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Hsslive Xii Hindi All in One Malini
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1
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मातभ
ृ ूमम
कविता मैथिलीशरण गुप्त
‘जननी जन्मभूममश्च स्वर्गातपि र्रीयसी’ अर्गात भगरतीय िरंिरग के अनुसगर जननी और जन्मभूमम स्वर्ा से भी
बेहतर है। भगरतवगमसयों केमिए दे शप्रेम प्रेरणग नहीं सच्चगई है। मगतभ
ृ ूमम कग र्ुणर्गन करनेवगिी यह कपवतग देश केमिए
अिनी जगन अपिात करने की आह्वगन भी करती हैं।
प्रश्नों के उत्तर कविता से ढूुँढें:
I. नीलाांबर पररिान ....... हीरे कहलाए।
(1) समगनगर्ी शब्द कपवतग से चुनकर मिखें।
आकगश - अंबर वस्र - िररधगन प्रदे श/ककनगरग - तट युग्म - युर्
तगज़ - मक
ु ुट करधनी - मेखिगट समद्र
ु - रत्नगकर नक्षर - तगरग
बहगव/धगरग - प्रवगह आभूषण - मंडन स्तुततिगठक - बंदीजन िक्षी - खर्
समूह - वंद
ृ बगदि - ियोद आत्मसमिाण - बमिहगरी सगकगर - सर्ुण
िुढकनग - िोटनग धूमि - रज रें र्नग - सरकनग
हेतु/वजह - कगरण रत्न - हीरे
(2) मगतभ
ृ ूमम कग िररधगन क्यग है? नीिगंबर यग नीिे रं र् कग अंबर
(3) मगतभ
ृ ूमम कग मुकुट क्यग-क्यग है? सूया और चंद्र
(4) सूया और चंद्र क्यग करते है?
सय
ू ा और चंद्र ददन और रगत में मगतभ
ृ मू म के ऊिर शोमभत करते हैं।
(5) कपव ने समुद्र कग वणान ककस प्रकगर की है?
कपव ने समुद्र कग वणान मगतभ
ृ ूमम के करधनी के रूि में ककयग है।
(6) मगतभ
ृ ूमम कग करधनी क्यग है? समुद्र
(7) कपव ने नददयों कग वणान ककस प्रकगर ककयग है?
नददयगाँ भगरतवगमसयों केमिए प्रेम कग प्रवगह है, जो तनस्स्वगर्ा प्रेम की धगरग बहगती है।
(8) मगतभ
ृ ूमम कग आभूषण क्यग-क्यग है? फूि और तगरे
(9) मगतभ
ृ ूमम कैसे शोमभत है?
नीिगंबर रूिी वस्र िहनकर, हररयगिी से भरे त़ट िर, सय
ू ा और चंद्र कग मक
ु ु ट धगरण करके, फूि-तगरों रूिी
आभूषण और समुद्र रूिी करधनी िहनकर मगतभ
ृ ूमम शोमभत है।
(10) मगतभ
ृ ूमम कग मसंहगसन क्यग है? शेष नगर् कग फन।
(11) भगरतमगतग ककस िर पवरगजमगन है ? शेष नगर् के मसंहगसन िर।
(12) ‘शेषफन मसंहगसन है’ – कपव क्यों इस प्रकगर कहते हैं?
OR
शेषनगर् के फन को क्यों मगतभ
ृ ूमम कग मसंहगसन कहग र्यग है?
दहंद ु ममर्क के अनस
ु गर शेषनगर् (अनंत) के फन िर धरती स्स्र्त है। शेष प्रकृतत कग प्रतीक है। कपव यहगाँ
ममर्क कग सहगरग मियग है, स्जसके अनस
ु गर शेषनगर् के फन इस धरती अर्गात हमगरी मगतभ
ृ ूमम कग मसंहगसन है।
(13) मेघ क्यग करते है? मेघ मगतभ
ृ ूमम िर अमभषेक करते हैं।
(14) मेघ मगतभ
ृ ूमम िर ककसकग अमभषेक करते हैं?
मेघ मगतभ
ृ ूमम िर वषगा कग अमभषेक करते हैं।
(15) कपव अिने मगतभ
ृ मू म केमिए क्यग करनग चगहते है ?
कपव अिने मगतभ
ृ ूमम केमिए आत्मसमिाण करनग चगहते है।
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जन्मभूमम से कपव के बचिन कग संबंध व्यक्त करते हुए कपव कहते हैं कक इसके धूमि में िोट-िोट कर वे बडे हुए
हैं। घुटनों के बि िर सरक-सरक कर ही िैरों िर खडग रहनग सीखग। यहगाँ रहकर बचिन में ही उसने श्री रगमकृष्ण िरमहंस
की तरह सभी सुख िगए। इसके कगरण ही वे धि
ू भरे हीरे कहिगए। इस जन्मभूमम की प्यगरी र्ोदी में खेि-कूद करके हषा कग
अनुभव ककए। ऐसे मगतभ
ृ ूमम को दे खकर हम आनंद से मग्न हो जगती है।
आर्े कपव कहते हैं जो सुख शगंतत हमने भोर्ग है, वे सब मगतभ
ृ ूमम की दे न है। तुमसे ककए र्ए उिकगरों कग बदिग
दे नग मस्ु श्कि है। यह दे ह तेरग है, तझु से ही बनी हुई है, तेरे जीव-जि से सनी हुई है। मत्ृ यु होने िर इस तनजीव शरीर तू ही
अिनगएर्ग। हे मगतभ ृ ूमम! तुझमें जन्म िेकर तुझमें ििकर, अंत में हम सब तेरी ही ममट्टी में पविीन हो जगते हैं।
सरि शब्दों में कपव मगतभ
ृ ूमम की खूबबयों की ओर आकृष्ट करके उसकेमिए जगन अपिात करने की प्रेरणग देती है।
परीक्षा केंदित कुछ प्रश्न। सबका उत्तर स्ियां मलखने का प्रयास करें :
(1) मगतभ
ृ ूमम कपवतग िढनेवगिी छगर अिने ममर से कपवतग के बगरे में कहते हैं। उन दोनों के बीच कग वगतगािगि मिखें।
(2) मगतभ
ृ ूमम कपवतग िढनेवगिी एक छगर कपवतग से प्रभगपवत होकर भगरतीय र्ि सेनग (Indian Army) में प्रवेश करनग
चगहग। वह अिनी इच्छग प्रकट करते हुए पितगजी को होस्टि से िर मिखते हैं। वह िर तैयगर करें ।
सूचना: कपवतगंश िढकर नीचे ददए प्रश्नों के उत्तर मिखें।
(अ) नीलाांबर पररिान ......... मूर्तफ सिेश की।
(3) यह ककस कपवतग कग अंश है ? ककसने मिखग है?
(4) समगनगर्ी शब्द कपवतगंश से चुनकर मिखें।
आकगश, वस्र, करधनी, तगज, समूह, समुद्र, आभष
ू ण, बगदि, िक्षी, आत्मसमणा
(5) मगतभ
ृ ूमम कग वस्र क्यग है? (नीिगंबर, रत्नगकर, बंदीजन)
(6) सूया और चंद्र मगतभ
ृ ूमम कग ....... है। (आभूषण, मुकुट, वस्र)
(7) िक्षीर्ण मगतभ
ृ ूमम केमिए क्यग कर रहे है?
(8) मगतभ
ृ ूमम कग करधनी क्यग है? (फूि-तगरे , समुद्र, नीिगंबर)
(9) सही ममिन करें ।
वस्र शेषफन
मुकुट फूि-तगरे
मसंहगसन समुद्र
आभूषण नीिगंबर
करधनी िक्षी र्ण
बंदीजन सूया-चंद्र
(10)ियोद मगतभ
ृ ूमम केमिए क्यग कर रहे हैं? (स्तुतत र्ीत र्ग रहे है, िगनी बरस रहे है, आत्म समिाण कर रहे हैं)
(11) मगतभ
ृ ूमम कग आभूषण क्यग है? फूि-तगरे , सूय-ा चंद्र, िररधगन)
(आ) जजसके रज ......... गोद में।
(12) समगनगर्ी शब्द कपवतगंश से चुनकर मिखें।
धमू ि, रें र्नग, अंक, िढ
ु कनग
(13) मगतभ
ृ ूमम अर्वग मगाँ से हमगरग बचिन कैसे जुज़ग है ?
(14) ‘धूि भरे हीरे ’ – ऐसग ककसे कहते हैं? क्यों?
(15) कपव को िरमहंस सम सब सुख कब िगए? (यौवन में, बगल्यकगि में, ककशेरी में)
(16) ‘हम खेि-े कूदे हषायुत’ - कहगाँ?
(17) ‘िरमहंस सम बगल्यकगि में सब सुख िगए’ – कपव ऐसग क्यों सोचते हैं?
(इ) हे मातभ
ृ ूमम! ...... ममल जाएगी।
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(मगतभ
ृ ूमम, सिने कग हक नहीं, कुमुद फूि बेचनेवगिी िडकी)
धरती कग िररधगन क्यग है ? (सूया-चंद्र, नीिगंबर, खर्-वंद
ृ ) (Score 1)
(18)कपव ने मगतभ
ृ ूमम कग वणान ककस प्रकगर ककयग है ? (Score 2)
(19) कपवतगंश कग आस्वगदन दटप्िणी मिखें। (Score 6)
हे मगतभ
ृ ूमम! तुझको तनरख ........... ममि जगएर्ी।
‘हषा’ शब्द कग समगनगर्ी शब्द है ........ (मोद, तनरख, मर् (Score 1)
(20) ‘तुझमें ही ममि जगएर्ी’, यहगाँ ‘तुझमें’ से क्यग तगत्िया है। (Score 1)
(21) ‘तेरग प्रत्युिकगर कभी कयग हमसे होर्ग?’ कपव ऐसग क्यों सोचते हैं? (Score 1)
(22) कपवतगंश कग आशय मिखें। (Score 6)
SAY 2021
नीिगंबर िररधगन ...... सवेश की।
(23) ये िंस्क्तयगाँ ककस कपवतग की है ? (Score 1)
(24) रत्नगकर शब्द कग अर्ा है? (सगर्र, नदी, तगिगब) (Score 1)
(25) बंदीजन कौन है? (Score 2)
(26) कपवतगंश की आस्वगदन दटप्िणी मिखें। (Score 6)
िगकर तझ
ु से ........ ममि जगएर्ी।
(27) ‘तेरग प्रत्युिकगर कभी कयग हमसे होर्ग?’ कपव क्यों इस प्रकगर सोचते हैं? (Score 2)
(28) कपवतगंश कग आशय मिखें। (Score 6)
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बेटी के नाम.....
जिाबी पत्र बहादरू शाह ज़िर
भूममकग
सन ् 1947 से िूवा दो सददयों तक हमगरग दे श बिटीश शगसन के अधीन रहग। देश की स्वतंरतग केमिए न जगने
ककतनों ने अिनी जगन की कुबगानी दी। बिटीश सरकगर ने सन ् 1857 की स्वतंरतग संग्रगम को िरगस्त करके ददल्िी के अंततम
मुर्ि शगसक बहगदरू शगह ज़फर को कैदी करके रं र्ून भेजग र्यग। बगदशगह की िुरी कुिसुम जमगनी बेर्म ददल्िी में अंग्रेज़ों
की कैदी में र्ग। सख़्त िहरे के बीच में भी उन दोनों के बीच थचट्दठयों कग िेन-दे न रहग। बगदशगह कग अिनी बेटी के नगम
मिखी एक संवेदनग भरी जवगबी िर आिके सगमने प्रस्तत
ु है, स्जसमें अिनी बेटी और िररवगर के प्रतत सम्रगट कग प्यगर,
ददल्िीवगमसयों के प्रतत प्रेम और सहगनुभूतत और एक सम्रगट की अवस्र्ग कग स्जक्र हुआ है।
लेखक के बारे में:
बहगदरू शगह ज़फर ददल्िी के अंततम मुर्ि शगसक र्े। उनकग जन्म 30 मसतंबर 1775 को ददल्िी में हुआ र्ग।
पितगजी अकबर 2 के मत्ृ यु के बगद वे ददल्िी के शगसक बने। स्वतंरतग संग्रगम में िरगस्त होकर सन ् 1857 से िेकर अिनी
मत्ृ यु तक बगहशगह रं र्ून में कगिगिगनी में रहग। 17 ददसंबर 1862 को उस कैदी में ही उनकग दे हगंत हुआ और उनकी शरीर
वहगाँ दफ़नगए र्ए।
സാരാാംശാം:
1857 ലെ ഒന്നാം സ്വനതന്ത്ര സ്മരലെ പരനജയലെടുെി ന്ത്രിട്ടീഷ് സ്ർക്കനർ ദിെലിയിലെ അവസ്നന
മുഗൾ ചന്ത്രവർെിയനയ രഹനദൂർ ഷന സ്ഫറിലന തടവിെനക്കി റങ്കൂണിലെക്ക് നനടുരടെി. അലേഹെിന്ലറ
മരൾ ദിെലിയിൽ ന്ത്രിട്ടീഷുരനരുലട തടങ്കെിെനയിരുന്ു. രടുെ തടങ്കെിനിടയിെുാം ഇവർക്കിടയിൽ
രെിടപനടുരളുണ്ടനയിരുന്ു. റങ്കൂണിലെ തടവിെിരുന്് ചന്ത്രവർെി മരൾക്കയച്ച മറുപടി രെനണ് ഈ
പനഠെിൽ ഉൾലക്കനള്ളിച്ചിരിക്കുന്ത്.
प्रश्नों के उत्तर गद्याांश से ढूुँढें:
I. तुमने अपनी कैदी ........ क़रार नहीां आया।
(1) र्द्यगंश में प्रयक्
ु त कदठन शब्द और अर्ा।
आाँसूनगमग - ददाभरी वगणी (ലവദന നിറഞ്ഞ ശബ്ദാം) दफ़ग - बगर (തവണ)
असर - प्रभगव क़रगर - सगंत्वनग (ആശവനസ്ാം)
(2) ककसने अिने कैदी बगि को खत भेजग? प्यगरी बबदटयग ने।
(3) बेटी कग वह खत उस बगि को कैसग िर्ग? आाँसूनगमग
(4) ‘खत क्यग भेजग, मेरी जगन, आाँसन
ू गमग र्ग’ – यह ककसने कहग? बगदशगह ने कहग।
(5) ‘खत क्यग भेजग, मेरी जगन, आाँसूनगमग र्ग’ – बगदशगह की जगन कौन है? अिनी बेटी।
(6) ‘खत क्यग भेजग, मेरी जगन, आाँसूनगमग र्ग’ – यहगाँ शगसक के चररर कग कौन-सग र्ुण प्रकट होतग है?
अिनी बेटी के प्रतत शगसक कग प्यगर एवं ममतग।
(7) ककसने खत िढकर सुनगयग? बेटे ने।
(8) अिनी बेटी कग खत िढकर सुनने के बगद कैदी बगि की हगित कैसी र्ी?
बेटी कग खत ् बगर-बगर सुनने के बगद भी बगि कग जी न भरग। अिने बेटे से कफर सुनगने को कहग। तीन बगर
सुनने के बगद भी कैदी बगि के ददि को सगंत्वनग नहीं ममिग।
(9) कैदी बगव को अिनी बेटी को खत एक आाँसन
ू गमग र्ग-क्यों?
सन ् 1857 के स्वतंरतग की िहिी िडगई के िश्चगत ददल्िी के अंततम मुर्ि शगसक और िररवगर को कैदी
करके जेि भेजग र्यग र्ग। शगसक और उनके िुर को कगिगिगनी दं ड दे कर रं र्ून भेजग र्यग तो उसकी बेटी ददल्िी में
अंग्रेज़ों की कैदी में र्ग। सख्त िहरे के बीच में भी बगदशगह ने कुछ थचट्दठयगाँ ददल्िी िहुाँचगई। बेटी ने जवगबी िर भी
भेजग।
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अिने बगि और भगई के प्रतत उसमें जो प्यगर र्ग उसे तीन बगर सुनने के बगद भी बगदशगह के ददि को
सगंत्वनग नहीं ममिग। वगस्तव में वह खत अिनी बेटी की ददाभरी वगणी र्े। कोसों दरू की कैदी में रहने के कगरण ही
अिनी बेटी की ददा सुनकर उस प्यगरी पितग की आाँखों आाँसू से भरग होर्ग। ददि में अिनी बेटी और िररवगरवगिों की
जीती यगदें जर्गती होर्ी।
(10) ‘खत क्यग भेजग, मेरी जगन, आाँसूनगमग र्ग’- बगदशगह ने ऐसग क्यों मिखग होर्ग?
बगदशगह और िर
ु ी, दोनों दरू दे शों में कैदी रहने के कगरण आिसी संबंध न र्ी। ऐसी अवस्र्ग में िर
ु ी की
प्यगर भरी बगतें उस बगि केमिए ददाभरी वगणी होर्ग। कोसों दरू घरवगिों से जुदग रहने के कगरण वह खत उस बगि
केमिए आाँसूनगमग र्ग।
(11) ‘तीन दफ़ग सुनने के बगद भी ददि को करगर नहीं आयग’, ककसको? क्यों?
बगदशगह को। बगदशगह और बेटी कोसों दरू में है। कैदी में रहने के कगरण आिसी मि
ु गकगत और बगतचीत
असंभव है। अंग्रेज़ों की कैद में रहकर बेटी ने एक खत अिने कैदी बगि को भेजग र्ग। इसी अवस्र्ग िर बेटी की प्यगर
भरी वगणी उस बगि में ज़रूर ददा एवं ममतग उत्िन्न होर्ग। िुरगनी यगदें जर्गने के कगरण तीन बगर सुनने के बगद भी
बगदशगह के ददि को क़रगर नहीं आयग।
(12) खंड कग संक्षेिण करके उथचत शीषाक दें ।
आुँसूनामा
कैदी में रहकर बगि ने अिनी बेटी कग खत बगर-बगर िढकर सुनगयग। वगस्तव में वह खत नहीं, आाँसूनगमग र्ग।
तीन बगर सुनने के बगद भी बगि कग ददि को क़रगर नहीं आयग।
II. सच कहती हो ........... गुुँजाइश नहीां है।
(1) र्द्यगंश में प्रयक्
ु त कदठन शब्द और उसके अर्ा।
फगाँसी िर चढगनग - मत्ृ युदंड दे नग (മരണശിക്ഷ നൽരുര) यतीम - अनगर्
खोदनग - र्ड़्ढग करनग (രുഴിയ്ക്ക്കുര) बेवग - पवधवग
हि चिगनग - जोतनग (ഉഴുതു മറിയ്ക്ക്കുര) मक
ु दमग - ലരസ്
तबगही - नगश बरबगदी - नगश
ककस्सग - कहगनी आस - आशग
कगिगिगनी - दे श से तनकगिने कग दं ड (നനടു രടെൽ) वतन - दे श
जुदग होनग - अिर् होनग र्ुंजगइश - संभगवनग
सैकडों कोस - മമെുരൾക്കെുറാം
बगरगत की अर्वगनी के सेहरे – വിവനഹ ല നഷയനന്ത്തയിലെ മാംഗള ഗീതാം
(2) ‘वे तो बबनग आई मौत मर र्ए’ – कौन इस प्रकगर कहते है ? ककसके बगरे में?
बगदशगह ददल्िीवगमसयों के बगरे में कहते हैं।
(3) ‘वे तो बबनग आई मौत मर र्ए’ – सम्रगट कग इस वगक्य कग तगत्िया क्यग है ?
स्वतंरतग संग्रगम में भगर् िेकर अनेक िोर्ों की जगन खो र्ई है। वगस्तव में वे िोर् अिनी मगतभ
ृ ूमम केमिए
शहीद हुए। दे श की आज़गदी केमिए वे अिनी जगन कुबगान दी है।
(4) ‘ददल्िीवगिे मझ
ु को रोते ....... मैं भी उनको रोतग हुाँ’ – यहगाँ शगसक कग कौन-सग र्ुण प्रकट होतग है?
अिने िररवगर और दे श के प्रतत ध्यगन रखनेवगिे न्यगयपप्रय एवं प्रजग दहतैषी रगजग कग र्ण
ु व्यक्त होतग है।
अिने दे श से कोसों दरू िररवगर और प्रजग से जुदग रहने िर भी उनकग मन अिने दे शवगमसयों के प्रतत दःु खखत है।
(5) ‘मैं तो स्ज़ंदग बैठग हुाँ। वे तो बबनग आई मौत मर र्ए’ – ‘मैं’ और ‘वे’ शब्द ककन-ककन को सूथचत करते हैं?
बगदशगह और ददल्िीवगमसयों को सूथचत करते हैं।
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बगदशगह अिने दे शवगमसयों के प्रतत प्रेम और सहानुभूर्त रखनेवगिे प्रजा दहतैषी शासक र्े। अिने दे श और िररवगर से
कोसों दरू रहते समय में भी बगदशगह कग मन अिने िररवगर और दे शवगमसयों के प्रतत सदग व्यस्त रहग। कैदी में रहते समय
भी वह अिने प्रजग के बगरे में सोचकर रोते रहग। अिनी बेटी को मिखी र्ई खत में दे श की बरु ी हगित कग स्जक्र भी हुआ है।
उनकग मन अिने दे श के प्रर्त आकुल रहग।
कैदी में रखकर भी वह अिने साथियों पर भरोसा रखनेिाला र्े। वे बडे साहसी भी र्े। इतते सख्त नज़रबंदी में रहते
समय भी वह अिनी बेटी को िर मिखकर ककसी तरह उसे ददल्िी तक िहुाँचगते रहग।
िर हमें एक आदशफ वप्रय, अिने दे श केमलए समवपफत रगजग कग िररचय करगतग हैं। अिने प्यार, दे शप्रेम आदद से यहगाँ
एक आदशफ सम्राट कग थचर खींचग है।
• िररवगर और प्रजग के प्रतत र्हरग प्यगर रखनेवगिग शगंततपप्रय सगहसी
• ईश्वर और धमा में दृढ आस्र्ग रखनेवगिग सहगनुभूतत रखनेवगिग दे शप्रेमी
• सगथर्यों िर भरोसग रखनेवगिग प्रजग दहतैषी आदशा पप्रय
• दे श के प्रतत आकुि सगहसी
1. बगदशगह की डगयरी
17.11.1959 मंर्िवगर
आज वह खत ममिग, खत नहीं र्ी, मेरी प्यगरी की आाँसू भरी वगणी! बेटे ने िढकर सुनगयग। एक बगर नहीं,
दो बगर नहीं, तीन बगर! सगंत्वनग नहीं ममिग। आाँसूओं से भीर्ी आाँखें, कुछ दे र आर्े के कुछ नहीं दे ख सकग। कफर
बेटे को भी रोते दे खग।
बेटी की अवस्र्ग अब कैसे होर्ी? एक बगर दे खने की इच्छग र्ी। कफर कैसे? अिने यग घरवगिों के बगरे में
कुछ नहीं मिखग र्ग, कफर भी वह िंस्क्तयगाँ.....
ददल्िीवगमसयों की हगित! मेरे दे श ही िररवगर र्ग। वे िोर् मेरेमिए रोती होर्ी। यहगाँ, अवस्र्ग भी मभन्न
नहीं है। एक बगर कफर अिने दे श और दे शवगमसयों को दे खने की इच्छग है।
मैं, यहगाँ कैदी में अभी भी स्ज़ंदग रहतग हुाँ। िेककन मेरे मिए.... अिने दे श केमिए....ककतने िोर् शहीद हो
र्ए। दे शवगमसयों को अंग्रेज़ों से कैसे बचगऊाँ? स्वरगज्य सूरज कग उदय कब होर्ग....। खुदग, तब तक मुझे स्ज़ंदग
रहने की शस्क्त दें ।
बेटी की ददाभरी वगणी मैंने बगर-बगर सुनग। जवगब भी मिखग। िेककन कैसे यह बेटी तक िहुाँचगएर्ग? कफ़न
जैसे इस मकगन में रहकर शगयद यह मेरग अंततम शब्द होर्ग। ककसी तरफ़ बेटी तक यह िहुाँचगनग है। ईश्वर ही
रक्षग।
वपछले सालों की प्रश्न पत्रों से एक नज़र:
MARCH 2016
1. बगदशगह के बेटे ने खत तीन बगर िढकर सुनगयग। बेटे की उस ददन की डगयरी मिखें। (7)
सहायक सांकेत: पितगजी कग ददा, बहन की हगित, बेटे की मगनमसक संघषा
JUNE 2017 (Say)
2. बेटी के नगम.... िर के आधगर िर बगदशगह कग आत्मकर्गंश तैयगर करें । (8)
सहायक सांकेत: कैदी बनकर जीनग, ददल्िीवगिों की यगदें , तोहफ़े की घटनग, अंततम क्षण की प्रतीक्षग
MARCH 2018
3. ‘ददल्िीवगिे मझ
ु को रोते होंर्े। ....... मैं भी उनको रोतग हुाँ।‘ यहगाँ शगसकग कग कौन-सग र्ण
ु प्रकट हुआ है? (2)
JUNE 2018 (Say)
4. यह कर्न िढें :
• घर से जुदग और ऐसे जुदग कक अब जीते-जी ककसीसे ममिने की आस नहीं है।
• ददल्िीवगिे मुझको रोते होंर्े।
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मेरे भारतिामसयो...........
भाषण जिाहरलाल नेहरू
1947 अर्स्त 14 की मध्यरगबर की वेिग में भगरतीय स्वतंरतग प्रगस्प्त के बगद भगरत के प्रर्म प्रधगनमं री िंडडत
जवगहरिगि नेहरू ने हमगरग ततरं र्ग फहरगते हुए दे श से जो अिीि की र्ी.........
1947 ആഗസ്റ്റ് 14 അർദ്ധരനന്ത്തി ഭനരതെിന് സ്വനതന്ത്രയാം ആദയലെ ഇരയൻ ന്ത്പധനനമന്ത്രിയനയ പണ്ഡിറ്റ്
ജവനഹർെനൽ ലനഹ്റു രനജയലെ അഭിസ്ാംലരനധന ലചയ്ക്തു നടെിയ ന്ത്പസ്ാംഗാം.
प्रश्नों का उत्तर गद्याांश से ढ़ुँू ढ़े:
(I) कई िषफ पहले .................... प्रर्तज्ञा ले रहे है।
1. कई वषा िहिे भगरतवगमसयों को कौन-सग वचन ददयग र्ग? तनयतत को ममिने कग।
2. ‘अब समय आ र्यग है’ - ककसकग? अिने वचन को तनभगने कग।
3. वचन क्यग है? उसे कैसे तनभगएर्ग?
तनयतत को ममिने कग वचन िरू ी तरह नहीं िेककन बहुत हद तक तनभगएर्ग।
4. सगरी दतु नयग सोते वक्त भगरत कैसे उठे र्ग?
भगरत जीवन और स्वतंरतग की नई सुबह के सगर् उठे र्ग।
5. जीवन और स्वतंरतग की नई सब
ु ह की पवशेषतग क्यग-क्यग है?
जीवन और स्वतंरतग की नई सब ु ह इततहगस में बहुत ही कम आतग है, हम िरु गने को छोडकर नए
की तरफ जगते हैं। यह क्षण एक युर् कग अंत है, और वषों तक शोपषत एक दे श की आत्मग अिनी बगत
कहती है।
6. ‘भगरत जीवन और स्वतंरतग की नई सब
ु ह के सगर् उठे र्ग’ – नेहरू जी ऐसग क्यों कहते हैं?
दशगब्दों तक भगरत अंग्रज़
े ों के र्ि
ु गम रहे। कोमशशों के फिस्वरूि 1947 में भगरत स्वतंर हुए। नेहरू
जी कहते हैं कक तनयतत को ममिने कग वचन बहुत हद तक तनभगने कग समय आ र्यग है। यह स्वतंरतग
वगस्तव में भगरतवगमसयों केमिए जीवन की नई सुबह है।
7. एक ऐसे क्षण जो इततहगस में बहुत ही कम आतग है – कौन-सग क्षण?
दशगब्दों की कोमशशों के फिस्वरूि 1947 में भगरत स्वतंर हुए। नेहरू जी कहते हैं कक एक िूरे दे श
में जीवन और स्वतंरतग की नई सुबह कग अनोखग क्षण इततहगस में बहुत कम ही आतग है।
8. ‘इस िपवर मौके िर हम समिाण के सगर्....’ – यहगाँ ‘िपवर मौके’ शब्द ककसकी ओर इशगरग करते हैं?
भगरत की स्वतंरतग की ओर इशगरग करते हैं।
9. ऐसे िपवर मौके िर भगरतवगसी क्यग करनग चगदहए?
स्वतंरतग प्रगस्प्त के िपवर मौके िर भगरतवगसी समिाण के सगर् अिने देश और जनतग की सेवग और
सगरी मगनवतग की सेवग करने केमिए प्रततज्ञग िेनग है।
10. स्वतंरतग की इस िपवर मौके िर भगरतवगसी खुद कौन-सी प्रततज्ञग िे रहे हैं?
इस िपवर मौके िर भगरतवगसी खुद को भगरत और उसकी जनतग की सेवग, और उससे बढकर सगरी
मगनवतग की सेवग करने केमिए प्रततज्ञग िे रहे हैं।
11. खंड कग संक्षेिण करके उथचत शीषाक मिखें।
भारतिासी प्रर्तज्ञा ले रहे हैं....
वषों िहिे ददयग र्यग वचन तनभगने कग समय आ र्यग है। आज रगत बगरह बजे भगरत स्वतंरतग के
नई सुबह के सगर् उठे र्ग। शोपषत दे श की आत्मग, अिनी बगत कहनेवगिे इस संयोर् में हम अिने देश और
जनतग की सेवग से सगरी मगनवतग की सेवग केमिए प्रततज्ञग िे रहे हैं।
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अनुिती कायफ:
➢ नेहरू जी कग भगषण िढनेवगिे दो छगरगओं के बीच कग वगतगािगि।
सीमग : अरे श्यगमग, क्यग तुम्हगरी कक्षग में नेहरू जी कग भगषण िढग है ?
श्यगमग : नहीं, अध्यगपिकग जी तो पिछिे हफ़्ते कक्षग में नहीं आयग।
सीमग : मुझे अच्छग िर्ग। दो-तीन बगर िढग।
श्यगमग : दो-तीन बगर! कैसग िर्ग?
सीमग : बबिकुि जोशीिग रहग।
श्यगमग : क्यों?
सीमग : वगह! हमगरे प्रर्म प्रधगनमंरी कग दीघादृस्ष्ट ककतनग भगवुक है ?
श्यगमग : सुनग है, आज अध्यगपिकग जी आयग है। अर्िग कगिगंश दहंदी है।
सीमग : तो ज़रूर िढगएाँर्े।
श्यगमग : िेककन श्यगमग, मुझे िुस्तक अभी तक नहीं ममिग।
सीमग : मैं दाँ र्
ू ी।
श्यगमग : धन्यवगद, बगद में हमें िस्
ु तकगिय जगनग है।
सीमग : ज़रूर, हमगरे डडस्जटि िुस्तकगिय में वगइ-फगइ सुपवधग है।
श्यगमग : शगयद हमें नेहरू जी के शब्द सुन सकते हैं।
सीमग : तो, कफर हमें अर्िे कगिगंश के बगद ममिेर्ग।
श्यगमग : ज़रूर।
➢ िन्ने 27 में ददए र्गाँधीजी की ऐततहगमसक दं डी यगरग के पवख्यगत भगषण के अंश कग दहंदी अनव
ु गद:
संभगवनग है, यह आि केमिए मेरग आखखरी भगषण होर्ग। यदद सरकगर कि मुझे िदयगरग केमिए अनुमतत दे
दे ती है तब भी इस सबरमतत के िपवर तट में यह मेरग अंततम भगषण ही होर्ग। हो सकतग है कक यहगाँ िर यह मेरग
अंततम शब्द हो। मझ ु े जो कहनग र्ग, वह मैं आि िोर्ों से कि ही कह चक
ु ग हुाँ। मझ
ु े उम्मीद है कक मेरे ये शब्द
दे श के कोने-कोने तक िहुाँच रहे होंर्े।
वपछले सालों की प्रश्न पत्रों से एक नज़र:
MARCH 2017
सूचना: ‘मेरे भगरतवगमसयो’ कग अंश िढें और प्रश्नों के उत्तर मिखें।
भपवष्य में हमें पवश्रगम .......... आाँसू ममट जगएाँ।
1. ‘मेरे भगरतवगमसयो’ ककसकग भगषण है? (1)
2. भपवष्य में हमें क्यग करनग है ? (2)
3. भगरत की सेवग कग मतिब क्यग है ? (3)
4. खंड कग संक्षेिण करें । (6)
5. संक्षेिण केमिए उथचत शीषाक दें । (1)
MARCH 2018
6. ‘जब तक िोर्ों की आाँखों में आाँसू है और वे िीडडत हैं तब तक हमगरग कगम खत्म नहीं होर्ग।‘ नेहरू जी के अनुसगर
भगरत के नव-तनमगाण केमिए हमें क्यग करनग है ? (2)
MARCH 2019
7. ‘भगरत जीवन और स्वतंरतग की नई सब ु ह के सगर् उठे र्ग’ – नेहरू जी ऐसग क्यों सोचते हैं? (4)
MARCH 2020
8. ‘मेरे भगरतवगमसयो....’ ककस पवधग की रचनग है? (कहगनी, नगटक, भगषण) (1)
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11. 1947 अर्स्त 14 की मध्यरगबर की वेिग में भगरत स्वतंर हुआ। अर्िे ददन के समगचगर िरों में भगरत की स्वतंरतग
और नेहरूजी के भगषण के बगरे में छिती है। वह समगचगर तैयगर करें ।
(बिटीश शगसन कग अंत, शगसन सत्तग ग्रहण करनग, आज़गदी की घोषणग, नेहरूजी कग अिीि)
12. स्वतंरतग प्रगस्प्त के ददन र्गाँधीजी किकत्तग में र्े। सगिों बगद बगिू अिनी आत्मकर्ग मिखने की तैयगरी में र्ग।
र्गाँधीजी की आत्मकर्ग कग वह िन्नग तैयगर करें ।
(सददयों की र्ि
ु गमी, आज़गदी की घोषणग, तनयतत को ममिने की खश
ु ी)
13. 1947 अर्स्त 14 मध्यरगबर की वेिग में बगिू कग थचर तिस्यग सफि हुए। हमगरे ततरं र्े फहरगने के बगद नेहरूजी कग
मुिगकगत बगिू जी से होती है। दोनों के बीच कग वगतगािगि मिखें।
14. नेहरूजी कग भगषण कग आिमें क्यग प्रभगव हुआ? अिने डगयरी के रूि में मिखें।
(र्ुिगमी के जंजीर तोडनग, आज़गदी की धुन, स्वतंरतग कग संरक्षण)
15. नेहरूजी अिनग आत्मकर्ग मिखते वक्त भगरत की स्वतंरतग के बगरे में भी स्जक्र करतग है। आत्मकर्गंश मिखें।
(बिटीश शगसन की समगस्प्त, आज़गदी की घोषणग, भपवष्य केमिए प्रततज्ञग, जनतग की आाँसू ममटगनग)
16. 15 अर्स्त 2021 को आिके स्कूि में स्वतंरतग प्रगस्प्त कग 74वीं सगिथर्रह (Anniversary) मनगने की तैयगरी में है।
पप्रंमसिगि द्वगरग ततरं र्ग फहरगने के बगद की भगषण आिकी स्ज़म्मेदगरी है। उसी ददवस केमिए भगषण तैयगर करें ।
(र्ुिगमी के जंजीर, आज़गदी, र्गाँधीजी कग उम्मीद, आज़गदी के 74वीं वषा)
17. स्कूि में स्वतंरतग ददवस मनगने की तैयगरी में है। आिके िडोसी एक अिर् स्कूि में है। दोनों अिने-अिने स्कूिों
की तैयगररयों के बगरे में बगतचीत करते हैं। वह बगतचीत तैयगर करें ।
(स्वतंरतग प्रगस्प्त के 74 वगाँ वषा, पवशेष सभग (Special Assembly), छगरों कग भगषण, दे शभस्क्त र्ीत आदद
18. जगने कैसे ममिी हमें आज़गदी – पवषय िर आिेख तैयगर करें ।
19. मगन िें, 15 अर्स्त को आिके स्कूि में स्वतंरतग ददवस मनगने कग आयोजन हो रहग है। इसके मिए एक आकषाक
िोस्टर तैयगर करें ।
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दहंदी कफल्मों और संर्ीत कग। दहंदी चिथचरों के प्रतत सरू ीनगमी िोर्ों कग र्हरग िर्गव है।
7. सूरीनगम में दहंदी के प्रचगर-प्रसगर में दहंदी कफल्मों तर्ग संर्ीत की भूममकग क्यग र्ी?
सूरीनगम में दहंदी कग प्रचगर-प्रसगर में, दहंदी को आम आदमी तक िहुाँचगने में दहंदी कफल्मों तर्ग संर्ीत कग
पवशेष योर्दगन रहग है। दहंदी चिथचरों के प्रतत सरू ीनगमी िोर्ों कग भी र्हरग िर्गव है।
8. खंड कग संक्षेिण करके शीषाक दें ।
सरू ीनामी दहांदी
6 जून को सम्मेिन कग शभ ु गरंभ करते हुए सरू ीनगम के रगष्रितत ने अिने उद्बोधन में दहंदी भगषग के प्रचगर-
प्रसगर के बगरे में कहग। दहंदी कफल्म, संर्ीत और चिथचर के प्रतत सरू ीनगमी िोर्ों कग भी र्हरग िर्गव है।
(V) एक दीप प्रज्िमलत ........कर रहा िा
1. ‘एक दीि प्रज्वमित होते ही िर्ग कक एक सगर् न जगने ककतने जर्मर्गते दीिक जि उठे है’ – ‘दीि’ और
‘दीिक’ ककन-ककनके प्रतीक है?
‘दीि’ सरू ीनगम में होनेवगिे दहंदी महगिवा है। ‘दीिक’ वहगाँ के भगरतवंमशयों के भीड और उनके उत्सगह है।
2. सूरीनगमी भगरतीयों कग उत्सगह ककस प्रयोर् से िेखक ने सूथचत ककए है? भरत-ममिगि।
3. ‘यह भरत-ममिगि बहुत आह्िगददत कर रहग र्ग’ – कर्न कग उद्दे श्य क्यग है?
भरत-ममिगि एक आिंकगररक प्रयोर् है, आत्मीयतग से भगईयों के आिसी ममिन को सूथचत करने केमिए
इसकग प्रयोर् हो रहग है। यहगाँ अिने देशवगमसयों को दे खकर सरू ीनगमी भगरतवंमशयों कग उत्सगह को सूथचत करने
केमिए ऐसग प्रयोर् ककयग है।
4. सूरीनगमी भगरतवंमशयों कग उत्सगह दे खकर िेखक को क्यग अहसगस हुआ?
सरू ीनगमी भगरतवंमशयों कग उत्सगह दे खकर िेखक को अहसगस हुआ कक एक सौ तीस सगि से बबछुडे बंधु
को आज िुनः ममि रहे है।
5. खंड कग संक्षेिण करके शीषाक मिखें।
भरत-ममलाप
सूरीनगमी भगरतवंमशयों कग उत्सगह दे खकर िेखक को ऐसग िर्ग कक एक सौ तीस सगि से बबछुडे बंधु आज
िुनः ममि र्ए।
➢ लेखक और भागीदार के बीच का िाताफलाप:
िेखक : नमस्ते जी, आि कहगाँ से आए हैं?
भगर्ीदगर : श्रीिंकग से। आि?
िेखक : भगरत से।
भगर्ीदगर : भगरत से। तो हम भगई-भगई है।
िेखक : ठ क है। आि कहगाँ रहते हैं?
भगर्ीदगर : होटि एिग्नस ररसोटा में।
िेखक : मैं तो कि आए र्े। िेककन यह शहर भगरतीय जैसग है।
भगर्ीदगर : वगस्तव है, हर कहीं भगरतीय ही दे ख रहे हैं।
िेखक : यहगाँ अथधकगंश िोर् भगरतीय मि
ू के है।
भगर्ीदगर : ठ क है, रगष्रितत के भगषण से दहंदी कग महत्व के बगरे में ितग चिेर्ग।
िेखक : यहगाँ के िोर्ों कग उत्सगह तो .....
भगर्ीदगर : सुनग है, अर्िग सम्मेिन अमेररकग में होर्ग।
िेखक : हगाँ, हमें ज़रूर भगर् िेनग है।
भगर्ीदगर : ज़रूर, तो अर्िे वषा अमेररकग में ममिेंर्े।
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18. िेखक पवश्व दहंदी सम्मेिन में भगर् िेने केमिए िगरगमगररबो िहुाँचे। वहगाँ की दहंदी भगषग के प्रचगर के बगरे में अिने
ममर को एक िर मिखते हैं, वह िर तैयगर करें । (8)
19. संिका भगषग के रूि में दहंदी पवषय िर एक तनबंध तैयगर करें । (8)
(जन-सगधगरण की भगषग, भगषग कग प्रचगर एवं प्रसगर, रगजभगषग के रूि में दहंदी (Official language), बोिचगि की
भगषग)
SAY 2021
20. सगतवगाँ पवश्व दहंदी सम्मेिन में भगर् िेने दहमगंशु जोशी सूरीनगम िहुाँचे। उद्घगटन समगरोह के बगद वे इसके बगरे में
अिने एक ममर को िर मिखते है। वह िर कल्िनग करके तैयगर करें । (8)
(सम्मेिन कग अनुभव, दहंदी कग प्रचगर, रगष्रितत कग भगषण, दहंदी भगषग कग महत्व)
21. दहंदी हमगरे दे श की आवगज़ है। दहंदी भगषग कग बढतग महत्व पवषय िर भगषण तैयगर करें । (8)
(संसगर की प्रमुख भगषगओं में एक, सगंस्कृततक पवकगस में सहगयक, जनसगधगरण की भगषग, रगजभगषग के रूि में दहंदी)
परीक्षा केंदित कुछ प्रश्न। उत्तर स्ियां मलखने का प्रयास करें :
1. मगन िे, आि दै तनक जगर्तृ त समगचगर िर के संवगददगतग (Reporter) है। सगतवगाँ पवश्व दहंदी सम्मेिन में भगर् िेकर
आनेवगिे दहमगंशु जोशी कग सगक्षगत्कगर (Interview) करनग आिकग दगतयत्व है। आि दोनों के बीच कग वही वगतगािगि
कल्िनग करके मिखें।
(पवश्व दहंदी सम्मेिन, िेखक कग अनभ
ु व, भगरत जैसग प्रतीत होनग)
2. सगिों बगद आत्मकर्ग मिखते समय िेखक को सूरीनगम के ददनों की यगद आयग, स्जसे अिनी आत्मकर्ग में स्जक्र
करनग चगहग। वह आत्मकर्गंश तैयगर करें ।
(सम्मेिन में भगर् िेनग, अिनग अनभ
ु व, भगरतीय शहर जैसग प्रतीत होनग)
3. मगन िे, भगरत के प्रतततनथध होकर िेखक को सगतवगाँ पवश्व दहंदी सम्मेिन के उद्घगटन समगरोह में भगषण करने कग
अवसर ममिग। वह भगषण कल्िनग करके मिखें।
(पवश्व भगषग के रूि में दहंदी, दहंदी कग वैस्श्वक स्वरूि, भगरतवंमशयों कग उत्सगह)
4. मगन िे, सूरीनगम में सगतवगाँ पवश्व दहंदी सम्मेिन के उद्घगटन समगरोह के बगद िेखक को वहगाँ के रगष्रितत से
ममिने कग अवसर ममिग। उन दोनों के बीच कग वगतगािगि कल्िनग करके मिखें।
(िगरगमगररबो और भगरत, भगषगई संबंध, भगरतवंमशयों कग उत्सगह)
5. सगतवगाँ पवश्व दहंदी सम्मेिन के बगरे में वहगाँ के एक प्रमुश दहंदी समगचगर िर में छगिग जगतग है। वह समगचगर तैयगर
करें ।
(सूरीनगम और भगरत, रगष्रितत कग भगषण, भगरतवंमशयों कग उत्सगह)
6. आिको 2021 में न्यय
ू ोका होनेवगिे बगरहवगाँ पवश्व दहंदी सम्मेिन में भगर् िेने कग अवसर ममिग। यगरग, सम्मेिन कग
अनुभवों कग वणान करते हुए अिने ममर के नगम िर मिखें।
(सम्मेिन में भगर् िेनग, अिनग तनजी अनभ
ु व, भपवष्य में भी ऐसे अवसर ममिने की प्रतीक्षग।
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सूरदास के पद
सर्ुण भस्क्तधगरग के सवाश्रेष्ठ कृष्णभक्त कपव र्े सूरदगस। उनकग जन्म 15 वीं सदी के अंततम दशकों में उत्तरप्रदे श
में हुआ। सूरदगस कग वगत्सल्य एवं श्रंर्
ृ गर रस वणान अद्पवतीय है। सरू सगर्र आिकी प्रमसद्ध रचनग है। यहगाँ दो िद, ‘मेरे
िगि’ और ‘हे कगन्ह’ में श्रीकृष्ण की बगििीिगओं तर्ग कृष्ण और र्ोपिकगओं के प्रेम कग संद
ु र वणान है।
मेरे लाल: श्रीकृष्ण कग बगििीिग संबंथधत िद। बगिक कृष्ण, यशोदग, नंद में केंदद्रत है।
1. समगनगर्ी शब्द िद से ढाँू ढकर मिखें।
खुश/प्रफुस्ल्ित हुई – फूिी हषा से - हरपषत िीन - मर्न होश - सुथध
भूि र्ई - भूिी युवती - तनु बगहर से - बगदहर से
दे खो तो - दे खौ धौं आाँख/नयन - नैन छोटग - तनक छोटग - तनक
दृस्ष्ट - थचतवन दगाँत - दाँ तत/द्पवज सफि - सुफि दोनों - दोउ
कगन्ह - श्यगम तप्ृ त/संतुष्ट हुई - अघगई ितत - महर बबजिी - बीजु
दे खकर - दे ख्यो जम र्ई - जमगई
2. मगतग यशोदग क्यों खुश हुई? अिने बेटे कग सुंदर चेहरग दे खकर मगतग यशोदग खश
ु हुई।
3. ‘तनु की सुथध भूिी’ – ‘तन’ु कौन है? क्यों ‘तनु’ के सुथध भूिी?
‘तन’ु कृष्ण की मगतग यशोदग है। अिने बेटे के दध
ू की दगाँतों को दे खकर आह्िगद और प्यगर में मग्न मगतग
यशोदग अिने आिको भि
ू र्ई।
4. यशोदग क्यों नंद को बि
ु गते हैं? अिने बेटे के संद
ु र सख
ु दगई रूि दे खने केमिए।
5. यशोदग ने नंद को बुिगकर क्यग कहग?
यशोदग ने नंद को बुिगकर कहग कक बेटे के छोटे -छोटे दध
ू की दगाँतों को दे खनग नयनों केमिए खश
ु ी होर्ग।
6. नंद के मख
ु और दृस्ष्ट खश
ु ी से भर र्ई, क्यों?
अिने बेटे के सुंदर चेहरे और दथु धए दगाँतों को दे खकर नंद के मुख और दृस्ष्ट खुशी से भर र्ई।
7. ‘मनो कमि िर बीजु जमगई’ – तगत्िया क्यग है?
कृष्ण के छोटे दध
ू की दाँ ततयगाँ और मुाँह के हाँसी दे खकर ऐसे िर्तग है मगनो कमि िर बबजिी जम र्ई हो।
8. ‘मनो कमि िर बीजु जमगई’ – ‘कमि’ और ‘बीज’ु ककन-ककनको सूथचत करते है?
कृष्ण के माँह
ु कमि है और बबजिी उसके छोटे -छोटे दध
ू की दाँ ततयगाँ है।
9. सूरदगस क्यग कहते हैं?
सूरदगस कहते हैं कक ककिकगरी करनेवगिे कृष्ण की दगाँतों को दे खकर ऐसग िर्तग है मगनो कमि िर बबजिी
चमक र्ई हो।
10. िद में वखणात भगव क्यग है ? वगत्सल्य
11. भािािफ मलखें।
सूरदगस कृष्ण भस्क्तशगखग के प्रमुख कपव है। उनकी प्रमुख रचनग सरू सगर्र की बगििीिगएाँ वगत्सल्य वणान
कग अद्पवतीय दृष्टगंत है। प्रस्तत
ु िद कृष्ण के बगििीिग से संबंथधत है, जो सरू सगर्र से मियग र्यग है। बगिक कृष्ण
के दधू के दाँ ततयगाँ दे खकर मगतग-पितग अत्यथधक खुश हुए। सरू दगस इस दृश्य कग वणान करते हैं।
अिने िुर के मोहक मुख को दे खकर यशोदग अत्यथधक प्रसन्न हुई। िुर के दथु धए दगाँतों को दे खते ही यशोदग
मगाँ अिने आि को भूि जगती है। वह बगहर से अिने ितत नंद को बुिगकर िुर कग सुंदर सुखदगई रूि दे खने को
कहते हैं। वे कहते हैं, िुर के छोटे -छोटे दथु धए दगाँतों को दे खनग नयनों केमिए सुखदगयक है। ित्नी की बगतें सन
ु कर
नंद प्रसन्नतगिूवक
ा अंदर आए और िुर के दथु धए दगाँतों को दे खकर उनके मुख और थचतवन खुशी से भर र्ए।
सरू दगस कहते हैं कक ककिकगरी करनेवगिग कृष्ण को दे खकर ऐसग िर्तग है, मगनो कमि िर बबजिी जम र्ई हो।
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यह िद वगत्सल्य रस कग उत्तम उदगहरण है। यहगाँ कृष्ण कग मुख कमि के समगन है और चमकनेवगिी सफ़ेद
दगाँत बबजिी के समगन है। बगिक कृष्ण कग सौंदया अद्पवतीय है। उनकी चेष्टगएाँ भी हृदयहगरी तर्ग अद्पवतीय है।
हे कान्ह....
प्रमुख पात्र: कृष्ण और र्ोपिकगएाँ
1. समगनगर्ी शब्द िद से ढाँू ढकर मिखें।
वन - बन सनु गई प़डी - स्रवन िरी कगमकगज - धगम कगम भि
ू र्ई - बबसरीं
मयगादग - मरजगद वेद - बेद र्ोडी सी - नेकहु नहीं - नगदहं
कृष्ण - स्यगम सगर्र - मसंधु नदी - सररतग
र्ोिगकगएाँ – ििनगर्न िगनी - जि प्रवगह - ढरतन बही - ढरीं
िुर - सुत घर - भवन स्नेह - नेह िोक - जन
आशंकग - संकग हर मियग - हरर िीन्हों चतरु - नगर्र नयग - नवि
2. ‘जबहीं बन मरु िी स्रवन िरी’ – वन में कौन मरु िी बजग रहग है?
वन में कृष्ण मुरिी बजग रहग है।
3. वन से मरु िी र्गन सन
ु ने िर र्ोपिकगएाँ क्यग ककयग?
जब वन से मरु िी र्ीत सुनगई िडग तब र्ोपिकगएाँ चककत होकर अिने सगरे कगमकगज भूि र्ई।
4. र्ोपिकगएाँ कब अिने आिको भूिकर दौडी?
वन से मुरिी के मीठे स्वर सुनगई िडग तो अिने आिको भूिकर दौडी।
5. ‘र्ोि कन्यग सब धगम कगम बबसरीं’ - कब?
जब वन से मरु िी के मीठे स्वर सन
ु गई िडग तो र्ोि कन्यग सब धगम कगम बबसरीं।
6. र्ोि कन्यगएाँ ककन-ककन बगतों को नहीं डरीं?
अिने कुि की मयगादग तर्ग धमाग्रंर्ों के आज्ञग आदद बगतों को र्ोि कन्यगएाँ नहीं डरी।
7. कृष्ण के मरु िी र्गन सन
ु कर र्ोपिकगएाँ क्यग-क्यग ककए?
कृष्ण के मरु िी र्गन सुनते ही र्ोपिकगएाँ चककत हुई और अिने सगरे कगमकगज भि ू र्ए। कुि की मयगादग,
वेद ग्रंर्ों कग अनुशगसन आदद के बगरे में भी नहीं डरीं। अिने ितत और िर ु के स्नेह, घरवगिों तर्ग अन्य िोर्ों के
बगरे में भी नहीं सोचग। वे सब कृष्ण रूिी सगर्र में नदी के जि के समगन जग ममिी।
8. ‘स्यगम मसंधु सररतग ििनगर्न जि की ढरतन ढरीं’ – यहगाँ कृष्ण और र्ोपिकगओं की ति
ु नग ककन-ककन से ककयग है?
सरू दगस ने कृष्ण की ति
ु नग सगर्र से और र्ोपिकगओं की ति
ु नग नदी से की र्ई है।
9. र्ोपिकगओं की प्रवपृ त्त दे खकर सूरदगस क्यग कहते है?
अिनग सबकुछ भूिकर कृष्ण के िगस िहुाँचने की व्यग्रतग दे खकर सरू दगस कहते हैं कक चतरु कृष्ण तनत्य
नए-नए तरीके से र्ोपिकगओँ के मन को हर िेते हैं।
10. िद में वखणात भगव क्यग है ? प्रेम और श्रंर्
ृ गर
11. भािािफ मलखें।
सूरदगस कृष्ण भस्क्तशगखग के प्रमुख कपव है। उनकी प्रमुख रचनग सरू सगर्र के कृष्ण और र्ोपिकगओं के प्रेम
कग सरस वणान अद्पवतीय है।
सरू सगर्र के रगसिीिग से संबंथधत िद है, ‘हे कगन्ह’। कृष्ण वन से मीठ आवगज़ में मरु िी बजग रहे है।
प्रस्तुत िद में र्ोिीकगओं िर कृष्ण के मरु िी की मीठ ध्वतन के प्रभगव कग वणान ककयग र्यग है।
सूरदगस कहते हैं कक जब मरु िी की मीठ आवगज़ सुनगई िडी तब सगरी र्ोपिकगएाँ चककत हो र्ई और सब
कगमकगज भूि र्ई। कुि की मयगादग, वेदों की आज्ञग आदद सबकुछ से वे बबिकुि नहीं डरीं। स्जस प्रकगर सगर्र में
नददयगाँ जगकर ममिती है, उसी प्रकगर र्ोपिकगएाँ रूिी नददयगाँ अिने पप्रयतम कृष्ण रूिी समुद्र से ममिने केमिए वन
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की ओर तनकि प़डी। र्ोपिकगएाँ, िुर और ितत कग प्यगर, र्ुरुजनों कग भय, िज्जग आदद ककसी भी बगत की िरवगह
नहीं की। सूरदगस कहते हैं कक चतरु एवं सुंदर श्रीकृष्ण ने र्ोपिकगओं के मन को हर मियग।
सूरदगस इस िद में कृष्ण और र्ोपिकगओं के प्रेम कग सरस वणान ककयग है।
➢ दो गोवपकाओां के बीच का िाताफलाप।
िहिी र्ोपिकग : अरे , सुनग है, ककतनग मीठग है, वेणु र्गन?
दस
ू री र्ोपिकग : मैं भी सन
ु ग र्ग। ज़रूर मीठ है।
िहिी : अरे स्यगम की मुरिी अनोखी है। वगह! ककतनी सुरीिी आवगज़...
दस
ू री : स्वर तो अमत
ृ वषगा की तरह मधुर है।
िहिी : हगाँ, आज भी स्यगम र्गएाँ चरगने आए र्े। वहगाँ यमुनग के ककनगरे बैठकर मुरिी बजगते हैं।
दस
ू री : मेरी मन यहगाँ नहीं है.... क्यग हमें जगएाँ?
िहिी : अरी, तम्
ु हें िज्जग नहीं आती? िोर् क्यग कहें र्े?
दस
ू री : िरवगह नहीं। स्यगम ही सबकुछ है।
िहिी : दे ख री, ये र्ोपिकगएाँ क्यग करते हैं।
दस
ू री : वे तो कृष्ण के िगस जगती है।
िहिी : वे तो ककसी की िरवगह ककए बबनग ही उनसे जग ममिती है। तो हमें भी जगएाँ।
दस
ू री : तो जल्दी चिें।
वपछले सालों की प्रश्न पत्रों से एक नज़र:
JUNE 2018 (Say)
1. सुतमुख दे खख जसोदग फूिी।
................ सुंदर सुखदगई।
सरू दगस कग ‘बगिकृष्ण-वणान’ अनि
ु म है। िद्यगंश के आधगर िर समर्ान करें । (4)
MARCH 2019
2. ‘हरपषत दे खख दध
ू की दाँ ततयगाँ प्रेम मर्न तनु की सथु ध भि
ू ी’।
यशोदग अिने आिको भि
ू र्ई। क्यों? (2)
3. मुरिी के ध्वतन में िीन दो र्ोपिकगओं के बीच होनेवगिी संभगपवत बगतचीत तैयगर करें । (6)
(सब कगमकगज भि
ू र्ई, िोक-िगज की िरवगह नहीं ककयग, अनुशगसन से डरीं नहीं)
MARCH 2020
4. कृष्ण के दथु धए दगाँतों को दे खने केमिए यशोदग ककसको बुिगयग? (नंद को, बिरगम को, सहेिी को) (1)
5. जबदहं बन मरु िी ........ नवि हरी।
कपव िररचय दे कर भगव मिखें। (6)
SEPT 2020
6. कपव िररचय दे कर भगव मिखें।
सुतमुख दे खख .......... बीजु जमगई।।
MARCH 2021
सूचना: िद िढें और 6 से 9 तक के प्रश्नों के उत्तर मिखें।
सुतमुख दे खख .................... बीजु जमगई।।
7. यशोदग कब अिने आिको भि
ू जगते हैं? (1)
8. यशोदग क्यों खुश हुई? (1)
9. यशोदग नंद को बुिगकर क्यग दृश्य दे खने को कहिी है ? (1)
10. िद िढें और भगवगर्ा मिखें। (6)
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11. ‘सत
ु ितत नेह भवन जन संकग िज्जग नहीं करी’ मुरिी की ध्वतन में िीन प्रणयगतरु दो र्ोपिकगओं के बीच कग
वगतगािगि तैयगर करें । (मुरिी की ध्वतन, कृष्ण प्रणय, कुि मयगादग छोडनग, अिने आि को भि
ू जगनग) (8)
12. दथु धए दगाँतों को दे खने केमिए यशोदग ने ककसको बि
ु गयग? (1)
(नंद को, मगाँ को, नौकरगनी को)
SEPT 2021
13. िद िढें और भगवगर्ा मिखें। सुतमुख दे खख ................ बीजु जमगई।। (6)
सूचना: िद िढें और प्रश्नों के उत्तर मिखें।
जबदहं बन मरु िी ............ नवि हरी।।
14. र्ोपिकगएाँ कब अिने आिको भूिकर दौडी? (2)
15. िद की व्यगख्यग करें । (6)
परीक्षा केंदित कुछ प्रश्न। उत्तर स्ियां मलखने का प्रयास करें :
1. ‘बगदहर ते तब नंद बि
ु गए .........’ यशोदग और नंद के बीच कग वगतगािगि तैयगर करें ।
(िर
ु के दथु धए दगाँत, अिने आिको भि
ू जगनग, ितत की खश
ु ी)
2. मुरिी नगद सुनकर र्ोपिकगएाँ अिने आिको भूिकर दौडी। िेककन कृष्ण कग प्रेम रगधग से हैं। उन दोनों के बीच कग
वगतगािगि मिखें।
(मरु िी नगद, सबकुछ भि
ू कर दौडनग, रगधग और कृष्ण से मि
ु गकगत)
3. मुरिी की ध्वतन में िीन प्रणयगतुर र्ोपिकग कमि की ित्ते में कृष्ण को प्रणय़ िेखन मिखने की तैयगरी में है । वह
िर तैयगर करें ।
(मुरिी नगद, प्रणयगतुर र्ोपिकग, सबकुछ भूि जगनग)
4. ‘सत
ु ितत नेह भवन जन संकग....’- प्रणयगतुर र्ोपिकग अिने आिको भि
ू कर मुरिी नगद के िीछे दौडते दे खकर ितत
क्रुद्ध होतग है। उन दोनों के बीच कग वगतगािगि तैयगर करें ।
(मुरिी नगद, कगमकगज भि
ू कर दौडनग, घरवगिों के बगरे में न सोचनग)
5. ‘हे कगन्ह....’ िद के आधगर िर कृष्ण के प्रतत र्ोपिकगओँ के प्रेम कग वणान करें ।
(मुरिी नगद, कगमकगज सब भि
ू जगनग, कृष्ण के यहगाँ िहुाँचने की व्यग्रतग)
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JULY 2020
5. ‘खगनग-िीनग सगर् है
मरनग-जीनग सगर् है’
‘शोिे’ कफल्म के इस र्ीत कग संर्ीतकगर कौन है ? (रवींद्रन, आर. डी. बमान, ए. आर. रहमगन) (1)
MARCH 2021
6. ‘दोस्ती मगनव जीवन कग अमभन्न अंर् है ’ – सच्चे दोस्ती के बगरे में एक िेख तैयगर करें । (8)
(सच्ची दोस्त, दोस्ती के र्ण
ु , दोस्ती कग महत्व, दोस्ती की आवश्यकतग)
SAY 2021
7. ‘ये दोस्ती......... हम नहीं तोडेंर्े.....’ मगनव जीवन में दोस्ती कग महत्विण
ू ा स्र्गन है। अिनग मत प्रकट करें ।(8)
(दोस्ती के र्ुण, दोस्ती कग महत्व, दोस्ती से िगभ)
8. ‘खगनग-िीनग सगर् है
मरनग-जीनग सगर् है’
ये िंस्क्तयगाँ ककस कफल्म की है ? (शोिे, जंजीर, तगरे ज़मीन िर) (1)
परीक्षा केंदित कुछ प्रश्न। उत्तर स्ियां मलखने का प्रयास करें :
1. मगन िे, आिके स्कूि में ‘शोिे’ कफल्म की प्रदशानी हुई। कफल्म दे खकर दो छगर ‘ये दोस्ती....’ र्ीत के औथचत्य और
आज की उसकी प्रगसंथर्कतग के बगरे में बगतचीत करते हैं। वह वगतगािगि तैयगर करें ।
(शोिे कफल्म, र्ीत कग असर, आजकि की दोस्ती)
2. मगन िे, आिके स्कूि के एन.एस.एस की ओर से ममरतग ददवस (Friendship Day) मनगने की तैयगरी में है। उस ददन
की तनबंध प्रततयोथर्तग में प्रस्तुत करने केमिए ‘वफगदगर दोस्ती’ िर एक िघु तनबंध तैयगर करें ।
(व्यस्क्त के जीवन और दोस्ती, इततहगस में दोस्ती : कृष्ण-सुदगमग, युथधस्ष्ठर-कणा आदद, सच्चे दोस्त कग िहचगन)
(वफगदगर - Faithful)
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5. अिनी बेटी की शगदी केमिए पितगजी ने अिनी ज़मीन बेचनग चगहग। ज़मीन की बबक्री केमिए अखबगर में छिने योग्य
आकषाक पवज्ञगिन तैयगर करें ।
(ज़मीन की बबक्री, सडक के िगस, बबजिी-िगनी सुपवधगएाँ)
6. शगदी केमिए ज़मीन बेचनग चगहग तो कीमत बहुत कम ममिती है। ज़मीन के कीमत के बगरे में पितगजी और
खरीदनेवगिे के बीच कग वगतगािगि तैयगर करें ।
(बेटी की शगदी, ज़मीन की बबक्री, कम कीमत, मज़बरू ी कग फगयदग)
7. अिनी शगदी केमिए पितगजी ज़मीन खरीदने में पववश िडती है। दःु खी बेटी और पितगजी के बीच कग संभगपवत
वगतगािगि तैयगर करें ।
(शगदी की तैयगररयगाँ, ज़मीन की बबक्री, पितगजी कग आत्मसंघषा)
8. घर में शगदी की तैयगररयगाँ शुरु हुई। दीदी बहुत भगवक
ु र्ी और बगत-बगत में रो िडती है। दीदी की उस ददन की डगयरी
तैयगर करें ।
(िररवगर से बबछुडनग, ससुरगि के प्रतत आशंकग, पितगजी कग दख
ु )
9. अिनी शगदी की तैयगररयगाँ और ज़मीन बेचने में पववश अिने पितगजी कग तनगव दोनों से दीदी कग मन संघषा से भरग।
अिनी मन कग संघषा वह सहेिी को िर के रूि में मिखतग है। वह िर मिखें।
(शगदी की तैयगररयगाँ, दहेज और शगदी की खचा, ज़मीन की बबक्री)
10. ज़मीन की रस्जस्री के िूवा पितगजी ने िेखक को अिने सगर् खेत जगने को कहग। दोनों के बीच कग वगतगािगि मिखें।
(बेटी की शगदी, अनगवश्यक खचगा, ज़मीन की रस्जस्री)
11. ‘खेतों में िहुाँचकर वे सूयगास्त तक उन खेतों में टहिते रहे जो बबकनेवगिे र्े। वे खगमोश र्े।’ िेखक अिने पितगजी
के भीतर कग हगहगकगर समक्षते र्े। िेखक की उस ददन की डगयरी तैयगर करें ।
(ज़मीन बेचनग, रस्जस्री के िूिा ज़मीन दे खनग, मन कग हगहगकगर)
12. शगदी केमिए ज़मीन बेचने के संबंध में िेखक और दीदी के बीच कग वगतगािगि कल्िनग करके मिखें।
(िररवगर केमिए बोझ, शगदी के खचगा, ज़मीन की बबक्री, अिनग दःु ख)
13. ज़मीन की रस्ज़स्री के अर्िे ददन पितगजी बबिकुि खगमोश रहे। वह अिने मन कग संघषा डगयरी के रूि में मिखते
हैं। वह डगयरी तैयगर करें ।
(ज़मीन के प्रतत र्हरग जुडगव, बढतग खचगा, ज़मीन की ऱस्जस्री)
14. बेटी की शगदी के बगद वषा कई बीत र्ई। पितगजी अिनी आत्मकर्ग मिखने की तैयगरी में है , स्जसमें वह अिनी बेटी
की शगदी और ज़मीन की बबक्री के बगरे में स्जक्र करते है। वह आत्मकर्गंश तैयगर करें ।
(बेटी की शगदी, खचगा, ज़मीन की बबक्री)
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सपने का भी हक नहीां
कविता डॉ जे बाबू
दहंदीतर प्रदे शों की दहंदी सगदहत्यकगरों में प्रमुख है डॉ जे बगबू। ‘सिने कग भी हक नहीं’ आिकी प्रमसद्ध कपवतग है,
स्जसमें एक र्रीब मज़दरू रन कग थचर खींचग है, जो अिने एक कमरेवगिे झोंिडी में रहकर महि कग सिनग देखती है। कपव
यहगाँ एक कठोर सगमगस्जक यर्गर्ा कग थचर खींचने कग प्रयगस की र्ई है कक र्रीबों को सिने दे खने कग भी अथधकगर नहीं है।
ല ന. ലജ രനരു എഴുതിയ ‘സ്വപ്നെിനു ലപനെുാം അധിരനരമിെല’ എന് രവിത ദരിന്ത്ദയനയ
ലതനഴിെനളി സ്ന്ത്തീയുലട ചിന്ത്താം വരച്ചു രനട്ടുന്ു. അവർ ഒറ്റമുറി രുടിെിൽ രുട്ടിരൾ ഉറങ്ങിക്കഴിഞ്ഞ്
ലരനട്ടനരാം സ്വപ്നാം രനണുന്ു. സ്വപ്നെിലനനടുവിൽ രനങ്കിലെ ലനനട്ടിസ് ഒരു ഭീക്ഷണിലയലന്നണാം
സ്വപ്നെിലെലക്കെുന്ു. ദരിന്ത്ദർക്ക് സ്വപ്നാം രനണനൻ ലപനെുാം അധിരനരമിെല എന് സ്നമൂഹിര
യനഥനർത്ഥ്യാം ഈ രവിതയിെൂലട രവി വരച്ചു രനട്ടുന്ു.
कविताांश से प्रश्नों के उत्तर ढ़ुँू ढें:
(I) इक कमरेिाली .............. कहाुँ होगा?
1. झोंिडी में ककतने कमरे है ? एक कमरे।
2. स्री कहगाँ रहते हैं? एक कमरे वगिे झोंिडी में रहते है।
3. स्री क्यग कर रहे है? स्री अिनग पवस्तत
ृ घर खींच रहे है।
4. ‘अिनग पवस्तत
ृ घर खींचने िर्ग’, कौन? कहगाँ?
मज़दरू रन (स्री) अिनी मन दीवगर िर अिनग पवस्तत
ृ घर खींचने िर्ग।
5. ‘अिनग पवस्तत
ृ घर खींचने िर्ी’- कौन? कब? मज़दरू रन (स्री)। रगत में बच्चे सो जगने िर।
6. मज़दरू रन अिने पवस्तत
ृ घर में ककन-ककन कमरे बनवगनग चगहती है?
अिने पवस्तत
ृ घर में खगने-िीने और सोने केमिए अिर्-अिर् कमरे है। इसके अिगवग रसोई, बैठक और
िूजग कग कमरग भी बनवगनग चगहती है।
7. रसोई कग स्र्गन कहगाँ है? रसोई बैठक के तनकट है।
8. मज़दरू रन (स्री) कग घर और सिने कग घर में क्यग-क्यग अंतर है?
मज़दरू रन (स्री) के घर में केवि एक कमरग है। िेककन सिने के घर पवस्तत
ृ है, स्जसमें खगने-िीने और
सोने केमिए अिर्-अिर् कमरे है। रसोई, बैठक और िज
ू ग कग कमरग भी है।
9. कपवतगंश कग आस्वगदन दटप्िणी मिखें।
दहंदीतर प्रदे शों के दहंदी िेखकों में प्रमुख है डॉ जे बगबू। ‘सिने कग भी हक नहीं’ आिकी प्रमसद्ध कपवतग
है, स्जसमें एक र्रीब मज़दरू रन के सहगरे एक कठोर सगमगस्जक यर्गर्ा कग थचर खींचने कग प्रयगस ककयग है।
एक कमरे वगिी झोंिडी में रहनेवगिी र्रीब मज़दरू रन अिने बच्चों के सो जगने के बगद नींद में डूब जगती
है। उस नींद में वह एक पवस्तत
ृ महि कग सिनग दे खती है। उसमें खगने-िीने और सोने केमिए अिर्-अिर्
कमरे हैं। रसोई है, बैठक है और िूजग कग कमरग भी है।
उस र्रीब मज़दरू रन और उसके सिने के मगध्यम से एक कठोर सगमगस्जक यर्गर्ा की प्रस्ततु त हुई। कपव
वह बतगनग चगहते हैं कक र्रीब िोर्ों को सिने दे खने कग अथधकगर भी नहीं है। उनकग सिनग एक कठोर यर्गर्ा
िर टूटतग है। आर्े उसके मिए सिनग दे खनग भी डरगवनग बन जगती है।
(II) ऊपर की ..................... सब रख ददए।
1. भर्वगन को बबठगने कग कमरग कहगाँ बनवगनग चगहती है ?
या
िूजग कग कमरग कहगाँ है? ऊिर की मंस्ज़ि में।
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उस र्रीब मज़दरू रन और उसके सिने के मगध्यम से एक कठोर सगमगस्जक यर्गर्ा की प्रस्तुतत हुई। कपव वह
बतगनग चगहते हैं कक र्रीब िोर्ों को सिने दे खने कग अथधकगर भी नहीं है। उनकग सिनग एक कठोर यर्गर्ा िर
टूटतग है। आर्े उसके मिए सिनग दे खनग भी डरगवनग बन जगती है।
(IV) मसहरी-सरु क्षा .............. सपने में।
1. समगनगर्ी शब्द कपवतगंश से चुनकर मिखें।
मच्छरदगनी - मसहरी तनद्रग - नींद
2. स्री कैसे नींद में िडी? मसहरी की सरु क्षग में।
3. स्री कब तक नींद में िडी?
स्री ज़मीन िर धि
ू के फैिने तक नींद में िडी।
4. स्री कग सिनग कब टूटते है?
स्री कग सिनग उसके नींद खि
ु ने के िव
ू ा ही टूटते है।
5. स्री कग सिनग कैसे टूटते है?
सिने में बैंक की नोटीस आ धमकने िर सिने टूटते है।
6. कपवतगंश कग आस्वगदन दटप्िणी मिखें।
दहंदीतर प्रदे शों के दहंदी िेखकों में प्रमुख है डॉ जे बगबू। ‘सिने कग भी हक नहीं’ आिकी प्रमसद्ध कपवतग है,
स्जसमें एक र्रीब मज़दरू रन के सहगरे एक कठोर सगमगस्जक यर्गर्ा कग थचर खींचने कग प्रयगस ककयग है।
एक कमरे वगिी झोंिडी में रहनेवगिी र्रीब मज़दरू रन अिने बच्चों के सो जगने के बगद नींद में डूब जगती है।
उस नींद में वह एक पवस्तत
ृ महि कग सिनग दे खती है। दो मंस्ज़िें वगिी नए घर में मच्छरदगनी की सरु क्षग में
ज़मीन िर धि
ू फैिने तक वह नींद में िडी। िेककन नींद में बैंक कग नोटीस एक डरगवनी सच्चगई जैसे धमकती
है।
उस र्रीब मज़दरू रन और उसके सिने के मगध्यम से एक कठोर सगमगस्जक यर्गर्ा की प्रस्तुतत हुई। कपव वह
बतगनग चगहते हैं कक र्रीब िोर्ों को सिने दे खने कग अथधकगर भी नहीं है। उनकग सिनग एक कठोर यर्गर्ा िर
टूटतग है। आर्े उसके मिए सिनग दे खनग भी डरगवनग बन जगती है।
मेरी खोज:
➢ सगमगस्जक सच्चगई।
एक कठोर सगमगस्जक सच्चगई कग थचरण करनेवगिी कपवतग है डॉ जे बगबू की ‘सिने कग भी हक नहीं’। एक
र्रीब मज़दरू रन अिने एक कमरेवगिी झोंिडी में रहकर महि कग सिनग दे खती है। नींद के जगर् उठने के िहिे
उसने कफर दे खग, एक बैंक कग नोटीस, जो धमकी के रूि में सगमने खडग है। आर्े सिनग दे खनग भी उसके मिए
डरगवनग बन जगतग है।
र्रीब िोर्ों केमिए सिने दे खने कग भी अथधकगर नहीं है।
➢ आस्वगदन दटप्िणी।
दहंदीतर प्रदे शों की दहंदी सगदहत्यकगरों में प्रमख
ु है डॉ जे बगब।ू ‘सिने कग भी हक नहीं’ आिकी प्रमसद्ध
कपवतग है, स्जसमें एक र्रीब मज़दरू रन कग थचर खींचने कग प्रयगस की र्ई है।
र्रीब मज़दरू रन अिने बच्चों के सगर् एक कमरेवगिी झोंिडी में रहते है। रगत में बच्चों के सो जगने िर वह
अिने मन रूिी दीवगर िर एक पवशगि घर कग थचर खींचती है, जो उसकग स्वप्न भवन र्ग।
घर में भोजन खगने केमिए और सोने केमिए अिर्-अिर् कमरे है। रसोई बैठक के तनकट है। िूजग कग
कमरग ऊिरी मंस्ज़ि में रख ददए।
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कगाँक्रीट की छत के नीचे िीिे रं र् के दीवगरों के मध्य में खखडकी-दरवगज़े रख ददए। संर्मरमर चमकनेवगिी
ज़मीन िर मेज़-कुरमसयगाँ रख ददए। टी.वी, होम थर्येटर आदद बैठक की शोभग बढगते है। ग्रगनगइट चमकनेवगिी रसोई
में किड़्ज, मगइक्रोवेव आदद रखने िर शोभग और बढते है।
मसहरी की सरु क्षग में सरू ज की धूि फैिने तक वह सो िडी। जगर् उठने के िूवा ही उसने बैंक कग नोटीस
दे खग, जो एक धमकी है। इसमिए सिनग दे खनग भी उसके मिए डरगवनग बन जगतग है।
‘सिने कग भी हक नहीं’ एक कठोर सत्य कग िदगाफगश करतग है कक उस मज़दरू रन जैसे र्रीब िोर्ों को सिने
दे खने कग भी अथधकगर नहीं है।
वपछले सालों की प्रश्न पत्रों से एक नज़र:
MARCH 2016
1. ‘मर्र नींद के टूटने के िूवा ही नोटीस बैंक की आ धमकी सिने में ’ – इस सिने के बगरे में यव
ु ती अिनी सहेिी को
िर मिखते है। वह िर तैयगर करें । (8)
(झोंिडी में रहकर महि कग सिनग दे खनेवगिी मज़दरू रन, सगमगस्जक सच्चगई कग कठोर यर्गर्ा, सिनग दे खनग भी
डरगवनग बन जगनग)
JUNE 2017 (Say)
सच
ू ना: तनम्नमिखखत कपवतगंश िढें और प्रश्नों के उत्तर मिखें।
मसरही सरु क्षग ...........सिने में।
2. यह ककस कपवतग कग अंश है ? (1)
(मगतभ
ृ मू म, आदमी कग चेहरग, सिने कग भी हक नहीं, कुमद
ु फूि बेचनेवगिी िडकी)
3. युवती कब तक नींद में िडी? (1)
4. युवती सिने में क्यों भयभीत है? (2)
5. कपवतगंश कग आस्वगदन दटप्िणी मिखें। (7)
MARCH 2018
6. ‘मर्र नींद के खुिने की िूवा ही नोटीस बैंक की आ धमकी सिने में’ – आदमी कग सिनग हमेशग अधरू ग रहतग है।
कपवतगंश कग पवश्िेषण करें और मिखें। (4)
JUNE 2018 (Say)
7. चमकती मेज़-कुरमसयगाँ
टी.वी, होम थर्यटे र बैठक में भगते।
घर की बैठक में क्यग-क्यग चमकती है? (2)
MARCH 2019
8. ‘मन दीवगर िर अिनग पवस्तत ृ घर खींचने िर्ी’ – सिने के घर में कौन-कौन चीज़ें शोभग देती है? (4)
MARCH 2020
सूचना: कपवतगंश िढें और प्रश्नों के उत्तर मिखें।
ग्रगनगइट चमकती ...................... धमकी सिने में।
9. कब तक मज़दरू रन नींद में िडी रही? (1)
10. सिने की रसोई में कौन-कौन से चीज़ें है? (1)
11. कपवतगंश कग आस्वगदन दटप्िणी मिखें। (6)
SEPT 2020 (Say)
12. सिने दे खनेवगिी मज़दरू रन ककसकी सरु क्षग में सो रही र्ी? (2)
MARCH 2021
13. ‘मर्र नींद के खिु ने के िव
ू ा ही नोटीस बैंक की आ धमकी सिने में’ – सिनग दे खनेवगिी मज़दरू रन कग आत्मकर्गंश
तैयगर करें । (8)
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(सिने की शगन में सोनेवगिी मज़दरू रन, झोंिडी की जर्ह इमगरत कग सिनग, सिने के अंत में क़डुवी सच्चगई,
उदगरीकरण के दोष)
SAY 2021
14. ‘सिने कग भी हक नहीं’ ककसकी कपवतग है? (1)
(डॉ जे बगबू की, आनंद बख्शी की, कुाँवर नगरगयण की)
15. ‘....मर्र नींद के खुिने के िव
ू ा ही नोटीस बैंक की आ धमकी सिने में’ – यहगाँ कपव ने ककस सगमगस्जक सच्चगई की
ओर संकेत ककयग है? (2)
परीक्षा केंदित कुछ प्रश्न। उत्तर स्ियां मलखने का प्रयास करें :
1. रगत में बच्चे सो जगने िर र्रीब मज़दरू रन अिने पवस्तत
ृ घर के बगरे में डगयरी मिखते है। वह डगयरी तैयगर करें ।
(एक कमरेवगिे झोंिडी, इमगरत कग सिनग, सुख-सुपवधगएाँ)
2. र्रीब मज़दरू रन अिने सिने के बगरे में सहेिी को िर मिखते है। वह िर तैयगर करें ।
(एक कमरेवगिी झोंिडी, महि कग सिनग, शगन में रहनग)
3. ‘मर्र नींद के खि
ु ने के िव
ू ा ही नोटीस बैंक की आ धमकी सिने में’ – अर्िे ददन मज़दरू रन नोटीस िेकर बैंक
मैनेजर के यहगाँ जगते है। उन दोनों के बीच कग वगतगािगि तैयगर करें । (घर की हगित, बैंक से नोटीस
आनग, भुर्तगन केमिए ज़रग वक्त)
4. एक कमरे वगिे झोंिडी में मज़दरू रन के बच्चे भख
ू े र्े। सोने के िव
ू ा मज़दरू रन और बेटे के बीच होनेवगिे वगतगािगि
कल्िनग करके मिखें। (रोज़ की तरह भूखी, घर की हगित, भपवष्य के प्रतत आशंकग)
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5. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण करके शीषाक दें ।
बाप की विनती
मुरकी के बगि ने रगजवंती मगाँ के आर्े पवनती की कक उसकी स्री मर र्ई है। िडकी र्गाँव में चगचग के िगस
अकेिी र्ी। अर्र उसे यहगाँ िे आए तो बेटे को खखिगयग करे र्ी और रोटी भी खग िेर्ग।
(III) मैंने शुक्र फकया .............. छोटा-सा बुलाक।
1. रगजवंती मगाँ ने क्यों शक्र
ु ककयग?
रगजवंती मगाँ ने शुक्र ककयग क्योंकक उसके हगर् कग सहगरग ममि जगएर्ग।
2. रगजवंती मगाँ के यहगाँ िे आते समय मुरकी की आयु ककतनी र्ी? मुस्श्कि से बगरह बजे।
3. रगजवंती मगाँ के यहगाँ िे आते समय मुरकी कैसी िडकी र्ी?
बडी मगसूस-सी मगतह
ृ ीन िडकी र्ी। बदन से दब
ु ाि-सी, िेककन सफ़ेद रं र्ीन सुंदरी र्ी।
4. मरु की को दे खकर रगजवंती मगाँ को कैसग िर्ी?
मुरकी को दे खकर रगजवंती मगाँ को बडी भिी िर्ी।
5. ‘मुझे बडी भिी िर्ी’ – यह ककसने ककसके बगरे में कहग? क्यो?
यह वगक्य रगजवंती मगाँ ने मरु की के बगरे में कहग क्योंकक जब र्गाँव से आयग, वह बगरह वषीय मगतह
ृ ीन
िडकी बडी मगसम
ू -सी र्े।
6. र्गाँव से आते वक्त मुरकी क्यग-क्यग वस्र िहने र्े?
र्गाँव से आते वक्त मुरकी कगिी सिवगर और हरे रं र् के कुतगा िहने र्े।
7. छोटी मुरकी कग वणान करें ।
सफ़ेद रं र् के बगहर वषीय मरु की बडी मगसम
ू -सी र्े। बदन से दब
ु ाि र्े, िेककन संद
ु री र्े। कगिे रं र् कग
सिवगर और हरे रं र् कग कुतगा िहने र्े। कगनों में चगाँदी की मुरककयगाँ और नगक में सोने के छोटी बि
ु गक िहने र्े।
8. र्गाँव से आते वक्त मुरकी क्यग-क्यग आभष
ू ण िहने र्े?
र्गाँव से आते वक्त मरु की कगनों में चगाँदी की छल्िे और नगक में सोने कग छोटग-सग बि
ु गक िहने र्े।
9. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण करके उथचत शीषाक मिखें।
छोटी मुरकी
र्गाँव से आते समय मरु की बगरह वषा की र्ी। मगसूम-सी िडकी, बदन से दब
ु ाि, सफेद रं र् की सुंदरी। कगिग
सिवगर और हरे रं र् कग कुतगा िहने र्े। कगनों में चगाँदी की छल्िे, नगक में सोने कग छोटग-सग बुिगक िहनी र्ी।
(IV) तझ
ु े तो िह अपने.................. कभी बल
ु ाकी।
1. छोटे कुमगर को मरु की कैसे खखिगती र्ी?
छोटे कुमगर को मरु की अिने हगर्ों से नहीं खखिगती र्ी, अिनी जगन से खखिगती र्ी।
2. कुमगर कैसे अिनग प्यगर प्रकट करते हैं?
कुमगर तो मुरकी कग िीछग नहीं छोडतग र्ग। वह कभी-कभी उसकी मुरककयों को मुट्ठ भर िेतग र्ग यग
कभी उिछकर बि
ु गक को िकडतग र्ग।
3. रगजवंती मगाँ प्यगर से उसे क्यग िुकगरते र्े?
रगजवंती मगाँ प्यगर से कभी उसे मरु की बि
ु गती र्ी, कभी बुिगकी।
4. र्द्यगंश कग संक्षि
े ण करके शीषाक मिखें।
मुरकी और कुमार का प्यार
वह कुमगर को अिने हगर्ों से नहीं खखिगती र्ी, जगन से खखिगते र्े। कुमगर तो उसकग िीछग नहीं छोडतग र्ग।
कभी उसकी मुरककयों को मुट्ठ भर िेतग र्ग यग कभी उिछकर बुिगक को िकडतग र्ग।
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मेरी खोज:
➢ मुरकी और राजिांती के बीच का िाताफलाप।
मुरकी : मगाँ........मगाँ...........
रगजवंती : अरे , मुरकी बेटी..... आओ।
मुरकी : (रोते हुए) ज़रग िगनी िीस्जए मगाँ जी।
रगजवंती : (िगनी दे ते हुए) क्यों रोती है? तेरी ितत कहगाँ है?
मुरकी : ितत! वह तो मुझे छोडग।
रगजवंती : छोडग! कहगाँ? अब वह कहगाँ है?
मुरकी : मगिुम नहीं, हमने मेिग दे खने र्यग र्ग।
रगजवंती : कफर
मरु की : ददन भर घम
ू तग रहग। रगत में ककसी सरगय में सोयग। सबेरे उठते वक्त मैं अकेिग र्ग।
रगजवंती : अकेिे! कैसे इधर तक आई?
मुरकी : एक आदमी ने रगह कग भगडग ददयग। मगाँ जी, मैं क्यग करूाँ? कहगाँ रहूाँ?
रगजवंती : घबरगओ मत बेटी, अंदर आओ। तम्ु हगरग िरु गनग कमरग वहगाँ है।
मुरकी : मगाँ जी, आि मुझे......
रगजवंती : ये चगबी िे िो। मेरे जीते-जी कभी कोई तुझसे यह नहीं छ नेर्ग।
मुरकी : धन्यवगद, मगाँ जी।
रगजवंती : धन्यवगद मत कहनग। अब तू र्ोडी पवश्रगम करें ।
➢ बल
ु ाकी का आत्मकिाांश।
दस
ू रा जन्म
मगतगजी की मत्ृ यु के बगद कुछ ददन चगचग के घर में रहग। बगरह वषा की आयु में पितगजी ने इस घर में िे
आयग। यहगाँ मझ
ु े आश्रय ममिग। केवि आश्रय नहीं, एक मगाँ को भी ममिग। खगने केमिए अच्छे -अच्छे भोजन और सोने
केमिए एक कमरे ममिग। यहगाँ छोटे कुमगर को खखिगकर चगर-िगाँच वषा रहग। वगस्तव में वह र्ग मेरे जीवन के खुशी
भरे ददन। यहगाँ मगाँ ने मुझे एक बेटी जैसे प्यगर ददयग।
युवती होने िर पितगजी ने शगदी की तैयगररयगाँ शुरु की। र्गाँव के एक आदमी के सगर्, उसकग दस
ू रग पववगह
र्ग। िहिी ित्नी मर चुकी र्ी। उसी रगत मैंने एक शहरी िडके के सगर् भगर् र्यग।
कुछ महीने खश
ु ी से रहग। घर बनगयग। मेरे सगरे संिपत्त, जो रगजवंती मगाँ ने ददयग र्ग, िेकर नए घर केमिए
वस्तुएाँ खरीदी। इतने में कई िोर्ों ने मुझसे कहग कक ककसी दस
ू री स्री के सगर् मेरे ितत को कई बगर दे खग। िेककन
मुझे पवश्वगस नहीं आयग। दशहरग के अवसर र्ग, एक ददन मेिग दे खने केमिए र्यग। शहर में घूमते रहग, सडक
कग खगनग खूब खगयग, कई चीज़ें खरीदी। इतने में रगत हो र्यग। र्गाँव जगने केमिए र्गडी नहीं र्ग। इसमिए वहगाँ एक
सरगय में ठहरग।
सबेरे उठकर मैं चककत हुई। मैं अकेिी र्ी। ितत ने मझ ु े वहगाँ छोडकर कहीं र्यग। वह मेरे िल्िे से घर कग
चगबी भी िे मियग। मैं अकेिी, उसी सरगय में। कफर एक दयगिु व्यस्क्त की मदद से यहगाँ आ िहुाँचग। यहगाँ रगजवंती
मगाँ ने मुझे आश्रय ददए, मेरे िरु गने कमरे की चगबी भी ददए। उसने वगयदग ककयग कक कोई भी मुझसे चगबी नहीं
छ नेर्ग। यहगाँ आश्रय नहीं ममिग तो क्यग होर्ी मेरी स्स्र्तत? सोचने की शस्क्त भी नहीं है।
वपछले सालों की प्रश्न पत्रों से एक नज़र:
MARCH 2016
सूचना: ‘मुरकी उफा बि ु गकी’ कहगनी कग अंश िढें और प्रश्नों के उत्तर मिखें।
हगाँ कुमगर! इसमिए मैंने ..................... बुिगकी एक औरत।
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1. ‘मरु की उफा बि
ु गकी’ ककसकी रचनग है? (1)
(एकगंत श्रीवगस्तव, दहमगंशु जोशी, अमत
ृ ग प्रीतम, रगज बद्
ु थधरगजग)
2. मुरकी की मत्ृ यु के बगद कोठरी की चगबी कहगाँ से ममिी? कब? (2)
3. कुमगर की मगाँ ने कोठरी की चगबी मुरकी को क्यों दी? (3)
4. उियुाक्त खंड कग संक्षेिण करें । (7)
5. संक्षेिण केमिए उथचत शीषाक दें । (1)
MARCH 2017
6. मरु की की कर्ग सन
ु कर कुमगर की आाँखें भर आई। उस ददन की डगयरी में वह अिनी संवेदनगएाँ व्यक्त करतग है। वह
डगयरी तैयगर करें । (7)
(मुरकी कग कुमगर के घर आनग, बचिन में कुमगर को खगनग खखिगनग, मुरकी कग एक िडके के सगर् भगर् जगनग,
मुरकी कग िौट आनग, मरु की की मत्ृ यु हो जगनग)
JUNE 2017 (Say)
‘मरु की उफा बि
ु गकी’ कहगनी कग यह वगक्य िढें ।
रगजवंती ऐसे रोई जैसे उसके आाँखों में मुरकी की आाँसू ममिे हुए र्े।
7. उियाक्
ु त वगक्य के आधगर िर रगजवंती कग चररर-थचरण करें । (4)
MARCH 2018
8. ‘मरु की उफा बि
ु गकी’ कहगनी कग अंश िढें ।
‘जब मैंने उसकी मरी को नहिगयग, इस कोठरी की चगबी उसके नेफे में खोंसी हुई र्ी। उसके मगाँस से थचिक र्ई
र्ी।’ – मरु की की अंततम क्षण की बगतें मगाँ से सुनकर व्यथर्त कुमगर ममर को एक िर मिखतग है। वह िर तैयगर
करें । (8)
(मगाँ के द्वगरग मुरकी कग िगिन-िोषण करनग, ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मुरकी को सहगरग दे नग, घर की चगबी िकडग जगनग,
अंततम क्षण तक चगबी को सरु क्षक्षत रखनग)
JUNE 2018 (Say)
9. ‘न कोई जन्मने वगिग और न कोई सहेजने वगिग’ – मरु की के बगरे में रगजवंती ऐसे क्यों कहते हैं? (2)
10. ‘मरु की उफा बि
ु गकी’ कग अंश िढें ।
‘मरु की शगदी के बगद शहरी िडके के सगर् ककसी शहर में चगर-छः महीने रही। उसने घऱ बनगयग। मुरकी ने भी जो
कुछ अिने िगस र्ग, घर बनगने केमिए िर्ग ददयग।’- इस घटनग के आिेख करते हुए मरु की रगजवंती को िर मिखती
है। वह िर तैयगर करें । (8)
(ितत के सगर् नई स्ज़ंदर्ी, सगरे र्हने बेचकर घर बनगनग, भपवष्य के सिने)
MARCH 2019
11. मुरकी रगजवंती के घर कैसे िहुाँची? (2)
12. तनम्नमिखखत कर्नों के आधगर िर रगजवंती के चररर िर दटप्िणी मिखें। (4)
‘मैं प्यगर से उसको मरु की बि
ु गती र्ी कभी बुिगकी’ –
‘बडी मगसम
ू -सी मगतह
ृ ीन’
‘मेरे जीते-जी कभी कोई तुझसे यह चगबी नहीं छ नेर्ग’
13. ितत द्वगरग उिेक्षक्षत बुिगकी को रगजवंती अिने यहगाँ आश्रय दे ती है – इसके बगरे में रगजवंती अिनी सहेिी को एक
िर मिखती है। वह िर तैयगर करें । (8)
(रगजवंती के यहगाँ आश्रय ममिनग, ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मुरकी, जीवन भर चगबी न छ नने कग वगदग ममिनग)
MARCH 2020
14. ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मुरकी रगजवंती के घर कैसे िहुाँची? (2)
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15. ‘मगाँ, इसमिए तुमने मेरी इस वषार्गाँठ िर मुझसे प्रण मियग र्ग कक मैं मुरकी को उसके जीते-जी कभी इस कोठरी में
से नहीं तनकगिाँ ूर्ग’ – मरु की की करुण कहगनी ने कुमगर के मन को पवचमित कर ददयग। मुरकी के बगरे में कुमगर
अिने ममर को िर मिखतग है। वह िर तैयगर करें । (8)
(मुरकी कग रगजवंती मगाँ के यहगाँ आश्रय ममिनग, मरु की कग भगर् जगनग, मगाँ कग प्रण)
SEPT 2020 (Say)
16. ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मरु की को रगजवंती अिने यहगाँ आश्रय दे ती है। कल्िनग करें , मुरकी उस ददन की डगयरी मिखती
है। वह डगयरी तैयगर करें । (60 – 80 शब्दों में) (6)
(रगजवंती के यहगाँ आश्रय ममिनग, रगजवंती द्वगरग कोठरी की चगबी िकडग जगनग, जीवन भर चगबी न िौटगने कग वगदग
ममिनग)
17. रगजवंती की आाँखों में मसफा मुरकी के नहीं सगरी औरत जगतत के आाँसू ममिे हुए र्े। ‘नगरी आज भी स्वतंर नहीं है ’
पवषय िर भगषण तैयगर करें । (100 – 120 शब्दों में) (8)
(स्री के प्रतत समगज दृस्ष्टकोण, स्री की पववशतग, स्री मशक्षग, समगज में स्री कग स्र्गन)
MARCH 2021
18. ‘नगरी कि और आज’ पवषय िर आिेख तैयगर करें । (8)
(प्रगचीन कगि में नगरी, घरे िु वगतगवरण में नगरी, आधतु नक समगज में नगरी, नगरी सरु क्षग केमिए कगनन
ू ी मगन्यतग)
SEPT 2021 (Say)
शहरी िडके ने मरु की को कहगाँ छोडग? (सडक में, सरगय में, घर में) (1)
परीक्षा केंदित कुछ प्रश्न। उत्तर स्ियां मलखने का प्रयास करें :
1. ‘मगाँ! मुरकी कग ब्यगह कब हुआ र्ग?’ – कुमगर ने अिनी मगाँ से िूछग। मगाँ और कुमगर के बीच के वगतगािगि कल्िनग
करके मिखें।
(पितगजी की पवनती, मुरकी को अभय दे नग, मुरकी कग ब्यगह)
2. घर के नौकर ने अिनी बेटी को रगजवंती के घर िे आनग चगहग। इस संबंध में नौकर और रगजवंती के बीच कग
वगतगािगि तैयगर करें ।
(ित्नी की मत्ृ यु, एक मगर बेटी अकेिे र्गाँव में रहनग, पितगजी कग दख
ु , छोटे कुमगर कग दे खभगि)
3. मरु की की शगदी िक्की र्ी। इस संबंध में मरु की और पितग के बीच कग वगतगािगि कल्िनग करके मिखें।
(िुरी के बगरे में सोच, मगतह
ृ ीन िडकी, उसको सुरक्षक्षत हगर्ों में दे नग)
4. मुरकी के पितगजी ने अिनी र्गाँव में कहीं मरु की कग ररश्तग कर ददयग। शगदी के बगरे में बतगने केमिए पितगजी रगजवंती
के यहगाँ आते है। उन दोनों के बीच कग वगतगािगि कल्िनग करके मिखें। (मगतह
ृ ीन िडकी, रगजवंती के यहगाँ अभय
ममिनग, बेटी की शगदी)
5. मरु की के पितगजी ने अिने र्गाँव में कहीं बेटी कग ररश्तग कर ददयग। सन
ु ते ही मरु की अिनी प्रेमी से इसके बगरे में
कहती है। दोनों के बीच कग वगतगािगि कल्िनग करके मिखें।
(ककसी दज
ू ग से ररश्तग, शहरी िडके से प्रेम, उसके सगर् जीवन बबतगने की इच्छग)
6. पितगजी ने मरु की की शगदी िक्की। िेककन मरु की उस शगदी नहीं चगहग। उसने अिनी डगयरी में इस संबंध में क्यग
मिखग होर्ग। डगयरी तैयगर करें ।
(मगाँ की मत्ृ यु, रगजवंती मगाँ के घर में आश्रय ममिनग, ररश्तग िकगनग, शहरी िडके से प्रेम)
7. शगदी की बगत सुनकर मुरकी अिने प्रेमी के सगर् भगर् िेते हैं। वह रगजवंती मगाँ को एक खत मिखते हैं। वह खत
तैयगर करें ।
(घर में आश्रय ममिनग, बगि ने शगदी िकगनग, अिनग प्रेम, प्रेमी से भर्गनग)
8. शगदी की बगत सुनकर मुरकी ककसी शहरी िडके के सगर् भगर् जगते हैं। बगत जगनकर रगजवंती मगाँ बहुत दख
ु ी हुई।
उस ददन की डगयरी में मुरकी के बगरे में मिखते है। डगयरी कग वह िन्नग तैयगर करें ।
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(मुरकी कग घर आनग, बेटे को खखिगनग, अधेड आदमी से पववगह, प्रेमी से भगर् जगनग, मगाँ की आशंकग)
9. अिनी शगदी की बगत सुनते ही ककसी शहरी िडके के सगर् भगर् र्ई। कुछ ददन के बगद वह रगजवंती मगाँ को
टे मिफोन करती है। उन दोनों के बीच कग संभगपवत वगतगािगि तैयगर करें ।
(अधेड से शगदी, बगि से प्रेम के बगरे में कहनग, प्रेमी के सगर् भगर्नग)
10. शहरी िडके के सगर् भगर् जगने से िेकर ितत द्वगरग उिेक्षक्षत होने तक की घटनगएाँ मरु की की आत्मकर्गंश के रूि में
मिखें।
(दज
ू े से पववगह, असहमत प्रकट करनग, प्रेमी के हगर् िकडनग, सरगय में छोडनग)
11. ितत द्वगरग सरगय में उिेक्षक्षत मरु की की मुिगकगत ककसी दयगिु आदमी से होतग है। उन दोनों के बीच कग वगतगािगि
तैयगर करें ।
(तनस्सहगय मुरकी, सरगय में अकेिग हो जगनग, दयगिु आदमी से मि
ु गकगत, रगह कग भगडग)
12. ‘ककसी दयगिु व्यस्क्त से रगह कग भगडग िेकर िौट आई, नहीं तो न जगने कहगाँ भटकती?’ ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मरु की
की तनस्सहगयतग यहगाँ व्यक्त होती है। प्रगयः सभी प्रेम पववगहों कग अंत इस तरह होर्ग। आिके स्कूि के एन.एस.एस
की ओर से अंतरगाष्रीय मदहिग ददवस में ‘प्रेम पववगह: शगश्वत है यग नहीं’ पवषय िर एक तनबंध प्रततयोथर्तग की
आयोजनग है। उसके मिए एक आिेख तैयगर करें ।
(घरवगिों को भूिकर भगर् जगनग, ितत द्वगरग उिेक्षक्षत होनग, स्री की तनस्सहगयतग)
13. ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मुरकी ककसी तरह रगजवंती के यहगाँ िहुाँचते है। रगजवंती उसे अिने घर में आश्रय दे ती है और
उसकग िरु गनग कमरे की चगबी भी देती है। मरु की की उस ददन की डगयरी मिखें।
(प्रेमी के सगर् भगर्नग, सरगय में छोडनग, वगिस िौटनग, अभय ममिनग)
14. ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मर
ु की ककसी दयगिु आदमी से भगडग िेकर वगिस िौटती है। मरु की और रगजवंती के बीच कग
संभगपवत वगतगािगि तैयगर करें । (प्रेमी के सगर् भगर्नग, उिेक्षक्षत होकर वगिस िौटनग,
रगजवंती मगाँ ने अभय दे नग)
15. मर
ु की की कहगनी सन
ु कर कुमगर ने अिने उस ददन की डगयरी में क्यग मिखग होर्ग। कल्िनग करके मिखें।
(ितत द्वगरग उिेक्षक्षत होकर िौटनग, अिनी मगाँ की वगयदग, मुरकी की मत्ृ यु)
16. मुरकी की मरी को नहगते समय उसके मगाँस से कोठरी की चगबी ममिते है। रगजवंती मगाँ की उस ददन की डगयरी
तैयगर करें ।
(उिेक्षक्षतग मरु की, कोठरी की चगबी िकडनग, मुरकी की मत्ृ यु, चगबी वगिस ममिनग)
17. मर
ु की की मत्ृ यु के बगरे में सन
ु कर कुमगर के बचिन कग दोस्त वहगाँ आते है, स्जसे भी बचिन में कई बगर मरु की ने
खखिगयग र्ग। उन दोनों के बीच कग वगतगािगि तैयगर करें ।
(बचिन में रोज़ कुमगर के घर आनग, मुरकी से िररचय. सगिों बगद मरु की की मत्ृ यु के बगरे में सुननग)
18. संकेतों के आधगर िर रगजवंती मगाँ की आत्मकर्गंश तैयगर करें ।
(मगतह
ृ ीन िडकी, ‘मुरकी’ यग ‘बि
ु गकी’ िक
ु गरनग, ितत द्वगरग उिेक्षक्षत होनग, कफर अभय दे नग)
19. ‘रगजवंती ऐसग रोई जैसे उसकी आाँखों में मर
ु की के आाँसु ममिे हुए र्े, और मसफा मरु की की नहीं सगरी औरत जगतत के
आाँसू ममिे हुए र्े’ – समगज में नगरी की तनस्सहगयतग िर एक आिेख तैयगर करें ।
(समगज में नगरी कग स्र्गन, स्री मशक्षग, तनरगिंब जीवन जीने केमिए पववश नगरी)
20. ‘मस्ु श्कि से बगरह वषा की होर्ी तब’ – बगिश्रम कग कगनन
ू ी रोक है। कफर भी हमगरे समगज में यह सवार दे ख सकेंर्े।
‘बगिश्रम: समगज कग अमभसगि’ िर आिेख तैयगर करें । (बढते बगिश्रम, समगज कग अमभशगि, बच्चों
को उथचत मशक्षग दे नग)
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हाइकू
कविता डॉ भगितशरण अग्रिाल
तीन िंस्क्तयों में मिखी हगइकू जगिगनी कपवतग-रूि है। डॉ भर्वतशरण अग्रवगि के हगइकू कग आस्वगदन करें ।
हाइकू 1:
समानािी शब्द:
आकगश - नभ घोंसिग - नीड
िर - िै चगरों ओर घम
ू नग - माँडरगनग
हाइकू का मूलभाि: मगाँ की ममतग अति
ु नीय है।
भािािफ:
जगिगनी कगव्य शैिी हगइकू कग खब
ू प्रचगर दहंदी में है। दहंदी में हगइकू को खगस िहचगन ददिगने में डॉ
भर्वतशरण अग्रवगि कग पवमशष्ट योर्दगन है। ‘इंद्रधनुष’ आिकग प्रमसद्ध हगइकू संग्रह है।
आकगश को र्ाँज
ु गती हुई भीषण आाँधी आई। प्रकृतत के इस प्रकोि में बडे-बडे िेड नीचे थर्र िडे। उसके सगर्
वक्ष
ृ ों के टहतनयों से िक्षक्षयों कग नीड भी नीचे थर्र िडग। नीडों से थर्रे छोटी-छोटी िक्षक्षयों को छोडकर उनके मगाँ भगर्
नहीं जगती। वह उनके िगस माँडरगती रहती है।
प्रस्तत
ु हगइकू में मगाँ के प्यगर के बगरे में कहग र्यग है। मगाँ कग प्यगर अतल्
ु य है। ककसी पविपत्त में भी वह
अिने बच्चों को नहीं छोडतग है।
हाइकू 2:
समानािी शब्द:
भगद्रिद - भगदों शोमभत होनग - सरसनग
हाइकू का मल
ू भाि: पवरह की असहनीय है।
भािािफ:
जगिगनी कगव्य शैिी हगइकू कग खब
ू प्रचगर दहंदी में है। दहंदी में हगइकू को खगस िहचगन ददिगने में डॉ
भर्वतशरण अग्रवगि कग पवमशष्ट योर्दगन है। ‘इंद्रधनुष’ आिकग प्रमसद्ध हगइकू संग्रह है।
भगद्रिद के महीने में सगरे प्रकृतत शोमभत रहते है। सब कहीं आनंद और खुशी फैिती है। िेककन पवरदहणी के
जीवन सूखग आाँर्न जैसग है अर्गात ितत पवरह में उनकग जीवन आहों और िीडगओं से भरग रहतग है। ितत पवरह में
सुख भरे मौसम में भी उनके मन सूखग-रूखग रहतग है।
पवरह की िीडग ददानगक है।
हाइकू 3:
समानािी शब्द:
अततथर् - मेहमगन वद्
ृ धगवस्र्ग - बुढगिग
हाइकू का मूलभाि: िररवतान प्रकृतत तनयम है, सबको उसे स्वीकगरनग िडेर्ग।
भािािफ:
जगिगनी कगव्य शैिी हगइकू कग खब
ू प्रचगर दहंदी में है। दहंदी में हगइकू को खगस िहचगन ददिगने में डॉ
भर्वतशरण अग्रवगि कग पवमशष्ट योर्दगन है। ‘इंद्रधनुष’ आिकग प्रमसद्ध हगइकू संग्रह है।
हर व्यस्क्त बुढगिग की अवस्र्ग को अिनग दश्ु मन मगनते हैं। िेककन हम मगने यग न मगने बुढगिग बबनग बुिगए
मेहमगन की तरह हमगरे जीवन में आते है।
िररवतान प्रकृतत तनयम है। हरे क को उसे स्वीकगरनग िडेर्ग।
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हाइकू 4:
समानािी शब्द:
बगररश - वषगा
हाइकू का मूलभाि: वषगा अर्गात बगररश कग महत्व।
भािािफ:
जगिगनी कगव्य शैिी हगइकू कग खब
ू प्रचगर दहंदी में है। दहंदी में हगइकू को खगस िहचगन ददिगने में डॉ
भर्वतशरण अग्रवगि कग पवमशष्ट योर्दगन है। ‘इंद्रधनुष’ आिकग प्रमसद्ध हगइकू संग्रह है।
वषगा जीवनदगतग है। कदठन प्रयत्न करके खेतों में नए जीवन की कपवतगएाँ रचनेवगिग यग बोनेवगिग ककसगन के
कगरण वषगा धन्य हो जगती है। प्रेमी-प्रेममकग के मन में यगदें हमेशग हरग रहतग है।
हाइकू 5:
समानािी शब्द:
स्मतृ त - यगद बर्ीचग - बगर्
हाइकू का मूलभाि: प्रेम कभी नहीं मरु झगतग है।
भािािफ:
जगिगनी कगव्य शैिी हगइकू कग खब
ू प्रचगर दहंदी में है। दहंदी में हगइकू को खगस िहचगन ददिगने में डॉ
भर्वतशरण अग्रवगि कग पवमशष्ट योर्दगन है। ‘इंद्रधनुष’ आिकग प्रमसद्ध हगइकू संग्रह है।
प्रेम कभी नहीं मरु झगतग है। संयोर् के क्षण में जो वस्तए
ु ाँ प्रेमी-प्रेममकग को सुख एवं खुशी प्रदगन करती है, वे
पवरह के अवसर में अिने सुखद क्षण की मधुर यगदें ददिगती है।
हाइकू 6:
समानािी शब्द:
वेदनग - ददा दहमकण - ओस अनुभव/अनुभूतत - अहसगस
हाइकू का मल
ू भाि: वेदनग मन को िपवर बनगती है। दस
ू रों की वेदनग कग िहचगन मगनवतग है।
भािािफ:
जगिगनी कगव्य शैिी हगइकू कग खब
ू प्रचगर दहंदी में है। दहंदी में हगइकू को खगस िहचगन ददिगने में डॉ
भर्वतशरण अग्रवगि कग पवमशष्ट योर्दगन है। ‘इंद्रधनुष’ आिकग प्रमसद्ध हगइकू संग्रह है।
वेदनग मन को िपवर बनगती है। स्जसने अिने जीवन में ददा कग अनुभव नहीं ककयग है उसे आाँसू कग मूल्य
नहीं जगनतग। वेदनग के कगरण खश
ु ी और प्यगर कग महत्व बढतग है। जो इसे िहचगनते नहीं, उसके सगमने आाँसू भी
ओस के समगन है अर्गात आाँसू कग मूल्य नहीं है।
Important Questions to be Expected:
✓ प्रत्येक हगइकू कग भगवगर्ा।
✓ प्रत्येक हगइकू कग मि
ू भगव।
ഓലരന മഹക്കുവുാം നന്നയി വനയിച്ച് മനസ്സിെനക്കി ഭനവനർത്ഥ്ാം അറിഞ്ഞിരിക്കണാം.
ഏലതങ്കിെുലമനലക്ക പരീക്ഷയിൽ ന്ത്പതീക്ഷിക്കനവുന്തനണ്.
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आदमी का चेहरा
कविता कांु िर नारायण
प्रमुख पात्र: मैं (कपव) और आदमी (कुिी)
आस्िादन दटप्पणी:
श्री कंु वर नगरगयण नई कपवतग के सशक्त हस्तगक्षर है। कपवतग के अिगवग कहगनी, समीक्षग और मसनेमग मे भी
उन्होंने िेखनी चिगई। ‘आदमी कग चेहरग’ एक छोटी कपवतग है, जो एक कठोर यर्गर्ा की ओर इशगरग करतग है कक कगम कग
महत्व केवि कगम िर ही तनभार नहीं रहतग बस्ल्क कगम करनेवगिों की ईमगनदगरी िर भी तनभार रहतग है। हर कगम कग
अिनग-अिनग महत्व है।
अिनी यगरगओं में कपव अिने सगमगन उठगने केमिए ‘कुिी’ को िुकगरते हैं। कुिी समगन उठगकर चिते समय कपव
अिने को श्रेष्ठ और कुिी को अिने से तुच्छ समझकर उससे दस कदम िीछे चिग। अिनी यगरगओं में वह कभी भी कुिी
की तरफ नहीं दे खग। उसके चेहरे कग िहचगन नहीं ककयग। उसके िगि कमीज़ िर टं के नंबर से ही वह उसे िहचगनते र्े।
िेककन जब जीवन में िहिी बगर अिनग सगमगन उठगने कग अवसर ममिग तो कपव को मगि ढोने में जो ददा और कष्टतग है,
उसे िहचगन मियग। तभी वह कुिी कग चेहरग िहचगन मियग। िररश्रम कग महत्व िहचगन मियग।
आज के भगर्-दौड में आदमी, अिने सहजीपवयों को िहचगनने में असमर्ा रहतग है। यहगाँ कपव स्वयं अिने को श्रेष्ठ
मगनग। िेककन नौकर हो यग मगमिक, दोनों मनुष्य ही है। कपव एक सत्य की ओर इशगरग करतग है कक मनुष्य को उसी रूि में
िहचगननग है।
യനന്ത്തരളിൽ സ്നധങ്ങലളടുക്കനൻ രവി രൂെിലയ വിളിക്കുന്ു. രൂെി സ്നധനങ്ങളുമനയി
നടക്കുലമ്പനൾ രവി സ്വയാം രൂെിലയ തലന്ക്കനളുാം ലചറിയവനനയി രരുതി പെ് ചുവട് പുറരിൽ
നടക്കുന്ു. യനന്ത്തരളിൽ അലേഹാം രൂെിലയ ലനനക്കിയിരുന്ിെല. അയനളുലട മുഖാം തിരിച്ചറിഞ്ഞിെല.
അയനളുലട ചുവന് രുെനയെിലെ നമ്പറിൽ നിന്നണ് തിരിച്ചറിഞ്ഞിരുന്ത്. എന്നൽ ഒരിക്കൽ
സ്വരാം സ്നധനങ്ങലളടുക്കുവനൻ അവസ്രാം െഭിച്ചലെനൾ രവി സ്നധനങ്ങൾ ചുമക്കുന്തിെുള്ള
വിഷമവുാം രഷ്ടെനടുാം തിരിച്ചറിയുന്ു. അലെനൾ അലേഹാം രൂെിയുലട മുഖാം തിരിച്ചറിയുന്ു,
പരിന്ത്ശമെിൻലറ മഹതവാം തിരിച്ചറിയുന്ു.
कपवतगंश िढे और प्रश्नों के उत्तर मिखें :
I. “कुली!” पुकारते ....... चेहरा याद आया।
1. समगनगर्ी शब्द कपवतग से चुनकर मिखें।
चककत होनग - चौंकनग बोझ उठगनग - िगदनग मगि - सगमगन
िगदनग - ढोनग मसिवगनग - टाँ कगनग
2. कुिी िक
ु गरने िर कपव कग अंदर क्यों चौंकग?
आज कपव ने अिनग सगमगन खुद उठगयग। मगि ढोने में जो ददा है उसे कपव ने िहचगन मियग। इसमिए
‘कुिी’ शब्द सुनते ही कपव कग अंदर चौंकग।
3. कुिी को आदमी के रूि में िहचगनने के िहिे उसके सगर् कपव की यगरग कैसी र्ी?
कपव के सगमगन िगदकर कुिी आर्े बढते समय कपव उससे दस कदम िीछे चितग र्ग।
4. कुिी को आदमी के रूि में िहचगनने से िहिे कपव क्यों उससे दस कदम िीछे चितग रहग?
कपव स्वगमभमगनी र्े। उसे िर्तग है कक वह कुिी से श्रेष्ठ है। इसमिए कपव हमेशग दस कदम िीछे चितग
रहग।
5. कुिी को आदमी मगनने से िहिे कपव ने उसको कैसे िहचगनते र्े?
कुिी को आदमी मगनने से िहिे कपव ने उसकी िगि कमीज़ िर टाँ कग नंबर से ही िहचगनतग र्ग।
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6. समगन खुद उठगते वक्त कपव के मन में कौन-सग पववेक िैदग हुआ?
सगमगन खुद उठगते वक्त कपव को आदमी कग चेहरग यगद आयग। उसने मगि ढोनेवगिे मनुष्य कग ददा िहचगन
मियग। कगम करने कग महत्व भी िहचगन मियग।
7. कुिी कहकर िुकगरने िर कपव को क्यों िर्तग है कक कुिी नहीं एक इन्सगन आकर उसके िगस खडे हो रहग है?
अिनी यगरगओं में कपव कभी भी कुिी के चेहरे की िहचगन नहीं ककयग। उसके कमीज़ में टाँ के नंबर से ही उसे
िहचगनतग र्ग। िेककन अब कपव को अिनग सगमगन खद
ु उठगने कग अवसर ममिग, अतः वह मगि ढोने कग ददा िहचगन
मियग। उस िहचगन में कपव ने कुिी को आदमी के रूि में िहचगन मियग।
8. “एक आदमी कग चेहरग यगद आयग।“ ककसको? कब?
कपव को। अिने सगमगन स्वयं उठगते वक्त उसे एक आदमी कग चेहरग यगद आयग।
9. सगमगन खुद उठगते वक्त कपव को क्यों आदमी कग चेहरग िहचगन मियग?
सगमगन खद
ु उठगते वक्त कपव को मगि ढोने कग ददा और िररश्रम कग महत्व िहचगन मियग। इसमिए कपव
‘कुिी’ को आदमी के रूि में िहचगन मियग।
Important Questions to be Expected:
✓ आस्वगदन दटप्िणी।
✓ രവിത നന്നയി വനയിച്ച്, ആസ്വനദനക്കുറിെ് പഠിച്ചനൽ രവിതയിൽ നിന്ുള്ള രനക്കിലയെലന
ലചനദയങ്ങൾക്കുാം ഉെരലമഴുതനൻ രഴിയുാം.
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दिा
व्यांग्य हररशांकर परसाई
प्रमुख पात्र: कपव अनंर् जी, ित्नी, बेटग, कपव कग ममर और एक डॉक्टर
झूठ प्रशंसग िसंद करनेवगिे िोर्ों िर हंसी-मज़गक उठगके हररशंकर िरसगई की छोटी-सी व्यंग्य है ‘दवग’। कपव
अनंर्जी कग अंततम समय आ िहुाँचग र्ग। डॉक्टर ने कहग कक वह घंटे भर जीपवत रहेर्ग। ित्नी डॉक्टर से प्रगर्ानग करती है
कक शगम की र्गडी से आनेवगिे बेटे से ममिने केमिए 5-6 घंटों तक उसे जीपवत रह सकें। िर डॉक्टरें कहते हैं कक वह घंटे
भर भी जीपवत नहीं रहेर्ग।
इतने में अनंर् जी कग दोस्त आकर कहते है कक वह उसे कई घंटे जीपवत रख सकेर्ग। डॉक्टर ने हाँसी उठगयग। दोस्त
सब िोर्ों को बगहर जगने को कहते है। अनंर् जी के िगस बैठकर दोस्त ने कहग कक जगने के िहिे उसकी मीठे स्वर सुननग
है। वह अनंर् जी को िुस्तक की कॉिी देते हैं, अनंर् जी कपवतग-िगठ करने िर्ग। शगम को बेटग आकर कमरे में घुसते ही
दे खग पितगजी कपवतग िढ रहे हैं और दोस्त वहगाँ मरे िडे हैं।
ന്ത്പശാംസ് ഇഷ്ടലെടുന് ആളുരലള രളിയനക്കി ഹരിശങ്കർ പർസ്നയി എഴുതിയ ലചറിലയനരു
ഹനസ്യ രചനയനണ് ‘മരുന്്’. രവി അനാംഗ് ജീയുലട അരിമ സ്മയമടുെു. ല നക്ടർ പറഞ്ഞത്
അലേഹാം മണിക്കൂറുരൾ മനന്ത്തലമ ജീവിച്ചിരിക്കുരയുള്ളു എന്നണ്. ഭനരയ ല നക്ടലറനട്
മവരുലന്രലെ വണ്ടിയിലെെുന് മരൻ വരുന്തു വലര ജീവൻ നിെനിർെനൻ
ആവശയലെടുന്ു. എന്നൽ അലേഹാം മണിക്കൂർ തിരച്ചുാം ജീവലനനടിരിക്കുരയിെല എന്നണ്
ല നക്ടർമനർ പറഞ്ഞത്.
അലെനലഴക്കുാം രവിയുലട സ്ുഹൃെ് വന്് അലേഹാം മണിക്കൂറുരലളനളാം ജീവലനനടിരിക്കുാം
എന്് പറയുന്ു. ല നക്ടർമനർ ചിരിക്കുന്ു. എെലനവലരനടുാം പുറലെക്കിറങ്ങി നിൽക്കനൻ
പറയുന് സ്ുഹൃെ് രവിലയനട് അലേഹെിൻലറ മധുര സ്വരലമനന്് ലരൾക്കണലമന്്
ആവശയലെടുന്ു. രവിയ്ക്ക്ക് പുസ്തരാം ലരനടുക്കുന്ു, രവി രവിത ലചനെലനൻ തുടങ്ങി.
മവരുലന്രാം മരൻ മുറിയ്ക്ക്കുള്ളിൽ ന്ത്പലവശിക്കുലമ്പനൾ രവിത വനയിച്ചു ലരനണ്ടിരിക്കുന്
അച്ഛലനയുാം അരിരിൽ മരിച്ചു രിടക്കുന് സ്ുഹൃെിലനയുമനണ് രനണുന്ത്.
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जीिन-ित्त
ृ (Profile)
जीवन-वत्त
ृ ककसी जगने-मगने व्यस्क्त िेखक यग सगदहत्यकगर के जीवन कग संक्षक्षप्त पववरण है। प्रगयः छोटी अनच्
ु छे द में
मिखते है। िेखक के बगरे में प्रश्न-िर में दी र्ई बगतें ध्यगन से िढकर मिखने की कोमशश करें ।
जीवन-वत्त
ृ के आधगर िर अनच्
ु छे द मिखते समय इन्हीं बगतें ध्यगन में रखें:
• कपव/िेखक/व्यस्क्त के बगरे में ददए पववरण ध्यगन से िढें ।
• सरि भगषग में एक अनुच्छे द में मिखने कग प्रयगस करें ।
आगे यह नमूना दे खें:
जीिन-ित्त
ृ पढ़ें और अनुच्छे द मलखें:
नगम : मैथर्िीशरण र्ुप्त
जन्म : 1885, थचरर्गाँव, उत्तर प्रदे श
रचनगएाँ : सगकेत, यशोधरग, िंचवटी
िरु स्कगर : िद्मभष
ू ण, 1954
मत्ृ यु : 1965
उत्तर कैसे मलखें :
मैथिलीशरण गप्ु त (1885 – 1965)
श्री ......................... (मैथर्िीशरण र्ुप्त) दहंदी के प्रततभगशगिी िेखक/रचनगकगर है। आिकग जन्म ...........(1885)
को हुआ। आिकग जन्म स्र्गन ................. (उत्तरप्रदे श) के .................. (थचरर्गाँव) है। .............(सगकेत), ...............
(यशोधरग), .................. (िंचवटी) आदद आिकी प्रमख ु रचनगएाँ है। आि ...............(1965) के ..................... (िद्मभष ू ण)
से िरु स्कृत है। ..........(1965) को आिकी मत्ृ यु हुई र्ी।
ये अनुच्छे द भी दे खें:
1. बहादरू शाह ज़िर (1775 - 1862):
ददल्िी के अंततम मुर्ि शगसक श्री बहगदरू शगह ज़फ़र कग जन्म 1775 में हुआ। 1857 कग प्रर्म स्वतंरतग
संग्रगम में भगर् मियग। बिटीश सरकगर ने उन्हें कैदी करके रं र्न
ू भेज ददयग। 17 ददसंबर 1862 को कैदखगने में ही
उनकी मत्ृ यु हुई र्ी।
2. जिाहरलाल नेहरू (1889 – 1964):
स्वतंर भगरत के प्रर्म प्रधगनमंरी श्री जवगहरिगि नेहरू जी कग जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के
इिगहगबगद में हुआ। उनकी मगतग-पितग स्वरूिग रगनी और मोतीिगि नेहरू र्े। उन्हें बच्चों से बहुतथधक िर्गव र्ग।
उनकी मत्ृ यु 27 मई 1964 को ददल्िी में हुई।
3. दहमाांशु जोशी (1935 – 2019):
श्री दहमगंशु जोशी कग जन्म 1935 को उत्तरगखंड में हुआ। वे बहुमुखी प्रततभगवगन रचनगकगर है। दहंदी के सभी
सगदहस्त्यक पवधगओं में उन्होंने अिनी िेखनी चिगई। यगरगएाँ, नोवे: सरू ज चमके आधी रगत आदद उनके प्रमख ु यगरग
वत्त
ृ गंत है। उनकी मत्ृ यु 2019 में हुई।
4. सूरदास:
सूरदगस कग जन्म 15वीं शती के अंततम दशक में उत्तरप्रदे श में हुआ र्ग। सर्ुण भस्क्तधगरग के सवाश्रेष्ठ
कृष्णभक्त कपव सूरदगस जन्मगंध र्े। उनकग वगत्सल्य वणान अद्पवतीय है। सरू सगर्र उनकी प्रमुख रचनग है।
5. आनांद बख्शी (1930 – 2002):
श्री आनंद बख्शी कग जन्म 1930 को वतामगन िगककस्तगन के रगविपिंडी में हुआ र्ग। ‘भिग आदमी’ कफल्म
केमिए र्ीत मिखकर वे दहंदी कफल्मी जर्त में िदगिाण ककए। उन्होंने िर्भर् 4000 से अथधक दहंदी र्ीत मिखे।
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कफल्म फेयर तर्ग ऐ.ऐ.एफ.ए िुरस्कगरों से वे सम्मगतनत भी र्े। 72 सगि की आयु में 2002 को मुंबई में उनकग
तनधन हुआ।
6. मन्ना डे (1919 – 2013):
भगरतीय कफल्मी जर्त के सप्र
ु मसद्ध िगश्वार्गयक श्री मन्नग डे कग जन्म 1919 को हुआ। 1942 में कफल्मी
र्गयन की शुरूआत की। उन्होंने 3000 से अथधक र्ीतों को स्वर ददयग। िद्मश्री, िद्मभषू ण आदद से सम्मगतनत र्े।
7. एकाांत श्रीिास्ति:
श्री एकगंत श्रीवगस्तव कग जन्म 1964 को छत्तीसर्ढ के छूटग र्गाँव में हुआ। वे दहंदी के जगने-मगने िेखक हैं।
मेरे ददन मेरे वषा उनकी आत्मरचनग है। वे केदगर सम्मगन से िरु स्कृत है।
8. ड़ॉ जे बाब:ू
डॉ जे बगबू कग जन्म 1952 को केरि के ततरुवनंतिरु म में हुआ। वे दहंदीतर प्रदे शों के दहंदी सगदहत्यकगरों में
प्रमख
ु है। मक्
ु तधगरग, उिझन आदद उनकी कपवतग संकिन है। दहंदीतर भगषी िेखक िरु स्कगर से वे सम्मगतनत र्े।
9. अमत
ृ ा प्रीतम (1919 – 2005):
श्रीमती अमत
ृ ग प्रीतम कग जन्म 1919 को िंजगब के र्ज ु रगंवगिग में हुआ। वे िंजगबी और दहंदी के पवख्यगत
िेखखकग है। ‘कहगतनयों के आाँर्न में’ उनकी प्रमसद्ध कहगनी संग्रह है। 1982 के ज्ञगनिीठ से वे सम्मगतनत हुए।
2005 को उनकी मत्ृ यु हुई।
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र्गाँव िहुाँचग। खचा केमिए पितगजी कुछ हज़गर रुिए भपवष्य तनथध से िगए र्े, कफर भी खचा ज़्यगदग अथधक र्ग। िेखक
के पितगजी अिने ज़मीन बेचते है।
िेखक समझदार बेटा है। ज़मीन के रस्जस्री के एक ददन िहिे पितगजी िेखक से अिने सगर् खेत चिने को
कहते है तो वह कुछ चककत हुए। घर में मेहमगन और पववगह से संबंथधत ज़रूरी कगम होने के कगरण िहिे ज़रग
फुरसत मगाँर्ते है। िेककन वह अिने पितगजी की अवस्र्ग समझते है । पितगजी की इच्छग उसके मन मे आहत िहुाँचगते
है और वह उसके सगर् खेत चिते है।
खेत िहुाँचकर चि
ु चगि टहिनेवगिे पितगजी को दे खकर िेखक को उसके भीतर कग हगहगकगर समझते है। वह
चुिचगि झुककर उस ममट्टी को छूते है तो िर्तग है कक वह ज़मीन बचिन की कपवतग मिखी र्ई स्िेट होर्ग यग
अिने रक्त के चमक वगिे फूि।
िेखक अिने पितगजी कग आज्ञाकारी बेटग है। जीवन की पवषमतग में वह अिने पितगजी के हगर् िकडते है।
कभी भी वह अिने पितगजी को अकेिे नहीं छोडते है। सगर् ही अिनी बहन केमिए वह प्यारी भगई भी है।
5. वपताजी:
सूखे आुँसू: र्नशःब्द विलाप
‘ज़मीन एक स्िेट कग अंश है’ एकगंत श्रीवगस्तव कग आत्मकर्गंश हैं, स्जसमें अिनी बहन की शगदी और उससे
संबंथधत कुछ अपवस्मरणीय घटनग कग वणान हुआ है। िेखक की बहन की शगदी होनेवगिी है। शगदी केमिए वे सब
र्गाँव िहुाँचग। खचा केमिए पितगजी कुछ हज़गर रुिए भपवष्य तनथध से िगए र्े, कफर भी खचा ज़्यगदग अथधक र्ग। िेखक
के पितगजी अिने ज़मीन बेचते है।
उस ज़मीन से पितगजी कग र्हरग िर्गव है। िीदढयों से खेती करनेवगिे ज़मीन बेचने िर वह बेचैन हो जगते
है। वे उसे कभी भी अिने हगर् से छोडनग नहीं चगहते है। िेककन बेटी की शगदी के अवसर िर िैसे केमिए वह ज़मीन
बेचने केमिए पववश हो िडते है। पितगजी को अिनी बेटी और पररिारिालों के प्रर्त प्यार और ममता अवश्य है।
अिनी ज़मीन दस
ू रों की हो जगती है। इस बगत को सोचते ही उसे असहनीय िीडग कग अनुभव करते है।
िेककन वह िैयफशाली पितग अिने दःु ख को सहते है। बबकनेवगिे खेत में टहिनेवगिे उस पितगजी के ध्यगन में अिने
आसिगस के कोई भी बगत न आती। वे शगम तक वहगाँ टहिते रहग। वे खगमोश भी र्े। िेककन उसके भीतर हगहगकगर
ज़रूर है, जो वह चि
ु चगि सहते है।
ऱस्जस्री के बगद भी वे खगमोश रहे। वेदनग खुद सहते है। वे जगनते है कक र्गाँव में इज्जत बनगए रखने केमिए
धन के सगर् ज़मीन की भी ज़रूरत है। यह सोच पवचगर में उनकी आाँसू सूख र्ई है।
आत्मकर्गंश हमें एक प्यारी पितगजी कग िररचय करगते है, स्जसको अिने पररिारिालों से गहरा प्रेम और
ममता है, सगर् ही अिनी ज़मीन के प्रतत र्हरग जुडगव भी है।
(III) मुरकी उिफ बुलाकी:
6. राजिांती माुँ:
स्नेहमयी माुँ
अमत
ृ ग प्रीतम की प्रमसद्ध कहगनी ‘मरु की उफा बि
ु गकी’ कग प्रमख
ु िगर है ‘रगजवंती’। वह कुमगर की स्नेहमयी
माुँ है। दया, ममता आदद मात-ृ सहज गण
ु ों की मूतता है रगजवंती मगाँ। परोपकार उनकी चररर की बडी पवशेषतग है।
अिने घर कग िरु गनग नौकर की मगतह
ृ ीन बेटी को आश्रय एवं माुँ का प्यार ददए। वह िडकी उसके मिए केवि
नौकरगनी नहीं है, बस्ल्क अिनी बेटी ही है। वह उसे प्यगर से मरु की बि
ु गती र्ी कभी बि
ु गकी। मरु की के भपवष्य के
बगरे में सोचकर वे थचंततत र्े। बेटग कुमगर के जन्मददन जैसे पवशेष अवसरों िर वह मरु की को सोने-चगाँदी के आभूषण
आदद दे ते रहे। वह ज़रूर एक बेटी के भपवष्य के बगरे में थचंततत मगाँ कग प्यगर ही है। वह अिने घर की एक कोठरी
उसे ददए।
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ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मुरकी वगिस िौट आते समय, रगजवंती मगाँ उसे अभय ददयग, सगर् ही उसकग िुरगनी
कोठरी की चगबी भी। अिने बेटे से भी वह यह वचन ददिगती है कक कभी भी मुरकी को उस कोठरी से नहीं
तनकगिेर्ग। तनरगिंब मरु की को उसकी मत्ृ यु तक आश्रय ददयग। इस प्रकगर प्यार, ममता, करुणा और सहानभ
ु ूर्त भरे
एक मगाँ को हम यहगाँ दे ख सकते हैं। िडककयों को अमभशगि मगनने वगिे समगज में घर के िरु गनग नौकर की मगतह
ृ ीन
बेटी को आश्रय एवं मगाँ कग प्यगर ददए।
7. मरु की:
मासम
ू -सी मरु की
अमत
ृ ग प्रीतम की प्रमसद्ध कहगनी ‘मुरकी उफा बि
ु गकी’ कग प्रमुख िगर है ‘मुरकी’। एक मगतह
ृ ीन िडकी।
अिनी बेटी की सुरक्षग केमिए उसके पितगजी ने उसे रगजवंती मगाँ के यहगाँ िे आयग। उसकग असिी नगम ककसी को न
जगनते र्े, मुरकी और बुिगकी नगम रगजवंती मगाँ ने रखे र्े।
रगजवंती मगाँ के बेटे को मरु की उतनग अथधक प्यगर करते हैं कक उसे अिने हगर्ों से नहीं खखिगती र्ी, जगन से
खखिगती र्ी। सोिह वषा की आयु में उसकग रूि खूब चढ र्यग। वे अच्छ तरह िहगडी र्ीत र्गती र्ी, स्जसे सन
ु कर
उडते िंछ भी खडे हो जगते र्े।
अिने बगि ने र्गाँव में ककसी दज
ु े से ररश्तग िक्की तो, साहसी और िैयफशाली मरु की रगत ही रगत अिनी प्रेमी
से भगर् जगते है। पितग द्वगरग िक्की र्ई शगदी केमिए वे बबिकुि तैयगर नहीं र्े।
कुछ महीने वे ितत के सगर् रहग। वे ईमानदारी और अिने पर्त को समझनेिाली र्े। घर बनगने केमिए िैसे
की कमी आई तो, अिने हगर्ों में जो कुछ र्ग, उसे ददयग। बगद में ितत द्वगरग उिेक्षक्षत होने िर वह रगजवंती के यहगाँ
िौट आती है। ितत द्वगरग उिेक्षक्षत होकर उसके मन पवतष्ृ णग से भर जगती है। वह आत्मामभमानी र्े, ितत को ढाँू ढने
केमिए वह कभी भी तैयगर नहीं होते।
ितत द्वगरग उिेक्षक्षत होकर िौट आते समय रगजवंती मगाँ उसे एक कोठरी की चगबी दे ते है। अिनी मत्ृ यु के
बगद रगजवंती मगाँ को वह चगबी वगिस ममिग, जो उसके मगाँस से थचिक र्ई है।
कहगनी हमें एक मगतह
ृ ीन िडकी को दशगाते है जो एक घर में बच्चे के दे खभगि करते है। उस घर में सबके
पप्रय र्ग वह मगतह
ृ ीन िडकी। रगजवंती मगाँ उसके मिए मगाँ जैसी र्ी।
8. कुमार:
अमत
ृ ग प्रीतम की प्रमसद्ध कहगनी ‘मुरकी उफा बि
ु गकी’ कग प्रमुख िगर है ‘कुमगर’। वह अिने मगाँ के सगर् र्गाँव
में रहते है। कुमगर को अिनी मगाँ और घरवगिों से र्हरग प्यार है, चगहे वह अिने घर के नौकरगनी हो तो उसमें प्यार
और ममता है।
अिनी घर की नौकरगनी से उसे बचिन से ही जुडगव है। वह उसकग िीछग न छोडतग र्ग। प्यगर एवं खुशी से
उसकी मरु ककयों को मुट्टी भर िेतग र्ग यग कभी उिछकर बि
ु गक को िकडतग र्ग।
कुमगर अिनी मगाँ कग आज्ञाकारी बेटा है। अिनी मगाँ के कहने िर वह घर की नौकरगनी केमिए एक कोठरी
दे ने केमिए तैयगर होते है। वे दयालु भी र्े। मगाँ के कहने िर नौकरगनी की मत्ृ यु तक उसे वह कोठरी से नहीं
तनकगिग।
अिनी घर की नौकरगनी होकर भी मरु की की कहगनी सन
ु ने में वे उत्सुक है। ितत द्वगरग उिेक्षक्षत मरु की के
बगरे में सुनकर उसके मन में क्षोभ कग अंत न रहग। कहगनी सुनकर िहिे तो उसकी आाँसू आाँखों में ही रहग। िेककन
कहगनी आर्े सन
ु कर वह भी रोते है।
रगजवंती कग बेटग समझदार है, प्यारे है, आज्ञाकारी है, सगर् ही सहजीवियों के प्रर्त सहानुभूर्त रखनेिाले भी
र्े।
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नए वस्तए
ु ाँ, सेवगएाँ आदद के सूचनग दे कर िोर्ों कग ध्यगन आकृष्ट करनग पवज्ञगिन कग िक्ष्य है।
• संक्षक्षप्त एवं आकषाक हो।
• पवज्ञगपित वस्तु/सेवग की खबू बयों कग स्जक्र हो।
• थचर, शीषाक आदद से आकषाक बनग दें ।
• सरि, प्रवगहमयी भगषग कग प्रयोर् हो।
आगे हमें एक उदाहरण दे खें:
मगन िें, प्िगस्स्टक के उियोर् के पवरुद्ध आिके स्कूि के छगरों ने किडे और जूट के रं र्-बबरं र्े र्ैमियों कग तनमगाण ककए।
उसकी बबक्री और से बने र्ैिों कग इस्तेमगि करने केमिए एक आकषाक पवज्ञगिन तैयगर करें ।
(प्रदष
ू ण से मुस्क्त, ियगावरण की सुरक्षग, पवमभन्न आकगर-प्रकगर, हॉमं डेमिवरी,
प्िगस्स्टक छोडो....... कगर्ज़ र्ैमियों कग इस्तेमगि करें
प्िगस्स्टक हटगओ........ियगावरण बचगओ............... धरती बचगओ
ियगावरण सरु क्षग
पवमभन्न आकगर-प्रकगर के रंर् बबरं र्े र्ैमियगाँ
ऑडर केमिए वगट्सआि करें : *******238
घऱ बैठे किडे-जूट के र्ैमियगाँ िगइए।
ियगावरण के अनुकूि
िुनः उियोर् करें ........
अथधक सगमगन िगने में सक्षम
आिके घर में जो िरु गने अनि
ु योर्ी किडे जो है, यहगाँ िगइए.... हम आिके मिए नए-नए
र्ैिी दे र्ग...........
हर रपववगर 1 बजे से 2 बजे तक आइए.........
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पोस्टर (Poster)
ध्यगन रखें:
• आकषाक हो।
• कम शब्दों कग प्रयोर् हो, सरि एवं स्िष्ट भगषग कग प्रयोर् हो।
• कोई िंस्क्त ‘स्िोर्न’ की तरह मिखें तगकक िगठकों कग ध्यगन आकृष्ट करें ।
• थचरों की सहगयतग से आकषाक बनग दें ।
• यदद ज़रूरी है तो ददनगंक, स्र्गन, समय आदद कग स्जक्र हो।
प्रश्न:
कोरोनग वगयरस कग तीसरी िहर कगफी खतरनगक है। इस पवषय में जनतग के चेतगवनी दे ने योग्य आकषाक िोस्टर तैयगर करें ।
(नोवि कोरोनग: िक्षण एवं बचगव के उिगय, क्यग करें ? क्यग न करें ?, व्यस्क्तर्त स्वच्छतग, मगस्क-सैतनटै स-आिसी दरू ी)
नोिल कोरोना िायरस (Covid-19)
✓ भीड से बचे।
✓ एक-दस
ू रे से दरू ी बनगए रखें।
✓ सगवाजतनक जर्हों में मगस्क कग इस्तेमगि करें ।
✓ सगबन
ु से हगर् धोएाँ..... सैतनटै स करें । क्यग-क्यग न करें ?
X यदद िक्षण है तो ककसी से संिका न करें ।
X सगवाजतनक स्र्गनों िर न र्ूकें।
X आाँख-नगक-माँह
ु मत छुए।
अनुिाद (Translation)
बगरहवीं कक्षग में अंग्रेज़ी के छोट-छोटे अनुच्छे द ददए होंर्े। इसे दहंदी में अनुवगद करके मिखनग है। कदठन शब्दों कग
अनुवगद प्रश्न िर में होंर्े।
प्रश्न: खंड कग दहंदी में अनुवगद करें ।
Life style diseases are diseases linked with one’s life style. These are non-communicable diseases. These can be caused by
lack of physical exercise, taking unhealthy food habits, use of narcotics etc. Main life style diseases are diabetes,
hypertension, heart disease, obesity, cancer etc. The best way of prevention is proper and regular physical exercise, which
also includes good food habits. So, we have to change our life style for sound health.
(Life style - जीवन शैिी, linked – जुडे हुए, non-communicable - र्ैर-संचगरी , physical - शगरीररक , narcotics - नशीिे िदगर्ा ,
diabetes - मधुमेह , hypertension - उच्च रक्तचगि, obesity - मोटगिग)
उत्तर:
व्यस्क्त के जीवन शैिी से जुडे रोर्ों को जीवन शैिी रोर् कहते हैं। ये र्ैर-संचगरी रोर् हैं। शगरीररक व्यगयगम की कमी,
अस्वगस््यकर भोजन की आदतें, नशीिे िदगर्ों कग उियोर् आदद इनके कगरण हो सकते हैं। मुख्य जीवन शैिी रोर् मधम
ु ेह,
उच्च रक्तचगि, हृदय की बीमगरी, मोटगिग, कैं सर आदद है। रोकर्गम कग सबसे अच्छग तरीकग उथचत और तनयममत शगरीररक
व्यगयगम करनग है, स्जसमें अच्छ खगने की आदतें भी शगममि है। इसमिए अच्छ स्वगस््य केमिए हमें अिनी जीवन शैिी को
बदिनग है।
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