यह सारां श, ील भु पाद कृत पु क, - हरे कृ जिपये और सुखी रिहए - जो इं श
भाषा म, CHANT AND BE HAPPY, के नाम से सु िस है , इस पु क से िलया जा रहा है । ी भुपाद जी बताते ह, ेक सुख की खोज म है । मनु की सुख की अतृ तृ ा सीिमत संसाधनों और पदाथ से पूरी नहीं हो सकती। “हरे कृ जिपये और सुखी रिहए” - यह पु क जानकारी दे ती है , िक िकस कार हम, अपने सु ख को वतमान सीमाओं से परे ले जा सकते ह। कोई भी िद िन तरं गों की अलौिकक श के मा म से, तुरंत आ रक सुख ा कर सकता है । भगवान के नाम जप ारा सुख की चरम सीमा ा की जा सकती है । यह अ ं त ही सरल एवं िनशु प ित है । ेक जीव, अपने दय म, सहज एवं शा त सुख, जागृत कर सकता है । मा हरे कृ महामं का जाप करने से । और यह मां मं ा है ? हरे कृ हरे कृ , कृ कृ हरे हरे । हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे । भुपाद यहां आगे बताते ह, इस मं एवं अ मं ों म दो अंतर होते ह । पहला, इस मं को आधा अधूरा नहीं, अिपतु पूरा उ ा रत करना होता है । और दू सरा, इस मं का उ ारण उ र म होता है । भौितक जीवन म भी, जो लोग भौितक उ ष पर को ा ए ह, अपने अनुभव म, उ ोंने भी पाया है िक, हरे कृ के कीतन से अिधक सुख, उ अं य कहीं ा नहीं आ। वे बताते ह, िक िकस तरह. इस िद , संगीतमय हरे कृ मं के, िन अ ास से, इससे गहराई से जुड़ जाता है , तथा ान, आनंद और आ ा क बु की संवधना म सफल होता है । यही एकमा साधन है , हम शांित तथा मु के पथ पर अ सर करने के िलए । इसिलए, पू ववत आचाय के आचार व पदिच ों के ऊपर चलते ए, हम हरे कृ महामं का यं जप भी करना है , तथा इसका सव चार भी करना है । कोई भी इस मं के िनयिमत जप करने से, दु गुणों से मु हो कर, सम गुणों को अिजत कर सकता है । यह हमारे िलए, असीिमत शुभ के ार खोल दे गा ।