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राज्य नीति के तनदेशक ित्व D P S P: Irective Rinciples Of Tate Olicy
राज्य नीति के तनदेशक ित्व D P S P: Irective Rinciples Of Tate Olicy
DIRECTIVE PRINCIPLES OF
STATE POLICY
नीनत-ननदे शक लसद्ांतों द्वाया जनताको शासन की सपरता व असपरता की जांच कयने का भाऩदण्ड
बी प्रदान ककमा जाता है । शासक दर के द्वाया अऩने भतदाताओं को ननदे शक लसद्ांतों के सन्दबत भें
अऩनी सपरताएं फतामी नहीं है औय शासन शजतत ऩय अधधकाय कयने के इच्छुक याजनीनतक दर की
इन तत्वों के कक्मान्वमन के प्रनत अऩनी तत्ऩयता औय उत्साह ददखाना होता है । इस प्रकाय ननदे शक
तत्व जनता को ववलबन्न दरों की तुरनात्भक जांच कयने मोग्म फना दे ते हैं।
कायथऩासऱका ऩर अंकुश
ववधानसबा के सदस्मों तथा कुछ संववधान वेत्ताओं ने मह संदेह व्मतत ककमा है कक याष्रऩनत मा
याज्मऩार इस आधाय ऩय ककसी ववधेमक ऩय अऩनी समभनत दे ने से इंकाय कय सकते हैं कक वह
ननदे शक तत्वों के प्रनतकूर है , रेककन व्मवहाय भें ऐसी घटना की समबावना कभ है तमोंकक
संसदात्भक शासन प्रणारी भें नाभभात्र का कामतऩालरका प्रधान रोकवप्रम भंत्रत्रऩरयषद द्वाया ऩारयत
ववधध को अस्वीकृत कयने का द्ु साहस नहीं कय सकता। डॉ. अमफेडकय के अनस ु ाय, ववधातयका द्वारा
ऩाररि ववधध को अथवीकृि करने के सऱए राटरऩति या राज्यऩाऱ तनदे शक ित्वों का प्रयोग नहीं कर
िकिे।
नीति-तनदे शक ित्वों का क्रियान्वयन
बलू भ सध
ु ायों एवं कृवष के उन्नमन हे तु, जजसका उल्रेख अनच्
ु छे द-48 भें ककमा गमा है , ऩहरा,
चौथा, 17वां, 25वां, 42वां एवं 44वां संववधान संशोधन ककए गए।
73वां संववधान संशोधन (1992) अनुच्छे द 40 भें उजल्रखखत ग्राभ ऩंचामतों की कक्माजन्वत
कयने की ददशा भें एक कदभ था।
भहात्भा गांधी याष्रीम योजगाय गायं टी अधधननमभ (भनये गा) अनुच्छे द 48 भें उजल्रखखत काभ
के अधधकाय, भजदयू ी, एवं ननवातह इत्मादद की प्राजतत के लरए फनामा गमा।
कुटीय उद्मोगों के संवद्तन के लरए (अनुच्छे द 43 भें उजल्रखखत) खादी व ग्रामोद्योग खोरे गए
हैं। इसके अनतरयतत लसल्क फोडत, हथकयघा फोडत, नाफाडत आदद का बी सज ृ न ककमा गमा है ।
अनुसूधचत जानतमों एवं जनजानतमों व अन्म वऩछडे वगों की लशऺा की अलबववृ द् की ददशा भें
भण्डर आमोग की रयऩोटत का कक्मान्वमन ककमा गमा, जजसे 1992 भें सवोच्च न्मामारम ने
न्मानमक अनाऩनत प्रदान, की (अनच्
ु छे द-46)।
ऩमातवयण की संयऺा एवं सुधाय हे तु (अनुच्छे द 48क) सयकाय ने 1995 भें याष्रीम ऩमातवयण
न्मामाधधकयण औय 2010 भें याष्रीम हरयत न्मामाधधकयण की स्थाऩना की।
जजरा स्तय ऩय कुछ न्मानमक शजततमों से कामतऩालरका के कामत को संऩन्न कयने के लरए
आऩयाधधक प्रकक्मा संदहता भें ककमा गमा संशोधन अनुच्छे द-50 का अनस
ु यण है ।
ताजभहर जैसे ऐनतहालसक स्भायकों के संयऺण का कामत बायतीम ऩुयातत्व सवेऺण (एएसआई)
को ददमा गमा है जो अनुच्छे द 49के प्रावधान का अनुऩारन है ।
नीनत-ननदे शक लसद्ांतों के अंतगतत अनुच्छे द-48 के अनुसयण कदभ था।
ऩमातवयण संयऺण अधधननमभ, 1986, वन्म जीवन अधधननमभ, वन नीनत, 1980 आदद कुछ
ऐसे कदभ हैं जो अनुच्छे द 48(क) के कक्मान्वमन की ददशा भें लरए गए हैं।
मौसऱक अधधकारों और तनदे शक सिद्ांिों में अंिर
इन दोनों भें भख् ु म बेद ननमनलरखखत हैं-
भौलरक अधधकाय न्मामारमों द्वाया रागू ककए जा सकते हैं, वहीं याज्म नीनत के ननदे शक तत्व
न्मामारम द्वाया रागू नहीं ककए जा सकते अथातत भौलरक अधधकाय वाद मोग्म हैं तथा नीनत-ननदे शक
तत्ववाद मोग्म नहीं हैं।
भौलरक अधधकाय नकायात्भक हैं जफकक ननदे शक लसद्ांत सकायात्भक हैं। भौलरक अधधकायों की प्रकृनत
इस रूऩ भें नकायात्भक है कक मे याज्म के ककन्हीं कामों ऩय प्रनतफंध रगाते हैं। इसके प्रनतकूर नीनत-
ननदे शक तत्व याज्म की ककन्हीं ननजश्चत कामों को कयने का आदे श दे ते हैं।
जहां भौलरक अधधकायों के द्वाया याजनीनतक रोकतंत्र की स्थाऩना की गई है । वहां नीनत-ननदे शक
लसद्ांतों द्वाया आधथतक रोकतंत्र की स्थाऩना होती है । भौलरक अधधकायों के अंतगतत कानन ू के सभऺ
सभता बाषण औय अलबव्मजतत की स्वतंत्रता, जीवन औय व्मजततगत स्वतंत्रता का अधधकाय तथा
ककसी बी धभत को भानने की स्वतंत्रता आदद याजनीनतक रोकतंत्र की स्थाऩना का आधाय फनाते हैं।
ऩयं तु ननदे शक लसद्ांतों ने आधथतक एवं साभाजजक ऺेत्र भें रोकतंत्र की स्थाऩना ऩय फर ददमा है इन
लसद्ांतों के अनुसाय याज्म बौनतक साधनों को लसलभत रोगों के हाथों भें केंदद्रत न होने दे ने तथा
उत्ऩादन के साधनों को सावतजननक दहतों के उऩमोग के लरए, अऩनी वचनफद्ता प्रदलशतत कयता है ।
भौलरक अधधकायों का कानन ू ी भहत्व है , जफकक ननदे शक लसद्ांत नैतिक आदे श भात्र हैं। जी.एन. जोशी
के अनुसाय- याज्म नीनत के ननदे शक लसद्ांत भानवीम आदशतवाद के ढे य हैं, जजन्हें ऐसे व्मजततमों ने
संगह ृ ीत ककमा है जो दीघतकालरक स्वतंत्रता संग्राभ की सभाजतत के ऩश्चात ् स्वजतनर बावानतये क की
जस्थनत भें थे।
भौलरक अधधकायों को (अनच् ु छे द 20 तथा 21 भें वखणतत अधधकायों को छोडकय) अनच् ु छे द 352 के
अंतगतत घोवषत आऩातकारीन जस्थनत भें प्रवततन कार भें स्थधगत ककमा जा सकता है , जफकक
ननदे शक तत्वों का जफ तक कक्मान्वमन नहीं होता तफ तक वे स्थामी रूऩ से स्थगन की अवस्था भें
ही फने यहते हैं।
भौलरक अधधकाय सावतबौभ नहीं हैं, उन ऩय कुछ प्रनतफंध हैं, जफकक ननदे शक लसद्ांतों ऩय कोई
प्रनतफंध नहीं है ।
मऱ
ू अधधकारों एवं तनदे शक सिद्ांिों के मध्य िंबंध एवं िकराव
जैसा कक ववददत है कक भूर अधधकाय ववधध के भाध्मभ से प्रवततनीम हैं तमोंकक वे
प्रत्माबूत अधधकाय हैं ककंतु ननदे शक तत्वों को इस प्रकाय प्रवत्ृ त नहीं कयामा जा सकता।
इस कायण दो ऩरयजस्थनतमां उत्ऩन्न होती हैं-
ककसी व्मजतत द्वाया भूर अधधकाय का प्रमोग ननदे शक तत्व से असंगत हो सकता है - एक
कसाई का अऩना कायोफाय चराने का अधधकाय औय अनुच्छे द-48 जजसभें गोवध का
प्रनतषेध ककमा गमा है ।
ककसी ननदे शक तत्व को प्रबाववत कयने वारा ववधान ककसी भूर अधधकाय का अनतरंघन
कयता है मा उसे ऺीण कयता है । न्मन ू तभ भजदयू ी तम कयने वारा ववधान अनच् ु छे द
19(1)(छ) के अधीन व्माऩाय के अधधकाय का उल्रंघन कयता है ।
संववधान का अनच् ु छे द-31(ग) मह स्वीकाय कयता है कक ऐसी ऩरयजस्थनतमां आ सकती हैं
जजसभें भूर अधधकाय औय ननदे शक तत्वों भें संघषत हो। उसभें मह अधधकधथत है कक मदद
संववधान के बाग-4 भें अंतववतजष्ट लसद्ांतों की कक्माजन्वत कयने के लरए कोई ववधध
अधधननमलभत की जाती है तो उस ऩय इस आधाय ऩय आक्भण नहीं ककमा जा सकता है
कक वह भूर अधधकाय से असंगत है । ऐसी ववधध भूर अधधकाय ऩय अलबबावी होगी। इस
प्रकाय अनुच्छे द 31(ग) ननदे शक तत्वों की कक्माजन्वत कयने वारी सबी ववधधमों को भूर
अधधकायों ऩय प्राथलभकता दे ता है ।
भद्रास याज्म फनाभ चंऩकभ भाभरे भें उच्चतभ न्मामारम ने स्ऩष्ट रूऩ उनके सहामक
के रूऩ से कहा की तनदे शक ित्वों को मऱ ू अधधकार के अध्याय के अनरू ु ऩ और उनके
िहायक के रूऩ में में कायथ करना होगा।
डा. ऩी.के. त्रत्रऩाठी ने न्मामारम के ववचायों से असहभनत प्रकट कयते हुए कहा कक भर ू अधधकायों की
श्रेष्ठ कहना सही नहीं है । दोनों का सभजन्वत अथातन्वमन ककमा जाना चादहए। केयर लशऺा ववधेमक
(1959) भें उच्चतभ न्मामारम ने सभन्वमकायी ननवतचन का ननमभ अंगीकाय ककमा। न्मामारम ने मह
संप्रेऺण ककमा कक सभन्वमकायी अथातन्वमन का लसद्ांत स्वीकाय ककमा जाना चादहए औय भर ू
अधधकाय तथा ननदे शक तत्व, दोनों को प्रबावी कयने का प्रमास ककमा जाना चादहए। केशवानंद बायती
फनाभ केयर याज्म (1978) भें न्मामारम ने एक फाय कपय मह कहा कक इन दोनों भें ऊंच-नीच का
बेदबाव नहीं ककमा जाना चादहए। न्मामारम ने दो लसद्ांत प्रनतऩाददत ककए-
भर ू अधधकाय औय ननदे शक तत्व दोनों सभान रूऩ से भौलरक हैं मद्मवऩ ननदे शक तत्वों को
न्मामारम द्वाया प्रवनततत नहीं ककमा जा सकता।
भर ू अधधकाय औय ननदे शक तत्व एक-दस ू ये के अनुऩूयक हैं औय एक-दस ू ये को ऩण
ू त
त ा प्रदान कयते हैं।
लभनवात लभल्स भें न्मामारम ने कपय से मह कहा कक भर ू अधधकाय औय ननदे शक तत्वों के फीच
सभन्वम औय असंतुरन संववधान की आधारयक संयचना का आवश्मक रऺण है । लभनवात लभल्स के
ऩरयणाभस्वरूऩ अनच् ु छे द-31(ग) की अंत्स्थाऩना के ऩश्चात ् बी ननदे शक तत्वों को भर ू अधधकायों ऩय
प्राथलभकता नहीं दी जा सकती। उच्चतभ न्मामारम ने ऩूवव त ती ननणतमों भें भर
ू अधधकायों की श्रेष्ठता
फताते हुए जो भत अलबव्मतत ककमा था वह अफ फदर गमा है । भर ू अधधकाय औय ननदे शक तत्व
एक ही धयातर ऩय हैं। मदद उनभें कोई संघषत ददखाई ऩडता है तो न्मामारम की चादहए कक
न्मामानमक ऩुनववतरोकन की अऩनी शजतत का प्रमोग कयते हुए उसका सभाधान ननकारे।
न्मामारम ककसी ववधध की जो ननदे शक तत्वों से असंगत है शून्म घोवषत नहीं कय सकते ककंतु
न्मामारमों ने ऐसी ववधध को ववधधभान्म ठहयामा है जो ननदे शक तत्व की कक्माजन्वत कयने के लरए
अधधननमलभत की गई थी।
संजीव कोक फनाभ बायत कोककग भाभरे भें उच्चतभ न्मामारम ने मह भत प्रकट ककमा कक लभनवात
लभल्स भें न्मामारम की याम का मह प्रबाव है कक अनुच्छे द 31(ग) उस रूऩ भें ववद्मभान है जजसभें
वह 42वें संशोधन के ऩहरे था। वह केवर उन्हीं ववधधमों को सयु ऺा दे ता है जो अनच् ु छे द 39(ख) औय
(ग) की कक्माजन्वत कयने के लरए फनाई गई हैं। प्रोऩटी ओनसत एशोलसएशन फनाभ भहायाष्र याज्म
(2001) भाभरे भें उच्चतभ न्मामारम की एक ऩीठ ने मह याम दी है कक संजीव कोक फनाभ बायत
कोककंग भाभरे ऩय ऩुनववतचाय ककमा जाना चादहए।