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Shiv Aarti PDF
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दो ्रज चार चतर्रभज दस ्रज अशत सोहे । प्र दस ्रज अशत सोहे ।
तीनों रप शनरखते। श््रवन मन मोहे ॥ ॐ हर हर हर महादे व॥
एक मरख वामे (नाराय्), चार मरख वामे (ब्ा), पांच मरख वामे (शिव) है ।
हं स पर आसीन (ब्ा), ्रु पर आसीन (नाराय्), व शिव अपने वाहन बैम के ऊपर
सज्त है ।।
ब्ा की दो ्रजाएं है , शवषर की चार ्रजाएं है व शिव की दस ्रजाएं बहत सरंदर म्ती
है ।
ब्ा ने रुाक की मामा, शवषर ने सर्ज्त परषों की मामा तो शिव ने, राकसों के कटे हए
शसर की मामा पहनी हई है ।
चंदन का शतमक (ब्ा), मृ्मद कसूरी का शतमक (शवषर), और चंुमा शिव के मसक
पर सरिोश्त है ।।
ब्ा के अनरयायी ब्ाशदक ऋशष, शवषर के अनरयायी सनक आशद ऋशष तरा शिवजी के
अनरयायी ्ूत, पेत इताशद सं् है ।।
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