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nd

HINDI 2 LANGUAGE
TOPIC: इतनेऊँचे उठो
CLASS- VIII
इतने
ऊँचे
उठो क जतना उठा गगन है

दे
खो इस सारी नया को एक से
स चत करो धरा, समता क भाव वृ से
जा त भे
द क , धम-वे
शक
काले
गोरे
रं
ग- े
षक
वाला से
जलते
जग म
इतने
शीतल बहो क जतना मलय पवन है

सं
ग: तु त प पं याँ हमारी पा पुतक गु ज
ंन से
ली गई ह । इस क वता का शीषक ’इतने
ऊँचे
उठो’ है
। इस
क वता के
क व ’ ी ा रका साद माहेरी’ है

सं
दभ: तु
त पं य म, सभी भे
दभाव से
ऊपर उठकर समाज म समानता का भाव जगाने
क बात कही गई है

अथ: तु त प पं य म क व कहते ह क हम नए समाज नमाण म अपनी नई सोच को जा त, धम, रं
ग- े
षआद
जै
सेभे
दभाव से ऊपर उठकर सभी को समानता क सेदे
खना चा हये
। जस कार वषा सभी के ऊपर समान
प सेहोती है
उसी कार हम भी सभी केसाथ समान प से पे
श आना चा हए। हम नफरत क आग को समा त कर
समाज म मलय पवत सेआने वाली हवा क तरह शीतलता और शां
त लानेका य न करना चा हए।
नये
हाथ से
, वतमान का प सँ
वारो
नयी तू
लका सेच के
रं
ग उभारो
नये
राग को नू
तन वर दो
भाषा को नू
तन अ र दो
यु
ग क नयी मू
त-रचना म
इतने
मौ लक बनो क जतना वयं
सृ
जन है

अथ: इन पं य म क व कहते ह क नए समाज केनमाण म हम आगे बढ़कर अपनी क पना को आकार दे कर
उ हेवा त वक जीवन म लानेका य न करना चा हए। जस कार कोई कलाकार अपनी कू ँ
ची से
अपनेच म रं ग
भरता है, और जस कार सं गीतकार अपनेनए राग म वर को परोता है
, उसी कार हम भी अपने
समाज को नया
प दे
ने केलए सृ
जना मक बनना होगा। और सृजन को हम अपनेअंदर मौ लक प सेहण करना होगा।
लो अतीत से
उतना ही जतना पोषक है
जीण-शीण का मोह मृ
युका ही ोतक है
तोड़ो ब धन, के
न चतन
ग त, जीवन का स य चर तन
धारा के
शा त वाह म
इतने
ग तमय बनो क जतना प रवतन है

अथ: क व कहतेह क हमे अपने अतीत म ई बुरी घटना को छोड़कर के वल अ छ बात को हण करना चा हए,
य क येअ छ यादे या घटनाएँ ही हमारे
भ व य नमाण म हमारेकाम आएँ गी जब क बु
री घटनाएँ
हम सदै व पीछे
क ओर ही ख चगी, इनसे हमारा वकास अव होगा। क व कहते ह क जसतरह प रवतन सदै व होता रहता है
,
उसी कार हम भी सभी बंधन को तोड़कर हमे शा आगे बढ़ते रहना चा हए। य क आगे बढ़ना ही जीवन है।
चाह रहे
हम इस धरती को वग बनाना
अगर कह हो वग, उसे
धरती पर लाना
सू
रज, चाँ
द, चाँ
दनी, तारे
सब ह तपल साथ हमारे
दो कुप को प सलोना
इतने
सुदर बनो क जतना आकषण है

अथ: क व कहतेह क य द हम धरती को वग क तरह सुदर बनाना चाहते
ं ह तो हम अपनी क पना को मू त प
दे
तेए (साकार करतेए) अ छाइय को लेकर आगे बढ़ना चा हयो और हम अपने समाज को सभी बुराइय सेऊपर
उठाकर एक खूबसू
रत समाज क रचना कर सकते ह। क व कहते ह क हम अपनी सोच और भावनाएँ सदैवअ छ
रखनी चा हए जससेएक सुदर समाज क रचना होगी और वह समाज सदै
ं व वकास क ओर बढ़ता रहे गा। जस
कार हम कसी आकषण क ओर खचे चलेजातेहैउसी कार अ छ सोच के साथ हम खु
द को भी आकषक
बनाना है

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