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पन्नों से गुज़रे .......


1. मातभ
ृ ूमम कविता मैथिलीशरण गुप्त 2
2. बेटी के नाम...... जिाबी पत्र बहादरू शाह ज़फ़र 8
3. मेरे भारतिामसयो भाषण जिाहरलाल नेहरू 15
4. सूरीनाम में पहला ददन सफ़रनामा दहमाांशु जोशी 22
5. सूरदास के पद कविता (पद) सूरदास 29
6. दोस्ती फिल्मी गीत आनांद बख्शी 33
7. ज़मीन एक स्लेट का नाम है आत्मकिाांश एकाांत श्रीिास्ति 35
8. सपने का भी हक नहीां कविता डॉ जे बाबू 42
9. मुरकी उिफ बल
ु ाकी कहानी अमत
ृ ा प्रीतम 47
10. हाइकू कविता डॉ भगितशरण अग्रिाल 57
11. कुमद
ु िूल बेचनेिाली लड़की कविता ओ एन िी कुरुप 59
12. िह भटका हुआ पीर सांस्मरण राज बद्
ु थिराजा 61
13. आदमी का चेहरा कविता कुुँिर नारायण 64
14. दिा व्यांग्य हररशांकर परसाई 66
15. जीिन-ित्त
ृ 67
16. चररत्र थचत्रण 69
17. विज्ञापन 72
18. पोस्टर 73
19. अनुिाद 73
20. पाररभावषक शब्दािली 74
21. Types of Questions & Tips 74

1
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मातभ
ृ ूमम
कविता मैथिलीशरण गुप्त
‘जननी जन्मभूममश्च स्वर्गातपि र्रीयसी’ अर्गात भगरतीय िरंिरग के अनुसगर जननी और जन्मभूमम स्वर्ा से भी
बेहतर है। भगरतवगमसयों केमिए दे शप्रेम प्रेरणग नहीं सच्चगई है। मगतभ
ृ ूमम कग र्ुणर्गन करनेवगिी यह कपवतग देश केमिए
अिनी जगन अपिात करने की आह्वगन भी करती हैं।
प्रश्नों के उत्तर कविता से ढूुँढें:
I. नीलाांबर पररिान ....... हीरे कहलाए।
(1) समगनगर्ी शब्द कपवतग से चुनकर मिखें।
आकगश - अंबर वस्र - िररधगन प्रदे श/ककनगरग - तट युग्म - युर्
तगज़ - मक
ु ुट करधनी - मेखिगट समद्र
ु - रत्नगकर नक्षर - तगरग
बहगव/धगरग - प्रवगह आभूषण - मंडन स्तुततिगठक - बंदीजन िक्षी - खर्
समूह - वंद
ृ बगदि - ियोद आत्मसमिाण - बमिहगरी सगकगर - सर्ुण
िुढकनग - िोटनग धूमि - रज रें र्नग - सरकनग
हेतु/वजह - कगरण रत्न - हीरे
(2) मगतभ
ृ ूमम कग िररधगन क्यग है? नीिगंबर यग नीिे रं र् कग अंबर
(3) मगतभ
ृ ूमम कग मुकुट क्यग-क्यग है? सूया और चंद्र
(4) सूया और चंद्र क्यग करते है?
सय
ू ा और चंद्र ददन और रगत में मगतभ
ृ मू म के ऊिर शोमभत करते हैं।
(5) कपव ने समुद्र कग वणान ककस प्रकगर की है?
कपव ने समुद्र कग वणान मगतभ
ृ ूमम के करधनी के रूि में ककयग है।
(6) मगतभ
ृ ूमम कग करधनी क्यग है? समुद्र
(7) कपव ने नददयों कग वणान ककस प्रकगर ककयग है?
नददयगाँ भगरतवगमसयों केमिए प्रेम कग प्रवगह है, जो तनस्स्वगर्ा प्रेम की धगरग बहगती है।
(8) मगतभ
ृ ूमम कग आभूषण क्यग-क्यग है? फूि और तगरे
(9) मगतभ
ृ ूमम कैसे शोमभत है?
नीिगंबर रूिी वस्र िहनकर, हररयगिी से भरे त़ट िर, सय
ू ा और चंद्र कग मक
ु ु ट धगरण करके, फूि-तगरों रूिी
आभूषण और समुद्र रूिी करधनी िहनकर मगतभ
ृ ूमम शोमभत है।
(10) मगतभ
ृ ूमम कग मसंहगसन क्यग है? शेष नगर् कग फन।
(11) भगरतमगतग ककस िर पवरगजमगन है ? शेष नगर् के मसंहगसन िर।
(12) ‘शेषफन मसंहगसन है’ – कपव क्यों इस प्रकगर कहते हैं?
OR
शेषनगर् के फन को क्यों मगतभ
ृ ूमम कग मसंहगसन कहग र्यग है?
दहंद ु ममर्क के अनस
ु गर शेषनगर् (अनंत) के फन िर धरती स्स्र्त है। शेष प्रकृतत कग प्रतीक है। कपव यहगाँ
ममर्क कग सहगरग मियग है, स्जसके अनस
ु गर शेषनगर् के फन इस धरती अर्गात हमगरी मगतभ
ृ ूमम कग मसंहगसन है।
(13) मेघ क्यग करते है? मेघ मगतभ
ृ ूमम िर अमभषेक करते हैं।
(14) मेघ मगतभ
ृ ूमम िर ककसकग अमभषेक करते हैं?
मेघ मगतभ
ृ ूमम िर वषगा कग अमभषेक करते हैं।
(15) कपव अिने मगतभ
ृ मू म केमिए क्यग करनग चगहते है ?
कपव अिने मगतभ
ृ ूमम केमिए आत्मसमिाण करनग चगहते है।
2
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(16) कपव ककस िर आत्मसमिाण करनग चगहते हैं?


कपव अिने मगतभ
ृ ूमम के सुंदर सर्ुण मूतता िर आत्मसमिाण करनग चगहते हैं।
(17) मगतभ
ृ ूमम ककसकी सर्ण
ु मूतता है? सवेश की सर्ुण मूतता है।
(18) कपव अिने मगतभ
ृ ूमम केमिए आत्मसमिाण करनग चगहते हैं, क्यों?
मगतभ
ृ ूमम सवेश की सर्ण
ु सगकगर मूतता है, इसमिए कपव आत्मसमिाण करनग चगहते हैं।
(19) कपव अिने मगतभ
ृ मू म केमिए बमिहगरी होनग चगहते हैं, क्यों?
कपव अिने मगतभ
ृ ूमम केमिए बमिहगरी इसमिए होनग चगहते हैं कक मगतभ
ृ ूमम सवेश की सर्ुण सगकगर मूतता है।
(20) ककसके रज में िोट-िोट कर हम ख़डे हुए हैं?
मगतभृ ूमम के रज में िोट-िोट कर हम खडे हुए हैं।
(21) हम भगरतवगसी कैसे बडे हुए हैं?
मगतभ
ृ मू म के रज में िोट-िोट कर हम भगरतवगसी बडे हुए हैं।
(22) हम भगरतवगसी कैसे खडे हुए हैं?
घुटनों के बि िर सरक-सरक कर हम भगरतवगसी खडे हुए हैं।
(23) कपव को बगल्यकगि में ककस तरह की सख
ु िगए?
कपव को बगल्यकगि में श्रीरगमकृष्ण िरमहंस जैसग सुख िगए।
(24) ‘िरमहंस सम बगल्यकगि में सब सुख िगए’ - ककसको?
कपव (भगरतवगसी) को बगल्यकगि में सब सुख िगए।
(25) ‘िरमहंस सम बगल्यकगि में सब सुख िगए’ – कपव क्यों ऐसे कहते हैं?
मगतभ
ृ मू म की ममट्टी में रहकर कपव को बगल्यकगि में ही अिौककक सख
ु कग आनंद भोर्ने कग
अवसर ममिग। इसके कगरण से वे धूि भरे हीरे कहिगए। बगल्यकगि में ही अिररममत खश
ु ी और शगंतत के
अनुभव होने के कगरण कपव ऐसे कहते हैं।
(26) ककससे कगरण कपव को धि
ू भरे हीरे कहिगए?
मगतभ
ृ ूमम के कगरण कपव को धूि भरे हीरे कहिगए।
II. हम खेल-कूदे ........... ममल जाएगी।
(1) समगनगर्ी शब्द कपवतग से चुनकर मिखें।
क्रोड/अंक - र्ोद दे खनग - तनरखनग िीन - मग्न हषा - मोद
अनभ
ु व करनग - भोर्नग शरीर - दे ह घि
ु नग - सननग वक्त - समय
तनजीव - अचि
(2) हम भगरतवगसी कहगाँ खेि-कूदे हैं? मगतभ
ृ ूमम की प्यगरी र्ोदी में।
(3) हम भगरतवगसी कैसे हषा कग अनभ
ु व करते है?
अिने मगतभ
ृ ूमम के प्यगरी र्ोद में खेि-कूद कर हषा कग अनुभव करते हैं।
(4) ‘िगकर तझ
ु से सभी सख
ु ों को हमने भोर्ग’ – सख
ु हमें ककससे ममिग? मगतभ
ृ मू म से।
(5) भगरतवगसी कैसे आनंदपवभोर हो जगते हैं?
अिने मगतभ
ृ ूमम को दे खकर हम भगरतवगसी आनंदपवभोर हो जगते हैं।
(6) हम भगरतवगसी कैसे आमोद में मग्न हो जगते हैं?
अिने मगतभ
ृ ूमम को दे खकर हम भगरतवगसी आमोद में मग्न हो जगते हैं।
(7) मगतभ
ृ ूमम ने हमें क्यग-क्यग उिकगर ककए?
जो सुख और संतोष हम भगरतवगमसयों भोर्ते हैं, वे सब मगतभ
ृ ूमम की ही दे न है। हमगरग शरीर मगतभ
ृ ूमम से
बनी हुई है। उसके सरु स-सगर से सने होकर हम ििग है।

3
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(8) हमगरे शरीर कैसे बने हुए हैं?


हमगरे शरीर मगतभृ ूमम से बनी हुई है। उसके सरु स-सगर से सनी हुई है।
(9) मत्ृ यु के वक्त हमगरग अचि शरीर कौन अिनगएर्ी?
मत्ृ यु के वक्त हमगरे अचि शरीर मगतभ
ृ ूमम अिनगएर्ी।
(10) ‘कफर अंत समय तू ही इसे अचि दे ख अिनगएर्ी’ – कपव इस प्रकगर क्यों सोचते हैं?
मत्ृ यु के अवसर िर जब हम अचि हो जगएाँर्े तब मगतभ
ृ मू म ही हमें अिनगएर्ी। अर्गात मगतभ
ृ मू म में रहकर
उसी के सरु स-सगर से ििग हुआ यह शरीर अंत में उसकी ममट्टी में ही पविीन हो जगएाँर्े।
(11) हमगरग अंत कैसे होते हैं?
हमगरे अंत में जब शरीर अचि हो जगएाँर्े, तब हम सब इस ममट्टी में ही पविीन हो जगएाँर्े। अतः मगतभ
ृ ूमम
में उसकी कृिग से ििग हुआ यह शरीर अचि होने िर वही भूमम ही स्वीकगर करें र्े।
(12) ‘यह अंत में तझ
ु में ही ममि जगएर्ी’ – कपव के मत में अंत में कौन ककसमें ममि जगएर्ी?
अंत में हमगरग तनजीव शरीर मगतभ
ृ ूमम में ही ममि जगएर्ी।
मेरी खोज:
➢ कपव ने मगतभ
ृ मू म कग वणान ककस प्रकगर ककयग है ?
अिनी मगतभ ृ ूमम कग वणान करते हुए कपव कहते हैं कक उसकी हररयगिी में नीिगकगश सुंदर वस्र की तरह
शोमभत है। सूया और चंद्र मक
ु ु ट की तरह ददन-रगत उसकी शोभग बढगती है। सगर्र उसकी करधनी है। यहगाँ बहनेवगिी
नददयगाँ प्रेम कग प्रवगह है, फूि-तगरे उसकी शोभग बढगनेवगिे आभष
ू ण है। िक्षक्षयगाँ स्तुतत र्ीत र्गते हैं, आददशेष कग
सहस्र फन रूिी मसंहगसन िर तू पवरगस्जत है। बगदिों िगनी बरसगकर उसिर अमभषेक करते रहते हैं। वगस्तव में तू
ईश्वर की सर्ण
ु सगकगर मतू ता है।
➢ मगतभ
ृ ूमम से कपव कग बचिन कैसे जुडग है?
मगतभ ृ ूमम से कपव के बचिन कग संबंध व्यक्त करते हुए कपव कहते हैं कक उसकी धूमि में िोट-िोट कर वे
बडे हुए हैं। घटु नों के बि िर यहगाँ सरक-सरक कर ही िैरों िर खडग रहनग सीखग। यहगाँ रहकर बचिन में ही उसने श्री
रगमकृष्ण िरमहंस की तरह सभी सुख िगए। इसके कगरण ही उसे धूि भरे हीरे कहिगए। इस जन्मभूमम की प्यगरी
र्ोदी में खेि-कूद करके हषा कग अनुभव भी ककए।
➢ तेरग प्रत्युिकगर कभी क्यग हमसे होर्ग – कपव इस प्रकगर क्यों सोचतग है ?
मगतग-बच्चे, दोनों कग ररश्तग अनोखग है, िपवर भी है। अिने बच्चों केमिए की र्ई भिगई यग उिकगरों केमिए
बदिग दे नग मस्ु श्कि है। उसी तरह हमने अिनी मगतभ
ृ मू म में रहकर जो सख
ु -सपु वधगओं को भोर्ग, उसकेमिए
प्रत्युिकगर करनग आसगन नहीं है। इस िपवर ममट्टी में जन्म िेकर, यहगाँ के अन्न और जि से बनी हुई हमगरे शरीर
भी मगतभ ृ ूमम की ही है। मगाँ और मगतभ
ृ ूमम अिने बच्चों से कुछ नहीं चगहते, अतः उन दोनों के द्वगरग की र्ई
उिकगरों कग मूल्य अिनी जगन दे कर भी नहीं चुकगयग जगतग।
कविता की आस्िादन दटप्पणी मलखें :
द्पववेदी यर्
ु के प्रततभगशगिी कपव है श्री मैथर्िीशरण र्प्ु त जी। िरु गणों में उिेक्षक्षत प्रसंर्ों में उिेक्षक्षत कगव्य प्रसंर्ों
एवं िगरों, खगसकर नगरी िगरों को िेकर युर्गनुरूि कगव्य उन्होंने रचे। ‘मगतभ
ृ ूमम’ र्ुप्त जी की प्रमसद्ध प्रेरणगदगयक कपवतग है,
स्जसमें उन्होंने मगतभ
ृ ूमम कग र्ुणर्गन करके उसके मिए अिने जगन भी अपिात करने कग आह्वगन करते है।
मगतभ ृ मू म कग वणान करते हुए कपव कहते हैं कक उसकी हररयगिी के ऊिर नीिगकगश संद
ु र वस्र की तरह शोमभत है।
सूया और चंद्र मुकुट की तरह ददन-रगत उसकी शोभग बढगती है। सगर्र उसकी करधनी है। यहगाँ बहनेवगिी नददयगाँ प्रेम कग
प्रवगह है, फूि-तगरे आभष
ू ण है। िक्षक्षयगाँ स्तुततर्ीत र्गते हैं, आददशेष के सहस्र फन रूिी मसंहगसन िर तू पवरगस्जत है। बगदिें
िगनी बरसगकर इसकग अमभषेक करते है। वगस्तव में तू ईश्वर की सर्ण
ु सगकगर मूतता है। कपव अिनी जन्मभूमम के इस सुंदर
रूि िर आत्मसमिाण करते हैं।

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जन्मभूमम से कपव के बचिन कग संबंध व्यक्त करते हुए कपव कहते हैं कक इसके धूमि में िोट-िोट कर वे बडे हुए
हैं। घुटनों के बि िर सरक-सरक कर ही िैरों िर खडग रहनग सीखग। यहगाँ रहकर बचिन में ही उसने श्री रगमकृष्ण िरमहंस
की तरह सभी सुख िगए। इसके कगरण ही वे धि
ू भरे हीरे कहिगए। इस जन्मभूमम की प्यगरी र्ोदी में खेि-कूद करके हषा कग
अनुभव ककए। ऐसे मगतभ
ृ ूमम को दे खकर हम आनंद से मग्न हो जगती है।
आर्े कपव कहते हैं जो सुख शगंतत हमने भोर्ग है, वे सब मगतभ
ृ ूमम की दे न है। तुमसे ककए र्ए उिकगरों कग बदिग
दे नग मस्ु श्कि है। यह दे ह तेरग है, तझु से ही बनी हुई है, तेरे जीव-जि से सनी हुई है। मत्ृ यु होने िर इस तनजीव शरीर तू ही
अिनगएर्ग। हे मगतभ ृ ूमम! तुझमें जन्म िेकर तुझमें ििकर, अंत में हम सब तेरी ही ममट्टी में पविीन हो जगते हैं।
सरि शब्दों में कपव मगतभ
ृ ूमम की खूबबयों की ओर आकृष्ट करके उसकेमिए जगन अपिात करने की प्रेरणग देती है।
परीक्षा केंदित कुछ प्रश्न। सबका उत्तर स्ियां मलखने का प्रयास करें :
(1) मगतभ
ृ ूमम कपवतग िढनेवगिी छगर अिने ममर से कपवतग के बगरे में कहते हैं। उन दोनों के बीच कग वगतगािगि मिखें।
(2) मगतभ
ृ ूमम कपवतग िढनेवगिी एक छगर कपवतग से प्रभगपवत होकर भगरतीय र्ि सेनग (Indian Army) में प्रवेश करनग
चगहग। वह अिनी इच्छग प्रकट करते हुए पितगजी को होस्टि से िर मिखते हैं। वह िर तैयगर करें ।
सूचना: कपवतगंश िढकर नीचे ददए प्रश्नों के उत्तर मिखें।
(अ) नीलाांबर पररिान ......... मूर्तफ सिेश की।
(3) यह ककस कपवतग कग अंश है ? ककसने मिखग है?
(4) समगनगर्ी शब्द कपवतगंश से चुनकर मिखें।
आकगश, वस्र, करधनी, तगज, समूह, समुद्र, आभष
ू ण, बगदि, िक्षी, आत्मसमणा
(5) मगतभ
ृ ूमम कग वस्र क्यग है? (नीिगंबर, रत्नगकर, बंदीजन)
(6) सूया और चंद्र मगतभ
ृ ूमम कग ....... है। (आभूषण, मुकुट, वस्र)
(7) िक्षीर्ण मगतभ
ृ ूमम केमिए क्यग कर रहे है?
(8) मगतभ
ृ ूमम कग करधनी क्यग है? (फूि-तगरे , समुद्र, नीिगंबर)
(9) सही ममिन करें ।
वस्र शेषफन
मुकुट फूि-तगरे
मसंहगसन समुद्र
आभूषण नीिगंबर
करधनी िक्षी र्ण
बंदीजन सूया-चंद्र
(10)ियोद मगतभ
ृ ूमम केमिए क्यग कर रहे हैं? (स्तुतत र्ीत र्ग रहे है, िगनी बरस रहे है, आत्म समिाण कर रहे हैं)
(11) मगतभ
ृ ूमम कग आभूषण क्यग है? फूि-तगरे , सूय-ा चंद्र, िररधगन)
(आ) जजसके रज ......... गोद में।
(12) समगनगर्ी शब्द कपवतगंश से चुनकर मिखें।
धमू ि, रें र्नग, अंक, िढ
ु कनग
(13) मगतभ
ृ ूमम अर्वग मगाँ से हमगरग बचिन कैसे जुज़ग है ?
(14) ‘धूि भरे हीरे ’ – ऐसग ककसे कहते हैं? क्यों?
(15) कपव को िरमहंस सम सब सुख कब िगए? (यौवन में, बगल्यकगि में, ककशेरी में)
(16) ‘हम खेि-े कूदे हषायुत’ - कहगाँ?
(17) ‘िरमहंस सम बगल्यकगि में सब सुख िगए’ – कपव ऐसग क्यों सोचते हैं?
(इ) हे मातभ
ृ ूमम! ...... ममल जाएगी।
5
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(18) समगनगर्ी शब्द कपवतगंश से चुनकर मिखें।


हषा, घुिनग, तनजीव
(19) ‘िगकर तुझसे सभी सुखों को हमने भोर्ग’ – हमें इन्हीं सुखों कहगाँ से ममिग?
(20) ‘कफर अंत समय तू ही इसे अचि दे ख अिनगएर्ी’ – कपव ऐसग क्यों सोचते हैं?
(21) ‘यह अंत में तुझमें ही ममि जगएर्ी’ - मतिब क्यग है?
वपछले सालों की प्रश्न पत्रों से एक नज़र:
MARCH 2016
सच
ू ना: तनम्नमिखखत कपवतगंश िढे और नीचे ददए प्रश्न के उत्तर मिखें।
िगकर तुझसे ...... सनी हुई है।
(1) यह ककस कपवतग कग अंश है ? (Score 1)
(मगतभ
ृ ूमम, सिने कग भी हक नहीं, कुमुद फूि बेचनेवगिी िडकी, आदमी कग चेहरग)
(2) कपव की रगय में भगरतवगमसयों कग दे ह ककससे बनी हुई है ? (Score 1)
(3) तेरग प्रत्यि
ु कगर कभी क्यग हम से होर्ग? ऐसग क्यों कहग र्यग है? (Score 2)
(4) कपवतगंश कग आस्वगदन दटप्िणी मिखें। (Score 7)
MARCH 2018
(5) नददयगाँ प्रेमं-प्रवगह, फूि-तगरे मंडन है, मगतभ
ृ ूमम के आभष
ू ण क्यग-क्यग है? (Score 2)
JUNE 2018 (SAY)
हे मगतभ
ृ ूमम .......... प्यगरी र्ोद में।
(6) कपव के अनुसगर सवेश की सर्ुण मूतता कौन है? (Score 1)
“धूि” शब्द कग समगनगर्ी शब्द चुनकर मिखें। (दे ह, रज, मेघ) (Score 1)
(7) द्पववेदी युर्ीन की कगव्य-प्रवपृ त्तयों के आधगर िर कपवतगंश कग आस्वगदन दटप्िणी मिखें। (Score 6)
(8) तेरे ही यह दे ह ....... ममि जगएर्ी। (4 िंस्क्तयगाँ)
मनष्ु य और मगतभ ृ ूमम कग संबंध अटूट है। इस िर अिनग पवचगर प्रकट करें (Score 4)
MARCH 2019
नीिगंबर िररधगन ........सव्रेश की।
(9) मगतभ
ृ ूमम की मेखिग क्यग है? (Score 1)
(10) कपव ने प्रकृतत के ककन-ककन दृश्यों द्वगरग मगतभ
ृ मू म कग वणान ककयग है? (Score 2)
(11) कपवतगंश कग आस्वगदन दटप्िणी मिखें। (Score 5)
MARCH 2020
(12) ‘हम खेिे-कूदे हषायत
ु , स्जसकी प्यगरी र्ोदी में।‘ मगतभ
ृ ूमम की प्यगरी र्ोदी में बैठकर हम क्यग करते हैं?
(एक यग दो वगक्यों में उत्तर मिखें।) (Score 2)
(13) ‘तेरग प्रत्यि
ु कगर कभी क्यग हम से होर्ग?’ – मगतभ
ृ ूमम कपवतग में कपव ऐसग क्यों कहते हैं?
(चगर यग िगाँच वगक्यों में उत्तर मिखें।) (Score 4)
JULY 2020 (SAY)
नीिगंबर िररधगन ...... सवेश की।
(14) मगतभ
ृ मू म कग मसंहगसन क्यग है? (Score 1)
(15) मगतभ
ृ ूमम कग मुकुट क्यग है? (Score 1)
(16) कपवतगंश की आस्वगदन दटप्िणी मिखें। (Score 6)
MARCH 2021
नीिगंबर िररधगन ...... सवेश की।
(17) यह कपवतगंश ककस कपवतग कग है ? (Score 1)

6
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(मगतभ
ृ ूमम, सिने कग हक नहीं, कुमुद फूि बेचनेवगिी िडकी)
धरती कग िररधगन क्यग है ? (सूया-चंद्र, नीिगंबर, खर्-वंद
ृ ) (Score 1)
(18)कपव ने मगतभ
ृ ूमम कग वणान ककस प्रकगर ककयग है ? (Score 2)
(19) कपवतगंश कग आस्वगदन दटप्िणी मिखें। (Score 6)
हे मगतभ
ृ ूमम! तुझको तनरख ........... ममि जगएर्ी।
‘हषा’ शब्द कग समगनगर्ी शब्द है ........ (मोद, तनरख, मर् (Score 1)
(20) ‘तुझमें ही ममि जगएर्ी’, यहगाँ ‘तुझमें’ से क्यग तगत्िया है। (Score 1)
(21) ‘तेरग प्रत्युिकगर कभी कयग हमसे होर्ग?’ कपव ऐसग क्यों सोचते हैं? (Score 1)
(22) कपवतगंश कग आशय मिखें। (Score 6)
SAY 2021
नीिगंबर िररधगन ...... सवेश की।
(23) ये िंस्क्तयगाँ ककस कपवतग की है ? (Score 1)
(24) रत्नगकर शब्द कग अर्ा है? (सगर्र, नदी, तगिगब) (Score 1)
(25) बंदीजन कौन है? (Score 2)
(26) कपवतगंश की आस्वगदन दटप्िणी मिखें। (Score 6)
िगकर तझ
ु से ........ ममि जगएर्ी।
(27) ‘तेरग प्रत्युिकगर कभी कयग हमसे होर्ग?’ कपव क्यों इस प्रकगर सोचते हैं? (Score 2)
(28) कपवतगंश कग आशय मिखें। (Score 6)

7
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बेटी के नाम.....
जिाबी पत्र बहादरू शाह ज़िर
भूममकग
सन ् 1947 से िूवा दो सददयों तक हमगरग दे श बिटीश शगसन के अधीन रहग। देश की स्वतंरतग केमिए न जगने
ककतनों ने अिनी जगन की कुबगानी दी। बिटीश सरकगर ने सन ् 1857 की स्वतंरतग संग्रगम को िरगस्त करके ददल्िी के अंततम
मुर्ि शगसक बहगदरू शगह ज़फर को कैदी करके रं र्ून भेजग र्यग। बगदशगह की िुरी कुिसुम जमगनी बेर्म ददल्िी में अंग्रेज़ों
की कैदी में र्ग। सख़्त िहरे के बीच में भी उन दोनों के बीच थचट्दठयों कग िेन-दे न रहग। बगदशगह कग अिनी बेटी के नगम
मिखी एक संवेदनग भरी जवगबी िर आिके सगमने प्रस्तत
ु है, स्जसमें अिनी बेटी और िररवगर के प्रतत सम्रगट कग प्यगर,
ददल्िीवगमसयों के प्रतत प्रेम और सहगनुभूतत और एक सम्रगट की अवस्र्ग कग स्जक्र हुआ है।
लेखक के बारे में:
बहगदरू शगह ज़फर ददल्िी के अंततम मुर्ि शगसक र्े। उनकग जन्म 30 मसतंबर 1775 को ददल्िी में हुआ र्ग।
पितगजी अकबर 2 के मत्ृ यु के बगद वे ददल्िी के शगसक बने। स्वतंरतग संग्रगम में िरगस्त होकर सन ् 1857 से िेकर अिनी
मत्ृ यु तक बगहशगह रं र्ून में कगिगिगनी में रहग। 17 ददसंबर 1862 को उस कैदी में ही उनकग दे हगंत हुआ और उनकी शरीर
वहगाँ दफ़नगए र्ए।
സാരാാംശാം:
1857 ലെ ഒന്നാം സ്വനതന്ത്ര സ്മരലെ പരനജയലെടുെി ന്ത്രിട്ടീഷ് സ്ർക്കനർ ദിെലിയിലെ അവസ്നന
മുഗൾ ചന്ത്രവർെിയനയ രഹനദൂർ ഷന സ്ഫറിലന തടവിെനക്കി റങ്കൂണിലെക്ക് നനടുരടെി. അലേഹെിന്ലറ
മരൾ ദിെലിയിൽ ന്ത്രിട്ടീഷുരനരുലട തടങ്കെിെനയിരുന്ു. രടുെ തടങ്കെിനിടയിെുാം ഇവർക്കിടയിൽ
രെിടപനടുരളുണ്ടനയിരുന്ു. റങ്കൂണിലെ തടവിെിരുന്് ചന്ത്രവർെി മരൾക്കയച്ച മറുപടി രെനണ് ഈ
പനഠെിൽ ഉൾലക്കനള്ളിച്ചിരിക്കുന്ത്.
प्रश्नों के उत्तर गद्याांश से ढूुँढें:
I. तुमने अपनी कैदी ........ क़रार नहीां आया।
(1) र्द्यगंश में प्रयक्
ु त कदठन शब्द और अर्ा।
आाँसूनगमग - ददाभरी वगणी (ലവദന നിറഞ്ഞ ശബ്ദാം) दफ़ग - बगर (തവണ)
असर - प्रभगव क़रगर - सगंत्वनग (ആശവനസ്ാം)
(2) ककसने अिने कैदी बगि को खत भेजग? प्यगरी बबदटयग ने।
(3) बेटी कग वह खत उस बगि को कैसग िर्ग? आाँसूनगमग
(4) ‘खत क्यग भेजग, मेरी जगन, आाँसन
ू गमग र्ग’ – यह ककसने कहग? बगदशगह ने कहग।
(5) ‘खत क्यग भेजग, मेरी जगन, आाँसूनगमग र्ग’ – बगदशगह की जगन कौन है? अिनी बेटी।
(6) ‘खत क्यग भेजग, मेरी जगन, आाँसूनगमग र्ग’ – यहगाँ शगसक के चररर कग कौन-सग र्ुण प्रकट होतग है?
अिनी बेटी के प्रतत शगसक कग प्यगर एवं ममतग।
(7) ककसने खत िढकर सुनगयग? बेटे ने।
(8) अिनी बेटी कग खत िढकर सुनने के बगद कैदी बगि की हगित कैसी र्ी?
बेटी कग खत ् बगर-बगर सुनने के बगद भी बगि कग जी न भरग। अिने बेटे से कफर सुनगने को कहग। तीन बगर
सुनने के बगद भी कैदी बगि के ददि को सगंत्वनग नहीं ममिग।
(9) कैदी बगव को अिनी बेटी को खत एक आाँसन
ू गमग र्ग-क्यों?
सन ् 1857 के स्वतंरतग की िहिी िडगई के िश्चगत ददल्िी के अंततम मुर्ि शगसक और िररवगर को कैदी
करके जेि भेजग र्यग र्ग। शगसक और उनके िुर को कगिगिगनी दं ड दे कर रं र्ून भेजग र्यग तो उसकी बेटी ददल्िी में
अंग्रेज़ों की कैदी में र्ग। सख्त िहरे के बीच में भी बगदशगह ने कुछ थचट्दठयगाँ ददल्िी िहुाँचगई। बेटी ने जवगबी िर भी
भेजग।

8
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अिने बगि और भगई के प्रतत उसमें जो प्यगर र्ग उसे तीन बगर सुनने के बगद भी बगदशगह के ददि को
सगंत्वनग नहीं ममिग। वगस्तव में वह खत अिनी बेटी की ददाभरी वगणी र्े। कोसों दरू की कैदी में रहने के कगरण ही
अिनी बेटी की ददा सुनकर उस प्यगरी पितग की आाँखों आाँसू से भरग होर्ग। ददि में अिनी बेटी और िररवगरवगिों की
जीती यगदें जर्गती होर्ी।
(10) ‘खत क्यग भेजग, मेरी जगन, आाँसूनगमग र्ग’- बगदशगह ने ऐसग क्यों मिखग होर्ग?
बगदशगह और िर
ु ी, दोनों दरू दे शों में कैदी रहने के कगरण आिसी संबंध न र्ी। ऐसी अवस्र्ग में िर
ु ी की
प्यगर भरी बगतें उस बगि केमिए ददाभरी वगणी होर्ग। कोसों दरू घरवगिों से जुदग रहने के कगरण वह खत उस बगि
केमिए आाँसूनगमग र्ग।
(11) ‘तीन दफ़ग सुनने के बगद भी ददि को करगर नहीं आयग’, ककसको? क्यों?
बगदशगह को। बगदशगह और बेटी कोसों दरू में है। कैदी में रहने के कगरण आिसी मि
ु गकगत और बगतचीत
असंभव है। अंग्रेज़ों की कैद में रहकर बेटी ने एक खत अिने कैदी बगि को भेजग र्ग। इसी अवस्र्ग िर बेटी की प्यगर
भरी वगणी उस बगि में ज़रूर ददा एवं ममतग उत्िन्न होर्ग। िुरगनी यगदें जर्गने के कगरण तीन बगर सुनने के बगद भी
बगदशगह के ददि को क़रगर नहीं आयग।
(12) खंड कग संक्षेिण करके उथचत शीषाक दें ।
आुँसूनामा
कैदी में रहकर बगि ने अिनी बेटी कग खत बगर-बगर िढकर सुनगयग। वगस्तव में वह खत नहीं, आाँसूनगमग र्ग।
तीन बगर सुनने के बगद भी बगि कग ददि को क़रगर नहीं आयग।
II. सच कहती हो ........... गुुँजाइश नहीां है।
(1) र्द्यगंश में प्रयक्
ु त कदठन शब्द और उसके अर्ा।
फगाँसी िर चढगनग - मत्ृ युदंड दे नग (മരണശിക്ഷ നൽരുര) यतीम - अनगर्
खोदनग - र्ड़्ढग करनग (രുഴിയ്ക്ക്കുര) बेवग - पवधवग
हि चिगनग - जोतनग (ഉഴുതു മറിയ്ക്ക്കുര) मक
ु दमग - ലരസ്
तबगही - नगश बरबगदी - नगश
ककस्सग - कहगनी आस - आशग
कगिगिगनी - दे श से तनकगिने कग दं ड (നനടു രടെൽ) वतन - दे श
जुदग होनग - अिर् होनग र्ुंजगइश - संभगवनग
सैकडों कोस - മമെുരൾക്കെുറാം
बगरगत की अर्वगनी के सेहरे – വിവനഹ ല നഷയനന്ത്തയിലെ മാംഗള ഗീതാം

(2) ‘वे तो बबनग आई मौत मर र्ए’ – कौन इस प्रकगर कहते है ? ककसके बगरे में?
बगदशगह ददल्िीवगमसयों के बगरे में कहते हैं।
(3) ‘वे तो बबनग आई मौत मर र्ए’ – सम्रगट कग इस वगक्य कग तगत्िया क्यग है ?
स्वतंरतग संग्रगम में भगर् िेकर अनेक िोर्ों की जगन खो र्ई है। वगस्तव में वे िोर् अिनी मगतभ
ृ ूमम केमिए
शहीद हुए। दे श की आज़गदी केमिए वे अिनी जगन कुबगान दी है।
(4) ‘ददल्िीवगिे मझ
ु को रोते ....... मैं भी उनको रोतग हुाँ’ – यहगाँ शगसक कग कौन-सग र्ुण प्रकट होतग है?
अिने िररवगर और दे श के प्रतत ध्यगन रखनेवगिे न्यगयपप्रय एवं प्रजग दहतैषी रगजग कग र्ण
ु व्यक्त होतग है।
अिने दे श से कोसों दरू िररवगर और प्रजग से जुदग रहने िर भी उनकग मन अिने दे शवगमसयों के प्रतत दःु खखत है।
(5) ‘मैं तो स्ज़ंदग बैठग हुाँ। वे तो बबनग आई मौत मर र्ए’ – ‘मैं’ और ‘वे’ शब्द ककन-ककन को सूथचत करते हैं?
बगदशगह और ददल्िीवगमसयों को सूथचत करते हैं।

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(6) स्वतंरतग की िहिी िडगई कग क्यग-क्यग असर ददल्िीवगमसयों िर िडग?


या
स्वतंरतग की िहिी िडगई ने ददल्िीवगमसयों को क्यग-क्यग नुक्सगन िहुाँचगयग?
कई िोर्ों के बगि, बेटे, भगई आदद फगाँमसयों िर चढ र्ए। अनेक बच्चे अनगर् हो र्ए, अनेक औरतें पवधवग
बन र्ए। उनके घर िूट र्ए, ज़मीन खोदकर वहगाँ हि चिवग ददए र्ए।
(7) ‘मैं तो स्ज़ंदग बैठग हुाँ। वे तो बबनग आई मौत मर र्ए’ – वगक्य से ददल्िीवगमसयों की कौन-सी हगित व्यक्त होती
है?
अनेक ददल्िीवगमसयों अिने दे श केमिए शहीद हो र्ए। स्वतंरतग संग्रगम में भगर् िेकर आज़गदी केमिए जगन
कुबगान दी है।
(8) ‘अब हाँसें यग रोएाँ, कोई फगयदग नहीं’ – सम्रगट क्यों ऐसग सोचते हैं?
बिटीश सरकगर ने भगरत की स्वतंरतग की िहिी िडगई को िरगस्त कर ददयग। भगरत को स्वतंर बनगने की
उस िडगई में न जगने ककतनों ने अिनी जगन की कुबगान दी। सम्रगट तो कगिगिगनी में है। िररवगरवगिे भी अंग्रेज़ों
के कैद में है। अिने प्रजग एवं िररवगरवगिों की जगन की रक्षग करने में िरगस्जत एक प्रजग दहतैषी सम्रगट की
तनस्सहगयतग यहगाँ प्रकट होते है।
(9) सैक़डों कोस दरू घर से जुदग रहने िर सम्रगट के मन में कौन-सी प्रतीक्षग नहीं है?
सम्रगट के मन में जीते-जी अिने घरवगिों से ममिने की प्रतीक्षग नहीं है।
(10) कोसों दरू अंग्रज़
े ों की कैद में रहते समय सम्रगट को ककसकी यगद आयग?
अिनी बेटी की शगदी की यगद आयग।
(11) ‘मझ
ु े यगद आयग, जब तम् ु हगरी शगदी हुई र्ी ......’ – वगक्य में बगदशगह कग कौन-सग र्ण
ु प्रकट होतग है?
अिनी बेटी के प्रतत बगि कग र्हरग प्यगर एवं ममतग यहगाँ प्रकट होतग है। बगदशगह और बेटी कग संबंध िपवर
है। इसमिए ही अिनी बेटी कग खत उन्हें सगिों िव ू ा हुई उसकी शगदी तक खींच िेतग है।
(12) बेटी की बगरगत की अर्वगनी के सेहरे ककन्होंने मिखें र्े? र्गमिब और जौंक ने मिखे र्े।
(13) ‘ककसी से ममिने की आस नहीं हैं’ - क्यों?
सन ् 1857 की स्वतंरतग की िहिी िडगई के िश्चगत बगदशगह कगिगिगनी में र्े। िररवगरवगिे भी अंग्रेज़ों की
कैदी में र्े। अिने दे श से कोसों दरू , घर से जुदग रहने के कगरण बगदशगह को जीवन भर ककसी से ममिने की
आशग नहीं है।
(14) ‘ककसी से ममिने की आस नहीं हैं’ – यहगाँ बगदशगह ककन-ककन के बगरें में सोचते हैं?
अिने दे शवगमसयों और िररवगरवगिों के बगरे में सोचते हैं।
(15) िकडी कग वह मकगन कैसग है ?
दो-चगर कमरे वगिे िकडी कग वह मकगन बहुत िुरगनग है, बरसगत में टिकतग भी है।
(16) खंड कग संक्षेिण करके उथचत शीषाक दें ।
सम्राट की परेशानी
अिनी बेटी कग खत बगदशगह के मन में िुरगनी यगदें जतगती है। कैदी के बगद अिने देशवगमसयों की िरे शगतनयों
के बगरे में सोचकर वे व्यस्त र्े।
III. एक दफ़ा की ......... आिा कर ददया गया।
(1) र्द्यगंश में प्रयुक्त कदठन शब्द और उसके अर्ा।
चंद - कुछ तोहफे - इनगम एवज़ में - बदिे में
हुक्म - आज्ञग जवगहरगत - रत्नों कग समूह खचगा - Expense

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(2) ‘एक दफ़ग की बगत है’ – बगत क्यग है?


ईद के अवसर िर कुछ मुसिमगन भगईयों सम्रगट केमिए कुछ इनगम िेकर आए। उन्होंने बहुत कहग तो
सम्रगट ने कुछ इनगम िेकर उसके बदिे में ममिकग कग एक हगर उनको ददए। उसके बगरे में जगनकर कैददयों कग खचगा
आधग कर ददयग।
(3) ईद के समय िर तोहफ़े िेकर कौन आए? कुछ मुसिमगन।
(4) कुछ मस
ु िमगन तोहफ़े िेकर कब आए? ईद के अवसर िर।
(5) तोहफ़े दे खकर बगदशगह ने क्यग कहग?
तोहफ़े दे खकर बगदशगह ने कहग – ‘भगई ये तोहफ़े मैं नहीं िे सकतग।‘
(6) बगदशगह ने तोहफ़े स्वीकगर ककए यग नहीं?
िहिे बगदशगह ने तोहफ़े इनकगर ककए। िेककन उन्होंने जब बहुत कहग तो बगदशगह ने कुछ िे मियग।
(7) तोहफ़े के बदिे बगदशगह ने क्यग ददयग? ममिकग कग हगर ददयग।
(8) दस
ू रे ददन हुक्म आयग, क्यों?
इनगम िेकर आए मस ु िमगन भगइयों को बगदशगह ने इनगम के बदिे ममिकग कग एक हगर ददयग। यह जगनकर
अंग्रेज़ों ने आज्ञग ददयग कक इन मर्
ु िों के िगस ज़्यगदग रत्न है। इसमिए कैददयों को ददए जगनेवगिे खचगा भी ज़्यगदग है।
(9) दस
ू रे ददन क्यग हुक्म आयग?
दसू रे ददन हुक्म आयग कक इन मुर्िों के िगस जवगहरगत बहुत ज़्यगदग है। इसमिए इन कैददयों को ददयग
जगनेवगिग खचगा इनकी ज़रूरत से ज़्यगदग है।
(10) कैददयों कग खचगा आधग कर ददयग, क्यों?
ईद के अवसर िर कुछ मस
ु िमगन भगईयों बगदशगह को इनगम िेकर आयग। िहिे उन्होंने इनगम स्वीकगर नहीं
ककयग, िेककन बहुत कहने के बगद उसे स्वीकगर ककयग और बदिे में ममिकग कग एक हगर भी ददयग। यह जगनकर
अंग्रेज़ों ने सोचग कक इन कैददयों के िगस ज़्यगदग रत्न है और उनकग खचगा आधग कर ददयग।
(11) खंड कग संक्षेिण करके उथचत शीषाक दें ।
इनाम के एिज़ में.....
ईद के अवसर िर इनगम िेकर आए मुसिमगन भगइयों को इनगम के एवज़ में ममिकग कग एक हगर ददयग।
यह जगनकर अंग्रेज़ों ने सोचग कक इन कैददयों के िगस ज़्यगदग रत्न है और उनकग खचगा आधग कर ददए र्ए।
IV. क्या खबर फक .......खुदा हाफिज़।
(1) र्द्यगंश में प्रयक्
ु त कदठन शब्द और उनके अर्ा।
कगबबि - योग्य शख्स - व्यस्क्त दगगबगज - धोखग दे नेवगिग
जगसूस - र्ुप्तचर सगबबत होनग - मसद्ध होनग (ലതളിയുര) कफक्र - थचंतग
मुल्क - दे श र्ैर मुल्क - पवदे श कि - मकबरग
दफ़नगनग - ज़मीन में र्गडनग
(2) ‘यह खत तम
ु को ममिेर्ग भी यग नहीं’ – बगदशगह क्यों आशंककत है ?
कैदी में रहनेवगिे बगहशगह को अिनी बेटी कग खत ममिग। वह जवगबी िर भी मिखग और ककसी तरह उसे
ददल्िी िहुाँचगने की प्रतीक्षग में है। िेककन उनके मन आशंककत र्ग कक वह खत बेटी तक िहुाँचेर्ग यग नहीं।
(3) ‘यह खत तम ु को ममिेर्ग भी यग नहीं’ – बगदशगह ऐसग क्यों सोचते हैं?
कैदी में रहकर बगदशगह ने अिनी बेटी को एक खत मिखग और ककसी तरफ उसे ददल्िी िहुाँचगने की प्रतीक्षग
में है। िेककन उनमें भय र्ग कक धोखे दे नेवगिे और अंग्रज़
े ों को जगसस
ू ों को कैसे िहचगने।

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(4) बगदशगह की आशंकग क्यग र्ी?


कैदी में रहकर बगदशगह ने अिनी बेटी को एक खत मिखग और ककसी पवश्वसनीय व्यस्क्त के सहगरे उसे
ददल्िी िहुाँचगने की प्रतीक्षग में है। िेककन उनके मन में आशंकग र्ग कक खत बेटी तक िहुाँचेर्ग यग नहीं।
(5) ‘यह खत तम ु को ममिेर्ग भी यग नहीं’ – बगदशगह के मन में ऐसग शक क्यों उभरग होर्ग?
जो आदमी भरोसे के योग्य है, वे बगद में कभी धोखे देनव
े गिे यग कभी दस
ू रों से भेजे र्ुप्तचर मसद्ध होते है।
इसमिए बगदशगह के मन में ऐसग शक उभरग होर्ग।
(6) कौन आखखर में धोखे दे नव
े गिे यग दस
ू रों से भेजे र्ुप्तचर सगबबत होते है?
पवश्वसनीय कई िोर् अंत में धोखे दे नव
े गिे यग दस
ू रों से भेजे र्ुप्तचर सगबबत होते है।
(7) ‘यह खत तम
ु को ममिेर्ग भी यग नहीं’ – ऐसी शंकग में भी बगदशगह ने बेटी को खत भेजग, क्यों?
कैदी में रहकर मिखे र्ए उस खत में अिने दे श यग पवदे श के बगरे में कुछ नहीं मिखग है। एक बगि द्वगरग
बेटी को मिखग हुआ खत में बेटी और िररवगर के प्रतत प्यगर है। इसमिए ही बगदशगह में प्रतीक्षग है।
(8) बगदशगह की कि कहगाँ तैयगर है ? िरदे श में।
(9) हमगरी कि िरदे श में बनेर्ी – बगदशगह ऐसग क्यों सोचते हैं?
बगदशगह रं र्न
ू में अंग्रेज़ों की कैद में है। उन्हें जीते जी अिने िररवगरवगिों यग दे शवगमसयों से ममिने की
प्रतीक्षग नहीं है। इसमिए बगदशगह ऐसे सोचते है।
(10) अब कैददयों की हगित कैसी र्ी?
अब िकडी की भीर्ी हुई कि जैसी मकगन में कैददयों कग स्जंदग ही दफ़न हो चुकग है।
(11) ‘िेककन अभी तो हम िकडी की भीर्ी हुई कि में स्ज़ंदग ही दफ़न है ’ – ‘िकडी की भीर्ी हुई कि’ से क्यग
तगत्िया है?
वह कमरग बहुत िरु गनग है, बरसगत में टिकतग भी है। बगहर की दतु नयग से कोई संबंध भी नहीं है। इसमिए
बगदशगह को वह कमरग एक कि जैसग िर्तग है।
(12) ‘जब मर जगएाँर्े, तब भी कि में ही होंर्े’ – बगदशगह ऐसग क्यों सोचते हैं?
बगदशगह सगहसी र्े। र्ुिगमी उनके मिए मत्ृ यु के समगन है। इसमिए बगदशगह ऐसग सोचते हैं।
(13) खंड कग संक्षेिण करके शीषाक दें ।
बादशाह की प्रतीक्षा
बगदशगह के मन में शंकग हुई कक खत बेटी को ममिेर्ी यग नहीं। भरोसे के कई व्यस्क्त अब धोखे सगबबत होते
हैं। िेककन बगदशगह कग पवश्वगस यह है कक वह खत एक पितग द्वगरग अिनी बेटी को मिखवगयग है, उसमें दे श यग
पवदे श के बगरे में कोई बगत नहीं है।
मेरी खोज:
बादशाह का चररत्र पर दटप्पणी।
प्रजा दहतैषी शासक
बहगदरू शगह ज़फर ददल्िी के अंततम मर्
ु ि शगसक र्े। 1857 की स्वतंरतग की िहिी िडगई को िरगस्त करके बिटीश
सरकगर ने उन्हें कैदी करके रं र्ून भेजग ददयग। वहगाँ के सख्त नज़रबंदी में उन्हें बहुतथधक िीडगएाँ झेिनग िडग। उनकी बडी बेटी
ददल्िी में अंग्रेज़ों की कैद में र्ी। ‘बेटी के नगम....’ कैदी में रहकर अिनी बेटी को मिखी र्ई जवगबी िर है।
बेटी कग खत उनको अिनी बेटी कग ददाभरी वगणी जैसग िर्ग। वह आाँसन
ू गमग तीन बगर िढकर सन
ु ने के बगद भी
उनके ददि को सगंत्वनग नहीं ममिग। अिने पररिार और प्रजा के प्रर्त गहरा प्यार उनके चररर की बडी पवशेषतग है।
स्वभगव से शाांर्तवप्रय, ईश्िर एिां िमफ में दृढ़ आस्िा रखनेिाला बगदशगह उन महगिुरुषों में एक र्ग, स्जसको अिने दे श
और िररवगर के प्रतत र्हरग प्रेम है।

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बगदशगह अिने दे शवगमसयों के प्रतत प्रेम और सहानुभूर्त रखनेवगिे प्रजा दहतैषी शासक र्े। अिने दे श और िररवगर से
कोसों दरू रहते समय में भी बगदशगह कग मन अिने िररवगर और दे शवगमसयों के प्रतत सदग व्यस्त रहग। कैदी में रहते समय
भी वह अिने प्रजग के बगरे में सोचकर रोते रहग। अिनी बेटी को मिखी र्ई खत में दे श की बरु ी हगित कग स्जक्र भी हुआ है।
उनकग मन अिने दे श के प्रर्त आकुल रहग।
कैदी में रखकर भी वह अिने साथियों पर भरोसा रखनेिाला र्े। वे बडे साहसी भी र्े। इतते सख्त नज़रबंदी में रहते
समय भी वह अिनी बेटी को िर मिखकर ककसी तरह उसे ददल्िी तक िहुाँचगते रहग।
िर हमें एक आदशफ वप्रय, अिने दे श केमलए समवपफत रगजग कग िररचय करगतग हैं। अिने प्यार, दे शप्रेम आदद से यहगाँ
एक आदशफ सम्राट कग थचर खींचग है।
• िररवगर और प्रजग के प्रतत र्हरग प्यगर रखनेवगिग शगंततपप्रय सगहसी
• ईश्वर और धमा में दृढ आस्र्ग रखनेवगिग सहगनुभूतत रखनेवगिग दे शप्रेमी
• सगथर्यों िर भरोसग रखनेवगिग प्रजग दहतैषी आदशा पप्रय
• दे श के प्रतत आकुि सगहसी
1. बगदशगह की डगयरी
17.11.1959 मंर्िवगर
आज वह खत ममिग, खत नहीं र्ी, मेरी प्यगरी की आाँसू भरी वगणी! बेटे ने िढकर सुनगयग। एक बगर नहीं,
दो बगर नहीं, तीन बगर! सगंत्वनग नहीं ममिग। आाँसूओं से भीर्ी आाँखें, कुछ दे र आर्े के कुछ नहीं दे ख सकग। कफर
बेटे को भी रोते दे खग।
बेटी की अवस्र्ग अब कैसे होर्ी? एक बगर दे खने की इच्छग र्ी। कफर कैसे? अिने यग घरवगिों के बगरे में
कुछ नहीं मिखग र्ग, कफर भी वह िंस्क्तयगाँ.....
ददल्िीवगमसयों की हगित! मेरे दे श ही िररवगर र्ग। वे िोर् मेरेमिए रोती होर्ी। यहगाँ, अवस्र्ग भी मभन्न
नहीं है। एक बगर कफर अिने दे श और दे शवगमसयों को दे खने की इच्छग है।
मैं, यहगाँ कैदी में अभी भी स्ज़ंदग रहतग हुाँ। िेककन मेरे मिए.... अिने दे श केमिए....ककतने िोर् शहीद हो
र्ए। दे शवगमसयों को अंग्रेज़ों से कैसे बचगऊाँ? स्वरगज्य सूरज कग उदय कब होर्ग....। खुदग, तब तक मुझे स्ज़ंदग
रहने की शस्क्त दें ।
बेटी की ददाभरी वगणी मैंने बगर-बगर सुनग। जवगब भी मिखग। िेककन कैसे यह बेटी तक िहुाँचगएर्ग? कफ़न
जैसे इस मकगन में रहकर शगयद यह मेरग अंततम शब्द होर्ग। ककसी तरफ़ बेटी तक यह िहुाँचगनग है। ईश्वर ही
रक्षग।
वपछले सालों की प्रश्न पत्रों से एक नज़र:
MARCH 2016
1. बगदशगह के बेटे ने खत तीन बगर िढकर सुनगयग। बेटे की उस ददन की डगयरी मिखें। (7)
सहायक सांकेत: पितगजी कग ददा, बहन की हगित, बेटे की मगनमसक संघषा
JUNE 2017 (Say)
2. बेटी के नगम.... िर के आधगर िर बगदशगह कग आत्मकर्गंश तैयगर करें । (8)
सहायक सांकेत: कैदी बनकर जीनग, ददल्िीवगिों की यगदें , तोहफ़े की घटनग, अंततम क्षण की प्रतीक्षग
MARCH 2018
3. ‘ददल्िीवगिे मझ
ु को रोते होंर्े। ....... मैं भी उनको रोतग हुाँ।‘ यहगाँ शगसकग कग कौन-सग र्ण
ु प्रकट हुआ है? (2)
JUNE 2018 (Say)
4. यह कर्न िढें :
• घर से जुदग और ऐसे जुदग कक अब जीते-जी ककसीसे ममिने की आस नहीं है।
• ददल्िीवगिे मुझको रोते होंर्े।

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....... मैं भी उनको रोतग हुाँ।


• हमगरी कि िरदे श में बनेर्ी, तय है।
बगदशगह के चररर िर दटप्िणी मिखें। (4)
5. ‘बेटी के नगम’ िगठ कग यह अंश िढें :
‘कफर वही हुआ, स्जसकग डर र्ग। हमगरग खचगा आधग कर ददयग र्यग।’ बिटीश सरकगर ने कैददयों को ददए र्ए खचगा में
कटौती की। संकेतों के आधगर िर समगचगर तैयगर करें । (मस
ु िमगनों द्वगरग तोहफ़े िगनग, ममिकग कग हगर दे नग,
बिटीशों कग हुक्म आनग) (6)
MARCH 2019
6. िेककन अभी तो हम िकडी की भीर्ी हुई कि में स्ज़दग ही दफ़न है – बगदशगह ऐसे क्यों सोचते हैं? (2)
MARCH 2020
7. ‘यह खत तम
ु को ममिेर्ी भी यग नहीं’ – बगदशगह क्यों ऐसग सोचते हैं? (2)
8. बहगदरू शगह ज़फर अंग्रज़
े ों के कैद में है। यह समगचगर अर्िे ददन के समगचगर िर में छि जगतग है। वह समगचगर
तैयगर करें । (4)
JULY 2020 (Say)
सूचना: र्द्यगंश िढें औि प्रश्नों के उत्तर मिखें।
सच कहती हो। ...................... शहरवगिों िर िडी होंर्ी।
9. बगदशगह को कब से शहरवगिों की िरेशगतनयों के बगरे में ितग नहीं है ? (1)
10. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण करें और शीषाक मिखें। (6)
MARCH 2021
11. ये कर्न िढें औऱ बहगदरू शगह ज़फर के चररर िर दटप्िणी मिखें। (6)
• ददल्िीवगिे मुझको रोते होंर्े। वे क्यग यह नहीं जगनते, कक मैं भी उनको रोतग हुाँ।
• अब हाँसें यग रोएाँ, कोई फ़गयदग नहीं।
•हमगरी कि िरदे स में बनेर्ी, तय है। िेककन अभी तो हम िकडी की भीर्ी हुई कि में स्ज़ंदग ही दफ़न है।
12. बेटी के आाँसन
ू गमग ने बगदशगह के मन को पवचमित कर ददयग। बगदशगह उस ददन की डगयरी में इसकग स्जक्र करते हैं।
कल्िनग करके वह डगयरी तैयगर करें । (दे श प्रेम, ददल्िीवगमसयों के प्रतत आकुितग, िररवगरवगिों कग सोच, खत
िढने िर उत्िन्न ददा) (8)
SAY 2021
13. ये कर्न िढें औऱ बहगदरू शगह ज़फर के चररर िर दटप्िणी मिखें। (6)
• तीन दफ़ग सन
ु ने के बगद भी ददि को क़रगर नहीं आय़ग।
ददल्िीवगिे मुझको रोते होंर्े। वे क्यग यह नहीं जगनते, कक मैं भी उनको रोतग हुाँ।

14. ककतनी औरतें बेवग हो र्यीं ....... युद्ध के भीषण िररणगम िर तनबंध तैयगर करें । (8)
(युद्ध कग कगरण, युद्ध कग पवनगश, युद्ध कग िररणगम)
15. बेटी के आाँसूनगमग ने बगदशगह के मन को पवचमित कर ददयग।वे उस ददन की डगयरी में इसकग स्जक्र करते हैं।डगयरी
तैयगर करें । (8)
16. ददल्िीवगिे मुझको रोते होंर्े.....मैं भी उनको रोतग हुाँ – दख
ु ी बगदशगह िनग दखु अिने बेटे से बगाँटते हैं। बगदशगह और
बेटे के बीच कग वगतगािगि तैयगर करें । (ददल्िीवगमसयों के प्रतत सोच, िररवगरवगिों की सोच, खत िढने िर उत्िन्न
ददा) (8)
परीक्षा केंदित कुछ प्रश्न। उत्तर स्ियां मलखने का प्रयास करें :
1. बिटीश सरकगर ने 1857 की स्वतंरतग की िहिी िडगई को िरगस्त करके ददल्िी के शगसक को कैदी करके रं र्न

भेजग ददयग। अर्िे ददन के समगचगर िर में यह समगचगर छिकर आय़ग। वह समगचगर तैयगर करें ।

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(स्वतंरतग संग्रगम में िरगस्त होनग, ददल्िी शगसक की कैदी, कगिगिगनी दं ड)


2. बिटीश सरकगर ने 1857 की स्वतंरतग की िहिी िडगई को िरगस्त करके ददल्िी के शगसक को कैदी करके रं र्न

भेजग ददयग। बेटी को ददल्िी में अंग्रेज़ों की कैदी मे रखने कग तनश्चय ककयग। पवदगई के िूवा उन दोनों के बीच कग
वगतगािगि कल्िनग करके मिखें।
(स्वतंरतग संग्रगम में िरगस्त होनग, शगसक की कैदी, कगिगिगनी दं ड, पितग-िुरी की पवदगई
3. ‘तम
ु ने अिने कैदी बगि को खत भेजग।‘ उस खत में बेटी ने क्यग मिखग होर्ग? बेटी द्वगरग मिखी र्ई वह खत कल्िनग
करके मिखें।
(स्वतंरतग संग्रगम में िरगस्त होनग, बगदशगह को रं र्ून भेजनग, बेटी की कैदी)
4. बगदशगह की बेटी अंग्रेज़ों की कैदी में है। वह सगर् रहनेवगिे कैदी से अिनी बगतें कहती है। उन दोनों के बीच कग
वगतगािगि कल्िनग करके मिखें।
(ददल्िी की रगजकुमगरी, संग्रगम और कैदी, पितग और भगई के बगरे में दख
ु ी)
5. बेटी ने अिनी कैदी बगि को खत मिखग। उसे बगि तक िहुाँचगने केमिए एक आदमी की मदद मगाँर्ती है। उन दोनों के
बीच कग वगतगािगि कल्िनग करके मिखें।
(स्वतंरतग संग्रगम, पितग-िर
ु ी दोनों कैदी में रहनग, पितगजी केमिए खत)
6. बगदशगह को अिनी बेटी कग खत ममिग। बेटे ने उसे िढकर सुनगयग। खत के बगरे में उन दोनों के बीच कग वगतगािगि
तैयगर करें ।
(बेटी कग खत, आाँसूनगमग, बगर-बगर िढकर सुनगनग, पितग और िुर कग दख
ु )
7. अिनी बेटी कग खत तीन बगर सुनने िर भी बगदशगह को रगहत नहीं ममिग। वह अिने उस ददन की डगयरी में क्यग
मिखग होर्ग? डगयरी तैयगर करें ।
(िररवगर से जुदग रहनग, बेटी कग खत, बगर-बगर िढकर सुनगनग, ददि को क़रगर नहीं आनग।)
8. कैदी बगि को बेटी कग खत ममिग। बेटे ने उसे तीन बगर िढकर सुनगयग। इस संबंध में बेटे ने अिनी डगयरी में क्यग
मिखग होर्ग? डगयरी कग वह िन्नग तैयगर करें ।
(ककसी दरू दे श में कैदी रहनग, बहन कग खत, बगर-बगर िढनग, अिनग दख
ु )
9. बगदशगह ने बेटी को खत मिखग। उसे ददल्िी तक िहुाँचगने केमिए वह एक अंग्रज़
े ी िहरे दगर की मदद मगाँर्ी। बगदशगह
और िहरे दगर के बीच कग वगतगािगि तैयगर करें ।
(दरू दे श में कैदी रहनग, बेटी केमिए जवगबी िर मिखनग, िहरे दगर की मदद)
10. बगदशगह के पवश्वस्त ने बेटी को खत दे ने केमिए ददल्िी िहुाँचग। कगरगर्ह
ृ में उन्होंने कुिसम
ु जमगनी बेर्म से ममिग।
उन दोनों के बीच कग वगतगािगि कल्िनग करके मिखें।
(बेटी कग आाँसूनगमग, जवगबी िर मिखनग, पवश्वस्त िहरेदगर, खत ददल्िी िहुाँचनग)
11. बगदशगह कग खत िढकर उस ददन की डगयरी में बेटी ने क्यग मिखी होंर्ी। बेटी कग डगयरी मिखें।
(पितगजी कग खत, पितग और भगई की हगित, अिनग दख
ु )

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मेरे भारतिामसयो...........
भाषण जिाहरलाल नेहरू
1947 अर्स्त 14 की मध्यरगबर की वेिग में भगरतीय स्वतंरतग प्रगस्प्त के बगद भगरत के प्रर्म प्रधगनमं री िंडडत
जवगहरिगि नेहरू ने हमगरग ततरं र्ग फहरगते हुए दे श से जो अिीि की र्ी.........
1947 ആഗസ്റ്റ് 14 അർദ്ധരനന്ത്തി ഭനരതെിന് സ്വനതന്ത്രയാം ആദയലെ ഇരയൻ ന്ത്പധനനമന്ത്രിയനയ പണ്ഡിറ്റ്
ജവനഹർെനൽ ലനഹ്റു രനജയലെ അഭിസ്ാംലരനധന ലചയ്ക്തു നടെിയ ന്ത്പസ്ാംഗാം.
प्रश्नों का उत्तर गद्याांश से ढ़ुँू ढ़े:
(I) कई िषफ पहले .................... प्रर्तज्ञा ले रहे है।
1. कई वषा िहिे भगरतवगमसयों को कौन-सग वचन ददयग र्ग? तनयतत को ममिने कग।
2. ‘अब समय आ र्यग है’ - ककसकग? अिने वचन को तनभगने कग।
3. वचन क्यग है? उसे कैसे तनभगएर्ग?
तनयतत को ममिने कग वचन िरू ी तरह नहीं िेककन बहुत हद तक तनभगएर्ग।
4. सगरी दतु नयग सोते वक्त भगरत कैसे उठे र्ग?
भगरत जीवन और स्वतंरतग की नई सुबह के सगर् उठे र्ग।
5. जीवन और स्वतंरतग की नई सब
ु ह की पवशेषतग क्यग-क्यग है?
जीवन और स्वतंरतग की नई सब ु ह इततहगस में बहुत ही कम आतग है, हम िरु गने को छोडकर नए
की तरफ जगते हैं। यह क्षण एक युर् कग अंत है, और वषों तक शोपषत एक दे श की आत्मग अिनी बगत
कहती है।
6. ‘भगरत जीवन और स्वतंरतग की नई सब
ु ह के सगर् उठे र्ग’ – नेहरू जी ऐसग क्यों कहते हैं?
दशगब्दों तक भगरत अंग्रज़
े ों के र्ि
ु गम रहे। कोमशशों के फिस्वरूि 1947 में भगरत स्वतंर हुए। नेहरू
जी कहते हैं कक तनयतत को ममिने कग वचन बहुत हद तक तनभगने कग समय आ र्यग है। यह स्वतंरतग
वगस्तव में भगरतवगमसयों केमिए जीवन की नई सुबह है।
7. एक ऐसे क्षण जो इततहगस में बहुत ही कम आतग है – कौन-सग क्षण?
दशगब्दों की कोमशशों के फिस्वरूि 1947 में भगरत स्वतंर हुए। नेहरू जी कहते हैं कक एक िूरे दे श
में जीवन और स्वतंरतग की नई सुबह कग अनोखग क्षण इततहगस में बहुत कम ही आतग है।
8. ‘इस िपवर मौके िर हम समिाण के सगर्....’ – यहगाँ ‘िपवर मौके’ शब्द ककसकी ओर इशगरग करते हैं?
भगरत की स्वतंरतग की ओर इशगरग करते हैं।
9. ऐसे िपवर मौके िर भगरतवगसी क्यग करनग चगदहए?
स्वतंरतग प्रगस्प्त के िपवर मौके िर भगरतवगसी समिाण के सगर् अिने देश और जनतग की सेवग और
सगरी मगनवतग की सेवग करने केमिए प्रततज्ञग िेनग है।
10. स्वतंरतग की इस िपवर मौके िर भगरतवगसी खुद कौन-सी प्रततज्ञग िे रहे हैं?
इस िपवर मौके िर भगरतवगसी खुद को भगरत और उसकी जनतग की सेवग, और उससे बढकर सगरी
मगनवतग की सेवग करने केमिए प्रततज्ञग िे रहे हैं।
11. खंड कग संक्षेिण करके उथचत शीषाक मिखें।
भारतिासी प्रर्तज्ञा ले रहे हैं....
वषों िहिे ददयग र्यग वचन तनभगने कग समय आ र्यग है। आज रगत बगरह बजे भगरत स्वतंरतग के
नई सुबह के सगर् उठे र्ग। शोपषत दे श की आत्मग, अिनी बगत कहनेवगिे इस संयोर् में हम अिने देश और
जनतग की सेवग से सगरी मगनवतग की सेवग केमिए प्रततज्ञग िे रहे हैं।

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(II) इर्तहास के आरांभ ........... चुनौर्तयों को स्िीकार करें ?


1. इततहगस के आरंभ के सगर् भगरत ने क्यग प्रगरं भ की?
इततहगस के आरंभ के सगर् भगरत ने अिनी अंतहीन खोज प्रगरंभ की।
2. भगरत ने अिनी अंतहीन खोज कब से प्रगरं भ की? इततहगस के आरंभ के सगर्।
3. अिने अच्छे समय हो यग बुरग, भगरत ने क्यग ककयग?
भगरत ने कभी भी अिनी अंतहीन खोज से दृस्ष्ट नहीं हटगई और अिने को शस्क्त दे नेवगिे आदशों
को नहीं भूिग।
4. आज हम दभ
ु गाग्य कग एक युर् कग अंत कर रहे हैं – ‘दभ
ु गाग्य कग युर्’ क्यग है?
कई वषों की र्ुिगमी को ही यहगाँ ‘दभ
ु गाग्य कग युर्’ संज्ञग ददयग है।
5. नेहरू जी की रगय में दभ ु गाग्य के एक युर् कग अंत कब हुआ है?
दे श की स्वतंरतग प्रगस्प्त में दभ
ु गाग्य के एक यर्
ु कग अंत हुआ है।
6. ‘आज हम दभ ु गाग्य के एक युर् कग अंत कर रहे हैं और भगरत िुनः खुद को खोज िग रहग है’ – तगत्िया क्यग
है?
कई वषों से भगरत अंग्रेज़ों के र्ि
ु गम रहे। र्ि
ु गमी में रहकर हमगरे संस्कृतत, सभ्यतग, संिपत्तयगाँ आदद
नष्ट होने िर्े। नेहरू जी मगनते हैं कक, स्वतंरतग से भगरत की र्ररमग को िुनः खोज िेनग है। अर्गात कदठन
िररश्रम करके अिनी खोई हुई र्ररमग को िुनः खोज िेनग है।
7. आज कौन उििस्ब्ध कग उत्सव मनग रहग है ? भगरतवगमसयगाँ।
8. आज भगरतवगमसयगाँ ककस उििस्ब्ध कग उत्सव मनग रहे हैं?
आज भगरतवगमसयगाँ स्वतंरतग प्रगस्प्त कग उत्सव मनग रहे हैं।
9. आज की उििस्ब्ध ककसकी कदम है ? नए अवसरों को खुिने कग कदम है।
10. ‘इससे भी बडी पवजय और उििस्ब्धयगाँ हमगरी प्रतीक्षग कर रही है’ – तगत्िया क्यग है?
दे श की स्वतंरतग नए अवसरों को खि
ु ने कग कदम है। हमें अवसरों को िहचगन करके भपवष्य की
चुनौततयों को स्वीकगर करें और नए-नए पवजय और उििस्ब्धयों को खोज कर िगनग है।
11. भगरतवगमसयों में ककसकी शस्क्त और बुद्थधमत्तग है?
भगरतवगमसयों में अवसरों को समझने और भपवष्य की चुनौततयों को स्वीकगर करने की शस्क्त एवं
बुद्थधमत्तग है।
12. खंड कग संक्षेिण करके शीषाक मिखें।
भविष्य की दृजष्ट
इततहगस के आरंभ से भगरत ने अिनी अंतहीन खोज प्रगरं भ की। अिने अच्छे और बरु े समय में भी
इस खोज को नहीं छोडग और शस्क्त दे नेवगिे आदशों को नहीं भूिग। दभ
ु गाग्य के इस युर् कग अंत हमगरे मिए
नए अवसरों के खुिने कग कदम है। इससे भी बडी उििस्ब्धयगाँ आर्े है और हम अवसरों को समझकर
भपवष्य की चन
ु ौततयों को स्वीकगर करें ।
(III) भविष्य में हमें ............. सपनों को साकार कर सकें।
1. भपवष्य में हमें पवश्रगम छोडकर क्यग करनग चगदहए?
भपवष्य में हमें पवश्रगम छोडकर वचन को बगर-बगर दोहरगएाँ और उसके मिए तनरं तर प्रयत्न करें ।
2. भगरत की सेवग कग अर्ा क्यग है ?
िगखों-करोडों िीडडत िोर्ों की सेवग करनग।
3. िगखों-करोडों िीडडत िोर्ों की सेवग कग तगत्िया क्यग है?
र्रीबी और अज्ञगनतग को ममटगनग, बीमगररयों और अवसरों की असमगनतग को ममटगनग।

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4. हमगरे समगज से क्यग-क्यग ममटगनग है?


हमगरे समगज से र्रीबी, अज्ञगनतग, बीमगररयों तर्ग अवसरों की असमगनतग को ममटगनग है।
5. हमगरी िीढी के सबसे महगन व्यस्क्त कौन है ? महगत्मग र्गाँधी।
6. हमगरी िीढी के सबसे महगन व्यस्क्त की महत्वगकगाँक्षग क्यग है ?
हमगरी िीढी के सबसे महगन व्यस्क्त की महत्वगकगाँक्षग यह है कक हर एक आाँख से आाँसू ममट जगएाँ।
7. महगत्मग र्गाँधी की महत्वगकगाँक्षग की ितू ता केमिए हमें क्यग-क्यग करनग है?
महगत्मग र्गाँधी की महत्वगकगाँक्षग की िूतता केमिए हमें समगज से र्रीबी, अज्ञगनतग, बीमगररयों तर्ग
अवसरों की असमगनतग को ममटगने कग िररश्रम करें तगकक हर एक आाँख से आाँसू ममट जगएाँ।
8. ‘हर एक आाँख से आाँसू ममट जगएाँ’ – वगक्य के ‘हर एक’ शब्द ककसकी ओर इशगरग करते हैं?
भगरत के िगखों-करोडों िीडडत िोर्ों की ओर इशगरग करते हैं।
9. कब तक हमगरग कगम खत्म नहीं होर्ग?
जव तक िोर्ों की आाँखों में आाँसू है और वे िीडडत है, तब तक हमगरग कगम खत्म नहीं होर्ग।
10. हमें ककसके मिए िररश्रम करनग है ? अिने सिनों को सगकगर करने केमिए
िररश्रम करनग है।
11. ‘हम अिने सिनों को सगकगर कर सकें’ – हमगरग सिनग क्यग है?
दे श से र्रीबी, अज्ञगनतग, बीमगररयगाँ, अवसरों की असमगनतग आदद को दरू करके हर एक आाँख से
आाँसू ममटगनग।
12. खंड कग संक्षेिण करकें शीषाक मिखें।
भारत का भविष्य
भपवष्य में हमें अिने वचन को दोहरगकर दे श की सेवग करें । भगरत की सेवग कग तगत्िया है, िगखों-
करोडों िीडडत िोर्ों की सेवग करनग। हमें अिने सिनों को सगकगर करने कग प्रयत्न करें ।
(IV) िे सपने भारत ................ बच्चे रह सके।
1. हमगरे सिने ककस केमिए है ? हमगरे सिने भगरत केमिए है, सगर् ही िूरे पवश्व केमिए भी है।
2. हमगरे सिने भगरत के सगर् पवश्व केमिए भी है, क्यों?
या
‘वे सिने भगरत केमिए है, िर सगर् ही वे िरू े पवश्व केमिए भी है’ – नेहरू जी के इस कर्न के तगत्िया क्यग
है?
आज ककसी भी देश को अिर् सोचनग संभव नहीं है, क्योंकक सगरे रगष्र और जनतग एक दस
ू रे से
बडी समीितग से जुडे हुए हैं।
3. ककन-ककनको अपवभगज्य कहग र्यग है?
शगंतत, स्वगतंरतग, समद्
ृ थध और पवनगश को अपवभगज्य कहग र्यग है।
4. हमें स्वतंर भगरत कग महगन तनमगाण करनग है – ‘स्वतंर भगरत’ कैसग होनग चगदहए?
स्वतंर भगरत उनके सगरे बच्चों को एक सगर् रहने िगयक होनग चगदहए।
5. खंड कग संक्षेिण करके शीषाक मिखें।
सपने...परू े विश्ि केमलए
आज सभी रगष्र एक-दस
ू रे से बडी समीितग से जुडे रहने के कगरण हमगरे सिने िरू े पवश्व केमिए भी
है। शगंतत, स्वतंरतग, समद्
ृ थध और पवनगश अपवभगज्य है। स्वतंर भगरत महगन है, जहगाँ उसके सगरे बच्चे रह
सकें।

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अनुिती कायफ:
➢ नेहरू जी कग भगषण िढनेवगिे दो छगरगओं के बीच कग वगतगािगि।
सीमग : अरे श्यगमग, क्यग तुम्हगरी कक्षग में नेहरू जी कग भगषण िढग है ?
श्यगमग : नहीं, अध्यगपिकग जी तो पिछिे हफ़्ते कक्षग में नहीं आयग।
सीमग : मुझे अच्छग िर्ग। दो-तीन बगर िढग।
श्यगमग : दो-तीन बगर! कैसग िर्ग?
सीमग : बबिकुि जोशीिग रहग।
श्यगमग : क्यों?
सीमग : वगह! हमगरे प्रर्म प्रधगनमंरी कग दीघादृस्ष्ट ककतनग भगवुक है ?
श्यगमग : सुनग है, आज अध्यगपिकग जी आयग है। अर्िग कगिगंश दहंदी है।
सीमग : तो ज़रूर िढगएाँर्े।
श्यगमग : िेककन श्यगमग, मुझे िुस्तक अभी तक नहीं ममिग।
सीमग : मैं दाँ र्
ू ी।
श्यगमग : धन्यवगद, बगद में हमें िस्
ु तकगिय जगनग है।
सीमग : ज़रूर, हमगरे डडस्जटि िुस्तकगिय में वगइ-फगइ सुपवधग है।
श्यगमग : शगयद हमें नेहरू जी के शब्द सुन सकते हैं।
सीमग : तो, कफर हमें अर्िे कगिगंश के बगद ममिेर्ग।
श्यगमग : ज़रूर।
➢ िन्ने 27 में ददए र्गाँधीजी की ऐततहगमसक दं डी यगरग के पवख्यगत भगषण के अंश कग दहंदी अनव
ु गद:
संभगवनग है, यह आि केमिए मेरग आखखरी भगषण होर्ग। यदद सरकगर कि मुझे िदयगरग केमिए अनुमतत दे
दे ती है तब भी इस सबरमतत के िपवर तट में यह मेरग अंततम भगषण ही होर्ग। हो सकतग है कक यहगाँ िर यह मेरग
अंततम शब्द हो। मझ ु े जो कहनग र्ग, वह मैं आि िोर्ों से कि ही कह चक
ु ग हुाँ। मझ
ु े उम्मीद है कक मेरे ये शब्द
दे श के कोने-कोने तक िहुाँच रहे होंर्े।
वपछले सालों की प्रश्न पत्रों से एक नज़र:
MARCH 2017
सूचना: ‘मेरे भगरतवगमसयो’ कग अंश िढें और प्रश्नों के उत्तर मिखें।
भपवष्य में हमें पवश्रगम .......... आाँसू ममट जगएाँ।
1. ‘मेरे भगरतवगमसयो’ ककसकग भगषण है? (1)
2. भपवष्य में हमें क्यग करनग है ? (2)
3. भगरत की सेवग कग मतिब क्यग है ? (3)
4. खंड कग संक्षेिण करें । (6)
5. संक्षेिण केमिए उथचत शीषाक दें । (1)
MARCH 2018
6. ‘जब तक िोर्ों की आाँखों में आाँसू है और वे िीडडत हैं तब तक हमगरग कगम खत्म नहीं होर्ग।‘ नेहरू जी के अनुसगर
भगरत के नव-तनमगाण केमिए हमें क्यग करनग है ? (2)
MARCH 2019
7. ‘भगरत जीवन और स्वतंरतग की नई सब ु ह के सगर् उठे र्ग’ – नेहरू जी ऐसग क्यों सोचते हैं? (4)
MARCH 2020
8. ‘मेरे भगरतवगमसयो....’ ककस पवधग की रचनग है? (कहगनी, नगटक, भगषण) (1)

19
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सूचना: र्द्यगंश िढें और प्रश्नों के उत्तर मिखें।


आज हम स्जस उििस्ब्ध .............. िीडडत िोर्ों की सेवग करनग।
9. भगरत की सेवग कग अर्ा क्यग है ? (2)
10. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण करें और शीषाक दें । (6)
SEPT 2020
11. सगरी दतु नयग सोते वक्त भगरत ककस प्रकगर उठे र्ग? (2)
12. नेहरू जी कग भगषण िढनेवगिग हेमग अिनी सहेिी सम
ु ग से इसके बगरे में बगतचीत करती है। वह बगतचीत तैयगर करें ।
(स्वतंरतग कग महत्व, स्वतंर भगरत की हगित, भगरतीयों कग दगतयत्व) (6)
MARCH 2021
सच
ू ना: र्द्यगंश िढें और प्रश्नों के उत्तर मिखें।
भगरत की सेवग .................... खत्म नहीं होर्ग।
13. भगरत की सेवग कग अर्ा क्यग है ? (1)
14. कब तक हमगरग कगम खत्म नहीं होर्ग? (1)
15. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण करें । (6)
16. उथचत शीषाक मिखें। (1)
17. ‘मेरे भगरतवगमसयो....’ ककसकग भगषण है? (र्गाँधीजी कग, नेहरूजी कग, सरदगर िटे ि कग) (1)
SAY 2021
सूचना: र्द्यगंश िढें और प्रश्नों के उत्तर मिखें।
भगरत की सेवग .................... िूरे पवश्व केमिए भी है।
18. नेहरुजी के अनुसगर भगरत की सेवग कग मतिब क्यग है ? (2)
19. खंड कग संक्षेिण करें । (6)
20. खंड केमिए उथचत शीषाक दें । (1)
परीक्षा केंदित कुछ प्रश्न। उत्तर स्ियां मलखने का प्रयास करें :
1. स्वतंरतग कग उत्सव ककसकग कदम है?
(अंतहीन खोज कग, नए अवसरों को खि
ु ने कग, खद
ु को खोज िगने कग)
2. ‘वक्त’ शब्द कग अर्ा क्यग है? (भगग्य, सेवग, समय)
3. भगरत की सेवग कग अर्ा क्यग है ? (मगनवतग की सेवग, जनतग की सेवग, िीडडतों की सेवग)
4. हमगरी िीढी के सबसे महगन व्यस्क्त कौन है ? (र्गाँधीजी, नेहरू, स्जन्नगह)
5. कब तक जनतग िीडडत है ?
(स्वतंरतग प्रगस्प्त तक, आाँखों में आाँसू रहने तक, नए अवसरों को खि
ु ने तक)
6. हमें ककसके मिए िररश्रम करनग चगदहए?
(सिनों को सगकगर करने केमिए, उत्सव मनगने केमिए, अवसर को समझने केमिए)
7. सभी रगष्र एक दसू रे से बडी ............... से जड
ु े हुए हैं। (अशगंतत, समीितग, दरू ी)
8. नेहरूजी कग भगषण िढनेवगिी एक छगरग कग उस ददन की डगयरी तैयगर करें ।
(स्वतंरतग प्रगस्प्त, नेहरूजी कग अिीि, मगनवतग केमिए प्रततज्ञग िीडडत िोर्ों की सेवग)
9. नेहरूजी कग भगषण िढनेवगिग छगर अिने ममर को िर मिखते हैं। वह िर तैयगर करें ।
(भगरत स्वतंर होनग, नेहरूजी कग भगषण, र्गाँधीजी कग महत्वगकगाँक्षग)
10. िगखों के बमिदगनों के फिस्वरूि 1947 में भगरत र्ि
ु गमी के जंजीर तोड ददयग। िगिककिग में ततरं र्े फहरगने के बगद
नेहरूजी ने अिने डगयरी में क्यग मिखग होर्ग? कल्िनग करके मिखें।
(िगखों कग बमिदगन, र्ुिगमी के जंजीर तोडनग, ततरं र्ग फहरगनग)
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11. 1947 अर्स्त 14 की मध्यरगबर की वेिग में भगरत स्वतंर हुआ। अर्िे ददन के समगचगर िरों में भगरत की स्वतंरतग
और नेहरूजी के भगषण के बगरे में छिती है। वह समगचगर तैयगर करें ।
(बिटीश शगसन कग अंत, शगसन सत्तग ग्रहण करनग, आज़गदी की घोषणग, नेहरूजी कग अिीि)
12. स्वतंरतग प्रगस्प्त के ददन र्गाँधीजी किकत्तग में र्े। सगिों बगद बगिू अिनी आत्मकर्ग मिखने की तैयगरी में र्ग।
र्गाँधीजी की आत्मकर्ग कग वह िन्नग तैयगर करें ।
(सददयों की र्ि
ु गमी, आज़गदी की घोषणग, तनयतत को ममिने की खश
ु ी)
13. 1947 अर्स्त 14 मध्यरगबर की वेिग में बगिू कग थचर तिस्यग सफि हुए। हमगरे ततरं र्े फहरगने के बगद नेहरूजी कग
मुिगकगत बगिू जी से होती है। दोनों के बीच कग वगतगािगि मिखें।
14. नेहरूजी कग भगषण कग आिमें क्यग प्रभगव हुआ? अिने डगयरी के रूि में मिखें।
(र्ुिगमी के जंजीर तोडनग, आज़गदी की धुन, स्वतंरतग कग संरक्षण)
15. नेहरूजी अिनग आत्मकर्ग मिखते वक्त भगरत की स्वतंरतग के बगरे में भी स्जक्र करतग है। आत्मकर्गंश मिखें।
(बिटीश शगसन की समगस्प्त, आज़गदी की घोषणग, भपवष्य केमिए प्रततज्ञग, जनतग की आाँसू ममटगनग)
16. 15 अर्स्त 2021 को आिके स्कूि में स्वतंरतग प्रगस्प्त कग 74वीं सगिथर्रह (Anniversary) मनगने की तैयगरी में है।
पप्रंमसिगि द्वगरग ततरं र्ग फहरगने के बगद की भगषण आिकी स्ज़म्मेदगरी है। उसी ददवस केमिए भगषण तैयगर करें ।
(र्ुिगमी के जंजीर, आज़गदी, र्गाँधीजी कग उम्मीद, आज़गदी के 74वीं वषा)
17. स्कूि में स्वतंरतग ददवस मनगने की तैयगरी में है। आिके िडोसी एक अिर् स्कूि में है। दोनों अिने-अिने स्कूिों
की तैयगररयों के बगरे में बगतचीत करते हैं। वह बगतचीत तैयगर करें ।
(स्वतंरतग प्रगस्प्त के 74 वगाँ वषा, पवशेष सभग (Special Assembly), छगरों कग भगषण, दे शभस्क्त र्ीत आदद
18. जगने कैसे ममिी हमें आज़गदी – पवषय िर आिेख तैयगर करें ।
19. मगन िें, 15 अर्स्त को आिके स्कूि में स्वतंरतग ददवस मनगने कग आयोजन हो रहग है। इसके मिए एक आकषाक
िोस्टर तैयगर करें ।

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सूरीनाम में पहला ददन


सफ़रनामा दहमाांशु जोशी
बहुमुखी प्रततभगवगन िेखक श्री दहमगंशु जोशी कग जन्म उत्तरगखंड में 1935 को हुआ र्ग। दहंदी सगदहत्य के िर्भर्
सभी पवधगओं में उन्होंने अिनी िेखनी चिगई। उन्होंने सगतवें पवश्व दहंदी सम्मेिन में भगर् िेने केमिए सरू ीनगम र्ए र्े।
उन्हें वह शहर दरअसि भगरतीय जैसग िर्ग। सूरीनगम की पवशेषतग और दहंदी भगषग की र्ररमग को ददखगनेवगिग सफ़रनगमग
‘सरू ीनगम में िहिग ददन’।
प्रश्नों के उत्तर गद्याांश से ढ़ुँू ढ़े:
(I) भूगोल की पुस्तकों............. सुकून का अहसास!
1. भूर्ोि के िुस्तकों में क्यग िढग र्ग?
भम
ू ध्यरे खीय प्रदे शों में भीषण र्रमी िडती है। प्रगयः प्रततददन बगररश भी होती है । इसमिए संसगर में
सबसे अथधक वन इसी क्षेर में िगए जगते है। िगजीि कग ततरगनबे प्रततशत भूमम र्हरी हररयगिी से आच्छगददत है।
2. संसगर में सबसे अथधक वन कहगाँ िगए जगते हैं? भूमध्यरे खीय प्रदे शों में।
3. भूमध्यरे खीय प्रदे शों में क्यों इतने अथधक घने वन िगए जगते हैं?
भूमध्यरे खीय प्रदे शों में भीषण र्रमी िडती है। प्रगयः प्रततददन बगररश भी। इसमिए संसगर में अथधक वन
िगए जगते हैं।
4. िगजीि की ककतने प्रततशत भूमम र्हरी हररयगिी से आच्छगददत है ? ततरगनबे प्रततशत।
5. अतीत कग वह िढग आज प्रत्यक्ष दे ख रहे हैं, क्यग?
भर्
ू ोि के िस्
ु तकों में िढग – भम
ू ध्यरे खीय प्रदेशों की भीषण र्रमी, बगररश, घने वन, िगजीि की हररयगिी
आदद प्रत्यक्ष दे ख रहे है।
6. पवमगन से झगाँकने िर क्यग-क्यग दे ख रहे हैं?
पवमगन से झगाँकने िर नीिग जि, कगिे घने बगदि, हररयगिी की छ ंटें आदद दे ख रहे हैं।
7. यगबरयों कग कौतूहि भी बढतग चिग जग रहग है, कब?
पवमगन उतरने की प्रकक्रयग में धीरे -धीरे धरती की ओर झक
ु ते समय यगबरयों कग कौतह
ू ि बढतग जग रहग है।
8. पवमगन धरती को झुकते वक्त यगबरयों को ककस प्रकगर कग अहसगस हुआ?
यगबरयों को िर्भर् बीस हज़गर ककिोमीटर की िंबी यगरग के िश्चगत एक प्रकगर के सक
ु ू न कग अहसगस
हुआ।
9. खंड कग संक्षेिण करके शीषाक मिखें।
कौतूहल का अहसास
अतीत कग िढग हुआ भम
ू ध्यरे खीय प्रदे शों की र्रमी, घने वन, र्हरी हररयगिी आदद आज प्रत्यक्ष दे ख रहे है।
पवमगन धरती की ओर झुकते समय यगबरयों कग कौतूहि भी बढतग रहग।
(II) जजस दहांदी को .................. अहसास जता रही है।
1. सूरीनगमी दहंदी ककन-ककन भगषगओं कग ममश्रण है ? भोजिरु ी तर्ग अवधी कग ममश्रण है।
2. सूरीनगमी दहंदी भोजिरु ी-अवधी ममश्रण है, कैसे?
130 वषा िहिे थर्रममदटयग श्रममक भगरत से जगते समय ‘हमम
ु गनचगिीसग’ तर्ग ‘रगमचररतमगनस’ आदद
धमाग्रंर्ों के रूि में भोजिरु ी-अवधी को िे र्ए। अिने अस्स्तत्व बनगए रखने केमिए उन्हें बहुतथधक संघषा झेिनग
िडग। तब भी वह अिनी भगषग और संस्कृतत को न भि ू ग। अतः वहगाँ प्रचमित दहंदी भोजिरु ी-अवधी ममश्रण है।
3. थर्रममदटयग श्रममक ककन-ककनके मगध्यम से दहंदी को भगरत से िगए र्ए र्े?
‘हमम
ु गनचगिीसग’ तर्ग ‘रगमचररतमगनस’ आदद धमाग्रंर्ों के मगध्यम से।

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4. ककनके मगध्यम से दहंदी को भगरत से िे र्ए र्े? कौन?


भगरतीय िोर् थर्रममदटयग श्रममक के रूि में यहगाँ से जगते वक्त ‘हमम
ु गनचगिीसग’ तर्ग ‘रगमचररतमगनस’
आदद धमाग्रंर्ों के मगध्यम से दहंदी को भी िे र्ए र्े।
5. ‘उन्होंने तूफगन के बीच दीये की तरह जिगए रखग’ – यहगाँ ‘तूफगन’ और ‘दीयग’ शब्द ककन-ककनको सूथचत करते
है?
यहगाँ ‘दीयग’, थर्रममदटयग श्रममकों द्वगरग भगरत से िे र्ए ‘दहंदी भगषग और दहंदी प्रदे श की संस्कृतत’ है और
‘तूफगन’ उन श्रममकों कग संघषा है, जो अिनी भगषग और संस्कृतत को बचगए रखने केमिए झेिनग िडग।
6. ‘तूफगन’ के बीच ‘दीये’ की तरह जिगए रखग - ककसको?
हनुमगनचगिीसग, रगमचररतमगनस आदद धमाग्रंर्ों के मगध्यम से यहगाँ से िे र्ए दहंदी भगषग और संस्कृतत
को ‘तफ
ू गन’ के बीच ‘दीये’ की तरह जिगए रखे।
7. ‘तफ
ू गन’ के बीच ‘दीये’ की तरह जिगयग रखग – तगत्िया क्यग है?
एक सौ तीस वषा िव
ू ा भगरतीय श्रममक यहगाँ से जगते समय हनुमगनचगिीसग, रगमचररतमगनस आदद
धमाग्रंर्ों के मगध्यम से दहंदी भगषग और संस्कृतत को भी िे र्ए र्े। वहगाँ अिने अस्स्तत्व बनगए रखने केमिए
उन्हें बहुतथधक संघषा झेिनग िडग। उस समय िर भी अिनी भगषग और संस्कृतत को वे नहीं भि
ू े। वह उसे दीये
की तरह जिगए रखे।
8. आज एक सौ तीस सगि बगद दहंदी भगषग की अवस्र्ग क्यग है?
आज एक सौ तीस सगि बगद दहंदी नए वैस्श्वक रूि िेकर उभर रहग है। अब दहंदी थर्रममदटयग श्रममकों
की भगषग नहीं, वहगाँ के शगसकों एवं रगष्रगध्यक्षों की भगषग बन र्ई है।
9. आज एक सौ तीस सगि बगद वह एक नए रूि में सगकगर होकर उिस्स्र्त हो रहग है, क्यग?
स्जस दहंदी को भोजिरु ी-अवधी के रूि में भगरत से जगते वक्त िे र्ए र्े, वह आज एक नए रूि में
सगकगर होकर उिस्स्र्त हो रहग है।
10. ‘उसकग वैस्श्वक स्वरूि उभर रहग है ’, कैसे?
अिने सगर् िे र्ए दहंदी भगषग और भगरतीय संस्कृतत को उन्होंने तूफगन के बीच दीये की तरह जिगए
रखग और अब एक सौ तीस सगि बगद उसकग वैस्श्वक स्वरूि उभर रहग है।
11. संसगर के ककतने देशों में आज दहंदी की उिस्स्र्तत है? एक सौ बीस दे शों में।
12. आज दहंदी ककन-ककन की भगषग बन र्ई है?
आज दहंदी थर्रममदटयग श्रममकों की ही नहीं, शगसकों, रगष्रगध्यक्षों आदद की भी भगषग बन र्ई है।
13. ‘उसकग वैस्श्वक स्वरूि उभर रहग है ’ – यहगाँ ‘वैस्श्वक स्वरूि’ शब्द कग तगत्िया क्यग है?
एक सौ तीस सगि िव
ू ा िे र्ए दहंदी भगषग और संस्कृतत आज नए रूि में सगकगर होकर उिस्स्र्त है । वह
आज श्रममकों की ही भगषग नहीं, शगसकों, रगष्रगध्यक्षों आदद की भगषग बन र्ई है। अतः दहंदी कग वैस्श्वक स्वरूि
वहगाँ हम दे ख सकते हैं।
14. ‘उन्होंने तफ
ू गन के बीच दीये की तरह जिगयग रखग’ – िेखक ऐसग क्यों कहते हैं?
भगरतीय िोर् थर्रममदटयग श्रममक होकर एक सौ तीस सगि िहिे सूरीनगम िहुाँचग र्ग। यहगाँ से जगते समय
धमाग्रंर्ों के मगध्यम से अिनी भगषग और संस्कृतत को भी िे र्ए र्े। वहगाँ िैर रखने की संघषा में भी वे अिनी
भगषग और संस्कृतत को नहीं भि
ू े। अिनी भगषग और संस्कृतत को बनगए रखने केमिए ककए र्ए संघषों के
फिस्वरूि दहंदी भगषग आज नए रूि में शगसकों एवं रगष्रगध्यक्षों की भी भगषग बन र्ई है।

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15. खंड कग संक्षेिण करके उथचत शीषाक मिखें।


दहांदी भाषा: सरू ीनाम में
थर्रममदटयग श्रममक अिने सगर् धमाग्रंर्ों के रूि में िे र्ए दहंदी भगषग को तूफगन के बीच दीये की तरह
जिगयग रखग और आज सगिों बगद वह नए वैस्श्वक रूि में उिस्स्र्त है। अब दहंदी शगसकों एवं रगष्रगध्यक्षों की
भी भगषग बन र्ई है। संसगर के एक सौ बीस दे शों में अब दहंदी की उिस्स्र्तत है।
(III) मॉररशस, त्रत्रर्नदाद ........ जैसा लग रहा है।
1. पवश्व दहंदी सम्मेिन कग यह सगतवीं यगरग के िूवा कहगाँ-कहगाँ मनगयग र्ग? मॉररशस, बरतनदगद तर्ग बिटन में।
2. पवश्व दहंदी सम्मेिन कग ‘सगतवीं मंस्ज़ि’ कहगाँ हो रहे है? सूरीनगम में।
3. स्जसके आर्मन की स्मतृ त में ‘दहंदी महगिवा’ कग आयोजन हो रहग है?
एक सौ तीस सगि िहिे आए प्रर्म भगरतीय श्रममक की स्मतृ त में।
4. सरू ीनगम में होनेवगिे दहंदी महगिवा में कौन-कौन सस्म्ममित है?
भगरत के अिगवग अनेक दे शों के दहंदी िेखक, दहंदी प्रचगरक, प्रगध्यगिक, दहंदी सेवी आदद सस्म्ममित है।
5. सूरीनगम के आबगदी ककतने हैं? उनमें ककतने प्रततशत िोर् भगरतीय मि
ू के हैं?
िर्भर् सगढे चगर िगख। सैंतीस प्रततशत भगरतीय मि
ू के है।
6. िेखक को कौन-सग शहर भगरतीय जैसग िर्ग? िगरगमगररबो शहर।
7. िगरगमगररबो शहर िेखक को भगरतीय शहर जैसग क्यों िर्ग?
सूरीनगम के सैंतीस प्रततशत िोर् भगरतीय मि
ू के हैं। सब कहीं भगरतीय भगषग एवं संस्कृतत की झिक
है। इसमिए िेखक को िगरगमगररबो शहर सरू ीनगमी नहीं, एक भगरतीय शहर जैसग िर्ग।
8. खंड कग संक्षेिण करके शीषाक मिखें।
दहांदी महापिफ की सातिीां यात्रा
पवश्व दहंदी सम्मेिनों की यह सगतवीं यगरग ‘दहंदी महगिवा’, एक सौ तीस सगि िहिे आये प्रर्म भगरतीय
श्रममक की स्मतृ त में आयोस्जत है। दहंदी िेखक, प्रचगरक, प्रगध्यगिक एवं सेवी यहगाँ उिस्स्र्त है। सवार भगरतीय-
ही-भगरतीय दे ख रहने के कगरण यह एक भगरतीय शहर जैसग प्रतीत होती है।
(IV) ददनाांक जून को .......... गहरा लगाि है।
1. सगतवगाँ पवश्व दहंदी सम्मेिन कग शुभगरं भ कब हुआ?
ददनगंक 6 जून को सगतवगाँ पवश्व दहंदी सम्मेिन कग शभु गरं भ हुआ।
2. सगतवगाँ पवश्व दहंदी सम्मेिन कग शभ
ु गरं भ ककसने ककयग?
सूरीनगम के आकिकी मूि के रगष्रितत रूनगल्डो वेनेस्त्शयगन ने ककयग।
3. सगतवगाँ पवश्व दहंदी सम्मेिन कग शुभगरं भ करते हुए रगष्रितत ने अिने उद्बोधन में क्यग-क्यग कहग?
अिने उद्बोधन में रगष्रितत ने कहग र्ग – ‘दोनों दे शों के बीच प्रर्गढ आत्मीय संबंध है। दोनों कई अर्ों
में एक दस
ू रे से र्हरे से जुडे है। दोनों के बीच िुरगनी भगषगई संबंध है। अिनी जननी संस्कृत के सगर् आज दहंदी
भी पवश्व की एक प्रमखु भगषग के रूि में उभर रही है। दहंदी को आम आदमी तक िहुाँचगने में दहंदी कफल्मों तर्ग
सूरीनगमी िोर्ों कग भी र्हरग िर्गव है’।
4. रगष्रितत ने अिने उद्बोधन में दोनों रगष्रों के संबंध में क्यग-क्यग कहग?
अिने उद्बोधन में रगष्रितत ने कहग र्ग, सरू ीनगम और भगरत के बीच प्रर्गढ आत्मीय संबंध है। दोनों दे श
कई अर्ों में एक दस
ू रे से र्हरे जुडे है। दोनों के बीच िुरगनी भगषगई संबंध भी है।
5. भगवों की अमभव्यस्क्त कग सशक्त मगध्यम क्यग है ? भगषग।

6. सूरीनगम में दहंदी के प्रचगर-प्रसगर में ककन-ककनकग पवशेष योर्दगन रहग?

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दहंदी कफल्मों और संर्ीत कग। दहंदी चिथचरों के प्रतत सरू ीनगमी िोर्ों कग र्हरग िर्गव है।
7. सूरीनगम में दहंदी के प्रचगर-प्रसगर में दहंदी कफल्मों तर्ग संर्ीत की भूममकग क्यग र्ी?
सूरीनगम में दहंदी कग प्रचगर-प्रसगर में, दहंदी को आम आदमी तक िहुाँचगने में दहंदी कफल्मों तर्ग संर्ीत कग
पवशेष योर्दगन रहग है। दहंदी चिथचरों के प्रतत सरू ीनगमी िोर्ों कग भी र्हरग िर्गव है।
8. खंड कग संक्षेिण करके शीषाक दें ।
सरू ीनामी दहांदी
6 जून को सम्मेिन कग शभ ु गरंभ करते हुए सरू ीनगम के रगष्रितत ने अिने उद्बोधन में दहंदी भगषग के प्रचगर-
प्रसगर के बगरे में कहग। दहंदी कफल्म, संर्ीत और चिथचर के प्रतत सरू ीनगमी िोर्ों कग भी र्हरग िर्गव है।
(V) एक दीप प्रज्िमलत ........कर रहा िा
1. ‘एक दीि प्रज्वमित होते ही िर्ग कक एक सगर् न जगने ककतने जर्मर्गते दीिक जि उठे है’ – ‘दीि’ और
‘दीिक’ ककन-ककनके प्रतीक है?
‘दीि’ सरू ीनगम में होनेवगिे दहंदी महगिवा है। ‘दीिक’ वहगाँ के भगरतवंमशयों के भीड और उनके उत्सगह है।
2. सूरीनगमी भगरतीयों कग उत्सगह ककस प्रयोर् से िेखक ने सूथचत ककए है? भरत-ममिगि।
3. ‘यह भरत-ममिगि बहुत आह्िगददत कर रहग र्ग’ – कर्न कग उद्दे श्य क्यग है?
भरत-ममिगि एक आिंकगररक प्रयोर् है, आत्मीयतग से भगईयों के आिसी ममिन को सूथचत करने केमिए
इसकग प्रयोर् हो रहग है। यहगाँ अिने देशवगमसयों को दे खकर सरू ीनगमी भगरतवंमशयों कग उत्सगह को सूथचत करने
केमिए ऐसग प्रयोर् ककयग है।
4. सूरीनगमी भगरतवंमशयों कग उत्सगह दे खकर िेखक को क्यग अहसगस हुआ?
सरू ीनगमी भगरतवंमशयों कग उत्सगह दे खकर िेखक को अहसगस हुआ कक एक सौ तीस सगि से बबछुडे बंधु
को आज िुनः ममि रहे है।
5. खंड कग संक्षेिण करके शीषाक मिखें।
भरत-ममलाप
सूरीनगमी भगरतवंमशयों कग उत्सगह दे खकर िेखक को ऐसग िर्ग कक एक सौ तीस सगि से बबछुडे बंधु आज
िुनः ममि र्ए।
➢ लेखक और भागीदार के बीच का िाताफलाप:
िेखक : नमस्ते जी, आि कहगाँ से आए हैं?
भगर्ीदगर : श्रीिंकग से। आि?
िेखक : भगरत से।
भगर्ीदगर : भगरत से। तो हम भगई-भगई है।
िेखक : ठ क है। आि कहगाँ रहते हैं?
भगर्ीदगर : होटि एिग्नस ररसोटा में।
िेखक : मैं तो कि आए र्े। िेककन यह शहर भगरतीय जैसग है।
भगर्ीदगर : वगस्तव है, हर कहीं भगरतीय ही दे ख रहे हैं।
िेखक : यहगाँ अथधकगंश िोर् भगरतीय मि
ू के है।
भगर्ीदगर : ठ क है, रगष्रितत के भगषण से दहंदी कग महत्व के बगरे में ितग चिेर्ग।
िेखक : यहगाँ के िोर्ों कग उत्सगह तो .....
भगर्ीदगर : सुनग है, अर्िग सम्मेिन अमेररकग में होर्ग।
िेखक : हगाँ, हमें ज़रूर भगर् िेनग है।
भगर्ीदगर : ज़रूर, तो अर्िे वषा अमेररकग में ममिेंर्े।

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➢ भाषण: पवश्वभगषग के रूि में दहंदी कग प्रचगर-प्रसगर


मगननीय पप्रंमसिगि, आदरणीय र्ुरुजनों और मेरे प्यगरे सगथर्यों,
हम सब जगनते हैं दहंदी हमरी रगष्रभगषग एवं रगजभगषग है। भगरत में िर्भर् 80 करोड से अथधक िोर् दहंदी
सीखते हैं। आजकि दतु नयग के प्रगयः सभी दे शों में भगरतीय रहते हैं। अतः दहंदी वह कडी है, जो भगरत को अन्य दे शों
से जोडते है। नए-नए मगध्यमों के िहचगन से दहंदी कग फैिगव कग क्षेर ददन-प्रततददन पवकमसत होते रहते है। यूतनकोड
के सहगरे कंप्यट
ू र में भी दहंदी कग उियोर् आसगनी बन र्यग है। भगरत में उच्च वर्ा की संिका भगषग तो अंग्रेज़ी है,
िेककन अंग्रेज़ी बोिनेवगिों की संख्यग केवि 3% है। हगाँ, हम र्वा के सगर् कह सकते हैं कक दहंदी पवश्व के सभी दे शों
में बोिी जगनेवगिी भगषग है।
बहुत खुशी की बगत यह है कक पवश्व भर के 40 से अथधक दे शों में दहंदी िढी-िढगई जगती है। दतु नयग भर
िर्भर् 100 से अथधक स्कूिों तर्ग पवश्वपवद्यगियों में दहंदी कग अध्यगयन-अध्यगिन होती है। अकेिे अमेररकग में
िर्भर् 20 से अथधक अध्ययन केंद्र है। पवश्व के प्रगयः सभी प्रमख
ु दे शों में हमगरग दत
ू गवगस (Ambassador) है, जो
पवश्व भर में दहंदी के प्रचगर-प्रसगर के कडी एवं हमगरे रगजभगषग के प्रतततनथध भी है।
दहंदी कफल्मों तर्ग र्ीतों आजकि िोकपप्रय है। पवदे शी थर्यटरों एवं टे मिपवज़नों िर होनेवगिे दहंदी मसनेमग
तर्ग धगरगवगदहक बेहद िोकपप्रय है। पवदेशों में दहंदी के प्रचगर-प्रसगर केमिए हमगरे मंरगिय िण
ू ा सकक्रयतग से कगयारत
है। मंरगिय द्वगरग पवदे शी पवश्वपवद्यगियों केमिए िगठ्य-सगमग्री उििब्ध करगती है। पवदे शों में दहंदी िढनेवगिों को
अनुदगन (Grant) भी दी जगती है। इस दौर िर प्रवगसी भगरतीयों कग योर्दगन उल्िेखनीय है।
हर वषा पवश्व दहंदी सम्मेिनों कग आयोजन ककयग जगतग है। इसके अिगवग क्षेरीय सम्मेिनों कग आयोजन भी
ककए जग रहे हैं। अतः हम खुशी से कह सकते हैं कक आजकि दहंदी एक अंतरगाष्रीय भगषग के रूि में उभर रही है।
हम र्वा से कह सकते हैं कक भगरत में ही नहीं पवश्व भर में हमगरी दहंदी कग फैिगव है।
आज यहगाँ दहंदी भगषग के बगरे में कुछ बोिने कग अवसर दे ने केमिए मैं आिकग बहुत-बहुत आभगरी हुाँ।
क्षमगिूवक
ा मेरी बगतें सुनने केमिए धन्यवगद़।
➢ पोस्टर
सातिाुँ विश्ि दहांदी सम्मेलन
सूरीनाम
SURINAME
6 जून 2003
उद्घाटन: राष्रपर्त श्री रूनाल्डो िेनेजत्शयान
पवश्व के प्रमुख हस्तगक्षरों से एक सगर् सगक्षगत्कगर करने कग मौकग
कपव सम्मेिन
संर्ोष्ठ
संवगद
दहंदी प्रेममयों, भगर् िें... दहंदी कग प्रचगर-प्रसगर करें ।
6 जून 2003 से 9 जून 2003
वपछले सालों की प्रश्न पत्रों से एक नज़र:
MARCH 2017
1. सगतवें पवश्व दहंदी सम्मेिन में भगर् िेने केमिए िेखक सूरीनगम िहुाँचतग है। रगष्रितत के भगषण से प्रभगपवत होकर
वह अिने ममर को एक िर मिखतग है। वह िर तैयगर करें । (8)
(पवश्व दहंदी सम्मेिन कग अनुभव – रगष्रितत कग भगषण – सरू ीनगम में दहंदी कग प्रचगर – सरू ीनगम और भगरत के बीच
कग भगषगई संबंध)

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JUNE 2017 (Say)


2. सूरीनगम से भगरत िौट आनेवगिग िेखक सूरीनगम के एक ममर को वहगाँ के अनुभवों के बगरे में िर मिखतग है। वह
िर तैयगर करें । (सूरीनगम कग वगतगवरण – श्रममकों द्वगरग दहंदी भगषग को बचगए रखनग – रगष्रितत कग भगषण – दहंदी
महगिवा मनगनग) (8)
MARCH 2018
3. दहंदी के प्रचगर-प्रसगर में दहंदी कफल्मी र्ीतों कग पवशेष भूममकग है। भगरत की भगवगत्मक एकतग में वह सहगयक है।
संकेतों के आधगर िर दटप्िणी मिखें।
(जन सगधगरण को प्रभगपवत करनेवगिग – दहंदी के प्रतत रुथच उत्िन्न करनेवगिग) (4)
सूचना: र्द्यगंश िढें और उत्तर मिखें।
ददनगंक 6 जन
ू ......... पवशेष योर्दगन रहग है।
4. ककन-ककन दे शों के बीच िरु गनी भगषगई संबंध है? (2)
5. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण करके शीषाक मिखें। (6)
JUNE 2018 (Say)
सूचना: र्द्यगंश िढें और 6 और 7 के उत्तर मिखें।
ददनगंक 6 जून ......... दहंदी भी उभर रही है।
6. सूरीनगम और भगरत के बीच कग भगषगई संबंध ककस प्रकगर है ? (2)
7. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण करें और शीषाक मिखें। (6)
8. ग्यगरहवगाँ पवश्व दहंदी सम्मेिन मॉररशस में होनेवगिग है। सूचनगओं के आधगर िर एक िोस्टर तैयगर करें । (6)
(पवश्व दहंदी सम्मेिन 2018 - तीसरी बगर मॉररशस में – अनेक दहंदी प्रेममयों की भगर्ीदगरी – पवश्व भगषग के रूि में
दहंदी)
MARCH 2019
9. पवश्व दहंदी सम्मेिन में भगर् िेने केमिए सरू ीनगम में िहुाँचे िेखक उस ददन की डगयरी मिखतग है। िेखक की डगयरी
60-80 शब्दों में मिखें। (उद्घगटन समगरोह, दहंदी कग प्रचगर-प्रसगर, प्रकृतत वणान) (6)
MARCH 2020
10. ‘दहंदी भगषग कग महत्व एवं प्रचगर’ पवषय िर 100-120 शब्दों कग तनबंध तैयगर करें । (8)
(संिका भगषग के रूि में दहंदी, पवश्व भगषग के रूि में दहंदी, दहंदी भगषग की उियोथर्तग, एकतग की कसौटी)
JULY 2020 (Say)
11. दहमगंशु जोशी को कौन-सग शहर भगरतीय शहर जैसग िर्ग? (1)
12. जीवन-वत्त
ृ के आधगर िर दहमगंशु जोशी के बगरे में अनुच्छे द तैयगर करें । (4)
13. ‘दहंदी भगषग के प्रचगर-प्रसगर में दहंदी कफल्मों तर्ग संर्ीत कग पवशेष योर्दगन है’ – दटप्िणी तैयगर करें । (4)
14. दहमगंशु जोशी पवश्व दहंदी सम्मेिन मे भगर् िेने केमिए िगरगमगररबो िहुाँचे। वहगाँ की दहंदी के पवकगस के बगरे में वे
अिने दोस्त को िर मिखते है। वह िर तैयगर करें । (8)
(पवश्व भगषग के रूि में दहंदी, िहिे श्रममकों की भगषग, अब श्रममकों और शगसकों की भगषग, कफल्मों और र्ीतों कग
असर)
MARCH 2021
15. जीवन-वत्त
ृ के आधगर िर दहमगंशु जोशी के बगरे में अनुच्छे द। (6)
सूचना: र्द्यगंश िढें और 12 से 14 तक के प्रश्नों के उत्तर मिखें।
स्जस दहंदी को ................. अहसगस जतग रही है।
16. थर्रममदटयग श्रममक ककन-ककन के मगध्यम से दहंदी को भगरत से िे र्ए र्े? (2)
17. यहगाँ दहंदी की उिस्स्र्तत के बगरे में िेखक क्यग बतगते हैं? (2)

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18. िेखक पवश्व दहंदी सम्मेिन में भगर् िेने केमिए िगरगमगररबो िहुाँचे। वहगाँ की दहंदी भगषग के प्रचगर के बगरे में अिने
ममर को एक िर मिखते हैं, वह िर तैयगर करें । (8)
19. संिका भगषग के रूि में दहंदी पवषय िर एक तनबंध तैयगर करें । (8)
(जन-सगधगरण की भगषग, भगषग कग प्रचगर एवं प्रसगर, रगजभगषग के रूि में दहंदी (Official language), बोिचगि की
भगषग)
SAY 2021
20. सगतवगाँ पवश्व दहंदी सम्मेिन में भगर् िेने दहमगंशु जोशी सूरीनगम िहुाँचे। उद्घगटन समगरोह के बगद वे इसके बगरे में
अिने एक ममर को िर मिखते है। वह िर कल्िनग करके तैयगर करें । (8)
(सम्मेिन कग अनुभव, दहंदी कग प्रचगर, रगष्रितत कग भगषण, दहंदी भगषग कग महत्व)
21. दहंदी हमगरे दे श की आवगज़ है। दहंदी भगषग कग बढतग महत्व पवषय िर भगषण तैयगर करें । (8)
(संसगर की प्रमुख भगषगओं में एक, सगंस्कृततक पवकगस में सहगयक, जनसगधगरण की भगषग, रगजभगषग के रूि में दहंदी)
परीक्षा केंदित कुछ प्रश्न। उत्तर स्ियां मलखने का प्रयास करें :
1. मगन िे, आि दै तनक जगर्तृ त समगचगर िर के संवगददगतग (Reporter) है। सगतवगाँ पवश्व दहंदी सम्मेिन में भगर् िेकर
आनेवगिे दहमगंशु जोशी कग सगक्षगत्कगर (Interview) करनग आिकग दगतयत्व है। आि दोनों के बीच कग वही वगतगािगि
कल्िनग करके मिखें।
(पवश्व दहंदी सम्मेिन, िेखक कग अनभ
ु व, भगरत जैसग प्रतीत होनग)
2. सगिों बगद आत्मकर्ग मिखते समय िेखक को सूरीनगम के ददनों की यगद आयग, स्जसे अिनी आत्मकर्ग में स्जक्र
करनग चगहग। वह आत्मकर्गंश तैयगर करें ।
(सम्मेिन में भगर् िेनग, अिनग अनभ
ु व, भगरतीय शहर जैसग प्रतीत होनग)
3. मगन िे, भगरत के प्रतततनथध होकर िेखक को सगतवगाँ पवश्व दहंदी सम्मेिन के उद्घगटन समगरोह में भगषण करने कग
अवसर ममिग। वह भगषण कल्िनग करके मिखें।
(पवश्व भगषग के रूि में दहंदी, दहंदी कग वैस्श्वक स्वरूि, भगरतवंमशयों कग उत्सगह)
4. मगन िे, सूरीनगम में सगतवगाँ पवश्व दहंदी सम्मेिन के उद्घगटन समगरोह के बगद िेखक को वहगाँ के रगष्रितत से
ममिने कग अवसर ममिग। उन दोनों के बीच कग वगतगािगि कल्िनग करके मिखें।
(िगरगमगररबो और भगरत, भगषगई संबंध, भगरतवंमशयों कग उत्सगह)
5. सगतवगाँ पवश्व दहंदी सम्मेिन के बगरे में वहगाँ के एक प्रमुश दहंदी समगचगर िर में छगिग जगतग है। वह समगचगर तैयगर
करें ।
(सूरीनगम और भगरत, रगष्रितत कग भगषण, भगरतवंमशयों कग उत्सगह)
6. आिको 2021 में न्यय
ू ोका होनेवगिे बगरहवगाँ पवश्व दहंदी सम्मेिन में भगर् िेने कग अवसर ममिग। यगरग, सम्मेिन कग
अनुभवों कग वणान करते हुए अिने ममर के नगम िर मिखें।
(सम्मेिन में भगर् िेनग, अिनग तनजी अनभ
ु व, भपवष्य में भी ऐसे अवसर ममिने की प्रतीक्षग।

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सूरदास के पद
सर्ुण भस्क्तधगरग के सवाश्रेष्ठ कृष्णभक्त कपव र्े सूरदगस। उनकग जन्म 15 वीं सदी के अंततम दशकों में उत्तरप्रदे श
में हुआ। सूरदगस कग वगत्सल्य एवं श्रंर्
ृ गर रस वणान अद्पवतीय है। सरू सगर्र आिकी प्रमसद्ध रचनग है। यहगाँ दो िद, ‘मेरे
िगि’ और ‘हे कगन्ह’ में श्रीकृष्ण की बगििीिगओं तर्ग कृष्ण और र्ोपिकगओं के प्रेम कग संद
ु र वणान है।
मेरे लाल: श्रीकृष्ण कग बगििीिग संबंथधत िद। बगिक कृष्ण, यशोदग, नंद में केंदद्रत है।
1. समगनगर्ी शब्द िद से ढाँू ढकर मिखें।
खुश/प्रफुस्ल्ित हुई – फूिी हषा से - हरपषत िीन - मर्न होश - सुथध
भूि र्ई - भूिी युवती - तनु बगहर से - बगदहर से
दे खो तो - दे खौ धौं आाँख/नयन - नैन छोटग - तनक छोटग - तनक
दृस्ष्ट - थचतवन दगाँत - दाँ तत/द्पवज सफि - सुफि दोनों - दोउ
कगन्ह - श्यगम तप्ृ त/संतुष्ट हुई - अघगई ितत - महर बबजिी - बीजु
दे खकर - दे ख्यो जम र्ई - जमगई
2. मगतग यशोदग क्यों खुश हुई? अिने बेटे कग सुंदर चेहरग दे खकर मगतग यशोदग खश
ु हुई।
3. ‘तनु की सुथध भूिी’ – ‘तन’ु कौन है? क्यों ‘तनु’ के सुथध भूिी?
‘तन’ु कृष्ण की मगतग यशोदग है। अिने बेटे के दध
ू की दगाँतों को दे खकर आह्िगद और प्यगर में मग्न मगतग
यशोदग अिने आिको भि
ू र्ई।
4. यशोदग क्यों नंद को बि
ु गते हैं? अिने बेटे के संद
ु र सख
ु दगई रूि दे खने केमिए।
5. यशोदग ने नंद को बुिगकर क्यग कहग?
यशोदग ने नंद को बुिगकर कहग कक बेटे के छोटे -छोटे दध
ू की दगाँतों को दे खनग नयनों केमिए खश
ु ी होर्ग।
6. नंद के मख
ु और दृस्ष्ट खश
ु ी से भर र्ई, क्यों?
अिने बेटे के सुंदर चेहरे और दथु धए दगाँतों को दे खकर नंद के मुख और दृस्ष्ट खुशी से भर र्ई।
7. ‘मनो कमि िर बीजु जमगई’ – तगत्िया क्यग है?
कृष्ण के छोटे दध
ू की दाँ ततयगाँ और मुाँह के हाँसी दे खकर ऐसे िर्तग है मगनो कमि िर बबजिी जम र्ई हो।
8. ‘मनो कमि िर बीजु जमगई’ – ‘कमि’ और ‘बीज’ु ककन-ककनको सूथचत करते है?
कृष्ण के माँह
ु कमि है और बबजिी उसके छोटे -छोटे दध
ू की दाँ ततयगाँ है।
9. सूरदगस क्यग कहते हैं?
सूरदगस कहते हैं कक ककिकगरी करनेवगिे कृष्ण की दगाँतों को दे खकर ऐसग िर्तग है मगनो कमि िर बबजिी
चमक र्ई हो।
10. िद में वखणात भगव क्यग है ? वगत्सल्य
11. भािािफ मलखें।
सूरदगस कृष्ण भस्क्तशगखग के प्रमुख कपव है। उनकी प्रमुख रचनग सरू सगर्र की बगििीिगएाँ वगत्सल्य वणान
कग अद्पवतीय दृष्टगंत है। प्रस्तत
ु िद कृष्ण के बगििीिग से संबंथधत है, जो सरू सगर्र से मियग र्यग है। बगिक कृष्ण
के दधू के दाँ ततयगाँ दे खकर मगतग-पितग अत्यथधक खुश हुए। सरू दगस इस दृश्य कग वणान करते हैं।
अिने िुर के मोहक मुख को दे खकर यशोदग अत्यथधक प्रसन्न हुई। िुर के दथु धए दगाँतों को दे खते ही यशोदग
मगाँ अिने आि को भूि जगती है। वह बगहर से अिने ितत नंद को बुिगकर िुर कग सुंदर सुखदगई रूि दे खने को
कहते हैं। वे कहते हैं, िुर के छोटे -छोटे दथु धए दगाँतों को दे खनग नयनों केमिए सुखदगयक है। ित्नी की बगतें सन
ु कर
नंद प्रसन्नतगिूवक
ा अंदर आए और िुर के दथु धए दगाँतों को दे खकर उनके मुख और थचतवन खुशी से भर र्ए।
सरू दगस कहते हैं कक ककिकगरी करनेवगिग कृष्ण को दे खकर ऐसग िर्तग है, मगनो कमि िर बबजिी जम र्ई हो।

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यह िद वगत्सल्य रस कग उत्तम उदगहरण है। यहगाँ कृष्ण कग मुख कमि के समगन है और चमकनेवगिी सफ़ेद
दगाँत बबजिी के समगन है। बगिक कृष्ण कग सौंदया अद्पवतीय है। उनकी चेष्टगएाँ भी हृदयहगरी तर्ग अद्पवतीय है।
हे कान्ह....
प्रमुख पात्र: कृष्ण और र्ोपिकगएाँ
1. समगनगर्ी शब्द िद से ढाँू ढकर मिखें।
वन - बन सनु गई प़डी - स्रवन िरी कगमकगज - धगम कगम भि
ू र्ई - बबसरीं
मयगादग - मरजगद वेद - बेद र्ोडी सी - नेकहु नहीं - नगदहं
कृष्ण - स्यगम सगर्र - मसंधु नदी - सररतग
र्ोिगकगएाँ – ििनगर्न िगनी - जि प्रवगह - ढरतन बही - ढरीं
िुर - सुत घर - भवन स्नेह - नेह िोक - जन
आशंकग - संकग हर मियग - हरर िीन्हों चतरु - नगर्र नयग - नवि
2. ‘जबहीं बन मरु िी स्रवन िरी’ – वन में कौन मरु िी बजग रहग है?
वन में कृष्ण मुरिी बजग रहग है।
3. वन से मरु िी र्गन सन
ु ने िर र्ोपिकगएाँ क्यग ककयग?
जब वन से मरु िी र्ीत सुनगई िडग तब र्ोपिकगएाँ चककत होकर अिने सगरे कगमकगज भूि र्ई।
4. र्ोपिकगएाँ कब अिने आिको भूिकर दौडी?
वन से मुरिी के मीठे स्वर सुनगई िडग तो अिने आिको भूिकर दौडी।
5. ‘र्ोि कन्यग सब धगम कगम बबसरीं’ - कब?
जब वन से मरु िी के मीठे स्वर सन
ु गई िडग तो र्ोि कन्यग सब धगम कगम बबसरीं।
6. र्ोि कन्यगएाँ ककन-ककन बगतों को नहीं डरीं?
अिने कुि की मयगादग तर्ग धमाग्रंर्ों के आज्ञग आदद बगतों को र्ोि कन्यगएाँ नहीं डरी।
7. कृष्ण के मरु िी र्गन सन
ु कर र्ोपिकगएाँ क्यग-क्यग ककए?
कृष्ण के मरु िी र्गन सुनते ही र्ोपिकगएाँ चककत हुई और अिने सगरे कगमकगज भि ू र्ए। कुि की मयगादग,
वेद ग्रंर्ों कग अनुशगसन आदद के बगरे में भी नहीं डरीं। अिने ितत और िर ु के स्नेह, घरवगिों तर्ग अन्य िोर्ों के
बगरे में भी नहीं सोचग। वे सब कृष्ण रूिी सगर्र में नदी के जि के समगन जग ममिी।
8. ‘स्यगम मसंधु सररतग ििनगर्न जि की ढरतन ढरीं’ – यहगाँ कृष्ण और र्ोपिकगओं की ति
ु नग ककन-ककन से ककयग है?
सरू दगस ने कृष्ण की ति
ु नग सगर्र से और र्ोपिकगओं की ति
ु नग नदी से की र्ई है।
9. र्ोपिकगओं की प्रवपृ त्त दे खकर सूरदगस क्यग कहते है?
अिनग सबकुछ भूिकर कृष्ण के िगस िहुाँचने की व्यग्रतग दे खकर सरू दगस कहते हैं कक चतरु कृष्ण तनत्य
नए-नए तरीके से र्ोपिकगओँ के मन को हर िेते हैं।
10. िद में वखणात भगव क्यग है ? प्रेम और श्रंर्
ृ गर
11. भािािफ मलखें।
सूरदगस कृष्ण भस्क्तशगखग के प्रमुख कपव है। उनकी प्रमुख रचनग सरू सगर्र के कृष्ण और र्ोपिकगओं के प्रेम
कग सरस वणान अद्पवतीय है।
सरू सगर्र के रगसिीिग से संबंथधत िद है, ‘हे कगन्ह’। कृष्ण वन से मीठ आवगज़ में मरु िी बजग रहे है।
प्रस्तुत िद में र्ोिीकगओं िर कृष्ण के मरु िी की मीठ ध्वतन के प्रभगव कग वणान ककयग र्यग है।
सूरदगस कहते हैं कक जब मरु िी की मीठ आवगज़ सुनगई िडी तब सगरी र्ोपिकगएाँ चककत हो र्ई और सब
कगमकगज भूि र्ई। कुि की मयगादग, वेदों की आज्ञग आदद सबकुछ से वे बबिकुि नहीं डरीं। स्जस प्रकगर सगर्र में
नददयगाँ जगकर ममिती है, उसी प्रकगर र्ोपिकगएाँ रूिी नददयगाँ अिने पप्रयतम कृष्ण रूिी समुद्र से ममिने केमिए वन

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की ओर तनकि प़डी। र्ोपिकगएाँ, िुर और ितत कग प्यगर, र्ुरुजनों कग भय, िज्जग आदद ककसी भी बगत की िरवगह
नहीं की। सूरदगस कहते हैं कक चतरु एवं सुंदर श्रीकृष्ण ने र्ोपिकगओं के मन को हर मियग।
सूरदगस इस िद में कृष्ण और र्ोपिकगओं के प्रेम कग सरस वणान ककयग है।
➢ दो गोवपकाओां के बीच का िाताफलाप।
िहिी र्ोपिकग : अरे , सुनग है, ककतनग मीठग है, वेणु र्गन?
दस
ू री र्ोपिकग : मैं भी सन
ु ग र्ग। ज़रूर मीठ है।
िहिी : अरे स्यगम की मुरिी अनोखी है। वगह! ककतनी सुरीिी आवगज़...
दस
ू री : स्वर तो अमत
ृ वषगा की तरह मधुर है।
िहिी : हगाँ, आज भी स्यगम र्गएाँ चरगने आए र्े। वहगाँ यमुनग के ककनगरे बैठकर मुरिी बजगते हैं।
दस
ू री : मेरी मन यहगाँ नहीं है.... क्यग हमें जगएाँ?
िहिी : अरी, तम्
ु हें िज्जग नहीं आती? िोर् क्यग कहें र्े?
दस
ू री : िरवगह नहीं। स्यगम ही सबकुछ है।
िहिी : दे ख री, ये र्ोपिकगएाँ क्यग करते हैं।
दस
ू री : वे तो कृष्ण के िगस जगती है।
िहिी : वे तो ककसी की िरवगह ककए बबनग ही उनसे जग ममिती है। तो हमें भी जगएाँ।
दस
ू री : तो जल्दी चिें।
वपछले सालों की प्रश्न पत्रों से एक नज़र:
JUNE 2018 (Say)
1. सुतमुख दे खख जसोदग फूिी।
................ सुंदर सुखदगई।
सरू दगस कग ‘बगिकृष्ण-वणान’ अनि
ु म है। िद्यगंश के आधगर िर समर्ान करें । (4)
MARCH 2019
2. ‘हरपषत दे खख दध
ू की दाँ ततयगाँ प्रेम मर्न तनु की सथु ध भि
ू ी’।
यशोदग अिने आिको भि
ू र्ई। क्यों? (2)
3. मुरिी के ध्वतन में िीन दो र्ोपिकगओं के बीच होनेवगिी संभगपवत बगतचीत तैयगर करें । (6)
(सब कगमकगज भि
ू र्ई, िोक-िगज की िरवगह नहीं ककयग, अनुशगसन से डरीं नहीं)
MARCH 2020
4. कृष्ण के दथु धए दगाँतों को दे खने केमिए यशोदग ककसको बुिगयग? (नंद को, बिरगम को, सहेिी को) (1)
5. जबदहं बन मरु िी ........ नवि हरी।
कपव िररचय दे कर भगव मिखें। (6)
SEPT 2020
6. कपव िररचय दे कर भगव मिखें।
सुतमुख दे खख .......... बीजु जमगई।।
MARCH 2021
सूचना: िद िढें और 6 से 9 तक के प्रश्नों के उत्तर मिखें।
सुतमुख दे खख .................... बीजु जमगई।।
7. यशोदग कब अिने आिको भि
ू जगते हैं? (1)
8. यशोदग क्यों खुश हुई? (1)
9. यशोदग नंद को बुिगकर क्यग दृश्य दे खने को कहिी है ? (1)
10. िद िढें और भगवगर्ा मिखें। (6)

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11. ‘सत
ु ितत नेह भवन जन संकग िज्जग नहीं करी’ मुरिी की ध्वतन में िीन प्रणयगतरु दो र्ोपिकगओं के बीच कग
वगतगािगि तैयगर करें । (मुरिी की ध्वतन, कृष्ण प्रणय, कुि मयगादग छोडनग, अिने आि को भि
ू जगनग) (8)
12. दथु धए दगाँतों को दे खने केमिए यशोदग ने ककसको बि
ु गयग? (1)
(नंद को, मगाँ को, नौकरगनी को)
SEPT 2021
13. िद िढें और भगवगर्ा मिखें। सुतमुख दे खख ................ बीजु जमगई।। (6)
सूचना: िद िढें और प्रश्नों के उत्तर मिखें।
जबदहं बन मरु िी ............ नवि हरी।।
14. र्ोपिकगएाँ कब अिने आिको भूिकर दौडी? (2)
15. िद की व्यगख्यग करें । (6)
परीक्षा केंदित कुछ प्रश्न। उत्तर स्ियां मलखने का प्रयास करें :
1. ‘बगदहर ते तब नंद बि
ु गए .........’ यशोदग और नंद के बीच कग वगतगािगि तैयगर करें ।
(िर
ु के दथु धए दगाँत, अिने आिको भि
ू जगनग, ितत की खश
ु ी)
2. मुरिी नगद सुनकर र्ोपिकगएाँ अिने आिको भूिकर दौडी। िेककन कृष्ण कग प्रेम रगधग से हैं। उन दोनों के बीच कग
वगतगािगि मिखें।
(मरु िी नगद, सबकुछ भि
ू कर दौडनग, रगधग और कृष्ण से मि
ु गकगत)
3. मुरिी की ध्वतन में िीन प्रणयगतुर र्ोपिकग कमि की ित्ते में कृष्ण को प्रणय़ िेखन मिखने की तैयगरी में है । वह
िर तैयगर करें ।
(मुरिी नगद, प्रणयगतुर र्ोपिकग, सबकुछ भूि जगनग)
4. ‘सत
ु ितत नेह भवन जन संकग....’- प्रणयगतुर र्ोपिकग अिने आिको भि
ू कर मुरिी नगद के िीछे दौडते दे खकर ितत
क्रुद्ध होतग है। उन दोनों के बीच कग वगतगािगि तैयगर करें ।
(मुरिी नगद, कगमकगज भि
ू कर दौडनग, घरवगिों के बगरे में न सोचनग)
5. ‘हे कगन्ह....’ िद के आधगर िर कृष्ण के प्रतत र्ोपिकगओँ के प्रेम कग वणान करें ।
(मुरिी नगद, कगमकगज सब भि
ू जगनग, कृष्ण के यहगाँ िहुाँचने की व्यग्रतग)

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दोस्ती फिल्मी गीत


शोले:
1975 में तनममात ‘शोिे’ दहंदी के बहुचथचात कफल्मों में एक है। मब
ुं ई के ममनवगा मसनेमग घर में िर्गतगर िगाँच सगि
प्रदमशात इस कफल्म के सुंदर र्ीत ‘ये दोस्ती’ अच्छे दोस्त और दोस्ती के बगरे में बतगते है।
मेरी खोज:
➢ इन शब्दों कग समगनगर्ी शब्द र्ीत से ढाँू ढें।
दख
ु - र्म दृस्ष्ट - नज़र अिर् - जुदग क्रोध - खफ़ग
ईश्वर - खुदग आशीवगाद - दआ
ु पवजय - जीत िरगजय - हगर
प्यगर - यगर जीवन - जगन शरुतग - दश्ु मनी
➢ आस्िादन दटप्पणी।
श्री रमेश मसप्िी के तनदे शन में बनी ‘शोिे’ दहंदी की सवाकगिीन बेहतरीन कफल्मों में एक है। इस कफल्म कग
िोकपप्रय र्ीत है ‘ये दोस्ती’। आनंद बख्शी द्वगरग रथचत इस र्ीत के संर्ीतकगर आर.डी.बमान है। कफल्म के दो मुख्य
िगर वीरू-जय केमिए ककशोरकुमगर एवं मन्नगडे ने आवगज़ दी है। वीरू और जय एक बैक में सफ़र करते हुए यह र्ीत
र्गते है।
‘ये दोस्ती’ र्ीत में सच्ची दोस्ती के महत्व कग वणान ककयग है। र्ीत में कहग हैं, मत्ृ यु के सगमने भी दोस्ती
कग पवजय होती है। दोस्तों कग दख
ु , जय-िरगजय सब एक ही है। दोस्ती को बनगए रखने केमिए जगन िर खेिने
केमिए भी अच्छे ममर तैयगर हो जगते है। दोस्ती में एक दस
ू रे केमिए मर जगने यग दश्ु मनी मोि िेने को भी दोस्त
तैयगर हो जगती है। िोर्ों की नज़र में ममर दो है, िेककन वे मन से एक ही है।
र्ीत के हर एक िंस्क्तयगाँ सगर्ाक है और आकषाक भी है। जीवन में सच्ची दोस्ती कैसी होनी चगदहए, यह
र्ीत दशगाते है। एक कफल्मी र्ीत में जो खूबबयगाँ होनी चगदहए, वे सब इस र्ीत में हम ज़रूर दे ख सकते हैं। र्ीत के
मगधुया के कगरण दहंदी कफल्मी जर्त में यह एक िोकपप्रय र्ीत बन र्यग है। र्ीत में रचनगकगर, संर्ीतकगर एवं
िगश्वार्गयक अिनी-अिनी प्रततभग कग सफितगिूवाक प्रदशान ककयग र्यग है।
वपछले सालों की प्रश्न पत्रों से एक नज़र:
MARCH 2018
1. ‘मेरी जीत, तेरी जीत
तेरी हगर, मेरी हगर’ – सच्ची दोस्ती कैसी होती है ? (2)
JUNE 2018
2. ‘मेरी जीत, तेरी जीत
तेरी हगर, मेरी हगर’ – यहगाँ र्ीतकगर ककसकी ओर इशगरग करतग है ? (2)
MARCH 2019
3. ‘ये दोस्ती......
हम नहीं तोडेंर्े
तोडेंर्े हम मर्र
तेरग सगर् न छोडेंर्े’
दोस्ती के महत्व के बगरे में 60 – 80 शब्दों में दटप्िणी तैयगर करें । (6)
MARCH 2020
4. ‘ये दोस्ती...... हम नहीं तोडेंर्े’
दोस्ती कफल्मं के र्ीत सुनने के बगद एक िडके की भेंट अिने ममर से होती है। उन दोनों के बीच कग वगतगािगि
तैयगर करें ।
(ममरतग की अतनवगयातग, अच्छे ममर के र्ण
ु , अच्छ ममरतग की आवश्यकतग) (8)
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JULY 2020
5. ‘खगनग-िीनग सगर् है
मरनग-जीनग सगर् है’
‘शोिे’ कफल्म के इस र्ीत कग संर्ीतकगर कौन है ? (रवींद्रन, आर. डी. बमान, ए. आर. रहमगन) (1)
MARCH 2021
6. ‘दोस्ती मगनव जीवन कग अमभन्न अंर् है ’ – सच्चे दोस्ती के बगरे में एक िेख तैयगर करें । (8)
(सच्ची दोस्त, दोस्ती के र्ण
ु , दोस्ती कग महत्व, दोस्ती की आवश्यकतग)
SAY 2021
7. ‘ये दोस्ती......... हम नहीं तोडेंर्े.....’ मगनव जीवन में दोस्ती कग महत्विण
ू ा स्र्गन है। अिनग मत प्रकट करें ।(8)
(दोस्ती के र्ुण, दोस्ती कग महत्व, दोस्ती से िगभ)
8. ‘खगनग-िीनग सगर् है
मरनग-जीनग सगर् है’
ये िंस्क्तयगाँ ककस कफल्म की है ? (शोिे, जंजीर, तगरे ज़मीन िर) (1)
परीक्षा केंदित कुछ प्रश्न। उत्तर स्ियां मलखने का प्रयास करें :
1. मगन िे, आिके स्कूि में ‘शोिे’ कफल्म की प्रदशानी हुई। कफल्म दे खकर दो छगर ‘ये दोस्ती....’ र्ीत के औथचत्य और
आज की उसकी प्रगसंथर्कतग के बगरे में बगतचीत करते हैं। वह वगतगािगि तैयगर करें ।
(शोिे कफल्म, र्ीत कग असर, आजकि की दोस्ती)
2. मगन िे, आिके स्कूि के एन.एस.एस की ओर से ममरतग ददवस (Friendship Day) मनगने की तैयगरी में है। उस ददन
की तनबंध प्रततयोथर्तग में प्रस्तुत करने केमिए ‘वफगदगर दोस्ती’ िर एक िघु तनबंध तैयगर करें ।
(व्यस्क्त के जीवन और दोस्ती, इततहगस में दोस्ती : कृष्ण-सुदगमग, युथधस्ष्ठर-कणा आदद, सच्चे दोस्त कग िहचगन)
(वफगदगर - Faithful)

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ज़मीन एक स्लेट का नाम है


आत्मकिाांश एकाांत श्रीिास्ति
दहंदी के जगने-मगने िेखक एकगंत श्रीवगस्तव कग जन्म सन ् 1964 को छत्तीसर्ढ में हुआ। ‘ज़मीन एक स्िेट कग नगम
है‘ श्रीवगस्तव जी की आत्मकर्ग कग अंश है, स्जसमें अिने जीवन की एक अपवस्मरणीय घटनग हमगरे सगमने सच्चगई से
आाँकन करने कग सफि प्रयगस ककयग है।
प्रमुख पात्र: िेखक (मैं), पितगजी, दीदी
गद्याांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर मलखें :
(I) तीस अप्रैल.............. की गई।
1. तीस अप्रैि को ककसकी तदर्ा सेवग समगप्त की र्ई? िेखक की
2. तीस अप्रैि को अिनी तदर्ा सेवग समगप्त करके िेखक ने क्यग ककयग?
बोररयग बबस्तर समेटकर अम्मग सदहत बबिगसिरु िहुाँचग।
3. सगमगन िगनग इसमिए ज़रूरी र्ग - क्यों?
सगमगन िगनग इसमिए ज़रूरी र्ग क्योंकक इसमें संदेह हैं कक अर्िे वषा की सगक्षगत्कगर में उन्हें िुनः चुन
मियग हो यग नहीं।
4. सगमगन िगने में अकेिे कदठनगई न हुआ, क्यों?
िेखक के छोटे भगई र्ुडू मिवगने आए र्ग, इसमिए सगमगन िगने में अकेिे कदठनगई न हुआ।
5. र्गाँव िहुाँचकर िेखक ने क्यग-क्यग ककयग? अरसे के बगद र्गाँव की मििगई-ित
ु गई की।
6. खंड कग संक्षेिण करके उथचत शीषाक दें ।
अरसे के बाद गाुँि में
तदर्ा सेवग समगप्त करके मैं अम्मग सदहत बबिगसिरु िहुाँचग। भगई मिवगने आयग र्ग। घर में तगिग िर्गकर
र्गाँव िहुाँचग। र्गाँव की घर की मििगई-ित
ु गई की।
(II) बहुत भाग दौड ................... घर कर गई िी।
1. ककतने रुिए केमिए ज़मीन बेचग ददयग?
बगरह हज़गर प्रतत एकड की दर से ज़मीन बेचग ददयग।
2. ‘बगरह हज़गर प्रतत एकड की दर से’ – िेखक क्यों ऐसी कम कीमत में ज़मीन बेचने में पववश िडग?
िेखक की बहन की शगदी केमिए िैसे की ज़रूरत है। उसके िगस िन
ु ः सोचने कग समय भी न र्ग।
इसमिए कम कीमत में ज़मीन बेचने में पववश िडग।
3. भपवष्य तनथध से भी पितगजी रुिए तनकगि िगए र्े, क्यों?
बेटी की शगदी की तैयगररयगाँ शुरु करने केमिए पितगजी भपवष्य तनथध से रुिए तनकगि िगए र्े।
4. दीदी बहुत भगवुक हो र्ई र्ी, क्यों?
अिनी शगदी की तैयगररयगाँ और पितगजी एवं भगई के ज़मीन बेचने में जो तनगव है, उसे दे खकर दीदी
बहुत भगवुक होकर बीच-बीच में रो िडती है।
5. शगदी केमिए क्यग-क्यग तैयगररयगाँ शरु
ु ककयग?
शगदी केमिए मंडि िर्ग ददयग र्ग, कगडा भी छि र्ई। मेहमगन आने िर्े। वधु को हल्दी-तेि चढगनग भी
शुरु ककयग।
6. शगदी की तैयगररयों के बीच घरवगिों के ददि में क्यग घर कर र्ई र्ी?
घरवगिों सब व्यवस्र्ग से संतुष्ट र्े, िेककन मन खगिी एवं उदगस र्ग। जो उिस्स्र्त र्ग उसकी
अनुिस्स्र्तत अभी से ददि में घर कर र्ई है।

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7. ‘ज़मीन एक स्िेट कग नगम है’ आत्मकर्गंश के तनम्नमिखखत वगक्य िढें ।


‘कुछ और कीमत आ सकती र्ी मर्र मज़बरू ी कग फगयदग उठगते हैं।’
‘भपवष्य तनथध से भी कुछ हज़गर रुिए पितगजी िगए र्े।’
ये वगक्य कौन-सी सगमगस्जक सच्चगई की ओर इशगरग करते हैं?
ये वगक्य आजकि के ज़मगने में शगदी के नगम िर होनेवगिी आडंबर और दव्ु याय की ओर इशगरग करते हैं।
शगदी के नगम िर होनेवगिे आडंबर और अनगवश्यक खचा ददन-प्रततददन बढते जग रहे है। इससे समगज में बडप्िन
अवश्य ममिेंर्े। ऐसी एक सगमगस्जक सच्चगई कग िदगाफगश करनग िेखक कग उद्दे श्य है।
8. ‘मन अभी से खगिी-खगिी और उदगस र्ग’- ककसकग मन? क्यों?
घरवगिों कग मन अभी से खगिी-खगिी और उदगस इसमिए र्ग कक घर में बेटी कग पववगह और ज़मीन की
बबक्री होनेवगिी है। दो-चगर ददनों में उन दोनों की पवदगई होंर्े। अतः घरवगिे अभी से उदगस र्े।
9. ‘जो उिस्स्र्त र्ग उसकी अनि
ु स्स्र्तत अभी से ददि में घर कर र्ई र्ी’, क्यों?
घर में बेटी की शगदी होनेवगिी है। शगदी की तैयगररयगाँ िेककए ज़मीन बेचने में पववश िडग। अब दोनों की
पवदगई केमिए दो-चगर ददन शेष है। इसमिए घरवगिों के मन में ऐसग एक अनि
ु स्स्र्तत घर कर र्ई र्ी।
10. ‘कुछ और कीमत आ सकती र्ी मर्र मज़बरू ी कग फगयदग सभी उठगते है ’ – ककसके बगरे में यहगाँ सथू चत करते हैं?
यहगाँ ज़मीन की बबक्री के बगरे में सूथचत करते है।
11. ‘कुछ और कीमत आ सकती र्ी मर्र मज़बरू ी कग फगयदग सभी उठगते है ’ – इस कर्न से क्यग तगत्िया है ?
स्वगर्ातग भरी दतु नयग में िोर् हमेशग दस
ू रों की मज़बरू ी कग फगयदग उठगते है। यहगाँ िडकी की शगदी केमिए
िैसे की ज़रूरत है। इसमिए ज़मीन बेचने तनकिे र्े। िेककन ज़मीन को कम कीमत ममिग।
12. खंड कग संक्षेिण करके शीषाक मिखें।
शादी की तैयाररयाुँ
बगरह हज़गर प्रतत एकड की दर से ज़मीन को खरीदगर ममिग। दीदी भगवुक होकर बीच-बीच में रो िडती र्ी।
सब व्यवस्र्ग से संतष्ु ट र्े, कफर भी मन खगिी-खगिी और उदगस र्ग।
(III) जजस ददन ज़मीन की .....................रक्त की चमक है।
1. पितगजी ने कब िेखक से अिने सगर् खेि चिने को कहग?
अिनी ज़मीन की रस्जस्री के एक ददन िहिे।
2. ज़मीन की रस्जस्री के एक ददन िहिे पितगजी ककससे अिने सगर् खेत चिने को कहग? क्यों?
ज़मीन की रस्जस्री के एक ददन िहिे पितगजी ने िर
ु (िेखक) से अिने सगर् खेत चिने को इसमिए
कहग कक कि रस्जस्री के बगद ज़मीन दस
ू रों कग हो जगएर्ग। दस
ू रों के ज़मीन िर जगनग उन्हें िसंद नहीं करते।
3. रस्जस्री के एक ददन िहिे पितगजी ने िेखक से क्यग कहग?
रस्जस्री के एक ददन िहिे पितगजी ने िेखक से अिने सगर् खेत चिने को कहग।
4. ‘मैं इस अप्रत्यगमशत प्रस्तगव से कुछ चककत हुआ’ - कौन? अप्रत्यगमशत प्रस्तगव क्यग है ?
िेखक। रस्जस्री के एक ददन िहिे पितगजी ने िेखक से अिने सगर् खेत चिने को कहग। इस
अप्रत्यगमशत प्रस्तगव से वे चककत हुआ।
5. िेखक क्यों अिने पितगजी के अप्रत्यगमशत प्रस्तगव से चककत हुआ?
या
‘मैं इस अप्रत्यगमशत प्रस्तगव से कुछ चककत हुआ’, िेखक क्यों अिने पितगजी के प्रस्तगव से चककत हुआ?
शगदी की तैयगररयगाँ शुरु हुई। घर में मेहमगन र्े और शगदी से संबथधत ज़रूरी कगम भी र्े। ऐसे अवसर में
पितग और िुर, दोनों की उिस्स्र्तत वहगाँ अतनवगया है। इसमिए अिने पितगजी के अप्रत्यगमशत प्रस्तगव से वह
चककत हुआ।

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6. िेखक को अिने पितगजी कग प्रस्तगव क्यों अप्रत्यगमशत जैसग िर्ग?


ज़मीन की रस्जस्री के एक ददन िहिे अिने पितगजी िेखक से अिने सगर् खेत आने को कहग। घर में
पववगह से संबंथधत ज़रूरी कगम र्ी। इसमिए िेखक को पितगजी कग प्रस्तगव अप्रत्यगमशत जैसग िर्ग।
7. रस्जस्री के िूवा पितगजी को अिने खेत दे खने की इच्छग क्यों हुई?
रस्जस्री के बगद ज़मीन दस
ू रों कग हो जगएर्ग। दस
ू रों के ज़मीन िर जगनग वह िसंद नहीं करते। इसमिए
उन्हें रस्जस्री के िव
ू ा ज़मीन को दे खने की इच्छग प्रकट ककयग।
8. पितगजी के सगश खेत जगने केमिए िेखक ने क्यों फुरसत मगाँर्ग?
घर में मेहमगन र्े और पववगह से संबंथधत ज़रूरी कगम भी र्े। इसमिए दोनों की उिस्स्र्तत वहगाँ अतनवगया
है। इसमिए िेखक ने र्ोडी फुरसत मगाँर्ग।
9. िेखक ने फुरसत मगाँर्ग तो पितगजी ने क्यग कहग?
िेखक ने फुरसत मगाँर्ग तो पितगजी ने कहग कक ‘कि रस्जस्री के बगद ज़मीन अिनग कहगाँ रह जगएर्ी।
दस
ू रों की ज़मीन में क्यग जगनग।‘
10. पितगजी के ककस वगक्य िेखक को आहत कर ददयग?
‘कि रस्जस्री के बगद ज़मीन अिनग कहगाँ रह जगएर्ी। दस
ू रों की ज़मीन में क्यग जगनग‘ – यह वगक्य िेखक
को आहत कर ददयग।
11. ‘यह वगक्य मुझे आहत कर ददयग’ – ऐसग कौन कहते हैं? उन्हें आहत क्यों िहुाँचग?
िेखक ऐसग कहते हैं। वह अिने पितगजी कग आज्ञगकगरी बेटग है , समझदगर भी है। ज़मीन बेचने से संबंध
में अिने पितगजी के मन में जो तनगव एवं िीडग र्ग, वे ठ क तरह समझते है। इसमिए अिने पितगजी के वगक्य
उन्हें आहत कर ददयग।
12. ‘यह वगक्य मुझे आहत कर ददयग’ – इस वगक्य में िेखक की चररर की कौन-सी पवशेषतग प्रकट होती है ?
िेखक अिने पितगजी कग आज्ञगकगरी बेटग है। वह समझदगर भी है। ज़मीन बेचने से संबंथधत अिने
पितगजी कग संघषा वे अच्छ तरह समझते है।
13. शगदी के एक ददन िव
ू ा भी िेखक अिने पितगजी के सगर् खेत जगने कग तनश्चय क्यों मियग?
िेखक अिने पितगजी के मन में ज़मीन बेचने से संबंध में जो तनगव और संघषा र्ग, उसे अच्छ तरह
समझते है। इसमिए शगदी के एक ददन िव
ू ा भी वह पितगजी के सगर् खेत जगने कग तनश्चय मियग।
14. खेतों में िहुाँचकर पितगजी ने क्यग ककयग?
पितगजी ने सय ू गास्त तक उन बबकनेवगिे खेतों में टहिते रहग। वे खगमेश र्े।
15. ‘मुझे खुद बहुत अच्छग नहीं िर् रहग र्ग’ – ककसको? क्यग?
अिने पितगजी की मन कग संघषा एवं िीडग िेखक को अच्छग नहीं िर्ग।
16. अिने पितगजी के मन कग हगहगकगर समझकर िेखक ने क्यग ककयग?
अिने पितगजी के मन कग हगहगकगर समझकर िेखक ने उसके ओर दे खे बबनग झुककर ममट्टी को छुआ।
17. ‘ज़मीन एक स्िेट कग नगम है’ – आत्मकर्गंश के तनम्नमिखखत वगक्य िढें ।
‘यह वगक्य मुझे आहत कर ददयग।’
‘मुझे खुद बहुत अच्छग नहीं िर् रहग र्ग।’
‘उनके भीतर कग हगहगकगर मेरी समझ में आ रहग र्ग।’ – वगक्य ककससे संबंथधत है ? यहगाँ उसके कौन-सी पवशेषतग
प्रकट होती है?
ये वगक्य िेखक से संबंथधत है। वह आज्ञगकगरी और समझदगर बेटग है। ज़मीन बेचने में अिने पितगजी के
संघषा वह अच्छ तरह समझते है।

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18. अिने ममट्टी िर छूने िर िेखक को क्यग अहसगस हुआ?


अिने ममट्टी िर छूने िर िेखक को अहसगस हुआ कक वह ज़मीन बचिन की कपवतगएाँ मिखी हुई स्िेट
कग नगम है यग रक्त की चमकवगिे िगि फूि है।
19. िेखक को अिनी ज़मीन एक स्िेट िर्तग है यग फूि - क्यों?
उस ज़मीन से िेखक और पितगजी कग र्हरग संबंध है। उन दोनों के जीवन वहगाँ से शुरु होते है। उस
ज़मीन िर मिखकर ही उन्होंने जीवन कग िहिग िगठ सीखग है। खेिते समय उस ज़मीन िर थर्रकर उनके घट
ु नों
से रक्त भी तनकिग होर्ग। इसमिए िेखक को अिनग ज़मीन एक स्िेट और फूि जैसग िर्तग है।
20. खंड कग संक्षेिण करके उथचत शीषाक दें ।
ज़मीन: स्लेट या लाल िूल
रस्जस्री के िूवा पितगजी ने अिनी खेत दे खनग चगहग। उन्होंने सूयगास्त तक वहगाँ टहिते रहग। उस ममट्टी को
छूने िर िेखक को ऐसग िर्ग कक शगयद वह ज़मीन बचिन की कपवतगएाँ मिखी हुई स्िेट है यग रक्त की चमक
वगिे िगि फूि।
(IV) अगले ददन ........... विलाप को।
1. खेत से आने के बगद पितगजी की अवस्र्ग कैसी र्ी?
खेत से आने के बगद ज़मीन की रस्जस्री तक पितगजी खगमोश रहे। उन्होंने बस ‘हूाँ-हगाँ’ करते रहग।
2. ‘अर्िे ददन रस्जस्री तक पितगजी खगमोश रहे’ - क्यों?
बबकनेवगिे ज़मीन से पितगजी कग बचिन और यौवन र्हरे से जुडे र्े। इसमिए अिनी ज़मीन की पवदगई
के बगरे में सोचते ही वह खगमोश हुए।
3. मेहमगनों के सगमने औिचगररकतग तनभगनग कदठन हो र्यग र्ग, क्यों?
खेत से आने के बगद अर्िे ददन ज़मीन की रस्जस्री तक पितगजी खगमोश र्े। उन्होंने बस ‘हूाँ-हगाँ’ करते
रहे। घर में बहुतथधक मेहमगन र्े। पितगजी सदग खगमोश रहने के कगरण मेहमगनों के सगमने औिचगररकतग
तनभगनग कदठन हो र्यग र्ग।
4. ज़मीन की तुिनग ककससे की र्ई है? हृदय से।
5. कौन सुन सकतग र्ग उनके तनशःब्द पविगि को, ककसके? कौन-सग पविगि?
िेखक के पितगजी कग पविगि। ज़मीन की पवदगई।
6. ज़मीन की पवदगई को क्यों ‘तनशःब्द पवदगई’ कह र्ई है?
ज़मीन की पवदगई से पितगजी की आाँसू सख
ू भी र्ई है। क्योंकक वे मगनते हैं कक र्गाँव में इज्जत बनगए
रखने केमिए धन के सगर् ज़मीन भी अवश्य है।
7. ‘ज़मीन एक स्िेट कग नगम है’ आत्मकर्गंश में दो पवदगईयों कग स्जक्र हुआ है, कौन-कौन है?
बेटी के पवदगई और ज़मीन के पवदगई।
8. ‘मैं ज़मीन नहीं बेचतग ............................... अिनी दो अदद आाँखें।’ – यहगाँ ज़मीन की तुिनग ककन-ककन से की
र्ई है?
यहगाँ बेचनेवगिी ज़मीन की ति
ु नग हृदय और आाँखों से की र्ई है। दोनों कग जीवन से अटूट संबंध तो अवश्य
है। बेटी की शगदी केमिए अिनी ज़मीन बेचने में पववश पितग की िीडग यहगाँ वखणात है। पितग केमिए वह ज़मीन,
मसफा एक ज़मीन नहीं है, अिने हृदय कग टुकडग ही है। उनके सिने भी उससे जड
ु े हुए र्े, इसमिए ही वह अिने
सिनों से भरी दो आाँखें ही है।
➢ ज़मीन की तुिनग हृदय से क्यों की र्ई है?
िेखक के पितगजी कग बचिन से ही उस ज़मीन से र्हरग संबंध है। उस ममट्टी में खेिकर वे बडे हुए है।
खेिों के बीच नीचे थर्रकर घुटनें तछि र्ई है। अतः बचिन से ही वह ज़मीन उसके जीवन कग भगर् है।

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➢ कपवतग केमिए शीषाक। ममट्टी नहीं; मेरी आाँखें


➢ बेटी की डगयरी।
15.10. 2021 सोमवगर
शगदी के ददन आर्े है। केवि दो-चगर ददन। अब मन संघषा से भरग र्ग। पववगह मंडि, तनमंरण आदद
प्रगरं मभक तैयगररयगाँ हो चुकी र्ी। मेहमगनों से भरग घर।
पवदगई की वेिग में मेरे भगई और मगतग-पितग के र्हरे प्यगर कग अनभ
ु व करती है। हगाँ, मैं इस घर की प्यगरी
बबदटयग र्ग। अब बबछुडन कग समय आ र्ई है। आज सबेरे ज़मीन की रस्जस्री केमिए पितगजी और भगई र्ए।
पिछिे कुछ ददनों से पितगजी दःु खी र्ग। पववगह के खचा केमिए ज़मीन बेचने में पववश हो र्यग है। क्यग आज
की ज़मगने में िडककयों अिने घर केमिए बोझ है ? हगाँ, नहीं तो पितगजी कग ज़मीन! वगस्तव में िडकी अिने
िररवगर केमिए बोझ ही है। इस अवस्र्ग से मुस्क्त कैसे िग सकें?
दो-चगर ददनों के बगद मेरी शगदी। एक नए घर में......। वहगाँ ितत के मगतग-पितग और बहन है। वहगाँ के
जीवन कैसे होर्ी? मगिूम नहीं। ईश्वर ही रक्षग।
वपछले सालों की प्रश्न पत्रों से एक नज़र:
MARCH 2016
1. ‘ज़मीन एक स्िेट कग नगम है’, आत्मकर्ग कग यह वगक्य िढें ।
बेटी की पवदग होने में अभी दो-चगर ददन वक्त र्ग। मर्र ज़मीन की पवदगई आज ही हो रही र्ी।
उियाक्
ु त वगक्य के आधगर िर पितगजी के चररर िर दटप्िणी मिखें। (4)
MARCH 2017
2. ‘ज़मीन एक स्िेट कग नगम है’ आत्मकर्ग कग अंश िढें ।
कि रस्जस्री के बगद वह ज़मीन अिनी कहगाँ रह जगएर्ी। कफर दस
ू रों के ज़मीन में क्यग जगनग।
इस कर्न के आधगर िर िेखक के पितगजी के चररर िर दटप्िणी मिखें। (4)
JUNE 2017 (Say)
सच
ू ना: ‘ज़मीन एक स्िेट कग नगम है ’ आत्मकर्ग कग अंश िढें और प्रश्नों के उत्तर मिखें।
बहुत भगर् दौड के बगद ................ घर कर र्ई र्ी।
3. ‘ज़मीन एक स्िेट कग नगम है’ ककसकी रचनग है?
(मैथर्िीशरण र्ुप्त, अमत
ृ ग प्रीतम, दहमगंशु जोशी, एकगंत श्रीवगस्तव) (1)
4. ककतने रुिए कीमत में ज़मीन कग खरीदगर ममिग? (2)
5. शगदी की क्यग-क्यग तैयगररयगाँ की र्ई? (3)
6. उियुाक्त खंड कग संक्षेिण करें । (7)
7. संक्षेिण केमिए उथचत शीषाक मिखें। (1)
MARCH 2018
8. ‘वे खगमोश र्े। कुछ बोि नहीं रहे र्े। मर्र उनके भीतर कग हगहगकगर मेरी समझ में आ रहग र्ग’- ज़मीन कग नष्ट
होनग पितगजी केमिए हृदय टूटने के समगन र्े।ममट्टी और मनुष्य के अमभन्न संबंध के बगरे में अिनग पवचगर प्रकट
करें । (4)
9. ‘ज़मीन एक स्िेट कग नगम है’ िगठ कग अंश िढें ।
‘पितगजी के सूखे आाँसुओं को कौन दे ख सकतग र्ग। कौन सुन सकतग र्ग उनके तनशःब्द पविगि को।’ शगदी की
तैयगररयगाँ दे खकर दीदी कग मन संघषा से भरग। दीदी कग डगयरी 60 – 80 शब्दों में मिखें। (6)
(भगई और मगतग-पितग कग प्यगर, िररवगर से बबछुडने कग दख
ु , पितगजी के दख
ु कग न सहनग, ससरु गि के प्रतत
आशंकग)

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JUNE 2018 (Say)


10. ‘बेटी के पवदग होने से सभी दो-चगर ददन वक्त र्ग। मर्र ज़मीन की पवदगई आज ही हो रही है।’ ज़मीन और बेटी की
पवदगई िर पितगजी दख
ु ी है। पितगजी के आत्मसंघषा िर दटप्िणी मिखें। (4)
11. पितगजी के आत्मसंघषा को दे खकर बेटी बहुत दःु खी हुई। वह अिने आिको िररवगर केमिए बोझ समझने िर्ी। वह
अिनग दःु ख आत्मकर्ग में सूथचत करती है। वह आत्मकर्गंश 100-120 शब्दों में तैयगर करें । (8)
(भगई और पितग कग प्यगर, शगदी की तैयगररयगाँ, ज़मीन के प्रतत पितगजी कग िर्गव, िररवगर केमिए बोझ बनने कग
अहसगस)
MARCH 2019
12. ‘ज़मीन एक स्िेट कग नगम है’ नगमक आत्मकर्गंश में दो पवदगईयों है, वे कौन-कौन है? (2)
MARCH 2020
13. कि रस्जस्री के बगद वह ज़मीन अिनी कहगाँ रह जगएर्ी,रस्जस्री के िहिे पितगजी को खेत दे खने की इच्छग हुई,
क्यों? (2)
14. बेटी की पवदग होने में अभी दो-चगर ददन वक्त र्ग। मर्र ज़मीन की पवदगई आज ही हो रही र्ी – दोनों पवदगईयों िर
पितगजी दख
ु ी है। पितग उस ददन की डगयरी में अिनी मन की संवेदनगएाँ व्यक्त करतग है। वह डगयरी 60-80 शब्दों में
तैयगर करें । (6)
SEPT 2020 (Say)
15. ‘ज़मीन एक स्िेट कग नगम है’ ककस पवधग की रचनग है? (कपवतग, नगटक, आत्मकर्ग) (1)
16. ‘ज़मीन एक स्िेट कग नगम है’ नगमक आत्मकर्ग में शगदी की क्यग-क्यग तैयगररयगाँ हो रहीं र्ी? (2)
17. तनम्नमिखखत वगक्यों के आधगर िर ‘ज़मीन एक स्िेट कग नगम है’ आत्मकर्ग के पितगजी के चररर िर दटप्िणी मिखें।
‘कि रस्जस्री के बगद वह ज़मीन अिनी कहगाँ रह जगएर्ी।’
‘अर्िे ददन रस्जस्री तक पितगजी खगमोश रहे।’
‘पितगजी के सूखे आाँसुओं को कौन दे ख सकतग र्ग’ (4)
MARCH 2021
18. ‘शगदी के नगम आडंबर और दव्ु याय’ पवषय िर भगषण तैयगर करें । (8)
(शगदी के नगम िर बढतग अनगवश्यक खचा, समगज में अिने बडप्िण ददखगने की बुरी आदत, बढती दहेज प्रर्ग,
अमीरों की नकि)
SAY 2021
19. शगदी की तैयगररयगाँ दे खकर दीदी कग मन संघषा से भरग। दीदी कग आत्मकर्गंश तैयगर करें । (6)
(भगई और मगतग-पितग कग प्यगर, िररवगरवगिों केमिए बोझ बनने कग दःु ख, ससुरगि के प्रतत आशंकग)
परीक्षा केंदित कुछ प्रश्न। उत्तर स्ियां मलखने का प्रयास करें :
1. तदर्ा सेवग समगप्त करके िेखक अिनी मगाँ के सगर् बबिगसिरु िहुाँचग। रे िवे स्टे शन में छोटे भगई र्ड
ु ू आयग र्ग।
िेखक और भगई के बीच कग वगतगािगि तैयगर करें ।
(तदर्ा सेवग की समगस्प्त, बबिगसिरु आनग, सगमगन िगने की ज़रूरत)
2. अिनी दीदी की शगदी केमिए ज़मीन बेचने में पववश हो िडते है। इसमें दख
ु ी होकर िेखक अिनी शगदी बबनग दहेज
और कम खचा से करनग चगहग। इस संबंध में वह अिनी डगयरी में क्यग मिखग होर्ग। डगयरी तैयगर करें ।
(बहन की शगदी, दहेज और अनगवश्यक खचा, शगदी से संबंथधत आडंबर िर पवरोध)
3. अिनी शगदी की तैयगररयगाँ दे खकर दीदी कग मन संघषा से भरग। वह अिनग संघषा भगई से बगाँटनग चगहग। उन दोनों के
बीच कग वगतगािगि तैयगर करें ।
(शगदी की तैयगररयगाँ, खचा केमिए ज़मीन बेचनग, पितगजी कग आत्मसंघषा)
4. अिनी बेटी की शगदी की खचा के बगरे में पितगजी और िेखक बगतचीत करते हैं। दोनों के बीच कग वगतगािगि तैयगर
करें । (शगदी की तैयगररयगाँ, िैसे की कमी, भपवष्य तनथध से तनकगिनग, ज़मीन बेचनग)
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5. अिनी बेटी की शगदी केमिए पितगजी ने अिनी ज़मीन बेचनग चगहग। ज़मीन की बबक्री केमिए अखबगर में छिने योग्य
आकषाक पवज्ञगिन तैयगर करें ।
(ज़मीन की बबक्री, सडक के िगस, बबजिी-िगनी सुपवधगएाँ)
6. शगदी केमिए ज़मीन बेचनग चगहग तो कीमत बहुत कम ममिती है। ज़मीन के कीमत के बगरे में पितगजी और
खरीदनेवगिे के बीच कग वगतगािगि तैयगर करें ।
(बेटी की शगदी, ज़मीन की बबक्री, कम कीमत, मज़बरू ी कग फगयदग)
7. अिनी शगदी केमिए पितगजी ज़मीन खरीदने में पववश िडती है। दःु खी बेटी और पितगजी के बीच कग संभगपवत
वगतगािगि तैयगर करें ।
(शगदी की तैयगररयगाँ, ज़मीन की बबक्री, पितगजी कग आत्मसंघषा)
8. घर में शगदी की तैयगररयगाँ शुरु हुई। दीदी बहुत भगवक
ु र्ी और बगत-बगत में रो िडती है। दीदी की उस ददन की डगयरी
तैयगर करें ।
(िररवगर से बबछुडनग, ससुरगि के प्रतत आशंकग, पितगजी कग दख
ु )
9. अिनी शगदी की तैयगररयगाँ और ज़मीन बेचने में पववश अिने पितगजी कग तनगव दोनों से दीदी कग मन संघषा से भरग।
अिनी मन कग संघषा वह सहेिी को िर के रूि में मिखतग है। वह िर मिखें।
(शगदी की तैयगररयगाँ, दहेज और शगदी की खचा, ज़मीन की बबक्री)
10. ज़मीन की रस्जस्री के िूवा पितगजी ने िेखक को अिने सगर् खेत जगने को कहग। दोनों के बीच कग वगतगािगि मिखें।
(बेटी की शगदी, अनगवश्यक खचगा, ज़मीन की रस्जस्री)
11. ‘खेतों में िहुाँचकर वे सूयगास्त तक उन खेतों में टहिते रहे जो बबकनेवगिे र्े। वे खगमोश र्े।’ िेखक अिने पितगजी
के भीतर कग हगहगकगर समक्षते र्े। िेखक की उस ददन की डगयरी तैयगर करें ।
(ज़मीन बेचनग, रस्जस्री के िूिा ज़मीन दे खनग, मन कग हगहगकगर)
12. शगदी केमिए ज़मीन बेचने के संबंध में िेखक और दीदी के बीच कग वगतगािगि कल्िनग करके मिखें।
(िररवगर केमिए बोझ, शगदी के खचगा, ज़मीन की बबक्री, अिनग दःु ख)
13. ज़मीन की रस्ज़स्री के अर्िे ददन पितगजी बबिकुि खगमोश रहे। वह अिने मन कग संघषा डगयरी के रूि में मिखते
हैं। वह डगयरी तैयगर करें ।
(ज़मीन के प्रतत र्हरग जुडगव, बढतग खचगा, ज़मीन की ऱस्जस्री)
14. बेटी की शगदी के बगद वषा कई बीत र्ई। पितगजी अिनी आत्मकर्ग मिखने की तैयगरी में है , स्जसमें वह अिनी बेटी
की शगदी और ज़मीन की बबक्री के बगरे में स्जक्र करते है। वह आत्मकर्गंश तैयगर करें ।
(बेटी की शगदी, खचगा, ज़मीन की बबक्री)

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सपने का भी हक नहीां
कविता डॉ जे बाबू
दहंदीतर प्रदे शों की दहंदी सगदहत्यकगरों में प्रमुख है डॉ जे बगबू। ‘सिने कग भी हक नहीं’ आिकी प्रमसद्ध कपवतग है,
स्जसमें एक र्रीब मज़दरू रन कग थचर खींचग है, जो अिने एक कमरेवगिे झोंिडी में रहकर महि कग सिनग देखती है। कपव
यहगाँ एक कठोर सगमगस्जक यर्गर्ा कग थचर खींचने कग प्रयगस की र्ई है कक र्रीबों को सिने दे खने कग भी अथधकगर नहीं है।
ല ന. ലജ രനരു എഴുതിയ ‘സ്വപ്നെിനു ലപനെുാം അധിരനരമിെല’ എന് രവിത ദരിന്ത്ദയനയ
ലതനഴിെനളി സ്ന്ത്തീയുലട ചിന്ത്താം വരച്ചു രനട്ടുന്ു. അവർ ഒറ്റമുറി രുടിെിൽ രുട്ടിരൾ ഉറങ്ങിക്കഴിഞ്ഞ്
ലരനട്ടനരാം സ്വപ്നാം രനണുന്ു. സ്വപ്നെിലനനടുവിൽ രനങ്കിലെ ലനനട്ടിസ് ഒരു ഭീക്ഷണിലയലന്നണാം
സ്വപ്നെിലെലക്കെുന്ു. ദരിന്ത്ദർക്ക് സ്വപ്നാം രനണനൻ ലപനെുാം അധിരനരമിെല എന് സ്നമൂഹിര
യനഥനർത്ഥ്യാം ഈ രവിതയിെൂലട രവി വരച്ചു രനട്ടുന്ു.
कविताांश से प्रश्नों के उत्तर ढ़ुँू ढें:
(I) इक कमरेिाली .............. कहाुँ होगा?
1. झोंिडी में ककतने कमरे है ? एक कमरे।
2. स्री कहगाँ रहते हैं? एक कमरे वगिे झोंिडी में रहते है।
3. स्री क्यग कर रहे है? स्री अिनग पवस्तत
ृ घर खींच रहे है।
4. ‘अिनग पवस्तत
ृ घर खींचने िर्ग’, कौन? कहगाँ?
मज़दरू रन (स्री) अिनी मन दीवगर िर अिनग पवस्तत
ृ घर खींचने िर्ग।
5. ‘अिनग पवस्तत
ृ घर खींचने िर्ी’- कौन? कब? मज़दरू रन (स्री)। रगत में बच्चे सो जगने िर।
6. मज़दरू रन अिने पवस्तत
ृ घर में ककन-ककन कमरे बनवगनग चगहती है?
अिने पवस्तत
ृ घर में खगने-िीने और सोने केमिए अिर्-अिर् कमरे है। इसके अिगवग रसोई, बैठक और
िूजग कग कमरग भी बनवगनग चगहती है।
7. रसोई कग स्र्गन कहगाँ है? रसोई बैठक के तनकट है।
8. मज़दरू रन (स्री) कग घर और सिने कग घर में क्यग-क्यग अंतर है?
मज़दरू रन (स्री) के घर में केवि एक कमरग है। िेककन सिने के घर पवस्तत
ृ है, स्जसमें खगने-िीने और
सोने केमिए अिर्-अिर् कमरे है। रसोई, बैठक और िज
ू ग कग कमरग भी है।
9. कपवतगंश कग आस्वगदन दटप्िणी मिखें।
दहंदीतर प्रदे शों के दहंदी िेखकों में प्रमुख है डॉ जे बगबू। ‘सिने कग भी हक नहीं’ आिकी प्रमसद्ध कपवतग
है, स्जसमें एक र्रीब मज़दरू रन के सहगरे एक कठोर सगमगस्जक यर्गर्ा कग थचर खींचने कग प्रयगस ककयग है।
एक कमरे वगिी झोंिडी में रहनेवगिी र्रीब मज़दरू रन अिने बच्चों के सो जगने के बगद नींद में डूब जगती
है। उस नींद में वह एक पवस्तत
ृ महि कग सिनग दे खती है। उसमें खगने-िीने और सोने केमिए अिर्-अिर्
कमरे हैं। रसोई है, बैठक है और िूजग कग कमरग भी है।
उस र्रीब मज़दरू रन और उसके सिने के मगध्यम से एक कठोर सगमगस्जक यर्गर्ा की प्रस्ततु त हुई। कपव
वह बतगनग चगहते हैं कक र्रीब िोर्ों को सिने दे खने कग अथधकगर भी नहीं है। उनकग सिनग एक कठोर यर्गर्ा
िर टूटतग है। आर्े उसके मिए सिनग दे खनग भी डरगवनग बन जगती है।
(II) ऊपर की ..................... सब रख ददए।
1. भर्वगन को बबठगने कग कमरग कहगाँ बनवगनग चगहती है ?
या
िूजग कग कमरग कहगाँ है? ऊिर की मंस्ज़ि में।

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2. स्री अिने पवस्तत


ृ घर की ऊिर की मंस्ज़ि में भर्वगन को बबठगनग चगहग, क्यों?
स्री अिने पवस्तत
ृ घर की रसोई बैठक के तनकट बनवगनग चगहती है। इसमिए ऊिर की मंस्ज़ि में
भर्वगन को बबठगयग।
3. स्री की समस्यगएाँ कब दरू हो र्ई?
ऊिर की मंस्ज़ि में भर्वगन को बबठगने कग कमरग बनने िर स्री की समस्यगएाँ दरू हो र्ई।
4. सिने की घर की छत कैसग है? कगाँक्रीट कग छत है।
5. दीवगरों कग रं र् क्यग है? िीिे रं र्।
6. ‘खखडकी-दरवगज़े सब रख ददए’- कहगाँ?
या
स्री अिने पवस्तत
ृ घर में खखडकी-दरवगज़े कहगाँ बनगनग चगहती है?
कगाँक्रीट के छत के नीचे, िीिे रं र् की दीवगरों के मध्य में।
7. कपवतगंश कग आस्वगदन दटप्िणी मिखें।
दहंदीतर प्रदे शों के दहंदी िेखकों में प्रमुख है डॉ जे बगबू। ‘सिने कग भी हक नहीं’ आिकी प्रमसद्ध कपवतग है,
स्जसमें एक र्रीब मज़दरू रन के सहगरे एक कठोर सगमगस्जक यर्गर्ा कग थचर खींचने कग प्रयगस ककयग है।
एक कमरे वगिी झोंिडी में रहनेवगिी र्रीब मज़दरू रन अिने बच्चों के सो जगने के बगद नींद में डूब जगती है।
उस नींद में वह एक पवस्तत
ृ महि कग सिनग दे खती है। उसमें खगने-िीने और सोने केमिए अिर्-अिर् कमरे
हैं। रसोई है, बैठक है और िूजग कग कमरग भी है। पवस्तत
ृ महि कग छत कगाँक्रीट कग है, दीवगर िीिे रं र् कग है
और उसके मध्य में खखडकी-दरवगज़े भी होर्ग।
उस र्रीब मज़दरू रन और उसके सिने के मगध्यम से एक कठोर सगमगस्जक यर्गर्ा की प्रस्ततु त हुई। कपव वह
बतगनग चगहते हैं कक र्रीब िोर्ों को सिने दे खने कग अथधकगर भी नहीं है। उनकग सिनग एक कठोर यर्गर्ा िर
टूटतग है। आर्े उसके मिए सिनग दे खनग भी डरगवनग बन जगती है।
(III) सांगमरमर की चमक ....................... में रहती रसोई।
1. समगनगर्ी शब्द कपवतगंश से ढाँू ढकर मिखें।
शोभग दे नग - भगनग और - औ ठगट-बगट - शगन
2. घर की ज़मीन िर क्यग चमकती है ? संर्मरमर
3. बैठक में क्यग-क्यग चीज़ें होर्ी?
या
बैठक की शोभग बढगनेवगिग वस्तुएाँ क्यग-क्यग है? मेज़-कुमसायगाँ, टी वी, होम थर्येटर।
4. रसोई में क्यग चमकती है ? ग्रगनगइट।
5. रसोई की शगन बढगनेवगिी वस्तए
ु ाँ क्यग-क्यग है? किड्ज और मगइक्रोवेव।
6. ‘शगन में बैठते रसोई’ - कैसे?
ग्रगनगइट चमकनेवगिी रसोई में किडज और मगइक्रोवेव के होने िर शगन ज़्यगदग बढे र्ी।
7. कपवतगंश कग आस्वगदन दटप्िणी मिखें।
दहंदीतर प्रदे शों के दहंदी िेखकों में प्रमुख है डॉ जे बगबू। ‘सिने कग भी हक नहीं’ आिकी प्रमसद्ध कपवतग है,
स्जसमें एक र्रीब मज़दरू रन के सहगरे एक कठोर सगमगस्जक यर्गर्ा कग थचर खींचने कग प्रयगस ककयग है।
एक कमरे वगिी झोंिडी में रहनेवगिी र्रीब मज़दरू रन अिने बच्चों के सो जगने के बगद नींद में डूब जगती है।
उस नींद में वह एक पवस्तत
ृ महि कग सिनग दे खती है। चमकती संर्मरमर से बनी बैठक की ज़मीन में मेज़-
कुरमसयगाँ, टी.वी आदद होने िर शोभग और बढे र्ग। रसोई की शगन को बढगने केमिए ग्रगनगइट की चमक में किड्ज,
मगइक्रोवेव आदद है।

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उस र्रीब मज़दरू रन और उसके सिने के मगध्यम से एक कठोर सगमगस्जक यर्गर्ा की प्रस्तुतत हुई। कपव वह
बतगनग चगहते हैं कक र्रीब िोर्ों को सिने दे खने कग अथधकगर भी नहीं है। उनकग सिनग एक कठोर यर्गर्ा िर
टूटतग है। आर्े उसके मिए सिनग दे खनग भी डरगवनग बन जगती है।
(IV) मसहरी-सरु क्षा .............. सपने में।
1. समगनगर्ी शब्द कपवतगंश से चुनकर मिखें।
मच्छरदगनी - मसहरी तनद्रग - नींद
2. स्री कैसे नींद में िडी? मसहरी की सरु क्षग में।
3. स्री कब तक नींद में िडी?
स्री ज़मीन िर धि
ू के फैिने तक नींद में िडी।
4. स्री कग सिनग कब टूटते है?
स्री कग सिनग उसके नींद खि
ु ने के िव
ू ा ही टूटते है।
5. स्री कग सिनग कैसे टूटते है?
सिने में बैंक की नोटीस आ धमकने िर सिने टूटते है।
6. कपवतगंश कग आस्वगदन दटप्िणी मिखें।
दहंदीतर प्रदे शों के दहंदी िेखकों में प्रमुख है डॉ जे बगबू। ‘सिने कग भी हक नहीं’ आिकी प्रमसद्ध कपवतग है,
स्जसमें एक र्रीब मज़दरू रन के सहगरे एक कठोर सगमगस्जक यर्गर्ा कग थचर खींचने कग प्रयगस ककयग है।
एक कमरे वगिी झोंिडी में रहनेवगिी र्रीब मज़दरू रन अिने बच्चों के सो जगने के बगद नींद में डूब जगती है।
उस नींद में वह एक पवस्तत
ृ महि कग सिनग दे खती है। दो मंस्ज़िें वगिी नए घर में मच्छरदगनी की सरु क्षग में
ज़मीन िर धि
ू फैिने तक वह नींद में िडी। िेककन नींद में बैंक कग नोटीस एक डरगवनी सच्चगई जैसे धमकती
है।
उस र्रीब मज़दरू रन और उसके सिने के मगध्यम से एक कठोर सगमगस्जक यर्गर्ा की प्रस्तुतत हुई। कपव वह
बतगनग चगहते हैं कक र्रीब िोर्ों को सिने दे खने कग अथधकगर भी नहीं है। उनकग सिनग एक कठोर यर्गर्ा िर
टूटतग है। आर्े उसके मिए सिनग दे खनग भी डरगवनग बन जगती है।
मेरी खोज:
➢ सगमगस्जक सच्चगई।
एक कठोर सगमगस्जक सच्चगई कग थचरण करनेवगिी कपवतग है डॉ जे बगबू की ‘सिने कग भी हक नहीं’। एक
र्रीब मज़दरू रन अिने एक कमरेवगिी झोंिडी में रहकर महि कग सिनग दे खती है। नींद के जगर् उठने के िहिे
उसने कफर दे खग, एक बैंक कग नोटीस, जो धमकी के रूि में सगमने खडग है। आर्े सिनग दे खनग भी उसके मिए
डरगवनग बन जगतग है।
र्रीब िोर्ों केमिए सिने दे खने कग भी अथधकगर नहीं है।
➢ आस्वगदन दटप्िणी।
दहंदीतर प्रदे शों की दहंदी सगदहत्यकगरों में प्रमख
ु है डॉ जे बगब।ू ‘सिने कग भी हक नहीं’ आिकी प्रमसद्ध
कपवतग है, स्जसमें एक र्रीब मज़दरू रन कग थचर खींचने कग प्रयगस की र्ई है।
र्रीब मज़दरू रन अिने बच्चों के सगर् एक कमरेवगिी झोंिडी में रहते है। रगत में बच्चों के सो जगने िर वह
अिने मन रूिी दीवगर िर एक पवशगि घर कग थचर खींचती है, जो उसकग स्वप्न भवन र्ग।
घर में भोजन खगने केमिए और सोने केमिए अिर्-अिर् कमरे है। रसोई बैठक के तनकट है। िूजग कग
कमरग ऊिरी मंस्ज़ि में रख ददए।

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कगाँक्रीट की छत के नीचे िीिे रं र् के दीवगरों के मध्य में खखडकी-दरवगज़े रख ददए। संर्मरमर चमकनेवगिी
ज़मीन िर मेज़-कुरमसयगाँ रख ददए। टी.वी, होम थर्येटर आदद बैठक की शोभग बढगते है। ग्रगनगइट चमकनेवगिी रसोई
में किड़्ज, मगइक्रोवेव आदद रखने िर शोभग और बढते है।
मसहरी की सरु क्षग में सरू ज की धूि फैिने तक वह सो िडी। जगर् उठने के िूवा ही उसने बैंक कग नोटीस
दे खग, जो एक धमकी है। इसमिए सिनग दे खनग भी उसके मिए डरगवनग बन जगतग है।
‘सिने कग भी हक नहीं’ एक कठोर सत्य कग िदगाफगश करतग है कक उस मज़दरू रन जैसे र्रीब िोर्ों को सिने
दे खने कग भी अथधकगर नहीं है।
वपछले सालों की प्रश्न पत्रों से एक नज़र:
MARCH 2016
1. ‘मर्र नींद के टूटने के िूवा ही नोटीस बैंक की आ धमकी सिने में ’ – इस सिने के बगरे में यव
ु ती अिनी सहेिी को
िर मिखते है। वह िर तैयगर करें । (8)
(झोंिडी में रहकर महि कग सिनग दे खनेवगिी मज़दरू रन, सगमगस्जक सच्चगई कग कठोर यर्गर्ा, सिनग दे खनग भी
डरगवनग बन जगनग)
JUNE 2017 (Say)
सच
ू ना: तनम्नमिखखत कपवतगंश िढें और प्रश्नों के उत्तर मिखें।
मसरही सरु क्षग ...........सिने में।
2. यह ककस कपवतग कग अंश है ? (1)
(मगतभ
ृ मू म, आदमी कग चेहरग, सिने कग भी हक नहीं, कुमद
ु फूि बेचनेवगिी िडकी)
3. युवती कब तक नींद में िडी? (1)
4. युवती सिने में क्यों भयभीत है? (2)
5. कपवतगंश कग आस्वगदन दटप्िणी मिखें। (7)
MARCH 2018
6. ‘मर्र नींद के खुिने की िूवा ही नोटीस बैंक की आ धमकी सिने में’ – आदमी कग सिनग हमेशग अधरू ग रहतग है।
कपवतगंश कग पवश्िेषण करें और मिखें। (4)
JUNE 2018 (Say)
7. चमकती मेज़-कुरमसयगाँ
टी.वी, होम थर्यटे र बैठक में भगते।
घर की बैठक में क्यग-क्यग चमकती है? (2)
MARCH 2019
8. ‘मन दीवगर िर अिनग पवस्तत ृ घर खींचने िर्ी’ – सिने के घर में कौन-कौन चीज़ें शोभग देती है? (4)
MARCH 2020
सूचना: कपवतगंश िढें और प्रश्नों के उत्तर मिखें।
ग्रगनगइट चमकती ...................... धमकी सिने में।
9. कब तक मज़दरू रन नींद में िडी रही? (1)
10. सिने की रसोई में कौन-कौन से चीज़ें है? (1)
11. कपवतगंश कग आस्वगदन दटप्िणी मिखें। (6)
SEPT 2020 (Say)
12. सिने दे खनेवगिी मज़दरू रन ककसकी सरु क्षग में सो रही र्ी? (2)
MARCH 2021
13. ‘मर्र नींद के खिु ने के िव
ू ा ही नोटीस बैंक की आ धमकी सिने में’ – सिनग दे खनेवगिी मज़दरू रन कग आत्मकर्गंश
तैयगर करें । (8)

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(सिने की शगन में सोनेवगिी मज़दरू रन, झोंिडी की जर्ह इमगरत कग सिनग, सिने के अंत में क़डुवी सच्चगई,
उदगरीकरण के दोष)
SAY 2021
14. ‘सिने कग भी हक नहीं’ ककसकी कपवतग है? (1)
(डॉ जे बगबू की, आनंद बख्शी की, कुाँवर नगरगयण की)
15. ‘....मर्र नींद के खुिने के िव
ू ा ही नोटीस बैंक की आ धमकी सिने में’ – यहगाँ कपव ने ककस सगमगस्जक सच्चगई की
ओर संकेत ककयग है? (2)
परीक्षा केंदित कुछ प्रश्न। उत्तर स्ियां मलखने का प्रयास करें :
1. रगत में बच्चे सो जगने िर र्रीब मज़दरू रन अिने पवस्तत
ृ घर के बगरे में डगयरी मिखते है। वह डगयरी तैयगर करें ।
(एक कमरेवगिे झोंिडी, इमगरत कग सिनग, सुख-सुपवधगएाँ)
2. र्रीब मज़दरू रन अिने सिने के बगरे में सहेिी को िर मिखते है। वह िर तैयगर करें ।
(एक कमरेवगिी झोंिडी, महि कग सिनग, शगन में रहनग)
3. ‘मर्र नींद के खि
ु ने के िव
ू ा ही नोटीस बैंक की आ धमकी सिने में’ – अर्िे ददन मज़दरू रन नोटीस िेकर बैंक
मैनेजर के यहगाँ जगते है। उन दोनों के बीच कग वगतगािगि तैयगर करें । (घर की हगित, बैंक से नोटीस
आनग, भुर्तगन केमिए ज़रग वक्त)
4. एक कमरे वगिे झोंिडी में मज़दरू रन के बच्चे भख
ू े र्े। सोने के िव
ू ा मज़दरू रन और बेटे के बीच होनेवगिे वगतगािगि
कल्िनग करके मिखें। (रोज़ की तरह भूखी, घर की हगित, भपवष्य के प्रतत आशंकग)

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मुरकी उिफ बुलाकी


कहानी अमत
ृ ा प्रीतम
श्रीमती अमत
ृ ग प्रीतम िंजगब और दहंदी के पवख्यगत िेखकों में एक है। ‘मुरकी उफा बुिगकी’ एक तनरगिंब स्री की
कहगनी है। बचिन में ही उसकी मगतगजी की मत्ृ यु हुई है। कफर चगचग के घर में जीवन बबतगयग। बगरह वषा की उम्र में वे
रगजवंती के यहगाँ िहुाँची। पववगह के छह महीने बगद ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मुरकी कफर रगजवंती के घर िहुाँचतग है। स्रीत्व की
रक्षग केमिए स्ज़ंदर्ी भर तडिती रहनेवगिी ग्रगमीण नगरी की संघषाभरी कहगनी यहगाँ खींचग है।
മുർക്കി അലെലങ്കിൽ രുെനരി ഒരു നിരനൊംരയനയ സ്ന്ത്തീയുലട രഥ പറയുന്ു. രുട്ടിക്കനെെു തലന്
അവരുലട അമ്മ മരിച്ചു ലപനയിരുന്ു. പിന്ീട് അമ്മനവന്ലറ വീട്ടിെനയിരുന്ു തനമസ്ിച്ചിരുന്ത്. പന്ത്രണ്ട്
വയസ്സുള്ളലെനൾ രനജവരിയുലട വീട്ടിലെെുന്ു. വിവനഹ ലശഷാം ആറു മനസ്െിനുള്ളിൽ ഭർെനവിനനൽ
ഉലപക്ഷിക്കലെട്ട മുർക്കി വീണ്ടുാം രനജവരിയുലട വീട്ടിലെെുന്ു. സ്ന്ത്തീതവാം രക്ഷിക്കുവനൻ ജീവിതാം മുഴുവനുാം
അെഞ്ഞുതിരിയുന് ഒരു ന്ത്ഗനമീണയുവതിയുലട സ്ാം ർഷാം നിറഞ്ഞ രഥയനണിത്.
प्रमुख पात्र: मरु की (बुिगकी), कुमगर, कुमगर की मगाँ (रगजवंती मगाँ)
अन्य पात्र: मुरकी के पितग, मुरकी के ितत, दयगिु व्यस्क्त आदद
गद्याांश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर मलखें:
(I) माुँ! मरु की का .................. सारी बात सन
ु ा।
1. अिनी बचिन से कुमगर मरु की को कहगाँ दे खग र्ग? अिने घर की पिछिी कोठरी में।
2. मुरकी कग ब्यगह कब हुआ र्ग?
जब कुमगर को चगर वषा की आयु र्ग, मरु की की ब्यगह हुआ र्ग।
3. ‘न कोई जन्मने वगिग और न कोई सहेजने वगिग’, ककसने, ककसके बगरे में, ककससे कहते हैं?
रगजवंती मगाँ ने कुमगर से मरु की के बगरे में कहते है।
4. ‘न कोई जन्मने वगिग और न कोई सहेजने वगवग’, मरु की के बगरे में मगाँ ऐसग क्यों कहती है?
जब मरु की छोटी र्ी, उसकी मगाँ की मत्ृ यु हुई है। उसके बगि ने उसे रगजवंती के यहगाँ बच्चे को दे खभगि
करने केमिए िे आए। जब वह यव ु ती बन र्ई, उसके पितग ने अिने र्गाँव के एक धनी आदमी से पववगह तनश्चय
ककए। िेककन वह एक शहरी िडके के सगर् भगर् र्ई। छह महीने बगद ितत ने उसे छोड ददयग। वह ककसी दयगिु
आदमी से रगह कग भगडग िेकर रगजवंती के यहगाँ िौट आई। अब उसको पितग और ितत नहीं र्ग। इसमिए कहग
र्यग है, ‘न कोई जन्मने वगिग और न कोई सहेजने वगिग’।
5. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण करके शीषाक दें ।
अभागी मरु की
कुमगर की चगर वषा की आयु में मुरकी की ब्यगह हुआ र्ग। उसके जन्मने वगिग यग सहेजने वगिग नहीं र्े।
(II) इसका बाप............ मलया करे गी।
1. मरु की कग बगि कौन र्ी?
मुरकी कग बगि रगजवंती मगाँ के घर के िुरगनग नौकर र्ग।
2. ‘उसने मेरे आर्े पवनती की कक .........’, ककसने ककसके आर्े पवनती की?
मुरकी के बगि ने रगजवंती मगाँ के आर्े पवनती की।
3. मुरकी के बगि ने रगजवंती मगाँ से क्यग पवनती की?
मरु की के बगि ने रगजवंती मगाँ से पवनती की कक, ‘उसकी ित्नी मर चक
ु ी र्ी। बेटी र्गाँव में चगचग के िगस
अकेिग रहती र्ी। यदद मैं मगन जगउाँ तो वह अिनी िडकी को यहगाँ िे आए’।
4. मुरकी को ककसमिए रगजवंती मगाँ के यहगाँ िे आनग चगहग?
मरु की रगजवंती मगाँ के बेटग को खखिगयग करे र्ी और रोटी खग मियग करे र्ी।

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5. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण करके शीषाक दें ।
बाप की विनती
मुरकी के बगि ने रगजवंती मगाँ के आर्े पवनती की कक उसकी स्री मर र्ई है। िडकी र्गाँव में चगचग के िगस
अकेिी र्ी। अर्र उसे यहगाँ िे आए तो बेटे को खखिगयग करे र्ी और रोटी भी खग िेर्ग।
(III) मैंने शुक्र फकया .............. छोटा-सा बुलाक।
1. रगजवंती मगाँ ने क्यों शक्र
ु ककयग?
रगजवंती मगाँ ने शुक्र ककयग क्योंकक उसके हगर् कग सहगरग ममि जगएर्ग।
2. रगजवंती मगाँ के यहगाँ िे आते समय मुरकी की आयु ककतनी र्ी? मुस्श्कि से बगरह बजे।
3. रगजवंती मगाँ के यहगाँ िे आते समय मुरकी कैसी िडकी र्ी?
बडी मगसूस-सी मगतह
ृ ीन िडकी र्ी। बदन से दब
ु ाि-सी, िेककन सफ़ेद रं र्ीन सुंदरी र्ी।
4. मरु की को दे खकर रगजवंती मगाँ को कैसग िर्ी?
मुरकी को दे खकर रगजवंती मगाँ को बडी भिी िर्ी।
5. ‘मुझे बडी भिी िर्ी’ – यह ककसने ककसके बगरे में कहग? क्यो?
यह वगक्य रगजवंती मगाँ ने मरु की के बगरे में कहग क्योंकक जब र्गाँव से आयग, वह बगरह वषीय मगतह
ृ ीन
िडकी बडी मगसम
ू -सी र्े।
6. र्गाँव से आते वक्त मुरकी क्यग-क्यग वस्र िहने र्े?
र्गाँव से आते वक्त मुरकी कगिी सिवगर और हरे रं र् के कुतगा िहने र्े।
7. छोटी मुरकी कग वणान करें ।
सफ़ेद रं र् के बगहर वषीय मरु की बडी मगसम
ू -सी र्े। बदन से दब
ु ाि र्े, िेककन संद
ु री र्े। कगिे रं र् कग
सिवगर और हरे रं र् कग कुतगा िहने र्े। कगनों में चगाँदी की मुरककयगाँ और नगक में सोने के छोटी बि
ु गक िहने र्े।
8. र्गाँव से आते वक्त मुरकी क्यग-क्यग आभष
ू ण िहने र्े?
र्गाँव से आते वक्त मरु की कगनों में चगाँदी की छल्िे और नगक में सोने कग छोटग-सग बि
ु गक िहने र्े।
9. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण करके उथचत शीषाक मिखें।
छोटी मुरकी
र्गाँव से आते समय मरु की बगरह वषा की र्ी। मगसूम-सी िडकी, बदन से दब
ु ाि, सफेद रं र् की सुंदरी। कगिग
सिवगर और हरे रं र् कग कुतगा िहने र्े। कगनों में चगाँदी की छल्िे, नगक में सोने कग छोटग-सग बुिगक िहनी र्ी।
(IV) तझ
ु े तो िह अपने.................. कभी बल
ु ाकी।
1. छोटे कुमगर को मरु की कैसे खखिगती र्ी?
छोटे कुमगर को मरु की अिने हगर्ों से नहीं खखिगती र्ी, अिनी जगन से खखिगती र्ी।
2. कुमगर कैसे अिनग प्यगर प्रकट करते हैं?
कुमगर तो मुरकी कग िीछग नहीं छोडतग र्ग। वह कभी-कभी उसकी मुरककयों को मुट्ठ भर िेतग र्ग यग
कभी उिछकर बि
ु गक को िकडतग र्ग।
3. रगजवंती मगाँ प्यगर से उसे क्यग िुकगरते र्े?
रगजवंती मगाँ प्यगर से कभी उसे मरु की बि
ु गती र्ी, कभी बुिगकी।
4. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण करके शीषाक मिखें।
मुरकी और कुमार का प्यार
वह कुमगर को अिने हगर्ों से नहीं खखिगती र्ी, जगन से खखिगते र्े। कुमगर तो उसकग िीछग नहीं छोडतग र्ग।
कभी उसकी मुरककयों को मुट्ठ भर िेतग र्ग यग कभी उिछकर बुिगक को िकडतग र्ग।

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(V) माुँ, यह मुरकी..................खडे हो जाते िे।


1. मुरकी और बि
ु गकी नगम ककसने रखे र्े? कुमगर की मगाँ ने रखे र्े।
2. मुरकी कग रूि कब चढ र्यग?
सोिह-सरह वषा की आयु में मुरकी कग रूि खूब चढ र्यग। अतः वह बहुत सुंदरी बन र्ई।
3. मुरकी कग सौंदया दे खकर रगजवंती मगाँ क्यग कहती र्ी?
मरु की कग सौंदया दे खकर रगजवंती मगाँ आश्चया से कहती र्ी, मरु की तम
ु ककसकी कगनों में िडेर्ी यग
ककसकी नगक में बि
ु गक की तरह चमकेर्ी?
4. ‘री मुरकी! ककसके कगनों में िडेर्ी? और ककसकी नगक में बि
ु गक की तरह चमकेर्ी?’- ऐसग कौन कहते हैं? कर्न
कग तगत्िया क्यग है?
रगजवंती मगाँ ऐसे कहते हैं क्योंकक सोिह-सरह की अवस्र्ग में मरु की को रूि चढ र्यग। उस र्गाँव में
उतनग संद
ु र कोई भी िडकी नहीं र्ी। उसे दे खकर कभी-कभी रगजवंती मगाँ कहते रहे, तम
ु ककसके जीवनसगर्ी
बनेर्ी।
5. मुरकी की िहगडी र्ीत की पवशेषतग क्यग र्ी?
मरु की बडे संद
ु र िहगडी र्ीत र्गती र्ी, स्जसे सन
ु कर उडते िंछ भी खडे हो जगते है।
6. ‘उडते िंछ भी खडे हो जगते र्े’ - कब?
मुरकी की िहगडी र्ीत सुनकर उडते िंछ भी खडे हो जगते र्े।
7. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण करके उथचत शीषाक मिखें।
सुांदरी मरु की
मरु की और बि
ु गकी नगम उसको रगजवंती मगाँ ने ददयग है। सोिह-सरह वषा की आयु में उसकग रूि चढ र्यग।
वह अच्छ तरह िहगडी र्ीत र्गती र्ी, स्जसे सुनकर उडते िंछ भी खडे होते र्े।
(VI) इसके बाप ने ....................... केक बनाता िा।
1. बगि ने ककससे मरु की कग ररश्तग कर ददयग है ?
अिने र्गाँव के ककसी आदमी से।
2. मुरकी के ितत के रूि में चुनग हुआ व्यस्क्त की पवशेषतग क्यग-क्यग र्ग?
वह दजू ग र्ग अर्गात उसकी िहिी ित्नी की मत्ृ यु हुई र्ी। उसमें कई अवर्ुण भी र्े, आाँखों में भी नुक्स
र्ग। िेककन िैसव
े गिे र्े।
3. ‘वह दज
ू ग र्ग। उसकी उम्र बहुत होर्ी। और भी अवर्ण
ु र्े।’ – कफर भी मरु की के बगि ने ऐसे एक आदमी को
चुन मियग?
वे िैसेवगिे र्े। उन िोर्ों में िडककयों के रुिए िेते र्े। उस िैसव
े गिे ने ज़्यगदग रुिए ददए र्े। इसमिए
मुरकी के बगि ने ऐसे एक आदमी को चुन मियग।
4. मुरकी के बगि ने उसके ितत के रूि में एक दज
ू े को क्यों चुनग र्ग?
वह दज
ू ग, िैसव
े गिग र्ग। इन िोर्ों में िडककयों को रुिए दे ते र्े। अतः मरु की के बगि ने उसे चन
ु ग।
5. ‘दज
ू ग’ कग मतिब क्यग है?
स्जसकी िहिी ित्नी मर र्ई हो, उसे दज
ू ग कहते है।
6. अिनी शगदी की बगत सन
ु कर मरु की ने क्यग ककयग?
अिनी शगदी की बगत सुनकर मरु की रगत ही रगत एक शहरी िडके के सगर् भगर् र्ई।
7. मुरकी ककसके सगर् भगर् र्ई? क्यों?
मुरकी एक शहरी िडके के सगर् भगर् र्ई क्योंकक उसके बगि ने उसकी शगदी अिने र्गाँव के एक दज
ू ग से
िक्की र्ी।

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8. ‘वह छबीिग िडकग र्ग’ - कौन? मुरकी कग प्रेमी।


9. मुरकी कग प्रेमी क्यग करतग र्ग?
मुरकी कग प्रेमी बडे बगज़गर के एक होटि में कगम करतग र्ग, केक बनगतग र्ग।
10. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण और शीषाक।
मुरकी की शादी
मरु की के बगि ने एक दज
ू े के सगर् ररश्तग कर ददयग र्ग। जब शगदी िक्की र्ी, मरु की एक शहरी िडके के
सगर् भगर् र्ई। शहरी िडके छबीिग र्ग। बडे बगज़गर के होटि में केक बनगतग र्ग।
(VII) चार-छह महीने ......................... िस्तुएुँ खरीदीां।
1. पववगह के बगद मुरकी और ितत कहगाँ रही?
पववगह के बगद चगर-छह महीने मरु की और ितत ककसी शहर में रही।
2. मरु की के ितत ने कैसे घर बनगयग?
जो कुछ िगस र्ग, उसे बेचकर घर बनगयग।
3. शहरी िडके के सगर् भगर् जगते वक्त मुरकी के िगस ककन-ककन आभूषण र्े?
मोटे -मोटे चगाँदी के कडे,चगाँदी की जंजीर, सोने की अंर्ठ
ू और बगमियगाँ र्ी।
4. रगजवंती मगाँ ने मरु की को क्यग-क्यग आभूषण ददए?
रगजवंती मगाँ ने मरु की को सोने की अंर्ठ
ू और बगमियगाँ ददए।
5. रगजवंती मगाँ ने मरु की को सोने की अंर्ठ
ू कब दी र्ी?
कुमगर की जन्मददन िर रगजवंती मगाँ ने मरु की को सोने की अंर्ूठ दी र्ी।
6. घर की वस्तए
ु ाँ कैसे खरीदीं? मरु की के आभष
ू ण बेचकर घर की वस्तए
ु ाँ खरीदीं।
7. पववगह के बगद के मरु की और ितत के जीवन कैसे र्े?
पववगह के बगद चगर-छह महीने तक वे दोनों ककसी शहर में रही। घर बनगयग। जो कुछ िगस र्ग, सब घर
केमिए िर्ग ददयग। मरु की के चगाँदी-सोने के जो आभष
ू ण र्े, उसे बेचकर घर की वस्तए
ु ाँ खरीदीं।
8. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण करें और शीषाक दें ।
मुरकी की कमाई
मुरकी और ितत दोनों कुछ महीने तक ककसी शहर में रही। उसने घर बनगयग। मरु की के िगस के चगाँदी के
जंजीर, अंर्ूठ और बगमियगाँ र्ी। ये सब बेचकर घर की वस्तुएाँ खरीदीं।
(VIII) फिर कोई ........................ कहाुँ भटकती?
1. शहरी िडके की नज़र में कौन बैठ र्ई?
शहरी िडके की नज़र में कोई और स्री बैठ र्ई।
2. ‘कफर कोई और स्री उसकी नज़र में बैठ र्ई’ – ककसकी नज़र में?
मुरकी के ितत की नज़र में।
3. अिनी नज़र में ककसी दस
ू री स्री आ बैठने िर शहरी िडके ने क्यग ककयग?
उसने मुरकी को दशहरग कग मेिग दे खने केमिए िे र्यग और ककसी सरगय में छोड ददयग।
4. शहरी िडके ने मरु की को कहगाँ िे र्यग?
दशहरग कग मेिग दे खने केमिए िे र्यग।
5. ितत ने मरु की से क्यग व्यवहगर ककयग?
ितत ने मरु की को दशहरग कग मेिग दे खने केमिए िे र्यग और रगत को सरगय में सोनेवगिी मरु की के
आाँचि से घर की चगबी खोिकर उसे वहगाँ छोड ददयग।

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6. शहरी िडके ने मरु की को कहगाँ छोड ददयग? कब?


दशहरग कग मेिग के अवसर िर उसे ककसी सरगय में छोड ददयग।
7. शहरी िडके ने मरु की के प्यगर कग फगयदग कैसे उठगयग?
शहरी िडके ने मरु की को ककसी शहर में िे र्यग। िगस जो कुछ र्ग, उसे िेकर घर बनगयग। उसके िगस
जो र्हनें र्े, उसे बेचकर घर की वस्तुएाँ खरीदीं। इतने में एक और स्री उसकी नज़र में बैठ र्ई। वह मरु की को
दशहरग कग मेिग ददखगने केमिए िे र्यग और, रगत को सरगय में सोई हुई मरु की के आाँचि से घर की चगबी
खोिकर उसे वहगाँ छोडकर भगर् र्यग।
8. मुरकी क्यों अिने ितत को नहीं ढाँू ढग?
मुरकी कहती र्ी, मन के सौदे में जब उसकग मन मुकर र्यग तो कफर तन को ढाँू ढने से क्यग फगयदग है।
9. मुरकी रगजवंती मगाँ के यहगाँ कैसे िौट आई?
ककसी दयगिु व्यस्क्त से रगह कग भगडग िेकर वह रगजवंती मगाँ के यहगाँ िौट आई।
10. ककसी दयगिु व्यस्क्त से रगह कग भगडग िेकर िौट नहीं आयग तो मरु की की अवस्र्ग कैसे हो जगएर्ग?
ककसी दयगिु व्यस्क्त से रगह कग भगडग िेकर िौट नहीं आयग तो मरु की कहीं-कहीं भटकेर्ग।
11. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण और शीषाक।
उपेक्षक्षता मुरकी
शहरी िडके की नज़र में ककसी और स्री आ बैठ । वह मुरकी को दशहरग कग मेिग दे खवे िे र्यग। रगत में
सरगय में सोई हुई मुरकी के आाँचि से घर की चगबी खोिकर उसे वहगाँ छोड ददयग। वह ककसी दयगिु व्यस्क्त से
रगह कग भगडग िेकर िौट आई।
(IX) यहाुँ हमारे घर ...................घर न हो।
1. मुरकी कहगाँ आ र्ई? अिने घर की अिनी कोठरी में।
2. मुरकी को कोठरी दे ते समय रगजवंती मगाँ ने क्यग वगयदग ककयग?
कोठरी दे ते समय रगजवंती मगाँ ने उसके सगर् वगयदग ककयग कक मैं अिने जीते-जी इसको कभी भी कगम
से जवगब नहीं दाँ र्
ू ी और कुमगर भी उसको इस कोठरी से नहीं तनकगिेर्ग।
3. मुरकी की कहगनी सुनकर कुमगर ने क्यग ककयग?
मुरकी की कहगनी सुनकर कुमगर की आाँखें तो भर र्ई िेककन आाँसू आाँखों में ही रहग।
4. रगजवंती मगाँ के यहगाँ आते समय मुरकी कग मुाँह कैसग र्ग?
रगजवंती मगाँ के यहगाँ आते समय मरु की कग माँह
ु खोई हुई बछडी जैसग र्ग।
5. कुमगर की आाँखों कग िगनी आाँखों में ही रहग। रगजवंती की आाँखें छिक िडी। वे दोनों मन की संवेदनगएाँ मभन्न
प्रकगर से प्रकट की। क्यों?
कुमगर िुरुष है और रगजवंती स्री। दोनों के मन में मुरकी के प्रतत र्हरी सहगनभ
ु ूतत र्ी। कफर भी िुरुष
होने के नगते कुमगर अिनी आाँसू आाँखों में ही रोक ददयग। दःु ख एवं ददा में रोनग स्री सहज प्रवपृ त्त है और मक
ु री
की कहगनी बतगकर रगजवंती की आाँखों से आाँसू थर्र िडी।
6. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण और शीषाक।
खोई हुई बछड़ी
मरु की को रगजवंती मगाँ ने घर की कोठरी दे कर वगयदग ककयग कक अिने जीते-जी इसको कभी भी कगम से
जवगब नहीं दाँ र्
ू ी और कुमगर भी उसको इस कोठरी से नहीं तनकगिेर्ग। कुमगर की आाँखें भर र्ई। यहगाँ आते समय
मुरकी कग मुाँह खोई हुई बछडी जैसग र्ग।

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(X) माुँ, तू बड़ी............... नहीां र्नकालुँ ूगा।


1. कुमगर की मगाँ ने कौन-सी अच्छ बगत की है?
ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मुरकी को कुमगर की मगाँ ने अिने घर में अभय ददयग।
2. मुरकी के रूि को दे खकर कुमगर की मगाँ क्यग कहती र्ी?
मुरकी के रूि को दे खकर कुमगर की मगाँ कहती र्ी, तू ककसके कगन में िडेर्ी।
3. जब वगिस आई मरु की ने रगजवंती मगाँ से क्यग कहग?
जब वगिस आई मुरकी ने कहग कक मुझे ककसीने कगनों में िहनग र्ग। बोझ के कगरण उसके कगन फट र्ई।
4. कुमगर की आाँखें क्यों भर आई?
शगयद िुरुष की िगज रखने केमिए कुमगर की आाँखें भर आई।
5. कुमगर की वषार्गाँठ में उससे क्यग प्रण मियग र्ग?
कुमगर की वषार्गाँठ में कुमगर से प्रण मियग र्ग कक मरु की को जीते-जी कभी इस कोठरी से नहीं तनकगिाँ र्
ू ग।
6. ‘शगयद मदा जगत की कोई िगज रखने केमिए’- कुमगर की चररर की कौन-सी पवशेषतग यहगाँ प्रकट होती है?
बचिन में मुरकी ने उसे खखिगयग। अब उसकी दयनीयतग सुनकर वह दःु खी होते है। यहगाँ कुमगर की
संवेदनशीितग और सहजीपवयों के प्रतत जो सहगनभ
ु तू त है, प्रकट होती है।
7. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण करके उथचत शीषाक दें ।
कुमार का प्रण
कुमगर की मगाँ ने उसके कगम कग मोि चुकगयग र्ग। वगिस आकर मुरकी ने कहग ककसी ने उसको कगनों में
िहनग र्ग, िेककन बोझ के कगरण उसके कगन फट र्ए। मगाँ ने कुमगर की वषार्गाँठ में उससे प्रण मियग र्ग कक
जीते-जी कभी इस कोठरी से नहीं तनकगिाँ ूर्ग।
(XI) हाुँ कुमार! इसमलए ................. आुँसू ममल हुए िे।
1. अिने मदा से उिेक्षक्षत होकर आते समय रगजवंती मगाँ ने मुरकी को क्यग ददयग?
अिने मदा से उिेक्षक्षत होकर आते समय रगजवंती मगाँ ने मरु की को उसकी िरु गनी कोठरी की चगबी ददयग।
2. कुमगर की मगाँ ने मुरकी को कोठरी की चगबी कब दी?
मुरकी के मदा उसके घर की चगबी उसके िल्िे से खोि िी र्ी, मगाँ ने उसे कोठरी की चगबी दी।
3. मुरकी को कोठरी की चगबी दे कर कुमगर की मगाँ ने क्यग कहग र्ग?
मुरकी को कोठरी की चगबी दे कर कुमगर की मगाँ ने कहग र्ग कक उसके जीते-जी कोई चगबी नहीं छ नेर्ग।
4. कुमगर की मगाँ को कोठरी की चगबी कब ममिग?
मुरकी की मरी को नहिगते समय कुमगर की मगाँ को कोठरी की चगबी ममिग।
5. मुरकी की मत्ृ यु के बगद कोठरी की चगबी कहगाँ से ममिी?
कोठरी की चगबी मरु की के नेफ़े में खोंसी हुई र्ी। मुरकी की मरी को नहिगते समय कुमगर की मगाँ को
कोठरी की चगबी ममिग।
6. कोठरी की चगबी से मरु की के शरीर को क्यग हुआ?
वह चगबी मरु की के मगाँस से थचिक कर उसके दे ह में जख्म कर ददयग र्ग। िेककन अिने जीते-जी उस
चगबी को अिने मगाँस से नहीं उतगरग।
7. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण करके शीषाक मिखें।
मुरकी... बल
ु ाकी एक औरत
मुरकी के मदा ने उसके िल्िे से घर की चगबी खोि िी तो कुमगर की मगाँ ने उसे कोठरी की चगबी दे कर कहग
कक जीते-जी कोई उससे चगबी नहीं छ नेर्ग। जब मरु की की मरी को नहिगयग, चगबी उसके नेफ़े में खोंसी हुई र्ी।
मगाँस से थचिगकर जख्म कर दी र्ी। कफर भी वह उसे अिने मगाँस से नहीं उतरग।

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मेरी खोज:
➢ मुरकी और राजिांती के बीच का िाताफलाप।
मुरकी : मगाँ........मगाँ...........
रगजवंती : अरे , मुरकी बेटी..... आओ।
मुरकी : (रोते हुए) ज़रग िगनी िीस्जए मगाँ जी।
रगजवंती : (िगनी दे ते हुए) क्यों रोती है? तेरी ितत कहगाँ है?
मुरकी : ितत! वह तो मुझे छोडग।
रगजवंती : छोडग! कहगाँ? अब वह कहगाँ है?
मुरकी : मगिुम नहीं, हमने मेिग दे खने र्यग र्ग।
रगजवंती : कफर
मरु की : ददन भर घम
ू तग रहग। रगत में ककसी सरगय में सोयग। सबेरे उठते वक्त मैं अकेिग र्ग।
रगजवंती : अकेिे! कैसे इधर तक आई?
मुरकी : एक आदमी ने रगह कग भगडग ददयग। मगाँ जी, मैं क्यग करूाँ? कहगाँ रहूाँ?
रगजवंती : घबरगओ मत बेटी, अंदर आओ। तम्ु हगरग िरु गनग कमरग वहगाँ है।
मुरकी : मगाँ जी, आि मुझे......
रगजवंती : ये चगबी िे िो। मेरे जीते-जी कभी कोई तुझसे यह नहीं छ नेर्ग।
मुरकी : धन्यवगद, मगाँ जी।
रगजवंती : धन्यवगद मत कहनग। अब तू र्ोडी पवश्रगम करें ।
➢ बल
ु ाकी का आत्मकिाांश।
दस
ू रा जन्म
मगतगजी की मत्ृ यु के बगद कुछ ददन चगचग के घर में रहग। बगरह वषा की आयु में पितगजी ने इस घर में िे
आयग। यहगाँ मझ
ु े आश्रय ममिग। केवि आश्रय नहीं, एक मगाँ को भी ममिग। खगने केमिए अच्छे -अच्छे भोजन और सोने
केमिए एक कमरे ममिग। यहगाँ छोटे कुमगर को खखिगकर चगर-िगाँच वषा रहग। वगस्तव में वह र्ग मेरे जीवन के खुशी
भरे ददन। यहगाँ मगाँ ने मुझे एक बेटी जैसे प्यगर ददयग।
युवती होने िर पितगजी ने शगदी की तैयगररयगाँ शुरु की। र्गाँव के एक आदमी के सगर्, उसकग दस
ू रग पववगह
र्ग। िहिी ित्नी मर चुकी र्ी। उसी रगत मैंने एक शहरी िडके के सगर् भगर् र्यग।
कुछ महीने खश
ु ी से रहग। घर बनगयग। मेरे सगरे संिपत्त, जो रगजवंती मगाँ ने ददयग र्ग, िेकर नए घर केमिए
वस्तुएाँ खरीदी। इतने में कई िोर्ों ने मुझसे कहग कक ककसी दस
ू री स्री के सगर् मेरे ितत को कई बगर दे खग। िेककन
मुझे पवश्वगस नहीं आयग। दशहरग के अवसर र्ग, एक ददन मेिग दे खने केमिए र्यग। शहर में घूमते रहग, सडक
कग खगनग खूब खगयग, कई चीज़ें खरीदी। इतने में रगत हो र्यग। र्गाँव जगने केमिए र्गडी नहीं र्ग। इसमिए वहगाँ एक
सरगय में ठहरग।
सबेरे उठकर मैं चककत हुई। मैं अकेिी र्ी। ितत ने मझ ु े वहगाँ छोडकर कहीं र्यग। वह मेरे िल्िे से घर कग
चगबी भी िे मियग। मैं अकेिी, उसी सरगय में। कफर एक दयगिु व्यस्क्त की मदद से यहगाँ आ िहुाँचग। यहगाँ रगजवंती
मगाँ ने मुझे आश्रय ददए, मेरे िरु गने कमरे की चगबी भी ददए। उसने वगयदग ककयग कक कोई भी मुझसे चगबी नहीं
छ नेर्ग। यहगाँ आश्रय नहीं ममिग तो क्यग होर्ी मेरी स्स्र्तत? सोचने की शस्क्त भी नहीं है।
वपछले सालों की प्रश्न पत्रों से एक नज़र:
MARCH 2016
सूचना: ‘मुरकी उफा बि ु गकी’ कहगनी कग अंश िढें और प्रश्नों के उत्तर मिखें।
हगाँ कुमगर! इसमिए मैंने ..................... बुिगकी एक औरत।

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1. ‘मरु की उफा बि
ु गकी’ ककसकी रचनग है? (1)
(एकगंत श्रीवगस्तव, दहमगंशु जोशी, अमत
ृ ग प्रीतम, रगज बद्
ु थधरगजग)
2. मुरकी की मत्ृ यु के बगद कोठरी की चगबी कहगाँ से ममिी? कब? (2)
3. कुमगर की मगाँ ने कोठरी की चगबी मुरकी को क्यों दी? (3)
4. उियुाक्त खंड कग संक्षेिण करें । (7)
5. संक्षेिण केमिए उथचत शीषाक दें । (1)
MARCH 2017
6. मरु की की कर्ग सन
ु कर कुमगर की आाँखें भर आई। उस ददन की डगयरी में वह अिनी संवेदनगएाँ व्यक्त करतग है। वह
डगयरी तैयगर करें । (7)
(मुरकी कग कुमगर के घर आनग, बचिन में कुमगर को खगनग खखिगनग, मुरकी कग एक िडके के सगर् भगर् जगनग,
मुरकी कग िौट आनग, मरु की की मत्ृ यु हो जगनग)
JUNE 2017 (Say)
‘मरु की उफा बि
ु गकी’ कहगनी कग यह वगक्य िढें ।
रगजवंती ऐसे रोई जैसे उसके आाँखों में मुरकी की आाँसू ममिे हुए र्े।
7. उियाक्
ु त वगक्य के आधगर िर रगजवंती कग चररर-थचरण करें । (4)
MARCH 2018
8. ‘मरु की उफा बि
ु गकी’ कहगनी कग अंश िढें ।
‘जब मैंने उसकी मरी को नहिगयग, इस कोठरी की चगबी उसके नेफे में खोंसी हुई र्ी। उसके मगाँस से थचिक र्ई
र्ी।’ – मरु की की अंततम क्षण की बगतें मगाँ से सुनकर व्यथर्त कुमगर ममर को एक िर मिखतग है। वह िर तैयगर
करें । (8)
(मगाँ के द्वगरग मुरकी कग िगिन-िोषण करनग, ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मुरकी को सहगरग दे नग, घर की चगबी िकडग जगनग,
अंततम क्षण तक चगबी को सरु क्षक्षत रखनग)
JUNE 2018 (Say)
9. ‘न कोई जन्मने वगिग और न कोई सहेजने वगिग’ – मरु की के बगरे में रगजवंती ऐसे क्यों कहते हैं? (2)
10. ‘मरु की उफा बि
ु गकी’ कग अंश िढें ।
‘मरु की शगदी के बगद शहरी िडके के सगर् ककसी शहर में चगर-छः महीने रही। उसने घऱ बनगयग। मुरकी ने भी जो
कुछ अिने िगस र्ग, घर बनगने केमिए िर्ग ददयग।’- इस घटनग के आिेख करते हुए मरु की रगजवंती को िर मिखती
है। वह िर तैयगर करें । (8)
(ितत के सगर् नई स्ज़ंदर्ी, सगरे र्हने बेचकर घर बनगनग, भपवष्य के सिने)
MARCH 2019
11. मुरकी रगजवंती के घर कैसे िहुाँची? (2)
12. तनम्नमिखखत कर्नों के आधगर िर रगजवंती के चररर िर दटप्िणी मिखें। (4)
‘मैं प्यगर से उसको मरु की बि
ु गती र्ी कभी बुिगकी’ –
‘बडी मगसम
ू -सी मगतह
ृ ीन’
‘मेरे जीते-जी कभी कोई तुझसे यह चगबी नहीं छ नेर्ग’
13. ितत द्वगरग उिेक्षक्षत बुिगकी को रगजवंती अिने यहगाँ आश्रय दे ती है – इसके बगरे में रगजवंती अिनी सहेिी को एक
िर मिखती है। वह िर तैयगर करें । (8)
(रगजवंती के यहगाँ आश्रय ममिनग, ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मुरकी, जीवन भर चगबी न छ नने कग वगदग ममिनग)
MARCH 2020
14. ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मुरकी रगजवंती के घर कैसे िहुाँची? (2)

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15. ‘मगाँ, इसमिए तुमने मेरी इस वषार्गाँठ िर मुझसे प्रण मियग र्ग कक मैं मुरकी को उसके जीते-जी कभी इस कोठरी में
से नहीं तनकगिाँ ूर्ग’ – मरु की की करुण कहगनी ने कुमगर के मन को पवचमित कर ददयग। मुरकी के बगरे में कुमगर
अिने ममर को िर मिखतग है। वह िर तैयगर करें । (8)
(मुरकी कग रगजवंती मगाँ के यहगाँ आश्रय ममिनग, मरु की कग भगर् जगनग, मगाँ कग प्रण)
SEPT 2020 (Say)
16. ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मरु की को रगजवंती अिने यहगाँ आश्रय दे ती है। कल्िनग करें , मुरकी उस ददन की डगयरी मिखती
है। वह डगयरी तैयगर करें । (60 – 80 शब्दों में) (6)
(रगजवंती के यहगाँ आश्रय ममिनग, रगजवंती द्वगरग कोठरी की चगबी िकडग जगनग, जीवन भर चगबी न िौटगने कग वगदग
ममिनग)
17. रगजवंती की आाँखों में मसफा मुरकी के नहीं सगरी औरत जगतत के आाँसू ममिे हुए र्े। ‘नगरी आज भी स्वतंर नहीं है ’
पवषय िर भगषण तैयगर करें । (100 – 120 शब्दों में) (8)
(स्री के प्रतत समगज दृस्ष्टकोण, स्री की पववशतग, स्री मशक्षग, समगज में स्री कग स्र्गन)
MARCH 2021
18. ‘नगरी कि और आज’ पवषय िर आिेख तैयगर करें । (8)
(प्रगचीन कगि में नगरी, घरे िु वगतगवरण में नगरी, आधतु नक समगज में नगरी, नगरी सरु क्षग केमिए कगनन
ू ी मगन्यतग)
SEPT 2021 (Say)
शहरी िडके ने मरु की को कहगाँ छोडग? (सडक में, सरगय में, घर में) (1)
परीक्षा केंदित कुछ प्रश्न। उत्तर स्ियां मलखने का प्रयास करें :
1. ‘मगाँ! मुरकी कग ब्यगह कब हुआ र्ग?’ – कुमगर ने अिनी मगाँ से िूछग। मगाँ और कुमगर के बीच के वगतगािगि कल्िनग
करके मिखें।
(पितगजी की पवनती, मुरकी को अभय दे नग, मुरकी कग ब्यगह)
2. घर के नौकर ने अिनी बेटी को रगजवंती के घर िे आनग चगहग। इस संबंध में नौकर और रगजवंती के बीच कग
वगतगािगि तैयगर करें ।
(ित्नी की मत्ृ यु, एक मगर बेटी अकेिे र्गाँव में रहनग, पितगजी कग दख
ु , छोटे कुमगर कग दे खभगि)
3. मरु की की शगदी िक्की र्ी। इस संबंध में मरु की और पितग के बीच कग वगतगािगि कल्िनग करके मिखें।
(िुरी के बगरे में सोच, मगतह
ृ ीन िडकी, उसको सुरक्षक्षत हगर्ों में दे नग)
4. मुरकी के पितगजी ने अिनी र्गाँव में कहीं मरु की कग ररश्तग कर ददयग। शगदी के बगरे में बतगने केमिए पितगजी रगजवंती
के यहगाँ आते है। उन दोनों के बीच कग वगतगािगि कल्िनग करके मिखें। (मगतह
ृ ीन िडकी, रगजवंती के यहगाँ अभय
ममिनग, बेटी की शगदी)
5. मरु की के पितगजी ने अिने र्गाँव में कहीं बेटी कग ररश्तग कर ददयग। सन
ु ते ही मरु की अिनी प्रेमी से इसके बगरे में
कहती है। दोनों के बीच कग वगतगािगि कल्िनग करके मिखें।
(ककसी दज
ू ग से ररश्तग, शहरी िडके से प्रेम, उसके सगर् जीवन बबतगने की इच्छग)
6. पितगजी ने मरु की की शगदी िक्की। िेककन मरु की उस शगदी नहीं चगहग। उसने अिनी डगयरी में इस संबंध में क्यग
मिखग होर्ग। डगयरी तैयगर करें ।
(मगाँ की मत्ृ यु, रगजवंती मगाँ के घर में आश्रय ममिनग, ररश्तग िकगनग, शहरी िडके से प्रेम)
7. शगदी की बगत सुनकर मुरकी अिने प्रेमी के सगर् भगर् िेते हैं। वह रगजवंती मगाँ को एक खत मिखते हैं। वह खत
तैयगर करें ।
(घर में आश्रय ममिनग, बगि ने शगदी िकगनग, अिनग प्रेम, प्रेमी से भर्गनग)
8. शगदी की बगत सुनकर मुरकी ककसी शहरी िडके के सगर् भगर् जगते हैं। बगत जगनकर रगजवंती मगाँ बहुत दख
ु ी हुई।
उस ददन की डगयरी में मुरकी के बगरे में मिखते है। डगयरी कग वह िन्नग तैयगर करें ।
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(मुरकी कग घर आनग, बेटे को खखिगनग, अधेड आदमी से पववगह, प्रेमी से भगर् जगनग, मगाँ की आशंकग)
9. अिनी शगदी की बगत सुनते ही ककसी शहरी िडके के सगर् भगर् र्ई। कुछ ददन के बगद वह रगजवंती मगाँ को
टे मिफोन करती है। उन दोनों के बीच कग संभगपवत वगतगािगि तैयगर करें ।
(अधेड से शगदी, बगि से प्रेम के बगरे में कहनग, प्रेमी के सगर् भगर्नग)
10. शहरी िडके के सगर् भगर् जगने से िेकर ितत द्वगरग उिेक्षक्षत होने तक की घटनगएाँ मरु की की आत्मकर्गंश के रूि में
मिखें।
(दज
ू े से पववगह, असहमत प्रकट करनग, प्रेमी के हगर् िकडनग, सरगय में छोडनग)
11. ितत द्वगरग सरगय में उिेक्षक्षत मरु की की मुिगकगत ककसी दयगिु आदमी से होतग है। उन दोनों के बीच कग वगतगािगि
तैयगर करें ।
(तनस्सहगय मुरकी, सरगय में अकेिग हो जगनग, दयगिु आदमी से मि
ु गकगत, रगह कग भगडग)
12. ‘ककसी दयगिु व्यस्क्त से रगह कग भगडग िेकर िौट आई, नहीं तो न जगने कहगाँ भटकती?’ ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मरु की
की तनस्सहगयतग यहगाँ व्यक्त होती है। प्रगयः सभी प्रेम पववगहों कग अंत इस तरह होर्ग। आिके स्कूि के एन.एस.एस
की ओर से अंतरगाष्रीय मदहिग ददवस में ‘प्रेम पववगह: शगश्वत है यग नहीं’ पवषय िर एक तनबंध प्रततयोथर्तग की
आयोजनग है। उसके मिए एक आिेख तैयगर करें ।
(घरवगिों को भूिकर भगर् जगनग, ितत द्वगरग उिेक्षक्षत होनग, स्री की तनस्सहगयतग)
13. ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मुरकी ककसी तरह रगजवंती के यहगाँ िहुाँचते है। रगजवंती उसे अिने घर में आश्रय दे ती है और
उसकग िरु गनग कमरे की चगबी भी देती है। मरु की की उस ददन की डगयरी मिखें।
(प्रेमी के सगर् भगर्नग, सरगय में छोडनग, वगिस िौटनग, अभय ममिनग)
14. ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मर
ु की ककसी दयगिु आदमी से भगडग िेकर वगिस िौटती है। मरु की और रगजवंती के बीच कग
संभगपवत वगतगािगि तैयगर करें । (प्रेमी के सगर् भगर्नग, उिेक्षक्षत होकर वगिस िौटनग,
रगजवंती मगाँ ने अभय दे नग)
15. मर
ु की की कहगनी सन
ु कर कुमगर ने अिने उस ददन की डगयरी में क्यग मिखग होर्ग। कल्िनग करके मिखें।
(ितत द्वगरग उिेक्षक्षत होकर िौटनग, अिनी मगाँ की वगयदग, मुरकी की मत्ृ यु)
16. मुरकी की मरी को नहगते समय उसके मगाँस से कोठरी की चगबी ममिते है। रगजवंती मगाँ की उस ददन की डगयरी
तैयगर करें ।
(उिेक्षक्षतग मरु की, कोठरी की चगबी िकडनग, मुरकी की मत्ृ यु, चगबी वगिस ममिनग)
17. मर
ु की की मत्ृ यु के बगरे में सन
ु कर कुमगर के बचिन कग दोस्त वहगाँ आते है, स्जसे भी बचिन में कई बगर मरु की ने
खखिगयग र्ग। उन दोनों के बीच कग वगतगािगि तैयगर करें ।
(बचिन में रोज़ कुमगर के घर आनग, मुरकी से िररचय. सगिों बगद मरु की की मत्ृ यु के बगरे में सुननग)
18. संकेतों के आधगर िर रगजवंती मगाँ की आत्मकर्गंश तैयगर करें ।
(मगतह
ृ ीन िडकी, ‘मुरकी’ यग ‘बि
ु गकी’ िक
ु गरनग, ितत द्वगरग उिेक्षक्षत होनग, कफर अभय दे नग)
19. ‘रगजवंती ऐसग रोई जैसे उसकी आाँखों में मर
ु की के आाँसु ममिे हुए र्े, और मसफा मरु की की नहीं सगरी औरत जगतत के
आाँसू ममिे हुए र्े’ – समगज में नगरी की तनस्सहगयतग िर एक आिेख तैयगर करें ।
(समगज में नगरी कग स्र्गन, स्री मशक्षग, तनरगिंब जीवन जीने केमिए पववश नगरी)
20. ‘मस्ु श्कि से बगरह वषा की होर्ी तब’ – बगिश्रम कग कगनन
ू ी रोक है। कफर भी हमगरे समगज में यह सवार दे ख सकेंर्े।
‘बगिश्रम: समगज कग अमभसगि’ िर आिेख तैयगर करें । (बढते बगिश्रम, समगज कग अमभशगि, बच्चों
को उथचत मशक्षग दे नग)

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हाइकू
कविता डॉ भगितशरण अग्रिाल
तीन िंस्क्तयों में मिखी हगइकू जगिगनी कपवतग-रूि है। डॉ भर्वतशरण अग्रवगि के हगइकू कग आस्वगदन करें ।
हाइकू 1:
समानािी शब्द:
आकगश - नभ घोंसिग - नीड
िर - िै चगरों ओर घम
ू नग - माँडरगनग
हाइकू का मूलभाि: मगाँ की ममतग अति
ु नीय है।
भािािफ:
जगिगनी कगव्य शैिी हगइकू कग खब
ू प्रचगर दहंदी में है। दहंदी में हगइकू को खगस िहचगन ददिगने में डॉ
भर्वतशरण अग्रवगि कग पवमशष्ट योर्दगन है। ‘इंद्रधनुष’ आिकग प्रमसद्ध हगइकू संग्रह है।
आकगश को र्ाँज
ु गती हुई भीषण आाँधी आई। प्रकृतत के इस प्रकोि में बडे-बडे िेड नीचे थर्र िडे। उसके सगर्
वक्ष
ृ ों के टहतनयों से िक्षक्षयों कग नीड भी नीचे थर्र िडग। नीडों से थर्रे छोटी-छोटी िक्षक्षयों को छोडकर उनके मगाँ भगर्
नहीं जगती। वह उनके िगस माँडरगती रहती है।
प्रस्तत
ु हगइकू में मगाँ के प्यगर के बगरे में कहग र्यग है। मगाँ कग प्यगर अतल्
ु य है। ककसी पविपत्त में भी वह
अिने बच्चों को नहीं छोडतग है।
हाइकू 2:
समानािी शब्द:
भगद्रिद - भगदों शोमभत होनग - सरसनग
हाइकू का मल
ू भाि: पवरह की असहनीय है।
भािािफ:
जगिगनी कगव्य शैिी हगइकू कग खब
ू प्रचगर दहंदी में है। दहंदी में हगइकू को खगस िहचगन ददिगने में डॉ
भर्वतशरण अग्रवगि कग पवमशष्ट योर्दगन है। ‘इंद्रधनुष’ आिकग प्रमसद्ध हगइकू संग्रह है।
भगद्रिद के महीने में सगरे प्रकृतत शोमभत रहते है। सब कहीं आनंद और खुशी फैिती है। िेककन पवरदहणी के
जीवन सूखग आाँर्न जैसग है अर्गात ितत पवरह में उनकग जीवन आहों और िीडगओं से भरग रहतग है। ितत पवरह में
सुख भरे मौसम में भी उनके मन सूखग-रूखग रहतग है।
पवरह की िीडग ददानगक है।
हाइकू 3:
समानािी शब्द:
अततथर् - मेहमगन वद्
ृ धगवस्र्ग - बुढगिग
हाइकू का मूलभाि: िररवतान प्रकृतत तनयम है, सबको उसे स्वीकगरनग िडेर्ग।
भािािफ:
जगिगनी कगव्य शैिी हगइकू कग खब
ू प्रचगर दहंदी में है। दहंदी में हगइकू को खगस िहचगन ददिगने में डॉ
भर्वतशरण अग्रवगि कग पवमशष्ट योर्दगन है। ‘इंद्रधनुष’ आिकग प्रमसद्ध हगइकू संग्रह है।
हर व्यस्क्त बुढगिग की अवस्र्ग को अिनग दश्ु मन मगनते हैं। िेककन हम मगने यग न मगने बुढगिग बबनग बुिगए
मेहमगन की तरह हमगरे जीवन में आते है।
िररवतान प्रकृतत तनयम है। हरे क को उसे स्वीकगरनग िडेर्ग।

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हाइकू 4:
समानािी शब्द:
बगररश - वषगा
हाइकू का मूलभाि: वषगा अर्गात बगररश कग महत्व।
भािािफ:
जगिगनी कगव्य शैिी हगइकू कग खब
ू प्रचगर दहंदी में है। दहंदी में हगइकू को खगस िहचगन ददिगने में डॉ
भर्वतशरण अग्रवगि कग पवमशष्ट योर्दगन है। ‘इंद्रधनुष’ आिकग प्रमसद्ध हगइकू संग्रह है।
वषगा जीवनदगतग है। कदठन प्रयत्न करके खेतों में नए जीवन की कपवतगएाँ रचनेवगिग यग बोनेवगिग ककसगन के
कगरण वषगा धन्य हो जगती है। प्रेमी-प्रेममकग के मन में यगदें हमेशग हरग रहतग है।
हाइकू 5:
समानािी शब्द:
स्मतृ त - यगद बर्ीचग - बगर्
हाइकू का मूलभाि: प्रेम कभी नहीं मरु झगतग है।
भािािफ:
जगिगनी कगव्य शैिी हगइकू कग खब
ू प्रचगर दहंदी में है। दहंदी में हगइकू को खगस िहचगन ददिगने में डॉ
भर्वतशरण अग्रवगि कग पवमशष्ट योर्दगन है। ‘इंद्रधनुष’ आिकग प्रमसद्ध हगइकू संग्रह है।
प्रेम कभी नहीं मरु झगतग है। संयोर् के क्षण में जो वस्तए
ु ाँ प्रेमी-प्रेममकग को सुख एवं खुशी प्रदगन करती है, वे
पवरह के अवसर में अिने सुखद क्षण की मधुर यगदें ददिगती है।
हाइकू 6:
समानािी शब्द:
वेदनग - ददा दहमकण - ओस अनुभव/अनुभूतत - अहसगस
हाइकू का मल
ू भाि: वेदनग मन को िपवर बनगती है। दस
ू रों की वेदनग कग िहचगन मगनवतग है।
भािािफ:
जगिगनी कगव्य शैिी हगइकू कग खब
ू प्रचगर दहंदी में है। दहंदी में हगइकू को खगस िहचगन ददिगने में डॉ
भर्वतशरण अग्रवगि कग पवमशष्ट योर्दगन है। ‘इंद्रधनुष’ आिकग प्रमसद्ध हगइकू संग्रह है।
वेदनग मन को िपवर बनगती है। स्जसने अिने जीवन में ददा कग अनुभव नहीं ककयग है उसे आाँसू कग मूल्य
नहीं जगनतग। वेदनग के कगरण खश
ु ी और प्यगर कग महत्व बढतग है। जो इसे िहचगनते नहीं, उसके सगमने आाँसू भी
ओस के समगन है अर्गात आाँसू कग मूल्य नहीं है।
Important Questions to be Expected:
✓ प्रत्येक हगइकू कग भगवगर्ा।
✓ प्रत्येक हगइकू कग मि
ू भगव।
ഓലരന മഹക്കുവുാം നന്നയി വനയിച്ച് മനസ്സിെനക്കി ഭനവനർത്ഥ്ാം അറിഞ്ഞിരിക്കണാം.
ഏലതങ്കിെുലമനലക്ക പരീക്ഷയിൽ ന്ത്പതീക്ഷിക്കനവുന്തനണ്.

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कुमुद िूल बेचनेिाली लड़की


कविता प्रो. ओ एन िी कुरुप
अनुिादक: ड़ॉ तांकमणण अम्मा
प्रमुख पात्र: कपव और कुमुद फूि बेचनेवगिी छोटी िडकी।
शब्दािफ:
मंददर - दे वगिय िगस - तनकट तगिगब - सरोवर
मगर्ादशाक - मगर्ादशी डंडी - डंठि नोक - छोर
सफेद - श्वेत िगस में - सम्मुख मूल्य - दगम
चेहरग - मुखडग सुंदर - सुरम्य भोजन - अन्न
समिाण करनग - चढगनग शन्
ू य - खगिी
आस्िादन दटप्पणी:
प्रो ओ एन वी कुरुि मियगिम के िोकपप्रय कपव है। कपव एक बगर र्ोवग के प्रमसद्ध मंर्श
े मंददर र्ए र्े। अिने
तनजी अनुभव के आधगर िर उन्होंने कपवतग रचें – ‘आंबि िू पवल्कुन्नग िेनकुट्टी’ दहंदी के प्रमसद्ध िेखखकग तर्ग अनुवगदक
श्रीमती एस तंकमणी अम्मग ने ‘कुमद
ु फूि बेचनेवगिी िडकी’ नगम से इसकग दहंदी में अनव
ु गद ककयग।
एक िरु गनग दे वगिय के िगस एक कुमुद सरोवर है। वहगाँ के श्वेत रं र् कग कुमुद फूि, दे व कग इष्ट नैवेद्य है। मंददर
के िगस फूि बेचनेवगिे अनेक िोर् है। सबके हगर्ों में कुमुद कग फूि है, जो मत
ृ जि-सगाँि की तरह ददखगई िडते है। वहगाँ
आनेवगिे भक्तों से फूि बेचनेवगिे िोर् अिने हगर् से फूि खरीदने की प्रगर्ानग करते है।
कपव के िगस एक छोटी िडकी आकर अिने हगर् में जो फूि है उसे आर्े बढगते है। उसकी मरु झगयग हुआ नन्ही मुख
दे खकर कपव कग मन द्रपवत होतग है। उसने एक छोटग मसक्कग, फूि के दगम के रूि में ददयग। वह फूि औऱ िडकी कग
मुखडग, दोनों उसे सुंदर िर्तग है। कपव फूि नहीं स्वीकगरते है, कहते है - ‘हे फूि, तू इस छोटी बहन केमिए अन्न है, इससे
बढकर कोई भिगई नहीं है। नैवेद्य के रूि में तुझे दे ने से मुझे क्यग ममिेर्ग?’
खगिी हगर् से कपव आर्े चिते है। ‘मेरे हगर् से.......’ दीन स्वर कपव के िीछे धीमी हो जगती है।
कपव ने यहगाँ फूि बेचनेवगिी र्रीब िडकी की बेबसी कग थचरण ककयग है। िडकी की हगित उसे दब
ु गरग सोचने में
पववश करतग है। फूि कग िैसग दे कर आर्े बढगनेवगिग कपव सोचते हैं कक उस भूखी एवं र्रीब िडकी की भूख ममटगने से
बढकर अन्य िुण्य कगम नहीं है। फूि कग िैसग दे कर आर्े बढगनेवगिग कपव मगनवतग कग प्रततरूि है।
പഴലയനരു ലദവനെയെിനരിരിലെനരു ആമ്പൽക്കുളമുണ്ട്. അവിലടയുള്ള ലവളുെ ആമ്പൽപൂക്കളനണ്
ലദവനുള്ള ഇഷ്ടമനലവദയാം. ലദവനെയെിനരിരിൽ പൂജനന്ത്ദവയങ്ങൾ വിൽക്കുന് നിരവധി ആളുരളുമുണ്ട്.
അവരുലട മരരളിൽ ചെ ജെസ്ർൊം ലപനലെ നീണ്ട തണ്ടിനരിരിൽ തൂങ്ങിക്കിടക്കുന് ലവളുെ
ആമ്പൽപൂക്കളുമുണ്ട്. അവർ ഭക്തലരനട് തങ്ങളുലട മരയ്യിൽ നിന്ുാം പൂക്കൾ വനങ്ങുവനൻ യനചിക്കുന്ു.
രവിയുലട അരിരിലെക്ക് ഒരു ലചറിയ രുട്ടി വന്് പൂക്കൾ നീട്ടി. അവളുലട വനടിയ മുഖാം രണ്ട്
രവിയുലട മനസ്സ് ലവദനിച്ചു. അലേഹാം അവൾക്ക് പൂവിനുള്ള വിെയനയി ഒരു നനണയാം ലരനടുെു. പൂവുാം,
ആ ലപൺക്കുട്ടിയുലട മുഖവുാം അലേഹെിന് സ്ുന്ദരമനയി ലതനന്ി. രവി പറയുന്ു – ‘പുഷ്പലമ. നീ ഈ
ലരനച്ചു സ്ലഹനദരിയ്ക്ക്കുള്ള അന്മനണ്, ഇതിെുാം വെിയ പുണയമിെല. മനലവദയമനയി നിലന് ലരനടുെനൽ
എനിക്ക് എരനണ് െഭിക്കുന്ത്?’
ശൂനയമനയ മരരളുമനയി രവി മുലന്നട്ടു ലപനരുന്ു. പുറരിെനയി ‘എൻലറ മരയ്യിൽ നിന്്....’ എന്
ശബ്ദാം ലനർെ് ലനർെ് ലരൾക്കുന്ുണ്ടനയിരുന്ു.
कविताांश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर मलखें :
I. पुराना दे िालय ................... िूल का दाम।
1. कुमुद सरोवर कहगाँ है? िुरगनग दे वगिय के िगस है।
2. दे वगिय के िगस िेखक ने क्यग-क्यग दे खग? कुमद
ु फूि और िज
ू ग द्रव्य बेचनेवगिे िोर्ों को दे खग।
3. मंददर के रगस्ते में ककसके दि है ? िूजग द्रव्य बेचनेवगिों के दि है।

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4. इष्टदे व कग इष्ट नैवेद्य क्यग है ? कुमुद कग फूि।


5. मगर्ादशी क्यग कह रहे र्े?
मगर्ादशी कह रहे र्े कक यहगाँ इष्टदे व कग इष्ट नैवेद्य कुमुद कग फूि है।
6. कपव ने कुमुद फूि की तुिनग ककससे की र्ई है ? मत
ृ जि-सगाँि से।
7. कुमुद फूि कैसे है?
मत
ृ जि-सगाँि की तरह िंबे डंठिों के छोरों िर खखिे कुमद
ु फूि श्वेत रं र् के हैं।
8. फूि बेचनेवगिों क्यग कह रहे र्े?
फूि बेचनेवगिों कह रहे र्े कक मेरे हगर् से िे िो, मेरे हगर् से िे िो।
9. कपव के िगस कौन आयग? एक छोटी िडकी।
10. कपव के िगस आई िडकी कैसी र्ी?
कपव के िगस आई िडकी मरु झगए फूि के सख
ू े डंठि की तरह दब
ु िी ितिी र्ी।
11. कपव ने छोटी िडकी की ति
ु नग ककससे की र्ई है? मुरझगए फूि के सूखे डंठि से।
12. िडकी ने कपव से क्यग प्रगर्ानग ककयग?
िडकी ने कपव से दीन स्वर में प्रगर्ानग ककयग कक मेरे हगर् से फूि िे िो।
13. कपव ने िडकी के हगर् में क्यग रख ददयग?
कपव ने फूि के दगम के रूि में एक छोटग सग मसक्कग िडकी के हगर् में रख ददयग।
II. मेरी ओर बढ़ाते ............ िीमा होता जाता है।
1. कपव ने क्यग-क्यग दे खग?
कपव ने उसकी ओर बढगते बढगते फूि और उस िडकी के चेहरे दोनों को दे खग।
2. दो सुरम्य कोमि रूि क्यग-क्यग है?
फूि बेचनेवगिी छोटी िडकी और उसके हगर् कग श्वेत कुमुद फूि।
3. दो सुरम्य कोमि रूि कैसे र्े?
िडकी के हगर् कग फूि और उसकग मख ु दोनों एक समगन मरु झगए हुए र्े।
4. िडकी के मरु झगए हुए चेहरे दे खकर कपव को कैसग िर्ग?
िडकी के मरु झगए चेहरे को दे खकर कपव को िर्ग कक फूि उस छोटे बहन केमिए अन्न है।
5. “तुझे चढगकर भिग अब क्यग िगऊाँ मैं....” – कपव क्यो ऐसग सोचते हैं?
िडकी के चेहरे दे खकर कपव को िर्ग कक फूि उस छोटी बहन केमिए अन्न है। अन्न दे ने से बढकर कोई
िण्
ु य नहीं। उससे
बढकर िुण्य, उस फूि को नैवेद्य के रूि में चढगने िर कभी भी न ममिेर्ग।
6. कपव क्यों फूि मिए बबनग खगिी हगर् आर्े बढग?
िडकी की चेहरे दे खकर कपव को िर्ग कक वह फूि उस छोटी बहन केमिए अन्न है। अन्न दे ने से बढकर
कोई और िुण्य नहीं है। उससे बढकर िुण्य, उस फूि को नैवेद्य़ के रूि में चढगने िर कभी न ममिेर्ग। इसमिए
कपव फूि मिए बबनग खगिी हगर् आर्े बढग।
7. खगिी हगर् आर्े की ओर जगते समय कपव ने क्यग सुनग?
‘मेरे हगर् से, मेरे हगर् से......’, ऐसग दयनीय स्वर सुनग।
Important Questions to be Expected:
✓ कपवतग कग आस्वगदन दटप्िणी।
രവിത നന്നയി വനയിച്ച്, ആസ്വനദനക്കുറിെ് പഠിച്ചനൽ രവിതയിൽ നിന്ുള്ള രനക്കിയുള്ള
ലചനദയങ്ങൾക്കുാം ഉെരലമഴുതനൻ രഴിയുാം.

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िह भटका हुआ पीर


सांस्मरण डॉ राज बद्
ु थिराजा
प्रमुख पात्र: िेखखकग और मश्कवगिग स्कूटर
साराांश:
‘वह भटकग हुआ िीर’ एक संस्मरण है, स्जसमें एक दयगिु युवक कग थचरण हुआ है। वह युवक ददल्िी में अिनग
स्कूटर चिगकर आजीपवकग कमगतग र्ग। पितग बचिन में ही मर चुके र्े। घर में मगाँ र्े। मगाँ के कहने िर वह रगहर्ीरों को
िगनी पििगनग शुरु ककयग। कभी-कभी वह अिनी कमगई से िैसग िेकर मशक में िगनी भरतग र्ग और प्यगसों को मुफ़्त दे तग है।
िेखखकग को उसे दे खकर र्ि
ु मोहर कग िेड यगद इसमिए आती है कक र्ि
ु मोहर अिनी शीति छगयग दस
ू रों को दे तग है। इसी
तरह वह ‘मशकवगिग स्कूटर’ भी दस
ू रों की सहगयतग करते है। स्वगर्ातग भरी इस दतु नयग में वह यव
ु क तनस्संदेह एक िीर जैसग
है।
ല ന. രനജ് രുദ്ധിരനജയുലട ഓർമ്മക്കുറിെ്. രഠിനമനയ ചൂടിെുാം ൽഹിയിലെ
വഴിലയനരങ്ങളിൽ യനന്ത്തക്കനരുലട ദനഹമരറ്റി നടക്കുന് ഒരു പലരനപരനരീയനയ ഒരു യുവനവിൻലറ
രഥ പറയുന്ു. വിലശഷലെട്ട രനരയലമലരന്നൽ അയനൾ സ്വരാം മപസ് ലരനടുെ് ലവള്ളാം വനങ്ങി
യനന്ത്തക്കനരുലട ദനഹമരറ്റുന്ു.
അച്ഛൻ ലചറുെെിലെ മരണലെട്ട യുവനവ് ലതരുവ് വിളക്കിനു രീഴിെിരുന്നണ്
പഠിച്ചിരുന്ത്. സ്രൂട്ടലറനടിച്ച് അമ്മയ്ക്ക്കുാം തനിയ്ക്ക്കുമുള്ള ഭക്ഷണാം രലണ്ടെുന്ു. അമ്മ
പറഞ്ഞതനുസ്രിച്ച് അയനൾ വഴിയനന്ത്തക്കനരുലട ദനഹമരറ്റനൻ തുടങ്ങി. സ്വനർത്ഥ്ത നിറഞ്ഞ ഈ
ലെനരെ് സ്ലരനഷാം വിതറുന് ആ യുവനവ് ഒരു സ്നയനസ്ി തലന്യനണ്.
गद्याांश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर मलखें:
I. जब-जब ............. आगे बढ़ जाता।
1. िेखखकग को कब िीर की यगद आती है ?
अिने घर के आाँर्न में र्ि
ु मोहर खखिते वक्त िेखखकग को िीर की यगद आती है।
2. अिने घर के आाँर्न में र्ि
ु मोहर खखिते वक्त िेखखकग को िीर की यगद आती है, क्यों?
प्यगसों को िगनी दे कर भटकनेवगिे िीर से िेखखकग कग िहिी मि
ु गकगत खखिग हुआ र्ि ु मोहर की तरह तीक्ष्ण
र्मी की दोिहर में हुआ र्ग। र्ि
ु मोहर और िीर में समगनतग यह है कक र्ि
ु मोहर रगहर्ीरों को छगयग देतग है, तो िीर
रगहर्ीरों को िगनी पििगतग र्ग। इसमिए र्ुिमोहर खखिते वक्त िेखखकग को वह िीर की यगद आती है।
3. िेखखकग स्कूटर की प्रतीक्षग में कहगाँ खडी? कब?
चटख र्ुिमोहर की तरह तीक्ष्ण र्मी में आाँचि कग छगतग मिए सडक के िटरी िर खडी।
4. िेखखकग स्कूटर की इंतज़गर करते वक्त कौन आकर खडग हो र्यग?
एक स्कूटरवगिग आकर खडग हो र्यग।
5. िहिे तो िेखखकग को क्यों पवश्वगस नहीं हुआ?
िेखखकग के कगनों में र्ज
ूाँ ग शब्द इतनी मधुर र्ी कक आजकि की कडवी दतु नयग में ऐसे मीठग स्वर सुननग
मुस्श्कि है।
6. िेखखकग क्यों आश्चया हुई?
किंक भरी दतु नयग में किंककत आवगज़ों के बीच जब मीठे स्वर सुनी तो िेखखकग आश्चया हुई।
7. स्कूटरवगिग क्यग कर रहे हैं?
वह एकगध ककिोमीटर में अिनग स्कूटर रोककर रगहर्ीरों की अाँजररयों में मश्क से िगनी उाँ डेितग िोर्ों की
प्यगस बुझगतग और आर्े बढ जगतग।

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8. खंड कग संक्षेिण करके उथचत शीषाक दें ।


अुँजररयों में पानी (प्यास बुझानेिाला स्कूटर)
दोिहर की र्मी में स्कूटर की इंतज़गर करनेवगिी िेखखकग के िगस एक यव
ु ग स्कूटरवगिग आकर खडग हो र्यग।
वह रगहर्ीरों को अिनी मश्क से िगनी दे कर प्यगस बुझगतग र्ग।
II. विकास मागफ से .......... मिुर हो जाते।
1. िेखखकग स्कूटर में कहगाँ से कहगाँ तक चिग?
पवकगस मगर्ा से िगमिायगमेंट स्रीट तक।
2. स्कूटरवगिग बीच-बीच में र्गडी रोककर रगहर्ीरों को िगनी पििगतग रहग। इस समय िेखखकग ने ककस बगत िर पवशेष
ध्यगन रखग?
वह स्कूटरवगिग िगनी की रे हडी से िैसग अदगकर िगनी खरीदकर दो बगर अिने मश्क भरवगयग।
3. स्कूटरवगिे को दे खकर िेखखकग ने क्यग सोचग?
िेखखकग ने सोचग शगयद वह स्कूटरवगिग एक र्हरे कुएाँ की मगकफ़क होर्ग, स्जसके ददि में प्यगर बसतग है।
4. िेखखकग को क्यों स्कूटरवगिग एक र्हरग कुआाँ जैसग िर्ग?
िोर् प्यगस बुझगने केमिए कुएाँ कग सहगरग िेतग है। इस स्कूटरवगिे के मन प्यगर से भरग हुआ है। वह दस
ू रों
को िगनी पििगकर प्यगस बझ ु गतग है।
5. बगद में उस स्कूटरवगिे कग नगम क्यग िड र्यग?
मश्कवगिग स्कूटर।
6. खंड कग संक्षेिण करके उथचत शीषाक मिखें।
मश्किाला स्कूटर
रगहर्ीरों कग प्यगस बुझगने केमिए वह िैसग अदगकर मश्क भरवगतग रहग। िेखखकग को वह कुएाँ जैसे िर्ग। बगद
में उसे ितग चिग कक उसकग नगम ही ‘मश्कवगिग स्कूटर’ िड र्यग।
III. जब घर के बुजुगों ....... पुण्य ममल ही गया।
1. आजकि के घरों में बज
ु र्
ु ों की अवस्र्ग कैसे हैं?
आजकि घर के बुजुर्ों को कोई भी िगनी नहीं पििगतग और िगनी मगाँर्ने िर अाँर्गरों जैसी जिती आाँखें
आाँखें ददखगई जगती है।
2. िेखखकग को वह स्कूटरवगिग िीर जैसग क्यों िर्ग?
आजकि घर के बुजुर्ा िोर् िगनी से वंथचत है और िगनी मगाँर्ने िर अाँर्गरों जैसी जिती आाँखें ददखगई जगती
जगती है। ऐसे ज़मगने में वह स्कूटरवगिग रगहर्ीरों के िगस जगकर उनके प्यगस बझ
ु गते रहे। खगस बगत यह है कक वह
अिने िैसे दे कर मश्क में िगनी भरकर रगहर्ीरों को दे तग है और वह उनसे िैसे नहीं स्वीकगर करते। इसमिए िेखखकग
को वह स्कूटरवगिग िीर जैसग िर्ग।
3. स्कूटरवगिे कग बचिन कैसग र्ग?
वह एक पितपृ वहीन िडकग र्ग। वह स्रीट िगइट के नीचे बैठकर िढतग र्ग। स्कूटर चिगकर मगाँ और अिने
मिए रोटी कमगतग र्ग।
4. मगाँ कग उिदे श क्यग र्ग?
“तू िगनी पििगयग कर, िुण्य ममितग है।“
5. खंड कग संक्षेिण करके उथचत शीषाक मिखें।
माुँ का उपदे श
दस
ू रों को िगनी पििगनेवगिग स्कूटरवगिग िीर ही है। वह पितपृ वहीन बगिक र्ग, जो स्कूटर चिगकर मगाँ और
और अिने मिए रोटी जुर्गड करतग रहग। मगाँ के उिदे श से दस
ू रों की प्यगस बुझगते रहग।
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IV. लाखों लोगों ............. मुलाकात ही है?


1. स्कूटरवगिे की रगय में वह कैसे ग्रगडुएट हो र्यग?
िगखों िोर्ों की दआ
ु ओं से।
2. स्कूटरवगिे कैसे अिने मन कग बगदशगह बन र्ए?
वह अिनी मजी स्कूटर चिगकर रोटी कमगतग र्ग। सगर् ही अिनी कमगई से दस
ू रों को िगनी पििगकर उसके
ददि में जर्ह बनतग है।
3. िेखखकग को क्यों ऐसग िर्ग कक वह स्कूटरवगिग एक आदमी न होकर भटकग हुआ िीर है?
आिग-धगिी की इस दतु नयग में वह स्कूटरवगिग खुशी बगाँटतग कफरतग है। दस
ू रों को िगनी पििगकर उनके ददि में
जर्ह बनगतग है। अतः िेखखकग को िर्ग कक वह एक आदमी न होकर भटकग हुआ िीर है।
4. “वह िूजग केमिए कहीं भी न बैठकर िोर्ों के ददि में जर्ह बनगतग है।“कौन? कैसे?
स्कूटरवगिग। वह अिने कमगई से दस
ू रों को िगनी पििगतग है और ददि के ररश्ते जोडते है। इस तरह वह
िोर्ों कग आरगध्य बन र्यग है।
अनुवती कगया:
1. “मश्कवगिग स्कूटर” के बगरे में समगचगर।
मश्किाला स्कूटर
ददल्िी: आजकि के स्वगर्ातग भरी दतु नयग में ददल्िी कग यह स्कूटरवगिग जैसग युवक अन्यर दि
ु ाभ है। पितगजी की
मत्ृ यु के बगद वह स्कूटर चिगकर आजीपवकग कमगतग र्ग। घर में मगाँ हैं। बचिन में उनके मगाँ ने उिदे श ददयग – “तू
िगनी पििगयग कर, िण्
ु य ममितग है।“ तभी वह रगहर्ीरों को िगनी पििगनग शरु
ु ककयग। खगस बगत यह है कक दस
ू रों
के प्यगस बुझगने केमिए अिनी कमगई से िैसे दे कर िगनी खरीदकर मश्क भरवगतग है और प्यगसों को िगनी मुफ्त
दे तग है।
स्वगर्ातग भरी दतु नयग में यह यव
ु ग िोर्ों के प्यगस बुझगकर ररश्तग जुडगते है। बुढगिे में बुजुर्ा िोर्, चगहे वह
जन्मगनेवगिग मगाँ-बगि हो, बोझ समझकर वद्
ृ ध सदनों में छोडनेवगिे इस िीदढ में यब युवक सचमुच अिर्
व्यस्क्तत्व है, जो अिनी मगाँ के उिदे श सन
ु कर िोर्ों के ददि में जर्ह बनगकर िीर ही है।
Important Questions to be Expected:
✓ मशकवगिग स्कूटर के चररर।
✓ वगतगािगि, िर, आत्मकर्गंश, डगयरी.... इत्यगदद में से ककसी भी।
✓ िगठ भगर् अच्छ तरह िढें , सभी प्रश्नों कग उत्तर मिख सकें।

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आदमी का चेहरा
कविता कांु िर नारायण
प्रमुख पात्र: मैं (कपव) और आदमी (कुिी)
आस्िादन दटप्पणी:
श्री कंु वर नगरगयण नई कपवतग के सशक्त हस्तगक्षर है। कपवतग के अिगवग कहगनी, समीक्षग और मसनेमग मे भी
उन्होंने िेखनी चिगई। ‘आदमी कग चेहरग’ एक छोटी कपवतग है, जो एक कठोर यर्गर्ा की ओर इशगरग करतग है कक कगम कग
महत्व केवि कगम िर ही तनभार नहीं रहतग बस्ल्क कगम करनेवगिों की ईमगनदगरी िर भी तनभार रहतग है। हर कगम कग
अिनग-अिनग महत्व है।
अिनी यगरगओं में कपव अिने सगमगन उठगने केमिए ‘कुिी’ को िुकगरते हैं। कुिी समगन उठगकर चिते समय कपव
अिने को श्रेष्ठ और कुिी को अिने से तुच्छ समझकर उससे दस कदम िीछे चिग। अिनी यगरगओं में वह कभी भी कुिी
की तरफ नहीं दे खग। उसके चेहरे कग िहचगन नहीं ककयग। उसके िगि कमीज़ िर टं के नंबर से ही वह उसे िहचगनते र्े।
िेककन जब जीवन में िहिी बगर अिनग सगमगन उठगने कग अवसर ममिग तो कपव को मगि ढोने में जो ददा और कष्टतग है,
उसे िहचगन मियग। तभी वह कुिी कग चेहरग िहचगन मियग। िररश्रम कग महत्व िहचगन मियग।
आज के भगर्-दौड में आदमी, अिने सहजीपवयों को िहचगनने में असमर्ा रहतग है। यहगाँ कपव स्वयं अिने को श्रेष्ठ
मगनग। िेककन नौकर हो यग मगमिक, दोनों मनुष्य ही है। कपव एक सत्य की ओर इशगरग करतग है कक मनुष्य को उसी रूि में
िहचगननग है।
യനന്ത്തരളിൽ സ്നധങ്ങലളടുക്കനൻ രവി രൂെിലയ വിളിക്കുന്ു. രൂെി സ്നധനങ്ങളുമനയി
നടക്കുലമ്പനൾ രവി സ്വയാം രൂെിലയ തലന്ക്കനളുാം ലചറിയവനനയി രരുതി പെ് ചുവട് പുറരിൽ
നടക്കുന്ു. യനന്ത്തരളിൽ അലേഹാം രൂെിലയ ലനനക്കിയിരുന്ിെല. അയനളുലട മുഖാം തിരിച്ചറിഞ്ഞിെല.
അയനളുലട ചുവന് രുെനയെിലെ നമ്പറിൽ നിന്നണ് തിരിച്ചറിഞ്ഞിരുന്ത്. എന്നൽ ഒരിക്കൽ
സ്വരാം സ്നധനങ്ങലളടുക്കുവനൻ അവസ്രാം െഭിച്ചലെനൾ രവി സ്നധനങ്ങൾ ചുമക്കുന്തിെുള്ള
വിഷമവുാം രഷ്ടെനടുാം തിരിച്ചറിയുന്ു. അലെനൾ അലേഹാം രൂെിയുലട മുഖാം തിരിച്ചറിയുന്ു,
പരിന്ത്ശമെിൻലറ മഹതവാം തിരിച്ചറിയുന്ു.
कपवतगंश िढे और प्रश्नों के उत्तर मिखें :
I. “कुली!” पुकारते ....... चेहरा याद आया।
1. समगनगर्ी शब्द कपवतग से चुनकर मिखें।
चककत होनग - चौंकनग बोझ उठगनग - िगदनग मगि - सगमगन
िगदनग - ढोनग मसिवगनग - टाँ कगनग
2. कुिी िक
ु गरने िर कपव कग अंदर क्यों चौंकग?
आज कपव ने अिनग सगमगन खुद उठगयग। मगि ढोने में जो ददा है उसे कपव ने िहचगन मियग। इसमिए
‘कुिी’ शब्द सुनते ही कपव कग अंदर चौंकग।
3. कुिी को आदमी के रूि में िहचगनने के िहिे उसके सगर् कपव की यगरग कैसी र्ी?
कपव के सगमगन िगदकर कुिी आर्े बढते समय कपव उससे दस कदम िीछे चितग र्ग।
4. कुिी को आदमी के रूि में िहचगनने से िहिे कपव क्यों उससे दस कदम िीछे चितग रहग?
कपव स्वगमभमगनी र्े। उसे िर्तग है कक वह कुिी से श्रेष्ठ है। इसमिए कपव हमेशग दस कदम िीछे चितग
रहग।
5. कुिी को आदमी मगनने से िहिे कपव ने उसको कैसे िहचगनते र्े?
कुिी को आदमी मगनने से िहिे कपव ने उसकी िगि कमीज़ िर टाँ कग नंबर से ही िहचगनतग र्ग।

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6. समगन खुद उठगते वक्त कपव के मन में कौन-सग पववेक िैदग हुआ?
सगमगन खुद उठगते वक्त कपव को आदमी कग चेहरग यगद आयग। उसने मगि ढोनेवगिे मनुष्य कग ददा िहचगन
मियग। कगम करने कग महत्व भी िहचगन मियग।
7. कुिी कहकर िुकगरने िर कपव को क्यों िर्तग है कक कुिी नहीं एक इन्सगन आकर उसके िगस खडे हो रहग है?
अिनी यगरगओं में कपव कभी भी कुिी के चेहरे की िहचगन नहीं ककयग। उसके कमीज़ में टाँ के नंबर से ही उसे
िहचगनतग र्ग। िेककन अब कपव को अिनग सगमगन खद
ु उठगने कग अवसर ममिग, अतः वह मगि ढोने कग ददा िहचगन
मियग। उस िहचगन में कपव ने कुिी को आदमी के रूि में िहचगन मियग।
8. “एक आदमी कग चेहरग यगद आयग।“ ककसको? कब?
कपव को। अिने सगमगन स्वयं उठगते वक्त उसे एक आदमी कग चेहरग यगद आयग।
9. सगमगन खुद उठगते वक्त कपव को क्यों आदमी कग चेहरग िहचगन मियग?
सगमगन खद
ु उठगते वक्त कपव को मगि ढोने कग ददा और िररश्रम कग महत्व िहचगन मियग। इसमिए कपव
‘कुिी’ को आदमी के रूि में िहचगन मियग।
Important Questions to be Expected:
✓ आस्वगदन दटप्िणी।
✓ രവിത നന്നയി വനയിച്ച്, ആസ്വനദനക്കുറിെ് പഠിച്ചനൽ രവിതയിൽ നിന്ുള്ള രനക്കിലയെലന
ലചനദയങ്ങൾക്കുാം ഉെരലമഴുതനൻ രഴിയുാം.

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दिा
व्यांग्य हररशांकर परसाई
प्रमुख पात्र: कपव अनंर् जी, ित्नी, बेटग, कपव कग ममर और एक डॉक्टर
झूठ प्रशंसग िसंद करनेवगिे िोर्ों िर हंसी-मज़गक उठगके हररशंकर िरसगई की छोटी-सी व्यंग्य है ‘दवग’। कपव
अनंर्जी कग अंततम समय आ िहुाँचग र्ग। डॉक्टर ने कहग कक वह घंटे भर जीपवत रहेर्ग। ित्नी डॉक्टर से प्रगर्ानग करती है
कक शगम की र्गडी से आनेवगिे बेटे से ममिने केमिए 5-6 घंटों तक उसे जीपवत रह सकें। िर डॉक्टरें कहते हैं कक वह घंटे
भर भी जीपवत नहीं रहेर्ग।
इतने में अनंर् जी कग दोस्त आकर कहते है कक वह उसे कई घंटे जीपवत रख सकेर्ग। डॉक्टर ने हाँसी उठगयग। दोस्त
सब िोर्ों को बगहर जगने को कहते है। अनंर् जी के िगस बैठकर दोस्त ने कहग कक जगने के िहिे उसकी मीठे स्वर सुननग
है। वह अनंर् जी को िुस्तक की कॉिी देते हैं, अनंर् जी कपवतग-िगठ करने िर्ग। शगम को बेटग आकर कमरे में घुसते ही
दे खग पितगजी कपवतग िढ रहे हैं और दोस्त वहगाँ मरे िडे हैं।
ന്ത്പശാംസ് ഇഷ്ടലെടുന് ആളുരലള രളിയനക്കി ഹരിശങ്കർ പർസ്നയി എഴുതിയ ലചറിലയനരു
ഹനസ്യ രചനയനണ് ‘മരുന്്’. രവി അനാംഗ് ജീയുലട അരിമ സ്മയമടുെു. ല നക്ടർ പറഞ്ഞത്
അലേഹാം മണിക്കൂറുരൾ മനന്ത്തലമ ജീവിച്ചിരിക്കുരയുള്ളു എന്നണ്. ഭനരയ ല നക്ടലറനട്
മവരുലന്രലെ വണ്ടിയിലെെുന് മരൻ വരുന്തു വലര ജീവൻ നിെനിർെനൻ
ആവശയലെടുന്ു. എന്നൽ അലേഹാം മണിക്കൂർ തിരച്ചുാം ജീവലനനടിരിക്കുരയിെല എന്നണ്
ല നക്ടർമനർ പറഞ്ഞത്.
അലെനലഴക്കുാം രവിയുലട സ്ുഹൃെ് വന്് അലേഹാം മണിക്കൂറുരലളനളാം ജീവലനനടിരിക്കുാം
എന്് പറയുന്ു. ല നക്ടർമനർ ചിരിക്കുന്ു. എെലനവലരനടുാം പുറലെക്കിറങ്ങി നിൽക്കനൻ
പറയുന് സ്ുഹൃെ് രവിലയനട് അലേഹെിൻലറ മധുര സ്വരലമനന്് ലരൾക്കണലമന്്
ആവശയലെടുന്ു. രവിയ്ക്ക്ക് പുസ്തരാം ലരനടുക്കുന്ു, രവി രവിത ലചനെലനൻ തുടങ്ങി.
മവരുലന്രാം മരൻ മുറിയ്ക്ക്കുള്ളിൽ ന്ത്പലവശിക്കുലമ്പനൾ രവിത വനയിച്ചു ലരനണ്ടിരിക്കുന്
അച്ഛലനയുാം അരിരിൽ മരിച്ചു രിടക്കുന് സ്ുഹൃെിലനയുമനണ് രനണുന്ത്.

Important Questions to be Expected:


✓ वगतगािगि, िर, आत्मकर्गंश, डगयरी.... इत्यगदद में से ककसी भी।
✓ िगठ भगर् अच्छ तरह िढें , सभी प्रश्नों कग उत्तर मिख सकें।

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जीिन-ित्त
ृ (Profile)
जीवन-वत्त
ृ ककसी जगने-मगने व्यस्क्त िेखक यग सगदहत्यकगर के जीवन कग संक्षक्षप्त पववरण है। प्रगयः छोटी अनच्
ु छे द में
मिखते है। िेखक के बगरे में प्रश्न-िर में दी र्ई बगतें ध्यगन से िढकर मिखने की कोमशश करें ।
जीवन-वत्त
ृ के आधगर िर अनच्
ु छे द मिखते समय इन्हीं बगतें ध्यगन में रखें:
• कपव/िेखक/व्यस्क्त के बगरे में ददए पववरण ध्यगन से िढें ।
• सरि भगषग में एक अनुच्छे द में मिखने कग प्रयगस करें ।
आगे यह नमूना दे खें:
जीिन-ित्त
ृ पढ़ें और अनुच्छे द मलखें:
नगम : मैथर्िीशरण र्ुप्त
जन्म : 1885, थचरर्गाँव, उत्तर प्रदे श
रचनगएाँ : सगकेत, यशोधरग, िंचवटी
िरु स्कगर : िद्मभष
ू ण, 1954
मत्ृ यु : 1965
उत्तर कैसे मलखें :
मैथिलीशरण गप्ु त (1885 – 1965)
श्री ......................... (मैथर्िीशरण र्ुप्त) दहंदी के प्रततभगशगिी िेखक/रचनगकगर है। आिकग जन्म ...........(1885)
को हुआ। आिकग जन्म स्र्गन ................. (उत्तरप्रदे श) के .................. (थचरर्गाँव) है। .............(सगकेत), ...............
(यशोधरग), .................. (िंचवटी) आदद आिकी प्रमख ु रचनगएाँ है। आि ...............(1965) के ..................... (िद्मभष ू ण)
से िरु स्कृत है। ..........(1965) को आिकी मत्ृ यु हुई र्ी।
ये अनुच्छे द भी दे खें:
1. बहादरू शाह ज़िर (1775 - 1862):
ददल्िी के अंततम मुर्ि शगसक श्री बहगदरू शगह ज़फ़र कग जन्म 1775 में हुआ। 1857 कग प्रर्म स्वतंरतग
संग्रगम में भगर् मियग। बिटीश सरकगर ने उन्हें कैदी करके रं र्न
ू भेज ददयग। 17 ददसंबर 1862 को कैदखगने में ही
उनकी मत्ृ यु हुई र्ी।
2. जिाहरलाल नेहरू (1889 – 1964):
स्वतंर भगरत के प्रर्म प्रधगनमंरी श्री जवगहरिगि नेहरू जी कग जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के
इिगहगबगद में हुआ। उनकी मगतग-पितग स्वरूिग रगनी और मोतीिगि नेहरू र्े। उन्हें बच्चों से बहुतथधक िर्गव र्ग।
उनकी मत्ृ यु 27 मई 1964 को ददल्िी में हुई।
3. दहमाांशु जोशी (1935 – 2019):
श्री दहमगंशु जोशी कग जन्म 1935 को उत्तरगखंड में हुआ। वे बहुमुखी प्रततभगवगन रचनगकगर है। दहंदी के सभी
सगदहस्त्यक पवधगओं में उन्होंने अिनी िेखनी चिगई। यगरगएाँ, नोवे: सरू ज चमके आधी रगत आदद उनके प्रमख ु यगरग
वत्त
ृ गंत है। उनकी मत्ृ यु 2019 में हुई।
4. सूरदास:
सूरदगस कग जन्म 15वीं शती के अंततम दशक में उत्तरप्रदे श में हुआ र्ग। सर्ुण भस्क्तधगरग के सवाश्रेष्ठ
कृष्णभक्त कपव सूरदगस जन्मगंध र्े। उनकग वगत्सल्य वणान अद्पवतीय है। सरू सगर्र उनकी प्रमुख रचनग है।
5. आनांद बख्शी (1930 – 2002):
श्री आनंद बख्शी कग जन्म 1930 को वतामगन िगककस्तगन के रगविपिंडी में हुआ र्ग। ‘भिग आदमी’ कफल्म
केमिए र्ीत मिखकर वे दहंदी कफल्मी जर्त में िदगिाण ककए। उन्होंने िर्भर् 4000 से अथधक दहंदी र्ीत मिखे।

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कफल्म फेयर तर्ग ऐ.ऐ.एफ.ए िुरस्कगरों से वे सम्मगतनत भी र्े। 72 सगि की आयु में 2002 को मुंबई में उनकग
तनधन हुआ।
6. मन्ना डे (1919 – 2013):
भगरतीय कफल्मी जर्त के सप्र
ु मसद्ध िगश्वार्गयक श्री मन्नग डे कग जन्म 1919 को हुआ। 1942 में कफल्मी
र्गयन की शुरूआत की। उन्होंने 3000 से अथधक र्ीतों को स्वर ददयग। िद्मश्री, िद्मभषू ण आदद से सम्मगतनत र्े।
7. एकाांत श्रीिास्ति:
श्री एकगंत श्रीवगस्तव कग जन्म 1964 को छत्तीसर्ढ के छूटग र्गाँव में हुआ। वे दहंदी के जगने-मगने िेखक हैं।
मेरे ददन मेरे वषा उनकी आत्मरचनग है। वे केदगर सम्मगन से िरु स्कृत है।
8. ड़ॉ जे बाब:ू
डॉ जे बगबू कग जन्म 1952 को केरि के ततरुवनंतिरु म में हुआ। वे दहंदीतर प्रदे शों के दहंदी सगदहत्यकगरों में
प्रमख
ु है। मक्
ु तधगरग, उिझन आदद उनकी कपवतग संकिन है। दहंदीतर भगषी िेखक िरु स्कगर से वे सम्मगतनत र्े।
9. अमत
ृ ा प्रीतम (1919 – 2005):
श्रीमती अमत
ृ ग प्रीतम कग जन्म 1919 को िंजगब के र्ज ु रगंवगिग में हुआ। वे िंजगबी और दहंदी के पवख्यगत
िेखखकग है। ‘कहगतनयों के आाँर्न में’ उनकी प्रमसद्ध कहगनी संग्रह है। 1982 के ज्ञगनिीठ से वे सम्मगतनत हुए।
2005 को उनकी मत्ृ यु हुई।

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चररत्र थचत्रण (Character Sketch)


• प्रश्न िर में दी र्ई प्रसंर् ध्यगन से िढें ।
• िगर और िगठ िहचगन िें। िगर की चरररर्त पवशेषतगओं िर ध्यगन रखें।
• चररर की पवशेषतगओं को संक्षक्षप्त रूि से वगक्यों में यग सरि शब्दों में मिखें।
चररत्र पर दटप्पणी
(I) बेटी के नाम......
1. बहादरू शाह ज़फ़र (See page 12-13)
2. बादशाह का बेटा:
कैदी बाप का बेटा
बगदशगह बहगदरू शगह ज़फ़र ददल्िी के अंततम मुर्ि शगसक र्े। 1857 के स्वतंरतग की िहिी िडगई को
िरगस्त करके बिटीश सरकगर ने उन्हें कैदी करके रं र्ून भेजग। सगर् उनके बेटग भी र्ग। उनके बडी बेटी ददल्िी में
अंग्रेज़ों की कैद में र्ग। ‘बेटी के नगम.....’ उस कैद में रहकर बगदशगह द्वगरग अिनी बेटी को मिखी र्ई िर है।
बगदशगह की बेटी द्वगरग मिखी र्ई खत रंर्न
ू िहुाँचने िर बेटग उसे िढकर पितगजी को सन ु गते र्े। अिनी बहन
कग खत िढकर वह रोते है। उनको अिने िररवगरवगिों से स्नेह, प्यार एिां आस्िा है। दरू दे श में कैद में रहनेवगिी
बहन के खत िढकर उनकी आाँखें आाँसुओं से भीर् जगते है।
वह अिने पितग कग आज्ञाकारी बेटग है। पितगजी खत बगर-बगर िढने को कहते हैं। वह पितगजी कग दःु ख
समझते है और कुछ कहे बबनग, खत बगर-बगर िढते है।
कैद मे रहकर भी उसको अिनी बहन के प्रतत प्रेम और सहानुभूर्त है। अतः िर हमें एक स्नेह सांपन्न बेटा
और भाई कग िररचय करगते है, जो दरू दे श में रहकर भी अिने बहन एवं अन्य िररवगरवगिों के प्रतत र्हरग प्रेम एवं
आस्र्ग है।
(II) ज़मीन एक स्लेट का नाम है:
3. दीदी:
बेटी की शादी और ज़मीन
एकगंत श्रीवगस्तव कग आत्मकर्गंश ‘ज़मीन एक स्िेट कग नगम है’ के प्रमुख िगर है ‘दीदी’। वह िेखक के
बहन है। यह आत्मकर्गंश दीदी की शगदी केमिए और उसके मिए ज़मीन बेचने में पववश पितगजी के दःु ख की कहगनी
बतगते है।
अिनी बेटी की शगदी केमिए पितगजी तो कुछ हज़गर हज़गर भपवष्य तनथध से िगए र्े। िेककन आजकि शगदी
केमिए खचा और आडंहर उतनग बडग हो र्यग है कक बगकी रुिए केमिए पितगजी को कम कीमत में अिनी ज़मीन
बेचने में पववश िडग। ये सब सोचकर दीदी बहुत दःु खी हुई। वह समझदार बेटी है, जो अिने पितगजी और भगई कग
दःु ख वह समझती है। उसके मन में पररिारिालों से प्यार ज़रूर है।
एक बेटी होकर भी वह अिने पितगजी कग दःु ख, ज़मीन के प्रतत आस्र्ग आदद समझते र्े। इसमिए शगदी के
खचा केमिए दौडनेवगिे पितगजी और भगई को दे खकर वह रो िडती है।
आत्मकर्गंश हमें एक प्यारी बेटी और बहन कग िररचय करगती है, जो अिने पितगजी और भगई के दःु ख में
रोती है।
4. लेखक:
बेटे का आहत
‘ज़मीन एक स्िेट कग अंश है’ एकगंत श्रीवगस्तव कग आत्मकर्गंश हैं, स्जसमें अिनी बहन की शगदी और उससे
संबंथधत कुछ अपवस्मरणीय घटनग कग वणान हुआ है। िेखक की बहन की शगदी होनेवगिी है। शगदी केमिए वे सब

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र्गाँव िहुाँचग। खचा केमिए पितगजी कुछ हज़गर रुिए भपवष्य तनथध से िगए र्े, कफर भी खचा ज़्यगदग अथधक र्ग। िेखक
के पितगजी अिने ज़मीन बेचते है।
िेखक समझदार बेटा है। ज़मीन के रस्जस्री के एक ददन िहिे पितगजी िेखक से अिने सगर् खेत चिने को
कहते है तो वह कुछ चककत हुए। घर में मेहमगन और पववगह से संबंथधत ज़रूरी कगम होने के कगरण िहिे ज़रग
फुरसत मगाँर्ते है। िेककन वह अिने पितगजी की अवस्र्ग समझते है । पितगजी की इच्छग उसके मन मे आहत िहुाँचगते
है और वह उसके सगर् खेत चिते है।
खेत िहुाँचकर चि
ु चगि टहिनेवगिे पितगजी को दे खकर िेखक को उसके भीतर कग हगहगकगर समझते है। वह
चुिचगि झुककर उस ममट्टी को छूते है तो िर्तग है कक वह ज़मीन बचिन की कपवतग मिखी र्ई स्िेट होर्ग यग
अिने रक्त के चमक वगिे फूि।
िेखक अिने पितगजी कग आज्ञाकारी बेटग है। जीवन की पवषमतग में वह अिने पितगजी के हगर् िकडते है।
कभी भी वह अिने पितगजी को अकेिे नहीं छोडते है। सगर् ही अिनी बहन केमिए वह प्यारी भगई भी है।
5. वपताजी:
सूखे आुँसू: र्नशःब्द विलाप
‘ज़मीन एक स्िेट कग अंश है’ एकगंत श्रीवगस्तव कग आत्मकर्गंश हैं, स्जसमें अिनी बहन की शगदी और उससे
संबंथधत कुछ अपवस्मरणीय घटनग कग वणान हुआ है। िेखक की बहन की शगदी होनेवगिी है। शगदी केमिए वे सब
र्गाँव िहुाँचग। खचा केमिए पितगजी कुछ हज़गर रुिए भपवष्य तनथध से िगए र्े, कफर भी खचा ज़्यगदग अथधक र्ग। िेखक
के पितगजी अिने ज़मीन बेचते है।
उस ज़मीन से पितगजी कग र्हरग िर्गव है। िीदढयों से खेती करनेवगिे ज़मीन बेचने िर वह बेचैन हो जगते
है। वे उसे कभी भी अिने हगर् से छोडनग नहीं चगहते है। िेककन बेटी की शगदी के अवसर िर िैसे केमिए वह ज़मीन
बेचने केमिए पववश हो िडते है। पितगजी को अिनी बेटी और पररिारिालों के प्रर्त प्यार और ममता अवश्य है।
अिनी ज़मीन दस
ू रों की हो जगती है। इस बगत को सोचते ही उसे असहनीय िीडग कग अनुभव करते है।
िेककन वह िैयफशाली पितग अिने दःु ख को सहते है। बबकनेवगिे खेत में टहिनेवगिे उस पितगजी के ध्यगन में अिने
आसिगस के कोई भी बगत न आती। वे शगम तक वहगाँ टहिते रहग। वे खगमोश भी र्े। िेककन उसके भीतर हगहगकगर
ज़रूर है, जो वह चि
ु चगि सहते है।
ऱस्जस्री के बगद भी वे खगमोश रहे। वेदनग खुद सहते है। वे जगनते है कक र्गाँव में इज्जत बनगए रखने केमिए
धन के सगर् ज़मीन की भी ज़रूरत है। यह सोच पवचगर में उनकी आाँसू सूख र्ई है।
आत्मकर्गंश हमें एक प्यारी पितगजी कग िररचय करगते है, स्जसको अिने पररिारिालों से गहरा प्रेम और
ममता है, सगर् ही अिनी ज़मीन के प्रतत र्हरग जुडगव भी है।
(III) मुरकी उिफ बुलाकी:
6. राजिांती माुँ:
स्नेहमयी माुँ
अमत
ृ ग प्रीतम की प्रमसद्ध कहगनी ‘मरु की उफा बि
ु गकी’ कग प्रमख
ु िगर है ‘रगजवंती’। वह कुमगर की स्नेहमयी
माुँ है। दया, ममता आदद मात-ृ सहज गण
ु ों की मूतता है रगजवंती मगाँ। परोपकार उनकी चररर की बडी पवशेषतग है।
अिने घर कग िरु गनग नौकर की मगतह
ृ ीन बेटी को आश्रय एवं माुँ का प्यार ददए। वह िडकी उसके मिए केवि
नौकरगनी नहीं है, बस्ल्क अिनी बेटी ही है। वह उसे प्यगर से मरु की बि
ु गती र्ी कभी बि
ु गकी। मरु की के भपवष्य के
बगरे में सोचकर वे थचंततत र्े। बेटग कुमगर के जन्मददन जैसे पवशेष अवसरों िर वह मरु की को सोने-चगाँदी के आभूषण
आदद दे ते रहे। वह ज़रूर एक बेटी के भपवष्य के बगरे में थचंततत मगाँ कग प्यगर ही है। वह अिने घर की एक कोठरी
उसे ददए।

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ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मुरकी वगिस िौट आते समय, रगजवंती मगाँ उसे अभय ददयग, सगर् ही उसकग िुरगनी
कोठरी की चगबी भी। अिने बेटे से भी वह यह वचन ददिगती है कक कभी भी मुरकी को उस कोठरी से नहीं
तनकगिेर्ग। तनरगिंब मरु की को उसकी मत्ृ यु तक आश्रय ददयग। इस प्रकगर प्यार, ममता, करुणा और सहानभ
ु ूर्त भरे
एक मगाँ को हम यहगाँ दे ख सकते हैं। िडककयों को अमभशगि मगनने वगिे समगज में घर के िरु गनग नौकर की मगतह
ृ ीन
बेटी को आश्रय एवं मगाँ कग प्यगर ददए।
7. मरु की:
मासम
ू -सी मरु की
अमत
ृ ग प्रीतम की प्रमसद्ध कहगनी ‘मुरकी उफा बि
ु गकी’ कग प्रमुख िगर है ‘मुरकी’। एक मगतह
ृ ीन िडकी।
अिनी बेटी की सुरक्षग केमिए उसके पितगजी ने उसे रगजवंती मगाँ के यहगाँ िे आयग। उसकग असिी नगम ककसी को न
जगनते र्े, मुरकी और बुिगकी नगम रगजवंती मगाँ ने रखे र्े।
रगजवंती मगाँ के बेटे को मरु की उतनग अथधक प्यगर करते हैं कक उसे अिने हगर्ों से नहीं खखिगती र्ी, जगन से
खखिगती र्ी। सोिह वषा की आयु में उसकग रूि खूब चढ र्यग। वे अच्छ तरह िहगडी र्ीत र्गती र्ी, स्जसे सन
ु कर
उडते िंछ भी खडे हो जगते र्े।
अिने बगि ने र्गाँव में ककसी दज
ु े से ररश्तग िक्की तो, साहसी और िैयफशाली मरु की रगत ही रगत अिनी प्रेमी
से भगर् जगते है। पितग द्वगरग िक्की र्ई शगदी केमिए वे बबिकुि तैयगर नहीं र्े।
कुछ महीने वे ितत के सगर् रहग। वे ईमानदारी और अिने पर्त को समझनेिाली र्े। घर बनगने केमिए िैसे
की कमी आई तो, अिने हगर्ों में जो कुछ र्ग, उसे ददयग। बगद में ितत द्वगरग उिेक्षक्षत होने िर वह रगजवंती के यहगाँ
िौट आती है। ितत द्वगरग उिेक्षक्षत होकर उसके मन पवतष्ृ णग से भर जगती है। वह आत्मामभमानी र्े, ितत को ढाँू ढने
केमिए वह कभी भी तैयगर नहीं होते।
ितत द्वगरग उिेक्षक्षत होकर िौट आते समय रगजवंती मगाँ उसे एक कोठरी की चगबी दे ते है। अिनी मत्ृ यु के
बगद रगजवंती मगाँ को वह चगबी वगिस ममिग, जो उसके मगाँस से थचिक र्ई है।
कहगनी हमें एक मगतह
ृ ीन िडकी को दशगाते है जो एक घर में बच्चे के दे खभगि करते है। उस घर में सबके
पप्रय र्ग वह मगतह
ृ ीन िडकी। रगजवंती मगाँ उसके मिए मगाँ जैसी र्ी।
8. कुमार:
अमत
ृ ग प्रीतम की प्रमसद्ध कहगनी ‘मुरकी उफा बि
ु गकी’ कग प्रमुख िगर है ‘कुमगर’। वह अिने मगाँ के सगर् र्गाँव
में रहते है। कुमगर को अिनी मगाँ और घरवगिों से र्हरग प्यार है, चगहे वह अिने घर के नौकरगनी हो तो उसमें प्यार
और ममता है।
अिनी घर की नौकरगनी से उसे बचिन से ही जुडगव है। वह उसकग िीछग न छोडतग र्ग। प्यगर एवं खुशी से
उसकी मरु ककयों को मुट्टी भर िेतग र्ग यग कभी उिछकर बि
ु गक को िकडतग र्ग।
कुमगर अिनी मगाँ कग आज्ञाकारी बेटा है। अिनी मगाँ के कहने िर वह घर की नौकरगनी केमिए एक कोठरी
दे ने केमिए तैयगर होते है। वे दयालु भी र्े। मगाँ के कहने िर नौकरगनी की मत्ृ यु तक उसे वह कोठरी से नहीं
तनकगिग।
अिनी घर की नौकरगनी होकर भी मरु की की कहगनी सन
ु ने में वे उत्सुक है। ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मरु की के
बगरे में सुनकर उसके मन में क्षोभ कग अंत न रहग। कहगनी सुनकर िहिे तो उसकी आाँसू आाँखों में ही रहग। िेककन
कहगनी आर्े सन
ु कर वह भी रोते है।
रगजवंती कग बेटग समझदार है, प्यारे है, आज्ञाकारी है, सगर् ही सहजीवियों के प्रर्त सहानुभूर्त रखनेिाले भी
र्े।

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नए वस्तए
ु ाँ, सेवगएाँ आदद के सूचनग दे कर िोर्ों कग ध्यगन आकृष्ट करनग पवज्ञगिन कग िक्ष्य है।
• संक्षक्षप्त एवं आकषाक हो।
• पवज्ञगपित वस्तु/सेवग की खबू बयों कग स्जक्र हो।
• थचर, शीषाक आदद से आकषाक बनग दें ।
• सरि, प्रवगहमयी भगषग कग प्रयोर् हो।
आगे हमें एक उदाहरण दे खें:
मगन िें, प्िगस्स्टक के उियोर् के पवरुद्ध आिके स्कूि के छगरों ने किडे और जूट के रं र्-बबरं र्े र्ैमियों कग तनमगाण ककए।
उसकी बबक्री और से बने र्ैिों कग इस्तेमगि करने केमिए एक आकषाक पवज्ञगिन तैयगर करें ।
(प्रदष
ू ण से मुस्क्त, ियगावरण की सुरक्षग, पवमभन्न आकगर-प्रकगर, हॉमं डेमिवरी,
प्िगस्स्टक छोडो....... कगर्ज़ र्ैमियों कग इस्तेमगि करें
प्िगस्स्टक हटगओ........ियगावरण बचगओ............... धरती बचगओ
ियगावरण सरु क्षग
पवमभन्न आकगर-प्रकगर के रंर् बबरं र्े र्ैमियगाँ
ऑडर केमिए वगट्सआि करें : *******238
घऱ बैठे किडे-जूट के र्ैमियगाँ िगइए।
ियगावरण के अनुकूि
िुनः उियोर् करें ........
अथधक सगमगन िगने में सक्षम
आिके घर में जो िरु गने अनि
ु योर्ी किडे जो है, यहगाँ िगइए.... हम आिके मिए नए-नए
र्ैिी दे र्ग...........
हर रपववगर 1 बजे से 2 बजे तक आइए.........

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पोस्टर (Poster)
ध्यगन रखें:
• आकषाक हो।
• कम शब्दों कग प्रयोर् हो, सरि एवं स्िष्ट भगषग कग प्रयोर् हो।
• कोई िंस्क्त ‘स्िोर्न’ की तरह मिखें तगकक िगठकों कग ध्यगन आकृष्ट करें ।
• थचरों की सहगयतग से आकषाक बनग दें ।
• यदद ज़रूरी है तो ददनगंक, स्र्गन, समय आदद कग स्जक्र हो।
प्रश्न:
कोरोनग वगयरस कग तीसरी िहर कगफी खतरनगक है। इस पवषय में जनतग के चेतगवनी दे ने योग्य आकषाक िोस्टर तैयगर करें ।
(नोवि कोरोनग: िक्षण एवं बचगव के उिगय, क्यग करें ? क्यग न करें ?, व्यस्क्तर्त स्वच्छतग, मगस्क-सैतनटै स-आिसी दरू ी)
नोिल कोरोना िायरस (Covid-19)

िक्षण क्यग-क्यग है? बख


ु गर – खगाँसी – सगाँस िेने में तकिीफ़ ....... है तो जल्द ही जल्द डॉक्टर से
संिका करें ।
क्यग-क्यग करें ?
✓ अिने हगर्ों को बगर-बगर धोएाँ। खद
ु रहे सरु क्षक्षत....
✓ खगाँसते/छ कते वक्त हगर्/दटश्यु से र्कें। दस
ू रों को रखें सरु क्षक्षत.......

✓ भीड से बचे।
✓ एक-दस
ू रे से दरू ी बनगए रखें।
✓ सगवाजतनक जर्हों में मगस्क कग इस्तेमगि करें ।
✓ सगबन
ु से हगर् धोएाँ..... सैतनटै स करें । क्यग-क्यग न करें ?
X यदद िक्षण है तो ककसी से संिका न करें ।
X सगवाजतनक स्र्गनों िर न र्ूकें।
X आाँख-नगक-माँह
ु मत छुए।
अनुिाद (Translation)
बगरहवीं कक्षग में अंग्रेज़ी के छोट-छोटे अनुच्छे द ददए होंर्े। इसे दहंदी में अनुवगद करके मिखनग है। कदठन शब्दों कग
अनुवगद प्रश्न िर में होंर्े।
प्रश्न: खंड कग दहंदी में अनुवगद करें ।
Life style diseases are diseases linked with one’s life style. These are non-communicable diseases. These can be caused by
lack of physical exercise, taking unhealthy food habits, use of narcotics etc. Main life style diseases are diabetes,
hypertension, heart disease, obesity, cancer etc. The best way of prevention is proper and regular physical exercise, which
also includes good food habits. So, we have to change our life style for sound health.
(Life style - जीवन शैिी, linked – जुडे हुए, non-communicable - र्ैर-संचगरी , physical - शगरीररक , narcotics - नशीिे िदगर्ा ,
diabetes - मधुमेह , hypertension - उच्च रक्तचगि, obesity - मोटगिग)
उत्तर:
व्यस्क्त के जीवन शैिी से जुडे रोर्ों को जीवन शैिी रोर् कहते हैं। ये र्ैर-संचगरी रोर् हैं। शगरीररक व्यगयगम की कमी,
अस्वगस््यकर भोजन की आदतें, नशीिे िदगर्ों कग उियोर् आदद इनके कगरण हो सकते हैं। मुख्य जीवन शैिी रोर् मधम
ु ेह,
उच्च रक्तचगि, हृदय की बीमगरी, मोटगिग, कैं सर आदद है। रोकर्गम कग सबसे अच्छग तरीकग उथचत और तनयममत शगरीररक
व्यगयगम करनग है, स्जसमें अच्छ खगने की आदतें भी शगममि है। इसमिए अच्छ स्वगस््य केमिए हमें अिनी जीवन शैिी को
बदिनग है।

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पाररभावषक शब्दािली (Technical Terms)


आिके िगठ िुस्तक के िन्ने 52 – 53 में ददए अंग्रेज़ी-दहंदी िगररभगपषक शब्दगविी ध्यगन से िढें । सही ममिन केमिए
प्रश्न अवश्य होंर्े।
Type of Questions (According to March 2021)
ഏത് പനഠെിൽ നിന്ുാം ന്ത്പതീക്ഷിക്കനാം.
Objective type Score 1
Score 1 संक्षेिण कग शीषाक, समगनगर्ी शब्द, कपव/कपवतग के नगम,
Very short answer
िगररभगपषक शब्दगविी (सही ममिगन करें ) 8 X 1 mark, 1-2 वगक्यों में उत्तर
मिखने कग प्रश्न आदद (1 - 3 minute/Question)
Score 2 2-3 वगक्यों में उत्तर मिखने कग प्रश्न (5 minute/Question)
Score 4 आशय/भगवगर्ा/आस्वगदन दटप्िणी, संक्षि
े ण, अनुच्छे द िेखन (जीवन-
Short answer
Score 6 वत्त
ृ ), चररर िर दटप्िणी (10 minute/Question)
Long answer Score 8 वगतगािगि, डगयरी, िर, िोस्टर, पवज्ञगिन, अनव
ु गद, आत्मकर्गंश,
भगषण, तनबंध/आिेख/िेख आदद (10 - 15 minute/Question)
പരീക്ഷാ സമയത്ത് ശ്ശദ്ധിക്കേണ്ടത്:
• ഒരു മനർക്കിനുള്ള എെലന ലചനദയങ്ങൾക്കുാം ഉെരലമഴുതുര.
• സ്ലരനറുാം സ്മയവുാം ന്ത്ശദ്ധിക്കുര.
• 80 മനർക്ക്. Cool of time നന്നയി വിനിലയനഗിച്ച് ഓലരന വിഭനഗെിൽ നിന്ുാം ഏലതനലക്ക ലചനദയങ്ങൾക്ക്
രൃതയമനയി ഉെരലമഴുതനൻ രഴിയുലമന്് തീരുമനനിക്കുര. ഓപ്ഷനുരളിൽ നിന്ുാം
തിരലഞ്ഞടുക്കുലമ്പനൾ पवज्ञगिन, िोस्टर, िगररभगपषक शब्दगविी, संक्षेिण, अनव
ु गद, जीवन-वत्त
ृ िर अनच्
ु छे द, चररर
िर दटप्िणी,आस्वगदन दटप्िणी എന്ിവയ്ക്ക്ക് മുൻഗണന ലരനടുക്കുവനൻ ന്ത്ശദ്ധിക്കുര. ഇവയ്ക്ക്കു
ലശഷമനരലട്ട പനഠഭനഗങ്ങലള ആസ്പദമനക്കിയുള്ള वगतगािगि, िर, आत्मकर्गंश, डगयरी മുതെനയവ
എഴുതുന്ത്. പനഠപുസ്തരെിനു പുറെുള്ള ലചനദയങ്ങളനയ भगषण, तनबंध/आिेख/िेख
മുതെനയവലയഴുതി വിെലയറിയ സ്മയാം ലചെവഴിക്കരുത്.
• 80 മനർക്കിനുാം എഴുതിയിട്ടുണ്ട് എന്ുറെനക്കുര. (അധിരാം എഴുതിയനൽ രുഴെമിെല, പലക്ഷ രുറഞ്ഞ്
ലപനരരുത്) ഓലരന വിഭനഗെിൽ നിന്ുാം മതിയനയ ലചനദയങ്ങൾ എഴുതിയിട്ടുണ്ട് എന്് ഉറെിക്കുര.
• ലപെർ ലരനടുക്കുന്തിന് മുൻപ് എെലന ലചനദയങ്ങൾക്കുാം ഉെരലമഴുതിയിട്ടുണ്ട് എന്് ഉറെനക്കുര.
• Say 2021 ൽ अनुवगद രണ്ട് ലചനദയങ്ങളുണ്ടനയിരുന്ു. ഒരു ഖണ്ഡിരയുാം സ്ാംഭനഷണവുാം.
BEST WISHES Dear Students…. Prepared by:
Malini M S
HSST Hindi,
GHSS Thenkurissi, Palakkad.

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