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NCERT Solutions for Class 8th: पाठ 9

NCERT Solutions for Class 8th: पाठ 9 - कबीर की साखियााँ ह द


िं ी वसिंत भाग- III

पृष्ठ संख्या: 49
प्रश्न अभ्यास

पाठ से

1. 'तलवार का म त्व ोता ै , म्यान का न ीिं' - उक्त उदा रण से कबीर क्या


क ना चा ता ै ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

'तलवार का महत्वा होता है, म्यान का नहीं' से कबीर यह कहना चाहते हैं कक असली चीज़ कद्र की जानी चाकहए।
किखावटी वस्तु का कोई महत्व नहीं होता है। इश्वर का भी स्वाभाकवक ज्ञान ज़रूरी है। ढोंग-आडम्बर तो म्यान के
समान कनरर्थक हैं। असली ब्रह्म को पहचानो और उसी को स्वीकारो।

2. पाठ की तीसरी साखी- कजसकी एक पंकि हैं 'मनवा तो चहुँ किकस किरै , यह तो सकु मरन नाकह' के द्वारा कबीर
क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर

इस साखी के द्वारा कबीर के वल माला िे रकर इश्वर की उपासना करने को ढोंग बताते हैं। माला िे रने और महुँु से
राम-राम जाप करना व्यरर्् है। इश्वर उपासना के कलए मन की एकाग्रता आवश्यक है। इसके कबना इश्वर स्मरण नहीं
ककया जा सकता।

3. कबीर घास की कनिं ा करने से मना करते हैं। कबीर के िोहे में 'घास' का कवशेष अर्थ क्या है और कबीर के उि
िोहे संिश
े क्या है?
उत्तर
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कबीर अपने िोहे में उस घास तक की कनंिा करने से मना करते हैं जो हमारे पैरों के तले होती है। कबीर के िोहे में
'घास' का कवशेष अर्थ है। यहाुँ घास िबे-कुचले व्यकियों की प्रतीक है। इन लोगों को तच्ु छ मानकर कनिं ा की जाती
है, जबकक ऐसा करना सवथर्ा अनकु चत है। कबीर के िोहे का संिश े यही है कक ककसी की कनंिा मत करो, कवशेषकर
छोटे लोगों की। व्यकि या प्राणी चाहे वह कजतना भी छोटा हो उसे तच्ु छ समझकर उसकी कनंिा नहीं करनी चाकहए।

4. मनष्ु य के व्यवहार में ही िसू रों को कवरोधी बना लेने वाले िोष होते हैं। यह भावार्थ ककस िोहे से व्यि होता
है?
उत्तर

''जग में बैरी कोइ नहीं, जो मन सीतल होय।

या आपा को डारर िे, िया करै सब कोय।।


पाठ से आगे

1. "या आपा को . . . . . . . . . आपा खोय।" इन िो पंकियों में 'आपा' को छोड़ िेने की बात की गई है।
'आपा' ककस अर्थ में प्रयि
ु हआ है? क्या 'आपा' स्वार्थ के कनकट का अर्थ िेता है या घमंड का?

उत्तर

'आपा' अहं कार के अर्थ में प्रयि


ु हआ है। 'आपा' घमंड का अर्थ िेता है।

3. सभी मनष्ु य एक ही प्रकार से िेखते-सनु ते हैं पर एकसमान कवचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृकियों
के अनसु ार कायथ करते हैं। पाठ में आई कबीर की ककस साखी से उपयथि ु पंकियों के भाव कमलते हैं, एकसमान होने
के कलए आवश्यक क्या है? कलकखए।
उत्तर

''आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक।

4. कबीर के िोहों को साखी क्यों कहा जाता है?

कबीर के िोहों को साखी इसकलए कहा जाता है क्योंकक इनमें श्रोता को गवाह बनाकर साक्षात् ज्ञान किया गया है।
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• बोलचाल की क्षेत्रीय कवशेषताओ ं के कारण शब्िों के उच्चारण में पररवतथन होता है जैसे वाणी शब्ि बानी बन
जाता है। मन से मनवा, मनवु ा आकि हो जाता है। उच्चारण के पररवतथन से वतथनी भी बिल जाती है। नीचे कुछ
शब्ि किए जा रहे हैं उनका वह रूप कलकखए कजससे आपका पररचय हो।

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