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पाठ 13 बादल ( कमला दीक्षित )

साराांश – प्रस्ततु कविता ‘मधबु न सरल विन्दी’ से ली गई िै | यि


कविता किवयत्री कमला दीवित द्वारा वलखी गई िै| इस कविता के
द्वारा किवयत्री ने बताया िै वक छोटी – छोटी बूँदें लेकर जब बादल
फलों, पत्तों पर बरसता िै, तो प्रकृवत को और भी ज़्यादा मनोिर बना
देता िै|बादल से जल की बूँदें जब घास, पेड़ – पौधों पर वगरती िैं
और उनपर सरज की वकरणें पड़ती िैं तो ऐसा लगता िै वक मानो सोने
का मक
ु ु ट पिन वलया िो|अनवगनत जलकणों से भीगी घास मखमल के
समान लगती िै |उस समय लगता िै जैसे पररयों की राजकुमारी मोवतयों
से आूँचल भर रिी िो |इस प्रकार किवयत्री ने बादलों के द्वारा धरती
की सुंदु रता का िणणन वकया िै |
प्रश्नोत्तर

(क) बेला की पूँखवु ड़यों पर बादल क्या करता िै?


उत्तर : बेला की पूँखवु ड़यों पर बादल जल की बूँदें बरसाता िै जो
मोती के समान लगती िैं |

(ख) चपुं ा की कवलयों पर िर्ाण का क्या प्रभाि पड़ता िै


उत्तर : िर्ाण की बूँदें चुंपा की कवलयों पर वगरने से कवलय

वखलकर फल बन जाती िैं |

(ग) उपिन वकस प्रकार आभामय िो उठता िै ?


उत्तर : सयण की वकरणें जब बूँदों पर पड़ती िैं तो बूँदें सनु िरी
लगती िैं| इस समय वनकले इन्रधनर्ु से फलों पर सोने के मक
ु ुट
िोने का आभास िोता िै | इस प्रकार उपिन आभामय िो उठता
िै |
(घ) इन्रधनर्ु कै से बनता िै ?

उत्तर – िर्ाण के समय जब सयण की वकरणें बाररश की बूँदों से िोकर


गजु रती िैं तो उसमें मौजद सातों रुंग आसमान में फै ल जाते िैं और
अधणचरुं का रूप ले लेते िैं | इस प्रकार इन्रधनर्ु बनता िै |

SEA :- चार प्रमुख ऋतुओं के क्षचत्र बनाकर दो – दो पंक्तियााँ


क्षलक्तखए |

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