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मध्यकालीन भारत

भारत पर अरबों के आक् रमण-


 अरबों के भारत आक् रमण के विषय में पर्याप्त सूचना 9 वीं शताब्दी के बिलादरू ी कृत 'किताब-फुतूल-अल बलदान' में
मिलती है ।
 1216 ई. में 'चचनामा' जो फारसी भाषा में लिखी गई है । उसमें भी अरबों के आक् रमण के विषय में पर्याप्त जानकारी
मिलती है ।
 712 ई. में मु हम्मद बिन कासिम ने सिन्ध पर सफल आक् रमण किया।
 उस समय वहाँ का शासक दाहिर था। अरबों द्वारा भारत पर किया गया यह पहला सफल आक् रमण था।
 इसी ने पहली बार विजित क्षे तर् ों से जजिया कर वसूल किया।
 अरबों ने भारतीय जनजीवन को काफी प्रभावित किया और स्वयं भी प्रभावित हुए। अरबों ने चिकित्सा,
दर्शनशास्त्र, नक्षत्र विज्ञान, गणित और शासन प्रबन्ध की शिक्षा भारतीयों से ली।
 मं सरू के समय (753-774 ई.) में अरब विद्वान भारत से बगदाद अपने साथ दो पु स्तकें ले गये —ब्रह्मपु त्र का ब्रह्म
सिद्धान्त तथा खण्डखाद्य ।
 पं चन्त्र का अनु वाद अरबी भाषा में कलिलावादिम्ना नाम से हुआ जिनकाउल्ले ख अलबरूनी ने किया था। अलबरूनी
11 वीं शाताब्दी में भारत आया था।
 अलप्तगीन नामक तु र्क सरदार ने 932 ई. में गजनी साम्राज्य की स्थापना की, जिसकी राजधानी गजनी थी।
 अलप्तगीन ने गजनी में यामिनी वं श की स्थापना की।
 अलप्तगीन की मृ त्यु के पश्चात् उसका गु लाम व दामाद सु बुक्तगीन 977 ई. में गजनी की गद्दी पर बै ठा । इसी के द्वारा
प्रथम तु र्क आक् रमण पं जाब में हिन्द ू शाही वं श का शासक जयपाल शासन कर रहा था।
 भारत पर अरबवासियों के आक् रमण का मु ख्य उद्दे श्य धन-दौलत लूटन तथा इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार करना था

 अरबों ने सिन्ध में ऊँट पालन, खजूर की खे ती तथा दिरहम' नाम सिक्के का प्रचलन करवाया था।

महमूद गजनवी
 गजनी के शासक सु बुक्तगीन के पु तर् महमूद गजनवी का जन्म 1 नवम्बर, 971 ई. में हुआ था।
 महमूद गजनवी 27 वर्ष की उम्र में 998 ई. में गजनी की गद्दी पर बै ठा सु बुक्तगीन के बाद महमूद गजनवी ने भारत पर
1000 ई. से 1027 ई. तक कुल 17 बार आक् रमण किया।
 महमूद गजनवी के भारतीय आक् रमण का मु ख्य उद्दे श्य धन की प्राप्ति था। यहाँ उसका साम्राज्य विस्तार का कोई
इरादा नहीं था।
 बगदाद के खलीफा अल कादिर बिल्लाह ने महमूद गजनवी के पद को मान्यता प्रदान करते हुए उसे यमीन-उद्-दौला
तथा यमीन-उल-मिल्लाह की उपाधि दी।
 महमूद के दरबारी इतिहासकार उतबी ने उसके आक् रमणों को जिहाद माना है जिसका मूल उद्दे श्य इस्लाम का प्रसार
और बु तपरस्ती (मूर्ति पूजा) को समाप्त करना था।
 महमूद ने अपनी से ना की कमान तिलक तथा से वंदराय नामक हिन्दुओं को सौंपी थी।
 महमूद के साथ भारत आने वाले विद्वानों में अलबरूनी, फिरदौसी,फरूखी और उतबी प्रमु ख थे । अलबरूनी की पु स्तक
किताबु ल हिन्द' तत्कालीन इतिहास को जानने का एक प्रमु ख स्रोत है । अलबरूनी ही पु राणों का अध्ययन करने
वाला प्रथम मु स्लिम था ।
 महममूद गजनबी ने एक तरफ सं स्कृत मु दर् ाले ख के साथ चाँदी के सिक्के जारी किए।
 महमूद गजनवी की 1030 ई. में मृ त्यु हो गई।
 सु ल्तान की उपाधि धारण करने वाला प्रथम शासक महमूद गजनवी था।

महमूद गजनवी के 17 आक् रमण


 विद्याधर को महमूद गजनवी पराजित नहीं कर सका।

मु हम्मद गोरी
 मु ईजु द्दीन मु हम्मद बिन साम को ही मु हम्मद गोरी कहा जाता था। वह 1173 ई. में गौर राज्य का शासक बना था।
 मु हम्मद गोरी का प्रथम आक् रमण 1178 ई. में मु ल्तान पर हुआ उस समय मु ल्तान पर करमाथी जाति का शासक था।
 1178 ई. में गोरी ने गु जरात पर आक् रमण किया, किन्तु भीम द्वितीय (मूलराज द्वितीय) ने उसे आबू पर्वत के पास
पराजित किया था। भारत में यह मु हम्मद गोरी की पहली पराजय थी।
 तराइन के प्रथम यु द्ध 1191 ई. में मु हम्मद गोरी को पृ थ्वीराज चौहान ने परास्त किया था।
 तराइन के द्वितीय यु द्ध 1192 ई. में मु हम्मद गोरी ने पृ थ्वीराज चौहान को परास्त किया था।
 चं दावर के यु द्ध 1194 ई. में मु हम्मद गोरी ने जयचन्द को पराजित में चन्दावर किया था।
 तराइन के प्रथम यु द्ध में पृ थ्वीराज चौहान का से नापति स्कन्द था।
 मु हम्मद गोरी की मु ख्य सफलता उसकी उत्तर भारत की विजय थी।
 वास्तव में भारत में तु र्की राज्य की नींव उसी ने डाली थी।
 1206 ई. में गोरी की मृ त्यु के बाद कुतु बुद्दीन ऐबक ने भारत में नये वं श की नींव डाली थी। जिसे गु लाम वं श कहा गया
है ।
 मु हम्मद गोरी ने भारत में प्रथम इक्ता कुतु बुद्दीन ऐबक को (1203-04 ई. में ) प्रदान किया था।
 ू री ओर लक्ष्मी की आकृति अं कित रहती थी।
मु हम्मद गोरी के सिक्कों पर एक ओर कलमा खु दा था तथा दस
 मु हम्मद गोरी, जिसने बं गाल एवं बिहार पर विजय प्राप्त करने के लिए अपने गु लाम व से नापति बख्तियार खिलजी
को भे जा।
 बख्तियार खिलजी ने बिहार विजय के दौरान नालं दा एवं विक् रमशिला विश्व विद्यालय को नष्ट किया ।
 ' 1204-05 में बख्तियार खिलजी द्वारा बं गाल पर आक् रमण के दौरान लक्ष्मणसे न वहाँ का शासक था। अचानक
आक् रमण से भयभीत होकर लक्ष्मणसे न बिना यु द्ध किये ही भाग गया, फलतः बख्तियार खिलजी ने
 बं गाल व बिहार पर अधिकार कर लिया। उसने लखनौती को अपनी राजधानी बनाया।
दिल्ली सल्तनत (1206-1526 ई.)
गु लाम वं श (1206-1290 ई.)

कुतु बुद्दीन ऐबक (1206-1210 ई.)


 मु हम्मद गोरी के सबसे महत्वपूर्ण गु लाम कुतु बुद्दीन ऐबक ने (1206-12010 ई.) गु लाम वं श की नींव डाली । यह पहला
तु र्क शासक था। इसे हातिमताई-II कहा जाता है ।
 कुतु बुद्दीन ऐबक ने अपनी राजधानी लाहौर में बनाई थी।
 कुतु बुद्दीन ऐबक को उदारता एवं दानी स्वभाव के कारण लाखबख्श की उपाधि दी गई थी।
 काजी ने कुतु बुद्दीन ऐबक को 'कुरान खाँ ' (कुरान का सही पाठ करने वाला) कहा था।
 कुतु बमीनार की नींव कुतु बुद्दीन ऐबक ने डाली थी, जिसे बाद में मु ख्यतः इल्तु तमिश ने पूरा करवाया था।
 कुतु बमीनार का निर्माण सूफी सन्त शे ख ख्वाजा कुतु बुद्दीन बख्तियार काकी की याद में करवाया गया था ।
 ऐबक ने दिल्ली में 'कुब्बल-उल-इस्लाम' एवं अजमे र में ‘अढ़ाई दिन का झोंपड़ा' नामक मस्जिद का निर्माण करवाया
था।
 कुतु बुद्दीन ऐबक की मृ त्यु 1210 ई. में लाहौर में चौगान (पोलो) खे लते समय घोड़े से गिरने के कारण हुई।
 कुतु बुद्दीन ऐबक की मृ त्यु के पश्चात् उसका पु त्र आरामशाह शासक के रूप में गद्दी पर बै ठा थी।

इल्तु तमिश (1211-1236 ई.)


 आरामशाह की हत्या करके इल्तु तमिश 1211 ई. में दिल्ली की गद्दी पर बै ठा था।
 इल्तु तमिश इल्बारी तु र्क था, जो ऐबक का गु लाम और दामाद भी था।
 दिल्ली सल्तनत का सु ल्तान बनने से पहले वह बदायूँ का सूबेदार था।
 इल्तु तमिश को दिल्ली सल्तनत का वास्तविक सं स्थापक माना जाता है । इसे 'गु लामों का गु लाम' सु ल्तान कहा जाता
है । यही दिल्ली का प्रथम मु स्लिम शासक था।
 इल्तु तमिश लाहौर से राजधानी को स्थानान्तरित कर दिल्ली लाया ।
 इल्तु तमिश ने अमीरों की शक्ति को नष्ट करने के लिए गु लाम सरदारों का एक सं गठन बनाया जिसे 'तु र्कान-ए-
चिहालगानी' कहा जाता था।
 1229 ई. में इल्तु तमिश ने बगदाद के खलीफा से सु ल्तान पद की वै धानिक स्वीकृति प्राप्त की । ऐसा करने वाला भारत
का पहला शासक था।
 उसने सिक्कों पर सर्वप्रथम बगदाद के खलीफा का नाम अं कित करवाया।
 इल्तु तमिश ने 1234-35 में उज्जै न के महाकाल मं दिर तथा भिलसा के प्राचीन हिन्द ू मं दिर को लूटा व ध्वस्त कर दिया

 इल्तु तमिश के शासन काल में मं गोल आक् रमणकारी चं गेज खाँ भारत की उत्तर-पश्चिम सीमा पर आया था। इस
प्रकार मं गोल प्रथम बार सिन्धु तट पर दे खे गये थे ।
 चं गेज खाँ का मूल नाम ते मुचिन था।
 इल्तु तमिश ने बिहार में अपना प्रथम सूबेदार मलिक जानी को नियु क्त किया था।
 इल्तु तमिश के दरबार में मिन्हास-उस-सिराज' नामक विद्वान् को सं रक्षण प्राप्त था।
 सु ल्तान ने दो महत्वपूर्ण सिक्के चाँदी का 'टं का' और ताँबे का जीतल' का प्रचलन करवाया । इसने सिक्कों पर टकसाल
का नाम लिखने की परम्परा शु रू की थी।
 इल्तु तमिश ने 'इक्ता प्रणाली' (वे तन के बदले भूमि का एक भाग) कर वसूल करने के लिए शु रू की थी।
 इक्ता प्राप्त करने वाले (इक्ते दार) का उसके इक्ता पर अधिकार वं शानु गत नहीं होता था। इल्तु तमिश ने इक्ते दारों के
स्थानांतरण की व्यवस्था भी प्रारम्भ की, जिसका उद्दे श्य इक्ता व्यवस्था में सामं तवादी के तत्व को उत्पन्न होने से
रोकना था।
 इल्तु तमिश को मकबरा निर्माण शै ली का जन्मदाता कहा जाता है ।
 इल्तु तमिश द्वारा बनवाये गये महत्वपूर्ण निर्माण कार्य इस प्रकार हैं - कुतु बमीनार, सु ल्तानगढ़ी का मकबरा (भारत का
पहला मकबरा), खु द का मकबरा आदि।
 इल्तु तमिश की मृ त्यु अप्रैल, 1236 ई. में हो गई। उसकी मृ त्यु के बाद उसका पु त्र रुकनु द्दीन फिरोज गद्दी पर बै ठा ।
वह एक अयोग्य शासक था, ले किन वास्तविक सत्ता उसकी माँ शाहतु र्कान के हाथ में थी।
 तु र्क अमीरों ने शाहतु र्कान के अवां छित प्रभाव से परे शान होकर रुकनु द्दीन को हटाकर रजिया सु ल्तान को सिं हासन पर
बै ठाया।

रजिया सु ल्तान (1236-1240 ई.)


 रजिया सु ल्तान दिल्ली सल्तनत की प्रथम एवं अन्तिम महिला मु स्लिम शासक थी।
 ग्वालियर के अभियान से वापस आने पर इल्तु तमिश ने अपना उत्तराधिकारी रजिया को घोषित किया। रजिया ने
अपने सिक्कों पर 'अमरत-अल-निस्वां ' की उपाधि अं कित करवाई थी।
 रजिया ने मलिक जमालु द्दीन याकू त को अमीर-ए-आखूर (अश्वशाला का प्रधान) पद पर नियु क्त किया था।
 ू रा विद्रोह अल्तूनिया (भटिण्डा का गवर्नर) द्वारा किया गया था।
रजिया के विरुद्ध प्रथम विद्रोह कबीरखाँ तथा दस
 गै र-तु र्कों को सामन्त बनाने के रजिया के प्रयासों से असन्तु ष्ट तु र्क अमीरों ने रजिया की अनु पस्थिति में बहरामशाह
को सु ल्तान घोषितकर दिया था।
 दिल्ली को पु नः प्राप्त करने के दौरान रजिया सु ल्तान बहरामशाह से पराजित हुई। रजिया ने अल्तूनिया से विवाह
कर पु नः राजगद्दी प्राप्त करने का प्रयास किया, परन्तु असफल रही।
 बहरामशाह ने अपनी सत्ता को सु रक्षित रखने के लिए तु र्क अधिकारियों में एक नवीन पद ‘नायब-ए-मु मलकत' की
स्थापना की, जो सम्पूर्ण अधिकारों का स्वामी होगा। यह पद एक सं रक्षक के समान था ।
 सर्वप्रथम यह पद (नायब) रजिया के विरुद्ध षड्यन्त्र करने वाले एक ने ता एतगीन को दिया गया था।
 13 अक्टू बर, 1240 ई. में कैथल के समीप डाकुओं द्वारा रजिया की हत्या कर दी गई।
 एलफिंस्टन के अनु सार, “यदि रजिया स्त्री न होती, तो उसका नाम भारत के महान् मु स्लिम शासकों में लिया जाता।"
 बहरामशाह को बन्दी बनाकर मई, 1242 ई. में हत्या कर दी गई।
 उसके बाद दिल्ली का सु ल्तान अलाउद्दीन मसूद शाह बना । बलबन ने षड्यन्त्र कर सु ल्तान को पद से हटाकर
नासिरुद्दीन महमूद को दिल्ली का सु ल्तान बनाया था ।
 बगदाद के अन्तिम खलीफा का नाम भारत में सर्वप्रथम अलाउद्दीन मसूदशाह के सिक्कों पर अं कित किया गया था ।

ग्यासु द्दीन बलबन (1265-86 ई.)


 इल्बरी तु र्क बलबन का मूल नाम या प्रारम्भिक नाम बहाउद्दीन था।
 इल्तु तमिश ने उसकी योग्यता परखकर 40 अमीरों के दल में स्थान दिया था।
 रजिया के काल में उसे 'अमीरे शिकार के पद पर नियु क्त किया गया।
 सु ल्तान नासिरुद्दीन ने बलबन को अपना ‘नायबे मु मालिक' (प्रधानमन्त्री) नियु क्त किया।
 1265 ई. में ग्यासु द्दीन बलबन के नाम से सु ल्तान के पद पर आसीन हुआ । इसे दिल्ली सल्तनत का द्वितीय सं स्थापक
माना जाता है ।
 बलबन अपने आपको तु र्की वीर ‘अफरासियाब का वं शज’ मानता था। उसने नासिरुद्दीन महमूद की पु त्री से विवाह
किया था।
 बलबन ने गढ़मु क्ते श्वर की मस्जिद की दीवारों पर अपने शिलाले ख में स्वयं को 'खलीफा का सहायक' कहा था।
 बलबन ने दरबार में सु ल्तान का अभिवादन करने के लिए सिजदा और पै बोस का नियम जारी किया था।
 बलबन ने प्रतिवर्ष ईरानी त्यौहार नौरोज को मनाना प्रारम्भ किया था।
 दरबार में बलबन ने हँ सने , मु सकराने तथा मद्यपान का निषे ध कर दिया था।
 बलबन ने अपने विरोधियों के प्रति कठोर ‘रक्त और लौह की नीति का पालन किया था।
 बलबन ने 'तु र्कान-ए-चिहालगानी' का दमन किया था।
 बलबन के दरबार में फारसी के प्रसिद्ध कवि अमीर हसन एवं अमीर खु सरो रहते थे ।
 बलबन राजत्व का दै वीय सिद्धान्त (Theory of Divine Rights of the King) की स्थापना करने वाला दिल्ली सल्तनत
का पहला शासक बना था।
 बलबन सु ल्तान को पृ थ्वी पर अल्लाह का प्रतिनिधि (नियामत-ए-खु दाई) मानता था। उसके अनु सार सु ल्तान पृ थ्वी
पर ईश्वर का प्रतिबिम्ब (जिल्ल-ए-इलाही) होता है तथा उसका स्थान केवल पै गम्बर के पश्चात् है ।
 नासिरुद्दीन महमूद ने बलबन को उलूग खाँ की उपाधि दी थी।
 आज दिल्ली सल्तनत में ख्वाजा नामक पद की स्थापना बलबन ने की थी।
 गढ़मु क्ते श्वर की मस्जिद की दीवारों पर उसने अपने शिलाले ख में स्वयं को 'खलीफा का सहायक' कहा है ।
 गु लाम वं श का अन्तिम शासक शमसु द्दीन क्यूमर्श था।

खिलजी वं श (1290-1320 ई. )

जलालु द्दीन फिटोज खिलजी (1290-1296 ई.)


 खिलजी वं श का सं स्थापक जलालु द्दीन खिलजी सन् 1290 ई. में दिल्ली के सिं हासन पर बै ठा ।
 इसने दिल्ली के नागरिकों से भय के कारण अपना राजतिलक दिल्लीके निकट किलोखरी में करवाया था।
 मलिक छज्जू जो बलबन का भतीजा था, ने जलालु द्दीन के विरुद्ध असफल विद्रोह किया।
 सिद्दी मौला को अशिष्ट व्यवहार के कारण सु ल्तान ने हाथी के पै रों तले कुचलकर मार डाला।
 फिरोज खिलजी ने 1292 ई. में मं गोल आक् रमणकारी अब्दुल्ला के आक् रमण का सफलतापूर्वक सामना किया।
 फिरोज खिलजी के समय में लगभग दो हजार मं गोलों ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था जो मु गलपु र में बस गये
और नवीन मु सलमान कहलाये ।
 अलाउद्दीन खिलजी जो अवध का सूबेदार था, ने 1294 ई. में दे वगिरि के राजा रामचन्द्र पर आक् रमण किया । यह
दक्षिण भारत में होने वाला पहला आक् रमण था।
 दे वगिरि से प्राप्त विजय की सम्पत्ति को सु ल्तान को समर्पित करने के लिए अलाउद्दीन ने उससे कड़ा आने का आग्रह
किया। अलाउद्दीन ने षड्यन्त्र कर 1296 ई. में जलालु द्दीन का वध कर दिया।
 जलालु द्दीन खिलजी ने 'दीवान-ए-वकू फ' नामक व्यय विभाग की स्थापना की।

अलाउद्दीन खिलजी (1296-1314 ई.)


 अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी प्रारम्भिक सफलताओं से प्रोत्साहित होकर सिकन्दर की भाँ ति विश्व विजय करने के
लिए सिकन्दर द्वितीय (सानी) की उपाधि ग्रहण की।
 अलाउद्दीन भी बलबन की भाँ ति स्वयं को पृ थ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि मानता था।
 सु ल्तान अलाउद्दीन ने अमीरों के सामाजिक सम्मे लनों पर परस्पर विवाह-सम्बन्धों पर प्रतिबन्ध लगा दिया था ।
 बरनी के अनु सार “जब उसने (अलाउद्दीन खिलजी) राजत्व (Kingship) प्राप्त किया, तो वह शरियत के नियमों और
आदे शों से पूर्णतया स्वतन्त्र था।
 राजस्व सु धारों के अन्तर्गत अलाउद्दीन खिलजी ने सर्वप्रथम मिल्क, इनाम एवं वक्फ के अन्तर्गत दी गयी भूमि को
वापस ले कर उसे खालसा भूमि में बदल दिया। अलाउद्दीन खिलजी के काल में खालसा भूमि सर्वाधिक मात्रा में
विकसित हुई।
 ् की तथा उपज का 50% भूमि कर के रूप में निश्चित किया।
उसने कठोरता के साथ राजस्व में वृ दधि
 सै निकों को प्रतिवर्ष 234 टं का तथा एक अतिरिक्त घोड़ा रखने वाले को 78 टं का अधिक मिलते थे ।
 सु ल्तान ने सै निक की हुलिया लिखने तथा घोड़ों पर दाग लगाने की प्रथा चलाई।
 से ना के निरीक्षण के लिए 'आरिज-ए-मु मालिक' नामक अधिकारी कीनियु क्ति की।
 बाजार का प्रबन्ध करने के लिए दीवान-ए-रियासत नामक अधिकारी की नियु क्ति की । उसके अधीन 'शाहना-ए-
मण्डी' नाम का पदाधिकारी होता था।
 'मु हतासिब' जनसाधारण के आचरण का रक्षक तथा दे खभाल करने वाला था । वह नाप-तौल का भी निरीक्षण करता
था।
 गु प्तचर विभाग का मु ख्य अधिकारी 'बरीद-ए-मु मालिक' था।
 अलाउद्दीन ने अने क सूचनादाताओं को नियु क्त किया, जिन्हें 'मु नहियन' या 'मु न्ही' कहते हैं ।
 “सरा-ए-अदल' स्थानीय निर्मित वस्तु ओं तथा बाहर के प्रदे शों तथा विदे शों से आने वाले माल का बाजार था।
 अलाउद्दीन खिलजी ने से ना को नकद वे तन दे ने एवं स्थायी से ना की नींव रखी।
 अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल में "मूल्य नियन्त्रण प्रणाली' को दृढ़ता से लागू किया । इसे सफल बनाने में
मु हतासिब (लोगों के आचरण पर नजर रखने वाला) एवं नाजिर (नाप-तौल का अधिकार) की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
 अमीर खु सरो का जन्म पटयाली (कासगं ज) में हुआ था। इसे तु तिए हिन्द (भारत का तोता) के नाम से भी जाना जाता
है । इसे भारत में हिन्दी खड़ी बोली' तथा तबला, सितार, शतरं ज का जनक माना जाता है ।
 अमीर हसन दे हलवी जिन्हें भारत का सादी' कहा जाता है तथा अमीर खु सरो को अलाउद्दीन का सं रक्षण प्राप्त था।
 अमीर खु सरो ने सर्वप्रथम अपनी भाषा को हिन्दवी कहा | इसे हिन्दुस्तानी खड़ी बोली का पहला लोकप्रिय कवि
माना जाता है । इसने बलबन से ले कर ग्यासु द्दीन तु गलक तक 7 सु ल्तानों का शासनकाल दे खा था।
 अलाउद्दीन खिलजी की आर्थिक नीति की व्यापक जानकारी जियाउद्दीन बरनी की कृति 'तारीखे फिरोजशाही' से मिलती
है ।
 दिल्ली सल्तनत में अलाउद्दीन खिलजी ने राशनिं ग प्रणाली (Rationing System) प्रारम्भ की थी। ऐसा करने वाला
वह पहला सु ल्तान था।
 अलाउद्दीन खिलजी के समय में मं गोलों ने सर्वाधिक आक् रमण किये ।
 अलाउद्दीन का प्रसिद्ध से नापित जफर खाँ मं गोलों के विरुद्ध लड़ते हुए मरा था।
 अलाउद्दीन के शासनकाल में पहला मं गोल आक् रमण ट् रांस अक्सियाना के शासक दावा खाँ के से नापति कादिर खाँ ने
किया था। अलाउद्दीन की विजयें
 अलाउद्दीन ने 1298-99 ई. में गु जरात पर आक् रमण किया । गु जरात का राजा कर्ण घबराकर अपनी पु तर् ी दे वल दे वी के
साथ दे वगिरि चल या।
 गु जरात विजय के समय मलिक काफू र को हजार दीनार में खरीदा था।
 गु जरात के बाद अलाउद्दीन ने रणथम्भौर पर आक् रमण किया । यहाँ का शासक हमीरदे व पराजित हुआ।
 अलाउद्दीन ने 1303 ई. में मे वाड़ (चित्तौड़) पर अधिकार कर रत्नसिं ह की परम सु न्दर पत्नी पद्मिनी को प्राप्त करना
चाहा, परन्तु पद्मिनी ने जौहर अपना लिया।
 सु ल्तान ने चित्तौड़ का नाम 'खिजाबाद' कर दिया था।
 दक्षिण पर आक् रमण करने के लिए अपने प्रिय दास मलिक काफू र को भे जा । अलाउद्दीन दिल्ली सल्तनत का प्रथम
शासक था जिसने विन्ध्याचल पर्वतमाला को पार कर दक्षिणी प्रायद्वीप को जीतने का प्रयास किया था।
 अलाउद्दीन ने दे वगिरि के यादव वं शी राजा रामचन्द्र को पराजित कर उसका राज्य वापस दे दिया तथा उसे
'रायरायान' की उपाधि दी।
 1303 ई. में ते लंगाना की राजधानी वारं गल में राजा प्रतापरुद्र दे व द्वितीय को पराजित किया, जिसने मलिक काफू र
को विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा भें ट किया।
 शु मलिक काफू र ने 1310 ई. में द्वार समु दर् के होयसल वं श के राजा वीर बल्लाल को पराजित किया था।
 मदुरा में मलिक काफू र ने सु न्दर पाण्ड्य का पक्ष ले कर वीर पाण्ड्य को पराजित किया।
 अलाउद्दीन के दरबार में अमीर हसन दे हलवी तथा अमीर खु सराव जै से विद्वान् रहते थे ।
 अलाउद्दीन ने “सीरी का किला' तथा 'हजार खम्भा महल' और 'अलाई दरवाजे ’ का दिल्ली में निर्माण कराया । हौजखास'
भी उसी की दे न है ।
 अलाई दरवाजा को इस्लामी वास्तु कला का रत्न कहा जाता है ।
 अलाउद्दीन खिलजी ने 'बिस्वा' को भूमि की माप की इकाई के रूप में स्थापित किया । भूमि मापन की यह प्रणाली
'मसाहत' कहलाई।
 अलाउद्दीन खिलजी ने दो नवीन कर—(1) चराई कर—दुधारू पशु ओं पर लगाया गया। (2) गढ़ी कर—घरों एवं
झोंपड़ियों पर लगाया जाता था।
 अलाउद्दीन खिलजी का गाजी मलिक नामक से नापति जो अगले तु गलक वं श का सं स्थापक बना।
 इसके अलावा जजिया कर— -गै र-मु सलमानों से लिया जाता था । जकात कर—यह सम्पन्न मु सलमानों से लिया
जाता था।
 अलाउद्दीन खिलजी ने राजस्व सु धारों के अन्तर्गत मिल्क, इनाम तथा वक्फ के अन्तर्गत दी गई भूमि को वापस ले कर
उसे खालसा भूमि में बदल दिया था।
 सबसे अधिक खालसा भूमि अलाउद्दीन के समय में थी।
 अलाउद्दीन खिलजी की 1316 ई. में मृ त्यु के बाद उसे जामा मस्जिद के बाहर उसके मकबरे में दफनाया गया था।

कुतु बुद्दीन मु बारक खिलजी (1316-20 ई.)


 इसने अलाउद्दीन के कठोर आदे शों को रद्द कर दिया।
 दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था, जिसने स्वयं को खलीफा खिलाफत-उल-तह) घोषित किया ।
 इसे नग्न स्त्री-पु रुष की सं गत पसन्द थी । इसी कारण इसे नं गा फकीर भी कहा गया है ।

तु गलक वं श (1320-1414 ई.)


 दिल्ली सल्तनत के राजवं शों में से तु गलक वं श ने सर्वाधिक समय तक राज्य किया था।

ग्यासु द्दीन तु गलक (1320-25 ई.)


 8 सितम्बर, 1320 ई. को हजार सु तन
ू महल में ग्यासु द्दीन तु गलकशाह के नाम से सिं हासन पर बै ठा ।
 ' 'गाजी' की उपाधि धारण करने वाला दिल्ली सल्तनत का पहला शासकथा।
 सर्वप्रथम ग्यासु द्दीन तु गलक ने दक्षिण के राज्यों में से वारं गल को जीतकर दिल्ली सल्तनत में मिलाया था।
 सिं चाई हे तु नहर निर्माण करने वाला ग्यासु द्दीन पहला शासक था।
 ग्यासु द्दीन तु गलक ने 1/10 या 1/11 भाग भू-राजस्व वसूल किया।
 ग्यासु द्दीन तु गलक का निजामु द्दीन औलिया से मनमु टाव हो गया जिसके लिए सु ल्तान ने औलिया को धमकी भरा पत्र
भे जा जिसके प्रति उत्तर में कहा था कि “दिल्ली अभी दरू है ।"
 ग्यासु द्दीन तु गलक की मृ त्यु 1325 ई. में बं गाल अभियान से लौटते समय जूना खाँ द्वारा स्वागत करने के लिए निर्मित
लकड़ी के महल में दबकर हो गई।
 मु हम्मद गौस कृष्ण को औलिया के अन्तर्गत मानता था ।
 दिल्ली सल्तनत में सर्वप्रथम डाक व्यवस्था की शु रूआत ग्यासु द्दीन तु गलक ने की थी।
 ग्यासु द्दीन तु गलक ने दिल्ली के समीप स्थित पहाड़ियों पर तु गलकाबाद नाम का एक नया नगर स्थापित किया था ।
 रोमन शै ली में निर्मित इस नगर में एक दुर्ग का निर्माण भी हुआ । इस दुर्ग को छप्पनकोट के नाम से भी जाना जाता
है ।

मु हम्मद बिन तु गलक (1325-51 ई.)


 I ग्यासु द्दीन की मृ त्यु के तीन दिन बाद तु गलकाबाद में जूना खाँ सु ल्तान बना और उसने मु हम्मद बिन तु गलक की
उपाधि धारण की। इसे 'मनिहारों का राजकुमार' कहा जाता है ।
 मु हम्मद बिन तु गलक के समय में 1333 ई. में मोरक्को (अफ् रीकी दे श) यात्री इब्नबतूता भारत आया जिसे सु ल्तान ने
ू बनाकर 1342 ई. में चीन भे जा । इसने सल्तनत काल में प्रचलित डाक व्यवस्था का विस्तृ त वर्णन
अपना राजदत
दिया था।
 सु ल्तान ने दिल्ली से राजधानी स्थानान्तरित कर दे वगिरि को राजधानी बनाया, जिसका नाम दौलताबाद रखा।
 ् करने के उद्दे श्य से दोआब में कर वृ दधि
सु ल्तान ने राज्य में आय वृ दधि ् की और एक नये कृषि विभाग 'दीवान-ए-कोही'
का निर्माण किया ।
 दिल्ली सल्तनत में सर्वप्रथम मु हम्मद बिन तु गलक ने वस्त्र निर्माणशाला स्थापित की थी।

मु हम्मद बिन तु गलक की असफल योजनाएँ -


् –1326 ई.
1. दोआब में कर वृ दधि
2. राजधानी परिवर्तन–1327 ई.
3. सांकेतिक मु दर् ा का प्रचलन–1329 ई.
4. खु रासान विजय योजना-1337 ई.
5. कुराचिल अभियान–1338 ई.
 मध्यकालीन भारत में मु हम्मद बिन तु गलक सर्वाधिक शिक्षित, विद्वान एवं योग्य शासक था।
 मु हम्मद बिन तु गलक को उसकी सनक भरी योजनाओं, क् रूर कार्यों तथा 'अन्तर्विरोधी का विस्मयकारी मिश्रण',
पागल एवं रक्त पिपासु कहा गया है ।
 सु ल्तान हिन्दुओं के प्रति उदारवादी तथा होली व दीपावली त्यौहारों में भी भाग ले ता था । ऐसा करने वाला वह
पहला शासक था ।
 सु ल्तान ने अपने दरबार में जै न विद्वान् जिन प्रभु सूरि और राजशे खर का स्वागत किया था।
 मु हम्मद बिन तु गलक सांकेतिक मु दर् ा जारी करने वाला पहला शासक था।
 मु हम्मद बिन तु गलक की मृ त्यु पर बदायूँ नी ने कहा कि “सु ल्तान को उसकी प्रजा से और प्रजा को सु ल्तान से मु क्ति
मिल गई।"
 मु हम्मद बिन तु गलक के शासनकाल में 1336 ई. में हरिहर एवं बु क्का नामक दो भाईयों ने विजयनगर की स्थापना की
थी।
फिटोजशाह तु गलक (1351-88 ई.)
 मु हम्मद बिन तु गलक की मृ त्यु के बाद 1351 ई. में उसका चचे रा भाई फिरोजशाह तु गलक ने थट् टा के नजदीक मार्च,
1351 ई. में
 राज्याभिषे क करवाया तथा अगस्त, 1351 में दिल्ली पहुँचकर पु नः अपना राज्याभिषे क करवाया।
 दिल्ली के सु ल्तानों में फिरोजशाह पहला सु ल्तान था जिसने इस्लाम के कानूनों व उले मा वर्ग को राज्य के शासन में
प्रधानता प्रदान की। वह मध्यकालीन भारत का पहला कल्याणकारी निरं कुश शासक कहा जाता है ।
 सु ल्तान ने 24 कष्टकारी करों को समाप्त कर केवल चार करों—जजिया,जकात, खराज और खु म्स को आरोपित किया ।
 फिरोज तु गलक दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था जिसने ब्राह्मणों से भी जजिया कर वसूल किया था।
 फिरोज तु गलक ने हिसार, फिरोजाबाद (दिल्ली), फते हाबाद, जौनपु र, फिरोजपु र नगरों सहित करीब 300 नगरों की
स्थापना की थी।
 सु ल्तान ने जौनपु र की स्थापना अपने भाई जूनाखाँ की याद में की थी।
 फिरोज तु गलक दिल्ली का ऐसा सु ल्तना था जिसने बे रोजगारों के सहायतार्थ 'रोजगार कार्यालय' की स्थापना की थी।
 दिल्ली सल्तनत में सबसे अधिक नहरों का निर्माण फिरोज तु गलक के कार्यकाल में हुआ था।
 फिरोज तु गलक ने फारसी भाषा में अपनी आत्मकथा 'फुतु हात-ए-फिरोजशाहीकी रचना की थी।
 फिरोज तु गलक के शासनकाल में सबसे अधिक दासों की सं ख्या (लगभग 1,80,000) थी, जिसकी दे खभाल के लिए
दीवान-ए-बन्दगान' नामक विभाग की स्थापना की थी।
 फिरोज तु गलक ने 'हक्क-ए-शर्ब' नामक सिं चाई कर वसूल किया।
 फिरोज तु गलक ने दिल्ली में 'फिरोजशाह कोटला' दुर्ग का निर्माण करवाया था।
 फिरोजशाह दिल्ली सल्तनत का पहला ऐसा सु ल्तान था जिसने शासन में लोक-कल्याणकारी भावना का समावे श करने
का प्रयास किया जिसके अन्तर्गत उसने निम्नलिखित विभागों की स्थापना की-
फिरोज तु गलक के कल्याणकारी कार्य
1. दीवान-ए-बन्दगान - दास विभाग
2. दीवान-ए-खै रात - दान विभाग
3. दार-उल-सफा - निःशु ल्क चिकित्सालय
4. रोजगार दफ्तर - बे कार व्यक्तियों को कार्य दिलाना
5. दीवान-ए-इस्तिहाक - पें शन विभाग

 फिरोज तु गलक ने सै न्य व्यवस्था के अन्तर्गत सै निकों के पदों को वं शानु गत बना दिया तथा सै निकों को पु नः जागीर के
रूप में वे तन दे ना शु रू किया | इससे सै निकों की योग्यता पर असर पड़ा, से ना दुर्बल हो चली। फिरोशाज का
शासनकाल मध्य-कालीन भारत में सबसे भ्रष्ट शासनकाल कहा जाता है ।
 फिरोज तु गलक ने बहराइच के सै य्यद सालार मसूद गाजी की यात्रा की |
 ' दिल्ली सल्तनत में सर्वाधिक विस्तृ त साम्राज्य तु गलक वं श का था।
 फिरोज तु गलक ने टोपरा (सहारनपु र) एवं मे रठ से अशोक के स्तम्भों को लाकर दिल्ली में स्थापित करवाया था।
 फिरोज ने धार्मिक वर्ग से प्रशं सा प्राप्त करने के लिए जगन्नाथ मन्दिर (उड़ीसा) तथा ज्वालामु खी मन्दिर
(नगरकोट) को तु ड़वाया तथा सं स्कृत के कुछ दस्तावे ज दिल्ली लाया ।
 ' हे नरी इलिएट और एलफिन्स्टन ने फिरोज को 'सल्तनत यु ग का अकबर कहा है ।
 तु गलक वं श का अन्तिम शासक नासिरुद्दीन महमूद था। इसके समय में ही 1398 ई. में मं गोल आक् रमणकारी तै मरू
लं ग ने आक् रमण किया |
 तै मरू के बाद भारत में सै यद वं श की स्थापना हुई थी।
 फिरोज तु गलक दिल्ली सल्तनत का ऐसा शासक था जिसने शिक्षा में व्यावसायिक पाठ्यक् रम लागू किया था।
 हे नरी इलियत व एल्फिस्टन ने फिरोजशाह को सल्तनत यु ग का अकबर, जबकि वूल्जे ल हे ग ने राज्य का
अपहरणकर्ता कहा है ।
 जियाउद्दीन बरनी के अनु सार फिरोजशाह दिल्ली का आदर्श सु ल्तान था। बरनी ने उसे पहला सच्चा मु सलमान शासक
भी कहा है ।
 फिरोजशाह ने तास घड़ियाल (जल घड़ी) का आविष्कार किया | उसने दिल्ली में नक्षत्र घड़ियाँ , एक धूप घड़ी तथा
एक जल घड़ी लगवाई।
 राज्य के खर्च पर हज यात्रा की व्यवस्था कराने वाला वह दिल्ली सल्तनत का प्रथम सु ल्तान था।

सै यद वं श (1414-51 ई.)
 सै यद वं श का सं स्थापक खिजखाँ था ।
 क्खिजखाँ ने सु ल्तान की उपाधि धारण न कर रै यत-ए-आला की उपाध धारण की थी।
 खिजखाँ सु ल्तान न बनकर तै मरू के पु त्र शाहरुख के सूबेदार के रूप में शासन करता रहा।
 खिज्रखाँ के समय में इटावा, कटे हर, कन्नौज, पटियाली और काम्पिल के हिन्द ू जमींदारों ने विद्रोह किये , जिन्हें
उनके मन्त्री 'ताज-उल-मु ल्क' ने दबा दिया था।
 खिजखाँ ने अपने जीवन काल में ही मु बारकशाह को उत्तराधिकारी घोषित किया था।
 मु बारकशाह ने शाह की उपाधि धारण कर अपने नाम के सिक्के ढलवाये तथा अपने नाम से खु तबा पढ़वाया।
 याहिया बिन अहमद सरहिन्दी ने 'तारीख-ए-मु बारकशाही' नामक ग्रन्थ फारसी में लिखा था।
 मु बारकशाह को मारकर वजीर सरवर-उल-मु ल्क ने मु हम्मदशाह को सिं हासन पर बै ठाया।
 मु हम्मदशाह ने बहलोल लोदी का सम्मान किया तथा उसे अपना पु तर् कहकर पु कारा और ‘खान-ए-खाना' की उपाधि
प्रदान की।
 मृ त्यु के पश्चात् 1445 ई. में उसका पु त्र अलाउद्दीन आलमशाह के नाम से दिल्ली का सु ल्तान बना। यह सै यद वं श का
अन्तिम शासक था ।

लोदी वं श (1451-1526 ई.)

बहलोल लोदी
 लोदी वं श का सं स्थापक बहलोल लोदी था। उसने प्रथम अफगान साम्राज्य की नींव डाली थी।
 बहलोल लोदी अफगानी की एक महत्वपूर्ण शाखा शाहख
ू े ल से सम्बन्धित मु हम्मदशाह की था।
 बहलोल लोदी अपने सरदारों का बड़ा सम्मान करता था अपने सरदारों को ‘मकसद-ए-अली' कहकर पु कारता था।
 सु ल्तान ने 'बहलोली सिक्के को चलवाया था।

सिकन्दर लोदी (1489-1517 ई.)


 ू रे पु त्र निजाम खाँ को सिकन्दरशाह लोदी के नाम से सिं हासन
बहलोल लोदी के निधन के पश्चात् अमीरों ने उसके दस
पर बै ठाया ।
 उसने बिहार के शासक हुसै नशाह शर्की को परास्त किया और बिहार को अपने अधिकार में ले लिया ।
 सिकन्दर लोदी ने आयु र्वे दिक ग्रन्थ का अनु वाद फारसी में फहरं गे सिकन्दरी नाम से करवाया।
 सिकन्दर की धार्मिक नीति एक धर्मान्ध मु सलमान की सी थी। उसने मु हर्रम और ताजिए निकलवाना बन्द कर दिया।
मु सलमान स्त्रियों को पीरों एवं मजारों पर जाने पर प्रतिबन्ध लगाया ।
 सिकन्दर ने एक प्रामाणिक गज चलाया, जो प्रायः 30 इं च का होता था, जो बहुत दिनों तक सिकन्दरी गज के नाम
से चलता रहा।
 सिकन्दर लोदी ने 1504 ई. में आगरा नगर की स्थापना की जिसे 1506 ई. में अपनी राजधानी बनाया।
 सिकन्दर लोदी 'गु लरूखी' उपनाम से कविता लिखता था ।
 नवम्बर, 1517 ई. में सिकन्दर की आगरा में मृ त्यु हो गई।

इब्राहिम लोदी (1517-26 ई.)


 सिकन्दर लोदी की मृ त्यु के पश्चात् 1517 ई. में इब्राहिम लोदी सिं हासनासीन हुआ।
 1517-18 ई. में इब्राहिम लोदी व राणा सां गा के मध्य घटोली का यु द्ध हुआ, जिसमें लोदियों की हार हुई । इस यु द्ध में
राणा सां ग का एक हाथ कट गया था।
 पं जाब के शासक दौलत खाँ लोदी एवं इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खाँ ने बाबर को भारत पर आक् रमण करने के
लिए आमन्त्रित किया था।
 अप्रैल, 1526 ई. में पानीपत का प्रथम यु द्ध बाबर एवं इब्राहिम लोदी के मध्य हुआ, इस यु द्ध में इब्राहिम लोदी की
हार होने के साथ ही दिल्ली सल्तनत के साथ-साथ लोदी वं श का भी अन्त हो गया और दिल्ली पर मु गल वं श की
स्थापना हुई।
 इब्राहिम लोदी ही दिल्ली सल्तनत का ऐसा सु ल्तान था जो यु द्ध भूमि में लड़ता हुआ मारा गया।

सल्तनतकालीन अर्थव्यवस्था
(1) इक्ता—सु ल्तान द्वारा विशे ष शर्तों पर व्यक्ति विशे ष की भूमि या भूमि का लगान आबण्टित करना।
(2) इक्तादार, मु क्ता या मु क्ताई—जिसे इक्ता प्रदान की गयी हो ।
(3) ख्वाजा—ख्वाजा का पद गवर्नर के लिए प्रयोग किया गया।बलबन ने प्रत्ये क प्रान्त में गवर्नर पद पर अपने पु त्रों
को नियु क्त किया, जिन्हें ख्वाजा कहा गया।
(4) खालसा–जो भूमि, केन्द्रीय सरकार के सीधे नियन्त्रण में होती थी तथा जिसके वसूले गये लगान को सीधे केन्द्रीय
राजकोष में जमा किया जाता था।
(5) जकात—एक प्रकार का धार्मिक कर जो सम्पत्ति का 2.5 प्रतिशत होता था।
(6) जजिया-गै र-मु सलमानों से जीवन एवं सम्पत्ति की रक्षा की एवज में वसूल किये जाने वाला कर।
(7) खराज- -भूमिकर, जो उपज का 1/3 भाग होता था।
(8) खु म्स यु द्ध में लूटे गये धन, जिसका 4/5 भाग सै निकों में बाँट दिया जाता था।
(9) मसाहत-उपज निर्धारण के लिए भूमि पै माइश का तरीका, इसे अलाउद्दीन खिलजी ने प्रचलित किया था ।
(10 ) आमिल—राजस्व वसूली करने वाला अधिकारी।
(11) हक्क-ए-शर्ब—नहरों द्वारा सिं चाई भूमि पर लगाया जाने वाला सिं चाई कर।
(12) सल्तनत काल में ऊँचे धार्मिक और न्यायिक पदों पर बै ठे व्यक्तियों (उले मा) को सामूहिक रूप से ‘दस्तार बन्दान'
(पगड़ी पहनने वाले ) कहा जाता था।
(13) पीटर जै क्सन को दिल्ली सल्तनत का विशे षज्ञ माना जाता है ।

मु गल साम्राज्य
 जहीरुद्दीन मु हम्मद बाबर (1526-30 ई.)
 भारत में मु गल साम्राज्य के सं स्थापक जहीरुद्दीन मु हम्मद बाबर का जन्म 14 फरवरी, 1483 ई. को फरगना में हुआ
था।
 मु गल शासक वास्तव में तु र्कों की चगताई नामक शाखा के थे । यह तै मरू का पाँचवां और माता की ओर से चं गेज का
चौदहवां वं शज था।

मु गल वं श
नोट-1540 ई. से 1545 ई. तक शे रशाह सूरी ने भारत पर शासन किया। 1540 ई. से 1555 ई. तक हुमायूँ ने निर्वासित जीवन
व्यतीत किया।
 बाबर ने 1507 ई. में ‘पादशाह' की उपाधि धारण की, इससे पूर्व के शासक सु ल्तान की उपाधि धारण करते थे ।
 बाबर को उसकी उदारता के लिए 'कलन्दर' की उपाधि दी गई।
 बाबर के चार पु त्र–हुमायूँ , कामरान, अस्करी तथा हिन्दाल थे । हुमायूँ बाबर का ज्ये ष्ठ पु तर् था।
 1514-19 ई. के मध्य बाबर ने उस्ताद अली और मु स्तफा खाँ नामक दो तु र्क तोपचियों की से वाएँ प्राप्त की तथा उन्हें
तोपखाने का अध्यक्ष नियु क्त हुआ।
 पानीपत का प्रथम यु द्ध (21 अप्रैल, 1526 ई.) में बाबर ने उजबे कों की यु द्ध नीति तु गलमा यु द्ध पद्धति तथा उस्मानी
विधि अपनाकर इब्राहिम लोदी को पराजित किया था। भारत में पानीपत के इस यु द्ध में पहली बार तोपों का प्रयोग
ू चियों का ने तृत्व मु स्तफा ने किया था। के यु द्ध (17
किया गया। बाबर की तोपों का सं चालन उस्ताद अली तथा बन्दक
मार्च, 1527 ई.) में बाबर द्वारा राजपूत राणा सां गा पराजित हुआ।
 बाबर ने खानवा के यु द्ध में 'जे हाद' का नारा दिया तथा विजयोपरान्त गाजी' की उपाधि धारण की ।
 चन्दे री के यु द्ध (29 जनवरी, 1928) में बाबर ने मे दिनी राय को पराजित किया।
 घाघरा के यु द्ध में (1529 ई.) में बाबर ने अफगानों को हराया था।
 बाबर की मृ त्यु 26 सितम्बर, 1530 ई. को आगरा में हुई थी।
 सर्वप्रथम बाबर को आगरा के रामबाग में दफनाया गया परन्तु बाद में उसे उसकी इच्छानु सार काबु ल में दफनाया गया
था।
 बाबर 'मु बाइयाँ ' नामक पद्य शै ली का जन्मदाता था।
 मु गल बादशाह बाबर के से नानायक मीर बाकी ने अयोध्या में बाबर मस्जिद का निर्माण कराया था।
 बाबर ने अपनी आत्मकथा तु र्की भाषा में 'बाबरनामा' लिखी|बाबर ने अपनी आत्मकथा में दो हिन्द ू राज्यों में एक
ू रे मे वाड़ का उल्ले ख किया है ।
विजयनगर तथा दस

हुमायूँ (1530-40 ई. तथा 1555-56 ई.)


 ' नासिरुद्दीन मु हम्मद हुमायूँ का जन्म 6 मार्च, 1508 ई. को काबु ल में हुआ था। इसकी माँ माहम बे गम शिया
सम्प्रदाय से सम्बन्धित थीं।
 बाबर की मृ त्यु के तीन दिन बाद 29 दिसम्बर, 1530 ई. को हुमायूँ सिं हासन पर बै ठा।
 हुमायूँ ने अपने पिता से मिले साम्राज्य को अपने भाइयों में बाँट दिया । कामरान को काबु ल और बदख्शां मिला,
अस्करी को सम्भल का सूबा और हिन्दाल को अलवर की जागीर मिली।
 हुमायूँ तथा शे रशाह के बीच बक्सर के निकट ‘चौसा' का यु द्ध 1539 ई. में हुआ जिसमें हुमायूँ पराजित हुआ।
 कन्नौज का यु द्ध 17 मई, 1540 ई. को हुआ, जिसके बाद हुमायूँ को निर्वासित जीवन बिताना पड़ा था।
 15 वर्षों के निर्वासित जीवन के बाद वह पु नः 23 जु लाई, 1555 ई. को तख्त पर बै ठा।
 दीने पनाह में हुमायूँ का पु स्तकालय एवं खगोलीय वे धशाला (Astronomical Observatory) स्थित थी।
 दिल्ली में अपने किले के दीने पनाह पु स्तकालय की सीढ़ी से अचानक गिर जाने के कारण 26 जनवरी, 1556 ई. को
उसकी मृ त्यु हो गई।
 हुमायूँ के मकबरा का निर्माण 1565 ई. में हुमायूँ की विधवा हाजी बे गम करवाया । इस मकबरा को 'ताजमहल का
पूर्वगामी’ माना जाता है ।
 हुमायूँ ज्योतिष में विश्वास करता था इस कारण उसने सप्ताह में सात रं ग के कपड़े पहनने का नियम बनाया था।
 हुमायूँ की बहन गु लबदन बे गम द्वारा ‘हुमायूँ नामा' लिखा गया ।
 मु गल चित्रकला की नींव हुमायूँ ने अपने अफगानिस्तान तथा फारस के निर्वासन के दौरान रखी थी। उसने मीर सै यद
अली और अब्दुस्मद नामक दो पारसी चित्रकारों की से वाएँ प्राप्त की।
 दिल्ली में मदरसा-ए-बे गम नामक शिक्षा केन्द्र की स्थापना माहम अनगा ने की थी।

सूरी वं श

शे रशाह सूरी
 शे रशाह का जन्म 1472 ई. में फिरोजा हिसार में हुआ था। इनके पिता हसन खाँ सासाराम के जागीरदार थे ।
 फरीद खाँ अपनी सौते ली माँ व पिता से तं ग आकर 22 वर्ष की अवस्था में 1494 ई. में घर से भागकर जौनपु र चला
गया । वहाँ उसने अरबी, फारसी और व्याकरण का अध्ययन किया तथा कुछ समय बिहार के शासक मु हम्मद शाह
नु हानी के यहाँ नौकरी कर ली।
 1529 ई. में बं गाल के शासक नु सरत शाह को पराजित करके शे र खाँ (शे रशाह सूरी) ने हजरते आला' की उपाधि धारण
की। 1539 ई. में चौसा के यु द्ध में हुमायूँ को पराजित करके उसने 'शे रशाह' की उपाधि धारण की तथा अपने नाम का
खु तबा पढ़वाया और सिक्के जारी किये ।
 चौसा के यु द्ध के बाद शे रखाँ ने अपने नाम के सिक्के चलवाये तथा शे रशाह की उपाधि धारण की तथा पट् टा एवं
काबूलियत की व्यवस्था प्रारम्भ की थी।
 शे रशाह सूरी ने हुमायूँ को हराकर 1540 ई. से 1545 ई. तक भारत पर राज किया था।
 शे रशाह का असली नाम फरीद था । उसे खे रखान की उपाधि बिहार के गवर्नर मु हम्मद शाह नु हानी ने दी थी।
 1540 ई. में कन्नौज की लड़ाई शे रशाह और मु गलों के बीच निर्णायक सिद्ध हुई । हुमायूँ अब राज्यविहीन था क्योंकि
काबु ल और कन्धार कामरान के पास था । वह ढाई वर्ष तक सिन्ध व पड़ोसी राज्यों में घूमता रहा।
 शे रशाह 67 वर्ष की अवस्था में 1540 ई. में दिल्ली की गद्दी पर बै ठा, उसने 1553 ई. तक शासन किया।
 शे रशाह के लिए कहा जाता है कि “मात्र मु ट्ठी भर बाजरे के चक्कर में मैं ने अपना साम्राज्य खो दिया होता।"
 कालिं जर का अभियान, शे रशाह का 1545 ई. में अन्तिम सै न्य अभियान था। इसमें उक्का नामक आग्ने यास्त्र के एक
गोले के विस्फोट से शे रशाह की मृ त्यु हो गयी थी । यहाँ का शासक कीरत सिं ह था।
 ू रा पु तर् इस्लाम शाह गद्दी पर बै ठा ।
शे रशाह की मृ त्यु के बाद उसका दस
 इसकी भी यु वावस्था में मृ त्यु के बाद उत्तराधिकारियों में गृ ह यु द्ध छिड़ गया जिसका फायदा उठाकर हुमायूँ ने 15 वर्ष
बाद पु नः दिल्ली की गद्दी प्राप्त कर ली थी। शे रशाह के काल में मलिक मोहम्मद जायसी ने हिन्दी में 'पद्मावत' की
रचना की थी।
 शे रशाह सूरी ने सिन्धु नदी से बं गाल तक शे रशाह सूरी मार्ग (ग्राण्ड ट् रंक रोड) का निर्माण करवाया था।
 शे रशाह द्वारा बनावाई गईं 4 सड़कें प्रसिद्ध हैं -
(1) बं गाल में सोनार गाँ व से शु रू होकर दिल्ली, लाहौर होती हुई अटक तक।
(2) आगरा से बु रहानपु र तक।
(3) आगरा से जोधपु र होती हुई चित्तौड़ तक।
(4) लाहौर से मु ल्तान तक।
 शे रशाह ने सड़कों के किनारे 1700 सरायों का निर्माण कराया जिनमें हिन्दुओं और मु सलमानों के ठहरने के लिए अलग-
अलग व्यवस्था होती थी। प्रत्ये क सराय की दे खभाल 'शिकदार' नामक अधिकारी करता था।
 शे रशाह का मकबरा सासाराम (बिहार) में स्थित है ।
 उसने चाँदी का 'रुपया' (180 ग्रेन) व ताँबे का 'दाम' (390 ग्रेन) सिक्कों को प्रचलित किया । इसकी 23 टकसालें थीं।
 शे रशाह ने भूमि की माप के लिए 32 अं क वाला सिकन्दरी गज एवं सन की डण्डी का प्रयोग किया था ।
 शे रशाह ने 1541 ई. में पाटलिपु तर् को ‘पटना' नाम से पु नः स्थापित किया।
 शे रशाह ने रोहतासगढ़ का किला, दिल्ली में किला-ए-कुहना मस्जिद का निर्माण करावाया।
 अब्बास खाँ ने शे रशाह की प्रशं सा करते हुए कहा कि "बु दधि ू रा है दर था।"
् मत्ता और अनु भव में वह दस

जलालु द्दीन मु हम्मद अकबर (1556-1605 ई.)


 अकबर का जन्म अमरकोट के राजा राणा वीरसाल के महल में 15 अक्टू बर, 1542 ई. में हुआ था । इसका बचपन का
नाम जलाल था।
 अकबर को बै रम खाँ का सं रक्षण प्राप्त था।
 अकबर की माँ का नाम हमीदा बानू बे गम था।
 अकबर का राज्याभिषे क कलानौर में 14 फरवरी, 1556 ई. में हुआ था।
 सर्वप्रथम कछवाहा राजपूत शासक भारमल ने अपनी ज्ये ष्ठ पु त्री हरखाबाई (जोधाबाई) का विवाह अकबर के साथ
6 फरवरी, 1562 ई. को किया था। इसी राजपूत राजकुमारी से सलीम (जहाँ गीर) का जन्म हुआ।
 अकबर के सिं हासनरूढ़ होने के पश्चात् बिहार के मु हम्मद आदिल शाह के महत्वाकां क्षी वजीर हे म ू ने आगरा, बयाना
तथा दिल्ली पर अधिकार कर लिया।
 मध्यकालीन भारतीय इतिहास में हे म ू पहला और एकमात्र हिन्द ू राजा था, जिसने दिल्ली राज्य सिं हासन पर अधिकार
जमाया था तथा 'विक् रमादित्य' की उपाधि धारण की थी।
 अकबर और हे म ू के बीच दिल्ली तथा आगरा पर पु नः अधिकार हे तु पानीपत का द्वितीय यु द्ध 1556 ई. में लड़ा गया
था जिसमें हे म ू की पराजय हुई थी।

अकबर केदरबार के नौ रत्न-


् , वाक्पटु ता एवं प्याज के प्रति अतिशय रुचि के
(1) मु ल्ला दो प्याजा-मु ल्ला दो प्याजा को अपनी कुशाग्र बु दधि
कारण उन्हें 'मु ल्ला दो प्याजा' की उपाधि दी गई थी।
(2) अब्दुर्रहीम खानखाना-खानखाना बै रम खाँ के पु तर् थे तथा फारसी, थे तु र्की और हिन्दी के प्रकाण्ड विद्वान थे , बाबर
की आत्मकथा 'तु जुके बाबरी’ का उन्होंने तु र्की भाषा से फारसी में अनु वाद किया। अकबर ने इन्हें 'खानखाना' की
उपाधि से विभूषित किया था।
(3) हमीम हुमाम–सम्राट अकबर के अति निकट के मित्र थे । सम्राट् की पाठशाला के प्रधान अधिकारी थे ।
(4) अबु ल फजल—एक कुशल से नानायक थे । 'आइन-ए-अकबरी' तथा 'अकबरनामा' इनकी प्रमु ख ऐतिहासिक कृतियाँ
हैं ।
(5) तानसे न–अकबर के दरबार के प्रसिद्ध सं गीतज्ञ एवं राजकवि थे । अकबर ने इन्हें कण्ठाभरण वाणी विलास की
उपाधि प्रदान की। तानसे न का मूल नाम रामतनु पाण्डे य था।
(6) राजा मानसिं ह—एक प्रमु ख से नापति थे । मु गल साम्राज्य के विस्तार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था।
(7) टोडरमल—इनकी भूमि व्यवस्था के सु धार में महत्वपूर्ण भूमिका थी। इनकी भूमि सु धार व्यवस्था ‘टोडरमल
बन्दोबस्त’ (आइने -दहशाला) के नाम से जानी जाती है ।
(8) फैजी–फैजी एक उच्चकोटि के राजकवि तथा साहित्यकार थे । गणित की प्रसिद्ध पु स्तक 'लीलावती' का फारसी में
अनु वाद किया।
(9) बीरबल—बीरबल अपनी वाक्पटु ता व चतु राई के लिए प्रसिद्ध था ।
 माहम अनगा के पु तर् अधम खाँ को अकबर ने स्वयं मारा था क्योंकि उसने अकबर के प्रधानमन्त्री अतगा खाँ की
हत्या कर दी थी।
 अकबर का प्रथम सै न्य अभियान 1561 ई. में मालवा के शासक बाजबहादुर के खिलाफ हुआ था।
 जब शाहजादा सलीम ने विद्रोह कर इलाहाबाद में स्वतन्त्र शासक की तरह व्यवहार करना आरम्भ कर दिया था, तब
अकबर ने 1602 ई. में दक्षिण से अपने मित्र अबु ल फजल को बु लाया। उसी समय सलीम के इशारे से ओरछा के
बु न्दे ला सरदार वीरसिं ह दे व ने मार्ग में अबु ल फजल की हत्या कर दी थी।
 फते हपु र सीकरी का पं चमहल बौद्ध विहारों के अनु रूप है ।
 1576 ई. में हल्दीघाटी यु द्ध' में अकबर के से नापति मानसिं ह ने मे वाड़ के शासक महाराणा प्रताप को पराजित किया
था।
 शे ख सलीम चिश्ती अकबर के समकालीन प्रसिद्ध सूफी सन्त थे ।
 अकबर द्वारा आगरा का लाल किला, दिल्ली में हुमायूँ का मकबरा, फते हपु र सीकरी में शाही महल, दीवाने खास,
पं चमहल, बु लन्द, दरवाजा, जोधाबाई महल, इबादतखाना, इलाहाबाद का किला और लाहौर का किला इत्यादि
स्थापत्य कला के क्षे तर् में उसकी प्रमु ख कृतियाँ है ।
 अकबर ने 1582 ई. में दीन-ए-इलाही' की स्थापना की। दीन-ए-इलाही' का सरकारी नाम 'तौहीद-ए-इलाही'
(एकेश्वरवादी धर्म) था |
 इसके अन्तर्गत अकबर ने सभी धर्मों के मूल सिद्धान्तों को सम्मिलित कर इसे सर्वमान्य बनाने का प्रयास किया था।
 इतिहासकार स्मिथ ने अकबर के दीन-ए-इलाही को 'मूर्खता का स्मारक' कहा था।

मु गलकालीन प्रमु ख चित्रकार-


- अकबर—दसवन्त, बसावन, महे श, लाल मु कन्द, सावल दास, अब्दुस्समद |
- जहाँ गीर-फारुख बे ग, बिसनदास, मं सरू , मनोहर, अबु ल हसन, दौलत।
- शाहजहाँ —फकीर उल्ला, मु रार, अनूप, मीर हाशिम, हुनर, मु रार मु हम्मद नादिर।

 ' 'दीन-ए-इलाही' के सदस्य अग्नि को पवित्र मानते थे और सूर्य की पूजा करते थे ।


 ' 'दीन-ए-इलाही के हिन्द ू अनु यायियों में केवल बीरबल था।
 अकबर की धार्मिक नीति का उद्दे श्य सार्वभौमिक सहिष्णु ता था, इसे 'सु लह-ए-कुल' की नीति अर्थात् शान्तिपूर्ण
व्यवहार का सिद्धान्त भी कहा जाता था। अकबर ने इसे उत्सव के रूप में आगरा में मनाना शु रू किया था।
 पहला ईसाई मिशन जिसमें रिडोल्फ अक्वै विवा, एण्टोनी मौनसे रेट और एनरिक्वे ज सम्मिलित थे , 1580 ई. में फते हपु र
सीकरी आया ।
 अकबर के शासनकाल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णकाल कहा जाता है ।
 बीरबल के बचपन का नाम महे श दास था।
 अकबर ने राजस्व प्राप्ति के लिए 'जब्ती प्रणाली' प्रचलित की थी, जो भूमि सर्वेक्षण, भू-राजस्व निर्धारण के लिए
दस्तूर-उल-अमल तथा जाती खसरे की तै यारी पर आधारित थी।
 अकबर ने राम-सीता की आकृतियों और 'रामसीय' दे वनागरी ले ख से यु क्त सिक्के चलाये थे ।
 अकबर ने जै न आचार्य हरिविजय सूरि को जगत गु रु की उपाधि प्रदान की थी।
 अकबर के समय में अनु वाद विभाग की स्थापना की गयी थी।
 अकबर का मकबरा सिकन्दरा (आगरा) में है ।
 अकबर के विरुद्ध जौनपु र के मु ल्लायाज्दी ने फतवा जारी किया था ।
 नक्शबन्दी सूफियों ने अकबर की उदारवादी नीति का विरोध किया था।
 अकबर के समकालीन सूफी सं त सलीम चिश्ती थे ।
 बादशाह अकबर की मृ त्यु 1605 ई. में अतिसार रोग के कारण हुई थी।
 अकबर के शासनकाल में पु नर्गठित केन्द्रीय प्रशासन तन्त्र के अन्तर्गत 'मीर बख्शी' मु ख्यतः सै न्य विभाग का
प्रमु ख था । इसका कार्य सै निकों को वे तन एवं सै निक सं गठन से सम्बन्धित था।
 अकबर की सै न्य व्यवस्था मनसबदारी व्यवस्था (1875 ई.) पर आधारित थी। ‘मनसब' शब्द का अर्थ श्रेणी या पद है
तथा मनसबदार का अर्थ उस अधिकारी से था, जिसे शाही से ना में एक पद या श्रेणी प्राप्त थी। अकबर की
मनसबदारी व्यवस्था दशमलव प्रणाली पर आधारित थी।
 मनसबदारी व्यवस्था मध्य एशिया से ली गई थी। इस प्रकार का सै न्य विभाजन चं गेज खाँ के ने तृत्व में मु गल से ना में
किया गया था।

जहाँ गीर (1605-27 ई.)


 15 वर्ष की आयु में 16 फरवरी, 1585 ई. को सलीम का विवाह आमे र के राजा भगवानदास की पु तर् ी मानबाई से
सम्पन्न हुआ।
 1601 ई. में सलीम ने अपने पिता के विरुद्ध विद्रोह कर इलाहाबाद में अपने को स्वतन्त्र घोषित कर दिया।
 खु र्रम, महाबत खाँ तथा खु सरो ने जहाँ गीर के विरुद्ध विद्रोह किया था।
 1602 ई. में सलीम ने अकबर के अति निकट व्यक्ति अबु ल फजल को दक्षिण से लौटते समय मरवा दिया था ।
 24 अक्टू बर, 1605 ई. को बादशाह बनने के तु रन्त बाद जहाँ गीर को सर्वप्रथम अपने पु तर् खु सरो के विद्रोह का
सामना करना पड़ा था।
 5 सिखों के 5 वें गु रु अर्जुन दे व को खु सरो को सं रक्षण दे ने के कारण जहाँ गीर ने फाँसी दे दी।
 मई, 1611 ई. में जहाँ गीर ने मे हरुन्निसा नामक विधवा के साथ विवाह किया तथा उसे 'नूरमहल' की उपाधि दी जो
बाद में 'नूरजहाँ ' के नाम से प्रसिद्ध हुई।
 मे हरुन्निसा ते हरान निवासी मिर्जा गयासबे ग की पु तर् ी थी। जहाँ गीर ने गयासबे ग को ‘एत्मादुद्दौला' की उपाधि दी थी।
 नूरजहाँ की माँ अस्मत बे गम को गु लाब से इत्र निकालने की विधि का जन्मदाता माना जाता है ।
 निजामशाही राजवं श के मन्त्री मलिक अम्बर ने खोये प्रदे शों को जीतकर अहमदनगर को एक स्वतन्त्र राज्य में
परिणित कर दिया था ।
 जहाँ गीर ने 1608 ई. में अब्दुर्रहीम खानखाना के ने तृत्व में एक विशाल से ना अहमदनगर के विरुद्ध भे जी । यह जहाँ गीर
के सं रक्षक और शिक्षक भी थे ।
 1615 ई. में जहाँ गीर ने मे वाड़ की विजय के बाद राणा अमर सिं ह से मे वाड़ की सन्धि' की।
 ' जहाँ गीर के शासनकाल को चित्रकला का स्वर्णकाल कहा जाता है ।
 1626 ई. में “एत्माद-उद्-दौला’ का मकबरा आगरा में नूरजहाँ ने बनवाया था। मु गलकालीन पहली इमारत जो पूर्णत:
सं गमरमर से निर्मित है , इसी इमारत में पहली बार पित्रादुरा का प्रयोग किया गया।
 जहाँ गीर ने अपने शासनकाल में हिन्द ू जज श्रीकान्त को नियु क्त किया।
 पु र्तगालियों द्वारा 1605 ई. में तम्बाकू भारत लाया गया था, जिसके जनसाधरण बहुत आदी हो गये । नु कसानदे ह आदत
से बचने के लिए 1617 ई. में जहाँ गीर ने इसे निषे ध किया।
 जहाँ गीर के समय में सूरदास ने सूर-सागर की रचना की थी।
 कैप्टन हॉकिन्स, सर टॉमस रो, विलियम फिंच एवं एडवर्ड टै री नामक यूरोपीय यात्री जहाँ गीर के शासनकाल में भारत
आये थे ।
 जहाँ गीर को लाहौर के शाहदरा में रावी नदी के तट पर दफनाया गया था।
 जहाँ गीर अस्थमा (Asthama) रोग का मरीज था ।

शाहजहाँ (1627-58 ई.)


 शाहजहाँ का प्रारम्भिक नाम खु र्रम था। अहमदनगर पर सफलतापूर्वक अधिकार करने के बाद जहाँ गीर ने शाहजहाँ
की उपाधि प्रदान की।
 क्शाहजहाँ का जन्म लाहौर में 5 जनवरी, 1592 ई. को मारवाड़ के मोटा राजा उदयसिं ह की पु त्री जगत गोसाईं के गर्भ
से हुआ था।
 24 फरवरी, 1628 को शाहजहाँ अबु ल मु जफ्फर-शहाबु द्दीन मु हम्मद साहिब किरन-ए-सानी' की उपाधि धारण कर गद्दी
पर बै ठा । आगरा में उसका राज्याभिषे क हुआ। इसी ने राजधानी आगरा से दिल्ली स्थानान्तरित की थी।
 शाहजहाँ का विवाह आसफ खाँ की पु तर् ी ‘अरजु मन्द बानो बे गम' (मु मताज महल) से हुआ जिसे शाहजहाँ ने 'मलिका-
ए-जमानी की उपाधि प्रदान की थी।
 शाहजहाँ ने अपनी बे गम मु मताज महल की याद में आगरा में विश्व प्रसिद्ध ताजमहल का निर्माण करवाया था।
 शाहजहाँ की तीन पु त्रियाँ जहाँ आरा, रोशनआरा एवं गोहनआरा थीं।
 ताजमहल के निर्माण का मु ख्य स्थापत्यकार उस्ताद हमीद लाहौरी' था।
 इसे शाहजहाँ ने नादिर-उल असर की उपाधि प्रदान की । इस ताजमहल के निर्माण में 22 वर्ष लगे थे तथा 50 लाख
रुपये खर्च हुए थे ।
 शाहजहाँ को मु हम्मद सै यद (मीर जु मला) ने कोहिनूर हीरा भें ट किया था।
 शाहजहाँ ने हिन्दुओं पर पु नः तीर्थयात्रा' कर लगाया तथा सिजदा तथा पायोब प्रथा पर प्रतिबन्ध लगा दिया था।
 शाहजहाँ ने 'इलाही सं वत्' के स्थान पर हिजरी सं वत्' का प्रचलन करवाया।
 शाहजहाँ द्वारा बनवाई गई इमारतें ताजमहल, दिल्ली का लाल किला,
 दीवाने आम, दीवाने खास, दिल्ली की जामा मस्जिद, आगरा की मोती मस्जिद आदि हैं ।
 अब्दुल हमीद लाहौरी के अनु सार ताजमहल के निर्माण के लिए 20,000 लोगों ने अनवरत् कार्य किया था।
 शाहजहाँ के शासनकाल को स्थापत्य कला का स्वर्णकाल तथा निर्माताओं का राजकुमार (Prince of Builders) कहा
जाता है ।
 शाहजहाँ द्वारा दिल्ली के लाल किले में 'दीवाने आम' का निर्माण कराया गया जहाँ पीछे की दीवार में 'तख्ते -ताउस'
रखा जाता था।

उत्तराधिकार के लिए हुए यु द्ध यु द्ध


 दारा को उसकी सहिष्णु ता एवं उदारता के लिए ले नपूल ने लघु अकबर' की सं ज्ञा दी। यही नहीं शाहजहाँ ने भी दारा को
'शाह बु लन्द इकबाल' की उपाधि प्रदान की थी। 'मज्म-उल-बहरीन' दारा की मूल रचना है ।
 उपनिषदों का फारसी अनु वाद शाहजहाँ के शासनकाल में शाहजादे दारा शिकोह ने 'सिर्र-ए-अकबर' शीर्षक के तहत्
किया। इसमें 52 उपनिषदों का अनु वाद किया गया है ।
 शाहजहाँ ने दक्षिण भारत में सर्वप्रथम अहमदनगर पर आक् रमण किया और जीतकर मु गल साम्राज्य में मिला लिया
तथा अन्तिम निजामशाही सु ल्तान हुसै नशाह को ग्वालियर के किले में कैद कर दिया था।
 शाहजहाँ के शासनकाल में अधिकां श समय तक दक्कन का गवर्नर औरं गजे ब रहा था।
 शाहजहाँ की आगरा के किले में कैदी जीवन में ही 31 जनवरी, ई. को मृ त्यु हो गई थी।

औरं गजे ब (1658-1707 ई.)


 औरं गजे ब का जन्म 24 अक्टू बर, 1618 ई. में दाहोद (गु जरात) में हुआ था । इसे जिन्दापीर कहा जाता था।
 औरं गजे ब ने फारस के राजघराने की दिलरासबानो बे गम' (रबिया बीबी) के साथ 18 मई, 1637 ई. में विवाह किया था।
 औरं गजे ब ने 21 जु लाई, 1658 ई. को आगरा में अपना प्रथम राज्याभिषे क सामूगढ़ की विजय के बाद करवाया तथा
अब्दुल मु जफ्फर मु हीउद्दीन मु हम्मद औरं गजे ब बहादुर आलमगीर पादशाह गाजी' की उपाधि धारण की।
 ू रा औपचारिक
दे वराई के यु द्ध में दारा को अन्तिम रूप से पराजित करने के बाद 5 जून, 1659 ई. में दिल्ली में अपना दस
राज्याभिषे क करवाया।
 औरं गजे ब ने नौरोज उत्सव तथा झरोखा दर्शन पर प्रतिबन्ध लगा दिया था।
 औरं गजे ब ने सिक्कों पर 'कलमा' अं कित करना बन्द कर दिया था।
 औरं गजे ब सं गीत विरोधी होने के बावजूद स्वयं एक कुशल वीणावादक था।
 औरं गजे ब ने 1679 ई. में जजिया कर पु नः लगा दिया था।
 औरं गजे ब के पु त्र अकबर ने 1681 ई. में विद्रोह करके राजपूतों के विरुद्ध अपने पिता की स्थिति दुर्बल कर दी थी।
अकबर राजपूतों के विरुद्ध लड़े जाने वाले यु द्ध से निराश हो गया था। उसे अपने पिता की धर्मान्धता की नीति की
सफलता में विश्वास न था तथा विचारों में वह उदार था।
 औरं गजे ब के शासनकाल में 22 जून, 1665 ई. में जयसिं ह और शिवाजी के मध्य 'पु रन्दर की सन्धि' हुई थी।
 जयसिं ह एक खगोलशास्त्री था। उसने जयपु र, दिल्ली, मथु रा, उज्जै न, बनारस में ज्योतिष की वे धशालाएँ बनवाई
थीं।
 औरं गजे ब ने 1666 ई. में शिवाजी को कैद कर जयपु र भवन (आगरा) में रखा था।
 औरं गजे ब ने अपनी पत्नी रबिया दुर्रानी' की याद में 1678 ई. में औरं गाबाद में मकबरा बनवाया था जिसे बीबी का
मकबरा' के नाम से जाना जाता था। इसे 'दक्षिण भारत का ताजमहल' या 'द्वितीय ताजमहल' या 'द्वितीय राजमहल'
भी कहा जाता है ।
 औरं गजे ब के शासनकाल में सबसे अधिक हिन्द ू मनसबदार थे । उसके काल में कुल से नापतियों में 33% हिन्द ू थे जबकि
अकबर के काल में 16% तथा शाहजहाँ के काल में यह अनु पात 24% था।
 औरं गजे ब के शासनकाल में जाट विद्रोह का ने तृत्व गोकुला एवं राजाराम ने किया था तथा जाट जाति का प्ले टो
सूरजमल को कहा जाता है ।
 इस्लाम धर्म न स्वीकार करने के कारण सिखों के 9 वें गु रू ते गबहादुर की हत्या 1675 ई. में औरं गजे ब ने दिल्ली में करवा
दी थी।
 4 मार्च, 1707 ई. में औरं गजे ब की मृ त्यु हो गई।
 मु गल शासक वस्तु तः चग्ताई तु र्क थे ।

मु गलकालीन मु दर् ाएँ


 अकबर—मु हर (सोना),शं सब (सोना), इलाही (सोना), जलाली (चाँदी), दाम (ताँबा)।
 जहाँ गीर—निसार (ताँबा)।
(1) मु हर मु गलकालीन सर्वाधिक प्रचलित सिक्का था।
(2) शं सब मु गलकालीन सबसे बड़ा सोने का सिक्का था ।
(3) रुपया—सिक्का शे रशाह सूरी द्वारा प्रचलित किया गया था बाद में यह मु गलकाल में भी प्रचलित होता रहा।
(4) अकबर ने कुछ सिक्कों पर राम-सीता की मूर्ति भी अं कित करवाई।
(5) अकबर ने असीरगढ़ विजय के बाद 'बाज' को सिक्कों पर अं कित करवाया।
(6) अकबर ने दिल्ली में 'शाही टकसाल' का निर्माण करवाया और उसका प्रधान अब्दुस्समद को नियु क्त किया था।
 ' औरं गजे ब ने दक्षिण भारत के दो राज्य गोलकुण्डा (1687 ई.) एवं बीजापु र (1686 ई.) पर विजय प्राप्त की।
 औरं गजे ब ने जहाँ आरा को 'शाहिबात-उज-जमानी' की उपाधि प्रदान की थी। जहाँ आरा सम्राट शाहजहाँ और
मु मताज महल की बड़ी बे टी थीं।
 दिल्ली के लाल किले में मोती मस्जिद का निर्माण औरं गजे ब ने करवाया।

विविध तथ्य
 मु गलकाल में पहला हिन्दी विद्वान 'मु ल्ला वाझी' था ।
 मु गलकाल में जनपद को सरकार के नाम से जाना जाता था।
 मु गल से ना का सै न्य विभाग का प्रधान मीरबख्शी था।
 निकोलाओ मनूची को मु गल से ना में चिकित्सक नियु क्त किया गया था।
 मु गलकाल में 'माल' भूराज्य से सम्बन्धित था ।
 मु गल प्रशासन में विद्वानों एवं धार्मिक लोगों को दी जाने वाली भूराजस्व मु क्त अनु दान भूमि को मदद-ए-माश' कहा
जाता था। इसे 'सयूरगल' भी कहा जाता था।
 मु गल प्रशासन में मु हतसिब जन आचरण के निरीक्षण विभाग का प्रधान था।
 माहम अनगा ने दिल्ली के पु राने किले में ‘खै रूल मनजिल' अथवा "खै र-उल-मनजिल' नामक मदरसे की स्थापना की,
जिसे 'मदरसा-ए-बे गम' कहा जाता था।
 मु गलकालीन दरबारी भाषा फारसी थी।
 अब्दुर्रहीम ने खाने खाना का मकबरा दिल्ली में है ।

शिवाजी एवं मराठा साम्राज्य


 17 वीं शताब्दी में मु गल साम्राज्य के विघटन की प्रक्रिया प्रारम्भ होने के साथ ही दे श में स्वतन्त्र राज्यों की
स्थापना का जो सिलसिला आरम्भ हुआ उनमें राजनीतिक दृष्टि से सर्वाधिक शक्तिशाली राज्य मराठों का था।
 ग्राण्ट डफ के अनु सार सत्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में मराठों का उदय 'आकस्मिक अग्निकाण्ड' की भाँ ति हुआ था।
 मराठा साम्राज्य के सं स्थापक शिवाजी थे ।

शिवाजी (1627-80 ई.)


 जन्म-19 फरवरी, 1630 ई.
 पिता का नाम शाहजी भौंसले
 माता का नाम—जीजाबाई
 पत्नी का नाम—तु काबाई मोहिते , साइबाई निम्बालकर
 ' धार्मिक गु रु–स्वामी रामदास (धरकरी सम्प्रदाय)
 ' गु रु व सं रक्षक—दादा कोणदे व
 राजधानी — रायगढ़
 व्यक्तित्व पर प्रभाव—माता जीजाबाई
 राज्याभिषे क—14 जून, 1674
 उपाधि—छत्रपति राजा (औरं गजे ब द्वारा दी गयी)
 निधन—3 अप्रैल, 1680
 शिवाजी के व्यक्तित्व पर महत्वपूर्ण प्रभाव माता जीजाबाई का पड़ा ।
 शिवाजी ने हिन्द ू पद पादशाही' अं गीकार की और हिन्दुत्व धर्मोद्धारक की उपाधि धारण की थी।
 सर्वप्रथम शिवाजी ने 1643 ई. में बीजापु र के सिं हगढ़ के किले पर अधिकार किया था। तत्पश्चात् 1646 ई. में उन्होंने
तोरण पर भी अधिकार कर लिया था।
 1656 ई. तक शिवाजी ने चाकन, पु रन्दर, बारामती, सूपा, तिकोना,लोहगढ़ आदि किलों पर अधिकार कर लिया था।
 1656 ई. में शिवाजी की महत्वपूर्ण विजय जावली की थी। जावली एक मराठा सरदार चन्द्रराव मोरे के अधिकार में था
। अप्रैल, 1656 ई. में उन्होंने रायगढ़ के किले पर अधिकार कर लिया, जिसे उन्होंने अपनी राजधानी बनाया।
 शिवाजी की विस्तारवादी नीति से बीजापु र शासक सशं कित हो उठा, उसने शिवाजी की शक्ति को दबाने तथा कैद
ू कृष्णाजी भास्कर से
करने के लिए अपने योग्य सरदार अफजल खाँ को भे जा । ब्राह्मण दत
 अफजल खाँ की मं शा का पता शिवाजी को चला था ।
 शिवाजी ने 2 नवम्बर, 1659 ई. को अफजल खाँ की हत्या कर दी।
 1660 ई. में मु गल शासक औरं गजे ब ने शाइस्ता खाँ को शिवाजी को समाप्त करने के लिए दक्षिण का गवर्नर बनाकर
भे जा । शाइस्ता खाँ ने बीजापु र के शासक से मिलकर शिवाजी को समाप्त करने की योजना बनाई। शिवाजी ने
अफजल खाँ पर रात्रि में चु पके से आक् रमण कर दिया। अफजल खाँ घबराकर भाग गया।
 शिवाजी ने 1664 ई. में एवं 1679 ई. में सूरत को 1665 ई. में शिवाजी की जयसिं ह से पु रन्दर की सन्धि हुई थी जिसके
अनु सार 1666 ई. में शिवाजी मु गल दरबार आगरा पहुंचे थे ।
 शिवाजी मु गल दरबार (जयपु र भवन आगरा) में कैद से सफलतापूर्वक निकलकर भागे थे एवं 22 सितम्बर, 1666 ई. को
रायगढ़ पहुंचे थे ।
 14 जून,1674 ई. में शिवाजी ने काशी के प्रसिद्ध विद्वान गं गा भट् ट से अपना राज्याभिषे क रायगढ़ में करवाया तथा
छत्रपति की उपाधि धारण की। शिवाजी ने रायगढ़ को ही अपनी राजधानी बनाया।
 1677 ई. में शिवाजी का कर्नाटक अभियान उनका अन्तिम सै न्य अभियान था।
 मात्र 53 वर्ष की उम्र 3 अप्रैल, 1680 ई. को शिवाजी का निधन हो गया।
 शिवाजी का राज्य 4 प्रान्तों में विभक्त था।
 ' शिवाजी के मन्त्रिमण्डल को अष्टप्रधान कहा जाता था जिनका कार्य राजा को परामर्श दे ना मात्र था। लूटा।
 शिवाजी की से ना नियमित तथा स्थायी से ना थी। से ना का मु ख्य भाग पै दल और घु ड़सवार से ना थी।
 शिवाजी की से ना तीन महत्वपूर्ण भागों में विभक्त थी—
(1) पागा से ना—नियमित घु ड़सवार सै निक ।
(2) सिले दार—अस्थायी घु ड़सवार सै निक ।
(3) पै दल—पै दल से ना
 घु ड़सवार से ना दो भागों में विभक्त थी-
(1) बरगीर—वे घु ड़सवार सै निक जिन्हें राज्य की ओर से घोड़े और शस्त्र दिये जाते थे ।
(2) सिले दार ये स्वतन्त्र सै निक थे जो अपने अस्त्र-शस्त्र स्वयं रखते थे ।
 मावला सै निक शिवाजी के अं गरक्षक होते थे | मावले एक पहाड़ी लड़ाकू जाति थी।
 शिवाजी की से ना में मु सलमान सै निक भी होते थे ।
 शिवाजी ने कोलाबा में एक जहाजी बे ड़े का भी निर्माण करवाया था जो दो कमानों में बँ टी रहती थी। एक नायक हिन्द ू
ू री दरिया सारं ग (मु सलमान) के अधीन रहती थी।
व दस
 शिवाजी की राजस्व व्यवस्था अहमदनगर राज्य में मलिक अम्बर द्वारा अपनायी गई रै यतवाड़ी प्रथा पर आधारित
थी। शिवाजी ने रस्सी द्वारा माप की व्यवस्था के स्थान पर काठी एवं मानक छड़ी को आरम्भ किया था।
 आरम्भ में शिवाजी ने पै दावार का 33% लगान वसूल करवाया किन्तु बाद में स्थानीय करों तथा चु ं गियों को माफ करने
के बाद उसे बढ़ाकर 40% कर दिया था।
 राजस्व नकद वस्तु (अनाज) के रूप में चु काया जाता था।
 गाँ व के प्राचीन पै तृक अधिकारी पाटिल और जिले के दे खमु ख या दे शपाण्डे होते थे ।
 मराठा कराधान प्रणाली में चौथ और सरदे शमु खी दो सर्वाधिक महत्वपूर्ण कर थे ।
 चौथ विजित राज्यों के क्षे तर् ों से उपज के एक चौथाई (1/4) भाग के रूप में वसूल किया जाता था।
 सरदे शमु खी यह आय का 10% या 1/10 अं श के रूप में होता था जो एक अतिरिक्त कर था। शिवाजी के अनु सार दे श
के वं शानु गत सरदे शमु ख (प्रधान/मु खिया) होने के नाते और लोगों के हितों की रक्षा करने के बदले उन्हें सरदे शमु खी
ले ने का अधिकार है ।

शिवाजी के उत्तराधिकारी
 शिवाजी की मृ त्यु के पश्चात् उनका पु त्र शम्भाजी मराठा राज्य की गद्दी पर बै ठा। औरं गजे ब ने अचानक आक् रमण
करके शम्भाजी तथा उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया और फिर उनका वध करवा दिया तथा पु त्र शाहू और
पत्नी ये सब
ू ाई को गिरफ्तार कर रायगढ़ के किले में कैद करवा दिया था।
 शम्भाजी ने उज्जै न के हिन्दी एवं सं स्कृत के प्रकाण्ड विद्वान कवि कलश को अपना सलाहकार नियु क्त किया था।
 शम्भाजी की निर्मम हत्या के बाद उसके सौतले छोटे भाई राजाराम को राज्य के सिं हासन पर बै ठाया गया और उसके
ने तृत्व में मु गलों के विरुद्ध मराठों ने अपना सं घर्ष जारी रखा।
 1689 ई. तक राजाराम मु गलों के आक् रमण की आशं का से रायगढ़ छोड़कर जिं जी भाग आया, जो मराठा साम्राज्य
की राजधानी रही थी।
 जिं जी के बाद राजाराम ने 1699 ई. में सतारा को मराठों की राजधानी बनाया तथा मृ त्यु पर्यन्त (1700 ई. तक) मु गलों
से सं घर्ष जारी रखा।
 राजाराम की मृ त्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी ताराबाई अपने 4 वर्षीय पु तर् शिवाजी-II का राज्याभिषे क करवाकर
मराठा साम्राज्य की वास्तविक सं रक्षिका बन गई तथा उसने भी मु गलों से सं घर्ष जारी रखा । उसने रायगढ़, सतारा
तथा सिं हगढ़ आदि किलों को जीत लिया था।
 औरं गजे ब की मृ त्यु के बाद उसके पु तर् आजमशाह ने 8 मई, 1707 ई. को शाहू को कैद से मु क्त कर दिया था।
 17 अक्टू बर, 1707 ई. में शाहू तथा ताराबाई के मध्य खे ड़ा का यु द्ध हुआ, जिसमें शाह,ू बालाजी विश्वनाथ की मदद से
विजयी हुआ।
 शाहू ने 22 जनवरी, 1708 ई. को सतारा में अपना राज्याभिषे क करवाया।
 शाहू के ने तृत्व में नवीन मराठा साम्राज्यवाद के प्रवर्तक पे शवा लोग ही थे , जो शाहू के पै तृक प्रधानमन्त्री थे ।
पे शवा पद पहले पे शवा के साथ ही वं शानु गत हो गया था।
 बाजीराव प्रथम को मराठा साम्राज्य का द्वितीय सं स्थापक माना जाता है ।
 1713 ई. में शाहू ने बालाजी विश्वनाथ को अपना पे शवा नियु क्त किया।
 बालाजी विश्वनाथ को मराठा साम्राज्य का द्वितीय सं स्थापक माना जाता है ।
 1719 ई. में बालाजी विश्वनाथ एवं सै यद हुसै न अली के बीच हुई सन्धि का मु ख्य कारण फर्रुखसियर को गद्दी से हटाना
था।
 1719 ई. में बालाजी विश्वनाथ मराठों की एक से ना ले कर सै यद बन्धु ओं की मदद के लिए दिल्ली पहुंचे जहाँ उन्होंने
बादशाह फर्रुखसियर को हटाने में सै यद बन्धु की मदद की और मु गल साम्राज्य की कमजोरी को प्रत्यक्षतः दे खा।
 इतिहासकार रिचर्ड टे म्पे ल ने मु गल सूबेदार हुसै न अली तथा बालाजी विश्वनाथ के बीच 1719 ई. में हुई मु गल-मराठा
सन्धि को मराठा साम्राज्य के मै ग्नाकार्टा की सं ज्ञा दी।
 बालाजी विश्वनाथ की मृ त्यु के बाद शाहू ने उनके पु तर् बाजीराव प्रथम को पे शवा नियु क्त किया। इस प्रकार
बालाजी विश्वनाथ के परिवार में पे शवा का पद वं शानु गत हो गया था।
 मु गल साम्राज्य के प्रति अपनी नीति की घोषणा करते हुए बाजीराव प्रथम ने कहा, “हमें इस जर्जर वृ क्ष के तने पर
आक् रमण करना चाहिए, शाखाएँ तो स्वयं ही गिर जायें गी।"
 बाजीराव प्रथम को लड़ाकू पे शवा के रूप में स्मरण किया जाता है । वह शिवाजी के बाद गु रिल्ला यु द्ध का सबसे बड़ा
प्रतिपादक था।
 7 मार्च, 1728 ई. में 'पालखे ड़ा का यु द्ध’ बाजीराव प्रथम एवं निजामु ल मु ल्क के बीच हुआ जिसमें निजाम की हार हुई।
निजाम के साथ मुं शी शिव गाँ व की सन्धि हुई जिसमें निजाम ने मराठों को चौथ और
 सरदे शमु खी दे ना स्वीकार कर लिया था।
 29 मार्च, 1737 ई. में पे शवा बाजीराव प्रथम ने दिल्ली पर आक् रमण किया । उस समय मु गल बादशाह मु हम्मदशाह
था, जो दिल्ली छोड़ने के लिए तै यार हो गया था। बाजीराव प्रथम दिल्ली पर आक् रमण करने वाला प्रथम पे शवा
था।
 बाजीराव प्रथम मस्तानी नामक महिला से सम्बन्ध होने के कारण चर्चित रहा था।
 1740 ई. में बाजीराव प्रथम की मृ त्यु के बाद अगला पे शवा बालाजी बाजीराव को बनाया गया । बालाजी बाजीराव के
समय तक पे शवा पद पै तृक बन गया था।
 बालाजी बाजीराव को नाना साहब के नाम से जाना जाता था।
 1750 ई. में रघु जी भोंसले की मध्यस्थता के कारण राजाराम तथा पे शवा के बीच सं गोला की सन्धि हुई थी।
 1752 ई. में झलकी की सन्धि में निजाम ने मराठों को बरार का आधा क्षे तर् दे दिया था।
 1754 ई. में मराठे रघु नाथराव के ने तृत्व में दिल्ली पहुंचे और वजीर गाजीउद्दीन की सहायता करते हुए उन्होंने
अहमदशाह को सिं हासन से हटाकर आलमगीर द्वितीय को मु गल बादशाह बना दिया था।
 पानीपत का तृ तीय यु द्ध 14 जनवरी, 1761 ई. में हुआ। इसमें अफगान से नापति अहमदशाह अब्दाली ने मराठों को
पराजित किया । पानीपतके तृ तीय यु द्ध में मराठा से ना के तोपखाने का ने तृत्व इब्राहिम खाँ गर्दी कर रहा था।
 इस यु द्ध में पे शवा बालाजी बाजीराव ने अपने नाबालिग बे टे विश्वास राव के ने तृत्व में एक शक्तिशाली से ना भे जी
किन्तु वास्तविक से नापति उसका चचे रा भाई सदाशिव राव भाऊ था ।
 पानीपत के तृ तीय यु द्ध के प्रत्यक्षदर्शी काशीराज पण्डित के शब्दों में , “पानीपत का तृ तीय यु द्ध मराठों के लिए
प्रलयकारी सिद्ध हुआ।”
 इतिहासकार जे . एन. सरकार के अनु सार, “महाराष्ट् र में सम्भवतः ही कोई ऐसा परिवार होगा जिसने कोई न कोई
सम्बन्धी न खोया हो तथा कुछ परिवारों का तो सर्वनाश ही हो गया ।
 पानीपत के तृ तीय यु द्ध (1761 ई.) में मराठों के पराजय की सूचना बालाजी बाजीराव को एक व्यापारी द्वारा कू ट सन्दे श
के रूप में पहुँचायी गयी, जिसमें कहा गया कि “दो मोती विलीन हो गये , बाइस सोने की मु हरें लु प्त हो गईं और चाँदी
तथा ताँबे की तो पूरी गणना ही नहीं की जा सकती।"
 पानीपत के तृ तीय यु द्ध में मराठों की हार तथा बालाजी की अकस्मात् मृ त्यु (23 जून, 1761 ई.) के बाद उसका पु तर्
माधव राव प्रथम पे शवा बना। उसने मराठों की खोयी हुई प्रतिष्ठा पु नः प्राप्त करने का प्रयास किया।
 माधवराव प्रथम के सरदार महादजी सिन्धिया ने निर्वासित मु गल बादशाह शाह आलम-II को पु नः दिल्ली की गद्दी
पर बै ठाया । मु गल बादशाह अब मराठों का पें शनभोगी बन गया था ।
 पे शवा नारायण राव की हत्या उसके चाचा रघु नाथ राव द्वारा की गई।
 पे शवा माधवराव नारायण-II की अल्पायु के कारण राज्य की दे खभाल बारहभाई सभा नाम की 12 सदस्यों की एक
परिषद् करती थी। इस परिषद् में महादजी सिन्धिया एवं नाना फड़नबीस दो महत्वपूर्ण सदस्य थे ।
 माधवराव नारायण-II के शासनकाल में प्रथम आं ग्ल-मराठा यु द्ध हुआ था।
 अन्तिम पे शवा राघोवा का पु तर् बाजीराव-II था, जो अं गर् े जों की सहायता से पे शवा बना था। मराठों के पतन में
सर्वाधिक योगदान इसी का था।
 यह सहायक सन्धि को स्वीकार करने वाला प्रथम मराठा सरदार था।

आं ग्ल-मराठा सं घर्ष

प्रथम आं ग्ल-मराठा यु ध्द (1775-82 ई.)


 1775 ई. में रघु नाथ राव तथा अं गर् े जों के मध्य सूरत की सन्धि हुई। इसी सन्धि के फलस्वरूप प्रथम आं ग्ल-मराठा
ू रे के विजित
यु द्ध हुआ। 1882 ई. में सालाबाई की सन्धि से प्रथम आं ग्ल-मराठा यु द्ध समाप्त हो गया तथा एक-दस
क्षे तर् लौटा दिये गये ।

द्वितीय आं ग्ल-मराठा यु ध्द (1803-06 ई.)


 इसमें भौंसले (नागपु र) ने अं गर् े जों को चु नौती दी। इसके फलस्वरूप 7 सितम्बर, 1803 ई. को दे वगाँ व की सन्धि हुई
जिसके परिणामस्वरूप उसने कटक और वर्धा नदी के पश्चिमी भाग अं गर् े जों को दे दिये थे ।

तृ तीय आं ग्ल-मराठा यु द (1817-18 ई.)


 यह यु द्ध लॉर्ड हे स्टिंग्स के आने पर प्रारम्भ हुआ। इस यु द्ध के बाद अं गर् े जों ने नागपु र के राजा, पे शवा, सिन्धिया से
अपमानजनक सन्धियाँ की । इस यु द्ध के बाद मराठा शक्ति और पे शवा के वं शानु गत पद को समाप्त कर दिया गया।

विविध तथ्य
 बं गाल के गवर्नर मीर कासिम ने अपनी राजधानी मु र्शिदाबाद से स्थानान्तरित कर मुं गेर बनायी थी।
 मु गल सम्राट् द्वारा नियु क्त अन्तिम गवर्नर जनरल मु र्शीद कुली खाँ था।
 सन्त तु काराम को दक्षिण का कबीर कहा जाता है ।

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