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11/11/22, 8:01 AM यौन इच्छा दबाने के नाम पर दर्दनाक प्रथा से गुजर रहीं बोहरा मुस्लिमों की बच्चियां | Female Genital

Genital Mutilation, Why do Dawoodi Bohras practi…

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राज्य- पंथ चॉकलेट के बहाने पोती का खतना

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करा लाईं दादी: यौन इच्छा दबाने के
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ओरिजिनल नाम पर दर्दनाक प्रथा से गुजर रहीं
टी-20 बोहरा मुस्लिमों की बच्चियां
वर्ल्ड कप 3 घंटे पहले
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बॉलीवुड लेखक: मुंबई से मनीषा
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“सात साल की थी। दादी बोली चलो घूमने चलते हैं।
लाइफ -
चॉकलेट दिलाऊं गी। मैं तो खुशी के मारे उछलने लगी।
साइंस
फे क न्यूज आज खूब मस्ती करूं गी। दादी मुझे एक अनजाने
एक्सपोज़ कमरे में ले गईं। कु छ लोग मेरा हाथ-पैर कसकर
पकड़ लिए। मैं कु छ बोलती, उससे पहले ही मेरे
ओपिनियन
प्राइवेट पार्ट पर ब्लेड चला दिया गया। दर्द से मैं चीख
पड़ी, लगा मेरी जान निकल गई। आज 48 साल बाद
मधुरिमा
भी वो मंजर याद करके कांप जाती हूं।”

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मैगजीन ये कहानी है नॉर्थ गोवा में रहने वाली मासूमा रानालवी
की। वो जिस दर्द की बात कर रही हैं, वो है खतना।
राज-
दुनिया भर में मुस्लिमों में पुरुषों का खतना तो आम
नीति
हिमाचल है, लेकिन तमाम मुल्कों में महिलाओं का भी खतना
विधानसभा किया जाता है। भारत में मुस्लिमों के सबसे संपन्न
चुनाव दाऊदी बोहरा कम्युनिटी में महिलाओं का खतना होता
ortunity - PL/SQL
है। per - Immediate
Download App from App
iners - C…
खतने में पुरुषों या महिलाओं के जनांगों के एक हिस्से ience: 1-3 Years

al Risk & Control


को काट दिया जाता है। महिलाओं के खतने को nager - VP
App
अंग्रेजी में फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन यानी FGM ence: 0-50 Years
Mumbai

कहते हैं। आमतौर पर इस प्रोसेस में वैजाइना के


ior Data Engineer
Follow us on क्लिटोरिस हुड को एक तीखे ब्लेड से अलग कर दिया ence: 0-50 Years App
Pune
जाता है। भारत में यही प्रोसेस बोहरा कम्युनिटी की
महिलाएं अपनाती हैं।

पंथ सीरीज में आज बात महिलाओं के खतने की…

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भारत में करीब 10 लाख बोहरा मुस्लिम रहते हैं। एक रिपोर्ट के
DivyaMarathi.com
मुताबिक इस कम्युनिटी की 75% महिलाओं का खतना हो चुका है।
MoneyBhaskar.com
फाइल फोटो
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मासूमा कहती हैं,'उस दिन घर आने के बाद मैं काफी BhaskarAd.com
देर रोती रही। कई दिनों तक दर्द झेला। समझ नहीं Copyright © 2022-23 DB Corp
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आ रहा था कि मेरे साथ ऐसा क्यों किया गया। किसी
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से सवाल भी नहीं कर सकती थी, क्योंकि सख्त Code of Ethics.

हिदायत दी गई थी इस बारे में किसी से बात नहीं

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करनी। हम तीन बहनें हैं, तीनों का खतना हुआ,
लेकिन कभी किसी ने इस टॉपिक पर बात नहीं की।'

वे कहती हैं,'30 साल तक मुझे इसके बारे में कु छ


पता नहीं चला। फिर अखबार में FGM के बारे में एक
आर्टिकल पढ़ा, तो लगा कि मेरे साथ भी तो यही हुआ
है। इसके बाद ही पता चला कि ये एक प्रथा है।
महिलाओं की सेक्सुअल डिजायर को कं ट्रोल करने
और उनकी पवित्रता के नाम पर ऐसा किया जाता है।

इसके बाद ही मैंने इस परंपरा के खिलाफ आवाज


उठाने का फै सला किया, ताकि लोगों को पता लगे कि
हमारी कम्युनिटी में बच्चियों के साथ कै सा सलूक हो
रहा है।'

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मासूमा ने वी स्पीक आउट नाम की संस्था बनाई।


अपने तरह की मुस्लिम महिलाओं को जोड़ा और
FGM को खत्म करने के लिए सामाजिक और
कानूनी अभियान शुरू किया।

भारत में चाइल्ड एब्यूज पर काम कर रही फिल्मेकर


इनसिया दरीवाला कहती हैं,'मेरा खतना नहीं हुआ,
लेकिन घर की बाकी महिलाओं का हुआ, क्योंकि
उन्होंने आवाज नहीं उठाई। इसलिए मैंने इस'पर
फिल्म बनाने का फै सला किया। रिसर्च के सिलसिले
में मेरी मुलाकात मुंबई की एक पत्रकार आरिफा
जौहरी से हुई। आरिफा कई मंचों पर पर अपनी
कहानी बता चुकी हैं।

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इनसिया कहती हैं,'कोविड से पहले आरफा के साथ
मैं सूरत गई थी। वहां सात साल की एक बच्ची का
खतना हुआ था। जब हम उससे मिलने पहुंचे, तो वह
डर गई। हमारे बैग में ब्लेड ढूंढने लगी। मैंने उसकी मां
से पूछा कि बच्ची के साथ यह क्यों किया? तो वह
कहने लगी कि मेरा भी हुआ था, इसलिए मैंने बेटी का
भी करवाया।’

मुंबई के नागपाड़ा में अपना क्लीनिक चलाने वाली


डॉ. एलाइजा कपाड़िया बताती हैं कि 7 साल की उम्र
में मेरा खतना हुआ। 15 साल की हुई तब मुझे पता
चला कि मेरे साथ क्या हुआ है। डॉक्टर बनने के बाद
मुझे पता चला कि इसकी कोई मेडिकल वजह ही नहीं
है। मुझसे बिना पूछे और मुझे बिना बताए मेरा खतना
किया गया, जो मेरे शरीर के साथ खिलवाड़ था।

इसके बाद मैंने तय किया कि मैं अपनी बेटी का


खतना नहीं करवाऊं गी। मैं ऐसे कई पुरुषों को जानती

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हूं, जिन्होंने अपनी बेटी का खतना नहीं करवाने का वेब ई-


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फै सला किया है। अब मैं 67 साल की हूं। शरीर का स्टोरीज पेप
दर्द तो भूल गई हूं, लेकिन वो आइसक्रीम याद है।
जिसके बहाने मेरा खतना कर दिया गया।'

हमारे लिए इसका मतलब के वल हाइजीन और


पवित्रता है

नाम नहीं छापने की शर्त पर बोहरा कम्युनिटी की एक


महिला बताती हैं,'हम लोग माइग्रेट होकर यमन से
भारत आए। यमन में 500 से ज्यादा सालों से
महिलाओं का खतना हो रहा है। इसलिए आज भी
हमारी औरतों का खतना होता है। इसे रिलिजन ऑफ
फे थ कह सकते हैं।

मेरा तो सीधा सा सवाल है कि अगर पुरुषों का खतना

फीडबैक दें
हो सकता है, तो महिलाओं का क्यों नहीं। हमारे यहां
इसका मतलब के वल हाइजीन और प्यूरिटी से है। जो
लोग इसे सेक्सुअल डिजायर से जोड़ रहे हैं, वे गलत
हैं।'

धारदार ब्लेड से एक ही कट में किया जाता है खतना

गुजरात के लारा अस्पताल की गयनेकोलॉजिस्ट डॉ.


शुजात वली कहते हैं कि आमतौर पर घर की दादी या
मां बच्ची को घूमाने के नाम पर घर से बाहर ले जाती
हैं। वहां एक कमरे में पहले से दो लोग मौजूद होते हैं।
वे लोग बच्ची के दोनों पैर पकड़ लेते हैं। फिर खास
तरह की धारदार चाकू , रेजर ब्लेड या कैं ची से एक ही
कट में क्लिटोरिस हुड को अलग कर दिया जाता है।

पुराने जमाने में ब्लीडिंग रोकने के लिए ठं डी राख लगा


दी जाती थी। आजकल एंटीबायोटिक पाउडर या
लोशन और कॉटन का इस्तेमाल किया जाता है।
ब्लीडिंग रुकने के करीब 40 मिनट बाद बच्ची को घर
भेजा जाता है। तीन-चार दिन उसे खेलने-कू दने से

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मना किया जाता है। कई बार तो हफ्ते भर लड़की के वेब ई-


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दोनों को पैरों को बांधकर रखा जाता है। स्टोरीज पेप

जरूरी नहीं महिलाओं का खतना महिला ही करे

डॉ. शुजात वली कहते हैं कि आमतौर पर खतना


परिवार या कम्युनिटी की बुजुर्ग महिला करती हैं। कई
मामलों में पुरुष भी महिलाओं का खतना करते हैं।
आजकल कई लोग मेडिकल एक्सपर्ट की देखरेख में
खतना करवाते हैं।

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जन्म के तुरंत बाद भी किया जाता है खतना

डॉ. शुजात वली के मुताबिक महिलाओं में खतने के


लिए कोई तय उम्र नहीं है। ज्यादातर मामलों में 6 से
14 साल के बीच किया जाता है। कई जगहों पर तो
जन्म के तुरंत बाद भी खतना कर दिया जाता है।
जबकि कु छ जगहों पर प्रेग्नेंसी के दौरान या पहले
बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं का खतना किया
जाता है।

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डॉ. शुजात वली कहते हैं,’क्लिटोरिस से सिर्फ हुड को
काटना आसान नहीं है। ये दोनों पार्ट एक दूसरे से जुड़े
होते हैं। कोई अनुभवी सर्जन भी अगर खतना करता
है, तो भी दोनों ऑर्गेन की अलग पहचान मुश्किल है।
ऐसे में किसी बुजुर्ग महिला या नॉन ट्रेंड खतना करेगा
तो क्लिटोरिस को नुकसान पहुंचेगा ही।

वे कहते हैं,’क्लिटोरिस महिलाओं की बॉडी का बहुत


ही सेंसिटिव पार्ट है। इसके नुकसान का मतलब है
शादीशुदा जिंदगी खराब होना। सेक्सुअल प्लेजर
खत्म हो जाता है। इतना ही नहीं अगर ब्लीडिंग ज्यादा
हो जाए, तो इंफे क्शन भी हो जाता है। मेरे साथी
डॉक्टरों के पास ऐसे कई के स आते हैं।’

WHO का कहना है कि FGM के पीछे कोई मेडिकल


रीजन नहीं है। इससे लंबे समय के लिए फिजिकली

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और मेंटली शरीर को नुकसान पहुंच सकता है। वेब ई-


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क्योंकि खतना करते वक्त उस अंग को सुन्न नहीं किया स्टोरीज पेप
जाता। साथ ही ज्यादातर मामलों में अनट्रेंड लोग इस
प्रोसेस को अंजाम देते हैं। सिर्फ 17% मामलों में ही
हेल्थ एक्सपर्ट के जरिए खतना किया जाता है।

कु रान में पुरुषों या महिलाओं के खतने का जिक्र नहीं:


मुस्लिम स्कॉलर

मुस्लिम स्कॉलर और जमाते इस्लामी हिंद के सचिव


डॉ. मईउद्दीन गाजी कहते हैं,'कु रान में ना तो पुरुषों के
खतने की बात कही गई है और ना ही महिलाओं के
खतने का कोई जिक्र है। हदीस में खतने की बात
कही गई है, जिसका संदर्भ शरीर की सफाई से है।

एक हदीस में कहा गया है कि पैगंबर साहब एक

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जगह से गुजर रहे थे। रास्ते में एक महिला अपनी
बच्ची का खतना कर रही थी, इस पर पैगबंर साहब ने
कहा कि ध्यान से करो। इसका मतलब है उन्होंने इसे
कभी बढ़ावा नहीं दिया। यह रवायत इस्लाम से भी
पहले की है। खतना एक कल्चरल प्रैक्टिस है ना कि
धार्मिक, लेकिन इसे धार्मिक बना दिया गया।'

5वीं सदी में मिस्र में किया जाता था महिलाओं का


खतना

खतना कब शुरू हुआ, इसको लेकर कोई सटीक


जानकारी नहीं है। अलग-अलग रिपोर्ट्स के मुताबिक
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5वीं सदी में इसका जिक्र मिलता है। मिस्र में वेब ई-
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महिलाओं का खतना किया जाता था। ब्रिटिश स्टोरीज पेप
म्यूजियम में 163BC की एक ममी रखी है, जिसमें
महिलाओं के खतने को दिखाया गया है।

कई स्कॉलर्स का मानना है कि मिस्र में महिलाओं और


सेक्स स्लेव की प्रेग्नेंसी रोकने के लिए उनके प्राइवेट
के एक हिस्से को अलग कर दिया जाता था। मिस्र से
अरब होते हुए बाकी देशों में भी ऐसा किया जाने
लगा।

दुनिया के 80% बोहरा मुस्लिम भारत में

मुस्लिमों में मुख्य रूप से दो संप्रदाय होते हैं- शिया


और सुन्नी। दाऊदी बोहरा कम्युनिटी शिया सेक्ट से है।
15वीं सदी में यमन से इनकी शुरुआत हुई। वहीं से ये

फीडबैक दें
लोग बाकी देशों में गए हैं।

डॉ. मईउद्दीन गाजी कहते हैं,'ये लोग पोप की ही तरह


अपने धर्मगुरू यानी सैय्यदना को सबसे ऊपर मानते
हैं। जबकि सुन्नी पैगंबर साहब के अलावा किसी
इंसान को ऐसा दर्जा नहीं देते हैं।'

भारत में करीब 10 लाख बोहरा मुस्लिम रहते हैं। जो


दुनिया की 80% आबादी है। ये कम्युनिटी काफी
पढ़ी-लिखी और समृद्ध है। ज्यादातर लोग बिजनेस
बैकग्राउंड से हैं। गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र
प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल इनकी आबादी
सबसे ज्यादा है।

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अब पंथ सीरीज की ये तीन कहानियां भी पढ़ लीजिए

1. इंसान का मांस और मल तक खा जाते हैं


अघोरी:श्मशान में बैठकर नरमुंड में भोजन, कई तो
मुर्गे के खून से करते हैं साधना

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कोई चिता के पास नरमुंड लिए जाप कर रहा, तो
कोई जलती चिता से राख उठाकर मालिश, तो कोई
मुर्गे का सिर काटकर उसके खून से साधना कर रहा
है। कई ऐसे भी हैं, जो इंसानी खोपड़ी में खा-पी भी
रहे हैं। इन्हें देखकर मन में सिहरन होने लगती है। ये
अघोरी हैं। यानी जिनके लिए कोई भी चीज अपवित्र
नहीं। ये इंसान का कच्चा मांस तक खा जाते हैं। कई
तो मल-मूत्र का भोग करते हैं। (पढ़िए पूरी कहानी)

2. मौत के बाद अपनों को छू ते तक नहीं:खुले में छोड़


देते हैं बिना कफन के शव; पारसी धर्म की अनोखी
परंपरा

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मुंबई के मालाबार हिल्स पर 55 एकड़ में फै ला सालों
पुराना जंगल है। यहीं है डूंगरवाड़ी। यानी किसी
पारसी की मौत के बाद का आखिरी दुनियावी मुकाम।
यहीं से संकरी राह से होते हुए तकरीबन 10
किलोमीटर चलने पर मिलता है- दखमा यानी टावर्स
ऑफ साइलेंस। पारसी डेड बॉडी को जलाने, दफनाने
या पानी में बहाने के बजाय टावर्स ऑफ साइलेंस में
गिद्धों के खाने के लिए छोड़ देते हैं। आखिर वे ऐसा
क्यों करते हैं... (पूरी खबर पढ़िए)

3. धर्म के नाम पर देह का शोषण: प्रेग्नेंट होते ही


छोड़ देते हैं, भीख मांगने को मजबूर खास मंदिरों की
देवदासियां

देवदासी। हम सभी ने ये नाम तो सुना ही होगा। किसी फीडबैक दें


ने कहानी में तो किसी ने फिल्म में। देवदासी यानी
देवों की वे कथित दासियां जिन्हें धर्म के नाम पर
सेक्स स्लेव बनाकर रखते हैं। उम्र ढलते ही भीख
मांगने के लिए छोड़ दिया जाता है। चौंकिए मत। ये
प्रथा राजा-महाराजाओं के समय की बात नहीं, आज
का भी सच है। (पढ़िए पूरी रिपोर्ट)

खबरें और भी हैं...

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ब्लैकबोर्ड ना डोली सजी, ना वेब ई-


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दुल्हन बनी, लेकिन बच्चे हैं: स्टोरीज पेप
मन भरा तो पति दूसरे के साथ
चला जाता, मंदिर जाने पर भी
रोक

DB ओरिजिनल शेयर

जया बच्चन बोलीं- बिना शादी


संबंध बनाने में दिक्कत नहीं:
पर औरतों के लिए प्यार नहीं,
शादी ही सबकु छ; अंतिम सांस
तक निभाना है

DB ओरिजिनल शेयर

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ब्लैकबोर्ड जमीन के लिए बेटे
ने बेटी को जलाया: पति की
मौत के बाद धक्के मारकर
मुझे घर से निकाला, अब बस
मौत का इंतजार

DB ओरिजिनल शेयर

संडे जज्बात झुग्गी से


अमेरिका पहुंची: 12वीं बाद
नौकरी करने लगी, 15-15 घंटे
काम किया, फिर 32 लाख का
फ्लैट पापा को गिफ्ट किया

DB ओरिजिनल शेयर

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