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Class 10 Hindi Sparsh Chapter 3 Bihari PDF
Class 10 Hindi Sparsh Chapter 3 Bihari PDF
Hindi Sparsh
Chapter 3 - दोहे
उत्तर: ग्रीष्मकाल में दोपहर के समय जब प्रचंड गमी होती है तब छाया भी छाया ढं ढने लगती
है ।
2. नबहारी की िानयका यह क्ोों कहती है "कनहहै सबु तैरौ नहयौ, मेरे नहय की बात" -
स्पष्ट कीनिए।
उत्तर: बबहारी की नाबयका ऐसा इसबलए कहती है क्ोंबक वह अपने प्रेमी को संदेश भेजना
चाहती है परं तु कागज़ पर वह बलख नहीं पा रही तथा बकसी अन्य व्यक्ति को कहने में उसे
लज्जा आ रही है , तब वह सोचती है की उसका हृदय उसके प्रेमी के हृदय से जुडाा़ हुआ है
इसबलए उसे अपनी अवस्था समझाने के बलए बकसी संदेश की ज़रूरत नहीं है ।
उत्तर: कबव का कहना है बक बाहरी आडं वर से इश्वर की प्राप्ती नहीं होती, इश्वर तो हमेशा
सच्चे मन में बसते हैं ।
उत्तर: गोबपयााँ श्रीकृष्ण की बााँ सुरी इसबलए बछपा दे ती हैं क्ोंबक वह श्रीकृष्ण से संवाद करना
चाहती हैं परं तु श्रीकृष्ण सदे व अपनी प्रीय बााँ सुरी ही बजाते रहते हैं ।
उत्तर: कबव ने बताया है बक सभी के उपक्तस्थत होने के बावजद नायक नाबयका आाँ खों ही आाँ खों
में इशारों से वाताा लाप करते हैं ।
उत्तर: कबव का कहना है बक बजस प्रकार नीलमबि पवात पर सरज का प्रकाश पड़ने पर वह
चमक उठता है उसी प्रकार पीले वस्त्ों में श्री कृष्ण का शरीर चमक रहा था तथा वह अबत
सुंदर लग रहे थे।
उत्तर: कबव का कहना है बक बजस प्रकार वन में सभी जानवर एक साथ रहते हैं उसी प्रकार
हमे भी इस संसार रुपी तपोवन में आपसी बैर भुलाकर बमल-जुलकर रहना चाबहए।
उत्तर: कबव कह रहे हैं बक प्रभु को प्राप्त करने के बलए लोग अनेक बाहरी आडं वरों का प्रयोग
करते हैं परं तु इश्वर तो केवल इस कााँ च रुपी मन में ही बसते हैं ।