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राज्य नीति के तनदे शक ित्व

DIRECTIVE PRINCIPLES OF
STATE POLICY

Rajani Kant Pandey


Assistant Professor
RDS College
 भर ू अधधकायों एवं ननदे शक तत्वों का एक ही उद्गभ स्रोत है । 1928 के
नेहरू प्रनतवेदन भें , जजसभें बायत के लरए स्वयाजी ववधान फनामा गमा
था, भर ू अधधकायों को स्थान ददमा गमा था। इन अधधकायों भें प्रायं लबक
लशऺा का अधधकाय बी सजमभलरत था। वस्तुत् याज्म के नीनत-ननदे शक
लसद्ांतों का ववचाय 1937 के आमरयश संववधान से लरमा गमा, जजसे
ऩहरे स्ऩेन के संववधान से लरमा गमा था। 1945 के सऩू प्रनतवेदन भें
भूर अधधकायों को स्ऩष्ट रूऩ से दो बागों भें फांटा गमा था- न्मामारम
द्वाया प्रवततनीम औय अप्रवततनीम। संववधान सबा के संववधाननक
सराहकाय सय फी. एन. याव ने मह सुझाव ददमा था कक व्मजततमों के
अधधकायों को दो प्रवगों भें ववबाजजत ककमा जाए- प्रथभ, वे जजन्हें
न्मामारम द्वाया प्रवत्ृ त कयामा जा सकता है , औय; द्ववतीम, वे जो इस
प्रकाय प्रवत्ृ त नहीं कयाए जा सकते। उनके ववचाय भें दस ू या प्रवगत याज्म
के प्राधधकारयमों के लरए नैनतक उऩदे श के रूऩ भें था। उनका सुझाव
प्रारूऩ सलभनत ने बी स्वीकाय ककमा। इसके ऩरयणाभस्वरूऩ न्मामारम
द्वाया प्रवततनीम भर ू अधधकाय बाग 3 भें हैं औय ननदे शक तत्व जो
अप्रवततनीम हैं बाग 4 भें हैं। इन दोनों का उद्देश्म साभाजजक, आधथतक
औय याजनीनतक न्माम तथा व्मजतत की गरयभा औय कल्माण की प्राजतत
है । कुर लभराकय मे लसद्ांत ऩुलरस याज्म के ववऩयीत कल्माणकायी
याज्म की स्थाऩना कयते हैं।
अर्थ एवं उद्देश्य

 नीनत-ननदे शक तत्वों का वणतन संववधान के चौथे बाग भें ककमा गमा


है । मे तत्व शासन व्मवस्था के भर ू आधाय हैं। मे तत्व हभाये
संववधान की प्रनतऻाओं औय आकांऺाओं को वाणी प्रदान कयते हैं।
इस प्रकाय मे लसद्ांत दे श के प्रशासकों के लरए एक आचाय संदहता
है । याष्र की प्रबुसत्ता के प्रनतननधधमों के रूऩ भें कामत कयते सभम
उन्हें इन ननदे शक लसद्ांतों का ध्मान यखना चादहए, तमोंकक मे उन
आदशों को प्रनतष्ठावऩत कयते हैं जो बायत के याज्म का आधाय हैं।
ननदे शक लसद्ांत कामतऩालरका औय व्मवस्थावऩका को ददए गए ऐसे
ननदे श हैं, जजनके अनुसाय उन्हें अऩने औय उधचत रूऩ से ऩारन हो।
 नीनत-ननदे शक लसद्ांतों का प्रमोजन शांनतऩण ू त तयीकों से साभाजजक
क्ांनत का ऩथ-प्रशस्त कय कुछ साभाजजक औय आधथतक उद्देश्मों को
तत्कार लसद् कयना है । इन आधायबूत लसद्ांतों का उद्देश्म
कल्माणकायी याज्म की स्थाऩना कयना है । साभूदहक रूऩ से मे
लसद्ांत बायत भें आधथतक एवं साभाजजक रोकतंत्र की यचना कयते हैं।
ननदे शक लसद्ांतों का वास्तववक भहत्व इस फात का है कक मे
नागरयकों के प्रनत याज्म के दानमत्व के द्मोतक हैं। संववधान की
प्रस्तावना भें जजन आदशों की प्राजतत का रक्ष्म यखा गमा है , मे उन
आदशों की ओय फढ़ने के लरए भागत-प्रशस्त कयते हैं।
नीति-तनदे शक सिद्ांिों का अवऱोकन
 अनच्ु छे द 36 से रेकय 51 तक के सोरह अनुच्छे दों भें ननदे शक लसद्ांतों का वणतन है , जो
ननमनलरखखत हैं-
 अनुच्छे द 36-37: अनुच्छे द 36 भें राज्य शब्द को ऩरयबावषत ककमा गमा है । अनुच्छे द 37
घोषणा कयता है कक- ननदे शक तत्व दे श के शासन के भूराधधकाय हैं औय ननश्चम ही ववधध
फनाने भें इन लसद्ांतों को रागू कयना याज्म का कततव्म होगा। मे लसद्ांत ककसी न्मामारम भें
प्रवततनीम नहीं होंगे। अलबप्राम मह कक न्मामऩालरका याज्म की ननदे शक तत्वों के अंतगतत ककसी
कततव्म को ननबाने के लरए वववश नहीं कय सकती।

अनच्ु छे द-38: याज्म रोक-कल्माण की सुयऺा औय अलबववृ द् के लरए साभाजजक व्मवस्था का
ननभातण कये गा।
 अनच् ु छे द-39: याज्म अऩनी नीनत का इस प्रकाय संचारन कये गा कक सनु नजश्चत रूऩ से –
 सबी ऩुरुषों तथा जस्त्रमों को जीववका के ऩमाततत साधन प्रातत कयने का अधधकाय हो।
 सभुदाम की बौनतक संऩदा का स्वालभत्व तथा ननमंत्रण इस प्रकाय ववबाजजत हो जजससे
साभदू हक दहत का सवोत्तभ रूऩ से साधन हो।
 आधथतक व्मवस्था इस प्रकाय चरे कक धन औय उत्ऩादन के साधनों का सवतसाधायण के लरए
अदहतकायी संकेंद्रण न हो।
 ऩरु
ु षों औय जस्त्रमों दोनों का सभान कामत के लरए सभान वेतन हो।
 ऩुरुषों तथा जस्त्रमों के स्वास््म औय शजतत का औय फच्चों की सुकुभाय अवस्था का दरुु ऩमोग न
हो। आधथतक आवश्मकता से वववश होकय नागरयकों को ऐसे योजगायों भें न जाना ऩडे जो उनकी
आमु तथा शजतत के अनुकूर न हो औय फच्चों तथा मुवाओं को शोषण से फचामा जाए।
 अनच् ु छे द-39क: याज्म मह सनु नजश्चत कये गा कक ववधधक व्मवस्था इस तयह
से काभ कये कक न्माम सभान अवसय के आधाय ऩय सर ु ब हो। इस उद्देश्म
के लरए याज्म उऩमत ु त ववधान मा मोजना द्वाया मा ककसी अन्म यीनत से
नन्शुल्क ववधधक सहामता की व्मवस्था कये गा, ताकक कोई नागरयक आधथतक
मा अन्म ककसी ननमोग्मता के कायण न्माम प्रातत कयने के अवसय से वंधचत
न यह जाए।
 अनुच्छे द 40: याज्म ग्राभ ऩंचामतों को स्वामत्त शासन की इकाइमों के रूऩ
भें संगदठत कये गा।
 अनुच्छे द-41: याज्म अऩनी आधथतक साभ्मत औय ववकास की सीभाओं के
बीतय,काभ ऩाने, लशऺा ऩाने के औय फेकायी, फुढ़ाऩा, फीभायी औय नन्शततता
तथा अन्म अनहत अबाव की दशाओं भें रोक सहामता ऩाने के अधधकाय को
प्रातत कयाने का प्रबावी उऩफंध कये गा।
 अनुच्छे द-42: याज्म काभ की न्मामसंगत औय भानवोधचत दशाओं को
सनु नजश्चत कयने के लरए प्रसनू त सहामता के लरए उऩफंध कये गा।
 अनुच्छे द-43: याज्म जनता के लरए काभ, ननवातह, भजदयू ी, लशष्ट जीवन
स्तय, अवकाश तथा साभाजजक तथा सांस्कृनतक अवसय प्रदान कयने का
प्रमास कये गा। याज्म कुटीय उद्मोगों की उन्ननत के लरए ववशेष ध्मान दे गा।
 अनुच्छे द-43क: याज्म उऩमत ु त ववधान अथवा अन्म ककसी यीनत से ककसी
उद्मोग भें रगे हुए उऩक्भों, संस्थाओं मा अन्म संगठनों के प्रफंध भें
कभतकायों की बागीदायी को सनु नजश्चत कयने के लरए कदभ उठाएगा।
 अनच्ु छे द 43ख: याज्म सहकायी सलभनतमों के स्वैजच्छक संगठन, स्वामत्त
कामतकयण, रोकतांत्रत्रक ननमंत्रण तथा ऩेशेवय प्रफंधन को फढ़ाने का प्रमास
कये गा।
 अनुच्छे द 44: याज्म बायत के सभस्त याज्मऺेत्र भें नागरयकों के लरए एक
सभान लसववर संदहता रागू कयाने का प्रमास कये गा।
 अनुच्छे द 45: 86वें संववधान संशोधन अधधननमभ, 2002 द्वाया संववधान के
अनुच्छे द 45 को संशोधधत ककमा गमा है । भौलरक कततव्मों से संफद् इस
संशोधन के अनुसाय याज्म अलबबावकों से मह अऩेऺा कयता है कक वे अऩने
फच्चों को छह वषत की आमु तक प्रायजमबक फाल्म सयु ऺा व लशऺा प्रदान
कयने का प्रमत्न कयें गे।
 अनच् ु छे द 46: याज्मजनता के दफ ु र
त वगों के, ववशेषकय अनस ु धू चत जानतमों
तथा अनस ु धू चत जनजानतमों की लशऺा औय अथत संफंधी दहतों की ववशेष
सावधानी से अलबववृ द् कये गा।
 अनच् ु छे द 47: याज्म सावतजननक स्वास््म भें सध ु ाय तथा भादक द्रव्मों औय
हाननकय औषधधमों का ननषेध कये गा।
 अनच् ु छे द 48: याज्म कृवष औय ऩशुऩारन को आधुननक औय वैऻाननक
प्रणालरमों से संगदठत कयने का प्रमास कये गा। गामों, फछडों, दध ू दे ने वारे
तथा वाहक शत्रओ ु ं की यऺा तथा नस्रों के ऩरययऺण औयसध ु ाय के लरए औय
उनके वध का प्रनतषेध कयने के लरए उधचत कदभ उठाएगा।
 अनच् ु छे द 48क: याज्म दे श के ऩमातवयण की संयऺा तथा उसभें सध ु ाय
कयने का औय वन एवं वन्म जीवों की यऺा कयने का प्रमास कये गा।
 अनुच्छे द 49: याज्म ऐनतहालसक तथा याष्रीम भहत्व के स्भायकों की
यऺा कये गा।
 अनुच्छे द 50: याज्म न्मामऩालरका को कामतऩालरका से ऩथ ृ क् कये गा।
 अनुच्छे द 51: याज्म

1. अंतययाष्रीम शांनत औय सुयऺा की अलबववृ द् का,


2.याष्रों के फीच न्मामसंगत औय समभानऩण ू त संफंधों को फनाए यखने
का,
3.संगदठत रोगों के एक-दस ू ये से व्मवहायों भें अंतययाष्रीम ववधध औय
संधध फाध्मताओं के प्रनत आदय फढ़ाने का, तथा;
4.अंतययाष्रीम वववादों की भध्मस्थता द्वाया ननऩटाने के लरए प्रोत्साहन
दे ने का प्रमास कये गा।
 साभदू हक रूऩ से मह लसद्ांत बायत के रोकतांत्रत्रक
प्रशासन का लशरान्मास कयते हैं। ननदे शक लसद्ांत
नागरयकों के प्रनत याज्म के कततव्मों के प्रतीक हैं। वास्तव
भें याज्म के मे दानमत्व क्ांनतकायी लसद्ांत हैं, ऩयं तु इनकी
प्राजतत का ढं ग संवैधाननक है ।
 याज्म के नीनतननदे शक लसद्ांतों के भाध्मभ से बायतीम
संववधान, वैमजततक स्वतंत्रता के लरए घातक, श्रभजीववमों
की तानाशाही औय जनता की आधथतक सयु ऺा भें अवयोध
ऩैदा कयने वारे ऩंजू ीवादी अल्ऩतंत्र इन दोनों चयभ
सीभाओं भें संतुरन स्थावऩत कयता है ।
तनदे शक ित्वों का
वगीकरण
गांधीवादी िमाजवादी उदार ऱोकिांत्रिक

ग्राभ ऩंचामतों का संगठन याज्म आम की कुछ दशाओं भें काभ, लशऺा


(अनच् ु छे द-40)| असभानताओं को कभ कयने एवं रोक सहामता ऩाने का
गामों औय फछडों तथा का प्रमास कये गा (अनुच्छे द- अधधकाय (अनुच्छे द-41)|
अन्म दध ु ारू एवं वाहक 38(2))| उद्मोगों के प्रफंध भें
ऩशओ ु ं की नस्रों के कभतकायों के लरए ननवातह काभगायों का बाग रेना
ऩरययऺण एवं उनके वध का भजदयू ी इत्मादद (अनुच्छे द- (अनुच्छे द-48क)|
प्रनतषेध (अनच् ु छे द-48)| 43)| सभान न्माम औय ननशल् ु क
भादक ऩेमों एवं स्वास््म के काभ की न्मामसंगत औय ववधधक सहामता (अनुच्छे द-
लरए हाननकय औषधधमों के भानवोधचत दशाओं का तथा 39(क))|
उऩबोग का प्रसूनत सहामता (अनुच्छे द- याष्रीम भहत्त्व के स्भायकों,
प्रनतषेध (अनुच्छे द-47)| 42)| स्थानों औय वस्तुओं का
संयऺण (अनच् ु छे द-49)|
कामतऩालरका से
न्मामऩालरका का ऩथ ृ तकयण
(अनुच्छे द-50)|
फारकों को ननशुल्क लशऺा
ऩाने का अधधकाय
(अनुच्छे द-45)|
िंववधान के अन्य भागों में ददए गए नीति के तनदे शक
ित्व
 संववधान के बाग-4 भें अंतववतष्ट ननदे शों के अनतरयतत संववधान के अन्म बागों भें याज्मों
को संफोधधत अन्म ननदे श है । मे ननदे श बी न्मामारम के ननणतमाधीन नहीं हैं।
 अनुच्छे द 350-क के अनुसाय, प्रत्मेक याज्म औय याज्म के बीतय स्थानीम प्राधधकायी का
मह कततव्म है कक बाषाई अल्ऩसंख्मक वगत के फारकों की लशऺा के प्राथलभक स्तय ऩय
भातब ृ ाषा भें लशऺा की ऩमाततत सुववधाओं की व्मवस्था कये ।
 अनच् ु छे द 351 के अनस ु ाय, संघ का मह कततव्म है कक वह दहंदी बाषा का प्रसाय फढ़ाए
औय उसका ववकास कये ताकक वह बायत की साभाजजक संस्कृनत के सबी तत्वों की
अलबव्मजतत का भाध्मभ फन सके।
 अनुच्छे द 335 के अनस ु ाय, संघ मा याज्म के कामतकराऩ से संफंधधत सेवाओं औय ऩदों के
लरए ननमुजततमां कयने भें , अनस ु ूधचतजानतमों औय अनुसूधचत जनजानतमों के दावों का
प्रशासन की दऺता फनाए यखने की संगनत के अनस ु ाय ध्मान यखा जाएगा।
 मद्मवऩ अनुच्छे द 335, 350-क, 351 संववधान के बाग-4 भें सजमभलरत नहीं हैं ककन्तु
न्मामारमों द्वाया इन्हें नीनत-ननदे शक लसद्ांतों की श्रेणी भें संमोजजत ककमा गमा है ।
 नीनत-ननदे शक तत्वों भें कुछ त्रदु टमां हैं, इसका तात्ऩमत मह नहीं है कक वे त्रफल्कुर व्मथत
औय भहत्वहीन हैं। वास्तव भें संवैधाननक औय व्मावहारयक दृजष्टकोण से इन तत्वों का
अत्मधधक भहत्व है । नीनत-ननदे शक तत्वों को संववधान भें शालभर कयने के जो कायण हैं,
उन्हें इस प्रकाय स्ऩष्ट ककमा जा सकता है ।
नीति-तनदे शक ित्वों का महत्व
 जन-लशऺण की दृजष्ट से भहत्व मे लसद्ांत याज्म के उद्देश्मों मा रक्ष्मों के फाये भें
जानकायी दे ते हैं। इन लसद्ांतों के अध्ममन से ऩता चरता है कक याज्म एक रोक
कल्माणकायी प्रशासननक ढांचे की स्थाऩना के लरए कृतसंकल्ऩ है ।
 लसद्ांतों के ऩीछे जनभत की शजतत मद्मवऩ इन लसद्ांतों को न्मामारम द्वाया कक्माजन्वत
नहीं ककमा जा सकता, रेककन इसके ऩीछे जनभत की सत्ता होती है , जो प्रजातंत्र का
सफसे फडा न्मामारम है । अत् जनता के प्रनत उत्तयदामी कोई बी सयकाय इनकी
अवहे रना का साहस नहीं कय सकती। इन ननदे शक तत्वों का भहत्व इस फात भें है कक मे
नागरयकों के प्रनत याज्म के सकायात्भक दानमत्व हैं ।
 राजनीतिक स्थर्रिा की दृस्टि िे महत्व
 रोकतंत्र भें सयकायें फदरती यहती हैं। कबी एक दर की सयकाय है तो कबी ककसी दस ू ये
दर की। सबी दरों की नीनतमां अरग-अरग होती हैं। कुछ दर क्ांनतकायी ववचायधाया के
होते है तो कुछ रूदढ़वादी होते हैं। ऩयं तु सयकाय चाहे जजस दर की बी हो उसे इन
लसद्ांतों के अनसु ाय ही अऩनी नीनतमां ढारनी ऩडेंगी। इस प्रकाय ननदे शक लसद्ांतों से
प्रशासन भें जस्थयता आमेगी।
 िंववधान की व्याख्या में िहायक
 संववधान के अनस ु ाय नीनत-ननदे शक लसद्ांत दे श के शासन भें भूरबूत हैं, जजसका तात्ऩमत
मह है कक दे श के प्रशासन के लरए उत्तयदामी सबी सत्ताएं उनके द्वाया ननदे लशत होंगी।
न्मामऩालरका बी शासन का एक भहत्वऩण ू त अंग है , इस आधाय ऩय अऩेऺा की जा सकती
है कक बायत भें न्मामारम संववधान की व्माख्मा के कामत भें ननदे शक तत्वों को उधचत
भहत्व दें गे।
 न्यायाऱयों के सऱए मागथदशथक का कायथ
 बायतीम न्मामारमों ने कई फाय भौलरक अधधकायों से संफंधधत वववादों ऩय ननणतम दे ते सभम नीनत-
ननदे शक तत्वों से भागतदशतन लरमा है । फमफई याज्म फनाभ एप.एभ. फारसयाम वारे वववाद भें सवोच्च
न्मामारम ने अनुच्छे द 47 के आधाय ऩय ननणतम ददमा कक शासन ने भादक द्रव्म ननषेध अधधननमभ
ऩास कयके उधचत प्रनतफंध ही रगामा था। ऩन ु ् न्मामारम ने त्रफहाय याज्म फनाभ काभेश्वय लसंह वारे
वववाद भें अनुच्छे द-39 के प्रकाश भें मह ननणतम ददमा था कक जभींदायी के अंत का उद्देश्म वास्तववक
जनदहत ही था। इसी प्रकाय ववजम वस्त्र उद्मोग फनाभ अजभेय याज्म के वववाद भें उच्चतभ
न्मामारम ने अनच् ु छे द 43 के प्रकाश भें न्मन
ू तभ ऩारयश्रलभक अधधननमभ को उधचत ठहयामा।
 शािन के मल ू यांकन का आधार

 नीनत-ननदे शक लसद्ांतों द्वाया जनताको शासन की सपरता व असपरता की जांच कयने का भाऩदण्ड
बी प्रदान ककमा जाता है । शासक दर के द्वाया अऩने भतदाताओं को ननदे शक लसद्ांतों के सन्दबत भें
अऩनी सपरताएं फतामी नहीं है औय शासन शजतत ऩय अधधकाय कयने के इच्छुक याजनीनतक दर की
इन तत्वों के कक्मान्वमन के प्रनत अऩनी तत्ऩयता औय उत्साह ददखाना होता है । इस प्रकाय ननदे शक
तत्व जनता को ववलबन्न दरों की तुरनात्भक जांच कयने मोग्म फना दे ते हैं।
 कायथऩासऱका ऩर अंकुश

 ववधानसबा के सदस्मों तथा कुछ संववधान वेत्ताओं ने मह संदेह व्मतत ककमा है कक याष्रऩनत मा
याज्मऩार इस आधाय ऩय ककसी ववधेमक ऩय अऩनी समभनत दे ने से इंकाय कय सकते हैं कक वह
ननदे शक तत्वों के प्रनतकूर है , रेककन व्मवहाय भें ऐसी घटना की समबावना कभ है तमोंकक
संसदात्भक शासन प्रणारी भें नाभभात्र का कामतऩालरका प्रधान रोकवप्रम भंत्रत्रऩरयषद द्वाया ऩारयत
ववधध को अस्वीकृत कयने का द्ु साहस नहीं कय सकता। डॉ. अमफेडकय के अनस ु ाय, ववधातयका द्वारा
ऩाररि ववधध को अथवीकृि करने के सऱए राटरऩति या राज्यऩाऱ तनदे शक ित्वों का प्रयोग नहीं कर
िकिे।
नीति-तनदे शक ित्वों का क्रियान्वयन

 बलू भ सध
ु ायों एवं कृवष के उन्नमन हे तु, जजसका उल्रेख अनच्
ु छे द-48 भें ककमा गमा है , ऩहरा,
चौथा, 17वां, 25वां, 42वां एवं 44वां संववधान संशोधन ककए गए।
 73वां संववधान संशोधन (1992) अनुच्छे द 40 भें उजल्रखखत ग्राभ ऩंचामतों की कक्माजन्वत
कयने की ददशा भें एक कदभ था।
 भहात्भा गांधी याष्रीम योजगाय गायं टी अधधननमभ (भनये गा) अनुच्छे द 48 भें उजल्रखखत काभ
के अधधकाय, भजदयू ी, एवं ननवातह इत्मादद की प्राजतत के लरए फनामा गमा।
 कुटीय उद्मोगों के संवद्तन के लरए (अनुच्छे द 43 भें उजल्रखखत) खादी व ग्रामोद्योग खोरे गए
हैं। इसके अनतरयतत लसल्क फोडत, हथकयघा फोडत, नाफाडत आदद का बी सज ृ न ककमा गमा है ।
 अनुसूधचत जानतमों एवं जनजानतमों व अन्म वऩछडे वगों की लशऺा की अलबववृ द् की ददशा भें
भण्डर आमोग की रयऩोटत का कक्मान्वमन ककमा गमा, जजसे 1992 भें सवोच्च न्मामारम ने
न्मानमक अनाऩनत प्रदान, की (अनच्
ु छे द-46)।
 ऩमातवयण की संयऺा एवं सुधाय हे तु (अनुच्छे द 48क) सयकाय ने 1995 भें याष्रीम ऩमातवयण
न्मामाधधकयण औय 2010 भें याष्रीम हरयत न्मामाधधकयण की स्थाऩना की।
 जजरा स्तय ऩय कुछ न्मानमक शजततमों से कामतऩालरका के कामत को संऩन्न कयने के लरए
आऩयाधधक प्रकक्मा संदहता भें ककमा गमा संशोधन अनुच्छे द-50 का अनस
ु यण है ।
 ताजभहर जैसे ऐनतहालसक स्भायकों के संयऺण का कामत बायतीम ऩुयातत्व सवेऺण (एएसआई)
को ददमा गमा है जो अनुच्छे द 49के प्रावधान का अनुऩारन है ।
 नीनत-ननदे शक लसद्ांतों के अंतगतत अनुच्छे द-48 के अनुसयण कदभ था।
 ऩमातवयण संयऺण अधधननमभ, 1986, वन्म जीवन अधधननमभ, वन नीनत, 1980 आदद कुछ
ऐसे कदभ हैं जो अनुच्छे द 48(क) के कक्मान्वमन की ददशा भें लरए गए हैं।
मौसऱक अधधकारों और तनदे शक सिद्ांिों में अंिर
 इन दोनों भें भख् ु म बेद ननमनलरखखत हैं-
 भौलरक अधधकाय न्मामारमों द्वाया रागू ककए जा सकते हैं, वहीं याज्म नीनत के ननदे शक तत्व
न्मामारम द्वाया रागू नहीं ककए जा सकते अथातत भौलरक अधधकाय वाद मोग्म हैं तथा नीनत-ननदे शक
तत्ववाद मोग्म नहीं हैं।
 भौलरक अधधकाय नकायात्भक हैं जफकक ननदे शक लसद्ांत सकायात्भक हैं। भौलरक अधधकायों की प्रकृनत
इस रूऩ भें नकायात्भक है कक मे याज्म के ककन्हीं कामों ऩय प्रनतफंध रगाते हैं। इसके प्रनतकूर नीनत-
ननदे शक तत्व याज्म की ककन्हीं ननजश्चत कामों को कयने का आदे श दे ते हैं।
 जहां भौलरक अधधकायों के द्वाया याजनीनतक रोकतंत्र की स्थाऩना की गई है । वहां नीनत-ननदे शक
लसद्ांतों द्वाया आधथतक रोकतंत्र की स्थाऩना होती है । भौलरक अधधकायों के अंतगतत कानन ू के सभऺ
सभता बाषण औय अलबव्मजतत की स्वतंत्रता, जीवन औय व्मजततगत स्वतंत्रता का अधधकाय तथा
ककसी बी धभत को भानने की स्वतंत्रता आदद याजनीनतक रोकतंत्र की स्थाऩना का आधाय फनाते हैं।
ऩयं तु ननदे शक लसद्ांतों ने आधथतक एवं साभाजजक ऺेत्र भें रोकतंत्र की स्थाऩना ऩय फर ददमा है इन
लसद्ांतों के अनुसाय याज्म बौनतक साधनों को लसलभत रोगों के हाथों भें केंदद्रत न होने दे ने तथा
उत्ऩादन के साधनों को सावतजननक दहतों के उऩमोग के लरए, अऩनी वचनफद्ता प्रदलशतत कयता है ।
 भौलरक अधधकायों का कानन ू ी भहत्व है , जफकक ननदे शक लसद्ांत नैतिक आदे श भात्र हैं। जी.एन. जोशी
के अनुसाय- याज्म नीनत के ननदे शक लसद्ांत भानवीम आदशतवाद के ढे य हैं, जजन्हें ऐसे व्मजततमों ने
संगह ृ ीत ककमा है जो दीघतकालरक स्वतंत्रता संग्राभ की सभाजतत के ऩश्चात ् स्वजतनर बावानतये क की
जस्थनत भें थे।
 भौलरक अधधकायों को (अनच् ु छे द 20 तथा 21 भें वखणतत अधधकायों को छोडकय) अनच् ु छे द 352 के
अंतगतत घोवषत आऩातकारीन जस्थनत भें प्रवततन कार भें स्थधगत ककमा जा सकता है , जफकक
ननदे शक तत्वों का जफ तक कक्मान्वमन नहीं होता तफ तक वे स्थामी रूऩ से स्थगन की अवस्था भें
ही फने यहते हैं।
 भौलरक अधधकाय सावतबौभ नहीं हैं, उन ऩय कुछ प्रनतफंध हैं, जफकक ननदे शक लसद्ांतों ऩय कोई
प्रनतफंध नहीं है ।
मऱ
ू अधधकारों एवं तनदे शक सिद्ांिों के मध्य िंबंध एवं िकराव
 जैसा कक ववददत है कक भूर अधधकाय ववधध के भाध्मभ से प्रवततनीम हैं तमोंकक वे
प्रत्माबूत अधधकाय हैं ककंतु ननदे शक तत्वों को इस प्रकाय प्रवत्ृ त नहीं कयामा जा सकता।
इस कायण दो ऩरयजस्थनतमां उत्ऩन्न होती हैं-
 ककसी व्मजतत द्वाया भूर अधधकाय का प्रमोग ननदे शक तत्व से असंगत हो सकता है - एक
कसाई का अऩना कायोफाय चराने का अधधकाय औय अनुच्छे द-48 जजसभें गोवध का
प्रनतषेध ककमा गमा है ।
 ककसी ननदे शक तत्व को प्रबाववत कयने वारा ववधान ककसी भूर अधधकाय का अनतरंघन
कयता है मा उसे ऺीण कयता है । न्मन ू तभ भजदयू ी तम कयने वारा ववधान अनच् ु छे द
19(1)(छ) के अधीन व्माऩाय के अधधकाय का उल्रंघन कयता है ।
 संववधान का अनच् ु छे द-31(ग) मह स्वीकाय कयता है कक ऐसी ऩरयजस्थनतमां आ सकती हैं
जजसभें भूर अधधकाय औय ननदे शक तत्वों भें संघषत हो। उसभें मह अधधकधथत है कक मदद
संववधान के बाग-4 भें अंतववतजष्ट लसद्ांतों की कक्माजन्वत कयने के लरए कोई ववधध
अधधननमलभत की जाती है तो उस ऩय इस आधाय ऩय आक्भण नहीं ककमा जा सकता है
कक वह भूर अधधकाय से असंगत है । ऐसी ववधध भूर अधधकाय ऩय अलबबावी होगी। इस
प्रकाय अनुच्छे द 31(ग) ननदे शक तत्वों की कक्माजन्वत कयने वारी सबी ववधधमों को भूर
अधधकायों ऩय प्राथलभकता दे ता है ।
 भद्रास याज्म फनाभ चंऩकभ भाभरे भें उच्चतभ न्मामारम ने स्ऩष्ट रूऩ उनके सहामक
के रूऩ से कहा की तनदे शक ित्वों को मऱ ू अधधकार के अध्याय के अनरू ु ऩ और उनके
िहायक के रूऩ में में कायथ करना होगा।
 डा. ऩी.के. त्रत्रऩाठी ने न्मामारम के ववचायों से असहभनत प्रकट कयते हुए कहा कक भर ू अधधकायों की
श्रेष्ठ कहना सही नहीं है । दोनों का सभजन्वत अथातन्वमन ककमा जाना चादहए। केयर लशऺा ववधेमक
(1959) भें उच्चतभ न्मामारम ने सभन्वमकायी ननवतचन का ननमभ अंगीकाय ककमा। न्मामारम ने मह
संप्रेऺण ककमा कक सभन्वमकायी अथातन्वमन का लसद्ांत स्वीकाय ककमा जाना चादहए औय भर ू
अधधकाय तथा ननदे शक तत्व, दोनों को प्रबावी कयने का प्रमास ककमा जाना चादहए। केशवानंद बायती
फनाभ केयर याज्म (1978) भें न्मामारम ने एक फाय कपय मह कहा कक इन दोनों भें ऊंच-नीच का
बेदबाव नहीं ककमा जाना चादहए। न्मामारम ने दो लसद्ांत प्रनतऩाददत ककए-
 भर ू अधधकाय औय ननदे शक तत्व दोनों सभान रूऩ से भौलरक हैं मद्मवऩ ननदे शक तत्वों को
न्मामारम द्वाया प्रवनततत नहीं ककमा जा सकता।
 भर ू अधधकाय औय ननदे शक तत्व एक-दस ू ये के अनुऩूयक हैं औय एक-दस ू ये को ऩण
ू त
त ा प्रदान कयते हैं।
 लभनवात लभल्स भें न्मामारम ने कपय से मह कहा कक भर ू अधधकाय औय ननदे शक तत्वों के फीच
सभन्वम औय असंतुरन संववधान की आधारयक संयचना का आवश्मक रऺण है । लभनवात लभल्स के
ऩरयणाभस्वरूऩ अनच् ु छे द-31(ग) की अंत्स्थाऩना के ऩश्चात ् बी ननदे शक तत्वों को भर ू अधधकायों ऩय
प्राथलभकता नहीं दी जा सकती। उच्चतभ न्मामारम ने ऩूवव त ती ननणतमों भें भर
ू अधधकायों की श्रेष्ठता
फताते हुए जो भत अलबव्मतत ककमा था वह अफ फदर गमा है । भर ू अधधकाय औय ननदे शक तत्व
एक ही धयातर ऩय हैं। मदद उनभें कोई संघषत ददखाई ऩडता है तो न्मामारम की चादहए कक
न्मामानमक ऩुनववतरोकन की अऩनी शजतत का प्रमोग कयते हुए उसका सभाधान ननकारे।
 न्मामारम ककसी ववधध की जो ननदे शक तत्वों से असंगत है शून्म घोवषत नहीं कय सकते ककंतु
न्मामारमों ने ऐसी ववधध को ववधधभान्म ठहयामा है जो ननदे शक तत्व की कक्माजन्वत कयने के लरए
अधधननमलभत की गई थी।
 संजीव कोक फनाभ बायत कोककग भाभरे भें उच्चतभ न्मामारम ने मह भत प्रकट ककमा कक लभनवात
लभल्स भें न्मामारम की याम का मह प्रबाव है कक अनुच्छे द 31(ग) उस रूऩ भें ववद्मभान है जजसभें
वह 42वें संशोधन के ऩहरे था। वह केवर उन्हीं ववधधमों को सयु ऺा दे ता है जो अनच् ु छे द 39(ख) औय
(ग) की कक्माजन्वत कयने के लरए फनाई गई हैं। प्रोऩटी ओनसत एशोलसएशन फनाभ भहायाष्र याज्म
(2001) भाभरे भें उच्चतभ न्मामारम की एक ऩीठ ने मह याम दी है कक संजीव कोक फनाभ बायत
कोककंग भाभरे ऩय ऩुनववतचाय ककमा जाना चादहए।

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