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08-April-2023 – Japa Talk @ 6 am

हरे कृ |

यह सारां श, ील भु पाद कृत पु क, - हरे कृ जिपये और सुखी रिहए - जो इं श


भाषा म, CHANT AND BE HAPPY, के नाम से सु िस है , इस पु क से िलया जा
रहा है ।
ी भुपाद जी बताते ह, ेक सुख की खोज म है । मनु की सुख की अतृ
तृ ा सीिमत संसाधनों और पदाथ से पूरी नहीं हो सकती।
“हरे कृ जिपये और सुखी रिहए” - यह पु क जानकारी दे ती है , िक िकस कार हम,
अपने सु ख को वतमान सीमाओं से परे ले जा सकते ह। कोई भी िद िन तरं गों
की अलौिकक श के मा म से, तुरंत आ रक सुख ा कर सकता है । भगवान के
नाम जप ारा सुख की चरम सीमा ा की जा सकती है । यह अ ं त ही सरल एवं
िनशु प ित है । ेक जीव, अपने दय म, सहज एवं शा त सुख, जागृत कर सकता
है । मा हरे कृ महामं का जाप करने से । और यह मां मं ा है ? हरे कृ हरे
कृ , कृ कृ हरे हरे । हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे ।
भुपाद यहां आगे बताते ह, इस मं एवं अ मं ों म दो अंतर होते ह । पहला, इस मं
को आधा अधूरा नहीं, अिपतु पूरा उ ा रत करना होता है । और दू सरा, इस मं का
उ ारण उ र म होता है ।
भौितक जीवन म भी, जो लोग भौितक उ ष पर को ा ए ह, अपने अनुभव म,
उ ोंने भी पाया है िक, हरे कृ के कीतन से अिधक सुख, उ अं य कहीं ा नहीं
आ।
वे बताते ह, िक िकस तरह. इस िद , संगीतमय हरे कृ मं के, िन अ ास से,
इससे गहराई से जुड़ जाता है , तथा ान, आनंद और आ ा क बु की संवधना म
सफल होता है । यही एकमा साधन है , हम शांित तथा मु के पथ पर अ सर करने के
िलए । इसिलए, पू ववत आचाय के आचार व पदिच ों के ऊपर चलते ए, हम हरे
कृ महामं का यं जप भी करना है , तथा इसका सव चार भी करना है ।
कोई भी इस मं के िनयिमत जप करने से, दु गुणों से मु हो कर, सम गुणों को
अिजत कर सकता है । यह हमारे िलए, असीिमत शुभ के ार खोल दे गा ।

हरे कृ |

ह र नाम संकीतन की जय।

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