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पत्र लेखन - अनौपचारिक पत्र

जन्मदिन पि भेजे गए उपहाि के दलए धन्यवाि किने हेतु भाई को पत्र दलखखए।

जैन हायर सैकेण्डरी स्कूल,

दररयागंज, नई ददल्ली।

ददनांक: ...............

आदरणीय भाई साहब,

सादर नमस्ते!

कल मुझे आपके द्वारा भेजा गया उपहार एवं पत्र प्राप्त हुआ। पत्र में आपकी कुशलता जानकर अच्छा
लगा। मैं भी यहााँ पर कुशलपूववक हाँ। आपका ददया गया उपहार दे खकर तो मेरी खुशी का दिकाना ही नहीं
था। मैं जानता था दक आपको मेरा जन्मददन याद होगा। परन्तु उस ददन आप मेरे दलए उपहार भेजेंगे, यह
मैंने सोचा भी नहीं था।

आपने जो उपहार भेजा है, वह मेरे दलए अनमोल है। आपके उपहार से आपका मेरे प्रदत स्नेह झलकता है।
घडी की मुझे बहुत आवश्यकता थी। माताजी से मैंने आग्रह दकया था दक वह मेरे दलए हाथ में पहनने वाली
घडी भेज दें परन्तु उन्ोंने मना कर ददया। इस घडी की सहायता से मैं अपने सारे कायव दनदित समय पर
कर पाऊाँगा। परीक्षा आने वाली हैं, अब मेरी पढाई समय-सारणी के अनुसार हो पाएगी। आप मेरी तरफ़ से
दनदिंत रदहएगा। मैं अपनी पढाई बडे मन से कर रहा हाँ। माता-दपताजी ने भी अच्छा उपहार भेजा है।

मुझे दवश्वास है दक आपके आशीवावद एवं अपने पररश्रम से एक ददन मैं बडा आदमी बनकर ददखाऊाँगा।
भाभी को प्रणाम एवं बच्ों को प्यार।

आपका प्यारा भाई,

अंदकत

दपताजी को रुपए मँगवाने के दलए पत्र दलखखए।

केन्द्रीय दवद्यालय,

दववेक दवहार,

नई ददल्ली
ददनांक: .............

आदरणीय दपताजी,

सादर प्रणाम!

आपका पत्र दमला। यह जानकर प्रसन्नता हुई दक घर में सभी सदस्य स्वस्थ हैं। मैं भी यहााँ कुशलतापूववक हाँ।
बहुत ददनों से घर आने की सोच रहा था। परन्तु परीक्षा पररणाम दे खने के दलए रुकना पडा। आगे का
समाचार यह है दक मेरी परीक्षा का पररणाम आ गया है । आपको यह जानकर अत्यंत खुशी होगी दक मैं
अपनी कक्षा में प्रथम श्रेणी में पास हुआ हाँ। मैंने अपनी कक्षा में 95 प्रदतशत अंक प्राप्त दकए हैं। मेरे द्वारा
दकया गया पररश्रम व्यथव नहीं गया है। मेरे दमत्रों ने भी दद्वतीय व तृतीय स्थान प्राप्त दकया है। सभी अध्यापक
मेरे परीक्षा पररणाम से बहुत प्रसन्न हैं।

मैं अब नौवीं कक्षा में आ गया हाँ। अगले महीने से हमारी नौवीं की कक्षा आरं भ होने वाली है। इसदलए
अपनी नई कक्षा के दलए मुझे दकताबें, कादपयााँ एवं वदी खरीदनी है। अध्यादपका द्वारा हमें तीन महीने की
फीस भी भरने को कहा गया है। उनके अनुसार दजतनी जल्दी हो सके दकताबें, कादपयााँ एवं वदी आ जानी
चादहए। आपने इस महीने के खचव के जो पैसे ददए थे, वे खत्म होने वाले हैं।

अत: आपसे दनवेदन है दक कृपा करके चार हजार रुपए का इं तजाम कर, डाक द्वारा शीघ्र दभजवा दें ।

अब पत्र समाप्त करता हाँ। माताजी को प्रणाम कदहएगा एवं सोनाक्षी को प्यार। पत्र अवश्य दलखते रदहएगा।
आपके पत्र का इं तजार रहे गा।

आपका आज्ञाकारी पुत्र,

अदभषेक

द़िजूलखचच पि भाई को समझाते हुए पत्र दलखखए।

वसुंधरा

गादजयाबाद (उ.प्र)

ददनांक: ...............

दप्रय अनुपम,

बहुत प्यार!

मैं तुम्हें बहुत समय से पत्र दलखना चाह रहा था। परन्तु व्यस्त होने के कारण नहीं दलख पाया। आज ही
तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। पत्र में तुमने पााँच हजार रुपए दभजवाने का आग्रह दकया है । दपछले हफ़्ते ही
दपताजी द्वारा तुम्हें दो हजार रुपए दभजवाए गए थे। ये रुपए इतनी जल्दी कैसे खत्म हो गए? तुम्हें अपनी
दफ़जूलखची पर दनयंत्रण करना चादहए।

अपने घर की आदथवक स्स्थदत से तुम भली-भांदत पररदचत हो। तुम्हें ये पता होना चादहए दक दपताजी हमारी
पढाई के दलए ददन-रात पररश्रम करके पैसे इकट्ठा करते हैं। हमें चादहए दक जरुरत के अनुसार पैसे खचव
करें । अदधक धन खचव करने से तुम्हारी आदतें भी खराब हो सकती हैं। दबना वजह पैसों का अपव्यय करना
अच्छी बात नहीं है। दवद्याथी का लक्ष्य होता है, दवद्या प्राप्त करना।

अत: मेरा यह परामशव है दक इधर−उधर की बातों में अपना ध्यान न लगाकर तुम मन लगाकर पढाई करो
तादक माता-दपता का नाम रौशन कर सको। तुम्हारा यह व्यवहार उन्ें दनराशा से भर दे गा। अभी तो तुम्हारी
आवश्यकता के दलए दो हजार रुपए दभजवा रहा हाँ। परं तु आगे से ध्यान रखना।

तुम्हारा शुभदचंतक,

दवशाल

बडे भाई को िाखी भेजते हुए तथा उपहाि के दलए धन्यवाि िे ते हुए पत्र दलखखए।

ए-ब्लॉक, 479,

नेताजी नगर, नई ददल्ली।

ददनांक: .............

प्यारे भईया,

नमस्कार!

आपका भेजा हुआ उपहार कल प्राप्त हुआ। आपने उपहार स्वरुप मेरे दलए जो सूट दभजवाया है। वह बहुत
प्यारा है। आपको याद रहा दपछले वषव मैंने आपसे सूट की मााँग की थी। मेरी इच्छा आपने याद रखी।
उपहार दे खकर मन गदगद हो उिा। आपका भेजा हुआ सूट बहुत प्यारा है। मैं आपको पत्र के साथ राखी
भेज रही हाँ।

भईया इस बार आप राखी में नहीं आ पाओगे, यह सोचकर मन बहुत दु खी है। आपने उपहार भी पहले
दभजवा ददया है। इससे आपके आने की जो आस थी, वह भी समाप्त हो गई। राखी पर न आने के दलए मैं
आपसे नाराज हाँ। यह पहला अवसर है जब आप राखी में हमारे साथ नहीं होगे। इस वषव आपको डाक से
राखी भेजनी पड रही है।

इसे दनदित ददन पर अपनी कलाई पर बााँध लेना। राखी भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस राखी के साथ
छोटी बहन का प्रेम व शुभकामनाएाँ बंधी है। यह राखी, आपके जीवन में आने वाली हर परे शानी से रक्षा
करे , यही एक बहन की कामना है। पत्र समाप्त करती हाँ। अपनी बहन के पत्र का उत्तर शीघ्र दे ना।
आपकी छोटी बहन,

दमष्टी

समय का सिु पयोग औि परिश्रम पि बल िे ते हुए छोटे भाई को पत्र दलखखए।

परीक्षा भवन,

ददनांक: ..............

दप्रय भाई दनस्खल,

शुभ आशीवावद!

कल दपताजी का पत्र दमला। पढकर यह पता चला दक इस वषव परीक्षा में तुम्हें बहुत कम अंक प्राप्त हुए हैं।
तुम तो बहुत कुशाग्रबुस्ि हो। तुमने हमेशा अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त दकया है। तो इस बार ऐसा क्या
हुआ जो तुम्हें इतने कम नंबर प्राप्त हुए हैं। अवश्य ही तुमने इस बार पढाई में पररश्रम नहीं दकया होगा।
जीवन में यदद सफल होना चाहते हो, तो समय का सदु पयोग कर पररश्रम करो। दकया हुआ पररश्रम कभी
व्यथव नहीं जाता है।

दवद्याथी के जीवन में समय और पररश्रम का बहुत महत्व होता है। यदद पररश्रम दकया गया हो, तो उसका
फल अच्छा ही होता है। इस संसार में समय से अदधक बलवान और कोई नहीं है। एक बार अगर समय
हाथ से दनकल गया तो कुछ नहीं कर पाओगे। तुम्हारे दलए यह पररश्रम करने का समय है। इस समय को
व्यथव न जाने दो। एक−एक क्षण मूल्यवान होता है। उसके मूल्य को पहचानकर उसका सही उपयोग करो।
दफर दे खो तुम्हें सफल होने से कौन रोक सकता है।

मुझे आशा ही नहीं बस्ि पूणव दवश्वास है दक तुम समय के महत्व को समझोगे तथा पूरी मेहनत से तैयारी
करोगे। अगामी परीक्षा में तुम मेरी बात को ध्यान में रखते हुए बहुत पररश्रम करोगे व अच्छे अंक प्राप्त
करोगे।

तुम्हारा भाई,

मोहन शमाव

धूम्रपान किने वाले भाई को इसके िोषोों का उल्लेख किते हुए पत्र दलखखए।

नई ददल्ली।

ददनांक: ...........

दप्रय कमल,
बहुत स्नेह!

तुमसे बहुत ददनों से सम्पकव न होने के कारण तुम्हें पत्र दलख रहा हाँ। कुछ समय पहले मेरी मुलाकात तुम्हारे
करीबी दमत्र से हुई। उसके द्वारा मुझे ज्ञात हुआ दक तुमने धूम्रपान करना आरम्भ कर ददया है । यह जानकर
मुझे बहुत कष्ट हुआ।

तुम एक बुस्िमान व समझदार दवद्याथी हो। तुम्हें इस बात का ज्ञान होना चादहए दक धूम्रपान करने से बहुत
तरह की बीमाररयों का सामना करना पडता है। धूम्रपान करने से व्यस्ि के फेफडों में बीमाररयों का खतरा
बना रहता है । दजससे तपेददक (टी.बी) व दमा जैसी बीमाररयााँ शरीर में घर बना लेती हैं। आरं भ में तुम्हें
इसके दु षपररणाम नजर नहीं आएाँ गे परन्तु धीरे -धीरे यह तुम्हारे शरीर व जीवन को खोखला बना दे गा।
तुम्हारे इस कायव से माता-दपता को भी बडा दु ख होगा। अत: तुम्हें चादहए दक तुम इस व्यसन को छोड दो।
इस व्यसन को छोडने के दलए सुबह उिकर व्यायाम व योगा करो। संयम से काम लो तभी तुम स्वयं का
दहत कर पाओगे।

योगा तुम्हारा मनोबल बढाएगा तथा व्यायाम से तुम स्वयं को तरोताजा महसूस करोगे। व्यायाम व योगा से
धूम्रपान का दु ष्प्रभाव भी कम हो जाता है। सही समय पर उिाया गया कदम जीवन को नई ददशा दे ता है।
मैं आशा करता हाँ दक तुम अपने बडे भाई की बात मानते हुए दु बारा धूम्रमान नहीं करोगे।

तुम्हारा बडा भाई,

रदव

दवद्यालय के वादषचक उत्सव में दपताजी को बुलाने के दलए पत्र दलखखए।

परीक्षा भवन,

ददनांक: ..............

पूज्य दपताजी,

सादर प्रणाम!

आज ही आपका पत्र दमला। हालचाल मालूम हुआ। मैं यहााँ कुशलतापूववक हाँ। दपछले महीने मेरी परीक्षाएाँ
चल रही थीं। इसदलए मैं पढाई में व्यस्त थी और आपको पत्र नहीं दलख सकी। परीक्षा पररणाम आ गया है।
मैंने पूरे दवद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त दकया है। अब हमारे यहााँ वादषवकोत्सव की तैयारी आरं म्भ हो गई है।
जैसा आपको पता है हर साल की तरह इस साल भी वादषवकोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। इस बार मैं भी
इसमें भाग ले रही हाँ और साथ ही इस बार मुझे 'सववश्रेष्ठ दवद्याथी' का पुरस्कार दमलेगा।

यह पुरस्कार मेरे दलए बहुत महत्व रखता है। मैंने पूरे वषव दबना कोई अवकाश दलए अपना सत्र पूरा दकया
था। अपने हर दवषय में पूरी ईमानदारी से पररश्रम दकया और अच्छे अंक प्राप्त दकए। अपने व्यवहार से
अध्यापकों का ददल जीत दलया। इसदलए मुझे दवद्यालय की तरफ़ से 'सववश्रेष्ठ दवद्याथी' का पुरस्कार दमल
रहा है।

अत: मैं चाहती हाँ दक इस शुभ अवसर पर आप भी आएाँ और मुझे दे खें। आप जरूर आइएगा। यहााँ रहने
की भी उदचत व्यवस्था की गई है। आपको कोई परे शानी नहीं होगी। आप आएाँ गे तो मेरा मनोबल बढे गा।
माताजी को मेरा प्रणाम कदहएगा।

आपकी पुत्री,

दकन्नी

पवचतािोहण का प्रदिक्षण लेने के दलए दपताजी से अनुमदत माँगने हेतु पत्र दलखखए।

परीक्षा भवन,

ददनांक: ..........

आदरणीय दपताजी,

सादर चरण स्पशव!

आज आपका पत्र दमला। आप सब वहााँ कुशलपूववक हैं, यह जानकर अच्छा लगा। मैं आगामी परीक्षा की
तैयाररयों में व्यस्त था इसदलए आपको पत्र नहीं दलख सका। आज ही मेरी वादषवक परीक्षाएाँ समाप्त हुई हैं।
दवद्यालय की ओर से कुछ ददनों पिात् दहमाचल प्रदे श में एक पववतारोहण का प्रदशक्षण दे ने के दलए दशदवर
लग रहा है। आप जानते हैं, मैं इस तरह के प्रदशक्षण लेने के दलए पहले से ही इच्छु क था।

हमारे दवद्यालय ने यह अवसर दे कर मेरे मन की मुराद पूरी कर दी है । अत: मैं भी उसमें भाग लेना चाहता
हाँ। इससे मुझे पववतारोहण प्रदशक्षण दमलेगा और साथ ही दहमाचल के आसपास के क्षेत्रों में घूमने का
अवसर भी दमलेगा। यह दशदवर जहााँ मेरे आत्मदवश्वास को बढाएगा, वहीं मुझे अन्य स्थानों को दे खने और
समझने का अवसर भी दे गा।

कृपया इसके दलए मुझे अपनी अनुमदत दे दीदजए तादक मैं अपनी रुदच को पूरा कर सकूाँ। आपका सहयोग
मेरे दलए महत्वपूणव है।

घर में सभी बडों व माताजी को मेरा प्रणाम कदहएगा तथा छोटों को प्यार। आशा है आप मुझे अनुमदत
अवश्य दे गें। मुझे आपके पत्र का इं तजार रहेगा।

आपका पुत्र,

नीरज
दचखित माँ को अपनी कुिल-क्षेम बताने हेतु पत्र दलखखए।

छात्रावास,

दशमला,

ददनांक: ...........

पूज्य माताजी,

सादर प्रणाम!

कल आपका पत्र प्राप्त हुआ। यह जानकर बहुत अच्छा लगा दक घर में सब कुशलमंगल है। मैं भी आप
सबके आशीवावद से कुशलमंगल हाँ। आपके पत्र से मुझे ज्ञात हुआ दक आप मेरे दलए बहुत दचस्न्तत रहती हैं।
मााँ आपके स्वास्थ्य के दलए यह िीक नहीं है।

मेरा छात्रावास बहुत अच्छा है। यहााँ पर बहुत बडा भोजनालय है। जहााँ पर तीनों समय हमारे दलए भोजन
पकाया जाता है। सुबह नाश्ते में हमें पोहा, दू ध, एक अंडा परोसा जाता है। दोपहर में दाल-चावल और
रायता परोसा जाता है और रात के समय भोजन में दाल, चावल, रोटी, सलाद व एक सब्जी परोसी जाती है ।
हमारे वोडव न बहुत ही अच्छे व्यस्ि हैं। वह हमारे साथ हमेशा प्यार से रहते हैं। छात्रावास में दो अन्य दमत्रों
के साथ रहता हाँ। हमारा कमरा बहुत ही साफ़-सुथरा व हवादार है। दबजली चौबीसों घंटे रहती है।
छात्रावास के नजदीक ही दचदकत्सालय की सुदवधा है। स्कूल में भी सभी तरह की सुदवधाएाँ उपलब्ध है। वहााँ
सभी अध्यापक और अध्यादपकाएाँ बहुत अच्छे हैं। दमत्रों के साथ ददन कैसे दनकल जाता है पता ही नहीं
चलता।

अत: आपसे अनुरोध है दक मेरी दचन्ता करना छोड कर स्वयं का ध्यान रस्खए। मैं आपको दवश्वास ददलाता हाँ
यदद कोई परे शानी होगी तो मैं आपको अवश्य बताऊाँगा। पत्र समाप्त करता हाँ। घर में दपताजी व दादाजी
को चरण-स्पशव कदहएगा और नेहा को प्यार।

आपका पुत्र,

दवशाल

भाई की पुिस्काि स्वरुप मोटि-साइदकल की अनुदचत माोंग पि उसे समझाते हुए पत्र।

987-बी, दझलदमल कॉलोनी,

नई ददल्ली।

ददनांक: ............
दप्रय भाई ददलीप,

बहुत स्नेह!

कल दपताजी का पत्र दमला। मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई दक अपने दवद्यालय में तुमने प्रथम स्थान
प्राप्त दकया है। तुम्हारी यह सफलता हमारे दलए गौरव की बात है। यह तुम्हारे किोर पररश्रम और प्रयास
का फल है। तुम्हारी इस अपार सफलता के दलए मैं तुम्हें ददल से बधाई दे ती हाँ।

पत्र पढकर मुझे ज्ञात हुआ दक तुम उनसे उपहार स्वरुप मोटरसाइदकल की मांग कर रहे हो। मैं यह मानती
हाँ दक दपताजी ने तुम्हें मनोवांदछत उपहार दे ने का वादा दकया था, यह सही भी है । लेदकन तुमने उनसे जो
उपहार मााँ गा है, वह सही नहीं है। तुम अभी मात्र 13 वषव के हो। वाहन चालने की जो उम्र दनदित की गई
है, वह 18 वषव है। तुम्हें वाहन चलाने का डर ाइदवंग लाइसेंस भी 18 वषव में ही प्राप्त होगा। यदद इससे पहले
तुम वाहन चलाते हो तो यह अपराध माना जाएगा और इसके दलए तुम्हें दस्ण्डत भी दकया जा सकता है।
कम उम्र में वाहन चलाना तुम्हारे दलए भी जानलेवा हो सकता है।

वाहन चलाने के दलए तुम्हें कुछ वषव और इं तजार करना पडे गा। इसके बदले तुम दपताजी से अन्य उपहार
की मााँग कर सकते हो। तुम्हारी इच्छा को वह अवश्य पूरा करें गे। आशा करती हाँ, तुम मेरी बात को समझ
गए होगें तथा मोटरसाइदकल लेने वाली दजद्द को छोड दोगे। घर में माता-दपताजी को मेरा प्रणाम कहना।

तुम्हारी बहन,

दशखा

िैदक्षक भ्रमण के लाभ कैसे उठाएँ यह समझाने हेतु बहन को पत्र दलखखए।

4, शास्न्त दनकेतन,

नई ददल्ली-21

ददनांक: .............

दप्रय बहन नीला,

बहुत प्यार!

माताजी के द्वारा मुझे ज्ञात हुआ दक तुम गदमवयों की छु दियों में दवद्यालय की तरफ़ से शैदक्षक भ्रमण के दलए
जा रही हो। यह जानकर बहुत अच्छा लगा। वहााँ जाने से पहले मैं तुम्हें कुछ सुझाव दे ना चाहती हाँ जो
तुम्हारे इस भ्रमण में लाभकारी दसि होगें।

यह भ्रमण तुम्हारे दलए बहुत अच्छा मौका है, आगे चलकर इसका लाभ तुम्हें भदवष्य में अवश्य दमलेगा। तुम
अपना समय यहााँ -वहााँ व्यथव घूमने में बबाव द मत करना। याद रखना यह तुम्हारे दलए बहुत बहुमूल्य मौका
है। ऐसे अवसर दवद्याथी जीवन में बहुत कम ही आते हैं । तुम दजस भी स्थान में जाओ वहााँ के दवषय में पूरी
जानकारी हादसल करना। ये जानकाररयााँ दफर चाहे ऐदतहादसक हो, जन-जीवन से संबंदधत हो, संस्कृदत के
बारे में हो, वहााँ की सामादजक और राजनैदतक उथल-पुथल से जुडी हुई हो। पूरे ध्यान से और लगन से इन
जानकाररयों पर नोट् स बनाना। आगे चलकर यह सामग्री तुम्हारे अध्ययन के दलए महत्वपूणव सादबत होगीं।

आशा करती हाँ तुम मेरे सुझावों पर ध्यान दोगी और इस भ्रमण का पूरा लाभ उिाओगी। मेरी तरफ़ से यात्रा
के दलए ढे रों शुभकामनाएाँ ।

तुम्हारी बहन,

कदवता

दमत्र को छु दियोों में अपने घि बुलाने के दलए पत्र दलखखए।

एं ग्लो संस्कृत स्कूल,

दररयागंज, नई ददल्ली।

ददनांक: .................

दप्रय दमत्र,

बहुत प्यार!

तुम्हारा हालचाल काफ़ी समय से नहीं दमला और मुलाकात भी नहीं हुई। अत: तुम्हें पत्र दलख रहा हाँ। आशा
करता हाँ दक तुम अपने पररवार सदहत कुशलतापूववक होगें। दमत्र मैं तुम्हें दमलने के दलए बहुत उत्सुक हाँ।
मेरी परीक्षाएाँ समाप्त हो गई हैं। आशा है तुम्हारी परीक्षाएाँ भी समाप्त हो गई होंगी। इस बार मेरे परीक्षा में
अच्छे अंक आएाँ गे, मैंने काफी मेहनत की है। तुम्हारी परीक्षाएाँ कैसी हुई हैं?

पत्र दलखने का एक कारण और था। तुम ददल्ली कब आ रहे हो। मेरे माता-दपता ने छु दियों में मसूरी जाने
का कायवक्रम बनाया है। तुम भी आ जाओ तो साथ-साथ दहल स्टे शन का मजा लेंगे। दपताजी ने स्वयं तुम्हें
साथ लेने के दलए कहा है । वह तुम्हारे दपताजी से बात कर लेगें। मसूरी का सौंदयव तो दे खने लायक होता है।
मॉल रोड, कैम्टी फ़ाल, कंपनी गाडव न आदद जैसी जगहें हैं, दजन्ें दे खने के दलए लोग दू र-दू र से यहााँ आते
हैं। वहााँ हम दोनों खुब घूमेंगे-दफरें गे और मौज-मस्ती करें गे।

ददल्ली आते ही घर पर दमलना, दफर मसूरी जाने का कायवक्रम बनाएाँ गे। अपने पापा-मम्मी को मेरा प्रणाम
कहना। इस दवषय में तुमने क्या सोचा है, पत्र दलखकर जरूर बताना।

तुम्हारा दमत्र,

राजन
अपनी दमत्र की माताजी की असामदयक मृत्यु पि एक सोंवेिना पत्र दलखखए।

क.ख.ग.

ददनांक: ............

दप्रय कमला,

नमस्कार!

तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। तुम्हारी माताजी की अकस्मात मृत्यु की ख़बर पढकर अत्यंत दु ख हुआ। तुम घर में
सबसे बडी हो सो धैयव के साथ अपने पररवार के सदस्यों को संभालना तुम्हारी दजम्मेदारी बनती है । आगे घर
भी तुम्हें ही संभालना है। तुम्हारी माताजी बहुत ही स्नेही व दयालु स्वभाव की थीं। उनसे मुझे भी दवशेष
लगाव था। परन्तु मृत्यु के आगे दकसी का भी जोर नहीं चलता, यह सब ईश्वर की इच्छानुसार होता है।

हर व्यस्ि जो इस संसार में आया है, उसको एक-न-एक ददन तो जाना ही पडता है। कुछ लोग जल्दी या
कुछ लोग दे र से जाते हैं। तुम्हें अपना जीवन नए दसरे से शुरु करना पडे गा। बडों की तरह बुस्िमत्ता से घर
के सभी कायों को करना और समस्याओं को सुलझाना भी पडे गा।

आगे तुम समझदार हो, दपताजी एवं भाई को इस दु खद पररस्स्थदत में धीरज दे ना। इस दु ख के समय मेरा
तुम्हारे पास होना बहुत आवश्यक था। लेदकन दकसी कारणवश में तुम्हारे साथ नहीं हाँ, इसके दलए क्षमा
चाहती हाँ। मैं छु दियों में तुमसे आकर दमलूाँगी। सभी बडों को प्रणाम एवं छोटों को प्यार कहना।

तुम्हारी सखी,

अरूणा

अपने जन्मदिन के अवसि पि अपने दमत्र को आमोंदत्रत किते हुए पत्र दलखखए।

4/36, दववेक दवहार,

ददल्ली।

ददनांक: .........

दप्रय दमत्र कदपल,

सादर नमस्कार!

बहुत समय हुए तुमसे मुलाकात नहीं हो पाई है। ऐसे अवसर की तलाश थी दजससे तुम्हें दमला जा सके। पत्र
दलखने का कारण यह है दक आगामी माह में मेरा जन्मददन है।
इस बार माताजी ने दनिय दकया है दक मेरा जन्मददन बडे धूमधाम से मनाया जाए। इस अवसर पर उन्ोंने
एक समारोह का आयोजन दकया है। बडी मुस्िल से तुमसे दमलने का अवसर प्राप्त हुआ है। मैं, तुम्हें
इसमें भाग लेने के दलए सप्रेम आं मदत्रत करता हाँ। समारोह का कायवक्रम इस प्रकार है -

रात आि बजे ................................. नृत्य कायवक्रम

रात नौ बजे ................................. केक काटने की रस्म

रादत्र नौ दस बजे ........................... भोज प्रारं भ

दमत्र आशा करता हाँ दक तुम इस अवसर पर सपररवार जरूर आओगे। मुझे तुम्हारा इं तजार रहेगा। घर में
बडों को प्रणाम कहना एवं छोटों को प्यार।

तुम्हारा परम दमत्र,

कदव

बडे भाई के दववाह में सखिदलत होने के दलए दमत्र को दनमोंत्रण-पत्र दलखखए।

315, लक्ष्मी नगर,

नई ददल्ली।

ददनांक: ...........

दप्रय दमत्र जावेद,

बहुत प्यार!

बहुत ददनों से तुम्हें पत्र दलखना चाह रहा था। परन्तु व्यस्तता के कारण नहीं दलख पा रहा था। घर में भईया
के दववाह की तैयाररयों में लगा हुआ था। तुम्हें पत्र दलखने के पीछे यही कारण था। तुम्हें यह जानकर
प्रसन्नता होगी दक मेरे बडे भाई दवमल का दववाह ददनांक .........................को होना दनदित हुआ है।

तुम मेरे परम दमत्र हो, अत: इस अवसर में तुम्हें सादर आमंदत्रत करता हाँ । बारात हमारे दनवास स्थान से
सात बजे सांयकाल गुडगााँव के दलए प्रस्थान करे गी।

दववाह का कायवक्रम इस प्रकार है -

सेहरा बाँधी ........................................ 15 माचव सायं 6 बजे

बारात प्रस्थान ........................................ 15 माचव सायं 7 बजे


प्रीदतभोज ........................................ 15 माचव रादत्र 8 बजे

दवदाई ......................................... 16 माचव प्रात: 5 बजे

तुम दववाह से दो ददन पहले ही आ जाना और मेरे साथ रहकर दववाह के कायों आदद में मेरा हाथ बटाना।
इस अवसर पर मुझे मेरे परम दमत्र की बहुत आवश्यकता है। आशा है दक तुम सपररवार सदहत इस अवसर
पर जरूर आओगे। पत्र समाप्त करता हाँ। अपने आने का कायवक्रम पत्र द्वारा अवश्य बताना। तुम्हारे पत्र
का इं तजार रहेगा।

तुम्हारा परम दमत्र,

राजीव

अपने दमत्र को कुदमत्रोों से सावधान किते हुए पत्र दलखखए।

4/37, जनकपुरी,

नई ददल्ली।

ददनांक: ...........

दप्रय अमन,

सप्रेम नमस्ते!

कल तुम्हारे भाई से मुलाकात हुई। उससे ज्ञात हुआ दक आजकल तुम्हारा मन पढाई में न लगकर अवारा
लडकों के साथ यहााँ -वहााँ घूमने में लगता है। इसके दलए तुम्हें दवद्यालय की तरफ़ से भी सचेत दकया जा
चुका है। उनके साथ सारा समय नष्ट करने के कारण तुम परीक्षा में भी अनुत्तीणव हुए हो। तुम्हारे इस कायव
से घर में सभी तुमसे दु खी हैं ।

दमत्र ध्यान रखना तुम्हारे ये कुदमत्र तुम्हें कहीं का नहीं छोडें गे। बुरी संगदत मनु ष्य को ले डु बती है। यदद दमत्र
अच्छा हो तो जीवन संवर जाता है और यदद दमत्र बुरा हो तो जीवन नरक से भी बुरा हो जाता है। दवद्वानों ने
सही कहा है, 'जीवन में अच्छी संगदत का बहुत महत्व होता है।' एक दमत्र अच्छा हो तो सही मागवदशवन कर
हमें सफलता के दशखर पर ले जाता है । हमें चदहए अच्छे लोगों से दमत्रता करें ।

तुम्हारे माता-दपता ने तुम्हें पढने के दलए दशमला के सबसे अच्छे दवद्यालय में भेजा है तादक तुम्हारा भदवष्य
संवर सके। परन्तु तुम्हारे इस व्यवहार से वे बहुत दचस्न्तत हैं। मुझे आशा है, तुम कुसंगदत से अपना मन
हटाकर पढाई में ध्यान लगाओ।

तुम्हारा शुभदचंतक,
दवदपन

दमत्र को वाि-दववाि प्रदतयोदगता में प्रथम आने पि बधाई पत्र दलखखए।

28, मालवीय नगर,

नई ददल्ली।

ददनांक: ..............

दप्रय शोभना,

मधुर स्नेह!

कल तुम्हारा पत्र दमला। मुझे यह समाचार पढकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई दक तुम ददल्ली के सभी दवद्यालयों के
बीच हुई वाद-दववाद प्रदतयोदगता में प्रथम चुनी गई। तुम्हारी यह सफलता प्रशंसा के योग्य है। मुझे तुमसे
यही आशा थी।

तुम हमेशा से ही बहुत कुशाग्रबुस्ि रही हो। हर दवषय में तुम्हें गहरी जानकारी प्राप्त है। पहले भी तुम
दवद्यालय में हुए, वाद-दववाद प्रदतयोदगता में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी हो। परं तु ददल्ली के सभी दवद्यालयों
में प्रथम स्थान पाना, बडे सम्मान की बात है। तुम्हारे माता-दपता तो फूले नहीं समा रहे होगें। यहााँ पर तुम्हारे
सभी दमत्रगण भी तुम्हारी इस सफलता पर बहुत ख़ुश हैं।

मेरे माता-दपता ने भी तुम्हें शुभकामनाएाँ व आशीवावद भेजा है। भगवान से मेरी यही प्राथवना है दक तुम इसी
तरह अपने जीवन में सफलता प्राप्त करती रहो और अपने पररवार का नाम रौशन करो। तुम्हारी तरफ़ से
दमिाई उधार रही। अपने माता-दपता को मेरा नमस्कार कहना। तुम्हारे पत्र की प्रतीक्षा रहेगी। पत्र अवश्य
दलखना।

तुम्हारी सखी,

रमा

दिमला में हमउम्र बच्चे द्वािा की गई सहायता का धन्यवाि किने हेतु पत्र दलखखए।

ए-32/1, ओखला,

नई ददल्ली।

दतदथ: ................

दप्रय नैना,
बहुत प्यार!

आशा है दक तुम दशमला में कुशलमंगल होगीं व दशमला के सुंदर वातावरण के मजे ले रही होगीं। मैं
कुशलतापूववक ददल्ली पहुाँच गई हाँ। ददल्ली पहुाँचकर सववप्रथम तुम्हें पत्र दलख रही हाँ। ददल्ली में अत्यदधक
गमी पड रही है। दशमला की रह-रहकर याद आती है।

मैं तुम्हारा हाददव क धन्यवाद करना चाहती हाँ यदद तुम मेरे साथ नहीं होती तो मैं दशमला जैसे अंजान स्थान
को जान नहीं पाती। तुम्हारी सहायता के कारण ही मैं वहााँ के स्थानों और इदतहास को इतनी भली-भााँदत से
जान व समझ पाई हाँ। तुम्हारी सहायता के कारण मुझे दशमला में दकसी भी प्रकार की असुदवधा का सामना
नहीं करना पडा। तुमने और तुम्हारे पररवार ने वहााँ पर मेरा अपने पररदचत की भांदत ही ध्यान रखा। तुम्हारी
सहायता के दलए मैं तुम्हारी सदै व आभारी रहाँगी।

नैना यदद कभी तुम्हें ददल्ली भ्रमण का मन हो तो मेरा आग्रह है, तुम मेरे घर पर ही आकर रुकना। तुम्हें
ददल्ली भ्रमण कराने की सारी दजम्मेदारी मुझे ही दे ना। मेरे पररवार को तुमसे दमलकर बहुत अच्छा लगेगा।
अपने माता-दपता को मेरा चरण-स्पशव कहना। पत्र दलखते रहना। मैं तुम्हारे पत्र की प्रदतक्षा करू
ाँ गी।

तुम्हारी सहेली,

सादवत्री

अपने दमत्र को दवद्यालय की दविेषताएँ बताते हुए पत्र दलखखए।

दबशप कॉटन स्कूल,

छात्रावास,

दशमला।

ददनांक: ...........

दप्रय दमत्र दवक्रम,

स्नेह!

कल तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। तुमने मुझसे मेरे दवद्यालय के बारे में पूछा था। तुम्हारे प्रश्न का उत्तर में अपने
इस पत्र में दे रहा हाँ।

मेरा स्कूल 'दबशप कॉटन स्कूल' के नाम से जाने जाता है। यह दशमला के बेहतरीन स्कूलों में से एक है। इस
स्कूल में लोकदप्रय लेखक 'रस्स्कन बॉन्ड' ने चौथी कक्षा तक पढाई की थी। मेरा स्कूल एदशया के सबसे
पुराने बोदडिं ग स्कूलों में से एक है। इसको स्थादपत हुए 152 साल हो गए हैं।
हमारा दवद्यालय अपने उच् शैदक्षक स्तर और अनुशासन के दलए प्रदसि है। यह दशमला की सुंदर वाददयों
में स्स्थत है। यह ऐसा पहला स्कूल है, दजसने भारत में संगदित स्तर पर खेल-कूद प्रदतयोदगताओं
की 'प्रीफेक्ट दसस्टम' और 'हाउस दसस्टम' का आरं भ तब दकया था, जब वह इं ग्लैंड में अस्स्तत्व में आई थीं।
हमारा दवद्यालय बहुत बडा है। हमारे दवद्यालय में छात्रावास की भी व्यवस्था है।

मेरे दवद्यालय के अध्यापक व अध्यादपकाएाँ बहुत स्नेही स्वभाव के हैं। हमारे दवद्यालय के अध्यापक व
अध्यादपकाएाँ सभी दवद्वान हैं । हमारे दवद्यालय का परीक्षा पररणाम शत-प्रदतशत आता है।

आशा करता हाँ दक तुम मेरे दवद्यालय से भली-भांदत पररदचत हो गए हो। कभी तुम्हारा दशमला आना हो तो
मुझसे अवश्य दमलना। मैं तुम्हें अपना दवद्यालय अवश्य ददखाऊाँगा।

तुम्हारा दमत्र,

राजीव

िु घचटनाग्रस्त दमत्र से हाल-समाचाि जानने के दलए पत्र दलखखए।

345, मोती नगर,

नई ददल्ली।

ददनांक: ...........

दप्रय दमत्र आकाश,

बहुत स्नेह!

कल कोमल से तुम्हारी कार-दु घवटना का समाचार सुना, दजसे सुनकर मन दवचदलत हो गया। उसने बताया
तुम अपने नाना के घर कार से पररवार सदहत हररद्वार जा रहे थे दक एक दू सरी कार के ओवर टे क करने
के कारण तुम्हारी कार-दु घवटना ग्रस्त हो गई।

तुम घायल हो गए हो और कार में बैिे बाकी सदस्यों को मामूली चोटें आई हैं। उसने बताया दक तुम्हारे सर
पर चोट आई है और एक पैर की हड्डी टू ट गई है। तुम्हारी दशा का सुनकर मन घबरा गया। यह समाचार
सुनकर मेरे माता-दपता भी घबरा गए थे।

भगवान की कृपा है दक घर के सभी सदस्य और तुम सही-सलामत हो। दमत्र बस धीरज से काम लेना और
भगवान का धन्यवाद करना, उसने बडी दु घवटना होने से बचा दलया। घर पर बैिकर आराम करो। समय पर
दवाइयााँ लेते रहना और खाने-पीने का दवशेष ध्यान रखना। समय-समय पर दचदकत्सक से जााँच अवश्य
करवाते रहना।
समय दमलते ही मैं तुमसे दमलने आऊाँगा। पत्र समाप्त करता हाँ। अपने माता-दपता को मेरा प्रणाम कहना
और अपना ध्यान रखना। पत्र दलखकर अपना हाल-समाचार बताते रहना।

तुम्हारा परम दमत्र,

गगन

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