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Banamali Biswal
Banamali Biswal
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िैपक्षक-उिलपब्धधयां - सतं कृ त, अग्रं ेजी, पहन्दी तथा ओपिआ भाषा में कपवकमम करने वाले कपव एवं
कथाकार रो. िनमाली पिश्वाल यद्यपि जन्म से उत्कलीय हैं उनका कममक्षेत्र रयाग ही रहा है और इस समय वे
आचायम एवं व्याकरणपवभागा्यक्ष के रूि में के न्रीय संतकृ त पवश्वपवद्यालय, श्रीरघनु ाथकीपतम िररसर,
देवरयाग, उत्तराखण्ि में कायमरत हैं। उनका अि तक उियमक्त ु रायः सभी भाषाओ ं में 100 से अपधक
सजमनात्मक मौपलक, अनपू दत, िोधितु तकें रकापित हैं। उनकी सजमनात्मक कृ पतओ ं में कथा, कपवता, नाटक,
उिन्यास, लपलतपनिन्ध, यात्रासापहत्य आपद सपम्प्मपलत हैं। उन्होंने काव्यतत्त्वसमपन्वपत, हततलेखिास्त्र,
भारतीयदिमनकाररका, िाश्चात्यदिमनकाररका नाम से कई अपभनव िास्त्रग्रन्थ पलखने के साथ-साथ 10 से
अपधक सजमनात्मक, समीक्षात्मक िोधिपत्रकाओ ं के 100 से अपधक अक ं ों का सफल सम्प्िादन भी पकया है।
इसके अपतररक्त 150 से अपधक िोधित्र, 60 से अपधक ितु तकसमीक्षा, 10 से अपधक ितु तकों का िरु ोवाक्
या आमख ु लेखन, 20 से अपधक लब्धधरपतष्ठ रचनाकारों का साक्षात्कार, 150 से अपधक अन्तारापरिय,
रापरिय सम्प्मल े न, संगोष्ठी, कायमिालाओ ं में सपिय भागग्रहण, 50 िोधछात्रों का पनदेिन (40 उिापधराप्त),
िैक्षपणक पवदेियात्रा - जममनी , कपव की सजमनात्मक कृ पतओ ं िर 10 से अपधक िी.एच.िी,एम.फील
िोधरिन्ध रतततु ,अिनी सारतवत उिलपब्धध के पलए उन्हें पदल्ली संतकृ त अकादमी, उत्तररदेि संतकृ त
सतं थान, भारतीय भाषा िररषद् (कोलकाता), पहन्दी सापहत्य सम्प्मल े न (इलाहािाद), भाउराव देवरस
सेवान्यास (लखनऊ), उिेन्रभञ्ज फाउंिेिन (भवु नेश्वर) आपद अनेक सरु पतपष्ठत सापहपत्यक, सांतकृ पतक
संतथाओ ं के द्वारा 20 से अपधक िार िरु तकृ त पकया जा चक ु ा है।
.....................
वैयक्षिक क्षवविण
प्रो. बनमाली क्षबश्वाल
जन्मक्षिक्षि- 4-5-1961
क्षपिा - तव. नारायणपिश्वाल
मािा - तव. सत्यभामा पिश्वाल
पत्नी – श्रीमती िद्मवती पिश्वाल
जन्मिीिथ- ग्राम - तेपलआ, िो. हाटसापह, वाया – िख ं पचला, पज. याजिरु , ओपििा
कमथिीिथ - आचायम एवं व्याकरणपवभागा्यक्ष, के न्रीय संतकृ त पवश्वपवद्यालय, श्रीरघनु ाथकीपतम िररसर,
देवरयाग, उत्तराखण्ि - 249301,
वासिीिथ - 57, वसन्तपवहार, झसू ी, इलाहािाद – 211019
जगं मदूिभाष – 9450781742 (मो.)7355159616
7839908471(ह्वा.)
ईमेल – banamali7@gmail.com
य-ू ट्यिू ्-पलंक –https://www.youtube.com/channel/UC-r7elK6Jr_ztnqoMJo9xjw
ब्धलागतिाट – https://professorbanamalibiswal.blogspot.com/
एकािेपमयाएिु.– http://independent.academia.edu/BanamaliBiswal
जीवनवृत्त – http://srkcampus.org/pdf/faculty_bio/banamali_biswal.pdf
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शिक्षा - शास्त्री, आचार्य, एम.ए., एम.फिल.,पी.एच.डी. (पण
ु े विश्िविद्र्ालर्)
क्षवषय-क्षवशेषज्ञिा व्याकरण, वेद, धमम एवं दिमन, सापहत्य, आधपु नक संतकृ त सापहत्य, संकृत एवं
पविान, िाण्िुपलपिपविान, िोधरपवपध आपद
भाषा-दििा संतकृ त, पहन्दी, अग्रं ेजी, ओपिआ (मराठी, िांगला कुछ सीमा तक)
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- वदरीि-ितकम,् रयागरयाणम,् नवदगु ामयणम् सतं कृ तगौरवितकम् तथा सोमनाथायनम् (िद्यिन्धा आपद
िपत्रकाओ ं में रकापित), वैरणोदेवीितकम,् कोरोनायणम,् देवभपू मरयाणम् आपद (यन्त्रतथ)
ओक्षिआ-कक्षविासग्रं ह - वञ्च तमु े मो आयुष नेइ (1997), कपश्चत्कान्ता (2000)
ओक्षिआकिासंग्रह - सकालर महु ँ (2000 )
(इसके अपतररक्त एक सतं कृ त-कथासग्रं ह दो सतं कृ त-नाटक दोसतं कृ त-उिन्यास
यन्त्रतथ है)
प्रकाक्षशि समीिा-ग्रन्ि – समकापलक संतकृ तसापहत्य की नवीन रवृपत्तयां
प्रकाक्षशि शोध-ग्रन्ि The समासिपक्तपनणमय of कौण्िभट्ट (1995), The concept of
उिदेि in Sanskrit Grammar (1996), ितञ्जपल as a Philosopher and
Grammarian (2003), भतृमहरर as a Philosopher and Grammarian,
(2006) व्याकरणतत्त्वालोचनम,् PadmajaPrakashan (2006), Studies on
Sanskrit Grammar and Grammatical concepts (2006), A new
approach to Philosophy of Sanskrit Grammar (2007), Orissan
Contributions to Sanskrit Grammar and linguistics (2007),
रापतिाख्य-िाररभापषक-िब्धदकोि (2015), समकापलक संतकृ त सापहत्य की
नवीन रवृपत्तयां (2020)
शास्त्रीय ग्रन्ि - काव्यतत्त्वसमपन्वपतः, हततलेखिास्त्रम,् भारतीयदिमनकाररका,
िाश्चात्यदिमनकाररका आपद,
अनूक्षदि एवं सम्पाक्षदि शास्त्रीय ग्रन्ि - योगरत्नावली, वाक्यवाद, वाक्यदीपिका, कपवरहतय, मनपसजसत्रू म्
तथा रापरिय-संतकृ त-संतथान के दरू तथ पिक्षण सामग्री के रूि में पसद्धान्त
कौमदु ी एवं लघ-ु पसद्धान्त-कौमदु ी की दि िपु ततकाएं रकापित
प्रकाक्षशि भाषाक्षशिण पुस्िक - रापरिय-सतं कृ त-संतथान के संतकृ त तवा्याय सामग्री के रूि में रथमा
दीक्षा के िांच, पद्वतीय दीक्षा के तीन एवं तृतीय दीक्षा के दो ितु तकें एवं
गगं ानाथ झा िररसर, इलाहािाद से िञ्जािी सतं कृ त िाठमाला सयं क्त ु
सम्प्िादन में रकापित
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पस्ु िक-समीिा - 60 ितु तक-समीक्षा पवपवध ित्र-िपत्रकाओ ं में रकापित
शोध-क्षनदेशन - मागमदिमन में 40 िोधछात्र िोध उिापध (िी. एच. िी) राप्त
सम्मेलन, संगोष्ठी, कायथशाला -160 (रारिीय, अन्तारारिीयसम्प्मले नों में ित्ररततपु तिवू क
म
भागग्रहण एवं अनेकों में सत्रा्यक्ष)
पिु ोवाक् आमुख लेखन - 10 से अपधक ितु तकों का िरु ोवाक् (Foreword) आमख
ु (Preface) लेखन
क्षवशेष उपलक्षधध - सजमनात्मक रचनाकार के रूि में कृ पतत्व एवं व्यपक्तत्व िर 10 से अपधक
िोधरिन्ध (िी.एच.िी), लघु िोधरिन्ध (एम. फील) पलखे गये एवं पलखे जा रहे
हैं।
- रपतपष्ठत रचनाकार के रूि में तव-साक्षात्कार लोकभाषासश्रु ी िपत्रका में
रकापित
- अिनी अनेक कथा, कपवता एवं कथासग्रं ह पहन्दी, अग्रं ेजी, तेलगु ,ू ओपिआ
आपद भाषाओ ं में अनपू दत
साक्षहक्षत्यक-सम्मान
१. पवपवध-िरु तकारः (सङ्गमेनापभरामा), उत्तररदेि संतकृ त संतथान, १९९६
२. पवपवध-िरु तकारः (िञ्जािी-सतं कृ त-िाठमाला), उत्तररदेि सतं कृ त सतं थान, १९९६
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३.भाउराओ-देवरस-सेवान्यास-यवु ासापहत्यकार-िरु तकारः(यवु ा-ओपिआ-कपवरुिेण), लखनऊ, १९९६
४. िपण्ितराजजगन्नाथ-िद्यरचना-िरु तकारः (सङ्गमेनापभरामा), पदल्ली-संतकृ त अकादमी, १९९७-९८
५. अपखलभारतीय-मौपलक-संतकृ त-कथारचना-िरु तकारः, पदल्ली संतकृ त अकादमी, १९९८
६. अपखलभारतीय-मौपलक-संतकृ त-कथारचना-िरु तकारः, पदल्ली सतं कृ त अकादमी, १९९९
७. पवपवधिरु तकारः (परयतमा), उत्तररदेि संतकृ त संतथान, १९९९
८. िाणभट्टिरु तकारः (नीरवतवनः), उत्तररदेि संतकृ त संतथान, १९९९-२०००
९. गोतवापम-पगररधरलाल-गद्यरचना-िरु तकारः (नीरवतवनः), पदल्ली सतं कृ त अकादमी, १९९९-२०००
१०. गोतवापम-पगररधरलाल-गद्यरचना-रथमिरु तकारः, (िभु क्ष ु ा), पदल्ली संतकृ त अकादमी, २००२-२००३
११. िपण्ितराजजगन्नाथ-िद्यरचना-पद्वतीयिरु तकारः, (दारुब्रह्म), पदल्ली संतकृ त अकादमी, २००२-२००३
१२. संतकृ त-महामहोिा्याय-सम्प्मानः, पहन्दी सापहत्य सम्प्मेलन, इलाहावाद, २००५
१३. अपखलभारतीय-समतयािपू त्तम-िरु तकारः, पदल्ली सतं कृ त अकादमी, २००५-२००६
१४. संतकृ तरपतभासम्प्मानः, K.K.Women’s College,Balasore, 2006
१५. अपखलभारतीय-मौपलक-संतकृ त-कथारचना-िरु तकारः, पदल्ली संतकृ त अकादमी, २००६
१६. अपखलभारतीय-समतयािपू त्तम-िरु तकारः, पदल्ली सतं कृ त अकादमी, २००६
१७. पवपवधिरु तकारः (पजजीपवषा), उत्तररदेि संतकृ त संतथान, २००६
१८. अपखलभारतीय-मौपलक-संतकृ त-लघक ु था-िरु तकारः, पदल्ली संतकृ त अकादमी, २००६
१९. पवपवधिरु तकारः (पजजीपवषा), उत्तररदेि सतं कृ त सतं थान, २००७
२०. नव ऊजाम अपभनन्दनम,् भारतीय भाषािररषद् कोलकाता, २०१२
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३. ऋतिु णाम, िद्मजारकािनम,् रयागः, १९९९
३.
4. परयतमा, िद्मजारकािनम,् रयागः, १९९९
४.
5. वेलेण्टाइन-् िे-सन्देिः, िद्मजारकािनम,् रयागः,२०००
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2. िभु क्ष
ु ा, िद्मजारकािनम,् रयागः,२००१
3. िभु क्ष
ु ा-िीषमकाङ्पकततय मौपलक-संतकृ त-कथा-संग्रहतय पहन्दी-अनवु ादः
िद्मजारकािनम,् रयागः,२००१
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२. कपश्चत्कान्ता, िद्मजारकािनम,् रयागः,२०००
अनक्षू दि किासग्रं ह
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Prakashan , Allahabad , 2013 )
अनूक्षदि नाटक
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10. पलङ्गपनणमयः Rashtriya Sanskrit Sansthan, Ready for press
11. पलङ्गरकािः Rashtriya Sanskrit Sansthan, Ready for press
12. पलङ्गानि
ु ासनवृपत्तः Rashtriya Sanskrit Sansthan, Ready for press
खण्िकाव्य
1. रयागरयाणम् (िद्यिन्धाया 15िे अङ्के रकापितम)्
2. सोमनाथायने – (िद्यिन्धाया 16िे अङ्के रकापितम)्
3. कोरोनायणम् (िद्यिन्धाया 17िे अङ्के रकापितम)्
शिकाकाव्य
1. वदरीिितकम् (िद्यिन्धाया 13िे अङ्के रकापितम)्
2. नवदगु ामयणम् (िद्यिन्धाया 14िे अङ्के रकापितम)्
3. संतकृ तगौरवितकम् (रघनु ाथवायामवल्याः 11िे अङ्के रकापितम)्
4. के दारे श्वरितकम्
5. श्रीिङ्कराचायम-ितकम्
6. रपतवेिी-ितकम्
7. भवभपू त-ितकम्
8. कापलदासितकम्
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(ज) शोधग्रन्ि
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7. Orissan Contributions to Sanskrit Grammer and Linguistics ,
Padmaja Prakashan , Allahabad , 2007
(झ) सम्पाक्षदिग्रन्ि
1. रपत्वपनः (Collection of Sanskrit 1995 Utkal Samaj, Allahabad
poems) Allahabad
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Campus, Allahabad
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सपन्धप् वसगमसपन्ध-तवापदसपन्ध-रकरणम् Sansthan, New Delhi
(Distance Education Study Material)
23 लघपु सद्धान्तकौमदु ी,खण्िः– 4 –अजन्त- 2012 Rashtriya Sanskrit
रकरणम् (Distance Education Study Sansthan, New Delhi
Material)
24 लघपु सद्धान्तकौमदु ी,खण्िः–5– हलन्त- 2012 Rashtriya Sanskrit
रकरणमअ ् व्ययरकरणञ्च (Distance Sansthan, New Delhi
Education Study Material)
25 लघपु सद्धान्तकौमदु ी,खण्िः–6– भ्वापद-रकरणम् 2012 Rashtriya Sanskrit
(Distance Education Study Material) Sansthan, New Delhi
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Vidyapeeth, Allahabad,
Vol.
33 मत्तयगन्धा Calcutta
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6 Journal of G.N. Jha Campus, 2014 Rashtriya Sanskrit Sansthan,
Allahabad (Volume - 69)ISSN G.N. Jha Campus, Allahabad
0377-0575
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(ट) E-Texts Prepared and Uploaded in Sansthan’s website(2010-2011)
(ठ) भाषाक्षशिणसामग्री
- संतकृ ततवा्याय (रापरिय संतकृ त संतथान) रथमादीक्षा 5 भाग (2002)
- सतं कृ ततवा्याय (रापरिय सतं कृ त सतं थान) पद्वतीयदीक्षा 3 भाग (2004)
- काव्यतवा्याय (रापरिय संतकृ त संतथान) तृतीयदीक्षा संक्षेिरामायण (2003)
- काव्यतवा्याय (रापरिय सतं कृ त सतं थान) तृतीयदीक्षा नीपतितकम् (2005)
- काव्यतवा्याय (रापरिय संतकृ त संतथान) तृतीयदीक्षा पहतोिदेिः (2005)
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