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Hindi Class 10 Parvat Pradesh
Hindi Class 10 Parvat Pradesh
व्याख्या
इस कर्वता में कर्व सुर्मत्रानंदन पंत जी ने पववतीय इलाके में वर्ाव ऋतु का सजीव र्ित्रण र्कया
है । पववतीय प्रदे श में वर्ाव ऋतु होने से वहााँ प्रकृर्त में पल-पल बदलाव हो िहे हैं । कभी बादल
छा जाने से मूसलधाि बारिश हो िही थी तो कभी धूप र्नकल जाती है ।
पववतों की श्ृंखला मंडप का आकाि र्लए अपने पुष्प रूपी नेत्रों को फाड़े अपने नीिे दे ख िहा
है । कर्व को ऐसा लग िहा है मानो तालाब पववत के ििणों में पला हुआ है जो की दपवण
जैसा र्वशाल र्दख िहा है। पववतों में उगे हुए फूल कर्व को पववत के नेत्र जैसे लग िहे हैं र्जनसे
पववत दपवण समान तालाब में अपनी र्वशालता औि स द ं यव का अवलोकन कि िहा है ।
र्गरिवि के उि से उठ-उठ कि
उच््िाकां क्षायों से तरूवि
है झांक िहे नीिव नभ पि
अर्नमेर्, अटल, कुछ र्िंता पि।
झिने पववत के ग िव का गुणगान किते हुए झि-झि बह िहे हैं। इन झिनों की कितल ध्वर्न
कर्व के नस-नस में उत्साह का संिाि किती है । पववतों पि बहने वाले झाग भिे झिने कर्व को
मोती की लर्ड़यों के समान लग िहे हैं र्जससे पववत की सुंदिता में औि र्नखाि आ िहा है।
पववत के खड़े अनेक वृक्ष कर्व को ऐसे लग िहे हैं मानो वे पववत के हृदय से उठकि उाँ िी
आकां क्षायें र्लए अपलक औि स्स्तथि होकि शां त आकाश को दे ख िहे हैं तथा थोड़े र्िंर्तत
मालुम हो िहे हैं।
पल-पल बदलते इस म सम में अिानक बादलों के आकाश में छाने से कर्व को लगता है की
पववत जैसे गायब हो गए हों। ऐसा लग िहा है मानो आकाश धिती पि टू टकि आ र्गिा हो।
केवल झिनों का शोि ही सुनाई दे िहा है ।
तेज बारिश के कािण धुंध सा उठता र्दखाई दे िहा है र्जससे ऐसा लग िहा है मानो तालाब में
आग लगी हो। म सम के ऐसे ि द्र रूप को दे खकि शाल के वृक्ष डिकि धिती में धाँस गए हैं
ऐसे प्रतीत होते हैं। इं द्र भी अपने बादलरूपी र्वमान में सवाि होकि इधि-उधि अपना खेल
र्दखाते घूम िहे हैं ।
कवर् परिचय
सुर्मत्रानंदन पंत
प्रमुख कायव
कर्वता संग्रह - कला औि बूढ़ा िााँ द, र्िदं बिा
कृर्तयााँ - वीणा, पल्लव, युगवाणी, ग्राम्या, स्वणवर्किण औि लोकायतन।
पुिस्काि - पद्मभूर्ण, ज्ञानपीठ, सार्हत्य अकादमी पुिस्काि।
• वेश - रूप
• सहस्त्र - हजािों
• अवलोक - दे ख िहा
• ताल - तालाब
• दपवण - शीशा
• र्गरि - पववत
• मद - मस्ती
• र्नझवि - झिना
• उि - हृदय
• तरुवि - वृक्ष
• नीिव - शां त
• अर्नमेर् - अपलक
• अटल - स्स्तथि
• भूधि - पववत
• वारिद - बादल
• सभय - डिकि
• र्विि-र्विि - घूम-घूम कि
• इं द्रजाल - इन्द्रधनुर्