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Grade - Vll

Hindi

वसंत
पाठ - १ (हम पं छी उन्मुक्त गगन के)
शिवमंगल शसंह 'सुमन'

िब्दार्थ
1. उन्मुक्त - स्वतं त्र, बंधनमुक्त
i2. प ंजरबद्ध - प ंजरे में बंद
3. कनक तीपिय ाँ - सोने की सि खें
4. ुिपकत - न जु क, खुश
5. कटु क - कड़वी
6. पनबौरी - नीम क फि
7. स्वर्ण श्रंखि - सोने की जंजीर
8. फुनगी - नई को िें
9.अरम न - स ने
10.त रक - त रे
11.पिपतज - जह ाँ धरती और आक श पमिते प्रतीत होते हैं ।
12. होड़ -होड़ी - प्रपतस्पध ण ,प्रपतयोपगत
13. नीड़ - घोंसि
14.आश्य - रहने क स्थ न
15.आकुि - व्यग्र,उत वि
16.पवघ्न - ब ध एाँ
17.पिन्न-पिन्न - नष्ट-भ्रष्ट
18.सीम हीन - पजसकी सीम नहीं हो।

लघु उत्तरीय प्रश्न


1.प्रश्न - ंिी पकनके स ने दे ख रहे हैं ?
उत्तर - ंिी तरु की फुनगी अथ णत ेड़ की ड ि के कोमि अग्रि ग र झूिे झूिने के स ने
दे ख रहे हैं ।

*2.प्रश्न - कपवत में चोंच और त रों के पिए कौन से पवशे षर् प्रयोग पकए गए हैं ?
उत्तर - कपवत में चोंच के पिए ि ि पकरर् व त रों के पिए अन र के द ने पवशेषर् क प्रयोग
पकय गय है ।

दीघण उत्तरीय प्रश्न


*1. हर तरह की सुख सु पवध एाँ कर िी िी प ंजरे में बंद क्ों नहीं रहन च हते ?
उत्तर - हर तरह की सुख सुपवध एाँ कर िी िी प ंजरे में बंद नहीं रहन च हते क्ोंपक वे
स्वतं त्रत पप्रय हैं । वे खुिे आक श में ऊाँची उड़ न िरन च हते हैं , वे बहत जि ीते हैं ; उन्हें
कव न के बज य कड़वी पनबौरी संद है । वे आसम न की सीम िून च हते हैं ।

2. िी उन्मुक्त रहकर अ नी कौन-कौन इच्छ एाँ ूरी करन च हते हैं ?


उत्तर - िी उन्मुक्त रहकर पनम्नपिखखत इच्छ एाँ ूरी करन च हते हैं -
i. खुिे आक श में उड़न
ii. बहत नी ीन
iii. कड़वी पनबौरी ख न
iv. ेड़ की सबसे ऊाँची टहनी र झूिन
v. आक श से त रे चुगन
vi. पिपतज से पमिन

*3. नीचे दी गई ंखक्तयों क संदिण के स थ ि व स्पष्ट कीपजए -


'य तो पिपतज पमिन बन ज त
य तनती स ाँ सों की डोरी।'
उत्तर -प्रस्तुत ंखक्तय ाँ कपवत 'हम ंिी उन्मुक्त गगन' से िी गई है । इसके कपव पशवमंगि
पसंह 'सुमन' हैं िी आज दी को संद करते हैं । वे प्रपतस्पध ण करते हैं पक य तो धरती
आक श के पमिन तक ज एाँ गे य पफर प्र र्ों को त्य ग दें गे। वे आसम न की अंपतम सीम को
ने की इच्छ रखते हैं ।

4. स्वतं त्रत की ख पतर िी पकन सुपवध ओं को िोड़ने के तै य र हैं ?


उत्तर - स्वतं त्रत की ख पतर िी सोने क प ंजर , सोने की कटोरी जै स ऐश्वयण तथ आस नी से
ज ने की सुपवध एाँ जैसे द न - नी आपद को िी त्य गने को तै य र हैं । यह ाँ तक पक मैदे जै स
िोजन िोड़कर कर कड़वी पनबौरी ख ने को िी र जी हैं ।

*5. क् यह संिव है पक पिपतज पियों के पिए पमिन बन ज ए?


उत्तर - पिपतज वह जगह है जह ाँ धरती और आसम न पमिते हुए प्रतीत होते हैं , िे पकन पमिते
नहीं हैं । िी पिपतज तक उड़ने की ब त करते हैं , इससे उनके उड़ न के प्रपत प्रेम क त
चित है । इस प्रक र पिपतज पियों के पिए पमिन बन ज ए यह संिव ही नहीं है ।

6. पनम्नपिखखत ंखक्तयों क ि व स्पष्ट कीपजए।


'ऐसे थे अरम न पक उड़ते
नीिे नि की सीम ने।'
उत्तर - प्रस्तुत ंखक्तय ाँ 'हम ंिी उन्मुक्त गगन' से िी गई है । इसके कपव पशवमंगि पसंह
'सुमन' है । कपव पियों के उन्मुक्त स्वि व क वर्ण न करते हैं । िी उड़ते हुए नीिे आक श
की सीम ओं को िून च हते हैं । उन्हें स्वतं त्रत पप्रय है ।

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