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बचपन में जब हम लड़कियों से किसी ने पूछा कि क्या बनना चाहती हूँ?

किसके
जैसा बनना चाहते हो? हमने कभी ना कभी कहीं ना कहीं इनका नाम जरूर लिया।

इनके जैसे बनने के सपने देखे।

इनके पोस्टर्स अपने कमरे की दीवार पर लगाएं।

वो हम सबकी प्रेरणा स्रोत रहे।

वो जिन्हें बचपन से ही उड़ने का शौक था, तारे ताकने और ब्रह्मांड की सैर करने
का शौक था जो 40 की उम्र आते आते हमें छोड़कर तो चली गई लेकिन अब ना
जाने कितनी कल्पनाओं, कितनी उम्मीद, कितने सपनों का हिस्सा है तो छोटी
उम्र बडी जिंदगी के इस एपिसोड में हम बात करने वाले हैं डन कन्वेंशनल स्टार।

कल्पना चावला की जब कोलंबिया अन्तरिक्षयान टेक्सस के डैलस नगर के ऊपर


करीब एक 60,000 मीटर की उचाई पर आवास से 18 गुना तेज गति से उड़
रहा था उसका कं ट्रोल रूम से संपर्क टू ट गया।

कं ट्रोल रूम ने बार बार अंतरिक्ष यान से संपर्क स्थापित करने की कोशिश की।
लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली।

तभी कं ट्रोल रूम को एक शख्स ने फ़ोन कर बताया कि एक टीवी चैनल आसमान


में शटल टू टने का दृश्य दिखा रहा है।

यह सुनते ही कं ट्रोल रूम ने आपात स्थिति की घोषणा कर दी।

शटल यान की खोज में कई दिन लग गए क्योंकि शटल का मलबा 2000


वर्गमील क्षेत्र में फै ला हुआ था।

नासा को सघन जांच में शटल के 84,000 टुकड़े मिले।

इन्हीं 84,000 टुकड़ों में कल्पना चावला और उनके बाकी साथियों के अवशेष
भी थे, जिनकी पहचान उनके डीएनए से की गयी थी।

रेहान जी बात की शुरुआत तो उनके बचपन से ही करूँ गी।


करनाल में जन्मी या फिर पाकिस्तान से सीधे उनका परिवार करनाल में आया
और उनका जन्म करनाल में हुआ।

17 मार्च 1962 को वो पैदा हुई।

बनारसी लाल उनके पिता का नाम था और संज्योति चावला उनकी माँ थी।

और ये लोग पाकिस्तान में शुरू में रहते थे और फिर जब पार्टीशन हुआ तो बहुत
से लोगों के साथ इन्होंने भी भारत का रुख किया।

शुरू में इस परिवार में कपड़ों का काम होता था, कपड़ों का बिज़नेस होता था
लेकिन बाद में ये टाइर्स का काम करने लगे।

इनके फादर और और वेजिटेरियन हाउसहोल्ड था, पूरे पूरा घर वेजिटेरियन था


और कल्पना चावला भी आखिर तक वेजिटेरियन है।

उन्होंने सातवें कर खाना खाया वॉन्ट उनका नाम हुआ करता था घर में उनको
मोंटू कहकर पुकार ते थे और बहुत उनकी जिसे कहते है इस्माइल थी बहुत।
खुल के मुस्कु राती थीं।

उस जमाने में छोटे बाल उनके हुआ करते थे, बहुत कम।

उनका कत्था पांच फिट की थी।

इससे ज्यादा नहीं थी और टैगोर बाल निके तन एक स्कू ल था।

करनाल में वहाँ इनकी पढ़ाई हुई शुरू में और।

यह आप नहीं ये कल्पना नहीं कर सकती की वो फर्स्ट आती थी।

फर्स्ट कभी भी नहीं आईं।

इनमें पढ़ने में अच्छी थी।


टॉप फाइव में उनकी गिनती जरूर होती थी, लेकिन पहला स्थान उन्होंने कभी
भी प्राप्त नहीं किया और फिर एयरोस्पेस इंजीनियरिंग इन्होंने पंजाब इंजीनीरिंग
कॉलेज जो चंडीगढ़ है।

और वहाँ से की और वहाँ के जो प्रिन्सिपल थे उन्होंने बहुत कोशिश की कि भाई


ये एरोस्पेस इंजीनियरिंग में ना जाएं क्योंकि अब बहुत फै शनेबल नहीं था।

बहुत कम लोग जान जाते थे वहाँ लेकिन यह नहीं मानी।

उन्होंने कहा नहीं साहब मुझे अगर करना है तो मैं एयरोस्पेस इंजीनियरिंग ही
करूँ गी और वहाँ बहुत एक्टिव रहती थी।

ये रोवर ऐस्ट्रो सोसाइटी में जो इंजीनीरिंग कॉलेज की जो सोसाइटी थी और जो


लाइब्रेरी थी और लैबोरेट्री थी वहाँ इनको अक्सर देखा जाता था तो शुरुआत वहाँ
से हो गई थी और ये लगने लगा था कि ये लड़की और ऊपर जाएगी।

और फिर परिवार अमेरिका जाने के लिए कै से माना कै से ये अमेरिका जाने का


पूरा सिलसिला शुरू हुआ।
देखिये 1982 में यह अमेरिका की टेक्सस यूनिवर्सिटी में उन्होंने दाखिला
किया।

परिवार बिल्कु ल फे वर में नहीं था।

एक तो बहुत ही कं जरवेटिव ट्रेडिशनल बैकग्राउंड से आते थे।

हरियाणा में तो इन को इस शर्त पर जाने दिया गया कि इनके भाई संजय इनके
साथ जाएंगे।

वह और फिर जैसे ही अमेरिका में इन्होंने **** किया इनकी मुलाकात हुई।

जाओ परे है रीसन से जो कि फ़्रें च मूल के शख्स थे, उतरते ही छात्र मुलाकात
हुई और इन्हें बिल्कु ल अंदाजा नहीं था कि यह इनके जीवन में बहुत।

महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

और वहाँ एक तरह का कल्चर शॉक हुआ।


अमेरिका में कल्चर शॉक ये हुआ कि जब क्लासेज लगती थी तो जो छात्र थे,
अपना नाश्ता लेकर क्लासरूम में आ जाते थे और वह टीचर पढ़ा रहा है और वो
वहाँ हैमबर्गर अपना खा रहे हैं, नाचते में और अक्सर।

उन्होंने देखा कि वो लड़के या छात्र सामने की मेज पर पैर ऊपर रख कर बैठ


करते थे।

बैठ जाते थे तो इनके लिए ये लगा की ये कहाँ आ गए हम और वहाँ इनकी


ईरानियन लड़की थी, उस से इराज कल कु रान उसका नाम था उससे इनकी
बहुत।

अच्छी दोस्ती हो गयी।

पढ़ने के दौरान ही इन्होंने हवाई जहाज चलाना सीखा और इनका कद बहुत


छोटा था तो गद्दे सीट पर लगाके ताकि कं ट्रोल तक ये पहुँच पाए वो लगाया जाता
था और 1983 में 21 साल की उम्र में ही जिनका हमने जिक्र किया जो कॉल ए
जॉब पिरी हैरिसन इनसे इनकी शादी हो गई और फिर इन्होंने वहाँ पर नासा में
काम करना शुरू किया।
एम्स में रिसर्च सेंटर मैं कै लिफोर्निया में और 82 से 84 तक जब ये पढ़ रही थी
और इन्होंने बकायदा भारत नाट्यम सीखा अमेरिका में रहकर और वहाँ सैन जोस
में एक डान्स इन्स्टिट्यूट था, जिसे खाता था तो वहाँ उन्होंने बकायदा डांस
सीखा और इस तरह से इनका करियर परवान चढ़ा और फिर ऐस्ट्रोनॉट के तौर
पर कै से चुनी गई और वो पूरी ट्रेनिंग उसके बारे में थोड़ा बताये कितना मुश्किल
था? कि बहुत बहुत टफ कॉम्पिटिशन था।

एस्ट्रोनॉट के लिए चुने जाने के लिए 2962 ऐप्लिके शंस थे।

टोटल लोगों ने अप्लाई किया था उसमें से 122 लोगों को शॉर्टलिस्ट किया गया
है।

122 लोगों को फिर उनका इंटर्व्यू हुआ, मेडिकल इवैल्यूएशन हुआ।

और फाइनली छह लोग चुने गए।

छे एस्ट्रोनॉट्स में और 6 मार्च को 6 मार्च 1995 को कल्पना की एक तरह से


1 साल की जो ट्रेनिंग होती है, 100 स्टिप ट्रेनिंग के रूप में वो शुरू हुई।
इन्होंने ये सारी चीजे अपने दोस्तों से छिपाकर रखी थी।

पीओएस नोट बनने जा रही है।

पता तब चला जब एफबीआइ के लोगों ने इन का सिक्योरिटी क्लियरेंस के लिए


इनके दोस्तों से बात करनी शुरू की कि भाई इनका ऐन्टी दिन कै सा है? कै सी है?
तब जाके इनके दोस्तों को पता चला खास कारण था मतलब क्यों छु पा रही थी
ऐसा कु छ वो? नहीं बताना चाहती थी।

पहले की भाई जब हो जाए तब बताए और फिर बहुत एग्ज़ॉस्ट ट्रेनिंग हुई।

सर्वाइवल ट्रेनिंग होती है, पानी में एक्सरसाइज होती है, फॉरेस्ट में जंगल में
ट्रेनिंग होती है।

वहाँ पर हुआ और ज़ीरो ग्रैविटी सिचुएशन में इनको काम करने के लिए ट्रेन किया
जाता है और नवंबर 96 में इनको वो मिशन स्पेशलिस्ट का काम सौंपा गया और
प्राइम रोबोटिक आराम ऑपरेटर का काम इन को सौंपा गया।

कोलंबिया जो जा रहा था 1987 में जो पहली बार ये कोलंबिया में।


इनको भेजा गया।

किसी के नाम से मशहूर थीं कल्पना चावला तो उनको सब लोग के सिक्के का


पुकार ते थे और पहली बार शायद 19 नवंबर 1997 को पहली बार वो अंतरिक्ष
में रवाना हुई।

जी बिलकु ल और वो बहुत बड़ा क्षण था।

छे एस्ट्रोनॉट्स उसके लिए चुने गए थे।

नारंगी रंग का जो स्पेससूट।

खासा भारी भरकम होता है।

वो पहन कर ये लोग अपने घर से निकले और ये मिक्स था।

इसमें लोग भी थे और नए लोग भी थे।


कल्पना चावला कमांडर के विन थे जो कि तीसरी बार जा रहे थे।

इस मिशन पर और नंबर दो थे।

मिस्टन स्कॉट और बाकी जीतने लोग थे।

पहली बार इस मिशन पर जा रहे थे।

इनको को तीन किया गया, 15 दिनों तक बिल्कु ल अलग थलग रखा गया अपने
परिवार से और किसी से भी ताकि कोई इन्फे क्शन ना हो पाए और ये जो स्पेस
शटल होता है, एक तरह से बड़ा एयर क्राफ्ट आप समझ लीजिये बड़ा जहाज़
होता है और।

एंट्री इसके अंदर जो एंट्री होती है 195 फिट ऊँ चा प्लेटफॉर्म होता है।

उसके जरिए इसमें एंट्री की जाती है और इसमें पहले आप एलीवेटर से वहाँ तक


पहुंचते हैं और फिर उनको उसमें सीट पे पहुंचाया जाता है।
सीट पर।

लेट के उस पे एक तरह से आप लेटते हैं।

पीठ के बल और फिर आपको स्क्रै प किया जाता है उसके अंदर और जबकि


किक ऑफ किया जब ये इसने ये स्पेसशिप रवाना हुआ, तब इनको लगा कि
इनके सीने पर बहुत बड़ा बोझ है।

क्योंकि एकदम से जो स्पीड थी 17,500 मिल्स पर घंटे की स्पीड उसने


पकड़ी थी तो इन को महसूस हुआ कि इनके और ये स्थिति करीब 2 मिनट तक
रही और ये महसूस कर रही थी कि करीब इनकी वजन से तीन गुना।

भारी व्यक्ति इनके सीने पर बैठा दिया गया था और फिर जब अंतरिक्ष में गयी, तो
वेट लेसन्स आ गयी एकदम से और सारा जो गुरुत्वाकर्षण था पृथ्वी का वो खत्म
हो गया तो वो एक भारी चेन था।

उसकी वजह से सारे जो के चेहरे फू ल जाते हैं वहाँ पे जो उसके वजह ये है की


ब्लड का जो सर्कु लेशन होता है वो बराबर होता है पूरे जिसमे तो इनका भी चेहरा
फू ल गया और फै मिली जो नीचे थी, इनसे लगातार ई मेल के थ्रू बात कर रहे थे
और वो जो कं ट्रोल स्टेशन था वो एक तरह से पोस्टमैन का काम कर रहा था।
वो लोग उनको ईमेल भेजते थे, वो इन तक पहुंचाते थे।

फिर इनका जो जवाब होता था वो उनके परिवार वालों तक पहुंचाया जाता था।

इनको फोटोग्राफ करने की जिम्मेदारी दी गई थी।

एक्सटर्नल टैक्स को तो उन्होंने करीब 40 तस्वीरें खींची और।

इस अभियान मेँ नींद बड़ी मुश्किल से आती है।

यह इनके साथ दिक्कत थी, लेकिन यह जरूरी था कि आप पूरे दिन में कम से


कम 8 घंटे की नींद जरूर लें और ऊपर से जब इन्होंने पृथ्वी को देखा तो
बिल्कु ल बहुत छोटी सी पृथ्वी इनको दिखाई दी और।

मेनू जो खाने की चीज़ दी जाती थी, दिन में तीन बार इनको खाना मिलता था
और 2700 कै लोरीज़ हर दिन का खाना होता था और बकायदा मेन्यू होता था
कि नाश्ते में क्या दिया जाएगा? नाश्ते में इनको मिक्स कोन फ्ले क्स? कु कीज़ और
चाय, चीनी वाली चाय, चीनी और दूध के साथ ये चाय ये मिलता था लंच में टोफू
खाती थी और चावल बटर के साथ और फिर ग्रेनोला बार सौर लेमनेड होता था
और डिनर में टोमैटो पिसल सूपिन को दिया जाता था पास्ता।

पुटिंग ओर फिर सम कु छ चाय के साथ तो ये खाना होता था और हर ऐस्ट्रोनॉट


को बी सी डी इस अपने साथ ले जाने की अनुमति दी गयी थी।

वहा म्यूजिक सुनने के लिए ये अपने 712 लेकर गयी थी।

उसमें नुसरत फतेह अली खां थे, आबिदा परवीन थी।

हरिप्रसाद चौरसिया थे तो इन सब की सीडीएस वहाँ लेकर गई थी।

लेकिन इनको मौका सिर्फ तीन सीडी सुनने का मिला है।

वहाँ इतना हेक्टिक थामा और फिर 5:21 पर सुबह यह पृथ्वी के कक्षा में
दाखिल हुआ।

इनका स्पेस ज्ञान और 1 घंटे।


बाद इन्होंने टच डाउन किया।

कै नेडी स्पेस सेंटर पे सी।

इनकी पहली यात्रा थी कोलंबिया पर और पहली यात्रा सक्सेसफु ल भी रहीं।

लेकिन अगर दूसरी यात्रा की बात की जाए तो कहीं जाने हम भी आप पर ही जाने


का दूसरी बार भी मौका मिला या कि मौके और और जब वो लौट रहा था उस
दुर्घटना के बारे में।

क्योंकि इसमें इनको मिशन के तौर पर लिया गया था और रिक हस्बैंड कमांडर थे
इस मिशन के और इसके इसमें पहली बार एक इसराइली रमोन को दिया गया था।

एक इसराइली व्यक्ति जैसे अगर आपको याद हो भारत का जो अभियान हुआ था


उसमें राके श शर्मा गए थे।

उसमें एक इसराइली व्यक्ति को लिया गया को और और पूरी पूरा इनका परिवार


भारत से उड़कर गया था।
अमेरिका यह देखने के लिए कि किस तरह ये वहाँ जाएगी और किस तरह से
वापस आएंगी और ये कोलंबिया की 28 वीं फ्लाइट थी उसके पूरे उसमें और 16
दिन।

इनको स्पेस में रहना था, अंतरिक्ष में रहना था और 1 फरवरी 2003 को इनकी
वापसी थी के प के नवरल में फ्लो रिडा में।

और जब ये जब ये बात सी हो रही थी उसी दिन ऐक्सिडेंटली जो इनके कमांडर


थे उनका पैर।

ऐक्सिडेंटली कं ट्रोल पैनल से लग गया और इनको पता भी नहीं चला कि इनका


पैर क्योंकि बल्कि स्पेस ड्रेस होते हैं।

स्पेससूट जो होता है आपने देखा होगा काफी फु ला फु ला होता है उसकी वजह


से वो तो उन्होंने नीचे से कं ट्रोल टॉवर ने कं ट्रोल रूम ने पॉइंट आउट किया के वो
कं ट्रोल? चैनल पे कु छ दिक्कत हुई है और पूरा 8:30 बजे से ही झुक रूकी।

जितनी फै मिलीज थी वो सब वहाँ पहुंचे हुए थे और इंतज़ार कर रहे थे।


पूरी दुनिया की निगाहें लगी हुई थी।

इसको लिव दिखाया जा रहा था।

पूरी दुनिया में सब लोग इसको लाइव देख रहे थे।

और कोलंबिया ट्रैवल कर रहा था।

आवास से 20 गुना 30 स्पीड से अब आप अंदाजा लगा सकते हैं क्या उसकी


स्पीड रही होगी? और करीब सी लेवल से 5,00,000 फिट ऊपर था।

उतरने की तैयारी हो रही थी।

उधर करनाल में 300 बच्चे।

उनके स्कू ल में हादसा होती है।


इस पूरे इवेंट को लाइव देख रहे थे कि क्या होता है और कै लिफोर्निया में लोगों ने
देखा इसको दूर से दिखाई दिया कोलंबिया की और ये 60 मील ऊपर था धरती
से।

लेकिन कु छ लोगों ने नोट किया कि।

उसकी जो ट्रेन थी, जो उसके पीछे थी, उससे थोड़े थोड़े टुकड़े टू ट कर गिर रहे
हैं।

यह पहला इंडिके शन था कि कु छ गलत हुआ है और थोड़ी देर बाद एक बहुत


ज़बरदस्त विस्फोट हुआ।

टैक्स के ऊपर इस उसमें और 9:00 बजे।

शायद उस समय 9:00 बजे थे और कमांड सेंटर पर पहली बार ये दैनिक सेट
हुआ कि हुआ क्या एकदम से और फौरन कमांडर से संपर्क स्थापित करने की
कोशिश की।
लेकिन बीच में ही कर्नल हस्बैंड से जो संपर्क किया गया वह टू ट गया और उसके
बाद।

सारे कम्यूनिके शन जीतने भी संपर्क है।

वो उसे टू ट गए।

लेकिन ये रूटीन चीज़ होती है।

जब ये जो स्पेसशिप होता है, धरती की कक्षा में आता है तो कु छ क्षणों के लिए


यह संपर्क टू ट जाता है।

हर एक में तो लोगों ने समझा कि शायद इस वजह से हुआ होगा, लेकिन फिर


दुबारा कोशिश की गई लेकिन कोई संपर्क स्थापित नहीं हुआ।

और पूरी दुनिया में देख रहे थे।

पहले प्वांइट सफे द रंग की दिखाई दी और फिर सफे द सफे द धब्बे दिखाई देने
लगे तो साफ हो गया कि कोलंबिया में विस्फोट हो गया है और उसके टुकड़े टू ट
टू टकर लूसियाना, टेक्सस और अरकं सास, जो अमेरिकन स्टेट से उसके ऊपर
गिर रहे हैं, उधर उनका पूरा परिवार इसको घर पे बैठा लिव देखा था।

वो बिल्कु ल विश्वास ही नहीं कर पा रहे थे कि हुआ क्या इसके पीछे और वहाँ


उनके स्कू ल में भी बच्ची जब यह दृश्य देख रहे हैं तो पूरा भारत एक तरह से शोक
में डू ब गया।

जैसे ही ये खबर हुई अमेरिकी राष्ट्रपति थे, उन्होंने अनाउंस किया था उसमें की
कोलंबिया में दुर्घटना हुई है और इनके और भारत में भी ये खबर आई तो पूरा
जिसे कहते हैं कि।

सन्नाटा छा गया और चारों तरफ गम का माहौल हो गया।

बाद में इसकी जांच की गई कि हुआ क्या? बाद में पता चला है कि 16 जनवरी
को जब ये लॉन्च हुआ था उस लॉन्च के 80 सेकं ड के भीतर उसका शटल का
जो एक्सटर्नल टैंक होता है, उसका कु छ टुकड़ा कोलंबिया के विंग से टकराया था
और उससे जो।
सीट रेजिस्टेंट टाइल्स आप वो डैमेज हो गयी थी तो उसका नतीजा ये हुआ कि
जब वह पृथ्वी की कक्षा में दोबारा आया तो जो सीट जेनरेट हुई उसको रीज़िस्ट
नहीं कर पाया और उसकी वजह से ये दुर्घटना हुई।

तो आप इससे अंदाजा लगा सकती कितना प्रॉमिसिंग।

करियर था इस लड़की का वो समय से पहले खत्म हुआ और अगर वो होती तो


न जाने कितने और अभियान ओं में जाति और अमेरिका का नाम ऊं चा करती है
और भारत का नाम उसे तो छोटी उम्र बडी जिंदगी के सपने सोंड में हमने बात की
कल्पना चावला की अगले एपिसोड में आप से फिर होगी मुलाकात, तब तक के
लिए मुझे फिर रेहान फसल को दे नमस्कार नमस्कार नमस्कार।

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