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10 HINDI Parvat Pradesh
10 HINDI Parvat Pradesh
इस प ां श म किव ने पहाड़ों के आकार की तुलना करघनी अथात कमर म बाँ धने वाले आभू षण से
की है । किव कहता है िक करघनी के आकर वाले पहाड़ अपनी हजारों पु पी आँ ख फाड़ कर
नीचे जल म अपने िवशाल आकार को दे ख रहे ह। ऐसा लग रहा है िक पहाड़ ने िजस तालाब को अपने
चरणों म पाला है वह तालाब पहाड़ के िलए िवशाल आईने का काम कर रहा है ।
किव कहता है िक मोितयों की लिड़यों के समान सुं दर झरने झर- झर की आवाज करते ए बह रहे ह
,ऐसा लग रहा है िक वे पहाड़ों का गुणगान कर रहे हों। उनकी करतल िन नस - नस म उ ाह
अथवा स ता भर दे ती है । पहाड़ों के दय से उठ-उठ कर अनेकों पेड़ ऊँचा उठने की इ ा िलए
एक टक ि से थर हो कर शां त आकाश को इस तरह दे ख रहे ह, मनो वो िकसी िचंता म डूबे ए
हों। अथात वे हम िनर र ऊँचा उठने की ेरणा दे रहे ह।
किव कहता है िक ते ज बा रश के बाद मौसम ऐसा हो गया है िक घनी धुं ध के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अथात गायब
हो गए हों। बादलों की गड़गड़ाहट से लगता है मानो पू रा आकाश ही धरती पर आ गया हो केवल झरने की आवाज़ ही सुनाई दे रही है ।
कृित का ऐसा भयानक प दे ख कर शाल के पेड़ डर कर धरती के अंदर धं स गए ह। चारों ओर धुँ आ होने के कारण लग रहा है िक
तालाब म आग लग गई है । ऐसे मौसम म इं भी अपना बादल पी िवमान ले कर इधर - उधर जादू का खेल िदखते ए घू म रहे ह।