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CH.

04 पत्रकारीय लेखन के विविन्न रूप और लेखन प्रविया


समाचार लेखन
• समाचार क्या होता है ?
➢ समाचार नवीनतम घटनाओ ं और समसामययक यवषयों पर अद्यतन सचू नाओ ं को कहते हैं।
➢ समाचार अंग्रेजी शब्द न्यज़ू (NEWS) का यहदं ी रूपांतरण है।
➢ समाचार वह समसामययक सचू ना है, यजसमें जनरुयच जडु ी हो लोग उसे जानने के यलए उत्सक ु
हों... यिना जनरुयच के कोई सचू ना समाचार नहीं हो सकती है....
➢ सम+आचार अर्ाात् सभी के प्रयत समान आचरण िरतते हुए स्वयं यनष्पक्ष रहते हुए समाचार
यदया जाता है
➢ सामायजक जीवन में चलने वाली घटनाओ ं के िारे में लोग जानना चाहते हैं, जो जानते हैं वे
उसे िताना चाहते हैं। यह यजज्ञासा का भाव प्रिल होता है। यही यजज्ञासा समाचार और
व्यापक अर्ा में पत्रकाररता का मल ू तत्व है।
न्यजू (NEWS)
➢ समाचार शब्द अग्रं ेजी शब्द न्यज़ू (NEWS) का यहदं ी अनवु ाद है। शब्दार्ा की दृयि से न्यज़ू
(NEWS) शब्द अग्रं ेजी के यजन चार अक्षरों से िनता है उनमें 'N' 'E' 'W' 'S' है| यह चार
अक्षर नार्ा (NORTH) उत्तर , ईस्ट (EAST) पवू ा, 'वेस्ट (WEST) पयिम और साउर्
(SOUTH) दयक्षण के सक ं े तक हैं। इस तरह न्यज़ू ' (NEWS) का अर्ा हुआ चारों यदशाओ ं
की जानकाररय ाँ....
➢ 'NEWS' को अंग्रेजी शब्द 'NEW के िहुवचन के रूप में देखा जा सकता है यजसका अर्ा
नया होता है।
• समाचार की कुछ महत्वपूणा पररभाषाएं.....
➢ हापार लीच और जान सी कै रोल - समाचार एक गयतशील सायहत्य है।
➢ नवीन चद्रं पतं - यकसी घटना की नई सचू ना समाचार है।
➢ राम चंद्र वमाा - ऐसी ताज़ा या हाल की घटना की सचू ना यजसके संिंध में लोगों को जानकारी
न हो, समाचार है।
• समाचार की पररभाषा दीयजए।
समाचार यकसी भी ऐसी ताजा घटना, यवचार या समस्या की ररपोटा है यजसमें अयधक से अयधक लोगों
की रूयच हो और यजसका अयधक से अयधक लोगों पर प्रभाव पड रहा हो।
• समाचार के तत्वों पर प्रकाश डायलए।
1. नवीनता 2. यनकटता 3. प्रभाव क्षेत्र 4. जनरुयच 5. टकराव या संघषा 6. महत्वपणू ा लोग
7. उपयोगी जानकाररयां 8. यवयशिता 9. पाठक वगा 10. नीयतगत ढाचं ा
• सम च र के लिए नवीनत क क्य महत्व है?
सम च र के लिए नय य 'न्य'ू होन बहुत आवश्यक है। प्र यः हर सम च र-पत्र के लिए लपछिे चौबीस
घटं ों में घटी घटन ही सम च र बनती है 24 घटं े से अलिक ब सी होते ही वह सम च र परु न हो ज त
है। इस प्रक र हम 24 घटं ों की अवलि को सम च र की डेडि इन कह सकते हैं।
• सपं दक मडं ि की नीलतय ं सम च रों को लकस प्रक र प्रभ लवत करती हैं?
आजकि सम च र पत्र लकसी-न-लकसी सम च र सगं ठन द्व र चि ए ज ते हैं। वह अपनी संप दकीय
नीलत के बि पर ही सम च रों क चयन करते हैं जो सम च र उनकी नीलतयों के अनक ु ू ि होते हैं, उन्हें
प्रमख
ु त से छ पते हैं। शेष सम च रों को नजर अंद ज लकय ज त है।
• सम च र िेखन में लकन-लकन की भलू मक मख्ु य होती है?
सम च र-िेखन में सम च र एकत्र करने व िे संव दद त ओ ं तथ उन्हें छपने योग्य बन ने व िे
संप दक मंडि की भूलमक मख्ु य होती है।
• सम च र म ध्यमों में क म करने व िे पत्रक र लकतने प्रक र के होते हैं?
1. पर्ू णक लिक पत्रक र
2. अंशक लिक पत्रक र (ल्रंगर)
3. फ्रीि ंसर पत्रक र (्वतंत्र)
समाचार लेखन
• समाचार उल्टा यपरायमड शैली में यलखे जाते हैं।
• यह समाचार लेखन की सिसे उयोगी और लोकयप्रय शैली है।
• इस शैली का यवकास अमेररका में गृह यद्ध ु के दौरान हुआ।
• इसमें महत्वपणू ा घटना का वणान पहले प्र्ततु यकया जाता है, उसके िाद महत्व की दृयि से
घटते क्रम घटनाओ ं को प्रस्ततु कर समाचार का अंत होता है।
• समाचार में इट्रो िॉडी और समापन के क्रम में घटनाएँ प्रस्ततु की जाती हैं।
• सम च र िेखन की शैिी पर प्रक श ड लिए
अथव
सम च र कै से लिखे ज ते हैं ?्पष्ट कीलजए।
सम च र लिखने की शैिी उिट लपर लमड शैिी कहि ती है। इसके अंतगणत सबसे महत्वपर्ू ण ब त
सबसे पहिे लिखी ज ती है, कम महत्वपर्ू ण ब द में, तथ सबसे कम महत्व की ब त सबसे अंत में
लिखी ज ती है।
समाचार छह ककारों का क्या महत्व है?
क्या , कहाँ, कि, कौन क्यों, कै से
यह छह ककार ('क' अक्षर से शरू ु होने वाले छह प्रश्न) समाचार की आत्मा हैं। समाचार में इन तत्वों
का समावेश अयनवाया है
यकसी भी समाचार में पणू ा सतं यु ि तभी यमलती है जि इन छहों ककारों का उत्तर यदया जाए।
प्रर्म चार प्रश्नों के उत्तर इट्रं ों में तर्ा अन्य दो के उत्तर समापन से पवू ा िॉडी वाले भाग में यदए जाते हैं।
1. क्या क्या हुआ ? यजसके सिं धं में समाचार यलखा जा रहा है।
2. कहाँ कहाँ ? घटना का सिं धं यकस स्र्ान नगर गाँव, प्रदेश या देश से।
3. कि ? समाचार का समय, यदन, अवसर ।
4. कौन ? समाचार' से कौन लोग संियं धत हैं?
5. क्यों ? समाचार की पृष्ठभयू म |
6. कै से ? समाचार का परू ा यववरण |
• समाचार लेखन के यकतने अंग (अवयव) होते हैं -
1. शीषाक 2. मख ु डा(इट्रं ो) 3.यनकाय(िॉडी)

• समाचार के मख ु डे में कौन कौन सी सचू नाएँ आती हैं?


यकसी भी समाचार के पहले अनच्ु छे द या आरंयभक दो-तीन पंयियों को उसका मख ु डा या इट्रं ो कहते
हैं। इसके अतं गात सामान्यतया क्या कि कहां और कौन की सचू नाएं होती है। इनका सिं धं तथ्यात्मक
जानकारी या सचू ना से होता है, यवश्लेषण या यववरण से नहीं।
• समाचार का शीषाक
शीषाक संयक्षप्त, सरल, सार्ाक एवं स्पि होना चायहए ।
शीषाक को कभी भतू काल में नहीं यलखना चायहए।
शीषाक में ययद नाम यदया जाना जरुरी हो तो महत्त्वपणू ा तर्ा यवख्यात व्ययि का यदया जाना
चायहए।
शीषाक समाचार का प्रवेश द्वारा माना जाता है।
शीषाक की उपयि ु ता समाचार के महत्व को िढाती है।
• स्रोत
शीषाक के पिात् समाचार के श्रोत का उल्लेख करना चायहए जैसे-
हमारे यवशेष प्रयतयनयध द्वारा व्ययिगत सवं ाददाता द्वारा
समाचार प्रदाता एजेंयसयाँ
• आमख ु
आमख ु को 'मख ु डा', 'इट्रं ो' (Intro) या 'लीड (Lead) भी कहा जाता है। यह समाचार का पहला
अनच्ु छे द होता है।
आमख ु सारगयभात, संयक्षप्त तर्ा ठोस होना चायहए।
समीक्षकों के अनसु ार आमख ु 30-35 शब्दों से अयधक नहीं होना चायहए।
• िॉडी या कलेवर
'आमख ु ' या 'इट्रं ो' के पक्षात समाचार का शेष भाग, यजसे िॉडी या समाचार का
कलेवर (Body of the story) कहा जाता है, आता है । इसमें सभी घटनाएं क्रमिद्ध रूप से
प्रस्ततु की जाती हैं।
• संक्षेपण- समाचार संक्षेपण करते हुए के वल मख्ु य िातों को रखना चायहए।
समाचार संक्षेपण में पनु रुयि नहीं होनी चायहए
समाचार के यनष्कषा के रूप में संपादक य समाचार लेखक की अपनी यटप्पणी नहीं होनी
चायहए। इसमें नकारात्मक वाक्य नहीं होने चायहए।
• समाचार पत्र या मद्रु ण माध्यमों की यवयशिता क्या है?
इनमें स्र्ाययत्व होता है। इन्हें धीरे -धीरे सुयवधानसु ार पढा जा सकता है।
एक ही समाचार को अनेक िार, यकसी भी क्रम से, कहीं से भी पढा जा सकता है।
इसे सरु यक्षत रखकर संदभा की तरह प्रयि ु यकया जा सकता है।
इसकी भाषा अनश ु ायसत तर्ा शद्ध
ु होती है।
इसमें गढू गंभीर यवचार या यवषय का भी समावेश हो सकता है।
• समाचार पत्र या मद्रु ण माध्यमों की कमजोरी क्या है?
समाचार पत्र या मद्रु ण माध्यम पठन-पाठन से सिं ंयधत है।
यनरक्षर लोगों के यलए यह िेकार माध्यम है
साविवययक और पत्रकारीय लेखन में अंतर

1. पत्रक रीय िेखन क संबंि तथ द यर समस मलयक और व ्तलवक घटन ओ,ं


सम्य ओ ं तथ मद्दु ों से होत है। यह स लहलत्यक और सृजन त्मक िेखन-कलवत ,
कह नी, उपन्य स आलद-इस म यने में अिग है लक इसक ररश्त तथ्यों से होत है, न
लक कल्पन से।
2. पत्रक रीय िेखन स लहलत्यक और सृजन त्मक िेखन से इस म यने में भी अिग है लक
यह अलनव यण रूप से त त्क लिकत और अपने प ठकों की रुलचयों तथ जरूरतों को
ध्य न में रखकर लकय ज ने व ि िेखन है, जबलक स लहलत्यक और सृजन त्मक
िेखन में िेखक को क फी छूट होती है।
समाचार माध्यमों में काम करने वाले पत्रकार अपने पाठकों तर्ा श्रोताओ ं तक सचू नाएँ पहुचँ ाने के
यलए लेखन के यवयभन्न रूपों का इस्तेमाल करते हैं, इसे ही पत्रकारीय लेखन करते हैं।
पत्रकाररता या पत्रकारीय लेखन के अन्तगात सम्पादकीय, समाचार, आलेख, ररपोटा, फीचर, स्तम्भ
तर्ा काटूान आयद आते हैं।
पत्रकारीय लेखन क प्रमख ु उद्देश्य है सचू ना देना, यशयक्षत करना तर्ा मनोरंजन आयद करना।
इसके कई प्रकार हैं यर्ा- खोज परक पत्रकाररता, वॉचडॉग पत्रकाररता और एडेवोके सी पत्रकाररता
आयद।
पत्रकाररय लेखन का संिंध समसामययक यवषयों, यवचारों व घटनाओ ं से है।
पत्रकार को यलखते समय यह ध्यान रखना चायहए वह सामान्य जनता के यलए यलख इसयलए रहा है,
उसकी भाषा सरल व रोचक होनी चायहए। वाक्य छोटे व सहज हों।
कयठन भाषा का प्रयोग नहीं यकया जाना चायहए।
भाषा को प्रभावी िनाने के यलए अनावश्यक यवशेषणों, जागान्स (अप्रचयलत शब्दावली) और क्लीशे
(दोहराव) का प्रयोग नहीं होना चायहए।
पत्रकार के प्रकार
पत्रकार तीन प्रकार के होते हैं।
पूर्णकाललक- यकसी समाचार पत्र या संगठन के यनययमत वेतनभोगी कमाचारी ।
अंशकाललक (ल्रंगर) - यनिीत मानदेय पर काया करने वाले पत्रकार।
फ्रीलांसर या ्वतंत्र पत्रकार- यकसी संस्र्ा से जडु े नहीं होते। जि से यलखते है तो इनका लेख कोई
भी छाप सकता है और िदले में एक यनयशचत रायश इन्हें भेज दी जाती है।
पत्रकाररता के लवलवध आयाम:-
पत्रकाररता
ऐसी सचू नाओ ं का संकलन एवं सपं ादन कर आम पाठकों तक पहुचँ ाना, यजनमें अयधक से अयधक
लोगों की रूयच हो तर्ा जो अयधक से अयधक लोगों को प्रभायवत करती हों, पत्रकाररता कहलाता है।
देश यवदेश में घटना वाली घटनाओ ं को सक ं यलत एवं सपं ायदत कर समाचार के रूप में पाठकों तक
पहुचं ाने की यक्रयायवधा को पत्रकाररता करते हैं।
समाचार
समाचार यकसी भी ऐसी ताजा घटना, यवचार या समस्या को ररपोटा है, यजसमें अयधक से अयधक
लोगों की रूयच हो और यजसका अयधक से अयधक लोगों पर प्रभाव पडता हो ।
समाचार के तत्त्व
पत्रकाररता की दृयि से यकसी भी घटना, समस्या व यवचार को समाचार का रूप धारण करने के यलए
उसमें यनम्न तत्वों में से अयधकांश या सभी का होना आवश्यक होता है नवीनता, यनकटता, प्रभाव,
जनरूयच, संघषा, महत्त्वपणू ा लोग उपयोगी जानकाररयाँ, अनोखापन आयद ।
डेडलाइन - समाचार माध्यमों के यलए समाचारों को कवर करने के यलये यनधााररत समय सीमा को
डेडलाइन कहते हैं।
संपादन - प्रकाशन के यलए प्राप्त समाचार सामग्री से उसकी अशुयद्धयों को दरू करके पठनीय तर्ा
प्रकाशन योग्य िनाना संपादन कहलाता है।
पत्रकाररता के प्रमुख प्रकार
• खोजी पत्रकाररता- यजसमें आम तौर पर सावाजयनक महत्व के मामलों जैसे भ्रिाचार,
अयनययमतताओ ं और गडियडयों की गहराई से छानिीन कर सामने लाने की कोयशश की जाती है।
यस्टंग ऑपरे शन खोनी पत्रकाररता का ही एक नया रूप है।
• वॉचडॉग पत्रकाररता- लोकतंत्र में पत्रकाररता और समाचार मीयडया का मख्ु य उत्तरदाययत्व सरकार
के कामकाज पर यनगाह रखना है और कोई गडिडी होने पर उसका पदााफाश करना होता है,
परंपरागत रूप से इसे वॉचडॉग पत्रकाररता कहते हैं। इसे खोजी पत्रकाररता भी कहते हैं।
• एडवोके सी पत्रकाररता - इसे पक्षधर पत्रकाररता भी कहते हैं। यकसी खास मद्दु े या यवचारधारा के पक्ष
में जनमत िनाने के यलए लगातार अयभयान चलाने वाली पत्रकाररता को एडवोके सी पत्रकाररता कहते
हैं।
• पीत पत्रकाररता- पाठकों को लभु ाने के यलये झठू ी अफवाहों, आरोपों प्रत्योरोपों, प्रेम संिंधों
आयद से संिंयधत सनसनी खेज समाचारों से संिंयधत पत्रकाररता को पीत पत्रकाररता कहते हैं ।
• पेज थ्री पत्रकाररता- ऐसी पत्रकाररता यजसमें फै शन, अमीरों की पायटायों, महय़िलों और जाने माने
लोगों के यनजी जीवन के िारे में िताया जाता है।
• वैकयल्पक पत्रकाररता- मख्ु य धारा के मीयडया के यवपरीत जो मीयडया स्र्ायपत व्यवस्र्ा के यवकल्प
को सामने लाकर उसके अनक ु ू ल सोच को अयभव्ययि करता है उसे वैकयल्पक पत्रकाररता कहा जाता
है। आम तौर पर इस तरह के मीयडया को सरकार और िडी पँजू ी का समर्ान प्राप्त नहीं होता और न ही
उसे िडी कंपयनयों के यवज्ञापन यमलते हैं।
• यवशेषीकृ त पत्रकाररता - यकसी यवशेष क्षेत्र की यवशेष जानकारी देते हुए उसका यवशलेषण करना
यवशेषीकृ त पत्रकाररता है।
यवशेषीकृ त पत्रकाररता के प्रमख ु क्षेत्र- ससं दीय पत्रकाररता, न्यायालय पत्रकाररता, आयर्ाक पत्रकाररता
, खेल पत्रकाररता, यवज्ञान और यवकास पत्रकाररता, अपराध पत्रकाररता, फै शन और यफल्म
पत्रकाररता ।
फीचर :
फीचर एक सव्ु यवयस्र्त सृजनात्मक और आत्मयनष्ठ लेखन है । फीचर लेखन का उद्देश्य फीचर का
उद्देश्य मख्ु य रूप से पाठकों को सचू ना देना, यशयक्षत करना तर्ा उनका मनोरंजन करना होता है।
समाचार तथा फीचर में अंतर स्पष्ट करें |

समाचार फीचर
1. समाचार का कार्य पाठको को सूचना 1. फ़ीचर एक सुव्यवस्स्थत, सृजनात्मक और आत्मवनष्ठ लेखन है ।

दे ना होता है 2. इसका उद्दे श्य पाठकोों को सूचना खेल, वशवित करना, और मनोरों ज
करना होता है ।
2. इसका उद्दे श्य पाठकोों को ताज़ी घटना से
अवगत कराना होता है । 3.इसमें शब्द स़ीमा नह़ीों होत़ी। अच्छे फ़ीचर 200 से 2000 तक शब्दोों
3. इसमें शब्द स़ीमा होत़ी है । के होते हैं ।

4. इसमें लेखक के ववचारोों र्ा कल्पना 4. इसमें लेखक क़ी कल्पना और ववचारोों को भ़ी स्थान वमलता है ।

के वलए कोई स्थान नह़ीों होता। 5. अच्छे फ़ीचर के साथ फोटो र्ा ग्रावफक्स होना अवनवार्य है ।

5. इसमें फोटो का होना अवनवार्य नह़ीों है ।

यवशेष ररपोटण :
सामान्य समाचारों से अलग वे यवशेष समाचार जो गहरी छान िीन, यवश्लेषण और व्याख्या के आधार
पर प्रकायशत यकये जाते हैं, यवशेष ररपोटा कहलाते हैं।
यवशेष ररपोटा के प्रकार
1. खोजी ररपोटण- इसमें अनुपलब्ध तथ्यों को गहरी छानिीन कर सावाजयनक यकया जाता है।
2. इन्डेप्र् ररपोटा : सावाजयनक रूप से प्राप्त तथ्यों की गहरी छान िीन कर उसके महत्वपणू ा पक्षों को
पाठकों के सामने लाया जाता है।
3. यवश्लेषणात्मक ररपोटा- इसमें यकसी घटना या समस्या का यववरण सक्ष्ू मता के सार् यवस्तार से यदया
जाता है । ररपोटा अयधक यवस्तृत होने पर कई यदनों तक यकश्तों में प्रकायशत की जाती है।
4. यववरणात्मक ररपोटा- इसमें यकसी घटना या समस्या को यवस्तार एवं िारीकी के सार् प्रस्ततु यकया
जाता है। यवचारपरक लेखन समाचार पत्रों में समाचार एवं फीचर के अयतररि सपं ादकीय लेख, पत्र,
यटप्पणी, वररष्ठ पत्रकारों व यवशेषज्ञों के स्तम्भ छपते हैं। ये सभी यवचारपरक लेखन के अन्तगात आते
हैं।
सपं ादकीय-
• सपं ादक द्वारा यकसी प्रमख ु घटना या समस्या पर यलखे गए यवचारात्मक लेख को, यजसे सिं ंयधत
समाचार पत्र की राय भी कहा जाता है, सपं ादकीय कहते हैं।
• सपं ादकीय यकसी एक व्ययि का यवचार या राय न होकर समग्र पत्र समहू की राय होता है, इसयलए
सपं ादकीय में सपं ादक अर्वा लेखक नाम नहीं यलखा जाता।
स्तम्भ लेखन :
• यह एक प्रकार का यवचारात्मक लेखन है।
• कुछ महत्वपणू ा लेखक अपने खास वैचाररक रुझान एवं लेखन शैली के यलए जाने जाते हैं। ऐसे
लेखकों की लोकयप्रयता को देखकर समाचारपत्र उन्हें अपने पत्र में यनययमत स्तम्भ लेखन की
यजम्मेदारी प्रदान करते हैं।
• इस प्रकार यकसी समाचार पत्र में यकसी ऐसे लेखक द्वारा यकया गया यवयशि व यनययमत लेखन जो
अपनी यवयशि शैली व वैचाररक रुझान के कारण समाज में ख्यायत प्राप्त हो, स्तम्भ लेखन कहा जाता
है।
संपादक के नाम पत्र :
• समाचार पत्रों में संपादकीय पृष्ठ पर तर्ा पयत्रकाओ ं की शरुु आत में संपादक के नाम आए पत्र
प्रकायशत यकए जाते हैं।
• यह प्रत्येक समाचारपत्र का यनययमत स्तम्भ होता है।
• इसके माध्यम से समाचार पत्र अपने पाठकों को जनसमस्याओ ं तर्ा मद्दु ों पर अपने यवचार एवं राय
व्यि करने का अवसर प्रदान करता है |

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