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सर वती पूजा

मं व प ूजा व ध

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सर वती पूजा मं व प ूज ा व ध

सर व यै नमो न यं भ का यै नमो नम:।


वेद वेदा त वेदांग व"या थाने$य एव च।।
सर व त महाभागे व"ये कमललोचने।
व"या)पे वशाला+ी व"यां दे ,ह नमो तुते।।
एकादशा+र सर वती मं : ॐ /0ं ऐं /0ं सर व यै नमः।
वणा4नामथ4संघानां रसानां छ दसाम प।
मंगलानां च क7ा4रौ व दे वाणी वनायकौ॥
अथातः अ र, श द, अथ और छं द का ान दे ने वाल भगवती सर वती तथा मंगलकता
वनायक क म वंदना करता हूं। – $ीरामच&रतमानस
• सर वती दे वी क '(त)ठा कर+ ,यान मं- के बाद आपको सर वती दे वी क '(त)ठा करने
के 2लए हाथ म+ अ त लेकर यह मं- पढ़ते हुए अ त छोड़+।

“ॐ भूभुव
4 ः वः सर वती दे :यै इहाग<छ इह त=ठ”

• इसके बाद जल लेकर एता न पा"या"याचमनीय- नानीयं, पुनराचमनीयम।् '(त)ठा के बाद
नान कराएं,
ॐ म दाAक या समानीतैः, हे माBभोCह-वाDसतैः नानं कुC=व दे वेDश,, सDललं च सुगि धDभः।।
ॐ Fी सर वतयै नमः।।
• इसके बाद र9त चंदन लेप से र9त चंदन लगाएं।
• इदं Dस दरू ाभरणं से 2स:दरू लगाएं।
ॐ म दार-पाGरजाता"यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः।
पूजयाDम Dशवे, भIतया,, सर वतयै नमो नमः।।
ॐ सर वतयै नमः,, Aफर पु=पाKण समप4याDम।
• इस मं- से पु)प चढ़ाएं ;फर माला पहनाएं।
• अब सर वती दे वी को इदं पीत व समप4याDम कहकर पीला व - पहनाएं।
• इसके प=चात आपको दे वी को नैवे?य अ पत कर+ ।
• इदं नाना व ध नैवे"या न ऊं सर वतयै समप4याDम मं- का जाप करना होगा।
• अब इसके बाद आपको 2म)ठान अ पत कर+ इसके 2लए मं-: इदं शक4रा घत
ृ समायुIतं
नैवे"यं ऊं सर वतयै समप4याDम को पढ़+ ।
• ;फर आपको पान सुपार और पु)प चढ़ाएं।
सर वती पज
ू न के प=चात ् सर वती माता के नाम से हवन ;कया जाता है ।
• सबसे पहले भू2म को वBछ करके एक हवन कुCड बनाएं।
• आम पीपल क लकEड़यF पर अिHन 'Iव2लत कर+ ।
• और ;फर सबसे पहले ऊं गं गणपतये नम: वाहा मं- से गणेश जी एवं ऊं नवNह नमः
वाहा मं- से नवKह का हवन कर+ ।
• इसके बाद ॐ सर वतयै नमः वहा का 108 बार आहु(त दे ते हुए हवन कर+ ।

हवन पूण होने के बाद $?धापूवक 'साद Kहण कर+ इसके बाद सभी म+ वत&रत कर+ ।

सर वती माता कO आरती


आरती कOजै सर वती कO,, जन न व"या बु" ध भिIत कO।
आरती कOजै सर वती कO,, जन न व"या बु" ध भिIत कO।
जाकO कृपा कुम त Dमट जाए,, सुDमरन करत सुम त ग त आये।
शुक सनका,दक जासु गुण गाये, वाKण )प अना,द शिIत कO।
आरती कOजै सर वती कO,, जन न व"या बु" ध भिIत कO।
नाम जपत Sम छूट ,दये के, ,द:य Tि=ट Dशशु उधर ,हय के।
Dमल,हं दश4 पावन Dसय पय के, उड़ाई सुरDभ युग-युग, कO त4 कO।
आरती कOजै सर वती कO,, जन न व"या बु" ध भिIत कO।
र चत जासु बल वेद पुराणा,, जेते N थ र चत जगनाना।
तालु छ द वर Dम Fत गाना,, जो आधार क व य त सती कO।
आरती कOजै सर वती कO,, जन न व"या बु" ध भिIत कO।
सर वती कO वीणा-वाणी कला जन न कO।
आरती कOजै सर वती कO,, जन न व"या बु" ध भिIत कO।।

***** इ त समािYत *****

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