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IGNOU SOLVED ASSIGNMENTS 2020-2021

BANS-184

B.A.N.S - 184
{ सावजिनक ा और महामारी िव ान }
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स ीय काय म दो अनुभाग ह । सभी अिनवाय ह ।

स ीय काय -1

िन िल खत म ेक के उ र 500 श ों म द ।

.1. महामारी िव ान ा है ? अवलोकन ( े ण ) अ यन की िविभ


े िणयों की सं े प म जांच कर

उ र. 'महामारी िव ान' श तीन ीक श ों से िलया गया है िजनका नाम 'एिप' (ऑन), 'डे मो'
(लोग) और लोगो ( डी) सामूिहक प से 'लोगों पर अ यन' से है। िव ान की यह शाखा मानव
ा और रोगों के सभी पहलुओं का अ यन करती है । महामारी िव ान को " ा से संबंिधत
रा ों या िनिद आबादी म घटनाओं और घटनाओं, और ा सम ाओं की रोकथाम और िनयं ण
के िलए इस अ यन के आवेदन" के िवतरण और िनधारकों के अ यन के प म प रभािषत िकया
गया है ।
वेधशाला अ यन :- अवलोकन अ यनों म, बीमा रयों या मौतों की आवृि और िवतरण समय
(वष / माह / स ाह / िदन / घंटे / मौसम), थान (दे श / शहरी- ामीण / सं थानों / अ तालों /
वृ ा म / ू लों) ारा सू िचत िकए जाते ह। जनसां कीय िवशेषताएं (आयु / िलंग / आय / िश ा /
वसाय / वैवािहक थित, धम / जाित)। अवलोकन अ यनों को दो कारों म वग कृत िकया गया

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है- (i) वणना क और (ii) िव े षणा क अ यन। वणना क अ यनों म, रोग के बारे म केवल
वणन (केस रपोट / केस सीरीज़) िकया जाता है जबिक िव ेषणा क अ यनों म (पा र थितक /
केस-कॉ े ल / ॉस-से नल / कोहॉट) सं बंधों के साथ वेरब (सं बंध कारक) का वणन िकया गया है।

1) वणना कअ यन :- वणना क अ यन िफर से दो कार के होते ह, केस रपोट और


केस ृंखला।
i) केस रपोट :- केस रपोट म, नैदािनक अ ास के दौरान असामा ल णों, संकेतों और
िवशेषताओं या मृ ु के साथ मामलों को िचिक क की ुितयों ारा सूिचत िकया जाता है जो नए
नैदािनक रोग / इकाई को प रभािषत करने म सहायक होते ह। ये कोस रपोट नैदािनक अ ास म
उपयोगी ह, प रक ना तै यार करना और महामारी िव ान के अ यन म पता लगाना है । उदाहरण:
गुद की िवफलता के साथ रोगी म कोगु लोपैथी।

2) केस रपोट :- जब नई नैदािनक सं थाएं / नए मामले या सामा िवशेषताओं के साथ मौत होती
ह, तो ल ण या सं केत एकल या िचिक कों के समूह ारा सं किलत िकए जाते ह जो उ केस ृंखला
हो सकते ह। वे नए मामलों की प रभाषा के िलए उपयोगी ह, ल णों और संकेतों के े म को
समझने के िलए, जब रोिगयों की मृ ु तक पीछा िकया जाता है जो बीमारी के ाकृितक इितहास की
जांच करने के िलए उपयोगी होते ह। डे टा आमतौर पर िचिक कों से और कभी-कभी आबादी से
प रभािषत भौगोिलक े के भीतर अचानक ई मौतों के मामले म एक िकया जाता है। केस सीरीज़
के डे टा का इ े माल जगह, समय, धम, न , मौसम और सामािजक-आिथक थित के आधार पर
बीमारी के िवतरण को जानने के िलए िकया जा सकता है । ए ायड इ ून डे िफिशएं सी िसंडोम को
नई बीमारी के प म प रभािषत िकया जाता है , जोयुं ग पु षों के केस सीरीज के काशन के बाद
ूमोिस स का रनीनी िनमोिनया और कपोसी के सरकोमा के साथ होता है। केस सीरीज़ डे टा का
इ ेमाल प रक ना तै यार करने , इक ा करने म आसान, भावी और ज ी उपल होने के िलए
िकया जा सकता है । कोस-सीरीज़ डे टा का उपयोग बीमारी की दरों की गणना करने के िलए नही ं
िकया जा सकता है ोंिक कोई भाजक उपल नही ं है , इसम कोई तु लना नही ं है। समूह, नमूना
िभ ता से पीिड़त ह और केवल चु िनं दा मामलों की भत करते ह। समिमतीय ए ोकैटरोडमा
(डमटोिसस) पर उदाहरण के मामले ृंखला।

2) िव ेषणा कअ यन :- िव ेषणा क अ यन चार कार के होते ह

i) पा र थितक अ यन :- इस कार के अ यनों म, रोग / प रणाम आवृि के बीच सं बंध


और आबादी के भीतर या बीच के समू हों म जो खम के र का अ यन िकया जाता है। इस तरह के
अ यन म जनसं ा गत नही ं है । समूह थान (ज थान / िनवास / कारखाना / िव ालय),
सामािजक-आिथक थित, समय या थान और समय को िमलाकर बनाया जा सकता है। पा र थितक
अ यन का उपयोग प रक ना की पीढ़ी के िलए िकया जाता है । सावजिनक / िनजी ोतों से डे टा,
रिज यां / डे थ सिटिफकेशन सं गठनों और पहले के सव णों का उपयोग िकया जा सकता है ।
उदाहरण के िलए, इस कार के अ यन म िविभ दे शों म कसर की घटनाओं की जांच जनगणना के

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आं कड़ों और ू मर रिज यों से आयु िवतरण और रोग की थित पर िववरण ा कर सकते ह।
उदाहरण: भारत म कु रोग का थािनक सार।

ii) केस-कंटोल डीज :- इन अ यनों से बीमारी के एिटऑलॉजी की जांच की जाती है, जो


दु लभ (लंबी) बीमा रयों का अ यन करने के िलए उपयु है, लागत भावी है , िवषयों की कम सं ा
की आव कता है , दशन करने म आसान है , कोई जो खम नही ं है टा िवषयों, कई जो खम वाले
कारक एक ही समय म अ यन िकया जा सकता है , िवषयों की कोई कमी नही ं दे खी जाती है, कम से
कम नै ितक सम ाएं ह और छोटी अविध के भीतर पूरा िकया जा सकता है। अ यन की इकाई
गत है। रोग के िबना िवषयों के साथ नव िनदान मामलों की तु लना की जाती है । दोनों मामलों
और िनयं णों म सं भािवत जो खम कारकों के ए पोजर का मू ां कन केस शीट / मरीजों या रोगी
र ेदारों / िनयं णों की जां च या जैव रासायिनक परी ण करके िकया जाता है। इन अ यनों को
पूव ापी कहा जाता है (जै सा िक अ यन प रणाम / बीमारी से लेकर कारण तक पीछे की ओर है )
और भावी (यिद डे टा सं ह अभी भी गित पर है )। अ तालों / रोगी रिज यों / ॉस से नल
डी / केस सीरीज़ / कॉहोट डी से मामलों की भत की जाती है । िनयं ण एक ही कायालय /
कारखाने / सं थान या एक ही अ ताल म अ बीमारी से पीिड़त रोिगयों से एक ही भौगोिलक े /
जीवनसाथी / िम ों से िलया जाता है। चयन िलंग को कम करने के िलए आयु, िलंग और जातीयता,
सामािजक वग (आय, िश ा और वसाय) के िलए मामलों और िनयं ण का िमलान िकया जा सकता
है। जो खम ( े रक एजट / जो खम कारक) और बीमारी / प रणाम के बीच सं बंध का मू ां कन
ऑड् स अनु पात ारा िकया जाता है । केस-कंटोल के दोिषयों को उपयु िनयं ण खोजने म किठनाई
होती है, िवषय जनसं ा के ितिनिध नही ं हो सकते ह, चलन / घटना या िज ेदार जो खम का
अनुमान नही ं लगाया जा सकता है , िचिक ीय की भावका रता का मू ां कन नही ं िकया जा सकता
है, कारण और साथ वाले कारकों के बीच अंतर करना सं भव नही ं है, म से है। (िवषयों की बेमेल
नही ं होने के कारण), पु नवसन (मामलों म घटनाओं की उप थित की संभावना अिधक होती है), चयन
( डऑड मानदं ड के अनु सार भत नही ं िकए गए िवषय), बकसोिनयन (सामा आबादी की तुलना म
उप जनसं ा से िवषयों की भत ) और सा ा ारकता पू वा ह। उदाहरण: एं ोपोमेिटक ल णों की
उपयोिगता और केस-कंटोल अ यन म सू चकां क।

ii) ॉस-अनुभागीय अ यन :- इन अ यनों म एक ही समय म ए पोज़र और प रणाम


(रोग) दोनों की जां च की जाती है । ए पोजर (जो खम कारक) और प रणाम के बीच कोई अ थायी
सं बंध नही ं समझाया जा सकता है । अ यन की इकाई गत है । ये अ यन पुरानी बीमा रयों
और कई उ का अ यन करने के िलए िनधा रत जो खम जैसे िलंग, जातीयता और जीनोटाइप की
जांच के िलए उपयोगी ह एक साथ जो खम कारक। इन अ यनों का संचालन करना आसान है,
बीमारी के बोझ के बारे म जानकारी दे ना, िजसका उपयोग ा के बु िनयादी ढांचे की योजना बनाने,
सं साधनों और मानव श के आवंटन के िलए िकया जा सकता है । यह स ी है और इसे थोड़े समय
के भीतर पूरा िकया जा सकता है ।
यिद ॉस से नल अ यन को एक ही जनसं ा पर दोहराया जाता है तो यह कोहोट अ यन के
प म काय कर सकता है और यिद तं नमूने पर इसे दोहराया जाता है, तो यह रोग के झानों की
जांच करने के िलए उपयोगी है । चर ए पोज़र के िलए, िपछले और वतमान ए पोज़र पर डे टा दज
िकए जाते ह। ितिनिध आबादी का उपयोग करके ल आबादी का अ यन िकया जाता है और

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प रणाम इस आबादी के िलए अित र ह। इन अ यनों को चलन अ यन भी कहा जाता है। यिद
मानक आबादी के डे टा का उपयोग करके चलन को मानकीकृत िकया जाता है , तो चलन की तुलना
अ आबादी के साथ की जा सकती है । इस कार के अ यनों म रोग और िनधारक दोनों का
अ यन िकया जा सकता है । नमूना पू वा ह से बचने के िलए, या क नमूनाकरण तकनीकों का
उपयोग िकया जाता है जैसे ओएस सरल, व थत, गु े दार, रीकृत, म ी े ज और िमि त। हर
आमतौर पर जो खम वाली आबादी या अ यन की गई कुल आबादी है। चलन एक ितशत
या ित 1000 िवषयों पर ुत िकया जाता है । चिलत अ यन तीन कार के होते ह, िजसम
शािमल समय होता है। वे िबं दु, अविध और जीवनकाल की ापकता ह।
बीमारी के ाकृितक इितहास का अ यन करने और घटना का अनु मान लगाने के िलए सार अ यन
उपयु नही ं ह। इन अ यनों म मृतक या गं भीर बीमारी वाले िवषय छूट गए ह। यह प रभािषत
करना संभव नही ं है िक जो खम कारक या ए पोज़र प रणाम / बीमारी से पहले होता है या
ए पोज़र के प रणाम प प रणाम तैयार होता है । यिद अ ेषक उन िवषयों का िव ास हािसल
करने म िवफल रहता है , िजनके प रणाम प उ गै र िति या दर होती है , िजसके
प रणाम प चयन प पात होता है । इस तरह का अ यन िडजाइन दु लभ बीमा रयों के िलए
उपयु नही ं है । लॉिज क र ेशन एनािलिसस नामक एक सां कीय तकनीक का उपयोग
जो खम कारकों और बीमारी के बीच सहयोग को खोजने के िलए िकया जा सकता है। उदाहरण:
ित पित शहरी आबादी म कोरोनरी धमनी रोग और कोरोनरी जो खम कारकों की ापकता।

iv) कोहोट अ यन :- इन अ यनों को घटना / अनुदै अ यन कहा जाता है । कोहोट का


अथ है जनसं ा का समूह। ज ितिथ (ज सहवास), िववाह की ितिथ (िववाह सहवास), दशक
(दशक सहवास), वसाय (डॉ र / वकील / इं जीिनयर / िश क), शहर की जनसं ा (उदाहरण:
िद ी) आिद के आधार पर समूह बनाए जा सकते ह। सहकिमयों की सामा िवशेषताएं / अनुभव /
थित होती है । एक समूह को अ यन के िलए सौंपा गया है , और एक ही समूह के भीतर िन ािसत
और गैर-उजागर सहकिमयों की पहचान की जाती है और िवशेष अविध के िलए उनका पालन िकया
जाता है। यिद ए पोज़र दु लभ है, तो इस कॉहोट की तु लना ए पोज़र को छोड़कर सभी
िवशेषताओं से मेल खाते बाहरी कॉहोट के साथ की जाती है । उसी कोहॉट को ए पोज़र और
प रणाम के र के आधार पर उपसमूहों म िवभािजत िकया जा सकता है । अ यन की शु आत म
ाज के प रणाम के िलए नै दािनक मानदं ड तय िकए जाते ह। बेसलाइन डे टा को ॉस से नल
अ यन, जनगणना और ज रिज यों से हटा िदया जाता है। ए पोजर पर डे टा सा ा ार
आयोिजत करके, मोबाइल पर िवषयों से संपक करके / ई-मेल के मा म से, केस शीट की जांच,
नैदािनक परी ण और पयावरण सव ण जैसे वायु या पानी की गु णव ा के आधार पर एक िकए जाते
ह। इस अ यन से बीमारी के िवषय को बाहर रखा गया है । दोनों उजागर और गैर-उजागर कॉहट
िवषयों का मू ां कन समय-समय पर नै दािनक थित पर िकया जाता है , नैदािनक परी ण करते ह,
नकदी चादरों की समी ा करते ह और अ यन के अं ितम िबंदुओं (प रणाम / बीमारी / मृ ु ) की जांच
के िलए िवषयों का दौरा करते ह। उजागर / गै र-उजागर सहकिमयों के बीच प रणाम / बीमारी / मृ ु
की उप थित की तु लना की जाती है । घटना दर, सापे जो खम (जो खम और प रणाम के बीच सं बंध
की ताकत का मू ां कन करने का उपाय), िज ेदार जो खम (जो खम िकस बीमारी के जो खम के
कारण है ) और जनसं ा िज ेदार जो खम (सु झाव है िक जो खम समा हो गया है तो िकस हद तक
बीमारी कम हो जाती है ) और दोनों सािथयों के बीच तु लना की गई। कोहोट तीन कार के संभािवत
अय का अ यन करते ह (प रणाम, अ यन की दी ा के बाद होता है), पूव ापी (अ यन की

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दी ा से पहले प रणाम) और िमि त (अ यन की दी ा से पहले आ प रणाम जो आगे सं भािवत प
से मू ां कन िकया जाता है )। अगर एक ही कोहट के िनयं ण के साथ तुलना म कोहॉट अ यन म
नए पहचाने गए मामलों को ने े ड केस-कंटोल अ यन कहा जाता है । पि म बंगाल, भारत की
ामीण आबादी म अिधक वजन और मोटापे के सं भािवत सहसंयोजक अ यन के िलए उदाहरण और
पूव ापी सहवास अ यन के उदाहरण केरल के िवषयों म गभकालीन मधुमेह के मातृ और नवजात
प रणाम ह; िमि त सेहोट अ यन का उदाहरण एचआईवी से रो थित और घटना िनमोिनया बी पर
पूव ापी और संभािवत कोहोट अ यन है।

.2. भारत म िविभ ा दे खभाल सेवाएँ ा ह ? चचा कर ।

उ र. भारत की ा दे खभाल णाली को िविभ मापदं डों के आधार पर कई ेिणयों म वग कृत


िकया जा सकता है । फ़ं न के आधार पर यह भारत म हे केयर िस म को संबोिधत करता है
िजसम चार घटक होते ह। वे ह:
 ाथिमक, मा िमक, तृतीयक सं थानों ारा िचिक ा और अध-िचिक ा किमयों ारा
सं चािलत;
 मेिडकल कॉले ज और पै रा-पेशेवर िश ण सं थान आव क मश को िशि त करने
और आव क शै िणक इनपुट दे ने के िलए;
 काय म बं धक, क ीय, रा और िजला यानी पर चल रहे काय मों का बंधन;
 और ा बं धन सूचना णाली िजसम दोटो सं ह, समतलीकरण, िव ेषण और
िति या की दो-तरफा णाली शािमल है ।

ऑपरे शन और ा सं साधनों ( ौ ोिगकी / काय बल) के िलए धन के ोत के आधार पर, ा


दे खभाल णाली को पाँ च े ों म िवभािजत िकया जाता है :

सावजिनक ा े - ाथिमक ा दे खभाल (उप-क और ाथिमक ा क ),


अ ताल (शािमल) सामुदाियक ा क , ामीण अ ताल, िजला हॉ िटस, मेिडकल कॉलेज,
िवशेष अ ताल), ा बीमा योजना (ईएसआई, क सरकार ा योजना) और अ एजिसयां
ा से वाएं (जैसे र ा अ ताल, रे लवे अ ताल)। िनजी ा सं दाय - इसम िनजी अ ताल,
निसग होम, िड सरी, ीिनक आिद शािमल ह। ै क ा एजिसयां - जो ा के े म
काम करने वाले लाभकारी सं गठन नही ं ह जो हमारे पास मौजूद कार की िचिक ा णािलयों के
आधार पर ह
 एलोपैथी और आयु षी से वा अय दो ापक ेिणयों। दे शी िचिक ा प ित म आयु वद,
योग, यूनानी, िस , हो ोपै थी, सोवा र पा को ज ही आयु ष कहा जाता है । इसके पास फंड,
सहायता अनुसंधान और िवकास दान करने के िलए एक अलग मं ालय है। Pubblic
अ ताल, ीिनक और िनजी अ ताल / ीिनक इस ने टवक का िह ा ह।
 िविभ रा ीय ा काय म रा ीय ा काय म-वे िवशेष प से मले रया / कु रोग
आिद से िनपटने के िलए सं घीय (क ीय) सरकार ारा योजनाब , योजनाब , िवकिसत,
काया त और िव पोिषत ह। हम इन रा ीय काय मों के बारे म अिधक िव ार से अ यन
करगे । िन िल खत वग ।

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a) भारत म सावजिनक े की ा दे खभाल :- भारत म ाथिमक ा दे खभाल
ा णाली की रीढ़ बनती है , िवशेष प से ामीण े ों म। ाम र पर, इसम ाम ा
मागदिशकाएँ , िशि त डे स और आं गनवाड़ी कायकता (एकीकृत बाल िवकास योजना से) शािमल ह।
यह उप-क ों और ाथिमक ा दे खभाल क ों ारा समिथत और पयवे ण / सम त है।

मा ता ा सामािजक ा कायकता (आशा) :- एक मिहला है िजसे गां व से ही


चु ना जाता है और उसे समु दाय और सावजिनक ा णाली के बीच इं टरफेस के प म काम
करने के िलए िशि त िकया जाता है । आशा िवली समुदाय म एक ा कायकता ह जो ा
और इसके सामािजक िनधारकों के बारे म जाग कता पैदा करगे और समुदाय को थानीय ा
योजना और मौजूदा ा सेवाओं की उपयोिगता और जवाबदे ही को बढ़ाएं गे । वह अ ी ा
थाओं की मोटर होंगी और उस र के िलए उपयु और वहाय दे खभाल का ूनतम पैकेज भी
दान करगी और समय पर रे फरल करगी।
ाम ा गाइड :- एक ऐसा है जो समाज से वा के िलए एक यो ता रखता है और वह
पूणकािलक सरकारी कमचारी नही ं है। वह या वह समु दाय और सरकारी ा ढां चे के बीच एक
कड़ी के प म काय करता है । वह या वह ाम र पर चु ना जाता है ( ेक 1000 ामीण आबादी
के िलए 1) और तीन महीने के िलए िनकटतम ाथिमक ा दे खभाल क म िश ण से गुजरता
है। गाँ व के ा मागदशक की ाथिमक िज ेदारी म शािमल है , समुदाय को मामूली िचिक ा
सम ाओं से मदद करना, ाथिमक िचिक ा, मातृ -िशशु ा दे खभाल, ा िश ा और
ता सु िनि त करना।

िशि त ज अटडट :- गां व की मिहला का चयन िकया जाता है और वह ाथिमक ा


दे खभाल क या मातृ एवं िशशु ा क म तीस काय िदवसों का िश ण लेती है । िश ण के
बाद उसे सव िकट दान की जाती है , उसकी मु िज ेदारी सुरि त सव सुिनि त करना और
प रवार के छोटे मानदं डों को बढ़ावा दे ना है।
आं गनवाड़ी कायकता :- एकीकृत बाल िवकास योजना (ICDS) के तहत 1000 आबादी के िलए
एक आं गनवाड़ी कायकता कायरत है। उसे ा , पोषण, ाथिमक िश ा आिद के िविभ पहलुओं
म िशि त िकया जाता है और वह गभवती मिहलाओं, 0-6 वष के ब ों, नपान कराने वाली
माताओं और िकशोरों को ा प ं च और ा / पोषण / ा लाभ सुिनि त करने म
मह पूण भूिमका िनभाता है ।
सबसटर (एससी) :- भारत सरकार सामा प से 5000 आबादी के िलए एक एससी को मंजूरी
दे ती है और पहाड़ी / आिदवासी े ों म यह 3000 की आबादी म से एक है। दो ब उ े ीय
कायकता (ज ही एमपीड ू के प म - एक पु ष और एक मिहला) को यहां िनयु िकया जाता
है। वे उस े म सभी ा से वा और ा काय म काया यन के िलए िज ेदार ह। आम
तौर पर, पु ष एमपीड ू मले रया, तपे िदक आिद जै से काय मों की दे खभाल करता है, जबिक
मिहला एमपीड ू को मातृ एवं िशशु ा / प रवार िनयोजन से वाओं के प म दे खा जाएगा।
ाथिमक ा क (PHC) :- ामीण / मैदानों म 30000 आबादी के िलए एक PHC
ीकृत है जबिक आिदवासी / पहाड़ी े ों म ेक 20000 आबादी के िलए यह एक PHC है। PHC
के मुख काय म ा िश ा, पोषण को बढ़ावा दे ना, ता, टीकाकरण, एमसीएच दे खभाल,

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सामा बीमा रयों / चोटों का उिचत उपचार, आव क दवा की आपू ित, िविभ रा ीय ा
काय मों को लागू करना और पयवे ण करना और रे फरल से वाएं शािमल ह। PHC म िचिक ा
अिधकारी, ाफ नस, निसग सहायक, फामािस और अ सहायक कमचारी होंगे।

अंगवनवाड़ी क (मिहला और बाल िवकास िवभाग) :- पोषण संबंधी आव कताओं की


आव कता है 0-6 वष के ब ों और िकशोर लड़िकयों की ा सं बंधी आव कताओं की पूित
आं गनवाड़ी क ों के मा म से की जाती है जहाँ खा ा और दवाइयाँ िवत रत की जाती ह। गभवती
मिहला, ा दे खभाल के मा िमक र म सामुदाियक ा क , ामीण अ ताल, िजला
अ ताल और िवशेष अ ताल शािमल ह।
सामुदाियक ा क (सीएचसी) :- एक ॉक म चार पीएचसी म से एक को आमतौर
पर सामुदाियक ा क (सीएचसी) के प म उ त और मा ता ा है । शॉलड म सजरी,
िचिक ा, ी रोग / सू ित और बाल िचिक ा के िवशेष ों के साथ 30 बेड ह। इसम ए रे और
योगशाला सुिवधाओं जैसी नै दािनक सुिवधाएं भी होनी चािहए। एक सीएचसी आमतौर पर 80000-
120000 की आबादी को कवर करता है । drepamstp ा बीमा: हमारे दे श म कोई सावभौिमक
ा बीमा अिनवाय नही ं है । हालां िक, दो बीमा-आधा रत काय म भारत म अ ी तरह से लागू
और बं िधत ह। वे ईएसआई और क सरकार की ा योजना ह। ईएसआई को 1948 म उ ोगों
म काम करने वाले लोगों के िलए िचिक ा दे खभाल दान करने के िलए पे श िकया गया था। क ीय
सरकार ा योजना 1954 म शु की गई थी और इसम ाय सं गठनों के कमचारी, सेवािनवृ
क ीय सरकारी कमचारी, सेवािनवृ ायाधीश, सं सद के सां सद और उनके प रवार शािमल ह।
आयु ान भारत एक नई योजना है िजसे हाल ही म लॉ िकया गया था, और इसका उ े इस दे श
के नाग रकों को सावभौिमक बीमा कवरे ज दान करना है ।
अ एजिसयां : इसम उनके अ तालों / मेिडकल कॉलेजों के मा म से र ा बलों ारा दान की जाने
वाली िचिक ा से वाएं शािमल ह। इसी तरह, भारतीय रे लवे ऐसो अपने ए ॉइज और प रवार के
सद ों के िलए ा कोर सु िवधाएं दान करती ह।

b) भारत म िनजी ा दे खभाल :- इसम मु प से िनजी अ ताल, तं ीिनक,


निसग होम आिद शािमल ह। यह े अ िधक असं गिठत है और शहरी े ों म कि त है । यह मु
प से उपचारा क और टीकाकरण से वाएं दान करता है । मेिडकल काउं िसल ऑफ इं िडया और
भारतीय मेिडकल एसोिसएशन िनजी ा दे खभाल े के कुछ पहलुओं को िविनयिमत और
िनयंि त करते ह।
c) आयुष मं ालय और उसके ा दे खभाल सं थानों :- आयु ष मं ालय (जो िक
ारं भ म आयु ष िवभाग था), आयु ष णािलयों (आयुवद, योग, यूनानी) के िलए जनश , बुिनयादी ढां चे,
अनुसंधान और िवकास, ड आिद का िविनयमन, रखरखाव, िवकास और बं धन करता है। , िसधा,
हो ोपै थी और सोवा- र पा)। दोनों सावजिनक े के सं थान ( ाथिमक र के ीिनक, आयु वद
अ ताल, आयु वद / हो ोपै थी मेिडकल कॉले ज) और िनजी हैशटै ग / ीिनक / कॉलेज आयुष
मं ालय के िनयं ण और पयवे ण के अधीन ह।
d) ै क ा एजिसयां :- ै क ा सं थाएं आमतौर पर सोसायटी पंजीकरण
अिधिनयम या ट अिधिनयम के तहत पं जीकृत लाभ संगठनों के िलए नही ं ह। अंतरा ीय र के
आगनाइजे शन जैसे रे ड ॉस सोसाइटी, व हे ऑगनाइजे शन आिद भी इस नेटवक का िह ा ह,

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जो संघीय (क ीय) सरकार को िवशेष िश ण, कौशल िवकास, आर एंड डी समथन दान करता है।
इं िडयन काउं िसल फॉर चाइ वेलफेयर, वॉलंटरी हे एसोिसएशन ऑफ इं िडया, ऑल इं िडया
ाइं ड रलीफ सोसाइटी आिद, कुछ अ मह पूण सं गठन ह जो ा के े म अपनी सेवाएं
दान करते ह।

स ीय काय -2

िन िल खत ों के ेक उ र 250 श ों म दीिजए ।

क- भारत म जन ा का िववरण द ।

उ र. तं ता के समय, भारत की ा थित दु िनया म सबसे खराब थी। ज के समय जीवन


ाशा का अनुमान 1951 म 36.7 वष था। िशशु मृ ु दर 1951 म ित 1,000 के प म 146 के
प म अिधक थी। गरीब सामािजक-आिथक िवकास के अवसरों के साथ िमलकर मृ ु दर ब त
अिधक रखी गई। हालां िक, भोजन की आपू ित, आवास सु िवधाओं, ता और ता जैसे बेहतर
रहने की थित के साथ ा से वाओं तक बेहतर प ं च के कारण सं ामक रोगों जैसे िक चेचक,
मले रया, िनमोिनया, तपे िदक, डाय रयोहो, पोिलयोमायलाइिटस, टाइफाइड से होने वाली मौतों म धीरे -
धीरे िगरावट आई। , है जा और तं भारत म ेग। समय के साथ दोनों जीवन ाशा और अ
मृ ु दर संकेतकों म मह पू ण सुधार आ। नवीनतम रपोट के अनु सार जीवन ाशा 67 वष से
अिधक हो गई है । हालां िक िशशु मृ ु दर (33 ित 1000) और मातृ मृ ु दर (122 ित एक लाख
जीिवत ज ) तं ता के बाद से काफी कम हो गई है , यह अभी भी अ ीकाय प से उ है । कई
बीमा रयाँ, जैसे िक पोिलयो, िगनी कृिम रोग, जुएं, और िटटने स, िमट गए ह। यिद हम हाल के इितहास
को दे ख, तो िवशेष प से िपछले बीस वष म सम ा थित म उ ेखनीय सुधार ए ह।
ा से वाओं म हाल के सु धारों को रा ीय ा िमशन के िलए आं िशक प से िज ेदार ठहराया
जा सकता है ।

वतमान म, भारत एक ा सं मण से गु जर रहा है ; जनसां की के साथ-साथ महामारी िव ान


भी। जनसां की सं मण की िवशेषता है मृ ु दर म िगरावट, जनसं ा के आकार म ाकृितक
वृ , जनन मता म िगरावट, शहरीकरण और जनसं ा का बढ़ना। जबिक, महामारी िव ान
सं मण को कम मृ ु दर, उ ता और सं चारी रोगों और गै र सं चारी रोगों (एनसीडीएस) के दोहरे
बोझ से पहचाना जा सकता है । हालां िक भारत म अभी भी सं ामक रोगों जैसे टीबी और मले रया,
एनसीडीएस जैसे दय रोग, कसर, मधु मेह, और पु रानी फु ु सीय बीमा रयों का बोझ है , अब भारत म
मृ ु का मुख कारण है , लगभग 60% मौतों म योगदान दे ता है । िवशेष ों ने तक िदया है िक वतमान
म भारत रोग-सं चारी रोगों के ितहरे बोझ से है ; गैर-सं चारी रोग (एनसीडीएस) और कुपोषण।
हािलया रपोट से पता चलता है िक दु िनया के एक ितहाई से अिधक कुपोिषत ब े भारत म रहते ह।
POSHAN अिभयान जैसे रा ीय र के बड़े काय मों के मा म से कुपोषण के मु ों को दू र करने के
िलए सरकार के यासों के बावजू द, भारत म सबसे बड़ी िवकासा क चुनौितयों म से एक है।

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अपया पानी, ता और ता (ड ूएएसएच) से वाओं का लगभग सभी के जीवन पर एक
लहर भाव पड़ता है । यूिनसेफ के अनु सार "कुछ साल पहले, 2015 म, लगभग 568 िमिलयन लोगों
की आबादी म से लगभग आधी आबादी को शौचालयों तक प ं च नही ं होने के कारण खेतों, जंगलों,
पानी के िनकायों, या अ सावजिनक थानों पर शौच करने की ललक का सामना करना पड़ा। भारत
अकेले दि ण एिशया के 90 ितशत लोगों और दु िनया के 1.2 िबिलयन लोगों म से आधे लोगों के खाते
खुले म शौच करते ह। 2019 तक, नवीनतम अनुमानों के अनु सार, शौचालय तक प ं च वाले लोगों की
सं ा म काफी कमी आई है। अनु मािनत 450 िमिलयन लोग। एक जबरद उपल , केवल
भारत िमशन (एसबीएम) ( भारत अिभयान) के कारण सं भव है, "हालां िक एसबीएम को यूिनसेफ
जैसे अं तरा ीय सं गठनों ारा एक बड़ी सफलता के प म दे खा जाता है , िशशु और ब े पर इसका
वा िवक भाव ा को पू री तरह से समझा जाना अभी बाकी है ।

भारत और अ जगहों पर हीथ और पोषण सं बंधी आं कड़े सामािजक और आिथक िवषमताओं को


दशाते ह। इसिलए, यह ान रखना मह पू ण है िक भारत म ा और पोषण संबंधी असमानताएं
वग, जाित, धम और े ीय असमानताओं से उ सामािजक असमानताओं से और अिधक बढ़ जाती
ह। कई शोधकताओं ने गरीब, मिहला िलंग, िनवास के ामीण थान, आिदवासी जातीयता, अनुसूिचत
जाित (एससी) और िविश अ सं क समूहों के साथ उिचत प से कम ा की थित का
उ ेख िकया है।

ख- भारत के ा े म गैर - सरकारी संगठनों ( एनजीओ ) की भू िमका पर


संि चचा कर ।

उ र. संघीय (क ीय) और रा सरकारों के अलावा, अ िहतधारक ह जो लोगों की ा थित


को सु धारने म काम कर रहे ह। गैर-सरकारी सं गठन समाज के सबसे वंिचत वग तक प ँ चने म
मह पूण भूिमका िनभाते ह। एनजीओएस का मानव क ाण के सं वधन म सि य भागीदारी का लंबा
इितहास है । िवशेष प से , NGOS समुदाय और सरकार के बीच मह पूण सं बंध दान करता है ।
उनके पास कुछ ताकत और िवशेषताएं ह जो उ इस ि या म भावी और गितशील एजटों के प
म काय करने म स म बनाती ह। उनके काय म अनु संधान से लेकर समुदाय आधा रत
प रयोजनाओं तक मानवीय िचं ताओं के ापक दायरे को कवर करते ह और अ र ा और
िवकास के े म अ णी होते ह।

1) गैर-सरकारी संगठनों की समझ :- NGO’S को दु िनया भर म िविभ नामों से बुलाया


जाता है, जैसे िक तीसरे े के सं गठन, गै र-लाभकारी सं गठन, ै क संगठन, धमाथ संगठन और
समुदाय-आधा रत सं गठन। भारत म, उ अ र गै र-लाभकारी सं थानों के प म कहा जाता है
और आिधका रक तौर पर एक संगठन के प म प रभािषत िकया जाता है –
a) लाभ के िलए और;
b) कानू न या रवाज ारा उन लोगों के िलए कोई अिधशेष िवत रत नही ं िकया जा सकता है जो उ
उ या िनयंि त करते ह;
2) सरकार से सं थागत प से अलग ह; d) शासी ह; e) कृित म गै र-अिनवाय ह।

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NGOS िवदे शी फंड, सरकारी अनु दान, कॉप रे ट सामािजक िज ेदारी फंड, NGOS के यं के फंड
जनरे िटं ग संसाधन और अ परोपकारी / गत धमाथ दान से धन उ करते ह। हालांिक
समय के साथ गितिविधयों का प और फोकस बदल गया है, एनजीओएस ने ा दे खभाल
सिहत सामािजक जीवन के ापक े म म मुखता ा की है । िव ा संगठन ने सरकारी
काय मों को पू रक बनाने और ा से वा आव कताओं और अपे ाओं के संबंध म भावी लोगों
की आवाज बनाने के िलए मा ता बढ़ाने के मामले म एनजीओएस को ीकार िकया है ।

ii) ा णाली म NGOS के काय ा े म :-


NGOS का ाथिमक ान िन कार से सू चीब िकया जा सकता है :
 ा दे खभाल सं थानों की थापना;
 मिहलाओं, बुजुग और कमजोर थानीय समुदायों जैसे समूहों की ा और सामािजक
आव कताओं को पू रा करना;
 एड् स, शराब जैसे िविश ा मु ों से िनपटना;
 ा अिधकारों को बढ़ावा दे ना;
 िनवारक ा काय म करना;

और ा िव / िव पोषण और शासन का बं धन करना। कुछ एनजीओएस अंतररा ीय र


पर काम करते ह और वै ि क ा मु ों से िचं ितत ह। भारत म कुछ गैर सरकारी संगठन alsa
आपात थित / ाकृितक आपदाओं के समय ा दे खभाल दान करने म एक मह पूण भूिमका
िनभाते ह।

iii) भारत म गैर-सरकारी संगठन एनजीओ ारा चलाए जा रहे अ तालों की ा


गितिविधयाँ िवषम ह और ािम , िव पोषण और लागत के मामले म िभ ह। हाल के िदनों म,
ा और प रवार क ाण मं ालय की लगभग दस ा उ ु ख प रयोजनाओं म, NGOS ने
सि य प से ा से वा दाताओं के प म भाग िलया है। ये सभी एनजीओ योजनाएं अब रा ीय
ा िमशन के े ी पू ल के ावधान के तहत ह। इसके अलावा, कुछ एनजीओएस (िवशेष प
से अं तरा ीय एनजीओएस के रा ीय काउं टर भागों) की अपनी ा िव पोषण योजनाएं ह।
भारत म, इन गै र-सरकारी सं गठनों म से अिधकांश सोसायटी पं जीकरण अिधिनयम या भारतीय ट
अिधिनयम के तहत आते ह। इसके अलावा, कानू नी र म पं जीकृत िकए िबना जमीनी र पर
अनौपचा रक सं घों की सं ा है । दास और कुमोर (पीएचएफआई, 2016) ारा िकए गए अ यन से
पता चलता है िक ा गितिविधयों म मु प से एक सौ सं गठन या सहायक शािमल ह, एक
अ ताल है । आउटरीच गितिविधयों म लगभग 84% एनजीओ की भारी सं ा पाई जाती है ।
आउटरीच गितिविधयां मु ा गितिविध ह िजसम लि त आबादी के िलए जाग कता पैदा
करना मु गै र सरकारी सं गठन के िलए आउटरीच का मुख उपसं पादक है |

िनवारक दे खभाल भारत म एनजीओ े ारा दान की जाने वाली सबसे आम गितिविध है ।
ादातर रा ों म, केरल और मिणपु र के अलावा अ िनिधयों को िनवारक दे खभाल के िलए
िनदिशत िकया जाता है । केरल म िनिधक दे खभाल के िलए अिधकतम धनरािश खच की जाती है

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िजसम िनवारक दे खभाल दू सरी सबसे अिधक है । मिणपुर म, बं धन और िव के संदभ म ा
णाली सहायक से वाएं अ खच पर हावी ह।
से वा कनाटक जैसे कुछ रा ों को छोड़कर पुनवास दे खभाल के िलए य मह पूण नही ं ह। मोिनका
दास गु ा (PHFI, 2016) के अनु सार, भारत म गै र-सरकारी संगठन (एनजीओ) की ा
गितिविधयों को मोटे तौर पर नौ समूहों म वग कृत िकया गया है:
 िचिक ा िश ा
 अ ताल की से वाएं
 पुनवास ीिनकों की
 आउट पेशट ीिनक लैब और ए रे
 नॉन ॉिजकल मेिडकल सपोट जैसे हे िस म
 लि त आबादी के िलए ा बीमा
 िनवारक दे खभाल के िलए आउट-ए गितिविधयां जो िचिक ा अनुसंधान म संल ह

iv) एनजीओएस और ा े :

भिव िव फेडरे शन ऑफ प क हे एसोिसएशं स (2015) ारा एक थित प म कहा गया है


िक िन िल खत ऐसे े ह िजनम एनजीओएस कुशलतापू वक भारत के ा दे खभाल े म
योगदान कर सकते ह:
 सभी चरणों म, के िवकास म ाथिमक ा दे खभाल काय म एनजीओएस अिधक भावी
हो सकता है।
 एनजीओएस ाथिमक ा दे खभाल के ित अिधक समझ और सकारा क ि कोण के
िलए काम कर सकता है ।
 NGOS ा दे खभाल के े ों म रा ीय तालमेल बनाने म मदद कर सकता है और मानव
िवकास को एकीकृत कर सकता है।
 एनजीओएस थानीय मताओं को मजबू त करने के िलए सहायता दान करके िन कार से
ाथिमक ा दे खभाल म योगदान दे सकता है ; गरीबों, वंिचतों और दू र थ थत आबादी
के साथ काम करने की उनकी मता को और बढ़ाकर। सी। वै ीकरण और ा पर
इसका भाव।

ग- वै ीकरण और ा पर इसका भाव ।

उ र. वै ीकरण ने दे शों के बीच ापार सं बंधों और आं दोलनों पर भाव डाला। अंतररा ीय


सं गठनों (व टे ड ऑगनाइजेशन, व बक) की म थता के मा म से दे शों के बीच नए बाजारों,
तकनीकी िवकास और समझौतों और सहयोग की ित धा और खोज इस ि या को एक
वा िवकता बनाते ह।
वै ीकरण को उन ि याओं के प म प रभािषत िकया गया है जो उन तरीकों को बदल रहे ह िजनम
लोग सीमाओं के पार, िवशेष प से भौितक (जैसे िक रा -रा ), लौिकक (जैसे ता ािलक सं चार)
और सं ाना क (जैसे सां ृ ितक पहचान) से सं पक करते ह। प रणाम कई े ों, आिथक,
राजनीितक, सां ृ ितक, तकनीकी और इतने पर (ली के और उनकी टीम 2002) म मानव समाज के
पुनप रभािषत है ।

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ा उपल यां मह पू ण अंतरा ीय िवकास ल ह। वै ीकरण नए ान और कौशल िवकिसत
करने म मदद कर रहा है ; नीित सु संगतता को बढ़ावा दे ना। यह ा के िलए ोबाई सावजिनक
व ु ओं म योगदान दे ता है , ा के िलए वैि क ा कोष, अं तरा ीय मानक / िनयम िवकिसत
िकए जाते ह।
हालाँ िक, वै ीकृत दु िनया म कुछ िविश िचंताएं िजनका ा पर /अ भाव ह:
1) खा सुर ा
2) पयावरणीय िगरावट और ा पर इसका भाव
3) औषिधयों तक प ं च
4) ा दे खभाल से वा उपल ता
5) उभरते मु ों जैसे आनु वंिशक प से सं शोिधत खा पदाथ का ा पर भाव
6) बढ़ती जीवन शै ली रोग बोझ

भूमंडलीकरण ने थानीय ान, थानीय सं साधनों और पारं प रक िजससे वैि क ान पर नकारा क


भाव छोड़ा, सं साधन श णाली म आिधप को बढ़ाते ह। मैकडॉन , केएफसी जैसी खा
ृंखलाओं म वृ और िकशोरों / शहरी लोगों के बीच भारतीय भोजन पर इसकी लोकि यता का
उ ेख करना एक उदाहरण है । यह फा फूड क चर पीसीओडी जैसे ा और जीवन शैली की
बीमा रयों पर भाव छोड़ता है और इस आयु वग सीई के बीच मोटापा बढ़ रहा है

िन िल खत म ेक का उ र 150 श ों म दीिजए ।

क- महामारी और सव ापी महामारी

उ र. एक महामारी या कोप :- एक समुदाय या बीमारी के मामलों के े म, िविश


ा से सं बंिधत वहार, या सामा अपे ा से अिधक प से अ ा संबंधी घटना।
दोनों श ों का पर र उपयोग िकया जाता है ; हालाँ िक, महामारी आमतौर पर बीमारी या ा
सं बंधी घटनाओं के एक बड़े भौगोिलक िवतरण को सं दिभत करता है । एक कोप थािनक मामलों
की सं ा म अिधक से अिधक ािशत वृ है । श का कोप एक नए े म एक भी मामले को
सं दिभत करने के िलए भी इ ेमाल िकया जा सकता है । यिद यह ज ी से िवरोधाभासी नही ं है , तो
एक कोप महामारी बन सकता है । इसिलए, एक महामारी एक समुदाय, आबादी या े के भीतर
बड़ी सं ा म लोगों को भािवत करती है ।

एक सव ापी महामारी :- रोग की एक महामारी जो एक बड़े े म फैल गई है ; उदाहरण के


िलए, कई महा ीप, या यहां तक िक दु िनया भर म। उदाहरण के िलए, शु आत म COVID-19 वुहान,
चीन तक सीिमत था, तब यह एक महामारी थी। हालां िक, बड़े पै माने पर भौगोिलक सार ने कोिवद -
19 को एक महामारी म बदल िदया।

ख - सं ामक रोग

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उ र. जॉन मरे अंितम (1988) महामारी िव ान के श कोश म सं ामक रोगों को "एक िविश
सं ामक एजट या उसके िवषा उ ाद के कारण होने वाली बीमारी के प म प रभािषत िकया
गया है , िजसके प रणाम प सं िमत , जानवर, या जलाशय से उस एजट या उसके उ ादों
के सं चरण का प रणाम होता है । एक अितसंवेदनशील मेजबान के िलए, या तो सीधे या अ प
से एक म वत पौधे या पशु मेजबान, वे र या िनज व वातावरण के मा म से। एक सं ामक रोग
एजट, मेजबान और पयावरणीय कारकों की बातचीत के कारण होता है । एजट (जीवाणु, वायरस,
ोटोजोआ, कवक और हे ंथ)। आमतौर पर सू जीव है जो सं मण पैदा करने म स म है;
मेजबान (पशु, प ी, मानव और आ पोड् स) एक ऐसा जीव है जो एक सं ामक ouss एजट है और
पयावरण म पानी, भोजन, दू ध, कपड़े , र , कटली, पै रटे रल समाधान और िचिक ा शािमल हो सकते
ह। औजार या यं s, COVID-19, और हे पेटाइिटस B.

ग- या क नमू ना ( रडम सपिलंग )

उ र. इस िविध म, पॉपुलेशन मबस (यूिनट् स) को रडम या लॉटरी टाइप मैकेिन ारा सपल म
शािमल िकया जाता है । यह सद ों को अ यन म भत करने म गत पूवा ह को रोकता है ।
यह िन िन ष िनकालने का सबसे अ ा तरीका है ।

i) सरल रडम सै िलंग - इस प ित म जनसं ा की ेक इकाई के नमूने म चयिनत होने की


समान सं भावना होगी।

ii) रीकृत रडम नमूनाकरण - इस प ित का उपयोग तब िकया जाता है जब जनसं ा


इकाइयाँ िवषम होती ह जैसे िक िश ा के र, िनवास थान, सामािजक आिथक थित म अंतर िश ा
के र म, िनवास थान, सामािजक आिथक थित आिद

iv) र नमूनाकरण - र नमू नाकरण रत और शासन के िलए आसान है। मान


लीिजए हम टीकाकरण पर एक अ यन करना चाहते ह।

v) म ी े ज सै िलंग - यह िविध िकसी रा जैसे बड़े े या रा के भीतर एक बड़े े म


एक सव ण करने के िलए आव क है ।

घ . पयावरण ा

उ र. 1989 म, WHO ने इसे 'मानव ा और बीमारी के उन पहलुओं को शािमल करते ए


प रभािषत िकया, जो पयावरण म कारकों ारा िनधा रत होते ह। यह पयावरण म कारकों का
आकलन करने और िनयंि त करने के िस ां त और अ ास को भी सं दिभत करता है जो संभािवत
प से ा को भािवत कर सकते ह '।
1993 म ड ू एचओ यूरोपीय सद रा ों की एक बै ठक से श को प रभािषत करने का एक और
हािलया यास। उनकी ािवत प रभाषा थी: "पयावरणीय ा म मानव ा के उन पहलुओं

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को शािमल िकया जाता है , िजसम जीवन की गुणव ा शािमल है , जो भौितक, जैिवक, सामािजक ारा
िनधा रत होती है । और पयावरण म मानिसक-सामािजक कारक। यह पयावरण म उन कारकों का
आकलन, सु धार और रोकथाम करने के िस ां त और वहार को भी संदिभत करता है जो वतमान
और भिव की पीिढ़यों के ा पर ितकूल भाव डाल सकते ह। '
उपरो प रभाषाएं तीन कार के वातावरणों पर कि त ह: घर, काम और मनोरं जन। ये सभी एक-
दू सरे से अलग ह और इसिलए इस तरह के तनाव या चु नौितयां भी अलग-अलग ह। कुल िमलाकर,
िकसी भी के जीिवत वातावरण म, जैिवक जै से तनाव वाले। रासायिनक, शारी रक, सामािजक
और मनोवै ािनक ा की थित को भािवत करते ह।

च - टी - टे

उ र. इन परी णों से हम िकसी िवशेषता के अवलोकन िकए गए नमूना मा की तुलना का िनक


अथ से कर सकते ह।
 हम साधनों के बीच अंतर के मह के िलए भी परी ण कर सकते ह। दो तं या िडपे ना ने
माना िक गत डे टा मान सामा िवतरण का अनुसरण करते ह। नमूने। यह इन परी णों
के साथ है हम एक का िनक मा के साथ एक िवशेषता के अवलोकन िकए गए नमूना
मतलब की तुलना कर सकते ह,
 हम साधनों के बीच अंतर के मह के िलए भी परी ण कर सकते ह। दो तं या आि त
नमूनों का। सट वै ू अ ी नही ं है । इस मामले म हम एक िवशेष िवतरण का उपयोग करते
ह िजसे ू डट का टी िड ी ूशन (ड ू। एस। गोसैट ारा ािवत िजसका पेन का नाम
ू डट था) है। इन परी णों को टी-परी ण के प म जाना जाता है।
 िदलच है , टी-टे को छोटे और बड़े दोनों नमू नों के िलए लागू िकया जा सकता है जबिक
जे ड-परी ण को छोटे नमूनों पर लागू नही ं िकया जा सकता है ।

छ . िलंग और

उ र. िलंग सामािजक (साथ ही सां ृ ितक प से ) पु षों और मिहलाओं की प रभािषत भूिमकाओं


और िज ेदा रयों को संदिभत करता है । िविभ सामािजक सं थाओं म समाजीकरण के मा म से
लिगक भूिमकाएं सीखी जाती ह। लिगक असमानता सं साधनों / लाभ के आवंटन या से वाओं तक प ं च
म अवसरों के मामले म के िलंग पर आधा रत भेदभाव है ।

लिगक समानता का अथ है , िकसी के िलंग पर, अवसरों म, सं साधनों या लाभों के आवंटन म या


से वाओं तक प ं च के आधार पर भेदभाव की अनु प थित। िलंग इ टी का मतलब मिहलाओं और
पु षों के बीच लाभ और िज ेदा रयों के िवतरण म िन ता और ाय है और मौजूदा असमानताओं
को समा करने के िलए अ र मिहलाओं-िविश प रयोजनाओं और काय मों की आव कता
होती है।
कई समाजों म, मिहलाएं पु षों के अनु सार कुछ बु िनयादी मानवािधकारों का उपयोग करने के िलए
व थत प से असफल हो जाती ह या असफल हो जाती ह। अिधकांश समय, मिहलाओं की
ा थित और मृ ु दर, ता और िवकलां गता दर को भािवत करने से संबंिधत सम ाएं ।

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IGNOU SOLVED ASSIGNMENTS 2020-2021

BANS-184

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