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NCERT Solutions for Class 9

Hindi Sparsh

Chapter 2 - शरद जोशी

निम्ननिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पं खियों में दीनजए –

1. अनतनि नकतिे नदिों से िे िक के घर पर रह रहा है ?


उत्तर : अतिति ले खक के घर चार तिन ों से रह रहा है ।

2. कैिेंडर की तारीिें नकस तरह फड़फड़ा रही हैं ?


उत्तर : कैलेंडर की िारीखें अपनी सीमा में नम्रिा से फड़फड़ा रही िी।

3. पनत-पत्नी िे मेहमाि का स्वागत कैसे नकया ?


उत्तर : पति ने ख़ुशी से भीगी आँ ख ों के साि गले तमलकर और पत्नी ने आिर सम्मान के साि
हाि ज ड़ कर उनका स्वागि तकया।

4. दोपहर के भोजि को कौि-सी गररमा प्रदाि की गई ?


उत्तर : ि पहर के भ जन क लों च की िरह शानिार बनाकर लों च की गररमा प्रिान की गई।

5. तीसरे नदि सुबह अनतनि िे क्या कहा?


उत्तर : िीसरे तिन अतिति ने – कपड़े धुलवाने हैं कहकर ध बी के बारे में पूछा।

6. सत्कार की ऊष्मा समाप्त होिे पर क्या हुआ?

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उत्तर : सत्कार की ऊष्मा समाप्त ह ने पर लों च तडनर की जगह खखचड़ी बनने लगी। ठहाक ों
के गुब्बार ों की जगह एक चुप्पी ह गई। सौहािद अब धीरे -धीरे ब ररयि में बिलने लगा।

प्रश्न-अभ्यास (निखित)
निम्ननिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्ों में) निखिए –

7. िे िक अनतनि को कैसी निदाई दे िा चाहता िा?


उत्तर : ले खक अतिति क एक भावभीनी तविाई िे ना चाहिा िा। वह चाहिा िा की अतिति
जब जाऐोंगे िब पति-पत्नी उनक स्टे शन छ ड़ने जाऐोंगे व उन्हें सम्मानजनक तविाई िें गे
ले तकन ऐसा ना ह सका।

पाठ में आए निम्ननिखित कििो की व्याख्या कीनजये।

8. अंदर ही अंदर कही ं मेरा बटु आ कााँप गया।


उत्तर : जब ले खक ने अपने घर की ओर अतिति क आिे िे खा ि उसके तिमाग में एक ही
बाि घर कर गयी की अब खचाद ज्यािा ह गा इसी क कहिे है बटु आ काँ पना।

9. अनतनि सदै ि दे िता िही ं होता, िह मािि और िोड़े अंशो में राक्षस भी हो सकता
है ।
उत्तर : अतिति जब बहुि तिन ों बाि आिा है ि िे विा जै सा प्रिीि ह िा है । अतिति जब
बहुि तिन ों िक तकसी के घर पर ठहरिा है ि 'अतिति िे व भवः ' का असली महत्व समझ
आिा है । अतिति के आने के एक या ि तिन बाि सब सामान्य ह जािा है । अतिति तसफद
तमलने आिे हैं ि वह अच्छे लगिे हैं और जब वह लम्बे समय के तलए रहने आिे हैं ि राक्षस
यातन की बुरे लगने लगिे है ।

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10. िोग दू सरे के होम की स्वीटिेस को काटिे ि दौड़ें ।
उत्तर : हर क ई अपने घर क स्वीट ह म बना कर रखना चाहिे हैं , अपने घर में सुख-शाों ति
चाहिे हैं परन्तु कभी-कभी कुछ तबन बुलाए मेहमान आ जािे हैं और हमारे घर की सुख-
शाों ति भोंग कर िे िे हैं व अतिति का व्यवहार भी परे शान करने लगिा है । अतिति की
उपखथिति ज्यािा समय िक रहने से घर के बाकी सिस् ों क कष्ट ह ने लगिा है ।

11. मेरी सहिशीिता की िह अंनतम सुबह होगी।


उत्तर : अतिति चार तिन से ले खक के घर रह रहा िा। कल पाँ चवा तिन ह जाएगा। यति
कल भी अतिति नहीों गया ि ले खक अपनी सहनशीलिा ख बैठेगा और अतिति सत्कार
भूलकर कुछ गलि न ब ल िे ।

12. एक दे िता और एक मिुष्य अनिक दे र साि िही ं रहते ।


उत्तर : यति अतिति क िे विा माना जाए ि वह मनुष्य के साि ज़्यािा नहीों रह सकिा।
ि न ों क सामान्य मनुष्य बनना पड़े गा। िे विा की पूजा की जािी है और पूजा ज़्यािा िे र िक
नहीों चलिी। िे विा कुछ िे र िशद न िे कर चले जािे हैं क्ूोंतक िे विा यति ज्यािा िे र िक ठहरे
ि उनका महत्व खत्म ह जाएगा

निम्ननिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्ों में) निखिए –

13. कौि-सा आघात अप्रत्यानशत िा और उसका िे िक पर क्या प्रभाि पड़ा?


उत्तर : िीसरे तिन जब अतिति ने ध बी से कपड़े धुलवाने की इच्छा प्रकट की ि ले खक क
अप्रत्यातशि आघाि लगा। ध बी क कपड़े धुलने िे ने का मिलब िा तक अतिति अभी जाना
नहीों चाहिा। ले खक और उसकी पत्नी उसके जाने की प्रिीक्षा कर रहे िे । इस आघाि का
ले खक पर यह प्रभाव पड़ा तक वह अतिति क राक्षस समझने लगा। इसके तलए तिरस्कार
और घृणा की भावना उत्पन्न ह गई। ले खक चाहने लगा तक वह शीघ्र चला जाए।

14. संबंिों का संक्रमण के दौर से गु ज़रिा’ −इस पं खि से आप क्या समझते हैं?


निस्तार से निखिए।

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उत्तर : सोंबोंध ों का सोंक्रमण के िौर से गुज़रना’ − इस पोंखि का आशय है सोंबोंध ों में पररविद न
आना। ज सोंबोंध आत्मीयिापूणद िे अब घृणा और तिरस्कार में बिलने लगे। जब ले खक के
घर अतिति आया िा ि उसके सोंबोंध सौहािद पूणद िे । उसने उसका स्वागि प्रसन्निा पूवदक
तकया िा। लेखक ने अपनी ढीली ढाली आतिद क खथिति के बाि भी उसे शानिार तडनर
खखलाया और तसनेमा तिखाया। ले तकन अतिति चार पाँ च तिन रुक गया ि खथिति में बिलाव
आने लगा और सोंबोंध बिलने लगे।

15. जब अनतनि चार नदि तक िही ं गया तो िे िक के व्यिहार में क्या-क्या पररितत ि
आए?
उत्तर : जब अतिति चार तिन िक नहीों गया ि ले खक ने उसके साि मुस्कुराकर बाि करना
छ ड़ तिया, बािचीि के तवषय समाप्त ह गए। सौहािद व्यवहार अब ब ररयि में बिल गया।
लों च तडनर अब खखचड़ी पर आ गए। इसके बाि लेखक उपवास िक जाने की िैयारी करने
लगा। ले खक अतिति क ‘गेट आउट’ िक कहने के तलए िैयार ह गया।

भाषा अध्ययि

16. निम्ननिखित शब्ों के दो-दो पयातय निखिए –


चााँद, नज़क्र, आघात, ऊष्मा, अंतरं ग
उत्तर : चाँ ि − राकेश, रजनीश
तज़क्र − उल्लेख, वणद न
आघाि − हमला, च ट
ऊष्मा − गमी, िाप
अोंिरों ग − घतनष्ठ, आों िररक

17. निम्ननिखित िाक्यों को निदे शािुसार पररिनततत कीनजए –


(क)हम तु म्हें स्टे शि तक छोड़िे जाएाँ गे । (िकारात्मक िाक्य)
उत्तर : हम िु म्हें स्टे शन िक छ ड़ने नहीों जाएँ गे।

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(ि)नकसी िॉण्ड्र ी पर दे दे ते हैं , जल्दी िु ि जाएाँ गे । (प्रश्निाचक िाक्य)
उत्तर : तकसी लॉण्ड्री पर िे िे ने से क्ा जल्दी धुल जाएँ गे?

(ग)सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो रही िी। (भनिष्यत् काि)


उत्तर : सत्कार की ऊष्मा समाप्त ह जाएगी। (भतवष्यि् काल)

(घ)कब तक नटकेंगे ये? (िकारात्मक)


उत्तर : ये अब नहीों तटकेंगे।

18. पाठ में आए इि िाक्यों में ‘चुकिा’ नक्रया के निनभन्न प्रयोगों को ध्याि से दे खिए
और िाक्य संरचिा को समनझए –
(क) तु म अपिे भारी चरण-कमिों की छाप मेरी ज़मीि पर अंनकत कर चुके।
(ि) तु म मेरी काफ़ी नमट्टी िोद चुके।
(ग) आदर-सत्कार के नजस उच्च नबंदु पर हम तु म्हें िे जा चुके िे।
(घ) शब्ों का िे ि-दे ि नमट गया और चचात के निषय चुक गए।
(ङ) तुम्हारे भारी-भरकम शरीर से सििटें पड़ी चादर बदिी जा चुकी और तु म यही ं
हो।

19. निम्ननिखित िाक्य संरचिाओं में ‘तु म’ के प्रयोग पर ध्याि दीनजए –


(क) िॉण्ड्र ी पर नदए कपड़े िुिकर आ गए और तु म यही ं हो।
(ि) तु म्हें दे िकर फूट पड़िे िािी मुस्कुराहट िीरे -िीरे फीकी पड़कर अब िुप्त
हो गई है ।
(ग) तु म्हारे भरकम शरीर से सििटें पड़ी चादर बदिी जा चुकी।
(घ) कि से मैं उपन्यास पढ़ रहा हाँ और तु म नफल्मी पनिका के पन्ने पिट रहे हो।
(ङ) भाििाएाँ गनियों का स्वरूप ग्रहण कर रही हैं , पर तु म जा िही ं रहे ।

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