।्‍मकालीन्भारत्में्एक्कृवष्
मजदरू ्‍ामान्यताः्एक्ही्थवामी्‍े् बाँधा्हुआ्नहीं् होता्ष्ज‍्प्रकार्पूव-स पाँज
ू ीवादी्कृवष्में् उपतनवेशी्एवं् पूव-स
उपतनवेशी्काल्में् र्ा।्पाँज
ू ीवादी्कृवष्में, श्रलमकों्का्एक्ववशाल्वगस् आप‍्में् जुड़ा्हुआ्नहीं् है ।्वपछले् कुछ्
दशकों्में् कृवष्श्रलमकों्की्‍वसहारावाद्की्प्रकिया्में् कुछ्तेज़ी्आई्है ्तर्ा्वे् वैततनक्श्रम्पर्अधधक्तनभसर्
हो्गए्हैं् एवं् उनके्कायस् एवं् जीवन्की्ष्थर्ततयों्को्तनयंब्रत्रत्करने् वाले् (पुराने् अर्वा्नए)्तनयोर्कताओं् ‍े्
उनके्आधर्सक्‍ंबंधों्में्धगरावि्आई्है ्(शाह्2004: 35-36)।

146
वगीकरण (Clssaification)

भारत्में् कृषक्आंदोलनों्को्‍ामान्यतया्उनके्काल्के्आधार्पर्पव
ू ्स ब्रिदिश्या्पव
ू ्स उपतनवेशी्एवं्
उत्तर्थवतंत्रता्काल्में्ववभाष्जत्ककया्जा्‍कता्है ।्उत्तर-थवतंत्रता्काल्को्कुछ्ववद्वानों्द्वारा्पूव-स नर्क‍लवाद्
एवं्उत्तर-नर्क‍लवाद्कालों्अर्वा्पव
ू ्स एवं्उत्तर्हररत्िांतत्काल्में्बााँिा्गया्है ्(दे ‍ाई्1986)।्बाद्की्अवधध्
को्पुनाः्पूव्स एवं् उत्तर-आपाल्काल्में् बााँिा्गया्है् (बालगोपाल्1988)।्ओमेन्(1985) ने् पाया्कक्राजनीततक्
शष्र्कत्में्पररवतसन्के्बावजूद्कुछ्आंदोलनों्में्तनरन्तरता्बनी्रही।्ये्ऐ‍े्आंदोलन्र्े्जो्पूव-स थवतंत्र्य्काल्
में्शुरू्हुए्र्े्परन्तु्वे्आज्तक्जारी्हैं, हालांकक्उनके्लक्ष्यों्में्बदलाव्आ्गया्है ।्यह्वगीकरण्‍मयावधध्
पर्आधाररत्है ् र्कयोंकक्ऐ‍ा्माना्जाता्है ् कक्कृषक्‍ंरचना्में् ववलभन्न्कालों्में् पररवतसन्होता्रहा्है ् तर्ा्
ववलभन्न् कृषक् ‍ंरचनाओं् में् कृषक् आंदोलनों् की् प्रकृतत् में् भी् बदलाव् होते् रहे ् हैं।् ए.् आर.् दे ‍ाई् (1986)
उपतनवेशी्भारत्को्ब्रिदिश्प्रदे श्के्अंतगसत्रै यतवारी्क्षेत्रों, राजाओं्के्प्राधधकरण्के्अधीन्जमींदारी्क्षेत्रों्तर्ा्
जनजातीय्क्षेत्रों्में्ववभाष्जत्करते्हैं।्इन्क्षेत्रों्के्‍ंघषों्की्ववशेषताएाँ्लभन्न-लभन्न्र्ीं।्इन्होंने्ववलभन्न्मुद्दों्
को्उिाया्ष्ज‍में्कक‍ानों्एवं्जनजाततयों्के्ववलभन्न्थतरों्को्शालमल्ककया्गया।्दे ‍ाई्उपतनवेशी्काल्के्
‘कृषक् ववद्रोहों’् (Peasant Struggles)् तर्ा् उत्तर-थवातंत्र्य् युग् के् ‘भूलम् आंदोलनों’् (agrarian struggles)् की् बात्
करते्हैं।्‘भूलम्आंदोलनों’्‍े्यहााँ्यह्अर्स्है ्कक्इ‍में ्न्केवल्कृषक्वगस्बष्ल्क्अन्य्वगस्भी्शालमल्र्े।्वे्
उत्तर-थवातंत्र्य्भलू म्आंदोलनों्को्भी्दो्भागों्में्बााँिते्हैं।्वे्आंदोलन्ष्जनका्उदय्नवोददत्थवामी्वगस्द्वारा्
हुआ।्इ‍में्‍ंपन्न्कक‍ान, मध्यवगीय्कृवष्खालमयों्के्व्यवहायस्वगस्तर्ा्‍ुप्रवाही्जमींदार्शालमल्र्े्तर्ा्वे्
आंदोलन्ष्जनमें्तनधसन्कृषक्‍माज्के्ववलभन्न्वगस्शालमल्र्े्और्इ‍में्‍वसहारा्वगस्को्केन्द्रीय्महत्त्व्ददया्
गया्(शाह्2004: 41)।

लक्ष्य एवं उद्दे श्य (Aims and Objectives)

थवतंत्रता्‍े्पूव्स कृषक्आंदोलनों्के्उद्दे श्य्इ‍्प्रकार्र्े—

1. ‍ामंतवाद्के्हर्रूप्की्‍माष्प्त।

2. आधर्सक्शोषण्‍े्पूण्स मुष्र्कत।

3. उत्पादक्वगस्के्ललए्मूलभूत्आधर्सक्व्राजनीततक्शष्र्कत।

19वीं्शताब्दी्में्अनेक्कृषक्ववद्रोह्हुए्जै‍े्कक्बंगाल्का्प्रल‍द्ध्‍न्र्ाल्और्नील्ववद्रोह्तर्ा्पंजाब्
एवं् महाराटर् में् अन्य् ववद्रोह् परन्तु् इनमें् ‍े् कोई् भी् आंदोलन् ‍ंगदित् रूप् में् नहीं् उभरा् जो् जारी् रहकर्
प्रशा‍न्अर्वा्ववधायकों्पर्दबाव्डाल्पाता।्गााँधी्जी्तर्ा्उनके्‍मर्सकों्ने्1917्में्नील्खेततहरों्की्मााँगों्
के्ववरुद्ध, चम्पारन्(ब्रबहार)्में् कृषकों्को्‍ंगदित्ककया्तर्ा्1918्में् गज
ु रात्में् गााँधी्जी्ने् भूलम्कर्की्
व‍ूली्के्ववरोध्में्प्रल‍द्ध्खेरा्‍त्याग्रह्का्‍ंचालन्ककया।्1928्में, भूलमकर्अधधतनयम्के्ववरोध्में्‍रदार्
पिे ल्ने्बारडोली्‍त्याग्रह्का्‍ंगिन्ककया।

लक्ष्य एवं उद्दे श्य (Aims and Objectives)

उत्तर-थवातंत्र्य्काल्में्कृषक्आंदोलनों्के्उद्दे श्यों्में्अंतर्आया्परं तु्उ‍की्मौललक्प्रववृ त्त्वही्रही।

1. उग्र्‍ुधारों्के्ललए्‍ंघषस।

147
2. कृवष्उत्पादन्के्ललए्लाभकारी्मूल्य्तर्ा्कक‍ानों्को्कृवष्उत्पादन्में्वद्
ृ धध्के्ललए्‍हायता्दे ना।

3. कृवष्उत्पादन्एवं् औद्योधगक्वथतुओं् के्मूल्य्के्बीच्एक्पािी्की्थर्ापना्करना्ताकक्कक‍ानों्एवं्


कामगार्लोगों्के्अन्य्वगों्को्आवश्यक्औद्योधगक्वथतुएाँ्उधचत्मूल्यों्पर्लमल्‍कें।

4. कृवष्श्रलमकों्के्ललए्पयासप्त्न्यन
ू तम्वेतन।

उर्त्र-औपतनवेसर्क काल में कृषक आंदोलन (Peasant Movement in Post-Colonial Period)

थवतंत्र्भारत्में्अनेक्कृषक्ववद्रोह्दे खे्गए।्1946्के्मध्य्में्तेलंगाना्कृषक्आंदोलन्की्शरु
ु आत्हुई्
और्यह्अर्किूबर, 1951्तक्जारी्रहा।्इ‍्आंदोलन्ने्है दराबाद्राज्य्के्‍ंपूण्स तेलंगाना्क्षेत्र्तर्ा्आन्ध्र्डेल्िा्
के्‍मीपवती्ष्जलों्को्उत्तेष्जत्कर्ददया।्अपने्चररत्र्एवं्राजनीततक्उद्दे श्यों्की्दृष्टि्‍े्यह्आंदोलन्भारत्
के्‍भी्आंदोलनों्में्‍वासधधक्िांततकारी्आंदोलन्के्रूप्में्जाना्जाता्है ।्CPI्ने् अपने् कृषक्खण्ड-कक‍ान्
‍भा्के्‍ार््लमलकर्इ‍्आंदोलन्की्शरु
ु आत्की।्प्रारं भ्में् इ‍्आंदोलन्का्उद्दे श्य्बहुत्व्यापक्र्ा्तर्ा्
इ‍का् उद्दे श्य् ग्रामीण् ‍ामंती् अलभजात-वगस् द्वारा् अवैध् एवं् अत्यधधक् उगाही् के् ववरोध् में् ‍मथत् कृषक्
‍मुदाय्का्कल्याण्करना्र्ा।्इ‍की्‍वासधधक्‍शर्कत्मााँग्र्ी्कक्‍भी्कक‍ानों्के्ऋण्बट्िे ्खाते्में्डाल्
ददए् जाएाँ।् इ‍् आंदोलन् का्द्ववतीय् चरण् तब् आया् जब् अलभजात्वगस् के् दमन् का्‍ामना् करने् के् ललए्
कक‍ानों्ने् ‍शथत्र्‍ंघषस् आरम्भ्ककया।्ल‍तंबर् 1948्में् भारतीय्दलों्ने् राज्य्को्अपने् हार्ों्में् ले् ललया्
तर्ा्तेलंगाना्में् ‍ाम्यवाददयों्के्ववरुद्ध्‍कियता्ददखाई।्आंदोलन्के्नेतत्त्ृ वकाररयों्को्जेल्में् डाल्ददया्
गया्तर्ा्राज्य्में्‍ाम्यवादी्दल्का्बदहटकरण्ककया्गया।्यह्एक्भूलम्‍ंघषस्(agrarian struggle)्र्ा्ष्ज‍में्
भूलम-‍ंपन्न्कुलीन्वगस्की्‍ेना्द्वारा्अनेक्कृषक्मारे ्गए्तर्ा्बाद्में्भी्है दराबाद्राज्य्की्भारतीय्‍ेना्
द्वारा्अधधग्रहण्के्पश्चात ््भी्अनेक्कक‍ान्मारे ् गए।्इ‍्आंदोलन्की्मााँगे् व्यापक्र्ीं् तर्ा्आंदोलन्की्
प्रकृतत्ने्इ‍े्भारतीय्इततहा‍्के्कृवष्आंदोलनों्में्‍वासधधक्िांततकारी्आंदोलन्बना्ददया।

नर्किलवादी कृषक ववद्रोह (Naxabari Pesaant Uprising)

पष्श्चम्बंगाल्के्उत्तरी्भाग्में्उददत्नर्क‍लवादी्कृषक्ववद्रोह्भारत्के्महान्ववद्रोहों्में्‍े्‍ब‍े्अंततम्
ववद्रोह्र्ा।्इ‍की्शुरुआत्उत्तर्औपतनवेलशक्भारत्में्हुई्तर्ा्इ‍का्नेतत्त्ृ व्CPI(M)्के्दल्ने्ककया।्CPI(M)्
के् प्रल‍द्ध् नेता् जो् पािी् के् शा‍कीय् पदों् ‍े् अ‍हमत् र्े् और् ष्जन्होंने् आंदोलन् का् ‍ंचालन् ककया, उनमें्
शालमल्र्े—कानु् ‍ान्याल्तर्ा्चारू्मजूमदार।्इ‍का्उद्भव्पष्श्चम्बंगाल्के्पूवी्दहमायल्की्पादधगरर्में्
हुआ।्यह्थर्ान्नर्क‍लबरी्के्नाम्‍े्जाना्जाता्है ्जो्दाष्जसललंग्ष्जले्के्ल‍लगुड़ी्के्प्रववभाजन्के्अंतगसत्
आता्है ।्नर्क‍लबरी, खारीबरी्तर्ा्फााँ‍ीदे वा, इन्तीन्पुलल‍्चौकी्क्षेत्रों्में्आंदोलन्ने्आतंकी्मोड़्ललया।्इ‍्
क्षेत्र्के्भूलमहीन्कक‍ानों्का्लम्बे् ‍मय्‍े् यह्दावा्र्ा्कक्उनकी्भूलम्का्चाय्‍ंपदा्एवं् ‍ंपन्न्कृषकों्
द्वारा्अततिमण्ककया्जा्रहा्है ।्इ‍्भूलम्िांतत्(agrarian revolt)्का्उदय्1967्के्अप्रैल्माह्में्हुआ्और्
यह्‍ंपूण्स ल‍लगुड़ी्इलाके्में्पूरे्वेग्‍े्जून्माह्तक्चला्(फडड़या्2007: 661)।

‍मकालीन्भारत्में्कुछ्‍ंपन्न्ग्रामीण्कृषक्आंदोलन्हैं—

पष्श्चमी् उत्तर् प्रदे श, पंजाब, हररयाणा, में् भारतीय् कक‍ान् ‍ंघ् (BKU)् तर्ा् शेतकारी् ‍ंगिन् (SS)् ष्ज‍ने्
प्रमुख्रूप्‍े्दक्षक्षण-पष्श्चमी्महाराटर्के्गन्ना, कपा‍, तम्बाकू, अाँगूर्एवं्प्याज़्उत्पादकों्के्दहतों्का्प्रतततनधधत्त्व्
ककया्हालांकक्इ‍का्उद्गम्गुजरात्में्भी्र्ा।

148
अध्ययन्यह्थपटि्रूप्‍े्दशासते्हैं्कक्भारतीय्उपमहाद्वीप्के्कृषक्आज्ञाधीन्न्र्े्और्न्हैं।्जातत्
तर्ा्धमस् ने् उनकी्युद्ध‍ंलग्नता्को्कभी्ववकृत्नहीं् ककया।्यद्यवप्वे् दध
ु ारा्यंत्र्बने् रहे ् जो्इ‍्बात्पर्
तनभसर्र्े्कक्उनका्प्रयोग्कौन्कर्रहा्है ्और्कक‍्उद्दे श्य्के्ललए्कर्रहा्है ।्‍ंघषों्को्नेतत्त्ृ व्हमेशा्बाहर्
‍े्ही्नहीं्लमला्और्न्ही्कक‍ानों्ने्मात्र्बाहरी्शष्र्कतयों्के्प्रतत्प्रततकिया्जादहर्की।्उन्होंने्अपनी्चेतना्
‍े्अपने्कायस्की्रूपरे खा्तनधासररत्की।्उनकी्चेतना्कक‍्‍ीमा्तक्थवायत्त्र्ी? तनाः‍ंदेह्यह्प्रश्न्वववादाथपद्
है ्तर्ा्इ‍के्अधधक्ववश्लेषण्की्जरूरत्है ।्अध्ययन्उन्ववद्वानों्को्भी्पव
ू ‍
स धू चत्करते्हैं्ष्जन्होंने्मध्यवगीय्
कृषक्वगस्को्‍ंघषों्के्नेतत्त्ृ व्की्क्षमता्के्ललए्आदशस्माना्है ।्अनेक्अध्ययन्दशासते्हैं्कक्तनधसन्कृषकों्
तर्ा्भलू महीन्श्रलमकों्ने् राज्य, जमींदारों्एवं् ‍ंपन्न्कृषकों्के्ववरूद्ध्‘‍फलतापव
ू क
स ’्‍ाहल‍क्‍ंघषस् ककए्हैं।्
1960्एवं्1970्के्दशक्में्ववद्वानों्ने्िांततकारी्पररवतसन्में्कृषकों्की्भूलमका्एवं्‍ामथ्यस्की्व्यापक्रूप्
‍े्चचास्की्है ।्1990्के्दशक्में्शैक्षणणक्तनबंधों्के्एजेण्डे्‍े्ऐ‍े्मुद्दे ्हि्गए।्बष्ल्क्दे श्के्ववलभन्न्भागों्
में् पाँज
ू ीवाद्की्जड़ें् मजबूत्होने् की्ष्थर्तत्में् अब्‘कृषकों’्की्एक्‍ामाष्जक्वगस् के्रूप्में् प्रा‍ांधगकता्पर्
ववचार्ककया्जाने्लगा्(शाह्2004:75)।

मदहला आंदोलन (Women Movement)

भारतीय्‍माज्में , जातत, वगस, धमस्एवं्नज


ृ ातीय्लभन्नताओं्के्कारण्दे श्के्ववलभन्न्भागों्में्मदहलाओं्
का्जीवन्एवं्‍मथयाएाँ् भी्लभन्न्हैं।्ववका‍्एवं्पररवतसन्की्प्रकिया्ववलभन्न्वगों्की्मदहलाओं्को्लभन्न-
लभन्न्तरीके्‍े्प्रभाववत्करती्है ।्ऐ‍े्‍ांथकृततक्रूप्‍े्लभन्न्एवं्थतररत्अर्वा्अ‍मान्‍माज्में्मदहला्
आंदोलन् के् उदय् की् आवश्यकता् मह‍‍
ू ् की् गई।् इ‍के् अततररर्कत, इ‍् आंदोलन् के् आवधधक् पहल्
ू पर् भी्
ववचार्की्आवश्यकता्र्ी।्उदाहरण्के्ललए, प्रारं लभक्आंदोलन्‍ुधारवादी्आंदोलन्र्े् ष्जनका्नेतत्त्ृ व्व्यापक्
थतर्पर्परु
ु ष्‍ध
ु ारवाददयों्ने्ककया्जबकक्उत्तर-थवातंत्र्य्पररदृश्य्में्जो्आंदोलन्हुए्उनका्नेतत्त्ृ व्मदहलाओं्
ने्ककया।

19वीं् शताब्दी्के्प्रारं लभक्काल्में् जो्‍माज्‍ुधार्आंदोलन्हुए, उ‍के्ललए्राजा्राममोहन्राय्जै‍े्


पुरुष्‍ुधारकों्ने् पहल्शष्र्कत्ददखाई।्उनके्द्वारा्जो्मुद्दे ् उिाए्गए, उनमें् शालमल्र्े् -्‍ती, ववधवा्ष्थत्रयों्
के्‍ार््दव्ु यसवहार, ववधवा्पुनववसवाह्पर्प्रततबंध, बहुवववाह्प्रर्ा, मदहलाओं् के्‍ंपवत्त्के्अधधकार्का्हनन, बाल्
वववाह्तर्ा्मदहलाओं्की्‍ाक्षरता्की्आवश्यकता।्थत्री-लशक्षा्के्ललए्पुरुषों्द्वारा्‍ंघषस् के्फलथवरूप्कन्या्
ववद्यालय, कन्याओं्के्ललए्छात्रवा‍, महाववद्यालय, ववधवाश्रम्आदद्की्थर्ापना्हुई।

वगीकरण (Typologies)

ववलभन्न्ववद्वानों्ने्अपने्‍ैद्धाष्न्तक्दृष्टिकोण्‍े्मदहला्आंदोलनों्का्वगीकरण्ककया्है ।्नीरा्दे ‍ाई्


के्पयसवेक्षण्के्अनु‍ार, ‘मदहला्आंदोलन्‍मानता्एवं्मदहलाओं्की्थवतंत्रता्के्‍ामान्य्लक्ष्य्को्प्राप्त्करने्
का्एक्‍ंगदित्प्रया‍् है ् तर्ा्यह्ऐ‍े् महत्त्वपूण्स मुद्दों्को्प्रार्लमकता्दे ता् है ् जो् मदहलाओं् के्जीवन् को्
प्रभाववत् करते् हैं।’् अपने् उद्दे श्य् के् प्रतत् एक् ‍कारात्मक् कदम् उिाने् के ् ललए, ववलभन्न् इकाईयों् की् कुछ्
‍ंगदित्वैचाररक्योजना्होती्है ्(1988्:्IX)।्इ‍्वैचाररक्प्रततमान्के्आधार्पर, गेल्ओमवेर्डि्(1978) मदहला्
आंदोलन्का्दो्प्रकार्‍े् वगीकरण्करते् हैं—(1) मदहला्की्‍मानता्के्ललए्आंदोलन्तर्ा्(2) मदहलाओं् की्
थवतंत्रता्के्आंदोलन।्इनमें्‍े्प्रर्म्आंदोलन्पाररवाररक्‍ंरचना्की्मौजद
ू ा्आधर्सक्अर्वा्राजनीततक्ष्थर्तत्

149
को्प्रत्यक्ष्रूप्‍े् तो्चुनौती्नहीं् दे ता्परन्तु् कफर्भी्इ‍का्लक्ष्य्इ‍के्अंतगसत्मदहलाओं् के्ललए्‍मानता्
की्ष्थर्तत्हाल‍ल्करना्तर्ा्‍ामंती्वपत‍
ृ त्ता्के्मुर्कत्व्अवलशटि्अंशों्को्‍माप्त्करना्है ् जबकक्मदहला्
थवातंत्र्य् आंदोलन् प्रत्यक्ष् रूप् ‍े् श्रम् के् ललंगपूण्स ववभाजन् को् चुनौती् दे ता् है ।् जाना् ईवरे ि् (1979) मदहला्
आंदोलनों्को्नारीवाद्की्दो्ववलभन्न्ववचारधाराओं्के्आधार्पर्वगीकृत्करते्हैं।्वे्हैं—(1) तनगलमत्नारीवाद्
(Corporate Feminism)्जो्यह्दावा्करता्है ्कक्नारी्भी्राजनीतत्में्ववशेष्योग्दे कर्महत्त्वपूण्स भूलमका्तनभा्
‍कती्है ् तर्ा्(2) उदारवादी्नारीवादी्(Liberal Feminism)्जो्परु
ु षों्के्बराबर्ष्थत्रयों्के्अधधकारों्की्वकालत्
करता्है ।्चाँकू क्ष्थत्रयााँ्पुरुषों्के्‍मान्है ्इ‍ललए्उनके्अधधकार्भी्‍मान्होने्चादहए।

िमाज िुधार आंदोलन एवं मदहलाएाँ (Social Reform Movement and Women)

भारत्में् ‍मकालीन्नारी्आंदोलन्का्जन्म्वपछली्शताब्दी्में् दहन्द्ू ‍माज्के्अंतगसत्‍माज्‍ुधार्


आंदोलन्के्प्रभाव्‍े्हुआ्है ।्(मुष्थलम, ई‍ाई, पार‍ी, ल‍खों्आदद्के्‍माज्‍ुधार्आंदोलनों्ने्‍माज्वैज्ञातनकों्
का् ध्यान् आकवषसत् नहीं् ककया)् राजा् राममोहन् रॉय, ईश्वरचन्द्र् ववद्या‍ागर, महादे व् गोववंद् रानाडे, बहराम् जी्
मालबारी्जै‍े्‍माज्‍ुधारकों्ने्मदहलाओं्का्दमन्करने्वाली्मौजूदा्धालमसक्एवं्‍ामाष्जक्प्रर्ाओं्के्ववरुद्ध्
अपनी्आवाज्उिाई्(हे म‍ार््1964_ मजमूदार्1976_ ‍ेन्1979_ चौधरी्1990)।्उनके्दबाव्‍े् ब्रिदिश्‍रकार्
ने्‍ती्प्रर्ा्के्ववरुद्ध, ष्थत्रयों्के्पुनववसवाह, बाल्वववाह्प्रर्ा्के्ववरुद्ध्आदद्अनेक्कानून्लागू्ककए।्बाललकाओं्
की्लशक्षा्के्‍ंबंध्में् भी्प्रया‍्ककए्गए।्इनमें् ‍े् कुछ्मुद्दे ् वतसमान्शताब्दी्में् भी्मदहलाओं् को्प्रभाववत्
कर्रहे ्हैं।्अंतर्केवल्इतना्है ्कक्पूव्स ‍दी्में्मदहलाओं्को्‍ावसजतनक्जीवन्में्‍हभाधगता्के्ललए्‍किय्
करने्में्‍ुधारकों्द्वारा्बहुत्कम्प्रया‍्ककए्गए्र्े।

मदहलाओं्के्राजनीततक्अधधकार्जै‍े्कक्‍मान्व्यथक्मताधधकार्तर्ा्ववधान‍भा्में ्प्रतततनधधत्त्व्की्
मााँग्मदहला्प्रतततनधधयों्ने्की्ष्जन्हें ्कांग्रे‍्पािी्का्‍मर्सन्लमला्(हे म‍ार््1964_ दे ‍ाई्1977, ईवरे ि्1979,
शाह्1984)।्मदहलाओं्के्बीच्लशक्षा्के्प्रचार-प्र‍ार्के्ललए्भारतीय्मदहला्‍ंघ्(Women's Indian Association)्
तर्ा् अणखल् भारतीय् मदहला् ‍म्मेलन् (All India Women's Conference (AIWC))् जै‍े् मदहला् ‍ंगिन् 1920् के्
दशक्में्‍ामने्आए।्इन्‍ंगिनों्ने्‍मान्मद्
ु दों्को्उिाया्तर्ा्उत्तर-थवातंत्र्य्काल्में्कल्याणकारी्कायसिम्
प्रारं भ्ककए।्उन्होंने् अपनी्शाखाओं् द्वारा्‍भी्राज्यों्में् एक्अणखल्भारतीय्थतर्प्राप्त्कर्ललया।्‍माज्
‍ध
ु ारकों्के्‍ार्-‍ार््मदहला्‍ंगिनों्ने्ष्थत्रयों्‍े्‍ंबंधधत्मद्
ु दों्को्उिाया्ष्ज‍ने्वैददक्काल्की्धारणा्पर्
आधाररत्दहन्द्ू ववचारधारा्को्प्रभाववत्ककया।्अधधकांश्‍माज्‍ुधारकों्का्ववश्वा‍्‍माज्में् पुरुष्एवं् थत्री्
की्भूलमका्में् अंतर्‍े् र्ा।्हालांकक्वे् मदहलाओं् द्वारा्घर्‍े् बाहर्तनकलकर्काम्करने् के्ववरुद्ध्नहीं् र्े्
परन्तु् वे् व्यापक्ववश्व्में् मदहलाओं् के्ललए्एक्थवायत्त्भववटय्(independent careers)्के्पक्ष्में् नहीं् र्े।्
उनका् ववश्वा‍् र्ा् कक् मदहलाओं् को् हर् क्षेत्र् में् पुरुषों् के् ‍ार्् प्रततयोधगता् नहीं् करनी् चादहए् (ब‍ु् 1976)।्
‍ुधारकों्की्तनरं तर्यही्मााँग्र्ी्कक्मदहलाओं् को्थपटि, दृढ़्और्आत्मतनयंब्रत्रत्होना्चादहए।्उन्हें ् पततव्रता्
होना्चादहए्अर्ासत ््एक्‍मवपसत्और्‍ंयत्गदृ हणी्जो्अपने् पतत्के्अवगुणों्को्‍हनशीलता्की्दृष्टि्‍े्
दे खे।

स्वतंिता-िंघषश एवं मदहलाएाँ (Freedom Struggle and Women)

कमलादे वी्चट्िोपाध्याय्(1958), अपणास्ब‍ु्(1976, 1984), मनमोहन्कौर्(1980), रजनी्एलेर्कज़ेंडर्(1984),


उमा्राव्एवं्मीरा्दे वी्(1984) तर्ा्कुछ्अन्य्ववद्वानों्ने्थवतंत्रता्‍ंघषस्में्मदहलाओं्की्भूलमका्का्तनरीक्षण्

150
ककया।् कुछ् ववद्वानों् का् तनश्चयपूवक
स ् यह् कहना् है ् कक् थवतंत्रता् आंदोलन् ने् मदहलाओं् को् उनके् ‘थवतंत्रता’्
‍ंघषस्में्‍हायता्की्है ्र्कयोंकक्नारीवाद्और्राटरवाद्तनकितम्रूप्‍े्अंत‍ंबंधधत्र्े।्एक्गदृ हणी्की्‍ामाष्जक्
भूलमका्को्अथतव्यथत्ककए्ब्रबना्उन्हें ्‍ामाष्जक्जन-जीवन्में्शालमल्करने्की्गााँधी्जी्की्ववचारधारा्तर्ा्
मदहलाओं्की्‍कियता्के्ललए्उनके्प्रया‍्भी्थवतंत्रता्‍ंघषस्में्थत्री्‍हभाधगता्में्‍हायक्ल‍द्ध्हुए।्‍भ
ु ाष्
चन्द्र्बो‍्ने् भी्मदहला्राटरीय्‍ंघ्नामक्मदहला्‍ंगिन्की्थर्ापना्की्ष्ज‍ने् थवतंत्रता्‍ंघषस् में् ‍किय्
भलू मका्तनभाई्(मेहता्1982)।्वह
ृ त ््थतर्पर्थवतंत्रता्‍ंघषस् में् थत्री्‍हभाधगता्के्उल्लेख्के्अततररर्कत, लघु्
थतरीय्अध्ययन्जै‍े् कक्गुजरात्के्‍ंबंध्में् अपणास् ब‍ु् (1984) तर्ा्प्रवीण्‍ेि्(1979) का्अध्ययन, कनासिक्
पर्‍रोष्जनी्लशन्त्री्एवं्राघवेन्द्र्राव्(1983), उत्तर्प्रदे श्के्‍ंबंध्में्उमा्राव्एवं्मीरा्दे वी्(1984) के्अध्ययन्
प्रादे लशक्लभन्नता्के्‍ंबंध्में् हमारे ् ज्ञान्की्‍ीमा्का्ववथतार्करते् हैं।्अपणास् ब‍ु् (1976) के्अनु‍ार, भारत्
के्थवतंत्रता्‍ंघषस् में् मदहलाओं् को्‘राजनीततक्‍हचर्के्रूप्में ् थवीकार्ककया्गया्तर्ा्उन्हें ् ‍हभाधगता्के्
ललए्‍मान्अव‍र्ददए्गए।’्ये्तनटकषस्पयासप्त्प्रमाणों्पर्आधाररत्होने्की्अपेक्षा्प्रत्यक्ष्उदाहरणों्के्आधार्
पर्उपलब्ध्हुए्हैं।्गोववन्द्केलकर्(1984) का्मत्है ्कक्थवतंत्रता्‍ंघषस्में्मदहलाओं्को्इ‍ललए्‍किय्ककया्
गया्र्कयोंकक्वे्अदहं‍क्‍ंघषस्के्‍ंचालन्में्‍मर्स्र्ीं।्उनका्दृढ़कर्न्है ्कक्थवतंत्रता्‍ंघषस्में्मदहलाओं्की्
भूलमका्एक्‍हचर्की्अपेक्षा्एक्‘‍हायक’्की्र्ी।्रजनी्एलेक्षेंडर्ने् भावी्तनरीक्षण्ववशेषकर्‍ामुदातयक्
गततशीलता्के्वतसमान्‍ंदभस्के्ललए्एक्रोचक्ववश्लेषण्ककया।्उनके्अनु‍ार, ‘‘थवंतत्रता्आंदोलन्में्मदहलाओं्
की्‍हभाधगता्लभन्न्रूपों्में्र्ी्तर्ा्वे्हमेशा्‍ंगदित्और्केवल्राजनीततक्‍ंघषस्‍े्प्रेररत्नहीं्र्े।्उदाहरण्
के्ललए, पष्श्चमी्भारत्ववशेषकर्महाराटर्एवं्गुजरात्में्प्रभात्फेरी्का्प्रयोग्दे शभष्र्कत्के्उत्‍ाह्को्उत्तेष्जत्
करने्के्ललए्ककया्गया।्‍ंपूण्स भारत्में, अ‍ंख्य्मदहलाओं्ने्पलायकों्एवं्भूलमगत्कायसकत्तासओं्को्भोजन्व्
आश्रय्प्रदान्ककया, राजनीततक्बंददयों-‍गे-‍ंबंधी्तर्ा्अपररधचत्व्यष्र्कतयों्‍े्उनकी्दीघासवधध्में्मल
ु ाकात्की।्
थवतंत्रता्आंदोलन्में्अधधकांश्मदहलाओं्की्भागीदारी्घर्एवं्‍मुदाय्पर्आधाररत्र्ी्(शाह्2004-155-156)।

मदहलाओं के ववषयों िे िंबंधधत नारी आंदोलन (Women's Movements on Women's Issues)

वपछले् तीन् दशकों् में् थवायत्त् मदहला् ‍ंगिनों् द्वारा् प्रारं भ् ककए् गए् अनेक् छोिे ् एवं् बड़े् ‍ंघषस् उभरे ्
ष्जन्होंने्प्रत्यक्ष्रूप्‍े्थत्री्‍ंबंधी्मद्
ु दों्एवं्उनकी्उन्मष्ु र्कत्के्प्रश्न्को्उिाया्(कीश्वर्एवं्यर्
ूस ्1984: दे ‍ाई्
एवं्पिे ल्1985_ रोदहणी्रि-एल-, एन-डी-)।्दटु कमस, कायसथर्ल्पर्यौन्शोषण, घरे लू्एवं्‍ावसजतनक्क्षेत्र्में्दहं‍ा्
के्ऐ‍े् बड़े् मामले् हैं् ष्जनके्ललए्मदहलाओं् ने् लघु् एवं् दीघस् थतर्पर्‍ंघषस् ककए।्1978्में् मर्ुरा्बलात्कार्
काण्ड्के्‍ार््ही्शहरी्मध्यवगीय्मदहलाएाँ् प्रदशसन, धरने, जन-याधचकाओं्आदद्द्वारा्भड़क्उिीं।्महाराटर्की्
एक्14्वषीय्लड़की—मर्ुरा्का्एक्पुलल‍्र्ाने्में्शीलभंग्ककया्गया।्इ‍्अपराध्के्दोषी्दो्पुलल‍कलमसयों्
को्तनम्न्न्यायालय्एवं्बाद्में् ‍वोच्च्न्यायालय्द्वारा्ववमुर्कत्कर्ददया्गया।्न्यायाधीशों्का्मत्र्ा्कक्
मर्ुरा्ने्थवेच्छा्‍े्लैंधगक्‍ंपकस्को्थवीकार्ककया्है ।्ववलभन्न्शहरों्की्मदहलाओं्ने्इ‍्घिना्एवं्न्यायाधीशों्
के् तनणसय् का् ववरोध् ककया।् उन्होंने् जुलू‍् तनकाले, जन‍भाएाँ् की् व् ‍ांकेततक् अलभयान् चलाए् आदद् (शाह्
2004:164)।

उर्त्र स्वातंत्र्य काल में मदहला आंदोलन (Women's Movements in the Post & Independence Era)

थवतंत्रता् के् बाद् दो् दशक् आशावादी् र्े।् ‍ंपूण्स रूप् ‍े् यह् अनुभव् ककया् जा् रहा् र्ा् कक् जहााँ् तक्
मदहलाओं् के् मुद्दों् का् प्रश्न् है , प्रमुख् ‍मथया् कानूनी् ‍मानता् को् वाथतववक् ‍मानता् में् बदलने् की् है ।्

151
पररणामथवरूप, ववशेष् वववाह् अधधतनयम् (1954), दहन्द्ू वववाह् एवं् तलाक् अधधतनयम् (1955), दत्तक् अधधतनयम्
(1956), अंताःराज्यीय् उत्तराधधकार् अधधतनयम् (1956) तर्ा् दहे ज् अधधतनयम् लागू् ककए् गए।् ‘अणखल् भारतीय्
मदहला् ‍म्मेलन’् (All India Women's Conference (AIWC))् जै‍े् ‍ंगिन् अभी् तक् अष्थतत्त्व् में् हैं।् तर्ावप,
मदहलाओं् के् दो् अन्य् महत्त्वपण
ू ्स राटरीय् ‍ंगिन् भी् बने—1954् में् ‍ंथर्ावपत् ‘भारतीय् मदहलाओं् का् राटरीय्
‍ंघ’्(National Federation for Indian Women)्तर्ा्1981्में्तनलमसत्‘अणखल्भारतीय्लोकतांब्रत्रक्मदहला्‍ंगिन’्
(All India Democratic Women's Association)।्अताः्भारत्में् तीन्महत्त्वपण
ू ्स मदहला्‍ंगिन्हैं:्AIWC, NFIW्
तर्ा्AIDWA.्इनमें्‍े्कक‍ी्का्भी्प्रत्यक्ष्राजनीततक्‍ंबंध्नहीं्है ।्परन्तु्AIWC्के्कांग्रे‍्पािी्‍े्तनकि्
के्‍ंबंध्माने्जाते्हैं, NFIW्के्CPI्‍े्तर्ा्AIDWA्के्CPI्(मार्क‍सवादी)्‍े्‍ंबंध्हैं।्एक्‍ामाष्जक्वगस्के्
रूप्में्मदहलाओं्की्भूलमका्के्‍ंबंध्में्इन्तीनों्‍ंगिनों्के्लभन्न-लभन्न्दृष्टिकोण्हैं।्वे्राजनीततक्प्रकिया्
में्उिाए्गए्मुद्दों्पर्भी्लभन्न-लभन्न्तरीके्‍े्प्रततकिया्व्यर्कत्करते्हैं।

1927्में् तनलमसत्AIWC्ने् राटरीय्आंदोलन्में् बहुत्‍कियता्ददखाई।्1954्में् गदित्NFIW्भारतीय्


‍माज्में् मदहलाओं् की्भूलमका्के्प्रतत्एक्ववलभन्न्दृष्टिकोण्प्रायोष्जत्करता्है ।्NFIW्ने् 1972-1974्के्
बीच्मूल्य-वद्
ृ धध्के्ववरुद्ध्आंदोलन्में्अन्य्मदहला्‍ंगिन्के्‍ार््लमलकर्‍किय्भूलमका्तनभाई।्1981्में ्
एक्राटरीय्‍ंगिन्के्रूप्में्उभरे ्AIDWA्ने्दहे ज्‍मथया्की्‍ामाष्जक्जड़ों्पर्‍फलतापूवक
स ्दबाव्डाला्
तर्ा्‍रकार्को्भी्दहे ज-ववरोधी्कानून्के्तनमासण्एवं् कियान्वयन्के्ललए्बाध्य्कर्ददया।्इ‍के्अलभयान्
महत्त्वपूण्स मामलों् ‍े् ‍ंबंधधत् होते् हैं् जै‍े् कक—नागररक् ‍ुववधाएाँ, जल् आपूततस, नगर् के् पुनथर्ासपन् के् ललए्
तनयलमत्आवाजाही्तर्ा्मदहलाओं्के्आधर्सक्एवं्कानूनी्दमन्‍े्‍ंबंधधत्‍मथयाएाँ।

उत्तराखण्ड्के्पवसतीय्क्षेत्र्में्ककया्गया्धचपको्आंदोलन्जो्अब्अंतरासटरीय्रूप्‍े्ववख्यात्हो्चुका्है ्
र्कयोंकक्इ‍ने्पयासवरण-नारीवादी्पररप्रेक्ष्य्का्ध्यान्आकवषसत्ककया।्इ‍्आंदोलन्को्बल्परं परावादी्प्रकार्के्
प्रततरोध्‍े्लमला्ष्ज‍का्प्रभाव्‍त्तर्के्दशक्के्मध्य्में्दे खा्गया।्इ‍्आंदोलन्में्ववशेष्रूप्‍े्मदहलाओं्
ने्अपने्क्षेत्र्में्इमारती्लकड़ी्के्वक्ष
ृ ों्को्धगराने्‍े्रोका।

इन् उपलष्ब्धयों् के् बावजद


ू , मदहला् आंदोलन् की् यात्र् ‍ग
ु म् नहीं् है ।् चाँकू क् यह् आंदोलन् अ‍मानता् के्
मूलभूत्आधारों्को्चुनौती्दे ता्है ।्थवाभाववक्है ् कक्जो्लोग्‍त्ता्में् महत्त्वपूण्स पदों्पर्हैं, वे् अपने् पद्के्
लोभवश्आगे् आने् को्तैयार्ही्नहीं् हैं।्आज्मदहला्आंदोलन्न्केवल्आंदोलन्की्बाहरी्शष्र्कतयों्द्वारा्
बष्ल्क्आंदोलन्के्अंतगसत्ही्ववकि्चुनौततयों्का्‍ामना्कर्रहा्है ्(फडड़या्2007:669-671)।

श्रसमक आंदोलन (Workers Movement)

पष्श्चमी्तकनीक्पर्आधाररत्आधुतनक्शष्र्कतशाली्उद्योगों्का्आगमन्भारत्में्19वीं्शताब्दी्में्1950्
के्मध्य्में् हुआ।्बम्बई्और्कलकत्ता्के्आ‍-पा‍्रे लों्का्जाल्ब्रबछाया्गया।्पहले् बम्बई्तर्ा्गुजरात्में ्
बड़ौदा्तक्‍ंपकस्बनाया्गया्और्बाद्में्कलकत्ता्एवं्कोयलाखनन्केन्द्र्रानीगंज्के्बीच्‍ंपकस्कायम्ककया्
गया।्पहली्कपड़ा्लमल्की्शुरूआत्बम्बई्में् 1855्में् हुई।्लगभग्उ‍ी्अवधध्में् कलकत्ता्में् जूि्(पि‍न)्
का्कारखाना्थर्ावपत्ककया्गया।्20वीं्शताब्दी्के्आरं भ्तक्औद्योगीकीकरण्का्ववथतार्प्रमख
ु ्रूप्‍े्‍त
ू ्
एवं्जूि्तक्ही्‍ीलमत्र्ा।्इ‍्अवधध्में्बड़े्पैमाने्पर्चाय्की्खेती्भी्शुरू्हो्गई्र्ी, परन्तु्इ‍्काम्में्
लगाए्गए्श्रलमकों्को्‍ामान्यतया्गैर-औद्योधगक्श्रलमक्ही्‍मझा्जाता्र्ा।्‍त
ू ी्वथत्र्उद्योग्का्बम्बई्

152
में् ववथतार्ककया्गया्तर्ा्इ‍का्ववथतार्अन्य्केन्द्रों्में् भी्ककया्गया्जै‍े् कक् -्गुजरात्में् अहमदाबाद,
महाराटर्का्शोलापुर्एवं्नागपुर्तर्ा्उत्तर्प्रदे श्में्कानपुर्तक।्1914्में, 264्‍ूती्कपड़ा्लमलों्में्2,60,000्
श्रलमक्कायसरत्र्े।्बंगाल्में , 1912्में् 2,00,000्श्रलमकों्को्60्जूि्के्कारखानों्में् काम्लमला।्1914्तक,
रे लवे् में् लगभग्6,00,000्लोग्काम्पर्लगाए्गए्(कातनसक्1966)।्1911्में् आरं भ्जमशेदपरु ्के्लोहा्एवं्
इथपात्उद्योग्औद्योधगक्ववका‍्की्एक्बहुत्बड़ी्उपलष्ब्ध्र्ी, हालांकक्इ‍में्अधधक्श्रमबल्को्काम्नहीं्
लमला।्इ‍के्अततररर्कत, 1910्में् लगभग्1,50,000्श्रलमकों्को्खानों्में् तर्ा्7,00,000्श्रलमकों्को्बागानों्में्
लगाया्गया।्उद्योगों्के्‍वेक्षण्के्मुताब्रबक, 1999्में्तनजी्व्‍ावसजतनक्क्षेत्र्के्उद्योगों्में्281्लाख्श्रलमक्
कामगार्र्े।्इ‍में्दोनों्ग्रामीण्एवं्शहरी्क्षेत्र्शालमल्हैं्तर्ा्बागानों, खानों, तनमासण्कायस, जन्उपयोगी्‍ेवाएाँ,
यातायात्एवं्‍ंचार्में्उनकी्तनयुष्र्कत्की्गई।

होमथरोम् के् इ‍् दावे् को्थवीकार् करना् कदिन् है ् कक् थवतंत्रता् ‍े् पूव्स िािा् लोहा् एवं् इथपात् कंपनी्
(TISCO)्में्तनयर्क
ु त्कालमसकों्को्एक्शहरी्क्षेत्र्के्लघु्उद्योग्में्तनयुर्कत्कमसचारी्अर्वा्ग्रामीण्क्षेत्रें्के्बीड़ी्
बनाने् वाले् श्रलमक्‍े् कम्वेतन्एवं् न्यूनतम्‍ंरक्षण्प्राप्त्र्ा।्चाँकू क्उ‍े् ‍ंघ्का्लाभ्लमलता्होगा।्परन्त्ु
वथत्र्उद्योग्को्र्कया्‍हायता्लमलती्होगी्अर्वा्TISCO्कालमसकों्को्‍ंघ्बनाने् में् र्कया्‍ुववधा्प्राप्त्होती्
होगी? (शाह्2004: 180-181)।

पूव-श स्वातंत्र्य काल में श्रसमकों के आंदोलन (Workers Movement in Pre & Independence Period)

व्यापार् ‍ंघ् श्रलमकों् का् वह्थवैष्च्छक् ‍ंगिन् है ् ष्ज‍का् तनमासण् ‍ामूदहक् कायसवाही् द्वारा् श्रलमकों् के्
दहतों्को्प्रोत्‍ाहन्एवं् ‍ंरक्षण्दे ने् के्ललए्ककया्जाता् है ।् 20वीं् शताब्दी्के्आरं लभक्चतुर्ांश्में् भारत्में्
व्यापार्‍ंघ्आंदोलन्का्जन्म्हुआ्ष्ज‍के्बीज्19वीं् शताब्दी्के्अंततम्चतुर्ांश्में् ही्उत्पन्न्हो्गए्र्े।्
ए‍.ए‍.्बंगाली, एम.्लोखाण्डे्तर्ा्अन्य्अनेक्व्यष्र्कत्व्यापार्‍ंघ्के्तनमासण, हड़तालों्के्‍ंचालन्एवं्‍ामान्य्
रूप्‍े् श्रलमक्वगस् की्ष्थर्ततयों्को्बेहतर्बनाने् में् ‍फल्हुए।्हालांकक, प्रर्म्ववश्व्यद्
ु ध्की्‍माष्प्त्तक्
ऐ‍ा्नहीं्र्ा्कक्आधुतनक्व्यापार्‍ंघ्आंदोलन्ने्भारतीय्भूलम्में्अपनी्जड़ें्मजबूत्कर्ली्हों।

1920् के् दशक् में, प्रर्म् ववश्व् युद्ध् के् तत्काल् बाद् भारतीय् श्रलमक् वगस् ने् ररयायतों, उच्च् वेतन् एवं्
कायस् ष्थर्तत् में् ‍ध
ु ार् के् ललए् हड़ताल् की् प्रभावकाररता् का् अनभ
ु व् ककया।् ववलभन्न् हड़तालों् की् श्रंख
ृ ला् की्
उद्घोषणा्कर्दी्गई।्मद्रा‍्के्कपड़ा्श्रलमकों्ने् मद्रा‍्श्रम्‍ंघ्का्तनमासण्ककया्ष्ज‍ने् 1918्में् हड़ताल्
की।्लगभग्उ‍ी्‍मय, अहमदाबाद्के्कपड़ा्श्रलमकों्ने् हड़ताल्कर्दी्तर्ा्श्रलमकों्को्गााँधीजी्के्हथतक्षेप्
एवं् नेतत्त्ृ व्के्फलथवरूप्1920्में् वथत्र्श्रम्‍ंघ्का्तनमासण्हुआ।्इ‍ी्काल्में् एक्अन्य्महत्त्वपूण्स हड़ताल्
1920्में् जमशेदपुर्में् TISCO्श्रलमकों्ने् की।्इ‍के्अततररर्कत, बम्बई, नागपुर, कलकत्ता्तर्ा्अन्य्थर्ानों्पर्
भी्अनेक्हड़तालें्की्गईं्ष्ज‍ने्‍ंघों्को्जन्म्ददया।्1920्के्दशक्की्शुरूआत्बड़ी्‍ंख्या्में् हड़तालों्के्
‍ार््हुई।्‍रकारी्आाँकड़ों्के्अनु‍ार, 1921्में् 396्हड़तालें् हुईं्ष्ज‍में् 6,00,000्श्रलमकों्ने् भाग्ललया्तर्ा्
1947्में्यह्‍ंख्या्लशखर्तक्पहुाँच्गई।्उ‍्अवधध्में्1811्हड़तालें्हुईं्ष्ज‍में्1,840्हजार्श्रलमक्शालमल्
हुए।्1947-1960्के्बीच्की्अवधध्में् हड़तालों्की्‍ंख्या्में् धगरावि्आई।्हालांकक, 1960्एवं् 1970्के्दशक्
में्‘हड़तालों्एवं्तालाबन्दी’्के्‍ार्-‍ार््‍ंघषों्की्‍ंख्या्भी्बढ़्गई।

इन्हड़तालों्की्‍फलता्का्कारण्अनेक्‍ंघों्का्तनमासण्र्ा।्1920्में, श्रलमकों्के्दहतों्का्प्रतततनधधत्त्व्
करने्एवं्श्रलमकों्के्दहतों्में्‍मन्वय्थर्ावपत्करने्के्‍ार्-‍ार््दे श्के्‍भी्श्रम्‍ंगिनों्के्कायसकत्तासओं्के्

153
बीच् ‍मन्वय् थर्ावपत् करने् के् ललए् अणखल् भारतीय् व्यापार् ‍ंघ् कांग्रे‍् (All India Trade Union Congress
(AITUC))्की्थर्ापना्की्गई।्AITUC्के्गिन्ने्दे शभर्में्एवं्छोिे ्व्बड़े्उद्योगों्में्‍ंघों्के्तीव्र्ववका‍्
को्प्रोत्‍ाहन्ददया।्1926्में, व्यापार्‍ंघ्अधधतनयम्(Trade Union Act)्पाररत्हुआ्जो्दे श्के्व्यापार्‍ंघ्
आंदोलन् के् इततहा‍् में् एक् ‍ीमाधचनन् है ।् इ‍् अधधतनयम् ने् पंजीकृत् व्यापार् ‍ंघों् को् कानन
ू ी् दजास् प्रदान्
ककया्तर्ा्‍ंघ्एवं्इ‍के्‍दथयों्को्अर्स-व्यवहार्एवं्आपराधधक्अलभयोजन्के्‍ंबंध्में्प्रततरक्षा्प्रदान्की।्
1920्के्दशक्के्अंत्में , श्रलमक्‍ंघ्के्नेताओं्के्मध्य्वैचाररक्मतभेद्के्कारण्व्यापार्‍ंघ्आंदोलन्का्
ववभाजन् हो् गया।् उ‍के् बाद् AITUC् में् कम्युतनथिों् का् नेतत्त्ृ व् ववकल‍त् हुआ् तर्ा् वामपंधर्यों् ने् एक् नए्
केन्द्रीय् श्रम् ‍ंगिन् की् रचना् की् ष्ज‍का् नाम् है —अणखल् भारतीय् व्यापार् ‍ंघ् (All India Trade Union
Federation)।्1930्के्दशक्का्आरं भ्ऐ‍ी्आबोहवा्के्‍ार््हुआ्जो्श्रलमक्‍ंघ्आंदोलन्के्ववका‍्के्ललए्
अनुकूल्नहीं्र्ा।्मेरि्षर्डयन्त्र्के‍्में्‍मुदायों्की्‍ंलग्नता्एवं्1929्की्बम्बई्वथत्र्श्रलमकों्की्हड़ताल्की्
अ‍फलता्ने्व्यापार्‍ंघ्के्कायस-कलापों्की्गतत्धीमी्कर्दी्(फडड़या्2007: 663-664)।

राजनीततक दल एवं श्रसमक िंगठन (Political Parties and Workers Organization)

थवतंत्रता् एवं् ववभाजन् के् ‍ार्, दे श् में् बेरोजगारी् की् ‍मथया् तीव्र् हो् रही् र्ी।् राटरीय् ‍रकार् द्वारा्
श्रलमकों्के्ललए्बेहतर्वेतन्‍ंरक्षण, ‍ेवा्ष्थर्ततयों्एवं् ‍ुववधाओं् की्उच्च्आकांक्षाएाँ् धुाँधली्पड़्रहीं् र्ीं।्दे श्
भर्में्हड़तालों्की्श्रंख
ृ ला्शरू
ु ्हो्गई्तर्ा्इ‍्अवधध्में्ष्जतने्अधधक्कायसददव‍ों्की्हातन्हुई्उतनी्दे श्के्
आाँकड़ों्में् कभी्दजस् नहीं् हुई्र्ी।्इ‍्काल्में् दे श्में् तीन्केन्द्रीय्‍ंगिनों्की्शुरूआत्‍े् व्यापार्‍ंघ्में ्
ववच्छे द्का्थतर्और्भी्गंभीर्हो्गया्र्ा।्अणखल्भारतीय्श्रम्‍ंघ्कांग्रे‍्(AITUC)्की्शुरूआत्1947्में ्
हुई् तर्ा् इ‍् पर् कांग्रे‍् पािी् का् तनयंत्रण् र्ा।् प्रजा् ‍माजवादी् पािी् ने् 1948् में् दहन्द् मजदरू ् ‍भा् (Hind
Majdoor Sabha)् की् थर्ापना् की् तर्ा् कुछ् अततवाददयों् द्वारा् 1949् में् ‍ंयर्क
ु त् व्यापार् ‍ंघ् कांग्रे‍् (United
Trade Union Congress (UTUC))् की् थर्ापना् की् गई।् ये् ‍भी् ‍ंगिन् श्रलमकों् की् ष्थर्तत् में् ‍ुधार् के् ललए्
कायस्कर्रहे ्हैं।्इ‍के्बावजद
ू , उनमें्कोई्एकता्नहीं्है ्और्न्ही्वे्एक्‍मान्नीततयों्अर्वा्ववचारधाराओं्
पर्चलते्हैं।

अगथत, 1994्में्मुख्य्श्रम्आयुर्कत्द्वारा्जारी्31्दद‍ंबर, 1989्‍े्‍ंबंधधत्अंततम्आाँकड़ों्के्अनु‍ार,


भारतीय् जनता् पािी् ‍े् ‍ंबद्ध् भारतीय् मजदरू ् ‍ंघ् (BMS)् ने् 31-17् लाख् की् कुल् ‍दथय् ‍ंख्या् द्वारा्
‍दथयता् के् ‍ंदभस् में् ‍वोच्च् थतर् प्राप्त् ककया् है ।् इ‍के् बाद् कांग्रे‍् ‍े् ‍ंबद्ध् ‍ंघ् INTUC् का् थर्ान् है ्
ष्ज‍की् ‍दथय-‍ंख्या् 27-6् लाख् है ।् कफर् CPM् ‍े् ‍ंबद्ध् CITU् का् थर्ान् है ् ष्ज‍की् कुल् ‍दथय् ‍ंख्या
17-98्लाख्है ्तर्ा्HMS्ष्ज‍की्‍दथयता्14-77्लाख्की्है ।्दक्षक्षणपंर्ी्व्यापार्‍ंघ्BMS्के्उच्च्थतर्पर्
आने्के्बाद्CITU्एवं्AITUC्जै‍े्वामपंर्ी्‍ंगिनों्का्थतर्नीचे्आ्गया्है ्(फडड़या्2007:664)।

श्रसमक आंदोलन तथा स्वतंिता िंघषश (Workers Movement and Freedom Struggle)

श्रलमक्वगस्ने्1920्के्अंततम्एवं्1930्के्प्रारं लभक्दशक्में्थवतंत्रता्‍ंघषस्को्‍मर्सन्ददया।्श्रलमकों्
ने्ब्रिदिश्राज्के्ववरुद्ध्‍भाओं, प्रदशसनों्एवं् जुलू‍ों्में्भाग्ललया।्‍ववनय्अवज्ञा्आंदोलन्को्‍मर्सन्दे ने्
के्ललए्श्रलमक्बम्बई, शोलापुर, कलकत्ता, अहमदाबाद्तर्ा्अन्य्कई्थर्ानों्पर्हड़ताल्पर्चले्गए।्अहमदाबाद्
के्श्रलमक्तो्गााँधीजी्की्धगर्तारी्के्ववरोध्में्पूणक
स ाललक्हड़ताल्पर्चले्गए।

154
उर्त्र-स्वातंत्र्य काल में श्रसमक आंदोलन (Workers Movement in Post Independence Period)

कम्युतनथि्पािी्को्‍मर्सन्दे ने् वाले् श्रलमकों्ने् 1950्के्मध्य्में्राजनीततक्‍ंघषस्के्रूप्में्हड़तालों्


की्शुरूआत्की।्उत्तर-थवातंत्र्य्भारत्में्श्रलमक्वगस्की्हड़तालों्ने्राजनीततक्मुद्दों्को्व्यापक्रूप्‍े्उिाया।्
रामाथवामी्के्अनु‍ार, ‘पचा‍्एवं्‍ाि्के्दशकों्में्जब्भी्श्रलमकों्के्ववरुद्ध्कोई्तनणसय्ललया्गया्अर्वा्
पलु ल‍्ने्कांग्रे‍्पािी्की्श्रलमक्ववरोधी्नीततयों्में्या्औद्योधगक्वववाद्में्हथतक्षेप्ककया्तो्गैर-कांग्रे‍ी्‍ंघों्
ने्तनयलमत्रूप्‍े्प्रततकूल्‍रकारी्तनणसयों्का्ववरोध्ककया।्1955्में्कानपुर्के्कपड़ा्लमल्के्श्रलमकों्तर्ा्
1958्में्TISCO्श्रलमकों्ने्‍रकार्की्औद्योधगक्नीततयों्का्ववरोध्ककया्तर्ा्यह्उनकी्हड़तालों्का्प्रमख
ु ्
मुद्दा् र्ा।् 1960् के् दशक् में् बम्बई, अहमदाबाद् तर्ा् अन्य् शहरों् के् श्रलमकों् ने् मूल्य् वद्
ृ धध् तर्ा् आवश्यक्
‍ं‍ाधनों्के्अभाव्के्मद्
ु दे ्पर्बंद्(bandh)्में्भाग्ललया।्1960्के्दशक्में्माल्की्मंदी्दे खी्गई।्1960्
के्दशक्में्श्रलमकों, ‍फेदपोश्कालमसकों्तर्ा्थकूल्एवं्कॉलेज्के्अध्यापकों्द्वारा्अनेक्युद्धमान्ववद्रोह्ककए्
गए।’् 19् ल‍तंबर् 1968् को् केन्द्रीय् ‍रकार् के् कमसचाररयों् ने् मूल् वेतन् में् महाँगाई् भत्ते् की् मााँग, आवश्यक्
न्यूनतम्वेतन्तर्ा्मूल्य्वद्
ृ धध्के्पूण्स तिथर्ीकरण्को्लेकर्काम्रोक्ददया।्इन्आंदोलनों्ने् ज़ोर्पकड़्
ललया।्मई्1974्में्1-7्करोड़्रे ल्कमसचाररयों्ने्हड़ताल्की्घोषणा्कर्दी।्कमसचाररयों्की्मााँगें्र्ीं्कक्वेतन्
को्दग
ु ुना्ककया्जाए।्इ‍के्‍ार्-‍ार््अततररर्कत्महाँगाई्भत्ता, वावषसक्बोन‍्की्अदायगी्तर्ा्‍ष्ब्‍डी्मूल्य्
पर्खाद्यान्नों्एवं्अन्य्आवश्यक्वथतुओं्का्प्रावधान।

तनटकषस्रूप्में, श्रलमक्‍ंघों्के्ववलभन्न्राजनीततक्दलों्‍े्तनकि्के्‍ंबंध्हैं।्DMK्तर्ा्ADMK्जै‍े्
क्षेत्रीय्दलों्के्अपने् श्रलमक्‍ंघ्हैं।्श्रलमक्वगस् ‍ंघषस् के्प्रारं लभक्दौर्में् आकष्थमक्हड़तालें् हुईं्तर्ा्उनका्
नेतत्त्ृ व्श्रलमक्वगस्के्भीतर्‍े्ही्उभरा।्बाद्में , बाहरी्नेताओं्का्‍मर्सन्लमला।्कुछ्लोगों्का्मत्है ्कक्ये्
राजनीततक्नेता्श्रलमक्वगस्का्प्रयोग्अपने्राजनीततक्दहतों्के्ललए्करते्हैं्(फडड़या्2007:665)।

पयाशवरण आंदोलन (Environment Movement)

भूसमका (Introduction)

1972्में् थिॉकहोम्के्मानव्पयासवरण्‍े् ‍ंबंधधत्‍ंयुर्कत्राटर्‍म्मेलन्ने् पयासवरण्की्ष्थर््तत्तर्ा्


इ‍के्वतसमान्एवं् भावी्पीढ़ी्पर्प्रभाव्‍े् ‍ंबंधधत्अनेक्अध्ययनों्एवं् ररपोिों्का्मागस् प्रशथत्ककया।्इ‍में्
वतसमान्एवं्भावी्पीदढ़यों्के्ललए्पयासवरण्के्‍ंरक्षण्एवं्‍ुधार्के्प्रतत्गहरी्धचंता्व्यर्कत्की्गई।्1980्के्
दशक्के्प्रारं भ्में् जमसनी्एवं् उत्तरी्अमरीका्में् 'green politics'्अर्वा्'eco-greens'्या् कफर्‘हररत्आंदोलन’्
(green movement)्के्ववका‍्ने्भारत्‍दहत्‍मथत्ववश्व्में्हररत्तंत्र्(green network)्तर्ा्हररत्आंदोलन्
के्तनमासण्को्प्रोत्‍ाहन्ददया।्पयासवरणणक्ववषयों्पर्अध्ययन्एवं्जनमत्हाल‍ल्करने्के्ललए्अनेक्कायसकारी्
‍मूहों, अनु‍ंधान्‍ंथर्ानों, प्रलेखन्केन्द्रों्की्थर्ापना्की्गई्(थप्रेिनेक्एवं् कैपरा्1985)।्इ‍्‍मय्‍ामान्य्
रूप्‍े् पयासवरण्ष्थर्तत्एवं् कुछ्अन्य्क्षेत्रों्जै‍े् कक—भूलम, जल, ‍मुद्री्‍ं‍ाधन, वन्उत्पादों्आदद्‍े् ‍ंबंधधत्
लौककक्‍ादहत्य्‍े् लेकर्‘वैज्ञातनक’्अध्ययन्पर्अनेक्प्रकार्की्अध्ययन-‍ामग्री्प्रचुर्मात्रा्में् उपलब्ध्है।्
भारतीय्पयासवरण्पर्ही्नहीं्बष्ल्क्जनता्के्प्रततवादों्एवं्‍ंघषों्पर्भी्ररपोिस ्उपलब्ध्है ।्मीडडया्भी्भूलम,
जल, ‍मुद्री् जीवन, वन्य् उत्पादों् आदद् ‍े् ‍ंबंधधत् मामलों् में् थर्ानीय् थतर् के् जन-ववद्रोहों् पर् तुरन्त् ररपोिस ्
प्रथतत
ु ् करता् है ।् तर्ावप, पयासवरणणक् आंदोलनों् पर् व्यवष्थर्त् एवं् ववश्लेषणात्मक् अन‍
ु ंधान् पर् आधाररत्

155
ववतनबन्ध् बहुत् अल्प् हैं् तर्ा् ववलभन्न् वगों् के् भूथवालमयों् ‍े् अछूते् हैं।् वन् ‍ं‍ाधनों् ‍े् ‍ंबंधधत् ‍ंघषों् के्
अध्ययनों्को्जनजातीय्आंदोलन्के्रूप्में् ललया्जाता्है ।्गुहा्एवं् गाडधगल्ने् ‍ही्आाँका्है ् कक, ‘‘ब्रिदिश्
भारत्का्कृषक्इततहा‍्कृवष्के्पयासवरणणक्‍ंदभस्को्अनदे खा्करता्है ्एवं्भूलम्तर्ा्उत्पादन्के्ववतरण्के्
वववादों्व्‍ामाष्जक्‍ंबंधों्पर्ही्ववलशटि्रूप्‍े्ध्यान्केष्न्द्रत्करता्है ।्उदाहरण्के्ललए—मत्थय्पालन, वन,
चरागाह्भूलम्एवं्ल‍ंचाई्तर्ा्इन्क्षेत्रों्में्राज्य्का्हथतक्षेप।’’्(1989:142)।

गुहा्एवं्गाडधगल्औपतनवेलशक्भारत्के्वन्उत्पादन, वन्भूलम्एवं्चारागाह्भूलम्‍े्‍ंबंधधत्वववादों्पर्
मल्
ू यवान्रूपरे खा्प्रथतत
ु ्करते्हैं।्वे्खेतों्के्पन
ु थर्ासपन्में्राज्य्के्हथतक्षेप्के्ववरोध्में्कक‍ानों्के्प्रततरोध्
की्चचास् करते् हैं।्1930्के्दशक्में ् वन्तनवाल‍यों्ने् भूलम्के्अधधग्रहण्के्‍ंबंध्में् वन्ववभाग्के्ववरुद्ध्
‍त्याग्रह्ककए।्‍मान्ववद्रोह्उत्तर-थवातंत्र्य्काल्में् भी्हुए।्लशव्एवं् बंदोपाध्याय्(1986, 1988) की्‍च
ू ना्के्
अनु‍ार्लगभग्तीन्शताब्दी्पूव्स जोधपुर्की्राजकीय्‍ेनाओं्द्वारा्वक्ष
ृ ों्को्धगराने्के्‍ंबंध्में्जो्तनष्टिय्
प्रततरोध् हुआ् उ‍में् राजथर्ान् के् खेजरी् ग्राम् के् ववश्नोईयों् की् 200् ‍े् भी् अधधक् ‍ंख्या् में् जानें् गईं।् ऐ‍े्
अनेक्उदाहरण्ददए्जा्‍कते्हैं्ष्ज‍में्कक‍ानों्एवं्वनवा‍ी्‍मुदायों्ने्वन्‍ं‍ाधनों्के्ववनाश्का्प्रततरोध्
ककया।्ये् प्रमाण्प्राधधकरणों्ववशेषकर्वन्ववभाग्एवं् वन्‍मुदायों्के्बीच्वववादों्की्व्यापक्श्रंख
ृ ला्दशासते्
हैं।् लशव् एवं् बंदोपाध्याय् का्मत्है ् कक, ‘‘ये् वववाद् हमेशा् जनता् द्वारा् पयासवरण् आंदोलन् का् रूप् नहीं् लेते्
ष्जनमें्एक्न्यायपूण्स ढं ग्‍े्इन्वववादों्के्‍माधान्की्‍ंभावना्ददखाई्दे ।्इन्हें ्‍ामुदातयक्राजनीतत्के्जै‍्े
अन्य्‍ामाष्जक्वववादों्के्रूप्में् तोड़-मरोड़्ददया्जाता् है ् ष्ज‍में् भौततक्वववादों्के्‍माधान्की्‍ंभावना्
ददखाई्नहीं्दे ती।’’्(1986:85)।्वन्‍ंघषों्को्दो्चरणों्में्बांिा्जा्‍कता्है —वे् ‍ंघषस्जो्प्रत्यक्ष्वाणणष्ज्यक्
शोषण्का्पररणाम्होते्हैं्तर्ा्वे्‍ंघषस्जो्‘वैज्ञातनक्वनववद्या’्पर्आधाररत्वाणणष्ज्यक्शोषण्के्प्रततकिया्
थवरूप्होते् हैं।्प्रभुत्त्वशाली्थतर्वैज्ञातनक्कृवष्को्एक्राजनीततक्उपकरण्के्रूप्में् लाभ्कमाने् के्ललए्
प्रयोग् करता् है ् ष्ज‍के् ललए्वह् अत्यधधक् शोषण् को् न्याय‍ंगत् मानता् है ।् लाभकाररता् एवं् उत्तरजीववता्के्
आदे श‍ूचकों्के्मध्य्एक्वववाद्उत्पन्न्हो्जाता्है ्(शाह्2004:249-251)।

कुछ पयाशवरखणक आंदोलन (Some Environmental Movements)

पयासवरण्आंदोलनों्ने्लगभग्‍भी्दे शों्में्व्यावहाररक्तौर्पर्पयासवरण्राजनीतत्को्प्रमुख्एजेण्डा्में्
शालमल्करने्में्‍फलता्प्राप्त्की्है ।्पयासवरण्अब्नीततयों्के्आकषसण्का्एक्महत्त्वपण
ू ्स दहथ‍ा्है ्तर्ा्हररत्
आंदोलनों्(green movements)्द्वारा्प्रथताववत्रणनीततयों्को्अब्गंभीर्रूप्‍े्महत्त्व्ददया्जा्रहा्है ।

भारत्में्भी्पयासवरण्आंदोलन्ककए्गए्हैं्यद्यवप्'Green Peace Movement'्के्‍मान्उन्होंने्राजनीततक्


प्रभाव्तो्नहीं्डाला।्हालांकक, उनमें्‍े्अनेक्आंदोलनों्ने्थर्ानीय्थतर्पर्‍फलता्प्राप्त्की्है ।

धचपको्आंदोलन्‍ब‍े् प्रमुख्आंदोलन्र्ा्ष्ज‍े् तेहरी्क्षेत्र्में् व्यापक्थतर्पर्वननाशन्को्रोकने् के्


ललए्‍ुन्दरलाल्बहुगुना्के्नेतत्त्ृ व्में्जनजाततयों, ववशेषकर्मदहला्कायसकत्तासओं्द्वारा्चलाया्गया।

दक्षक्षण्कन्नड़्के्एक्मत्थय्‍मुदाय्ने् 1989्में् ‍मुद्री्प्रदष


ू ण्के्ललए्उत्तरदायी्उद्योगों्के्ववरुद्ध्
आंदोलन्चलाया।्उन्होंने्अलभकिया्एवं्अपशेष्पुनच
स िण्के्आधार्एक्‍मझौता्करके्आंलशक्‍फलता्हाल‍ल्
की।

156
भारत्में्थवच्छता्एक्व्यापक्‍मथया्है ्और्इ‍्क्षेत्र्में्‍ुलभ्आंदोलन्ने्अपने् अलभयानों्‍े्प्रभाव्
डाला् एवं् गंदी् बथती् व् अन्य् महत्त्वपूण्स क्षेत्रों् में् ‍थते् ‘शौचालयों’्का् तनमासण् कराया।्एक् ऐ‍ा् ही् आंदोलन्
केरल्में्ततरुवनंतपुरम्के्एक्गााँव्में्‍ूखे्पड़े्शौचालयों्के्प्रबंधन्के्ललए्ककया्गया्ताकक्लोग्खुली्जगह्
पर्मलत्याग्न्करें ।

पीने् का्पानी्राजथर्ान्में् हमेशा्‍े् ही्प्रमख


ु ्‍मथया्रहा्है ।्तरुण्भारत्‍ंघ्ने् 1986्में् अरावली्
श्रंख
ृ ला् के् कुछ् गााँवों् में् जल् एकत्रण् के् ललए् एक् आंदोलन् शुरू् ककया।् रोकबााँध् (जोहाद)् के् तनमासण् के्
पररणामथवरूप्यह्क्षेत्र्अब्जल्‍वु वधा्‍े्पररपण
ू ्स हो्गया्है ।

कायसकत्तासओं् ने् उ‍्'Silent Valley Project'्को्रोकने् के्ललए्‍फलतापव


ू क
स ्आंदोलन्चलाया्जो्ववलशटि्
पाररष्थर्ततकी्के्ललए्हातनकर्र्ी।

मानव्तर्ा्पाररष्थर्ततक्तत्त्वों्के्मूल्य्पर्नमसदा्नदी्पर्बनाए्जा्रहे ्बााँध्को्रोकने्में्मेधा्पािे कर्


के्नेतत्त्ृ व्में् चलाए्गए्नमसदा्बचाओ्आंदोलन्ने् अंतरासटरीय्ख्यातत्अष्जसत्की।्हालांकक्यह्केवल्आंलशक्
रूप्‍े्‍फल्हुआ, परन्तु्इ‍ने्एक्नया्प्रश्न्खड़ा्कर्ददया्कक्र्कया्बड़े्बााँध्आवश्यक्हैं।

इन्‍भी्पयासवरणणक्आंदोलनों्में्ष्थत्रयों्ने्महत्त्वपूण्स एवं्‍किय्भूलमका्अदा्की्है ।

भारत में पयाशवरखणक ह्राि (Environmental Degradation in India)

पयासवरणणक्ह्रा‍्को्एक्चुनौती्के्रूप्में् हाल्ही्में् थवीकारा्गया्है ।्यद्यवप्इ‍के्बावजूद्भी्दे श्


के् प्राकृततक् ‍ं‍ाधनों् का् तीव्र् एवं् व्यापक् रूप् ‍े् दोहन् एवं् शोषण् हो् रहा् है ।् थवतंत्रता् के् पश्चात ्, आधर्सक्
ववका‍्का्दबाव्इतना्अधधक्र्ा्कक्पाररष्थर्ततकी्एवं्मानव-पयासवरण्‍ंबंधों्पर्इ‍के्नकारात्मक्प्रभाव्पर्
अधधक्ध्यान्ही्नहीं्ददया्गया।्आधर्सक्ववका‍्के्‍ार्-‍ार््जन‍ांष्ख्यकीय्दबाव्ने्भी्‍ं‍ाधनों्के्ववनाश्
पर्प्रभाव्डाला।

पयासवरण्ववनाश्का्‍ामाष्जक्ववघिन्‍े्प्रत्यक्ष्‍ंबंध्है ।्ववका‍कारी्प्रकियाओं्ने्प्राकृततक्आपदाओं्
की् दघ
ु ि
स नाओं, ववलभन्न् प्रजाततयों् के् तनवा‍-थर्ानों् के् ववनाश, प्राकृततक् पयासवरण् के् ववनाश, ग्रीनहाऊ‍् प्रभाव्
आदद्‍मथयाओं्में्वद्
ृ धध्की्है ।्इ‍के्पररणामथवरूप्रोगों्का्ववथतार्एवं्थवाथथ्य्‍ंबंधी्‍मथयाएाँ, अतनयोष्जत्
वद्
ृ धध, रर्कत‍ंकुलता, अवलशटि् ‍ं‍ाधनों् का् अततररर्कत् शोषण् एवं् प्रवा‍् की् ‍मथया् बढ़ी् है ् ष्ज‍ने् प्रकृतत् में्
अष्थर्रता्उत्पन्न्कर्दी्है ।्इन्‍ामाष्जक्प्रभावों्पर्आधर्सक्रूप्‍े्ववशाल्खचस्होता्है ्जो्ववका‍कारी्कायों्
पर्होने्वाले्प्रत्यक्ष्खचस्‍े् कहीं्अधधक्होता्है ।्‍ामाष्जक्और्आधर्सक्ववघिन्‍े् ‍ामाष्जक्अ‍ंतुलन्एवं्
अ‍ंतोष्उत्पन्न्होता्है ।

पयासवरण् ववनाश् एवं् तनधसनता् में् भी् गहरा् ‍ंबंध् है ् र्कयोंकक् प्राकृततक् पयासवरण् के् ववनाश् ‍े् इ‍् पर्
आधश्रत्लोगों्की्आजीववका्का्स्रोत्प्रभाववत्होता्है ।

प्राकृततक्‍ं‍ाधनों्के्शोषण्के्‍ंबंध्में्जो्पररयोजनाएाँ्बनाई्गई्हैं, उनके्बड़े्अ‍मान्प्रभाव्ददखाई्
ददए्हैं।्कुछ्वगों्को्अल्पकाललक्लाभ्लमले् हैं् जबकक्अन्यों्को्अल्पकाललक्एवं् दीघसकाललक्दोनों्रूपों्में्
अ‍फलता्लमली्है ।्अताः्दहतों्को्लेकर्वववाद्है ्और्लोकतंत्र्के्ल‍द्धांतों्के्प्रततकूल, अधधक्प्रभावकारी्पक्ष्
पीछे ्हि्जाता्है ्और्बहुमत्की्ष्थर्तत्में्प्रभावकारी्पक्ष्जीत्जाता्है ।्और्मामले्के्बहुमत्में , प्रभावकारी्

157
पक्ष्पहले्‍े्ही्‍मद्
ृ ध्अल्प‍ंख्यक्है ्जो्पररयोजना्‍े्लाभ्पाने्के्ललए्खड़ा्हो्जाता्है ।्पीडड़त्लोग्प्रायाः्
उ‍्क्षेत्र्के्तनवा‍ी्होते्हैं्जो्‍ददयों्‍े्वहााँ्तनवा‍्करते्आ्रहे ्हैं्और्उन्हें ्उनकी्भूलम्‍े्बेदखल्कर्ददया्
जाता्है ।्अनुभव्दशासते् हैं् कक्ववथर्ावपत्वगस् प्रायाः्‍ामाष्जक्वंशिम्के्‍ब‍े् तनम्न्थतर्के्लोग्होते् हैं्
र्कयोंकक्वे्तनम्न्जातत्के्लोग्हैं्एवं्आधर्सक्रूप्‍े्भी्दब
ु ल
स ्हैं।्इ‍‍े्यह्भी्पता्चलता्है ्कक्अन्य्दबाव्
‍मूहों्एवं्‍रकार्को्प्रभाववत्करने्के्ललए्उनके्पा‍्आधर्सक्एवं्राजनीततक्‍ौदे बाजी्की्शष्र्कत्का्अभाव्
होता्है ।

यहााँ् मल
ू ्तनवाल‍यों्का्अपनी्भलू म्पर्मौललक्अधधकार्का्प्रश्न्भी्खड़ा्होता्है ् और्र्कया्राज्य्को्
आधर्सक्ववका‍्के्नाम्पर्जनता्को्ववथर्ावपत्करने्का्कोई्अधधकार्है ?

ववथर्ावपतों्के्अधधकारों्का्अनेक्प्रकार्‍े्अधधग्रहण्ककया्जाता्है ।्इनमें्‍े्‍ब‍े्पहला्अधधकार्है —
‍ूचना्का्अधधकार।्पररयोजना्बनाते्‍मय्पररयोजना्की्रूपरे खा्अथपटि्होती्है्तर्ा्उ‍्पर्जनता्द्वारा्
जााँच्या्राय्यदा-कदा्ही्ली्जाती्है ।्‍ंबंधधत्उद्दे श्यों्को्पूरा्करने् के्ललए्कक‍ी्वैकष्ल्पक्‍माधान्पर्
ववचार्नहीं्ककया्जाता।्इ‍के्अततररर्कत, पयासवरण्एवं्‍मान/ववतरणात्मक्न्याय्के्प्रभावों्को्बहुत्कम्थपटि्
ककया् जाता् है ।् ‍हभागी् लोकतंत्र् का् अन्ततनसदहत्भाव् यही् है ् कक् जीवन् के् हर् क्षेत्र् में् प्रत्ये क् नागररक् को्
केन्द्रीय्भूलमका्तनभाने्एवं्अपने्ववका‍्के्ललए्अधधकाधधक्अव‍र्प्राप्त्करने्का्हक्है ।्परन्तु्ववथर्ावपतों्
का्नीतत-तनमासण्प्रकिया्में्शायद्ही्कोई्थर्ान्हो।्अताः्नीतत-तनमासण्में्‍हभाधगता्के्लोकतांब्रत्रक्ल‍द्धान्त्
का्उपहा‍्ककया्गया्है ।

इ‍के्बाद, मानव्अधधकारों्का्प्रश्न्भी्उिता्है ।्अनेक्ववका‍कारी्पररयोजनाएाँ्ववथर्ावपतों्की्दै तनक्


पीड़ा्का्बलाघात्करते् हैं।्हालांकक्कानून्पररयोजना्‍े् प्रततकूल्रूप्‍े् प्रभाववत्लोगों्के्ललए्क्षततपूततस् का्
प्रावधान्करता्है ।्परन्तु् पीडड़तों्के्ललए्पुनवास‍्हमेशा्‍े् ही्अपयासप्त्रहा्है ् तर्ा्उनकी्भूलम्एवं् ‍ं‍ाधनों्
की्हमेशा्न्तो्भौततक्और्न्ही्मानल‍क्रूप्‍े् क्षततपतू तस् हो्पाई्है ।्अनेक्पररवारों्को्दरू थर््क्षेत्रों्में्
धकेल् ददया् गया् और् पुनव
स ाल‍त् क्षेत्र् में् प्रमुख् ‍मुदाय् के् ‍ार्् ‍ंबंध् थर्ावपत् करना् कदिन् होता् है ।् कुछ्
‍मद
ु ायों्को्तो्पण
ू त
स ाः्अपररधचत्पररवेश्में् जाने् के्ललए्बाधधत्होना्पड़ता्है ।्इ‍्पुनवास‍्के्ववकल्प्को्
ववथर्ावपतों्पर्पूणत
स ाः्र्ोपा्जाता्है ।्इ‍े्अथवीकार्करने्के्ललए्उनके्पा‍्कोई्‘ववकल्प’्नहीं्होता।

यह्एक्व्यंग्यपूण्स बात्है ्कक्पयासवरणणक्अधोगतत्का्कारक्तो्अल्प‍ंख्यक्ववलशटि्वगस्होता्है ्परन्त्ु


इ‍का्खालमयाज़ा्बहु‍ख्
ं यक्तनधसन्वगस् को्भुगतना्पड़ता्है ।्यद्यवप्वह्अल्प‍ंख्यक्ववलशटि्वगस् ष्ज‍की्
प्रववृ त्त्उपभोर्कतावादी्प्रववृ त्तयों्को्पूरा्करने्के्ललए्शहरी—औद्योधगक्तनयंत्रण्को्वैधता्प्रदान्करने्की्होती्
है , वह् थवयं् इ‍् पयासवरणणक् अधोगतत् के् दीघसकाललक् प्रभावों् ‍े् नहीं् बच्‍कता, परन्तु् उ‍की् ‍‍ांधनों् तक्
इतनी्पहुाँच्तो्है ् कक्वह्इ‍के्प्रभाव्को्कम्कर्‍के।्उदाहरण्के्ललए, उनके्पा‍्वैकष्ल्पक्आश्रय्एवं्
धचककत्‍ात्मक्‍ुववधाएाँ्‍ुतनष्श्चत्करने्के्ललए्पयासप्त्धनरालश्होती्है ।्जबकक्द‍
ू री्ओर, एक्गरीब्को्उन्
अल्प्‍ं‍ाधनों्पर्तनभसर्होने्के्ललए्बाध्य्ककया्जाता्है ्जो्‍ीलमत्होते्हैं।्इ‍के्द्वारा्‍माज्में्अ‍मानता्
बढ़ती्है ्तर्ा्यह्‍ामाष्जक्‍मता्एवं्न्याय्के्ल‍द्धान्त्के्ववरुद्ध्है ।्(के .्राजाराम्2007:627-628)।

158
तनटकषश (Conclusion)

उपरोर्कत् अध्ययनों् के् अततररर्कत, मत्थय् श्रलमकों् के् ‍ंघषों् के् ववलभन्न् प्रमाण् उपलब्ध् हैं।् प्रदष
ू ण् के्
ववरुद्ध्शहरी्‍मूहों्के्‍ंघषस्की्ररपोिें ्भी्उपलब्ध्है ।्ये्‍मूह्जनता्में्जागरूकता्का्अलभयान्चला्रहे ्हैं्
तर्ा्शहरी्क्षेत्र्में्पयासवरणणक्दटु प्रभावों्‍े्प्रत्यक्ष्रूप्‍े्पीडड़त्लोगों्के्ललए्प्रदशसन्एवं्धरने्जै‍े्कायसिम्
चला्रहे ् हैं।्वे् राज्य्तर्ा्उद्योगपततयों्पर्दबाव्डालने् के्ललए्न्यायपाललका्के्माध्यम्‍े् कानूनी्उपचारों्
की्शरण्ले्रहे ्हैं।्तर्ावप, ‍माचारपत्रों्में्पत्रकारों्द्वारा्दी्गई्‍ूचना्के्अततररर्कत, शहरी्पयासवरण्आंदोलनों्
का्व्यवष्थर्त्अध्ययन्अभी्तक्उपलब्ध्नहीं्है ।्हालांकक, यह्दावा्है ्कक्पयासवरणणक्आंदोलन्गैर-वगीय्एवं्
गैर-आधर्सक्मुद्दों्पर्आधाररत्हैं्परन्तु्‍हभाधगयों्की्‍ामाष्जक्एवं्आधर्सक्पटृ िभूलम्के्आनुभाववक्आाँकड़े,
मुद्दे ् के्बारे ् में् उनकी्जानकारी्तर्ा्उनकी्‍हभाधगता्के्उद्दे श्यों्आदद्पर्अभी्तक्कोई्अध्ययन् नहीं्
ककया्गया्है ।्(शाह्2004:260)

िंदभश-िूची (REFERENCES)

1. घनश्याम्शाह, ‍ोशल्मूवमेंट्‍्इन्इष्ण्डया:्ए्ररव्यू्ऑफ्ललिरे चर, नई्ददल्ली, 2004

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िुझाव के सलए प्रश्न (SUGGESTED QUESTIONS)

1. र्कया् आप् इ‍् बात् ‍े् ‍हमत् हैं् कक् भारत् में् श्रलमक् ‍ंघषस् में् तनयलमत् रूप् ‍े् पतन् हुआ् है ? दिप्पणी्
कीष्जए।

2. भारत्में्मदहला्आंदोलन्के्औधचत्य्पर्‍ंक्षक्षप्त्दिप्पणी्ललणखए।

3. भारत्में्पयासवरणणक्ह्रा‍्पर्‍ंक्षक्षप्त्दिप्पणी्ललणखए।

4. उत्तर-औपतनवेलशक्भारत्में्कृषक्आंदोलन्का्वववेचन्कीष्जए।

5. भारत्में्मदहला्आंदोलन्के्मुद्दों्का्वववेचन्कीष्जए।

6. “ववका‍्पयासवरण्के्ललए्गंभीर्‍ंकि्बन्गया्है ।’’्र्कया्आप्इ‍्बात्‍े् ‍हमत्हैं ? भारत्के्‍ंदभस् में्


इ‍्कर्न्का्वववेचन्कीष्जए।

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