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शिक्षण एवं शिक्षक प्रशिक्षण में तकनीकी का महत्व

डॉ निर्म ल कुर्ार,(व्याख्याता)

निला निक्षा एवं प्रनिक्षण सं स्थाि(डायट) रार्बाग, र्ु िफ्फरपु र ।

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वतमर्ाि नवज्ञाि एवं तकिीकी के यु ग र्ें , वै ज्ञानिग तथा प्रौद्योनगकी अनवष्कारों िे र्ािव िीवि
के हर पक्ष को प्रभानवत नकया है , नििसे निक्षा, निक्षण तथा अनिगर् भी अछूता िही ं है ।
र्ोबाइल, टे नलनविि, प्रोिेक्टर, इं टरिेट तथा कंप्यू टर आदी का बढ़ता हुआ उपयोग निक्षा
को तकिीकी के निकट लाता िा रहा है । निक्षा िास्त्र का कोई भी अं ग नवनियों-प्रनवनियों,
नबिा तकिीकी के अपं ग है । निक्षक, िैनक्षक एवं वै ज्ञानिक तकिीकी तथा नवनभन्न तकिीकी
साििों की र्दद से अपिे निक्षण को सरल, प्रभाविाली और अनिक सु ग्राह्य बिा सकता है ।
िैनक्षक तकिीकी िे निक्षा के क्षे त्र र्ें पु रािी अविारणाओं र्ें आिु निक सन्दभम के साथ
अभू तपू वम क्ां नतकारी पररवतमि कर उन्हें एक िनवि स्वरुप प्रदाि नकया है । निक्षा र्ें नवनभन्न
तकनिकी उपकरण यथा दृश्य, श्रव्य सार्ग्री के अनतररक्त िए सं प्रत्ययों के साथ िवीि नवद्या
एवं तकिीकी का नवकास हुआ है । तकिीकी एक निक्षक को उसके नवषय से सं बंनित तथा
अन्य क्षे त्रों से सं बंनित िािकारी प्रदाि कर उसके व्यवसानयक नवकास का र्ागम प्रिस्त करती
है । िै नक्षक तकिीकी, निक्षण को सरल, स्पष्ट, रुनिकर, बोिगम्य एवं प्रभाविाली बिाती है
एवं निक्षक की उपादे यता बढाती है । साथ ही निक्षण के नवनभन्न नवनियों, प्रनवनियों एवं
यु क्तक्तयों का नवकास कर निक्षा को छात्र केंनित बिािे र्ें योगदाि दे ती है ।

Keywords: निक्षण, निक्षक प्रनिक्षण, नवद्यालय, अनिगर्, अनिगर् र्ें तकिीकी का र्हत्व ।

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