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C9HINBSPCh4 वैज्ञानिक चेतना के वाहक चन्द्र शेखर वेंकट रामन PDF
C9HINBSPCh4 वैज्ञानिक चेतना के वाहक चन्द्र शेखर वेंकट रामन PDF
धीरं जि मालवे
उत्तर: रामन भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा एक ऐसे वैज्ञातनक थे जिनके अंदर सशक्ि वैज्ञातनक
जिज्ञासा थी।
Question 4: वाद्ययंत्रों की ध्वतनयों के अध्ययन के द्वारा रामन क्या करना चाहिे थे?
उत्तर: रामन वाद्ययंत्रों की ध्वतन के पीछे छुपे वैज्ञातनक रहस्य को उिागर करना चाहिे थे।
उत्तर: रामन सरकारी नौकरी इसललए छोड़ना चाहिे थे िाकक वैज्ञातनक शोध पर अधधक समय दे
सकें।
Question 6: ‘रामन प्रभाव’ की खोि के पीछे कौन सा सवाल हहलोरें ले रहा था?
उत्तर: रामन प्रभाव की खोि के पीछे हहलोरें लेने वाला सवाल था कक समद्र
ु का रं ग नीला क्यों होिा
है।
उत्तर: आइंस्टाइन ने बिाया कक प्रकाश अति सूक्ष्म किों की िीव्र धारा के समान है।
उत्तर: कॉलेि के हदनों में रामन की हदली इच्छा थी कक अपना पूरा िीवन शोधकायय को समपपयि कर
दें । लेककन उस िमाने में शोधकायय को एक पूिक
य ाललक कैररयर के रूप में अपनाने की कोई व्यवस्था
नहीं थी।
उत्तर: लोगों का मानना था कक भारिीय वाद्ययंत्र पजचचमी वाद्ययंत्र की िुलना में अच्छे नहीं होिे हैं।
रामन ने अपनी खोिों से इस भ्ांति को िोड़ने की कोलशश की।
उत्तर: उस िमाने के हहसाब से रामन सरकारी पवभाग में एक प्रतिजठठि अफसर के पद पर िैनाि थे।
उन्हें मोटी िनख्वाह और अन्य सुपवधाएँ लमलिी थीं। उस नौकरी को छोड़कर पवचवपवद्यालय में
प्रोफेसर की नौकरी करने का फैसला बहुि कहठन था।
Question 4: सर चंद्रशेखर वेंकट रामन को समय समय पर ककन ककन पुरस्कारों से सम्मातनि
ककया गया?
उत्तर: रामन को 1924 में रॉयल सोसाइटी की सदस्यिा से सम्मातनि ककया गया। 1929 में उन्हें ‘सर’
की उपाधध दी गई। 1930 में उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मातनि ककया गया। उन्हें कई अन्य पुरस्कार
भी लमले; िैसे रोम का मेत्यूसी पदक, रॉयल सोसाइटी का ह्यूि पदक, कफलाडेजफफया इंस्टीच्यूट का
फ्रैंकललन पदक, सोपवयि रूस का अंिरायठरीय लेतनन पुरस्कार, आहद। उन्हें 1954 में भारि रत्न से
सम्मातनि ककया गया।
Question 5: रामन को लमलने वाले पुरस्कारों ने भारिीय चेिना को िाग्रि ककया। ऐसा क्यों कहा
गया है?
उत्तर: रामन को अधधकिर पुरस्कार िब लमले िब भारि अंग्रेिों के अधीन था। वैसे समय में यहाँ पर
वैज्ञातनक चेिना का सख्ि अभाव था। रामन को लमलने वाले पुरस्कारों से भारि की न लसफय वैज्ञातनक
चेिना िाग्रि हुई बजफक भारि का आत्मपवचवास भी बढ़ा।
निम्िललखखत प्रश्िों के उत्तर 50-60 शब्दों में ललखखए:
Question 1: रामन के प्रारं लभक शोधकायय को आधतु नक हठयोग क्यों कहा गया है ?
Question 3: ‘रामन प्रभाव’ की खोि से पवज्ञान के क्षेत्र में कौन कौन से कायय संभव हो सके?
Question 4: दे श को वैज्ञातनक दृजठट और धचंिन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन के
महत्वपि
ू य योगदान प्र प्रकाश डाललए।
उत्तर: दे श को वैज्ञातनक दृजठट और धचंिन प्रदान करने के ललए रामन के कई काम ककए। रामन ने
बंगलोर में एक अत्यंि उन्नि प्रयोगशाला और शोध संस्थान की स्थापना की, जिसे अब रामन ररसचय
इंस्टीच्यट
ू के नाम से िाना िािा है। भौतिक शास्त्र में अनस
ु ंधान को बढ़ावा दे ने के ललए उन्होंने
इंडडयन िरनल ऑफ कफजिक्स नामक शोध पत्रत्रका प्रारं भ की। उन्होंने अपने िीवन काल में सैंकड़ों
शोध छात्रों का मागयदशयन ककया। पवज्ञान के प्रचार प्रसार के ललए वे करें ट साइंस नामक पत्रत्रका का
संपादन भी करिे थे।
Question 5: सर चंद्रशेखर वेंकट रामन के िीवन से प्राप्ि होनेवाले संदेश को अपने शब्दों में
ललणखए।
उत्तर: सर चंद्रशेखर वेंकट रामन ने हमेशा ये संदेश हदया कक हम पवलभन्न प्राकृतिक घटनाओं की
छानबीन वैज्ञातनक दृजठटकोि से करें । न्यट
ू न ने ऐसा ही ककया था और िब िाकर दतु नया को
गरु
ु त्वाकषयि के बारे में पिा चला था। रामन ने ऐसा ही ककया था और िब िाकर दतु नया को पिा चला
कक समद्र
ु का रं ग नीला ही क्यों होिा है , कोई और क्यों नहीं। िब हम अपने आस पास घटने वाली
घटनाओं का वैज्ञातनक पवचलेषन करें गे िो हम प्रकृति के बारे में और बेहिर ढ़ं ग से िान पाएँगे।
उत्तर: रामन एक ऐसी नौकरी में थे िहाँ मोटी िनख्वाह और अन्य सुपवधाएँ लमलिी थीं। लेककन
रामन ने उस नौकरी को छोड़कर ऐसी िगह नौकरी करने का तनियय ललया िहाँ वे सारी सपु वधाएँ नहीं
थीं। लेककन नई नौकरी में रहकर रामन अपने वैज्ञातनक शोध का कायय बेहिर ढ़ं ग से कर सकिे थे।
यह हदखािा है कक उनके ललए सरस्विी की साधना सरकारी सख
ु सपु वधाओं से कहीं अधधक महत्वपि
ू य
थी।
Question 2: हमारे पास ऐसी न िाने ककिनी ही चीिें त्रबखरी पड़ी हैं, िो अपने पात्र की िलाश में हैं।
उत्तर: हमारे पास अनेक ऐसी चीिें हैं या घटनाएँ घटिी रहिी हैं जिन्हें हम िीवन का एक सामान्य
हहस्सा मानकर चलिे हैं। लेककन उन्ही चीिों में कोई जिज्ञासु व्यजक्ि महत्वपूिय वैज्ञातनक रहस्य
खोि लेिा है। कफर हम िैसे नींद से िागिे हैं और उस नई खोि से पवजस्मि हो िािे हैं। ककसी की
जिज्ञासा उस सही पात्र की िरह है जिसमें ककसी वैज्ञातनक खोि को मि
ू य रूप लमलिा है।
उत्तर: इस पंजक्ि में लेखक रामन के अथक पररश्रम के बारे में बिा रहा है। रामन उस समय एक
सरकारी नौकरी में काययरि थे। अपने दफ्िर में पूरे हदन काम करने बाद िब वे शाम में तनकलिे थे िो
घर िाने की बिाय सीधा बहु बािार जस्थि प्रयोगशाला में िािे थे। वे प्रयोगशाला में घंटों अपने शोध
पर मेहनि करिे थे। परू े हदन दफ्िर में काम करने के बाद कफर प्रयोगशाला में काम करना बहुि
मजु चकल होिा है। यह शारीररक और मानलसक िौर पर थका दे िा है। इसललए लेखक ने ऐसे काम को
हठयोग की संज्ञा दी है।