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RBSE Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीवन
RBSE Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीवन
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RBSESolutions.in
प्रश्न 1.
हिमालय पर्वत की दक्षिणी ढलानों पर उत्तरी ढलानों की अपेक्षा ज्यादा सघन वनस्पति
क्यों है?
उत्तर:
हिमालय पर्वत की दक्षिणी ढलानों पर उत्तरी ढलानों की अपेक्षा अधिक सघन वनस्पति है
क्योंकि-
दक्षिणी ढलानों पर सूर्य का प्रकाश भरपूर मिलता है, जो पेड़-पौधों के बढ़ने में
सहायक होता है, जबकि उत्तरी ढलानों पर सूर्य का प्रकाश अपेक्षाकृ त कम पड़ता
है।
दक्षिणी ढलानों पर भारी मात्रा में वर्षा होती है जो प्राकृ तिक वनस्पति के बढ़ने में
सहायक होती है, जबकि उत्तरी ढलानों पर वर्षा न्यूनतम होती है।
प्रश्न 2.
पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढलानों पर पूर्वी ढलानों की अपेक्षा अधिक सघन वनस्पति क्यों
है?
उत्तर:
पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढलाने दक्षिण-पश्चिम मानसून की अरब सागर शाखा से भारी
मात्रा में वर्षा प्राप्त करती हैं। भारी वर्षा घने वनों के स्थायित्व एवं विकास में सहायक
होती है। इसके विपरीत, पश्चिमी घाट की पूर्वी ढलानें पवनविमख भाग में स्थित हैं, अतः
वृष्टि छाया क्षेत्र में पडती हैं। कम वर्षा होने से यहाँ वनस्पति कम है।
प्रश्न 3.
पाठ्यपुस्तक के चित्र 5.1 में दिये गये दण्ड आरेख का अध्ययन कीजिए और
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) किस राज्य में वनों का क्षेत्रफल सबसे अधिक है?
उत्तर:
मिजोरम राज्य में।
(ii) किस के न्द्र-शासित प्रदेश में वनों का क्षेत्रफल सबसे कम है और ऐसा क्यों है?
उत्तर:
के न्द्र-शासित प्रदेश 'दमन व दीव' में वनों का क्षेत्रफल सबसे कम है। ऐसा इसलिए है
क्योंकि यहाँ की मृदा अत्यन्त लवणीय है।
(ii) सिनकोना के वृक्ष कितनी वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं?
(क) 100 सेमी.
(ख) 70 सेमी.
(ग) 50 सेमी.
(घ) 50 सेमी. से कम वर्षा।
उत्तर:
(क) 100 सेमी.
प्रश्न 2.
संक्षिप्त उत्तर वाले प्रश्न-
(i) भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण किन तत्त्वों द्वारा निर्धारित होता है?
उत्तर:
(1) धरातल-(a) भू-भाग (b) मृदा
(2) जलवायु-(a) तापमान (b) सूर्य का प्रकाश (c) वर्षण।
नोट 1. वैकल्पिक प्रश्न 4 के विकल्पों में दिए सभी चारों जीव मण्डल निचयों को विश्व के
जीव मण्डल निचयों में लिया गया है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में अन्तर कीजिए-
(i) वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत
(ii) सदाबहार और पर्णपाती वन।
उत्तर:
(i) वनस्पति जगत तथा
प्राणी जगत में अन्तर:
1. वनस्पति जगत शब्द से किसी विशेष 1. प्राणी जगत शब्द से किसी विशेष क्षेत्र
क्षेत्र में, किसी समय में पौधों की जाति का में, किसी समय में जीवों का बोध होता है।
ज्ञान होता है।
2. भारत में लगभग 47,000 विभिन्न 2. भारत में जीवों की लगभग 90,000
जातियों के पौधे पाये जाते हैं। प्रजातियाँ मिलती हैं।
सदाबहार वन पर्णपाती वन
4. इन वनों में पतझड़ का समय या मौसम 4. यहाँ शुष्क मौसम में लगभग 6 से 8
निश्चित नहीं होता है। अतः वन पूरे साल सप्ताह के लिए पतझड़ का दौर होता है।
हरा-भरा दिखाई पड़ता है। प्रत्येक वृक्ष प्रजाति का पतझड़ का एक
निश्चित समय होता है। अतः वन उजड़ा
हुआ नहीं लगता है।
प्रश्न 4.
भारत में विभिन्न प्रकार की पाई जाने वाली वनस्पति के नाम बताएँ और अधिक ऊँ चाई
पर पाई जाने वाली वनस्पति का ब्यौरा दीजिए।
उत्तर:
भारत में विभिन्न प्रकार की पाई जाने वाली वनस्पति निम्न हैं-
अधिक ऊँ चाई पर पाई जाने वाली वनस्पति-इस प्रकार की वनस्पति पर्वतीय वनों के
अन्तर्गत आती है। अधिक ऊँ चाई पर प्रायः शीतोष्ण कटिबन्धीय घास के मैदान पाये जाते
हैं। प्रायः 3,600 मी. से कटिबन्धीय वनों तथा घास के मैदानों का स्थान अल्पाइन
वनस्पति ले लेती है।
सिल्वर-फर, जुनीपर, पाइन और बर्च इन वनों के मुख्य वृक्ष हैं । जैसे-जैसे हिम रेखा की
ओर बढ़ते हैं, उत्तरोत्तर ये पेड़-पौधे बौने होते जाते हैं। अन्ततः, झाड़-झंखाड़ में बदलकर
ये अल्पाइन घास के मैदानों में विलीन हो जाते हैं। अत्यधिक ऊँ चाइयों पर मॉस, लिचन
आदि घास मिलती हैं।
प्रश्न 5.
भारत में बहुत संख्या में जीव और पादप प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं। उदाहरण सहित कारण
दीजिए।
उत्तर:
भारत में बहुत संख्या में जीव तथा पादप प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं। भारत में लगभग
1,300 पादप प्रजातियाँ संकट में है तथा 20 प्रजातियाँ विनष्ट भी हो चुकी हैं। इसी प्रकार
काफी जीव-प्रजातियाँ भी संकट में हैं और कु छ विनष्ट भी हो चुकी हैं।
भारत में जीव और पादप प्रजातियों के संकटग्रस्त होने के निम्न कारण हैं-
(1) प्राकृ तिक आश्रय स्थलों का नष्ट होना-वन्य जीवों के नष्ट होने का सबसे बड़ा कारण
उनके प्राकृ तिक आश्रय स्थलों का नष्ट होना है। घरों, कृ षि-भूमि, बाँधों तथा राजमार्गों के
लिए वन काटने से वन्य-जीवों के आवास नष्ट हो जाते हैं। वन नष्ट होने से पादप प्रजातियाँ
भी संकट में आ जाती हैं।
(2) शिकार-शिकार वन्य-जीवों के उन्मूलन का दूसरा प्रमुख कारण है। सरिस्का में
शिकारियों ने बाघों का शिकार कर वहाँ सभी बाघों को खत्म कर दिया था। अब वहाँ
रणथम्भौर से बाघ लाकर छोड़े गये हैं। काजीरंगा नेशनल पार्क में सींगों के लिए गैंडों का
शिकार किया जाता है। पशुओं तथा पक्षियों को उनके चमडे, पंखों तथा अन्य अवयवों
कभी-कभी संग्रहालयों में रखने के लिए मारा जाता है। वन्य जीवों के संकट में आने से
पादप प्रजातियाँ भी संकट में आती हैं।