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Task 5 नवाचारी शिक्षा िास्त्र पर आलेख (500 िब्दों में)

नवाचारी शिक्षा िास्त्र:

आमतौर पर एक शिक्षक सीखने शसखाने की प्रशिया में पाठ् यपुस्तक बोर्ड का प्रयोग करते हैं बच्चों के साथ उनका सवं ाद एक तरफा होता है लेक्चर शवशि ही सबसे
ज्यादा प्रयोग की जाती है शजस कारण इनका शवद्याशथडयों से ज्यादा जुडाव नहीं हो पाते हैं। बच्चों को सीखने शसखाने की प्रशिया से जोडने के शलए जरूरी है शक कु छ
नया क्या जाए ऐसा कु छ शकया जाए शक बच्चे में सीखने के प्रशत रुशच जागृत हो सके ।

भूशमका:

नमस्ते, अबुल कलाम शबहार का एक शिक्षक हं में कक्षा एक के शलए भाषा पढा था और में सुशनशित करना चाहता हं शक कक्षा में शिक्षण अशिगम सामग्री के उपयोग
से बच्चे बेहतर तरीके से भाषा सीखाया जा सके । शजस पर मैंने काम शकया वह है शहंदी भाषा में कक्षा एक के बच्चों में शचत्र शचत्र के माध्यम से सीखाना हमारे
शवद्यालय में बच्चों का कक्षा की चचाड में भाग नहीं लेना एक आम समस्या है।

चुनौती की पहचान: बच्चों को शसखाने में चुनौशतयों का समािान कर रहा था चचाड करने से बच्चे बेहतर तरीके से सीखते हैं। मेरे छात्र

अक्सर चचाड में भाग नहीं लेते थे। शिक्षण के शलए मैने शजन TLM का प्रयोग शकया है प्रभावी लग रहे थे और मेरा

अशिकाि
ं समय शवषय को पेि करने में लग जाता था।

उठाए गए कदमः

कक्षा में छात्र क्या कर रहे थे इस पर ध्यान देते हुए, मैंने महसूस शकया शक छात्रों के शलए TLM इतना गया था शक इसका प्रयोग करने के तरीकों के बारे में नहीं सोच
सकते थे। तब मैंने शवचार शकया और यह खोजने का प्रयास शकया शक बच्चों में TLM के प्रशत रुशच कै से बढाई जाए।

मैंने सोचा क्यों नहीं TLM के शनमाडण में बच्चों का साथ शलया जाए। बच्चों के साथ चचाड करने के शलए मैंने कहाशनयों से जुडे कु छ शचत्र कार्डबोर्ड पर बनाने िुरू
शकए। बच्चों से पूछा शक शचत्र में और क्या होना चाशहए। यह बलाले गए शचत्र बनता गया। शचत्र में रंग भरने से भी ने की मदद ली मैंने उस शचत्र को जब बोर्ड पर
शचपकाया तो बच्चों का उत्साह देखने में बन रहा था। मेरे कु छ भी पूछने पर बच्चे खुलकर चचाड में भाग ले रहे थे। और हां मैंने बातचीत में स्थानीय भाषा का प्रयोग
कर रहा था मैंने देखा बच्चों को बाल खत्म ही नहीं हो रही थी। मैं खुि था अब मुझे पता चला था शक बच्चे TLM के साथ अंतः शिया कै से करते हैं।

पररणाम:

TLM के शनमाडण से बच्चों शक सहभाशगता से बच्चे सीखने में अशिक रूशच रखते थे। वह बेहतर तरीके से सीख पाते थे।

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