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पर्वत प्रदे श में पार्स- प्रश्न अभ्यास

(क ) निम्िलिखित प्रश्िों के उत्तर दीजिए -:


प्रश्ि 1-: पावस ऋतु में प्रकृनत में कौि -कौि से
पररवतति आते हैं ? कववता के आधार पर स्पष्ट
कीजिए।

उत्तर-: वर्ात ऋतु में मौसम हर पि बदिता रहता है ।


कभी तेज़ बाररश आती है तो कभी मौसम साफ हो
िाता है । पवतत अपिी पष्ु प रूपी आँिों से अपिे चरणों
में जस्ित तािाब में अपिे आप को दे िता हुआ प्रतीत
होता है । बादिों के धरती पर आ िािे के कारण ऐसा
िग रहा है कक िैसे आसमाि धरती पर आ गया हो
और कोहरा धुएं की तरह िग रहा है जिसके कारण िग
रहा है कक तािाब में आग िग गई हो।

प्रश्ि 2-: 'मेििाकार ' शब्द का क्या अित है ?कवव िे


इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों ककया है ?

उत्तर -: 'मेििाकार ' शब्द का अित है - करघिी अिातत


कमर का आभूर्ण। कवव िे यहाँ इस शब्द का प्रयोग
इसलिए ककया है क्योंकक वर्ात ऋतु में पवततों की श्ंि
ृ िा
करघिी की तरह टे डी मेडी िग रही है । अतः कवव िे
पवततों की श्ंि
ृ िा की तुििा करघिी से की है ।
प्रश्ि 3-: 'सहस्र दृग - सम
ु ि ' से क्या तात्पयत है ?कवव
िे इस पद का प्रयोग ककसके लिए ककया होगा ?

उत्तर-: 'सहस्र दृग - सुमि ' से कवव का तात्पयत पहाडों


पर खििे हिारों फूिों से है । कवव को ये फूि पहाड ही
आंिों के समाि िग रहे हैं अतः कवव िे इस पद का
प्रयोग ककया है ।

प्रश्ि 4-: कवव िे तािाब की समािता ककसके साि


ददिाई है और क्यों ?

उत्तर-: कवव िे तािाब की समािता आईिे के साि


ददिाई है क्योंकक तािाब पवतत के लिए आईिे का काम
कर रहा है वह स्वच्छ और निमति ददिाई दे रहा है ।

प्रश्ि 5 -: पवतत के ह्रदय से उठ कर ऊँचे ऊँचे वक्ष



आकाश की ओर क्यों दे ि रहे िे और वे ककस बात को
प्रनतबबंबबत करते हैं ?

उत्तर-: पवतत पर उगे ऊँचे ऊँचे वक्ष


ृ चचंता में डूबे हुए
िग रहें हैं िैसे वे शांत आकाश को छूिा चाहते हों। ये
वक्ष
ृ मिुष्यों की सदा ऊपर उठिे और आगे बढ़िे की
और संकेत कर रहे हैं।

प्रश्ि 6 -: शाि के वक्ष


ृ भयभीत हो कर धरती में क्यों
धस गए हैं ?

उत्तर-: घिी धुंध के कारण िग रहा है मािो पेड कही


उड गए हों अिातत गायब हो गए हों। ऐसा िग रहा है
कक पूरा आकाश ही धरती पर आ गया हो केवि झरिे
की आवाज़ ही सि
ु ाई दे रही है । प्रकृनत का ऐसा
भयािक रूप दे ि कर शाि के पेड डर कर धरती के
अंदर धंस गए हैं।

प्रश्ि 7-: झरिे ककसके गौरव का गाि कर रहे हैं ?बहते


हुए झरिे की तुििा ककस से की गई है ?

उत्तर-: झरिे पवततों के गौरव का गाि कर रहे हैं और


बहते हुए झरिों की ति
ु िा चमकदार मोनतयों से की गई
है ।

(ि )निम्िलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए :-


1-: है टूट पडा भू पर अम्बर !
भाव-: घिी धुंध के कारण िग रहा है मािो पूरा
आकाश ही धरती पर आ गया हो केवि झरिे की
आवाज़ ही सुिाई दे रही है ।

2-: -यों ििद -याि में ववचर -ववचर

िा इंद्र िेिता इंद्रिाि।

भाव-: चारों और धँआ


ु होिे के कारण िग रहा है कक
इंद्र भी अपिा बादि रूपी ववमाि िे कर इधर उधर
िाद ू का िेि ददिता हुआ घम
ू रहा है ।
3-: चगररवर के उर से उठ -उठ कर

उच्चाकांक्षाओं से तरुवर

है झाँक रहे िीरव िभ पर

अनिमेर् ,अटि कुछ चचंतापर।

भाव-: पहाडों के हृदय से उठ-उठ कर अिेकों पेड ऊँच्चा


उठिे की इच्छा लिए एक टक दृजष्ट से जस्िर हो कर
शांत आकाश को इस तरह दे ि रहे हैं मिो वो ककसी
चचंता में डूबे हुए हों। अिातत वे हमें निरन्तर ऊँच्चा
उठिे की प्रेरणा दे रहे हैं। ये वक्ष
ृ मिुष्यों की सदा ऊपर
उठिे और आगे बढ़िे की और संकेत कर रहे हैं।
-: इस कववता में मािवीकरण अिंकार का प्रयोग ककस
प्रकार ककया गया है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-: इस कववता में मािवीकरण अिंकार का प्रयोग


िगह िगह ककया गया है जिसके कारण प्राकृनत सिीव
प्रतीत हो रही है । िैसे - पहाड अपिी हिार पुष्प रूपी
आंिें फाड कर िीचे िि में अपिे ववशाि आकार को
दे ि रहे हैं। और पहाडों के हृदय से उठ-उठ कर अिेकों
पेड ऊँच्चा उठिे की इच्छा लिए एक टक दृजष्ट से जस्िर
हो कर शांत आकाश को इस तरह दे ि रहे हैं मिो वो
ककसी चचंता में डूबे हुए हों।

2-: आपकी दृजष्ट में इस कववता का सौन्दयत इसमें से


ककस पर निभतर करता है ?
(क ) अिेक शब्दों की आवनृ त पर
(ि ) शब्दों की चचत्रमयी भार्ा पर
(ग ) कववता की संगीतात्मकता पर

उत्तर- (ि) शब्दों की चचत्रमयी भार्ा पर


क्योंकक इस कववता में चचत्रात्मक शैिी का प्रयोग करते
हुए प्रकृनत का सुंदर और सिीव वणति ककया गया है ।
3-: कवव िे चचत्रात्मक शैिी का प्रयोग करते हुए पावस
ऋतु का सिीव चचत्र अंककत ककया है ऐसे स्ििों को
छाँट कर लिखिए।

उत्तर-:1- अपिे सहस्र दृग- सुमि फाड,


अविोक रहा है बार बार ,
2- चगरर का गौरव गाकर झर- झर

3- धँस गए धारा में सभय शाि !


4- चगररवर के उर से उठ -उठ कर

उच्चाकांक्षाओं से तरुवर

है झाँक रहे िीरव िभ पर

अनिमेर् ,अटि कुछ चचंतापर।

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