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भोर और बरखा

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

(क) मीरा तकसकी दीवानी थी?


उत्तर-मीरा श्रीकृष्ण की दीवानी थी।

(ख) गोतियााँ दही क्ोों तबलो रही थीों।


उत्तर-गोतियााँ दही तबलोकर मक्खन तनकालना चाह रही थीों।

(ग) ग्वाल-बालोों के हाथ में क्ा वस्तु थी?


उत्तर-ग्वाल-बालोों के हाथ में माखन-रोटी थी।

(घ) कैसी बोंदें िड़ रही थीों।


उत्तर-नन्ीों-नन्ीों बोंदे िड़ रही थीों।

(ङ) मीरा को सावन मन भावन क्ोों लगने लगा?


उत्तर-मीरा को सावन मन भावन लगने लगा, क्ोोंतक सावन के आिे ही उसे श्रीकृष्ण के आने
की भनक हो गई ।

प्रश्न 1नीचे दी गई िोंक्ति का आशय अिने शब्ोों में तलक्तखए- ‘माखन-रोटी हाथ माँह तलनी,
गउवन के रखवारे ।’

उत्तर-गायोों की रखवाली करने वाले िु म्हारे तमत्र ग्वालवालोों ने रोटी और मक्खन तलया हुआ है ।
वे िु म्हारी प्रिीक्षा कर रहे हैं । हे कृष्ण उठो और जाओ।

प्रश्न 2. िढे हुए िद के आधार िर ब्रज की भोर का वर्ण न कीतजए।

उत्तरब्रज में भोर होिे ही ग्वालनें घर-घर में दही तबलौने लगिी हैं , Arts चतड़योों की मधुर
झों कार वािावरर् में गोंजने लगिी है , घर-घर में मोंगल होिा है , ग्वाल-बाल गौओों को चराने के
तलए वन में जाने की िै यारी करिे हैं ।

प्रश्न 3. मीरा को सावन मनभावन क्ोों लगने लगा?


उत्तर-मीरा को सावन मनभावन इसतलए लगने लगा, क्ोोंतक सावन की फुहारें में मन में उमोंग
जगाने लगिी हैं िथा श्रीकृष्ण के आने का आभास हो गया।

प्रश्न 4. िाठ के आधार िर सावन की तवशे षिाएाँ तलक्तखए।

उत्तर-सावन के आिे ही बादल चारोों तदशाओों में उमड़-घुमड़कर तवचरर् करने लगिे हैं ।
तबजली चमक लगिी है , वषाण की नन्ीों-नन्ीों बोंदे बरसिी हैं । शीिल हवाएाँ बहने लगिी हैं और
मौसम सुहावने लगने लगिे हैं ।

प्रश्न 1. मीरा भक्तिकाल की प्रतसद्ध कवतयत्री थीों। इस काल के दसरे कतवयोों के नामोों की सची
बनाइए िथा उसकी एक एक रचना का नाम तलक्तखए।

उत्तर-

कबीरदास – बीजक

सरदास – सरसागर

िु लसीदास – रामचररिमानस

जायसी – िद्मावि

प्रश्न 2. सावन वषाण ऋिु का महीना है , वषाण ऋिु से सोंबोंतधि दो अन्य महीनोों के नाम तलक्तखए।

उत्तर)‘सावन’ वषाण ऋिु का तवशे ष महीना माना जािा है ले तकन सावन से िहले के महीने
आषाढ वे सावन के बाद के महीने भादोों में भी कई बार वषाण हो जािी है ।

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