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Kabeer Hindi Vivav Maurya
Kabeer Hindi Vivav Maurya
मीठी वाणी के प्रयोग से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता प्राप्त होती है।
उपर्युक्त उदहारण के माध्यम से यह समझाया है की ईश्वर का वास मनुष्य के भीतर ही होता है।
मृग अज्ञानी जीव का प्रतीक है और यह अपनी नाभि में कस्तूरी होने के बावजूद अज्ञानता के
कारण उसे वन में ढूं ढ़ता है।
जब व्यक्ति के मन मस्तिष्क से अहंकार दूर हो जाता है जब ईश्वर रुपी डीप जलता है।
परमात्मा रूपी ज्ञान के आने से अज्ञानता रुपी अन्धकार मिट गया है।
10.कबीर ने अपनी एक साही में "खाये और सोवे" के द्वारा क्या कहना चाहते हैं?
"खाये और सोवे" के द्वारा कबीर उन लोगों की ओर संकेत करते हैं जो निरुदे श्य जीवन जीते हैं
और खाने-पीने और सोने को ही जीवन का सबसे बड़ा सुख मानते हैं।
सोने से अर्थ है मोह-माया में लिप्त रहना , विषय-वासना को भोगते हुए अचेत रहना और 'जागने'
से अर्थ है प्रभु के अस्तित्व के प्रति जागृत रहना।
भुवंगम का अर्थ है सर्प और इसे विरह के साथ जोड़ा गया है क्योंकि कबीर के अनुसार दोनों का
प्रभाव पीड़ा दायक होता है।