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भोर और बरखा
भोर और बरखा
प्रश्न 1नीचे दी गई िोंक्ति का आशय अिने शब्ोों में तलक्तखए- ‘माखन-रोटी हाथ माँह तलनी,
गउवन के रखवारे ।’
उत्तर-गायोों की रखवाली करने वाले िु म्हारे तमत्र ग्वालवालोों ने रोटी और मक्खन तलया हुआ है ।
वे िु म्हारी प्रिीक्षा कर रहे हैं । हे कृष्ण उठो और जाओ।
उत्तरब्रज में भोर होिे ही ग्वालनें घर-घर में दही तबलौने लगिी हैं , Arts चतड़योों की मधुर
झों कार वािावरर् में गोंजने लगिी है , घर-घर में मोंगल होिा है , ग्वाल-बाल गौओों को चराने के
तलए वन में जाने की िै यारी करिे हैं ।
उत्तर-सावन के आिे ही बादल चारोों तदशाओों में उमड़-घुमड़कर तवचरर् करने लगिे हैं ।
तबजली चमक लगिी है , वषाण की नन्ीों-नन्ीों बोंदे बरसिी हैं । शीिल हवाएाँ बहने लगिी हैं और
मौसम सुहावने लगने लगिे हैं ।
प्रश्न 1. मीरा भक्तिकाल की प्रतसद्ध कवतयत्री थीों। इस काल के दसरे कतवयोों के नामोों की सची
बनाइए िथा उसकी एक एक रचना का नाम तलक्तखए।
उत्तर-
कबीरदास – बीजक
सरदास – सरसागर
िु लसीदास – रामचररिमानस
जायसी – िद्मावि
प्रश्न 2. सावन वषाण ऋिु का महीना है , वषाण ऋिु से सोंबोंतधि दो अन्य महीनोों के नाम तलक्तखए।
उत्तर)‘सावन’ वषाण ऋिु का तवशे ष महीना माना जािा है ले तकन सावन से िहले के महीने
आषाढ वे सावन के बाद के महीने भादोों में भी कई बार वषाण हो जािी है ।