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Dokumen - Tips - Shiva Pratah Smaran Stotram
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ीशवातःमर तोम
Essence Of Astrology
- By Lokesh Agrawal
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ातः मराम भवभीतहरं स
ुरेश ं
गगाधरं व
ृषभवाहनिमबके शम ् |
खवगश
ूलवरदाभयहतमीशं
संसाररोगहरमौषधमवतीयम ् ॥ १ ॥
जो सां सारक भय को हरने वाले और देवताओं के वामी
ह , जो गंगाजी को धारण करते ह , ि जनका व ृषभ
वाहन ह, जो िअबका के ईश है , तथा िजनके हाथ म खवां ग श ूल और वरद तथा अभयम ुा है , उन
संसार -रोग को हरने के नम अवतीय औषधप ईश (महादेवजी ) का
म ातः समय म मरण करता
ू ँह ।
ातनमाम गरशं गरजाधदहे ं
सगिथतलयकारणमाददेवम ् |
ववेवरं िवजतववमनोभरामं
संसाररोगहरमौ षधमवतीयम ् ॥ २ ॥
भगवती पावती िजनका आधा अग ह , जो सं सार क स ृिट , ि थत और लय के कारण ह , आददेव ह ,
ववनाथ ह , वव -वजयी और मनोहर ह , सांसारक रोग को नट करने के लए अवतीय औषधप उन
गरश (शव ) को
म ात :काल नमकार करता ू ँह ।
ातभजाम शवमेकमनतमायं
वेदातवेयमनघं प
ुषं महातम ् |
नामादभेदरहतं षभावश
ूयं
संसाररोगहरमौषधमवतीयम ् ॥ ३ ॥
जो अत से रहत आददेव ह , वेदात से जानने योय , पापरहत एवं महान ् प ुष ह तथा जो नाम आद
भेद से रहत , छ : भाव -वकार (जम , व
ृध , ि थरता , परणमन , अपय और वनाश ) से श ूय ,
संसाररोग को हरने के नम अवतीय औषध ह , उन एक शवजी को
म ात :काल भजता ू ँह ।
ातः सम
ुथाय शवम ् वचंय
लोकयं येअन
ुदनम पिठत ।
ते द
ुःखजातं बह
ु जमसंचतं
हवा पदं ियात तदेव शभो : ॥ ४ ॥
जो मन
ुय ात :काल उठकर शव का यान कर तदन इन तीन लोक का पाठ करते ह , वे लोग अनेक
जम के िसचत द
ु:खसम
ूह से म
ुत होकर शवजी के उसी कयाणमय पद को पाते है।