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Value Addition Material-2018


PAPER IV : नीतिशास्त्र
नीतिशास्त्र िथा मानवीय सह-संबंध

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तवषय सूची
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1. भूतमका (Introduction)________________________________________________________________________ 3

2. नीतिशास्त्र िथा मानवीय सह-संबध


ं – नीतिशास्त्र का सार ित्व _____________________________________________ 4

2.1. प्रमुख शब्दावतलयााँ: तवश्वास, मूल्य, मानदंड, तसद्ांि, नैतिकिा, नीतिशास्त्र __________________________________ 6

2.2. नीतिशास्त्र के तनधाारक (Determinants of Ethics) _______________________________________________ 12

2.3. नीतिशास्त्र के पररणाम _____________________________________________________________________ 15

2.4. नीतिशास्त्र के अयाम (Dimensions of Ethics) __________________________________________________ 15

3. ऄनुप्रयुक्त/फतलि नीतिशास्त्र : तवतशष्ट ईदाहरण ______________________________________________________ 19

3.1. पयाावरणीय नीतिशास्त्र (Environmental Ethics) ________________________________________________ 19

3.2. व्यावसातयक/व्यापार नीतिशास्‍तर (Business Ethics) ______________________________________________ 20

3.3. नैतिक प्रबंधन (Ethical Management) _______________________________________________________ 21

3.4. तवश्वबंधि
ु ा संस्‍तकृति और शहरीकरण के संदभा में नैतिक संघषा ___________________________________________ 21

4. तनजी और सावाजतनक संबध


ं ों में नीतिशास्त्र __________________________________________________________ 23

4.1. तनजी संबंधों में नीतिशास्त्र (Ethics in Private Relationships) ______________________________________ 23

4.2. सावाजतनक संबंधों में नीतिशास्त्र _______________________________________________________________ 23

4.3. सावाजतनक िथा तनजी नीतिशास्त्र में संबंध ________________________________________________________ 25

5. नैतिक द्वंद्व/संघषा का तनराकरण: रास्‍तिा क्या है? _______________________________________________________ 26

6. मानवीय मूल्य (Human Values) _______________________________________________________________ 26

6.1. मूल्य तवकतसि करने में पररवार, समाज िथा शैक्षतणक संस्‍तथाओं की भूतमका _________________________________ 27
6.1.1. मूल्य तवकतसि करने में पररवार िथा समाज की भूतमका __________________________________________ 27
6.1.2. मूल्य तवकतसि करने में शैक्षतणक संस्‍तथाओं की भूतमका ____________________________________________ 28

7. तवगि वषों में UPSC द्वारा पूछे गए प्रश्न ___________________________________________________________ 30

8. तवगि वषों में UPSC द्वारा पूछे गए प्रश्न: के स स्‍तटडीज __________________________________________________ 32

9. तवगि वषों में Vision IAS GS मेंस टेस्‍तट सीरीज में पूछे गए प्रश्न___________________________________________ 33

10. तवगि वषों में Vision IAS GS मेंस टेस्‍तट सीरीज में पूछे गए प्रश्न: के स स्‍तटडीज ________________________________ 48

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1. भू तमका (Introduction)
जजमेंट एट नूरम्बगा नामक एक ऐतिहातसक फफल्म में मुख्य नायक प्रधान न्यायाधीश डेन हेवड
ु के
सम्मुख एक ऄजीब करिन पररतस्‍तथति थी। वह जमानी के चार न्यायाधीशों से संबद् एक मुकदमे की
सुनवाइ करने जा रहे एक न्यायातधकरण के ऄयकयक्ष थे। अर प यह था फक आन चारों न्यायाधीशों ने
तहटलर के नाजी शासन के दौरान कु छ समूहों (यहूफदयों, समलैंतगकों अफद) की बलाि नसबंदी और

जािीय नरसंहार क बढावा देने के तलए ऄपने पदों का ईपय ग फकया था। वहीं दूसरी ओर, यह िका
फदया जा रहा था फक चूंफक न्यायाधीश और तसतवल सेवक कानून नहीं बनािे हैं, बतल्क बस ऄपने देश के
कानूनों क कायाातन्वि करिे हैं, आसतलए ईन्हें दंतडि नहीं फकया जाना चातहए। ऐसे में सवाल यह था फक

क्या सचमुच वे ईक्त ऄन्याय और क्रूरिा के तलए ईत्तरदायी थे, जबफक राज्य मशीनरी का ईनके तवरूद्
भलीभांति ईपय ग फकया जा सकिा था? या 'ऄपने किाव्यों के तनवाहन' का बहाना बस एक पदाा था
तजसके पीछे वे ऄपने नैतिक और कानूनी ईत्तररदातयत्व से पल्ला झा स सकिे थे? खैर ज भी ह , ईधर
शीि-युद् में िीव्रिा अ रही थी, तजसके कारण क इ भी यह नहीं चाहिा था फक जमानी में क इ और
मुकदमा चले, क्योंफक आससे नकारात्मक ल कमि बन सकिा था। ऄिः यह ऄपेक्षा की जा रही थी फक
न्यायातधकरण द्वारा न्यायाधीशों क कारावास का दंड फदए तबना ररहा कर फदया जाएगा। ऄिः
न्यायातधकरण के समक्ष दुतवधा यह थी फक क्या ऄिीि क भूल जाना और ईसे जाने देना सही था या
आस प्रकार के ऄमानवीय कृ त्यों के कायाान्वयन क बढावा देने वाले सभी न्यायाधीशों क दंतडि करना
सही था? मुकदमा यह फदखाने के तलए जारी रहा फक "संकट की तस्‍तथति में, यहााँ िक फक ऄसाधारण,
करूणावान और समानुभूति रखने वाले ल ग भी कल्पना से परे जघन्य ऄपराध करने से ऄपने अपक
नहीं र क सकिे हैं।" न्यायाधीश हेवुड दबाव के अगे नहीं झुके और मुकदमे में ईसके गुण-द षों के
अधार पर ईन ल गों के तवरुद् सुनवाइ जारी रखने का तनणाय तलया तजनके तवरूद् सरकार द्वारा
प्राय तजि क्रूरिा और ऄन्याय में सचेि भागीदारी का अर प तसद् फकया जा सकिा था।
2005 में ऄफगातनस्‍तिान में, यू.एस. नेवी सील के एक कमांड माका स लुट्रेल क एक दुतवधा का सामना
करना प सा - “फक क्या ईन तनद ष नागररकों क मार देना चातहए, तजनपर ईनके दल के सातथयों क
यह संदह
े था फक वे ईनके छु पे ह ने का स्‍तथान बिा देंग,े या ईन्हें जाने देना चातहए”। ऐसी तस्‍तथति का
सामना करिे हुए, ईसने ईन्हें जाने देने का तनणाय तलया। कु छ घंटों बाद, ईन्हें िातलबान ने घेर तलया
और हमला कर फदया। लुट्रेल बच गया और बाद में ईसने स्‍तवीकार फकया फक यह प्रेम, तवश्वास और अशा
की ईसकी इसाइ मान्यिाएं थीं, तजन्होंने ईस पल ईसका मागादशान फकया। हालांफक, ईसने यह भी कहा

फक, काश ईसने ऄपने दल के सातथयों की बाि सुनी ह िी और ऄपना तनणाय बदल फदया ह िा। अइये,
ऄब हम जम्मू कश्मीर की एक घटना से आसकी िुलना करें । 2016 में मानवातधकार के गंभीर ईल्लंघन
के एक अर पी मेजर ग ग इ ने पत्थरबाजी करनेवाली भी स से एक व्यतक्त क पक स तलया और
सैन्यक्मयों क खिरा वाले क्षेर से सुरतक्षि रूप से बाहर तनकालने के तलए ईसका मानव ााल के रूप
में ईपय ग फकया। सेना की जााँच में ईन्हें तनद ष िहराया गया, लेफकन यहााँ सवाल यह है फक क्या मेजर
ग ग इ क व्यतक्त के प्राण के ऄतधकार का ईल्लंघन करिे हुए, एक व्यतक्त के जीवन क खिरे में डालने
का ऄतधकार था? ईपर क्त व्णि 2005 एवं 2016 की आन द नों घटनाओं क देखें ि , तनश्चय हीं
लुट्रेल या ग ग इ द्वारा तलए गए तनणायों की ऄंिहीन अल चना की जा सकिी है। लेफकन यह अल चना
िका संगि रूपरे खा में की जानी चातहए। वे मागादशाक कारक क्या थे तजसके चलिे ईन्ह ने ऐसा तनणाय
तलया? पश्च दृति के लाभ के साथ, क्या बेहिर फकया गया ह िा?

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एक तसतवल सेवक के िौर पर, व्यतक्त क न के वल ऐसे तनणाय लेने प सिे हैं ज दूसरों के जीवन क
प्रभातवि करिे हैं, ऄतपिु साथ ही ईन्हें ऄपने तलए भी तवकल्प का चुनाव करना प सिा है। ईदाहरण के
तलए- क्या फकसी संबंधी द्वारा संचातलि फमा से तनतवदाएं स्‍तवीकार करने का पररणाम तहिों का संघषा
है? आसी िरह, हम तवतभन्न प्रकार के तवषयों पर राय रखिे हैं। वह राय कै से अकार लेिी है? हम कै से
पररभातषि करिे हैं फक क इ तवशेष घटना, तनणाय या िथ्य, भले ही वह हमसे संबंतधि न ह , ऄच्छा या
बुरा है, सही या गलि है? बहुि से ल ग आस बाि से चचतिि नहीं होंगे फक भारि में फक्रके टर फकिना
पैसा कमािे हैं। लेफकन हम फक्रके टर के समान अय की मांग करने वाले ऄन्य खेलों से संबद् तखलातडयों
की मांग से कै से िादात्म्य बैिािे हैं, भले ही वह खेल दूसरों के तलए ईिना सम्म हक नहीं ह , यह स चने
वाली बाि है? या फकसी पररश्रमी यािायाि पुतलसकमी क मुंबइ में फकसी वािानुकूतलि कायाालय में
काम करने वाले पररश्रमी कॉप रे ट कमाचारी के साथ कै से सह-संबतं धि करिे हैं? क्या बच्चे क जन्म देने
के ऄतधकार में ईसका जीवन समाप्त करने का भी ऄतधकार सतम्मतलि है? क्या एक जीवन की कीमि
पर कइ जीवन बचाना न्याय तचि है? आन प्रश्नों का हााँ या नहीं में ईत्तर ईिना सरल नहीं है, तजिना
हम सामान्य ांग से स चिे हैं। लेफकन आन प्रश्नों का मूल्यांकन करने के तलए हम तजस ाांचे का ईपय ग
करिे हैं, वह मनमाना नहीं ह सकिा। ईसे िका संगि ह ना चातहए। ऐसी तवसंगतियों के पक्ष में या के
तवरूद् क्या नैतिक िका ह सकिे हैं?
नीतिशास्त्र क्या है? (What are Ethics?)
 ऄपने सरलिम रूप में, नीतिशास्त्र नैतिक तसद्ांिों की एक प्रणाली है। यह 'क्या करना सही
है/ह गा?' (ऄथााि् ईतचि अचार) का एक ऄन्वेषणात्मक ऄयकययन है। यह आस बाि क प्रभातवि
करिा है फक ल ग तनणाय कै से लेिे हैं और ऄपना जीवन जीिे हैं। 'एतथक्स (Ethics)’ ऄथााि्
नीतिशास्त्र शब्द ग्रीक शब्द 'एतथक ज' (ethikos) से तनकला है तजसका ऄथा परं परा, अदि, चररर
या स्‍तवभाव ह सकिा है। नीतिशास्त्र नैतिक तसद्ांिों की एक ऐसी प्रणाली है ज सही और गलि,
ऄच्छे और बुरे, ईतचि और ऄनुतचि के बीच ऄंिर करने में हमारी सहायिा करिा है। नीतिशास्त्र
क मानव अचरण के तलए मागादशाक प्रकाश कहा जा सकिा है। नैतिक तसद्ांिों के ऄनुप्रय ग के
कारण मानव व्यवहार और कायों में पररविान वस्‍तिुिः मानवीय समाज के तनमााण में हमारी
सहायिा करिे हैं जहां सभी शांति और समरसिा के साथ रह सकिे हैं।
 क्या ऐसा क इ सावाभौतमक नैतिक तसद्ांि है या नहीं, तजसे व्यतक्त या पररतस्‍तथति से तनरपेक्ष लागू
फकया जा सकिा है। यह एक ऐसा तवषय है तजसपर दाशातनकगण संपूणा आतिहास के दौरान बहस
करिे रहे हैं। सभी समाजों ने ऄिीि में कइ बार ऄच्छे या स्‍तवीकाया अचरण के तसद्ांिों क
संतहिाबद् करने का प्रयास फकया है। बुरे या ऄस्‍तवीकाया अचरण क हि त्सातहि या दंतडि फकया
गया है। ईदाहरण के तलए- नीतिशास्त्र पर धा्मक तवचार सावाभौतमक ह िे हैं। आमैनए ु ल कांट
द्वारा यथा प्रस्‍तिातवि तनरपेक्ष अदेश (Categorical Imperative) की ऄवधारणा (आसपर अगे
चचाा की गयी है) कृ त्य/फक्रयाकलाप की सावाभौतमकिा तनधााररि करने की कसौटी प्रस्‍तिुि करिी है।
2. नीतिशास्त्र िथा मानवीय सह-सं बं ध – नीतिशास्त्र का सार
ित्व
(Ethics and Human Interface – The essence of ethics)
 सार फकसी चीज की ऄंि्नतहि प्रकृ ति या ऄतनवाया गुण है ज ईसका चररर तनधााररि करिा है।
यह मूल या वास्‍तितवक भाग, फकसी चीज के सवाातधक महत्वपूणा गुण क आं तगि करिा है।
नीतिशास्त्र का सार समाज में शांति, समरसिा और तस्‍तथरिा सुतनतश्चि करने के तलए सामान्य
नैतिक तसद्ांिों की अवश्यकिा में तनतहि है। यह जवाबदेही (accountability), इमानदारी

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(honesty), सहानुभतू ि (empathy), सत्यतनष्िा (integrity), प्र तबटी/इमानदारी (probity),
संवेदना/करुणा (compassion) आत्याफद के मूल्यों में सव त्तम रूप से प्रतिचबतबि ह सकिी है।
 नीतिशास्त्र के तलए सबसे अधारभूि अवश्यकिा आस िथ्य में तनतहि है फक हम स्‍तवि: यह नहीं
जानिे हैं फक फकससे हमारा जीवन लाभातन्वि ह गा और क्या हातनकारक ह गा। हमें तनरं िर चयन
संबंधी ऐसी समस्‍तयायों का सामना करना प सिा है तजनसे हमारे जीवन का तवस्‍तिार और गुणवत्ता
प्रभातवि ह िी है। हमें ऄपने मूल्यों का ऄवश्य चयन करना चातहए, फक कहां रहना है, ऄपना
समय कै से व्यिीि करना है, फकसके साथ सहय ग करना है, फकस पर तवश्वास करना है? हमें
ऄवश्य् चयन करना चातहए फक ऄपने लक्ष्यों क प्राप्त करने के संबंध में क्या करना चातहए, फकन
साधनों का ईपय ग करना चातहए और कै से अगे बढना चातहए। फकन चाररतरक लक्षणों क प्राप्ि
करना चातहए और फकनक समाप्ि करना चातहए? हमारी कौन-सी भावनात्मक ऄनुफक्रयाएं
लाभप्रद हैं और कौन-सी हातनकारक हैं? फकस मानदंड से हमें दूसरों क अंकना चातहए और फकस
अधार पर ईनके साथ ऄंिर्क्रक्रया करनी चातहए? तजस हद िक हम तवचार-तवमशा में चूक करिे हैं,
हम सामातजक और भावनात्मक कारकों की दया पर ह िे हैं ज आििम से दूर ह सकिे हैं।
 नीतिशास्त्र हमारे द्वारा फकए जाने वाले चयन या चयन में तवफलिा के संबंध में है। हम ऄपने सचेि
तवचारों और सूतचि ह ने की क्षमिा और ईतचि तवकल्प के चयन की ऄपनी क्षमिा से ऄवगि ह िे
हैं। यही वह चीज है तजसे हम स्‍तविंर आच्छा (free will) कहिे हैं। हम जानिे हैं फक हमारे द्वारा
फकए जाने वाले चयन का ऄपने तलए और दूसरों के तलए क इ न क इ पररणाम ह िा है। हम ईस
ईत्तरदातयत्व से ऄवगि ह िे हैं ज हमारे फक्रयाकलापों से संबद् ह िे हैं। लेफकन, हमारे पास
तवश्वसनीय ऄंि्नतहि ज्ञान या प्रवृतत्तयां नहीं ह िी हैं ज स्‍तवचातलि रूप से हमारे ऄतस्‍तित्व और
तवकास क बढावा देिी है। हमारी जीतवि रहने और पी सा से बचने की ऄंि्नतहि भावनात्मक
आच्छा ह सकिी है, लेफकन हमारे पास ईन ईद्देश्यों क प्राप्त करने के िरीकों के संबंध में ऄंिजााि
ज्ञान नहीं ह िा है। िका संगि, गैर तवर धाभासी नीतिशास्त्र ऄपने जीवन के साथ-साथ सामातजक
कल्याण के संबंध में बेहिर तवकल्प के चयन में हमारी सहायिा कर सकिी है।
 व्यतक्तयों द्वारा चुने जाने वाले तवकल्प समाज की मान्यिाओं और मूल्य प्रणाली में समय के साथ
ऄश्मीभूि ह सकिे हैं। फकसी देश की कानूनी व्यवस्‍तथा आन मूल्यों और मान्यिाओं पर बहुि ऄतधक
तनभार करिा है। जरा सर गेसी कानूनों के तवषय में स चें: क्या जैतवक मािा-तपिा बनने की
स्‍तविंरिा मािृत्व तजिना ऄंि्नतहि फकसी चीज पर मौफिक मूल्य क महत्व देिा है? भारि में
सर गेसी पर कानून भारिीय मूल्य प्रणाली क प्रतिचबतबि करिा है जबफक ऄन्य देशों में ईनकी
मूल्य प्रणाली क प्रतिचबतबि करिा है।
 नीतिशास्त्र या नैतिक दशान आस बाि पर तवचार करिा है फक क्या गलि है या सही है। ऄयकययन के
एक तवषय के रूप में आसकी िीन शाखाएं हैं: ऄतधनीतिशास्त्र (Meta ethics),
तनयामकत्व/मानकीय/तनदेशात्मक नीतिशास्त्र (Normative ethics) और ऄनुप्रयुक्त/फतलि
नीतिशास्त्र (Applied ethics)। ऄतधनीतिशास्त्र व्यापक प्रश्नों का ऄनुसंधान करिा है, जैसे फक
'नैतिकिा क कै से पररभातषि फकया जा सकिा है?', 'न्याय क्या है?' अफद। तनयामकत्व/मानकीय
नीतिशास्त्र आस बाि से संबंतधि है फक हमें क्या करना चातहए। यह क्या सही है या क्या गलि है,
क िय करने की एक रूपरे खा प्रदान करिा है। तवतभन्न दाशातनकों ने िका के मायकयम से यह रूपरे खा
प्रस्‍तिुि करने का प्रयास फकया है, ईदाहरण के तलए - कांट की किाव्यवादी/किाव्यतवज्ञान/किाव्य-
परकिावादी नीतिशास्त्र (Deontological ethics of Kant), जेरेमी बेंथम और जॉन स्‍तटुऄटा तमल
का ईपय तगिावाद (Utilitarianism), ऄरस्‍तिु का सगुगुण नीतिशास्त्र (Virtue ethics of
Aristotle)। ऄंि में, ऄनुप्रयुक्त/फतलि नीतिशास्त्र नैतिक महत्व के व्यावहाररक मुद्दों से संबंतधि है,
जैस-े मृत्युदड
ं , सर गेसी और दैतनक जीवन की दुतवधाएं आत्याफद। (नीतिशास्त्र के अयामों के
ऄंिगाि आनकी अगे चचाा की गयी है।)

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2.1. प्रमु ख शब्दावतलयााँ : तवश्वास, मू ल्य, मानदं ड , तसद्ां ि , नै तिकिा, नीतिशास्त्र

(Key Terms: Beliefs, Values, Norms, Principles, Morals, Ethics)


तवश्वास, मूल्य, मानदंड, तसद्ांि, नैतिकिा और नीतिशास्त्र जैसे शब्दों का कइ बार एक दूसरे के स्‍तथान
पर ईपय ग फकया जािा है, लेफकन ईनमें सूक्ष्म ऄंिर भी हैं। आस ऄंिर क महसूस करने के तलए
तवकासवादी ाांचे में आन शब्दों के तवषय में स चें - ऄथााि,् एक व्यतक्त के तवश्वास से लेकर सामातजक
मानदंडों िक और सामातजक मानदंडों से लेकर फकसी देश के कानून िक। मनुष्य तजन बािों पर तवश्वास
करिा है, वह ईन्हीं के अधार पर ईन्नति करिा है। समुदाय ज बाि स्‍तवीकाया मानिा है, ईसके ऄनुसार
चलिा है। समाज आस अधार पर काया करिा है फक ईससे फकस प्रकार काया करने की ऄपेक्षा की जािी
है। आन्हें क्रमशः तवश्वास, मानदंड और मूल्य कहा जािा है।
तवश्वास/मान्यिाएं/धारणा (Beliefs)
 मेरी मेज पर कॉफी का एक मग रखा है। यह वस्‍तिुिः मेरा तवश्वास है फक मेरी मेज पर कॉफी का
एक मग रखा है। रामायण के ऄनुसार राम ने रावण क मारा। एक व्यतक्त यह तवश्वास कर सकिा
है फक राम ने वास्‍तिव में रावण क मारा। तवश्वास वस्‍तिुिः फकसी तवशेष समूह या समाज का
तवचार, दृतिक ण और ऄतभवृतत्त ह िी है। तवश्वास (या मान्यिाओं) का सृजन वस्‍तिुिः
नीतिकथाओं, तमथकों, ल कगीिों, परं पराओं और ऄंधतवश्वासों से तमलकर ह िा है। ये सत्य और
सत्यापन य ग्य िथ्य, आतिहास या ककवदंतियां भी ह सकिे हैं। तवश्वास एक सांस्‍तकृ तिक समूह की
नींव रखिा है, लेफकन प्राय: आन्हें बनाए रखने वाले समूह के तलए यह ऄदृश्य ह िा है। यह आसतलए
महत्वपूणा ह िा है क्योंफक यह हमें फदलासा देिा है। मनुष्य तजन बािों पर तवश्वास करिा है, ईनके
अधार पर वह ईन्नति करिा है। हालांफक, तवश्वास क चुनौिी दी जा सकिी है। सिही तवश्वास
बदल भी सकिे हैं। एक ही पररघटना के तवषय में द ल गों का ऄलग-ऄलग तवश्वास ह सकिा है,
जैस-े एक साधारण सा सवाल फक ग्लास अधा खाली है या अधा भरा है, से लेकर जरटल धा्मक
प्रश्नों िक फक पृथ्वी या जीवन कै से ऄतस्‍तित्व मे अया? तवश्वास भावनाओं क जन्म देिे हैं, लेफकन
ऄतनवाया रूप से फकसी कायावाही क नहीं।
मूल्य (Values)
 मूल्य ऄच्छे या बुरे के तलए वरीयिा दशाािे हैं। मूल्य वस्‍तिुिः ऄच्छे या बुरे और वांछनीय या
ऄवांछनीय के संबंध में एक व्यतक्त के भीिर महत्वपूणा और स्‍तथायी तवश्वास या तवचार हैं। मूल्य
बाह्य वािावरण, पररवार, ऄनुभव अफद के मायकयम से एकतरि ह िे हैं। सामान्यि: 'चातहए' के रूप
में आन्हें व्यक्त फकया जािा है। रामायण में कही गयीं बािों पर तवश्वास कर एक ययतक्त बुजुगा के प्रति
सम्मान, इमानदारी, सत्यतनष्ठा अफद का पालन कर सकिा है। एक ययतक्त ऄपहरण और ऄपमान
जैसे कृ त्यों के तलए नकारात्मक मूल्य भी तनर्क्रदि कर सकिा है। आससे हम आस तवषय पर तनणाय लेिे
हैं फक क इ चीज फकिनी वांछनीय या ऄवांछनीय है। आस प्रकार मूल्य अगे बढने के मागादशाक
तसद्ांिों के रूप में काया करिे हैं। आसका व्यतक्त के व्यवहार और ऄतभवृतत्त पर महत्वपूणा प्रभाव
प सिा है।
मानदंड (Norms)
 मानदंड व्यवहार का मागादशान करने वाली सामातजक ऄपेक्षाएं हैं, ऄथााि,् सामातजक रूप से
स्‍तवीकाया ययवहार के िरीकों क मानदंड कहा जािा है। मानदंड सामान्यि: सही या गलि
सामातजक व्यवहार के संबंध में फकसी तवशेष समूह या समुदाय के ऄनौपचाररक फदशातनदेश ह िे
हैं। मानदंड एक-दूसरे से समुदाय के सदस्‍तयों की सामूतहक ऄपेक्षाओं का एक रूप है। मानदंड
समरूपिा की पुति करने, प्रेररि करने और तवचतलि व्यवहार की र कथाम करने के तलए ययतक्त
पर सामातजक तनयंरण या सामातजक दबाव का एक रूप है। मानदंड सामातजक रीति-ररवाजों,

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सावाजतनक िौर-िरीकों या अचार-तवचार के मायकयम से व्यक्त ह िे हैं। मानदंड समाज में ययवस्‍तथा
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प्रदान करिे हैं। ईदाहरण के तलए, पारं पररक समाज में, यह एक मानदंड है फक पुर क ऄपने तपिा
के अदेश का पालन करना चातहए और ईसकी आच्छाओं क पूरा करना चातहए।
 मानदंडों के ऄनुरूप न चलना दंड क अक्षि करिा है। यह दंड नीचा देखे जाने, ईपहास, डांट-
फटकार, बतहष्कार, प्रायतश्चि अर पण अफद के रूप में ह सकिा है। कानून मानदंडों के तवकास

का ईत्तरविी चरण हैं, जहां समाज ने ऄपने सदस्‍तयों से ऄपेतक्षि और ऄनापेतक्षि व्यवहार की शिों
क संतहिाबद् फकया है। तवचतलि ल गों पर कानूनी न्यायालय में मुकदमा चलाया जािा है और
िदनुसार दंतडि फकया जािा है। यह यकयान रखना महत्वपूणा है फक फकसी व्यतक्त के तलए, मानदंड
बाह्य रूप से अर तपि ह िे हैं जबफक तवश्वास और मूल्य अंिररक ह िे हैं। मानदंड व्यवहार के
तवतशि मागादशाक हैं जबफक मूल्य के वल ऄप्रत्यक्ष मागादशान प्रदान करिे हैं।
तसद्ांि (Principles)
 मूल्य, तवश्वास, नैतिकिा एक व्यतक्त से दूसरे ययतक्त के तलए ऄलग-ऄलग ह िे हैं। नीतिशास्त्र भी
ऄलग-ऄलग समुदायों और संस्‍तकृतियों में तभन्न-तभन्न ह सकिी है। जबफक, तसद्ांि प्रकृ ति में

सावाभौतमक तनयम या कानून ह िे हैं। तसद्ांि सावाभौतमक सत्य और मानकों, जैस-े तनष्पक्षिा,
सत्यिा, समानिा, न्याय आत्याफद के तवषय में ह िे हैं।
नैतिकिा (Morals)

 नैतिकिा क्या सही या क्या गलि है, क्या स्‍तवीकाया या क्या ऄस्‍तवीकाया है, आसके संबंध में व्यतक्त या
समूह का तवश्वास है। जहां एक ओर नैतिकिा यह तनधााररि करिा है फक सही अचरण क्या है, वहीं
दूसरी ओर यह व्यतक्तगि फदक्सूचक, व्यतक्तगि चयन भी है। नैतिकिा सदाचरण का तसद्ांि है
तजसका ईपय ग हम मानव चररर की ऄच्छाइ या बुराइ का अकलन करने के तलए करिे हैं।
नैतिकिा अचरण के प्रचतलि मानक हैं ज ल गों क समूह में सहकारी रूप से रहने में समथा बनािे
हैं। ऄतधकिर ल ग नैतिक रूप से काया करिे हैं और सामातजक फदशातनदेशों का पालन करिे हैं।
सही या गलि के प्रति ईदासीन ल गों क नैतिकिा-तनरपेक्ष (amoral) कहा जािा है, जबफक बुरा
कमा करने वाले ल गों क ऄनैतिक (immoral) कहा जािा है।

 समय के साथ नैतिकिा पररव्िि ह सकिी है। ऐतिहातसक रूप से, धमा नैतिकिा का महत्वपूणा
स्र ि रहा है। नए ज्ञान के साथ व्यतक्त की नैतिकिा बदल सकिी है। ईदाहरण के तलए,
समलैंतगकिा क ऄप्राकृ तिक माना गया है और आसतलए यह ऄनैतिक कृ त्य है, लेफकन यह ऄब
तवश्व भर में ऄतधकातधक स्‍तवीकृ ति प्राप्त करिा जा रहा है। कु छ नैतिकिाएं समय और संस्‍तकृ तियों से
श्रेष्ठ ह िी हैं। ईदाहरण के तलए, स्‍तवाथापरायणिा क ऄनैतिक माना जािा है, जबफक तनष्िा और
सत्यवाफदिा क नैतिक माना जािा है।
 यहााँ यकयान देने वाली बाि यह है फक, चूंफक नैतिकिा सामान्यि: व्यतक्तगि पसंद ह िी है, आसतलए
आसमें वस्‍तिुतनष्ििा की कमी ह िी है। आस प्रकार, नैतिकिा सुसंगि काया की गारं टी नहीं देिी है।
वास्‍तितवक व्यवहार के दौरान एक व्यतक्त ऄपनी नैतिकिाओं से तवचतलि ह सकिा है। यहां
वस्‍तिुतनष्ििा से अशय कृ त्यों में सुसंगििा से है। व्यतक्त तभन्न-तभन्न संदभों में ऄलग-ऄलग चयन
कर सकिा है, जैस-े एक व्यतक्त नकल करने के कृ त्य क ऄनैतिक मान सकिा है, लेफकन जब ईसे
ऄवसर फदया जाए ि वह परीक्षा में नकल कर सकिा है। आसतलए नैतिकिा वह तवश्वास है ज
सही मानी जािी है लेफकन यह ऄतनवाया नहीं फक व्यतक्त ऄपने कृ त्यों में ईसे ऄपनाये। ज बाि
नैतिक रूप से सही ह सकिी है वह वस्‍तिुतनष्ि रूप से सही नहीं भी ह सकिी है।

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नीतिशास्त्र (Ethics)
 नीतिशास्त्र वस्‍तिुिः नैतिक तसद्ांिों व दुतवधाओं की जााँच, ऄन्वेषण, तवश्लेषण एवं ऄनुप्रय ग का
वणान करिी है। नीतिशास्त्र व्यतक्तगि तवश्वास (नैतिकिा के समान) या अचरण तनयमावली या
नैतिक दशान के ऄयकययन (एक ऄकादतमक तवषय के रूप में) से संबंतधि ह सकिी है। नीतिशास्त्र
फकसी समूह या समाज में सही और गलि क समझने और ईसकी व्याख्या करने के तलए एक
फ्रेमवका प्रदान करिी है। नीतिशास्त्र तभन्न-तभन्न ह िे हैं क्योंफक िका -तविका िथा अल चनात्मक
तवश्लेषण का मूलित्त्व हीं स्‍तवीकाया या ऄस्‍तवीकाया अचरण एवं तनणाय पर पहुंचने का एक महत्वपूणा
कारक ह िा है।
 नीतिशास्त्र (नैतिक दशानशास्त्र के िौर पर ज्ञाि) आस बाि से संबद् है फक ल गों क कै से कृ त्य करने
चातहए िथा सदाचरण एवं ऄच्छे जीवन की पररभाषा क्या है। यहााँ, नीतिशास्त्र में सही िथा गलि
व्यवहार की ऄवधारणाओं क सुव्यवतस्‍तथि करना, बचाव करना एवं ऄनुशंसा करना सतम्मतलि है।
सदाचरण ऄथााि् नैतिक व्यवहार पर पहुंचने के तलए तभन्न-तभन्न दृतिक ण ह सकिे हैं। हालांफक,
ये सभी दृतिक ण िका बद् ाााँचे में ह ने चातहए। ज्यादािर दृतिक ण धमा अधाररि, किाव्य
अधाररि िथा ईपय तगिा अधाररि ह िे हैं।
 व्यावहाररक ऄथा में, नीतिशास्त्र, न्याय तचि व्यवहार से संबंतधि तनयमों का ईल्लेख करिी है। कइ
संगिनों में ईनके कमाचाररयों से ऄपेतक्षि व्यवहार के मानकों से संबंतधि तनयम ह िे हैं। ईदाहरण
के तलए, एक ऄस्‍तपिाल से ऄपेक्षा की जािी है फक डॉक्टर वह ईपचार तनदेतशि करें ज र गी की
अवश्यकिा, प्रभावशीलिा िथा लागि क संिुतलि करिा ह । आसकी क इ कानूनी मांग नहीं है,
परं िु एक डॉक्टर के काया करने का यही िरीका ह ना चातहए। तचफकत्सा व्यवसाय से यह ऄपेक्षा
की जािी है फक डॉक्टरों क र तगयों की स्‍तवायत्तिा का सम्मान करना चातहए (स्‍तवयत्तिा ऄथााि्
ईपलब्ध साधनों के अधार पर ईपचार के प्रकार क चुनने का ऄतधकार, व्यतक्तगि जानकारी की
ग पनीयिा का ऄतधकार अफद)। एक तवत्तीय कं पनी से ऄपेक्षा फक जािी है फक आसके कमाचाररयों
द्वारा आसके ग्राहकों के तनवेश तववरणों क प्रकट नहीं फकया जाना चातहए। िथाकतथि ‘नीतिपरक
अचार संतहिा’ (codes of ethics) आसतलए तन्मि की गइ है क्योंफक आन पहलुओं पर फकसी
व्यतक्त की नैतिकिा मौन ह सकिी है। आस प्रकार ये संतहिा, ईतचि अचरण के मागादशाक के रूप
में काया करिीं हैं।
 नीतिशास्त्र, क्या सही है या क्या गलि है, यह िय करने के मागादशाक तसद्ांिों के रूप में काया
करिी है। ये वे मानक हैं ज फकसी व्यतक्त द्वारा तलए गए तनणायों क प्रभातवि करिे हैं। यहााँ
‘मागादशाक तसद्ांि’ पद पर आसतलए यकयान देने की अवश्यकिा है क्योंफक नीतिशास्त्र, बाह्य रूप से
लागू की जािी है। चूंफक ये बाह्य स्र ि से अिी हैं, ऄिः वे सुसंगि िथा ईद्देश्यपूणा ह िे हैं। वे फकसी
व्यतक्त से तवतशि िरीकों से काया करने की ऄपेक्षा रखिी हैं। आन मानकों से तवचलन क ऄनैतिक
समझा जािा है िथा आसे ऄनौपचाररक रूप से ऄस्‍तवीकृ ि फकया जािा है या आसकी चनदा की जािी
है। सत्यिा, इमानदारी, सत्यतनष्ठा, सम्मान, तनष्पक्षिा अफद नैतिक तसद्ांिों के ईदाहरण हैं।

नीतिशास्त्र िथा नैतिकिा (Ethics and Morality)


 नीतिशास्त्र िथा नैतिकिा, समान ऄथा क प्रस्‍तिुि करिी प्रिीि ह िी हैं िथा अम िौर पर परस्‍तपर
ऄदला-बदली कर आन्हें एक दूसरे के स्‍तथान पर ईपय ग भी फकया जािा है। हालांफक, कु छ दाशातनक
द नों के मयकय ऄंिर प्रस्‍तिि
ु करिे हैं।
 नीतिशास्त्र नैतिकिा से तभन्न है क्योंफक नीतिशास्त्र न्याय तचि काया िथा बृहद शुभ के तसद्ांिों क
दशाािी है, जबफक नैतिकिा व्यतक्तगि स्‍तिर पर आनके ऄनुपालन क दशाािी है। नीतिशास्त्र वस्‍तिुिः
नैतिकिा का तवज्ञान है और नैतिकिा नीतिशास्त्र का ऄभ्यास (व्यवहार में लाना) है।

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 तवस्‍तिार (Elaboration): तवज्ञान पर तवचार करें - यह तवज्ञान प्रकृ ति में व्यवतस्‍तथि िौर पर नहीं
है। आसे ऄवल कनों िथा ऄभ्यास के अधार पर ईत्पन्न फकया जाना चातहए। एक बार वैज्ञातनक
ऄयकययन करने िथा पररणामों पर पहुाँचने के ईपरांि, ईन्हें वास्‍तितवक दुतनया में परीक्षण के ऄधीन
फकया जािा है। प्रमातणि ह ने के ईपरांि, आन्हें कायों के करने के तलए ईतचि िरीके के रूप में

तनधााररि फकया जािा है, जैस-े फकसी बहुस्‍तिरीय आमारि का तनमााण भौतिकी के तसद्ांिों के
अधार पर फकया जािा है। नीतिशास्त्र वह स्‍तथान है जहां क इ व्यतक्त नैतिक तसद्ांिों के तवषय में
ऄयकययन करिा है। नैतिकिा आस ज्ञान का ऄभ्यास है। आस प्रकार नीतिशास्त्र वे तनयम हैं ज फकसी
समूह (जैस-े डॉक्टरों, वकीलों, पुतलसक्मयों, सांस्‍तकृ तिक समूह या समाज) के सभी सदस्‍तयों के
अचरण क तनयंतरि करिे हैं। नैतिकिा वे मानदंड हैं ज क इ व्यतक्त स्‍तवयं ऄपने तलए स्‍तथातपि
करिा है। नीतिशास्त्र िथा नैतिकिा द नों क अचरण तनयमों में सतम्मतलि फकया जा सकिा है ,
तजसमें कानून द्वारा दबाव बनाया जा सकिा है। ऄन्यथा, नैतिकिा व्यतक्तगि प्रस्‍तथापना से संबद्
ह जाएगी तजसकी प्रकृ ति व्यतक्त-तनष्ठ (subjective) ह िी है क्योंफक यह प्रत्येक व्यतक्त के तलए

तभन्न ह िी है। जबफक नीतिशास्त्र, समाज की सामूतहक प्रस्‍तथापना से संबद् है िथा यह नैतिकिा
की ऄपेक्षा ऄतधक वस्‍तिुतनष्ठ (objective) है।
 नैतिकिा वे तसद्ांि हैं ज फकसी व्यतक्त क फकसी काया की ईपयुक्तिा या ऄनुपयुक्तिा के तवषय में
मागादशान करने में सहायिा करिे हैं। नीतिशास्त्र ईतचि अचरण के तसद्ांि हैं- ऄथााि् फकसी
पररतस्‍तथति में फकसी व्यतक्त के व्यवहार करने का ईतचि िरीका क्या ह ना चातहए। आस ऄंिर क
स्‍तपि रूप से हम बचाव पक्ष के वकील के मामले से ज सकर समझ सकिे हैं। एक वकील हत्या क
एक चनदनीय काया समझ सकिा है, तजसके तलए कि र सजा का प्रावधान ह िा है। परं िु बचाव
पक्ष के प्रतितनतध क तनष्पक्ष ह ना प सिा है िथा ईसकी पेशव
े र नीतिशास्त्र ईससे ऄपेक्षा रखिी है
जहां िक ईसकी क्षमिा ह , ईसे ऄपने मुवफिल की रक्षा करनी चातहए, भले ही ईसे ज्ञाि ह फक
ईसका मुवफिल द षी है। प्रत्येक व्यतक्त, यहां िक फक अिंकवादी भी, न्यायालय में एक तनष्पक्ष
जााँच/सुनवाइ के हकदार ह िे हैं, परं िु फकसी कं गारू क टा (गैर-कानूनी न्यायालय) या मॉब जतस्‍तटस
(भी स िंर का न्याय) के ऄधीन नहीं।
 फकसी व्यतक्त के नैतिकिा क नीतिशास्त्र के व्यापक तनयमों द्वारा ऄवगि कराया जा सकिा है। यह
मानना फक च री करना गलि है, लेफकन ह सकिा है फक आस तवचार की ईत्पतत्त दूसरों की तनजी
संपतत्त का सम्मान करने के नीतिपरक तसद्ांि से हुइ ह । द तभन्न-तभन्न गैर-कानूनी कृ त्यों में
संतलप्त एक तसतवल कमाचारी का ईदाहरण लें। ऄपना किाव्य तनभाने के तलए ररश्वि लेना भ्रिाचार
तनवारण ऄतधतनयम के िहि एक ऄपराध है। यह तसतवल सेवा नीतिशास्त्र का ईल्लंघन भी है।
दूसरी िरफ, जहााँ तववाहेत्तर संबध
ं में शातमल ह ना व्यतभचार कानूनों के िहि दंडनीय ऄपराध है,
वहीं यह नैतिक पिन का एक ईदहारण भी है। आसी प्रकार, एक पुतलस ऄतधकारी पर तवचार करें
ज नशीली दवाओं के ईपभ ग में शातमल ह । समाज ऐसे व्यतक्त क ख़राब नैतिकिा वाला व्यतक्त
मानिा है। आसके ऄतिररक्त, कानून एवं व्यवस्‍तथा क बनाए रखने के तलए तजम्मेदार ऄतधकाररयों

का नशा करना एक ऄनैतिक कृ त्य भी है। आसके ऄतिररक्त, तवभाग से ऐसी गतितवतधयों में ऄपनी
सहभातगिा के तवषय में जानकारी क तछपाना, तवभागीय नीतिशास्त्र का ईल्लंघन भी ह गा। ऄंि
में, कानून के ऄंिगाि प्रतिबंतधि पदाथों का ईपभ ग करना भी गैर-कानूनी कृ त्य है।
 एक और ईदाहरण लें। प्रत्येक समाज एक तनतश्चि अचार संतहिा ऄथााि् ऄपने सदस्‍तयों के तलए
नीतिशास्त्र में तवश्वास कर सकिा है। एक व्यतक्त आनमें से कु छ संतहिाओं से सहमि या ऄसहमि ह

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सकिा है। ईदाहरण के तलए, क इ व्यतक्तगि रूप से पूणा व तनबााध वाक् स्‍तविंरिा में तवश्वास कर
सकिा है। दूसरी ओर, समाज की यह मान्यिा ह सकिी है फक धा्मक या राष्ट्रीय
प्रतिमाओं/प्रिीकों की चनदा करना ऄनुतचि है। ऐसे में एक व्यतक्त ज धा्मक प्रतिमाओं की चनदा
करिा है, वह स्‍तवयं के ऄनुसार ि नैतिक रूप से व्यवहार कर रहा ह िा है परं िु समाज के ऄनुसार
वह ऄतशि रूप से व्यवहार कर रहा ह िा है। दूसरी ओर, मयकययुगीन काल के दौरान, दासत्व में
कु छ भी ऄनैतिक नहीं था; वास्‍तिव में आसे प्रतिष्ठा का एक प्रमाण माना जािा था। अज, आसे समाप्त
कर फदया गया है िथा आसे एक घृतणि कृ त्य माना जािा है, परं िु मयकयकाल मे ि यह एक स्‍तवीकाया
अचरण था। यहााँ संभव है फक एक व्यतक्त की नैतिकिा ने ईसे ऄपने दासों के साथ मानवीय िरीके
से व्यवहार करने के तलए मागाद्शि फकया ह । आसके ऄतिररक्त, यह भी संभव है फक फकसी ने
दासत्व क व्यतक्तगि रूप से ऄनुतचि माना ह , िथा ऄपने आन तवचारों के कारण ईसे समाज के
क्र ध का सामना करना प सा ह ।
नीतिशास्त्र िथा तवतध/कानून (Ethics and Laws)
 नीतिशास्त्र वस्‍तिुिः फकसी समाज में क्या करना सही है/ह गा? ऄथााि् ईतचि अचार से संबंतधि
एक िका संगि रूपरे खा है। फकसी समाज के सदस्‍तयों िथा समूहों से आस प्रश्न के तभन्न-तभन्न ईत्तर प्राप्त
ह सकिे हैं। िथातप, फकसी समाज में व्यवहार के न्यूनिम प्रविानीय मानक ह ने ऄतनवाया हैं। यही
न्यूनिम मानक तवतध या क़ानून कहलािे हैं। फकसी भी समाज की तस्‍तथरिा िथा स्‍तथातयत्व हेिु
तवतध की अवश्यकिा ह िी है िाफक समाज की समरस ांग से प्रगति ह सके । तवतध क सवार
स्‍तवीकृ ति िथा मान्यिा प्राप्त ह िी है िथा यह प्रविानीय ह िी है। आसका तनमााण समाज में
व्यवस्‍तथा, शांति िथा न्याय कायम करने के तलए, सामान्य जन क सुरक्षा प्रदान करने के तलए िथा
ईनके तहिों के संरक्षण के तलए ह िा है। आसका तनमााण नीतिगि तसद्ांिों िथा नै तिक मूल्यों पर
तवचार के पश्चाि् फकया जािा है।

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 तवतध, तनयम िथा तवतनयम ईपयुक्त प्रातधकरण के द्वारा बनाये जािे हैं तजनके पास आन्हें लागू
करने के तलए एक व्यवतस्‍तथि िंर ह िा है िथा तवतध का ईलंघन करने वालों क दतडडि करने की
शतक्त भी ह िी है। आस प्रकार तवतध या क़ानून सरकारों के द्वारा स्‍तथातपि एक संस्‍तथागि तनयम
सारणी ह िे हैं। जबफक, नीतिशास्त्र फदशा-तनदेशों की एक ऐसी सारणी ह िी है तजसका व्यतक्त के
द्वारा ऄनुपालन फकया जाना चातहए। हालांफक, जब कु छेक नीतिगि तसद्ांिों क व्यापक स्‍तिर पर
स्‍तवीकार कर तलया जािा है ि ईन्हें संतहिाबद् कर तवतध/क़ानून का रूप दे फदया जािा है।
 तवतध की सीमा नीतिशास्त्र की ऄपेक्षा सामान्यिः संकीणा ह िी है। ऐसे बहुि से क्षेर ह सकिे हैं
जहां तवतध या ि ऄतस्‍तित्व में नहीं ह िी या ऄतस्‍तित्व में ह ने पर भी कायावाही के मामले में क इ
फदशा-तनदेश प्रदान नहीं करिी। परं िु, नीतिशास्त्र िथा नैतिकिा के तवषय-क्षेर व्यापक ह िे हैं। वे
सभी दृिान्िों में कायों क फदशा प्रदान करिे हैं। वस्‍तिुिः, नीतिशास्त्र के वतभन्न स्‍तकू ल (संप्रदाय)
ऄपने तवचारों के सावाभौतमक ऄनुप्रय ग के तलए एक-दूसरे से प्रतिस्‍तपद्ाा करिे प्रिीि ह िे हैं।
 ऐसे में महत्वपूणा प्रश्न यह है फक, तवतध िथा नीतिशास्त्र के बीच क्या संबंध है? क्या तवतध
नीतिशास्त्र क तनधााररि करिे हैं या नीतिशास्त्र तवतध क ?
 ल किांतरक शासन प्रणाली के ईद्भव संबंधी ऄतधकांश मामलों में हम देखिे हैं फक नैतिक मानदं डों
से तवतधयों का तवकास हुअ और तजसे समाज द्वारा ऄपने उपर लागू फकया गया। हालांफक, सभी
मामलों में ऐसा ही नहीं ह िा। ईदाहरण के रूप में 19वीं शिाब्दी िक प्रचतलि सिी-प्रथा क ही
लें। आसे व्यापक स्‍तिर पर तस्त्रयों द्वारा ऄपनाए जाने वाले मानक व्यवहार के रूप में मान्यिा प्राप्त
थी। फकन्िु समाज सुधारकों के प्रयास से आस प्रथा क गैर-क़ानूनी घ तषि करने के तलए एक तवधान
पाररि फकया गया। ईस वक़्ि तवतध और नीतिशास्त्र के मयकय संघषा की तस्‍तथति तवद्यमान थी। यह
आस बाि का ईदाहरण है फक कु छ ल गों की नैतिकिा तवतध के ऄतधतनयमन का कारण बनी, तजसने
बाद में समाज के नीतिशास्त्र क अकार प्रदान फकया। ऄब तस्त्रयों द्वारा ऄपने पति की तचिा पर
स्‍तवयं क जला कर भस्‍तम कर लेना सामान्य व्यवहार संबंधी मानक नहीं समझा जािा।
 IPC की धारा 377 का दृिांि लें, ज समलैंतगकिा क तवतध के तवरुद् या गैर-कानूनी करार देिा
है। ईल्लेखनीय है फक IPC के कायाान्वयन के समय समलैंतगकिा क समाज के तलए ऄस्‍तवाभातवक,
भ्रि, िथा ऄनैतिक समझा जािा था। आसतलए आस धारा क व्यापक स्‍तवीकृ ति प्राप्त थी। ऄब भी आस
धारा क भारिीय समाज में काफी समथान प्राप्त है (तजसका ऄंदाजा सरकार द्वारा आसे तनरस्‍ति फकए
जाने में ऄतनच्छा प्रद्शि करने से लगाया जा सकिा है)। आसतलए, यह एक ऐसा ईदाहरण है जहााँ
नीतिशास्त्र से प्रेररि ह कर तवतध ऄतधतनयतमि की गयी। िथातप, समाज की प्रगति के साथ-साथ,
एक िका संगि ाााँचे में धारा 377 पर पररचचाा या वाद-तववाद ह सकिा है तजसका पररणाम धारा
377 क तनरस्‍ति फकए जाने के रूप में भी ह सकिा है।
 भारि में सर गेसी क तनयंतरि करने वाले क़ानून पर समाज के नीतिशास्त्र का ब सा प्रभाव है।
हमारे समाज में मािृत्व क परमपावन समझा जािा है, आसतलए धन से आसका मूल्य चुकाना यहााँ
स्‍तवीकाया नहीं माना जािा। आसी नैतिक तसद्ांि ने यहााँ सर गेसी क तनयंतरि करने वाले क़ानून
क (ऄतधकााँश पाश्चात्य देशों में भी) फदशा-तनदेश प्रदान फकया है। ह सकिा है भतवष्य में जब हम
फकसी व्यतक्त क जैतवक रूप से बच्चा पाने के ऄतधकार क मािृत्व से ऄतधक महत्व देना अरम्भ करें
ि आस मान्यिा के संबंध में थ सा ईदार ह कर स च पाएं। सर गेसी क ले कर भारि में ह ने वाले
वाद-तववाद में सामान्यिः मानव पर धन के बदले संिान-ईत्पादक कारखाना बनने का अर प
लगिा रहा है। आसका व्यतक्त के मूल ऄतधकारों से कदातचि ही क इ लेना-देना है। ऄति-तनधानिा
की तस्‍तथति में ऄवचेिन सहमति का एक संतवदात्मक क़ानूनी अधार ह सकिा है, फकन्िु आसमें
कदातचि ही क इ मूल्य ऄन्ि्नतहि है। ह सकिा है फक ल गों के एक वृहद् वगा की नैतिक
मान्यिाएं विामान फकसी तवतध/कानून के तवरुद् हों, यथा- IPC की धारा 377 या सर गेसी। वाक्

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एवं ऄतभव्यतक्त की स्‍तविंरिा क प्रतिबंतधि करने वाले IT ऄतधतनयम की धारा 66A एक ऐसा
क्लातसक दृिांि था तजसमें ल गों की प्रगतिशील नैतिक मान्यिाओं ने एक प्रतिगामी क़ानून क
तनरस्‍ति करने में सहायिा की। आस प्रकार ईपयुाक्त दृिान्िों से स्‍तपि है फक तवतध िथा नीतिशास्त्र
एक-दूसरे के तवर धाभासी भी ह सकिे हैं िथा एक-दूसरे क सुदढृ िा प्रदान करने वाले भी।

2.2. नीतिशास्त्र के तनधाा र क (Determinants of Ethics)

 जब हम नीतिशास्त्र के तनधाारकों की बाि करिे हैं ि हम ईन कारकों की चचाा करिे हैं तजन्हें हम
ईस िका संगि ाााँचे में तबिा पाएं। वे कारक ईस रीति या व्यवहार का सृजन करिे हैं तजसके
ऄनुसरण की ऄपेक्षा समाज ऄपने सदस्‍तयों से करिा है। बहुि सारे कारक आन नैतिक तसद्ांिों के
तनधाारक ह सकिे है, जैसे:
इश्वर और धमा (God and Religion)
 इश्वर और धमा से संबंतधि नीतिशास्त्र सावाभौम िथा अदशा नैतिक मानदंडों की वकालि करिे हैं।
धा्मक ग्रंथों में यह ईल्लेख ह िा है फक एक व्यतक्त क कै से व्यवहार करना चातहए िथा समाज क
कै सा ह ना चातहए। ईदाहरण के तलए, आसाइ नैतिकिा पतश्चम में अदशा व्यतक्तगि व्यवहार के
महत्वपूणा स्र िों में से एक है। भारि में ‘राम राज्य’ की ऄवधारणा शासन की एक प्रणाली से कहीं
ऄतधक एक नैतिक समाज से संबतं धि है। धमा अधाररि नीतिशास्त्र के स्र ि क इश्वर (या इश्वरीय
कथन) से संबद् फकया जािा है, जैस–े इश्वर ऐसा कहिे हैं आसतलए यही ऄनुकरणीय है, इश्वर की
आच्छाओं का ऄनुपालन ही ऄच्छे जीवन का मागा है। हालांफक, हमें नीतिशास्त्र क धमा से सम्बद्
कर नहीं देखना चातहए, क्योंफक ईस तस्‍तथति में नीतिशास्त्र के वल धा्मक ल गों पर ही लागू ह गा।
फकन्िु नीतिशास्त्र ि नातस्‍तिक व्यतक्तयों के व्यवहार पर भी लागू ह िा है। आसके ऄतिररक्त जब हम
वैज्ञातनक श ध की बाि करिे हैं ि पािे हैं फक धमा के स्र ि मानव िक ही सीतमि हैं। आस प्रकार,
यह संदभा, तस्‍तथति िथा ऄनुभव पर अधाररि रहा है िथा आसमें रुरट एवं सुधार की भी गुज
ं ाआश
शेष रहिी है।
मानव ऄंिःकरण/ऄंिराात्मा/तववेक िथा ऄंिःप्रज्ञा/ऄंिदृता ि (Human Conscience and Intuition)
 आसके समथाकों के ऄनुसार, ज ऄच्छा है वह आसतलए ऄच्छा है फक वह ऄच्छा ही है। आसकी
ऄच्छाइ िथा बुराइ क प्रमातणि फकए जाने या ईतचि िहराए जाने की अवश्यकिा नहीं है। आसके
ऄनुसार ऄच्छाइ िथा बुराइ का पिा ऄंिदृता ियुक्त नैतिक ज्ञान के सहारे लगाया जा सकिा है।
अधारभूि नैतिक सत्य ईस व्यतक्त के समक्ष स्‍तवयं प्रकट ह जािा है ज ऄपने मन क नैतिक तवषय
पर के तन्िि करिा/करिी है। कृ पया यकयान दें फक ऄंिःप्रज्ञा से युक्त एक व्यतक्त के ऄनुसार नैतिक
सच्चाइ की प्रातप्त युतक्तयुक्त िकों के अधार पर या फकसी ऄज्ञाि भावना के अधार पर नहीं की जा
सकिी। ईनकी ऄनुभूति नैतिक तवषयों पर यकयान के तन्िि करने से ही संभव है। यह ऄनुभूति के
‘ऄहा!’ क्षण की भांति ही है।

ऄंिःकरण िथा ऄंिःप्रज्ञा के मयकय ऄंिर (Difference between Conscience and Intuition):
 मनुष्य ऄपने द्वारा ऄ्जि ज्ञान िथा ऄपने जीवन में प्राप्त ऄनुभव के ऄनुसार व्यवहार करिा है।
हमारा चेिन मन पहले फकसी भी तस्‍तथति का सफक्रय मूल्यांकन करिा है ईसके पश्चाि् तनणाय लेिा
है। हालांफक, हमारा ऄवचेिन मन हमारे सभी पूवा के ऄनुभवों िथा तनणायों का भंडार ह िा है।
यद्यतप, हम ऄपने ऄवचेिन मन क सफक्रयिा से जागृि नहीं करिे हैं, िथातप, लाक्षतणक रूप से
ऄत्यतधक िीव्र गणनाएं हमारे मतस्‍तिष्क में मौजूद ह िी हैं ज हमें यह बिािी हैं फक क्या करना
चातहए ऄथवा क्या नहीं करना चातहए।
 फकसी भी चीज क सहजिा से समझने की क्षमिा क ऄंिःप्रज्ञा (intution) कहिे हैं, आसमें चेिन
िका की अवश्यकिा नहीं ह िी है। हालांफक हमारी ऄंिःप्रज्ञा पूणा रूप से यादृतच्छक (स्‍तवाभातवक

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रूप से) प्रिीि ह िी है, परं िु सदैव ऐसा नहीं ह िा है। ईदाहरण के तलए, एक व्यतक्त फक्रके ट मैच
देख रहा है और वह देखिा है फक जब भी सतचन मुस्‍तकुरािा है ि वह अईट ह जािा है। ऄगली
बार, यफद वह व्यतक्त सतचन क बल्लेबाजी करिे समय मुस्‍तकु रािे हुए देख ले, ि संभविया ईसे
यही लगेगा फक ऄब सतचन अईट ह जाएगा। आसी क ऄंिःप्रज्ञा कहिे हैं। हालांफक, यह पूणि
ा ः
यादृतच्छक ह िा है, ज फक हमारे पूवा के ऄनुभवों, ऄवल कनों या ऄन्य द्वारा दी गइ जानकारी पर
अधाररि ह िी है। आसतलए ऄंिःप्रज्ञा में फकसी भी प्रकार का नैतिक तवकल्प शातमल नहीं ह िा है,
यह के वल एक ऄपेक्षा का ही पररणाम है।
 ऄंिःकरण (Conscience) वस्‍तिुिः सही ऄथवा गलि के प्रति एक व्यतक्त की नैतिक समझ ह िी है,
तजसे फकसी व्यतक्त के व्यवहार हेिु एक मागादशाक के रूप में देखा जािा है। यह भी हमारे ऄनुभवों
िथा ज्ञान के भंडार से हीं संचातलि ह िा है। प्रायः आसे तववेक की पुकार के रूप में संद्भि फकया
जािा है। मनुष्य के तववेक की आस पुकार में तवस्‍तिृि िार्क्रककिा शातमल ह भी सकिी है ऄथवा नहीं,
परं िु यह तस्‍तथति के ईतचि ऄथवा ऄनुतचि के िौर पर तनणाय देने पर कें फिि ह िी है ऄथााि् आसमें
नैतिक तवकल्प शातमल ह िा है। ऄंिःकरण क स्‍तवेच्छा से दबाया भी जा सकिा है।
 ह सकिा है एक व्यतक्त क ऄपने ऄंिःकरण के तवरुद् क इ कायावाही करनी प से, क्योंफक व्यतक्त क
ऄपने से ईच्च प्रातधकारी के कारण भी ऐसा तवकल्प चुनना प स सकिा है ऄथवा ईसे वांतछि
कायावाही के तवरुद् भय फदखा कर भी ऐसा कराया जा सकिा है । आससे ऄंिःकरण के संकट
(crisis of conscience) का ईद्गम ह िा है।

संस्‍तकृ ति (Culture)
 फकसी व्यतक्त के नैतिक तसद्ांिों पर संस्‍तकृति िथा तजस देश में वह तनवास करिा या करिी है, का
भी प्रभाव प सिा है। ईदाहरण के तलए, पाश्चात्य संस्‍तकृ ति व्यतक्त प्रधान प्रिीि ह िी है जबफक
भारिीय संस्‍तकृति सावाभौतमकिा िथा बहुलवाद के मूल्यों पर अधाररि है। सातहत्य िथा ग्रन्थ भी
व्यतक्त के अचरण क प्रभातवि करिे हैं। ईदाहरण के तलए – वैफदक सातहत्य, बौद् सातहत्य
आत्याफद।
समाज (Society)
 फकसी भी समाज में ल ग वस्‍तिि
ु ः नैतिक मानदडडों क ही स्‍तवीकार करिे हैं। िथातप हमें नैतिकिा
क समाज के स्‍तवीकृ ि मान्यिाओं के अधार पर नहीं परखना चातहए क्योंफक एक समाज नैतिकिा
से पथभ्रि भी ह सकिा है। सम्पूणा समाज या आसका एक ब सा भाग नैतिक रूप से भ्रि भी ह
सकिा है। ईदाहरण के तलए, नाजी जमानी िथा स्‍तटातलन के समय के रूस ने ऄपने नागररकों पर
रहन-सहन के ख़ास मानदडड अर तपि फकए िथा ईन्हें ईन तसद्ांिों के बारे में तवश्वास फदलाने की
चेिा भी की गयी। समाज के प्रभावशाली वगा की स्‍तवीकृ ति के कारण ही भारि में जाति प्रथा
हजारों वषों से चलिी अ रही है। आसके ऄतिररक्त ऐसे बहुि से तवषय हैं तजन पर सामातजक
सहमति नहीं बन पािी। ऄिः नीतिशास्त्र क हमेशा समाज के स्‍तवीकृ ि मान्यिाओं से ज सकर नहीं
देखा जा सकिा।
पररवार, तशक्षक िथा जीवन के ऄनुभव (Family, Teachers and life experiences)
 मािा-तपिा, पररवार िथा तशक्षक एक बच्चे की मूल्य प्रणाली क अकार देिे हैं। ईनके व्यवहार,
अचरण िथा तशक्षाओं के ऄनुसार बच्चों के जीवन के मागा तनधााररि ह िे हैं। वस्‍तिि
ु ः सामान
पररवार में सामान धमा, रीति-ररवाजों िथा परम्पराओं का पालन फकया जािा है। यद्यतप कु छ ल ग
ऄपने मािा-तपिा के तवश्वासों, धारणाओं िथा तवचारों से स्‍तवयं क मुक्त कर ऄपनी आच्छानुसार

ऄपने तसद्ांिों के समुच्चयों का चयन करिे देखे जािे हैं। ईदाहरण के तलए, क इ बालक स्‍तवयं िथा

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ऄपनी बहन के प्रति ऄपने पररवारFor


में बरिे जाने वाले भेद-भाव क देख कर भी एक बातलका क
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एक बालक के समान समझ सकिा है।


तवतध/क़ानून (Law)
 तवतध में प्रायः नैतिक मानदडडों का समावेश ह िा है, तजनका ऄनुपालन ऄतधकांश नागररक करिे
हैं। िथातप, व्यतक्त क तवतध के ऄनुपालन की बराबरी नीतिशास्त्र के ऄनुपालन से नहीं करना
चातहए। तवतध, कभी-कभी नैतिकिा से दूर भी चली जािी है। ईदाहरण के तलए, US में दासप्रथा

से संबंतधि तवतधयााँ दासप्रथा क ऄनैतिक घ तषि करिी हैं। दूसरी ओर, दासप्रथा क प्रतिबंतधि
कर सबक समान ऄतधकार देने वाली तवतधयााँ सही मायने में तवतध िथा नीतिशास्त्र की सुसग
ं ििा
क प्रद्शि करिी हैं। (तवतध िथा नीतिशास्त्र के बीच संबंधों का तववरण पहले ही तवस्‍तिार से फदया
जा चुका है।)
नेित्ृ व (Leadership)
 फकसी समाज, संगिन या देश का नेिृत्व यह तनधााररि करने में सहायिा करिा है फक ईसके
ऄनुयाआयों या प्रशंसकों का अचरण नैतिक है या नहीं। ईदाहरण के तलए, भारिीय ल किांतरक,
ईदार, पंथ-तनरपेक्ष िथा सतहष्णुिापूणा परम्पराएं हमारे पूवज
ा ों िथा अधुतनक भारिीय समाज के

तनमाािाओं के द्वारा हमें प्रदत्त एक ईपहार है। हालांफक, नेित्ृ व के भी ऄनैतिक अचरणों में तलप्त
ह ने की संभावनाएं ह िी हैं। लेफकन यह स्‍तवयं नेिृत्वकिााओं के गुणों पर तनभार करिा है। आस
प्रकार, नेिृत्वकिााओं के ऄनुसरण का ऄथा सदा नैतिक ह ना ही नहीं ह सकिा।
दशान या दाशातनक मान्यिाएं (Philosophies)
 तभन्न-तभन्न दाशातनक िथा तचन्िक ऄलग-ऄलग नैतिक तसद्ांिों क मानने वाले ह िे हैं।
ईदाहरणस्‍तवरुप, एक पररणामवादी (consequentialist) के तलए फकसी कायावाही में नीतिशास्त्र
का तनधाारण ईसके पररणामों के अधार पर ह िा है, जबफक फकसी किाव्यवादी (किाव्य-परक)
(deontologist) के तलए यह स्‍तवयं ईस कृ त्य की प्रकृ ति पर तनभार ह िा है। आस प्रकार, फकसी
व्यतक्त के नैतिक मूल्य वस्‍तिुिः ईसके बौतद्क तवकास के दौरान ईसके संपका में अए दाशातनक
मान्यिाओं के द्वारा प्रभातवि होंगे।
संतवधान (Constitution)
 तवतभन्न देशों का संतवधान भी ईनके समाज की नैतिक प्रवृतत्त क स्‍तथातपि करने का एक िरीका है।
ईदाहरण के तलए – जहााँ ऄतधकांश देशों के संतवधान में समानिा, जवाबदेही और ल किांतरक
मूल्य प्रतिचबतबि ह िे हैं, वहीं कु छ देशों के संवैधातनक ाााँचे में तनरं कुशिा, ऄति हस्‍तिक्षेप और गैर-
सहभातगिापूणा मूल्य प्रतिचबतबि ह िे हैं।
 चूंफक तवतध, समाज, धमा अफद नैतिक मागा से भटक सकिे हैं, आसतलए ययतक्ि क ऄपने नैतिक
मानकों का तनरं िर परीक्षण करने की अवश्यकिा ह िी है, तजससे यह सुतनतश्चि फकया जा सके फक
वे ईतचि और ऄच्छी िरह से स्‍तथातपि हैं। नैतिक बनने के तलए ऄपने नैतिक तवश्वासों और ऄपने
नैतिक अचरणों का तनरं िर ऄयकययन करने और यह सुतनतश्चि करने के तलए प्रयासरि रहने की
अवश्यकिा ह िी है फक हम ऄपनी फदनचयााओं में आसका पालन करें । आसतलए व्यतक्त स्‍तवयं
नीतिशास्त्र के सबसे महत्वपूणा तनधाारकों में से एक है, जैस-े हर ययतक्त फकसी तनद ष की हत्या,
गभापाि करने या बाल श षण क ऄनैतिक मानिा है या ईसके प्रति गहन ऄंिब ध रखिा है।
 यफद हम नैतिक मुद्दों क संब तधि करने के कौशल क महत्ता दें ि आन्हें सीख और तवकतसि कर
सकिे हैं। अवश्यकिा आस बाि की है फक हम नैतिक समस्‍तयाओं से ययवहार करने की ऄपनी पद्ति
क ऄपने द्वारा सामना की जाने वाली तवतशि तस्‍तथतियों हेिु सवाश्रेष्ठ कायाप्रणाली तवकतसि करने
की तनरं िर जारी रहने वाली प्रफक्रया के रूप में देखें। आसके तलए अवश्यकिा यह ह िी है फक हम

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नीतिशास्त्र क स्‍तथैतिक दृतिक ण केFor


स्‍तथान पर गतिशील रूप से समझने के तलए एक ाांचा स्‍तथातपि
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करने में सक्षम हों।

2.3. नीतिशास्त्र के पररणाम

(Consequences of Ethics)
 नीतिशास्त्र के पररणाम का ऄथा नैतिक तसद्ांिों द्वारा तनदेतशि मानवीय
गतितवतधयों/कायावातहयों/फक्रयाकलापों के पररणाम से है। आसका ऄथा यह है फक क इ गतितवतध
(फक्रयाकलाप/कायावाही) फकिनी ऄच्छी या बुरी थी, आसका तनधाारण ईसके पररणाम करिे हैं।
फकसी भी कायावाही के पररणाम क ईक्त कायावाही के पररणामस्‍तवरूप ह ने वाले मानवीय सुख,
दुख, पी सा, खुशी अफद से मापा जा सकिा है। मानवीय फक्रयाकलाप/कायावाही के पररणाम फकसी
ययतक्त क कु छ चीजें करने या नहीं करने के तलए प्रेररि या तनषेध करिे हैं। ईदाहरण के तलए–
मािा-तपिा ऄपने बच्चों क ईपहारों का लालच देकर करिन पररश्रम करने के तलए प्रेररि करिे हैं।
 मानवों में सामान्य रूप से ऄपनी कायावातहयों के मायकयम से ऄपना अनंद बढाने की प्रवृतत्त ह िी
है। लेफकन, कु छ ल ग दीघाकातलक पररणामों का तवचार फकए तबना ऄल्पकातलक सुख क वरीयिा
देिे हैं जबफक कु छ ल ग भतवष्य में दीघाकातलक अनंद सुतनतश्चि करने के तलए ऄस्‍तथायी दुख झेलने
क वरीयिा देिे हैं। ईदाहरण के तलए– क इ व्यतक्त स्‍तवास्‍तथ्य लाभों की ऄनदेखी करिे हुए ऄत्यतधक
मीिा खाने की ऄपनी प्रवृतत्त क संिुि कर सकिा है या ऄपनी स्‍तवाद ल लुपिा के वशीभूि ह
सकिा है, तजससे भतवष्य में ईसक दुख झेलना प स सकिा है। ऄन्य ययतक्त भतवष्य में र गमुक्त
जीवन सुतनतश्चि करने के तलए तनयतमि रूप से व्यायाम कर सकिा है और अत्म संयम का
ऄभ्यास कर सकिा है।
 लेफकन, मानवीय कायावातहयों के पररणामों का ऄनुमान लगाना करिन है।
 कृ पया यकयान दीतजए फक “पररणामवाद” (Consequentialism) ‘नीतिशास्त्र के पररणाम’ का
के वल एक भाग मार है। पररणामवाद एक नैतिक तसद्ांि है तजसका यह कहना है फक फकसी
कायावाही क ईस ऄवस्‍तथा में नैतिक माना जाना चातहए यफद आसके फलस्‍तवरुप ऄच्छे पररणाम
ईत्पन्न ह िे हों।

2.4. नीतिशास्त्र के अयाम (Dimensions of Ethics)

 नैतिक तसद्ांि क्या है? यह एक दाशातनक तसद्ांि है ज हमें नैतिक तनणाय के ऄनुशीलन
(व्यवहार) क समझने, समझाने और संभवि: मागादशान करने का प्रयास करिा है। नैतिक तसद्ांि
व्यतक्तयों, समाज या संस्‍तकृ तियों के नैतिक तवश्वासों का के वल वणान मार नहीं है। नीतिशास्त्र पर
तवचार करने वाला एक व्यतक्त तनम्नतलतखि प्रश्नों के ईत्तर देने का प्रयास करिा है:
A. नैतिकिा की प्रकृ ति और ईसकी तस्‍तथति (The very nature and status of morality):
क्या नैतिकिा वही है तजसकी बाि धमा (या इश्वर) करिा है? या यह तनयमों का एक ऐसा
समुच्चय है तजसे मनुष्य ने ऄपने पारस्‍तपररक तहिों क पूरा करने हेिु ऄपने तलए ऄतभकतल्पि
फकया है? ि ऐसे में सवाल यह है फक फफर, नीतिशास्त्र, आसकी पररभाषा और आसकी पररतध
वास्‍तिव में क्या है?
B. नैतिक तनणाय की प्रकृ ति और ईसका ऄथा (The nature and meaning of moral
judgments): क्या नैतिक तनणायों की प्रकृ ति के वल भावनात्मक ह िी है ऄथााि् क्या वे
ईतचि और िका संगि ह ने के बजाये के वल हमारी भावनाओं और आच्छाओं क व्यक्त करिे हैं?
क्या नैतिक तनणायों क सावाभौतमक रूप से सत्य या ऄसत्य के रूप में वगीकृ ि फकया जा
सकिा है या फफर वे के वल संदभा पर तनभार ह िे हैं? ईदाहरण के तलए, यह सुतवख्याि है फक

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'इमानदारी सव त्तम नीति है'; लेफकन यहााँ सवाल यह है फक क्या इमानदारी फकसी व्यतक्त में
के वल एक वांछनीय तवशेषिा है या यह कथन एक सावाभौतमक सत्य है? यफद यह सत्य है, ि
क्या आससे क इ संदभा जु सा हुअ है?
C. नैतिक तनणायों क सही िहराने वाले मौतलक तनयम, तसद्ांि और मूल्य (The
fundamental rules, principles and values justifying moral judgments): क्या
क इ तनणाय लेने में एकमार पररणाम ही मायने रखिे हैं या कु छ ऐसे ऄन्य तसद्ांि हैं तजनका
पालन ऄवश्य फकया जाना चातहए? क्या मानवीय सुख किाव्य पालन से ऄतधक महत्वपूणा है?
या सदाचारी ह ना द नों से ऄतधक महत्वपूणा है? आनमें से क इ भी तसद्ांि नैतिक तनणाय में
तनतहि ह सकिा है।
D. नीतिशास्त्र के व्यावहाररक ऄनुप्रय ग (Practical application of ethics): क्या बच्चों क
तखलाने के तलए च री करना ईतचि है? क्या जीव तवज्ञान में ईन्नति तनबााध जारी रहनी
चातहए या अनुवतं शक रूप से संश तधि तशशुओं पर कु छ तनयंरण ह ना चातहए? क्या
तवश्वतवद्यालयों में प्रवेश के वल य ग्यिा के अधार पर फकया जाना चातहए या ऄपेक्षाकृ ि
तपछ से सामातजक-अ्थक पृष्ठभूतम वाले ल गों के तलए सकारात्मक कारा वाइ ह नी चातहए?
य ग्यिा िय करने के मानदडड क्या ह ने चातहए?
प्रश्न A-D ऐसे तवतभन्न अयाम हैं तजनके अधार पर नीतिशास्त्र का ऄयकययन फकया जािा है। आन्हें और

ऄतधक तवशेष रूप से ऄतधनीतिशास्त्र (Meta ethics), तनयामकत्व/मानकीय/तनदेशात्मक


(Normative ethics) और ऄनुप्रयुक्त/फतलि नीतिशास्त्र (Applied ethics) के रूप में वगीकृ ि फकया
जािा है।
(i) ऄतधनीतिशास्त्र (Meta-ethics): यह नैतिक तनणायों की प्रकृ ति से संबंतधि है। (A&B में फदए गए

प्रश्न)। यह नैतिक तसद्ांिों के ईद्भव और ऄथा का ऄन्वेषण करिा है। ईदाहरण के तलए, जब हम जैव-

नीतिशास्त्र (bioethics) की बाि करिे हैं, ि ऄतधनीतिशास्त्र सही या गलि के प्रश्नों का ईत्तर नहीं
देगा। बतल्क यह चचाा की जा रही समस्‍तया के मूलभूि ऄथा एवं प्रकृ ति क पररभातषि करने का प्रयास
करिा है। यहााँ यह परीक्षण करे गा फक ‘यह पूछने का ऄथा क्या है फक क्या जेनरे टक ररसचा नैतिक रूप से

स्‍तवीकाया हैं या नहीं?’ ‘जेनेरटक आंजीतनयररग के नैतिक स्‍तवरूप का तनधाारण करने में हमें फकन स्र िों पर

तवचार करना चातहए? – यह इश्वर तन्मि तनयम है या मानव तन्मि तनयम?’

(ii) तनयामकत्व/मानकीय/तनदेशात्मक नीतिशास्त्र (Normative ethics): (C में फदए गए प्रश्न) यह


नैतिक तनणाय की तवषयवस्‍तिु िथा सही एवं गलि के मापदंडों से संबंतधि है। यह सही और गलि
अचरण क तवतनयतमि करने वाले नैतिक मानकों पर पहुाँचने क समातवि करिा है। एक ऄथा में , यह
ईतचि ययवहार की कसौटी हेिु की जाने वाली ख ज है। यह नीतिशास्‍तर की वह शाखा है ज यह
स्‍तथातपि करिी है फक कायापद्तियााँ कै सीं ह या ह नी चातहए, ईनका मूल्यांकन कै से फकया जाना
चातहए और कौन-सी कायावाही गलि है िथा कौन-सी सही है। यह मानव अचरण क तनयंतरि करने
वाले तनयमों के एक समुच्चय, या कायावाही हेिु मानदंडों के समुच्चय का तवकास करने का प्रयास
करिा है। मानकीय/तनदेशात्मक नीतिशास्त्र के ऄंिगाि हम नैतिक प्रश्नों के प्रति तवतभन्न दृतिक णों का
ऄयकययन करिे हैं। फकसी प्रदत्त पररतस्‍तथति का क इ एक अदशा समाधान नहीं ह िा है, ऄतपिु ऄलग-
ऄलग तसद्ांिों क ऄलग-ऄलग महत्व देने के कारण हम तवतभन्न तनणाय पर पहुंचेंगे। कु छ महत्वपूणा
दृतिक ण तनम्नतलतखि हैं:

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 पररणामवादी दृतिक ण (Consequentialist approach): आस दृतिक ण के ऄनुसार, फकसी

कायावाही की नैतिकिा का तनधाारण ईसके पररणामों, पररणति या फलों से फकया जािा है। फकसी

कायावाही के पररणाम तजिने ऄच्छे ह िे हैं, वह कायावाही ईिनी ऄच्छी मानी मानी जािी है।

ईपय तगिावाद (Utilitarianism) आसका एक रूप है। यह कहिा है फक ल गों क ईपय तगिा में
वृतद् करनी चातहए। आसे मानव कल्याण या भलाइ के रूप में मापा जा सकिा है। सुखवाद
(hedonism) में यह कहा जािा है फक ल गों क ऄपने सुख में वृतद् करनी चातहए। आस प्रकार,

आनके ऄनुसार, ज कायावातहयााँ सुख या कल्याण में बढ त्तरी करिी हैं और कि या पी सा में कमी
करिी हैं वे नैतिक हैं।
 किाव्यवादी/किाव्यतवज्ञान/किाव्य-परकिावादी दृतिक ण (Deontological approach): आस

दृतिक ण के ऄनुसार, नीतिशास्‍तर आसपर तनभार ह िा है फक ल ग क्या करिे हैं, न फक ईन

कायावातहयों के पररणामों पर। यह गैर-पररणामवादी ह िा है क्योंफक हम ऄपनी कायावातहयों क


सही िहराने के तलए ऄच्छे पररणाम नहीं दशाा सकिे। आसके ऄनुसार, हमें सही काया करना चातहए

क्योंफक वे सही हैं और गलि काया से दूर रहना चातहए क्योंफक वे गलि हैं। कु छ कृ त्य ऄपने अप ही
ऄनैतिक ह िे हैं, जैस-े ल गों की हत्या करना, च री करना, झूि ब लना अफद। प्राकृ तिक ऄतधकार

तसद्ांि (Natural Rights Theory) (थॉमस हॉब्स और जॉन लॉक द्वारा सम्थि) यह मानिा है

फक मनुष्य क तनरपेक्ष प्राकृ तिक ऄतधकार प्राप्ि हैं। सावाभौतमक ऄतधकार के ऄथा में ये नैतिकिा
की प्रकृ ति में तनतहि हैं और मानव कायों या तवश्वासों पर तनभार नहीं हैं। ये ऄंििः ऐसे ऄतधकारों
के रूप में तवकतसि हुए हैं तजन्हें हम अज मानव ऄतधकार कहिे हैं। आमैनुएल काडट का तनरपेक्ष
अदेश (Categorical Imperative), नैतिकिा की ज स क मानविा की िका संगि क्षमिा मे

तनतहि करिा है और कु छ ऄनुल्लंघनीय नैतिक कानूनों का दावा करिा है। काडट का यह तनरूपण
किाव्यवादी है और वह िका प्रस्‍तिुि करिा है नैतिक रूप से सही काया करने हेिु ल गों क किाव्य
भावना के ऄनुसार काया करना ह गा और काया करने वाले ययतक्त के प्रय जन (अशय/नीयि) ही
ईसे सही या गलि बनािे हैं, कायों के पररणाम नहीं। सरल रूप से कहा जाए ि तनरपेक्ष अदेश

यह कहिा है फक ययतक्त क आस प्रकार अचरण करना चातहए फक व्यतक्त ऄपने अचरण के


सूरवाक्य (या तसद्ांि) क सावाभौतमक तनयम बनाना चाहे और ययतक्त क मानविा से सदैव
सायकय के रूप में ययवहार करना चातहए, साधन के रूप में नहीं।

 सगुगुण नीति-शास्‍तर (Virtue ethics): यह कायावाही अधाररि ह ने के बजाये ययतक्तपरक है। यह

फकसी तवतशि कायावाही की प्रकृ ति या पररणामों के स्‍तथान पर ययतक्त के ऄंि्नतहि चररर पर


यकयान के तन्िि करिा है। आस दृतिक ण के ऄनुसार, सच्चररर व्यतक्त सदैव सही काया करिा है। वह

समान पररतस्‍तथतियों में सदैव समान अचरण करे गा। सगुगुण नीति-शास्‍तर न के वल व्यतक्तगि
कायावातहयों की ईपयुक्ििा और ऄनुपयुक्ििा की समस्‍तया का समाधान करिा है, ऄतपिु यह ऐसी

तवशेषिाओं और व्यवहारों के प्रति मागादशान भी प्रदान करिा है ज ऄच्छा ययतक्त प्राप्ि करने का
प्रयास करे गा। आस प्रकार, आसके ऄनुसार, ऄच्छे समाज का तनमााण करने के तलए ल गों क

सच्चररर बनने में सहायिा की जानी चातहए। यद्यतप गुणों की सूची में समय के साथ पररविान

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ह िे रहिे हैं, लेफकन कु छ गुण ज ऄतधकिर सूची में बने रहिे हैं, वे हैं: न्याय, धैय,ा अत्म-संयम,

अत्म-तनरीक्षण, सत्यतनष्ठा अफद।

 संदभाात्मक/प्रासंतगक दृतिक ण (Contextualist approach): यह तनदेशात्मक तनयमों

(prescriptive rules) क ऄस्‍तवीकार करिा है। आस दृतिक ण के ऄनुसार सही और गलि वस्‍तिुिः

पररतस्‍तथति पर तनभार करिा है क्योंफक क इ भी सावाभौतमक नैतिक तनयम या ऄतधकार नहीं है।
आस प्रकार, प्रत्येक पररतस्‍तथति तवतशष्ट ह िी है और तवतशष्ट हल के पार ह िी है।

 ऄलौफकक दृतिक ण (Supernaturalist approach): आस दृतिक ण के िहि नीतिशास्‍तर के तलए

इश्वर क ईत्तरदायी िहराया जािा है, ऄथााि् नैतिक तनयमों का एकमार स्र ि इश्वर है। आसके

ऄनुसार इश्वरीय कथन नैतिक हैं। आस प्रकार, ऄपने जीवन में नैतिक ह ने का ऄथा है - इश्वरीय

कथन का ऄनुसरण करना।


(iii) ऄनुप्रयुक्त/फतलि नीतिशास्त्र (Applied ethics): (D में फदए गए प्रश्न) यह नैतिक तसद्ांि क

वास्‍तितवक जीवन की पररतस्‍तथतियों में लागू करने का प्रयास करिा है, जैसे फक यह तववादास्‍तपद तवषयों,

यथा- युद्, पशु ऄतधकार, मृियु


् दड
ं अफद पर तवचार करिा है। आसके कइ तवतशि क्षेर हैं, जैस-े

आं जीतनयररग नीतिशास्त्र, जैव-नीतिशास्‍तर (bioethics), भू-नीतिशास्‍तर (geoethics), ल क सेवा

नीतिशास्‍तर (public service ethics) एवं व्यावसातयक/व्यापार नीतिशास्‍तर (business ethics)।

आसका ईपय ग सावाजतनक नीति के तनधाारण में फकया जािा है।

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3. ऄनु प्र यु क्त /फतलि नीतिशास्त्र : तवतशष्ट ईदाहरण


(Applied Ethics: Specific Examples)

3.1. पयाा व रणीय नीतिशास्त्र (Environmental Ethics)

 पयाावरणीय नीतिशास्त्र, नीतिशास्त्र की वह शाखा है तजसमें मानवीय कायावातहयों और प्राकृ तिक


पयाावरण के संबंधों का ऄयकययन फकया जािा है। पयाावरणीय नीतिशास्त्र पयाावरण से समाज के
एक भाग के रूप में ययवहार करिा है। यह जैव तवतवधिा और पाररतस्‍तथतिकीय प्रणातलयों क
बनाए रखने और ईनके संरक्षण से जु से पयाावरणीय मूल्यों और सामातजक ऄतभवृतत्त से संबंतधि है।
 बढिा प्रदूषण, प्राकृ तिक संसाधनों का ह्रास, क्षीण ह िी पादप और जन्िु जैव तवतवधिा, वनों का
नाश, पाररतस्‍तथतिक िंर का तनम्नीकरण और जलवायु पररविान सभी "हररि" मुद्दों के भाग हैं।
आन्होंने हाल के वषों में ऄपने अपक ल क चेिना और ल क नीति द नों में समातवष्ट कर तलया है।
पयाावरणीय नीतिशास्त्र का काया ऐसी चचिाओं के अल क में हमारे नैतिक दातयत्वों क रे खांफकि
करना है। द मूलभूि प्रश्न, तजन्हें पयाावरणीय नीतिशास्त्र क ऄवश्य संब तधि करना चातहए, हैं:
पयाावरण के संबंध में मनुष्यों के क्या किाव्य हैं और क्यों? यहााँ क्यों (ईत्तरविी प्रश्न) से पहले

सामान्यि: क्या (पहला प्रश्न) पर तवचार फकया जाना चातहए। ऄभी हमारे ज दातयत्व हैं, ईनसे
तनपटने के तलए, पहले सामान्यि: आस बाि पर तवचार करना अवश्यक माना जािा है फक ये हमारे
किायय क्या हैं। ईदाहरण के तलए, क्या हमारा पयाावरणीय दातयत्व विामान समय में तवश्व में रहने
वाले मनुष्यों के प्रति है या भतवष्य की पीफढयों के तलए है या पाररतस्‍तथतिकी िंर की देख-भाल
करने के संदभा में फकसी भी मानवीय लाभ से तनरपेक्ष, स्‍तवयं पयाावरण के तवतभन्न घटकों के तनतमत्त

है? ऄलग-ऄलग नैतिक दृतिक ण आस मूलभूि प्रश्न का तनिांि तभन्न-तभन्न ईत्तर देिे हैं और आसने
तनिांि तभन्न पयाावरणीय नीतिशास्त्र के ईद्भव का मागा प्रशस्‍ति फकया है।
 पाररतस्‍तथतिकीय मूल्य भारिीय परं परा के ऄंग रहे हैं जहां मानव जाति के प्रति ऄपनी सेवाओं के
तलए प्रकृ ति क पूणा सम्मान फदया गया था। बाबा अम्टे जैसे तवतभन्न पयाावरणतवदों ने भी
पाररतस्‍तथतिकीय संिुलन और वन्यजीव संरक्षण के संबंध में जागरूकिा फै लाइ। ईनका मानना था
फक मनुष्य क प्रकृ ति के साथ सामंजस्‍तय स्‍तथातपि कर रहना चातहए, न फक प्रकृ ति का श षण करके ।
ईन्होंने ल गों क संधारणीय तवकास का प्रतिमान ऄपनाने के तलए प्रेररि फकया ज मानव जाति
और प्रकृ ति द नों के तलए लाभप्रद ह गा। कु छ पाररतस्‍तथतिकीय मूल्य आस प्रकार हैं:
o संधारणीयिा: यह सुतनतश्चि करने के तलए कदम ईिाए जाने चातहए फक हम प्रदूषण के स्‍तिर
क कम करें और प्राकृ तिक संसाधनों के ऄपयययपूणा ईपभ ग में कमी लाएाँ।
o सह-ऄतस्‍तित्व: आसके ऄंिगाि पौधों और वन्यजीवों के साथ सह-ऄतस्‍तित्व िथा ईनसे मनुष्य के
समान ययवहार करने की बाि की गयी है।
o संरक्षण: प्राकृ तिक तवकल्प ाू ंाकर संसाधनों क संरतक्षि करने पर बल।
o पयाावरण-कें फिि: नैतिक तसद्ांिों क मनुष्य और ईसकी अवश्यकिाओं के चारों ओर ही नहीं
बतल्क पयाावरण और ईसकी अवश्यकिाओं के चारों ओर भी यकयान कें फिि करना चातहए।
o सामूतहकवाद के साथ-साथ व्यतक्तवाद (Collectivism as well as individualism): यह
व्यतक्तगि मानवीय फक्रयाकलाप/कायावाही के महत्व क मान्यिा प्रदान करिे हुए संरक्षण
सुतनतश्चि करने के तलए सामूतहक प्रयास की बाि करिा है।
o समग्रिा (Holistic): पयाावरण का समग्र रूप से संरक्षण फकया जाना चातहए, न फक टु क सों
और भागों में तजसका पररणाम संरक्षण के प्रयासों की बबाादी ह िी है।

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3.2. व्यावसातयक/व्यापार नीतिशास्‍तर (Business Ethics)

 व्यावसातयक/व्यापार नीतिशास्त्र वस्‍तिुिः व्यावसातयक माहौल में लागू ह ने वाले नैतिक तसद्ांिों के
समुच्चय क तनरूतपि करिा है। यह फकसी संगिन की सभी गतितवतधयों और व्यतक्तयों पर लागू
ह िा है। कइ फमें ऄपने संगिन में तनय तजि ल गों के कायों का मागादशान करने के तलए तवस्‍तिि

अचार संतहिा तवकतसि करिी हैं। आस प्रकार, व्यावसातयक/व्यापार नीतिशास्त्र क आन अचार
संतहिाओं की सामग्री और प्रभावशीलिा का ऄयकययन कहा जा सकिा है।
 व्यापाररक संस्‍तथाएं तजन गतितवतधयों में संलग्न ह िी हैं, ईनके प्रति ईनका नैतिक ईत्तरदातयत्व
ह ना चातहए। ईदाहरण के तलए - ऄपने कमाचाररयों से ऄच्छा ययवहार करने का ईत्तरदातयत्व,
तजस पयाावरण से वे संसाधन प्राप्ि करिे हैं ईसके प्रति सम्मान का ईत्तरदातयत्व, ईपभ क्ताओं पर
ऄपने ईत्पाद के प्रभाव के प्रति ईत्तरदातयत्व अफद। कॉप रे ट प्रतिष्ठा कॉप रे ट के संचालन में
ऄपनाइ गइ नैतिकिा के स्‍तिर पर तनभार करिी है। व्यापार में नैतिक ययवहार के कु छ ईदाहरण आस
प्रकार ह सकिे हैं:
o दूसरों क ध खा देन,े छल करने या चालाकी से काम तनकालने के तलए प्रल तभि न ह ना।
o बाजार और संगिनों की रचना करने वाले कानूनों और तवतनयमों का भावना के साथ-साथ
ऄक्षरश: पालन करना।
 चूंफक, कानून सभी व्यापाररक ययवहारों क ऄच्छाफदि नहीं कर सकिे हैं। ऄिः ऐसे में कानून कइ
बार कु छ बािों क ऄतलतखि छ स देिे हैं, तजसका सदुपय ग/दुरुपय ग फकया जा सकिा है। यहीं
व्यावसातयक/व्यापार नीतिशास्त्र अिा है। जब बाजार बाह्यिाओं या ऄपूणा सूचना के कारण
तवफल ह रहा ह िब फकसी व्यावसातयक/व्यापाररक प्रतिष्ठान क बाजार का श षण नहीं करना
चातहए।
ईपभ क्ताओं के संबध
ं में व्यावसातयक/व्यापार नीतिशास्त्र (Business ethics with respect to
consumers)
ईपभ क्ताओं के साथ ऄपने ययवसाय में फमों क कु छ नैतिक ययवहारों का पालन करना चातहए, जैसे:
 स्‍तवास्‍तथ्य देखभाल और फामाा अफद जैसी वस्‍तिुओं एवं सेवाओं के ईत्पादन में आसका ईपभ ग करने
वाले ईपभ क्ताओं की सुरक्षा सुतनतश्चि करने के तलए मानकों क बनाए रखना।
 तवज्ञापनों में ईपभ क्ताओं क ईत्पाद का वास्‍तितवक पररचय देना।
 गैर-कानूनी रूप से प्राप्त ऄंगों, दवाओं अफद जैसे ऄनुतचि ईत्पादों की तबक्री नहीं करना। ऐसी
गतितवतधयााँ मानव क के वल लाभ का एक साधन मानिी हैं।
कमाचाररयों के संबध
ं में व्यावसातयक/व्यापार नीतिशास्त्र (Business ethics with respect to
employees)
ऄपने कमाचाररयों से ययवहार करिे समय फमों क तनम्नतलतखि ित्त्वों का यकयान रखना चातहए:
 गैर-भेदभाव (Non-discrimination): कमाचाररयों से काम के संबंध में ईनकी य ग्यिा के अधार
पर यथ तचि ययवहार करना चातहए।
 कमाचाररयों क ईनके प्रयासों के ऄनुरूप भुगिान करना (Pay commensurate to their

efforts): कमाचारी क संगिन की सफलिा के प्रति ईसके द्वारा फकए गए य गदान के ऄनुसार
भुगिान फकया जाना चातहए।
न ट: व्यावसातयक/व्यापार नीतिशास्त्र के ऄन्य पहलुओं का "कॉप रे ट प्रशासन" शीषाक के ऄंिगाि
तवस्‍तिार से वणान फकया जाएगा।

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3.3. नै तिक प्रबं ध न (Ethical Management)

 प्रबंधन में नीतिशास्त्र के समावेश क नैतिक प्रबंधन कहिे हैं ऄथााि् ययतक्त क प्रबंधन में बुरी
पररपारटयों से बचना चातहए। प्रबंधकीय नीतिशास्त्र वस्‍तिुिः कायास्‍तथल पर पररचालन में संलग्न
प्रबंधक के अचरण क तनदेतशि करने वाले मानकों का एक समुच्चय है। आस ईद्देश्य के तलए क इ
भी कानून या तनयम िैयार नहीं फकए गए हैं। आसके बजाए, कं पनी द्वारा ऄपने प्रबंधकों का
मागादशान करने के तलए नीतिशास्त्रीय संतहिाएाँ िैयार की जािी हैं। यह सामान्यि: मूलभूि
अचरण के संबंध में साझा मूल्यों, तसद्ांिों और कं पनी की नीतियों का एक सेट ह िा है िथा
कमाचाररयों, कं पनी और ईसके तहिधारकों के प्रति प्रबंधक के किाव्यों क रे खांफकि करिा है। आनकी
ऄप्रविानीयिा के बावजूद भी, कं पनी की कु छ अचार नीति की ईपेक्षा करने वाले प्रबंधकों से पद
छ सने के तलए कहा जा सकिा है। प्रबंधकीय नीतिशास्त्र के कु छ ईदाहरण- कं पनी की चीजों का
व्यतक्तगि आस्‍तिम
े ाल न करना, व्यतक्तगि ईपय ग के तलए कं पनी के टेलीफ न या कै ब सेवा का
आस्‍तिेमाल न करना, तशकायिें व्यक्त करने के तलए ऄपने ऄधीनस्‍तथों क ईतचि ऄवसर प्रदान करना,
तहिों के संघषा की फकसी भी तस्‍तथति की पूवा घ षणा करना (जैसे - तवक्रेिाओं से ईपहार स्‍तवीकार
करना) अफद।
 कृ पया यकयान दें: व्यावसातयक/व्यापार नीतिशास्त्र और नैतिक प्रबंधन (प्रबंधकीय नीतिशास्त्र) द नों
में थ सी तभन्निा हैं। व्यावसातयक नीतिशास्त्र वस्‍तिुिः व्यावसातयक कायावाही से प्रभातवि पक्षों से
जु सा है। यह फकसी ईद्यम के तनणाय तनमााण और कायावाही का एक मानक है। जबफक नैतिक प्रबंधन
कमाचाररयों और ऄन्य तहिधारकों से ययवहार करने में प्रबंधकों के तलए व्यतक्तगि ययवहार के
मानकों के साथ ऄतधक संबंध रखिा है।
 यह भी यकयान दें: नीतिशास्त्र का प्रबंधन एक ऄलग तवषय है। नीतिशास्त्र के प्रबंधन का ऄथा वस्‍तिि ु ः
नैतिक ययवहार के ऄनुपालन हेिु सभी के तलए तसद्ांिों का एक समुच्चय या संतहिा िैयार करने
से है। आसके चलिे एक ययतक्त नैतिक रूप से ऄच्छा तनणाय लेने के तलए तहिों के टकराव और
दुतवधाओं से तनपटिा है, आसी िरह व्यतक्त नैतिक मागा की फदशा में अगे बढने के तलए ऄपने कायों
क तनदेतशि करने और ऄपने ऄंि:करणक क संिुि करने का प्रबंध करिा है।

3.4. तवश्वबं धु िा सं स्‍तकृ ति और शहरीकरण के सं द भा में नै ति क सं घ षा

(Ethical Conflicts in Cosmopolitan Culture and Urbanisation)


 अ्थक तवकास और सुख की आच्छा ने िुि शहरीकरण की पररघटना और तवश्वव्यापीकरण
(cosmopolitanism) की संस्‍तकृति क अधुतनक समाज का वास्‍तितवक िथ्य बना फदया है। आससे
काम के ऄवसर में वृतद् हुइ है, ल गों के जीवन स्‍तिर में सुधार अया है, देश की अ्थक प्रगति हुइ
है, जागरूकिा में वृतद् देखने क तमली है, सरकार तवतभन्न सेवाओं की ईपलब्धिा सुतनतश्चि करे
आसे लेकर ल गों के मांग में वृतद् हुइ है।
 तवश्वव्यापीकरण की संकल्पना के ऄनुसार सभी मनुष्य नैतिक तसद्ांिों के समान समुच्चय के साथ
एक ही समुदाय से संबंतधि हैं। सैद्ांतिक रूप से, यहां हर क इ वृहत्िर तवश्व के तलए ऄपने
अपक खुला रखिे हुए ऄपनी व्यतक्तगि और सांस्‍तकृतिक ऄखंडिा बनाए रख सकिा है।
तवश्वव्यापीकरण और शहरीकरण तनम्नतलतखि मूल्यों से जु से हैं:
o समावेतशिा, एकिा, मानवातधकार और गररमा, सांस्‍तकृ तिक तवतवधिा, एकजुटिा, समानिा;
o खुलापन, सुशासन, ईत्तरदातयत्व और जवाबदेही, ल किंर;
o वैश्वीकरण, अधुतनकिा, औद्य तगकीकरण, ईपभ क्तावाद, ईदारीकरण;
o ऄंध देशभतक्त का तवर ध, सामातजक न्याय, शांति; और
o सूचना के मायकयम से सामूतहक बुतद्मत्ता/समझ (Collective Intelligence)।

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हालांफक, ये (तवश्वव्यापीकरण और शहरीकरण) तवतभन्न नैतिक संघषों क भी जन्म देिे हैं, जैस:े
 तवकासात्मक पररय जनाओं के तलए संसाधनों का ईपय ग बनाम पयाावरणीय संधारणीयिा: ल गों
की बढिी मांग क पूरा करने और जीवन स्‍तिर में सुधार लाने के तलए खनन, बांध तनमााण, तवद्युि
पररय जनाओं अफद जैसी ब सी पररय जनाओं की अवश्यकिा है। आसका संधारणीयिा (ऄथााि्
विामान पीढी द्वारा संसाधनों का आििम ईपय ग िाफक अने वाली पीफढयों के तलए पयााप्त संसाधन
ईपलब्ध रहें) के प्रश्न के साथ प्रत्यक्ष संघषा है।
 बढिी ऄसमानिा और तनधान एवं सुभद्य े वगों की तस्‍तथति: वैश्वीकरण के कारण यह िथ्य ईभर कर
सामने अया है फक अ्थक तवकास का फल के वल कु छ ही ल गों द्वारा प्राप्त फकया जा है तजसके
कारण ऄसमानिा में िीव्र वृतद् हुइ है। शहरी मतलन बतस्‍तियों और ऄनतधकृ ि कॉल तनयों में रहने
वाले ल गों की तस्‍तथतियों और महानगरों में अतलशान भवनों एवं व्यापक सुतवधाओं का लाभ
ईिाने वाले वगों के बीच स्‍तपि ऄंिर देखने क तमला है और यह तस्‍तथति तनरं िर बनी हुइ है।

सामातजक समृतद्/शुभ (Social Well-Being)


सामातजक समृतद्/शुभ का िात्पया स्‍तवस्‍तथ संबंध, सामातजक तस्‍तथरिा और सामातजक शांति से है। मनुष्य
स्‍तवभाव से ही ऄपनी समृतद् के तलए सामाजीकरण पर तनभार ह िा है। यही कारण है फक मनुष्य ऄनेक
समूहों का गिन करिा है। आन संगिनों की प्रकृ ति ही मनुष्य की सामातजक समृतद् क तनधााररि करिी
है। सामातजक समृतद् के तनम्नतलतखि तवतभन्न घटक है:
 सामातजक स्‍तवास्‍तथ्य: आसका िात्पया ऄच्छे सामातजक संबंध वाले ल गों से हैं।
 सामातजक तस्‍तथति: आसका िात्पया प्रकृ ति, व्यतक्त की संपतत्त अफद के संबंध में ल गों की सामान्य
धारणा से है।
 सामातजक समानिा: आसका िात्पया संसाधनों के समान तविरण से है। पुनः आसका िात्पया
अधारभूि सेवाओं की व्यवस्‍तथा से भी है ज सभी के तलए समान रूप से सुलभ हों। फलस्‍तवरूप
ल गों के मयकय समानिा की भावना में वृतद् और सापेक्ष वंतचििा की भावना में कमी अिी है
तजससे ऄंििः ल गों की समृतध में बढ िरी ह िी है।
 सामातजक मानदंड: आसका िात्पया प्रत्येक व्यतक्त के तलए समान माहौल (पररतस्‍तथति) से है। तवतभन्न
समुदायों से संबतं धि मानदंड ऄलग-ऄलग नहीं ह िे।
सामातजक शुभ का िात्पया ल गों के साथ तमल-जुल कर रहने से भी है। आसका ऄथा अपकी सहायिा
करने के तलए पररवार और तमरों का ह ना है। यह संबंद्िा, प्रय जन और सामातजक समावेश की
भावना प्रदान करिा है। समकालीन समय में, सामातजक शुभ के प्रभातवि ह ने का कारण यह है फक ल ग
तशक्षा या र जगार अफद के बेहिरी के तलए के बाहर चले गए तजससे सफदयों से तवकतसि कतऺडयां और
बंधन टू टने लगे हैं। आस प्रकार, सामातजक नेटवका तनरं िर बन भी रहा है और टू ट भी रहा है।

 संसाधनों के तलए संघषा: ल ग तवश्वव्यापी संस्‍तकृति का ऄनुसरण करिे हुए शहरी क्षेरों में प्रवास
कर रहे हैं। आसके कारण शहरी क्षेरों की जनसंख्या में तवशाल वृतद् हुइ है िथा भूतम, जल,
ऄवसंरचना आत्याफद के संदभा में संसाधनों की कमी देखने क तमली है। आस प्रकार, स्‍तवच्छ जल िक
ऄतधकांश ल गों की पहुाँच में कमी अइ है, स सकों पर भी स में वृतद् हुइ है िथा कइ ल ग मतलन
बतस्‍तियों में रहने के तलए तववश हैं।
 समाज का सलाद बाईल बनाम मेतल्टग पॉट मॉडल (Salad bowl vs Melting pot model of
society): तवश्वव्यापीकरण के कारण कइ संस्‍तकृतियों ने ऄपनी पहचान ख दी है और तवश्व की
प्रभुत्वशाली संस्‍तकृ तियां आन्हें ईत्िर त्िर ऄपने ऄंदर समातवि करिी जा रही हैं।
 वैतश्वक बनाम क्षेरीय मूल्य: मेचल्टग पॉट मॉडल के तवर ध में, क्षेरीय और स्‍तथानीय संस्‍तकृ तियां
वैश्वीकरण की प्रतिफक्रया के रूप में ऄपनी संस्‍तकृति पर मजबूिी से दावा कर रही हैं।
 सांस्‍तकृ तिक तवतवधिा बनाम सांस्‍तकृतिक टकराव: आन क्षेरों में ईपलब्ध ऄवसर तवतभन्न पृष्ठभूतम और
संस्‍तकृ तियों के ल गों क यहां लािे हैं और ईन्हें आनके संपका में अने में सक्षम बनािे हैं। लेफकन कभी-
कभी आस तवतवधिा से संघषा ह िा है जब कु छ ल ग नइ संस्‍तकृति के तलए खुले नहीं ह िे हैं।

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 ययतक्तवाद बनाम सामूतहकवाद (Individualisation versus collectivism): शहरी क्षेरों में
बढिे व्यतक्तवाद के पररणामस्‍तवरुप नवीन सामातजक संरचना का ईद्भव ह िा है तजसमें पारं पररक
पररवार पहले तजिना प्रभावशाली नहीं ह िे हैं। आसके कारण कभी-कभी ऐसा प्रिीि ह िा है फक
स्‍तव-तहि ऄन्य मूल्यों पर हावी ह गया है।
 जीवनशैली में पररविान बनाम स्‍तवस्‍तथ फदनचयाा: ल गों ने ऄपने पारं पररक तवतवध व्यंजनों और
अदिों की िुलना में मैकडॉनल्डीकरण से ऄपने अपक और ऄतधक ज सना अरं भ कर फदया है।.
4. तनजी और सावा ज तनक सं बं धों में नीतिशास्त्र
(Ethics in Private and Public Relationships)

4.1. तनजी सं बं धों में नीतिशास्त्र (Ethics in Private Relationships)

 यह ईस नीतिशास्त्र क संद्भि करिा है जहााँ एक एक व्यतक्त ऄपनी र जमराा की चजदगी में


तवतभन्न ल गों िथा तभन्न-तभन्न पररतस्‍तथतियों से तनपटिा है और ईनके मयकय सामंजस्‍तय स्‍तथातपि
करिा है। आसमें ब से पैमाने पर पररवार एवं तमरों के साथ संबंध सतम्मतलि हैं। ये संबंध फकसी भी
औपचाररक प्रफक्रया की ऄपेक्षा भावनात्मक बंधनों पर अधाररि ह िे हैं ज ईन्हें तनयंतरि करिे हैं।
यही कारण है फक ईनकी प्रकृ ति ऄनौपचाररक ह िी है। तनजी संबंध प्राय: पूवातनधााररि ह िे हैं या
वंशागि ह िे हैं। ये संबंध कतमयों के प्रति ऄतधक सहनशीलिा के साथ ऄपेक्षाकृ ि स्‍तथायी ह िे हैं।
 रामायण तनजी संबंधों में नैतिकिा का एक ईत्कृ ि ईदाहरण है। यद्यतप तनजी जीवन में नैतिकिा
प्रत्येक व्यतक्त के तलए तभन्न ह िी है परं िु कु छ समान्य मूलभूि तसद्ांि हैं तजन्हें समाज द्वारा
स्‍तवीकार फकया गया है। ईदाहरण के तलए:
o तनष्ठा/तवश्वसनीयिा/वफ़ादारी (Loyalty): ऄपने जीवन साथी िथा पररवार के सदस्‍तयों के
प्रति तनष्ठा।
o प्रेम (Love): पररवार के सभी सदस्‍तयों क ईनकी कतमयों के बावजूद प्रेम करना।
o स्नेह (Affection): सभी सदस्‍तयों की अवश्यकिाओं की स्‍तवयं ऄपनी अवश्यकिाओं की भांति
देखभाल करना।
 तनजी संबंध में नैतिकिा अम िौर पर व्यतक्तगि सगुगुणों, सावाभौतमक मानवीय मूल्यों, धमा,
सामातजक मानदंडों िथा क्षेरीय कानून द्वारा तनदेतशि ह िी है। तनजी संबंध में नैतिकिा तनजी
धा्मक कानून द्वारा भी तनयंतरि ह िी है। व्यतक्तगि पाररवाररक एवं सामुदातयक दातयत्वों क
बहुि समय पूवा कानून में तलखा जा चूका है िथा आन्हें प्राचीन काल से लेकर विामान समय के
िलाक, तववाह एवं ऄन्य कानूनों द्वारा गंभीर प्रतिबंध अर तपि कर सम्थि फकया गया है। तनजी
संबंधों में नैतिक संतहिाओं के साथ-साथ, भारि में, धा्मक संस्‍तथान एवं संवैधातनक प्रावधान भी
नीतिपरक मुद्दों क तनयंतरि करिे हैं।

4.2. सावा ज तनक सं बं धों में नीतिशास्त्र

(Ethics in Public Relationships)


 यह ईस नीतिशास्त्र क संद्भि करिा है तजनका एक व्यतक्त ऄपने व्यावसातयक जीवन में
पारस्‍तपररक व्यवहार (ऄंिःफक्रया) िथा व्यापाररक व्यवहार के संबंध में ऄनुसरण करिा है।
सावाजतनक संबंध वे संबंध हैं ज फकसी पेशे के सगुगुण या व्यावसातयक जीवन में धाररि पद के
कारण तवद्यमान ह िे हैं।
 सावाजतनक संबंधों के मूल मंर (core values) ज परस्‍तपर व्यवहार एवं तनणायन प्रफक्रया का
मागादशान करिे हैं िथा फकसी भी पेशेवर सत्यतनष्ठा के तलए महत्वपू णा ह िे हैं, ईनमें तनम्नतलतखि
तवशेषिाएाँ सतम्मतलि ह िी हैं:
o पक्ष-समथान (Advocacy): तजन व्यतक्तयों/संगिनों के तलए प्रतितनतधत्व फकया जाना है ईनके
तलए एक तजम्मेदार पक्ष-समथाक के रूप में काया करके ईनके सावाजतनक तहिों की पू्ि करना।

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o इमानदारी एवं तनःस्‍तवाथािा (Honesty & selflessness): सावाजतनक तहिों (तनजी तहिों
के तलए नहीं) क बढावा देने के तलए यथाथािा िथा सत्यिा के ईच्चिम मानकों का पालन
करना।
o तवशेषज्ञिा (Expertise): तवतशि ज्ञान एवं ऄनुभव क प्राप्त करना िथा तजम्मेदारी से सिि
व्यावसातयक तवकास में ईपय ग करना।
o जवाबदेही एवं खुलापन (Accountability & openness): सावाजतनक सेवाओं में ऄपने पद
के संबंध में की गईं कायावातहयों के तलए।
o तनष्ठा एवं सेवा भाव (Loyalty & spirit of service): सावाजतनक तहिों की रक्षा करने के
दातयत्व का तनवाहन।
o तनष्पक्षिा एवं न्याय (Fairness & Justice): सभी क्षेरों में न्याय करके ऄपनी भूतमका क
कायम रखना।
आस संबध
ं में “द कतमटी फॉर स्‍तटैंडर्डसा आन पतब्लक लाआफ (न लन सतमति)” ने साि तसद्ांिों क
पररभातषि फकया है। ये हैं:
I. तन:स्‍तवाथािा (Selflessness): सावाजतनक (ल क) पद के धारकों क पूणाि: सावाजतनक तहि
के तलए काया करना चातहए। ईन्हें स्‍तवयं ऄपने, ऄपने पररवार या ऄपने तमरों के तलए फकसी
भी प्रकार के तवत्तीय या ऄन्य लाभ प्राप्त करने के तलए काया नहीं करना चातहए।
II. सत्यतनष्ठा (Integrity): सावाजतनक पद के धारकों क स्‍तवयं क बाहरी व्यतक्तयों या संगिनों के
प्रति फकसी भी तवत्तीय या ऄन्य दातयत्व के िहि संबद् नहीं करना चातहए ज ईन्हें ऄपने
अतधकाररक किाव्यों के तनष्पादन में बाधा डालें।
III. वस्‍तिुतनष्ठिा (Objectivity): सावाजतनक तनयुतक्तयों, िे का/ऄनुबंध के मामलों, या पाररि तषक
व लाभ के तलए फकसी की ऄनुशंसा करिे समय सावाजतनक काया के तनवाहन के दौरान
सावाजतनक पद के धारकों क य ग्यिा के अधार पर चयन करना चातहए।
IV. जवाबदेही (Accountability): सावाजतनक पद के धारक जनिा के प्रति ऄपने तनणायों िथा
कायों के तलए जवाबदेह ह िे हैं िथा ईन्हें ऄपने पद से जु से प्रत्येक जांच के तलए अगे अना
चातहए।
V. खुलापन (Openness): सावाजतनक पद के धारकों क ऄपने द्वारा तलए गए तनणायों एवं
कायावातहयों के तलए तजिना संभव ह ईिना स्‍तपि ह ना चातहए। ईन्हें ऄपने तनणायों के तलए
िका प्रदान करना चातहए िथा जानकारी क के वल िभी प्रतिबंतधि करना चातहए जब
व्यापक सावाजतनक तहि स्‍तपि रूप से आसकी मांग करें ।
VI. इमानदारी (Honesty): सावाजतनक पद के धारकों का किाव्य है फक वे ऄपने सावाजतनक
किाव्यों से जु से फकसी भी प्रकार के तनजी तहि की घ षणा करें िथा सावाजतनक तहिों की पू्ि
करने के मागा मे अने वाले फकसी भी बाधा क दूर करने के तलए कदम ईिाएं।
VII. नेित्ृ व (Leadership): सावाजतनक पद के धारकों क ऄपने नेिृत्व कौशल के मायकयम से िथा
तवतभन्न ईदाहरणों क पेश कर आन तसद्ांिों क बढावा देना चातहए िथा आनका समथान
करना चातहए।
न ट: OECD देशों ने भी सरकारी कमाचाररयों का मागादशान करने के तलए अधारभूि मूल्यों के एक
सेट क प्रकातशि फकया है। ये हैं: भेदभाव रतहि (impartiality), वैधिा (legality), सत्यतनष्ठा
(integrity), पारद्शिा (transparency), दक्षिा (efficiency), समानिा (equality), तजम्मेदारी
(responsibility) एवं न्याय (justice)।

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4.3. सावा ज तनक िथा तनजी नीतिशास्त्र में सं बं ध

(Relation between Public and Private Ethics)


 तनजी िथा सावाजतनक नीतिशास्त्र के मयकय ऄंिर काफी संदह
े ास्‍तपद है क्योंफक सावाजतनक िथा
तनजी, द नों जीवनों में, हमें सामान्य रूप से समान नैतिक मूल्यों का तनवाहन करना प सिा है।

द नों के मयकय क इ द्वैि संबंध नहीं ह सकिा, क्योंफक नैतिकिा एक सगुगुण जीवन क बढावा देिी
है। ऄिः यह द नों के तलए समान रूप से लागू ह िी है। एक व्यतक्त ज ऄपने सावाजतनक जीवन में
ऄनैतिक है, ईससे शायद ही ऄपने तनजी जीवन में नैतिक ह ने की ऄपेक्षा की जा सकिी है िथा

आसी प्रकार ज व्यतक्त ऄपने तनजी जीवन में ऄनैतिक है, ईससे शायद ही ईसके सावाजतनक जीवन
में नैतिक ह ने की ऄपेक्षा की जा सकिी है। तजस िरह से एक तसतवल कमाचारी ऄपने पररवार में
मतहलाओं के साथ व्यवहार करिा है, ईससे हम ऄनुमान लगा सकिे हैं फक वह ऄपने मतहला
सहक्मयों के साथ कै से व्यवहार करिा ह गा या फफर हम यह भी ऄनुमान लगा सकिे हैं फक ईसके
द्वारा कायाातन्वि नीतियां चलग तनरपेक्ष हैं या नहीं। यफद हम महान व्यतक्तत्वों के ईदाहरण लें ि
हम पाएंगे फक ईनके , ऄपने सावाजतनक एवं तनजी जीवन क अाँकने के समान मानदंड थे, ईदाहरण

के तलए गांधीजी, पूवा राष्ट्रपति श्री एपीजे ऄब्दुल कलाम अफद।


 कभी-कभी सावाजतनक/व्यावसातयक संबंध तनजी संबंध भी बन सकिे हैं। ईदाहरण के तलए - एक
तशक्षक-छार के मयकय संबंध - कभी-कभी कक्षा में तशक्षक बच्चों के साथ ऄपने व्यतक्तगि ईदाहरणों
का ईपय ग करिे हैं, बच्चे भी तशक्षकों के साथ ऄपनी कमज ररयों क सांझा करिे हैं िाफक ईनमें

सुधार ह सके । आस प्रकार आस मामले में, कु छ स्‍तिर िक, जैसे जैसे वे द नों ऄपनी बािों क साझा

करना अरं भ करिे हैं, ईनके मयकय संबंध तनजी ह िे जािे हैं।
 यह बहुि महत्वपूणा है फक व्यतक्तगि िथा पेशेवर नीतिशास्त्र के मयकय क इ मिभेद नहीं ह क्योंफक
यह कु छ ल गों के तवचारों में तनराशा, ऄपराध या भ्रम एवं तवसंगति का कारण ह सकिा है। ये

द नों ही एक दूसरे क अकार देिे हैं िथा ईन्हें मजबूिी प्रदान करिे हैं। व्यतक्तगि तवकास के तलए,
ईन्हें एक दूसरे के समनुरूप ह ना चातहए। परं िु ऄत्यतधक समनुरूपिा तवचारों िथा पररविानों की
तनश्चलिा का कारण बन सकिी है, ईदाहरण के तलए - यफद सावाजतनक सेवाओं मे लगा क इ भी

व्यतक्त सुधार के तलए ईन्मुख नहीं ह गा िथा विामान समाज के समनुरूप ही रहेगा, ि सामातजक-
सांस्‍तकृ तिक पररविानों क लाना करिन ह गा।
 हालांफक, सावाजतनक जीवन में नैतिकिा का ऄतधक महत्व है िथा सावाजतनक जीवन में आसकी
मांग भी ह िी है क्योंफक सावाजतनक जीवन में अप सदैव ऄपनी व्यतक्तगि नैतिकिा का ऄनुसरण
नहीं कर सकिे हैं। ईदाहरण के तलए – तनजी िौर पर अप गभापाि क नैतिक रूप से गलि मान

सकिे हैं, परं िु यफद अप एक डॉक्टर हैं, ि अपक ऄपने पेशेवर नैतिकिा का ऄनुपालन करिे हुए
अपक कइ बार गभापाि में संलग्न ह ना प सिा है। आस िरह की दुतवधाएाँ प्राकृ तिक हैं परं िु हमें
ऄपने तनजी िथा पेशेवर भूतमका के मयकय एक रे खा खींचने की अवश्यकिा है। सावाजतनक रूप से
भूतमका तनभाने पर हमें ऄपने व्यतक्तगि जीवन क पृथक करने िथा दृढिा से पेशेवर अचार
संतहिा का ऄनुसरण करने की अवश्यकिा ह िी है।

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5. नै तिक द्वंद्व /सं घ षा का तनराकरण: रास्‍तिा क्या है ?


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(Resolving Ethical Conflicts: What is the way out?)


 सभी मनुष्य स्‍तवयं में एक सायकय ह िे हैं। तनस्‍तसंदह
े हम ऄपने सायकय की प्रातप्त हेिु ऄन्य मनुष्यों का
ईपय ग करिे हैं। एक छार ऄपने लक्ष्यों क प्राप्त करने के तलए तशक्षक का ईपय ग करिा है।
हालांफक, यहां एक सूतचि सहमति का शातमल ह ना एक महत्वपूणा पहलू है। आसतलए, यह
महत्वपूणा है फक हम मानविा क के वल साधनों के रूप में न मानें। नैतिकिा का तनधाारण आस
अधार पर फकया जा सकिा है फक यह ईतचि एवं तनष्पक्ष है या नहीं। ईदाहरण के तलए, यफद
अपके पास एक बांसरु ी है, ि अपक आसे फकसे देना चातहएः एक ऐसे व्यतक्त क ज बांसुरी बजाने
में तनपुण (कलाप्रवीण) है, या ईस व्यतक्त क तजसे आसकी ऄतधकिम अवश्यकिा है (ईपय तगिा),
या फफर ईस व्यतक्त क तजसे बांसुरी बजाने का काया सौंपा गया है (किाव्य-परकिावादी)? ईत्तर

सरल नहीं है। हालांफक, ईतचि एवं तनष्पक्ष तविरण प्रफक्रया सुतनतश्चि करके वास्‍तिव में एक नैतिक
समाधान पर पहुंचने का दावा फकया जा सकिा है।
 क इ भी दृतिक ण सावाभौतमक नहीं ह िा या क इ भी ऐसा दावा नहीं फकया जा सकिा ज द ष
रतहि न ह । ऄतधकिम अनंद प्राप्त करने का लक्ष्य फकसी ऄन्य व्यतक्त के मूल ऄतधकारों के हनन
का कारण बन सकिा है। किाव्य पालन के प्रति दृढिा नकारात्मक पररणामों का कारण भी बन
सकिी है; हालांफक ऐसे में तनणाय लेने वाले व्यतक्त पर ईन पररणामों की तजम्मेदारी कम ह
जाएगी। ऄंिि गत्वा, सगुगुणी क पुरस्‍तकृ ि करके िथा दुराचारी क दंतडि कर सामान्य खुशी
(अनंद) में वृतद् की जा सकिी है।
 न्याय का िात्पया है फक तबना फकसी भय या पक्षपाि के ज सही है, ईसका चयन करना। तनणाय की
प्रफक्रया फकसी भी पूवााग्रह से मुक्त ह नी चातहए। फकसी व्यतक्त या वगा की ओर पूवााग्रह नहीं ह ना
चातहए। हालांफक, तजस दृतिक ण या तवतध क ऄपनाया जा रहा है, वह प्रत्येक ऄवस्‍तथा में
एकसमान नहीं ह सकिा है। आसका ऄथा यह है फक यफद ईपय तगिावादी दृतिक ण ने फकसी एक
मामले में सव त्तम पररणाम फदए हैं, ि आसका अशय यह नहीं है फक अगे के प्रत्येक तनणाय के तलए
भी वही पसंदीदा दृतिक ण ह । एक व्यापक, बहुअयामी तवश्व दृतिक ण फकसी व्यतक्त क एक
सूतचि िथा न्यायसंगि तनणाय लेने में सक्षम बनािा है। ऄनुभव में तवतवधिा ह ने पर एक व्यतक्त
दूसरों की पररतस्‍तथतियों एवं समस्‍तयाओं क बेहिर समझ सकिा है। ऐसे में, ऄन्य संस्‍तकृतियों िथा

समाजों के प्रति रुतच क बढावा देने का प्रयास फकया जाना चातहए। आस प्रकार, एक िका संगि एवं
न्यायसंगि तनणाय पर पहुंचा जा सकिा है। ये तनणाय तहिलाभों क पहचानने में सक्षम ह ने चातहए
िथा ईन तहिलाभों क ऄतधकिम करने का लक्ष्य ह ना चातहए। साथ ही साथ, द षों क पहचानने
एवं ईनके न्यूनीकरण का भी लक्ष्य ह ना चातहए।

6. मानवीय मू ल्य (Human Values)


 "मूल्य" वस्‍तिुिः हमारे अस-पास की दुतनया के तवतभन्न पहलुओं क प्रदत्त मान्यिा या महत्व क
दशाािे हैं। मूल्य एक प्रकार की वरीयिा है, साथ ही श्रेयस्‍तकर (श्रेष्ठ) की ऄवधारणा। हम प्रत्येक
मानवीय फक्रयाकलाप/कायावाही के तलए मूल्यों क श्रेय देिे हैं, ज फक आसकी व्यापकिा क दशाािा
है।
 मूल्य वस्‍तिुिः व्यतक्तगि तवश्वास ह िे हैं, ज ल गों क एक या दूसरे िरीके से काया करने के तलए
प्रेररि करिे हैं। वे मानवीय व्यवहार के तलए एक मागादशाक या तनयामक के रूप में काम करिे हैं।

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अमिौर पर ल ग तजन मूल्यों के साथ ब से हुए ह िे हैं, वे ईन्हें ऄपनाने के तलए पहले से प्रवृत्त ह िे
हैं। ऐसे में ल ग यह भी मानिे हैं फक वे मूल्य "सही" हैं क्योंफक वे ईनके तवशेष संस्‍तकृति के मूल्य हैं।
 नैतिक तनणाय लेिे वक़्ि प्रायः परस्‍तपर तवर धी तवतभन्न मूल्यों पर तवचार-तवमशा कर यह तनधााररि
करना ह िा है फक फकस/फकन मूल्य/मूल्यों के साथ अगे बढना है। संघषा की तस्‍तथति िब अिी है,
जब ल गों के ऄलग-ऄलग मूल्य ह िे हैं, तजनके बीच वरीयिाओं िथा प्राथतमकिाओं का द्वंद्व ह िा
है। कु छ मूल्यों में यथाथा अदशा, जैस-े प्रेम, सत्य व स्‍तविंरिा तनतहि ह िे हैं िथा महत्वाकांक्षा,
ईत्तरदातयत्व एवं साहस जैसे ऄन्य मूल्य ईन लक्षणों या व्यवहारों का वणान करिे हैं ज सायकय के
साधन के रूप में महत्वपूणा हैं। िथातप, मानवीय मूल्य ऄत्यंि महत्वपूणा हैं। मानवीय मूल्यों क ईन
मूल्यों के रूप में पररभातषि फकया जािा है ज मनुष्य क तवश्व के साथ सामंजस्‍तय स्‍तथातपि कर
जीवन व्यिीि करने में सहायिा करिे हैं। ये हम आं सानों के मूल में हैं। प्रकृ ति, ऄन्य ल गों, समाज
अफद के साथ व्यतक्त के क्या संबंध हैं, ईनकी गहरी समझ िथा सभी प्रातणयों के प्रति स्‍तथायी
सम्मान के तबना क इ भी व्यतक्त वास्‍तिव में तशतक्षि नहीं कहलािा। समानिा एवं पारस्‍तपररक
सम्मान की भावना िथा तजय एवं जीने द का दशान मानवीय मूल्यों के पररष्कृ ि पररणाम हैं।
आन्हें सामातजक रूप से वांछनीय लक्ष्यों के रूप में समझा जा सकिा है, तजन्हें ऄनुकूलन, ऄभ्यास
या सामाजीकरण की प्रफक्रया के मायकयम से अत्मसाि फकया जािा है। हमारी शैक्षतणक प्रणाली
स्‍तवाभातवक रूप से मूल्यों से संबंतधि है। अनंद, तनष्पक्षिा, स्नेह, शांति, स्‍तविंरिा, सुरक्षा, सम्मान,
ईत्तरदातयत्व, सहय ग, अत्मतनभारिा, समानिा आत्याफद जैसे कु छ सावाभौतमक बुतनयादी मानवीय
मूल्यों क तवकतसि करना कु छ महत्वपूणा प्रय जनों में से एक हैं।
 कु छ मूल्यों क पतवर माना जािा है िथा ज ईन पर तवश्वास करिे हैं, ईनके तलए वे नैतिक
ऄतनवायािाओं के समान ह िे हैं। ऐसे पतवर मूल्यों के साथ कदातचि ही कभी समझौिा फकया
जािा है, क्योंफक तनणाय लेने के तलए तवचार-तवमशा फकए जाने वाले कारकों के बजाए ईन्हें (पतवर
मूल्यों) किाव्यों के रूप में माना जािा है। जैसे- ऄतधकांश ल ग राष्ट्र गान के गाए जाने के दौरान
ख से ह ने वाली बाि क एक ऐसा मूल्य मानिे हैं तजसके साथ वे कभी समझौिा नहीेे कर सकिे ,
जबफक कु छ ल गों के तलए यह मार पसंद या नापसंद का मामला ह सकिा है।
 आस प्रकार हमने देखा फक भले हीं ‘मूल्य’ पतवर हों, ऄंिभूाि महत्व वाले हों या फफर सायकय की
प्रातप्त का एक साधन हों, हर दशा में मूल्य व्यतक्तयों, संस्‍तकृ तियों िथा पररतस्‍तथतियों के ऄनुसार
बदलिे रहिे हैं। ज भी ह , नैतिक तनणाय लेने में एक प्रेरक ित्त्व के रूप में मूल्यों क
सावाभौतमक मान्यिा प्राप्त ह िी हैं। समाज क प्राप्त तहिलाभों के कारण मानवीय मूल्य
महत्वपूणा ह िे हैं। वे मानदंड प्रदान करिे हैं, तजनके अधार पर हम दूसरे ल गों, वस्‍तिुओं,
कायों, तवचारों व पररतस्‍तथतियों क परखिे हैं। मानवीय मूल्य वस्‍तिुतनष्ठ या व्यतक्त-
तनष्ठ/तवषयतनष्ठ, अंिररक या बाह्य, व्यतक्तगि या सामुदातयक, सैद्ांतिक या व्यावहाररक,
सामातजक, राजनीतिक या अ्थक अफद ह सकिे हैं।

6.1. मू ल्य तवकतसि करने में पररवार, समाज िथा शै क्ष तणक सं स्‍तथाओं की भू तमका

(Role of Family, Society and Educational Institutions in Inculcating Values)

6.1.1. मू ल्य तवकतसि करने में पररवार िथा समाज की भू तमका

(Role of Family and Society in Inculcating Values)


 पररवार, समाज िथा शैक्षतणक संस्‍तथान एक व्यतक्त के मूल्यों क प्रभातवि करने वाले िीन सबसे
महत्वपूणा कारक हैं। सद्भाव/समरसिा, साम्यिा, सहय ग, ल किंर, शांति अफद जैसे सांस्‍तकृ तिक
मूल्य पररवार द्वारा पीढी-दर-पीढी अगे बढिे हैं।

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 समाज की मूलभूि आकाइ ऄथााि् For


पररवार मूल्यों की तशक्षा देने वाला पहला तवदयालय भी है।
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पररवार के सदस्‍तयों द्वारा प्रस्‍तिि


ु ईदाहरणों िथा बुजुगों द्वारा दी जाने वाली नैतिक तशक्षाओं अफद
के मायकयम से मूल्य तवकतसि ह िे है। आन्हें कहातनयों, जीवन से सीख अफद के मायकयम से तवकतसि
फकया जा सकिा है। यह पररवार ही है ज फकसी व्यतक्त में त्याग, प्रेम, भावना, ईच्च नैतिकिा अफद
जैसे मूल्यों का समावेश करिा है।
 एक बच्चे का पररवार ईसे दूसरों से प्यार एवं सम्मान करने के िरीके तसखािा है िथा आस प्रकार,
समाज में ऄन्य ल गों के प्रति बच्चों के दृतिक ण क अकार देिा है। पररवार के सदस्‍तय बच्चों के तलए
ऄनुकरणीय व्यतक्त ह िे हैं िथा बच्चा ईन्हीं के जैसे व्यवहार करना सीखिा है। पररवार के सदस्‍तय
बच्चों में इमानदारी, सत्यिा, अनंद, तनष्ठा िथा सत्यतनष्ठा जैसे नैतिक मूल्यों क गढिे हैं, ज
सामातजक मूल्यों के समानाथी हैं। बच्चे का लालन-पालन फकस प्रकार फकया गया है, भतवष्य में
ईसके मूल्यों क वही प्रभातवि करिा है।
 पररवार सदैव से प्रथम मूल्य प्रदािा रहा है, परं िु हाल के वषों में बच्चों के व्यवहार में स्‍तपि िौर हुए
पररविानों क देखिे हुए यह कहा का सकिा है फक पररवार की भूतमका बदल गइ है। एक अधुतनक
एकल पररवार में एक बच्चे क दी जाने वाली नैतिक तशक्षा का स्‍तवरूप भी बदल गया है। यह
सहय ग के बजाय प्रतिस्‍तपधाा, पररवार व सामूतहकिा के बजाय व्यतक्तवाद िथा संिुति व त्याग के
बजाय ईपभ क्तावाद पर ऄतधक कें फिि ह गया है। यह अवश्यक नहीं फक दी जाने वाली नैतिक
तशक्षा के स्‍तिर में तगरावट अइ ह , परं िु यह तनतश्चि है फक ईनका स्‍तवरूप बदल गया है। यहााँ यकयान
देने य ग्य बाि यह है फक प्राथतमकिाएं ही हमारे मूल्य बन गए हैं। पहले साझा करना या देरी से
प्राप्त ह ने वाले अनंद ही हमारी प्राथतमकिाएं ह िी थीं। ऄब ईपभ क्तावाद व ित्काल प्रतसतद् या
त्वररि सफलिा ने आसका स्‍तथान ले तलया है। समय के साथ, कु छ मूल्यों क मौतलकिा का दजाा

प्राप्त हुअ है, ि वहीं दूसरी ओर, कु छ मूल्यों के साथ मानवीय दुबालिाओं के कारण समझौिा
फकया गया है।
 कभी-कभी पररवार स्‍तवयं ही आस प्रखर प्रतिस्‍तपधी दुतनया में ऄपने बच्चों क स्‍तवाथी ह ने की सीख
देिा है, जैस-े तवतभन्न प्रतिय तगिाओं में ऄयवल बने रहने के तलए द स्‍तिों के साथ न ट्स या
जानकारी क साझा न करने की सीख। कइ बार यह बच्चे के तहि में ह सकिा है, परं िु ऄंििः, यह
स्‍तव-तहि के मूल्य क ही जन्म देिा है िथा ईसे सहय ग व साझा करने के मूल्यों क न ऄपनाने की
सीख देिा है। यह दशाािा है फक फकस प्रकार एक अधुतनक पररवार के मूल्य पारं पररक पररवार के
मूल्यों से ऄलग हैं। भतवष्य में ह सकिा है फक यही मूल्य पारं पररक मूल्य बन जाएं।
 िथातप, यह अवश्यक नहीं फक ब से ह ने के पश्चाि् भी बच्चों के मूल्य मािा-तपिा या पररवार से
सीखे गए मूल्यों के समान ही रहें। ऄन्य मायकयमों, जैस-े मीतडया, तशक्षा व्यवस्‍तथा, तमर,
फक्रयाकलाप अफद एवं सबसे उपर, अत्म-मूल्यांकन से प्रभातवि ह कर वह कु छ मूल्यों का त्याग
भी कर सकिे हैं।

6.1.2. मू ल्य तवकतसि करने में शै क्ष तणक सं स्‍तथाओं की भू तमका

(Role of Educational Institutions in Inculcating Values)


 पररवार व समाज के बाद एक बच्चा ऄपना ऄतधकांश समय शैक्षतणक संस्‍तथानों में तबिािा है। आस
प्रकार, बच्चों के व्यतक्तत्व क अकार देने में शैक्षतणक संस्‍तथाओं की भूतमका भी महत्वपूणा ह िी है।
यहां बच्चों क ईनके पररवार की सुख-समृतद् अफद से दूर देश-दुतनया की वास्‍तितवकिाओं से
पररचय कराया जािा है। जैसा फक अज देखने क तमल रहा है - संकीणा, ऄनन्य/एकांतिि और

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ऄसतहष्णु तवचारों के मायकयम से तवकतसि तवश्व संघषा, चहसा, अंिररक िनाव और युद् से भरा

प सा है। आसतलए, मानवीय सहायिा के लक्ष्यों क प्राप्त करने के तलए सद्भाव, सतहष्णुिा, शांति
और सहानुभूति के मायकयम से तवकतसि तवश्व की अवश्यकिा है। मूल्यों की तशक्षा आन लक्ष्यों क
प्राप्त करने में सहायिा करिी है। स्‍तकू ल में, छार अवश्यक रूप से तनम्नतलतखि मूल्यों क सीखिा है:

o सहय ग (Cooperation): तवद्यालयों में 6-7 घंटों िक ऄपने सहपारियों के साथ बैिना बच्चों क
सभी क हमेशा साथ लेकर चलने की सीख देिे हैं।
o नए ल गों के साथ ऄंिःफक्रया (Interaction with new people): यहां बच्चा पहली बार यह
सीखिा है फक तजन्हें अप पहले से नहीं जानिे ईनके साथ फकस प्रकार तमरिा की जािी है।
o वैचाररक तवतवधिा (Diversity of views): तवतभन्न तवश्वासों, ऄतभवृतत्तयों और मूल्यों वाले
ऄलग-ऄलग ल गों की ईपतस्‍तथति और ईनसे संपका के कारण यह मूल्य तवकतसि ह िा है।
 तशक्षक महान ऄनुकरणीय ययतक्त ह िे हैं और ईनके काया/फक्रयाकलाप बच्चों पर ब सा प्रभाव छ सिे
हैं, क्योंफक यहााँ बच्चों की अयु आिनी कम ह िी है फक वे आनके प्रति ऄतधक सुभेद्य माने जािे हैं।
आसी प्रकार ऄन्य बच्चों के काया/फक्रयाकलाप भी दूसरे बच्चों पर ऄपना प्रभाव छ सिे हैं। तशक्षा
मानवीय मूल्यों क सीखने की फदशा में एक व्यवतस्‍तथि प्रयास है। संक्षेप में, सभी तशक्षा मानव

व्यतक्तत्व के सभी अयामों - बौतद्क, शारीररक, सामातजक और नैतिक का तवकास करिी है। हाल

के वषों में, शैक्षतणक प्रणाली में मूल्यों के संकट के कारण, 'मूल्य तशक्षा' (value education) शब्द
शैतक्षक संस्‍तथानों और शैक्षतणक समुदाय में ल कतप्रय शब्द बन गया है।

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7. तवगि वषों में UPSC द्वारा पू छे गए प्रश्न


(UPSC Previous Years Questions)
2013
1. ‘मूल्यों’ व ‘नैतिकिाओं’ से अप क्या समझिे हैं? व्यावसातयक सक्षमिा के साथ नैतिक भी
ह ना फकस प्रकार महत्वपूणा हैं?
2. कु छ ल गों का मानना है फक मूल्य समय और पररतस्‍तथति के साथ बदलिे रहिे हैं जबफक ऄन्य
दृढिा से मानिे हैं फक कु छ मानवीय मूल्य सवाव्यापक व शाश्वि हैं। आस सम्बन्ध में अप ऄपनी
धारणा िका देकर बिाआए।
3. ‘ऄंिःकरण की अवाज’ से अप क्या समझिे हैं? अप स्‍तवयं क ऄंिःकरण की अवाज पर यकयान
देने के तलए कै से िैयार करिे हैं?
4. ‘तववेक का संकट से क्या ऄतभप्राय है? ऄपने जीवन की एक घटना बिाआए जब अपका ऐसे
संकट से सामना हुअ और अपने ईसका समाधान कै से फकया?
5. िीन महान नैतिक तवचारकों/दाशातनकों के ऄविरण नीचे फदए गए हैं। अपके तलए प्रत्येक
ऄविरण का विामान संदभा में क्या महत्व है, स्‍तपि कीतजएः
(a) “पृथ्वी पर हर एक की अवश्यकिा-पू्ि के तलए काफी है पर फकसी के लालच के तलए
कु छ नहीं।“ - महात्मा गांधी
(b) “लगभग सभी ल ग तवपतत्त का सामना कर सकिे हैं पर यफद फकसी के चररर का परीक्षण
करना है, ि ईसे शतक्त/ऄतधकार दे द ।“ - ऄब्राहम चलकन
(c) “शरुओं पर तवजय पाने वाले की ऄपेक्षा मैं ऄपनी आच्छाओं का दमन करने वाले क
ऄतधक साहसी मानिा हूाँ।“ - ऄरस्‍तिू
6. “सवातहि में ही हर व्यतक्त का तहि तनतहि है।“ अप आस कथन से क्या समझिे हैं? सावाजतनक
जीवन में आस तसद्ान्ि का कै से पालन फकया जा सकिा है?
2014
1. सभी मानव सुख की अकांक्षा करिे हैं। क्या अप सहमि हैं? अपके तलए सुख का क्या ऄथा
है? ईदाहरण प्रस्‍तिि
ु करिे हुए स्‍तपि कीतजए।
2. मानव जीवन में नैतिकिा फकस बाि की प्र न्नति करने की चेिा करिी है? ल क-प्रशासन में
यह और भी ऄतधक महत्वपूणा क्यों हैं?
3. रक्षा सेवाओं के सन्दभा में, ‘देशभतक्त’ राष्ट्र की रक्षा करने में ऄपना जीवन ईत्सगा करने िक की
ित्परिा की ऄपेक्षा करिी है। अपके ऄनुसार, दैतनक ऄसैतनक जीवन में देशभतक्त का क्या
िात्पया है? ईदाहरण प्रस्‍तिि
ु करिे हुए आसक स्‍तपि कीतजए और ऄपने ईत्तर के पक्ष में िका
दीतजए।
4. ल क-जीवन में ‘सत्यतनष्ठा’ से अप क्या ऄथा ग्रहण करिे हैं? अधुतनक काल में आसके ऄनुसार
चलने में क्या करिनाआयां हैं? आन करिनाआयों पर फकस प्रकार तवजय प्राप्त कर सकिे हैं?
5. “मनुष्यों के साथ सदैव ईनक , ऄपने-अप में ‘लक्ष्य’ मानकर व्यवहार करना चातहए, कभी भी
ईनक के वल ‘साधन’ नहीं मानना चातहए।“ अधुतनक िकनीकी-अ्थक समाज में आस कथन
के तनतहिाथों का ईल्लेख करिे हुए आसका ऄथा और महत्व स्‍तपि कीतजए।

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6. जीवन में नैतिक अचरण के सन्दभा में अपक फकस तवख्याि व्यतक्तत्व ने सवाातधक प्रेरणा दी
है? ईसकी तशक्षाओं का सार प्रस्‍तिि
ु कीतजए। तवतशि ईदाहरण देिे हुए वणान कीतजए फक अप
ऄपने नैतिक तवकास के तलए ईन तशक्षाओं क फकस प्रकार लागू कर पाए हैं।
7. विामान समाज व्यापक तवश्वास-न्यूविा से ग्रतसि है। आस तस्‍तथति के व्यतक्तगि कल्याण और
सामातजक कल्याण के सन्दभा में क्या पररणाम है? अप ऄपने क तवश्वसनीय बनाने के तलए
व्यतक्तगि स्‍तिर पर क्या कर सकिे हैं?

2015
1. ‘पयाावरणीय नैतिकिा’ का क्या ऄथा हैं? आसका ऄयकययन करना फकस कारण महत्वपूणा है?
पयाावरणीय नैतिकिा की दृति से फकसी एक पयाावरणीय मुद्दे पर चचाा कीतजए।
2. तनम्नतलतखि के बीच तवभेदन कीतजए
(a) तवतध और नैतिकिा
(b) नैतिक प्रबंधन और नैतिकिा का प्रबंधन
(c) भेदभाव और ऄतधमानी बरिाव

(d) वैयतक्तक नैतिकिा और संव्यावसातयक नैतिकिा


3. नैतिक तवचारकों/दाशातनकों के द ऄविरण फदए गए हैं। प्रकाश डातलए फक आनमें से प्रत्येक के ,
विामान संदभा में, अपके तलए क्या मायने

(a) “कमज र कभी माफ नहीं कर सकिे; क्षमाशीलिा ि िाकिवर का ही सहज गुण है।”
(b) “हम बच्चे क असानी से माफ कर सकिे हैं, ज ऄंधरे े से डरिा है; जीवन की वास्‍तितवक
तवडंबना ि िब है जब मनुष्य प्रकाश से डरने लगिे हैं।”

4. “सामातजक मूल्य, अ्थक मूल्यों की ऄपेक्षा ऄतधक महत्वपूणा हैं।” राष्ट्र की समावेशी संवृतद् के
संदभा में ईपर क्त कथन पर ईदाहरणों के साथ चचाा कीतजए।

2016
1. स्‍तपि कीतजए फक अचारनीति समाज और मानव का फकस प्रकार भला करिी है।
2. महात्मा गांधी की साि पापों की संकल्पना की तववेचना कीतजए।
3. भारि के संदभा में सामातजक न्याय की जॉन रॉल्स की संकल्पना का तवश्लेषण कीतजए।

2017
1. ‘‘ब सी महात्वाकांक्षा महान चररर का भावावेश (जुनन
ू ) है। ज आससे संपन्न हैं वे या ि बहुि
ऄच्छे ऄथवा बहुि बुरे काया कर सकिे हैं। ये सब कु छ ईन तसद्ांिों पर अधाररि है तजनसे वे
तनदेतशि ह िे हैं।’’ - नेप तलयन ब नापाटा। ईदाहरण देिे हुए ईन शासकों का ईल्लेख कीतजए
तजन्होंने (i) समाज व देश का ऄतहि फकया है, (ii) समाज व देश के तवकास के तलए काया
फकया है।
2. ‘‘मेरा दृढ तवश्वास है फक यफद फकसी राष्ट्र क भ्रिाचार मुक्त और सुंदर मनों वाला बनाना है,
ि ईसमें समाज के िीन प्रमुख ल ग ऄंिर ला सकिे हैं। वे हैं तपिा, मािा एवं तशक्षक।‘‘ -
ए.पी.जे. ऄब्दुल कलाम। तवश्लेषण कीतजए।
3. विामान समय में नैतिक मूल्यों का संकट, सद्-जीवन की संकीणा धारणा से जु सा हुअ है।
तववेचना कीतजए।

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8. तवगि वषों में UPSC द्वारा पू छे गए प्रश्न: के स स्‍तटडीज


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(UPSC Previous Year Question Papers: Case Studies)


1. ितमलनाडु में तशवकासी पटाखा और फदयासलाइ तनमाािाओं के समूहों के तलए प्रतसद् है। यहााँ
की स्‍तथानीय ऄथाव्यवस्‍तथा ऄतधकांशिः पटाखा ईद्य ग पर तनभार है। आसी से आस क्षेर का
अ्थक तवकास हुअ है और रहन-सहन का स्‍तिर भी सुधरा है।
जहााँ िक पटाखा ईद्य ग जैसे ख़िरनाक ईद्य गों के तलए बाल श्रतमक तनयमों का प्रश्न है,
ऄंिरााष्ट्रीय श्रम संगिन (ILO) ने श्रम हेिु न्यूनिम अयु-सीमा 18 वषा तनधााररि की है। जबफक
भारि में यह अयु-सीमा 14 वषा है।
पटाखों के औद्य तगक क्षेर की आकाआयों क पंजीकृ ि िथा ऄपंजीकृ ि द श्रेतणयों में वगीकृ ि
फकया जा सकिा है। घरों पर अधाररि कायाशालाएाँ एक तवतशि आकाइ है। यद्यतप
पंजीकृ ि/ऄपंजीकृ ि आकाआयों में बाल श्रतमक र जगार के तवषय में कानून स्‍तपि है, घरों पर
अधाररि काया ईसके ऄंिगाि नहीं अिे। ऐसी आकाआयों में माना जािा है फक बालक ऄपने
मािा-तपिा व सम्बतन्धयों की देख-रे ख में काया कर रहे हैं। बाल श्रतमक मानकों से बचने के
तलए ऄनेक आकाआयााँ ऄपने क घरों पर अधाररि काया बिािी हैं और बाहरी बालकों क
र जगार देिी हैं। यह कहने की अवश्यकिा नहीं फक बालकों की भिी से आन आकाआयों की
लागि बचिी है तजससे ईनके मातलकों क ऄतधक लाभ तमलिा है।
अपने तशवकासी में एक आकाइ का दौरा फकया, तजसमें 14 वषा से कम अयु के लगभग 10-15
बालक काम करिे हैं। ईसका मातलक अपक आकाइ पररसर में घुमािा है। मातलक अपक
बिािा है फक घर-अधाररि आकाइ में वे बालक ईसके सम्बन्धी हैं। अप देखिे हैं फक जब
मातलक यह बिा रहा है, ि कइ बालक खीस तनप रिे हैं। गहन पूछिाछ में अप जान जािे हैं
फक मातलक और बालक परस्‍तपर क इ सम्बन्ध संि षजनक रूप से तसद् नहीं कर पाए।
(1) आस प्रकरण में ऄंिग्रास्‍ति नैतिक तवषय स्‍तपि कीतजए और ईनकी व्याख्या कीतजए।
(2) आस दौरे के बाद अपकी क्या प्रतिफक्रया ह गी।
2. अप नगरपातलका पररषद के तनमााण तवभाग में ऄतधशासी ऄतभयंिा पद पर िैनाि हैं और
विामान में एक उपरगामी पुल (flyover) के तनमााण-काया के प्रभारी हैं। अपके ऄधीन द
कतनष्ठ ऄतभयंिा हैं, ज प्रतिफदन तनमााण-स्‍तथल के तनरीक्षण के ईत्तरदायी हैं िथा अपक
तववरण देिे हैं और अप तवभाग के ऄयकयक्ष, मुख्य ऄतभयंिा क ररप टा देिे हैं। तनमााण काया
पूणा ह ने क है और कतनष्ठ ऄतभयंिा तनयतमि रूप से यह सूतचि करिे रहे हैं फक तनमााण-काया
पररकल्पना के तवतनदेशों के ऄनुरूप ह रहा है। लेफकन अपने ऄपने अकतस्‍तमक तनरीक्षण में
कु छ गंभीर तवसामान्यिाएाँ व कतमयााँ पाईं, ज अपके तववेकानुसार पुल की सुरक्षा क
प्रभातवि कर सकिी हैं। आस स्‍तिर पर आन कतमयों क दूर करने में काफ़ी तनमााण-काया क
तगराना और द बारा बनाना ह गा तजससे िे केदार क तनतश्चि हातन ह गी और काया-समातप्त
में तवलम्ब भी ह गा। क्षेर में भारी ट्रैफफक जैम के कारण पररषद पर तनमााण शी्र पूरा करने के
तलए जनिा का ब सा दबाव है। जब अप तस्‍तथति मुख्य ऄतभयंिा के संज्ञान में लाए, ि ईन्होंने
ऄपने तववेकानुसार आसक ब सा गम्भीर द ष न मानकर आसे ईपेतक्षि करने की सलाह दी।
ईन्होंने पररय जना क समय से पूरा करने हेिु काया क अगे बढाने के तलए कहा। परन्िु अप
अश्वस्‍ति हैं फक यह गम्भीर प्रकरण है तजससे जनिा की सुरक्षा प्रभातवि ह सकिी है और
आसक तबना िीक कराए नहीं छ सा जा सकिा।
ऐसी तस्‍तथति में अपके करने के तलए कु छ तवकल्प तनम्नतलतखि हैं। आनमें से प्रत्येक तवकल्प का
गुण-द ष के अधार पर मूल्यांकन कर ऄन्ििः सुझाव दीतजए फक अप क्या कायावाही करना
चाहेंगे और क्यों।

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1. मुख्य ऄतभयंिा की सलाह मानकर अगे बढ जाएाँ।
2. सभी िथ्यों व तवश्लेषण क फदखािे हुए तस्‍तथति की तवस्‍तिृि ररप टा बनाकर ऄपना
दृतिक ण स्‍तपि करिे हुए मुख्य ऄतभयंिा से तलतखि अदेश का तनवेदन करें ।
3. कतनष्ठ ऄतभयंिाओं से स्‍तपिीकरण मांगे और िे केदार क तनतश्चि ऄवतध में द ष-तनवारण
के तलए अदेश दें।
4. आस तवषय क बलपूवाक ईिाएाँ िाफक यह मुख्य ऄतभयंिा के वररष्ठ जनों िक पहुंच सके ।
5. मुख्य ऄतभयंिा के ऄनम्य तवचार क यकयान में रखिे हुए आस पररय जना से ऄपने
स्‍तथानान्िरण के तलए अवेदन करें या बीमारी की छु ट्टी पर चले जायें।

9. तवगि वषों में Vision IAS GS में स टे स्‍तट सीरीज में पू छे


गए प्रश्न
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions)

1. “तहिों के संघषा” पद से अप क्या समझिे हैं। कु छ ऐसी पररतस्‍तथतियों की पहचान कीतजए ज


आसकी पररभाषा के ऄंिगाि अिी हैं िथा ईनमें से प्रत्येक का तवश्लेषण कीतजए।
दृतिक ण:
 यह प्रश्न बहुि ही सरल है, ऄिः सहज िरीके से ईत्तर अरं भ कीतजए।
 “तहिों के संघषा” पद का ऄथा स्‍तपि कीतजए िथा ईन तस्‍तथतियों की पहचान कीतजए ज आसके
दायरे में अिी हैं।
ईत्तर:
तहिों के संघषा क ईस तस्‍तथति के रूप में पररभातषि फकया जा सकिा है, जहााँ फकसी सरकारी
कमाचारी के तनजी या व्यतक्तगि तहि हों, िथा यह ईसके अतधकाररक किाव्यों के तनष्पक्ष
तनवाहन क प्रभातवि करने या संभाव्य प्रभाव डालने हेिु पयााप्त ह िे हैं। यहााँ व्यतक्तगि तहि
में के वल अ्थक मामले शातमल नहीं ह िे ऄतपिु आसमें ऄन्य मामलें भी शातमल ह िे हैं। आसे
भ्रिाचार का एक संकेिक, एक पूवा लक्षण िथा एक पररणाम माना जािा है।

ट्रांसपेरेंसी आं टरनेशनल तहिों के संघषा क ईस तस्‍तथति के रूप में पररभातषि करिा है, जहााँ
एक व्यतक्त या एक प्रतिष्ठान तजसके तलए वे काया करिे हैं (सरकार, व्यवसाय, मीतडया
अईटलेट या नागररक समाज संगिन अफद), वे ऄपने पदों से संबंतधि किाव्यों व मांगों िथा
ऄपने तनजी तहिों के मयकय चयनात्मक द्वन्द का सामना करिे हैं।
OECD फदशा-तनदेश तनम्नतलतखि के मयकय ऄंिर स्‍तथातपि करिे हैं:
 तहिों का वास्‍तितवक संघषा: एक सरकारी ऄतधकारी के विामान किाव्यों एवं ईत्तरदातयत्वों
िथा ईसके तनजी तहिों के मयकय प्रत्यक्ष संघषा।
 तहिों का अभासी संघषा: जहााँ यह प्रकट ह िा है फक एक सरकारी ऄतधकारी के तनजी
तहि ईसके किाव्यों के तनष्पादन क ऄनुतचि रूप से प्रभातवि कर सकिे हैं, परन्िु ऐसा
वास्‍तिव में नहीं ह िा।
 तहिों का संभातवि संघषा: जहााँ एक सरकारी ऄतधकारी के तनजी तहि आस प्रकार के ह िे
हैं फक यफद ऄतधकारी भतवष्य में प्रासंतगक अतधकाररक ईत्तरदातयत्वों में शातमल ह ने
वाला है ि तहिों का संघषा दृतिग चर ह गा।

तहिों के संघषा की पररभाषा में तनम्नतलतखि तस्‍तथतियां सतम्मतलि ह िी हैं:

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i) ररश्विख री (Bribery)
ररश्विख री वस्‍तिि
ु ः तवशेष पक्षपाि के बदले में एक सरकारी ऄतधकारी द्वारा ऄपने
किाव्यों के साथ-साथ धन या ऄन्य मूल्यवान वस्‍तिुओं की ऄवैध स्‍तवीकृ ति है। यहााँ
ईल्लेखनीय बाि यह है फक ररश्वि प्रदािा स्‍तपि रूप से ऄतधकारी के तनष्पक्ष अचरण के
यकयेय क तवकृ ि करने के तलए ित्पर ह िा है िथा प्राप्तकिाा स्‍तवेच्छा से आसके ऄनुपालन
हेिु प्रवृत्त ह िा है। आस प्रकार ऄतधकारी क ऄपने पद के अचरण हेिु कानूनों, नीतियों
िथा प्रफक्रयाओं के साथ संघषा में अ्थक या तभन्न प्रकार से ऄपने तनजी तहिों के साथ
संघषा करना प सिा है। पररणामस्‍तवरूप ईसे संघषा की तस्‍तथति क स्‍तवयं के पक्ष में करने के
तलए प्रेररि फकया जािा है। यद्यतप ररश्वि सामान्यिया धन क शातमल करिी है परन्िु
यह ऄन्य पाररि तषकों क भी शातमल कर सकिी है, जैस-े लैंतगक पक्षपाि, ऄनुकूल
ल क-प्रतसतद् के वायदों या तवतशि सामातजक दायरों िक पहुंच का प्रस्‍तिाव अफद।
ii) प्रछन्न प्रभाव (Influence Peddling)
प्रछन्न प्रभाव िब घरटि ह िा है जब एक सरकारी कमाचारी एक सरकारी तनणाय क
प्रभातवि करने का प्रयास करिा है िाफक यह िीसरे पक्ष के ऄनुकूल ह सके तजसमें
कमाचारी का तहि समातवि ह िा है। स्‍तपि शब्दों में, यह एक व्यवसाय का तवतनयमन

करने वाले नीतिगि तनणायों क शातमल कर सकिा है, तजस व्यवसाय में फकसी कमाचारी
शेयर ह िा है ऄथवा ऄपने स्‍तवातमत्व वाली भूतम के मूल्य क प्रभातवि करने के तलए एक
सामान्य य जना तवकतसि करने वाले एक सरकारी कमाचारी की भूतमका क आसमें
शातमल फकया जािा है। यह वास्‍तितवक तहि संघषा की तस्‍तथति में िब बदल जािी है, जब
कभी कमाचारी महत्वपूणा लाभ के एक सुऄवसर हेिु ित्पर ह िा है।
iii) प्रछन्न सूचना (Information Peddling)
वैसे अतधकारी तजनके पास गुप्त िौर पर ऐसी सूचना ह िी है ज सामान्य जन हेिु
ईपलब्ध नहीं ह िी और वे ऐसी सूचना का प्रय ग ऄपने मौफिक या ऄन्य फकसी लाभ के
तलए करिे हैं, ि वे प्रछन्न सूचना के द षी ह िे हैं। यहााँ मुख्य कारक ऄतधकारी िक
सूचना की ईपलब्धिा िथा आस िक तवशेषातधकृ ि पहुंच हैं। तहिों का वास्‍तितवक संघषा
िब ईपतस्‍तथि ह िा है जब सूचना ऄत्यतधक ग पनीय ह िी है िथा तजनके पास ईक्त
सूचना की ग पनीयिा बनाए रखने हेिु तजम्मेदारी ह िी है, और वे आसका दुरूपय ग
करिे हैं।
iv) तवत्तीय लेन-देन (Financial Transactions)
तवत्तीय लेन-देन िब संघषा में पररव्िि ह जािा है जब एक ल क सेवक का प्रत्यक्ष और
ऄप्रत्यक्ष तवत्तीय तहि ह िा है ज सेवा के ईत्तरदायी काया तनष्पादन के साथ प्रत्यक्ष रूप
से टकरािा है। तहिों का वास्‍तितवक संघषा काफी हद िक िब ईपतस्‍तथि ह िा है जब एक
ऄतधकारी फकसी तनणाय पर प्रत्यक्ष रूप से व्यतक्तगि तनयंरण रखिा है ज ईसके तलए
महत्वपूणा तनजी लाभ ईत्पन्न करे गा। यह प्रछन्न प्रभाव से तभन्न है तजसमें ऄतधकारी जााँच
में पररणामों क प्रभावशाली रूप से तनयंतरि करिा है। ईदाहरणाथा, एक सतचव ज
ऄपने स्‍तवातमत्व के ऄधीन एक ऄतवकतसि भूतम के तनकट एक नए तवमानपत्तन की
ऄवतस्‍तथति क प्रभातवि कर सकिा है।
v) ईपहार एवं सत्कार (Gifts and Entertainment)
ईपहारों एवं सत्कार की मांग या ईन्हें स्‍तवीकार करना संघषा का सृजन करिा है, यफद ये
मद एक सरकारी कमाचारी के किाव्यों के तनष्पक्ष सम्पादन क प्रभातवि करिे हैं। तहिों के

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संघषा की यह श्रेणी ररश्विख री की एक तवस्‍तिृि समझ का पररणाम है। यह खरीदों पर


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छू ट, तथएटर रटकट के ऑफसा, समागम या ऄवकाश याराएाँ, वाहनों का प्रय ग,


ऄतिव्ययी भ जनों के ईपहार, मन रं जनात्मक ईपकरण िथा मद्य जैसे लाभों क शातमल
करिी है। सामान्यिया आस प्रकार के ईपहार ऄन्य ररश्विों से तभन्न ह िे हैं तजसमें ईपहार
देिे वक़्ि ित्काल तवतशि लाभ की ऄपेक्षा नहीं ह िी, लेफकन भतवष्य में प्रदािा के प्रति
सामान्य रूप से पक्षपािी/सकारात्मक रूख ऄपनाने का प्रय जन शातमल ह िा है।
vi) बाह्य र जगार (Outside Employment)
ऄंशकातलक र जगार, परामशा, ऄनुचर िथा स्‍तव-र जगार अतधकाररक किाव्यों के साथ
तहिों के संघषा का कारण बन सकिे हैं। संघषा की यह तस्‍तथति एक तनजी तनय क्ता (या
स्‍तवयं) क उाँचा ईिाने हेिु सावाजतनक र जगार की तस्‍तथति के प्रय ग, अतधकाररक किाव्यों
के तलए अवश्यक प्रयास िथा सरकारी सेवाओं एवं ईपकरणों का बाह्य कायों में प्रय ग
क शातमल करिी है।
vii) भतवष्यगामी र जगार (Future Employment)
यफद एक सरकारी ऄतधकारी भतवष्य में फकसी ऐसे व्यावसातयक संघ में र जगार िलाशने
का प्रय जन रखिा है तजसके साथ वह विामान में अतधकाररक कायों का संपादन कर
रहा ह , ि तनतश्चि ही यह प्रवृतत्त भतवष्य में र जगार की संभावना के अल क में ईस
व्यावसातयक फमा क तहिकारी लाभ पहुंचाएगी। पुनः वैसे व्यावसातयक प्रतिष्ठान ज
फकसी सरकारी तवभाग से पेशेवर िरीके से संबद् ह िे हैं, ऐसे सरकारी कमाचारी क
तजसे ऄपने तवभाग की लगभग पूणा जानकारी ह िी है िथा तवभाग के ऄन्य ऄतधकाररयों
के साथ ईसका तनकट संपका ह िा है, ऄपने यहााँ तनयुक्त कर सकिे हैं। जब व्यतक्त
सावाजतनक और तनजी सेवाओं के मयकय खुद क पािा है, ि पूवाविी काया िथा भावी
र जगार ऄपेक्षाओं के पररणामस्‍तवरूप ऄंि्नतहि तहि ऄत्यंि जरटल बन जािे हैं।
viii) ररश्िेदारों के साथ व्यवहार (Dealing with Relatives)
वह तस्‍तथति तजसमें एक ल क प्रशासक ऐसी ऄवस्‍तथा में ह सकिा है तजसमें ररश्िेदारों का
पक्ष लेना तहिों के संघषा का कारण बन सकिा है। तहिों के संघषा का यह प्रारूप कभी-
कभी प्रछन्न प्रभाव के एक तवशेष वगा के रूप में भाइ-भिीजावाद कहलािा है। ऄतनवाया
रूप से यह भिी, पद न्नति, ऄनुबध
ं प्रातप्तयों या फकसी ऄन्य व्यावसातयक गतितवतधयों में
ररश्िेदार हेिु प्राथतमक व्यवहार प्राप्त करने के तलए प्रभाव के प्रय ग क शातमल करिा
है। ल क प्रशासक ज ऐसे कायों में संलग्न ह िे हैं वे प्रत्यक्ष रूप से लाभ प्राप्त नहीं करिे
बतल्क पाररवाररक बंधनों िथा परस्‍तपर समथान क सुदढृ करने के मायकयम से ऄप्रत्यक्ष रूप
से लाभ ऄ्जि करिे हैं।

2. प्रशासतनक नीतिशास्त्र से अप क्या समझिे हैं? प्रशासतनक व्यवस्‍तथा के प्रभावी संचालन हेिु
आसकी अवश्यकिा क्यों है?
ईत्तर:
प्रशासतनक नीतिशास्त्र की ऄनेक पररभाषाएं तनम्नतलतखि हैं:
 प्रशासतनक नीतिशास्त्र क ल क प्रशासकों हेिु नैतिक मानदंडों और अवश्यकिाओं के
एक संग्रह के रूप में माना जािा है, तजसका ईद्देश्य ईनकी व्यावसातयक गतितवतधयों क
सामान्य तहिों की रक्षा और नैतिक मूल्यों के प्रभावी प्रय ग हेिु प्रेररि करना है।

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 प्रशासतनक नीतिशास्त्र नैFor


तिक मानदं
डों पर अधाररि है।
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 आसका काया कमाचाररयों के संबंधों क मानदंडों, अचरणों एवं कायावाही के साधनों द्वारा
तवतनयतमि करना िथा ल क प्रशासन से जु से कमाचाररयों के ऄंिःकरण में नैतिक ित्वों
का समावेश करना है।
 सामान्यिः आस बाि पर बल फदया जािा है फक सरकारी कमाचारी प्रबंधकीय तनणायों हेिु
नैतिक मानकों क स्‍तथातपि करें , आन मानकों का तवश्लेषण करें िथा तन्मि तनणायों हेिु
व्यतक्तगि और व्यासातयक ईत्तरदातयत्व वहन करे ।
प्रशासतनक नीतिशास्त्र ल क प्रशासन से जु से कमाचाररयों िथा वररष्ठ प्रबंधकों की गतितवतधयों
के सभी नैतिक पहलुओं का ऄयकययन करिी है। यह िीन मौतलक ित्वों क शातमल करिी है:
 मूल्य (Values): स्‍तविंरिा, न्याय, इमानदारी, तनष्ठा, िटस्‍तथिा, ईत्तरदातयत्व आत्याफद

जैसी ऄवधारणाओं के प्रति व्यतक्तगि, सामूतहक और सामातजक व्यक्तव्य, मि और


ऄतभवृतत्त।
 मानक और मानदंड (Standards and norms): वे तसद्ांि ज ल गों और कमाचाररयों
के कायों का मागादशान करिे हैं िथा ईनके अचरणों क तनदेतशि एवं तनयंतरि करने में
सहायिा करिे हैं (कानून, संतहिाएाँ, तनयम अफद)।
 व्यवहार (Behaviour): कमाचाररयों की गतितवतधयों के तवतभन्न प्रारूप कु छ मानकों एवं
मानदंडों द्वारा सीतमि ह िे हैं ज सामातजक मूल्यों के साथ समरूपी ह िे हैं।
प्रशासतनक नीतिशास्त्र का महत्व:
 यह ल क सेवा की ऄवधारणाओं एवं लक्ष्यों और साथ ही साथ तवतभन्न सरकारी संस्‍तथाओं
के तवशेष कायों क प्रतिचबतबि करिी है।
 ये तसद्ांि समाज में ऄपनाइ गइ अदशा या लतक्षि ल क प्रशासन प्रतिमान की एक
संकल्पना के द्वारा प्रभातवि हुए हैं।
 ये ल क सेवा के ईद्देश्यों िथा ल क सेवकों के ऄतभयानों क स्‍तपि रूप से समझने हेिु ल क
सेवकों की नैतिक अवश्यकिा क पररभातषि करने में सहायिा करिे हैं।
 सरकार और नागररकों के मयकय संबंधों के तवतनयमन में सहभातगिा करना।
 सरकारी गतितवतधयों में जनिा और राज्य के मयकय संबंधों क तजिना ऄतधक संभव ह
प्र त्सातहि करना।
 नैतिकिा पर अधाररि कु छ व्यवहारात्मक मानकों के साथ ल क प्रशासन ईपलब्ध
करवाना।
प्रशासतनक नीतिशास्त्र का मुख्य काया सरकार और ल गों के मयकय संबंधों क सुदढृ कर ईसे
बढावा देना है। नैतिक मानकों और अवश्यकिाओं की एक प्रणाली तनम्नतलतखि में सहायिा
प्रदान करें गी:
 सामातजक संवैधातनक मूल्यों, जैस-े स्‍तविंरिा, सामातजक न्याय, समान ऄवसर,
अवश्यक नागररक ऄतधकारों क कायारूप में पररणि करने में।
 तवकासात्मक कायों और िका संगि एवं रचनात्मक नीतियों के तनष्पादन के मायकयम से
ल क समूहों के मयकय ऄसहमति क दूर करने में आससे सहायिा तमलिी है। ल क प्रशासन
के क्षेर में कायावाही और तनणाय तनमााण के नैतिक पहलू आस मामले में प्राथतमक महत्व
रखिे हैं।
 सरकारी तनकायों द्वारा तनष्पाफदि फकए जाने वाले ल क सम्पतत्त, वस्‍तिुओं, लाभों एवं
प्रतिकारों के तविरण में भी आससे सहायिा तमलिी है। आसके ऄतिररक्त आन कायों क

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सम्पाफदि करने वाले सरकारी संस्‍तथानों की कायाप्रणाली के दौरान न्याय, समानिा
आत्याफद जैसी समस्‍तयाएं ईत्पन्न ह िी हैं।
 प्रातधकार और प्रतिष्ठा क बढावा देने में भी यह सहायक है, क्योंफक फकसी राज्य या
क्षेरीय सरकारी संस्‍तथाओं के कमाचारी सामान्य रूप से शतक्त का प्रतितनतधत्व करिे हैं
और जनसाधारण ईसकी गतितवतधयों क राज्य की कायावाही मानिे हैं। यह ल क
प्रशासन के क्षेर में तनय तजि ल गों पर एक तवशेष ईत्तरदातयत्व ऄतधर तपि करिी है।

प्रशासतनक व्यवस्‍तथा के प्रभावी संचालन हेिु आसकी अवश्यकिा क्यों है:

 प्रत्येक ल क सेवक के नैतिक मानदंडों क पररभातषि करने और ईनकी व्यावसातयक


गतितवतधयों पर ईत्तरदातयत्व ऄतधर तपि करने की व्धि अवश्यकिा के संदभा में यह
अवश्यक है।
 सहजिा से व्याख्या फकए जा सकने वाले नैतिक तसद्ांिों और मानकों की स्‍तथापना करने
हेिु एक एकीकृ ि दृतिक ण का तवकास करना िथा मूल्यों एवं अदशों की एक संयुक्त
प्रणाली पर काया करना।
 प्रशासतनक नीतिशास्त्र क सामातजक, व्यावसातयक, सामूतहक और एकल ग्राहक
सर कारों की सेवा करने हेिु व्यावसातयक समूहों िथा तवशेषज्ञों (ज आन समूहों के तलए
काया करिे हैं) की अवश्यकिा ह िी है।
 समाज में कु छ संवैधातनक मूल्यों, जैस-े स्‍तविंरिा, सामातजक न्याय, समान ऄवसर और
ऄतनवाया मानवातधकारों क ऄनुभव करने हेिु प्रशासकों के तलए तवशेष नैतिक
अवश्यकिाएं ऄतनवाया हैं। आसतलए नैतिक अवश्यकिाओं िथा संवैधातनक मूल्यों के
मयकय मजबूि संबंध स्‍तथातपि हैं। नैतिक अवश्यकिाओं क ऄनुविी मानकों क भी
शातमल करना चातहए:
o अवश्यकिा (व्यावसातयक नीतिशास्त्र कु छ तस्‍तथतियों में ल क सेवकों के व्यवहार क
कै से तनदेतशि करिी है);

o प्रतिबन्ध (व्यावसातयक व्यवहार में क्या प्रतिबंतधि हैं);


o ऄनुशस
ं ाएं (कु छ नैतिक तस्‍तथतियों में ल क सेवकों क कै से व्यवहार करना चातहए)।
 ल क प्रशासकों हेिु ईच्च नैतिक ईत्तरदातयत्व का तवकास करना ऄत्यंि महत्वपूणा है ज
तवतभन्न सामातजक समूहों का प्रतितनतधत्व करने वाले व्यतक्तयों से व्यवहार करिे हैं। यह
ईल्लेख फकया जाना चातहए फक नागररक, पेशेवर समूह या संस्‍तथाओं के दृतिक ण में ल क
प्रशासक हीं राज्य का प्रतितनतधत्व करिे हैं और सरकारी तनकायों के अदेश के अधार
पर या ईसके ऄनुसार काया करिे हैं। ईनके अचरण, कायाशल
ै ी, समस्‍तयाओं के समाधान
िथा जनसाधारण से संवाद स्‍तथातपि करने के िरीके ऄंििः सरकारी व्यवस्‍तथा क प्रभावी
बनािे हैं।
 मंरालयों एवं तवभागों की कायाशैली में सुधार करने और साथ ही साथ सरकारी
प्रशासतनक प्रणाली के प्रदशान क तनयंतरि करने हेिु ईपाय तवकतसि करने के तलए उपर
सभी ऄनुग्रहों का ईल्लेख फकया जा चुका है। एक ल क सेवक में क्षमिा, सुव्यवस्‍तथा,

तनष्कलंक और तनष्कपट किाव्य तनष्पादन, पूवाानम


ु ान की य ग्यिा िथा प्रत्यातशि प्रभाव
से काया करने जैसी तवशेषिाओं क ऄन्ि्नतवि करने हेिु कमाचारी तशक्षा में फकसी ल क
सेवक के किाव्यों के तलए ईच्च ईत्तरदातयत्व पर यकयान देना ऄत्यावश्यक है।

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3. तवद्यालय और कॉलेज वास्‍तितवक जगि के सूक्ष्म रूप ह िे हैं। सतवस्‍तिार वणान कीतजए फक ये
चररर-तनमााण में फकस प्रकार सहायक ह िे हैं? आसके ऄलावा कु छ ईपायों का भी सुझाव
दीतजए तजसके मायकयम से ये संस्‍तथान विामान पररदृश्य में एक ब सी भूतमका का तनवाहन कर
सकिे हैं।
दृतिक ण:
 सवाप्रथम यह ईल्लेख कीतजए फक कॉलेज और तवद्यालय वास्‍तितवक जगि का प्रतितनतधत्व कै से
करिे हैं।
 फफर ईन िरीकों की चचाा कीतजए तजनके मायकयम से ये चररर-तनमााण में ऄपनी भूतमका का
तनवाहन करिे हैं। ईसके बाद बिाइए फक फकस प्रकार से वे व्यतक्त तवशेष क प्रभातवि करिे हैं
और फकस हद िक प्रभातवि करिे हैं।
 ऄंि में गुणवत्ता, प्रभाव और आन संस्‍तथानों द्वारा प्रदत्त तवतभन्न मूल्यों में सुधार हेिु कु छ ईपायों
का सुझाव दीतजए। ये ईपाय मुख्यिः चररर-तनमााण हेिु आन संस्‍तथानों की दक्षिा, भूतमका और
दायरे क बढाने पर कें फिि ह ने चातहए।
ईत्तर:
पररवार बच्चे के जीवन में एक प्राथतमक तशक्षक के रूप में काया करिा है, फकन्िु यह तवद्यालय

ही है ज ईसकी सीमाओं क तवस्‍तिृि करिा है और दूसरों (तशक्षकों, कमाचाररयों, सातथयों,


अफद) क ईसके बुतद्मान, अत्मतवश्वासी, और सम्मातनि वयस्‍तक के रूप में तवकतसि ह ने में
मदद करने के तलए ऄनुमति देिा है। तवद्यालय िथा कॉलेज बच्चे के समक्ष वास्‍तितवक जगि का
एक छ टा दृिांि प्रस्‍तिि
ु करिे हैं। ये संस्‍तथान बच्चों क तसखािे हैं फक ईनसे कु छ वररष्ठ
(ऄयकयापक, कमाचारी) व्यतक्त ह िे हैं तजनकी अज्ञा का ईन्हें पालन करना ह िा है। तवतभन्न

वगा, जाति, नस्‍तल, धमा, चलग, राष्ट्र, संस्‍तकृति और परम्पराओं से संबद् ईनके कु छ सहपािी ह िे
हैं, तजनसे वे संपका स्‍तथातपि करिे हैं, और यह ईन्हें भतवष्य की चजदगी का प्रथम ऄनुभव देिा
है तजसमें ईन्हें तवतभन्न समूहों से सम्बंतधि आन ल गों में से एक ह ना है। यह ईन्हें ऄपने चार
और के तवश्व के प्रति ऄपने दृतिक ण क एक अकार देने में मदद करिा है। कायों क समाप्त
करने की समय सीमा ह िी है, प्रदशान ईन्मुख जीवन के तलए परीक्षाएं जरूरी हैं,
श्रेणीकरण/मूल्यांकन यह फदखािे हैं फक ऄसल जीवन में फकसी व्यतक्त का ईसके प्रदशान के
अधार पर मूल्यांकन फकया जाएगा और ईसे पुरस्‍तकृ ि फकया जाएगा, आस प्रकार तवद्यालय
तवश्व का एक सूक्ष्म तचर दशाािे हैं। पुनः तवद्यालयों और कॉलेजों में तवतभन्न प्रकार की
प्रफक्रयाओं और वािाालाप से बच्चे पहली बार पररतचि ह िे हैं, और आस प्रकार से वह ईन्हें
चररर-तनमााण और मूल्यों के तवकास हेिु ऄत्यंि महत्वपूणा संस्‍तथान बना देिी हैं।
तवद्यालयों और कॉलेजों की भूतमका:
तवद्यालय मुख्यिः एक शैतक्षक संस्‍तथान ह िे हैं, ज सामान्यिः तनधााररि प्रफक्रया के मायकयम से
व्यवतस्‍तथि तशक्षा क बढावा देिे हैं। तवद्यालय की भूतमका यह ह िी है प्रत्येक छार ऄपनी
ऄतधकिम शैक्षतणक क्षमिा क प्राप्त कर पाए। सभी कक्षाओं में साथाक मारा में फदए जाने
वाले कक्षाकाया (स्‍तकू लवका ) का ईद्देश्य बच्चों क समस्‍तयाओं के हल ाू ाँाने का तवशेषज्ञ बनाना
ह िा है। ये ऐसे गुण हैं ज बच्चे के वयस्‍तक जीवन के लगभग हरे क व्यतक्तगि और व्यावसातयक
पहलू में काम अिे हैं। आसतलए, शैतक्षक गुणों के ऄलावा, समस्‍तया क सुलझाने का गुण एक
अवश्यक जीवन कौशल है।
तवद्यालय बच्चों क ईनके सातथयों और तशक्षकों के साथ सकारात्मक संपका स्‍तथातपि करने में
एक महत्वपूणा भूतमका तनभािा है। वे ऄच्छे संबंधों के लाभ के बारे में सीखिे हैं और कक्षा

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िथा क्री साक्षेर द नों जगहों पर बािचीि के मायकयम से आन्हें और तवकतसि करिे हैं। आस प्रकार
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तवद्यालय ईन्हें दूसरे बच्चों और वयस्‍तकों से सुस्‍तपि ांग से जु सने का ऄवसर प्रदान करिे हैं।
तवद्यालय तसफा पढने, तलखने और गतणि की तशक्षा नहीं देिा, बतल्क शुरुअि से ही बच्चों क
दया, सम्मान, सहानुभतू ि और सत्यतनष्ठा के बारे में सीखने में मदद करने पर यकयान देिा है।
शुरुअि में तवद्यालय बच्चों क "ब लने के तलए ऄपना हाथ ख सा करने" और "ऄपने हाथ क
ऄपने िक सीतमि रखने" जैसे बुतनयाद पािों की तशक्षा देिे हैं।
बाद में यह गुण नैतिक और सामातजक मुद्दों के बारे में िार्क्रकक बहस के रूप में तवकतसि ह िा
है। जब एक व्यतक्त हाइ स्‍तकू ल ईत्तीणा करिा है, ईस समय ईसके पास ऄपने तवश्वासों, मूल्यों
और वह ऄपने अप क कै से देखिा है, आनपर ऄच्छी पक स ह नी चातहए। यह सब ईसे
तजम्मेदार और अत्मतवश्वास से पूणा आंसान बनाने में मदद करिा है। टीम भावना, नेिृत्व,
अज्ञाकाररिा और ऄनुशासन व्यतक्तत्व के कु छ ऄन्य लक्षण हैं, ज तवतभन्न गतितवतधयों के
मायकयम से स्‍तकू लों द्वारा तसखाए जािे हैं।

तवद्यालय/कालेजों की भूतमका में सुधार लाने हेिु ईपाय:

तजस प्रकार से तशक्षक बच्चों से संवाद करिे हैं और बच्चों के मयकय पारस्‍तपररक व्यवहार क
प्र त्सातहि करिे हैं, वह प्रत्येक बच्चे के तवकास क महत्वपूणा ांग से प्रभातवि करिा है। ऄिः
हर स्‍तिर पर गुणवत्तापूणा पारस्‍तपररक व्यवहार क सुतनतश्चि करना ऄत्यंि महत्वपूणा है। आसके
तलए ऐसी अशा की जािी है फक तवद्यालय ऄपने छारों के चररर-तनमााण के तलए नीतियों क
प्रकातशि करें और समय-समय पर छारों के चररर का अंकलन करें । तशक्षकों और कमाचाररयों
से सामान्य व्यवहार की ईम्मीद क भी आसमें शातमल कर सकिे हैं।
आसके ऄलावा, पाठ्यक्रम का एक तहस्‍तसा मूल्यों की तशक्षा के तलए सम्पि ह ना चातहए।
महान नेिाओं, समाज सुधारकों और महान हतस्‍तियों के जीवन पर अधाररि व्याख्यान और
कायाक्रमों क बढावा फदया जाना चातहए और ईन्हें प्रकृ ति में सिही रखने की बजाय आस
प्रकार से िैयार फकया जाना चातहए फक वह छारों के जीवन पर ऄतधकिम प्रभाव डाल सकें ।
ऄच्छे चररर वाले छारों क पुरस्‍तकृि और सराहना की जानी चातहए; यह दूसर क भी वैसा
ही व्यवहार करने के तलए प्र त्सातहि करे गा।
तशक्षकों क छारों के सम्मुख ऄपने अप क एक अदशा के रूप में पेश करना चातहए, और
ऄपने किाव्यों के प्रति पूणि
ा यः इमानदार और सम्पि ह ना चातहए।
छारों क स शल मीतडया, आं टरनेट, म बाआल फ न अफद के संबंध में प्रौद्य तगकी के बढिे
प्रय ग से ईभरिी हुइ नैतिक दुतवधाओं के बारे में तसखाया जाना चातहए।
ज्येष्ठों और कतनष्ठों (सीतनयसा व जूतनयसा) के मयकय सौहादापण
ू ा और रचनात्मक संबंध, फकसी
छार की मजबूि और िेजी से चररर-तनमााण की प्रफक्रया के तलए एक महत्वपूणा ित्व है,
जबफक आसकी कमी से संघषा (रै चगग आत्याफद के रूप में), िनाव और श षण जैसी कइ
समस्‍तयाएं ईत्पन्न ह िी हैं।

4. क्या फकसी कायावाही की नैतिकिा ईस कृ त्य की पररतस्‍तथतियों पर तनभार करिी है या वह


आससे स्‍तविंर ह िा है? पररक्षण कीतजए। क्या क इ कायावाही ऄनैतिक ह िे हुए भी ईतचि
(नैतिक) ह सकिी है?

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नैतिकिा वस्‍तिि
ु ः सही और गलि के प्रति व्यतक्त का अत्म-ब ध ह िा है, ज व्यतक्त के पररवेश
और संबद् सामातजक, सांस्‍तकृ तिक, धा्मक और राजनैतिक वािावरण के ऄनुसार पररव्िि
ह िी रहिी है। आसके ऄलावा एक गूढ व वस्‍तिुतनष्ठ नैतिक सत्य का ऄतस्‍तित्व भी ह िा है ज
भौग तलक पररतस्‍तथति, आतिहास या संस्‍तकृति से तनरपेक्ष ह िा है। मनुष्य ने ऐतिहातसक रूप से
कु छ वस्‍तिुतनष्ठ नैतिक तसद्ान्िों क पहचाना है। ये तसद्ान्ि संस्‍तकृति, स्‍तथान और आतिहास का
ऄतिक्रतमि करिे हैं। वह तसद्ान्ि ज यह कहिा है फक नैतिकिा पररतस्‍तथतियों पर तनभार
ह िी है, नैतिकिा क सापेतक्षक िौर पर देखिा है और यह आसके तलए महत्वपूणा तनतहिाथा
रखिी है फक हम कै से ऄपने जीवन क संचातलि व समाज क संगरिि करिे हैं और दूसरों के
साथ व्यवहार करिे हैं।
मान लीतजए अप फकसी के साथ नैतिक ऄसहमति रखिे हैं। ईदाहरण के तलए, आस बाि पर
ऄसहमति फक क्या एक ऐसे समाज में रहना सही है जहााँ धन की वह मारा, तजसके साथ अप
पैदा हुए, वह प्राथतमक तनधाारक है फक अप फकिने धनी ह सकिे हैं? आस बहस का ऄनुशीलन
करने में अप यह मान लेिे हैं फक अप आस मुद्दे पर सही हैं और आस तवषय पर वािाालाप करने
वाला अपका भागीदार गलि है। जबफक अपका भागीदार यह मान लेिा है फक अप बहुि
ब सी भूल कर रहे हैं। दूसरे शब्दों में, अप द नों यह मान लेिे हैं फक अप में से क इ एक ही
सही ह सकिा है। हालांफक, ये द नों परस्‍तपर तवर धी नैतिक तवश्वास सत्य ह सकिे हैं।
फकन्िु कु छ नैतिक कायावातहयां सृतजि/व्युत्पन्न पररतस्‍तथतियों पर तनभार ह िी हैं। जैसे फक
नैतिक कृ त्य (जैसे फक हत्या) क कभी-कभी तनतश्चि पररतस्‍तथतियां में ईतचि िहराया जािा है
(जैसे एक तनरपराध बालक के जीवन की रक्षा करिे समय)। सांस्‍तकृ तिक रूप से अत्म तनभार
समाजों का ऄयकययन करिे समय, मानवतवज्ञातनयों ने यह पाया है फक 80 प्रतिशि से ऄतधक
ल ग बहुतववाह की स्‍तवीकृ ति प्रदान करिे हैं। कु छ संस्‍तकृतियााँ कन्याओं का तववाह िरुणावस्‍तथा
या और ईससे कम ईम्र में ही कर देिी हैं। आथ तपया के कु छ भागों में अधी कन्याओं का ईनके
15वें जन्मफदन से पहले तववाह कर फदया जािा है।
कु छ तवद्वानों का मि है फक नैतिक तभन्निा ऄतिरं तजि हैं- ल ग वस्‍तिुिः मूल्यों के बारे में
सहमि ह िे हैं फकन्िु ईनके िथ्यात्मक तवश्वास या जीवन पररतस्‍तथतियां ऄलग ह िी हैं तजसके
कारण वे तभन्न प्रकार से व्यवहार करिे हैं।
तवज्ञान के तवपरीि, नैतिकिा का क इ सुपररतचि/सुस्‍तथातपि मानक नहीं है ज ऄसहमति की
तस्‍तथति में आसे परीतक्षि, सुतनतश्चि और सही करने हेिु प्रय ग फकया जा सके ।

ऄिः तजस पर हमें यकयान देने की अवश्यकिा है, वह है- नैतिक प्रतिफलों की तवतवधिा ज
तनतश्चि प्रकरणों में ईत्पन्न ह िी है और ईतचि नैतिक कारणों के अधार पर नैतिक तसद्ान्िों
क लागू करने का प्रय जन व संभावना। हमें नैतिक तनणाय की अवश्यकिा ह िी है न फक
के वल ऐसे तसद्ान्िों की ज फक के वल एक तनगमनात्मक ऄनुप्रय ग या तवतशि सिही ऄंिज्ञाान
के रूप में हों।
हमारे प्रमुख तहि ईन िरीकों में हैं तजनकी हमें तवर धी तवचारों के बारे में स चने या ईसके
तलए ाांचा िैयार करने में अवश्यकिा ह िी है िाफक हम ऄपनी िका शतक्त का ईपय ग कर
िीक प्रकार से ईससे तनपटने में सफल ह सकें । नैतिक द्वंद्वों पर तवचार करने के तलए कु छ
प्रभावशाली तनमााण घटक डब्ल्यू. डी. रॉस की ‘‘प्रथम दृष्या किाव्य’’ (prima facie duty)

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की ऄवधारणा ह सकिी है (यफद प्रथम दृष्या किाव्यों में भी द्वंद्व है, ि पररतस्‍तथतियों में ज
सबसे सशक्त हैं ईन्हें ग्रहण फकया जाना चातहए) आत्याफद।
लेफकन सापेक्षवाद (relativism) की भी व्यापक रूप में अल चना की गइ है। आसपर
द यमदजे, सांघातिक और यहां िक फक ऄसंगि/बेिक
ु ा ह ने का अर प लगा है। नैतिक

दाशातनक, धमाशास्त्री और सामाज तवज्ञानी वस्‍तिुतनष्ठ मूल्यों क पहचाने की क तशश करिे हैं
तजससे फक सापेक्षिावादी खिरों क पहले से भांपा जा सके ।

नैतिकिा और नीतिशास्त्र (एतथक्स) एक ही तसिे के द पहलू हैं। नैतिकिा ‘तनयम’ हैं (यफद
अप माने ि ) तजनसे व्यतक्त ऄपने ऄनुभव, ज्ञान, पालन प षण और अस पास के माहौल
अफद के मायकयम से व्यतक्तगि रूप से बंधे हुए हैं, दूसरी िरफ नीतिशास्त्र वे तनयम हैं तजन्हें हम

फकसी तवतशि सामातजक समूह के अधार पर ऄपनािे हैं, और तजससे हम स्‍तवयं क सम्बद्
करिे हैं। जनसंख्या के ऄतधकांश तहस्‍तसे के तलए नैतिकिा और नीतिशास्त्र एक दूसरे से संरेतखि
ह िे हैं। सरल रूप से कहा जाए ि ऄतधकिर ल ग ऄपने अप क ईन समूहों से संबद् करना
चुनिे हैं तजनके साथ वे ऄपना िादात्म्य ऄनुभव करिे हैं।

झूि ब लना नीतिशास्त्र के तवरुद् है, लेफकन एक जीवन क बचाने के तलए तनतश्चि रूप से

नैतिक है। ईदाहरण के तलए, ऄत्यतधक नैतिक ल गों के ऐसे कइ ईदाहरण हैं तजन्होंने यहूफदयों
की जान बचाने के क्रम में नातजयों से झूि ब ला था। कइ पेशेवर हमेशा नैतिक दुतवधा में रहिे
हैं, जैस-े पुतलस ऄतधकारी। यफद ईनका ईच्चिर ईद्देश्य जान बचाना ह ि ईनका कृ त्य नैतिक
है, भले ही कभी-कभी साधन ऄनैतिक ह सकिे हैं। कइ बार वे पुतलस ऄतधकारी ही स्‍तवयं क
यह स च ध खा देने का प्रयास करिे हैं फक ईनका कृ त्य न्यायसंगि है जबफक वह नहीं ह िा।

क इ दुतवधा िब पैदा ह िी है जब एक समूह की ‘नैतिकिा’ (ऄथवा नीतिशास्त्र) व्यतक्तगि


नैतिकिा के साथ संरेतखि नहीं ह िी। भले ही अप ऐसी दुतवधा का तवश्लेषण मन वैज्ञातनक,
शारीररक या सामातजक रुख से करने का चयन करें , यह एक व्यतक्तगि पसंद है। क इ भी
कृ त्य, तवश्वास, व्यवहार, तवचार अफद नैतिक ह िे हुए भी नीतिशास्त्र के तवरुद् ह सकिा है।

ऄथााि,् यफद अप व्यतक्तगि रूप तवश्वास करिे हैं फक एक तवशेष कृ त्य ईतचि है, यह जरूरी
नहीं फक वह नीतिशास्त्र से संगि भी ह । फकसी भ सकाउ राजनीतिक प्रसंग क ही लें , जैस-े
युद्, गभापाि और मानवातधकार।
ऄतनवायािः, क इ भी काया तजसे ऄनुशीलन हेिु व्यतक्त चुनिा है, फकन्िु सामातजक समूह के

द्वारा ईस पर त्यौररयााँ चढायी जािी हैं, आसके ईदाहरण का काया करिा है। एक मार पूवा-
अवश्यकिा यह है फक वे व्यतक्त ज काया तनष्पाफदि करिा है, आसके ईतचि ह ने का तवश्वास
करिा ह । तहटलर और नेप तलयन आसके ऄन्यिम ईदाहरण हैं। द नों (ऄति संभव) ऄपने
कृ त्यों के नैतिक रूप से ईतचि ह ने का तवश्वास करिे थे, लेफकन दुतनया ने ईन्हें ऄनैतिक
नेिाओं के रूप में हातशए पर धके ल फदया।

5. क्या पररतस्‍तथतियााँ ही मानवीय कायावाही की नैतिकिा की परख हेिु एक मार पैमाना ह ना


चातहए या ईक्त कायावाही की प्रकृ ति और ईसके ईद्देश्य पर भी तवचार फकया जाना चातहए?
ईदाहरणों के साथ ऄपने मि का औतचत्य तसद् कीतजए।

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ईत्तर में तनम्नतलतखि भाग सतम्मतलि ह ने चातहए:


 मानवीय कायावाही के ईन ित्वों की पहचान (यथा- प्रकृ ति/ईद्देश्य, पररतस्‍तथतियां और
प्रय जन) कीतजए, तजनका तवश्लेषण मानवीय कायावाही की नैतिकिा की परख करने हेिु
फकया जािा है।
 आसके ऄतिररक्त व्याख्या कीतजए फक यद्यतप पररतस्‍तथतियां एक पैमाना हैं, परन्िु ये एक
मार पैमाना नहीं हैं क्योंफक मानवीय कायावाही की नैतिकिा के तनधाारण हेिु मानवीय
कायावाही के ईद्देश्य और प्रय जन पर भी तवचार फकया जाना चातहए।
 ऄपने मि का औतचत्य तसद् करने के तलए ईदाहरण प्रस्‍तिुि कीतजए, तजनसे यह फदखाया
जा सके फक पररतस्‍तथतियां फकसी बुरे प्रय जन वाली कायावाही क नैतिक नहीं बना
सकिीं।
ईत्तर:
कु छ दाशातनक (ईद्देश्यवादी या व्याख्यावादी) (teleologists or interpretivists) आस मि
से सहमि हैं फक मानवीय कायावाही की नैतिकिा की परख करने के तलए पररतस्‍तथतियां हीं
एकमार पैमाना हैं। ज सेफ फ्लेचर की यह मान्यिा है फक पररतस्‍तथतियां ही कायावाही क
तवलक्षण बनािी हैं। तबना तवलक्षणिा के कायावाही में तनतहि नीतिगि ित्वों की जााँच नहीं
की जा सकिी। पररतस्‍तथतियां ही एक ऄमूिा कायावाही क समय, स्‍तथान, ऄतभकिाा और

प्रणाली के अधार पर ईसे तवतशि बनािी हैं। ईदाहरण के तलए, अत्मरक्षा में प्रहार करना
एक बाि है और तबना फकसी ईकसावे के प्रहार करना दूसरी बाि है। आस प्रकार पररतस्‍तथतियां
ही मानवीय कायावाही की नैतिकिा क तनधााररि करिी हैं।
परन्िु आसके ऄतिरक्त, प्रत्येक कायावाही के द ऄन्य ित्व भी हैं, ज मानवीय कायावाही की
नैतिकिा क तनधााररि करिे हैं – मानवीय कायावाही की प्रकृ ति/प्रय जन और मानवीय
कायावाही का यकयेय – के वल पररतस्‍तथतियां ही नहीं।
एक कायावाही, तजसका प्रय जन ईसकी प्रकृ ति से ही ऄनुपयुक्त है, ईसे न ि पररतस्‍तथतियां
और न ही प्रय जन ईत्कृ ि बना सकिे हैं। ईदाहरण के तलए एक झूि प्रय जन या पररतस्‍तथतियों
के तवद्यमान ह ने पर भी ऄसत्य ही रहेगा। पररतस्‍तथतियां ईसे के वल कम ऄनुपयुक्त बना
सकिी हैं, परन्िु ईत्कृ ि कदातप नहीं। पररतस्‍तथतियों क एकमार पैमाना मान लेने के चलिे
यहााँ एक और समस्‍तया प्रस्‍तिि
ु ह िी है ज नैतिकिा क व्यतक्ततनष्ठ और सापेक्ष बना देिी है
(झूि ब लना, पररतस्‍तथतियों के अधार पर ऄनुपयुक्त या कम ऄनुपयुक्त ह सकिा है)।
आसी प्रकार एक कायावाही, तजसका प्रय जन ही ऄनुपयुक्त है, ईसे न ि ईद्देश्य और न ही
पररतस्‍तथतियां ईत्कृ ि बना सकिी हैं। ईदहारण के तलए, फकसी तनधान ऄसहाय व्यतक्त क दान

देना, ईसके ईद्देश्य के कारण ईपयुक्त है, परन्िु यफद यही दान फकसी तनराश्रय क कु छ
ऄनुपयुक्त कायावाही कराने हेिु प्र ल भन के रूप में फदया जा रहा है ि आसे ऄनैतिकिा का ही
नाम फदया जायेगा।
आस प्रकार, पररतस्‍तथतियां ही मानवीय कायावाही की नैतिकिा की परख करने का एकमार
पैमाना नहीं है, ऄतपिु ईद्देश्य, पररतस्‍तथतियां और प्रय जन तमल कर आसका तनणाय करिे हैं।

6. अधुतनक समाज में तवतधक ाांचे का आसके नैतिक ाांचे के साथ ऄसंगि और पूरक संबध
ं द नों
हैं। ईदाहरणों के साथ चचाा कीतजए।

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ईत्तर में तनम्नतलतखि भाग सतम्मतलि ह ने चातहए:


 एक संतक्षप्त भूतमका, तजसमें तवतध और नैतिकिा के मयकय परस्‍तपर संबंधों की चचाा ह ।
 ईदाहरण की सहायिा से बिाएं फक तवतध और नीतिशास्त्र कै से एक दूसरे के पूरक हैं।
 फफर ईपयुक्त ईदाहरण की सहायिा से बिाएं फक ये द नों कब एक-दूसरे के तवर धाभास
में ख से ह जािे हैं।
 ईत्तर में आस बाि पर भी तवचार ह फक अधुतनक समाज में आनके संबंधों में आिनी
तवतवधिा क्यों फदखाइ देिी है।
ईत्तर:
एक पुरानी ल क तक्त है फक, “यफद कु छ गैर-कानूनी नहीं है ि यह ऄवश्य ही नैतिक ह गा”।
अधुतनक समाज के सन्दभा में यह पूणि ा या द षपूणा है। नीतिशास्त्र और तवतध ईिने ही एक-
दूसरे से तभन्न हैं तजिना फक प्रविानीयिा ऄप्रविानीयिा से तभन्न है। एक ऐसे नागररक वगा के
सृजन के ऄंतिम लक्ष्य की प्रातप्त में ये एक दूसरे के ईिने ही पूरक हैं ज फकसी भी द्वंद्व की
तस्‍तथति में ‘सही’ मागादशान करिा है।
तवतध, समाज के कू टबद् तनयम ह िे हैं, तजन्हें राज्य द्वारा वैधिा प्रदान की जािी है। यह
नैतिकिा के ऄनुबंधों के ईस धरािल क प्रतितबतम्बि करिा है, ज आिने व्यापक हैं फक समाज
एक साथ कहिा है फक, “यही नैतिक अचरण मान्य ह गा”। एक व्यापक सीमा िक, जब
नीतिशास्त्र का तवयकवंस ह िा है ि तवतध िुरंि ही ईस ररक्त स्‍तथान क भरने अ जािी है।
यहााँ एक ईदाहरण की सहायिा लेिे हैं। पहले अप स सक पर कू सा-करकट आसतलए नहीं
डालिे थे फक “ल ग ऐसा नहीं करिे हैं” ऄतपिु आसतलए फक यह करना “गलि बाि” थी। ऄब
अप कू सा-करकट आसतलए नहीं फें किे हैं क्योंफक ऐसा करने पर अ्थक दंड भुगिना प सिा है।
ज कभी नीतिशास्त्र के दूसरे स्‍तिर पर था, वही ऄब कानून के पहले स्‍तिर पर अ गया है। आस
प्रकार के ईदाहरणों में तवतधक ाांचा और नीतिशास्त्र, एक दूसरे की पूरक भूतमका में हैं।
परन्िु आसका एक दूसरा पक्ष भी है, जब सम्भवि: तवतधक ाांचे और नीतिगि ाांचे का परस्‍तपर
सम्बन्ध तवलक्षण ह सकिा है। आस चबदु पर एक प्रकरण ले सकिे हैं, “सतवनय ऄवज्ञा की
नैतिकिा”। सतवनय ऄवज्ञा का स्‍तिर प्रेररि करिा है फक ऄन्यायपूणा कानूनों का पालन नहीं
फकया जाये। महात्मा गााँधी ने सन 1920 में आसका ऄति प्रभावशाली ांग से एक ऄन्यायपूणा
परन्िु न्यायसम्मि वैधातनक सरकार के तवरुद् ईपय ग फकया था। आसके पश्चाि्, सन 1960 में
यूनाआटेड स्‍तटेट्स के नागररक ऄतधकारों के अन्द लन में और दतक्षणी ऄफ्रीका में रं गभेद नीति
तवर धी अन्द लन में ईस समय के ऄन्यायपूणा कानूनों का तवर ध करने हेिु ईपय ग में लाया
गया। सतवनय ऄवज्ञा में कानूनों का पालन न करने के तलए नैतिक कारणों की अवश्यकिा
ह िी है।
अधुतनक समाज में आस प्रकार की ऄतनयतमििा बहुि-ही अश्चयाजनक है क्योंफक प्रत्येक व्यतक्त
क मानवातधकार प्रदान करने की बढिी स्‍तवीकृ ति के कारण, फकसी न फकसी समय में ये
प्रचतलि रूफढवादी कानूनों के तवर ध में अ जािे हैं। समलैंतगकों के ऄतधकारों के तलए
अन्द लन, आसका एक ईपयुक्त ईदाहरण है।

7. “नैतिकिा न ि ईपय तगिा के तसद्ांि पर अधाररि है और न ही प्रकृ ति के तनयम पर, बतल्क

यह मानवीय तववेक पर अधाररि है। ककिु मानवीय तववेक द षपूणा ह सकिे हैं।” रटप्पणी
कीतजए। अपके तलए नैतिकिा का क्या ऄथा है?

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 ऐसे ईदाहरण प्रस्‍तिि


ु करिे हुए आस कथन की व्याख्या कीतजए जहााँ मानवीय तववेक ऄच्छे
िथा बुरे के बीच प्रभावी रूप से तनणाय नहीं ले सकिा।
 नैतिकिा की पररभाषा दीतजए। दृिान्िों के साथ बिाइए फक अपके तलए आसका क्या ऄथा है।
ईत्तर:
तववेक िथा िका पूणा चचिन के बल पर ही मानव न्याय तचि िथा नैतिक क ऄनैतिक से पृथक
कर पाया है, न फक ईतपय तगिा िथा प्रकृ ति के तनयमों के अधार पर। मानवीय कायावाही ज
तववेक पर अधाररि ह िे हैं, हमें यह बिािे हैं फक श्रेय क्या है। तववेक ग्रहण के स्र ि धमा,
तवतध, अिंररक मान्यिाएं, मूल्य आत्याफद ह सकिे हैं।
हालांफक, मानव तववेक पर बहुि से कारकों, यथा- िात्कातलक राजनीतिक िथा सामातजक
व्यवस्‍तथा, का प्रभाव प सिा है। आसके पररणामस्‍तवरुप, एक कृ त्य कु छ ल गों की दृति में नैतिक
ि ऄन्य ल गों की दृति में ऄनैतिक प्रिीि ह िा है। ईदाहरण के तलए, अज, मृत्युदडड बहुि से

देशों िथा मानवातधकार कायाकिााओं के द्वारा ऄनैतिक करार फदया जा रहा है, जबफक बहुि से
ऐसे भी देश और व्यतक्त हैं ज आसे फकसी जघन्य ऄपराध के तलए दडडात्मक न्याय के रूप में
ईतचि िहरािे हैं। आस प्रकार, तववेक के अधार पर क इ कृ त्य नैतिक या ऄनैतिक ह सकिा है।
प्रतिफदन हमारा सामना बहुि सी ऐसी दुतवधाओं से ह िा है जहां तववेक सामातजक तनयमों
िथा अचारों से टकराव की तस्‍तथति ईत्पन्न कर देिा है। नवीन सूचना के अधार पर तववेक में
बदलाव भी अ सकिा है, पररणामस्‍तवरूप यह रुरटपूणा ह जा सकिा है। आसतलए, यह कहना
सत्य है फक पूणि
ा ः तववेक पर छ स फदए जाने पर नैतिकिा रुरटयुक्त बन सकिी है।
नैतिकिा क सही और गलि या ऄच्छे िथा बुरे व्यवहार के बीच भेद से संबंतधि तसद्ांि के
िौर स्‍तवीकार फकया जा सकिा है। यह मूल्यों िथा अचरण के तसद्ांिों की एक तवतशि
प्रणाली है। सामान्य िौर पर, आन तसद्ांिों क समाज द्वारा तवस्‍तिि
ृ रूप में स्‍तवीकार कर तलया
जािा है, फकन्िु, ह सकिा है वे फकसी व्यतक्त के व्यतक्तगि मानदंड हों तजन्हें वह सदाचारपूणा
मानिा ह ।
मेरे तलए भी, नैतिकिा का ऄथा ऄच्छे क बुरे से पृथक करने के तलए ऄपनाया गया एक

तववेकपूणा रुख है। िथातप, आसमें नवीन िथ्यों िथा वैकतल्पक दृतिक णों के तलए स्‍तथान ह ना
चातहए ज मानव बुतद् के तक्षतिज का तवस्‍तिार करिे हैं। ईदाहरण के तलए, सवार सत्य ब लने
क नैतिक करार फदया जािा है। फकसी व्यतक्त के द्वारा भी आसे नैतिक समझा जािा है। यद्यतप,
फकसी व्यतक्त के तलए ज परे शानी में फकसी की सहायिा करने क और ऄतधक नैतिकिापूणा
मानिा है, आसके तलए झूि ब लने की अवश्यकिा ह ने पर झूि ब ल भी सकिा है।

8. वे तवतभन्न स्र ि क्या हैं तजनके मायकयम से मनुष्य ऄपने कायावाही की सत्यिा का परीक्षण कर
सकिा है? चचाा कीतजए फक सावाजतनक जीवन के संदभा में स्‍तपि और व्यावहाररक मागादशान

प्रदान करने में ये स्र ि फकस प्रकार महत्वपूणा हैं?


दृतिक ण:
 ईन स्र िों के रूप में तनयमों, तवतनयमों और तववेक पर चचाा कीतजए तजनके मायकयम से मनुष्य
ऄपने कायावाही के औतचत्य का परीक्षण कर सकिा है।
 सावाजतनक जीवन में आनकी भूतमका पर चचाा कीतजए।

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 नैतिक तनणाय तनमााण में आन स्र िों की वांछनीयिा पर बल देिे हुए ईत्तर समाप्त कीतजए।
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ईत्तर:
कानून और तववेक मागादशान के वे द स्र ि हैं तजनके मायकयम से मनुष्य ऄपनी कायावाही की
नैतिकिा का परीक्षण कर सकिा है। स्‍तपि और व्यावहाररक मागादशान प्रदान करने में ये स्र ि
तवशेष रूप से सावाजतनक प्रशासकों के तलए महत्वपूणा हैं।
i) कानून, तनयम और तवतनयम
कानून के नैतिक संकेिाथा ह िे हैं। यह ल गों क काया करने या काया करने से ऄपने क ऄलग
रखने के तलए प्रेररि करिा है और दातयत्व अर तपि करिा है। आसे न के वल न्याय तचि ह ना
चातहए, बतल्क आसका ब झ भी समान रूप से डालना चातहए। आसके साथ ही, यह सावाजतनक

शुभ, न फक तनजी शुभ, के तलए ह िा है। तवतनयम प्रायः कानून की व्याख्या (स्‍तपि) करने में

सहायिा करिे हैं। कानूनों के तवपरीि, तनयमों का सावाजतनक लाभ के तलए ही ह ना

अवश्यक नहीं है, ये तनजी लाभ के तलए भी ह सकिे हैं। ईदाहरण के तलए, संसाधनों अफद के
कु शल ईपय ग के तलए संगिन के भीिर बनाए गए तनयम।
ii) ऄंिःकरण (Conscience)

यह व्यतक्त की सही और गलि की नैतिक भावना है, तजसे फकसी व्यतक्त के व्यवहार के तलए
मागादशाक के रूप में काया करने वाले के िौर पर देखा जािा है। जहााँ कानून फकसी कायावाही
के तवषय में सामान्य तनयम ह िा है, वहीं तववेक तवतशि कायावाही के तलए व्यावहाररक

तनयम तनधााररि करिा है। तववेक, कानून या तनयम क तवतशि कायावाही के प्रति लागू करिा

है; आसतलए यह कानून की िुलना में ऄतधक व्यापक ह िा है।


स्‍तपि और व्यावहाररक मागादशान प्रदान करने में महत्व
सही और गलि पर तवचार करने के दौरान ल क प्रशासक फकए गए या फकए जाने वाले
कायावाही की प्रकृ ति, कायावाही के तलए बनी पररतस्‍तथतियों और कायावाही के ईद्देश्य संबंधी

ईपलब्ध सूचनाओं पर तनभार ह िे हैं। कानून, तनयम और तवतनयम आनके तलए ऄतिररक्त
मागादशान प्रदान करिे हैं।
कभी-कभी दीवानी कानून की स्‍तपि घ षणाओं क भी तनयम नकार देिे हैं। जहां वररष्ठ
ऄतधकारी आस प्रकार के तनयमों का ईल्लंघन करने के तलए ऄधीनस्‍तथ क दंतडि कर सकिा है,

वहीं यफद तनयम दीवानी या प्राकृ तिक कानून के तवपरीि ह , ि ह सकिा है फक ईल्लंघन

करने वाले ने नैतिक रूप से काया फकया ह । आसतलए, प्राकृ तिक या दीवानी कानूनों का
ईल्लंघन करने वाले तनयमों से बचा जाना चातहए।
प्रायः यह माना जािा है फक के वल तनयम और तवतनयम सावाजतनक प्रशासकों के तलए
ऄपयााप्त हैं। तवशेष कायावाही के दौरान तबना तववेक के आन कानूनों और तनयमों क लागू
करने से, सावाजतनक प्रशासक एक महत्वपूणा ित्व से चूक जािे हैं। तववेक फकसी तवतशि

कायावाही के दौरान कानून, तनयम और नैतिकिा के ऄन्य मानदंड लागू करने में सहायिा
करिा है।
सभी सावाजतनक प्रशासकों क ऄक्सर तववेकानुसार तनणाय लेने प सिे हैं और ऐसे में तववेक
महत्वपूणा भूतमका तनभािा है।

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9. सावाजतनक जीवन में 'नागररक सदगुण’ (तसतवक वचू)ा से अप क्या समझिे हैं? विामान समय
में आनका ऄनुसरण करने में अने वाली चुनौतियााँ क्या हैं? आन चुनौतियों पर कै से तवजय प्राप्ि
की जा सकिी है?
दृतिक ण:
 नागररक सदगुण (तसतवक वचूा) क पररभातषि कीतजए एवं नागररक सदगुण के तवतभन्न
अयामों पर चचाा कीतजए।
 जनिा द्वारा आसके ऄनुशीलन के दौरान सामना की जाने वाली चुनौतियों की चचाा कीतजए।
 कु छ समाधान भी सूचीबद् कीतजए।
ईत्तर:
नागररक सदगुण समाज में नागररक की भागीदारी संबंधी नैतिकिा या सही ययवहार का
मानदडड है। यह आस िथ्य क पुि करिा है फक नागररक, समाज से फकस प्रकार संबंतधि ह िा
है। आस प्रकार, तवतभन्न समुदायों में नागररक सदगुण संबंधी धारणाएाँ तभन्न-तभन्न ह िी हैं।
ईदार समाज ऄपने नागररकों से न्यूनिम मांगें करिा है, जबफक गणिंरवादी परं परा सरकार
के ऄत्याचारों के तवरुद् रक्षा करने या साझा सावाजतनक वस्‍तिुओं का तनमााण करने हेिु ईच्च
स्‍तिरीय भागीदारी की अवश्यकिा की ऄवधारणा के अधार पर नागररकों की सफक्रय
प्रतिभातगिा की मांग करिी है। रुफढवाद (ऄपररविानवाद) ने पाररवाररक मूल्यों िथा तपिा
एवं राज्य के प्रति अज्ञाकाररिा पर ज र फदया। जनसामान्य द्वारा संचातलि राष्ट्रवाद ने
देशभतक्त क महत्वपूणा नागररक सदगुण के रूप में स्‍तथातपि फकया है।
नागररक आसे सहज रूप से मिदान करके , करों का भुगिान करके , सामातजक काया के तलए
स्‍तवैतच्छक रूप से स्‍तवयं क प्रस्‍तिुि करके , स्‍तवच्छिा बनाए रखने आत्याफद के मायकयम से प्रद्शि
कर सकिे हैं। नागररक सदगुण व्यतक्तवाद के स्‍तथान पर समुदायवाद पर ज र देिा है। रॉबटा
पटनम ने िीन नागररक सदगुणों क पररभातषि फकया है: सावाजतनक जीवन में सफक्रय
भागीदारी, तवश्वसनीयिा एवं सामातजक ऄंिससंबबद्िा के मायकयम से वांतछि पारस्‍तपररकिा।
आसका पालन करने में चुनौतियााँ
 समाज एवं संगिन में ह ने वाले पररविानों के कारण बढिा व्यतक्तवाद। सबसे महत्वपूणा
िथ्य यह है फक पारं पररक और अधुतनक मूल्यों में संघषा के साथ नागररक सगुगुण संबंधी
धारणाएाँ पररव्िि ह रही हैं तजससे आनके वास्‍तितवक ऄनुपालन का ऄभाव फदखिा है।
 सीतमि संसाधनों के तलए प्रतिस्‍तपधाा, तजसमें प्रत्येक ययतक्त स्‍तवयं के तलए सवाातधक
तनष्क्षि करने का प्रयास कर रहा है। आस प्रकार के वािावरण में, ल ग समाज एवं
मूल्यों के प्रति ऄपने दातयत्वों क भूल जािे हैं। ईदाहरण के तलए, ल ग व्यतक्तगि यययों
हेिु पैसा बचाने के तलए कर ऄपवंचन करिे हैं।
 सावाजतनक संगिनों एवं ल गों के बीच तवश्वास का ऄभाव एवं ययतक्तगि तहिों की
िुलना में सावाजतनक तहिों क कम वरीयिा देना।
 व्यवहार और ऄतभवृतत्त में पररविान लाने में करिनाआयााँ, ज वांछनीय नागररक व्यवहार
का ऄनुशीलन करने में बाधा पहुाँचािी हैं।
समाधान
 नागररक तशक्षा क बढावा देना: बच्चे का पालन-प षण करने के तलए तवद्यालयी तशक्षा
अवश्यक है। फकन्िु समाज के प्रति ईत्तदातयत्व की भावना ईत्पन्न करने के तलए यह
पयााप्त नहीं है। आसतलए हमें मूल्य परक तशक्षा के मायकयम से नागररक भावना क बढावा
देने की अवश्यकिा है।
 अदशा प्रस्‍तिि
ु करिे हुए नेित्ृ व करना: विामान में, ऄपने नेिाओं के संबंध में ल गों के
दृतिक ण द षदषी हैं। जनिा ऄपने ऐसे कृ त्यों का औतचत्य यह मानिे हुए तसद् करिी है

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फक नेिा तजन तवचारों काFor


प्रचार करिे हैं ईनका ऄनुपालन नहीं करिे हैं। आसतलए नेिाओं
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क पथप्रदशाक बनने की अवश्यकिा है। ईदाहरण के तलए, भारि में सफाइ क बढावा
देने के तलए कइ राजनीतिक नेिा अगे अए हैं और ईन्होंने समाज के तलए ईदाहरण
स्‍तथातपि करने का प्रयास फकया है।
 प्रभावशाली ययतक्त: ल ग ऄतभनेिाओं, ईद्यतमयों, वक्ताओं आत्याफद का ऄन्धानुकरण करिे
हैं। ये ल ग सरलिापूवका समाज के तप्रि तजम्मेदारी का भाव जगा सकिे हैं। ईदाहरण के
तलए, सरकार खुले में शौच की समस्‍तया के तवरुद् संघषा करने एवं कर भुगिानों क
प्र त्सातहि करने के तलए ऄतभनेिाओं का ईपय ग करिी है।
 ऄतधकारों और किाव्यों के संबध
ं में जागरूकिा: विामान समय में यह ऄत्यंि अवश्यक है
फक ल ग ऄपने किाव्यों क भी ईतचि महत्व दें। ईदाहरण के तलए, हाल ही में ईच्चिम
न्यायालय ने यह माना फक यफद क इ ययतक्त तनवााचन के समय मि नहीं करिा है ि ईसे
सरकार पर प्रश्न ईिाने का क इ ऄतधकार नहीं है।

10. महान व्यतक्तत्व (ग्रेट लीडसा) का जीवन हमें ऄनेकों प्रकार से प्रेररि करिे हैं। अपके उपर फकस
व्यतक्तत्व का तचरस्‍तथायी प्रभाव प सा है और फकस प्रकार? अपके द्वारा ईस व्यतक्तत्व से
अत्मसाि फकए गए एक ईत्कृ ष्ट गुण एवं एक तसतवल सेवक ह ने में ईसके महत्व का ईल्लेख
कीतजए।
दृतिक ण:
 ययाख्या कीतजए फक अपके जीवन पर फकस महान व्यतक्तत्व का तचरस्‍तथायी प्रभाव प सा है
और क्यों।
 ईनके व्यतक्तत्व में शातमल ऐसे ईत्कृ ि मूल्यों का ईल्लेख कीतजए तजन्हें अपने अत्मसाि
फकया ह ।
 तसतवल सेवाओं में ईन मूल्यों के महत्व की भी ययाख्या कीतजए।
ईत्तर:
डा. ए.पी.जे. ऄब्दुल कलाम, तवश्व में भारि के राष्ट्रपति बनने वाले प्रथम वैज्ञातनक के रूप में
जाने जािे हैं। फकन्िु ईनके ययतक्तत्व की महानिा मार पद-प्रतिष्ठा के मायकयम से ययाख्यातयि
नहीं की जा सकिी। ईन्होंने ऄन्य ययतक्तयों क उाँचे स्‍तवप्न देखने के तलए प्रेररि फकया एवं
ऄपना ईदाहरण प्रस्‍तिुि कर मागादशान फकया। ईन्होंने ऄपनी तवचारधारा क के वल ययतक्तगि
तवकास िक सीतमि नहीं फकया, ऄतपिु आसे ऄपने देश एवं सम्पूणा तवश्व के कल्याण हेिु
तवस्‍तिाररि फकया।
डॉ. ए.पी.जे. ऄब्दुल कलाम की तवतशििाएाँ एवं क्षमिाएाँ ईनके जीवन में समातवष्ट थीं।
ईन्होंने हमें परं परा से हटकर तवचार करने, नव न्मेष करने एवं परीक्षण करने के तलए साहस
प्रदान फकया। ईन्होंने हमें बारं बार स्‍तमरण कराया फक ऄसफलिाओं से एवं आस तवचार से कभी
भयभीि नहीं ह ना चातहए फक ल ग क्या स चेंगे। ईनका मानना था फक ऄसफल परीक्षणों के
तबना नया ज्ञान प्राप्ि नहीं ह सकिा।
ईन्होंने ऄपने कायों के प्रति लगन, समपाण एवं दृढ तनश्चय के गुण प्रद्शि फकए। ईनका
दृतिक ण तवकतसि एवं प्रगतिशील भारि का तनमााण करना था और ईन्होंने हमें ऄपने आसी
दृतिक ण के ऄनुसार प्रेररि फकया। ईनमें नेिृत्व के ईल्लेखनीय गुण थे। ऄपनी टीम के नेिा के
रूप में वह ऄसफलिा क स्‍तवीकार करने में सबसे अगे रहिे थे, फकन्िु सफलिा का श्रेय
सवाप्रथम ऄपनी टीम क देिे थे।

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हमारे मन-मतस्‍तिष्क पर तचरस्‍तFor


थायीMore
प्रभाव डालने वाला डा. कलाम का सवाातधक ईत्कृ ष्ट गुण
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ऄगाध करुणा से ईत्पन्न ईनकी ऄिुलनीय तवनम्रिा थी। आस प्रकार का गुण ल क सेवकों द्वारा
भी ऄपने जीवन में अत्मसाि फकया जाना चातहए।
वह प्रत्येक भारिीय से ऄपनी पूणा क्षमिा का ऄनुभव करने एवं देश िथा तवश्व के कल्याण में
य गदान देने की ऄपेक्षा रखिे थे। ईन्होंने कहा - “अकाश की ओर देख । हम ऄके ले नहीं हैं।
सम्पूणा ब्रमाणाडड हमारा तमर है और स्‍तवप्न देखने वालों एवं ईसे साकार करने हेिु प्रयासरि
रहने वालों क सव त्िम पररतस्‍तथतियााँ प्रदान करने की य जना बनाने में संलग्न रहिा है।”
ल क सेवक में तवनम्रिा का गुण महत्वपूणा है। आसका ऄथा स्‍तवयं की महत्ता के संबंध में शालीन
एवं तवनीि दृतिक ण रखने का गुण है। तवनम्र ल कसेवक यह सुतनतश्चि करने के तलए ऄन्य
ल गों से आनपुट प्राप्ि करने का प्रयास करिा है फक ईनके पास सभी वांतछि िथ्य हैं और वे
आस प्रकार के तनणाय ले रहे हैं ज समाज के तवतभन्न संभागों के तहिों की दृति से सव त्िम हैं।
भारि के प्रसंग में यह और भी ऄतधक महत्वपूणा ह जािा है जहााँ औपतनवेतशक तवरासि एवं
आसके संभ्रान्ि संवगा के ऄति सूक्ष्म ऄनुपाि के कारण ल क सेवक प्राय: स्‍तवयं क ऄति-तवतशि
मानने की मानतसकिा, प्रभुत्व, ययतक्तवाद क प्रद्शि करिे हैं एवं तनणाय प्रफक्रया में
सावाजतनक भागीदारी की ईपेक्षा करिे हैं।
तवनम्रिा प्रद्शि करने का एक बेहिर ईपाय तपछली गलतियों क स्‍तवीकार करना और आन
गलतियों क शासन के तवतभन्न ऄवयवों हेिु सीख लेने के ऄवसरों के रूप में प्रय ग करना है।
जब संस्‍तथाएाँ और नेिा ऄपनी गलतियों क स्‍तवीकार करिे हैं, ि वे ऄन्य ल गों के तलए भी

गलिी करने एवं ईससे सीखने क स्‍तवीकाया बनािे हैं।

प्रत्येक ल क सेवक क ल गों क के न्ि में रखने, ईनकी अवश्यकिाओं के प्रति ईत्तरदायी ह ने,
ईनकी आच्छाओं का सम्मान करने एवं और ईनके प्रति जवाबदेह ह ने की अवश्यकिा ह िी है।
आसके तलए ल क सेवकों क ऄपने य गदानों की दृति से तनस्‍तवाथा, ऄपने तनणायों में समावेशी,
ऄपने व्यवहार में तवनम्र एवं ऄपनी गतितवतधयों की दृति से ऄनुकरणीय एवं प्रेरणास्‍तपद ह ना
चातहए।

10. तवगि वषों में Vision IAS GS में स टे स्‍तट सीरीज में पू छे
गए प्रश्न: के स स्‍तटडीज
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions: Case Studies)

11. अप एक प्रतशक्षु संवाददािा (ररप टार) के रूप में, सत्िाधारी दल की राज्य आकाइ द्वारा
अय तजि एक राजनीतिक कायाक्रम में संवाददािाओं के एक छ टे से समूह के साथ गए हैं।
कायाक्रम के बाद रातर-भ जन में अपसे सतम्मतलि ह ने के तलए कहा गया। रातर-भ जन के
दौरान अपने यकयान फदया फक सत्िाधारी दल के कु छ सदस्‍तयों क शराब पर सी जा रही थी।
ईस राज्य में कु छ महीनों पहले शराब के सेवन क ऄवैध घ तषि फकया गया था और पूरे राज्य
में कि रिापूवक
ा आस पर प्रतिबन्ध लगाया जा रहा है। अपके समूह के ऄन्य संवाददािाओं ने
आस मुद्दे क ऄनदेखा फकया और अपक भी आसे ऄनदेखा करने के तलए कहा। हालांफक, अपक
यह स्‍तपष्ट रूप से ज्ञाि था फक कानून का पालन नहीं फकया जा रहा था।

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(a) आस पररदृश्य से जु से मुद्दों की पहचान कीतजए।
(b) आस पररदृश्य में अपके किायय क्या हैं?
(c) अप क्या कदम ईिाएंगे और क्यों?
दृतिक ण:
 राजनीतिक ईदासीनिा, ऄसंवद
े नशीलिा और मूल्यों में कमी जैसे मुद्दों पर चचाा
कीतजए।
 एक नैतिक संवाददािा और एक तजम्मेदार नागररक के रूप में ऄपने किाव्यों पर प्रकाश
डातलए।
 अपके द्वारा ईिाए जाने वाले कदमों की चचाा कीतजए।
ईत्तर:
a) मामले के िथ्य:
मैं एक परकार के रूप में सत्ताधारी दल द्वारा शराब बन्दी कानून के स्‍तपि ईल्लंघन का स्‍तवयं
साक्षी हूाँ िथा मेरे सहक्मयों द्वारा मुझे आस मुद्दे क ऄनदेखा करने क कहा गया है।
दल के सदस्‍तयों से संबंतधि मुद्दों में शातमल हैं:
 मद्यपान तनषेध कानून का ईल्लंघन।
 राजनीतिक ईदासीनिा।
 बेइमानीपूणा िथा ऄनुतचि व्यवहार।
 कानून के कायाान्वयन बनाम ईसकी मूल भावना में ऄक्षरश: स्‍तवयं पालन करने के सम्बन्ध
में द हरा मापदंड ऄपनाना।
 प्रतिबंतधि पदाथा िक पहुाँच सुतनतश्चि करने हेिु ऄतधकार और प्रभाव का संभातवि
दुरुपय ग।
घटना क ऄनदेखा करने वाले संवाददािाओं से संबंतधि मुद्दे हैं:
 परकाररिा संबंधी नैतिकिा का ईल्लंघन।
 कानून ि सने वालों के साथ ऄप्रत्यक्ष तमलीभगि।
 संभातवि तनतहि स्‍तवाथा।
b) एक संवाददािा के रूप में मेरे किाव्य परकाररिा के बुतनयादी मूल्यों और अधारभूि तसद्ांिों,
यथा- सत्यिा, यथाथािा, तनष्पक्षिा, गैर-पक्षपाि और जवाबदेतहिा की रक्षा करना है।
 एक तजम्मेदार नागररक के रूप में देश के कानून का पालन करना एवं आसके कायाान्वयन
में ऄतधकाररयों की मदद करना है मेरा किाव्य है। मुझे कानून के स्‍तपि ईल्लंघन की फकसी
भी घटना की सूचना ऄतधकाररयों क देनी चातहए, ज कानून के शासन के ईसकी मूल
भावना में ऄक्षरशः कायाान्वयन में ईनके तलए सहायक ह सकिा है।
c) मेरे पास द तवकल्प हैं: या ि मैं मौन बना रहूाँ या फफर संबंतधि ऄतधकारी क घटना की
ररप टा दू।ाँ पहले का चयन करने से न के वल परकाररिा संबंधी नैतिकिा का ईल्लंघन ह गा
बतल्क यह साहस की कमी और गैर-कानूनी कायों के प्रति ईदासीनिा की ऄतभवृतत्त क भी
दशाािा है।
 आसतलए, मैं पुतलस क मामले की ररप टा करूाँगा क्योंफक यह कानून के स्‍तपि ईल्लंघन का
मुद्दा है। एक संवाददािा के रूप में, प्रासंतगक साक्ष्यों (तचर/वीतडय अफद) का संग्रह
करें ग,े ज आस मुद्दे की ररप र्टटग में ईपय गी ह ने के साथ ही पुतलस के तलए मामला
दायर करने में भी सहायक ह सकिा है।
 समूह के ऄन्य सदस्‍तयों द्वारा कु छ तनतहि स्‍तवाथा या भय के कारण मुझे आस मुद्दे क
नजरऄंदाज करने क कहा गया, ऄिः आसके संबंध में मैं ऄपने समूह के ऄन्य सदस्‍तयों क

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भी समझाने का प्रयास करू ाँ गा फक वे कानून का ईल्लंघन करने वालों क न्यायालय िक


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ले जाने हेिु अगे अयें।


 अम जनिा के यकयान में आस मुद्दे क लाने हेिु स शल मीतडया एवं परकाररिा मंच का
प्रय ग करूाँगा तजससे आसमें शातमल ल गों का सही चररर सामने लाया जा सके ।
ईपयुक्त
ा कायावाही के पीछे कारण:

प्रतिबंतधि पदाथों के ऄवैध सेवन की ररप र्टटग से प्रशासन क िस्‍तकरी पर ऄंकुश लगाने एवं
कानून के बेहिर फक्रयान्वयन में मदद तमलेगी। फकसी ऄवैध घटना का साक्षी ह ने पर, महज
एक दशाक न बने रहकर आसके तखलाफ अवाज ईिाने का तनणाय, परकाररिा के तसद्ांिों-
सत्यिा और तनष्पक्षिा एवं एक नागररक के रूप में मेरे किाव्य का समथान करिा है। पाटी के
सदस्‍तयों द्वारा शराब के सेवन से पाखंड का स्‍तपि पिा चलिा है। सत्यतनष्ठा युक्त सरकार की
स्‍तथापना के तलए आस िरह के पाखंड क तनतश्चि रूप से तनयंतरि फकया जाना चातहए।

12. रमेश ज फक एक बहुि-ही मेहनिी व्यतक्त है, ऄपने पररवार में पैसा कमाने वाला एकमार
व्यतक्त भी है। ईसने कइ वषों से एक िेल कं पनी की स्‍तथानीय संबद् आकाइ में काया फकया है
और ईस कं पनी के स्‍तथानीय सुतवधा के प्रबंधक सुरेश के साथ एक मजबूि एवं तवश्वसनीय
संबधं स्‍तथातपि फकया है। हाल ही में सुरेश ने कं पनी के कॉप रे ट परामशी आंजीतनयर के रूप में
तनयुतक्त हेिु रमेश के नाम की ऄनुशस
ं ा की है, यह पद तस्‍तथर अय के साथ ही साथ ऄतधक
तजम्मेदारी का पद ह गा। एक ऄनौपचाररक बािचीि के दौरान सुरेश 1960 के दशक में
घरटि एक घटना का ईल्लेख करिा है, तजसमें कं पनी की लापरवाही के कारण 10,000 गैलन
पेट्र कै तमकल्स का स्‍तथानीय पयाावरण में ररसाव ह गया था, लेफकन ईस समय ईसके कारण
क इ क्षति ज्ञाि नहीं हुइ थी और प्रेस क आस ररसाव की क इ जानकारी नहीं दी गयी थी। जब
रमेश ईल्लेख करिा है फक राज्य के कानून के ऄनुसार ईसे िेल ररसाव (तस्‍तपल्स) की सभी
घटनाओं क दजा कराना अवश्यक है ि सुरेश ईसे याद फदलािा है फक ईस घटना क इ हातन
नहीं हुइ थी और ईसे पुन: स्‍तमरण करािा है फक वह ऐसा परामशी आं जीतनयर नहीं रख सकिा
ज ग पनीयिा का सम्मान नहीं करिा ह ।

(a) फदए गए मामले से जु से नैतिक मुद्दों की पहचान कीतजए।


(b) आस पररतस्‍तथति में रमेश के पास कौन-से तवकल्प ईपलब्ध हैं? ईनमें से प्रत्येक का
मूल्यांकन कीतजए।
(c) यफद अप रमेश के स्‍तथान पर ह िे, ि अपकी कायावाही क्या रही ह िी? ईसके तलए
कारण दीतजए।
दृतिक ण:
 मामले का तवश्लेषण कर आसमें तनतहि महत्वपूणा नैतिक मुद्दों की पहचान कीतजए।
 दी गइ पररतस्‍तथति में रमेश के पास ईपलब्ध तवकल्पों की सूची बनाइए और प्रत्येक ईपलब्ध
तवकल्प के सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष का वणान कीतजए।
 अपके द्वारा की जाने वाली कायावाही के बारे में बिाइये िथा कायावाही क ईतचि तसद् करने
हेिु िका प्रस्‍तिि
ु कीतजए।
ईत्तर:

तनतहि तहिधारक
 रमेश, सुरेश, िेल कं पनी, सरकार और अम जनिा।

(a) तनतहि नैतिक मुद्दे


i) स्‍तव-तहि बनाम जनिा के तहि

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मामले में प्रदत्त जानकारी केFor


ऄनुस ार रमेश ऄपने पररवार में पैसा कमाने वाला एकमार
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व्यतक्त है और ईसकी अय का स्र ि तस्‍तथर नहीं है; वह ऄपनी नौकरी गाँवाने की तस्‍तथति में नहीं
है। लेफकन, यफद वह आस नौकरी क लेिा है, ि वह घटना की ररप र्टटग में तनतहि जन तहि के
प्रति ईदासीनिा फदखा रहा है।

ii) संगिनात्मक नैतिकिा बनाम नैतिक मूल्य


रमेश के समक्ष ईसके व्यतक्तगि मूल्यों में तवश्वास और संगिनात्मक नैतिकिा के मयकय संघषा
की तस्‍तथति ईत्पन्न ह गी। यफद वह ईनमें से फकसी एक का ऄनुसरण करिा है, ि वह दूसरे के
साथ ऄन्याय करे गा।

iii) राज्य कानून की ईपेक्षा बनाम तजम्मेदार नागररक


देश के एक तजम्मेदार नागररक ह ने के नािे, ररसाव मामले की ररप टा/तशकायि कर
सावाजतनक कानून का पालन करना ईसका किाव्य है। परन्िु, ऄपनी नौकरी बचाने के तलए
वह राज्य के कानूनों की ईपेक्षा करे गा।

(b) ईपलब्ध तवकल्प

i) आस मुद्दे पर मौन रहना


गुण:
 चूंफक यह घटना बहुि पहले घरटि हुइ है और आस घटना में क इ भी प्रभातवि नहीं हुअ,
ऄिः यह िका फदया जा सकिा है फक ऄब आस मुद्दे क ईिाना व्यथा ह गा।
 सुरेश की सलाह मानने का पररणाम यह ह गा फक रमेश के साथ ईसके व्यतक्तगि और
पेशेवर द नों संबंध प्रभातवि नहीं होंगे।
 यह तवकल्प अगे पद न्नति का मागा प्रशस्‍ति कर सकिा है।
द ष:
 आस िरह की तनतष्क्रयिा राज्य के कानूनों के प्रति सम्मान की कमी क दशाा िी है, तजनके
िहि आस प्रकार की सभी घटनाओं की ररप टा करना अवश्यक है।
 आसके ऄलावा ऐसी कायावाही भतवष्य हेिु मागा प्रशस्‍ति कर सकिी है, जहााँ आस प्रकार के
ररसाव की घटना की ररप टा नहीं की जाएगी।

ii) सरकार क ररप टा करने हेिु सुरेश क राजी करना


गुण:
 आस िरह की घटनाओं की ररप टा करना, राज्य के कानूनों के प्रति सम्मान क दशाािा है।
 सुरेश के साथ रमेश के व्यतक्तगि संबंध ऄप्रभातवि रहेंगे।
 पररणामस्‍तवरूप यह तवकल्प ररसाव के प्रभाव का अकलन करने हेिु तवस्‍तिि
ृ जांच के
तलए मागा प्रशस्‍ति करे गा।
द ष:
 यह रमेश और सुरेश द नों के पेशव
े र कै ररयर क ज तखम में डाल सकिा है।

iii) ऄपने वररष्ठ ऄतधकारी या तनदेशक से बाि करना


गुण:
 पूवा में हुइ गलि घटना क सही करने के तलए ईपयुक्त कदम ईिाने हेिु वररष्ठ ऄतधकारी
या तनदेशक क एक ऄवसर प्राप्त ह गा।
 यह दशाािा है फक रमेश ऄपने पास ईपलब्ध सभी तवकल्पों का प्रय ग कर एक नागररक
के रूप में ऄपने मूल्यों और तजम्मेदाररयों क ईतचि तसद् करने का प्रत्येक संभव प्रयास
कर रहा है।

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 कं पनी में ईसे ऄपने तवरुद् प्रतिर ध का सामना करना प स सकिा है, क्योंफक कं पनी ने
ऄब िक आस घटना की ररप टा दजा नहीं की है।
iv) तववसल ब्ल ऄर बन जाए और घटना क ईजागर कर दे
गुण:
 वह एक तजम्मेदार नागररक के रूप में राज्य के कानूनों का पालन करिे हुए ऄपने कायों
क सुतनतश्चि करे गा।
 यफद बाद में आस प्रकार का क इ प्रतिकू ल प्रभाव ईत्पन्न ह ि वह पयाावरण और ल गों के
जीवन क ज तखम से बचाने में सक्षम ह गा।
द ष:
 वह ऄपनी नौकरी ख देगा िथा सुरेश के साथ ईसके संबंध स्‍तथायी रूप से समाप्त ह
सकिे हैं।
(c) सव त्तम कायावाही
तस्‍तथति की गंभीरिा क समझिे हुए, मैं सरकार क घटना की सूचना प्रदान करने हेिु वररष्ठ
ऄतधकाररयों क समझाने का प्रयास करूाँगा, ज पयाावरण और जनिा क हुइ क्षति का
अकलन कर सकिे हैं। आसका िात्पया यह है, फक ऄपरातधयों क ईनके कायों के तलए दंतडि
फकया जाएगा। दूसरों क कानून के शासन का पालन करने हेिु प्रेररि करने का ईदाहरण भी
प्रस्‍तिुि फकया जा सके गा। हालांफक, आसका पररणाम यह ह सकिा है फक मैं ऄपनी नौकरी गाँवा
दू।ाँ साथ ही यह यह यकयान फदया जाना अवश्यक है, फक आस िरह के मामलों में जनिा के तहि
सवाातधक महत्वपूणा हैं, तजसके साथ फकसी भी कीमि पर समझौिा नहीं फकया जा सकिा है।

13. मानव पर नैदातनक परीक्षण (clinical trials) के तवतनयम और प्रफक्रयाएं राष्ट्र दर राष्ट्र तभन्न
हैं। एक ईभरिे बाय मेतडकल क्षेर के रूप में स्‍तटेम सेल श ध के तलए मानवीय परीक्षणों हेिु
स्‍तवीकृ ति की अवश्यकिा ह िी है और आसे चुनौतियों का सामना करना प सिा है। अप
वैज्ञातनकों के एक दल के नेित्ृ वकिाा हैं तजन्होंने एक नइ रटश्यू आं जीतनयररग तसस्‍तटम तवकतसि
फकया है ज हृदय के ईत्तकों (रटश्यूज) क पुनः पैदा करने हेिु अशावान साधन नजर अिा है।
आस तसस्‍तटम का पहले ही जानवरों पर परीक्षण फकया जा चुका है और ईसके ऄच्छे पररणाम
तमले हैं। गंभीर हृदय र गों से जूझिे लाखों ल गों क आससे ऄत्यतधक लाभ ह गा यफद यह
आलाज ईनके तलए शी्र ईपलब्ध करा फदया जाए। हालांफक आसके वातणज्यीकरण से पूवा
मानव पर नैदातनक परीक्षण करने की अवश्यकिा ह िी है। यह भी ज्ञाि है फक आसके
वातणतज्यक रूप से (बाजार में) ईपलब्ध ह ने से पूवा देश में तवतनयम संबध
ं ी कि र वािावरण
के कारण मानवीय परीक्षण और ऄंतिम स्‍तवीकृ ति में वषों लग जाएंग।े वहीं दूसरी ओर बहुि से
गरीब राष्ट्रों में नैदातनक परीक्षण संबध
ं ी तवतनयम ाीले हैं और शी्र स्‍तवीकृ ति संभव है। अपके
बहुि-से प्रतिद्वंद्वी भी नैदातनक परीक्षण हेिु प्रायः ऐसे राष्ट्रों का रुख करिे हैं जहां वे
ऄतधकाररयों क ररश्वि दे कर शी्र स्‍तवीकृ ति प्राप्त कर लेिे हैं।
दी गइ पररतस्‍तथति के ऄनुसार तनम्नतलतखि प्रश्नों के ईत्तर दीतजएः
(a) नैदातनक परीक्षण के दौरान ईभरने वाले नौतिक मुद्दों की पहचान कीतजए।.
(b) दी गइ ईपयुक्त
ा पररतस्‍तथति में, क्या अप मानवीय परीक्षणों क फकसी िीसरे देश में
स्‍तथानांिररि करना पसंद करें गे जहां तवतनयम ाीले हैं? ऄपने चयन हेिु कारण दीतजए।

(c) नैतिक संघषा क कम करने एवं नइ दवाआयों हेिु स्‍तवीकृ ति की प्रफक्रया क िीव्र करने के
तलए मानक प्रफक्रया का एक प्रारूप सुझाआए।

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 मानवीय नैदातनक परीक्षणों पर एक संतक्षप्त भूतमका प्रस्‍तिि


ु कीतजए और नैदातनक परीक्षणों में
समातवि नैतिक मुद्दों की पहचान कीतजए।
 प्रय गशाला के स्‍तथान-पररविान के गुणों व द षों पर चचाा कीतजए एवं स्‍तवदेश से प्रय गशाला
के स्‍तथान में पररविान पर ऄपना ऄंतिम तनणाय बिाआए।
 नइ दवाओं की स्‍तवीकृ ति की प्रफक्रया क िेज करने िथा नीतिपरक संघषों क कम करने हेिु
मानक प्रफक्रया की रूपरे खा बनाआए।
ईत्तर:
प्रकरण का सार: मैं एक टीम का मुतखया हूाँ, तजसने एक नइ प्रणाली तवकतसि की है ज हृदय

र गों से पीत सि ल गों की सहायिा करे गी। वातणतज्यक रूप से ईपलब्ध ह ने से पहले, आसे
मनुष्यों पर नैदातनक परीक्षणों से गुजरना ह गा, आसके तलए सख्ि तनयमों का पालन करना
ह गा। वैकतल्पक रूप से, गरीब देशों में कमज र तवतनयमन के चलिे िेजी से मानव परीक्षण
होंगे िथा ईन्हें स्‍तवीकृ ति भी तमलेगी िथा कइ प्रतिस्‍तपधी ररश्वि देकर यह काम कर रहे हैं।
(a) नैदातनक परीक्षण स्‍तवेच्छा व्यक्त करने वाले मनुष्यों पर एक प्रकार का परीक्षण है। ज यह
देखने के तलए फकया जािा है फक अम जनिा पर व्यापक तचफकत्सा का ईपय ग करने के तलए
नइ तचफकत्सीय ईपचार क मंजूरी दी जानी चातहए या नहीं। तवतभन्न नैतिक मुद्दों में
तनम्नतलतखि सतम्मतलि हैं:
 व्यापक जनसंख्या के कल्याण के तलए इमानदारी पूवाक नैदातनक परीक्षण करने का
नैतिक किाव्य।
 मानविा ऄपने अप में एक यकयेय है (गांधीजी)। थ से से भुगिान के एवज में आिना ब सा
ज तखम लेने के तलए समाज के तनचले स्‍तिर के ल गों का ईपय ग करना मानविा का
ऄपमान है। आससे सामान्य जनसाँख्या के स्‍तवास्‍तथ्य में सुधार ि ह सकिा है, लेफकन
श षण के रूप में लागि भी बढ सकिी है, ज मौि का भी कारण बन सकिी है औऱ वह
गलि ह गा।
 सूतचि सहमति के संबंध में गरीब देशों की नैतिक चचिाएं।
 तचफकत्सा तवतशि ल काचारों द्वारा तनयंतरि ह िी है, तजसमें तचफकत्सक का पहला यकयान
स्‍तवास्‍तथ्य और र गी के जीवन पर ह ना चातहए। ईसे ऐसा कु छ भी नहीं करना चातहए
तजससे र गी का स्‍तवास्‍तथ्य खराब ह जाए। नैदातनक परीक्षण लंबे समय में तचफकत्सक-
र गी संबंधों की प्रामातणक नींव क कमज र बना सकिे हैं।
(b) विामान मामले में, वैज्ञातनकों ने ह्रदय के उिकों क पुनजीतवि करने की एक नइ िकनीक
तवकतसि की है, तजससे ऐसे लाखों ल गों क महत्वपूणा जीवन तमलेगा ज गंभीर ह्रदय र ग से
पीत सि हैं। हालांफक, गरीब और तवकासशील देशों के ाीले तनयम िथा भ्रि शासन वैज्ञातनकों
क आन देशों में ऄपनी प्रय गशालाओं क ख लने और परीक्षण करने क तववश करिे हैं। आस
प्रकार के अचरण के गुण और द ष तनम्नानुसार हैं:
गुण
 गरीब देशों में लागि कम है। आसतलए, तवकतसि तचफकत्सीय ईपचार सस्‍तिा ह गा।
ईदाहरण के तलए, भारि में नैदातनक परीक्षण का खचा ऄमरीका के नैदातनक परीक्षण के
खचा से दस गुना कम ह सकिा है।
 िीसरी दुतनया में ऐसे मरीजों की ईपलब्धिा की संभावना ऄतधक है ज पहले कभी ऐसे
परीक्षणों से नहीं गुजरे हैं या पहले से ही फकसी दवा का ईपय ग नहीं कर रहे हैं।

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 तवकासशील देशों क ईन्नि तचफकत्सा तवज्ञान का लाभ तमलिा है और नवीनिम दवाओं


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िक पहुंच प्राप्त ह िी है।


 नैदातनक परीक्षणों की प्रफक्रया तवकासशील देशों में िेज है क्योंफक तवतनयामक ऄनुम दन
लेना असान है। यह तचफकत्सा ईपचार के तवकास मे लगने वाले समय क कम करिा है।
 यह गंभीर हृदय र गों से पीत सि ल गों के तलए जल्द आलाज ईपलब्ध कराएगा।
दष
 सहमति: ऄतधकिर, गरीब देशों के ल ग ऄनुबंध क समझे बगैर िथा ज तखम क जाने
तबना ऄपनी सहमति दे देिे हैं क्योंफक ऄनुबंध तवदेशी भाषाओं में तलखे जािे हैं।
 अ्थक मजबूरी: कभी-कभी नैदातनक परीक्षण के तलए गरीब ल गों द्वारा ऄपना शरीर
बेचने के पीछे ईनकी गरीबी तजम्मेदार ह िी है। पतश्चमी तचफकत्सा के प्रति ऄंध-तवश्वास
भी ईनके तनणाय लेने में एक ऄहम भूतमका तनभािा है।
 खराब स्‍तवास्‍तथ्य देखभाल प्रणाली: नैदातनक परीक्षणों में ज तखम बहुि ऄतधक है। िीसरी
दुतनया की ख़राब स्‍तवास्‍तथ्य देखभाल प्रणाली शरीर पर प्रय गों से ईत्पन्न ह ने वाली
ईलझनों और दुष्प्रभावों के मामले में सुभेद्यिा क और बढािी है।
 िीसरी दुतनया के देशों में प्राप्त अंक सों की तवश्वसनीयिा भी तशतथल तनगरानी के कारण
संदहे के दायरे में है।
 कम तवतनयामक सुरक्षा ईपाय िथा गरीबी और तनरक्षरिा का ईच्च स्‍तिर, तवदेशी दवा
कं पतनयों द्वारा दुराचारण और तनचले मानक ऄपनाने क प्र त्सातहि करिे हैं।
 पेशेवर नैतिकिा और एक स्‍तथातपि प्रफक्रया की ईपेक्षा करना, सत्यतनष्ठा पर संदह
े क
बढािा है। प्रतिस्‍तपधाा में ऄनुतचि साधन चुनने का प्रयास फकया जा सकिा है जैसे फक
स्‍तवीकृ ति प्राप्त करने के तलए घूस देना।
जैसा फक देखा जा सकिा है, परीक्षणों का स्‍तथान ईन देशों में बदलने के कइ लाभ हैं जहां
लागि सस्‍तिी और नीतिगि तवतनयम कम सख्ि हैं। हालांफक, प्रफक्रयाओं में ाीलापन परीक्षणों
क बदलने का ईद्देश्य नहीं ह ना चातहए। आससे लाखों ल गों का जीवन बचेगा और सस्‍तिी
लागि वाले ईपचार में वृतद् ह गी। आसतलए, प्रय गशाला क असान तवतनयमन वाले देश में
स्‍तथानांिररि करना तववेकपूणा है।
हालांफक, मैं सूतचि सहमति, साआड-आफ़े क्ट के ईपचार, रुरटयों के मामले में मुअवजे अफद क
समातहि करके ईन्हीं सुरक्षा ईपायों और सावधातनयों का ईपय ग करूंगा तजन्हें तवकतसि
देशों में ईपय ग फकया जािा है। मैं यह तनतश्चि करूंगा फक क इ ऄवैध प्रफक्रया ऄपनाइ जाए
और फकसी भी ईल्लंघन के तलए सख्ि कायावाही सुतनतश्चि करूाँगा।
आस प्रकार तजन ल गों ने मुझ पर तवश्वास फकया है, मैं ईन ल गों की सुरक्षा और कल्याण से
समझौिा फकए तबना ब सी संख्या में ईन्हें ऄतधक लाभ सुतनतश्चि कराने में सक्षम ह जाउंगा।
(c) मानक प्रफक्रया की रूपरे खा
 सामातजक मूल्य: ऄयकययनों से श धकिााओं क यह िय करने में सहायिा तमलनी चातहए
फक ल गों के स्‍तवास्‍तथ्य या कल्याण क कै से सुधारें ।
 वैज्ञातनक वैधिा: श ध से ईपय गी पररणाम तमलने और ज्ञान क बढाने की अशा की
जानी चातहए। श धकिााओं क ऄपने प्रय गों क यथासंभव बेहिर बनाना चातहए।
 ईतचि व्यतक्त का चयन: श धकिााओं क ट्रायल के तलए ल गों का चयन करने िथा यह
तनणाय लेने में तनष्पक्ष ह ना चातहए फक ऄयकययन में कौन ल ग सतम्मतलि ह सकिे हैं।
 ऄनुकूल ज तखम लाभ ऄनुपाि: श ध के नैतिक ह ने के तलए, प्रफक्रया के ज तखम क तजस
व्यतक्त (तजस पर ट्रायल ह रहा है) क ह ने वाले लाभ, और/या समाज क प्राप्त ह ने
वाले महत्वपूणा नए ज्ञान द्वारा संिुतलि फकया जाना चातहए।

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 स्‍तविंर समीक्षा: श धकिाा कभी-कभी ईन िरीकों की ऄनदेखी करिे हैं तजनसे श ध


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पररणामों में सुधार ह सकिा है। ऐसी समस्‍तयाओं से बचने के तलए, ऐसे ल गों के समूह से
ज ऄनुसंधान से जु से नहीं हैं, एक स्‍तविंर समीक्षा करवाना अवश्यक है।
 सूतचि सहमति: व्यतक्त (तजस पर ट्रायल ह रहा है) क ऄयकययन के तववरण के संबंध में
बिाना चातहए। ईन्हें स्‍तवेच्छा से भाग लेने और सूतचि सहमति देने हेिु सहमि ह ना
चातहए।
 व्यतक्त के प्रति सम्मान: सूचना की ग पनीयिा क बनाए रखकर तनयतमि स्‍तवास्‍तथ्य
तनगरानी करने से तवश्वास तमलेगा।
 अंक से साझा करना: ऄिीि के श धों के अंक से दूसरों के तलए ईपलब्ध ह ने चातहए।
आससे समान दवाओं के नए परीक्षणों क करने की अवश्यकिा नहीं ह गी तजससे दवाओं
के ऄनुम दन की प्रफक्रया िेज ह गी। आस ईपतनयम क डेटा एक्सक्लुतसतवटी (data
exclusivity) पर WTO की वािाा में सुतनतश्चि फकया जाना चातहए।

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Value Addition Material-2018


PAPER IV : नीततशास्त्र
भावनात्मक (भावात्मक) समझ / बुतिमत्ता / प्रज्ञता: ऄवधारणाएं तथा
प्रशासन और शासन व्यवस्था में ईनके ईपयोग और प्रयोग

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तवषय सूची
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1. भावनाएं: मानव-मतस्तष्क का ऄतनवायय संघटक _______________________________________________________ 3

1.1. भावनाओं की संरचना (Structure of Emotions) __________________________________________________ 3

1.2. भावनाओं के प्रकार (Types of Emotions) ______________________________________________________ 3

2. समझ/प्रज्ञता/बुतिमत्ता: ऄवधारणाएं, ईपयोग और प्रकार ________________________________________________ 4

2.1. समझ/प्रज्ञता/बुतिमत्ता की ऄवधारणा____________________________________________________________ 4

2.2. बुतिमत्ता का ईपयोग (Utility of Intelligence) ___________________________________________________ 4

2.3. बुतिमत्ता के प्रकार (Types of Intelligence) _____________________________________________________ 4

3. बुतिमत्ता का सामातजक पहलू ___________________________________________________________________ 7

3.1. पररभाषा (Definition) _____________________________________________________________________ 7

3.2. सामातजक बुतिमत्ता का तवकास ________________________________________________________________ 7

3.3. सामातजक बुतिमत्ता से भावनात्मक बुतिमत्ता की ओर_________________________________________________ 8

4. भावनाओं और बुतिमत्ता के मध्य संबध


ं : पारं पररक पररप्रेक्ष्य _______________________________________________ 9

5. भावनात्मक (संवग
े ात्मक) बुति/समझ/बुतिमत्ता: भावनाओं और बुतिमत्ता का समेकन ____________________________ 10

5.1. मेयर और सालोवी द्वारा प्रस्तातवत भावनात्मक बुतिमत्ता _____________________________________________ 10

5.2. डेतनयल गोलमैन द्वारा प्रदत्त भावनात्मक बुतिमत्ता (या संवेगात्मक बुति) का मॉडल ___________________________ 11

6. बुति लतधध (आं टेतलजेंस कोशेंट) बनाम भावनात्मक लतधध (आमोशनल कोशेंट) पर एक दृति__________________________ 13

7. भावनात्मक बुतिमत्ता का महत्व ________________________________________________________________ 14

8. भावनात्मक रूप से बुतिमान होने के तलए अवश्यक कौशल ______________________________________________ 15

9. भावनात्मक बुतिमत्ता वाले लोगों की तवशेषताएं _____________________________________________________ 16

10. क्या भावनात्मक बुतिमत्ता तवकतसत की जा सकती है? ________________________________________________ 17

11. भावनात्मक रूप से मेधावी नेतत्ृ व का तवकास ______________________________________________________ 19

12. शासन और प्रशासन में भावनात्मक बुतिमत्ता की भूतमका ______________________________________________ 19

13. भावनात्मक बुतिमत्ता का ऄंधकारमय पहलू _______________________________________________________ 21

14. तनष्कषय (To Conclude) ___________________________________________________________________ 22

15. भावनात्मक बुतिमत्ता संबध


ं ी एक के स स्टडी _______________________________________________________ 22

16. तवगत वषों में संघ लोक सेवा अयोग (UPSC) द्वारा पूछे गए प्रश्न ________________________________________ 23

17. तवगत वषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न _________________________________________ 23

18. तवगत वषों में संघ लोक सेवा अयोग (UPSC) द्वारा पूछे गए प्रश्न: के स स्टडीज _______________________________ 28

19. तवगत वषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न: के स स्टडीज ________________________________ 29

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1. भावनाएं : मानव-मतस्तष्क का ऄतनवायय सं घ टक


(Emotions: The Essential Constituent of Human Psyche)
ऑक्सफोडय तडक्शनरी भावना को ‘व्यति की पररतस्थततयों, मनोदशा, या दूसरों के साथ संबध
ं ों से
व्युत्पन्न एक प्रबल ऄनुभूतत (ऄहसास)’ तथा ‘तकय या ज्ञान से तभन्न स्वतः प्रवृत्त या सहज ज्ञान से व्युत्पन्न
ऄनुभूतत’ के रूप में पररभातषत करता है।

भावनाएं जरटल प्रततक्रियाएँ होती हैं जो प्रसन्न ता, िोध, दु:ख अक्रद जैसी गहन व्यतितनष्ठ ऄनुभूतत और
साथ ही भावनात्मक ऄतभव्यतियों एवं भावनात्मक जानकारी को समझने की क्षमता/क्षमताओं ऄथायत्
दूसरों की भावनात्मक प्रततक्रियाओं को "समझने" की क्षमता को समातवि करती हैं। दूसरे शधदों में,
भावनाओं को प्रायः क्रकसी व्यति या क्रकसी चीज के प्रतत तनददेशतशत ऄनुकूल या प्रततकू ल गहन ऄनुभूतत
के रूप में समझा जाता है।

कु छ तसिांतकारों द्वारा भावनाओं की व्याख्या अंतररक या बाय घ घटनाओं के प्रतत पृथक और सुसंगत
प्रततक्रियाओं के रूप में की गइ है तजनका जीव के तलए तवशेष महत्व होता है। वे जैतवक रूप से प्रदत्त
और ितमक तवकास का पररणाम होती हैं, क्योंक्रक ईहहोंने प्राचीन और सामतयक समस्याओं के प्रतत
संतोषप्रद समाधान प्रदान क्रकए हैं तजनका सामना हमारे पूवयजों ने क्रकया है। आसतलए, वे मानव मतस्तष्क
के ऄतनवायय संघटक हैं। यह सुस्थातपत तय य है क्रक मनुष्यों के तलए भावनाओं के तबना जीना लगभग
ऄसंभव है।

1.1. भावनाओं की सं र चना (Structure of Emotions)

हालांक्रक, आस तय य पर कोइ मतैक्य नहीं है, लेक्रकन प्रायः यह माना जाता है क्रक जरटल प्रततक्रियाओं के
रूप में भावनाओं के तीन प्रमुख ऄवयव होते हैं। ये हैं:
(i) हमारे शरीर के भीतर दैतहक पररवतयन (physiological changes within our bodies): जैस-े

हटयबीट में पररवतयन, रिचाप अक्रद।


(ii) व्यतितनष्ठ संज्ञानात्मक तस्थततयाँ ( subjective cognitive states): व्यतिगत ऄनुभव तजहहें हम
भावनाओं का ईपनाम प्रदान करते हैं; और
(iii) व्यि व्यवहार (expressive behaviour): आन अंतररक प्रततक्रियाओं के बाय घ संकेत।

1.2. भावनाओं के प्रकार (Types of Emotions)

प्रसहनता, रुतच, संतोष, प्रेम तथा आनके सदृश कु छ भावनाएं जो सुखद और लाभप्रद होती हैं, ईहहें
सकारात्मक भावनाएं कहा जाता है। वे नइ संभावनाओं के द्वार खोलती हैं और हमारे व्यतिगत
संसाधनों का सृजन करती हैं।
दूसरी ओर, नकारात्मक भावनाएं ऐसी काययवातहयों से संबि होती हैं तजहहोंने हमारे पूवयजों को ऄपना
जीवन बचाने, जैसे क्रक बच तनकलने, अिमण करने अक्रद में संभवत: सहयोग क्रकया। नकारात्मक
भावनाएं भी मूल्यवान और रचनात्मक हो सकती हैं। ईदाहरण के तलए, तनरं तर कि क्रकसी व्यति को
सहायता मांगने, संबंध सुधारने या जीवन में नइ क्रदशा खोजने के तलए प्रेररत कर सकता है।
यह एक स्वाभातवक प्रवृतत्त है क्रक लोग सकारात्मक भावनाओं का अनहद ईठाते हैं जबक्रक नकारात्मक
भावनाओं से तवपतत्त के तौर पर व्यवहार करते हैं।

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2. समझ/प्रज्ञता/बु तिमत्ता: ऄवधारणाएं , ईपयोग और प्रकार


(Intelligence: Concepts, Utility, and Types)

2.1. समझ/प्रज्ञता/बु तिमत्ता की ऄवधारणा

(Concept of Intelligence)
“बुतिमत्ता का ईपयुि संकेत ज्ञान नहीं ऄतपतु कल्पना-शति है” – ऄल्बटय अआंस्टीन।
“मुझे पता है क्रक मैं बुतिमान हँ, क्योंक्रक मुझे पता है क्रक मैं कु छ नहीं जानता हँ” – सुकरात।
बुतिमत्ता को वस्तुतः तार्ककक रूप से सोचने, ऄथयपण
ू य ढंग से काययवाही करने और ऄपने पररवेश से
प्रभावी ढंग से तनपटने की एक व्यति की क्षमता के रूप में पररभातषत क्रकया जाता है। दूसरे शधदों में ,
यह एक ऐसा मानतसक गुण है तजसमें ऄनुभवों से सीखने, नवीन पररतस्थततयों के प्रतत ऄनुकूतलत होने,
भावात्मक (ऄमूतय) ऄवधारणाओं को समझने व ईनको संभालने तथा क्रकसी के पररवेश का
कु शलतापूवकय प्रयोग करने के तलए ज्ञान का ईपयोग करने की क्षमता समातहत होती है। आसकी व्याख्या
प्रायः सूचना को ऄनुभव करने या ईसका ऄनुमान लगाने और क्रकसी पररवेश या संदभय में ऄनुकूल
व्यवहार करने के तलए आसे ज्ञान के रूप में संधाररत करने की क्षमता के रूप में की जा सकती है।
यद्यतप, तवतभहन ऄनुसंधानकतायओं ने ऄपनी पररभाषाओं में बुतिमत्ता के तवतभहन पहलुओं पर जोर
क्रदया है, तथातप ईन सबने बुतिमत्ता के मौतलक अधार के रूप में कु छ प्रकार की संज्ञानात्मक उजाय पर
जोर क्रदया है। यह संज्ञानात्मक अधार ही व्यति को ईसकी क्षमताओं का प्रभावी ढंग से ईपयोग करने
में समथय बनाता है। हालांक्रक, बाद के कु छ तवचारकों ने तकय संगतता को बुतिमत्ता के सवायतधक महत्वपूणय
ऄवयव मानने पर जोर देना छोड़ क्रदया।

2.2. बु तिमत्ता का ईपयोग (Utility of Intelligence)


बुतिमत्ता का सबसे महत्वपूणय ईपयोग ऄपने पररवेश के प्रतत ऄनुकूलन है। ऄतधकांशत: ऄनुकूलन ऄपने
पररवेश के साथ ऄतधक प्रभावी ढंग से तनपटने के तलए ऄपने अप को पररवर्ततत करने की प्रक्रकया को
समातवि करता है, लेक्रकन आसका ऄथय पररवेश को पररवर्ततत करना या पूणत य या एक नवीन पररवेश की
खोज करना भी हो सकता है। आस प्रकार के ऄनुकूलन तवतभहन प्रकार की व्यवस्थाओं में हो सकते हैं:
ईदाहरण के तलए, स्कू ल में छात्र ऄपने पाठ्यिम के ऄनुसार बेहतर प्रदशयन करने के तलए वांतछत
तवषय-वस्तुओं का ज्ञान प्रा‍त करते हैं; ऄपररतचत लक्षणों वाले रोगी का ईपचार करते समय तचक्रकत्सक
ऄंतर्तनतहत रोग के तवषय में तवचार करते हैं; या ऄतधकातधक सुसग
ं त ऄतभव्यति संप्रेतषत करने के तलए
कलाकार ऄपने तचत्र पर पुनः कायय करते हैं।
प्रभावी ऄनुकूलन में कइ प्रकार की संज्ञानात्मक प्रक्रियाएं समातवि होती हैं, जैस-े ग्रहणबोध
(perception), सीखना (learning), स्मृतत (memory) तकय करना एवं समस्या समाधान। आसतलए
बुतिमत्ता की पररभाषा पर प्रमुख जोर आस तय य पर होता है क्रक वास्तव में यह कोइ संज्ञानात्मक या
मानतसक प्रक्रिया नहीं है ऄतपतु आन प्रक्रियाओं का एक चयनात्मक संयोजन है जो प्रभावी ऄनुकूलन के
प्रतत सोद्देश्य क्रदशा तनददेशतशत होता है। आस प्रकार, नए रोग के तवषय में ज्ञान प्रा‍त करने वाला
तचक्रकत्सक तचक्रकत्सा सातहत्य में तवद्यमान सामग्री का ऄध्ययन करके , क्रक आस सामग्री में रोग के तवषय
में क्या तनतहत है, रोगी का ईपचार करने हेतु अवश्यक महत्वपूणय पहलुओं को याद करके और बाद में
ईस जानकारी का ईपयोग रोगी की अवश्यकताओं के ऄनुसार करने हेतु तकय का ईपयोग कर, ऄनुकूलन
करता है।

2.3. बु तिमत्ता के प्रकार (Types of Intelligence)


लंबे समय तक यह माना जाता रहा क्रक परीक्षण (टेस्ट) के माध्यम से बुतिमत्ता का पता लगाया सकता
है। ऐसा माना जाता था क्रक IQ टेस्ट के पररणामों के माध्यम से एक व्यति की दूसरे से तुलना कर ईनके
बुतिमत्ता का परीक्षण क्रकया जा सकता है। आस बात को भी ऄतभस्वीकृ तत प्राप्त थी क्रक बुतिमत्ता के

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तवतभहन प्रकार होते हैं और ये सहसंबि होते हैं- यक्रद लोग एक IQ टेस्ट के कु छ सेक्शन पर ऄच्छा
प्रदशयन करते हैं, तो वे ईसके सभी सेक्शन पर ऄच्छा प्रदशयन करने हेतु प्रवृत्त होंगे और आसके तवपरीत
स्थतत भी देखने को तमलती है, ऄतः, लोगों के तलए एक सामाहय बुतिमत्ता कारक तवकतसत क्रकया जा
सकता है। हालांक्रक, समय के साथ, कइ लोगों ने IQ टेस्ट के पररणामों पर प्रश्न ईठाने अर्‍भ कर क्रदए।
हाल ही में, शोधकताय बुतिमत्ता के तवतभन्न क्षेत्रों को समझने का प्रयास करते रहे हैं। मतस्तष्क की
काययप्रणाली के नए प्रकारों की खोज के माध्यम से, ईहहोंने 'ऄततररि बुतिमत्ता कारकों', जैस-े
ऄनुशासन, दृढ़ता, ऄंतवैयतिक संबंधों अक्रद पर तवचार करना अर्‍भ कर क्रदया।
आसने अगे तवतभन्न प्रकार की बुतिमत्ता को प्रकाश में लाया। ईहहोंने आस बात को स्वीकृ तत प्रदान क्रकया
क्रक हम में से प्रत्येक क्रकसी एक प्रकार/समूह की ओर झुकाव रखता है लेक्रकन ऄनु शीलन (ऄभ्यास) के
माध्यम से, हम शेष ऄहय प्रकार की बुतिमत्ता तवकतसत कर सकते हैं। आस सहदभय में, मनोवैज्ञातनक

हावडय गाडयनर ने बहु बुतिमत्ता तसिांत (Theory of Multiple Intelligences) की चचाय की। यह
तसिांत बुतिमत्ता के तवतभहन प्रकारों की तवद्यमानता के तवषय में चचाय करता है, जो ऄतनवायय रूप से
सहसंबि नहीं होती हैं। प्रत्येक व्यति में ईनका छोटा ऄंश तवद्यमान होता है। हालांक्रक, समय के साथ
प्रत्येक व्यति एक क्षेत्र को ऄतधक पररपूणत
य ा से तवकतसत कर लेता है तथा बाद में वह क्षेत्र दूसरे क्षेत्रों
का स्थान ग्रहण कर लेता है। आस प्रकार एक व्यति तवश्लेषणात्मक अधार पर ऄर्तजत क्रकये तबना भी
भावनात्मक बुतिमत्ता धाररत कर सकता है। मूलतः ईहहोंने सात तवतभहन प्रकार की बुतिमत्ताएं
प्रस्तातवत की थीं लेक्रकन बाद में ईहहोंने ऄपनी सूची में नैसर्तगक (naturalistic) और ऄतस्तत्वपरक
बुतिमत्ता (existential intelligence) को भी जोड़ा।

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आनकी चचाय नीचे की गयी है: For More Visit -http://pdf4exams.org

 भाषायी बुतिमत्ता (Linguistic Intelligence): वैसे लोग तजनमें भाषायी बुतिमत्ता तवकतसत
होती है, वे मौतखक और तलतखत दोनों रूपों में स्वयं को व्यि करने की बेहतर क्षमता प्रदर्तशत
करते हैं।
 तार्ककक बुतिमत्ता (Logic Intelligence): प्रबल तार्ककक बुतिमत्ता वाले लोग ऄत्यंत सरलता से
गतणत तथा तकय -शास्त्र के प्रश्न हल कर सकते हैं।
 प्रायोतगक बुतिमत्ता (Kinesthetic Intelligence): प्रायोतगक बुतिमत्ता का संबंध शारीररक
ऄतभव्यति से होता है। ऐसे लोगों को स्थान, दूरी, गहराइ तथा अकार की बहुत ऄच्छी समझ
होती है। शरीर पर ऄपेक्षाकृ त ऄतधक तनयंत्रण होने के कारण ऐसा व्यति सटीकता तथा सरलता से
जरटल गतततवतधयों को संचातलत कर सकता है।
 तत्रतवमीय बुतिमत्ता (Spatial Intelligence): तजनकी तत्रतवमीय बुतिमत्ता ऄतधक होती है वे
2D और 3D तचत्र बनाने तथा ईनकी कल्पना करने में सक्षम होते हैं। गेममग, वास्तुकला, मल्टी-
मीतडया तथा ऄंतररक्ष प्रौद्योतगकी क्षेत्र के पेशव
े र लोग ईच्च स्तर की तत्रतवमीय बुतिमत्ता प्रदर्तशत
करते हैं।
 संगीतात्मक बुतिमत्ता (Musical Intelligence): संगीतात्मक बुतिमत्ता एक दुलभ
य क्रकस्म की
बुतिमत्ता है। ऐसी क्षमता वाले लोग ध्वतन तथा संगीत को सुन कर तवतभन्न स्वरूपों तथा सुरों को
पहचान लेते हैं।
 ऄंतवैयतिक बुतिमत्ता (Interpersonal Intelligence): ऄंतवैयतिक बुतिमत्ता वाले लोग
व्यावहाररक होते हैं तथा दूसरों के प्रतत तज़्‍मेदारी की गहरी भावना प्रदर्तशत करते हैं। वे शांत-
तचत्त होते हैं, ईहहें सुनने तथा बोलने दोनों की कला अती है, क्रकहतु ईन सबसे ऄतधक ईनमें ऄपने
ज्ञान का प्रयोग कर पाने तथा दूसरों को प्रभातवत करने की क्षमता होती है। तजहहें जहमजात नेता
समझा जाता है, वे वही लोग होते हैं तजनमें ऄंतवैयतिक बुतिमता होती है। ऄंतवैयतिक
बुतिमत्ता वाले लोग दूसरों में तछपे गुणों को पहचान कर ईसे सतह पर लाने की कला भी जानते
हैं।
 ऄंतःवैयतिक बुतिमत्ता (Intrapersonal Intelligence): ऄंतःवैयतिक बुतिमत्ता ईन लोगों का
लक्षण है जो स्वयं से ऄत्यंत गहराइ जुड़े होते हैं। ऐसे लोग सामाहयतः स्वयं में तसमटे होते हैं क्रकहतु
ऄपने समकक्षों में ईनका बड़ा मान होता है। बुतिमत्ता के सात प्रकारों में से प्रत्येक में,
ऄंतःवैयतिक बुतिमत्ता सबसे दुलयभ होती है।

आस प्रकार, बुतिमत्ता की तार्ककक गतणतीय ऄवधारणा वाले एकाश्म बुतिमत्ता संबंधी पूवयवती
ऄवधारणा ने बहु बुतिमत्ता के तसिांत का मागय प्रशस्त क्रकया। ऄंतवैयतिक तथा ऄंतःवैयतिक
बुतिमत्ता संबंधी गाडयनर की ऄवधारणा बुतिमत्ता को समझने तथा ईस पर अधाररत सातहत्य की
व्याख्या करने में बहुत प्रभावशाली तसि हुइ। आहहीं से सामातजक बुतिमत्ता तथा ऄंततः भावनात्मक
बुतिमत्ता की धारणा सामने अयी।
बाद में, टफ्ट तवश्वतवद्यालय के रॉबटय स्टनयबगय ने बुतिमत्ता संबंधी ऄपनी ट्राइअर्ककक तसिांत
(Triarchic Theory) को सामने रखा तजसमें यह तकय प्रस्तुत क्रकया गया क्रक बुतिमत्ता संबंधी पूवयवती
पररभाषाएं ऄतत संकीणय हैं क्योंक्रक वे ईन बुतिमत्ताओं पर अतित हैं तजहहें IQ टेस्ट द्वारा परखा जा
सकता है। आसके स्थान पर, स्टनयबगय का मानना है क्रक बुतिमत्ता के प्रकारों को तीन ईपवगों:
तवश्लेषणात्मक (analytic), रचनात्मक (creative) तथा व्यवहाररक (practical) में तवभातजत क्रकया
जा सकता है। ईहहोंने यह भी तकय क्रदया क्रक बुतिमत्ता संबंधी परीक्षणों में रचनात्मकता को ईपेतक्षत
क्रकया जाना गलत था तथा ऄहय महत्वपूणय तवशेषताएं यथा संज्ञानात्मक प्रक्रियाएं, तनष्पादन संबंधी
ऄवयव, तनयोजन तथा तनणयय-प्रक्रिया संबंधी कौशल आत्याक्रद भी हैं।
बुतिमत्ता के ट्राइअर्ककक तसिांत के तवतभन्न पहलुओं के मुख्य कायय तनम्नतलतखत हैं:
(i) ऄवयवभूत – तवश्लेष्णात्मक बुतिमत्ता (Componential – Analytical Intelligence):
तवश्लेष्णात्मक बुतिमत्ता को क्रकताबी बुतिमत्ता के तौर पर संदर्तभत क्रकया जाता है। बुतिमत्ता का यह

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प्रकार IQ की पारं पररक पररभाषा तथा ऄकादतमक ईपलतधधयों से ऄतधक संबंतधत है। आसे ऄवयवभूत
बुतिमत्ता भी कहा जाता है। तवश्लेष्णात्मक प्रकृ तत के कारण ईच्च तवश्लेष्णात्मक बुतिमत्ता वाला व्यति
समस्याओं का हल ढू ँढने में प्रखर होता है। गूढ़ सोच तथा मूल्यांकन संबंधी कौशल के कारण आन लोगों
को समस्याओं के वे समाधान भी क्रदख जाते हैं जो सामाहयतः समझ में नहीं अते।
(ii) ऄनुभवजहय – रचनात्मक बुतिमत्ता (Experiential – Creative Intelligence): नइ
पररतस्थततयों से सामना होने पर नए तवचारों तथा समाधानों के अतवष्कार की क्षमता को रचनात्मक
बुतिमत्ता कहते हैं। आसे ऄनुभवजहय बुतिमत्ता भी कहा जाता है। बुतिमत्ता के आस प्रकार का संबंध
नवीन समस्याओं तथा तस्थततयों से तनपटने के तलए वतयमान ज्ञान के ईपयोग से है।
(iii) व्यवहाररक – प्रासंतगक बुतिमत्ता (Practical – Contextual Intelligence): सरल शधदों में,
व्यवहाररक बुतिमत्ता की पररभाषा ऄपना बचाव करने में सक्षम होना है। क्रकसी पररतस्थतत से तादात््‍य
स्थातपत करने की क्रकसी व्यति की क्षमता या ऄपनी अवश्यकताओं के ऄनुरूप ईसे पररवर्ततत कर लेने
की योग्यता को व्यावहाररक बुतिमत्ता कहा जाता है। आस प्रकार की बुतिमत्ता को समझ पाने का एक
ऄहय तरीका ईसे सामाहय बोध के रूप में देखना है। प्रततक्रदन की पररतस्थततयों को सवोत्तम संभव तरीके
से सुलझाना व्यति की बुतिमत्ता को प्रदर्तशत करता है।

3. बु तिमत्ता का सामातजक पहलू


(The Social Aspect of Intelligence)

3.1. पररभाषा (Definition)


दूसरों के साथ भली-भांतत घुल-तमल जाने तथा ईनका सहयोग पाने की क्षमता सामातजक बुतिमत्ता
कहलाती है। कभी-कभी आसे सरल भाषा में “लोक-व्यवहार कौशल” (people skills) कहा जाता है।
सामातजक बुतिमत्ता की अरं तभक पररभाषा 1920 में एडवडय थोनयडाआक द्वारा दी गयी, ईहहोंने आसे
"मानवीय संबंधों में बुतिमानी पूवयक व्यवहार करने हेतु पुरुषों, मतहलाओं तथा बातलकाओं को समझने
व प्रबंतधत करने की क्षमता" के रूप में बताया।
सामातजक बुतिमत्ता वस्तुतः एक व्यति द्वारा ऄपने पररवेश को पूणयरूपेण समझने तथा सामातजक रूप
से सफल अचरण हेतु ईपयुि प्रततक्रिया देने की क्षमता है। आस प्रकार, सामातजक बुतिमत्ता का अशय
पररतस्थतत के प्रतत जागरूक रहने से है। यह ऐसा सामातजक ऄनुप्रेरक है जो आन पररतस्थततयों को
तनयंतत्रत करती है। पुनः यह ऐसी संवाद शैली तथा रणनीततयों से संबंतधत है जो एक व्यति को दूसरों
के साथ व्यवहार करते वक़्त ईसके ईद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता कर सके । आसमें ककतचत अत्म-
ज्ञान तथा ऄपनी माहयताओं एवं प्रततक्रिया के तरीके भी तछपे होते हैं। आस प्रकार, सामातजक बुतिमत्ता
का अशय लोगों के साथ संपकय स्थातपत कर पाने तथा ईहहें सफल रूप से प्रभातवत करने की क्षमता से
है।
यह ऄंतवैयतिक बुतिमत्ता (interpersonal intelligence) के समतुल्य है। यह होवाडय गाडयनर के बहु
बुतिमत्ता तसिांतों (Theory of Multiple Intelligences) में पायी गयी बुतिमत्ता के प्रकारों में से
एक है। कु छ लेखकों ने सामातजक बुतिमत्ता की पररभाषा को सामातजक तस्थततयों से तनपटने के ज्ञान
तक सीतमत रखा है। कदातचत आसे ऄतधक ईपयुि रूप से सामातजक संज्ञान या सामातजक तवपणन
संबंधी बुतिमत्ता कहा जाता है, क्योंक्रक आसका संबंध प्रचलनयुि सामातजक मनोवैज्ञातनक तवज्ञापन
तथा तवपणन संबंधी रणनीततयों एवं ईपायों से है।

3.2. सामातजक बु तिमत्ता का तवकास

(Developing Social Intelligence)


चूँक्रक सामातजक बुतिमत्ता सीखे गए व्यवहार के माध्यम से ऄतभव्यि होने वाला कौशलों का एक सेट
या समुच्चय है, आसतलए आसे दूसरों पर स्वयं के व्यवहार के प्रभाव का मूल्यांकन कर तवकतसत क्रकया जा
सकता है। आसे ईस सीमा तक मापा जा सकता है तजस तक हम दूसरों से व्यवहार करने में सफल हो
पाते हैं। व्यति व्यवहार के नवीन तरीकों तथा नवीन संवाद नीततयों के साथ प्रयोग कर सकता है।

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सरलतम शधदों में कहा जाए तो, यह लोगों के साथ “घुलने-तमलने” की क्षमता को प्रदर्तशत करता है,
तजसे ऐसे समझ सकते हैं – व्यति की अयु जैस-े जैसे बढ़ती है, वह नवीन चीजें सीखता है, पररपक्व होते
जाता है तथा दूसरों के साथ कै से व्यवहार करना है, आस संबंध में ऄनुभव प्राप्त करता है। तजन लोगों में
सामातजक बुतिमत्ता का भलीं प्रकार से समावेश हम देख/समझ पाते हैं, ईनके कु छ ईदाहरणों में
महात्मा गांधी, दलाइ लामा तथा नेल्सन मंडल
े ा जैसे लोग शातमल हैं।
दुभायग्य से, बहुत से लोगों में ईम्र बढ़ने पर भी सीखने तथा तवकतसत होने की प्रवृतत्त नहीं होती। बहुत से
लोग सामातजक, व्यावसातयक तथा पेशेवर तस्थततयों में सफल हो सकने के तलए कौशल ग्रहण करने
तथा जागरूक होने की चेिा कभी नहीं करते। जबक्रक यह पूणतय या स्पि है क्रक दूसरों के साथ व्यवहार-
कु शलता में कमी वाले वयस्क अधारभूत ऄवधारणाओं को समझ पाने तथा ऄंतवैयतिक प्रभातवता की
कसौटी पर स्वयं को जांचने की प्रक्रिया ऄपना कर ऄपनी सामातजक बुतिमत्ता की तस्थतत में बहुत हद
तक सुधार ला सकते हैं।

3.3. सामातजक बु तिमत्ता से भावनात्मक बु तिमत्ता की ओर

(From Social Intelligence towards Emotional Intelligence)


यद्यतप, कु छ तवद्वानों ने “लोक-व्यवहार कौशल” (people skills) या “सामतजक बुतिमत्ता’ को
भावनात्मक बुतिमत्ता के तसिांत के ऄंतगयत स्‍मतलत क्रकया है, परहतु व्यवहाररक रूप से काययतनवायह-
क्षमता (competence) के दो तवतभन्न अयामों के रूप में भावनात्मक बुतिमत्ता और सामतजक
बुतिमत्ता पर तवचार करना ऄतधक महत्वपूणय है। सामतजक बुतिमत्ता {गाडयनर की “ऄंतवैयतिक
बुतिमत्ता” (interpersonal intelligence)} वस्तुतः भावनात्मक बुतिमत्ता {गाडयनर की ऄंतःवैयतिक
बुतिमत्ता (intrapersonal intelligence)} से पृथक, परहतु ईसकी पूरक है। लेक्रकन हमें स्वयं को
समझने और दूसरों से संवाद करने के तरीकों के तलए दोनों ही मॉडलों की अवश्यकता होती है।
भावनात्मक बुतिमत्ता के ऄपयायप्त रूप से तवकतसत होने के कारण सामातजक बुतिमत्ता में कु छ कतमयां
अ जाती हैं। आसके तवपरीत सामातजक बुतिमत्ता की कु छ कतमयां ऄसफल सामातजक ऄनुभवों का
कारण बन सकती हैं, जो क्रकसी व्यति के स्व-महत्व की भावना (जो भावनात्मक बुतिमत्ता का ही एक
भाग है) को क्षीण कर सकती हैं।

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4. भावनाओं और बु तिमत्ता के मध्य सं बं ध : पारं प ररक


पररप्रे क्ष्य
(Relation Between Emotions and Intelligence: The Traditional Perspective)
तार्ककक या गतणतीय क्षमता के रूप में बुतिमत्ता की पार्‍पररक धारणा आसे संज्ञानात्मक क्षमता
(cognitive ability) के ऄधीन ला देती है। संज्ञान (Cognition) वस्तुतः स्मृतत, मनोयोग, भाषा,
समस्या तनवारण और तनयोजन जैसी प्रक्रियाओं को संदर्तभत करता है। कइ संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं में
प्रायः तथाकतथत तनयंतत्रत प्रक्रियाएं स्‍मतलत होती हैं, जैस-े जब लक्ष्य का पीछा करना हो तो मतस्तष्क

को व्यवधान (ईदाहरण के तलए: तवचतलत करने वाली ईत्तेजना, जैसे घबराहट वाली अवाज) से
सरं तक्षत रखना चातहए (ईदाहरण के तलए: कु छ तय यों को याद रखने जैसी जानकारी मतस्तष्क में बनाये
रखना)।
पर्‍परागत रूप से यह माना जाता था क्रक गैर-संज्ञानात्मक होने के कारण भावनाएं संज्ञानात्मक
प्रक्रियाओं को सुकर नहीं बना सकती। वास्तव में, यह माना जाता था क्रक भावनाएं संज्ञानात्मक कायय के

प्रततकू ल होती हैं, क्योंक्रक वे गहन ऄनुभूतत होती हैं। आस प्रकार, अरं भ में धारणा यह थी क्रक भावना

और बुतिमत्ता के मध्य या तो कोइ स्‍बहध नहीं है या नकारात्मक स्‍बहध है। ईदाहरण के तलए, जब

हम िोध या ऄवसाद जैसी नकारात्मक भावना ऄनुभव कर रहे होते हैं, तो पहेली हल करने या ऄच्छे
तनणयय करने जैसे रचनात्मक कायों को करना बहुत करठन हो जाता है।
हालाँक्रक, मेयर और सालोवी ने भावनात्मक बुतिमत्ता की ऄवधारणा में भावनाओं और बुतिमत्ता के
बीच नकारात्मक स्‍बहध को ऄस्वीकार कर क्रदया। यह ऄनुभव क्रकया गया क्रक हमारी सोच या तनणयय
लेने में भावनाएं मागायवरोध नहीं हैं। यह हमें भावनात्मक बुतिमत्ता के तवषय की ओर ले जाती है।

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5. भावनात्मक (सं वे गात्मक) बु ति/समझ/बु तिमत्ता: भावनाओं


और बु तिमत्ता का समे क न
(Emotional Intelligence: Integration of Emotions and Intelligence)
1990 में मेयर और सालोवी ने पहली बार भावनात्मक बुतिमत्ता पद को प्रस्तुत क्रकया गया था। आसे
कौशल के एक ऐसे सेट के रूप में वर्तणत क्रकया गया है, तजसमें व्यति की स्वयं की और दूसरों की
ऄनुभूतत/भावनाओं का तनरीक्षण/ऄहवेषण स्‍मतलत होता है, ताक्रक ईनमें भेद क्रकया जा सके और ईस
जानकारी का ईपयोग व्यति की सोच और ईसके काययवाही में मागयदशयन के तलए क्रकया जा सके । आस
प्रकार यह भावनाओं और बुति/बुतिमत्ता का समेकन करता है। सरल भाषा में हम यह कह सकते हैं क्रक
यह भावनाओं को रचनात्मक ईद्देश्यों के तलए प्रयोग करने की क्षमता है। हमें यह समझ लेना चातहए क्रक
भावनात्मक बुतिमत्ता, बुतिमत्ता के तवपरीत नहीं है। यह हृदय पर मतस्तष्क की तवजय नहीं है बतल्क
यह दोनों का एक ऄनूठा तमलन है।
मेयर और सालोवी ने आस ऄवधारणा को बुतिमत्ता की ईस पर्‍परागत धारणा की चुनौती के रूप में
प्रस्तुत क्रकया था, जो के वल संज्ञानात्मक क्षमता पर ही के तहित थी। आहहोने ईन तवचारकों को भी चुनौती
क्रदया, जो भावनाओं को संज्ञानात्मक गतततवतधयों के तलए बाधा मानते थे। भावनात्मक बुतिमत्ता में
ऄंतःव्यैतिक और ऄंतवैयतिक बुतिमत्ता, ऄथायत वतयमान भावनात्मक तस्थतत में ऄपनी और दूसरों की
क्षमताओं के सहदभय में जानने की क्षमता स्‍मतलत है।

5.1. मे य र और सालोवी द्वारा प्रस्तातवत भावनात्मक बु तिमत्ता

(Emotional Intelligence as Proposed by Mayer and Salovey)


मेयर और सालोवी ने 1997 में भावनात्मक बुतिमत्ता के दायरे में अने वाली योग्यताओं को ऄत्यातधक
स्पि रूप से रे खांक्रकत कर आसका वणयन क्रकया था। ईहहोंने आन योग्यताओं को चार शाखाओं/कौशलों के
ऄनुसार सुतनयोतजत क्रकया:
चार शाखाओं/कौशलों वाला मॉडल (Four Branch Model):
 भावनाओं को ऄनुभव करना
(Perceiving emotions): यह
भावनाओं को समझने की क्षमता को
संदर्तभत करता है ऄथायत भावनाओं
को पहचानना और ईहहें वतयमान
भावनात्मक तस्थतत में स्वयं में और
दूसरों में तवशेष रूप से वगीकृ त करने
की क्षमता। ईदाहरण के तलए, यह
क्रकसी व्यति को यह समझने में सक्षम
करती है वह क्रकस प्रकार की भावों से
गुजर रहा है।
 भावनाओं को समझना
(Understanding emotions): यह
क्रकसी व्यति द्वारा प्रस्तुत भावनाओं
को बेहतर ढंग से समझने की क्षमता है। यह भावनाओं, तवचारों और अचरण के मध्य के स्‍बहध
को समझने में भी सक्षम बनाता है। ईदाहरण के तलए, आस क्षमता से युि व्यति बेहतर रूप से यह
समझ सकता है क्रक कै से कोइ तवशेष भावना स्वयं की या दूसरों की सोच या काययवाही को
प्रभातवत कर सकती है।

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 मचतन (तवचार-प्रक्रिया) में सहायता के तलए भावनाओं का ईपयोग करना (Using emotions to
facilitate thought): यह मॉडल ईपयुयि माडलों का एक तार्ककक पररणाम है ऄथायत ईपयुयि
दोनों से यह ऄनुमान लगाया जा सकता है क्रक ठोस ईद्देश्यों के तलए यक्रद भावनाओं को क्रदशा प्रदान
क्रकया जाए तो भवानाएं तवचार प्रक्रिया को अगे बढ़ा सकती हैं, जैस-े ईपयुि तनणयय लेना या
क्रकसी समस्या को हल करना।
 भावनाओं का प्रबंधन (Managing emotion): यह दूसरों की भावनाओं को ग्रहण करने और
नकारात्मक भावनाओं को सकारात्मक में पररवर्ततत करने की क्षमता को संदर्तभत करता है। आसकी
ईपयोतगता आस बात में तनतहत है क्रक आसके माध्यम से स्वयं में या दूसरों में वांतछत भावनाएं
ईत्पन्न की जाती हैं, जो सौंपे गए या सुपद
ु य कायय को सकरात्मत्क क्रदशा देने में सहायक होते हैं। ऐसा

आसतलए संभव हो पाता है क्योंक्रक भावनाएं प्रेरणादायक उजाय होती हैं, ऄतः यक्रद वांतछत
भावनाएं ईत्पन्न की जाएँ तो कायय की क्रदशा में क्रकए जाने वाले प्रयास सुसाध्य हो जाते हैं। आसके
ईदाहरण हैं- स्वयं को या दूसरों को क्रकसी कायय के तलए प्रेररत करना, जैस-े पढ़ाइ पर ध्यान के तहित

करना जब ऐसा करना करठन लग रहा हो; या क्रकसी तनावपूणय तस्थतत को तबना िोतधत हुए
प्रबंतधत करना अक्रद।

5.2. डे तनयल गोलमै न द्वारा प्रदत्त भावनात्मक बु तिमत्ता (या सं वे गात्मक बु ति) का
मॉडल
(Model of Emotional Intelligence by Daniel Goleman)
गोलमैन ने भावनात्मक बुतिमत्ता (या संवेगात्मक बुति) की ऄवधारणा को 1999 में और ऄतधक
पररष्कृ त क्रकया:
पांच घटकों वाला मॉडल (Five Components Model)
 अत्म-जागरूकता (Self-awareness): यह व्यतिगत मनोदशा, भावनाओं और प्रेरणाओं को
पहचानने और ईनका दूसरों पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने की क्षमता है। अत्म-जागरूकता के
प्रमाण हैं: अत्म-तवश्वास, यथाथयवादी अत्म-मूल्यांकन और स्व-तवरोधात्मक हास्य की भावना।
अत्म-जागरूकता वस्तुतः व्यति द्वारा स्वयं की भावनात्मक तस्थतत की जाँच करने, ईसे ठीक से
पहचनाने और नाम देने की क्षमता पर तनभयर करता है।
 अत्म-तवतनयमन (Self-regulation): यह तवघटनकारी अवेगों और मनोदशाओं को तनयंतत्रत
करने या पुनर्तनददेशतशत करने की क्षमता है और तनणयय को तनलत्‍बत करने ऄथवा कायय करने से
पहले सोचने की प्रवृतत्त है। अत्म-तवतनयमन के प्रमाण हैं: तवश्वसनीयता और सत्यतनष्ठा; ऄस्पिता

के साथ सहजता; और पररवतयन के तलए खुलापन।


 अत्म ऄतभप्रेरण (Internal motivation): यह अंतररक तववेक के अधार पर कायय करने के जुनन

(मनोभाव) को संदर्तभत करता है, जो धन और प्रततष्ठा जैसे बाय घ पाररतोतषक से परे होता है। आसे
जीवन में क्या महत्वपूणय है, कायय करने में तमलने वाले अनंद, सीखने की तजज्ञासा, एक प्रवाह जो
क्रकसी गतततवतध में तल्लीन होने से अता है, जैसी अंतररक दृति से संचातलत क्रकया जा सकता है।
अत्म ऄतभप्रेरण के प्रमाण हैं: कु छ हातसल करने की सशि प्रेरणा, तवफलता की तस्थतत में भी
अशावाक्रदता और संगठनात्मक प्रततबिता।
 समानुभतू त (Empathy): यह दूसरों के भावनात्मक स्वरूप को समझने की क्षमता है। आसमें
कल्पनात्मक रूप से दूसरे की तस्थतत में स्वयं को रख कर ईसकी भावनाओं को जानने की क्षमता

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स्‍मतलत है। यह एक ऐसा कौशलFor


है जो लोगों के साथ ईनकी भावनात्मक प्रततक्रिया के ऄनरूप
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व्यवहार करने में सहायता करता है। समानुभूतत के प्रमाण हैं: प्रततभा सृजन और ईसे बनाए रखने
की क्षमता, दूसरों की संस्कृ तत के प्रतत संवेदनशीलता अक्रद। यहाँ ध्यान में रखने वाली महत्वपूणय
बात यह है क्रक समानुभूतत में अवश्यक रूप से करुणा सत्‍मतलत नहीं होती है। समानुभूतत का
‘ईपयोग’ करुणा या तनष्ठु र व्यवहार के तलए क्रकया जा सकता है। वैसे सीररयल क्रकलर, जो
िृंखलाबि ढंग से ऄपने जीवन-सातथयों से तववाह करते हैं और ईनकी हत्या कर देते हैं, ईनमें कू ट-
कू ट कर समानुभूतत कौशल भरा हो सकता है!

 सामातजक दक्षता (Social skills): आसमें स्‍बहधों को प्रबंतधत करने और नेटवकय बनाने की दक्षता
तथा तालमेल स्थातपत करने के तलए साझा अधार खोजने की क्षमता स्‍मतलत होती है।
सामातजक दक्षता के प्रमाण हैं: पररवतयन लाने,समझाने बुझाने, तवशेषज्ञता सृतजत करने और टीम
का नेतृत्व करने में प्रभावशीलता।

आस प्रकार भावनात्मक बुतिमत्ता (या संवेगात्मक बुति) का गोलमैन का मॉडल ऄतधक व्यापक है तथा
यह क्रकसी सामातजक व्यवस्था, तवशेषकर शासन एवं प्रशासन के प्रभावी रूप से कायय करने हेतु बहुत
ईपयुि है।

भावनात्मक बुतिमत्ता के कु छ ईदाहरण (Some Examples of Emotional Intelligence)


 मानवीय आततहास के कु छ महानतम क्षण भावनात्मक बुतिमत्ता से प्रेररत थे। जब मार्टटन लूथर
ककग जूतनयर ने ऄपने स्वप्न को प्रस्तुत क्रकया, तो ईहहोंने ईस भाषा का चयन क्रकया तजसमें िोताओं

के क्रदलों को ईद्वेतलत करने की क्षमता थी। ईहहोंने वायदा क्रकया क्रक जो भूतम “दमन की अग से

ईबल रही है” ईसे “स्वतहत्रता और हयाय” के शीतल जल स्रोत में पररवर्ततत क्रकया जा सकता है।

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आस प्रभावी संदश
े के तलए भावनात्मक बुतिमत्ता की अवश्यकता थी – ऄथायत् भावनाओं को

पहचानने, समझने और प्रबहधन की अवश्यकता थी। मार्टटन लूथर ककग ने ऄपनी भावनाओं के
प्रबहधन और दशयकों की भावनाओं को जगा कर ईहहें काम पर लगाने के ऄद्भुत कौशल का प्रदशयन
क्रकया। ककग ने “तववेक एवं भावना, िोध और अशा का पूरी तरह से एक संतुतलत नारा” प्रस्तुत
क्रकया। ईनके ददय और िोध का तमतित स्वर लोगों के सुरों से मेल खाता था।
 भारतीय राष्ट्रीय अहदोलन में गाँधीजी का योगदान भी आसी प्रकार का था। भारत छोड़ो अहदोलन
की पूवय संध्या पर ईनके “करो या मरो” के नारे ने भारतीय जनमानस को ईत्तेजना से भर क्रदया,
फलस्वरूप मानव आततहास का एक व्यापक जनअहदोलन देखने को तमला। भावनात्मक बुतिमत्ता
से स्वयं के और दूसरों की भावनाओं के प्रबहधन का कौशल प्राप्त होता है।

6. बु ति लतधध (आं टे तलजें स कोशें ट ) बनाम भावनात्मक लतधध


(आमोशनल कोशें ट ) पर एक दृति
{A perspective on Intelligence Quotient (IQ) versus Emotional Quotient (EQ)}

IQ, या बुति लतधध, क्रकसी व्यति की बुति/बुतिमत्ता को अँकने के तलए तडज़ाआन क्रकए गए कइ
मानकीकृ त परीक्षणों में से एक से व्युत्पन्न (प्राप्त) सांख्यात्मक प्राप्तांक (numerical score) है। यह

सांख्यात्मक-भाषाइ और तार्ककक क्षमताओं का मूल्यांकन करता है। चूंक्रक IQ 'बुति' या ‘सामाहय


बुतिमत्ता’ का एक पररमाण है, तजसे जहमजात माना जाता है, आसतलए यक्रद यह क्रकसी व्यति में पहले

से हीं तवकतसत नहीं है, तो ईसमें ईच्च IQ तवकतसत नहीं क्रकया जा सकता है।

दूसरी ओर, EQ, कोइ सांख्यात्मक प्राप्तांक नहीं है। EQ, भावनात्मक लतधध का प्रतीक है, जो

भावनात्मक बुतिमत्ता (Emotional Intelligence: EI) के प्रतत क्रकसी व्यति की स्वाभातवक क्षमता के

स्वस्थ या ऄस्वस्थ तवकास के सापेक्ष पररमाण को दशायता है। समान EI स्तर वाले दो व्यतियों में EQ
का स्तर तभन्न हो सकता है, क्योंक्रक EQ सामाजीकरण का ईत्पाद है। EQ का तवकास माता-तपता,
तशक्षकों अक्रद से प्राप्त भावनात्मक तशक्षाओं से होता है।
EQ को काययस्थल पर सफलता का एक बेहतर संकेतक माना जाता है। ऄपने असपास के लोगों को
समझने, समानुभूतत व्यि करने और संबंध जोड़ने की क्षमता के कारण, ईच्च EQ वाले लोग अमतौर

पर महान नेता और टीम ‍लेयर बनते हैं। गोलमैन के ऄनुसार, काययस्थल पर तमलने वाली सफलता,

लगभग 80% या आससे ऄतधक EQ पर तनभयर करती है और लगभग 20% या ईससे कम IQ पर तनभयर

करती है। पररणामस्वरूप, ईच्च IQ वाले कइ व्यति जीवन में सफल नहीं हो पाते, जबक्रक आसके

तवपरीत, ऄतधकांश सफल लोगों का EQ ईच्च होता है। अज ऄतधकांश व्यवसायों की सफलता, दूसरों के
संकेतों को समझने और ईनके प्रतत ईतचत प्रततक्रिया व्यि करने की हमारी क्षमता पर तनभयर करती है।
सबसे बुतिमान लोग ही जीवन में सबसे सफल या सबसे संति
ु नहीं होते हैं। ऐसे लोग भी हैं जो
शैक्षतणक दृति से बहुत बक्रढ़या हैं परं तु क्रफर भी काम पर या ऄपने व्यतिगत संबंधों में, सामातजक रूप
से ऄक्षम और ऄसफल रहते हैं। जीवन में सफल होने के तलए के वल बुति लतधध (IQ) ही ऄपने अप में

पयायप्त नहीं है। क्रकसी का IQ ईसे महातवद्यालय में तो ले जा सकता है, परं तु यह के वल भावनात्मक
बुतिमत्ता ही है जो ऄंततम परीक्षाओं या साक्षात्कार के दौरान तनाव और भावनाओं को प्रबंतधत करती
है।

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IQ मुख्य रूप से अनुवंतशक होता है। हालांक्रक, ब्रेन-फ़ू ड और मानतसक क्षमता को बढ़ाने वाले ऄभ्यासों,
जैस-े पहेतलयों, पार्तश्वक मचतन समस्याओं और समस्या तनवारण तकनीकों, के माध्यम से क्रकसी व्यति
के IQ को आसकी ईच्चतम क्षमता तक ले जाने के तलए कइ तरीके ईपलधध हैं जो अपको लीक से हटकर
सोचने में सक्षम बनाते हैं। दूसरी तरफ, EQ वस्तुतः IQ और ईन सभी ऄहय क्षमताओं, तजनसे कोइ
व्यति ऄहय सवोत्कृ ि गुणों से संपन्न होता है, ईसको प्रभावी रूप से ईपयोग करने की क्षमता है। आस
प्रकार, IQ एक वाहन की भांतत होता है, परं तु यह EQ ही है जो गंतव्य को तनधायररत करता है। ऄतः,
ईच्चतम संभातवत तवकास तक पहुंचने में IQ की तुलना में EQ ऄतधक महत्वपूणय है।

7. भावनात्मक बु तिमत्ता का महत्व


(Importance of Emotional Intelligence)
ईन लोगों के सफल होने की संभावना ऄतधक होती है जो स्वयं और दूसरों को भावनात्मक रूप से
प्रबंतधत करने में ऄतधक सक्षम होते हैं ऄथायत् जो पसंदीदा और तवश्वसनीय होते हैं, ईनके सफल होने की
संभावना ऄतधक होती है। शोध से पता चलता है क्रक 80% से ऄतधक सफलता "मानव ऄतभयांतत्रकी" में
कु शलता, व्यतित्व और ऄपने अप को व्यि करने, बातचीत करने व नेतृत्व करने की क्षमता के कारण
प्राप्त होती है। तकनीकी ज्ञान के कारण के वल 15 प्रततशत ही सफलता प्राप्त होती है। आसके ऄततररि,
नोबल पुरस्कार तवजेता मनोवैज्ञातनक, डेतनयल काहनेमन ने पाया क्रक लोग क्रकसी ऐसे व्यति के साथ
व्यवसाय या काम करना पसंद करें गे तजसे वे पसंद करते हैं और तजस पर तवश्वास करते हैं, बजाय आसके
तजसे वे पसंद नहीं करते हैं और न ही भरोसा करते हैं, भले ही पसंद अने वाला व्यति तनम्न गुणवत्ता
वाले ईत्पाद या सेवा को ईच्च कीमत पर ईपलधध करा रहा हो।
आसतलए, के वल पारं पररक IQ पर ध्यान कें क्रित करने की बजाय, व्यति को ऄपने EQ (भावनात्मक
लतधध) को बेहतर बनाने के तलए पररिम करना चातहए। EQ की ऄवधारणाओं को अंकना करठन हो
सकता है, लेक्रकन ईनका महत्व IQ से कहीं ऄतधक है।
साधारण शधदों में कहा जाए तो, भावनात्मक बुतिमत्ता हमारे भीतर "कु छ" ऐसा होता है जो हमें यह
समझने में सहायता करता है क्रक हम कै से ऄनुभव करते हैं और यह हमें दूसरों के साथ सही ऄथों में
जुड़ने और संबंध बनाने में सक्षम बनाता है। यह हमें क्रकसी को स्वीकार करने और सुनने की क्षमता
प्रदान करता है, वह भी तब जब क्रकसी को आसकी सबसे ऄतधक अवश्यकता होती है। यह हमारे भीतर,
अंतररक संतुलन का वह बोध है जो तनाव के दौरान भी हमें हमारा अत्मसंयम बनाए रखने, ऄच्छे
तनणयय लेन,े सफलतापूवक
य संवाद करने और प्रभावी नेतृत्व बनाए रखने में सक्षम बनाता है। तवतशि रूप
से कहें तो, भावनात्मक बुतिमत्ता तनम्नतलतखत कारणों से महत्वपूणय है:

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ऄपनी भावनाओं को जानने में (Know Your Emotions)
भावनाएं शतिशाली प्रततक्रियाएं होती हैं। यक्रद कोइ ऄपनी भावनाओं से ऄवगत नहीं है तो वह सही
नैततक तनणयय नहीं ले सकता है। आसके ऄततररि, ऄंतर्तनतहत भावना/स्नेह को व्यि करने के तलए ऄपनी
भावनाओं को जानना एक पूव-य अवश्यकता है।
भावनाओं को प्रबंतधत करने में (Managing Emotions)
हमारे मानतसक स्वास्य य के तलए और दूसरों के साथ हमारी ऄहयोहय क्रिया को काययक्षम बनाए रखने के
तलए भावनाओं को प्रबंतधत करना बहुत महत्वपूणय है। आसके ऄततररि, भावनाओं का प्रबंधन, स्वयं को
और दूसरों को प्रेररत करने हेतु महत्वपूणय है।
बृहत्तर अत्म-जागरूकता (Greater Self-Awareness)
यह क्रकसी की भावनाओं को समझने और यथाथयवादी लक्ष्यों को स्थातपत करने हेतु अवश्यक है।
सफलता प्राप्त करने के तलए और सदा प्रसन्न रहने के तलए तो यह ऄतत अवश्यक है।
अत्म-तवतनयमन (Self-Regulation)
भावनात्मक बुतिमत्ता क्रकसी व्यति को ईच्च अत्म-तनयंत्रण बनाये रखने में सक्षम बनाता है। आसतलए,
भावनात्मक बुतिमत्ता वस्तुतः तवश्वास और तनष्पक्षता के एक ऐसे वातावरण का सृजन करता है तजसमें
अपसी मतभेद कम हो जाते हैं और सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
समानुभतू त (Empathy)
भावनात्मक बुतिमत्ता, क्रकसी व्यति को दूसरों की भावनाओं पर तवचार करने और ईतचत तरीके से
व्यवहार करने में सक्षम बनाता है। समानुभूतत रखने वाले व्यति चीजों को दूसरों के पररप्रेक्ष्य से देखने
में सक्षम होते हैं। आसतलए, वे ईन जरटल सामातजक संकेतों को पहचानने में सक्षम होते हैं जो यह दशायते
हैं क्रक दूसरों को क्या चातहए। आस प्रकार, ईच्च EQ वाले व्यति सेवा के प्रतत ऄतधक ईहमुख होते हैं।
सामातजक दक्षता (Social skills)
यह दूसरों में वांतछत व्यवहार को प्रेररत करने की दक्षता को संदर्तभत करता है।

8. भावनात्मक रूप से बु तिमान होने के तलए अवश्यक कौशल


(Skills Required for Being Emotionally Intelligent)
स्व-जागरूकता (Self-Awareness)
भावनात्मक रूप से बुतिमान लोग आस बात से ऄवगत होते हैं क्रक वे कै सा ऄनुभव करते हैं, ईहहें क्रकस
चीज़ से प्रेरणा तमलती है तथा वे क्रकस चीज़ से हतोत्सातहत होते हैं, और वे दूसरों को क्रकस प्रकार
प्रभातवत करते हैं।
सामातजक दक्षता (Social skills)
भावनात्मक रूप से बुतिमान लोग दूसरों के साथ ऄच्छी तरह से संवाद करते हैं और संबंध स्थातपत
करते हैं। वे तवतवध पृष्ठभूतमयों वाले व्यतियों को ध्यान से सुनते हैं और ईनकी तवतशि ऄवश्यकताओं के
ऄनुसार संवाद करते हैं। वे करुणा क्रदखाते हैं।
अशावाद (Optimism)
भावनात्मक रूप से बुतिमान लोग, जीवन के प्रतत सकारात्मक और अशावादी दृतिकोण रखते हैं।
ईनका मानतसक दृतिकोण ईहहें ऄसफलताओं के बावजूद लक्ष्यों की ओर लगातार ईहमुख होने के तलए
प्रोत्सातहत करता है।
भावनात्मक तनयंत्रण (Emotional Control)
भावनात्मक रूप से बुतिमान लोग तनाव को समान रूप से संभालते हैं। वे पररवतयन और ऄंतवैतिक
तववादों आत्याक्रद जैसी भावनात्मक रूप से तनावपूणय तस्थततयों को बड़े धैयय से प्रबंतधत करते हैं।
लचीलापन (Flexibility)
भावनात्मक रूप से बुतिमान लोग पररवतयनों के प्रतत स्वयं को ऄनुकूल बनाते हैं। वे तवकल्पों को
तवकतसत करने के तलए समस्या-तनवारण तकनीकों का ईपयोग करते हैं।

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9. भावनात्मक बु तिमत्ता वाले लोगों की तवशे ष ताएं


(Qualities of people with Emotional Intelligence)
 प्रमातणकता तथा वैधता।
 बेहतर ऄंतवैयतिक स्‍बहध, पररणामस्वरूप सामाज में स्‍मान की प्रातप्त।
 सत्यतनष्ठा के साथ काम करना, क्योंक्रक सत्यतनष्ठता का ऄथय होता है हमारी सोच तथा कायय में
एकरूपता, आसतलए स्वयं के भावनात्मक रूप से बुतिमान होने पर व्यति स्वयं तथा अस-पास के
पररवेश के प्रतत जागरूक होगा। आसतलए ऄसंतल
ु न की संभावना हयूनतम होगी।
 भावनात्मक बुतिमत्ता के कारण तनाव कम होता है। ऐसा आसतलए क्रक भावनात्मक रूप से
बुतिमान लोग ऄपनी भावनाओं के प्रबंधन तथा ईनके तनयंत्रण में प्रवीण होते हैं।
 कररयर की ईन्न त संभावनाएं, क्योंक्रक प्रत्येक संगठन एक सामातजक प्रणाली होती है जहाँ लोग
अपसी ताल-मेल तथा ऄंतरतनभयरता युि जैतवक समूह का गठन करते हैं। ईच्चतर भावनात्मक
बुतिमत्ता वाले लोग सामातजक संबंध स्थातपत करने में कु शल होते हैं।
 दूसरों के साथ बेहतर संवाद भावनात्मक बुतिमत्ता की अधारभूत तवशेषता होती है।
 अत्म-जागरुकता एवं अत्म-तनयमन के कारण अत्म-तवश्वास तथा सकारात्मकता की ऄनुभूतत।
 दूसरों से अदर की प्रातप्त, चूँक्रक भावनात्मक बुतिमत्ता व्यवहाररकता, संवेदनशीलता तथा सहयोग

की भावना, एवं ऄच्छी िवण क्षमता पैदा करता है। ऄनुकूल स्‍बहध स्थातपत करने के तलए आन
गुणों की अवश्यकता होती है।
 ईच्च भावनात्मक बुतिमत्ता वाले लोग ऄतधक समानुभूततपूणय होते हैं, क्योंक्रक भावनात्मक बुतिमत्ता
के तलए दूसरों की भावनाओं तथा ईनके दृतिकोणों को समझना अवश्यक होता है।
 ग़लततयों से सीखना, क्योंक्रक भावनात्मक बुतिमत्ता वाले लोग तनश्चयात्मक, साहसी तथा ऄपने

कृ त्यों का दातयत्व स्वीकार करने वाले होते हैं। आसतलए, भावनात्मक बुतिमत्ता से लोगों में
ग़लततयों को दोहराने की प्रवृतत्त कम हो जाती है।
 अलोचना से लाभ: क्रकसी को भी नकारात्मक अलोचना ऄच्छी नहीं लगती, क्रकहतु अपको मालूम
होना चातहए क्रक सकारात्मक अलोचना हमें सीखने का ऄवसर प्रदान करती है तथा तनराधार होने
पर भी, यह अपको दूसरों की तवचार-प्रक्रिया से ऄवगत कराती है। नकारात्मक फीडबैक तमलने

पर अप ऄपनी भावनाओं पर काबू रख स्वयं से पूछते हैं, क्रक “मुझमें और ऄतधक सुधार कै से हो

सकता है?"

 आससे रचनात्मकता संवर्तित होती है, क्योंक्रक ऐसी माहयता है क्रक रचनात्मकता, सकारात्मक

भावनाओं का पररणाम होती है। दूसरी ओर, भावनात्मक बुतिमत्ता के कारण हमें ऄपने तनाव के
स्तर को तनयंतत्रत रखने तथा तवपरीत पररतस्थततयों में अशावादी बने रहने में सहायता तमलती है।
 पररवतयनों को बेहतर ढंग से प्रबंतधत क्रकया जा सकता है। ऐसा आसतलए है क्रक तहतधारक
सामाहयतः पररवतयन को स्वीकार नहीं करना चाहते तथा ईच्च भावनात्मक बुतिमत्ता वाला व्यति
ऄहय तहतधारकों को समझा-बुझा कर एकमत कर लेता है।
 कायय-स्थल पर भावनात्मक रूप से बुतिमान लोगों द्वारा बेहतर सहयोग तथा समहवय का
वातावरण तनर्तमत क्रकए जाने के कारण शति की खींच-तान संबंधी खेल कम होते हैं।
 स्वयं को भावनात्मक नुकसान से बचाना (Protecting oneself from emotional

sabotage): भावनात्मक बुतिमत्ता का एक नकारात्मक पक्ष भी होता है – यथा ऐसे व्यति ऄपने
व्यतिगत ईद्देश्यों को अगे बढ़ाने या क्रकसी ऄहय स्वाथय-पूणय कारण से ऄहय लोगों की भावनाओं के

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साथ चालाकी भरा तखलवाड़ कर सकते हैं। आसतलए स्वयं को आससे बचाने के तलए ऄपनी
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भावनात्मक बुतिमत्ता को मांजते रहना चातहए।


 अवश्यकताएं तथा आच्छाएं (Needs and Wants): भावनात्मक बुतिमत्ता युि मतस्तष्क ऄपने
तलए अवश्यक वस्तुओं तथा पसंद की चीज़ों के बीच ऄंतर करना जानता है जो बहुत कु छ आच्छा
सी प्रतीत होती हैं। ऄब्राहम मैस्लो की “हायराकी ऑफ़ नीड्स के सहदभय में ऄगर देखा जाए तो एक

अवश्यकता अधारभूत स्तर की चीज़ होती है, यथा सुरक्षा, ईत्तरजीतवता तथा भरण-पोषण। ईन
चीज़ों की पूर्तत हो जाने पर हम ऄहय अवश्यकताओं या आच्छाओं की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
“आच्छा” का ऄथय है एक बड़ा घर, एक ऄच्छी कार, स्माटय फ़ोन आत्याक्रद। ईत्तरजीतवता या जीने के

तलए हमें ईन चीज़ों की अवश्यकता नहीं होती, बतल्क ईनकी आच्छा हमारी पसंद के ऄनुसार तथा
समाज में ईनके महत्व के ऄनुसार ईठती है। भावनात्मक रूप से बुतिमान लोग आन दोनों चीज़ों के
बीच के ऄंतर को समझते हैं, तथा आच्छा पूर्तत से पहले अवश्यकताओं को महत्व देते हैं।

10. क्या भावनात्मक बु तिमत्ता तवकतसत की जा सकती है ?


(Can Emotional Intelligence be Developed?)
लोगों में भावनात्मक बुतिमत्ता तवकतसत कर पाने की क्षमता को लेकर ऄनेक दृतिकोण हैं। कु छ
शोधकतायओं का मानना है क्रक भावनात्मक बुतिमत्ता सीखी तथा सुदढ़ृ की जा सकती है, जबक्रक ऄहयों
का मानना है क्रक यह एक जहमजात तवशेषता है। आस पररप्रेक्ष्य में, कु छ तवचारकों की राय में
भावनात्मक बुतिमत्ता (EI) तथा भावनात्मक लतधध (EQ) के बीच ऄंतर होता है। EI का तात्पयय
ऄहतःतस्थत क्षमता से है, यथा हर व्यति भावनात्मक साक्षरता तथा भावात्मक सीख प्राप्त करने की
क्षमता की कु छ ऄहतस्थ संभावना के साथ जहम लेता है। तथा यह क्षमता तभी ईपयोग में अ पाती है
जब व्यति को एक ऄनुकूल वातावरण प्राप्त होता है। आस ऄनुकूल वातावरण के कें ि में भावात्मक सीख
तछपे होते हैं। ये भावात्मक सीख हमें माता-तपता, तशक्षकों, समान-अयु वगय के लोगों द्वारा बचपन या

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क्रकशोरावस्था में सामाजीकरण के रूप में प्रदान क्रकया जाता है। आसी का पररणाम EQ कहलाता है। आस
प्रकार EQ व्यति की ऄहतस्थ EI के ईतचत या ऄनुतचत तवकास की सापेतक्षक माप है। यह संभव है क्रक
समान EI के दो बच्चों में तभन्न EQ, तथा समान EQ वाले बच्चों में तभन्न EI पाया जा सकता है जो
सामाजीकरण संबंधी ईनकी ऄनुभूततयों पर तनभयर करता है। तथातप, यह स्पि कर क्रदया जाना चातहए
क्रक दोनों में से कोइ भी IQ की भांतत संख्यात्मक तस्थतत नहीं है।
भावनात्मक बुतिमत्ता सबसे ऄच्छी प्रकार से अरं तभक वषों में साझा करना, ऄहय के बारे में सोचना,
स्वयं को दूसरों की तस्थतत में रख कर क्रकसी सोचना, सबको व्यतिगत स्वतहत्रता प्रदान करना तथा
सहकाररता के तसिांतों को प्रोत्सातहत करके तवकतसत की जा सकती है। भावनात्मक लतधध को बढ़ाने के
तलए तखलौने तथा तवतशि प्रकार के खेल जैसे कइ साधन हैं, तथा सामातजक पररवेश में ऄच्छी प्रकार न
घुल-तमल सकने वाले बच्चों में SEL (सामातजक तथा भावनात्मक ज्ञान) कक्षाओं के बाद काफ़ी सुधार
देखने को तमला। प्रभावी प्रतशक्षण के द्वारा एक तनतश्चत सीमा तक ही सही, वयस्कों की EQ में भी वृति
की सकती है।
हाइ फं क्शमनग ऑरटज़्म (high functioning autism; HFA) या ऐस्पगयसय (Asperger's) जैसी कु छ
तचक्रकत्सकीय तस्थततयां भी होती हैं तजसके लक्षणों में से एक तनम्न-समानुभूतत स्तर भी हो सकता है।
कु छ तवद्यार्तथयों ने पाया क्रक ऐस्पगयसय से ग्रस्त कु छ वयस्कों में समानुभूतत की भावना तनम्न थी, तनयंत्रक
समूहों के द्वारा क्रकए गए ऄध्ययन में पाया गया है क्रक HFA या ऐस्पगयसय से ग्रस्त व्यतियों में भी EQ के
स्तर में बदलाव लाया जा सकता है।

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11. भावनात्मक रूप से मे धावी ने तृ त्व का तवकास


(Developing Emotionally Intelligent Leadership)
नेतृत्व सामातजक संवाद या अदान-प्रदान की एक प्रक्रिया है तजसमें नेतृत्वकताय द्वारा ऄपने ऄनुयाआयों
के व्यवहार को प्रभातवत करने की क्षमता, कायय-तनष्पादन संबंधी पररणाम पर महत्वपूणय प्रभाव डाला
जा सकता है। नेतृत्व-कौशल तातत्वक रूप से एक भावनात्मक प्रक्रिया है, तजसके ऄंतगयत नेता ऄपने
ऄनुयाआयों की भावनाओं की पहचान कर ईनमें सही भावनाओं का तवकास करने की चेिा करते हैं, तथा
ऄनुयाआयों की भावनात्मक दशाओं को तदनुसार बेहतर रूप से प्रबंतधत करने की चेिा करते हैं।
साझा भावनात्मक ऄनुभूततयों का तनमायण कर नेता समूह की एकता में वृति करते हैं। EI क्रकसी व्यति
के सामातजक रूप से प्रभावी होने के पीछे का मुख्य कारक है, तथा आसे प्रभावी नेतृत्व का मुख्य
तनधायरक समझा जाता है।
नेतृत्व में तवश्वसनीयता, इमानदारी तथा भरोसा व्यापक रूप से सत्‍मतलत होते हैं। तवश्वसनीयता से
हमें दूसरों से स्‍मान प्राप्त करने में सहायता तमलती है। लोग ईसकी बात सुनना पसंद करते हैं तजन पर
ईहहें ऄपना तहत तचहतक होने का भरोसा होता है।
भावनात्मक बुतिमत्ता के शधदों में यक्रद कहें तो, व्यति यह तवश्वास दूसरों के प्रतत समानुभूतत रख कर
प्राप्त करता है। क्रकसी व्यति के दूसरों के प्रतत समानुभूततपूणय होने पर ईसे ईनका सहयोग ऄतधक
तमलता है चूँक्रक ऐसा व्यति दूसरों के तहत की मचता करता है। क्रकसी व्यति द्वारा स्वाथय-पूणय या कठोर
रवैये के साथ काम करने पर लोग ईससे बचने लगते हैं। लोगों का साथ पाने के तलए हमें ईनका भरोसा
जीतने की चेिा करनी चातहए। ऐसा तनम्न तवशेषताओं के बल पर क्रकया जा सकता है:
 स्वयं के तलए स्‍मान: ईच्च अत्म-स्‍मान होने का ऄथय है स्वयं की शतियों तथा दुबयलताओं की
समझ होना। आस समझ के तलए स्वयं के बारे में ज्ञान होना तथा अत्मतवश्वास एवं घमंड के बीच
संतलु न स्थातपत रखना अवश्यक होता है। तवनम्रता युि व्यतियों की सहायता करने में लोग
ऄतधक सहज ऄनुभव करते हैं।
 अशावाद: लोगों को अशावाद तथा प्रसन्न ता अकषयक तवशेषताएं प्रतीत होती हैं। लोगों द्वारा
क्रकसी अशावादी व्यति के साथ सहयोग करने की ऄतधक संभावना होती है।
 प्रसन्न ता: अशावाद की भांतत प्रसन्न ता भी लोगों को अकर्तषत करती है। हमारे प्रसन्न रहने पर लोग
हमारे अस-पास होना ऄतधक पसंद करते हैं। प्रसन्न रहने से “पसंद क्रकए जाने की क्षमता” बढ़ जाती
है।
 यह सांसर्तगक भी हो सकता है। हर व्यति प्रसन्न रहना चाहता है, तथा प्रसन्न -तचत्त व्यतियों के
पास रहने से हमारी स्वयं की प्रसन्न ता में वृति होती है।

12. शासन और प्रशासन में भावनात्मक बु तिमत्ता की भू तमका


(Role of Emotional Intelligence in Administration and Governance)
ऄसाधारण रूप से प्रततभाशाली और धारणात्मक रूप से मेधावी एवं बहुत ईच्च बुति लतधध (IQ) होने
के बावजूद कइ तसतवल सेवक तवशेष रूप से बेहतर नहीं होते हैं। ईनमें से कइ ऄत्यतधक प्रततक्रियाशील
और ऄसंवेदनशील होते हैं। ऄपने असपास के लोगों के तलए ईनके भीतर बहुत ही कम या कोइ भी
भावना नहीं होती है। ऄपने स्‍बहधों में वे शारीररक रूप से बहुत ही ऄसहज ऄनुभव करते हैं; ईनमे
कोइ सामातजक तशिता नहीं होती या कोइ व्यतिगत सामतजक जीवन भी नहीं होता है। स्वयं के साथ
ऄसहज होने के साथ ऄहय लोगों को भी ऄसहज बना देना ईनके जीवन में तनयतमत ऄनुक्रिया बन जाती
है।
आसके ऄततररि, यह भी देखा गया है क्रक सावयजतनक सेवाओं के ईत्तरदातयत्व तनवयहन में तवशेषकर
भारत जैसे तवकासशील देश में जोतखम ईठाने वाले व्यवहार और तनभीक तनणययों की अवश्यकता है।

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तसतवल सेवकों को लोगों के साथ प्रभावी ढंग से व्यवहार करने में सक्षम होना चातहए, क्योंक्रक यह ईनके
दातयत्वों का प्रमुख तहस्सा है। आसके ऄततररि तसतवल सेवक सावयजतनक तहतों के ट्रस्टी (सरं क्षक) हैं और
ईहहें नीतत तनधायरण का कायय सौंपा गया है। आसतलए, ईनका EI उंचा होना अवश्यक है, क्योंक्रक EI के
तबना समाज के तवतभन्न वगों के प्रतत समानुभूतत रखना और दृतिकोण में दृढ होना और पररवतयन का
कारक बनना करठन होगा।
भावनात्मक रूप से बुतिमान प्रशासक (Emotionally Intelligent Administrator)
भावनात्मक रूप से बुतिमान नेता के तहित और तस्थर होते हैं। ऐसे नेता तस्थर मनोदशा प्रदर्तशत करते
हैं, ईनके व्यवहार ऄतनयतमत या बेहद ऄप्रत्यातशत नहीं होता, और ईनमें तनम्नतलतखत लक्षण पाए जाते
हैं:
 ईच्च अत्म-स्‍मान: ऄच्छे नेताओं का अत्म-स्‍मान बहुत ईच्च होता है। जो नेता सब कु छ जानने
का दावा करते हैं, वे तनकृ ि नेता होते हैं। ऄच्छे नेताओं को ऄपनी शतियों का ज्ञान होता है और वे
ईनका लाभ ईठाते हैं। साथ ही, ईहहें ऄपनी कमजोररयों का भी पता होता है और ईन क्षेत्रों के
ऄंतर को पाटने के तलए वे ईच्च कौशल वाले लोगों का ईपयोग करते हैं।
 जीवन में संतल
ु न बना कर रखते हैं: ऄच्छे नेताओं को यह ज्ञान भी होता है क्रक कै से ईहहें व्यतिगत
जीवन और कामकाजी जीवन को संतुतलत करना है। वे ऄपने समय के ईतचत प्रबहधन से मानतसक
और शारीररक तनाव से बचे रहते हैं। यक्रद कोइ व्यति ऄपना जीवन भलीभांतत प्रबंतधत कर
सकता है – तजसमें तनाव, घरे लू जीवन, तंदरु स्ती और अहार स्‍मतलत हैं – तो ईसके पास ऄपने
काययस्थल के प्रबहधन का एक बेहतर ऄवसर होगा।
 लक्ष्य स्पि होना : सफल नेता व्यि कर देता है क्रक ईसे क्या लक्ष्य प्राप्त करना है और ईसे प्राप्त
कर लेता है। नेता यक्रद चाहता है क्रक लोग ईसका ऄनुसरण करें तो ईसे स्वयं ईदाहरण प्रस्तुत
करना होता है। भावनात्मक बुतिमत्ता के ऄनुसार, आस कायय में दृढ़ता और स्वतहत्रता स्‍मतलत है।
जो लोग मुखर और स्पि हैं, ईहहें ऄपने तवचार, भावनाओं और माहयताओं को व्यि करने में कोइ
करठनाइ नहीं होती है। साथ ही, जो लोग स्वतंत्र हैं, वे सब की सुनते हैं और परामशय लेते हैं परहतु
ऄंतत स्वयं ही सूतचत तनणयय लेते हैं। स्वतहत्रता का ऄतभप्राय कायायवहयन के तलए कारय वाइ करना
है।
 साझे तवजन को प्रेररत करते हैं: एक नेता के रूप में, दूसरों को यह अश्वस्त करना होता है क्रक वह
ईनकी अवश्यकताओं को बेहतर समझता है और ईसके हृदय में ईनके तहत सवोपरर हैं। एक साझे
तवजन को प्रेररत करने के तलए समानुभूतत और अशावाद का ईपयुि मात्रा में होना अवश्यक है,
क्योंक्रक यह हमारे तवजन को सकारात्मक और वांछनीय रूप प्रदान करता है, ताक्रक दूसरे आसे साझा
करने के आच्छु क हो सकें । हमारी समानुभूतत यह सुतनतश्चत करती है क्रक जो वह देखना या सुनना
चाहते हैं, हम ईनके हृदय की ईसी तार को छु एँ।
 प्रक्रिया को चुनौती: भावनात्मक रूप से बुतिमान नेता, पररवतयन के तलए प्रयास करता है। वह
सुधार और तवकास, प्रयोग और जोतखम लेने के ऄवसरों की ताक में रहता है। यथातस्थतत को
चुनौती देने के तलए अवश्यक भावनात्मक बुतिमत्ता के प्रमुख कौशलों में से एक न्‍यता है। न्‍य
लोगों में नइ चीजों को अजमाने, जोतखम लेने और तनभययता से नइ चुनौततयों का सामना करने की
ऄतधक स्‍भावनाएं होती हैं।
 दूसरों को कायय करने में सक्षम बनाते हैं: सफलता की पररभाषा के तलए एक टीम, नेताओं और
ऄनुयातययों की अवश्यकता होती है। नेता दूसरों को तवतभन्न ईपायों से सशि कर सकते हैं। वे
सहयोग को बढ़ावा और तवश्वास की स्थापना से दूसरों को सक्षम बनाते हैं। सफल नेता ऄपनी सत्ता
में भागीदारी प्रदान करते हैं, दातयत्वों को प्रत्यायोतजत करते हैं, दूसरों के बेहतर कायय-प्रदशयन के
तलए जो भी अवश्यक हो करते हैं। भावनात्मक बुतिमत्ता के सहदभय में, दूसरों को कायय करने में

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सक्षम बनाने के तलए अत्म-स्‍मान और ऄंतवैयतिक कौशल की अवश्यकता होती है। सफल
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स्‍बहधों के तनमायण के तलए अपको साथयक तरीके से दूसरों से जुड़ने और स्‍बि होने के कौशल की
अवश्यकता होती है।
 दबाव में शांततचत्त बने रहते हैं: ऄच्छे नेता करठन पररस्थततयों में भी िोध पर तनयहत्रण रखते हैं।
 दूसरों को प्रोत्सातहत करते हैं: आस ऄभ्यास के तलए एक प्रमुख घटक दूसरों के योगदान को
पहचानना स्‍मतलत है। ईनकी भागीदारी के तलए पुरस्कृ त करने से लोगों को हमारी टीम का ऄंग
बनने के तलए प्रेररत करने में बहुत सफलता तमलती है। जो नेता दूसरों को प्रोत्सातहत करते हैं ईहहें
न के वल यह जानने की अवश्यकता होती है क्रक लोग कै सा महसूस करते हैं बतल्क ईनके साथ
स्‍बहध बनाने में भी सक्षम होना अवश्यक है।

के स स्टडीज़

दो तसतवल सेवकों की कहानी आस मबदु को तवस्ताररत करे गी। रतव और सुनील के पास एक जैसी
योग्यता हैं, दोनों ऄग्रणी स्कू लों और तवतश्वद्यालयों से ईत्कृ ि ऄंक प्राप्तकताय है ईहहोंने एक प्रतशक्षु के रूप
में एक समान पेशेवर प्रतशक्षण प्राप्त क्रकया है, परहतु जैसे ही वे नव-तनयुि मतजस्ट्रेट की ऄपनी
स्‍बतहधत पोमस्टग पर पहुंचते हैं, सभी समानताएं गायब हो जाती हैं। हालाँक्रक ऄकादतमक रूप से
ईत्कृ ि रतव का मानना था की यह ईनकी प्रशासतनक और तकनीकी प्रवीणता थी जो ईनके कायय के तलए
सबसे महत्त्वपूणय थी। हालाँक्रक, सुनील रतव से ऄकादतमक रूप से ईत्कृ ि तो नहीं था परहतु ऄंतवैयतिक
रूप से बहुत कु शल था। नौकरी पर कु छ वषों के पश्चात रतव को एक बेहतर प्रशासक के रूप में देखा
गया और हर छह महीने बाद स्थानांतररत क्रकया जाता था। सुनील की एक ऐसे व्यति के रूप में
पहचान बन गयी थी जो एक टीम में ऄच्छी तरह से कायय कर सकता था और पहल कर सकता था,
ऄपने काम के तलए पयायप्त समय समर्तपत कर रहा था, ऄपने सह-ऄतधकाररयों, पररयोजनाओं और
तचहताओं से ऄवगत था और वह जानता था टीम में स्वीकृ तत प्राप्त करने के तलए सबसे प्रभावी तरीका
लोगों की सहायता करना था। रतव यह ऄनुभव करने में तवफल रहा क्रक ईसके कायय का एक महत्त्वपूणय
ऄंग स्‍बहध तवकतसत करने की क्षमता था। ईनके ऄतधकाररयों को पता था क्रक वह प्रशासतनक रूप से से
कु शल था परहतु टीम में कायय करने की क्षमता में ईसका तवश्वास कम था। शैतक्षक योग्यताओं में रतव के
बेहतर होने के बावजूद सुनील ने भावनात्मक बुतिमत्ता दक्षता का ईत्कृ ि प्रदशयन क्रकया।

13. भावनात्मक बु तिमत्ता का ऄं ध कारमय पहलू


(Dark Side of Emotional Intelligence)
भावनात्मक बुतिमत्ता महत्त्वपूणय है, लेक्रकन आस ईत्साह का ऄंधकारमय पहलू भी है। नए साक्ष्यों से पता
चलता है क्रक जब लोग ऄपने भावनात्मक कौशल को बढ़ाते हैं तो वे दूसरों से जोड़-तोड़ करने में बेहतर
हो जाते हैं। जब अप ऄपनी भावनाओं को तनयंतत्रत करने में ऄच्छे होते हैं, तो अप सच्ची भावनाओं को
तछपा सकते हैं। जब अप जानते हैं, क्रक दूसरे कै सा ऄनुभव कर रहे हैं तो अप ईनके मन की बात जान
सकते हैं और ईहहें ऄपने सवोत्तम तहतों के तवरुि भी कायय करने के तलए प्रेररत कर सकते हो। तवशेषकर,
जब स्वयं ईनके तहतों की बात होती है तो EI दूसरों के जोड़-तोड़ का हतथयार बन जाता है।
सामातजक वैज्ञातनकों ने भावनात्मक बुतिमत्ता के आस ऄंधकारमय पक्ष के प्रमाण प्रस्तुत करने प्रार्‍भ
कर क्रदए हैं। कै त्‍ब्रज तवतश्वद्यालय के प्रोफे सर जोचेन मेंजेस के नेतृत्व में हो रहे एक शोध में, जब एक
नेता ने भावनाओं से ओत-प्रोत एक प्रेरणादायी भाषण क्रदया तो दशयकों की ईसके संदश
े की जांच करने
की कम स्‍भावना थी और ईसकी तवषय सामग्री की याद भी कम थी। तवड्‍बना यह है क्रक िोतागण
ईसके भाषण से आतने प्रभातवत हुए ईहहोंने आसका पुन:स्मरण करने का दावा क्रकया।

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एक पययवेक्षक ने व्यि क्रकया क्रक तहटलरFor


का प्रबोधक प्रभाव ईसके भावनाओं को युतिपूवक
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य ढंग से व्यि
करने की क्षमता से अया – “वह ऄपने क्रदल को खोल कर रख देता था” – और आन भावनाओं ने ईसके

ऄनुयातययों को आस हद तक प्रभातवत क्रकया क्रक वे “ग्‍भीर रूप से सोचना बंद कर के वल भावनाओं में

बहते थे।” जो नेता भावनाओं में तनपुण हो जाते हैं, वे हमारे सोचने-तवचारने की शति को हर लेते हैं।
यक्रद ईनके मूल्य हमारे मूल्यों से तभन्न है तो पररणाम तवनाशकारी हो सकते हैं।

14. तनष्कषय (To Conclude)

जीवन में सफलता सामातजक रूप से सफल होने पर तनभयर करती है, और सामातजक सफलता का एक

बड़ा भाग EQ पर तनभयर करता है। लेक्रकन बढ़ते हुए शोध प्रदर्तशत करते हैं, EQ का ईपयोग ‘जीत-

हार’ के साथ ‘जीत-जीत’ के पररणामों के रूप में तनयोतजत करने के तलए क्रकया जा सकता है। बेशक,

लोग EQ का ईपयोग हमेशा कु रटल कायों के तलए ही नहीं करते हैं, ऄतधकतर मौकों पर भावनात्मक
कौशल का ईपयोग लक्ष्य प्रतत का के वल एक ईपकरण या साधन है।
EI का ईपयुि स्तर ईन मामलों में ‘ऄंतसंबंधों’ को समझने की क्षमता की मांग करता है, जो ऄस्‍बि

हैं, परहतु एक साथ तमल कर सावयजतनक नीतत या पररयोजना के पररणामों को प्रभातवत करते हैं। आस

प्रकार, भावनात्मक बुतिमत्ता को प्रशासतनक हयाय का एक घटक होना चातहए और आसे ‘रचनात्मक

भावनात्मक बुतिमत्ता’ भी कहा जा सकता है।

15. भावनात्मक बु तिमत्ता सं बं धी एक के स स्टडी

(A Case Study on Emotional Intelligence)


ऄकाईं टेंट जूली एक लंबी और जरटल पररयोजना पर कायय कर रही है। ईसे कु छ नए कौशल सीखने की
अवश्यकता है जो कौशल संस्थान में क्रकसी के पास नहीं हैं। कु छ समय के तलए तो वह तनराश रही और
ईसे अवश्यक समथयन प्राप्त नहीं हो रहा था, क्योंक्रक ईसका प्रबहधक ईस कायय की जरटलता को समझ
नहीं पाया था।
कु छ हफ्तों तक ऄपने ही हाल पर छोड़े जाने के पश्चात वह धीमी परहतु तस्थर प्रगतत कर रही थी।
ऄप्रत्यातशत रूप से ईसे ऄपने प्रबहधक से एक आमेल प्राप्त हुअ, जो ईसकी प्रगतत और पररयोजना के
प्रतत ईसके दृतिकोण के बारे में बहुत सकारात्मक था। यह आमेल समूणय रूप से एक अश्चयय था और
प्रबहधक द्वारा आस प्रकार का कु छ भेजा जाना ऄसामाहय था। पररणामतः जूली में ईत्साह जाग्रत हुअ
और ईसमें “संघषय करते रहने” और ऄतधक सीखने और ऄवास्ततवक समय सीमा को पूरा करने की आच्छा
प्रबल हो गयी।
प्रबहधक दूसरों की भावनाओं को प्रबंतधत करने की ऄपनी क्षमता प्रदर्तशत कर था, जो भावनात्मक

बुतिमत्ता का छठा अयाम है।

आस ईदाहरण से, यह स्पि है क्रक कै से सहकर्तमयों या ऄधीनस्थों में ईपयुि भावना पैदा कर करठन
लक्ष्यों को पूरा करने का चमत्कार क्रकया जा सकता है। मूल तवचार यह है क्रक भावनाएं हमारे व्यवहार
के तलए ईत्साहवधयक हैं, आसतलए भावनात्मक बुतिमत्ता हमें भावनाओं का प्रबहधन करने और ईहहें
बनाए रखने में सक्षम बनाती हैं।

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16. तवगत वषों में सं घ लोक से वा अयोग (UPSC) द्वारा पू छे


गए प्रश्न
(Past Year UPSC Questions)
2013
1. ‘भावात्मक प्रज्ञता’ क्या होता है और यह लोगों में क्रकस प्रकार तवकतसत क्रकया जा सकता है?
क्रकसी व्यति तवशेष को नैततक तनणयय लेने में यह कै से सहायक होता है?
2016
1. िोध एक हातनकारक नकारात्मक संवेग है। यह व्यतिगत जीवन एवं कायय जीवन दोनों के
तलए हातनकर है।
(a) चचाय कीतजए क्रक यह क्रकस प्रकार नकारात्मक संवेगों और ऄवांछनीय व्यवहारों को पैदा
कर देता है।
(b) आसे कै से व्यवतस्थत एवं तनयंतत्रत क्रकया जा सकता है?

17. तवगत वषों में Vision IAS GS में स टे स्ट सीरीज में पू छे
गए प्रश्न
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions)

1. “भावनाएं हमारे सवयिष्ठ


े और सवायतधक बुरे तनणययों के तलए ईत्तरदायी होती हैं, ऄंतर तसफय
भावनात्मक समझ का है।” क्रदए गए कथन के अलोक में आस बात की दृिांत सतहत व्याख्या
कीतजए क्रक भावनात्मक समझ क्रकस प्रकार तनणयय प्रक्रिया में महत्वपूणय स्थान रखती है? एक
तसतवल सेवक को तववेकपूणय तनणयय लेने में यह कै से सहायता कर सकता है?
दृतिकोण:
प्रश्न का के हिीय भाव है- “तनणयय प्रक्रिया में भावनात्मक समझ का महत्व”। तदनुसार, ईत्तर
को तनम्नतलतखत प्रकार से प्रस्तुत क्रकया जा सकता है:
 भूतमका में आस बात पर तवचार कीतजए क्रक क्रकस प्रकार भावनाएं क्रकसी व्यति के तनणयय
को प्रभातवत करती हैं तथा क्रकस प्रकार वे ऄच्छे तथा बुरे तनणययों हेतु ईत्तरदायी होती हैं।
 तत्पश्चात, भावनात्मक समझ की ऄवधारणा प्रस्तुत कीतजए। दशाययें क्रक भावनात्मक
समझ क्रकस प्रकार तनणयय प्रक्रिया में ऄंतर ईत्पन्न करती हैं।
 एक तसतवल सेवक की तनणयय प्रक्रिया संबंधी गतततवतध में भावनात्मक समझ की
प्रासंतगकता दशायते हुए ईत्तर समाप्त कीतजए।
ईत्तर:
लगभग अर्‍भ से ही तनणयय प्रक्रिया के तवशेषज्ञों ने यह सोचने के तलए प्रोत्सातहत क्रकया क्रक
तनणयय करना एक तकय संगत प्रक्रिया है तजसमें तय य और ईनका तवश्लेषण सत्‍मतलत होता है।
हालांक्रक, वास्तव में तनणयय, व्यतियों द्वारा तलए गए फै सले संबंधी कृ त्य होते हैं। ये तनणयय ईन
प्रक्रियाओं द्वारा हमारे मतस्तष्क में ईत्पन्न होते हैं तजहहें ऄभी समझने की चेिा की जा रही है।
वस्तुतः, बहुत से दृिांतों में हमारे कायों की वास्ततवक संचालक हमारी भावनाएं हैं।
बहुत से तवशेषज्ञ तथा ऄनुभवतसि ऄध्ययन भावनात्मक रूप से अवेतशत होने पर तनणयय-
कतायओं को तनणययन के खतरों के प्रतत सचेत करते हैं। यहाँ महत्वपूणय बात भावनाओं की

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ईपतस्थतत नहीं है बतल्क वह For


ढंग या प्रणाली है तजसके ऄनुसार लोग भावनाओं की व्याख्या
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करते हैं तथा ईसे व्यवहार में लाते हैं। जब कोइ व्यति ऄपनी भावनाओं के साथ ईपयुि
व्यवहार करता है तो वह ऄपेक्षाकृ त ऄतधक ऄच्छा तनणयय लेने में सक्षम होता है। ऄपनी
भावनाओं से व्यवहार करने में व्यति तजतना ही कु शल होगा, ईसके द्वारा और ऄतधक सही
तनणयय लेने की संभावना ईतनी ही ऄतधक होगी।
भावनात्मक समझ को व्यति की ऐसी योग्यताओं के रूप में पररभातषत क्रकया जाता है जो ईसे
एक साथयक लक्ष्य की प्रातप्त हेतु भावनाओं की ऄनुभूतत, तवचारपूवयक ईनका ईपयोग करने,
ईहहें समझने तथा ईनका प्रबंधन करने में समथय बनाती हैं। जब क्रकसी तनणयय प्रक्रिया में
भावनाओं का समावेश क्रकया जाता है तो ईहहें भावनात्मक समझ में तनतहत योग्यताओं द्वारा
संसातधत क्रकया जाता है। तनणयय में ऄलग-ऄलग मात्रा में ऄनुभूतत तथा भावनाओं का ईपयोग
क्रकया जाता है।
ईदाहरण के तलए, ऄत्यतधक िोध की तस्थतत का सामना करते हुए व्यति तकय संगत तथा
ऄनेक चरणों वाली प्रक्रिया को छोड़, िोध के वशीभूत होकर कोइ ऄनैततक तनणयय ले सकता
है। क़ानून का प्रवतयन करने वाली एजेंतसयों के ईदाहरण लें, शत्रुतापूणय या प्रततकू ल वातावरण
में वे बदले की कारवाइ में संलग्न हो सकती हैं।
आसतलए तसतवल सेवाओं में भावनात्मक समझ, भावनाओं को साथयक पररणाम प्राप्त करने हेतु
प्रबंतधत करने में लाभ पहुंचाती है। आसतलए, ईच्च भावनात्मक समझ वाले व्यति ऄपने तनणयय
प्रक्रिया पर िोध या रोष जैसी नकारात्मक भावनाओं के प्रभाव को कम कर सकते हैं। रोष या
िोध को तसफय ऄड़चनों के रूप में ही नहीं हटाया जाता है बतल्क तनणयय की गुणवत्ता को बढ़ाने
हेतु भी ईनका ईपयोग क्रकया जाता है। आसतलए, भावनात्मक रूप से समझदार तसतवल सेवा
का पररणाम तवतशि रूप से तब ऄपेक्षाकृ त ऄतधक ईत्कृ ि तनणययों के रूप में सामने अ सकता
है जब ऄतधक नकारात्मक भावनाएं तनणययों को प्रभातवत करने की चेिा करती रहती हैं।

2. क्या भावनात्मक बुतिमत्ता सांस्कृ ततक जड़ों से प्रभातवत होती है? भारतीय समाज की
भावनात्मक बुतिमत्ता को अप पतश्चमी समाज की भावनात्मक बुतिमत्ता से क्रकस प्रकार
पृथक करें ग।े
दृतिकोण:
 क्रकस प्रकार भावनात्मक बुतिमत्ता सांस्कृ ततक मूल्यों से प्रभातवत होती है, चचाय कीतजए।
 भारत तथा पतश्चमी सहदभय में भावनात्मक बुतिमत्ता के ऄनुप्रयोग में ऄंतर स्पि कीतजए।
ईत्तर:
भावनात्मक बुतिमत्ता ऄपनी तथा दूसरों की भावनाओं की पहचान तथा ईनके प्रबंधन करने
की क्षमता है। तवतभन्न ऄध्ययनों के ऄनुसार भावनात्मक बुतिमत्ता की क्षमता का एक भाग
व्यति के भीतर जहम से ही होता है जबक्रक दूसरा सीखने तथा ऄनुभव द्वारा पररवर्ततत क्रकया
जा सकता है; यह दूसरा भाग संस्कृ तत से प्रभातवत होता है तथा व्यवहारों को समझने के तलए
संरचना, क्रदशातनददेशश, दृतिकोण तथा तनयम प्रदान करता है।
हालांक्रक भावनाओं को सावयभौतमक व्यवहार के रूप में जाना जाता है, तथातप शोधकतायओं का
मानना है क्रक ईन तरीकों तजनके द्वारा भावनाओं को ऄनुभव, ऄतभव्यि, समझा तथा
तवतनयतमत क्रकया जाता हैं, को सांस्कृ ततक मानदंडों से प्रभातवत क्रकया जा सकता है।
सकारात्मक और नकारात्मक भावों को पहचानकर तथा यह तय कर क्रक भावों को कब
ऄतभव्यि क्रकया जाना चातहए तथा ईहहें क्रकस प्रकार प्रदर्तशत क्रकया जाना चातहए अक्रद के
माध्यम से संस्कृ तत भावनात्मक कायय पितत को प्रभातवत करती है।
कइ नृजातीय ऄध्ययनों से यह संकेत तमलता है क्रक सामातजक पररणामों में सांस्कृ ततक
तवतभन्न ता ईपतस्थत होती हैं; तवशेष तौर पर तब जब भावों का मूल्यांकन क्रकया जाए।
समतिवादी संस्कृ ततयों में िोध, प्रेम, हताशा अक्रद जैसी भावनाओं की स्पि ऄतभव्यति
ऄतशि मानी जाती हैं तथा सावयजातनक रूप से ऄवांछनीय होती हैं जबक्रक यही व्यतिवादी

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संस्कृ ततयों में ऄत्यावश्यक गुण माने जाते हैं। आस प्रकार ऄमेररका में, माता तपता भावनात्मक
ऄतभव्यति के तलए प्रोत्सातहत करते हैं, जबक्रक भावना का दमन ऄक्सर ऄस्वीकृ त क्रकया
जाता है।
आस प्रकार लोग तजस तरह से भावनाओं को देखते हैं, ईहहें तवतनयतमत करते हैं तथा प्रदर्तशत
करते हैं, यह सब ईनकी सांस्कृ ततक पृष्ठभूतम के ऄनुसार पररवर्ततत होता है।

भारत तथा पतश्चम में भावनात्मक बुतिमत्ता की प्रयोज्यता

भावनात्मक बुतिमत्ता, भारतीय दशयन परं परा में ऄहतर्तनतहत है जो भावनाओं की शतिशाली
प्रकृ तत पर जोर देती है। आन भावनाओं को एक सामंजस्यपूणय जीवन के तलए प्रयुि क्रकये जाने
की अवश्यकता है। ईदाहरण के तलए भगवत गीता में भावनात्मक रूप से बुतिमान व्यति को
तस्थतप्रज्ञ (भावनात्मक रूप से तस्थर व्यति) कहा गया है।
भगवान िी कृ ष्ण के ऄनुसार तस्थतप्रज्ञ व्यति वह होता है जो क्रकसी भी अपदा में तस्थर
रहता है तथा धैयय के साथ ऄच्छे या बुरे पररणाम का सामना करता है। वह क्रकसी भी
पररतस्थतत से ऄपनी आच्छानुसार भावनात्मक रुप से स्‍बि या ऄस्‍बि होने की शति
धारण करता है।
भारतीय तथा पतश्चमी दाशयतनक परं पराओं में तनम्नतलतखत ऄंतर देखे जा सकते हैं:
 पतश्चमी दृतिकोण मुख्यतः आस पर ध्यान कें क्रित करता है क्रक हम ऄपने असपास के
व्यतियों से क्रकस प्रकार ऄपने व्यवहार को प्रबंतधत करें जबक्रक भारतीय दृतिकोण का
मोक्ष से संबंतधत ईद्देश्य भी है। आसके ऄनुसार हम ऄपने धमय का ऄनुसरण कर तथा अत्म
तनयंत्रण कर मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। यह ऄंततम पररणामों की मचता न कर मतस्तष्क को
संतुतलत रखने की तशक्षा भी प्रदान करता है।
 भारत में व्यति ऄपने समूह के साथ ऄहयोहयातित संबंध (समतिवादी संस्कृ तत) रखता है
जबक्रक पतश्चम में व्यति स्वतंत्र है (व्यतिवादी संस्कृ तत) तथा ऄपने वैयतिक ईद्देश्य एवं
आच्छाओं को ऄतधक महत्व प्रदान करता है।
 भारतीय कमयचारी अमतौर पर नेतृत्व की एक ऄतधक तनददेशतशत तथा कायय ईहमुख प्रकृ तत
को प्राथतमकता देते हैं जबक्रक पतश्चमी प्रबंधक सहभातगता मूलक प्रकृ तत को।

3. भावनाओं को, तजहहें पहले तनणयय लेने में एक ऄतार्ककक कारक माना जाता था, ऄब तनणयय
का महत्वपूणय कारक माना जाता है। आस संबध
ं में, तनम्नतलतखत प्रश्नों का ईत्तर दीतजए:
(a) ऄपने कतयव्यों के तनवयहन में पुतलसकर्तमयों और सशस्त्र बलों द्वारा सामना क्रकए जाने वाले
तीव्र दबाव और कायय संबध
ं ी तनाव (occupational stress) का मुकाबला करने में
भावनात्मक प्रज्ञता (Emotional Intelligence) क्रकस प्रकार सहायता कर सकती है?
(b) लोक सेवा में भावनात्मक प्रज्ञता कौशल को समातवि करने और अंकलन करने संबध
ं ी
कु छ मचताएं क्या हैं?
दृतिकोण:
 भावनात्मक प्रज्ञता (आमोशनल आंटेतलजेंस: EI) का संतक्षप्त तववरण दीतजए।
 कायय संबंधी तनाव और दबाव से तनपटने में पुतलसकर्तमयों और सशस्त्र बलों की EI क्रकस
प्रकार सहायता करती है, समझाएँ।
 लोक सेवा में भावनात्मक प्रज्ञता कौशल का समावेश एवं मूल्यांकन करते समय ईत्पन्न होने
वाली कु छ मचताओं को सूचीबि कीतजए।
ईत्तर:
भावनात्मक प्रज्ञता (EI), तनाव दूर करने, प्रभावी ढंग से संवाद करने, दूसरों के प्रतत
सहानुभूतत प्रकट करने, चुनौततयों पर काबू पाने और संघषय ख़त्म करने के तलए ऄपनी
भावनाओं के साथ ही दूसरों की भावनाओं की सकारात्मक ढंग से पहचान करने, ईपयोग में
लाने, समझने और प्रबंतधत करने की क्षमता है।

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भावनाओं को पहले एक ऄतार्क कक कारक माना जाता था। ऐसा माना जाता था क्रक ये
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तार्कककता को तवकृ त करती हैं और आस प्रकार तनणयय लेने की प्रक्रिया को प्रभातवत करती हैं।
हालांक्रक, EI को माहयता तमलने के बाद भावनाओं को तनणयय लेने की प्रक्रिया का महत्वपूणय
तहस्सा माना जाने लगा। लोक सेवकों के सामने कायय के दौरान कइ बार ऐसी पररतस्थततयाँ अ
जाती हैं जो अबादी के कमजोर वगों से स्‍बंतधत होती हैं। आन पररतस्थततयों में सही तनणयय
लेने के तलए भावनाओं की समझ जरूरी होती है। आस प्रकार, EI अवश्यक है। यह तार्ककक
कारकों पर अधाररत तनणययों से तवशुि भावनात्मक तनणययों या ईत्तेजना में तलए गए तनणययों
को ऄलग करने में मदद करती है।
(a) पुतलस ऄतधकाररयों व सशस्त्र बलों के सदस्यों को पररवार और तमत्रों से ऄलगाव,
प्रततकू ल माहौल (तवशेषकर ईन क्षेत्रों में जहाँ लोग ऄपनी तैनाती का तवरोध करते हैं), कठोर
तनयमों के ऄनुपालन और व्यावसातयक पदानुिम, ऄत्यतधक काययभार, भूतमका की ऄस्पिता,
तनवायह की ऄत्यंत तनम्न दशाओं, युिक्षेत्र में जान का खतरा/धमकी अक्रद कारकों के कारण
व्यावसातयक तनाव का सामना करना पड़ता है।
ऐसी तस्थततयों में, EI ईहहें दबाव और तनाव का सामना करने में सहायता प्रदान कर सकती
है। EI के मुख्य स्तंभ हैं:
 अत्म-जागरूकता: आसमें शारीररक दबाव डालने वाले कायों को करते समय ऄपनी
भावनात्मक और मानतसक तस्थतत को जानना शातमल है। आसके ऄततररि आसमें तनाव से
बचने के तलए प्रयास क्रकये जाते हैं तथा ऄततशय कदम ईठाने से बचा जाता है। आन
ऄततशय कदमों का एक ईदाहरण ऄतधकाररयों के अत्महत्या करने की हातलया खबरें हैं।
 अत्म-प्रबंधन: आसका तात्पयय अवश्यकता से ऄतधक काम के घंटे, अपातकालीन तस्थतत
अक्रद करठन पररतस्थततयों में स्वयं को तनयंतत्रत करने की क्षमता से है।
 सामातजक जागरूकता: आसमें साथी ऄतधकाररयों, तवशेषकर ऄधीनस्थों के साथ-साथ
नागररकों की तशकायतों का तनपटारा करते समय ईनके प्रतत सहानुभूततपूणय रवैया
ऄपनाना शातमल है।
 संबध
ं प्रबंधन: आसका ऄथय पेशेवर और व्यतिगत संबंधों के बीच संतल
ु न बनाए रखना
और शारीररक रूप से ईपतस्थत न होने पर भी ऄपने पररवार को भावनात्मक रूप से
समथयन देने की क्षमता तवकतसत करना है।
आसके ऄततररक्त, ऐसी संघषयपण
ू य तस्थततयों में जहाँ जनता में ऄतधकाररयों के प्रतत ऄतवश्वास
की तस्थतत होती है वहाँ EI मुि व्यवहार स्थातपत करने तथा तवरोधी दृतिकोणों का अदर
करने में सहायता कर सकती है।
हालांक्रक, यह ध्यान क्रदया जाना चातहए क्रक पुतलस कर्तमयों और सशस्त्र बलों के सदस्यों के
कतयव्यों में ईतचत ऄनुपात में बल प्रयोग करना शातमल है। यह कानून और व्यवस्था बनाए
रखने के तलए जरूरी है। आसके साथ ही आन बलों में अदेशों की िृंखला (chain of
command) बनाए रखने के तलए पदानुितमत नेतृत्व भी अवश्यक है। आसतलए, आन बलों में
EI की समझ को आन मापदंडों के ऄनुसार ही तैयार क्रकया जाना चातहए।
(b) लोक सेवाओं में EI का समावेश और मूल्यांकन करने से स्‍बंतधत कु छ मचताएँ हैं। आनमें
तनम्नतलतखत सत्‍मतलत हैं:
 EI का मापन: हालांक्रक, EI का मापन करने के तलए मेयर-सालोवी-कारुसो EI परीक्षण
(MSCEIT), वोंग का EI पैमाना आत्याक्रद जैसे परीक्षण ईपलधध हैं, लेक्रकन ईनकी वैधता
संक्रदग्ध है क्योंक्रक आनके पररणामों को वस्तुतनष्ठ और तवश्वसनीय नहीं माना जाता है।

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आसतलए, वैधता की कमी के कारण लोक सेवकों के तलए आन परीक्षणों को ऄतधक महत्व
नहीं क्रदया जाता।
 ईतचत चरण: यहां तक क्रक यक्रद आन परीक्षणों का समावेश कर भी तलया जाता है, तो आस
बात पर कोइ तनददेशश नहीं क्रदए गए हैं क्रक ये परीक्षण भती चरण के दौरान क्रकए जाएँगे
या पदोन्न तत चरण के दौरान। ितमक चरणों में EI परीक्षणों का वेटेज भी तनधायररत नहीं
क्रकया गया है।
 सेवाओं में लचीलेपन की कमी: लोक सेवाओं की संरचना कठोर होती है। भती प्रक्रिया से
लेकर पदोन्न तत और सेवातनवृतत्त तक -क्रकसी भी प्रक्रिया में पररवतयन के प्रतत आनका
तबल्कु ल झुकाव नहीं होता है। आसतलए, ऐसे कठोर संगठनों में नइ काययप्रणातलयों को शुरू
करने की संभावना कम होती है।
 पररवर्ततत होता पररवेश: लोक सेवक पररवर्ततत पररवेश में काम करते हैं और ईहहें
तवतभन्न प्रकार की भावनाओं का सामना करना पड़ता है। आस प्रकार, आस पररदृश्य में EI
का पूरी तरह समावेश और मूल्यांकन करना करठन होगा।
 ऄहय मापदंडों के साथ संतल
ु न बनाना: लोक सेवाओं में कर्तमयों की भती करते समय
प्रततयोतगता परीक्षा, शैक्षतणक योग्यता, तंदरु
ु स्ती अक्रद कारकों को ऄतधक महत्व क्रदया
जाता है। आसतलए आन सभी में संतुलन स्थातपत करने की अवश्यकता है।
ऄतः, EI ऄभी भारत में लोक सेवाओं का महत्वपूणय घटक नहीं है। हालांक्रक, आसे लोक सेवकों
के तलए महत्वपूणय माना जाना चातहए क्योंक्रक ईहहें जनता की अवश्यकताओं के प्रतत,
तवशेषकर तनरं तर पररवतयनशील पररवेश में, जवाबदेह और संवेदनशील होना चातहए।

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18. तवगत वषों में सं घ लोक से वा अयोग (UPSC) द्वारा पू छे


गए प्रश्न: के स स्टडीज
(Past Year UPSC Questions: Case Studies)

1. ए.बी.सी. तलतमटेड एक बड़ी पारराष्ट्रीय क्‍पनी है जो तवशाल शेयरधारक के अधार पर


तवतवध व्यापाररक गतततवतधयाँ संचातलत करती है। क्‍पनी द्वारा तनरहतर तवस्तार एवं
रोज़गार सृजन हो रहा है । क्‍पनी ने ऄपने तवस्तार एवं तवतवधता काययिम के ऄहतगयत
तवकासपुरी, जो एक ऄतवकतसत क्षेत्र है, में एक नया संयंत्र स्थातपत करने का तनणयय क्रकया है।
नया संयत्र
ं उजाय दक्ष प्रौद्योतगकी के प्रयोग के ऄनुरूप प्रारूतपत क्रकया गया है जो क्‍पनी के
ईत्पादन लागत को 20% बचाएगी। क्‍पनी के तनणयय सरकार की ऄतवकतसत क्षेत्रों के
तवकास के तलए तनवेश को अकर्तषत करने की नीतत के ऄनुरूप हैं। सरकार ने ईन क्‍पतनयों
को पाँच वषय के तलए करों में छू ट (टेक्स होलीडे) की घोषणा की है जो ऄतवकतसत क्षेत्र में
तनवेश करती हैं। क्रफर भी, नया संयंत्र तवकासपुरी क्षेत्र के शातहततप्रय तनवातसयों के तलए
ऄव्यवस्था पैदा कर देगा। नए संयंत्र के पररणामस्वरूप जीवनयापन की लागत बढ़ेगी, क्षेत्र में
तवदेशी प्रवसन से सामातजक एवं अर्तथक व्यवस्था प्रभातवत होगी। क्‍पनी को स्‍भातवत
तवरोध का अभास होने पर ईसने तवकासपुरी क्षेत्र के लोगों एवं जनता को यह बताने की
कोतशश की क्रक क्‍पनी की तनगमीय सामातजक ईत्तरदातयत्व की नीतत तवकासपुरी क्षेत्र के
तनवातसयों की स्‍भातवत करठनाआयों को रोकने में मददगार रहेगी। आसके बावजूद भी तवरोध
प्रार्‍भ होता है तथा कु छ तनवासी हयायपातलका जाने का आस अधार पर तनणयय करते हैं क्रक
आससे पूवय सरकार के सामने क्रदए गए तको का कोइ पररणाम नहीं तनकला था।
(a) आस मामले में ऄहतःतनतहत समस्याओं की पहचान कीतजए।
(b) अप क्‍पनी के लक्ष्यों एवं प्रभातवत तनवातसयों की सहतुति के तलए क्या सुझाव दे सकते
हैं?

2. एक तनजी कं पनी ऄपनी दक्षता, पारदर्तशता और कमयचारी कल्याण के तलए तवख्यात है।
यद्यतप कं पनी का मातलक एक तनजी व्यति है, तथातप ईसका एक सहकाररता वाला अचरण
है जहाँ कमयचारी स्वातमत्व की भावना रखते हैं। कं पनी में लगभग 700 कार्तमक तनयुि हैं और
ईहहोंने स्वेच्छापूवक
य संघ न बनाने का तनणयय तलया है।
ऄचानक एक क्रदन सुबह एक राजनीततक पाटी के 40 अदमी ज़बरदस्ती फै क्ट्री में घुस अए
और फै क्ट्री में नौकरी माँगने लगे। ईहहोंने प्रबंधन और कमयचाररयों को धमक्रकयाँ और गातलयाँ
भी दीं। कमयचाररयों का मनोबल तगरा। यह स्पि था क्रक जो लोग ज़बरदस्ती घुस अए थे, वे
कं पनी के वेतन-पत्रक में होना चाहते थे और साथ ही साथ पाटी के स्वयंसेवक/सदस्य बने
रहना चाहते थे।
कं पनी इमानदारी के ईच्च मानकों को बनाए रखती है और तसतवल प्रशासन, तजसमें कानून
प्रवतयन ऄतभकरण भी शातमल है, का कोइ ऄनुग्रह नहीं करती। आस प्रकार के प्रसंग सावयजतनक
क्षेत्रक में भी घटते हैं।
(a) मान लीतजए क्रक अप कं पनी के मुख्य काययकारी ऄतधकारी (सी. इ. ओ.) हैं। अप ईपिवी
भीड़ के गेट के ऄंदर जबरन घुस अने और कं पनी पररसर के भीतर धरना देने की तारीख को
प्रचंड़ तस्थतत के तनष्प्रभावन के तलए क्या करें ग?

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(b) आस मामले में चर्तचत मुद्दे का दीघयकालीन समाधान क्या हो सकता है?
(c) प्रत्येक समाधान/कारय वाइ का, तजसको अप सुझाएँग,े अप पर (सी. इ. ओ. के तौर पर),
कमयचाररयों पर और कमयचाररयों के तनष्पादन पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
ऄपने द्वारा सुझाइ गइ कारय वाआयों में से प्रत्येक के पररणामों का तवश्लेषण कीतजए।

19. तवगत वषों में Vision IAS GS में स टे स्ट सीरीज में पू छे
गए प्रश्न: के स स्टडीज
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions: Case Studies)

1. अप एक ऄतत महत्वपूणय रे लवे जंक्शन के प्रभारी ऄतधकारी हैं। यह रे लवे जंक्शन व्यापार और
वातणज्य का एक मागय है। अपके तजले में तपछले कु छ स‍ताह से कृ षक-ऄशांतत की
पररतस्थततयाँ बनती जा रही हैं। राजनीततक और तजले के (स्थानीय) नेताओं के साथ क्रकसानों
की वाताय का कोइ पररणाम नहीं तनकला है और यह ऄशांतत एक ऐसी ऄवस्था में पहुँच गइ है
क्रक ऄब वे स्टेशन के तनकट रे ल की पटररयों पर धरने का अयोजन कर तवरोध प्रदशयन कर रहे
हैं। आस प्रकार वे सभी ट्रेनों के संचालन को बातधत करने में सफल हो गए हैं। आस व्यवधान के
कारण ‍लेटफामय पर प्रतीक्षारत यातत्रयों को भी काफी परे शानी का सामना करना पड़ रहा है।
(a) अपकी तात्कातलक काययवाही क्या होगी?
(b) भावनात्मक बुतिमत्ता आस मुद्दे से तनपटने हेतु एक साधन का कायय कै से कर सकती है?
(c) भतवष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृतत्त रोकने के तलए अप कौन-से कदम ईठाएंग?

दृतिकोण:
 आस तस्थतत में ऄपनी तात्कातलक काययवाही का ईल्लेख कीतजए।
 आस मुद्दे से तनपटने हेतु भावनात्मक बुतिमत्ता के महत्व का वणयन कीतजए।
 तत्पश्चात भतवष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृतत्त रोकने हेतु अपके द्वारा ईठाए जाने वाले
कदमों पर प्रकाश डातलए।
ईत्तर:
(a) रे लवे स्टेशन के एक ऄतधकारी होने के नाते मेरा कतयव्य यह सुतनतश्चत करना है क्रक
वतयमान में जारी तवरोध के कारण रे ल संचालन प्रभातवत न हो। मैं यह सुतनतश्चत करूँगा क्रक
ऄनुनय, चेतावनी और ईपलधध ऄहय सभी वैधातनक साधन का ईपयोग कर रे लवे पटररयों को
खाली करवाया जाए। तजला प्रशासन की सहायता से यह भी सुतनतश्चत करूँगा क्रक आस
महत्वपूणय रे लवे जंक्शन के सुचारू संचालन में बाधा ईत्पन्न न हो। आसके ऄततररि, मैं यह भी
सुतनतश्चत करूँगा क्रक वतयमान तस्थतत के बारे में यातत्रयों को समय पर संचार ईपलधध कराने
के साथ ही स्टेशन पर जल, तचक्रकत्सा सहायता अक्रद जैसी बुतनयादी सुतवधाएं सुतनतश्चत कर
कम से कम ऄसुतवधा का सामना करना पड़े। स्टेशन पर यातत्रयों की सुरक्षा का भी ध्यान रखा
जाएगा।
(b) भावनात्मक बुतिमत्ता ईपयुि
य तस्थतत से तनपटने हेतु बहुत महत्वपूणय है।
 भावनात्मक बुतिमत्ता व्यति को तस्थर और शांततचत्त बनाए रखने में सहायक है। तजला
प्रशासन, नाराज प्रदशयनकारी, यातत्रयों और रे लवे के वररष्ठ ऄतधकाररयों के मध्य
समहवय, के कारण ऐसी तस्थतत में भारी मानतसक दबाव ईत्पन्न होने की संभावना रहती
है।
 ऐसे में ऄतधकारी को भीड़ की भावनाओं के साथ समानुभूतत तथा िु ि एवं अशंक्रकत
क्रकसान प्रदशयनकाररयों का तवश्वास जीतना चातहए। ईसे भारी अर्तथक हातन, अम
जनता की ऄसुतवधा और संभातवत कानूनी पररणाम को बहस का अधार बनाते हुए

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प्रदशयनकाररयों को तवरोध की आस पितत को त्यागने और राजनीततक नेताओं के साथ


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साथयक वाताय में संलग्न करने हेतु समझाना चातहए।


 कु छ यातत्रयों की यात्रा जरूरी कारणों से हो सकती है। ऄतः मौजूदा सेवा की तस्थतत में
यातत्रयों से खेद प्रकट करते हुए ईनकी भावनाओं को समझने की जरूरत है।ऄतधकारी को
आस तरह के यातत्रयों के साथ वातायलाप में भावनात्मक पररपक्वता प्रदर्तशत करनी
चातहए।
(c) सवयप्रथम, मैं यह सुतनतश्चत करूँगा क्रक रे लवे लाआनों को ऄवरुि करने में शातमल
व्यतियों को यथोतचत रूप से दंतडत क्रकया जाए। यह भतवष्य में क्रकसी को भी ऐसा कदम
ईठाने से रोके गा। आसके ऄलावा, आस तरह के कायों के कानूनी पहलुओं के बारे में मैं
जनता में जागरूकता का प्रसार करूँगा। यह जनता को तशतक्षत करने के साथ ही आस
तरह की घटनाओं को रोकने में भी सहायक होगा।
यद्यतप कु छ मुद्दों के तलए तवरोध प्रकट करना गलत नहीं है, परं तु आसके तलए ऄपनाइ गइ
प्रक्रिया शांततपूणय एवं कानूनी दायरे में होनी चातहए। एक लोकतांतत्रक देश में, क्रकसी भी
पररतस्थतत में, जहां ऄसहमतत प्रकट करने के ऄनेक मागय ईपलधध हैं, तवरोध के गैरकानूनी
तरीके जैसे रे लवे लाआनों को ऄवरुि करना स्वीकायय नहीं है।

2. अप एक क्रफल्म तनमायण क्‍पनी में मुख्य काययकारी ऄतधकारी (CEO) हैं। यह क्‍पनी कु छ
समय से तवत्तीय रूप से ऄच्छा प्रदशयन नहीं कर रही है। अपकी क्‍पनी ऄब ऄपनी अगामी
क्रफल्म पर तनभयर है। यह क्रफल्म शीघ्र ही ररलीज (प्रदर्तशत) होने वाली है। आस क्रफल्म में
तवश्वसनीय ऄतभनेताओं को तलया गया है। आस क्रफल्म के ररलीज होने के पूवय ही व्यापार-
पंतडतों ने ऄनुमान लगा तलया है क्रक यह क्रफल्म तहट होगी।
हालांक्रक, अप एक तवतचत्र पररतस्थतत का सामना कर रहे हैं, क्योंक्रक क्रफल्म में सत्‍मतलत एक
ऄतभनेता एक ऐसे पड़ोसी देश का नागररक है तजसके साथ संबध ं तबगड़ गए हैं और युि जैसी
तस्थतत बनी हुयी है। हालांक्रक जब क्रफल्म को क्रफल्माया जा रहा था तब राजनीततक माहौल
तभहन था। ऄब स्थानीय राजनीततक पाटी के नेतत्ृ व में, ईस ऄतभनेता को प्रततस्थातपत करने
या ऄतभनेता को प्रततस्थातपत न करने पर क्रफल्म ररलीज होने पर ही प्रततबंध लगाये जाने के
संबध
ं में जनता में व्यापक स्तर पर मांग ईठ रही है।
ऄब जबक्रक अप देश की मनोदशा एवं क्रफल्म को ईसके वतयमान स्वरूप में जारी करने से
जनता में होने वाली प्रततक्रियाओं से ऄवगत हैं, क्रकहतु साथ ही अप यह भी जानते हैं क्रक
क्रफल्म की आस ऄवस्था में ईस ऄतभनेता को प्रततस्थातपत करना व्यवहायय नहीं है क्योंक्रक
क्रफल्म में ईसकी पयाय‍त भूतमका है। तसनेमा जगत में एक वगय ऐसा भी है जो नहीं चाहता क्रक
अप स्थानीय पाटी की धमक्रकयों को देखते हुए समझौता करें , क्योंक्रक यह वाक् एवं
ऄतभव्यति की स्वतंत्रता और साथ ही कलात्मक रचनात्मकता से भी समझौता होगा।
(a) अपको कौन-से तवकल्प ईपलधध हैं?
(b) प्रत्येक तवकल्प का मूल्यांकन कीतजए और ईसके गुणों और ऄवगुणों को बताआए।
(c) अप कौन-सी काययवाही का ऄनुसरण करें गे और क्यों?
दृतिकोण:
 कं पनी के सीइओ के रूप में अप के पास ईपलधध तवकल्प बताआए।
 ईपलधध तवकल्पों के गुणों और ऄवगुणों का मूल्यांकन कीतजए।
 ऄपनी कारय वाही कारणों के साथ बताआए।
ईत्तर:
आस मामले में शातमल मुद्दे हैं:
 कं पनी के सीइओ के रूप में कॉपोरे ट तहतों की सुरक्षा।

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 संतवधान द्वारा ऄनुच्छेद 19 (1) (a) के तहत प्रदत्त वाक् और ऄतभव्यति की स्वतंत्रता
का गला घोंटना तथा राजनीततक दबाव और धमकी।
 क्रकसी के पेशव
े र तनणयय के अधार पर ईसकी राष्ट्रीयता पर सवाल ईठाना, कलात्मक
रचनात्मकता और काम पर रखने की काययप्रणाली के साथ हस्तक्षेप।
 बदलते राजनीततक माहौल द्वारा तनददेशतशत व्यापक जन भावना।

तहतधारकों में शातमल हैं:

 प्रोडक्शन कं पनी के सीइओ जो अगामी क्रफल्म पर अर्तथक रूप से तनभयर हैं।


 क्रफल्म स्टार, जो ईस पड़ोसी देश से संबंध रखता है, तजसके साथ युि जैसी पररतस्थतत
तवद्यमान है।
 बाकी कलाकार और काययदल तजहहोंने कड़ी मेहनत से क्रफल्म को पूरा क्रकया है।
 स्थानीय पाटी के सदस्य तजहहोंने ईतल्लतखत ऄतभनेता की ईपतस्थतत के कारण क्रफल्म पर
प्रततबंध लगाने की धमकी दी है।
 ऄतभव्यति की स्वतंत्रता के प्रश्नगत व्यापक मुद्दे के साथ पूरी क्रफल्म तबरादरी।
 व्यापक रूप से वे दशयक जो क्रफल्म और आसकी कामस्टग के ऄंततम तनणाययक होंगे।

आस पररदृश्य में ईपलधध तवकल्प और ईनके गुण और ऄवगुण हैं:


 पाटी की मांगों को मान लेना और ऄतभनेता को बदल देना।
o गुण: एक सीइओ के रूप में, मेरा ऄंततम तहत कं पनी का लाभ है। कं पनी अगामी
क्रफल्म पर अर्तथक रूप से तनभयर है और क्रफल्म ररलीज हो यह महत्वपूणय है।
o ऄवगुण: हालांक्रक, ऐसा करने से राजनीततक दलों द्वारा आस तरह की धमकी को
दोहराने की संभावना बनी रहेगी। आसके ऄततररि, ऄतभनेता बदल देने से ईसके
दृश्यों को क्रफर से क्रफल्माना होगा, जो व्यवहायय नहीं
 एक मजबूत तनणयय लेना और क्रफल्म को ईसी रूप में ररलीज करना।
o गुण: कं पनी, ईसके कमयचाररयों और पूरी क्रफल्म तबरादरी के तहतों की रक्षा के तलए
यह एक साहसी कायय है। यह कलात्मक रचनात्मकता तथा वाक् और ऄतभव्यति की
स्वतंत्रता का एक व्यापक संदश
े प्रदान कर मुि और ईदार समाज के तनमायण की
क्रदशा में एक मजबूत कदम सातबत होगा।
o ऄवगुण: बहरहाल, यक्रद पाटी वह करती है तजसका ईसने दावा क्रकया था तो आससे
ऄराजकता एवं ऄप्रत्यातशत पररणाम हो सकता है। आसके ऄलावा, चूंक्रक जनता की
एक व्यापक राय बन गयी है, तजससे मुझे अर्तथक नुकसान हो सकता है।
 ईन दृश्यों तजनमें वह ऄतभनेता ईपतस्थत है, की संख्या को कम से कम करना और के वल
अवश्यक दृश्यों को रखना।
o गुण: आससे क्रफल्म के तखलाफ बड़े पैमाने पर बनी जनता की राय को तनष्प्रभावी
करने में मदद तमलेगी, तजससे मुझे अर्तथक रूप से फायदा तमलेगा क्योंक्रक क्रफल्म के
सफल होने की भतवष्यवाणी की गइ थी।
o ऄवगुण: हालाँक्रक, यह वाक् और ऄतभव्यति की संतवधान द्वारा प्रत्याभूत स्वतंत्रता
और कलात्मक रचनात्मकता के दमन की ओर संकेत करता है। आसके ऄलावा, कोइ
गारं टी नहीं है क्रक आस तरह की मांग भतवष्य में नहीं दोहराइ जाएगी।
 कु छ क्रदनों के तलए क्रफल्म की ररलीज को स्थतगत करने और जनता की भावनाओं के शांत
होने का आं तजार करना।
o गुण: यह क्रफल्म को ईसके मूल रूप में बनाए रखेगा, तनणयय लेने के तलए और ऄतधक
समय प्रदान करे गा और क्रफल्म स्टार के तहतों की रक्षा करे गा। चूंक्रक क्रफल्म ऄच्छी है,

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आसे ऄच्छी प्रततक्रिया (ररस्पांस) तमल सकती है, जो कं पनी के तलए ईच्च राजस्व पैदा
करने में मददगार हो सकती है।
o ऄवगुण: ररलीज़ में देरी का तनतश्चत तवत्तीय प्रभाव होगा और यह काययदल के
सदस्यों को हतोत्सातहत कर सकता है। आसके ऄलावा आस कदम का अशय के वल
ऄपररहायय को टालना है, मुद्दे को हल करना नहीं।
काययवाही
 मैं पाटी के नेता के पास जाकर ईससे आस तवषय में बात करूँगा। लेक्रकन ऄगर ईसने मना
कर क्रदया, तो मैं क्रफल्म को ईसी ऄतभनेता के साथ ररलीज करूँगा। मैं स्थानीय पुतलस
और राज्य के नेताओं से भी बात करूँगा ताक्रक तबना क्रकसी बाधा के क्रफल्म ररलीज हो।
 आसके ऄततररि, एकजुटता के एक ईपाय के रूप में क्रफल्म तबरादरी, तनमायताओं के
तवतभन्न संघ, तथएटर मातलकों अक्रद से समथयन के तलए ऄनुरोध करूँगा। मैं सोशल
मीतडया और संचार के ऄहय साधनों के माध्यम से भी दशयकों से एक ऄतभनेता के काम
को ईसकी राष्ट्रीयता से ऄलग रख कर देखने और क्रफल्म को एक ईतचत ऄवसर प्रदान
करने का ऄनुरोध करूँगा।
 यहाँ एक तनतश्चत तनणयय लेना महत्वपूणय है, क्योंक्रक कला राष्ट्रीय सीमाओं का ऄततिमण
करती है और ऄहय देशों के ऄतभनेताओं को काम पर रखना देशभति और राष्ट्रवाद को
मापने का कोइ मापदंड नहीं है। आसके ऄलावा गृहदेश में आस तरह के कायों का प्रततकू ल
प्रभाव ऄहय पड़ोसी देशों में काम कर रहे भारतीय कलाकारों पर भी पड़ सकता है।

3. अप और अपका तमत्र दोनों एक महानगर में एक साथ रह रहे हैं और तसतवल सेवा परीक्षाओं
की तैयारी कर रहे हैं। अप ऄपने दैतनक लक्ष्यों को पूरा करने की प्रक्रिया का ईतचत प्रबंधन
कर लेते हैं क्रकहतु अप देखते हैं क्रक अपका तमत्र परीक्षा का दबाव सहने में ऄसमथय है। परीक्षा
में ईत्तीणय न होने का भय एवं ऄपने पररवार की ऄपेक्षाओं को पूरा न कर पाने की मचताएं ईसे
और भी ऄतधक ऄवसादग्रस्त कर रही हैं। समय के साथ सभी चीजों में अपके तमत्र की रुतच
समाप्त होती जा रही है और वह प्राय: ऄपना लक्ष्य प्राप्त न कर पाने पर अत्महत्या करने की
बात करता है। वह कइ बार खाना भी नहीं खाता है और बाहर घूमने जाने के तलए कहने पर
कमरे के ऄंदर ही रहना पसंद करता है। जब अपने एक पेशव े र डॉक्टर की सलाह ली तो
डॉक्टर ने अपके तमत्र का नैदातनक परीक्षण कर ईसे नैदातनक ऄवसाद (तक्लतनकल तडप्रेशन)
से पीतड़त बताया। आस बात से ऄवगत होते हुए क्रक अपके तमत्र को पेशव े र परामशय एवं
मनोतचक्रकत्सीय देखभाल की अवश्यकता है, अप ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले ईसके माता-
तपता से तमलने गए। पेशव े र परामशय का सुझाव देने पर ईहहोंने न के वल अपकी बातों को
तसरे से नकार क्रदया ऄतपतु बार-बार यही दोहराते रहे क्रक ईसे कु छ नहीं हुअ है। ईहहोंने
कठोरतापूवक य ईल्लेख क्रकया क्रक अपके द्वारा आस मामले की चचाय करने से लोगों को मनगढ़ंत
बातें बनाने का ऄवसर ही तमलेगा। जब अप ईनसे तवनम्रतापूवक य तनवेदन करते हैं क्रक क्रकसी
के मानतसक स्वास्य य की ईपेक्षा करना बुतिमत्तापूणय कायय नहीं है तब भी वे अपकी ईपेक्षा
करते हैं। अपके तमत्र के माता-तपता ईसकी तस्थतत को तवफलता का संकेत मानते हैं और ईसे
(अपके दोस्त को) वापस घर बुलाने का तनणयय करते हैं जहां वह ऄपनी तैयारी जारी रख
सकता है। यक्रद अपका तमत्र ऄपने घर वापस जाता है तो अप ईस पररतस्थतत में ईत्पन्न होने
वाली समस्या की गंभीरता से ऄवगत हैं। अप यह भी जानते हैं क्रक मानतसक स्वास्य य के
संबध
ं में बहुत कम जागरूकता है एवं आसका समाधान आसकी ईपेक्षा करना नहीं बतल्क आससे
तनपटने के तलए अवश्यक ईपाय करना है।
(a) तमत्र के कल्याण के तलए मचततत एवं तसतवल सेवक बनने की अकांक्षा रखने वाले व्यति
के रूप में, जो भतवष्य में जनता के तलए नीततयों की रूपरे खा तय कर सकता है और तजसकी
ईनके प्रतत नैततक तज्‍मेदारी होती है; ऐसी तस्थतत में अपके पास कौन-से तवकल्प ईपलधध
है?
(b) आनमें से प्रत्येक तवकल्प का मूल्यांकन कीतजए और कारण बताते हुए वह तवकल्प चुतनए
जो अप ऄपनाएंग।े

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 आस तस्थतत में ईपलधध तवकल्पों और ईनके प्रभावों का तववरण दीतजए।


 सभी संभव तवकल्पों के गुणों एवं दोषों को सूचीबि कीतजए और पररणामी कारय वाइ का
ईल्लेख कीतजए।
ईत्तर:
(a) आस पररदृश्य में मेरे पास ईपलधध तवकल्प हैं:
(i) ऄपने तमत्र को शहर में रखने और ईसके ईपचार की तज्‍मेदारी लेने के तलए ईसके
पररवार को समझाना।
(ii) ईसके माता-तपता द्वारा मेरी सलाह न मानने के बाद मामले को वही छोड़ देना।
(iii) ईसे गाँव वापस जाने देना जैसा क्रक ईसके माता-तपता की आच्छा है क्रकहतु ऄहय तरीकों से
ईसकी सहायता करना।
(b) प्रत्येक तवकल्प का परीक्षण करना
(i) ऄपने तमत्र को शहर में रखने और ईसके ईपचार की तज्‍मेदारी लेने के तलए ईसके
पररवार को समझाना।
आस तय य को ध्यान में रखते हुए क्रक मेरा तमत्र अत्महत्या की प्रवृतत्त से ग्रस्त है, ईसके जीवन
को ऄत्यतधक खतरा है और एक तमत्र एवं शुभमचतक होने के नाते मुझे यह ऄवश्य सुतनतश्चत
करना चातहए क्रक ईसे एक मनोतचक्रकत्सक से पेशेवर मदद तमले। ईसके पररवार की ग्रामीण
पृष्ठभूतम के कारण वे तस्थतत की गंभीरता से ऄवगत नहीं हैं और ऐसे में मेरा हस्तक्षेप और भी
अवश्यक हो जाता है।
हालांक्रक, आसमें मेरा कीमती समय व्यथय होगा तजसे मुझे ऄपने ऄध्ययन में लगाना चातहए।
यह मेरे तमत्र के पाररवाररक सदस्यों को भी रुि कर सकता है जो सामातजक भय के कारण
क्रकसी भी प्रकार के तचक्रकत्सकीय ईपचार के तवरुि हैं। ईपचार के तलए अवश्यक धन भी एक
मुद्दा है जो आस दौरान ईभर कर सामने अ सकता है।
(ii) ईसके माता तपता द्वारा मेरी सलाह को ऄनसुना कर देने के बाद मैं आस मामले को छोड़
दूग
ं ा। जैसा क्रक मेरे तमत्र के माता तपता की दृति में मेरी सलाह ऄनुपयोगी है, ऄतः ऄब ईहहें
पूरा मामला सौंप कर मैं पुनः ऄपने ऄध्ययन पर ध्यान के तहित कर सकता हँ।
यह एक पलायनवादी मागय होगा और मेरे तमत्र एवं ईसके पररवार और यहाँ तक क्रक मेरे तलए
भी प्रततकू ल पररणामों को जहम दे सकता है क्योंक्रक मेरे तमत्र को हुअ क्रकसी भी प्रकार का
नुकसान मेरी मानतसक दशा तथा परीक्षा के तलए मेरी तैयारी को भी प्रभातवत कर सकता है।
यह स्वाथी और तनम्न कोरट का व्यवहार होगा।
(iii) ईसके माता-तपता की आच्छानुसार ईसे गाँव वापस जाने देना क्रकहतु ऄहय संभव तरीकों से
ईसकी मदद करना।
यह ईसके तलए मददगार तसि हो सकता है क्योंक्रक वह ऄपने पररवार के तनकट होगा जो
ईसके तलए ऄत्यंत अवश्यक मनोवैज्ञातनक समथयन प्रदान करे गा। चूंक्रक स्वास्य य सवायतधक
महत्वपूणय है ऄतः ऐसे में तनयतमत ऄध्ययन में थोडा सा व्यवधान कोइ बड़ा मुद्दा नहीं है।
क्रकहतु पेशेवर परामशय और ईपचार की मांग ऄभी भी है जो ग्रामीण क्षेत्र में असानी से
ईपलधध नहीं हो सकती है।
संभातवत काययवाही:
पहले, मैं ऄपने तमत्र के माता-तपता को ऄवसाद एवं आसके प्रभाव के बारे में ऄवगत करने की
कोतशश करूंगा और आस मामले में जो पेशेवर परामशय दी गयी थी ईहहें ईससे ऄवगत
कराउंगा। ईपचार भी ईपयोगी हो सकता है, आस बारे में मैं डॉक्टर से मेरे तमत्र के माता-तपता
को समझाने के तलए कहँगा। मेरे तमत्र को ऄध्ययन के तलए यहाँ रुकना चातहए या गाँव चले
जाना चातहए, यह तनणयय पेशेवर परामशय, गाँव में मनोवैज्ञातनक तचक्रकत्सक की ईपलधधता
और ईसकी सुतवधा के अधार पर तलया जाना चातहए।

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एक ऄवकाश से ईसकी रूतच For


को पुMore
नजीतवतVisit
करने में मदद तमल सकती है जो वह तेजी से खो
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रहा है। मैं भी ईसके दैतनक लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करूँगा, जो ईसे परे शान कर रहे है
और ईसके तनाव का कारण रहे हैं। आसके ऄलावा, मैं ईसे ऄपने लक्ष्यों को छोटे-छोटे कायों में
तोड़ने के तलए भी सुझाव दूग
ं ा।
ऄहत में, मेरे तमत्र द्वारा आस परीक्षा में की जा रही कड़ी मेहनत की प्रशंसा की जानी चातहए,
आस बारे में मेरे तमत्र के माता-तपता को जागरूक करूंगा।
प्रततयोगी परीक्षाएं बेहद तनावपूणय और मानतसक दबाव वाली होती है, एक परीक्षाथी को
आस वक़्त मचता या ऄवसाद का सामना करना पड़ सकता है और आसके साथ ऄहय स्वास्य य
तवसंगतत की तरह ही व्यवहार क्रकया जाना चातहए। जो व्यति ऄवसाद से ग्रस्त हैं ईसके
तमत्र/साथी/ररश्तेदार अक्रद के रूप में हमें यह सुतनतश्चत करना चातहए क्रक ईपचार के प्रत्येक
चरण में तनदान के साथ व्यति के तलए तस्थतत को सामाहय करने और ईसका समथयन करने के
तलए हम ऄपना सवयिेष्ठ योगदान दें।

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Value Addition Material-2018


PAPER IV : नीततशास्त्र
शासन व्यवस्था में शुतिता

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तवषय सूिी
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1. शासन व्यवस्था में शुतिता (Probity in Governance) ________________________________________________ 3

1.1. शासन में शुतिता का महत्व ___________________________________________________________________ 3

1.2. शुतिता के तसद्ाांत (Principles of Probity) ______________________________________________________ 4

1.3. शासन व्यवस्था में शुतिता की ाअवश्यकता: भ्रष्टािार के खतरे ____________________________________________ 6

1.4. शासन व्यवस्था में शुतिता सुतनतित करने के तिए ाअवश्यक ाईपाय ________________________________________ 9

1.5 शासन व्यवस्था में शुतिता में सुधार हेतु ाऄन्य सुझाव__________________________________________________ 18

1.6. तनष्कषष (Conclusion) ____________________________________________________________________ 20

2. िोक सेवा की ाऄवधारणा (Concept of Public Service) _____________________________________________ 22

2.1. सेवा की सावषजतनकता का मापन (Measuring Publicness of a Service) ______________________________ 22

2.2. िोक सेवा हेतु मागषदशषक तसद्ाांत (Principles Guiding Public Service) _______________________________ 22

2.3. तनष्कषष (Conclusion) ____________________________________________________________________ 24

3. तवगत वषों में सांघ िोक सेवा ाअयोग द्वारा पूछे गए प्रश्न (Past Year UPSC Questions) _______________________ 25

4. तवगत वषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न (Vision IAS Test Series
Questions) _______________________________________________________________________________ 25

5. तवगत वषों में सांघ िोक सेवा ाअयोग द्वारा पूछे गए प्रश्न: के स स्टडीज (UPSC: Case Studies) ____________________ 30

6. तवगत वषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न: के स स्टडीज (Vision IAS
Test Series Questions: Case Studies) ________________________________________________________ 32

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"यदद हम भारत को भ्रष्टािार मु‍त नह नना सकते, तो देश को 2020 तक तवकतसत ननाने की
पररकल्पना एक स्वप्न ही रह जाएगी।” - डा. ए. पी. जे. ाऄब्दुि किाम

1. शासन व्यवस्था में शु तिता (Probity in Governance)


प्रोतनटी (शुतिता) शब्द का ाईद्भव िैरटन शब्द ‘प्रोतनटास’ (probitas) से हुाअ है, तजसका ाऄथष होता है
‘ाऄच्छा’। यह सुदढ़ृ नैततक तसद्ाांतों को धारण करने एवां ाईनका दृढ़तापूवक
ष ाऄनुपािन करने का एक
तवतशष्ट गुण है। ाआसके ाऄांतगषत ाइमानदारी (honesty), सत्यतनष्ठा (integrity), न्याय-तनष्ठा

(uprightness), पारदर्शशता (transparency) और सच्चररत्रता (incorruptibility) जैसे तसद्ाांत


सतममतित हैं। वस्तुताः शुतिता (प्रोतनटी) स्थायी सत्यतनष्ठा है। ाआसे सामान्य प प से सच्चररत्र माना जाता
है।

नोट: ाआस ाऄध्याय में हमने UPSC-CSM तसिेनस एवां CSM के तवगत वषों के प्रश्नों को ध्यान में
रखते हुए Probity के तिए “शुतिता” शब्द का प्रयोग दकया है। हािाांदक UPSC-CSM तसिेनस एवां
CSM 2014 {प्रश्न सांख्या 2 (b)} में ाआसके तिए क्रमशाः “ाइमानदारी” एवां “सत्यतनष्ठा” जैसे शब्दों का
प्रयोग हुाअ है।

शासन व्यवस्था में शुतिता वस्तुताः सरकार के तवतभन्न ाऄांगों के औतित्य और िररत्र से सांनतां धत है दक
‍या ाआनमें प्रदक्रयागत न्याय-तनष्ठा का पािन दकया जाता है, भिे ही ाआन सांसथानों
् में व्यति कायष करते
हों। ाआसके तहत नैततक और पारदशी दृतष्टकोण को ाऄपनाया जाता है तथा शासन प्रदक्रया की सूक्ष्म जाांि
की ाऄनुमतत प्रदान की जाती है। शुतिता (प्रोतनटी) से ाअशय मात्र नेाइमान ननने से तवरत रहना ही नह
है ‍योंदक ाआसका तनधाषरण व्यतिगत और सामातजक मूल्यों जैसी ाऄमूतष पहिुओं के माध्यम से दकया
जाता है। िोकतांत्र में शुतिता (प्रोतनटी) वस्तुताः तवतध के समक्ष समानता के तसद्ाांत का पािन तथा
नागररकों के प्रतत नेताओं के ाऄतधकारों एवां कतषव्यों का सममान करती है।
ाआसके तवपरीत, शुतिता (प्रोतनटी) एक सामातजक ाऄपेक्षा है तजसकी माांग नागररकों द्वारा ाऄपने तनणषय-
कताष एवां राज्य के ाऄांग के प प में कायषकताषओं से की जाती है। यह ाऄपेक्षा दकस सीमा तक पूरी की जाती
है ाआसका तनणषय करने के तिए मानदांडों का तनधाषरण दकया जाता है तथा ाआनमें प्राय: तीन िीजें
सतममतित होती हैं: “जवानदेही” (accountability), “पारदर्शशता” (transparency) और
“ाऄनुदक्रयाशीिता” (responsiveness)। साथ ही ाआसमें यह साझा तवश्वास भी सतममतित होता है दक
ाआन मानदांडों को ाऄपनाने से भ्रष्टािार मुि एवां सक्षम शासन सांभव होगा। हािााँदक के वि मानदांडों का
तनधाषरण ाऄपने ाअप में, नैततक व्यवहार को सुतनतित नह करता, ाआसके तिए सामातजक जीवन में
शुतिता (प्रोतनटी) और सत्यतनष्ठा की सुदढ़ृ सांस्कृ तत की ाअवश्यकता होती है। नैततक व्यवहार का सार
के वि मानदांडों में तनतहत नह है, ाऄतपतु ाईसे दक्रया प प में पररणत करने और ाईसके ाईल्िांघन के तवरुद्
प्रततनांधों का ाअदेश जारी करने में है।

1.1. शासन में शु तिता का महत्व

(Importance of Probity in Governance)


 सवषप्रथम, यह प्रणािी (तसस्टम) ाऄथाषत् राज्य की वैधता को स्थातपत करने में सहायता करती है।
यह राज्य के सांस्थानों में भरोसा पैदा करती है और यह तवश्वास जगाती है दक राज्य के द्वारा दकए
जाने वािे कायष िाभार्शथयों के कल्याण के तिए होंगे।

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 ाआससे तववेकपूणष और नैततक पररणाम प्राप्त होते हैं एवां समय के साथ तवश्वास का सृजन होता है।
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 यह ाईपेष्टतम (सन-ऑप्टीमि) पररणामों, भ्रष्टािार और कमजोर धारणाओं का पररहार करती है।


 यह प्रदक्रया की तनष्पक्षता पर वस्तुतनष्ठ और स्वतांत्र दृतष्टकोण प्रदान करती है।
 यह सरकार के तवतभन्न ाऄांगों, जैसे- न्यायाधीश, पुतिस तथा िोक तनमाषण तवभाग, स्वास््य एवां
तशक्षा ाआत्यादद जैसे िोक सेवा प्रदाताओं द्वारा शति के दुरुपयोग एवां दुष्प्रयोग को रोकने में
सहायता करती है।
 यह कु शि एवां प्रभावी शासन प्रणािी तथा सामातजक-ाअर्शथक तवकास के तिए ाऄतनवायष है।
‘शासन व्यवस्था में शुतिता’ के तवषय पर सांतवधान की कायषप्रणािी की समीक्षा करने के तिए राष्ट्रीय
ाअयोग (National Commission to Review the working of Constitution: NCRWC,
2002) द्वारा प्रस्तुत ररपोटष के ाऄनुसार ‘शासन में शुतिता को सुतनतित करने हेतु भ्रष्टािार की
ाऄनुपतस्थतत ाऄत्यांत ाअवश्यक है। सावषजतनक जीवन के प्रत्येक पहिू को प्रशातसत करने वािे प्रभावी
कानून, तनयम एवां तवतनयमन ाआस हेतु ाऄन्य ाऄपेक्षाएां हैं तथा ाआससे भी ाऄतधक महत्वपूणष यह है दक ाईन
कानूनों ाअदद का प्रभावी और तनष्पक्ष कायाषन्वयन हो। वस्तुताः कानून का ाईतित, तनष्पक्ष और प्रभावी
प्रवतषन ाऄनुशासन का एक पहिू है। ाऄनुशासन में ाऄन्य नातों के साथ-साथ सावषजतनक एवां तनजी
नैततकता और ाइमानदारी की भावना सतममतित है... यह सत्य है दक नागररकों के नीि ाऄनुशासन की
भावना ाईत्पन्न करने का कायष सामान्यताः समाज, ाआसके नेताओं, राजनीततक दिों, िोकतप्रय व्यतियों
का है तथा ऐसे तवषय कम हैं तजन पर कानून ननाया जा सके ।’
दिर भी, NCRWC ने भ्रष्टािार की ाअशांका को तनयांतत्रत करने के तिए शासन व्यवस्था (तवशेष प प से
कानूनी और प्रदक्रयात्मक पहिुओं से सांनांतधत) में शुतिता को िागू करने हेतु सुझाव ददए हैं। ाआस सांनांध
में, स्कैं तडनेतवयााइ ाऄथषशास्त्री-समाजशास्त्री, गु्न्नार तमडषि ने ाऄपनी पुस्तक 'एतशयन ड्रामा' में भारत की
व्याख्या एक ‘मृद ु समाज (सॉफ्ट सोसााआटी)’ के प प में की है। यह ऐसा समाज है तजसमें:
 प्रगतत और तवकास के तिए ाअवश्यक कानूनों को ाऄतधतनयतमत करने हेतु ाआच्छाशति का ाऄभाव
तवद्यमान है।
 यहाां तक दक मौजूदा कानूनों के दक्रयान्वयन हेतु ाआच्छाशति का ाऄभाव तवद्यमान है।
 प्रशासन एवां शासन की सांरिनाओं सतहत शासन व्यवस्था में सभी स्तरों पर ाऄनुशासन का ाऄभाव
है।
प्रतसद् ाऄथषशास्त्री महनून-ाईि-हक़ के ाऄनुसार यद्यतप भ्रष्टािार सवषत्र तवद्यमान है तथातप दतक्षण
एतशया में यह चिता का एक नड़ा कारण है ‍योंदक यहााँ यह शोषणकारी प प में तवद्यमान है तथा
ाऄसहाय गरीन नागररकों के शोषण पर ाअधाररत है।
यद्यतप िोगों एवां और ाईनके प्रतततनतधयों में नैततकता की भावना ाईत्पन्न करना एक दीघषकातिक प्रदक्रया
है तजस पर तत्काि ध्यान देने की ाअवश्यकता है, तथातप शासन में शुतिता सुतनतित करने के तिए कु छ
तवधायी ाईपायों को ाऄत्यन्त तीव्रता से पररकतल्पत दकया जा सकता है। ाआस प्रकार, शासन व्यवस्था में
शुतिता कु शि और प्रभावी शासन व्यवस्था और सामातजक-ाअर्शथक तवकास के तिए ाऄतनवायष एवां एक
महत्वपूणष ाअवश्यकता है।

1.2. शु तिता के तसद्ाां त (Principles of Probity)

यद्यतप शुतिता से सांनांतधत मत और तसद्ाांत स्पष्ट एवां भिीभाांतत पररभातषत हैं, तथातप ाईन्हें कायाषतन्वत
करने हेतु यथाथषपूणष ाअकार प्रदान करने का ाईत्तरदातयत्व सरकार का है। ाआसतिए भिे ही शासन
व्यवस्था में शुतिता ाऄपनाने हेतु ाइमानदारी (honesty) एवां वस्तुतनष्ठता (objectivity) के महत्व के
तवषय में थोड़ी ाऄसहमतत हो, ककतु जो िीज प्रामातणकता एवां वस्तुतनष्ठता िाती है, और सनसे नढ़कर
ाईन्हें प्रततददन तनणषय प्रदक्रया में ाऄमि में िाती है वह सरकार की ाआच्छाशति, सांस्थाओं के साम्यष, और

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ाईन्हें ननाए रखने के तिए तजममेदार िोगों पर तनभषर होती है। दिर भी, शुतिता ाऄपनाने हेतु प्रस्तुत
तसद्ाांतों की एक सामान्य सूिी वाांतछत है। ाआसमें सामान्यताः यूनााआटेड ककगडम के नोिन सतमतत द्वारा
प्रस्तुत सावषजतनक जीवन के सात तसद्ाांतों को सतममतित दकया जाता है, ये हैं: तन:स्वाथषता
(selflessness), सत्यतनष्ठा (integrity), वस्तुतनष्ठता (objectivity), जवानदेतहता
(accountability), खुिापन (openness), ाइमानदारी (honesty) और नेतृत्व (leadership)।
शुतिता (प्रोतनटी) के कु छ तसद्ाांतों पर नीिे ििाष की गाइ है:
I. तन:स्वाथषता: सावषजतनक (िोक) पद के धारकों को पूणत
ष : सावषजतनक तहत में तनणषय िेना िातहए।
ाईन्हें स्वयां ाऄपने, ाऄपने पररवार या ाऄपने तमत्रों के तिए दकसी भी प्रकार के तवत्तीय या ाऄन्य िाभ
प्राप्त करने के तिए कायष नह करना िातहए।
II. सत्यतनष्ठा: सावषजतनक पद के धारकों को स्वयां को नाहरी व्यतियों या सांगठनों के प्रतत दकसी भी
तवत्तीय या ाऄन्य दातयत्व से सांनद् नह करना िातहए जो ाईन्हें ाईनके ाअतधकाररक कतषव्यों के
तनवषहन में प्रभातवत कर सके ।
III. वस्तुतनष्ठता: सावषजतनक तनयुतियों, ठे का/ाऄनुनांध प्रदान करने के मामिों, या पाररतोतषक व िाभ
के तिए दकसी की ाऄनुशस ां ा करते समय सावषजतनक कायष के तनवषहन के दौरान सावषजतनक पद के
धारकों को योग्यता के ाअधार पर ियन करना िातहए।
IV. जवानदेतहता: सावषजतनक पद के धारकों को ाऄपने द्वारा तिए गए तनणषयों या कतषव्य के तनवषहन के
तरीकों के औतित्य की व्याख्या करने में सक्षम होना िातहए तथा ाईन्हें ाऄपने पद से जुड़ी प्रत्येक
जाांि के तिए ाअगे ाअना िातहए। यह सावषजतनक पद के धारकों द्वारा की गयी कायषवाही के प्रतत
ाईत्तरदातयत्व की भावना को व्यि करता है, साथ ही यह तिए गए तनणषयों के औतित्य ाऄथवा तजन
तरीकों से कायषवाही की गय हैं ाईनकी व्याख्या करने की नाध्यता को भी दशाषता है। सरकार को
यह सुतनतश्वत करने के तिए कु शि और प्रभावी तांत्र स्थातपत करना िातहए दक कायषपातिका को
ाईसके ाअिरण और तनणषयों हेतु तजममेदार ठहराया जाए।
V. पारदर्शशता: ऐसी पररतस्थततयों को छोड़कर तजनमें दक राष्ट्र की सुरक्षा के तिए गोपनीयता की
ाअवश्यकता होती है, प्रशासतनक मशीनरी के समुतित सांिािन हेतु यह ाऄतनवायष है दक प्रदक्रया
पारदशी हो, जससे दक सभी तहतधारकों का प्रणािी में भरोसा और तवश्वास हो।
VI. खुिापन: सावषजतनक पद के धारकों को ाऄपने द्वारा तिए गए तनणषयों एवां कायषवातहयों के तिए
जहााँ तक सांभव हो खुिापन ददखाना िातहए। ाईन्हें ाऄपने तनणषयों के तिए तकष देना िातहए तथा
सूिना को के वि तभी प्रततनांतधत करना िातहए जन व्यापक सावषजतनक तहत स्पष्ट प प से ाआसकी
माांग करें ।
VII. ाइमानदारी: सावषजतनक पद के धारकों का कतषव्य है दक वे ाऄपने सावषजतनक कतषव्यों से जुड़े दकसी
भी प्रकार के तनजी तहत की घोषणा करें तथा सावषजतनक तहतों की पूर्शत करने के मागष मे ाअने
वािी दकसी भी नाधा को दूर करने के तिए कदम ाईठाएां।
VIII. गोपनीयता: िोक सेवकों द्वारा तनणषय िेने से सांनांतधत सभी मामिों में गोपनीयता ननाए रखना
सभी सावषजतनक ाऄतधकाररयों और तवशेषकर कानूनों, नीततयों और कायषक्रमों के तनष्पादन के
तिए ाईत्तरदायी सावषजतनक ाऄतधकाररयों का कतषव्य है। यह ाअिरण तनयमों के साथ ही तवत्तीय
तनयमों एवां कायषपातिका के तनयमों में ाऄांतर्शनतहत है। सांवेदनशीि जानकारी से सांनांतधत दकसी
पररयोजना या तवभाग में सतममतित सभी िोक सेवकों को रोजगार की एक शतष के प प में
सूिनाओं की गोपनीयता ननाये रखने के तिए सरकार को औपिाररक विन देना िातहए।
पारदर्शशता और गोपनीयता के नीि सूक्ष्म सांति ु न सभी तस्थततयों में ननाए रखा जाना िातहए।
गोपनीयता और पारदर्शशता को तनणषय का ाअधार नताते हुए ाआन पर प्रशासतनक न्याय की
ाऄवधारणा को स्थातपत दकया गया है। ाईदाहरण के तिए नाढ़ प्रभातवत तजिे में जहाां तवतरण के
तिए के रोतसन की कमी है, वहाां ऐसे पररवार को ाऄतधक प्राथतमकता से के रोतसन की ाअपूर्शत
करना पूणषतया वैध है तजसमें नच्चे स्कू ि जाते हैं। ाआस प्रकार के तनणषयों को गोपनीय रखना पड़ता
है, िेदकन तनणषय तिए जाने के नाद, तनणषय के ाअधारों को िोगों तक सांप्रेतषत करना ाऄतनवायष
होता है।

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IX. तहतों के टकराव का प्रनांधन: तहतों का टकराव ऐसी तस्थतत है जन दकसी तनणषय के पररणामों से
प्रत्यक्ष या परोक्ष प प से िाभातन्वत होने की सांभावना के कारण तनष्पक्ष और ाईतित तनणषय िेने की
व्यति की क्षमता नातधत हो सकती है। प्रत्यक्ष या परोक्ष प प से दकसी मामिे में तहत धारण करना
व्यति को तनष्पक्ष रहने या सांपण
ू ष प प से वस्तुतनष्ठ और पक्षपात रतहत रहने में ाऄसमथष नना देता
है। ाआसतिए, ाऄतधकाररयों को भावी मागषदशषन के तिए ाईच्च प्रातधकारी को ाऄपनी तस्थतत स्पष्ट कर
देनी िातहए। िोक सेवा में तहतों का टकराव तन ाईत्पन्न होता है जन सांनद् ाऄतधकाररयों द्वारा या
तो स्वयां या दकसी ाऄन्य के तिए ाऄनुतित िाभ प्राप्त करने हेतु प्राप्त सूिना का ाईपयोग करने या
ाऄपने पद की तस्थतत का िाभ ाईठाने का प्रयास दकया जाता है। ाआस प्रकार के टकरावों के प्रनांधन के
तिए ाईच्च सत्यतनष्ठा वािे व्यतित्वों एवां जनता के तहतों को सवोपरर ननाए रखने वािे सांस्थागत
तांत्रों की ाअवश्यकता होती है। वतषमान में, भारत में ऐसे मामिे प्राय: तदथष ाअधार पर सांिातित
होते हैं।
X. नेतत्ृ व: सावषजतनक पद धारकों को नेतृत्व द्वारा ाईपयुषि तसद्ाांतों का प्रिार और समथषन करना
िातहए और ाऄन्य िोगों के तिए ाऄनुकरण हेतु ाईदाहरण प्रस्तुत करना िातहए।

1.3. शासन व्यवस्था में शु तिता की ाअवश्यकता: भ्रष्टािार के खतरे

(Need for Probity in Governance: The Menace of Corruption) NCRWC के ाऄनुसार:


‘सावषजतनक जीवन में तनजी िाभ प्राप्त करने के तिए सावषजतनक सांसाधनों या पद का दुरुपयोग करना
ही भ्रष्टािार है। जन िोक प्रशासकों पर तनयांत्रण कमजोर होता है और राजनीततक, कायषपातिका और
नौकरशाही के नीि शतियों का तवभाजन ाऄस्पष्ट होता है तो भ्रष्टािार की सांभावनाएाँ नढ़ जाती हैं।
राजनीततक भ्रष्टािार जो कभी-कभी नौकरशाही तांत्र के भ्रष्टािार से ाऄतवभाज्य होता है, वह सत्तावादी
शासनों में ाऄतधक व्यापक होता है जहााँ सावषजतनक मत और प्रेस भ्रष्टािार की ाअिोिना करने में
ाऄसमथष होते हैं। हािााँदक भारत का तवरोधाभास यह है दक सतकष प्रेस और सावषजतनक मत के नाद भी,
भ्रष्टािार का स्तर ाऄसामान्य प प से ाईच्च है। ाआसके तिए ररश्वत िेने वािों के नीि ाऄत्यांत
ाऄसांवेदनशीिता, शर्ममदगी के ाऄभाव एवां सावषजतनक नैततकता के दकसी भी भाव की ाऄनुपतस्थतत को
तजममेदार ठहराया जा सकता है। वस्तुत: वे भ्रष्टािार एवां वेशमी के ाऄपने तमगे को समान तवश्वास और
तनना दकसी ाऄपराधनोध के धारण करते हैं। ाअर्शथक एवां सामातजक जीवन में राज्य के हस्तक्षेप के
ाऄवसरों में वृतद् ने राजनीततक और नौकरशाही भ्रष्टािार के ाऄवसरों में ाऄत्यतधक वृतद् कर दी है,
राजनीतत का स्वप प पेशेवर हो जाने के नाद से यह तवशेष प प से हुाअ है...
... भ्रष्टािार ाअज न के वि शासन की गुणवत्ता के समक्ष खतरा प्रस्तुत करता है ाऄतपतु यह हमारे
समाज और राज्य के मूिभूत ाअधारों को ही सांकटग्रस्त कर रहा है। भ्रष्टािार रक्षा सांनांधी खरीदों, ाऄन्य
खरीदों एवां ाऄनुनांधों में राज्य की सुरक्षा को ही कमजोर करता है। कु छ तवद्युत ाऄनुनांध कु छ राज्यों पर
ाआस प्रकार का तवत्तीय भार डाि रहे हैं दक ाईन राज्यों की तवत्तीय वहनीयता ही सांदह े ग्रस्त हो गाइ है।
ऐसा प्रतीत होता है दक ाअतांकवाद, मादक द्रव्यों, तस्करी और राजनेताओं के नीि एक गठजोड़
तवद्यमान है, ाआस त्य पर वोहरा सतमतत की ररपोटष में ाऄत्यतधक नि ददया गया था।
भ्रष्टािार ाआसतिए ििता-िू िता है ‍योंदक भ्रष्टािार के मामिों पर प्रभावी प प से तवतधक कारष वााइ
दकए जाने के पयाषप्त प प से सिि ाईदाहरण तवद्यमान नह हैं। मामिों का ाऄसांतोषजनक ढांग से
सांस्थापन, ाअधे ाऄधूरे मन से और ाऄपूणष जााँि और थकााउ व देर तक ििने वािी मुकदमेनाजी के
पररणामस्वप प नैततक प प से ाऄनुपयु‍त िेदकन तवतधक प प से ाऄपररहायष दोषमुति प्राप्त होती है। ऐसे
में एक ाऄनौपिाररक वास्ततवकता के प प में भ्रष्टािार की स्वीकायषता ने ऐसे ाऄनैततक कृ त्य के प्रतत मौन
सुिह और तनवृतत्त को जन्म ददया है।

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हमारे नागररकों की सामातजक िेतनाFor को ाऄत्यतधक प्रेररत दकए जाने की ाअवश्यकता है तजसे न तो
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व्यतिगत जीवन में स्थान प्राप्त है न ही सामातजक जीवन में। यह सत्य है दक राज्य को तवतभन्न क्षेत्रों
से पििन की वतषमान प्रदक्रया तजसमें ाआसने कभी भी प्रवेश नह दकया या तजनमें यह कु शितापूवषक
प्रदशषन करने में सक्षम नह है, भ्रष्टािार की सांभावनाओं को कु छ सीमा तक कम कर सकती है, िेदकन
भिे ही मुि नाजार ाऄथषव्यवस्था की ओर पिातयत हो जाएां, तन भी औद्योतगक गतततवतध पर प्रततनांधों
से तभन्न ाऄथषव्यवस्था का तवतनयमन होना िातहए। शासन व्यवस्था की ाअवश्यकताएां ाऄन खरीदों ,
ाऄनुनांधों ाअदद मामिों में युतियुि हस्तक्षेप की माांग करती हैं।’
तद्वतीय प्रशासतनक सुधार ाअयोग (2nd ARC) ने ाऄपनी िौथी ररपोटष (शासन में नैततकता) में
भ्रष्टािार और राजनीतत के ाऄपराधीकरण के नीि गठजोड़ की व्याख्या करते हुए भ्रष्टािार पर ाअगे
सतवस्तार वणषन दकया है। िुनावी प्रदक्रया में ाऄपरातधयों की भागीदारी "भारतीय राजनीततक व्यवस्था
का कमज़ोर तनन्दु", कही जाती है जो “कानूनों के खुिाअ
े म ाईल्िांघन, सेवाओं की तनम्नस्तरीय गुणवत्ता,
राजनीततक, समूह, वगष, साांप्रदातयक या जाततगत ाअधार पर कानून तोड़ने वािों की सुरक्षा, ाऄपराधों
की जाांि में पक्षपातमूिक हस्तक्षेप, मामिों के तनम्नस्तरीय ाऄतभयोजन, काइ वषों तक ििने वािे
ाऄतभयोग, न्यातयक प्रदक्रया की ाईच्ि िागत, नड़ी सांख्या में मामिों को वापस िेना, ाऄतववेकपूणष प प से
पैरोि प्रदान दकए जाने जैसी तस्थततयााँ” ाईत्पन्न करती है, तजन्हें भ्रष्टािार के सनसे महत्वपूणष कारणों
के प प में सूिीनद् दकया जाता है।
ाअयोग ने पुतिस को सांभातवत प्रततद्वांदी के स्थान पर सहयोगी के प प में प पाांतररत होने की भी ििाष
की है और ाआसे “ाऄपरातधयों को राजनीतत में ाअकर्शषत करने वािी ाऄत्यांत सममोहक िुन
ां क” कहा है।
राजनीततक दिों को सांदर्शभत करते हुए ाअयोग ने ाआस ओर ध्यान ाअकर्शषत दकया है दक धननि और
नाहुनि का ाईपयोग करके वोटों को दकस प्रकार प्राप्त दकया जा सकता है और िुनाव पर ाऄततशय मात्रा
में दकए जाने वािे ाऄवैध व ाऄनुतित व्यय की ओर सांकेत दकया है तथा ाआसे भ्रष्टािार का मूि कारण
नताया है। ाआस पृष्ठभूतम के तवरुद्, ARC ने ऐसे ाऄपराधों का वगीकरण दकया है तजन्हें भ्रष्टािार
तनवारण ाऄतधतनयम के ाऄांतगषत िाए जाने की ाअवश्यकता है, ये तनम्नतितखत हैं:
 पद की शपथ का जाननूझकर ाईल्िांघन के प प में होने वािा सांतवधान और िोकताांतत्रक सांस्थाओं
का घोर तवकृ ततकरण।
 दकसी व्यति का ाऄनुतित प प से पक्ष िेकर या व्यति को क्षतत पहुाँिाकर प्रातधकार का दुरुपयोग।
 न्याय में ाऄवरोध ाईत्पन्न करना।
 सावषजतनक धन का ाऄपव्यय।

भारत के सन्दभष में, ARC ने ऐसे तीन महत्वपूणष कारकों को सूिीनद् दकया है तजन्होंने पद के दुरुपयोग
में वृतद् की है:

 पहिा, यह एक औपतनवेतशक तवरासत है दक प्रातधकार प्राप्त व्यति तनर्शवरोध प प से सत्ता का


ाईपयोग कर सकते हैं।
 दूसरा, शति के तवतरण में तवषमता व्याप्त है। िगभग 90% िोग ाऄसांगरठत क्षेत्रक में कायष करते
हैं। शेष कायषरत िोगों का दो ततहााइ सांगरठत क्षेत्र से जुड़े हैं तजन्हें रोजगार सुरक्षा एवां तनयतमत
मातसक वेतन प्राप्त होता है और जो या तो प्रत्यक्ष या परोक्ष प प से राज्य के कमषिारी हैं। मोटे
तौर पर िगभग ये सभी कमषिारी ाऄतशतक्षत और ाऄद्षतशतक्षत समाज में ‘तशतक्षत’ हैं और यहााँ तक
दक तनमनतर स्तर वािे िोक सेवक भी देश के ाऄन्य िोगों की तुिना में नेहतर दशा में हैं। यहााँ
ाऄतधक ध्यान देने योग्य नात यह है दक ाईनके सरकारी तनयोजन से ाईन्हें शतियाां एवां प्रातधकार
प्राप्त होते हैं। यह शति तवषमता नैततक व्यवहार का पािन करने हेतु सामातजक दनाव को कम
करती है और भ्रष्टािार में सांिन ह होना सरि नना देती है।

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 ऐततहातसक और सिेतन तवकल्प के प प में, भारत सरकार ने स्वतांत्रता के नाद ाअरतमभक दशकों में
ऐसी नीततयों का ियन दकया तजनके ाऄनपेतक्षत पररणामस्वप प नागररक राज्य की दया पर तनभषर
हो गए। ाऄत्यतधक तवतनयमन, ाअर्शथक गतततवतधयों पर प्रततनांध, राज्य एकातधकारों पर तनभषरता
एवां ाअवश्यक वस्तुओं की कमी ने भ्रष्टािार को प्रेररत दकया जो कािाांतर में जीवन शैिी का तहस्सा
नन गया।
ाआसके ाऄततररि, ARC के ाऄनुसार भ्रष्टािार ने व्यवस्था में ाआतनी गहरााइ तक पैठ नना िी है दक
ाऄतधकतर िोग मानते हैं दक भ्रष्टािार ाऄपररहायष है और ाआससे सांघषष करना व्यथष है। यह तनराशावाद
ाआतनी तीव्र गतत से फ़ै ि रहा है दक ाआसने हमारी िोकताांतत्रक व्यवस्था को व्यातधग्रस्त नना ददया है।
तद्वतीय प्रशासतनक सुधार ाअयोग के ाऄनुसार:
‘भ्रष्टािार और पद के दुरुपयोग से तनपटने के दो तवपरीत दृतष्टकोण हैं। पहिा, मूल्यों और िररत्र पर
ाऄत्यतधक नि देता है। काइ िोग मूल्यों में तगरावट और ाईसके ििस्वप प होने वािी भ्रष्टािार में वृतद्
पर दुख प्रकट करते हैं। ाऄांतर्शनतहत धारणा यह है दक जन तक मूल्यों को पुनस्थाषतपत नह दकया जाता,
तन तक मनुष्यों के ाअिरण में सुधार िाने की ददशा में कु छ भी नह दकया जा सकता है। दूसरा
दृतष्टकोण, ाआस तवश्वास पर ाअधाररत है दक ाऄतधकाांश मनुष्य मूि प प से सभ्य और सामातजक प प से
जागप क है, िेदकन िोगों का एक छोटा सा ाऄनुपात सदैव तवद्यमान रहता है, जो व्यतिगत िक्ष्यों को
पूरा करने के तिए समाज कल्याण के मागष से सामांजस्य नह नैठा सकता है। ऐसे पथभ्रष्ट िोगों में
सावषजतनक कल्याण को दााँव पर िगाकर तनजी िाभ प्राप्त करने की प्रवृतत्त पााइ जाती है और सांगरठत
सरकार का ाईद्देश्य ऐसे तवपथगामी व्यवहार को दतडिडत करना होता है। यदद ाऄच्छे व्यवहार को तनरां तर
पुरस्कृ त दकया जाता है और नुरे व्यवहार को तनरां तर दतडिडत दकया जाता है, तो ाऄतधकातधक िोगों
द्वारा ाइमानदार एवां ाऄतवस्तृत मागष का पािन दकया जाता है। हािाांदक, यदद ाऄच्छे व्यवहार को
पुरस्कार से वांतित दकया जाए और यह मागष करठनााआयों से भरा हो तथा नुरे व्यवहार को दतडिडत नह
दकया जाए एवां ाआसके स्थान पर ाआसे पुरस्कृ त दकया जाए, तो तनाःसांदह
े ाऄतधकाांश िोगों में सममानजनक
मागष से भटक जाने की प्रवृतत्त तवकतसत हो जाती है।
वास्ततवक जगत में, मूल्यों और सांस्थाओं दोनों का महत्व होता है। मागषदशषक तारे के प प में कायष करने
के तिए मूल्यों की ाअवश्यकता होती है और हमारे समाज में वे नहुतायत में तवद्यमान हैं। सही और
गित का भाव हमारी सांस्कृ तत और सभ्यता में ाऄांतर्शनतहत है। परन्तु ाआन मूल्यों के स्थातयत्व हेतु और
ाआन्हें ाऄन्य िोगों के समक्ष ाईदाहरण के प प में प्रस्तुत करने हेतु ाआन मूल्यों को सांस्थाओं द्वारा सांरतक्षत एवां
स्वीकृ त दकये जाने की ाअवश्यकता है। सांस्थागत समथषन के ाऄभाव में मूल्य शी्र ही तननषि एवां समाप्त
हो जाएांगे। सांस्थान ऐसा पात्र प्रदान करते हैं जो मूल्यों को ाअकार और ाऄांतवषस्तु प्रदान करता है। यह
सभी प्रकार की शासन किा एवां कानूनों तथा सांस्थानों का ाअधार है। यद्यतप प्रोत्साहन और सांस्थान
सभी िोगों के तिए महत्वपूणष होते हैं, परन्तु ये तनणषय िेने एवां मानव जीवन को प्रभातवत करने के
प्रातधकार से सांपन्न तथा सांसाधनों के ाअनांटन का तनधाषरण करने हेतु शति का प्रयोग करने वािे
तनवाषतित या तनयुि िोक सेवकों के समूह के प्रनांधन हेतु भी ाऄतनवायष होते हैं। सावषजतनक पद एवां
सावषजतनक धन पर तनयांत्रण सावषजतनक तहतों की िागत पर तनजी िाभ को नढ़ावा देने के तिए
ाऄत्यतधक प्रिोभन और ाऄवसर प्रदान करते हैं। ाआसतिए, सांस्थाओं का तनमाषण एवां प्रोत्साहनों की
ाऄतभकल्पना करना िोक सेवकों के नैततक ाअिरण को नढ़ावा देने हेतु ाऄत्यांत महत्वपूणष हैं।’
ाअयोग ने ाआां तगत दकया है दक दकसी समाज की सत्यतनष्ठा या भ्रष्टािार के प्रसार या ाईसकी ाऄनुपतस्थतत
का सनसे महत्वपूणष तनधाषरक राजनीतत की गुणवत्ता है। जन राजनीतत सत्यतनष्ठा, योग्यता और जन
कल्याण के तिए तत्पर रहने वािे पुरुषों और मतहिाओं को प्रोत्सातहत एवां पुरस्कृ त करती है तो समाज
िाभातन्वत होता है। परन्तु जन ाइमानदारी राजनीतत से ाऄसांगत होती है और यदद सावषजतनक जीवन,

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तनजी िाभ के तिए प्रयासरत ाऄवाांछनीय और भ्रष्ट तत्वों को ाअकर्शषत करता है, तो ाईस तस्थतत में
प्रातधकार का दुरुपयोग और भ्रष्टािार ाअदशष नन जाते हैं। िुनावों में ाऄततशय ाऄवैध और ाऄनुतित व्यय
को भ्रष्टािार का मूि कारण माना जाता है। ाआसतिए िुनावों के ाआन दोषों के तनवारण को राजनीतत में
नैततक मानकों को नढ़ावा देने की ददशा में सनसे महत्वपूणष कदम के तौर पर नताया गया है। यह ाईपाय
ाऄके िे ही भ्रष्टािार पर ाऄांकुश िगाने और कु शासन को सुशासन में पररवतषन करने में महत्वपूणष भूतमका
तनभा सकता है।
न्यायमूर्शत जे. एस. वमाष ने प्रतसद् तवनीत नारायण वाद में यह तनणषय ददया दक “सावषजतनक पद के
धारकों को शतियााँ के वि सावषजतनक तहत में ाईपयोग करने हेतु सौंपी गाइ हैं। ाआसतिए ाईनके द्वारा
धारण दकए जाने वािे पद पर िोगों को भरोसा होना िातहए। ाईनका सत्यपरायणता के मागष से दकसी
भी प प में तवितित होना तवश्वासघात के समान है और ाआस तवििन को नज़राऄांदाज करने की नजाय
सख्ती से ाआसका समाधान दकया जाना िातहए।”

1.4. शासन व्यवस्था में शु तिता सु तनतित करने के तिए ाअवश्यक ाईपाय

(Measures Required for Ensuring Probity in Governance)


भारत में शासन व्यवस्था में शुतिता सुतनतित करने हेतु तवतभन्न तवधायी और प्रशासतनक ाईपाय दकए
गए हैं तथा शेष तडजााइन/कायाषन्वयन की प्रदक्रया में हैं। ाआनमें से कु छ पर ििाष तनम्नतितखत है:
(i) भ्रष्टािार तनवारण ाऄतधतनयम, 1988 तथा 2018 में ाआस ाऄतधतनयम में सांशोधन
पूवष मुख्य सतकष ता ाअयुि श्री एन. तवट्टि के ाऄनुसार, तवतध के शासन की गततशीिता का प्रथम िरण
भ्रष्टािार के तवस्तार को रोकने हेतु सहायक प्रभावी तनयमों और कानूनों का तनमाषण करना है। ाआस
सांदभष में भ्रष्टािार तनवारण ाऄतधतनयम, 1988 (Prevention of Corruption Act, 1988 ाऄथाषत्
PCA, 1988) ाऄत्यतधक महत्वपूणष है।

भ्रष्टािार तनवारण ाऄतधतनयम, 1988 में भ्रष्टािार तनवारण ाऄतधतनयम, 1947, ाअपरातधक कानून
सांशोधन ाऄतधतनयम, 1952 और भारतीय दांड सांतहता की धारा 161 से 165-A (सांशोधनों सतहत)
सतममतित हैं। यह ाऄतधतनयम िोक सेवकों को पररभातषत करता है तथा भ्रष्टािार या ररश्वतखोरी में
सांतिप्त िोक सेवकों को दांतडत करने का प्रावधान करता है। ाआस ाऄतधतनयम में िोक सेवकों के साथ
भ्रष्टािार या ररश्वतखोरी में सांतिप्त व्यति को भी दांतडत करने का प्रावधान है।
ाआस ाऄतधतनयम के तहत दकन ाऄपराधों हेतु दांड का प्रावधान दकया गया है?
 जन कोाइ िोक सेवक ाऄपने ाअतधकाररक कतषव्य के दौरान दकसी व्यति के तनजी तहत के तिए ाईसके
पक्ष में कायष करता है तथा नदिे में वेतन के ाऄततरर‍त धनरातश या ाईपहार स्वीकार करता है।
 जन कोाइ िोक सेवक दकसी ऐसे व्यति से तजसके साथ ाईसका व्यवसातयक या ाअतधकाररक सांनांध
है, तनना भुगतान दकए कोाइ ाईपहार स्वीकार करता है।
 जन कोाइ िोक सेवक ाअपरातधक कदािार का दोषी है, जैस-े ाअतधकाररक कतषव्य के दौरान कु छ
िोगों के पक्ष में कायष करने के तिए तनयतमत प प से ररश्वत स्वीकार करना।
 यदद कोाइ व्यति ाऄपने तनजी सांनध
ां का ाईपयोग करके या ाऄवैध या भ्रष्ट तरीकों के माध्यम से िोक
सेवक को प्रभातवत करने के नदिे धनरातश या ाईपहार स्वीकार करता है, तो ऐसे व्यति को भी
दांतडत दकया जा सकता है।
 ऐसे ाअपरातधक कृ त्यों के तिए िोक सेवक की सहायता करने वािे व्यति को भी दांतडत दकया जा
सकता है।
 ाआस ाऄतधतनयम में हुए हातिया सांशोधन के ाऄनुसार ाईपहार या ररश्वत देने वािे व्यति को भी
दांतडत दकया जाएगा।

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1947 के ाऄतधतनयम ने ररश्वत िेने, दुर्शवतनयोजन या दुरुपयोग, ाअर्शथक िाभ प्राप्त करने, ाअय से
ाऄसांगत पररसांपतत्तयाां रखने और ाअतधकाररक तस्थतत का दुरुपयोग करने जैसे भ्रष्ट कृ त्यों को ाऄपराध
घोतषत दकया था। 1988 के ाऄतधतनयम द्वारा 'िोक सेवक' पदाविी का दायरा तवस्तृत दकया गया और
नड़ी सांख्या में कमषिाररयों को ाआसके दायरे में सतममतित दकया गया। कें द्र सरकार और कें द्र शातसत
प्रदेशों के कमषिाररयों के ाऄततरर‍त, सावषजतनक ाईपक्रमों एवां राष्ट्रीयकृ त नैंकों के कमषिाररयों, कें द्र और
राज्य सरकार से तवत्तीय सहायता प्राप्त करने वािी सहकारी सतमततयों के पदातधकाररयों,

तवश्वतवद्यािय ाऄनुदान ाअयोग के कमषिाररयों, कें द्र या राज्य सरकारों से तवत्तीय सहायता प्राप्त करने
वािे सांस्थानों के कु िपततयों, प्रोिे सरों और वैज्ञातनकों, यहाां तक दक स्थानीय प्रातधकरणों के
ाऄतधकाररयों सभी को िोक सेवक घोतषत दकया गया है। भिे ही 'सावषजतनक कतषव्यों' का तनष्पादन
करने वािे साांसदों और तवधायकों का िोक सेवक की पररभाषा में स्पष्ट प प से ाईल्िे ख नह दकया गया
है, परन्तु ाआस ाऄतधतनयम की ाआस प्रकार व्याख्या की गाइ है दक ाआसमें वे भी सतममतित हैं (िािू प्रसाद

यादव को IPC के साथ-साथ PCA की तवतभन्न धाराओं के ाऄधीन दोषी ठहराया गया है)।
भ्रष्टािार तनवारण ाऄतधतनयम में 2018 में हुए सांशोधन
िोक सेवकों के भ्रष्टािार से सांनतां धत ाऄपराधों को तवतनयतमत करने वािे प्राथतमक कानून के प प में
भ्रष्टािार तनवारण ाऄतधतनयम, 1988 में ररश्वतखोर िोक सेवकों को दांतडत करने का प्रावधान है।

ररश्वत देने वािे को के वि ररश्वत िेने वािे को ‘ाईकसाने’ या सहायता करने के तिए दांतडत दकया जा
सकता है। ाआसके ाऄततरर‍त, यदद ररश्वत देने वािा ररश्वत िेने वािे के तवप द् गवाही देने के तिए
सहमत हो जाता है, तो वह दांड से नि जाता है। काइ वषों से यह ाऄनुशस
ां ा की जाती रही है दक
ररश्वतखोरी के प्रकरणों से प्रभावी ढांग से तनपटने के तिए, के वि ररश्वतखोरी के माांग पक्ष (ाऄथाषत
ररश्वत िेने वािे) को दांतडत करना पयाषप्त नह है नतल्क ररश्वतखोरी के ाअपूर्शत पक्ष (ाऄथाषत ररश्वत देने
वािे) को भी समान प प से दांतडत दकया जाना िातहए। यह सोि ाऄांतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ददखााइ देती
है: यूनााआटेड नेशांस कन्वेंशन ाऄगेंस्ट करप्शन, 2005 और तिटेन का एांटी िााआनरी ए‍ट, 2010 ररश्वत
देने और िेने को एक समान ाऄपराध मानता है। ाअगे कु छ सांशोधनों का ाईल्िेख दकया गया है।
सांशोतधत धारा 8 के ाऄांतगषत, ररश्वत देने के ाऄपराध को स्पष्ट प प से पहिाना गया है। ाआसमें िोक
सेवकों को भ्रष्ट कृ त्य करने के प्रिोभन के प प में ररश्वत देना या देने का वादा करना सतममतित है। यह
ाअवश्यक नह है दक यह ररश्वत प्रत्यक्ष प प से ही दी जाए। ाआसे दकसी ाऄन्य व्यति को ाऄवश्य ददया
जाना िातहए, हािाांदक यह तनतित प प से ितक्षत िोक सेवक हो सकता है, साथ ही यह कोाइ ाऄन्य

व्यति भी हो सकता है। धारा 8 के ाऄांतगषत दांतडत दकए जाने हेतु यह ाअवश्यक है दक यह ाअिरण दकसी
प्रयोजन हेतु दकया गया हो।
तजतना स्वयां ाऄपराध महत्वपूणष है ाईतना ही धारा 8 (1) का परां तुक भी महत्वपूणष है जो ररश्वत देने के
तिए "तववश" होने वािे व्यतियों की रक्षा करने के तिए एक महत्वपूणष ाऄपवाद का ाईपनांध करता है।
यह वतषमान सामातजक वास्ततवकताओं की स्वीकृ तत है जहाां िोक सेवक ाऄपने कतषव्य तनष्पादन हेतु
ाअक्रामक प प से ाऄनुतित ाऄनुग्रह की मााँग करने के तिए ाऄपनी तस्थतत का िाभ ाईठाते हैं। यह तवधेयक
ाआस सांनांध में एक ाऄपवाद की व्यवस्था करता है- यदद ररश्वत देने के तिए तववश दकया जाने वािा कोाइ
व्यति कानून प्रवतषन ाअतधकाररयों को सात ददनों के भीतर ाआस घटना की सूिना देता है, तो ाईसे दांतडत
नह दकया जाएगा।
यह ाऄपवाद ाईत्पीतड़त ररश्वतदाता और ाऄनुतित िाभ प्राप्त करने के तिए नेाइमान तरीके से कायष करने
वािे व्यति के नीि ाऄांतर करने का प्रयास करता है। धारा 8 के तहत एक ाऄन्य महत्वपूणष ाऄपवाद दूसरे

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परां तुक में सांतहतानद् है। यह परां तक


ु For
भ्रष्ट िोक सेवकों को पकड़ने के तिए एक तकनीक के प प में
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"जािसाजी" (ये ाआस क्षेत्र में जािसाजी के मामिे कहिाते हैं) के दीघषकातिक ाईपयोग की रक्षा करता है।
ाआसतिए, ाअपरातधक जााँि में सहायता करने के तिए चस्टग ऑपरे शन करने वािें व्यतियों पर ाऄतभयोग
नह ििाया जा सकता है।

धारा 13 (d) के ाऄनुसार, दकसी िोक सेवक को ाअपरातधक कदािार का दोषी माना जाता था, यदद
वह "िोक सेवक के प प में कायषकाि के दौरान, दकसी व्यति से तनना दकसी िोक तहत के कोाइ मूल्यवान
िीज़ या ाअर्शथक िाभ प्राप्त करता है।"
हािाांदक, दकसी िोक सेवक द्वारा ननााइ गाइ कोाइ भी नीतत / की गाइ ाऄनुशांसा / तिया गया तनणषय
ाऄतनवायष प प से कु छ सांस्थाओं को िाभातन्वत करे गा और कु छ सांस्थाओं पर प्रततकू ि प्रभाव डािेगा।
ाआसतिए ाआस प्रावधान की व्याख्या दकसी ाअतधकारी के प्रयोजन को प्रश्नगत करने और पररणामस्वप प
ाईसे परे शान करने हेतु की जा सकती है। ाआस प्रकार ाआस ाईपधारा को समाप्त करना एक सही कदम था
और नाइ ाईपधारा िोक सेवक के ाअपरातधक कदािार को ाआस प्रकार पररभातषत करती है:
 “यदद वह नेाइमानी से या धोखाधड़ी से िोक सेवक के प प में ाईसे सौंपी गाइ या ाईसके ाऄधीन दकसी
सांपतत्त को दुर्शवतनयोतजत करता है या ाऄन्यथा ाऄपने ाईपयोग में िाता है या दकसी ाऄन्य व्यति को
ऐसा करने की ाऄनुमतत देता है; या
 यदद वह जाननूझकर ाऄपनी पदावतध के दौरान गैर-कानूनी तरीके से तनजी ाअर्शथक िाभ प्राप्त
करता है और ाईसकी ाअय के ज्ञात स्रोतों से ाऄसांगत ाअर्शथक सांसाधनों या सांपतत्त पर ाईसका या
ाईससे सांनांतधत दकसी भी व्यति का कब्जा है या ाईसकी पदावतध के दौरान दकसी भी समय कब्जा
रहा है, तजसके तिए िोक सेवक सांतोषजनक प प से तववरण नह दे सकता है।”
ये प्रावधान तवतशष्ट हैं और ाआन प्रावधानों के तहत 'प्रयोजन' और 'प्रततिि' ाऄपराध के ाअवश्यक घटक
के प प में सतममतित हैं, जो पूणत
ष या ाईतित है, और वास्ततवक ाऄपरातधयों को पकड़ने के तिए पयाषप्त हैं।
ाइमानदार नौकरशाहों की सुरक्षा (धारा 13, 17A और 19 में सांशोधन): नीततगत तनणषय प्रकृ तत में
भतवष्य से सांनांतधत होते हैं। ये तनणषय िोक तहत में और नुतद् के ाऄनुप्रयोग के साथ तिए जाने िातहए। ये
तनणषय मनमाने या तनजी तहतों को पूरा करने वािे नह होने िातहए। हािाांदक, ाआनके प्रयोजन सवोत्तम
होते हुए भी, ाआनके पररणाम ाआष्टतम से कम हो सकते हैं। पिदशष िाभ के साथ, ाआनका नाद के िरण में
मूल्याांकन दकया जा सकता है और दूतषत ाआरादों हेतु वास्ततवक नीयत को प्रश्नगत दकया जा सकता है।
ाईदाहरण के तिए हो सकता है दक कािे धन पर ाऄांकुश िगाने या प्राकृ ततक सांसाधनों के ाअनांटन के तिए
नीतत तैयार करने जैसे कदमों से भतवष्य में कु छ नुकसान हो, िेदकन ाऄप्रत्यातशत जोतखमों के भय से
शासन व्यवस्था को पांगु नह ननाया जा सकता है। तवतभन्न पहिों की सििता हेतु और ाआनसे वाांतछत
पररणाम प्राप्त करने हेतु, वररष्ठ ाऄतधकाररयों को ाअश्वासन ददया जाना िातहए दक ाईनके द्वारा तिए गए
दकसी भी ाअर्शथक तनणषय का काइ वषों नाद दूसरा ाऄनुमान नह िगाया जाएगा और ाईन्हें सेवातनवृत्त हो
जाने के िमने समय नाद भी जााँि सांनांधी कारष वााइ और ाऄतभयोजन का िक्ष्य नह ननाया जाएगा। ाऄभी
तक व्यवस्था में ऐसा घरटत नह हुाअ था और कु छ प्रकरणों में ाऄतधतनयम के प्रावधानों का ाईपयोग
ाइमानदार नौकरशाहों पर ाऄतभयोग ििाने के तिए दकया जा रहा था। ऐसे प्रकरणों से तनपटने वािी
धारा 13 की ाऄस्पष्टता दूर कर दी गाइ है और ाअपरातधक कदािार के सांनांध में स्पष्टता सुतनतित कर दी
गाइ है।
ाआसी प्रकार, एक नाइ धारा 17A में ाअतधकाररक कायों या कतषव्यों के तनवषहन के दौरान िोक सेवक
द्वारा की गाइ ाऄनुशस
ां ाओं और तिए गए तनणषय से सांनांतधत ाऄपराधों की जााँि-पड़ताि को शातमि दकया
गया है। ऐसी कायषवातहयों के तिए, सक्षम प्रातधकारी द्वारा पूवष स्वीकृ तत ाअवश्यक है, तसवाय ाआसके दक
जन व्यति को रां गे हाथों पकड़ा जाता है। धारा 19 सेवातनवृत्त नौकरशाहों तक भी ाआस सुरक्षा का
तवस्तार करती है।

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एकि तनदेश (Single Directive)
काइ दशक पहिे कें द्र सरकार ने ाऄपने तववेक से सीनीाअाइ के तिए सांयुि सतिव और ाआससे ाईच्च
श्रेणी/दजे के सभी िोक सेवा ाऄतधकाररयों के तवप द् भ्रष्टािार के ाअरोपों में प्रारां तभक जााँि करने के
तिए भी सरकार का पूवष ाऄनुमोदन ाऄतनवायष नना ददया था। ाआसे 'एकि तनदेश' कहा जाता था। सवोच्ि
न्यायािय ने ाआस एकि तनदेश को मनमाना और सांतवधान के ाऄनुच्छेद 14 के ाऄांतगषत तवतध के समक्ष
समता और समान सांरक्षण की गारां टी का ाईल्िांघन करने वािा कदम होने के कारण तनरस्त कर ददया।
नाद में, कें द्र सरकार ने के न्द्रीय सतकष ता ाअयोग ाऄतधतनयम (CVC ाऄतधतनयम) के माध्यम से के न्द्रीय
सतकष ता ाअयोग को साांतवतधक दजाष ददया और सरकार ाई‍त कानून में और ददल्िी तवशेष पुतिस
स्थापना ाऄतधतनयम (DSPE ए‍ट) में सांशोधन करके ‘एकि तनदेश’ को वापस िे ाअाइ। सवोच्च
न्यायािय ने पहिे तजसे तनरस्त दकया था वह के वि एक कायषकारी तनदेश/प्रस्ताव था। ाऄन वररष्ठ
ाऄतधकाररयों के तिए सुरक्षात्मक कवि को कानूनी स्वीकृ तत दे दी गाइ थी। सरकार ने तकष ददया दक
वररष्ठ स्तर के ाऄतधकाररयों के तिए ऐसी सुरक्षा ाअवश्यक है तादक ाईनके द्वारा तिए गए प्रत्येक तनणषय
हेतु ाऄतभयोजन के भय के तनना वे स्वतांत्र तरीके से कायष कर सकें । यह वररष्ठ नौकरशाही को ाईसके
तवप द् भ्रष्टािार के ाअरोपों हेतु सांिातित दकसी भी जााँि से प्रततरतक्षत करने जैसा था। ाऄांतत: वररष्ठ
नौकरशाह स्वयां तय करें गे दक ाईन ही में से एक दकसी ाऄतधकारी की भ्रष्टािार के तिए जााँि की जाएगी
या नह । डॉ. सुिमडियम स्वामी द्वारा जनतहत यातिका के माध्यम से ाआसे पुन: सवोच्ि न्यायािय में
िुनौती दी गाइ। सवोच्ि न्यायािय की सांतवधान पीठ ने कहा दक CVC ाऄतधतनयम और DSPE
ाऄतधतनयम में तनतहत 'एकि तनदेश’ सांतवधान के ाऄनुच्छेद 14 का ाईल्िांघन करता है। पुनाः कतनष्ठ स्तर
के ाऄतधकाररयों को यह सांरक्षण प्रदान नह दकया गया है। ाआसके ाऄततरर‍त, राज्य स्तर पर समान श्रेणी
के ाऄतधकाररयों के तिए ऐसी प्रततरक्षा ाईपिब्ध नह है। ाआसतिए, यह ाऄनुच्छेद 14 का ाईल्िांघन करता
है और ाआसतिए ाआसे तनरस्त कर ददया गया है।
** कृ पया ध्यान रखें दक यह मुद्दा के वि वररष्ठ ाऄतधकाररयों के तवप द् भ्रष्टािार की तशकायत में
प्रारां तभक जााँि के िरण से सांनतां धत है। ाअपरातधक प्रदक्रया सांतहता की धारा 197 और भ्रष्टािार
तनवारण ाऄतधतनयम की धारा 19 के ाऄांतगषत यह ाअवश्यकता ाऄक्षुडिण ननी हुाइ है दक कोाइ भी न्यायािय
दकसी भी िोक सेवक के तवप द् दकसी मामिे का तन तक सांज्ञान नह िे िेगा जन तक दक सक्षम
प्रातधकारी ाऄतभयोजन के तिए स्वीकृ तत नह देगा। PCA में हातिया सांशोधन के माध्यम से ाआसका ाअगे
जाांि िरण तक तवस्तार कर ददया गया है।
ाआसतिए ाऄन, सुरक्षा का एक ाऄततररि स्तर जोड़ा गया है - न के वि ाऄतभयोजन के िरण में ही पूवष
स्वीकृ तत प्राप्त करनी होगी, नतल्क जााँि के िरण में भी प्राप्त करनी होगी। हािााँदक, ाअपरातधक जाांि
के ाआसी िरण में त्यों और पररतस्थततयों की पुतष्ट की जाती है, और साक्ष्य एकतत्रत दकए जाते हैं। ऐसे
साक्ष्य के ाऄभाव में, यह तनणषय करने के तिए स्वीकृ तत प्रदान करने वािे प्रातधकारी को ‍या जानकारी
ाईपिब्ध होगी दक सीनीाअाइ को जााँि ाअरां भ करनी िातहए या नह ? साथ ही, ाआससे भ्रष्टािार के
वास्ततवक प्रकरणों की जााँि और ाऄतभयोजन में तविांन हो सकता है।
(ii) सूिना का ाऄतधकार ाऄतधतनयम, 2005 का ाऄतधतनयमन
(Enactment of Right to Information Act 2005)
सतिव, सूिना और प्रसारण मांत्रािय ननाम नांगाि दक्रके ट सांघ वाद 1995 में सवोच्ि न्यायािय ने
कहा दक सांतवधान के ाऄनुच्छेद 19 (वाक् एवां ाऄतभव्यति की स्वतांत्रता से सांनांतधत) के तहत सूिना प्राप्त
करने और ाईसे प्रसाररत करने का ाऄतधकार भी शातमि है। भारत में सूिना का ाऄतधकार (RTI) का
तवकास न्यातयक घोषणाओं के माध्यम से हुाअ तथा नाद में ाआसे सूिना का ाऄतधकार ाऄतधतनयम, 2005
के माध्यम से यथोतित स्वरुप प्रदान दकया गया था।

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यह ाऄतधतनयम नागररक सदक्रयता के For


माध्यम से शासन व्यवस्था में शुतिता के ाईद्देश्य की पूर्शत में
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सहयोग प्रदान करता है। यह ाऄतधतनयम मात्र RTI ाअवेदन दातखि करने से सांनांतधत नह है नतल्क
मुद्दों, प्रकरणों पर वाद-तववाद, ििाष ाअदद भी ाअरां भ करता है। यह ाऄतधतनयम खुिे समाज के तिए एक
मागष के प प में कायष कर रहा है तथा साथ ही प्रश्न पूछने की सांस्कृ तत का तवकास कर रहा है।
ाआसके महत्व पर प्रकाश डािते हुए, तद्वतीय ARC ने कहा है दक RTI सुशासन की प्रमुख कुां जी (मास्टर
की) है। RTI शासन व्यवस्था में जवानदेही सुतनतित करने तथा सावषजतनक कायाषियों में भ्रष्टािार एवां
ाऄक्षमता को कम करने में सहायता करता है। यह शासन और तनणषयण में िोगों की भागीदारी हेतु समथष
ननाता है।
RTI ाऄतधतनयम, गोपनीयता एवां तनयांत्रण के प्रशासतनक िररत्र एवां सांस्कृ तत को मूि प प से पररवर्शतत
करने तथा शासन में खुिप
े न, पारदर्शशता एवां ाईत्तरदातयत्व के एक नए युग के प्रवेश हेतु ाऄतधतनयतमत
दकया गया है। ाऄपने ाईद्देश्यों की पूर्शत की दृतष्ट से ाआस ऐततहातसक कानून का प्रभाव पहिे से ही पूणषताः
ददखााइ दे रहा है। भतवष्य में एक जागप क एवां सहभागी जनता सूिना प्राप्त करने के तिए ाआस
ाऄतधतनयम का ाऄतधकातधक सहारा िेगी तजसके पररणामस्वप प सावषजतनक कायाषियों में शुतिता और
पारदर्शशता में वृतद् होगी।
(iii) तव्हसि ब्िोाऄसष सांरक्षण ाऄतधतनयम (WBPA), 2014
(Whistle Blowers Protection Act, 2014)(WBP Act)
िोक तहत प्रकटीकरण ाऄतधतनयमों (Public Interest Disclosure Acts) का ाऄतधतनयमन, काइ
पतिमी देशों में भ्रष्टािार का सामना करने और गैरकानूनी गतततवतधयों के सूिनादाताओं की रक्षा करने
के ाईद्देश्य से ाऄपनाए गए तवतभन्न ाईपायों में से एक है। ाआन ाऄतधतनयमों को िोकतप्रय प प से तव्हसि-
ब्िोाऄर ाऄतधतनयम कहा जाता है। भारत ने 2014 में ाआसका ाऄपना सांस्करण ाऄतधतनयतमत दकया। यह
ाऄतधतनयम िोक सेवकों द्वारा दकए गए भ्रष्टािार के कृ त्यों, सत्ता या तववेकातधकार का जाननूझकर
दुरुपयोग, या दांडनीय ाऄपराधों के तवप द् िोक तहत प्रकटीकरण प्राप्त करने और जााँि करने के तिए एक
तांत्र का प्रावधान करता है। सामान्यत: ाआस प्रकार के ाऄतधतनयम के ाईद्देश्य हैं:
 िोगों को ाईनके ाअसपास होने वािे भ्रष्ट कृ त्यों को नज़राऄांदाज नह करने तथा सांनांतधत प्रातधकारी
को ाआसकी सूिना देने हेतु प्रोत्सातहत कर िोक सेवकों के मध्य जवानदेतहता सुतनतित करना;
 तव्हसि-ब्िोाऄसष को पदच्युतत और ाईत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करना और ाईनकी पहिान की रक्षा
करना;
 ऐसी सूिना प्राप्त करने वािा सक्षम एवां स्वतांत्र प्रातधकारी/तांत्र/ाऄतधकारी का प्रावधान करना;
 यह सुतनतित करना दक तवद्वेषी कमषिाररयों द्वारा व्यतिगत तशकायत या ाऄसांतोष को सांतष्ु ट करने
के तिए तव्हसि-ब्िोाआां ग की सुतवधा का दुरुपयोग नह दकया जाए।
WBPA, 2014 की मुख्य तवशेषताएां:
 यह तव्हसि-ब्िोाऄर को पररभातषत करता है। ाआस ाऄतधतनयम के ाऄनुसार तव्हसि-ब्िोाऄर के तहत
सरकारी ाऄतधकाररयों के ाऄततररि ाऄन्य व्यति भी सतममतित होते हैं तथा ये व्यति ाऄपने कायष
तनष्पादन की प्रदकया के दौरान ाऄपने ाअस-पास होने वािे भ्रष्टािार को प्रकट करते हैं। ाआसके तहत
ाऄन्य व्यति या गैर-सरकारी सांगठन भी सतममतित हैं।
 ाआसके तहत तव्हस्ि-ब्िोाऄर की गोपनीयता ननाये रखने सांनांधी प्रावधान दकये गए हैं।
 यह तशकायतकताष या दकसी जााँि-पड़ताि में सहायता प्रदान करने वािे व्यति के ाईत्पीड़न के
तवप द् सुरक्षा प्रदान करता है। यह ाअवश्यक है ‍योंदक तव्हसि-ब्िोाऄर, तनयतमत प प से ाईत्पीड़न
के तवतभन्न प पों, यथा- तनिांनन, प्रोन्नतत रोकना, चहसा और हमिे की धमकी ाअदद का सामना
करते हैं। यह कानून सक्षम प्रातधकाररयों को ाईन्हें सुरक्षा प्रदान करने की शति प्रदान करता है,
ाआसके तहत पुतिस सुरक्षा और ाईत्पीड़न करने वािों को दांतडत करना सतममतित है।

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देश में काइ तव्हसि-ब्िोाऄर को धमकी देने, ाईनका ाईत्पीड़न करने और यहाां तक दक ाईनकी हत्या करने
जैसे काइ दृष्टाांत तवद्यमान हैं। ाईदाहरण के तिए, षणमुगम मांजन
ु ाथ, सत्येंद्र दुन,े ितित मेहता और ाऄन्य
की हत्याओं ने तव्हसि-ब्िोाऄर को सुरक्षा प्रदान करने की ाअवश्यकता पर प्रकाश डािा। ाआस सांदभष में,
भ्रष्टािार के ाईदाहरणों को प्रकट करने के तिए तव्हसि-ब्िोाऄर को प्रोत्सातहत करने हेतु ाआस ाऄतधतनयम
को भतवष्य में और ाऄतधक सशि ननाया जाना िातहए।
तव्हसि-ब्िोाऄर सांरक्षण ाऄतधतनयम (2015) में सांशोधन के तिए तवधेयक: (राज्यसभा में िांतनत)
 यह तवधेयक भ्रष्टािार से सांनांतधत प्रकटीकरण के कृ त्य को प्रततनांतधत करता है यदद ऐसी सूिना
तनम्नतितखत दकन्ह भी 10 श्रेतणयों के ाऄांतगषत ाअती है:
o ाआन श्रेतणयों में: (i) भारत के ाअर्शथक एवां वैज्ञातनक तहत तथा भारत की सुरक्षा; (ii) मांत्रीमांडि
की कायषवातहयााँ, (iii) नौतद्क सांपदा (iv) सूिना सूिना जो तवश्वास समनन्धी क्षमता से प्राप्त
की गयी है, ाअदद से सांनांतधत सूिनाएां सतममतित हैं। ये RTI ाऄतधतनयम, 2005 की धारा 8
(1) के प्रावधानों के ाऄनुप प हैं।
 2014 का मूि ाऄतधतनयम, सरकारी गोपनीयता ाऄतधतनयम (OSA), 1923 के ाऄांतगषत तनतषद्
सूिनाओं के प्रकटीकरण की ाऄनुमतत देता है। जनदक यह तवधेयक OSA द्वारा कवर की गाइ
सूिनाओं के प्रकटीकरण की ाऄनुमतत नह देता है।
 ाईपयुषि 10 तनतषद् श्रेतणयों में से दकसी एक के ाऄांतगषत ाअने वािे िोक तहत प्रकटीकरण के दकसी
मामिे को सक्षम प्रातधकारी सरकार द्वारा ाऄतधकृ त प्रातधकारी को सांदर्शभत करे गा। ाईि प्रातधकारी
ाआस प्रकरण पर तनणषय िेगा तथा यह तनणषय नाध्यकारी होगा।
ाऄन्य देशों के तव्हसि-ब्िोाऄर कानून भी कु छ तवशेष प्रकार की सूिनाओं के प्रकटीकरण को तनतषद्
करते हैं। ाआनमें राष्ट्रीय सुरक्षा और ाअसूिना, तवश्वास सांनांधी क्षमता से प्राप्त सूिना और तवशेष प प से
कानून द्वारा तनतषद् कोाइ ाऄन्य प्रकटीकरण सतममतित होते हैं। हािाांदक, यह तुिना दक ये सांशोधन RTI
ाऄतधतनयम को कमजोर करें ग,े सांभवत: ाईतित नह हैं। RTI ाऄतधतनयम के तवपरीत, ाआस तवधेयक में यह
प्रावधान है दक प्रकटीकरण को सावषजतनक नह दकया जाएगा ाऄतपतु ाईन्हें ाईच्च स्तरीय सांवैधातनक या
साांतवतधक प्रातधकाररयों के तत्वाधान में गोपनीय रखा जाएगा।
ाआस सांशोधन तवधेयक द्वारा WBP कानून के तहत दकए गए प्रकटीकरणों के तिए तव्हसि-ब्िोाऄर को
सरकारी गोपनीयता ाऄतधतनयम (OSA) के तहत ाऄतभयोजन के तवरुद् प्रदत्त प्रततरक्षा समाप्त कर दी
जाएगी। OSA के ाऄांतगषत ाऄपराधों हेतु 14 वषष तक के कारावास की सजा दी जाती है। ाआस प्रकार के
कड़े दांड की धमकी वास्ततवक तव्हसि-ब्िोाऄर को भी रोके गी। WBP ाऄतधतनयम का मूि ाईद्देश्य िोगों
को गित कायष करने वािों की सूिना देने के तिए प्रोत्सातहत करना है।
ाआसके ाऄततरर‍त, WBP ाऄतधतनयम को स्पष्ट प प से RTI ाऄतधतनयम के ाऄनुप प ननाने हेतु सांशोधन
तवधेयक कहता है दक तव्हसि-ब्िोाऄर द्वारा प्रदत्त ऐसी सूिनाओं से यु‍त तशकायतों की जााँि नह की
जाएगी जो राज्य की सांप्रभुता, ाऄखांडता, सुरक्षा या ाअर्शथक तहतों पर प्रततकू ि प्रभाव डािती हैं।
ाआसके ाऄततरर‍त, कु छ तवशेष श्रेणी की सूिनाएां तव्हसि-ब्िोाऄर द्वारा दकए गए प्रकटीकरण का भाग
नह हो सकती हैं, जन तक दक सूिना RTI ाऄतधतनयम के ाऄांतगषत प्राप्त न की गाइ हो। ाआसमें
व्यावसातयक तवश्वास, व्यापार रहस्य से सांनांतधत सूिनाएां जो दकसी तीसरे पक्ष की प्रततस्पधी तस्थतत को
नुकसान पहुांिाती हैं और एक तवश्वास-समनन्धी क्षमता में तनतहत सूिनाएां सतममतित हैं। ाआन छू टों को
RTI कानून की धारा 8 (1) के ाअधार पर प्रदान दकया गया है। ाआस धारा के तहत वे सूिनाएां सूिीनद्
हैं तजनका नागररकों के समक्ष प्रकटीकरण नह दकया जा सकता है।

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ाआन दोनों कानूनों का सतममश्रण ाऄनुतितFor


है और काइ पररदृश्यों में वास्ततवक तव्हसि-ब्िोाऄर के मागष को
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नातधत करे गा। ाईदाहरण के तिए, यदद सरकारी ाऄतधकारी को ाऄपने कायष तनष्पादन के सामान्य क्रम में
गित कायष की जानकारी प्राप्त होती है तो प्रासांतगक सूिना तक पहुांिने के तिए ाईन्हें RTI ाऄतधतनयम
की ाअवश्यकता नह होगी तथा यदद वह सूिना RTI (धारा 8 के कारण) के तहत प्रदान नह की जा

सकती है, तो ाईन क्षेत्रों में भ्रष्टािार का प्रकटीकरण नह दकया जायेगा। ाईदाहरण के तिए, सशस्त्र निों
के तिए हतथयारों की खरीद में या परमाणु ाउजाष सांयांत्रों के तनमाषण में भ्रष्टािार की तशकायतें ाआस धारा
के कारण सांभवताः प्रकट नह हो पाएगी।
यह सुतनतित करने के तिए दक राष्ट्रीय सुरक्षा और सत्यतनष्ठा से सांनांतधत सांवेदनशीि जानकारी से
समझौता न हो, ऐसे प्रकटीकरणों को पूणष छू ट प्रदान करने के नजाय सरकार ाआनके तिए ाऄततररि
सुरक्षा ाईपायों का प्रस्ताव कर सकती थी जैसे दक तशकायतकताष के तिए सक्षम प्रातधकारी के समक्ष
सीिनांद तििािे में तशकायत दजष कराने को ाअवश्यक ननाना ाअदद।
(iv) नेनामी िेनदेन (तनषेध) ाऄतधतनयम, 1988 तथा नेनामी िेनदेन (तनषेध) सांशोधन

ाऄतधतनयम, 2016
{Prohibition of Benami Property Transactions (PBPT) Act 1988 and Benami
Transactions (Prohibition) Amendment (BTPA) Act 2016}

PBPT ाऄतधतनयम 1988 के तहत “नेनामी िेनदेन” को ऐसे िेनदेन के प प में पररभातषत दकया जाता
है जहााँ सांपतत्त एक व्यति को स्थानाांतररत कर दी जाती है। जनदक कोाइ दूसरा व्यति ाआसका भुगतान
करता है। BTPA ाऄतधतनयम 2016, 1988 के ाऄतधतनयम की ाऄपेक्षा काइ मामिों में नेहतर है, यथा:
 यह नेनामी िेनदेन की पररभाषा को नेनामी के मानदांड पर खरा ाईतरने वािे ाऄन्य िेनदेन से जोड़
कर ाईसे सांशोतधत करता है, जैस-े सांपतत्त का िेनदेन जहााँ:
o िेनदेन काल्पतनक नाम पर दकया जाता है,
o जहााँ स्वामी, सांपतत्त के स्वातमत्व की जानकारी से ाऄतभज्ञ है या ाईसकी जानकारी से ाआनकार

करता है, या
o जहााँ सांपतत्त का मूल्य िुकाने वािा व्यति ाऄज्ञात हो तथा ाईसका पता न िगाया जा सका हो।
 यह नेनामी िेनदेन से सांनांतधत पूछ-ताछ या जाांि करने के तिए िार प्रातधकरणों की स्थापना
करता है: (i) प्रवतषक ाऄतधकारी (ाआतनशीएटटग ऑदिसर), (ii) ाऄनुमोदन ाऄतधकारी (ाऄप्रूचवग
ऑदिसर), (iii) प्रशासक (एडतमतनस्रेटर) तथा (iv) तनणाषयक प्रातधकारी (ाऄजूडके टटग ऑदिसर)।
 यह नेनामी िेनदेन में प्रवेश के तिए ाऄथषदडिड तनधाषररत करता है।
 यह वास्ततवक स्वामी द्वारा नेनामीदार से नेनामी पायी गयी सांपतत्त की पुनाः प्रातप्त को भी तनषेध
करता है।
 नेनामी सांपतत्त सरकार द्वारा तनना कोाइ मुाअवज़ा प्रदान दकए ज़ब्त की जा सकती है।
ाआसमें कु छ मामिों में ाऄपवाद भी प्रदान दकए गए हैं, यथा पररवार के दकसी तनकटतम सदस्य के नाम
पर सांपतत्त की खरीद।
(v) के न्द्रीय सतकष ता ाअयोग (Central Vigilance Commission: CVC)
CVC की स्थापना 1964 में की गाइ थी। ाआसकी स्थापना प्रशासन में सत्यतनष्ठा (ाआां टेतग्रटी) ननाए रखने
सांनांधी मुद्दों के सांनांध में सरकार को परामशष देने के ाईद्देश्य से गरठत सांथानम सतमतत की ाऄनुशांसाओं के
ाऄनुप प की गाइ थी। CVC का ाऄतधकार क्षेत्र सभी िोक-सेवकों तथा के न्द्रीय सावषजतनक क्षेत्रक के
ाईपक्रमों, राष्ट्रीयकृ त नैंकों तथा स्वायत्तशासी सांगठनों के कमषिाररयों तक तवस्ताररत है।

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तवनीत नारायण ननाम भारतीय सांघ वाद 1997 में सवोच्च न्यायािय ने CVC को स्वतांत्र, जवानदेह
ननाने तथा ाआसे राजनीततक तनयांत्रण से पृथक रखने के तिए सरकार को ाआसे वैधातनक दज़ाष प्रदान करने
का तनदेश ददया। पररणामताः, 2003 में CVC ाऄतधतनयम को ाऄतधतनयतमत दकया गया।
एक ाऄन्य सांनांतधत तनकाय, यथा के न्द्रीय ाऄन्वेषण ब्यूरो को CVC के पयषवेक्षण के ाऄधीन रखा गया है।

CVC मामिों को या तो प्रत्येक तवभाग के के न्द्रीय सतकष ता ाऄतधकारी (CVO) या CBI को सौंप
सकता है। CVC या CVO दकसी िोक सेवक के तवरुद् कारष वााइ की ाऄनुशांसा करता है, दकन्तु दकसी
िोक सेवक के तवरुद् दकसी ाऄनुशासनात्मक कारष वााइ के तनणषय का ाऄतधकार ाईस तवभाग के प्रातधकारी
के पास ही सीतमत रहता है।
तसतवि सेवा ाअयोग नोडष (Civil Services Commission Board)
ाआसके ाऄततररि, तनयुतियों, स्थानान्तरण, ाईच्च पदों पर नहािी का तनरीक्षण करने तथा ग़िती करने
वािे ाऄतधकाररयों के तवरुद् ाऄनुशासनात्मक कारष वााइ हेतु दकसी तसतवि सेवा ाअयोग नोडष का गठन
राजनीततक हस्तक्षेप को तनयांतत्रत करने के तिए ाअवश्यक है।
के न्द्रीय सतकष ता ाअयोग के सुझाव
के न्द्रीय सतकष ता ाअयोग के ाअयुि श्री एन. तवट्टि के द्वारा एक और तविार ददया गया दक भ्रष्टािार
मुि शासन को प्रत्येक व्यति का मूि ाऄतधकार ननाया जाना िातहए। ाआसके प्रावधानों को सांतवधान के
भाग III में समातवष्ट दकया जाना िातहए तादक िोग मूि ाऄतधकार के प प में ाआसकी माांग कर सकें । साथ
ही ाआसे भाग IV में भी समातहत दकया जाना िातहए तादक राज्य ाआन मागष-दशषक तसद्ाांतों के ाऄनुसार
क़ानून नना कर ाईस पर ाऄमि कर सके । ाआस कदम से शुतिता (प्रोतनटी) तथा सत्यतनष्ठा (ाआां टेतग्रटी) में
वृतद् होगी, नशते मूि ाऄतधकारों को िागू करने के तौर-तरीकों तथा सांस्थागत व्यवस्था को कायाषतन्वत
दकया जाए।

टी. एस. ाअर. सुिमडियम तथा ाऄन्य ननाम भारतीय सांघ वाद में सवोच्च न्यायािय ने एक तसतवि सेवा
नोडष की स्थापना हेतु तनदेश ददया। यातिकाकताषओं ने तवतभन्न भारतीय तसतवि सेवाओं की स्वतांत्रता
का समथषन करने के तिए तथा ाईन्हें राजनीततक हस्तक्षेप से मुि कराने के तिए न्यायािय से एक स्पष्ट
ाअदेश की माांग की तजससे दक कें द्र तथा राज्य सरकार द्वारा तवतभन्न समीक्षा सतमततयों (होता सतमतत
सतहत) की तनम्नतितखत ाऄनुशस
ां ाओं को कायाषतन्वत दकया जा सके :
 राजनीततज्ञों द्वारा िोक सेवकों को ददए जाने वािे मौतखक तनदेशों को ाऄतनवायष प प से तितखत
प प में दजष दकया जाए;
 वररष्ठ तसतवि सेवा तनयुतियाां एक तनयत ाऄवतध के तिए की जानी िातहए; तथा
 पद स्थापन पर परामशष देने के तिए एक तसतवि सेवा नोडष की स्थापना की जानी िातहए।
ाआस वाद के प्रमुख तनणषयों में तनम्नतितखत सतममतित थे:
 भारतीय प्रशासतनक सेवा (IAS), ाऄन्य ाऄतखि भारतीय सेवाओं के ाऄतधकारी तथा ाऄन्य तसतवि
सेवक मौतखक तनदेशों का पािन करने को नाध्य नह हैं, ‍योंदक ाआनसे “तवश्वसनीयता में कमी
ाअती है”।

 ाऄतखि भारतीय सेवाओं (IAS, IFS तथा IPS) के ाऄतधकाररयों के स्थानान्तरण तथा पद-स्थापन
की ाऄनुशांसा के तिए राष्ट्रीय स्तर पर कै तननेट सतिव तथा राज्य स्तर पर मुख्य सतिवों की
ाऄध्यक्षता में एक तसतवि सेवा नोडष की स्थापना।
 समूह ‘नी” के ाऄतधकाररयों का स्थानान्तरण तवभागाध्यक्षों (HoDs) के द्वारा दकया जाएगा।
 तसतवि सेवकों के स्थानान्तरण तथा पद स्थापन सांनांधी मामिों में मुख्यमांत्री के ाऄततररि दकसी
ाऄन्य मांत्री का हस्तक्षेप नह होगा।

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(vi) िोकपाि तथा िोकायुि का पद (Institutions of the Lokpal and the Lokayuktas)
िोकपाि के पद का नुतनयादी तविार दिनिैंड, नॉवे, डेनमाकष , स्वीडेन, यू.के . तथा न्यूज़ीिैंड जैसे देशों
में ओमनुड्समैन (Ombudsman) की ाऄवधारणा से तिया गया है। 1995 में, यूरोपीय सांघ ने यूरोपीय

ओमनुड्समैन का पद सृतजत दकया। वतषमान में, िगभग 140 देशों में ओमनुड्समैन का पद ाऄतस्तत्व में
है। ाआस पद का भारतीय स्वप प िोकपाि तथा िोकायुि ाऄतधतनयम, 2013 के ाऄनुसार है।
यह ाऄतधतनयम कु छ सावषजतनक पदातधकाररयों के तवरुद् भ्रष्टािार के ाअरोपों तथा ाईनसे जुड़े हुए
मामिों की जााँि के तिए िोकपाि सांस्था की स्थापना की व्यवस्था हेतु प्रयास करता है।
िोकपाि तथा िोकायुि तवधेयक, 1968 कहा जाने वािा प्रथम िोकपाि तवधेयक 1966 में
“नागररकों की तशकायतों के तनवारण की समस्या” पर ARC की ररपोटष की ाऄनुशांसाओं के ाअधार पर
प्रस्तुत दकया गया था। दकन्तु िोकसभा भांग होने के कारण तवधेयक व्यपगत हो गया। तत्पिात, कु छेक
नार पुनाः प्रस्तुत दकए जाने के नावज़ूद 2011 तक िोकपाि तवधेयक सांसद से पाररत नह कराया जा
सका। 2011 में तवशाि सावषजतनक तवरोध-प्रदशषनों के नीि भ्रष्टािार तवरोधी ाअन्दोिन के नेता ाऄन्ना

हज़ारे के नेतृत्व में जन िोकपाि तवधेयक का प्रस्ताव प्रस्तुत दकया गया। िोकपाि तवधेयक, 2011 के
सरकारी सांस्करण तथा नागररक समाज द्वारा प्रस्तातवत जन िोकपाि तवधेयक में कु छ परस्पर तवरोध
के चनदु मौजूद थे। ाऄांतताः, िोकपाि तथा िोकायुि ाऄतधतनयम, 2013 पाररत दकया गया जो जनवरी
2014 से िागू दकया गया। राजस्थान, तनहार, कनाषटक तथा ाऄन्य काइ राज्यों ने ाआस क़ानून को
ाऄपनाया तथा ाआसे कायाषतन्वत दकया है तथा राज्य स्तर पर िोकायुि के पद की स्थापना की है।
िोकपाि तवधेयक के सांसद में पाररत दकए जाने के नाद भी, भ्रष्टािार से तनपटने से सांनांतधत मुद्दों को
ाईठाने वािे ाऄनेक सहायक तवधेयक ाऄन भी सांसद में िांतनत हैं। तसटीजन िाटषर तथा ाआिे‍रॉतनक िोक
सेवा प्रदायगी, सावषजतनक खरीद ाआत्यादद से सांनांतधत तवधेयक सांसद में िांतनत हैं। ाआन तवधेयकों के
पाररत होने जाने के पिात् िोकपाि के पद के समक्ष प्रततददन दजष की जाने वािी प्रशासतनक
ाऄकु शिता तथा भ्रष्टािार से सांनतां धत तशकायतों की सांख्या में कमी सुतनतित होगी। साथ ही, यद्यतप

क़ानून का प्रवतषन भ्रष्टािार को तनयांतत्रत करने की ददशा में प्रथम िरण होता है, तथातप क़ानून की
प्रभातवता वस्तुताः ाईसके कायाषतन्वत दकए जाने के तरीके पर तनभषर करती है।

िोकपाि, भ्रष्टािार तनवारण ाऄतधतनयम, 1988 (PCA) के तहत तनम्नतितखत पदातधकाररयों द्वारा
दकए गए ाऄपराध की जााँि कर सकता है:
 तनर्ददष्ट सांरक्षण के साथ प्रधानमांत्री,
 वतषमान तथा भूतपूवष के न्द्रीय मांत्री,
 वतषमान तथा भूतपूवष साांसद,
 वगष A, B, C, D के ाऄतधकारी,

 सांसद के ाऄतधतनयम द्वारा स्थातपत या कें द्र सरकार द्वारा तवत्तपोतषत या तनयांतत्रत दकसी कां पनी,
सोसााआटी या दकसी न्यास के कमषिारी।
 व्यतियों के ऐसे सांघ के कमषिारी जो (i) सरकार से तवत्तीय सहायता प्राप्त करते हों, तथा तजनकी
वार्शषक ाअय एक तनधाषररत रातश से ाऄतधक हो; या (ii) सावषजतनक ाऄनुदान प्राप्त करते हों तथा
वार्शषक ाअय एक तनधाषररत रातश से ाऄतधक हो या प्रततवषष 10 िाख से ाऄतधक तवदेशी तवत्तीय

सहायता प्राप्त की हो।

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प्रधानमांत्री के तवरुद् पूछताछ कै मरे की तनगरानी में की जानी िातहए तथा िोकपाि की समपूणष
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पीठ के दो-ततहााइ नहुमत द्वारा स्वीकृ त की जाएगी। ाऄांतराषष्ट्रीय सांनांधों, नाह्य एवां ाअांतररक सुरक्षा,
िोक व्यवस्था, नातभकीय ाउजाष तथा ाऄांतररक्ष मामिों से सांनांतधत तशकायतों पर प्रधानमांत्री के
तवरुद् जााँि नह की जा सकती है।

 िोकायुि के क्षेत्रातधकार में मुख्यमांत्री, मांत्री, तवधायक, राज्य सरकार के सभी कमषिारी, तथा कु छ
तनजी सांस्थाओं (धार्शमक सांस्थाओं सतहत) को भी सतममतित दकया जाना िातहए।
 िोकपाि की पूछताछ शाखा को तशकायतों के ाऄनुमोदन के 60 ददनों के भीतर जााँि करने की
ाअवश्यकता है। जााँि ररपोटष को स्वीकार करने पर िोकपाि (i) जााँि का ाअदेश देगा; (ii)

तवभागीय कारष वााइ की प्रदक्रया ाअरां भ करे गा; या (iii) मामिे को नांद करे गा तथा तशकायतकताष के
तवरुद् झूठा तथा तनरथषक तशकायत के तिए कारष वााइ ाअरमभ करे गा। जााँि की प्रदक्रया 6 माह के
भीतर पूरी कर िी जाएगी। िोकपाि, मुकदमे के तनणषय हेतु स्थातपत तवशेष न्यायािय के समक्ष
ाऄपनी ाऄतभयोजन शाखा (चवग) के माध्यम से मुकदमे का ाअरमभ करे गा। मुकदमे की कारष वााइ
ाऄतधकतम 2 वषष के भीतर पूरी कर िी जाएगी। तवधेयक में िोकायुि के तिए भी समान प्रदक्रया
का ाईल्िेख दकया गया है।

1.5 शासन व्यवस्था में शु तिता में सु धार हे तु ाऄन्य सु झाव

(Other Suggestions for improving Probity in Governance)


(i) सावषजतनक कायाषियों में दुरािार रोकने के तिए कानून
(Legislation to check misfeasance in public office)
सामान्यताः जन दकसी वैध कायष को गित ढांग से तनष्पाददत दकया जाता है तो ाईसे दुरािार
(misfeasance) की सांज्ञा दी जाती है। िोक सेवकों को नेघर िोगों को ाअवास ाअनांरटत करने, खतनज
जैसे प्राकृ ततक सांसाधनों के तवतरण के तिए नीततयााँ ननाने और पेरोि पांप ाअनांरटत करने ाअदद जैसे
कायषकिापों के तिए ाऄनुमतत प्रदान करने की तववेकाधीन शतियााँ प्राप्त होती हैं। हािाांदक, प्राय: यह
देखा गया है दक िोक सेवक ाऄपने व्यतिगत िाभ के तिए ाआस प्रकार के तववेकातधकारों का ाईपयोग
करते हैं। ाआस प्रकार के सभी कृ त्य राज्य को प्रततकू ि प प से प्रभातवत करते हैं और यदद ाआस व्यवहार पर
ाऄांकुश नह िगाया जाएगा, तो समतावादी समाज और सामातजक-ाअर्शथक न्याय का हमारा सांवैधातनक
स्वप्न कभी साकार नह होगा।
दो पूवष कें द्रीय मांतत्रयों (पेरोि पांप और सरकारी ाअवासों के ाऄवैध ाअनांटन के प्रकरण में) द्वारा ाऄपकरण
के वाद में सवोच्ि न्यायािय ने तनणषय ददया दक:
 यदद कोाइ िोक सेवक या तो िूक से या कमीशन िेकर ाऄपने पद का दुप पयोग करता है, और

ाईसके पररणामस्वप प दकसी व्यति को हातन पहुाँिती है या सावषजतनक सांपतत्त को हातन पहुाँिती है,
तो ऐसे िोकसेवक के तवप द् कारष वााइ की जा सकती है।
 ऐसे वाद में ाऄनुकरणीय क्षततयााँ ाऄतधतनणीत की जा सकती हैं जहााँ िोक सेवक की कारष वााइ
तनरपवाद प प से दमनकारी, मनमानी या ाऄसांवैधातनक है।"
हािाांदक, दुरािार के काइ मामिों में यह तकष ददया जाता है दक सवोच्च न्यायािय द्वारा ाआस ाअधार पर
‘’सरकार को स्वयां को ाऄनुकरणीय क्षतत का भुगतान करने के तिए तनदेतशत करना ाऄनुमन्य नह है
‍योंदक सरकार का मांत्री सरकार का ाऄांग होता है और ाआसतिए सरकार को स्वयां को क्षतत का भुगतान
करने के तिए तनदेतशत नह दकया जा सकता है।

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जैसा दक NCRWC द्वारा सुझाव ददया गया है, ऐसी तस्थतत में:
 िोक सेवकों को कानून द्वारा पररभातषत ाईनके तनर्ददष्ट िररत्र के ाऄसद्भावी कृ त्य या ाऄकृ त्य से
राज्य को पहुाँिााइ गाइ हातन के तिए ाईत्तरदायी ठहराने वािे एक स्पष्ट कानून की ाअवश्यकता है
और ाईन्हें ाआस प्रकार पहुाँिााइ गाइ हातन की क्षततपूर्शत का तनदेश ददया जाना िातहए।
 ाआसके ाऄततरर‍त, ाऄनुकरणीय क्षतत के ाअरोपण की व्यवस्था होनी िातहए। ाआस तसद्ाांत में
ाअतधकाररक तस्थतत के दुरुपयोग के प्रकरण और प्रातधकार से नाहर दकये गए कायष सतममतित होने
िातहए।
 पदाविी 'िोक सेवक' को भारतीय दांड सांतहता और भ्रष्टािार तनवारण ाऄतधतनयम, 1988 में यथा
पररभातषत ‘सभी िोक सेवकों’ तक तवस्ताररत दकया जाना िातहए। ाआस पदाविी को साांसदों,
तवधायकों और मांतत्रयों को सतममतित करने हेतु ाऄथाषतन्वत दकया गया है।
**ध्यान दें - 'हातन पहुाँिाना' और तत्पिात हातन का ाअकिन करना एक जरटि तवषय है। िूाँदक यह
पश्िदृतष्ट पर ाअधाररत है, ाऄत: यह तनणषय तनमाषण को नातधत कर सकता है। रक्षा खरीद, ऐसा
ाईदाहरण है जहााँ ररश्वतखोरी/नड़े पैमाने पर भ्रष्टािार के साथ-साथ भ्रष्टािार के ाअरोपों के भय से
तनणषय िेने में तविांन, दोनों तस्थततयााँ तवद्यमान हैं।
(ii) िोक सेवकों की ाऄवैध प प से ाऄर्शजत सांपतत्त जब्त करने के तिए कानून
(Legislation for confiscation of illegally acquired assets of the public servants)
वतषमान पररदृश्य में हमारे देश में भ्रष्ट एवां ाऄवैध कृ त्यों और सौदों में तिप्त होकर 'सावषजतनक पद'
(सावषजतनक क्षेत्र के तनगमों के पदों सतहत) धारकों द्वारा ाऄर्शजत सांपतत्तयााँ जब्त करने के प्रावधान से
सांनांतधत कानून के तनमाषण की ाऄत्यतधक ाअवश्यकता है।
 ाआस कानून को नेनामी िेनदेन के मामिे में ाई‍त सांपतत्त धारक पर यह तसद् करने का नोझ डािना
िातहए दक सांिन ह सांपतत्तयाां भ्रष्ट सौदों के दौरान प्राप्त धन/सांपतत्त की सहायता से नह ाऄर्शजत की
गाइ हैं; या
 ाऄसांगत पररसांपतत्त के ाऄतधग्रहण के स्रोतों का तववरण देने हेतु ाआस प्रकार के िोकसेवक को प्रश्नगत
दकया जाए और यदद वह सांतोषजनक प प से ाऄपनी सांपतत्त का तववरण देने में तविि रहता है, तो
ाईसे दोषी ठहराया जा सकता है।
 वास्तव में, भारत के तवतध ाअयोग ने भ्रष्ट िोक सेवकों की ाऄवैध प प से ाऄर्शजत पररसांपतत्तयों की
जब्ती हेतु कें द्र सरकार से सांसद में तवधेयक पुर:स्थातपत की ाऄनुशांसा करते हुए ‘’भ्रष्ट िोक सेवक
(सांपतत्त की जब्ती) तवधेयक" पर ाऄपनी 166 व ररपोटष प्रस्तुत की थी। हािाांदक सरकार ने वाांतछत
ददशा में ाऄभी भी कोाइ कदम नह ाईठाया है।
जन तक िोक सेवकों के भ्रष्ट कायों के तवप द् कठोर कानूनी कारष वााइ का प्रावधान करने वािा कानून
नह होगा, तन तक वे भ्रष्ट पद्ततयों का ाईपयोग करके ाऄपने प्रातधकार का िाभ ाईठाने और ाआस प्रकार
प्राप्त कािे धन को टै‍स हेवन देशों में प्रेतषत करने हेतु प्रोत्सातहत होते रहेंगे!
(iii) सरकार में नैततकता के तिए कानून (Legislation for Ethics in Government)
ाऄमेररका में एतथ‍स ाआन गवमषन्ट ए‍ट मौज़ूद है। ाआस ाऄतधतनयम में तनम्नतितखत प्रावधान दकये गए हैं:
 ाआस ाऄतधतनयम में यह ाईल्िेख है दक जन कोाइ व्यति एक िोक ाऄतधकारी के प प में पद धारण
करता है तो ाईसे 30 ददनों के भीतर तगरवी, िि सांपतत्तयों और रस्ट के तहत िाभ ाअदद सतहत
सभी प्रकार की सांपतत्तयों का पूणष और ाईतित प्रकटीकरण करना ाअवश्यक होता है।
 यह महातधव‍ता को जाननूझकर एवां सौद्देश्य तम्या घोषणा दातखि करने वािे दकसी व्यति के
तवप द् ाऄहषताप्राप्त ाऄमेररकी तजिा न्यायािय में तसतवि कारष वााइ करने की शति प्रदान करता है
और घोषणाकताष को ाऄतभरक्षा में िेने का प्रावधान करता है।

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 यह स्पष्ट प प से प्रावधान करता हैFor


दक ाअम जनता की ऐसी घोषणाओं तक पहुाँि होगी। दकसी भी
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ाऄमेररकी नागररक को दकसी भी वैध ाईद्देश्य के तिए ाई‍त ररपोटों का ाईपयोग करने का ाऄतधकार
प्राप्त है तथा साथ ही यह ाऄतधतनयम तनर्ददष्ट ाऄतधकाररयों द्वारा ाआन ररपोटों की समीक्षा और जााँि
करने का प्रावधान करता है।
जवानदेतहता में वृतद् करने और भ्रष्टािार की समस्या पर ाऄांकुश िगाने के तिए भारत में भी ऐसा ही
प्रावधान दकया जा सकता है। ाईदाहरणस्वप प भारत में तसतवि सेवा ाअिरण तनयम तवद्यमान हैं। ाआन
तनयमों को एतथ‍स ए‍ट के प प में साांतवतधक दजाष देने से नेहतर कायाषन्वयन सुतनतित होगा।
तथातप, कानून का होना मात्र ाआसके ाऄनुपािन की गारां टी प्रदान नह करता है। ाऄतनच्छु क िोग सदैव

कानून से निने के तरीके खोजेंग।े डोनल्ड रमप (ाऄमेररका के 45वें राष्ट्रपतत) ाआसका सवोत्तम ाईदाहरण
हैं। ाईन्होंने काइ वषों तक ाऄपने कर तववरण का प्रकटीकरण नह दकया जनदक यह ाऄमेररका में ाईच्चतम
पद हेतु प्रततस्पधाष करने वािे सभी ाईममीदवारों के तिए एक सुस्थातपत परां परा है।
(iv) ाअपरातधक न्यातयक प्रणािी का सुदढ़ृ ीकरण (Strengthening of criminal judicial system)

जैसा दक ििाष की गाइ है, के वि कानूनों का तनमाषण करना ही पयाषप्त नह है। कानून का भय वस्तुताः
कानून के ाईल्िांघन की घटना को कम करने एवां कानून के ाईल्िांघन को हतोत्सातहत करने हेतु पयाषप्त
प्रततनांधात्मक प प में सुस्थातपत होने िातहए। शासन व्यवस्था में शुतिता सुतनतित करने के तिए
न्यातयक प्रणािी का सुदढ़ृ ीकरण करना सवाषतधक महत्वपूणष ाअवश्यकता है। ाअपरातधक न्यातयक
प्रणािी में पुतिस/जााँि एजेंसी, ाऄतभयोजन एजेंसी, ाऄतधविा, साक्ष्य और ाऄांतत: न्यायपातिका
सतममतित है।
न्याय तक पहुाँि ाआस तसद्ाांत पर ाअधाररत है दक िोगों को कानून के ाईतित ाऄनुप्रयोग पर भरोसा करने
में सक्षम होना िातहए और कायाषन्वयनकारी एजेंतसयों द्वारा ाऄपना कायष ाऄत्यांत सत्यतनष्ठा के साथ

दकया जाना िातहए। हािाांदक, वास्ततवकता में कु छ ाऄवरोधक कारक तवद्यमान हैं, जैसे:
 पुतिस/जााँि एजेंतसयों पर ाऄत्यतधक नोझ।
 तवशेष प प से जरटि ाऄपराधों में ाऄतभयोज्यता तसद् करने के तिए ाअधुतनक ाईपकरणों की कमी।
 नागररकों के नीि ाऄपने ाऄतधकारों के सांनांध में जागप कता का ाऄभाव।
 तवतधक सहायता तक महाँगी पहुाँि।
 न्यायतनणषयन की जरटिता, जो िांनी तवतधक कायषवाही को ाअवश्यक ननाती है।
 न्यायपातिका में ररतियााँ और वादों का नोझ सांभािने के तिए ाऄपयाषप्त िॉतजतस्टक।
 ाऄतभजात वगष, राजनेताओं और नौकरशाही के मध्य ाईपतस्थत गठजोड़ ाऄ‍सर ाअम ाअदमी तक
न्याय की प्रदायगी को नातधत करता है।
ाआस प्रकार की समस्याओं से तनपटने के तिए वतषमान में हमें पारदशी तांत्र और न्यातयक सदक्रयता के
ाऄनुसरण में िीक से हटकर कायष करने की ाअवश्यकता है। जनतहत यातिका और समुदाय ाअधाररत
पुतिचसग (जैसे ाऄमेररका, तिटेन में है) कु छ ाऄन्य तवतधयााँ हैं।

1.6. तनष्कषष (Conclusion)

शुतिता (प्रोतनटी) से सुशासन के तवकास में सहायता तमिती है तजससे न के वि सावषजतनक सांसाधनों
का प्रभावी ाईपयोग सुतनतित होता है ाऄतपतु ाईच्चतर सामातजक-ाअर्शथक और मानव तवकास का भी
मागष प्रशस्त होता है। ाआस प्रकार, शुतिता में सत्यतनष्ठा की सांस्कृ तत ाऄांततनर्शवष्ट करने हेतु तवतभन्न पहिें

ाअरमभ करना, सशि तवतधयों का ाऄतधतनयमन करना और ाईनका प्रभावी कायाषन्वयन सुतनतित करना
ाऄत्यांत ाअवश्यक है।

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हमारे पूवष प्रधानमांत्री श्री मनमोहन चसह ने शासन में नैततकता के महत्व पर नि ददया और कहा दक
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"एक समाज के प प में, हमें वह स्तर तवकतसत करना िातहए जहााँ शुतिता जीवन शैिी का ाऄतभन्न ाऄांग
नन जाती है तथा जहााँ ाइमानदारी एक सामान्य ाऄपेक्षा होती है। यदद व्यति में सत्यतनष्ठा का गुण
तवद्यमान है, तो ाऄन्य नातें महत्व नह रखती हैं तथा यदद व्यति में सत्यतनष्ठा का गुण तवद्यमान नह है
तन भी ाऄन्य नातें महत्व नह रखती हैं। मैं दृढ़ता से मानता ूँ ाँ दक हमें िोक सेवक के प प में सत्यतनष्ठा
का व्यतिगत मानक तनधाषररत करना होगा और यह सांदश े शीषष स्तर से तनििे स्तर की ओर प्रसाररत
होना िातहए, न दक दूसरी तरि। सत्यतनष्ठा, तनष्पक्षता और योग्यता के मूल्य हमारी तसतवि सेवाओं के
मागषदशषक तसद्ाांत हैं।"
सांसदीय िोकतांत्र में 'सामूतहक ाईत्तरदातयत्व' के ढाांिे के भीतर राजनीततक कायषकाररणी और तसतवि
सेवाओं के नीि ाईत्तरदातयत्वों की स्पष्ट सीमा तय करने की ाअवश्यकता है। ाआसका साधारण सा यह
ाऄथष है दक एक नार मांत्रािय द्वारा तनणषय िे तिए जाने के नाद, नेता ाऄथाषत् मांत्री को ाआसके तिए
ाईत्तरदायी ठहराया जाना िातहए। तांत्र ऐसा होना िातहए दक घोटािे को दांड से मुि नह दकया जा
सके या के वि नौकरशाहों को दांतडत करके ाआस मामिें को समाप्त नह दकया जा सके - घोटािे के तिए
ाईत्तरदायी 'नड़ी मछिी' को भी दांतडत दकया जाना िातहए। ाऄतधकाररयों द्वारा तिए गए तनणषयों को
भतवष्य में प्रश्नगत करने या ाईन्हें ाअपरातधक षडयांत्र के मामिे के प प में देखने की समभावना तसतवि
सेवाओं को सवाषतधक पांगु ननाती है। दुरािार का ाईत्तरदातयत्व त्वररत प प से तसद् की जानी िातहए
और दोषी को दृष्टाांग योग्य दांड से दांतडत दकया जाना िातहए।

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2. िोक से वा की ाऄवधारणा (Concept of Public


Service
िोक सेवा वस्तुताः जनता की ाऄपेक्षाओं के ाऄनुसार जनता की जप रतों को पूरा करने हेतु प्रावधान से
सांनांतधत है। िोक सेवा, मानव जातत के ाआततहास में यदद सवाषतधक महान तो नह परन्तु सवाषतधक
प्रािीन, सवाषतधक व्यापक और सराहनीय मूल्यों का प्रतततनतधत्व करती है। वास्तव में, सभ्यता और
िोक सेवा एवां प्रशासन एक-दूसरे से घतनष्ठतापूवक
ष सांनांतधत है और एक दूसरे को सुदढ़ृ ननाते और
सहयोग करते हैं। पूवष और पतिम के परां परागत समाजों में, सामुदातयक कल्याण हेतु स्वैतच्छक सेवा
और व्यावसातयक ाऄनुनांध के ाअधार पर तनष्पाददत पाररश्रतमक यु‍त कायों के नीि थोड़ा सा ही ाऄांतर
दकया गया था। हािाांदक, राज्य की ाऄवधारणा के तवकास के साथ, सांरतित तसतवि सेवा ाआसके (राज्य
के ) तविार के कें द्र में रही है। मौयष साम्राज्य के समय से, भारत में सावषजतनक कतषव्यों का तनष्पादन
करने वािी एक तवस्तृत िोक सेवा तवद्यमान रही है।

2.1. से वा की सावष ज तनकता का मापन (Measuring Publicness of a Service)


जनता ाऄथाषत् सामान्य नागररकों द्वारा सरकार से की जाने वािी ाऄपेक्षाएाँ पररवर्शतत हो रही हैं। ाआसके
ाऄततरर‍त, काइ तनजी सांस्थाएाँ वे सेवाएाँ प्रदान कर रही हैं तजन्हें पारां पररक प प से 'सावषजतनक' सेवा
माना जाता था। चसगापुर तवश्वतवद्यािय के एम. शमसुि हक के ाऄनुसार, तनम्नतितखत प्रमुख ाअयामों
के साथ सेवा की ‘सावषजतनकता’ (publicness) का मापन दकया जा सकता है:
 तनजी क्षेत्र से ाआसके भेद की सीमा: हक तनष्पक्षता, खुिेपन, समानता और प्रतततनतधत्व को स्पष्ट
प प से सावषजतनक तवशेषताओं के प प में पहिान करते हैं।
 सेवा प्राप्तकताषओं का दायरा और सांरिना: हक के ाऄनुसार, सेवा प्राप्तकताषओं की सांख्या तजतनी
ाऄतधक होती है और ाआनका दायरा तजतना व्यापक होता है, सावषजतनकता की मात्रा भी ाईतनी ही
ाऄतधक होती है, और वह 'सभी नागररकों का तहत सतममतित करने वािे साझा और सावषभौतमक
प प से सुिभ कायषक्षेत्र को सांदर्शभत करते हैं।
 ाआसकी सामातजक ाअर्शथक भूतमका का पररमाण और तीव्रता: सेवा का सामातजक प्रभाव तजतना
व्यापक होता है, ाआसकी सावषजतनकता का स्तर भी ाईतना ही ाऄतधक होता है।
 ाआसके सावषजतनक जवानदेतहता की मात्रा: ाआसका तवस्तार सांस्थानों के ाऄतस्तत्व से परे ाईस सीमा
तक होता है, जहााँ तक ये सांस्थान समाज के तवशेष वगों या भाग से प्रभातवत होते हैं।
 सावषजतनक तवश्वास का स्तर: ाऄथाषत, दकतने िोग सेवा की तवश्वसनीयता, नेतृत्व या ाईत्तरदातयत्व
पर भरोसा करते हैं।

2.2. िोक से वा हे तु मागष द शष क तसद्ाां त (Principles Guiding Public Service)


वतषमान समय में सावषजतनक क्षेत्र ाऄपनी दक्षता में वृतद् करने हेतु तनजी क्षेत्र के तवतभन्न तरीकों का
ाईपयोग कर रहा है। ‍या ाआसका ाऄथष यह है दक िोक सेवा में तनतहत भावना कमजोर हो सकती है? ाआस
सांनांध में, यह ाअवश्यक है दक तनम्नतितखत तसद्ाांतों द्वारा सभी तसतवि सेवा सांस्थानों और ाईनके
कमषिाररयों का मागषदशषन दकया जाना िातहए:

(i) नैततक तशक्षा (Ethical Education)


नैततक तशक्षा ाऄत्यांत ाअवश्यक है तथा सभी स्तरों पर सभी शैतक्षक प्रणातियों का भाग होनी िातहए।
हािाांदक, तवश्व के दकसी भी देश में िोक सेवा में ाऄपना कररयर ननाने हेतु प्रशासतनक नीततशास्त्र में
तशक्षा और प्रतशक्षण ाऄत्यांत ाअवश्यक हैं। ाआनमें व्यतिगत और प्रशासतनक दोनों प्रकार के नीततशास्त्र
सतममतित होने िातहए।

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वह दूसरी ओर, सरकारी कमषिाररयों को तनम्नतितखत परामशष ददए जाने िातहए:
 नैततक और ाअिार-समनन्धी तसद्ाांतों से स्वयां को तशतक्षत करें और नैततक प प से कायष करें ।
 तसद्ाांतों से समझौता न करें ।
 ाऄसांवैधातनक, ाऄनैततक, ाऄवैध और ाऄनीततशास्त्रीय ाअदेशों का पािन नह करें और ाईतित िैनिों
के माध्यम से ाईन्हें प्रकट करें ।

(ii) पेशव
े र एवां वैयतिक सत्यतनष्ठा का सांरक्षण (Preservation of Professional and Personal

Integrity)
पेशेवर मूल्य वररष्ठों के सांददग्ध सांगठनात्मक या व्यतिगत ाअदेशों से ाऄतधक प्रनि होने िातहए। ाआसके
तिए स्व-तवतनयमन, ज्ञान, ाअत्म-तनयांत्रण, एक तनतित सीमा तक स्वायत्तता और व्यतिगत स्वतांत्रता
तथा सावषजतनक तहतों एवां सावषजतनक तवश्वास के प्रतत तनजी तहतों को कम महत्व देने ाअदद की
ाअवश्यकता होती है।
(iii) तववेक (Prudence)

तववेक के तिए ज्ञान, तवशेषज्ञता और तवशेष पररतस्थततयों के सांनांध में नीततपरक समझ के ाअधार पर

ाअत्म-तनयांतत्रत, तववेकाधीन तनणषय की ाअवश्यकता होती है।

(iv) िोक सेवा भावना (Public spirit)

तनजी तहत, सावषजतनक एवां सामुदातयक तहतों के ाऄधीन होने िातहए। तनणषय प्रदक्रया या प्रशासक के
प प में कायष करने के दौरान व्यति को पहिे सावषजतनक तवश्वास और नागररकों के तहतों के सांनध
ां में
ाऄवश्य सोिना िातहए तथा तत्पिात ाऄपने सांनांध में सोिना िातहए। सामांजस्यपूणष समुदायों का
तनमाषण करने और सामातजक नुरााआयों पर ाऄांकुश िगाने हेतु प्रत्येक समय िोकतहत को नढ़ावा ददया
जाना िातहए।
(v) नीततपरक ाअिार सांतहता (Code of Ethics)

िोक प्रशासन में नीततपरक ाअिार सांतहता (CoE), िोक सेवा ाअिार के मागषदशषक कानूनों, तनयमों,
तवतनयमों और मानदांडों का तितखत और ाऄतितखत सांग्रह या व्यवस्था है।
प्राय: यह तकष ददया जाता है दक CoE से नैततकता का प्रसार होगा तथा तत्पिात सन सांतहतानद्

दकया जाएगा। हािाांदक, यह ाऄवाांतछत है ‍योंदक ाआससे नौकरशाही में तनतष्क्रयता की तस्थतत ाईत्पन्न हो

जाएगी। पुनाः, स्पष्टता और कठोरता के ाऄभाव ने िाभ ाईठाने एवां निाव के काइ मागष ाईत्पन्न दकए हैं।
सांतहतानद् नीततपरक ाअिार सांतहता से वस्तुतनष्ठता में वृतद् होगी। कु छ नीतत सांतहता में ाऄनैततक
व्यवहारों पर प्रततनांध ाअरोतपत दकये जाते हैं, जनदक ाऄन्य CoE, िोक सेवकों के प्रतत ाअकाांक्षापूणष
होती हैं तथा ाईनके मागषदशषन का कायष करती हैं।
(vi) सकि गुणवत्ता प्रनांधन की भावना का समावेशन {(Internalization of a sense Total

Quality Management (TQM)}


दकसी भी कायष को प्रथम नार में ही सही ढांग से करने का तविार प्रोत्सातहत दकया जाना िातहए तादक
तनम्न गुणवत्ता वािे कायष के प्रततकृ ततकरण (डु प्िीके शन) या दोहराव की महांगी त्रुरट में कमी की जा
सके । िोक तहत और ाअत्म-तसतद् के तिए प्रेरणा की भावना, कायष नीततशास्त्र (वकष एतथ‍स) के
समावेशन में सहायता करती है।

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2.3. तनष्कषष (Conclusion)

नागररक, सांप्रभुता के स्रोत हैं तथा सनसे महत्वपूण,ष वे जवानदेतहता की मााँग करने वािे करदाता हैं।
ाऄताः ाईनके साथ ाआसी के ाऄनुसार व्यवहार दकया जाना िातहए तथा ाईन्हें के वि नाजार के ाईपभोिा या
ग्राहक ही नह माना जाना िातहए। सुभेद्य िोगों की ाईपेक्षा करते हुए के वि कु छ के िाभ पर ध्यान
कें दद्रत करने वािी िोक सेवा के प्रतत दृतष्टकोण को सदक्रय प प से हतोत्सातहत दकया जाना िातहए।
गरीन समर्शथत तवकास नीततयाां के वि तभी समावेशी होंगी जन गरीनों को तवकास प्रदक्रया में
तहतधारक ननाया जाएगा और न दक तन जन वे के वि पुनर्शवतररत िाभ के प्राप्तकताष होंगे। नाजार
िोक सेवा का तवकल्प नह हैं। ाआसके नजाय, मजनूत प्रशासन, िोक सेवा और ाईत्तरदातयत्व पूणष
नागररकता ाअदद, व्यापार-ाऄनुकूि पररवेश, नाजारों के सुिाप पररिािन, प्रभावी िोकतांत्र और
सामातजक शाांतत हेतु ाऄतनवायष शतष हैं।
िोक सेवकों का प्राथतमक ाईत्तरदातयत्व कानून का प्रवतषन, तवतभन्न सावषजातनक सेवाओं, जैस-े भोजन,
स्वास््य, तशक्षा, ाअपदाओं के दौरान राहत ाअदद की व्यवस्था करना है। साथ ही, वे तववादों के तनपटान
और ाऄनुनांधात्मक दातयत्वों के प्रवतषन के तिए भी ाईत्तरदायी हैं। ये कतषव्य वस्तुताः तवतभन्न तवधानों के
ाऄांतगषत प्रदत्त शति का ाऄन्य नागररकों के ाउपर प्रयोग करने हेतु ाअवश्यक हैं, तजसका तसतवि सेवक
कानून के ाऄांतगषत प्राप्त प्रातधकार के माध्यम से प्रयोग करते हैं। साथ ही िोक सेवक सरकार के कायषक्रमों
और नीततयों को भी कायाषतन्वत करते हैं। ाआसके तिए एक तनतित िररत्र, न्याय और तनष्पक्षता की
भावना, पारदर्शशता और ाईत्तरदातयत्व की ाअवश्यकता होती है। प्रशासतनक न्याय प्रदान करने में सक्षम
होने के तिए, समािोिनात्मक चितन की क्षमता और तनष्पक्षता एवां प्रदक्रयाओं के प्रतत सममान
ाअवश्यक गुण हैं तजन्हें सभी िोक सेवाओं के कु शि प्रदायगी के तिए पािन दकया जाना िातहए।

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3. तवगत वषों में सां घ िोक से वा ाअयोग द्वारा पू छे गए प्रश्न

(Past Year UPSC Questions)

1. िोक-जीवन में 'सत्यतनष्ठा’ (प्रोतनटी) से ाअप ‍या ाऄथष ग्रहण करते हैं? ाअधुतनक काि में ाआसके

ाऄनुसार ििने में ‍या करठनााआयााँ हैं? ाआन करठनााआयों पर दकस प्रकार तवजय प्राप्त कर सकते

हैं?

2. िोक-सेवा के सन्दभष में 'जवानदेही' का ‍या ाऄथष है? िोक-सेवकों की व्यतिगत और सामूतहक

जवानदेही को सुतनतित करने के तिए ‍या ाईपाय ाऄपनाए जा सकते हैं?

3. ाऄ‍सर कहा जाता है दक तनधषनता भ्रष्टािार की ओर प्रवृत्त करती हैं। परन्तु, ऐसे भी

ाईदाहरणों की कोाइ कमी नह है, जहााँ समपन्न एवां शतिशािी िोग नड़ी मात्रा में भ्रष्टािार में

तिप्त हो जाते हैं। िोगों में व्याप्त भ्रष्टािार के ाअधारभूत कारण ‍या हैं? ाईदाहरण के द्वारा

ाऄपने ाईत्तर को समपुष्ट कीतजए।


4. ाअज हम देखते हैं दक ाअिार सांतहताओं के तनधाषरण, सतकष ता सेिों/ाअयोग की स्थापना, ाअर.

टी. ाअाइ., सदक्रय मीतडया और तवतधक याांतत्रकत्वों के प्रनिन जैसे तवतभन्न ाईपायों के नावजूद

भ्रष्टािारपूणष कमष तनयांत्रण के ाऄधीन नह ाअ रहे हैं।


(क) ाआन ाईपायों की प्रभावशीिता का औतित्य नताते हुए मूल्याांकन कीतजए।

(ख) ाआस खतरे का मुकानिा करने के तिए और ाऄतधक प्रभावी रणनीततयााँ सुझााआए।

5. ‘‘भ्रष्टािार सरकारी राजकोष का दुप पयोग, प्रशासतनक ाऄदक्षता एवां राष्ट्रीय तवकास के मागष

में नाधा ाईत्पन्न करता है।’’ कौरटल्य के तविारों की तववेिना कीतजए।

4. तवगत वषों में Vision IAS GS में स टे स्ट सीरीज में पू छे

गए प्रश्न (Vision IAS Test Series Questions)

1. नीततशास्त्र, भ्रष्टािार के तवरुद् पहिी रक्षा पांति है, जनदक कानून का प्रवतषन ाईपिारात्मक
एवां प्रततदक्रयात्मक है। ाईतित ाईदाहरणों के साथ ाईि कथन का परीक्षण कीतजए।
दृतष्टकोण:
 भ्रष्टािार तनवारण में नीततशास्त्र एवां कानून के महत्व की व्याख्या कीतजए।
 ाईि कथन की सतवस्तार व्याख्या कीतजए एवां ाईदाहरण सतहत ाआसका औतित्य तसद्
कीतजए।
ाईत्तर:
नीततशास्त्र वस्तुताः ाईतित एवां ाऄनुतित ाअिरण के सांनांध में भिी-भााँतत स्थातपत मानकों को
सांदर्शभत करती है, जो सामान्य प प से हमारे ाऄतधकारों, दातयत्वों, तनष्पक्षता या तवतशष्ट

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गुणों का तनधाषरण करती है दक हमें ‍या करना िातहए। कानून सामान्यताः नैततक ढाांिे पर
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ाअधाररत होते हैं एवां ाईनका िक्ष्य समाज में िोगों के ाऄनुतित या ाऄनैततक व्यवहार को
तनयांतत्रत करते हुए सामातजक व्यवस्था स्थातपत करना होता है।
कानून व्यति पर सरकार द्वारा ाऄतधरोतपत मानकों एवां तनयमों के नाह्य समुच्िय के प प में
कायष करता है। कानून की ाऄवज्ञा करने वािा व्यति तनधाषररत ाऄथषदड
ां और सजा का भागी
होता है, ाआस प्रकार कानून िोगों को गैर-ाऄनुपािन से तवरत करता है। कानूनों में सामातजक

ाऄनुज्ञा एवां स्वीकृ ततयााँ समातहत होती हैं और ाआस प्रकार वे समाज की सुिारु कायषप्रणािी में
महत्वपूणष भूतमका का तनवाषह करते हैं। समृद् एवां शतिशािी व्यतियों द्वारा मोटे तौर पर
कानूनों का ाईल्िांघन दकए जाने का त्य समाज में नैततकता के मूिभूत ाऄभाव का सांकेत देता
है।
नीततशास्त्र व्यति के तिए ऐसी तस्थततयों में भी ददशातनदेशक यांत्र का कायष करती है जहााँ
कानून भी ाऄपनााइ जाने वािी कायष प्रणािी के सांनांध में मौन होता है। ाआसका एक तवतशष्ट
ाईदाहरण प्रशासक की भूतमका है, जहाां तववेकातधकार का प्रयोग करने की ाअवश्यकता होती

है। तववेकातधकार भ्रष्टािार के तिए पयाषप्त ाऄवसर प्रदान करता है और नैततक दृतष्ट से कमजोर
व्यति सामाज कल्याण की कीमत पर भी धन-ाऄर्शजत करने की प्रवृतत्त का सरितापूवक

तशकार हो सकता है। ाआसतिए सांनांतधत तवषय पर कोाइ कानून तवद्यमान न होने पर भी
नीततशास्त्र भ्रष्टािार के तवरुद् पहिी रक्षा पांति है।
एक ाऄन्य ाईदाहरण िें, सांभव है दक सरकार यह तनर्ददष्ट करने हेतु कानून न ननाए दक दकसी

कां पनी को ाऄपने ाईत्पादों को पयाषवरणीय दृतष्ट से ाऄतधक सुरतक्षत या सरितापूवक


ष पुनिषक्रण
योग्य ननाना िातहए, ककतु ऐसा करना नैततक हो सकता है। तजममेदार और नैततक रुप से

जागरुक सांगठन ाआन ाईपायों को कानूनों द्वारा ाऄतनवायष घोतषत न दकए जाने पर भी ध्यान में
रखेगा।
नीततशास्त्र सभी समुदायों के तिए भ्रष्टािार को रोकने हेतु मजनूत सुरक्षा पांति के प प में कायष
करती है, जनदक कानून प्रततदक्रयात्मक होते हैं और के वि ाईपिार के प प में कायष करते हैं।

भ्रष्टािार को समूि नष्ट करने का स्थााइ समाधान के वि नैततकता के ाअांतररक समावेश द्वारा
ही प्राप्त होगा, यह ाईपितब्ध नाह्य प प से ाअरोतपत निों के माध्यम से प्राप्त नह हो सकती।

नाह्य व्यवस्थाएाँ के वि पुरस्कार या सजा देने की प्रवृतत्त तक ही प्रभावी होती है, जनदक

ाअत्मसात की गाइ ाऄांतर्शनतहत मूल्य प्रणािी जीवनोपराांत साथ देगी।

2. खुिी सरकार पारदर्शशता और सूिना की स्वतांत्रता से भी ाऄतधक व्यापक ाऄवधारणा है।

सतवस्तार व्याख्या कीतजए।

दृतष्टकोण:
 सवषप्रथम, पारदर्शशता की ाऄवधारणा की व्याख्या कीतजए। ाआसके नाद खुिी सरकार

(ओपन गवनषमेंट) के ाअवश्यक तत्वों की ििाष कीतजए।


 ाईत्तर के ाऄांततम भाग में खुिी सरकार पारदर्शशता से भी ाऄतधक व्यापक कै से है, ाआस पर
ध्यान ददया जाना िातहए।

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पारदर्शशता खुिी सरकार की एक ाअवश्यक तवशेषता है। पारदर्शशता से तात्पयष है दक सरकारी


तनकायों के कायषकिापों की सूिना, कु छ सीतमत ाऄपवादों के साथ, समयनद् ढांग से, खुिे

ाअांकड़ा प्रप पों में और पुनप्रषयोग पर प्रततनांधों के तनना तैयार कर िोगों को ाईपिब्ध करााइ
जाए। पारदर्शशता तांत्र में िोगों के ाऄनुरोधों पर सूिना का तवतरण और सरकारी तनकायों
द्वारा सदक्रयता से ाईनका प्रकाशन ाऄतनवायष प प से शातमि दकया जाना िातहए। तनजी
सांस्थाओं के नारे में महत्वपूणष सूिना सीधे तौर पर ाऄथवा सरकारी तनकायों के माध्यम से
ाईपिब्ध करााइ जानी िातहए।
ककतु खुिी सरकार के दो ाऄन्य ाअवश्यक तत्व हैं, वे हैं - सहभातगता एवां ाईत्तरदातयत्व।

सहभातगता का तात्पयष नीततगत तवकल्पों और तनणषय प्रदक्रया में प्रत्यक्ष प प से िोगों के


शातमि होने से है। ाआसके तहत िोग समाज तथा प्रजातांत्र के व्यापक तहत में नीततयों, कानूनों

और तनणषयों के प्रतत तविार और साक्ष्य प्रस्तुत कर सकते हैं। सरकारों को िातहए दक वे


नागररकों को सावषजतनक तविार-तवमशष में सदक्रयता से सांघरटत करें । ऐसे तांत्र होने िातहए जो
जनता को चिता के तवषयों पर ाऄपनी पहि पर भाग िेने और नीतत पर तवमशष शुप करने की
ाऄनुमतत दें।
एक ाईत्तरदायी सरकार वह है, जो ाअिरण और सत्यतनष्ठा के मापदांडों को ननाए रखते हुए

और ाऄपने तनणषयों तथा कायषकिापों का तववरण देते और दातयत्व िेते हुए, जनता के प्रतत

जवानदेह होती है। ाईत्तरदातयत्व के तिए ाअवश्यक है दक सरकारी शति के प्रयोग और


सरकारी धन के व्यय पर तनयांत्रण स्थातपत करते हुए तनयम, तवतनयम और तांत्र ाऄपने स्थान

पर हों। भ्रष्टािार की घटनाओं को कम करने, तहतों के सांघषों की पहिान और रोकथाम करने

तथा ाऄवैध सांपन्नीकरण पर तनयांत्रण करने के तिए तवतशष्ट और तवस्तृत ाईपायों की


ाअवश्यकता है। जो गित कायों को सामने िाएां ाईनके तिए सुरक्षा के ाईपाय होने िातहए।
ाआस तरह एक खुिी सरकार में पारदर्शशता के माध्यम से खुिापन एक ऐसे सक्षम वातावरण में
नृहत्तर नागररक सहभातगता का साधन नन जाता है, जहाां सरकार के कायषकिाप को समझने

और नागररक की ाअकाांक्षाओं के ाऄनुप प सरकारी सेवक ाऄपने दातयत्व को पूरा कर रहे हैं या
नह ाआसकी जाांि करने के तिए सूिना का मुि प्रवाह होता हो। जवानदेही के सभी िार घटक
ाऄथाषत् ाईत्तरदातयत्व, ाऄनुमोदन, प्रततकार और प्रणािी में सुधार, सरकार की तजममेदारी

सुतनतित करते हैं। ाऄांतताः सहभागी नजट तनमाषण, नागररक िेखा परीक्षण द्वारा भ्रष्टािार पर

तनगरानी ाअदद के प प में शासन की प्रदक्रया में नागररकों की सहभातगता ाआसे (खुिी सरकार
को) एक खुिे समाज की एक प्रजाताांतत्रक सांस्कृ तत का प प देती है, तजसकी ओर प्रत्येक ाईदार

प्रजातांत्र ाऄग्रसर है।

3. यद्यतप कतषव्यों के प्रभावी तनवषहन के तिए तववेकातधकार ाअवश्यक है, ककतु यह प्रशासन के

सभी स्तरों में भ्रष्टािार का भी एक प्रमुख कारक है। रटप्पणी कीतजए। ाआस प्रसांग में कु छ ऐसे
ाईपाय सुझााआए तजनके माध्यम से भ्रष्टािार में ाऄतधकतम कमी करते हुए ाईत्तरदातयत्वों का
सुिारु कायाषन्वयन सुतनतित दकया जा सके ।

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 सवषप्रथम प्रशासन में तववेकातधकार का ाऄथष समझााआए।


 दिर यह समझााआए दक कतषव्यों के प्रभावी तनवषहन के तिए तववेकातधकार ‍यों ाअवश्यक
है।
 व्याख्या कीतजए दक दकस प्रकार तववेकातधकार भ्रष्टािार का मागष प्रशस्त कर सकता है।

 ाऄांत में, ाईत्तरदातयत्वों का सुिाप दक्रयान्वयन सुतनतित करते हुए भ्रष्टािार में ाऄतधकतम

कमी िाने के ाईपाय सुझााआए।.


ाईत्तर:
तववेकातधकार का ाऄथष ाऄपनी समझ के ाऄनुसार तनणषय िेने ाऄथवा कायष करने की शति है।
भारतीय कानून प्रशासतनक ाऄतधकाररयों को कु छ तववेकाधीन शतियाां प्रदान करता है।

हािाांदक, तववेकाधीन शतियों का प्रयोग मनमाना, ाऄस्पष्ट और काल्पतनक नह , नतल्क कानून

और तवतनयम के दायरे में होना िातहए।


प्रशासतनक ाऄतधकाररयों को प्रदत्त तववेकाधीन शतियाां कािी तवस्तृत
् हैं। जन्म और मृत्यु

पांजीकरण के ाऄनुरक्षण जैसे कायों के साथ ही सांपतत्त के ाऄतधग्रहण, व्यापार, ाईद्योग या

व्यवसाय के तवतनयमन, जाांि, सांपतत्त की जब्ती तथा कु की, कायषकारी ाऄतधकारी की

व्यतिपरक सांतुतष्ट के ाऄधीन दकसी व्यति की नजरनांदी तथा ाऄन्य काइ कायष जैसे व्यति के
ाऄतधकारों को गांभीरतापवषक प्रभातवत करने वािे कदम ाअदद ाआन तववेकाधीन शतियों में
सतममतित हैं। ाईनके कायों की सूिी व्यापक प्रकृ तत की है।
प्रशासतनक तववेकातधकार की समस्या जरटि है। पूणष तववेकातधकार के प्रशासन के दावे और
ाआसके ाईतित प्रयोग के व्यतियों के दावों के नीि तनरां तर सांघषष होता रहा है। ाऄन प्रश्न यह
ाईठता है दक ाआसे दकस प्रकार तनयांतत्रत दकया जा सकता है।
ाआसे दो प्रकार से तनयांतत्रत दकया जा सकता है: पहिा न्यातयक और दूसरा गैर-न्यातयक। ाआन्हें
तनयांतत्रत करने के नहुत सारे तरीके हैं।
न्यातयक तनयांत्रण

न्यायपातिका को दो चनदुओं पर ध्यान कें दद्रत करना िातहए। सवषप्रथम, ाईसे तवधातयका को

तनदेतशत करना िातहए दक वह कायषपातिका को तवस्तृत और ाऄसीतमत तववेकातधकार न

प्रदान करे , और दूसरा चनदु यह है दक तववेक के ाऄधीन दकए गए प्रत्येक कायष को न्यातयक

समीक्षा के दायरे के ाऄांतगषत ाअना िातहए। ाआस प्रकार न्यायपातिका तववेकाधीन शतियों के
दुरुपयोग को तनयांतत्रत करने में ाईल्िेखनीय भूतमका तनभा सकती है।
भारत के ाईच्चतम न्यायािय ने ाऄपने तवतभन्न तनणषयों में व्यवस्था दी है दक:

 प्रशासतनक तववेकातधकार का तववेक, न्याय के तनयमों के ाऄनुसार हो न दक तनजी राय के

ाऄनुसार ाऄथाषत् कानून के ाऄनुसार न दक ाऄपनी ाआच्छा के ाऄनुसार प्रयोग दकया जाना
िातहए।

 ाआसे मनमाना, ाऄस्पष्ट और काल्पतनक नह , नतल्क कानून और तवतनयम के दायरे में होना

िातहए।

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 ाआसका ऐसी सीमा के भीतर प्रयोग दकया जाना िातहए तजसमें ाऄपने कतषव्य का तनवषहन
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करने में सक्षम ाइमानदार व्यति ाऄपने ाअपको समायोतजत कर सके ।

गैर-न्यातयक तनयांत्रण

हमें ऐसे तनयमों का समावेश करना िातहए तजनका पािन तववेकातधकार का प्रयोग करने
वािे ाऄतधकारी के तिए ाऄतनवायष हो। यदद तवधातयका तववेकातधकार को तनयांतत्रत करने वािे

क़ानून में ाआस प्रकार के मानदांड ननाए रखने में तविि रहती है, तो प्रत्यायोतजत तवधायन की

सहायता से प्रशासन द्वारा ाईन माांनदांडों का समावेश दकया जाना िातहए। ाअिरण सांतहता
और नीततपरक ाअिार सांतहता जैसे तांत्र सुतनतित करते हैं दक तववेकातधकार का प्रयोग करते

समय ाअत्म ाऄनुशासन का पािन दकया जाए। CVC, CBI, िोकपाि ाअदद जैसे तवतभन्न

सांस्थान यह सुतनतित करते हैं दक तववेकातधकार के दुरुपयोग की घटना सामने ाअए और ऐसे

ाऄतधकारी को दतडिडत दकया जाए। ऐसे कदम ाऄांतताः भतवष्यगामी तनवारक के तौर पर कायष

करते हैं।

ाऄत: ाईपरोि तांत्र के माध्यम से, तववेकातधकार के दुरुपयोग पर ाऄांकुश िगाया जा सकता है,

तथा प्रशासतनक तनणषय िेते समय ििीिापन भी ननाए रखा जा सकता है।

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5. तवगत वषों में सां घ िोक से वा ाअयोग द्वारा पू छे गए प्रश्न:

के स स्टडीज (UPSC: Case Studies)


1. एक जन सूिना ाऄतधकारी (PIO) को सूिना का ाऄतधकार (RTI) ाऄतधतनयम के ाऄांतगषत एक
ाअवेदन तमिता है। सूिना एकत्र करने के नाद ाईसे पता ििता है दक वह सूिना स्वयां ाईसी के
द्वारा तिए गए कु छ तनणषयों से समनतन्धत है, जो पूणप
ष प से सही नह थे। ाआन तनणषयों में ाऄन्य
कमषिारी भी सहभागी थे। सूिना प्रकट होने पर स्वयां ाईसके तथा ाईसके ाऄन्य तमत्रों के तवरुद्
ाऄनुशासतनक कायषवाही हो सकती है, तजसमें दांड भी सांभातवत है। सूिना प्रकट न करने या
ाअांतशक या छद्मावररत सूिना ाईपिब्ध कराने पर कम दांड या दांड-मुति भी तमि सकती है।
PIO ाऄन्यथा एक ाइमानदार व कतषव्यतनष्ठ व्यति है पर यह तवतशष्ट तनणषय, तजसके समनन्ध में
RTI ाअवेदन ददया गया है, गित तनकिा। वह ाऄतधकारी ाअपके पास सिाह के तिए ाअया
है।
नीिे सुझावों के कु छ तवकल्प ददए गए हैं। प्रत्येक तवकल्प का गुण-दोष के ाअधार पर मूल्याांकन
कीतजए :
(i) PIO ाआस मामिें को ाऄपने ज्येष्ठ ाऄतधकारी को ाईसकी सिाह के तिए सांदर्शभत करे और
कड़ााइ से ाईसी के ाऄनुसार कायषवाही करे िाहे वह स्वयां ाईस सिाह से पूणत
ष या सहमत न
हो।
(ii) PIO छु ट्टी पर ििा जाए और मामिे को ाऄपने ाईत्तरातधकारी (कायाषिय में) पर छोड़ दे
या सूिना ाअवेदन को दकसी ाऄन्य PIO को स्थानान्तरण का तनवेदन करे ।
(iii) PIO सच्चााइ के साथ सूिना प्रकट करने व ाऄपनी जीतवका पर ाईसके प्रभाव पर मनन
करके ाआस भाांतत ाईत्तर दे तजससे वह या ाईसकी जीतवका पर जोतखम न ाअए पर साथ ही
सूिना की ाऄन्तवषस्तु पर कु छ समझौता दकया जा सकता है।
(iv) PIO ाईन सहयोतगयों, जो ाआस तनणषय को िेने में सहभागी थे, से परामशष करे और ाईनकी
सिाह के ाऄनुप प कायषवाही करे ।
ाऄतनवायष प प से के वि ाईपरोि तवकल्पों तक सीतमत न रखते हुए ाअप ाऄपनी सिाह दीतजए
और ाईसके ाईतित कारण भी नतााआए।

2. ाआां जीतनयरी की एक नाइ स्नातक (ग्रेजए


ु ट) को एक प्रततष्ठावान रासायतनक ाईद्योग में नौकरी
तमिी है। वह कायष को पसन्द करती है। वेतन भी ाऄच्छा है। दिर भी, कु छ महीनों के पिात्
ाआत्तफ़ाक़ से ाईसने पाया दक ाईच्च तवषाि ाऄवशेष को गोपनीय तरीके से नज़दीकी नदी में
प्रवातहत दकया जा रहा है। यह ाऄनुप्रवाह में रहने वािे ग्रामीणों, जो पानी की ाअवश्यकता के
तिए नदी पर तनभषर हैं, के स्वास््य की समस्याओं का कारण ननता जा रहा है। वह तवितित
है और वह ाऄपनी तिन्ता सहकर्शमयों को प्रकट करती है, जो िमने समय से कमपनी के साथ रहे
हैं। वे ाईसे िुप रहने की सिाह देते हैं ‍योंदक जो भी ाआस तवषय का ाईल्िेख करता है, ाईसको
नौकरी से तनकाि ददया जाता है। वह ाऄपनी नौकरी खोने का ख़तरा नह िे सकती, ‍योंदक
वह ाऄपने पररवार की एकमात्र जीतवका ििाने वािी है तथा ाईसे ाऄपने नीमार माता-तपता
एवां भााइ-नहनों का भरण-पोषण करना होता है। प्रथमताः वह सोिती है यदद ाईसके वररष्ठ िुप
हैं, तो वह ही ‍यों ाऄपनी गदषन नाहर तनकािे। परन्तु ाईसका ाऄन्ताःकरण नदी को एवां नदी पर

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तनभषर रहने वािे िोगों को निाने के तिए कु छ करने की प्रेरणा देता है। ाऄन्ताःकरण से वह
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महसूस करती है दक ाईसके तमत्रों द्वारा िुप रहने का ददया गया परामशष ाईतित नह है, यद्यतप
वह ाईसके कारण नह नता सकती है। वह सोिती है दक ाअप एक नुतद्मान व्यति हैं तथा वह
ाअपका परामशष पूछती है।
(a) िुप रहना ाईसके तिए नैततक प प से सही नह है, यह दशाषने के तिए ाअप ‍या तकष
प्रस्तुत कर सकते हैं?
(b) ाअप ाईसे कौन-सा रास्ता ाऄपनाने की सिाह देंगे और ‍यों देंग?

3. तवत्त मांत्रािय में एक वरीय ाऄतधकारी होने के नाते, सरकार द्वारा घोतषत दकए जाने वािे
कु छ नीततगत तनणषयों की गोपनीय एवां महत्त्वपूणष सूिना की ाअपको जानकारी तमिती है।
ाआन तनणषयों के भवन एवां तनमाषण ाईद्योग पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं। यदद भवन
तनमाषताओं को पहिे ही यह जानकारी तमि जाती है, तो वे ाईससे नड़े िाभ ाईठा सकते हैं।
तनमाषताओं में से एक ऐसा है तजसने सरकार के तिए ाऄच्छी गुणवत्ता का काफ़ी काम दकया है
और वह ाअपके ाअसन्न वररष्ठ ाऄतधकारी का घतनष्ठ है तजन्होंने ाअपको ाईि सूिना का ाईस
तनमाषता को ाऄनावृत करने के तिए सांकेत भी ददया है।
(a)ाअपके पास ‍या-‍या तवकल्प ाईपिब्ध हैं?
(b) प्रत्येक तवकल्प का मूल्याांकन करके नतााआए दक ाअप कौन-सा तवकल्प िुनग
ें ।े ाईसके कारण
भी नतााआए।

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6. तवगत वषों में Vision IAS GS में स टे स्ट सीरीज में पू छे


गए प्रश्न: के स स्टडीज (Vision IAS Test Series
Questions: Case Studies)

1. सांध्या ने हाि ही में ाऄपना नीकॉम पूरा दकया था और ाऄपनी ड्रीम जॉन को ध्यान में रखते
हुए एक सावषजतनक क्षेत्र के नैंक में कायष करने हेतु ाऄपनी तनयुति को िेकर ाऄत्यांत ाईत्सातहत
थी। ाऄपने शुरुाअती ददनों में ाईसने ाऄनुदान की रातश के कु प्रनांधन और त्रुरटपूणष ाअनांटन को
नोरटस दकया। ाईसके कु छ सहकमी भी ाऄपने व्यतिगत कायों हेतु नैंक की सांपतत्त, जैस-े कार,
सामग्री ाअदद का प्रयोग कर रहे थे।
हािााँदक सांध्या को सनसे ज्यादा हैरानी कायाषिय में होने वािी भती के तरीकों को देख कर
हुाइ। नौकररयों के ाअवेदकों को परीक्षा में नैठना होता था तजसकी तनगरानी नैंक के कमषिारी
करते थे। सांध्या ने देखा दक परीक्षा तनयांत्रक ही स्वयां ाअवेदकों को नक़ि करवा रहे थे ‍योंदक
ाआन ाअवेदकों को पहिे से ही िुन तिया गया था। पूवष ियतनत नहुत से ाआन ाअवेदकों में से काइ
नैंक के कायषरत कमषिाररयों के तमत्र थे।
सांध्या ने जो देखा था, ाईसने ाईसे महेश को नताया जो दक शाखा का सहायक प्रनांधक हैं और
जो शाखा प्रनांधक के नाद तद्वतीय स्थान के पद पर है। महेश ने सांध्या से कहा दक ाअपने “न ह
कु छ सुना, न ह ाअपने कु छ देखा और ाअप कु छ कहेंगी भी नह ”। ाआसे िेकर सांध्या एकदम
हैरान थी, के वि भ्रष्टािार के कारण से ही नह नतल्क ाआस कारण से भी दक ाआसे जाननूझकर
दनाया जा रहा था।
सांध्या दुतवधा की तस्थतत में थी। ाईसे ाऄपने ाऊणों की भरपााइ के तिए नौकरी की ाऄत्यांत
ज़रुरत थी और ाईसे यह कायष पसांद भी ाअ रहा था। ाईसे ाआस नात की भी चिता थी दक एक
वषष से भी कम समय के ाऄांदर ही नौकरी छोड़ना गित होगा, साथ ही यह भतवष्य में दकसी
सरकारी सांस्थान में नौकरी की समभावना को भी धूतमि कर देगा। वह , दूसरी तरि वह
भ्रष्टािार के ाआस माहौि में ाऄत्यांत ही ाऄसहज महसूस कर रही थी।
(a)सांध्या के पास में कौन.कौन-से तवकल्प ाईपिब्ध हैं?
(b)ाआन तवकल्पों में से सभी का मूल्याांकन कीतजए और ाईतित कारण नताते हुए ऐसे तवकल्प
का िुनाव कीतजए जो ाअपको स्वीकायष हो।
ाईत्तर:
सांध्या एक तवतित्र दुतवधा में है जहाां वह ाऄपनी नौकरी भी नह छोड़ना िाहती, दकन्तु
भ्रष्टािार के िांगुि में िां से ऐसे कायाषत्मक माहौि का मूक दशषक भी नन कर नह रह सकती।
स्पष्ट है दक ाआस मुद्दे को ाऄनदेखा करना सावषजतनक खजाने को नहुत नड़ा नुकसान पहुांिाएगा
तथा नैंक की कायषप्रणािी में ाऄकु शिता ाईत्पन्न करे गा। िूाँदक सांध्या ाआस मुद्दे को महेश के सामने
िाकर ाईसका समाधान पाने में ाऄसिि रही थी, ाऄताः ाआस तस्थतत में शाखा प्रनांधक को ाआस
मुद्दे के नारे में ररपोटष करने का तनणषय सवाषतधक ाईपयुि प्रतीत होता है।
सांध्या के पास ाईपिब्ध कु छ तवकल्प तनम्नतितखत हैं:
(a) िूाँदक ाआस मामिे से ाईस पर कोाइ प्रत्यक्ष ाऄसर नह पड़ता, तथा ाआस समनन्ध में ाईठाया
गया कोाइ कदम व्यतिगत प प से ाईस पर तवपरीत प्रभाव नह डािेगा। ाऄताः वह ाआस मुद्दे को
पूरी तरह दरदकनार कर सामान्य तरीके से ाऄपना कायष जारी रख सकती है।

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(b) वह ाआस मामिे को शाखा प्रनांधक को ररपोटष करे गी तथा ाआस नात को ाईजागर करे गी दक
दकस प्रकार ाईसे ाआस मामिे में मुह
ां नांद रखने को कहा गया था।
(c) िूाँदक दोनों पूवष कदमों में से दकसी से भी ाईसे सांतुतष्ट का ाऄनुभव नह होगा वह नौकरी से
त्यागपत्र दे सकती है।
(d) वह एक तव्हसि ब्िोाऄर नन सकती है। वह तनगरानी तवभाग में से दकसी भी व्यति को
जो नैंक के काम-काज पर नजर रख रहा हो, मामिे की जानकारी दे सकती है, ‍योंदक यह
सावषजतनक पैसा है जो ऐसी गतततवतधयों के माध्यम से ननाषद दकया जा रहा है।
तवकल्प (a) यदद हम ाऄतधकार/कतषव्य, तनष्पक्षता और ाअम दृतष्टकोण के ाऄनुसार नात करें तो
यहााँ सांध्या का यह कतषव्य ननता है दक वह नैंककग प्रणािी की सत्यतनष्ठा को नरकरार रखे।
ननाषद दकया जा रहा पैसा सावषजतनक रातश है, ाआसतिए ऐसी कोाइ भी गतततवतध ाऄांततोगत्वा
िोक तहत को नुकसान पहुांिा रही है। ाआसके ाऄिावा, त्रुरटपूणष तनयुति प्रदक्रयाएां नैंक की कायष
प्रणािी पर नहुत नुरा प्रभाव डािेंगी तथा ाआसकी कु शिता एवां प्रभावकाररता को भी हातन
पहुांिाएगी जो ाअगे जा कर जनता और समाज के तहतों पर प्रहार करे गा। ाआसतिए सांगठन पर
भतवष्य में पड़ सकने वािे खतरनाक प्रभावों के डर से मुद्दे की ाईपेक्षा करना नैततकता के
तवरुद् होगा।
हािाांदक मुद्दे को ाऄनदेखा करना सांध्या को दकसी तववाद में पड़ने की परे शानी से निायेगा
तथा ाईसकी नौकरी को सुरतक्षत रखेगा, ाऄांततोगत्वा ाआसका पररणाम न तो सांगठन और न ही
सांध्या के तिए ाऄच्छा होगा।
तवकल्प (b) ाआसे हम तनम्नतितखत के माध्यम से समझ सकते हैं:
सद्गुण दृतष्टकोणाः सत्यतनष्ठता एवां सममान दो ऐसे गुण हैं, तजसे व्यति को स्वयां में समातहत
करना िातहए और ाआन्हें तवकतसत करने में सहायता करनी िातहए। व्यति स्वयां से पूछ सकता
है दक एक मनुष्य िररत्र के दकस ाईच्चतम स्तर की ाअकाांक्षा कर सकता है? ऐसे में व्यति स्पष्ट
प प से सत्यतनष्ठता एवां ाइमानदारी के गुणों को पहिान िेता है। ाईसी प्रकार, व्यति को स्वयां
के मान्य मूल्यों के ाऄनुसार जीने के तिए स्वयां को प्रोत्सातहत करना िातहए जो ाआस तवतशष्ट
मामिे में सत्यतनष्ठता एवां शुतिता को नढ़ावा देता है। ाआसतिए सनसे ाईपयुि तवकल्प मामिे
के नारे में शाखा प्रनांधक को ररपोटष करना ही प्रतीत होता है।

तवकल्प (c) ाआस नात पर तविार करते हुए दक सांध्या को ाऄपने ाऊण का भुगतान करना है
तथा ाआस प्रकार का कोाइ भी कदम ाईसके नायोडाटा में ाऄच्छा प्रभाव नह छोड़ेगा तथा यह
ाईसके भतवष्य पर तवपरीत ाऄसर डािेगा, नौकरी से त्यागपत्र देना सुसांगत नह प्रतीत होता।
हो सकता है ाआससे सांध्या दकसी भी प्रकार की भतवष्य की परे शानी से नि जाए, दकन्तु यह
कदम ाईसे ाआससे भी नड़ी परे शानी में धके ि देगा, ‍योंदक ाईसकी नौकरी तो जायेगी ह , ाईसके
पररवार की ाअजीतवका पर भी नुरा ाऄसर पड़ेगा। ाआसके ाऄततररि, ऐसे दकसी भी कदम का
ाऄथष होगा पररतस्थतत से पिायन करना तथा दूसरों की गिततयों के तिए स्वयां को दतडिडत
करना।
तवकल्प (d) यह तवकल्प भी एक सांभातवत तवकल्प मात्र ही प्रतीत होता है, दकन्तु तव्हसि
ब्िोचवग भी एक दुधारी तिवार के सामान है तथा ाआसका प्रयोग तभी दकया जाना िातहए
जन ाऄन्य सारे तवकल्प ाअजमाए जा िुके हों। हो सकता है, मुद्दे को शाखा प्रनांधक की तनगाह
में िाये जाने पर वह ाआसमें सांतिप्त व्यतियों के तखिाि कड़ी कारवााइ करे । तनना ाआस कदम

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को ाअजमाए ाआस मुद्दे की मुखFor


तनरी More
करना एक जल्दनाजी भरा कदम हो सकता है तजससे नैंक
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की प्रततष्ठा खतरे में पड़ सकती है।

2. नड़े िमष प्राय: वृहद् ाऄवसांरिना पररयोजनाओं को समयनद् प प से पूरा करने के तिए प्राय:
ाईप-सांतवदा (सन-कॉन्रै‍ट) प्रदान करती हैं। ाअप हाि ही में ाआन सांतवदाओं को प्रदान करने हेतु
एक तजममेदार प्रनांधक के तौर पर ाआस प्रकार की एक िमष में सतममतित हुए हैं। तपछिे
ररकाडों को देखने पर ाअपको ज्ञात होता है दक तपछिे कु छ वषों में सभी सांतवदाएाँ एक
तवतशष्ट िमष X को दी गयी हैं। ाअपके वररष्ठ (सीतनयर) ने एक भावी सांतवदा को ाईसी िमष को
प्रदान करने के तिए ाअपसे कहा है। यद्यतप नाध्यकारी न होते हुए भी, िमष ाईप-सांतवदात्मक
कायों को प्रततस्पधी नोतियों के ाअधार पर प्रदान करने की प्रदक्रया का पािन करती रही है।
ाआसका ाईद्देश्य यह सुतनतित करना होता है दक सांिािनों एवां तवत्त के सांनध
ां में सवाषतधक
ाईपयु‍त िमष को सांतवदा प्राप्त हो। जन ाअप ाऄपने वररष्ठ से ाआसकी ििाष करते हैं तो वह जोर
देता है दक कमपनी X को कमपनी के तवतधक मानदडिडों के ाऄनुसार तनयु‍त दकया गया है और

दकसी भी ाअतधकाररक तनयम का ाईल्िांघन नह दकया गया है। ाअप X िमष के मातिक से
सांपकष करने का तनणषय करते हैं। ऐसा करने के नाद, ाअपको ज्ञात होता है दक वह ाअपके वररष्ठ
ाऄतधकारी का भतीजा है, और ाईस िमष में ाअपके वररष्ठ की भी तहस्सेदारी (शेयर) हैं।

(a) ाआस मामिे में समातहत नैततक मुद्दों को स्पष्ट कीतजए।


(b) ‍या दो तनजी पक्षों के नीि ाआस प्रकार के िेन-देन में तहतों का टकराव तनतहत होता है?
ाऄपने ाईत्तर का औतित्य तसद् कीतजए।
(c) ऐसी तस्थतत में सांतवदा प्रदान करने के सांभातवत तरीकों का ाईनके गुणों एवां ाऄवगुणों के
साथ मूल्याांकन कीतजए। साथ ही स्पष्ट कीतजए दक प्रत्येक तस्थतत में कौन-सी पद्तत सवाषतधक
ाईपयु‍त होगी।

दृतष्टकोण:
 ाआस प्रकरण में तनतहत नैततक मुद्दों का ाईल्िेख कीतजए।
 मूल्याांकन कीतजए दक ाअपके वररष्ठ ाऄतधकारी का िमष X के मातिक से ररश्ते और कां पनी
में एक शेयरधारक होने की जानकारी के कारण तहतिाभ की तस्थतत ाईत्पन्न हुाइ है या
नह ।
 ऐसी तस्थतत में सांतवदा प्रदान करने के तरीके का ाईनके गुणों और ाऄवगुणों सतहत ाईल्िेख
करते हुए सुझाव दीतजए।
 ाआस पररदृश्य में ाऄपनी सांभातवत कायषवाही का ाईल्िेख कीतजए।
ाईत्तर:
नुतनयादी त्य: ाआस तस्थतत में, वह कां पनी जहाां मैं काम करता ूँ ाँ, नार-नार एक तनजी िमष X
को प्रततस्पधी तनतवदा का ाअयोजन दकये तनना ाईप-सांतवदा प्रदान कर रही है। कां पनी की
प्रदक्रयाओं के ाऄनुसार ाआस प्रततस्पधी तनतवदा का ाअयोजन दकया जाना िातहए। मामिा तहतों
के टकराव के मुद्दे पर प्रकाश डािता है, ‍योंदक िमष X का मातिक मेरे वररष्ठ ाऄतधकारी का
भतीजा है और वह िमष का एक शेयरधारक भी है।
प्रमुख तहतधारक:
 मैं स्वयां, ‍योंदक मैं कां पनी का प्रनांधक ूँ ाँ और सांतवदा प्रदान करने की तजममेदारी मेरी है।
 मेरे वररष्ठ ाऄतधकारी, जो िमष X के एक शेयरधारक हैं और साथ ही साथ ाईस कां पनी के
एक कमषिारी हैं जहाां मैं काम करता ूँ ाँ।

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 िमष X का मातिक ‍योंदक हमारी कां पनी द्वारा दकए गए िै सिे से ाईसके व्यावसातयक
तहत प्रभातवत होंगे।
 ाऄन्य िमों के मातिक जो कां पनी की सांतवदा प्राप्त करने की होड़ में हैं, ‍योंदक ाईन्हें
प्रततस्पधी तनतवदा की प्रदक्रया में एक ाईतित ाऄवसर नह प्राप्त हो रहा है।
 कां पनी के शेयरधारक, जो ाऄनुतित िै सिे के कारण नकारात्मक प प से प्रभातवत हो
सकते हैं।
 ाईपभोिा, जो घरटया नुतनयादी ढाांिे से प्रभातवत होंगे।
(a) ाआस मामिे में शातमि कु छ नैततक मुद्दे तनम्नतितखत हैं:
 भााइ-भतीजावाद और पेशव
े र सत्यतनष्ठा से समझौता: ाईप-सांतवदा को प्रततस्पधी तनतवदा
के तनना व्यतिगत सांनांधों के ाअधार पर प्रदान दकया जा रहा है। ाआसके कारण, यहााँ ाआस
नात की कोाइ गारां टी नह है दक क्षमता और तवत्तीय पहिुओं के मामिे में सनसे ाईपयुि
िमष को सांतवदा तमिेगी।
 तनणषय िेने में तनष्पक्षता का ाऄभाव: मेरे वररष्ठ ाऄतधकारी और ाईनके भतीजे के तहत
कां पनी की तनणषय िेने की प्रदक्रया का मागषदशषन कर रहे हैं। ाआस पररदृश्य में ाऄांतर्शनतहत
व्यतिपरक पूवाषग्रह व्याप्त है।
 कानूनी ननाम नैततक पहिू: यह कानूनी तौर पर सही हो सकता है ‍योंदक कां पनी के
दकसी ाअतधकाररक तनयम का ाईल्िांघन नह दकया गया है, िेदकन यह नैततक प प से
गित है तथा यह कां पनी की स्थातपत कायषपद्तत के तखिाि है।
(b) दो तनजी पक्षों के नीि िेनदेन तहतों का टकराव ाईत्पन्न कर रहा है, ‍योंदक िमष X का
मातिक मेरे वररष्ठ ाऄतधकारी का भतीजा है, तजन्होंने नार-नार तनदेश ददया है दक ाऄनुनांध िमष
X को ही प्रदान दकया जाए। िूांदक मेरे वररष्ठ ाऄतधकारी िमष X में एक शेयरधारक भी हैं, वह
व्यापाररक तनणषय व्यतिगत सांनधां ों और सांभातवत तवत्तीय ाऄवसरों के ाअधार पर िे रहे हैं।
कां पनी के खरान प्रदशषन के कारण वह ज्यादा प्रभातवत नह होंगे ‍योंदक ाईनका पररवार
िाभातन्वत हो रहा है, िेदकन ाऄन्य शेयरधारक और कमषिाररयों के तहत प्रभातवत होंगे। ाआस
प्रकार, तनजी तहतों का शेयरधारकों के तहत के साथ सीधा टकराव है। ाआसके ाऄिावा, ाईन
ाईपभोिाओं के तहतों के साथ भी टकराव है जो गुणवत्तापूणष नुतनयादी ढाांिे की ाईममीद कर
रहे हैं।
(c) ऐसी तस्थतत में सांतवदा प्रदान करने के कु छ सांभातवत तरीके हैं:
 मेरे वररष्ठ ाऄतधकारी के सुझाव ाऄनुसार िमष X को ाईि ाऄनुनांध प्रदान करना।
o गुण: वररष्ठ ाऄतधकारी के साथ मेरे ाऄच्छे सांनांध नने रहेंगे, नदिे में मुझे त्वररत
पदोन्नतत और वेतन वृतद् तमि सकती है।
o ाऄवगुण: एक प्रनांधक के प प में मेरा यह कायष ाअिरण ाऄनैततक तसद् होगा। मैं
प्रततस्पधी तनतवदा प्रदक्रया में भी नाधा डािूाँगा और कां पनी के ाऄतधक पैसे निा
सकने वािे तथा काम को और ाऄतधक कु शितापूवषक समपाददत कर सकने वािे
सांभातवत प्रस्तावों से परहेज करने में भूतमका तनभााउांगा। मैं शेयरधारकों,
सहयोतगयों एवां ाईपभोिाओं के तहतों के प्रतत ाऄपनी सत्यतनष्ठा और प्रततनद्ता से
समझौता कप ाँगा।
 ाऄपने वररष्ठ ाऄतधकारी की नात खाररज करते हुए िमष X में ाईनके तहतों का खुिासा
करना और साथ ही प्रततस्पधी तनतवदा प्रदक्रया का ाअयोजन करना।
o गुण: मैं कां पनी की स्थातपत कायषपद्तत का पािन कप ाँगा एवां मेरी पेशेवर सत्यतनष्ठा
नरकरार रहेगी।

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o ाऄवगुण: मैं ाऄपने वररष्ठ ाऄतधकारी के ाअदेश की प्रत्यक्ष ाऄवहेिना कप ाँगा, तजससे
कां पनी में मेरी पदोन्नतत के ाऄवसरों में नाधा पहुाँि सकती है। मैं कां पनी के स्थातपत
कायष पदानुक्रम का ाईल्िांघन भी कप ाँगा।
 सवोत्तम कारष वाही ाऄपने वररष्ठ ाऄतधकारी से ाईत्पन्न हुए ाआस तहतों के टकराव के नारे में
नात करना और प्रततस्पधी तनतवदा कराने के पक्ष में तकष प्रस्तुत करना है। हािाांदक, ाऄगर
वह ाऄभी भी तस्थतत की गांभीरता को स्वीकार करने से मना कर देते हैं, तो मैं कां पनी
प्रमुख/नोडष के समक्ष ाऄपना दृतष्टकोण प्रस्तुत कप ाँगा। यह सुतनतित करे गा, दक ाऄन्य
प्रनांधक और कतनष्ठ कमषिारी ाआस तरह की तस्थतत में भतवष्य में न पड़ें। ाआस नीि, मैं
प्रततस्पधी तनतवदा के प्रस्तावों को भी स्वीकार कप ाँगा और ाआस कायष हेतु सनसे ाईपयुि
िमष को सांतवदा प्रदान कप ाँगा। यह मेरी पेशेवर सत्यतनष्ठा को सुतनतित करे गा एवां सभी
तहतधारकों के तहतों की रक्षा भी होगी।

3. ाअप एक देश में तेि का ाऄन्वेषण करने के तिए िगााइ जाने वािी ाऄांतराषष्रीय नोिी
(नीिामी) में भारत का प्रतततनतधत्व कर रहे हैं। ाआस पररयोजना के तिए ाऄन्य धनी देश भी
नोिी िगा रहे हैं। ाअप सुतनतित हैं दक तेि ाऄन्वेषण के तिए ाअपकी नोिी ाऄन्यों से नेहतर
और साथ ही सस्ती भी है और तनतित ही ाअप नोिी जीत िेंग।े ाअप नोिी जीत िेंग।े
नीिामी से एक ददन पूवष ाअपको ज्ञात होता है दक ाऄन्य देश सिि होने के तिए ाऄतधकाररयों
को ररश्वत देने समेत ाऄन्य काइ तरीके ाऄपना रहे हैं। ाईस (गृह) देश के कु छ ाऄतधकाररयों ने भी
ाअपसे सांपकष दकया है और भारत को ाआस नोिी में तवजय प्राप्त कराने का ाअश्वासन देने के
नदिे कु छ माांगें रखी हैं। ाअप घरे िू ाअर्शथक एवां रणनीततक तनतहताथों की दृतष्ट से ाआस नोिी
के महत्व से ाऄवगत हैं। ाईपयु‍ष त सूिना के ाअधार पर तनमनतितखत प्रश्नों के ाईत्तर दीतजए।
(a) तनर्ददष्ट कीतजए दक ाआस तस्थतत में ाअप दकस/दकन नैततक दुतवधा/दुतवधाओं का सामना
करते हैं।
(b) ‍या ाऄांतराषष्ट्रीय िेन-देन में नैततक चिताएाँ सिमुि मायने रखती हैं या वे घरे िू तहतों की
तुिना में गौण (तद्वतीयक) हैं?
(c) ाईपयु‍
ष त तस्थतत में ाअपकी कायषवाही ‍या होगी? गुणों और ाऄवगुणों सतहत ाईसका
औतित्य तसद् कीतजए।
दृतष्टकोण:
 ाईन नैततक दुतवधाओं की पहिान कीतजए तजनका सामना ाअप कर रहे हैं।
 ाऄांतराषष्ट्रीय िेनदेन के समक्ष घरे िू तहत में नैततक चिताओं के महत्व पर प्रकाश डातिए।
 दिर ाईस कायषवाही की योजना का ाईल्िेख कीतजए तजसका ाअप पािन करें गे। तनणषय में
तनतहत गुणों और दोषों को ध्यान में रखते हुए ाआसे ाईतित तसद् कीतजए।
ाईत्तर:
(a) ाआस प्रकरण में तवद्यमान तस्थतत तनम्नतितखत नैततक दुतवधाएाँ प्रस्तुत करती हैं:
 ररश्वत देने ननाम ाइमानदार नने रहने और ररश्वत ाऄदायगी के प्रिोभन से निे रहने की
दुतवधा।
o पहिी कायषवाही द्वारा भारत को नीिामी जीतने में मदद तमि सकती है, िेदकन यह
एक ाऄनैततक कायषवाही होगी और ाआससे िांने समय में, जन सि सावषजतनक प प से
नाहर ाअएगा तन देश की छतव खरान हो सकती है। ाआसका नोिी िगाने की प्रदक्रया
में शातमि ाऄन्य देशों के साथ भारत के सांनांधों के ाउपर प्रततकू ि पररणाम पड़ेगा।
ाआसके ाऄिावा, यह एक स्वस्थ प्रततस्पधाष, समान ाऄवसर और नवािार के प्रततकू ि

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है। ाआस कायष द्वारा दूFor


सरों More
के तिए एक गित ाईदाहरण स्थातपत होगा। यह कायषवाही
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के वि ाऄनैततक ही नह नतल्क भारतीय कानूनों की दृतष्ट से भी ाऄवैध है। यह मेरे


ाऄन्दर ाईपितब्ध या सांतोष की भावना नह िा सके गी।
o दूसरी कायषवाही के कारण नीिामी की प्रदक्रया में सांभातवत हार हो सकती है, मेरे
कै ररयर और देश के ाअर्शथक एवां रणनीततक तनतहताथष को झटका िग सकता है।
िेदकन ाऄनुसरण करने हेतु यही सही मागष है।
(b) ाऄांतराषष्ट्रीय सांनांधों में राष्ट्रीय तहतों की वकाित करने वािों का तकष है दक राष्ट्रीय तहत
सवोपरर है। जैसा दक हेनरी दकचसजर ने कहा है- "कोाइ स्थायी सहयोगी या स्थायी दुश्मन
नह होता है, के वि तहत स्थायी होते हैं।" यह तकष ाआस त्य पर ाअधाररत है दक दकसी देश की
सरकार मुख्य प प से ाऄपने नागररकों की ओर से कायष करती है और ाआस प्रकार यह ाईनके
तहतों को ननाए रखने के तिए नाध्य है। सत्ताप ढ़ राजनीततक दि को तनयतमत प प से ाअम
िुनावों का सामना करना पड़ता है और ाआसके प्रदशषन का ररपोटष काडष न के वि घरे िू नतल्क
ाऄांतराषष्ट्रीय कायों का भी मूल्याांकन करता है। ाआसतिए, के वि राष्ट्रीय तहत को ही ाऄांतराषष्ट्रीय
सांनांधों में सवोपरर होना िातहए।
हािाांदक, ाआन तकों में कु छ तवसांगततयााँ व्याप्त हैं। ाऄगर तसिष राष्ट्रीय तहत को ध्यान में रखा
जाए, तो ाईपतनवेशवाद, सत्ता पररवतषन, कमजोर देशों पर ाऄत्यािार ाअदद जैसी ाऄनुतित
कायों को ाईतित ठहराया जा सके गा। ाआसके ाऄिावा, एक व्यापक ाऄसमानता ाऄांतराषष्ट्रीय स्तर
पर मौजूद है और यदद मजनूत देश ाऄपनी कायषवाही का औतित्य पूरी तरह से राष्ट्रीय तहतों के
ाअधार पर तसद् करने िगे तो ाअगे यह ाऄांतर और व्यापक हो जाएगा। पुनाः, 'ग्िोनि कॉमन्स'
ाऄतस्तत्व में नह नने रह पाएाँगे और सतत तवकास एक स्वप्न नन जाएगा।
िूांदक, तनष्पक्षता, न्याय, ाईदासीनता, समपूणष तवश्व का सतत तवकास, समता ाअदद नैततक
तसद्ाांत वास्तव में राष्ट्रीय तहतों के समान महत्वपूणष हैं और ाऄांतराषष्ट्रीय सांनांधों में महत्त्व रखते
हैं।
(c) ऐसी तस्थतत में, मैं तनम्नतितखत कायषवाही का ाऄनुकरण कप ाँगा:
 ाऄपने स्तर से, नीिामी प्रदक्रया में, ररश्वतखोरी गतततवतधयों से सांनांतधत जानकारी की
सत्यता की जाांि करना।
 ाऄपने वररष्ठ ाऄतधकाररयों को सूिना देना और ाईनकी सिाह िेना ‍योंदक हो सकता है
दक ाईन्होंने ाआस तरह की तस्थतत का सामना पूवष में दकया हो।
 नीिामी की पूरी प्रदक्रया देखने वािे ाऄतधकाररयों से सांपकष करना और ाईन्हें ाऄपने सांज्ञान
में ज्ञात तवसांगततयों के नारे में सूतित करना और एक तनष्पक्ष और पारदशी नोिी प्रदक्रया
की माांग करना।
 ाऄगर तशकायतों को ाईस स्तर पर सांनोतधत नह दकया जा रहा है, तो ाऄपने वररष्ठ
ाऄतधकाररयों को तवश्वास में िेने के नाद हम गृह देश के ाऄन्य ाईच्च प्रातधकरणों, जैस-े
न्यायपातिका के हस्तक्षेप की तरि रुख कर सकते हैं।
मैं यह भी माांग कप ाँगा दक ररश्वत की माांग की गतततवतधयों में शातमि ाऄतधकाररयों को दांतडत
दकया जाए, तजससे भतवष्य में ाआस तरह का कदािार नह दोहराया जा सके । ाईन राष्ट्रों को जो
ाऄनुतित व्यवहार में शातमि हैं ाईनको भी (जुमाषने के माध्यम से, ाईन्हें कािी सूिी में डािने
या ाईनकी नोिी को रद्द करने द्वारा) दांतडत दकया जाना िातहए।
ाआस तरह की कायषवाही का औतित्य
ाऄांतराषष्ट्रीय िेनदेन में ररश्वतखोरी जैसी ाऄनैततक कायषवाही को भी कभी-कभी राष्ट्रीय तहत के
नाम पर ाईतित ठहराया जाता है। हािाांदक, करीन से देखने पर, ाआस तरह के कायष स्पष्ट प प से

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राष्ट्रीय तहतों के तवरुद् प्रतीतFor


होते More
हैं। ररश्वतखोरी में भागीदारी के नारे में रहस्योद्घाटन होने
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पर यह हमारे देश की भावी पीदढ़यों के ाऄांतराषष्ट्रीय सांनांधों को खतरे में डाि देगा।
ाआसके ाऄिावा, मात्र एक ाऄनुनांध हमारे देश के तिए ाआतना महत्वपूणष नह हो सकता दक हम
ाऄपने नैततक मानकों और दीघषकाि से ननाए रखे गए ाईच्च मूल्यों का त्याग कर दें। ाआसके
ाऄिावा, भ्रष्टािार समृतद् की वास्ततवक न व कभी नह हो सकती है। ाआससे ाईत्पन्न िाभ पूरे
समाज को भ्रष्ट नना देगा।
ाईतल्ितखत कायषवाही का पािन करके , मैं गृह देश के शासन में तवश्वास प्रदर्शशत कप ाँगा, ाऄपने
नैततक मूल्यों को ननाए रखूाँगा तजससे वहााँ नोिी प्रदक्रया के तनष्पक्ष होने की सांभावना ाऄतधक
हो जाएगी। िूांदक भारत की तनतवदा नेहतर और सस्ती है, यही भारत की सििता सुतनतित

करे गी। यह ाईस देश के िोगों के मध्य हमारे देश के तिए सद्भावना ाईत्पन्न करे गी; ाऄांतराषष्ट्रीय
िेनदेन में भ्रष्टािार के तखिाि एक सही तमसाि कायम करे गी। कु ि तमिाकर, यह सदािार
की ददशा में एक सही कदम सातनत होगा तजसकी ाईममीद हम ाऄांतराषष्ट्रीय सांनांधों में करते हैं।

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Value Addition Material-2018


PAPER IV : नीततशास्त्र
तसतिल सेिा के तलए ऄतभरुति तथा बुतनयादी मूल्य एिं
सािवजतनक सेिा के प्रतत समर्वण भाि

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तिषय सूिी
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1. ऄतभरुति (Aptitude) ________________________________________________________________________ 3


1.1. ऄतभरुति के प्रकार _________________________________________________________________________ 4
1.1.1. तसतिल सेिाओं के तलए ऄतभरुति (Aptitude for Civil Services) __________________________________ 5
1.2. ऄन्य गुणों के साथ ऄतभरुति का संबंध ____________________________________________________________ 5
1.2.1. ऄतभरुति और रुति (Aptitude and Interest) ________________________________________________ 5
1.2.2. ऄतभरुति एिं क्षमता (Aptitude & Ability) ___________________________________________________ 5
1.2.3. ऄतभरुति एिं बुतिमत्ता (Aptitude and Intelligence) __________________________________________ 6
1.2.4. ऄतभरुति और ऄतभिृतत्त (Aptitude and Attitude) _____________________________________________ 6
1.2.5. ऄतभरुति एिं मूल्य (Aptitude and Values) _________________________________________________ 6
1.2.6. ऄतभरुति, तनर्ुणता तथा ईर्लतधध __________________________________________________________ 7
2. तसतिल सेिाओं के तलए बुतनयादी मूल्य _____________________________________________________________ 8
2.1. ये मूल्य क्या हैं? (What are they?) ___________________________________________________________ 8
2.2. हमें आनकी अिश्यकता क्यों है? (Why we need them?) ____________________________________________ 8
2.3. बुतनयादी मूल्यों के प्रकार ____________________________________________________________________ 9
2.4. तसतिल सेिाओं के तलए मुख्य बुतनयादी मूल्य _______________________________________________________ 9
3. तसतिल सेिाओं के तलए बुतनयादी मूल्यों का सतिस्तार िणवन _____________________________________________ 12
3.1. सत्यतन्‍ ा (Integrity) ____________________________________________________________________ 12
3.2. िस्तुतनष्ठता (Objectivity) __________________________________________________________________ 17
3.3. लोक सेिा के प्रतत समर्वण (Dedication to Public Service) _________________________________________ 18
3.4. समानुभूतत (Empathy) ___________________________________________________________________ 19
3.5. संिेदना (Compassion) __________________________________________________________________ 20
3.6. तन्‍र्क्षता (भेदभाि रतहत) तथा गैर-तरफदारी ____________________________________________________ 20
3.7. तटस्थता (Neutrality) ____________________________________________________________________ 23
3.8. सतह्‍णुता (Tolerance) ___________________________________________________________________ 26
3.9. ऄनातमकता (Anonymity) _________________________________________________________________ 27
3.10. जिाबदेतहता एिं ईत्तरदातयत्ि (Accountability and Responsibility) ________________________________ 29
3.11. तितिध मूल्य (Miscellaneous Values) ______________________________________________________ 32
3.12. मूल्यों के क्षरण के र्ररणाम (Consequences of Erosion of Values) ________________________________ 33
4. तिगत िषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में र्ूछे गए प्रश्न __________________________________________ 34
5. तिगत िषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में र्ूछे गए प्रश्न: के स स्टडीज़ _________________________________ 47
6. तिगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग द्वारा र्ूछे गए प्रश्न _________________________________________________ 53
7. तिगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग द्वारा र्ूछे गए प्रश्न: के स स्टडी _________________________________________ 53

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खुद को खोजने का सबसे ऄच्छा तरीकाFor


है ककMore
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रों की -http://pdf4exams.org
सेिा में खुद को खो दें।
– महात्मा गांधी

1. ऄतभरुति (Aptitude)
र्ृष्ठभूतम
हम तनश्चयर्ूिक
व यह नहीं कह सकते हैं कक एक व्यति कु छ तनतश्चत गतततितधयों/कायों/व्यिसायों के
तलए कु छ खास कौशल या प्रिृतत्त के साथ जन्म लेता है। हम के िल आतना कह सकते हैं कक कु छ कायों के
तलए प्राथतमकताएं तिकतसत करने में ककसी व्यति के शैशि काल से ही हुए ऄनुभिों की महत्िर्ूणव
भूतमका ऄिश्य होती है। आसके ऄततररि, दो व्यति यकद समान ऄनुभिों से गुजरें तो ईनमें सदैि एक

जैसी भािनात्मक एिं व्यिहारात्मक ऄनुकिया ईत्र्न्न नहीं होगी। आसके साथ ही ककसी तितशष्ट घटना से
तितभन्न व्यति तितभन्न प्रकार के ऄनुभि प्राप्त करते हैं। प्रत्येक व्यति िास्ततिकता को ऄर्नी दृतष्ट से
देखता है, ऄर्ने र्ूिव ज्ञान और ऄनुभि के अधार र्र ईस र्र प्रततकिया करता है और ऄंत में ईससे

तन्‍कषव रूर् में के िल िही ऄनुभि प्राप्त करता है जो िह ईतित समझता है। आस प्रकार हमारे र्ुराने
ऄनुभि हमारे ितवमान दृतष्टकोण का तनमावण करते हैं और हमारी प्रिृतत्त का तिकास करते हैं कक भति्‍य
में हमारी प्रततकिया कै सी होगी। ईदाहरण के तलए, जब बलात्कार जैसा जघन्य ऄर्राध घरटत होता है

तो कु छ लोग र्ीतड़ता को दोषी हराते हैं तथा ऄन्य लोग र्ुतलस, र्ररिार और समाज अकद को

तजम्मेदार मानते हैं। घटना िही है ककन्तु ऄलग-ऄलग लोग आसे ऄलग-ऄलग ढंग से देखते हैं। आसके
ऄततररि, ऄलग-ऄलग लोग एक ही घटना से ऄलग-ऄलग प्रकार की सीख प्राप्त करते हैं। संभि है कक

कोइ व्यति कानून और व्यिस्था में सुधार करने के ईद्देश्य से र्ुतलस बल का भाग बनना िाहे तो कोइ
ऄन्य व्यति र्ीतड़ता की दुदश
व ा से द्रतित हो जाए और र्ुनिावस कें द्र खोलने को तैयार हो जाए। संभि है
कक कोइ मतहलाओं के व्यार्क मुद्दों के तलए ऄतभयान िलाने का आच्छु क हो और कोइ ऄन्य व्यति के िल
मतहलाओं की स्ितंत्रता को प्रततबंतधत करना िाहे। व्यार्क तथ्य यह है कक – हमारे ऄनुभि हमारी

तििार प्रणाली को तितशष्ट रूर् से अकार प्रदान करते हैं। यह ऄििेतन तििार प्रणाली हमारी
िरीयताओं को अकार प्रदान करती है और आस प्रकार ऄंतत: भति्‍य में ककसी घटना के प्रतत ऄनुकिया
करने की हमारी कायवप्रणाली को प्रभातित करती है (ककन्तु तनधावररत नहीं करती)।
र्ररभाषा और व्याख्या
ऑक्सफोडव तडक्शनरी के ऄनुसार, ‘ऄतभरुति’ कु छ करने की स्िाभातिक क्षमता या स्िाभातिक प्रिृतत्त

है। यहााँ र्र ‘स्िाभातिक’ (natural) शधद आसके (ऄतभरुति के ) साधारण ऄथव 'जन्म से’ (by birth) के

बजाये व्यति के जीिन के संर्ूणव ऄनुभिों को ऄतधक संदर्भभत करता है। मुक्केबाजी के तलए ऄतभरुति
धारण करने िाले व्यति को, यकद अिश्यक प्रतशक्षण प्रदान ककया जाए, तो िह ईस क्षमता को

ऄत्यतधक तिकतसत कर सकता है। दूसरी ओर, यकद ककसी व्यति में मुक्केबाजी के तलए ऄतभरुति ही नहीं

है तो ईसे िाहे ककतना भी प्रतशक्षण प्रदान ककया जाए कफर भी ईसके प्रदशवन में कोइ भी प्रशंसनीय
सुधार नहीं अ सकता। ऄतभरुति ऐसी र्ैदाआशी या ऄर्भजत क्षमताओं और ऄन्य तिशेषताओं का संयोजन
है, जो ककसी तिशेष क्षेत्र में प्रिीणता तिकतसत करने में व्यति की क्षमता की संकेतक मानी जाती हैं।

यह ककसी तिशेष क्षेत्र में कौशल ऄथिा ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता या यो्‍यता को संदर्भभत करती है,

तजसके अधार र्र भति्‍य के प्रदशवनों का र्ूिावनुमान लगाया जा सकता है।

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शैतक्षक ऄनुसंधान तिश्वकोश (1960) के ऄनुसार, ऄतभरुति को 'ककसी कायव के तन्‍र्ादन, तजसके संदभव

में एक व्यति र्ास ऄल्र् या ककसी भी प्रकार का र्ूिव प्रतशक्षण नहीं है, के तलए एक तनतश्चत सीमा तक
ऄतधक ऄथिा कमतर सुर्ररभातषत र्ैटनव या व्यिहार के ऄतभग्रहण हेतु एक व्यति की क्षमता या
र्ररकतल्र्त सामथ्यव के रूर् में र्ररभातषत ककया जा सकता है।’ साधारण शधदों में, ऄतभरुति ऐसे
ऄतभलक्षणों का समूह है जो ककसी तिशेष क्षेत्र में प्रिीणता प्राप्त करने के तलए व्यति की क्षमता के सूिक
माने जाते हैं। आस प्रकार आसका भति्‍यिादी संदभव होता है। दूसरी ओर कौशल को प्रतशक्षण के माध्यम
से प्राप्त ककया जाता है। ऄतभरुति कौशल नहीं है। कौशल ऄर्भजत ककया जाता है और प्रतशक्षण एिं
ऄतधगम के माध्यम से ईसे तनरं तर ईन्नत ककया जाता है। ऄतभरुति र्हले से तिद्यमान होती है ककन्तु आसे
र्ोतषत ककया जा सकता है।
जैसा कक शुरू में ही बताया जा िुका है कक ‘ऄतभरुति न तो र्ूणत
व ः जन्मजात (innate) होती है और न

ही र्ूणत
व ः ऄर्भजत’। यह कु छ सीमा तक जन्मजात होती है, ककन्तु साथ ही यह जन्मजात और अस-र्ास
के र्ररतस्थततयों के ऄंतसंबंध का ईत्र्ाद भी होती है। ऄतभरुति का स्तर सभी व्यतियों में एकसमान
नहीं होता है। प्रत्येक व्यति में ककसी तितशष्ट कायव के तलए कु छ ऄतभरुति होती है; ककन्तु लोगों में ककसी

तितशष्ट कायव हेतु ऄतभरुति का स्तर तभन्न-तभन्न होता है। ईदाहरण के तलए, ऄनेक लोग सशस्त्र बलों में
ऄतधकारी बनना िाहते हैं ककन्तु ईनमें से के िल कु छ ही लोग ऄर्ने प्रयास में सफल हो र्ाते हैं। ऐसा
आसतलए है क्योंकक गुणों के र्ूिव तनधावररत समुच्िय के अधार र्र सशस्त्र बलों हेतु सेिा ियन बोडव
(SSB) द्वारा ऄसफल ऄभ्यर्भथयों को ऄर्ेतक्षत ऄतभरुति के मामले में दूसरों की तुलना में कमतर अंका
जाता है। ऄतभरुति ककसी के द्वारा प्रदर्भशत की जाने िाली िरीयता मात्र नहीं है। यह कु छ ऐसे गुणों को
धारण करना है जो ककसी व्यति को ककसी कायव में दूसरों की तुलना में बेहतर प्रदशवन करने में सहायता
करते हैं।
रक्षा या र्ुतलस सेिाओं में ऄतधकारी बनने के तलए ककसी व्यति में शारीररक ि मानतसक दोनों प्रकार
की ऄतभरुतियों का होना अिश्यक है। ऄच्छा तखलाड़ी बनने के तलए व्यति को मनोप्रेरणा (psycho-

motor) समन्िय संबंधी ऄतभरुति की अिश्यकता होती है। जब व्यति ऐसे व्यिसाय में होता है जो
ईसकी ऄतभरुति के ऄनुरूर् नहीं है तो समस्या ईत्र्न्न होती है। एक व्यति के िल आसतलए किके टर
बनना िाहे कक ईसके तर्ता बेहतरीन किके टर थे, तो हो सकता है कक िह श्रे्‍ तम प्रदशवन करने में
सक्षम न हो सके जब तक कक ईसमें स्ियं ही ईस खेल के तलए अिश्यक ऄतभरुति न हो। यह सदैि याद
रखना िातहए कक ऄतभरुति भािी संभािनाओं को देखती है। हालांकक, यह ितवमान तस्थतत - ितवमान में

तिद्यमान और भति्‍य की संभािनाओं के संकेतक माने जाने िाले लक्षणों (तितशष्टताओं) के र्ैटनों, को
संदर्भभत करती है।

1.1. ऄतभरुति के प्रकार

ऄतभरुति को सामान्यतः शारीररक या मानतसक ऄतभरुति के रूर् में िगीकृ त ककया जाता है।
शारीररक ऄतभरुति (ऄतभक्षमता) से तात्र्यव कु छ तितशष्ट कायव को सफलतार्ूिवक संर्न्न करने के तलए
अिश्यक शारीररक तिशेषताओं से है। ईदाहरण के तलए, सशस्त्र बलों को शारीररक तिशेषताओं के एक

तितशष्ट समुच्िय, जैस-े लंबाइ, बल अकद की अिश्यकता होती है।


मानतसक ऄतभरुति से अशय मानतसक गुणों के एक तितशष्ट समुच्चय से है जो कु छ कायों को
सफलतार्ूिक
व तन्‍र्ाकदत करने हेतु अिश्यक होते हैं। तिशेषताओं के अधार र्र आसे सामान्य मानतसक

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क्षमता और मूल्य-ऄतभमुखता (value-orientation) के रूर् में िगीकृ त ककया जाता है। सामान्य
मानतसक क्षमता का अशय तकव संगत रूर् से तििार करने की क्षमता से है, जबकक मूल्य-ऄतभमुखता में
कु छ मूल्य अधाररत व्यिहार भी सतम्मतलत होते हैं, जैस-े सहानुभूतत, करुणा, सत्यतन्‍ ा, जिाबदेही,
ईत्तरदातयत्ि अकद द्वारा तनदेतशत ककए जाने िाले व्यिहार।
आस ऄंतर को कु छ ईदाहरणों के माध्यम से समझा जा सकता है। ईदाहरणाथव- एक बैंकर को संख्याओं के
मामले में कु शल होना िातहए जबकक एक प्रभािी नेता िह होता है जो सहानुभूतत रखने िाला और
इमानदार हो। दूसरी ओर एक िोर को संभित: झू बोलने की कला में कु शल होना िातहए।

1.1.1. तसतिल से िाओं के तलए ऄतभरुति (Aptitude for Civil Services)

कु छ तिशेषज्ञों का मानना है कक तसतिल सेिकों में तीन प्रकार की ऄतभरुतियााँ होनी िातहए: बौतिक,
भािनात्मक और नैततक। ये ऄतभरुतियााँ तसतिल सेिक को र्ेशेिर मूल्यों की प्रातप्त में सक्षम बनाती हैं।
बौतिक ऄतभरुति यह सुतनतश्चत करती है कक संबंतधत तसतिल सेिक तकव संगत ढ़ंग से तििार करे ,
ईद्देश्यर्ूणव रूर् से कारव िाइ करे और ऄर्ने अस-र्ास के र्ररिेश के साथ प्रभािी ढंग से व्यिहार करे ।
आस प्रकार, आसे साधन-ऄतभमुख ऄतभरुति (means oriented aptitude) माना जा सकता है।
भािनात्मक ऄतभरुति ऄर्ने सहकर्भमयों, ऄधीनस्थों और जनता के साथ तसतिल सेिकों के प्रभािी
अिरण को सुतनतश्चत करती है। आस प्रकार आसे व्यिहार-ऄतभमुख ऄतभरुति (behavior oriented
aptitude) माना जा सकता है।
नैततक ऄतभरुति में िांछनीय मूल्यों, जैस-े न्याय, सहानुभूतत, करुणा अकद को सतम्मतलत ककया जाता
है। आसे तसतिल सेिाओं के तलए बुतनयादी मूल्य भी कहा जाता है और यह सुतनतश्चत करती है कक
तसतिल सेिक ऄर्ने कतवव्यों का तन्‍र्ादन न के िल कु शलता से ऄतर्तु जनतहत को ध्यान में रखते हुए
प्रभािी ढंग से भी करें । आस प्रकार आसे लक्ष्य-ऄतभमुख ऄतभरुति माना जा सकता है।

1.2. ऄन्य गु णों के साथ ऄतभरुति का सं बं ध

(Relationship of Aptitude with Other Qualities)

1.2.1. ऄतभरुति और रुति (Aptitude and Interest)

लोगों की कइ बातों में रुति होती है, लेककन आसका ऄथव यह नहीं है कक ईनके र्ास ईसके तलए ऄतभरुति
है। ककसी को किके ट बहुत र्संद हो सकता है– लेककन टेलीतिजन र्र देखने के स्थान र्र मैदान र्र आसे
खेलना बहुत ऄलग बात है। ककसी व्यति में ऄच्छी कमेंट्री करने की ऄतधक ऄतभरुति हो सकती है या
लेखन कौशल हो सकता है और ईसके बाद कोइ व्यति ऐसा व्यिसाय िुन सकता/सकती है तजसमें
ईसकी रूति और ऄतभरुति मेल खाती हो, जैस-े कमेंट्रेटर या खेल र्त्रकार बनना।

1.2.2. ऄतभरुति एिं क्षमता (Aptitude & Ability)

ऄतभरुति को प्राय: मानतसक क्षमता के ऐसे तितश्‍ट ईर्समुच्िय का प्रतततनतधत्ि करने िाला माना
जाता है जो तिशेष रूर् से तशक्षा और रोजगार के संबंध में, व्यति की क्षमता के तिषय में ईर्योगी
जानकारी प्रदान करता हो। क्षमता बुतिमत्ता के बहुत तनकट होती है। यह ितवमान से संबंतधत होती है।
यह कौशल, ऄभ्यासों (अदतों) और शतियों का ऐसा संयोजन है जो व्यति में ितवमान में तिद्यमान है
और ईसे कु छ करने में सक्षम बनाता है। ऄतभरुति यह संकेत करती है कक व्यति क्या सीखने/करने में
सक्षम होगा और क्षमता आसका प्रमाण प्रस्तुत करती है कक कोइ व्यति ितवमान में (या भति्‍य में तबना
ऄततररि प्रतशक्षण के ) क्या करने में सक्षम है। व्यािहाररक दृतष्टकोण से, ककसी व्यति ने र्हले से जो

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प्रतशक्षण प्राप्त कर तलया है ईसके स्तरFor


र्र More
तििार ककए तबना ऄतभरुति का मार्न ऄसंभि है। ऐसा
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माना जाता है कक व्यतियों को प्राप्त होने िाले कु छ ऄनुभि, ऄतभरुति का मार्न करने के दौरान आसमें
िृति कर देते हैं।
ईदाहरण के तलए, तसतिल सेिाओं के तलए ककसी ईम्मीदिार की ऄतभरुति का र्रीक्षण करने के
प्रयोजन से अयोतजत की जाने िाली तसतिल सर्भिसेज ऄतभरुति र्रीक्षण (CSAT) र्रीक्षा ऄभ्यास न
करने िाले ईम्मीदिारों की तुलना में ऄभ्यास करने िालों के तलए बेहतर स्कोर प्रदर्भशत करे गी। यह
ईम्मीदिारों को तसतिल सेिक बनने के बाद ऄनुभि ककए जाने िाले दबाि की र्ररतस्थतत में लाकर
(सीतमत समय में ऄनेक प्रश्नों को हल करिाकर) ऄतभरुति का र्रीक्षण करती है। आसके ऄततररक्त, तजस
व्यति ने आसका ऄभ्यास ककया है ईसके तलए यह र्ररक्षण ईसकी तैयारी और र्ररश्रम को बताते हैं, जो
र्ुन: एक तसतिल सेिक में िांछनीय तिशेषताएं होती हैं। आसतलए यद्यतर् आसका प्रयोजन ऄतभरुति का
मार्न करना होता है लेककन यह क्षमता का भी मार्न करती है। आस प्रकार कु छ मनोिैज्ञातनकों के
ऄनुसार क्षमता में ऄतभरुति एिं ईर्लतधध समाति्‍ट होती है। क्षमता संदर्भभत करती है कक व्यति अज
क्या कर सकता है। यह एक तनतश्चत समय र्र, ककसी कायव का तन्‍र्ादन करने की शति होती है।

1.2.3. ऄतभरुति एिं बु तिमत्ता (Aptitude and Intelligence)

ऄतभरुति भति्‍य में ईतित प्रतशक्षण प्रदान ककए जाने र्र, व्यति में कु छ कायव करने हेतु तिद्यमान
जन्मजात क्षमता होती है। बुतिमत्ता का प्रमुख ऄियि ऄर्ने ितवमान र्ररिेश में तकव संगत रूर् से
तििार करने, ईद्देश्यर्ूणव कायव करने एिं प्रभािी रूर् से व्यिहार करने की क्षमता है। बुतिमत्ता का
कायवक्षत्र
े व्यार्क होता है क्योंकक यह सामान्य मानतसक क्षमता से संबंतधत होती है। दूसरी ओर,
ऄतभरुति का कायवक्षेत्र संकीणव होता है – यह कायव-तितशष्ट होती है। यह ककसी व्यति द्वारा भति्‍य में
ककसी कायव को सम्र्न्न करने की एक तितशष्ट क्षमता को संदर्भभत करते हुए, बुतिमत्ता को तितभन्न
ऄतभलक्षणों में तिभातजत करती है। आस प्रकार, ऄतभरुति बुतिमत्ता के समान नहीं होती है। एक समान
बौतिक स्तर (IQ) िाले दो लोगों की ऄतभरुति तभन्न-तभन्न हो सकती है, ईदाहरण के तलए, एक की
ऄतभरुति िैज्ञातनक बनने की और दूसरे की ईर्न्यासकार बनने की हो सकती है।

1.2.4. ऄतभरुति और ऄतभिृ तत्त (Aptitude and Attitude)

ऄतभरुति भति्‍य में ईतित प्रतशक्षण प्रदान ककए जाने र्र, व्यति में कु छ कायव करने हेतु तिद्यमान
जन्मजात क्षमता होती है। ऄतभिृतत्त िस्तुतः लोगों (स्ियं को सतम्मतलत करते हुए), तिषय-िस्तुओं या
समस्याओं का स्थायी ि सामान्य मूल्यांकन होता है। यह एक तितश्‍ट प्रकार से व्यिहार करने की
प्रिृतत्त ऄथावत् ककसी तनतश्चत तििार, िस्तु, व्यति, या तस्थतत के प्रतत सकारात्मक या नकारात्मक
ऄनुकिया करने की प्रिृतत्त होती है। ऄतभिृतत्त को कु छ ऄथों में र्ररिर्भतत ककया जा सकता है, लेककन
यकद ऄतभरुति र्हले से तिद्यमान नहीं है तो ईसे तिकतसत नहीं ककया जा सकता, क्योंकक यह जन्मजात
(स्िाभातिक) क्षमता भी है।

1.2.5. ऄतभरुति एिं मू ल्य (Aptitude and Values)

मूल्य, ऄतभरुति से आस दृतष्ट से तभन्न होते हैं कक मूल्यों के माध्यम से ककसी िस्तु या कायव के महत्ि के
स्तर का बोध होता है। मूल्यों का ईद्देश्य यह तनधावररत करना होता है कक कौन-सा कायव सिवश्र्‍े है या
कौन-सी जीिन शैली सिोत्तम है। यद्यतर् मूल्य "सकारात्मक" या "नकारात्मक" हो सकते हैं, जैस-े
कमजोर िगव के प्रतत सहानुभूतत सकारात्मक है जबकक ऄर्नी ही जातत को सिोच्ि मानना नकारात्मक

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है। लेककन अम तौर र्र मूल्यों का सन्दभव सकारात्मक और िांछनीय मूल्यों के रूर् में ही तलया जाता है।
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ऄतः, िे सही अिरण एिं एक ऄच्छा जीिन व्यतीत करने का आस रूर् में तनधावरण करते हैं कक ककसी
ईच्च, या कम से कम ऄर्ेक्षाकृ त ईच्ि मूल्यर्रक कायव को नैततक रूर् से "ऄच्छा" माना जा सकता है।
आसी प्रकार तनम्न मूल्यर्रक कायव, या कु छ हद तक ऄर्ेक्षाकृ त तनम्न मूल्यर्रक कायव को “बुरा” माना जा
सकता है। आसतलए, मूल्यों को ईर्युि कायविातहयों या र्ररणामों से संबंतधत व्यार्क िरीयताओं के रूर्
में र्ररभातषत ककया जा सकता है। आस प्रकार, मूल्य ककसी व्यति के सही और गलत के तििेक या क्या
“ईतित होना िातहए” को प्रततबबतबत करते हैं। "सभी के तलए समान ऄतधकार", "ईत्कृ ष्टता प्रशंसा की
ऄतधकारी है" तथा "लोगों के साथ अदर और गररमा के साथ व्यिहार ककया जाना िातहए" अकद मूल्यों
का प्रतततनतधत्ि करते हैं।
मूल्यों में ऄतभिृतत्त और व्यिहार को प्रभातित करने की प्रिृतत्त होती है। मूल्यों के प्रकारों में
नीततर्रक/नैततक मूल्य, सैिांततक/िैिाररक (धार्भमक, राजनीततक) मूल्य, सामातजक मूल्य एिं
सौन्दयवर्रक मूल्य सतम्मतलत हैं। ऄगले खण्ड में हम "तसतिल सेिाओं के तलए बुतनयादी मूल्यों" र्र ििाव
करें गे।

1.2.6. ऄतभरुति, तनर्ु ण ता तथा ईर्लतधध

(Aptitude, Proficiency & Achievement)


तनर्ुणता का तात्र्यव ककसी कायव को सरलता तथा सटीकता के साथ तन्‍र्ाकदत कर र्ाने की क्षमता से
है। िहीं ईर्लतधधयों का संबंध ऄतीत में तन्‍र्ाकदत एिं संर्न्न कायों से है।

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2. तसतिल से िाओं के तलए बु तनयादी मू ल्य


(Foundational Values for Civil Services)

2.1. ये मू ल्य क्या हैं ? (What are they?)

मूल्य, मानदंडों के िे समुच्चय होते हैं तजनके अधार र्र हम ककसी कायव के ईतित या ऄनुतित होने की
जांि करते हैं। मूल्यों के ऄनेक प्रकार हैं और ईन्हें एक र्दानुिम में रखा जा सकता है। ईदाहरण के
तलए, गांधी जी ने सत्य को र्रम (सिोच्च) मूल्य माना और ईसके बाद ऄबहसा को स्थान कदया। तसतिल

सेिाओं से संबंतधत मूल्य ककसी संस्कृ तत के संदभव में प्रासंतगक होते हैं, यथा- लोकतांतत्रक संस्कृ तत
सािवजतनक तिश्वास के तसिांत र्र अधाररत है ऄथावत् संप्रभु शति जनता में तनतहत होती है। जनता ने
आस शति को राज्य को सौंर् रखा है तजसका ईर्योग राज्य ऄर्ने ऄतधकाररयों (तनयुि तथा तनिावतित)
के माध्यम से जनता के सिोत्तम तहत में करता है। मूल्य, समय के संदभव में भी प्रासंतगक या ऄप्रासंतगक

हो सकते हैं ऄथावत् िे तिकतसत होते रहते हैं। ईदाहरण के तलए, तसतिल सेिाओं में ितवमान में कामकाज
संबंधी र्ररिेश को ईन्नत बनाने र्र ध्यान कदया जा रहा है जबकक र्ूिव में ऐसा नहीं था।

2.2. हमें आनकी अिश्यकता क्यों है ? (Why we need them?)

तसतिल सेिक महत्िर्ूणव ईत्तरदातयत्िर्ूणव (तिश्वास संबंधी) र्द धारण करते हैं। ईन्हें व्यार्क ऄतधकार
प्राप्त होते हैं तथा ईनके तिशेष कतवव्य भी होते हैं क्योंकक ईन्हीं र्र समुदाय द्वारा सौंर्े गए संसाधनों को
प्रबंतधत करने का ईत्तरदातयत्ि होता है। िे समुदाय को सेिाएं प्रदान करते हैं और सेिाओं का तितरण
करते हैं तथा सामुदातयक जीिन के प्रत्येक र्हलू को प्रभातित करने िाले तनणवय भी लेते हैं । आसके
िलते, समुदाय को यह ऄर्ेक्षा करने का ऄतधकार होता है कक तसतिल सेिक न्यायर्ूिक
व , तन्‍र्क्ष ढ़ंग से
तथा दक्षता से कायव करें ।
यह अिश्यक है कक समुदाय का तसतिल सेिा की तनणवय-तनमावण प्रकिया की सत्यतनष्ठता में तिश्वास हो।
स्ियं तसतिल सेिा के भीतर भी यह सुतनतश्चत ककया जाना अिश्यक है कक तसतिल सेिकों के तनणवय
और कायविातहयों से तात्कातलक सरकार की नीततयााँ तथा सरकारी सेिक के रूर् में समुदाय द्वारा
ऄर्ेतक्षत मानक प्रततबबतबत हों। ध्यातव्य है कक तसतिल सेिकों से ईत्तरोत्तर अने िाली राजनीततक
सरकारों के तहत कायव करते हुए दक्षता, ऄनुकियाशीलता तथा भेदभाि-रतहत होने के एकसमान

मानकों को बनाए रखने की ऄर्ेक्षा; हमारी लोकतांतत्रक राजव्यिस्था की कायवर्ितत का मुख्य तत्ि है।

एक लोकतंत्र में, ककसी कु शल तसतिल सेिा में मूल्यों का ऐसा समुच्चय ऄिश्य तनतहत होना िातहए जो

आसे ऄन्य व्यिसायों से र्ृथक करता हो। सत्यतनष्ठा, लोक सेिाओं के प्रतत समर्वण भाि, भेदभाि-रतहत

होना, राजनीततक तटस्थता, ऄनातमता आत्याकद ककसी भी कु शल तसतिल सेिा के तितशष्ट तत्ि होते हैं।

तसतिल सेिकों को संतिधान तथा तितध को बनाए रखना होता है; आसतलए ईन्हें ऄर्ने अिरणों को

तनदेतशत करने हेतु कु छ मूल्यों की अिश्यकता होती है। संतिधान, तितध, तनयम तथा तितनयम तसतिल
सेिकों में आन ऄर्ेतक्षत मूल्यों का समािेश करते हैं। आसके प्रभािी कियान्ियन हेतु यह अिश्यक है कक
स्ियं तसतिल सेिक आन मूल्यों में तिश्वास करें तथा आन्हें व्यिहार में भी ऄर्नाएं। आसके ऄततररि, ईन

र्ररतस्थततयों में जहां तििेकाधीन तनणवय लेने होते हैं, िहां भी यह ऄर्ेक्षा की जाती है कक तसतिल सेिक

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आन मूल्यों द्वारा तनदेतशत हों। आस प्रकार के मूल्यों के ऄभाि में, संज्ञानात्मक ऄसंगतत (cognitive

dissonance) तथा सत्ता के दुरुर्योग की संभािनाएं ईत्र्न्न होती हैं।

तिनीत नारायण तनणवय में न्यायमूर्भत जे. एस. िमाव द्वारा सािवजतनक जीिन में नैततकता को लेकर
तनम्नतलतखत तििार व्यि ककए गए, “सािवजतनक र्द धारक को शतियााँ के िल सािवजतनक तहत में

ईर्योग करने हेतु प्रदान की जाती हैं। आसतलए, िे लोगों के तिश्वास के तहत र्द धारण करते हैं। ऄत:
ककसी भी तसतिल सेिक का न्याय के मागव से तिितलत होना तिश्वासघात के समान है तथा ऐसे मामलों
को नज़रऄंदाज़ कर कदए जाने की ऄर्ेक्षा ईनसे कड़ाइ से तनर्टा जाना िातहए।”

2.3. बु तनयादी मू ल्यों के प्रकार

(Types of Foundational Values)


तसतिल सेिाओं के तलए बुतनयादी मूल्यों को दो मुख्य समूहों में िगीकृ त ककया जा सकता है:
i. लक्ष्य-ईन्मुख मूल्य (End-oriented values): ये मूल्य तसतिल सेिकों द्वारा ऄर्ने कत्तवव्यों का
तनिवहन करते हुए प्राप्त ककए जाने िाले लक्ष्यों से संबंतधत होते हैं। आनका संबंध ऄंततम र्ररणामों से
होता है तथा ईनकी सिोत्तम ऄतभव्यति राज्य की नीतत के तनदेशक तत्िों तथा मूल ऄतधकारों के
ऄंतगवत शातमल मूल्यों के रूर् में की जा सकती है।
ii. साधन-ईन्मुख मूल्य (Means-oriented values): ये ईन तरीकों से संबंतधत हैं तजस तरीके से
तसतिल सेिक व्यिहार करते हैं या ऄर्ने कत्तवव्यों के तनिवहन के दौरान कायव करते हैं। आनका संबंध
साधनों से होता है तथा आसके ऄंतगवत र्ारदर्भशता, ऄनुकियाशीलता, दक्षता अकद मूल्य सतम्मतलत हैं।

2.4. तसतिल से िाओं के तलए मु ख्य बु तनयादी मू ल्य

(Major Foundational Values for Civil Services)

भारत में, नैततक मानदंडों का ितवमान समुच्चय के न्द्रीय तसतिल सेिा (अिरण) तनयमािली, 1964 में
तनतहत अिरण तनयमािली है तथा आसके समान तनयम ऄतखल भारतीय सेिाओं ऄथिा तितभन्न राज्य
सरकारों के कमविाररयों र्र लागू हैं। अिरण तनयमािली में व्यिहार संतहता तजसमें कु छ साधारण
मानदंड, यथा- ‘सत्यतनष्ठा बनाए रखना तथा कतवव्यों के प्रतत र्ूणव समर्वण भाि’, सरकारी कमविाररयों
को ऄनुतित अिरणों से दूर रहना अकद सतम्मतलत हैं। सामान्यत: यह सरकारी कमविाररयों के तलए
ऄिांतछत समझी जाने िाली तितशष्ट गतततितधयों को सूिीबि करता है। यह अिरण तनयमािली
नैततक संतहता की स्थार्ना नहीं करती है। लोक सेिा तिधेयक, 2007 के मसौदा में, नैततक संतहता के
तिकास हेतु अिश्यक प्रथम िरण की ऄनुशंसा की गयी है। आसमें लोक सेिा संबंधी मूल्यों को एक ऐसे
मूल्यों समुच्चय के रूर् में िर्भणत ककया गया है जो लोक सेिकों को ईनके कतवव्यों के तनिवहन में तनदेतशत
करते हैं। ये तनम्नतलतखत हैं:
i. देशभति तथा राष्ट्रीय तहतों को बनाए रखना;

ii. संतिधान तथा राष्ट्रीय कानूनों के प्रतत तनष्ठा;

iii. तन्‍र्क्षता, भेदभाि-रतहत, इमानदारी, कमव ता, तिनम्रता तथा र्ारदर्भशता; तथा

iv. र्ूणव सत्यतनष्ठता बनाए रखना।

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तसतिल सेिाओं में नैततक संतहता के ऄभाि के बािज़ूद, ऐसे कइ तितभन्न स्रोत हैं तजनमें तसतिल सेिकों
के तलए ऄर्ेतक्षत मूल्यों का प्रत्यक्ष या र्रोक्ष रूर् से समािेश है। आन मूल्यों का सबसे प्रमुख स्रोत भारत
का संतिधान है।
मुख्य संिधै ातनक मूल्य
हमारा संतिधान प्रस्तािना द्वारा तनधावररत ककए गए ऄनुसार ऄर्ने नागररकों के तलए कु छ
मूल्यों/तसिांतों के प्रतत प्रततबि है। ऄर्ने अतधकाररक कत्तवव्यों के तनिवहन के दौरान एक तसतिल सेिक
से आन मूल्यों को बनाए रखने की ऄर्ेक्षा की जाती है। ये हैं:
 संप्रभुता: आसका मतलब यह है कक आस देश के लोग संप्रभु हैं तथा सिोत्तम संभि तरीके से स्ियं र्र
शासन करने हेतु ऄर्ने प्रतततनतधयों का तनिाविन करते हैं।
 समाजिाद: आसका ऄथव यह है कक एक समतािादी समाज के तिकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते
हुए सरकार ऄथवव्यिस्था में ईत्र्ादन के साधनों र्र तनयंत्रण रखती है।
 र्ंथतनरर्ेक्ष: राज्य को ककसी भी धमव के प्रतत नकारात्मक या सकारात्मक भेदभाि नहीं करना
िातहए।
 लोकतंत्र: जनता का शासन।
 गणतंत्र: आसका ऄथव है- ‘सिोच्च शति का जनता में तनतहत होना’। राज्य प्रमुख को तनिाविन के
माध्यम से िुना जाता है तथा ईसका र्द राजतंत्र की भांतत एक िंशानुगत संस्था नहीं होता है।
 न्याय: आसका ऄथव है- सामातजक, अर्भथक तथा राजनीततक की प्रातप्त। आसका मूल ऄथव यही है कक
ककसी भी िगव को िंतित छोड़े तबना संर्ूणव समाज की एक साथ प्रगतत तथा संर्ण
ू व देश में तितध का
शासन स्थातर्त हो।
 समानता: आसका तात्र्यव तस्थतत और ऄिसर की समानता के माध्यम से कु छ सकारात्मक कारव िाइ
के साथ समाज के हातशए र्र तस्थत िगों को सशि बनाने से है।
 भ्रातृत्ि: आसका ऄथव है सभी देशिातसयों के मध्य भ्रातृत्ि की भािना, ताकक सभी की गररमा
सुतनतश्चत हो सके ।
तसतिल सेिा मूल्यों का सामान्य बसहािलोकन
तद्वतीय प्रशासतनक सुधार अयोग (2nd ARC) ने ऄर्नी ररर्ोटव 'शासन में नैततकता' में तसतिल सेिकों
में ऄर्ेतक्षत मूल्यों का सतिस्तार िणवन ककया है। साथ ही ईसने UK और ऑस्ट्रेतलया जैसे ऄन्य देशों की
तसतिल सेिाओं का भी संदभव तलया है।
नोलन सतमतत (UK) द्वारा यथा ऄनुशतं सत तसतिल सेिा मूल्य
यूनाआटेड ककगडम में सािवजतनक जीिन के मानदंडों र्र सतमतत (Committee on Standards in
Public Life) को लोकतप्रय रूर् से नोलन सतमतत के रूर् में जाना जाता है। नोलन सतमतत ने आस
तिषय में सिावतधक व्यार्क तििरण प्रस्तुत ककया था कक कौन-कौन से घटक सािवजतनक र्दधारकों के
तलए नैततक मानदंडों का ग न करते हैं । आसने सािवजतनक जीिन के तनम्नतलतखत सात तसिांतों को
रे खांककत ककया है:
i. तनःस्िाथवता (Selflessness): सािवजतनक र्दधारकों को र्ूणत
व या सािवजतनक तहत में तनणवय लेना
िातहए। ईन्हें तनणवय लेते समय स्ियं, ऄर्ने र्ररिार या ऄर्ने तमत्रों के तलए तित्तीय या ऄन्य भौततक
लाभ प्राप्त करने के तिषय में नहीं सोिना िातहए।
ii. सत्यतन्‍ ा (Integrity): सािवजतनक र्दधारकों को स्ियं को बाहरी व्यतियों या संग नों के प्रतत
ककसी भी ऐसे तित्तीय या ऄन्य दातयत्ि के ऄधीन नहीं रखना िातहए जो ईन्हें ऄर्ने अतधकाररक
कत्तवव्यों के तन्‍र्ादन में बाधा डाले।
iii. िस्तुतन्‍ ता (Objectivity): सािवजतनक तनयुतियां करने, े के देन,े या र्ुरस्कार और लाभ के तलए
लोगों को ऄनुशंतसत करने सतहत सािवजतनक दातयत्िों का तनिवहन करते हुए सािवजतनक र्दधारकों को
यो्‍यता के अधार र्र तनणवय करना िातहए।
iv. जिाबदेही (Accountability): सािवजतनक र्दधारक ऄर्ने तनणवयों और कायों के तलए जनता के
प्रतत ईत्तरदायी होते हैं और ईनके र्द के तलए जो भी संिीक्षा ईतित हो, ईसके तलए ईन्हें ऄर्ने अर्को
प्रस्तुत करना िातहए।

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v. खुलार्न (Openness): सािवजतनक र्दधारकों को स्ियं के द्वारा तलए गए तनणवयों और संर्ाकदत
कृ त्यों के संबंध में तजतना संभि हो ईतना खुला होना िातहए। ईन्हें ऄर्ने तनणवयों के कारण बताने
िातहए और जानकारी के िल तभी रोकना िातहए जब व्यार्क सािवजतनक तहत के तलए ऐसा करना
स्र्ष्ट रूर् से अिश्यक हो।
vi. इमानदारी (Honesty): सािवजतनक र्दधारकों का कत्तवव्य है कक िे ईनके सािवजतनक कत्तवव्यों से
संबंतधत ककसी भी तनजी तहत की घोषणा करें और ईत्र्न्न होने िाले तहतों के ककसी भी टकराि का
समाधान करने हेतु ऐसे कदम ई ाएं तजनसे सािवजतनक तहतों की रक्षा हो।
vii. नेतत्ृ ि (Leadership): सािवजतनक र्दधारकों को नेतृत्ि प्रदान करके और स्ियं ईदाहरण स्थातर्त
करके आन तसिांतों को बढ़ािा देना िातहए और आनका समथवन करना िातहए।
‘’शासन में नैततकता’’ र्र तद्वतीय प्रशासतनक सुधार अयोग (2nd ARC) की ररर्ोटव में एक व्यार्क
तसतिल सेिा संतहता के संबंध में ििाव की गइ है तजसकी संकल्र्ना तीन स्तरों र्र की जा सकती है।
शीषव स्तर र्र, ककसी तसतिल सेिक द्वारा अत्मसात करने यो्‍य मूल्यों और नैततक मानदंडों का स्र्ष्ट
और संतक्षप्त तििरण होना िातहए। आन मूल्यों को राजनीततक तन्‍र्क्षता, ईच्च नैततक मानदंडों के
ऄनुरक्षण और कायों के तलए जिाबदेही के संदभव में ककसी तसतिल सेिक से जनता द्वारा की जाने िाली
ऄर्ेक्षाओं को प्रततबबतबत करना िातहए। दूसरे स्तर र्र, तसतिल सेिकों के व्यिहार को तनयंतत्रत करने
िाले व्यार्क तसिांतों को रे खांककत ककया जा सकता है। आससे नीततर्रक अिार संतहता (Code of
Ethics) का तनमावण होगा। तीसरे स्तर र्र, सटीक और स्र्ष्ट तरीके से तनधावररत एक तितश्‍ट अिरण
संतहता (Code of Conduct) होनी िातहए। तजसमें स्िीकायव और ऄस्िीकायव व्यिहार और कायों की
एक स्र्ष्ट सूिी हो। तद्वत्तीय ARC ने यह भी ऄनुशंसा की है कक मूल्यों और नीततर्रक अिार संतहता
को प्रस्तातित तसतिल सेिा तिधेयक में सतम्मतलत कर आन्हें सांतितधक समथवन प्रदान ककया जाए।

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3. तसतिल से िाओं के तलए बु तनयादी मू ल्यों का सतिस्तार िणव न


(Foundational Values for Civil Services in Detail)

3.1. सत्यतन्‍ ा (Integrity)

‘सत्यतन्‍ ा के तलए ऄंग्रज


े ी शधद ‘आं टेतग्रटी (Integrity)’ लैरटन शधद ‘आतन्टजर (Integer)’ से बना है।
आसका ऄथव संर्ूणव या र्ूणव होना है। नीततशास्त्र में, सत्यतन्‍ होने का ऄथव इमानदारी तथा
ऄर्ररितवनशील दृढ़ नैततक तसिांतों का गुण रखने िाला व्यति होना है। आसका ऄथव दृढ़ नैततक मानदंड
रखना और ईनको कमजोर नहीं होने देने के तलए दृढ़ संकतल्र्त होना है। सत्यतन्‍ ा को कायों, मूल्यों,

र्िततयों, ईर्ायों, तसिांतों, ऄर्ेक्षाओं और र्ररणामों के साथ सामंजस्य या संगतता की ऄिधारणा की


ऄिधारणा के रूर् में र्ररभातषत ककया जाता है। नीततशास्त्र में, सत्यतन्‍ ा का तात्र्यव इमानदारी और
ककसी व्यति के कायों की सत्यता या र्ररशुिता से है। यहााँ मुख्य र्द 'संगतता' (consistency),

'इमानदारी', और 'ककसी व्यति के कायों की सत्यता या र्ररशुिता' हैं। संगतता से अशय तस्थतत से
तनरर्ेक्ष रहते हुए एकसमान होना है। ककसी एक कदन शांत और रिनात्मक तरीके से तनणवय लेने िाले
और दूसरे कदन जल्दीबाजी में तनणवय लेने िाले व्यति को संगत नहीं कहा जा सकता है। नेतत्ृ िकताव
ऄर्ने दृतष्टकोण में ऐसे समय में भी तस्थर बने रहते हैं जब तस्थतत ईसके प्रततकू ल हो (कृ र्या यह ध्यान दें
कक संगतता ऄनम्यता नहीं है)।
इमानदारी, सत्यता और ककसी के कायों की र्ररशुिता, ऄच्छे मंतव्य और तििार की मांग करती है।
दूसरों के साथ कोइ व्यति ककतना इमानदार और सच्िा है, यह ईसके मंतव्य र्र तनभवर करता है –
आसतलए कायों को व्यति के शधदों के साथ समन्ितयत होना िातहए और शधदों को व्यति के तििारों के
साथ समन्ितयत होना िातहए। आसतलए, सत्यतन्‍ ा में तििार, िाणी एिं कायों में आस प्रकार की
संगतता का एक महत्िर्ूणव घटक शातमल होता है तजससे कक व्यति की अदशव तस्थतत और ईसकी
िास्ततिक तस्थतत के बीि कोइ ऄंतर न रह जाए; ऄथावत् हमारी सोि के ऄनुसार अिरण का जो
िांछनीय तरीका है तथा जो हमारा िास्ततिक अिरण है, ईनके बीि का ऄंतर समाप्त हो जाए। यह
व्यतित्ि की िह तिशेषता है तजसकी हम प्रशंसा करते हैं, क्योंकक आसका ऄथव है कक व्यति के र्ास एक

नैततक कद्‍दशवक है जो ककसी भी र्ररतस्थतत में ऄनुतित मागव नहीं कदखाता। आसका ऄथव अदशों, अस्था,
मानदंडों, मान्यताओं और व्यिहार का एकीकरण भी है। आसतलए, र्ूणव सत्यतन्‍ ा िाला व्यति कभी भी
प्रलोभन और बाह्य दबाि से प्रभातित नहीं हो सकता, क्योंकक िह ऄर्नी ऄंतरात्मा के ऄनुरूर् ही
ऄनुकिया करता है। ध्यान दें कक भौततक िस्तुएं भी सत्यतन्‍ ा को प्रदर्भशत कर सकती हैं - यकद अर्
ककसी जजवर र्ुराने र्ुल से गुजर रहे हैं जो हिा के प्रिातहत होने र्र झूलने लगता है तो अर् आसकी
संरिनात्मक सत्यतन्‍ ा (ऄखंडता) र्र संदह
े कर सकते हैं।
सारतः, सत्यतन्‍ ा का अशय तसिांतों का र्ालन करने से है। यह तीन िरणीय प्रकिया है: अिरण के

ईतित तरीके का ियन; आस ियन के संगत कायवकरण - यहां तक कक जब ऐसा करना ऄसुतिधाजनक या

लाभहीन हो ऐसी तस्थतत में भी; तथा प्रत्यक्ष रूर् से घोतषत करना कक अर्का मत क्या है। तदनुसार,

सत्यतनष्ठा को नैततक भािना, प्रततबिताओं के प्रतत दृढ़ता, तिश्वसनीयता के समतुल्य माना जा सकता

है। ये तीनों समान रूर् से महत्िर्ूणव हैं- िोर ऄर्ने तििारों और कायों में संगत हो सकता है, र्रन्तु
ईसका नैततक मानदंड तनम्न स्तर का होता है और ईसने सही कायव नहीं िुना होता है। यहााँ यह महत्ि

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नहीं रखता कक िह स्ियं आसे सही मानता है या नहीं। यकद यह देखें कक ईसने ‘क्या सही और क्या गलत

है’ आसका र्ता लगाने प्रयास ककया ऄथिा नहीं, तो शायद हम र्ाएंगे कक ईसने ऐसा नहीं ककया। ककसी

भी तस्थतत में, िह तिश्िसनीयता के र्रीक्षण में भी तिफल रहता है।

आसके ऄततररक्त, सत्यतन्‍ ा में 'ऄखंडता' की ऄिधारणा संर्ण


ू वता से तनतहत होती है। यकद व्यति

सत्यतनष्ठ है तो यह ईसके कायों, शधदों, तनणवयों, र्िततयों और र्ररणामों के माध्यम से लोगों को स्र्ष्ट

रूर् से कदखना िातहए। जब अर् 'ऄखंड' एिं सुसंगत होते हैं तो अर्का व्यतित्ि एकसमान रहता है।
ककसी भी र्ररतस्थतत में अर् ऄर्ना एक समान व्यतित्ि प्रस्तुत करते हैं। अर् ऄर्ने व्यतित्ि का कोइ
भी ऄंश कहीं छोड़कर नहीं अते- अर् 'काम करते समय', 'र्ररिार के साथ' या 'सामातजक रूर् में'

तभन्न-तभन्न नहीं होते हैं तथा प्रत्येक समय एक ही व्यति ऄथावत् सदैि ‘के िल अर्’ होते हैं।
हर समय सौ प्रततशत संर्ण
ू व होना कर न है। आसतलए जब हम ककसी व्यति के सत्यतन्‍ ा संबंधी
मानदंडों को संदर्भभत करते हैं तो हम तिशेषक के रूर् में ‘ईच्च’ और ‘तनम्न’ शधदों का ईर्योग करते हैं।

हाफोन (Halfon) सत्यतन्‍ ा को, नैततक जीिन के ऄनुगमन के प्रतत व्यति के समर्वण और आस प्रकार
के जीिन की मांगों को समझने के प्रयास में ईनके बौतिक ईत्तरदातयत्ि के रूर् में संदर्भभत करते हैं। िह
तलखते हैं कक एक सत्यतनष्ठ व्यति:
“…नैततक दृतष्टकोण को ऄंगीकृ त करता है जो ईसे ऄिधारणात्मक रूर् से स्र्ष्ट होने, तार्ककक रूर् से

तस्थर रहने, प्रासंतगक ऄनुभिजन्य साक्ष्य से ऄिगत होने और प्रासंतगक नैततक मान्यताओं को स्िीकार
करने के साथ-साथ ईनका मूल्यांकन करने का अग्रह करता है। सत्यतन्‍ व्यति आन प्रततबंधों को ऄर्ने
उर्र अरोतर्त करते हैं क्योंकक िे न के िल ककसी भी नैततक दृतष्टकोण को ऄर्नाने, बतल्क जो सिोत्तम
है ईसका र्ालन करने की प्रततबिता का ऄनुगमन करने के प्रतत तिन्तनशील होते हैं।”
नोलन सतमतत द्वारा तसतिल सेिक के तलए सत्यतन्‍ ा को तनम्नतलतखत रूर् में र्ररभातषत ककया गया
है: ‘सािवजतनक र्दधारकों को स्ियं को बाहरी व्यतियों या संग नों के प्रतत ककसी भी ऐसे तित्तीय या
ऄन्य दातयत्ि के ऄधीन नहीं रखना िातहए जो ईन्हें ईनके अतधकाररक कतवव्यों के तन्‍र्ादन को
प्रभातित करे ’। यह देखा जा सकता है कक एक सत्यतन्‍ तसतिल सेिक होने के तलए (i) ककसी व्यति का

नैततक मानदंड ईच्च होना िातहए (ii) ईसे ऄर्ने ईद्देश्यों के प्रतत इमानदार होना िातहए, (iii) तनणवय

लेने की प्रकिया में सुसंगत होना िातहए - ईसे न के िल इमानदार और सत्यिादी होना िातहए, बतल्क

ईसे ऐसा समझा भी जाना िातहए। यह सािवजतनक तिश्वास की अधारतशला है, जो सािवजतनक

र्दधारण करने िाले व्यति के तलए अिश्यक है। ईन्हें ऄर्ने तलए, ऄर्ने र्ररिार या ऄर्ने तमत्रों के
तलए तित्तीय या ऄन्य भौततक लाभ प्राप्त करने के तलए न तो कोइ ऐसा कायव करना िातहए न ही ईनके
र्क्ष में स्िाथविश तनणवय लेने िातहए। ईन्हें ककसी भी तहत और संबंध की घोषणा और तत्संबंधी
समाधान प्रस्तुत करना िातहए।
यह इमानदारी से ककस प्रकार तभन्न है?

इमानदारी: आसका ऄथव तथ्यों को ईसी रूर् में बनाए रखना है, तजस रूर् में िे हैं, ऄथावत् सत्य को बनाए

रखना है। यकद अर् सत्य बोलते हैं, तो अर् इमानदारी का गुण रखते हैं। इमानदार होने का ऄथव ककसी

भी प्रकार से झू न बोलने, िोरी न करने, धोखा न देने या छल न करने के तिकल्र् का ियन करना
होता है।

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सत्यतन्‍ ा: आसका ऄथव हर समय जो सही है िही सोिना और करना, िाहे आसका र्ररणाम कु छ भी
हो। अर् के ऄंदर सत्यतनष्ठा होने र्र ककसी के द्वारा न देखे जाने की तस्थतत में भी अर् ऄर्ने मानदंडों
और मान्यताओं के ऄनुसार जीने के आच्छु क होते हैं; अर् आस प्रकार जीना िाहते हैं कक अर्के तििार
और व्यिहार हमेशा र्रस्र्र सुसंगत बने रहें। ऄतः सत्यतनष्ठा के तलए न के िल सत्यता (इमानदारी)
बतल्क सभी र्ररतस्थततयों में जो सही है, िही करने की तिशेषता की भी अिश्यकता होती है।
सत्यतनष्ठा के ईर्-समूह के रूर् में इमानदारी: सत्यतनष्ठा में तिश्वसनीयता ऄथावत् ऄर्ने तसिांतों और
मूल्यों में संगतता तनतहत होती है। ऐसे में इमानदारी सत्यतनष्ठा का एक अिश्यक मानदंड बन जाती है,
हालांकक यह र्ूणवतया र्यावप्त मानदंड नहीं होती है। सत्यतनष्ठ होने के तलए व्यति को इमानदार होना
िातहए, लेककन के िल इमानदार होने से व्यति सत्यतनष्ठ नहीं हो जाता। साधारण शधदों में कहा जाए

तो, कोइ भी व्यति ककसी एक कायव में इमानदार हो सकता है, लेककन सत्यतनष्ठा के तलए ईसे ऄर्ने
समग्र अिरण में सत्यतनष्ठ होने की अश्यकता होती है।
सत्यतनष्ठा के तबना इमानदारी: सत्यतनष्ठा व्यति से िुनौतीर्ूणव र्ररतस्थततयों का सामना करने की मांग
करती है। ईदाहरण के तलए, महाभारत के युि में ऄजुवन भ्रतमत था कक क्या धमव/सच्चाइ/कत्तवव्य का
र्ालन करना िातहए या संबंधों/लगाि का ऄनुसरण करना िातहए। कत्तवव्य (जो सही कायव है) और
लगाि के बीि आस प्रकार का संघषव यह तनधावररत करने का महत्िर्ूणव र्रीक्षण है कक व्यति की
सत्यतन्‍ ा ईच्च है या तनम्न है। िहीं दूसरी ओर इमानदारी के तलए आस प्रकार के संदभव की अिश्यकता
नहीं होती है। व्यति ऄतनिायव रूर् से सत्यतनष्ठा प्रदर्भशत ककए तबना भी दैतनक जीिन में इमानदार हो
सकता है। सत्यतनष्ठा का ऄथव नैततक िररत्र की सुदढ़ृ ता के साथ-साथ इमानदारी है - सत्यतनष्ठा में
इमानदारी के ऄततररि कु छ और भी शातमल होता है। इमानदारी और सत्यतनष्ठा के बीि बड़ा ऄंतर
यह है कक व्यति सत्यतन्‍ ा के तलए अिश्यक गहन बितन और ईसके र्ररलतक्षत होने के तबना भी र्ूरी
तरह से इमानदार हो सकता है। इमानदार व्यति ककसी बात के सही या गलत के ऄतग्रम तनधावरण के
तबना भी सत्यतार्ूिवक यह बता सकता है कक िह ककसे मानता है। ईदाहरण के तलए, कोइ व्यति कहे कक

"सभी एथलीट छल करते हैं" और िह िास्ति में आस कथन में तिश्वास भी करता हो तो यह इमानदारी

है। लेककन, यह तनधावररत करने का प्रयास नहीं करना कक यह दािा सही है या नहीं, सत्यतन्‍ ा की कमी

को दशावता है। आस प्रकार, कोइ व्यति सत्यतन्‍ हुए तबना भी इमानदार हो सकता है।
सत्यतन्‍ ा के प्रकार
उर्र प्रस्तुत सत्यतनष्ठा का तििार नैततक ईद्देश्य और एक समग्र सद्गुण के रूर् में सत्यतन्‍ ा का िणवन
करता है। ईदारता जैसे गुण हमें ककसी तितशष्ट तििार की ओर ले जाते हैं। ककन्तु सत्यतन्‍ ा के गुण में
तिशेष रूर् से ऐसा कु छ भी नहीं होता जो आसे धारण करने िाले को ककसी तितशष्ट तििार की ओर
प्रेररत करे । तथातर्, सत्यतन्‍ ा एक तिलक्षण गुण है जो ककसी भी तितशष्ट ऄतभप्रेरणा और तििारों से
संबंतधत नहीं है। यह एक तिशेष प्रकार की तिशेषता और समूहबि ऄिधारणा है और आस प्रकार आसमें
ऄनेक ऄतभप्रेरणाएं और तििार सतम्मतलत हैं।
िूंकक सत्यतनष्ठा में तितभन्न प्रततबिताओं और मूल्यों का प्रबन्धन सतम्मतलत होता है। ऄतः यह कहा जा
सकता है कक सत्यतनष्ठा के ऐसे तितभन्न प्रकार ककसी व्यति की समग्र सत्यतनष्ठा, या ईसकी व्यतिगत
सत्यतनष्ठा की तभन्न-तभन्न ऄतभव्यतियााँ मात्र हैं। हालााँकक, कभी-कभी यह कहा जाता है कक ककसी व्यति
में बौतिक सत्यतनष्ठा तो है र्रन्तु ईसके र्ास व्यतिगत सत्यतनष्ठा की कमी है या व्यतिगत सत्यतनष्ठा
की तुलना में बौतिक सत्यतनष्ठा ऄतधक है। यकद यह सत्य है और सत्यतनष्ठा के ईन प्रकारों में मौतलक
भेद है तजनकी जीिन के एक क्षेत्र या ककसी ऄन्य क्षेत्र में मांग होती है तो समग्र सत्यतनष्ठा या व्यतिगत

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सत्यतनष्ठा कमजोर र्ड़ सकती है या ईसे गम्भीर िुनौती तमल सकती है। ईदाहरण के तलए, सत्यतनष्ठा
के तितभन्न प्रकारों के मध्य टकराि ईत्र्न्न हो सकता है, जैस-े बौतिक और नैततक सत्यतनष्ठा के मध्य।
आस प्रकार, यकद हम आसे तितभन्न प्रकारों में तिभातजत करते हैं तो “र्ूणत
व ा” और “संगतता” र्र अधाररत

सत्यतनष्ठा कमजोर र्ड़ सकती है। हालााँकक, मानिीय क्षमता और िगीकरण की अिश्यकता के कारण
या लोगों के जीिन के तितभन्न भागों को मनोिैज्ञातनक रूर् से र्ृथक करने के तलए हम तितभन्न प्रकार
की सत्यतनष्ठाओं का तनधावरण कर सकते हैं, जैसे:
i. नैततक सत्यतनष्ठा: आसका ऄथव ईन मानकों में संगतता और इमानदारी से है, तजनका ईर्योग कोइ
व्यति दूसरों के साथ-साथ स्ियं के ईतित या ऄनुतित होने का अकलन करने के तलए करता है। यह
सत्यतनष्ठा का सिावतधक व्यार्क प्रकार है तथा यही उर्र िर्भणत व्यतिगत सत्यतनष्ठा भी है।
ii. र्ेशि
े र सत्यतनष्ठा: आसका तात्र्यव संबंतधत र्ेशे की नैततक संतहता, मानदंडों, मानकों और मूल्यों का
ऄनुर्ालन करने से है। आस प्रकार आसका सम्बन्ध ईस र्ेशेिर से है जो ऄर्ने ियतनत र्ेशे में तनरं तर और
स्िेच्छार्ूिक
व तनधावररत कदशातनदेशों के ऄंतगवत कायव करता है।
र्ेशेिर सत्यतनष्ठा नैततक सत्यतनष्ठा से कमजोर होती है। ईदाहरण के तलए, यह तकव कदया जा सकता है
कक र्ेशेिर सत्यतनष्ठा का र्ालन करने िाले व्यति का ईत्तरदातयत्ि ऄिव-नैततक होता है या िे िास्ततिक
रूर् से नैततक नहीं होते हैं क्योंकक आस प्रकार की नैततकता र्ेशे का अंतररक तिषय है। तथातर्, यह
स्िीकायव प्रतीत होता है कक र्ेशेिर सत्यतनष्ठा को नैततक जीिन जीने हेतु एक महत्िर्ूणव योगदान के रूर्
में समझा जाना बेहतर होगा। र्ेशेिर सत्यतनष्ठा ककसी र्ेशेिर क्षेत्र के तलए तितशष्ट तो होती है, र्रन्तु
नैततकता से र्ूणत
व ः स्ितंत्र नहीं होती।
iii. बौतिक सत्यतनष्ठा: बौतिक सत्यतनष्ठा’ र्द, बुति की सत्यतनष्ठा और बुतिजीिी की सत्यतनष्ठा के

मध्य की एक ऄस्र्ष्ट तस्थतत को िर्भणत करता है। व्यार्क ऄथव में, बौतिक सत्यतनष्ठा तििार करने में
सक्षम प्रत्येक व्यति र्र लागू होती है और आसतलए यह ऄत्यतधक सामान्य हो जाती है। तितशष्ट रूर् से
समझने हेत,ु बौतिक सत्यतनष्ठा एक ऄकादतमक गुण के रूर् में सत्यतनष्ठा है। बुतिजीतियों में बौतिक

गुणों, जैस-े इमानदारी, तन्‍र्क्षता, िस्तुतस्थतत का सम्मान करने और अलोिनात्मक तििारों के तलए
खुलेर्न के स्तरों में तभन्नता हो सकती है। ऐसे में बौतिक सत्यतनष्ठा को एक ऐसे व्यार्क गुण के रूर् में
माना जा सकता है जो आन व्यतिगत गुणों को सक्षम बनाए, ईनके मध्य ईतित संतल
ु न बनाए रखे और

ईन्हें बढ़ािा दे। ईदाहरण के तलए, सुकरात बौतिक सत्यतनष्ठा िाले व्यति का एक ईत्कृ ष्ट ईदाहरण हो
सकता है। ईनमें सत्य और ज्ञान की खोज करने की प्रततबिता थी और ईन्होंने स्ियं र्र लग रहे अक्षेर्ों
के बािजूद ऄर्नी बौतिक सत्यतनष्ठा को बनाए रखा। बौतिक सत्यतनष्ठा की ऄिधारणा के कें द्र में रहने
िाले कु छ सामान्य रूर् से ईद्धृत बौतिक सद्गुण तनम्नतलतखत हैं – इमानदारी, साहस, तन्‍र्क्षता,

संिेदनशीलता, बोध क्षमता या कु शाग्रता, बौतिक तिनम्रता, दृढ़ता, ऄनुकूलन क्षमता और


संिादशीलता। ककसी व्यति में बौतिक सत्यतनष्ठा के होने का ऄथव ईसमें आन सद्गुणों की तिद्यमानता है।
हालााँकक, ककसी व्यति की समग्र बौतिक सत्यतनष्ठा को कमजोर ककए तबना ये ईनमें तभन्न-तभन्न

र्ररमाण में तिद्यमान हो सकते हैं। साथ ही, बौतिक सत्यतनष्ठ व्यति से तितभन्न प्रकार के कायों की

ऄर्ेक्षा की जा सकती है; ईदाहरण के तलए- सातहत्यक िोरी का तिरोध करना, प्रततिादों को न दबाना
और सहायता के तलए सदैि अभार व्यि करना। आस प्रकार यह कहा जा सकता है कक बौतिक
सत्यतनष्ठा िह गुण है जो ककसी व्यति को बौतिक कायों की तितभन्न मांगों को संतुतलत करने और आन
सद्गुणों को ईतित िम में ऄतभव्यि करने में सक्षम बनाता है।

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iv. कलात्मक (Artistic) सत्यतनष्ठा: यह ऄतनिायव रूर् से एक कलाकार द्वारा ऄर्ने कायव के प्रतत

प्रदर्भशत सत्यतनष्ठा है। कायव की सम्र्ूणत


व ा - सटीकता, सािधानीर्ूिवक तन्‍र्ादन, ककसी भी घटक को
ईसके स्थान से आतर प्रदर्भशत न करना अकद कलात्मक सत्यतनष्ठा की कसौरटयां हैं। एक तित्रकार के
ईदाहरण र्र तििार कीतजए। िह ऄर्ना र्ररिार, घर, देश अकद को छोड़ कर तिदेश िला जाता है
ताकक िह कै निास र्र तितत्रत करने हेतु ऄसाधारण दृतष्टकोण की खोज कर सके । क्या िह व्यति
सत्यतनष्ठा के ऄनुरूर् अिरण कर रहा है? क्या ऄर्ने ियतनत व्यिसाय के प्रतत ईसकी प्रततबिता को
ईसके र्ररिार/देश के प्रतत ईसके ईत्तरदातयत्ि का स्थान ले लेना िातहए। आसका कोइ स्र्ष्ट ईत्तर नहीं
कदया जा सकता है। यकद ईसकी कलात्मक योजना तिफल हो जाती है तो हम ईसे नैततक रूर् से
कमजोर मान सकते हैं, ऄन्यथा हमारे द्वारा ईसके कायों को ऄतधक ऄनुकूल नैततक र्ररप्रेक्ष्य में देखे

जाने की सम्भािना है। हालााँकक, ऐसा सोिने का कोइ कारण नहीं है कक िह के िल तभी सफल हो

सकता है जब िह ऄर्ने घर को छोड़ देगा। ककसी भी मामले में, ईसकी कलात्मक सत्यतनष्ठा के संबंध में
हमारा मूल्यांकन ईसे व्यतिगत/नैततक सत्यतनष्ठा की कमी से दोषमुि नहीं करता है।
नैततक मूल्य, तजन्हें कलाकार द्वारा तनर्भमत या प्रोत्सातहत ककया जाता है, कलात्मक सत्यतनष्ठा र्र

तििार करने हेतु प्रासंतगक होते हैं। आस प्रकार, तिशेष रूर् से कलात्मक सत्यतनष्ठा के मानकों के ईच्च

होने की तस्थतत में कलात्मक और नैततक सत्यतनष्ठा का ऄततव्यार्न हो सकता है। दूसरी ओर, ऄत्यतधक
दबाि की तस्थततयों में कलात्मक और नैततक सत्यतनष्ठा में टकराि भी ईत्र्न्न हो सकता है। र्ररस्थततयााँ
भी तभन्न-तभन्न होती हैं और ईनके साथ सत्यतनष्ठा में कर नाइ और ईसके गुणों को लेकर हमारे अकलन,

दोनों में तभन्नता हो सकती है। एक सिवसत्तािादी (totalitarian) राज्य में ररर्ोर्टटग करने िाला एक
र्त्रकार र्यावप्त दबाि में होता है। ईसे ऄर्ने कायों में कु छ समझौते करने र्ड़ सकते हैं। कोइ व्यति
ऄर्नी नैततक सत्यतनष्ठा को कलात्मक सत्यतनष्ठा से ऄतधक अाँक सकता है – संभि है कक ईसके द्वारा
कोइ समझौता ककया गया हो तजससे एक कलाकार (र्त्रकार) के रूर् में ईसकी सत्यतनष्ठा प्रभातित हुइ
हो।
सत्यतनष्ठा के स्रोत
सत्यतनष्ठा एक ऐसा मूल्य है, तजसे ककसी बाहरी तनयंत्रण के माध्यम से लागू नहीं ककया जा सकता है
क्योंकक आसके स्रोत लाभ-हातन के तकों के तिर्रीत नैततक तकों र्र अधाररत होते हैं।
सत्यतनष्ठा को कै से तिकतसत ककया जाए?

हालााँकक, हमारे व्यिहार के तलए एक मागवदशवक के रूर् में सत्यतनष्ठा का स्रोत नैततक तकव होता है,
र्रन्तु यह एक मूल्य है तजसे ऄन्य मूल्यों की भांतत तिकतसत ककया जा सकता है। ईनमें कु छ की ििाव
नीिे की गयी है:
i. मॉडल लर्ननग के माध्यम से: यकद ककसी युिा नि तनयुि व्यति की र्हली र्ोबस्टग एक इमानदार

ऄतधकारी के ऄधीन की जाती है, तो एक ऄच्छे रोल मॉडल के द्वारा तनदेशन प्रदान ककए जाने के कारण
ईसके इमानदार बने रहने की संभािना ऄतधक होगी।
ii. र्ुरस्कार और दंड: नए तिकतसत मूल्य को सुदढ़ृ बनाने हेतु िमशः ईतित व्यिहार को र्ुरस्कृ त और
ऄनुतित व्यिहार को दंतडत ककया जाना िातहए। आसे ‘र्ुरस्कार एिं दंड’ की नीतत कहा जाता है।
iii. संिद
े नशीलता प्रतशक्षण: आस प्रकार के प्रतशक्षण के ऄंतगवत, ककसी व्यति को भूतमका-तनिवहन के
माध्यम से िांतछत मूल्यों को तसखाया जाता है, ताकक िह आनके मध्य के सूक्ष्म ऄंतरों को समझ सके ।

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iv. नैततक संतहता और अिार संतहता: तद्वतीय प्रशासतनक सुधार अयोग द्वारा सरकार के सभी तिभागों

के तलए नैततक संतहता की संस्तुतत की गइ थी। आस संतहता में व्यार्क तसिांत शातमल होंगे, तजनका
ऄनुर्ालन सभी सहभातगयों को करना होगा। आससे संबंतधत ररर्ोटें प्रदान की जाएंगी तजनका मूल्यांकन
तिभागाध्यक्ष द्वारा ककया जाएगा।

3.2. िस्तु तनष्ठता (Objectivity)

िस्तुतनष्ठता से तात्र्यव है- तथ्यों ऄथावत् साक्ष्यों के साथ जुड़े रहना। आसका ऄथव साक्ष्यों द्वारा तनदेतशत
होना और यह मानना कक कोइ घटना सत्य के ईतना ही समीर् होगी, तजतने ईसके समथवन में साक्ष्य
होंगे। यह व्यति की िह तिशेषता है तजसमें तथ्यों र्र तििार-तिमशव एिं ईन्हें प्रस्तुत करते समय व्यति
के तनणवय व्यतिगत भािनाओं या तििारों से प्रभातित नहीं होते हैं। आसका ऄथव तबना ककसी र्ूिावग्रह,

व्यतिगत मान्यताओं, भािनाओं या बाह्य प्रभाि के तथ्यों के अधार र्र तन्‍र्क्ष रूर् से ककसी तस्थतत
का अकलन करना है। आसतलए यह तकव संगत और ऄतधकांशतः प्रकृ तत में ऄनुभिजन्य होती है। यह
व्यतितनष्ठता, ऄथावत् भािनाओं, मूल्यों, मनोभािों अकद के तिर्रीत है। व्यिहार में तसतिल सेिकों को

सािवजतनक तनयुतियां करने, े के देने या र्ुरस्कार और लाभ के तलए लोगों को ऄनुशंतसत करने सतहत
सािवजतनक दातयत्िों का तनिवहन करते हुए यो्‍यता के अधार र्र तनणवय करना िातहए।
आसकी अिश्यकता क्यों है?
तसतिल सेिक स्र्ष्ट रूर् से र्ररभातषत तनयमों के अधार र्र ऄर्ने कतवव्यों का तनिवहन करते हैं। ये
तनयम ईनके ईत्तरदातयत्िों का तनधावरण करते हैं और साथ ही आनके तनिवहन हेतु अिश्यक ऄतधकार भी
प्रदान करते हैं। ककसी लोक र्द में िैधता और सािवजतनक तिश्वास ऄन्तर्भनतहत होता है क्योंकक आसमें
तनतहत ईत्तरदातयत्ि और ऄतधकार तनरं कुश नहीं होते हैं (मैक्स िेबर की लीगल-रै शनल ऄथॉररटी)।
आसतलए लोक र्द र्र असीन होने के तलए अिश्यक है कक व्यति तनणवय तनमावण में स्िेच्छािारी होने
के स्थान र्र तार्ककक हों। तकव संगतता र्ूिावग्रहों के बजाय तथ्यों र्र अधाररत होती है, दूसरे शधदों में
व्यति के मतस्त्‍क को ककसी र्ूिव-तनधावररत धारणाओं से प्रभातित हुए तबना खुले कदमाग से तथ्यों का
अकलन करना िातहए। र्ूिावग्रह हमें तििेकशून्य बना देते हैं और तनणवय लेने एिं ईनके तन्‍र्ादन में
बाधक के रूर् में कायव करते हैं। नोलन सतमतत ने िस्तुतनष्ठता के महत्ि को तनम्नतलतखत प्रकार से िर्भणत
ककया है:
‘लोक र्द के कत्तवव्य ऄथावत् तनयुतियां करने, ऄनुबंध प्रदान करने, लाभ की ऄनुशंसा करने अकद समेत
तनणवय लेने की शतियााँ ईसके धारक में तनतहत होती हैं। यो्‍यता के ऄततररि ककसी भी ऄन्य मानदंड
र्र ियन की ऄनुमतत नहीं दी जा सकती है। तनणवय तकव अधाररत एिं अिेग रतहत होने िातहए।
कायवकारी ऄर्नी प्रत्येक कायविाही के तलए स्ि-प्रेररत तकव प्रदान करने की न्यायर्ातलका की र्रं र्रा का
ऄनुकरण कर सकते हैं। तकों को ररकाडव करने की अिश्यकता ही ऄर्ने अर् में एक बड़ा रक्षोर्ाय है,
जो तनणवयकताव को व्यतितनष्ठ होने से रोकता है।’
आसे कै से सुतनतश्चत ककया जाता है?

िस्तुतनष्ठता को सुतनतश्चत करने हेतु तसतिल सेिकों से कु छ तलतखत तनयमों, तितनयमों और कानूनों के
अधार र्र कायव करने की ऄर्ेक्षा की जाती है ताकक तििेकातधकारों को समाप्त या कम ककया जा सके ।
ईन तस्थततयों में जहााँ तििेकातधकार से तनणवय तलए जाने हैं, तनणवय तथ्यों र्र अधाररत होने िातहए न
कक व्यतिगत मान्यताओं या ककसी ऄन्य तििार र्र।

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आसे कै से तिकतसत ककया जा सकता है?
 र्ारदर्भशता (Transparency): यकद तनणवयों एिं ईनके र्ीछे के तकों को सािवजतनक ककया जाता
है, तो तसतिल सेिक ऄर्नी आच्छाओं और महत्िाकांक्षाओं के स्थान र्र तथ्यों के अधार र्र तनणवय
लेने के तलए और ऄतधक सतकव रहेंगे। ईदाहरण के तलए, RTI एक्ट के ऄतधतनयमन के साथ आस
प्रिृतत्त को देखा जा सकता है।
 सूिना प्रबन्धन प्रणाली (Information Management System: IMS): यकद संग न घटनाओं,
सूिनाओं एिं अंकड़ों का ऄतभलेखन और दस्तािेजीकरण नहीं करता है तो िह ईतित जानकारी
के अधार र्र तनणवय-तनमावण में सक्षम नहीं होगा ।

3.3. लोक से िा के प्रतत समर्व ण (Dedication to Public Service)

समर्वण िस्तुत: ककसी तिशेष गतततितध, व्यति या कारण के प्रतत ऄर्ने समय, ध्यान ऄथिा स्ियं को
र्ूणत
व ः संलग्न करने में सक्षम होने का गुण है। यह ककसी और्िाररक बाह्य माध्यम के तबना व्यतिगत
आच्छा और ऄंतःकरण के अधार र्र ककसी कायव को संर्न्न करने की प्रततबिता है। हालााँकक िास्ति में
समर्वण, प्रततबिता से तभन्न है। जहााँ प्रततबिता में और्िाररक रूर् से बाध्यता/तििशता शातमल होती
है, िहीं समर्वण कतवव्य की भािना से तनदेतशत होता है तथा राज्य या समाज के अदशों से प्रेररत होता
है। आस प्रकार समर्वण व्यति के ककसी और्िाररक प्रततबिता या बाह्य र्ुरस्कार की ऄनुर्तस्थतत में भी
ऄर्ने कायव में संलग्न रहने को सुतनतश्चत करता है।
तसतिल सेिाओं में, समर्वण व्यति को सािवजतनक कल्याण/तहत के तििार से एकीकृ त कर देता है। आस
प्रकार समर्वण यह सुतनतश्चत करता है कक तसतिल सेिक के कतवव्य की भािना ईसके अतधकाररक
ईत्तरदातयत्ि के साथ एकीकृ त हो तथा आसके र्ररणामस्िरूर् तसतिल सेिक ऄरुतिकर, ऄिांतछत,
थकानभरे या शत्रुतार्ूणव र्ररिेश में भी ऄर्ना कायव जारी रख सके । ऐसा आसतलए होता है क्योंकक
ईसका कतवव्य ईसका ईद्देश्य बन जाता है और िह ‘कांट’ के “कतवव्य के तलए कतवव्य” के तसिांत को
िास्ततिकता में िररताथव करता है।
िस्तुतः जनता तथा राष्ट्र के प्रतत सेिा भािना तथा बतलदान की भािना सािवजतनक सेिा के अिश्यक
तत्ि हैं और तसतिल सेिकों को आस तथ्य से प्रोत्सातहत और प्रेररत होना िातहए कक िे ऄर्ना जीिन एक
महान ईद्देश्य के तलए समर्भर्त कर रहे हैं (यकद ईन्होंने आसका भाग बनना िुना है)।
आसकी अिश्यकता क्यों है?
i. आसके तबना तसतिल सेिकों के तलए जरटल र्ररतस्थततयों में ऄर्ने कतवव्यों का तनिवहन करना कर न
होगा।
ii. तसतिल सेिकों को ईनके कायव में प्रभािी और लोगों के प्रतत सहानुभूतत र्ूणव बनाने के तलए।
iii. संतिधान में ईतल्लतखत अदशों, जैस-े न्याय, समानता अकद को प्राप्त करने के तलए।
आसे कै से तिकतसत करें ?
लोक सेिा के प्रतत समर्वण एक प्रकार से ऄतभरुति के समान है। आसतलए यह ऄन्तः प्रेरणा का एक घटक
है, जो यकद ईर्तस्थत नहीं है तो तिकतसत करना कर न है। हालााँकक समर्भर्त तसतिल सेिाएाँ सुतनतश्चत
करने के तलए तनम्नतलतखत ईर्ाय ककये जा सकते हैं:
i. र्रीक्षा र्ितत को आस प्रकार तनधावररत ककया जाना िातहए कक सम्भातित रूर् से तनयोतजत होने
िाले सदस्यों के दृतष्टकोण का अकलन ककया जा सके ।
ii. जनसंख्या के तितभन्न िगों द्वारा सामना की जाने िाली समस्याओं एिं ईनके सम्बन्ध में तसतिल
सेिकों के संभातित योगदान अकद से सम्बंतधत संिद
े नशीलता का प्रतशक्षण प्रदान करके ।

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3.4. समानु भू तत (Empathy)

आसका अशय है- ककसी व्यति की र्ररतस्थतत को ईसके र्ररप्रेक्ष्य से समझना। साधारण शधदों में,
समानुभूतत का ऄथव स्ियं को ककसी ऄन्य व्यति की तस्थतत में रखकर ईसके द्वारा सामना की जाने िाली
र्ररतस्थततयों की ऄनुभूतत प्राप्त करना है।
कभी-कभी आसे सहानुभूतत (sympathy) मान तलया जाता है, लेककन यह सहानुभूतत से आस ऄथव में
तभन्न है कक सहानुभूतत सामातयक रूर् से स्ितः प्रिृत्त होती है और मुख्य रूर् से संज्ञानात्मक र्हलू
(cognitive aspect) को समाति्‍ट करती है। ईदाहरण के तलए, शीतऊतु की िषाव िाली रातत्र में एक

तनधवन व्यति को देखकर अर् ईसके तलए कु छ करने की सोिेंग,े लेककन अिश्यक नहीं कक अर् कु छ करें
भी। अर् दया या र्श्चातार् व्यि करते हुए ईसकी र्ररतस्थतत के प्रतत सहानुभूतत रख सकते हैं। लेककन
समानुभूतत आससे कहीं ऄतधक तीव्र होती है क्योंकक आसमें संज्ञानात्मक र्हलू के ऄततररक्त भािनाएं भी
शातमल होती हैं। ककसी व्यति के प्रतत समानुभूतत रखने का ऄथव है कक अर् ईस र्ररतस्थतत को ईसके
र्ररप्रेक्ष्य से देखने में सक्षम हैं और अर्को ईसकी र्ररतस्थततयों एिं कर नाआयों का ज्ञान है। अर् एक
ऄमूतव या तनर्भलप्त भाि से समानुभूतत नहीं रख सकते – अर्को यह ज्ञान होना िातहए कक िह कौन है,

िह क्या करने का प्रयास कर रहा है और क्यों कर रहा है। आसतलए, यह अर्को ईसकी समस्याओं,

कारणों एिं र्ररणामों को समझकर ईनकी ऄनुभूतत करने में सक्षम बनाती है। आस प्रकार, यह

सहानुभूतत से एक कदम अगे है। समानुभूतत, सहानुभूतत की तुलना में ऄतधक सशक्त ऄतभिृतत्त है, ऄत:
यह व्यिहार का बेहतर संकेतक है।
आस ऄंतर को समझने के तलए जलिायु र्ररितवन र्र तििार ककया जा सकता है। तिकतसत देश बढ़ते
समुद्री जलस्तर एिं तार्मान के कारण ईत्र्न्न तात्कातलक खतरों का सामना कर रहे तिकासशील देशों
के साथ बेहतर रूर् से सहानुभतू त रख सकते हैं। हालााँकक, कइ र्रस्र्र तिरोधी ईद्देश्यों (तनधवनता
ईन्मूलन बनाम र्याविरण संरक्षण) को र्ूरा करने के तलए संघषवरत तिकासशील देशों की र्ररतस्थतत में
स्ियं को रखने की तिकतसत देशों की क्षमता के ऄभाि के कारण जलिायु र्ररितवन से तनर्टने और
र्यावप्त जलिायु-संबंधी तित्तर्ोषण प्रदान करने हेतु अिश्यक ईर्ायों को कियातन्ित करने में धीमी
प्रगतत हुइ है। ऄतः आस र्ररप्रेक्ष्य में तिकतसत देशों में समानुभूतत का ऄभाि देखा गया है।
आसकी अिश्यकता क्यों है?
 नौकरशाही प्रणाली आतनी जरटल हो गइ है कक तनयमों के ऄनुर्ालन के माध्यम से प्राप्त ककए जाने
िाले साध्य के स्थान र्र तनयमों का ऄनुर्ालन करना ही स्ियं में साध्य बन गया है। लोगों के
कल्याण के तलए कायव करने के स्थान र्र ऄतधकांश समय और्िाररकता संबंधी कायवकलार्ों में
व्यतीत हो जाता है।
 समानुभूतत हमें ऄन्य लोगों की भािनाओं को समझने में सहायता करती है। आसतलए, स्ियं की

भािनात्मक समझ (EI) को तिकतसत करने हेतु व्यति को समानुभूतत की अिश्यकता होती है।
 समानुभूतत का ऄभाि सामातजक ऄशांतत तथा मतहलाओं/ऄल्र्संख्यकों/बच्िों/कदव्यांग जनों के
प्रतत ऄसतह्‍णुता का कारण बन सकता है क्योंकक समानुभूतत के ऄभाि में हम ईनकी िास्ततिक
समस्याओं और तितशष्ट अिश्यकताओं को नहीं समझ सकते।
 समािेशी तिकास की ओर ऄग्रसर होने के तलए समानुभूततर्ूणव तसतिल सेिा ितवमान समय की
अिश्यकता है।
आसे ककस प्रकार तिकतसत ककया जा सकता है?
 संिद
े नशीलता का प्रतशक्षण: भूतमका तनिवहन संबंधी ऄतभनय (नाट्य-कला अकद) के माध्यम से
स्ियं को ऄन्य लोगों की र्ररतस्थततयों में रखकर तििार करना।

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 खुला संिाद: जब तितभन्न िगों के For


सदस्य खुले र्ररिेश में र्रस्र्र संिाद करते हैं तो दीघवकातलक
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र्ूिावग्रह समाप्त हो जाते हैं और आस प्रकार सहानुभूतत तिकतसत होती है।


 सिवधमव समभाि: जब तितभन्न सांस्कृ ततक समूहों के सदस्य एक-दूसरे के सांस्कृ ततक ईत्सिों में भाग
लेते हैं तो र्रस्र्र सतह्‍णुता का तिकास होता है और आस प्रकार सहानुभूतत तिकतसत होती है।
 कला और सातहत्य: कला और सातहत्य भी कु छ तितशष्ट समूहों की र्ररतस्थततयों के संबंध में लोगों
को संिेदनशील बना सकते हैं।
 ऄन्य संस्कृ ततयों के प्रतत रुति का संिधवन करना।

3.5. सं िे द ना (Compassion)

यह ककसी ऄन्य व्यति की र्ीड़ा या तिर्तत्त के प्रतत दुःख और दया की भािना है, तजसमें आस र्ीड़ा को
कम करने की आच्छा भी शातमल होती है। आस प्रकार, समानुभूतत के तिर्रीत, संिेदना न के िल दूसरों

की समस्याओं को समझने का प्रयास है ऄतर्तु ईन्हें कम करने की सकिय आच्छा भी है। आस प्रकार, यह
समानुभूतत से एक कदम अगे है, क्योंकक आसमें प्रबल कायविाही संबंधी घटक भी शातमल होता है।
आसकी अिश्यकता क्यों है?
 लोगों एिं लोक सेिकों के मध्य ऄलगाि की भािना को कम करने हेतु यह अिश्यक है, क्योंकक
संिेदना के ऄभाि में लोक सेिकों के तलए कमजोर और दबे-कु िले लोगों के तलए कु छ कर र्ाना
कर न होगा।
 सामान्यत: भारतीय समाज कमवफल के तसिांत में तिश्िास करता है। आसतलए यकद कोइ व्यति
तनधवन या शारीररक रूर् से ऄक्षम है तो हम यह मानते हैं कक यह ईसके स्ियं के कमों का र्ररणाम
है। संिेदना के ऄभाि में हम ककसी व्यति की ितवमान र्ररतस्थतत से बाहर तनकलने में ईसकी
सहायता करने हेतु प्रयत्नशील नहीं होंगे।
आसका तिकास ककस प्रकार ककया जाए?
 कमजोर और दबे-कु िले लोगों के घरों, मतलन बतस्तयों अकद का दौरा करके प्रत्यक्ष रूर् से ईनसे
संबंतधत सूिना प्राप्त करनी िातहए।
 संिेदनशीलता का प्रतशक्षण कदया जाना िातहए।
 धार्भमक तशक्षाओं, जैस‍
े - बौि धमव के िार अयव सत्य (दु:ख का ऄतस्तत्ि, आसका कारण, आसका
तनरोध, आसके तनरोध का मागव) अकद के माध्यम से।

3.6. तन्‍र्क्षता (भे द भाि रतहत) तथा गै र -तरफदारी

(Impartiality and Non-Partisanship)


तन्‍र्क्षता न्याय र्र अधाररत एक व्यार्क ऄिधारणा है तजसे सामान्यतः न्याय के तसिांत के रूर् में
स्िीकार ककया जाता है। यह ककसी व्यति या समूह को ककसी ऄन्य की तुलना में ऄतधक समथवन न करने
के तथ्य को संदर्भभत करती है। साधारण शधदों में आसका ऄथव ककसी का भी र्क्ष न लेना होता है।
तन्‍र्क्ष-मनःतस्थतत के समानाथी के रूर् में यह आस र्र बल देती है कक तनणवय िस्तुतनष्ठ मानकों र्र
अधाररत होने िातहए न कक र्ूिावग्रह या र्क्षर्ात र्र, और न ही ककसी व्यति को ऄनुर्युि कारणों से
ऄन्यों की तुलना में लाभ प्रदान ककया जाना िातहए।
हालांकक, तन्‍र्क्ष होना ऄत्यंत कर न है। ऄतधकांश मामलों में लोगों के र्ास स्ियं के र्ूिावग्रह होते हैं।

लोक सेिकों, राजनीततज्ञों और न्यायर्ातलका के तलए तन्‍र्क्ष होना ऄत्यंत महत्िर्ूणव हो जाता है,
क्योंकक सामान्यत: आनके द्वारा ऐसे तनणवय तलए जाते हैं जो एक व्यति या व्यतियों के समूह को लाभ

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र्हुंिा सकते हैं। ईदाहरण के तलए, कोइ न्यायाधीश ककसी व्यति को के िल आसतलए दोषी नहीं मान
सकता है कक िह ककसी तितशष्ट समुदाय से संबंतधत है। यह तितध की सम्यक प्रकिया से समझौता करना
होगा। आसी प्रकार, एक लोक सेिक के िल ऄर्नी व्यतिगत र्संद के अधार र्र ककसी व्यति को ऄन्य
व्यति की तुलना में िरीयता प्रदान नहीं कर सकता है। आसके ईतित ि तार्ककक मानदंड होने िातहए।
'सािवजतनक ईद्देश्य' के तलए भूतम ऄतधग्रहण र्र तििार कीतजए। िे लोग कौन हैं तजनकी भूतम का

ऄतधग्रहण ककया जाएगा? िे शहर के बाह्य क्षेत्र की भूतम र्र कृ तष करने िाले ककसान हो सकते हैं या ये
भूतम ऄनुसूतित जातत की जनसंख्या िाला एक र्ुरिा हो सकता है ऄथिा ये ककसी धार्भमक संस्था की
भूतम हो सकती है। तजला मतजस्ट्रेट की ककसी समूह के प्रतत स्ियं की बिताएं या िरीयताएाँ हो सकती हैं,

लेककन तनणवय तन्‍र्क्ष मानदंड, और सबसे महत्िर्ूणव रूर् से र्ररयोजना की अिश्यकताओं के अधार
र्र करना होगा - िह के िल भूतम स्िामी के अधार र्र तथ्यों का मूल्यांकन या तनयमों के ऄनुप्रयोग में
र्क्षर्ात नहीं कर सकता/सकती। प्रभातित लोगों के मत का र्ता लगाया जाना िातहए तथा भूतम
ऄतधग्रहण ऄतधतनयम के ऄंतगवत स्थातर्त प्रकिया के ऄनुरूर् ईनकी अर्तत्तयों का समाधान ककया जाना
िातहए।
लोक सेिकों के तलए तन्‍र्क्षता तनम्नतलतखत दो तितभन्न स्तरों र्र कायव करता है:
राजनीततक तन्‍र्क्षता (Political Impartiality)

िूंकक, तन्‍र्क्ष होना र्ूणव रूर् से ककसी मामले के गुण-दोषों र्र अधाररत होता है, आसतलए आसमें लोक

सेिक को स्ियं की व्यतिगत राय र्र तििार ककए तबना, तितभन्न राजनीततक धारणाओं िाली सरकारों
की समान रूर् से सेिा करना ऄंतर्भनतहत होता है। एक लोक सेिक को आस प्रकार कायव करना होता है
जो ईसके तलए तनधावररत हैं तथा साथ ही ईसे मंतत्रयों के तिश्वास को भी बनाए रखना िातहए। आसका
अशय यह भी है कक लोक सेिक द्वारा राजनीततक गतततितध के संबंध में ईसके तलए तनधावररत प्रततबंधों
का ऄनुर्ालन ककया जाएगा। साथ ही, लोक सेिकों र्र मंतत्रयों के 'तििारों’ का बिाि करने का कोइ

दातयत्ि भी नहीं होता है, लेककन मंतत्रयों द्वारा तलए गए ‘तनणवयों’ का कियान्ियन लोक सेिकों को र्ूणव
िस्तुतनष्ठ और भेदभाि-रतहत होकर तथा स्ियं की सिोत्तम क्षमताओं के साथ करना िातहए।
सािवजतनक तन्‍र्क्षता (Public Impartiality)
सािवजतनक रूर् से तन्‍र्क्ष होने का अशय यह है कक एक लोक सेिक स्ियं के तलए तनधावररत
ईत्तरदातयत्िों का तनिवहन तन्‍र्क्ष, न्यायोतित, िस्तुतनष्ठ और न्यायसंगत रूर् से करता है। ईसे आस
प्रकार कायव नहीं करना िातहए जो तितश्‍ट व्यतियों या तहतों के तिरुि ऄन्यायर्ूणव तरीके से र्क्षर्ात
या भेदभाि करता हो। सािवजतनक तन्‍र्क्षता का तसिांत भारतीय संतिधान में प्रततष्ठातर्त यो्‍यता,
समानता ि न्याय के मूल्यों से भी व्युत्र्न्न होता है।
दूसरे शधदों में, तन्‍र्क्ष होने का अशय यह है कक लोक सेिक को खरीद, भती, सेिाओं के तितरण जैसे
कायों सतहत ऄर्ने अतधकाररक कायों के तन्‍र्ादन हेतु के िल मेररट (यो्‍यता या गुणों) के अधार र्र
ही तनणवय करना िातहए।
गैर-तरफदारी (Non-Partisanship)
गैर-तरफदारी को राजनीततक तटस्थता (अगे तिस्तृत तििरण प्रस्तुत ककया गया है) भी कहा जा सकता
है। गैर-तरफदारी से यह तन्‍कषव तनकलता है कक लोक ऄतधकारी को ऄर्ना कायव ककसी राजनीततक दल
के भय के तबना या र्क्षर्ात रतहत होकर करना िातहए, भले ही ईसका ककसी राजनीततक तििारधारा
के प्रतत दृढ़ तिश्वास क्यों न हो। प्रशासक के मूल्यों का स्रोत संतिधान होना िातहए न कक ककसी
राजनीततक दल का दशवन। आससे यह सुतनतश्चत हो सके गा कक राजनीततक र्ररितवन के बािजूद लोक
सेिक राजनीततक कायवकाररणी को समान रूर् से ऄर्नी सेिाएाँ प्रदान करते रहेंगे।

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तन्‍र्क्षता और गैर-तरफदारी में क्या ऄंतर है?

तटस्थता एक संकीणव ऄिधारणा है, क्योंकक आसका सरोकार के िल राजनीततक कायवकाररणी के साथ

लोक ऄतधकाररयों के संबंध से है तथा आसे गैर-तरफदारी भी कहा जाता है। जबकक, तन्‍र्क्ष होना एक

व्यार्क शधद है तथा आसका सरोकार लोक ऄतधकाररयों के ईनके संर्ूणव र्ररिेश के साथ संबंध से है,
तजसके ऄंतगवत न के िल राजनीततक कायवकाररणी बतल्क ऄन्य तहतधारक ऄथावत् जनता भी शातमल है।
व्यािहाररक रूर् से यह कहा जा सकता है कक गैर-तरफदारी एक प्रकार की ऄतभिृतत्त है, जबकक
तन्‍र्क्षता का संबध ककसी तिशेष र्ररतस्थतत में ककए जाने िाले व्यिहार से ऄतधक होता है।
आनकी अिश्यकता क्यों है?

i. आनसे लोक सेिा की कायवप्रणाली के प्रतत जनता में तिश्वसनीयता एिं भरोसा ईत्र्न्न होता है।

ii. ये लोक सेिकों को के िल सक्षम बनने के स्थान र्र साहसी बनाती हैं, ताकक िे नीतत, कानून अकद के
संबंध में प्रासंतगक प्रश्नों को ई ा सकें । सक्षम होने और साहसी होने के मध्य ऄंतर यह है कक सक्षमता यह
सुतनतश्चत करती है कक लोक सेिक कायों का सही प्रकार से तन्‍र्ादन करें , जबकक साहसी होना यह
सुतनतश्चत करता है कक िे सही कायों का तन्‍र्ादन करें ।
iii. आनसे समाज के तितभन्न िगों के मध्य समानता और न्याय सुतनतश्चत होता है।

iv. ये तसतिल सेिाओं का मनोबल बढ़ाती हैं तथा ईसकी प्रभािकाररता और दक्षता सुतनतश्चत करती हैं,

क्योंकक आनसे यह सुतनतश्चत हो सके गा कक ककसी लोक सेिक का स्थानांतरण, र्दस्थार्न (र्ोबस्टग)
अकद ककन्हीं बाह्य कारकों के स्थान र्र के िल यो्‍यता के अधार र्र ही ककया जाए।
आन्हें ककस प्रकार सुतनतश्चत ककया जाता है?

i.के न्द्रीय तसतिल सेिा (अिरण) तनयमािली, 1964 और ऄतखल भारतीय सेिाएं (अिरण)

तनयमािली, 1968: लोक सेिा में सत्यतनष्ठा बनाए रखने के तलए अिरण तनयमािली को 1964 में

ऄतधसूतित ककया गया था, तजसके ऄंतगवत लोक सेिकों के तलए ऄर्ने कतवव्य का र्ूणव तनष्ठा के साथ
तन्‍र्ादन करने हेतु कु छ कदशा-तनदेशों का तनधावरण ककया गया है तथा लोक सेिकों को जनता के साथ
व्यिहार के िम में ककसी प्रकार की तिलंबकारी युतियों का प्रयोग न करने तथा ररश्वत लेने आत्याकद
जैसी ककसी भी प्रकार ऄनुतित गतततितधयों से दूर रहने का तनदेश कदया गया है। आसके ऄंतगवत
तन्‍र्क्षता और गैर-तरफदारी स्िाभातिक रूर् से तनतहत हैं।
ii.यद्यतर् हमारे र्ास लोक सेिकों के तलए ईनके कतवव्य का तनिवहन करने के संबंध में कु छ कदशा-तनदेशों

के रूर् में अिरण तनयमाितलयााँ तिद्यमान हैं, तथातर् िे नैततक अिार संतहता के रूर् में ऐसे मूल्यों
और नैततक तसिांतों का तनधावरण नहीं करती हैं जो लोक सेिकों को लोक सेिा के साथ न्याय करने हेतु
ऄर्ने व्यतित्ि में अत्मसात करने िातहए।
iii.नैततक अिार संतहता, 1997: यह भारत में लोक सेिकों के तलए नैततक अिार संतहता लागू करने

हेतु की गइ प्रथम र्हल थी, तजसे शासन व्यिस्था को बेहतर बनाने की कदशा में एक कदम माना गया
था। आस संतहता की मुख्य तिशेषताएं तनम्नतलतखत थीं:
 तितध के शासन को बनाए रखना तथा मानिातधकारों का सम्मान करना।
 लोगों के साथ ऄर्ने अिरण तथा ऄर्ने कतवव्यों के तनिवहन के िम में िस्तुतनष्ठता एिं र्ारदर्भशता
बनाए रखना।
 सेिा मामलों के संदभव में र्ूणव रूर् से तन्‍र्क्ष होना।

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3.7. तटस्थता (Neutrality)

सरदार र्टेल ने स्ितंत्रता र्ूिव की तसतिल सेिा संरिना को बनाए रखने का समथवन करते हेतु संतिधान
सभा में तनम्नतलतखत तििार व्यि ककए थे:
“आस बात र्र बल कदए जाने की शायद ही कोइ अिश्यकता है कक एक कु शल, ऄनुशातसत और संतुष्ट
तसतिल सेिा, जो ऄर्ने र्ररश्रम और इमानदारी से ककए गए कायव के र्ररणामस्िरूर् ऄर्नी
संभािनाओं के प्रतत अश्वस्त होती है, िह लोकतांतत्रक व्यिस्था के ऄंतगवत समथव प्रशासन के तलए एक
सत्तािादी शासन की तुलना में ऄतधक अिश्यक है। सेिाएं राजनीततक दलों से उर्र होनी िातहए और
हमें यह सुतनतश्चत करना िातहए कक भती में ऄथिा ईनके ऄनुशासन और तनयंत्रण में राजनीततक
हस्तक्षेर् को यकद र्ूरी तरह समाप्त न ककया जा सके तो ईन्हें न्यूनतम ककया जाए।”
तसतिल सेिा की तटस्थता राजनीततक तन्‍र्क्षता को संदर्भभत करती है। जैसे उर्र र्ररभातषत ककया
गया है, तन्‍र्क्षता एक व्यार्क ऄिधारणा है, जबकक तटस्थता तितशष्ट रूर् से तसतिल सेिकों और
सरकारों/राजनेताओं के मध्य संबध
ं ों को संदर्भभत करती है। आसके ऄततररि न्याय में तन्‍र्क्षता का ऄथव
है न्यातयक तनणवय का र्क्षर्ातर्ूणव न होना। तटस्थता का तात्र्यव राजनीततक कायवर्ातलका को तथ्यों,

प्रततर्ुतष्ट, तििार अकद प्रदान करने में र्क्षर्ाती न होना, साथ ही, सरकार द्वारा अदेतशत कायों का

कमव ता से र्ालन करना, िाहे शासन ककसी भी दल का हो। आसका तात्र्यव यह है कक लोक ऄतधकारी के

रूर् में कायव करते हुए, एक तसतिल सेिक राजनीततक रूर् से तन्‍र्क्ष और गैर-र्क्षर्ाती रहेगा। ईसे एक

प्रकार से राजनीततक बंध्याकरण (political sterilization) के रूर् से कायव करना है ऄथावत् नौकरशाहों
को राजनीततक र्ररितवनों से ऄप्रभातित रहना िातहए। आसके तिर्रीत ईन्हें प्रदत्त नीतत को यथाित
तबना ककसी व्यतिगत तििारधारा के कायावतन्ित करना है।
मौतलक तििार यह है कक राजनीततक कायवर्ातलका ही जनता की राय का प्रतततनतधत्ि करती है क्योंकक
ईसका िुनाि ितवमान सािवजतनक मुद्दों के प्रतत ईनके समथवन या तिरोध के अधार र्र ही होता है।
कानून और नीततयााँ र्रामशव प्रकिया का ही र्ररणाम हैं, तजनमें राजनीततक कायवर्ातलका, संबंतधत

ऄतधकारी और तहतधारक सतम्मतलत होते हैं। एक बार तैयार होने के र्श्चात, ईन्हें तसतिल सेिकों और
राज्य की कायवर्ातलका द्वारा कायावतन्ित ककया जाता है। आसतलए नीतत तनधावरण का तिशेषातधकार
के िल राजनीततक कायवर्ालक को ही प्राप्त है और तसतिल सेिकों का कायव ईसे तबना कोइ प्रश्न ककए
कायावतन्ित करना है। प्रशासतनक भाषा में आसे राजनीतत-प्रशासन तद्वभाजन (politics-

administration dichotomy) का नाम कदया जाता है। आसके साथ ही नौकरशाह को राजनेता को
सही राह कदखाने या इमानदारी से ऄर्नी राय प्रस्तुत करने में संकोि नहीं करना िातहए। ईसका कायव
राजनेता का ‘तर्ट् ू ’ या ‘प्रततबि नौकरशाह’ (बाद में व्याख्या की गयी है) बन कर कायव करना नहीं है।

तद्वतीय प्रशासतनक सुधार अयोग की 10िीं ररर्ोटव में तनम्नतलतखत तििार प्रस्तुत ककए गए हैं:

“तसतिल सेिा का यह तटस्थ दृतष्टकोण, दुभाव्‍यिश ितवमान में ऄब मायने नहीं रखता है, तिशेष रूर् से
राज्य स्तर र्र सरकारों में र्ररितवन प्रायः तसतिल सेिकों के बार-बार स्थानांतरण का कारण बनता है।
तसतिल सेिकों के , सही या गलत कारणों से राजनीततक व्यिस्था से संबि होने के कारण राजनीततक
तटस्थता ऄब एक स्िीकायव मानदंड नहीं रह गया है। ऐसी धारणा है कक ऄतधकाररयों को संघीय
सरकार में भी ईर्युि र्द र्ाने हेतु राजनेताओं से संबंध बनाना एिं ईनका संरक्षण प्राप्त करना र्ड़ता
है। र्ररणामस्िरूर् अम धारणा में आसे तसतिल सेिाओं के राजनीततकरण के रूर् में देखा जाता है।
आसमें अगे कहा गया है कक:

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अयोग का मत है कक, तसतिल सेिाओं की राजनीततक तटस्थता और तन्‍र्क्षता को संरतक्षत करने की
अिश्यकता है। आसका भार राजनीततक कायवर्ातलका और तसतिल सेिकों र्र समान रूर् से है। अयोग
ने “शासन में नैततकता” र्र ऄर्नी ररर्ोटव में ऄनुशस
ं ा की थी कक मंतत्रयों के तलए एक नैततक संतहता में
ऄन्य बातों के साथ-साथ तनम्नतलतखत को शातमल ककया जाना िातहए:
“मंतत्रयों को तसतिल सेिकों की राजनीततक तन्‍र्क्षता बनाए रखनी िातहए और तसतिल सेिकों से आस
प्रकार के कायों को करने के तलए नहीं कहना िातहए, तजससे तसतिल सेिकों के कतवव्यों और
ईत्तरदातयत्िों में तििाद ईत्र्न्न हो सके ।”
महत्िर्ूणव रूर् से, आसमें र्ॉल ऐर्ल्बी का ईिरण देते हुए कहा गया है कक -
‘तसतिल सेिकों को ‘कायवकरण तटस्थता’ (programme neutrality)और ‘राजनीततक तटस्थता’
(political neutrality) में भ्रतमत नहीं होना िातहए। नीतत तनमावण करने के िरण में, तसतिल सेिकों
की भूतमका स्ितंत्र और स्र्ष्ट र्रामशव देने की है, जो ककसी भी राजनीततक तििारधारा द्वारा प्रभातित
नहीं होनी िातहए। ककसी नीतत या कायविम को तनिावतित सरकार द्वारा ऄनुमोकदत कर कदए जाने के
बाद इमानदारी और ईत्साहर्ूणव तरीके से आसका कायावन्ियन सुतनतश्चत करना तसतिल सेिकों का कतवव्य
है। आस कृ त्य को सही भािना से कायावतन्ित न करना कदािार कहा जायेगा और आस संबंध में ईतित
कायविाही की जा सकती है।’
राजनीततक कायवर्ातलका और तसतिल सेिकों के मध्य द्वंद्व के क्षेत्र
भारत के संदभव में तसतिल सेिकों द्वारा राजनीततक व्यिस्था के प्रतत तटस्थ रहने की ऄिधारणा र्र
ििाव की गइ है। सरकारों के र्ररितवन के बािजूद एक प्रततबि नौकरशाही की मांग, यद्यतर् बहुत स्र्ष्ट
नहीं, तो ऄंतर्भनतहत तो रही ही है। आसके ऄततररि, कायव प्रणाली में तटस्थता की सीमा क्या है?
तसतिल सेिकों और राजनीततक कायवर्ातलका के मध्य संभातित संघषव ईत्र्न्न होने के तनम्नतलतखत
कारण हो सकते हैं:
i. ककन लक्ष्यों को प्राप्त करने की कदशा में प्रयास करना है आस संबध
ं में तितभन्न िगों के मध्य सामातजक
सहमतत तभन्न-तभन्न होती है। र्तश्चमी देशों में, तिकास के लक्ष्यों र्र एक तनतश्चत सहमतत है। सामातजक
ग न में भी एक तनतश्चत कोरट की एकरूर्ता र्ाइ जाती है। लक्ष्यों और तिकास के मागव र्र सिवसम्मतत
का ऄभाि, प्राथतमकताओं में ऄस्र्ष्टता ईत्र्न्न करता है। आससे तदथविाद (adhocism) बढ़ता है, जो
स्थायी कायवर्ातलका को स्र्ष्ट कदशा प्रदान नहीं कर र्ाता है। आसके तिर्रीत राजनीततक प्रकिया तसतिल
सेिकों का स्थान लेने (ऄथावत् ईनके कायों में ऄतधक हस्तक्षेर् करने) लगती है। आससे स्थायी
कायवर्ातलका एिं राजनीततक कायवर्ातलका के संबंधों में तनाि ईत्र्न्न हो सकता है।
ii. राजनीततक कायवर्ातलका तसतिल सेिकों या स्थायी कायवर्ातलका र्र स्ियं ऄर्ने ही द्वारा बनाए गए
तनयमों का ईल्लंघन करने हेतु दबाि डाल सकती है। तसतिल सेिक तनयम अधाररत व्यिस्था से बंधे
होने के कारण आस दबाि का प्रततरोध करते हैं। यह दोनों के मध्य संघषव का कारण बन सकता है।
iii. साझे तिश्वास प्रणाली की ईर्तस्थतत: आसका ऄथव है कक महत्िर्ूणव सामातजक मुद्दों के संबंध में एक
साझा तिश्वास प्रणाली होती है। यह तिश्वास व्यिस्था तितभन्न कारकों का ईत्र्ाद है, ईनमें से कु छ

महत्िर्ूणव हैं – संस्कृ तत, समाज और र्ररिेश तजसमें ककसी का र्ालन-र्ोषण हुअ है, तशक्षा प्रणाली
तजसमें व्यति तशतक्षत होता है अकद। भारत में तसतिल सेिा में ऄतधकांश लोग शहरी मध्यम िगव से अते
हैं, िहीं राजनीततक िगव ऄतधक तितिध है। यद्यतर्, नौकरशाही का िररत्र र्ररिर्भतत हो रहा है, लेककन
यह र्ररितवन ऄत्यंत मंद है। राजनीततक कायवर्ातलका के ऄतधकांश सदस्य, तिशेषकर राज्य स्तर र्र
ग्रामीण और कृ तष क्षेत्र से अते हैं, शीषव और मध्यम स्तर के प्रशासक शहरी मध्यम या ईच्च मध्यम िगव से

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अते हैं - तसतिल सेिाओं के तलए ईत्तीणव होने िाले ऄतधकतर लोग शहरों ि कस्बों से अते हैं, जबकक
राजनीततक प्रतततनतधत्ि का समान रूर् से तितरण होता है, और िूंकक लगभग 32 प्रततशत जनसंख्या
शहरी है, सीटों का तितरण भी समान ही होगा। यह ऄंतर ईनकी जीिन शैली, संप्रष
े ण के तरीकों,
िस्तुओं को देखने का नजररए और ईनके व्यिहार से ऄतभव्यि होता है। आन दोनों के मध्य के संबध

ऄंशतः मूल्य व्यिस्था के आस कारक से अकार ग्रहण करते हैं।
आसके ऄततररि, यह तकव कदया जाता है कक तिकासशील समाजों में, यकद तनर्भमत नीततयााँ तनधवनों की

अिश्यकताओं के ऄनुरूर् न हों तो प्रशासन द्वारा ईनके तलए ईर्युि नीतत का समथवन ककया जाना
िातहए। आस सन्दभव में, हमारे र्ूिव प्रधानमंतत्रयों में से एक ने कहा था, “तिकासशील देशों में, तसतिल
सेिकों को िास्ततिक रूर् से तटस्थ होने के तलए, ईन्हें तनधवनों का र्क्ष लेना िातहए।”
हालााँकक, यह स्मरण रखना िातहए की तटस्थता, प्रजातंत्र के ऄन्य अदशों की भांतत ही एक अदशव
तसिांत है, ऄब िूंकक यह मात्र एक ‘अदशव’ है आसतलए यह ऄर्नी र्ूणत
व ा के साथ तिद्यमान नहीं हो
सकता। र्रन्तु आसका ऄथव यह नहीं है कक हम आसका आस कारण मात्र से र्ररत्याग कर दें। तजस प्रकार
लोकतंत्र की ऄनुर्तस्थतत व्यतिगत ऄतधकारों के तिनाश का कारण बनती है, िैसे ही तटस्थता की
ऄनुर्तस्थतत सािवजतनक प्रशासन के कायवकरण में ऄराजकता का कारण बनती है। यह अदशव, ईतित
सांस्कृ ततक संदभव में सदैि र्ालन करने यो्‍य है।
प्रततबि नौकरशाही (Committed Bureaucracy)
आसे दो र्ररप्रेक्ष्यों में समझा जा सकता है:
i. सकारात्मक: आसका तात्र्यव है कक तसतिल सेिकों को राष्ट्र ि संतिधान के ईद्देश्यों के प्रतत प्रततबि
होना िातहए और यकद िे िास्ति में सामातजक र्ररितवन लाना िाहते हैं तो ईन्हें राजनीततक
कायवर्ातलका के कायविम और प्रयोजन में तिश्वास होना िातहए। आस प्रकार के प्रततबि नौकरशाह को
ऄर्ने कायवकरण में र्क्षर्ात करने की अिश्यकता नहीं है, ईसे के िल ऄर्ने राजनीततक ऄतधकारी के
मनो-मतस्त्‍क को समानुभूतत द्वारा समझने और राजनीततक रूर् से ऄनुकियाशील होने की अिश्यकता
है। आसतलए, ईसे सत्ताधारी दल के राजनीततक दशवन के ऄनुरूर् तकनीकी र्रामशव देने की अिश्यकता
है।
ii. नकारात्मक: आसका तात्र्यव राजनीततकृ त नौकरशाही से है, जहााँ प्रशासन के िल सत्ताधारी दल के
संकुतित तहतों के तलए ही कायव करता है। ईदाहरण के तलए, नाजी जमवनी में प्रशासतनक व्यिस्था की
कायव-र्ितत।
सामान्यतः, प्रततबि नौकरशाही को नकारात्मक ऄथव में तलया जाता है – एक ऐसी नौकरशाही जो

लोगों की बजाय, राजनीततक दल/नेता के लक्ष्यों के तलए प्रततबि होती है।


तटस्थता के प्रकार
कभी-कभी आसे दो भागों में िगीकृ त ककया जाता है:
i. तनत्‍िय तटस्थता: आसके तहत एक लोक ऄतधकारी िह सभी कायव करे गा तजसके तलए राजनीततक
कायवकारी द्वारा ईसे अदेश कदया जाएगा। र्रन्तु ऐसे में िह कु छ तितधक/संिैधातनक प्रािधानों का
ईल्लंघन कर सकता है। आसी तटस्थता को नाजी नौकरशाही द्वारा िास्ततिकता प्रदान की गयी।
आसतलए तनत्‍िय तटस्थता ऄिांछनीय है।
ii. सकिय तटस्थता: आसके तहत एक ऄतधकारी ककसी भी तिशेष दल का ऄनुसरण ककए तबना,

संतिधान, तनयम और कायावलय तनयमािली के ऄनुसार कायव करता है। कभी-कभी, यह तसतिल सेिा
सकियता (civil services activism) को बढ़ािा देता है।

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तटस्थता के तलए अिरण तनयम For More Visit -http://pdf4exams.org

के न्द्रीय तसतिल सेिा (अिरण) तनयमािली, 1964 और ऄतखल भारतीय सेिा (अिरण) तनयमािली
1968 में तसतिल सेिकों की तटस्थता सुतनतश्चत करने के तलए तनम्नतलतखत प्रािधान ककए गए हैं:
 सरकारी कमविाररयों को राजनीतत में भाग नहीं लेना िातहए।
 ईन्हें राजनीततक दलों को िुनािी िंदा/सहायता नहीं देनी िातहए।
 िे मतदान कर सकते हैं, र्रन्तु ऄन्य लोगों को ऄर्नी प्राथतमकता नहीं बतानी िातहए।
 ईन्हें स्ियं, ऄर्ने िाहन ऄथिा घर र्र ककसी िुनािी प्रतीक को प्रदर्भशत नहीं करना िातहए।
 सरकारी ऄनुमतत के तबना, ईन्हें रै तलयों और प्रदशवनों में भाग नहीं लेना िातहए।
तटस्थता के समक्ष िुनौततयााँ
 स्थानातंरण, र्द स्थार्न (र्ोबस्टग) और ऄन्य सेिा शतों के तलए एक स्ितंत्र संस्था का ऄभाि है।
फलस्िरूर्, तसतिल सेिक ऄर्नी र्संद की र्ोबस्टग और ऄन्य भत्तों को प्राप्त करने के तलए स्ियं को
ककसी दल के साथ संरेतखत कर लेते हैं।
 सरकारी कायवकरण में गोर्नीयता, आसके िलते राजनीततक कायवर्ातलका और तसतिल सेिक
ऄर्नी ऄिैध तुतष्ट के तलए ग जोड़ कर लेते हैं।
 एक ही सेिा के ऄंतगवत और ऄंतर-सेिा प्रततद्वंकदता: प्रत्येक सरकारी सेिा में भाषा, धमव, जातत
और क्षेत्र के अधार र्र तितभन्न गुट तिद्यमान हैं। ऄर्ने-ऄर्ने गुट के तलए र्दोन्नतत और भत्ते प्राप्त
करने के तलए िे राजनेताओं की आच्छाओं के अगे झुक जाते हैं।
 प्रततबि नौकरशाही की गलत धारणा, तजसमें तसतिल सेिक ककसी तिशेष राजनीततक दल के
राजनीततक एजेंडे को र्ूरा करने का प्रयास करते हैं।
 िुनाि और भ्रष्टािार: मंतत्रयों को ऄर्ने िुनाि ऄतभयान के तित्त र्ोषण के तलए ऄत्यतधक धन की
अिश्यकता होती है, आसतलए िे ऄर्नी सुतिधानुसार ऄधीनस्थों को िरीयता देते हैं। साथ ही ईन
ऄतधकाररयों को र्संद नहीं करते जो स्ितंत्र और स्र्ष्ट राय देते हैं।
आस मूल्य क्षरण की रोकथाम कै से करें ?

 सिोच्च न्यायालय के तनदेशानुसार, सेिा मामलों में तन्‍र्क्षता और राजनीततक तििारधारा से र्रे
स्ितंत्र रूर् से तििार करने हेतु स्ितंत्र तसतिल सेिा बोडों की स्थार्ना की जानी िातहए।
 अतधकाररक कायवप्रणाली में र्ारदर्भशता लाने के तलए, ग जोड़ को तोड़ने के तलए तथा ऄग्रसकिय
प्रकटीकरण के तलए RTI ऄतधतनयम को गम्भीरतार्ूिवक कायावतन्ित करना।
 ककसी स्ितंत्र तनकाय द्वारा तसतिल सेिकों के प्रभािी प्रदशवन मूल्यांकन और आसे ईनकी र्दोन्नतत,
प्रोत्साहन और ऄन्य सेिा शतों से संबि करना।

3.8. सतह्‍णु ता (Tolerance)

सतह्‍णुता के ऄंतगवत व्यतियों को ईनके धार्भमक या संिैधातनक ऄतधकारों के प्रयोग की स्िीकृ तत प्रदान
करना सम्मतलत है। यह ईस स्र्ेक्ट्रम का मध्य बबदु है तजसका तिस्तार तनषेध/ऄस्िीकृ तत से लेकर
स्िीकृ तत तक है। ईदाहरण के तलए, एक शाकाहारी आस बात से सहमत हो सकता है कक जानिरों को
खाना गलत है। हो सकता है ऐसा व्यति मांसाहार को ऄर्ने जीिन में कभी भी स्िीकार नहीं करे । कफर
भी, ऐसा संभि है कक िह दूसरों को मांस खाने से रोकना न िाहे।
यह हमें संिेदनशील मामलों में संयतमत रहने का र्ा तसखाती है। सतह्‍णुता को ईन लोगों के प्रतत
न्यायसंगत और िस्तुतनष्ठ दृतष्टकोण के रूर् में र्ररभातषत ककया गया है, तजनकी जीिनशैली ककसी ऄन्य
व्यति/समुदाय से तभन्न होती है। यह ईस कौशल को संदर्भभत करता है जो व्यति को सभी के साथ

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तमलकर शांततर्ूिवक जीिन यार्न हेतु For


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धमव में सतह्‍णुता को स्यादिाद के अदशव
रूर् में व्यि ककया गया है, तजसका ऄथव है “सभी का दृतष्टकोण ईनके र्ररप्रेक्ष्य से सही है, र्रन्तु कोइ
भी तितशष्ट दृतष्टकोण र्ूणवतः सही नहीं है।”
आसका ऄथव है, ऄन्य लोगों या समूहों के मूलिंश, बलग, मत, धमव और तििारधाराओं का सम्मान करना
और दूसरों के ऄच्छे गुणों ि ऄच्छे कायों की प्रशंसा करना एिं ईनकी भािनाओं का सम्मान करते हुए
एक सभ्य और सम्मानजनक रूर् से ऄर्ने दृतष्टकोण को व्यि करना।
आसकी अिश्यकता क्यों है?
i. सतह्‍णुता और सामंजस्य के तबना, समाज में स्थायी शांतत सुतनतश्चत नहीं की जा सकती है।
ii. सतह्‍णुता ऄतभव्यति की स्ितंत्रता को प्रोत्सातहत करती है, जो सत्य और प्रगतत के ऄिलोकन हेतु
अिश्यक है। आसके ऄभाि में तभन्न-तभन्न तििारों को स्ितंत्र रूर् से व्यि नहीं ककया जा सकता और
समाज की तस्थतत यथातस्थततिादी और र्तनोन्मुख हो जाएगी, जहााँ निािार के तलए कोइ स्थान नहीं
होगा।
iii. प्रत्येक व्यति के नैततक मूल्य को बनाए रखना अिश्यक है, जैसा कक जे. एस. तमल कहते हैं, सभी
व्यतियों के नैततक मूल्य समान हैं और आसतलए तबना ककसी बाधा के दूसरों को ईनके तििार व्यि
करने की ऄनुमतत प्रदान की जानी िातहए।
iv.मानि तिकास के िल तभी सम्भि है जब हम सभी को ऄर्ने तििार व्यि करने और ऄर्नी
ऄतभरूति का ऄनुकरण करने की ऄनुमतत प्रदान करें ।
v. हमारे जैसे तितिधतार्ूणव समाज में तसतिल सेिकों को सभी िगों की समान रूर् से सेिा करने की
अिश्यकता है और यकद िे सतह्‍णु नहीं हैं तो यह सम्भि नहीं होगा।
vi. िास्ति में सतह्‍णुता के तबना न्याय, तन्‍र्क्षता और िस्तुतनष्ठता के मूल्य संभि नहीं हैं।
आसे कै से तिकतसत ककया जाए?
 संिेदनशीलता का प्रतशक्षण।
 सिवधमव-समभाि की धारणा को बढ़ािा देना, आसके तलए हमें समाज के तितभन्न िगों के सांस्कृ ततक
त्योहारों में भाग लेना िातहए।
 दूसरों के तलए समानुभूतत का तिकास करने से सतह्‍णुता का गुण स्ितः ही तिकतसत होगा।

3.9. ऄनातमकता (Anonymity)

तसतिल सेिकों की ऄनातमकता या र्हिान जातहर ककये तबना कायव करने को र्ारं र्ररक रूर् से हमारी
संिैधातनक व्यिस्था का एक महत्िर्ूणव तसिांत माना गया है। मंत्रीगण के न्द्रीय कायवर्ातलका के
र्दानुिम में शीषव र्र तस्थत होते हैं और संसद के प्रतत ईत्तरदायी होते हैं। िे न के िल ऄर्ने अिरण एिं
कायों के तलए बतल्क ईनके नेतत्ृ ि िाले तिभागों के साथ-साथ ईनका संिालन करने िाली स्थायी
कायवर्ातलका समूह के कृ त्यों के तलए भी जिाबदेह होते हैं। ऄतः तसतिल सेिकों की कोइ स्ितंत्र तस्थतत
(राष्ट्रर्तत शासन लागू होने के ऄततररि) नहीं होती है। िे राजनीततक कायवर्ातलका के नेतृत्ि में एक
टीम के रूर् में कायव करते हैं।
ऄनातमकता का तसिांत आस बात र्र बल देता है कक स्थायी कायवर्ातलका को ऄर्नी र्हिान जातहर
ककए तबना कायव करते रहना िातहए। दूसरे शधदों में, ईन्हें स्ियं को सािवजतनक रूर् से प्रदर्भशत करने से
बिना िातहए। आसका ऄथव है कक ककसी कायव को करने या न करने, दोनों का र्ूणव ईत्तरदातयत्ि
राजनीततक कायवर्ातलका का होता है। कायवर्ातलका ईर्लतधधयों का श्रेय तथा ऄसफलताओं का
ईत्तरदातयत्ि स्िीकार करती है। िुनािी व्यिस्था के माध्यम से जनता राजनीततक कायवर्ातलका या
कायवर्ातलका का प्रतततनतधत्ि करने िाले राजनीततक दलों को र्ुरस्कृ त या दतण्डत करती है। स्थायी
कायवर्ातलका को राजनीततक कायवर्ातलका के समग्र तनदेशन में कायव करना होता है। राजनीततक
कायवर्ातलका के र्ास स्थायी कायवर्ातलका से न के िल कायव करिाने बतल्क ईसे र्ुरस्कृ त या दतण्डत करने
का र्ूणव ऄतधकार होता है। आस व्यिस्था के तहत ईत्तरदातयत्ि आस प्रकार से तितररत होता है कक जहां

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राजनीततक कायवर्ातलका जनता के प्रतत र्ूणव रूर् से जिाबदेह होती है, िहीं स्थायी कायवर्ातलका
राजनीततक कायवर्ातलका के प्रतत जिाबदेह होती है। यही कारण है कक ऄनातमकता को राजनीततक
तथा स्थायी कायवर्ातलकाओं के मध्य संबंधों के संिालन मानदंडों में से एक समझा जाता है।
तसतिल सेिाओं की ऄनातमकता दो ऄिधारणाओं से संबि है: स्थातयत्ि तथा तटस्थता। तसतिल सेिकों
में से ऄनेक तितभन्न सरकारों के दौरान ऄर्नी नौकरी र्र बने रहते हैं, आसतलए ईन्हें नीततयों के प्रतत
तभन्न-तभन्न दृतष्टकोण रखने िाले तितभन्न राजनीततक दलों की सरकारों को र्रामशव प्रदान करना होता
है। ईनके द्वारा मंतत्रयों को यह र्रामशव स्ितंत्र रूर् से तथा प्रततकू ल सािवजतनक या राजनीततक
प्रततकियाओं के भय तथा भति्‍य में होने िाली कररयर की क्षतत के भय से मुि होकर प्रदान ककये जाने
की अिश्यकता होती है। यह मंत्रालयी ईत्तरदातयत्ि से संबि है, तजसके ऄनुसार मंतत्रयों को ऄर्ने तथा
ऄर्ने तिभागों के कायों ि तनणवयों के तलए ईत्तरदातयत्ि स्िीकार करने की र्रम्र्रा रही है।
आसकी अिश्यकता क्यों है?
 यह लोक सेिकों को तबना ककसी भय या भेदभाि के कायव करने में सक्षम बनाती है।
 यह सरकार के संसदीय स्िरुर् के ऄनुरूर् होती है, तजसमें मंत्री लोगों द्वारा तनिावतित प्रतततनतधयों
के माध्यम से जनता के प्रतत प्रत्यक्ष रूर् से ईत्तरदायी होते हैं।
 यह ऄनुशासन, तशष्टता तथा सेिाओं से संबंतधत मनोबल को सुतनतश्चत करती है।
आसे ककस प्रकार सुतनतश्चत ककया जाता है?
आसे तसतिल सेिा अिरण तनयमािली के माध्यम से सुतनतश्चत ककया जाता है तजसके ऄंतगवत
तनम्नतलतखत प्रािधान हैं:
 ऄतधकारी नेकनीयती के तहत या तितध/तिभागीय तनयमों के द्वारा अिश्यक होने के ऄततररि
ऄर्नी अतधकाररक दातयत्िों के तनिवहन के दौरान प्राप्त सूिनाओं को ऄन्य व्यतियों के समक्ष प्रकट
नहीं करे गा।
 ऄतधकारी को सातहतत्यक, कलात्मक या िैज्ञातनक तिशेषताओं के ऄततररि ककसी ऄन्य प्रकार की
र्ुस्तक प्रकातशत करने/समािार र्त्र में तलखने/टेतलतिज़न या रे तडयो र्र प्रस्तुत होने से र्ूिव
सरकार की ऄनुमतत की अिश्यकता होती है।
 सरकारी ऄनुमतत के तबना ईसे स्ियं के सम्मान (या ककसी ऄन्य कमविारी के सम्मान) में अयोतजत
ककसी समारोह, सभा, रै ली में न तो सतम्मतलत होना िातहए और न ही कोइ सम्मान स्िीकार
करना िातहए।
 अतधकाररक कायविातहयों का ऄनुमोदन: मान लीतजए जनता/प्रेस द्वारा ईसके अतधकाररक
अिरण के तिरुि कोइ रटप्र्णी की जाती है, तो िह सरकारी ऄनुमतत के तबना न तो आसके तिरुि
कोइ मानहातन का मुकदमा कर सकता है और न ही प्रेस में कोइ रटप्र्णी कर सकता है।
ऄनातमकता के समक्ष िुनौततयां
हाल के िषों में कइ कारणों से तसतिल सेिा ऄनातमकता का ह्रास हुअ है। आसके तनम्नतलतखत कारण हैं:
 मंतत्रयों को दी गइ सलाह के संबध ं में सांसद प्रायः तसतिल सेिकों से प्रश्न करते रहते हैं।
 सरकारी मामलों में मीतडया की बढ़ती रुति, तजसके िलते कु छ तिशेष िररष्ठ तसतिल सेिकों की
र्हिान ईजागर होने की संभािना बढ़ जाती है।
 ऄर्नी तिभागीय कारव िाइ के ईत्तरदातयत्ि को स्िीकार करने के बजाय तसतिल सेिकों र्र
“दोषारोर्ण” करने की मंतत्रयों की प्रिृतत्त बढ़ रही है।
 कु छ तसतिल सेिकों द्वारा ऄर्नी तशकायतों को प्रकट करने तथा राजनीततक कायवर्ातलका के
दुव्यविहारों को ईजागर करने हेतु प्रत्यक्ष रूर् से मीतडया के समक्ष ऄर्ने तििार व्यि कर कदए
जाते हैं।
ऄनातमकता बनाम तटस्थता (Anonymity v/s Neutrality)
आन दोनों मानदंडों में सामंजस्य ककस प्रकार स्थातर्त ककया जा सकता है? क्या राजनीततक
कायवर्ातलका द्वारा िांतछत जिाबदेही के र्ररप्रेक्ष्य में तटस्थ रह र्ाना संभि हो सकता है – ऄथावत् यकद
स्थायी कायवर्ातलका र्ूणव रूर् से राजनीततक कायवर्ातलका के प्रतत जिाबदेह है, तो क्या राजनीततक

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कायवर्ातलका र्ूणवतः तटस्थ हो सकती है? यकद आसका ऄथव यह है कक ईन्हें सत्तासीन राजनीततक
कायवर्ातलका के प्रतत र्ूणव रूर् से प्रततबि होना िातहए, तो क्या स्थायी कायवर्ातलका के तलए यह संभि
हो र्ाएगा कक िह तितभन्न सरकारों के प्रतत ऄर्नी प्रततबिता में र्ररितवन करती रहें? या कफर स्थायी
कायवर्ातलका के सदस्य ऄर्नी तटस्थता को आस स्तर तक बनाये रखें कक िे तितभन्न सरकारों के प्रतत
ईदासीन तक हो जाएं। आनका ईत्तर है, नहीं! दोनों मूल्यों का एक साथ र्ालन ककया जाना होता है।
तकनीकी तथा प्रबंधकीय कौशल राजनीततक नहीं होते हैं। प्रशासन के साधन ऄथावत् कायों को ऄतधक
कु शलता तथा प्रभािी तरीके से करने की र्िततयााँ राजनीततक रूर् से तटस्थ होती हैं। िस्तुतः आन
कायों के कियान्ियन के तलए तत्र्रता के सम्बन्ध में मानिीय र्क्षर्ात होता है। ऄनातमकता और आस
प्रकार जिाबदेही आस र्ूिावग्रह को समाप्त करने हेतु अिश्यक है। गैर-राजनीततक समझे जाने िाले
कौशल तथा तकनीकी ज्ञान का ईर्योग ककसी भी तििारधारा िाली सरकार द्वारा ककया जा सकता है।
ईदाहरण के तलए, लेतनन द्वारा सोतियत संघ की ऄथवव्यिस्था में औद्योतगक र्ूज
ाँ ीिाद के कइ र्हलुओं को
समातिष्ट ककया गया था या िीन द्वारा ऄर्नी राजव्यिस्था में साम्यिाद को बनाए रखते हुए र्ूज
ाँ ीिाद
के तत्िों को ऄथवव्यिस्था में शातमल ककया गया है।

3.10. जिाबदे तहता एिं ईत्तरदातयत्ि (Accountability and Responsibility)

जिाबदेतहता
जिाबदेतहता का ऄथव लोक ऄतधकाररयों को ईनके व्यिहार के तलए जिाबदेह और ईस संस्था, तजससे िे
ऄर्ना प्रतधकार प्राप्त करते हैं, के प्रतत प्रततकियाशील बनाना है। सािवजतनक र्दधारक ऄर्ने तनणवयों
और कायों के तलए ईत्तरदायी होते हैं और ईन्हें आसे सुतनतश्चत करने िाली अिश्यक समीक्षा के तलए
ऄर्ने अर्को प्रस्तुत करना िातहए। जिाबदेतहता का ऄथव लोक ऄतधकाररयों के प्रदशवन को मार्ने हेतु
मानदंड स्थातर्त करने के साथ-साथ आनके ऄनुर्ालन को सुतनतश्चत करने हेतु एक र्यविेक्षण तंत्र
स्थातर्त करना है।
लोक सेिाओं में यह एक तितधक ऄिधारणा है, क्योंकक आसकी रूर्रे खा तितध द्वारा तनतश्ित की गइ है।
अदशव रूर् से आसमें तनम्नतलतखत तीन ऄिधारणाएाँ सतम्मतलत हैं:
i. ईत्तरदेयता (Answerability) : आसका ऄथव है कक कोइ व्यति कानूनी रूर् से ऄर्ने कृ त्यों और
िूकों/गलततयों के संबंध में ईत्तर देने के तलए बाध्य है।
ii. प्रितवनीयता (Enforceability): आसका ऄथव है कक संबंतधत तसतिल सेिक यकद ऄर्ने अतधकाररक
कतवव्यों के तनिवहन में दोषी र्ाया जाता है तो िह कानून के ऄनुसार दंतडत ककए जाने का र्ात्र है।
iii. तशकायत तनिारण (Grievance redressal): आसका ऄथव है कक र्ीतड़त व्यति की तशकायतों की
सुनिाइ और समाधान के तलए र्यावप्त संस्थागत तंत्र होना िातहए।
जिाबदेतहता सरकार, ईसकी एजेंतसयों और सरकारी ऄतधकाररयों को ईनके तनणवयों और कायों के
संबंध में जानकारी प्रदान करने तथा ईन्हें जनता और जिाबदेतहता का र्यविेक्षण करने िाले संस्थानों के
समक्ष ईतित हराने के दातयत्ि को संदर्भभत करती है।
प्रितवनीयता का अशय यह है कक जनता या जिाबदेतहता तय करने के तलए ईत्तरदायी संस्थाएाँ
ऄर्राधी र्क्ष को प्रततबंतधत कर सकती हैं या ईल्लंघनकारी व्यिहार के तलए कोइ समाधान प्रदान कर
सकती हैं। आस प्रकार, जिाबदेतहता तय करने िाली तितभन्न संस्थाएं आन दोनों िरणों में से ककसी एक
या दोनों के तलए ईत्तरदायी हो सकती हैं। र्ारदर्भशता के तबना जिाबदेतहता का कु छ भी ऄथव नहीं है।
सािवजतनक क्षेत्र में र्ूणव और सही जानकारी के तबना जिाबदेतहता का मूल्य कु छ नहीं होगा।
जिाबदेतहता के िल 'ककसके प्रतत' और 'कै से' नहीं है, बतल्क यह 'ककस तलए' भी है। र्ारदर्भशता के माध्यम
से 'ककस तलए' सम्बन्धी र्हलू प्रदान ककया जाता है। यही कारण है कक र्ारदर्भशता और जिाबदेतहता का
ऄतधकांशत: एक साथ सन्दभव तलया जाता है।
कृ त्यों और ऄकमवण्यता के तलए लोक सेिकों की जिाबदेतहता सुतनतश्चत करने िाली संस्थाएं
i. संग नात्मक स्तर र्र संग न का प्रमुख।

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ii. तिभागीय स्तर र्र तिभागीय प्रमुख।
iii. मंत्रालयी स्तर र्र संबंतधत मंत्रालय।
iv. राष्ट्रीय स्तर र्र संसदीय कायविाही।
v. लोकतप्रय स्तर र्र जनमत।
vi.सामातजक स्तर र्र मीतडया और नागररक समाज।
vii.न्यातयक स्तर र्र न्यायालय।
आसतलए दोनों प्रकार की जिाबदेतहयााँ मौजूद हैं- एक तनयतमत जिाबदेही जो ऄतधकांशत: तिभागीय
प्रकृ तत की होती है और दूसरी बाह्य रूर् से प्रिर्भतत जिाबदेही जो अिश्यकता र्ड़ने र्र तय की जाती
है।
आसकी अिश्यकता क्यों है?
लोक ऄतधकाररयों या सािवजतनक तनकायों की सतत प्रभािशीलता का मूल्यांकन करने से यह सुतनतश्चत
होता है कक िे ऄर्नी र्ूरी क्षमता से काम कर रहे हैं, लोक सेिाओं को ईर्लधध कराने के औतित्य को
र्ूरा कर रहे हैं, सरकार में जनता के तिश्वास में िृति कर रहे हैं और संबंतधत समुदाय के प्रतत ईत्तरदायी
हैं।
i.यह लोक सेिाओं को ऄत्यािारी होने से रोकती है, क्योंकक यह ईनके कृ त्यों और कु कृ त्यों के तलए
ईनकी जिाबदेतहता सुतनतश्चत करती है।
ii.तहतों के संघषव से सुरक्षा प्रदान करती है - जिाबदेतहता तनधावररत करने से व्यति का कायवक्षत्र
े स्र्ष्ट
रूर् से तनधावररत होता है।
iii.लोक सेिाओं की प्रथम और ऄंततम लाभाथी जनता ही है, क्योंकक लोक सेिाकों को जनता के तहत में
कायव करना होता है और िे जनता को ऄर्ने कृ त्यों के तलए जिाब देने हेतु बाध्य होते हैं।
iv.यह न्याय, समानता, और समतािाद को बढ़ािा देती है क्योंकक लोक सेिकों के तलए आन संिैधातनक
अदशों को र्ूरा करना अिश्यक होता है और साथ ही िे ऄर्ने कायों के तलए जिाब देने हेतु बाध्य भी
होते हैं।
v.यह लोक सेिाओं को िैधता प्रदान करती है- जिाबदेतहता सेिा के प्रतत तन्‍ ा को बढ़ािा देती है
क्योंकक यह कायों का र्ररकलन सािधानीर्ूिवक करती है तथा मनमाने और दु्‍कतल्र्त कायों और
नीततयों र्र तनयंत्रण रखती है।
vi. िाहे यह कानूनी र्ररणामों का भय हो या ककसी व्यति की नैततकता का र्ररणाम, ऄर्ने कायों के
तलए जिाबदेतहता लोकसेिकों को इमानदारी, सत्यतन्‍ ा और दक्षता के साथ ईनके कतवव्य का तनिवहन
करने के तलए प्रेररत करती है।
आसे कै से सुतनतश्चत ककया जा सकता है?
ककसी भी देश में जिाबदेही तंत्र को व्यार्क रूर् से राज्य के भीतर और बाहर तस्थत तंत्र के रूर् में
िगीकृ त ककया जाता है। संसद और देश के नागररकों के प्रतत सरकार की कायवकारी शाखा की जिाबदेही
तनतश्चत रूर् से लोकतंत्र की मूलभूत तिशेषता है।
लोकतंत्र में जिाबदेही की ऄतभव्यति अितधक िुनािों के माध्यम से होती है। ये िुनाि ितवमान
सरकार को दंतडत एिं र्ुरस्कृ त करने का साधन होते हैं। ऄतः, ये जिाबदेतहता के अधारभूत साधन के
रूर् में कायव करते हैं। एक स्ितंत्र न्यायर्ातलका शतियों के र्ृथक्करण के संिैधातनक तसिांत को मूतव
रूर् देती है और यह ककसी भी लोकतांतत्रक देश में तिद्यमान तनयंत्रण एंि संतुलन की प्रणाली में एक
ऄन्य महत्िर्ूणव घटक है। भारत में, संिैधातनक और सांतितधक तनकाय, जैस-े तनयंत्रक एिं महालेखा
र्रीक्षक, तनिाविन अयोग और कें द्रीय सतकव ता अयोग (CVC) का र्द ऄन्य तनरीक्षण तंत्रों के ईदाहरण
हैं, जो स्िायत्त हैं र्रन्तु राज्य के ढांिे के ऄंतगवत अते हैं। तिश्लेषकों ने आन जिाबदेही तंत्रों को "क्षैततज"
जिाबदेही तंत्रों और 'लंबित' जिाबदेही तंत्रों में िगीकृ त ककया है। "क्षैततज" जिाबदेही तंत्र राज्य के

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ऄंतगवत तस्थत तंत्रों को संदर्भभत करता है जबकक "लंबित" जिाबदेही तंत्र राज्य के बाहर तस्थत तंत्रों को
संदर्भभत करता है तजसमें मीतडया, नागररक समाज और नागररक सतम्मतलत हैं।
 र्ारदर्भशता को प्रोत्साहन प्रदान कर: RTI के तन्‍र्क्षतार्ूणव कायावन्ियन, तिशेष रूर् से ऄग्रसकिय
प्रकटीकरण से सरकारी ऄतधकारी कानून और संतिधान की मूल भािना के ऄनुसार दृढ़तार्ूिक

कायव करने के तलए ऄतधक सािधान होंगे। दूसरे , यह व्यतियों को ईनके ऄतधकारों, र्ात्रताओं और
आनकी र्ूर्भत के संदभव में जागरुक बनाएगा।

 ऄर्ने अतधकाररक कतवव्यों के तनिवहन के संबंध में सरकारी ऄतधकाररयों से प्रश्न करने के तलए
तहतधारकों का क्षमता तनमावण। ईदाहरण के तलए, MGNREGA के ऄंतगवत सामातजक
लेखार्रीक्षा की ऄिधारणा।
 भ्रष्टािार रोकथाम ऄतधतनयम जैसे कानूनों का प्रभािी कायावन्ियन।
तज़म्मेदारी
आसका ऄथव स्ियं के प्रतत ईत्तरदायी होने से है, ऄथावत् अंतररक ईत्तरदातयत्ि। यह एक नैततक
ऄिधारणा है तजसमें व्यति ऄर्ने सभी कायों के तलए स्ियं के प्रतत ईत्तरदायी महसूस करता है, भले ही
ककसी भी कानून के ऄंतगवत ईसके तलए ईत्तरदातयत्ि न तय की गयी हो। यह जिाबदेही से ऄतधक
तिरस्थायी होती है क्योंकक यह नैततक तकव र्र अधाररत होती है। तज़म्मेदारी का तनिवहन करने िाला
व्यति सदा ईतित कायव करता है, भले ही ईसके कायों की तनगरानी करने के तलए िहां कोइ भी न हो,
क्योंकक िह स्ियं को ऄर्ने प्रतत ईत्तरदायी मानता है। आसमें व्यति ऄर्ने कायों और तनणवयों की र्ूरी
तजम्मेदारी ग्रहण करता है।
हालांकक, आन शधदों का र्रस्र्र एक दूसरे के स्थान र्र ईर्योग ककया जाता है, लेककन आन दोनों के मध्य
एक सूक्ष्म ऄंतर तिद्यमान है। जिाबदेतहता व्यति को ईसके द्वारा ककए गए कायों या तनणवयों के
र्ररणामों के तलए जिाबदेह बनाती है। आसके तिर्रीत, तज़म्मेदारी का र्ररणाम से अिश्यक रूर् से
कोइ संबंध नहीं होता है। साथ ही, जिाबदेतहता व्यति से ईसके द्वारा ककये गये कृ त्यों के तलए
ईत्तरदेयता की मांग करती है। आसके तिर्रीत, तज़म्मेदारी के ऄंतगवत एक व्यति से भरोसेमंद होने की
ऄर्ेक्षा की जाती है तथा ईसे सौंर्े गए कायव को र्ूरा करने के तलए ईसर्र तिश्वास ककया जाता है।

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तज़म्मेदारी को नैततक र्ररर्क्वता से ऄंFor


तसंबMore
ंतधत माना जाता है। आसतलए तज़म्मेदारी की भािना के
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सृजन हेतु प्रतशक्षण, भूतमका तनिवहन अकद के माध्यम से नैततक, नीततशास्त्रीय मूल्य अकद प्रदान करने
की अिश्यकता होती है।

3.11. तितिध मू ल्य (Miscellaneous Values)

निािाररता और सृजनात्मकता (Innovativeness and Creativity)


प्रतत कदन नइ ICT प्रौद्योतगककयों के साथ तीव्रता से र्ररितवनशील होते र्ररिेश में तसतिल सेिकों को
ऄर्ने प्रशासतनक कायों को तीव्र, सुिारू और ऄतधक कु शल तरीके से तनिवहन करने के तलए आनका
ईर्योग करने हेतु निािारी और सृजनात्मक होना िातहए। आसके ऄततररक्त, प्रशासन को र्ररिेश
अधाररत होना िातहए और जब र्ररिेश तीव्र गतत से र्ररिर्भतत हो रहा है तो तसतिल सेिकों को आस
र्ररितवनशील र्ररिेश से सामंजस्य स्थातर्त करने के तलए र्यावप्त सृजनात्मक होना िातहए ताकक िे
ऄर्ने कतवव्यों का निािारी रूर् से तनिवहन कर सकें । ईदाहरण स्िरुर्, तीव्र गतत से र्ररिर्भतत होते
प्रौद्योतगकी युग में तसतिल सेिकों को तकनीक में प्रगतत के प्रभाि को र्हले समझने और कफर ईन र्र
नीतत तनमावण के तलए ऄत्यंत कम समय होता है। आसके बजाय ईन्हें र्ररतस्थततयों से सामंजस्य स्थातर्त
करने और र्हले से ही नीतत तनमावण में संलग्न होना िातहए।
साहस और बहादुरी (Courage and bravery)
यह दृढ़ नौकरशाहों की एक ऄन्य तिशेषता है, क्योंकक िे के िल तभी र्ररितवनकारी कदम ई ा सकते हैं,
जब ईनमें तिफलता की तजम्मेदारी स्िीकार करने का साहस हो। आसके ऄततररक्त, सत्यतन्‍ ा के ईच्च
स्तर को बनाए रखने के तलए, ईन्हें साहसी होना िातहए, ऄन्यथा िे ऄतत दुबवल बने रहेंग,े तजसका कोइ
प्रयोजन नहीं है।
ऄनुकियाशीलता (Responsiveness)
ईन्हें प्रतत कदन सृतजत होने िाले नए ऄिसरों और िुनौततयों के प्रतत ऄनुकियाशील होना िातहए और
जनता की निीन अिश्यकताओं के प्रतत ऄनुकिया करने में सक्षम होना िातहए।
दृढ़ता (Fortitude)
आसका तात्र्यव र्ीड़ादायक ऄथिा तिर्रीत र्ररतस्थततयों में साहस का प्रदशवन करने से है। यह दीघावितध
तक साहस को बनाए रखता है। तसतिल सेिक र्ररिर्भतत र्ररिेश में कायव करते हैं जहां ईन्हें तितभन्न
बाह्य प्रभािों और दबािों का समाना करना र्ड़ सकता है। ईन्हें तनष्ठा और मूल्यों के प्रतत प्रततबिता
प्रदर्भशत करनी िातहए तजसका िे र्ालन करते हैं।
गम्भीरता और ऄटलता (Perseverance and Tenacity)
आसका ऄथव है- तनरं तर प्रयास और दृढ़ संकल्र्। आसका तात्र्यव कर नाआयों ऄथिा सफलता प्रातप्त में
तिलंब के बािजूद तनरं तर प्रयास करते रहने से है। ऄनेक िषों तक एक ही प्रयोग को दोहराते रहने िाले
शोधकतावओं का लगातार एक ही कदशा में संर्ूणव फोकस बनाए रखना, गम्भीरता का एक ऄच्छा
ईदाहरण है। तसतिल सेिाओं के तलए, गम्भीरता एक महत्िर्ूणव मूल्य है। नीततयों द्वारा लाए जाने िाले
र्ररितवन, ईदाहरण के तलए- खुले में शौि से मुति ऄथिा ककसी तजले में बलग ऄनुर्ात में सुधार लाना
ऐसे लक्ष्य हैं तजन्हें रातों-रात प्राप्त नहीं ककया जा सकता है। ऄनेक लोगों द्वारा ऐसी योजनाओं का
तिरोध ककया जा सकता है क्योंकक ये एक िषव या दो िषव में र्ररणाम प्रदान नहीं करती हैं। तसतिल
सेिकों को गम्भीर होना िातहए यकद ईन्हें इमानदारी-र्ूिवक यह तिश्वास है कक ितवमान नीतत/योजना
िांतछत लक्ष्यों को प्राप्त करने का सिोत्तम तरीका है, हालांकक तत्काल रूर् से दृश्य प्रभाि नहीं भी हो
सकते हैं।
ऄटलता भी आससे काफी तमलता-जुलता है- यह दृढ़ संकल्र्ी होने, डटे रहने का गुण है।
लिीलार्न (Resilience)
लिीलार्न िस्तुतः शीघ्रता से संभलने और िार्सी करने का गुण है। यह संकट की तस्थतत में स्ियं को
ऄनुकूतलत करने और बेहतर तैयारी के साथ संकट र्ूिव तस्थतत में र्ुनः िार्सी की व्यतिगत क्षमता है।

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ऐसे कायव में तिफलता ऄर्ररहायव है तजसमें ऄतनतश्चतता तिद्यमान हो और ऄर्ूणव जानकारी के अधार
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र्र तनणवय तलया गया हो। तसतिल सेिकों का कायव प्रयासों की संभातित तिफलता से हार मान लेना
नहीं है बतल्क ऄसफलता के कारणों का ऄिलोकन करना और भति्‍य के तनणवयों में सुधार लाने के तलए
नकारात्मक प्रततर्ुतष्ट (negative feedback) को सतम्मतलत करने के तलए एक तंत्र तिकतसत करना
है। सकारात्मक दृतष्टकोण, भािनाओं को प्रबंतधत करने की क्षमता और अशािादी होना नम्य व्यतियों
के प्रमुख गुण हैं।

3.12. मू ल्यों के क्षरण के र्ररणाम (Consequences of Erosion of Values)

i. भ्रष्टािार तथा जन सेिा (जो ककसी भी प्रशासतनक प्रणाली के तलए सिवप्रमुख है) की ऄनुर्तस्थतत।
ii. प्रशासन जनता की अिश्यकताओं के प्रतत ईदासीन बन जाता है, क्योंकक यह संबि राजनीततक दलों
के ईद्देश्यों को र्ूरा करने का प्रयास करता है।
iii. आसके र्ररणामस्िरूर् मेररटोिे सी (जहां यो्‍यता को र्ुरस्कृ त ककया जाता है और सभी सेिा शतें
यो्‍यता के िस्तुतन्‍ मूल्यांकन र्र अधाररत होती हैं) का तिनाश होता है। आसतलए, स्थानांतरण,
तैनाती आत्याकद तसतिल सेिक की क्षमता के बजाय र्ूणवतः संबिताओं से तनदेतशत होती हैं। आसके
र्ररणामस्िरुर् ऄक्षमता, ऄप्रभातिता एिं मनोबल का ऄभाि ईत्र्न्न होता है।
iv. आससे लोक सेिाओं में जन सामान्य का तिश्वास कम हो जाता है, तजससे लोक सेिाओं की
तिश्वसनीयता को क्षतत र्हुाँिती है।
(आस तिषय में ऄतधक जानकारी के तलए, 'लोक प्रशासन में नैततकता’ िाले नोट्स को देखें।)
मूल्यों का समािेशन: समािेशन की तितशष्ट तितधयों के तलए ईर्युवक्त प्रत्येक व्यतिगत मूल्य का संदभव
लीतजए।

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4. तिगत िषों में Vision IAS GS में स टे स्ट सीरीज में र्ू छे
गए प्रश्न
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions)
1. कमजोर िगों के प्रतत संिद
े ना का मूल्य नम्यता का समािेश करके लोक सेिक के कायवकरण
की सीमाओं को बढ़ाता है, र्रन्तु यह िस्तुतनष्ठता के तसिांत को कमजोर करता है। ििाव

कीतजए। यकद संिद


े ना के मूल्य तथा िस्तुतनष्ठता के तसिांत के मध्य द्वंद्व ईत्र्न्न होता है, तो
अर् एक लोक सेिक के रूर् में आस तस्थतत का समाधान ककस प्रकार करें ग।े
दृतष्टकोण:
 संिेदना एिं िस्तुतनष्ठता के मूल्यों की व्याख्या कीतजए।
 तिस्तृत िणवन कीतजए कक क्या आस प्रकार के द्वंद्व तिद्यमान होते हैं।
 यकद ककसी प्रकार का द्वंद्व हैं तो व्याख्या कीतजए कक ऐसा क्यों है तथा आसके समाधान के
तलए कायविाही का सुझाि दीतजए।
ईत्तर:
एक लोक सेिक में संिद
े ना के मूल्य का होना ऄतत अिश्यक है ताकक िह िंतित िगव के लोगों
के कष्टों के प्रतत बिततत हो। संिेदना की भािना ईसे कमजोर िगों की सहायता करने हेतु
तिशेष प्रयास करने के तलए प्रेररत करती है। आसके तलए ईसे ऄर्ने कायवकरण में नम्य
(लोिशील) होना िातहए और तनयमों की सीमा के ऄंतगवत सख्ती से कायव करने के बदले
तनयमों के आदव-तगदव रहकर कायव करना िातहए। लेककन, आससे ईसकी िस्तुतनष्ठता प्रभातित हो
सकती है।
िस्तुतनष्ठता का अशय यह है कक लोक सेिक के तनणवय और कायविातहयां मेररट और तन्‍र्क्षता
र्र अधाररत होने िातहए। आसमें सम्मान, समानता और तन्‍र्क्षता सतम्मतलत हैं। आस तथ्य से
कोइ फकव नहीं र्ड़ता कक कोइ व्यति तनधवन है ऄथिा संर्न्न, ईनके साथ ऄतनिायव रुर् से
तन्‍र्क्षता र्ूिक
व व्यिहार ककया जाना िातहए।
र्रन्तु, एक लोक सेिक के द्वारा कु छ कमजोर िगों को सहायता प्रदान करने के तलए कायव
करते समय ईनके प्रतत झुकाि का प्रदशवन ककया जा सकता है। आसके कारण कु छ नीततयां और
तनणवय ऄलाभकारी और ऄनुर्योगी तसि हो सकते हैं तथा यहां तक कक कु छ ऄर्ेक्षाकृ त संर्न्न
जनसंख्या के तलए प्रततकू ल भी हो सकते हैं, लेककन िह जरुरतमंदों की सहायता करने के तलए

ईन्हें अगे बढ़ाने की िाह रख सकता है। साथ ही, यकद ईसके तनणवय अगे िलकर गलत तसि
होते हैं तो तनयमों की ऄनदेखी करने के तलए ईसे ऄनुशासनात्मक कारव िाइ का भी सामना
करना र्ड़ सकता है। आस प्रकार, आससे द्वंद्व की तस्थतत बन सकती है।
ऐसी तस्थतत में, तनम्नतलतखत तिकल्र्ों का ऄनुसरण ककया जा सकता है:
 ऄर्ने तििेक के ऄनुसार कायव करना और यह तनणवय करना कक ऐसी ककसी भी प्रकार की
कोइ कारव िाइ अिश्यक है ऄथिा नहीं।
 तििार-तिमशव करना कक संिद
े ना की भािना से की गइ कायविाही जनता के ऄतहत में
नहीं है।
 तनयमों से तििलन न्यूनतम होना िातहए और ककसी भी प्रकार के तििलन होने की
तस्थतत में ईससे िररष्ठ ऄतधकाररयों को ऄिगत कराना िातहए और यकद समयाभाि हो
तो कोतशश की जानी िातहए की सूिना को यथासंभि शीघ्रतार्ूिवक संप्रेतषत कर कदया
जाए।

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 ऄनुभि से सीखने का ईर्योग तनयम अधाररत तंत्र तनर्भमत करने के तलए ककया जाना
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िातहए ताकक ऐसी कोइ तस्थतत भति्‍य में ऄर्ने तलए या ककसी ऄन्य ऄतधकारी के तलए
द्वंद्व की तस्थतत ईत्र्न्न न करे ।

2. सत्यतनष्ठा के तबना इमानदारी संभि है, लेककन इमानदारी के तबना सत्यतनष्ठा संभि नहीं है।
क्या अर् आससे सहमत हैं? ईदाहरणों के साथ ऄर्ने मत का औतित्य तसि कीतजए।
दृतष्टकोण:
 इमानदारी और सत्यतनष्ठा का ऄतभप्राय स्र्ष्ट कीतजए।
 व्याख्या कीतजए कक िे ककस प्रकार संबंतधत हैं और आनमें से कौन-सा ऄतधक महत्िर्ूणव है
और क्यों।
 ईदाहरण दीतजए।
ईत्तर:
इमानदारी और सत्यतनष्ठा को प्राय: एक दूसरे का समानाथी माना जाता है लेककन ईनके ऄथव
में तभन्नता है। सत्यतनष्ठा ऄतधक समग्र दृतष्टकोण प्रदान करती है, तजसका अशय दृढ़ नैततक
तसिांतों और अिरण के ऄनुर्ालन से है।
एक इमानदार व्यति के तनम्नतलतखत लक्षण होते हैं:
 दूसरों के साथ ईदारतार्ूणव व्यिहार और न्यायतप्रयता;
 ऄसत्य नहीं बोलना, धोखा न देना, िोरी न करना तथा अिरण में सादगी; एिं

 तिश्वसनीय, तनष्ठािान, तन्‍र्क्ष और तन्‍कर्ट।


र्रन्तु, सत्यतनष्ठा का तात्र्यव तसिांतों का र्ालन होता है। यह एक तीन िरणीय प्रकिया है:
 अिरण की सही कायवप्रणाली का ियन करना;
 ियतनत तिकल्र् से सुसंगत कारव िाइ करना- यहााँ तक कक जब ऐसा करना ऄसुतिधाजनक
या ऄलाभप्रद हो तब भी; तथा
 ऄर्ने मत की खुले तौर र्र घोषणा करना।
तदनुसार, सत्यतनष्ठा नैततक भािना, प्रततबिताओं के प्रतत दृढ़ता ि तिश्वसनीयता के समतुल्य
होती है।
यहााँ यह 'इमानदारी' के दृतष्टकोण के समान है।
इमानदारी और सत्यतनष्ठा के मध्य प्रमुख ऄंतर यह है कक कोइ व्यति सत्यतनष्ठा हेतु अिश्यक
तििार और भािनाओं को प्रदर्भशत ककए बगैर र्ूरी तरह से इमानदार हो सकता है।
ईदाहरण के तलए, संभि है कक कोइ व्यति ऄर्ने िररष्ठ के प्रतत इमानदार और तनष्ठािान हो
र्रन्तु िह ईसे दुभाविनार्ूणव गतततितधयों में संतलप्त होने में सहायता भी करता हो। यहां, ईस
व्यति की इमानदारी के व्यतिगत लाभ हैं। ईसने ऄर्ने र्द की गररमा के साथ समझौता
ककया है और आसीतलए यहााँ ईसमें सत्यतनष्ठा का ऄभाि र्ाया जाएगा।
इमानदारी का ऄतस्तत्ि सत्यतनष्ठा के तबना भी हो सकता है क्योंकक सत्यतनष्ठा का ऄथव होता
है ऄर्नी प्रततबिताओं का सम्मान करते हुए तनरं तर ईदार, तन्‍र्क्ष एिं र्ारदशी रूर् से
व्यिहार करना; और लोक सेिा के मूल्यों को बनाए रखने के तलए प्रयास करना।
सत्यतनष्ठा का ऄतस्तत्ि इमानदारी के तबना नहीं हो सकता, क्योंकक सत्यतनष्ठा में तनम्नतलतखत

तत्ि सतम्मतलत होते हैं;


 लोकतहत बनाए रखने के तलए इमानदार और स्र्ष्ट राय प्रदान करना।

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 सभी र्ररतस्थततयों में तिश्वसनीयता बनाए रखना।


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 तलए गये तनणवयों के राजनीततक तनतहताथों को साझा करने के माध्यम से र्ूणव प्रकटीकरण
करना।
 ऐसी संस्कृ तत का तनमावण करना जो खुले, इमानदार और नैततक व्यिहार को प्रोत्सातहत
करती हो।
 लोगों के साथ ककसी राजनीततक, सामातजक, जनसांतख्यकीय, भौगोतलक र्ररतस्थतत या
र्ूिावग्रह के तबना भेदभाि रतहत व्यिहार करना।
ककसी भी र्ररतस्थतत में, सत्यतन्‍ व्यति सदैि इमानदारी के मूल्य को स्ितः बनाए रखता है।

3. समानुभतू त व्यति की भािनात्मक बुतिमत्ता का के िल एक महत्िर्ूणव ऄियि ही नहीं ऄतर्तु


ईसका संकेतक भी है। तिस्तारर्ूिक
व िणवन कीतजए।
दृतष्टकोण:
समानुभूतत की ऄिधारणा को संतक्षप्त में स्र्ष्ट कीतजए और तत्र्श्चात तिस्तारर्ूिक
व िणवन
कीतजए कक ककस प्रकार समानुभूतत भािनात्मक बुतिमत्ता का सिावतधक महत्िर्ूणव घटक है।
ईत्तर:
ककसी व्यति की मानतसकता और ईसके द्वारा ऄनुभि की जाने िाली र्ररतस्थततयों को
िास्ततिक रूर् में समझना ही समानुभूतत है। समानुभूतत दूसरे व्यति के तििारों, दृतष्टकोणों
और भािनाओं को समझकर संप्रष
े ण (तििारों के अदान-प्रदान) करने एिं ईसके ऄनुसार कायव
करने की क्षमता है। समानुभूतत दीघवकाल से भािनात्मक बुतिमत्ता की अधारतशला रही है।
समानुभूतत भािनात्मक बुतिमत्ता का सबसे महत्िर्ूणव र्हलू है। यह भािनात्मक बुतिमत्ता का
ऐसा घटक है जो सरकारी कमविाररयों को समाज में िंतितों की समस्याओं का समाधान करने
हेतु समथव बनाती है। भारत जैसे समाज में जहााँ रूकढ़िाकदयों की बहुलता है, समानुभूतत
व्यति को बेहतर तरीके से समाज की समस्याओं को समझने में सहायता कर सकती है।
समानुभूततर्ूणव सुनिाइ प्रभािशाली होती है, क्योंकक यह हमारे समक्ष ऄन्य लोगों के साथ
घरटत होने िाली र्ररतस्थततयों का जीिंत तित्रण प्रस्तुत करती है। जब हम ऄर्ने तििारों एिं
आच्छाओं को ऄन्य व्यतियों र्र थोर्ने से मुि हो जाते हैं तो आससे हमें ऄन्य व्यतियों की
िास्ततिक मनःतस्थतत और ऄनुभतू तयों को नए तसरे से ऄनुभि करने का ऄिसर प्राप्त होता है।
समान स्तर की जन्मजात भािनात्मक बुतिमत्ता िाले लोगों के मध्य, तजस व्यति ने व्यार्क
और तितिध प्रकार के ऄनुभिों, जैसे कक गहन तनराशा एिं संततु ष्ट के िरम अनन्द का िास्ति
में ऄनुभि ककया होता है, िही व्यति जीिन के सभी क्षेत्रों से संबंतधत ऄतधकातधक लोगों के
साथ समानुभूतत प्रकट करने में सबसे ऄतधक समथव होता है। दूसरी ओर, जब हम कहते हैं कक
कोइ व्यति ‘ऄन्य लोगों से समानुभतू त नहीं रख सकता’ तो आसका कारण संभित: यह है कक
ईसने स्ियं तितभन्न भािनाओं को कभी ऄनुभूत, ऄतभस्िीकृ त या स्िीकार नहीं ककया होता है।
समानुभूतत ककसी लोक सेिक को नागररकों की ऄनुभूततयों को गहराइ से समझने में समथव
बनाती है। ऐसा व्यति ऄन्य व्यतियों के तििारों, ऄनुभूततयों और भािनाओं का धैयवर्ूिक

ऄन्िेषण करता है। कु छ हद तक, यह ईन्हें नागररकों के साथ संर्कव (संबंध) स्थातर्त करने में
समथव बनाती है। यहााँ भािनात्मक बुतिमत्ता ईस संर्कव को ऄतधक सुदढ़ृ स्िरूर् प्रदान करती
है। जहााँ समानुभूतत लोक सेिक को नागररकों की ऄनुभूततयों को समझने में सक्षम बनाती है,
िहीं भािनात्मक बुतिमत्ता ईन्हें यह संप्रेतषत करने में सक्षम करती है कक िे ईन भािनाओं
और ईनके तनतहताथों को समझते हैं।

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ये सभी क्षमताएाँ तमलकर ककसी लोक सेिक को न के िल दूसरे व्यति के शातधदक संप्रष
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े ण
ऄतर्तु शधदों के र्ीछे छु र्ी भािनाओं को समझने में भी सक्षम बनाती हैं। ककसी ऄन्य व्यति के
तििारों, ईसकी ऄनुभूततयों और भािनाओं को समझने का प्रयास करना तथा भािनात्मक
बुतिमत्ता के साथ संप्रष
े ण करना तिश्वास के सृजन की अधारतशला है।
ये गुण सफल तसतिल सेिकों में देखे जा सकते हैं। आन्हें ईस समय देखा जा सकता है जब
नागररक लोक सेिक के साथ खुलकर ऄर्नी समस्याओं, िुनौततयों और ऄिसरों को साझा

करते हैं। आसे कु छ बेहतर करने का दृतष्टकोण तिकतसत करने हेत,ु नागररकों के साथ ऄर्ने
संबंध का ईर्योग कर नागररकों की भािनात्मक तस्थतत के प्रबंधन में सहायता करने की लोक
सेिक की क्षमता में देखा जा सकता है। सिवश्रेष्ठ लोक सेिक ककसी व्यति की ऄनुभूतत को
महसूस कर सकते हैं तथा समस्याओं का समाधान करने के तलए ईसके साथ-साथ ऄन्य लोगों
से संप्रष
े ण करने हेतु ऄर्नी ईच्च भािनात्मक बुतिमत्ता का ईर्योग करने की क्षमता का लाभ
ई ाते हैं।

4. सत्यतनष्ठा की ऄिधारणा र्र ििाव कीतजए और बताइए कक ककस प्रकार यह न तो एकल


िाररतत्रक लक्षण है और न ही ककसी तितशष्ट भूतमका तक ही सीतमत है।
दृतष्टकोण:
 सत्यतनष्ठा की ऄिधारणा के बारे में बताइए।
 ईसके बाद प्रश्न के दूसरे भाग र्र तिस्तार से ििाव कीतजए।
ईत्तर:
 सत्यतनष्ठा का तिकास ईस समय होता है जब कोइ व्यति तनरं तर ईतित तकव और प्रभािी
अत्मतिश्वास का समािेश करने िाली र्ितत से कारव िाइ करने का एक र्ैटनव तिकतसत
करता है।
 सत्यतन्‍ व्यति समझ-बूझ के साथ और व्यितस्थत रूर् से तनणवय संबंधी तिकल्र्ों का
अकलन कर सकता है। िह प्रत्येक तिकल्र् का अकलन स्ियं के तकों की दृढ़ता और
ऄर्ेतक्षत भािनाओं की गुणित्ता के संदभव में करता है। र्ररणामस्िरूर् िह ऐसे
सकारात्मक या नकारात्मक भािनाओं के स्रोतों की र्हिान करने में भी सक्षम हो सकता
है।
 दूसरी ओर, तजनके कायव ईनकी धारणाओं से मेल नहीं खाते, ईनमें सत्यतन्‍ ा का ऄभाि
होता है। ईन र्र तिश्िास नहीं ककया जा सकता, क्योंकक ईनकी अंतररक तनयंत्रण
प्रणाली आतनी कमजोर होती है कक ईनका व्यिहार ऄप्रत्यातशत और ऄसंगत होता है।
 ईच्ि कोरट के व्यतितनष्ठ ईत्तरदातयत्ि को बनाए रखना न के िल र्ररर्ूणत
व ा,
अत्मसम्मान और र्हिान की भािना के तलए महत्िर्ूणव है – जो कक मानतसक स्िास्थ्य
के तलए अिश्यक है - ऄतर्तु ऄर्ने िस्तुतनष्ठ ईत्तरदातयत्ि की र्ूर्भत के तलए भी महत्िर्ूणव
है।
 ऐसा माना जाता है कक सत्यतन्‍ ा में न के िल हमारे ऄंतरतम की ऄतर्तु हमारे संबंधों
की र्ररर्ूणत
व ा भी समातहत होती है।
 आसके ऄततररक्त, सत्यतनष्ठा न तो एकल िाररतत्रक लक्षण है और न ही ककन्हीं तिशेष
भूतमकाओं तक सीतमत है, बतल्क यह “जगत में ऄनुभिों का प्रसंस्करण करने की एक
र्रर्‍कृ त तस्थतत है जो नैततक तनणवय, रिनात्मकता तथा सहज ज्ञान युि क्षमता और
साथ ही तकव संगत तिश्लेषणात्मक शतियों को समाति्‍ट करती है”।

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 सत्यतनष्ठा को तितभन्न रूर्ों में समझा जा सकता है: (i) स्ियं के एकीकरण के रूर् में
सत्यतनष्ठा; (ii) र्हिान बनाए रखने के रूर् में सत्यतनष्ठा; (iii) ककसी मत र्र दृढ़ रहने
की सत्यतनष्ठा; (iv) नैततक ईद्देश्य के रूर् में सत्यतनष्ठा; और (v) एक गुण के रूर् में
सत्यतनष्ठा ।
 आस प्रकार सत्यतनष्ठा न तो एकल िाररतत्रक लक्षण है और न ही ककसी तितश्‍ट भूतमका
तक सीतमत है।
 सत्यतनष्ठ प्रशासकों र्र लोग एिं ईनके सहकमी तिश्िास करते हैं क्योंकक ईनकी कथनी
और करनी में सुसंगतता होती है। तिश्िास का यही भाि िस्तुत: ककसी संग न को
एकीकृ त बनाता है।

5. सत्यतनष्ठा इमानदारी से तभन्न है तथा एक तसतिल सेिक के तलए कदातित यह सबसे


महत्िर्ूणव तिशेषता है। सतिस्तार िणवन कीतजए।
दृतष्टकोण:
सत्यतनष्ठा तथा इमानदारी को नीततशास्त्र के ऄनुसार ऄलग-ऄलग र्ररभातषत कीतजए।
तत्र्श्चात, ईनके मध्य ऄंतर स्र्ष्ट कीतजए। र्ुनः एक तसतिल सेिक के र्ररप्रेक्ष्य से आन दोनों
तिशेषताओं की ििाव कीतजए और ऄंततः सत्यतनष्ठा को सिावतधक िांतछत गुण के रूर् में
स्थातर्त कीतजए।
ईत्तर:
सत्यतनष्ठा को ककसी व्यति के द्वारा धाररत अिरण, मूल्यों, तितधयों, ईर्ायों तथा तसिांतों के
रूर् में र्ररभातषत ककया जा सकता है। यकद ककसी व्यति का अिरण तसिांतों के अंतररक
सुसंगत ढााँिे के ऄनुरूर् है तो कहा जा सकता है कक ईि व्यति में सत्यतनष्ठा का गुण तिद्यमान
है। आस प्रकार यकद ककसी व्यति में संगर त मूल्य व्यिस्था तिद्यमान है तथा िह आस प्रदत्त
सीमा के भीतर समनुरूर् ढंग से अिरण करता है तो ईसे सत्यतनष्ठ व्यति कहा जाएगा।
आस प्रकार, सत्यतनष्ठा का संबंध व्यति के िररत्र से है, जबकक इमानदारी एक गुण मात्र है।
िूाँकक िररत्र ऐसे ही व्यतिगत गुणों का योग होता है, ऄतः इमानदारी को सत्यतनष्ठता का एक
ऄंग माना जा सकता है। इमानदारी सच्चाइ के साथ कायव तथा संिाद करने का मानिीय गुण
है। यह एक मूल्य के रूर् में सत्य से संबंतधत है। आसमें सुनना तथा मानिीय गतततितधयों के
प्रदशवन के साथ-साथ बोलना भी सतम्मतलत है। सामान्यतः इमानदारी का ऄथव ककसी व्यति
द्वारा ऄर्नी दृढ़ मान्यताओं के साथ तथ्यों एिं तििारों को प्रस्तुत करना है। आसमें दूसरों और
स्ियं दोनों के प्रतत तथा ऄर्ने ईद्देश्यों एिं अंतररक यथाथव के प्रतत ऄर्नाइ गइ इमानदारी
सतम्मतलत होती है।
सत्यतनष्ठता का एक ईदाहरण, तबना रे फ़री के खेल खेलते समय ऄर्नी गलततयों को स्िीकार
करना है। गलततयााँ करने र्र, एक सत्यतनष्ठ व्यति ईसे स्िीकार करे गा तथा सत्यतनष्ठा से
रतहत व्यति ईसे ऄस्िीकार करे गा।
एक तमत्र दूसरे से कहता है कक, “के िल तनधवन लोग ही कू ड़ा ई ाने िाले ट्रकों र्र काम करते
हैं”। ऄर्नी आस धारणा की सत्यता की जांि ककए तबना भी िह ऄर्नी धारणा के प्रतत
इमानदार हो सकता है। आसके तिर्रीत यकद िह ऄर्नी धारणा की िास्ततिकता की जााँि
करने का प्रयास करता है तो िह सत्यतनष्ठा का प्रदशवन करता है।
आस प्रकार, आन र्ररभाषाओं से यह र्ूणवतः स्र्ष्ट है कक सत्यतनष्ठता का ईर्योग व्यति के “कायों
ऄथिा तन्‍र्ादन प्रकिया” के स्तर र्र होता है, जबकक इमानदारी सोि तथा व्यिहार के
प्राथतमक स्तर र्र ऄतधक तिद्यमान होती है। एक तसतिल सेिक से सािवजतनक तहत को सिोच्च

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प्राथतमकता देने तथा ऄर्नी For


सेिा More
के स्तर र्र सही तथा इमानदार बने रहने की ऄर्ेक्षा की
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जाती है। आस प्रकार यह सिावतधक महत्िर्ूणव हो जाता है कक िह न के िल आन तसिांतों के प्रतत


इमानदार रहे, बतल्क सत्यतनष्ठा सुतनतश्चत करने के तलए सभी बाधाओं का सामना करने की
क्षमता भी रखे। आसके तलए साहस और दबाि का सामना करने की क्षमता के साथ-साथ
ईत्तरदातयत्ि की व्यार्क समझ होने जैसे ऄततररि गुणों की अिश्यकता होती है।
तसतिल सेिाओं तथा सािवजतनक जीिन के संदभव में, सत्यतनष्ठा एिं इमानदारी को तसतिल
सेिक के ईत्तरदातयत्ि के र्ररप्रेक्ष्य में र्ररभातषत ककया जाता है। यूनाआटेड ककगडम में नोलन
सतमतत के नाम से िर्भित ‘कतमटी ऑन स्टैण्डडव आन र्तधलक लाआफ’ सत्यतनष्ठा एिं इमानदारी
को तनम्नतलतखत प्रकार से िर्भणत करती है:
सत्यतनष्ठा: सािवजतनक र्दधारकों को स्ियं को बाहरी व्यतियों या संग नों के प्रतत ककसी भी
ऐसे तित्तीय या ऄन्य दातयत्ि के ऄधीन नहीं रखना िातहए जो ईन्हें ऄर्ने अतधकाररक
कत्तवव्यों के तन्‍र्ादन में बाधा डाले।
इमानदारी: सािवजतनक र्दधारकों का कत्तवव्य है कक िे ईनके सािवजतनक कत्तवव्यों से संबतं धत
ककसी भी तनजी तहत की घोषणा करें और ईत्र्न्न होने िाले तहतों के ककसी भी टकराि का
समाधान करने हेतु ऐसे कदम ई ाएं तजनसे सािवजतनक तहतों की रक्षा हो।
आस प्रकार, सत्यतनष्ठा ककसी भी तसतिल सेिक के सिावतधक िांतछत गुणों में से एक है। यकद
ककसी तसतिल सेिक र्र ककसी तिशेष ढंग से कायव करने के तलए ऄनुतित राजनीततक दबाि
हो, जो तन्‍र्क्षता, न्याय तथा ईसके कतवव्यों के तलए प्रदत्त ऄतधदेश के मूल्यों का
तिरोधाभासी है, तो ईसे र्द के प्रतत सत्यतनष्ठा बनाए रखने के तलए इमानदारी के ऄर्ने
व्यतिगत मूल्य के साथ समझौता करना र्ड़ सकता है। आस प्रकार, लोक सेिकों को आस
तिश्वास के साथ ऄर्ना र्द धारण करना िातहए तजससे िे सािवजतनक र्द का ईर्योग ऄर्ने
तनजी लाभ के तलए नहीं करें ग,े तन्‍र्क्षतार्ूिवक ऄर्ना कायव करें गे तथा ककसी तनजी संग न या
व्यति को िरीयता नहीं देंगे। के िल ऄर्नी सत्यतनष्ठा को सुतनतश्चत करके ही व्यति ऄर्ने
कतवव्यों के प्रतत सच्चा हो सकता है तथा यह भ्रष्टािार को समाप्त करने का एक-मात्र ईर्ाय है।

6. तसतिल सेिाओं में तटस्थता से अर् क्या समझते हैं? एक तसतिल सेिक के तलए तटस्थता
सिावतधक महत्िर्ूणव अधारभूत मूल्यों में से एक क्यों है?
दृतष्टकोण:
 ईत्तर में तनम्नतलतखत भाग समातिष्ट होने िातहए:
o तसतिल सेिाओं में तटस्थता की व्याख्या कीतजए।
o तसतिल सेिाओं में आस मूल्य के क्या लाभ हैं?

o तटस्थता के ऄनुर्ालन न करने से क्या हातन हो सकती है?


ईत्तर:
तसतिल सेिाओं में तटस्थता ककसी तसतिल सेिक द्वारा अत्मसात की जाने िाले अधारभूत
मूल्यों में से एक है। तटस्थता से तात्र्यव है कक ककसी तसतिल सेिक की कोइ राजनीततक
सम्बिता नहीं होनी िातहए तथा राजनीततक नेतृत्ि को तन्‍र्क्ष तकनीकी र्रामशव प्रदान
करने िाले एक तसतिल सेिक र्र राजनीततक नेतृत्ि के र्ररितवन का कोइ प्रभाि नहीं र्ड़ना
िातहए। तटस्थता हेतु यह अिश्यक है कक कोइ भी तसतिल सेिक िुनाि प्रिार ऄतभयानों या
राजनीततक दलों में शातमल नहीं हो सकता। ईसे सभी राजनीततक दल के नेताओं के साथ
तबना ककसी भय या र्क्षर्ात की भािना से रतहत होकर कायव करना िातहए।

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 तसतिल सेिाओं में तटस्थता ने यो्‍यता अधाररत प्रणाली के तिकास में सहयोग ककया है।
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जो यह सुतनतश्चत करता है कक के िल सिवश्रेष्ठ तथा सिावतधक प्रततभा-संर्न्न व्यति ही


तसतिल सेिा का ऄंग बन सकते हैं।
 एक तटस्थ तसतिल सेिक ऄर्ने द्वारा प्रदत्त र्रामशव की तन्‍र्क्षता तथा िस्तुतनष्ठता द्वारा
ही ऄर्ने राजनीततक िररष्ठ का तिश्वास प्राप्त कर सके गा। ईसके द्वारा प्रदान की गइ
सलाह को ईतित महत्ि प्रदान ककया जायेगा। लोकतंत्र में, राजनीततक कायवर्ातलका
समय-समय र्र बदलती रहती है, ककन्तु तटस्थ स्थायी कायवर्ातलका प्रशासन की
तनरं तरता को बनाए रखने हेतु अिश्यक होती है।
 यकद तसतिल सेिकों द्वारा तटस्थता का ऄनुर्ालन न ककया जाए तो भाइ-भतीजािाद की
व्यिस्था को बढ़ािा तमलेगा तथा लोक सेिाओं की गुणित्ता का शीघ्र ही र्तन हो
जाएगा।
 आसके ऄततररि, आसके र्ररणामस्िरूर् तसतिल सेिक एिं मंत्री के मध्य र्रस्र्र संबंधों में
तगरािट अएगी तथा तसतिल सेिकों में मंतत्रयों का भरोसा एिं तिश्वास कम हो जाएगा।
ककसी भी प्रणाली के कु शलतार्ूिक व कायव करने के तलए टीम के सदस्यों को एक समूह के
रूर् में कायव करना िातहए और यह तभी संभि होगा जब ईनमें से प्रत्येक एक-दूसरे के
प्रयोजनों र्र तिश्वास करें गे। तटस्थता के ऄभाि में यह तिश्वास कभी स्थातर्त नहीं हो
सकता।
स्थानान्तरण और र्द स्थार्न (र्ोबस्टग) के रूर् में भ्रष्ट ऄतधकाररयों को र्ुरस्कृ त तथा
इमानदार ऄतधकाररयों को दतण्डत करने का हातलया तरीका तसतिल सेिाओं में तटस्थता के
तलए एक बड़ा ख़तरा है। आस प्रिृतत्त को रोके जाने की अिश्यकता है। तसतिल सेिकों तथा
मंतत्रयों दोनों के मध्य तिश्वास को बनाए रखने हेतु एक सुदढ़ृ एिं प्रितवनीय नैततक संतहता की
अिश्यकता है।
प्रत्येक िुनाि के साथ दलों की तििारधारा र्ररिर्भतत होती रहती है। आस र्ररदृश्य में, एक
तटस्थ तथा गैर-राजनीततक नौकरशाही की सिावतधक अिश्यकता होती है। आसतलए, सभी
तसतिल सेिकों को ऄर्नी ईतित यो्‍यता के ऄनुसार आस तंत्र को संिातलत करने हेतु सिवप्रथम
तटस्थता के मूल्य को अत्मसात करना िातहए।

7. 'िस्तुतनष्ठता' और 'तटस्थता' तसतिल सेिा के अधारभूत मूल्यों में से हैं। ईदाहरणों सतहत ििाव
कीतजए।
दृतष्टकोण:
 ऄर्ने ईत्तर को िस्तुतनष्ठता और तटस्थता का ऄथव स्र्ष्ट करते हुए प्रारं भ कीतजए। आसके
ऄततररक्त, ििाव कीतजए कक कै से आन मूल्यों को तसतिल सेिाओं के अधारभूत मूल्यों के
रूर् में माना जाता है। साथ ही लोकतांतत्रक व्यिस्था में आनके महत्ि को दशावआए। साथ
ही आस तथ्य को भी रे खांककत कीतजए कक ये सरकार में तिश्वास तनर्भमत करने तथा ईसकी
दक्षता में सुधार करने में ककस प्रकार सहायता करते हैं। ऐसे र्ररतस्थततयों के ईदाहरण
दीतजए तजनमें आन मूल्यों का ऄनुकरण ककया जाना िातहए।
ईत्तर:
तसतिल सेिा के मूल्य ऐसे स्िीकृ त तसिांत और मानक हैं तजनका र्ालन करने की ऄर्ेक्षा लोक
सेिकों से की जाती है। िे अंतररक नैततक कद्‍दशवक की तरह कायव करते हैं और लोक सेिकों
को तिशेष रूर् से सािवजतनक कतवव्य और व्यतिगत तहत के बीि तिरोध या दुतिधा की तस्थतत
का सामना करने ि सािवजतनक तहत में तनणवय लेने हेतु मागवदशवन प्रदान करते हैं।
तसतिल सेिा के कइ ऄन्य मूल्यों में दो के न्द्रीय मूल्य, यथा- िस्तुतनष्ठता एिं तटस्थता
सतम्मतलत हैं। यूनाआटेड ककगडम के तसतिल सेिा कोड में िस्तुतनष्ठता को र्ररभातषत करते

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हुए कहा गया है कक यह “साक्ष्यों के क ोर तिश्लेषण र्र अधाररत व्यति के र्रामशव एिं
तनणवय को आं तगत करता है।” तिटेन की लॉडव नोलन सतमतत ने 1995 में िस्तुतनष्ठता को
तसतिल सेिा के सात अधारभूत मूल्यों में सतम्मतलत ककया। आसने िस्तुतनष्ठता को
तनम्नतलतखत रूर् में र्ररभातषत ककया है:
“सािवजतनक तनयुतियां करने, े के देन,े या र्ुरस्कार और लाभ के तलए लोगों को ऄनुशंतसत
करने सतहत सािवजतनक दातयत्िों का तनिवहन करते हुए सािवजतनक र्दधारकों को यो्‍यता के
अधार र्र तनणवय करना िातहए।”
यकद तसतिल सेिक िस्तुतनष्ठता का ऄनुर्ालन करता है तो िह मंतत्रयों को दी जाने िाली
सलाह सतहत समस्त सूिना साक्ष्यों के अधार र्र प्रदान करे गा; तिकल्र्ों और तथ्यों को

सटीक रूर् से प्रस्तुत करे गा; मामलों में मेररट के अधार र्र तनणवय लेगा; तथा तिशेषज्ञ और
र्ेशेिर सलाह र्र ईतित ध्यान देगा। िह सलाह प्रदान करने या तनणवय लेते समय अिश्यक
तथ्यों या प्रासंतगक तििारों की ईर्ेक्षा नहीं करे गा या तनणवय तलए जाने के बाद तनणवय के
ऄनुसार की जाने िाली कारव िाआयों को करने से आन्कार करके या ऄलग रह कर नीततयों के
कियान्ियन को तिफल नहीं करे गा।
अत्मतनष्ठ तििारों, जैस-े भािनाओं, र्ूिावग्रहों, व्यतिगत रुतियों अकद के अधार र्र तलए गए
तनणवय के स्थान र्र िस्तुतनष्ठ तनणवय के सफल होने और ईसके द्वारा सािवजतनक तहत की र्ूर्भत
ककए जाने की संभािना सदैि ऄतधक होती है। भारत जैसे संसदीय लोकतंत्र में, जहां एक

सामान्य राजनेता का मागवदशवन तिशेषज्ञ तसतिल सेिक द्वारा ककया जाता है, यह मूल्य बहुत
महत्िर्ूणव हो जाता है। यह मंत्री को अश्िस्त करता है कक तसतिल सेिक सािवजतनक तहत में
सलाह दे रहा है और ईसका कोइ गुप्त एजेंडा नहीं है। जनता सरकार के तनणवयों की गुणित्ता
के संदभव में अश्वस्त होगी और भले ही तलए गए तनणवय ऄर्ेतक्षत र्ररणाम प्रदान न करें ,
सरकारी तनणवयों की इमानदारी और प्रयोजन के संदभव में लोगों के मध्य भ्रम नहीं ईत्र्न्न
होगा।
तटस्थता को ऄर्ने कतवव्य का तनिवहन करते समय तसतिल सेिक की ओर से ककसी भी प्रकार
की राजनीततक संबिता या र्ूिावग्रह की ऄनुर्तस्थतत के रूर् में संदर्भभत ककया जाता है। एक
तसतिल सेिक को भेदभाि-रतहत होकर कायव करना होता है तथा राजनीततक कायवर्ातलका
द्वारा तनधावररत नीततयों के तकव संगत ऄनुप्रयोग से र्ेशेिर रूर् से स्ियं को संबि रखना होता
है।
तटस्थता का तसिांत यह सुतनतश्चत करता है कक लोक सेिक भय या र्क्षर्ात के तबना नैततक
अिरण का र्ालन कर सके । लोकतंत्र में सरकार सािवजतनक तनतध के न्यासी के रूर् में कायव
करती है तथा यह तनरं कुश नहीं होती है। साथ ही यह सुतनतश्चत करती है कक नागररकों को
ईनके ऄतधकार प्रदान ककए जाएाँ। यह एक भेदभाि-रतहत नागररक प्रशासन द्वारा सुतनतश्चत
ककया जा सकता है। िस्तुतनष्ठता के समान, यह राजनीततक कायवर्ातलका को अश्वस्त करती है
कक तसतिल सेिकों द्वारा गुण-दोषों र्र अधाररत स्ितंत्र, स्र्ष्ट और तन्‍र्क्ष सलाह प्रदान की
जा रही है और िह सलाह गैर-राजनीततक प्रकृ तत की है। तटस्थ प्रशासक सत्ताधारी दल की
तििारधारा को अगे बढ़ाने के स्थान र्र समाज के िृहत्तर तहत में सलाह देने के तलए बेहतर
तस्थतत में होगा। नागररक अश्वस्त रहते हैं कक िाहे जो भी राजनीततक दल सत्ता में हो,
शासन संतिधान और तितध के शासन के ऄनुरूर् ही होगा। यह र्ररितवन के साथ तनरं तरता
को भी सुतनतश्चत करती है ऄथावत् सरकारें र्ररिर्भतत हो सकती हैं लेककन प्रशासन और
नीततयों में व्यार्क रूर् से तनरं तरता तिद्यमान रहती है।

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तटस्थता आसतलए भी महत्िर्ूFor


णव होMore
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है क्योंकक आसे प्राय: भ्रम िश नीतत और मूल्य के
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प्रतत तटस्थता के रूर् में समझ तलया जाता है ऄथावत् लोक सेिक ऄर्ने मूल्यों र्र अधाररत
तनणवयों एिं नीततगत मूल्यांकनों र्र तिश्वास नहीं करते बतल्क राजनीततक कायवर्ातलका के
अदेशों का ऄंधानुकरण करने लगते हैं। आसतलए सकारात्मक तटस्थता का र्ालन करने की
अिश्यकता होती है। तसतिल सेिा में यह मूल्य आसे स्ितंत्र और तन्‍र्क्ष बनाता है, साथ ही
साथ यह ऐसे मूल्यों की मांग भी करता है जो समाज को लाभातन्ित करें । आस मूल्य के तहत
तसतिल सेिा राजनीततक कायवर्ातलका के ऄनैततक तनणवयों के प्रतत तनत्‍िय नहीं होती है।
स्र्ेक्ट्रम अिंटन या कोयला धलॉक नीलामी के मामलों में, िस्तुतनष्ठता और तटस्थता की कमी
देखी गयी तजसके कारण सािवजतनक कोष को ऄर्ार क्षतत हुइ। नौकरशाहों ने राजनीततक
कायवकाररणी के साथ सां -गां कर ली और ऐसे तनणवय सुझाए जो मेररट र्र अधाररत नहीं
थे ऄतर्तु सत्ताधारी दल का तहतसाधन करने के प्रयोजन से थे। यकद िस्तुतनष्ठता और
तटस्थता के तसिांत का ऄनुर्ालन ककया गया होता तो सािवजतनक तनतध के साथ-साथ शासन
में लोक तिश्वास की भी क्षतत नहीं होती।
आस प्रकार, ये अधारभूत मूल्य सुशासन को समथवन प्रदान करते हैं और तसतिल सेिा द्वारा
संर्न्न की जाने िाली सभी गतततितधयों में यथासंभि ईच्चतम मानकों की ईर्लतधध को
सुतनतश्चत करते हैं। यह ईर्लतधध बदले में तसतिल सेिा को मंतत्रयों, संसद, जनता एिं
लाभार्भथयों का सम्मान प्राप्त करने और ईसे बनाए रखने में सहायता करती है।

8. ऄतभरुति से अर् क्या समझते हैं? तसतिल सेिा के तलए ककस प्रकार की ऄतभरुति को
महत्िर्ूणव माना जाता है? एक तसतिल सेिक बनने हेतु यो्‍य होने के तलए अर्ने कौन-से

ईर्ाय ऄर्नाये हैं?


दृतष्टकोण:
 ईत्तर को ऄतभरुति की र्ररभाषा और आसके कु छ प्रकारों के साथ अरम्भ करना िातहए।
ईत्तर के दूसरे भाग में एक प्रभािी तसतिल सेिक होने के तलए अिश्यक ऄतभरुति/गुणों
र्र ििाव करनी िातहए। ईत्तर के ऄंततम भाग में आस कदशा में ककये गए कु छ व्यतिगत
प्रयासों र्र ििाव की जानी िातहए। आस तििार के साथ ईत्तर समाप्त ककया जा सकता है
कक िूाँकक ऄतभरुति जन्मजात भी होती है आतसलए र्ूरी तरह से ऄनुर्तस्थत होने र्र आसे
तिकतसत नहीं ककया जा सकता, लेककन यकद िह र्हले से तिद्यमान है तो व्यति ऄर्नी
क्षमताओं को र्ोतषत या संिर्भित कर सकता है।
ईत्तर:
ऄतभरुति को 'ककसी कायव के तन्‍र्ादन, तजसके संदभव में एक व्यति र्ास ऄल्र् या ककसी भी
प्रकार का र्ूिव प्रतशक्षण नहीं है, के तलए एक तनतश्चत सीमा तक ऄतधक ऄथिा कमतर
सुर्ररभातषत र्ैटनव या व्यिहार के ऄतभग्रहण हेतु एक व्यति की क्षमता या र्ररकतल्र्त
सामथ्यव के रूर् में र्ररभातषत ककया जा सकता है।’ ऄतभरुति न तो र्ूणत
व ः जन्मजात
(innate) होती है और न ही र्ूणवतः ऄर्भजत। यह कु छ सीमा तक जन्मजात होती है, ककन्तु
साथ ही यह जन्मजात और अस-र्ास के र्ररतस्थततयों के ऄंतसंबंध का ईत्र्ाद भी होती है।
ऄतभरुति शारीररक या मानतसक हो सकती है। ऄतभरुति कोइ तिकतसत ज्ञान, सीखी या
ऄर्भजत की गइ क्षमताएाँ (कौशल) या ऄतभिृतत्त नहीं है। ऄतभरुति की सहज प्रकृ तत ऄतधगम के
माध्यम से प्राप्त ज्ञान या क्षमता का प्रतततनतधत्ि करने िाली ईर्लतधध के तिर्रीत होती है।
ऄतभरुति की कु छ तिशेषताएं तनम्नतलतखत हैं:

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 ऄतभरुति भति्‍य की कु छ संभाव्यताओं को संदर्भभत करती है।


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 ऄतभरुति जन्मजात क्षमता होती है।


 ऄतभरुति का तनतहताथव प्रश्नगत गतततितधयों के तलए ईर्युक्तता या ऄनुकूलता है।
व्यार्क रूर् से, तसतिल सेिा के तलए दो प्रकार की ऄतभरुतियों की अिश्यकता होती है:
 शारीररक ऄतभरुति: यह ऄर्ने कतवव्यों को दक्षतार्ूिक
व तन्‍र्ाकदत करने के तलए
शारीररक यो्‍यता होती है। यह ईन सेिाओं के तलए ऄतधक प्रासंतगक होती है, तजनके
तलए फील्ड िकव की अिश्यकता होती है।
 मानतसक ऄतभरुति: यह ईन गुणों को सतम्मतलत करती है, जो मनोिैज्ञातनक या
संज्ञानात्मक प्रकियाओं के साथ संबि होते हैं। आसे सभी प्रकार की सेिाओं के तलए
महत्िर्ूणव माना जाता है तथा तसतिल सेिा के तलए ऄर्ेक्षाकृ त और भी ऄतधक महत्िर्ूणव
माना जाता है। आसे अगे तनम्नतलतखत रूर् में िगीकृ त ककया जा सकता है:
 सामान्य मानतसक यो्‍यता: यह ककसी भी बौतिक कायव के तलए अिश्यक मूलभूत
िैिाररक क्षमता है। यही िह अधार है तजस र्र ऄतभरुति के ऄन्य घटक अधाररत होते
हैं।
 ईर्युि मूल्य प्रणाली: यह समानुभतू त, तन्‍र्क्षता, गैर-तरफदारी, प्रततबिता, संिेदना
जैसे िांतछत मूल्यों का संयोजन है। तसतिल सेिा के तलए ऄतभरुति का यह ऄियि, ऄर्ने
कायव को न के िल दक्षतार्ूिक
व ऄतर्तु प्रभािी रूर् से तन्‍र्ाकदत करने के तलए भी
सिावतधक महत्िर्ूणव है।
तसतिल सेिा के ईम्मीदिार के रूर् में, ऄर्ने अर्को यो्‍य बनाने के तलए मैंने तनम्नतलतखत
ईर्ाय ककए हैं:
 िूाँकक, स्िस्थ शरीर में ही स्िस्थ मन तनिास करता है; आसतलए, स्ियं को शारीररक रूर्
से स्िस्थ रखने के तलए मैं तनयतमत रूर् से शारीररक व्यायाम करता ँाँ।
 हालााँकक, सामान्य मानतसक क्षमता लगभग र्ूरे जीिन भर तस्थर रहती है, मूल्यतन्‍ ा के
र्हलू का तिकास तितभन्न साधनों के माध्यम से ककया जा सकता, जैस-े महान व्यतित्िों,
दाशवतनकों और प्रशासतनक तििारकों की तशक्षाओं से सीखना; ऄर्ने तमत्र-समूह को
बदलना और ऐसे तमत्र बनाना जो कक तसतिल सेिा हेतु ऄतधक यो्‍य और ईर्युक्त हों,
क्योंकक हम ऄिलोकन के माध्यम से सीखते हैं (ऄल्बटव बन्दूरा); एक तसतिल सेिक द्वारा
िांतछत कु छ गतततितधयों का संर्ादन करना, जैस-े दूसरों के प्रतत समानुभूतत रखना,
सदािार/नैततकता के मानदण्डों को बनाए रखना, देश के कानून का र्ालन करना अकद।
हालांकक, आन मूल्यों की बात करना ईन्हें अिरण में लाने की ऄर्ेक्षा असान है। ककसी के तलए
सदैि आनका र्ालन और ऄभ्यास करते रहना बहुत कर न है। आसतलए, ऄर्ने अर् को
ऄतभप्रेररत रखने के तलए, जब भी मैं उर्र ईतल्लतखत कोइ भी कायव करता ँाँ, तो स्ियं को
र्ुरस्कृ त करता ँाँ। ईतित ऄतभिृतत्त तिकतसत करने के कु छ ऄन्य तरीकों में र्ुस्तकें र्ढ़ना,
तसतिल सेिकों से तमलना और ईनके ऄनुभिों के तिषय में बात करना, तितभन्न प्रकार के
व्यिसायों के माध्यम से जीिन-यार्न करने िाले लोगों के र्ररप्रेक्ष्य और तििारों को समझने
के तलए ईनके साथ तितभन्न मुद्दों र्र बातिीत करना अकद सतम्मतलत हैं।
िूाँकक, ऄतभरुति एक जन्मजात क्षमता भी होती है, आसतलए यकद ककसी व्यति के
मनोशारीररक (psycho-physical) तंत्र में कोइ ऄतभरुति र्ूरी तरह से ऄनुर्तस्थत है तो िह
ईस ऄतभरुति को तिकतसत नहीं कर सकता है। लेककन, यकद ककसी को यह र्हले से प्राप्त है
तो िह ऄर्नी आस क्षमता का संििवन कर सकता/सकती है।

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9. तसतिल सेिक के तलए एक मूल्य के रूर् में कमव ता के महत्ि की व्याख्या कीतजए। तसतिल

सेिकों में आसे कै से तिकतसत ककया जा सकता है?


दृतष्टकोण:
 प्रश्न की मूल तिषयिस्तु स्र्ष्ट और स्ियं-तसि है ऄथावत् कायों के तन्‍र्ादन में कमव ता का
महत्ि एिं तसतिल सेिक के तलए आसकी ईर्योतगता। तदनुसार, ईत्तर को तनम्नतलतखत
तरीके से सुसंरतित ककया जा सकता है:
o कमव ता को र्ररभातषत कीतजए और तसतिल सेिक के जीिन में आसके महत्ि की
व्याख्या कीतजए।
o आस मूल्य को तिकतसत करने में र्ररिार, तिद्यालय और कायवस्थल र्र प्रतशक्षण में
ईर्योग की जाने िाली तितभन्न तितधयों की व्याख्या कीतजए।
ईत्तर:
कमव ता िस्तुतः सकिय सहभातगता प्रदर्भशत करते हुए एिं प्रत्येक तििरण र्र सािधानीर्ूिक

ध्यान देते हुए ककसी कायव को संर्न्न करने में दृढ़ होकर लगे रहने का गुण है। कायव की
जरटलता और ईसके साथ अने िाली बड़ी तज़म्मेदारी र्र तििार करते हुए, यह गुण प्रत्येक

तसतिल सेिक के तलए ऄतनिायव है। ईदाहरण स्िरूर्, तजला प्रशासन में भ्रष्टािार तिरोधी

कानूनों को लागू करने, जहां भ्रष्टािार जीिन शैली का एक ऄंग बन गया है, तथा अर्दाग्रस्त
क्षेत्र में राहत और बिाि कायों का संिालन करने जैसे कायों के तलए व्यति को दृढ़ आच्छा-
शति के साथ ऄत्यंत सािधान और सिेत रहने की अिश्यकता होती है। कमव ता तसतिल
सेिकों को दातयत्िों का तनिवहन करने के तलए ऄत्यंत महत्िर्ूणव है लेककन आस मूल्य को
तिकतसत करना भी ईतना ही ऄतधक कर न है क्योंकक अधुतनक जीिन शैली की प्रिृतत्त क ोर
र्ररश्रम के स्थान र्र सुख-सुतिधा को ऄतधक महत्ता देने की है।

हालांकक, आस तरह के मूल्य को तसतिल सेिकों में तनम्नतलतखत तरीकों से तिकतसत ककया जा
सकता है:
 रोल मॉडल का ऄनुकरण करके : ऐसे कइ लोक व्यतित्ि रहें हैं तजन्होंने ऄर्ने सेिा काल
मे कमव ता के ऄनुकरणीय ईदाहरण प्रस्तुत ककए हैं। ईदाहरण के तलए- इ. श्रीधरन,

टी.एन. शेषन, जे. बलगदोह अकद। ऐसे व्यतित्िों के कायों के तिषय में तसतिल सेिकों को
जागरुक करके आन्हें ईनके तलए रोल मॉडल के रूर् में प्रस्तुत ककया जाना िातहए।
 कायवतन्‍र्ादन में ईत्कृ ष्टता का प्रदशवन करने िाले तसतिल सेिकों को सामातजक मान्यता:
ऐसे मूल्यों को धारण करने िाले तथा कायवक्षेत्र में ईनका प्रदशवन करने िाले व्यतियों को
र्हिान कदलाना और र्ुरस्कृ त करना। यह सहकमी तसतिल सेिकों को ऐसे मूल्यों को
ऄर्नाने के तलए प्रेररत करे गा।
 तसतिल सेिक को र्यावप्त स्िायत्तता प्रदान करना: राजनीततक दबाि से मुति, तसतिल
सेिक को सकिय रूर् से ऄर्ने कायव तन्‍र्ादन में संलग्न होने के तलए प्रेरणा प्रदान करे गी।
 र्यावप्त संसाधन प्रदान करना: कमव ता हेतु न के िल व्यतिगत आच्छाशति की अिश्यकता
होती है ऄतर्तु कायव को र्ूरा करने के तलए सूिना और साधनों के रूर् में संसाधनों की
भी अिश्यकता होती है। र्यावप्त संसाधनों के प्रािधान के माध्यम से कमव ता को
व्यािहाररक मूल्य के रूर् में तिकतसत करने हेतु ऄनुकूल र्ररतस्थतत का तनमावण होगा।

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10. “यकद अर् दूसरों को ख़़ुश देखना िाहते हैं, तो संिद
े नार्ूिक
व व्यिहार कीतजए। यकद अर् स्ियं

खुश रहना िाहते हैं, तो भी संिद


े नार्ूिक
व व्यिहार कीतजए"। लोक सेिा लक्ष्यों को साकाररत

करने हेतु एक संिद


े नशील लोक ऄतधकारी ककस प्रकार से ऄतधक ईर्योगी हो सकता है?

दृतष्टकोण:
 संिेदना के ऄथव को र्ररभातषत करते हुए ईत्तर अरम्भ कीतजए।
 ििाव कीतजए कक ककस प्रकार संिद
े ना ख़़ुशी प्रदान करती है।
 व्याख्या कीतजए कक ककस प्रकार संिेदना लोक सेिाओं के तलए प्रासंतगक है।
 ईर्युक्
व त बबदुओं के अधार र्र तन्‍कषव प्रस्तुत कीतजए।
ईत्तर:
संिेदना को ऐसी ऄनुभूतत के रूर् में र्ररभातषत ककया जाता है जो दूसरों को र्ीड़ाग्रस्त
देखकर जाग्रत होती है और यह ऄनुभूतत अर्को र्ीतड़त व्यति को कष्ट से मुति कदलाने के
तलए ऄतभप्रेररत करती है। यह "दूसरों के कल्याण की तनःस्िाथव बिता" है। संिेदना में

समानुभूतत की भािना के अधार र्र कारव िाइ समातिष्ट होती है। आसमें स्ियं और दूसरों को
सतम्मतलत ककया जाता है और आस प्रकार आसमें सभी को खुश करने की क्षमता तिद्यमान होती
है। संिेदना हमें खुशी प्रदान करती है, आसका एक कारण यह है कक यह हमारे संकीणव स्ि के
दृतष्टकोण को व्यार्कता प्रदान करती है। साथ ही दूसरों के प्रतत समानुभूतत से प्रेररत होकर
ककए गए हमारे कायव, तनम्नतलतखत के माध्यम से दूसरों को खुशी प्रदान करते हैं:

 स्ियं और दूसरों के प्रतत दयाभाि में िृति करके ।


 तिकट र्ररतस्थततयों में धैयव और नम्यता के गहरे स्तर का तिकास करके ।
 मन:तस्थतत को शांत करने और तििारों को सकारात्मक कदशा में तनदेतशत करने में
सहायता करके ।
 ध्यान कें कद्रत करने और ऄतधक प्रभािी होने की क्षमता को बढ़ाकर।
 तितभन्न प्रकार के स्ि-देखभाल कौशलों और तकनीकों तक र्हुाँि प्रदान करके ।
ईदाहरण के तलए, शीतकाल के दौरान लोक सेिकों या सामातजक कायवकतावओं द्वारा अश्रय
घरों की स्थार्ना करना संिेदनार्ूिवक कायविाही का ईदाहरण है। यह प्रदान करने िाले और
प्राप्तकताव, दोनों को ख़़ुशी प्रदान करता है।

लोक सेिा में संिद


े ना की ईर्योतगता
 यह तनािर्ूणव कायव र्ररतस्थततयों को तनयंतत्रत करने की क्षमता में िृति करती है। आस
प्रकार की तनािर्ूणव र्ररतस्थततयााँ एक लोक सेिक के कदन-प्रततकदन के कायव संिालन में
बहुत ही सामान्य बात है। ईदाहरण के तलए, तिर्तत्त के समय या सािवजतनक तिरोध

प्रदशवन के प्रतत नम्यता।


 सेिा प्राप्तकतावओं के साथ बेहतर संल्‍नता ि सहयोग को बढ़ािा देती है।
 समकक्षों और सहकर्भमयों के साथ बेहतर ऄंतदृतव ष्ट, तििार-तिमशव और निािार को
बढ़ािा देती है।
 प्रततकू ल र्ररतस्थततयों में भी बेहतर रणनीततक सोि और तनणवयन कौशल बनाए रखती
है।
 कायव के दबाि में कमी तथा कायव संतुतष्ट में िृति करती है।

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 संिेदना युि व्यति कायव के तितभन्न क्षेत्रों में ऄतधगम (सीखने), ऄनुकूलनशीलता और
तिकास को महत्ि प्रदान करते हैं।
 यह कम होते बजट, सामुदातयक र्हुंि के नए तरीकों को तिकतसत करने और प्राकृ ततक
अर्दाओं के प्रतत ऄनुकिया करने जैसी तितभन्न िुनौतीर्ूणव समस्याओं से तनर्टने के तलए
अिश्यक है।
 संिेदना को तिकतसत करने का प्रतशक्षण तितभन्न सािवजतनक और लोक सेिा
ऄतधकाररयों, जैस-े सरकारी कमविाररयों, गैर-सरकारी संग नों, ऄंतरावष्ट्रीय संग नों,

लोक सेिा र्रामशवदाताओं एिं र्ेशेिरों, यथा- तिककत्सकों अकद की कइ प्रकार की


अिश्यकताओं की र्ूर्भत कर सकता है। संिद
े ना को तिकतसत करने का प्रतशक्षण लोगों को
धैयवर्ूिक
व अगे बढ़ने, ध्यान देने और ऄर्ने अंतररक संसाधनों के तिषय में जागरुक बनने

जैसे नए तरीकों से कायविाही करने के तलए प्रोत्सातहत करता है।


 के रल में कोतझकोड के तजला प्रशासन द्वारा गांधीजी के मूलमंत्र का ईर्योग कर
‘कम्र्ैशनेट कोतझकोड’ र्ररयोजना प्रारं भ की गइ है, जो मानतसक स्िास्थ्य कें द्रों, बाल-

गृहों, िृिाश्रमों जैसे संस्थानों की सहायता करती है। यह आस बात का एक ईल्लेखनीय


ईदाहरण है कक संिद
े ना लोक सेिा का प्रभािी तत्ि हो सकती है।

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5. तिगत िषों में Vision IAS GS में स टे स्ट सीरीज में र्ू छे
गए प्रश्न: के स स्टडीज़
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions: Case Studies)

1. अर्को भारत के एक तजले में तजला कलेक्टर के रूर् में तनयुक्त ककया गया है। अर्को यह
सूिना दी गइ है कक एक धार्भमक समुदाय के कु छ सदस्यों द्वारा ईतित ऄनुमतत प्राप्त ककए
तबना सािवजतनक भूतम र्र एक संरिना का तनमावण ककया गया है। सािवजतनक भूतम र्र ककसी
भी स्थायी धार्भमक संरिना के तनमावण को ऄस्िीकृ त करने संबध
ं ी भारत के सिोच्ि न्यायालय
के कदशातनदेशों को ध्यान में रखते हुए, अर् आसे हटाने र्र तििार कर रहे हैं। हालांकक,
संबतं धत समुदाय के नेताओं ने अर्को यह तनिेदन करते हुए संरिना की ऄनुमतत देने का
ऄनुरोध ककया है कक यह के िल महीने भर िलने िाले धार्भमक ईत्सि के तलए तनर्भमत की गयी
है। आसके ऄततररक्त, ईनका कहना है कक कोइ ऄन्य तनकटिती धार्भमक स्थान नहीं है जहां
समुदाय के सदस्य ऄर्ने ईत्सि का अयोजन कर सकें । अर्के िररष्ठ ऄतधकारी और क्षेत्र के
राजनीततक नेता भी ईनके तििारों का समथवन करते हैं। हालांकक, अर्को आस बात का संदह

है कक ईत्सि समाप्त होने के बाद, बड़े र्ैमाने र्र समुदाय के सदस्यों की भागीदारी के कारण
सािवजतनक भूतम से धार्भमक संरिना को हटाना सरल नहीं होगा।
i. मामले का िस्तुतनष्ठ और व्यतितनष्ठ तिश्लेषण कीतजए।
ii. ऐसी तस्थतत में अर् क्या करें ग?

ईत्तर:
िस्तुतनष्ठ तिश्लेषण
 भारत का संतिधान धमव के अधार र्र भेदभाि ककए बगैर, तितध के समक्ष सभी के प्रतत
समान व्यिहार का प्रािधान करता है। आस प्रकार, संबंतधत धार्भमक समुदाय के साथ
ककसी भी प्रकार का तिशेष व्यिहार नहीं ककया जाना िातहए।
 एक तसतिल सेिक के रूर् में ककसी ऄतधकारी को सिोच्ि न्यायालय के कदशातनदेशों का
र्ालन करना िातहए क्योंकक भारत में सिोच्च न्यायालय द्वारा की गइ व्याख्या ऄंततम
और बाध्यकारी है।
 यकद िह कानून का ईल्लंघन करता है तो ईसे आस प्रकार के ईल्लंघन हेतु ऄर्ने िररष्ठ को
ईत्तर देना होगा।
 धार्भमक समुदाय भी भारतीय जनसंख्या का भाग हैं। आसतलए, ईनके रीतत-ररिाजों और
मान्यताओं का सम्मान ककया जाना िातहए।
व्यतितनष्ठ तिश्लेषण
भारत में धमव लोगों के जीिन में महत्िर्ूणव भूतमका तनभाता है। ऐसे में यकद धार्भमक संरिना
हटा दी जाती है, तो कारव िाइ को सांप्रदातयक रूर् कदया जा सकता है। िूंकक हमारा
धमवतनरर्ेक्ष मॉडल सभी धमों का समान रूर् से सम्मान करता है, आसतलए ईनकी भािना का
भी सम्मान ककया जाना िातहए। आसके साथ ही तसतिल सेिा से संबंतधत नेतृत्ि का गुण भी
ककसी भी समुदाय तिशेष में ऄतिश्वास और बैर र्ैदा न करने की मांग करता है।
कायविाही
प्रथम दृतष्टकोण
सिवप्रथम, समुदाय के नेताओं को सहमत ककया जाना िातहए कक यद्यतर् तजला प्रशासन ईनके
धमव के मूल्यों और रीतत-ररिाजों का र्ूणव रूर् से सम्मान करता है, तथातर् संरिना को हटाना

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होगा ऄन्यथा सख्त कदशा-तनदेFor


शों केMore
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प्रशासकों को दंडात्मक कारव िाइ का सामना करना
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र्ड़ेगा।
यकद नेता सहमत नहीं होते हैं, तो आस मामले र्र िररष्ठ ऄतधकाररयों के साथ ििाव की जानी
िातहए कक क्या ऐसा कोइ प्रातधकरण है जो आसकी ऄनुमतत दे सकता है। यकद ऐसा संभि
नहीं है, तो ईस संरिना को हटाना ही श्रेयस्कर कदम होगा।
यकद संरिना को हटाना संभि नहीं है, तो मुझे देखना होगा कक क्या कानून और व्यिस्था को
ध्यान में रखते हुए और समुदाय के नेताओं की सहायता से ईत्सि में भाग लेने िाले लोगों की
संख्या सीतमत ककया जा सकता है? यकद यह संभि है तो ईस समुदाय को ईत्सि का अयोजन
करने की ऄनुमतत दी जा सकती है, क्योंकक यकद सतम्मतलत लोगों की संख्या बहुत ऄतधक नहीं
है तो संरिना को बाद में हटाया जा सकता है। यकद यह संभि नहीं है, तो संरिना को हटा
कदया जाना िातहए।
तद्वतीय दृतष्टकोण
सरकारी भूतम र्र सामुदातयक गतततितधयों को अयोतजत ककया जा सकता है र्रन्तु ईसके
तलए ईतित ऄनुमतत लेने की अिश्यकता होती है। आसतलए मैं ईस समुदाय से तलतखत रूर् से
अिश्यक ऄनुमतत लेने के तलए कँाँगा।
तजला ऄतधकारी के रूर् में मेरा यह दातयत्ि है कक तजले में कानून व्यिस्था और शांतत बनी
रहे और साथ ही समुदाय की भािनाओं को े स भी न र्हुंिे। आसतलए आस प्रकार का संतुलन
बनाए रखने के तलए ईत्सि के महीने तक ऄनुमतत प्रदान कर दी जाएगी। हालााँकक, ईसके बाद
धार्भमक समुदाय के प्रभािशाली और महत्िर्ूणव सदस्यों के साथ िाताव के अधार र्र ईतित
प्रकियाओं का ऄनुर्ालन करते हुए नगरर्ातलका ऄतधतनयम के ऄंतगवत संरिना को ध्िस्त कर
कदया जाएगा, ताकक शांतत भंग न हो।
2. अर् एक तनयामक एजेंसी में एक आकाइ के तनदेशक हैं, तजसे संभातित रूर् से हातनकारक
िातणतज्यक रसायनों के ईर्योग की तनगरानी करने का दातयत्ि सौंर्ा गया है। अर्के
र्यविक्ष
े ण के ऄधीन कतन्‍ र्ररयोजना प्रबंधक गीता एक व्यार्क स्र्ेक्ट्रम िाले कीटनाशक
का ऄध्ययन करने के तलए ईत्तरदायी है तजसका न के िल छोटे खाद्यान्न ईत्र्ादक ककसानों
और कर्ास ईत्र्ादक ककसानों द्वारा कृ तष में, बतल्क र्शुधन क्षेत्र में एतनमल स्प्रे (animal
spray) के रूर् में भी ईर्योग ककया जाता है। ईसे यह तनधावररत करने का ईत्तरदातयत्ि सौंर्ा
गया है कक आस ईत्र्ाद को बाजार से हटाया जाना िातहए या नहीं। एक सामातजक कायविम
में, गीता की भेंट तसिाथव नामक एक व्यति से होती है। गीता को बाद में यह ज्ञात होता है कक
तसिाथव ईस कीटनाशक तनमावता की मुब
ं इ शाखा का प्रतततनतध है। तसिाथव से कइ बार तमलने
के बाद, गीता का ईसके प्रतत कु छ लगाि हो जाता है और िह आस संबध
ं को और अगे बढ़ाना
िाहती है। हालांकक, गीता ऄनुभि करती है कक ईनकी व्यािसातयक भूतमकाओं ने ईसके तलए
तहतों का संभातित संघषव ईत्र्न्न कर कदया है और िह अर्को आस तस्थतत के संबध ं में बताने
का तनणवय करती है। िह तसिाथव से तमलना जारी रखना िाहती है और कहती है कक िह
ऄर्ने व्यािसातयक और तनजी जीिन के मध्य र्ृथकता बनाए रखने के तलए ऄर्ने अर्को
र्यावप्त र्ररर्क्व मानती है। गीता दृढ़ता से कहती है कक तसिाथव के तलए ईसकी भािनाएं ककसी
भी प्रकार से ईसके व्यािसातयक तनणवय को प्रभातित नहीं करें गी; िास्ति में ईसने और
तसिाथव ने कभी भी प्रश्नगत रसायन के संबध
ं में ििाव तक नहीं की है। ऐसी तस्थतत में अर्
क्या करें ग?
े अर्के द्वारा ऄर्ने तलए ईर्लधध तिकल्र्ों का मूल्यांकन करते समय, तनणवय लेने
के तलए संदभव बबदु के रूर् में कौन-से नैततक तनयम और तसिांत अर्के मतस्त्‍क में ईत्र्न्न हो
सकते हैं?

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दृतष्टकोण
आस प्रकरण में नैततक तस्थतत ऄतधक स्र्ष्ट नहीं है। क्या गीता ने कु छ भी ऐसा ककया है जो
र्ेशेिर नैततकता का ईल्लंघन करता है? तसिाथव के साथ ईसके संबंधों के कारण, ऄर्ने
कतवव्यों के तनिवहन में िस्तुतन्‍ ता बनाए रखना ईसके तलए थोड़ा कर न हो भी सकता है और
संभितः नहीं भी; क्योंकक लोगों की आस प्रकार के तनािों का प्रबंधन करने की क्षमता तभन्न-
तभन्न होती है। ऐसे में अर्का ईत्तरदातयत्ि क्या है? क्या अर्के तलए ऄर्ने संग न के भीतर
संभातित ऄनैततक अिरण की एक झलक से भी बिना ऄतधक महत्िर्ूणव है या ऄर्ने
कमविारी के तनजी जीिन की स्ितंत्रता के ऄतधकार का समथवन करना ऄतधक महत्िर्ूणव है?
क्या गीता र्र तब तक भरोसा ककया जाना िातहए जब तक कक ईसका व्यिहार ऄन्यथा न
हो? ऄर्ने तिकल्र्ों का र्रीक्षण कीतजए और एक ईर्युि तन्‍कषव दीतजए।
ईत्तर:
प्रथम दृतष्टकोण
मुझे आस संबंध में तििार करना होगा कक आस ऄत्यतधक संिद े नशील तस्थतत का ईतित प्रबंधन
कै से ककया जाए। ऐसे में कु छ तिकल्र् तत्काल ही मेरे समक्ष ईत्र्न्न हो सकते हैं:
i. गीता को तसिाथव से तमलना बंद करने का अदेश देना।
ii. ईसे दूसरे कायव में स्थानांतररत कर देना।
iii. आस प्रकरण र्र ऄर्ने िररष्ठ से ििाव करना।
iv. गीता र्र तिश्वास करना कक ईसके द्वारा ऄर्ने संबंध से प्रभातित हुए तबना कायव ककया
जायेगा।
आसके ईर्रांत में तनम्नतलतखत संभातित र्ररणामों र्र तििार कर सकता ँाँ:
 गीता त्यागर्त्र दे सकती है।
 रसायन की जााँि संबंधी प्रगतत में तिलंब हो सकता है।
 मीतडया द्वारा आस प्रकरण को ई ाया जा सकता है।
 रसायन के संबंध में र्क्षर्ातर्ूणव तनणवय तलया जा सकता है तजसके जनता के तलए गंभीर
र्ररणाम हो सकते हैं।
 यकद मेरे द्वारा सूतित ककए तबना आस संबंध के तिषय में मेरे िरर्‍ को र्ता िलता है तो
मुझ र्र गैर-तज़म्मेदारीर्ूणव अिरण का अरोर् लगाया जा सकता है।
 जैस-े जैसे मैं तिकल्र्ों और ईनके संभातित र्ररणामों का मूल्यांकन करूंगा, तनणवय तक
र्हुंिने के तलए संदभव बबदु के रूर् में तितभन्न नैततक तनयम और तसिांत मेरे मतस्त्‍क में
ईत्र्न्न हो सकते हैं, यथा:
 "मुझे ऄर्ने र्यविेक्षण के ऄधीन कायवरत ऄधीनस्थों के साथ तन्‍र्क्ष होना िातहए।"
क्या मैं आस तस्थतत का समाधान ककसी तभन्न र्ितत से करता यकद आसमें मेरा कोइ र्ुरुष
ऄधीनस्थ सतम्मतलत होता?
 "ककसी हातन की संभािना से भी बिना।"
भले ही गीता िस्तुतन्‍ ि र्ेशि
े र तरीके से कायव करे , लेककन यकद आस प्रकरण को
मीतडया द्वारा ई ाया जाता है तो क्या मेरे संग न की तिश्वसनीयता का क्षरण होगा?
 "इमानदारी सिोत्तम नीतत है।"
यकद मैं ऐसी कोइ भी कारव िाइ करता ँाँ तजसे गीता, दंड या ऄतिश्वास के रूर् में समझे, तो
क्या आससे मेरे कमविाररयों द्वारा ककया जाने िाला इमानदार संिाद हतोत्सातहत होगा? क्या

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मुझे ऄर्ने िरर्‍ को बतानाFor


िातहए ऄथिा गीता का तिश्वास बनाए रखना िातहए और
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स्ियं तस्थतत से तनर्टने का ईत्तरदातयत्ि स्िीकार करना िातहए?


जब हम एक ओर प्रकरण के तथ्यों, कारव िाइ के तिकल्र्ों और ईनके संभातित र्ररणामों की
समीक्षा करते हैं और दूसरी ओर ईन्हें प्रासंतगक नैततक तनयमों के ऄर्ने संग्रह से संबि करते
हैं, तो तिकल्र्ों का क्षेत्र संकीणव होने लगता है और एक या दो तनयम तनणावयक रूर् में
ईभरकर सामने अते हैं। हम व्यािहाररक र्ररणामों और संबतं धत नैततक औतित्य के साथ
ककसी ऐसे तनणवय की कदशा में अगे बढ़ सकते हैं जो हमें स्िीकायव हो सके ।
यथासंभि िस्तुतन्‍ रूर् से तस्थतत और नैततक मुद्दे को र्ररभातषत करने के बाद, सिावतधक
कर न तस्थतत दो तिरोधाभासी तिकल्र्ों र्र तििार करने की है, ऄथावत् दो र्रस्र्र तिर्रीत
तिकल्र्ों में से ककसी एक का ियन करना है। या तो मैं गीता को तसिाथव से तमलना बंद करने
के तलए कँाँ या ईस र्र र्ेशेिर तरीके से संबंध तनभाने के तलए तिश्वास करूाँ। दोनों तिकल्र्ों
में से एक का ियन करने समस्या नीततशास्त्रीय प्रकिया में सिावतधक सामान्य दुतिधा है।
शायद ही कभी ऐसे नैततक मुद्दे के के िल दो या तीन संभातित समाधान होते हों: यकद मैं गीता
को तसिाथव से तमलना बंद करने के तलए कहता ँाँ तो संभातित र्ररणाम क्या होगा? क्या
होगा यकद मैं ईसे ककसी ऄन्य र्द र्र स्थानांतररत कर दूाँ? क्या ककसी ऄन्य सदस्य को ईसके
साथ कायव करने के तलए तनदेश दू?
ाँ ईसके कायव की तनगरानी को ऄतधक क ोर बना दू?
ाँ आससे
ककस तरह की घटनाओं की शृंखला का अरम्भ होगा और यह कहााँ तक जाएगी?
आस प्रकरण र्र लागू होने िाले तहतों के संघषव से संबंतधत कु छ तितनयम भी हो सकते हैं। आसके
ऄततररक्त, तनजता के सम्मान के साथ व्यतिगत गररमा के महत्ि को भी स्िीकार ककया जाना
िातहए: ये िे मूल्य हैं जो ऄत्यतधक महत्िर्ूणव हैं। प्रश्न के िल यह नहीं है कक मुझे तनयमों का
र्ालन करना िातहए या गीता की आच्छाओं के प्रतत ऄनुकियाशील होना िातहए। बतल्क,
तििारणीय र्हलू यह है कक ककस प्रकार गीता की गररमा और तनजता के प्रतत सम्मान
प्रदर्भशत करते हुए तितनयम का मंतव्य बनाए रखा जा सकता है।ककसी िररष्ठ ऄतधकारी के
तलए आन दोनों दातयत्िों के मध्य तिद्यमान तनाि का समाधान करना तथा आस संबंध में
ऄर्ना मत प्रकट करना एक ऄतधक बेहतर तिकल्र् है। गीता को तसिाथव से तमलना बंद करने
का अदेश देना गीता से ऄसंिेदनशील और ऄर्मानजनक तरीके से व्यिहार करना होगा,
लेककन ईसकी बात को र्ूणत व या स्िीकार लेना तहतों के िास्ततिक या कतथत संघषव का खतरा
ईत्र्न्न करे गा।
आस प्रकार एक समाधान यह अश्वासन देते हुए ईसके साथ बात करना हो सकता है कक मैं
ईसकी दुतिधा को समझता ँाँ और सहायता करना िाहता ँाँ। साथ ही मैं कानून के प्रतत ऄर्ने
कतवव्यों का तनिवहन करते हुए ईसकी गररमा और गोर्नीयता की रक्षा करने हेतु तितभन्न
तिकल्र्ों र्र ििाव कर सकता ँाँ। मेरे द्वारा ऐसे लाभप्रद समाधान की खोज की जानी िातहए,
तजससे गीता को र्ेशेिर जीिन से आतर तनजी जीिन जीने के तलए दंतडत न ककया जाए।
तद्वतीय दृतष्टकोण
तिश्लेषण
 तनयामक संग न आस सन्दभव में ऄत्यतधक महत्िर्ूणव है क्योंकक यह मामला व्यतियों और
र्शुओं के जीिन और र्याविरण को प्रभातित कर सकता है। गीता के संबंध का
तहतधारकों र्र प्रततकू ल प्रभाि र्ड़ सकता है।
 यकद यह मुद्दा सािवजतनक हो जाता है तो देश के तनयामकीय ढांिे में जनता का तिश्वास
समाप्त हो सकता है।
 हालांकक तसिाथव ने ईससे आस प्रकरण में सहायता करने के तलए नहीं कहा है, लेककन
भति्‍य में ऐसा होने की संभािना हो सकती है।
 यकद ईसे ईसका संबंध जारी रखने की ऄनुमतत नहीं दी जाती है, तो आससे ईसकी
कायवदक्षता प्रभातित हो सकती है।

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मेरी कारव िाइ For More Visit -http://pdf4exams.org

सिवप्रथम, मैं र्ता करूाँगा कक संग न की अिार संतहता या नीततर्रक अिार संतहता स्र्ष्ट
रूर् से आस प्रकार के संबंधों का तनषेध करती है या नहीं। यकद ऐसा है तो मैं गीता को आस
संदभव में सूतित करूाँगा। मैं ईसे तनयामकीय कायों में तटस्थ रहने के महत्ि को भी
समझाउंगा। आसके ऄततररि ईसे ककसी ऄन्य तिभाग में स्थानांतररत करने के तिकल्र्ों र्र
तििार करूंगा। यकद कोइ ऄन्य समाधान नहीं तमलता है तो मैं ईससे संबंध और र्द के मध्य
ककसी एक का ियन करने के तलए कँाँगा।
यकद कोइ संतहता आस प्रकार के संबंध के तिषय में कहीं भी ईल्लेख नहीं करती है, तब भी मेरा
यह दातयत्ि होगा कक स्िायत्तता और तन्‍र्क्षता के साथ तनयामकीय कायव संर्न्न हों। आस
ईत्तरदातयत्ि के तहत, मैं तसिाथव की कं र्नी के ईत्र्ाद का तनरीक्षण कायव गीता के बजाय
ककसी ऄन्य ऄतधकारी को स्थानांतररत कर दूग
ं ा।

3. एक कतनष्ठ कमविारी ऄर्नी िृि मां की देखभाल करने के तलए तिशेष छु ट्टी लेने के र्श्चात
हाल ही में कायव र्र लौट अइ है। तित्तीय कारणों से िह र्ूणक
व ातलक कायव करना िाहती है।
ईसे ऄर्नी मां की ईतित देखभाल के तलए व्यिस्था करने में कर नाआयों का सामना करना
र्ड़ रहा है, तजसके कारण िह टीम की महत्िर्ूणव बै कों (सामान्यत: प्रत्येक कदन के अरं भ में
होने िाली) में ऄनुर्तस्थत रहती है और ईसे कायावलय को समयर्ूिव छोड़ कर जाना र्ड़ता है।
िह ऄर्ने कायव में ऄत्यतधक तनर्ुण है लेककन ईसकी ऄनुर्तस्थतत से ईसके स्ियं के साथ-साथ
ईसके सहकर्भमयों र्र भी ऄततररि कायवभार का दबाि र्ड़ रहा है। अर् ईसके प्रबंधक होने के
नाते आस बात से ऄिगत हैं कक आस कारण से कायव की तनरं तरता र्र दबाि बढ़ रहा है। ईसके
एक र्ुरुष सहकमी द्वारा आस प्रकार की रटप्र्तणयां की जाने लगी हैं कक "एक मतहला का स्थान

घर में है" तथा प्रत्येक संभि ऄिसर र्र ईसे कमजोर तसि करने का प्रयास कर रहा है तथा
यह तस्थतत ईस र्र और ऄतधक दबाि ईत्र्न्न कर रही है। अर् आस तस्थतत से ककस प्रकार
तनर्टेंग?

ईत्तर:
अधारभूत तसिांत
i. सत्यतन्‍ ा: मुझे आसमें शातमल सभी लोगों के प्रतत तन्‍र्क्ष होना िातहए और इमानदारी-
र्ूिवक कायव करना िातहए।
ii. गोर्नीयता: मेरा कतवव्य है कक मैं सतम्मतलत स्टाफ की गोर्नीयता बनाए रखूाँ।

iii .र्ेशि
े र व्यिहार: मेरे द्वारा आस प्रकार कायविाही की जानी िातहए कक मेरे, मेरे र्ेशे की या
मेरे द्वारा ककये जाने िाले कायव की ऄिमानना न हो सके ।
प्रासंतगक तथ्यों की र्हिान करना
कं र्नी की नीततयों (यकद अिश्यक हो तो तितधक सहायता के साथ), प्रयोज्य तितधयों और
तितनयमों र्र तििार ककया जाना िातहए।
प्रभातित र्क्षों की र्हिान करना
i. कतन्‍ स्टाफ

ii. स्ियं मैं


iii. सदस्य स्टाफ
iv. र्ुरुष सहकमी और HR

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आसके समाधान हेतु ककसे शातमल ककया जाना िातहए?
मुझे न तसफव आस र्र तििार करना िातहए कक आसके समाधान हेतु ककसे सतम्मतलत ककया
जाए, बतल्क आस र्र भी तििार करना िातहए कक ईन्हें क्यों और कब सतम्मतलत ककया जाए।
मुझे यह देखना होगा क्या मेरी HR तिभाग में ईर्युि स्टाफ तक र्हुंि है? क्या मैं कायावलय
में ककसी तिश्वासर्ात्र व्यति से र्रामशव कर सकता ँाँ?
संभातित कायविाही
i. प्रासंतगक तथ्यों की जांि करना: िररष्ठ HR प्रबंधक के साथ कमविारी संबंधी प्रकिया को
स्र्ष्ट करना। यकद अिश्यक हो तो तितधक र्रामशव लेना।
ii. आस प्रकरण र्र स्टाफ के सदस्यों से ििाव करना: टीम की बै कों के तलए और ऄतधक नम्य
दृतष्टकोण सुझाना - यह भी संभि है कक बै कों को प्रततकदन सुबह के ही समय करना अिश्यक
न हो। यकद संभि हो तो घर से कायव करना कतन्‍ स्टाफ के तलए एक तिकल्र् हो सकता है।
iii. स्टाफ के ईस र्ुरुष सदस्य को ईतित अिरण के सन्दभव में ऄिगत कराया जाना िातहए
और बताया जाना िातहए कक ककस प्रकार ईसका व्यिहार ईत्र्ीड़न का कारण बन सकता है
तथा आसके र्ररणामस्िरूर् कं र्नी की प्रततष्ठा खराब होने के साथ-साथ ईसे कानूनी कायविाही
का सामना भी करना र्ड़ सकता है।
iv. आस प्रकिया के दौरान मुझे तन्‍र्क्ष रूर् से कारव िाइ करनी िातहए: स्टाफ की कतन्‍
सदस्य (जो ऄर्नी मां की देखभाल के तलए ईत्तरदायी है) और स्टाफ के ऄन्य सदस्यों, दोनों के
प्रतत तन्‍र्क्ष रूर् से कारव िाइ का दृतष्टकोण ऄर्नाया जाना िातहए।

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6. तिगत िषों में सं घ लोक से िा अयोग द्वारा र्ू छे गए प्रश्न


(Past Year UPSC Questions)

1. (a) लोक सेिा के संदभव में तनम्न शधदों से अर् क्या समझते हैं?

(i) सत्यतनष्ठा

(ii) ऄध्यिसाय

(iii) सेिा की भािना

(iv) प्रततबिता

(v) दृढ़ तिश्वास का साहस

(b) दो ऐसे ऄन्य गुण बताआए तजन्हें अर् लोक सेिा के तलए महत्िर्ूणव समझते हैं। ऄर्ने ईत्तर
का औतित्य समझाआए।
2. तिश्वसनीयता और सहन-शति के सद्गुण लोक सेिा में ककस प्रकार प्रदर्भशत होते हैं?
ईदाहरण के साथ स्र्ष्ट कीतजए।
3. क्या कारण है कक तन्‍र्क्षता और ऄर्क्षर्ातीयता को लोक सेिाओं में, तिशेषकर ितवमान

सामातजक-राजनीततक संदभव में, अधारभूत मूल्य समझना िातहए? ऄर्ने ईत्तर को


ईदाहरणों के साथ सुस्र्ष्ट कीतजए।
4. तसतिल सेिा के संदभव में तनम्नतलतखत की प्रासंतगकता का र्रीक्षण कीतजए :

(a) र्ारदर्भशता

(b) जिाबदेही

(c) तन्‍र्क्षता तथा न्याय

(d) दृढ़ तिश्वास का साहस

(e) सेिा भाि

5. समझौते से र्ूणव रूर् से आनकार करना सत्यतनष्ठा की एक र्रख है। आस संदभव में िास्ततिक
जीिन से ईदाहरण देते हुए व्याख्या कीतजए।

7. तिगत िषों में सं घ लोक से िा अयोग द्वारा र्ू छे गए प्रश्न:


के स स्टडी
(Past Year UPSC Questions: Case Studies)

1. मान लीतजए कक अर्के तनकट तमत्रों में से एक, जो स्ियं तसतिल सेिा में जाने के तलए

प्रयत्नशील है, िह लोक-सेिा में नैततक अिरण से सम्बतन्धत कु छ मुद्दे र्र ििाव करने के तलए
अर्के र्ास अता है। िह तनम्नतलतखत तबन्दुओं को ई ाता है:
(i) अज के समय में, जब ऄनैततक िातािरण काफ़ी फै ला हुअ है, नैततक तसिान्तों से तिर्के

रहने के व्यतिगत प्रयास, व्यति के कै ररयर में ऄनेक समस्याएाँ र्ैदा कर सकते हैं। ये र्ररिार
के सदस्यों र्र कष्ट र्ैदा करने और साथ ही साथ स्ियं के जीिन र्र जोतखम का कारण भी बन

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सकते हैं। हम क्यों न व्यािहाररक बनें और न्यूनतम प्रततरोध के रास्ते का ऄनुसरण करें , और

तजतना ऄच्छा हम कर सकें , ईसे ही करके प्रसन्न रहें?

(ii) जब आतने ऄतधक लोग गलत साधनों को ऄर्ना रहे हैं और तंत्र को भारी नुकसान र्हुंिा

रहे हैं, तब क्या फकव र्ड़ेगा। यकद के िल कु छ-एक लोग ही नैततकता की िेष्टा करें , िे ऄप्रभािी
ही रहेंगे और तनतश्चत रूर् से ऄनन्तः तनराश हो जाएंगे।
(iii) यकद हम नैततक सोि-तििार के बारे में ऄतधक बतंगड़ बनाएंगे तो क्या आससे देश की

अर्भथक ईन्नतत में रुकािट नहीं अएगी? ऄसतलयत में, ईच्च प्रततस्र्धाव के ितवमान युग में, हम
तिकास की दौड़ में र्ीछे छू ट जाने को सहन नहीं कर सकते।
(iv) यह तो समझ अता है कक भारी ऄनैततक तौर-तरीकों में हमें फं सना नहीं िातहए, लेककन
छोटे-मोटे ईर्हारो को स्िीकार करना और छोटी-मोटी तरफदाररयां करना सभी के ऄतभप्रेरण
में िृति कर देता है। यह तंत्र को और भी ऄतधक सुिारू बना देता है। ऐसे तौर-तररकों को
ऄर्नाने में गलत क्या है?
ईर्रोि दृतष्टकोण का समालोिनात्मक तिश्लेषण कीतजए। आस तिश्लेषण के अधार र्र ऄर्ने
तमत्र को अर्की क्या सलाह रहेगी?

2. कल्र्ना करें कक अर् एक सामातजक सेिा योजना की कियातन्िती के कायव प्रभारी हैं, तजससे
बूढ़ी एिं तनराश्रय मतहलाओं की सहायता प्रदान करनी है। एक बूढ़ी एिं ऄतशतक्षत मतहला
योजना का लाभ प्राप्त करने के तलए अर्के र्ास अती है। यद्यतर्, ईसके र्ास र्ात्रता के
मानदंडों को र्ूरा करने िाले काग़जात कदखाने के तलए नहीं हैं। र्रन्तु ईससे तमलने एिं ईसे
सुनने से अर् यह महसूस करते हैं कक ईसे सहायता की तनतश्चत रूर् से अिश्यकता है। अर्की
जााँि में यह भी अया है कक िास्ति में िह दयनीय दशा में तनरातश्रत जीिन व्यतीत कर रही
है। अर् आस धमवसंकट में हैं कक क्या ककया जाए। ईसे तबना अिश्यक कागजात के योजना में
सतम्मतलत ककया जाना, तनयमों का स्र्ष्ट ईल्लंघन होगा। ईसे सहायता के तलए मना करना
भी तनदवयता एिं ऄमानिीय होगा।
(a) क्या अर् आस धमवसक
ं ट के समाधान के तलए कोइ तार्ककक तरीका सोि सकते हैं?

(b) आसके तलए ऄर्ने कारण बतलाआए।

3. रामेश्वर ने गौरिशाली तसतिल सेिा र्रीक्षा को सफलतार्ूिक


व र्ास कर तलया और िह ऐसे
सुऄिसर से ऄतभभूत था जो तसतिल सेिा के माध्यम से देश की सेिा करने के तलए ईसको
तमलने िाला था। र्रन्तु, सेिा का कायवग्रहण करने के शीघ्र बाद ईसने महसूस ककया कक
िस्तुतस्थतत ईतनी सुन्दर नहीं हैं तजतनी ईसने कल्र्ना की थी।
ईसने ऄर्ने तिभाग में व्याप्त ऄनेक ऄनािार र्ाए। ईदाहरण के रूर् में, तितभन्न योजनाओं
और ऄनुदानों के ऄधीन तनतधयााँ दुर्भितनयोतजत की जा रही थीं। सरकारी सुतिधाओं का
ऄक्सर ऄतधकाररयों और स्टाफ द्वारा व्यतिगत अिश्यकताओं के तलए आस्तेमाल ककया जा
रहा था। कु छ समय के बाद ईसने यह भी देखा कक स्टाफ को भती करने की प्रकिया भी
दोषर्ूणव थी। भािी ईम्मीदिारों को एक र्रीक्षा तलखनी होती थीं तजसमें काफ़ी नक़लबाज़ी

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िलती थी। कु छ ईम्मीदिारोंFor


को र्रीक्षा में बाह्य सहायता भी प्रदान की जाती थी। रामेश्वर
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ऐसी घटनाओं को ऄर्ने िररष्ठों की नज़र में लाया। र्रन्तु, आस र्र ईसको ऄर्नी अाँखें, कान
और मुख बंद रखने और आन सभी िीज़ों को नज़रऄंदाज़ करने की सलाह दी गइ। यह बताया
गया कक सब ईच्चतर ऄतधकाररयों की तमलीभगत से िल रहा था। आससे रामेश्वर का भ्रम टू टा
और िह व्याकु ल रहने लगा। िह सलाह के तलए अर्के र्ास अता है।
ऐसे तितभन्न तिकल्र् सुझाआए, जो अर्के तििार में, ऐसी र्ररतस्थतत में रामेश्वर के तलए
ईर्लधध हैं। आन तिकल्र्ों का मूल्यांकन करने और सिावतधक ईतित रास्ता ऄर्नाने में अर्
ईसकी ककस प्रकार सहायता करें गे?

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Value Addition Material-2018


PAPER IV : नीततशास्त्र
लोक प्रशासन में लोक/तसतिल सेिा मूल्य तथा नीततशास्त्र

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तिषय सूची
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1. लोक सेिाओं में नीततशास्त्र और मूल्यों का महत्ि________________________________________________________ 4

2. लोक सेिा नीततशास्त्र/प्रशासतनक नीततशास्त्र __________________________________________________________ 4

3. लोक प्रशासन में नीततशास्त्र ______________________________________________________________________ 6

3.1. लोक प्रशासकों के तलए नीततशास्त्र की अिश्यकता ___________________________________________________ 6

3.2. लोक प्रशासन में नीततशास्त्र के तनधाारक ___________________________________________________________ 7

4. नीततपरक अचार संतहता और अचरण संतहता ________________________________________________________ 7

4.1. नीततपरक अचार संतहता और अचरण संतहता का ईद्देश्य ______________________________________________ 7

4.2. भारत और ऄन्य देशों/संगठनों में नैततक मानकों की ितामान तथथतत ________________________________________ 8
4.2.1. कें द्रीय तसतिल सेिा (अचरण) तनयमािली, 1964 _______________________________________________ 8
4.2.2. नीततपरक अचार संतहता हेतु प्रथम पहल- मइ 1997 _____________________________________________ 8
4.2.3. लोक सेिा मूल्यों के तलए तितीय पहल- लोक सेिा तिधेयक, 2006____________________________________ 9
4.2.4. यूनाआटेड ककगडम (United Kingdom) _____________________________________________________ 10
4.2.5. अर्थथक सहयोग एिं तिकास संगठन ________________________________________________________ 11
4.2.6. संयुक्त राष्ट्र (United Nations)___________________________________________________________ 12

5. लोक सेिकों में नैततक मानकों के पतन के कारण ईत्पन्न समथयाएं ___________________________________________ 13

5.1. ईच्च नैततक मानकों को सुतनतित करने के समक्ष समथयाएं______________________________________________ 13

5.2. तिचार ककए जाने योग्य तितशष्ट रणनीततयां _______________________________________________________ 14

6. सरकारी और तनजी संथथानों में नैततक चचताएं एिं दुतिधाएं ______________________________________________ 14

6.1. नैततक चचताएं एिं दुतिधाएं: ऄथा और महत्ि ______________________________________________________ 14

6.2. नैततक दुतिधाओं के कु छ प्रकार (Some types of Ethical Dilemmas) _________________________________ 15

6.3. सरकार (सािाजतनक क्षेत्र) में नैततक चचताएं _______________________________________________________ 15


6.3.1. प्रशासतनक तििेक (Administrative Discretion) _____________________________________________ 15
6.3.2. भ्रष्टाचार (Corruption) ________________________________________________________________ 16
6.3.3. प्रशासतनक गोपनीयता (Administrative Secrecy) ___________________________________________ 16
6.3.4. भाइ-भतीजािाद (Nepotism) ___________________________________________________________ 16
6.3.5. सूचना का खुलासा (Information Leaks) __________________________________________________ 16
6.3.6. लोक जिाबदेही (Public Accountability) __________________________________________________ 17
6.3.7. नीततगत दुतिधाएं (Policy Dilemmas) ____________________________________________________ 17
6.3.8. ऄन्य समथयाग्रथत क्षेत्र (Other Problem Areas) _____________________________________________ 17

6.4. तनजी/व्यािसातयक संथथानों में नैततक चचताएं एिं दुतिधाएं ____________________________________________ 17


6.4.1. साधारणतः तनजी क्षेत्र के नैततक मुद्दें ________________________________________________________ 18
6.4.2. तनयोक्ताओं के नैततक मुद्दे (Ethical Issues of Employers) _____________________________________ 18
6.4.3. कमाचाररयों के नैततकता संबंधी मुद्दे _________________________________________________________ 19

7. के स थटडी (Some Case studies) ______________________________________________________________ 21


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8. नैततक मागादशान के स्रोत के रूप में तितध, तनयम, तितनयम और ऄंतःकरण_____________________________________ 25

8.1. तितध की ऄिधारणा (The Notion of Law) _____________________________________________________ 25


8.1.1. प्राकृ ततक तितध और सकारात्मक तितध ______________________________________________________ 26
8.1.2. नैततक मागादशान के एक स्रोत के रूप में अधुतनक संदभा में तितध _____________________________________ 28

8.2. नैततक तनदेशन के एक स्रोत के रूप में ऄंतःकरण ____________________________________________________ 29


8.2.1. ऄंत:करण के प्रकार (Types of Conscience) _______________________________________________ 30
8.2.2. ऄंत:करण को संचातलत करने िाले नैततक तसद्ांत ______________________________________________ 31

9. जिाबदेतहता/ईत्तरदातयत्ि और नैततक शासन व्यिथथा __________________________________________________ 34

9.1 जिाबदेतहता/ईत्तरदातयत्ि: ऄथा, प्रकृ तत, क्षेत्र और महत्ि_______________________________________________ 34

9.2. जिाबदेतहता के प्रकार (Types of Accountability) _______________________________________________ 34


9.2.1. क्षैततज बनाम उर्धिााधर जिाबदेतहता _______________________________________________________ 34
9.2.2. राजनीततक बनाम तितधक जिाबदेतहता _____________________________________________________ 34
9.2.3. सामातजक जिाबदेतहता (Social Accountability) ____________________________________________ 35
9.2.4. जिाबदेतहता तनधाारण की तितधयां _________________________________________________________ 35

10. एक प्रभािी नीततपरक संरचना की अिश्यकता ______________________________________________________ 35

10.1. लोक प्रशासन में नैततक मानकों में िृतद् _________________________________________________________ 36

10.2. तितीय प्रशासतनक सुधार अयोग की चौथी ररपोटा - शासन में नैततकता ___________________________________ 37

11. सफल प्रशासकों के बारे में के स थटडीज ____________________________________________________________ 39

12. तिगत िषों में Vision IAS GS मेंस टेथट सीरीज में पूछे गए प्रश्न _________________________________________ 40

13. तिगत िषों में Vision IAS GS मेंस टेथट सीरीज में पूछे गए प्रश्न: के स थटडीज ________________________________ 50

14. तिगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग (UPSC) िारा पूछे गए प्रश्न _________________________________________ 56

15. तिगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग (UPSC) िारा पूछे गए प्रश्न: के स थटडीज ________________________________ 56

16. संदभा (References) _______________________________________________________________________ 57

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1. लोक से िाओं में नीततशास्त्र और मू ल्यों का महत्ि


(Importance of Ethics and Values in Public Services)
नीततशास्त्र का संबंध न के िल सही एिं गलत तथा ऄच्छे एिं बुरे के मर्धय भेद थथातपत करना है बतल्क
न्यायोतचत, तनष्पक्ष और ईतचत व्यिहार करने से भी है लोक सेिा सरकार की कायाकारी ऄंग है यह
थथायी होती है तथा यह जनता से संपका हेतु राज्य की सिाातधक महत्िपूणा ऄंग भी है राज्य िारा प्रदत्त
यथोतचत संप्रभु शतक्तयों का प्रयोग करने के साथ-साथ आसे तितभन्न ईत्तरदातयत्ि भी सौपें गए हैं लोक
सेिा नीतत तनमााण और कायाान्ियन, तितध प्रितान, सािाजतनक सेिा प्रदायगी तथा जनता की ओर से
राज्य को सौंपे गए संसाधनों के प्रबंधन में सरकार की सहायता करती है
यद्यतप लोक सेिकों िारा शतक्तयों के प्रयोग को संिैधातनक एिं तितधक मान्यता प्राप्त है, परन्तु आसकी
िैधता आन शतक्तयों के ईपयोग ककए जाने के तरीकों के मार्धयम से प्राप्त होती है लोक तिश्वास को
बढ़ािा देने हेतु लोक प्रशासन में नैततकता ऄतनिाया है आस प्रकार, लोक सेिकों िारा शतक्तयों के
न्यायोतचत और तनष्पक्षतापूिक
ा प्रयोग करने हेतु नीततशास्त्र ऄपररहाया हो जाती है नीततशास्त्र/मूल्य
जनता और प्रशासन के मर्धय ईत्तरदातयत्ि के तनधाारण हेतु एक ढांचा प्रदान करते हैं तथा यह भी
सुतनतित करते हैं कक जन सामान्य को ईसके तलए तनधााररत बुतनयादी अिश्यकताओं को एक तनष्पक्ष
और न्यायोतचत ढंग से प्रदान ककया जा रहा है, ताकक िे व्यापक रूप से थिीकाया हो सके नीततशास्त्र,
लोक सेिा के मार्धयम से ककए जाने िाले सभी कायों में ईच्चतम मानकों की प्रातप्त को सुतनतित करने हेतु
लोक सेिकों की सहायता भी करती है यह ईतचत व्यिहार हेतु न के िल कदशा-तनदेश (अंतररक रूप से
मूल्य तथा बाह्य रूप से अचरण संतहता) प्रदान करती है बतल्क यह भी सुतनतित करती है कक लोक
तिश्वास प्राप्त ककया जाए तथा ईसे बनाए रखा जाए आस प्रकार के तिश्वास के पररिेश का सृजन कर,
प्रशासन जनता को यह समझाने में सहायता करता है कक िे ईनके सिोत्तम तहत में काया कर रहे हैं जब
लोक सेिक, सत्यतनष्ठा के साथ काया करते हैं तथा शासन व्यिथथा में इमानदारी तिद्यमान होती है तो
यह समाज में तिश्वास को सुदढ़ृ करने में सहायता करता है और ऄंततः यह सुशासन की थथापना का
मागा प्रशथत करता है
2. लोक से िा नीततशास्त्र/प्रशासतनक नीततशास्त्र
(Public Service Ethics/Administrative Ethics)
लोक सेिा नीततशास्त्र या प्रशासतनक नीततशास्त्र से अशय सरकार के प्रशासतनक क्षेत्र में ईतचत अचरण
के तसद्ांतों तथा मानकों से है
 कइ ऐसे मूल्य हैं जो लोक सेिकों की ऄतभिृतत्त और कायािातहयों को प्रभातित करते हैं आसके
ऄंतागत सामातजक, राजनीततक, व्यतक्तगत तथा प्रशासतनक (या संगठनात्मक) मूल्य शातमल हैं
 दक्षता, प्रभािकाररता, जिाबदेही, तटथथता तथा ऄनुकियाशीलता जैसे प्रशासतनक मूल्यों से
सामंजथय तबठाते हुए नैततक तसद्ांतों को लागू करने की चुनौती के संदभा में तिचार करना
ईदाहरणाथा, तनरपेक्ष पारदर्थशता का ऄनुकरण करना तिभागीय गोपनीयता को प्रभातित कर
सकती है आसी प्रकार राजनीततक कायाकारी के प्रतत तजम्मेदारी के भाि से जन सामान्य के साथ
व्यिहार में तनष्पक्षता से समझौता हो सकता है आस प्रकार के संघषों के समाधान हेतु नैततक
तसद्ांतों का पालन करते हुए तिद्यमान कदशा-तनदेशों एिं तनयमों को तिथतारपूिक
ा प्रथतुत करना
चातहए
 लोक सेिकों को परं परागत रूप से यह परामशा प्रदान ककया जाता रहा है कक एक ईत्तरदायी
प्रशासतनक व्यिहार हेतु ईन्हें कु छ सामान्य तनयमों या अदेशों का ऄनुपालन करना होता है, जैसे
कक:
o लोक तहत में काया करना
o राजनीततक रूप से तटथथ रहना

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o गोपनीय सूचनाओं को प्रकट नFor


करना
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o जन सामान्य को कु शल, प्रभािी तथा तनष्पक्ष सेिा प्रदान करना


o तहतों के संघषा से बचना
o जिाबदेह बनना, अकद
यद्यतप आन सामान्य रूप से प्रदत्त अदेशों से ऄनेक करठनाआयां ईत्पन्न हुइ हैं, यथा:
 आनके ऄथा में तथा िथतुतः आनके व्यािहाररक ईपयोग से सम्बद् थपष्टता एिं तनतितता का ऄभाि
 तनयमों का तनमााण बॉटम-ऄप एप्रोच के थथान पर टॉप-डाईन एप्रोच िारा ककया गया है आन
तनयमों को प्रभािी बनाने हेतु आन्हें न के िल बाह्य रूप से बतल्क अंतररक रूप से भी थिीकार ककया
जाना अिश्यक है आस प्रकार, तनयमों के औतचत्य पर प्रश्न ईठाए जा सकते हैं ईदाहरणाथा-
राजनीततक तटथथता यद्यतप लोक सेिाओं का एक के न्द्रीय तसद्ांत है परन्तु व्यािहाररक दृतष्ट से
यह कायाान्ियन योग्य नहीं है लोक सेिकों और राजनेताओं के मर्धय कायाकारी संबंधों का पूणत
ा या
तटथथ होना ऄत्यंत करठन है
 तीसरा, ये तनयम कभी-कभी परथपर टकराते हैं, खासकर जब ईनकी व्याख्या की जाती है तब ऐसे
टकराि खुलकर सामने अते हैं प्रायः लक्ष्य ईन्मुखता के मार्धयम से तनणायों की औतचत्यता का
बचाि ककया जाता है जबकक ऄतनतितता की तथथतत का बचाि साधन/तनयम ईन्मुख होकर ककया
जाता है दक्षता, गतत और प्रभािकाररता कु छ ऄिसरों पर िथतुतनष्ठता, ईत्तरदातयत्ि, जिाबदेही
तथा सहानुभूतत से समझौता कर सकते हैं
 आस बात को भी सुतनतित करना अिश्यक है कक देश में होने िाले सामातजक, अर्थथक एिं
राजनीततक पररितानों को र्धयान में रखते हुए तनणायन हेतु तनयमों का तनरं तर मूल्यांकन और ईनका
सतत तिकास होता रहे

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3. लोक प्रशासन में नीततशास्त्र


(Ethics in Public Administration)
एक लोक प्रशासक के पेशेिर नीततशास्त्र में व्यिहार एिं अचरण संबंधी मानक शातमल होते हैं, जो
ईसके लोक कताव्यों के तनिाहन हेतु अिश्यक हैं आनके ऄंतगात पररतथथततयों को ईपयुक्त बनाने हेतु
तिचार एिं कायािाही शातमल होते हैं तथा एक ऐसा व्यिहार शातमल होता है जो लोक प्रशासन की
भािना को प्रदर्थशत करता है लोक प्रशासन में नीततशास्त्र का ईद्देश्य प्रशासक में पेशेिर नैततकता की
भािना को तिकतसत करना है ताकक िह ऄपने कताव्यों का तनिाहन सिोच्च नैततक मानकों के ऄनुरूप पूणा
कर सकें

3.1. लोक प्रशासकों के तलए नीततशास्त्र की अिश्यकता

(Need of Ethics for Public Administrators)


 लोक प्रशासन के तितभन्न अयामों, जैस-े राजनीततक, तितधक, तकनीकी, तित्तीय आत्याकद की
तुलना में भारतीय प्रशासन में नैततकता के अयाम की गंभीर रूप से ईपेक्षा की गइ है
 आसके ऄततररक्त, लोक सेिा नीततशास्त्र के बारे में जनता और मीतडया िारा व्यक्त हातलया चचता
तहतों के संघषा के मुद्दों पर कें कद्रत रहे हैं, जबकक राजनीततक पक्षपात, सािाजतनक रटप्पणी और
गोपनीयता के बारे काफी कम चचता व्यक्त की गयी है
 तिगत दो दशकों में सरकार िारा आन सभी मुद्दों के प्रत्युत्तर में तितभन्न ऄतधतनयम, तितनयम एिं
कदशा-तनदेश थथातपत ककए गए हैं
 हालांकक आस प्रकार के ईच्च श्रेणी के मुद्दे नैततकता संबंधी समथयाओं का के िल एक छोटा सा ही
भाग है
 ऄन्य ऄतधकांश महत्िपूणा मुद्दे जनता और तििानों को तुलनात्मक रूप से कम अकर्थषत करते हैं
 ये मुद्दे तनजी, व्यतक्तगत ऄथिा पक्षपातपूणा लाभ हेतु लोक पदों के ईपयोग से कम जबकक
प्रशासतनक कताव्यों के तनिाहन के दौरान ईत्पन्न नैततकता एिं मूल्य संबंधी तििादों और दुतिधाओं
से ऄतधक संबतं धत होते हैं
 मानिता: मानिता एक ऄन्य कें द्रीय नैततक तसद्ांत है, जो यह तनदेतशत करता है कक ककसी व्यतक्त
िारा प्रततकू ल और करठन पररतथथततयों में संतलप्त व्यतक्तयों के प्रतत तिशेष रूप से सतका तापूणा एिं
सहानुभूततपूणा व्यिहार ककया जाना चातहए हमें ऄन्य व्यतक्तयों को सहचर के रूप में देखना
चातहए तजनके साथ हम सहानुभतू त, संिेदनशीलता और करुणा की भािना रखते हैं

मानि ऄतधकार (Human Rights)


 संयुक्त राष्ट्र के सािाभौतमक मानिातधकार घोषणा-पत्र के ऄनुच्छेद 1 के ऄनुसार, “सभी मनुष्यों को
गररमा और ऄतधकारों के संदभा में जन्मजात थितंत्रता और समानता प्राप्त है ”
 िे बुतद् एिं तििेक संपन्न होते हैं और ईन्हें भाइचारे की भािना के साथ तमलकर काया करना
चातहए "मानिातधकार" को ऄंतरााष्ट्रीय कानून के थिीकृ त तसद्ांतों के साथ-साथ ऄनुमोकदत मूल्यों
की एक तिथतृत श्रृंखला के रूप में समझा जाना चातहए, तजनके तनतहताथा तििादाथपद ऄथिा
ऄथपष्ट हैं
 मानिातधकार का क्षेत्र ऄपने ऄंतगात मानि समाज के शासन व्यिथथा के तलए एक नैततक अधार
रे खा के तौर पर एक तिकतसत होती ऄंतरााष्ट्रीय पररयोजना को शातमल करता है
 चूंकक अधुतनक नैततक दशान ईत्तरोत्तर दािा-अधाररत और ऄतधकार-अधाररत नैततकता के आदा-
तगदा घूम रहा है, ऄतः ऐसे में मानिातधकार सिाातधक मौतलक तसद्ांत के रूप में सामने अता है

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 जब आन ऄतधकार-अधाररत तसद्ांतों िारा यह तका कदया जाता है कक कु छ तनतित थितंत्रता और


ऄतधकारों पर जन सामान्य का दािा है तथा ऐसे में जब ककसी व्यतक्त िारा ऄन्य व्यतक्त के तिरुद्
ककसी प्रकार का दािा ककया जाता है तो ऐसी तथथतत में ईस दािे के औतचत्य को तसद् करना और
आन ऄतधकारों की सुरक्षा करने के ईत्तरदातयत्ि का तनधाारण ऄत्यतधक महत्िपूणा हो जाता है

3.2. लोक प्रशासन में नीततशास्त्र के तनधाा र क

(Determinants of Ethics in Public Administration)


सािाजतनक क्षेत्र में प्रशासतनक अचरण के प्रमुख तनधाारकों में तनम्नतलतखत शातमल हैं:
i. राजनीततक संरचना, (लोक प्रशासक, आस संरचना के भाग होते हैं);
ii. तितधक ढांचा;
iii. प्रशासक और सािाजतनक कमाचारी, जो लोक सेिाएँ प्रदान करने के तलए ईत्तरदायी हैं; तथा
iv. नागररक और लोक सेिाओं के ईपयोगकताा, जो तसतिल सोसाआटी का एक भाग हैं
 प्रथम, लोक/तसतिल सेिकों के व्यतक्तगत गुणों के संबंध में लोक प्रशासन में नीततशास्त्र के तनधाारकों
के ऄंतगात नैततक तनणायन कौशल, मानतसक ऄतभिृतत्त, सद्गुण तथा पेशेिर मूल्य सतम्मतलत होते
हैं
 तितीय, संगठनात्मक संरचना संबंधी अयाम को थपष्ट जिाबदेही, सहयोगात्मक व्यिथथा,
ऄसहमतत जातहर करना तथा भागीदारी प्रकियाओं िारा थपष्ट ककया गया है
 तृतीय, राजनीततक संगठनात्मक संथकृ तत में ऄतभमत, मान्यताएं, मूल्य और धारणाएं सतम्मतलत
होती हैं संगठनात्मक संथकृ तत के तिकास, संरक्षण और ऄनुकूलन में नेतृत्ि महत्िपूणा है
 संगठनों के ऐसे पररिेश, जहां व्यतक्तगत मानकों, कमाचारी तशक्षण और पयािेक्षकों िारा सत्यता पर
बल कदया जाता है तथा जहां कमाचारी तनयतमत रूप से नैततक समथयाओं पर चचाा करने के तलए
एकतत्रत होते हैं, िहां नैततक व्यिहार को प्रोत्सातहत ककया जाता है
 ऄंत में, सामातजक ऄपेक्षाओं में सािाजतनक भागीदारी, तनयम और नीततयां सतम्मतलत होती हैं

4. नीततपरक अचार सं तहता और अचरण सं तहता


(Code of Ethics and Code of Conduct)
नीततपरक अचार संतहता और अचरण संतहता का तिकास, प्रकाशन और ईसका ऄंगीकरण एक सुदढ़ृ
प्रशासन के प्रमुख तत्ि हैं ये सभी लोक सेिकों के तलए व्यािहाररक और थपष्ट रूप में ऄपेतक्षत अचरण
संबंधी मानकों को तनधााररत करते हैं

4.1. नीततपरक अचार सं तहता और अचरण सं तहता का ईद्दे श्य

(Purpose of Code of Ethics and Code of Conduct)


नीततपरक अचार संतहता और अचरण संतहता सभी तसतिल सेिकों के तलए व्यािहाररक और थपष्ट रूप
में ऄपेतक्षत अचरण संबंधी न्यूनतम मानकों को िर्थणत करती हैं ये मानदंड तनणाय तनमााण और
कायािाही के दौरान एक तनदेश के रूप में काया करते हैं
मुख्य तत्ि: आन संतहताओं के प्रमुख तत्ि तनम्नतलतखत हैं:
 व्यतक्तगत तजम्मेदारी;
 तितध का ऄनुपालन;
 जन सामान्य के साथ संबंध;
 ईपहार, पुरथकार, अततथ्य और छू ट की थिीकृ तत पर अरोतपत सीमाएं;

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 तहतों के संघषा से बचना;
 राजनीततक गतततितधयों में संलग्न होने पर अरोतपत सीमाएं;
 धन संबंधी मामलों में अचरण;
 गोपनीयता और अतधकाररक सूचना का ईपयोग;
 अतधकाररक संपतत्त और सेिाओं का ईपयोग;
 कमाचाररयों िारा सरकारी संपतत्त की तनजी तहत में खरीद; एिं
 काया पररिेश

4.2. भारत और ऄन्य दे शों/सं ग ठनों में नै ततक मानकों की िता मान तथथतत

(Current Status of Ethical Standards in India and Other Countries/ Organisations)


ऐततहातसक पृष्ठभूतम
प्राचीन काल से ही भारत में नीततशास्त्र और नैततकता सािाजतनक जीिन के प्रतीक रहें हैं हमें यह
नैततकता और सदाचरण की तिरासत हमारे नेताओं से प्राप्त हुइ है तजन्होंने महात्मा गांधी के नेतत्ृ ि में
थितंत्रता संघषा के दौरान सािाजतनक जीिन में ईच्च थतर की इमानदारी और सत्यता का प्रदशान ककया
था आन्होंने न के िल सािाजतनक जीिन में नैततकता का प्रचार ककया बतल्क आसे व्यिहार में भी
ऄपनाया गांधी जी का मानना था कक नैततकता तिहीन राजनीतत का त्याग ककया जाना चातहए सत्य
और ऄचहसा के साथ-साथ जन शतक्त में तिश्वास के प्रतत ईनकी प्रततबद्ता नेतृत्ि के ईच्च मानकों का
प्रमाण हैं यद्यतप ईन्होंने कभी भी ककसी प्रातधकरण में कोइ भी पद धारण नहीं ककया था, तथातप
सािाजतनक जीिन में ईनका अचरण ऐसे मूल्यों को प्रदर्थशत करता है तजनकी ऐसे पदों पर असीन
लोगों से ऄपेक्षा की जाती है

4.2.1. कें द्रीय तसतिल से िा (अचरण) तनयमािली, 1964

{Central Civil Services (Conduct) Rules, 1964}


यद्यतप, कें द्र सरकार िारा सरकारी कमाचाररयों के तलए 'के न्द्रीय तसतिल सेिा (अचरण) तनयमािली
1964' के रूप में अचरण तनयमािली जारी की गइ है, तथातप आसके मार्धयम से तसतिल सेिकों िारा
ऄनुपालन ककए जाने योग्य मूल्यों या नीततपरक अचार संतहता का तनधाारण नहीं ककया गया है आन
तनयमों की प्रकृ तत मुख्यतः "क्या करें " और "क्या न करें " (“do’s” and “don’ts”) से संबंतधत है आस
अचरण तनयमािली के ऄंतगात संपतत्त के लेन-देन, ईपहारों की थिीकृ तत, गैर-राजनीततक संगठनों में
शातमल होना और ऄन्य मुद्दों के समुच्च (जो सामान्य व्यतक्त िारा की जाने िाली लगभग प्रत्येक
गतततितध को शातमल करती है) को सतम्मतलत ककया गया है आन तनयमों की प्रकृ तत ऄत्यतधक
प्रततबंधात्मक हैं ऄथाात् ये सरकारी कमाचारी की काया प्रणाली की थितंत्रता को ऄत्यतधक सीतमत करते
हैं और ऄथपष्ट भाषा में तलखे हुए हैं तथा कभी-कभी आनका ऄनुपालन करना ऄव्यिहाररक होता है

4.2.2. नीततपरक अचार सं तहता हे तु प्रथम पहल - मइ 1997

(First Initiative for Code of Ethics- May 1997)


भारत सरकार के प्रशासतनक सुधार तिभाग िारा एक प्रभािी एिं ईत्तरदायी सरकार हेतु काया योजना
के एक भाग के रूप में लोक सेिाओं हेतु एक नीततपरक अचार संतहता तनर्थमत की गइ थी आसे मइ
1997 में प्रधानमंत्री की ऄर्धयक्षता में अयोतजत मुख्यमंतत्रयों के सम्मेलन में प्रथतुत ककया गया था आस
संतहता का ईद्देश्य लोक सेिाओं पर लागू होने िाले ऄखंडता और अचरण के मानकों को तनधााररत
करना था आस संतहता की मुख्य तिशेषताएं तनम्नतलतखत हैं:
 लोक सेिाओं को नीतत तनमााण एिं कियान्ियन और लोक सेिाओं को प्रभािी तरीके से प्रशातसत
करने में सरकार की सहायता करनी चातहए
 लोक सेिाओं से संबंतधत कमाचाररयों को तितध के शासन को बनाए रखना और मानिातधकारों का
सम्मान तथा के िल जनतहत में काया करना चातहए ईन्हें इमानदारी और सत्यतनष्ठा के ईच्चतम
मानकों को बनाए रखना चातहए

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 ईन्हें आस प्रकार अचरण करना चातहए कक जन सामान्य का यह तिश्वास बना रहे कक ईनके िारा
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तलए गए तनणाय या ईनके िारा की गइ ऄनुशंसाएं िथतुतनष्ठ एिं पारदशी हैं तथा सत्तासीन
राजनीततक दल, थियं या ककसी तीसरे पक्ष को ऄनुतचत लाभ प्रदान करने की कदशा में काया नहीं
ककया जाना चातहए
 सरकार िारा जनतहत में तनर्थमत नीततयों, तनणायों और कायािातहयों को लोक सेिकों िारा कु तठठत
होकर या ईसमें शातमल न होकर, ईसे ऄप्रभािी करने का प्रयास नहीं करना चातहए
 जहां लोक सेिा में ककसी कमाचारी के पास आसके ईतचत अधार ईपलब्ध हैं कक ईच्चतर प्रातधकारी
िारा ईससे ऄिैध या तनधााररत तनयमों एिं तितनयमों के तिरुद् काया करने को कहा जा रहा है तो
ईसे आन तनदेशों के कियान्ियन को ऄथिीकृ त कर देना चातहए
 तहतों का संघषा: लोक सेिा में कमाचाररयों को ऄग्रतलतखत पररतथथततयों में तनणाय लेने से बचना
चातहए:
o जहां जनतहत की लागत पर ककसी भी तिशेष व्यतक्त या दल को लाभ पहुंचाने संबंधी काया
ककया जाना हो;
o जनतहत और तनजी तहत के मर्धय संघषा की तथथतत में तहतों के ककसी भी प्रकार का संघषा होने
पर
 ईन्हें सेिा मामलों या तनजी लाभों के संबंध में राजनेताओं और बाहरी लोगों से संपका न रखते हुए
ऄपनी थितंत्रता, गररमा और भेदभाि-रतहत व्यिहार को बनाए रखना चातहए ऄपने कै डर के
भीतर ऐसा व्यिहार करने िाले व्यतक्तयों के तिरुद् ऄनुशासनात्मक कायािाही करने के साथ-साथ
ईन्हें रोकने हेतु सहकर्थमयों के दबाि का प्रयोग करना चातहए
 नागररकों के प्रतत जिाबदेही:
o जन सामान्य की लोक सेिाओं में तनयुक्त कमाचाररयों तक प्रभािी पहुँच होनी चातहए तथा
सेिा की गुणित्ता, समयबद्ता, तशष्टता, लोक ऄतभतिन्यास के मार्धयम से जन सामान्य के
प्रतत जिाबदेही सुतनतित करना तथा ईत्तरदायी सरकार के तलए जन सहभातगता को
प्रोत्सातहत करने एिं नागररक समूहों के साथ भागीदारी हेतु तत्पर रहना चातहए
o ईन्हें जन प्रतततनतधयों के प्रतत ऄपने व्यिहार में दृढ़, न्यायोतचत और इमानदार होना चातहए
o ईन्हें नागररकों की तशकायत के त्िररत तनिारण के तलए ईनके ऄतधकार को थिीकार और
प्रितान के दातयत्ि को थिीकार करना चातहए
 ईन्हें सािाजतनक पररसंपतत्तयों और लोक तनतध के प्रतत चचततत होना चातहए और ईसकी हातन एिं
ऄपव्यय से बचना चातहए ईसे थियं के तनयंत्रणाधीन लोक तनतध का प्रभािी और कु शल ईपयोग
सुतनतित करना चातहए
 अतधकाररक पद का दुरुपयोग न करना: लोक सेिाओं में तनयुक्त कमाचाररयों को योग्यता अधाररत
तनणाय लेने का ईत्तरदातयत्ि सौंपा गया है, क्योंकक िे तजम्मेदारी युक्त पद पर असीन होते हैं ईन्हें
ककसी भी व्यतक्त को ऄपने या ककसी ऄन्य के तलए तित्तीय या ऄन्य व्यिथथाओं का लाभ पहुंचाने
हेतु ऄपने अतधकाररक पद का दुरुपयोग नहीं करना चातहए
यह संतहता ऄन्य मुद्दों से भी संबंतधत है, जैस-े सािाजतनक रटप्पणी, अतधकाररक सूचना जारी करना,
लोक सेिाओं की समेककत भूतमका और व्यािसातयकता एिं सहयोग के मार्धयम से तनरं तर सुधार अकद

4.2.3. लोक से िा मू ल्यों के तलए तितीय पहल- लोक से िा तिधे य क, 2006

(Second Initiative for Public Service Values- Public Service Bill, 2006)
2006 में कार्थमक तिभाग िारा एक लोक सेिा तिधेयक का मसौदा तैयार ककया गया था आस तिधेयक
में लोक सेिाओं के तलए बुतनयादी मूल्यों, नीततपरक अचार संतहता, प्रबंधन संतहता अकद को सूचीबद्
ककया गया था आसका ईद्देश्य लोक सेिाओं को पेशेिर, राजनीततक रूप से तटथथ, योग्यता अधाररत
तथा जिाबदेह बनाना है लोक सेिकों को तनदेतशत करने िाले प्रमुख मूल्य तनम्नतलतखत हैं:

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 संतिधान और तितध, लोकतंत्र, राष्ट्रिाद, संप्रभुता, भारत की ऄखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रतत
तनष्ठा रखना;
 राजनीततक रूप से तटथथ होकर काया करना;
 तनष्पक्ष, तटथथ, इमानदारी, समान तथा ईतचत एिं न्यायोतचत तरीके से काया करना;
 सत्यतनष्ठा के साथ तथा तिनम्र एिं न्यायोतचत तरीके से काया करना;
 ईच्च मानकों की थथापना और गुणित्तापूणा सेिा, प्रभािी कायाप्रणाली और शीघ्र तनणाय-तनमााण
प्रकिया को सुतनतित करना;
 तनणाय के प्रतत जिाबदेह होना;
 योग्यता को रोजगार, पदोन्नतत और तनयोजन में मूलभूत तसद्ांत के रूप में थथातपत करना;
 जातत, समुदाय, धमा, चलग या िगा के अधार पर तबना ककसी भेदभाि के तथा तनधान, िंतचत एिं
कमजोर िगों के तहतों की रक्षा करते हुए राष्ट्र/समुदाय और धमा की तितिधता को र्धयान में रखते
हुए कायों का तनिाहन करना; तथा
 राजनीततक कायाकाररणी को इमानदार, तनष्पक्ष एिं थपष्ट परामशा प्रदान करना;
 यह सुतनतित करना कक सािाजतनक धन का ईपयोग ऄत्यतधक कु शलतापूिक ा एिं सािधानी के
साथ ककया जाए
ऐसा प्रतीत होता है कक लोक सेिा तिधेयक ठं डे बथते में चला गया है आस तिधेयक के साथ एक समथया
यह थी कक आसे कइ ईद्देश्यों की पूर्थत हेतु ऄतभप्रेत ककया गया था मूल्यों और नैततकता के ऄततररक्त, आस
तिधेयक में लोक सेिाओं के प्रबंधन के तसद्ांत, लोक सेिा संबंधी पदों के तलए तनयुतक्त को शातसत करने
िाले तसद्ांत, लोक सेिाओं के प्रदशान संकेतक अकद को पररकतल्पत ककया गया था सेिा संबंधी मामलों
के तिथतृत एिं तितिधतायुक्त किरे ज की तिद्यमानता के कारण, सामंजथय थथातपत करना और तिधायी
थिीकृ तत प्राप्त करना जरटल है आस प्रकार, यह तिधेयक राजनीततक एिं सामातजक आच्छाशतक्त दोनों
की कमी के कारण व्यपगत हो गया

4.2.4. यू नाआटे ड ककगडम (United Kingdom)

सािाजतनक जीिन के मानक- लॉडा नोलन कतमटी


(Standards of Public Life- Lord Nolan Committee)
तिटेन में सािाजतनक जीिन में इमानदारी (प्रोबीटी) के ईच्चतम मानकों को सुतनतित करने हेतु लोक पद
धारकों के तलए ऐसे मानकों को तनधााररत करने के ईद्देश्य से लॉडा नोलन (1995) की ऄर्धयक्षता में एक
सतमतत का गठन ककया गया था आस सतमतत ने तनम्नतलतखत सात तसद्ांत तनधााररत ककए:
 तनःथिाथाता (Selflessness): लोक पद धारकों को के िल जनतहत को र्धयान में रखते हुए तनणाय
लेना चातहए ईन्हें थियं या ऄपने पररिार या तमत्रों के तलए बाहरी व्यतक्तयों से तित्तीय लाभ
ऄथिा ऄन्य लाभों, या ऄन्य भौततक लाभों के ईद्देश्यों पर अधाररत तनणाय नहीं लेने चातहए
 सत्यतनष्ठा (Integrity): लोक सेिकों को ईनके अतधकाररक कताव्यों के तनष्पादन को प्रभातित
करने िाले बाहरी व्यतक्तयों या संगठनों के ककसी तित्तीय या ऄन्य लाभ से कोइ सरोकार नहीं
रखना चातहए
 िथतुतनष्ठता (Objectivity): लोक पद धारकों को सिोत्तम प्रमाणों और भेदभाि या पूिााग्रह रतहत
तनष्पक्ष, न्यायोतचत और योग्यता के अधार पर काया करने चातहए और सभी तनणाय लेने चातहए
 जिाबदेतहता (Accountability): लोक पद धारक ऄपने तनणायों और कायािातहयों के तलए जनता
के प्रतत जिाबदेह होते हैं तथा ईन्हें ईनके पद से संबंतधत यथोतचत जांच में थियं को प्रथतुत करना
चातहए

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 खुलापन (Openness): लोक पद धारकों को खुलेपन एिं पारदशी तरीके से काया करना एिं
तनणाय लेना चातहए ईन्हें ऄपने तनणायों के तलए कारण प्रथतुत करने चातहए और के िल व्यापक
जनतहत में अिश्यक होने पर ही सूचनाओं को गोपनीय रखना चातहए
 इमानदारी (Honesty): लोक पद धारकों को इमानदार होना चातहए और ईन्हें थियं के लोक
कताव्यों से संबंतधत ककसी भी प्रकार के तनजी तहतों की घोषणा करनी चातहए ककसी भी प्रकार के
संघषा का समाधान हेतु आस प्रकार कदम ईठाने चातहए ताकक जनतहतों की रक्षा की जा सके
 नेतत्ृ ि (Leadership): लोक पद धारकों को आन तसद्ांतों को ऄपने व्यिहार में प्रदर्थशत करना
चातहए और नेतृत्ि एिं ईदाहरण के मार्धयम से आन तसद्ांतों को प्रोत्साहन एिं समथान प्रदान
करना चातहए
तसतिल सेिा संबध
ं ी मूल्य- UK
तसतिल सेिा मूल्य (2006) में तनधााररत ककया गया है कक तसतिल सेिकों से ईनकी भूतमका के तनिाहन
के दौरान समपाण और तसतिल सेिा मूल्यों (सत्यतनष्ठा, इमानदारी, िथतुतनष्ठता एिं तनष्पक्षता) के प्रतत
प्रततबद्ता की ऄपेक्षा की जाती है
 सत्यतनष्ठा से अशय लोक सेिाओं के दातयत्ि को ऄपने तनजी तहतों पर िरीयता देने से है;
 इमानदारी का अशय सच्चाइ एिं खुलेपन से है;
 िथतुतनष्ठता से अशय प्रमाणों के गहन तिश्लेषण के अधार पर परामशा प्रदान करने और तनणायों से
है;
 तनष्पक्षता से अशय पूणता या मामले के गुण-दोष के ऄनुसार काया करने तथा तितभन्न राजनीततक
दलों की सरकारों के तलए समान रूप से काया करने से है

4.2.5. अर्थथक सहयोग एिं तिकास सं ग ठन

(Organisation for Economic Cooperation and Development: OECD)


OECD पररषद ने ऄप्रैल 1988 में लोक सेिाओं में नैततक अचरण की ईत्कृ ष्टता हेतु कु छ ऄनुशस
ं ाओं
को थिीकार ककया नैततकता के प्रबंधन हेतु आसने तनम्नतलतखत तसद्ांत तनधााररत ककए:
 लोक सेिा के तलए नैततक मानक थपष्ट होने चातहए अचरण संतहता िारा सरकार और व्यापक
समुदाय में साझा समझ के तनमााण के मार्धयम आस ईद्देश्य की पूर्थत की जा सकती है
 नैततक मानक, तितधक ढाँचे के भीतर प्रततचबतबत होने चातहए कानूनों और तितनयमों को लोक
सेिा के मूलभूत मूल्यों को तनर्ददष्ट करना चातहए तथा तनदेशन, ऄन्िेषण, ऄनुशासनात्मक
कायािाही एिं ऄतभयोजन हेतु एक रूपरे खा प्रदान करनी चातहए
 लोक सेिकों के तलए नैततक कदशा-तनदेश ईपलब्ध होने चातहए प्रतशक्षण, नैततक जागरूकता को
सुगम बनाने के साथ-साथ नैततक तिश्लेषण और नैततक तनणाय हेतु ऄतनिाया कौशल तिकतसत कर
सकता है
 लोक सेिकों को ऄनुतचत कृ त्यों को ईजागर करने संबंधी ऄपने ऄतधकारों एिं कताव्यों का ज्ञान
होना चातहए
 नीततशास्त्र के प्रतत राजनीततक प्रततबद्ता िारा लोक सेिकों के नैततक अचरण को सुदढ़ृ ककया
जाना चातहए
 तनणाय तनमााण प्रकिया पारदशी और जांच हेतु खुली होनी चातहए
 सािाजतनक और तनजी क्षेत्र के मर्धय ऄंत:किया हेतु थपष्ट कदशातनदेश तनधााररत ककए जाने चातहए
 प्रबंधकों िारा नैततक अचरण का तनिाहन ककया जाना चातहए और आसे प्रोत्सातहत ककया जाना
चातहए
 प्रबंधन नीततयों, प्रकियाओं और कायाप्रणातलयों के मार्धयम से नैततक अचरण को बढ़ािा देना
चातहए
 लोक सेिा पररतथथततयों तथा मानि पररतथथततयों के प्रबंधन िारा नैततक अचरण को प्रोत्सातहत
करना चातहए

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 लोक सेिाओं में ईतचत जिाबदेही For


प्रणाली थथातपत की जानी चातहए
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 दुव्यािहार से तनपटने हेतु ईपयुक्त प्रकियाएं और प्रततबंधों को तनधााररत ककया जाना चातहए

4.2.6. सं यु क्त राष्ट्र (United Nations)

संयुक्त राष्ट्र संघ िारा भ्रष्टाचार की समथया के पररप्रेक्ष्य में कदसंबर 1996 में, आं टरनेशनल कोड ऑफ़
कं डक्ट फॉर पतब्लक ऑकफतसयल को ऄंगीकृ त ककया गया था आस संतहता की प्रमुख तिशेषताएं
तनम्नतलतखत हैं:
 राष्ट्रीय कानून िारा पररभातषत लोक पद, एक तिश्वास का पद होता है तजसमें जनतहत में काया
करने का कताव्य ऄंतर्थनतहत होता है आसीतलए लोक ऄतधकाररयों की परम तनष्ठा सरकार की
लोकतांतत्रक संथथाओं के मार्धयम से ऄतभव्यक्त ईनके देश के जनतहतों के प्रतत होगी
 लोक ऄतधकाररयों िारा यह सुतनतित ककया जायेगा कक िे ऄपने कताव्यों और कायों का तितधयों
या प्रशासतनक नीततयों के ऄनुसार कु शलतापूिाक, प्रभािी तरीके से तथा सत्यतनष्ठा के साथ
तनष्पादन करें गे ईनके िारा तनरं तर यह भी सुतनतित करने का प्रयास ककया जायेगा कक
सािाजतनक संसाधनों (तजनके तलए िे ईत्तरदायी हैं) को प्रभािी और कु शल तरीके से प्रशातसत
ककया जा रहा है
 लोक ऄतधकाररयों को ऄपने कायों के तनष्पादन में और तिशेष रूप से लोगों के साथ ऄपने संबध
ं ों
के तनधाारण में सतका , न्यायोतचत और तनष्पक्ष होना चातहए ईन्हें कभी भी ककसी समूह या व्यतक्त
के साथ ककसी भी प्रकार का ऄनुतचत पक्षपातपूणा व्यिहार नहीं करना चातहए या ककसी व्यतक्त या
समूह के तिरुद् ऄनुतचत रूप से भेदभाि प्रकट नहीं करना चातहए आसके ऄततररक्त, ईनके िारा
ऄपनी शतक्त और प्रातधकार का दुरुप्रयोग नहीं ककया जाना चातहए

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5. लोक से ि कों में नै ततक मानकों के पतन के कारण ईत्पन्न


समथयाएं
(The Problems Due to Declining Ethical Standards Among Public Servants)
 तनजी लाभ हेतु व्यतक्तगत प्रातधकार या पद का दुरुपयोग: लोक ऄतधकारी जानबूझकर, लोक सेिा
में पद धारण करने के कारण प्राप्त होने िाले प्रयोज्य प्रातधकारों और सुतिधाओं का ईपयोग तनजी
लाभ हेतु कर सकते हैं यह तब प्रकट होता है जब:
o तथ्यों की ईपेक्षा करते हुए या ककसी न्यायोतचत प्रयोजन के तबना प्रशासतनक कायािाइ का
तनष्पादन ककया जाता है;
o सािाजतनक तकनीकी साधनों, कारों, संचार के सुतिधाओं एिं पररसरों का एक लोक
ऄतधकारी िारा तनजी तहतों के तलए ईपयोग ककया जाता है; तथा
o ऄकमाठयता समुदाय को नुकसान पहुँचाने का कारण बनती है
 तनजी प्रातधकार या पद का ऄततिमण: ऄतधकाररयों िारा जानबूझकर आस प्रकार की कायािातहयों
का तनष्पादन ककया जाता है जो ईसके पद संबंधी ईत्तरदातयत्िों और ऄतधकारों से बाहर होती हैं
तथा जो ऄंततः राज्य या कु छ नागररकों के तहतों की क्षतत का कारण बनती हैं
 लापरिाही: एक लोक ऄतधकारी िारा या तो ऄपने पेशि े र ईत्तरदातयत्िों का तनष्पादन नहीं ककया
जाता है या ईनका तनष्पादन एक भ्रष्ट रीतत से ककया जाता है, आसके पररणामथिरूप राज्य या
समुदाय को हातन होती है यह सामान्यतः, व्यतक्त के ऄपने कताव्यों और ईत्तरदातयत्िों के प्रतत
ऄतभरूतच के ऄभाि के कारण होता है
 ररश्वतखोरी: ररश्वतखोरी और भ्रष्टाचार ऄथाव्यिथथा के संचालन हेतु एक अिश्यक बुराइ के रूप
में समाज के एक थिीकाया ऄंग बन गए हैं
 धोखाधड़ी: तितभन्न कारणों से लोक ऄतधकाररयों िारा अंकड़ों को संग्रतहत नहीं ककया जाता है
और आनका बेहतर तरीके से ईपयोग भी नहीं ककया जाता है, नतीज़तन ये नीतत तनमााण और
प्रततपुतष्ट प्रकियाओं को नकारात्मक रूप से प्रभातित करते हैं ये कारण तनजी लाभ (जैसे- बेहतर
प्रदशान को दशााने हेतु एक तजले में सर पर मैला ढोने िालों की संख्या को जानबूझकर कम
कदखाना), नेतृत्ि का ऄभाि (जैसे- एक अतंकिाद से प्रभातित क्षेत्र के जनगणना अंकड़ों को गलत
तरीके से दजा करना) ऄथिा प्राय: ऄतभरुतच का ऄभाि (जैसे- तमड-डे मील योजनाओं की गुणित्ता
की जांच करने हेतु तिद्यालयों के सिेक्षणों का संचालन न करना) अकद हो सकते हैं

5.1. ईच्च नै ततक मानकों को सु तनतित करने के समक्ष समथयाएं

(Problems in Ensuring High Ethical Standards)


 सािाजतनक क्षेत्र में नैततक मानकों और सत्यतनष्ठा हेतु तनर्ददष्ट खतरों का पूिाानम
ु ान: व्यिथथागत
खतरें ऄथाात् लोक सेिाओं से संबंतधत संथथा को कमजोर करने िाले खतरों की पहचान करना
करठन होता है ईदाहरणाथा ऄनातमकता का तनरं तर नष्ट होता मूल्य या प्रततबद् नौकरशाही की
समथया, लोक सेिाओं के मूलभूत अधार को कमजोर करती है लोक सेिाओं को यह ऄतधदेश प्राप्त
है कक िह तितध के शासन को सुदढ़ृ करें तथा यह सुतनतित करें कक तनणाय भय एिं पक्षपात रतहत
होकर लोक कल्याण के तहत में तलए जाएं
 लोक सेिकों की नैततक क्षमता तथा “पेशि
े र नैततकता” को समथान करने िाले तंत्र को सुदढ़ृ करना:
लोक सेिकों की भती थतर पर नैततक क्षमता का अकलन करना करठन होता है तितभन्न सतमततयों
की ऄनुशस
ं ाओं के पिात् नीततशास्त्र से संबंतधत प्रश्न-पत्र को शातमल करने के बाद भी लोक सेिकों
िारा की जाने िाली ऄनैततक व्यिहार की घटनाएँ सामने अ रही हैं आस समथया का मूल ईस
पररिेश में तिद्यमान हैं जो समाज में तनरं तर बना हुअ है तथा साथ ही नैततकता को समातिष्ट

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करने और ईन्हें लोक सेिकों पर लागू करने संबंधी कमजोर संथथागत तंत्र भी ईत्तरदायी हैं नैततक
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रूप से सक्षम तनणाय तनमााण प्रकिया को संथथागत थिरूप प्रदान करने, सरकार को पक्षपात रतहत
परामशा प्रदान करने और ऄंततः, पेशेिर ईत्तरदातयत्ि, अत्म-ऄनुशासन और तितध के शासन का
समथान करने िाली एक 'नैततक संथकृ तत' थथापना के तलए निीन प्रौद्योतगककयों को ऄपनाए जाने
की अिश्यकता है
 नैततक मूल्यों और सत्यतनष्ठा को प्रोत्सातहत करने िाली प्रशासतनक कायाप्रणातलयों और प्रकियाओं
को तिकतसत करना: तसथटम िारा ऄनुकरणीय मॉडल को प्रोत्सातहत ककया जाना चातहए तथा
सम्पूणा नौकरशाही हेतु लोक सेिकों की सिोत्तम कायाप्रणातलयों और ऄनुकरणीय कायािातहयों को
प्रसाररत करने की प्रकिया को भी शातमल करना चातहए आसके ऄततररक्त, लोक सेिाओं में बढ़ते
निाचार की संभािनाओं के ऄनुरूप प्रदशान मूल्यांकन प्रणातलयों को भी निीकृ त ककया जाना
चातहए

5.2. तिचार ककए जाने योग्य तितशष्ट रणनीततयां

(Specific Strategies to be Considered)


 प्रभािी कानून, जो लोक सेिकों से ईनके अतधकाररक तनणायों हेतु कारण प्रथतुत करने की मांग
करते हैं
 प्रबंधन ईपागम, जो सभी लोक ऄतधकाररयों और लोक सेिकों को ककसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार
और ऄनैततक कायाप्रणातलयों से सकारात्मक रूप से तनपटने हेतु प्रोत्सातहत करते हैं
 ऄतधकाररयों के ऄनुतचत कायों के ईतचत ‘जनतहत प्रकटीकरण’ की सुरक्षा हेतु ‘तहहसल-ब्लोऄर’
संरक्षण कानून
 ऄत्यंत महत्िपूणा प्रकियाओं के संदभा में सत्यतनष्ठा को प्रभातित करने िाले जोतखमों की पहचान
करने हेतु नीततशास्त्रीय लेखा परीक्षा
 निीन मानि संसाधन प्रबंधन रणनीततयां (ईदाहरणाथा- जो नैततक प्रदशान को सेिा में प्रिेश एिं
पदोन्नतत से तथा नैततक रूप से ‘तनम्न-प्रदशान’ को ऄनुशासनात्मक कायािाही से संबद् करती हैं),
योग्यता अधाररत पदोन्नतत एिं भती तथा पक्षपात-रतहत संरक्षण
 नीततपरक अचार संतहता के ऄियि एिं तकााधार के समािेश हेतु प्रतशक्षण, नैततक प्रबंधन के
तसद्ांतों का ऄनुप्रयोग, अतधकाररक शतक्तयों का ईतचत ईपयोग तथा पेशेिर ईत्तरदातयत्िों की
अिश्यकताऐं
 प्रभािी बाह्य और अंतररक तशकायत एिं तनिारण प्रकियाएं

6. सरकारी और तनजी सं थथानों में नै ततक चचताएं एिं दुतिधाएं


(Ethical Concerns and Dilemmas in Government and Private Institutions)

6.1. नै ततक चचताएं एिं दु तिधाएं : ऄथा और महत्ि

(Ethical Concerns and Dilemmas: Meaning and Significance)


के स थटडीज के मामले में तिथतृत रूप से िर्थणत नैततक दुतिधा, एक ऐसी तथथतत है तजसमें कदए गए
तिकल्पों में से एक का चयन करना शातमल है, जहाँ कोइ भी तिकल्प थपष्ट रूप से सही ऄथिा गलत
नहीं होता है यकद आनमें से कोइ भी तिकल्प थपष्ट रूप से सही ऄथिा गलत होता, तो नैततक दुतिधा की
तथथतत ईत्पन्न ही नहीं होती, ऐसे में गलत तिकल्प के बजाय सही तिकल्प का चयन करना असान होता
है ऄतः नैततक दुतिधा एक ऐसी तथथतत से ईत्पन्न होती है जो ककसी दी गइ, सामान्यतः ऄिांतछत या
जरटल तथथतत में, तसद्ांतों के प्रततथपधी समूह के मर्धय ककसी एक के चयन हेतु बार्धय करती है संभितः

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तहतों का संघषा आसका सबसे थपष्ट ईदाहरण है, जो सािाजतनक क्षेत्र के नेतृत्ि को नैततक दुतिधा में डाल
सकता है सामान्यतः, यह ऐसी पररतथथतत में थपष्ट होता है जहां व्यतक्तगत मूल्य ऄथिा व्यतक्तगत तहत
का पेशेिर नैततकता ऄथिा पेशि
े र कताव्यों के साथ संघषा होता है

6.2. नै ततक दु तिधाओं के कु छ प्रकार (Some types of ethical dilemmas)

लोक सेिक तनम्नतलतखत के मर्धय संघषा की तथथतत में थियं को दुतिधा में पाते हैं:
 लोक प्रशासन के तितभन्न मूल्यों के मर्धय नैततक दुतिधा, जैस-े दक्षता बनाम जिाबदेही;
 अचरण संतहता के तितभन्न पहलुओं के मर्धय - कताव्यों के तनष्पादन के तलए पुरथकार ऄथिा ईपहार
थिीकार करना;
 व्यतक्तगत मूल्य बनाम िररष्ठों के तनदेश या सरकारी तनदेश;
 पेशेिर नैततकता बनाम एक पयािेक्षक/प्रातधकारी िारा जारी ककसी ऄन्यायपूणा अदेश का
ऄनुसरण; एिं
 ऄथपष्ट या प्रततथपधी जिाबदेही, जैस-े तिभाग ऄथिा समाज के प्रतत
लोक प्रशासन में नैततक दुतिधाओं से तनपटने की प्रकिया को एकीकृ त करने िाले मौतलक तसद्ांतों या
मानदंडों के समूह में तनम्नतलतखत शातमल हैं:
 प्रशासन की लोकतांतत्रक जिाबदेही;
 तितध का शासन और िैधता का तसद्ांत;
 पेशेिर सत्यतनष्ठा; तथा
 नागररक समाज के प्रतत ऄनुकियाशीलता
आन्हें लोक प्रशासन में नीतत संबध
ं ी तका की ऄतनिायाताओं के ALIR (ईत्तरदातयत्ि, िैधता, सत्यतनष्ठा,
ऄनुकियाशीलता) (Accountability, Legality, Integrity, Responsiveness) मॉडल के रूप में
िर्थणत ककया जा सकता है

6.3. सरकार (सािा ज तनक क्षे त्र ) में नै ततक चचताएं

{Ethical Concerns in Government (Public Sector)}


सरकारी कमाचाररयों िारा सामना ककए जाने िाले कु छ सिाातधक सामान्य नैततक मुद्दें ईत्तरदातयत्ि के
तसद्ांत के आदा-तगदा घूमते हैं आनमें तनम्नतलतखत पहलू शातमल हैं:
 प्रशासतनक तििेक;
 भ्रष्टाचार;
 भाइ-भतीजािाद;
 प्रशासतनक गोपनीयता;
 सूचनाओं का प्रकटीकरण;
 लोक जिाबदेही; एिं
 नीततगत दुतिधाएं

6.3.1. प्रशासतनक तििे क (Administrative Discretion)

लोक ऄतधकारी न के िल कानून ऄथिा सािाजतनक नीतत का कायाान्ियन करते हैं, बतल्क ऄपने कताव्यों
के तनिाहन के दौरान िे लोगों के जीिन के तितभन्न पक्षों को प्रभातित करने िाले तनणाय भी लेते हैं जन
कल्याण का मुद्दा प्रशासतनक तििेकातधकार के ईतचत ईपयोग ऄथिा दुरुपयोग पर काफी हद तक
तनभार करता है

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कानून िारा तनधााररत तनयमों एिं तितनयमों तथा तनयत प्रकियाओं के तहत, लोक ऄतधकारीयों िारा
ऄपने तििेकातधकार का ईपयोग करने हेतु पयााप्त ऄिसर ईपलब्ध होते हैं समथया तब ईत्पन्न होती है
जब कइ तिकल्पों में से एक का कायािाही हेतु चयन प्रायः व्यतक्तगत िरीयता, राजनीततक या ऄन्य

संबद्ताओं, ऄथिा यहां तक कक व्यतक्तगत ईन्नतत के अधार पर ककया जाता है आससे ज्ञात तथ्यों की
ऄिहेलना की जाती है तथा तका संगत तनणाय तनमााण को नकारात्मक रूप से प्रभातित ककया जाता है
ऐसे में सभी तनधााररत तनयमों, तितनयमों और प्रकियाओं का पालन करने पर भी तििेकपूणा चयन को
ऄनैततक या भ्रष्ट माना जा सकता है

6.3.2. भ्रष्टाचार (Corruption)

ऄतधकांश ऄतधकारी, लोक पद के तलए अिश्यक ईच्च मानकों का ऄनुपालन करते हैं और जन सामान्य

के कल्याण को बढ़ािा देने के तलए समर्थपत रहते हैं हालांकक, लोक सेिकों के नैततक मानकों को पूणातः
समाज से प्रत्यक्ष रूप से संबंतधत ककया जाता है यकद कु छ लोगों िारा यह थिीकार ककया जाता है कक
ककसी सरकारी ऄतधकारी से शीघ्र प्रततकिया प्राप्त करने (ऄथाात् शीघ्रतापूिाक ऄपना काम कराने) के
तलए कु छ अर्थथक ऄथिा ऄन्य प्रोत्साहन प्रदान करना अिश्यक है, और ऄतधकारी ईक्त प्रोत्साहन को

थिीकार करता है, तो यहाँ कु छ लोगों के दृतष्टकोण से ऄतधकाररयों और जनता के नैततक अचरण के
मानकों के मर्धय सांमजथय तिद्यमान पाया जाता है लेककन यह समाज में भ्रष्टाचार के ईच्च सतहष्णुता के
थतर को प्रदर्थशत करता है और यकद समाज िारा यह ऄपेक्षा की जाती है कक सरकार कु छ लोगों के तहतों
के बजाय जन तहत में संचातलत हो, तो आस प्रिृतत्त का त्याग ककया जाना चातहए

6.3.3. प्रशासतनक गोपनीयता (Administrative Secrecy)

सािाजातनक कायाकलाप में गोपनीय अचरण एक ऐसी चीज है जो अिश्यकतानुसार पररतथथततयों का


सृजन कर तदनुरूप कायािाही का मागा प्रशथत करती है, जो एक प्रमुख नैततक दुतिधा तसद् हो सकती
है यह तिशेष रूप से आसतलए महत्िपूणा है क्योंकक गोपनीयता ऄनैततक अचरण को तछपाने का ऄिसर
प्रदान कर सकती है गोपनीयता भ्रष्टाचार में सहायक है और भ्रष्टाचार सदैि गोपनीय अचरण ऄपना
कर ककया जाता है

6.3.4. भाइ-भतीजािाद (Nepotism)

भाइ-भतीजािाद (लोक पदों पर ररश्तेदारों और/या तमत्रों की तनयुतक्त ऄथिा ईनके पक्ष में काम करना,
तजससे योग्यता/तनष्पक्षता के तसद्ांत की ऄिहेलना हो सकती हैं) से लोक सेिा की गुणित्ता में कमी अ
सकती है आसके कारण संघ-भाि एिं तिश्वास की समातप्त तथा प्रशासतनक भ्रष्टाचार में िृतद् होती है
साथ ही नीतत तनमााताओं के साथ ऄपने व्यतक्तगत संबंधों और सरलता से पदच्युत या ऄन्यों िारा
प्रततथथातपत न ककए जाने के कारण तनयंत्रण ईपायों को तिकृ त करके कु छ चुचनदा लोगों के चयन करने
क्षमता का तिकास होता है

6.3.5. सू च ना का खु लासा (Information Leaks)

अतधकाररक सूचनाएं सामान्यतः संिेदनशील प्रकृ तत की होती हैं और ऐसी सूचना के प्रकटीकरण का
पररणाम ऄव्यिथथा, भ्रष्ट कायाप्रणाली या कु छ व्यतक्तयों के तलए ऄनुतचत मौकद्रक लाभ के रूप में हो
सकता है सािाजतनक घोषणा से पूिा ककसी भी तततथ की अतधकाररक सूचना का खुलासा प्रकियात्मक
तनदेश का ईल्लंघन है और यह एक नैततक दुतिधा भी हो सकती है

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6.3.6. लोक जिाबदे ही (Public Accountability)

चूंकक लोक सेिक, सािाजतनक नीततयों का कायाान्ियन करते हैं, आसतलए ईन्हें ऄपने िररष्ठ ऄतधकाररयों,

न्यायालयों और जन सामान्य के प्रतत ऄपने अतधकाररक कायों हेतु जिाबदेह होना चातहए तथातप,

ईनके तलए तनधााररत प्रकियाओं के पीछे, व्यािसातयकता और यहां तक कक राजनीततक पदातधकाररयों


की अड़ में तछपना संभि है

6.3.7. नीततगत दु तिधाएं (Policy Dilemmas)

नीतत तनमााताओं को प्रायः परथपर-तिरोधी ईत्तरदातयत्िों का सामना करना पड़ता है ईन्हें ऄपने िररष्ठ
ऄतधकाररयों के साथ-साथ समाज के प्रतत भी ऄपनी तनष्ठा प्रदर्थशत करनी पड़ती है ईन्हें सामान्य जन
के पक्ष और तहत में काया करने की थितंत्रता प्राप्त होती है, परन्तु ईन्हें ऄपने कायों के तलए ऄपने िररष्ठों
और समाज के प्रतत भी ऄिश्य ईत्तरदायी होना चातहए

6.3.8. ऄन्य समथयाग्रथत क्षे त्र (Other Problem Areas)

ईपयुाक्त संदर्थभत संभातित संघषा के क्षेत्रों के ऄततररक्त, ऄन्य समथयागत क्षेत्रों, जहां नैततक दुतिधाएं

ईत्पन्न हो सकती हैं, को तनम्नतलतखत रूप में तचतन्हत ककया जा सकता है :


 नौकरशाही का राजनीततकरण: राजनीततक गतततितधयों में लोक सेिकों की संलग्नता के
पररणामथिरूप ईन ऄतधकाररयों की तनष्ठा तिभक्त होती है जो एक तितशष्ट राजनीततक दल के
तिचारों के समथाक होते हैं
 ऄन्य जरटल नैततक समथयाएं हैं- ऄथिथथता-ऄिकाश जैसे तिशेषातधकारों का दुरुपयोग,
तिथताररत ऄिकाश और सामान्यतः कायाालय के तनयमों का ईल्लंघन
नीततशास्त्र एिं अचरण संतहता जैसी तशक्षा का मुख्य ईद्देश्य भ्रष्ट अचरण के प्रतत झुकाि को कम करना
एिं सकारात्मक मानतसकता का सृजन करना है चूंकक ‘व्यतक्तगत लाभ के तलए शतक्तयों का दुरुपयोग

करना एक मानिीय ऄतभिृतत्त है, तजसके कारण आसका पूणातः ईन्मूलन करना ऄसंभि है’ ऄतः आस
प्रकार के थपष्ट धारणा के मार्धयम से भ्रष्टाचार की घटनाओं को कम ऄथिा प्रततबंतधत करने का पूणा
प्रयास ककया जाता है

6.4. तनजी/व्यािसातयक सं थथानों में नै ततक चचताएं एिं दु तिधाएं

(Ethical Concerns and Dilemmas in Private/Business Institutions)

अचरण संतहता िथतुतः तसद्ांतों और तनयमों का एक समुच्चय है, जो सामातजक संथथानों को ऄपने
तहतधारकों के प्रतत तथा तहतधारकों (तिशेष रूप से कमाचाररयों) को संथथा और एक-दूसरे के प्रतत
व्यिहार करने संबंधी पद्तत को शातसत करते हैं
संतहता, के िल ईन तनदेशों के ऄनेक समुच्चयों में से एक है तजसके ऄधीन संगठन और व्यतक्त काया करते

हैं कं पतनयां, कानून के ऄधीन होती हैं और कानून के मार्धयम से ईनका अचरण तनधााररत ककया जा
सकता है
आस प्रकार, संतहताएँ सामान्यतः नैततक अचरण, जैस-े सत्यतनष्ठा के साथकाया करना और दूसरों के
ऄतधकारों का सम्मान करना अकद से संबंतधत तििरण हैं लेककन संतहताओं के मार्धयम से ऐसे व्यिहार

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को भी तनधााररत ककया जा सकता है जो प्रकृ तत में ऄतधक प्रकियात्मक होते हैं, जैस-े ककसी व्यतक्त िारा
संतहता का ईल्लंघन करने पर तििाद समाधान तंत्र के संचालन की पद्तत कभी-कभी नीततपरक
अचार संतहता और नैततक संतहता के मर्धय ऄंतर थथातपत ककया जाता है नीततपरक अचार संतहता
संगठनात्मक जीिन से संबंतधत है जबकक नैततक संतहता समाज, संथकृ तत और धमा पर ऄतधक लागू होती
है यह ऄंतर तिशेष रूप से ईपयोगी नहीं है क्योंकक ईनके मर्धय के आस ऄंतर का बार-बार एिं सरलता
से ईल्लंघन ककया जाता है ईदाहरणथिरूप, तिदेशी संथकृ ततयों के संदभा में ईतचत व्यिहार को
तनधााररत करते समय बहुराष्ट्रीय तनगमों को प्रायः सांथकृ ततक मानदंडों का पालन करने की अिश्यकता
होती है आस प्रकार, संतहताओं को ईत्कृ ष्ट तौर पर ऄपनाने िाली संथथाएं थथातपत संतहता को र्धयान में

रखते हुए व्यिसाय करती हैं सािाजतनक क्षेत्र के कइ संगठन भी ऐसा करते हैं आंजीतनयररग,

एकाईं रटग, तचककत्सा और तितधक जैसे व्यिसायों में ऐसी संतहताएँ ऄपनायी जाती हैं

6.4.1. साधारणतः तनजी क्षे त्र के नै ततक मु द्दें

(Ethical issues of private sector in general)

 तनयुतक्तयों में तहतों का संघषा; तिशेष रूप से पररिार िारा संचातलत कं पतनयों में तनदेशक मंडल
जैसे पदों पर तनयुतक्त के मामले में ऐसा देखा जा सकता है
 लेखापरीक्षा प्रकिया में सत्यतनष्ठा- कइ कं पतनयों को ऄपनी बैलस
ें शीट में धोखाधड़ी करते हुए
पाया गया है ईतचत लेखा परीक्षा करना और ककसी भी प्रकार के ईल्लंघन का पता लगाना लेखा
परीक्षकों का काया है, तजसमें िे ऄनेक मामलों में तिफल रहे हैं
 आनसाआडर ट्रेचडग और शेयर की कीमतों में हेरफे र
 बाजारों में व्यिसायी समूहन (काटालाइज़ेशन) और हेरफे र
 सरकारी नीततयों को ऄपने पक्ष में प्रभातित करने हेतु लॉचबग

6.4.2. तनयोक्ताओं के नै ततक मु द्दे (Ethical Issues of Employers)

 पक्षपात: आसका ऄथा यह है कक तनयोक्ता पदोन्नतत और बोनस के संबंध में ककसी तिशेष व्यतक्त का
पक्ष ले सकता है और थपष्ट रूप से ऄन्य पात्र कमाचाररयों की ईपेक्षा कर सकता है तनयोक्ता के आस
अचरण को ऄत्यतधक ऄनैततक माना जाता है
 लैंतगक ईत्पीड़न को कानूनी/नैततक/अचरण की दृतष्ट से सही नहीं माना जा सकता है, चाहे ऐसा
कायाथथल पर हो ऄथिा ईससे बाहर ककसी कमाचारी का लैंतगक ईत्पीड़न ऄथिा ऐसे ऄपराधों में
शातमल लोगों के तिरुद् कायािाही करने से बचना अकद सभी को यहाँ ऄक्सर कठोरता से िर्थजत
ककया जाता है
 तबना ककसी सूचना के कमाचारी को बखााथत करना कु छ मामलों में, बजट प्रबंधन जैसे कारणों से
कं पतनयां कमाचाररयों की संख्या को कम करने के तलए बड़े पैमाने पर छं टनी के तिकल्प का चयन
करती हैं आस तरह के कदम कम से कम एक माह ऄथिा दो माह की पूिा सूचना एिं नोरटस के
पिात ईठाए जाने चातहए, ताकक व्यतक्त नौकरी के ऄन्य तिकल्पों की खोज का सके ककसी भी
प्रकार के भ्रम से बचने के तलए नोरटस देकर कमाचाररयों को ईतचत समय प्रदान ककया जाना
चातहए संगठन छोड़ने के पिात कमाचारी के भतिष्य तनतध और ग्रेच्युटी का भुगतान करने में
ऄनािश्यक तिलम्ब पेशि
े र नैततकता का ईल्लंघन है

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6.4.3. कमा चाररयों के नै ततकता सं बं धी मु द्दे

(Ethical Issues of Employees)

 संसाधनों का दुरुपयोग करना, ईदाहरणाथा: कं पनी के खचा पर ऄनािश्यक फ़ोन कॉल करना अकद
 कं पनी की संपतत्त को घर ले जाना: कु छ कमाचारी घर पर ईपयोग करने हेतु कं पनी के ईपकरण
तथा थटेशनरी का सामान, जैस-े थटेपलर, तपन, कागज़ आत्याकद ले जाते हैं
 ऄनुमत संख्या से ऄतधक छु रियां लेना नीततपरक अचार संतहता के ईल्लंघन को दशााता है आससे न
के िल कं पनी को क्षतत पहुँचती है बतल्क कमाचारी की छति भी ख़राब होती है
 मशीनरी का ऄनुतचत ईपयोग: कु छ कमाचारी कं पनी के कं प्यूटर एिं चप्रटर का ईपयोग ऄत्यतधक
चप्रट अईट्स, ऄतधक डाईनलोचडग और ऄनािश्यक नेट सर्फफग आत्याकद के तलए करते हैं
 यात्रा भत्ता का लाभ ईठाना: यह ईन कमाचाररयों पर लागू होता है जो तनरं तर यात्राएं करते रहते
हैं, जैस-े माके रटग प्रोफे शनल नीततपरक अचार संतहता के ऄततररक्त व्यािहाररक ज्ञान के ऄनुसार
भी व्यतक्तगत लाभों के तलए ऐसा नहीं करना चातहए
 कं पनी के तनयमों एिं तितनयमों का ईल्लंघन करना: सामान्यतः ककसी भी संगठन के तनयमों एिं
शतों को थिीकार करना प्रकिया में शातमल होने का एक भाग माना जाता है आन तनयमों में से
ककसी एक का भी ईल्लंघन करने से कं पनी एिं कमाचारी के मर्धय ऄिांछनीय समथयाएं ईत्पन्न हो
सकती हैं कं पनी की गोपनीयता की नीतत को बनाए रखने में तिफलता भी तनयमों के ईल्लंघन का
एक प्रकार है प्रत्येक कं पनी की ऄपनी एक गोपनीयता संबंधी नीतत होती है ककसी भी संगठन में
कायारत कमाचारी का यह ईत्तरदातयत्ि होता है कक िह कं पनी से संबंतधत डेटा और ऄन्य तििरण
को ककसी ऄन्य कं पनी/प्रततिंिी संगठन को प्रदान न करें
 अपतत्तजनक संचार: कमाचाररयों को कायाालय में अपतत्तजनक भाषा का ईपयोग करने की
ऄनुमतत नहीं होती है परं तु जब कोइ भी घटना कं पनी के बाहर घरटत होती है, तब ईसपर ककसी
भी प्रकार से तिचार नहीं ककया जाता है
 कइ संगठनों हेतु काया करना: सामान्यतः कं पतनयां ऄपने कमाचाररयों को एक से ऄतधक संगठनों में
काया करने हेतु प्रततबंतधत करती हैं, तिशेषतः प्रततथपधी कं पनी िारा जहां संगठन की गोपनीय
सूचना का ईपयोग ककया जा सकता है आससे कमाचारी की ईसके तनयोक्ता के प्रतत तनष्ठा पर प्रश्न
ईठता है
 कं पनी के तलए तनधााररत दैतनक समय पर व्यतक्तगत काया करना: कमाचारी िारा सप्तातहक कदनों
का ऄत्यतधक समय नौकरी पर व्यतीत करने के कारण प्रायः िे कं पनी के तलए तनधााररत दैतनक
समय पर व्यतक्तगत काया करने का प्रयत्न करते हैं आसमें कं पनी की फोन लाआन िारा डॉक्टर से
समय लेना, तनयोक्ता के कं प्यूटर एिं आं टरनेट कनेक्शन िारा छु रियों के तलए यात्रा हेतु अरक्षण
करना ऄथिा यहां तक कक कं पनी के तलए तनधााररत समय में फ्रीलांस साआड तबज़नेस हेतु फ़ोन
कॉल करना आत्याकद शातमल हैं
 ऄन्य व्यतक्त िारा ककए गए काया का श्रेय लेना: प्रायः कमाचारी ककसी िथतु का माके रटग कैं पेन
तैयार करने, नए ईत्पादों को तिकतसत करने ऄथिा सेिाओं में सुधार करने हेतु टीम के रूप में काया

करते हैं; परं तु ऐसा कम ही पाया जाता है कक समूह का प्रत्येक व्यतक्त एक समान रूप से ऄंततम
ईत्पाद में ऄपना संपण
ू ा योगदान करता है यकद कोइ भी कमाचारी प्रततकू ल पररतथथततयों में ऄपने
सह-कर्थमयों साथ नहीं देता है तो आससे ऄन्य कमाचाररयों में िेष की भािना ईत्पन्न हो सकती है
यह तथथतत तब भी ईत्पन्न हो सकती है, जब सभी कमाचारी समान श्रेय को थिीकार करते हैं, चाहे

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के िल कु छ चुचनदा व्यतक्तयों ने पररश्रम ककया हो आस नैततक दुतिधा का समाधान करने का सबसे


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ईत्कृ ष्ट तरीका यह है कक आस प्रकार की पररतथथतत को ईत्पन्न नहीं होने कदया जाना चातहए टीम
के सभी सदथयों को आस बात पर बल देना चातहए कक प्रत्येक सदथय को कु छ तितशष्ट काया सौंपे
जाए ताकक संबद् तरीके से पररयोजना को पूणा ककया जा सके आस बात पर भी र्धयान कें कद्रत ककए
जाने की अिश्यकता है कक काया का श्रेय पूरी टीम को कदया जाएगा न कक ककसी एक व्यतक्त को
तथा यह ईस टीम लीडर का नैततक दातयत्ि है कक ककसी भी प्रकार की कमी रहने पर ईसकी
तजम्मेदारी ले {प्रोफे सर सतीश धिन (तत्कालीन आसरो ऄर्धयक्ष) ने डॉ. ए. पी. जे ऄब्दुल कलाम
की ऄगुअइ िाली टीम िारा प्रथम सैटेलाआट लॉन्च हहीकल तमशन की तिफलता को थिीकार करते
हुए आस गुण का प्रदशान ककया }
 ईत्पीड़क व्यिहार: प्रायः कमाचाररयों को यह ज्ञात नहीं होता है कक एक सहकमी िारा ऄन्य
सहकमी का मानतसक, लैंतगक ऄथिा शारीररक रूप से ईत्पीड़न करने पर क्या कारा िाइ की जानी
चातहए कमाचारी को यह भय रहता है कक यकद िह ऄपने िररष्ठ को ईत्पीड़न की तशकायत करता
है, तो ऄपनी नौकरी को गंिा सकता है साथ ही िह आस बात को लेकर भी चचततत रहता है कक

यकद िह ककसी सहकमी की ऄन्य सहकमी के प्रतत ऄनुपयुक्त व्यिहार की तशकायत करता है, तो
ईसे ईपद्रिी कहा जाएगा आस नैततक दुतिधा का समाधान करने की ईतचत तितध ईन सदथयों पर
तनभार करती है जो कं पनी की कमाचारी हैंडबुक को तैयार करते हैं आस पुतथतका में तितशष्ट रूप से
थपष्ट शब्दों में तलखा जाना चातहए कक ईत्पीड़न संबंधी व्यिहार या ऄपने सहकर्थमयों की ऄनुतचत
कायों की सूचना देने िाले कमाचारी को दंतडत नहीं ककया जाएगा

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7. के स थटडी (Some Case Studies)


के स 1

पूिा से ही थथातपत ऄनुकरणीय सुरक्षा ऄतभलेख के बािजूद एक रासायतनक कारखाने में एक घातक
दुघाटना घरटत हो जाती है तजसमें एक व्यतक्त की मृत्यु हो जाती है दुघाटना के कारणों को ज्ञात करने
हेतु की गइ जांच िारा भतिष्य में होने िाली आस प्रकार की दुघाटनाओं को रोकने हेतु ईपाय सुझाए गए
हैं हालांकक, आन पररितानों को कायाातन्ित करना ऄत्यतधक महंगा होगा CEO के समक्ष संयंत्र को बंद

करने का तिकल्प तिद्यमान हैं तजसके पररणामथिरूप सैकड़ों नौकररयों की हातन हो सकती है, या दूसरी

ओर यह भी तिकल्प तिद्यमान है कक िह प्रकियात्मक पररितानों को ऄपनाते हुए संयंत्र का पररचालन


जारी रख सकता है जो जोतखम को के िल कम करे गा न की ईन्हें पूणत
ा ः समाप्त
यह प्रकरण ऄसाधारण पररणामों का एक ईदाहरण है यहाँ हमें चोट या मृत्यु के कम लेककन महत्िपूणा
जोतखम को समाप्त करने संबंधी मूल्य बनाम तनरं तर रोजगार प्रदान करने संबंधी मूल्य को तनधााररत
करने के तलए कहा गया है हालाँकक, एक सैद्ांततक प्रततकिया थिरुप यह कहा जा सकता है कक ऐसा

कोइ भी मूल्य महान नहीं हो सकता है तजसे व्यतक्त के जीिन पर प्राथतमकता प्रदान की जा सके लेककन
यकद हम आस तसद्ांत को ऄक्षरशः व्यिहार में लागू करें गे तो दैतनक जीिन बातधत हो जाएगा आसका
ऄनुसरण करने से यह तथ्य सामने अता है कक यकद कार दुघाटना में प्रतत िषा के िल एक व्यतक्त की ही
मृत्यु होती है तो िैसी तथथतत में सभी प्रकार के तनजी पररिहन पर प्रततबंध लगा कदया जाए ऄतः, जहां

हम मौतखक रूप से आस धारणा का समथान करते हैं कक मानि जीिन ऄपररमेय है, िहीं व्यािहाररक

रूप से, आस धारणा से ऄसंगत तनणाय तलए जाते हैं आस पररदृश्य में, अर्थथक रूप से व्यिहाया समाधानों

को खोजने की अिश्यकता है तजसका ईद्देश्य ककसी भी दुघाटना को कम करना है


के स 2

एक खोजी संिाददाता को भ्रष्टाचार के एक मामले के संबंध में जानकारी प्राप्त होती है तजसमें ककसी
प्रतततष्ठत कं पनी के बोडा के सदथय िारा कइ लाख रुपये के भूतम खरीद सौदे में फ्री हॉतलडे थिीकार
ककया गया है ऄर्धयक्ष िारा पहले ही बोडा के संबंतधत सदथय से िाताा की जा चुकी है, तजसने तत्काल

ऄपने पद से आथतीफा देने का प्रथताि रखा है संयोग से, आस सौदे को ऄंततम रूप नहीं कदया जा सका

और आस प्रकार ककसी भी प्रकार की हातन नहीं हुइ ररपोटार फोन पर ऄर्धयक्ष से आस ऄफिाह की
िाथततिकता के संबंध में जानकारी प्राप्त करता है आस तथथतत में यकद ऄर्धयक्ष िारा भ्रष्टाचार के आस
मामलें की जानकारी प्रदान की जाती है तो आसके पररणामथिरूप कं पनी के शेयरों की कीमतों में
तगरािट हो सकती है यहाँ ऄर्धयक्ष सच्चाइ को थिीकार कर सकता है या संिाददाता को ऄहातनकर
थपष्टीकरण के मार्धयम से गलत सूचना (एक 'सफे द झूठ') प्रदान कर सकता है

यह प्रकरण तसद्ांतों और पररणामों के मर्धय संघषा का एक ईदाहरण है नैततक तसद्ांत के संदभा में, झूठ

बोलना सदैि गलत होता है हालांकक, िाथततिक जीिन में एक ऐसी पररतथथतत ईत्पन्न होती है जहां

सत्य बोलने के मूल्य को चुकाने के तलए हम तैयार नहीं होते हैं आसे एक अदशा ईदाहरण िारा थपष्ट
ककया जा सकता है- कु ल्हाड़ी तलए हुए कोइ हत्यारा अपसे यह पूछता है कक 'िह ककस मागा से गया है?'

आस पररतथथतत में सत्य के ऄततररक्त ऄन्य कोइ भी प्रततकिया एक झूठ होगी आस पररतथथतत में ककसी

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व्यतक्त का नैततक कताव्य, पररणामों पर तिचार ककए तबना, सत्य बोलना है हालांकक, कु छ व्यतक्त आसके

चरम पररणामों को भोगने के तलए तैयार हो सकते हैं


के स 3

एक प्रयोगशाला ईपकरण तितनमााण कं पनी में एक मानि संसाधन प्रबंधक को कं पनी के कायाबल में से
एक ऄतधक िररष्ठ सदथय के संबध
ं में करठन तनणाय का सामना करना पड़ता है ईसकी सेिातनिृतत्त में
के िल दो िषा शेष हैं, िह व्यतक्त ऄत्यतधक तज़म्मेदारी और समपाण के साथ काया करता है लेककन ईसकी

काया दर में ऄत्यतधक तगरािट अ गइ है तजसके कारण ऄन्य श्रतमक ईसकी तशकायत करना प्रारं भ कर
देते हैं कं पनी के प्रतत समपाण यह दशााता है कक प्रबंधक िारा कं पनी के तहत में सबसे बेहतर तनणाय
तलया जायेगा और ईस व्यतक्त को कं पनी से तनकाल कदया जायेगा एक ऄतधक मानिीय कायािाही यह
भी हो सकती है कक ईसे ऐसे ऄनुभाग में थथानांतररत कर कदया जाए जहां ईत्पादकता की कमी को
नोरटस करने की कम संभािना हो
यह प्रकरण दुतिधा का एक ईदाहरण है, जो भूतमकाओं के मर्धय संघषा के कारण ईत्पन्न हुइ है एक

प्रबंधक भी ककसी डॉक्टर के समान कु छ कताव्यों और दातयत्िों को थिीकार करता है, जो ईसकी भूतमका

के तलए तनधााररत हैं आसके तलए ककसी को भी बार्धय नहीं ककया जाता हम ऄपने पेशे संबंधी भूतमका
का तनिाहन करने के तलए थितंत्र होते हैं और ऄपने कायों के अधार पर ऄपनी पहचान का तनमााण
करते हैं लेककन एक मानि की तथथतत के िल एक भूतमका से कहीं ऄतधक होती है प्रबंधक भी एक
ईत्तरदायी नागररक, एक िफादार पतत/पत्नी एिं देखभाल करने िाला माता-तपता, एक सभ्य मानि

होता है आन भूतमकाओं में तिशेष प्रकार के दातयत्ि तनतहत होते हैं, तजनमें संघषा ईत्पन्न करने की क्षमता

होती है सैद्ांततक प्रततकिया कक 'ककसी व्यतक्त का ऄपनी कं पनी के प्रतत समपाण सभी पररतथथततयों में

ऄन्य सभी दातयत्िों से महत्िपूणा होता है', तनतित रूप से ऄथिीकाया है

आस प्रकार के तनणाय का सामना करने िाले प्रत्येक व्यतक्त के तलए, एक थपष्ट तनधाारक चबदु होता है

लेककन यह पूिा में ही तनधााररत नहीं ककया जा सकता है कक िह चबदु कौन-सा है ऐसी पररतथथतत में हमें
एक तिकल्प का चयन करना होता है और ईसके ऄनुरूप काया करना होता है हम ऄपने तनणाय के पक्ष
में तका प्रथतुत कर सकते हैं, लेककन ईपलब्ध तिकल्पों के मर्धय साथाक तुलना ककये तबना तलया गया कोइ

भी तनणाय “ऄंततः तबना तका के तलया गया तनणाय” माना जाएगा

के स 4

एक तनयोक्ता X लंबे समय से कं सचल्टग तबज़नेस का संचालन कर रही है और ईसे आसे प्रबंतधत करने में

सहायता करने हेतु ककसी ऄन्य व्यतक्त को तनयुक्त करने की अिश्यकता है िह कइ व्यतक्तयों का
साक्षात्कार लेती है और ऄंततः नौकरी के तलए ईम्मीदिार Y का चयन करती है तजसे ऄगले सप्ताह से

काया प्रारं भ करने के तलए कहा जाता है आस बीच, X का तमत्र ईसे फोन करके आस पद हेतु एक

ऄत्यतधक प्रततभाशाली और योग्य व्यतक्त Z की तसफाररश करता है हालांकक X ईसके िारा सुझाए गए

व्यतक्त के तलए मना कर देती हैं Z ईतचत बायो डेटा के साथ अता है और तनयोक्ता िारा ईसे पसंद कर

तलया जाता है आस पररतथथतत में दुतिधा यह ईत्पन्न हो जाती है कक ककस प्रकार के व्यतक्त का चयन
ककया जाए जो व्यिसाय के तलए सिाातधक योग्य है या नैततक रूप से ऐसे व्यतक्त को चयतनत ककया जाये
तजसे पहले तनयुक्त कर तलया गया है

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ईपयुाक्त मुद्दे का समाधान व्यिसाय में नैततक दुतिधाओं के तीन मूलभूत प्रश्नों को संदर्थभत करके ककया
जा सकता है
 क्या यह तितध सम्मत है? तनजी कं पतनयां ककसी भी प्रकार के भती तनयमों को मानने हेतु बार्धय

नहीं हैं हालांकक, ईन्हें प्राकृ ततक न्याय के तनयमों का पालन करना होता हैं तनतित रूप से िे

ऄपनी पसंद के ईम्मीदिारों को चयतनत और ऄथिीकार कर सकती हैं हालांकक, भती के बाद ईसे

ऄथिीकार करना प्राकृ ततक न्याय के तसद्ांतों का ईल्लंघन करता है, तजसका पररणाम न्यायालय

कायािातहयों के रूप में सामने अ सकता है न्यायालय में तका प्रथतुत ककए जा सकते हैं, लेककन कफर

भी, यह न्यायाधीशों िारा तनधााररत ककया जायेगा कक िे कं पनी के ऄतधकार को (तनयुक्त करने या

तनकलने) प्राथतमकता देते हैं या व्यतक्त के प्राकृ ततक न्याय के ऄतधकार को


 गुणों और दोषों को कै से संतुतलत ककया जाए? Y के तलए काया प्रारं भ करना तकनीकी रूप से सही

है लेककन यह कं पनी और Y दोनों के तलए लाभकारी तथथतत नहीं हो सकती है क्योंकक Z, Y की

तुलना में कं पनी के व्यिसाय को बेहतर रूप से अगे बढ़ा सकता है


 क्या यह सही है? Y को तनयोतजत करना सही होगा क्योंकक Y को पहले ही कायाग्रहण की तततथ

सौंपी जा चुकी है और ईसे तनयुक्त करने से तनयोक्ता X यह महसूस कर सकती है कक िह सही काया

कर रही है
के स 5

एक कं पनी िारा एक नइ तकनीक लॉन्च की जा रही है जो कं पनी के साथ-साथ ग्राहकों के तलए भी


ईपयोगी है लेककन, यकद आसे ईपयोग में लाया जाता है, तो संगठन में ऄपेक्षाकृ त कम मानि संसाधन

की अिश्यकता होगी ईद्यमी ऄब नैततक दुतिधा में है कक क्या िे ऄपने ग्राहकों को ऄतधक बेहतर
सेिाएं प्रदान करें या ऄपने कमाचाररयों के प्रतत तनष्ठािान बने रहें तजन्होंने कं पनी की प्रगतत में सहयोग
ककया है आस तथथतत में दुतिधा यह है कक यहाँ न तो ग्राहक और न ही कमाचारी पीतड़त होने के भागी हैं
और ऄब ऄंततम तनणाय ईद्यमी िारा तलया जाना है
समाधान: आस तथथतत में तीन प्रश्नों को रे खांककत ककया जा सकता हैं:
 क्या यह तितध सम्मत है? आस तनणाय को कं पनी के िररष्ठ ऄतधकाररयों और कं पनी की नीततयों के

साथ सत्यातपत ककए जाने की अिश्यकता है कं पनी िारा ऄपने कमाचाररयों के साथ ककए गए
समझौते के अधार पर दोनों िैधातनक रूप से सही हो सकते हैं
 क्या यह संतुतलत है? संगठनात्मक लक्ष्यों और व्यतक्तगत लक्ष्यों को संतुतलत ककया जाना चातहए

संगठन को बाजार में बने रहने के तलए लाभ और ग्राहकों की संतुतष्ट दोनों की अिश्यकता होती है
नइ तकनीक को ऄपनाने से आन दोनों में िृतद् होने की सम्भािना है कोइ भी व्यतक्त रोज़गार की
तनतितता और ईतचत पाररश्रतमक प्राप्त करने का प्रयास करता है आस तथथतत के ईत्पन्न होने से पूिा
ये दोनों लक्ष्य परथपर समन्ितयत थे और दोनों के तलए लाभ की तथथतत तिद्यमान थी ककन्तु
ितामान तथथतत में आनके मर्धय संघषा ईत्पन्न हो गया है तनणाय कताा को िफादारी को पुरथकृ त एिं
सम्मातनत करने तथा लागत में कमी एिं ऄतधक ग्राहक-संततु ष्ट के मार्धयम से संभातित लाभ में
िृतद् के तिकल्प के मर्धय चयन करना होगा

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 क्या यह सही है? प्रततकू ल पररतथथततयाँ प्रततकू ल तनणायों की संभािना ईत्पन्न करती है थियं की

कं पनी की प्रगतत में िृतद् करना और ईसे ऄतधक थिचातलत थिरूप प्रदान करने में कु छ भी

ऄनुतचत नहीं है तकनीकी तपछड़ापन कं पनी के तिकास में बाधक होता है, ऄतः तकनीक को

ऄपनाना गलत तिकल्प नहीं होगा हालांकक, तनयोक्ता को ऄपने मानि संसाधन का ईपयोग करने

और ईन्हें ऄपनी प्रततष्ठा बनाए रखने के तलए ऄन्य क्षेत्रों में थथानांतररत करने के तलए कदम ईठाना

चातहए, क्योंकक बड़े पैमाने पर छंटनी के कारण कं पनी की छति को रोजगार बाजार में एक बड़े

ऄिरोध का सामना करना पड़ सकता है


 एक ईतचत संभातित मागा यह हो सकता है कक कं पनी िारा कमाचाररयों को ककसी ऄन्य क्षेत्र संबंधी
कौशल प्रदान ककया जाना चातहए और नइ तकनीक को ऄपनाने के िम में छंटनी में कमी की जानी
चातहए

ये दो मामलें, व्यिसातयक नैततक दुतिधाओं के तितशष्ट ईदाहरण हैं जीिन के समान ही व्यिसाय में

कु छ तनणाय करना ऄत्यतधक करठन होता है, लेककन यह थमरण रखना चातहए कक - अपको िही करना

है जो अपको करने के तलए कहा गया है - आस प्रकार की दुतिधाओं के समाधान की कोइ ऄतनतित
तितध नहीं है!

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8. नै ततक मागा द शा न के स्रोत के रूप में तितध, तनयम, तितनयम


और ऄं तःकरण
(Laws, Rules, Regulations and Conscience as Sources of Ethical Guidance)
तितध और ऄंतःकरण मागादशान के दो स्रोत हैं तजनके मार्धयम से मनुष्य थियं की कायािातहयों की
नैततकता का तनणाय कर सकता है ये स्रोत लोक प्रशासकों के तलए थपष्ट और व्यािहाररक मागादशान
प्रदान करने में तिशेष रूप से महत्िपूणा हैं जहां तितध, कत्ताा से बाहर तिद्यमान होती है िहीं ऄंतःकरण
कत्ताा के भीतर तिद्यमान होता है ये दोनों ही नैततक होने का दातयत्ि अरोतपत करते हैं ऄथाात् , ईतचत
काया करना और बुराइ से बचना

8.1. तितध की ऄिधारणा (The Notion of Law)

नीततशास्त्र में प्रयुक्त तितध, भौततकी में तितध की ऄिधारणा से तभन्न हैं, जो कारा िाइ के एक सामान्य
ऄथिा थथायी तरीके को सूतचत करती है नीततशास्त्र में, तितध एक नैततक ऄिधारणा है ईदाहरण के
तलए, आसे आस रूप में पररभातषत ककया गया है कक "यह सामान्य शुभ के कारण के रूप में एक अदेश है
और आसे समुदाय की देखभाल करने िाले व्यतक्त िारा प्रचाररत ककया जाता है " (सेंट थॉमस एकिनास)
Lex (लेक्स) शब्द (लैरटन में ‘तितध’ हेतु प्रयुक्त शब्द) िथतुतः लैरटन शब्द ligare (तलगर) से बना है,
तजसका ऄथा "बांधना" होता है यह लोगों को काया करने ऄथिा न करने हेतु प्रेररत करता है यह एक
दातयत्ि भी अरोतपत करता है आसके ऄततररक्त, यह एक कारा िाइ को थथातपत करता है तजसका
ऄनुसरण ककया जाना चातहए साथ ही, तितध मानि प्रकृ तत के ऄनुरूप होनी चातहए तथा मानि प्रकृ तत
को तितधयों का ऄनुपालन करने के तलए भौततक एिं नैततक रूप से समथा होनी चातहए आसे के िल
न्यायोतचत ही नहीं होना चातहए, बतल्क सभी पर समान रूप से लागू भी होनी चातहए आसके
ऄततररक्त, यह ‘सामान्य शुभ’ के तलए है न कक तनजी लाभ के तलए
हालांकक, ककसी से भी तितध के ऄनुपालन की ऄपेक्षा करने से पूिा आसे तितध तनमााताओं िारा प्रख्यातपत
ककया जाना चातहए ऄथिा आसके संबंध में समुदाय को जानकारी होनी चातहए यकद तितध तनमााता
तितध के ऄतथतत्ि को प्रख्यातपत या प्रचाररत नहीं करते हैं, तो नागररकों िारा आसका ऄनुपालन नहीं
ककया जायेगा तथा तितध तनमााता आसके ऄनुपालन की ऄपेक्षा नहीं कर सकें गे
सेंट थॉमस एकिनास (13िीं सदी के दाशातनक ि इसाइ संत) ने तितभन्न प्रकार की तितधयों का एक
प्रतसद् िणान प्रथतुत ककया ईन्होंने धमाशास्त्र से व्युत्पन्न शाश्वत तितध (eternal law), जो इश्वर को
िह्ांड के ऄतधपतत के रूप में दशााता है, तथा लौककक ऄथिा सामतयक तितधयों के मर्धय तुलना ककया
शाश्वत तितध िह तितध है जो ऄनंतकाल तक बनी रहती है, ऄथाात् मनुष्य या ऄन्य जीिों के ऄतथतत्ि के
साथ या ईसके तबना यह सदैि तिद्यमान होती हैं शाश्वत तितध इश्वर की आच्छा है यह ऄगली श्रेणी
ऄथाात् दैिीय तितध (Divine law) के रूप में प्रकट होती है दैिीय तितध, शाश्वत तितध से व्युत्पन्न
तितध है तजसे तितभन्न पतित्र पुथतकों के मार्धयम से इश्वरीय अदेशों के रूप में मनुष्यों के तलए 'प्रकातशत'
ककया गया है ककन्तु यकद इश्वर ने आन तितधयों को तनर्थमत ककया है तो ईसने मनुष्यों िारा ईन्हें जानने
का एक तरीका भी ऄिश्य तनर्थमत ककया होगा ितामान में प्रत्येक मनुष्य आन पतित्र पुथतकों को न तो
पढ़ सकता है / न ही पढ़ता है / न ही हर कोइ इश्वर में तिश्वास करता है आसतलए, थॉमस एकिनास
कहते हैं कक इश्वर ने मनुष्य को ऄंतज्ञाान के साथ-साथ तका के अधार पर प्रकृ तत से आन तितधयों को प्राप्त

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करने में सक्षम बनाया है आस प्रकार, ऄंततः दो प्रकार की मानि तितधयां हैं: प्राकृ ततक और
सकारात्मक

8.1.1. प्राकृ ततक तितध और सकारात्मक तितध

(Natural Laws and Positive Laws)


प्राकृ ततक तितध, समय ऄथिा मनुष्य के ईतिकास के साथ तिकतसत हुइ है यह मानि प्रकृ तत पर
अधाररत है और मानिीय बुतद् आसकी खोज कर सकती है दाशातनकों के मर्धय आस पर बहस की
शुरुअत ऄरथतु के समय से ही मानी जाती है कक अतखर प्राकृ ततक तितध क्या है थॉमस एकिनास के
प्राकृ ततक तितध संबंधी संथकरण को सबसे सुव्यितथथत माना जाता है तजसके ऄनुसार, यद्यतप दैिीय
बुतद् की शाश्वत तितध हमारे तलए ऄज्ञात है क्योंकक यह ऄपनी पूणाता में इश्वर के मतथतष्क में तिद्यमान
है, तथातप यह न के िल रहथयोद्घाटन बतल्क हमारी बुतद् के संचालन के मार्धयम से भी हमें ज्ञात होती
है प्राकृ ततक तितध, जो "बौतद्क प्राणी में शाश्वत तितध के समािेशन के ऄततररक्त कु छ नहीं है", ईन
तनयमों का समािेश करती है तजसे मानिजातत सूत्रबद् करने में सक्षम है, जो आस प्रकार हैं: थियं के शुभ
का संरक्षण, "ईन आच्छाओं की पूर्थत तजन्हे प्रकृ तत ने सभी जीिों में ऄंतर्थनतिष्ट ककया है”, तथा इश्वर को
जानने का मागा ऄपनाना मानिीय तितध में प्राकृ ततक तितधयों को थपष्ट तौर पर शातमल ककया जाना
चातहए
समझने के ईद्देश्यों से एकिनास के तिचारों को आस प्रकार सरलीकृ त ककया जा सकता है कक इश्वर ने हमें
यह जानने के तलए सभी साधनों से पहले ही पररपूणा ककया है कक शुभ क्या है तजन िथतुओं को खोजने
के तलए हमें ऄतभकतल्पत ककया गया हैं ईन्हें 'मूलभूत िथतु’' कहा जाता है तजन्हें ऄतथतत्ि के तलए सहज
माना गया है समथत जीतित प्रातणयों में यह प्रिृतत्त पायी जाती है हमें अत्म-परररक्षण की खोज करने
हेतु ऄतभकतल्पत ककया गया है आसकी ईत्पतत्त कहां से होती है? आसकी ईत्पतत्त थिाभातिक रूप से होती

है हम ईन चीजों से बचते हैं जो हमारे ऄतथतत्ि को क्षतत पहुंचा सकती हैं आसी प्रकार, सभी प्रातणयों
को ऄपने ऄतथतत्ि को तनरं तर बनाए रखने के तलए प्रजनन की अिश्यकता होती है यह थिाभातिक भी
है
प्राकृ ततक तितध की ऄिधारणा को थॉमस हॉब्स ने अगे बढ़ाया, तजन्होंने आसे 'एक अदेश या सामान्य

तनयम' के रूप में िर्थणत ककया, तजसकी ईत्पतत्त बुतद् िारा होती है “आसके िारा एक व्यतक्त को ऐसा

करने के तलए िर्थजत ककया जाता है जो ईसके जीिन के तलए तिनाशकारी है ” हॉब्स ने ''अधारभूत
शुभ’' की ऄिधारणा को भी अगे बढ़ाया, तजसकी हम आच्छा रखते हैं, जैस-े शांतत, सुख, कृ तज्ञता
आत्याकद आसतलए कोइ भी काया जो शांतत के ऄनुसरण का ईल्लंघन करता है या सुख में बाधा ईत्पन्न
करता है ऄथिा तजससे कृ तज्ञता प्राप्त नहीं होती है ईसे प्राकृ ततक तितध का ईल्लंघन माना जाएगा यहाँ
यह थपष्ट हो जाना चातहए कक यह प्राकृ ततक तितध राजा या सरकार जैसे सक्षम प्रातधकारी िारा तनर्थमत
नहीं है आसतलए, आस शब्द के सबसे कठोर ऄथा में भी ककसी प्रकार के शासन का प्रािधान नहीं है

प्राकृ ततक तितध के सकारात्मक मानि तितध के साथ संबंध पर तिचार कीतजए सर एडिडा कोक 17िीं
शताब्दी के एक प्रतसद् ऄंग्रज
े तितधिेत्ता थे तजन्होंने ऄमेररकी िांतत को ऄत्यतधक प्रभातित ककया था
ऄमेररकी थितंत्रता की ईद्घोषणा को प्राकृ ततक तितध (मनुष्य के ऄतधकारों के रूप में) के दथतािेज के
रूप में भी माना जाता है ऄमेररकी िांततकारी नेताओं के तलए, 'तितध' का ऄथा सर एडिडा कोक की

पररपाटी और ईतचत बुतद् से था कोक ने तितध को "पूणा बुतद् (perfect reason)" माना, जो ईन

चीजों को अदेश देती है जो ईतचत एिं अिश्यक हैं तथा तिपरीत चीजों को प्रततबंतधत करती है ” कोक

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के ऄनुसार, मानि प्रकृ तत िारा तितध का ईद्देश्य तनधााररत होता है और तितध ककसी भी व्यतक्त की बुतद्

या आच्छा से सिोत्तम है कोक के ऄनुसार, प्राकृ ततक तितध "िह है जो इश्वर िारा मानिीय प्रकृ तत के

सृजन के समय ही ईसके संरक्षण और तनदेशन के तलए ईसके हृदय में ऄंतर्थनतिष्ट कर दी गइ थी "
सकारात्मक तितध दो प्रकार की होती है: दैिीय और मानिीय यकद सकारात्मक तितध का रचतयता
इश्वर है, तो िह दैिीय सकारात्मक तितध है यकद सकारात्मक तितध का मूल स्रोत मानि है, तो यह एक
मानिीय सकारात्मक तितध है यहां हम मानि और सकारात्मक शब्दों का ईपयोग परथपर एक-दुसरे के
तलए कर रहें हैं 'तितध को प्रभािी’ बनाने हेत,ु आसे तितधित ऄतधतनयतमत, थिीकाया और कियातन्ित
ककया जाना चातहए सकारात्मक तितध भी समय के साथ तिकतसत हइ है आसके ऄंतगात आस प्रकार की
तितध होती है जो तितध-तनमााताओं की थितंत्र आच्छाशतक्त पर तनभार करती है और कु छ बाह्य प्रतीकों
िारा प्रख्यातपत की जाती हैं
एकिनास ने यह बताया कक सभी मानि ऄथिा सकारात्मक तितध को प्राकृ ततक तितध के ऄनुरूप
तनधााररत ककया जाना था एक ऄनुतचत तितध ऄपने शब्द के पूणा ऄथा में तितध नहीं है यह के िल तितध
की 'प्रतीतत (appearance)' को बनाए रखता है क्योंकक आसे एक तितध के समान ईतचत रूप से तनर्थमत

और लागू ककया जाता है, लेककन यह थियं ‘तितध का तिकृ त रूप’ होता है प्राकृ ततक तितध का न के िल

तितभन्न तितधयों के नैततक मूल्य के अधार पर तनणायन करने हेतु ईपयोग ककया जाता है, बतल्क यह
तनधााररत करने के तलए भी ककया जाता है कक ईन तितधयों का ऄथा क्या है
प्राकृ ततक तितध के साथ समथया
प्राकृ ततक तितध का तसद्ांत हमें अधारभूत शुभ प्रदान करता है आन अधारभूत शुभों को जानने के तलए
पतित्र पुथतकों की अिश्यकता नहीं होती है हमारी सहज प्रिृतत्त हमें अधारभूत शुभों का ज्ञान प्रदान
करती है तथा बुतद् के अधार पर हम आन अधारभूत शुभों से प्राकृ ततक तितध को व्युत्पन्न करते हैं िे ही
काया ईतचत हैं जो प्राकृ ततक तितध के ऄनुरूप हैं ऄब, ईत्तरजीतिता की थिाभातिक प्रिृतत्त पर तिचार

कीतजए मैं जीतित रहना चाहता हं और ऄन्य सभी लोग भी ऐसा ही चाहते हैं आसतलए, बुतद् के

मार्धयम से, मैं एक प्राकृ ततक तितध को व्युत्पन्न कर सकता हं कक हत्या की ऄनुमतत प्रदान नहीं की जानी

चातहए, क्योंकक हत्या ईत्तरजीतिता के अधारभूत शुभ से समझौता करती है हालांकक, सभी जीतित

प्रातणयों के तलए हत्या एक प्राकृ ततक ऄनुिम है, जैस-े खाद्य श्रृंखला में आसतलए, आस अधार पर
ऄसंगतत तिकतसत होती है कक कोइ प्राकृ ततक तितध की ककस प्रकार से व्याख्या करता है
आसके ऄततररक्त, मान लीतजए कक प्राकृ ततक तितध िारा हत्या को प्रततबंतधत ककया गया है साथ ही,
सभी प्रातणयों का ऄतधकार होने कारण प्रजनन को एक मूलभूत शुभ माना जाता है तो आस संदभा में
गभापात के बारे में तिचार कीतजए? यकद प्राकृ ततक तितध मानिातधकारों का अधार है, तो गभापात एक

मानि ऄतधकार नहीं हो सकता है, क्योंकक यह हत्या का तनषेध करने िाली प्राकृ ततक तितध का ईल्लंघन

करता है आस प्रकार, इसाइ और आथलाम दोनों धमों में गभा तनरोधक ईपाय तनतषद् हैं आसी प्रकार, ईन

लोगों के संबंध में अपका क्या तिचार है जो प्रजनन हेतु लैंतगक रूप से ऄसक्षम हैं? ऄथिा िे समलैंतगक

युगल हैं? आस प्रकार के मामलों में प्राकृ ततक तितध का तसद्ांत तिफल रहता है सामान्यतः, आनकी

व्याख्या के साथ-साथ आनके कियान्ियन के तरीकों के संबंध में समथया तिद्यमान है आसतलए,

व्यािहाररक ऄथा में, प्राकृ ततक तितध को सकारात्मक मानि तितध के नैततक चररत्र को तनधााररत करने
हेतु नैततक मागादशाक के रूप में ईपयोग ककया जाता है

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8.1.2. नै ततक मागा द शा न के एक स्रोत के रूप में अधु तनक सं द भा में तितध

(Laws in modern context as a source of ethical guidance)

अधुतनक संदभा में तितध, सकारात्मक मानिीय तितध की समानाथी है तितध िह बुतनयादी नैततक
मानदंड हैं तजसे समाज के सभी व्यतक्तयों से ऄनुपालन की ऄपेक्षा की जाती है समाज में आनके ईल्लंघन
के तिरुद् कु छ प्रततबंध अरोतपत ककए गए हैं, जो कक सामान्यतः यथोतचत रूप से प्रितानीय दंड के रूप
में तिद्यमान होते हैं तितध िारा कारा िाइ करना और कारा िाइ न करना दोनों को तनयंतत्रत ककया जाता
है ऄथाात् कु छ ऐसी तितधयां तनर्थमत की गइ हैं जो ‘क्या नहीं ककया जाना चातहए’ से संबंतधत हैं, जैस-े

हत्या; िहीं कु छ ऐसी तितधयां तनर्थमत की गइ हैं जो 'क्या ककया जाना चातहए’ से संबंतधत हैं, जैस-े

मोटर िाहनों का पंजीकरण यद्यतप तितध मानि बुतद् िारा व्युत्पन्न एक ऄर्धयादेश ऄथिा तनयम है, जो
ककसी भी तितनयम या साधारण तनयम के तुल्य नहीं है तितनयम और तनयम तितभन्न तितधयों के
तनतहताथा को तितशष्ट संदभा के ऄंतगात समझने में सहायता करते हैं
तितध का मुख्य ईद्देश्य सामान्य शुभ और सामातजक कल्याण को प्रोत्सातहत करने के साथ-साथ
व्यतक्तगत ऄतधकारों को संरक्षण प्रदान करना हैं स्रोत के अधार पर तितध को कायाातन्ित करने का
ऄतधकार, क्षेत्रातधकार से संबद् व्यतक्तयों ऄथिा तितधक रूप से समुदाय के प्रभारी व्यतक्तयों के पास
होता हैं यकद तितध के क्षेत्रीय तिथतार को देखा जाए तो यह सामान्यतः तितध तनमााता के ऄतधकार क्षेत्र
के बाहर लागू नहीं होती है, जैस-े भारतीय कानून यूरोप में लागू नहीं होते हैं हालांकक, कु छ तितधयों

का थिरुप ऄंतरााष्ट्रीय क्षेत्रातधकार िाला हो सकता है (ईदाहरणाथा- साआबर सुरक्षा कानून, देश छोड़
चुके ऄपरातधयों को दंतडत करने हेतु कराधान संबंधी कानून अकद) यू.एस. प्रेतजडेंतशयल प्राआमरी का
एक रोचक ईदाहरण आस ऄंतर को ऄतधक थपष्ट करने में सहायता करे गा 1992 के प्रेतजडेंतशयल
प्राआमरी के ईम्मीदिार तबल चक्लटन से पूछा गया था कक क्या ईन्होंने कभी ड्रग्स का सेिन ककया है तब
ईन्होंने प्रत्युत्तर में कहा कक ईन्होंने कभी भी ड्रग्स का सेिन कर संयुक्त राज्य ऄमेररका के ककसी भी
तितध का ईल्लंघन नहीं ककया है तत्पिात ईनसे पूछा गया कक क्या ईन्होंने ड्रग्स का सेिन करके ऄन्यत्र
थथान की तितध का ईल्लंघन ककया है, आसके प्रत्युत्तर ईन्होंने कहा कक जब िे ऑक्सफोडा तिश्वतिद्यालय
(आं ग्लैंड) में एक छात्र थे तब एक बार माररजुअना (गांजा) का सेिन ककया था ईन्होंने यह भी कहा कक
संयुक्त राज्य ऄमेररका की तितध आं ग्लैंड में ककसी भी ऄमेररकी नागररक/व्यतक्त पर लागू नहीं होती है
आस तिभेद के बािजूद, 1992 के िसंत के दौरान अयरलैंड में घरटत एक घटना पर तिचार कीतजए
एक चौदह िषीय अयररश लड़की ईसके साथ हुए कतथत दुष्कमा के पररणामथिरूप गभािती हो जाती
है िह और ईसके माता-तपता गभापात कराने हेतु आं ग्लैंड गए थे, क्योंकक गभापात को अयररश संतिधान

(अयरलैंड) में प्रततबंतधत ककया गया है (आसे मइ, 2018 में एक जनमत संग्रह िारा तनरथत कर कदया
गया) अयररश ऄटॉनी जनरल ने आस मामले को डबतलन तथथत ईच्च न्यायालय के समक्ष प्रथतुत ककया
न्यायालय ने तनणाय कदया कक अयररश संतिधान चौदह िषीय लड़की को आं ग्लैंड में ककसी भी थथान पर
गभापात कराने से प्रततबंतधत करता है आस तनणाय के तिरुद् अयरलैंड के ईच्चतम न्यायालय में यातचका
दायर की गइ और न्यायालय िारा आस तनणाय की समीक्षा की गइ हालाँकक, आसने तनणाय कदया था कक

युिा लड़की को गभापात हेतु आं ग्लैंड जाने का संिैधातनक ऄतधकार प्राप्त नहीं है, लेककन आसने (अयरलैंड
के ईच्चतम न्यायालय) यह तनणाय कदया कक िह गभापात करिा सकती थी क्योंकक ईसके िारा अत्महत्या
की धमकी दी जा रही थी ऄतः ईसके जीिन के ऄतधकार को भ्रूण के जीिन के ऄतधकार पर
प्राथतमकता प्रदान की गइ थी

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तितध के तिपरीत व्यतक्त, संगठन ऄथिा समूह िारा तनयमों का तनमााण ककया जा सकता है यहाँ पुनः
यह थपष्ट ककया जाना चातहए कक आन तनयमों का तनमााण तितध के ऄंतगात ककया जाता है तनयमों की
अिश्यकता के िल सामान्य शुभ के तलए ही नहीं होती है बतल्क िे तनजी शुभ के तलए भी हो सकते हैं
तथा जहां भी िे व्यतक्त जाते हैं ईन पर लागू होते हैं साथ ही आन तनयमों को प्राकृ ततक तितध का
ईल्लंघन नहीं करना चातहए तनयमों या तितनयमों में नागररक (दीिानी) तितध को थपष्ट ककया जाना
चातहए, तजस प्रकार नागररक तितध में प्राकृ ततक तितध को थपष्ट ककया जाता है तनयम एिं तितनयम
लोक प्रशासकों को ईतचत और ऄनुतचत का तनणाय करने हेतु ऄततररक्त मागादशाक के रूप में काया कर
सकते हैं ऐसी धारणा है कक तनयम तनमााताओं िारा प्राकृ ततक तितध ऄथिा नागररक तितधयों का
ईल्लंघन नहीं ककया जाता है, लेककन िे कभी-कभी नागररक कानून िारा थपष्ट रूप से तनधााररत तनदेशों
के समक्ष ऄिरोध ईत्पन्न करते हैं जब कोइ ऄधीनथथ तनयमों का ईल्लंघन करता है तो ऐसे में एक
िररष्ठ ऄतधकारी िारा ईसे (ऄधीनथथ को) दंतडत ककया जा सकता है, जबकक हो सकता है कक ईक्त
तनयम नागररक ऄथिा प्राकृ ततक तितध के तिपरीत हों तथा ईल्लंघनकताा िारा नैततक व्यिहार
ऄपनाया गया हो तितध के सािाभौम तनयम के तहत कोइ भी व्यतक्त ऄनैततक तनयमों का पालन करने
हेतु बार्धय नहीं होता है
हालांकक, समाज में तितभन्न तितधयां, तनयम और तितनयम तिद्यमान हैं जो मानि व्यिहार को तनयंतत्रत
करते हैं आन सभी को समझना ककसी भी मनुष्य के तलए लगभग ऄसंभि है संभितः आसी संदभा में
प्रयोजनिाद (Teleology) सही है, तजसके ऄनुसार मानिीय व्यिहार को तनयंतत्रत करने हेतु मानदंडों

की अिश्यकता नहीं होती है; मानि बुतद् थियं में ही सही और गलत का तनणाय करने में सक्षम है,

(प्रयोजनिाद एक नैततक तसद्ांत है तजसके ऄनुसार आस संसार में प्रत्येक िथतु की ईपतथथतत का एक
प्रयोजन है ऄथाात् कु छ पररघटनाओं को ईनकी ईपतथथतत के कारण की ऄपेक्षा प्रयोजन के संदभा में
बेहतर तरीके से पररभातषत ककया जा सकता है) सूचना, चचतन, मूल्यांकन, तनणाय और कायािाही
नैततकता के तनधाारण के मानदंड हैं यह दृतष्टकोण औतचत्यपूणा है और साथ ही आस तथ्य के तलए एक
िैध प्रततकिया भी है कक सभी तितधयों एिं तनयमों का ज्ञान होना लगभग ऄसंभि है
जहां कताव्य-परकतािादी (Deontologist) यह मानते हैं कक तितध एिं तितनयम ऄपयााप्त हैं, िहीं िे
नैततकता पर अधाररत लोक प्रशासकों के तलए प्रमुख मागादशान के रूप से तितधयों एिं तनयमों पर भी
र्धयान कें कद्रत करते हैं ऄंतःकरण के ऄभाि में ककसी भी तितशष्ट काया हेतु आन तितधयों एिं तनयमों को
लागू करना, लोक प्रशासकों में एक महत्िपूणा तत्ि की ऄनुपतथथतत को दशााता है ऄतः ऄब ईतचत और
ऄनुतचत का तनणाय करने के संदभा में हम ऄंतःकरण का एक तंत्र के रूप में परीक्षण करें गे

8.2. नै ततक तनदे श न के एक स्रोत के रूप में ऄं तःकरण

(Conscience as a Source of Ethical Guidance)

(यह तिशेष खंड पैरट्रक जे.शीरन िारा रतचत पुथतक ‘एतथक्स आन पतब्लक एडतमतनथट्रेशन’ से तलया
गया है ऄंत:करण के तिषय का तििरण ऄतधक साधारण शब्दों में ऄन्य नोट्स यथा नीततशास्त्र एिं
मानिीय सह-संबंध और साथ ही साथ शासन व्यिथथा में इमानदारी में भी कदया गया है तनम्नतलतखत
खंड ऄंतःकरण का सतिथतार और शैतक्षक दृतष्टकोण प्रथतुत करता है )
यद्यतप तितध मानि जातत से परे नैततकता के तसद्ांतों पर र्धयान के तन्द्रत करती है, तथातप ऄंतःकरण
मानि मतथतष्क के भीतर तिराजमान होता है जो मनुष्यों के कायों की नैततकता को तनधााररत करता है
ऄंतःकरण मतथतष्क का एक तिशेष काया है जो तब संपाकदत होता है जब बुतद् एक तिशेष काया की

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ऄच्छाइ या बुराइ पर तनणाय करती हैFor


यहMore
तितशष्टVisit
एिं यथाथापूणा मानिीय कृ त्यों के संदभा में एक
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व्यािहाररक तनणाय है
कताव्य-परकतािादी पररप्रेक्ष्य से ऄंत:करण का संबंध तनणाय से है जो कक बुतद् का एक काया है यह
ऄनुभूतत या संिेग नहीं है बतल्क एक बौतद्क तनणाय से संबद् है यह एक तिशेष काया के दृतष्टकोण से
एक तनणाय भी है ऄंत:करण के अधार पर ऄतीत के कायों या भािी कायों की नैततकता को र्धयान में
रखते हुए एक व्यािहाररक तनणाय तलया जा सकता है
ऄंत:करण तितध से तभन्न है तितध कायािातहयों के संदभा में एक सामान्य तनयम तनर्ददष्ट करती है, जबकक
ऄंत:करण तितशष्ट कायों हेतु तितशष्ट तनयम तनधााररत करता है ऄंत:करण तितशष्ट कायािाही हेतु
तितशष्ट तितध या तनयम को अरोतपत करता है, आसीतलए यह तितध से ऄतधक व्यापक है कु छ लोगों का
कहना है कक तजस प्रकार पेंरटग के तलए िश अिश्यक होती है ईसी प्रकार तितध के तलए ऄंत:करण
अिश्यक होता है
प्रयोजनिादी (teleology) दृतष्टकोण से ऄंत:करण काफी हद तक ऄहंिादी पहचान को मूता रूप देने के

समान होता है, जहां ‘कु छ ऄथों में प्रत्येक ऄहंिाद एक नीततपरक अचार संतहता होती है ’ यकद ऄहंिाद
और ऄंत:करण समान या समरूप हैं तो लोगों के पास एक तितशष्ट कृ त्य (ऄतीत या ितामान) का
प्रयोजन तनधााररत करने तथा ईसी क्षण ईस कृ त्य की नैततकता का अकलन करने की क्षमता होती है
प्रयोजन और नैततकता दोनों का अकलन करते हुए दोनों दृतष्टकोणों में चचतन शातमल होता हैं जहाँ
एक एक तितशष्ट कृ त्य के तलए तितध के अरोपण में कताव्य-परकतािादी ऄंतःकरण का ईपयोग करते हैं,
िहीं प्रयोजनिादी ककसी कायािाही के प्रयोजन या नैततकता तसतद् हेतु ककसी तितशष्ट तितध के ऄनुप्रयोग
को थिीकार नहीं कर सकते हैं यह प्रकिया सभी मनुष्यों िारा बाल्यािथथा से ही तिकतसत “मूल्य

प्रततबद्ताओं के एक समुच्च” के ऄनुप्रयोग को समातहत करती है व्यिहार में, दोनों तिचारधाराएँ

तितभन्न साधनों के साथ समान प्रकियाओं का प्रयोग करती हैं नैततक तनणाय तभन्न हो सकते हैं, परन्तु
चूँकक दोनों ईपागमों में समान मानिीय बुतद् शातमल होती है ऄत: नैततक तनणाय प्राय: समान ही बने
रहते हैं

8.2.1. ऄं त :करण के प्रकार (Types of Conscience)

मानि जातत में तितभन्न प्रकार के ऄंत:करण तिद्यमान हो सकते हैं प्रथम, एक शुद् ऄंत:करण है,

तजसका तात्पया तथ्य के ऄनुरूप तनणाय के होने से है तनणाय, कायािाही के प्रतत तितध का एक ईतचत या
सटीक ऄनुप्रयोग है एक ऄंत:करण तब दोषपूणा होता है जब तनणाय दोषपूणा होता है क्योंकक
व्यािहाररक तनणाय कायािाही पर ऄनुतचत रूप से तितध को लागू करता है दोषपूणा तनणाय
परजेय/ऄपराजेय रूप में गलत हो सकता है (परजेय दोषपूणा का ऄथा है कक तजसे सही ककया जा सकता
ऄथाात् जो ऄपराजेय नहीं है)
ऄंत:करण ऄसंकदग्ध (तनर्थििाद), संशयात्मक ऄथिा संभातित (certain, doubtful or probable)
तीनों हो सकता है ऄंत:करण को तब ऄसंकदग्ध माना जाता है जब ककसी कायािाही की नैततकता के
संबंध में तलया गए तनणाय में त्रुरट की कोइ संभािना तिद्यमान नहीं रहती है त्रुरट की कोइ संभािना
तिद्यमान न होने में तातविक ऄसंकदग्धता सतम्मतलत नहीं होती है, लेककन यहाँ सामान्यतः ककसी भी
साधारण व्यतक्त को तनणाय (ऄसंकदग्ध ऄंत:करण पर अधाररत) के संबंध में कोइ संदह
े नहीं होता है यह
ऄसंकदग्धता (तनतितता) ईतचत और दोषपूणा दोनों प्रकार के ऄंत:करण पर लागू हो सकती है एक

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ऄंत:करण तब संशयात्मक होता है जब For


तनणायMore
में त्रुरटVisit
की कोइ-http://pdf4exams.org
न कोइ संभािना तिद्यमान होती है ऐसे
में व्यतक्त ऄपने व्यािहाररक तनणाय के संबंध में कु छ संदह
े ों से ऄिगत होता है ऄंत:करण एक ही समय
में संशयात्मक और दोषपूणा दोनों प्रकार का हो सकता है एक ऄंत:करण तब संभातित होता है जब
तनणाय में त्रुटी की “लगभग” सभी संभािनाओं को दूर कर कदया जाता है ऐसे में एक सामान्य व्यतक्त

लगभग तनतित होता है कक तनणाय सही है, हालांकक यह (तनणाय) दोषपूणा हो सकता है

8.2.2. ऄं त :करण को सं चातलत करने िाले नै ततक तसद्ां त

(Ethical Principles Governing Conscience)


ऄंत:करण पर चचाा आसे संचातलत करने िाले तनम्नतलतखत तसद्ांतों की ओर ले जाती है:
i. दोषरतहत ऄंत:करण की सुतनतितता हेतु व्यतक्त को यथोतचत सािधानी बरतनी चातहए

ii. ऄसंकदग्ध (तनर्थििाद) ऄंत:करण का ऄनुसरण करने के तलए व्यतक्त बार्धय है भले ही िह ऄंत:करण
दोषपूणा हो ईदाहरणाथा- यकद मुझे यह पूणा तिश्वास है कक ककसी ऄन्य व्यतक्त के जीिन की रक्षा
हेतु झूठ बोलना नैततक रूप से ईतचत है तो मैं झूठ बोलने के तलए बार्धय हँ
iii. एक संशयात्मक ऄंत:करण के ऄनुसार काया करना नैततक रूप से कभी भी ईतचत नहीं होता है
जानबूझकर कर ऄनतभज्ञ बने रहना क्षमा योग्य नहीं होता क्योंकक व्यतक्त को संशय के समाधान
हेतु कु छ प्रयास ऄिश्य करना चातहए यकद समाधान के तलए ककया गया प्रयास ऄसफल हो जाता
है तो “लेक्स डु तबया नॉन ओतब्लगेट” (lex dubia non obligat ऄथाात् एक संशयात्मक तितध
बार्धयकारी नहीं होती) कियाशील हो जाता है
एक तितध संशयात्मक कब होती है? आसके संबंध में तनम्नतलतखत चार तसद्ांत लागू होते हैं तथा कताा
सिाातधक ईपयुक्त तसद्ांत का ऄनुसरण करने हेतु थितंत्र है:
i. एक तितध संशयात्मक होती है तथा यह बार्धयकारी नहीं होती है, जब थितंत्रता के तिपक्ष के बजाय

थितंत्रता के पक्ष में ऄतधक संभातित साक्ष्य ईपलब्ध होते हैं यह ‘प्रसंभाव्यिाद (probabilism)’
कहलाता है ईदाहरणाथा- एक व्यतक्त एक तततथ के संबंध में संशय की तथथतत में चार कै लें डरों को
देखता है तीन कै लेंडर एक समान कदिस की ओर संकेत करते हैं तथा चतुथा एक तभन्न कदिस की
ओर संकेत करता है िह व्यतक्त तीन कै लेंडरों िारा तनर्ददष्ट ऄथिा आससे तनगतमत तततथ का
ऄनुसरण कर सकता है यकद यह ऄतधक थितंत्रता सुतनतित करती है
ii. प्रसंभाव्यिाद का दूसरा संथकरण थपष्ट करता है कक एक व्यतक्त थितंत्रता के पक्ष में एक तिकल्प का

ऄनुसरण कर सकता है, बशते कक थितंत्रता के पक्ष में ईपलब्ध करिाए गए साक्ष्य ठोस रूप से

संभातित होने चातहए, भले ही थितंत्रता के तिरुद् साक्ष्य ऄतधक सम्भाव्य हो आसी ईदाहरण में,

व्यतक्त चतुथा कै लेंडर िारा तनर्ददष्ट समय का ऄनुसरण कर सकता है, भले ही ऄन्य तीन संख्यानुसार
ऄतधक सम्भाव्य साक्ष्य प्रथतुत कर रहे हो
iii. प्रसंभाव्यिाद का एक ऄन्य संथकरण सम-प्रसंभाव्यिाद (equiprobabilism) है जो यह दशााता है
कक एक व्यतक्त थितंत्रता के पक्ष में कदए गए मत का ऄनुसरण कर सकता है यकद दोनों पक्षों के
साक्ष्य समान रूप से संतुतलत है ईपयुाक्त ईदाहरण में यकद दो कै लेंडर एक समान कदिस को
प्रदर्थशत करते हैं तथा ऄन्य दो तभन्न कदिस को आं तगत करते हैं तो व्यतक्त ककसी भी तिकल्प का
चयन कर सकता है

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iv. क्षततपूर्थतिाद (Compensationalism) थपष्ट करता है कक व्यतक्त को न के िल थितंत्रता का पक्ष

लेने और तिरोध करने िाले साक्ष्यों पर बतल्क तितध की गंभीरता, तितध के तिरुद् काया करने का

कारण, तितध की कठोर व्याख्या का ऄनुसरण करने से ईत्पन्न ऄसुतिधा तथा ऄतधक थितंत्रता को
प्रथतुत करने िाले तिकल्पों के चयन हेतु कारकों के औतचत्य पर भी तिचार करना चातहए
कु छ तितधयाँ संशयात्मक हो सकती हैं संशयात्मक तितध का तात्पया ऄथपष्ट रूप से तनर्थमत तितध
से है तजसकी गलत व्याख्या की संभािना तिद्यमान रहती है तथा िह लोगों के समक्ष एक से ऄतधक
तिकल्प प्रथतुत करती है ये ऄंत:करण के तसद्ांतों हेतु ऄततररक्त कदशा-तनदेशों के रूप में काया
करती हैं परन्तु ऄंत:करण के संबध
ं में यहाँ एक ऄंततम प्रश्न यह शेष रह जाता है: कक क्या लोगों के
पास ईनकी जीिन की ऄिथथा या शैतक्षक तथथतत के ऄनुसार ईतचत ऄंत:करण रखने हेतु ऄततररक्त
दातयत्ि हैं? लोक प्रशासन की शब्दािली के ऄनुसार एक मुख्य प्रश्न यह है कक: क्या लोक प्रशासक

ऄपने ईत्तरदातयत्िों के ऄनुसार ऄपने ऄंत:करण को तिकतसत करने हेतु बार्धय हैं? ऄन्य संदभों में,
प्रबंधन के ऄंतगात ऄन्य व्यतक्तयों की सहायता से कायों को संपन्न कराना शातमल होता है आसके
ऄनुसार प्रबंधन का ऄथा है कक ‘काया का ईतचत प्रकार से तनष्पादन हो रहा है’ यहां तका कदया

जाता है कक ‘काया का ईतचत रीतत से तनष्पादन हो रहा है, तसक्के का के िल एक पहलू है’ प्रबंधन के

ऄंतगात यह भी शातमल होना चातहए कक ईतचत काया का तनष्पादन हो ईतचत काया क्या है?, िे

नैततक काया कौन-से हैं, तजन्हें करना चातहए?

यकद लोक प्रबंधक न के िल काया को ईतचत रीतत से तनष्पाकदत करते हैं, ऄतपतु ईतचत काया का भी
तनष्पादन करते हैं तो ईनके पास ऄपनी जीिन की ऄिथथा के ऄनुसार थियं के ऄंत:करण को तिकतसत
करने का एक दातयत्ि भी होगा यह न के िल प्रबंधन तसद्ांत एिं व्यिहार बतल्क नैततक तसद्ांत एिं
व्यिहार को भी शातमल करता है यकद प्रबंधक दोनों ही प्रकार की ऄिधारणाओं के ऄनुसार काया नहीं
करते हैं तो िे न के िल ऄप्रचतलत होने का बतल्क िाथततिक प्रबंधकीय ईत्तरदातयत्िों की ईपेक्षा करने
का भी जोतखम ईठाते हैं यकद प्रबंधक तशक्षक और ऄर्धयापक हैं तथा यकद िे ऄन्यों को तशतक्षत करने की
ऄपनी भूतमकाओं की पूर्थत करना चाहते हैं तो ईन्हें नौकरी के दोनों पहलुओं को ऄतनिाया रूप से सीखना
चातहए
ऄंत:करण को तिकतसत और ऄद्यतन करने हेतु दो चरम पररतथथततयों से बचना अिश्यक है प्रथम,
ऄंत:करण पर ककसी भी प्रकार से र्धयान न देना ऄथाात् क्या ईतचत है और क्या ऄनुतचत आसे समझने का
प्रयास न करना ऄथिा सम्भितः ईतचत और ऄनुतचत में कोइ रूतच प्रदर्थशत न करना कु छ लोक
प्रबंधक आस तिशेषता को प्रदर्थशत करते हैं तितीय, िह व्यतक्त जो गंभीर काया या िैसे काया जो गंभीर

नहीं है, का ईतचत रीतत से तनष्पादन या ईतचत काया तनष्पादन में तिभेद करने में ऄसमथा है कु छ लोक
प्रबंधक हैं तजन्हें आस व्याख्या में शातमल ककया जा सकता हैं ऄंत:करण की ऄिधारणा के ऄनुसार ऐसी
कोइ भी चरम तथथतत नहीं है, तजसके ऄंतगात मानिीय कायािाही की नैततकता पर व्यािहाररक तनणाय
शातमल हैं
8.3. तनष्कषा (Conclusion)

ककसी कायािाही की प्रकृ तत पर तनभार होने के ऄततररक्त, आसके पररणाम एिं ईद्देश्य, तितध, तनयम और

ऄंत:करण िथतुतः ईक्त कायािाही के ईतचत/सही एिं ऄनुतचत/गलत होने का तनधाारण करने में
मागादशान प्रदान करते हैं हालांकक, एक लोक प्रशासक को तितध, तनयम और ऄंत:करण से मागादशान

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प्राप्त होने के बािजूद ये पुणत


ा ः ईतचत For
तनणायMore
की गारंVisit
टी प्रदान नहीं करते हैं नैततक तनणायन में तितध
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और तनयम कताव्य-परकतािादी दृतष्टकोण से ईतचत अदशा तसद्ांत प्रतीत होने पर भी आसमें ऄनेक दोष
हो सकते हैं प्रयोजनिादी दृतष्टकोण यह थिीकार करता है कक नैततक तनणायों सतहत ऄन्य लगभग सभी
को संचातलत करने हेतु ऄनेक नागररक तितधयां, तनयम, तितनयम, न्यातयक तनणाय तथा ऄतभमत

तिद्यमान हैं एक लोक प्रशासक के तलए सभी कानूनों और तनयमों की जानकारी रखना िाथति में
ऄसंभि है
ईतचत और ऄनुतचत पर तिचार करते हुए लोक प्रशासकों को तनष्पाकदत कायािाही ऄथिा तनष्पाकदत
होने िाले कायािाही की प्रकृ तत, कायािाही के तलए तिद्यमान पररतथथततयां तथा कायािाही के ईद्देश्य के

संबंध में ईनके व्यिथथापन की जानकारी होती है साथ ही कानून, तनयम और तितनयम ऄततररक्त

मागादशान प्रदान करते हैं ककसी तितशष्ट कायािाही की नैततकता के तनधाारण हेतु तितधयों, तनयमों और

ऄन्य मानदंडों के ऄततररक्त प्रत्येक व्यतक्त के पास ऄंत:करण तिद्यमान होता है धमा एिं धमाशास्त्र िारा
प्रदत्त तिचारों को महत्ि कदए तबना सभी लोक प्रशासकों को तििेक अधाररत प्रशासतनक तनणाय लेने
चातहए तनथसंदह
े आनमें नीततशास्त्र के अधार पर कु छ पररितान ककए जा सकते हैं परन्तु यकद ऐसा
होता है तो यह लोगों को जीिन के प्रत्येक पहलू को प्रभातित करे गा आस प्रकार तितध, तनयम और ऄन्य

मानदंड आस संबंध में बेहतर होते हैं और मानिीय बुतद् नैततकता के अकलन हेतु एक सैद्ांततक ढांचा
प्रथतुत कर सकती है

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9. जिाबदे तहता/ईत्तरदातयत्ि और नै ततक शासन व्यिथथा


(Accountability and Ethical Governance)

9.1 जिाबदे तहता/ईत्तरदातयत्ि: ऄथा , प्रकृ तत, क्षे त्र और महत्ि

(Accountability: Meaning, Nature, Scope and Significance)


जिाबदेतहता, सुशासन के प्रमुख अधारों में से एक है यह सुतनतित करती है कक लोक ऄतधकाररयों
िारा ककए गए काया और तलए गए तनणाय पयािेक्षण के ऄधीन है ताकक सरकारी पहलें ऄपने तनधााररत
ईद्देश्यों और समुदाय (तजनके लाभ हेतु पहलें अरं भ की गइ) की अिश्यकताओं की पूर्थत करने में
सफलता प्राप्त कर सके आस प्रकार यह बेहतर शासन व्यिथथा को सुतनतित करने और तनधानता को कम
करने में सहायता प्रदान करती है
जिाबदेतहता की ऄिधारणा में दो तितशष्ट चरण शातमल हैं: ईत्तरदेयता और प्रितान
ईत्तरदेयता िथतुतः सरकार, आसकी एजेंतसयों और लोक ऄतधकाररयों के तनणायों और कायों के संबंध में
जानकारी प्रदान करने तथा जन सामान्य एिं पयािेक्षण संथथानों के समक्ष ईनका औतचत्य तसद् करने के
दातयत्िों को संदर्थभत करती है
प्रितान से अशय है कक जन सामान्य ऄथिा पयािेक्षण संथथाएं, ईल्लंघनकताा पक्ष पर प्रततबंध अरोतपत
कर सकते हैं ऄथिा ईल्लंघनकारी व्यिहार का समाधान कर सकते हैं

9.2. जिाबदे तहता के प्रकार (Types of Accountability)

जिाबदेतहता की ऄिधारणा को जिाबदेतहता के ऄनुपालन के प्रकार और/या व्यतक्त, समूह ऄथिा


संथथाओं के प्रतत लोक ऄतधकाररयों की जिाबदेही के अधार पर िगीकृ त ककया जा सकता है ये
तनम्नतलतखत हैं:

9.2.1. क्षै ततज बनाम उर्धिाा ध र जिाबदे तहता

(Horizontal vs. Vertical Accountability)


क्षैततज जिाबदेतहता िथतुतः ऄन्य सरकारी एजेंतसयों और सरकार के ऄंगों िारा ककए गए पद के
दुरुपयोग को तनयंतत्रत करने, ऄथिा ककसी प्रकार के छल की ररपोटा करने के तलए एजेंतसयों की
अिश्यकता के संदभा में सरकारी संथथानों की क्षमता को आं तगत करती है िैकतल्पक रूप से, उर्धिााधर
जिाबदेतहता िह मार्धयम है जहाँ नागररक, मास मीतडया और नागररक समाज िारा ऄतधकाररयों पर
बेहतर प्रदशान संबंधी मानकों को लागू करने का प्रयास ककया जाता है यद्यतप संसद को क्षैततज
जिाबदेतहता के तनधाारण में एक महत्िपूणा संथथा माना जाता है, तथातप यह उर्धिााधर जिाबदेतहता के
तनधाारण हेतु भी महत्िपूणा है

9.2.2. राजनीततक बनाम तितधक जिाबदे तहता

(Political versus Legal Accountability)


संसद और न्यायपातलका कायापातलका की शतक्त पर क्षैततज संिैधातनक तनयंत्रक के रूप में काया करती
हैं आसके ऄततररक्त, आन दोनों संथथाओं के बारे में यह कहा जा सकता है कक संसद कायापातलका पर
राजनीततक रूप से और न्यायपातलका (कायापातलका पर) तितधक रूप से तनयंत्रण बनाये रखती है ये
िगीकरण आस तथ्य से ईत्पन्न होते हैं कक संसद एक राजनीततक संथथा है, जबकक न्यायपातलका के िल
कानूनी मुद्दों पर ही तनणाय ले सकती है ऄथाात् एक कानूनी संथथा है हालांकक, ‘तितध का शासन’

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न्यायपातलका को नीततगत मुद्दों की िैFor धता More


और आनके कायाान्ियन के मामलों के साथ-साथ संघीय
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व्यिथथा में नागररकों एिं राज्यों के ऄतधकारों के संदभा में तनणाय लेने में सक्षम बनाता है
दूसरे शब्दों में, ये दोनों एक साथ, सरकार को आसके कायाकाल के दौरान जिाबदेह बनाए रखने के तलए
तनरं तर पयािेक्षण करते रहते हैं

9.2.3. सामातजक जिाबदे तहता (Social Accountability)

सामातजक जिाबदेतहता के संबध


ं एक सामान्य धारणा यह है कक यह जिाबदेतहता के सृजन हेतु एक
ऐसा दृतष्टकोण है जो नागररकों की भागीदारी पर तनभार करती है, ऄथाात् ऐसी तथथतत जहां सामान्य
नागररक और/या नागररक समाज संगठन प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जिाबदेतहता की मांग में शातमल
होते हैं आस प्रकार की जिाबदेतहता को समाज संचातलत क्षैततज जिाबदेतहता के रूप में भी जाना
जाता है

9.2.4. जिाबदे तहता तनधाा र ण की तितधयां

(Methods of ensuring accountability)


जिाबदेतहता तनधााररत करने की प्रमुख तितधयां तनम्नतलतखत हैं:
 तिधायी तनयंत्रण;

 मंत्री थतरीय/सरकारी तनयंत्रण; एिं


 लेखापरीक्षा तनयंत्रण
ये तितधयां देश के शासन व्यिथथा में नम्यता, नेतृत्ि, दक्षता, प्रदशान और पयााप्त तनयंत्रण तथा
जिाबदेतहता सुतनतित करती हैं
नैततक तसद्ांतों का ऄनुसरण करते हुए जिाबदेतहता सुतनतित करने हेतु तनम्नतलतखत कदम ईठाए जाने
चातहए:
 प्रातधकाररयों के तजम्मेदारी एिं जिाबदेतहता को थपष्ट रूप से पररभातषत करने िाली तितधयों को
ऄतधतनयतमत ककया जाना चातहए कनााटक पारदर्थशता ऄतधतनयम, 1999 आस कदशा में
ऄतधतनयतमत अरं तभक कानूनों में से एक है
 तनयामक तनकाय एक थितंत्र तनकाय होना चातहए और आससे संबंतधत तनयुतक्तयां तिधातयका के
पीठासीन ऄतधकाररयों और नेता प्रततपक्ष के परामशा के पिात् की जानी चातहए आस तनयामक
तनकाय के तलए, ऄपीलीय एिं पयािेक्षी तनकाय के रूप में एक तनणाायक तनकाय भी थथातपत ककया
जाना चातहए ऄपीलीय तनकाय के तनणायों के तिरुद् के िल भारत के ईच्चतम न्यायालय में ऄपील
ककए जाने का प्रािधान ककया जाना चातहए
 िैधातनक पेशि
े र तनकायों के सभी सदथयों को PCA, IPC और लोकायुक्त ऄतधतनयम के प्रयोजन

से लोक सेिक की पररभाषा के तहत शातमल ककया जाना चातहए आसी प्रकार, आस ईद्देश्य के तलए
सरकार िारा ऄतधसूतचत सोसायटी पंजीकरण ऄतधतनयम के तहत सभी सहकारी सतमततयों और
संथथाओं को भी शातमल ककया जाना चातहए

10. एक प्रभािी नीततपरक सं र चना की अिश्यकता


(Need for an Effective Ethics Structure)
लोक सेिाएं िथतुतः सरकार की नीततयों के कायाान्ियन हेतु लोकतांतत्रक ढांचे का एक ऄतनिाया ऄंग
होती हैं यह अिश्यक है कक लोक सेिक इमानदार, सक्षम और नागररकों के प्रतत संिेदनशील हों गैर-

तनिाातचत लोक सेिक ऄपने दैतनक कायों में महत्िपूणा तििेकाधीन शतक्तयों का ईपयोग करते हैं ,

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ईदाहरणाथा- सािाजतनक संसाधनों के प्रबंधन में, नागररकों के साथ आं टरफ़े स में तथा नीतत-तनमााण के
संदभा में आस प्रकार नैततक मानक लोक सेिकों के तलए सािाजतनक प्रातधकार के थिेच्छाचारी प्रयोग के
तिरुद् मुख्यत: तनयंत्रण एिं संतुलन का काया करते हैं आसी प्रकार ये मानक शासन व्यिथथा की
गुणित्ता के मूल कारक भी होते हैं कु छ “नीततपरक मापदंडों” के तबना लोक सेिाओं में भ्रष्टाचार ऄथिा
कदाचार के थतरों में होने िाले पररितानों को मापना यद्यतप ऄसंभि नहीं है परन्तु ऄत्यंत करठन है
आसके संदभा में तनम्नतलतखत सुझाि कदए गए हैं:
i. लोक सेिाओं हेतु एक सांतितधक नैततक संतहता तनधााररत करने की अिश्यकता है आसे सरल
भाषा में तलखा जाना चातहए, यह सरलता से समझने योग्य तथा आसके िारा लोक सेिकों के
अचरण को शातसत करने िाले अधारभूत मूल्यों का तनधाारण ककया जाना चातहए तिरटश
तसतिल सर्थिसेज कोड एक मॉडल के रूप में काया कर सकता है
ii. नैततक संतहता के ईल्लंघन तथा ऄततिमण ककए जाने पर ऄनुशासनात्मक तनयमों के तहत
प्रततबंध और दंड का प्रािधान होना चातहए
iii. तनिारण एिं तनदेशन, ऄन्िेषण, ऄनुशासनात्मक कायों तथा ऄतभयोजन हेतु नैततक ढांचा
ईपलब्ध करिाया जाना चातहए
iv. नैततक तनदेशन में नैततक तिश्लेषण और तनणाय हेतु नैततक जागरूकता तथा अिश्यक कौशलों
के तिकास के तलए प्रतशक्षण शातमल ककया जाना चातहए
v. संयुक्त राज्य ऄमेररका के समान नैततकता अयुक्त जैसे एक थितंत्र पद का सृजन ककए जाने की
अिश्यकता है, जो नीततशास्त्र और मूल्यों से संबंतधत क्षेत्र में नेतृत्ि प्रदान करे गा नैततकता
अयुक्त अचरण के मानकों और तहतों के संघषा को शातसत करने िाले तनयमों को प्रकातशत
करे गा तथा ईनकी व्याख्या करे गा
नीततपरक अचार संतहता एक लोक सेिक को ईसके कताव्यों के तनष्पादन के प्रयासों में एक दृतष्टकोण,
ईद्देश्य तथा एक अदशा प्रदान करने हुए सहायता करे गी यह ईसकी पूणा क्षमताओं को प्रदर्थशत करने
तथा एक संपण
ू ,ा संतोषजनक एिं सुखद जीिन व्यतीत करने में सहायता करती है जो प्रत्येक मानिीय
प्रयास का लक्ष्य होता है

10.1. लोक प्रशासन में नै ततक मानकों में िृ तद्

(Enhancing the Moral Standard in Public Administration)


लोक ऄतधकाररयों िारा ऄपने तििेक के ईपयोग के दौरान सामना की जाने िाली कु छ सामान्य नैततक
दुतिधाओं की पहचान करने के ईपरान्त लोक प्रशासन में नैततक मानकों में िृतद् करने हेतु तनम्नतलतखत
तसद्ांतों का ईपयोग ककया जा सकता है:
i. तििेक का ईपयोग सािाजतनक तहतों की पूर्थत हेतु करना चातहए;

ii. लोक ऄतधकाररयों हेतु तका संगतता को अिश्यक बना कदया जाना चातहए ताकक तिचार-
तिमशा में िृतद् हो सके ;
iii. लोक ऄतधकाररयों िारा ऄपने अतधकाररक ईत्तरदातयत्िों के तनष्पादन में सत्यिाकदता
ऄपनाइ जानी चातहए;
iv. लोक ऄतधकाररयों को प्रकियात्मक सम्मान प्रदर्थशत करना चातहए; तथा
v. लोक ऄतधकाररयों को संगठनात्मक ईद्देश्यों को तनष्पाकदत करने हेतु चयतनत साधनों के
प्रयोग को तनयंतत्रत करना चातहए

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 सभी संतहताओं में नीततशास्त्र के मौतलक तत्ि समातहत ककए जाने चातहए, तजसमें तनम्नतलतखत
शातमल हैं- नोलन सतमतत के तसद्ांत: तनथिाथाता, सत्यतनष्ठा, िथतुतनष्ठता, जिाबदेतहता, खुलापन,
इमानदारी और नेतृत्ि
 मंतत्रयों, तिधातयका के सदथयों तथा ऄन्य तनिाातचत प्रतततनतधयों हेतु पृथक अचार संतहता होनी
चातहए
 लोक सेिकों के तलए अचार संतहता तिथतृत रूप से व्याख्यातयत होनी चातहए आसके िारा ईन्हें
गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) से संबंतधत होने तथा ककसी सभा ऄथिा सामातजक संगठन में
तनिाातचत पद को धारण करने से भी प्रततबंतधत ककया जाना चातहए
 मंतत्रयों, सांसदों तथा तिधायकों के तिरुद् तशकायतों को थिीकार करने और ईनकी जाँच करने
तथा ईनके तखलाफ ऄतभयोग को ऄनुमोदन प्रदान करने हेतु भी लोकपाल/लोकायुक्त जैसी संथथाओं
का सृजन ककया जाना तथा ईन्हें सशक्त बनाना चातहए
 संयुक्त सतचि ऄथिा ईससे ईच्च पद पर लोक सेिकों से संबंतधत तनयुतक्तयों, मनोनयन,

पदोन्नततयों, थथानान्तरण और ऄनुशासनात्मक कायािातहयों के संबंध में एक थितंत्र लोक सेिा


अयोग का सृजन ककया जाना चातहए आस अयोग के सदथयों की तनयुतक्त एक सतमतत िारा की
जानी चातहए, तजसमें प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री, तिपक्ष का नेता और मुख्य न्यायाधीश शातमल हों
तथा आसकी ऄर्धयक्षता ईच्चतम या ईच्च न्यायालय के न्यायाधीश िारा की जानी चातहए
 पेशेिर तनकायों के संबंध में यद्यतप अचार संतहता ईपलब्ध है, परन्तु ईन्हें कायाातन्ित नहीं ककया
गया है आन्हे प्रभािी रूप से कायाातन्ित ककया जाना चातहए

10.2. तितीय प्रशासतनक सु धार अयोग की चौथी ररपोटा - शासन में नै ततकता

{Second ARC (Report-4) on Ethics in Governance}

 तितीय प्रशासतनक सुधार अयोग (2007) ने ऄपनी चौथी ररपोटा में नैततकता के मुद्दे को शातमल
ककया तथा यह थिीकार ककया कक, “मानक तनयमों के रूप में नैततक व्यिहार का ममा सुथपष्ट शब्दों
और ऄतभव्यतक्तयों में नहीं होता बतल्क ईस पर कारा िाइ ककए जाने में, ईल्लंघन के तलए दंड
तनधााररत करने में, ईल्लंघन के अरोपों की जांच करने के तलए सक्षम ऄनुशासतनक तनकायों की
थथापना करने, शातथतयों को तत्काल लागू करने तथा एक इमानदार संथकृ तत तिकतसत करने में
होता है ”

 ऄपनी तिथतृत ऄनुशंसाओं में आसने राज्य िारा चुनािों का अंतशक तित्त पोषण; दल-बदल तिरोधी
कानून को सुदढ़ृ करने तथा मंतत्रयों, तिधानमंडलों, न्यायपातलका और लोक सेिकों के तलए नैततक
संतहता का सुझाि कदया है
 भ्रष्टाचार को तनयंतत्रत करने हेतु आसने भ्रष्टाचार तनिारण ऄतधतनयम के प्रािधानों को कठोर बनाए
जाने का प्रथताि ककया है यह भ्रष्ट लोक सेिकों को क्षततपूर्थत के भुगतान हेतु ईत्तरदायी बनाने,
ऄिैध रूप से प्राप्त संपतत्त के जब्ती और त्िररत सुनिाइ के तलए अिश्यक है (िषा 2018 में
भ्रष्टाचार तनिारण ऄतधतनयम में ककए गए संशोधनों को जानने के तलए ‘शासन व्यिथथा में

इमानदारी’ िाले नोट्स को देखें )


 आसकी ऄनुशंसाओं में शातमल है- मुख्यमंतत्रयों, मंतत्रयों, सांसदों और तिधायकों सतहत ईच्च लोक
पदातधकाररयों के तिरुद् तशकायतों के पयािेक्षण संबंधी शतक्त सतहत राष्ट्रीय, राज्य और थथानीय

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थतर पर लोकपाल/ओम्बड्समैन की थथापना, तजन्हें ऄतधकांशतः कानून में ऄतधतनयतमत ककया
गया है
 यद्यतप लोक सेिकों हेतु नैततक संतहता की ऄनुशस
ं ा करते हुए तितीय प्रशासतनक अयोग ने माना है
कक, ‘लोक सेिा मूल्य’ तजन्हें सभी लोक सेिकों को उंचा ईठाना चातहए, को पररभातषत ककया
जाना चातहए तथा सरकार और ऄधा-सरकारी संगठनों की सभी श्रेतणयों पर लागू भी ककया जाना
चातहए
o आन मूल्यों का ईल्लंघन ककए जाने को कदाचार के रूप में माना जाना चातहए तथा आस हेतु
दंड का प्रािधान ककया जाना चातहए
o दोषी लोक सेिक के तिरुद् त्िररत ऄनुशासनात्मक कायािाही अरं भ करने हेतु एक व्यिथथा
के सृजन के ईद्देश्य से तितीय प्रशासतनक सुधार अयोग ने ऄनुच्छेद 311 को समाप्त करने की

ऄनुशस
ं ा की है आसके साथ ही ऄनुच्छेद 309 के ऄंतगात थिेच्छाचारी कायािाही के तिरुद्
लोक सेिकों की सुरक्षा हेतु एक तिधान बनाए जाने की अिश्यकता पर भी बल कदया है
o अयोग िारा दुभाािनापूणा तशकायतों से इमानदार लोक सेिकों की सुरक्षा हेतु कु छ ईपायों का
भी सुझाि कदया गया है
o आसअयोग ने कार्थमक प्रशासन पर ऄपनी 10िीं ररपोटा में लोक सेिा मूल्यों की व्यिथथा करने
तथा एक नीततपरक अचार संतहता तनधााररत करने पर पुन: बल कदया है
o आस नीततपरक अचार संतहता में शातमल होंगे: सत्यतनष्ठा, तनष्पक्षता, लोक सेिा के प्रतत

प्रततबद्ता, खुली जिाबदेतहता, कताव्य के प्रतत समपाण तथा ऄनुकरणीय व्यिहार

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11. सफल प्रशासकों के बारे में के स थटडीज


(Case Studies of Successful Administrators)

के स थटडी-1

इ. श्रीधरन, जो ‘मेट्रो मैन’ के नाम से प्रतसद् हैं, ऄनेक कारणों से सफल प्रशासक रहे हैं
 दूरदर्थशता: ईनके लक्ष्य के िल समय सीमा में काया को पूणा करने तक ही सीतमत नहीं थे बतल्क
आष्टतम समाधानों तक पहुंचने पर भी के तन्द्रत थे पररयोजना की ऄत्यािश्यकता को समझते हुए
ईन्होंने मेट्रो पररयोजना की समय सीमा को तीन िषा कम कर कदया था
 तनणाय तनमााता: 1990 के दशक में जब िे कोंकण रे लिे पररयोजना के प्रमुख थे, ईस दौरान 1993

से 1994 के मर्धय गोिा के चार बार मुख्यमंत्री बदले परन्तु िे राजनीततक दबाि में नहीं अए
तथा पररयोजना को समय पर पूणा ककया
 समयतनष्ठा: समय की पाबंदी DMRC की तितशष्टता है आसतलए यकद एक कमाचारी पांच तमनट

भी देरी से अता है तो आसे अधे कदन के समय के रूप में नोट ककया जाता है DMRC में तनणाय भी

शीघ्र तलए जाते हैं ईदाहरणाथा- 2,000 करोड़ रूपए तजतने बड़े टेंडसा को भी ककसी भी सरकारी

प्रकिया या लेखा परीक्षण से िंतचत ककए तबना 15-20 कदनों के भीतर थिीकृ तत प्रदान कर दी
जाती है
 इमानदारी: DMRC देश की ईन कु छ तिशाल ऄिसंरचना पररयोजनाओं में से एक है तजसे

भ्रष्टाचार के कलंक से मुक्त माना जाता है सभी नए DMRC कमाचारी भी पदभार सम्भालते
समय इमानदारी की शपथ लेते हैं
के स थटडी-2
िर्थगज कु ररयन ने भारत (जहाँ बच्चे दूध के ऄभाि के कारण ऄल्प-पोतषत थे) को सबसे बड़ा दुग्ध
ईत्पादक बनने में सहायता की थी िे भारत में दुग्ध सहकारी अन्दोलन के प्रिताक थे आस अन्दोलन ने
ककसानों को सशक्त ककया तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रचनात्मक सामातजक पररितान अरम्भ ककया था
 ईन्होंने एक प्रसंथकरण संयत्र
ं थथातपत करने हेतु श्री तत्रभुिनदास पटेल की थिेच्छा से सहायता की
थी ईनके आस कदम ने ऄमूल (AMUL) की थथापना का मागा प्रशथत ककया कु ररयन के नेतृत्ि के
तहत ऄमूल ने ऄन्य दुग्ध सहकारी संथथाओं के साथ सहयोग ककया और तीव्र गतत से तिथतार
ककया
 ऄमूल लाभदायक तथथतत में अगे बढ़ रहा था, जब िषा 1964 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री
लाल बहादुर शास्त्री एक नए पशु-चारे संयंत्र के ईद्घाटन हेतु अणंद की यात्रा पर अए थे ईन्होंने
कु ररयन से ईनकी सफलता के रहथय के संबंध में पूछा था कु ररयन ने िर्थणत ककया की आस सफलता
का कारण ऄमूल का थिातमत्ि ककसानों के पास होना है तथा आसका तनिाातचत ककसान
प्रतततनतधयों िारा संचातलत होना है
 शास्त्री कदल्ली िापस अए तथा सम्पूणा देश में गुजरात की सफलता को दोहराने हेतु अणंद में
राष्ट्रीय डेयरी तिकास बोडा (NDDB) की थथापना की कु ररयन को आसका ऄर्धयक्ष तनयुक्त ककया

गया तथा ईन्होंने “अणंद पैटना” के दोहराि को प्रसाररत ककया

 आसके ऄततररक्त, पेशेिर प्रबंधकों हेतु ग्रामीण ईत्पादकों के संगठनों की अिश्यकता की प्रततकिया

में कु ररयन ने ककसानों को पेशेिर समथान प्रदान करने तथा ईन्हें ईनकी पूणा तिकास क्षमता प्राप्त

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करने में सहायता हेतु अणंद मेंFor


ग्रामीण प्रबंधन संथथान की थथापना को प्रारम्भ ककया
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12. तिगत िषों में Vision IAS GS में स टे थट सीरीज में पू छे


गए प्रश्न
(Previous Years Vision IAS GS Mains Questions)

1. व्यतक्तगत मान्यताएं और मूल्य ककसी व्यतक्त के अत्मतनष्ठ ईत्तरदातयत्ि को तनधााररत करते हैं,
जबकक कायाात्मक पयाािरण िथतुतनष्ठ ईत्तरदातयत्ि को तनदेतशत/थिरूप प्रदान करता है दोनों
के मर्धय ऄनुरूपता प्रशासतनक तनणायों में िथतुतनष्ठता के लक्ष्य को साकार करने के तलए
ऄपररहाया है तिश्लेषण कीतजए
दृतष्टकोण:
 चूँकक प्रश्न का सम्पूणा तिषय तनणाय तनमााण में िथतुतनष्ठता से संबंतधत है, ऄतः सिाप्रथम िर्थणत
कीतजए कक प्रशासतनक तनणायों में िथतुतनष्ठता की अिश्यकता क्यों है
 तत्पिात आसके घटकों की व्याख्या करते हुए तका दीतजए कक कै से सम्पूरकता तनष्पक्ष तनणाय
तनमााण में सहायक है
 ऄंत में तनणाय तनमााण में िथतुतनष्ठता को सुतनतित करने हेतु कु छ ईपाय सुझाआए
ईत्तर:
तनणाय तनमााण में िथतुतनष्ठता का सम्बन्ध, ज्ञात िैध साक्ष्यों (प्रासंतगक तथ्य, सटीक अंकलन,
तार्दकक ऄनुमान और दृतष्टकोण) के अधार पर ककए गए कायों से है तनणाय कतााओं को तनणाय
तनमााण प्रकिया में िथतुतनष्ठ होने का तिशेष दातयत्ि सौंपा गया है, क्योंकक :

 प्रथम, िे समुदाय िारा ईन्हें प्रदत्त संसाधनों के प्रबंधन के तलए ईत्तरदायी हैं;

 तितीय, िे समुदाय को सेिाएं प्रदत्त एिं तितररत करते हैं और समुदाय, आन सेिाओं के

तलए भुगतान करता है तजसका ईपयोग लोक सेिकों िारा ककया जाता है; तथा

 तृतीय, िे सामुदातयक जीिन के सभी पहलुओं को प्रभातित करने िाले महत्िपूणा तनणाय
लेते हैं
िथतुतनष्ठ ईत्तरदातयत्ि का सम्बन्ध थियं पर बाहर से अरोतपत ऄपेक्षाओं से होता है, जबकक
अत्मतनष्ठ ईत्तरदातयत्ि का सम्बन्ध ईन दातयत्िों से है तजनके तलए व्यतक्त थियं एक
तज़म्मेदारी का ऄनुभि करता है
िथतुतनष्ठ ईत्तरदातयत्ि के तहत दो पहलू शातमल हैं: अरोतपत दातयत्ि और जिाबदेतहता
लोक सेिकों को ईनके पद के अधार पर संतिधान, तिधातयका, िररष्ठों, ऄधीनथथों और

नागररकों िारा बाहर से अरोतपत दातयत्िों को थिीकार करना पड़ता है दातयत्ि,


जिाबदेतहता से ऄतधक मौतलक है क्योंकक सौपातनक संरचना के तहत जिाबदेतहता दातयत्ि
की पूर्थत सुतनतित करने का एक मार्धयम है
जहां लोक सेिक के रूप में हमारी भूतमका के तलए िथतुतनष्ठ ईत्तरदातयत्ि तितधक,

संगठनात्मक और सामातजक मांगों से ईत्पन्न होता है, िही व्यतक्ततनष्ठ ईत्तरदातयत्ि हमारी

थियं की तनष्ठा, तििेक और पहचान से सम्बंतधत तिश्वासों में तनतहत होता है प्रशासतनक
भूतमका के तनिाहन के दौरान व्यतक्ततनष्ठ ईत्तरदातयत्ि ऄपने ऄनुभि के साथ तिकतसत पेशेिर

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नैततकता को दशााता है, ऄथाात,् "हम तितधसम्मत काया करने में तिश्वास रखते हैं, ऄतः हम

ककसी काया को एक तितशष्ट तरीके से करने हेतु ऄपनी ऄंतरात्मा िारा बार्धय ककए जाते हैं, न
कक आसतलए कक हम ककसी पयािेक्षक या तितध िारा ऐसा करने के तलए बार्धय हैं ऄथाात्
व्यतक्त, ईसके तिश्वासों, मूल्यों और चररत्र तजन्हें ककसी काया को तितशष्ट रूप से करने की
प्रिृतत्त के रूप में समझा जाता है, िारा तनर्थमत अतंररक प्रेरणा के िारा तनदेतशत/बार्धय होता
है ”
तनणायन प्रकिया में िथतुतनष्ठता को सुतनतित करने हेतु, व्यतक्ततनष्ठ ईत्तरदातयत्ि एिं

िथतुतनष्ठ ईत्तरदातयत्ि में सामंजथय थथातपत ककया जाना चातहए मूल्य और तिश्वास कु छ

तितशष्ट व्यिहारों के प्रतत झुकाि ईत्पन्न करते हैं ऄथाात्, ‘हम क्या तिश्वास करते हैं और ईस

तिश्वास के प्रतत कै सा ऄनुभि करते हैं’, यह हमारे चररत्र को प्रभातित करता है यह बदले में
हमारे अचरण को एक अकार देता है और हमारे कायों के मागादशान में सहायता करता है
हमारे कायों को िथतुतनष्ठता प्रदान करने हेतु ईन्हें बाहर से अरोतपत दातयत्िों के समरूप
होना चातहए, ऄन्यथा ऄसंतुलन के पररणामथिरूप ऄक्षमता, भ्रष्टाचार, तानाशाही और भाइ-
भतीजािाद को बढ़ािा तमलेगा
ऄतः यह अिश्यक है कक प्रबंधन कायाप्रणाली एिं प्रतशक्षण, नैततक लोक सेिा संबंधी मूल्यों
पर अधाररत होने चातहए ईपयुाक्त मूल्यों के समाजीकरण से सतत और सशक्त अंतररक
तनयंत्रण में िृतद् होगी, जो प्रशासकों को एक तनधााररत पैटना में तििेक के प्रयोग की ऄनुमतत
प्रदान करे गा यह पैटना ऄपेक्षाकृ त पूिाानुमय
े होगा और आसतलए सहयोतगयों के मर्धय तिश्वास
का तनमााण करे गा नैततक प्रकिया ही िह मार्धयम है तजसके िारा ईत्तरदातयत्ि के अतंररक
स्रोत, बाह्य मांगो से संबद् होते हैं

2. "प्रशासतनक नीततशास्त्र के साथ मुख्य समथया यह है कक: ऄपने लक्ष्यों को पूरा करने के तलए
संगठन की क्षमता से समझौता ककए तबना ऄतधकाररयों के तलए ऄसहमतत प्रकट करने के
दायरे को ककस प्रकार बढ़ाया जाए ” आस कथन का मूल्यांकन कीतजए और भारतीय प्रशासन
के संदभा में कु छ ईपायों का सुझाि दीतजए
ईत्तर:
प्रशासतनक नीततशास्त्र से तात्पया संगठन में नैततक तसद्ांतों के अधार पर ऄतधकाररयों के
अचरण को तनधााररत करने से है व्यापक रूप से नैततक तसद्ांत (a) ईन ऄतधकारों और

कताव्यों को तनर्ददष्ट करते हैं तजनका व्यतक्तयों िारा सम्मान ककया जाना चातहए, जब िे ईन
तरीकों से काया करते हैं तजसके िारा िे ऄन्य व्यतक्तयों और समाज के कल्याण को
गंभीरतापूिक
ा प्रभातित करते हैं; और (b) सामूतहक प्रथाओं और नीततगत व्यिथथा को

शातसत करते हैं, जब ईनके (ऄतधकारी) काया व्यतक्तयों और समाज के कल्याण को


गंभीरतापूिक
ा प्रभातित करते हैं नैततक तसद्ांतों को एक तनःथिाथा पररप्रेक्ष्य की अिश्यकता
होती है यह पूछने की ऄपेक्षा कक कोइ कायािाही ऄथिा नीतत ककसी तिशेष व्यतक्त या समूह
के तहतों की सेिा ककस प्रकार करती है, नैततकता िारा आसे प्रश्नगत ककया जाता है कक क्या

कोइ कायािाही या नीतत प्रत्येक व्यतक्त के तहत में काया करती है ऄथिा क्या आसे प्रत्येक व्यतक्त,

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तजसे ऄपनी तिशेष पररतथथततयों, जैस-े जातत, सामातजक तथथतत या राष्ट्रीयता के बारे में नहीं

पता होता है, िारा थिीकार ककया जा सकता है नैततक तनणाय ककसी व्यतक्त के तनणाय लेने
और व्यतक्तयों या व्यतक्तयों के समूह के तनणाय लेने की संभािना का ऄनुमान लगाते हैं
प्रशासतनक नीततशास्त्र का यह मानना कक संगठनों में व्यतक्त नैततक तनणाय ले सकते हैं और
नैततक तनणायों का प्रयोजन भी बन सकते हैं प्रशासन के दो सामान्य तिचार - प्रशासकों को
या तो ककसी संगठन की नीततयों का ऄनुपालन करना चातहए या पद का पररत्याग कर देना
चातहए तथा प्रशासकों को ऄपने संगठनों के गलत कायों के तलए नैततक रूप से ईत्तरदायी नहीं
ठहराया जाना चातहए - ईपरोक्त धारणाओं को ऄथिीकार करते हैं और आससे प्रशासतनक
नीततशास्त्र ऄसंभि सा लगने लगता है आस प्रकार के तिचारों को देखते हुए कक कै से लोग
आसकी गलत व्याख्या कर डालते हैं, आनमें सुधार लाया जा सकता है तजससे प्रशासतनक

नीततशास्त्र संभि लगने लगता है, भले हीं आसे ऄपनाने का थिरूप तभन्न हो
यहाँ सबसे बड़ी चुनौती प्रशासन की प्रकृ तत से जुड़ी है जो नैततक तनणाय लेने की प्रथा पर
लगाम लगती है आसमें दो मुख्य अपतत्तयां कदखायीं देती हैं- पहली प्रमुख अपतत्त तनणायकताा
से संबंतधत है (ऄथाात् कौन तनणाय ले सकता है); दूसरी प्रमुख अपतत्त तनणाय के तिषय से
संबंतधत है (ऄथाात् ककसके तलए तनणाय तलए जा रहे हैं) पहली अपतत्त के बारे में दृढ़तापूिाक
यह कहा जाता है कक प्रशासकों को तटथथता की भािना से काया करना चातहए और ईन्हें
ऄपने नैततक तसद्ांतों का पालन नहीं करना चातहए बतल्क संगठन के तनणायों और नीततयों का
ऄनुपालन करना चातहए यह तटथथता की नीततपरक ऄिधारणा है दूसरी अपतत्त के बारे में
दृढ़तापूिक
ा यह कहा जाता है कक के िल प्रशासकों को ही नहीं बतल्क संगठन (आसके
औपचाररक ऄतधकाररयों) को ऄपने तनणायों और नीततयों के तलए ईत्तरदायी ठहराया जाना
चातहए यह संरचना की नीततपरक ऄिधारणा है यहाँ दोनों को नैततक कहा जा सकता है
क्योंकक यह कु छ मानदंडों को व्यक्त करता है और अचरण को तनधााररत करता है लेककन
आसमें न तो नीततशास्त्र ऄथिा न ही नैततकता सतम्मतलत होती है, क्योंकक आनमें से प्रत्येक
नैततक तनणाय की दोनों पूिाधारणाओं - या तो एक व्यतक्त तनणाय लेता है या एक व्यतक्त के
तलए तनणाय तलए जाते हैं - में से एक को ऄथिीकार करते हैं
तटथथता की नीततपरक ऄिधारणा (The Ethics of Neutrality)
प्रशासतनक नीततशास्त्र के पारं पररक तसद्ांत और व्यिहार में यह कहा गया है कक प्रशासकों
को ऄपने िररष्ठ ऄतधकाररयों के अदेशों तथा सरकार और एजेंतसयों (जहां िे सेिारत हैं) की
नीततयों का पालन करना चातहए आस तिचार के ऄनुसार, प्रशासक आस ऄथा में नैततक रूप से
तटथथ होते हैं कक िे थितंत्र रूप से नैततक तनणाय नहीं लेते हैं ईनसे ऄपने थियं के ककसी भी
नैततक तसद्ांतों पर काया करने की ऄपेक्षा नहीं की जाती है, लेककन ईनके िारा कायाान्ियन

हेतु प्रभाररत अदेशों और नीततयों में जो भी तसद्ांत दृतष्टगत होते हैं, िे ईन्हें प्रभातित करते
हैं
तटथथता की नीततपरक ऄिधारणा में पररितान, व्यतक्तगत नैततक तनणाय हेतु कु छ काया-क्षेत्र

प्रदान करता है जब तक कक तनणाय या नीतत "ऄंततम" थिरूप धारण न कर ले आस तिचार के

ऄनुसार, प्रशासक ऄपने तिचारों को अगे बढ़ा सकते हैं, ऄपने िररष्ठ ऄतधकाररयों के साथ
तिचार कर सकते हैं और नीतत तनमााण की प्रकिया में सुझािों के प्रततभागी बन सकते हैं
लेककन एक बार तनणाय या नीतत के ऄंततम थिरूप धारण कर लेने के पिात सभी प्रशासक
एकसमान हो जाते हैं और इमानदारी से नीतत को अगे बढ़ाते हैं आसके ऄततररक्त, ऄसहमतत
संथथा के भीतर और संथथा के प्रकियागत तनयमों के ऄनुसार होनी चातहए

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तटथथता की नीततपरक ऄिधारणा के तिरुद् तनम्नतलतखत तीन प्रकार से अलोचनाएँ प्रथतुत


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की जा सकती हैं:
पहला, चूंकक यह नीततपरक ऄिधारणा प्रशासकों के तििेक को कम करके अंकती है, ऄतः यह
नागररकों िारा प्रशासकों की जिाबदेतहता को बातधत करती है प्रशासकों का तििेक संगठन
में तितध-तनमााताओं या िररष्ठ ऄतधकाररयों की अकांक्षाओं से परे चला जाता है आस भ्रम को
सुदढ़ृ करके कक प्रशासक थितंत्र नैततक तनणाय का प्रयोग नहीं करते हैं, यह ईनके कइ तनणायों
के पररणामों के तलए बाह्य ईत्तरदातयत्ि से ईन्हें पृथक करता है
दूसरी प्रमुख अपतत्त आस दािे पर कें कद्रत है कक पद-धारण संगठन िारा तनधााररत पद के
कताव्यों के तलए सहमतत प्रदान करना है हालांकक नागररकता की तुलना में पद का पररत्याग
करना असान हो सकता है, लेककन ऄनेक ऄतधकाररयों के तलए यह आतना करठन है कक ऐसा
करने में तिफलता संगठन िारा ककये गए सब कु छ की थिीकृ तत को आं तगत करने के तलए
तनधााररत नहीं ककया जा सकता है ऄतधकांश सरकारी कमाचाररयों के तलए, ईनके तनतहत
ऄतधकार (जैस-े पेंशन और िररष्ठता) और नौकरी कौशल (प्राय: तनजी क्षेत्र में थथानांतररत
करने योग्य नहीं) ऄपनी तथथतत को बनाए रखने के तलए सशक्त प्रोत्साहन प्रदान करते हैं यहां
तक कक यकद िे ऄपने थियं के तितभन्न तसद्ांतों के तलए ऄपने कररयर के साथ समझौता करने
के तलए तैयार होंगे, तब भी िे ऄपने पररिारों के प्रतत ऄपनी तजम्मेदाररयों को नजरऄंदाज
नहीं कर सकते हैं
तटथथता की नीततपरक ऄिधारणा के समथाक आस पर बल दे सकते हैं कक जो ऄतधकारी ऄपने
पद के कताव्यों को पूरा नहीं कर सकते हैं ईन्हें पद का पररत्याग कर देना चातहए, हालांकक
ऐसा करना करठन हो सकता है लेककन नागररक के तौर पर हमें प्रशासतनक नीततशास्त्र के
एक सामान्य तसद्ांत के रूप में आसका समथान करने से पूिा तिचार करना चातहए
यकद आस तिचार को तनरं तर ऄभ्यास में लाया जाता है, तो लोक कायाालयों में शीघ्र ही ऐसे
लोग ऄतधक होंगे तजनके पास सरकार िारा तलए गए तनणाय से ऄसहमत होने का कोइ कारण
नहीं होगा सुदढ़ृ नैततक दृढ़ तिश्वास िाले व्यतक्त कायाालय में काया करने की ऄपेक्षा पद का
पररत्याग कर देंगे और हम ईन लोगों की सेिाओं से िंतचत हो जाएंगे, जो सािाजतनक जीिन
में सिाातधक योगदान कर सकते हैं
चूंकक हम तसद्ांतिादी व्यतक्तयों को ईनके पद से बेदखली नहीं करना चाहते हैं, आसतलए हमें
यह समझना चातहए कक सरकार की नीततयों से ऄसहमत होने के बािजूद पद पर बने रहने के
तलए ऄच्छे नैततक कारण हो सकते हैं यह मान्यता तटथथता की नीततपरक ऄिधारणा पर
अपतत्तयों की तीसरी व्यिथथा को आं तगत करती है - यह लोक कायाालय की नैततक
पररतथथततयों को सरल बनाती है यह हमें ऄतधकाररयों को ईनके नैततक तसद्ांतों और संगठन
की नीततयों के मर्धय संगतता का अकलन करने की ओर ले जाती है यकद तसद्ांत और
नीततयां एक-दूसरे के ऄनुरूप हैं, तब आनका ऄनुपालन करना चातहए यकद एक-दूसरे से

ऄत्यतधक तभन्न होती हैं तब पद का पररत्याग कर देना चातहए सिाप्रथम, एक ऄतधकारी के

रूप में अपका ऄपने सहयोतगयों, संथथा और सरकार के प्रतत दातयत्ि होता है ककसी संगठन

में पद थिीकार करके और सामूतहक कायों का दातयत्ि लेकर, अप दूसरों को ऄपने तनरं तर
सहयोग के मार्धयम से तिश्वास करने का कारण प्रदान करते हैं यकद अप संगठन में ऄपनी
भूतमका को तनरं तर बनाए रखेंगे तब अपके सहयोगी पररयोजनाएं प्रारं भ करते हैं, जोतखम

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ईठाते हैं, ऄपेक्षा रखते हैं यकद अप पद का पररत्याग कर देते हैं, तब अप आन ऄपेक्षाओं को
हतोत्सातहत करते हैं और िाथततिकता में ऄपने सहयोतगयों की प्रततबद्ताओं को ठे स पहुंचाते
हैं पद का पररत्याग तितभन्न संगठनात्मक गतततितधयों को बातधत कर सकता है, तजनमें से
कु छ पद पररत्याग के ऄिसरों की तुलना में नैततक रूप से ऄतधक महत्िपूणा हो सकते हैं
ऄतधकाररयों के लोगों के प्रतत ऄतधक सामान्य दातयत्ि भी होते हैं ऄतधकाररयों को यह
तनधााररत नहीं करना चातहए कक िे तिशुद् ऄंतःकरण से संगठन के साथ थियं को तनरं तर
संबद् रख सकते हैं ऄथिा नहीं आसका ऄथा के िल ऄपने अप को ऄनुतचत गतततितधयों से
पृथक रखना है - कु छ लोगों ने आसे "नैततक अत्म-ऄनुग्रह (moral self-indulgence)" कहा
है
तीसरा तरीका तजसमें तटथथता की नीततपरक ऄिधारणा, लोक प्रशासकों के कताव्यों को

तिकृ त करती है, िह कारा िाइ को दो तिकल्पों अज्ञाकाररता ऄथिा पद-त्याग तक सीतमत कर
देती है ऄसहमतत के तितभन्न प्रकार (शांत तिरोध से लेकर ऄिैध प्रततरोध तक) पद पर बने
रहने में संगत हो सकते हैं आनमें से कु छ, तनतित रूप से चरम पररतथथततयों को छोड़कर

नैततक रूप से ऄनुतचत हो सकते हैं, लेककन तटथथता की नीततपरक ऄिधारणा यहां पर कोइ

मागादशान प्रदान नहीं करती है क्योंकक यह पहले से ही संगठन के तनणायों खासकर "ऄंततम

तनणाय" के नैततक न होने की संभािना का ईल्लंघन करती है "

(यहां पर ऄसहमतत के तितशष्ट चबदुओं पर प्रकाश डाला गया है)


ककसी संगठन के तलए सबसे बड़ी समथया यह होती है कक आसके (संगठन) लक्ष्यों को पूरा करने
हेतु संगठन की क्षमता से समझौता ककए तबना आसके कमाचाररयों को ‘ऄसहमतत’ प्रकट करने
के तलए ककस हद तक ऄनुमतत दी जानी ऄथिा तमलनी चातहए यकद कोइ संगठन
लोकतांतत्रक प्रकिया पर अधाररत ऄपने लक्ष्यों की प्रातप्त में संलग्न है, तो ऐसे में संगठन में
व्यतक्तगत ऄसहमतत ईस लोकतांतत्रक प्रकिया को प्रभातित कर सकती है सिाप्रथम हमें आस
बात पर बल देना चातहए, कक ऄसहमतत प्रकट करने िाले प्रश्न में नीतत के साथ ईनकी
ऄसहमतत के अधार पर ईतचत रूप से तिचार ककया जाना चातहए यह देखा जाना चातहए
कक क्या ऄसहमतत नैततक है ऄथिा के िल राजनीततक है? यह एक नाजुक तिभेद है क्योंकक
लगभग सभी महत्िपूणा राजनीततक तनणायों में नैततक अयाम शातमल होते हैं लेककन शायद
हम यह कह सकते हैं कक प्रत्यक्ष रूप से एक महत्िपूणा नैततक तसद्ांत (जैसे- तनदोष व्यतक्तयों
को नुकसान नहीं पहुंचाना) का ईल्लंघन करने िाली नीतत ऄतधक न्यायसंगत ऄसहमतत का
कारण बन जाती है ऄसहमतत प्रकट करने िालों को भी यह तिचार करना चातहए कक िे तजस
नीतत का तिरोध कर रहे होते हैं िह एकमात्र घटना है ऄथिा तनरं तर बने रहने िाली तथथतत
का एक भाग है और क्या ईस नीतत की ऄनैततकता संगठन िारा ऄनुसरण की जाने िाली
ऄन्य नीततयों के मूल्य से ऄतधक है आसके ऄततररक्त, ऄसहमतत प्रकट करने िालों को ऄपनी
भागीदारी और ऄपनी भूतमका की सीमा का परीक्षण करना चातहए: िे नीतत के तलए ककस
(औपचाररक और ऄनौपचाररक) प्रकार ईत्तरदायी हैं? ईनके तिरोध से ईस नीतत और संगठन

की ऄन्य नीततयों में क्या ऄंतर अएगा? नीतत ककस हद तक ईन समूहों के नीततशास्त्र का

ईल्लंघन करती है तजनके तलए िे बार्धय हैं (जैस-े तितधक ऄथिा तचककत्सा पेशे के तसद्ांत)?

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ये तिचार न के िल यह तनधाारFor
रत करते हैं कक ककसी ऄतधकारी को संगठन की नीतत का तिरोध
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करने के तलए ईतचत ठहराया गया है, बतल्क िे यह भी आं तगत करने में सहायता करते हैं कक
तिरोध व्यक्त करने के तलए ऄतधकारी के ऄसहमतत के तरीकों को भी ईतचत ठहराया जा
सकता है एक ऄतधकारी के ऄसहमतत को और ऄतधक ईतचत ठहराया जा सकता है, यकद िह
ऄतधकारी ऄतधक ईतचत तरीके से श्रेष्ठ मार्धयमों का ईपयोग करने में सक्षम है ऄसहमतत के
तरीकों को ईत्कृ ष्ट से मर्धयम तक तनरं तरता के साथ रखा जा सकता है तनम्नतलतखत चार
प्रकार की ऄसहमतत आस तनरं तरता की सीमा का िणान करती है तथा कु छ और मुद्दों को
ईठाती है कक ककसी भी प्रकार की ऄसहमतत पर तिचार ककया जाना चातहए:
पहला, कु छ ऄसहमतत ऐसी होती हैं जहाँ व्यतक्त संगठन के भीतर एक अतधकाररक तिरोध

दजा करता है लेककन कफर भी िह नीतत को लागू करने में सहायता करता है, ऄथिा िह
संगठन में कोइ और काया सौंपे जाने की मांग करता है यह ऄतधकाररयों को संगठन के िारा
प्रथतातित नीतत में सकिय भागीदारी से दूर रहने और संगठन की थिीकाया प्रकियाओं के
ऄनुसार ऐसा करने तक ईसके तिरोध को तनरं तर रखने की ऄनुमतत प्रदान करे गा
दूसरा, ऄसहमतत का एक तरीका यह है कक ऄतधकारी ऄपने ज्ञान के अधार पर, लेककन ऄपने

िररष्ठ ऄतधकाररयों की आच्छाओं के तिरुद्, संगठन के बाहर ऄपना तिरोध प्रदर्थशत करते हैं
जबकक िे ऄपनी नौकररयों का संतोषजनक तरीके से तनष्पादन करते हैं आस प्रकार की
ऄसहमतत सामान्यत: कु छ प्रभािशाली मानकों के ऄतथतत्ि पर, आसकी प्रभािकाररता के

साथ-साथ आसकी िैधता पर तनभार करती है, तजससे ऄसहमतत प्रकट करने िाले संगठन के
बाहर ऄपील कर सकते हैं जब कोइ ऄसहमत होता है तो ईसके तलए पेशेिर नीततशास्त्र
ऄथिा यहां तक कक कानून भी पयााप्त नहीं हो सकते हैं, क्योंकक दोनों की कै से व्याख्या की

जाए आसे लेकर िह ऄसहमत होता है, लेककन ऐसे मानकों की ऄपील करने से कम से कम
लोगों को आस बात को लेकर अश्वथत ककया जा सकता है कक ईक्त सािाजतनक नीतत के संबंध
में कम से कम िह ऄतधकारी ऄपने तनजी तििेक पर ऄपने कायाालय को कु छ थोपे जाने की
ऄनुमतत नहीं दे रहा है जब ऄसहमतत प्रकट करने िाले ऄतधकारी लोकतांतत्रक ढंग से
तनिाातचत ऄतधकाररयों का तिरोध करते हैं, तब ईन्हें ईन तरीकों का प्रयोग करना चातहए कक
िे ईन तसद्ांतों का बचाि कर रहे हैं जो सभी नागररकों का समथान करते हैं
तीसरा, ऄसहमतत का तीसरा तरीका नीतत के प्रतत खुला ऄिरोध ईत्पन्न करना है ईदाहरण

के तलए, ऄतधकारी संगठन िारा नीतत को अगे बढ़ाने के तलए अिश्यक ज्ञान या तिशेषज्ञता
के ईपयोग को प्रततबंतधत कर सकते हैं और आस पर कदम ईठाने को ऄथिीकृ त कर कदया जाता
है ताकक ऄन्य लोगों िारा आसे अगे न बढ़ाया जा सके ऄथिा नीतत को समाप्त करने की
कोतशश कर रहे बाहरी लोगों को सूचना और ऄन्य प्रकार की सहायता प्रदान ककया जाता है
कु छ ऄतधकारी कम समय के तलए आस रणनीतत को ऄपना सकते हैं, लेककन संगठन सामान्यतः

ऄसहमतत प्रकट करने िालों को ऄलग कर सकते हैं, ऄन्य ऄतधकाररयों की नौकरी में तनयोजन
हेतु खोज कर सकते हैं और संगठन के बाहर ईत्पन्न होने िाले ककसी भी तिरोध का सामना
करने के तलए ऄपने बाहरी समथान को संगरठत कर सकते हैं ऐसी ककसी भी घटना में,
ऄसहमतत प्रकट करने िाले की संगठन के भीतर ऄतधक प्रभाि बनाए रखने की संभािना नहीं
होती है ऐसे में ऄसहमतत प्रकट करने िाले की प्रभातिता और तनरं तरता ऄतधक साथाक होनी
चातहए

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चौथा, ईपरोक्त के कारण आस चौथे प्रकार की ऄसहमतत ज्यादा महत्िपूणा हो जाती है, ऄथाात
छु पा/गुप्त तरीके से ऄिरोध ईत्पन्न करना ऄनतधकृ त प्रकटीकरण ऄथिा रहथयोदघाटन
(लीक) आसके सबसे प्रमुख ईदाहरण हैं रहथयोदघाटन ईद्देश्य और प्रभाि में ऄत्यतधक तभन्न
होते हैं कु छ लोग के िल ऄन्य एजेंतसयों को सूचना प्रदान करते हैं जो आसे प्राप्त करने के
हकदार होते हैं; ऄन्य लोग ककसी एजेंसी के भीतर तिशेष ऄतधकाररयों को ऄसमंजस में डालते

हैं लेककन िे एजेंसी की नीततयों को प्रभातित नहीं करते हैं; और ऄन्य लोग ऄंततः एक प्रमुख
सरकारी नीतत को पररिर्थतत करते हुए प्रेस ऄथिा जनता को सूचना प्रकातशत करते हैं
{चौथे प्रकार की ऄसहमतत की चचाा हेतु कु छ ऄन्य मुद्दे}
कभी-कभी अतधकाररक ऄिज्ञा और नागररक ऄिज्ञा के मर्धय एक समानता देखी जाती है
ऄनेक लोकतांतत्रक तसद्ांतकारों का मानना है कक लोकतंत्र में नागररक कानून या नीतत को
पररिर्थतत करने के ईद्देश्य से के िल कु छ तरीकों से और कु छ शतों के तहत कानून का ईल्लंघन
करना ईतचत है नागररकों को (i) सािाजतनक रूप से काया करना चातहए; (ii) ककसी भी

प्रकार की चहसा नहीं करना चातहए; (iii) ऄन्य नागररकों िारा साझा तसद्ांतों के तलए ऄपील

करनी चातहए; (iv) घोर ऄन्याय के तिरुद् ऄपनी चुनौती को तनदेतशत करना चातहए; (v)
कानून तोड़ने से पहले तिरोध के सभी सामान्य चैनल का ईपयोग करने का प्रयास करना
चातहए; और (vi) ऐसी नीतत की ऄिज्ञा के तलए योजना बनानी चातहए ताकक यह ऄन्य
नागररकों के संयोजन के साथ लोकतांतत्रक प्रकिया की तथथरता को बातधत न कर सके
यहां तक कक यकद कोइ यह तिचार करता है कक नागररक ऄिज्ञा ईतचत है, तो कोइ भी आस
बात से सहमत नहीं हो सकता कक अतधकाररक ऄिज्ञा की अिश्यकता है ऄतधकारी
नागररकों के समान ऄतधकारों का दािा नहीं कर सकते हैं और यह कहा जा सकता है कक यहाँ
समानता सामान्य रूप से नहीं होती है लेककन समानता तिपरीत कारण के साथ नहीं हो
सकती है सरकार के गलत कायों के चरम मामलों में, हमें नागररकों को ऄनुमतत देने की
ऄपेक्षा ऄतधकाररयों को ऄिज्ञा के तलए ऄतधक दायरा प्रदान करना चातहए आन मामलों में
यह तका कदया जा सकता है कक नागररक ऄिज्ञा के तलए मानक तथथततयां ऄतधकाररयों के तलए
ऄत्यंत सीतमत हैं यकद हम ईदाहरण के तलए आस बात पर बल देते हैं कक यकद ऄिज्ञा हमेशा
सािाजतनक रूप से की जाती है, तो हम िाथततिकता में सरकार की बहुत मूल्यिान अलोचना

को कम कर सकते हैं सािाजतनक कायािाही के पररणामों के भय से, ऄसहमतत प्रकट करने


िाले ऄतधकारी ऄन्य ऄतधकाररयों को यह सूचना प्रदान करने का तनणाय कर सकते हैं कक
ईनके िररष्ठों ने आसे गुप्त रूप से घोतषत ककया है लेककन नागररकों के तलए यह जानना
अिश्यक है प्रचार की अिश्यकता को तशतथल करने का मुद्दा थियं के लाभ के तलए
तिरोतधयों के ऄतधकारों को सुरतक्षत रखने के नहीं बतल्क सरकार के संकदग्ध कायों की
सािाजतनक चचाा को बढ़ािा देना के तलए होना चातहए हम प्रचार की अिश्यकता के कु छ
रूपों को बनाए रखना चाहते हैं, शायद ऐसे प्रातधकारी की संथथापना ऄसहमतत प्रकट करने
िाले को ऄपनी पहचान बनाए रखने के तलए होती है लेककन आस अिश्यकता के साथ-साथ
ऄन्य लोगों को सरकारी ऄतधकाररयों के ईत्तरदातयत्ि को ऄतधकतम करने के लक्ष्य के साथ
तैयार ककया जाना चातहए, न कक नागररक ऄिज्ञा के पारं पररक मानदंडों को पूरा करने के
ईद्देश्य से

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ऄिज्ञा के साथ-साथ ऄसहमतत के ऄन्य रूपों के संबंध में महत्िपूणा काया ईन मानदंडों को
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तिकतसत करना है जो यह तनधााररत करने में सहायता कर सकते हैं कक तितभन्न पररतथथततयों
में प्रत्येक कब ईतचत है तटथथता की नीततपरक ऄिधारणा ईस काया को ऄनािश्यक बनाती
है तजस प्रशासन में नैततकता संभि है लेककन, जैसा कक हम देखते हैं कक प्रशासतनक तटथथता
न तो संभि है और न ही िांछनीय

3. प्रशासतनक नीततशास्त्र के समक्ष ऄतधक प्रत्यक्ष चुनौती ईन लोगों िारा प्रथतुत की जाती है जो
यह मानते हैं कक तनजी जीिन में नैततकता पूरी तरह से संभि है ककन्तु िे आस बात को
ऄथिीकृ त करते हैं कक यह संगठनात्मक जीिन में भी संभि है "मूल्यांकन कीतजए
ईत्तर:
प्रशासतनक नीततशास्त्र के समक्ष एक बड़ी बाधा यह तिचार है कक नैततक तनणाय समग्र रूप में
संगठन ऄथिा सरकार के तलए होना चातहए संरचना की नीततपरक ऄिधारणा यह दािा
करती है कक, चाहे प्रशासकों के पास थितंत्र नैततक तनणाय लेने की कु छ संभािना हो, कफर भी
ईन्हें सरकार के ऄतधकांश तनणायों और नीततयों के तलए नैततक रूप से ईत्तरदायी नहीं
ठहराया जा सकता है ईनका व्यतक्तगत नैततक ईत्तरदातयत्ि के िल ऄपने कायाालय के तितशष्ट
कताव्यों तक तिथतृत है तजसके तलए िे तितधक रूप से ईत्तरदायी हैं
नैततक तनणाय, नैततक संथथा का पूिाानम
ु ान करता है ककसी पररणाम (अईटकम) के तलए
ककसी की प्रशंसा करने ऄथिा दोषारोपण करते समय हमें ऄतनिायातः आस पर तिचार करना
चातहए कक व्यतक्त कारा िाइ के तलए नैततक रूप से ईत्तरदायी है ऄतनिायातः हमें यह मानना
चातहए कक (1) ईस पररणाम हेतु व्यतक्त की कायािाही ऄथिा कायािाही न करना ईत्तरदायी
है ; और (2) व्यतक्त ने क्षम्य ऄज्ञानता या बार्धयता के तहत काया नहीं ककया है दैतनक जीिन
में, हम कभी-कभी नैततक अलोचना को प्रततबंतधत करते हैं क्योंकक हम मानते हैं कक कोइ
व्यतक्त आन मानदंडों में से एक या दोनों को संतुष्ट नहीं करता है सािाजतनक जीिन में, तिशेष
रूप से संगठनों में, नैततक ऄतभकतााओं की पहचान करने की समथया, तनणाय ऄथिा नीतत के
तलए नैततक रूप से ईत्तरदायी व्यतक्तयों की खोज करने की समथया, तनणाय ऄथिा नीतत की
नैततकता का अकलन करने की समथया के समान करठन हो जाती है यहां तक कक यकद हमारे
पास संगठनात्मक प्रकिया में पररणाम हेतु ईत्तरदायी सभी ऄतभकतााओं के संबध
ं में पूणा
सूचना ईपलब्ध है, तब भी हमें आस संबंध में ऄसमंजस हो सकता है कक आसके तलए
ईत्तरदातयत्ि का िणान ककस प्रकार ककया जाए चूंकक कइ लोग ककसी संगठन के तनणायों और
नीततयों के तलए तितभन्न तरीकों से योगदान करते हैं, आसतलए तसद्ांततः हम यह तनधााररत
नहीं कर पाएंगे कक कौन ईन तनणायों और नीततयों के तलए नैततक रूप से ईत्तरदायी है आसे
"कइ लोगो की समथया" कहा जाता है तथा ऐसी धारणा है कक यह नैततक संरचना के तहत
समाधान करने योग्य नहीं है
संगठनों में व्यतक्तगत ईत्तरदातयत्ि को शातमल करने की संभािना को ऄथिीकृ त करने और आस
प्रकार प्रशासतनक नीततशास्त्र की संभािना को कमजोर करने के तलए तनम्नतलतखत तीन तका
कदए गए हैं:
प्रथम, यह तका कदया जाता है कक ककसी भी संगठनात्मक पररणाम के तलए कोइ भी व्यतक्त
थियं एक अिश्यक या पयााप्त कारण नहीं होता प्रत्येक ऄतधकारी का योगदान रथसी के धागों
के समान होता है िे एक-साथ काया करते हैं तथा कोइ भी ऄके ले काया नहीं कर सकता है,
लेककन ककसी एक के तबना काया ककया जा सकता है
एक दूसरा तका व्यतक्तगत ईद्देश्य ऄथिा प्रयोजन और सामूतहक पररणामों के मर्धय के ऄंतर को
आं तगत करता है ईदाहरण के तलए, ितामान में तितभन्न संगठनों में, हम यह भी कह सकते हैं

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कक कोइ भी ऄतधकारी कमाचाररयों की भती और पदोन्नतत में ऄल्पसंख्यकों के तिरुद् भेदभाि


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करने का आरादा नहीं रखता है; कफर भी तनयुतक्तयों और प्रगतत का प्रततरूप ऄभी भी कु छ
ऄल्पसंख्यकों को नुकसान पहुंचाता है यहां हमें पैटना या नीतत की चनदा करनी चातहए
(आसतलए तका ककया जाता है), लेककन हम आसके तलए ककसी भी व्यतक्तगत ऄतधकारी पर
नैततक रूप से दोषारोपण नहीं कर सकते हैं
एक तीसरा तका भूतमका की अिश्यकताओं पर बल देता है पद से जुड़े कताव्यों और बड़े
संगठनों के दैतनक कायाकलापों के तलए व्यतक्तगत कारा िाआयों की अिश्यकता होती है, जो
थियं में ऄहातनकर या यहां तक कक कु छ ऄथों में ऄतनिाया है, लेककन ये तमलकर कइ बार
ऄतहतकारी तनणायों और नीततयों का तनमााण करने के तलए अपस में सहयोग करते हैं यद्यतप
संगठन की नीतत नैततक रूप से ऄनुतचत है, कफर भी यहाँ प्रत्येक व्यतक्त िारा ऄपने पद की
अिश्यकताओं के ऄनुसार ऄपने नैततक कताव्य का तनिाहन ककया गया है, लेककन यहाँ आनका
सामूतहक योग व्यतक्तगत कायािाही की तुलना में तनकृ ष्टतर होता है
यकद हम आन तकों को थिीकार करना चाहते है, तो हमें नैततक ऄंकुश के बंधन से ऄनेक दोषी
ऄतधकाररयों को मुक्त करना होगा आससे लोकतांतत्रक जिाबदेही के क्षय होने की संभािना है
आन तकों का ईत्तर ककस प्रकार कदया जा सकता है ताकक संगठनों में व्यतक्तगत ईत्तरदातयत्ि
बनाए रखा जा सके ?
सिाप्रथम, हमें ऄतधकाररयों के नैततक ईत्तरदातयत्ि का अकलन के िल ईस अधार पर नहीं
करना चातहए तजस ऄनुपात में िे पररणाम में ऄपने योगदान को साझा करते है
"ईत्तरदातयत्ि एक बाल्टी के समान नहीं होता है कक यकद ईसमें से कु छ को ऄलग कर कदया
जाए तब भी ईसमें कु छ शेष रहता ही है " यकद 10 ठगों के तगरोह की तपटाइ से एक बूढ़े
अदमी की मृत्यु हो जाती है, तो हम प्रत्येक ठग को हत्या के के िल 1/10 िें भाग के तलए
दंतडत नहीं करते हैं (भले ही ककसी एक ठग का मारना ईसकी मौत के तलए पयााप्त कारण न
हो) अगे, ईत्तरदातयत्ि का तनधाारण करते समय हमें न के िल ईन कृ त्यों पर तिचार करना
चातहए जो ईनके िारा ककए गए हैं, बतल्क ईन कृ त्यों पर भी तिचार करना चातहए जो ईन्होंने
नहीं ककए हैं संगठनों के संदभा में हम प्रायः ईन तिशेष दोषों को आं तगत कर सकते हैं जो
तितशष्ट व्यतक्तयों के तलए िर्थणत और पररणाम के मर्धय महत्िपूणा ऄंतर तनधााररत करते हैं
दोषों के प्रततरूप ऄतग्रम रूप में ऄनुमातनत एिं तनर्ददष्ट ककए जा सकते हैं
व्यतक्तगत प्रयोजन और सामूतहक पररणाम के मर्धय के ऄंतर को आं तगत करने िाले दूसरे तका के
बल को कम ककया जा सकता है यकद हम ऄतधकाररयों के नैततक ऄपराधों का अकलन करते
समय पररणामों की तुलना में प्रयोजन को कम महत्ि देते हैं, कम से कम ईन दो संदभों में
जहाँ "प्रयोजन" को सामान्यत: ईद्देश्य और प्रत्यक्ष लक्ष्य के रूप में समझा जाता है
हम िैध रूप से सामान्य नागररकों की तुलना में लोक पदों को एक ईच्च मानक के साथ धारण
कर सकते हैं हम यह ऄपेक्षा कर सकते हैं कक ऄतधकाररयों को लोक पद के सामान्य दातयत्िों
के कारण अंतशक रूप से पररणामों की तिथतृत श्रृंखला को र्धयान में रखना जाना चातहए
ऄतधक लोगों के कल्याण के तिषय में, ऄतधकाररयों को ऄपने कायों के पररणामों को प्राप्त
करने के तलए ऄसाधारण प्रयास करना चातहए जबकक ऄतधकारी एक या दो बार तका संगत
दािा प्रथतुत कर सकते हैं कक ईन्हें एक ऄतहतकारी पररणाम की ऄपेक्षा नहीं थी, जबकक
ईन्होंने ऄपनी ओर से संपण
ू ा प्रयास ककया था ऐसे में ईत्तरदातयत्ि से बचने हेतु ईनके िारा
आस छू ट का ईपयोग करने की तनम्न सीमा होनी चातहए रोजगार में भेदभाि के ईदाहरण के
संबंध में, हमारा मानना कक ऄतधकाररयों को यह समझना चातहए कक ईनकी संगठनात्मक
प्रकियाएं (सामातजक बलों के साथ संयुक्त) ऄभी भी कर्थमयों के तनणायों में ऄन्यायपूणा
पररणाम दे रही हैं; यकद िे आसका समाधान करने के तलए कदम नहीं ईठाते हैं तो िे ऄन्याय के
तलए अंतशक रूप से ईत्तरदायी हो जाते हैं

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संगठन में व्यतक्तगत भूतमकाFor


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की अिश्यकता एक ऄतधकारी के उपर ऄल्प
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दोषारोपण के ईपरोक्त तका की तुलना में दोषारोपण ककये जाने का मागा प्रशथत करता है
लोक ऄतधकाररयों पर तजम्मेदारी डालते िक़्त हमें यह भी र्धयान रखना चातहए कक यह
व्यतक्तयों को न कक पदों को संबद् करता है आसे पूणता : ककसी व्यतक्त िारा धाररत पद से
संबंतधत ककसी भी भूतमका से तनधााररत नहीं ककया जा सकता है, ऄतपतु यह समय के साथ
एक व्यतक्त का ऄनुसरण करती है व्यतक्तगत ईत्तरदातयत्ि की आन तिशेषताओं को कभी-कभी
ईपेतक्षत ककया जाता है लोक ऄतधकाररयों को एक भूतमका में ऄनैततक (या ऄक्षम) प्रदशान के
तलए तजम्मेदार ठहराया जाता है ककन्तु पुनः िे पुरानी भूतमका का त्याग कर नइ भूतमका के
साथ नइ योजना का अरं भ करते है ऐसे बदनाम लोक ऄतधकाररयों का पुन: नये काया क्षेत्र में
अने पर व्यतक्तगत ईत्तरदातयत्ि को समाप्त करके ईन्हें नयी भूतमका देकर समथान ककया जाता
है
प्रशासतनक नीततशास्त्र संभि है, कम से कम दो प्रमुख सैद्ांततक तिचार जो आसकी संभािना
का तिरोध करते हैं, िे प्रभािशाली नहीं हैं हमें न तो तटथथता की नीततपरक ऄिधारणा को
थिीकार करने के तलए बार्धय होना चातहए जो थितंत्र नैततक तनणाय को कमजोर कर सकती है,
न ही संरचना की नीततपरक ऄिधारणा को, जो संगठनों में व्यतक्तगत नैततक एजेंसी की
ईपेक्षा करती है यह ज्ञात करने के तलए कक प्रशासतनक नीततशास्त्र संभि है, यह कदखाना
अिश्यक नहीं है कक आसे िाथति में ककस प्रकार थथातपत ककया जाए लेककन यह समझना
अिश्यक है कक क्यों प्रशासतनक नीततशास्त्र न के िल ऄभ्यास की कदशा में बतल्क ऄभ्यास में
ऄथापूणा तिषय-िथतु तनधााररत करने की कदशा में एक अिश्यक कदम के रूप में संभि है

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13. तिगत िषों में Vision IAS GS में स टे थट सीरीज में पू छे


गए प्रश्न: के स थटडीज
(Previous Years Vision IAS GS Mains Questions: Case Studies)

1. अप एक तज़ले में युिा तजलातधकारी हैं, जहाँ पर तनजी नशा मुतक्त के न्द्रों की संख्या में तेज़ी से
िृतद् हो रही है ये कें द्र ऄनैततक ढंग से संचातलत होने हेतु जाने जाते हैं और ईनके व्यापार के
मॉडल में पुनः नशे के तशकार होने िाले पीतड़तों के तलए तिशेष प्रािधान शातमल हैं यद्यतप
ये कें द्र ऄत्यतधक शुल्क लेते हैं कफर भी ये पीतड़तों के पररिारों को एक अशा प्रदान करने हेतु
प्रतसद् हैं और नशे में तलप्त लोगों के संथथानीकरण से कानून व्यिथथा सुतनतित हुइ है जो कक
पडोसी तज़लों में तिद्यमान नहीं है
तनम्नतलतखत तिकल्पों का समाज के तितभन्न तहतधारकों पर ईनके सकारात्मक और
नकारात्मक प्रभािों के अधार पर तिश्लेषण कीतजए:
(a) सभी तनजी पुनिाास के न्द्रों को पूणत
ा ः बंद ककया जाना
(b) सरकारी के न्द्रों की थथापना हेतु धन की ईपलब्धता के तलए ईच्च ऄतधकाररयों को प्राथाना
ककया जाना
(c) आस मामले की गंभीरता से जाँच करने के तलए एक तचककत्सा दल का गठन और ईसकी
ररपोटा के बाद ही कायािाही करना
(d) पहले की भांतत के न्द्रों को संचातलत रहने देना
ईत्तरः
नशा मुतक्त के न्द्र व्यसनी के पररिार को कु छ समय के तलए राहत प्रदान करने के साथ-साथ
व्यापक थतर पर समाज को आनके िारा चोरी, डकै ती अकद रूपों में ईत्पन्न की जाने िाली
संभातित सुरक्षागत चुनौततयों से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं हालांकक यह भी महत्िपूणा है कक
व्यसनी थियं भी पीतड़त होते हैं और आन्हें थियं ही पररिार और िृहत्तर रूप से समाज के
सहयोग की अिश्यकता होती है
ऄतः सभी पुनिाास के न्द्रों को बन्द ककया जाना जैसा कक तिकल्प (a) में व्यक्त ककया गया है, से
लाभ की बजाय हातन ऄतधक होगी पररिार और सम्बतधयों के पास कोइ तिकल्प नही रहेगा
और व्यापक रूप से जानकारी के ऄभाि में, व्यसनी के भार के कारण समाज को अर्थथक और
मनोिैज्ञातनक तनाि झेलना पड़ेगा तथा ऄव्यिथथा की तथथतत ईत्पन्न हो सकती है
सरकारी के न्द्र की थथापना, जैसे कक तिकल्प (b) में प्रथतातित ककया गया है, एक थिागतयोग्य
कदम हैं क्योंकक ये के न्द्र ऄन्य तनजी के न्द्रों के तलए अदशा के रूप में का काया करें गे साथ ही,
सरकारी के न्द्रों में लागू संशोतधत काया प्रणाली के संबंध में जनमत का तनमााण होगा और जन
सामान्य िारा तनजी क्षेत्र के के न्द्रों से भी समान काया प्रणाली लागू करने की मांग की जाएगी
तिकल्प (c) के ऄनुसार, ऄकियाशील रहतें हुए के िल तचककत्सकीय जांच ररपोटा की प्रतीक्षा
करने के गम्भीर पररणाम हो सकते हैं यह ऄप्रत्यक्ष रूप से तनजी के न्द्रां िारा सम्पाकदत
भ्रष्टाचारों को बढ़ािा देगा, तनम्नथतरीय ईपचार से ईत्पन्न गम्भीर चुनौततयों की ऄिहेलना
और ऄप्रत्यक्ष रूप से तीव्रता से बढ़ते तनजी नशामुतक्त के न्द्रों के कदाचारों को प्रोत्सातहत
करे गा
तिकल्प (d) के ऄनुसार के न्द्रों को तबना ककसी बाधा के संचातलत होने देना, एक प्रशासक
िारा ऄपने नैततक और व्यािसातयक ईत्तरदातयत्ि का तनिाहन न करना होगा
मर्धयम ऄितध में, सरकारी के न्द्रों के तनमााण को प्रोत्सातहत करने के साथ-साथ, नशे की
समथया के दुष्प्रभािों के बारे में जागरूकता एिं तशक्षा के प्रसार िारा समथया के मूल कारण

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को समाप्त करना महत्िपूणा For


है साथ ही तचककत्सकीय ईपचार के सख्त मानदंडों को भी
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सरकारी और तनजी दोनों तरह के के न्द्रों में तनधााररत ककए जाने की अिश्यकता है साथ ही,
तचककत्सा तिशेषज्ञों की टीम को तनयुक्त कर समथया के कारणों को समाप्त करने हेतु
समानान्तर रूप से काया करना भी समान रूप से महत्िपूणा है

2. अपको हाल ही में एक शहर के नगर तनगम के तनदेशक के रूप में तनयुक्त ककया गया है एक
संयक्त
ु तनदेशक जो अयु में अपसे ऄतधक िररष्ठ है और छह माह में सेिातनिृत होने िाला है,
मनोभािपूिका एक ऄत्यंत महत्िपूणा नगर तनयोजन पररयोजना पर काया कर रहा है तजसके
सफल समापन से िह ऄपने शेष सेिातनिृत्त जीिन हेतु एक तचरथथायी प्रततष्ठा ऄर्थजत कर
सके गा तनगम की एक नितनयुक्त मतहला तसतिल ऄतभयंता तजसने आस क्षेत्र में एक ऄग्रणी
प्रमुख संथथान से प्रतशक्षण प्राप्त ककया है, संयक्त
ु तनदेशक हेतु ऄसुरक्षा का कारण बन गइ है
क्योंकक ईसे आस बात का तनरं तर भय है कक ईस मतहला को ईसके सभी प्रयासों का श्रेय तमल
जाएगा ईसने ईस मतहला के प्रतत एक ऄप्रततरोधी अिामक व्यिहार ऄपना तलया है तथा
िह ईस मतहला से संचार में भी ऄतशष्ट है मतहला ऄतभयंता लतित ऄनुभि करती है जब
संयक्त
ु तनदेशक ऄन्य कमाचाररयों के समक्ष ईसे डांटते हैं, ईससे बात करते समय ऄपना थिर
प्रबल कर लेते हैं तथा ईसे ऄपमातनत करने का कोइ ऄिसर नहीं छोड़ते िह भी संयक्त

तनदेशक से भयभीत हो सकती है, क्योंकक कायाालय में ईसका एक दीघा कायाकाल रहा है,
तजस कायाात्मक क्षेत्र में िह काया कर रही है ईसमें संयक्त
ु तनदेशक को प्रत्यक्ष ऄनुभि प्राप्त है
तथा पूििा ती तनदेशकों िारा भी ईसका पक्ष तलया गया था िह यह ऄनुभि भी कर सकती है
कक आस मामले में ईसके पास कोइ रक्षोपाय नहीं है अप पूिि ा ती संगठनों में ईसके ईत्कृ ष्ट
ऄकादतमक और कररयर ररकॉडा से भलीभांतत ऄिगत हैं परन्तु भय आस बात का है कक संयक्त ु
तनदेशक के पक्ष से यह एक पक्षीय ऄहम् का संघषा आस महत्िपूणा पररयोजना में ईस मतहला
ऄतभयंता के ऄतत अिश्यक योगदान तथा ईसके भािनात्मक कल्याण को गंभीरतापूिक ा
संकटग्रथत कर देगा ऄभी-ऄभी अपको यह जानकारी प्राप्त हुइ है कक िह पदत्याग की योजना
बना रही हैं अप आस पररथथतत को कै से तनयंतत्रत करें ग?

ईत्तर:
संयक्त
ु तनदेशक को यह समझाने में सहायता करना कक
 मतहला ऄतभयंता को ईसके काया का श्रेय नही कदया जायेगा एक तनदेशक के रूप में
संयुक्त तनदेशक को यह अश्वासन देते हुए अप यह सुतनतित करें गे कक संयुक्त तनदेशक के
रूप में ईनकी ऄर्धयक्षता में संचातलत पररयोजना हेतु ईन्हें ईनके काया का ईतचत श्रेय
प्रदान ककया जाए
 यकद ईनके कारण िह त्याग-पत्र दे देती है और ईसने प्रकिया में एक तशकायत दजा
करिाइ है तो यह संयुक्त तनदेशक के कररयर पर एक दाग हो सकता है
 आसकी बजाय ईन्हें ऄधीनथथों की एक बेहतर टीम बनाने में सहायता करनी चातहए जो
सेिातनिृत्त होने के पिात् भी ईन्हें ईच्च सम्मान का भागीदार बनाएगा तथा जो तनगम के
प्रतत ईनका महत्िपूणा योगदान तसद् होगा
 चूँकक मतहला ऄतभयंता का पूिि ा ती संगठनों में एक ईत्कृ ष्ट ऄकादतमक और कररयर
ररकॉडा रहा है और ईसके पास बेहतर क्षमताएं भी हैं, ऄत: ईन्हें ईसकी क्षमताओं का
ऄहसास कराने में ईसकी सहायता करनी चातहए ईन्हें ईसके प्रतत एक ऄच्छे तशक्षक की
भूतमका तनभानी चातहए क्योंकक िे ईसके िररष्ठ हैं तथा ईस कायाात्मक क्षेत्र में तजसमें िह
काया कर रही है ईसमें प्रत्यक्ष ऄनुभि भी रखते हैं तभन्न ऄथों में यह ईनका व्यािसातयक
दातयत्ि भी है
 यह भी कक मतहला ऄतभयंता के प्रतत ईनका व्यिहार और दृतष्टकोण गैर-पेशेिर तथा
ऄनुतचत है

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 ईन्हें यह ऄहसास कराएंFor


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एक पक्षीय ऄह् संघषा आस पररयोजना में
ऄतभयंता के ऄतत अिश्यक योगदान को गंभीर रूप से संकटग्रथत कर देगा जो ईनकी
ऄंततम पररयोजना भी है मतहला का योगदान समग्र पररणामों में िृतद् कर सकता है,
जो ईन्हें तनणाायक श्रेय प्रदान करे गा, क्योंकक ऄंततः िे ही आस पररयोजना के प्रभारी हैं
 ऐसा ऄव्यिसातयक दृतष्टकोण ईनकी क्षमता को भी प्रभातित करे गा तथा ईनके र्धयान को
गैर-ईत्पादक पहलुओं की ओर थथानांतररत भी करे गा
नितनयुक्त मतहला तसतिल ऄतभयंता को यह समझाने में सहायता करना कक:
 कै से और क्यों संयुक्त तनदेशक पररयोजना में मनोभािपूिक
ा संलग्न है
 यह तसद् करते हुए कक िह एक काया के प्रतत समर्थपत तथा सहायक ऄधीनथथ है ईसे क्यों
और कै से संयुक्त तनदेशक को तिश्वास में लेना चातहए ऄपने िररष्ठ के प्रतत पेशि े र
सम्मान दशााते हुए और एक सीखने हेतु आच्छु क ऄधीनथथ के रूप में थियं को प्रदर्थशत
करते हुए िह एक िररष्ठ के रूप में तनदेशक के ऄहम् को संतुष्ट करे गी आस प्रकार ईसे
संयुक्त तनदेशक के ऄनुभिों से सीखने हेतु ऄतधक ऄिसर प्राप्त होंगे
 यह भी समझाना कक सािाजतनक रूप से ककसी भी तनािग्रथत तथथततयों से बचने हेतु िह
एक ऄच्छे और सहायक ऄधीनथथ के रूप में संबंतधत अयामों की ऄतग्रम रूप से ऄलग-
ऄलग चचाा कर सकती है
 िह अिश्यकतानुरूप दृढ़तापूिक ा बेहतर व्यिसातयक दक्षता प्रदर्थशत कर सकती है परन्तु
ईसे ईत्तर में अिामक नहीं होना चातहए
 अप ितामान तनदेशक के रूप में संगठन में ईसके तलए ऄिसर सुतनतित करने में
सहायता करें ग,े यकद िह तनाि के समय तथा संयुक्त तनदेशक के सेिातनिृत होने के
पिात् भी धैया और व्यिसातयक दक्षता का प्रदशान करती है
 अप ईसके ऄकादतमक और कररयर ररकॉडा से प्रभातित हुए हैं तथा यह तनगम में ईसके
अगे पदोन्नत होने में सहायता करे गा यह भी कक कररयर में प्रत्येक को तितभन्न प्रकार के
तनािों से तनपटने की अिश्यकता होती है
 अप ईसे समझाएंगे कक ककसी भी कष्टप्रद तथथतत को तनयंतत्रत करने हेतु अप ईसकी
सदैि सहायता करें गे ईसे पदत्याग के तिषय में नहीं सोचना चातहए, क्योंकक आतनी
शीघ्रता से पद त्यागना ईसके कररयर ररकॉडा को ख़राब करे गा
आसके ऄततररक्त ईन्हें ऄपनी ईपतथथतत में एक-दूसरे से िाताा संिाद करने का ऄिसर प्रदान
करे जहाँ अप पद के अधार पर िररष्ठतम ऄतधकारी के रूप में तनगम हेतु िांतछत पररणाम
सुतनतित करते हुए तथथतत को संतुतलत और तनयंतत्रत कर सकते हैं साथ ही सािाजतनक रूप
से यह भी प्रदर्थशत सकते हैं कक ईनके संबंतधत प्रयासों हेतु दोनों को प्रोत्सातहत करते हुए अप
एक न्यायोतचत तनणाय लेंगे

3. अप भारतीय पुतलस सेिा के एक ऄतधकारी हैं तजन्हें हाल ही में एक शहर में तनयुक्त ककया
गया है, जहां ऄपराध की दर काफी ऄतधक है कायाालय में पहले कु छ कदनों में अपका सामना
व्यापक ऄनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार और तनयमों की ऄनदेखी से होता है एक कदन अप कु छ
लोगों को शहर में लाए जा रहे एक ऄिैध दिा की बड़ी खेप के साथ पकड़ लेते हैं श्री X, जो
कक थथानीय राजनेता हैं, अपको फ़ोन करते हैं और कहते हैं कक दिा की खेप को ईनकी
सहमतत के साथ ले जाया जा रहा था िह अपको यह भी बताते हैं कक अप सभी संकदग्ध
लोगों को मुक्त कर दें और आस बारे में कोइ प्रथम सूचना ररपोटा (FIR) दजा न करें ईनकी
सलाह न मानने पर िह अपको गंभीर पररणाम भुगतने की धमकी देते हैं आसके ऄलािा, िह
अपके तिभाग में अपके िररष्ठ ऄतधकारी और ऄन्य भी कइ लोगों के साथ ऄपने सम्बन्ध होने

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की बात अपको बताते हैं साथ ही अपके िररष्ठ ऄतधकारी अपको फोन कर श्री X की मांग
को पूरा करने को कहते हैं
(a) कु छ सुझाए गए तिकल्प तनम्नतलतखत हैं आन तिकल्पों में से प्रत्येक के गुण और दोषों का
मूल्यांकन कीतजए:
i. राजनेता और ऄपने िररष्ठ ऄतधकारी की मांग के अगे झुकते हुए संकदग्ध लोगों को
मुक्त कर देना
ii. ऄपने िररष्ठ ऄतधकारी को तलतखत अदेश जारी करने को कहना
iii. ऄपने िररष्ठ ऄतधकारी के िररष्ठ से आस मुद्दे पर बात करना
iv. मीतडया को आस मुद्दे के बारे में बता देना
(b) ईपयुक्त
ा तिकल्पों से ऄनािश्यक रूप से बंधे तबना कारण बताते हुए आस बात को आं तगत
कीतजए कक अपने क्या सुझाि कदया होता?
दृतष्टकोणः
आसका र्धयान रखना ईपयोगी होगाः ‘‘मूलभूत तसद्ान्त और मानदठड जो लोक प्रशासन में
समातहत नैततक दुतिधाओं से व्यिहार की प्रकिया को एकीकृ त और पुनव्याितथथत करते हैं, िे
हैंःः (1) प्रशासन का लोकतांतत्रक ईत्तरदातयत्ि (2) कानून का शासन और िैधता का तसद्ांत
(3) व्यािसातयक सत्यतनष्ठा (4) नागररक समाज के प्रतत ऄनुकियाशीलता’’ (एंथोनी
मेिीतडमीटसा, 2002)
यह ईत्तर एक तििरणात्मक ईद्देश्य तसद् करता है यह के िल एक मागादशाक ईत्तर है और
परीक्षाथी को समय के ऄनुसार ऄपनी काया प्रणाली को थियं तनधााररत और रतचत करना
होगा मूल तबन्दु यह है कक ऄतधकतम संभािनाओं और कारणों पर तिचार ककया जाए
ईत्तरः
यह मामला कानून और व्यिथथा के तलए तजम्मेदार एक लोक सेिक के पेशेिर दातयत्िों और
तनजी कल्याण के बीच दुतिधा को समातहत करता है प्रकरण और आसका समाधान ईतचत
प्रकियागत मुद्दों, संिादों और अदेश श्रृंखला को भी समातहत करता है
आस प्रकरण के तथ्यों से यह प्रकट है कक तजले में कानून और व्यिथथा बुरी तथथतत में है और
आसे सुधारात्मक ईपायों की अिश्यकता है यह प्रथमतः तनयमों और तितनयमों के ऄनुपालन
पर ऄतडग रहने से थथातपत की जा सकती है तितीय, ईदाहरण में शातमल तितशष्ट प्रकरण
आस तथ्य को समातहत करते हैं कक कथबे में भेजी जा रही दिाआयों की खेप ऄिैध है- यह
अपके ऄतधकार क्षेत्र और पेशेिर दातयत्ि/कताव्य को लेकर चचता पैदा करती है आसमें एक
थथानीय राजनेता सतम्मतलत है और िह अपको गम्भीर पररणाम भुगतने की धमकी देता है-
यह अपके तनजी कल्याण से संबंतधत चचताओं को समातहत करती है आसके ऄततररक्त
राजनेता अपके िररष्ठ ऄतधकाररयों को जानता है और िे अपको ईसका अदेश मानने को
कहते हैं यह ईनके बीच गठजोड़ को तसद् करता है आसमें अदेश श्रृंखला से संबंतधत चचताएं
शातमल हैं ककन्तु, यह थपष्ट नहीं है कक राजनेता और सतम्मतलत िररष्ठ ऄतधकारी दिाओं की
खेप की िैधता से ऄिगत हैं कक नहीं तथातप, यहाँ संतलप्तता अपके ऄतधकार क्षेत्र और कताव्य
में हथतक्षेप ईत्पन्न कर रही है तनणाय अपके िारा प्रकरण की समीक्षा और आस प्रकार के
प्रकरण में ईतचत प्रकिया पर अधाररत होना चातहए
तिकल्प i:
राजनेता और िररष्ठ ऄतधकाररयों की मांगों के अगे अत्मसमपाण अपको एक करठन
पररतथथतत से सुतिधापूिाक तनकाल सकता है लेककन यह के िल एक ऄल्पाितध ईपाय है यह
ऐसे मानक थथातपत करे गा जो भतिष्य में गंभीर पररणाम ईत्पन्न कर सकते हैं आस प्रकार,

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ऐसा कृ त्य ितामान समथया को ठीक करने के तलए एक सकारात्मक कदम नहीं हो सकता
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ऄथाात् यह तिद्यमान कानून और व्यिथथा की तथथतत तथा साथ ही तनयमों एिं तितनयमों का
बड़े पैमाने पर ईल्लंघन है अप आस प्रकरणगत दिा की खेप की ऄिैधता के बारे में ऄपने
िररष्ठ ऄतधकाररयों और साथ ही साथ राजनेता को जानकारी दे सकते हैं कफर भी यकद िे
संकदग्धों को मुक्त करने और प्राथतमकी दजा न करने की हठ करें तो ईनकी संतलप्तता थपष्ट हो
जाती है
तिकल्प ii:
तलतखत अदेश की मांग करना एक तनिारक का काया कर सकती है, क्योंकक िररष्ठ िैसा करने
को मना कर सकते हैं ककन्तु, कृ त्य की ऄिैधता को थपष्ट रूप से संप्रेतषत करना महत्िपूणा है
कृ त्य की ऄिैधता को जानकर िररष्ठ ऄतधकारी आस प्रकार के अदेश जारी करने से दूर रह
सकता है
कृ त्य की ऄिैधता को जानकर भी यकद िररष्ठ एक तलतखत अदेश जारी करता है तो दातयत्ि
अप पर अ जाता है जहाँ तक अपकी पहल का सिाल है, तलतखत अदेश अपको
ऄतभयोज्यता से बचा सकता है प्रश्न ककए जाने पर अप प्रथतुत कर सकते हैं कक अपने अदेशों
के ऄंतगात काया ककया यह सम्भितः तकनीकी रूप से सही हो सकता है ककन्तु यह नैततक रूप
से सही नहीं है और ईत्तरदातयत्ि के पररत्याग के समान है पररणामात्मक रूप से आस तिकल्प
का ऄनुपालन करना कृ त्य को ऄिैध और साथ ही साथ ऄनैततक बना देता है आस पर
न्यायालय में प्रश्न ककया जा सकता है और यह बचाि कक अप अदेशों के ऄंतगात काया कर रहे
थे, िहां कोइ अधार नहीं रख सकता है आसी प्रकार, यह तिकल्प तजले में कानून और
व्यिथथा को सही रूप से सुतनतित नहीं करता है
तिकल्प iii:
जब िररष्ठ ऄतधकारी से संिाद तिफल हो जाए तो ईसके िररष्ठ से बात करना सुतिचाररत
कृ त्य का तार्दकक रूप से थिाभातिक पररणाम प्रतीत होता है अपको ईनका परामशा मांगते
समय थपष्ट रूप से और तनष्पक्षता से तथथतत की व्याख्या करनी चातहए नतीज़तन िररष्ठ
ऄतधकारी के िररष्ठ िारा अपके िररष्ठ को तनयंतत्रत ककया जा सकता है तथा अपको कताव्य
की मांग के ऄनुसार ईतचत प्रकिया ऄपनाने में सहयोग प्राप्त हो सकता है हालांकक, दूसरी
ओर यह अपके प्रतत अपके िररष्ठ ऄतधकारी का कोप भाजन भी बना सकता है और िह
अपके तिरुद् एक दुभाािना भी पाल सकता है
आस तिकल्प का दूसरा पहलू िररष्ठ ऄतधकारी के िररष्ठ की पद्तत पर तनभार करता है यकद
िह भी राजनेता और अपके िररष्ठ से सहमत है तो यह कदम प्रततकू ल हो सकता है और
अपके उपर दिाब और ऄतधक बढ़ा सकता है यकद ऐसा होगा तो यह तिद्यमान कानून और
व्यिथथा की तथथतत की चचता का समाधान भी नहीं करे गा
तिकल्प iv:
मीतडया को जानकारी देने का तिकल्प व्यापक रूप से समथत जनता के प्रतत थपष्टता और
ऄनुकियात्मकता से मेल खाता है मीतडया का एक युतक्तयुक्त ईपयोग आस प्रकार, ऄिैध कृ त्यों
के तखलाफ तितधित कानूनी कायािाही के तहतधारकों के दायरे में तिथतार करते हुए, राजनेता
और संतलप्त िररष्ठ ऄतधकाररयों पर सािाजतनक दबाि में िृतद् कर सकता है आसी प्रकार,
मीतडया जागरूकता, ऄतधकाररयों और सरकारी तंत्र में तिश्वास ईत्पन्न करने में सहायक हो
सकता है ककन्तु एक सनसनीखेज दृतष्टकोण का ऄनुपालन या मीतडया का ऄपररपि दृतष्टकोण
(ऄन्य तिकल्पों / संप्रष
े ण के साधनों की छानबीन के पूिा) के साथ ईपयोग करना संभितः
प्रततघात कर सकता है और यकद राजनेता ने दबाि बनाने की काया प्रणाली का ऄनुसरण

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ककया तो आसके फलथिरूप जिाबी ऄफिाह, अतधकाररक घुड़की और सािाजतनक व्यिथथा की
खामी पैदा हो सकती है आस तिकल्प के तलए काफी सािधानी और युतक्त की अिश्यकता है
आस तिकल्प को एक प्रथताि के रूप में थिीकार करने के बाद, अआए हम सलाह योग्य एक
काया पद्तत पर तिचार करें
ऄतधकारी को तथ्यों को प्राथतमक रूप से सुतनतित कर लेना चातहए आस प्रकरण के लाभों के
बारे में थियं को अश्वथत करने के बाद ईसका यह ईत्तरदातयत्ि है कक िह प्राथतमकी दजा
कराके अगे की जांच कराने की कानूनी प्रकिया का ऄनुसरण करे क्षेत्रीय राजनीततज्ञ की मांग
को ईसके कायाालय की सािाजतनकता को देखते हुए ईसके तनदेंशों को पालन की ककसी
बार्धयता के तबना ग्रहण ककया जाना चातहए यकद िह ऄनतभज्ञ हो तो ऄिैधता की व्याख्या
तशष्टता के साथ दृढ़तापूिक
ा कीतजए, साथ ही समातहत संिेदनशीलता को समझाने और
ईसकी व्याख्या करने का प्रयास कीतजए कक ककस प्रकार सकिय मीतडया आस प्रकरण का संज्ञान
लेगी आसी प्रकार, िररष्ठ से ऄिैधता और संिेदनशीलता के बारे में संिाद कीतजए यकद िह
कफर भी हठ पकड़े रहते हैं, तब ईन्हें सूतचत कीतजए कक अप कानून का ईतचत राथता ऄपनाने
के तलए प्रिृत्त हैं और मात्र मौतखक अदेश प्रभािी होने योग्य नहीं है िररष्ठ ऄतधकारी के
िररष्ठ से बात करने को आस चरण के ऄनुपालन के ईपरान्त अदेश श्रृंखला के ऄनुपालन और
बेहतर तिभागीय संचार की भािना से र्धयान कदया जाना चातहए मीतडया को एक सहभागी
के रूप में तथ्यों की ररपोर्टटग हेतु सतम्मतलत ककया जा सकता है, प्रतसद् और मतहमा प्राप्त
करने के तलए नहीं ऄतधकारी को ऄपना ईत्तरदातयत्ि कानून के तनयम और िैधता,
व्यािसातयक तनष्ठा और नागररक समाज के प्रतत ईत्साहपूणा ऄनुकूलता धारण करते हुए पूरा
करना चातहए

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14. तिगत िषों में सं घ लोक से िा अयोग (UPSC) िारा पू छे


गए प्रश्न
(Previous Year UPSC Questions)

1. "के िल कानून का ऄनुपालन की काफ़ी नहीं है, लोक सेिक में, ऄपने कताव्यों के प्रभािी पालन के

तलए, नैततक मुद्दों पर एक सुतिकतसत संिेदन-शतक्त का होना भी अिश्यक है " क्या अप सहमत

हैं? दो ईदाहरणों की सहायता से थपष्ट कीतजए, जहाँ (i) कृ त्य नैततकतः सही है, परन्तु िैध रूप से

सही नहीं है तथा (ii) कृ त्य िैध रूप से सही है परन्तु नैततकतः सही नहीं है

2. ऄंतरााष्ट्रीय थतर पर, ऄतधकांश राष्ट्रों के बीच तिपक्षीय संबंध, ऄन्य राष्ट्रों के तहतों का सम्मान ककए
तबना थियं के राष्ट्रीय तहतों की प्रोन्नतत करने की नीतत के िारा तनयंतत्रत होते हैं आससे राष्ट्रों के
बीच िंि और तनाि ईत्पन्न होते हैं ऐसे तनािों के समाधान में नैततक तिचार ककस प्रकार सहायक
हो सकते हैं? तितशष्ट ईदाहरणों के साथ चचाा कीतजए

3. "मैक्स िेबर ने कहा था कक तजस प्रकार के नैततक प्रततमानों को हम व्यतक्तगत ऄंतरात्मा के मामलों
पर लागू करते है, ईस प्रकार के नैततक प्रततमानों को लोक प्रशासन पर लागू करना समझदारी नहीं
है आस बात को समझ लेना महत्िपूणा है कक हो सकता है की राज्य के ऄतधकारी तंत्र के पास ऄपनी
थियं की ऄतधकाररतंत्रीय नैततकता हो " आस कथन का समालोचनात्मक तिश्लेषण कीतजए

4. ऄनुशासन में सामान्यतः अदेश पालन और ऄधीनता तनतहत है कफर भी यह संगठन के तलए प्रतत-
ईत्पादक हो सकता है चचाा कीतजए

15. तिगत िषों में सं घ लोक से िा अयोग (UPSC) िारा पू छे


गए प्रश्न: के स थटडीज
(Previous Years UPSC Questions : Case Studies)
1. अप एक इमानदार और तजम्मेदार तसतिल सेिक हैं अप प्रायः तनम्नतलतखत को प्रेतक्षत करते
हैं:
(a) एक सामान्य धारणा है कक नैततक अचरण का पालन करने से थियं को भी करठनाआयों
का सामना करना पड़ सकता है और पररिार के तलए समथयाएं पैदा हो सकती हैं, जबकक
ऄनुतचत अचरण जीतिका लक्ष्यों तक पहुंचने में सहायक हो सकता है
(b) जब ऄनुतचत साधनों को ऄपनाने िाले लोगों की संख्या बड़ी होती है, नैततक साधन
ऄपनाने िाले ऄल्पसंख्यक लोगों से कोइ फका नहीं पड़ता
(c) नैततक तरीकों का पालन करना िृहत तिकासात्मक लक्ष्यों के तलए हातनकारक है
(d) चाहे कोइ बड़े ऄनैततक अचरण में सतम्मतलत न हो लेककन छोटे-मोटे ईपहारों का
अदान-प्रदान प्रणाली को ऄतधक कु शल बनाता है
ईपयुाक्त कथनों की ईनकें गुणों और दोषों सतहत जांच कीतजए

2. खनन, बांध एिं ऄन्य बड़े पैमाने की पररयोजनाओं के तलए अिश्यक भूतम ऄतधकांशतः
अकदिातसयों, पहाड़ी तनिातसयों और ग्रामीण समुदायों से ऄर्थजत की जाती है तिथथातपत
व्यतक्तयों को कानूनी प्रािधानों के ऄनुसार मौकद्रक मुअिजा कदया जाता है कफर भी, भुगतान

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प्रायः धीमी गतत से होता है ककसी भी हालत में, तिथथातपत पररिार लंबे समय तक जीिन
यापन नहीं कर पाते है आन लोगों के पास बाजार की अिश्यकतानुसार ककसी दूसरे धंधे में
लगने का कौशल भी नहीं होता है िे अतख़रकार कम मजदूरी िाले अिर्थजक (प्रिासी)
श्रतमक बन जाते हैं आसके ऄलािा, ईनके समुदातयक जीिन के परं परागत तरीके ऄतधकांशतः
समाप्त हो गए हैं ऄतः, तिकास के लाभ ईद्योगों, ईद्योगपततयों और नगरीय समुदायों को
चले जाते हैं जबकक तिकास की लागत आन गरीब ऄसहाय लोगो पर डाल दी जाती हैं
लागतों और लाभों का यह ऄनुतचत तितरण ऄनैततक है
यकद अपको ऐसे तिथथातपत व्यतक्तयों के तलए ऄच्छे मुअिजे एिं पुनिाास नीतत का मसौदा
तैयार करने का काया कदया जाता है, अप आस समथया के संबंध में क्या दृतष्टकोण रखेंगे एिं
अपके िारा सुझाइ गइ नीतत के मुख्य तत्ि कौन-कौन से होगें?

3. अप ऄनाप-शनाप न सहने िाले एक इमानदार ऄतधकारी हैं अपका तबादला एक सुदरू


तज़ले में एक ऐसे तिभाग में कर कदया गया है, जो ऄपनी ऄदक्षता और संिेदनहीनता के तलए
कु ख्यात है अप पाते हैं कक आस घरटया काया-तथथतत का मुख्य कारण कमाचाररयों के एक भाग
में ऄनुशासनहीनता है िे थियं तो काया करते नहीं हैं और दूसरों के काया में भी गड़बड़ी पैदा
करते हैं सबसे पहले अपने ईत्पाततयों को सुधर जाने की, ऄन्यथा ऄनुशासनात्मक कायािाही
का सामना करने की चेतािनी दी जब आस चेतािनी का ना के बराबर ऄसर हुअ तब अपने
नेताओं को कारण बताओं नोरटस जारी कर कदया आसके बदले के रूप में ईन्होंने ऄपने बीच
की एक मतहला कमाचारी को अपके तिरुद् मतहला अयोग में यौन-ईत्पीड़न की एक
तशकायत दायर करने के तलए भड़का कदया अयोग ने तुरंत अपका थपष्टीकरण माँगा अपको
आससे अगे भी लतित करने के तलए मामला मीतडया में भी प्रचाररत ककया गया आस तथथतत
से तनपटने के तिकल्पों में से कु छ तनम्नतलतखत हो सकते हैं:
(i) अयोग को ऄपना थपष्टीकरण दे दीतजए और ऄनुशासनात्मक कायािाही पर नरमी
बरततए
(ii) अयोग को नजरं दाज कर दीतजए और ऄनुशासनात्मक कायािाही को मजबूती के साथ
अगे बढाआए
(iii) ऄपने ईच्च ऄतधकारीयों को संक्षेप में ऄिगत करा दीतजए, ईनसे तनदेश मांतगए और ईनके
ऄनुसार काया कीतजए
कोइ ऄन्य तिकल्प सुझाआए सभी का मूल्यांकन कीतजए और ऄपने कारण बताते हुए सबसे
ऄच्छा तिकल्प सपष्ट कीतजए

16. सं द भा (References)
 Ethics in Public service by Richard A. Chapman

 Ethics in Public Administration: Journal of Public Administration and

Policy Research Vol. 4(2) pp. 23-31 March, 2012

 Model Code of Ethics and Conduct, WCO.org

 Administrative reforms in India-

http://persmin.gov.in/otraining/UNDPProject/undp_modules/Reform%20In

itiatives%20in%20Admn%20N%20DLM.pdf

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 Ethics in Public Administration: a Philosophical Approach by Patrick J

Sheeran

 http://www.prsindia.org/uploads/media/vikas_doc/docs/1241499740~~Dra

ftPublicServicesBill2006.pdf

 Nolan committee: http://www.public-standards.gov.uk/

 OECD Guidelines:

http://acts.oecd.org/Instruments/ShowInstrumentView.aspx?InstrumentID

=130&InstrumentPID=126&Lang=en&Book=

 Practical Ethics in Public Administration: By Dean Geuras, Charles

Garofalo

 Case studies and Laws, rules regulations: Santa Clara University website

 Accountability: http://siteresources.worldbank.org/PUBLICSECTORANDG

OVERNANCE/Resources/AccountabilityGovernance.pdf

 https://academicpartnerships.uta.edu/articles/public-administration/the-

importance-of-ethics-in-public-administration.aspx

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Value Addition Material-2018


PAPER IV : नीततशास्त्र

ऄतभवृति

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तवषय सूची
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तवषय वस्तु का संतिप्त पररचय _____________________________________________________________________ 4

1. ऄतभवृति (Attitude) ________________________________________________________________________ 4

1.1. ऄतभवृति का ऄथथ (Meaning of Attitude) _______________________________________________________ 4

1.2. ऄतभवृति की संरचना (Structure of Attitude) ___________________________________________________ 5


1.2.1. ABC मॉडल (The ABC Model) _________________________________________________________ 5
1.2.2. मोड मॉडल (MODE Model) ____________________________________________________________ 6

1.3. ऄतभवृति के कायथ (FUNCTIONS OF ATTITUDE) ___________________________________________________ 6


1.3.1. ज्ञान संबंधी कायथ-समझने का कायथ __________________________________________________________ 6
1.3.2. ईपयोतगतावादी कायथ (ऄनुकूलनात्मक कायथ) ___________________________________________________ 7
1.3.3. ऄहम् रिात्मक (Ego Defensive) _________________________________________________________ 7
1.3.4. मान्यता सूचक (ऄहं सूचक) _______________________________________________________________ 8

1.4. ऄतभवृति के प्रकार (Types of Attitude) ________________________________________________________ 9


1.4.1. सकारात्मक ऄतभवृति (Positive Attitude) ___________________________________________________ 9
1.4.2. नकारात्मक ऄतभवृति (Negative Attitude) _________________________________________________ 10
1.4.3. तटस्थ ऄतभवृति (Neutral Attitude) ______________________________________________________ 11

2. ऄतभवृति के कु छ ऄन्य तवतशष्ट प्रकार _____________________________________________________________ 12

2.1. कमजोर वगों के प्रतत ऄतभवृति (Attitude Towards Weaker Sections) _______________________________ 12

2.2. नैततक ऄतभवृति (Moral Attitude) ___________________________________________________________ 13

2.3. राजनीततक ऄतभवृति (Political Attitude) ______________________________________________________ 15

2.4. राजनीततक ऄतभवृति और समाजीकरण के एजेंट ___________________________________________________ 15

3. ऄतभवृति का तनमाथण (Attitude Formation) ______________________________________________________ 17

4. ऄतभवृति पररवतथन _________________________________________________________________________ 19

4.1. ऄनुनय (Persuasion) ____________________________________________________________________ 19

4.2. प्रकायथ तजन्हें ऄनुनय के साथ ककया जा सकता है ____________________________________________________ 19

4.3. प्रत्यायन प्रकिया में चरण (Steps in Persuasion Process) ________________________________________ 22

4.4. प्रभावी प्रत्यायन (Effective Persuasion) _____________________________________________________ 22

4.5. सामातजक प्रभाव (Social Influence) _________________________________________________________ 23

4.6. भावनाएं और ऄतभवृतिक पररवतथन (Emotions and Attitude Change) _______________________________ 25

4.7 सामातजक प्रभाव या ऄनुनय के पररणाम _________________________________________________________ 26

4.8 ऄनुनय बनाम छल-कपट (Persuasion vs. Manipulation) __________________________________________ 27

5. तवचार और व्यवहार के साथ ऄतभवृति का संबध


ं _____________________________________________________ 27

5.1. ऄतभवृति हमारे तवचार और व्यवहार को ककस प्रकार प्रभातवत करती है? ___________________________________ 27
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5.2. ऄतभवृति से व्यवहार का पूवाथनम


ु ान कब होता है? ___________________________________________________ 29
5.2.1. ऄतभवृति की िमता (Strength of Attitude) ________________________________________________ 30
5.2.2. ऄतभवृति की तस्थरता (Stability of the Attitude) ____________________________________________ 30
5.2.3. ऄतभवृति की पहुँच या ऄतभगम्यता (Accessibility of the Attitude) _______________________________ 30
5.2.4. ऄतभवृति की प्रमुख तवशेषता (Salience of the attitude) _______________________________________ 30
5.2.5. ऄतभवृति के भावात्मक बनाम संज्ञानात्मक पि ________________________________________________ 31

6. तवचार ककए जाने हेतु ईदाहरण _________________________________________________________________ 32

6.1. के स स्टडी 1 ____________________________________________________________________________ 32

6.2. के स स्टडी 2 ____________________________________________________________________________ 33

6.3. के स स्टडी 3 ____________________________________________________________________________ 34

6.4. के स स्टडी 4 ____________________________________________________________________________ 34

6.5. के स स्टडी 5 ____________________________________________________________________________ 35

7. तवगत वषों में संघ लोक सेवा अयोग (UPSC) द्वारा पूछे गए प्रश्न _________________________________________ 36

8. तवगत वषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न __________________________________________ 37

9. तवगत वषों में संघ लोक सेवा अयोग द्वारा पूछे गए प्रश्न: के स स्टडीज________________________________________ 41

10. Vision IAS टेस्ट सीरीज़ : के स स्टडीज़ __________________________________________________________ 42

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तवषय वस्तु का सं तिप्त पररचय


यह ऄध्ययन सामग्री ऄतभवृति के तवषय को तवस्तृत रूप से समातवष्ट करती है, तजसमें सतम्मतलत है:
ऄतभवृति का ऄथथ, संरचना, कायथ, प्रकार, गठन, आसमें पररवतथन तथा व्यवहार के साथ आसका संबंध।
छात्रों को परीिा की अवश्यकता को बेहतर ढंग से समझने के तलए आस सामग्री के ऄंत में कदए गए
तवगत वषों के प्रश्नों को ध्यान से देखने की सलाह दी जाती है। तवषयों को सैद्ांततक पररप्रेक्ष्य से परीिा
में नहीं पूछा जाता है, हालांकक आनको तवषय की बेहतर समझ के तलए समातवष्ट ककया गया है। आस
प्रकार, हमने सैद्ांततक तवषय को पूरे सामग्री में कइ समकालीन ईदाहरणों के साथ जोड़ने का प्रयास
ककया है। छात्र जब आस सैद्ांततक ज्ञान को शातमल कर ऄपने ईिरों को तलखते समय ईदाहरणों में
आसका प्रयोग करें गे तो आससे ईिर ऄतधक अकषथक बनेंगे। आस प्रकार, आसका ईद्देश्य व्यावहाररक ऄथथ में
आस तवषय को समझना है न कक के वल ईन तववरणों को याद करने जो परीिा की दृतष्ट से बहत कम
ईपयोगी होंगे।

1. ऄतभवृ ति (Attitude)
1.1. ऄतभवृ ति का ऄथथ (Meaning of Attitude)

ऑक्सफोडथ शब्दकोष ऄतभवृति को ‘ककसी तवषय पर तवचार करने या ऄनुभव करने के तनयत तरीके ’ के
रूप में पररभातषत करता है। कै तम्िज शब्दकोष आसे ‘ककसी वस्तु या ‍यति के तवषय में ऄनुभव या मत
या ईसके द्वारा प्रेररत व्यवहार करने के तरीके ’ के रूप में पररभातषत करता है। आन पररभाषाओं के
बावजूद, ऄतभवृति की व्यापक रूप से स्वीकायथ ककसी पररभाषा पर पहंचना करठन है। मुख्य रूप से
ऐसा आसतलए है क्योंकक ऄतभवृति एक ऄमूतथ गुण है, यह ऐसा कु छ है तजसे हम प्रत्यि रुप से देख नहीं
सकते। हम के वल व्यवहार से आसका ऄनुमान लगा सकते हैं। दूसरी करठनाइ यह है कक ‘ऄतभवृति’ शब्द
का तवतवध प्रकार से ईपयोग ककया जाता है।
ऄतभवृति, ककसी तवषय-वस्तु के प्रतत ऄनुकूल या प्रततकू ल रूप से व्यवहार करने की सीखी गयी और
तचरस्थायी प्रवृति (enduring predisposition) है। यह तवषय-वस्तु कोइ घटना, कोइ व्यति, कोइ
वस्तु या व्यति या िमशः ऐसी घटनाओं, व्यतियों, या वस्तुओं के वगथ हो सकते हैं।
*रटप्पणी: ऄतभवृतियों पर सबसे समकालीन पररप्रेक्ष्य यह भी ऄनुमतत देते हैं कक लोग एक ही तवषय
वस्तु के प्रतत एक ही समय में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही ऄतभवृतियों को धारण ककए हए
ककसी तवषय वस्तु के प्रतत तवरोधी (conflicted) या ईभयवृति (ambivalent) के भी हो सकते हैं।
आसका ऄथथ यह है कक यद्यतप यह ऄपेिाकृ त स्थाइ है, तथातप यह गारं टी नहीं है कक समान तवषय वस्तु
या घटनाओं के तलए ऄतभवृति समान ही होगी। कइ बार लोग ककसी तवषय वस्तु के प्रतत ईभयवृति या
यहां तक कक तवरोधी दृतष्टकोण भी धारण ककए रहते हैं। यही मुख्य कारण है तजसके कारण लोग ऄसंगत
व्यवहार करते हैं। कोइ व्यति जो चॉकलेट पसंद करता है वह कभी-कभी चॉकलेट ऄपनी लालसा को
संतुष्ट करने के तलए चॉकलेट खा सकता है और दूसरे समय वह व्यति स्वास््य चचताओं के कारण
चॉकलेट नहीं खाने का चयन करता है। ऄतधकतर समय व्यवहार ऄसंगत होता है, क्योंकक ऄतभवृति
ऄपने अप में ईभयवृति दशाथती है।
ऄतभवृति महत्वपूणथ है क्योंकक यह सामातजक और भौततक तवश्व के तवषय में लोगों की धारणाओं को
अकार प्रदान करती है और प्रत्यि व्यवहार को प्रभातवत करती है। ईदाहरण के तलए, ऄतभवृति दूसरों
के प्रतत तमत्रता और शत्रुता, सहायता देने और प्राप्त करने, ऄल्पसंख्यकों के प्रतत व्यवहार अकद को
प्रभातवत करती है। ऄतभवृतियाुँ बहत नाटकीय रूप से, मानवता के तवरुद् ककए जाने वाले ऄपराधों
सतहत कइ चहसक हमलों के मूल में तवद्यमान होती हैं।

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ऄतभवृतियाुँ ऄनुभव और ज्ञान के साथ पररवर्ततत होती हैं क्योंकक मनुष्य एक ‘तववेकशील प्राणी’ है।
तववेकसंगत तवकल्प की ऄवधारणा नए तवचारों, तनष्पिता और न्याय के प्रतत खुले मतस्तष्क पर
अधाररत है। कठोर और हठी ऄतभवृति चाररतत्रक दृढ़ता को नहीं ऄतपतु कमजोरी को प्रदर्तशत करती है।
एक कठोर या हठपूणथ ऄतभवृति, सुदढ़ृ या तीव्र ऄतभवृति के तुल्य नहीं होती है। सुदढ़ृ ऄतभवृति का
तनमाथण ज्ञान और ऄनुभव के अधार पर हअ होता है।

तवश्वास और ऄतभवृति में ऄंतर (Difference between Belief and Attitude)


आन दो प्रश्नों पर तवचार करें :
 क्या अपको लगता है कक मृत्युदड
ं एक प्रभावी तनवारक है?
 मृत्युदड
ं के तवषय में अप कै सा ऄनुभव करते हैं?
जबकक, पहला प्रश्न मृत्युदड
ं के तवषय में अपके तवश्वासों का अकलन करता है; दूसरा प्रश्न आसके प्रतत
अपकी ऄतभवृति का अकलन करता है।
तवश्वास त्यात्मक साक्ष्य के तवषय में तनष्कषथ होता है, जबकक ऄतभवृति ऐसा तवश्वास है तजसमें
भावनात्मक ऄवयव भी समातवष्ट होता है। ऄतभवृतियाुँ ककसी मुद्दे या व्यति के प्रतत हमारी भावनाओं
को प्रततचबतबत करती हैं।

1.2. ऄतभवृ ति की सं र चना (Structure of Attitude)

1.2.1. ABC मॉडल (The ABC Model)

ऄतभवृति के शास्त्रीय दृतष्टकोण के ऄनुसार आसके 3 ऄवयव होते हैं: संज्ञानात्मक, भावात्मक, और
व्यवहारात्मक। यह ऄतभवृति का सबसे प्रभावशाली मॉडल है। (तजसे ऄतभवृति का ABC मॉडल भी
कहा जाता है)। आसके ऄनुसार, ऄतभवृति में तनम्नतलतखत तीन ऄवयव होते हैं:
 संज्ञानात्मक ऄवयव (Cognitive component: C ऄवयव): आसका संदभथ तवश्वासों, तवचारों और
गुणों से होता है तजसे हम ककसी तवषय वस्तु के प्रतत संबद् करते हैं। कइ बार व्यतियों की
ऄतभवृति तवषय-वस्तु के प्रतत ईनके द्वारा संबद् ककए जाने वाले नकारात्मक और सकारात्मक
गुणों पर अधाररत हो सकती है। दूसरे शब्दों में, आस ऄवयव में ऄतभवृति का तवश्वास भाग
समातवष्ट होता है। ईदाहरण के तलए, यह तवश्वास की X समाज के सदस्यों में Y प्रकार की
तवशेषताएं पाइ जाती हैं।
 भावात्मक ऄवयव (Affective or Affection component: A ऄवयव): आसका संबंध ककसी
ऄतभवृति संबंधी तवषय वस्तु से संबंतधत भावनाओं या भावों से होता है, ऄथाथत ककसी तवषय वस्तु
के प्रतत सकारात्मक या नकारात्मक भावनाएं तजसके तलए हम ऄपनी ऄतभवृति धारण कर रहे हैं।
भावात्मक ऄनुकियायें ऄतभवृतियों को कइ प्रकार से प्रभातवत करती हैं। कइ लोग मकतड़यों से
डरते हैं या अतंककत रहते हैं। तो आस नकारात्मक भाव के ऄनुकिया स्वरूप कोइ व्यति मकतड़यों के
प्रतत नकारात्मक ऄतभवृति तवकतसत कर सकता है।
 व्यवहारात्मक ऄवयव (Behavioural component; B ऄवयव): आसका संबंध ऄतभवृति संबंधी
ककसी तवषय-वस्तु के तवषय में भूतकाल के व्यवहारों या ऄनुभवों से होता है। यह ऄतभवृति संबं धी
ककसी तवषय-वस्तु के प्रतत ककसी तनतित प्रकार से व्यवहार करने की प्रवृति होती है। ईदाहरण के
तलए यकद हम ककसी व्यति को पसंद नहीं करते हैं, तो हमारे द्वारा सभा में ईसे ऄनदेखा करने की
संभावना होती है। यह लोगों को ऄतभवृति धारक की तपछली गतततवतधयों के अधार पर ईसकी
ऄतभवृतियों का ऄनुमान लगाने में सहायता करता है।
हालांकक आस मॉडल को अमतौर पर ईपयोग ककया जाता है, लेककन प्रायोतगक ऄनुसंधान द्वारा यह
तसद् नहीं होता है। ककसी एक तवतशष्ट ऄतभवृति से संबद् तवचार, भावनाओं, और व्यवहारगत अशयों

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के बीच स्पष्ट भेद स्थातपत नहीं ककया जा सकता। ऄतभवृतियों के ABC दृतष्टकोण की अलोचना यह है
कक आसके तलए ऄतभवृति की संज्ञानात्मक, भावात्मक और ‍यवहारात्मक संबद्ता की अवश्यकता होती
है, लेककन यह ऄकल्पनीय हो सकता है। ईदाहरण के तलए, ककसी जातत के लोगों के प्रतत नकारात्मक
ऄतभवृति होने के बाद भी, हमारा व्यवहार ऄतधतर समय में पररतस्थततयों से प्रेररत होता है।
लेककन कफर भी आसे पूणत
थ या नकारा नहीं जा सकता कक ऄतभवृति की एक संरचना होती है, भले ही यह
सुसंगत नहीं हो। यह ककसी तवतशष्ट तवषयवस्तु के के वल नकारात्मक और सकारात्मक मूल्यांकन से कु छ
ऄतधक को प्रततचबतबत करती है। आस प्रकार ऄतभवृति की यह ABC संरचना, ऄतभवृति को समझने के
तलए ऄच्छे अधारभूत मॉडल के रूप में कायथ करती है। महत्वपूणथ रूप से, यह ऄतभवृति के ईद्गम के मूल
स्रोत की पहचान करने में सहायता करती है। यह ककसी तवषयवस्तु के प्रतत ककसी व्यति को ऄपनी
ऄतभवृति पररवर्ततत करने हेतु सहमत करने में सहायक होगी।

1.2.2. मोड मॉडल (MODE Model)

मोड मॉडल (Motivation and Opportunity as Determinants of the attitude - behavior


relation) ऄतभवृति मूल्यांकन का तसद्ांत है, यहाुँ मोड का ऄथथ (ऄतभवृति-व्यवहार संबध
ं के
तनधाथरकों के रूप में ऄतभप्रेरणा और ऄवसर) है। जब ऄतभप्रेरणा और ऄवसर दोनों तवद्यमान हों तो
व्यवहार जानबूझकर ककया जाएगा। जब ईनमें से एक ऄनुपतस्थत हो तो व्यवहार पर तत्िण प्रभाव
पड़ेगा। आसतलए यह मॉडल ऄतभवृति के दो तवतभन्न प्रकारों के तवषय में चचाथ करता है:
 व्यि: व्यि ऄतभवृति चेतनात्मक स्तर पर होती है – तजनका तनमाथण जानबूझकर ककया जाता है
और तजनको स्वयं ‍यक्त करना सरल होता है।
 ऄ‍यक्त: ऄ‍यक्त ऄतभवृतियाुँ ऄचेतन स्तर पर होती हैं- तजनका तनमाथण ऄनायास होता है और
सामान्यतया हमें ऄज्ञात होती हैं। ऄ‍यक्त ऄतभवृतियाुँ अम तौर पर ऄनतभज्ञात होती हैं या
‍यति के ज्ञान में नहीं होती हैं। ईनका मापन अम तौर पर ककसी तवषय-वस्तु के प्रतत सहज
प्रततकिया द्वारा ककया जाता है।
व्यि और ऄ‍यक्त दोनों प्रकार की ऄतभवृतियाुँ व्यति के व्यवहार को अकार दे सकती हैं। हालांकक
ऄ‍यक्त ऄतभवृतियाुँ, ईस समय व्यवहार को ऄतधक प्रभातवत कर सकती हैं जब कोइ व्यति तनावपूणथ
या तवचतलत ऄनुभव करता है और अवेगपूणथ प्रततकिया की संभावनाएुँ ऄतधक होती हैं।

1.3. ऄतभवृ ति के कायथ (Functions of Attitude)

ऄतभवृतियाुँ व्यति के तलए तवतभन्न कायथ करती हैं। आन्हें मोटे तौर पर तनम्नतलतखत प्रकार से वगगीककृ त
ककया गया है:

1.3.1. ज्ञान सं बं धी कायथ - समझने का कायथ

(Knowledge Function-Understanding Function)


यह तजज्ञासा से घतनष्ठतापूवक
थ संबंतधत है, जो एक तसतवल सेवक में ऄत्यतधक वांछनीय तवशेषता है।
ऄतभवृति हमें तवश्व को समझने में सहायता करती है और जीवन को ऄथथ (ज्ञान) प्रदान करती है ऄथाथत
यह नइ जानकारी को सु‍यतस्थत करने और ईसकी व्याख्या करने में सहायता करती है। हम ऄपने
सामातजक-सांस्कृ ततक और नैततक दृतष्टकोण से तवश्व को देखते हैं ताकक आसके तवषय में हमारा ज्ञान
सुसंगत और ऄपेिाकृ त तस्थर हो। आसका ऄथथ ऄतनवायथ रूप से यह नहीं है कक ऄतभवृतियाुँ हमें
त्यात्मक रूप से सटीक ज्ञान संग्रतहत करने में सहायता करती हैं। ऄतपतु आसका ऄथथ के वल आतना है कक
तवश्व के प्रतत हमारा दृतष्टकोण हमारे तवश्वास के साथ सुसग
ं त हो।
हम ऐसा ज्ञान संग्रतहत करते हैं तजसमें हम ऄतधक रुतच रखते हैं ऄथाथत् ऐसे िेत्रों का ज्ञान तजनके प्रतत
हममें पहले से प्रवृति होती है। ईदाहरण के तलए, ककसी राजनीततक पाटगीक और तवचारधारा के समथथक
ऄपनी पूवथधारणाओं का समथथन करने वाली जानकारी का ऄतधक से ऄतधक संग्रहण करें गे। आततहास की

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ओर झुकाव रखने वाला व्यति एक हीFor


ऐततहातसक घटना के कइ तववरणों का ऄध्ययन करने में रूतच
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रख सकता है। लोगों, वस्तुओं, या घटनाओं के प्रतत हम कइ प्रकार के पूवाथग्रहों ग्रतसत होते हैं। तो जब
हम ककसी ऄतभवृति संबंधी ‘तवषय वस्तु’ का सामना करते हैं तो, हममें ईन तवषय वस्तुओं के प्रतत एक
तवतशष्ट प्रकार से ऄपनी राय बनाने की प्रवृति होती है, हालांकक आसकी कोइ गारं टी नहीं है कक ऐसी
राय ईतचत ही हो।
आस प्रकार की ऄतभवृतियाुँ प्रगतत हेतु ऄनुकूल पररवेश में सही ज्ञान प्रदान करके पररवर्ततत की जा
सकती हैं। ईदाहरण के तलए, यह तवश्वास कक मतहलाएं कु शल वाहन चालक नहीं होती हैं, हममें ईनके
प्रतत पूवाथग्रह की तवतशष्ट भावनाओं को जन्म देता है, जो बदले में ईन्हें वाहन चालन करते हए देखने पर
हमारे ‍यवहार को प्रभातवत करता है। यह ऄतभवृति पूवथधाररत तवश्वासों के तवपरीत प्रमाण प्रदान
करके और और तकथ शति का ऄनुप्रयोग कर पररवर्ततत की जा सकती है।

1.3.2. ईपयोतगतावादी कायथ (ऄनु कू लनात्मक कायथ )

Utilitarian Function (Adaptive Function)


कु छ ऄतभवृतियाुँ लोगों को तवतशष्ट, आतच्छत लक्ष्य प्राप्त करने या ऄवांछनीय पररतस्थततयों से बचने में
सिम करती हैं। ईपयोतगतावादी होने का ऄथथ ऄतधकतम व्यतियों के तलए ईपयोतगता को ऄतधकतम
करने और ितत को न्यूनतम करने का प्रयास है, ऄथाथत् यकद कोइ तनणथय लोगों की ऄतधकतम संख्या के
तलए सवोत्तम पररणाम प्रदान करता है तो वह ऄच्छा है। ऄतभवृति का ईपयोतगतावादी कायथ ककसी
‍यति को ककसी तवषय-वस्तु / वस्तु / ‍यति के प्रतत पहले से ही आस प्रकार प्रवि कर देता है कक व्यति
ककसी तवषयवस्तु के प्रतत ईसकी ईपयोतगता के अधार पर ऄतभवृति का तनमाथण करे गा। यह ऄतभवृति
पुरस्कार को ऄतधकतम करने एवं द‍ड को न्यूनतम करने के ईपयोतगतावादी लक्ष्य को पूरा करती है।
ईदाहरण के तलए, ईपभोिाओं की ऄतभवृति पयाथप्त सीमा तक ईनकी धारणाओं पर अधाररत होती है
(और वास्ततवक मूल्यांकन पर नहीं) कक क्या ईनकी अवश्यकता पूरी करे गा और क्या नहीं। ईनके
तवगत ऄनुभव, जो ऄतभवृति का तनमाथण करने में सहायता करते हैं, वे यह तनधाथरण करने में सहायता
करते हैं कक ईन्हें कौन-सी ईपयोतगता प्राप्त होगी।
ईदाहरण के तलए, भय की ऄतभवृति तवकतसत की गइ है और आसका ईपयोग जीवन को लंबा करने के
तलए ककया जाता है। लोग ऐसे कायथ करने से डरते हैं तजनमें जीवन कों पयाथप्त जोतखम समातवष्ट होता
है। ऐसी तवषय वस्तुओं के प्रतत ऄतभवृतियाुँ, ऄचेतन मूल्यांकन और साथ ही आस प्रकार की तवषय
वस्तुओं के प्रतत हमें पहले से ही नकारात्मक रूप से प्रवृि करने वाले ऄनुभवों के कारण तवकतसत होती
हैं।
यकद व्यति को ककसी वस्तु / व्यति / तवषय वस्तु आत्याकद से संभातवत रूप से होने वाले नए ईपयोगों
या नइ िततयों को कदखाया जा सके तो ईपयोतगतावादी ऄतभवृतियाुँ को पररवर्ततत ककया जा सकता है।

1.3.3. ऄहम् रिात्मक (Ego Defensive)

कु छ ऄतभवृतियाुँ लोगों को ऄपने अत्मसम्मान या ऄहम् की रिा करने में सहायता कर सकती हैं। लोग
भार कम करने या ऄपने अप को मनोवैज्ञातनक ितत से बचाने के तलए कु छ रिात्मक कायथ प्रणातलयों
का ईपयोग करते हैं। जब हम हताशा या दुभाथग्यशाली होते हैं, तो हम आस पररतस्थतत को ऄस्वीकार
करने की मनोदशा में होते हैं या ितत को युतिसंगत स्वरुप देने का प्रयास कर रहे हो सकते हैं। यह
ऄतभवृति का ऄहम् रिात्मक कायथ है। जब कोइ व्यति यह ऄनुभव करता है कक कोइ तवतशष्ट ऄतभवृति
ईसके स्वरूप को बलात पररवर्ततत कर सकती या संकटग्रस्त कर सकती है, तो ईस तस्थतत में यह प्रतीत
होता है। ईदाहरण के तलए, वृद् लेककन स्वस्थ व्यति शारीररक सहायता प्राप्त करने से आं कार कर सकता
है। आस प्रकार की ऄतभवृतियाुँ व्यति को मनोवैज्ञातनक संकट से सुरिा करने या अत्म सम्मान को
बढ़ाने में सहायता करती हैं। ऐसा करने के तलए मनोवैज्ञातनक िततयों वाली घटनाओं या सूचना को
कम ितत कारक या संकट कारक तरीकों से नइ भूतमका प्रदान कर दी जाती है। यह ऄतनवायथ रूप से

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तवश्व की व्याख्या करने के तरीके में कु छ ऄंशों में पूवाथग्रह या तवरूपण को समातवष्ट कर सकता है,
लेककन लोग ऄपने या तवश्व के एक तवतशष्ट (अमतौर पर ऄनुकूल) दृतष्टकोण को बनाए रखने के तलए
सहजता पूवथक यह करें गे।
यह नकारात्मक पररणामों के तलए बाहरी कारकों और सकारात्मक पररणामों के तलए अंतररक कारकों
को श्रेय देकर ककया जाता है।
ककसी परीिा में ऄहथता प्राप्त करने में तवफल रहने का ईदाहरण लें। ऄपने प्रयास की ओर नकारात्मक
ऄतभवृतियाुँ दशाथने के स्थान पर, हम परीिा में ईिीणथ न हो पाने के तलए परीिा के ऄसाधारण करठन
मानक या मूल्यांकन मापदंड को नकारात्मक रूप से तजम्मेदार ठहराते हैं ।
चूंकक, यह ऄतभवृति अत्म-सम्मान की रिा करती है आसतलए आस ऄतभवृति को पररवर्ततत करना
सवाथतधक करठन है। लेककन, यकद ऄतभवृति धारक को आस बात के तलए सहमत कर तलया जाए कक
प्रस्तातवत ऄतभवृतिगत पररवतथन ऄतधक ईतचत रूप से अत्मसम्मान की रिा करे गा तो आस ऄतभवृति
को पररवर्ततत ककया जा सकता है।

1.3.4. मान्यता सू च क (ऄहं सू च क)

Value Expressive (Ego Expressive)


ऄहम् रिात्मक ऄतभवृतियाुँ व्यति की अत्म छतव की रिा के तलए तवकतसत की जाती हैं, जबकक
मान्यता सूचक ऄतभवृतियाुँ व्यति को कें द्रीय रूप से धाररत मूल्यों की ऄतभव्यति करने मे सिम करती
हैं। यह ऄतभवृति, फलस्वरूप, 'वे जो हैं ईसका भाग’ है और ईस ऄतभवृति की ऄतभव्यति ईस व्यति के
तवषय में दूसरों को महत्वपूणथ बातें संचाररत करती है। कें द्रीय मूल्यों में हमारी पहचान स्थातपत करने
एवं आस प्रकार हमें सामातजक स्वीकृ तत प्राप्त कराने की प्रवृति होती है, तजससे वे हमें यह कदखाते है कक
हमारा स्वरूप क्या है और हम ककस पि का समथथन करते हैं।
ईदाहरण के तलए, ऄपने मूल्यों को कोइ मूतथ और सरलतापूवकथ व्यि करने योग्य रूप प्रदान करने के
प्रयास में ईपभोिा कु छ ऄतभवृतियाुँ ऄपनाते हैं। आस प्रकार, एक रूकढ़वादी व्यति भड़कीले कपड़ों की
ओर प्रततकू ल ऄतभवृति तवकतसत कर सकता है और ईसके स्थान पर गहरे और सौम्य रं ग वाले
पररधानों की ओर अकर्तषत हो सकता है।
ईदाहरण के रूप में, तवरोधाभासी रूप से, ऄपने अप को ईदार और सतहष्णु ‍यति के रूप में देखने
वाले ककसी ‍यति की नस्लीय पिपात की ऄतभवृति को प्रभातवत करने के तलए "ऄहंकार रिात्मक
प्रकायथ" का ईपयोग ककया जा सकता है। ईस व्यति की ईदार और सतहष्णु ‍यति के रूप में अत्म-छतव
को अकर्तषत करके , ईसकी पूवाथग्रहग्रतसत ऄतभवृतियों को ईसकी अत्म ऄवधारणा के प्रतत ऄतधक
सुसंगत होने के तलए पररवर्ततत करना संभव हो सकता है। आसी प्रकार, अत्म-छतव को ठे स पहुँचाने वाले
प्रेरक संदश
े तक को भी ऄस्वीकृ त ककए जाने की बहत ऄतधक संभावना हो सकती है।
ईदाहरण के साथ कायों का स्पष्टीकरण (Explanation of functions with an example)
देशभति का गुण ऄन्य लोगों की तुलना में कु छ लोगों में ऄतधक ऄतभ‍यक्त होता है। लोग तनश्चय ही
ऄपनी मातृभूतम का मूल्यांकन ऄनुकूल रूप से करते हैं, कु छ ऄन्य लोगों की तुलना में और-ऄतधक करते
हैं। मान लीतजए कक एक समान मत वाले तमत्रों का एक ऐसा समूह एक चचाथ करता है तजसमें कोइ
कहता है कक, “तनःसंदह
े भारत जैसा ऄच्छा कोइ दूसरा देश नहीं है। ऄन्य स्थान ऄपने तरीके से ठीक हैं
लेककन वे हमारी मातृभूतम की तुलना नहीं कर सकते”।
ईपयोतगतावादी कायथ: प्रत्येक ‍यति ऄनुमोदन करते हए तसर तहलाता है। सभी लोग अपके आस
दृतष्टकोण से बेहतर ऄनुभव करते हैं।
मान्यता सूचक कायथ : समूह में लोग भारतीय किके ट टीम की जसगीक पहने हए हैं।
ज्ञान संबध
ं ी कायथ: कोइ ‍यति ईस समृद् आततहास और संस्कृ तत के तवषय में चचाथ करता है जो तवतशष्ट
बनाते हैं, कोइ ऄन्य ‍यति तवश्व में भारत की बढ़ती महिा के तवषय में चचाथ करता है। यह ज्ञान

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जुटाने में सहायता करता है। क्योंकक यह ज्ञान हमारी ऄतभवृति के प्रतत भली भाुँतत ऄनुकूल बैठता है
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आसतलए हम आसे सहषथ स्वीकार कर लेते हैं।


ऄहंकार रिात्मक कायथ: कोइ ‍यति मतहलाओं के तवरुद् बढ़ते ऄपराधों के तलए समाज के
पतिमीकरण को दोषी ठहराता है। कोइ ऄन्य आसके तलए पड़ोसी देशों से अने वाले अप्रवातसयों को
दोषी ठहराता है। ऄपने ऄततररक्त, हममे ऄन्य सभी पर दोषारोपण करने और ऄपने अत्म –सम्मान को
ऄिु‍ण बनाए रखने की प्रवृति होती है।

1.4. ऄतभवृ ति के प्रकार (Types of Attitude)

जब हम ऄतभवृति की बात करते हैं, तो यह व्यापक रूप से दो प्रकार की होती है - की ऄतभवृति


(attitude of) और के प्रतत ऄतभवृति (attitude towards)। ‘की ऄतभवृति’ प्रश्नगत तवषय की
ऄतभवृति होती है, जैसे व्यति की ऄतभवृति, समाज की ऄतभवृति, संस्था की ऄतभवृति, संगठन की
ऄतभवृति आत्याकद। ‘के प्रतत ऄतभवृति’ ककसी कताथ की ककसी कमथ के प्रतत ऄतभवृति - एक व्यति के प्रतत
ऄतभवृति, वस्तु के प्रतत ऄतभवृति, संस्था के प्रतत ऄतभवृति, पयाथवरण के प्रतत ऄतभवृति आत्याकद। ऄतः
आस तरह की ऄतभवृति के कइ संयोजन हो सकते हैं। ईदाहरण के तलए:
 एक संस्था के रूप में तसतवल सेवा में लोकतांतत्रक या नौकरशाही की ऄतभवृति हो सकती है।
लक्ष्यों पर ध्यान कें कद्रत करके और नागररकों को शासन प्रकिया में तहतधारकों के रूप में प्रस्तुत
करना लोकतांतत्रक ऄतभवृति की तवशेषता है। लक्ष्यों की बजाय तनयमों और प्रकियाओं पर ध्यान
कें कद्रत करना नौकरशाही संबंधी ऄतभवृति की तवशेषता है (क्योंकक तवस्तृत और एकातधक तनयम
लक्ष्यों की ईपलतब्ध को ऄसंभव नहीं तो करठन तो ऄवश्य बनाते हैं)। साथ ही, यह संस्था के
तनयमों और पदानुिम के कठोर ऄनुपालन पर अधाररत है। आस प्रकार, यह नागररकों को
तहतधारकों के रूप में मानने की बजाय सरकारी सेवाओं के प्राप्तकताथ के रूप में मानता है।
 पररवेश के प्रतत ऄतभवृति लोगों, सरकार, संस्थानों, व्यवसायों अकद के पररवेश के प्रतत ऄतभवृति
है।
 कॉपोरे ट ऄतभवृति ककसी देश में व्यवसायों की सामान्य ऄतभवृति है। आसकी तवशेषता ककसी कं पनी
की मूल्य प्रणाली है। वे ग्राहकों या खरीदारों के प्रतत एक ऄनुकूल ऄतभवृति और पयाथवरण के प्रतत
एक संरिण ऄतभवृति रख सकते हैं।
 राजनीततक ऄतभवृति - नीचे देख।ें
जैसा कक देखा जा सकता है, ऄतभवृति स्वयं में व्यापक रूप से तीन प्रकार की होती है: सकारात्मक
(Positive), नकारात्मक (Negative) और तटस्थ (Neutral)। आनका तवस्तृत तववरण नीचे कदया गया
है।

1.4.1. सकारात्मक ऄतभवृ ति (Positive Attitude)

यह ककसी व्यति की अशावादी दशा को संदर्तभत करता है। कइ ऄध्ययनों के ऄनुसार, आस प्रकार की
ऄतभवृति वाले लोग जीवन में प्रसन्न रहते हैं और ईन लोगों की तुलना में ऄतधक सफल होते हैं तजनके
ऄन्दर यह प्रवृति नहीं हैं। एक सकारात्मक ऄतभवृति अपको जीवन के दैतनक मामलों का सरलता से
सामना करने में मदद करती है।
सकारात्मक ऄतभवृति तनम्नतलतखत तरीकों से प्रकट होती है:
 सकारात्मक और रचनात्मक सोच।
 कदमाग की यह दशा रचनात्मक सोच के तलए ऄनुकूल है - यह जोतखम का अकलन करने को
प्रोत्सातहत करती है, यह नवाचार के तलए अवश्यक है।
 चीजों को करने और लक्ष्यों को पूरा करने के तलए प्रेरणा और उजाथ प्रदान करती है।
 खुश होने की एक ऄतभवृति।

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कदमाग की एक सकारात्मक दशा अपको कइ तरीकों से मदद कर सकती है, जैसे कक:
 सफलता की अशा जगाकर और प्रेरणा प्रदान कर।
 यह बाधाओं का सामना करने की दृढ़ता प्रदान करती है न कक ईससे भागने की- यह दृढ़ता
(fortitude) की एक प्रमुख तवशेषता है।
 तवफलता और समस्याओं को छु पे हए वरदान के रूप में देखना।
 ऄपने अप में और ककसी की िमताओं में तवश्वास करना और अत्म-सम्मान और अत्मतवश्वास
प्रकट करने में सिम बनाती है।
 के वल समस्याओं के बारे में बात करने के बजाय, समाधान की तलाश।
 ऄवसरों को देखना और पहचानना।
आस प्रकार, सकारात्मक ऄतभवृति खुशी और सफलता को प्रेररत करती है। सकारात्मक ऄतभवृति वाले
लोगों की सबसे महत्वपूणथ तवशेषता यह होती है कक ईनको ऄपनी िमताओं पर तवश्वास होता है। ये
लोग अम तौर पर तनष्कपट, दृढ़ और खुश होते हैं, जो जीवन के ईज्ज्वल पि को देखते हैं। यह न के वल
तजस तरह से वह व्यति और दुतनया को देखता है ईनको सकारात्मक रूप से प्रभातवत करता है, बतल्क
यह ईनके पररवेश और असपास के लोगों को भी प्रभातवत करता है। आस तरह की ऄतभवृति एक
तसतवल सेवक के तलए ऄतधक महत्वपूणथ है, क्योंकक ईनके पास करठन पररतस्थततयों में कायथ करते हैं
जहां प्रयास सदैव सफलता में पररणत नहीं होते हैं।

1.4.2. नकारात्मक ऄतभवृ ति (Negative Attitude)

यह सकारात्मक ऄतभवृति के लगभग तवपरीत है, क्योंकक यह तनराशावाद ईत्पन्न करता है। आस प्रकार
की ऄतभवृति पीड़नोन्मादी व्यवहार का ईत्पन्न करता है जहां हर जगह हम नकारात्मकता ही देखते हैं।
आ सको रोका जाना चातहए।
नकारात्मक ऄतभवृति तनम्नतलतखत तरीकों से प्रकट होती है:
 नकारात्मक और तवनाशकारी सोच तथा रचनात्मक सोच में बाधा ईत्पन्न करती है।
 यह चीजों को करने, जोतखम ईठाने और लक्ष्यों को पूरा करने के तलए प्रेरणा और उजाथ को समाप्त
करती है।
 आस ऄतभवृति को धाररत करने वाला व्यति दुखी और ऄप्रसन्न रहता है।
कदमाग की नकारात्मक दशा कइ तरीकों से हातनकारक है, जैसे कक:
 हमेशा तवफलता की ईम्मीद करना। पररणामतः, व्यति ककसी लक्ष्य को प्राप्त करने के तलए ऄपना
पूणथ प्रयास नहीं करता है।
 ऄतभवृति धारक के तलए दुष्प्रेरणादायक।
 यह व्यति को बाधाओं का सामना करने के बजाय दृढ़ता से ईसे छोड़ने के तलए प्रेररत करता है।
 यह अत्म अलोचना और पीड़नोन्माद पैदा करता है।
 यह अत्म-सम्मान और अत्मतवश्वास को कम करता है।
 आस वजह से आस ऄतभवृति को धारण करने वाला के वल समस्या पर कें कद्रत रहता है न कक ईसके
समाधान की तलाश करता है।
 चूंकक यह तनराशावाद ईत्पन्न करता है आसतलए यह ऄवसरों को लगभग समाप्त कर देता है।
आस प्रकार, नकारात्मक ऄतभवृति तनराशावाद और तवफलता की ओर ले जाती है, जो ककसी के जीवन
पर प्रततकू ल प्रभाव डाल सकता है। यह ककसी व्यति के सम्पूणथ पररवेश और घर या कायथस्थल पर ईसके
संबंधों को प्रभातवत करता है। नकारात्मक ऄतभवृति वाले व्यति की सामन्य तवशेषता िोध, संदह
े और
तनराशा है। आस तरह की ऄतभवृति एक तसतवल सेवक के तलए ऄतधक हातनकारक है, क्योंकक वे तवतभन्न
तरह के खींचतान और दबावों के साथ करठन वातावरण में काम करते हैं।

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1.4.3. तटस्थ ऄतभवृ ति (Neutral Attitude)

यहां तटस्थ का ऄथथ ऄपिपात (impartial)l या तनष्पि (unbiased) नहीं है। आसका ऄथथ सामान्य रूप
से ऄसंलग्न है। ककसी का ककसी के प्रतत एक तटस्थ ऄतभवृति हो सकती है ऄथाथत जो आसे सकारात्मक या
नकारात्मक दोनों तरह से पयाथप्त महत्व न दे। सामान्य रूप से तटस्थ ऄतभवृति होने का ऄथथ है एक ऐसा
व्यतित्व तजसकी तवशेषता ईदासीन या भावहीन होना है। हालांकक, कोइ हमेशा ऄनजान या ईदासीन
नहीं हो सकता है; तनणथय नहीं लेने को ऄतनतित काल तक जारी नहीं रखा जा सकता है। एक तटस्थ
ऄतभवृति की कु छ ऄतभव्यतियां तनम्नतलतखत हैं:
 ईपेिा (Ignorance): ककसी के पास राजनीततक मुद्दों के प्रतत तटस्थ ऄतभवृति हो सकती है। जो
भी सामान्य सामातजक या राजनीततक समस्या हो, वे संतुष्ट होते हैं कक ईनके पास आसका समाधान
नहीं है।
 ईदासीनता (Indifference)
 पृथकता (Detachment)
 भावहीनता (Unemotional)
 संतुतलत (एक सकारात्मक तवशेषता) Balanced (a positive trait)

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2. ऄतभवृ ति के कु छ ऄन्य तवतशष्ट प्रकार


(Some Other Specific Types of Attitudes)

2.1. कमजोर वगों के प्रतत ऄतभवृ ति (Attitude Towards Weaker Sections)

ककसी व्यति का वास्ततवक चररत्र ऐसे लोगों के प्रतत ईसके व्यवहार में स्पष्ट होता है जो न तो प्रततशोध
लेने की तस्थतत में होते हैं और न ही कोइ प्रततफल देने की। गरीबी, वंचन, भेदभाव और ऐसी तस्थततयों
को कायम रखने वाले ऄन्य कारकों के प्रतत हमारी ऄतभवृततयों से हमारा सुतवधाहीन, गरीब या हातशए
वाले लोगों के प्रतत व्यवहार तनधाथररत होता है। आस तरह के कारकों के प्रतत सकारात्मक दृतष्टकोण,
स्वाभातवक रूप से, व्यति की सहानुभूतत और देखभालपरक प्रकृ तत को प्रदर्तशत करता है। यह कमजोर
और हातशए वाले वगों के प्रतत संवेदना का प्रतीक है। यह दृतष्टकोण लोक सेवकों के तलए ऄत्यंत
वांछनीय है क्योंकक हातशए पर रह रहे लोगों का समावेशन या बतहष्कार करने की शति ईनके पास
होती है।
सवोदय
‘सवोदय’ शब्द का ऄथथ है: 'सावथभौतमक ईन्नतत' या 'सबकी प्रगतत'। यह शब्द पहली बार राजनीततक
ऄथथव्यवस्था पर जॉन रतस्कन के तनबंध, "ऄनटू कदस लास्ट" के मोहनदास गांधी द्वारा 1908 में ककये
गए ऄनुवाद के शीषथक के रूप में ऄपनाया गया, और बाद में गांधी जी ने ऄपने राजनीततक दशथन के
अदशथ के तलए आस शब्द का ईपयोग ककया। बाद में भारतीय ऄचहसावादी कायथकताथ तवनोबा भावे जैसे
गांधीवादी ने स्वातंत्र्योिर भारत के सामातजक अंदोलन के नाम के रूप में आस शब्द का प्रयोग ककया।
भारतीय समाज के सभी स्तरों तक अत्मतनभथरता और समानता की पहुँच सुतनतित करना आस
सामातजक अंदोलन का लक्ष्य था।
गांधी जी ने सवोदय की ऄवधारणा को प्रस्तुत ककया, जो तीन बुतनयादी तसद्ांतों पर अधाररत था:
 ककसी व्यति का तहत सावथजतनक तहत में तनतहत है।
 ककसी ऄतधविा के कायथ का वही मूल्य होता है जो ककसी नाइ के कायथ का होता है क्योंकक
सबको ऄपने कायथ से ऄपनी अजीतवका का ऄजथन करने का ऄतधकार होता है।
 एक श्रतमक का जीवन ऄथाथत ककसी कृ षक का जीवन और ककसी तशल्पकार का जीवन ही
वास्तव में जीने योग्य जीवन है।
सवोदय के तसद्ांत
 आसमें कोइ कें द्रीकृ त प्रातधकरण नहीं होगा, और गांवों में राजनीततक और अर्तथक पररवेश
होगा।
 राजनीतत सिा का साधन नहीं होगी बतल्क सेवा का साधन होगी और राजनीतत लोकनीतत
के तलए जगह बनाएगी।
 सभी लोग प्यार, बंधुता, सत्य, ऄचहसा और अत्म-त्याग की भावना से भरे होंगे। समाज
ऄचहसा की बुतनयाद पर कायथ करे गा।
 बहमत का शासन और दलीय व्यवस्था नहीं होगी और समाज बहमत की तनरं कुशता जैसी
बुराइ से मुि होगा।
 सवोदय समाज आस शब्द के वास्ततवक ऄथथ में समाजवादी है। सभी ईद्यमों के एक ही नैततक,
सामातजक और अर्तथक मूल्य होंगे। व्यति के व्यतित्व के तवकास का पूणथ ऄवसर ईपलब्ध
रहेगा।
 सवोदय समाज समानता और स्वतंत्रता पर अधाररत है। आसमें ऄनैततक प्रततस्पधाथ, शोषण
और वगथ-तवद्वेष के तलए कोइ जगह नहीं है।
 सवोदय का तात्पयथ सभी की ईन्नतत है। सभी व्यतियों को व्यतिगत श्रम करना चातहए और
ऄपररग्रह के अदशथ का पालन करना चातहए। तभी ‘प्रत्येक से ईसके काम के ऄनुसार और

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प्रत्येक को ईसकी अवश्यकताओं के ऄनुसार’ का लक्ष्य प्राप्त करना संभव हो सके गा।
 शोषण का साधन और सामातजक भेदभाव और घृणा का स्रोत- तनजी संपति नहीं होगी। आसी
प्रकार, लाभ का ईद्देश्य समाप्त हो जाएगा, मालगुजारी और ब्याज भी समाप्त हो जाएगा।
 सवोदय अंदोलन सत्य, ऄचहसा और अत्म-त्याग पर अधाररत है।
 सवोदय अंदोलन सभी लोगों के कल्याण में ऄतवश्वसनीय तवश्वास वाले व्यतियों को एक
साथ लाने हेतु अवश्यक वातावरण को बनाने के तलए एक इमानदार और साहसी प्रयास
करता है।
 व्यतिगत लाभ कम होगा। प्रत्येक गुण का तवकास एक-दूसरे पर तनभथर करता है। यकद सभी
गुणों में थोड़ा सुधार हअ है, तो व्यति ऄतधक लाभ प्राप्त करे गा

एक लोक सेवक कानूनों को लागू करने और नीततयों, तनयमों और तवतनयमों को आस तरह से लागू करने
के तलए बाध्य है जो न के वल 'न्यायसंगत और तनष्पि' हो बतल्क पारदशगीक भी हो और आसे लागू करते
समय भयरतहत और तनष्पि रहना चातहए। यह 'कानून के शासन' की सच्ची भावना में ककया जाना
चातहए तजस पर लोकतांतत्रक राजनीतत का अधार है। ईन्हें संतवधान में तनतहत नागररकों के मौतलक
ऄतधकारों से ऄवगत होना चातहए और 'ऄंत्योदय के माध्यम से सवोदय' की सच्ची भावना में कमजोर
और तनचले स्तर के लोगों के तवकास को बढ़ावा देने के तलए सहानुभूतत की सकिय ऄतभवृति को
तवकतसत करना चातहए।
सतहष्णुता और करुणा ककसी लोक सेवक को न के वल बुतद् बतल्क भावना के साथ भी नेतृत्व करने में
सिम बनाती है। वे ककसी के चररत्र और सकारात्मक संबंधों के मौतलक घटक हैं जो कमजोर वगों की
अवश्यकताओं को पूरा करने के तलए अवश्यक हैं (जो सावथजतनक सेवाओं पर सबसे ऄतधक तनभथर हैं)।
ईदाहरण के तलए, यकद एक कलेक्टरे ट में कदव्यांग लोगों के तलए तशकायत तनवारण बैठक अयोतजत की
जानी है, तो एक ऄतधकारी तजसके पास सहानुभूतत ऄतभवृति है, यह सुतनतित करे गा कक पहंच के तलए
रैं प / तलफ्ट अकद जैसी ईतचत व्यवस्था की जाए, ऄन्यथा, ऐसी बैठक करने का कोइ ईद्देश्य पूणथ नहीं
होगा। आस कमजोर और हातशए वाले वगों के प्रतत सकारात्मक दृतष्टकोण के माध्यम से तवकतसत होने
वाली आस जरूरी समझ की कमी ऄिम और ऄपवजथनात्मक सावथजतनक प्रशासन और सेवा तवतरण को
जन्म देती है, जो ऄंततः ऄराजकता और पतन का कारण बन सकती है।

2.2. नै ततक ऄतभवृ ति (Moral Attitude)

जैसा कक पहले पररभातषत ककया गया है, ऄतभवृति, ऄनुकूल या प्रततकू ल रूप से व्यवहार करने के तलए
स्थायी पूवाथग्रह है। हालांकक, प्रत्येक ऄतभवृति नैततकता से जुड़े प्रश्नों या पररतस्थततयों से संबंतधत नहीं
है। ईदाहरण के तलए सेब या संतरे के प्रतत ककसी व्यति की पसंद या नापसंद में नैततकता का कोइ प्रश्न
नहीं है। लेककन ककसी व्यति का शाकाहारी या मांसाहारी होना ईसके तलए नैततक तवचार हो सकता है।
आसी तरह, कोइ व्यति आलेक्रॉतनक माध्यम की ऄपेिा नकद में लेनदेन करने के प्रतत ऄनुकूल ऄतभवृति
रख सकता है। आसके बारे में नैततक या ऄनैततक कु छ भी नहीं है। हालांकक, यकद नकद लेनदेन की ईसकी
आच्छा सरकार से ऄपनी अय तछपाने के ईद्देश्य से प्रेररत है तब यह नैततकता का प्रश्न हो सकता है। आसी
प्रकार, लोकतंत्र के प्रतत ऄतभवृति या कमजोर वगों के प्रतत ऄतभवृति की प्रच्छन्न भावना नैततक होगी।
आस प्रकार नैततक ऄतभवृति को ऐसे रूप में पररभातषत ककया जा सकता है जो "सही" और "गलत" क्या

है, के नैततक दृढ़ तवश्वासों पर अधाररत है। यह नैततकता के बारे में ककसी के तवचार, नैततक त्रुरटयों
(ईसके द्वारा की गयी या ककसी ऄन्य के द्वारा की गयी) के बारे में ईसकी ऄतभवृति और नैततक मुद्दों के

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समि ईसके व्यवहार को प्रदर्तशत करता है। पररवार, समाज, धमथ और तशिा ईन नैततक धारणाओं को
तैयार करने में महत्वपूणथ भूतमका तनभाते हैं।
नैततक ऄतभवृति कै से अकार लेती है? ऄतभवृति के तनधाथरक समान हैं- संज्ञानात्मक, भावनात्मक
(प्रभावशाली) और व्यवहाररक:
 संज्ञानात्मक (Cognitive): नैततक तनयमों का ज्ञान एवं ऄच्छे और बुरे की पहचान।

 व्यवहार (Behavioural): व्यति का वास्ततवक व्यवहार, नैततक महत्व की पररतस्थततयों के प्रतत


ईसकी प्रततकिया।
 भावनात्मक (Emotional): आसमें नैततक और नैततक तनणथयों की अवश्यकता वाली पररतस्थततयों
की प्रततकिया में व्यति की भावनाएुँ और अचरण शातमल होते हैं।
तजस प्रकार, नैततक ऄतभवृतियाुँ समय और स्थान के साथ पररवर्ततत होती रहती हैं। ईसी प्रकार, वे

चलग सापेि भी हो सकती हैं। ईदाहरण के तलए, ररश्वत के प्रतत मतहलाओं की तुलना में पुरुषों में कम

नकारात्मक दृतष्टकोण हो सकता है। आसी तरह, मतहलाओं में ऄपनी पसंद के कपड़े पहनने की अजादी के
प्रतत ऄतधक ईन्मुि ऄतभवृति हो सकती है।
* कृ पया ध्यान दें: 'नैततक ऄतभवृति' शब्द की एक और व्याख्या वह है जहां हम 'नैततक' शब्द के साथ

मूल्य को जोड़ते हैं। यहां 'नैततक ऄतभवृति' का ऄथथ ककसी व्यति की ऐसी ऄतभवृति है तजसे नैततक या

ऄच्छा या स्वीकायथ माना जाता है। चूंकक नैततकता व्यतिपरक होती है, आसतलए ककसी व्यति में कु छ
ऄंतर्तनतहत गुण होते हैं जो यह तनधाथररत करते हैं कक वह नैततक है या नहीं। नैततक ऄतभवृति से संबतं धत
सामान्यतः ऐसे चार गुण हैं:
1. सम्मान (Reverence): आसका तात्पयथ ऄत्यतधक अदर है। ककसी दूसरे व्यति का सम्मान करना,
ईसके तवचारों और व्यवहार का सम्मान करना नैततक व्यति की पहचान मानी जाती है।
2. तनष्ठा (Faithfulness): आसका ऄथथ है वफादार बने रहना और ककसी व्यति द्वारा ककसी व्यति में
ककये गए तवश्वास को रखना।
3. सत्यता या सत्यतनष्ठा (Veracity or truthfulness): सच्चा और इमानदार होना नैततक होने के
साथ जुड़ा एक और गुण है।
4. दयालुता (Goodness): यह ईदारता, प्रेम, देखभाल, सहानुभूतत आत्याकद जैसे गुणों वाले व्यति
का व्यापक रूप से समावेशी चररत्र है।
नैततक ऄतभवृति का महत्व या प्रभाव
मनुष्यों के भीतर सही होने और पसंद ककये जाने की अकांिा होती है। आस प्रकार, नैततक मुद्दों के प्रतत

ऄतभवृतियाुँ मजबूत होती हैं और दृढ़ता से व्यि की जाती हैं। ईदाहरण के तलए, ककसी व्यति के ऄंदर
बेइमानी या झूठ बोलने के प्रतत आतनी ऄतधक नकारात्मक ऄतभव्यति हो सकती है कक वह सत्यतनष्ठा के
तलए व्यतिगत संबंधों को भी खतरे में डाल सकता है।
नैततक ऄतभवृति सुतवधाजनक और तनषेधात्मक दोनों हो सकती है। वे ककसी जरूरतमंद की मदद करने
(altruism), सामातजक सेवा आत्याकद जैसे कायों के तलए सुतवधाजनक होती हैं। आसके ऄलावा, ऄनैततक

मानी जाने वाली कियाओं जैसे व्यतभचार, स्टॉककग, धोखाधड़ी आत्याकद के तलए तनषेधात्मक होती हैं।

चूंकक ऄतभवृति ककसी व्यति के व्यवहार से तनकटता से सम्बंतधत होती है, आसतलए नैततक ऄतभवृतियाुँ
नैततक व्यवहार को सहज बनाने में सहायता करती हैं क्योंकक वे नैततक रूप से सही तनणथयों पर पहंचने
में मदद करती हैं।

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2.3. राजनीततक ऄतभवृ ति (Political Attitude)

राजनीततक ऄतभवृति ककसी राजनीततक मुद्दे के प्रतत प्रवृति या पसंद/नापसंद है। ककसी मुद्दे को
राजनीततक मुद्दे के रूप में पररभातषत करने के तवतभन्न तरीके हो सकते हैं।
1. सरल ऄथों में, राजनीततक ऄतभवृति राजनीततक व्यवस्था, पार्टटयों या ईनकी तवचारधारा के प्रतत
लोगों की ऄतभवृति को संदर्तभत करती है। कोइ व्यति रूकढ़वादी, ईदारवादी, कें द्रवादी या ककसी
ऄन्य के रूप में स्वयं की पहचान कर सकता है। आसी तरह, कोइ राजनीततक दल भी आनमें से ककसी
के रूप में ऄपनी पहचान व्यि कर सकता है। हालांकक, ये ऄतभवृतियाुँ तवश्लेषण करने के तलए
बहत ऄस्पष्ट हैं। राष्ट्रपतत प्रणाली या संसदीय प्रणाली या ऄतधनायकत्व प्रणाली सकारात्मक या
नकारात्मक ऄतभवृति रखने के रूप में वगगीककृ त करने हेतु बहत व्यापक हैं और आसीतलए ये ऄस्पष्ट
हैं।
2. व्यापक ऄथों में, राजनीततक ऄतभवृति का ऄथथ सावथजतनक जीवन के तवतशष्ट मुद्दों के प्रतत व्याप्त
ऄतभवृति से है। ऄथथव्यवस्था, रोजगार, मतहलाओं, ऄसमानता, जातत व्यवस्था, मतदान प्रणाली
आत्याकद जैसे तवतशष्ट मुद्दों के प्रतत सापेतिक ऄतभवृतियाुँ रखना आन्हें एक व्यापक श्रेणी में संयोतजत
करने की तुलना में ज्यादा बेहतर है। ईदाहरण के तलए, ककसी तथाकतथत रूकढ़वादी पाटगीक के साथ
जुड़ा हअ कोइ व्यति ऄलग-ऄलग तवचारधारा के लोगों के प्रतत सतहष्णु ऄतभवृति रख सकता है।
वास्तव में, तवशेष रूप से भारत के राजनीततक दलों को पतिमी अधार पर वामपंथी या
दतिणपंथी खांचे में तवभातजत नहीं ककया जा सकता है। भारत में कोइ भी राजनीततक दल स्वयं
को स्पष्ट रूप से ककसान तवरोधी या श्रतमक तवरोधी नहीं घोतषत कर सकता है। आसतलए, व्यापक
श्रेतणयों के बजाय तवतशष्ट मुद्दों के संबंध में राजनीततक ऄतभवृतियों का ऄध्ययन करना बेहतर है।

यह राजनीततक ऄतभवृतियाुँ हैं जो यह तनधाथररत करती हैं कक लोग राजनीततक प्रकिया में कै से भाग
लेते हैं, वे ककन्हें वोट देते हैं, और वे ककन राजनीततक दलों का समथथन करते हैं। पररवार, धमथ, जातत,
नस्ल, और िेत्र सतहत कइ कारक हैं जो सतम्मतलत रूप से राजनीततक ऄतभवृतियों और व्यवहार में
योगदान देते हैं।

यह तकथ कदया जाता है कक राजनीततक तनणथय का तवकास नैततक तवकास के एक तहस्से का प्रतततनतधत्व
करता है और राजनीततक और नैततक तशिा काफी हद तक समान है, खासकर तब जब आसे व्यापक
पररप्रेक्ष्य में देखा जाता है। आस पररप्रेक्ष्य से, राजनीततक संस्कृ तत समाज में मूल्य प्रणाली तनधाथररत
करती है। जबकक, संकीणथ ऄथों में, राजनीततक संस्कृ तत एक व्यतिपरक मनोवैज्ञातनक घटना है जो
व्यतियों और राजनीततक व्यवस्था के बीच पारस्पररक प्रकिया में प्रकट होती है।

2.4. राजनीततक ऄतभवृ ति और समाजीकरण के एजें ट

(Political Attitude and Agents of Socialization)


समाजीकरण करने वाले तवतशष्ट समूहों को समाजीकरण के एजेंट कहा जाता है। हमारा समाज
समाजीकरण के चार प्रमुख एजेंटों पर तनभथर करता है: पररवार, मीतडया, स्कू ल और कु लीनजन।
समाजीकरण के एजेंट समाज का प्रतततनतधत्व करते हैं और आसकी तरफ से कायथ करते हैं। यद्यतप
समाजीकरण आन एजेंटों के बगैर भी हो सकता है, परन्तु समाज ज्यादातर समाजीकरण के तलए आन्हीं
पर अतश्रत होता है। सवथसिावादी शासन ऄपने राजनीततक एजेंडे को बढ़ावा देने के तलए समाजीकरण
के अतधकाररक एजेंटों को स्थातपत करने का प्रयास कर सकते हैं। आस प्रकार, समाजीकरण के एजेंट
चाहे लोकतांतत्रक, सवथसिावादी, या ऄन्य ककसी भी राजनीततक और अर्तथक व्यवस्थाओं में कायथ करें ,
प्रत्येक एजेंट व्यति के व्यतित्व को प्रभातवत करता है।

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ऄरस्तु का राज्य संबध


ं ी तवचार: "एक राजनीततक समाज का ऄतस्तत्व ईत्कृ ष्ट कायथ के तलए होता है"।
यह सवोच्च स्तर का समुदाय है और आसका लक्ष्य महानतम है। यह एक ऐसी संरचना है जो पररवार
संस्था और ग्राम्य समुदाय से तवकतसत हइ है। ऄरस्तु के ऄनुसार, तजसने राज्य की स्थापना की वह
सबसे महान तहतकारी था क्योंकक कानून के तबना मनुष्य जानवरों से भी तनकृ ष्ट है। राज्य का ईद्देश्य
ऄच्छा जीवन है। नैततकता और राजनीतत के बीच संबंध राज्य के पारस्पररक रूप से सहायक ढांचे के
भीतर बना।
ऄरस्तु के ऄनुसार, कोइ राजनीततक समाज या राज्य के वल व्यतियों का समूह नहीं है; बतल्क यह बड़े
पैमाने पर अत्मतनभथर समुदाय है जो जीवन की जरूरी अवश्यकताओं के कारण ईत्पन्न हअ और
ऄच्छे जीवन के तलए तनरं तर बना हअ है, ये अवश्यकताएुँ और ऄच्छा जीवन आसके सारे सदस्यों के
तलए एक समान हैं। जहां तक राज्य का सम्बन्ध है यह पररवार के समान ही अवश्यकताओं की पूतगीक
करने और ऄच्छा जीवन प्राप्त करने के ईद्देश्य से सामान्य सामातजक संबंधों का ईतचत तवस्तार है।
राज्य एक प्राकृ ततक आकाइ है न कक कृ तत्रम; और जहाुँ तक मनुष्य की बात है एक ऄके ला मनुष्य स्वयं
में पूणथ रूप से अत्मतनभथर नहीं हो सकता है, मनुष्य स्वभाव से ही एक राजनीततक पशु है।
ऄच्छा जीवन या ख़ुशी या सद्गुण युि जीवन प्राप्त करने के तलए मनुष्य को राज्य के समथथन की
अवश्यकता होती है। आसतलए, ऄरस्तु के ऄनुसार मनुष्य और राज्य के मध्य कोइ ऄपररहायथ प्रततरोध
नहीं है। प्रततरोध के वल तब ईत्पन्न होता है जब राज्य का तनमाथण सामान्य तहत के बजाय तनजी तहतों
की पूर्तत के तलए ककया जाता है। दरऄसल, सामान्य और तनजी तहतों के बीच का भेद ही तवकृ त शासन
और वास्ततवक शासन को ऄलग करता है।
** तसद्ांत रूप में, ऄरस्तु राजतंत्र (monarchy) और कु लीनतंत्र (aristocracy) को सरकार के
सवोिम रूप में पसंद करता है क्योंकक सवथश्रेष्ठ व्यतियों के पास सिाधारी शति होती है; हालाुँकक,
वह राजव्यवस्था को ऄतधकांश राज्यों के तलए सवाथतधक ईपयुि मानता है। कु लीनतंत्र की प्रमुख
तवशेषता बड़ी संख्या में लोगों को शासन में भागीदारी की ऄनुमतत प्रदान करके (पदातधकाररयों को
चुनने हेतु मत देने की ऄनुमतत द्वारा या जूरी का सदस्य बनने की ऄनुमतत प्रदान करके ) ईनके सद्भाव
को प्राप्त करते हए भी ऄतभजात वगथ को संरिण देना है। चूंकक एक कु लीन व्यति की तुलना में एक
औसत व्यति की बुतद् और गुणों में कमी होती है ऄतः ऄरस्तु ईच्च राजनीततक पदों को श्रेष्ठ व्यतियों
के तलए अरतित रखना चाहता था, ऄथाथत एक औसत व्यति की तनणथयन िमता पर ऄरस्तु को कम
तवश्वास था। हालांकक, ईसने औसत व्यतियों की बड़ी संख्या द्वारा तलए गए सामूतहक तनणथय में
ऄतधक तवश्वास व्यि ककया है- जोकक राजव्यवस्था का तनमाथण करने में ककये जाने वाले समझौतों का
औतचत्य तसद् करता है।
ऄपनी पुस्तक, पॉतलरटक्स में, ऄरस्तु कहता है कक मनुष्य एक "राजनीततक पशु" है क्योंकक वह
ऄतभव्यति और नैततक तकथ शति युि एक सामातजक पशु है: "आसतलए यह स्पष्ट है कक राज्य प्रकृ तत
की एक कृ तत है, और मनुष्य प्राकृ ततक रूप से एक राजनीततक पशु है। और ऐसा मनुष्य जो ककसी
दुघथटनावश नहीं ऄतपतु प्राकृ ततक रूप से राज्य-तवहीन है वह या तो मानवता से उपर है या कफर
आससे नीचे परन्तु वह मनुष्य नहीं है; वह एक ‘कु टुंब तवहीन, स्वेच्छाचारी, हृदयतवहीन’ व्यति है, एक
बतहष्कृ त युद्प्रेमी के रूप में ईसकी भत्सथना की जाती है, ईसकी तुलना एक ऐसी तचतड़या से की जा
सकती है जो ऄके ले ईड़ती है।"
ऄरस्तु के कथन कक मनुष्य एक "राजनीततक पशु" है को कइ तरीकों से व्याख्यातयत ककया जा सकता
है। आसकी एक व्याख्या यह हो सकती है कक मनुष्य प्राकृ ततक रूप से सामातजक है और आसतलए ईन्होंने
ऄपनी सामातजक अवश्यकताओं को संतुष्ट करने के तलए तवतभन्न राजनीततक संस्थाओं का गठन
ककया। आसकी दूसरी व्याख्या जो शब्द “राजनीतत” को कम ईदार दृतष्ट से देखता है के ऄनुसार, चूकं क
‘राजनीतत’ चहसा और चहसा के भय पर अधाररत होती है आसतलए यह शब्द मनुष्य की प्रकृ तत के

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“पशु” पि को प्रदर्तशत करता है न कक ईसके बौतद्क और सहयोगात्मक पि को। ऄरस्तु के ऄनुसार जो


लोग राजनीतत में तनतहत चहसा से ऄपना मुुँह मोड़ते हैं वे समाज से भी ऄपना मुुँह मोड़ लेते हैं - वे
स्वयं को स्वेच्छाचारी, कु टुंबतवहीन, और हृदयतवहीन घोतषत कर लेते हैं।

3. ऄतभवृ ति का तनमाथ ण (Attitude Formation)


ऄतभवृति सीखी जाती है, आसका तनमाथण ककया जाता है, आसे पररवर्ततत ककया जा सकता है और आसमें
सुधार ककया जा सकता है। हम जो भी ऄतभवृतियाुँ धारण करते हैं ईनमें से ऄतधकतर सीखी हइ होती
है। ऄतभवृति तनमाथण का ऄध्ययन, लोगों द्वारा व्यतियों, स्थानों, तवषय वस्तुओं, वस्तुओं, मामलों और
मुद्दों का मूल्यांकन करने की कायथप्रणाली का ऄध्ययन है। व्यतित्व के तवपरीत, ऄतभवृतियाुँ से ऄनुभव
के फलन के रूप में पररवर्ततत होने की ऄपेिा की जाती है। ऄतभवृति तनमाथण की कु छ तवतधयाुँ आस
प्रकार हैं:
शास्त्रीय ऄनुकूलन (Classical conditioning): यकद हम लंबी समयावतध तक एक जैसी तनतवतष्ट
(input) प्राप्त करते हैं तो हम कु छ तवतशष्ट प्रकारों से ईस तनतवतष्ट के प्रतत ऄनुकूतलत हो जाते हैं।
सहायक ऄनुकूलन (Instrumental conditioning): पुरस्कार या द‍ड की व्यवस्था के अधार पर भी
हम ककसी ऄतभवृति को तवकतसत कर सकते हैं। बड़ों के प्रतत सम्मान प्रदर्तशत करने पर ककसी को
तनरं तर पुरस्कृ त करना और आसके तवपरीत ऄसम्मान प्रदर्तशत करने पर दत‍डत करना सम्मान की
सकारात्मक ऄतभवृति तवकतसत करने में सहायक होगा।
सामातजक ऄतधगम (Social learning): हम ऄन्य लोगों से कु छ कारथ वाआयों का तनष्पादन करते हए
तनरीिण भी करते हैं और ईनके अचरण से सीखते हैं। यह कइ बातों पर तनभथर करता है:
 तनरीतित ‍यति की अकषथकता - ईदाहरण के तलए, यकद हम ककसी ‍यति को सकारात्मक रूप से
पहचानते हैं तो हमारे द्वारा ईसकी ऄतभवृति ऄपनाए जाने की संभावना होती है। (प्रशंसकों द्वारा
ऄनुसरण अकद)।
 तनरीतित ‍यति द्वारा सामना की गइ पुरस्कार या द‍ड की व्यवस्था। ईदाहरण के तलए, ककसी
‍यति को यातायात तनयमों के ईल्लंघन के तलए दत‍डत होता देखकर, हमारे द्वारा यातायात
तनयमों के ईल्लंघन के प्रतत नकारात्मक ऄतभवृति तवकतसत होने ऄथाथत् ईनका पालन करने के
तलए सकारात्मक ऄतभवृति तवकतसत होने की संभावना होती है। आसके ऄततररक्त, यकद ककसी को
ऄपराध के तलए पुरस्कृ त ककया जाता है (जैसे ककसी ऄपराधी का तनवाथतचत होना), तों हममें ऐसे
‍यति द्वारा धाररत ऄतभवृति का तवकास होने की संभावना होती है। ईदाहरण के तलए, यकद कोइ
‍यति ककसी पुस्तक ‘X’ को पढ़कर तसतवल सर्तवसेज परीिा में ऄहथता प्राप्त कर लेता है, तो
ईम्मीदवारों में ईस पुस्तक के प्रतत सकारात्मक ऄतभवृति तवकतसत होने की संभावना होगी। दूसरी
ओर, 'जब तक तुम पकड़े न जाओ तब तक कु छ भी गैरकानूनी नहीं है' की कहावत, लोगों को कदए
जाने वाले वैध तनदेशों का ईनके द्वारा पालन न ककए जाने और तनलथज्जतापूवथक तनयम तोड़ने के
प्रमुख कारकों में से एक है।
ऄतभवृति तनमाथण या ऄतधगम जीवन पयथन्त चलने वाली प्रककया है, क्योंकक यह हमारे द्वारा संग्रतहत
ऄनुभवों या हमारे असपास के लोग से हमारे द्वारा सीखे गए पाठों पर अधाररत है। ये लोग ऄतभवृति
तनमाथण के साधन होते हैं। आन साधनों में सतम्मतलत हैं:
 पररवार: पररवार से हम ऄपने जीवन के महत्वपूणथ पाठ सीखते हैं। पररवार मूल्य प्रदान करने एवं
मूल्यों का तवकास करने में भी सहायक होता है, जो और कु छ नहीं ऄतपतु सामान्यीकृ त
ऄतभवृतियाुँ होती हैं। ईदाहरण के तलए, हम ऄनुशासन सीखते हैं और समय प्रबंधन की नींव
डालते हैं, जो घर से प्राप्त की जाने वाली ऄतभवृति के महत्वपूणथ पहलू होते है।

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 व्यति समूह (Peer Group): आसमें हमारे तमत्र और हमारे अयु वगथ के व्यति सतम्मतलत होते हैं।
ये लोग मूल्यतनष्ठा, प्रततस्पधाथ अकद ईत्पन्न करने के तलए महत्वपूणथ होते हैं। कै ररयर तवकास की
रूपरे खा तय करने में तमत्र समूह महत्वपूणथ होते हैं। आसके ऄततररक्त, हम समूह में ऄनुकूलन के
तलए ऄपने तमत्रों से सुसंगत ऄतभवृति का तवकास करते हैं।

 स्कू ल या तशिा संस्थान: ये ईत्कृ ष्टता, प्रततस्पधाथ, समयबद्ता एवं समग्र रूप से जीवन की ओर
ऄतभवृति ऄंतर्तनतवष्ट करने के महत्वपूणथ साधन हैं।

 ऄनुकरणीय व्यतित्व: ये ऐसे व्यति हैं तजन्हें हम पसंद करते हैं और सकारात्मक रूप से पहचानते
हैं। तभन्न-तभन्न व्यतियों के ऄनुकरणीय व्यतित्व तभन्न-तभन्न होते हैं, जैसे एक ‍यति ऄपने तपता
को ऄपना ऄनुकरणीय व्यतित्व मान सकता है, ककसी ऄन्य के तलए ऄपनी रूतच के िेत्र का प्रमुख
‍यति हो सकता है अकद। हम ऄपने ऄनुकरणीय व्यतित्वों की ऄतभवृतियों के साथ ईनका
ऄनुकरण करने का प्रयास करते हैं। कृ पया ध्यान दीतजए कक ककसी िेत्र में तवशेषज्ञ होना ऄतनवायथ
रूप से ऄनुकरणीय व्यतित्व होने के तलए पयाथप्त नहीं है। ऄनुकरणीय व्यतित्व कोइ ऐसा
‍यति होता है जो ऄपनी गतततवतधयों के माध्यम से प्रेररत करने में सिम होता है। जो लोग ऄपने
िेत्र में प्रमुख होते हैं और ‍यापक स्तर पर लोकतप्रय होते हैं वे सामान्यता ऄनुकरणीय व्यतित्व
माने जाने वाले लोग होते हैंl ईदाहरण के तलए स्टीफन हॉककग को लीतजए - वह न के वल भौततकी
के तवशेषज्ञ थे ऄतपतु ऐसे ‍यति भी थे तजन्होंने ऄपनी पुस्तकों, व्याख्यानों या यूं कहें कक ऄपने
जीवन के माध्यम से लाखों लोगों को आस तवषय में रुतच लेने के तलए प्रेररत ककया था।

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4. ऄतभवृ ति पररवतथ न
ऄतभवृति पररवतथन, ऄवांतछत ऄतभवृति को वांतछत ऄतभवृति में रूपांतररत करने की प्रकिया को
संदर्तभत करता है। यहां यह स्पष्ट होना चातहए कक वांछनीय और ऄवांछनीय सही या गलत के संबध
ं में
मतावलोकन (वैल्यु जजमेंट) नहीं है। ककसी के तलए वांछनीय ईसके तलए ऄच्छा होता है लेककन दूसरों
द्वारा बुरा माना जा सकता है। ऄतभवृतिक पररवतथन का ऄथथ ऄपनी आच्छा के ऄनुसार ककसी ऄन्य की
सही या गलत क्या है, की धारणा को पररवर्ततत करना है। ईदाहरण के तलए, व्यति X लैपटॉप में
लाआनक्स से ऄतधक चवडोज ऑपरे टटग तसस्टम पसंद करता है। व्यति Y, X की ऄतभवृत्ा को बदलना
चाहता है क्योंकक Y स्वयं लाआनक्स पसंद करता है। यह लाआनक्स को चवडोज़ से बेहतर होने के संबध
ं में
कु छ भी नहीं कहता है (ऄथाथत वैल्यु जजमेंट)। यह के वल Y की आच्छा है। ईसके तलए चवडोज़ के प्रतत
वरीयता ऄवांछनीय है, और आसतलए वह X की ऄतभवृति ऄपनी पसंद के ऄनुसार बदलना चाहता है।
चूंकक ऄतभवृतियां सीखी जाती हैं, आसतलए वे न सीखी हइ, पुन: सीखी हइ या पररवर्ततत भी हो सकती
हैं। ऄनुनय या सामातजक प्रभाव के माध्यम से ऄतभवृति में पररवतथन ककया जा सकता है।

4.1. ऄनु न य (Persuasion)

आसका ऄथथ ककसी बात को करने या पर तवश्वास करने के तलए ककसी को मनाने या राजी होने की किया
या प्रकिया है। ऄनुनय प्रभाव के तलए ‍यापक पद है, जो ककसी व्यति की मान्यता, ऄतभवृति, अशय,
ऄतभप्रेरणा या व्यवहार को प्रभातवत कर सकता है। यह ऐसी प्रकिया है तजसका ईद्देश्य सूचना,
भावनाएं या तकथ या आनका संयोजन संप्रेतषत करने के तलए तलतखत या बोले गए शब्दों का ईपयोग
करके ककसी व्यति (या समूह) की ककसी घटना, तवचार, वस्तु या ऄन्य व्यति (यों) के प्रतत ऄतभवृति या
व्यवहार को बदलना होता है।

यह व्यतिगत लाभ की ऄतभलाषा में प्राय: ईपयोग ककया जाने वाला साधन भी है, जैसे चुनाव
प्रचार,तविय सेवा, या ककसी वाद के तलए वकालत में। आसे लोगों का व्यवहार या ऄतभवृति बदलने के
तलए ऄपने व्यतिगत या तस्थततपरक संसाधनों के ईपयोग के रूप में भी ऄथाथतन्वत ककया जा सकता है।
ऄतभवृतत का तनमाथण और पररवतथन दो ऄलग कियाएं नहीं हैं - वे एक दूसरे से संयुि रूप से जुड़े हए हैं।
लोग सदैव ऄपनी ऄतभवृततयों को बदलती अवश्यकताओं और तहतों के ऄनुरूप ऄपनाने, संशोतधत
करने या त्यागने वाले होते हैं।नइ ऄतभवृतत की स्वीकृ तत आस बात पर तनभथर करती है कक संप्रष
े क कौन
है, संचार कै से प्रस्तुत ककया जाता है, संदश
े प्राप्तकताथ द्वारा संचार को ककस प्रकार ऄनुभव ककया जाता
है,संप्रष
े क की तवश्वसनीयता, और ककन पररतस्थततयों में सूचना की प्रातप्त हइ है।
ऄतभवृतत बदलती है जब :
 कोइ व्यति ककसी नइ सूचना को ककसी ऄन्य या मीतडया के माध्यम से प्राप्त करता है - संज्ञानात्मक
पररवतथन।
 ऄनुभव के प्रत्यि माध्यम से ऄतभवृतत पररवतथन - प्रभावी पररवतथन।
 ककसी व्यति का सामान्य से ऄलग व्यवहार करने के तलए मजबूर होना - व्यवहाररक पररवतथन।

4.2. प्रकायथ तजन्हें ऄनु न य के साथ ककया जा सकता है

(Functions that can be Performed with Persuasion)

प्रोत्साहक या ऄनुनय कताथ को एक ऐसे ईद्देश्य का चयन करने की अवश्यकता है जो ईसके दशथकों के
तलए यथाथथवादी हो।
प्रेरणा के पांच सामान्य ईद्देश्यों को नीचे सूचीबद् ककया गया है।

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1. ऄतनतितता को बनाए रखना: जब कोइ दशथक ऄनुनय कताथ का दृढ़तापूवथक तवरोध करता है, तो
संभवतः यह ऄनुनय कताथ के तलए सबसे ऄच्छा है क्योंकक हो सकता है कक दशथकों को थोड़ा कम
तनतित करना पड़े की वे सही हैं, ईनके वतथमान ऄतभवृतत के साथ थोड़ा कम सहज हो।
2. प्रततरोध को कम करना: यकद दशथक दृढ़ता से ऄनुनय कताथ की तस्थतत का तवरोध करते हैं लेककन
पूणथ रूप से नहीं , तो प्रेरक ऄपने प्रतत दृतष्टकोण के तवरोध को कम करने और दशथकों को तनष्पिता
के तलए स्थानांतररत करने में सिम हो सकता है। तवचारों के तवपरीत होने की अशा न करते हए
यह लक्ष्य दशथकों को ऄलग तवचार की वैधता को पहचानने के तलए कहता है।
3. ऄतभवृतत पररवतथन: यकद दशथक आस तवषय पर ककसी भी दृतष्टकोण के तलए तवशेष रूप से दृढ़ता से
प्रततबद् नहीं हैं, तो ऄतभवृतत पररवतथन सरलता से ककया जा सकता है।
4. ऄतभवृति का तवस्तार: यकद दशथक पहले से ही ऄनुनय कताथ के दृतष्टकोण के तलए ऄनुकूल हैं, तो वह
एक संदश
े तैयार कर सकता है जो दशथकों में तवद्यमान ऄतभवृतत को सुदढ़ृ करे गा, दशथकों के
तवरोतधयों से ऄपील के तवरोध करने में सहायता करे गा, ईस तस्थतत में और दशथकों के सदस्यों को
दृढ़ता से प्रततबद् करने के तलए प्रेररत करे गा।
5. लाभप्रद व्यवहार: जब एक दशथक दृढ़ता से ऄनुनय कताथ की तस्थतत का समथथन करता है, तो
तार्ककक रूप से ईनका लक्ष्य ईन्हें ऄपने दृढ़ संकल्पों पर कायथ करने के तलए होता है।

व्यवतस्थत ऄनुनय (Systematic persuasion) वह प्रकिया है तजसमें दृतष्टकोण या मान्यताओं को


तकथ और कारण के माध्यम से सुदढ़ृ ककया जाता है। दूसरी तरफ स्वतः शोध प्रणाली या ऄनुभव
अधाररत ऄनुनय (Heuristic persuasion) वह प्रकिया है तजसमें दृतष्टकोण या मान्यताओं को
स्वभाव या भावनाओं के माध्यम से सुदढ़ृ ककया जाता है।
प्रायोतगक ऄनुसंधान संदश
े की ऄनुनयशीलता को प्रभातवत करने वाले कारकों को प्रकट करता है तजनमें
सतम्मतलत हैं:

 लक्ष्य ऄतभलिण: ये संदश


े प्राप्त और संसातधत करने वाले व्यति के ऄतभलिण हैं। ईदाहरण के
तलए, बुतद्मान लोगों की एक तरफा संदश
े से राजी होने की संभावना कम होती है या ककसी
‍यति द्वारा ऄततरं तजत दावे करने पर पहचान सकते हैं। कभी-कभी, ककसी मत की ओर अकर्तषत
होने के बजाय, वे दावों का ऄंतर्तनतहत खोखलापन पहचानने पर और ऄतधक तवमुख हो सकते हैं।
आसी प्रकार, अत्म-सम्मान प्राप्तकताथ का एक और ऄतभलिण है। हालांकक कभी-कभी यह माना
जाता है कक अत्म-सम्मान में ईच्चतर लोगों को असानी से मनाया नहीं जा सकता हैं, लेककन ऐसे
कु छ साक्ष्य हैं कक अत्म-सम्मान और ऄनुनेयता (राजी होने की िमता) के बीच संबंध वास्तव में
विरे खीय होती है, ऄथाथत अत्म-सम्मान के स्पेक्रम के दोनों छोरों के लोगों को मनाना मुतश्कल
होता है जबकक बीच के लोगों को मनाना ऄपेिाकृ त असान होता है। हालांकक, वस्तुतनष्ठ रूप से
अत्म-सम्मान का मापन मुतश्कल है। ईच्च अत्म सम्मान ऄहंकार के कारण हो सकता है और ऐसे
लोग लगभग हठी हो सकते हैं। कम अत्म-सम्मान हातन या पराजय या दूसरों के द्वारा ईपहास जैसे
कइ कारणों से हो सकता है। ऐसे लोग ऄनुनय के प्रतत प्रभावशून्य हो सकते हैं क्योंकक वे ऄपने
अपको ऄनतभज्ञ के रूप में दशाथ सकते हैं - न के वल ईन लोगों से जो ईनका ईपहास ईड़ाते हैं,
बतल्क ऄन्य सदाशय वाले लोगों से भी।
 स्रोत ऄतभलिण: आनमें ककसी और को मनाने का प्रयास करने वाले व्यति के ऄतभलिण सतम्मतलत
ककया गया है। ईदाहरण के तलए, तवशेषज्ञता, तवश्वसनीयता और ऄंतरवैयतिक अकषथण या
अकषथणीयता ऄनुनय को प्रभावी बनाने वाले कु छ लिण हैं। कतथत संदश
े की तवश्वसनीयता को

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यहां एक महत्वपूणथ चर पाया गया है; यकद कोइ ‍यतक्त्ा स्वास््य के संबंध में कोइ ररपोटथ पढ़ता है
और मानता है कक यह संदश
े ककसी ‍यवसातयक तचककत्सा पतत्रका से अया है, तो यकद वह मानता
है कक यह बस ऄफ़वाह भर है से ऄतधक असानी से मनाया जा सकता है। तवश्वसनीयता संदश
े देने
वाले स्रोत की तवशेषज्ञता और तवश्वसनीयता पर तनभथर करती है। आसी प्रकार, ऄन्य बातों के
साथ-साथ, ऄपनी अकषथकता के कारण, तवज्ञापन ऄतभयानों में सेतलतिटी का ईपयोग ककया जाता
है।
 संदश
े ऄतभलिण: संदश
े की प्रकृ तत ऄनुनय में भूतमका तनभाती है। ऄतभवृति बदलने में सहायता के
तलए कभी-कभी कहानी के दोनों पिों को प्रस्तुत करना ईपयोगी होता है। जब लोग संदश
े को
संसातधत करने के तलए ऄतभप्रेररत नहीं होते हैं, तो के वल प्रेरण संदश
े में प्रस्तुत तकों की संख्या
ऄतभवृति पररवतथन को आस प्रकार प्रभातवत करती है, जैसे कक ऄतधक से ऄतधक संख्या में तकथ
ऄतधक से ऄतधक ऄतभवृत्ा पररवतथन ईत्पन्न करते हैं। आसी प्रकार, स्पष्ट और बोधगम्य ढाग से
ठीक-ठीक प्रस्तुत संदश
े जरटल, समझने में मुतश्कल तरीके से प्रस्तुत ककए गए संदश
े से ऄतधक
पररवतथन ईत्पन्न कर सकते हैं। ईदाहरण के तलए, सामान्यतया राजनीततक जननेता ऄच्छा विा
भी होता है तजसका ऄथथ है कक वह स्पष्ट रूप से श्रोताओं तक संदश
े पहुँचाने में समथथ होता है। यह
के वल ईसका ऄपना व्यतित्व नहीं होता है जो आसमें योगदान देता है बतल्क वह ककतने सारगर्तभत
ढंग से संदश
े रखता है भी आसमें योगदान देता है।
 संज्ञानात्मक मागथ: ककसी संदश
े की प्रभावशीलता आस बात पर भी तनभथर करती है कक क्या व्यति
की संज्ञानात्मक आं कद्रयों का अह्वान ककया गया है या नहीं। यकद ककसी व्यति को सोचने और स्वयं
से तनष्कषथ पर पहंचने के तलए प्रेररत ककया जाता है, तो संदश
े ऄतधक प्रभावी ढंग से कदया जा
सकता है। यह ककसी व्यति के संज्ञानात्मक मूल्यांकन के तलए तचत्ताकषथक होता है। शैितणक रूप
से, आसका दो मागों में वगगीककरण ककया जाता है: कें द्रीय और पररधीय।

 ऄनुनय के कें द्रीय मागथ में व्यति को अंकड़ें प्रस्तुत ककए जाते हैं और अंकड़ों का मूल्यांकन और
ऄतभवृति पररवतथनकारी तनष्कषथ पर पहुँचने के तलए प्रेररत ककया जाता है। पिपोषण के समथथन में
प्रस्तुत सूचना के वास्ततवक गुणों के ककसी व्यति के सतकथ और चचतनशील तवचारण से ऄनुनय
पैदा होने की संभावना होती है। ऄतभवृति पररवतथन का पररणाम तुलनात्मक रूप से स्थायी,
प्रततरोधी और व्यवहार का भतवष्य सूचक होगा।
 ऄतभवृति पररवतथन के पररधीय मागथ का ईपयोग तब ककया जाता है जब संदश
े प्राप्तकताथ की तवषय
में बहत कम या कोइ रूतच नहीं होती है और / या संदश
े को संसातधत करने की ऄपेिाकृ त कम
िमता होती है। तवस्तार सातत्य के तनचले तसरे पर होने के नाते, प्राप्तकताथ द्वारा पूरी तरह से
सूचना का परीिण नहीं ककया जाता है। पररधीय मागथ के साथ, ईनकी सामान्य धारणा (ईदाहरण
के तलए "यह सही/ऄच्छा लगता है"), संदश
े के प्रारं तभक भागों, ऄपनी स्वयं की मनोदशा,ऄनुनय
संदभथ के सकारात्मक और नकारात्मक संकेतों आत्याकद पर तनभथर होने की ऄतधक संभावना होती
है। व्यति को ऄंतवथस्तु नहीं बतल्क स्रोत को देखने के तलए प्रोत्सातहत ककया जाता है। पूरी तरह से
आस पर सोच-तवचार करने के तलए बहत ऄतधक श्रम ककए तबना क्या तनणथय करना और / या
तवश्वास करना है आसका हमें ईिर देने के तलए तवश्वसनीयता तनम्न प्रयास और कु छ तवश्वसनीय
तरीका है। ऐसा सामान्यत: मशूरर हतस्तयों वाले अधुतनक तवज्ञापनों में देखा जाता है। यह ककसी
व्यति के आस महत्वपूणथ पहलू पर तनभथर करता है- कक वे 'संज्ञानात्मक रूप से कमजोर' हैं और
शॉटथकट का ईपयोग करते हैं और ऄनुमान (ऄथाथत तवस्तृत / तवश्लेषणात्मक प्रकिया के बजाय
त्वररत समस्या समाधान) पर भरोसा करते हैं।

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4.3. प्रत्यायन प्रकिया में चरण (Steps in Persuasion Process)

1. तवश्वसनीयता स्थातपत करना (Establish credibility): तवश्वसनीयता तवशेषज्ञता और संबध


ं ों से
बढ़ती है। एक प्रत्यायक (persuader) को मजबूत भावनात्मक तवशेषताओं और सत्यतनष्ठा की
अवश्यकता होती है। ऄन्य लोगों के
सुझावों को ध्यान से सुनने की
अवश्यकता है और एक ऐसे वातावरण
के तनमाथण करने की अवश्यकता है
जहां ईनके तवचारों का मूल्य हो।
2. सहकर्तमयों के साथ समान लक्ष्य
तैयार करना (Framing common
goal with colleagues): प्रभावी
प्रत्यायक को ईस तस्थतत के बारे में
वणथन करने में तनपुण होना चातहए जो
ईस व्यति के तस्थतत के लाभ को
ईजागर करता है तजसे वह प्रेररत करने
का प्रयास कर रहा है। यह साझा
लाभों की पहचान करने की प्रकिया है।
तवचारशील प्रश्नों को पूछकर अवश्यक जानकारी एकत्र करने के तलए परस्पर संवाद की अवश्यकता
होती है। यह प्रकिया प्रायः प्रारं तभक तकथ को पररवर्ततत करने या समझौता करने में सहयोगी होगी।

3. सुस्पष्ट भाषा और ऄकाट्य साक्ष्य के साथ तस्थतत को सुदढ़ृ करना (Reinforce positions with
vivid language and compelling evidence): प्रत्यायन को साक्ष्य के प्रस्तुतत की अवश्यकता
होती है - कइ रूपों में मजबूत डेटा (कहातनयां, अलेख, तचत्र, रूपक और ईदाहरण)। प्रत्यायक को
तचत्रालेख (ग्राकफक्स) को पूरा करने वाली सुस्पष्ट भाषा का ईपयोग करके तस्थतत को जीवंत बनाने की
अवश्यकता होती है।

4. दशथकों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ना (Connecting emotionally with audiences):


ऄच्छे प्रत्यायक भावनाओं की प्राथतमकता से ऄवगत होते हैं और ईनके प्रतत ईिरदायी होते हैं। वे
जानते हैं कक व्यावसातयकता और ईनकी भावनात्मक प्रततबद्ता के बीच संतल ु न को कै से बनाए रखा
जाए तजसका वे समथथन करते हैं। ईनके श्रोताओं के साथ ईनका संबंध ईनकी तस्थतत के तलए ईनकी
बौतद्क और भावनात्मक प्रततबद्ता दोनों को दशाथता है। सफल प्रत्यायक ऄपने श्रोताओं की
भावनात्मक तस्थतत की यथाथथ समझ तवकतसत करते हैं और ईसके ऄनुसार वे ऄपने तकों को
समायोतजत करते हैं। ईनकी तस्थतत चाहे जो भी हो, सन्देश को प्राप्त करने की ईनके श्रोताओं की िमता
ईनके भावनात्मक ईत्साह के ऄनुकूल होना चातहए।

4.4. प्रभावी प्रत्यायन (Effective Persuasion)

प्रत्येक व्यति प्रत्यातयत होने के तलए ऄततसंवेदनशील होता है; प्रत्यायन एक ऐसी प्रकिया है तजसका
ईद्देश्य ककसी व्यति की ऄतभवृति और/या ककसी तवचार, घटना, व्यति या वस्तु के प्रतत ईसके व्यवहार
को बदलना है। व्यापक रूप से यकद कहा जाए तो प्रभावी प्रत्यायन के तलए वांछनीय स्रोत
(तवश्वसनीयता का होना), वांतछत संदश
े की तवशेषतायें (भय, तववेकपूणथ और भावनात्मक ऄपील) होनी
चातहए। ऄतधक तवस्तृत रूप में, प्रत्यायन को प्रभावी होने के तलए तनम्नतलतखत बातें होनी चातहए:

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1. मतैक्य स्थातपत करना: प्रत्यायक को लतित लोगों के साथ सकारात्मक संबंध स्थातपत करना
चातहए।
2. लाभों को आं तगत करना: प्रत्यायक को बदले व्यवहार या ऄतभवृति के प्रमुख लाभों को ईजागर
करना चातहए। हालांकक, प्रत्यायक को बदलाव के तलए दबाव डालने से बचना चातहए, क्योंकक यह
ईसे हताशापूणथ बना देगा।
3. तवरोध को शति में बदलना: पररवतथन के तलए तवरोध होना प्राकृ ततक है लेककन प्रत्यायक को ईन्हें
ऄवसरों में बदलना चातहए। आसके तलए वह तवरोधी द्वारा व्यि संभावना से सहमत हो सकता है
और कफर वह यह बताएगा कक प्रस्तातवत पररवतथन द्वारा आसे असानी से कै से दूर ककया जा सकता
है।
4. प्रततबद्ता और तस्थरता: प्रत्यायक को ककसी छोटी चीज में तवश्वास करने या पहले एक छोटी सी
कारथ वाइ करने के तलए लतित होना चातहए। एक बार प्रततबद् होने के बाद, संभवतः एक बड़े
तवचार से सहमत होगी। यह तकनीक आस त्य का प्रयोग करती है कक एक बार तनणथय लेने के बाद
लोग लगातार आस ढंग से व्यवहार करते हैं, कक वे आसे न्यायसंगत बनाने तथा आसके समथथन के
साधनों के रूप में वे तनणथय के ऄनुरूप कायथ करें गे। तार्कककता मानव मन को एक सहज ऄपील का
अदेश देती है।
5. पारस्पररकता के तसद्ांत का प्रयोग करना: आस तसद्ांत का तात्पयथ यह है कक जब कोइ हमारे तलए
कु छ करता है तो हम ईसकी सहायता के बदले में ईसके तलए कु छ करने हेतु स्वयं को अभारी
महसूस करते हैं। आसमें बदले गए व्यवहार / ऄतभवृति के तलए लतित अबादी को ईतचत रूप से
पुरस्कृ त करना शातमल हो सकता है। यह पररवतथन को सुदढ़ृ करने और आसे बनाए रखने में मदद
करता है।
6. सामातजक साक्ष्य की तकनीक: लोग प्रायः दूसरे लोगों (बैंडवैगन प्रभाव) का ऄनुसरण ऄतधक करते
हैं, आसतलए ईनके पास स्वयं के तनणथय लेने के तलए पयाथप्त जानकारी नहीं होती है। आस तकनीक में
अप लतित अबादी को बताएंगे कक ऄन्य लोगों को ऄनुभवजन्य सबूत के साथ सुझाए गए
पररवतथन से लाभ तमल रहा है। आसके तलए प्रत्यायक कु छ प्रतसद् व्यतित्व के ईदाहरणों की
सहायता ले सकता है। ईदाहरण के तलए, हररयाणा में मतहला भ्रूण हत्या के तखलाफ ऄतभयान में
हम कु छ मतहला तखलातड़यों के ईदाहरणों का ईपयोग कर सकते हैं तजन्होंने प्रतसतद् ऄर्तजत की हैं,
बैडचमटन में एस. नेहवाल, या बॉलीवुड में कं गना राणावत आत्याकद।
7. ऄभावग्रस्तता: आसमें लोगों को यह बताने की ऄनुमतत होती है कक वे प्रस्तातवत पररवतथन से लाभ
प्राप्त करने का ऄवसर खोने की तरफ ऄग्रसर हैं।

4.5. सामातजक प्रभाव (Social Influence)

जब ककसी ‍यति की भावनाएं, तवचार या व्यवहार दूसरों से प्रभातवत होते हैं तो सामातजक प्रभाव
होता है। सामातजक प्रभाव कइ रूप ग्रहण करता है और ऄनुपालन, समाजीकरण, सहकमगीक दबाव,
अज्ञाकाररता, नेतृत्व, ऄनुनय में देखा जा सकता है। हालांकक, तनम्नतलतखत सामातजक प्रभाव के तीन
व्यापक प्रकार हैं।
 ऄनुपालन तब होता है जब लोग दूसरों के साथ सहमत होते हैं, लेककन वास्तव में ऄपनी ऄसहमत
राय तनजी रखते हैं। यह व्यवहार में पररवतथन है, लेककन अवश्यक रूप से ऄतभवृति में नहीं।
 पहचान तब होती है जब लोग पसंद ककए जाने वाले और सम्मातनत व्यति से प्रभातवत होते हैं जैसे
राजनेता, गुरु, प्रतसद् हस्ती।

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 समावेशन तब होता है जब लोग कोइ मान्यता या व्यवहार स्वीकार करते हैं और सावथजतनक रूप
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से और तनजी दोनों रूप से सहमत होते हैं।


ऄनुपालन (Conformation)
हम दूसरों की ऄपेिाओं का ऄनुपालन या ऄनुपालन करने का प्रयास क्यों करते हैं? खेल में मानव की
दो मनोवैज्ञातनक अवश्यकताएं होती हैं - हमारी सही होने की अवश्यकता है और हमारी पसंद ककए
जाने की अवश्यकता है। पूवोक्त् को सूचनात्मक सामातजक प्रभाव भी कहा जाता है और ऄवरोक्त को
मानक सामातजक प्रभाव के रूप में संदर्तभत ककया जाता है।
 सूचनात्मक प्रभाव (या सामातजक प्रमाण)- जब व्यति ऐसी तस्थतत में होता है जहां वह व्यवहार
ककए जाने के सही तरीके को लेकर ऄतनतित होता है, तो वे प्राय: सही व्यवहार से संबंतधत सुराग
के तलए दूसरों की ओर देखते हैं। हम ऄनुपालन करते हैं क्योंकक हम मानते हैं कक दूसरों की ऄस्पष्ट
तस्थतत की व्याख्या हमारी तुलना में ऄतधक सटीक है और हमारी ईतचत कायथवाही का चयन करने
में सहायता तमलेगी। यह वास्ततवकता के साक्ष्य के रूप में ककसी और से जानकारी स्वीकार करने के
तलए एक प्रभाव है।
सामातजक प्रमाण न के वल सावथजतनक ऄनुपालन (सावथजतनक रूप से दूसरों के व्यवहार का अवश्यक
रूप से सही माने तबना ऄनुपालन करना) बतल्क साथ ही तनजी स्वीकायथता (वास्ततवक मान्यता का
ऄनुपालन करना कक दूसरे सही है) का मागथ प्रशस्त करता है। जब पररशुद् होना ऄतधक महत्वपूणथ होता
है और जब दूसरों को तवशेष रूप से जानकार माना जाता है सामातजक प्रमाण ऄतधक शतिशाली होता
है।
2017 में पूवगीक भारत के एक मंकदर से एक वीतडयो सामने अया तजसमें एक मतहला कं गारू के अकार के
कू ड़ेदान से अशीवाथद ले रही थी। ईसे नहीं पता था कक वह 'वस्तु' क्या थी और ईसने एक ऄन्य मतहला
को वह कू ड़ेदान छू ते हए देखा था। शीघ्र ही, कु छ और मतहलाएं अशीवाथद लेने में सतम्मतलत हो गईं।
तनस्संदह
े , यकद ईन्हें पता होता कक वह वस्तु कचरे का तनपटान करने के तलए है, तो ईनका व्यवहार
ऄलग होता। लेककन सही होने की ईनकी आच्छा के साथ जानकारी की कमी से ईन्होंने भेड़-चाल वाली
मानतसकता का पालन ककया और कं गारू के अकार के कू ड़ेदान की पूजा करने के 'स्वीकायथ' व्यवहार का
ऄनुपालन ककया।
कदातचत ऐसा व्यवहार ऄतधक बुतद्मान लोगों के तलए भी ऄसामान्य नहीं है। सामान्यतया लोग ऄपना
तादात्म्य राजनीततक तवचारधारा से, ऄतनवायथ रूप से ईसके तसद्ांतों को जाने तबना से स्थातपत करते
हैं। ईदाहरण के तलए, सरकार की अलोचनाएं ऄतधकांशतया सरल होती हैं ऄथाथत वे बहत ही अंतशक
तचत्र खींचते हैं, लेककन एक बार जब राजनीततक प्रततद्वंद्वी कोइ रूख ऄपना लेता है, तो समथथक जुड़
जाते हैं क्योंकक वे नेता में तवश्वास प्राय: ऄंधा तवश्वास करते हैं। यही बात सरकार बनाने वाले दल के
समथथकों के तलए भी सही है, लेककन प्राय: आसके समथथक करठन तस्थतत में होते हैं क्योंकक हर समय
सरकार के सभी कायों का बचाव करना काफी ऄतधक करठन होता है।
 मानक प्रभाव दूसरों द्वारा पसंद ककए जाने की व्यति की अवश्यकता से संबंतधत है। मनुष्य, सहज
रूप से सामातजक होने के नाते, साहचयथ और संसगथ की आच्छा करता है। समूह या संघ कु छ साझा
रूतच या तहतों वाले लोगों से तमलकर बनता है। समूह में सफल और स्वस्थ वातावरण के तलए,
लोग घुलने-तमलने का प्रयास करते हैं। वे ऄपने व्यवहार में कु छ पररवतथन लाते हैं ताकक ईन्हें पसंद
ककया जाए। यह मानक सामातजक प्रभाव है- मानक का ऄथथ है कक चीजें कै से होनी चातहए,
ईदाहरण के तलए माता-तपता चाहते हैं कक बच्चों को मोबाआल फोन से दूर रहना चातहए। आसतलए,
यह दूसरों की सकारात्मक ऄपेिाओं का ऄनुपालन करने वाला प्रभाव है।

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येल तवश्वतवद्यालय के प्रोफे सर स्टेनली तमलग्राम (1961) ने अज्ञापालन का ऄध्ययन करने के तलए
एक प्रयोग प्रारं भ ककया। जैसा कक उपर कदखाया गया है, प्रततभागी (तशिक) प्रश्नों की एक श्रृंखला को
ऄन्य "प्रततभागी" (तशिाथगीक) से पूछेगा। तशिकों को एक प्रातधकरण (प्रयोगकताथ) द्वारा तनदेतशत ककया
गया कक जब भी तशिार्तथयों द्वारा गलत जवाब कदया जाए तो तशिार्तथयों को तबजली का झटका
(shock) कदया जाए। सीखने वाला कोइ प्रततभागी नहीं था, लेककन वास्तव में वह एक ऄतभनेता था
जो तबजली के झटके से चोट पहंचने का नाटक करता था और बटन दबाए जाने पर ददथ से तचल्लाता
था।
पररणाम? 60 प्रततशत से ऄतधक प्रततभातगयों को घातक स्तर (450 वोल्ट) तक झटके कदए गए।
क्योंकक प्रततभागी के पीछे, एक डॉक्टर था, जो यह कहता रहेगा कक अगे बढ़ो" ... वोल्टेज बढ़ाओ,
व्यति मरे गा नहीं।"
1. ईिरदातयत्व की कमी, अपके तववेक को ऄततव्यातपत या ओवरराआट करती है: डॉक्टर
अतधकाररक व्यति है। व्यतिगत प्रततभागी का तववेक ऄतधक शतिशाली होता है, जब प्रततभागी
सोचता है कक "यह मेरा ईिरदातयत्व नहीं है, मैं के वल अदेशों का पालन कर रहा ूरं"।

2. अतधकाररक व्यति अपके तववेक को ऄततव्यातपत कर सकता है: तहटलर एक महान विा था; वह
मात्र एक भाषण से भीड़ को ऄपने पि में कर सकता था।

3. सहकमगीक-दबाव अज्ञापालन से ऄतधक शतिशाली है: यकद दो प्रततभागी हैं, तो यकद दूसरा
प्रततभागी आस तवषय के तलए तबजली के झटके देने से आनकार करता है और कमरे से बाहर चला जाता
है तो पहला प्रततभागी भी कमरे से बाहर जा सकता है।

4. आस प्रकार, शति के ऄनुसार: सहकमगीक-दबाव (ऄनुरूपता) प्रातधकरण (अज्ञापालन) से ऄतधक


शतिशाली है जो व्यति के तववेक से बड़ा होता है।

4.6. भावनाएं और ऄतभवृ तिक पररवतथ न (Emotions and Attitude Change)

ऄतभवृतिक पररवतथन के तलए व्यति के भावनात्मक पहलू को ऄपील के एक साधन के रूप में प्रयोग
ककया जाता है। वास्तव में, भावना ऄनुनय और सामातजक प्रभाव में एक प्रमुख घटक है। ऄतभवृत्ा पर

शोध ने भी संदश
े ों के भावनात्मक घटकों का महत्व प्रकट ककया है। ऄतभवृति का ABC मॉडल तीन

घटकों पर बल देता है- संज्ञानात्मक (ऄथाथत हम क्या समझते हैं), भावनात्मक (हम भावनात्मक रूप से

कै से जुड़ते हैं) और व्यवहारात्मक (हम कै से कायथ करते हैं)। भावना संज्ञानात्मक प्रकिया, या तजस प्रकार

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हम ककसी मुद्दे या तस्थतत के संबध
ं में सोचते हैं, के साथ काम करती है। भावनात्मक ऄपील सामान्यतया

तवज्ञापन, स्वास््य ऄतभयानों और राजनीततक संदश


े ों में तमलती है।
हाल के ईदाहरणों में धूम्रपान नहीं स्वास््य ऄतभयान और राजनीततक ऄतभयान अतंकवाद के तवरुद्
प्रयासों पर बल देने वाले तवज्ञापन सतम्मतलत है। भावनात्मक जागरूकता से ऄतभवृति पररवतथन संभव
हो सकता है, हालांकक भावनात्मक और संज्ञानात्मक घटक गुथ
ुँ े हए होते हैं। कृ पया ध्यान दें कक
भावनात्मक ऄतभवृति ऄतभवृिात्मक पररवतथन के तलए भावनाओं को ऄपील करने से ऄलग होती है।
भावनात्मक ऄतभवृति मुख्य रूप से भावना द्वारा तवकतसत एक ऄतभवृति होती है, ईदाहरण के तलए
बच्चों के प्रतत माता-तपता की ऄतभवृति। भावनाओं को ऄपील वांछनीय ऄतभवृति तवकतसत करने की
तवतध है। भय, अनंद, िोध, सहानुभूतत, ईपहास अकद जैसी भावनाएं। त्यों के बजाय, भावना-
अधाररत तकथ के तलए ऄपील का अधार तवकतसत करने के तलए प्रेरण भाषा का ईपयोग ककया जाता
है।
ईदाहरण के तलए, ककसी ‍यति को कफट रहने या धूम्रपान छोड़ने के तलए प्रेररत करने के तलए, अपको
न के वल ऄपनी बात तसद् करने के तलए वैज्ञातनक प्रमाणों का ईल्ले ख करना चातहए बतल्क घातक
बीमाररयों के भय या स्वस्थ जीवन के अनंद का ईपयोग करते हए भी तवश्वास कदलाना चातहए।
हालांकक, यकद कामनापूणथ तवचारणा का ईपयोग करके भावना को ऄपील की जाती है (ऄथाथत कु छ ऐसा

तजसकी कल्पना करना अनंदकारी होता है लेककन साक्ष्य या त्य पर अधाररत नहीं होता है), तो यह
तार्ककक भ्रांतत बन जाता है। कामनापूणथ तवचारणा या चापलूसी या घृणा को ऄपील से ऄतभवृति में
के वल एक ऄस्थायी पररवतथन लाया जा सकता है। भतवष्य में आससे वांतछत ऄतभवृति के तवपरीत
ऄतभवृति के तवकास का भी मागथ प्रशस्त हो सकता है। आसतलए, ऄके ले भावनाओं को ऄपील
ऄतभवृिात्मक पररवतथन का संधारणीय अधार नहीं बन सकता है। त्यों का मूल्यांकन संदश
े को वैधता
प्रदान करता है और आस प्रकार यह ऄतभवृति बदलने का ऄतधक स्थायी तरीका है।

4.7 सामातजक प्रभाव या ऄनु न य के पररणाम

(Consequences of Social Influence or Persuasion)

ऄनुनय या सामातजक प्रभाव के पररणाम युतियों, ईद्देश्यों तथा संदभों तजनमें वे तनतहत हैं, के प्रकारों
के अधार पर ऄच्छे, खराब एवं तनकृ ष्ट हो सकते हैं। पररणामों के आन प्रकारों की चचाथ नीचे की गइ है:

ऄनुनय का तनकृ ष्ट स्वरूप (Ugly Face of Persuasion)


तनकृ ष्ट प्रभावक ऄन्य व्यतियों को तनणथयों में धके लते और बाध्यकारी रूप से शातमल करते हैं। ईनकी
कायथ शैली ऄन्यों को शतिहीन महसूस करवाने तथा नवाचार या पररवतथन हेतु प्रततरोधक बनाने की
होती है। आसे ईस तस्थतत के प्रतत संदर्तभत ककया जाता है जहाुँ ऄनुनय का ईद्देश्य सवथथा स्वाथथपण
ू थ हो
सकता है। ईदाहरणाथथ तविीय ईपकरणों का छलयुि तविय या ऄसत्य दावों के द्वारा ग्राहकों को
ठगना।
खराब ऄनुनय (Bad Persuasion)

बुरे प्रभावक वैध एवं वांछनीय लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु करठन पररश्रम कर सकते हैं, परन्तु ईनमें ककसी
को सफलतापूवक
थ प्रभातवत करने हेतु कौशल का ऄभाव होता है। ईनकी कायथशैली लोगों को यह
ऄनुभव कराने का कारण बनती है कक ईन्हें ऄनुपयुि अतधकाररक तनयमों के माध्यम से दंतडत या मूखथ
बनाया जा रहा है, ईन सभी को प्रसन्न करने हेतु जो ऄप्रभावी कदखाइ देते हैं। आस मामले में ईद्देश्य
तवशुद् है परन्तु साधन ऄप्रभावी हैं। ईदाहरणाथथ बाध्यकारी बंध्याकरण के साथ पररवार तनयोजन को
प्रोत्सातहत करना जैसा कक अपातकाल के दौरान हअ था।

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ऄच्छा ऄनुनय (Good Persuasion)
ऄच्छे प्रभावक लोगों का ऐसे मुद्दे पर ध्यान के तन्द्रत करवाते हैं जो स्पष्ट एवं सरल रूप से प्रस्तुत ककया
गया है। साथ ही शातमल लोगों के तलए मुद्दे का भावनात्मक मूल्य क्या है आसका पता लगाते हैं तथा ईन
लोगों की संततु ष्ट के तलए समाधानों की खोज करते हैं तजन्हें आन समाधानों को ऄमल में लाने की
अवश्यकता होती है। ऄच्छे प्रभावक प्रभावशाली होते हैं क्योंकक वे तवश्वास ईत्पन्न करते हैं जो ऄन्य
लोगों को जोतखम लेने में सिम बनाता है। संचार स्थातपत करने एवं सूचना प्रदान करने तथा ऄन्यों को
शातमल करने का ईनका स्वभाव लतित जनसंख्या के मध्य तनष्ठा का तनमाथण करता है। वे ऄपील-तकथ ,
भावुकता और भय के तवतभन्न प्रकारों का प्रभावशाली प्रयोग करते हैं। ईदाहरण के तलए ऄस्पृश्यता के
तवरूद् पररवर्ततत दृतष्टकोण को प्रेरक कारक, भावपूणथ ऄपील तथा कानून के भय को शातमल करना
चातहए।

4.8 ऄनु न य बनाम छल-कपट (Persuasion vs. Manipulation)


ऄनुनय और छल-कपट के मध्य ऄंतर लाभ के सृजन हेतु ऄंतर्तनतहत प्रयोजन एवं आच्छा में तनतहत है।
ऄनुनय और छलयोजन के मध्य तवभेद तनम्नतलतखत में समातहत हैं:
1) ईस व्यति को प्रोत्सातहत करने हेतु अपकी आच्छा के पीछे तनतहत प्रयोजन,
2) प्रकिया की सत्यवाकदता तथा पारदर्तशता और
3) ईस व्यति पर प्रभाव।
छलयोजन या छल-कपट का ऄथथ नकारात्मक भाव में है। आसका तत्पयथ संचार की दूसरी तरफ ककसी
व्यति को कु छ करने, ककसी सेवा या वस्तु में तवश्वास करने, या ककसी वस्तु को खरीदने में व्यति को
मूखथ बनाने, तनयंतत्रत या तनरूपण करने के प्रयोजन के साथ प्रोत्साहन है जो या तो ईसे नुकसान
पहंचाता है या तबना लाभ के छोड़ देता है। आसका यह ऄथथ भी तनकाला जा सकता है कक अप ईन्हें आस
तरीके से ऄपने दृतष्टकोण में स्थानांतररत करने की आच्छा को गौण रख रहे हैं तजससे के वल अपको ही
लाभ होगा। यकद ये लाभ ईजागर हो जाते हैं तो यह रहस्योद्घाटन अपके संदश े हेतु ऄन्य व्यति को
बहत कम ग्रहणशील बना देगा।
ईदाहरण
एक कार शोरूम में एक तविे ता के मामले को ले सकते हैं। एक व्यति ऄपने 6 सदस्यों वाले पररवार के
तलए पररवार के अकार के ऄनुकूल तथा ककफायती कार खरीदने हेतु शोरूम में अता है। तविे ता ऄपनी
प्रेरक योग्यताओं के साथ ईस व्यति को यह तवश्वास कदलाने में सिम है कक ईसे एक तमनी वैन नहीं
बतल्क एक युवा जैसा कदखने के तलए एक स्पोर्टसथ कार खरीदनी चातहए और ऐसा करने में ऄपने बच्चों
को तसखाए कक ईनके युवा अदशों के तलए स्वाभातवक बने रहना ककतना महत्वपूणथ है। पूणथतया यह
जानते हए कक ईसे यह कार लेना महुँगा पड़ेगा, तथा वह कार ईनके तलए पूणत
थ या ऄनुपयुि है। यही
छलयोजन या छल-कपट है।
लेककन यकद वह व्यति के वल कु छ धन व्यथथ में व्यय करने के एक ईद्देश्य के साथ अया है? तथा तविे ता
धीरे -धीरे और िमबद् ढंग से वाताथ करने तथा त्यों का एक संग्रह प्रस्तुत करने की ऄपनी ऄनुनय
योग्यता का प्रयोग कर सकता है। जो ऄतधक ककफायती और पररवार के तलए ईपयुि कार खरीदने के
तवशुद् लाभों को समझने हेतु ईस व्यति का मागथदशथन करें गे। यह ऄनुनय है न कक छलयोजन।

5. तवचार और व्यवहार के साथ ऄतभवृ ति का सं बं ध


(Attitude’s Relation with Thought and Behaviour)

5.1. ऄतभवृ ति हमारे तवचार और व्यवहार को ककस प्रकार प्रभातवत करती है ?

(How does Attitude Influence our Thought and Behaviour?)


ऄतभवृति "सामातजक रूप से महत्वपूणथ वस्तुओं, समूहों, घटनाओं या प्रतीकों के प्रतत तवश्वासों,
भावनाओं, और व्यवहारात्मक प्रवृतियों का ऄपेिाकृ त स्थाइ ढांचा होता है"। चूुँकक, ऄतभवृति कु छ

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ऄथों में व्यवहार करने के प्रतत प्रवृति को भी सतम्मतलत करती है, आसतलए हमारी ऄतभवृति को
ऄतभवृतिगत वस्तुओं के प्रतत हमारे व्यवहार के कारक के रूप में माना जा सकता है।
आस तरह ऄतभवृतियाुँ यह दशाथती हैं की वह ककस सीमा तक, और ककन पररतस्थततयों में, हमारे द्वारा
ककए जाने वाले कायों को प्रेररत करती हैं? जो हम हैं (अंतररक रूप से) और जो हम करते हैं (बाह्य रूप
से) ईसके बीच क्या संबंध है?
ऄतभवृति सम्बन्धी ऄनुसंधान के अरतम्भक समय में, ऄतधकांश ऄनुसंधानकताथओं ने यह पूवथ तनधाथररत
माना कक मानवीय व्यवहार सामातजक ऄतभवृतियों से प्रेररत होता है। यह मान तलया गया था कक
ऄतभवृति मानव व्यवहार को समझने का मूल साधन है। आसके ऄततररक्त, ऄतभवृति के तवषय में ककए
गए अरतम्भक ऄध्ययनों ने आस धारणा पर कोइ संदह
े ‍यक्त नहीं ककया। तथातप कु छ शोधकताथओं ने
आस धारणा को चुनौती प्रस्तुत की। ईन्होंने तकथ कदया कक ऄतभवृति– व्यवहार संबंध ऐसे कायथ करता है,
तजसमें हमारा व्यवहार ऄश्व के रूप में और हमारी ऄतभवृतियाुँ एक गाड़ी के समान कायथ करती हैं और
यह कक लोगों की ‍यक्त ऄतभवृतियों से ईनके तभन्न-तभन्न ‍यवहार का ऄनुमान शायद ही लगाया जा
सकता है।

मुख्य ऄध्ययन: ला-तपयरे (1934)

ईद्देश्य: ऄतभवृतियों और व्यवहार के मध्य ऄन्तसथम्बन्धों का तवश्लेषण करना।

तवतध : ला-तपयरे ने ईस समय चीन तवरोधी भावनाओं के व्याप्त होने के कारण एक चीनी जोड़े के साथ
भेदभावपूणथ व्यवहार ककए जाने और ईसे देखने की ऄपेिा से ऄमेररकी होटलों का दौरा ककया। ईस
समय एतशयाआयों के तवरुद् व्यापक पूवाथग्रह था और और नस्लीय भेदभाव के तवरुद् कोइ कानून नहीं
थे। ईन्होंने 67 होटलों और 184 रे स्टोरें ट का दौरा ककया। ईनके लौटने के छह महीने बाद बाद, ईन्होंने
तजन प्रततष्ठानों का दौरा ककया था ईन्हें एक पत्र भेजा, तजसमें यह पूछा गया था कक क्या वे चीनी
ऄतततथयों को स्वीकार करें गे।

पररणाम: तजन प्रततष्ठानों का ईन्होंने दौरा ककया था ईनमें से के वल एक प्रततष्ठान ने ईन्हें ऄस्वीकृ त
ककया और अमतौर पर ईनके साथ तवनम्रतापूणथ व्यवहार ककया गया था। ईस पत्र का ईत्तर देने वाले
128 प्रततष्ठानों में से 91% ने कहा कक वे चीनी ऄतततथयों को स्वीकार करने के तलए तैयार नहीं थे।

तनष्कषथ: ऄतभवृतियों से सदैव व्यवहार का पूवाथनुमान नहीं लगाया जा सकता। ऄतभवृतियों के


संज्ञानात्मक और प्रभावी ऄवयव व्यवहार में ऄतनवायथ रूप से व्यि नहीं होते हैं। आस प्रकार, ला-तपयरे
के ऄध्ययन से पता चलता है, कक ऄतभवृतियों के संज्ञानात्मक और प्रभावी ऄवयव (जैसे कक चीनी लोगों
को नापसंद करना) ईनके वास्ततवक व्यवहार (जैसे कक ईन्हें सेवा प्रदान करने) में ऄतनवायथ रूप से
प्रदर्तशत नहीं होता है।
आस प्रकार, यह सत्य नहीं है कक ऄतभवृति से सदैव ‍यवहार का पूवाथनम
ु ान लगाया जा सके गा। कु छ
तवशेषज्ञों के ऄनुसार, यह धाररत ऄतभवृति की िमता या तीव्रता पर तनभथर करता है।
ऄतभवृति िमता (Attitude Strength)
ऄतभवृति तजस िमता से धारण की जाती है वह प्राय: व्यवहार का ऄच्छा पूवाथनम ु ान होता है।
ऄतभवृति तजतनी ऄतधक प्रबल होगी ईसके द्वारा ‍यवहार को प्रभातवत करने की संभावना ईत्नी
ऄतधक बढ़ जाएगी। ऄतभवृति की िमता में समातवष्ट होते हैं:
महत्व/व्यतिगत प्रासंतगकता का संदभथ व्यति के तलए ऄतभवृति की महिा एवं ईसके स्वतहत,
सामातजक पहचान और मूल्य से ईस ऄतभवृति के संबंतधत होने की कायथप्रणाली से होता है। यकद ककसी
ऄतभवृति के प्रतत ककसी की व्यति का ईच्च तहत जुड़ा हअ है (ऄथाथत् यह ऐसे समूह द्वारा धारण की
जाती है तजसका वह ‍यति सदस्य है या तजसका सदस्य होना वह ‍यति पसंद करे गा, और व्यति के
मूल्यों से संबंतधत है), तो वह ऄत्यतधक महत्वपूणथ प्रभाव डालने वाली है। पररणामस्वरूप, व्यति के

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व्यवहार पर ईस ऄतभवृति का सशक्त प्रभाव पड़ेगा। आसके तवपरीत, यकद ऄतभवृति व्यति के जीवन से
पयाथप्त रूप से संबंतधत नहीं हो तो वह ईसके तलए महत्वपूणथ नहीं होगी।
ऄतभवृति की िमता का ज्ञान (knowledge) पहलू ऄतभवृतिगत वस्तु के प्रतत ‍यति के ज्ञान के
पररमाण को समातवष्ट करता है। तजन तवषयों में लोगों की रुतच होती है लोग ईनके प्रतत ऄतधक
जानकार होते हैं और फलस्वरूप ईनमें ईनके प्रतत प्रबल ऄतभवृतियाुँ (सकारात्मक या नकारात्मक)
धारण करने की संभावना होती है। प्रत्यि ऄनुभव पर अधाररत ऄतभवृतियों को ऄतधक मजबूती से
धारण ककया जाता है और वे ऄप्रत्यि रूप से (ईदाहरण के तलए कहीं सुनने, पढ़ने या टेलीतवजन पर
देखने के माध्यम से) तनर्तमत ऄतभवृतियों की तुलना में ‍यवहार को ऄतधक प्रभातवत करती हैं।
लेककन, के वल ऄके ले ऄतभवृति की िमता भी हमारे व्यवहार का सटीक पूवाथनम
ु ान नहीं हो सकती,
आसतलए कु छ तवशेषज्ञों ने ऄतभवृति- व्यवहार संबंध का तनधाथरण करने के तलए तनम्नतलतखत कारकों
को तजम्मेदार मानने का सुझाव कदया है। ये हैं:
ऄतभगम्यता (Accessibility): आसका संबंध ऄतभवृति धारक के मतस्तष्क को ऄतभवृति की सहज
ईपलब्धता से है। आसका ऄथथ यह है कक ऄतभवृति धारक, ऄतभवृति के “एबीसी” ऄवयवों के तवषय में
सचतेन है (भावात्मक|संज्ञानात्मक|व्यवहारात्मक) आसतलए वे ऄतभवृति धारक के मन में तुरंत अ जाते
हैं।
तवतशष्टता (Specificity): ऄतधकतर लोग कइ तवषयवस्तुओं के प्रतत ऄपनी पसंद/नापसंद के तवषय में
सुतनतित नहीं होते हैं। यकद ककसी वस्तु के प्रतत हमारी कोइ तवतशष्ट ऄतभवृति नहीं है, तो यह
पररवर्ततत हो सकती है,ऄथाथत यह ऄभी भी सुदढ़ृ रूप से गरठत नहीं हइ है और ईसे थोड़े से प्रयास जैसे
कक नए ज्ञान की ईपलब्धता से पररवर्ततत ककया जा सकता है। तवतशष्टता का ऄथथ यहां पर यह है कक
ककसी तवषय वस्तु के प्रतत हमारी ऄतभवृति ककतनी तवतशष्ट है। ककसी तवषय वस्तु के प्रतत होने धुध
ं ली
या एकातधक ऄतभवृतियाुँ धारण करने से ईनकी तवतशष्टता कम हो जाती है। ईदाहरण के तलए, ककसी
मुद्दे के प्रतत राजनीततक ऄतभवृति धुंधली हो सकती है और हमारे समूह की मान्यता के ऄनुसार
पररवर्ततत हो सकती है। ईस तस्थतत में आससे कु छ भ्रतमत व्यवहार ईत्पन्न हो जाता है ।
सामंजस्य (Congruence): तवतशष्टता से अगे बढ़ते हए, ऄनुरूपता का संबंध हमारी ऄतभवृति के
तवतभन्न ऄवयवों के बीच सुसंगतता से होता है। यकद ज्ञान संबंधी ऄवयव और भावात्मक ऄवयव हमारे
व्यवहार की तुलना में ऄसंगत हैं तो हमारा व्यवहार हमारी ऄतभवृति के स्थान पर हमारी पररतस्थतत
पर ऄतधक तनभथर होगा। महाभारत ‘मनसा, वाचा, कमथणा’ के तवषय में चचाथ करता है। मनसा शब्द मन
से संबंतधत है, वाचा का संबंध वाणी से है, और कमथणा का संबध
ं हमारे कायों से है । आनका ईपयोग
ककसी व्यति के व्यवहार में सुसग
ं तता या सामंजस्य की ऄवस्था की व्याख्या करने के तलए ककया जाता
है। ‘मनसा, वाचा, कमथणा’ का सूत्र वाक्य सामान्य रूप से यह तनतहताथथ व्यि करने के तलए ईपयोग
ककया जाता है कक व्यति को ऐसी ऄवस्था प्राप्त करने का प्रयास करना चातहए जहां ईसके तवचार,
ईसकी वाणी और ईसके कायथ एक दूसरे से मेल खाते हों।

5.2. ऄतभवृ ति से व्यवहार का पू वाथ नु मान कब होता है ?

(When Does Attitude Predict Behaviour?)


पूवथवतगीक भाग में हमने देखा कक ऄतभवृति हमारे व्यवहार को ककस प्रकार प्रभातवत करती है। यहां हम
देखेंगे कक ऄतभवृति से व्यवहार का पूवाथनुमान कै से लगाया जाता है, ऄथाथत ऐसी कौन-सी पररतस्थततयाुँ
हैं, तजनमें हम व्यति की ऄतभवृति की तवषय में जानकारी प्राप्त करके व्यति के व्यवहार का पूवाथनुमान
लगा सकते हैं। ऄनुसंधानों से यह पता लगा है कक लोगों द्वारा कु छ पररतस्थततयों के ऄंतगथत ऄपनी
ऄतभवृतियों के ऄनुसार व्यवहार करने की ऄतधक संभावना होती है। यह तवशेष रूप से तब होता है
जब:

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 ऄतभवृतियाुँ व्यतिगत ऄनुभव का For


पररणाम होती हैं।
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 जब व्यति ककसी ऄनुकूल पररणाम की ऄपेिा करता है।


 जब ऄतभवृतियाुँ बारं बार ऄतभव्यि की जाती हैं।
 जब तवचाराधीन मुद्दे के कारण कोइ व्यति कु छ प्राप्त करने या खो देने की तस्थतत में होता है।
 जब हमारी ऄतभवृतियों का तवरोध करने वाले पररतस्थततजन्य कारक कमजोर होते हैं।
 जब हम ईन से ऄवगत होते हैं, और
 ईन्हें दृढ़तापूवक
थ धारण ककया जाता है।

हमारा व्यवहार और हमारी ऄतभव्यि ऄतभवृतियाुँ तभन्न होती है क्योंकक दोनों ऄन्य प्रभावों से
प्रभातवत हो जाते हैं। लेककन हम यकद हमारे व्यवहार पर ऄन्य प्रभावों को तनरस्त कर सकें - ऄन्य सभी
तवषय वस्तुओं को समान बना सकें - तो ऄतभवृतियों से बहत सटीकता पूवक
थ व्यवहार का पूवाथनुमान
लगाया जा सकता है। तनम्नतलतखत चबदु ईन पररतस्थततयों की तवस्तार पूवक
थ व्याख्या करते हैं तजनके
ऄंतगथत लोगों द्वारा ऄपनी ऄतभवृतियों के ऄनुसार व्यवहार करने की ऄतधक से ऄतधक संभावना होती
है।

5.2.1. ऄतभवृ ति की िमता (Strength of Attitude)

ईच्च ऄतभवृति- व्यवहार सुसंगतता की एक महत्वपूणथ शतथ यह है कक ऄतभवृति मजबूत और स्पष्ट हो।
ऄतभवृतियों की िमता व्यतिगत तनतहताथों; प्रत्यि ऄनुभव के माध्यम से गरठत; ऄत्यतधक
ऄंतःस्थातपत ऄतभवृतियों, पर तनभथर करती है ऄथाथत् वे लोगों द्वारा धारण ककए जाने वाले ऄन्य
तवश्वासों से संबद् होती हैं।

5.2.2. ऄतभवृ ति की तस्थरता (Stability of the Attitude)

कम तस्थर और स्मरण न अने वाली ऄतभवृतियों की तुलना में सहजता पूवक


थ स्मरण की जाने वाली
तस्थर ऄतभवृतियों के माध्यम से व्यवहार का पूवाथनुमान लगाए जाने की संभावना ऄतधक होती है।

5.2.3. ऄतभवृ ति की पहुँ च या ऄतभगम्यता (Accessibility of the Attitude)

ऐसी ऄतभवृतियाुँ तजन तक स्मृतत की पहंच ऄतधक होती है वे व्यवहार को ऄतधक प्रबलता पूवक

प्रभातवत करती हैं। ककसी ऄतभवृति तक स्मृतत की पहंच है या नहीं आसका तनधाथरण करने वाला एक
प्राथतमक कारक यह है कक ईसे ककतने बारं बार ऄतभव्यि ककया जाता है। जब ऄतभवृतियाुँ ऄतधकातधक
बारं बार ऄतभव्यि ही जाती हैं तो वे और ऄतधक प्रबल हो जाती हैं। ऄथाथत् ककसी ऄतभवृति को
ऄतभव्यि करने की तजतने ऄतधक ऄवसर अपके तमलते हैं, ईस ऄतभवृति को अप ऄपने तलए ईतना ही
ऄतधक महत्वपूणथ मानते हैं।

5.2.4. ऄतभवृ ति की प्रमु ख तवशे ष ता (Salience of the attitude)

प्रमुख तवशेषता या ख़ातसयत, तवशेष रूप से महत्वपूणथ होने का गुण है। ऄतधकांश तस्थततयों में, कइ
तवतभन्न ऄतभवृतियाुँ व्यवहार के तलए प्रासंतगक हो सकती हैं। प्रमुख तवशेषता, तवशेष रूप से ईस समय
महत्वपूणथ होती है जब ऄतभवृति बहत सुदढ़ृ नहीं होती है। प्रमुख तवशेषता का संदभथ आस त्य से है कक
‍यति के सभी तवश्वासों कोiaऄपने संज्ञानात्मक िेत्र में समान महत्ता प्राप्त नहीं होती है। वह ऄपने
कु छ तवश्वासों के प्रतत ऄतधक तीव्रता से जागरूक हो सकता है, वे ईसके तवचारों में ऄतधक सहजतापूवथ

ऄपनी ईपतस्थतत दजथ कर सकते हैं, ईन्हें ऄतधकातधक बार वाणी के माध्यम से ‍यक्त ककया जा सकता
है, एक शब्द में कहें तो वे प्रमुख होते हैं। मान लीतजए ककसी व्यति कु छ ऐसी वस्तुओं का नाम लेने के

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तलए कहा जाता है जो “जब अप खरीदने के बारे में सोचते हैं तो अपके ध्यान में अती हैं …”. तो वह
व्यति तजस िम में ईन वस्तुओं का नाम लेता है वह प्रमुखता को दशाथता है। कृ पया ध्यान दीतजए की
प्रमुख तवशेषता पूणत
थ या महत्ता का पयाथयवाची नहीं है। ऄतपतु ककसी तवशेष वस्तु की ओर ऄतभवृति
की प्रमुखता को व्यवहार का समुतचत कारक माना जाता है।

5.2.5. ऄतभवृ ति के भावात्मक बनाम सं ज्ञानात्मक पि

(Affective vs. Cognitive Aspects of an Attitude)


कु छ ऄतभवृतियाुँ ऄपने समथथन के तलए संज्ञान ऄथाथत् ऄतभवृतिगत वस्तुओं के प्रतत तवश्वासों पर
ऄत्यतधक तनभथर करती हैं। ऄन्य ऄतभवृतियाुँ ऄतधकातधक भावात्मक अधार पर स्थातपत होती हैं, जो
ऄतभवृतिगत वस्तु के प्रतत ‍यति द्वारा संबद् की जाने वाली सकारात्मक या नकारात्मक भावनाओं पर
तनभथर होता है। ऄतभवृति के भावात्मक ऄवयव को ऄतधक प्रमुख बनाना ‍यवहार पर भावात्मक
ऄवयव के प्रभाव को बढ़ाता है, जबकक संज्ञानात्मक ऄवयव को और ऄतधक प्रमुख बनाना संज्ञानात्मक
ऄवयव को ‍यवहार का ऄतधक सशक्त तनधाथरक बनाता है। हालांकक, जब ऄतभवृति के संज्ञानात्मक
और भावात्मक ऄवयव एक दूसरे से सुसग
ं त होते हैं, तो ककसी को भी प्रमुख बनाने से ऄंतर नहीं पड़ता:
ककसी को भी प्रमुख बनाने से दोनों ‍यवहार के साथ ऄत्यतधक सुसंगत होंगे।

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6. तवचार ककए जाने हे तु ईदाहरण


(Examples for Pondering)

6.1. के स स्टडी 1

गंगा ऄल्सेक टेनोलोलॉजीज के तलए काम करने वाली सॉफ्टवेयर आंजीतनयर है। वह ऄपनी प्रततस्पधगीक फमथ
नोवाटेक्स तसस्टम्स से नौकरी का प्रस्ताव पाकर रोमांतचत थीं। वह नोवाटेक्स की ईद्योग ऄग्रणी और
अदशथ तनयोिा के रूप में बहत सराहना करती थी। तजस पद का ईसे प्रस्ताव तमला था, ईसकी ईसे
हमेशा से ही चाह थी। ऄपने पतत तवष्णु से ईसने आस प्रस्ताव पर चचाथ की। तवष्णु ने कु छ प्रश्न ईठाए,
तजन्होंने ईसे परे शानी में डाल कदया। तवष्णु ने ईससे तजस बड़ी पररयोजना पर वह काम कर रही थी
ईसके संबंध में पूछा। ईसने ईसे याद कदलाया कक आस पररयोजना को प्रारं भ करने में वह प्रमुख प्रेरक
थी। ईसने कहा, यकद तुम आस समय ऄल्सेक को छोड़ देती हो, तो वे बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं।
तवष्णु ने अश्चयथ के साथ पूछा कक क्या ईसका आस समय जाना कं पनी और पूरी पररयोजना टीम को
तनराश करने वाला नहीं होगा।
ईसने ऄल्सेक में ऄच्छा काम ककया है और कं पनी ने ईससे ऄच्छा ‍यवहार ककया है। मुद्दा यह है कक
अपके तलए क्या करना सही है, न कक कं पनी क्या करे गी या नहीं करे गी। दोनों प्रततस्पधगीक फमें हैं। यह
पाला बदलने जैसा है। यह के वल कं पनी के प्रतत तनष्ठा नहीं है, बतल्क तजन लोगों के साथ अप काम
करते हैं ईनके प्रतत भी तनष्ठा है। नोवाटेक्स को तुरंत ककसी की अवश्यकता है। लेककन ईन्होंने प्रस्ताव
के संबंध में सोच-तवचार करने के तलए ईसे कु छ और समय कदया। यह गंगा के तलए एक एक बहत बड़ा
ऄवसर है। तवष्णु के साथ ईसकी बातचीत ने ईसे परे शानी में डाल कदया और वह सोचने लगी कक क्या
वह ऐसे प्रस्ताव को स्वीकार करके सही काम करे गी, तजसे वह बहत समय से चाहती है।
 गंगा को क्या करना चातहए ? ककन अदशों, दातयत्वों और प्रभावों को ईसे ध्यान में रखना चातहए।
 क्या सब कु छ छोड़ देना और नोवाटेक्स में चले जाना गंगा का गैर-पेशेवर व्यवहार होगा ? क्या
आससे वह सत्यतनष्ठा की कमी प्रदर्तशत करे गी ? क्या एकाएक नौकरी छोड़कर जाना ईसके कै ररयर
को नकारात्मक रूप से प्रभातवत कर सकता है?
 क्या नइ कं पनी में पदभार ग्रहण करना नैततक रूप से गलत है, नैततक रूप से ईतचत है या नैततक
रूप से अवश्यक है? गंगा के तवकल्पों का परीिण कीतजए।
ईपयुक्
थ त प्रश्नों का ईिर देने के तलए तनम्नतलतखत पर तवचार कीतजए
प्रासंतगक त्य क्या हैं?
1. गंगा ऄल्सेक के तलए काम करने वाली सॉफ्टवेयर आं जीतनयर है, लेककन वतथमान में वह ऐसी नौकरी
में नहीं है तजसे वह हमेशा से चाहती रही है।
2. ईसे नोवाटेक्स से एक प्रस्ताव तमलता है, लेककन ईसका पतत ईसे याद कदलाता है कक आस समय वह
ऄल्सेक के तलए ककतनी महत्वपूणथ है।
3. ईसने प्रततस्पधगीक फमों में पाला बदलने वाले ऄपने सहयोतगयों के संबंध में टीका-रटप्पणी की।
नीतत शास्त्रीय मुद्दे क्या हैं?
1. क्या गंगा को आस त्य के बावजूद नोवाटेक्स में सतम्मतलत हो जाना चातहए कक वह वतथमान
पररयोजना के पीछे प्रेरक बल है ?
2. गंगा को ककस अधारों को ध्यान में रखते हए तनणथय लेना चातहए ?
संभव समाधान
वतथमान में, गंगा का वतथमान तनयोिा ईसे शीषथ तनष्पादक मानता है और ईनका व्यवहार गंगा के प्रतत
ऄच्छा है। एक प्रततस्पधगीक कं पनी ईसे लेना चाहती है। गंगा को ईनके प्रस्ताव को सुनने एवं ईस पर
तवचार करने का ऄतधकार है।

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वह ऄल्सेक में ऄपने कै ररयर की उंचाआयों को छू चुकी है और नोवाटेक्स द्वारा प्रस्तातवत ललचाने वाला
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यह पद तवकास का ऄवसर प्रस्तुत करता है, और वह आस पर तजज्ञासावश या कै ररयर की महत्वाकांिा


से प्रेररत होकर, तवचार करना चाहती है।
यकद वह बुतद्मानी से देखे, तो ईसका वतथमान तनयोिा आसे तनष्ठाहीनता के रूप में देख सकता है। वह
स्पष्ट नीततशास्त्रीय सीमाएं बनाए रखकर आस जोतखम को कम कर सकती है। सामान्य बुतद्मत्ता रखने
वाला व्यति ऐसी तस्थतत में क्या करे गा ?
 सवथप्रथम, प्रततस्पधगीक कं पनी का प्रस्ताव सुनने पर ईसे आस बात के प्रतत सुतनतित होना चातहए कक
ईसे वे ऐसा कु छ नहीं बताएंगे जो वे नहीं चाहते हैं कक वह जाने, यकद वह ऄपने वतथमान तनयोिा
के तलए काम करना जारी रखती है। ऐसा करना ईसकी सत्यतनष्ठा और व्यावसातयकता में वृतद्
करे गी।
 तद्वतीय, प्रततस्पधगीक का प्रस्ताव स्वीकार करने से पहले, वह ऄपने वतथमान तनयोिा को
प्रततस्पधाथत्मक प्रस्ताव देने का ऄवसर दे सकती है।
 तृतीय, यकद वह ऄपनी वतथमान कं पनी छोड़ती है, तो ईसे वतथमान पररयोजना को पूरा करके
(तजससे वह जुड़ी है) ईनके साथ समुतचत ‍यवहार करना चातहए क्योंकक नीततशास्त्र मांग करता है
कक वह पूवथ तनयोिा की अतंररक जानकाररयों को नए तनयोिा से साझा नहीं करें ।
 चतुथ,थ ईसे ऄपने वतथमान तनयोिा को तवश्वास में लेते हए यह सुतनतित करना चातहए कक नया
प्रस्ताव बस ईन्नतत संबंध ऄवसर के तलया है और वह प्रततस्पधगीक कं पतनयों के बीच पाला बदलने
वाले कमथचाररयों को नकारात्मक रूप से देखने की चचताओं को कम करे गी।
 आसके बाद, दो तवकल्पों का अकलन करते हए, ईसे स्वयं से पूछना चातहए कक क्या वह आस समय
जोतखम ईठाकर ऄपनी पसंद की नौकरी में जाकर या वतथमान कं पनी में संभातवत रूप से ऄच्छा
ऄवसर खोने जैसी दोनों तस्थततयों में से ककसे लेकर एक वषथ बाद ऄतधक पछतायेगी। आसे ध्यान में
रखते हए वह या तो ऄपने प्रततस्पधगीक को फोन करे और मना करते हए धन्यवाद कहे या कफर ईन्हें
हाुँ कहे।

6.2. के स स्टडी 2

अप सड़क अयोग के आं जीतनयटरग प्रबंधक हैं तजसका प्राथतमक ईत्तरदातयत्व तजला सड़क की सुरिा
है। सड़क के एक तनतित तहस्से में आसके ककनारे लगे वृिों से दुघथटनाग्रस्त होकर तवगत सात वषों में कम
से कम प्रतत वषथ 1 व्यति की मृत्यु हइ है। कइ ऄन्य दुघथटनाएुँ भी हइ हैं। सड़क के ऄसुरतित खंड के
संबंध में दो मुकदमे भी दायर ककए गए थे, लेककन आसतलए खाररज हो गए क्योंकक चालकों ने 45 मील
प्रतत घंटे की सीमा का ईल्लंघन ककया था। अप ऄनुशस
ं ा करते हैं कक सड़क चौड़ी की जाए, तजसके
पररणामस्वरूप लगभग 30 पुराने पेड़ काट कदए जाएंगे। पयाथवरणीय समूह तवरोध करते हैं और पेड़ों
को बचाने के तलए 150 लोगों द्वारा हस्तािररत यातचका दायर करते हैं। आस मुद्दे के दोनों पिों पर
सावथजतनक बहस होती है।
"चचाथ कीतजए कक अप आस चबदु पर कै से अगे बढ़ेंगे।"
सामातजक मूल्य: आस तस्थतत से तवतभन्न प्रकार के सामातजक मूल्य संबंतधत हैं। समाज मानव जीवन को
महत्व देता है, आसतलए यह सड़क चौड़ा करने और पेड़ों को काटने का पि लेगा। समाज कानूनों के
पालन को भी महत्व देता है। चूंकक यह तकथ कदया जा सकता है कक दुघथटनाग्रस्त होने वाले लोगों की गतत
ऄतधक थी, आस प्रकार वे कानून का ईल्लंघन कर रहे थे।
तजन कदमों का मैं ऄनुसरण करूुँगा
1. सवथप्रथम, मैं जनता को सूतचत करने के तलए सावथजतनक बैठक अयोतजत करूुँगा। यह ध्यान कदया
जाना चातहए कक यातचका लगाने वाले लोगों की न्यूनतम संख्या प्रभातवत लोगों का एक बहत
छोटा-सा तहस्सा है (शहर में 60,000 तक, आसतलए सड़क चौड़ा करने के पि में एक मूक बहमत

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हो सकता है)। समझाउंगा कक तकनीकी रूप से सबसे ऄच्छा समाधान सड़क को चौड़ा करना ही
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क्यों है।
2. तजले को सड़क को चौड़ा करना चातहए और आष्टतम सुरिा के तलए मागथ से सटे पेड़ों को हटा देना
चातहए।
3. तजले को तवस्थातपत पेड़ों को ऄन्य सावथजतनक संपति (ईद्यान, अकद) में स्थानांतररत करने पर

तवचार करना चातहए, यकद संभव हो और दोगुनी संख्या में पेड़ लगाना चातहए।
यह समाधान सावथजतनक सुरिा (जो मानव नीततशास्त्र है) और पयाथवरण संरिण (जो पयाथवरणीय
नीततशास्त्र का भाग है), दोनों को समायोतजत करता है।

6.3. के स स्टडी 3

तपछले महीने नागररक तनवारण से तनपटने के दौरान अपके एक कमथचारी ने तनष्पादन में भारी
तगरावट प्रदर्तशत की थी। हालांकक यह तगरावट तपछले छह महीनों से चली अ रही थी, लेककन यह
तपछले महीने के दौरान तवशेष रूप से तीव्र थी और अपको बहत सी तशकायतें तमली थीं। आसके
ऄततररक्त, वह देर से अने लगी थी, तजससे ऄपने काम से बहत कुं ठाग्रस्त लगती थी। ईसकी कुं ठा
कायाथलय में वातावरण प्रभातवत कर रही थी क्योंकक वह लोकतप्रय कमथचारी थीं और तपछले दो वषों से
कं पनी के तलए काम कर रही थी।
व्यतित्व/चररत्र और ईसके मूल्यों और संगठनात्मक मूल्यों के अधार पर ककसी व्यति द्वारा की जाने
वाली कायथवाही तनम्नतलतखत है। अप क्या तवकल्प चुनग
ें े साथ ही ऄपने चयतनत तवकल्प का औतचत्य
दशाथआये।
1. मैं ईसे बातचीत के तलए बुलाउंगा और समस्या का स्रोत पता लगाने का प्रयास करूुँगा। मैं
समझाउंगा कक यह व्यवहार आससे जुड़े सभी लोगों के तलए बुरा है और ईसमें वह भी सतम्मतलत है।
मैं आस शतथ पर ईसकी सहायता करने की ऄपनी सच्ची आच्छा व्यि करूुँगा कक वह मेरे साथ काम
करे , न कक मेरे तवरूद्।

2. पदावनत करना सवाथतधक ईपयुि समाधान है। ईसके कोइ ऄन्य पद देना श्रेयस्कर रहेगा तथा
ईसको ऑकफस के बैक-एन्ड कायथ सौंपै जा सकते है। कमथचाररयों का मापन ईपलतब्धयों द्वारा ककया
जा रहा है और यकद वह अवश्यकताएं पूरी नहीं करती है तो मेरे पास कोइ तवकल्प नहीं होगा।
आसके ऄततररक्त वह कमथचाररयों में एक सम्मातनत कमथचारी है और मुझे ईसे ऄन्य सभी
कमथचाररयों को तबगाड़ने या ईसके जैसा व्यवहार करने से रोकना होगा।
3. मैं नकारात्मक माहौल के संबंध में बात करने के तलए कमथचाररयों की बैठक बुलाउुँगा और यह
सुतनतित करूुँगा कक वह कमथचारी वहां न हो ताकक कोइ ऄस्वीकृ तत न हो।
4. वह तपछले दो वषों से काम कर रही है। साथ ही हो सकता हैं, की कु छ कारणों से वो ऄपना
सवोत्तम प्रदान नहीं कर पा रही है। चूुँकक जरूरत के ऄनुसार संवेदनशीलता मेरे काम का तहस्सा
है, ऄत: ईसे आस मामले में कु छ तशतथलता प्रदान करनी होगी।

6.4. के स स्टडी 4

एक सहकमगीक अपको कमतर करके अंक रहा है। आस समय अपके तवभाग में ईसका सबसे कम वररष्ठ पद
है और कम ऄनुभवी है। हालांकक, ईसकी प्रभावशाली ऄकादतमक ईपलतब्धयां हैं और वह बहत
प्रततभाशाली है। अपको सूतचत ककया जाता है कक वह कु छ ईन प्रातधकारों को प्राप्त करने का आच्छु क हैं
जो वतथमान में अपके पास हैं।

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अप क्या करें गे और क्यों? नीचे कदए तवकल्पों में से एक तवकल्प चुतनए और ऄपने जीवन में सीखे
मूल्यों से जोड़ कर कारण बताआए।
A. मैं यह देखूुँगा कक चीजें ककस प्रकार अगे बढ़ रही हैं; तसफथ आसतलए कारथ वाइ करना ईतचत नहीं है
क्योंकक ककसी तीसरे पि ने ककसी ठोस साक्ष्य के तबना मुझसे कु छ कहा है।
B. मैं ईसे स्पष्टीकरण देने के तलए बुलाउंगा और आसे तुरंत रूकने के तलए कूरंगा। मैं समझाउंगा कक
सहयोग काम करने का श्रेष्ठ तरीका है और यह कक हम दोनों एक-दूसरे से सीख सकते हैं। यकद वह
समझने से मना कर देता है तो मैं और ऄतधक गंभीर कदम ईठाउंगा।
C. मैं आन मुद्दों के साथ कोइ कोर-कसर नहीं छोडू ग
ुँ ा, मुझे आस त्य का लाभ ईठाना चातहए कक ऄभी

मैं अगे ूरुँ। मैं आसकी सूचना ऄपने पयथवि


े क को दूग
ुँ ा, और ईसे प्रततस्थापन पर पुनर्तवचार करने का
परामशथ दूग
ुँ ा।
D. मैं आसे बड़ा मुद्दा नहीं बनाना चाहता ूरुँ और आसतलए मैं तीसरे पि से ईसे सूतचत करने के तलए
कूरुँगा कक ईसका व्यवहार ऄस्वीकायथ है।

6.5. के स स्टडी 5

डायमंड मचेंट स्टोर में हीरे की एक घड़ी चोरी हो जाती है। तवनय द्वारा CCTV टेप के ऄध्ययन के

अधार पर घड़ी की साज-संभाल करते हए देखा गया एकमात्र व्यति अभूषण सेल्समैन संतोष था,
हालांकक यह ठीक-ठीक नहीं तनधाथररत ककया जा सकता था कक क्या संतोष ने ही घड़ी चुराइ है। ऄन्य
कमथचाररयों के तवपरीत वह झूठ पकड़ने वाले परीिण में भी तवफल रहा था। तवद्या प्रबंधक है और वह
ध्यान देती है कक संतोष के अवेदन में दोष है और तपछले कायथ ऄनुभव के साथ सुसंगत नहीं है। यकद
तवनय ने सुझाव नहीं कदया होता तो ईसने संतोष के अवेदन में ऄतनयतमतताओं को नहीं देखा होता।
वह यह भी नहीं सोचती है कक यकद संतोष ने घड़ी चुराइ है तो ईसे काम जारी रखने देना ईतचत नहीं
है। हालांकक, वह महसूस करती है कक पाररतस्थततक साक्ष्य के बावजूद दोषी तसद् न होने तक वह
तनदोष है।
नीततशास्त्रीय मुद्दे क्या हैं?

1. चोरी के संदह
े वाले कमथचारी की सेवा समातप्त के तलए सामान्यत: ईपयुि अधार क्या हैं?

2. यकद ककसी तनयोिा के पास ऄत्यतधक सशि पाररतस्थततक साक्ष्य हैं कक कोइ कमथचारी चोरी का
दोषी है, लेककन साक्ष्य तनणाथयक नहीं हैं तो क्या ईन कारकों के अधार पर कमथचारी की सेवा

समातप्त नीततशास्त्रीय कदम है जो स्वयं से सेवा समातप्त का वास्ततवक कारण नहीं हैं?

3. चोरी के संदह
े वाले कमथचाररयों के नैततक ऄतधकार क्या हैं?

प्राथतमक तहतधारक कौन हैं?

1. तवद्या
2. तवनय
3. संतोष
4. स्टोर के सभी ऄन्य कमथचारी
संभव तवकल्प क्या हैं?
 संतोष को ईसके अवेदन पत्र में तवसंगततयों के अधार पर तनकालना।
 कु छ नहीं करना

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वैकतल्पक नीततशास्त्र क्या हैं?
1. संतोष पर क्या प्रभाव पड़ेगा यकद ईसे ईसकी सेवा समातप्त का वास्ततवक कारण नहीं बताया
जाता है? तवद्या पर क्या प्रभाव पड़ेगा यकद संतोष को ईसकी सेवा समातप्त का वास्ततवक कारण
बताया जाता हैं? बोझ तवतररत करने के आन दो तरीकों में से कौन-सा सवाथतधक ईतचत है?
2. यकद संतोष का रोजगार समाप्त कर कदया जाता है, तो कौन लाभातन्वत होगा और ककस पर आसका

बोझ अएगा? कौन लाभातन्वत होगा और ककस पर प्रभाव पड़ेगा यकद वह नहीं है? लाभ और
प्रभाव का कौन-सा तवतरण सवाथतधक न्यायोतचत है?
3. यकद तवद्या कागजी बारीकी के कारण संतोष को तनकाल देती है, तो क्या ईसे आसका पालन करते
हए स्टोर के अभूषण तवभाग के ऄन्य सदस्यों की भी जांच करनी चातहए?
यकद संतोष ने वास्तव में घड़ी चुराइ है, तो क्या ईसके तलए रोजगार में बने रहना ईतचत होगा?

7. तवगत वषों में सं घ लोक से वा अयोग (UPSC) द्वारा पू छे


गए प्रश्न
(Past Year UPSC Questions)

2014
1. सामातजक समस्याओं के प्रतत व्यति की ऄतभवृति (एटीटयूड) के तनमाथण में कौन-से कारक
प्रभाव डालते है ? हमारे समाज में ऄनेक सामातजक समस्याओं के प्रतत तवषम ऄतभवृतियाुँ
व्याप्त है। हमारे समाज में जातत प्रथा के बारे में क्या-क्या तवषम ऄतभवृतियाुँ अपको कदखाइ
देती हैं, आन तवषम ऄतभवृतियों के ऄतस्तत्व को अप ककस प्रकार स्पष्ट करते है?
2015
1. लोक सेवकों की ऄपने कायथ के प्रतत प्रदर्तशत दो ऄलग-ऄलग प्रकारों की ऄतभवृतियों की
पहचान ऄतधकारी तंत्रीय ऄतभवृति और लोकतांतत्रक ऄतभवृतत के रूप में की गइ है।
(a) आन दो पदों के बीच तवभेदन कीतजए और ईनके गणों-ऄवगुणों को बताआए।
(b) ऄपने देश का तेजी के तवकास की दृतष्ट से बेहतर प्रशासन के तनमाथण के तलए क्या दोनों में
संतल
ु न स्थातपत करना संभव है?
2016
1. सामातजक प्रभाव और ऄनुनय स्वच्छ भारत ऄतभयान की सफलता के तलए ककस प्रकार
योगदान कर सकते है? (150 शब्द)
2. जीवन, कायथ, ऄन्य व्यतियों एवं समाज के प्रतत हमारी ऄतभवृतियाुँ अमतौर पर ऄनजाने में
पररवार एवं ईस सामातजक पररवेश के द्वारा रूतपत हो जाती है, तजसमें हम बड़े होते हैं।
ऄनजाने में प्राप्त आनमें से कु छ ऄतभवृतियाुँ मूल्य ऄक्सर अधुतनक लोकतांतत्रक एवं
समतावादी समाज के नागररकों के तलए ऄवांछनीय होते हैं।
(a) अज के तशतित भारतीयों में तवद्यमान ऐसे ऄवांछनीय मूल्यों की तववेचना कीतजए।

(b) ऐसी ऄवांछनीय ऄतभवृतियों को कै से बदला जा सकता है तथा लोक सेवाओं के तलए
अवश्यक समझे जाने वाले सामातजक-नैततक मूल्यों को अकांिी तथा कायथरत लोक सेवकों में
ककस प्रकार संवर्तधत ककया जा सकता है?
2017
1. नैततक अचरण वाले युवा लोग सकिय राजनीतत में शातमल होने के तलए ईत्सुक नहीं होते है।
ईनको सकिय राजनीतत में ऄतभप्रेररत करने के तलए ईपाय सुझाआए। (150 शब्द)

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8. तवगत वषों में Vision IAS GS में स टे स्ट सीरीज में पू छे


गए प्रश्न
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions)

1. राष्ट्रों की एक-दूसरे के प्रतत ऄतभवृति को तवतनयतमत करने में नैततकता का प्रभाव ऄत्यल्प
होता है, आसके कारणों की चचाथ कीतजए?

ईिर: स्थानीय पररचालनों की तुलना में ऄंतरराष्ट्रीय संबंधों के तनधाथरण हेतु नैततक तनणथय-तनमाथण
ऄतधक चुनौतीपूणथ हो सकता है। आसका तात्पयथ यह है कक राष्ट्रों की ऄतभवृति को तवतनयतमत
करने में नैततकता का प्रभाव बहत कम पड़ता है। आसके कु छ कारण तनम्नतलतखत हैं:
 तवदेश नीतत का तनमाथण करना सरकारों का ईिरदातयत्व होता है। आस प्रकार तवदेश
नीतत तनमाथण में नैततक तवचारों पर ध्यान कदया जाना सरकार पर तनभथर करता है, न कक
ककसी व्यति ऄथवा नागररकों पर (हालांकक बेहतर ढंग से संचातलत लोकतंत्र में लोगों
की आच्छा को सरकार द्वारा ऄतभव्यि ककया जाता है)।
 सरकार एक एजेंट है, सवोपरर नहीं है। आसका प्राथतमक दातयत्व समाज के तहतों को
सुतनतित करना है, तजनका यह प्रतततनतधत्वक करता है न कक नैततक अवेगों का,
तजसका ईस समाज के व्यतिगत तत्वों द्वारा ऄनुभव ककया जाता है।
 राष्ट्र-राज्य की ऄवधारणा प्राय: देश के सैन्य सुरिा, िेत्रीय एकता एवं ऄखंडता तथा
लोगों के कल्याण से संबंतधत होती है। आन एवं ऄन्य प्राथतमकताओं के कारण नैततकता
की ऄवधारणा सामान्यतया कम महत्वपूणथ हो जाती है।
 राष्ट्रीय ऄतस्तत्व की ऄपररहायथ अवश्यकताओं को शायद ही कभी "ऄच्छे" ऄथवा "बुरे"
के संदभथ में वगगीककृत ककया जाता है।
 नैततकता का कोइ ऄंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकायथ मानदंड नहीं है, तजसके अधार पर कोइ
भी सरकार नैततक तसद्ांतों के अधार पर कायथ करने की ऄपील कर सकती हो।
 संस्कृ तत-संचातलत नैततकता राष्ट्रों के मध्य तभन्न होती है, तजससे ऄंतरराष्ट्रीय िेत्र में कायथ
करते हए एक राष्ट्र के नीतत तनमाथताओं के तलए सख्त नैततक संतहता का पालन करना
करठन हो जाता है।
 नैततक दुतवधा (Ethical dilemma) तब ईत्पन्न होती है जब तवदेश नीतत तनमाथताओं को
ऐसे कायों को को ककया जाना तनधाथररत करना होगा जो कक ईस देश में नैततक रूप से
ऄस्वीकायथ है, परन्तु ऄन्य देश में ऄपेतित और अवश्यक है।
 तवदेशी नीततयों के तनमाथण के पिात नैततकता कम होने ऄथवा समाज के ऄनुरूप न होने
पर ईन्हें लागू ककया जाना तवपरीत प्रभाव ईत्पन्न करे गा।

2. "जो यह कहते हैं कक धमथ का राजनीतत से कोइ सम्बन्ध नहीं है, वे नहीं जानते कक धमथ होता
क्या है।” आस कथन की व्याख्या करें । साथ ही, भारतीय सन्दभथ में राजनीततक दृतष्टकोण के
तनमाथण में धमथ की भूतमका की जांच करें ।
दृतष्टकोण:
यह ईद्रण महात्मा गांधी का है जो लोगों के राजनीततक और नैततक दृतष्टकोण के गठन में
धमथ के महत्व को रे खांककत करता है। ईिर को तनम्न प्रकार से गरठत ककया जा सकता है:
 कथन और आसकी पूवथधारणा की तवस्तृत व्याख्या करें ।
 आस बात पर तवचार करें कक ककस प्रकार धमथ ने भारत में राजनीततक दृतष्टकोण को
अकार देने में महत्वपूणथ भूतमका तनभाइ है।

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साम्प्रदातयक अधार पर भारत का तवभाजन तथा एक तवतशष्ट धार्तमक तवचारधारा से


सम्बंतधत राजनीततक दलों का ऄतस्तत्व महात्मा गांधी के ईपयुथि ईद्रण के दृष्टांत तथा
प्रमाण हैं। भारत जैसे एक तवकासशील समाज में, जहां परम्परा अधुतनक प्रथाओं से सह-

ऄतस्तत्व बनाए रखती है, धमथ समाज में सिा के तवतरण में ऄब भी ऄत्यंत महत्वपूणथ भूतमका

तनभाता है। आसतलए, यह तवचार कक राजनीतत धार्तमक तवचारों से तनरापद है, भारतीय
समाज के सामातजक-राजनीततक जीवन में धमथ की शतिशाली भूतमका की ऄज्ञानता तुल्य है।
यह कहा जा सकता है कक धमथ अज भी भारत में लोगों के बड़े वगथ के राजनीततक दृतष्टकोण को
मूल रूप से तनर्तमत करता है।
यद्यतप पररवार, जातत, नस्लवाद, िेत्र, वृति जैसे कइ तवतभन्न कारक हैं जो लोगों के सामान्य

राजनीततक दृतष्टकोण का तनधाथरण करते हैं, लेककन भारतीय पररप्रेक्ष्य में धमथ ने ऐततहातसक
रूप से बड़ी महत्वपूणथ भूतमका तनभाइ है। आस तस्थतत के तवतभन्न सतन्नतहत कारण तनम्नतलतखत
हैं:
 तवतवधतापूणथ सामातजक संरचना के बाद भी तवतवध ऄल्पसंख्यक धार्तमक समुदायों की
ऄपेिा एक धमथ के प्राबल्य ने सामातजक-राजनीततक जीवन में धार्तमक पहचान को
महत्वपूणथ बना कदया।
 औपतनवेतशक दौर में समाज को धार्तमक-राजनीततक अधार पर तवभातजत करने हेतु
धार्तमक पहचान पर बल कदया गया था। तभी से भारत के राजनीततक पररदृश्य में धमथ
एक महत्वपूणथ सामातजक शति बन गया।
 धमथ समाज का नैततक ढांचा प्रदान करता है जो राजनीततक कायों को भी प्रभातवत
करता है। जैसे गौ-मांस के प्रयोग को प्रततबंतधत करना, समाज में नारी की भूतमका
अकद।
 राजनीततक स्वाथों हेतु धार्तमक पहचानों का ईपयोग करना ऄपेिाकृ त सरल है क्योंकक वे
पुरातन हैं और जनता पर ऄनुनादी प्रभाव पैदा करते हैं या सरलता से ईनकी समझ में
अ जाते हैं।

3. "ऄनुनय से समाज सुचारू रूप से काम करता है जबकक ऄवपीड़न आसे ठहराव की तस्थतत में

ला देता है।" समाज में पररवतथन लाने के तलए प्रभावकारी भूतमका के तौर पर ऄनुनय की
प्रभावशीलता की तुलना ऄवपीड़न के साथ करें । समाज से वतथमान सामातजक बुराआयों को
दूर करने में लोक सेवक ककस प्रकार ऄनुनय का ईपयोग कर सकते हैं?
दृतष्टकोण:
प्रश्न का मूल तवषय दूसरों को प्रभातवत करने और समाज में पररवतथन लाने में ऄनुनय के
महत्व की तुलना ऄवपीड़न के साथ करना है। ईिर की संरचना तनम्नतलतखत प्रकार से तनर्तमत
की जा सकती है:
 संिेप में ऄनुनय और ऄवपीड़न को पररभातषत करें ।
 ईदाहरण देते हए ईन तस्थततयों का परीिण करें तजसमें ऄनुनय ऄवपीड़न की तुलना में
ऄतधक ईिम रणनीतत तसद् होती है।
 तृतीय, ऐसे कु छ तरीकों/ईपायों का सुझाव दें तजसके माध्यम से लोक सेवक कु छ तवशेष
सामातजक बुराआयों को दूर करने के तलए ऄनुनय का ईपयोग कर सकें ।

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हमारे तवचार और कायथ ऄन्य लोगों से प्रभातवत होते हैं चाहे हम तनतष्िय रूप ईनके व्यवहार
का ऄवलोकन कर रहे हों या सकिय रूप से ईनके ऄनुरोध का ऄनुपालन कर रहे हों। दैतनक
जीवन में हम या तो ऄपनी अवश्यकताओं को पूरा करने के तलए या कफर लोगों के तवचारों
और मान्यताओं में पररवतथन लाने हेतु ईन्हें समझाने में ऄनुनय का ईपयोग करते हैं। आस
प्रकार, ऄनुनय दूसरों के दृतष्टकोण/धारणाओं में पररवतथन लाने का सचेत प्रयास है। आसमें

'हृदय और मन' जीतने का प्रयास ककया जाता है। आसके द्वारा व्यति की ऄतभवृति, ऄतभप्रेरणा

या व्यवहार पर प्रभाव डाला जाता है। वहीं दूसरी ओर ऄवपीड़न, बल या धमकी का ईपयोग
करके कु छ करने हेतु ककसी को बाध्य करना है। आसका तनतहताथथ यह है कक कायथ व्यति की
आच्छा के तवरुद् होता है।
ऄवपीड़न की तुलना में ऄनुनय की प्रभावशीलता
 ऄनुनय, व्यति की सोच, हृदय व मन में पररवतथन लाने पर तनभथर करता है। यह स्वेच्छा
से लोगों के तवश्वास या कायों में पररवतथन लाने की अवश्यकता पर बल देता है। वहीं
दूसरी ओर ऄवपीड़न में धमकी, शति, द‍ड का ईपयोग होता है ताकक व्यति तदनुसार/
गैर-स्वैतच्छक रूप से कायथ करने के तलए तववशता का ऄनुभव करे ।
 ऄनुनय की रणनीततयों में प्रेरणादायी ऄपील, परामशथ और सहयोग सतम्मतलत होता है।

ये समाज में पररवतथन लाने के लोकतांतत्रक तरीके हैं। तजन लोगों को मनाया जाता है, वे
एक साथ ककसी और तवशेष कारथ वाइ करने के तलए अंतररक रूप से प्रेररत होते हैं।
जबकक, ऄवपीड़न व्यति को बलपूवथक, अरोतपत और ऄलोकतांतत्रक तरीके से पररवतथन
स्वीकार करने के तलए तववश करता है।
 हालांकक ऄनुनय की प्रकिया में ऄतधक समय लग सकता है तथातप, आसमें प्रततशोध या
बदला लेने की ऄवधारणा का स्थान नहीं होता। ऄनुनय के साधनों के ऄतधक स्थायी और
ऄतधक बेहतर होने की संभावना होती है। जबकक वहीं धौंस कदखाकर बाध्य करने पर,
प्रततकार करना और पहला ऄवसर तमलते ही ईसे नहीं मानना मानव का स्वभाव है।
ईदाहरण: जनसंख्या तनयंतत्रत करने के िम में पररवार तनयोजन के ईपायों को ऄपनाने के
तलए लोगों का मन बदलने के तलए, ऄनुनय ऄवपीड़न की तुलना में ऄतधक प्रभावी तकनीक है
क्योंकक पररवार तनयोजन के तरीके ऄपनाने से समाज में तवतभन्न समुदायों की सामातजक-
सांस्कृ ततक और धार्तमक भावनाएं प्रभातवत होती हैं। यकद ऄवपीड़न का ईपयोग ककया जाता
है तो कइ लोग प्रततकार करते हैं (जैसा कक 1976-77 में स्पष्ट हअ था जब पररवार तनयंत्रण
के ईपायों को लोगों की सामातजक-सांस्कृ ततक और धार्तमक भावनाओं की ईपेिा करते हए
लोगों पर थोपा गया था)।
वे तरीके तजसका लोक सेवकों द्वारा ऄनुनय के रूप में ईपयोग ककया जा सकता है-
 सरकार के सभी स्तरों पर कायथरत लोक सेवक पयाथप्त तववेकातधकार और प्रातधकार का
ईपभोग करते हैं और प्रायः लोगों के जीवन पर ईनका महत्वपूणथ प्रभाव पड़ता है। वे
नीततयों के तवकास, करों के ‍यय और सेवाओं के तवतरण को प्रभातवत करते हैं।

 यकद तववेकपरक/तार्ककक ऄनुनय का त्यों और तकों के साथ ईपयोग ककया जाता है,

तथा जब ये सकारात्मक लाभों पर अधाररत है, तो यह व्यति के दृतष्टकोण में पररवतथन

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लाने में एक ऄच्छी रणनीतत का काम करता है। ईदाहरण-'स्वच्छ भारत ऄतभयान'-
सामूतहक समुदातयक व्यवहार में पररवतथन लाने के तलए जागरूकता का ईपयोग करता
है। आसके साथ ही चलग ऄनुपात में तगरावट के प्रतत संवेदनशीलता बढ़ाने के तलए यकद
समग्र समाज पर आसके प्रभावों को त्यों, अंकड़ों और ररपोटों के द्वारा प्रस्तुत ककया
जाए और लड़ककयों की शादी व सुरिा संबंधी तस्थततयों पर आसके प्रभाव को प्रदर्तशत
ककया जाए तो बलप्रयोग की रणनीतत की तुलना में आसका दीघथकातलक प्रभाव ऄतधक
होता है।
 यकद तजले/राज्य में नागररक समाज, गैर-सरकारी संगठन, धार्तमक समूह, युवाओं,

बुजुगों, मतहला संगठनों अकद जैसे समाज के सभी तहतधारकों से तवचार-तवमशथ ककया
जाता है तो तसतवल सेवक समाज में पररवतथन लाने के तलए कारथ वाइ के तवशेष तवकल्प
का चयन पारस्पररक सहमतत से कर सकते हैं। ईदाहरण- जब भी बातलका तशशु जन्म
लेती है तो लोगों/पररवार का दृतष्टकोण बदलने के तलए "बेटी के साथ सेल्फी" जैसी नवीन
तकनीकों को बढ़ावा देना।

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9. तवगत वषों में सं घ लोक से वा अयोग द्वारा पू छे गए प्रश्न:


के स स्टडीज
(UPSC Previous Years Question Paper :Case Studies)

1. अप अइ.ए.एस. ऄतधकारी बनने के आच्छु क हैं और अप तवतभन्न चरणों को पार करने के बाद
व्यतिगत सािात्कार के तलए चुन तलए गए हैं। सािात्कार के कदन जब अप सािात्कार स्थल
की ओर जा रहे थे तब अपने एक दुघथटना देखी जहाुँ एक माुँ और बच्चा जो कक अपके
ररश्तेदार थे, दुघथटना के कारण बुरी तरह से घायल हए थे। ईन्हें तुरंत सहायता की
अवश्यकता थी। अपने ऐसी पररतस्थतत में क्या ककया होता? ऄपनी कायथवाही का औतचत्य
समझाआए।
2. हमारे देश में, ग्रामीण लोगों का कस्बों और शहरों की ओर प्रवसन तेजी के साथ बढ़ रहा है।
वह ग्रामीण और नगरीय, दोनों िेत्रों में तवकट समस्याएुँ पैदा कर रहा है। वास्तव में, तस्थतत
यथाथथ में ऄप्रबन्धनीय होती जा रही है। क्या अप आस समस्या का तवस्तार से तवश्लेषण कर
सकते है और आस समस्या के तलए तजम्मेदार न के वल सामातजक-अर्तथक, वरन् भावनात्मक
और ऄतभवृतिक कारकों को बता सकते है? साथ ही, स्पष्ट रूप से ईजागर कीतजए कक क्यों ?
(a) तशतित ग्रामीण युवा शहरी िेत्रों में स्थानांतररत होने की कोतशश कर रहे हैं;
(b) भूतमहीन तनधथन लोग नगरीय मतलन बतस्तयों में प्रवसन कर रहे हैं;
(c) यहाुँ तक कक कु छ ककसान ऄपनी जमीन बेच रहे हैं और शहरी िेत्रों में छोटी-मोटी
नौकररयाुँ लेकर बसने की कोतशश कर रहे हैं।
अप कौन-से साध्य कदम सुझा सकते हैं, जो हमारे देश की आस गम्भीर समस्या का तनयंत्रण
करने में प्रभावी होंगे?
3. अप एक पंचायत के सरपंच है। अपके िेत्र में सरकार द्वारा चलाया जा रहा एक प्राआमरी
स्कू ल है। स्कू ल में ईपतस्थत होने वाले बच्चों को कदवस-मध्य भोजन (तमड-डे मील) कदया जाता
है। हेडमास्टर ने ऄब भोजन तैयार करने के तलए एक नया रसाइया तनयुि कर कदया है। परं तु
जब यह पता चला कक रसोआया दतलत समुदाय का है, ईच्च जाततयों के बच्चों में से लगभग
अधों को ईनके माुँ-बाप भोजन करने की आजाजत नहीं देते हैं। फलस्वरूप स्कू ल में बच्चों की
ईपतस्थतत तेजी से घट गइ। आसके पररणामस्वरूप कदवस-मध्य भोजन की योजना को समाप्त
करने और ईसके बाद ऄध्यापन स्टाफ को हटाने और बाद में स्कू ल को बंद करने की संभावना
पैदा हो गइ।
(a) आस संघषथ पर काबू पाने ओर सही एवं सुखद वातावरण बनाने की कु छ साध्य रणनीततयों
पर चचाथ कीतजए।
(b) ऐसे पररवतथनों को स्वीकार करने के तलए सकारात्मक सामातजक सुखद वातावरण बनाने
हेतू तवतभन्न सामातजक खंडों और ऄतभकरणों के क्या कतथव्य होने चातहए?
4. हाल में अपको एक तजले के तजला तवकास ऄतधकारी के तौर पर तनयुि ककया गया है। ईसके
बाद जल्दी ही अपने पाया कक अपके तजले के ग्रामीण आलाकों में लड़ककयों को स्कू ल भेजने के
मुद्दे पर काफी तनाव है। गाुँव के बड़े महसूस करते हे कक ऄनेक समस्याएुँ पैदा हो गइ है
क्योंकक लड़ककयों को पढ़ाया जा रहा है और व घर के सुरतित वातावरण के बाहर कदम रख
रही है। ईनका तवचार यह है कक लड़ककयों की न्यूनतम तशिा के साथ जल्दी से जल्दी शादी

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कर दी जानी चातहए। तशिा के बाद लड़ककयाुँ नौकरी के तलए भी स्पद्ाथ कर रहीं है, जो

परं परा से लड़को का ऄपना िेत्र रहा है, और पुरूषों में बेरोजगारी में वृतद् कर रही है। युवा

पीढ़ी महसूस करती है कक वतथमान युग में, लड़ककयों को तशिा और रोजगारी तथा जीवन-
तनवाथह के ऄन्य साधनों के समान ऄवसर प्राप्त होने चातहए। समस्त आलाका वयोवद्ों और
युवाओं के बीच तथा ईससे अगे दोनों पीकढयों में स्त्री-पुरूषों के बीच तवभातजत है। अपकों
पता चलता है कक पंचायत या ऄन्य स्थानीय तनकायों में या व्यस्त चौराहों पर भी, आस मुद्दे
पर गरमागरम वाद-तववाद हो रहा है। एक कदन अपकों सूचना तमलती है कक एक ऄतप्रय
घटना हइ है। कु छ लड़ककयों के साथ छेड़खानी की गइ जब वे स्कू लों के रास्ते में थी। आस
घटना के फलस्वरूप कइ सामातजक समूहों के बीच झगड़े हए और कानून तथा व्यवस्था की
समस्या पैदा हो गइ। गरमागरम वाद-तववाद के बाद बड़े-बूढों ने लड़ककयों को स्कू ल जाने की
ऄनुमतत न देने और जो पररवार ईनके हक्म का पालन नहीं करते हे, ऐसे सभी पररवारों का
सामातजक बतहष्कार करने का संयुि तनणथय ले तलया।
(a) लड़ककयों की तशिा में व्यवधान डाले तबना, लड़ककयों की सुरिा को सुरतित करने के

तलए अप क्या कदम ईठाएुँग?


(b) पीकढयों के बीच संघषों में समरसता सुतनतित करने के तलए अप गाुँव के वयोवद्ों की

तपतृतंत्रात्मक ऄतभवृति का ककस प्रकार प्रबंधन का और ढालने का कायथ करे गे ?

10.Vision IAS टे स्ट सीरीज़ : के स स्टडीज़

(Vision IAS Test Series : Case Studies)

1. अप एक ऐसे तजले में तजला मतजस्रेट हैं जहां बड़ी संख्या में रांसजेंडर रहते है। यद्यतप आस
समुदाय के तवरूद् भेदभाव सुतवकदत है, तथातप यात्री ईनके हाथों, तवशेषकर यातायात

जंक्शनों पर ऄतधकातधक ईत्पीड़न की तशकायत करते हैं, जहां रांसजेंडर ऄतधकांशतः भीख

मांगने में शातमल होते हैं। कभी-कभी, आससे यातायात प्रबंधन की समस्या भी पैदा होती है।
आस संबध
ं में अपको कइ तशकायतें तमली हैं और आसे हल करने के तलए शीघ्र कारथ वाइ करनी
है। हालांकक, रांसजेंडर संघ के एक समूह का कहना है कक भीख मांगना ईनकी अजीतवका का

एकमात्र स्रोत है। आस तस्थतत को देखते हए, तनम्नतलतखत प्रश्नों के ईिर दीतजए:

(a) आस प्रकरण से जुड़े नैततक मुद्दों का वणथन कीतजए। रांसजेंडर लोगों के प्रतत जनसामान्य के
सामान्य दृतष्टकोण और ईसके कारणों पर चचाथ कीतजए।
(b) ऐसी तस्थतत में क्या संभव कारथ वाइ की जा सकती है? ईनके गुणों और ऄवगुणों पर चचाथ
कीतजए।
दृतष्टकोण:
 मुद्दे से संबंतधत नैततक पिों और रांसजेंडर के प्रतत लोगों के भेदभावपूणथ दृतष्टकोण के
कारणों पर चचाथ कीतजए।
 सम्भातवत कारथ वाइ के गुणों और दोषों पर चचाथ कीतजए।अप कु छ दीघथकातलक समाधान
सुझाकर तनष्कषथ पर पहंच सकते हैं।

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कदए गये प्रकरण में समाज के वंतचत वगों के मुद्दें सतम्मतलत हैं। यह मुद्दा भेदभाव के ईन
प्रततस्पधाथत्मक तहतों से संबंतधत है, तजनका रांसजेंडरो को सामना करना पड़ता है, जैसे

तशिा, रोजगार, सामातजक सहभातगता या वे तरीके तजनका वे ऄपनी अजीतवका तनवाथह के


तलए ईपयोग करते हैं।
(a) आस मुद्दे से संबंतधत नैततक पि आस प्रकार हैं:

 अजीतवका बनाम सुतवधा: रांसजेंडरों द्वारा भीख मांगने से यातत्रयों को ऄसुतवधा होती
है और ऄततररि समस्याएं जैसे यातायात में भीडभाड अकद पैदा होती हैं। जहाुँ एक ओर
रांसजेंडरों की सामातजक-अर्तथक तस्थततयाुँ ईन्हें भीख मांग कर जीतवकोपाजथन करने के
तलए तववश करती हैं और वहीं कइ बार ईनकी गतततवतधयाुँ अम जनता के तलए
ऄसुतवधाजनक हो जाती हैं।

 रांसजेंडरों से भेदभाव बनाम यातत्रयों का ईत्पीड़न: सामान्य रूप से समाज दोनों मागों
पर नहीं चल सकता है, ऄथाथत,् जनसंख्या के एक वगथ हेतु समुतचत अय ऄर्तजत करने के
तवकल्पों को सीतमत करना और साथ ही ईसी समय ईनके द्वारा अजीतवका ऄर्तजत करने
के तलए ईपयोग ककए जा रहे सीतमत साधनों पर अपति करना।

 वंतचत वगों के तहतों की रिा हेतु नागररकों द्वारा पंजीकृ त तशकायतों पर कारथ वाही करने
के तलए कलेक्टर की प्रततबद्ता: चूंकक बड़ी संख्या में तशकायतें दजथ की गयी हैं, आसतलए
यह कलेक्टर का कतथव्य है कक रांसजेंडरों की अजीतवका के ऄतधकार की सुरिा हेतु
संतल
ु न बनाते हए आस संकट को तनयंतत्रत करने की तजम्मेदारी ले।

रांसजेंडरों के प्रतत लोगों का सामान्य दृतष्टकोण:

 भेदभावपूणथ व्यवहार: यह ईनके वगथ और चलग पर अधाररत होता है। यह भेदभाव


रांसजेंडर को भारतीय समाज के सवाथतधक ऄतधकारतवहीन और वंतचत समुदाय में से
एक बना देता है।
 गैर-समावेशी: ईन्हें ऄप्राकृ ततक और ईपहास का पात्र माना जाता है और ऄन्धतवश्वास के
कारण लोग ईनसे भय खाते हैं।
 ऄसमानता और ईपेतित व्यवहार : रांसजेंडर समुदाय ऄतधकारों (नागररक ऄतधकारों,
जैसे गररमा के साथ जीवन जीने का ऄतधकार) और तवकास (शैतिक संस्थानों और
सावथजतनक रोजगारों में अरिण) से लम्बे समय से ईपेतित होने के कारण पूरी तरह से
एकांतवासी हो गया है।
 लापरवाही और ईपेिा: संख्यात्मक रूप से ऄल्पसंख्यक होने से वे वोट बैंक के रूप में कम
मह्वपूणथ हो जाते हैं, जो तवधातयका और प्रशासन द्वारा ईनकी ईपेिा का मागथ प्रशस्त
करता है।

आस प्रकार के दृतष्टकोण के कारण

 समाज में तजसे ‘सामान्य’ माना जाता है, वे ईससे तभन्न हैं।
 प्राचीन समय से ईनके साथ हर जगह चलग अधाररत भेदभाव एक सामान्य बात हो गइ
है। ईन्हें मनुष्य के रूप में देखने के स्थान पर मनोरं जन की वस्तु के रूप में देखा जाता है।
 ऄपने पररवार और समाज द्वारा त्याग कदए जाने से वे अजीतवका के तुच्छ साधनों की
ओर ईन्मुख होते हैं। मूल कारण समझे तबना लोग ईनको नीचा समझने लगते हैं। चलग
पहचान की बदलती ऄवधारणा को समाज गलत तरीके से समझता है।

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 समुदाय की संकीणथ प्रकृ तत के कारण ईनके चारों ओर कइ तरह के ऄन्धतवश्वास भी पैदा


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हो गये हैं, यह ऄनुभव ककये तबना ही ईन्हें त्याग कदया गया है, न कक वे स्वयं एकांत पसंद
करते हैं।
(b) सम्भातवत कारथ वाही का मागथ:
 आस तवषय पर ध्यान न दें क्योंकक भीख मांगना रांसजेंडर के तलए अजीतवका का मुद्दा है।
गुण: आससे रांसजेंडर के तलए यातायात जंक्शनों पर धन एकत्र करने का मागथ खुला
रहेगा।
दोष : आसका ऄथथ कतथव्य की ईपेिा करना होगा और दीघाथवतध में आससे न ही रांसजेंडर
और न ही समान्य जनता का भला होगा। आसके ऄततररि भीख मांगना एक ऄपराध है।
जान-बूझकर भीख मांगने की ऄनुमतत देना ईनसे तमली-भगत होगी। आसके ऄलावा यह
यातत्रयों को हो रही वास्ततवक समस्या का समाधान भी नहीं करता है।
 यातत्रयों के ईत्पीड़न में तलप्त रांसजेंडरों को कठोर चेतावनी देना। आसके ऄततररि
यातायात चौराहों पर पुतलस बल तैनात कर आस संकट को रोकना।
गुण : यह रांसजेंडरों द्वारा ककये जा रहे ईत्पीड़न और यातायात की समस्या पर भी रोक
लगा सकता है।
दोष : आससे रांसजेंडरों की अजीतवका पर प्रततकू ल प्रभाव पड़ सकता है जो मुख्य रूप से
भीख मांगने पर तनभथर करती है और समान्य जनता द्वारा ईनसे भेदभाव ककया जाता है।
चूंकक आस िेत्र में रांसजेंडरों की समस्या ऄतधक है, आसतलए आससे कानून-व्यवस्था की
समस्या भी ईत्पन्न हो सकती है।
 रांसजेंडरों के मुद्दे पर लोगों को संवद
े नशील बनाने के साथ-साथ ईनके पुनवाथस के ईपायों
के साथ कौशल तवकास और व्यवसातयक प्रतशिण योजनाओं के कायाथन्वयन हेतु एक
सतमतत की स्थापना और यातायात चौराहों के तलए कदशा-तनदेश जारी करना।
गुण: रांसजेंडर समुदाय के तलए यह वैकतल्पक रोजगार के ऄवसर प्रदान करे गा। वास्तव
में, आस प्रकार का ऄवसर प्रदान ककये जाने से वे प्रसन्नता से ऄपने कायथ में पररवतथन कर
लेंगे। आससे नागररकों की तशकायतों का भी समाधान होगा और दीघाथवतध में, रांसजेंडर
समुदाय को समाज में सम्मानीय स्थान प्राप्त हो सकता है।
दोष: यह दीधाथवतध में पररणाम देने वाला कदम है। आससे ऄल्पावतध में रांसजेंडरों की
अय के स्रोत में बाधा अ सकती है। यह कदम आस धारणा को भी बल देगा कक सामान्य
समाज के ऄतधकार वंतचत वगों के ऄतधकारों से ऄतधक मूल्यवान हैं।
यद्यतप अम जनता को राहत प्रदान करना मह्वपूणथ है ककतु रांसजेंडर समुदाय के
दृतष्टकोण के साथ भी सहानुभूतत होनी चातहए, ऄन्यथा लम्बे समय तक यह स्थायी
समाधान नहीं होगा और यथातस्थतत बनी रहेगी। कु छ मामलों में सवोच्च न्यायालय द्वारा
ईन्हें तवशेष सुतवधाप्रदान ककये जाने के कदशा-तनदेशों से आस समुदाय को समाज की
मुख्यधारा में शातमल करने में सहायता प्राप्त होगी।

2. अप एक ऐसे राज्य में तसतवल सेवक के रूप में तैनात हैं जहां हाल ही में चुनाव हए थे। नव
तनवाथतचत मुख्यमंत्री ने ऄपने कइ चुनावी ऄतभयानों के साथ-साथ चुनाव घोषणापत्र में शराब
पर प्रततबंध लगाने का वादा ककया था, तजसकी राज्य की मतहलाओं ने व्यापक रूप से प्रशंसा
की थी और समथथन कदया था। ऄपने चुनावी वादे को पूरा करते हए, मुख्यमंत्री ने राज्य में
शराब की तबिी पर पूणथ प्रततबंध का अदेश कदया है। प्रततबंध के बाद, प्रततबंध की व्यवहायथता
पर सवाल ईठाए गये हैं और क्या सरकार को कइ लोगों द्वारा तजसे व्यतिगत पसंद के तवषय
बताया गया है, ईस मुद्दे पर हस्तिेप करना चातहए।
(a) आस मामले में तहतधारक कौन हैं और प्रततबंध से वे ककस प्रकार प्रभातवत हैं?

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(b) क्या शराब पर पूणथ प्रततबंध एक व्यवहायथ कारथ वाइ है?
(c) एक तसतवल सेवक के रूप में आन प्रततबंधों को लागू करते समय ईत्पन्न होने वाली
समस्याओं की पहचान कीतजए और ईनसे तनपटने हेतु अप क्या कदम ईठाएंगे ?
दृतष्टकोण:
 आस मामले में तहतधारकों और ईन पर शराब प्रततबन्ध के प्रभाव की पहचान कीतजए।
 क्या पूणथ प्रततबन्ध एक व्यवहायथ कारथ वाइ है या सरकार द्वारा बलपूवथक की गयी एक
कारथ वाइ है, रटप्पणी कीतजए।
 प्रततबंध लागू होने के पिात ईठने वाले मुद्दों के बारे में बताआए और ईनसे तनपटने के
ईपाय सुझाआए।
ईिर:
आस पररदृश्य में, राज्य के नए मुख्यमंत्री द्वारा पूणथ प्रततबन्ध लगाया गया है, जो तवतभन्न
प्रकार से समाज के तवतभन्न वगों को प्रभातवत करता है।
(a) तवतभन्न तहतधारक और प्रततबन्ध से ईन पर पड़ने वाले प्रभाव तनम्नतलतखत हैं:
 जो लोग शराब का सेवन करते हैं, ईन्हें प्रततबन्ध के पिात नशीले पदाथों के प्रततकार के
लिणों का सामना करना पड़ेगा।
 ईनके सम्बन्धी और तमत्र, तवशेषकर मतहलाएं, तजन्होंने पाररवाररक तववाद, घरे लू चहसा
जैसी समस्याओं का सामना ककया है। परन्तु ईन्हें यह सुतनतित करना होगा कक शराब
की लत वाले व्यतियों को तत्काल नशामुति के न्द्रों पर ले जाया जाएं।
 सरकार, तजसे कक राजकोष को भारी राजस्व ितत के कारण सामातजक व्यय में कटौती
करनी पड़ सकती है। आसके ऄततररि, कानून-व्यवस्था की तस्थतत को भी बनाये रखना
होगा।
 शराब अपूर्ततकताथ और व्यापारी,को अजीतवका के वैकतल्पक साधनों की खोज करनी
पड़ेगी।
 बड़े पैमाने पर समाज, जैसा कक यह शराब की लत से प्रततकू ल रूप से प्रभातवत होता है।
(b) व्यापक प्रततबंध व्यवहायथ है या नहीं, आसका अकलन करने के तलए लाभ और हातन, दोनों
का ही तवश्लेषण करना होगा:
लाभ:
 घरे लू चहसा के मामले कम होंगे और बच्चों के तलए ऄपेिाकृ त सुरतित वातावरण ईपलब्ध
होगा।
 लोगों के स्वास््य में सुधार, तजसके पररणामस्वरूप, सरकारी सेवाओं जैसे ऄस्पतालों,
दवा तविे ताओं अकद पर दबाव कम पड़ेगा।
 घरे लू बचतों में वृतद्।
 आसके कारण कम सड़क दुघथटनाएं होंगी, क्योंकक ड्राआवर शराब पी कर गाड़ी नहीं
चलाएंगे।
 यह संतवधान के ऄनुच्छेद 47 के ऄनुरूप है, जो सावथजतनक स्वास््य पर बल देता है।
हातनयाुँ:
 पूणथ प्रततबन्ध व्यति की चयन की स्वतन्त्रता के ऄतधकार का हनन करता है।
 आससे राजकोष में राजस्व की भारी ितत होगी। ईस धन का कल्याणकारी प्रयोजनों के
तलए ईपयोग हो सकता था।
 ‘काला बाजारी’ के ईद्भव के कारण शराब की तस्करी में वृतद् देखने में अ सकती है
क्योंकक आन बाजारों को तवतनयतमत नहीं ककया जायेगा, नकली शराब की तबिी होगी,
तजसका स्वास््य पर प्रततकू ल प्रभाव पड़ेगा।

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 शराब का ईपयोग कु छ धार्तमक ईत्सवों में भी ककया जाता है, ईदाहरण के तलए आसाआयों
द्वारा दीिा के समय। आसतलए यह ऄल्पसंख्यकों की धार्तमक प्रथाओं के साथ हस्तिेप कर
सकता है।
 शराब के ईत्पादन और तवतरण में संलग्न लोगों के तलए बेरोजगारी।
 शराब की लत से पीतड़त लोगों के तत्काल पुनवाथस की लागत।
पूणथ प्रततबन्ध के जहाुँ सकारात्मक पि हैं, यह पूरी तरह व्यवहायथ नहीं है क्योंकक वयस्कों को
ईनकी पसंद और तनणथय लेने की स्वतन्त्रता तमलनी चातहए। पूणथ प्रततबन्ध लागू करने के स्थान
पर शराब ईत्पादन, तबिी, और तवतरण को तनयंतत्रत ककया जाना चातहए, ऄन्यथा आसे
सरकार की एकपिीय बलपूवक
थ कारथ वाइ समझा जायेगा। शराब पीना एक सामातजक मुद्दा है,
आसतलए आसे के वल तवधायी माध्यमों से प्रततबंतधत नहीं ककया जा सकता। ऄतः प्रततबन्ध को
प्रभावी बनाने हेतु हमें सम्बतन्धत सामातजक पररवतथन भी लाना होगा।
नोट: ईतचत औतचत्य के साथ प्रततबन्ध के पि में भी तकथ कदए जा सकते हैं।
शराब की लत समाज के तलए एक संकट बनी हइ है खास तौर से तनम्न सामातजक-अर्तथक
स्तर पर मतहलाएं ऄसमान रूप से आससे जूझ रही हैं। के वल आस बात का बहाना बनाकर कक
आससे कु छ व्यतियों के ऄपना अहार चुनने के ऄतधकारों की कटौती होगी, सरकार के सकिय
हस्तिेप के द्वारा सामातजक बुराआयों को समाप्त करने के प्रयासों को रोका नहीं जाना चातहए।
भावनाओं के अधार पर प्रततबन्ध को प्रश्नगत ककया जा सकता है, लेककन घरे लू चहसा (तजसकी
ऄतधकांशतः ररपोटथ ही नहीं होती), यातायात तनयमों का ईल्लंघन, और हातनकारक देशी
शराब की खपत के ऄनुभवजन्य सबूतों के अधार पर प्रततबन्ध लगाने के पीछे मजबूत
वैज्ञातनक साक्ष्य ईपतस्थत हैं। यकद पररवतथन स्वयं नहीं होते हैं तो सरकार को लोगों का
प्रतततनतध होने के नाते पररवतथन के तलए पहल करने का ऄतधकार है।
(c) आस मामले में जो मुद्दे ईठ सकते हैं, और वे ईपाय, तजनके माध्यम से तसतवल सेवक ईनसे
तनपट सकते हैं:
 व्यसतनयों में प्रततकार के लिण : यह सुतनतित ककया जाना चातहए कक व्यसन मुति हेतु
पयाथप्त नशामुति और सिम पेशव
े र व्यतियों से युि पुनवाथस कें द्र ईपलब्ध हों।
 कालाबाजारी और नकली शराब का तवतरण: तनयतमत ऄन्तराल पर, तवशेष रूप से
सीमा पर चौककयों पर जाुँच होती रहे। आसके अततररि, रे स्तरां और बार की भी
तनयतमत तनगरानी होनी चातहए।
 व्यापाररयों और शराब ईत्पादकों की अजीतवका पर संकट: नीतत का फोकस गरीबी
ईन्मूलन कायथिम और रोजगार के ऄवसर ईत्पन्न करने पर होना चातहए।
 आसके ऄततररि, स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने के तलए, शराब के नकारात्मक
प्रभावों के प्रतत जागरूकता हेतु प्राथतमक स्वास््य के न्द्रों, NGOs, मीतडया अकद के
सहयोग से कायथिम अयोतजत ककये जाने पर बल कदया जाना चातहए।
3. अप देश की एक शीषथ IT कं पनी के प्रबंधक हैं। अपको अगामी पररयोजना के तलए नइ
भर्ततयाुँ करने का ईिरदातयत्व सौंपा गया है। अप पाते हैं कक सरकार द्वारा पाररत ककए गए
नवीन मातृत्व कानून के अलोक में कं पनी ने मतहला ऄभ्यर्तथयों की भतगीक न करने का ऄकतथत
तनदेश कदया है। अप आसे ऄत्यतधक अपतिजनक पाते हैं और प्रबंधन के ईच्च ऄतधकाररयों के
पास तवरोध दजथ करते हैं, लेककन वे दृढ़ हैं क्योंकक वे सभी ऄनावश्यक व्यय में कमी करना
चाहते हैं।
आस जानकारी के अधार पर, तनम्नतलतखत प्रश्नों का ईिर दीतजए:
(a) आस तस्थतत में तहतधारकों और ईनके तहतों की पहचान कीतजए।

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(b) ऐसी पररतस्थतत में भतगीक प्रबंधक द्वारा ककन धमथसक
ं टों का सामना ककया जा सकता है?
(c) अपके पास कौन से तवतभन्न तवकल्प ईपलब्ध हैं? अप ककसका ऄनुसरण करें गे और
क्यों?
दृतष्टकोण:
 भतगीक प्रबंधक, कं पनी, मतहला ईम्मीदवार, सरकार और समाज जैसे तहतधारकों के साथ-
साथ ईनके तहतों को सूचीबद् कीतजए।
 ईन दुतवधाओं पर चचाथ कीतजए तजनका अप सामना कर रहे हैं।
 ईपलब्ध तवकल्पों को सूचीबद् कीतजए। दी गइ पररतस्थततयों और नैततक अचरण के
अलोक में प्रत्येक का तवश्लेषण कीतजए। एक का चयन कीतजए तजसका अप ऄनुसरण कर
सकते हैं।
ईिर:
(a)

तहतधारक तहत

कं पनी/ईच्च कं पनी का तहत प्रतत कमथचारी अने वाली लागत कम करके लाभ ऄतधकतम
प्रबंधन करना होता है। मतहला कमथचारी की तस्थतत में मातृत्व ऄवकाश की लागत
कं पनी को वहन करनी पड़ती है। आसतलए, ईच्चस्तरीय प्रबंधन मतहला
ईम्मीदवारों की भतगीक करने से बचना चाहता है।

भतगीक प्रबंधक मेरी पहली रूतच चलग से तनरपेि होकर सूचीबद् पदों के तलए ईपयुि
(स्वयं) ईम्मीदवारों की भतगीक करने में है। ऐसी तस्थतत में मेरी दुतवधा ऄन्यायपूणथ
नीततयों के तवरूद् खड़ा होते हए प्रबंधन से टकराव से बचना है।

मतहला ईनका तहत कं पनी में नौकरी पाने का तनष्पि ऄवसर प्राप्त करने में तनतहत
ईम्मीदवार होता है। दीघथकाल में, वे भतगीक और पदोन्नतत में समानता और सुरतित
कामकाजी वातावरण की ऄपेिा करती हैं।

सरकार और ये तहतधारक कायथस्थल पर लैंतगक समानता चाहते हैं। आसके तलए यह


समाज महत्वपूणथ है कक मातृत्व से ईत्पन्न होने वाले मुद्दों से कानून बनाकर और
सामातजक पररवतथन के माध्यम से पयाथप्त रूप से तनपटना चातहए। यद्यतप
तवतभन्न मातृत्व कानून मातृत्व ऄवकाश, तनयतमत अय का प्रवाह और
रोज़गार की सुरिा सुतनतित कर सकते हैं, लेककन एकमात्र आनसे कायथस्थल
पर चलगतनरपेि जीवंत संस्कृ तत के तलए अवश्यक सामातजक पररवतथन नहीं
लाया जा सकता है।

(b) दुतवधा: ईच्चस्तरीय प्रबंधन का अदेश स्वीकार करना और ककसी मतहला ईम्मीदवार का
चयन करने से बचना बनाम तनष्पि रूप से चलग तनरपेि होकर ईपयुि ईम्मीदवार की
तनयुति करना।
आसके ऄततररि, मुझे तसफथ चलग तवशेष के कारण बेहतर ईम्मीदवार को न भतगीक करने की
परे शानी से जूझना पड़ सकता है। आससे ईत्पादकता में कमी अएगी और कं पनी के तलए
दीघथकातलक लागत बढ़ जाएगी। आससे जुड़ी एक और दुतवधा आस समाज में मौजूद लैंतगक
पूवाथग्रह है। आसका कारण समानता के तवचार के साथ तपतृसिात्मक रवैये का टकराव है। आस
पररतस्थतत को बदलने की जरुरत है। कायथस्थल पर लैंतगक तवतवधता को बढ़ावा देना
महत्वपूणथ है; हालांकक, कं पनी द्वारा कदए गए वतथमान तनदेश आस तसद्ांत के तवरूद् जाते हैं।

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(c) ईपलब्ध तवतभन्न तवकल्प:
 मतहला ईम्मीदवारों को नकारना: हालांकक आस तवकल्प से, मैं ईच्चस्तरीय प्रबंधन के साथ
टकराव से बच जाउुँगा/जाउुँगी, लेककन यह मूलभूत मानवातधकारों और समानता के
संवैधातनक लोकाचार के तवपरीत होगा। आससे हमारे कइ योग्य ईम्मीदवार छुँट जाएंगे
और ईम्मीदवारों का पूल छोटा हो जाएगा। आससे दूरदर्तशता की कमी और संकीणथ
मानतसकता प्रदर्तशत होती है।
 तनष्पि रूप से और भेदभाव के तबना ईपयुि ईम्मीदवार की भतगीक: आससे सुतनतित
होगा कक सबसे सिम और योग्य ईम्मीदवार नौकरी के तलए भतगीक ककए जाएं।
तवकल्प तजसका मैं ऄनुसरण करूुँगा/करूुँगी: यहाुँ टकराव से कोइ रास्ता नहीं तनकलेगा तथा
ऄनुनय ही एकमात्र ईपाय है। कं पनी को राजी करने का सबसे ईतचत तरीका रवैये में बदलाव
लाना है लेककन आसे तत्काल ऄपनाना मुतश्कल होगा। यकद मैं वस्तुतनष्ठ रूप से प्रदर्तशत कर
सकूुँ कक पुरुषों की तुलना में मतहला कमथचाररयों की भतगीक पर अने वाली लागत बहत ऄतधक
नहीं होती है और यह भी कक ईत्पादकता चलग से स्वतंत्र होती है, तो मैं रवैये में पररवतथन
लाने में सिम होउंगा/होईं गी। मैं आस प्रकरण में HR तवभाग और यकद अवश्यक हो, तो
कं पनी के शासी मंडल की सहायता भी लूग
ं ा/लूंगी।
भतगीक के संबंध में, मुझे चलग के संबंध में ईम्मीदवारों के ऄपने मूल्यांकन में पिपाती न होकर
वस्तुतनष्ठ होना होगा। मेरे द्वारा ईनका ईनकी िमता के साथ-साथ नौकरी हेतु अवश्यक
योग्यता के अधार पर अकलन ककया जाएगा। ऄगर जॉब प्रोफ़ाआल ककसी तवशेष चलग संबंधी
ईम्मीदवार की मांग नहीं करती है, तो आन ऄकतथत तनदेशों को बहत ऄतधक महत्व नहीं कदया
जाना चातहए। वास्तव में यह भी संभव है कक ये तनदेश कं पनी की नीततयों के तवपरीत हों। मैं
HR को ऐसे तनदेशों के संबंध में सूतचत करूुँगा/करूुँगी क्योंकक लैंतगक भेदभाव न के वल
गैरकानूनी है बतल्क कं पनी की संगठनात्मक संस्कृ तत और सामातजक छतव को भी दूतषत करता
है। आसके ऄततररि, मैं ऄपने सहयोतगयों, तवशेषकर ऄपने संगठन में काम करने वाली
मतहलाओं को सतम्मतलत करके लैंतगक-संवेदनशीलता ऄतभयान चलाउंगा/चलाउंगी। ऐसा
करके मैं 'बी द चेंज यू वांट टू सी’ (अप खुद वह बदलाव बनें जो अप देखना चाहते हैं) ईति
का पालन करूुँगा/करुुँ गी।

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Value Addition Material-2018


PAPER IV : नीततशास्त्र
शासन में सूचना का अदान-प्रदान और पारदर्शशता

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तिषय सूची
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1. पररचय (Introduction) _______________________________________________________________________ 3

2. पारदर्शशता (Transparency) ___________________________________________________________________ 4

2.1. पृष्ठभूतम (Background) ____________________________________________________________________ 4

2.2. पररभाषा (Definition) _____________________________________________________________________ 5

2.3. पारदर्शशता: सुशासन का एक स्तंभ ______________________________________________________________ 6

2.4. पारदशी शासन व्यिस्था की तिशेषताएं___________________________________________________________ 7


2.4.1. सूचना साझाकरण (Information Sharing) __________________________________________________ 8
2.4.2. सहभागी शासन व्यिस्था (Participative Governance) ________________________________________ 8
2.4.3. ईत्तरदातयत्ि तंत्र (Accountability Mechanisms) ____________________________________________ 9
2.4.4. तहहसल ब्लोऄर का संरक्षण (Whistleblower’s Protection) _____________________________________ 12

2.5. भारत में पारदर्शशता से सम्बंतधत मुद्दे ___________________________________________________________ 13

2.6. सरकारी गोपनीयता ऄतधतनयम, 1923 से सम्बंतधत मुद्दे (ARC से ईद्धृत) _________________________________ 14

3. सूचना का ऄतधकार ऄतधतनयम, 2005 - तिस्तृत तिश्लेषण ________________________________________________ 17

3.1. सूचना का ऄतधकार- पररिततन का एक ईपकरण ____________________________________________________ 17

3.2. RTI के कायातन्ियन में तहतधारकों की भूतमका _____________________________________________________ 18

3.3. सफलता की कहातनयां (Success Stories) _____________________________________________________ 19

3.4. क्रियान्ियन संबंधी चुनौततयााँ (Implementation Challenges) _______________________________________ 20

3.5. RTI की क्षमताओं का पूणत ईपयोग (Harnessing Potential of RTI) ___________________________________ 24

4. राष्ट्रीय डेटा साझाकरण एिं ऄतभगम्यता नीतत- 2012 __________________________________________________ 26

5. पारदर्शशता के तलए इ-गिनेंस का लाभ ईठाना ________________________________________________________ 26

6. तनष्कषत (Conclusion) _______________________________________________________________________ 29

7. तिगत िषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न___________________________________________ 29

8. तिगत िषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न: के स स्टडीज _________________________________ 46

9. तिगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग द्वारा पूछे गए प्रश्न__________________________________________________ 51

10. तिगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग द्वारा पूछे गए प्रश्न: के स स्टडीज _______________________________________ 51

11. संदभत (References) ______________________________________________________________________ 53

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1. पररचय (Introduction)
"जो समाज स्ियं ऄपना तनयंत्रक बनना चाहता है, ईसे ज्ञान की शति से स्ियं को समथत बनाना

चातहए"।

- जेम्स मैतडसन
 एक पररपक्व लोकतंत्र में पारदर्शशता और सूचना साझाकरण (ऄथातत् सूचना का अदान-प्रदान)
सुशासन के दो सबसे महत्िपूणत स्तंभों की रचना करते हैं। पारदर्शशता और सूचना साझाकरण,
सरकारी कायातलयों में जिाबदेतहता एिं तिश्वास के सृजन हेतु महत्िपूणत साधन हैं। सुशासन की
स्थापना हेतु ये दोनों ऄपररहायत हैं- चाहे िह पररयोजनाओं का समय पर तनष्पादन हो, या

भ्रष्टाचार ऄथिा शति के तनरं कुश प्रयोग के तिरुद्ध लड़ाइ हो। ये नागररकों को सशि बनाते हैं,

साितजतनक मामलों में ईनकी भागीदारी को बढ़ािा देते हैं, सहभागी लोकतंत्र को मजबूत बनाते हैं
और जन कें क्रित शासन का सूत्रपात करते हैं।
 औपतनिेतशक काल के दौरान, शासन व्यिस्था का प्राथतमक ईद्देश्य अम जन पर तनयंत्रण स्थातपत

करना तथा आसे और मजबूत करना था एिं जनता के कल्याण की बजाय एक 'शोषणकारी

ऄथतव्यिस्था' संचातलत करना था। भले ही प्रशासन की प्रणाली 'तितध के शासन' और 'तितध द्वारा

स्थातपत प्रक्रिया' पर अधाररत थी, परं तु प्रशासन में न के िल भारतीयों के प्रतत ऄतिश्वास था,

बतल्क आसने तनरं तर ईनके तहतों को भी कमजोर क्रकया और ईनकी प्रगतत की ईपेक्षा की, जैसा क्रक

दादाभाइ नौरोजी के 'धन बतहगतमन का तसद्धांत (ड्र्रेन थ्योरी)’ और रोमेश चंि दत्त (भारत का
अर्शथक आततहास) के लेखन द्वारा स्पष्ट रूप से प्रस्तुत क्रकया गया। ऄंग्रेजों ने सरकारी गोपनीयता
ऄतधतनयम, 1923 एिं ऄन्य कानूनों के माध्यम से गोपनीयता की संस्कृ तत का समथतन क्रकया। ये
सरकार के तलए अम जनता को सूचना तक पहाँच प्राप्त करने से आनकार करने के एक सुतिधाजनक
साधन बन गए। आस प्रकार, शासन व्यिस्था में भागीदारी का ऄतधकार िह मुख्य अधार था तजस
पर हमारे स्ितंत्रता अंदोलन की शुरुअत हइ - तजसका सामान्य तसद्धांत ईत्तरदातयत्ि और िैधता
के साथ शति का प्रयोग करना था।
 स्ितंत्रता के पश्चात्, यद्यतप गोपनीयता की औपतनिेतशक तिरासत को बहत कम समथतन तमला,

तथातप ये कानून यथाित बने रहे। हालांक्रक, समय के साथ तनरं तर मुखर होते नागररक समाज और

जागरूक नागररक िगत, और ऄतधक लोकतंत्रीकरण और शासन प्रक्रिया में खुलापन हेतु तितभन्न

तकों के साथ दबाि डाल रहे हैं। ऐसे में, पारदर्शशता सुतनतश्चत करने और अम जन की सूचनाओं

तक साितभौतमक पहाँच स्थातपत करने हेतु महत्िपूणत कदम ईठाए गए हैं। आस संदभत में, सूचना का

ऄतधकार ऄतधतनयम, 2005 को खुलापन एिं जिाबदेतहता को बढ़ािा देने िाला सबसे शतिशाली
ईपकरण माना जा सकता है। तितभन्न तहतधारकों के मध्य अाँकड़ों की पहाँच और सुगम्य साझाकरण
में िृतद्ध करने तथा िैज्ञातनक, अर्शथक एिं सामातजक तिकास संबंधी ईद्देश्यों हेतु अाँकड़ों की

ईपलब्धता को बढ़ाने के तलए राष्ट्रीय डेटा साझाकरण और ऄतभगम्यता नीतत (National Data

Sharing and Accessibility Policy: NDSAP), 2012 का तनमातण क्रकया गया। e-गिनेंस

और m-गिनेंस के रूप में भारत में तडतजटल प्रौद्योतगक्रकयों का तीव्र तिस्तार लोगों को जागरूक,
सूतचत और सशि बनाने के ईद्देश्य में योगदान कर रहा है।

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2. पारदर्शशता (Transparency)
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2.1. पृ ष्ठ भू तम (Background)

'सूचना की स्ितंत्रता’ को साितजतनक तनकायों द्वारा संघरटत सूचना तक पहाँच के ऄतधकार के रूप में
पररभातषत क्रकया जा सकता है। यह ऄतभव्यति की स्ितंत्रता के मौतलक ऄतधकार का एक ऄतभन्न ऄंग
है, जैसा क्रक 1946 में संयुि राष्ट्र महासभा के संकल्प 59 तथा मानि ऄतधकारों की साितभौतमक

घोषणा (1948) के ऄनुच्छेद 19 द्वारा मान्यता प्राप्त है। आस ऄनुच्छेद के ऄनुसार, ऄतभव्यति की

स्ितंत्रता के मौतलक ऄतधकार में "मीतडया के क्रकसी भी माध्यम से और सीमाओं पर ध्यान क्रदए तबना

सूचना और तिचारों को मांगने, प्राप्त करने और प्रकट करने की स्ितंत्रता समातहत है।’ (संयुि राष्ट्र)
सूचना का ऄतधकार एक िैतश्वक पररघटना है। ऄतधकांश लोकतांतत्रक देशों ने सूचना के ऄतधकार को
क्रकसी न क्रकसी रूप में मान्यता प्रदान की है। आसे नागररक और राजनीततक ऄतधकारों पर ऄंतरातष्ट्रीय
प्रसंतिदा,1966 (International Covenant on Civil and Political Rights, 1966) और

मानिातधकारों पर ऄमेररकी ऄतभसमय,1969 (American Convention on Human Rights,

1969) सतहत ऄन्य ऄंतरातष्ट्रीय प्रमुख दस्तािेजों में ऄतभव्यति की स्ितंत्रता के ईपतसद्धांत के रूप में भी
प्रततष्ठातपत क्रकया गया है।
भारत में, 1982 में सिोच्च न्यायालय ने यह तनणतय क्रदया क्रक सरकारी कामकाज के सन्दभत में सूचना का
प्रकटीकरण एक तनयम होना चातहए और गोपनीयता को मात्र एक ऄपिाद के रूप में प्रयोग क्रकया
जाना चातहए। 1986 में, श्री कु लिाल बनाम जयपुर नगर तनगम िाद में, सिोच्च न्यायालय ने स्पष्ट

तनदेश क्रदया क्रक संतिधान के ऄनुच्छेद 19 के तहत प्रदत्त िाक् एिं ऄतभव्यति की स्ितंत्रता स्पष्ट रूप से

सूचना का ऄतधकार है, क्योंक्रक बगैर सूचना के नागररकों द्वारा िाक् एिं ऄतभव्यति की स्ितंत्रता का
पूणत
त या ईपयोग नहीं क्रकया जा सकता है।
सितप्रथम जनता पाटी सरकार द्वारा अपातकाल के पश्चात् (जब आस सरकार ने तनजी और पक्षपातपूणत
प्रयोजनों हेतु सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग से संबंतधत मुद्दे का समाधान करने तथा सरकारी
गोपनीयता ऄतधतनयम, 1923 पर पुनर्शिचार करने का िादा क्रकया था) सरकारी गोपनीयता

ऄतधतनयम, 1923 में संशोधनों पर राजनीततक रूप से चचात की गइ तथा तत्पश्चात् िी.पी. ससह

सरकार द्वारा आस मुद्दे को ईठाया गया। हालांक्रक, क्रकसी भी प्रकार के पररिततन की ऄनुशस
ं ा नहीं की
गइ।
ऄरुणा रॉय और तनतखल डे के नेतृत्ि में एक जन संगठन MKSS (मजदूर क्रकसान शति संगठन) के
द्वारा राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र में तिकास पररयोजनाओं के बारे में सूचना के ऄतधकार हेतु अंदोलन
अरम्भ क्रकया गया। 1996 में, कइ ऄन्य नागररक समाज समूहों में से एक सूचना के जन ऄतधकार के

तलए राष्ट्रीय ऄतभयान (National Campaign for People’s Right to Information: NCPRI)
का गठन क्रकया गया। आस ऄतभयान का ईद्देश्य सूचना के ऄतधकार को तिधायी स्िरूप प्रदान करना था।
आस सम्बन्ध में WTO और ऄन्य बहपक्षीय एजेंतसयों की भूतमका भी स्िीकार की जानी चातहए।

हालांक्रक ये संस्थान, संप्रभु कायतक्षेत्र में हस्तक्षेप कर रहे थे, परन्तु आन्होंने RTI को तितभन्न 'सहायता

शतों' में से एक के रूप में स्थातपत क्रकया।

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MKSS द्वारा अयोतजत ऄतभयान का सम्पूणत राजस्थान में तिस्तार हअ। यह क्रकसानों और मजदूरों
द्वारा संचातलत एक अंदोलन था। तजसने गांिों में खातों की सामातजक लेखापरीक्षा की मांग की और
आस प्रकार प्रशासन के तनचले स्तर पर भ्रष्टाचार का खुलासा क्रकया। सूचना के ऄतधकार के तलए ईनका
ऄतभयान प्रभािी रूप से ग्रामीण व्यति के अजीतिका से संबतं धत मुद्दों से जुड़ा था तथा यह सिाततधक
िंतचत ग्रामीण जनसंख्या के ऄतस्तत्ि और न्याय के संघषों एिं समस्याओं से भी गहन रूप से जुड़ा हअ
था। सूचना के ऄतधकार के तलए MKSS की लड़ाइ की शुरुअत, न्यूनतम मजदूरी की प्रातप्त तथा मस्टर
रोल एिं तबल िाईचर के तनरीक्षण के माध्यम से ऄतनयंतत्रत भ्रष्टाचार की जााँच की मांग से हइ थी।
ईन्होंने सूचना के ऄतधकार की प्रातप्त हेतु संघषत के तलए 'जन सुनिाइ' नामक एक प्रत्यक्ष प्रतितध का
ईपयोग क्रकया।
संपूणत देश में RTI की मांग की जाने लगी। ततमलनाडु 1997 में RTI कानून ऄतधतनयतमत करने िाला

पहला राज्य बना। राजस्थान ने िषत 2000 में सूचना का ऄतधकार ऄतधतनयम ऄतधतनयतमत क्रकया,

तथा कें ि सरकार द्वारा िषत 2003 में सूचना की स्ितंत्रता ऄतधतनयम प्रस्तुत क्रकया गया। सूचना की

स्ितंत्रता ऄतधतनयम, 2003 ने जनता के सूचना के ऄतधकार को ऄंगीकार नहीं क्रकया और यहााँ तक की
आसने न्यातयक ऄपील प्रक्रिया हेतु कोइ प्रािधान नहीं क्रकया था। ऄपीलें सरकारी तिभागों में ही लंतबत
रहने लगीं एिं आस ईद्देश्य हेतु कोइ स्ितंत्र तनकाय स्थातपत नहीं क्रकया गया।
2005 के RTI ऄतधतनयम में आस ऄंतराल को समाप्त क्रकया गया तथा सूचना के ऄतधकार के प्रचालन के
तलए तितधक ढांचे का प्रािधान क्रकया गया। आस ऄतधतनयम की प्रस्तािना में ईल्लेख क्रकया गया क्रक यह
ऄतधतनयम क्रकसी नए ऄतधकार का सृजन नहीं करता है, बतल्क सूचना के मौतलक ऄतधकार को प्रभािी
बनाने हेतु के िल मशीनरी प्रदान करता है। आसने कें ि और राज्य स्तर पर सूचना अयुिों की व्यिस्था
का प्रािधान क्रकया और प्रत्येक तिभाग में जन सूचना ऄतधकाररयों के पदों की स्थापना की। (अगे आस
ऄतधतनयम का सतिस्तार िणतन क्रकया गया है)।

2.2. पररभाषा (Definition)

पारदर्शशता को बढ़ािा देने के ईद्देश्य में राजनीततक महत्ि और बढ़ते ऄंतरातष्ट्रीय तहतों के बािजूद,

िततमान में आस शब्द की पररभाषा पर कोइ अम सहमतत नहीं है। आस प्रकार, पारदर्शशता एक
बहअयामी ऄिधारणा है।
क्रिस्टोफर हड व्यापक रूप से आसे खुलेपन के तसद्धांत के रूप में पररभातषत करते हैं, तजसके तहत
सरकार की सामान्य प्रणाली के पूिातनम
ु ेय होने और आसके मनमाने ढंग से संचातलत होने के बजाय
प्रकातशत तनयमों और तितनयमों के ऄनुसार संचातलत होने की ऄपेक्षा की जाती है।
तिश्वनाथ और कॉफमन (1999) ने पारदर्शशता को "सभी प्रासंतगक तहतधारकों के तलए सुलभ,

सामतयक एिं तिश्वसनीय सूचना के प्रिाह में िृतद्ध के रूप में पररभातषत क्रकया है। " यह पररप्रेक्ष्य न

के िल सूचना की ईपलब्धता पर बल देता है, बतल्क आसकी तिश्वसनीयता और पहाँच पर भी बल देता है।

तद्वतीय प्रशासतनक सुधार अयोग ऄपनी प्रथम ररपोटत, सूचना का ऄतधकार: सुशासन के तलए मास्टर
कुं जी में पारदर्शशता को आस प्रकार पररभातषत करता है:
'...अम जनता तक सूचना की ईपलब्धता और सरकारी संस्थानों के कामकाज के संबंध में स्पष्टता'’

एक पारदशी प्रणाली में, क्रकसी भी सरकारी योजना के तलए लाभार्शथयों का चयन स्पष्ट रूप से ज्ञात

और साितजतनक रूप से संप्रते षत मानदंडों पर अधाररत होगा; यह भी ज्ञात होगा क्रक आन तनयमों और

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प्रक्रियाओं को कौन लागू करे गा, आन्हें कब और कै से लागू क्रकया जाएगा तथा ईन मानदंडों पर खरे

ईतरने िाले पररिारों और व्यतियों को क्या लाभ तमलेंगे, ये लाभ कब प्राप्त होंगे, क्रकस कीमत या

पारस्पररक दातयत्िों पर प्राप्त होंगे, आत्याक्रद।

आस बात को स्पष्टता से समझा जाना चातहए क्रक पारदर्शशता, सूचना साझाकरण से पृथक है। सूचना

साझाकरण में के िल लोगों को प्रासंतगक सूचना या डेटा प्रदान करना शातमल है, जबक्रक पारदर्शशता एक

ऄत्यंत व्यापक ऄिधारणा है। पारदशी शासन प्रणाली में, तनणतय लेने के मानदंड, प्रक्रियाओं और
प्रणातलयों से संबंतधत जानकारी सभी के तलए खुले तौर पर ईपलब्ध होती है। पारदर्शशता के तलए
सूचना साझाकरण ऄपररहायत है।
आसतलए, हम कह सकते हैं क्रक व्यापक रूप से, पारदर्शशता से अशय न के िल खुलप
े न, पहाँच और सूचना
की तिश्वसनीयता के स्तर से है बतल्क सरकार द्वारा कायत करने की शैली और नीतत तनमातण हेतु सहमत
प्राथतमकताओं से भी है, तजसमें प्रशासतनक तनकायों द्वारा कानूनों और तितनयमों के प्रशासन और
कायातन्ियन के तलए पूिातनुमय
े और तनष्पक्ष प्रणाली शातमल है।

2.3. पारदर्शशता: सु शासन का एक स्तं भ

(Transparency: A Pillar of Good Governance)


पारदर्शशता दो महत्िपूणत कायत करती है: व्यतिगत ऄतधकारों की सुरक्षा और शासन व्यिस्था में जन
भागीदारी को सहज बनाना। जनता, पारदर्शशता का सम्मान करती है। आसके ऄततररि, पारदर्शशता
के िल कु छ कायों को पूरा करने का साधन नहीं बतल्क स्ियं एक साध्य है। तनयतमत तनरीक्षण हेतु
सरकार के खुलेपन में तिश्वास, हमारी सामूतहक चेतना में आस दृढ़ता से ऄंतर्शनतहत है क्रक पारदर्शशता का

एक अंतररक मूल्य है। तपछले कु छ दशकों से, प्रशासन में पारदर्शशता का सूत्रपात करने हेतु शुरू क्रकये

गये अंदोलनों को, ईत्तरदायी और तजम्मेदार सरकार के तलए तथा भ्रष्टाचार को समाप्त करने एिं
अतधकाररक कततव्य के नाम पर दण्ड मुति की संस्कृ तत को समाप्त करने हेतु पारदर्शशता को अिश्यक
शतत मानने िाले ऄंतरातष्ट्रीय एिं घरे लू दबाि समूहों से बल तमला है। िास्ति में, पारदर्शशता को ऄब

सुशासन के मूल तसद्धांत के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है। यह तितध द्वारा स्थातपत नीतत,

तनयमों और प्रक्रियाओं का ईल्लंघन कर सत्ता के 'मनमाने' प्रयोग करने के तिरुद्ध साितजतनक तनयंत्रण है।
यह कायतकारी तनणतय तनमातण में संशोधन और सुधार को प्रोत्सातहत करती है।
आसके संबंध में, तद्वतीय प्रशासतनक सुधार अयोग के ऄनुसार:

'सूचना तक पहाँच, समाज के गरीब और कमजोर िगों को साितजतनक नीततयों और कायों के बारे में

सूचना की मांग करने और आसे प्राप्त करने हेतु सशि बनाती है, आस प्रकार यह ईनका कल्याण सुतनतश्चत
करती है। सुशासन के तबना, तितभन्न तिकासशील योजनाओं के अरं भ के बािजूद भी नागररकों के
जीिन की गुणित्ता में सुधार नहीं अ सकता है। सुशासन के चार तत्ि होते हैं- पारदर्शशता,
जिाबदेतहता, पूिातनुमय
े ता और भागीदारी।'
आसके ऄततररि, तद्वतीय प्रशासतनक सुधार अयोग यह कहता है क्रक:

'सूचना का ऄतधकार, सरकारी ररकॉडत को साितजतनक जााँच हेतु प्रस्तुत करता है। यह नागररकों को यह
जानने के तलए सक्षम बनाता है क्रक सरकार क्या करती है और क्रकतनी प्रभािी ढंग से करती है तथा आस

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प्रकार यह सरकार को और ऄतधक जिाबदे ह बनाता है। सरकारी संगठनों में पारदर्शशता ईन्हें ऄतधक
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तनष्पक्ष रूप से कायत करने को प्रेररत करती है नतीज़तन पूिातनुमय


े ता में िृतद्ध होती है। सरकारी
कामकाज़ से संबंतधत सूचना, नागररकों को शासन प्रक्रिया में प्रभािी ढंग से भाग लेने में सक्षम बनाती
है। मूल ऄथत में, सूचना का ऄतधकार, सुशासन की मूलभूत अिश्यकता है।’
पारदर्शशता, नागररकों को सूचना प्रदान कर सशि बनाती है तथा लोकतांतत्रक तनणतय तनमातण को

प्रोत्सातहत करती है। मतदाताओं की संसाधनों के अबंटन और पुनर्शितरण से लेकर बाजार ऄिरोधों

एिं प्रततबंधों, कर एिं सतब्सडी भार अक्रद से संबंतधत सरकारी कायों और प्रक्रियाओं में गहरी
क्रदलचस्पी होती है। ये कारक न के िल बाजार गतततितधयों के अर्शथक प्रदशतन को प्रभातित करते हैं
बतल्क यह मतदाता द्वारा िततमान नीतत तनमातताओं को क्रदए जाने िाले राजनीततक समथतन को भी
तनधातररत कर सकते हैं। ऄतधक पारदर्शशता जनता को दंड के तितधक, प्रशासतनक या चुनािी माध्यमों
द्वारा सक्षम बनाकर राजनीततक भ्रष्टाचार के ऄनुपात को कम करने में मदद कर सकती है। पारदशी
शासन व्यिस्था से साितजतनक तिश्वास में िृतद्ध होती है तथा सरकारी कायों को िैधता प्राप्त होती है।
सूचना िह मुिा है जो प्रत्येक नागररक के तलए सामातजक जीिन एिं समाज के शासन व्यिस्था में भाग
लेने हेतु अिश्यक है। नागररकों की सूचना तक पहंच तजतनी ऄतधक होगी, समुदाय की अिश्यकताओं

के प्रतत सरकार ईतनी ही ऄतधक ऄनुक्रियाशील होगी। सूचना के बगैर, व्यति एक नागररक के रूप में
ऄपनी तजम्मेदाररयों और ऄतधकारों का पयातप्त रूप से प्रयोग नहीं कर सकता है या सूतचत तिकल्प का
चयन नहीं कर सकता है।
सूचना, तनधतन समुदायों को ईनके समक्ष ईपतस्थत पररतस्थततयों का सामना करने हेतु सशि बना
सकती है तथा ऄल्प तिशेषातधकार प्राप्त लोगों एिं ईनकी सरकारों के मध्य तिद्यमान ऄसमान शति
संरचना को संतुतलत करने में मदद कर सकती है। आस संतल
ु न में सूचना एक महत्िपूणत कारक है तजसका
प्रभािी ढंग से ईपयोग करने हेतु ईसका सामतयक, प्रासंतगक, सटीक और पूणत होना ऄतनिायत है।

साितजतनक सेिा प्रदायगी की व्यिस्था को प्रभािी बनाने हेतु पारदर्शशता अिश्यक है, तजससे नागररक

आतना सक्षम हो सकते हैं क्रक िे ऄपने दािों का प्रयोग कर सकें । हालांक्रक, के िल यह पता होना क्रक

ऄपेतक्षत लाभार्शथयों के ऄतधकार क्या हैं तथा आसे ईन्हें प्रदान करने का ईत्तरदातयत्ि क्रकसे प्राप्त है, यह
ऄपेतक्षत लाभार्शथयों तक साितजतनक सेिाओं की पयातप्त और प्रभािी प्रदायगी सुतनतश्चत करने के तलए
काफी नहीं है। ऄतः शासन प्रणाली में एक जिाबदेही तंत्र का ऄन्तर्शनतहत होना अिश्यक है। आस
प्रकार, सुशासन के तलए जिाबदेतहता और पारदर्शशता एक दूसरे से तनकटता से सम्बद्ध हैं।

2.4. पारदशी शासन व्यिस्था की तिशे ष ताएं

(Features of Transparent Governance)

पारदर्शशता ऄथिा खुलापन, तजसकी स्िाभातिक पररणतत पारदशी शासन व्यिस्था है, में तनम्नतलतखत
अधारभूत घटकों की ऄपेक्षा की जा सकती है:
 सूचना साझाकरण या सूचना तक पहाँच;

 सहभागी शासन व्यिस्था;

 जिाबदेही तंत्र; एिं


 तहहस्ल ब्लोऄर की सुरक्षा।
समय के साथ, भारत सरकार ने तनम्नतलतखत तीन प्रमुख क्षेत्रों पर कायत करते हए सरकार में आन घटकों
को समातिष्ट करने हेतु तनरं तर प्रयास क्रकए हैं:

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 सूचना का ऄतधकार कानून: नागररकों द्वारा मााँगी जाने िाली सूचना तक ईसकी पहाँच सुतनतश्चत
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करने हेतु संिैधातनक/तितधक ऄतधकार सुतनतश्चत करना;


 ऄग्रसक्रिय पारदर्शशता: सरकारों को सुलभ प्रारूप में यथासंभि ऄतधक से ऄतधक सूचना प्रकातशत
करने के तलए प्रततबद्ध करना; तथा
 ओपन डेटा दृतष्टकोण: सभी तहतधारकों को सरकारी डेटा को ऄंतःप्रचालनीय और सुलभ प्रारूपों में
पुन: संरतचत करने हेतु सक्षम करना।

2.4.1. सू च ना साझाकरण (Information Sharing)

तितभन्न शासी तनकायों, संगठनों और अम जनता के मध्य डेटा का अदान-प्रदान सूचना साझाकरण

कहलाता है। सूचना तक पहाँच, आसका एक ऄत्यंत महत्िपूणत और शायद सबसे बड़ा ईपसमुच्चय है।
सूचना के ऄतधकार और आसके संबंतधत पहलू व्यापक रूप से स्िीकृ त ि ऄंगीकृ त मानिातधकार
दस्तािेजों, जैस-े मानिातधकारों की साितभौतमक घोषणा, नागररक और राजनीततक ऄतधकारों पर

ऄंतरातष्ट्रीय प्रसंतिदा (International Covenant on Civil and Political Rights) तथा अर्शथक,

सामातजक एिं सांस्कृ ततक ऄतधकारों पर ऄंतरातष्ट्रीय प्रसंतिदा (International Covenant on

Economic, Social and Cultural Rights) के रूप में ऄतभव्यि क्रकये गए हैं।

भारतीय संसद ने भी ‘सूचना का ऄतधकार ऄतधतनयम, 2005’ (RTI Act, 2005) के माध्यम से आस
ऄतधकार को संस्थागत स्िरुप क्रदया है। आस कानून में सरकारी सूचनाओं से सम्बंतधत नागररक ऄनुरोधों
का यथासमय ईत्तर देना ऄतनिायत बनाया गया है।
आसके ऄततररि, भारत में संसदीय पररचचातएाँ टेलीतिजन पर प्रसाररत की जाती हैं, सरकारी
लेखापरीक्षा की ररपोटत प्रकातशत होती है तथा व्यापक रूप से तितभन्न नीततगत मुद्दों पर सरकार की
तस्थतत का िेबसाआट, रे तडयो और सोशल मीतडया के माध्यम से तिज्ञापन क्रकया जाता है। हाल ही में,

सरकार ने ओपन डेटा गिनतमेंट (ODG) को बढ़ािा देने के तलए data.gov.in िेबसाआट लॉन्च की है।

2.4.2. सहभागी शासन व्यिस्था (Participative Governance)

सहभागी शासन व्यिस्था बॉटम-ऄप ऄप्रोच (ऄथातत् अधार से अरम्भ कर शीषत की ओर बढ़ने के
दृतष्टकोण) के माध्यम से शासन व्यिस्था में पारदर्शशता लाने के तितभन्न साधनों में से एक है। यह
स्थानीय स्ि-शासी तनकायों को शतियां प्रदान कर शतियों के तिके न्िीकरण को सुतनतश्चत करता है।
ऐसे तिकें िीकरण के माध्यम से यह ज़मीनी स्तर पर तनणतय-तनमातण की प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी
सुतनतश्चत करने पर बल देता है। स्ितंत्रता-पूित ऄितध में, गांधी जी के सुशासन के दृतष्टकोण का अशय

ऄतनिायत रूप से लोकतांतत्रक तिके न्िीकरण ही था, तजसका ऄथत ग्राम पंचायतों और राजनीततक
पदानुिम में सबसे तनचले स्तर पर तस्थत लोगों को शतियां प्रदान करना है।
73िें और 74िें संतिधान संशोधन ऄतधतनयमों ने पंचायतों और शहरी स्थानीय तनकायों को संिध
ै ातनक
प्रतस्थतत प्रदान की है। िास्ति में यह एकमात्र महत्िपूणत देशव्यापी पहल है तजसका ईद्देश्य शासन के
सहभागी स्िरूप के माध्यम से शासन व्यिस्था में पारदर्शशता ऄपनाकर ईसमें सुधार करना है। लोग
ऄब स्ियं को प्रभातित करने िाले मुद्दों से सम्बंतधत तनणतयन की प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं।
हालांक्रक, आस सन्दभत में सुधार की ऄत्यतधक सम्भािनाएाँ मौजूद हैं, क्योंक्रक आस शासकीय ढााँचे के तलए

ऄभी ऄपनी ऄभीष्ट क्षमता प्राप्त करना शेष है। सरकारी ऄतधकाररयों की ऄतनच्छा, तित्तीय स्ितंत्रता

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की एक ऄपयातप्त रूपरे खा और नागररकों के मध्य जागरूकता की कमी, योजना और तनणतयन में नागररक
समाज की प्रभािी भागीदारी को बातधत करने िाले प्रमुख कारणों के रूप में ईद्धृत क्रकए जाते हैं। क्रफर
भी, कइ राज्य सरकारों द्वारा आन तनकायों को ईत्तरोत्तर ऄतधक सशि क्रकया जा रहा है तथा ऄनुसच
ू ी

XI और XII के और ऄतधक तिषय आन तनकायों को हस्तांतररत क्रकए जा रहे हैं। चौदहिें तित्त अयोग ने
भी आनके पयातप्त तित्तपोषण के तलए सुझाि क्रदए हैं।
सहभागी शासन व्यिस्था की क्रदशा में की गइ कु छ ऄन्य पहलें तनम्नतलतखत हैं:
 सामातजक लेखापरीक्षा (Social Audit): यह तितभन्न शासी तनकायों के कामकाज की तनगरानी

और मूल्यांकन हेतु नागररकों को प्रदान क्रकया गया एक शतिशाली ईपकरण है। 1990 के दशक में

MKSS ने 'जन सुनिाइ' के रूप में आसका अरम्भ क्रकया था। ऄब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण
रोजगार गारं टी ऄतधतनयम जैसे कानूनों में सामातजक लेखा परीक्षा को ऄतनिायत कर क्रदया गया है।
आस प्रकार की लेखा परीक्षाओं ने नागररक भागीदारी में िृतद्ध के साथ-साथ व्यिस्था में जााँच एिं
संतल
ु न सुतनतश्चत करने में सहायता की है। ईदाहरणाथत- अंध्र प्रदेश में, प्रदेश-व्यापी सामातजक
लेखा परीक्षाओं के दौरान व्यापक स्तर पर धोखाधड़ी के मामले सामने अये तजसके पररणामस्िरूप
लगभग 7,000 ऄतधकाररयों पर प्रशासतनक या अपरातधक अरोप तनधातररत क्रकये गए। आसके
साथ ही सामतजक लेखापरीक्षा की यह ऄिधारणा पयातिरणीय लोकतंत्र और शासन व्यिस्था में
भी प्रिेश कर चुकी है।
 तनिासी कल्याण संघ (Resident Welfare Associations: RWAs): आसमें समाज के तिचारों
को शातमल करने या बुतनयादी नागररक कायों के तलए तनणतय लेने की शति को नागररकों को
हस्तांतररत करने हेतु राज्य-तितशष्ट प्रोत्साहन शातमल हैं। 'जनभागीदारी' को बढ़ािा देने के तलए
अम नागररकों को शातमल करने के ऄपने ईद्देश्य तथा ईसके कायातन्ियन के तलए आन पहलों की
सराहना की गइ है।
क्रदल्ली सरकार की भागीदारी योजना के ऄंतगतत समुदाय को ऄपने संबतं धत क्षेत्र की तज़म्मेदारी
लेने के तलए संगरठत करने हेतु मातसक बैठकों का अयोजन क्रकया जाता है तथा आसमें RWAs के
माध्यम से नागररक प्रत्यक्ष रूप से सतम्मतलत होते हैं। तिकास के सम्बन्ध में तथा ऄन्य पररिततनों
की योजना बनाते समय राज्य से जुड़ी संस्थाओं के तलए ये RWAs संपकत के प्रथम सबदु के रूप में
कायत करते हैं।
 के रल का पीपुल्स प्लान कैं पेन (People’s Plan Campaign: PPC) तिकें िीकृ त तनयोजन

(1996) से सम्बंतधत एक प्रयोग था। आसके ऄंतगतत स्थानीय सरकारों को जनता की प्रत्यक्ष
भागीदारी के साथ ऄपनी स्ियं की पंच िषीय योजनाएं बनाने हेतु तनदेतशत क्रकया गया। आस
प्रक्रिया के तलए राज्य के तिकास बजट से समुतचत धन का भी हस्तांतरण क्रकया गया था। हालांक्रक,
तदुपरांत आस योजना को समाप्त कर क्रदया गया।

2.4.3. ईत्तरदातयत्ि तं त्र (Accountability Mechanisms)

पारदर्शशता और ईत्तरदातयत्ि (ऄथिा जिाबदेही) के मध्य एक जरटल और पारस्पररक सम्बन्ध


तिद्यमान है। ‘ईत्तरदातयत्ि’ शब्द ऄतनिायत रूप से तनम्नतलतखत तीन प्रमुख तत्िों को समातहत करता है;

 ईत्तरदेयता (Answerability) ऄथातत् शासन व्यिस्था की तितभन्न संस्थाओं हेतु ईनके कायतिातहयों

के तलए औतचत्य तसद्ध करने की अिश्यकता;

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 प्रिततन (Enforcement) ऄथातत् िे प्रततबन्ध जो कायतिाही के औतचत्य तसद्ध न होने ऄथिा

कायतिाही के ऄसंतोषजनक पाये जाने पर लगाये जा सकते हैं,

 ऄनुक्रियाशीलता (Responsiveness) ऄथातत् की गयी मांगों के प्रतत ऄनुक्रिया करने के तलए

तजन्हें ईत्तरदायी बनाया गया है, ईनकी क्षमता।


िास्ति में पारदर्शशता की धारणा आन्ही मूल तत्िों में गुंथी हइ है। सूचना की पारदर्शशता ईत्तरदातयत्ि
की मांग के सन्दभत में महत्िपूणत है क्योंक्रक सूचना के तबना व्यति राज्य द्वारा क्रकए गए ऄततिमणों या
भ्रष्ट ऄतधकाररयों ऄथिा ऄन्य लोगों द्वारा धन के दुरुपयोग के बारे में जानकारी नहीं प्राप्त कर सकते।
आसके ऄततररि, सूचना की पारदर्शशता को नागररकों को ऄपने िॉयस पािर (अिाज़ की ताकत) का
प्रयोग करने के तलए प्रोत्सातहत करने हेतु भी महत्िपूणत माना जाता है। िॉयस पािर को सेिाओं की
प्रभािी प्रदायगी सुतनतश्चत करने हेतु प्रमुख ऄतधकाररयों पर दबाि डालने के तलए नागररकों की क्षमता
के रूप में पररभातषत क्रकया जाता है। आसी िॉयस पािर के पररणामस्िरुप ईत्तरदातयत्ि में िृतद्ध होती
है।
यक्रद नागररकों के पास सूचना प्राप्त करने के ऄपने ऄतधकार को सुतनतश्चत करने के तलए समुतचत क्षमता
या संसाधन नहीं हैं तो सूचना तक पहंच प्रदान करने िाले कानून ऄप्रभािी होंगे। आसी प्रकार, आन
कानूनों को प्रभािी बनाने के तलए आनके तिषय में जागरूकता बढ़ाना तथा तितभन्न मीतडया साधनों के
माध्यम से आनके ईपयोग करने के तरीके के बारे में लोगों को जानकारी देना महत्िपूणत है।
ईत्तरदातयत्ि के दो पहलू हैं - संस्थाएं जो ईत्तरदातयत्ि तय करती हैं और लागू करती हैं, तथा ऐसे
ईपकरण या साधन तजनका िे आस संदभत में प्रयोग करती हैं। ईत्तरदातयत्ि तय करने िाले ऐसे संस्थान
राज्य के भीतर (क्षैततज ईत्तरदातयत्ि) या राज्य के बाहर (उध्िातधर ईत्तरदातयत्ि) हो सकते हैं। ये
तनम्नतलतखत हैं:
i. संगठनात्मक स्तर पर संगठन के प्रमुख;

ii. तिभागीय स्तर पर तिभागीय प्रमुख;

iii. मंत्रालयी स्तर पर संबंतधत मंत्रालय;

iv. राष्ट्रीय स्तर पर संसदीय कायतिाही;

v. जनता के स्तर पर साितजतनक राय;

vi. सामातजक स्तर पर मीतडया और तसतिल सोसाआटी;

vii. न्यायपातलका; एिं

viii. राज्यों में लोकायुि (तजन राज्यों ने प्रासंतगक कानूनों को ऄतधतनयतमत क्रकया है)।
आन संस्थानों द्वारा ईपयोग क्रकए जाने िाले साधनों/तंत्रों में शातमल हैं:
i. सूचना का ऄतधकार ऄतधतनयम;

ii. तसटीजन चाटतर;

iii. सीतमत पररमाण में, सामातजक लेखा परीक्षा/ नागररकों की तनगरानी सतमततयों/तनगरानी तनकायों

द्वारा सेिा प्रदायगी का सिेक्षण;

iv. प्रदशतन प्रबंधन प्रणाली, दंड और पुरस्कार, ईच्च ऄतधकाररयों द्वारा ऄनुशासनात्मक प्रक्रियाएं;

v. तनयन्त्रक एिं महालेखापरीक्षक (CAG) और ऄन्य तनकायों द्वारा तिभागीय/ अंतररक लेखा परीक्षा;

vi. तशकायत तनिारण तंत्र; एिं

vii. प्रदशतन प्रबंधन तिभाग - मंत्रालयों के प्रदशतन पर नज़र रखने के तलए।

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तितभन्न तनकायों द्वारा तनम्नतलतखत रूप में ईत्तरदातयत्ि का तनधातरण क्रकया जाता है:
 संतिधान, कानून और कायतकारी तनयमों द्वारा जो सरकारी कमतचाररयों के तलए ‘क्या करें ’ (do’s)

और ‘क्या न करें ’ (dont’s) का तनधातरण करते हैं तथा शासन व्यिस्था में मनमानी को कम करते
हैं।
 संसद, न्यायपातलका, के न्िीय सतकत ता अयोग (CVC), लोकपाल आत्याक्रद जैसे संस्थान यह
सुतनतश्चत करते हैं क्रक जब भी लोक सेिक तितध के शासन के तिरुद्ध कोइ कायत करें तो सुधारात्मक
कारत िाइ की क्रदशा में कदम ईठाए जाएं।
 नागररक समाज, गैर सरकारी संगठन (NGOs), मास मीतडया और नागररक ऄतधकाररयों पर
ऄच्छे प्रदशतन के मानकों को लागू करने के तलए महत्िपूणत तत्ि बन गए हैं। ईन्होंने ऄतधकाररयों के
तनणतयों पर प्रश्न पूछना अरम्भ कर क्रदया है और सरकार को जिाबदेह बनाए रखने में सक्रिय
भूतमका तनभा रहे हैं। तीव्र संचार और 24x7 समाचार के तडतजटल युग में, मीतडया (सामातजक
और पारं पररक दोनों) शतियों के िैध प्रयोग पर नज़र रखने का एक प्रमुख साधन बन गयी है।
शासन व्यिस्था में ईत्तरदातयत्ि को बढ़ािा देने के तलए हाल ही में की गईं कु छ पहलें:
i. प्रगातत (PRAGATI): यह ऄग्रसक्रिय शासन और समयबद्ध कायातन्ियन हेतु एक बह-ईद्देशीय, बह-

तिध (multi-modal) प्लेटफ़ॉमत है। PRAGATI एक तितशष्ट समेकनकारी और संिादात्मक मंच है। आस
मंच का ईद्देश्य अम अदमी की तशकायतों को संबोतधत करना तथा साथ ही भारत सरकार के
महत्िपूणत कायतिमों और पररयोजनाओं के साथ-साथ राज्य सरकारों द्वारा लागू पररयोजनाओं की
तनगरानी और समीक्षा करना है। PRAGATI मंच ऄतद्वतीय रूप से तीन निीनतम प्रौद्योतगक्रकयों;

तडतजटल डेटा प्रबंधन, िीतडयो कॉन्रें ससग और भू-स्थातनक प्रौद्योतगकी को एक साथ लाता है। यह

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सहकारी संघिाद की क्रदशा में एक ऄतद्वतीय संयोजन भी प्रदान करता है क्योंक्रक यह भारत सरकार के
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सतचिों और राज्यों के मुख्य सतचिों को एक मंच पर लाता है। साथ ही, आसके माध्यम से प्रधानमंत्री
संबंतधत कें िीय और राज्य ऄतधकाररयों के साथ मुद्दों की तिस्तृत जानकारी और ज़मीनी तस्थतत के
सम्बन्ध में यथाथत एिं निीनतम जानकारी के साथ चचात करने में समथत हैं। यह इ-गिनेंस और सुशासन
में एक ऄतभनि पररयोजना है।
ii. तनष्पादन प्रबंधन प्रभाग (Performance management division): कें ि सरकार ने सरकारी
तनणतयों के बेहतर पररणामों पर नज़र रखने और ईन्हें प्रोत्साहन देने के तलए आस प्रभाग को अरम्भ
क्रकया है। यह पररणाम के अधार पर प्रदशतन पर नज़र रखने के ईद्देश्य से सभी मंत्रालयों के ऄतधकाररयों
के तलए स्पष्ट क्रदशा-तनदेशों का तनधातरण करता है। िस्तुतः यह अिश्यक है क्रक तनणतयन में देरी की
प्रिृतत्त को रोकने का प्रयास क्रकया जाए ताक्रक तितभन्न मुद्दों का त्िररत समाधान क्रकया जा सके । यह
प्रत्येक तनणतय को ऄतधक तीव्रता से ऄपने तकत संगत तनष्कषत तक पहंचने में सहायता करे गा।
iii. गिनतमटें इ-माके ट प्लेस (Government e-market place): गिनतमेंट इ-माके टप्लेस (GeM) का

लक्ष्य सरकार के मंत्रालयों/तिभागों, PSUs, स्िायत्त तनकायों अक्रद द्वारा िस्तुओं और सेिाओं की
खरीद के तरीके को पररिर्शतत करना है। यह सरकार के तितभन्न मंत्रालयों और एजेंतसयों द्वारा िस्तुओं
और सेिाओं की खरीद को सुतिधाजनक बनाने के तलए एक प्रौद्योतगकी संचातलत मंच है। GeM एक

पूणत
त या पेपरलेस, कै शलेस और प्रणाली संचातलत इ-माके ट प्लेस है जो न्यूनतम मानि आं टरफे स के साथ
सामान्य ईपयोग में अने िाली िस्तुओं और सेिाओं की खरीद को सक्षम बनाता है।
पारदर्शशता और ईत्तरदातयत्ि से संबंतधत तिषयों को ऄब गारं टीकृ त सेिा प्रदायगी ऄतधतनयम जैसे
कायतिमों में राज्यों द्वारा तेजी से ऄपनाया जा रहा है, जहााँ सेिा प्रदायगी हेतु तनधातररत समय सीमा के

बाद होने िाले क्रकसी भी तिलम्ब के तलए (सरकारी ऄतधकाररयों के तलए) दंड का प्रािधान है। यह RTI

ऄतधतनयम में क्रकए गए प्रािधान के समान है और आसे क्रदल्ली, राजस्थान, तबहार एिं मध्य प्रदेश जैसे
राज्यों में ऄपनाया गया है।

2.4.4. तहहसल ब्लोऄर का सं र क्षण (Whistleblower’s Protection)

तहहसल-ब्लोआं ग का ऄथत प्रायः संगठन के सदस्यों द्वारा ऄपने तनयोिाओं के तनयंत्रण में संचातलत ऄिैध
या ऄनैततक प्रथाओं को ऐसे व्यतियों या संगठनों के समक्ष प्रकट करने से है जो सुधारात्मक कारत िाइ
करने में सक्षम हो सकते हैं। तहहसल ब्लोऄर संरक्षण से अशय व्यति को सूचना का खुलासा करने की
ऄनुमतत देने से है, हालांक्रक यहााँ प्रातधकार प्राप्त लोगों के प्रततशोध के प्रतत ईनकी (तहहसल ब्लोऄर)
सुभेद्यता तिद्यमान होती है।
संसद ने तहहसल ब्लोऄर प्रोटेक्शन एक्ट, 2014 पाररत क्रकया है, जो तहहसल ब्लोऄर की पहचान को

सुरतक्षत रखने के तलए एक तंत्र प्रदान करता है। आस कानून के ऄनुसार, कोइ भी लोक सेिक या कोइ

ऄन्य व्यति ऄथिा कोइ गैर-सरकारी संगठन, के न्िीय सतकत ता अयोग के सम्मुख भ्रष्टाचार, शति के
दुरुपयोग या लोक सेिक द्वारा क्रकए जा रहे अपरातधक कृ त्यों का साितजतनक तहत में प्रकटीकरण कर
सकता है। हालांक्रक, राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंतधत सूचनाओं को ऄतधतनयम के दायरे से बाहर रखा गया है।

2014 के मौज़ूदा कानून के दायरे से राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता, ऄखंडता, राज्य की सुरक्षा या अर्शथक
तहतों के मुद्दों को बाहर करने के तलए आसमें संशोधन के ईद्देश्य से एक नये तिधेयक - तहहसल ब्लोऄसत
प्रोटेक्शन (संशोधन) तिधेयक, 2015 - को संसद में प्रस्तुत क्रकया गया है। आन प्रािधानों को RTI

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ऄतधतनयम की तजत पर अकार क्रदया गया है। यह तिधेयक लोकसभा द्वारा पाररत कर क्रदया गया है और
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यह ऄब राज्यसभा में लंतबत है। ('शासन व्यिस्था में इमानदारी' िाले नोट्स में आस मुद्दे का तिस्तार से
तिश्लेषण क्रकया गया है।)

2.5. भारत में पारदर्शशता से सम्बं तधत मु द्दे

(Issues with Respect to Transparency in India)

सामान्यतः, पारदर्शशता िाद-तििाद के कइ मुद्दों को समातिष्ट करती है, जैसे:

 पारदर्शशता तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के तसद्धांतों, क्रकसी व्यति की गोपनीयता और प्रततस्पद्धात के दौर में

तनगमों की गैर-प्रकटीकरण की नीतत के मध्य सीमा रे खा कहााँ खींचनी है;

 सरकारी कायातलयों को सूचना ऄग्रसक्रिय रूप से प्रकातशत करनी चातहए या मात्र तिशेष ऄनुरोध
पर सूचना प्रदान करनी चातहए; तथा

 सूचना प्रदान करने की लागत क्रकसे िहन करनी चातहए (साितजतनक कायातलय बनाम पहाँच की
मााँग करने िाले)।
भारत में पारदर्शशता के सम्बन्ध में नीततयां तितधक रूप से तो लागू हैं क्रकन्तु क्रफर भी ईनके िास्ततिक
कायातन्ियन और तितरण में भ्रष्टाचार, ऄनुपतस्थतत, ईदासीनता, ऄक्षमता, प्रभािहीनता या पूणत

तिफलता की तस्थतत बनी हइ है। आन तिफलताओं के कें ि में ईत्तरदातयत्ि का एक सुव्यितस्थत संकट
तिद्यमान है। कु छ पयतिक्ष
े कों का कहना तो यह भी है क्रक आं तडयन स्टेट, आसके संस्थानों और आन संस्थानों

को तनयंतत्रत करने िाले तनयमों को संरतचत ही आस प्रकार क्रकया गया है क्रक ईत्तरदातयत्ि से बचा जा
सके ।
2005 में RTI ऄतधतनयम के ऄतधतनयतमत होने के बािजूद खुलापन और ईत्तरदातयत्ि तय करने के

मध्य ऄंतराल ऄभी भी बना हअ है। RTI ऄतधतनयम, 2005 के ऄतधदेश के ऄनुसार, साितजतनक क्षेत्र

के संगठनों द्वारा सक्रिय प्रकटीकरण ऄभी भी भारत में व्यापक रूप से प्रचतलत नहीं है। आसके ऄततररि,

भारत में RTI कायतकतात और तहहसल ब्लोऄसत सुभेद्य हैं और तनरं तर जीिन के खतरे का सामना कर रहे

हैं। आसके ऄततररि, तहहसल ब्लोऄर संरक्षण ऄतधतनयम में संशोधन, तहहसल ब्लोऄसत के मौजूदा संरक्षण

में कमी लाने िाला प्रतीत होता है। (आसका तिस्तृत िणतन अगे क्रकया गया है)।
राजनीततक दल RTI ऄतधतनयम, 2005 के दायरे में नहीं अते हैं। राजनीततक तित्त पोषण में

पारदर्शशता की कमी है तजससे काले धन को बढ़ािा तमलता है।


आसके ऄततररि, न्यायपातलका ने भी स्ियं को सूचना ऄतधकार ऄतधतनयम, 2005 से ईन्मुति प्रदान

की है। सिोच्च न्यायालय, ईच्चतर न्यायपातलका को RTI ऄतधतनयम के दायरे में लाने के तलए और

सिोच्च न्यायालय तथा ईच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संपतत्त के प्रकटीकरण के प्रािधान के सन्दभत में
ऄतनच्छु क है। ऐसे में यह स्पष्ट क्रकया जाना चातहए क्रक यद्यतप न्यायालय की कायतिाही या तनणतय सदैि
साितजतनक डोमेन में रहे हैं, क्रकन्तु न्यायपातलका को RTI के दायरे में लाने का यह अशय कदातप नहीं

है।

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हालांक्रक, ध्यातव्य है क्रक भारत की लोकतांतत्रक व्यिस्था में आसके भागीदारों ऄथातत् आसके नागररकों को

आसके कायतकलापों या कायतकलाप से सम्बंतधत पररिततनों, सांतत्य या तनणतय के बारे में प्रत्येक ‘क्या, कै से

और क्यों’ जैसे प्रश्नों का ईत्तर जानने का ऄतधकार है। सूचना का ऄतधकार भारत के संतिधान के

ऄनुच्छेद 19(1)(a) के ऄंतगतत मौतलक ऄतधकारों के दायरे में अता है और यह 2005 के RTI

ऄतधतनयम द्वारा सांतितधक अधार पर सुतनतश्चत क्रकया गया है। भारत में, लोक शति (कायतकारी,

तिधायी या न्यातयक शति) के प्रयोग में पारदर्शशता की संस्कृ तत तिकतसत होनी चातहए। ऐसी संस्कृ तत
को बढ़ािा क्रदया जाना चातहए और गोपनीयता एिं रहस्य को मात्र ऄपिाद स्िरुप हीं प्रयोग क्रकया
जाना चातहए।
भारत सरकार इ-गिनेंस को बढ़ािा देने के तलए तडतजटल प्रौद्योतगक्रकयों को तेजी से ऄपना रही है
तजसके पररणामस्िरूप प्रशासन में पारदर्शशता को बढ़ािा तमल रहा है। हालांक्रक, आस बात पर ध्यान

क्रदया जाना चातहए क्रक इ-गिनतमेंट का यह तात्पयत हमेशा खुली सरकार नहीं होती है। यक्रद कोइ
सरकारी एजेंसी तडतजटल ररकॉडत ऄपनाती है, तो िह िास्ति में दक्षता का लाभ प्राप्त कर सकती है भले

ही िह ईन ररकॉर्डसत को साितजतनक रूप से ईपलब्ध न कराए। क्रकन्तु जब तक सुधारों द्वारा आन


ऄतभलेखों तक साितजतनक पहंच में सुधार नहीं क्रकया जाएगा, तब तक यह खुली सरकार की कसौटी पर

खरी नहीं ईतरे गी।


2011 की ‘ओपन गिनतमेंट डेटा आन आं तडया’ ररपोटत के ऄनुसार, हालांक्रक सरकार ने कइ इ-गिनेंस पहलें

अरम्भ की है, क्रकन्तु ऄभी भी ईनमें से ऄतधकांश पहलों के डेटाबेस साितजतनक रूप से सुलभ नहीं कराए

गए हैं। साितजतनक रूप से सुलभ डेटाबेसों में से भी कु छ ही डेटा पुन: प्रयोज्यता, असान पहंच और

बोधगम्यता की दृतष्ट से खुले हए हैं। िास्ति में ऄपररष्कृ त डेटा का प्रकाशन करना पयातप्त नहीं है। ओपन
गिनतमेंट डेटा की प्रासंतगकता को सुतनतश्चत करने के तलए, सरकार और तसतिल सोसायटी संगठनों दोनों

द्वारा अम लोगों और िंतचत समुदायों के तहत में आनका लाभ ईठाने हेतु ईतचत तंत्र की स्थापना की
जानी चातहए। आस क्रदशा में ईठाए गए ठोस कदम भारत में तनकट भतिष्य में ओपन डेटा के स्िप्न को
साकार करने में सहायक होंगे।

2.6. सरकारी गोपनीयता ऄतधतनयम, 1923 से सम्बं तधत मु द्दे (ARC से ईद्धृ त )

(Issues with the Official Secrets Act, 1923 (Excerpts from ARC)

औपतनिेतशक काल के दौरान ऄतधतनयतमत सरकारी गोपनीयता ऄतधतनयम, 1923 (Official

Secrets Act: OSA), शासन व्यिस्था में गोपनीयता के सभी मामलों को ऄतभशातसत करता है। यह

कानून बड़े पैमाने पर सुरक्षा मामलों से संबंतधत है तथा जासूसी, राजिोह और राष्ट्र की एकता एिं

ऄखंडता पर ऄन्य हमलों से तनपटने हेतु एक रुपरे खा प्रदान करता है। हालांक्रक, लोगों के प्रतत

ऄतिश्वास के औपतनिेतशक पररिेश और नागररकों से व्यिहार के पररप्रेक्ष्य में साितजतनक ऄतधकाररयों


को प्राथतमकता क्रदए जाने के कारण, OSA ने गोपनीयता की संस्कृ तत का सृजन क्रकया। आसके

पररणामस्िरूप गोपनीयता एक प्रचलन और प्रकटीकरण एक ऄपिाद बन गया। यद्यतप OSA की धारा

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5 स्पष्ट रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा के संभातित ईल्लंघनों से तनपटने के तलए थी, परन्तु कानून की शैली और

औपतनिेतशक काल (जब आसे कायाततन्ित क्रकया गया था), के कारण यह सभी पर लागू होने िाला

तितधक प्रािधान बन गया एिं व्यािहाररक रूप से शासन से जुड़ा लगभग प्रत्येक मुद्दा, गोपनीयता के

दायरे में अने लगा। तसतिल सेिा अचरण तनयम, 1964 के द्वारा आस प्रिृतत्त को और बल तमला क्योंक्रक

आसके द्वारा प्रातधकार के तबना क्रकसी अतधकाररक दस्तािेज के संचार को प्रततबंतधत कर क्रदया गया।
आसके ऄततररि 1872 में ऄतधतनयतमत, भारतीय साक्ष्य ऄतधतनयम की धारा 123, तिभाग प्रमुख

(तजसे आस सन्दभत में तििेकातधकार प्राप्त है) की ऄनुमतत के तबना ऄप्रकातशत अतधकाररक ररकॉडत से
साक्ष्य देने पर रोक लगाती है।
लोकतंत्र में, जनता संप्रभु होती है और तनिाततचत सरकार एिं ईसके कायतकतात जनता के सेिक होते हैं।

यह तिचार-तिमशत द्वारा तनर्शमत सरकार और कानून के ढांचे के भीतर एक खुली सरकार होती है।
आसतलए पारदर्शशता शासन व्यिस्था के सभी मामलों में अदशत के तौर पर संस्थातपत होनी चातहए।

हालांक्रक, यह एक सिततिक्रदत तथ्य है क्रक राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभातित करने िाले कु छ संिेदनशील

मामलों को प्रकट न क्रकया जाना व्यापक लोक तहत में होता है। आसी प्रकार, मंतत्रमंडल का सामूतहक

ईत्तरदातयत्ि मंतत्र-पररषद की बैठकों में साितजतनक मुद्दों पर तनबातध पररचचात की मांग करता है, जो

क्रदन-प्रततक्रदन की राजनीततक खींचतान और दबािों से मुि होनी चातहए। जनता को कै तबनेट के


तनणतयों और आन तनणतयों के ईत्तरदायी कारणों के बारे में जानने का ऄतधकार होना चातहए, क्रकन्तु साथ

ही यह जानने का ऄतधकार नहीं होना चातहए क्रक ईस तनणतय प्रक्रिया के दौरान कै तबनेट कक्ष में क्रकन
बातों पर तिचार क्रकया गया। RTI, ऄतधतनयम राज्य के मामले में आन अिश्यकताओं को तचतननत

करता है और ऄतधतनयम की धारा 8 ऐसे सभी मामलों को प्रकटीकरण से छू ट प्रदान करती है।

सूचना का ऄतधकार ऄतधतनयम की धारा 8 (2) के ऄनुसार :

"सरकारी गोपनीयता ऄतधतनयम, 1923 में ईपधारा (1) के ऄनुसार ऄनुज्ञेय क्रकसी छू ट में क्रकसी बात

के होते हए भी क्रकसी लोक ऄतधकारी को सूचना तक पहाँच ऄनुज्ञात की जा सके गी, यक्रद सूचना के

प्रकटन में लोकतहत संरतक्षत तहत के नुकसान से ऄतधक है।”

ऄतधतनयम के िे प्रािधान जो धारा 8(1) के छू ट सम्बन्धी प्रािधानों के साथ द्वन्द की तस्थतत में होने के

बाद भी सूचना के प्रकटन की ऄनुमतत प्रदान करते हैं; ईन्हें आस ऄतधतनयम की धारा 22 के ऄंतगतत ऄन्य

ऄतधतनयमों तथा ईपकरणों से प्रततरक्षा प्राप्त है। ऄतधतनयम की धारा 22 के ऄनुसार:

"आस ऄतधतनयम के ईपबंध सरकारी गोपनीयता ऄतधतनयम ,1923 और तत्समय प्रिृत्त क्रकसी ऄन्य
तितध में या आस ऄतधतनयम से ऄन्यथा क्रकसी तितध के अधार पर प्रभाि रखने िाले क्रकसी दस्तािेज में
ईससे ऄसंगत क्रकसी बात के होते हए भी प्रभािी होंगे"।

आस प्रकार, ईपयुति धारा की आस भािना के अधार पर, यक्रद RTI ऄतधतनयम के ऄंतगतत सूचना

प्रकटीकरण को स्िीकार क्रकया गया है तो OSA आस सूचना के प्रकटीकरण को ऄिरोतधत नहीं करे गा।

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हालााँक्रक ऄन्य तनयमों और तनदेशों के साथ OSA सूचना की स्ितंत्रता पर प्रभाि डाल सकता है,

क्योंक्रक आनके कारण ऐततहातसक रूप से गोपनीयता और गैर-प्रकटीकरण की संस्कृ तत ही पोतषत हइ है,

जो क्रक सूचना के ऄतधकार की मूल भािना के तिरुद्ध है। यहााँ तक क्रक ऐसी सूचना के प्रकटीकरण से भी
आन्कार क्रकया जा सकता है तजसका राष्ट्रीय सुरक्षा से कोइ संबंध नहीं है (यक्रद साितजतनक कमतचारी द्वारा
ईसके पद धारण करने के अधार पर ईस सूचना तक पहाँच स्थातपत की गयी हो)। आस तरह के ऄनुदार
और कठोर प्रकृ तत के प्रािधानों ने स्पष्ट रूप से गोपनीयता की संस्कृ तत को सृतजत क्रकया है।
हालांक्रक, िततमान तस्थततयों में सूचना का ऄतधकार ऄतधतनयम ईन प्रािधानों पर ऄतधरोतपत होता है

तजन्हें सरकारी गोपनीयता ऄतधतनयम द्वारा खुद को प्रकटीकरण से मुि नहीं क्रकया गया है, तथातप

िास्ततिक तस्थतत यही है क्रक तितध की पुस्तकों में ईपतस्थत OSA ऄपने िततमान स्िरूप में एक प्रकार

का ऄराजकतािाद है।
आसतलए, राष्ट्रीय सुरक्षा की अिश्यकता को ध्यान में रखते हए और आसके अधार पर प्रोत्सातहत

गोपनीयता की संस्कृ तत के समापन हेतु तद्वतीय ARC ने ऄनुशंसा की है क्रक सरकारी गोपनीयता

ऄतधतनयम, 1923 को समाप्त क्रकया जाए तथा आसके स्थान पर राष्ट्रीय सुरक्षा ऄतधतनयम (1980) में

एक ऄध्याय जोड़ा जाये तजसमें अतधकाररक गोपनीयता से संबंतधत प्रािधान शातमल हों। हालांक्रक,

सरकार ने आस ऄनुशंसा को स्िीकार नहीं क्रकया है।

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3. सू च ना का ऄतधकार ऄतधतनयम, 2005 - तिस्तृ त तिश्ले ष ण


(Right to Information Act, 2005 – Detailed Analysis)
सूचना का ऄतधकार ऄतधतनयम भारत के नागररकों को साितजतनक प्रातधकरण से सूचना प्राप्त करने की
शति प्रदान करता है। आस प्रकार यह सरकार और ईसके सहायक तनकायों में पारदर्शशता और
ईत्तरदातयत्ि को सुतनतश्चत करता है।
 आस ऄतधतनयम के प्रािधानों के ऄंतगतत, कोइ भी नागररक "साितजतनक प्रातधकरण" (सरकार का
कोइ तनकाय या "राज्य का ईपकरण") से सूचना का ऄनुरोध कर सकता है, तजसका शीघ्राततशीघ्र
या तीस क्रदनों के भीतर ईत्तर क्रदया जाना ऄतनिायत है।
 आस ऄतधतनयम के तहत साितजतनक प्रातधकरण को व्यापक प्रसार के तलए ऄपने ररकॉडत को
कम्प्यूटरीकृ त करने और सूचनाओं की कु छ श्रेतणयों को "ऄग्रसक्रिय रूप से" प्रकातशत करना
ऄतनिायत है; ताक्रक नागररक औपचाररक रूप से सूचना का ऄनुरोध तबना क्रकसी सहारे के कर सकें
(ऄथातत् सरकार के कायत करने के संबंध में सूचना का प्रकटीकरण एक ऄपिाद के बजाय एक तनयम
होना चातहए और यह तनयम बगैर मांगे ऄग्रसक्रिय रूप से प्रदान क्रकया जाना चातहए)।
 यह जम्मू-कश्मीर राज्य के ऄततररि भारत के ऄन्य सभी राज्यों और कें ि शातसत प्रदेशों पर लागू
है। जम्मू-कश्मीर का ऄपना स्ियं का ‘जम्मू-कश्मीर सूचना का ऄतधकार ऄतधतनयम’ है।
 कार्शमक और प्रतशक्षण तिभाग को कें िीय स्तर पर RTI के कायातन्ियन के तलए नोडल तिभाग
बनाया गया है।
 ऄतधतनयम के ऄनुसार, सूचना अयुिों से यह ऄपेक्षा की गयी है क्रक िे लोक प्रातधकरणों को ईनके
कततव्यों का तनितहन करने के तलए अदेश/तनदेश जारी करें ।
ऄतधतनयम की कायतप्रणाली (संक्षप
े में)
यह ऄतधतनयम दो महत्िपूणत ऄतधकाररयों- लोक सूचना ऄतधकारी (PIOs) और ऄपीलीय
प्रातधकाररयों (AAs) से संबंतधत है जो आसके क्रियान्ियन में महत्िपूणत भूतमका तनभाते हैं। PIO क्रकसी
सामान्य व्यति के तलए संपकत के प्रथम सबदु के रूप में कायत करते हैं। PIO को तितभन्न मुद्दों पर सूचना
की मांग करने िाले RTI अिेदनों को संबोतधत करना होता है। यक्रद PIO समय पर सूचना प्रदान करने
में तिफल रहते हैं या अिेदक प्रदान की गइ सूचना से संतुष्ट नहीं है, तो AA (सामान्यतः एक िररष्ठ
ऄतधकारी) आस मामले में हस्तक्षेप करते हैं।
ऄपीलीय प्रातधकारी आस मामले पर सुनिाइ कर सकता है और तनदेश दे सकता है। आन तनदेशों का
पालन करना ऄतनिायत होता है। यक्रद अिेदक क्रफर भी ऄसंतुष्ट है, तो िह सूचना अयोग को सुनिाइ के
तलए दूसरी ऄपील हेतु अिेदन कर सकता है। कें िीय या राज्य सूचना अयोग (CIC/SIC) का कोइ
पदानुिम नहीं है। CIC कें ि सरकार के तिभागों से और SIC राज्य सरकार के तिभागों से सम्बद्ध है।
CIC के पास राज्य सूचना अयोग के सन्दभत में कोइ ऄतधकार क्षेत्र नहीं है और न ही राज्य सूचना
अयोग के अदेश के तिरुद्ध CIC में तशकायत या ऄपील दायर की जा सकती है।

3.1. सू च ना का ऄतधकार- पररितत न का एक ईपकरण

(RTI - An Instrument of Change)


"जहााँ एक समाज ने लोकतंत्र को ऄपने सुदढ़ृ तिश्वास के रूप में स्िीकार क्रकया है, िहााँ नागररकों के
तलए यह जानना सिाततधक अिश्यक है क्रक ईनकी सरकार क्या कर रही है" - न्यायमूर्शत पी. एन.
भगिती

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एक जागरुक नागररक के तलए क्रकसी लोकतां तत्रक समाज में अगे बढ़ने हेतु सूचना ऑक्सीजन के समान
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अिश्यक है। भारत में सूचना का ऄतधकार (RTI) न्यातयक घोषणाओं के माध्यम से तिकतसत क्रकया
गया था और बाद में सूचना का ऄतधकार ऄतधतनयम, 2005 के माध्यम से आसे ईतचत स्िरुप क्रदया
गया। िततमान में यह ऄतधतनयम भारत के नागररकों के जानने के ऄतधकार को बढ़ािा देने तथा ईसकी
रक्षा करने के तलए ऄग्रणी साधन बन गया है।
आसके महत्ि को रे खांक्रकत करते हए, तद्वतीय ARC में कहा गया है क्रक RTI सुशासन की मुख्य कुं जी है।
RTI प्रशासन में जिाबदेही सुतनतश्चत करने तथा साितजतनक कायातलयों में भ्रष्टाचार और ऄक्षमता को
कम करने में मदद करता है। यह शासन व्यिस्था और तनणतयन में लोगों की भागीदारी सुतनतश्चत करता
है।
भारत में, औपतनिेतशक शासन से अरम्भ गोपनीयता की संस्कृ तत ने ऄतनयंतत्रत भ्रष्टाचार को बढ़ािा
क्रदया है। सरकार के कामकाज में खुलेपन और ईत्तरदातयत्ि की कमी ने न के िल ऄक्षमता ईत्पन्न की
बतल्क तनधतनता के सभी रूपों को भी यथाित बनाये रखा। RTI ऄतधतनयम, सुशासन में बाधा ईत्पन्न
करने िाले भ्रष्टाचार के ईन्मूलन के तलए दो सबसे महत्िपूणत ईपकरणों ऄथातत् पारदर्शशता और
ईत्तरदातयत्ि को एक साथ लेकर अता है।
यह ऄतधतनयम एक सामान्य व्यति को क्रकसी तिशेष साितजतनक सेिा का लाभ ईठाने के ईसके
ऄतधकार को जानने में सक्षम बनाता है तथा कहीं कोइ तशकायत हो तो ईसके तनिारण हेतु सशि
बनाता है। आसमें 'सुनिाइ और ईपभोिा तशक्षा का ऄतधकार' भी शातमल है, ऄथातत् आसके तहत
ईपभोिा को ईसके ऄतधकारों के बारे में तशतक्षत क्रकया जाना भी शातमल है। िास्ति में यह "सहभागी,

पारदशी और ईत्तरदायी शासन" के तकत पर अधाररत है। सूचना के ऄतधकार ऄतधतनयम के तहत
सरकारी कमतचाररयों के अचरण पर भी सिाल ईठाया जा सकता है और आस प्रकार ईन्हें ईत्तरदायी
बनाया जाता है।
RTI, सहभागी तिकास को बढ़ािा देन,े लोकतांतत्रक शासन को सशि बनाने और साितजतनक सेिाओं
की प्रभािी प्रदायगी की सुतिधा के तलए एक ईपकरण बन गया है। आसका ज्ञान अधाररत समाज में
(तजसमें हम अज रहते हैं) सूचना का ऄतधग्रहण और ईसके अिेदन के बारे में सूतचत तनणतय लेने की
प्रक्रियाओं पर व्यापक प्रभाि पड़ता है, तजसके पररणामस्िरूप समग्र ईत्पादकता में िृतद्ध के रूप में
महत्िपूणत लाभ प्राप्त होता है। आस प्रकार, आस ऄतधतनयम का ईद्देश्य शासन व्यिस्था में खुलापन,
पारदर्शशता और जिाबदेही को बढ़ािा देना है।
RTI ऄतधतनयम के क्रियान्ियन ने तिशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में तिकास प्रक्रिया में संिद
े नशीलता,
ईत्तरदातयत्ि और जिाबदेही का सूत्रपात क्रकया है। यह सरकार-प्रायोतजत कायतिमों के कायातन्ियन और
साितजतनक ऄतधकाररयों के कामकाज में देरी को तनयंतत्रत करने हेतु ऄत्यतधक महत्िपूणत है। RTI,
लोगों को अगे अने और तितभन्न कल्याणकारी योजनाओं के सन्दभत में हइ प्रगतत पर सिाल ईठाने के
तलए प्रेररत कर रहा है और आस प्रकार यह भारत के सिाततधक तपछड़े क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाि ला
रहा है।

3.2. RTI के कायात न्ियन में तहतधारकों की भू तमका

(Role of Stakeholders in RTI Implementation)


यक्रद RTI से संबंतधत तहतधारकों और एजेंतसयों द्वारा आस ऄतधतनयम की भािना के प्रतत ऄपने
ईत्तरदातयत्ि का तनितहन क्रकया जाये तो आस ऄतधतनयम में भारतीय नौकरशाही में िांतत लाने की
क्षमता तनतहत है। ऄतधकांश कायों का तनितहन ईतचत सरकारों और सूचना अयोगों को करना होता है।

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प्रायः यह देखा गया है क्रक तितभन्न एजेंतसयों, मीतडया आत्याक्रद ने ऄतधतनयम के सक्रिय कायातन्ियन के
तलए दबाि समूह के रूप में कायत क्रकया है। प्रमुख भूतमका तनभाने िाले तितभन्न संस्थाओं की नीचे चचात
की गइ है:
(i) तसतिल सोसाआटी संगठन / NGOs
ये जनता के बीच (तिशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में) RTI की पहाँच और जागरूकता का प्रसार करने में
सहायता करते हैं। हालांक्रक, देश के भौगोतलक अकार और जनसंख्या को देखते हए, ईनकी पहाँच
सीतमत है। आन्होंने लोक सूचना ऄतधकारी (PIO) के प्रतशक्षण में भी योगदान क्रदया है।
(ii) मीतडया
मीतडया ने समाचार लेखों और टीिी पर अयोतजत िाद-तििाद के माध्यम से व्यापक पैमाने पर
जागरुकता का प्रसार करने में एक महत्िपूणत भूतमका तनभाइ है। RTI कायातन्ियन के संदभत में, पत्रकारों
ने कइ बार RTI ऄतधतनयम के ईपयोगकतातओं के रूप में तथा ऄतधतनयम के कायातन्ियन की तनगरानी
और जााँच के माध्यम से तनरीक्षक के रूप में; दोहरी भूतमका का तनितहन क्रकया है।
(iii) राज्य सरकारें
एजेंतसयों के साथ नागररकों की ऄतधकतम संलग्नता राज्य सरकारों के ऄधीन होती है। आसतलए, RTI
ऄतधतनयम की प्रभािशीलता, राज्य सरकार के तिभागों में आस ऄतधतनयम की संिेदनशीलता और
कायातन्ियन पर महत्िपूणत रूप से तनभतर है।
 जानकारी कॉल सेंटर: तबहार सरकार ने ‘तसक्स-सीटर कॉल सेंटर’ अरम्भ क्रकया है। ये कॉल सेंटर,
कॉल करने िाले व्यति को RTI अिेदन तैयार करने में सहायता प्रदान करते हैं और सेिा के तलए
तनधातररत शुल्क फोन तबल के माध्यम से एकत्र क्रकया जाता है। आसी प्रकार, बंगलुरु में RTI
हेल्पलाआन द्वारा नागररकों को RTI सूचना प्रदान की जा रही है।
 ऄसम में “प्रतशक्षकों को प्रतशतक्षत करें (ट्रेन द ट्रेनर)’’ की ऄिधारणा: ऄसम ने “ट्रेन द ट्रेनर"
ऄिधारणा को ऄपनाया है। यहााँ सरकार RTI की पहाँच को ऄतधकतम करने हेतु RTI के सन्दभत में
नागररकों को प्रतशक्षण देने तथा स्थानीय स्िातमत्ि एिं तस्थरता को सुतनतश्चत करने के तलए गैर-
सरकारी संगठनों को प्रतशतक्षत करती है।

3.3. सफलता की कहातनयां (Success Stories)

सूचना का ऄतधकार (RTI), अम नागररकों के तलए ईनके ऄतधकारों की लड़ाइ हेतु एक महत्िपूणत
हतथयार बन गया है। यह अश्चयतजनक नहीं है क्रक RTI ऄतधतनयम का प्रयोग बहधा ईन क्षेत्रों में क्रकया
जा रहा है जहााँ लोगों को िैसी चीजों के तलए लड़ना पड़ रहा है, तजन पर ईनका ही ऄतधकार है। आस
ऄतधतनयम ने ऄपने क्रियान्ियन के दस िषत पूरे कर तलए हैं तथा आस ऄितध में ऄतधतनयम ने सरकारी
प्रणाली के कामकाज के तरीकों और तिचारों में महत्िपूणत पररिततन क्रकये हैं।
आस ऄतधतनयम से पहले भी, RTI का समथतन करने िाली न्यातयक घोषणाओं ने सामान्य लोगों में प्रश्न
पूछने की संस्कृ तत को प्रोत्सातहत क्रकया है। अम लोगों के जीिन में RTI के प्रभािों को पररलतक्षत करने
िाली सफलता की कु छ कहातनयां तनम्नतलतखत हैं:
i. RTI के माध्यम से करदाताओं के धन के ईपयोग का पयतिक्ष
े ण क्रकया जा रहा है: राजमागत
पररयोजनाएं, बैंक ऊण, फसल बीमा योजनाएं, साितजतनक तितरण प्रणाली अक्रद ऐसी प्रत्येक
व्यिस्था, जहााँ साितजतनक तनतध का ईपयोग क्रकया जाता है, RTI के दायरे में अती है। RTI के
प्रयोग से, आनसे सम्बंतधत बहत सी ऄतनयतमतताओं का पता लगा है और बहत से घोटालों को
सामने लाया गया है।

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ii. RTI ने मनरे गा में भ्रष्टाचार को प्रकट क्रकया: कनातटक के बीदर तजले के संतपुर गांि में, RTI
कायतकतातओं ने मनरे गा में भ्रष्टाचार का पदातफाश करने के तलए आस ऄतधतनयम का आस्तेमाल क्रकया।
एक RTI अिेदन के माध्यम से यह जानकारी प्राप्त हइ क्रक मनरे गा की चार पररयोजनाओं में
तनयोतजत लोग एक ही थे और िे एक स्थानीय नेता के पररिार से थे तथा ईन्होंने कभी भी क्रकसी
शारीररक श्रम में भाग नहीं तलया था।

iii. एक ऄन्य मामले में, एक ररक्शाचालक से आं क्रदरा अिास योजना के तहत ऄपने गृह तनमातण के

अिेदन को अगे बढ़ाने के बदले पांच हज़ार रुपये की मांग की गयी, जबक्रक ईसे अिेदन क्रकये पांच
िषत बीत चुके थे। यह सामातजक-अर्शथक योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार के स्तर का प्रत्यक्ष ईदाहरण
है। ऄंततः ईस ररक्शाचालक ने एक NGO की सहायता से RTI अिेदन दजत क्रकया तथा आसके

ईपरांत ईसे योजना के तहत 15000 रुपये की पहली क्रिस्त प्राप्त हइ।

iv. ऐसे कइ ईदाहरण हैं जहां लोग, RTI ऄतधतनयम से लाभातन्ित हए हैं तथा भ्रष्टाचार साथ ही साथ

भ्रष्ट लोगों का खुलासा हअ है और ईन्हें दंतडत क्रकया गया है। िास्ति में RTI लोगों को सशि बना

रहा है, ताक्रक िे कायतपातलका को ईसके कायों के प्रतत तथा देश के संसाधनों का ईपयोग करने के
तरीकों के प्रतत ईत्तरदायी ठहरा सकें ।

3.4. क्रियान्ियन सं बं धी चु नौततयााँ (Implementation Challenges)

कार्शमक और प्रतशक्षण तिभाग ने RTI के प्रिततन और कायातन्ियन से सम्बंतधत मुद्दों का अकलन करने

हेतु एक क्षेत्र सिेक्षण (2008 में)अयोतजत क्रकया। आसके द्वारा तनम्नतलतखत तनष्कषत प्राप्त हए:

i. लोगों में जनजागरूकता का ऄभाि (Low public awareness)

RTI ऄतधतनयम की धारा 26 में ईल्लेख क्रकया गया है क्रक सम्बंतधत सरकारें , लोगों, तिशेषकर
िंतचत समुदायों में आस ऄतधतनयम के तहत पररकतल्पत ऄतधकारों के प्रयोग से संबतं धत समझ
तिकतसत करने हेतु कु छ शैक्षतणक कायतिमों का तनमातण एिं अयोजन कर सकती हैं:
 हालााँक्रक सिेक्षण के ऄनुसार यह भी ज्ञात हअ क्रक ईत्तर देने िालों में से के िल 15 प्रततशत

लोग ही RTI ऄतधतनयम से पररतचत थे। आस सिेक्षण के दौरान, यह भी देखा गया क्रक आस

जागरुकता के प्रमुख स्रोतों में मास मीतडया चैनल, यथा- टेलीतिज़न चैनल, समाचार पत्र
आत्याक्रद एिं लोगों के द्वारा अपस में बातचीत से प्रचार शातमल है।
 आसके साथ ही यह भी देखा गया क्रक िंतचत िगों, यथा- मतहलाओं, ग्रामीण जनसंख्या तथा

सामातजक रूप से तपछड़ी जाततयों, यथा- SC/ST/OBCs में जागरुकता का स्तर तिशेष रूप
से कम है।
ध्यातव्य है क्रक सम्बंतधत सरकारों तथा साितजतनक प्रातधकरणों द्वारा क्रकये जाने िाले प्रयास,

िेबसाआट्स पर तनयमों और ऄक्सर पूछे जाने िाले प्रश्नों (FAQs) के प्रकाशन तक ही सीतमत रहे

हैं। ये प्रयास RTI ऄतधतनयम के सम्बन्ध में व्यापक स्तर पर जन-जागरूकता के प्रसार में सहायक

नहीं रहे हैं।

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ii. तशकायत दजत करने में बाधाएं एिं जरटलताएाँ (Constraints or complications in filing
complaints)
 सूचना की मांग करने िाले लोगों के तलए यूजर गाआड की ‘ऄनुपलब्धता’: सिेक्षण में शातमल

कु ल नागररकों में से 52% ने सभी साितजतनक प्रातधकरणों में यूज़र गाआड/मैन्युऄल की


ईपलब्धता हेतु तनिेदन क्रकया।
यूज़र गाआड की ऄनुपलब्धता के कारण सूचना की मांग करने िाले लोगों को RTI अिेदन से
सम्बंतधत प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने हेतु ऄत्यतधक प्रयास करने पड़ते हैं। आससे
ईनके द्वारा सूचना के ऄतधकार का समुतचत ईपयोग करने में ऄिरोध ईत्पन्न होता है।
 ऑफ़लाआन RTI अिेदन करने हेतु ऄसुतिधाजनक भुगतान चैनल: आस सिेक्षण में यह पाया
गया क्रक स्पष्ट क्रदशातनदेशों और ऄनुदश
े ों के ऄभाि में, साितजतनक प्रातधकरणों ने स्िीकृ त
भुगतान चैनलों के एक ईपसमुच्चय यथा नकद और तडमांड ड्र्ाफ्ट को ऄपनाया है, जो

नागररकों के तलए ऄसुतिधाजनक है। आसके ऄततररि, नकद के माध्यम से शुल्क एकत्र करने
की ऄतनिायतता के कारण अिेदनकतात का राज्य में होना अिश्यक हो जाता है, जबक्रक
ऄतधतनयम में ऐसी कोइ भी बाध्यता नहीं अरोतपत की गयी है।
आसके ऄलािा, सिेक्षण से यह भी ईजागर हअ है क्रक लोक सूचना ऄतधकारी (PIO) के

कायातलय के माध्यम से अिेदन जमा करना अिेदन का सबसे प्रचतलत तरीका है, ऄतः
ऄितस्थतत तििरण और PIOs के ईपलब्धता समय के साथ "ईतचत संकेतक" भी महत्िपूणत
है। हालााँक्रक, 85 प्रततशत सूचना की मांग करने िालों ने कहा क्रक सम्बंतधत PIO की
ऄितस्थतत से सम्बंतधत कोइ संकेतक ईपलब्ध नहीं था। आस कारण ईन्हें एक RTI अिेदन के

तलए PIO के कायातलय के कइ चक्कर काटने पड़ते हैं।


iii. लोक सूचना ऄतधकारी द्वारा अिेदन दजत करने में समुतचत सहायता का ऄभाि (Lack of
assistance by the Public Information Officers in filing the application)

 एक ऐसे देश में जहााँ साक्षरता दर ऄत्यंत कम (74.04%) है, प्रातधकरणों का यह कततव्य है क्रक
िे लोगों को ईनके ऄतधकारों की प्रातप्त हेतु सहायता प्रदान करें ; क्रकन्तु सिेक्षण के पररणाम यह
नहीं दशातते हैं। आससे ज्ञात होता है क्रक RTI अिेदन जमा करने की प्रक्रिया नागररकों की
अिश्यकताओं और सुतिधा को ध्यान में रखते हए तैयार नहीं की गइ है।
iv. RTI अिेदन और PIO के ईत्तरों के तलए मानक प्रारूप (Standard forms for RTI

application and PIO’s Replies)


यद्यतप ऄतधतनयम में क्रकसी मानक अिेदन पत्र की ऄतनिायतता तनधातररत नहीं की गयी है तथातप
RTI अिेदन के तलए एक मानक अिेदन पत्र तनधातररत करने के महत्िपूणत लाभ हो सकते हैं; यथा:
 एक मानक अिेदन पत्र से सभी अधारभूत जानकाररयां प्राप्त हो जाती हैं। आससे PIO को
अिश्यक सूचना ईपलब्ध कराने तथा अिश्यक संचार हेतु अिेदनकतात से संपकत करने में
सहायता तमलती है।
 यक्रद अधारभूत जानकारी ईपलब्ध है तो यह सामान्यतः साितजतनक प्रातधकरण में क्रकये जाने
िाले सूचना ऄनुरोधों की प्रकृ तत की पहचान करने में सहायता प्रदान करता है, ताक्रक आसका
स्ितः प्रकटन क्रकया जा सके ।

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 ऄब तक के िल दो राज्यों, महाराष्ट्र और ओतडशा ने एक मानक अिेदन पत्र तनधातररत क्रकया
है।
v. प्रदत्त सूचना से सम्बंतधत मुद्दे (Issues related to information provided):
 प्रदत्त सूचना की तनम्न गुणित्ता: ऄतधकतर ईत्तरदाताओं ने कहा क्रक िे ऄपने अिेदन के जिाब
में प्रदत्त जानकारी की गुणित्ता से ऄसंतुष्ट थे तथा िह जानकारी ऄतधकांशतः ऄधूरी और
गलत थी।
 सूचना के एकत्रण और संयोजन से सम्बंतधत मुद्दे: कु छ अिेदनों के तलए PIOs को तिगत 10
िषों के अंकड़ों का एकत्रण एिं तिश्लेषण करना पड़ा। हालााँक्रक 89% PIOs ने कहा क्रक
ईन्होंने ऄतभलेखों के तनरीक्षण के तलए क्रकये गए प्रािधान का प्रयोग नहीं क्रकया। ध्यातव्य है
क्रक PIOs नागररकों को ऄतभलेखों के तनरीक्षण का तिकल्प प्रदान कर सकते हैं बशते आस
सन्दभत में ईन्हें एक समुतचत प्रतशक्षण ईपलब्ध कराया जाए। आससे अिेदकों को समय पर और
सटीक जानकारी प्रदान करने में सहायता तमल सकती है।
 साितजतनक प्रातधकरणों में ऄतभलेखों के प्रबंधन की समुतचत प्रक्रियाओं के ऄभाि के कारण 30
क्रदनों के भीतर सूचना प्रदान करने में ऄसफलता देखने को तमली। प्रतशतक्षत PIOs तथा

सक्षमकारी ऄिसंरचना (कम्प्यूटर, स्कै नर, आं टरनेट कनेतक्टतिटी, फोटोकॉपी आत्याक्रद) की


ऄनुपलब्धता के कारण यह पररतस्थतत और भी गंभीर हो जाती है। सिेक्षण के ऄनुसार, क्रकसी
भी तिभाग में कोइ भी आलेक्ट्रॉतनक डॉक्यूमेंट मैनज
े मेंट तसस्टम ईपलब्ध नहीं है। यहााँ तक क्रक
सिेक्षण के दायरे में शातमल ऄतधकांश PIOs द्वारा RTI अिेदनों की आलेक्ट्रॉतनक सूची का
तनमातण नहीं क्रकया जाता है।
 PIO के प्रतशक्षण, स्थानान्तरण और प्रेरणा का तनम्न स्तर: PIOs का प्रतशक्षण एक बड़ी

चुनौती है क्योंक्रक न तसफ़त ईनकी संख्या काफी ऄतधक है, बतल्क प्रायः ऄलग-ऄलग पदों पर
ईनका स्थानांतरण भी क्रकया जाता है। प्रतशक्षण संस्थानों में प्रतशक्षण से सम्बंतधत संसाधनों
की ऄनुपलब्धता भी ऄिरोध ईत्पन्न करती है। बड़ी संख्या में गैर-लाभकारी संगठन भी मौजूद
हैं जो अतधकाररक / गैर-अतधकाररक क्षमताओं में प्रतशक्षण प्रदान कर रहे हैं - ये ऄप्रयुि
संसाधन हैं तजनका ईपयोग क्षमता तनमातण के तलए क्रकया जा सकता है।
महाराष्ट्र के राज्य सूचना अयोग ने ऄपनी 10िीं ररपोटत में स्पष्ट रूप से कहा है क्रक-

'यह देखा गया है क्रक ऄतधकांश PIOs और AAs, सूचना के ऄतधकार ऄतधतनयम के अिेदनों का
ईपयुि ढंग से ईत्तर देने या सूचना प्रदान करने के तरीकों से ऄनतभज्ञ हैं। आसके ऄततररि AAs के
अदेशों की प्रायः ऄनदेखी भी कर दी जाती है।'
RTI प्रयोगकतातओं ने प्रायः यह तशकायत की है क्रक ईनके अिेदनों में मांगी गयी सूचनाओं को प्रायः

तुच्छ अधारों पर नकार क्रदया जाता है। आस समस्या का मुख्य कारण सरकारी कायातलयों में PIOs और
AAs (ऄपीलीय प्रातधकारी) की बढ़ती संख्या भी है। प्रारम्भ में, जब यह ऄतधतनयम लागू हअ था तो
कु छ ही PIOs और AAs थे, तजनमें से ऄतधकांश िररष्ठ ऄतधकारी थे तथा ईनके द्वारा आस ऄतधतनयम

का गंभीरता से क्रियान्ियन क्रकया गया। िततमान में, PIOs और AAs की संख्या में िृतद्ध होने से
ऄतधतनयम के क्रियान्ियन की गुणित्ता पर नकारात्मक प्रभाि पड़ा है।
आसके ऄततररि, साितजतनक प्रातधकरणों द्वारा RTI ऄतधतनयम की धारा 6(3) और धारा 7(9) का
प्रायः दुरुपयोग क्रकया जाता है।

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धारा 6(3) के ऄनुसार “यक्रद क्रकसी साितजतनक प्रातधकरण को क्रकसी ऐसी सूचना के सन्दभत में ऄनुरोध
प्राप्त होता है जो क्रकसी ऄन्य साितजतनक प्रातधकरण के दायरे में है तो िह आस अिेदन ऄथिा अिेदन के
सम्बंतधत भाग को ऄन्य साितजतनक प्रातधकरण को स्थानांतररत करने में सक्षम होगा”। कु छ प्रातधकरण
ऄपने ऄतभलेखों की जााँच क्रकये तबना ही अिेदनों को ऄन्य प्रातधकरणों को संदर्शभत कर देते हैं।
धारा 7(9) के ऄनुसार “सूचना को सामान्यतः ईसी रूप में प्रदान क्रकया जायेगा तजस रूप में आसकी
मांग की गयी है, जब तक क्रक यह साितजतनक प्रातधकरण के संसाधनों को ऄसमान रूप से नहीं प्रभातित

करता ऄथिा ऄतभलेख की सुरक्षा या संरक्षण के तलए हातनकारक नहीं होता”।

आस सिेक्षण में प्रदर्शशत मुद्दों के ऄततररि यह पाया गया है क्रक प्रभुत्िशाली लोगों के तिरुद्ध सूचना की
मांग करने पर RTI कायतकतातओं का जीिन संकट में पड़ जाता है। ये पररतस्थततयां सूचना मांगने िाले
लोगों को तनरुत्सातहत करती हैं तथा RTI ऄतधतनयम 2005 के मूल ईद्देश्य को कमज़ोर करती हैं।
आसके ऄततररि ऄप्रभािी ररकॉडत प्रबंधन प्रणाली और क्षेत्रीय कायातलयों से सूचना एकत्र करने के चलते
RTI अिेदनों की प्रॉसेससग में देरी हो जाती है। सबसे महत्िपूणत बात यह है क्रक आस सन्दभत में
सूचीकरण (cataloguing), ऄनुिमण (indexing) और व्यितस्थत भंडारण (orderly storage) जैसी

प्रक्रियाओं का भी ऄभाि है जो RTI ऄतधतनयम के ऄंतगतत सूचना ऄनुरोध के मामले में त्िररत बदलाि
के तलए महत्िपूणत है। यहां तक क्रक ऄतभलेखों के संग्रहण के दौरान सुस्पष्ट सूचना की पुनप्राततप्त भी एक
चुनौती है। ऐसा संभितः प्रासंतगक एिं यथोतचत सूचना के बजाय एक साथ बड़ी मात्रा में ऄपररष्कृ त
सूचनाएाँ प्रदान करने की प्रिृतत्त के कारण होता है।
आसके साथ ही कइ बार लोक प्रातधकरणों के पास अधारभूत ऄिसंरचना का भी ऄभाि होता है। RTI

के क्रियान्ियन के ऄंतगतत PIOs द्वारा अिेदनकतात को फोटोकॉपी, सॉफ्ट कॉपी आत्याक्रद माध्यमों से
सूचना प्रदान करने की अिश्यकता होती है। जहााँ एक ओर तजला स्तर पर ये सुतिधाएाँ असानी से
ईपलब्ध हो जाती हैं, िहीं प्रखंड/पंचायत स्तरों पर सूचनाओं की प्रातप्त एक चुनौती है।
िस्तुतः तपछले एक दशक में RTI ऄतधतनयम द्वारा प्राप्त महत्िपूणत लाभ यह है क्रक आस ऄतधतनयम ने
सरकारी जिाबदेतहता सुतनतश्चत करने हेतु संपूणत देश में एक शांततपूणत जन अंदोलन का सूत्रपात क्रकया
है। RAAG (RTI एसेस्मेंट एंड एनातलतसस ग्रुप) की ररपोटत के ऄनुसार प्रततिषत RTI ऄतधतनयम के

ऄंतगतत औसतन, 4-5 तमतलयन अिेदन क्रकये जाते हैं। हालााँक्रक आसके कु छ नकारात्मक पररणाम भी
देखने को तमले हैं। ऄब तक करीब 40 ऐसे कायतकतातओं की हत्या की जा चुकी है तजन्होंने ऐसी महत्िपूणत

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सूचनाओं की मांग की थी तजसमें सरकार के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार का खुलासा होने की संभािना थी।
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आसके कारण सूचना कायतकतातओं को संरक्षण प्रदान करने के तलए ऄनुपूरक कानूनों यथा तहहसल ब्लोऄर
संरक्षण कानून का ऄतधतनयमन अिश्यक हो गया।
आस सन्दभत में एक तहहतसल ब्लोऄर संरक्षण तिधेयक, 2011 प्रस्तुत क्रकया गया तजसने 2 िषों तक राज्य

सभा में लंतबत रहने के पश्चात् ऄंततः मइ 2014 को राष्ट्रपतत के हस्ताक्षर के पश्चात ऄतधतनयम का रूप
ले तलया। पुनश्च तहहसल ब्लोऄर संरक्षण (संशोधन) तिधेयक, 2015 ने जनतहत में अिश्यक सूचना का
प्रकटीकरण करने िाले सूचना ऄतधकार कायतकतातओं की सुभेद्यता से संबंतधत सचताओं को नए तसरे से
ईत्पन्न कर क्रदया है। तहहसल ब्लोऄर संरक्षण कानून का मूल ईद्देश्य व्यापक जनतहत में गलत कायत के
सम्बन्ध में सूचना का प्रकटीकरण करने िाले नागररकों को सुरक्षा प्रदान करना था। क्रकन्तु ये संशोधन
आस कानून की कठोरता को कम करते हैं। संशोधन, तहहसल ब्लोऄर को सरकारी गोपनीयता ऄतधतनयम
के ऄंतगतत ऄतभयोजन के दायरे में लाकर ईन्हें प्राप्त प्रततरक्षा को समाप्त करते हैं।
आस तिधेयक में पहले के ऄनेक प्रािधानों की कठोरता को कम कर क्रदया गया है तथा RTI ऄतधतनयम
की धारा 8(1) के तहत छू ट प्राप्त सभी चीजों को तहहसल-ब्लोआं ग के दायरे से बाहर रखा गया है। आस
प्रकार ऄब क्रकसी भी संिेदनशील जानकारी के प्रकटीकरण को पूणत
त ः प्रततबंतधत कर क्रदया गया है।
RTI बेहतर शासन का एक ईपकरण है। यह तसतिल सेिाओं द्वारा साितजतनक सेिाओं के बेहतर तितरण
को सुतनतश्चत करने के तलए व्यिस्था एिं प्रक्रियाओं में सुधार हेतु ऄग्रसक्रिय ईपायों की मांग करता है
और आसे तनणतय तनमातण के सम्बन्ध में हस्तक्षेप या ऄिरोध के रूप में नहीं देखा जाना चातहए।

3.5. RTI की क्षमताओं का पू णत ईपयोग (Harnessing Potential of RTI)

2005 के सूचना के ऄतधकार कानून ने हमारी शासन संस्कृ तत में अमूलचूल पररिततन क्रकये हैं तथा
राज्य की सभी एजेंतसयों को स्थायी रूप से प्रभातित क्रकया है। आस कानून का प्रभािी कायातन्ियन
तनम्नतलतखत तीन मौतलक पररिततनों पर तनभतर करता है:
 गोपनीयता की प्रचतलत संस्कृ तत से खुलेपन की एक नइ संस्कृ तत की ओर;
 िैयतिक तानाशाही से ईत्तरदातयत्ि युि प्रातधकरण की ओर; तथा
 एकपक्षीय तनणतय प्रक्रिया से सहभागी शासन की ओर।
ये पररिततन बड़े पैमाने पर संस्थानों, परं पराओं और प्रथाओं, कानूनों एिं प्रक्रियाओं में पररिततन तथा
जनता एिं सरकारी कमतचाररयों की पयातप्त भागीदारी पर तनभतर करते हैं। साितजतनक ऄतधकाररयों को
सही जानकारी के स्ितः प्रेररत प्रकटीकरण के प्रतत संिेदनशील होना चातहए। आसके साथ ही साितजतनक
कमतचाररयों के बीच गोपनीयता की औपतनिेतशक मानतसकता की समातप्त हेतु ईनके अचरण में
पररिततन की अिश्यकता है। िास्ति में, सरकार को ऄतधकतम प्रकटीकरण के तसद्धांतों को ऄपनाने की
क्रदशा में ऄग्रसर होना चातहए और ऄतधकाररयों को सूचना प्रकातशत करने के ऄपने दातयत्ि को महसूस
करना चातहए।
साितजतनक तनकायों में ‘खुली सरकार’ की ऄिधारणा को प्रोत्साहन प्रदान करने के तलए ऄतभनि तंत्र
का ईपयोग क्रकया जाना चातहए। ईन्हें सूचना तक पहंच की सुतिधा प्रदान करनी चातहए। ईनकी बैठकों
को जनता के तलए खुला कर देना चातहए। सूचना ऄनुरोधों को तीव्रता से और तनष्पक्ष रूप से संसातधत
क्रकया जाना चातहए और सूचना प्रकटीकरण से आंकार करने पर स्ितंत्र समीक्षा ईपलब्ध होनी चातहए।
व्यतियों को सूचना की मांग करने से रोका नहीं जाना चातहए। आसके ऄलािा, RTI कायतकतातओं और

तहहसलब्लोऄसत के तलए सुरतक्षत पररिेश सुतनतश्चत क्रकया जाना चातहए। RTI के प्रयोग के सन्दभत में,
अमजन के मध्य अत्मतिश्वास ईत्पन्न करना महत्िपूणत है।

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तद्वतीय ARC ने यह तनष्कषत प्रदान क्रकया क्रक सरकारी गोपनीयता ऄतधतनयम, 1923 िततमान समय में
ईभरती अिश्यकताओं के सन्दभत में पुरातन और ऄनुपयुि है और आसतलए, आसे तनरस्त कर क्रदया जाना
चातहए। आसके ऄततररि आसके स्थान पर राष्ट्रीय सुरक्षा ऄतधतनयम में एक ऄध्याय ऄंतर्शिष्ट क्रकया जाना
चातहए तजसमें अतधकाररक गोपनीय सामग्री से संबंतधत प्रािधान शातमल हों। आसके ऄततररि राज्यों
द्वारा तिलम्ब, ईत्पीड़न या भ्रष्टाचार की तशकायतों से तनपटने हेतु एक स्ितंत्र साितजतनक तशकायत
तनिारण प्रातधकरण स्थातपत क्रकया जाना चातहए।
ध्यातव्य है क्रक स्ितंत्रता के साथ-साथ आसके तििेकपूणत ईपयोग की तज़म्मेदारी भी सतम्मतलत होती है।
यही कारण है क्रक हमारे संतिधान में नागररकों के मौतलक ऄतधकारों के साथ मौतलक कततव्यों को
शातमल क्रकया गया है। हालांक्रक यह सच है क्रक सूचना का ऄतधकार, भ्रष्टाचार और कु शासन का सामना
करने हेतु अम जनता को प्रदत्त एक सशि साधन है, क्रकन्तु आसका सािधानी से प्रयोग क्रकया जाना
चातहए और गैर महत्िपूणत अिेदन नहीं क्रकए जाने चातहए।
आसके ऄततररि, देश के अंतररक मामलों में ऄराजकता ईत्पन्न करने िाले ऄसामातजक तत्िों द्वारा
सूचना का दुरूपयोग क्रकया जा सकता है। आससे तहतधारकों के मध्य ऄतिश्वास और तनराशा की भािना
ईत्पन्न हो सकती है, जो ऄत्यंत तनराशाजनक और हातनकारक हो सकती है। आस प्रकार, यह सुतनतश्चत
करने हेतु पयातप्त जांच और संतल
ु न बनाए रखे जाने की अिश्यकता है क्रक आस ऄतधकार या आसके
ईपयोग करने से प्राप्त सूचना का दुरूपयोग कर क्रकसी भी तस्थतत में देश की ऄखंडता और संप्रभुता पर
अिमण न क्रकया जा सके ।

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4. राष्ट्रीय डे टा साझाकरण एिं ऄतभगम्यता नीतत- 2012


{National Data Sharing and Accessibility Policy (NDSAP)- 2012}
भारत सरकार के तितभन्न मंत्रालय, संगठन और संस्थान साितजतनक तनतधयों का ईपयोग कर ऄपने
संबंतधत क्षेत्रों से ऄत्यतधक मात्रा में डेटा एकतत्रत करते हैं। ऄतधकााँश समय, यह डेटा नागररक समाज के
तलए सुलभ नहीं होता है। हालांक्रक, साितजतनक तनिेश के माध्यम से एकतत्रत या तिकतसत डेटा को जब
साितजतनक रूप से ईपलब्ध कराया जाता है तब ईनके संभातित मूल्य को पूणत रूप से साकार क्रकया जा
सकता है। यह नागररक समाज की अिश्यकताओं को पूरा करने में तकत संगत बहस, बेहतर तनणतयन और
ईपयोग को सक्षम बना सकता है।
आसी ईद्देश्य से भारत सरकार द्वारा NDSAP तैयार की गइ थी।
ईद्देश्य
आसका लक्ष्य भारत सरकार के एक नेटिकत के माध्यम से मानि द्वारा पठनीय और मशीन द्वारा पठनीय
दोनों रूपों में सरकार के स्िातमत्ि िाले तथा साझा करने योग्य डेटा तक ऄतभगम्यता के तलए नागररकों
को सशि बनाना है। यह कायत RTI ऄतधतनयम, 2005 में बताए गए व्यापक क्रदशा-तनदेशों को ध्यान में
रखते हए साितजतनक डेटा और सूचना की व्यापक ऄतभगम्यता एिं आसके ईपयोग की ऄनुमतत प्रदान
करते हए क्रकया जाएगा। यह नीतत भारत सरकार के मंत्रालयों, तिभागों, ऄधीनस्थ कायातलयों, संगठनों
और एजेंतसयों द्वारा साितजतनक तनतध का ईपयोग कर सृतजत क्रकए गए सभी साझा करने योग्य, गैर-
संिेदनशील डेटा पर लागू होती है।
लाभ
 ऄतभगम्यता: सरकार के स्िातमत्ि िाले डेटा तक पहाँच जो समुदाय के लाभ के तलए एक मूल्यिान
साितजतनक संसाधन के ऄतधक व्यापक ईपयोग को सक्षम बनाएगा।
 लागत प्रभातिता: डेटा को साझा करके ऄलग-ऄलग तनकायों को एक ही प्रकार के डेटा एकतत्रत
करने की अिश्यकता से बचा जा सकता है तजसके पररणामस्िरूप डेटा संग्रहण में महत्िपूणत
लागत की बचत होती है।
 ऄंतर-पररचालनीयता (Inter-operability): डेटा के संग्रहण और हस्तांतरण के तलए सामान्य
मानकों को ऄपनाने से व्यतिगत डेटा सेट का एकीकरण संभि हो सकता है।
 जिाबदेही: प्रमुख डेटा सेट के तलए स्िातमत्िों की पहचान ईपयोगकतातओं को प्राथतमकता िाले
डेटा संग्रहण कायतिमों के कायातन्ियन और डेटा मानकों के तिकास के तलए ईत्तरदायी लोगों की
पहचान करने हेतु सूचना ईपलब्ध कराती है।
डेटा और सूचना तबना पुनरािृतत्त लागतों के महत्िपूणत तनणतय लेने में सुतिधा प्रदान करती है। पयातिरण
संरक्षण, तिकास योजना, संपतत्तयों का प्रबंधन, जीिन स्तर में सुधार, राष्ट्रीय सुरक्षा और अपदाओं को
तनयंतत्रत करने जैसे कइ तनणतय तनमातण िाले कायों के तलए मौजूदा मूल्यिान डेटा तक पहाँच अिश्यक
है।

5. पारदर्शशता के तलए इ-गिनें स का लाभ ईठाना


(Leveraging e-Governance for Transparency)
इ-गिनेंस साितजतनक सेिा तितरण को सहायता प्रदान करने के तलए सूचना और संचार प्रौद्योतगकी
(ICT) का ईपयोग करता है। आलेक्ट्रॉतनक गिनेंस या इ-गिनेंस लोगों के तलए पारदर्शशता और बेहतर
सेिाओं को सुतनतश्चत करती है। यह साितजतनक और ऄन्य एजेंतसयों को एक दक्ष, तीव्र और पारदशी
प्रक्रिया के माध्यम से सूचना प्रसाररत करती है तथा सरकार की प्रशासतनक गतततितधयों को प्रदर्शशत
करती है। सरकार सूचनाओं को लोकतांतत्रक तरीके से प्रकट करने के तलए प्रततबद्ध है और आस संबध
ं में

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देश में एक ऄतद्वतीय साितजतनक सूचनाFor


ऄिसंरचना का तनमातण करना एक अधारभूत अिश्यकता है।
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यह ऄिसंरचना हमारे िततमान शासन व्यिस्था और सेिा तितरण प्रततमान में िांततकारी पररिततन
लाने के तलए ICT का लाभ ईठाएगी। आसके तलए सरकार द्वारा ईठाइ गइ कु छ पहलें तनम्नतलतखत हैं:
i. सोशल मीतडया
 सोशल मीतडया प्रशासन को बेहतर बनाने के तलए मागत प्रदान करती है। यह सूचना के सुगम
प्रकाशन और तीव्र प्रसार को संभि बनाती है। यह पारदर्शशता को बढ़ािा देती है जो सरकार
के प्रतत नागररकों की सद्भािना को सुदढ़ृ कर सकती है। नागररकों के तलए सोशल मीतडया में
सरकारी सूचना को ऄंतः स्थातपत करके यह सरकार के तलए ऄब ऄप्रत्यातशत पहाँच और
िास्ततिक समय में संपकत करने के साधन ईपलब्ध कराती है। सरकार और ईसके ऄतधकाररयों
तक पहाँच को अरम्भ करते समय, यह समुदाय संचातलत पहलों के तलए नइ संभािनाएं
ईत्पन्न करती है। सरकार के तलए यह साितजतनक प्रिृतत्तयों, व्यापक सामातजक रुझानों का
पूिातनुमान तथा क्रकसी तिषय पर तेज़ी से साितजतनक मत प्राप्त करने की क्षमता प्रदान करती
है।
 नागररक तनकायों तथा महानगरीय ऄतधकाररयों ने लोगों से िातात करने के तलए सोशल
मीतडया का ईपयोग करना प्रारं भ कर क्रदया है। कु छ मामलों में, क्षेत्रों में सूक्ष्म बदलािों के
तलए लोगों से प्रततक्रिया मांगी जाती है। ईदाहरण के तलए, क्रदल्ली और बंगलुरु पुतलस तट्िटर
और फे सबुक पर सक्रिय है। क्रदल्ली नगर तनगम के फे सबुक पेज ने 1500 से ऄतधक तशकायतें
संतचत कीं हैं तजनमें से ऄतधकांश का प्राथतमकता के अधार पर समाधान क्रकया गया है।
 हालांक्रक, आसका एक नकारात्मक पक्ष भी है। हाल ही में, दी न्यूयॉकत टाआम्स ने ऐसे ईदाहरणों
की सूचना दी जहााँ पारदर्शशता ने 'भ्रामक समाचारों' (fake news’) को बढ़ािा क्रदया। तथ्य
अतखर तथ्य ही होते हैं क्रकन्तु िे व्याख्या के तलए खुले होते हैं। ईदाहरण के तलए कै तम्िज
एनातलरटका (एक तिरटश राजनीततक परामशत फमत) का मामला, जो जनमत को प्रभातित
करने तथा ईसे अकार देने के तलए रणनीततक संचार के साथ व्यापक डेटा माआसनग और
तिश्लेषण का ईपयोग करता था। ऐसे मामले नागररकों के तलए गोपनीयता और खुलप े न के
मध्य संतुलन की मांग करते हैं। ठीक यही तकत सरकारों में गोपनीयता और खुलेपन के तलए भी
आस्तेमाल क्रकया जा सकता है।
ii. राष्ट्रीय इ-शासन योजना (National e-Governance Plan: NGeP)
 आस योजना का ईद्देश्य शासन को 'सरल (Simple), नैततक (Moral), ईत्तरदायी
(Accountable), ऄनुक्रियाशील (Responsive) और पारदशी (Transparent)'
(SMART) बनाने के तलए ICT का क्रियान्ियन करना है। यह सम्पूणत देश में इ-शासन से
सम्बंतधत प्रयासों को एक सामूतहक दृतष्टकोण और सामूतहक ईद्देश्य के ऄंतगतत एकीकृ त करता
है।
 इ-गिनेंस शासन प्रणाली में पारदर्शशता और ईत्तरदातयत्ि को सुदढ़ृ करती है। आसके तहत
सरकार से संबंतधत लगभग सभी सूचनाएं आं टरनेट पर ईपलब्ध करायी जाती हैं। जब भी
नागररकों को आसकी अिश्यकता हो िे आस सूचना तक पहाँच सकते हैं। ICT सूचना को छु पाने
की संभािनाओं को कम करने के तलए ऑनलाआन सूचना ईपलब्ध कराने में सहायता करती है।
एक बार शासी प्रक्रिया को पारदशी बना क्रदया जाए तो ईसके पश्चात सरकार स्ितः ही
ईत्तरदायी बन जाती है।
 हालांक्रक, इ-सरकार 'इ' (ऄथातत् आलेक्ट्रॉतनक) के बारे में नहीं बतल्क 'सरकार' के बारे में है। यह
न के िल कं प्यूटर और िेबसाआटों के संदभत में है, बतल्क सरकार के पररिततन, सरकारी

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प्रक्रियाओं और कायों के अधुतFor नकीकरण और प्रौद्योतगकी के माध्यम से बेहतर साितजतनक सेिा


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तितरण तंत्र के बारे में है ताक्रक सरकार को ऑटो-पायलट (स्िचातलत) मोड पर रखा जा सके ।
iii. गिनतमटें इ-माके टप्लेस (Government e-Marketplace: GeM)
 GeM एक स्पेशल पपतज तहहकल (तिशेष प्रयोजन िाहन) है, तजसका ईद्देश्य सरकारी
मंत्रालयों और तिभागों, साितजतनक क्षेत्र के ईपिमों और के न्ि सरकार के ऄन्य शीषत स्िायत्त
तनकायों द्वारा सामान्य ईपयोग की िस्तुओं एिं सेिाओं की ऑनलाआन खरीददारी को
सुतिधाजनक बनाकर साितजतनक खरीद में पारदर्शशता, दक्षता और गतत को बढ़ाना है। यह इ-
बोली-प्रक्रिया, ररिसत इ-नीलामी और मांग एकत्रीकरण के ईपकरण प्रदान करता है ताक्रक
सरकारी ईपयोगकतातओं को ईनके धन के तलए सिोत्तम मूल्य प्राप्त हो सके ।
 ट्रांसपेरेंसी आं टरनेशनल (TI) ने इ-गिनेंस को और ऄतधक प्रभािी बनाने के तलए तनम्नतलतखत
ऄनुशस
ं ाएाँ की हैं:
o पुतलस, न्यायपातलका, पररिहन और संपतत्तयों के पंजीकरण सतहत सभी साितजतनक
तिभागों का कम्प्यूटरीकरण।
o सभी साितजतनक खरीद और ऄनुबंधों में इ-खरीद का प्रारं भ।
o नागररकों को सेिाओं के तितरण हेतु 'टच स्िीन तसस्टम' का अरम्भ।
o साितजतनक तशकायतों के तनिारण के तलए 'लोकिाणी' सॉफ्टिेयर की प्रततकृ तत।
o शासन के बुतनयादी ढांचे को सुदढ़ृ करना और इ-गिनेंस के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
 आस प्रकार, इ-गिनेंस को शासन में सुधार के तलए एक प्रभािी ईपकरण माना जाता है।

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6. तनष्कषत (Conclusion)
तनष्कषततः यह कहना गलत नहीं होगा क्रक साितजतनक सूचनाओं की प्रातप्त लोगों का ऄतधकार है तथा
लोगों से संबतं धत कायत साितजतनक रूप से ही क्रकये जाने चातहए। आसके साथ ही, यह भी सुतनतश्चत
क्रकया जाना चातहए क्रक साितजतनक ऄतधकाररयों को लोकतहत में तलए गए सद्भािनापूणत तनणतयों के
तलए ऄतभयोतजत क्रकये जाने के भय के तबना एक मुि िातािरण में कायत करने की ऄनुमतत दी जाए।
एक दोधारी तलिार के रूप में RTI: लोकतंत्र में RTI की ऄपनी सीमाएं हैं। एक प्रबुद्ध नागररक को
RTI का ईपयोग लोकतंत्र को सुदढ़ृ बनाने में करना चातहए न क्रक राज्य के कामकाज में बाधा डालने के
साधन के रूप में। RTI से संबंतधत कायतकरण के तलए एक ऄनुकूल पररिेश की अिश्यकता है। आसे
सहयोगी संस्थानों एिं शासन प्रणाली की भी अिश्यकता है ऄन्यथा व्यिस्था से होने िाला ररसाि
ऄराजकता की तस्थतत ईत्पन्न कर सकता है और राज्य की िैधता को कमजोर बना सकता है।
प्रासंतगक, समयबद्ध एिं सटीक सूचना साितजतनक तहत के तलए महत्िपूणत हैं तथा साथ ही लोकतंत्र के
सुचारू संचालन के तलए भी अिश्यक हैं। ईपयुति िर्शणत समस्त रणनीततयों का ईद्देश्य िृहत
लोकतांतत्रक भागीदारी और नागररक जुड़ाि के माध्यम से शासन व्यिस्था में सुधार करना है। हमारे
लोकतंत्र के कायतिाहकों के रूप में सरकारी नेताओं को साितजतनक तहत में िृतद्ध करने हेतु सूचनाओं तक
बेहतर पहंच और सूचना तथा ईस सूचना के तनितचन के साधनों का ईपयोग सुतनतश्चत करना चातहए।
सरकार की खुली पहलें लोगों को यह जानने में सक्षम बनाती हैं क्रक सरकार क्या कर रही है। आसके साथ
ही ये पहलें तनणतय तनमातण की प्रक्रिया में भागीदारी सुतनतश्चत करती हैं तथा सरकारों को ऄपने
समुदायों के नागररक जीिन से पूणततः संबद्ध करती हैं। ICT और आं टरनेट हमारे सूचना लोकतंत्र के आन
महत्िपूणत तत्िों को प्रोत्सातहत करते रहेंगे क्योंक्रक आससे नागररक ऄतधक सूचना-संपन्न बनेंगे और
साितजतनक नीतत तनमातण की प्रक्रिया में तथा ईत्तरदातयत्ि के ऄन्य मानकों में भागीदारी करने में सक्षम
होंगे।
चूंक्रक आस रे मिकत के ऄनुपालन एिं आसके लाभों के तलए ऄभी भी ऄपनी लतक्षत क्षमता प्राप्त करना शेष
है, ऄतः आसमें सुधार की सम्भािनाएाँ तिद्यमान हैं। तनयोजन और तनणतय तनमातण में तसतिल सोसाआटी
की प्रभािी भागीदारी में बाधा डालने िाले कारणों में सरकारी ऄतधकाररयों की ऄतनच्छा, तित्तीय
स्ितंत्रता का ऄपयातप्त ढांचा और नागररकों के मध्य जागरूकता की कमी आत्याक्रद प्रमुख हैं। हालांक्रक,
सकारात्मक पक्ष यह है क्रक िततमान तस्थततयों में लोग ऄपने ऄतधकारों के प्रतत तथा समाज एिं राष्ट्र के
प्रतत ऄपने ईत्तरदातयत्ि को लेकर ऄतधक मुखर हए हैं। आसके फलस्िरूप सरकारें ईनकी अिाज़ों को
सुनने और ईसके ऄनुसार कायत करने के तलए बाध्य हइ हैं।

7. तिगत िषों में Vision IAS GS में स टे स्ट सीरीज में पू छे


गए प्रश्न
(Previous Year Vision IAS GS Mains Test Series Questions)
1. प्रभािी लोक सेिा प्रदायगी हेत,ु जिाबदेतहता की पारं पररक प्रणाली के स्थान पर
ऄतधकातधक नागररक भागीदारी के माध्यम से सामातजक जिाबदेही प्रणाली की ओर ऄग्रसर
होना िततमान समय की अिश्यकता है। ईदाहरणों के साथ चचात कीतजए।
दृतष्टकोण:
 सामातजक जिाबदेतहता की संक्षप
े में व्याख्या कीतजए।
 पारं पररक जिाबदेही के साथ आसकी तुलना कर आसके लाभों पर तिस्तार से प्रकाश
डातलए।
 कु छ ईदाहरण प्रस्तुत कीतजए।

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सरकार का काम आतना व्यापक तथा जरटल होता है क्रक आसकी शतियों तथा गतततितधयों पर
क्रकसी तनयंत्रण की अिश्यकता सदैि होती है। जिाबदेतहता से यह सुतनतश्चत होता है क्रक
सरकारी ऄतधकाररयों के द्वारा क्रकए जाने िाले कायत तथा तलए गए तनणतय तनगरानी का
तिषय हैं ताक्रक यह गारं टी दी जा सके क्रक सरकारी पहलें ऄपने ईद्देश्यों पर खरी ईतरें गी तथा
तजस समुदाय के लाभ के तलए ईन्हें अरम्भ क्रकया गया है, ईसकी अिश्यकताओं के प्रतत
ईपयुि ऄनुक्रिया करें गी। आस प्रकार बेहतर शासन व्यिस्था की स्थापना और तनधतनता को
कम करने में मदद तमलती है। यह तनयंत्रक व्यिस्था जिाबदेतहता की तितिध प्रणातलयों के
माध्यम से प्रदान की जाती है। जिाबदेतहता की पारं पररक प्रणातलयों में तिधायी तनयंत्रण,
प्रशासकीय तनयंत्रण, न्यातयक ईपचार, तिभागीय श्रेणीिम, तनगरानी व्यिस्थाएं आत्याक्रद
सतम्मतलत हैं। हालााँक्रक ऐसी तनयंत्रण प्रणातलयााँ प्रायः कायत हो जाने के बाद जांच कर पाती हैं
तथा कायत की महत्िपूणत ऄिस्थाओं में कम प्रभािी होती हैं। आससे सेिा प्रदायगी की गुणित्ता
प्रभातित होती है।
तिश्व बैंक सामातजक जिाबदेतहता को नागररक भागीदारी पर अधाररत एक जिाबदेह
व्यिस्था (ऄथातत् तजसमें सामान्य नागररक और नागररक समाज जिाबदेही के ऄनुपालन में
प्रत्यक्ष या ऄप्रत्यक्ष रूप से भागीदारी करते हैं) के तनमातण की ओर ऄग्रसर एक दृतष्टकोण के
रूप में पररभातषत करता है। यह नागररकों, नागररक समाज, गैर-सरकारी संगठनों तथा ऄन्य
तहतधारकों को संबद्ध करती है। ये तहतधारक क्रकसी तितशष्ट पररयोजना, कायतिम या नीतत
की तनगरानी या मूल्यांकन में संलग्न होते हैं, संसाधनों पर तनयंत्रण में भागीदार होते हैं,
फीडबैक प्रदान करते हैं तथा अिश्यकता होने पर सुधार कायों में भी संलग्न होते हैं। आस
प्रकार ये स्थानीय स्तर पर नागररकों को बेहतर सेिाओं की मांग के तलए गततशील करते हैं,
तजससे सेिाएं और ऄतधक प्रभािी तथा अर्शथक रूप से लाभप्रद हो जाती हैं। आससे सुशासन
की स्थापना सुतनतश्चत होती है तथा समुदाय को भागीदारी, स्िातमत्ि तथा सशिीकरण का
बोध होता है।
तितभन्न स्थानों पर क्रियातन्ित सामातजक जिाबदेही के कु छ ईदाहरणों में तनम्नतलतखत
सतम्मतलत हैं:
 सहभागी तनयोजन तथा नीतत तनमातण (के रल, िाज़ील, बांग्लादेश);
 सहभागी बजट तिश्लेषण (गुजरात);
 सहभागी व्यय तनगरानी व्यिस्था (युगांडा, क्रदल्ली, राजस्थान);
 नागररक सिेक्षण/नागररक ररपोटत काडत (बंगलुरु, महाराष्ट्र, युिेन, क्रफलीपींस,
पाक्रकस्तान);
 नागररक ऄतधकार-पत्र (अन्ध्र प्रदेश, कनातटक); और
 सामुदातयक स्कोरकाडत (मलािी, महाराष्ट्र, अंध्र प्रदेश)।
यह बात सु-स्थातपत है क्रक जिाबदेतहता की सामातजक प्रणातलयााँ शासन व्यिस्था में सुधार
करने, तिकास की गतत में तीव्रता लाने, बेहतर सेिा तितरण तथा सशिीकरण के माध्यम से
प्रभािपूणत व्यिस्था का तनमातण करने में योगदान कर सकती हैं। आन पद्धततयों तथा साधनों के
ऄततररि तनिातचन संबंधी सुधारों के तलए ऄतभयान, जन तहत यातचका, सामातजक लेखा
परीक्षा, स्ितंत्र मूल्यांकन आत्याक्रद साधन भी जिाबदेही सुतनतश्चत करने में सहायक होते हैं।
राज्य स्तर पर नागररकों की ऄतधक सक्रिय भागीदारी सुतनतश्चत करने के तलए प्रायः जनता
दरबार तथा मोहल्ला सभाओं का अयोजन क्रकया जाता है।

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राज्य की जिाबदेतहता संबFor


ंधी प्रणातलयों के पारदशी होने तथा नागररकों की ऄतधक
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सहभातगता के सुतनतश्चत होने की तस्थतत में ये पहलें ऄतधक प्रभािी तसद्ध होती हैं। आससे भी
ऄतधक महत्िपूणत रूप से िे यह सुतनतश्चत करती हैं क्रक एक अिश्यकता अधाररत बॉटम-ऄप
दृतष्टकोण ऄपनाया जाएगा ताक्रक अधारभूत स्तर की समस्याओं का प्रभािी ढंग से समाधान
हो सके । आन प्रणातलयों से पारदर्शशता लाने, समय-बद्ध सेिा प्रदायगी, नीतत तनमातण,
कायातन्ियन तथा मूल्यांकन के चरण में साितजतनक भागीदारी, ऄतधक सािधानी ि ऄंततम
सबदु तक पहाँच सुतनतश्चत करने में सहायता तमली है, साथ ही नौकरशाही के दृतष्टकोण में
बदलाि भी अया है।

2. देश में शासन व्यिस्था में सुधार लाने में सूचना के ऄतधकार (RTI) की सफलता का मूल्यांकन
कीतजए। परीक्षण कीतजए क्रक तजन ईद्देश्यों के तलए आसे लाया गया था, क्या यह ईनको पूरा
कर पाया है?
दृतष्टकोण:
 शासन व्यिस्था में सुधार, प्रशासन में नैततकता तथा लोगों के सशतिकरण में ‘सूचना के
ऄतधकार (RTI)’ के प्रभािों को रे खांक्रकत कीतजए।
 ऄगले भाग में आसके क्रियान्ियन के दौरान सामने अने िाली चुनौततयों पर चचात
कीतजए।
 कु छ ईपाय सुझाते हए तनष्कषत दीतजए।
ईत्तर:
RTI ऄतधतनयम के क्रियान्ियन के 10 िषत पूरे हो गए हैं तथा िततमान में प्रततिषत कम से कम
50 लाख RTI अिेदन क्रकए जा रहे हैं। आस कानून के तनम्नस्तरीय क्रियान्ियन की तमाम
तशकायतों के बाद भी लोगों ने आस कानून को ऄभूतपूित महत्ि प्रदान क्रकया है। संभितः आसका
कारण यह है क्रक RTI एक अम भारतीय नागररक को िास्ततिक सशतिकरण तथा ईम्मीद
का भाि प्रदान करता है।
ईपलतब्धयााँ
 RTI ने नागररकता तथा सक्रियता की एक नइ ऄिधारणा का तिकास क्रकया है क्योंक्रक
आसके द्वारा सिाल पूछने की संस्कृ तत को प्रोत्सातहत क्रकया गया है। RTI के माध्यम से
व्यति साितजतनक तितरण प्रणाली, तनजीकरण की पहल, पेंशन, सड़क मरम्मत, तबजली
कनेक्शन, दूरसंचार की तशकायतों अक्रद से संबंतधत मुद्दों पर जानकारी मांग रहे हैं।
 यह ऄफसरशाही के कु कृ त्यों का कड़ा प्रततरोध करता है और आसतलए भ्रष्टाचार को कम
करने का एक शतिशाली ईपकरण है।
हालांक्रक आस कानून से तनतश्चत रूप से साितजतनक तनकायों में ऄतधक पारदर्शशता अइ है, परंतु
ऄभी भी जिाबदेही समुतचत रूप से नहीं बढ़ी है।
 संगठनों की एक बड़ी संख्या ऐसी है तजन्हें "लोक प्रातधकरण" की पररभाषा के तहत
समातिष्ट क्रकया जाना चातहए था परं तु ये संगठन ऄतधतनयम के तहत समातिष्ट होने हेतु
स्ियं सक्रिय रूप से अगे नहीं अए हैं।
 कइ बार प्रदत्त सूचना गुणित्तापूणत नहीं होती हैं, तजसके कारण अिेदक को मजबूरन
अगे ऄपील करनी पड़ती है; िहीं ऄनेक मामलों में सूचना 30 क्रदनों के भीतर प्रदान नहीं
की जाती है। आस प्रकार की प्रिृतत्तयााँ आस कानून को प्रयोग करने की प्रेरणा को समाप्त
कर देती हैं तथा कानून प्रिततन संस्थाओं पर बोझ डालती हैं।

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 ऐसा देखा जाता है क्रक जन सूचना ऄतधकारी (PIOs) तथा नौकरशाहों के बीच
व्यिहारगत पररिततन की कमी है तथा िे प्रायः सूचना देने से बचने के तलए सरकारी
गोपनीयता ऄतधतनयम का सहारा लेते हैं। आस प्रकार तबना व्यिहारगत पररिततन लाए
कानूनी पररिततन प्रभािी नहीं रह जाता तथा यह ऄतधतनयम की प्रभािशीलता में कमी
लाता है। लोक सेिकों के मध्य पारदर्शशता, जिाबदेतहता और ईत्तरदातयत्ि के मूल्यों में
कमी भी देखी जाती है। RTI की धारा 4(1)(b), सूचना के सक्रिय स्ित: प्रकटीकरण का
समथतन करती है। आस धारा का ऄप्रभािी कायातन्ियन भी एक प्रमुख मुद्दा है।
 कानून के प्रिततन में राजनीततक आच्छाशति की कमी है क्योंक्रक यह स्पष्ट रुप से देखा जा
रहा है क्रक राजनीततक दल ऄतधतनयम की शतियों को कम करने का प्रयास कर रहे हैं।
साथ ही आस ऄतधतनयम को राजनीततक दलों पर भी लागू करने सम्बन्धी कें िीय सूचना
अयोग के तनदेश के ऄनुपालन के सन्दभत में कोइ कदम नहीं ईठाया जा रहा है।
 सूचना के ऄतधकार को लेकर ऄभी भी जनजागरुकता में कमी तिद्यमान है।
अगे की राह
 लोगों में RTI के प्रयोग के प्रतत जागरुकता का प्रसार कर ईन्हें आसके प्रयोग हेतु
प्रोत्सातहत करने के साथ ही स्पष्ट क्रदशातनदेश जारी क्रकए जाएाँ।
 PIOs तथा लोक सेिकों को व्यिहारगत प्रतशक्षण क्रदया जाए।
 कें िीय तथा राज्य सूचना अयुिों को ऄपने अदेशों का ऄनुपालन करिाने की शति
प्रदान की जाए। आसके साथ ही ईन्हें ऄतधतनयम के कायातन्ियन तथा सुधारात्मक ईपायों
के तलए समुतचत जनबल एिं ऄिसंरचना ईपलब्ध कराए जाएं।
 सूचना के सक्रिय प्रकटीकरण पर ध्यान क्रदया जाना चातहए।
 लोक सेिाओं में मानकों हेतु गरठत नोलन सतमतत (Nolan Committee) द्वारा क्रदए गए
सुझाि के ऄनुसार लोक सेिकों को तकनीकी प्रतशक्षण के साथ-साथ मूल्यों का प्रतशक्षण
भी प्रदान क्रकया जाना चातहए।
3. प्रशासन में जिाबदेही सुतनतश्चत करना नौकरशाही प्रक्रिया में एक और स्तर जोड़ देता है।
परीक्षण कीतजए। जिाबदेतहता और तज़म्मेदारी में ऄंतर स्पष्ट कीतजए। कु छ ऐसे ईपाय
बताआए तजससे भारत में प्रशासतनक जिाबदेही को और ऄतधक प्रभािी बनाया जा
सके ।
दृतष्टकोण:
 जिाबदेही को पररभातषत कीतजए। क्रदए गए कथन की पृष्ठभूतम में तनतहत तकत पर चचात
कीतजए।
 प्रशासकीय तथा नैततक संदभों में जिाबदेतहता और तज़म्मेदारी के मध्य ऄंतर स्पष्ट
कीतजए।
 प्रशासन को ऄतधक जिाबदेह बनाने के तलए ARC की कु छ ऄनुशस
ं ाओं का ईल्लेख
कीतजए।
ईत्तर:
जिाबदेही का ऄथत क्रकसी कायत के पररणाम का दातयत्ि स्िीकार करना तथा आसके कारण
ईत्पन्न मुद्दों से तनष्पक्षतापूिक
त तथा तबना क्रकसी तिलम्ब के तनपटना है। आस प्रकार, आसमें दो
भाग संबद्ध होते हैं: ईत्तरदेयता तथा अचरण या प्रिततन। कभी-कभी, जिाबदेतहता को
सुतनतश्चत करने के तलए प्रथम कदम के रूप में पारदर्शशता, को भी आसमें सतम्मतलत कर तलया
जाता है।
यह तकत क्रदया जाता है क्रक नौकरशाही में एक ऄन्य स्तर जोड़ कर जिाबदेतहता कायत-कु शलता
को कम कर देती है:
 ऄतधकारी ऄपना समय दस्तािेजों को सही रखने तथा RTI के ईत्तर देने में ही तबता देते
हैं, तजसका ईपयोग शासनात्मक कायों को करने में भी क्रकया जा सकता है।

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 आससे ईनका अचरण यथा-तस्थतत बनाए रखने िाला हो जाता है। साितजतनक छान-बीन
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के भय से िे तनणतय लेना कम कर देते हैं।


तथातप, जिाबदेतहता सुशासन की अधारतशलाओं में से एक है। साितजतनक ऄतधकाररयों/
तनकायों की कायत-कु शलता का मूल्यांकन यह सुतनतश्चत करता है क्रक िे ऄपनी पूरी क्षमता से
कायत कर रहे हैं, साितजतनक सेिाओं के प्रािधानों में व्यय क्रकए गए धन का पूरा प्रततफल
प्रदान कर रहे हैं, सरकार के प्रतत तिश्वास का संचार कर रहे हैं तथा तजस समुदाय की सेिा में
ईन्हें लगाया गया है ईसके प्रतत संिेदनशीलता बरत रहे हैं या नहीं।
एक जिाबदेह पद कततव्य के प्रतत प्रततबद्धता तथा तनष्कपटता प्रदर्शशत करता है तथा बाधाओं
के बािज़ूद पररणामों की प्रातप्त पर ध्यान के तन्ित रखता है। यह प्राथतमकताओं पर बल देता है
तथा पररिर्शतत हो रही अिश्यकताओं के ऄनुकूल शीघ्रतापूिक
त प्रततिया देता है।
जिाबदेतहता तथा तज़म्मेदारी के मध्य ऄंतर:
 प्रशासकीय बोल-चाल की भाषा में, तज़म्मेदारी का अशय क्रकसी तिशेष पद/तस्थतत पर
तिद्यमान होने के कारण ईससे ऄपेतक्षत कु छ कततव्यों के तनष्पादन के प्रभार से है।
जिाबदेही का दायरा आससे एक कदम अगे तक जाता है। आसमें जिाब देने की बाध्यता
भी समातहत है ऄथातत् कततव्य के सम्पादन से प्राप्त पररणामों से सम्बंतधत तजम्मेदारी
स्िीकार करना। आसतलए, क्रकसी व्यति को जिाबदेह, कायत सम्पादन के बाद ही बनाया
जा सकता है।
 ईदाहरण के तलए, एक न्यायाधीश फै सला देने के तलए तज़म्मेदारी होता है, क्रकन्तु
पररणामों के ऄनुकूल न होने की दशा में जिाबदेह नहीं होता। एक तजला मतजस्ट्रेट ऄपने
तजले में RTE का ऄनुपालन सुतनतश्चत करने के तलए तज़म्मेदार होने के साथ-साथ
जिाबदेह भी होता है।
 तितशष्ट शब्दों में, तज़म्मेदारी का संबंध स्ियं तथा ऄन्यों से की गयी ऄपेक्षा से भी हो
सकता है। क्रकसी चीज़ के तलए नैततक रूप से तज़म्मेदारी होना, क्रकसी तितशष्ट प्रकार के
व्यिहार का पात्र हो जाना भी है; यथा क्रकसी कायत को करने पर प्रशंसा प्राप्त करना या
दोषी ठहराया जाना।
 ईदाहरण के तलए, क्रकसी दररि व्यति की सहायता करना समृद्ध तथा समानुभूततपूणत
लोगों की तज़म्मेदारी है क्रकन्तु ईनकी सहायता न करने की तस्थतत में ईन्हें जिाबदेह नहीं
ठहराया जा सकता। हालांक्रक सहायता नहीं करने पर ईनकी भत्सतना की जा सकती है।
 तज़म्मेदारी क्रकसी ऄन्य को भी प्रदान क्रकया जा सकता है क्रकन्तु जिाबदेही के साथ ऐसा
नहीं क्रकया जा सकता।

प्रभािी जिाबदेही सुतनतश्चत करना

 तनिसल ब्लोऄर को िैधातनक संरक्षण प्रदान करना।


 स्थानीय समुदायों, गैर-सरकारी संगठनों द्वारा सामातजक लेखा परीक्षण साितजतनक
सेिाओं के तितरण में जिाबदेही सुतनतश्चत कर सकता है, यथा- मनरे गा।
 सूचना तथा प्रौद्योतगकी का ईपयोग: आलेक्ट्रॉतनक सेिा तितरण प्रणातलयों का ईपयोग
तथा तडतजटल ररकॉडत रखना जिाबदेही के क्षेत्र में िांततकारी पररिततन ला सकते हैं।
 नागररकों की पहल को प्रोत्साहन देना: ईदाहरण के तलए, RTI को स्थानीय भाषा में
ईपलब्ध कराना।
 प्रततस्पद्धात को बढ़ािा देना तथा साितजतनक सेिाओं के क्षेत्र में एकातधकारिादी दृतष्टकोण
को हतोत्सातहत करना।

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4. सूचना के ऄतधकार (RTI) की सफलता के तलए एक प्रमुख चुनौती, सूचना तक पहाँच
सुतनतश्चत करने हेतु क्षमताओं का तिकास करना है। चचात कीतजए। लोक प्रातधकाररयों एिं
नागररकों, दोनों की क्षमताओं में िृतद्ध क्रकस प्रकार की जा सकती है?
दृतष्टकोण:
 लोक प्रातधकाररयों की क्षमताओं से जुड़े पहलू को बताते हए न के िल भौततक अधारभूत
ऄिसंरचना बतल्क मानि संसाधनों को भी ध्यान में रखना चातहए।
 दूसरे भाग में सूचना साक्षरता के प्रतत जागरुकता बढ़ाने और आस प्रयोजन से गैर-
सरकारी संगठनों जैसी संस्थाओं और सूचना तकनीकी साधनों के ईपयोग पर फोकस
क्रकया जाना चातहए।
ईत्तर:
सूचना का ऄतधकार ऄतधतनयम, प्रासंतगक पररयोजनाओं के तनमातण एिं ईसकी तनगरानी,
भ्रष्टाचार पर तनयंत्रण, जिाबदेतहता की सुतनतश्चतता और तिकास के दातयत्ि में पारस्पररक
सहभातगता हेतु सरकार एिं नागररकों के आं टरफ़े स के तलए एक तिस्तृत ढांचा प्रदान करता है।
ऄतधतनयम के ऄनुसार लोक प्रातधकाररयों को सेिाओं के तितरण की खुली और पारदशी
प्रक्रियाएं और तितधयााँ ऄपनाने की अिश्यकता है। तिकास में सहभागी लोगों के मध्य सूचना
साझाकरण हेतु पररिेश का तनमातण करते हए सूचना एिं ज्ञान का लोकतंत्रीकरण करना,
तिकास के ऄिसरों में समानता स्थातपत करने हेतु ऄत्यंत महत्िपूणत है।
 सरकारी तिभागों में ऄतभलेखों का त्रुरटपूणत रखरखाि सूचना की ईपलब्धता में एक मुख्य
समस्या है। एक समुतचत सूचना प्रबंधन प्रणाली (Information Management
System: IMS) का ऄभाि है। आसतलए सूचना की ईपलब्धता में देरी होती है, तजसके
फलस्िरूप ऄतधतनयम को लागू करने में समस्याएं अती हैं।
 IMS के ईपलब्ध होने पर भी, कमतचाररयों को ईनके संचालन की जानकारी नहीं होने के
कारण सूचना को तीव्रता से खोजना संभि नहीं नहीं हो पाता है।
 समस्या तब और बढ़ जाती है, जब नागररक ऄसंगत सूचना की मांग करते हैं ऄथिा
कभी-कभी ऐसी सूचना की मांग कर बैठते हैं, जो पहले से ही लोगों को दी जा चुकी होती
है या कानून के तहत िर्शजत होती है।
 ईन्हें आसकी जानकारी भी नहीं होती क्रक सूचना क्रकस प्रारूप में मांगी जाए और सूचना के
तलए क्रकससे संपकत क्रकया जाए।
आसतलए, लोक प्रातधकाररयों और नागररकों, दोनों की क्षमताओं में िृतद्ध हेतु एक तद्वअयामी
रणनीतत की अिश्यकता होगी।
पहली, अंकड़ों और सूचना के संग्रह तथा अिश्यकता पड़ने पर ईन्हें खोजने के तलए प्रत्येक
लोक प्रातधकरण द्वारा एक ऐसी व्यापक IMS तिकतसत की जानी चातहए, तजसे क्रकसी भी ऐसे
व्यति के साथ साझा क्रकया जा सके जो तिकास के ईद्देश्यों से सूचना की जांच और ईपयोग
करने की मांग करे । सूचना के तितरण की मांग की पूर्शत करने के तलए न के िल संस्था की
क्षमता को बतल्क तितभन्न साितजतनक गतततितधयों से जुड़े व्यतियों को भी प्रतशतक्षत और
अिश्यक साधनों से लैस क्रकया जाना चातहए।
दूसरी, सूचना की मांग का समुतचत ढंग से प्रबंधन करने हेतु अम तौर पर गैर-सरकारी
संगठनों और खास तौर पर, नागररकों में जन जागरूकता का संचार करने के तलए सूचना
साक्षरता को बढ़ािा देने हेतु एक संयुि प्रयास की अिश्यकता होगी। क्रकस सूचना की कहां से
और कै से मांग की जाए, आसका तनणतय और चयन कै से करें ; आसके तलए लोगों को तशतक्षत और
प्रतशतक्षत करने हेतु एक बह स्तरीय दृतष्टकोण ऄपनाया जाना चातहए। आसके ऄततररि,

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अर्शथक एिं राजनीततक प्रक्रियाओं में प्रभािशाली सहभातगता के तलए सूचना का समुतचत
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ईपयोग कै से करें , आसकी तशक्षा दी जानी चातहए।


तशतक्षत और ऄल्पतशतक्षत, दोनों प्रकार के नागररकों के बीच सूचना साक्षरता को बढ़ािा देने
का मुद्दा महत्िपूणत है, क्योंक्रक तिकास प्रक्रिया को बढ़ाने का दातयत्ि लोगों और लोक
प्रातधकाररयों, दोनों का है। तदनुसार, ऄतधतनयम की धारा 26 के तहत, तशक्षा एिं प्रतशक्षण
कायतिमों के माध्यम से लोगों की समझ को तिकतसत करने हेतु प्रािधान क्रकए गए हैं। सूचना
साक्षरता को बढ़ािा देने हेतु सूचना तकनीकी संसाधनों और सभी रूपों तथा स्तरों की तितभन्न
तशक्षण संस्थाओं का ईपयोग भी क्रकया जाना चातहए।

5. व्यति के उपर व्यति द्वारा शासन करने िाली एक सरकार के गठन में सबसे बड़ी समस्या
सितप्रथम सरकार को आस योग्य बनाने की होती है क्रक िह शातसतों पर तनयंत्रण कर सके और
आसके बाद स्थान अता है स्ि-तनयंत्रण हेतु स्ियं को बाध्य करने का। भारत में लोक सेिाओं
की जिाबदेतहता के पररप्रेक्ष्य में रटप्पणी कीतजए।
दृतष्टकोणः
 प्रस्तुत कथन ईस पेचीदगी और जरटल माहौल की बात की करता है तजसमें लोक
प्रशासकों को कायत करना पड़ता है। ऄतः ईत्तर में सितप्रथम कथन को तिस्तारपूितक
समझाया जाना चातहए।
 ईत्तर का ऄगला भाग सरकार द्वारा स्ियं को तनयंतत्रत करने की बाध्यता पर के तन्ित
होना चातहए। अंतररक जिाबदेतहता की ऄिधारणा को स्पष्ट रूप से रे खांक्रकत क्रकया
जाना चातहए।
 ईपयुति तबन्दुओं को ईदाहरणों के साथ तिस्तारपूिक
त प्रस्तुत कीतजए।
ईत्तरः
मनुष्य यक्रद देिदूत होते तो क्रकसी सरकार की अिश्यकता नहीं होती। यक्रद देिदूत मनुष्यों पर
शासन करें तो क्रकसी बाह्य तनयंत्रण या सरकार की अिश्यकता नहीं होगी। लोगों पर
तनभतरता तनःसन्देह सरकार पर प्राथतमक तनयंत्रण है, क्रकन्तु तितभन्न ऄनुभिों से मनुष्य जातत
ने ऄततररि सािधातनयों की अिश्यकता महसूस की है। आसतलए सरकार का यह कततव्य है
क्रक िह ऐसे ढााँचों, संस्थाओं और प्रक्रियाओं का तनमातण करे जो समाज में प्रभािी कानून और
व्यिस्था सुतनतश्चत कर सकें ।
दूसरी तरफ, स्ितििेक के साथ तनणतय और जिाबदेतहता क्रकसी भी सरकार के तलए िास्ततिक
चुनौततयााँ हैं। यद्यतप भारत में प्रशासतनक शतियों को तनयंतत्रत रखने हेतु अंतररक और बाह्य
प्रक्रियाओं के साथ-साथ उध्िातधर और क्षैततज जिाबदेतहता की धारणाएं स्िाभातिक रूप से
तिद्यमान हैं, तथातप तपछले 60 िषाां में ईनके कायातन्ियन ने यह प्रदर्शशत क्रकया है क्रक
ऄतधकांश प्रक्रियाओं का पालन करने की बजाय ईनका ईल्लंघन क्रकया गया है।
िततमान युग में, सूतचत नागररकों और नागररक समाज की ईत्साहपूणत सहभातगता के कारण
यद्यतप बाह्य जिाबदेतहता प्रक्रियाएाँ, जैस-े सामातजक लेखा परीक्षा और नागररक घोषणापत्र
सामान्य बातें हो गयी हैं, क्रफर भी अंतररक जिाबदेतहता प्रक्रियाओं (जैसे- कायत तनष्पादन
मूल्यांकन) में जिाबदेतहता को सुतनतश्चत करने के एक ईपकरण के रूप में कायत करने के तलए
िस्तुतनष्ठता और ईत्प्रेरण का ऄभाि होता है। ईदाहरण के तलए संस्थाओं की अंतररक
सतकत ता सतमततयों का गठन शति के दुरुपयोग को रोकने हेतु क्रकया गया है, क्रकन्तु िे भी ईसी
प्रकार के तनयमों और प्रक्रियाओं का तशकार हैं और आसतलए जिाबदेतहता को सुतनतश्चत करना
एक सुदरू स्िप्न प्रतीत होता है।

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चारा घोटाला, 2जी घोटाला, कोयला घोटाला अक्रद घोटाले न के िल ऐसे कृ त्यों को रोकने में
संस्थागत प्रक्रियाओं की कमी को प्रबल रूप से दशातते हैं ऄपतु िास्ततिक जीिन में नैततकता के
पालन के प्रतत गहन ईदासीनता को भी प्रदर्शशत करते हैं।
आसका समाधान समाज में मूल्यों को स्थातपत करने में तनतहत है क्योंक्रक लोकतंत्र में सरकार
समाज का व्यापक प्रतततबम्ब है। जब तक नागररकों के स्ियं के नैततक मूल्य लोक सेिकों द्वारा
क्रकये जाने िाले भ्रष्टाचार से कमजोर होना बंद नहीं होंगे, तब तक साितजतनक जीिन में
भ्रष्टाचार और नैततकता की समस्या तिद्यमान रहेगी। यह ऄिश्य ही स्िीकार क्रकया जाना
चातहए क्रक सुशासन के िल लोक सेिकों का ही नहीं, बतल्क प्रत्येक नागाररक का भी दातयत्ि
है।
6. प्रभातिता और जिाबदेही के मध्य एक अधारभूत तिरोधाभास नज़र अता है। रटप्पणी
कीतजए। सुशासन की राह में जिाबदेही एक अिश्यक बुराइ क्यों है, चचात कीतजए।
दृतष्टकोण:
 ईत्तर के प्रथम भाग में ईपयुि ईदाहरणों के साथ चचात कीतजए क्रक प्रशासन में आस पर
तििाद क्यों है।
 ईत्तर का दूसरा भाग आस सबदु पर के तन्ित होना चातहए क्रक सुशासन सुतनतश्चत करने हेतु
जिाबदेही एक अिश्यक शतत क्यों हैं और ईत्तर का ऄंततम भाग आस तथ्य पर के तन्ित
होना चातहए क्रक प्रभातिता और जिाबदेही, दोनों एक साथ रह सकते हैं और यही
िांतछत पररणाम भी होना चातहए।
ईत्तर:
जिाबदेही क्रकसी व्यति या संस्था द्वारा ऄपनी गतततितधयों के तलए तजम्मेदार होने, ईन
गतततितधयों का ईत्तरदातयत्ि स्िीकार करने और पररणाम को पारदशी ढंग से प्रकट करने की
बाध्यता है। आसमें धन के प्रतत या ऄन्य सौंपी गयी संपतत्त सम्बन्धी ईत्तरदातयत्ि भी
सतम्मतलत है। आस प्रकार जिाबदेतहता शति के दुरुपयोगों, जैस-े भ्रष्टाचार, धोखा, पद के
दुरुपयोग, तनरं कुश और ऄनतधकृ त प्रभुत्ि के प्रयोग, ऄतधकारों के हनन और कततव्यों की
ऄिहेलना पर रोक लगाती है। सबसे महत्िपूणत बात यह है क्रक जहााँ प्रभातिता अकलन के
मापदंड तनरं तर पररिर्शतत होते रहते हैं, िहीं जिाबदेतहता शासन व्यिस्था का एक
साितभौतमक और शाश्वत गुण है।
प्रभातिता का अशय लक्ष्यों की प्रातप्त के स्तर और ईस सीमा से है तजस तक लतक्षत समस्याओं
का समाधान क्रकया गया हो।
ऐसा देखा गया है क्रक जिाबदेही पर ऄतधक ध्यान के तन्ित करने से प्रभातिता बातधत होती है।
प्रभातिता के तलए व्यापक प्रबंधकीय तििेक की अिश्यकता होती है जबक्रक जिाबदेही के
तलए कठोर के न्िीय तनयंत्रण की अिश्यकता होती है। ऐसा तकत क्रदया जाता है क्रक पारदर्शशता
और जन-समान्य की भागीदारी को बढ़ाने से तनणतयन की प्रक्रिया में सदा ही तिलम्ब होता है
और जोतखम के प्रतत तिमुखता को प्रोत्साहन तमलता है। पररणामस्िरुप प्रभातिता से
समझौता होता है।
परन्तु, प्रभातिता का यह दृतष्टकोण ऄदूरदशी है।
 जो तनणतय स्पष्ट और पारदशी प्रक्रिया की ईपेक्षा करके तलए जाते हैं, िे ऄल्पकालीन रूप
से प्रभािी लग सकते हैं, लेक्रकन ऄनेक मामलों में ऐसे तनणतय प्रततघाती होते हैं। ईदाहरण
के तलए, बााँधों के तनमातण के मामले में जनमत प्राप्त न करने से या प्रभातित लोगों के
पुनस्थातपन और पुनिातस का ईतचत प्रािधान न होने से तिरोध प्रदशतनों को बल तमलेगा
और पररयोजना के क्रियान्ियन में तिलम्ब होगा। आस प्रकार जिाबदेही के सम्बन्ध में

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क्रकया गया ऄल्प समझौता कु छ मामलों में प्रभािी लग सकता है, परन्तु ऄंततोगत्िा यह
प्रभातिता को बातधत कर सकता है।
 जिाबदेतहता शति के दुरुपयोग की ऄिहेलना पर रोक लगाती है।
आसके ऄततरि, जिाबदेतहता और प्रभातिता परस्पर तिरोधाभासी नही हैं, बतल्क ये दोनों
एक दूसरे के पूरक हैं। ईदाहरण के तलए, इ-शासन नागररक सेिा प्रदायगी में बहत ऄतधक
प्रभािी रहा है और आसने सरकारी तिभागों में ईत्तरदातयत्ि को बनाये रखने के साथ ही
सामातजक और औद्योतगक क्षेत्र को बल प्रदान क्रकया है। सूचना के ऄतधकार के प्रभािी
ईपयोग, नागररक घोषणा-पत्र आत्याक्रद शासन व्यिस्था में पारदर्शशता सुतनतश्चत करते हैं और
भ्रष्टाचार एिं शति के दुरुपयोग पर रोक लगाते हैं। आसतलए यह भली-भांतत कहा जा सकता
है क्रक जिाबदेतहता और प्रभातिता, दोनों ही सुशासन के ऄतभन्न ऄंग है और आनकी
ईपयोतगता को आनके द्वारा क्रदए गये दूरगामी पररणामों के सन्दभत में ही देखा जाना चातहए।

7. "राजनीतत में भागीदारी करने से आं कार करने के दंड में से एक यह है क्रक अप ऄपने से तुच्छ
द्वारा शातसत होते हैं। व्याख्या कीतजए। हमारे देश में राजनीततक भागीदारी बढ़ाने के तलए
क्रकये जा सकने िाले कु छ ईपायों का सुझाि दीतजए।
दृतष्टकोण:
ईद्धरण में ईच्चतर राजनीततक मूल्यों को बनाए रखने के तलए राजनीततक भागीदारी की
महत्िपूणत अिश्यकता के पररप्रेक्ष्य में तिचार प्रस्तुत क्रकए गए हैं। तदनुसार, ईत्तर को तनम्न
प्रकार से गरठत क्रकया जाना चातहए:
 ईत्तर के प्रथम भाग में क्रदए गए कथन की व्याख्या की जानी चातहए और राजनीतत में
ऄच्छे लोगों की अिश्यकता पर प्रकाश डालना चातहए।
 दूसरे भाग में देश में राजनीततक भागीदारी को बढ़ाने के ईपायों का सुझाि क्रदया जाना
चातहए।
ईत्तर:
जब शासक स्ियं सही हो तो स्िाभातिक रूप से लोग ईसके पथ का ऄनुगमन करते हैं। यक्रद
लापरिाह लोगों द्वारा शासन क्रकया जा रहा है तो शातसत लोग कष्ट में रहेंगे। यक्रद कोइ
राजनीतत में भागीदारी करने से आं कार करता है तो िह िस्तुतः दूसरों के तलए, कदातचत कम
योग्य लोगों के तलए ऄपने उपर शासन करने का मागत प्रशस्त करता है। यक्रद गुणिान लोग
राजनीतत में भागीदारी से ऄस्िीकार कर देते हैं तो अपरातधक पृष्ठभूतम और जनता के प्रतत
ईदासीन रिैया रखने िाले लोगों को राजनीततक पदानुिम में सबसे उपर बैठने का ऄिसर
प्राप्त हो जाता है। आससे जनता के बीच राजनीतत के प्रतत और ऄतधक तिरति पैदा हो सकती
है। िह व्यति जो ऄपने गुणों के कारण सरकार या शासन चलाता है, ईसकी तुलना ध्रुि तारे
से की जा सकती है, जो ऄपनी तस्थतत बनाए रखते हए ऄन्य तारों को ऄपने चारों ओर घूमने
देता है। िह शासन को ऄतधक नैततक, ऄतधक प्रभािी और प्रेरणादायक बना सकता है।
राजनीततक भागीदारी बढ़ाने के तलए क्रकए जा सकने िाले कु छ ईपाय:
 बाहबल का प्रयोग रोकने हेतु क्रकए गए चुनाि सुधार मतहलाओं को चुनािी राजनीतत में
भागीदारी करने हेतु प्रोत्सातहत कर सकते हैं।
 धन-बल का ऄत्यतधक प्रयोग रोकने के ईद्देश्य से क्रकए गए चुनाि सुधार, सुतिधाहीन
व्यति के तलए चुनािी राजनीतत में धनिानों से प्रततस्पधात करने हेतु ऄतधक ऄिसर
ईत्पन्न कर सकते हैं।
 संसद और तिधान सभाओं में मतहलाओं के तलए कोटा तनधातररत करना राजनीतत में
मतहलाओं की बड़ी भागीदारी हेतु बड़ा प्रोत्साहन हो सकता है।

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 राजनीततक गतततितधयोंFor
को और ऄतधक नैततक बनाने तथा राजनीततक दलों के ऄतधक
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पारदशी तरीके से काम करने से राजनीतत के प्रतत लोगों के दृतष्टकोण में पररिततन अ
सकता है, जो आसे व्यापार के रूप में देखते हैं, साथ ही आससे लोगों में व्याप्त ईदासीनता
में भी कमी अ सकती है। राजनीततक दलों को स्ियं को RTI ऄतधतनयम के ऄंतगतत लाना
चातहए।
 राजनीततक दल के कायतकतातओं और दल के नेताओं की राय को और ऄतधक महत्ि प्रदान
करने के तलए दल में अंतररक लोकतंत्र को बढ़ािा क्रदया जाना चातहए। यह कायतकतातओं
को और ऄतधक सजग और सक्रिय बना सकता है। लोकतंत्र की भािना को प्रबल करने
हेतु तितभन्न तिचारों का सम्मान क्रकया जाना चातहए।
 तद्वतीय प्रशासतनक सुधार अयोग ने सांसदों, तिधायकों और मंतत्रयों हेतु एक अचार-
संतहता की ऄनुशंसा की है। हमारे राजनीततज्ञों के बीच नैततक मूल्यों की स्थापना हेतु आन
ऄनुशस
ं ाओं को ऄिश्य ऄंगीकृ त क्रकया जाना चातहए। नैततक राजनीतत युिाओं के तलए
अकषतण का कें ि बन सकती है।
 दोषी राजनीततज्ञों को दतण्डत करने और ऄच्छे राजनीततज्ञों को प्रोत्सातहत करने के तलए
एक समुतचत और प्रभािी िानूनी व्यिस्था होनी चातहए।

8. सामातजक ईत्तरदातयत्ि से अप क्या समझते हैं? ईत्तरदातयत्ि की सुतनतश्चतता के परम्परागत


तरीके की ऄपेक्षा यह एक ऄतधक प्रभािी व्यिस्था के रूप में क्रकस प्रकार कायत कर सकता है?
भारत में सामातजक ईत्तरदातयत्ि की प्रभातिता में ऄतभिृतद्ध हेतु एक तसतिल सेिक कौन-से
कदम ईठा सकता है?
दृतष्टकोण:
प्रश्न का अधारभूत तिषय-िस्तु है “सामातजक ईत्तरदातयत्ि: आसकी सापेतक्षक
प्रभािोत्पादकता और आसे क्रकस प्रकार सुतनतश्चत क्रकया जा सकता है”। तदनुसार, ईत्तर को
तनम्न प्रकार से गरठत क्रकया जाना चातहए:
 सामातजक ईत्तरदातयत्ि की व्याख्या कीतजए।
 ईत्तरदातयत्ि के परम्परागत तरीकों को सूचीबद्ध कीतजए। सामातजक ईत्तरदातयत्ि से
आनकी तुलना कीतजए, स्पष्ट रूप से यह बताआए क्रक ईत्तरदातयत्ि की सुतनतश्चतता हेतु
सामातजक ईत्तरदातयत्ि क्रकस प्रकार बेहतर है। कु छ प्रासंतगक दृष्टांत प्रस्तुत कीतजए।
 एक तसतिल सेिक द्वारा सामातजक ईत्तरदातयत्ि में सुधार लाने हेतु जो कदम ईठाए जा
सकते हैं, ईनका सुझाि दीतजए।
ईत्तर:
तसतिल सेिा के सन्दभत में, ईत्तरदातयत्ि का ऄथत होता है साितजतनक पदातधकाररयों द्वारा
साितजतनक संसाधनों के ईपयोग का तििरण प्रस्तुत करना तथा ईन्हें सौंपे गए कायों के
सम्बन्ध में जिाबदेही स्िीकार करना। परम्परागत ईत्तरदातयत्ि व्यिस्था में अंतररक
ईत्तरदातयत्ि प्रक्रिया, यथा- तिभागीय पदानुिम आत्याक्रद तथा बाह्य व्यिस्था, जैस-े CAG,
CVC, लोकपाल आत्याक्रद सतम्मतलत होते हैं।
सामातजक ईत्तररदातयत्ि आससे एक कदम और अगे है, तजसके ऄंतगतत प्रशासन में जनता को
एक तहतधारक के रूप में सतम्मतलत क्रकया जाता है। तिश्व बैंक आसे “ईत्तरदातयत्ि के प्रतत
नागररक संलग्नता पर तनभतर ऄतभिृतत्त के रूप में पररभातषत करता है, यथा- आसमें

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ईत्तरदातयत्ि की सुतनतश्चतताFor
हेतु जन सामान्य या नागररक समाज प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से
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भागीदारी करता है”। आसमें नागररकों के ऄतधकारों और दातयत्िों, दोनों को रे खांक्रकत क्रकया
जाता है ताक्रक यह ऄपेक्षा की जा सके और सुतनतश्चत क्रकया जा सके क्रक सरकार साितजतनक
तहत को ध्यान में रख कर कायत करती है।
परम्परागत ईत्तरदातयत्ि व्यिस्थायें, ईत्तरदातयत्ि की सुतनतश्चतता हेतु सरकारी तंत्रों पर
तनभतर करती हैं। अतंररक व्यिस्थाएं, यथा- तिभागीय पदानुिम िस्तुतः पूिातग्रह, पक्षपात
और बदले की भािना से प्रभातित हो सकती हैं। बाह्य व्यिस्थाओं का एक ईतार-चढ़ाि से
युि आततहास है। राजनैततक हस्तक्षेप और स्िायत्तता की कमी के कारण CVC, लोकायुि
आत्याक्रद बहत प्रभािी तसद्ध नहीं हो पाए हैं। िहीं, न्यायपातलका और CAG का प्रदशतन
ऄपेक्षाकृ त ईत्कृ ष्ट रहा है। आसके ऄततररि, ईत्तरदातयत्ि के स्तरों और तितधयों को तनधातररत
करने में परम्परागत प्रणातलयााँ जन-सामान्य को सतम्मतलत नहीं करतीं। साथ ही, परम्परागत
प्रणातलयााँ ‘पोस्ट-हॉक’ प्रकृ तत की हैं यथा िे ऄतधकाररयों द्वारा कारत िाइ करने के पश्चात् ही
की गयी कारत िाइ के औतचत्य की जांच कर सकती हैं। आस प्रकार गलत तो पहले ही हो चुका
होता है और आससे राजकोष को हातन भी हो चुकी होती है।
 नागररकों को प्रदशतन की तनगरानी, पारदर्शशता की मांग और ईन्नयन तथा सरकारी
तिफलताओं और ऄनुतचत कृ त्यों के प्रकटीकरण अक्रद में संलग्न कर सामातजक
ईत्तरदातयत्ि संबंधी प्रणातलयााँ साितजतनक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के तिरुद्ध एक शतिशाली
साधन हैं। आस प्रकार, यह सेिा तितरण की गुणित्ता में सुधार करता है।
 ईन्नत शासन व्यिस्था के ऄततररि, यह नागररकों का सशतिकरण भी करता है। आस
पररप्रेक्ष्य में सशतिकरण का ऄथत एक व्यति द्वारा आतच्छत कायों और पररणामों में
प्रभािी तिकल्प चुन पाने की क्षमता से है। सहभागी साितजतनक नीतत तनमातण,
साितजतनक व्यय की तनगरानी तथा नागररक ररपोटत काडत जैसी प्रणातलयााँ नागररकों को
तनणतय प्रक्रिया का एक ऄंग बनाकर ईन्हें क्षमता प्रदान करती हैं जो ऄन्यथा, ऄतधकांश के
तलए संभि नहीं हो पाता।
 तहतधारकों की संलग्नता तथा अम-सहमतत से तनणतय तलए जाने के कारण िे क्रकसी
तनणतय की ऄसफलता की संभािना को कम करते हैं। आस प्रकार, ऐसे समय में जब
तिकें िीकरण और सिाततधक तनचले स्तर तक ऄतधकारों का प्रत्यायोजन प्रभािी तिकास
का सूत्र बन चुका है, यह लोकतंत्र को सशि बनाने का एक माध्यम है।
सामातजक ईत्तरदातयत्ि को ऄतधक प्रभािी बनाने हेतु तसतिल सेिक तनम्न कदम ईठा सकते
हैं:
 सामातजक ईत्तरदातयत्ि प्रणातलयााँ संस्थागत स्िरूप प्रदान क्रकए जाने के पश्चात
सिाततधक प्रभािी तसद्ध होती हैं। अदशत रूप में, यह तितध तनमातण द्वारा व्यिहार में लाया
जा सकता है। यद्यतप तसतिल सेिक स्ियं के स्तर पर नागररकों और नागररक समाज को
संलग्न और संगरठत करने हेतु व्यिस्थाएं तिकतसत कर सकते हैं।
 ईपयुि अंकड़े/सूचना को कायतरूप में ईपयोगी बनाने हेतु ईसकी व्याख्या और तिश्लेषण
क्रकया जाना चातहए। यह साथतक पररणामों की प्रातप्त में ईपयोगी तसद्ध होगा तजनका
ईपयोग तहतधारकों के साथ संिाद स्थातपत करने में क्रकए जा सकता है।
 सामातजक ईत्तरदातयत्ि को सक्षम बनाने हेतु सूचना का प्रसार तथा ईसके तिषय में
साितजतनक चचात को प्रोत्सातहत क्रकया जाना चातहए।
 नागररकों को ईनके ऄतधकारों तथा दातयत्िों का ज्ञान कराना, आससे सामातजक
ईत्तरदातयत्ि में सुधार होता है।

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 गैर-सरकारी संगठनों, सक्रिय नागररक समाज संगठनों अक्रद के माध्यम से नागररकों का
क्षमता तनमातण क्रकया जाना चातहए।
 नागररकों और ऄतधकाररयों के बीच तिश्वासपूणत संबंधों के तनमातण हेतु तसतिल सेिक
द्वारा यह सुतनतश्चत क्रकया जाना चातहए क्रक तनणतयों में नागररकों की ऄनुक्रियाओं को
सतम्मतलत क्रकया जाए तथा ररपोर्टटग ऄतधकाररयों के द्वारा ईन तनणतयों के कायातन्ियन
की तनयतमत तनगरानी की जाए।

9. सोशल मीतडया का प्रयोग राजनीततक भागीदारी और नागररक संलग्नता को कै से प्रभातित


करता है? ईदाहरणों के साथ चचात कीतजए।
दृतष्टकोण:
 संक्षेप में सोशल मीतडया तथा आसके प्रकारों को पररभातषत कीतजए।
 ईदाहरणों का प्रयोग करते हए आस बात को दशातआये क्रक क्रकस प्रकार सोशल मीतडया का
ईपयोग राजनीततक भागीदारी तथा नागररक संलग्नता में क्रकया जा रहा है।
 दोनों के सकारात्मक तथा नकारात्मक पहलुओं को आं तगत करते हए ईत्तर का समापन
कीतजए।
ईत्तर:
सामान्य शब्दों में सोशल मीतडया को िेब-अधाररत संचार साधन के रूप में पररभातषत क्रकया
जा सकता है, जो लोगों को सूचना साझा करने तथा ईसका ईपयोग कर एक-दूसरे के साथ
संिाद स्थातपत करने में सहायता करता है। तट्िटर, फे सबुक, यू-ट्यूब जैसे सोशल मीतडया
प्लेटफॉमत राजनीततक जीिन में, जहााँ चुनािों तथा चुनाि ऄतभयानों की मुख्य भूतमका होती
है, नागररक संलग्नता को प्रोत्सातहत करने के नए मागत प्रदान करते हैं।
राजनीततक भागीदारी पर प्रभाि डालना
 तितभन्न सोशल मीतडया मंच, यथा- फे सबुक, तट्िटर, आन्स्टाग्राम, गूगल प्लस आत्याक्रद का
ईपयोग चुनािी प्रक्रियाओं में तितभन्न ईद्देश्यों, जैस-े सामान्य चेतना, संबंतधत दलों के
द्वारा प्रचार कायत, लोगों की मनोदशा की सामान्य प्रिृतत्त का पता लगाना अक्रद के तलए
क्रकया जाता है।
 चुनाि अयोग भी कु छ अधारभूत तिषयों तथा मतदाता से संबंतधत जानकाररयों, यथा-
मतदान की प्रक्रिया, मतदान के समय अिश्यक दस्तािेज़, मतदान के न्िों की भौगोतलक
ऄितस्थतत अक्रद के बारे में जागरूकता में िृतद्ध करने के तलए ऐसे मंचों का ईपयोग करता
है।
 भारत में 16िें अम चुनाि में सोशल मीतडया ने महत्िपूणत भूतमका तनभायी।
राजनीततज्ञों ने भी तकनीक-प्रयोिा करोड़ों शहरी मतदाताओं से जुड़ने के तलए गूगल
प्लस हैंगअईट का प्रयोग क्रकया, फे सबुक द्वारा अयोतजत टेलीिीज़न पर प्रसाररत
साक्षात्कारों में भागीदारी की तथा सन्देश भेजने के तलए स्माटत फ़ोन एप िाट्सऐप का
प्रयोग क्रकया।
 फे सबुक, तट्िटर, गूगल अक्रद जैसी कं पतनयों ने ऄपनी िेबसाआट्स के होमपेज पर, 2014
के अम चुनाि के प्रयोजन से तितशष्ट रूप से तनर्शमत कइ तिशेषताओं को अरम्भ क्रकया
था। ईदाहरण के तलए, गूगल ने प्लेज टू िोट (Pledge to Vote) ऄतभयान,
राजनीततज्ञों के तलए ‘गूगल स्कोर’ टू ल, सचत ट्रेंड आन्फोग्राक्रफक्स, यू-ट्यूब आलेक्शन प्ले-
तलस्ट्स, यूजसत के तलए हैंगअईट्स तडटेल्स अक्रद चुनाि संबंधी तितभन्न तरीकों को आजाद
क्रकया था।

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नागररक संलग्नता में िृतद्ध करने के तलए सोशल मीतडया का प्रयोग:
नागररकों की भागीदारी ि नागररक संलग्नता सुशासन के मूलभूत ऄंग हैं तथा सोशल मीतडया
ने आसमें महत्िपूणत भूतमका तनभाइ है, यथा:
 सोशल मीतडया प्लेटफॉमत न के िल सामान्य जन की तशकायतों को सामने लाकर बतल्क
सरकारी कायतिमों तथा गतततितधयों से संबतं धत जानकाररयों को प्रसाररत करके
जिाबदेही सुतनतश्चत करने हेतु एक महत्िपूणत साधन के रूप में कायत कर सकता है।
 यह ईपलतब्धयों को ईजागर करके तथा ररयल टाआम में कतमयों को आं तगत करके दोतरफा
फीडबैक प्रदान करने िाले तंत्र के रूप में कायत कर सकता है।
 ईदाहरण, चेन्नइ की बाढ़ के दौरान प्रदत्त सहायता तथा रे लिे मंत्रालय द्वारा तट्िटर का
सक्रिय प्रयोग।
 भारत में प्रधानमंत्री कायातलय के द्वारा शासन प्रक्रिया में लोगों को संलग्न करने, यथा-
ईनसे सुझाि मांगने, कइ सरकारी कल्याणकारी योजनाओं तथा नीततयों के संबंध में
सूचना प्रदान करने के तलए सोशल मीतडया का प्रयोग एक सशि माध्यम के रूप में
क्रकया गया है।
 सोशल मीतडया प्लेटफ़ॉमत सरकारी कायों की पारदर्शशता में िृतद्ध करने तथा सरकार को
न के िल शहरी ऄतपतु देश के क्रकसी भी भाग में ईसके कायों के तलए जिाबदेह बनाने के
एक महत्िपूणत साधन के रूप में कायत कर रहा है।
 अपदा प्रबंधन के तलए सोशल मीतडया का ईपयोग, संकट के दौरान समुदायों की सक्रिय
भागीदारी सुतनतश्चत करने का एक बेहतर माध्यम तसद्ध हअ है।
यद्यतप सोशल मीतडया नागररकों को ऄतभव्यति प्रदान कर ईन्हें सशि बनाता है, तथातप यह
एक ऐसा ऄतनयंतत्रत माध्यम भी है जहां कभी-कभी गलत तथा ऄपमानजनक तिचारों की भी
ऄतभव्यति होती है, तजससे समाज में िानून-व्यिस्था की समस्या ईत्पन्न हो सकती है। आसके
ऄततररि, भारत के मामले में, आसके दुष्प्रयोग से साम्प्रदातयक रूप से संिेदनशील स्थानों पर
तनाि भी ईत्पन्न हअ है।
संक्षेप में, सोशल मीतडया का ईपयोग सरकारी एजेंतसयों द्वारा नीतत तनयोजन तथा ईनके
क्रियान्ियन में कतमयों/त्रुरटयों के संबंध में जानकारी एकतत्रत करने के तलए क्रकया जा सकता
है, तजससे एजेंतसयों को और ऄतधक नागररक-तहतैषी बनने में मदद प्राप्त हो सके ।

10. RTI को सुशासन की मास्टर कुं जी करार क्रदया गया है। हमारे देश के प्रशासन और शासन
व्यिस्था को ऄतधक नैततक और ईत्तरदायी बनाने में RTI की भूतमका पर प्रकाश डातलए।
दृतष्टकोण:
 सुशासन की कुं जी के रूप में RTI की संतक्षप्त भूतमका दीतजए।
 आसके पश्चात् प्रशासन और शासन को और ऄतधक नैततक बनाने में आसकी भूतमका के
संबंध में बताआए।
 तत्पश्चात् ऄंत में प्रशासन और शासन व्यिस्था को ईत्तरदायी बनाने में RTI की भूतमका
पर चचात कीतजए।
ईत्तर:
तद्वतीय प्रशासतनक सुधार अयोग ने RTI को सुशासन की मास्टर कुं जी कहा है, क्योंक्रक आसके
पररणामस्िरूप पारदर्शशता, खुलापन, सहभागी लोकतंत्र तथा जन-कें क्रित शासन को बढ़ािा

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तमला है। आससे हमारे प्रशासन और शासन व्यिस्था की संस्कृ तत में एक महत्िपूणत बदलाि
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अया है।
हमारे देश के प्रशासन और शासन व्यिस्था को और ऄतधक नैततक बनाने में आसकी महत्िपूणत
भूतमका तनम्नतलतखत कारणों से है:
 सक्रिय RTI कायतकतातओं द्वारा आसका ईपयोग कर सरकारी कमतचाररयों और राजनेताओं
के कायों पर प्रश्न ईठाने की संभािना के कारण ईन पर ऄप्रत्यक्ष दबाि बना रहता है। आस
प्रकार, आससे पारदर्शशता को प्रोत्साहन तमलता है और मत पेटी जिाबदेतहता के तिपरीत
प्रशासन और सरकार की ऄपने तनणतयों के प्रतत तनरं तर जिाबदेतहता बनी रहती है।
 सरकारी संस्थाओं एिं ईनके कायों के प्रतत नागररकों के तिश्वास में िृतद्ध होती है। कु छ ही
समय पहले, पतश्चमी रे लिे में एक RTI अिेदन के पश्चात्, ईसके द्वारा पेंशन की देय
रातश का ब्याज सतहत फास्ट ट्रैक भुगतान का मामला कमजोर िगत को न्याय क्रदलाने में
RTI के महत्ि को ईजागर करता है।
 भ्रष्टाचार पर तनयंत्रण: देश के सबसे बड़े घोटाले, जैस-े 2G घोटाला, कोयला घोटाला
अक्रद को सामने लाने में RTI का बहत ही महत्िपूणत योगदान रहा है।
 भाइ-भतीजािाद को समाप्त करना: िषत 2013 में एक RTI अधाररत जांच से पता चला
क्रक बहत से सांसदों ने ऄपने तनकट सम्बतन्धयों, जैस-े तपता, बच्चे, पतत/पत्नी को ऄपने
‘व्यतिगत सहायक’ के रूप में तनयुि कर रखा था ताक्रक आस ईद्देश्य के तलए स्िीकृ त
रातश पररिार में ही रहे और कइ सांसदों ने तो DOPT (कार्शमक तिभाग) के मानकों का
ईल्लंघन करते हए ईन्हें ऄपने व्यतिगत स्टाफ के रूप में तनयुि कर रखा था। आस ररपोटत
ने राज्य सभा की नैततक सतमतत और सरकार को आसमें हस्तक्षेप करने के तलए प्रेररत
क्रकया क्रक िे मंतत्रयों द्वारा की जा रही आस तरह की कायतप्रणाली को समाप्त कर सके ।
व्यिस्था के ईत्तरदातयत्ि में िृतद्ध करने में तनम्नतलतखत रूप से आसकी ऄत्यतधक महत्िपूणत
भूतमका है:
 समय से सूचना तक पहाँच: आस ऄतधतनयम के ऄंतगतत सभी सूचना को सुव्यितस्थत ढंग से
रखने, सभी दस्तािेजों को ऄद्यततत रखने और समुतचत संग्रहण तथा समय से पुनः प्रातप्त
की व्यिस्था के प्रािधान क्रकये गये हैं। आससे ईत्तरदातयत्ि में िृतद्ध होती है, क्योंक्रक
ररकार्डसत के संग्रहण में लगने िाला समय कम हो जाता है।
 नागररकों की बेहतर सहभातगता: नागररकों के पास सभी तथ्यों की जानकारी होने से िे
तनणतय प्रक्रिया में बेहतर तरीके से योगदान कर सकते हैं। आससे नागररकों में प्रश्न पूछने
की संस्कृ तत की शुरुअत हइ है।
 िततमान समय में पारदर्शशता में िृतद्ध एक मानक बन गया है। सरकार द्वारा खदानों एिं
स्पेक्ट्रम की इ-नीलामी का तनणतय हमारे देश के शासन और प्रशासन में तनरं तर हो रहे
पररिततन को ईजागर करता है।
45 से ऄतधक RTI ईपयोगकतातओं की हत्या आस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है क्रक यह ऄतधतनयम
क्रकस प्रकार तनतहत तहतों के तलए संकट बन गया है। यह सरकार की तनरं कुश शति के तिरुद्ध
िंतचत िगत हेतु एक शतिशाली हतथयार बन गया है।

11. क्या संगठन में की गइ गलततयों के संबध


ं में हयति को सूचना प्रकट (लीक) करनी चातहए?
क्या यह व्यतिगत, संगठनात्मक और सामातजक कायतक्षत्र
े के मध्य तहतों का टकराि ईत्पन्न
करता है? ईदाहरणों के साथ चचात कीतजए।

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आस प्रश्न के दो ईप-भाग हैं:


 ईत्तर के प्रथम भाग में, संगठन में होने िाली गलती के संबंध में सूचना प्रकट (लीक) करने
की नैततकता पर चचात कीतजए।
 तद्वतीय भाग में, व्यतिगत, संगठनात्मक और सामातजक कायतक्षत्र
े की दृतष्ट से तहतों के
टकराि के मुद्दे का सुस्पष्ट ईल्लेख कीतजए। प्रासंतगक ईदाहरणों के साथ ऄपने ईत्तर की
पुतष्ट कीतजए।
ईत्तर:
प्रथम दृष्टया एक कमतचारी को ऄपने तनयोिाओं के प्रतत िफादारी और गोपनीयता के कत्ततव्य
का पालन करना होता है और आस संदभत में, साितजतनक तहत के प्रतत व्यति के ईच्चतर कत्ततव्य
संबंधी ऄपिाद के ऄततररि सूचना लीक करने के कृ त्य को ईतचत नहीं ठहराया जा सकता है।
हालााँक्रक, यह समझना अिश्यक है क्रक क्रकसी भी संबंध में जहााँ तिश्वास की ऄपेक्षा होती है,
दोनों पक्षों की भूतमका होती है और ईसमें ईनकी परस्पर समृतद्ध सतम्मतलत होती है। ऄतः,
कमतचारी के िल तभी आस कत्ततव्य का पालन करते हैं जब संगठन ऄपनी स्िाथतपण
ू त
अिश्यकताओं के बदले कमतचाररयों के साथ धोखा नहीं कर रहा हो।
कायतिाही का प्रथम चरण, संगठन में रोकथाम एिं तनयंत्रण की प्रणाली को पुनः बहाल करने
का प्रयास करना होना चातहए।
सूचना लीक करने को ऄंततम तिकल्प के रूप में प्रयोग क्रकया जाना चातहए, िह भी तब जब
ऄन्य सभी तिकल्प बेकार हो गए हों।
तहतों का टकराि
कमतचारी क्रकसी संगठन में होने िाले गंभीर कदाचार, बेइमानी या ऄिैध गतततितध का
खुलासा करने को ऄपना एक नैततक कत्ततव्य मान सकते हैं, तिशेषकर तब, जब ऐसा अचरण
प्रत्यक्ष रुप से साितजतनक तहत को नुकसान पहाँचाने िाला हो।
सूचना लीक करना बहत ही साहसपूणत कायत है, क्योंक्रक आस कायत के नकारात्मक पररणामों की
सूची में समस्या को सुलझाने के झूठे िादे, मोहभंग, ऄलगाि, ऄपमान, नौकरी छू ट जाना,
तहहसल ब्लोऄर के मानतसक स्िास्थ्य का प्रश्न, व्यति के कायत को ऄतधक करठन और/या
महत्िहीन बनाने हेतु प्रततशोधपूणत रणनीतत, पात्र की हत्या, औपचाररक फटकार और करठन
न्यातयक कायतिाही अक्रद सतम्मतलत हैं।
व्यति ऄपने तनयोिा के प्रतत िफ़ादारी और व्यापक रूप से िानून और समाज के प्रतत ऄपनी
नैततक प्रततबद्धता के बीच बंटा होता है। ईनके पास आस बात का ठोस तकत होता है क्रक िे जो
काम कर रहे हैं, िह ईनके खुद के साथ-साथ साितजतनक ईद्देश्यों के तलए ऄतहतकारी है। यह
तिचार करते हए िे संगठन के द्वारा स्ियं को ठगा हअ महसूस करते हैं क्रक िे आस ईद्देश्य से
संगठन में कायत करने के तलए सतम्मतलत नहीं हए थे।
सूचना लीक करने की प्रेरणा िस्तुतः अत्मतहत, परोपकाररता और क्रकसी ध्येय के प्रतत सशि
नैततक दृतष्टकोण से प्राप्त होती है। हालांक्रक सूचना लीक करने के कारण व्यति को कइ बार
ईसकी कीमत (जैस-े कानूनी लड़ाआयां और ऄलगाि) चुकानी पड़ती है, आसतलए ऐसा करने से
पूित ऄिश्य ही व्यति को आसके पररणामों एिं ईसके व्यतिगत दातयत्ि (साितजतनक तहत के
प्रतत) के बारे में दृढ़तापूितक तिचार करना चातहए। ऐसा करने िाले व्यति तजम्मेदारी तब लेते
हैं जब ईन्हें महसूस होता है क्रक िैधता और नैततकता ऄलग होने लगी हैं और आस प्रक्रिया में
साितजतनक तहत बुरी तरह से प्रभातित हो रहा है।

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आसके तलए कु छ स्ितंत्र एजेंतसयां होनी चातहए जहााँ तहहसल ब्लोऄर बेतझझक रूप से मामलों
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को दजत करा सकें और एक तनष्पक्ष जांच सुतनतश्चत की जा सके ।

12. पारदर्शशता के ईच्च मापदंडों का पालन प्राय: गोपनीयता बनाए रखने के कत्ततव्यों के प्रतत संघषत
ईत्पन्न करता है। ऐसी पररतस्थततयों के दौरान कत्ततव्यों के प्रभािी तनितहन में लोक सेिकों
द्वारा सामना की जाने िाली समस्याओं को ईदाहरणों सतहत सतिस्तार बताआए। साथ ही,
ऐसी तस्थततयों में तनणतय संबध
ं ी मागतदशतन प्रदान करने िाले नैततक ढांचे की चचात कीतजए।
दृतष्टकोण:
 भूतमका में यह व्याख्या कीतजए क्रक सरकारी कमतचारी का कत्ततव्य है क्रक िह जनतहत का
समथतन करे और समाज के व्यापक तहत के तलए कायत करे ।
 पारदर्शशता के महत्ि की चचात कीतजए।
 तनजता के मुद्दे और RTI ऄतधतनयम में गैर-प्रकटीकरण के ऄन्य प्रािधानों के साथ-साथ
गोपनीयता की अिश्यकता पर चचात कीतजए।
 ऄपने ईत्तर में एक सरकारी कमतचारी की दैतनक कायत पद्धतत से ऐसे ईदाहरण दीतजए
तजसमें पारदर्शशता के साथ गोपनीयता की भी अिश्यकता होती है।
 ईत्तर के समापन में व्याख्या कीतजए क्रक सरकारी कमतचारी को सदैि पारदर्शशता के मूल्यों
का तब तक समथतन करना चातहए जब तक क्रक ऄत्यतधक मजबूत कारणों से गोपनीयता
बनाये रखने की ऄतनिायत अिश्यकता न हो।
ईत्तर:
लोक सेिक जनता के प्रतत ईत्तरदायी होते हैं, आसतलए ईन्हें ऄत्यतधक तजम्मेदारी, सत्यतनष्ठा
और न्यायपूणत तरीके से ऄपने कत्ततव्यों का तनितहन करना चातहए। ईन्हें ऄपने कततव्यों का
तनितहन करते समय जनतहत और समाज की व्यापक भलाइ को ही सिोपरर रखना चातहए,
तजसके तलए पारदर्शशता और गोपनीयता के परस्पर तिरोधी मूल्यों के मध्य एक सूक्ष्म संतल
ु न
बनाये रखने की अिश्यकता होती है।
पारदर्शशता, नागररकों को ईन तिषयों, तजनसे िो प्रभातित होते हैं, पर ऄपने तिचार रखकर
तनणतय प्रक्रिया को प्रभातित करने और तनणतय तनमातण में संलग्न व्यतियों को ईत्तरदायी बनाये
रखने में सक्षम बनाती है। एक लोक सेिक को ऄपने संस्थान की कायतप्रणाली में पारदर्शशता
रखनी पड़ती है, ताक्रक अम जनता को आसकी जानकारी हो क्रक संगठन तक कै से पहंचा जाए।
जनता के प्रतत ईत्तरदातयत्ि सुतनतश्चत करने हेतु ईन्हें ऄपने संस्थान के तित्तीय लेन-देन में भी
ऄत्यंत पारदर्शशता रखनी होती है।
गोपनीयता:
सरकारी कमतचाररयों को कानून के ऄंतगतत गोपनीयता के ऄपने कत्ततव्यों का तनितहन करते हए
सरकार में पारदर्शशता के मूल्य को भी सुतनतश्चत करने का प्रयास करना चातहए। पूणत खुलापन
और पारदर्शशता सम्भि नहीं है। सरकार को संतधयों और समझौता िातातओं में होने िाली
मंत्रणाओं के संदभत में एिं राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से भी गोपनीयता की अिश्यकता होती है।
एक मूल्य के रूप में गोपनीयता को प्रायः पारदर्शशता के तलए बाधक माना जाता है, परन्तु आसे
यक्रद सकारात्मक तरीके से समझा जाए तो आससे तिश्वास का भी सृजन होता है। मान लीतजए
क्रक एक मंत्री ऄपने सतचि को यह बता देता है क्रक सरकार काले धन और भ्रष्टाचार से लड़ने के
तलए बड़ी मूल्य िाली मुिा का तिमुिीकरण करने की योजना बना रही है। कानून के ऄंततगत
और जनतहत में यह अिश्यक है क्रक सतचि गोपनीयता बनाये रखे। यक्रद िह आस जानकारी
को प्रकट कर देता है तो मंत्री का ईस पर तिश्वास भंग हो जायेगा जो क्रक स्िस्थ कायत संचालन
संबंधों के तलए तहतकर नहीं है।

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तनजता का मुद्दा: For More Visit -http://pdf4exams.org

लोक सेिकों की नागररकों की तनजी जानकारी तक पहंच होती है, ऄत: आसका ऄत्यंत
सािधानी से प्रयोग क्रकया जाना चातहए। ईदाहरण के तलए, एक कर ऄतधकारी, नागररकों की
िार्शषक अय की जानकारी को साितजतनक नहीं कर सकता है।
यहााँ तक क्रक, पारदर्शशता के नये युग का सूत्रपात करने िाले RTI ऄधतनयम की धारा 8 में भी
गोपनीयता और तनजता के महत्ि को मान्यता प्रदान की गयी है।
नैततक रुपरे खा:
 लोक सेिक को प्रासंतगक कानूनों, तनयमों और तितनयमों की जानकारी होनी चातहए और
ईसे आनका ऄक्षरश: पालन करना चातहए।
 ईसे ईसके समक्ष ईपतस्थत समस्या के संबंध में ऄपने ऄंतःकरण की अिाज पर भी
तिचार करना चातहए।
 ऐसा करते समय, ईसे ऄपने तनणतय को जनतहत और समाज के व्यापक तहत की कसौटी
पर भी कस लेना चातहए।
 सामान्यतः, जब तक गोपनीयता बनाए रखने के तलए ऄत्यतधक मजबूत कारण मौजूद न
हों, ईसे तनजता का सम्मान करते हए पारदर्शशता का पक्ष लेना चातहए।
िततमान समय में लोक सेिकों के ऄनेक कत्ततव्य हैं जो प्रायः जरटल और प्रायः तिरोधाभासी
प्रतीत होते हैं, परन्तु सफल लोक सेिक ऄपनी बहल भूतमकाओं को समझते हैं और स्ियं को
आस हेतु तैयार रखते हैं। िे जानते हैं क्रक जब तक जनतहत और कानून गोपनीयता बनाए रखने
हेतु बाध्य नहीं करते, पारदर्शशता ही एक सामान्य कसौटी है।

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8. तिगत िषों में Vision IAS GS में स टे स्ट सीरीज में पू छे


गए प्रश्न: के स स्टडीज
(Previous Years Vision IAS GS Mains Questions: Case Studies)
1. अप एक ऐसे धनी व्यिसायी से संबतं धत एक ईच्च स्तरीय मामले की सुनिाइ कर रहे हैं, तजस
पर देश में कइ तनिेशकों का पैसा हड़पने का अरोप है। अप राजनेताओं और औद्योतगक लॉबी
की तरफ से ऄत्यतधक दबाि झेल रहे हैं, जो अपसे ईद्योगपतत के पक्ष में ईदार होने के तलए
कह रहे हैं, क्योंक्रक ईसने देश में लगभग दस लाख रोजगार ईत्पन्न क्रकये हैं और ईसकी खराब
छति से ऄथतव्यिस्था को भारी नुकसान पहाँचग े ा।
कु छ िैकतल्पक सुझाि नीचे क्रदये गये हैं। कृ पया सभी तिकल्पों के गुणों और दोषों का मूल्यांकन
कीतजए:
(a) िररष्ठ न्यायाधीश से ऄपने अपको आस मामले से स्थानांतररत करने के तलए कहेंग।े
(b) तितभन्न समूहों की सभी दबाि की रणनीततयों को पूणत रूप से ऄनदेखा कर देंग।े
(c) दबाि को कम करने हेत,ु न्यायालय की सुनिाइ के समय को अगे बढ़ा देंग।े
(d) मामले को कु छ समय के तलए स्थतगत कर देगें और तनयामक संस्था से जााँच ररपोटत
प्रस्तुत करने के तलए कहेंग।े
(e) मीतडया को आस मामले को बढ़-चढ़ कर क्रदखाने से रोकें गे।
आसके साथ ही (के िल उपर क्रदए गए तिकल्पों तक सीतमत न रहते हए) ईतचत तकत के साथ
यह भी बताआए क्रक अपकी क्या सलाह है।
दृतष्टकोण:
चूंक्रक छात्रों को तिकल्प पहले ही प्रदान क्रकए गए हैं, आसतलए ईनसे कु छ तिकल्पों का समथतन
करने के पीछे स्पष्ट कारणों का ईल्लेख करने की ऄपेक्षा की जाती है। आसमें तस्थतत को समझने
और तििेक के साथ कायत करने की ईनकी क्षमता को दशातया जाना चातहए। हर तिकल्प की
कु छ गुण और कु छ दोष हैं। क्रकसी तिकल्प का चुनाि करते समय ईस ‘मूल्य’ को प्रततसबतबत
करना महत्िपूणत है जो अपके तलए अधारभूत है।
ईत्तर:
प्रश्न में क्रदए गए तिकल्पों के गुणों और दोषों का तिश्लेषण करने पर, हम समझते हैं क्रक:
(a) ऄपने अपको मामले से स्थानांतररत करने के तलए िररष्ठ न्यायाधीश से कहना यह
सुतनतश्चत करे गा क्रक मुझे जनता के दबाि, मीतडया और औद्योतगक लॉबी द्वारा जतनत
दबाि का सामना नहीं करना पड़ेगा; यह मुझे दुतिधा की तस्थतत से राहत दे देगा और मैं
आसके बाद दूसरे मामले को ऄच्छी तरह से देख सकूाँ गा।
परन्तु ऐसा करके , मैं ऄपनी तजम्मेदारी से भागूंगा। आससे कततव्य की ईपेक्षा होगी, आसके
ऄततररि यक्रद सभी लोग समान तस्थतत का सामना करने पर ऐसे ही कदम की अशा
करें ग,े तो ऄव्यिस्था की तस्थतत ईत्पन्न होगी। जहााँ पर कोइ भी ऄपनी तजम्मेदारी को
तनभाना नहीं चाहेगा।
(b) तितभन्न समूहों द्वारा दबाि की रणनीततयों को ऄनदेखा कर हम िस्तुतनष्ठ ढंग से मामले
के गुण और दोषों पर ध्यान कें क्रित कर सकते हैं। आससे तनणतय की प्रक्रिया में तटस्थता
सुतनतश्चत होगी, और अगे के तनणतयों के तलए मानदंड तनधातररत होंगे। हालााँक्रक, ऐसा
कहना असान है लेक्रकन करना मुतश्कल।

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तितभन्न समूहों की तरफ से सतत दबाि होगा, जो यह कहेंगे क्रक आससे देश की
ऄथतव्यिस्था को नुकसान होगा, आससे कइ लोगों को रोज़गार का नुकसान हो सकता है,
आससे न्यायाधीश की सुरक्षा का मुद्दा ईत्पन्न हो सकता है और ईसके पररिार को कु छ
परे शातनयों का सामना करना पड़ सकता है।
(c) दबाि को कम करने के तलए न्यायालय की सुनिाइ के समय को अगे बढ़ाने से,
न्यायालय को आस मामले का तिश्लेषण करने के तलए ऄतधक समय तमल सकता है। आसके
ऄततररि, आससे ऄसंतुष्ट पक्षों को ऄपने मामले को और ऄतधक मजबूत करने का समय
तमल जायेगा। आसके ऄलािा, समय के साथ लोगों की ओर से अने िाला दबाि कम हो
जाएगा, तजससे आस मामले में सबसे बेहतर तनणतय लेने में मदद तमलेगी। परन्तु ऐसे कदम
ईठाने से, यह न्याय में देरी का मामला हो जाएगा और दृढ़ता से ऐसा तिश्वास माना
जाता है क्रक न्याय में देरी, न्याय न तमलने के बराबर है। हालांक्रक, यहााँ भी यह सुतनतश्चत
नहीं है क्रक भतिष्य की क्रकसी सुनिाइ के दौरान िापस से दबाि नहीं अएगा। साथ ही,
आससे न्यायाधीश की व्यतिगत सत्यतनष्ठा संक्रदग्ध हो जाएगी, और यह भतिष्य के तलए
देश में गलत तमसाल कायम कर सकता है, जो पहले से ही एक बड़ी संख्या में
न्यायपातलका में लंतबत मामलों के बोझ तले दबा हअ है।
(d) मामलें को कु छ समय के तलए स्थतगत करने और एक तनयामक संस्था से जााँच ररपोटत
प्रस्तुत करने के तलए कहने से, न्यायाधीश को तिषय के तिशेषज्ञ की सलाह तमलेगी,
आससे एक िस्तुतनष्ठ और बेहतर तनणतय तनमातण में मदद तमल सकती है। यह जनता के
दबाि को भी कम करे गा। हालााँक्रक, आसके ऄपने ही नुकसान हैं। यक्रद जााँच ररपोटत में एक
पूणत रूप से ऄलग ही दृतष्टकोण सामने अता है, तो आससे तनणतय में देरी हो सकती है और
तनणतय प्रक्रिया में समस्या भी ईत्पन्न हो सकती है। आसके ऄततररि, यक्रद दोनों में
समानता नहीं पाइ गयी तो जााँच ररपोटत और न्यायालय के तनणतय की तुलना की जा
सकती है।
(e) मीतडया को आस मामले को बढ़-चढ़ कर क्रदखाने से रोकने का तनदेश देकर, कु छ हद तक
जनता के दबाि को कम क्रकया जा सकता है। कइ पक्ष जो आस मामले में प्रत्यक्ष रूप से
संबद्ध नहीं हैं, न्यायालय पर ऄपना दबाि कम कर देंगे। परन्तु ऐसा करने पर,
न्यायपातलका पर मीतडया के िाक् और ऄतभव्यति की स्ितंत्रता के ऄतधकार पर ऄंकुश
लगाने की अशंका जताइ जा सकती है, और आसके पीछे क्रकये गये कु छ गलत कायों की
ऄफिाहें ईत्पन्न हो सकती है। साथ ही, यह पारदर्शशता और जिाबदेतहता की बुतनयादी
तिषय-िस्तु के तिरुद्ध होगा जो क्रकसी भी साितजतनक पद का अधार होते हैं। आस प्रकार,
यह देश की न्याय व्यिस्था पर जनता के तिश्वास को कमजोर कर सकता है।
संभि तिकल्पों का तिश्लेषण करने पर, जो सबसे बेहतर तिकल्प यह होगा क्रक, यक्रद
तिचाराधीन मामले में क्रकसी तिशेषज्ञ ज्ञान की अिश्यकता महसूस हो तो न्यायपातलका
को मामले की जांच हेतु जांच सतमतत गरठत करने के तलए कहना चातहए। न्यायाधीश के
पास ईपलब्ध ररपोटत और दूसरे तथ्यों के अधार पर, तबना क्रकसी बाह्य दबाि के तितध के
ऄनुरूप ईतचत तनणतय तलया जाना चातहए।

2. ऄपनी चुनाि डयूटी के दौरान अपने नकदी से भरा एक िाहन पकड़ तलया। जााँच करने पर
अपको पता चला क्रक, िाहन क्षेत्र के एक बहत लोकतप्रय राजनेता का है और यहााँ तक क्रक

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एतग्जट पोल ईसकी जीत कीForभतिष्यिाणी कर रहे हैं। नेता िाहन छोड़ने के तलए अप पर
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दबाि बना रहे हैं। सलाह लेने के तलए अपने ऄपने िररष्ठ ऄतधकारी से संपकत करने की
कोतशश की, क्रकन्तु ईनसे संपकत नहीं हो सका।
(a) अपके पास ईपलब्ध तिकल्प क्या हैं?
(b) अप क्या कायतिाही करें ग?

दृतष्टकोण:
यह एक प्रशासतनक चुनौती है, तजसमें छात्र को, "राजनीततक दबाि" के उपर "कत्ततव्य की
भािना" को चुनने के अधार पर अाँका जाता है। ईत्तर में छात्र द्वारा कायतिाही के गुणों ि
दोषों के अंकलन के अधार पर क्रकसी तितशष्ट कायतिाही के चयन के पीछे तनतहत तकत और
कारण की स्पष्ट रूप से चचात की जानी चातहए।
ईत्तर:
प्रस्तुत प्रकरण में एक चुनाि ऄतधकारी एक लोकतप्रय राजनेता के ऄत्यंत दबाि में है, जो
ईसके कततव्यों में बाधा ईत्पन्न कर रहा है। यह पररतस्थतत एक प्रशासतनक चुनौती को दशातती
है जहााँ ऄतधकारी को राजनेता के ऄतधकारों को चुनौती क्रदए बगैर, ऄपने कत्ततव्य का पालन
करने के तलए एक ईतचत तिकल्प तलाशना है।
नीचे दी गयी कायतिाही के तिकल्प ईसके समक्ष हैं:
चूाँक्रक िररष्ठ ऄतधकारी ऄभी पहंच से बाहर हैं, ऄतः तनणतय लेने की तज़म्मेदारी स्ियं ऄतधकारी
पर ही है।
(a) प्रत्यक्ष रूप से नेता के अदेशों को मानने से आंकार करना
प्रशासतनक व्यिस्था में एक ऄधीनस्थ के रूप में ऄपने िररष्ठों के अदेशों का पालन करना
ऄतधकारी का कततव्य है, क्रकन्तु ऐसा तब तक क्रकया जाना चातहए जब तक ऐसे अदेश ईसे
ईसकी कततव्य की समझ और चेतना से तिचतलत न करें । चूाँक्रक नेता ने ईसे ईसके कततव्य से
हटकर कायत करने को कहा है, ईसको मना करना ईसकी शुतचता और इमानदारी को प्रदर्शशत
करे गा। हालांक्रक, आस अकतस्मक और जल्दबाज़ी में क्रकये गये व्यिहार से संगठन में समस्याएं
ईत्पन्न हो सकती है जो ऐसे महत्िपूणत समय पर आसकी कायतशल
ै ी को प्रभातित कर सकता है।
(b) नेता के अदेशों को स्िीकार कर लेना
नेता के अदेशों का अाँख बंद करके पालन करने से ऄतधकारी की ऄपने कतनष्ठों तथा जनता के
मध्य छति ख़राब होगी। ऄतधकारी को न तसफत ऄपनी तजम्मेदारी को इमानदारी से तनभाना
होता है, बतल्क यह भी सुतनतश्चत करना होता है क्रक संगठन की साितजतनक छति धूतमल न हो।
आसके ऄलािा ऄधीनस्थों को तनष्पक्ष चेतना के साथ, ऄपने कततव्यों के पालन हेतु ईनके
मनोबल को बढ़ािा देना भी ज़रूरी होता है; ऄन्यथा आससे संगठन में भ्रष्टाचार को बढ़ािा
तमलेगा।
(c) सिोत्तम कायतिाही यह होगी क्रक नेता को यह समझाया जाए क्रक छापामारी के दौरान
जब्त धन सरकारी प्रततभूतत में जमा कर क्रदए गए हैं, और तसफत तलतखत अदेश ही ईसे ईस
रुपए के पैकेट प्राप्त करने में मदद कर सकता है। आसके ऄततररि नेता को यह भी समझाएं क्रक
ईसे स्ियं को मीतडया से बचाना भी मुतश्कल होगा और ऐसा कोइ भी कायत नेता की छति को
धूतमल कर सकता है और साथ ही समग्र रूप से संगठन की छति भी धूतमल होगी।
3. अप देश के सबसे तनधतन तजलों में से एक तजले के तजलातधकारी हैं। व्यापक तनधतनता एिं
ऄस्िास्थ्यकर पररतस्थततयों के कारण तजले में स्िास्थ्य संबध
ं ी बहत सारी समस्याएं व्याप्त हैं।
तजले में कइ तनजी तचक्रकत्सक अकर बस गए हैं और लाभदायक व्यिसाय चला रहे हैं। ऐसी

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खबरें हैं क्रक ईनमें से कइ तनयतमत जांच के तलए भी भारी फीस िसूल रहे हैं। साथ ही, तजले में
अईट ऑफ़ पॉके ट स्िास्थ्य खचत में ऄत्यतधक िृतद्ध हइ है।
ईस तनिातचन क्षेत्र के सांसद ने तचक्रकत्सकों द्वारा सिाततधक सामान्य तचक्रकत्सीय ईपचार हेतु
मरीजों से ली जाने िाली फीस तनतश्चत कर दी है। तनधातररत दरें गरीब जनता की िहन क्षमता
के भीतर हैं और आससे तचक्रकत्सकों की अय पर भी प्रभाि नहीं पड़ेगा। ईसने यह भी चेतािनी
दी है क्रक यक्रद कोइ तचक्रकत्सक तनधातररत दरों का ईल्लंघन करता पाया जाता है तो ईसके
तिरुद्ध गंभीर कारत िाइ की जाएगी।
तचक्रकत्सक समुदाय ने जबरन अरोतपत की जाने िाली आन युतियों का तिरोध क्रकया है।
पररतस्थतत का समाधान तनकालने हेतु ईन्होंने तजलातधकारी से अग्रह क्रकया है।
(a) अपके पास क्या तिकल्प ईपलब्ध हैं?
(b) प्रत्येक तिकल्प का मूल्यांकन कीतजए और सिोत्तम कायतिाही का सुझाि दीतजए।
दृतष्टकोणः
ईत्तर में तनम्नतलतखत भाग सतम्मतलत होने चातहएः
 प्रकरण के तथ्य।
 अपके पास ईपलब्ध तितभन्न तिकल्प और ईनका तिश्लेषण।
 अप क्रकस कायतिाही िाले तिकल्प का चयन करें गे और क्यों?
ईत्तरः
प्रकरण के तथ्य हैं:
 तजले में जन स्िास्थ्य की दयनीय तस्थतत।
 कु छ तचक्रकत्सक बहत उाँची फीस िसूल रहे हैं।
 सिाततधक सामान्य तचक्रकत्सीय ईपचार के तलए सांसद के द्वारा दर तनतश्चत कर दी गयी
हैं, जो तचक्रकत्सक ऄपने रोतगयों से िसूल कर सकते हैं।
 ये दरें गरीब जनता की िहन क्षमता के भीतर हैं और तचक्रकत्सकों की अय को भी
प्रभातित नहीं करें गी।
 तचक्रकत्सक समुदाय सांसद द्वारा तनधातररत की गइ दरों के तिरोध में है।
मेरे पास ईपलब्ध तिकल्प हैं:
i. तचक्रकत्सकों को दर सूची का ऄनुपालन करने का तनदेश क्रदया जाए – चूंक्रक तजले में जन
स्िास्थ्य बहत ही खराब तस्थतत में है, आसतलए तचक्रकत्सा प्रभार को सीतमत करना एक
ईत्तम तिकल्प है। सांसद एक तनिाततचत प्रतततनतध है और ईसके अदेशों का सम्मान क्रकया
जाना चातहए। क्रकन्तु सांसद द्वारा की गइ एकतरफा घोषणा स्िीकायत नहीं है। आस प्रकार
के कड़े अदेश तनरं कुशता के प्रतीक हैं न क्रक लोकतांतत्रक व्यिस्था के । ऄतः, यह कायतिाही
ईपयुि नहीं है।
ii. सांसद से ऄपना अदेश रद्द करने को कहा जाए – सांसद ने तजले की दयनीय स्िास्थ्य
तस्थतत से तनपटने के तलए संतिधानेत्तर ईपायों का सहारा तलया है। यद्यतप ईसके आस
कृ त्य का ऄन्तर्शनतहत ईद्देश्य नेक है, परन्तु प्रयुि तरीका ईतचत नहीं है। क्रकन्तु सांसद को
ऄपने कड़े अदेश को िापस लेने को कहना के िल अंतशक समाधान है क्योंक्रक यह
तनयतमत तचक्रकत्सीय जांच के तलए तचक्रकत्सकों द्वारा ली जा रही उाँची फीस की समस्या
का समाधान नहीं करता। ऄतः, यह तिकल्प भी ईपयुि नहीं है।

iii. प्रकरण में हस्तक्षेप करने से आन्कार कर देना – आस तस्थतत में हस्तक्षेप करने से मना कर
देने से, मैं सांसद की नाराजगी से बच जाउाँगा। यह भतिष्य में मेरे कररयर के तलए
लाभदायक तसद्ध हो सकता है। क्रकन्तु िास्ति में एक तजलातधकारी के रूप में, मैं ऄपनी
तजम्मेदारी से भाग रहा हं। यह मेरी दृढ़ता की कमी को प्रदर्शशत करता है। साथ ही
तचक्रकत्सक हड़ताल पर जा सकते हैं या क्रफर ऄपनी तशकायत के समाधान के तलए

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ऄदालत जा सकते हैं, जो मेरे तलए एक और बड़ी समस्या ईत्पन्न करे गा। ऄतः, यह भी
एक ईपयुि तिकल्प नहीं है।
iv. प्रकरण के समाधान के तलए सांसद और तचक्रकत्सक समुदाय के मध्य एक बैठक की
व्यिस्था की जाए – यहााँ मैंने तचक्रकत्सक समुदाय की तशकायतों और साथ ही सांसद
द्वारा तजले की दयनीय जन स्िास्थ्य की सचताओं, दोनों को ध्यान में रखकर मध्यम मागत
को ऄनुसरण क्रकया है। मैं बातचीत के माध्यम से एक ऐसे समाधान की कोतशश करूंगा
तजससे क्रक तचक्रकत्सकों के व्यिसाय की स्ितंत्रता सुरतक्षत रहे और साथ ही तचक्रकत्सक
समुदाय के प्रतततनतधयों को ईच्च शुल्क िसूलने से बचने का परामशत दूग ाँ ा। आसके बाद भी
यक्रद सांसद ऄपने सख्त अदेश को िापस लेने के तलए सहमत नहीं होता है तो मैं
तचक्रकत्सकों को अश्वस्त करूाँगा क्रक ईन्हें क्रकसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा। साथ ही,
ईच्च शुल्क िसूलने का ऄनैततक व्यिहार प्रततबंतधत नहीं हअ तो मैं पथभ्रष्ट तचक्रकत्सकों
के तिरुद्ध कठोर कारत िाइ करूाँगा।
मैं चौथे तिकल्प का पालन करूंगा। यह एक व्यािहाररक दृतष्टकोण है। मैं यह सुतनतश्चत करूाँगा
क्रक तचक्रकत्सक और सांसद दोनों के पास ईपयुि रास्ता हो। तचक्रकत्सक स्ितंत्र रूप से ऄपना
व्यिसाय करने में सक्षम होंगे और ईन्हें ईच्च शुल्क प्रभाररत करने से भी रोका जाएगा, तजससे
सांसद भी संतुष्ट होंगे।
साथ ही, मैं सांसद से साितजतनक स्िास्थ्य तस्थततयों में सुधार के तलए NRHM के तहत नए
ऄस्पताल खोलने और CHCs, PHCs में सुधार के तलए ऄपनी MPLAD योजना से धन
ईपलब्ध कराने का अग्रह करूंगा।

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9. तिगत िषों में सं घ लोक से िा अयोग द्वारा पू छे गए प्रश्न


(Previous Years UPSC Mains Questions)

1. लोक-सेिा के सन्दभत में 'जिाबदेही' का क्या ऄथत है? लोक-सेिकों की व्यतिगत और सामूतहक

जिाबदेही को सुतनतश्चत करने के तलए क्या ईपाय ऄपनाए जा सकते हैं?

2. ‘शासन’, ‘सुशासन’ और नैततक शासन’ शब्दों से अप क्या समझते हैं?

3. हाल में हइ कु छ प्रगततयााँ, जैसे क्रक सूचना का ऄतधकार (अर० टी० अइ०) ऄतधतनयम,

मीतडया और न्यातयक सक्रियता आत्याक्रद, सरकार के कायों में पहले से ऄतधक

पारदर्शशता और जिाबदेही लाने में सहायक सातबत हो रही हैं। क्रफर भी, यह भी देखा जा रहा

है क्रक कभी-कभार आन साधनों का दुरुपयोग क्रकया जाता हैं। एक ऄन्य नकारात्मक प्रभाि यह
है क्रक ऄतधकारीगण ऄब शीघ्र तनणतय लेने से डरते हैं। आस तस्थतत का तिस्तारपूितक तिश्लेषण
कीतजए और सुझाआए क्रक आस तद्वभाजन का हल क्रकस प्रकार तनकाला जा सकता है। सुझाआए
क्रक आन नकारात्मक प्रभाि को क्रकस प्रकार न्यूनतमीकृ त क्रकया जा सकता है।

4. अज हम देखते हैं क्रक अचार संतहताओं के तनधातरण, सतकत ता सेलों/अयोग की स्थापना,

अर० टी० अइ०, सक्रिय मीतडया और तितधक यांतत्रकत्चों के प्रबलन जैसे तितभन्न ईपायों के

बािजूद भ्रष्टाचारपूणत कमत तनयंत्रण के ऄधीन नहीं अ रहे हैं।

(a) आन ईपायों की प्रभािशीलता का औतचत्य बताते हए मूल्यांकन कीतजए।

(b) आस खतरे का मुकाबला करने के तलए और ऄतधक प्रभािी रणनीततयााँ सुझाआए।

10. तिगत िषों में सं घ लोक से िा अयोग द्वारा पू छे गए प्रश्न:


के स स्टडीज
(Previous Years UPSC Mains Questions: Case Studies)

1. अप एक सरकारी तिभाग में साितजतनक जनसूचना ऄतधकारी (पी.अइ.ओ.) हैं। अप जानते

हैं क्रक 2005 का अर.टी.अइ. ऄतधतनयम प्रशासतनक पारदर्शशता एिं जिाबदेही की

पररकल्पना करता है। ऄतधतनयम अमतौर पर कदातचत मनमाना प्रशासतनक व्यिहार एिं
कायों पर रोक लगाने में कायतरत है। क्रकन्तु एक पी.अइ.ओ. के रूप में अपने देखा है क्रक कु छ
ऐसे नागररक हैं जो ऄपने तलए यातचका फाआल करने के बजाय दूसरे तहतधारकों के तलए
यातचका फाआल करते हैं और आसके द्वारा ऄपने स्िाथत को अगे करते हैं। साथ-साथ ऐसे
अर.टी.अइ. भरने िाले कु छ लोग भी हैं जो तनयतमत रूप से अर.टी.अइ. यातचकाएाँ भरते
रहते हैं और तनणतयकतातओं से पैसा तनकलिाने का प्रयास करते हैं। आस प्रकार की अर.टी.अइ.
गतततितधयों ने प्रशासन के कायतकलापों पर प्रततकू ल प्रभाि डाला है और सम्भितः तिशुद्ध
यातचकाओं को जोख़तम में डाल क्रदया है तजनका लक्ष्य न्याय प्राप्त करना है। िास्ततिक और

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ऄिास्ततिक यातचकाओं को ऄलग करने के तलए अप क्या ईपाय सुझाएाँगे? ऄपने सुझािों के

गुणों और दोषों का िणतन कीतजए।

2. तित्त मंत्रालय में एक िरीय ऄतधकारी होने के नाते, सरकार द्वारा घोतषत क्रकए जाने िाले

कु छ नीततगत तनणतयों की गोपनीय एिं महत्त्िपूणत सूचना की अपको जानकारी तमलती है।
आन तनणतयों के भिन एिं तनमातण ईद्योग पर दूरगामी प्रभाि पड़ सकते हैं। यक्रद भिन

तनमातताओं को पहले ही यह जानकारी तमल जाती है, तो िे ईससे बड़े लाभ ईठा सकते हैं।

तनमातताओं में से एक ऐसा है तजसने सरकार के तलए ऄच्छी गुणित्ता का काफ़ी काम क्रकया है
और िह अपके असन्न िररष्ठ ऄतधकारी का घतनष्ठ है तजन्होंने अपको ईि सूचना का ईस
तनमातता को ऄनािृत करने के तलए संकेत भी क्रदया है।

(a) अपके पास क्या-क्या तिकल्प ईपलब्ध हैं?

(b) प्रत्येक तिकल्प का मूल्यांकन करके बताआए क्रक अप कौन-सा तिकल्प चुनेंगे। ईसके

कारण भी बताआए।

3. एक जन सूचना ऄतधकारी (PIO) को सूचना का ऄतधकार (RTI) ऄतधतनयम के ऄंतगतत एक

अिेदन तमलता है। सूचना एकत्र करने के बाद ईसे पता चलता है क्रक िह सूचना स्ियं ईसी के

द्वारा तलए गए कु छ तनणतयों से सम्बतन्धत है, जो पूणरू


त प से सही नहीं थे। आन तनणतयों में ऄन्य

कमतचारी भी सहभागी थे। सूचना प्रकट होने पर स्ियं ईसके तथा ईसके ऄन्य तमत्रों के तिरुद्ध

ऄनुशासतनक कायतिाही हो सकती है, तजसमें दंड भी संभातित है। सूचना प्रकट न करने या

अंतशक या छद्मािररत सूचना ईपलब्ध कराने पर कम दंड या दंड-मुति भी तमल सकती है।

PIO ऄन्यथा एक इमानदार ि कततव्यतनष्ठ व्यति है पर यह तितशष्ट तनणतय, तजसके सम्बन्ध में

RTI अिेदन क्रदया गया है, गलत तनकला। िह ऄतधकारी अपके पास सलाह के तलए अया है।

नीचे सुझािों के कु छ तिकल्प क्रदए गए हैं। प्रत्येक तिकल्प का गुण-दोष के अधार पर मूल्यांकन
कीतजए :

(i) PIO आस मामलें को ऄपने ज्येष्ठ ऄतधकारी को ईसकी सलाह के तलए संदर्शभत करे और

कड़ाइ से ईसी के ऄनुसार कायतिाही करे चाहे िह स्ियं ईस सलाह से पूणत


त या सहमत न हो।

(ii) PIO छु ट्टी पर चला जाए और मामले को ऄपने ईत्तरातधकारी (कायातलय में) पर छोड़ दे

या सूचना अिेदन को क्रकसी ऄन्य PIO को स्थानान्तरण का तनिेदन करे ।

(iii) PIO सच्चाइ के साथ सूचना प्रकट करने ि ऄपनी जीतिका पर ईसके प्रभाि पर मनन

करके आस भांतत ईत्तर दे तजससे िह या ईसकी जीतिका पर जोतखम न अए पर साथ ही


सूचना की ऄन्तितस्तु पर कु छ समझौता क्रकया जा सकता है।

(iv) PIO ईन सहयोतगयों, जो आस तनणतय को लेने में सहभागी थे, से परामशत करे और ईनकी

सलाह के ऄनुरूप कायतिाही करे ।


ऄतनिायत रूप से के िल ईपरोि तिकल्पों तक सीतमत न रखते हए अप ऄपनी सलाह दीतजए
और ईसके ईतचत कारण भी बताआए।

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11. सं द भत (References)
1. Website of Right to Information - http://rti.gov.in/

2. Website of central Information Commission- http://www.cic.gov.in/

3. Right to Information report – By the Second Administrative Reform

Commission

4. Institutionalizing Transparency and Accountability in Indian Governance:

Understanding the Impact of Right to Information – By Dr. Roopinder

Oberoi, Assistant Professor, Department of Political Science, University of

Delhi

5. NDSAP Report- http://www.dst.gov.in/NDSAP.pdf

6. Transparency for Inclusive Governance report- By the Global Agenda

Council on India, World Economic Forum

7. Website of Government e-Marketplace - https://gem.gov.in/aboutus

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Value Addition Material-2018


के स स्टडीज : हल करने हेतु ददशा-ननदेश

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निषय सूची
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के स स्टडीज : हल करने हेतु ददशा-ननदेश _______________________________________________________________ 3

पररचय (Introduction) ________________________________________________________________________ 3

ननणणय ननमाणण (Decision Making) _______________________________________________________________ 4

के स स्टडी: बोगोटा (कोलंनबया) में जल संकट की नस्थनत से ननपटना ____________________________________________ 7

ददए गए के स स्टडी के नलए ईत्तर की संरचना ___________________________________________________________ 11

UPSC के स स्टडी (2015) _______________________________________________________________________ 18

स्ितः/यन्त्रित सोचना (Automatic Thinking) ______________________________________________________ 19

सामानजक रूप से सोचना (Thinking Socially) ______________________________________________________ 19

मेंटल मॉडल के साथ सोचना (Thinking with Mental Models) __________________________________________ 20

निगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग द्वारा पूछे गए प्रश्न: के स स्टडीज __________________________________________ 22

निगत िषों में Vision IAS GS मेंस टेस्ट सीरीज में पूछे गए प्रश्न: के स स्टडी _____________________________________ 24

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के स स्टडीज : हल करने हे तु ददशा-ननदे श करना


(Case Studies: Handling Them the Correct Way)

*नोट : आस अलेख का ईद्देश्य निद्यार्थथयों को यह बताना नहीं है दक दकसी ददए गए के स स्टडी में
ईनचत ननणणय क्या है। ऄनपतु आस अलेख का ईद्देश्य निद्यार्थथयों को के स स्टडी का एक तार्ककक और
संरनचत तरीके से ईत्तर देने में सहायता करना है तादक तकण संगत सुसंगतता बनी रहे तथा प्रश्न का कोइ
भी भाग ऄनुत्तररत न रहे। के स स्टडी के ईत्तर में न के िल समाधान प्रदान दकए जाने की अिश्यकता
होती है बनकक यह भी व्याख्या दकए जाने की अिश्यकता होती है दक एक तकण संगत ढांचे (फ्रेमिकण ) में
ऄन्त्य निककपों की तुलना में ऄमुक निककप बेहतर क्यों है। यह अलेख ईस तकण संगत ढांचे को निकनसत
करने में निद्यार्थथयों की सहायता करे गा तथा सम्भितः के स स्टडी का शीघ्रतापूिक
ण और सही तरीके से
ईत्तर देने में ईनका मागणदशणन भी करे गा।

पररचय (Introduction)

लोगों को समय-समय पर करिन निककपों का सामना करना पड़ता है। दकसी व्यनि के नलए एक
मोबाआल फोन का चयन करना एक करिन निककप हो सकता है, परन्त्तु आसके नननहताथण व्यनिगत स्तर
तक ही सीनमत होते हैं। नीनतगत मामले, जैसे दक कु छ सेिाओं का लाभ ईिाने हेतु अधार काडण को

ऄननिायण बनाया जाए ऄथिा नहीं, करिन ननणणय होते हैं, नजनके निशाल जनसंख्या के नलए व्यापक
नननहताथण होते हैं। हो सकता है दक अपके द्वारा चुना गया एक मोबाआल फ़ोन दूसरे मोबाआल फ़ोन की
तुलना में सभी पहलुओं के मामले में ऄननिायण रूप से बेहतर नहीं हो, परन्त्तु यहााँ एक तकण संगत
स्पष्टीकरण होना चानहए दक ऄन्त्यों की बजाए आसका चयन क्यों दकया गया है। एक लोक सेिक के रूप
में अपसे व्यापक प्रभािकारी ननणणय लेने की ऄपेक्षा की जाएगी। अपको शीघ्रता से ननणणय ननमाणण के
योग्य होना चानहए जो न्त्यायोनचत और ननष्पक्ष हो साथ ही निनध एिं नीनतगत रूप से भी सही हो।
नििेक और तार्कककता एक न्त्यायोनचत और ननष्पक्ष ननणणय के नलए अिश्यक हैं। अपको ईपलब्ध
निककपों के गुण और दोषों का निश्लेषण करने में समथण होना चानहए और तब ऄपने ननणणय के रूप में
ईनमें से सिोत्तम निककप को प्रस्तुत करना चानहए।
परीक्षा में के स स्टडी सामान्त्यत: अपसे एक नननित नस्थनत में कायण करने की ऄपेक्षा करते हैं। साथ ही
आसमें ऄन्त्य नहतधारक भी सनम्मनलत होते हैं। दकसी पररनस्थनत में शानमल प्रत्येक व्यनि या
संस्था/ननकाय के निनभन्न ईद्देश्य और प्रयोजन होते हैं नजन्त्हें िे संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं। ईनके
ऄपने व्यापक नहत और प्राथनमकताएं होती हैं। कइ बार आन नहतों में अपसी संघषण की नस्थनत भी ईत्पन्न
हो जाती है।
नैनतक मुद्दों से संबंनधत चचाणएाँ प्राय: ईन पररनस्थतयों द्वारा संचानलत होती हैं जो ईनचत कायण करने के
ननधाणरण में हमारी योग्यताओं के समक्ष चुनौनतयााँ ईत्पन्न करती हैं। हमसे नैनतक ननणणय लेने की ऄपेक्षा
की जाती है जो आतने सरल और स्पष्ट नहीं होते या ऐसी रणनीनत को प्रदर्थशत करने िाले नहीं होते जो
भनिष्य में नैनतक बाधाओं को न्त्यन
ू तम करते हों।
चूंदक प्रत्येक के स स्टडी स्ियं में ऄनद्वतीय होता है, ऄत: ईनका प्रभािी रूप से ईत्तर देने हेतु हम एक
सुव्यिनस्थत दृनष्टकोण का प्रयोग कर सकते हैं। ईत्तर देने हेतु एक ढांचे (फ्रेमिकण ) की चचाण नीचे की गइ
है जो नैनतक और व्यािहाररक समाधान तक पहंचने तथा ईन्त्हें स्पष्ट ऄथों में प्रस्तुत करने में अपकी
सहायता करे गा।
निश्लेषण हेतु फ्रेमिकण (Framework for Analysis)
के स स्टडी एक ऐसी नस्थनत प्रस्तुत करता है नजसमें कु छ नैनतक दुनिधाएं नननहत होती हैं। एक नैनतक
दुनिधा में दो संभानित निककप शानमल होते हैं नजनमें से कोइ भी सुस्पष्ट रूप से स्िीकायण ऄथिा
ऄनधमान्त्य नहीं होता। ईदाहरणाथण- यह भलीभांनत जानते हए दक यदद मैं सड़क दुघणटना में दकसी व्यनि

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की सहायता करता हाँ तो पुनलस द्वारा For


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गहन पूछताछ की जाएगी जो दक मेरे नलए एक कष्टदायी
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ऄनुभि होगा, मुझे क्या करना चानहए? यदद के िल यही प्रश्न ‘पूछा गया’ है (जैसे दक पेपर IV में एक
के स स्टडी) तो हम ऄत्यनधक नैनतक तरीके से आसका ईत्तर दे सकते हैं, हालााँदक िास्तनिक नस्थनत में
हमारी प्रनतदिया ऄनधक स्िाथणपण
ू ण हो सकती है। घायल व्यनि को ऄस्पताल ले जाने से ईसके जीिन
को बचाया जा सकता है और यह सबसे ऄनधक महत्िपूणण होना चानहए। परन्त्तु यह ऄनुभि करते हए
दक मुझे आसके बाद पुनलस के द्वारा ईत्पीड़ण का सामना करना पड़ सकता है मैं ऄपना निचार बदल
सकता हाँ। मैं स्ियं को यह निश्वास ददलाने का प्रयत्न कर सकता हाँ दक कोइ ऄन्त्य व्यनि ईसे ऄस्पताल ले
जा सकता है तथा यह निचार मुझे ऄपने कतणव्य से निमुख होने का प्रयास कर सकता है। निनभन्न
निककपों में से कोइ भी एक सुस्पष्ट रूप से स्िीकायण नहीं होते और ये निककप कु छ दोषों से युि होते हैं।
एक संपूणण और तार्ककक समाधान हेतु आन दोषों की पहचान करना ऄत्यंत महत्िपूणण हो जाता है। यह
ऄत्यािश्यक है क्योंदक एक लोक सेिक के रूप में अपसे एक पररनस्थनत को सम्पूणत
ण ा से ननपटने की
ऄपेक्षा की जाती है। दकसी व्यनि से यह जानने की ऄपेक्षा की जाएगी दक ईसके ईत्तरदानयत्ि क्या हैं
और साथ ही साथ ईनके ननिणहन करने हेतु क्या ईसके पास पयाणप्त शनि और प्रानधकार हैं?
आसी प्रकार, लोक सेिा में भ्रष्टाचार का साक्षी एक इमानदार कमणचारी नहहसल ब्लोविग के माध्यम से
दुष्कृ त्यों को ईजागर करने हेतु बाध्य हो सकता है, परन्त्तु यह निचार ईसके कररयर को खतरे में डाल

सकता है। िह दबाि के अगे झुक सकता है जो ईसके कररयर प्रोन्नयन में लाभप्रद हो सकता है, परन्त्तु
यह अंतररक मतभेद ईत्पन्न करे गा। भ्रष्टाचार समाज के साथ ही ऄथणव्यिस्था के नलए भी एक रोग की
भांनत है। सामान्त्यतया यह सिणर व्याप्त है। हालााँदक आसे ऄथणव्यिस्था के कु शल संचालन हेतु ऄननिायणता
के रूप में स्िीकार दकया गया है (नद्वतीय प्रशासननक सुधार अयोग के ऄनुसार)। क्या एक लोक सेिक के
नलए भ्रष्टाचार की घटनाओं की आस प्रकार ऄनदेखी करना पयाणप्त रूप से औनचत्यपूणण हो सकता है?
सिणथा नहीं।
ऄब चूदं क ऄनधकांश निद्याथी आन गुणों और दोषों को पहचानते हैं। तो ऐसे प्रश्न यह है दक ऄपने ईत्तर
को प्रस्तुत करने का सही तरीका क्या हो सकता है?

ननणण य ननमाण ण (Decision Making)

सिणप्रथम यह पहचान करना अिश्यक होता है दक के स स्टडी प्राथनमक रूप से ननम्ननलनखत दो पहलुओं
की जांच करती हैं:
1. दकसी मुद्दे के बारे में अपकी जागरूकता तथा आस संबंध में अपकी शनियों एिं कतणव्यों और
िहां पूिण निद्यमान ननयमों की जानकारी, तथा
2. अप दकस प्रकार तार्कककता के साथ ऄपनी दलीलें प्रस्तुत करते हैं।
तकण (logic) एिं दलीलों (arguments) के महत्ि को नीनतशास्त्र में कम करके नहीं अंका जा सकता
है। नजसने भी आस परीक्षा (नसनिल सेिा परीक्षा) की संपूणण रूप से तैयारी की है, ईस व्यनि को दी गइ
के स स्टडी में क्या ऄ्छा करना है (The Right to do), आसका कु छ ज्ञान ऄिश्य होता है। दफर भी
ऄभ्यर्थथयों के प्राप्तांक ईच्च नभन्नता को दशाणते हैं। तकण एिं प्रस्तुतीकरण के मध्य ऄंतर नननहत होता है।
लगभग सभी व्यनि दुघणटनाग्रस्त पीनड़त (ईपरोि िर्थणत) की सहायता करना चाहते हैं। परं तु कोइ भी
आस बात का िणणन नहीं करता दक ऐसी पररनस्थनत में क्या कदम ईिाए जाने की अिश्यकता है। अपके
द्वारा यह भी समझाया जाना चानहए दक अपने ऄमुक कायणिाही (course of action) का चयन क्यों
दकया है, ऄन्त्य मौजूदा निककपों का क्यों नहीं।

आसके ऄनतररि, एक नसनिल सेिक द्वारा सामना की जाने िाली लगभग सभी नस्थनतयों के नलए कु छ

दृष्टांत ऄिश्य होते हैं। ऄनधकांश समय, ऐसे कु छ ननयम होते हैं जो ईनकी कायणिाही को ननदेनशत करते

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हैं। के िल कु छेक मुद्दों में ही नििेक का प्रयोग दकया जाना चानहए। के स स्टडी िैसी समस्याओं को प्रकट
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करते हैं जहां तथ्यों, ननयमों, तकों एिं मूकयों पर अधाररत स्ियं द्वारा नलए गए ननणणय हेतु दलील
प्रस्तुत करना होता है। अपके ननणणयन हेतु दलीलों को एक न्त्यायसंगत ढांचे के ऄंतगणत होना चानहए।
आस प्रकार के न्त्यायसंगत ढांचे के नलए न के िल अपके ऄनधकार, कतणव्यों एिं ईत्तरदानयत्िों बनकक
अपके प्रानधकार की भी अिश्यकता होती है। लोक ननमाणण निभाग में कायणरत एक आंजीननयर एक
पुनलस ऄनधकारी या नजला मनजस्रेट नहीं हो सकता है। एक सामान्त्य व्यनि दकसी ऄन्त्य व्यनि को
अदेश नहीं दे सकता है। एक नजला मनजस्रेट नीनत-ननमाणण नहीं कर सकता है।
“िकडण डेिलपमेंट ररपोटण 2015: माआं ड, सोसाआटी एंड नबहेनियर” ननणणय-ननमाणण के ननम्ननलनखत तीन
महत्िपूणण नसद्ांतों को रे खांदकत करती है:
1. स्ितः/यन्त्रित सोचना (Thinking Automatically): ऄनधकांश मानिीय सोच

स्ितः/यन्त्रित होती है और जो कु छ भी नबना िोस प्रयास के मनस्तष्क में अता है, यह ईसी
पर ननभणर करती है।
2. सामानजक रूप से सोचना (Thinking socially): लोग ननतांत सामानजक होते हैं और
सामानजक नेटिकों एिं मानदंडों से प्रभानित होते हैं।
3. मेंटल मॉडल (माननसक अदशण) के साथ सोचना (Thinking with mental models):

ऄनधकांश लोग निीन नसद्ांतों की खोज नहीं करते हैं, बनकक िे ऄपने ऄनुभिों की व्याख्या
करने हेतु स्ियं के समाज द्वारा धाररत मेंटल मॉडल एिं साझा आनतहास का ईपयोग करते हैं।
दकसी ननणणय तक पहाँचने हेतु ननणणय-ननमाणण का कोइ भी मॉडल पयाणप्त नहीं है। यदद कोइ व्यनि िाहन
चला रहा है तो ईसे त्िररत एिं सहज ननणणयन की अिश्यकता होती है। परं तु यदद कोइ नसनिल सेिक
नीनत-ननमाणण हेतु ईत्तरदायी है, तो ईसे नभन्न-नभन्न पहलुओं के ऄनुरूप कायण करना होगा, जैसे दक-

ईद्देश्यों की िांछनीयता, सनम्मनलत लागत- नित्तीय के साथ-साथ सामानजक एिं पयाणिरणीय,

दुष्प्रभाि- आन्छत और ऄनपेनक्षत तथा फीडबैक ि सुधार के नलए गुज


ं ाआश आत्यादद। आसके ऄनतररि,
व्यनि द्वारा ऄंतर्थननहत पूिाणग्रहों की पहचान की जानी चानहए जो दकसी ननणणयन में ऄिरोध ईत्पन्न कर
सकते हैं। ये मानदंडों के रूप में हो सकते हैं, नजन्त्हें तथ्यात्मक एिं ऄनुकलंघनीय माना जा सकता हैं।
ईदाहरणाथण- नशक्षा संबंधी नीनत-ननमाणण करते समय आस बात पर निचार दकया जा सकता है दक सभी
छारों को एक-समान नशक्षा प्रदान करने से समान लर्ननग अईटकम ही प्राप्त होंगे- जो शायद ही पूिण में
कभी घरटत हअ हो। ऄतः के िल ऄिसंरचना एिं नशक्षक की गुणित्ता पर ध्यान कें दित करने से कम
सीखने (low learning) संबंधी मानकों की समस्या को समाप्त नहीं दकया जा सकता है। आससे नननित

तौर पर सुधार करने में सहायता नमलेगी, परं तु साथ-साथ छारों की सीखने की क्षमताओं पर भी
निचार दकया जाना चानहए और छारों को ईनकी योग्यता के ऄनुसार एिं पसंदीदा क्षेर में ईत्कृ ष्टता
प्राप्त करने हेतु पयाणप्त ऄिसर प्रदान दकए जाने चानहए। आसनलए, निनभन्न पररनस्थनतयों को ध्यान में
रखने ऄथिा ईनपर निचार करने से बेहतर मेंटल मॉडल को निकनसत करने में सहायता नमल सकती है।
के स स्टडी का ईत्तर नलखते समय, व्यनि को एक नसनिल सेिक के मेंटल मॉडल को ऄपनाना चानहए।

िह मेंटल मॉडल क्या है?

एक के स स्टडी नननित रूप से व्यनि द्वारा नलए जाने िाले ननणणयों की श्ृंखला होती हैं। आस प्रकार,

आसके माध्यम से ऄभ्यथी को एक नननित भूनमका, नजम्मेदारी और शनि प्रदान की जाती है। ऄतः ईत्तर
देने के दौरान ऄभ्यथी को निनभन्न दृनष्टकोणों से सोचने में सक्षम होना चानहए।

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सिणप्रथम, अप एक तार्ककक एिं वचतनशील व्यनि हैं- तो प्रदत्त पररनस्थनत में अपकी मान्त्यताएं एिं

प्राथनमकताएं क्या होंगी?

दूसरा, अप एक िररष्ठ नसनिल सेिक हैं (ऄनधकांश मामलों में या दफर स्ियं को ईनके जैसा मान सकते

हैं, ऄतः ईस प्रकार की गुणित्ता अपके ईत्तर में प्रनतवबनबत होनी चानहए) नजसकी ननष्ठा सिणप्रथम

भारत के संनिधान तथा निनभन्न कानूनों एिं ननयमों के प्रनत होनी चानहए। व्यनि को सरकार द्वारा
ननधाणररत एजेंडे के ननिणहन हेतु कतणव्यबद् होना चानहए, परन्त्तु यदद ददए गए अदेश संनिधान / कानून /

ननयमों के निरुद् हैं, तो नसनिल सेिक द्वारा स्ियं आनका ननिणहन न करने के ऄनतररि ऄपने निनधक-

तार्ककक दायरे के ऄंतगणत दकसी ऄन्त्य के द्वारा भी आनका ननिणहन करने से रोकने का प्रयास करना
चानहए।
तीसरा, दी गइ नस्थनत में भी अप एक नेता हैं, नजसका ईत्तरदानयत्ि ईनचत कायण करना, ऄपनी टीम

हेतु ननधाणररत लक्ष्यों की प्रानप्त और अपके कायों के प्रनत जिाबदेह होना है। जिाबदेही न के िल सरकार
(राजनीनतक कायणकारी) बनकक न्त्यायपानलका के साथ-साथ लोगों के प्रनत भी होनी चानहए। आस करिन
परीक्षा प्रदिया का ईद्देश्य यह जांच करना है दक क्या कोइ व्यनि ननधाणररत लक्ष्यों की प्रानप्त को
सुनननित करने के साथ-साथ दबाियुि पररनस्थनत में ननणणय लेने तथा न्त्यायसंगत एिं ननष्पक्ष रूप से
शनियों का प्रयोग करने हेतु ईपयुि है ऄथिा नहीं।

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के स स्टडी: बोगोटा (कोलं नबया) में जल सं क ट की नस्थनत से


ननपटना
(Case Study: Dealing with a water emergency in Bogota, Columbia)
आस पररनस्थनत से ननपटने के तरीके से यह स्पष्ट होता है दक दकस प्रकार नीनतगत दृनष्टकोण सहकारी
व्यिहार को कमजोर एिं साथ ही साथ सशि कर सकता है।
िषण 1997 में, शहर में जलापूर्थत करने िाली पाआपलाआन के फट जाने से जल ऄभाि की अपातकालीन
नस्थनत ईत्पन्न हो गयी थी। स्थानीय सरकार ने सिणप्रथम सािणजननक अपातकाल की घोषणा की और
स्थानीय लोगों को अगामी संकट से ऄिगत कराने हेतु एक संचार कायणिम प्रारं भ दकया। हालांदक आस
कदम का ईद्देश्य जल संरक्षण को बढ़ािा देना था, परन्त्तु आसके पररणामस्िरूप जल के ईपभोग एिं
संग्रहण दोनों में िृनद् हइ। समस्या की पहचान करते हए स्थानीय सरकार ने ऄपनी संचार रणनीनत को
पररिर्थतत दकया। लोगों को सबसे प्रभािी संरक्षण ईपायों के बारे में नशनक्षत करने हेतु स्ियंसेिक ननयुि
दकए गए और दैननक जल ईपभोग संबंधी अंकड़ों का प्रकाशन अरं भ दकया गया। साथ ही संरक्षण
संबंधी प्रयासों में सहयोग करने और नहीं करने िाले लोगों के नाम भी ईजागर दकये गए। एक
टेलीनिजन निज्ञापन में महापौर ऄपनी पत्नी के साथ स्नान करते हए ददखाए गए नजसका ईद्देश्य यह
प्रदर्थशत करना था दक साबुन लगाते समय नल को बंद दकया जाना चानहए और साथ ही यह दम्पनतयों
को एक साथ स्नान करने का भी सुझाि ददया गया। आस प्रकार की रणनीनतयों ने सहयोग को ऄत्यनधक
सुदढ़ृ दकया और पाआपलाआन की मरम्मत के पिात भी दीघाणिनध तक जल के ईपयोग में कमी बनी
रही।
आस के स स्टडी का ईद्देश्य छार को समस्या के निनभन्न अयामों से ऄिगत कराना, दकसी कायणिाही की

संभानित चुनौनतयां क्या हो सकती हैं, ईन पर निचार करना, आसके साथ ही प्रत्येक निचार की खानमयों
की पहचान करना एिं कारण िाइ में सुधार करना सनम्मनलत है।
ईत्तर की संरचना (Structure of the Answer)

के स स्टडीज दकसी भी क्षेर, यथा- प्रशासननक, निज्ञान/नचदकत्सा, खेल, कॉपोरे ट आत्यादद से हो सकती

हैं। हालांदक, आसमें नहतों के संघषण का होना सामान्त्य बात है नजसका ननणणय ननमाणणकताण द्वारा सामना

दकया जाता है और ऄनधकांश समय अपको एक निककप का चयन करना पड़ता है। प्रश्न-पर में, या तो

संभानित निककपों की एक सूची होती है, नजनमें से प्रत्येक का मूकयांकन ईनके गुणों एिं दोषों के अधार
पर करना होता है या पहले स्ियं निककपों का ननमाणण करना होता है और तत्पिात ईनके गुणों एिं
दोषों का मूकयांकन करना होता है। ऄंत में, कायणिाही की एक तार्ककक योजना प्रस्तुत करनी होती है।
हम शुरुअत में यह स्पष्ट करना चाहते हैं दक के स-स्टडी की कोइ भी संरचना पूणत
ण या सही नहीं होती है।
निनभन्न लोग ऄपनी-ऄपनी सुनिधा के ऄनुसार निनभन्न निनधयों का प्रयोग करते हैं और पूणत
ण ः ननष्पक्ष
रहते हैं। आससे सम्बंनधत कोइ ईत्तर या ईत्तर प्रारूप अदशण नहीं होता है। िास्ति में, नीनतशास्त्र के प्रश्न-
पर में समय की बाधा के कारण एक अदशण ईत्तर नलखने की सम्भािना काफी संकुनचत हो जाती है।
हालांदक, ऄभ्यास और स्माटणनेस के साथ, दकसी भी के स स्टडी को रुरटहीन तरीके से हल दकया जा

सकता है। कु छ सिोत्तम ऄभ्यास हैं, नजनका पालन दकया जा सकता है, ईदाहरण के नलए:

 सामान्त्य दुनिधाओं, संघषों/द्वंद्वों, मूकयों और दृष्टांतो की पूि-ण स्मृनत अधाररत सूची रखने के
साथ अप ईत्तर की पुनरण चना शीघ्रता से कर सकते हैं।
 ईत्तर में एक तार्ककक प्रिाह को बनाए रखना - यह कम समय में एक तकण संगत समाधान पर
पहंचने में सहायता करता है।

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 दुनिधाओं के समाधान हेतु निनभन्न तरीकों के गुणों एिं दोषों की पहचान करना। के िल दोषों
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की पहचान करने के पिात् ही आनका िास्ति में समाधान दकया जा सकता है। यह ईत्तर का
तकण संगत पहलू है। यहां कोइ व्यनि ईन नसद्ांतों और मूकयों की सापेक्ष िरीयता प्रदर्थशत कर
सकता है नजन्त्हें दकसी नस्थनत को संभालने के नलए िह ईपयोग करता है।
ईत्तर की ऄ्छी संरचना क्या होनी चानहए? यह के स स्टडी के प्रारूप पर ननभणर करता है। यहां हम एक
निस्तृत प्रकार के के स स्टडी पर निचार कर रहे हैं नजसमें अपको (लेखक) ननणणय ननमाणणकताण की
भूनमका दी गइ है और अपको ईपलब्ध निनभन्न निककपों के बारे में नलखना है और ऄंत में ईन्त्हें गुणों
और दोषों के अधार पर चयन करना है।

एक के स स्टडी के ईत्तर की सामान्त्य संरचना:


1. प्रकरण के तथ्य;

2. निनभन्न नहतधारक एिं ईनके नहत;


3. ननणणय लेने िाले के समक्ष नैनतक दुनिधा;
4. संभानित कायणिाही, ईनके गुण एिं दोष;
5. सिोत्तम कायणिाही, ईनके गुण एिं दोष-ननिारण; तथा

6. ननष्कषण: समर्थथत मूकय, ईपार्थजत लाभ।

ईदाहरण के नलए, एक ऐसी नस्थनत का सन्त्दभण लें नजसमें लोक ननमाणण निभाग (PWD) में भती हए
एक नए आंजीननयर (यानी अप) द्वारा प्रबंधकीय स्तर पर भ्रष्ट अचरण देखा जाता है। अपको ज्ञात हअ
है दक प्रमानणत गुणित्ता की ऄपेक्षा कम गुणित्ता की सामग्री के ईपयोग के साथ-साथ ऄनैनतक तरीके से
ऄनुबध
ं प्रदान दकए गए हैं। अपको पता चला है दक यहां तक दक शीषण प्रबंधन भी भ्रष्ट अचरण में
संनलप्त है। कदाचार की जांच से संबद् ऄनधकाररयों को अपके द्वारा बार-बार प्रस्तुत की गइ ऄपील में
कोइ ददलचस्पी नहीं है और अपको सलाह दी जाती है दक अप प्रशासननक मामलों में हस्तक्षेप न करें
और चुप रहें। आस नस्थनत में अपको क्या करना चानहए?
आसका ईपशीषणक क्या होना चानहए? - ईत्तर की सामान्त्य संरचना:
1. प्रकरण के तथ्यों की पहचान करना: यह कायण बहत महत्िपूणण है, क्योंदक यह पूिाणग्रहों और
रूदढ़िाददता से तथ्यों को ऄलग करने में सहायता करता है जो हमारे मनस्तष्क में निद्यमान हो सकते हैं।
कइ बार, जब हम ऐसे प्रश्न में 'राजनेता' शब्द का प्रयोग होते देखते हैं, तब हमारे ऄंदर ईनके साथ भ्रष्ट

ऄभ्यासों को जोड़ने की प्रिृनत्त निद्यमान हो सकती है। हालांदक, यदद के स स्टडी में ईनके द्वारा दकए गए
दकसी ऄनुनचत कायण का ईकलेख नहीं दकया गया है, तो हम आसे सत्य नहीं मान सकते हैं। ऄपने ईत्तर में,
हमें अशािादी संभािना का पता लगाना चानहए- परन्त्तु यह एक संभािना है, कोइ तथ्य नहीं।
2. पररनस्थनत से जुड़े नहतधारकों एिं ईनके नहतों की पहचान करना: यह कायण निनभन्न लोगों (स्ियं
सनहत) या संस्थानों को पहचानने में सहायता करता है जो दकसी भी कायणिाही की दशा में प्रभानित
होंगे। आन लोगों के प्रायः नभन्न-नभन्न दकन्त्तु कभी-कभी साझा एिं कभी-कभी निरोधाभासी नहत होते हैं।
यद्यनप ऄंत में ननणणय पूणत
ण ः गुणों के अधार पर नलया जाना होता है न दक व्यनिगत या दकसी समूह की
प्राथनमकताओं के अधार पर, तथानप निनभन्न नहतधारकों के नहतों की पहचान करने से नस्थनत की
व्यापकता को समझने और ऄनधक तकण संगत ननणणय लेने में सहायता नमलती है।
3. नैनतक दुनिधाओं की पहचान करना: यह के स स्टडी का मुख्य पहलू है। नैनतक दुनिधा एक ऐसी
नस्थनत है जहााँ दो कायणिानहयों के मध्य दकसी एक का चयन करना करिन होता है तथा नजनमें से प्रत्येक

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दकसी नैनतक नसद्ांत के ईकलंघन को For


ऄपररहायण बना देता है। यह दो संभि नैनतक ऄननिायणताओं के
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मध्य ननणणय ननमाणण की एक समस्या है, नजनमें से कोइ भी स्पष्ट रूप से स्िीकायण या बेहतर नहीं है।
ईदाहरण के नलए, एक सैननक को नैनतक दुनिधा का सामना करना पड़ सकता है: हमलें के दौरान ऄपने
नपता के जीिन को बचाने के नलए ऄपने कतणव्य को छोड़े या ऄपने कतणव्य का पालन करें ?

एक बार जब हम निनभन्न नहतधारकों और ईनके नहतों की पहचान कर लेते हैं, तो दुनिधा की पहचान
करना असान हो जाता है - मुझे X कायण करना चानहए या Y, क्या मुझे B मूकय की तुलना में A मूकय
को ऄनधक िरीयता देनी चानहए, या मुझे व्यनि 1 को लाभ देना चानहए या 2 को? ऐसे निककपों में से

कोइ भी एक स्पष्ट रूप से सही नहीं होता है, परन्त्तु आन निककपों मे से एक का चयन करना अिश्यक
होता है तथा चयन के पीछे नननहत तकण को स्पष्ट करना भी अिश्यक होता है।
कृ पया ध्यान दीनजए- दकसी भी नैनतक दुनिधा को मूकयों के संघषण के रूप में प्रस्तुत दकया जाना चानहए
न दक कायणिाही के पररणामी संघषण के रूप में, ऄथाणत् X (जो मूकय A को िरीयता देने का पररणाम है)

बनाम Y (जो मूकय B का पररणाम है) करने के बजाय मूकय B बनाम मूकय A को िरीयता देना।
ईपयुणि िर्थणत सैननक की पररनस्थनत में, आसका मतलब यह होगा दक यहााँ नैनतक दुनिधा िस्तुतः पेशेिर
कतणव्य बनाम व्यनिगत ईत्तरदानयत्ि के मध्य है न दक ऄपने नपता की सहायता करने बनाम ऄपने पद
पर बने रहने के मध्य। जब हम कायणिाही के बारे में नलखते हैं, तो समस्या नििरण में पहले से मौजूद
तथ्य को दोहराते हैं।
4. कायणिाही की निनभन्न योजनाओं, ईनके गुणों एिं दोषों की पहचान करना: एक बार जब हम

दुनिधाओं को सूचीबद् करने में सक्षम हो जाते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है दक हम कौन-सी संभानित
कायणिाही का चयन करें गे। साधारण शब्दों में, यह दूसरे मूकयों की तुलना में एक निशेष मूकय और
पररणामी कायणिाही को ईच्च प्राथनमकता देना है। यदद हम ईपयुणि िम का पालन करने और नैनतक
दुनिधाओं की पहचान कर पाने में सक्षम हो जाते हैं तो सूरबद् कायणिाही को तैयार करना असान हो
जाता है।
गुणों और दोषों को नलखते समय, छारों को सलाह दी जाती है दक िे पररणामों (यानी घटनाओं) के
साथ-साथ मूकयों पर भी ध्यान कें दित करें । ये पररणाम िो नहीं होते जो ईस के स स्टडी में ददए गए हैं,
ऄनपतु ये ऐसी घटनाएाँ होती हैं, नजनके तब घरटत होने की ईच्च संभािना होती है जब अप एक निशेष
कायणिाही का चयन कर लेते हैं सैननक के मामले में, कतणव्य के ननिणहन संबंधी निककप का चयन करना
िस्तुतः शरु के निफल होने तथा राष्ट्र की रक्षा करने की ईच्च संभािना को प्रदर्थशत करता है तथा
देशभनि को सिोच्च गुण के रूप में प्रनतनबनम्बत करता है और यह कतणव्य के प्रनत प्रनतबद्ता की भािना
को भी दशाणता है। आस मामले में दोष यह है दक ईस सैननक के नपता के जीिन की हानन की सम्भािना
हो सकती है, नजसके साथ अजीिन नपता के प्रनत ऄपने ईत्तरदानयत्ि का ननिणहन न करने का अंतररक
ऄनप्रय बोध सदैि बना रहेगा।
कु छ भी नहीं करना या पद से आस्तीफा देना भी एक ननणणय है जो कइ छार ईत्तर में नलखते हैं। यह कोइ
नैनतक ननणणय नहीं है क्योंदक यह पररनस्थनत का समाधान नहीं करता है, ऄनपतु आससे के िल पररणामों
में निलम्ब होगा, अंतररक निसंगनतयां ईत्पन्न होंगी। पुनः यह चयन एक कमजोर ि स्िाथी व्यनित्ि को
दशाणता है।
5. ननणणय ननमाणण- कायणिाही की पहचान करना: एक बार जब हम ददए गए ऄथिा सूरबद् (ननरुनपत)

कायणिानहयों के गुणों और दोषों की पहचान कर लेते हैं, तो ये हमें ददशा प्रदान करते हैं दक दकन

कायणिानहयों का चयन दकया जाए। एक बार हमारे द्वारा दकसी योजना का चयन कर नलया जाता है,

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नजसे हम सही मानते हैं, तो यह अिश्यक है दक हम आसके दोषों का समाधान करें । एक नसनिल सेिक

के रूप में, अपसे न के िल सही काम करने की ईम्मीद की जाएगी, बनकक ईत्पन्न होने िाली रुरटयों को

सीनमत करने की भी ईम्मीद की जाएगी। अप, ऄपने द्वारा नलए गए ननणणय हेतु लोगों के साथ-साथ

सरकार, न्त्यायपानलका और ऄपने िररष्ठ ऄनधकाररयों के प्रनत ईत्तरदायी होते हैं। अपसे निनभन्न
निद्यमान संभािनाओं में से चयननत ननणणय के संदभण में जानकारी होने एिं आसकी व्याख्या की ऄपेक्षा
की जाती है। क्या अपका ननणणय ईनचत प्रदिया के माध्यम से दकया गया है या यह मनमाने ढंग या
स्िे्छा से दकया गया है? क्या यह तटस्थता, िस्तुननष्ठता और ननष्पक्षता के नसद्ांतों पर अधाररत है

या क्या यह पूिाणग्रहों पर अधाररत है? आसके ऄनतररि, भले ही यह सभी ननयमों और निननयमों को

पूरा करता हो, दफर भी यहााँ यह प्रश्न अएगा दक क्या आसके कु छ दोष या हानन हैं? अप दोषों और

हाननयों को कम करने की योजना कै से बनाते हैं? जब अप ऄपने ननणणय की व्याख्या कर रहे होते हैं तो
यह सभी जानकारी अिश्यक है।
6. ननष्कषण: नननहत मूकयों को प्रदर्थशत करने के साथ ईत्तर को समाप्त करना ईपयुि है। छार ननधाणररत

मूकयों के बारे में कु छ पंनियां जोड़ सकते हैं - संिैधाननक और नसनिल सेिा मूकय, जैस-े सहानुभनू त,

सािणजननक सेिा के प्रनत समपणण, बंधुता, करिन पररनस्थनतयों में नेतृत्ि, संिेदनशीलता और ऄन्त्य
संस्कृ नतयों के प्रनत लगाि अदद।

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ददए गए के स स्टडी के नलए ईत्तर की सं र चना


(Structure of answer for the given case study)
1. प्रकरण से सम्बनन्त्धत तथ्य:
(a) कॉन्त्रैक्ट (ऄनुबंध) प्रदान करने और कम गुणित्ता िाली सामग्री के प्रयोग में PWD में
भ्रष्टाचार व्याप्त है।
(b) शीषण प्रबंधन भी आसमें शानमल है।
(c) ईसकी (आंजीननयर) नशकायतें सुनी नहीं जा रही हैं और ईसे आस मुद्दे पर चुप रहने के नलए
कहा गया है।
2. प्रमुख नहतधारक और ईनके नहत:
(a) स्ियं (आंजीननयर): एक इमानदार और स्िस्थ पररिेश में काम करने के साथ ऄपनी
अजीनिका के संिधणन के साथ-साथ पररयोजनाओं में अिश्यक गुणित्ता मानकों को बनाए
रखना। साथ ही, आसके ऄलािा, नौकरी की सुरक्षा सुनननित करने संबंधी व्यनिगत नहत।
(b) िररष्ठ प्रबंधन: जो लोग कदाचार से ऄिगत हैं, िे ऄनुनचत कायों को नछपाना चाहते हैं; जो
लोग भ्रष्टाचार में नलप्त नहीं है, िे निभाग की सत्यननष्ठा को संरनक्षत करना चाहते हैं। चूंदक
के स स्टडी की भाषा से यह पररलनक्षत होता है दक िररष्ठ प्रबंधन में कु छ लोग मौजूदा भ्रष्ट
व्यिस्था को जारी रखना चाहते हैं।
(c) निभाग (PWD): निभाग/संस्था में इमानदार और सत्यननष्ठ लोगों को सनम्मनलत दकया जाना
चानहए, जो दक्षता के साथ काम कर सकते हैं। आससे समय पर पररयोजनाओं के पूणण होने और
ईनके ननमाणण के दौरान ईनचत मानकों के पालन की सम्भािना रहेगी।
3. PWD आं जीननयर द्वारा सामना की जाने िाली नैनतक दुनिधा: क्या ईसे सािणजननक नहतों की
ऄिहेलना करनी चानहए या िह प्रत्यक्षतः व्यनिगत प्रनतरोध के माध्यम से भ्रष्ट अचरण को समाप्त
करने का प्रयास कर सकता है? जब ईसे पता चलता है दक प्रशासननक शनियों का दुरुपयोग दकया
जा रहा है, क्या ईसे भ्रष्ट अचरण को ईजागर करना चानहए या चुप रहना चानहए ? संभानित
दुनिधाओं में शानमल हैं:
(a) मूकयों का समथणन करना या ऄपने कररयर को बनाए रखने के नलए व्यनिगत नहतों के साथ
समझौता करना।
(b) िररष्ठों के ननदेशों का पालन करना या ऄपने ननजी मूकयों का पालन करना।
(c) यदद िह भ्रष्टाचार को छु पाता है, तो यह लोक पद के साथ निश्वासघात होगा। आसके ऄलािा,
यह संज्ञानात्मक निसंगनत ईत्पन्न कर सकता है, जहााँ िह आसमें नहस्सा होने के कारण ननरं तर
ऄपराधबोध से ग्रस्त रहेगा।
4. आं जीननयर के समक्ष निककप: आं जीननयर (मनहला/पुरुष) के समक्ष मौजूद प्रलोभन ईसे नननित
तरीके से कायण करने के नलए प्रोत्सानहत कर सकते हैं। ये तरीके ननम्न हो सकते हैं:
(a) भ्रष्टाचार का नहस्सा बन जाना: कोइ ऐसा ऄपराध करना जो सजा/दंड अकर्थषत करता है िह
कभी भी तकण संगत निककप नहीं हो सकता है। पुनः यह दी गइ पररनस्थनतयों में चररर एिं
आ्छा शनि का परीक्षण भी होता है।
गुण: आससे अर्थथक लाभ व्युत्पन्न होंगे तथा साथ ही आससे िररष्ठ प्रबंधन के साथ संबंधों के
मजबूत होने से भनिष्य में कररयर की प्रगनत में सहायता नमलेगी।
दोष: ऄिैध होने के ऄनतररि स्पष्ट रूप से गलत होने पर सदैि फायदा ही हो यह अिश्यक
नहीं है। ितणमान समय में ईत्तरदानयत्ि में िृनद् होने से भ्रष्ट अचरण असानी से पकड़ में अ
जाते हैं। यह निभागीय कारण िाइ का मागण प्रशस्त करे गा और यहां तक दक सेिा से ऄपमाननत
कर पद्युत दकये जाने का कारण भी बन सकता है। आसके ऄलािा, पकड़े जाने की नस्थनत में,

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प्रत्येक व्यनि पहले स्ियं को बचाने का प्रयास करे गा, जबदक िह (आं जीननयर) खुद हाल ही में
भती हअ एक आं जीननयर है, ऄतः स्िाभानिक है दक ईसके िररष्ठ कमणचारी ईसे ऄपेनक्षत
समथणन न दे पाएं।
(b) निभागीय भ्रष्टाचार निरोधी ननकाय को सूनचत करना:
गुण: निभागीय चैनलों के माध्यम से भ्रष्टाचार की घटना से ननपटना पहला कदम होना
चानहए। यह सभी कमणचाररयों की जिाबदेही सुनननित करने के नलए एक तं र के रूप में कायण
करता है।
दोष: सिणप्रथम, व्यनि पर साक्ष्य प्रस्तुत करने का भार होता है। ईकलेखनीय है दक प्रमानणत
साक्ष्य के नबना दकसी पर अरोप लगाना स्ियं में ऄनैनतक तथा गैर-कानूनी है। आस अचरण से
एक निपरीत प्रनतदिया हो सकती है। दूसरा, आस बात से भी आनकार नहीं दकया जा सकता है
दक निभाग शीषण प्रबंधन से समझौता नहीं करे गा क्योंदक आसकी जानकारी शीषण प्रबंधन को
पहले से ही है और िह स्ियं भ्रष्टाचार का नहस्सा है। आसके ऄनतररि, जब अनधकाररक रूप से
नशकायत की जाती है, तो िररष्ठ प्रदशणन का मूकयांकन करने के प्रनत बहत सकारात्मक नहीं हो
सकते हैं।
(c) मीनडया को भ्रष्टाचार के बारें में नििरण ईपलब्ध कराना:
गुण: यह प्रदिया व्यनि के पहचान को गुप्त रखती है, आसनलए व्यनिगत प्रनतघात की
संभािना कम रहती है। आसके ऄलािा, मीनडया बहत प्रभािशाली है, आससे ननष्पक्ष पूछताछ
और भ्रष्ट ऄनधकाररयों को दंड ददलिाने के नलए सािणजननक दबाि ईत्पन्न करने में मदद
नमलेगी।
दोष: यह संगिन के ननयमों का ईकलंघन है और प्रदिया की ऄिहेलना करता है। एक व्यनि
दकसी भी नस्थनत में संगिन से बड़ा नहीं होता। साथ ही, निश्वसनीय जानकारी के ऄभाि में
शायद मीनडया आस मामले में बहत रूनच नहीं रखेगा और आसे एक स्िीकायण अचरण के रूप में
कम महत्ि देगा। आसके ऄनतररि, मीनडया पर भरोसा करना बहत गंभीर मुद्दा है, नजसकी
निश्वसनीयता स्ियं ऄनननित है।
5. ऄनधमान्त्य (चयननत) कायणिाही
लोक पद में निश्वास बनाए रखना पदधारक का कतणव्य है। निश्वास को कम करने िाली प्रथाओं को
बढ़ािा देना कतणव्य का पररत्याग है। दी गइ पररनस्थनत में, मैं नजस दियानिनध का चयन करूंगा,
िह है- भ्रष्ट प्रथाओं को ईजागर करना, नजससे निभाग में पुनः निश्वास बहाली का मागण प्रशस्त
होगा।
मैं सतकण ता निभाग से सम्पकण स्थानपत करूंगा तथा ईपलब्ध साक्ष्यों के साथ एक नलनखत नशकायत
दजण करूंगा। आस अधार पर मामले की जााँच-पड़ताल हेतु मैं एक ऄपील दायर करूंगा। लगाए गए
अरोपों का गंभीरता से ऄिलोकन करने हेतु जांच सनमनत का यह कतणव्य होगा दक िह मामले की
ननष्पक्षता से जााँच करे तथा एक समयबद् रीनत से ईनचत ननष्कषण पर पहंचे। मैं भी ईनके ननष्कषों
को स्िीकार करने हेतु कतणव्यबद् हाँ।
यह संभािनाएं भी हो सकती हैं दक जांच सनमनत के गिन में निलम्ब हो सकता है ऄथिा यह ईन
लोगों को शानमल कर सकती है नजनके निरुद् अरोप लगाए गए हैं। मैं ऄंनतम संतुनष्ट प्राप्त होने तक
सतकण ता निभाग के साथ ननरं तर मामले का ऄनुसरण करता रहाँगा। चरम नस्थनत में, मैं
राज्य/के न्त्िीय सतकण ता अयोग में नशकायत दजण करने तथा RTI के माध्यम से दबाि डालने पर भी
निचार कर सकता हाँ। हालांदक मुझे आस बात पर भी बल देना चानहए दक ननष्पक्ष जांच की मांग
की गइ है तथा तथाकनथत व्यनि को दोषी घोनषत करना ऄननिायण नहीं है।
जहााँ तक कररयर प्रोन्नयन का प्रश्न है तो यह ईद्देश्यपरक मानदंडों पर अधाररत ननष्पादन के
मूकयांकन द्वारा ननधाणररत होता है। निभागीय कायों में योगदान और साथ ही कायणस्थल पर
व्यिहार दोनों ही महत्िपूणण हैं। मैं एक सुदढ़ृ कायण नीनतशास्त्र को ऄपनाते हए और साथ ही एक

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सकारात्मक दियाशील पररिेश कोFor


बनाए रखते हए ईपरोि दोनों में योगदान करने का सिोत्तम
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प्रयास करूंगा।
6. ननष्कषण
ईपयुणि कारण िाइ का ऄनुपालन करने के दौरान मैंने पद के प्रनत कतणव्य और साथ ही ऄपने
व्यनिगत मूकयों का ननिणहन दकया है। यह करिनाइ के समय दृढ़ता को दशाणता है, साथ ही साहस,
ननःस्िाथणता और इमानदारी आत्यादद गुणों का भी प्रदशणन होता है। आससे दकसी भी व्यनि के
सिाणगीण गुणों की पहचान होती है, निशेषकर ऐसा व्यनि जो सािणजननक कायाणलय में कायणरत
हो।
ईदाहरण 2
अप, देश की शीषण IT फमों में से एक में प्रबंधक के पद पर कायणरत हैं। अपको अगामी
पररयोजना के नलए नए लोगों को भती करने का कायण सौंपा गया है। अप यह पाते हैं दक
कं पनी ने सरकार द्वारा पाररत नए मातृत्ि ऄनधननयम को ध्यान में रखते हए मनहला
ईम्मीदिारों को भती नहीं करने के ननदेश ददए हैं। अपको यह ऄत्यनधक ऄन्त्यायपूणण लगता है
और लोगों के साथ ईच्च प्रबंधन के समक्ष ऄपना निरोध दजण कराते हैं, लेदकन िे दृढ़ हैं क्योंदक
िे सभी ऄनािश्यक लागतों को कम करना चाहते हैं।
आस जानकारी के अधार पर, ननम्ननलनखत प्रश्नों का ईत्तर दीनजए:
(a) आस नस्थनत में शानमल नहतधारकों और ईनके नहतों की पहचान कीनजए।
(b) आस पररदृश्य में भती करने िाले प्रबंधक द्वारा सामना की जाने िाली दुनिधाएं क्या हैं?
(c) अपके समक्ष ईपलब्ध निनभन्न निककप कौन-से हैं? अप दकसका ऄनुसरण करें गे और
क्यों?
दृनष्टकोण:
 भती करने िाला प्रबंधक, कं पनी, मनहला ईम्मीदिारों, सरकार और समाज जैसे निनभन्न
नहतधारकों और ईनके नहतों को सूचीबद् कीनजए।
 अपके द्वारा सामना की जाने िाली दुनिधा की चचाण कीनजए।
 ईपलब्ध निककपों की सूचीबद् कीनजए, दी गइ पररनस्थनतयों और नैनतक अचरण के अलोक
में प्रत्येक का निश्लेषण कीनजए और ईस निककप का चयन कीनजए नजसे अप ऄनुसरण कर
सकते हैं।
ईत्तर: (a)

नहतधारक नहत

कं पनी / ईच्च कं पनी का नहत लागत को कम करके ऄनधकतम लाभ प्राप्त करना है। मनहला
प्रबंधन कमणचाररयों के मामले में मातृत्ि ऄिकाश की लागत कं पनी द्वारा िहन की जानी है।
आसनलए ईच्च प्रबंधन मनहला ईम्मीदिारों को भती करने से बचना चाहता है।

भती करने मेरा प्राथनमक नहत लैंनगक निभेद से तटस्थ होकर सूचीबद् पदों के नलए योग्य
िाला प्रबंधक ईम्मीदिारों का चयन करना है। ऄन्त्यायपूणण नीनतयों का निरोध करते हए प्रबंधन के
(स्ियं) साथ संघषण की नस्थनत से बचना, ऐसी पररनस्थनत में सामना की जाने िाली दुनिधाएं
हैं।

मनहला ईनका नहत एक ननष्पक्ष ऄिसर प्राप्त करने में है नजससे ईन्त्हें कं पनी में नौकरी प्राप्त हो
ईम्मीदिार सके । लंबे समय से िे भती प्रदिया एिं पदोन्ननत में समानता की ऄपेक्षा के साथ एक
सुरनक्षत कामकाजी पररिेश की भी ऄपेक्षा रखती हैं।

सरकार और ये नहतधारक कायणस्थल पर लैंनगक समानता के नलए प्रयासरत हैं; आसके नलए यह

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समाज महत्िपूणण है दक मातृत्ि ऄनधननयम से ईत्पन्न होने िाले मुद्दों को निधानों और
सामानजक पररितणनों के माध्यम से ईनचत एिं पयाणप्त तरीके से समाधान दकया जाए।
हालांदक निनभन्न मातृत्ि ऄनधननयम अश्वानसत मातृत्ि ऄिकाश, ननयनमत अय और
नौकरी सुरक्षा सुनननित कर सकते हैं परं तु ये ऄके ले कायणस्थल पर लैंनगक रूप से
तटस्थ संस्कृ नत स्थानपत करने के नलए अिश्यक सामानजक पररितणन नहीं ला सकते
हैं।

(b) दुनिधा: ईच्च प्रबंधन के अदेश को स्िीकार करना और दकसी भी मनहला ईम्मीदिार की भती नहीं
करना बनाम लैंनगक रूप से तटस्थ होकर एक ईपयुि ईम्मीदिार की ननयुनि करना।
आसके ऄनतररि, मैं वलग निशेष के मुद्दे के कारण एक योग्य ईम्मीदिार की भती न करने
संबंधी दुनिधा का भी सामना कर सकता हाँ। आससे ईत्पादकता में कमी अएगी नजससे कं पनी
को दीघाणिनधक लागत का सामना करना पड़ेगा। नपतृसतात्मक दृनष्टकोण के कारण संबंनधत
दुनिधा समाज में लैंनगक पूिाणग्रह का प्रमुख मुद्दा है, यह समानता और प्रगनतशील निचारों का
निरोधाभासी है जो पररितणन की मांग करते हैं। कायणस्थल पर लैंनगक निनिधता को बढ़ािा
देना महत्िपूणण है; हालांदक, कं पनी द्वारा ददए गए ितणमान ननदेश आस नसद्ांत के निरुद् हैं।
(c) निनभन्न ईपलब्ध निककप:
1. मनहला ईम्मीदिारों की भती न करना: यद्यनप मैं आस निककप के चयन के कारण ईच्च
प्रबंधन के साथ संघषण की नस्थनत से बचूंगा, तथानप यह मूलभूत मानि ऄनधकारों और
संनिधान में िर्थणत समानता के नसद्ांतों के निपरीत होगा। यह कइ योग्य ईम्मीदिारों को
बाहर कर देगा और ईम्मीदिारों की संख्या को सीनमत करे गा। यह लघु दृनष्टकोण और संकीणण
माननसकता की ईपज है।
2. िस्तुननष्ठ ढंग से और नबना दकसी भेदभाि के ईपयुि ईम्मीदिार का चयन करना: यह
सुनननित करे गा दक सबसे सक्षम और योग्य ईम्मीदिार नौकरी के नलए चयननत दकए जाएंगे।
मेरे द्वारा ऄनुसरण दकया जाने िाला निककप: यहााँ संघषण कोइ ईपाय नहीं है; हााँ, ऄनुनय एक
ईपाय हो सकता है। ऄनुनय के नलए सिाणनधक ईपयुि तरीका ऄनभिृनत्तक पररितणन है, जो
तात्कानलक रूप से ऄत्यनधक करिन है। दकन्त्तु यदद मैं िस्तुननष्ठता के साथ यह सानबत कर
सका दक मनहला कमणचाररयों की ननयुनि से संबंनधत लागत पुरुषों की तुलना में ऄनधक नहीं
है और ईत्पादकता लैंनगक रूप से स्ितंर है, तो मैं ऄनभिृनत्तक पररितणन की प्रदिया अरं भ
करने में सक्षम हो जाउंगा। मैं HR निभाग से सहायता प्राप्त करूाँगा। यदद अिश्यक हअ, तो
आस मामले को कं पनी के प्रबंधन बोडण के समक्ष भी रखूाँगा।
भती के संबंध में, मुझे ईम्मीदिारों के मूकयांकन में िस्तुननष्ठ होना चानहए तथा लैंनगक
पक्षपात करने से बचना चानहए। ईनका मूकयांकन ईनकी क्षमता के साथ-साथ नौकरी की
अिश्यकता पर अधाररत होगा। यदद नौकरी की प्रकृ नत दकसी लैंनगक अिश्यकता की मांग
नहीं करता है, तो ऄनुनचत ननदेशों पर ऄनधक ध्यान नहीं देना चानहए और ये िास्ति में
कं पनी की नीनतयों के निपरीत हो सकते हैं। मैं HR को आस प्रकार के सुझािों के बारे में ररपोटण
करूंगा क्योंदक लैंनगक निभेद न के िल गैरकानूनी है, बनकक कं पनी की संगिनात्मक संस्कृ नत
और सामानजक छनि को भी क्षनत पहंचाता है। आसके ऄनतररि, मैं ऄपने सहयोनगयों, निशेष
रूप से मेरे संगिन में कायणरत मनहलाओं को सनम्मनलत कर लैंनगक-संिद
े नशीलता ऄनभयान
अरं भ करूंगा। ऐसा करके मैं गााँधीजी के आस मंर को दक ‘िो बदलाि खुद में लाआए नजसे अप
दुननया में देखना चाहते हैं’ को कायम रखने में सफल रहाँगा।
ईदाहरण 3
अप एक युिा नसनिल सेिक हैं। अपको एक जनजातीय बाहकय नजले में ननयुि दकया जाता
है, जो मादफया द्वारा ऄिैध खनन हेतु कु ख्यात है। िे राजनीनतक अकांक्षाओं िाले स्थानीय

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जनजातीय बाहबनलयों को ररश्वत देकर आस क्षेर के ननधणन जनजातीय लोगों पर ऄपनी शनि
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का प्रयोग करते हैं। आसके पररणामस्िरूप सुगमता से धन की प्रानप्त एिं निलानसता ने आन


बाहबनलयों को खनन करने िाले मादफया के नहत में कायण करने को सुनननित दकया हैं।
मादफया आन ‘जनजातीय’ बाहबनलयों का प्रयोग मीनडया में दुनिधापूणण नस्थनत ईत्पन्न करने
हेतु ‘ननर्थमत (बनािटी)’ खबर देने ऄथिा िृहत स्तर पर लोगों एिं नसनिल सोसाआटी की
सहानुभूनत प्राप्त करने हेतु करते हैं। यह ईस क्षेर में ऄिैध गनतनिनधयों के जोनखम को समाप्त
करने हेतु सरकार की दकसी भी िोस कारण िाइ को निफल करने की रणनीनत है।
ऄपने पदग्रहण के पिात अप आस प्रकार की प्रिृनत्त से जकद ही ऄिगत हो जाते हैं। अपको
यह भी पता चलता है दक अपके ही कायाणलय के कु छ कमणचाररयों की मादफया के साथ
नमलीभगत है। अप जैसे हीं मादफया के निरुद् किोर कायणिाही प्रारं भ करते हैं, िे अपके प्रनत
शरुतापूणण व्यिहार करते हैं। िे कु छ जनजातीय लोगों को अपके निरुद् ‘ऄनुसूनचत जानत एिं
ऄनुसूनचत जनजानत (ऄत्याचार ननिारण) ऄनधननयम’ के तहत प्राथनमकी (FIR) दजण करने के
नलए ईकसाते हैं। ये ऄसुरनक्षत ननधणन जनजातीय लोगों को अश्वस्त करने में सफल हो जाते हैं
दक राज्य ईनके निरुद् ऄत्याचार पुनः प्रारं भ करने हेतु तत्पर है। ऄंततः आन ननधणन जनजातीय
लोगों को राष्ट्रीय ऄनुसूनचत जनजानत अयोग और राज्य ऄनुसूनचत जनजानत अयोग को
नलनखत रूप में नशकायत दजण करने हेतु ईकसाया जाता है, नजसकी एक प्रनत मीनडया को लीक
कर दी जाती है।
यह निपक्षी पार्टटयों के नलए एक नए मुद्दे के रूप में ईभरता है क्योंदक निधानसभा चुनाि 6
माह पिात होने हैं। दुभाणग्यिश, आन सब घटनाओं का अपके कररयर पर प्रनतकू ल प्रभाि
पड़ता है।
(a) ईपयुणि मामले में नननहत नैनतक मुद्दों को ईजागर करते हए चचाण कीनजए।
(b) आस मामले को ईनचत रूप से समाप्त करने हेतु अप कौन-से कदम ईिाएंग?

दृनष्टकोण:
आसमें शानमल मूल नैनतक मुद्दा दृढ़ता है। निपरीत पररनस्थनत में होने के बािजूद भी अपको
जो भी कु छ ईनचत लगता है, अप ईसी का ऄनुपालन करना चाहते हैं। यहां निपरीत
पररनस्थनत यह है दक अपकी व्यनिगत इमानदारी, प्रनतबद्ता और पेशि
े र प्रगनत साख पर
है। ईत्तर में जागरूकता (एक नसनिल सेिक के रूप में) को आस प्रकार से प्रदर्थशत करना चानहए
दक आस प्रकार के पूिण ननर्थमत मामले दकसी संिेदनशील क्षेर में कतणव्य के एक भाग एिं खंड की
भांनत हों और आसके द्वारा दकसी की भी कायणपद्नत को प्रभानित नहीं करना चानहए - जो
सुदढ़ृ भािनात्मक चररर को प्रनतवबनबत करता है। राजनीनतक पररणामों की वचता करने के
बजाय राजनीनतक नेतृत्ि को निश्वास में नलया जाना चानहए। ईत्तर में सहानुभूनत जैसे
नसनिल सेिक के गुणों को सूचीबद् करने के बजाय मामले को सफलतापूिक ण समाप्त करने के
तरीकों का ईकलेख दकया जाना चानहए।
ईत्तर में ननम्ननलनखत शानमल दकया जाना चानहए:
 मामले से संबंनधत सभी तथ्य;
 नननहत प्रमुख नैनतक मुद्द;े तथा
 तार्कककता के साथ की जाने िाली ईनचत कायणिाही।
ईत्तर:
आस मामले से संबंनधत तथ्य हैं:
 एक जनजातीय नज़ले में ऄिैध खनन।
 मादफया, स्थानीय नेता और अपके कायाणलय के कु छ लोग नमलकर अपके प्रयासों (ऄिैध
खनन को रोकने हेतु) को निफल करना चाहते हैं। स्थानीय नेताओं को ररश्वत दी जाती
है।
 अपके निरुद् एक फ़ज़ी प्राथनमकी (FIR) दजण की जाती है और राष्ट्रीय एिं राज्य
ऄनुसूनचत जनजानत अयोगों में नलनखत रूप से नशकायत की जाती है।

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यहााँ नननहत नैनतक मुद्दे ननम्ननलनखत हैं:


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1. नजले में होने िाले ऄिैध खनन से राज्य के साथ-साथ स्थानीय समुदाय को भी हानन
पहाँचती है। आससे के िल कु छ चुवनदा लोगों (खनन मादफया, स्थानीय बाहबली और
राज्य के भ्रष्ट कमणचाररयों) को ही लाभ पहाँचता है। खनन मादफया के निरुद् सख्त
कायणिाही करना एक प्रशंसनीय कदम है, आसके साथ स्थानीय लोगों को निश्वास में लेना
भी ईतना ही अिश्यक है। एक प्रशासक के रूप में न के िल तात्कानलक एिं स्पष्ट ईद्देश्यों
को ही लनक्षत करना चानहए बनकक मामले की पूणत ण ा से भी ईसे ऄिगत होना चानहए।
ऄतः प्रशासन में स्थानीय निश्वास में िृनद् करने हेतु पयाणप्त जागरूकता संबंधी पहल के
नबना, ऄिैध गनतनिनधयों के ईन्त्मल
ू न की ददशा में दकए गए प्रयास व्यथण हो जाएंगे। आसके
ऄनतररि प्रयासों में निफल होने से न के िल सरकार में जनजातीय लोगों के अत्मनिश्वास
में कमी अएगी बनकक आस प्रकार की दकसी भी भािी कारण िाइ में जनजातीय लोगों के
सहयोग को प्राप्त करना भी करिन हो जाएगा। ऄन्त्य शब्दों में, स्थानीय लोगों के भय को
मैरीपूणण ढंग से दूर दकया जाना चानहए।
2. स्थानीय बाहबली दो चीजों पर ननभणर करते हैं- पहली, ऄिैध गनतनिनधयों द्वारा नित्त
पोषण और दूसरी, स्थानीय जनसंख्या एिं राज्य के मध्य ऄलगाि। यद्यनप ऐसे लोग
स्पष्टतया स्थानीय जनसंख्या का प्रनतनननधत्ि करते हैं, परं तु ईनकी िास्तनिक
महत्िाकांक्षाओं को भी ईजागर करना चानहए। आन्त्हे स्थानीय जनसंख्या के बीच िैधता
प्राप्त होती है और राज्य द्वारा आनके निरुद् दकसी भी प्रकार की कारण िाइ से सरकार एिं
लोगों के मध्य ऄलगाि ईत्पन्न होने का जोनखम बना रहता है। ऄतः आनके साथ
ध्यानपूिक ण और व्यिनस्थत तरीके से ननपटा जाना चानहए।
3. आस मामले में िास्तनिक मुद्दा ऄिैध खनन का है, नजस पर रोक लगानी चानहए, ऄतः
यह कोइ काकपननक मामला नहीं है। मुझे अत्मनिश्वास के साथ काकपननक मामले का
ननपटारा करना चानहए और नजसका प्रभाि मेरे प्रदशणन पर न पड़े। िास्ति में, मुझे आस
प्रकार के प्रयासों में बाधाओं का सामना करने हेतु तैयार रहना चानहए। ‘ऄनुसूनचत जानत
एिं ऄनुसूनचत जनजानत (ऄत्याचार ननिारण) ऄनधननयम’ आस प्रकार की फजी FIR को
रद्द करने के नलए ईच्च न्त्यायालय की सहायता करता है। कानूनी तौर पर मुझे दकसी भी
प्रकार से वचनतत होने की अिश्यकता नहीं है। यद्यनप राज्य में चुनािी माहौल होने के
कारण सरकार अगे बढ़कर निपक्ष से ननपटने का प्रयत्न कर सकती है। जैसा दक ईपरोि
िर्थणत दकया गया है, मामले के आस चरण में एक रूकािट यही है दक यह न के िल
मीनडया को मामले से दूर कर देगा बनकक स्थानीय बाहबनलयों को िैधता प्रदान करे गा
और स्थानीय जनसंख्या एिं राज्य के मध्य ऄलगाि में भी िृनद् करे गा। यहााँ जो नैनतक
मुद्दा ईभर कर अता है, िह यह है दक आस प्रकार की पररनस्थनत में कोइ व्यनि प्रेररत एिं
प्रनतबद् कै से रह सकता है - जहां ईसके ननयोिा, साथी एिं ऄन्त्य प्रभािशाली लोग
कनथत रूप से ईसके निरुद् षड्यंर करते हैं?
आस मामले के समाधान हेतु ईनचत कायणिाही के ऄंतगणत ननम्ननलनखत कदम शानमल होंगे:
1. मादफया की ऄिैध गनतनिनधयों के निरुद् एक सुदढ़ृ न्त्यानयक िाद तैयार दकया जाना
चानहए। स्थानीय बाहबनलयों के साथ-साथ सरकारी कमणचाररयों को किर करने हेतु
जांच-पड़ताल का दायरा व्यापक होना चानहए। जांच एिं ऄनभयोजन एजेंनसयों द्वारा
पूणण सहयोग के साथ, आस मामले का शीघ्र समाधान दकया जा सकता है तथा ऄपरानधयों
को सबके समक्ष ईजागर दकया जा सके गा। आससे तथ्यों को कें ि में लाया जा सके गा और
नननित रूप से जनता का मत पररिर्थतत करने में सहायता करने के साथ ही राजनीनतक
सहयोग (सरकार एिं निपक्ष दोनों) को भी सुनननित दकया जा सके गा।

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2. खनन संबंनधत सरकारी नीनत के बारे में निस्तृत जागरूकता ऄनभयान चलाए जाने
चानहए तादक स्थानीय बाहबनलयों के हस्तक्षेप के नबना सामान्त्य जनता के सहयोग को
सुनननित दकया जा सके । लोगों द्वारा ऄनुसूनचत जानत / ऄनुसूनचत जनजानत अयोगों में
दजण की गइ नशकायतों को रद्द करने की बजाए ईनका समाधान दकया जाना चानहए।
सभी प्रश्नों का ईनचत एिं वबदुिार प्रत्युत्तर प्रदान करने के साथ-साथ ईन्त्हें सािणजननक
दकया जाना चानहए। लोगों में ऄन्त्तर्थननहत भय को समाप्त दकया जाना चानहए तथा एक
नकारात्मक ऄनभयान का सामना दकया जाना चानहए। आससे ऄपरानधयों के निरुद्
कारण िाइ में प्रशासन की निश्वसनीयता में िृनद् होगी।
3. आस प्रकार की पररनस्थनतयों में अत्म-प्रेरणा के नलए, इमानदारी का पालन करना और
टीम का निश्वास प्राप्त करना महत्िपूणण है। दृढ़ता के साथ-साथ नेतृत्ि जैसे गुणों का
मामले के पररणाम पर महत्िपूणण प्रभाि पड़ता है। प्रशासक को आस बात से ऄिगत होना
चानहए दक कानूनी रूप से िह सुदढ़ृ नस्थनत में है तथा ईसके प्रयासों में आस प्रकार के
ऄिरोधों का अना ऄपेनक्षत होता है। राजनीनतक हस्तक्षेप से ईत्पन्न होने िाली ऄसुरक्षा
को दूर करने हेतु प्रथम दो वबदुओं पर ध्यान कें दित करना चानहए।

आस प्रकार की कायणिाही को ऄपनाकर, मैं ऄपने संिैधाननक, कानूनी और नैनतक ईत्तरदानयत्ि


को कायम रखूाँगा। साहस, सत्यननष्ठा और दृढ़ता के साथ कायणिाही करने से सभी नहतधारकों,
जैस-े स्थानीय लोग, सरकार तथा स्ियं ऄथाणत सभी के नलए लाभदायक नस्थनत सुनननित की
जा सके गी। आससे लोगों के लोकतंर और राज्य संस्थानों में निश्वास में िृनद् होगी। आसके
ऄनतररि, आससे मेरी व्यनिगत क्षमता में भी निकास होगा।

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UPSC के स स्टडी (2015)


{UPSC Case study (2015)}

एक अपदा प्रिण राज्य है नजसमें ऄक्सर भूस्खलन, दािानल, मेघ निस्फोट, अकनस्मक बाढ़
और भूकंप अदद अते रहते हैं। आनमें से कु छ मौसमी हैं और ऄक्सर ऄननुमय
े हैं। अपदा का
पररणाम हमेशा ऄप्रत्यानशत होता है। एक मौसम के दौरान, एक मेघ निस्फोट के कारण

निनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन हए नजनमें ऄत्यनधक दुघणटनाएं हइ। सड़कों, पुलों और निद्युत्

ईत्पादी यूननटों जैसी बुननयादी संरचना को बृहत् क्षनत पहंची। आसके फलस्िरूप 1,00,000

से ज्यादा तीथणयारी, पयणटक और ऄन्त्य स्थानीय ननिासी निनभन्न मागों और स्थानों पर फं स

गए। नजम्मेदारी के अपके क्षेर में फं से हए लोगों में िररष्ठ नागररक, ऄस्पतालों में मरीज,

मनहलाएं और बच्चे, पदयारी, पयणटक, शासक पाटी के प्रादेनशक ऄध्यक्ष ऄपने पररिार सनहत
पड़ोसी राज्य के ऄनतररि मुख्य सनचि और जेल में कै दी शानमल थे।
राज्य के नसनिल सेिा ऄनधकारी के तौर पर अपका अदेश क्या होगा नजसमें अप आन लोगों
को बचाएंगे और क्यों? ऄपने ईत्तर के पक्ष में तकण दीनजए।
समाधान:
यह प्रकरण राहत कायण हेतु पीनड़तों में से चयन के संदभण में एक चुनौतीपूणण नस्थनत तथा नैनतक
दुनिधा प्रस्तुत करता है। ऐसी नस्थनत में मैं “सुभेद्यता का पररमाण और सभी मनुष्यों का

समान अदर” जैसे नैनतक नसद्ांत का पालन करूंगा। ददए गए प्रकरण में पहचाने गए समूह
स्ियं निनिध हैं और आसनलए सभी समूहों को एक समूह एक रूप में स्िीकार कर कायणिाही
नहीं की जा सकती। सुभेद्यता का मामलों की अिृनत के अधार पर अकलन दकया जा सकता
है। आसनलए बेहतर सक्षम मनहलाओं और बच्चों पर जरूरतमंद और ननस्सहाय िररष्ठ नागररकों
को प्राथनमकता दी जाएगी।
तदनुसार, बचाए जाने िाले लोगों का एक ननम्ननलनखत सामान्त्य िम होगा:

1. ऄस्पताल में मरीज: चूाँदक िे पहले से ही नचदकत्सा पयणिेक्षण के ऄधीन हैं, ऄत: ईनका
नचदकत्सा ईपचार जारी रखने तथा ईनका जीिन बचाने हेतु बचािकताण को सिणप्रथम
ईन पर ही ध्यान के नन्त्ित करना होगा।
2. मनहलाएं और बच्चे (पयणटक, प्रादेनशक ऄध्यक्ष के पररिार के सदस्यों और कै ददयों सनहत):
ये नद्वतीय ऄत्यनधक सुभेद्य समूह हैं नजन्त्हें बचाए जाने की अिश्यकता है। मनहलाओं को
संकट की नस्थनत में तथा बचाि कायण के पिात् नचदकत्सीय ईपचार में प्रथमत: बच्चों की
देखभाल करनी पड़ती है।
3. िररष्ठ नागररक (पयणटक, प्रादेनशक ऄध्यक्ष के पररिार के सदस्यों और कै ददयों सनहत):
ऄगले िम में आन्त्हें बचाने की अिश्यकता है क्योंदक िे ऄपने स्िास्थ्य के साथ समझौता
दकए नबना लम्बी प्रतीक्षा ऄिनध को सहन नहीं कर सकते।
4. पयणटक: बचाि ऄनभयान का ऄगला कदम पयणटकों को शानमल करता है क्योंदक ईनके
पररिार के सदस्य ईनकी नस्थनत के संबंध में वचताग्रस्त हो सकते हैं तथा ईन्त्हें घर िापस
जाना होता है।
5. जेल में कै दी: िे आस नस्थनत में दोहरी कै द में हैं, यथा- एक जेल द्वारा और दूसरा प्रकृ नत
द्वारा पीनड़त के रूप में। यदद ईन्त्हें िहीं छोड़ ददया जाता है तो आस बात की नगण्य

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संभािना है दक ईन्त्हें मदद नमलेगी, क्योंदक िे पहले से हीं ऄपनी ईत्तरजीनिता के नलए
प्रशासन पर ननभणर हैं।
6. ऄनतररि मुख्य सनचि: यह ईच्च ईत्तरदानयत्ि का पद है। आसके ऄनतररि चूाँदक मुख्य
सनचि पड़ोसी राज्य से है तो यह सम्भािना है दक ईनके राज्य से भी ऄनेक लोग निपदा
से पीनड़त हैं। प्रशासन में सनचि की ईपनस्थनत महत्िपूणण हो सकती है। दूसरी तरफ ईनसे
एक ऄनुकरणीय रीनत से व्यिहार करने तथा बचाि कायण में सहयोग देने की ऄपेक्षा की
जाती है। ईनके मामले में यद्यनप नहत संघषण की नस्थनत ईत्पन्न हो सकती है ऄत: मैं ईनकी
ऄपनी राय पर भी निचार करूंगा।

7. शासक दल के प्रादेनशक ऄध्यक्ष: प्रादेनशक ऄध्यक्षों को भी ईनकी सुभेद्यता और सक्षमता


के ऄनुसार बचाया जाएगा। एक समूह के रूप में िे लोक सेिक हैं नजनका प्रथम
ईत्तरदानयत्ि सामान्त्य जन की सािणजननक सुरक्षा सुनननित करना है।
8. पदयारी: िे निपनत्त का सामना करने में सक्षम होने के ऄनतररि सामान्त्यतया
पयाणिरणीय चुनौनतयों से ननपटने हेतु भी ईपकरणों से सुसनित होते हैं।

**िकडण डेिलपमेंट ररपोटण (WDR) में ईनकलनखत ननणणय-ननमाणण की तीनों प्रणानलयों पर व्याख्या (यह

के िल ऄनतररि जानकारी है, जो परीक्षा के पररप्रेक्ष्य से ऄनधक प्रासंनगक नहीं है):

स्ितः/यन्त्र ित सोचना (Automatic Thinking)

यह हमें समस्याओं को साधारण बनाने तथा ईन्त्हें एक संकीणण ढांचे से देखने हेतु प्रेररत करता है। हम
निश्व के संबंध में हमारी धारणाओं पर अधाररत सूचना ऄंतरालों को भरने का प्रयास करते हैं तथा
स्ित: मनस्तष्क में अए निचारों और मान्त्यताओं पर अधाररत पररनस्थनतयों का मूकयांकन करते हैं नजन्त्हें
हम महत्ि प्रदान नहीं करते। एक नसनिल सेिक में तथ्यों के शीघ्र और ईनचत मूकयांकन तथा
पररनस्थनतयों को समझने का सामथ्यण होना चानहए। दकसी कायण ननष्पादन के दौरान आस संबंध में सचेत
रहने की अिश्यकता है दक कहीं ईस पररनस्थनत की रुरटपूणण छनि तो ननर्थमत नहीं की जा रही है। एक
कार चालक के रूप में दकसी व्यनि को तुरंत ननणणय लेने की अिश्यकता होती है, परन्त्तु एक नसनिल

सेिक के रूप में देश के नलए नीनत ननमाणण में िह के िल सहज बोध तथा ऄपरीनक्षत धारणाओं पर ही
ननभणर नहीं रह सकता।

सामानजक रूप से सोचना (Thinking Socially)

व्यनि एक सामानजक प्राणी है जो सामानजक प्राथनमकताओं, सामानजक संपकों, सामानजक ऄनभज्ञान

तथा सामानजक मानदंडों द्वारा प्रभानित होता है। ऄनधकांश व्यनि आस बात पर ध्यान देते हैं दक ईनके
अस-पास के लोग क्या कर रहें हैं और िे ईनके समूहों हेतु कै से ईपयुि हैं तथा िे लगभग स्ित: दूसरों
के व्यिहार का ऄनुकरण करते हैं। ऄनधकतर लोगों के पास ननष्पक्षता और पारस्पररकता हेतु सामानजक
प्राथनमकताएं होती हैं तथा िे एक सहयोगात्मक चेतना से सम्पन्न होते हैं। ये निनशष्टताएं ऄ्छे और बुरे

दोनों प्रकार के सामूनहक पररणामों में महत्िपूणण भूनमका का ननष्पादन कर सकती हैं, यथा- एक समाज

में निश्वास में िृनद् करने तथा भ्रष्टाचार को बढ़ाने दोनों हेतु ऄपेनक्षत सहयोग की अिश्यकता होती है।

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एक ऄनधकारी को निपनत्त की बजाए प्राथनमकता देने में सक्षम होना चानहए, नजसे निनिधता तथा एक

सहानुभूनतपूणण दृनष्टकोण की सराहना की अिश्यकता होती है।


एक दूसरे के प्रनत वचनतत होने तथा सहयोग करने की लोगों की प्रिृनत्त मानि ननणणय -ननमाणण और
व्यिहार के निश्लेषण में यथाथणिाद का संिधणन करती है। निश्लेषण हेतु ददए गए एक के स स्टडी में आस
धारणा का कइ बार प्रयोग दकया जाता है- कोइ व्यनि अप पर ऄनुग्रह करता है तो क्या अपसे ईसके
दुष्कृ त्यों की सूचना न देकर ईसके ऄनुग्रह के बदले ईसकी सहायता करने की ऄपेक्षा की जाती है? लोग

प्राय: एक सशतण सहयोगी के रूप में व्यिहार करते हैं ऄथाणत् लोग तब तक सहयोग करते हैं जब तक
दूसरे ईनके साथ सहयोगात्मक होते हैं। एक नसनिल सेिक के रूप में एक व्यनि या एक समूह से
सहयोग प्राप्त करना अिश्यक हो सकता है, परन्त्तु एक प्रनतदान (quid-pro-quo) ईस सहयोग का

नसद्ांत नहीं हो सकता।


आसी प्रकार, सामानजक प्राथनमकताएं और सामानजक प्रभाि व्यिहार के सामूनहक प्रनतमानों को स्ित:

सुदढ़ृ करने में समाजों का नेतृत्ि कर सकते हैं। ये प्रनतमान िांछनीय तथा साथ ही साथ ऄिांछनीय भी
हो सकते हैं। जब िे निश्वास और साझे मूकयों को सुदढ़ृ करते हैं तब सामानजक सहयोग अिश्यक हो
जाता है। दूसरी ओर कु छ सामानजक व्यिहारों को स्ित: सुदढ़ृ करना प्रजातीय और नृजातीय पृथक्करण
का पररणाम हो सकता है। आसनलए लोक निश्वास में कमी करने िाली पररनस्थनतयों से बचने हेतु
प्राथनमकताओं के “अनधकाररक नसद्ांतों” के एक संग्रह की अिश्यकता होती है, नजन्त्हें सामान्त्यतया

कायणकारी ननयमािली में ननधाणररत दकया गया है। ईदाहरणाथण नसनिल सेिा अचरण ननयम,1964,

राज्यों में बाढ़ राहत ननयमािली अदद।

में ट ल मॉडल के साथ सोचना (Thinking with Mental Models)

लोग जब वचतन करते हैं तब िे सामान्त्यतया ईन ऄिधारणाओं को रे खांदकत नहीं करते नजनका ईन्त्होंने

स्ियं ऄनिष्कार दकया है। आसकी बजाए िे ईनके समुदायों द्वारा ननर्थमत ऄिधारणाओं, श्ेनणयों,

ऄनभज्ञानों, प्रनतकृ नतयों, रूदढ़बद् धारणाओं, प्रेरणाथणक अख्यानों और निश्वािलोकनों का प्रयोग करते

हैं, ऄथाणत् िे ईनके ऄनुभिों की व्याख्या करने हेतु ईनके समाजों से अहृत मेंटल मॉडल और साझे

आनतहास का प्रयोग करते हैं। मेंटल मॉडल आस नस्थनत को भी प्रभानित करते हैं दक व्यनि क्या ऄनुभि
करते हैं तथा ईन्त्हें जो ऄनुभि हअ है ईसकी व्याख्या िे कै से करते हैं।
मेंटल मॉडल संस्कृ नत से ईत्पन्न होते हैं। संस्कृ नत, प्रयोजन की परस्पर संबंनधत योजनाओं के एक संचय

के रूप में ननर्थमत होती है नजसका लोग कायण संपादन और निककप चयन में प्रयोग करते हैं। मेंटल
मॉडल, सामानजक मान्त्यताएं और प्रथाएं व्यनियों में प्राय: गहन रूप से समानहत हो जाते हैं। हम

सामानजक पहलुओं को अत्मसात करने की ओर प्रिृत होते हैं तथा ईन्त्हें “ऄपररहायण सामानजक तथ्यों” के

रूप में स्िीकार कर लेते हैं- ईदाहरणाथण “ईच्च” और “ननम्न” जानतयों की धारणा। लोगों के मेंटल मॉडल

ईनकी आस समझ को अकार प्रदान करते हैं दक जीिन में क्या ईनचत है, क्या स्िभानिक है तथा संभि

है। आसके प्रनतफल में सामानजक संबंध और संरचनाएं सामानजक तौर पर ननर्थमत “सामान्त्यबोध” का

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अधार होती हैं, जो साक्ष्यों, निचारधाराओं और अकांक्षाओं का प्रनतनननधत्ि करता है नजन्त्हें व्यनि

तथ्यों के रूप में स्िीकार करते हैं तथा ननणणय ननमाणण में ईनका प्रयोग करते हैं।
चूाँदक मेंटल मॉडल ककनचत लोचशील होते हैं ऄत: हस्तक्षेप ईन्त्हें निकासात्मक और नैनतक ईद्देश्यों को
प्रोत्सानहत करने हेतु लनक्षत कर सकते हैं। व्यनियों के पास नभन्न-नभन्न और प्रनतस्पधी मेंटल मॉडल होते
हैं नजनका िे दकसी भी पररनस्थनत को प्रभानित करने हेतु प्रयोग कर सकते हैं, नजस दकसी अदशण का िे

प्रयोग करते हैं िह आस पर ननभणर करता है दक कौन सा संदभण ईसे सदिय करता है। व्यनियों को वचतन
के निीन मागों को तलाशने और निश्व की िैकनकपक समझ निकनसत करने हेतु प्रेररत करना मेंटल
मॉडल के ईपलब्ध समूह का निस्तार कर सकता है और आस प्रकार निकास में एक महत्िपूणण भूनमका
ननभा सकता है।
ऄनेक मामलों में (जैसा दक पूिण में ईनकलनखत दकया गया है) एक दी गइ पररनस्थनत में प्रचनलत नीनतयों
और ननयमों को लागू करने का प्रश्न ईत्पन्न होता है। ऐसी दकसी पररनस्थनत से ननपटने हेतु एक
ऄग्रसदिय माननसकता ऄननिायण है जो तथ्यों और निनधयों के मूकयांकन की क्षमता से सुसनित हो तथा
सकारात्मक एिं नकारात्मक दोनों पररणामों का पूिाणनम
ु ान लगाने में समथण हो। ननयम और नीनतयााँ
सामानजक मूकयों पर स्थानपत दकए गए हैं। नैनतक मुद्दे तब ईभरते हैं जब कायणसाधकता और संनक्षप्त
रीनत को तकण संगत ननणणय पर िरीयता दी जाती है, जो स्िाथणपरायणता, नहत संघषण, चररर के एक प्रश्न

तथा न के िल मूकयों के एक संघषण बनकक क्या ईनचत है और क्या ऄनुनचत आन दोनों के मध्य ऄंतर स्पष्ट
करने में एक दुबल
ण चररर को भी प्रनतवबनबत करते हैं।

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निगत िषों में सं घ लोक से िा अयोग द्वारा पू छे गए प्रश्न: के स


स्टडीज
(UPSC Previous Years Question Papers: Case Studies)
1. मान लीनजए दक अपके ननकट नमरों में से एक, जो स्ियं नसनिल सेिा में जाने के नलए
प्रयत्नशील है, िह लोक-सेिा में नैनतक अचरण से सम्बनन्त्धत कु छ मुद्दे पर चचाण करने के नलए
अपके पास अता है। िह ननम्ननलनखत नबन्त्दओं
ु को ईिाता है:
(i) अज के समय में, जब ऄनैनतक िातािरण काफ़ी फै ला हअ है, नैनतक नसद्ान्त्तों से नचपके
रहने के व्यनिगत प्रयास, व्यनि के कै ररयर में ऄनेक समस्याएाँ पैदा कर सकते हैं। ये पररिार
के सदस्यों पर कष्ट पैदा करने और साथ ही साथ स्ियं के जीिन पर जोनखम का कारण भी बन
सकते हैं। हम क्यों न व्यािहाररक बनें और न्त्यूनतम प्रनतरोध के रास्ते का ऄनुसरण करें , और
नजतना ऄ्छा हम कर सकें , ईसे ही करके प्रसन्न रहें?
(ii) जब आतने ऄनधक लोग गलत साधनों को ऄपना रहे हैं और तंर को भारी नुकसान पहंचा
रहे हैं, तब क्या फकण पड़ेगा। यदद के िल कु छेक लोग ही नैनतकता की चेष्टा करें , िे ऄप्रभािी ही
रहेंगे और नननित रूप से ऄंततः ननराश हो जाएंगे।
(iii) यदद हम नैनतक सोच-निचार के बारे में ऄनधक बतंगड़ बनाएंगे तो क्या आससे देश की
अर्थथक ईन्ननत में रुकािट नहीं अएगी? ऄसनलयत में, ईच्च प्रनतस्पधाण के ितणमान युग में, हम
निकास की दौड़ में पीछे छू ट जाने को सहन नहीं कर सकते।
(iv) यह तो समझ अता है दक भारी ऄनैनतक तौर-तरीकों में हमें फं सना नहीं चानहए, लेदकन
छोटे-मोटे ईपहारो को स्िीकार करना और छोटी-मोटी तरफदाररयां करना सभी के ऄनभप्रेरण
में िृनद् कर देता है। यह तंर को और भी ऄनधक सुचारू बना देता है। ऐसे तौर-तररकों को
ऄपनाने में गलत क्या है?
ईपरोि दृनष्टकोण का समालोचनात्मक निश्लेषण कीनजए। आस निश्लेषण के अधार पर ऄपने
नमर को अपकी क्या सलाह रहेगी।
2. अप ईभरती हइ एक ऐसी सूचना तकनीकी कम्पनी के कायणकारी ननदेशक हैं जो बाजार में
नाम कमा रही है। कम्पनी के नायक कताण, िय-नििय दल के प्रमुख श्ी A हैं। एक िषण की
ऄकपािनध में ईन्त्होंने कम्पनी के राजस्ि को दुगन
ु ा करने में योगदान ददया है और कम्पनी के
शेयर को ईच्च मूकय िगण में स्थानपत दकया है, नजसके कारण अप ईन्त्हें पदोन्नत करने पर
निचार कर रहे हैं। परन्त्तु अपको कइ स्रोतों से मनहला सहयोनगयों के प्रनत ईनके रिैये की,
निशेषकर मनहलाओं पर ऄसंयत रटप्पनणयााँ करने की अदत की, सूचना नमल रही है। आसके
ऄनतररि िह दल के ऄन्त्य सदस्यों, नजनमें मनहलाएाँ भी सनम्मनलत हैं, को ननयनमत रूप से
ऄभि SMS भी भेजते हैं।
एक ददन देर शाम श्ी A के दल की एक सदस्या श्ीमती X अपके पास अती है जो बहत
परे शान ददखती है, और श्ी A के सतत दुराचरण की नशकायत करती है, जो ईनके प्रनत
ऄिांछनीय प्रस्ताि रखते रहते हैं और ऄपने कक्ष में ईन्त्हें ऄनुपयुि रूप से स्पशण करने की चेष्टा
तक की है।
िह मनहला ऄपना त्यागपर देकर कायाणलय से चली जाती है।
(a) अपके पास क्या-क्या निककप ईपलब्ध हैं?
(b) आनमें से प्रत्येक निककप का मूकयांकन कीनजए एिं नजस निककप को अप चुनते हैं, ईसे
चुनने के कारण दीनजए।
3. खनन, बााँध एिं ऄन्त्य बड़े पैमाने की पररयोजनाओं के नलए अिश्यक भूनम ऄनधकांशतः
अददिानसयों, पहाड़ी ननिानसयों एिं ग्रामीण समुदायों से ऄर्थजत की जाती है। निस्थानपत
व्यनियों को कानूनी प्रािधानों के ऄनुरूप मौदिक मुअिज़ा ददया जाता है। दफर भी, भुगतान

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प्रायः धीमी गनत से होता है


। दकसी भी हालत में निस्थानपत पररिार लम्बे समय तक
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जीिनयापन नहीं कर पाते। आन लोगों के पास बाज़ार की अिश्यकतानुसार दकसी दूसरे धंधे
में लगने का कौशल भी नहीं होता है। िे अनखरकार कम मज़दूरी िाले अिर्थजक (प्रिासी)
श्नमक बन जाते हैं। आसके ऄलािा, ईनके सामुदानयक जीिन के परम्परागत तरीके
ऄनधकांशतः समाप्त हो जाते हैं। ऄतः निकास के लाभ ईद्योगों, ईद्योगपनतयों एिं नगरीय
समुदायों को चले जाते हैं, जबदक निकास की लागत आन गरीब ऄसहाय लोगों पर डाल दी
जाती है। लागतों एिं लाभों का यह ऄनुनचत नितरण ऄनैनतक है।
यदद अपको ऐसे निस्थानपत व्यनियों के नलए ऄ्छे मुअिज़े एिं पुनःिास की नीनत का
मसौदा बनाने का कायण ददया जाता है, तो अप आस समस्या के सम्बन्त्ध में क्या दृनष्टकोण रखेंगे
एिं अपके द्वारा सुझाइ गइ नीनत के मुख्य तत्त्ि कौन-कौन से होंगे?
4. सरस्िती यू.एस.ए. में सूचना प्रौद्योनगकी की एक सफल पेशेिर थी। ऄपने देश के नलए कु छ
करने की राष्ट्र-भािना से प्रेररत होकर िह िापस भारत अइ। ईसने ग़रीब ग्रामीण समुदाय के
नलए एक पािशाला ननमाणण के नलए एक-जैसे निचारों िाले कु छ नमरों के साथ नमलकर एक
गैर-सरकारी संगिन बनाया।
पािशाला का लक्ष्य नाममार की लागत पर ईच्च स्तरीय अधुननक नशक्षा प्रदान करना था।
ईसने जकदी ही पाया दक ईसे कइ सरकारी एजेनन्त्सयों से ऄनुमनत लेनी होगी। ननयम एिं
प्रदियाएाँ काफी ऄस्पष्ट एिं जरटल थीं। ऄनािश्यक देररयों, ऄनधकाररयों की किोर प्रिृनत्त एिं
घूस की लगातार मााँग से िह सबसे ज़्यादा हतोत्सानहत हइ। ईसके एिं ईस जैसे दूसरों के
ऄनुभि ने लोगों को सामानजक सेिा पररयोजनाओं को लेने से रोका हअ है।
स्िैन्छक सामानजक कायण पर सरकारी ननयन्त्रण के ईपाय अिश्यक हैं। परन्त्तु आन्त्हें
बाध्यकारी या भ्रष्टरूप में प्रयोग में नहीं नलया जाना चानहए। अप क्या ईपाय यह सुनननित
करने के नलए सुझाएाँगे दक नजससे अिश्यक ननयन्त्रण के साथ नेक आरादों िाले इमानदार गैर-
सरकारी संगिन के प्रयासों में बाधा नहीं अए?

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निगत िषों में Vision IAS GS में स टे स्ट सीरीज में पू छे गए


प्रश्न: के स स्टडी
(Vision IAS Test Series: Case Studies)

1. अपको एक माओिाद प्रभानित नजले में एक नजला नशक्षा ऄनधकारी (DEO) के रूप में
ननयुि दकया गया है। साक्षरता नमशन पर कायण करने हेतु अपको निशेष रूप से ईत्तरदानयत्ि
सौंपा गया है। नशक्षा ररपोटण के पिन और क्षेरीय दौरे के पिात, अपको यह ज्ञात होता है दक
निद्यालय न जाने िाले बच्चों की संख्या में काफी िृनद् हइ है तथा छारों एिं नशक्षकों के मध्य
ऄनभप्रेरणा का भी ऄभाि है। यद्यनप कु छ मूलभूत ऄिसंरचनाएं पहले से ही निद्यमान हैं,
तथानप आन निद्यालयों में छारों को अकर्थषत करने में प्रमुख बाधाओं के ऄंतगणत नशक्षा के प्रनत
स्थानीय लोगों की ऄनभिृनत्त और निद्यालयों में बच्चों को भेजने संबध
ं ी सुरक्षा जोनखम भी
सनम्मनलत हैं। आन पररनस्थनतयों को ध्यान में रखते हए, ननम्ननलनखत प्रश्नों का ईत्तर दीनजए:

(a) आस प्रकार की ऄनभिृनत्त के पीछे नननहत कारणों का निश्लेषण कीनजए।


(b) एक DEO के रूप में, निद्यालय में बच्चों की ईपनस्थनत में िृनद् करने और नशक्षा के प्रनत
स्थानीय लोगों में निद्यमान ऄनभिृनत्त को पररिर्थतत करने के नलए अप क्या कदम ईिाएंग?

दृनष्टकोण:
 भूनमका में निनभन्न नहतधारकों सनहत यहााँ नशक्षा से संबद् मुद्दों का एक संनक्षप्त नििरण
प्रस्तुत कीनजए।
 आस प्रकार की ऄनभिृनत्त हेतु ईत्तरदायी कारणों का निश्लेषण कीनजए।
 DEO द्वारा आस संदभण में ईिाए जाने िाले कदमों पर चचाण कीनजए।
ईत्तर:
प्रस्तुत प्रकरण ‘वहसा प्रभानित क्षेरों में निकास’ की दुनिधा प्रस्तुत करता है। ईदाहरण के
नलए, ऐसे क्षेरों में नशक्षा के िल पयाणप्त ऄिसंरचना की ईपलब्धता एिं िहनीयता तथा घर से
निद्यालय की दूरी पर ही ननभणर नहीं है। यहां सुरक्षा सुनननित करना भी ईतना ही महत्िपूणण
है। आसके ऄनतररि, यह एक ऐसा मामला है जहां ऄिसंरचना के रूप में ननगणत (अईटपुट)
पहले से ही निद्यमान है, दकन्त्तु नशक्षा के रूप में प्राप्त पररणाम (अईटकम) ईपलब्ध नहीं हैं।
(a) ऐसे कारक जो ईस ऄनभिृनत्त का ननमाणण करते हैं नजसके कारण िे बच्चों को निद्यालय
भेजने के ऄनन्छु क हैं:
 ऐसे क्षेरों में समाज के कइ िगों के मध्य राज्य की िैधता ऄभी भी नििादास्पद है। जब
तक यह धारणा प्रचनलत है, वहसक तत्ि राज्य और ईसके ऄंगों के प्रनत नकारात्मक
दृनष्टकोण ईत्पन्न करने के नलए भय का ईपयोग करते रहेंगे।
 सामान्त्यतः राज्य में और निशेष रूप से नशक्षा प्रणाली में निश्वास की कमी।
 आसके ऄनतररि, पाठ्यिम का ईनकी संस्कृ नत के साथ संबंध नहीं है, ऄतः िे अधुननक
नशक्षा प्रणाली के साथ सामंजस्य स्थानपत नहीं कर पाते हैं।
 ईनकी अजीनिका मुख्य रूप से िनों पर ननभणर है, आसनलए िे निद्यालय में प्रदान की
जाने िाली अधुननक नशक्षा को अिश्यक नहीं मानते हैं।
 ननकटिती क्षेरों में के िल ऄकु शल रोजगार के ऄिसर ही निद्यमान हैं। आस प्रकार, ईनका
मानना है दक नशक्षा पर संसाधनों को व्यय करने का कोइ औनचत्य नहीं हैं।

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 ईच्च नशक्षा के नलए ऄिसरों की कमी है क्योंदक ईन क्षेरो में महानिद्यालयों की पयाणप्त
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संख्या नहीं है।


 ईत्पीड़न के साथ-साथ ईनके बच्चों की सुरक्षा संबंधी भय की ईपनस्थनत।
 ऄपयाणप्त निद्यालयी ऄिसंरचना, पुस्तकों एिं स्टेशनरी की कमी तथा नशक्षकों की संख्या
एिं कु शल नशक्षकों की ऄनुपलब्धता आत्यादद कारणों से छार निद्यालयों के प्रनत
ऄनन्छु क बने हए हैं।
हालांदक, नशक्षा के प्रनत कु छ लोगों का अशािादी दृनष्टकोण भी है। िे आसे मुख्यधारा के साथ
जुड़ने की एक राह और एक एकीकृ त बल के रूप में देखते हैं। आस प्रकार कु छ ऄिसर प्रदान
दकए गए हैं, नजससे लोग ऄपने बच्चों को निद्यालय भेजने हेतु तैयार हए हैं, जैसा दक दंति
े ाड़ा
के मामले में देखा गया था, जहां साक्षरता संकेतकों में महत्िपूणण सुधार हअ है।
(b) निद्यालयों में ईपनस्थनत बढ़ाने और नशक्षा के प्रनत स्थानीय लोगों में निद्यमान ऄनभिृनत्त
को पररिर्थतत करने हेतु ननम्ननलनखत कदम ईिाने होंगे:
 समुदाय के प्रभािशाली व्यनियों और NGOs की सहायता से राज्य और लोगों के मध्य
निद्यमान निश्वास ऄंतराल को कम दकया जा सकता है।
 क्षनतग्रस्त शैनक्षक संस्थानों को पुनर्थिकनसत करना और छारों को अिश्यक पयाणप्त
ऄिसंरचनात्मक सहायता प्रदान करना।
 निद्यालय पररसर को सुरनक्षत बनाना: सुरक्षा के संबंध में लोगों के निश्वास में िृनद् करने
हेतु निद्यालय के चारों ओर सैन्त्य सुरक्षा की व्यिस्था करने के नलए सरकार से ऄनुरोध
करना।
 अिासीय निद्यालय: आनकी स्थापना ददन-प्रनतददन की अिश्यकताओं को पूरा करने हेतु

की जाती है, जो एक छार के पूणणतः ऄनधगम पर ध्यान कें दित करने में सहायता करता
है।
 पररिेश (आकोनसस्टम) ननर्थमत करना: जैसे दक निद्यालयी नशक्षा पूणण करने िाले छारों के
पास बेहतर अजीनिका के ऄिसर ईपलब्ध होने चानहए ऄथिा ईनके पास निनभन्न
महानिद्यालयों में नामांकन के नलए सुलभ निककप निद्यमान होने चानहए।
 छारिृनत्त: यह सुनननित करना दक मेधािी छार धन के ऄभाि के कारण निद्यालयों और
महानिद्यालयों में नामांकन से पीछे न रह जाए।
 निद्यार्थथयों का लक्ष्यीकरण: निद्यालय न जाने िाले छारों, ऄनाथ बच्चों, अंतररक रूप से
निस्थानपत अदद को एक पृथक दृनष्टकोण के साथ लनक्षत दकया जाना चानहए क्योंदक ये
समान समूह के ऄंतगणत शानमल नहीं हैं। निद्यालयों में बच्चों को अकर्थषत करने हेतु नमड
डे मील योजना, स्टेशनरी का नन:शुकक नितरण जैसे साधनों का ईपयोग दकया जाना
चानहए।
 ननरं तर ननगरानी: जिाबदेही सुनननित करने हेतु स्थानीय प्रशासन में ननगरानी प्रकोष्ठों
का ईपयोग और ईच्च ऄनधकाररयों को ररपोर्टटग करना सुनननित दकया जाना चानहए।
 नशक्षक प्रनशक्षण: ईन्त्हें न के िल योग्य होना चानहए बनकक बच्चों द्वारा सामना की जाने
िाली पररनस्थनतयों के प्रनत भी संिेदनशील होना चानहए।
 जागरूकता ईत्पन्न करना: सांस्कृ नतक और सामुदानयक गनतनिनधयों और पोस्टर एिं
पचों तथा सामुदानयक रे नडयो अदद का ईपयोग करके जागरूकता ईत्पन्न करना।
ये समाधान, सुशासन और धन के कु शल ईपयोग के साथ नमलकर नशक्षा के प्रनत ऄनभिृनत
और व्यिहाररक में पररितणन सुनननित करें गे।

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2. मानि नैदाननक परीक्षणों के निननयमन एिं प्रदियाएं ऄलग-ऄलग देशों में नभन्न हैं।
बायोमेनडकल क्षेर में स्टेम सेल ररसचण के नलए मानिीय परीक्षणों हेतु स्िीकृ नत की
अिश्यकता होती है और आसके नलए निनभन्न चुनौनतयों का सामना करना पड़ता है। अप
िैज्ञाननकों की एक टीम के नेतत्ृ िकत्ताण हैं नजन्त्होंने एक नया रटश्यू आं जीननयररग नसस्टम
निकनसत दकया है, जो हृदय उतक को पुन: ईत्पन्न करने का एक अशाजनक माध्यम प्रतीत
होता है। आस प्रणाली का पहले से ही निनभन्न जीिों पर परीक्षण दकया जा चुका है तथा आसके
ऄ्छे पररणाम भी प्राप्त हए हैं। यदद गंभीर हृदय रोगों से पीनड़त लाखों लोग को यह
नचदकत्सा निनध तुरंत ईपलब्ध कराइ जाती है तो िे आससे ऄत्यनधक लाभानन्त्ित होंगे।
हालांदक आसके िानणज्यीकरण से पूिण मानि पर नैदाननक परीक्षण करने की अिश्यकता है।
अप आस तथ्य से भी ऄिगत हैं दक देश में निद्यमान किोर निननयामक पररिेश के कारण
व्यािसानयक रूप से ईपलब्ध होने से पूिण मानिीय परीक्षण एिं ऄंनतम स्िीकृ नत प्राप्त होने में
कइ िषण लग जाएंग।े दूसरी ओर ऄनधकांश ननधणन देशों में नैदाननक परीक्षण संबध
ं ी निननयमन
असान है और संभितः शीघ्र स्िीकृ नत प्राप्त की जा सकती है। अपके कइ प्रनतस्पधी भी
मानिीय परीक्षणों हेतु प्रायः ऐसे देशों का रुख करते है, जहां िे ऄनधकाररयों को ररश्वत देकर
शीघ्र स्िीकृ नत प्राप्त कर लेते हैं। आस नस्थनत को ध्यान में रखते हए, ननम्ननलनखत प्रश्नों का ईत्तर
दीनजए:
(a) नैदाननक परीक्षणों के दौरान ईभरने िाले नैनतक मुद्दों की पहचान कीनजए।
(b) ईपयुि
ण पररनस्थनत में, क्या अप मानिीय परीक्षणों को दकसी तीसरे देश में स्थानांतररत

करना पसंद करें गे जहां निननयम किोर न हो? ऄपने चयन हेतु कारण दीनजए।
(c) नैनतक संघषण को कम करने और नइ दिाओं हेतु स्िीकृ नत की प्रदिया को तीव्र करने के
नलए मानक प्रदिया का एक प्रारूप सुझाआए।
दृनष्टकोण:
 मानिीय नैदाननक परीक्षण पर एक संनक्षप्त पररचय दीनजए और आसमें नननहत नैनतक मुद्दों की
पहचान कीनजए।
 प्रयोगशाला के स्थान पररितणन के गुणों ि दोषों पर चचाण कीनजए और स्िदेश से प्रयोगशाला
के स्थानांतरण पर ऄपना ऄंनतम ननणणय बताआए।
 नैनतक संघषण को कम करने और नइ दिाओं हेतु स्िीकृ नत की प्रदिया को तीव्र करने के नलए
मानक प्रदिया का एक प्रारूप सुझाआए।
ईत्तर:

प्रस्तुत प्रकरण का सारांश: मैं एक टीम का प्रमुख हाँ, नजसने एक निीन प्रणाली निकनसत की है
और यह प्रणाली हृदय रोग से पीनड़त लोगों की सहायता करे गी। आसे िानणनज्यक रूप से
ईपलब्ध होने से पूिण आसका मानिों पर नैदाननक परीक्षण करना अिश्यक है, नजसके नलए
किोर ननयमों का पालन करना होगा। िैकनकपक रूप से, ननधणन देशों में कमजोर निननयमन के
पररणामस्िरूप त्िररत मानि परीक्षण और स्िीकृ नत प्रानप्त होती है तथा कइ प्रनतस्पधी ररश्वत
देकर यह काम कर रहे हैं।
(a) नैदाननक परीक्षण, स्िे्छा व्यि करने िाले मनुष्यों पर दकया जाने िाला परीक्षण है जो
यह देखने के नलए दकया जाता है दक अम जनता पर व्यापक नचदकत्सा का ईपयोग हेतु
नइ नचदकत्सा निनध को स्िीकृ नत दी जा सकती है ऄथिा नहीं। आसमें सनम्मनलत निनभन्न
नैनतक मुद्दे ननम्ननलनखत हैं:
 सिणप्रथम नैनतक कतणव्य यह है दक व्यापक जनसंख्या के ककयाण हेतु नैदाननक परीक्षणों
को इमानदारी के साथ दकया जाना चानहए।

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 मानिता ऄपने अप में For


एक साध्य है (गांधीजी)। ऄत्यंत न्त्यून भुगतान कर समाज के
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ननम्निगीय लोगों का परीक्षण हेतु प्रयोग करना मानिता का ऄपमान है। यद्यनप आससे
सामान्त्य जनसंख्या के स्िास्थ्य में सुधार हो सकता है, परं तु शोषण के रूप में लागत, जो
मृत्यु का भी कारण बन सकती है, ऄतः यह ऄत्यंत वनदनीय है।
 ननधणन देशों में सूनचत सहमनत के संबंध में कु छ नैनतक वचताएं निद्यमान हैं।
 नचदकत्सा निनशष्ट लोकाचारों द्वारा ननयंनरत होती है, नजसमें एक नचदकत्सक का पहला
ध्यान रोगी के स्िास्थ्य एिं जीिन पर होना चानहए। ईसे ऐसा कु छ भी नहीं करना
चानहए, नजससे रोगी का स्िास्थ्य ख़राब हो जाए। नैदाननक परीक्षण दीघाणिनध के नलए
नचदकत्सक-रोगी के मूल संबंधों को कमजोर कर सकते हैं।

(b) मौजूदा मामले में, िैज्ञाननकों ने ह्रदय उतकों की पुनः ईत्पनत्त हेतु एक निीन तकनीक
निकनसत की है, जो दक गंभीर ह्रदय रोग से पीनड़त लाखों लोगों को एक नि जीिन प्रदान

करे गी। हालांदक, ननधणन एिं निकासशील देशों में असान निननयमों एिं भ्रष्ट शासन ने
िैज्ञाननकों को आन देशों में ऄपनी प्रयोगशाला खोलने और आन देशों में परीक्षण करने के नलए
अकर्थषत दकया है। आस प्रकार के अचरण के गुण एिं दोष ननम्ननलनखत हैं:
गुण :
 ननधणन देशों में लागत कम है, ऄतः यहााँ पर ईन्नत नचदकत्सीय ईपचार सस्ता होगा।

ईदाहरण के नलए, भारत में नैदाननक परीक्षणों हेतु लागत ऄमेररका में नैदाननक
परीक्षणों हेतु लागत की तुलना में दसिां भाग है।
 तृतीय निश्व में ऐसे रोनगयों की ईपलब्धता की संभािना ऄनधक है, जो पहले कभी ऐसे
परीक्षणों से नहीं गुजरे ऄथिा पहले से ही दकसी दिा का ईपयोग नहीं कर रहे हैं।
 निकासशील देश ईन्नत नचदकत्सा निज्ञान से लाभानन्त्ित होते हैं और निीनतम दिाओं
तक पहाँच प्राप्त होती है।
 निननयामक स्िीकृ नतयों की सुगमता के कारण निकासशील देशों में नैदाननक परीक्षणों की
प्रदिया त्िररत रूप से सम्पन्न हो सकती है। आससे नचदकत्सीय ईपचार के निकास ऄिनध
को कम दकया जा सकता है।
 यह गंभीर ह्रदय रोगों से पीनड़त लोगों के नलए त्िररत ईपचार ईपलब्ध कराएगा।
दोष :
 सहमनत: ऄनधकतर ननधणन देशों के लोग ऄनुबंध को समझे नबना तथा ऄन्त्तर्थननहत
जोनखमों को जाने नबना ही ऄपनी सहमनत दे देते है क्योंदक प्रायः िे ऄनुबंध निदेशी
भाषाओं में नलखे होते हैं।
 अर्थथक बाध्यता: कभी-कभी लोगों को ननधणनता के कारण नैदाननक परीक्षणों हेतु ऄपना
शरीर बेचने के नलए नििश होना पड़ता है। पनिमी नचदकत्सा के प्रनत ऄंधनिश्वास भी
ईनके ननणणयन में एक महत्िपूणण भूनमका ननभाता है।
 खराब स्िास्थ्य सेिा प्रणाली: नैदाननक परीक्षणों में जोनखम बहत ऄनधक होता है।
यद्यनप तृतीय निश्व में ननम्नस्तरीय स्िास्थ्य सेिा प्रणाली के कारण जरटलतापूणण मामलों
में ईनकी सुभेद्यता में िृनद् हो सकती है तथा ईनके शरीर पर दकये गए प्रयोगों द्वारा
निनभन्न दुष्प्रभाि भी ईत्पन्न हो सकते हैं।
 तृतीय निश्व के देशों से प्राप्त अंकड़ों की निश्वसनीयता भी ऄपयाणप्त ननरीक्षण के कारण
संदह
े के दायरे में हैं।

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 ननम्न निननयामक सुरक्षा ईपाय तथा ननधणनता और ननरक्षरता का ईच्च स्तर, निदेशी दिा
कं पननयों को दुराचार एिं ऄिमानक दृनष्टकोण ऄपनाने हेतु प्रोत्सानहत करते हैं।
 पेशेिर नैनतकता और एक स्थानपत प्रदिया की ईपेक्षा करना, सत्यननष्ठा पर संदह
े को
बढ़ता है। प्रनतस्पधाण ऄनुमोदन प्राप्त करने हेतु ररश्वत जैसे ऄनुनचत साधनों को ऄपनाने के
नलए प्रेररत कर सकती है।
जैसा दक देखा जा सकता है, कम लागत एिं असान निननयमन िाले देशों में परीक्षणों को

स्थानांतररत करने के कइ लाभ हैं। हालांदक, के िल प्रदियाओं में नशनथलता परीक्षणों को


स्थानांतररत करने का एकमार ईद्देश्य नहीं होना चानहए। बनकक यह लाखों लोगों को एक
नया जीिन प्रदान करे गा और सस्ती लागत िाले ईपचार तक ईनकी पहंच में सुधार भी
करे गा। ऄतः असान निननयमन िाले देशों में प्रयोगशाला का स्थानांतरण करना नििेकपूणण है।
हालांदक, मैं सूनचत सहमनत, साआड-आफ़े क्ट के ईपचार तथा रुरटयों के मामलों में मुअिजा

अदद को समानहत करके ईन्त्हीं सुरक्षा ईपायों और सािधाननयों का ईपयोग करूंगा, नजन्त्हे
निकनसत देशों में ईपयोग दकया जाता है। मैं यह सुनननित करूंगा दक दकसी भी प्रकार की
ऄिैध प्रदिया न ऄपनाइ जाए और दकसी भी ईकलंघन के निरुद् सख्त कारण िाइ की जाए।
आस प्रकार, नजन लोगों ने मुझ पर निश्वास दकया है, मैं ईन लोगों के सुरक्षा और ककयाण से
समझौता दकए नबना में ईन्त्हें ऄत्यनधक लाभ सुनननित करने में सक्षम हो जाउंगा।
(c) एक मानक प्रदिया की रुपरे खा:
 सामानजक मूकय: ऄध्ययनों से शोधकताणओं को यह तय करने में सहायता प्राप्त होनी
चानहए दक लोगों के स्िास्थ्य और ककयाण को सुधारा जा सकता है।
 िैज्ञाननक िैधता: शोध से ईपयोगी पररणाम प्राप्त होने और ज्ञान में िृनद् ऄपेनक्षत है
शोधकताणओं को ऄपने प्रयोगों को यथासंभि ऄ्छे से नडजाआन करना चानहए।
 ईनचत व्यनि का चयन: शोधकताणओं को पररक्षण के नलए लोगों का चयन करने तथा यह
ननणणय लेने में ननष्पक्ष होना चानहए दक ऄध्ययन में कौन लोग शानमल हो सकते हैं।
 ऄनुकूल जोनखम लाभ ऄनुपात: शोध के नैनतक होने के नलए, प्रदिया के जोनखम को
लोगों को होने िाले लाभ और / या समाज को प्राप्त महत्िपूणण निीन ज्ञान द्वारा संतुनलत
दकया जा सकता है।
 स्ितंर समीक्षा: शोधकताण कभी-कभी ईन ईपायों की ऄनदेखी करते हैं नजनसे शोध
पररणामों में सुधार हो सकता है। आस प्रकार की समस्याओं से बचने के नलए, शोध से
ऄसंबद् लोगों के समूह द्वारा एक स्ितंर समीक्षा करना अिश्यक होना चानहए।
 सूनचत सहमनत: ऄध्ययन के नििरण के बारे में लोगों को बताया जाना चानहए। ईन्त्हें
स्िे्छा से भाग लेने एिं सूनचत सहमनत प्रदान करने के नलए सहमत होना चानहए।
 नजनके उपर परीक्षण दकया जाना है ईनका सम्मान: सूचना की गोपनीयता को बनाए
रखने के साथ ननयनमत स्िास्थ्य ननरीक्षण से लोगों में निश्वास का सृजन दकया जा सकता
है।
 डाटा साझाकरण: निगत शोध कायों के डेटा को ऄन्त्य लोगों को भी ईपलब्ध कराया
जाना चानहए। यह समान दिाओं हेतु नए परीक्षणों की अिश्यकता को समाप्त कर देगा,
ऄतः नजससे दिा संबंधी स्िीकृ नत की प्रदिया तीव्र हो जाएगी। आस ईपननयम को डेटा
एक्सक्लूनसनिटी पर WTO िाताणओं में भी सुनननित दकया जाना चानहए।

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3. रमेश, एक ऄत्यनधक मेहनती व्यनि है, साथ ही िह ऄपने पररिार में एकमार अजीनिका
ऄजणक है। ईसने निगत कइ िषों से एक तेल कं पनी के स्थानीय सहयोगी के साथ कायण दकया
है, और स्थानीय कं पनी के प्रबंधक सुरेश के साथ एक मजबूत और भरोसेमद
ं संबध
ं स्थानपत
दकए है। हाल ही में सुरेश ने कं पनी के एक कॉपोरे ट परामशणक आं जीननयर के रूप में रमेश की
ननयुनि की नसफाररश की है, जो एक नस्थर अय के साथ-साथ ऄत्यनधक ईत्तरदानयत्ि िाला
पद है। ऄनौपचाररक बातचीत के दौरान सुरेश ने एक घटना का ईकलेख करते हए बताया दक
1960 के दशक में एक कम्पनी की लापरिाही के कारण 10,000 गैलन पेरोके नमकल का
स्थानीय िायुमड
ं ल में ररसाि हो गया था, हालांदक ईस समय दकसी भी प्रकार की क्षनत नहीं
हइ, और ररसाि की आस घटना को मीनडया में प्रकट नहीं दकया गया। जब रमेश ने कहा है दक
राज्य के कानून के तहत यह बाध्यता है दक सभी तरह के ररसाि को ररपोटण दकया जाए, सुरेश
ईसे स्पष्ट करता है दक दकसी प्रकार की क्षनत नहीं हइ और और कहता है दक कं पनी ऐसे
परामशणक आंजीननयर को रखना पसंद नहीं करती है जो ननष्ठा और गोपनीयता का पालन नहीं
करता हो।
(a) ददए गए मामले में नननहत नैनतक मुद्दों की पहचान कीनजए।
(b) आस नस्थनत में रमेश के नलए कौन-से निककप ईपलब्ध हैं? ईनमें से प्रत्येक का मूकयांकन
कीनजए।
(c) यदद अप रमेश के स्थान पर होते, तो अपके द्वारा की जाने कायणिाही क्या होती? आसके
नलए कारण दीनजए।
दृनष्टकोण:
 मामले का निश्लेषण कीनजए और नननहत प्रमुख नैनतक मुद्दों की पहचान कीनजए।
 दी गइ पररनस्थनत में रमेश के नलए ईपलब्ध निककपों को सूचीबद् कीनजए और प्रत्येक
ईपलब्ध निककप के सकारात्मक और नकारात्मक दृनष्टकोण प्रस्तुत कीनजए।
 कायणिाही का ईकलेख कीनजए और ऄपनी कायणिाही को ईनचत नसद् करने हेतु तकण दीनजए।
ईत्तर:
मामले में शानमल नहतधारक
 रमेश, सुरेश, तेल कं पनी, सरकार और सामान्त्य जनता।
(a) नननहत नैनतक मुद्दे
1. स्ि-नहत बनाम सािणजननक नहत
रमेश ऄपने पररिार में एकमार अय ऄर्थजक व्यनि है और ईसकी अय का कोइ स्थाइ स्रोत
नहीं है; िह ऄपनी नौकरी खोने की नस्थनत में नहीं है। लेदकन, यदद िह ऄपनी नौकरी की ओर
ध्यान देता है, तो िह सािणजननक नहत के प्रनत ईदासीन हो जाएगा, जो दक घटना की ररपोटण
करने में ऄंतर्थननहत है।
2. नैनतक मूकय बनाम संगिनात्मक नैनतकता
रमेश व्यनिगत मूकयों और संगिनात्मक नैनतकता में ऄपने निश्वास के मध्य संघषण की नस्थनत
में है। यहां तक दक यदद िह ईनमें से दकसी एक का पालन करता है तो िह दूसरे के साथ
ऄन्त्याय करे गा।
3. नजम्मेदार नागररक बनाम राज्य कानूनों के प्रनत लापरिाही
देश के एक नजम्मेदार नागररक होने के नाते, आस मुद्दे की ररपोटण करके सािणजननक कानूनों का
सम्मान करना ईनका कतणव्य है। लेदकन, ऄपनी नौकरी बचाने के नलए िह राज्य कानूनों के
ऄनदेखी करे गा।

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(b) ईपलब्ध निककप

1. आस मुद्दे पर चुप रहे

गुण
 चूंदक यह लंबे समय पूिण घरटत हअ था और आससे कोइ भी प्रभानित नहीं हअ था,

आसनलए तकण ददया जा सकता है दक ऄब आस मुद्दे को ईिाना व्यथण होगा।


 सुरेश की सलाह मानने के बाद आसका ऄथण यह होगा दक रमेश के साथ ईसके व्यनिगत
और पेशेिर दोनों ही संबंध प्रभानित नहीं होंगे।
 यह अगे पदोन्ननत के नलए मागण भी प्रशस्त भी कर सकता है।
दोष
 आस तरह की नननष्ियता राज्य कानूनों के प्रनत सम्मान की कमी को प्रदर्थशत करती है,

आसनलए सभी घटनाओं की ररपोर्टटग करना अिश्यक होती है।


 आसके ऄनतररि, ऐसी कारण िाइ भनिष्य में ऐसा मागण प्रशस्त कर सकती है जहां आस तरह

के ररसाि की सूचना नहीं दी जाती है।।


2. सरकार को ररपोटण करने हेतु सुरेश को राजी करना

गुण
 ऐसी घटनाओं की ररपोटण करना राज्य कानूनों के प्रनत सम्मान को दशाणता है।
 सुरेश के साथ रमेश के व्यनिगत संबंध भी ऄप्रभानित रहेंगे ।
 यह ररसाि के प्रभाि के अकलन के नलए एक निस्तृत जांच का कारण बन जाएगा।
दोष
 यह रमेश और सुरेश दोनों के पेशि
े र कररयर के नलए खतरे ईत्पन्न कर सकता है।
3. ऄपने िररष्ठ या ननदेशक से आस संबध
ं में बात करना

गुण
 यह िररष्ठों एिं ननदेशक को अिश्यक कदम ईिाकर ऄपनी प्रारं नभक रुरटयों को सही
करने के नलए ईनचत कारण िाइ करने का ईनचत ऄिसर प्रदान करता है।
 यह दशाणता है दक रमेश सभी ईपलब्ध निककपों को ननष्पाददत करने का प्रयत्न कर रहा है
जहां िह नागररक के रूप में ऄपने मूकयों और नजम्मेदाररयों को न्त्यायसंगत सानबत कर
सकता है।
दोष
 ईसे ऄपने निरुद् कं पनी में निरोध का सामना करना पड़ सकता है क्योंदक कं पनी ने ऄब
तक आस घटना को ररपोटण नहीं दकया है।
4. नहहसल ब्लोऄर बनना और घटना का प्रकटीकरण

गुण
 एक नजम्मेदार नागररक की तरह िह राज्य कानूनों को पालन करने के प्रनत ऄपनी
प्रनतबद्ता को सुनननित करे गा।
 यदद बाद में कोइ प्रनतकू ल प्रभाि पड़ता है, तो िह पयाणिरण को बचाने और लोगों के

जीिन को जोनखम से बचाने में सक्षम हो सकता है।

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 िह ऄपनी नौकरी खो सकता है और सुरेश के साथ ऄपने संबंधों को स्थायी रूप से समाप्त
कर सकता है।
(c) सिाणनधक ईनचत कायणिाही
मामले की गंभीरता को देखते हए मैं िररष्ठों को आस घटना की ररपोटण सरकार से करने के नलए
सहमत करने का प्रयत्न्न करूंगा, जो पयाणिरण और जनता को हइ क्षनत का अकलन कर सकें ।
आसका यह भी पररणाम होगा दक ऄपरानधयों को ईनके कायों के नलए दंनडत दकया जाएगा।
यह निनध के ननयम का पालन करने के नलए एक ईदाहरण भी स्थानपत करे गा। हालांदक,
आसका पररणाम यह भी हो सकता है दक मैं ऄपनी नौकरी खो सकता हं। साथ ही, यह ध्यान
ददया जाना चानहए दक ऐसे मामलों में सािणजननक नहत सिाणनधक महत्िपूणण है नजनसे दकसी
भी कीमत पर समझौता नहीं दकया जा सकता है।

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