You are on page 1of 26

के न्द्रीय विद्यालय, भा०वि०सं०

बेंगलुरू-12
डिजिटल अध्ययन सामग्री
सत्र - (2020-21)
⚫कक्षा – छठी विषय- हिन्दी

⚫प्रकरण – पाठ-3 (नादान दोस्त)


⚫लेखक- प्रेमचंद
पाठ का सारांश
नी, सुप्रसिद्ध लेखक एवं कहानीकार प्रेमचंद जी की एक बाल कहानी है, जिसमें उन्होंने
बहन श्यामा की नादानी का वर्णन किया है। के शव के घर कार्निस में एक चिड़िया ने अंडे
उसकी बहन बार-बार चिड़िया को कार्निस के ऊपर आते-जाते देखते। बच्चे अपने दूध
लकर चिड़ियों की आवाजाही को देखने लगे। उनके मन में कई प्रकार के सवाल आये कि
डे के रंग, उससे बच्चे कै से निकलेंगे? कै से उड़ेंगे? उनके पंख कै से निकलेंगे? आदि। इन
वे अपने माता-पिता से चाहते थे पर उन दोनों को समय नही था। नादान बच्चे अपने दिल
दिया करते थे। दोनों को इन अण्डों को सुरक्षित रखने की इच्छा हुई। उनकी तीव्र इच्छा
की थी। दोनों बच्चे अम्मा की आँखे बचाकर इस काम में लग गए। भाई की मदद में बहन
अण्डों को धूप से बचाने, उनको गद्दीदार बिस्तर पर रखना, पानी की व्यवस्था आदि वे सब कर चुके ।
उनका विचार था कि इतनी सुविधाओं से चिड़ियों को आराम मिलेगा । अंडे से निकलते ही दाना-
पानी पास ही मिल जाएगा। चिड़िया के बच्चे वहीं रहेंगे । भाई ने ऊपर डरते हुए चढ़कर ये सब काम
किये । बहन को ऊपर चढ़ने नहीं दिया, उसको डर था कि बहन के पैर फिसलकर गिर जाने पर माँ
उसे चटनी कर देगी । के शव को यह भी डर था कि वह किवाड़ खोलकर घर से बाहर आया है, यदि
माँ को इस बात का पता चलेगा तो वह बहुत डाँटेगी। माँ आयी और दोनों भाई-बहन को डांट-
डपटकर दरवाजा बंद कर दिया । गरम लू की दुपहरी में दोनों सो गए । यकायक श्यामा जाग उठी वह
तुरंत कार्निस देखने गयी । वहाँ का दृश्य देखते ही उसके होश उड़ गए । चिड़िया के अंडे नीचे गिरकर
टू ट गए थे । उसे बहुत दुःख हुआ। उसने सोचा कि चिड़िया के बच्चे अंडों से निकलकर उड़ गए हैं। वह
आहिस्ते-आहिस्ते भाई को जगाने लगी ।
के शव के जगने पर उसने पूरी बात बताई । उधर माँ ने दोनों बच्चों को धूप में खड़ा देखा तो उन्हें चिंता हुई
उन्होंने दोनों को जोर-की पुकार लगाई। तभी के शव ने कहा-कि अंडे गिर गए माँ । माँ गुस्से में बोली-तुम
लोगों ने अण्डों को छु आ होगा । श्यामा ने दुःखी मन से माँ को सारी बातें बता दीं । तभी माँ ने कहा कि तू
इतना बड़ा हुआ, तुझे अभी इतना पता नहीं कि छू ने से चिड़िया के अंडे गंदे हो जाते हैं। चिड़िया फिर उन्हें
नहीं सेती।
आगे माँ ने कहा- के शव के ऊपर इसका पाप पड़ेगा। के शव ने दुःखी मन से कहा- मैंने तो सिर्फ अण्डों को
गद्दी पर रख दिया था अम्माजी। माँ को हँसी आयी, पर के शव दुःखी था। सोच-सोचकर रो रहा था। भोले-
भाले बच्चों की नादानी से नादान दोस्त अंडे से न निकल सके । चिड़िया अपने अंडे स्वयं ही तोड़ देती है।
दोनों को बहुत पछतावा होता है। परन्तु बहुत देर हो चुकी होती है। वे दोनों अंडों की सुरक्षा के लिए अच्छे
कार्य ही करते हैं, परन्तु ज्ञान और अनुभव की कमी के कारण वे उनकी बर्बादी का कारण बन बैठते हैं।
प्रेमचंद ने इसीलिए उन दोनों को नादान दोस्त कहा है।
कहानी की सीख -

यह कहानी हमें सीख देती है कि किसी भी कार्य को करने से पहले पूरी तरह से सुनिश्चित कर लें कि जो आप कर
रहे हैं, वह सही है या नहीं। के शव और श्यामा ने चिड़िया के बच्चों के लिए जो भी किया था यदि वे अपने माता-
पिता से एक बार पूछ लेते, तो शायद वे उन बच्चों को अपने सामने देख पाते।
पाठ में आए हुए कठिन शब्दार्थ
क्रं . सं. शब्द अर्थ
1 नादान नासमझ, अनाड़ी
2 कार्निस दीवार का नुकीला कोना
3 चिड़ा नर गौरा या गौरैया पक्षी का नर
4 मजा आनंद, सुख
5 सुध याद
6 तसल्ली दिलासा, ढाँढस
7 फु र्र पक्षी के उड़ने का शब्द
8 पर पंख
9 जिज्ञासा जानने की इच्छा
10 मुसीबत मुश्किल, परेशानी
11 उधेड़बुन तर्क -वितर्क , लगातार सोंचना
12 सुराख छेद
13 हिकमत अच्छी, तरकीब
14 हिफ़ाजत देखभाल करना, रक्षा करना
15 चिथड़े कपड़े अथवा कागज के टुकड़े
16 कसूर दोष, अपराध
17 गिड़गिड़ाना विनती करना
18 आहिस्ता धीरे से, आराम से, सावधानी से
19 मोहब्बत प्रेम
20 हिस्सेदार अंशधारी, शेयर होल्डर
21 फै सला निर्णय, निश्चय
22 लू गर्म हवा
23 यकायक अचानक
24 संयोग मेल, लगाव
25 सहमना डरना
26 करुण स्वर दुःखपूर्वक
27 भीगी बिल्ली बनना अत्यधिक डर जाना
28 थामना पकड़ना
29 छेड़ना चिढ़ाना, बाधा उत्पन्न करना
30 उजला सफे द
31 पाप गुनाह
32 अफसोस खेद, दुःख
33 जोग कार्य
34 सत्यानाश बर्बादी
प्रश्न-अभ्यास
( कहानी से )

⚫ प्रश्न 1- अंडों के बारे में के शव और श्यामा के मन में किस तरह के सवाल उठते थे? वे आपस ही में सवाल-जवाब
करके अपने दिल को तसल्ली क्यों दे दिया करते थे?
⚫ उत्तर:के शव और श्यामा के मन में अण्डों के आकार, रंग, संख्या, भोजन, बच्चों के पंख कै से होंगे, उनमें से बच्चे कै से
निकलेंगे आदि सवाल उठते थे| दोनों बच्चे आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे लिया करते थे
क्योंकि उनके सवालों का जवाब देने के लिए अम्मा और बाबू जी के पास समय नहीं था|
प्रश्न 2- के शव ने श्यामा से चिथडे, टोकरी और दाना-पानी मँगाकर कार्निस पर क्यों रखे थे?
उत्तर : के शव ने श्यामा से चिथड़े, टोकरी और दाना-पानी मँगाकर कार्निस पर पर इसलिए रखे थे जिससे कि
वे चिड़िया को तथा अंडों को और ज्यादा आराम से रख सकें दोनों की हिफाजत कर सकें ।

प्रश्न 3- के शव और श्यामा ने चिड़िया के अंडों की रक्षा की या नादानी ?


उत्तर : के शव और श्यामा ने चिड़िया के अंडों की रक्षा करने के लिए जो
कदम उठाए वे उनके हिसाब से बहुत ठीक थे, मगर वे चिड़िया के स्वभाव
को नहीं जानते थे। इसलिए उनके द्वारा की गई रक्षा ने नादानी
कर रूप ले लिया।
(कहानी से आगे )

▪ प्रश्न 1: के शव और श्यामा ने अंडों के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए? यदि उस जगह तुम होते तो क्या
अनुमान लगाते और क्या करते?
▪ उत्तर :के शव और श्यामा ने अण्डों के विषय में निम्नलिखित अनुमान लगाए-
1.अब उन अण्डों से बच्चे निकल आए होंगे |
2.चिड़िया इतना दाना कहाँ से लाएगी |
3.गरीब बच्चे तो इस तरह भूख से मर जायेंगे |

यदि मैं के शव की जगह होता तो निम्न कार्य करता-


1.पहले यह देखता कि बच्चे निकल आए हैं या नहीं |
2.मैं उन अण्डों को नही छू ता |
3.बच्चे निकल आने पर ही वहाँ चावल एवं पानी की कटोरी रखता |
▪ प्रश्न 2: माँ के सोते ही के शव और श्यामा दोपहर में बाहर क्यों निकल आए? माँ के पूछने पर भी दोनों में से किसी
ने किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण क्यों नहीं बताया?

▪ उत्तर : माँ के सोते ही के शव और श्यामा इसलिए बाहर निकल आए क्योंकि उन्हें चिड़िया के अंडों को देखना था।
यदि वे इस सब के बार में बताते तो माँ उन्हें भरी दोपहर में निकलने नहीं देतीं।

▪ प्रश्न 3- प्रेमचंद ने इस कहानी का नाम ‘नादान दोस्त’ रखा। तुम इसे क्या शीर्षक देना चाहोगे?

▪ उत्तर : प्रेमचंद ने इस पाठ का नाम बड़े सोचकर नादान दोस्त रखा था। यदि मैं इस जगह होता तो मैं इस पाठ का
नाम- ‘बचपन की नादानियाँ’, ‘बच्चों की नादानी’ या ‘अण्डों की हिफाजत’ रखता।
अनुमान और कल्पना
⚫ प्रश्न 1- इस पाठ में गर्मी के दिनों की चर्चा की गई है ।अगर सरदी और बरसात के दिन होते तो क्या-
क्या होता ? अनुमान करो और अपने साथियों को सुनाओ।
⚫ उतर - यदि सर्दी या बरसात के दिन होते तो भी के शव और श्यामा को बाहर न निकलने दिया जाता।
सर्दी और बरसात में भी बच्चों को ठंड लगने और उनके बीमार होने की संभावना रहती है। यदि सर्दी या
बरसात के दिन होते और के शव तथा श्यामा घर से बाहर निकलते तो भी उनकी माँ उन्हें अवश्य
डांटती। सर्दी से अंडों को बचाने के लिए व्यवस्था करनी पड़ती और बरसात में अंडों को भीगने से
बचाने व पानी में बहने से बचाना होता।
▪ प्रश्न 2 - पाठ पढ़कर मालूम करो कि दोनों चिड़िया वहाँ फिर क्यों नहीं दिखाई दीं ? वे कहाँ गई होंगी? इस पर
अपने दोस्तों के साथ मिलेगा बातचीत करो।

▪ उतर - दोनों चिड़ियों ने देखा कि बच्चे उनके अंडे को छेड़ते हैं। उन्होंने जान लिया कि उस घर में उनके अंडे
सुरक्षित नहीं रहेंगे। दोनों चिड़िया अंडों के फू ट जाने के बाद वहाँ फिर नहीं आई और वे वह स्थान छोड़कर चली गई।
उन चिड़ियों ने वह स्थान छोड़कर निश्चित रूप से कहीं दूसरी जगह अपना घोंसला बनाया होगा ताकि समय आने
पर वह फिर अंडे दे सके और उनके अंडे सुरक्षित रहे।
▪ प्रश्न3 - के शव और श्यामा चिड़िया के अंडों को लेकर बहुत उत्सुक थे। क्या तुम्हें भी किसी नई
चीज या बात को लेकर कौतूहल महसूस हुआ है? ऐसे किसी अनुभव का वर्णन करो और बताओ कि
ऐसे में तुम्हारे मन में क्या-क्या सवाल उठे?

▪ उतर - मुझे अपने घर में पैदा हुए बिल्ली के नवजात बच्चों के प्रति कौतूहल बना रहता था। एक बार
मेरे घर के पिछले हिस्से में एक बिल्ली ने तीन बच्चे दिए थे। उन्हें देखकर मुझे बहुत कौतूहल हुआ बिल्ली
अपने बच्चों को मुँह में दबाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती थी। उन्हें देखकर मुझे बहुत
अच्छा लगता था। बिल्ली का इस प्रकार मुँह से अपने बच्चों को दबाकर ले जाना भी बहुत
आश्चर्यचकित करने वाला था। मैं उन्हें चुपके से अपने हिस्से की रोटी और दूध आदि पिला देती थी।
मैं हमेशा यह सोचती थी कि क्या मुँह से दबाते समय बिल्ली के बच्चों को दर्द न होता होगा?
भाषा की बात
⚫ प्रश्न 1- श्यामा माँ से बोली, “मैंने आपकी बातचीत सुन ली है ।”
ऊपर दिए उदाहरण में मैंने का प्रयोग ‘श्यामा’ के लिए और आपकी
का प्रयोग ‘माँ’ के लिए हो रहा है । जब सर्वनाम का प्रयोग कहने
वाले, सुनने वाले या किसी तीसरे के लिए हो, तो उसे पुरुषवाचक
सर्वनाम कहते हैं। नीचे दिए गए वाक्यों में तीनों प्रकार के
पुरुषवाचक सर्वनामों के नीचे रे खा खींचो-
एक दिन दीपू और नीलू यमुना तट पर बैठे शाम की ठं डी हवा का
आनंद ले रहे थे| तभी उन्होंने दे खा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता
हुआ उनकी ओर चला आ रहा है । पास आकर उसने बड़े दयनीय
स्वर में कहा, ”मैं भखू से मरा जा रहा हूँ| क्या आप मझ ु े कुछ खाने
को दे सकते है ?”
⚫ उत्तर - एक दिन दीपू और नीलू यमन
ु ा तट पर बैठे शाम की ठं डी हवा
का आनंद ले रहे थे| तभी उन्होंने दे खा कि एक लंबा आदमी
लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर चला आ रहा है । पास आकर उसने बड़े
दयनीय स्वर में कहा, ”मैं भखू से मरा जा रहा हूँ| क्या आप मझ ु े
कुछ खाने को दे सकते है ?”

⚫ प्रश्न 2- तगड़े बच्चे मसालेदार सब्जी बड़ा अंडा


यहाँ रेखांकित शब्द क्रमश: बच्चे, सब्जी और अंडे की विशेषता यानी गुण बता रहे हैं इसलिए ऐसे विशेषणों को
गुणवाचक विशेषण कहते हैं। इसमें व्यकित या वस्तु के अच्छे-बुरे हर तरह के गुण आते हैं। तुम चार
गुणवाचक विशेषण लिखो और उनसे वाक्य बनाओ।
▪ उत्तर – 1. सुंदर माला – नेहा के गले में सुंदर माला थी। 2. लाल गुलाब – पूजा के लिए लाल गुलाब का
हार बना दो। 3. गरीब लड़की – लड़की ठंड से काँप रही थी। 4. दयालु सेठ – सोहन की मदद एक
दयालु सेठ ने की।
⚫ प्रश्न 3-(क) के शव ने झुँझलाकर कहा…
(ख) के शव रोनी सूरत बनाकर बोला…
(ग) के शव घबराकर उठा..
(घ) के शव ने टोकरी को एक टहनी से टिकाकर कहा
(ड) श्यामा ने गिड़गिड़ाकर कहा…
ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखो। ये शब्द रीतिवाचक क्रियाविशेषण का काम कर रहे हैं
क्योंकि ये बताते हैं कि कहने, बोलने और उठने की क्रिया कै से हुई। ‘कर’ वाले शब्दों के क्रियाविशेषण होने की
एक पहचान यह भी है कि ये अकसर क्रिया से ठीक पहले आते हैं। अब तुम भी इन पाँच क्रियाविशेषणों का क्यों में
प्रयोग करो।
▪ उत्तर - 1. झुँझलाकर– अमर ने गुस्से में खिलौने झुँझलाकर फें क दिए।
2. बनाकर – माँ ने मुझे मोतीचूर के लड्डू बनाकर दिए।
3. घबराकर – राज अक्सर घबराकर झूठ बोल देता है।
4. टिकाकर – लड़के ने अपने ठेले को दीवार से टिकाकर रख दिया।
5. गिड़गिड़ाकर– मंदिर में एक भिखारी गिड़गिड़ाकर भीख माँग रहा था।
⚫ प्रश्न 4 - नीचे प्रेमचंद की कहानी ‘सत्याग्रह’ का एक अंश दिया गया है। तुम इसे पढ़ोगे तो पाओगे कि विराम
चिहों के बिना यह अंश अधूरा-सा है। तुम आवश्यकता के अनुसार उचित जग़हों पर विराम चिन्ह लगाओ –
• उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखार्इ दिया 11 बज चुके थे चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था पंडित जी ने
बुलाया खोमचेवाले खोमचेवाला कहिए क्या दूँ भूख लग आर्इ न अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है हमारा
आपका नहीं मोटेराम अबे क्या कहता है यहाँ क्या किसी साधू से कम हैं चाहें तो महीने पड़े रहें और भूख न लगे
तुझे तो के वल इसलिए बुलाया है कि ज़रा अपनी कु प्पी मुझे दे देखूँ तो वहाँ क्या रेंग रहा है मुझे भय होता है
⚫ उत्तर:- उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखार्इ दिया| 11 बज चुके थे चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था।
पंडित जी ने बुलाया, “खोमचेवाले”, खोमचेवाला, ”कहिए क्या दूँ? भूख लग आर्इ न। अन्न-जल छोड़ना
साधुओं का काम है| हमारा आपका नहीं।” मोटेराम,”अबे क्या कहता है? यहाँ क्या किसी साधु से कम हैं| चाहें
तो महीने पड़े रहें और भूख न लगे तुझे तो के वल इसलिए बुलाया है कि जरा अपनी कु प्पी मुझे दे। देखूँ तो वहाँ
क्या रेंग रहा है? मुझे भय होता है।”
रचनात्मक कार्य/कु छ करने को
⚫ प्रश्न 1- गर्मियों या सरदियों में जब तुम्हारी लंबी छु ट्टियां होती हैं, तो तुम्हारा दिन कै से बीतता है ? अपनी
बुआ या किसी और को एक पोस्टकार्ड या अंतर्देशीय पत्र लिखकर बताओ ।
▪ उत्तर –
▪ SSQ,C-08
यशवंतपुर-बेंगलुरु
19 जून, 2020
आदरणीय बुआ जी
सादर प्रणाम
मैं स्वयं सकु शल रहकर आपकी कु शलता की कामना करता हूँ। बुआ जी प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी हमारी ग्रीष्मकालीन लंबी
छु ट्टियां व्यतीत हो गयीं। पिछले वर्ष की भांति यह बड़े ही उबाऊ एवं डरावने दिन थे, क्योंकि इस वर्ष हमारे ग्रीष्मावकाश से पूर्व ही
कोविड-19 कोरोनावायरस महामारी फै ल चुकी थी। हमने इस महामारी की चपेट में आकर बहुत से लोगों के मरने की खबरें
टेलीविजन में सुनी और देखी थी। यह हम सभी के लिए बड़ा ही डरावना अनुभव था। परंतु बुआ जी हमने इस समय को पूरी तरह से
व्यर्थ नहीं जाने दिया। हमने घर पर रहकर कु छ कविताएं लिखी और कु छ उपयोगी प्रोजेक्ट तैयार किए। हमने प्रतिदिन घर के कामों
में अपने माता-पिता की भी सहायता की। हमने कु छ सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से अनेकों गरीब लोगों को भोजन के पैके ट भी
दिए। बुआ जी मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह इस महामारी से हम सभी को जल्द मुक्त कराएं, जिससे हम सभी पुनः अपने
स्कू ल जा सके और अपनी पढ़ाई शुरू कर सके । आपके पत्र का इंतजार करूँ गा|

आपका स्नेहाकांक्षी
(अपना अपना नाम)
लेखक परिचय

(31 जुलाई 1880 – 8 अक्टू बर 1936)


पूरा नाम - मुंशी प्रेमचंद
अन्य नाम - नवाब राय, धनपतराय
जन्म - 31 जुलाई, 1880
जन्मभूमि - लमही गाँव, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु - 8 अक्तू बर, 1936
मृत्यु स्थान - वाराणसी, उत्तर प्रदेश
पिता - मुंशी अजायब लाल
माता - आनन्दी देवी
पत्नी - शिवरानी देवी
संतान - श्रीपत राय और अमृत राय (पुत्र)
कर्म भूमि - गोरखपुर
कर्म-क्षेत्र - अध्यापक, लेखक, उपन्यासकार
मुख्य रचनाएँ - ग़बन, गोदान, बड़े घर की बेटी, नमक का दारोग़ा आदि
विषय - सामाजिक
भाषा - हिन्दी
विद्यालय - इलाहाबाद विश्वविद्यालय
शिक्षा - स्नातक
प्रसिद्धि - उपन्यास सम्राट
नागरिकता - भारतीय

You might also like