You are on page 1of 2

INTERNATIONAL INDIAN SCHOOL, JEDDAH

VI –VIII BLOCK

कक्षा – VII पाठ – 10 - अपर्


ू व अनभ
ु र्
शब्दार्व :

1) द्वर्शाखा – दो शाखाएँ
2) संपवि – धन-दौलत
3) आमंत्रित – न्योता
4) हताशा – ननराशा
5) जोखखम – खतरा
6) उमंग – उत्साह
7) लुभार्नी – मन को भाने र्ाली
8) शशवर्र – डेरा
9) भेद – रहस्य
10) शशष्टता – अच्छा व्यर्हार
प्रश्न –उिर

प्रश्न 1) यासक
ु ी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के शलए तोिो–चान ने अर्क प्रयास
क्यों ककया ? शलखखए l

उिर – जापान के शहर तोमोए में हर बच्चे का एक ननजी पेड़ र्ा l यासक
ु ी-चान
को पोशलयो र्ा l अतः न तो र्ह पेड़ पर चढ़ पाता र्ा और न ही ककसी पेड़ को
अपनी ननजी संपवि मानता र्ा l तोिो–चान जानती र्ी कक यासुकी-चान आम
बालक की तरह पेड़ पर चढ़ने की इच्छा रखता है l उसकी इस इच्छा को परू ा करने
के शलए तोिो – चान ने यासक
ु ी - चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने का अर्क प्रयास
ककया l
प्रश्न 2) दृढ़ ननश्चय और अर्क पररश्रम से सफलता पाने के बाद तोिो–चान और
यासुकी-चान को अपूर्व अनुभर् शमला, इन दोनों के अपूर्व अनुभर् कुछ अलग-अलग
र्े l दोनों में क्या अंतर रहे ? शलखखए l

उिर - तोिो–चान रोज़ अपने ननजी पेड़ पर चढ़ती र्ी l अर्क पररश्रम से
पोशलयोग्रस्त यासुकी-चान को पेड़ की द्वर्शाखा तक पहुँचाने से उसे खुशी और
आत्मसंतष्ु ष्ट शमली l यह उसके शलए अपर्
ू व अनभ
ु र् र्ा l यासक
ु ी-चान पहली बार
पेड़ पर चढ़ पाया र्ा l इससे उसके मन की इच्छा परू ी हुई, जो उसके शलए अपूर्व
अनुभर् र्ा l

प्रश्न 3)‘यासुकी-चान के शलए पेड़ पर चढ़ने का यह .......... अंनतम मौका र्ा l’-
इस अधूरे र्ाक्य को पूरा कीष्जए और शलखकर बताइए कक लेखखका ने ऐसा क्यों
शलखा होगा ?

उिर - यासुकी-चान के शलए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और अंनतम मौका र्ा l


लेखखका ने ऐसा इसशलए कहा होगा क्योंकक यासुकी-चान पोशलयो से ग्रस्त र्ा,
इसशलए स्र्यं पेड़ पर चढ़ने में असमर्व र्ा l तोिो–चान सबसे झूठ बोलकर इतनी
मेहनत हमेशा नहीं कर सकती र्ी l

भाषा की बात:

प्रश्न 1) ‘आना’ प्रत्यय से बननेर्ाले चार सार्वक शब्द शलखखए l

i) पढ़ाना = पढ़ + आना
ii) शलखाना = शलख + आना
iii) चमकाना = चमक + आना
iv) चचल्लाना = चचल्ला + आना

गनतवर्चध:

परोपकार पर चचि सहहत एक सुवर्चार शलखखए I

You might also like