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अवधारणा— व्याकरण—सूखे सुभन से

कौशऱ ववकास -- 1. नए शब्दों का ज्ञान

2. व्मावहारयक व्माकयण अभ्मास

1.दो दो ऩयाायवाची शब्द लऱखिए।

भ्रभय-अलर, बौंया ऩष्ु ऩ- पूर, सभ


ु न ऩवन- हवा,वामु

धया –धयती, बूलभ चंद्र- चंद्रभा, सोभ

2.ववऱोम शब्द लऱखिए।

योना- हँ सना, स्वाथी- नन:स्वाथी, नन:साय- साय , सूखा- गीरा

3.एकवचन रूऩ लऱखिए।

रोरयमाँ – रोयी, भोनतमों- भोती, अठखेलरमाँ- अठखेरी, भ्रभयों- भ्रभय

4.उऩसर्ा प्रत्यय और मूऱ शब्द अऱर् अऱर् करके लऱखिए।

सक
ु ोभर- स+
ु कोभर, कोभरता- कोभर+ता, व्मथथत- व्मथा+इत,

नन:साय- ननस ्+साय, हषााता- हषा+ आता

5.लऱिंर् बदलऱए।

भारी- भालरन, सेवक- सेववका, धोफी- धोबफन, दास- दासी

6.ववशेषण ववशेष्य अऱर् अऱर् करके लऱखिए ।

ववशेषण ववशेष्य

दानी सुभन

सुकोभर ऩुष्ऩवय

सूखे सुभन

स्स्नग्ध ककयणें

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