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झेन की देन अ.ग^
झेन की देन अ.ग^
. “हमयरे जीवन की रफ़्तयर बढ़ गई है। यहयाँ कोई चलतय नही ां, बल्कि दौड़तय है। कोई बोलतय
नही ां, बकतय है। हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगयतयर बड़बड़यते रहते हैं।
अमेररकय से हम प्रततस्पर्या करने लगे। एक महीने में पूरय होने वयलय कयम एक तदन में ही पूरय
करने की कोतशश करने लगे। वैसे भी तदमयग की रफ़्तयर हमेशय तेज़ ही रहती है। उसे 'स्पीड'
कय इां जन लगयने पर वह हज़यर गुनय अतर्क रफ़्तयर से दौड़ने लगतय है। तिर एक क्षण ऐसय
आतय है जब तदमयग कय तनयव बढ़ जयतय है और पूरय इां जन टू ट जयतय है । यही कयरण है तजससे
मयनतसक रोग यहयाँ बढ़ गए हैं।
अकसर हम यय तो गुज़रे हुए तदनोां की खट्टी-मीठी ययदोां में उलझे रहते हैं यय भतवष्य के रां गीन
सपने दे खते रहते हैं। हम यय तो भूतकयल में रहते हैं यय भतवष्यकयल में। असल में दोनोां कयल
तमथ्यय हैं। एक चलय गयय है, दू सरय आयय नही ां है। हमयरे सयमने जो वतामयन क्षण है , वही सत्य
है। उसी में जीनय चयतहए। चयय पीते -पीते उस तदन मेरे तदमयग से भूत और भतवष्य दोनोां कयल
उड़ गए थे। केवल वतामयन क्षण सयमने थय। और वह अनांतकयल तजतनय तवस्तृत थय। जीनय
तकसे कहते हैं, उस तदन मयलूम हुआ।