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कल्कि अवतार - गाथा कलयग


ु से सतयग
ु की - 2024- 2047 @Copyright and All Right Reserved
Mahadev Sena
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कल्कि अवतार
गाथा कलयग
ु से सतयग
ु की
2024-2047

इस कहानी के पत्र, स्थान, और पात्र सभी काल्पनिक हैं और इसे कल्पना के आधार पर बनाया
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ु र कहानी प्रस्तत
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कल्कि अवतार - गाथा कलयग


ु से सतयग
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वर्ष 2024, कलयग ु का चारों ओर अधर्म का बोलबाला था। धार्मिक मल् ू यों में
गिरावट, पाखंड, और अनैतिकता का बोलबाला था। झठ ू , लालच, क्रोध, और हिंसा में
वद्
ृ धि हुई थी। यद्
ु ध, दं गे, और सामाजिक अशांति आम बात हो गई थी। प्राकृतिक
आपदाओं ने भी अपना कहर बरपाया था। भक ू ं प, बाढ़, और सख ू ा ने लोगों का जीवन
तबाह कर दिया था। अज्ञानता, अंधविश्वास, और भ्रम ने लोगों को अंधा बना दिया
था।

यह कहानी हमें कलयग


ु के अंत में भगवान कल्कि अवतार के आगमन की
भविष्यवाणी और उनके योगदान की महत्वपर्ण
ू ता को बताती है ।

कलयग ु का समापन होते ही, जब अधर्म, अन्याय, और असत्य की वद् ृ धि हो जाती है , वहां भगवान
कल्कि अवतार का आगमन होता है । उनका प्रमख ु उद्दे श्य धर्म की पनु र्स्थापना करना और सत्य
के प्रचार-प्रसार के माध्यम से लोगों को मार्गदर्शन करना होता है ।

कहानी एक छोटे गाँव की है , जहां लोग अपने धर्म और मल्


ू यों को भल
ू चक
ु े थे। अधर्मिन राजा
कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी ने लोगों को अन्याय और अनैतिकता में डाल दिया था। लोगों
की जीवन में दख
ु और संकट छाए हुए थे।

इस समय, एक साधु ने गाँव को आगाह किया कि भगवान कल्कि अवतार जल्द ही आएंगे और
अधर्म का नाश करें गे। साधु की भविष्यवाणी ने लोगों को आशा और उत्साह से भर दिया।

कैसे परु ाना सतयग


ु कलयग
ु में बदला

पहले सतयग
ु को स्वर्ण यग
ु भी कहा जाता है । यह एक ऐसा समय था जब धरती पर शांति,
समद्
ृ धि और धर्म का बोलबाला था।

पहले सतयग
ु की विशेषताएं:

● नैतिकता: लोग सत्यवादी, दयाल,ु और उदार थे। वे दस ू रों की मदद करने में हमेशा तैयार
रहते थे।
● शांति: यद्ु ध, अपराध, और हिंसा का नामोनिशान नहीं था। लोग भाईचारे और प्रेम के साथ
रहते थे।
● समद् ृ धि: धरती अनाज और फल-फूलों से लदी थी। लोगों को भोजन और आश्रय की कोई
चिंता नहीं थी।
● ज्ञान: लोग शिक्षित और ज्ञानी थे। वे वेद, शास्त्रों, और विज्ञान का ज्ञान रखते थे।
● स्वास्थ्य: लोग स्वस्थ और निरोगी थे। उन्हें कोई बीमारी नहीं होती थी।
● आय:ु लोगों की आयु बहुत अधिक होती थी। वे हजारों वर्षों तक जीवित रहते थे।
● प्रकृति: प्रकृति के साथ तालमेल था। लोग पेड़-पौधों और जानवरों का सम्मान करते थे।

कल्कि अवतार - गाथा कलयग


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अरबो साल पहले में त्रिदे वों महाशदे व, रानमू दे व, एकदव ने पथ्
ृ वी का सज
ृ न किया. इस दौरान
पथि
ृ वी पर कई सम्भयता जमी और ख़त्म हुई, जैसे जैसे जग ु बीतता गया, एक नए यग ु की
शरुु आत थी बात 26000 हजार साल पहले की है यहां प्राणी की नई जाति मनष्ु य को आदिमन
(पथ् ृ वी का पहला आदमी) और सावतीदन (पथ् ृ वी की पहली महिला) के तौर पर जगह मिली.
स्टालीन दे व (कर्मा के दे वता ) सष्टि
ृ में सभी को उनके कर्मों का फल दे ने के लिए सजि
ृ त किए गए
थे,

त्रिदे वों महाशदे व, रानम


ू दे व, एकदे व के द्वारा स्टालीन दे व (कर्मा के दे वता ) Stan, स्तन को
निर्णायक बनाया गया था और उनका कार्य था न्याय को दे खना और कर्मो से हिसाब से मनस् ु यो
को सजा या प्रगति दे ना

स्टालीन दे व (कर्मा के दे वता ) दे व, Stan के नाम से भी जाना जाता है , हिन्द ू धर्म में नव ग्रहों (ग्रहों)
में से एक हैं। उन्हें कर्म के दे वता के रूप में भी जाना जाता है , जो लोगों को उनके कार्यों के लिए
परु स्कृत या दं डित करते हैं।

स्टालीन दे व (कर्मा के दे वता ), Stan का पथ्ृ वी पर कार्य लोगों को उनके कार्यों के लिए परु स्कृत
और दं डित करना है । वे निष्पक्षता और न्याय के दे वता हैं, और वे यह सनि ु श्चित करते हैं कि लोगों
को उनके कार्यों के लिए उचित प्रदान किया जाए। यदि कोई व्यक्ति अच्छा करता है , तो शनि दे व
उसे परु स्कृत करें गे। यदि कोई व्यक्ति बरु ा करता है , तो शनि दे व उसे दं डित करें गे।

स्टालीन दे व (कर्मा के दे वता ), Stan दे व कर्म के दे वता भी हैं। वे यह सनि


ु श्चित करते हैं कि लोगों
को उनके कार्यों के परिणाम भोगने हों। यदि कोई व्यक्ति अच्छा कर्म करता है , तो उसे अच्छे
परिणाम मिलेंगे। यदि कोई व्यक्ति बरु ा कर्म करता है , तो उसे बरु े परिणाम मिलेंगे।

दे वता और असरु ों में लड़ाई होती रहती थी क्यक


ु ी असरु चाहते थे सब जगह उनका राज हो और वो
स्वर्ग को भी हथियाना चाहते थे

कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी निबिरू एक्स के गह ृ नबरु


ू (NIBIRU X) के राजा था। उसकी
शक्ति और भयानकता के कारण, वह पथ् ृ वी लोक पर अपना शासन स्थापित करने के लिए इच्छुक
था। इसके लिए, उसने अपने असरु ों के साथ एक बड़ी सेना तैयार की और स्वर्ग से लेकर पथ्
ृ वी तक
कई आकाशगंगा के ग्रहों को अपने अधीन किया था।

उसका मानना था कि पथ्


ृ वी भी उसके अधीन होनी चाहिए, और उसने अपनी सेना को तैयार किया
था कि वह इस मिशन को परू ा करें ।

दै त्यराज कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी के नेतत्ृ व में , असरु ों की सेना ने स्वर्ग के प्रति यद्
ु ध
का उत्साह बढ़ाया। उन्होंने स्वर्गीय दे वताओं के खिलाफ धार्मिक और आध्यात्मिक यद् ु ध की
योजना बनाई, जिसका उद्दे श्य था स्वर्ग को जीतना और उसके राजा विजेंद्र को पराजित करना।

त्रिदे वों (महाशदे व, रानम


ू दे व, एकदे व), दे वता और असरु ों के बीच एक शर्त हुई थी। शर्त यह थी कि
यदि असरु ों के सेनापति दै त्यराज "कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी" दे वताओं को पराजित कर
सकता है , तो वह दे वताओं के राजा बन जाएगा।

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त्रिदे वों (महाशदे व, रानम


ू दे व, एकदे व), दे वताओं और असरु ों के बीच एक शर्त हुई थी। शर्त यह थी
कि यदि असरु ों के सेनापति दै त्यराज "कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी" दे वताओं को पराजित
कर सकता है , तो वह दे वताओं का राजा बन जाएगा।

यह शर्त कई कारणों से लगाई गई थी:

● शक्ति का प्रदर्शन: असरु अपनी शक्ति और पराक्रम का प्रदर्शन करना चाहते थे।
● राजसत्ता का दावा: कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी दे वताओं के राजा बनना चाहता
था।
● सम्मान: असरु दे वताओं से सम्मान प्राप्त करना चाहते थे।

यह शर्त महत्वपर्ण
ू थी क्योंकि इसका परिणाम दे वताओं और असरु ों के बीच शक्ति संतल
ु न को
बदल सकता था। यदि कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी जीत जाता, तो असरु दे वताओं के ऊपर
हावी हो जाते।

हालांकि, दे वताओं ने यद् ु ध जीत लिया और कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी हार गया। इस हार
के परिणामस्वरूप, असरु ों को दे वताओं के अधीन रहना पड़ा। कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी
ने दे वताओं पर हमला किया। दे वताओं ने भी कड़ा मक
ु ाबला किया। यद्
ु ध लंबे समय तक चला।
अंत में , दे वताओं ने यद्
ु ध जीत लिया।

मगर त्रिदे वों महाशदे व, रानम


ू दे व, एकदे व के द्वारा शर्त के चलते असरु ों के सेनापति दै त्यराज
"कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी" ने अपने गरु ु शक्र
ु लामी , दे विलिम (गॉड अंडरग्राउं ड) को
पथ्
ृ वी के कार्य भर से निष्कासित कर दिया गया था.

कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी और शक्र


ु लामी के पथ्
ृ वी पर कार्य भर से निष्कासित के कई
परिणाम हुए:

● ईर्ष्या: शक्र
ु लामी दे वताओं से ईर्ष्या करता था। वह चाहता था कि कलिमराज मोलोचका
अक्कानिकी दे वताओं को पराजित करे और दे वताओं का राजा बने।
● डर: शक्रु लामी को डर था कि यदि कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी पथ् ृ वी पर रहा, तो
वह दे वताओं के लिए खतरा बन सकता है ।
● सजा: शक्र ु लामी और कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी स्वर्ग को जीतना और उसके
राजा विजेंद्र यद्
ु ध हारने की सजा दे ना चाहता था।
● मानवता का खतरा: कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी और शक्र ु लामी ने मानवता के
लिए खतरा पैदा कर दिया।
● दे वताओं का हस्तक्षेप: दे वताओं को मानवता की रक्षा के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा।
● यद्ु ध: दे वताओं और असरु ों के बीच यद् ु ध हुआ।
● शांति: अंत में , दे वताओं ने यद्
ु ध जीता और पथ् ृ वी पर शांति स्थापित हुई।

यह कहानी कई नैतिक शिक्षाएं दे ती है :

● शक्ति का दरुु पयोग नहीं करना चाहिए।


● हमें हमेशा विनम्र रहना चाहिए।

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● ईर्ष्या एक बरु ी भावना है ।


● डर हमें गलत निर्णय लेने पर मजबरू कर सकता है ।
● हमें हमेशा दस ू रों की मदद करनी चाहिए।
● अंत में , अच्छाई हमेशा बरु ाई पर जीत हासिल करती है ।

Chapter 1

एक नए यग ु की शरुु आत थी बात 26000 हजार साल पहले की है यहां प्राणी की नई जाति मनष्ु य
को आदिमन (पथ् ृ वी का पहला आदमी) और सावतीदन (पथ् ृ वी की पहली महिला) के तौर पर जगह
मिली. स्टालीन दे व (कर्मा के दे वता ) सष्टि
ृ में सभी को उनके कर्मों का फल दे ने के लिए सजि
ृ त
किए गए थे,

त्रिदे वों महाशदे व, रानम


ू दे व, एकदव ने बहुत कुछ सोचा था, पथ्
ृ वी की सम्भ्य धर्म से कर्म से सबसे
विकसित होगी और उनकी उम्र कई हजार साल होगी, सभी लोग धर्म और कर्मा का ज्ञान रखते है
और बहुत काम पाप और क्राइम था ,

लेकिन इस बात से लिए इधर असरु ों के सेनापति दै त्यराज "कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी"
ने अपने गुरु शक्र
ु लामी के साथ पथ् ृ वी पर दै त्यों के कब्जे के लिए आदिमन (पथ्ृ वी का पहला
आदमी) और सातीदान (पथ् ृ वी की पहली महिला) को खत्म करना चाहा. कलिमराज मोलोचका
अक्कानिकी के बहुत सी आधन ु कि टे क्नोलॉजी जैसे स्पेसशिप, टाइम ट्रे वल, मंद कण्ट्रोल,
जेनेटिक्स , जीन म्यट
ु े शन, क्लोनिंग की साथ काला जाद ू की शक्ति थी

त्रिदे वों (महाशदे व, रानम


ू दे व, एकदे व) ने पथ्
ृ वी को कल्पना की थी, जहाँ सम्भ्यता धर्म और कर्म से
विकसित होगी, लोगों की उम्र हजारों साल होगी, और सभी धर्म और कर्म का ज्ञान रखेंगे।

लेकिन, असरु ों के सेनापति कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी ने अपने गरु


ु शक्र
ु लामी के साथ
मिलकर पथ्
ृ वी पर दै त्यों का शासन स्थापित करने की योजना बनाई।

कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी के पास अत्याधनि ु क तकनीक, जैसे स्पेसशिप, टाइम ट्रे वल,
माइंड कंट्रोल, जेनेटिक्स, जीन म्यट
ू े शन, क्लोनिंग और काला जाद ू की शक्ति थी।

उसने आदिमान (प्रथम मानव) और सावतीदान (प्रथम महिला) को खत्म करने का फैसला किया,
क्योंकि वे उसकी योजना के लिए बाधा थे।

आदिमान और सावतीदान के पास कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी जैसी शक्तियां नहीं थीं,
लेकिन उनके पास धर्म और कर्म की शक्ति थी।

त्रिदे वों (महाशदे व, रानम


ू दे व, एकदे व) ने पथ्
ृ वी को कल्पना की थी, जहाँ सम्भ्यता धर्म और कर्म से
विकसित होगी, लोगों की उम्र हजारों साल होगी, और सभी धर्म और कर्म का ज्ञान रखेंगे।

लेकिन, असरु ों के सेनापति कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी ने अपने गुरु शक्र


ु लामी के साथ
मिलकर पथ्
ृ वी पर दै त्यों का शासन स्थापित करने की योजना बनाई।

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कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी के पास अत्याधनि ु क तकनीक, जैसे स्पेसशिप, टाइम ट्रे वल,
माइंड कंट्रोल, जेनेटिक्स, जीन म्यट
ू े शन, क्लोनिंग और काला जाद ू की शक्ति थी।

उसने आदिमान (प्रथम मानव) और सावतीदान (प्रथम महिला) को खत्म करने का फैसला किया,
क्योंकि वे उसकी योजना के लिए बाधा थे।

आदिमान और सावतीदान के पास कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी जैसी शक्तियां नहीं थीं,
लेकिन उनके पास धर्म और कर्म की शक्ति थी।

कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी ने , स्टालीन दे व (कर्मा के दे वता ) और दे विलिम (गॉड


अंडरग्राउं ड) को अभी अपना बंदी बना लिए था एंड वो भी विवश थे कलिमराज मोलोचका
अक्कानिकी के आगे

जब कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी पर पहुंच उसकी लड़ाई दे वताओ से हुई, लेकिन क्यक ु ी
उसकी शक्ति अब बाद चक ु ी थी और उसने स्टालीन दे व (कर्मा के दे वता ) और दे विलिम (गॉड
अंडरग्राउं ड) को अभी अपना बंदी बना लिए था और साथ में गुरु शक्र
ु लामी भी था

उसने दे वताओ को हरा दिए और पथ्


ृ वी पर अपना बदला लेने के लिए

असरु ों के सेनापति दै त्यराज "कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी" ने अपने गुरु शक्र


ु लामी के
साथ पथ् ृ वी पर दै त्यों के कब्जे के लिए आदिमन (पथ्
ृ वी का पहला आदमी) और सातीदान (पथ्
ृ वी
की पहली महिला) को खत्म करना चाहा. और परू ी तरह से वह की नयी संभ्यता को नस्ट करना
चाहता था

लेकिन जब उसने आदिमन (पथ् ृ वी का पहला आदमी) और सातीदान (पथ् ृ वी की पहली महिला)
को दे खा तो बहुत प्रभावित हुआ बे बहुत संद
ु र, ज्ञानी, कर्मी, धर्मी और लम्बी आय,ु बहुत
शक्तिशाली थे उनके अंदर बीमारी नहीं होती थी और उनकी उम्र हजारो साल थी वो अपनी मर्जी से
स्वर्ग और ऊपर के लोक, गैलेक्सी की यात्रा कर सकते थे, हलाकि उनका इसको अभी ज्ञान नहीं
हुआ था क्योंकी संभ्यता नई थी

असरु ों के सेनापति दै त्यराज "कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी" के मन में लालच एंड पावर
का एक विचार आया उसने सोचा में इस नै संब्याता को ख़त्म क्यों करू जब में इसका मालिक बन
सकता हु

लेकिन आदिमन (पथ् ृ वी का पहला आदमी ) और सातीदान (पथ् ृ वी की पहली महिला) वे त्रिदे वों
के प्रति समर्पित थे और उनका धर्म, ज्ञान और कर्मा बहुत अच्छा था क्योंकी त्रिदे वों ने उनकी
जेनेटिक्स एंड डीएनए को डिज़ाइन किआ था

क्यक
ु ी दै त्यराज "कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी" कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी के
पास अत्याधनि ु क तकनीक, जैसे स्पेसशिप, टाइम ट्रे वल, माइंड कंट्रोल, जेनेटिक्स, जीन म्यट
ू े शन,
क्लोनिंग और काला जाद ू की शक्ति थी।

उसने लेकिन आदिमन (पथ् ृ वी का पहला आदमी) और सातीदान (पथ्ृ वी की पहली महिला) को
जेनेटिक मॉडिफाई करने का फैसला लिए ताकि वो भल
ू जाये उनको त्रिदे व ने बनाया है और वो

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कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी को ही अपना भगवान और क्रिएटर समझे वो उनपे राज कर


सके

उसने आदिमन (पथ् ृ वी का पहला आदमी) और सातीदान (पथ्


ृ वी की पहली महिला) को घटा कर
केवल १०० वर्ष कर दिए था

क्यक
ु ी पथ्
ृ वी पर उसने आदिमन (पथ्ृ वी का पहला आदमी) और सातीदान (पथ् ृ वी की पहली
महिला) को मॉडिफाई कर दिए था पर वो त्रिदे व के बनाये हुए ब्रह्माण्डनियम को चें ज नहीं कर
सकता है और ब्रह्माण्ड नियम की अनस ु ार उनका धर्म, ज्ञान और कर्मा करता है मरने के उनकी
आत्मा ऊपर के लोको में चली जाती है

दै त्यराज "कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी" को समझ आ गया की , की इनको केवल कुछ


समय था गुलाम बनाया जा सकता है क्यक ु ी जैसे ही ये मरें गे क्यक
ु ी इनके धर्म, ज्ञान और कर्मा
अछ्हा है तो ये यहाँ से आजाद होकर दे व लोक में चले जायेंगे

दै त्यराज "कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी" को समझ न आया की वो क्या करे उसने एक


विचार आया , क्यक ु ी ये अभी नए मनष्ु य है और इनको मेने अभी जेनेटिक मॉडिफाई क्र दिए है तो
में इनके दिमाग को कण्ट्रोल करके इनको उल्टा ज्ञान दे कर इस्पे पाप करवंग
ु ा ताकि मरने के बाद
दोबारा पथ्
ृ वी पे जन्म ले

लेकिन उसको ये भी पता था की ये केवल दो लोग है और इनसे में अपना साम्राज्य नहीं बड़ा सकता

इसे लिए इनको बढ़ाना होगा , उसमे उनको सेक्स प्रजनन का ज्ञान दे कर कहा जितनी आबादी
करोगे उतना में तम
ु को इनाम दं ग
ू ा

उसने उनको एक पाप की किताब दी और जिसमे उल्टा ज्ञान था जो धर्म, ज्ञान और कर्मा के
विपरीत था ताकि उनकी आत्मा को वो बार बार कैद करके उनका पन
ु र्जम पत्ृ वी पर करा सके और
उनकी आबादी बड़ा सके ताकि उनकी बहुत सी सेना होना जाये जो सब उसके गुलाम हो

और उसने उनको खेती विज्ञानं का ज्ञान दिए पर सच्चे अध्यात्म से अलग कर दिए

और जब सम्भयता बढ़ने लगी तो "कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी" बहुत खश


ु हुआ

उसको समझ आया की अभी इनको विकसति होने में कई हजार वर्षा लगें गे और क्यक ु ी स्टालीन
दे व (कर्मा के दे वता ) और दे विलिम (गॉड अंडरग्राउं ड) को अभी अपना बंदी बना लिए था तो वो भी
उनसे गलत कर्म करने में लगे हुए थे और उनकी आत्मा पर दे विलिम (गॉड अंडरग्राउं ड) राज
करता रहता था और उनको पन ु र्जन्म दे कर पथ्
ृ वी पर भेजता था , पन
ु र्जन्म के कारन वो सब भल ू
जाते है और फिर से नया जीवन जीने लगे और समझने लगे बस यही एक ज़िन्दगी है

क्यक
ु ी दै त्यराज "कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी" ने उनको विज्ञानं का ज्ञान दिए था इसलिए
उनका अध्यात्म ज्ञान ख़त्म हो गया और पत्ृ वी के सभी लोग और उनकी आत्मा बार बार गुलाम
बनाने लगी

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इस तरह क्यकु ी दै त्यराज "कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी" पथ्


ृ वी पर मानवता को और उनके
आत्मा को गुलाम करके अपना साम्राज्य बढ़ाने लगा

दै त्यराज "कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी" ने अपने अनय ु ायी लोगो से कहा की जब तम


ु एक
दिन मेरी सेना तैयार कर लोगे उस दिन में वापस पथ्
ृ वी पर आऊंगा और में यहाँ राज करूँगा और
तमु मेरी अनय ु ायी हो तो तम
ु को इसका इनाम में आकर दं गू ा , लोग आज भी उसी का इंतजार क्र
रहे है और पथ्
ृ वी पर पाप बाद गया है पथ्
ृ वी एक गुलाम गह ृ बन गया है

Chapet 2 - कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी, निबिरू एक्स (NIBIRU X) से पथ्


ृ वी पर वापस
आया

हजारों साल बीत गए थे, पथ्


ृ वी ने अपने सारे रहस्यों को बाहर किया था, लेकिन लोगो पर इसका
कोई असर नहीं था। फिर लगभग ५००० बर्ष पहले, कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी, निबिरू
एक्स (NIBIRU X) से पथ्
ृ वी पर वापस आया। कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी का शासन
पथ्
ृ वी पर मजबतू हो गया था। लोग पाप और अधर्म में डूबे हुए थे, और उन्हें अपनी आत्माओं की
गुलामी का एहसास भी नहीं था।

वो ये दे खकर बहुत खश ु हुआ , कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी ने एक दे श के साथ समझौता


कर लिआ, कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी उस दे श को अपने विज्ञानं और टे क्नोलॉजी को दे ने
का वादा हुआ और उस दे श ने कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी के साथ दोस्ती कर ली परन्तु
यह बात और बाकी दे शो से गप्ु त राखी , कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी उस दे श को एलियन
टे क्नोलॉजी, टाइम ट्रे वल, क्लोनिंग, डीएनए एंड जेनेटिक्स, एनर्जी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स का उपयोग ,
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस को दे ता था ताकि वो दे श पावर में रहे है

कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी ने उस दे श को एलियन टे क्नोलॉजी, टाइम ट्रे वल, क्लोनिंग,


डीएनए एंड जेनेटिक्स, एनर्जी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स का उपयोग सिखाया। उसने उन्हें आर्टिफीसियल
इंटेलिजेंस के जरिए अपने दे श को सध
ु ारने का तरीका सिखाया। उस दे श ने यह बात बाकी दे शों से
गुप्त रखी, कलिमराज का दे श का सहयोग ने उसे एक मजबत ू नेतत्ृ व में बदल दिया।

कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी अपने गह ृ से पथ्


ृ वी पर आता जाता रहता था , वो पथ्ृ वी को एक
फसल की तरह दे खता था जब फसल तैयार हो जाएगी तो में इसको काट कर अपना साम्राज्य
स्थापित कर दं ग
ू ा और वह दे श पावर में बढ़ता गया और दस ू रे दे शो पर ज़ल्
ु म करने लगा

जब दै त्यराज "कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी" ने अपने अनय ु ायियों को वह काला चौकोर


पत्थर (black cube) दिया और उन्हें कहा कि वे उसके लिए निरं तर बलिदान दे ते रहें , तब उन्हें
ताकत और धन प्रदान किया जाएगा। यह उनकी धार्मिक सिद्धांतों का एक हिस्सा बन गया,
जिसमें दे वताओं से अलगाव और एक-दस ू रे से अलगाव का विचार था।

हजारों साल बीत गए। कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी का शासन पथ् ृ वी पर मजबतू हो गया
था। लोग पाप और अधर्म में डूबे हुए थे, और उन्हें अपनी आत्माओं की गुलामी का एहसास भी नहीं
था।

कल्कि अवतार - गाथा कलयग


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इस नई धार्मिक धारा को "ईलम ू ट


ु ी" कहा गया और यह बहुत से लोगों के बीच फैल गया। इसका
मख्ु य धार्मिक सिद्धांत था कि मनष्ु य को अपने दे वताओं से अलग कर दे ना चाहिए और एक-दसू रे
को भी अलग कर दे ना चाहिए। यह धार्मिक समह ू दे वताओं के भक्तों को अन्यायपर्ण
ू और
प्रतिबंधक धार्मिक प्रथाओं के खिलाफ उत्तेजित करता था।

इस नई धार्मिक सिद्धांत के बारे में बहुत विवाद हुआ, क्योंकि यह लोगों को एक-दस
ू रे से अलग
करता और उन्हें अद्वितीयता की ओर ले जाता था। इसके परिणामस्वरूप, समाज में विभाजन
हुआ और अनेक धार्मिक और सामाजिक असंतोष उत्पन्न हुआ।

त्रिदे वों के अनय ु ायियों और "ईलम


ू ट
ु ी" के बीच तनाव और संघर्ष के बावजद ू , यह नई धार्मिक
सिद्धांत धीरे -धीरे विस्तार पाने लगा। उसने अपने संदेश की गहराई को बढ़ाते हुए धार्मिक
सम्प्रदायों को भी अपने चारों ओर घेर लिया। त्रिदे वों के अनयु ायियों में भी "ईलमू ट
ु ी" के प्रति
विरोध था। वे इसे एक अवांछित और अस्वीकृत विचार मानते थे और लोगों को धार्मिक
सहिष्णत ु ा, सामंजस्य, और सामहि
ू कता की महत्वपर्ण ू ता को समझाते रहे ।

त्रिदे वों ने इस नए सिद्धांत के सधु ार के लिए पथ्ृ वी पर कई गुरु, संत, और अवतार भेजे, जिनमें
महावतार बाबाजी, बद् ु ध, कबीर, कालिदास, रविदास, गुरु नानक, तीर्थंकर, परमहं स योगानंद,
रामकृष्ण परमहं स, महर्षि रामन, स्वामी विवेकानंद, श्री आदि शंकराचार्य, संत तल ु सीदास, श्री
चैतन्य महाप्रभ,ु श्री साईं बाबा, संत ग्यानेश्वर, स्वामी श्री यक्
ु तानंद, आदि शामिल थे। ये महापरु ु ष
लोगों को धर्म, नैतिकता, और सामाजिक समद् ृ धि के मार्ग पर चलाने के लिए प्रेरित करते रहे ।

लेकिन कुछ अन्यायी ताकतों ने इन गरु


ु ओं, संतों और धर्मगरु
ु ओं को सताया और कई संतों को मार
डाला, जैसे यीशस और अन्य। उनका ज्ञान को मारोर के पेश किया गया और उनके आदर्शों को
नष्ट कर दिया गया। इससे धार्मिक संघर्ष और असहिष्णत ु ा का दौर आया।

त्रिदे वों के अनय


ु ायियों में भी इस भ्रम के कारण बातचीत में झगड़े और आपसी विरोध बढ़ गए।
धर्म को भी कई सारे पंथ और समद ु ायों में बाँट दिया गया, जिसका कारण केवल अज्ञान और
धार्मिक भ्रांतियाँ थीं। लोग अपने धार्मिक आदर्शों के लिए लड़ते रहे और धार्मिक समद ु ायों के बीच
आतंक और असहिष्णत ु ा फैल गई।

इस भ्रम और असहिष्णत ु ा के बावजद ू , कुछ धार्मिक उद्धारकों ने अपने जीवन को बलिदान किया
और सत्य के मार्ग पर चलने का संकल्प किया। कुछ लोग थे जो इस नए सिद्धांत को समझते
और मानते थे। वे त्रिदे वों के ज्ञान को जानते थे और उनके उपदे शों का पालन करते थे। वे जप, तप,
ध्यान, कुण्डलिनी विज्ञान, और अन्य आध्यात्मिक अभ्यासों के माध्यम से अपनी आत्मा की
ऊर्जा को उच्च स्तर पर पहुंचाने का प्रयास करते थे।

इस तरह, पथ्
ृ वी पर धार्मिक और सामाजिक विवाद बढ़ गया, जिसने उसे एक विभाजित समाज
बना दिया। अब लोगों के बीच द्वेष, असहमति, और संघर्ष का माहौल बन गया, जो कि उनकी
खश
ु हाली और सामहि ू क विकास को बाधित कर रहा था।

ईलमू ट
ु ी के लोगों को यह धार्मिक धारा सिखाती थी कि सभी को जबरदस्ती मेरा गुलाम बनाया
जाए, चाहे वह कोई भी हो। इसके लिए वे साम, दाम, दं ड, भेद की नीति को अपनाते थे। जो भी मेरे
धर्म को मानता, उसे उसकी मौत कर दे ना था।

कल्कि अवतार - गाथा कलयग


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यह धर्म त्रिदे वों और ब्रह्माण्ड के नियमों के बिलकुल उल्टा था। यह नियम उन्हें गुलाम बनाता
और उनकी आत्मा को मारकर फिर से जन्म लेने को मजबरू करता था।

ईलमू टु ी धारा का मख्


ु य सिद्धांत था कि वे सभी अन्य धर्मों और विचारों को नकारते और अपना
धार्मिक मत और विचार प्रस्तत ु करते। इसके अनय ु ायी लोग अन्य धर्मों के प्रति सहिष्णत
ु ा नहीं
दिखाते थे और वे किसी भी कीमत पर अपने धर्म को प्रमाणित करने के लिए तैयार थे।

इस धारा के प्रतिनिधि लोग अपने प्रत्येक कदम में ताकत और पैसे का इस्तेमाल करते थे। वे
अपने शक्तिशाली स्थान पर बैठकर लोगों को अपनी शासन शैली के अनस ु ार बदल दे ते थे। किसी
भी विरोधी के साथ, या उनके धार्मिक मत को नकारने वाले किसी के साथ, उन्होंने कठोर कार्रवाई
की। उनका उद्दे श्य था कि वे अपने धर्म को बढ़ावा दें और उसका अधिकार स्थापित करें , चाहे उन्हें
दस
ू रों के खिलाफ जान की बाजी लगानी पड़े।

यह धारा त्रिदे वों और ब्रह्माण्ड के नियमों के विपरीत थी, जो धर्म, सहिष्णत


ु ा, और सामहि
ू कता को
प्रोत्साहित करते थे। इसके प्रभाव से, समाज में असन्तोष, विभाजन, और आत्मिक अस्थिरता बढ़
गई। लोगों के बीच द्वेष, असहमति, और संघर्ष का माहौल पैदा हो गया, जिसने उनके सामहि ू क
विकास और खश ु हाली को प्रभावित किया।

हजारों साल बीत गए। कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी का शासन पथ् ृ वी पर मजबत ू हो गया
था। लोग पाप और अधर्म में डूबे हुए थे, और उन्हें अपनी आत्माओं की गलु ामी का एहसास भी नहीं
था।

लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो इस अंधकार में भी प्रकाश की तलाश कर रहे थे। वे ऋषि-मनि
ु थे जो
अध्यात्म और धर्म के ज्ञान को जीवित रखने के लिए प्रयासरत थे।

एक ऐसे ही ऋषि थे, जिन्हें विशेष कहा जाता था। वे अपनी ज्ञान और तपस्या के लिए प्रसिद्ध थे।
उन्होंने लोगों को पाप और अधर्म से मक्
ु त करने का बीज बोने का फैसला किया।

Chapter 3 -ऋषि विशेष ने लोगों को सच्चे ज्ञान का प्रचार करना शरू


ु किया।

"आत्मा और अवतरण" ज्ञान

आत्मा या जीवात्मा को संसार में फंसाने की प्रक्रिया, जिसमें यह बार-बार जन्म लेता है और अनेक
शरीरों में अवतरित होता है । इस प्रक्रिया में , आत्मा या जीवात्मा अनगिनत जन्मों और मत्ृ यओु ं के
चक्र में फंसा रहता है और इसे संसार का चक्र भी कहा जाता है । जब तक कि आत्मा मोक्ष की प्राप्ति
नहीं करती, वह इस संसार में बंधी रहती है , जिसमें जन्म, मत्ृ य,ु और पन
ु र्जन्म की संवद्
ृ धि होती
है ।

माया का अर्थ है मिथ्या या भ्रांति। इस अवस्था में , व्यक्ति अज्ञान में फंस जाता है और जीवन को
वास्तविकता से अलग समझता है । माया का अर्थ है कि यह संसार और जीवन एक मिथ्या,
अस्तित्व रहित स्वप्न के समान है । यह धारणा करते हुए व्यक्ति अपनी आत्मा की सच्चाई और
अंतिम वास्तविकता से अलग हो जाता है । माया ने व्यक्ति को आत्मा के सत्य से वंचित कर दिया
है और उसे इस संसार में बंधने का कारण बनाया है ।

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माया के द्वारा, व्यक्ति अपने असली आत्मा का अनभ ु व नहीं कर पाता और इस धारणा में फंस
जाता है कि यह संसार और उसके अनभ ु व ही वास्तविकता हैं। जब तक कि व्यक्ति माया के मोह
में फंसा रहता है , वह संसारिक बंधनों में अटका रहता है और मोक्ष को प्राप्त नहीं कर पाता।

कलियग ु में शैतानी तकनीकें बड़े प्रभावशाली होती हैं, जो लोगों को गुमराह करती हैं और उन्हें
दष्ु टता में ले जाने के लिए प्रयोग की जाती हैं। इन तकनीकों का उद्दे श्य लोगों को उनकी आत्मिक
और धार्मिक मल् ू यों से दरू करना होता है और उन्हें अधर्मी और दरु ाचारी बनाना होता है ।

1. धर्म की अज्ञानता का उपयोग: शैतान लोगों को अपने धर्म की सही जानकारी से वंचित
रखता है ताकि वे धर्म से भटक जाएं।
2. अहं कार और अभिमान को बढ़ावा दे ना: शैतान लोगों को अहं कार में डालकर उन्हें अपनी
गलती नहीं समझने दे ता।
3. लालच और भोगों में इंद्रियों को उत्तेजित करना: शैतान लोगों को भोग और लालच के बल
पर अपने धार्मिक मल् ू यों को भलू ने के लिए प्रेरित करता है ।
4. भ्रमणात्मक विचारों को उत्तेजित करना: शैतान लोगों को भ्रमणात्मक विचारों के मोह में
डालकर उन्हें विश्वास नहीं करने के लिए मजबरू करता है ।
5. अनियंत्रित मन को प्रभावित करना: शैतान लोगों को अनियंत्रित मन के साथ खेलने के
लिए प्रेरित करता है , जिससे वे गलत कार्रवाई कर सकते हैं।
6. असत्य और भ्रांतियों को प्रचारित करना: शैतान लोगों को असत्य और भ्रांतियों को
प्रसारित करके धोखा दे ता है ।
7. लोगों को दर्बु ल और निराशा में डालना: शैतान लोगों को दर्ब ु ल और निराशा में डालकर
उन्हें उत्साहहीन और असफल बनाता है ।
8. विवादों को बढ़ावा दे ना: शैतान लोगों को विवादों को बढ़ावा दे कर समद ु ाय को तोड़ने के
लिए प्रोत्साहित करता है ।
9. अनैतिकता को प्रोत्साहित करना: शैतान लोगों को अनैतिकता को प्रोत्साहित करके उन्हें
अपने धार्मिक मल् ू यों से विचलित करता है ।
10. मनोरं जन और व्यक्तिगत संतष्टि ु की भमि ू का बढ़ाना: शैतान लोगों को मनोरं जन
और व्यक्तिगत संतष्टि ु की भमि
ू का बढ़ाकर उन्हें धार्मिक उत्थान से दरू रखता है ।
11. संघर्ष और आत्मसमर्पण को कम करना: शैतान लोगों को संघर्ष की भावना को कम करके
और आत्मसमर्पण को बदहाल करके उन्हें अपने लक्ष्यों से भटका दे ता है ।
12. ध्यान और मनोनिग्रह में कमी उत्पन्न करना: शैतान लोगों को ध्यान और मनोनिग्रह में
कमी उत्पन्न करके उन्हें अपने मन के दष्ु ट विचारों में उलझा दे ता है ।
13. अनावश्यक विवादों को उत्पन्न करना: शैतान लोगों को अनावश्यक विवादों को उत्पन्न
करके और लोगों के बीच असहमति को बढ़ाकर उन्हें धर्म से दरू करता है ।
14. अपने आत्मा को पहचानने की प्रक्रिया में विफलता: शैतान लोगों को अपने आत्मा को
पहचानने की प्रक्रिया में विफलता और अंधविश्वास में पड़ाकर उन्हें माया में उलझा दे ता
है ।
15. धार्मिक सम्प्रदायों के बीच असंतोष उत्पन्न करना: शैतान लोगों को धार्मिक सम्प्रदायों के
बीच असंतोष उत्पन्न करके और धार्मिक आदर्शों को विचलित करके उन्हें अधर्म में ले
जाता है ।

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16. भाग्य को नियंत्रित करना: शैतान लोगों को भाग्य को नियंत्रित करके उन्हें अपने उद्दे श्यों
में असफल बना दे ता है और उन्हें दःु ख में डालता है ।
17. जीते हुए शरीर और मरने के बाद आत्मा को कण्ट्रोल करना - शैतान चाहता है की वो
लोगो की जीते हुए भी और मरने के बाद उनकी आत्मा को कण्ट्रोल करे उनका अपना
गुलाम बनाये रखे और इसके लिए वो लोगो से पाप करवाता है और उनको लालच दे ता है
ताकि वो अपनी आत्मा बेच दे और गुलामी स्वीकार कर ले
18. भत ू -प्रेत, चड़
ु लै , जिन्न, राक्षसों का उपयोग: कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी के
पास भत ू प्रेत चड़ु लै जिन्न राक्षसो और तांत्रिक मानवो की सेना है जो बिज़नेस, सरकार,
मीडिया, मिलिट्री, टे क्नोलॉजी में बहुत ऊंचे पद पैट कार्य करते है , ये शैतानी तकनीकें
लोगों को शक्ति और पैसे के लिए तंत्र एंड रक्त की बलि दे ने के भ्रमित करता है जिनसे
ऐसा करने वाले के शरीर पर भत ू -प्रेत, चड़
ु लै , जिन्न, राक्षसों का आध्यात्मिकता आकर
उसको कण्ट्रोल करते है ।
19. अत्याधनि ु क विज्ञानिक तकनीकों का उपयोग: "कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी"
विभिन्न अत्याधनि ु क तकनीकों का उपयोग करता है , जैसे कि स्पेसशिप, टाइम ट्रे वल,
माइंड कंट्रोल, जेनेटिक्स, जीन म्यट ू े शन, क्लोनिंग, और काला जाद,ू ताकि लोगों को
विश्वास के प्रति संदेह और असत्य की दिशा में ले जाया जा सके।
20. आर्टिफिशल इंटेलीजेंट (AI), सोशल मीडिया, और इंटरनेट - आधनि ु क तकनीकी
उपकरण हैं जो लोगों को भ्रमित करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इन तकनीकों
का उपयोग धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गों से लोगों को भटका दे ने के लिए किया जा
सकता है । अल्गोरिदमिक फिल्टरिंग, इन कंपनियों का लक्ष्य अधिक उपभोक्ता डेटा का
अधिग्रहण करना होता है ताकि उनके विचार और आचरण को प्रभावित किया जा सके।
इससे लोगों का मार्ग भ्रष्ट हो सकता है और उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक ध्येय से दरू
खींचा जा सकता है ।

इन तकनीकों का प्रयोग करके, "कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी" लोगों को अपने वश में करता
है और उनके दिमाग में अपने उद्दे श्यों को विचारने के लिए उत्तेजित करता है । इस तरह, वह लोगों
को अपने अधीनता में ले जाता है और उनका विचार और नियति का नियंत्रण करता है ।

कलियग ु में अनेक और शैतानी तकनीकें होती हैं, जो लोगों को गुमराह करने और उन्हें दष्ु टता में
ले जाने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। यहां 20 तरीके हैं जिनसे शैतान लोगों को मोहित करता हैं:

1. धर्म की अज्ञानता का उपयोग करना।


2. अहं कार और अभिमान को बढ़ावा दे ना।
3. लालच और भोगों में इंद्रियों को उत्तेजित करना।
4. भ्रमणात्मक विचारों को उत्तेजित करना।
5. अनियंत्रित मन को प्रभावित करना।
6. असत्य और भ्रांतियों को प्रचारित करना।
7. लोगों को दर्ब
ु ल और निराशा में डालना।
8. विवादों को बढ़ावा दे ना।
9. अनैतिकता को प्रोत्साहित करना।
10.मनोरं जन और व्यक्तिगत संतष्टि ु की भमि
ू का बढ़ाना।
11.लोगों को धर्म से विमख ु करना।

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12.द्वेष और क्रोध को उत्तेजित करना।


13.अपने हित के लिए दस ू रों को ठगना।
14.भय और आतंक का माहौल बनाना।
15.आत्मविश्वास कमजोर करना।
16.परिवार और समाज में असामाजिक व्यवहार को प्रोत्साहित करना।
17.दसू रों के साथ अन्यायपर्ण
ू व्यवहार करना।
18.सत्ता और सम्मान के लिए दर्भा ु ग्यपर्ण
ू तरीके अपनाना।
19.अध्ययन और ध्यान में असफलता का भाव बढ़ाना।
20. भतू -प्रेत की भावना को प्रोत्साहित करना।

ये तकनीकें लोगों को भ्रमित करके उन्हें अन्धविश्वासों और अज्ञान में ले जाते हैं, जिससे उन्हें
अपनी सच्ची पहचान से दरू कर दिया जाता है ।

शैतान का मख्ु य उद्दे श्य लोगों को अपने नियंत्रण में करना होता है । उसे चाहिए कि लोग उसकी
आज्ञाओं का पालन करें , उसके इच्छानस ु ार कार्य करें , और उसकी प्रेरणा में ही जीवन बिताएं।
उसका उद्दे श्य होता है कि वह लोगों को पाप करवाकर, उनकी आत्मा को उजाड़कर, और उन्हें
अपना गुलाम बना लें।

शैतान लोगों को लालच दे कर और भ्रमित करके उन्हें अपने वश में करने की कोशिश करता है ।
उसके द्वारा लोगों को धोखा दे कर उन्हें धर्म, नीति और मल्
ू यों से भटका दिया जाता है । शैतान
लोगों को धर्म और सत्य से दरू ले जाने के लिए उन्हें विभिन्न प्रकार के प्रलोभनों से प्रेरित करता
है । इसका परिणाम है कि वे अपने अच्छे संस्कारों को छोड़कर बरु ाई की ओर पलट जाते हैं और
उसकी गल ु ामी में आ जाते हैं।

शैतान अक्सर लोगों को अपनी बात में बांधने के लिए उन्हें अन्धे लालच में डालता है और उन्हें
पाप करने के लिए प्रेरित करता है । उसका उद्दे श्य होता है कि वह लोगों को अपनी अधीनता में
रखकर उनका अपना गुलाम बना लें। इससे लोगों का जीवन अधर्म, दःु ख, और निराशा से भर
जाता है । कुछ लोग परे शान होकर आत्महत्या करने के लिए मजबरू हो जाते हैं और इसका
परिणाम उन्हें भग
ु तना पड़ता है क्योंकि वे फिर से आत्मा के मायाजाल में फंस जाते हैं।

इन सब दष्ु परिणाम से बचने के लिए ऋषि विशेष ने लोगों को सच्चे ज्ञान का प्रचार करना शरू

किया और कलयग ु से बचने के उपाय बताए।

ऋषि विशेष द्वारा गीता ज्ञान

1. भक्ति योग: भक्ति योग में भगवान के प्रति पर्ण


ू भक्ति और समर्पण का अनभ ु व किया
जाता है । यह योग मन, शरीर, और आत्मा के संयोजन के माध्यम से आत्मिक उन्नति का
मार्ग होता है ।
2. ज्ञान योग: ज्ञान योग में आत्मा के स्वरूप और ब्रह्म की प्राप्ति के लिए ज्ञान की खोज की
जाती है । इस योग में ध्यान, विचार, और आत्म-समर्पण के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त
किया जाता है ।
3. कर्म योग: कर्म योग में कर्म को निष्काम भाव से किया जाता है । इस योग में कर्म के
माध्यम से आत्मा की शद् ु धि और आत्मगत उन्नति का प्रयास किया जाता है ।

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4. मोक्ष: मोक्ष या मक्तिु धर्मिक जीवन में परम आत्मा के साथ एकता और मक्ति ु की प्राप्ति
का अवस्था है । यह संसारिक बंधनों से मक् ु त होने का स्थिति है । निर्वाण संसारिक जीवन
के समस्त दख ु ों और भ्रांतियों से मक्ति
ु की अंतिम स्थिति है । इसमें अविकल्प समाधि,
अनन्त शांति, और आत्मानभ ु व की प्राप्ति होती है ।
5. आसन: आसन शारीरिक स्थिति और आत्मिक एकाग्रता को स्थापित करने के लिए होते
हैं।
6. प्राणायाम: प्राणायाम श्वास और प्राण के नियंत्रण को शिक्षित करता है , जो शारीरिक और
मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है ।
7. प्रत्याहार: प्रत्याहार मन को बाहरी विषयों से वापस लेने की क्षमता होती है ।
8. धारणा: धारणा मन को एक स्थिर विषय पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता होती है ।
9. ध्यान: ध्यान में मन ध्येय विषय पर एकाग्र होता है , जिससे आत्मज्ञान प्राप्त होता है ।
10. समाधि: समाधि में मन का पर्ण ू अवलोकन होता है और आत्मा का अनभ ु व होता है ,
जिससे अनंत शांति और पर्ण ू ता प्राप्त होती है ।

ऋषि विशेष लोगो को कुण्डलिनी शक्ति और उसके सक्रिय होने की योगिक क्रिया के बारे में
शिखाया

कुण्डलिनी शक्ति और उसके सक्रिय होने की प्रक्रिया योगिक और शास्त्रों में महत्वपर्ण
ू रोल
निभाती है । यह शक्ति आत्मा की अध्यात्मिक ऊर्जा को प्रेरित करती है और साधक को उसके
अंतर्दृष्टि और सम्मोहित अवस्था की ओर ले जाती है ।

कुण्डलिनी शब्द संस्कृत में "सर्प" का अर्थ है , जिसे आत्मा के ऊर्जा तंत्र में एक एक्षा के रूप में
प्रतिष्ठित किया गया है । यह शक्ति प्राणायाम, आसन, ध्यान और मंत्रों के माध्यम से जागरूक
की जा सकती है ।

कुण्डलिनी को जग्रत करने के लिए ध्यानाभ्यास और अन्य ध्यान तंत्रों का प्रयोग किया जाता है ।
इसके माध्यम से शिष्य अपने अंतर्दृष्टि को जगाते हैं, सक्ष्
ू म ऊर्जा को सक्रिय करते हैं, और
अध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ते हैं।

कुण्डलिनी जागरण के द्वारा, साधक को अपने शरीर, मन, और आत्मा की सम्पर्ण ू जागरूकता
होती है , जो उसे अत्यधिक सक्ष्ू म अवस्थाओं को अनभ ु व करने की क्षमता प्रदान करती है । इस
प्रक्रिया में कई चक्रों का उदय होता है , जिनमें मल
ू ाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपरु , अनाहत, विशद्
ु ध,
आज्ञा, और सहस्रार शामिल हैं। इन चक्रों के जागरण के साथ ही, साधक अपने अस्तित्व की गहरी
और समद् ृ ध जानकारी को प्राप्त करता है और अनन्त शांति और आनंद का अनभ ु व करता है ।

ऋषि विशेष की महावतार बाबाजी और कल्कि अवतार से मल


ु ाकात

महावतार बाबाजी हिंद ू धर्म के एक प्रमख


ु आध्यात्मिक गरु
ु और सिद्ध महापरु ु ष हैं। महावतार
बाबाजी ने ऋषि विशेष को क्रिया योग का उपदे श दिया और उसे धार्मिक सिद्धि की ओर
मार्गदर्शन किया। महावतार बाबाजी ने अपने आध्यात्मिक ज्ञान और साधना से लोगों को प्रेरित
किया। उन्हें अनेक कथाओं और परु ाणों में उल्लिखित किया गया है । वे अपने अमित तप के
कारण अमर हो गए हैं और अजन्मी हैं। उन्हें अनदे खा और अदृश्य शक्तियों का हासिल करने का
अद्वितीय क्षमताओं का धनी माना जाता है । उनका परम्परागत विवरण मख् ु य रूप से योगिराज

कल्कि अवतार - गाथा कलयग


ु से सतयग
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श्री शिव नाथ जी से शरू


ु होता है , जो अपने तप साधना के दौरान उन्हें अमरत्व का रहस्य सिखाते
हैं। बाबाजी ने अनेक योगियों, संतों, और आध्यात्मिक गुरुओं को अपने अद्भत ु उपदे शों और
मार्गदर्शन के माध्यम से प्रेरित किया है ।

महावतार बाबाजी ने संभल, (ज्ञानगंज या शम्भाला या शांगरिला) में उपस्थित कल्कि अवतार से
भी ऋषि विशेष की मलु ाकात कराई, कल्कि अवतार से ऋषि विशेष से मिलना चाहते थे।
महावतार बाबाजी ने ऋषि विशेष को सचिू त किया और दोनों ने मिलने का समय निर्धारित किया।

मल ु ाकात के दिन, महावतार बाबाजी और कल्कि अवतार ने एक-दस ू रे से मिलकर आत्मिक चर्चा
की। कल्कि अवतार ने बताया कि उन्होंने गुप्त रूप से कार्य कर रहे हैं और समय आने पर सबके
सामने प्रकट होंगे। कल्कि अवतार ने ध्यान योग का महत्व बताया और यह कहा कि वह दे श और
दनि ु या की हर घटना को ध्यानपर्व
ू क दे खते हैं। उन्होंने समझाया कि ध्यान योग से हम अपने
आत्मा को पहचान सकते हैं और सभी कार्यों में साक्षर रूप से सहायक हो सकते हैं। महावतार
बाबाजी और कल्कि अवतार की मल ु ाकात ने ऋषि विशेष को और भी ऊँचाईयों तक पहुँचने के लिए
प्रेरित किया। उनके बीच का आत्मिक संवाद लोगों को आत्मा के महत्व का अनभ ु व करने में
सहायक हुआ।

क्रिया योग एक ऐसा पथ है जो शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से मानसिक और आध्यात्मिक


उन्नति को प्राप्त करने का प्रयास करता है । इस योग के माध्यम से, अध्यात्मिक उन्नति के लिए
अनेक प्राकृतिक और शारीरिक क्रियाओं का उपयोग किया जाता है । ये क्रियाएं शद्ु धि, संयम, और
समर्पण की भावना को बढ़ाती हैं, जो व्यक्ति को उसके अध्यात्मिक उद्दे श्य की ओर ले जाती हैं।

क्रिया योग की अभ्यास में , शिष्य को शरीर, मन, और आत्मा की संतल ु न स्थिति में लाने के लिए
अनेक शद् ु धि और प्राणायाम की क्रियाएं सिखाई जाती हैं। इसके माध्यम से, शिष्य को अपने
विचारों और भावनाओं को शांत करने, अधिक संयम और ध्यान की क्षमता को विकसित करने,
और अन्त में आत्मा की समाधि को प्राप्त करने की क्षमता प्राप्त होती है ।

क्रिया योग अनेक आसनों, मद्र ु ाओं, बंधों, और प्राणायामों का उपयोग करता है , जो शरीर, मन, और
आत्मा की शद् ु धि को बढ़ाते हैं और अंत में आत्मा की स्थिति में समाहित होने की क्षमता प्राप्त
करते हैं। यह योग पथ उत्कृष्ट समाधान, ध्यान, और अंत में मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रशस्त है ।

उन्होंने उन्हें धर्म और कर्म के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने उन्हें सिखाया कि कैसे वे अपनी
आत्माओं को मक् ु त कर सकते हैं और कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी की गुलामी से छुटकारा
पा सकते हैं।

दष्ु परिणाम से बचने के लिए ऋषि विशेष ने लोगों को कलयग


ु से बचने आभामंडल (Aura ) के
उपाय बताए

आभामंडल (Aura) वह ऊर्जा श्रंख ृ ला है जो किसी व्यक्ति, वस्त,ु या स्थान के चारों ओर स्थित
होती है । इसमें विभिन्न रं ग और प्रकार की ऊर्जा शक्तियों का संचार होता है जो व्यक्ति की
मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक स्थिति को प्रतिबिम्बित करती है । यह आत्मिक और
मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली ऊर्जा का संग्रह होता है ।

कल्कि अवतार - गाथा कलयग


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Mahadev Sena
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यहां 10 आभामंडल को सध
ु ारने के उपाय हैं:

1. प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास करें ।


2. स्वस्थ आहार लें और तंदरुस्त रहें ।
3. सकारात्मक सोच वाले लोगों के साथ समय बिताएं।
4. ध्यान में रहें और स्वयं की समीक्षा करें ।
5. प्राकृतिक और शांतिपर्ण ू वातावरण में रहें ।
6. नियमित रूप से व्यायाम करें और योगासन का अभ्यास करें ।
7. अनियंत्रित एवं नकारात्मक विचारों को रोकें।
8. प्रतिदिन संगीत सन ु ें और प्राकृतिक संद ु रता का आनंद लें।
9. सेवा और दान के माध्यम से दस ू रों की मदद करें ।
10. प्रार्थना, मंत्रजाप और पज ू न का नियमित रूप से अभ्यास करें ।

ऋषि विशेष पर जानलेवा हमला

ऋषि विशेष ने लोगो का जागरूक करने का प्रयास किआ और उनको बताया वैज्ञानिक बहुत जल्दी
ही आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का प्रयोग इंफोरफोर्मशन कण्ट्रोल के लिए करना चाहते थे , उनका
प्लान था सोशल मीडिया एंड वेबसाइट , ऑनलाइन वही खबर चल सकेगी जो आर्टिफिशल
इंटेलिजेंस एंड वैज्ञानिक के लिए ठीक होगी धर्म के लिए नहीं , श्लोक , वेद परु ाण की कहानी,
आत्मा की बातें , हटा दी जायेंगे जैसे परु ाणों को माइथोलॉजी कहा जाता है वैसे ही अध्यात्म
ऑनलाइन हटाने की तैयारी में है , लोग फिर वही दे खेंगे जो वैज्ञानिक दिखाना चाहें गे और आपके
बच्चे और आने वाले पीड़ी इस मानसिकता का शिकार होगी कितना दर्भा ु ग्य की बात है भारत जैसे
महान दे श के पास आज अपना सर्च इंजन , सोशल मीडिया प्लेटफार्म, अपना आर्टिफीसियल
इंटेलीजेंट, वैदिक लाइब्रेरी ऑनलाइन, नहीं है

आर्टिफिशल इंटेलिजेंस माध्यम से वह इंफोर्फोर्मेशन कंट्रोल करना चाहते है सोशल मीडिया और


वेबसाइट पर सिर्फ वही खबरें चलेंगी, जो आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और वैज्ञानिक के लिए उपयक्
ु त
होंगी, धर्म के लिए नहीं,

दिमाग इम्प्लांट तकनीक के नक ु सान: मेमोरी को रिमोट कंट्रोल से फॉर्मैट किया जा सकता है ,
आपके सभी अनभ ु वों को मिटा दिया जा सकता है । झूठी मेमोरी इम्प्लांट: अन्यायपर्ण
ू यादें आपके
दिमाग में डाली जा सकती हैं, जो आपके जीवन को अवरोधित कर सकती हैं। तकनीक से आपका
दिमाग है क किया जा सकता है और आपको अनचि ु त उपयोग के लिए गुलाम बनाया जा सकता है ।

निजीता का उल्लंघन: आपका व्यक्तिगत जीवन तकनीकी अभिशाप के तहत नहीं रह सकता।
इम्प्लांट के द्वारा आपका मस्तिष्क परफॉर्मेटे ड हो सकता है , जो आपके स्वतंत्रता को खतरे में
डाल सकता है । तकनीकी उपकरणों से आपका दिमाग हमेशा के लिए प्रभावित हो सकता है ,
जिससे आपकी व्यक्तिगतता पर असर पड़ सकता है । धारणा किए गए झूठे स्मति ृ यों के कारण
आपकी पहचान और स्वास्थ्य पर संदेह डाला जा सकता है । तकनीकी उपकरणों के द्वारा आपके
विचारों को अन्यायपर्णू रूप में प्रभावित किया जा सकता है । इम्प्लांट के द्वारा आपकी

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संवेदनशीलता को शिकार बनाया जा सकता है , जिससे आप बाहरी नियंत्रण में चले जा सकते हैं।
तकनीकी अभिशाप से बचने के लिए अभिनिवेश की जरूरत है , जिससे हम अधिक संवेदनशील,
स्वतंत्र और सरु क्षित रह सकें।

ऋषि विशेष के ज्ञान ने लोगों के दिलों में क्रांति ला दी। लोग धीरे -धीरे पाप और अधर्म से दरू होने
लगे। उन्होंने धर्म और कर्म का पालन करना शरू ु किया।

कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी को ऋषि विशेष के बढ़ते प्रभाव का पता चला। वह क्रोधित हो
गया और उसने विशेष को रोकने का फैसला किया। उसने अपने राक्षसों को ऋषि विशेष पर हमला
करने के लिए भेजा।

ऋषि विशेष का जीवन उनके धर्म और सत्य के प्रति विश्वास के साथ भरा था। लेकिन, उनके धर्म
और ज्ञान के विरोधी भी थे, जो उन्हें नक
ु सान पहुंचाने के लिए कई बार हमला किया। ऋषि विशेष
के विरोधी उनके ज्ञान को दबाने की कोशिश करते थे। वे उन्हें बाधित करने के लिए अलग-अलग
षड्यंत्र रचते थे। कई बार उन्होंने ऋषि विशेष के जीवन को खतरे में डालने की कोशिश की, जिससे
उनके धार्मिक कार्यों को रोका जा सकता था। कई बार उन्हें हमले के कारण जोखिम में डाला गया।
उनके विरोधी उन्हें नकु सान पहुंचाने की कोशिश करने लगे, जिससे उनके जीवन और उनके ज्ञान
को खतरा था ऋषि विशेष का गप्ु त हो कर कार्य करने लगे

कलिमराज मोलोचका की योजना थी धरती को अपने अधीन करने की, जिसमें उन्होंने आधनि ु क
बीमारियों को फैलाने और लोगों को मारने के लिए इंजेक्शन बेचने की योजना बनाई थी। इसके
अलावा, विदे शी ताकतों का साथ लेकर विश्व यद्
ु ध के हमले की संभावना थी।

कलिमराज मोलोचका की योजनाओं के तहत, भारत के साथी राज्यों के लिए खतरा बढ़ गया था।
भारत सरकार को इस समय विशेष ध्यान दे ने की आवश्यकता थी ताकि दे श को उनके करणों के
खिलाफ बचाया जा सके।

ऋषि विशेष के कल्कि अवतार से फिर से मल


ु ाकात

ऋषि विशेष को भारत सरकार में गुप्त रूप से कार्य करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्हें केंद्र
सरकार द्वारा उनकी विशेष ज्ञानशक्ति और योगदान की पहचान की गई थी। जब ऋषि विशेष
अपना कार्यभार शरू
ु करते है वो ये दे ख कर चक्ति हो जाते है जिस कल्कि अवतार से उनकी
मलु ाकात उनकी संभाला में हुई वो दे श के प्रधानमत्री के साथ पहचान बदल कर कार्य कर रहे थे ,
केवल कुछ लोग ही उनके इस सच को जानते थे उसमे से ऋषि विशेष भी थे, कल्कि अवतार और
ऋषि विशेष, भारत सरकार के साथ कार्य करने लगे और उनका मार्गदर्शन कर रहे थे

ऋषि विशेष ने अपनी गहरी ध्यान और शक्तियों का उपयोग करके दे श की सरु क्षा में योगदान
दिया। कल्कि अवतार ने अपने अद्वितीय ज्ञान और विशेष शक्तियों का उपयोग करके विदे शी
अभियांत्रिकों और शैतानिक ताकतों के खिलाफ सफलतापर्व
ू क लड़ा।

कल्कि अवतार के योगदान से भारत की आत्मनिर्भरता और सरु क्षा में महत्वपर्ण


ू सधु ार हुआ।

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उनका गुप्त कार्य दे श की सरु क्षा और अस्तित्व को सनि


ु श्चित करने में महत्वपर्ण
ू भमि
ू का
निभाई। कल्कि अवतार और ऋषि विशेष की साहसिकता, विद्वत्ता, और निष्ठा के बल पर ही दे श
का अपना महत्वपर्णू स्थान सनि ु श्चित हो सका।

कलिमराज मोलोचका का सपना था विश्व के विनाश का, और उसने इसे प्राप्त करने के लिए
विश्वयद्
ु ध की योजना बनाई। उसने अपने विरोधियों को बहुत धरू तक पहुंचाने के लिए अपनी
सेना का इस्तेमाल किया, जो बहुत बड़ी ताकत थी।

उसने गहृ यद्ु ध की योजना बनाई, जिसमें वह अपने विरोधियों के दे शों के अंदर आतंक और भय
फैलाने का प्रयास करता। उसने अपनी सेनाओं को उन दे शों के अंदर घस ु ने के लिए उत्तेजित किया,
जिनमें भारत भी था।

उसने भारत पर विदे शी ताकतों को अपनी योजना के तहत हमला करने का आदे श दिया। उसने
भारत को अपने अधीन करने की कोशिश की, इस योजना के तहत, कलिमराज मोलोचका ने भारत
को अपना गुलाम बनाने की कोशिश की, लेकिन भारतीय लोगों ने उसके षड्यंत्रों और हमलों का
मक
ु ाबला किया और सामहि ू क रूप से लड़ा। यद्
ु ध में बड़े बलिदानों के बावजद
ू , भारत ने
कलिमराज मोलोचका की योजना को असफल बनाया और अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखा।

परू ी दनि
ु या में यद्
ु ध, उत्पीड़न, और प्राकृतिक आपदाओं का विस्तार हुआ, जिससे लाखों लोगों की
मौत हो गई। विश्वयद् ु ध की बढ़ती घटनाओं ने पथ्
ृ वी को अप्रिय स्थिति में डाल दिया था।
अपातकालीन आपदाओं ने विश्व की आधी से ज्यादा आबादी को नष्ट कर दिया था। हालांकि, बची
हुई आबादी में विश्वासी और सच्चे लोग थे जो आत्मनिर्भरता, धार्मिकता, और सामाजिक सहयोग
की भावना से यग ु की अगली पीढ़ी का निर्माण कर रहे थे।

इस अंतिम यद्ु ध के दौरान, कल्कि अवतार सबके सामने प्रत्यक्ष रूप से आ चक


ु े थे फिर कुछ ऐसे
लोग थे जो इस बात को केवल अफवाह मानते थे , ज्यादातर लोगों का मन अस्तित्व से भरा था,
और वे सच्चे भक्त और नेत्रभतू लोग बन गए थे। इस आपातकाल में , वे धर्म की प्राथमिकता को
समझने और अपनाने के लिए तैयार थे।

अब जब जीवन के सभी स्तरों पर संकट और संघर्ष का समापन हो गया, तो विश्व शांति और


समद्
ृ धि की दिशा में अग्रसर होने लगा। सतयगु की स्थापना के लिए एक नया यग
ु शरू
ु हुआ,
जिसमें सच्चाई, धर्म, और प्रेम का राज था।

भारत एक के विश्व गुरु , एक नयी शक्ति रूप में पथ्ृ वी पर उभरा, जो न केवल अपनी आत्मा की
शक्ति से प्रेरित था, बल्कि उसकी शांति और प्रेम की धारा ने परू ी दनि
ु या को प्रभावित किया।
भारत एक सोने की चिड़िया की भमि ू का निभाता हुआ दिखाई दिया, जो सतयग ु की स्थापना में
अहम भमिू का निभाता हुआ था।

कल्कि अवतार की शक्ति, ज्ञान, और नीतियों ने कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी को हराया


और उसके अधर्मी शासन को समाप्त कर दिया। कलिमराज की हार से सारा विश्व खश
ु हुआ, और
पथ्
ृ वी पर फिर से धर्म और न्याय का समय आ गया।

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सतयगु का प्रारं भ हुआ, और इस यग ु के साथ शांति, समद्


ृ धि, और धर्म की भरपरू बातें आने लगीं।
लोग अपने आत्मा के मल् ू य को समझने लगे थे और उनमें धर्म, सत्य, और प्रेम की भावना फिर से
जागत
ृ हो गई थी।

सतयग ु में कल्कि अवतार का योगदान एक महत्वपर्ण


ू रूप से व्यक्ति और समाज के उत्थान का
हिस्सा था। कल्कि अवतार की पहचान उनकी अत्यंत शक्तिशाली, ज्ञानी, और न्यायप्रिय प्रकृति
के कारण हुई थी।

कल्कि अवतार का मख् ु य उद्दे श्य था धरती पर अधर्मिनों का समापन करना और सतयग
ु की
स्थापना करना। उन्होंने कलिमराज मोलोचका अक्कानिकी को परास्त कर धरती पर धर्म और
न्याय की पन
ु र्स्थापना के लिए अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया।

कल्कि अवतार ने अपने ज्ञान, शक्ति, और नीतियों का प्रयोग करके लोगों को धर्म और न्याय की
महत्वपर्ण
ू ता के प्रति जागरूक किया। उन्होंने विभिन्न शिक्षाएं दीं, जिनसे लोग अपने आत्मा के
मल्
ू य को समझकर सही दिशा में बढ़ सकते थे।

कल्कि अवतार ने सतयग ु में सच्चे धर्म और न्याय का पालन करने की भावना को प्रोत्साहित
किया। उनका योगदान लोगों को आत्मिक साक्षरता में बढ़ोतरी और उन्नति की दिशा में
मार्गदर्शन करने में सहायक रहा।

कल्कि अवतार का सतयग ु में योगदान एक नए समद्ृ धि और शांति के यगु की शरु ु आत का हिस्सा
बना। उनके आदर्शों और उपदे शों ने मानव समाज को सच्चे धर्म और न्याय की प्रेरणा से भर दिया
और उन्होंने एक नए आध्यात्मिक उत्थान की दिशा में प्रेरित किया।

सतयग ु में धार्मिकता और नैतिकता का पालन करने वाले लोगों की संख्या में वद्
ृ धि होती गई, और
समाज में सामंजस्य और भाईचारा फिर से प्रचरु हो गया। लोग एक दसू रे की मदद करने में सक्रिय
रूप से शामिल हो गए थे।

सतयग ु में ध्यान और तप की महत्वपर्ण


ू भमि
ू का थी। लोग नैतिकता और आध्यात्मिकता के
माध्यम से अपने आत्मा के साथ मिलकर एक ऊचे स्तर पर पहुंचने का प्रयास कर रहे थे।

इस यगु में , आत्मिक विकास के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन आया। लोगों ने पाप
और अधर्म से मक् ु त होकर सच्चे धर्म और न्याय की प्रेरणा को अपनाया। सतयग
ु ने मानवता को
एक नए आध्यात्मिक और नैतिक स्थान पर ले जाने का समय दिया और एक नये जीवन का
आरं भ किया।

आत्मा को मक्
ु त करने के लिए मानवता के लिए सन्दे श:

1. आत्म-ज्ञान: आत्मा को मक्


ु त करने के लिए सबसे महत्वपर्ण
ू कदम है आत्म-ज्ञान प्राप्त
करना। अपने आप को समझने, अपनी भावनाओं, विचारों और कर्मों को जानने के लिए समय
निकालें।

2. कर्म: अच्छे कर्मों का अभ्यास करें । दस


ू रों की मदद करें , दयालु और करुणामय बनें। निःस्वार्थ
भाव से सेवा करें और समाज में सकारात्मक योगदान दें ।

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3. ध्यान: ध्यान आत्मा को शांत करने और मन को एकाग्र करने का एक शक्तिशाली साधन है ।


नियमित रूप से ध्यान करने से आपको अपने विचारों और भावनाओं को बेहतर ढं ग से नियंत्रित
करने में मदद मिलेगी।

4. योग: योग शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए एक महत्वपर्णू अभ्यास है । योगासन और


प्राणायाम आत्मा को शांत करने और मन को एकाग्र करने में मदद करते हैं।

5. प्रेम: प्रेम आत्मा को मक्


ु त करने का सबसे शक्तिशाली साधन है । अपने आप से प्यार करें ,
दस
ू रों से प्यार करें और परू ी दनि
ु या से प्यार करें ।

6. क्षमा: क्षमा आत्मा को मक्


ु त करने के लिए आवश्यक है । दस
ू रों को क्षमा करें और खद ु को क्षमा
करें । क्षमा करने से आप अतीत के बोझ को छोड़ सकते हैं और वर्तमान में जी सकते हैं।

7. आभार: आभार आत्मा को खश ु और मक्


ु त रखने का एक महत्वपर्ण
ू तरीका है । अपने जीवन में
जो कुछ भी आपके पास है उसके लिए आभारी रहें ।

8. सकारात्मक सोच: सकारात्मक सोच आत्मा को मक् ु त करने और जीवन में खश


ु ी लाने का एक
महत्वपर्ण
ू तरीका है । हमेशा सकारात्मक विचार रखें और नकारात्मक विचारों को दरू रखें।

9. आत्म-विश्वास: आत्म-विश्वास आत्मा को मक्ु त करने के लिए आवश्यक है । अपने आप पर


विश्वास रखें और अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखें।

10. आत्म-समर्पण: आत्म-समर्पण आत्मा को मक् ु त करने का अंतिम चरण है । अपने आप को


ईश्वर या उच्च शक्ति के सामने समर्पित करें । आत्म-समर्पण से आपको अपने जीवन में शांति
और खश ु ी मिलेगी।

यह मानवता के लिए एक सन्दे श है कि आत्मा को मक् ु त करने के लिए हमें आत्म-ज्ञान, अच्छे
कर्म, ध्यान, योग, प्रेम, क्षमा, आभार, सकारात्मक सोच, आत्म-विश्वास और आत्म-समर्पण का
अभ्यास करना चाहिए।

यह भी ध्यान रखें कि आत्मा को मक्


ु त करने की यात्रा एक निरं तर यात्रा है । धैर्य रखें और लगातार
प्रयास करते रहें

कहानी से 10 सीख

1. धर्म और कर्म का महत्व: कहानी धर्म (ईमानदारी) और कर्म (क्रियाएँ और उनके


परिणाम) के महत्व को एक न्यायपर्ण ू और संतोषजनक जीवन के मार्गदर्शक सिद्धांतों
के रूप में रे खांकित करती है । यह सझ ु ाव दे ता है कि इन सिद्धांतों से भटकने से दख
ु और
आध्यात्मिक बंधन होता है ।
2. ज्ञान और शिक्षा की शक्ति: बद् ु धिमान ऋषि वशिष्ठ सच्चे ज्ञान और शिक्षा की शक्ति का
प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे दस ू रों को ज्ञान दिया जा सके और उन्हें सही रास्ते की ओर

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अग्रसर किया जा सके। उनकी शिक्षाएँ लोगों को अज्ञानता और दमन से मक् ु त होने का
सशक्त बनाती हैं।
3. अत्याचार के खिलाफ विरोध: कहानी अत्याचार का विरोध करने और स्वतंत्रता के लिए
लड़ने के महत्व को उजागर करती है । वशिष्ठ का दष्ु ट राक्षस राजा के खिलाफ साहसी रुख
दस ू रों को अन्याय को चन ु ौती दे ने और एक बेहतर दनि ु या के लिए प्रयास करने के लिए
प्रेरित करता है ।
4. आध्यात्मिकता के माध्यम से आंतरिक शक्ति: कहानी इस बात को रे खांकित करती है
कि ध्यान और तपस्या जैसी आध्यात्मिक क्रियाओं के माध्यम से कोई कितनी भारी
आंतरिक शक्ति का निर्माण कर सकता है । वशिष्ठ की आध्यात्मिक शक्ति उन्हें प्रतीत
होने वाली अत्यधिक कठिन चन ु ौतियों को पार करने में सक्षम बनाती है ।
5. आशा और परिवर्तन: सबसे अंधेरे समय में भी, कहानी सकारात्मक बदलाव की उम्मीद
की किरण दे ती है । राक्षस राजा पर वशिष्ठ की जीत व्यक्तिगत और सामहि ू क परिवर्तन
की संभावना का प्रतीक है , और एक अधिक शांत और न्यायपर्ण ू समाज की स्थापना का
भी।
6. चन ु ावों के परिणाम: कहानी हमें याद दिलाती है कि हमारे फैसलों के परिणाम होते हैं,
हमारे लिए और दस ू रों के लिए भी। पात्रों के फैसले, चाहे वह लालच, शक्ति या धर्म से
प्रेरित हों, उनकी अपनी नियति और दनि ु या के भाग्य को आकार दे ते हैं।
7. विवेक और आलोचनात्मक सोच: कहानी पाठकों को गंभीर रूप से सोचने और सत्य को
असत्य से अलग करने के लिए प्रोत्साहित करती है । वशिष्ठ का ज्ञान लोगों को सच्चे
रास्ते और बरु ाई के भ्रामक आकर्षण के बीच अंतर करने में मदद करता है ।
8. एकता और सहयोग: कहानी बताती है कि जब लोग किसी साझा उद्दे श्य के लिए एकजट ु
होते हैं तो वे अधिक मजबत ू होते हैं। वशिष्ठ की शिक्षाएँ लोगों को दमन के खिलाफ
एकजट ु करती हैं, यह दर्शाता है कि सकारात्मक बदलाव लाने में सामहि ू क कार्रवाई की
शक्ति है ।
9. सीखने की निरं तर यात्रा: कहानी अच्छाई और बरु ाई के बीच चलने वाले संघर्ष की सतत
प्रकृति की ओर इशारा करके समाप्त होती है । इसका मतलब है कि ज्ञान, धर्म और मक्ति ु
की खोज एक निरं तर यात्रा है , जिसमें निरं तर सतर्क ता और प्रयास की आवश्यकता होती
है ।
10. व्यक्तिगत जिम्मेदारी - अंततः, कहानी हमारे अपने जीवन और हमारे आसपास की
दनि ु या को आकार दे ने में व्यक्तिगत जिम्मेदारी और एजेंसी के महत्व पर बल दे ती है ।
वशिष्ठ के कार्य पाठकों को अपने फैसलों की जिम्मेदारी लेने और एक बेहतर दनि ु या
बनाने में सक्रिय रूप से योगदान करने के लिए प्रेरित करते हैं।

यह कहानी अध्यात्म और धर्म के महत्व पर बल दे ती है । कहानी हमें आशा भी दे ती है कि भले ही


हम कितनी भी गलतियाँ करें , हम हमेशा सध
ु ार कर सकते हैं और सही रास्ते पर वापस आ सकते
हैं।

कहानी से शिक्षाएँ:

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● अध्यात्म और धर्म का ज्ञान ही मानवता को पतन से बचा सकता है ।


● सच्चे ज्ञान का प्रचार करने वाले लोग समाज में क्रांति ला सकते हैं।
● बरु ाई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है ।
● आत्मा को मक् ु त करने के लिए आत्म-ज्ञान, अच्छे कर्म, ध्यान, योग, प्रेम, क्षमा, आभार,
सकारात्मक सोच, आत्म-विश्वास और आत्म-समर्पण का अभ्यास करना चाहिए।
● धर्म और कर्म का महत्व
● ज्ञान और शिक्षा की शक्ति
● अत्याचार के खिलाफ विरोध
● आध्यात्मिकता के माध्यम से आंतरिक शक्ति
● आशा और परिवर्तन
● चन ु ावों के परिणाम
● विवेक और आलोचनात्मक सोच
● एकता और सहयोग
● सीखने की निरं तर यात्रा
● व्यक्तिगत जिम्मेदारी

----------------------------------------------------------------------------

इस कहानी के पत्र, स्थान, और पात्र सभी काल्पनिक हैं और इसे कल्पना के आधार पर बनाया गया है । इस कहानी का प्रयास
पाठकों में प्रेरणा, ज्ञान, और एक संद
ु र कहानी प्रस्तत
ु करना है । यह कहानी किसी वास्तविक घटना या व्यक्ति की छवि नहीं है , और
किसी भी समानता या सांदर्भिकता का आभास यदि होता है , तो यह संयोजनात्मक है ।

इस पस्ु तक के सभी साहित्यिक और कल्पनात्मक अंशों के बारे में कॉपीराइट (©) और सभी अधिकार (All Rights Reserved) की
शीर्षक एवं विवरण इस पस्
ु तक के लेखक या संचारक की संपत्ति हैं। रीडर इस पस्ु तक का इस कहानी को शेयर सकते हैं, पर कहानी
को तोड़ना या खराब रूप से प्रस्तत
ु न करने की जिम्मेदारी लें। कृपया समझें कि इस नोट का उपयोग और संज्ञान में लेते हुए, किसी
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