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पर्वत प्रदे श में पार्स

कवर् समु मत्रानंदन पंत


प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1) पार्स ऋतु में प्रकृतत में कौन-कौन से पररर्तवन आते हैं ? कवर्ता के आधार पर स्पष्ट करें ।

उत्तर - र्र्ाव ऋतु के दौरान पर्वतों से बहते जल के भरार् के कारण स्र्च्छ जल से भरे हुए तालाब तनममवत हो जाते हैं ।

- पर्वत पर असंख्य फूल खिल जाते हैं,वर्शालकाय पर्वत का प्रततबबंब दपवण के समान स्र्च्छ ताल में बहुत सुंदर और स्पष्ट ददिाई
दे ता है ।

- झरनों का पानी मोती की लड़ियों के समान सुशोमभत होता है ।

- आकाश की ओर एकटक दे िते हुए ऊँचे - ऊँचे शाल के र्क्ष


ृ आकाश को छूने की तमन्ना रिते हैं‚ परं तु मौसम के अनक
ु ू ल ना होने
पर चचंततत प्रतीत होते हैं।

- सहसा चारों तरफ बादलों के छा जाने से सारे दृश्य परू ी तरह पररर्ततवत होने लतते हैं ।

- धुंध के कारण पर्वत का अदृश्य होकर बादलों के बीच आकाश में स्स्ित प्रतीत होना अद्भत
ु सौंदयव दशावता है ।
- कोहरे और धुंध में छुपे हुए झरनों की केर्ल ध्र्तन ही सुनाई दे ती है ।

- मूसलाधार र्र्ाव में भयभीत होकर ऊँचे– ऊँचे शाल के र्क्ष


ृ भी धरती में समा जाते हैं।
- ताल से उठते हुए धंध
ु रूपी धए
ु ँ को दे िकर ताल के जल जाने की कल्पना करना बबल्कुल नई उपमा है ।
-र्र्ाव ऋतु के दौरान आकाश में तेजी से चारों तरफ घूमते हुए बादल दे िकर कवर् कल्पना करते हैं‚ मानो र्र्ाव का दे र्ता इंद्र बादलों
के वर्मान पर सर्ार होकर इधर-उधर वर्चर रहा है और उसके इंद्रजाल में कभी मनोरम दृश्य ददिाई दे ते हैं‚ तो कभी अदृश्य हो जाते हैं, इस
प्रकार प्रकृतत पल पल में अपना रूप बदलती है ।
प्रश्न 2 )’ मेिलाकार’ शब्द का क्या अिव है ॽ कवर् ने इस शब्द का प्रयोत यहाँ ककसमलए ककया है ॽ
• उत्तर ‘ मेिलाकार’ शब्द का अिव है - मंडलाकार − करधनी के आकार के समान । यह कमर में पहने जाने र्ाला एक
आभर् ू ण है । पर्वतमाला की एक के साि एक ज़ि ु ी हुई कड़ियाँ करधनी के समान प्रतीत होती हैं। कवर् ने इस शब्द का प्रयोत
पर्वत की वर्शालता और फैलार् ददिाने के मलए ककया है ।

• प्रश्न 3) ‘ सहस्त्र दृत-सुमन ’ से कवर् का क्या तात्पयव है ॽ कवर् ने इस पद का प्रयोत ककसके मलए ककया होताॽ
• उत्तर ‘ सहस्त्र दृत-सुमन ’ का अिव है - हजारों पुष्प रूपी आंिें । र्र्ाव ऋतु के दौरान पर्वत पर खिले हुए हजारों फूलों को
दे िकर कवर् ने पर्वत की आँिों की कल्पना की है । यह मानर्ीकरण का अद्भत ु उदाहरण है । पर्वत अपने नीचे फैले तालाब रूपी
दपवण में पुष्प रूपी नेत्रों से अपने वर्शालकाय रूप को दे िकर आश्चयवचककत रह जाता है । इसके माध्यम से कवर् पर्वत का
मानर्ीकरण करते हुए खिले हुए फूलों के सौंदयव को चचबत्रत करना चाहता होता।
• प्रश्न 4) कवर् ने तालाब की समानता ककसके साि ददिाई है ॽऔर क्योंॽ

• उत्तर कवर् ने तालाब की समानता दपवण के साि ददिाई है ‚ क्योंकक तालाब का जल अत्यंत स्र्च्छ और तनमवल है ‚जो
दपवण के समान परछाई ददिाने में सक्षम है ,पारदशी है । उसमें पर्वत और उस पर लते हुए फूलों का प्रततबबंब स्र्च्छ ददिाई
दे रहा है ‚ इसमलए तालाब की समानता दपवण के साि ददिाई है ।
• प्रश्न 5) पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे र्क्ष
ृ आकाश की ओर क्यों दे ि रहे हैं ॽ र्े ककस बात को प्रततबबंबबत करते
हैं ॽ
• उत्तर पर्वत के सीने से तनकले हुए ऊँचे-ऊँचे शाल के र्क्ष
ृ आकाश की ओर दे िकर उसे छूने की कोमशश करते हैं र्े
उसे अपलक ,स्स्िर - भार् से दे िते हुए पर्वत की उच्च आकाँक्षाओं को प्रततबबंबबत करते हैं। र्े बबल्कुल मौन रहकर‚
स्स्िर भार् से यह संदेश दे ते हुए प्रतीत होते हैं कक ऊँचा उठने के मलए मनुष्य को अपनी दृस्ष्ट को और वर्चारों को
स्स्िर रिते हुए बबना ककसी संदेह के चप ु चाप अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंदद्रत करना चादहए।
• प्रश्न 6) शाल के र्क्ष
ृ भयभीत होकर धरती में क्यों धँस तएॽ
• उत्तर र्र्ाव इतनी तेज और मूसलाधार िी कक ऐसा लतता िा आकाश ही धरती पर टूट प़िा हो। चारों ओर कोहरा
छा जाने से शाल के र्े ऊँचे–ऊँचे र्क्ष
ृ अदृश्य हो तए अिर्ा र्र्ाव के भयंकर रूप को दे िकर कवर् कल्पना करते हैं कक र्े
भयभीत होकर धरती में समा तए ।
• प्रश्न 7) झरने ककसके तौरर् का तान कर रहे हैं ॽ बहते हुए झरने की तुलना कवर् ने ककस से की है ॽ
• उत्तर झर-झर की मधुर ध्र्तन उत्पन्न करते झरने मानो अपने जन्मदाता पर्वतराज की मदहमा का तान करते हैं।
कवर् ने बहते हुए झरने की जल-धाराओं की तुलना मोती की लड़ियों से की है । ये झरने उत्साह और उमंत के भी प्रतीक
हैं।
प्रश्न 8) इस कवर्ता में मानर्ीकरण अलंकार का प्रयोत ककस प्रकार ककया तया है ? स्पष्ट कीस्जए।
उत्तर- कवर् सुममत्रानंदन पंत ने पूरी कवर्ता में बहुत सुंदर रूप से मानर्ीकरण अलंकार का प्रयोत ककया है ।
उदाहरण - पर्वत द्र्ारा अपने फूलों रूपी नेत्रों से अपना प्रततबबंब तनहारते हुए तौरर् अनभ
ु र् करना।
- झरनों द्र्ारा अपने जन्मदाता पर्वत के यश के तीत ताना।
- पे़िों का उच्च-आकांक्षा मलए हुए आकाश की ओर दे िना।
- पर्वत का बादलों के पंि लता कर आसमान में उ़ि जाना।
- र्र्ाव के दे र्ता इंद्र का बादल रूपी यान पर बैठकर जादई ु िेल ददिाना आदद मानर्ीकरण अलंकार के सुंदर
उदाहरण हैं।

प्रश्न 9) इस कवर्ता का सौंदयव ककस बात पर तनभवर करता है ?


उत्तर- - शब्दों की आर्स्ृ त्त पर - शब्दों की आर्स्ृ त्त से कवर्ता में ततत और तीव्रता आई है ।
उदाहरण - पल - पल , झर - झर, नस - नस, उठ-उठ कर आदद पुनरुस्क्त-प्रकाश अलंकारों के प्रयोत से कवर्ता
तततशील हो तई है ।
- शब्दों की चचत्रमयी भार्ा पर -
उदाहरण - मेिलाकार पर्वत अपार ।
उ़ि तया अचानक लो भूधर ।
फ़िका अपार पारद के पर ।
है टूट प़िा भप ू र अंबर ।
इन चचत्रात्मक शब्दों ने कवर्ता में सौंदयव उत्पन्न ककया है ।
कवर्ता में संतीतात्मकता का भी तुण है
इन सभी कारणों से कवर्ता बहुत सुंदर और भार्पूणव हो तई है
प्रश्नोत्तर संबंधी कायव करें । ( एफ.सी.कायव )

• 1) - कवर्ता की भार्ा-संबंधी वर्शेर्ताएँ स्पष्ट करें ।


• 2) - र्र्ाव-ऋतु के दौरान प्रकृतत में कौन-कौन से पररर्तवन आते हैं ? कवर्ता के आधार पर मलिें ।
• 3) - मेिलाकार शब्द का अिव स्पष्ट करें । कवर् ने पर्वत के मलए इस शब्द का प्रयोत क्यों ककया है ?
• 4) - ‘सहस्त्र दृत-सुमन ’ से कवर् का क्या आशय है ? पर्वत आश्चयवचककत क्यों रह जाता है ?
• 5) - कवर् ने तालाब की समानता ककसके साि ददिाई है ? और क्यों ?
• 6) - ऊँचे-ऊँचे र्क्ष
ृ आकाश की ओर क्यों दे ि रहे हैं ? र्े क्या संदेश दे ते हैं ?
• 7) - बहते हुए झरने की सुंदरता का र्णवन कवर्ता के आधार पर करें ।
• 8) - कवर्ता का प्रततपाद्य स्पष्ट करें ।

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