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Hindi - How To File Public Interest Litigation (PIL) in India
Hindi - How To File Public Interest Litigation (PIL) in India
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NIKHILESH MISHRA
UPDATED: APR 13, 2020 18:59 IST
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क्या आप अपने आसपास में घटित होने वाली विभिन्न घटनाओं से नाखुश या परेशान हैं? क्या आपको लगता है कि
सरकार की गलत नीतियों तथा फै सले की कमी के कारण लोग बुनियादी मानवीय अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं
तथा सामाजिक अन्याय एवं भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है?
सामाजिक रूप से ऐसे जागरूक नागरिकों के लिए, जो कानून के माध्यम से समाज को ठीक करना चाहते हैं,
जनहित याचिका (PIL) एक शक्तिशाली उपकरण है. इस लेख में हम जनहित याचिका दायर करने से संबंधित सभी
प्रक्रियाओं का चरणबद्ध तरीके से विवरण दे रहे हैं.
वास्तव में जनहित याचिका, कानूनी तरीके से सामाजिक परिवर्तन को प्रभावी बनाने का एक तरीका है. इसका
उद्देश्य सामान्य लोगों को अधिक से अधिक कानूनी सहायता प्राप्त करने के लिए न्यायपालिका तक पहुंच प्रदान
करना है.
जनहित याचिका दायर करने का अधिकार किसे है? (Who can file
PIL)
कोई भी भारतीय नागरिक जनहित याचिका दायर कर सकता है, के वल शर्त यह है कि इसे निजी हित के
बजाय सार्वजनिक हित में दायर किया जाना चाहिए. यदि कोई मुद्दा अत्यंत सार्वजनिक महत्व का है तो कई बार
न्यायालय भी ऐसे मामले में स्वतः संज्ञान लेती है और ऐसे मामले को संभालने के लिए एक वकील की नियुक्ति
करती है.
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यदि जनहित याचिका (PIL) को उच्च न्यायालय में दायर किया जाता है, तो अदालत में याचिका की दो प्रतियां जमा
करनी पड़ती है. साथ ही, याचिका की एक प्रति अग्रिम रूप से प्रत्येक प्रतिवादी को भेजनी पड़ती है और इसका
सबूत जनहित याचिका में जोड़ना पड़ता है.
यदि जनहित याचिका (PIL) को सर्वोच्च न्यायालय में दायर किया जाता है, तो अदालत में याचिका की पांच प्रतियां
जमा करनी पड़ती है. प्रतिवादी को जनहित याचिका की प्रति के वल तभी भेजा जाता है जब अदालत द्वारा इसके
लिए नोटिस जारी किया जाता है.
जनहित याचिका दायर करने का शुल्क कितना है? (Fees for PIL)
अन्य अदालती मामलों के मुकाबले जनहित याचिका दायर करना सस्ता है. किसी जनहित याचिका में वर्णित प्रत्येक
प्रतिवादी के लिए 50 रूपये का शुल्क अदा करना पड़ता है और इसका उल्लेख याचिका में करना पड़ता है.
हालांकि, पूरी कार्यवाही में होने वाला खर्च उस वकील पर निर्भर करता है, जिसे याचिकाकर्ता अपनी तरफ से बहस
करने के लिए अधिकृ त करता है.
किसी जनहित याचिका को स्वीकार करने की औसत दर 30 से 60 प्रतिशत तक है. आमतौर पर, उन जनहित
याचिकाओं को स्वीकार किया जाता है, जिसमें वर्णित तथ्यों से न्यायाधीश सहमत होते हैं और उन्हें लगता है कि
विषय महत्व का है और जनता के हित में है.
विभिन्न देशों में जनहित याचिका के उद्भव और विकास का अध्ययन करने के बाद न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी लिखते
हैं कि, “गरीब वर्गों की मदद करने के उद्देश्य से जनहित याचिका के माध्यम से अदालतों ने जीवन और स्वतंत्रता की
एक नई परिभाषा दी है. साथ ही जनहित याचिका के माध्यम से पारिस्थितिकी, पर्यावरण और जंगलों की सुरक्षा से
संबंधित मामलों को भी समय-समय पर उठाया गया है. हालांकि, दुर्भाग्यवश ऐसे महत्वपूर्ण अधिकार क्षेत्र, जिसे
अदालतों द्वारा सावधानी से तैयार किया गया है और देखभाल किया जाता है, कु छ गलत इरादों के साथ दायर किए
गए याचिकाओं के माध्यम से दुरूपयोग किया जाता है”.
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