You are on page 1of 51

Machine Translated by Google

Machine Translated by Google


Machine Translated by Google

वषयसूची
प रचय................................................. .................................................. ................................

ीमती तुलसी दे वी क म हमा................................................... ..................................................

नया भर म तुलसी दे वी क पूज ा का प रचय................................................... ..................................

मं अनुवाद................................................. .................................................. ..................

ी चैत य के अवतरण का मु य कारण................................................... ..................................

तुलसी सभी भौ तक सं षण को साफ करती है................................................... ..................................................

पूण सा वकता से पूज ा कर................................................... .................................................. .........

गो पयाँ तुलासे का आवाहन करती ह................................................... .................................................. .................

हरभ वलास म जानकारी ................................................... .................................................. ........

तुलसी अ पत करने के व भ तरीके ................................................... .................................................. ...........

न वशेषवाद का इलाज....................................................... .................................................. ................... वृ दावन ीमतेव दा दे वे का वन

है................... .................................................. .........

तुलसी दे व क पूज ा क सलाह द जाती है................................................... ..................................................

भगवान तुलासे क सेवा क सराहना करते ह................................................... .................................................. तुलासे का मह व

नेक बीड् स................................................. .................................................. तुलासे ने य कया है दे वे एक पौधे के प म कट

ए ...................................................... .................................................. हम तुलसी क पूज ा य करते ह

दे वे .................................................. .................................................. .

तुलसी दे व क पूज ा के नदश...................................................... ..................................................

ीमती तुलसी दे वी क सेवा ....................................................... .................................................. ................

सामा य नदश................................................ .................................................. .......................

बीज से तुलसी का पौधा शु करना................................................... .................................................. ........

तुलासे दे वे को व रखना................................................... .................................................. ................

रोशनी................................................. .................................................. ..................................................

पानी ................................................. .................................................. ..................................................

तापमान ................................................. .................................................. ..................................

आ ता .......... .................................................. .................................................. ..................................

म ................................................. .................................................. ..................................................

पोषण................................................. .................................................. ..................................

यारोपण ................................................. .................................................. ..................................

क ट एवं रोग................................................. .................................................. ..................................

ी वंदादे नोकम ................................................. .................................................. ..................


Machine Translated by Google
Machine Translated by Google

प रचय
भगवान् कृ ण और उनके शा त नवास का वणन भगवान ारा कया गया है
सा हत म ा

चताम न कार सदमासु क प वा य

ल णवतेनु सुरभेर अ भपालय तम्

ल मी सह चटा स म से मानः

गो वदम आ द पु षाना तम अहा भजा म

म आ द भगवान थम पूवज गो वदा क पूज ा करता ं जो आ या मक र न से न मत और लाख योजन वृ से घरे नवास म


सभी इ ा को पूरा करने वाले गाय क दे ख भाल करते ह।
सैक ड़ हजार ल मय या गो पय ारा सदै व उनक ब त ा और नेह के साथ सेवा क जाती है। बी.एस. .

इस पृ वी पर वृ दावन धाम उसी नवास क तकृ त है। जैसा क भगवद गीता . म कहा गया है आ या मक आकाश म एक
और शा त कृ त है जो और अ पदाथ से परे है। जगत को सूय और चं मा जैसे कई सतार और ह के प म दे ख ा
जा सकता है ले कन इससे परे अ है जो दे हधारी लोग के लए अ य है। और इस अ पदाथ से परे आ या मक सा ा य है
जसे भगवद गीता म सव और शा त के प म व णत कया गया है। वह रा य कभी न नह होता। य प भौ तक कृ त बार बार
सृज न और वनाश के अधीन है वह

आ या मक कृ त शा त प से वैसी ही बनी रहती है। ीम ागवत के दसव कं ध म उस आ या मक कृ त आ या मक नया


को वंदावन गोलोक या जधाम के प म व णत कया गया है।

ी कृ ण और उनके शा त साथी गोलोक के पारलौ कक े म रहते ह जो वृ दावन से अलग नह है। वहां भगवान अपनी अनंत लीला
का आनंद लेते ह। वृ दावन के वन क र ा जधाम क अ ध ा ी दे वी ीमाता वृ दादे व ारा क जाती है।

ीमती राधारानी ने गत प से वृ दावन क र ा के लए वृ दादे व को नयु कया। इस वन को वृ दावन के नाम से जाना जाता है
य क इसका नाम वृ दा दे वे के नाम पर रखा गया है। वाना श द का अथ है वन । वृ दावन उस जंगल को दया गया नाम है जहाँ वृ दा
दे वे तुलसे दे वे चुर मा ा म उगते ह। वा तव म यह जंगल नह है जैसा क हम आमतौर पर जंगल मानते ह य क यह हरी वन तय
से ब त घना है। ेम क अपार बाढ़ से प रपूण और अनेक सुगं धत फू ल से वृ दावन के सदाबहार उपवन को सजाते ए वृंदा दे व ी ी
राधा कृ ण के लए अपने य म के साथ द लीला का आनंद लेने के लए उ सव का माहौल बनाते ह।
Machine Translated by Google

राधा और कृ ण के गोप त म व दा दे व भी सबसे मह वपूण ह। गोप त वृ दावन के भूगोल को भ लभां त जानते ह और वे वहाँ के येक
उपवन और उ ान को गहराई से जानते ह। वे बागवानी के व ान म सीखे गए ह। ये े गोप त राधा और कृ ण के त शु ेम से भरे
ए ह। उनका रंग गोरा है और वे रंग बरंगे प रधान पहनते ह। वृ दा दे वे ारा नयु उनके अ धकार े म वृ दावन के फू ल वाले पेड़ ह।
वंदा दे वे राधा और कृ ण के मलन क व ा करने म वशेष ह। वह वृ दावन के भूगोल से पूरी तरह प र चत है और द जोड़े के मलन
के लए सव म ान को जानती है।

वंदा दे वे का रंग पघले ए सोने के समान सुंदर है। वह बं का फू ल के रंग के व पहनती है और मो तय और फू ल से सजी होती है। उनके
पता चं भानु और माता फु लारा दे वे ह। उनके प त महेपाला ह और उनक बहन माजारे दे वे ह। वह सदै व वृ दावन म रहती है राधा और
कृ ण के ेम म डू बी ई उनके मलन क व ा करने और उनक द लीला म सहायता करने के अमृत का वाद लेने के लए
उ सुक रहती है। वंदा दे वे और उनके अनुयायी वंदावन के व भ जंगल म द जोड़े को उनक लीला म सहायता करते ह

ील व नाथ च वत ठाकु र ने संक प म ीमाता वंदा दे वे क शंसा क है


क प महा पाठ

व दावन र चरण प रपाल य


व दे तयो र सकयोर अ त सौभगेना
अ या स तत् कु कपा गणे यथैव
ीरा धका प रजानेनु ममा प स े त

वृ दावन म चर और अचर जीव क र ा करने वाली वृंदा दे वी आप ज म लीला का आनंद लेने वाले द जोड़े क दया से धनवान ह।
कृ पया मुझ पर दया कर. कृ पया मुझ े ी राधा जी के सहयो गय म रख।
Machine Translated by Google

ज री त चताम ण पाठ म वे कहते ह

सव कु जो म म दरेसु

व ददायौ य अहं एव सारम्


च य दका य रचय त च ः

च सा कृ णो प यद ए ने यात्

हर शाम वंदा दे वे और अ य गो पयाँ ी कृ ण के लए ज के सुंदर वन महल म आराम करने के लए व तृत व ा करती ह। जब वह यह दे ख ता

है तो आ यच कत हो जाता है।

वंदा दे वे आ या मक जगत म सदै व राधा और कृ ण क ेमपूण सेवा म लगी रहती ह। वह भौ तक जगत म ीमाते तुलसी दे वे के प म कट
होती ह जहाँ भी परम भगवान क भ होती है।

ीम ागवत म ीमते तुलसी दे वे के मह व का वणन कया गया है।

ीम ागवत . .

स ललैउ कु स बर मा यार
वा यैर मूल फला द भः
çastäìkuräà çukaiç Cärcet

तुल य या भुम्

मनु य को शु जल शु फू ल क माला फल फू ल और स जयाँ जो जंगल म उपल ह अ पत करके या नई उगी घास फू ल क छोट

क लयाँ या यहाँ तक क पेड़ क खाल एक करके और य द संभव हो तो अ पत करके भगवान क पूज ा करनी चा हए। तुलसी के प े जो

भगवान के परम व को ब त य ह।

मुराद

यहां वशेष प से उ लेख कया गया है क तुलसी के प े भगवान के परम व को ब त य ह और भ को येक मं दर और पूज ा क

म तुलसी के प का वशेष यान रखना चा हए। प मी दे श म जब हम कृ ण चेतना आंदोलन के चार म लगे ए थे तो हम ब त ःख आ

य क हम तुलसी के प े नह मले। इस लए हम अपने श य ीमाते गो वद दासी के ब त आभारी ह


Machine Translated by Google

य क उसने बीज से तुलसी के पौधे उगाने म ब त यान दया है और कृ ण क कृ पा से वह सफल रही है। अब हमारे लगभग हर क म तुलसी के

पौधे उग रहे ह
आंदोलन।

भगवान क पूज ा क व ध म तुलसी के प का ब त मह व है। इस ोक म स ललैउ श द का अथ है जल से। न संदेह ुव महाराज यमुना के

तट पर पूज ा कर रहे थे। यमुना और गंगा प व ह और कभी कभी भारत म भ इस बात पर जोर दे ते ह क दे वता क पूज ा जल से क जानी

चा हए। गंगा या यमुना। ले कन यहां हम दे क ा काला का अथ समय और दे श के अनुसार समझते ह। प मी दे श म यमुना नद और ऐसी प व

न दय का गंगा जल उपल नह है। या इसका मतलब यह है क अचा क पूज ा होनी चा हए इस कारण रोका जाए नह .

स ललाइउ कसी भी पानी को संद भत करता है जो भी उपल है ले कन यह ब त साफ और शु प से एक कया जाना चा हए।
उस पानी का उपयोग कया जा सकता है. अ य साम ी जैसे फू ल माला फल और स जय का सं ह दे श के अनुसार और उनक उपल ता
के अनुसार करना चा हए।
भगवान को स करने के लए तुलसी के प े ब त मह वपूण ह इस लए जहां तक संभव हो तुलसी के प े उगाने क व ा करनी
चा हए। ुव महाराज को जंगल म उपल फल और फू ल से भगवान क पूज ा करने क सलाह द गई। भगवद गीता म कृ ण प
से कहते ह क वे स जयां फल फू ल आ द वीकार करते ह। कसी को भगवान वासुदेव को महान ा धकारी नारद मु न ारा बताई गई
चीज़ के अलावा कु छ भी नह अ पत करना चा हए। कोई अपनी इ ा के अनुसार दे वता को साद नह चढ़ा सकता चूं क ये फल और
स जयां ांड म कह भी उपल ह इस लए हम इस छोट सी बात को ब त यान से दे ख ना चा हए।

ीम ागवत . .

मंदार कुं ड कु रबोटपाल कपकारे

पु ाग नाग बकु ल बुज प रजातः

ग े र चते तुलसेक ाभारेण त यः

य म स तपो सुमनसा ब मनय त

अनुवाद

य प मंदरा कुं डा कु रबाका जैसे फू ल वाले पौधे। उ पल चंपक अ रया पु ाग नागके शर बकु ला लली और पा रजात द सुगंध से भरे ए ह

वे अभी भी तुलसी ारा क गई तप या के त सचेत ह य क तुलसी को भगवान ारा वशेष ाथ मकता द जाती है जो वयं को तुलसी के प

क माला पहनाते ह।
Machine Translated by Google

मुराद

यहां तुलसी के प का मह व ब त प से बताया गया है। भ सेवा म तुलसी के पौधे और उनक प याँ ब त मह वपूण ह। भ
को त दन तुलसी के पेड़ को पानी दे ने और भगवान क पूज ा करने के लए प े इक ा करने क सलाह द जाती है। एक बार एक ना तक
वामी ने ट पणी क तुलसे के पौधे को पानी दे ने से या फायदा बगन को पानी दे ना बेहतर है। बगन को पानी दे ने से कु छ फल मल
सकते ह ले कन तुलसी को पानी दे ने से या फायदा ये मूख ाणी अनजान ह भ पूण सेवा के साथ कभी कभी सामा य प से लोग
क श ा के साथ खलवाड़ करते ह।

आ या मक जगत क सबसे मह वपूण बात यह है क वहां भ म ई या नह होती। यह उन फू ल के बीच भी सच है जो तुलसी क महानता के

त सचेत ह। चार कु मार ारा व वैकुं ठ जगत म प ी और फू ल भी भगवान क सेवा के त सचेत ह।

कु मार के नाम से जाने जाने वाले चार ऋ ष भगवान के कमल चरण म अ पत कए गए तुलसी के प क सुगंध को सूंघकर शु भ बन गए।

भगवान चैत य महा भु के सहयोगी महान भ ह रदास ठाकु र ने एक वे या से प व नाम का जाप करवाकर और तुलसी के पौधे को णाम

करवाकर उसका जीवन बदल दया। और भगवान कृ ण पांच सौ साल पहले ी चैत य महा भु के प म पृ वी पर अवत रत ए य क उनके भ

अ ै त आचाय ने उ ह गंगा जल के साथ म त तुलसी के प े चढ़ाकर आमं त कया था।

आइए म तुलसी के पेड़ को सादर णाम करता ं जो कई पापपूण ग त व धय को तुरंत ख म कर सकता है। इस वृ के दशन या श मा से

मनु य सभी क और रोग से मु पा सकता है। के वल तुलसी के पेड़ को णाम करने और उस पर जल चढ़ाने से यमराज मृ यु के राजा

जो पा पय को दं ड दे ता है के दरबार म भेज े जाने के भय से मु हो सकता है। य द कोई कह तुलसी का वृ बोता है तो वह न य ही

भगवान कृ ण का भ हो जाता है। और जब तुलसी के प े भ पूवक कृ ण के कमल चरण म अ पत कए जाते ह तो भगव ेम का पूण वकास

होता है।

कं द पुराण भ अमृत अ याय मउ त


Machine Translated by Google

ीमती तुलसी दे वी क म हमा

नया भर म तुलसी दे वी क पूज ा का प रचय

लॉस एं ज स
अ ैल
होनोलूलू

मेरी यारी बेट गो वदा दासी

कृ पया मेरा आशीवाद वीकार कर. म अ ैल को आपके प क ा त क सूचना दे ता ं और आपने उसम जो अ भावनाएं
क ह उससे म ब त स ं। ले कन आपको हमेशा याद रखना चा हए क हम जो कु छ भी कर रहे ह वह भगवान कृ ण से शु
होकर हमारे नीचे तक क परंपरा णाली म है। इस लए हमारी ेमपूण भावना भौ तक त न ध व क तुलना म संदेश पर अ धक क त
होनी चा हए। जब हम संदेश से ेम करते ह और उसक सेवा करते ह तो शरीर के त हमारा भ पूण ेम वतः ही हो जाता है।

मुझ े यह जानकर ब त खुशी ई क ीमती तुलसी दे वी ने आप पर इतनी कृ पा क है। य द आप वा तव म इस तुलसी के पौधे को उगा
सकते ह और मुझ े यक न है क आप ऐसा करगे तो आपको यह न त प से जानना चा हए क कृ ण के त आपक भ मा णत
है। म अपने समाज के सद य के बीच तुलसी के पौधे क पूज ा शु करने के लए ब त उ सुक था ले कन यह अब तक सफल नह हो
पाया है इस लए जब मने सुना क आपको यह अवसर मला है तो मेरी खुशी क कोई सीमा नह रही।

कृ पया न न ल खत तरीके से तुलसी के पौध क दे ख भाल कर। तुलसी के पौधे उगाने के लए यह सबसे अ ा मौसम है। अ ैल से
जून तक का समय इस पौधे को उगाने के लए सबसे अ ा मौसम है। अब म समझ गया ं क अंकु र नकल रहे ह इस लए संभव है क
पूरे ान को कसी जाल से ढक दया जाए य क अंकु र अव ा क लताएं ब त नाजुक होती ह ज ह कभी कभी गौरैया खा जाती ह
इस लए हम उनके हमले से थोड़ी सुर ा दे नी होगी गौरैया सभी भ को साद लेने से पहले सुबह कम से कम एक बार जल अव य डालना
चा हए । पानी ब त अ धक मा ा म नह दे ना चा हए ब क जमीन को नरम और नम बनाए रखने के लए डालना चा हए। सूय क रोशनी
भी आने दे नी चा हए। जब लताएं कम से कम सात इंच ऊं ची हो जाएं तो आप उ ह रोपण भू म से नकालकर एक पं म अलग ान पर
रो पत कर। फर पानी दे ते रहो और वे कसी भी चीज़ क तरह बढ़गे। मुझ े लगता है
Machine Translated by Google

ठं डे दे श म पौधा उग नह सकता ले कन य द आपके यहां से पौधे भेज े जाएं और भ गण फू ल के गमले म पौधे क थोड़ी सी दे ख भाल कर तो
वह बढ़ सकता है।

व णु को तुलसी का प ा ब त य है। सभी व णु त व दे वता को चुर मा ा म तुलसी के प क आव यकता होती है।

भगवान व णु को तुलसी के प क माला य है। तुलसी के प को चंदन के गूदे के साथ मलाकर भगवान के चरण कमल पर रखना सव
पूज ा है। ले कन हम इस बात का ब त यान रखना चा हए क तुलसी के प को भगवान व णु और उनके व भ प के अलावा कसी और
के पैर पर नह रखा जा सकता है। तुलसी के प को राधारानी के कमल चरण या आ या मक गु के कमल चरण पर भी नह रखा जा सकता
है। यह पूरी तरह से कृ ण के चरण कमल पर रखे जाने के लए आर त है। हालाँ क हम तुलसी के प को कृ ण के कमल चरण म रखने के
लए राधारानी के हाथ म रख सकते ह जैसा क आपने गो वदा ए बम म दे ख ा है।

म यहां आपको तुलसी दे वे के लए तीन मं इस कार दे रहा ं

वृ दायै तुलासे दे ै
यायै के शव य च

व णु भ दा दे वे
स यवती नमो नमो

यह णाम करना झुक ना पाचा णाम है। और पौधे से प यां इक ा करते समय न न ल खत मं का जाप करना चा हए

तुलसी अमाता ज मासी

सदा वा के शव या
के शवरथा सनोमी वा
वरदा भव शोभने

फर तुलसी वृ क प र मा करने का मं

या न का न च पाप न
ह या दका न च

ता न ता न णचय त
दा क ौ पदे पदे
Machine Translated by Google

तो तीन मं ह एक झुक ने के लए एक प र मा करने के लए और एक प े इक ा करने के लए। पूज ा करने और चढ़ाए जाने वाले भोजन क था लय म रखने

के लए प को सुबह एक बार इक ा करना चा हए। येक कटोरे या लेट पर कम से कम एक प ा होना चा हए। तो आप इन तुलसी मामल का पालन कर और

अ यास कर और आप अपने अनुभव को अ य सभी क म वत रत करने का यास कर यह कृ ण चेतना आंदोलन के इ तहास म एक नया अ याय होगा।

जस दे वता क ापना के लए आप तैयारी कर रहे ह उसके संबंध म म चाहता ं क जैसे ही वहां ब त सारे तुलसी के प े उग आएं म वहां जाना चाहता ं। आप

ज द ही आम उगाने क को शश कर रहे ह ले कन अगर आप ज द ही तुलसी के प े उगा सक तो बेहतर होगा। ये आम उगाने से भी यादा ज़ री है.

तो आप इस उ े य के लए अपना सव े यान द और जैसे ही आप मुझ े सू चत करगे क वहां तुलसी के पौध क एक नय मत झाड़ी है तो म तुरंत हवाई के लए

रवाना हो जाऊं गा और आपके दे वता को ा पत क ं गा। मुझ े लगता है इससे आपको संतु मलेगी.

आपका सदै व शुभ चतक

एसी भ वेदांत वामी

सुबह और शाम दोन समय पौधे क बार प र मा कर


Machine Translated by Google

मं अनुवाद

णाम करने का मं

वृ दायै तुलसी दे ै

यायै के शव य च
व णु भ दा दे वे
स यव यै नमो नमो

म वंदा ीमते तुलसी दे वे जो भगवान के शव कृ ण को ब त य ह को बार बार नम कार करता ं। हे दे वी आप भगवान कृ ण को


भ मय सेवा दान करती ह और सव स य धारण करती ह।

प े और मंज रयाँ तोड़ने का मं

तुलसी अमाता ज मासी

सदा वा के शव या
के शवरथा सनोमी वा
वरदा भव शोभने

हे तुलसी तुम अमृत से उ प ई हो। आप भगवान के शव को सदै व अ यंत य ह। अब भगवान के शव क पूज ा करने के लए म आपके प े
और मंज ीरे एक कर रहा ं। कृ पया अपना आशीवाद द
मुझ पर आशीवाद।

तुलसी दे व क प र मा करने का मं

या न का न च पापा न
ह या दका न च

ता न ता न णचय त
दा क ौ पदे पदे

ीमते तुलसी दे व क प र मा से मनु य ारा कए गए सभी पाप हर कदम पर न हो जाते ह यहाँ तक क ा ण ह या का पाप भी।
Machine Translated by Google

ीतुलसे क तन

नमो नमः तुलसीसे कृ ण ेयसे

राधा कृ ण सेवा पाबो ए अ भलाने

जे तोमेरा चारैआ लोय तारा वंचा पूण ा होय

कपा कोरी कोरो तारे बंधावन बेस

मोर इ अ भलाण बलास कु इजे दयो वास


नयने हे रबो सदा जुगल प रसी

एइ नवेदन धरो सखेर अनुगत कोरो

सेवा अ धकार दए कोरो नज दासे

दे ना कृ ण दासे कोय एइ जेना मोरा होय

ीराधा गो वद ेम सदा जेना भसी

हे कृ ण क य तुलसी म आपको बार बार णाम करता ँ। मेरी इ ा ी ी राधा कृ ण क सेवा ा त करने क है।

जो कोई भी आपक शरण म आता है उसक मनोकामना पूण होती है। आप उस पर दया करके उसे वृ दावन का नवासी बना द जये।

मेरी अ भलाषा है क आप मुझ े भी ीवृंदावनधाम के रमणीय उपवन म नवास दान कर। इस कार म अपनी से सदै व राधा और कृ ण क सु दर

लीला को दे ख ता र ँगा।

म आपसे वनती करती ं क मुझ े ज क वाल बा लका का अनुयायी बना द जये। कृ पया मुझ े भ का सौभा य द जए और मुझ े अपनी दासी बना

ली जए।

कृ ण का यह अ यंत प तत और तु सेवक ाथना करता है म सदै व ी ी राधा और गो वदा के ेम म तैरता र ँ।

वृंदा दे व के आठ नाम

व दा दे वे उनक हजार स खयाँ सहयोगी दा सयाँ ह।

व दावने वह कभी वृ दावन नह छोड़ती।

व पू जता सारा संसार उसक पूज ा करता है।

व पावने वह पूरी नया को प व करने वाली है

पु पसार वह सभी फू ल का सार है।

नं दने वह सभी को खुशी दे ती है।


Machine Translated by Google

तुलासे दे वे उनका प अतुलनीय है।

कृ ण जीवने वह भगवान कृ ण का जीवन और आ मा ह ।

ी चैत य के अवतरण का मु य कारण


ी चैत य च रतामृत आ द लीला अ याय पाठ

. जब वह अ ै त आचाय सोच रहे थे क पूज ा ारा कृ ण को कै से स कया जाए तो न न ल खत ोक दमाग म आया।

. ी कृ ण जो अपने भ के त ब त नेही ह वयं को एक ऐसे भ को बेच दे ते ह जो के वल एक तुलसी का प ा और एक मु पानी

चढ़ाता है। यह गौतमेय तं का एक ोक है।

. अ ै त आचाय ने ोक का अथ इस कार माना जो उ ह तुलसी का प ा और जल अ पत करता है उसका ऋण चुक ाने का कोई

रा ता नह मलने पर भगवान कृ ण सोचते ह मेरे पास इसके बराबर कोई धन नह है। एक तुलसी का प ा और पानी।

. इस कार भगवान भ को अपना व प अ पत करके उसका ऋण समा त कर दे ते ह। यह सोचकर आचाय भगवान क आराधना करने

लगे।

मुराद

भ सेवा के मा यम से कोई भी तुलसी के पौधे क एक प ी और थोड़े से पानी से भगवान कृ ण को आसानी से स कर सकता है। जैसा क

भगवान भगवद गीता . म कहते ह एक प ा एक फू ल एक फल या कु छ पानी पा ा पुनपा फला तोय जब भ पूवक अ पत कया

जाता है तो वे ब त स होते ह।
वह अपने भ क सेवा को सावभौ मक प से वीकार करते ह। यहां तक क नया के कसी भी ह से म सबसे गरीब भ भी एक छोटा

सा फू ल फल या प ी और थोड़ा पानी ा त कर सकते ह और अगर ये साद और वशेष प से तुलसी के प े और गंगा जल भ के साथ

कृ ण को अ पत कए जाते ह तो वे ब त संतु होते ह। ऐसा कहा जाता है क कृ ण ऐसी भ पूण सेवा से इतने स होते ह क वे इसके बदले

म अपने भ को वयं को अ पत कर दे ते ह। ील अ ै त आचाय इस त य को जानते थे और इस लए उ ह ने तुलसी के प और गंगा के पानी से

भगवान क पूज ा करके भगवान कृ ण को अवत रत करने का आ ान करने का नणय लया।

. ी कृ ण के चरण कमल का मरण करते ए वे लगातार गंगा जल म तुलसी क क लयाँ अ पत करते थे।
Machine Translated by Google

. उ ह ने जोर जोर से पुक ारकर ी कृ ण से ाथना क और इस कार कृ ण के कट होने को संभव बनाया।

. इस लए ी चैत य के अवतरण का मु य कारण अ ै त आचाय क यह अपील है। धम के र क भगवान अपने भ क इ ा से


कट होते ह।
Machine Translated by Google

तुलसी सम त भौ तक सं षण को शु करती है

ी चैत य च रतामृत अं य लीला अ याय

. ह रदास ओहकु रा ने एकांत जंगल म एक कु टया का नमाण कया। वहां उ ह ने तुलसी का पौधा लगाया और तुलसी के सामने वह त दन

बार भगवान के प व नाम का जाप करते थे। उ ह ने पूरे दन और रात भर जप कया।

मुराद

ह रदास ठाकु र हरे कृ ण महा मं का जाप करने वाले आचाय होने के नाते नामाचाय ह रदास ठाकु र कहलाते ह। उनके गत उदाहरण से हम

समझ सकते ह क हरे कृ ण मं का जाप करना और कृ ण चेतना म अ य धक उ त होना ब त सरल है।

बना कसी क ठनाई के कोई भी कह भी बैठ सकता है वशेषकर गंगा यमुना या कसी अ य प व नद के तट पर बैठने का ान या कु टया

बना सकता है तुलसी का पेड़ लगा सकता है और सामने


तुलसी हरे कृ ण महामं का बना कसी वधान के जाप कर।

ह रदास ओहकु रा त दन बार अपनी माला पर प व नाम का जाप करते थे।

पूरे दन और रात भर वह हरे कृ ण महा मं के सोलह नाम का जाप करते रहे। हालाँ क कसी को ह रदास ओहकु रा क नकल नह करनी चा हए
य क कोई भी दन म बार प व नाम का जाप नह कर सकता है। ऐसा जप मु पु ष या मु आ मा के लए है।

हालाँ क हम हर दन मो तय पर हरे कृ ण महामं क सोलह माला जाप करके और तुलसी के पौधे को स मान दे क र उनके उदाहरण का अनुसरण

कर सकते ह। यह कसी के लए ब कु ल भी मु कल नह है तुलसी के पौधे के सामने त ा के साथ हरे कृ ण महा मं का जाप करने क या

म इतनी महान आ या मक श है क इसे करने मा से कोई भी आ या मक प से मजबूत हो सकता है। इस लए हम हरे कृ ण आंदोलन

के सद य से अनुरोध करते ह क वे ह रदास ठाकु र के उदाहरण का कठोरता से पालन कर। सोलह माला जप करने म अ धक समय नह लगता

और न ही तुलसी के पौधे को णाम करना क ठन है। इस या म अ य धक आ या मक श है। इस अवसर को चूक ना नह चा हए.

. तुलसी के पौधे और ह रदास ठाकु र को णाम करने के बाद वह वे या दरवाजे पर बैठ गई। ह रदास ठाकु र को हरे कृ ण मं का जप करते

ए सुनकर उ ह ने भी जप कया हे मेरे भगवान ह र हे मेरे भगवान ह र।


Machine Translated by Google

मुराद

इसम कोई भी प से दे ख सकता है क कै से एक वै णव एक द यु ारा एक प तत आ मा का उ ार करता है। वे या ह रदास ठाकु र

को षत करने आई थी ले कन उ ह ने वे या को छु ड़ाना अपना कत समझा। जैसा क यहां प से द शत कया गया है मु क

या ब त सरल है। व ास और ा के साथ वे या ह रदास ठाकु र के साथ जुड़ी ज ह ने गत प से हरे कृ ण महा मं का जाप करके

अपनी भौ तक बीमारी का इलाज कया। य प वे या का कोई गु त उ े य था फर भी कसी तरह उसे एक वै णव क संग त मल गई और वह

कभी कभी हे मेरे भगवान ह र हे मेरे भगवान ह र का जप करके उसे संतु करती थी। न कष यह है क एक वै णव के साथ जुड़ना भगवान

के प व नाम का जाप करना और तुलसी के पौधे या एक वै णव को णाम करना यह सब एक को एक द भ बनने क ओर ले जाता

है जो सभी भौ तक षण से पूरी तरह से शु हो जाता है।

. हरे कृ ण मं का लगातार जाप कर और तुलसी के पौधे को पानी दे क र और उसक पूज ा करके उसक सेवा कर। इस कार तु ह शी ही

कृ ण के चरणकमल क शरण पाने का अवसर मलेगा।

पूण सा वकता से पूज ा कर


ी चैत य च रतामृत अं य लीला अ याय पाठ

. ी चैत य महा भु ने आगे कहा रघुनाथ दास से

इस प र क पूज ा एक पूण ा ण क तरह स वगुण म करो य क ऐसी पूज ा से तु ह बना कसी दे री के न त प से कृ ण


का परम ेम ा त होगा।

. ऐसी पूज ा के लए एक जग पानी और तुलसी के पेड़ के कु छ फू ल चा हए। जब यह प व ता से क जाती है तो यह पूण सा वकता वाली

पूज ा होती है।

. व ास और ेम के साथ आपको आठ नरम तुलसी के फू ल चढ़ाने चा हए जनम से येक म दो तुलसी के प े ह येक फू ल


के दोन तरफ एक एक।
Machine Translated by Google

गो पयाँ तुलासे का आवाहन करती ह

ी चैत य च रतामृत अं य लीला अ याय

. गोप ने कहा हे सव शुभ तुलसी के पौधे तुम गो वदा के चरण कमल को ब त य हो और वह तु ह ब त य ह। या तुमने कृ ण को
भ र के झुंड से घरे ए तु हारे प क माला पहने ए यहाँ चलते दे ख ा है एसबी . .

मुराद

ी गो वदा ारा पहनी गई माला के चार ओर गुंज न करने वाली मधुम खयाँ उ ह अ पत क गई तुलसी क माला क सुगंध
से आक षत । गोप को लगा क पेड़ ने उ र नह दया य क वे नर थे ब क तुलसी मादा होने के नाते उनक दशा
के त सहानुभू त रखती थ ।

. वे न त प से हम बताएंगे क कृ ण कहाँ गए ह य क उ ह ने उ ह गत प से दे ख ा है।


इस कार अनुमान लगाना। गो पय ने तुलसी के नेतृ व म पौध और लता से पूछताछ क ।

. हे तुलसी हे मालटे हे युव त माधवी और म लका कृ ण तु ह ब त य ह. इस लए वह आपके पास आया होगा।

. आप हमारे लए ब कु ल य म क तरह ह। कृ पया हम बताएं क कृ ण कस रा ते पर गए ह और हमारे जीवन को बचाएं।

हरभ वलास म जानकारी

ी चैत य च रतामृत म य लीला अ याय पाठ

मुराद

. ीसनातन गो वामी ारा ल खत ह र भ वलास क वषय व तु ील गोपाल भाओआ ारा एक क गई थी और इसे वै णव


मृ त के प म जाना जाता है । यह वै णव मृ त ंथ बीस अ याय म समा त आ था जसे वलास के नाम से जाना जाता है । नौव
वलास म तुलसी के प को इक ा करने वै णव अनु ान के अनुसार पतर को तपण दे ने और भोजन दे ने का वणन है।
Machine Translated by Google

तुलसी अ पत करने के व भ तरीके

ी चैत य च रतामृत म य लीला अ याय पाठ


. ी अ ै त आचाय ने दोन भगवान को तुलसी के फू ल के साथ ल ग और इलायची खलाई।

इस कार उनके मुँह म अ ा वाद आ गया।

ी चैत य च रतामृत म य लीला अ याय पाठ


. ी अ ै त भु भगवान के गले म फू ल क माला और सर पर तुलसी के फू ल भी रखते थे। फर हाथ जोड़कर अ ै त आचाय भगवान को णाम

और ाथना करते थे।

. अ ै त आचाय ारा पूज ा कए जाने के बाद ी चैत य महा भु फू ल और तुलसी से यु पकवान लेते थे और जो भी सामान बचता था उसके

साथ अ ै त आचाय क भी पूज ा करते थे।

ी चैत य च रतामृत म य लीला अ याय ंथ


. ी चैत य महा भु के भोजन समा त करने के बाद भौआचाय ने उनका मुंह हाथ और पैर धोए और उ ह सुगं धत मसाले तुलसी माजारे

ल ग और इलायची अ पत क ।

न वशेषवाद का इलाज

ी चैत य च रतामृत म य लीला अ याय पाठ


. ीम ागवत म सूत गो वामी कहते ह भगवान कृ ण क लीला के अलावा जब तुलसी के प े ी कृ ण के
कमल चरण म अ पत कए जाते ह तो प य क सुगंध भी आ म सा ा कारी य के मन को आक षत करती है।

. ीम ागवत म ी मै ेय ने व र से या कहा सूत गो वामी बताते ह


. . जब भगवान के कमल ने व के कमल चरण से तुलसी के प और के सर क सुगंध वाली हवा ना सका के मा यम से उन

ऋ षय कु मार के दल म वेश करती है तो उ ह एक बदलाव का अनुभव होता है शरीर और मन दोन भले ही वे नवय क समझ से

जुड़े ए थे।

मुराद

के वल भगवान को दे ख कर और उनके चरण कमल से तुलसी और के सर क सुगंध को सूंघकर कु मार भ बन गए और अपनी लंबे समय से

ती त न वशेषता को याग दया। इस कार


Machine Translated by Google

के सर म त सुगं धत तुलसी क गंध मा से चार कु मार वै णव बन गये। जो लोग वा तव म ा त के तर पर ह और ज ह ने कृ ण के कमल

चरण को नाराज नह कया है वे भगवान के चरण कमल क सुगंध को सूंघकर तुरंत वै णव बन सकते ह। हालाँ क जो अपराधी या रा स ह वे

कभी भी भगवान क गत वशेषता के त आक षत नह होते ह।

वृ दावन ीमते वृंदा दे वे का वन है

ी कृ ण को वंदा व पन नवासी कहा जाता है य क वह वंदा दे वे के वन म रहते ह।

ी चैत य च रतामृत म य लीला अ याय पाठ


. ी चैत य महा भु ने मधुवन तलवन कु मुदवन और ब लावन स हत व भ वन का दौरा कया। वे जहां भी जाते थे बड़े ेम से नान

करते थे।

मुराद

वाना श द का अथ है वन। वृ दावन उस जंगल को दया गया नाम है जहाँ ीमाते व दा दे वे चुर मा ा म उगते ह।

ीम ागवतम् सग अ याय ोक
ुव महाराज क माता सुने त क श ा वा तव म उनके इ त उ े य क पू त के लए थी। अत सोच वचार कर तथा बु एवं ढ़ न य के

साथ उ ह ने अपने पता का घर छोड़ दया।

मुराद

माँ और बेटा दोन ुव महाराज क सौतेली माँ ारा अपमा नत होने और उनके पता ारा इस मु े पर कोई कदम न उठाने पर वलाप कर रहे थे।

ले कन के वल वलाप करना थ है को अपने वलाप को कम करने का उपाय खोजना चा हए। इस कार माँ और बेटे दोन ने भगवान के

चरण कमल क शरण लेने का फै सला कया य क यही सभी भौ तक सम या का एकमा समाधान है। इस संबंध म यह संके त मलता है क

ुव महाराज भगवान क खोज के लए अपने पता क राजधानी छोड़कर एकांत ान पर चले गए थे। यह ाद महाराज का भी नदश है क

य द कोई मन क शां त चाहता है तो उसे पा रवा रक जीवन के सभी षण से खुद को मु करना चा हए और जंगल म जाकर परम भगवान क

शरण लेनी चा हए। गौएय वै णव के लए यह जंगल वृ दा या वृ दावन का जंगल है।


Machine Translated by Google

य द कोई वृ दावने री ीमते राधारानी के तहत वृ दावन क शरण लेता है तो न त प से उसके जीवन क सभी सम याएं
ब त आसानी से हल हो जाती ह।

तुलसी दे व क पूज ा करने क सलाह द जाती है

ी चैत य च रतामृत म य लीला अ याय पाठ


. ी चैत य महा भु ने कहा को आरती और योहार म शा मल होना चा हए दे वता के दशन करना चा हए दे वता को अपनी

सबसे य व तु अ पत करनी चा हए यान करना चा हए और उनक सेवा करनी चा हए भगवान तदे य से संबं धत।

. तदे य का अथ है तुलसी के प े कृ ण के भ कृ ण क ज मभू म मथुरा और वै दक सा ह य ीम ागवतम् । कृ ण अपने भ को तुलसी

वै णव मथुरा और भागवत क सेवा करते दे ख ने के लए ब त उ सुक ह।

मुराद

आइटम छ बीस यान के बाद स ाईसवां आइटम तुलसी क सेवा करना है।

ी चैत य च र मत म य लीला अ याय पाठ

. भगवान चैत य महा भु ने कहा नारद मु न ने आगे कहा अपना घर छोड़ो और नद पर जाओ। वहाँ तु ह एक छोट सी कु टया बनानी

चा हए और कु टया के सामने एक ऊँ चे चबूतरे पर तुलसी का पौधा उगाना चा हए।

. अपने घर के सामने तुलसी का पेड़ लगाने के बाद आपको रोजाना उस तुलसी के पौधे क प र मा करनी चा हए उसे पानी और अ य

चीज दे क र उसक सेवा करनी चा हए और लगातार हरे कृ ण महा मं का जाप करना चा हए।

मुराद

यह आ या मक जीवन क शु आत है. गृह जीवन छोड़ने के बाद कसी प व ान जैसे क गंगा या यमुना के तट पर जा सकता है

और एक छोट सी कु टया बना सकता है। बना कसी खच के छोट सी कु टया बनाई जा सकती है। खंभे के प म काम करने वाली चार लक ड़याँ

जंगल से कोई भी सुर त कर सकता है। छत को प से ढका जा सकता है और अंदर से सफाई क जा सकती है।

इस कार कोई भी ब त शां त से रह सकता है। कोई भी कसी भी त म छोट सी कु टया म रह सकता है तुलसी का पेड़ लगा
सकता है सुबह उसे पानी दे सकता है पूज ा कर सकता है और लगातार हरे मं का जाप कर सकता है।
Machine Translated by Google

कृ ण महामं . इस कार जोरदार आ या मक उ त कर सकता है। ये ब कु ल भी मु कल नह है. को बस आ या मक गु के

नदश का स ती से पालन करना होता है। फर समय आने पर सब कु छ सफल हो जाएगा। जहां तक खाने क बात है तो कोई द कत नह है.

य द भगवान कृ ण सभी को खाने क चीज उपल कराते ह तो उ ह अपने भ को य नह आपू त करनी चा हए कभी कभी कोई भ

कु टया बनाने क जहमत भी नह उठाता। वह बस एक पहाड़ी गुफ ा म रहने के लए चला जाएगा। कोई गुफ ा म नद के कनारे झोपड़ी म

महल म या यूयॉक या लंदन जैसे बड़े शहर म रह सकता है। कसी भी त म एक भ अपने आ या मक गु के नदश का पालन कर सकता

है और तुलसी के पौधे को पानी दे क र और हरे कृ ण मं का जाप करके भ सेवा म संल न हो सकता है। ी चैत य महा भु और हमारे

आ या मक गु भ स ांत सर वते गो वामी महाराज क सलाह लेते ए कोई भी नया के कसी भी ह से म जा सकता है और लोग को

नयामक स ांत का पालन करके तुलसी के पौधे क पूज ा करके और लगातार हरे का जाप करके भगवान का भ बनने का नदश दे सकता है।

कृ ण महामं .

ी चैत य च रतामृत म य लीला अ याय पाठ


जहां तुलसी के प े पया त मा ा म उपल ह वहां शाल ाम शला क पूज ा तुलसी से क जानी चा हए। सभी
इ कॉन मं दर म शाल ाम शला क पूज ा शु क जानी चा हए।

ीमद भागवतम सग अ याय . पाठ


कु मार ने कहा हे भगवान हम ाथना करते ह क आप हम जीवन क कसी भी नारक य त म ज म लेने द जब तक हमारे दल
और दमाग हमेशा आपके चरण कमल क सेवा म लगे रहते ह हमारे श द सुंदर बने रहते ह ारा आपके याकलाप के बारे म बात
करते ए जैसे तुलसी के प े आपके कमल चरण म अ पत कए जाने पर सुंदर होते ह और जब तक हमारे कान हमेशा आपके द
गुण के जाप से भरे रहते ह।

मुराद

यहां संत ाथना करते ह क उनके श द सदै व परमे र क म हमा म लगे रह।

कोई सजावट भाषा म ब त अ तरह से बोल सकता है या वह नयं त ाकर णक तु त म वशेष हो सकता है ले कन
य द कसी के श द भगवान क सेवा म संल न नह ह तो उनम कोई वाद नह है और कोई वा त वक उपयोग नह है। यहां दया गया
उदाहरण तुलसी के प का है। तुलसी का प ा औषधीय या एंट से टक कोण से भी ब त उपयोगी है। इसे प व माना जाता है और
भगवान के चरण कमल म अ पत कया जाता है। तुलसी के प े म कई अ े गुण होते ह ले कन अगर इसे भगवान के चरण कमल म
अ पत नह कया जाता तो तुलसी का कोई वशेष मह व नह होता।

मह व।
Machine Translated by Google

भगवान तुलासे क सेवा क सराहना करते ह


ीम ागवत सग . अ याय पाठ

चार कु मार ने कहा भा य क दे वी ल मे जनके पैर क धूल सर ारा सर पर पहनी जाती है आपक नयु क ती ा करती ह
य क वह मधुम खय के राजा के नवास म एक ान सुर त करने के लए उ सुक ह जो कसी ध य भ ारा आपके चरण म
अ पत क गई तुलसी के प क ताज़ा माला पर मंडराता ँ।

मुराद

जैसा क पहले बताया गया है भगवान के चरण कमल म रखे जाने के कारण तुलसी ने सभी े गुण ा त कर लए ह। यहां क गई तुलना ब त
अ है. जैसे मधुम खय का राजा भगवान के चरण कमल म अ पत कए गए तुलसी के प पर मँडराता है वैसे ही ल मी दे वी ज ह दे वता

ा ण वै णव और अ य सभी चाहते ह हमेशा तपादन म लगी रहती ह

भगवान के चरण कमल क सेवा. न कष यह है क कोई भी कसी का हतैषी नह हो सकता

भगवान हर कोई वा तव म भगवान का सेवक है. भा य क दे वी लैक नीमे कभी कभी भगवान के कमल चरण म रखे गए तुलसी के
प से ई या करती है य क वे वह र रहते ह और हलते नह ह जब क लैक नीमजे भगवान क छाती के पास त होने के
बावजूद कभी कभी उ ह स करना पड़ता है अ य भ जो उसके प के लए ाथना करते ह। लैक नीमे को कभी कभी अपने
असं य भ को संतु करने के लए जाना पड़ता है ले कन तुलसी के प े कभी भी अपना ान नह छोड़ते ह और इस लए भगवान
लैक नी क सेवा से अ धक तुलसी क सेवा क सराहना करते ह।

ीम ागवतम सग अ याय पाठ

परमे र आप हर से प रपूण ह। आप न त प से ब त संतु होते ह जब आपके भ लड़खड़ाती आवाज के साथ आपक ाथना
करते ह और परमानंद म आपके लए तुलसी के प े पानी नई प य वाली टह नयाँ और नई उगी घास लाते ह। इससे आप न त प
से संतु ह गे।

मुराद

गौतमेय तं का हवाला दे ते ए ह र भ वलास म कहा गया है ी कृ ण जो अपने भ के त ब त नेही ह खुद


को उस भ को बेच दे ते ह जो के वल एक तुलसी का प ा और एक मु पानी चढ़ाता है परम भगवान अपने भ पर
अकारण दयालु ह इतना क सबसे गरीब आदमी भी उ ह भ म थोड़ा सा पानी और एक फू ल चढ़ा सकता है और इस
तरह उ ह स कर सकता है। यह उनके भ के त नेहपूण वहार के कारण है।
Machine Translated by Google

ीमद भागवतम सग अ याय पाठ

वह वग य राजा इं के समान ेत दखाई दे ते ह वे अपनी कमर के चार ओर एक सुनहरी बे ट पहनते ह और उनके गले म हमेशा ताजा
रहने वाले तुलसी के फू ल क एक वैज यंती माला होती है। तुलसी के फू ल क शहद जैसी सुगंध से मदम त मधुम खयाँ माला के चार ओर
ब त मधुर गुंज न करती ह जससे माला और भी अ धक सुंदर हो जाती है। इस कार भगवान अपनी अ यंत उदार लीला का आनंद लेते
ह।

ीमद भागवतम सग अ याय पाठ

मुराद

वै णव तुलसी गंगा और यमुना क सेवा पाद सेवनम म शा मल है। पाद सेवनम क ये सभी याएं को आ या मक
जीवन म ब त तेज ी से आगे बढ़ने म मदद करती ह। कं द पुराण रेवा कृ ण म कहा गया है क जो तुलसी क पूज ा करता है या
तुलसी का बीज बोता है वह भी सभी अपराध से मु हो जाता है। इसी कार जो शाल ाम शला क पूज ा करता है उसे भी
अपराध से छु टकारा मल सकता है।

ीमद भागवतम सग अ याय पाठ

महाराज अ बरीण हमेशा अपना मन कृ ण के चरण कमल के यान म लगाते थे उनके श द भगवान क म हमा का वणन करने म
उनके हाथ भगवान के मं दर को साफ करने म और उनके कान कृ ण ारा या कृ ण के बारे म कहे गए श द को सुनने म लगे रहते
थे। उसने अपनी आँख कृ ण के व ह कृ ण के मं दर और कृ ण के मथुरा और वंदावन जैसे ान को दे ख ने म लगा द उसने अपनी
श इं य को भगवान के भ के शरीर को छू ने म लगा दया उसने अपनी ाण इं य को तुलसी क सुगंध सूंघने म लगा दया।
भगवान और उसने अपनी जीभ भगवान के साद को चखने म लगा द ।

मुराद

य द कोई भगवान के परम व को संपूण ता म समझना चाहता है तो उसे महाराज अंबरीण के न ेक दम पर चलते ए कृ ण ारा दए गए

नु ख का पालन करना चा हए।

ीमद भागवतम सग अ याय पाठ


Machine Translated by Google

जस को कभी भी भगवान के शु भ के चरण क धूल नह मली है

उसके सर पर न य ही एक शव है। और जस ने कभी भी भगवान के चरण कमल से तुलसी के प क सुगंध का अनुभव नह कया है

वह सांस लेते ए भी एक मृत शरीर है।

मुराद

ील व नाथ च वत ठाकु र के अनुसार सांस लेने वाला मृत शरीर एक भूत है। जब कोई मनु य मर जाता है तो उसे मृत कहा जाता है ले कन

जब वह फर से हमारी वतमान से न दखने वाले सू म प म कट होता है और फर भी काय करता है तो ऐसे मृत शरीर को भूत कहा जाता

है। भूत ेत हमेशा ब त बुरे त व होते ह जो हमेशा सर के लए भयावह त पैदा करते ह। इसी कार भूत जैसे गैर भ जो न तो शु भ

के लए और न ही मं दर म व णु दे वता के लए कोई स मान रखते ह वे हर समय भ के लए एक भयावह त पैदा करते ह। भगवान ऐसे

अशु भूत क कोई भट कभी वीकार नह करते। एक आम कहावत है क कसी को अपने य के त ेमपूण भावना दखाने से पहले अपने

य के कु े से यार करना चा हए। भगवान के शु भ क ईमानदारी से सेवा करने से शु भ क त ा त होती है। इस लए भगवान क

भ सेवा क पहली शत एक शु भ का सेवक होना है और यह शत इस कथन से पूरी होती है एक शु भ के चरण कमल क धूल का

वागत जसने सरे शु भ क भी सेवा क है। यह शु श य उ रा धकार या भ परंपरा का माग है । महाराज रा गण ने महान संत जय

भरत से पूछा क उ ह ने परमहंस क इतनी मु अव ा कै से ा त क और उ र म महान संत ने इस कार उ र दया एसबी . .

र गणैतात् तपसा न या त

न से यया नवपवेद गहद वा

न चच दसा नैव जला न सूयर

वना महत् पाद रजो भनेक म

हे राजा र गण भ सेवा क पूण अव ा या जीवन क परमहंस अव ा तब तक ा त नह क जा सकती जब तक कसी को महान भ


के चरण क धूल का आशीवाद न मले। यह कभी भी तप या वै दक पूज ा या जीवन के याग आदे श क वीकृ त घरेलू जीवन के कत

का नवहन वै दक भजन का जप या तेज धूप म तप या करने से ा त नह होता है। ठं डा पानी या धधकती आग से पहले।

सरे श द म भगवान ी कृ ण अपने शु बना शत भ क संप ह और इस तरह के वल भ ही कृ ण को सरे भ तक प ंचा सकते ह

कृ ण कभी भी सीधे ा य नह ह।
Machine Translated by Google

इस लए भगवान चैत य ने वयं को गोपे भतुः पद कमलयोर दास दासनुदासौ सीसी के प म ना मत कया। म य . या भगवान
के सेवक म सबसे आ ाकारी सेवक जो वृ दावन म गोपी युव तय क दे ख भाल करता है। इस लए एक शु भ कभी भी सीधे भगवान
के पास नह जाता है ब क भगवान के सेवक के सेवक को स करने का यास करता है और इस कार भगवान स हो जाते ह
और के वल तभी भ उनके चरण कमल से चपके ए तुलसी के प का वाद ले सकता है। सं हता म कहा गया है क भगवान कभी
भी वै दक सा ह य के महान व ान बनकर नह पाए जा सकते ले कन वे अपने शु भ के मा यम से ब त आसानी से ा त कए जा
सकते ह। वृ दावन म सभी शु भ भगवान कृ ण क आनंद श ीमते राधारानी क दया के लए ाथना करते ह। ीमते राधारैई
सव संपूण का एक कोमल दय वाली ी त प है जो सांसा रक ी कृ त के पूण चरण से मलती जुलती है।

इस लए राधारानी क कृ पा स ेभ के लए ब त आसानी से उपल होती है और एक बार जब वह भगवान कृ ण को ऐसे भ क


सफा रश करती है तो भगवान तुरंत भ को अपने संघ म वेश वीकार कर लेते ह। इस लए न कष यह है क को सीधे भगवान
क तुलना म भ क दया पाने के बारे म अ धक गंभीर होना चा हए और ऐसा करने से भ क अ इ ा से भगवान क सेवा के

लए वाभा वक आकषण होगा पुनज वत हो जाओ.


Machine Translated by Google

मई को कलक ा से गो वद दास होनोलूलू को प

म हमेशा कई स न से बात करता ं क आपने प मी दे श म टु लासे को पेश करने के लए कतनी कड़ी मेहनत क है और म हर जगह से सुन

रहा ं क टु लासे ब त शानदार ढं ग से बढ़ रहा है। तुलसी आप पर दयालु ह और आपको वृ दावन म सहायक दासी गोप म से एक होने के लए

कृ ण से मलवाएं।

तुलासे नेक बीड् स का मह व


दस बर ीमद भागवतम् क ा सूरत

भुपाद कसी ने मुझ से पूछा वामीजी ये तुलसी माला आपके गले म या आपके भ के गले म य ह मने उ र दया जैसे पालतू कु े को

कॉलर मलता है वैसे ही हम भगवान के पालतू कु े ह। हम यह कॉलर मल गया है और मृ यु के दे वता यमराज समझ जाएंगे क वह भ भगवान

का कु ा है उसे गोली नह मारनी चा हए।

नवंबर को गो वद दास होनोलूलू को प

सभी को तुलसी काओही माला पहननी चा हए कम से कम दो धाग क या तीन या चार धागे मेरे गु महाराज क पाँच ल ड़याँ थ ।

तुलसी दे वे एक पौधे के पम य कट ए ह
फ़रवरी ीमद भागवतम लास ऑकलड यूज़ ीलड

भ यह कै से संभव है क तुलसी दे व शु भ ह ज ह हम पौधा कह सकते ह

भुपाद यह आप अपनी अशु अव ा म नह जान सकते। तुम सफ प व बनो। आप समझ जायगे। जब तुम भ बनोगे तो समझोगे क तुलसी

कै सी भ है। जब तक आप भ नह ह आप समझ नह सकते। उ मीद मत करो. इस लए हम स ा को वीकार करना होगा. वह शु आत है.

शा कहता है तुलसी कृ ण क सबसे बड़ी भ ह। हम वीकार करना होगा बस इतना ही। अ धकार। वह कतनी बड़ी भ है यह आपको

तब समझ आएगा जब आप भ बनगे। आप उस मंच पर आएं तब तुम समझोगे इससे पहले नही। अब जप कर.
Machine Translated by Google

हम तुलसी दे व क पूज ा य करते ह


अ ैल ीमद भागवतम लास लॉस एं ज स

भुपाद हम भौ तक कृ त के तीन गुण के भाव म आते ह और ऐसी कृ त के वाह से हम बह रहे ह। जसने यह सीख लया है क कृ ण
के चरणकमल को कै से दे ख ना है और थोड़ी सी तुलसी और चंदन क लुगद कै से चढ़ानी है उसके लए यह धारा क जाएगी।

जून म क वसशन मेलबन

भुपाद जैसे हम तुलसी क पूज ा करते ह । य य क यह व णु को अ यंत य है। त दयानम.


व णु को यह पसंद है कृ ण को यह पसंद है। जब कृ ण को तुलसी का प ा अ पत कया जाता है तो वे ब त स होते ह। इस लए हम तुलसी
से ेम करते ह य क वह उसे पस द करते ह।

जनवरी ीमद भागवतम् क ा ब बई

भुपाद भ तुलसी के प को चंदन के गूदे के साथ चढ़ाना शु करते ह और उ ह भगवान के चरण कमल म अ पत करते ह। वह उसका
वलास आनंद है । यद पद पाकजा पालक वलास। वे मज़े लेते ह। वह द आनंद है थोड़ा सा चंदन का गूदा और प यां अ पत करना

भगवान के चरण कमल पर.

फरवरी मॉ नग वॉक हवाई

स व पानंद तुलसी हवाई म चुर मा ा म उगती है।

भुपाद यह एक अ ा संके त है ।

स व पानंद हाँ ब त से लोग सैक ड़ लोग तुलसी क पूज ा कर रहे ह। यहां तक क जन लोग को हम नह जानते उ ह भी कसी न
कसी तरह से तुलसी मल गई है और वे पूज ा कर रहे ह।

भुपाद ब त अ ा । वे भ बन जायगे. बना असफल ए वे भ बन जायगे।


य द वे हरे कृ ण का जाप करते ह और तुलसी के प े क पूज ा करते ह तो उ ह न त प से मु मल जाएगी और वे भ बन जाएंगे।

अग त ीमद भागवतम क ा यू ऑर लय स

भुपाद जब तक भ नह होगी यह तुलसी का पौधा वक सत नह होगा। दे वता क पूज ा करना और तुलसी के पौध को पानी दे ना कम से
कम सोलह माला जप करना और नयम और व नयम नयामक स ांत का पालन करना आपका जीवन सफल बना दे गा। इ ह नजरअंदाज
न कर.
इ ह ब त गंभीरता से जारी रख. और इस एक जीवन म आप वापस घर भगवान के पास वापस चले जायगे।
Machine Translated by Google

जून मॉ नग वॉक लॉस एं ज स

भुपाद हम तुलसी के पौधे क पूज ा कर रहे ह। य य क तुलसी कृ ण को पसंद है।

इसी कार वयं व णु क पूज ा करने क अपे ा व णु कृ ण से जुड़ी कसी भी चीज़ क पूज ा करना बेहतर है।

माच को बलाई दासे यूयॉक को प

हाँ ी तुलसी कृ ण क शा त प नी और सबसे शु भ ह और इस लए तुलसी के पौधे क पूज ा वै णव ारा क जाती है।

नवंबर को गो वदा दास को प

म जानता ं क आप और गौरसुंदर दोन स ेभ ह और आपने मेरी इ ा के अनु प हवाई म अपना सव े दशन कया है और शानदार ढं ग से बढ़ती

तुलसी दे वे आपक स ीभ का माण दे रही है। कृ पया गु गौरंग राधा कृ ण और तुलसी दे व का यान रख और खुश रह। इस कृ ण का सार करके

सर को भी खुश करने का यास कर

चेतना।

दसंबर को जगद का दासा टोरंटो को प ।

तुलसी क उप त वहां के स ेभ मय माहौल का माण है। कृ पया उसे पूरा स मान द और यान से उसक दे ख भाल कर और ीमाते तुलासे भु क

शुभ कृ पा ा त करके आपसे स ह गी।

फ़रवरी को गो वदा दासी को प

म समझ सकता ं क जैसे जैसे आपके तुलसी के पौधे बढ़ रहे ह उसी अनुपात म आपक भ और ेम भी बढ़ रहा है। कृ पया इसी तरह आगे भी जारी

रख.

क तदा क याका दासी को दसंबर का प

भगवान चैत य के चरण कमल म अ पत क गई तुलसी क प य के लए ब त ब त ध यवाद। य द कोई ऐसा प व साद ा त करने
के लए पया त भा यशाली है तो सभी पापी त याएं तुरंत दय से शु हो जाती ह और शु भ सेवा ब त आसानी से ा त हो
जाती है। जतना अ धक आप अपने आप को उसक सेवा म सम पत करगे उतना अ धक आप कृ ण चेतना को समझगे और उसका
आनंद लगे।

भ का अमृत

भारत म सभी ह यहां तक क वे जो वै णव समूह से संबं धत नह ह तुलसी वृ क वशेष दे ख भाल करते ह। यहां तक क बड़े शहर म जहां तुलसी के

पेड़ को रखना ब त मु कल है लोग इस पौधे को ब त सावधानी से रखते ए पाए जाते ह। वे इसम जल डालते ह और इसे णाम करते ह य कभ म

तुलसी के पेड़ क पूज ा ब त मह वपूण है।


Machine Translated by Google

तुलसी दे व क पूज ा के नदश

अग त को इं दरा दासी सट लुइस को प

इस लए आपको अ य क को भी तुलसी क खेती के लए े रत करना चा हए। येक क को एक प रप भेज ा जाना चा हए क वे


तुलासे दे वे को या तो सट लुइस या हवाई से आयात कर और जतनी ज द हो सके येक क को आपके या गो वदा दासी जो वशेष
बन गए ह के नदश के अनुसार तुलासे दे वे क अ तरह से दे ख भाल करने क व ा करनी चा हए।

अग त ीमद भागवतम् क ा वृ दावन भारत

भुपाद कृ ण के चेहरे पर फू ल और तुलसी के प े नह चढ़ाए जाते उ ह चरण पर अ पत कया जाता है।

माच मॉ नग वॉक मायापुर भारत

भुपाद सं ेप म तुलसी के पौधे को पानी दे ने के लए उस लोटे का उपयोग करना अपराध है जो कसी क गत सफाई के लए
इ तेमाल कया गया है या कया जा रहा है।

नवंबर को करंधरा दास लॉस एं ज स को प

बस सभी भ रोज सुबह थोड़ा सा जल चढ़ाते ह और शाम को णाम करके घी का द पक एक बाती दे ते ह और जो मं मने आपको
दया है उसे दोहराते ए तीन बार प र मा करते ह। पौधा बगीचे म रह सकता है.

प दनांक अ ैल ब बई से कृ णकां त दास को

तुलसी क अ तरह दे ख भाल करो और कृ ण के त तु हारी भ बढ़ जाएगी। शाम के समय तुलसी के पौधे पर द पक अ पत करना
चा हए और सुबह येक भ को थोड़ा थोड़ा जल चढ़ाकर णाम करना चा हए।

जनवरी को ब बई से राधाव लभ दास को लखा प

तुलसी दे वे कृ ण क शु भ ह और उनके साथ वही स मान कया जाना चा हए जो कृ ण के सभी शु भ को दया जाता है। के वल
उनक न ापूवक पूज ा करने से ही भ वयं को सभी भौ तक ख से मु पा सकता है। भ के अमृत म मने कं द पुराण से दो ोक
दए ह तुलसी सभी कार से शुभ है। दे ख ने मा से श करने से मरण करने से ाथना करने से णाम करने से वण करने से
अथवा वृ बोने से सदै व शुभ होता है। जो कोई भी उपयु तरीक से तुलसी वृ के संपक म आता है वह अनंत काल तक वैकु ठ म रहता
है
Machine Translated by Google

नया। तो इस ोक से हम समझ सकते ह क तुलसी ी कृ ण को जो सेवा दान करती है वह कतनी शु है। इस लए हम सदै व
तुलसी दे व का सेवक बनने का यास करना चा हए।

म नह जानता क आपको कसने सखाया है क तुलसी के पौधे का एक ह सा काटा जा सकता है और फर दोबारा लगाया जा सकता है।
तुलसी के पौधे से आप के वल कृ ण को अ पत करने के लए प यां काट सकते ह काटने और रोपण के लए कभी नह । यह एक अपराध
है. माजारे को पानी म अ पत कया जा सकता है और यह पानी को सुगं धत और वा द बनाता है। और माजारे को नए तुलसी के पौधे
उगाने के लए लगाया जा सकता है। तुलासे दे वे कभी भी भगवान के पास वापस नह जाते वह सदै व ई र के साथ रहती है। वह एक शु
भ है और इस कार वह नया भर के सभी मं दर म कृ ण के कमल चरण म अ पत होकर कृ ण क सेवा करने के लए इस ह पर
कट ई है।

प दनांक अ टू बर व ा दासे लॉस एं ज स को

य द जमीन म रोपे जाने पर तुलसी के पौधे के लए स दय म जी वत रहना संभव नह है तो उसके लए एक उपयु घर उपल कराया
जाना चा हए। यहां तक क कनाडा के मं दर भी जो अ धक ठं डी जलवायु म ह तुलासे को अ तरह से रख रहे ह। लॉस एं ज स म इतनी
क ठनाई य होनी चा हए जहां क जलवायु इतनी अ है। बस हर काम ब त सावधानी से कर. तुलसी वह फलती फू लती है जहां ेम
और भ होती है।

व ा दासे ने सतंबर को ील भुपाद को लखे अपने प म न न ल खत पूछे थे और उ ह ने उ र दया

. व ा दास या येक तुलसी का पौधा एक अलग जीवा मा है या एक शु भ का व तार है

भुपाद तुलसी एक ऐसे भ ह जो जहाँ भी कृ ण क भ होती है वहाँ कट होते ह।

. व ा दास जब वह इस शरीर को छोड़ती है तो उसक आ मा कहाँ जाती है

भुपाद तुलसी का शरीर आ या मक है।

. व ा दास या हम उसक म म आभूषण रख सकते ह या सफ चाँद के प र रख सकते ह

भुपाद हाँ आभूषण ठ क ह।

. व ा दास जब गृह ारा तुलसी क दे ख भाल अपने घर म क जा रही हो तब भी या दो आरती अ पत क जानी चा हए

भुपाद य द संभव हो।

व ा दास जब तुलसी क दे ख भाल उनके घर म गृह वा मय ारा क जा रही है तो या वे अपने घर के साद म उसक
प य और माजारे का उपयोग कर सकते ह या उ ह उ ह मं दर म ले जाना चा हए
Machine Translated by Google

भुपाद भगवान को तुलसी के प े अ पत करने चा हए।

. व ा दासी जब गृह ारा तुलसी को आरती द जाती है तो या उसके पास घी का द पक होना चा हए

भुपाद य द संभव हो।

. व ा दासी या शशु तुलसी के कट होने पर उ ह वापस म म मला दे ना अपमानजनक है

भुपाद हाँ.

. व ा दासी तुलसी क अर तय के संबंध म पूछे गए ह । हमने हमेशा उ ह धूप घी का द पक और फू ल चढ़ाया है। या


यह सही है

भुपाद हाँ.

. व ा दास मैनुअ ल म कहा गया है क तुलासे क छं टाई नह क जानी चा हए। या इसका मतलब उन शाखा को काटना
भी है जनम अब प यां या जीवन तरल पदाथ नह बह रहे ह

भुपाद आप मृत शाखा को काट सकते ह ले कन इसक आव यकता या है

. व ा दास हम बताया गया था क आपने एक बार तुलसे दे ख भाल के नयामक स ांत बताए थे जो उसे बीमार होने
से बचाएंगे ए उसे नम रख बी उसे साफ रख ग उसे सुबह क धूप द कम से कम घ उसे दन म दो आरती द। या यह
ामा णक है

भुपाद मने ऐसा कभी नह कहा।

. व ा दास या तुलसी को पेश करने के बाद उसक चाय बनाई जा सकती है

भुपाद नह .

. व ा दास या भ दे व साम ी के लए तुलसी क लकड़ी बना सकते ह

भुपाद हाँ.

. व ा दासी जब तुलसी अपना शरीर छोड़ दे ती है और शरीर ब त कोमल होता है

मो तय क न काशी उसका उपयोग कै से कया जाना चा हए या छोटा सा अ न य करना चा हए

भुपाद जहाँ तक संभव हो मो तय के लए लकड़ी का उपयोग कर संतुलन को पृ वी के भीतर रखा जा सकता है।

. व ा दासी हमारे पास आपका एक प है जसम अनुरोध कया गया है क तुलासे दे वे पर कसी भी े का उपयोग नह
कया जाएगा। या हम पानी म घुले ए छाछ और साबुत गे ं के आटे के एक े का उपयोग कर सकते ह जो मकड़ी के कण को
तुलसे को उसके शरीर से बाहर नकलने से रोकने के लए उसक प य पर लेप करता है
Machine Translated by Google

भुपाद मने कहा क कोई रासाय नक े नह ।

. व ा दास या तुलसी सोती है या रात होने के बाद उसे बना कसी कावट के छोड़ दे ना चा हए

भुपाद अ वच लत का मतलब या है

. व ा दास या उसके माजरे को काटने के लए कची का उपयोग करना और रोपाई करते समय उसे उसके गमले से नकालने
के लए चाकू का उपयोग करना जायज़ है

भुपाद सामा य ान का योग कर और य द आपके पास कोई नह है तो सर से परामश ल।

. व ा दासी या उसक छाया या कसी शु भ क छाया पर पैर रखना अपराध है

भुपाद नह

. दो वष से हम न न ल खत दो ाथना के साथ साथ अनुवाद और पहले से मौजूद ाथना के अनुवाद का उपयोग करने क
अनुम त का इंतजार कर रहे ह। कृ पया हम बताएं क या ये ामा णक ह मं दए गए ह

भुपाद कु छ नया पेश करने क को शश मत करो। सबसे मह वपूण चीज़ है ेम और भ ।

प दनांक जुलाई लॉस एं ज स से वृंदा दासे व पेग को

पु तका ीमती तुलासे दे वे क दे ख भाल के लए एक मागद शका के संबंध म हाँ पु तक ब त अ है। यह अनुमो दत है। ले कन एक
बात यह है क कसी भी े का इ तेमाल नह कया जा सकता ब कु ल भी नह । तुलसी एक पूज नीय पौधा है इस लए कसी भी े का
उपयोग करने का कोई सवाल ही नह है। सबसे अ बात यह है क तुलसी दे वे को रोजाना पानी द और उसे साफ रख। और कु छ नह
चा हए.

दसंबर को लॉस एं ज स से ब ू को लखा गया प

गौरसुंदर और स व प ने हवाई म मं दर बेच दया है और सुंदर तुलसी के पौध को छोड़ दया है जससे उनके ह स पर भारी गरावट
आई है। हां आप सुदामा महाराज के साथ हवाई लौट सकते ह और वहां तुलासे दे वे क दे ख भाल क ज मेदारी ले सकते ह। म समझ नह पा
रहा ं क गो वद दास तुलसी दे व को कै से छोड़ सकते ह। कृ पया उसे वापस लौटने के लए े रत करने का यास कर।

क तनानंद यू वंदावन को प दनांक मई

मुझ े लगता है क आप तुलसी पूज ा के दौरान दे वता क के दरवाजे बंद कर सकते ह और उसके बाद उ ह फर से खोल सकते ह।
Machine Translated by Google

मई को ब बई से लालानानामी लॉस एं ज स को प

आपके के उ र म या तुलसी दे वे को मं दर आने वाले प रवार को दया जाना चा हए ील भुपाद ने कहा नह उ ह आने द और
इसके बजाय तुलसी दे वे को स मान दे ने द। ले कन अगर वे अभी भी तुलसी दे व चाहते ह तो आप उ ह बीज दे सकते ह और मेहमान को बीज
से पौधे उगाने दे सकते ह। आप कसी भी अ य तुलसी पुज ारी को सू चत कर सकते ह जो आपको ील भुपाद के इस नदश के बारे म लखते
ह।

आपका सेवक
तमाल कृ ण गो वामी

उनक द कृ पा के स चव ए.सी. भ वेदांत वामी भुपाद

ीमती तुलसी दे वी क सेवा

सामा य नदश

तुलासे का शरीर आ या मक है। हालाँ क तुलसी कई गत पेड़ के प म दखाई दे ती है वह एक है और वह जहाँ भी कृ ण क


भ दे ख ती है वहाँ आती है।

हर सुबह भ को तुलसी दे व को जल दे ना चा हए और ाथना करनी चा हए और उनक तीन प र मा करनी चा हए


बार.

तुलसी के नाजुक पौध को प य और क ड़ से बचाएं। अंकु र को वापस म म न मलाएँ।

उन ान पर जहां तुलसी जमीन म रोपे जाने पर स दय म जी वत नह रह सकती उसके लए एक उपयु घर दान कर।

हर दन तुलसी को ताजी हवा पानी और धूप या पौधे क रोशनी दान कर। सावधान रह क ब त अ धक पानी न डाल।

तुलसी क उ चत दे ख भाल या पानी दे ने म उपे ा करना एक अपराध है। हर काम सावधानी से कर.

तुलसी क प याँ चुनते समय के वल वही प याँ चुन जो माजारे फू ल के बगल म उगती ह और जो प याँ गरने के लए तैयार ह वे ह के
रंग म बदल जाएँगी नई हरी नह । जैसे ही माजारे खल उ ह तोड़ ल। उ ह बीज तक जाने दे ने से बच जो पौधे से ब त अ धक ऊजा लेता है
जसका उपयोग कृ ण क सेवा के लए अ धक प यां और फू ल बनाने के लए कया जा सकता है।

अपनी उं ग लय से माजारे दो प य वाली को एक एक करके चुन । हलाओ या ोक मत करो


Machine Translated by Google

शाखा और व प य को नुक सान प ँचाता है। सावधानी और यान से चुन. काटने वाले औज़ार के योग से बच.

तुलसी दे वे को कभी भी काट या छाँट नह । य द आव यक हो तो मृत शाखा को हटा द। य द शाखाएँ माग म बाधा डालती ह तो उ ह वापस
बाँध द ले कन उ ह काट नह ।

तुलासे पर कभी भी रासाय नक े का योग न कर।

कृ ण क पूज ा करने के लए और उ ह अ पत कए जाने वाले भोजन क लेट पर रखने के लए सुबह एक बार प े इक ा कर। य द संभव हो
तो येक लेट या तैयारी पर कम से कम एक प ा रख। भगवान को अ पत करने के अलावा कसी अ य उ े य के लए तुलसी के प े कभी न
तोड़।

भगवान कृ ण को तुलसी के प क माला पसंद है। तुलसी के प को चंदन के गूदे के साथ मलाकर भगवान के चरण कमल पर रखना सव
पूज ा है। तुलसी के प े न रख
उनके व भ प म भगवान व णु के अलावा कसी और के पैर। ीमते राधारे को भगवान कृ ण को अ पत करने के लए उनके हाथ म तुलसी
द जा सकती है।

कृ ण तुलसी के सूख े प े भी वीकार करते ह।

तुलसी क लकड़ी कसी पौधे के ाकृ तक प से पूरी तरह सूख जाने के बाद ली गई का उपयोग मो तय जैसी पूज ा साम ी को तराशने के
लए कया जा सकता है। तुलसी क बची ई लकड़ी को जमीन म दबा द।

चाय या जूस बनाने के लए कभी भी तुलसी के प या फू ल का उपयोग न कर भले ही वे कृ ण को अ पत कर दए गए ह । तुलसी औष धय


और मलहम को पकाना या गम करना अपराध है। या उसे सांसा रक उ े य के लए उपयोग करना जैसे

जी वत तुलसी के पौध को कभी भी न तो काट और न ही उखाड़। उ ह वापस बांधा जा सकता है.

तुलसी दे व भगवान को अ यंत य ह। इस लए सबसे मह वपूण स ांत ेम और भ के साथ उसक सेवा करना है।

तुलसी के प े सुबह दन नकलने से पहले या शाम को अंधेरा होने के बाद न तोड़ न ही एकादशी के अगले दन ादशी त थ पर कभी भी तोड़।
य द तुलसी के प े सूख भी गये ह तो भी इनका उपयोग दे व पूज ा म कया जा सकता है।

आपातकालीन त म जब ताजी प याँ उपल न ह तो सूख ी प य का भंडार रखा जा सकता है।

तुलसी को छू ने या तोड़ने से पहले साफ सुथरा होना चा हए।

प े को दा हने हाथ से तोड़ना चा हए शाखा को बाएं हाथ से पकड़ना चा हए यान रखना चा हए क शाखाएं न टू टे।
Machine Translated by Google

बीज से तुलसी का पौधा शु करना

प मी दे श म बगीचे क नसरी से बीज टाटर कट ा त कर या य द आप अपनी म का उपयोग करते ह तो गमले क म के एक भाग को एक भाग

रेत के साथ मलाएं। भारत म एक भाग पूरी तरह सूख े गाय के गोबर को एक भाग म म मला द।

इस म को रोपण कप म या कम से कम दो इंच गहरे समतल कं टे नर म रख।

माजारे के सूख े बीज फली से चार तुलसी के बीज को धीरे से हलाकर या सुई क कुं द आंख से ध का दे क र नकाल। बीज को म के ऊपर अलग अलग

रख।

उनके ऊपर बीज क चौड़ाई के बराबर मा ा म म छड़क। बीज को काश ा त करने म स म होना चा हए। यादा गहराई म रोपने पर वे अंकु रत नह

हो पाएंगे।

येक बीज एक तुलसी के पौधे के प म अंकु रत होगा इस लए के वल उतनी ही मा ा म बीज का उपयोग कर जतनी आप दे ख भाल करने म स म ह।

बीज को ऊपर से पानी न द य क पानी उ ह हला सकता है।

कं टे नर को गुनगुने पानी क एक े म रखकर नीचे से पानी द जब तक क म क सतह पर नम ध बे दखाई न दे ने लग। कं टे नर को पूरी तरह सूख ने द।

कं टे नर क नमी बढ़ाने के लए उनके ऊपर जाली या कांच क शीट रख या उ ह एक साफ ला टक बैग म रख।

उ ह तेज़ रोशनी वाले गम ान पर रख ले कन सीधी धूप म नह ।

त दन कांच या ला टक बैग को प छकर सुख ाएं और कं टे नर के चार ओर ताजी हवा का संचार होने द।

अ धकांश तुलसी के बीज तीन से पांच दन म अंकु रत हो जाते ह ले कन कु छ को अ धक समय लगता है खासकर ठं ड के मौसम म।

जब अंकु र दखाई दे तो गलास या थैला हटा द। फर भी अंकु र को नमी वाले ान पर रख ले कन म को गीला न होने द।

कई दन तक जैसे जैसे जड़ वक सत होने लगती ह युवा पौध म के वल दो बीज प याँ ह गी।

य द इस तर पर तुलासे बगनी हो जाती है तो संभवतः उसे ब त अ धक काश ा त हो रहा है इस लए काश को फ़ टर कया जाना चा हए।
Machine Translated by Google

य द तुलसी म क रेख ा पर झुक ई है और उसका तना वहां भूरा और पचका आ है तो उस पर फं गस ने हमला कया है। इस पर काबू पाने के लए

एक। वायु का संचार बढ़ाएं.

बी। आ ता क मा ा कम कर.

सी। म क सतह पर महीन गम रेत छड़क।

जब तुलसी का पौधा दो अ त र प य के साथ एक अंकु र भेज ता है और फर दो और तो वह यारोपण के लए तैयार है।

खुली धूप म तुलसी क रोपाई के लए ब तर तैयार करने के लए प य और उड़ने वाले क ड़ को र रखने के लए एक पवन सुर ा बॉ स और न का नमाण

कर। तुलासे को ह क उपजाऊ अ जल नकासी वाली थोड़ी ारीय और गहरी खेती वाली म पसंद है। सूख ी गाय का गोबर क ो ट प ी का सांचा या पीट

काई अ मा ा म मलाएं। दे र दोपहर म . छे द खोद उ ह पं य म से क री पर क री पर रख। छ को पानी से भर और उ ह बहने द।

छोटे अंकु र वाले कं टे नर से तुलसी को सावधानी से नकाल और उ ह मजबूती से दबाते ए और बार बार पानी दे ते ए छे द म रख। जब तक आप जड़ को कसी भी

तरह से परेशान नह करते तब तक पौध के लए कोई सम या नह होनी चा हए। पौध को कई दन तक आं शक छाया म रख और धीरे धीरे उ ह पूण सूय के संपक म

लाएँ। म को खरपतवार से मु रखते ए हर स ताह जुताई कर। हर सुबह उ ह नय मत प से पानी द और वे बड़े हो जाएंगे।

य द अंकु र पीट मॉस रोपण कप म है तो उसे यारो पत करने का समय आ गया है जब जड़ कप के नीचे और कनार से बाहर नकलने लगती ह। कप को एक ऐसे

म के बतन म रख जो थोड़ा बड़ा हो और जसम उ चत मा ा म गमले क म हो। नई म क रेख ा कप क रेख ा के समान होनी चा हए।

य द दो तुलसी एक ही कप म ह और आप येक को एक अलग बतन म रोपना चाहते ह तो धीरे से कप को वभा जत कर और म को तब तक अलग कर जब तक

क तुलसी अलग न हो जाए।

य द दो तुलसी अलग होने से इनकार करते ह तो उ ह कमरे के तापमान के पानी म भगोएँ और फर उ ह अलग कया जा सकता है। सु न त कर क येक क जड़

के आसपास यथासंभव म हो। एक बार म पुनः रोपण कर और उ ह पूरी तरह से पानी द।

दोबारा रोपे गए पौध को कई दन तक ह क छाया म रख। फर धीरे धीरे रोशनी बढ़ाएं। इस ब से अंकु र तेज ी से बढ़ना चा हए।

जब तक कोई माजारे दखाई नह दे गा तब तक तुलासे ऊं चा और ऊं चा होता जाएगा । य द आप इस माजारे को इसके नीचे क दो प य के साथ तोड़ते ह तो पौधा दो

शाखा म व ता रत हो जाएगा।
Machine Translated by Google

कभी कभी तुलासे काफ लंबी हो जाती है जब वह अभी छोट होती है और उसका तना अभी तक मजबूत नह होता है।

सहारे के लए आप उसके गमले म एक छड़ी लगा सकते ह। बांस क छड़ सबसे अ होती ह य क वे सड़ती नह ह। छड़ी को गमले के अंदर के कनारे

पर रख न क तुलसी के तने के पास जससे उसक जड़ घायल हो सकती ह। इसे कसी साफ कपड़े या डोरी से उसके तने पर बांध द। तार का योग न कर.

उसे सीधा रखने के लए जतनी आव यक हो उतनी ला ठय का योग कर।

य द तुलासे ब त लंबी और पतली हो रही है तो उसक मांज ारे को तोड़ना जारी रख और वह पूरी तरह से शाखा लगाना शु कर दे गी। उसे आकार दे ने के

लए उसक शाखा को कभी न काट।

एक माजारे क कु ल लंबाई दस इंच तक बढ़ सकती है। वह पूरे वष फू ल दे सकती है ले कन वसंत और गम के महीन के दौरान उसम सबसे अ धक फू ल

वक सत होते ह। जतनी अ धक धूप होगी वह उतनी ही अ धक धूप दे गी। य द आप माजारे को बीज बोने दे ते ह तो वह आम तौर पर वसंत के अंत से लेक र

ग मय तक बीज पैदा करती है ।

तुलसी के बीज को इक ा करने के लए बीज को भूरा होने द ले कन बीज क फली से बीज गरने से पहले मेज रेज़ को काट ल। इन प रप व माजारे को

उनके बीज के साथ ठं डे सूख े वायुरोधी ान पर सं हत कर


कं टे नर.

जैसे जैसे तुलसी का पौधा प रप व होगा उसक नई प याँ छोट हो सकती ह और उसका तना मोटा और लकड़ी जैसा हो जाएगा। अ धकांश तुलासेज़ तीन

से चार फ ट क वय क ऊं चाई तक प ंचते ह हालाँ क कु छ नौ फ ट तक बढ़ते ह।

तुलासे के शरीर छोड़ने के बाद उसक लकड़ी को जप माला म ढाला जा सकता है या अ न ब लदान और दाह सं कार समारोह म इ तेमाल कया जा सकता
है।

तुलसी को सही तरीके से कै से उगाएं इस बारे म अ धक व तृत जानकारी के लए इसानह दे वे दासे ारा । दे ख भाल क कला का संदभ ल
Machine Translated by Google

तुलासे दे वे को व रखना
ीमती तुलसी दे वे क दे ख भाल करते समय भ पूण रवैये के साथ साथ उनका शारी रक वा य उ चत रोशनी पानी तापमान आ ता
म पोषक त व बतन का आकार और क ट और बीमा रय क अनुप त पर नभर करता है।

रोशनी
तुलसी दे वे ाकृ तक धूप म सबसे अ ा बढ़ता है। उसे रोजाना सुबह से दोपहर तक तीन से पांच घंटे सीधी धूप मलनी चा हए

अपया त रोशनी के प रणाम ह

एक। पतले और कमजोर तने.

बी। प य के बीच ल बी तने वाली शाखाएँ।

सी। बड़े ह के हरे प े और कम या कोई फू ल नह ।

डी। प याँ गर सकती ह और शाखाएँ मर सकती ह।

तुलसी दे वे घर के अंदर भी उग सकते ह जब उ ह ऐसी खड़क पर रखा जाए जहां पया त धूप मलती हो। वह सूय के काश क दशा म
बढ़े गी इस लए उसके गमले को त दन ° घुमाएँ ता क वह सीधा बढ़े और उसक प याँ सम मत ह ।

य द पया त धूप नह है

एक। ो ल स या ो लाइट ूब के साथ डेलाइट ूब का उपयोग कर।

बी। उसे रोशनी से घेरा जाना चा हए.

सी। तीन अलग अलग काश उपकरण म उसके ऊपर बा ओर और दा ओर दो चालीस वॉट ूब लटकाएं। उ ह ब त करीब रख ले कन
उसे छु ए बना।

डी। इन लाइट को रोजाना चौदह से सोलह घंटे तक जलाए रख ले कन अगर उसे थोड़ी धूप मल रही हो तो कम।

जब तुलासे दे वे पूरी स दय म घर के अंदर रही ह और मौसम इतना गम हो गया है क उ ह सीधी धूप के लए बाहर ले जाया जा सकता है तो
धीरे धीरे बदलाव कर

एक। सबसे पहले उसे रोजाना लगभग एक घंटा धूप म रहने द

बी। सूय के काश क अव ध धीरे धीरे बढ़ाएँ।

सी। ब त अ धक धूप और ब त तेज़ ी से उसे झटका लगेगा। उसक प याँ पीली या सफे द हो सकती ह और फर मर सकती ह।
कभी कभी उसक नचली प याँ अचानक गर जाती ह।
Machine Translated by Google

पानी

तुलसी दे वे को पानी दे ने का आदश समय सुबह का है। उसक म को नुक सान प ंचाए बना उसे धीरे से पानी द। अ यथा जड़ रोग और म वातन संबंधी

सम याएं उ प हो सकती ह।

शहरी जल रसायन से बचने के लए शु या आसुत बोतलबंद पानी का उपयोग कर।

य द यह संभव नह है तो अपने शहर के पानी को एक गैर सं ारक कं टे नर म रात भर खड़े रहने द।

यह लोरीन और संभवतः अ य रसायन को फै लने क अनुम त दे गा। फर पानी डाल


इसे हवा दे ने के लए एक कं टे नर से सरे कं टे नर म ले जाएं।

कठोर पानी का उपयोग न कर जसम इसे नरम बनाने के लए रसायन मलाए गए ह ।

स ताह म कम से कम एक बार तुलसी दे वे को पूरी तरह से पानी द। कु छ पानी बतन के तल म जल नकासी छे द से बाहर नकलना चा हए। जब भी उसक ऊपरी

म सूख ी महसूस हो तो उसे फर से पया त पानी से स चना चा हए ता क वह पूरे दन नम रहे ले कन भीगी नह ।

वह कभी भी इतनी गीली नह होनी चा हए क अ धक पानी डालने पर वह तुरंत बतन क तली से बाहर नकल जाए। जल जमाव से फं गल रोग और जड़ मर

सकती ह। प याँ भा वत ह गी गरने से पहले पीली या भूरी हो जाएँगी।

ब त अ धक सूख ी म जड़ को नुक सान प ंचा सकती है। इससे तुलासे क प याँ भूरे कां य या ह के हरे रंग क हो सकती ह जससे उसका वकास धीमा हो

सकता है। इससे म गमले के कनार से र हो सकती है जसके प रणाम व प पानी म म नह समा पाएगा। य द ये हो तो

एक। बतन को पानी क बा ट म डु बोएं ता क म पानी सोख ले या

बी। म क सतह पर थोड़ी मा ा म पानी डाल। इसे भीगने द और फर धीरे धीरे और पानी डाल जब तक क म पया त पानी सोख न ले।

सी। य द अपया त पानी के कारण तुलसी मुरझाने लगे तो उसे धूप या गम से नकालकर पानी द। हालाँ क इस झटके के कारण उसक नचली प याँ गर सकती

ह।

डी। य द तुलासे क म ब त सूख ी है तो जब आप उसे उठाएंगे तो उसका बतन ह का महसूस होगा। फर आपको पानी दे ना होगा
उसक ।

तापमान
तुलासे के बढ़ते मौसम के दौरान वह दन म ड ी फ़ारेनहाइट ड ी से सयस से लेक र रात के दौरान लगभग ड ी फ़ारेनहाइट ड ी से सयस

तक के तापमान म सबसे अ ा दशन करती है। वह ड ी फ़ारेनहाइट ड ी से सयस से अ धक तापमान और यहां तक क कम ड ी ड ी

से सयस म भी तापमान का सामना कर सकती है ले कन ये उसके तनाव का कारण बन सकते ह और उसके वकास को धीमा कर दगे।
Machine Translated by Google

म म पानी क अपया त मा ा के कारण तुलसी अ य धक गम हो सकती है और अ य धक गम मौसम म मुरझा सकती है। य द ये हो तो

एक। उसे तुरंत पानी न द. इससे उसक म भीग जायेगी.

बी। उसे धूप से नकालकर फ़ टर क गई रोशनी म ले जाएं।

सी। उस पर पानी क ह क धुंध छड़क कर उसका तापमान कम कर।

डी। जब आ ता ब त कम हो तो उसके चार ओर धुंध का छड़काव करके इसे बढ़ाएं। इससे उसक प य से पानी क बबाद कम हो
जाएगी।

इ। जब आ ता ब त अ धक होती है और पानी उससे वा पत नह हो पाता है तो गम ब त अ तरह से न नह होती है। उसके चार


ओर हवा के संचार को बेहतर बनाने का यास कर।

तुलासे दे वे ठं ड के मौसम के त ब त संवेदनशील ह। जब रात का तापमान कम होगा तो उसे जी वत रहने म क ठनाई हो सकती है। उसे
ठं ड से बचाने के लए घर के अंदर ले आएं। य द यह संभव नह है और आपका े अ य धक ठं डा नह है तो उसके चार ओर एक साधारण
ीनहाउस बनाएं। धूप म गम बढ़ने से बचने के लए इसे हवादार होना चा हए। य द आप तुलासे को गम े म रखते ह तो सु न त कर
क वह ठं डे और गम ा ट से मु ान पर हो।

ब त ठं डी जलवायु म रात म उसे खड़क े से हटा द। खड़क से आने वाली ठं डक उसे इतना झकझोर सकती है क वह उन प य
और शाखा को छोड़ सकती है जो खड़क के करीब ह।

उसे हीटर क सीधी गम या एयर कं डीशनर क ठं डी आयरन के पास न रख। गम हवा के कारण उसक प याँ गर सकती ह सकु ड़
सकती ह और रात रात काली हो सकती ह। यादा गरम होने से पूरी शाखाएँ या पूरा तुलासे पौधा न हो सकता है। घर म गम हवा अ सर
शु क होती है इस लए
सु न त कर क तुलासे दे वे भा वत न ह ।

दन और रात के बीच अ य धक तापमान प रवतन या कसी भी अचानक तापमान प रवतन के कारण उसे तनाव होता है और वह मुरझा
सकती है। ऐसी सुबह म उसे धीरे धीरे सूरज के सामने लाएँ उसे धीरे धीरे गम होने द और उसके चार ओर उ तर क नमी बनाए रख।

नमी
शु क हवा के कारण तुलसी क प यां अपनी जड़ के मा यम से पानी को अवशो षत करने क तुलना म तेज ी से पानी को वा पत कर
सकती ह। इसके प रणाम व प उसक प याँ मुड़ जाती ह या उसक प य के कनारे भूरे और सूख े हो जाते ह। उसक फू ल क क लयाँ
सूख सकती ह और बना खुले ही गर सकती ह। भले ही उसक म म पया त पानी हो वह सकु ड़ सकती है। य द ऐसा होता है तो उसके
चार ओर न न ल खत म से कसी एक या सभी ारा आ ता बढ़ाएँ
Machine Translated by Google

एक। ीनहाउस या पोच म फश पर पानी छड़क। जैसे ही पानी वा पत हो जाएगा यह उसक प य को गीला कर दे गा।

बी। उसे एक वाटर ूफ े म रख जसम बजरी ंज रॉक पेलाइट और पानी क एक परत रखी जा सके । तुलासे के बतन के नचले ह से को बजरी पर

रख ले कन पानी के तर से ऊपर। या बतन को बजरी के ऊपर लैट्स पर उठाएं ता क बतन के नीचे हवा वतं प से सा रत हो सके ।

सी। उस पर धीरे से पानी का े छड़क।

डी। दो या दो से अ धक तुलसी को एक सरे के पास रख। उनक प य से नकलने वाले जलवा प से येक को लाभ होगा।

इ। एक तार के े म के ऊपर एक ला टक बैग रखकर उसके ऊपर एक लघु ीनहाउस बनाएं। य द तुलासे सीधी धूप म है तो बैग को आं शक प

से हटा द अ यथा ब त अ धक गम से उसे नुक सान होगा।

य द बैग म भाप है तो यह उसके लए ब त गम है। ऐसे म बैग को के वल रात म ही उसके ऊपर रख।

व रहने के लए पौध क जड़ को ऑ सीजन क आव यकता होती है और वे इसे म म वायु ान से ा त करते ह। अ धक पानी वाली म

म म के ान पानी से भर जाते ह और जड़ को ऑ सीजन से वं चत कर दे ते ह।

जड़ मरना शु हो सकती ह और प याँ पीली हो जाती ह या भूरे कनारे बन जाती ह।

उ कृ जल नकासी वाली समृ म के लए अपना वयं का म म ण इस कार बनाएं

एक। गमले क म के दो भाग म एक भाग खाद प ी का साँचा कचुए क ढलाई या अ य वघ टत काब नक पदाथ और एक भाग साफ़ मोटे रेत

जैसे क राज म ी क रेत मलाएँ। आप मोटे रेत के ान पर पेलाइट या ंज रॉक का उपयोग कर सकते ह। समु तट क रेत का उपयोग न कर

य क ऐसा भी होता है
ब त सारा नमक.

बी। एक बड़ा च मच चू णत फॉ े ट रॉक और एक बड़ा च मच पोटाश रॉक ेनाइट धूल या हरी रेत मलाएं।

सी। जब खाद उपल न हो तो वम यूलाईट का उपयोग कर हालाँ क तुलसी को अ धक पोषक त व दे ने के लए तैयार रह जैसा क अगले भाग म
बताया गया है।

सीधे बगीचे क म का उपयोग करना अ ा वचार नह है य क म म रोग त जीव हो सकते ह।

तुलसी के गमले म कचुए न रख य क वे उसक जड़ को नुक सान प ंचा सकते ह।


Machine Translated by Google

कभी कभी पानी दे ने का दबाव म को संकु चत कर सकता है। इससे पानी और हवा का म म वेश करना मु कल हो जाएगा। इससे
बचने के लए हर महीने म के ऊपरी इंच को एक छोटे उपकरण जैसे कांटा से पलट द ले कन सावधान रह क उसक जड़ को
नुक सान न प ंचे।

पोषण

गमले म लगे पौध क म म पोषक त व मलाना ज री है। नाइ ोजन पहला पोषक त व है जसे त ापन क आव यकता है।
नाइ ोजन म से वा पत हो जाती है वशेषकर गम मौसम म जब तुलसी बढ़ रही होती है। जब तुलासे म पया त नाइ ोजन नह होती है
तो उसक नचली प याँ पीली होकर गर जाती ह। नाइ ोजन और अ धकांश अ य मह वपूण त व को त ा पत करने के लए उसक
म क ऊपरी परत म सूख े गाय के गोबर क एक इंच परत डाल।

सरा वक प यह है क तुलसी को हर दो स ताह म एक भाग सूख े गाय के गोबर को तीन भाग पानी म रात भर भगोकर बनाए गए घोल से
पानी द। कभी भी ताजा गाय का गोबर योग न कर य क इससे वह जल जाएगी।
ऐसा करने पर दो से तीन दन म तुलसी क प यां हरी हो जानी चा हए।

ब त गम मौसम म अके ले गाय का गोबर हमेशा पया त नाइ ोजन दान नह करता है। इस लए मरेक ल ो जैसे उवरक का उपयोग कर
जनके पोषक त व ाकृ तक ोत से आते ह। बूचड़खाने या सीवर उपचार सु वधा वाले उप उ पाद वाले उवरक से बच। तुलासे को अभी

भी साल म कई बार अ त र आयरन उपचार क आव यकता हो सकती है खासकर जब उसक ऊपरी प यां और मजरे गहरे हरे रंग क
बजाय ह के पीले हरे रंग क होती ह।

गमले म लगे तुलसी को अ धक उव रत न कर। य द पोषक त व क सां ता ब त अ धक है तो वह उवरक जल जाएगी और वह मुरझा


जाएगी। ऐसा इस लए है य क अ त र नमक उसे म से पानी अवशो षत करने से रोकता है। शाखा क नोक काली हो जाएंगी और
मर जाएंगी और गरने से पहले उसक नई प य के दोन कनार पर काले ध बे दखाई दगे। य द ये हो तो

एक। म से अ त र नमक को धोने के लए तुलसी को ढे र सारे ताजे पानी से धोएं।

बी। ऐसा कम से कम पं ह मनट तक कर ता क पानी नकल जाए।

सी। इससे काले े का फै लाव कना चा हए ले कन काले ऊतक को बचाया नह जा सकता।

उवरक को जलने से बचाने के लए तुलसी को सा ता हक प से एक बार पानी द ता क पानी उसके जल नकासी छे द से बाहर नकल
जाए। इसके अलावा पैके मृदा अनुपूरक उ पाद पर दए गए नदश का सावधानीपूवक पालन कर।

तुलसी को अ त र पोषक त व तभी द जब वह बड़ी हो रही हो और उनका उपयोग कर सके । पतझड़ और स दय म जब वह बढ़ नह रही
हो तो इसे कम कर द या बंद कर द।

रोपाई
जब तुलसी अपने गमले से बड़ी हो जाती है तो आप दे ख सकते ह क उसक जड़ जल नकासी छे द से बाहर नकल रही ह। अब उसे बड़े
गमले म या म म रोपने का समय आ गया है। उसे पानी दो और उसे अनुम त दो
Machine Translated by Google

पूरी तरह से नकल जाना. फर उसके तने को अपनी तजनी और म यमा उं ग लय के बीच और अपनी हथेली को तने के आधार पर म
पर रखकर उसके बतन को उ टा कर द। मेज के कनारे पर बतन के कनारे को टै प कर। तुलसी का पूरा पौधा गमले से बाहर आना चा हए।
उसे सुर त प से पकड़ने म सावधानी बरत। य द जड़ गमले म नह भरी ह तो ट बॉल को गमले के आकार म रखने के लए उसे वापस
उसी गमले म रख द। य द जड़ गमले म भर जाती ह तो उसे यारो पत कर दे ना चा हए। य द तुलसी अपने गमले के लए ब त बड़ी दखती
है या नय मत पानी दे ने के बीच वह मुरझा जाती है तो न त प से उसे यारो पत करने का समय आ गया है। गमले के कनार से
म को ढ ला करने के लए आपको चाकू क आव यकता हो सकती है।

एक ऐसा बतन ल जो उसके वतमान वाले से एक या दो आकार बड़ा हो। य द तुलासे अपने गमले से ब त अ धक बड़ा हो गया है तो उसके
पौधे क ऊं चाई के लगभग एक तहाई से आधे तक के गमले का उपयोग कर। इसे ब त बड़े गमले म न लगाएं य क इसम अ त र म
जड़ से अ धक पानी सोखने म स म नह होगी और इसका कारण बन सकती है
जड़ सड़ने लगती ह.

एक आदश बतन बना चमक ई म से बना होता है जसम जल नकासी छे द होता है। बना चमक ली म बतन के कनार के मा यम से व टलेशन क

अनुम त दे ती है। सीमट ला टक या चमकदार म के बतन से बच।

छाया म या जब मौसम ठं डा और बादल छाए ह या दे र दोपहर म रोपाई कर।


इसके अलावा तुलसी को हमेशा शु क हवा से बचाएं।

सबसे पहले नया बतन इस कार तैयार कर।

एक। नए बतन को तब तक पानी म डु बोएं जब तक उसम बुलबुले आना बंद न हो जाएं।

बी। जल नकासी छे द के ऊपर टू टे ए म के बतन रख ले कन इसे पूरी तरह से अव न कर। टू टे ए बतन के टु क ड़ को इस तरह रख
क पानी नकल जाए और म बतन म रह जाए। बड़े बतन के तल पर बजरी क एक परत बछाई जा सकती है।

सी। नये गमले के तल पर पया त मा ा म म रख।

डी। य द संभव हो तो गोलाकार म मुड़ी ई कसी भी जड़ को सावधानी से अलग कर और सीधा कर फर उसे सीधा और सीधा रखते ए
धीरे से उसके नए बतन म डाल द।

इ। उसके चार ओर नई म डाल और धीरे से दबाएं।

एफ। म का तर उसके पछले तर के समान होना चा हए ता क उसक जड़ दखाई न द और उसका तना ढका न रहे। अ यथा जड़ या
तना सड़ जाएगा।

जी। म के तर और गमले के शीष के बीच पानी दे ने के लए डेढ़ इंच से एक इंच क जगह छोड़ द। गमले को अ धक म से न भर।
Machine Translated by Google

एच। उसे पूरा पानी द और कु छ दन तक छाया म रख। फर आप उसे दोबारा सीधी धूप म रख सकते ह। दोबारा पानी दे ने से पहले म के सूख ने

तक ती ा कर य क नए बतन म पानी आर त है।

क ट और रोग
य द तुलासे को सही आकार और म के गमले म उ चत मा ा म पानी और धूप मल रही है तो वह फलेगी फू लेगी। एकमा आव यकता यह

सु न त करना है क उसे क ड़ और वशेष प से लाल मकड़ी के कण से बचाया जाए। जस ान पर तुलसी रहती है उस ान को हमेशा साफ

सुथरा रखना चा हए। उसक सभी गरी ई प य को नय मत प से इक ा कर और उसके गमल के चार ओर झा लगाएं। क ड़े या बीमा रय

के लए उसक त दन जांच क जानी चा हए। य द वह व और उ चत प से पो षत है तो उसके व रहने का बेहतर मौका है।

सभी सावधा नय के बावजूद तुलासे पर अभी भी क ट ारा हमला कया जा सकता है। तुलासे को नुक सान से बचाने के लए ऐसे क ट से तुरंत

नपटना चा हए। कु छ क ट कवक जीवाणु और वायरल रोग फै लाते ह जो उसके लए अ य धक खतरा पैदा कर सकते ह।

तुलासे क शाखा को तब तक न काट जब तक क यह कोई आपातकालीन त न हो जैसे क जब उसक जड़ पर हमला कया गया हो या

उसका जीवन खतरे म हो। उसके आकार को कम करने से कभी कभी जड़ णाली को पौधे को अ े वा य के लए पोषण दे ने क अनुम त

मलती है।

उसक प य से धूल और क ड़े हटाने के लए उस पर नली या े बोतल से धीरे से े कर। गम मौसम म उसे त दन नहलाएं।

य द उसके पास क ड़े ह तो उसे पोटे शयम लवण से बने स जी आधा रत कै टाइल साबुन से नान कराएं।

ये लवण क ड़ के लए घातक ह। सु न त कर क आप बाद म उससे साबुन का पानी धो ल ता क उसक प याँ साबुन से जल न जाएँ। छोटे

तुलसी के पौध को इस कार नहलाया जाता है

एक। गमले और म को ला टक से ढक द।

बी। उसके समथन के लए अपना हाथ उसक म पर रख और अपनी तजनी और म यमा उं गली के बीच रख।

सी। उसे उ टा कर द उसे साबुन के पानी म डाल द और के वल पाँच से दस सेकं ड के लए उसे धीरे से घुमाएँ। धीरे धीरे उसे साबुन से हटा द।

डी। उसे साफ पानी क एक बा ट म या एक नली या े बोतल से धीरे से धोएं।

इ। अ त र पानी हटा द और धीरे धीरे उसे पलट द। पानी उसे भारी बना सकता है और उसके गरने या टू टने का कारण बन सकता है।

बड़े तुलसी के पौधे जो बा ट म फट नह होते उ ह इस कार नहलाया जाता है


Machine Translated by Google

एक। उसक म को ला टक से ढक उसके तने के चार ओर कसकर लपेट और उस पर साबुन का पानी छड़क। सु न त कर क आप
प य के नचले ह से पर े कर जहां अ धकांश क ड़े छपते ह।

बी। जब आप उस पर साबुन े कर तो साबुन को धो ल ता क उसक प याँ जल न जाएँ।

य द उसे नहलाने के बाद भी तुलसी पर हमला होता है तो आप पौध से ा त कु छ ाकृ तक े का उपयोग कर सकते ह जो क ड़ को
र भगाते ह या न कर दे ते ह। कभी भी पे ो लयम आधा रत े का योग न कर। गैर वषैले और पयावरण क से सुर त े ह।
उनम से कु छ यहां ह

एक। पाइरे म गुलदाउद के फू ल से ा त यह ए फड् स हाइट लाइज़ और कै टर पलर से लड़ता है। इसे दे र दोपहर या शाम को लगाएं
धूप म कभी न रख। इसे साबुन के साथ योग न कर।

बी। रोटे नोन डे रस पौधे क जड़ से ा त यह ए फड् स मकड़ी के कण च टय और असली क ड़ पर पेट के जहर के प म काम करता
है।

सी। डायटोमे सयस पृ वी छोटे समु जानवर के कं काल अवशेष से ा त स लका के टु क ड़े ज ह डायटो स कहा जाता है। ये क ट को
न कर दे ते ह जससे नजलीकरण के कारण उसक मृ यु हो जाती है।

डी। गम मच पानी के साथ म त ये चबाने वाले क ड़ को हतो सा हत करती ह।

इ। नीम का तेल नीम के पेड़ से ा त यह भूख को दबाता है और ए फड् स माइट् स मीली बग और सफे द म खय के वकास को रोकता
है।

एफ। सन े ऑयल एक पैरा फन आधा रत तेल जसे तुलसी क प य पर बना नुक सान प ंचाए छड़का जा सकता है। यह मीली बग
के स ाइडर माइट् स और ए फड् स के खलाफ काम करता है।

कु छ सहायक क ड़े ह जो हा नकारक क ड़ को खाते ह। ये क ट भ ी क ट ानीय नसरी से ा त कए जा सकते ह।

एक। लेडीबग वय क और लावा दोन ए फड् स मीली बग और के स खाते ह। वे सीधे तुलासे या उसके े म घूम सकते ह।

बी। हरे या भूरे लेस व स ये ए फड् स मकड़ी के कण और मीली बग खाते ह

सी। ह यारा बग घात लगाने वाला बग ाथना करने वाला म टस और व भ मक ड़याँ सहायक ह।

बीमा रय और क ड़ के बारे म अ धक व तृत जानकारी इसाना दे वे दासे क पु तक द आट ऑफ के य रग फॉर तुलासे दे वे म द गई है।

ीमाते तुलासे दे वे क दे ख भाल करते समय सबसे मह वपूण स ांत उसे साफ सुथरा रखना और उ चत दे ख भाल करना है जैसा क इस
पु तक म बताया गया है। उनक दया से हम ई र के शु ेम म भ ा त कर सकते ह और हमारी सभी आ या मक आकां ाएँ पूरी हो
जाती ह जैसा क न न ल खत आठ ोक म व णत है।
Machine Translated by Google

ी वंदादे वी अनोका

ीमती वंदा दे वे क म हमा करने वाली आठ ाथनाएँ


ीला व नाथ च वत ठाकु र ारा

गाइगेय चा ेय तैइद व नद रो सउ वाह


न पताा मा व दे
ब ुक ा र डु ुत द वासो
व दे नुमास् ते काराएरा वदम्

हे वंदा दे वी म आपके कमल चरण म सादर णाम करता ं। आप अपने वयं के वैभव म नहाए ए ह जो बजली क चमक और सुनहरे कै म पाक

फू ल को मात दे ता है। आपके द व क चमक लीन ड लया फू ल क म है।

बबधारो द वर मंद हा य नासा मु ा ुत

द पत य
व च र नाभरण ीया े
व दे नुमास् ते काराएरा वदम्

हे वंदा दे वे म आपके कमल चरण म सादर णाम करता ं। आपका चेहरा आपक नाक क नोक पर सजे मोती क शोभा और आपके होठ पर लगे

दो बबा फल क असाधारण सौ य मु कान से रोशन है। आप अपने ारा पहने गए अ त और रंगीन गहन और आभूषण क सुंदरता से समृ ह।

सम त वैकु ठ शरोमयौ ीकृ ण य व दावन ध य

धाम न

द ा धकारे वाणीभानुपु या
व दे नुमास् ते काराएरा वदम्

हे वंदा दे वे म आपके कमल चरण म सादर णाम करता ं। राजा वृषभानु क पु ी ीमती राधारानी ने आपको भगवान कृ ण के भ और शुभ

नवास वृ दावन का अ धप त बनाया है जो सभी वैकुं ठ ह का शखर र न है।


Machine Translated by Google

वद ान प लव पुनप भागीग मगद भर माधव के ल

कुं जुः
माधव आ द भर भां त वभु यामयः
व दे नुमास् ते काराएरा वदम्

हे वंदा दे वे म आपके कमल चरण म सादर णाम करता ं। आपके आदे श के कारण वे उपवन जहां भगवान माधव अपनी लीलाएं करते ह ब त

शानदार दखाई दे ते ह खले ए फू ल भ र हरण और अ य शुभ जानवर फू ल और प य से सजाए गए ह।

वद य येन नकुं ज युनोर

अ यु कायोù के ल वलास स ः

वत् सौभागा के न न यता तद्


व दे नुमास् ते काराएरा वदम्

हे वंदा दे वे म आपके कमल चरण म सादर णाम करता ं। आपके सौभा य का वणन कौन कर सकता है आप वह संदेशवाहक थे जसने वृ दावन

के उपवन म उ साहपूवक ड़ा करने वाले युवा जोड़े राधा और कृ ण क कामुक लीला को पूण ता दान क ।

रसा भलाणो वस त च वृंदा वने वद एषाघृ

सरोजा सेवा

ल य च पु स सा कपाय तवैव
व दे नुमास् ते काराएरा वदम्

व दा दे वे म आपके कमल चरण म सादर णाम करता ँ। जो जीव आपके भगवान के चरणकमल क सेवा ा त करते ह वे वृ दावन म नवास

करते ह। और भगवान क रास नृ य क अ त लीला को समझने क इ ा के वल आपक दया से है।

वा क तसे सा वत त व र
लीला भधान कला कृ ण श

तवैव मू त तुलासे न लोके

व दे नुमास् ते काराएरा वदम्

व दा दे वे म आपके कमल चरण म सादर णाम करता ँ। जन लोग ने सा वत तं का अ ययन कया है वे आपक म हमा करते ह। आप लीलाएँ

करने के लए भगवान कृ ण क श ह और आपको मानव समाज म तुलसी दे वे के नाम से जाना जाता है।
Machine Translated by Google

भ या वहेण अ ाधा ल नैः

क न तश च काम द तरंग म ये

कृ पामयी वम् शरणाः प ा


व दे नुमास् ते काराएरा वदम्

हे वंदा दे वे म आपके कमल चरण म सादर णाम करता ं। जो इससे वं चत ह

भगवान ह र क भ करने वाले और जो लोग अपने अपराध के कारण काम और अ य अशुभ गुण क लहर म फक दए जाते ह
वे आपक शरण ले सकते ह।

वृ दा तका यः शशुयत् पोहेद ् वा

वंदावनदे श पादबज भंग

स ा य व दावन न य वासाः

तत् ेम सेवाः लभते कताथः

हे वंदा दे वे म आपके कमल चरण म सादर णाम करता ं। जो राधा कृ ण के चरण कमल म भ रे के समान हो जाता है और जो व दा दे व

क म हमा का वणन करने वाले इन आठ ोक को पढ़ता या सुनता है वह सदै व गोलोक वृ दावन म नवास करता है। वह ई र के शु ेम म

भ ा त करता है और उसक सभी आ या मक आकां ाएँ पूरी हो जाती ह।


Machine Translated by Google

You might also like