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पाठ - 4 : माटी वाली

        (विद्यासागर नौटियाल)

प्रश्न-उत्तर

प्रश्न-1  ‘शहरवासी सिर्फ़ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी


अच्छी तरह पहचानते हैं l’ आपकी समझ से वे कौन से कारण रहे
होंगे जिनके रहते ‘माटी वाली’ को सब पहचानते थे?

उत्तर- शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं उसके कंटर को भी


अच्छी तरह पहचानते हैं क्योंकि-

1. वह शहर के घर-घर जाकर लाल मिट्टी दिया करती थी l


माटाखान शहर से बहुत दरू थी l वहाँ से मिट्टी लेकर आना हर
किसी के लिए संभव नहीं था l चल्ू हे -चौके की पतु ाई के लिए
लाल मिट्टी हर घर की जरूरत थी l

2. माटी वाली के अतिरिक्त हर घर में मिट्टी पहुंचाने का कार्य पूरे


शहर में कोई और नहीं करता था l

3. शहर की रे तीली मिट्टी से लिपाई का काम नहीं किया जा सकता


था l

4. इसके अतिरिक्त माटी वाली एक हँसमुख स्वभाव की महिला थी


और सभी से अच्छी तरह से बात करती थी l

 
प्रश्न-2  माटी वाली के पास अपने अच्छे या बरु े भाग्य के बारे में
ज़्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?

उत्तर- माटी वाली समाज के सबसे निम्न वर्ग अर्थात ् मजदरू वर्ग का
प्रतिनिधित्व करती है l सुबह उठकर माटाखान जाना और वहाँ से
मिट्टी खोदकर घर-घर पहुंचाना, यही उसकी दिनचर्या थी l वह
कर्मशील महिला थी l वह हर घर तक माटी पहुंचाने को ही अपना
कर्म समझती थी l जो भी समय उसके बाद बचता था l वह अपने
बूढ़े पति की सेवा में लगा दे ती थी l वह अपने भाग्य पर रोती नहीं
थी l कर्मशील व्यक्ति कभी भाग्य के सहारे नहीं रहता l वह हमेशा
अपने कर्म में विश्वास रखता है l अतः उसे अपने अच्छे या बुरे भाग्य
के बारे में सोचने का समय ही नहीं मिलता था l

प्रश्न-3  ‘भख
ू मीठी कि भोजन मीठा’ से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर- ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ वाक्य का अभिप्राय है कि भोजन


का संबध
ं भूख से है l भूख अगर तीव्र होती है तो रूखा-सूखा भोजन
भी स्वादिष्ट लगने लगता है l यदि पेट भरा हुआ है अर्थात ् भख
ू न
हो और भोजन के साथ-साथ अनेक पकवान हमारे सामने रखे हों तो
वे भी हमें स्वाद नहीं दे पाते अर्थात ् भोजन का महत्व भूख से जड़
ु ा
हुआ है  l भूख भोजन को स्वादिष्ट बना दे ती है l यही इस वाक्य का
भाव है l

 
प्रश्न-4 ‘परु खों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीजों को हराम के
भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं दे ता l’ - मालकिन के इस कथन
के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए l

उत्तर- हर किसी के घर में पूर्वजों द्वारा अथक परिश्रम से अर्जित की


गई अनेक वस्तए
ु ँ होती हैं l समय के साथ उनका उपयोग तथा
प्रचलन कम हो जाता है लेकिन वे वस्तुएँ आने वाली पीढ़ी के लिए
एक धरोहर से कम नहीं होती हैं l हमें अपनी विरासत को संभाल कर
रखना चाहिए और अपने पूर्वजों के द्वारा अर्जित की गई वस्तुओं का
कभी भी अनादर नहीं करना चाहिए l उन्हें कौड़ियों के भाव नहीं
बेचना चाहिए l आजकल लोग अपनी धरोहर को अनुपयोगी
समझकर औने-पौने दाम बेच दे ते हैं और आज के दौर की सौंदर्य वद्धि

वाली वस्तए
ु ँ खरीद लेते हैं l अत: हमें अपने पर्व
ू जों की बनाई वस्तओ
ु ं
को सहे ज कर रखना चाहिए l

प्रश्न-5 माटी वाली रोटियों का हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को


प्रकट करता है ?

उत्तर- माटी वाली की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी l उसकी इस


हालत पर तरस खाकर मालकिन उसे कुछ रोटियाँ खाने के लिए दे ती
है l कभी वासी साग या कभी बची-खुची चाय दे दे ती है l वह उसी से
अपना काम चला लेती है l एक रोटी वह अपने पेट के हवाले कर
दे ती है तथा एक को कपड़े में बांधकर अपने पति के लिए ले जाती है
ताकि उसका वद्ध
ृ , अशक्त तथा बीमार पति को वह कुछ खिला सके l
माटी वाली को दो और रोटियाँ मिलती हैं l तो घर जाते समय रास्ते
में रोटियों का हिसाब लगाती है l इससे उसकी खराब आर्थिक स्थिति
का पता चलता है l दस
ू री तरफ मेहनत मजदरू ी करने के बावजद

एक व्यक्ति भरपेट भोजन नहीं खा सकता l यह पंक्ति उस हालात
की ओर भी इशारा करती है जिसमें माटी वाली जीवन जी रही है l
गरीबी, मजबूरी और विवशता को प्रकट करने वाली यह पंक्ति आज
के समय में एक बहुत बड़ा प्रश्न है l

प्रश्न-6 आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं दे गी - इस कथन


के आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में
लिखिए?

उत्तर- गरीब माटी वाली की आय इतनी अधिक नहीं है कि वह घर


में हर रोज सब्जी बना सके l जब भी उसे रोटियाँ मिल जाती थीं तो
उन्हीं में से बचाकर वह अपने बीमार पति के लिए ले जाती थी l
उसका पति रोटियों को साग-सब्जी के बिना ही खा लिया करता था l
माटी वाली इस बात से दख
ु ी है और विवश है पर वह कुछ कर नहीं
सकती l उस दिन जब वह तीन रोटियाँ बचा कर ले जा रही थी तब
सोच रही थी कि आज वह प्याज की सब्जी बना दे गी l रोज रूखी
रोटी खाने वाला बीमार पति उसके साथ रोटियाँ खा लेगा l इन
पंक्तियों में एक पत्नी का अपने पति के लिए प्रेम तथा समर्पण भाव
दृष्टिगोचर होता है l इसके अतिरिक्त उसकी आर्थिक विवशता भी
दिखाई दे रही है l
 

 
प्रश्न-7 ‘गरीब आदमी का शमशान नहीं उजड़ना चाहिए l’ इस कथन
का आशय स्पष्ट कीजिए l

उत्तर– लेखक ने टिहरी से विस्थापित होने वाले लोगों की पीड़ा को


अत्यंत मार्मिक ढं ग से ‘माटी वाली’ कहानी में प्रस्तुत किया है l
विस्थापन के समय कुछ लोग ऐसे होते हैं जो जिनका अपना न घर
होता है न खेत, न कुछ अन्य l जिस जगह पर उसने झोंपड़ी डाली
हुई थी वह भी किसी अन्य व्यक्ति की थी l माटी वाली उस दिन जब
अपने घर लौटती है तो दे खती है कि उसका पति मर चुका है l उधर
बाँध में पानी छोड़े जाने से शमशान भी डूब गया है l अब वह अपने
पति का अंतिम संस्कार कैसे और कहाँ करे गी? वह चिंतित है l
विवशता के कारण माटी वाली कहती है कि गरीब का श्मशान
नहीं उजड़ना चाहिए l

  

प्रश्न-8 ‘विस्थापन की समस्या’ पर एक अनुच्छे द लिखिए l

उत्तर- हमारा दे श एक विकासशील दे श है l दे श को विकास के पथ


पर आगे बढ़ते रहने के लिए कुछ मल
ू भत
ू चीजों की आवश्यकता होती
है l कृषि के लिए पानी की जरूरत होती है जिसके लिए कई नदियों
पर बाँध बनाए गए हैं जिससे सिंचाई की समस्या को दरू किया जा
सके l यह एक बहुत अच्छा कार्य है परं तु उसके साथ एक बहुत बड़ी
समस्या में जड़
ु ी हुई है l वह समस्या है ‘विस्थापन की समस्या’ l
जिन स्थानों पर बाँध बनाए जाते हैं वहाँ पर रहने वाले अनेक लोगों
को अपने घर को छोड़ कर दरू जाकर बसना पड़ता है l यह समस्या
विस्थापन की समस्या कहलाती है l सरकार से उचित मआ
ु वजा न
मिलने या उनको किसी अन्य स्थान पर रहने के लिए उचित जगह न
मिलने से उनका जीवन दख
ु द हो जाता है l अपने पर्व
ू जों की जमीन
पर बने हुए घर को छोड़ना हर किसी के लिए बहुत ही कष्टकारी होता
है l कई बार तो यह भी दे खने में आता है कि कुछ लोग इसके लिए
आंदोलन भी करने के लिए मजबूर हो जाते हैं l विस्थापन की
समस्या हमारे दे श की बहुत गंभीर समस्या है l सरकार को इस पर
विचार करना चाहिए l

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