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न ा
वीकृ तयाँ
प रचय
ील नरो मनोकम मंगलाचरण
. ी गु म हमा . एका त
भ . आ मा नवेदन .
युगल भजन ननोह .
रागानुग भ रेते . ेम
भ को जगाने के लए यान
के वषय . एक भ के अन य
गुण . र ेमपूण भ सेवा . अं तम नदश प र श एक
प र श दो प र श तीन

ेमपूण भ क चं करण ील नरो म दास ठाकु र

महाकाय
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रोमन ल यंतरण श द दर श द अथ अं ेज ी अनुवाद और réla Viçvanātha Cakravarté ठाकु र


के उ े य
ई र दास ारा अनुकू लत और का शत
बां ला अनुवादक भू मप त दास
सं कृ त अनुवादक वनोद बहारी दास

के कदामन दास . ारा संपा दत


ज बहारी दास और महाश दास ारा ूफ रीड
ई र दास ारा डजाइन और लेआ उट

न ा

यह पु तक उनक द कृ पा एसी भ वेदांत वामी भुपाद को सम पत है ज ह ने ील नरो म दास


ठाकु र और भगवान चैत य महा भु के सभी यभ को पूरी नया म लाया जो अ ानता के अंधेरे म
गहराई से डू बे ए ह।

वीकृ तयाँ

म कई ह तय को ध यवाद दे ना चाहता ं ज ह ने इस पु तक के सफल काशन म मह वपूण


भू मका नभाई। म सबसे पहले अपने य चकन गु दे व ील गौर गो वद वामी महाराज को
ध यवाद दे ता ं ज ह ने फरवरी को मायापुर म राधा कृ ण के अंतरंग ेमपूण लीला पर चचा
करते ए इस नया को छोड़ दया। सबसे बड़ा ध यवाद उनक द कृ पा एसी भ वेदांत वामी भुपाद
को जाता है जो सभी इ कॉन भ के शा त चकना गु ।

ील नरो म दास ठाकु र के बंगाली ंथ के अनुवाद के लए भू मप त भु और ील व नाथ च वत


ठाकु र क सं कृ त भा य के अनुवाद के लए वनोद बहारी दास चारी को ध यवाद। म गोपीपराधना
भु को ध यवाद दे ना चाहता ं
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कु छ सं कृ त संदभ का अनुवाद करने का उनका यास। इस पु तक के वशेष संपादन के लए


के कदामन भु को ध यवाद। म ज बहारी भु और माता महाश को ूफ री डग के लए ध यवाद
दे ता ं।
म कई भ को ध यवाद दे ता ं ज ह ने य या परो प से इस पु तक के नमाण म मदद क
वशेष प से मेरी प नी सं या दासी को कु छ बंगाली और सं कृ त वशेषक म उनक मदद के लए।

प रचय

ी ेमा भ च का शायद ील नरो म दास ठाकु र के पृ वी पर अपनी कट लीला के दौरान के


सभी काय म सबसे मह वपूण है एक ील नरो म दास ठाकु र ने चार सौ साल पहले लखा था। कई गाने
ह ाथना और ी ेमा भ च का। जो नदश से भरे ए थे। उनके काय म सबसे लोक य

ेमा भ च का को े पानुगा गीता के प म जाना जाता है य क इसम भगवान चैत य महा भु


क सभी श ा का सार है। ेमा भ च का का शा दक अथ है भगवान कृ ण क ेममयी
भ मयी सेवा क चांदनी क करण। ेम भ क चांदनी क ये करण इतनी सुख दायक ह क वे
भौ तक अ त व क जलती ई आग के भाव को शांत करती ह और वे ब आ मा को ी ी राधा कृ ण
क ेमपूण भ सेवा का अमृत पीने म स म बनाती ह।

भगवान चैत य महा भु के व और मशन को ील व प दामोदर गो वामी ने न न ल खत


नारा म सं े पत कया था

अनार पता कै र सरत क शायवतेर् कलौ समरपा यतम


उ ातो वाला रस वभ यां ह र पुरौआ सुंदरा ु त कदं ब संदे पता
सदा दय कं दरे ु रातु नंदन ु रतु

वह भगवान जो ीमते सेदेव के पु के प म जाने जाते ह आपके दय के अंतरतम क म


द प से तह।
पघले ए सोने क चमक से द तमान वह क लयुग म अपनी अकारण दया से कट ए ह जो क कसी
अ य अवतार ने पहले कभी पेश नह कया है सबसे उदा और उ वल आ या मक
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उनक सेवा के मधुर वाद का ान। सीसी। एडी .


यह उ तो वाला रस या भ सेवा के संघ नत ऊं चे वर ील प गो वामी के अनुया यय
क वा त वक लालसा है ज ह पानुगास के प म जाना जाता है । ीला पा गो वामी के
अनुयायी इतने अनोखे य ह ीमते राधारे के पास ल लता दे व और वशाख दे व के नेतृ व म
असी मत साख ह। ये स खयाँ ीमते राधारसे के समान आयु वग क ह। इस कार उनका कभी
कभी भगवान कृ ण के साथ सीधा संबंध होता है। साख राधा और कृ ण क लीला को सुगम
बनाती ह और कभी कभी ीमते राधारानी यह व ा करती ह क उनके म कृ ण के साथ
सीधे मल। हालां क ीमाते राधारसे क य दासी मांज रे ह maïjaré का अथ है कली
युवा या ब त कोमल ।

मौजरे जवान और मासूम लड़ कयां ह । उनक उ तेरह साल क उ से अ धक नह है। वे


ीमाते राधारसे क अन य दासी ह। मंज र क अनूठ त यह है क उ ह वृंदावन के
उपवन के आंत रक क म राधा और कृ ण के अंतरंग ेमपूण लीला को दे ख ने और वहां
गत सेवा करने क अनुम त है जहां साख क कोई प ंच नह है। इस कार वे भ
रस के अ तीय आनंद का आनंद लेते ह । मुख मौजरेस म से एक ी पा मंज री ह ज ह ने
गौरा लेला म ीला प गो वामी के प म अवतार लया। ील नरो म दास ठाकु र ने ी
प मांज ारे के चरण कमल क धूल क तु त म एक ब त ही सुंदर गीत क रचना क । यह
गीत ाथना म है

न न ल खत नुसार इस प म मंच से अ धक संपदा से मोरा भजन पूज न। पानुगा


भजन का अथ है ी कृ ण के जा गर ीमते राधारशे क दासी बनने के लए यान लगाकर
ील प गो वामी के पद च ह का अनुसरण करना। जस कार ीकृ ण अपनी श और
आकषक गुण से सभी जीव को मो हत कर लेते ह उसी कार ीमते राधारानी भगवान
कृ ण को अपने ेम और आकषक गुण से मो हत कर लेते ह।

ी चैत य के एक भ का ल य ील प गो वामी के पद च ह पर चलते ए ीमते


राधारसे क दासी बनना है। ीमते राधारानी का कृ ण के त ेम इतना ती है क कृ ण
इससे पागल हो जाते ह और इस लए वयं के ेम को समझने और आनंद लेने के लए भगवान
चैत य महा भु के प को वीकार करते ह।

ी चैत य महा भु ने कृ ण के ेम का आनंद लेते ए नया को कृ ण भ का सार बताया।


उ ह ने नया को वह दया जो पहले कभी नह दया गया था कृ ण का ेम जैसा क वृंदावन
के नवा सय ारा अ यास कया जाता है। भगवान चैत य महा भु ने छह गो वामी को नदश
दया
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ी पा और ी सनातन क अ य ता म कृ ण के इस ेम क कृ त के बारे म भ
शा के खंड लखने के लए।
गो वामी ने भगवान चैत य महा भु के नदश का पालन करते ए भ शा
के खंड लखे जैसे ी बृहद भागवतामृत भ रस मता सधु उ वला नेलाम ह र
भ वलास वद ध माधव ल लता संधाव वद ध माधव और अ य। ील कृ णदास
क वराज गो वामी ने तब इन लेख से सार लया और इसे ी चैत य च रतामृत के प म
नया के सामने तुत कया। ील नरो म दास ठाकु र महाकाय लोकनाथ गो वामी के
श य थे जो भगवान चैत य के मुख अनुयायी थे। भगवान चैत य महा भु ने लोकनाथ
गो वामी को वृंदावन जाने और कृ ण क लीला के खोए ए ान क खुदाई करने का
आदे श दया। उ ह ने लोकनाथ गो वामी को नरो म दास के कट होने क भ व यवाणी करते
ए कहा उनका एक श य होगा जो क तन क एक अनूठ शैली को कट करेगा जो सभी
मनु य को मो हत कर लेगी। ील नरो म दास ठाकु र ने ी नवास आचाय और यामानंद
भु के साथ ील जेवा गो वामी के अधीन अ ययन कया। इसके बाद स तीन को
बंगाल म गो वाम के लेख न को सा रत करने का आदे श दया गया।

समय ान और प र त के अनुसार पढ़ाने वाले एक सश आचाय होने के नाते ील


नरो म दास ठाकु र ने बंगाली भाषा क सरल शैली म ेम भ चं का क रचना क ।
य प ी चैत य क श ा का तपादन सरल है इसका आशय गहरा है। इस कार
भगवान चैत य क श ा को ी ेम भ च का के प म सं ेप म दया गया है।
गो वामी क पु तक ज ह आम जनता ारा समझना मु कल था इस कार ील नरो म दास
ठाकु र क श ा ारा उनक पु तक रे ेमा भ च का म आसानी से समझ म आ गई।

ील गौरा ककोर दास बाबजे के साथ एकमा पु तक ी ेम भ च का थी। ील


भ स ा त सर वती ठाकु र ने अपने सभी श य को त दन ी ेम भ च का का
पाठ करने का नदश दया। भगवान के ेम को कै से वक सत कया जाए इस बारे म पूछे जाने
पर ील गौरा ककोर दास बाबजे ने नदश दया पांच आने के साथ बाजार म जाओ और दो
कताब खरीदो ाथना और ी ेमा भ च का ील नरो म दास ठाकु र ारा। उ ह
त दन पढ़ और तुम कृ ण के त ेम वक सत करोगे ।
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ी ेमा भ च का का यह वतमान अं ेज ी सं करण शायद अब तक का सबसे पूण सं करण है। कु छ


अ य अनुवाद ह ले कन वे इस सं करण क तरह ापक नह ह। इस सं करण म यह हमारा सौभा य है
क हम ील व नाथ च वत ठाकु र क एक छोट ट पणी शा मल करते ह। ी ेमा भ चं का पर
कु छ भा य ह ले कन सबसे ामा णक वे ह जनक रचना ील ी नवास आचाय के पोते ील राधा
मोहन दास और ील व नाथ च वत ठाकु र ारा क गई है।

इस पु तक के काशक के पम ी ेमा भ च का म के वल ील नरो म दास ठाकु र क


दया का भखारी ँ। मुझ े आशा है क अं ेज ी भाषी नया के लए यह तु त कृ ण के ेम के वकास
म पाठक क ग त को बढ़ाएगी और पो षत करेगी।

ई र दास ने
गौरा पू णमा वृ दावन धाम भारत को
पूरा कया।

ऑरेला नरो मनोआकामी

ऑरेला नरो म भोरनोहाकामी


ील नरो म दास ठाकु र को आठ ाथनाएँ ील व नाथ च वत ठाकु र ारा

पाठ

कृ ण नमः व ण व र चं भा धव त
तमो भारय गौरांग दे व अनुक ारय त माई नमो नमः
े ला नरो मय

çré kñëa भगवान कृ ण के नम मता प व नाम का अमृत


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वण बौछार व ा जसका मुख च भा चाँद क करण क तरह व त नाश करने वाला तमो भाय
सभी अ ान गौरांग दे व भगवान गौरांग के अनुचय स े अनुयायी नमो नमः म बार बार णाम
करता ं सेरेला नरो माया अंटू réla

नरो म।

म ील नरो म दास ठाकु र को बार बार णाम करता ँ। वह वा तव म भगवान गौरांग दे व के


स े अनुयायी ह। उनके मुख कमल से ीकृ ण के नाम का अमृत बरसता है जो सम त अ ान को न करने
वाले अ त तेज को उ प करता है।

पाठ

संक तान द जमनाद ह य द त ुत ो तता


दग् मुख य वेद ु धारा नै पतय त माई नमो नमः
े ला नरो माय

संक तन आनंद भगवान कृ ण के प व नाम का जप करने का आनंद जा मंडा से पैदा आ ह या


ह क मु कान दं त ु त चमकते दांत ो टटा रोशनी खुदाई सभी दशाएँ मुख या जसका चेहरा वेद

पसीना अ ू धरा आँसु क धार नै प य जसम नान कया जाता है त माई उसम नमो
नमः म बार बार णाम करता ं सेरेला नरो मया अरेला नरो म तक

म ील नरो म दास ठाकु र को बार बार णाम करता ँ। वह प व नाम के जाप के आनंद म
लीन होकर थोड़ा मु कु राता है। उनके दांत सभी दशा को रोशन करते ह। आनंदमय आँसु क धाराएँ
लगातार उसके चेहरे को नान कराती ह।

पाठ

मृदंग नाग ु तमा कनकट पद युज


मंदमनोहरय स ः समु त पुलकय त माई नमो नमः
े ला नरो माय
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मृदंग नाद मदं ग क व न कृ तमा ा सफ सुनने से कै नकै ट नाचना शु कर पदयुज


जसके पैर मंडा मनोहराय
जो आनंद दे ता है और मन को पकड़ लेता है स ाù तुरंत समु त पुलकाय सरे पर खड़े बाल
त माई उसके लए नमो
नमः म बार बार णाम करता ं सेरेला नरो मया अरेला नरो म तक

म ील नरो म दास ठाकु र को बार बार णाम करता ँ। मोदं ग क आवाज सुनकर ही उनके पैर
नाचने लगते ह।
यह मन को कै द कर लेता है इतना आनंद दे ता है क उसके बाल सरे पर खड़े हो जाते ह।

पाठ

गंधव गरबोकनापास वाल य व मा पताके ना


को त ज वसोपान त ाय त माई
नमो नमः े ला नरो मय

गंधव गंधव का गरवा गव कनपना न वाल य जसका नृ य व मा पता व मय म


लाया गया असेना कृ त ज व ान संगीतकार और नत कय क सभा व सुन पान त ा ज ह ने
मनोहर शाही गायन और मूदंग वादन क शैली क शु आत क है त माई उसे नमो नमः म बार बार
णाम करता ं सेरेला नरो मया अरेला नरो म तक

म ील नरो म दास ठाकु र को बार बार णाम करता ँ। उनका नृ य इतना सुंदर है क यह गंधव
के गौरव को जीत लेता है और सभी वशेष नतक और गायक क सभा को च कत कर दे ता है। ील
नरो म दास ठाकु र ने इस कार मनोहर साही नामक मृदंग गायन और वादन क अपनी शैली क शु आत
क है।

पाठ

आनंद मू त व नपता भाता धुलेभरंक र व हय


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याद दशनं भा य भरेत त माई नमो नमः


े ला नरो माय

आनंद आनंद म उभरा मुचा बेहोश होना अव नपात


जमीन पर गरना भट जसका शरीर चमकता है धुले धूल भर अलंक ार सजावट के प म पहने
ए व ह जसका प याद दशनम कसको दे ख ने के लए भा य भार के वल सौभा य के
कारण ही त माई उसके लए नमो नमः म बार बार णाम करता ं सेरेला नरो मया अरेला
नरो म तक

म ील नरो म दास ठाकु र को बार बार णाम करता ँ। कभी कभी परमानंद म वह बेहोश
होकर जमीन पर गर जाता है। इस कार उनका तेज ोमय शरीर धूल को अलंक ार के प म धारण करता है।
महान भा य से ही कोई इस द को ा त कर सकता है।

पाठ

ाले ाले य य कृ पाण कृ ण अ य त णा जन


संहतेनं नमू लता एव भवंती त माई नमो नमः े ला
नरो माय

sthale sthale कह भी य य कृ प पा भ उनक दया का वाह है कृ ण अ य तनः कृ ण क


यास के अलावा कोई यास जन सहयोगनम् सब इक े ए लोग म से नमू लता पूरी तरह से
उखड़ गई एव भवंती अव य बन त माई उसके लए नमो नमः म बार बार णाम करता ं
सेरेला नरो मया अरेला नरो म तक

म ील नरो म दास ठाकु र को बार बार णाम करता ँ। जहाँ भी उसक दया वा हत होती है
वह वहाँ एक त सभी लोग म कृ ण के अलावा कसी भी चीज़ क यास को पूरी तरह से मटा दे गी।

पाठ

यद भ ननोहा उपाले खका इवा ाका पुन


परकाम शव य य
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णयं एवं कृ तवाद यद यं त माई नमो नमः रेला


नरो माय

याद भ ननोह जसक आ ा या भ क रता उपारे खका इवा च ान क तरह मजबूत


है sparcaù श पुन फर से sparçamaëi iva एक दाश नक के प र के शक
तरह सब कु छ सोने म बदल दे ता है य य जसका ा यम बात श द ीकरण ईवा

न त प से çrütivad शा जतना अ ा है याद जसका अयम यह त माई उसके


लए नमो नमः म बार बार णाम करता ं
सेरेला नरो माया अरेला नरो म तक।

म ील नरो म दास ठाकु र को बार बार णाम करता ँ। उनक आ ा और भ क ढ़ता


च ान के समान मजबूत है। उसका श दाश नक के प र क तरह बदल जाता है। उनके श द शा के
श द के समान अ े ह।

पाठ

मुत एव भ कमाय कम एना वैरा य सार टु मन


न लोके सांभा ते यां को त भ सदा एव त माई
नमो नमः े ला नरो माय

मू त एव भ भ का अवतार कम अयम या वह कम एना या वह वैरा य सार


याग का सार मु तमन प नå लोके इस नया म सांभा ते वचार याù कौन कु त भः
धमपरायण लोग ारा सदा एवा हमेशा त माई उसके लए नमो नमः म बार बार णाम करता ं
े ला नरो मया अंटू ठाकु र नरो म

म ील नरो म दास ठाकु र को बार बार णाम करता ँ। जब भी प व लोग उ ह दे ख ते ह वे


सोचने लगते ह या वह भ का अवतार है या वह इस नया म याग का अवतार है

पाठ
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े रा धका कृ ण वलास सधौ नमा त


े ला नरो म या पाओहेद या इवानोआकम
एतद उ का असौ तदे यं पदवी या त

çरे रा धका कृ ण ी ी राधा और कृ ण के वलास सधु लीला के सागर म नम तः ख चा


आ अवशो षत े ला नरो म य
ील नरो म दास ठाकु र का पाओहेत पढ़ना चा हए याù वह जो ईवा न त प से
अनोआकम एतद यह अनोका uccaiù जोर से असौ वह तदे यं पदवीम उसी नवास ान
को जसे ील नरो म ने ा त कया था या त गोसी

ी ी राधा और कृ ण क लीला के सागर म लीन को इन आठ ाथना को जोर से पढ़ना


चा हए। और ऐसा करने से वह न त प से उसी नवास ान पर प ंचेगा जसे वयं ील नरो म ने
ा त कया था।

पाठ

क य दनोई च मता े ता म युक ो ट र या


अधारोदद त सुंदरा दांता कां त े मन नरो मा मुख बूज ा मंडा
ह यां ल यं तानो तू हद म वतरत वदा यम

क य दनोई अपनी दयालु से çamitä aकृ ता अनेक को ट कसी का भी अ त ोध शांत


होगा र या आधार उ त अ तसुंदर उनके अंग अ यंत सुंदर ह द त कां तù उनके दांत चमकते ह े मन
नरो म मु बुज ील नरो म का कमल जैसा चेहरा मंदा ह यम उनक ह क मु कान ल यम उनका
नृ य तानो तू होद

मेरे दय म गट हो म वतरत वदा यम् मुझ े उनक गत सेवा ा त करने दो

ील नरो म क दयालु से असी मत ोध जैसे गुण भी शांत हो जाएंगे। उनके सुंदर अंग उनके
दांत क चमक उनका कमल जैसा चेहरा उनक ह क मु कान और उनका नृ य मेरे दय म कट हो।

मेरा अनुरोध है क वह मुझ े अपनी नजी सेवा दान कर।


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मंगलाकरण

शुभ आ ान

पाठ

अजना त मरंध य ानांज ना


कालकाय ककनूर उ मे लत
येना त माई े गुरवे नम

अजाना अ ानता का त मरंध य अंधेरे का ान ान का अंज ना कालकाय मशाल क


रोशनी के साथ काकनूर आंख
unmélitaà खोला गया याना कसके ारा त माई उसे çré gurave मेरे आ या मक गु
नमः म नमन करता ं।

म अ ान के सबसे अंधेरे े म पैदा आ था और मेरे आ या मक गु ने ान क मशाल के साथ मेरी


आंख खोल । म उ ह वन ांज ल अ पत करता ं।

अ ै त काओके तो नरह र ीनोहं व प यो न यानंद


सखां सनातन ग त ñरे प तके तनम् ल मे
शनप तर गदाधारा रसो लासे जग ाथभु सगोपा
स ं

भगवान चैत य अ ै त आचाय क ाथनापूण अपील के जवाब म वयं अवत रत ए ह। वह नरह र और व प


दामोदर को ब त य ह।
वह भगवान न यानंद के म ह सनातन गो वामी के आ य ह और वे प गो वामी के दय म सदा
नवास करते ह। वह ल मी ल मे या के भगवान ह और गदाधर क स ता है। वह वयं भगवान जग ाथ
ह उनके साथ उनके शा त सहयोगी और ह थयार भी ह।
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वह भ के भगवान ह और मां सेव के पु ह।


ील व नाथ च वत ठाकु र ारा आ ान
इस पु तक का नाम ी ेम भ च का है य क यह ेममयी भ माग पर च मा क तरह है। जस
कार उ पशु से भरे घने जंगल म माग भटक गया एक मत या ी शी ही उदय होता आ च मा
ारा प से अपने गंत क ओर नद शत होता है उसी कार इस ंथ म व णत साधना क व भ
शु याएं च मा भ क अमृत करण के समान ह। सेवा जो प से एक ब आ मा को
नद शत करती है जो अपनी वा त वक पहचान को भूल गई है और सांसा रक इ ा से भरी इस भौ तक
नया म गर गई है राधा माधव के चरण कमल को ा त करने के लए। परम पु षो म भगवान ी
गौरसुंदर के परम दयालु अवतार ारा वत रत ेममयी भ मय सेवा का खजाना पहले कभी नह दया
गया है इसे ा त करने के लए एक ामा णक आ या मक गु क शरण लेना सबसे आव यक है। इस
कारण से और बना कसी बाधा के इस पु तक को पूरा करने के लए ील नरो म दास ठाकु र अपने
आ या मक गु के चरण कमल को वन णाम करते ह।

असाधारण कृ त ता और वन ता के साथ ील नरो म दास ठाकु र एक साधारण ब आ मा


क तरह ाथना कर रहे ह क म अपने आ या मक प से सबसे अंधेरे अ ान म गर गया ं।
काल से परमे र के व गु हशवेदकृकह
ण रहा
के शा
है अजाना
त सेवक तके मरापका
म अपनी
अथ है संै ध
वैध।ा जो
नकजीव अना
त कोदभूल
गए ह और माया के चंगुल म आ गए ह। ब आ माएं अ व ा ारा शारी रक ग त व धय म लीन ह और
असी मत भौ तक ख को भोग रही ह. जतना अ धक वे भगवान ी कृ ण क ेममयी सेवा को भूल जाते
ह और अपने वयं के सुख के लए यास करते ह उतना ही वे अ ान के अंधकार से ढक जाते ह।

सव भगवान क सेवा के बना गत खुशी के लए सभी यास ब आ मा क शा त संवैधा नक


त को और कवर करते ह और इस लए उ ह धोखा दे ने वाले धम के प म जाना जाता है। धम क
इ ा धा मक ग त व धयाँ अथ आ थक वकास काम

इं य संतु और मोकना मु सभी अपने वयं के सुख के लए ह और इस लए धम को धोखा दे


रहे ह। यह ी चैत य च रतामृत आ द लेला . और म कहा गया है

अजना तमेरा नाम क हये कै तव


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धम अथ काम मोकना व ा आ द सब

अ ानता के अंधकार को कै तव कहा जाता है धोखा दे ने का माग जो धा मकता आ थक वकास


इ यतृ त और मु से शु होता है।

तारा म ये मोकना व कै तव धान यहा ह कृ ण भ हया


अ तधन

धोखा दे ने क सबसे मह वपूण या सव म लीन होकर मु ा त करने क इ ा है य क


इससे कृ ण क ेममयी सेवा ायी प से गायब हो जाती है।

कृ ण भ रा बाधक यत कु भाकु भा कम सेह एक जेवेरा अजाना


तमो धम

सभी कार क ग त व धयाँ शुभ और अशुभ दोन जो भगवान ी कृ ण क द ेममयी


सेवा के नवहन के लए हा नकारक ह अ ान के अंधेरे म कए गए काय ह।

इस ोक म ान श द परम स य भगवान कृ ण के ान को इं गत करता है। ी कृ ण के सव भगवान


होने के संबंध म यह सं हता . म कहा गया है

ई र परमं कृ ण सैक सीद आनंद व ह अना दर अ दर गो वद


सव कारण काराणम

कृ ण ज ह गो वदा के नाम से जाना जाता है सव भगवान ह। उनके पास एक शा त आनंदमय


आ या मक शरीर है। वह सबका मूल है। उसका कोई अ य मूल नह है और वह सभी कारण का
मुख कारण है।
वह जो सभी ांड का मूल है भगवान का भगवान जसका कोई अ य मूल नह है जसे गो वदा के
प म जाना जाता है वेद के अ ययन से ात भगवान के चं व सभी कारण के कारण हमेशा
के लए आनं दत और ान से भरपूर भगवान के सव व ी कृ ण ह। उनका वणन ीमद
भागवतम . . म कया गया है

एते च का कलां पुंसं कृ णस तू भगवान वयं इं ा र कु ल लोकम मयं त


युगेयुगे

उपरो सभी अवतार या तो पूण अंश ह या भगवान के पूण अंश के अंश ह ले कन भगवान ी कृ ण
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दे व व का मूल व। जब भी ना तक ारा कोई व न उ प कया जाता है तो ये सभी


ह पर कट होते ह। भगवान आ तक क र ा के लए अवतार लेते ह।

इसका उ लेख ी चैत य च रतामृत आ द लेला . म भी इस कार है

कृ ण भगव ान सं वतेरा सारा ा ान दका सब


तारा प रवार

सां वत श का सार यह ान है क भगवान के सव व भगवान कृ ण ह। अ य सभी कार


के ान जैसे का ान इसके घटक ह।

भगवान कृ ण सव ह। वह परमा मा है और सव भगवान के सभी प का मुख


आ य है। इस लए ी कृ ण ही एकमा पूज ा के पा और सभी के रहने वाले नदशक ह।

मेरे आ या मक गु ने मुझ े एक मरहम के श से भगवान ी कृ ण क उपयु सव ता म दया क है


जसने मेरी आंख क रोग त को अ व ा के प म न कर दया है। उ ह ने मुझ े द दान क
है क ी कृ ण मेरे भगवान ह और म उनका शा त सेवक ं। उसक सेवा करना ही मेरा एकमा कत
है। यह द ान मुझ े मेरे सबसे दयालु आ या मक गु ारा दान कया गया था। म उ ह वन ांज ल
अ पत करता ं।

पाठ

े चैत य मनो भेनोआं पत येन


भू तले वयंम प कदा महायं
ददा त व पदं तकम्

े चैत य भगवान चैत य का मनो अ भनौ इ ा


पतः ा पत याना कसके ारा भू कथा भौ तक जगत म वयं गत प से
rüpaù Çréla पा गोकवामे कडा कब
महयम मेरे लए ददा त दगे वपदा तकम उनके कमल पैर के नीचे आ य

ील प गो वामी भुपाद ज ह ने इस भौ तक नया के भीतर भगवान चैत य क इ ा को पूरा


करने का मशन ा पत कया है कब दगे
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मुझ े उनके चरण कमल के नीचे आ य ील

प गो वामी ने इस नया के भीतर भगवान भगवद भ क भ सेवा के रस शा क ापना क


न पतम जसे ी चैत य महा भु ने चाहा था। वह ी प कृ पापूवक मुझ े कब नज कारश नकोम
अपने चरण कमल क नकटता दगे

उनक दया से म द भ सेवा म उनके गत अनुयायी नजा अनुक ार होने क त क कामना


करता ं।

पाठ

अ खला रसामृत मू त समारा


च तारक पाली क लता यमा ल लतो राधा
यं वधुर जय त

अ खल रसामृत मू त सभी सुख का भंडार परशुमार


आगे फै ल रहा है च उसक शारी रक चमक से जसने वश म कर लया है तारक तारक नामक
गोप पा ल पाले नाम का गोप क लता
जसने अवशो षत कया है यामा याम नाम का गोप ल लतो और गोप का नाम ल लता राधा ेयन
ीमाते राधारसे के सबसे य वधुर
कृ ण जय त सब जय हो

भगवान ी कृ ण क म हमा हो उ ह ने अपने नरंतर बढ़ते ए आकषक गुण के कारण तारक और


पाले नाम क गो पय को अपने अधीन कर लया और यामा और ल लता के मन को वश म कर लया।

वे ीमते राधारानी के सबसे य ेमी ह और सभी भ मय राग म आनंद के भ डार ह।

ारा

उनक द कृ पा

एसी भ वेदांत वामी भुपाद


बैक टू गॉडहेड खंड भाग अ ैल

भगवान ी कृ ण जो अपने शा त प म भगवान के व ह म हमामं डत ह य क उ ह ने व भ


कार के रस या उ साह के सार म अपने परोपकार के काय से खुद को य बनाया है। रस को मनोवै ा नक
प से इं य बोध के प म व णत कया गया है। ले कन भाव धारणा
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जसे हम अपने जीवन क भौ तक अवधारणा म अनुभव करते ह वह वा त वकता का वकृ त त बब


है। सव जो सव आकषक ी कृ ण ह के सव समावेशी गत पक ा त के ारा वा त वकता
तक प ँचा जाता है। ीकृ ण का नाम ही धन बल भाव स दय ान और याग के भाव से पूण आकषण
क अवधारणा का सूचक है। इन सभी ऐ य का पूण प अपनी पूण ता म संयु प से भगवान क कट
ग त व धय ारा द शत कया जाता है जब वे उनक अकारण दया से हमारी म होते ह हालां क
सव सोच भावना के का प नक काय से परे है। और एक जी वत ाणी क इ ा।

ीमते राधारानी क शा त प नी भगवान ी कृ ण ह जो भगवद गीता के व ा के प म पूण प


से कट ए ह। उनके पास व तार के असं य बीम ह और उनम से येक एक पूण वधु है या भ
के सभी कार के संक ट को र करने वाला है। यहां तक क असुर या ना तक जो भगवान के श ु ह
उनक अकारण दया से लाभा वत होते ह हालां क सतही तौर पर वे भगवान ारा मारे गए तीत होते ह।
भगवान ारा मारे गए असुर भी मु या मु के मंच को ा त करते ह जो क न वशेषवाद अनुभवज य
दाश नक का गंत है। इस तरह वे असुर या अभ भौ तकवाद जीव और सुर या भ दोन के लए
सभी आकषक ह । वह प से सुर और असुर ारा समान प से म हमामं डत कया जाता है। कु े
के यु के मैदान म अजुन के वपरीत श वर ारा भी भगवान ी कृ ण क म हमा क गई थी जब भी म ने
भगवान ी कृ ण को वजयी यो ा अजुन के र तेदार होने के लए संबो धत कया था। और जो कु े के
यु के मैदान म मारे गए उ ह ने मैदान पर मरते ए के वल अपनी आँख उस पर टके रहने से मु के उ तम
तर को ा त कया।

उनके ऐ य क प रपूण ता से और एक सरे तयोगी के बना एक होने और सभी ा णय के भगवान होने


के कारण उ ह ांडीय रचना के सव नदे शक ारा भी पूज ा जाता है। वह अपनी गत सजावट
वशेषता से भी आकषक है। भगवान ी कृ ण को हमेशा उपयु त के ब आभूषण से सजाया
जाता है।

उनके बा लयां उनका मुकु ट उनक चू ड़यां उनका हार और बे ट आ द सबसे मू यवान र न
से अलंकृ त उनका आकषक मु कु राता आ चेहरा माथे पर चंदन के गूदे से सना आ और उनके पीले रेशमी
व सभी मलकर उ ह पूण आकषक बनाते ह। व।

संपूण भागवत पुराण ावहा रक प से हसू का एक वशद वणन है


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आकषण क पूण ता और उसी क शु आत म भगवान ी कृ ण को अ य सभी पूण अ भ य या


अवतार से अलग कया जाता है जसम उनके भगवान के मूल प और भगवान के व के प
म वे ह। और सभी वै दक शा म व णत उनके गत और द गुण क इन सभी वशेषता को
दे ख ते ए भगवान ी कृ ण न संदेह सभी रस के सभी आकषक शा त प ह।

अपनी द वशेषता के वतमान संदभ म वे ाथ मक रस के मुख भगवान ह ज ह कांत


पारलौ कक न यता दा य पारलौ कक दासता सा य पारलौ कक बंधु व वा स य
पारलौ कक पतृ व कहा जाता है। जभू म के नवा सय के संबंध म अपने द प म वे आ या मक
आनंद के अवतार ह। उस आ या मक आनंद का वणन सू म भी कया गया है।

अ य रस के लए जो गौण ह और गत प से उनके साथ जुड़े ए ह उनका वणन मथुरा के राजा


कं स के े म भागवतम म ब त उ चत प से कया गया है। उसका वणन वहाँ इस कार कया गया है
माम लनम आसनी पहलवान के लए व के प म नरसन नरबारा साधारण के लए वह
मनु य का सबसे उ म प है नम् मारा मु तनाम म हला के लए वह कामदे व या वपरीत लग के
सबसे वां छत के प म कट आ गोपनाम वजन वाल के लए वे सबसे यारे र तेदार
तीत होते थे असत्ं क तभुज ं शा

दोषी दमाग वाले शासक के लए वह सबसे बेमानी रा यपाल तीत होता था और व प ो कसु
माता पता के लए वह एक छोटा ब ा तीत होता था मृ यु भोजपते वह भोज के राजा कं स के सामने
मृ यु के प म कट आ था वराट अ व षं उ ह ने कम बु मान य के लए सव ापी
सावभौ मक व के साथ अपनी पहचान क त वं परम यो गनाम वे रह यवा दय को परम स य के पम
कट ए व णुनं परदे व वै णव के लए या वाणी के वंशज के लए सव पूज नीय दे वता तीत होते
ह । और इस कार संबं धत जानने वाल को उनक अपनी जानने क श के अनुसार जाना जाता है तब
भगवान कृ ण अपने बड़े भाई ी बलदे व के साथ राजा कं स के अखाड़े म वेश करते ह।

कट शा म रस को बारह अलग अलग सेट के प म व णत कया गया है। वे इस कार ह


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. रौ ोध अ त
. अ त . कं गारा संयु मत
. ह य हा
दयाय दयालु
. वीर . श ाचारी
दा य दासता.
. सा य .ातृवभ
व सा. भयनाका भयावह
च काने वाला
. कांत पता
तट एगार .और वा स
माधुयय माता
रस एक
ही ह। ये बारह रस

मानक रस ह और भगवान ी कृ ण प से इन सभी रस के अवतार ह । वह न के वल माधुय रस या ीमते


राधारसे के साथ शंक र रस का भो ा है ब क जब वह कं स और जरासंध जैसे असुर का वध करता है तो वह
वैव य रस का भो ा होता है । भगवान क रचना म एक सरे के साथ वहार के मामले म उपयु मानक बारह
रस से यादा कु छ नह है। कसी एक रस ारा या तो अपने मूल प म या वकृ त प म जीव क ग त व धय को
तेज कया जाता है । ले कन सभी रस परा परता से उ प होते ह। रस के कसी भी कार के पार रक संबंध का
कोई अ त व नह है य द यह सव से उ प नह होता है। जो कु छ भी है उसका मूल ोत परमा मा से उ प आ
है और वह है वेदांत सू के पहले सू ज मा यायत और ी कृ ण भगवान का मूल प होने क पु नणायक
प से सभी रस का जलाशय फ वारा मुख है ऊपर व णत। और इस तरह उसके संबंध म रस कृ त म नरपे हो
जाता है। भगवान परम स य होने के नाते उपरो रस म से कोई भी उनक सेवा के साथ पार रक संबंध के संबंध
म कृ त म पूण है।

भगवान सभी रस के भो ा होने के नाते पार रक या तो य या अ य प से व भ रस का आदान


दान करने वाले भगवान के संवैधा नक दास ह। और इस लए जो भ द य सा य वा स य और माधुय के
ाथ मक रस म सीधे भगवान क सेवा करते ह वे रौ अ त ह य आ द के तीयक रस म उनक सेवा

करने वाल क तुलना म सुपर सेवक या शा त सेवक होते ह जो कु ल सात ह।


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जीव क वा त वक त भगवान क सेवा करना है और कु छ नह । जीव अपने अ त व के कसी भी


तर पर अथात् भौ तक या आ या मक प से पूण गु नह बन सकता। भौ तक प से वह वयं को वामी
के प म म या प से तुत कर सकता है और उस यास म च कत होकर ऐसे दास भगवान के साथ एक
होकर अपने अ त व को न करने क इ ा रखते ह। भगवान के साथ एक होने क यह इ ा शांत रस के
अ धकार े म भी नह है और इस लए पांच ाथ मक रस को छोड़कर

अ य सभी रस आ या मक े के बाहर द शत होते ह। ले कन उनक एकता ाथ मक पांच रस म


पारलौ कक प से महसूस क जाती है य क नरपे े मय प भगवान और उनके शा त पार रक
या शा त सेवक के बीच ाथ मक रस का नरंतर आदान दान होता है गुण ा मक प से भगवान और
सेवक के बीच कोई अंतर नह होता है। नरपे े म राधारानी और कृ ण म या यशोदा और कृ ण आ द म
कोई अंतर नह है। नरपे े और सापे नया म पार रक अ नवाय प से और गुण ा मक प से
एक ही ह ले कन मा ा मक प से उनके बीच अंतर है अथात् भगवान और सेवक। भगवान सभी रस क
आपू त के वशाल ोत ह जब क जीव के वल अपनी व भ मता म ा तकता ह। सरे श द म
भगवान संपूण ह जब क उनके सेवक के वल संवैधा नक अंग और पासल ह।

इस लए भाग और अंश म आनंद लेने क सी मत श है और इस तरह भगवान के अंश और अंश को


वा तव म श द के उ चत अथ म भो ा के प म नह कहा जा सकता है। रस के ऐसे तकारक को
इस लए उ चत प से भोगी या भगवान ारा भोगे गए भोग के दास भागी के प म कहा जाता है। य प
पार रकता का रस भगवान और सेवक दोन ारा समान प से सहभागी होता है भगवान धान भो ा ह
जब क अंश और पासल का आनंद लया जाता है। जीव का वा त वक भोग इस तरह से ा त होता है
अ यथा वह अपनी संवैधा नक त को न करके भगवान के साथ खुद को वलीन कर सकता है य क
वह सव से नकला है। भाग और पासल क यह संवैधा नक त मु य प से नरपे े म मौजूद
है जब क तीयक रस सापे नया म कट होते ह। जब भगवान इस लए अपने सेवक के साथ मा य मक
रस का आनंद लेना चाहते ह तो इस तरह के पार रक संबंध भगवान क इ ा से सापे नया म अ त व
म आते ह।

जब ये मा य मक रस वा तव म नरपे के साथ जुड़े ए ह


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का प रणाम अ य ाथ मक रस के समान ही होता है।


इस लए भगवान और कं स के बीच द शत वव स रस भी ी कृ ण के होने के कारण कं स क मु म
समा त हो गया।
नरपे ।
इस लए सेवक जी वत ाणी य द वह उपरो रस म से कसी एक का भी वाद लेना चाहता है तो उसे ी
कृ ण के साथ यु र दे ना चा हए जो असी मत महासागर या सभी रस का ोत है। कृ ण के साथ इस तरह
के आदान दान से कोई भी उस संसाधन से कसी वशेष कार के रस क कोई भी मा ा ा त कर सकता है।
गोपाल तप न उप नषद इस लए नणायक प से नदश दे ते ह क ी कृ ण सभी रस के सव फ वारा
मुख ह जनक पु कृ त या वेद ारा भी क जाती है। इस लए को हमेशा ी कृ ण को एक वशेष
कार का रस ा त करने के लए अपनी पसंद पर यान के अनुसार और आ या मक गु के उ चत नदशन
म करना चा हए।

कृ ण कं स को मृ यु के प म कट ए य क कं स ने कृ ण को उनके कट होने क शु आत से ही मारने


का वक प चुना था। इसी कार गोपी
कृ ण को अपना ेमी बनाना चाहते थे और इस लए कृ ण ने उनके साथ माधुय रस ारा द शत सबसे
आकषक ेमी के पम तदान कया
एक पारलौ कक ेमी क ।
न कष यह है क भगवान का व उनके सेवक के साथ उनक सेवा के अनुपात और गुण व ा के अनुसार
होता है।
ी कृ ण और वयं के बीच रस के इस पार रक आदान दान के अलावा कोई भी कु छ नह कर रहा है
और इस कार भौ तक ऊजा के साथ षत होने के म म सेवा के अनुपात और गुण व ा म वां छत प रणाम
ा त कर रहा है। जब क ऐसी सेवा नरपे े म पारलौ कक है जहाँ म के वल उसक अनुप त से ही
कट होता है। उ तम मंच म ी कृ ण क सेवा क गुण व ा गो पय ारा द शत क जाती है और इस तरह
क सेवा को भागवतम म न न ल खत श द म व णत कया गया है गो पय ने या तप या क कउह
भगवान का अमृत पीने का आनंद लेने का सौभा य मला है। सुंदरता जो उसके अ य ऐ य क तरह अथाह
है

इस लए गो पय के साथ रस क उ तम पारलौ कक गुण व ा भगवान ारा पार रक है और उनम से


तारक पाले यामा ल लता और ीमते राधारशे नाम के वशेष प से उ ल खत गोप मह वपूण ह ।
पुराण म गोपाल पा लका ध य वशाखा दा ननोहा राधा अनुराधा सोमभ तारक आ द गो पय के नाम
का उ लेख है । और ारका महा य म गो पय के नाम
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ल लता यामल शै य प ा भ ा स हत वशाखा को जभू म क क या


का मु खया बताया गया है। कं द पुराण म भी गो पय के नाम का उ लेख मलता है
। ऐसी गो पयाँ ी कृ ण के प क सु दर और आकषक वशेषता से आक षत होती
थ । वे न के वल आक षत थे ब क वे वा तव म एक ेमी के प म ेमी और े मका क
भावना के प म भगवान के नयं ण म थे। शु गो पय क ऐसी द भावना क
तुलना सांसा रक नया के कामुक स ांत से नह क जानी चा हए। रस के उ तम
पार रक आदान दान के इन लेन दे न म ीमाते राधारशे सबसे बड़े ह सेदार ह।
इस लए वह वा तव म उन सभी रस का त प तीक है जो कृ ण और राधा के बीच एक
व श तरीके से पर र जुड़े ए ह कृ ण के लए भी अ ात ह दोन समान प से पूण
और प रपूण ह। द आनंद का नरंतर वाह होता रहता है जो भगवान् म ादे न ऊजा
या द आनंद दे ने वाली त व श क त धा का सबसे शु प है ले कन राधारानी
ारा द शत कया जाता है।

प पुराण के उ राख ड म राधा कु ड नामक ान क तु त करते ए उ तम द


मधुर के इस तरह के पार रक संबंध क पु क जाती है जहां भगवान कृ ण और
राधारानी ने अपनी पार रक प रपूण ता का दशन कया था। राधा कु ड इस लए ी
कृ ण को उतने ही य ह जतने ीमते राधारसे। ारका म मणी का उ लेख भगवान
क सव रानी के प म कया गया है और इसी तरह वृंदावन म राधारानी गो पय म
सबसे ऊपर ह । वृ दावन के मनोरंज क काय ारका क तुलना म अ धक मा ा म रस
पार रकता का त न ध व करते ह। अतः राधारानी मणी से अ धक व श ह। वह
सव आकषक भगवान का सव आकषक त प है और इस लए वह सव अवतार है

भगवान क हलदे ने श । वे ा से भगवान ने खुद को राधा और कृ ण दोन के प


म वभा जत कया और फर से ी चैत य महा भु के और भी आकषक प म एक
साथ जुड़ गए। सरे श द म भगवान ी चैत य महा भु के भ सभी रस के फाउं टेन
हेड के पास जाने के यो य उ मीदवार ह। ी जीव गो वामी के अनुसार राधा और कृ ण
दोन के नाम ऋ वेद म राधा माधव के प म व णत ह। ान के एक गरीब कोष के
साथ और वेद के तथाक थत अनुयायी ी प गो वामी के नेतृ व वाले गो वाम के
आ धका रक बयान से परामश कए बना राधा और कृ ण के बारे म ावहा रक चचा म
शा मल होते ह और उनका अनुसरण करते ह
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ी रघुनाथ दास गो वामी ारा। ी नरो म दास ठाकु र इस लए


रस व ान के गंभीर छा को दयालु गो वाम क सुर ा के लए आ मसमपण करने क सफा रश करता है
ज ह ने अ भजात वग और आराम के सभी भौ तक संघ को छोड़ दया और वे ा से एक कठोर भ ु के
ह से को वीकार कर लया ता क हम जैसे प तत आ मा को आशीवाद का सव उपहार दया जा सके ।
राधा और कृ ण के ेम संबंध क बात।

राधा और कृ ण के ेम संबंध का द व ान उ तम तभाशाली य और भौ तकवाद अवसरवा दय


ारा भी आसानी से समझने यो य नह है। इस लए जो लोग भौ तकवाद व ता के फू ले ए तरीके से राधा
और कृ ण के मामल को महसूस करने क को शश करते ह अगर वे गो वामी ारा छोड़ी गई पु तक से
परामश करने के लए अ न ु क ह तो वे गुमनामी के गभ म परा त हो जाएंगे।

अ याय एक ी गु
म हमा

आ या मक गु क म हमा

पाठ

े गु चरन प कबला भ सदमा बंदो मुई व ाना साथी


जहर साद भाई ए भव ता रया जय कृ ण ा त हय
जहां नफरत

çré guru आ या मक गु कै रन प कमल चरण के वल कबला भ सदमा भ सेवा का नवास


बंदो झुक ना मुई
म सभान दो त दे ख भाल और यान के साथ जहर जसके ारा साद दया भाई मेरे
यारे भाई ए भव यह भौ तक संसार ता रया जय पार पार कृ ण ा त कृ ण क ा त हया है
जहा नफरत कससे।

आ या मक गु के चरण कमल म शु भ का वास है


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स वस। म उन चरणकमल को बड़ी सावधानी और यान से णाम करता ँ। मेरे यारे भाई मेरे यारे मन
यह आ या मक गु क कृ पा से है क हम इस भौ तक अ त व को पार करते ह और कृ ण को ा त करते ह।

आ या मक गु के चरण कमल क शरण लए बना सव भगवान क दया या भ सेवा को ा त करना


असंभव है।
इस लए भ के मं दर म वेश करने के लए पहले आ या मक गु के चरण कमल क शरण लेनी
चा हए। इस लए ील नरो म दास ठाकु र अपने आ या मक गु को ाथना कर रहे ह।

çré guru श द का अथ आ या मक गु है जसके पास सभी आ या मक ऐ य ह।


आ या मक गु अपने श य को अ व ा के चंगुल से छु ड़ाकर ीकृ ण के चरणकमल तक ले जाने क श
से संप ह।
सरे श द म आ या मक गु ेमपूण भ सेवा का खजाना है। çरे गु चरन प श द का अथ के वल
आ या मक गु के चरण कमल का ही नह है ब क यहाँ कै रण श द का योग स मान के लए कया
जाता है जैसे क ीधर वामी कै राना या ी गो वामी कै रन आ द।

प श द इं गत करता है क आ या मक गु ी कृ ण के लए ेम का अवतार है और पारलौ कक मठास से


भरा है। यह भी माना जाता है क जैसे भ र को कमल का फू ल पसंद आता है वैसे ही गु क मीठ कृ पा भ
को पसंद आती है। ऐसे आ या मक गु को के वल भ सदमा के प म जाना जाता है जो अन य भ
सेवा का एकमा आ य है।

के वला भ श द का ता पय शु भ सेवा से है जो फलदायी ग त व धय मान सक अटकल


और भौ तक इ ा से र हत है। मुई श द का अथ है म ं। शु भ सेवा क कृ त के कारण
ील नरो म दास ठाकु र ने अपनी वन ता करने के लए मुई श द का योग कया है। म
आ या मक गु के चरण कमल ऊपर व णत को बड़ी सावधानी और यान से णाम करता ं। भौ तक
भोग क इ ा के बना आ या मक गु क ब त ा और ा के साथ पूज ा करनी चा हए। आ या मक
गु और ी कृ ण क सेवा क तलाश करनी चा हए।

पाठ

गु मुख प वा य च े क रया ऐ य अर न क रह माने अ का


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çré guru caraëe र त एइ से उ म ग त जे


साद शु सरबा आसा

गु आ या मक गु मुख मुख प कमल वा या


श द सीटे ट दल म क रया ऐ य के साथ एक बनाओ आरा अ धक
ना नह क रहा दो माने मन म आका इ ाएं çré guru आ या मक गु कै रसे कमल के
चरण तक र त लगाव ईआई
यह से वह उ म ग त सव ल य जे सादे जसक दया से शु पूरा करता है सरबा
सभी आका इ ाएँ।

गु के मुख कमल क श ा को अपने दय से एक बनाओ और कसी और क इ ा मत करो।


आ या मक गु के चरण कमल से लगाव आ या मक उ त का सव म साधन है। उनक कृ पा से
आ या मक पूण ता क सभी इ ाएँ पूरी होती ह।

आ या मक गु एक को ी कृ ण क ेमपूण भ सेवा का नदश दे ते ह। आ या मक गु के मुख से


नदश ब त श शाली होते ह सरे श द म वे भगवान ी कृ ण को ा त करने म स म बनाने के लए
पूरी तरह से श शाली ह। आ या मक गु के वचन सभी कट शा के अनुसार ह। इस लए जो लोग
ी कृ ण को ा त करने के लए उ सुक ह उ ह आ या मक गु के वचन को अपने जीवन और आ मा के
प म अपने दय म उतार लेना चा हए।

इस पाठ म वा या श द ेम रस त व कृ ण क भ म ेम संबंध के व ान के नदश को संद भत


करता है । शा य श द का अथ है कृ ण को ा त करने क मता। उ म ग त का अथ है उ तम गंत ।
उ म ग त सभी ा य चीज म से सव े का भी उ लेख कर सकती है और वह ेम सेवा या ेम म सेवा
है।

च े क रया ऐ य का एक और पाठ है हद क र महा शा य। इसका अथ यह है क आ या मक


गु अपने श य को मौजरे के प म उनके शा त संवैधा नक संबंध के बारे म जो भी नदश दे ते
ह उनके दल म गहराई से रखा जाना चा हए। सवासा श द

इं गत करता है क को ी ी राधा कृ ण क ेममयी सेवा को ा त करने के लए द प


से लालची होना चा हए जैसे क उनके पैर क मा लश करना या उ ह वृंदावन नकु म एक कै मरा
भट करना जो र न और मो तय से सजा आ एक उपवन है। जस पर गु स होते ह ी ी राधा और
कृ ण भी स होते ह। य य साद भागवत साद। आ या मक गु क कृ पा से क दया ा त कर
सकता है
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सव भगवान। इस लए गु क कृ पा से ही ी ी राधा कृ ण क ेममयी सेवा ा त होती है।

पाठ

कखु दाना दल जेई ज मे ज मे भु सेई द ान होदे


कृ त ेमा भ जहां हैते अ ब ा बनका जते
बेडे गया जहर कै रता

कखू दान द द ला दया जेई जो कोई भी जनमे जनमे ज म के बाद ज म भु सेई


मेरे वामी ह द ान द ान होदे दल म ाकृ त कट ेमा भ

ेमपूण भ सेवा जहा हैते कससे अ व ा ान


बनाका न जाट जसके ारा बेडे वेद गया म हमामं डत करना जहर
जसका कै रटा वशेषताएं।

जसने मुझ े द का वरदान दया है वह मेरे ज म ज मा तर का वामी है। उनक दया से दय के


भीतर द ान कट होता है ेम भ दान करता है और अ ान को न करता है। वै दक शा
उनके च र के बारे म गाते ह। ी कृ ण मेरे भगवान ह और म उनका शा त सेवक ं। इस संवैधा नक
त को जीव अना द काल से भूले ए ह।

इस अवसर का लाभ उठाकर परम भगवान माया क बाहरी ऊजा ने जीव को असी मत भौ तक
ख म उलझा दया है और उ ह अपने वयं के प म अ ान से बने भौ तक शरीर को वीकार करने
के लए े रत कया है। के वल आ या मक गु ही ऐसे जीव को भौ तक अ त व के ख से मु करने
और उ ह उनक संवैधा नक तम ा पत करने म स म है। कखू दाना दल जेई वा यांश इं गत करता
है क आ या मक गु अ व ा से आ ा दत हमारी अँधेरी आँख को खोलता है और द दान
करता है जसके साथ हम भौ तक अ त व के सागर को पार कर सकते ह और उ आ या मक
वा त वकता को दे ख ने के यो य बन सकते ह।

द ान श द उस ान को संद भत करता है जसके मा यम से कोई भी कृ ण क पूज ा करना सीख


सकता है। समझा जाता है क इस तरह का ान çरे गु क कृ पा से ही कसी के दल म कट हो सकता
है। द ान श द का अथ द ा के पम द ान भी है
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ी कृ ण क श ा म। यह ह र भ वलास म कहा गया है

द ान यतो द त् कु यत पाप य संक यां त माद द कने त सा ो ा


डे कके त व को वदै ù

जब कसी को कृ ण के ान म द त कया जाता है और कृ ण के साथ उसके संबंध को पुनज वत


कया जाता है तो यह समझा जाना चा हए क वह द ान म श त है। जनमे ज मे भु श द का
अथ है क आ या मक गु इस भौ तक नया म पैदा ए जीव क अ ानता के आवरण को हटाने म
स म है और वह जीव को पारलौ कक चरवाहे ी गो वदा क ेमपूण सेवा म संल न करने म भी स म
है। ज महल का जो माया के दायरे से परे है। इस लए चाहे कोई अ यास क अव ा म हो या कोई
स अव ा म हो आ या मक गु हमेशा उसके पू य वामी होते ह।

श द वेद गया इं गत करता है क न के वल नरो म दास ठाकु र आ या मक गु क म हमा करते ह


ब क वेद और पूरक वै दक शा भी आ या मक गु क म हमा करते ह। जैसा क ीमद भागवतम
. . म भगवान कृ ण ने उ व से कहा है आचाय माम व ानायत कसी को आ या मक गु को
मुझ से अलग नह मानना चा हए। इसके अलावा वेद म कहा गया है आचायवन पु नो वेद जो आचाय
के साथ जुड़ता है वह सभी वै दक ान से प र चत हो सकता है।

पाठ

े गु क णा सधु अधम जना बंधु लोकनाथ लोके रा जबाना हा


भु कर दया दे ह मोरा पद छाया एबे जाका घुनुक
भुवन

çré guru आ या मक गु क णा दया सधु सागर


अधम गर गया जनारा य बंधु दो त लोकनाथ
लोग का र क लोके रा जेबाना लोग का जीवन और आ मा ह ह भु हे मेरे भु कारा करो दया
दया दे हा कृ पया दे मोरा
मेरे लए पाद छाया कमल का आ य ईबे अब जाका स
घुनुक चार कया जाए भुवन तीन लोक म।
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हे आ या मक गु दया के सागर और प तत आ मा के म आप सभी के श क और सभी लोग के


जीवन ह। हे वामी मुझ पर दया करो और मुझ े अपने चरण कमल क छाया दो। आपक म हमा अब
तीन लोक म घो षत हो।

पाठ

ी वै णव म हमा

वै णव क म हमा

बैनसाबा चारण रेषु भूनाना क रया तनु जहां हैते अनुभव हया
मजना हया भजन साधु संगे अनुक नाश अजाना
अ य परजया

बैनब वै णव कै रसा रेë◌ु पैर क धूल भूनाना


को सजाये क रया करना तनु शरीर जहा हैते जसके ारा अनुभव
ा त हया है मरजाना शु करना हया है भजन पूज ा
साधु संगे भ क संग त म अनुक या नरंतर अजाना अ ान अ व ा ान पराजय पराजय

वै णव के चरण कमल क धूल से शरीर को सजाना चा हए य क इससे द अनुभू तय


को ा त कर सकता है।
नरंतर भ क संग त से क भ सेवा क साधना शु होती है और वह अ व ा पर
वजय ा त कर सकता है।
याहा हैते श द उस को संद भत करता है जसने वयं को भ के चरण कमल क धूल से सजाया
है। इस मामले म अ व ा जीवन के चार उ े य क इ ा को संद भत करती है धम अथ काम और
मो ।

पाठ

ीला पा और सनातन गो वामी क म हमा

जय सनातन प ेमा भ रस कू प जुगला उ वला रस तनु


जहर साद लोका पका रला खा कोका
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काशो क प त जनु

जया सभी म हमा सनातन सनातन गो वामी पा प गो वामी


ेमा भ ेमपूण भ सेवा रस पारलौ कक मधुर कु पा अ ा जुगला दोन उ वला रस
उ वल भ मधुर तनु शरीर जहर जसके ारा साद दया लोका लोग

पैक रला भूल गया ख संक ट कोका वलाप ाकाओ


घोषणाप क पत इ ा वृ जनु पीढ़ ।

ी पा और ी सनातन गो वामी क जय हो जो ेमपूण भ के भ डार ह ी ी राधा कृ ण क ओर


नद शत उ तम द मधुर के अवतार ह। उनक कृ पा से इस संसार म एक ऐसा इ ा वृ उप आ
है जो सभी लोग के क और वलाप को र कर सकता है।

य प भगवान के प व नाम का जप भ सेवा के च सठ अंग म शा मल है फर भी इस अंग


को अ य अंग से अलग करने के लए ील नरो म दास ठाकु र ने फर से संक तन का उ लेख
कया है । इसी तरह उ ह ने वै णव क वशेषता का म हमामंडन वै णव कै राना रेण ु वा यांश के
साथ कया है।

फर भी गो वामी का वशेष प से म हमामंडन करने के लए वे कहते ह जय सनातन प...आ द।


वै णव कै राना रेण ु वा यांश म आम तौर पर सभी वै णव शा मल होते ह जैसे क सा य वै णव
वा स य वै णव आ द। मु य प से भ सेवा म पांच संबंध ह कांत द य स य वा स य और
उ वला या मधुरा। कांत रस क गुण व ा कृ ण म तय क जानी है। द य रस भगवान क सेवा करना
है। सा य रस समानता के मूड म बना कसी डर या झझक के भगवान के साथ संग त है। वा स य रस
माता पता का नेह है। उ वला रस वैवा हक मधुरता है।

चूं क येक रस के गुण को अगले रस म शा मल कया जाता है इस लए यह समझना चा हए क


येक रस धीरे धीरे पछले से े होता है। उ वला रस म पाँच गुण ह इस लए यह सव रस
है।
उ वल रस के सहयो गय म के वल वे जो ीमते रा धका के समूह म तह ी ी राधा मदन मोहन
क उ तम अ तीय मठास का वाद लेते ह। फर भी उनम से के वल ीमते राधारानी क दासी ही अपने
भु व क सव और अ त मठास का आनंद लेने म स म ह। कई साखे ी ी राधा माधव क सबसे
गोपनीय लीला को नह दे ख सकते ह ले कन उनक दा सयाँ
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ीमते राधारानी अतुलनीय मधुर द मधुर के जल म नान करने म समथ ह। इन


दा सय को मौजरेसी कहा जाता है
बना खली क लयाँ ी रा धका के प म इ ा लता।
ी रा धका के अंग पर पाए जाने वाले भोग के ल ण भी मंज र के अंग पर कट होते ह
। ीमती राधारसे क दासी ी पा मांज ारे और ी लवंगा मांज ारे कोई और नह ब क
ीला प गो वामी और ीला सनातन गो वामी ह। दोन उ वला रस या मधुरा रस के
शीष ह। इस लए ील नरो म दास ठाकु र ने उ ह उ वला रस तनु के प म व णत
कया है जो उ वल रस का अवतार है । ील नरो म दास ठाकु र ने ी प और ी
सनातन को ेममयी भ के सागर के प म व णत नह कया है ब क उ ह ने उ ह
ेममयी भ का कु आं बताया है। इसका कारण यह है क समु का पानी व भ न दय
के पानी के साथ म त होता है हालां क कु एं का पानी नह है। इसी तरह ी प और
ी सनातन ारा चा रत ेमपूण भ ान और योग के प म न दय के साथ म त
नह है । यह ेममयी भ सेवा मौ लक और शु है। इस लए ील नरो म दास ठाकु र
ने महासागर के बजाय कुं आ का उपयोग कया है। सरा कारण यह है क यासा
गम म कसी नद या तालाब का पानी पीकर अपनी यास नह बुझ ा पाता और ठं डा
हो जाता है। हालां क कु एं का पानी ब त ठं डा रहता है। इस लए भ सेवा का कु आं एक
यासे को ठं डा करने म स म है जब क ान और योग इस क लयुग म भौ तक
कृ त के तीन गुना ख से पी ड़त जीव के वलाप और म क आग को बुझ ाने म स म
नह ह। . ान और योग क याएं वलाप और संक ट को पूरी तरह से न नह कर
सकती ह।

के वल भ सेवा ही माया रा य म त जीव के भौ तक वलाप और ख क


आग को पूरी तरह से न करने म स म है जससे उ ह ी ी राधा कृ ण क मधुर
मधुरता का आनंद लेने म मदद मलती है। ी पा और ी सनातन इस शीतल मधुर
ेममय भ मय मधुर के आ य ह। इस लए उ ह रस कु पा के प म संबो धत कया
जाता है। यही कारण है क आज भी अनेक जीव ी प और ी सनातन गो वामी ारा
र चत भ शा के प म मधुर कु एं से पीकर अपने वलाप और ख को भूल रहे ह
और इन भ मय रस का आनंद उठाकर संतु हो रहे ह। ील नरो म दास ठाकु र ने ी
पा और ी को संबो धत कया है
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सनातन गो वामी भ सेवा के इ ा वृ के अवतार के प म। इस लए उनके चरण कमल क शरण


लेना सबसे शुभ होता है।

पाठ

ेमा भ रे त जटा नज ंथे सु बेक ता याचेना ई महाकाय जहरा


बना हैते परानंद हया उ त जुगला मधुर रस या

ेमा भ ेमपूण भ सेवा रेती या जटा वह सब


नजा इस पु तक म सु बेक ाटा ठ क से व णत
क रयाचेना लखा है दोई महाकाया दो व जहर जसके ारा करबना सुनवाई हाइट
से परानंद
पारलौ कक खुशी हया है उ रण दल म जुगला दोन मधुरा मीठा रस या मधुर मधुर क
शरण ली

इन दो महापु ष ने अपनी पु तक म ेमपूण भ सेवा के व भ ल ण का व तार से वणन कया है।


जो इन वणन को सुनता है उसके दय म द आनंद क अनुभू त होती है और वह मधुर द युगल क शरण लेता
है।

ेमपूण भ ा त करने क या और शु भ ारा अ यास क जाने वाली या जो पहले से ही


ेमपूण भ सेवा ा त कर चुके ह ी पा और ी सनातन गो वामी ारा अपनी पु तक जैसे भ
रसामृत सधु उ वला नेलामसी ल लता माधव ारा सही और व तृत प से व णत कया गया है। वद ध
माधव दान के ली कौमौद तव माला और ी बृहद भागवतामृत। इन शा को सुनने और पढ़ने से भ के
दय ी राधा माधव के मधुर मधुर वर क शरण म ेमपूण परमानंद के सागर म वलीन हो जाते ह। ी पा और
ी सनातन गो वामी सीधे ीमते राधारसे क शरण म ह इस लए ील नरो म दास ठाकु र ने ी प और ी सनातन
गो वामी को महाकाय या महान व के प म संबो धत कया है। इस पु तक म कह और कहा गया है रा धके
कै रण अकराय जे करे से महाकाय इसका मतलब है क जो कोई ी रा धका के चरण कमल क शरण लेता है वह
एक महान व है।
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पाठ

जुगला ककोरा ेमा लाना बनना जनी हेमा हेना धन


काश काशा जया प सनातन दे हा मोरे से
धन से रतन मोरा गले हरा

जुगला ककोरा द युवा जोड़ा ेमा ेम लकना बाना


प र कृ त हेमा सोना हना ऐसा धन खजाना ा कला
खुलासा कया जसरा वे जो जय प सनातन ी पा और सनातन गो वामी क जय हो दे हा
कृ पया दे अ धक मेरे लए सेई वह धन धन से वह रतन गहना मोरा मेरा आंधी गदन

हारा माला

नवयुवक द द त के ेम संग प र कृ त सोने के समान ह। हे ी पा और ी सनातन आपने यह


खजाना मेरे सामने कट कया है और म यार के इन गहन को अपने गले म एक माला के प म पहनूंगा।

लखनवण श द सोने को संद भत करता है जो पूरी तरह से प र कृ त होता है जसम कसी भी


अशु ता का रंग नह होता है। ऐसा सोना चमकता है। उसी तरह ी ी राधा कृ ण के ेमपूण वहार
सबसे शु ह बना वाथ के । ी पा और सनातन गो वामी क जय ज ह ने क णा से ी ी राधा
कृ ण के मधुर ेम के इस खजाने को अपने लेख न के मा यम से नया के सामने कट कया। हे परम
दयालु ी पा और सनातन गो वामी कृ पया इस गरीब साथी को इस ेम का खजाना दान कर और
सबसे उदार के प म गौरवा वत ह । कृ पया मेरे गले म ेमा के गहन से बनी एक माला डाल दो।

पाठ

शु भ तव

शु भ सेवा के बारे म स ाई

भागबता शा मम नब बधा भ धम सदायै क रबा सु सेबना अ य


दे वकरय नाइ तोमारे क हला भाई ए भ परम करण
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भागवत ीमद भागवतम शा शा मम ता पय


नाबा नौ बधा कार भ धम भ सेवा
सदायी हमेशा क रबा करगे सु सेबाना सेवा अ या अ य दे व ाय दे वता क शरण लेना
नाई नह तोमारे तु हारे लए
क हला कह रहा है भाई हे य भाई ईआई यह भ भ सेवा परम सव करण
व ध।

भ सेवा क नौ याएं ीमद भागवतम का सार ह। हे भाई ेमपूण भ ा त करने का सबसे


अ ा तरीका है क दे वता क शरण लए बना भ के इन नौ अंग को करने म हमेशा लगे रह।

हे मेरे यारे भाई मन कसी दे वता जैसे भगवान ा या भगवान शव क शरण न ल ले कन बना
वचलन के भगवान कृ ण क शरण ल और नौ कार क भ सेवा म संल न ह ।

पाठ

साधु शा गु ब या दये क रया ऐ य स ा भ सबा ेमा माझे


कम ानी भ हेना इहके क रबे भी नरो म ए त व
गजे

साधु भ शा शा गु आ या मक गु ब या
श द होदये दल म क रया करना ऐ य एकता सटाटा
हमेशा भा सबा लोट Prema mäjh ई र के ेम म कम फलदायी कायकता ानी
मान सक स े बाज भ हेना भ सेवा से र हत इहाके उ ह क रबे करगे भीना अलग

नरो म नरो म दास ईआई यह त व स य गाजे गाती है।

मेरी इ ा वै णव शा और आ या मक गु के कथन से अपने दय को शु करने क है


और इन तीन क एकता को दे ख कर म हमेशा भगवान के ेम के सागर म तैरता र ंगा। म कमयो गय
मान सक स े बाज और भ से र हत लोग क बुरी संग त से र र ंगा। म नरो म दास यह स य गाते ह।
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अ याय दो
एका त भ

न तभ सेवा क या

कृ मद पा गो वमे भुपदे नो म अ य भला नता सुनयम


ान कमा द अनवतम अनुकु यन कृ णानु
सेलनं भ उ म

çrém ad rupa gosvamé prabhupadena Çréla Rupa Gosvamé ारा


भुपाद uktam कहा अन या भ सेवा के अलावा अ भला नता इ ाक या
सुनीम र हत ान अ ै तवा दय का माग कम फलदायी काय आ द वगैरह अनावतम ारा
खुला अनुकु इयाना अनुकू ल प से कृ ण के सव व

भगवान भगवान कृ ण अनु सलनम ावहा रक प से काय करने के लए भ ù


भ सेवाएं उ म बेहतर गुण व ा

ील प गो वामी भुपाद ने भ रसामृत सधु . . म कहा है कृ ण क भ सेवा का


े गुण भगवान के व के लए अनुकू ल काय करना है। इसका मतलब यह है क सेवा को
अ ै तवाद फलदायी कायकता या भ सेवा के अलावा अ य इ ा के माग से नह ढकना
चा हए।

ारा

उनक द कृ पा

एसी भ वेदांत वामी भुपाद

बैक टू गॉडहेड खंड भाग मई ील प गो वामी शु


भ सेवा के साथ शु होता है और वह शु आत म ही भगवान क शु सेवा क वशेषता को
प रभा षत करता है। भगव ता म कहा गया है क चार कार के पु ष ज ह ने पूव म प व कम कए थे
वे भ सेवा म लग जाते ह।
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भगवान। वे थत गरीबी से त व ान और ज ासु ह। थत भगवान से कु छ अनु ह ा त


करने क से भ सेवा म लग जाता है। गरीबी से त भी अपनी वप य को र करने के लए
भ सेवा म लग जाते ह। व ान कसी भौ तक लाभ के लए नह ब क आ या मक मो के
लए भ सेवा लेता है और ज ासु के वल आ तकता आ द के स ांत को जानने के लए भ
सेवा को लेता है। ये सभी भ शु भ नह ह य क ये सभी ऐसी भ ग त व धय म लेते ह।
गत लाभ के इरादे से। ील प गो वामी ने भ सेवा क अपनी प रभाषा क शु आत म ही हम
भा वत करना चाहा क शु भ सेवा म गत लाभ का कोई सवाल ही नह है। ऐसी सेवा भगवान
के शु ेम से क जानी चा हए जो हर जी वत ाणी म न य है। जस कार कसी को हंसना या
रोना या यौन जीवन क शु आत करना नह सखाया जाता है य क ये सभी याएं वतः ही नयत
समय पर अ त व म आ जाती ह वैसे ही भगवान का ेम भी सहज होता है और कसी को कसी बाहरी
एजट ारा इसे सीखने क आव यकता नह होती है। पर तु जस कार मनु य का यौन जीवन या इसी
कार क अ य वतः ू त ग त व धयाँ शरीर क कसी रोग क त जैसे नपुंसकता आ द के कारण
अनुप त के कारण कट होती ह उसी कार भौ तक पदाथ के साथ लंबे समय तक संबंध के कारण
जीव क रोग त त के कारण ऊजा भगवान के ेम को ावहा रक और नधा रत सेवा से जगाना
होगा। इस तरह क नय मत सेवा पर नयत समय म चचा क जाएगी। जहां तक शु भ सेवा क
प रभाषा का संबंध है यह यहां व णत है क ऐसी भ सेवा स य होनी चा हए। भ सेवा म मान सक
स ा या के लए कोई ान नह है। अनुसेलनम का अथ है ावहा रक काय। ऐसा वहा रक काय
तन मन और वाणी के स ब म कया जाता है। और ऐसा ावहा रक काय पहल और अवरोधक वृ
के संदभ म भी कया जाता है। वह ावहा रक काय अनुकू ल और तकू ल प से कया जाता है। और
कृ ण के लाभ के लए सोचने महसूस करने और इ ुक वहा रक तरीके के इतने सारे खंड और उपखंड
ह।

भ सेवा म ाथ मक ावहा रक काय एक ावहा रक आ या मक गु सजक और श क दोन


को वीकार करना है और उससे भ सेवा क सभी ावहा रक सम या के बारे म पूछताछ करना
है। इस संबंध म ाथ मक नयम का पालन करने वाला भ धीरे धीरे सेवा के लए एक लगाव और वाद
वक सत करेगा। इसके बाद भ सेवा के लए नरंतर संग त का माहौल महसूस होगा
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और इस तरह का वभाव भ को रक म न त त के तर तक ऊपर उठने म मदद करेगा। भ


सुधार के ये सभी उ चरण कमोबेश एक े भ के दयालु आशीवाद पर नभर ह गे जो पहले से ही
पारलौ कक ेमपूण सेवा म लगा आ है।

कृ ण श द अपने असी मत व तार के साथ भगवान के व को इं गत करता है। भगवान


ी राम ी नृ सह ी वराह और कई अ य अवतार और व तार के बीम जैसे असं य प म वयं का
व तार करते ह। उनम से कु छ का उ लेख भागवत पुराण जैसे शा म कया गया है और वे सभी व णु त व
ह और इस कार वे भी कृ ण के समान पद और त पर ह। सरे श द म कृ ण श द म भगवान के
व के अ य सभी व तार और अवतार शा मल ह। ाथ मक चरण म भ सेवा क या कृ ण या
व णु या नारायण क भ सेवा के समान है। सेवा के उ चरण म रस का अंतर होता है

जसक चचा हम इस अनुवाद के आरंभ म कर चुके ह। रस अ ययन के ववेचना मक वभेदन म पार रक


भ सेवा का व श पारलौ कक अंतर है ले कन सं ेप म राम या कृ ण क सेवा म कोई अंतर नह है। इन
वशेष मतभेद को बाद म लया जाएगा।

änukülyena श द का व श उपयोग मह वपूण है। इसका मतलब है क भगवान क ेमपूण


सेवा न क के वल भगवान के लए साधारण लगाव भ सेवा कहलाती है। जब आस श ुतापूण हो तो
उसे भ सेवा नह कहा जाता है। कृ ण के साथ कं स का लगाव ेम के वपरीत प से था। ले कन भगवान
के लए अ य लगाव था। उस कार क आस को भ सेवा के प म वीकार नह कया जाना
चा हए। भ को भगवान क सेवा करनी चा हए जो उ ह वीकाय है। इस लए नवजात भ को एक े भ
क शरण लेनी चा हए जो पहले से ही अपने आ या मक गु के नदशन म भगवान क सेवा म लगा आ है।
आ या मक गु कृ ण और भ के बीच मा यम है। भगवान का आदे श आ या मक गु के मा यम से भ
को े षत कया जाता है। इस लए भ सेवा के मामले म सबसे पहले एक वा त वक आ या मक गु क
सेवा वीकार करना है।

भगवद गीता के अ ययन से जो सीधे भगवान ारा बोली जाती है हम भगवान के साथ अपने शा त
संबंध क एक झलक पा सकते ह। यह है
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वहाँ प से कहा क जीव को अ य सभी काय को छोड़कर भगवान क सेवा करनी चा हए।

ान क उस पु तक म और नदश है क जो भगवद गीता क श ा का चार करता है वह


भगवान का सबसे गोपनीय दास है। इससे ऐसा तीत होता है क सेवा क कृ त जो भगवान को
वीकाय है आम तौर पर एक भ क संल नता है लगातार बना कसी वचलन के भगवान क सेवा
म और वह सेवा वशेष प से व मृ त के इस युग म श त करना है आम तौर पर भगवान चेतना के
मामले म लोग।

वा त वक आ या मक गु भगवान क भ सेवा के ाथ मक चरण के स ांत पर नवजात


भ को दशा दे सकते ह। य द कसी ने आ या मक गु के नदशन म वयं को संल न करके भगवान
क ेममयी सेवा क यो यता वक सत नह क है तो कोई भी ग त नह कर सकता है। भ सेवा क
परी ा पर भी बाद म चचा क जाएगी। ल ण के परी ण के बना कोई भी यह दावा नह कर सकता क
उसने भ सेवा म कोई ग त क है। ील जेवा गो वामी कहते ह जब हम यो ा को आमं त करने क
बात करते ह तो इसका मतलब यह नह है क हम यो ा के ह थयार को आमं त करते ह। यो ा का अथ
है हमेशा अपने श से अलंकृ त होना या उसके पीछे चलना। ले कन मेज बान का मतलब ह थयार को
खुश करना नह ब क खुद यो ा से है। इसी तरह हम यह जानना चा हए क या भगवान हमारी सेवा से
संतु ह बना सू म ब त अ धक आस ए। भ के नाम से जाने वाले ब त होते ह ले कन जब
वा त वक ल ण के ए सड टे ट म डाल दए जाते ह तो आम तौर पर वे सांसा रक लोग क ेण ी म आ
जाते ह। भगवान चैत य कहते ह क कृ ण ेम या भगवान के लए स ा ेम भ सेवा के रा य म अं तम
श द है। कृ ण के त ऐसे वा त वक ेम के अभाव म जसके बाद सांसा रक चीज के लए वैरा य के
ल ण दखाई दे ते ह कसी को मा णत नह कया जा सकता है। अनु श द बना कसी अंतराल के
भगवान क सेवा का सुझ ाव दे ता है। उसे शत तशत और हमेशा सेवा म लगे रहना चा हए। ऐसी भ
सेवा क ग त म कोई कावट नह होनी चा हए। ये वा तव म भ सेवा के कु छ ल ण ह। इनके अलावा
अ य गौण ल ण भी ह जो इस कार ह भ को भ सेवा के अलावा अ य सभी इ ा से पूरी तरह
मु होना चा हए। यह पहली गुण व ा वाली भ सेवा का मानक है। भ सेवा के अलावा और भी कई
इ ाएं ह
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कम ान योग आ द का शीषक ान या ान आम तौर पर अ ै तवाद के अथ म वीकार कया


जाता है या सव के साथ एक हो जाता है ।
जब हम कहते ह क भ सेवा को ान से अछू त होना चा हए तो हमारा मतलब एक व के इस दशन
से है। अ यथा भ सेवा क सं कृ त से संबं धत ान को पूरे जोश के साथ ा त करना होगा।

वेद पुराण महाभारत और पुराण के स दभ म शु भ सेवा के वषय म व श ान के बना

पा ा य नयम कोई भी भ सेवा ामा णक नह होगी। उपयु शा के ान के बना भ सेवा का


कोई भी दखावा और कु छ नह ब क उस माग पर एक व न है।

जब हम भ से र हत कम क बात करते ह तो हमारा ता पय उन फलदायी काय से है जनका


उ लेख भौ तक अ त व म उ त के लए मृ त शा म कया गया है। भ सेवा को ऐसे फलदायी
काय से मु कया जाना चा हए ले कन भ सेवा के वकास के लए अनुकू ल काय सुसं कृ त होना
चा हए। ऐसे काम जो भ सेवा के ान म मदद करते ह सुसं कृ त होना चा हए। श द

आ द ऐसी सभी गैर भ ग त व धय जैसे योग या इ यतृ त के लए अनाव यक तप या का


योग है।
रावण या हर यक शपु जैसे महान राजा ने इ य भोग का अ ायी लाभ ा त करने के
लए कई कई वष तक कठोर तप या क थी। ले कन अंततः वे इन सभी तप या के बावजूद भगवान
के व ारा उन पर लगाए गए दं ड से अपनी र ा नह कर सके । न कष यह है क भगवान क
भ सेवा क सं कृ त के वल शु भ ग त व धय के भीतर ही सी मत होनी चा हए और कु छ भी
नह । इस तरह क ग त व धय का व तृत प से भागवतम और अ य शा म उ लेख कया गया है।
भ रसामृत सधु भी उ ह शा क ेण ी म है ।

पाठ

अ या भलास च श ान कम प रहारी काया माने क रबा


भजन साधु संगे कृ ण सेबा न पूज ीबा दे वे ए
भ परम करण

अ या अ य अ भलाषा इ ाएं चाई छोड़ दे ना ान स ा


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ान कम फलदायी काय प रहारी छोड़ना काया माने


तन और मन से क रबा करगे भजन पूज ा साधु संगे
भ क संग त म कृ ण सेवा भगवान कृ ण क सेवा करना ना
नह पूज ीबा पूज ा करगे दे व दे वी दे वता दे व या दे वता ईआई
यह भ भ सेवा परम सव करण
या

भ सेवा क सव या है शरीर और मन से भगवान क पूज ा करना फलदायी ग त व धय और मान सक


अटकल क इ ा को यागना। कसी भी दे वता क पूज ा कए बना भ क संग त म भगवान कृ ण क सेवा
करनी चा हए।

पाठ

महा जनेरा जेई पाठ तते हबे अनुराता पूवापर क रया बकारा
साधना मरण लेला इहते न कारा हल काया माने
क रया सुसारा

महा जनेरा महाजन के जेई वह जो पथ पथ टे ट उसम हाबे होगा अनुराता संल न पूवापारा पहले और बाद

क रया करना बकारा वचार साधना अ यास मरण
मरण लीला शगल इहते इसम ना नह कारा करो हेला
उपे ा करना काया माने शरीर और मन के साथ क रया करना सुसारा
सार।

साधना भ का सार पछले और वतमान महाजन महान व ारा द शत पथ पर यान से वचार करना और
उसका पालन करना है।
भगवान क लीला को याद करने के अ यास क उपे ा नह करनी चा हए य कभ को तन के साथ साथ मन
से भी करना चा हए।

पछले महाजन म दशकार य के ऋ षय और कृ तय का उ लेख है ।


बृहत वामन पुराण और चं कांत आ द म व णत है । वे कृ ण को अपने ेमी के प म पाने के लए बेहद उ सुक थे।
इस लए उ ह ने एक यारे गोप क मनोदशा और प को वीकार कया और ी कृ ण क ेममयी सेवा म लगे रहे।
ी ब वमंगल ठाकु र ने भी साखे का भाव ा त कया
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ीमते रा धका क एक साखी क मनोदशा के लए लालची होना। इस कार उ ह ने साखे क


मनोदशा और सा खय के मागदशन म कृ ण क पूज ा करने क या को द शत कया । चूं क ये
ीमान महा भु के सामने कट ए थे इस लए उ ह पछले महाजन के प म जाना जाता है।

हालां क वतमान महाजन छह गो वामी ह जनक अ य ता ील पा और सनातन गो वामी कर रहे ह।

सुसार श द का अथ उ तम पूण ता है।

पाठ

असत संग सदा याग छ अ य गीता राग कम ान प रहारी रे


कबला भ संग ेमा कथा रस रंगा लेला कथा
ज रस शु

असत् संग बुरा संग त सदा हमेशा याग छोड़ दे ना चांडा


छु अ या अ य गीता राग सांसा रक गीत से लगाव कम
फलदायी कायकता जान मान सक स े बाज प रहारी अ वीकार र र के वल कबला भ संग भ
के साथ जुड़ाव ेमा कथा
यार के वषय रस मधुर रंग खुशी लीला कथा लीला
ज रस शु जम।

हे मेरे यारे भाइयो कम और ा नय क बुरी संग त को सदा र से छोड़ दो और कृ ण से संबं धत गीत गाने
के मोह को छोड़ दो। के वल भ के साथ जुड़ और ज म कृ ण क ेममयी लीला के वषय म वलीन
ह।

पाठ

जोगे यासे कम अ य दे बा पूज ाका यानने इहा लोक रे प रहारी कम


धम खा कोका जेबा थाके अ य जोगा च च भज
गरीबारा धारे

जोगे योग यास यागी कम फलदायी कायकता


जान अवैय कतावाद अ य दे ब पूज ा दे वता के उपासक
यान यान करने वाले इह लोक ये लोग रे ब त र
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प रहारी छोड़ दे ना कम फलदायी काय धम धा मक कत


ख ख कोका वलाप जेबा जो कु छ भी ठाके इनम अ या अ य जोगा लगाव चाई
छोड़कर भाजा
पूज ा करना ग रबारा धारे गोवधन पवत को उठाने वाला।

कृ पया यो गय सं या सय कम ा नय या नय और दे वता के उपासक क संग त छोड़ द।


साथ ही सभी कार के फलदायी काय धा मक कत क वलाप और भौ तक व तु के त
आस का याग कर। बस गोवधन पवत के भारो ोलक कृ ण क पूज ा कर।

अ य योग श द का अथ प नी ब और भौ तक व तु के त लगाव है।

पाठ

तीथ जा ा प र मा कबला मनेरा म सरबा स गो बद चरन


दोधा बकवास होदे धारी मदा म स य प रहारी सदा
कर अन य भजन

तीथ जा ा पव ान क या ा प र मा क ठन प र म
के वल कबला मनेरा मन म सरबा स उ तम पूण ता गो बद चरन गो वदा के चरण कमल
धा फम ब वासा दोष स होदे दल म धारी पालन माडा अ भमान म यराज ई या प रहारी
छोड़ दे ना सदा हमेशा कारा करो अन या

भजन म धातु।

पव ान क या ा करना ऊजा क बबाद है और म से पैदा आ है य क ी गो वद के चरण कमल


के जीवन क पूण ता ह।
अत अहंक ार और े ष का याग कर मन म ढ़ न य के साथ सदा बना वच लत ए
भु क आराधना करनी चा हए।

सव स का ता पय प व ान पर जाने जैसे प व काय को करने से ा त पूण ता से है। मद का


अथ है वह सुख जो बना बु के को छोड़ दे ता है। म यया का अथ है कसी और क े ता को
सहन करने म असमथता।
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पाठ

कृ ण भ संघ कारी कृ ण भ अँग हे र धन बता बश क तन


अचना बंदना यान नब भ महा ान ए भ परम
करण

कृ ण भ कृ ण के भ संग कारी संब करके कृ ण भ कृ ण के भ अंग हेरी उनके


शरीर को दे ख कर ान बता व ास के साथ बश क तन सुनना और जप करना अचना
पूज ा बंदा ाथना क पेशकश यान यान करना नब भ नौ कार क भ सेवा महा ान
सव ान एई भ यह भ सेवा परम सव करण

तरीका

भ के नौ प के मा यम से कृ ण के भ क संग त म कृ ण के नाम प गुण और लीला पर


व ास के साथ सुनना जप पूज ा म हमा और यान करना भ सेवा क सबसे अ या है।

परमे र के नाम गुण और लीला को ापूवक सुनना वण कहलाता है। परमे र के नाम का
और व ासपूवक जप करना क तन कहलाता है। शु करण के बाद उ चत मं के साथ पूज न साम ी का
भोग लगाना अचना कहलाता है। भगवान के नाम गुण और लीला का आं शक मरण मरणम कहलाता
है। यान मरण के लए एक और श द है। मरणम के पाँच चरण ह मरणम् धारणां यानम ुवानु
मृ त और समा ध।

मन के आं शक जुड़ाव को मरण कहा जाता है। मन को सम त भौ तक व तु से हटाकर सामा यत


मन को भगवान् म लगाना धारणा कहलाता है। भगवान के नाम प आ द का वशेष प से वचार करना
ही यान कहलाता है। बना कसी कावट के भगवान के प का वचार करना जैसे अमृत के वाह को
ुवानु मृ त कहा जाता है।

नाम प गुण और लीला का नरंतर कट होना ही यान क एकमा व तु है समा ध कहलाती


है। धन वता श द जसका अथ है व ास से संप होना उपरो सभी पांच या पर
लागू होता है।
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पाठ

हसेके गो बद सेबा न पूज ीबा दे वे दे व ए ता अन य भ


कथा आरा जटा उपलंभ बके ना सकली दं भा
दे ख े लगे माने बयाथा

होसेके अथ के साथ गो बद सेबा परमे र क सेवा करना


गो वदा ना नह पूज ीबा पूज ा करगे दे वे दे व दे वता और दे वता ईआई यह टा के वल अन या
बना म धातु भ
भ सेवा कथा वषय आरा जटा बाक सब कु छ
उपल नदा biçeña वशेष प से सकली सब दं भा
गौरव दे ख ेते दे ख ने के लए लगाये महसूस करता है माने मन म यथा दद

म अपनी सारी इं य से गो वदा क सेवा क ं गा और दे वी दे वता क पूज ा नह क ं गा। यह भ सेवा


का सव स ांत है। अ य सभी याएं के वल गव से पैदा होती ह और उ ह दे ख कर मुझ े अपने दल म
ब त दद होता है।

माता पावते और भगवान शव जैसे अ य दे वता क अलग अलग पूज ा नह करनी चा हए ब क


अपनी सभी इं य के साथ के वल ी गो वद क सेवा करनी चा हए। कृ ण क क तन करने म ही यास
होना चा हए
ावण या कथा।

पाठ

दे हे बाई रपु गण जतेक ा इ या गण के ह कारा ब या नह


हया कु नले न कु ना काश ज नले न जाने ाण
दशैते न परे न य

दे हे शरीर म baise नवास रपु गण मन जाटे क ा सभी


इं य गण इं यां के हा कोई भी कारो कसी और का
ब या नयं त नह नह हया है çunile सुनकर ना नह
कु ना सुनता है कण कान जनील जानना ना नह जेन जानता है
ाण जीवन दहाइट नधा रत करने के लए ना नह पारे कर सकते ह न काया
आ म व ास
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छह मन काम ोध लोभ मोह अहंक ार और ई या और श द गंध वाद और श क पांच इं यां


मेरे शरीर म नवास करती ह ले कन म उ ह नयं त करने म असमथ ं। य प म बार बार सुनता और
समझता ँ क मनु य को अपनी सभी इं य से कृ ण क सेवा करनी चा हए फर भी म इस त य को ढ़
न य के साथ वीकार नह कर सकता।

पाठ

काम ोध मोह लोभा मद म यराज दं भा साह ान ान नजु क रबा


आनंदा क र दय रपु कारी पराजय अनयसे गो वद भजीबा

काम वासना ोध ोध मोह म लोभ लालच माडा


गौरव म यराज ई या दं भा साह घमंड के साथ ान ान अपने अपने ान म नजु ा
संल न क रबा करगे आनंद
ख़ुशी कारी करना दय दय रपु मन कारी करो
पराजय हार अनायसे आसानी से गो बद भगवान गो वदा भाजीबा
पूज ा करगे।

म काम ोध लोभ मोह ई या और अ भमान को उनके उ चत ान पर लगाऊं गा। इस कार म


श ु को परा त कर ं गा और मन म हष लास के साथ बना कसी क ठनाई के गो वद क पूज ा
क ं गा।

पाठ

कृ ण सेवा कामरपने ोध भ े सी जने लोभ साधु संगे ह र कथा


मोह इनोआ लाभा बने मद कृ ण गुण गण नजु ा
क रबा जथा तथा

कृ ण सेवा कृ ण क सेवा कामरपने काम म ल त ोध ोध


भ भ े सी जेन ई यालु लोभ लालच साधु साधु भ क संग त म ह र कथा
ह र के च मोह म इनोआ लाभ ा त बना बना माडा अ भमान

कृ ण भगवान कृ ण गुण गण गुण क म हमा करना नजु ा


त क रबा करगे ज ा तथा उ चत ान
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म अपनी वासना को कृ ण क सेवा करने के लए उ सुक ता से लगाऊं गा और म अपने ोध का उपयोग


उन लोग के खलाफ क ं गा जो भ से ई या करते ह। भ क संग त म ह र क बात सुनने का मेरा
लोभ होगा। अगर म अपने पू य भगवान को ा त करने म असफल रहा तो मुझ े म होगा और मुझ े कृ ण
क म हमा का जप करने म गव महसूस होगा। इस तरह म उ ह उनके संबं धत कत म लगाऊं गा।

पाठ

अ या वतं काम अनारथ द जरा नाम भ पते सदा दे य भाग


कबा ब करेते पारे काम ोध साधके रे ज द हया साधु
जनरा संग

अ याथा अ यथा वतं वतं काम वासना अनारथडी


अवां छत चीज जरा जसका नाम नाम भ पते भ सेवा के माग पर सदा हमेशा द या
दे ता है भाग खंडहर कबा या बा और कराटे पारे कर सकते ह काम वासना ोध ोध

साधके रे अ या सय के लए जडी अगर हया है साधु जनरा भ के संघ संघ।

अ यथा वतं वासना क इ ाएं जो सभी अवां छत चीज का ोत ह हमेशा भ सेवा के


माग को बा धत करगी। य द भ करने वाले को भ क संग त हो तो कामवासना और ोध उसका या
नुक सान कर सकते ह

पाठ

ोध बा ना करे कब ोध याग सदा द बा लोभा मोह एई त


कथाना छाया रपु सदा हेना क रबा मनेरा पालना
कृ णचं या मरण

ोध ोध से बा ना या नह करे करता है कबा या ोध


ोध याग याग सदा हमेशा द बा दे गा लोभ लालच
मोह म ईआई यह टा सब है कथाना राय छाया छह
रपु मन सदा हमेशा हना अवर क रबा करगे
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मनेरा मन का अधेना नयं ण म कृ णचं भगवान कृ ण या मरण मरण करके ।

ोध सब कु छ बगाड़ दे ता है। इस लए म हमेशा ोध लोभ और म का याग क ं गा। म भगवान कृ ण का


मरण करते ए अपने मन क सहायता से छह श ु को वश म कर लूंगा।

भगवद गीता . म ोक के बाद मम एव ये प ते मायां एतां तरंती ते कृ ण को याद करना चा हए


और इन श ु को नयं ण म लाना चा हए।

पाठ

आपनी पले सबा कु नया गो बद रबा सधा रबे जेना


क रगण सकली वप जबे महानंदा सुख ा पाबे
जरा हया एक भजन

äpani वचा लत प से पलाबे भाग जाना सबा सब कु नया सुनकर


गो बद भगवान गो वदा रबा व न सह रबे सह क आवाज से जेना जैसे कारी गण हरण सकली
सब वप खतरे
जाबे परा त हो जाएगा महानंदा ब त खुशी सुख ा खुशी पाबे वल जरा कौन हया है एक
अधातु भजन पूज ा।

गो वदा के नाम का व न कं पन सुनकर सभी श ु भाग जाएंगे जैसे शेर क दहाड़ सुनकर हरण
भाग जाता है। जो न वाथ भ करता है उसे अपार स ता का अनुभव होता है और उसके सारे संक ट
र हो जाते ह।

पाठ

न क रह असत सेनो लभ पूज ा तनोह सदा च ता गो बद


चरन सकल वप जबे महानंदा सुख ा पबे ेमा
भ परम करण

ना नह क रहा दो असत बीमार सेनोआ यास लाभ लाभ पूज ा


आराधना तनोहा भेद सदा हमेशा सटा याद रखना
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गो बद चरन गो वदा के चरण कमल सकले सब वप खतरा जाबे जाएगा महानंदा


परमानंद सुख ा खुश पाबे ा त करेगा
ेमा भ ेमपूण भ सेवा परम सव करण
या।

इस लए मेरे य मन बुरे संग त लाभ आराधना और भेद के लए यास न कर ब क गो वदा के चरण


कमल को हमेशा याद रख।
कृ पया ब त खुशी के साथ ेमपूण भ सेवा म संल न ह और आपके सभी खतरे न हो जाएंगे।

पाठ

असत या कु ओइनाओइ चांड अ य प रपाओ अ य दे बे


न क रह र त अपान अपान ान परेती सभा
ओने भ पथे पयये बड़ीती

असत् या पापपूण ग त व धयाँ कु ओइनाओई दोहराव चा डा छोड़ दे ना


अ या अ य प रपाओ शारी रक दे ख भाल अ य दे बे अ य दे वता के लए ना
नह क रहा दो र त लगाव अपान अपान संबं धत टे न
ान परेती ेम सभय सब ओएन आक षत करता है भ पथे भ माग पर पयाये होता है
बगती चेक कया गया।

कृ पया सभी ै त मायावी ग त व धय और शारी रक सुख क खोज को छोड़ द। व भ दे वता क पूज ा


म आस नह।
भौ तक संबंध के लए सांसा रक ेम और नेह सभी को अपने अपने म क ओर आक षत करता है और इस
कार भ सेवा के माग पर उ त को रोक दया जाता है।

असत् या श द इं गत करते ह क अधा मक ग त व धय म संल नता को यागने के बाद भी ये न न ल खत


ग त व धयाँ भ के माग का अनुसरण करने म असमथ बना दगी। Sabhaya सभी लोग को संद भत करता
है।

पाठ

नैनो हका भजन

न तभ सेवा
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अपान भजन पाठ ताहे हबे अनुराता इनोआ दे व ाने


लेला गण नैनो हका भजन ए तोमारे क हनु
भाई हनुमान तहते माणा

अपान अपना भजन पथ पूज ा का माग ताहे उसम


हाबे होगा अनुराता संल न इनो दे व पू य भगवान ान जगह म लेला गण लीला
गाओ नैनो हका न त
भजन पूज ा ईआई यह तोमारे तु हारे लए क हनु बोलना भाई
हे भाई हनुमान अरे हनुमान tähäte उसम माण
उदाहरण

हे य भाई मेरे मन भ के माग म नरंतर लगे रहो और वृंदावन म ी कृ ण क लीला


क म हमा म संल न रहो। भ सेवा क इस या को रभ सेवा के प म जाना जाता है। इसका
मुख उदाहरण हनुमान ह।

पाठ

नाथे जानेके नाथे चाभेदं


परमा माम न तथा प मामा
सव व राम कमला लोकन

नाथे ल मी के भगवान जानके नाथे सेता के भगवान सीए भी अभेद कोई अंतर नह परमा मा
परमा मा तथापी अभी भी
माँ मेरी सव व सब कु छ राम भगवान रामचं कमला लोकानाù कमल ने

जैसा क ी हनुमान ने कहा है य प ी नारायण ल मीदे व के प त और ी राम सेतादे व के प त


दोन ही परमा मा ह फर भी कमल ने वाले ी राम ही मेरे सव व ह।

ल मीदे व के भगवान ी नारायण और सेतादे व के प त ी रामचं म कोई अंतर नह है। य क वे दोन


भगवान के सव व एक सव आ मा ह। फर भी मेरे कमल ने वाले भगवान रामचं मेरे
लए सब कु छ ह। उसके बना मेरे लए कसी चीज का कोई मू य नह है।
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इस ोक के ारा अपनी इ त व तु के त समपण अव ध वम् दखाया जा रहा है। अव ध वम का


अथ है सीमा।

पाठ

दे वलोक पतृलोक पाया तारा महा सुख ा साधु साधु बाले


अनुक ना जुगला भजन जरा ेमन दे भासे तारा
भुबनातशदे रा नीची

दे वलोक वग य ह पतृलोक पूवज के ह


पया ा त तारा वे महा सुख ा महान खुशी साधु
साधु अ ा कया अ ा कया गठरी संबो धत अनुक ना हमेशा जुगल भजन द
युगल क पूज ा जसरा वे
ेमानंद ेम के सागर म भासे लोट तारा वे
भुवन तीन लोक त े रा उसका नीची नग य।

जो लोग अपने द भु व ी ी राधा कृ ण क पूज ा करते ह वे आनंदमय ेम के सागर म तैरते ह और


तीन लोक के नवासी ऐसे य क पूज ा करते ह। दे वता और पूवज ब त स होते ह और यह कहते
ए अपना आशीवाद बरसाते ह अ ा कया अ ा कया।

शंक ा उ प हो सकती है क य द दे वता क पूज ा छोड़ दे नी चा हए तो दे वता ऋ ष मु नय और


पूवज का ऋण कै से चुक ाया जा सकता है इस शंक ा को र करने के लए ील नरो म दास ठाकु र
यहाँ कह रहे ह क जो दे वता क पूज ा छोड़कर ी कृ ण क पूज ा करता है वह वा तव म इस अन य
भ सेवा से दे वता और पूवज को स करता है। ऐसा भ अब कसी का ऋणी नह रहता जैसे
कोई वृ क जड़ को स च दे ता है सभी शाखाएँ उप शाखाएँ प े टह नयाँ और क लयाँ सभी वतः
पो षत होती ह। इसी कार य द कोई ी कृ ण क पूज ा करता है जो सव आ य है तो सभी दे वता
ऋ ष और पूवज वतः संतु हो जाते ह। पूवज खुशी से नाचते ह और कहते ह दे ख ो मेरे प रवार म कृ ण
का एक भ पैदा आ है। वह हम छु ड़ाएगा। न यं त पेटरां सव न यं त च पेटमहं मदवससे वै णवो जतां
सा मे ैता भ व य त।
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पाठ

पाठक अबास जोगे कामय वनय भागे ज बस गो बद


सेवा कृ ण कथा कृ ण नाम स य स य रस धाम
ज लोक संगे अनुक ना।

पृथक अलग äbäsa joge म नवास करते ह कामया ख से भरी ई वनय भागे
भौ तक भोग ज ज म बासा नवास गो वद सेवा ी गो वदा क सेवा कृ ण कथा भगवान्
के वषय
कृ ण कृ ण नाम कृ ण के प व नाम स य स य सचमुच रस धाम पारलौ कक आनंद का वास ज
लोक संगे ज के नवा सय के संघ म अनुक या नरंतर

सामा य ान म नवास नह करना चा हए और भौ तक व तु का आनंद लेना चा हए जो ी गो वदा ह।


ज म रहना चा हए और ी कृ ण के नाम और वषय क सेवा करना चा हए वाखतवसे मभरेसभीए सु
ह खले केकन
भंडार ह और उ ह ज के नवा सय क संग त म लगातार म हमा करनी चा हए।

äbäsa joge श द का अथ नवास बनाना है। ज के पास के सभी ान सांसा रक ह। जहाँ कह भी


भौ तक भोग उपल होते ह वहाँ भौ तक कृ त के गुण क उप त होती है और इस लए ख होता
है। य द कोई ज के अलावा अ य ान म नवास करता है तो वह वतः ही खी भौ तक जीवन को
भोगेगा। ले कन अगर कोई ज म रहता है तो वह गो वदा के चरण कमल क खुशी से पूज ा कर सकता है।
य द कोई गत प से ज म नवास करने म असमथ है तो वह मान सक प से ऐसा कर सकता है
और इस कार कृ ण क पूज ा करने का सुख ा त कर सकता है। हालां क अगर कोई ज म रहता है
ले कन ी गो वद के चरण कमल क पूज ा नह करता है तो उसे ज म रहने से कोई खुशी नह मलेगी।
इस संबंध म ील कृ णदास कावेराजा गो वामी ने न न ल खत ोक म कहा है

पाठ

वृंदावने कमाथव नजा मं दरा वा करघे कमाथवा


कनकसाने वा इं म जाजे कमाथवा नरक भजामी
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े कृ ण सेवनमृत न सुख ां कदा प

वृ दावन वृ दावन म कमाथवा या नजा मं दरा अपना घर वा या करघे जेल म कमाथवा


या कनकासन एक वण सहासन पर वा या इं म इं का पद जाजे स मा नत कमाथवा

या नरक नरक म भजमी प ंच कृ ण भगवान कृ ण सेवनामृत इस सेवा का अमृत ना


नह सुख ाà खुशी कडापी एवरो

चाहे म वृ दावन म र ं या घर म चाहे म जेल म र ं या म वण सहासन पर बैठं ू चाहे मुझ े इं का पद दया


जाए या नक म जाए कृ ण क पूज ा के बना कह भी सुख नह है।

य द कोई ज म न य नवास करता है और जवा सय के साथ ी कृ ण के नाम और लीला को सुनता


और जप करता है तो वह न त प से द आनंद ा त करता है। सरे श द म यह सव आनंद का
ोत है।

पाठ

सदा सेबा अ भलाना माने क र बकोयास सरब या हैया


नभया नरो म दास बोले प शनु असत भोले
प र ाण कर महाकाय

सदा हमेशा सेबा सेवा अ भलाना इ ा माने कारी मन म


व ास के साथ बकोयासा सरब या हर तरह से ह या होना
नभया नडर नरो म दास नरो म दास बोले कहते ह
प शनु गर गया असत् भोले झूठे गभाधान म प र ाण उ ार
कारा कृ पया कर महाकाय हे भगवान ।

मेरे मन म ढ़ व ास और नडरता के साथ म हमेशा हर तरह से उनके भु व क सेवा क कामना करता


ं। नरो म दास ाथना करते ह हे ी कृ ण परम दयालु भगवान म दयनीय भौ तक म म पड़ गया ं
कृ पया मुझ े मु दलाएं।

viçoyäsa श द का अथ है viçvasa या व ास। उपरो कथन म ढ़ व ास रखते ए हर तरह


से भगवान कृ ण के चरण कमल क शरण लेनी चा हए और जवा सय के साथ नभय होकर रहना चा हए।
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लगातार ी कृ ण क सेवा क इ ा रखते ह। महाकाया श द का अथ है हे ी कृ ण।

अ याय तीन आ मा
नवेदन

आ म समपण

पाठ

तु म त दयारा सधु अधम जनरा बंधु मोरे भु कारा पालना असत्


भोले काम त मì गले गले ए नाथ कर प र ाण

तुमी तुम टा ह दयारा दया का सधु सागर अधम गर गया जनारा बंधु दो त अ धक
मेरे लए भु हे भगवान कारा अबधना नज़र प शना गर गया असत भोले गलतफहमी म

काम वासना ट मगाइल हेल गल नगल ए नाथ हे भगवान करण प र ाण मेरी र ा


करो ।

हे भु आप दया के सागर ह गरीब के म ह। कृ पा करके मेरी ओर कर। म म के सागर म


गर गया ँ जहाँ वासना के प म हेल मुझ े नगलने क को शश कर रही ह। कृ पया मेरी र ा कर हे
भु

पाठ

जावत जनम मोरा अपराधे हनु भोरा न यपोए न भ जनु


तोमा तथा प ह तु म ग त न च शह ाण प त मुसी
समा ना हका अधम
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जावत जब तक ज म ज म मोरा मेरा अपराधे अपराध के साथ हाइनू बन गया भोरा


से भरा आ न कापाओ बना दोहराव के ना नह भ जनु पूज ा तोमा तुम तथापी हा

फर भी तुमी तुम ग त गंत ना नह चैइहा छोड़ो


ाण प त मेरे जीवन के भगवान मुसी म समा बराबर ना हका नह
अधम गर गया।

मने अपने ज म से ही असी मत अपराध कए ह और बना ै त के आपक पूज ा नह क है। फर


भी तुम ही मेरा एकमा आ य हो।
हे मेरे जीवन के भु कृ पया मेरी उपे ा न कर मुझ से अ धक कोई प तत नह है।

पाठ

प तत पबना नाम घोणाश तोमर चयम ऊपरे खले नह मोरा ग त


जद है अपारधे तथा पहा तु म ग त स या जेना
स ेपत

प तत पाबन प तत आ मा का उ ारकता नाम प व नाम


घौणा उ ारकता तोमर तु हारा याम भगवान कृ ण upekhile य द आप उपे ा करते ह नह
नह मोरा मेरा ग त आ य जडी अगर है होना
अपराधे अपराधी तथा पह फर भी तुमी तुम ग त गंत स य स य सच म जेना के प म सैट
पव प त प त।

हे भगवान यामसुंदर आप प तत के उ ारकता के प म जाने जाते ह। य द आप मेरी उपे ा करते ह


तो मेरे पास कोई वक प नह है। य द म अपराधी भी हो तो भी तुम ही मेरी एकमा आशा हो जैसे प त
ही एक प व प नी के लए एकमा आशा है।

पाठ

तु म त परम दे ब नह और अ धक अवलोकना कु न शरा


ई र ज द कर अपराधा तथा पहा तु म नाथ
सबा दया कारा अनुक ारा

तुमी ता तुम हो परम दे बा परम भगवान नह नह अ धक म


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उप खबा उपे ा करगे çuna çuna कृ पया सुन ई र हे मेरे जीवन के भगवान जडी अगर करोन
करो अपराधा अपराध तथा पह अभी भी
तुमी तुम नाथ भगवान सेबा सेवा द या दे क र कारा बनाना
अनुक ार नौकर।

हे मेरे दय के भु कृ पया मेरी ाथना सुन। आप सव भगवान ह।


कृ पया मुझ े अ वीकार न कर। भले ही म अपराध क ँ फर भी आप ही मेरे एकमा र क ह। कृ पया मुझ े
कु छ तु सेवा द और मुझ े अपना समझ
अपना नौकर।

पाठ

कामे मोरा हटा सीता नह जाने नज हत मनेरा न घुसे


डरबसना मोरे नथा अगगे कु तुमी ब ाक प
त क णा दे ख ा सरबा जाना

काम वासना के साथ मोरा मेरा हैटा छे दा आ सीता दल नह नह जेन जानता है नजा
अपना हत लाभ मनेरा मन का
ना नह घुसे वजय बासन भौ तक इ ाएं अ धक मेरे लए
नाथ हे मेरे भगवान अगगे कु मुझ े वीकार करो तुमी तुम ब ाइ ा क पत मनोकामना पूण
करने वाला वृ क णा दया दे ख ुक ा उ ह रहने दो
सरबा जाना हर कोई

मेरा दय वासना से भरा आ है और इस लए मुझ े नह पता क मेरे लए या फायदे मंद है। म


अपने षत मन म भौ तक इ ा को नह जीत सकता। हे मेरे भु आप मनोकामना पूण करने वाले
वृ ह। कृ पया मुझ े वीकार कर और शु कर और सभी को आपक दया दे ख ने द।

पाठ

मो सम प तत नै भुवने दे ख ा कै नरो मा पावना नामा धरा


घुनुक ा संसारे नाम प तत पावन याम नज दास
कारा ग रधर

मो समा मेरे जैसा प तता गर गया नाई नह भुवन तीन म


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नया दे ख ा दे ख ो कै यान से नरो म पावन नरो म दास का उ ारकता नाम नाम धरा ात
होना घुनुक ा रहने दो
संसार म संसार म नाम प व नाम प तत पावन याम भगवान यामसुंदर प तत लोग का उ ारकता ह
नजा अपना दास नौकर
कारा मुझ े बनाओ ग रधर हे गोवधन पवत के भारो ोलक।

हे मेरे भु कृ पया तीन लोक म दे ख मुझ से अ धक कोई गरा आ नह है। नरो म के उ ारकता के प
म मनाया जाए।
ज म और मृ यु के तीन लोक म यह ात हो क भगवान यामसुंदर प तत आ मा के उ ारकता ह।
इस लए हे ग रधारी मुझ े अपना दास बना लो।

पाठ

नरो म बस खी नाथ मोरे कर सुख े तोमर भजन संक तने अंतराय


न ह जया ए त परम भय नवेदन कर अनुक ना

नरो म नरो म दास बाह ब त यादा खे खी


नाथ हे भगवान अ धक म कारा बनाना सुख े खुश तोमर तु हारा
भजन पूज ा साकतने सामू हक जप के प म अ राय बाधा नह नह जया जाता है ईई टा यह
है परम भय महान भय नवेदन ाथना करो करो अनुक ना नरंतर।

हे भगवान नरो म ब त खी ह। कृ पया मुझ े संक तन करने के लए े रत करके मुझ े स कर । मेरा सबसे
बड़ा डर यह है क म भ सेवा के माग म आने वाली बाधा को पार नह कर पाऊं गा। इस लए म आपसे
लगातार ाथना करता ं।

अंतराय का अथ है शारी रक ग त व धय आ द म गहन लीनता के पमभ सेवा के माग म बाधाएँ।

चौथा अ याय
युगल भजन ननोह
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द युगल क अ वभा जत सेवा

पाठ

आना कथा आना यथा नह जेना तथा तथा तोमर कै रंस मृ त


साझे अ बरता अ बकाल तुया गुण काल काला
काला गया जेना सतेरा समजे

आना कथा सांसा रक वषय आना यथा सांसा रक पीड़ा नह नह जेना मई जास जाना
तथा वहाँ तोमर तु हारा कै राना मृ त
चरण कमल को याद करना साझे सजाना अबीरता बना कसी कावट के अ बकाल
ठ क से तुया तु हारा गुण गुण कला कला म हमामं डत करना गाई मं ो ार जेना
मई म सतेरा भ का
samajhe समाज म

जहां कह भी सांसा रक वषय ख और सुख पर चचा होती है म वहां जाने से खुद को रोक सकता ं।
अपने चरणकमल के मरण से मेरे दय को सुशो भत करो। म भ के समाज म आपके द गुण का
नरंतर जप क ँ ।

जहाँ अ य बात होती ह वहाँ चता और पीड़ा होती है और म ऐसी जगह पर नह जाऊँ गा।

पाठ

अ य त अ य दान न ह कर ब तु ान अ य सेबा अ य दे ब पूज ा हं


ह कृ ण ब ल ब ल बेसन आनंदा क र माने मोरा नह
जेना ज

अ य त अ य त अ य दान अ य दान नह नह
करो करो ब तु कारक ान वचार करना अ य सेबा सर क सेवा करना
अ य दे बा पूज ा दे वता क पूज ा करना ह ह कृ ण हे भगवान कृ ण बाली बाली जप बेसा
आ य आनंद कारी खुशी से
माने मन म मोरा मेरा नह नह जेना मई म जा
ै त।
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म त के पालन दान म दे ने भौ तकवाद लोग क सेवा करने और दे वता क पूज ा करने को


कोई मह व नह ं गा। बना कसी अ य वचार के म आनंद म घूमूंगा हे कृ ण हे कृ ण

अ या त वै णव त जैसे एकादशी आ द के पालन के बजाय भौ तक इ ा क पू त के लए


अ य त का पालन करने का संके त दे ता है।
आ यादान का ता पय कृ ण या वै णव को स करने के उ े य के बना दान दे ना है। ान के प म कृ ण
के व ान कृ ण क भ सेवा और कृ ण क सेवा पर वचार करना चा हए। इनके अलावा कसी के शरीर
या शरीर के संबंध म अवैय क ान या ान अ ान है। ज का अथ है संदेहा द होना।

पाठ

जबने मरे ग त राधा कृ ण ाण प त खरा परेती रस सुख े


जुगला भजन ृह ेमानंद भसे तारा ए कथा रा
मोरा बुके

jébane maraëe जीवन और मृ यु म ग त गंत राधा कृ ण भगवान कृ ण और ी राधा ाण


प त जीवन और आ मा दशहरा दोन परेती रस ेमी मधुर सुख े खुशी के साथ जुगला द युगल

भजन पूज ा जसरा वे ेमानंद परमानंद ेम के साथ


भासे लोट तारा उ ह ईआई यह कथा त य रा रहने दो
मोरा मेरा बुके मेरे दल म।

ी ी राधा कृ ण मेरे जीवन के वामी ह। वे मेरे जीवन या मृ यु म एकमा ल य ह।


जो लोग द युगल क पूज ा करते ह वे द मधुरता का आनंद लेते ह और हमेशा
भगवान के ेम के सागर म तैरते ह। इस स ाई को हमेशा मेरे दल म रहने दो।

पाठ

जुगला कारण सेबा ए धना अ धक द बा जुगलेते मनेरा


परेती
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जुगला द युगल कै राना सेबा उनके चरण कमल क सेवा करना ई धना यह खजाना अ धक
मेरे लए द बा कृ पया दे जुगलेट दोन म मनेरा मन का परेती ेम जुगला ककोरा पा
युवा जोड़े का सुंदर प काम र त गण भूप कामदे व और उनक प नी रते से े माने मन म रा
उ ह रहने दो ओ लीला वे लीलाएं करेती सुपर उ कृ ।

कृ पया मुझ े अपने चरण कमल क सेवा का खजाना दान कर। आपके द प और ेम संग मेरे
मन म हमेशा कट ह । आपक सुंदरता कामदे व और उनक प नी रते से कह बेहतर है। मेरे मन म आपक
उ कृ पारलौ कक लीला को सदै व उप त रहने द।

पाठ

दसनेते त धारी ह ह ककोरा ककोरे कै राबजे नबेदना


क र ज राजा कु मारा यमा बनभानु कु मारे
नामा रे र धका नाम मनोहरे

daçanete मुंह म तुआ भूसे धारी जोत हा हा कसोरा कसकोरे ओ यंग कपल कै रसबजे
कमल के चरण तक नबेदना कारी ाथना कर ज राजा कु मार यम याम ज के राजा का
पु बाणभानु कु मारे नामा राजा बनभानु क पु ी का नाम कृ रा धका नाम मनोहरे सबसे मोहक
रा धका।

हे द युवा युगल हे ज के राजा के पु यामसुंदर हे रा धका राजा बानाभानु क सुंदर मोहक


पु ी मेरे मुंह म एक तनका लेक र म आपके चरण कमल से ाथना करता ं। ी कृ ण मनोहर ह । वह ी
रा धका और भा य क अ य दे वय के मन को मो हत करता है।

पाठ

कनक के तके राई यमा मरकता काई दरपा दारपा क


कु रा नाओआ बारा चखा रन नओइनेरा
करोमासे शु गुसे शुन माना झुरा
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कनक सुनहरा के तके के तके के फू ल का रंग राय ी रा धका


यामा ी यामसुंदर मरकटा काई नीलम का रंग
दारप दारप अ भमान का कु रा हार नौबारा नतक का राजा सखा रन शखा के
गहने नौइनेरा नतक के ciromaëé
सबसे ऊपर शु गुसे एक सरे के गुण से शुन मन
दोन का मन झूरा अ भभूत।

ी रा धका एक सुनहरे दे वदार के फू ल जैसा दखता है और ी यामसुंदर एक


नीले नीलम जैसा दखता है। इनक खूबसूरती सभी के अ भमान को हरा दे ती है।
ी रा धका और ी याम शीषतम नतक ह और अपने र न समान गुण से एक सरे का
वेश करते ह।
काई का अथ है इ ा। मोर पंख कृ ण के म तक पर वशेष अलंक रण है जो सव े नतक ह। ी राधा
का सर जो नृ य भी कर रहा है को माए र न से सजाया गया है।

पाठ

कृ मुख सुंदर बारा हेमा नेला कां तधारा भव भूनाश का कोभा


नेला पेटा बसाधारा गौरे यामा मनोहर अंतरेरा भावे
षु लोभ

çrém ükha कमल मुख सुंदर बारा सबसे सुंदर हेमा सुनहरा
नीला नीला कां त रंग धरा अ धकार भाव मूड
भूनास सजावट का कोभा सुशो भत करता है नीला नीला पेटा पीला बासाधारा पोशाक गौरे
वण ी रा धका याम काले कृ ण मनोहर करामाती अंतरा आंत रक भावे मनोदशा म शे
दोन लोभ आक षत।

यामसुंदर और रा धका के मोहक चेहरे उनके परम ेम को द शत कर रहे ह। उनके द तमान रंग
खूबसूरती से नीले और सुनहरे ह। वे पीले और गहरे नीले रंग के कपड़े पहनते ह और अपने यार के भाव
से एक सरे को आक षत करते ह।

पाठ
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भारण म णमय त अगे अ भनय तछु पाया दे ना नरो म


दास न क द ना गुण गण परम आनंद पान माने मोरा
ए अ भलाना

आ आभूषण म णमय गहना त येक आयु अंग


अ भनय अ भनय तचू उसका पया कमल चरण दे ना गरीब नरो म दास नरो म दास नक
रात द ना दन गुण गणेश गुण क म हमा करना परम महान आनंद खुशी पासा ात

माने मन म मोरा मन ईआई यह अ भलाना इ ाएं।

गहन से अलंकृ त उनके अंग सुंदर कृ पा और नाटक के साथ चलते ह। नरो म दास ाथना करते ह
बड़े हष लास के साथ म दन रात आपके द गुण क म हमा क ँ गा। यही मेरी एकमा इ ा
है।

अ याय पांच
रागानुगा भ रेते

ेमपूण लगाव के माग क एक झलक

पाठ

रागरा भजन पाठ कही एबे अ भमाता लोक बेदा सारा ए


बने सखेरा अनुग हस जे स दे हा पासा
एई भाबे जुसाबे पराने

रागेरा आस का भजन पथ पूज ा का माग क ह


मुझ े समझाने दो ईबे अब अ भमाता राय लोक सांसा रक बेडा
वै दक सारा सार ईआई यह बैन कथन साखेरा सा खय का
अनुगा न न ल खत ह सा होना जे जम स दे ह आ या मक शरीर पासा ा त कया आ
एई भाबे इस तरह जुसाबे शांत हो जाओ
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पराने आ मा।

अब म लगाव के माग रागनुगा भ के मा यम से सव भगवान क पूज ा करने क या को समझाऊं गा।


ये कथन ह
सार और वेद और शु भ के अनुसार। एक उपयु आ या मक शरीर के साथ सा खय के एक
न ेक दम पर चलते ए ज म भगवान क सेवा करनी चा हए। इस तरह कसी क आ मा शांत और
संतु हो जाएगी।

पाठ

ी रा धका और साखेसी के बारे म स ाई

çré rädhikära sakhé jata tähä bä kahiba


kata mükhya sakhé kariye gaëana
lalitä biçäkhä tathä süciträ campakalatä
raìgadevé südevé kathana
tüìgabidyä indürekhä ei añöa sakhé lekhä
ebe kahi narma sakhé gaëa ihoì
sebä saha caré priya preñöha näm a dhari
prema sebä kare anükñaëa

ी रा धका ी रा धका का साखे साखे जटा सब तह बा


वह क हबा समझाएगा काटा कतना मु खया सपल
साखे साखे क रये करना गण गणना ल लता Ç रे ल लता
बकाखा ी वशाखा तथा और सु स ी सु स ा कै कलता
ऐरे कै कलता रँगदे वे रे रंगदे व सुदेव अरे सुदेव
कथाना ववरण तुंग ब ा Ç रे तुंग ब इं ररेख ा Çré
इं ररेख ा ईआई यह अनोआ साखे आठ साखे लेख समझाते ए ईबे
अभी व kahi के प म जाना जाता है narma sakhé gaëa सबसे अंतरंग साख इहोë सेबा
ये सब साहा के रे साथी या ेनोहा सबसे य नाम नाम धारी के प म जाना जाता है
ेमा सेबा ेमपूण भ सेवा करे करो अनुक या नरंतर

ी रा धका क व भ कार क साख अन गनत ह। इस लए म के वल मुख लोग का वणन क ं गा।


ल लता वशाखा सु च ा चंपकलता रंगदे व सुदेव तुंग व ा इं ररेख ा ये आठ ह।
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मुख साखे. वे ी रा धका के सबसे य साथी ह और नरंतर अपने भु व क गहन ेम से सेवा कर


रहे ह। वे राधा और कृ ण के साथ सबसे घ न प से जुड़े ए ह।

परश दे ख

पाठ

सम नेहा बनाम नेहा न क रहा ई लेख कह अ धका नेहा


गाना नरंतर थाके संगे कृ ण कथा लेला रज नम साखे
ए सब जाना

समा नेह समान प से नेही बनामा नेह के वल एक समूह क ओर न क रहा नह ई लेख


दोन बराबर क ह वणन कर
के वल मा ा अ धका अ धक नेहा गणेश नेही नरंतर हमेशा ठाके रहना saìge
साथ कृ ण कथा के वषय
कृ ण lélä रज के मनोरंज न म नम साखे सबसे गोपनीय साखे एई सब जाना ये सब

कु छ साख कृ ण के त अ धक नेही ह और कु छ ी रा धका के त अ धक नेही ह। वे सभी


लगातार राधा और कृ ण के साथ रहते ह उनक लीला गाने म लगे रहते ह। इन साख को सवा धक
गोपनीय साख कहा जाता है।

प र श दो दे ख

पाठ

े पा मजरे सारा े र त म रे आरा लाबंगा मजरे


मंज ुलाल

çré rüpa maïjaré Çré Rüpä Maïjaré सारा सार े र त मजारे


ऐरे र त मौजारे आरा और लबंगा मजरे अरे लबंगा माजारे
माजुनाले अरे माजुलाले çré rasa maïjaré Çré रासा मौजारे सागे
साथ म क तू रका क तूरे मौजरे आ द जैसे raìge आनंद से
ेमा सेबा ेमपूण भ सेवा करे करो कु तुहले उ सुक ता।
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सबसे य ी पा माजारे ी रासा मांज ारे अनंग माजारे मंज ुलाले ी र त मांज ारे और क तू रका मांज ारे
के साथ उ सुक ता से अपने भु व के लए ेमपूण सेवा करते ह।

प र श तीन दे ख

पाठ

ई सभारा अनुग है ेमा सेबा नबा काज इ जटे बुझ ीबा सबा काजे
पा गु ता दगमगी सदा हबा अनुराग बसती क रबा
साखे माझे

ई सभारा इनम से अनुगा न न ल खत हैशा होना ेमा सेबा


ेमपूण भ सेवा नबा चाड भीख माँगगे iìgite इशारे से
बु जबा समझगे सबा सब काजे सेवाएं प गुण स दय और गुण के साथ दगामगी जु बलट
सदा हमेशा हाबा होगा
अनुरागे संल न बसत नवास क रबा करगे साखे माझे सा खय के बीच ।

म इन साख से भगवान क ेममयी सेवा क भीख माँगूंगा और उनके इशार से व भ आव यक सेवा को


समझूंगा। म राधा कृ ण क सुंदरता और गुण से अ भभूत हो जाऊं गा हमेशा उनसे जुड़ा र ंगा और सा खय
के बीच र ंगा।

पाठ

बूँदबाने ई जाना कै री दके साखे गण समायेरा सबा रस


सुख े साखेरा इ गीता हबे कै मरा धूलबा तबे तंबुला
जोगाबा कसदा मुख े

बंडाबने वृ दावन म ई जाना दोन कै री डाइक चार ओर साखे गण साखे समायेरा


उ चत समय का सबा रस ेमपूण सेवा सुख े खुशी से साखेरा साखे का इìगीता हाबे वल इशारा
कै मरा कै मरा धुलबा झूलता आ टै ब

फर तंबुला सुपारी जोगाबा आपू त करेगा च ा मुख े कमल के मुख म


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सा खय के संके त से म राधा और कृ ण के कमल मुख म कै मरा और सुपारी चढ़ाऊं गा। साखे राधा और
कृ ण के बीच म उ चत समय पर दान क जाने वाली व भ सेवा से पूरी तरह अवगत ह।

पाठ

जुगल चरन सेबी नर तरा एई भाभी असुरगे ठ कबा


सदाय साधने भाबीबा जहां स दे हे पाब
तहा राग पथेरा एई से उपय

जुगल चरन राधा और कृ ण के चरणकमल सेबी सेवारत नरा र नरंतर ईआई यह भाबी
सोचो असुरगे लगाव के साथ ठा कबा रहेगा सदाय हमेशा साधना अ यास करगे
भाबीबा सोचगे जहा जो भी हो स दे हे आ या मक शरीर म पाबा ा त करेगा ताहा
वह राग पथेरा आस के माग का ईआई यह से उपया या।

म नरंतर ेमभाव से राधा और कृ ण के चरणकमल क सेवा करना चा ँगा। भ के अ यास के दौरान म


जो कु छ भी चतन करता ं वह न त प से आ या मक शरीर म पूण ता पर ा त होगा। यह आस
के माग क व ध है।

पाठ

साधना जे धन कै स दे हे तह पाई प वा प वा म से
बकारा पा कले से ेमा भ अप वे साधना र ी
भ लखना त व सारा

साधना अ यास करते समय जे धना खजाना कै चाहते ह स दे हे आ या मक शरीर म ताहा


पाई वह मलेगा प का प का
प रप व और अप रप व के वल मा ा से वह बकारा वचार पाकाइल अप रप वता से वह ेमा
भ ेमपूण भ सेवा apakwe अप रप व अव ा म साधना री त नयामक भ सेवा भ
ल ण भ के ल ण त व
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सारा स य का सार

एक अ यासी के प म म जो कु छ भी कामना करता ं वह मुझ े न त प से अपने आ या मक शरीर


म ा त होगा। यह के वल अप रप वता या प रप वता का वचार है। अप रप व अव ा म इसे साधना
भ या व नय मत भ सेवा कहा जाता है। प रप व अव ा म इसे ेम भ या ेममयी भ सेवा
कहा जाता है। यही शु भ सेवा का सार और स य है।

पाठ

नरो म दास कहे ए जेना मोरा हय ज पूरे असुरगे बस


साखे गण गणनाते आमरे गाइबे तते तबा ं
पूण ा अ भलाना

नरो म दास नरो म दास कह कहते ह ई जेना यह हो सकता है मोरा हाय मेरे साथ होता है ज शु
वृ दावन म असुरेज ेम क भावना बासा नवास साखे गण साखे गणनाते गनती

अमारे म गाइबे गनेगा टे ट उनम से तबा ì तब


पुरीबा शु कया जाएगा अ भलाना इ ा

नरो म दास ाथना करते ह हे मेरे भगवान कृ पया मुझ े ज म रहने क अनुम त द और मुझ े साख म
से एक के प म गन। तभी मेरी मनोकामनाएं पूरी ह गी।

पाठ

तथा ही
सखेनां सं गने पम आ मनं वासना
मयेम अजï◌ा सेवा परम तत् तत
कृ पालंक ार भुसीतम

तथा हाय इसके अलावा सखेनाà गो पय का saìginé एक दो त का पम प आ मानः


व वासना मयेम इ ा से भरा आ अज आदे श के अनुसार सेवा सेवा पैराà सम पत
जैसे जैसे
वभ कृ पा दया अलंक ार गहन के साथ भूसीतम स त
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इसके अलावा इस तरह से यान करना चा हए म साख का साथी ं और हमेशा उनके मागदशन म ेमपूण
भ सेवा म लीन ं। कृ ण के मन को स करने के लए मेरे शरीर को व भ आभूषण से सजाया गया है

एक अ यासी जो भगवान क ेममयी सेवा चाहता है उसे हमेशा इस कार सोचना चा हए म ल लता
और वशाखा साख का साथी ं साथ ही ी पा माजारे का भी। म उनके मागदशन म ी राधा माधव क
दासी ं। म व भ आभूषण से अलंकृ त ं जो ी रा धका के अवशेष ह जो सबसे मोहक ी कृ ण के मन
को भी आक षत करते ह। म हमेशा ी ी राधा माधव क ेममयी सेवा म संक प के साथ लीन रहता ँ।

पाठ

कृ ण मरण जनम क य ीनोहं नज


सं हतं तत् तत कथा रतक कसौ कू यद
वास जे सदा

कृ ण भगवान कृ ण मरण सोच रहा है जन एक भ सीए और अ या उसका ीनोहम ब त


य नजा समे हतम वयं ारा चुना गया
तत तत् कथा उन संबं धत वषय के लए रतस संल न सीए और असौ वह Kuryat करना
चा हए वासम जी वत जे वृ दावन
सदा हमेशा।

भ को हमेशा अपने भीतर कृ ण के बारे म सोचना चा हए और एक ब त ही यभ को चुनना चा हए जो


वृंदावन म कृ ण का सेवक हो। उस सेवक और कृ ण के साथ उसके ेम संबंध के वषय म नरंतर संल न रहना
चा हए और उसे वृंदावन म रहना चा हए। हालां क अगर कोई शारी रक प से वृंदावन जाने म असमथ है तो
उसे मान सक प से वह रहना चा हए।

भ रसामृत सधु . .
रागानुगा भ के माग पर मरण धान व तु है। रागानुगा भ के पथ पर एक अ यासी को कृ ण क
व श लीला को याद रखना चा हए जसम वह वेश करना चाहता है। मनु य को हमेशा इन वषय पर
चचा म संल न रहना चा हए और भौ तक और आ या मक दोन शरीर के साथ ज म नवास करना
चा हए। य द कोई शारी रक प से नवास करने म असमथ है
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वृ दावन तो को अपने शु मन के भीतर ज म रहना चा हए।


शु मन से ज म रहने के संबंध म भ रसामृत सधु म इस कार व णत है

सेवा साधक पेष स


पेष पा ह तद भाव लपसुना
काया ज लोकानुसारता

उ तभ जो सहज ेमपूण सेवा के लए इ ु क है उसे वृंदावन म कृ ण के एक वशेष सहयोगी


क ग त व धय का पालन करना चा हए। उसे अपनी आ म सा ा कार क त से बाहर से एक
नयामक भ के प म और साथ ही आंत रक प से सेवा करनी चा हए। इस कार उसे बाहरी और
आंत रक दोन तरह से भ सेवा करनी चा हए।

अ याय छह
ेम भ को जगाने के लए यान के वषय

पाठ

जुगल चरन ेते परम आनंद त त र त ेम माया परा


बंधे कृ ण नाम राधा नाम उपासना रस धाम कै र
पा ए परान दे

जुगल चरन राधा और कृ ण के चरणकमल तक ीटे यार


परम सव आनंद खुशी ताती उनका र त लगाव ेमा माया ेमी पैरा बंधे के वषय म
कृ ण नाम कृ ण के प व नाम राधा नाम राधा के प व नाम उपासना

पूज ा करना रस धाम द मधुर का वास कै रस पैर पर पईये गरना परान दे आ या मक


आनंद।

आ या मक आनंद म म युवा द के लए गहन ेम वक सत क ं गा


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युगल ी ी राधा कृ ण और उनके ेम संग के गौरवशाली वषय को सुन। राधा और कृ ण के प व


नाम क पूज ा और जप करना सभी द मधुर का नवास है। म उनके चरण कमल म ग ं गा

परमानंद
राधा और माधव के चरणकमल के त मेरा लगाव र रहे।
इस या से को द सुख क ा त होती है। परान दे श द ेमपूण वषय को संद भत
करता है। मेरे मन को ी कृ ण क द मधुरता से प र चत भ के साथ राधा और माधव के ेमपूण
वषय म लीन होने दो।

पाठ

मनेरा मरण ाण मधुरा मधुरा धाम जुगला बलास मृ त सारा सा य


साधना ए इह बाई आरा नाइ ए त व सरबा स सारा

मनेरा मन का मरण मरण ाण जीवन मधुरा मधुरा ब त यारी धाम नवास जुगल बलास
राधा और कृ ण क लीलाएँ मृ त मरण सारा सार सा य ल य

साधना ल य ा त करने क या ईआई यह इहा बाई इसके बना


आरा नै और कु छ नह एई त व यह स य सरबा स सार सभी नु खे के बीच।

भगवान क लीला का मरण भ का जीवन और आ मा है।


राधा और कृ ण क मधुर लीला का मरण करना ही सम त या का सार है। यही जीवन का
ल य है और ल य ा त का सव म साधन भी है।

यह नयम और व नयम के संबंध म सभी नदश का सार है।


राधा और कृ ण क लीला के पारलौ कक आनंद का आनंद लेते ए अपने जीवन के ल य को ा त
करने के लए भगवान क लीला का मरण ही एकमा या है। इससे बड़ा कोई ल य या या नह
है। ी ी राधा कृ ण क लीला का मरण ही शा म दए गए सभी नदश का सार है। प पुराण म
भी इसक पु इस कार है

माट ः शततं वणु र


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व माट ो न जातु चत सव
व ध ननेधां यूर ए योर एव
क करः

कृ ण भगवान व णु के मूल ह। उसे हमेशा याद कया जाना चा हए और कसी भी समय कभी नह भूलना
चा हए। शा म व णत सभी नयम और नषेध इन दो स ांत के सेवक होने चा हए।

पाठ

जलदा सुंदर का ी मधुरा मधुरा भा त बैदागधी अबी सुबेक ा पेटा


बसाना धारा भरण माशी बारा मयूरा च का का
के का

जलदा बादल सु दर सुंदर का ी द त मधुरा मधुरा मीठा भा त जैसे बैदागधी दा य


लीला के वशेष
अबधी वशेष सुबेक ा सुंदर कपड़े पहने पेटा पीला बसाना
पोशाक धरा पहने ए आ आभूषण मासी बारा गहने
मयूरा मोर क का पंख का के का घुंघराले बाल।

कृ ण का मधुर याम वण द तमान नये वषा मेघ के समान है। वह शानदार कपड़े पहने ए ह और
वैवा हक लीला को करने म सबसे अ धक वशेष ह। उनके पीले व म गहन से अलंकृ त
आभूषण और मोर पंख उनके घुंघराले बाल को सुशो भत करते ह।

मधुरा मधुरा कसी ऐसी चीज को संद भत करती है जो सबसे मीठे से यादा मीठ होती है। सरे
श द म यह बेहद मीठा है।

पाठ

मगमादा चंदन कु कु मा ब पना मन मुर त भाग नबेना


कु सुमाबले े आगे कोभये भीली मधु लाभे
फर म ा भाग

मुगमदा क तूरी चंदन चंदन का गूदा कु कु मा लाल मरहम बाइलपना मयर मन


करामाती मूरती प कोणीय
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भाग तीन गुना झुक ने वाले प नबेना नया कु सुमाबले फू ल


çré aìge उनके सुंदर शरीर म çobhaye सजाया गया भाली महान
मधु लाभे शहद का लालची होना फ़ायर भटकना मटका
पागल भाग मधुम खी

चंदन के गूदे को के सर और क तूरी के साथ मलाकर उनके माथे पर लगाया जाता है। वह सबसे
आकषक तीन गुना झुक ने वाले प म खड़ा है। उसके सुंदर अंग को नए खले ए फू ल से सजाया गया
है जो अपने शहद के लए पागल मधुम खय को आक षत करते ह।

भगवान कृ ण के बगल म भटकते भ रे ह जो भगवान क माला के ताजे फू ल से अमृत के लए ब त च तत


ह।

पाठ

इनता मधुरा मता बैदागधी लेलामता लुबाधला ज बधु


बड़ा कै राना कमला परम म मय नुपुरा नखा माई
झालामाला चं

इनाटा थोड़ा मधुरा मीठा मता मु कान बैदागधी लेलामृत


वैवा हक शगल म वशेष लुबाधला आक षत ज बधु बड़ा
वृ दावन क युव तयां चरण कमल परा कमल के चरण पर
म णमाया गहना नुपुरा टखने क घंट नखा मी म ण के समान नाखून झालामाला उ वल चमक
रहा है च च मा

भगवान क मधुर आकषक मु कान और वैवा हक लीला म उनक वशेष ता ज क युव तय


के मन को मोह लेती है। र न ज ड़त टखने क घं टयाँ उनके चरण कमल को सुशो भत करती ह उनके
र न के समान पैर के नाखून चमकते ह जैसे
चांद।

पाठ

ज पर कया त व

ज म परके य भाव के बारे म स ाई

नुपुरा मुराले धवानी कु ला बधु मरा लन


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कु नया रहेत नरे घरे बढ़े र त जेना


मले प त स े कु लेरा धम जरा रे

नुपुरा टखने क घंट मुरले व न बांसुरी क आवाज़ कु ल बधु


ज क युव तयां मरा लन हंस सु नया सुनना र हत रहना
नारे नह घरे घर पर hådaye उनके दल म बसाय
बढ़ती है र त वासना जेना जैसे मील मलते ह प त प त स े
प व प नी कु लेरा प र चत धम धा मक स ांत जरा रे
उ लंघन कया।

उनके टखने क घं टय क मधुर आवाज और उनक बांसुरी जो नर हंस क आवाज क तरह है मादा
हंस ज गो पयां अपने घर म नह रह सकती ह। अपने दल म सांसा रक नै तकता के अपराध को
भूलकर कृ ण के त उनका आकषण असी मत प से बढ़ जाता है और वे उनके पास दौड़ते ह जैसे
प व प नयां अपने प तय से मलती ह।

पाठ

ी कृ ण व हे न य व

कृ ण के शा त प के बारे म स ाई

गो बदा करेरा न य तहर सेबका स य बंडाबन भू म


तेज ोमाया तहते जमुना जला करे न य झालामाला
तारा तेरे अनोआ कुं ज हया

गो बद भगवान गो वदा करेरा शरीर न य शा त तहरा उसका


सेबका नौकर स य शा त बंडबन भू म वृ दावन क भू म तेज ोमाया उ वल tähäte
उस भू म म जमुना जाला
यमुना का जल करे करता है न य शा त झालामाला उ वल चमक रहा है तारा तेरे के
कनारे पर अनोआ आठ कु उपवन हया
है।

गो वदा का द शरीर शा त है। उनके सेवक शा त ह।


वृ दावन का नवास द तमान है। यमुना का पानी एकदम साफ है। यमुना के तट पर आठ कुं ज या उपवन
ह।
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पाठ

सेतला कराण कारा क प त गुण धारा त लता सास तु कोबा


पूण च सम यो त चदान द माया मू त महले
दशन लोभा

çétala ठं डा करना कराण कारा चांदनी क प त इ ा वृ


गुण धारा गुण व ा ता पेड़ लता रगने वाले सासा tü छह ऋतुए ँ कोबा स दय पूण चं पू णमा
समा बराबर यो त
द त चदान द माया आनंद और ान से भरपूर मू त प
महलेला महान शगल दशन दे ख ना लोभा लालची

वृ दावन के उपवन सुख दायक च मा से आकषक ह। छह ऋतुए ँ उन वन को सुशो भत करती ह जनम वृ


सभी मनोकामनाएँ पूण करते ह। कृ ण का आनंदमय व पू णमा क तुलना म अ धक तेज है और को
उनक अ त लीला क एक झलक पाने के लए उ सुक होना चा हए।

पाठ

गो बदा आनंदमय नकोए ब नता काया बहारे मधुरा अ त कोभ


शु ेमे दगमगी षु दोह अनुरागे शु प शु मन

लोभा

गो बद भगवान गो वदा आनंदमय परम आनंदमय नकोए नकट


ब नता काया बे टयां बहारे आनंद मलता है मधुरा मीठा अ त ब त
कोभा सुंदर दोन ी मयर यार से दगामगी
अ भभूत दोन दोह एक सरे क ओर
अनुरागे संल न दोन पा सुंदरता के साथ दोन
मन मन लोभ आक षत।

ऐरे गो वदा परमानंद ह। वह गो पय से घरा आ है और व भ मधुर लीला का आनंद लेता है। वे यार से अ भभूत
ह आक षत ह और एक सरे क सुंदरता से जुड़े ए ह।

पाठ
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ज पुरा ब नतारा कै रन अकरय सारा कर मन एकांत या अ य


बोला गंडु गोला न कु नहा उ रोल राख ेमा दये
भा रया

ज पुरा ज का ब नतारा क या कै रन कमल के पैर


अकराय आ य सारा सार कारा करो मन मन एका ता
वचलन के बना क रया करना अ या अ य बोला वषय गडू गोला गपशप करना ना नह कु नहा
सुनना उ रोला आ ह राखा रखना
ेमा ेम ह े दल म भ रया भरा आ।

हे मेरे मन बना वच लत ए ज क क या के चरण कमल क शरण लो। थ क गपशप न सुनना ब क मेरे दय


को कृ ण से भर दे ना
ेमा

उ रोला श द इं गत करता है क को अपने दय म ेमपूण परमानंद क भावना रखनी चा हए और


इसे सावज नक प से द शत नह करना चा हए।

पाठ

आंत रक बोध के लए बाहरी याग

पाप पु य माया दे ह सकली अ न य ए ह धन जन सबा मीचा धंदा


म रले जयबे कोठा न पाओ ताहते यथा त बू नी त कर
क य मंडा

पाप पु य माया पाप और प व ता के साथ म ण दे ह शरीर का वामी सकली सब अ न य अ ायी एही


यह धन धन जाना
अनुयायी सबा सब मीका झूठा धंदा गभाधान समु मृ यु के बाद जाइबे जाएगा कोठा कहां ना नह
पाओ ा त कर tähäte उसम बायथा दद त बू अभी भी नी त बार बार कारा करो क य मंड पापपूण
ग त व धयां

हे मेरे मन आपको यह न त प से जानना चा हए क पाप और धमपरायणता के ं सभी अ ायी ह। धन और अनुयायी


सब झूठे ह। आप नह जानते क मृ यु के बाद आप कहां जाएंगे। आपको इसके बारे म दद नह होता है और फर भी आप
अपनी पापी ग त व धय को जारी रखते ह।
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पाठ

राजरा जे रा य पाओ जेना नटु ज रा नाओ दे ख ते दे ख े


कचु नया हीना माया करे जेई परम ई र सेई
तारे मन सदा कर भाया

राजारा राजा का जे वह रा य पाओ रा य जेना मानो


नातुज रा नाओ नाटक का काय दे ख ते दे ख ते धीरे धीरे कचु नया जैसे कु छ भी नह हना ऐसा माया
म करे करता है जेई जो कोई भी परम ई र सव भगवान सेई उसका तारे उसे मन हे मेरे
मन सदा हमेशा कारा भया डरो।

राजा का रा य और शासन एक नाटक के समान होता है। यह समय के साथ धीरे धीरे ख म हो जाता
है। हे मेरे मन यह वह सव भगवान है जो अपनी मायावी ऊजा से इस शो का कारण बनता है।
इसके नयं ण म आने से हमेशा डर।

पाठ

पपे न क रह मन अधम से पापे जाना तारे मन रे प रहारी


पू यजे सुख ेरा धमा तारा न लाईओ नाम पु य
मु ई याग क र

पापी पापी ग त व धय म ना नह क रहा दो मन मन


अधम गर गया से वह पापे जाना एक पापी तारे उसे मन हे मेरे मन रे ब त र प रहारी
छोड़ दे ना पू य धमपरायणता जे वह जो सुख ेरा खुशी का धाम नवास तारा वह ना नह

लाइओ लो नाम नाम पू य धमपरायणता मु मु डु ई दोन


याग कारी छोड़ो ।

हे मन पाप कम म ल त न हो य क पापी सबसे अ धक प तत होते ह।


बुरी संग त को र से ही छोड़ द। य प धमपरायणता भौ तक सुख का वास है उसके लए यास न कर
ब क धमपरायणता और मु क इ ा को छोड़ द।
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पाठ

ेमा भ सुधा न ध ताहे ब नबा ध अर जटा नार न ध या नर रा


सुख ा पाबे सकला शतपा जबे पर त व क रले उपय

ेमा भ ेमपूण भ सेवा सुधा न ध अमृत का सागर


ताहे उसम डबा डू ब गया नबा ध नरंतर आरा जटा अ य सभी नार न ध नमक का सागर या
लगभग नरा र हमेशा
सुख ा खुशी पाबे ा त करेगा सकल सब शतप तीन गुना ख जाबे चले जाएंगे परत व सव
सय
क रले मने इस कार समझाया है उपया या

ेममयी भ मय सेवा अमृत का सागर है। सदा उस सागर म डू बे रहो। बाक सब कु छ नमक के सागर क तरह है।
य द आप इस या का पालन करते ह तो आप शा त आनंद ा त करगे और आपके सभी वलाप समा त हो जाएंगे

र।

पाठ

अ य पराका जेना न ह कदा चत हेना इहत हैबे सबधान राधा


कृ ण नाम गण ए से परम यान आरा न क रह

परम।

अ या सर का पैराका श जेना सम नह नह कडा सट


कभी कभी हना होता है इहते इसम हैबे होगा सभा
सावधान राधा कृ ण ी रा धका और ी कृ ण नाम गण उनके नाम का जप कर ईआई यह से वह परम
सव यान
यान आरा अ धक ना नह क रहा दो परमहंस ल य।

गैर भ के साथ कभी भी संग त न कर। उनके बारे म ब त सावधान रह। राधा और कृ ण के नाम जप यान का सव
प है। कसी अ य या को जीवन का ल य न मान।

योग छ यागी कम और ान जैसे गैर भ के साथ संग त नह करनी चा हए भले ही कोई खतरे म हो।
को चा हए क
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हमेशा राधा और कृ ण के सुंदर प का यान कर और उनके नाम का जाप कर। इसके अलावा कसी
अय या को जैसे क जीवन के ल य के प म फलदायी ग त व धय को वीकार नह करना चा हए।

पाठ

कम ान माइ ा भ न हबे ताया अनुर शु भजनेते कारा मन ज


जनेरा जी माता ताहे हबे अनुगत एई से परम त व धन

कम फलदायी ग त व धय के कता जान अवैय कतावाद


म भ म तभ ना नह हाबे होगा ताया उसम अनुर ा संल न शु शु भजनते
भु क आराधना म कारा मन अपने दमाग को त रख ज जनेरा ज के नवा सय का जेई
माता राय ताहे उसम हाबे होगा अनुगत

पालन करना ईई से यह है परम त व सव स य धना


संप ।

कमयोगी मनमौजी स े बाज और मले जुले भ से मत मलो। इसके बजाय ज के नवा सय के


मागदशन म वयं को शु भ सेवा म संल न कर। यह सबसे ऊं चा खजाना है।

पाठ

ाथना क रबे सदा शु ा भावे ेमा कथा नाम म े क रया अभेदा


अनोइका या मन भज रंगा े चरन ंथी पापा हबे
प रछे ड़ा

ाथना ाथना क रबे करगे सदा हमेशा शु भावे वशु प से


ेम कथा ेमपूण वषय नामा म प व नाम और मं के साथ क रया वचार करना अभेदा
गैर अलग अ तका शु करना
क रया करना मन मन भज पूज ा र गा आनं दत çré caraëa कमल पैर ंथी गांठ
पापा पापपूण ग त व धयाँ हाबे होगा प र ेद कट आ।
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म हमेशा राधा और कृ ण के द वषय क म हमा करना चाहता ं प व नाम और मं को उनसे


अलग नह मानता। म राधा और कृ ण के चरण कमल क पूज ा म अपना मन लगाऊं गा। तब मेरे दय म
पापमय कामना क गांठ न हो जाएंगी।

पाठ

राधा कृ ण कृ चरन तते सब समरपना े करासे ब लहारी जाष


षु नामा कु न कु न भ मुख े पुनी पुनी परम
आनंद सुख ा पाश

राधा कृ ण ी राधा और कृ ण çré caraëa कमल चरण टे ट उसम सबा सब कु छ समपण


समपण çré caraëe कमल के चरण तक ब लहारी जाट महान शु दोन नाम प व नाम
çuni çuni बार बार सुनना भ मुख े भ के मुख से पुनी पुनी बार बार परम आनंद महान
खुशी सुख ा पाश संतु हो जाएगा

म अपने आप को राधा और कृ ण के चरण कमल म सम पत करता ं और उनक दयालु शरण लेता ं। म बार
बार शु भ के मुख से राधा और कृ ण का नाम सुनूंगा और महान सुख और संतु ा त क ं गा।

पाठ

हेमा गौरी तनु राय आखी दारकाना कै रोदना क रबा


अभीलाने जलधारा धारा धारा अंग अ त
मनोहर पे गुसे भुबन काश

हेमा गौरी पघला आ सोना तनु शरीर राय रे राधा आखी आँख
दारकाना काई दे ख ना चाहते ह रोदना क रबा रोएगा अ भलाने एक इ ा के साथ जलधारा
बादल धरा धारा नव अंग अंग अ त मनोहर सबसे करामाती पे स दय म गुण गुण म

भुबन काश सारे व को का शत करता है


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म अपनी आंख से सुनहरे रंग क राधा को दे ख ने क इ ा क ं गा। म कृ ण के मोहक प और गुण


को दे ख ने के लए रोऊं गा जनका रंग नए बादल के समान है।

पाठ

साखे गाड़ा क र पेसे सेबा करे अ भलाने परम से सबा


सुख ा धरे ए भे माने मोरा ए रासे हस भोरा
नरो म सदा ए बहारे

साखे गण साखे कै री पेस चार तरफ़ सेबा करे सव कर


abhiläñe उनक इ ा के अनुसार परम सव से वह सेबा
स वस सुख ा खुशी धरे उपज एई भावे यह इ ा माने मोरा मेरे मन म ईई रस इस मधुर म
हठ भोरा अवशो षत कया जा रहा है नरो म ील नरो म दास ठाकु र सदाई हमेशा

बहारे आनंद लेता है

सा य ने ी ीराधा और कृ ण को चार ओर से घेर लया है और उनक सेवा करते ए उनके दय म


परम आनंद का अनुभव करते ह। नरो म दास ऐसी सेवा क कामना करते ह जो ेममय पारलौ कक मेल
म लीन हो।

अ याय सात
एक अन य भ के ल ण

पाठ

राधा कृ ण कर यान वपने न बाल आना ेमा बना आना नह चाउ


जुगला ककोरा ेम लखना बना जेना हेमा आरती
परेती रासे यान

राधा कृ ण ी राधा और ी कृ ण। कर यान यान करो


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व म व म ना नह बाला बोलो आना सांसा रक वषय ेमा ई र का ेम बना


बना आना और कु छ नह
नह चाउ लालची जुगला ककोरा द युगल ेमा ेम
लाख बश एक लाख बार प र कृ त जेना हेमा सोने क तरह आरती
बेस ी से परेती रासे अनुवां शक मेलो म यान यान।

म राधा और कृ ण का यान क ँ गा । म सपने म भी कसी अ य वषय पर नह बोलूंगा। म द युवा


जोड़े क ेममयी सेवा के अलावा और कसी चीज क लालसा नह क ं गा। राधा और कृ ण क ेम
भावनाएँ सोने क तरह एक लाख बार प र कृ त होती ह। इस लए हे मेरे मन कृ पया राधा और कृ ण को
अपनी एकमा यारी व तु के प म लगातार यान द।

हे मेरे मन य क तुम दयनीय त म हो अब उस पर यान करना शु करो जसम ी त सुख ा क


कृ त है ेम क खुशी।

पाठ

जला बनु जेना म ख पाया आयु हना ेमा बनु सेई माता
भ चटक जलदा ग त ए म त एकांत र त जाने
जेई से अनुर

जला बनु बना पानी के जेना के प म मेना मछली ख पाया


पी ड़त आयु हना मर जाता है ेमा ेम बनु बना सेई माता उस तरह भ भ चटक
चटका प ी जलदा वषा ग त
सां वना ई माट ऐसे एका त र त अनौपचा रक भ सेवा जाने जेई जो जानता है सेई वह अनुर
शु भ ।

जस कार जल से नकली मछली ब त क अनुभव करती है और मर जाती है उसी कार भ


भगवान के ेम के बना थत महसूस करता है। जैसे चटका प ी के वल वषा जल पीता है वैसे ही शु भ
के वल भगवान के ेम का ही आनंद लेते ह।

पाठ

मरंडा ामरा जेना काकोरा च का तेना


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प त त जनेरा येना प त अ य न
काले मन जेना द रदरेरा धन ए माता ेमा भ रेती

मारंडा शहद ामरा भ रा जेना के लए है काकोरा एक पै ज च का च मा क


करण टे ना जैसे प त त जनेरा एक प व प नी क याना जैसे प त प त अ य न
काले वच लत नह होता मन मन जेना क तरह द र े रा धना

एक गरीब आदमी का धन ईआई यह माता माग ेमा भ ेमपूण भ सेवा रेट वशेषताएं।

जैसे भ रा शहद से जुड़ा होता है काकोरा प ी चं मा के अमृत से जुड़ा होता है एक प व प नी अपने


प त से जुड़ी होती है और एक गरीब धन से जुड़ा होता है वैसे ही भ का मन ेममयी सेवा से
जुड़ा होता है। राधा और कृ ण क ।

पाठ

वनय गरला माया तहे मन सुख ा काया से न सुख ा ख कर


मन गो बद बनाय रस संघ कर तार दास ेम भ
स य कारी जन

वनय भौ तक बोध क व तुए ं गरला माया वषैला ताहे उसम


मन वचार सुख ा काया खुशी से वह ना नह सुख ा
ख़ुशी ख ख कारी मन वीकार कर गो बद बनाय रस
गो वदा के अमृत वषय संग कर सहयोगी तार उसका
दास नौकर ेमा भ ेमपूण भ सेवा स य कारी
शा त और त या मक जान वीकार करते ह।

भौ तक भोग वष से भरे होते ह ले कन आप उ ह सुख द समझते ह।


इ ह सुख का ज रया मत समझो ब क क समझो। गो वदा के पूण वचार म लीन हो उनके भ के
साथ जुड़ो और न कष नकालो क ेमपूण भ सेवा जीवन का ल य है।

पाठ
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म ये अ े नोआ दनोई करी हया नोआ गुसके बगुषा कर माने


गो बदा बमुख ा जाने ू त नह हेना धने लौ कका
क रया सब जाने

म ये म य कभी कभी आचे वहाँ ह नोआ शरारती लोग नोई कारी दे ख कर हया है
नोआ नाराज़ गुसाके गुण बीगुë अयो यता कारी माने वचार कर गो बद भगवान

गो वदा बमुख तकू ल जेन य ू त ेरणा नह


नह हना ऐसा धान धन लौ कका सांसा रक क रया के प म सबा
सब जेन जानता है

कभी कभी शरारती लोग भ के वहार को दे ख कर ो धत हो जाते ह। वे भ के अ े गुण को बुरे


गुण के प म वीकार करते ह। जो लोग गो व द से वमुख होते ह उनके दय म ेममयी भ मय सेवा
का धन कट नह होता य क वे इस धन को सांसा रक समझते ह।

ी कृ ण से वमुख होने वाले अनेक उप वी ह । वे भ के ेमपूण वहार को दे ख कर ब त ो धत


हो जाते ह। वे भ के नाचने जपने हंसने और रोने को जो उ माद ेम से पैदा होते ह पागलपन या
दोष मानते ह।

पाठ

अंज ना भा य जटा नह लय सत माता अहंक ारे न जाने


अपाना अ भयाने भ हेना जग माझे से दे ना
बथा तारा असेना भबना

अजाना अ ानी अभ भा यपूण जटा सब नह नह


लय लेना सता माता भ का माग अहंक ारे झूठे अहंक ार के साथ ना जाने पता नह अपान
वयं अ भमान गव
भ हेना भ सेवा से र हत जग माझे इस नया म
सेई वह दे ना गरीब बेथा बेक ार तारा उसका असेना असी मत
भाबन इ ा

जो लोग अ व ा से सत होते ह वे के माग पर नह चलते ह


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भ । ऐसे झूठे अहंक ार अ भमान और असं य बेक ार इ ा से भरे होते ह। वे इस नया म सबसे
यादा प तत ह और भ से र हत ह
स वस।

पाठ

आरा सबा प रहारी परम ई र ह र सेवा मन करी ेमा


एका ज राजा पुरा गो बद र सका बारा करहा
सदाई अ भलाना

आरा सबा बाक सब कु छ प रहारी याग परम सव


éçw ara नयं क ह र भगवान ह र सेवा सेवा मन हे मन
कारी होने Prema äça ई र के ेम को ा त करने क इ ा एक ज राज पुरा के वल ज म
गो बद भगवान गो वदा र सका बारा वह जो वैवा हक लीला म नपुण हो कराहा करो सदाई
नरंतर
अ भलाषा इ ा।

हे मेरे मन सब कु छ याग दो और भगवान के ेम को ा त करने क इ ा के साथ सव नयं क भगवान


ह र क सेवा करो। ज म सभी सुख के भंडार गो वद क सेवा के लए के वल लालसा। ील नरो म दास
ठाकु र कह रहे ह हे मेरे मन कृ पया ज म गो वद के चरण कमल को ा त करने क नरंतर इ ा कर
जो वैवा हक मामल म वशेष ह।

पाठ

नरो म दास कहे सदा मोरा ाण दहे भ संग न पाइया अ यास


नह और मछाजा हेलु भोरा ख रहे अंतरे ज गया

नरो म दास नरो म दास कह कहते ह सदा हमेशा मोरा


मेरा ाण जीवन दाहे जल रहा है हना ऐसा भ भ संघ संघ ना नह पाइया
ा त करना अभ यरा भा य
नह नह है ओरा सीमा मीचाजा झूठ गभाधान हैलु
बन गया भोरा अवशो षत ख संक ट राहे रहता है एटारे इन
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दल ज गया जागृत।

नरो म दास कहते ह शु भ क संग त के बना मेरा मन लगातार जल रहा है। मेरे भा य का
कोई अंत नह है य क म ां तय म लीन ं और मेरा दय संक ट से भर गया है।

अ याय आठ
न त ेमपूण भ सेवा

पाठ

बकानेरा अगोकारा बंडाबन लेला तल व काका ेमानंद


घना जहांते काश सुख ा नह जरा मृ यु ख कृ ण
लेला रस अनुक या

बकानेरा श द अगोकारा परे बंडाबन वृंदावन का नवास lélä stala शगल के व भ


ान व काका वयं कट ेमानंद उ साही ेम घाना ती जाहते जसम ाकाओ कट
सुख ा खुशी नह मौजूद नह है

जरा बुढ़ापा म यु मृ यु ख संक ट कृ ण भगवान कृ ण लीला रस अमृत लीला अनुक ण हमेशा।

ी वृ दावन राधा और कृ ण क लीला का ान अवणनीय है। यह आ म कट और


परमानंद ेम से भरा है। वहाँ सुख सदा व मान रहता है। यह वृ ाव ा और मृ यु के ख से र हत है।

वहाँ लगातार कृ ण लीलाएँ क जाती ह। ील नरो म दास ठाकु र ने वृ दावन का


वणन करते ए कहा क वाकनेरा अगोकारा। जब कसी ान का पूरी तरह से वणन करना संभव नह
होता है तो वेक नेरा एगोकारा वा यांश का योग कया जाता है।

इदां वृ दावनं र यः मम धमैव के वलं अ ये पाकवो पकने व कन के ओ नरामार


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ये वसंती मामा ध नये मता यं त मामालयम

यह वृ दावन मेरा अपना सबसे य नवास है। हर कोई जो मेरे नवास म यहाँ रहता है पशु प ी
पेड़ क ड़े मनु य और दे वता जब वे मर जाते ह तो वे मेरे शा त रा य म जाते ह।

पाठ

राधा कृ ण षु ेमा लखना बन येना हेमा जहर हलोले रस सधु


काकोरा नयन ेम काम र त करे यान परेती सुख ेरा
षे बंधु

राधा कृ ण ी रा धका और ी कृ ण शु दोन ेमा ेम


लाख बन एक लाख बार शु येना हेमा सोने क तरह जहर
कसका पहाड़ी लहर रस सधु पारलौ कक मधुरता का सागर काकोरा काकोरा प ी नयना
ेम सुंदर आंख काम कामदे व र त
कामदे व क प नी करे यान यान करता है परेती यार का सुख ेरा खुशी का शे दोन
बंधु दो त ।

राधा और कृ ण क लीलाएँ शु सोने के समान ह। वे पारलौ कक मधुरता के सागर म लहर ह। द


दं प क आंख मीठे अमृत पीने वाले काकोरा प ी क तरह होती ह। कामदे व अपनी प नी के साथ भगवान
के इस ेम को ा त करने के लए हमेशा यान करते ह।

जो र त ा त करने के लए उ सुक है उसे राधा और कृ ण दोन क सुंदर आँख पर ेम से


यान करना चा हए जनके चेहरे काकोरा प य के समान ह। यारा हलोला वृंदावन म लीलारस या
लीलाएं एक समु क तरह ह और राधा और कृ ण का ेम उस समु क लहर ह।

पाठ

रा धका यसे बारा बम दक मनोहर कनक के कर कां त


धरे अनुराग र ै नेला पाओ मनोहरे मनोहारे
भरण पारे
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रा धका ी रा धका यसे बारा सबसे य बामा बाएं डाइक


प मनोहर करामाती कनक सोना के करा फू ल का रेशा का ी रंग धरे अ धकार अनुराग
गहन लगाव र त çäòé लाल साड़ी नेला पाओआ नीला शॉल मनोहर करामाती

म शमोया करामाती आ आभूषण पारे पहनता है।

सुनहरे रंग क ी रा धका सबसे ऊपर और सबसे यारी ह। वह सबसे मोहक है और ी कृ ण के बा ओर


बैठ है। वह ती लगाव के कारण लाल रंग का पहनती है और उसके ऊपर एक नीली शॉल रखती है। साड़ी
उसे
गहन के गहन से खूबसूरती से सजाया गया है। ी रा धका कृ ण के त अपने गहन लगावसाड़ी
के कारण
रंग कलाल
साड़ी पहनती ह और अपनी लाल साड़ी के ऊपर कृ ण जैसा दखने वाला नीला शॉल पहनती ह। य क
गहन लगाव एक आंत रक मामला है वह लाल साड़ी को आंत रक प रधान के प म पहनती है।

पाठ

करे लोकाना पासा प लेला शु याना आनंदे मगना सहकारे


बेडा ब ध अगोकारा रतन बेदेरा परा सेबा नी त
कसोरा ककोर

कराये करो लोकाना आंख पासा पयो rüpa lélä स दय और शगल


शु दोन यान यान आनंद परमानंद म मगना
को अवशो षत सहकारे साथी बेड़ा ब ध वै दक आदे श अगोकारा अ ात रतन गहना बेडेरा
पारा वेद पर सेबा
सेवा कर न त लगातार kiçora kiçoré द युवा युगल।

सभी साखे और उनके साथी खुशी खुशी द युगल क मधुर सुंदरता को अपनी आंख से पीते ह और राधा
और कृ ण का यान करते ह।
वे हमेशा युवा जोड़े क सेवा करते ह जो वेद के लए अग य वेद पर बैठे ह।

पाठ

लाभा ज मा हेना नह भाजा ह र के न


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क ल गया मारा भव बंधे छं द अ य या


कम नह दे ख ा वेद धम भ कर कृ ण पाद ं डवा

लाभा लभ जनम जीवन का मानव प हना ऐसा नह नह भज पूज ा ह र भगवान


ह र के ना य क ल गया कस कारण से मारा पी ड़त bhaba baìdhe भौ तक जीवन का
बंधन चांडा
छोड़ दे ना अ या अ य या कम प व और पापपूण कम नह दे ख ा नह दे ख ा वेद
धम वेद म व णत ावसा यक कत भ कारा भ सेवा म संल न कृ ण पाद ं दवा कृ ण के
चरण कमल तक ।

हे मेरे मन ी ह र क सेवा वरले ही ा त होती है। फर तुम उसक पूज ा य नह करते आप के वल


भौ तक बंधन के कारण पी ड़त ह ।
वेद म व णत सभी फलदायी काय और धा मक कत का याग कर और भ के साथ भगवान
के चरण कमल क सेवा कर।

पाठ

बनाया बनामा ग त नह भज ज प त े नंदन सुख ा


सारा वग आरा अपबग संसार नरक भोग सरबा
नाका ज म बकारा

बनय भौ तक बोध क व तुए ं बनामा खतरनाक ग त प रणाम


नह नह भज पूज ा ज पत ज के भगवान े न दन दन न द महाराज के पु सुख ा सार
आनंद का नवास वग वग आरा और अपबग मु संसार भौ तक अ त व नरक नरक
भोग आनंद ल सरबा नाका सब कु छ बबाद कर दे ता है

जनम जीवन का मानव प बकारा बबाद।

भौ तक भोग के प रणाम खतरनाक होते ह। आप ज के भगवान और परमानंद के नवास ी


नंदनंदन क पूज ा य नह करते वग य ह क इ ा मु और भौ तक संसार का आनंद लेना
नारक य है। वे कसी के जीवन के मानव प को बबाद कर दे ते ह।

पाठ
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दे हे न क रह अनोह स कटे जामा का ट खेरा समु कम ग त


दे खया कु नया भज साधु शा माता यज जुगला करासे
कर र त

दे हे भौ तक शरीर म न क रहा नह अनोहा व ास रखो


स के ट नकट जामा यमराज çasta वह जो दं ड दे ता है
खेरा ख का समु सागर कम ग त ग त व धय का फल दे खया कु नया यान से वचार
करके भज पूज ा
साधु भ शा शा माता के अनुसार
यज पूज ा जुगला द युगल कै रसे कमल के चरण तक
कारा र त संल न हो।

इस अ ायी भौ तक शरीर पर व ास न कर य क मृ यु के वामी यमराज आपके बगल म ती ा कर रहे ह। कम


का वाह ख के सागर के समान है। इस पर ठ क से वचार कर और साधु के मागदशन म राधा और कृ ण के चरण
कमल क आस से पूज ा कर।

शा

ील नरो म दास ठाकु र नदश दे ते ह क हम भौ तक शरीर के साथ साथ भौ तक संसार क अ ायी कृ त को


समझना चा हए जसम बार बार ज म और मृ यु होती है शा को सुनकर और सीधे दे ख कर। जीवन क इस खतरनाक
त से बचने के लए शा के आदे श के अनुसार हमेशा राधा और कृ ण के चरण कमल क सेवा करनी चा हए।

पाठ

कम खंड ान खंड के वला बनारा भ डा अमृत ब लया जेबा खया नाना जोनी
सदा फर कादर या भकनाश करे तार ज म अधःपते जया

कम खंड फलदायी ग त व धयां ान खंड मान सक अटकल


के वल कबला बनेरा ज़हर भांडा बतन अमृत अमृत ब लया
वचार जेबा कोई भी खया पेय नाना जोनी वभ जा तयां
सदा हमेशा आग प रवतन कादर य घनौना सामान भकनास
खाना खा लो कारा करता है तारा उसका ज म जीवन अधःपते बगड़ा आ जया जाता है।
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फलदायी ग त व धयां और मान सक अटकल जहर के बतन क तरह ह। जो लोग इस जहर को अमृत
समझकर पीते ह वे बार बार ज म और मृ यु के च म पड़ जाते ह। ऐसे घृ णत चीज खाते ह और
उनका मानव जीवन खराब हो जाता है।

पाठ

राधा क णे नह र त अ य जाने बाले प त ेम भ रत


नह जाने जाने नह भ रा संधान भरामे करे
यान बथा तार से चरण जबाने

राधा कृ ण राधा और कृ ण म नह नह र त लगाव


अ या जेन सरे को गठरी कहते ह प त भगवान ेमा भ ेमपूण भ सेवा
रेट वशेषताएं नह जाने पता नह नह नह भ रा भ सेवा क संधाना

पता लगाना भरम म म करे यान यान बेथा बेक ार


तारा उसका से वह चरा मह वहीन जेबेन जीवन।

जन लोग म ी ी राधा कृ ण के त लगाव नह है वे ेम भ क या को नह जानते ह वे सर


को अपना वामी और र क मानते ह। ऐसे लोग भ सेवा के बारे म पूछताछ नह करते ह ब क वे छ
यान म संल न होते ह। उनका जीवन बेक ार और मह वहीन है।

पाठ

ान कम करे लोक नह जाने भ योग नाना मते ह या अजाना


तार कथा नह कु न परमाथ त व जानी ेमा
भ भ गण ाणा

ान कम फलदायी ग त व धयाँ और मान सक अटकल करे करो


लोका लोग नह नह जेन जानना भ योग भ सेवा क या नाना वभ दो त
राय ह या होना
अजाना पथ तारा है कथा कथन नह नह कु नी
सुनो परमाथ त व परम स य जानी जानना ेमा
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भ ेमपूण भ सेवा भ गण भ का ाण
जीवन और आ मा।

कम बु मान लोग प व ग त व धय और स ा ान म संल न होते ह। वे भ सेवा क या


को नह जानते य क वे व भ मत से पथ ह। उनक बात मत सुनो ले कन यह न त प से
जान लो क द भ सेवा भ का जीवन और आ मा है।

कम और ा नय के वचन नह सुनने चा हए । ेमपूण भ सेवा भ का जीवन और आ मा है।


इस ेममयी भ को जीवन का सव ल य मानना चा हए।

पाठ

जगत यपाक ह र अज भव अज करे मधुरा मूरती लेला


कथा
एई त व जाने जेई परम उ म सेई तारा संग क रबा
सरबथा

जगत संसार बायपाक ापक ह र भगवान ह र अजा भगवान ा भव भगवान


शव äjïä käré आदे श वाहक मधुरा मीठा
मूरती प लेला कथा शगल के वषय ईआई यह त व सय
जेन जानता है जेई वह जो परम उ म उ तम सेई वह तारा
उसके संघ संघ क रबा करगे सरबथा सभी कार से।

य प भगवान ह र सव ापी ह और भगवान ा और भगवान शव उनके आदे श वाहक ह फर भी


उनका प और लीलाएं मधुरता से भरी ह। जो इस व ान को जानता है वही परम भ है और म सदै व
उसका संग करता र ंगा।

पाठ

परम नागर कृ ण तंहे हाओ सतना भज तारे ज भाव


लश र सका भ ा संगे रहीबा परेती रंगे ज पूरे
बसती या
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परम सव नागरा परमोर कृ ण भगवान कृ ण त हे कसको हाओ बनो सतुन उ सुक


भज पूज ा तारे उसे
ज भाव ज क मनोदशा म लाï◌ा ा त करना र सका भ
भ जो ेमपूण भ क सराहना करते ह saìge संघ म रहीबा रहेगा piréti raìge
उ साही ेम म ज शु ज म बसती या म नवास करते ह।

भगवान कृ ण सव परमोर ह। इस लए सदा उ ह से जुड़ो और ज भाव से उनक पूज ा करो। ज म


नवास कर और उन भ क संग त कर जो ेमपूण भ सेवा क सराहना करते ह। ी कृ ण
सव ापी ह और सभी के भगवान ह। कृ ण के आदे श से भगवान ा बनाते ह और भगवान शव का
वनाश करते ह। य प ी कृ ण सव भगवान ह और सभी के नयं क ह फर भी उनका प और
लीलाएं मधुरता से भरी ह न क ऐ य से जो कसी के दय से भय और ा क मांग करती है। यह
ी कृ ण क वशेष वशेषता है जो उ ह भगवान के अ य प से अलग करती है।

पाठ

कृ गु भ जन त हारा कै रसे मन अरो पया कथा अनुसरे


साखेरा सरबथा माता है या तंहारा जूथा सदा
बहारे ज पूरे

çré guru आ या मक गु भ जन भ त हरा


उनका कै रसे कमल के चरण तक मन मन अरो पया ठ क करना
कथा वषय anüsäre के अनुसार साखेरा सा खय का
सरबथा सब स मान से माता राय क ह या होना तहरा
उनका जूथा समूह सदाई हमेशा बहारे आनंद मलता है ज शु राजा म।

अपने मन को आ या मक गु और भ के चरण कमल म लगाएं।


उनके नदश और मागदशन के अनुसार ज म हमेशा ी साखेसेसवीा करो
ी राधा कृ ण। जयो और
कथन को इं गत करता
अरोहै पया
। सखे
कारा अथ
सवथा
है मन
माताकोकावश
अथम है
करना
सभी। कथा
कार अनु
से सा
सारेखयन नके लपदखत
च हयोपरतषीय
चलना ।
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पाठ

लेला रस कथा गण जुगला ककोरा ाथना क रबा


अ भलासे जेबने मारासे एरा कचु न ह कै कहे
दे ना नरो म दास

लेला रस कथा पारलौ कक लीला के वषय गण गाना


जुगला ककोरा द युगल ाण जीवन ाथना ाथना
क रबा करगे अ भलासे इ ा के साथ jébane maraëe जीवन और मृ यु म
ईआई यह आरा कचु और कु छ नह नह नह कै चाहते ह कह कहते ह
दे ना गरीब नरो म दास नरो म दास।

म हमेशा इ ा के साथ ाथना क ं गा जीवन या मृ यु म ी ी राधा कृ ण क कामुक लीला को


गाऊं गा। गरीब नरो म दास कहते ह यही मेरी एकमा आशा है और मुझ े और कु छ नह चा हए।

अ याय नौ
अं तम नदश

पाठ

आना कथा न ब लबा अना कथा न कु नबा सकली क हबा


परमाथ त ान क रबा सदा लालसा अभेनोआ
कथा इह बना सकली अनथ

आना कथा सांसा रक बात न ब लबा नह बोलगे आना कथा


सांसा रक वषय न कु नबा नह सुनगे सकली सब क हबा कहेगा
परमाथ पूण स य ाथना ाथना क रबा करगे सदा
हमेशा लालसा उ सुक ता अनुभवो कथा जीवन के ल य से संबं धत वषय
इहा बन इसके बना सकली सब कु छ अनथ अवां छत।
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म न तो थ सांसा रक वषय म ल त र ंगा और न ही सुनूंगा। म के वल आ या मक साधना म संल न


र ंगा। म हमेशा अपने पू य भगवान के वषय पर उ सुक ता से चचा करने के लए ाथना क ं गा य क
बाक सब कु छ बस अवां छत है।

कृ ण क भ सेवा जीवन का सव ल य है।

पाठ

ए वारेरा त व जटा तहा बा क हबा काटा अनंत अपरा कब


जाने ज पुरा ेम न य एई से परम स य भज
भज अनुराग माने

éçw arera परमे र का त व व ान जटा सब कु छ


ताहा वह बीए या क हबा समझाएगा काटा कतना अनंत
असी मत अपरा गम कबा कौन जेन जानता है ज पुरा जम ेमा ेमपूण वहार न य
शा त ईआई यह व र
वह परम स य सव स य भज भज पूज ा अनुराग
अनुल नक के साथ माने मन।

म परम भगवान के व ान क कतनी ा या कर सकता ं य क यह असी मत और अथाह है


हालाँ क ज के ेमपूण वहार शा त और अमृत ह। हे मेरे मन कृ पया इस परम स य क गहन आस
से पूज ा कर।

पाठ

गो बद गोकु लचं परम आनंद कांड प रबरा गोप गोपे सांगे नंदे र
जरा धाम ग रधरे नाम साखे संगे तारे भज रंगगे

गो बद भगवान गो वदा गोकु लचं का चं मा जैसा व


गोकु ला परम महान आनंद खुशी कांडा ोत प रबरा
घेरा गोपा गोपे वाले लड़के और लड़ कयां saìge संगठन म नंदे र नंद ाम जसरा
जसका धाम
नवास ान ग रधर गोवधन पवत का भारो ोलक जरा जसका
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नाम नाम साखे संगे सा खय क संग त म तारे उसे


भज पूज ा रज खुशी से।

ी गो वद गोकु ल के चं व गोवधन पहाड़ी के भारो ोलक सभी पारलौ कक


सुख के जलाशय गोपाल और गोप के साथ ह और नंद ाम म रह रहे ह।

सा खय के संग आन दपूवक उनक सेवा करो।

पाठ

ेमा भ त व ए तोमेरे क हनु भाई आरा बसना प रहारी


े गु साद भाई ए सबा भजन पाई ेमा
भ साखे अनुक ारे

ेमा भ ेमपूण भ सेवा त व व ान ईआई यह


तोमारे तु हारे लए क हनु मने इस कार समझाया है भाई हे भाइय
आरा अ य सभी बासन भौ तक इ ाएँ प रहारी छोड़कर गु साद आ या मक गु क
दया से भाई हे भाई ई सबा ये सब भजन पूज ा क या पाई ा त कर ेमा भ ेमपूण
भ सेवा साखे अनुक ारी सा खय का साथी।

हे भाई मने इस कार आपको भ सेवा का व ान बताया है।


कृ पया सभी भौ तक इ ा को याग द। आप आ या मक गु क दया से ेमपूण भ सेवा कर
सकते ह और स अव ा म आप सा खय क दासी के प म गने जाएंगे।

पाठ

साथक भजन पाठ साधु संगे अबीरता मरण भजन कृ ण कथा


ेमा भ हया जद तबे हय मन शु तबे जय
दय बयाथा

साथक पूण ता भजन पथ पूज ा का माग साधु सांगे भ क संग त म अबीरता हमेशा
मरण
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मरण भजन पूज ा कृ ण कथा कृ ण के वषय पर चचा ेमा भ ेमपूण भ सेवा हया है
जडी अगर
टै ब से हया है मनः शु मन क शु टै ब
बजाय जया चले जाओ दयरा दय का बायथा दद।

भ सेवा का सबसे सफल तरीका भ क संग त म कृ ण क लीला को लगातार याद


रखना है। जब कोई ेमपूण भ ा त करता है तो उसका मन पूरी तरह से शु हो जाएगा और उसके
दय का संक ट र हो जाएगा।

पाठ

बनाया बप जन संसार वपन मन नारा तनु भजनेरा मूल


अनुराग भज सदा ेमा भाबे लेला कथा आरा
जटा दयेरा कु ला

बनय भौ तक बोध क व तुए ं बप खतरा जान कृ पया जान ल


संसार भौ तक अ त व व व मन वीकार नारा तनु जीवन का मानव प भजनेरा मूल
भु क आराधना का मूल anüräge लगाव के साथ भज पूज ा सदा हमेशा ेमा भाबे
यार से लेला कथा व भ लीला के वषय आरा जटा

सबकु छ सरा दयरा दय का कु ला दद।

भौ तक ान क व तु को खतरनाक और भौ तक जीवन को एक सपना के प म दे ख ।


मानव जीवन कृ ण क पूज ा के लए सबसे उपयु है। हमेशा राधा और कृ ण क ेममयी लीला के
बारे म गाओ। अ य सभी वषय दय को क दे ते ह।

पाठ

ी रा धका या

ीमाते राधारानी क शरण ली


रा धका चरन रेण ु भूनाना या तनु अनायसे पबे गरधर
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रा धका चरा या ये करे से महाकाय तार मुशी जय ब लहारी

रा धका चरन रेण ु ी रा धका के चरण कमल क धूल भूना या सजाना तनु शरीर अनायसे
आसानी से पाबे ा त करेगा
ग रधर गोवधन पवत का भारो ोलक रा धका चारा ाय ी रा धका के चरण कमल क शरण लेना
तु करे ऐसा करने वाला से महाकाय एक महान ह तारे उसे मुसी म जय ब लहारी

म हमा करना

ी रा धका के चरण कमल क धूल से अपने शरीर को सजाओ।


तब आप गोवधन पवत के भारो ोलक ी कृ ण क पूण कृ पा ा त करगे। जो रा धका के
चरण कमल क शरण लेता है म उसे एक महान के प म म हमामं डत करता ँ।

पाठ

जय जय राधा नाम बंडाबन य धाम कृ ण सुख ा बलासरा न ध


हेना राधा गुण गण न कु नला मोरा काना बा सता
क रला मोरे ब ध

जय जया सभी म हमा राधा नाम राधा के प व नाम


बंडाबन वृ दावन यारा जसका धाम नवास कृ ण सुख ा
कृ ण को स करना बलासरा न ध आनंद का सागर हेना राधा
ऐसी राधा गुण गण उनके गुण क म हमा करना ना कु नला सुना नह मोरा काना मेरे कान
बा सता धोखा दया क रला कया अ धक मेरे लए ब ध नमाता।

ी राधा के प व नाम क जय हो जो सदा वृ दावन म नवास करते ह। वह कृ ण क खुशी का


सागर है । मुझ े ो वडस ारा धोखा दया गया है य क मने राधा क म हमा के बारे म नह सुना है।

पाठ

तार भ संग सदा रस लेला ेम कथा जे कहे से पया घन यामा


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एहते बमुख जेई तारा कबू स नै न ह जेना कु न तारा


नामा

तारा उसे भ संग भ के साथ सहयोगी सदा हमेशा


रस लेला अमृत लीला ेम कथा ेम के वषय जे कहे जो जप करता है से पया वह ा त
करता है घन याम गहरे रंग का यामसुंदर éhäte इसम बमुख व जेई जो कोई भी

तारा उसका कबू कभी नह स पूण ता नाई नह नह नह जेना कु नी सुन सकते ह तारा
नाम उसका नाम ।

जो ी राधा के भ के साथ संग त करता है और राधा क ेममयी लीला क चचा करता है वह


न त प से यामसुंदर से मलता है। इसका वरोध करने वाला कभी भी स को ा त नह होता और
म ऐसे का नाम भी नह सुनना चाहता।

पाठ

कृ ण नाम गने भाई रा धका चरन पाई राधा नाम गणे कृ णचं
संक नेपे क हला कथा घुचौ मनेरा यथा ःख माया
अ य कथा ं डवा

कृ ण नाम कृ ण के प व नाम गान नामजप करके भाई हे यारे भाइय रा धका चरन ी रा धका
के चरणकमल पाई
ा त करना राधा नाम राधा का प व नाम गान नामजप करके
कृ णचं चं मा कृ ण साकनपे सं ेप म क हला कथा मने इस कार समझाया है घूक ाओ न मनेर
बयाथा मन क पीड़ा ख माया ख से भरी ई अ य कथा सांसा रक वषय ादवा ै त।

हे भाई के वल कृ ण के नाम जप से कोई रा धका के चरण कमल को ा त कर सकता है और रा धका


के नाम का जाप करने से कोई कृ ण के चरण कमल को ा त कर सकता है। इस कार मने सं ेप म
सब कु छ समझाया है जससे आप अपने दल के दद से मु हो जाएंगे। अ य सभी वषय ख और ै त से
भरे ए ह।

पाठ
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अहंक ार अ भमन असत् संग असज ान च च भज गु पाद


प कर आ मा नबेदन दे ह गेह प रजन गु ब या
परम मह व

अहंक ार झूठा अहंक ार अ भमान अ भमान असत संग गैर भ के साथ संग त असज ान
थ ान चाई छोड़कर
भज पूज ा गु पद प आ या मक गु के चरण कमल कर आ मा नबेदन पूरी तरह से
समपण दे ह शरीर गेहा
घर प रजन प रवार के सद य गु ब या आ या मक गु के वचन परम सव महतवा मह वपूण ।

झूठे अहंक ार और अ भमान को छोड़ दो। म या संग त को यागकर और थ भौ तक ान का यास


करते ए गु के चरण कमल क पूज ा कर। अपने शरीर घर और प रवार के सद य को उ ह स प द।
आ या मक गु के मुख कमल के वचन अ यंत मह वपूण ह।

इस संबंध म ीमद भागवतम . . के न न ल खत ोक का उ लेख करना चा हए

ततो संगम उ सो य स सु स ेता बु मन संता वा य चदां त मनो


ासंगम उ दत भ

इस लए एक बु मान को सभी बुरी संग त को यागना चा हए और इसके बजाय संत भ क


संग त लेनी चा हए जनके श द कसी के मन क अ य धक आस को काट दे ते ह।

न न ल खत सा य भी उ त कए गए ह

द ाधनगर कु लभीम ननो दे हद दार मज


न यबु ाय इनो यादे वन फलक क ो ये
जीवनमंतंते न लभंते के कवम

जो लोग अपने भौ तक ान धन घर प रवार आ द से फू ले ए ह और अपने शरीर और शारी रक


उपो पाद जैसे प नी और ब को शा त मानते ह साथ ही साथ अ य दे वता को अपना पू य वामी
मानते ह ता क कु छ अ ायी लाभ ा त करते ह वा तव म जी वत रहते ए मर चुके ह। ऐसे लोग भगवान
कृ ण को ा त नह कर सकते।
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पाठ

ी गौरा उपासना कथा थः

ी गौरांग क पूज ा क आव यकता

े कृ ण चैत यदे बा र त म त भाबे सेबा ेमा क प त दाता


ज राजा नंदन रा धका जेबना धन अप प
एई सब कथा दे श कृ ण चैत यदे बा भगवान चैत य चैत यदे बा
र त मती भाबे लगाव और यान के साथ

सेबा सेवा ेम क प त ई र के ेम का इ ा वृ दाता दाता ज राजा नंदन ज के राजा


का पु रा धका जेबन धन ी रा धका का जीवन और खजाना अप पा अ त ईआई यह सबा
सब कथा वषय।

के ेम को दान करने
ी कृके णलए
चैतइयदे व
ा वृलगाव
ह। और
वह ज
ढ़ सं
के कराजा
प केके साथ
पु और
कृ पयाी से
राधाक
वा करके जीवन
य क वेऔर
भगवान
आ मा से अलग नह है। यह बस अ त है।

पाठ

नब े अबतारी राधा भाव अंगे क र तार कां त अगेरा भूना


ट ना बंचा अभीलसे े गभ परका च संगे लाना
प रनाद गण

नव े प नव े प म अबतारी अवतार ारा राधा भाव राधा क मनोदशा अंगे कारी वीकार
करके तारा कां त उसका रंग
ोध अंग का भुनाना सजावट ट ना बंचा तीन इ ाएँ
अ भलासे पूरा करना çacé garbhe Çace के गभ म परकासी
दखाई दया Saìge उसके साथ लाआ लेना प रनाद गण सहयोगी।

ी कृ ण चैत यदे व ी राधा क मनोदशा म नव प म कट ए ह और वयं को राधा के रंग से


सजाया है। तीन मनोकामना क पू त के लए वे माता असे के गभ म अवत रत ए ह
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अपने सहयो गय के साथ।

पाठ

गौरा ह र बता र ेमरा बड़ा करी सा धला मनेरा नज काज


रा धका ाण प त कबा भाबे कांडे नी त इह
बुझ े भ समाज

गौर ह र भगवान गौरांग अबतारी उतरने के बाद ेमेरा ई र के ेम का बदरा कारी बा रश क


तरह बरसना सा धला पूरा आ
मनेरा उसके मन का नजा अपना काज काम रा धका ी रा धका क ाण प त जीवन
और आ मा कबा भाबे कै से कांडे रोता है
नी त हमेशा इहा यह बुझ े समझना भ समाज भ का समाज।

ी गौराहारी कट ए ह और उ ह ने भगवान के ेम क वषा क है। इस तरह उसने अपनी


आंत रक इ ा को पूरा कया है। वह ी रा धका का जीवन और आ मा ह।
के वल भ ही भगवान के रोने और वलाप को समझते ह।

पाठ

रागानु यो साधना

लगाव को यार करने क या

गोपते सा ध स साधना नबाधा भ ाथना क रबा दनय सदा


कारी ह र संक तन सदा बभोला मन

इनोआ लाभा बनू सबा बधा

गोपते चुपके से सा धले अ यास करगे स जीवन का ल य


साधना या नबाधा भ नौ कार क भ
ाथना क रबा ाथना करगे daiye वन ता के साथ सदा हमेशा कारी दशन ह र
संक तन ह र के प व नाम का सामू हक जप सदाई हमेशा बभोला अवशो षत मन मन इनोआ लाभ
जीवन के ल य को ा त करना बनु बना सबा सब कु छ

बाधा बाधा।
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बाहरी प से भ सेवा क नौ या का अ यास करते ए हमेशा वन ता के साथ ाथना


करते ए आंत रक प से ी कृ ण के वचार म लीन होना चा हए। बना वच लत ए ह र के नाम
का जाप करना चा हए। जीवन के इस ल य क ा त के बना सब कु छ थ है।

पाठ

मानस सकना

दमाग के लए नदश

संसार बतोजारे काम फं से बंधी मारे फु करा करह ह रदास करह


भ संग ेम कथा रस रंगा तबे हय बपदा
बनाका

संसार भौ तक जगत बातोजारे लूट काम कामुक इ ाएँ phäìse उ मीद के साथ
बंधी बंधन घोड़ी ह या
फु करा करहा वलाप ह रदास हे ी ह र के सेवक कराह भ संग भ के संग ेम कथा
ेमपूण वहार के वषय रस रंग अमृत लीलाएं टै ब से हया है

बपाड़ा खतरा बनाका वजय ा त करता है।

भौ तक नया आपको धोखा दे रही है। कामवासना आपको र सय से लटका कर मार रही है।
वलाप करो हे ह र के सेवक। भ के साथ जुड़ और भगवान के ेम के वषय पर चचा म संल न
ह । तब आपके सारे संक ट र हो जाएंगे।

पाठ

े पु बालक काटा मारी जरा त त अपनाके हाओ


सभाना मुसी से बनाये हट न भ जनु ह र पड़ा
मोरा आरा नह प र ास

े प नी पु पु बालका ब े काटा इतने सारे मारी जरा


मरना çata çata सैक ड़ अपानके वयं हाओ बनो
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सबधान सावधान मुसी म ँ से वह बनाये हट भौ तक इ ा से मारे गए ना नह भ जनु


पूज ा ह र पाद ह र के चरण कमल मोरा मन आरा नह कोई और नह प र ाण मु ।

सैक ड़ प नयां और ब े पैदा ए और मर गए फर भी म सावधान नह ं। म भौ तक वषय से नराश ँ


और मने ह र के चरण कमल क पूज ा नह क है। इस लए मुझ े कोई सुर ा और उ ार नह है।

हे मेरे मन भौ तक अ त व के प म लुटेरे अना द काल से आपक गदन को वासना क र सय से बांधकर


आपको मार रहे ह। कृ ण के भ को तुरंत बुलाओ और अपनी दयनीय त से अवगत कराओ य क
के वल कृ ण के भ ही तु हारा उ ार कर सकते ह।

पाठ

र सका भ सौग ननोह

र सका भ से जुड़ने क उ सुक ता

रामचं कबीराजा सेई संगे मोरा काजा तारा संग बनु सबा
कु य हया ज म ज द पुन तार संगा हया जेना तबे
हय नरो म ध य

रामचं कबीराजा ी रामचं क वराज sei saìge उसक संग त के साथ मोरा मेरा काज
चता तार संघ उनक संग त
बनु बना सबा सब कु छ कु या खाली हया ज म पुनज म
जडी अगर पुना फर से तारा संघ उनक संग त हया जेना या म ा त कर सकता ं टै ब से
हया है नरो म नरो म दास ध या
म हमा

मेरी एक ही इ ा है क रामचं क वराज का संग हो।


उसके बना सब कु छ सूना सा लगता है। अगर मुझ े फर से ज म लेना है तो या मुझ े उनका संघ मल सकता
है। तब नरो म दास का जीवन सफल होगा।

रागानुगा भ के पथ पर चलने वाले भ के लए आजी वका का मूल साधन राधा और कृ ण क अमृत


लीला का नरंतर आनंद लेना है
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समान वचारधारा वाले भ क संग त म। इस लए ऐसे भ क संग त ा त करने के लए सदै व ील क


करनी चा हए। इस कारण से नरो म दास ठाकु र अगले ज म म भी अपने घ न म ाथना
ील रामचं क वराज
क संग त ा त करना चाहते ह।

पाठ

अपान भजन कथा न क हबा ज ा तथा इहते हैबा व ाना


न क रहा कहा रोना न लैह मोरा दोन णमह
भ े रा कारसे

अपान अपना भजन कथा पूज ा क व ध ना क हबा खुलासा नह करगे जथा तथा यहाँ और वहाँ
ihäte इस मामले म हैबा म हो जाऊं गा सबधान सावधान न क रहा नह के हा कोई भी रोना

नाराज़ न लैहा मत लो मोरा डोना मेरा अपराध णाम म अपना स मानजनक नमन करता ं भ
के चरण कमल के लए भ े रा कारसे ।

म कसी को और सभी को यहोवा क उपासना करने का अपना माग नह बताऊँ गा। म इसके बारे
म बेहद सावधान र ंगा। कृ पया मुझ से नाराज़ न ह या नाराज़ न ह । म भ के चरण कमल को वन
ांज ल अ पत करता ं।

पाठ

े गौरांग भु मोरे जे बोलाना बने तो कह अ ा मांडा


कचुई न जानी

े गौरंगा भु भगवान गौरांग अ धक मेरे लए जे वह जो


बोलाना मुझ े बोलने दो बैन कथन ताह कही म वही बोल रहा ँ भला मांड अ ा और बुरा
कचुई ना कु छ नह जानी
जानना।

दरअसल म नह जानता क याी गौरां


सहीगहैमहा
और भुया
ने मु
गलत।
झ से कहा है क मने यहाँ जो भी स दे श दया है।
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पाठ

लोकनाथ भुपाद ह े बलास ेम भ च का


कहे नरो म दास

लोकनाथ भुपाद ील लोकनाथ गो वामी के चरणकमल


दे य बलास मेरे दय म ान ेमा भ च का ेम भ क च मा क करण कह कहते ह
नरो म दास नरो म दास।

ील लोकनाथ भु के चरण कमल को अपने दय म रखते ए म नरो म दास ने ी


ेम भ चं का का वणन कया।

इस कार ील नरो म दास ठाकु र ारा र चत ी ी ेमा भ च का समा त होती है।

प र श एक

भगवान ी कृ ण शा त ान से भरे और आनंदमय ह। नराकार उनके शरीर का तेज है।


परमा मा उनका पूण भाग है और नारायण वैकुं ठ के भगवान उनक भ वशेषता है। उसके पास तीन
मुख श यां ह। इन श य को आंत रक श सीमांत श और बाहरी श के प म जाना जाता
है। इनम आंत रक श सबसे अ धक है। इस श का सरा नाम आ या मक श है। हालाँ क यह
आ या मक श तीन े णय म वभा जत है हलद न सं ध और सा वत।

इन े णय म हलद न çakté सबसे ऊपर है। य प ी कृ ण द आनंद के अवतार ह वे इस


हलद न श के मा यम से द सुख का आनंद लेते ह जससे भ को भी आनंद मलता है। यह
हलद न श कृ ण को दो तरह से आनंद लेने म मदद करती है। एक प म एक आंत रक श के प
म और सरे प म इस ऊजा के मुख दे वता के पम सरे श द म ी रा धका के प म। महाभाव
क वशेषता ी रा धका है। ी रा धका का आ य है
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महाभाव और उनके येक अंग को महाभाव के ल ण से सजाया गया है। यह चैत य च रतामृत आ द
लैला . और म कहा गया है

हलद नेरा सारा ेमा ेमा सार भाव भावर परम कनोह
नाम महा भव

दनश का सार ई र का ेम है ई र के ेम का सार भावना भाव है और भावना का अं तम


वकास महाभाव है।

महाभावा व पा े राधा ओहकु रासे सव गुण खानी


कृ ण कांता चरोमशी

ी राधा ठाकु र महाभाव के अवतार ह। वह भगवान कृ ण क सभी यारी प नय के बीच सभी


अ े गुण और शखा र न का भंडार है।

कृ ण ेम भा वता यार चत य काय कृ ण नज श राधा


कृ ण सहाय

उसका मन इ याँ और शरीर कृ ण के ेम म डू बा आ है। वह कृ ण क अपनी ऊजा ह और वह


उनक लीला म उनक सहायता करती ह। ी रा धका महाभाव का अवतार कृ ण को स करने के
लए सभी सुख के भंडार ेम के व भ पारलौ कक अवयव को वीकार करते ह। फर से कृ ण को
और अ धक स करने के लए और व भ मधुर के साथ उनक अलग अलग सेवा करने के लए वह
खुद को ज क असं य गो पय के प म व ता रत करती ह। ज क ये क याएं सीधे ी रा धका के
शारी रक अंग ह जैसे कृ ण सभी अवतार का आ य और उ प है। ी रा धका ल लता और चं वाले
के नेतृ व म ज क सभी गो पय का आ य और उ प है । ी रा धका ेमपूण मधुर या महाभाव का
सागर है। ज के साख को चार वग म वभा जत कया गया है बपकना या वप जैसे क चं ावले
त सथ पाक या तट जैसे भ सु हत पाक या शुभ चतक जैसे यामल और सपकना या रा धका के
समूह म वे जैसे साख क अ य ता म ल लता।

प र श दो
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साखे पांच कार के होते ह वे साखे न य सखे ाण सखे या सखे और परम ेनोहा
सखे के नाम से जाने जाते ह। उनम से कु छ राधा और कृ ण के त समान नेही ह जब क कु छ
उनके त कु टल नेही ह। कु सु मता व य कु श अलता और ध ननोह साखे कहलाते ह । वे ी
कृ ण के त अ धक नेही ह। क तूरे मणी मंज रे आ द न य साखे ह और वे ी रा धका के
त अ धक नेही ह। इस लए वे कु टल नेही साख म गने जाते ह। शा त मंज रे वन ते ल सक
आ द ाण सखे कहलाते ह। सुमा या मदन लसा आ द या सखे कहलाते ह। ल लता वशाखा
आ द आठ साख को परम ेनोह साखे कहा जाता है। य प ये आठ साख राधा और कृ ण के
त समान प से नेही ह फर भी कभी कभी वे ी रा धका के त अ धक नेही होते ह।

सा खय के रंग और पहनावे का ववरण

ल लता गौरा लेला म व प दामोदर उनका सरा नाम अनुराधा है।


उसका रंग सुंदर चमक ला पीला गोरोकाना है। उसक पोशाक मोर पंख के रंग क है। उनक
माता का नाम सारदे है। उसके पता का नाम बकोका है। उनके तथाक थत प त भैरव ह। वह
तेज और वपरीत वभाव क है। वह रा धका से स ाईस दन बड़ी ह। उनक सेवा म सुपारी
और कपूर दे ना शा मल है। वह ल लतानंद कुं ज म रहती है जो बजली के रंग जैसा दखता है।
उनका नवास कमल के आकार के योग पयोहा के उ र क ओर त है जसम आठ पंख ु ड़याँ
ह। र न भा रतेके ले सुभ ा भ रेख ा सुमुख े ध ननोहा कालाहंसे और कलापीने उसके समूह के
ह।

वशाखा गौरा लेला म राय रामानंद उसका रंग म रंग का है और लाल रंग का है। उसक
पोशाक सतार से सजी है। वह जोइला क भतीजी है। उनक माता का नाम द णा है। उसके
पता का नाम पवन है। उनके तथाक थत प त ब हका ह। उसका वभाव सीमांत है। वह उसी
समय रा धका के प म पैदा ई थी। उनक सेवा राधा और कृ ण को व और आभूषण से
सजाना है। वह योग पयोहा के उ री भाग म मेघ रंग वाले वकान द कु म नवास करती ह।
माधवे मालते चं लेख ा कुं जरे हरे चपला सुरबी और सुबनाना
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उसके समूह के ह।
च ा गौरा लेला म गो वदानंद उसके पास एक सुंदर भगवा रंग है। उसक पोशाक रंग म टलीय है।
इनक माता का नाम चरबीका है। उनके पता का नाम चतुरा है जो राजा वीणाभानु के चचेरे भाई ह। उनके
तथाक थत प त पथरा ह। वह सौ य वभाव क है।

वह राधारानी से छ बीस दन छोट ह। उनक सेवा राधा और कृ ण को ल ग क माला अ पत करना है। वह


योगपीठ के पूव भाग म त अ त च ानंद कु म नवास करती ह।

रासलीका तल कन शौरसेने सुगं धका र मला कामनगरे नागरे और नागाबे लका उसके समूह से संबं धत ह।

इं रेख ा गौरा लेला म बसु रामानंद उसका रंग हरा पीला है उसक पोशाक अनार के फू ल क तरह है।
उनक माता का नाम बेला है उनके पता का नाम सागर है। उसका तथाक थत प त बाला है। उसका वपरीत
वभाव है। वह राधारानी से तीन दन छोट ह। उसक सेवा शहद चढ़ाने क है। वह योगपीठ क द ण पूव
पंख ुड़ी पर सुनहरे रंग के पुरसी कुं ज म नवास करती ह।

तुंगभ ा रसतुंग रंगवटे सुमंगल च लेख ा व च ागे मोदने और मदनलासा उनके समूह से संबं धत
साख ह।

चंपकलता गौरा लेला म शवानंद सेन उसका रंग चंपक के फू ल जैसा है। उसक पोशाक कासा प ी क तरह
है। उनक माता का नाम वा टका है उनके पता का नाम अराम है। उनके तथाक थत प त च दकना ह। इनका वभाव
सौ य और सौ य होता है। वह राधारानी से एक दन छोट ह। उसक सेवा गहने और कै मरे क पेशकश कर रही है।
वह योग पओह क द णी पंख ुड़ी पर त कमलता कुं ज म रहती ह। उसके समूह म ह कु ं गकने सुच रता मंज ले
मृ षकु दल चं का चं ला टका कांडुक कने और सुमं दर।

रंगादे वे गौरा लेला म गो वदा घोष उनका रंग कमल के फू ल जैसा है। उसक पोशाक ह ब कस फू ल का रंग है।
उनक माता का नाम क णा है उनके पता का नाम रंग सारा है। उनके तथाक थत प त व े कन ह। उसका वभाव

म यम वपरीत है। वह राधारानी से स ह दन छोट ह। उनक सेवा म चंदन का गूदा चढ़ाया जाता है। वह योग पयोहा
क द णप मी पंख ुड़ी पर त नीले रंग के रंगदे व कु म रहती है। न न ल खत साख उसके समूह से संबं धत
ह कालकाशोहे श शकला कमला मधुरा इं दरा कं दरपा सुंदरे कमला टका और
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ेमा मांज रे।


तुंग व ा गौरा लेला म व े र पं डत उसका रंग कपूर और चंदन के साथ म त कु कु म जैसा है। वह
पीले व पहनती है। इनक माता का नाम मेधा है। उनके पता का नाम प कारा है।

उसका तथाक थत प त वा लश है। उनका वभाव सबसे उदार है। वह राधारानी से पांच दन छोट ह।
उनक सेवा गायन और नृ य है। वह योग पयोहा क प मी पंख ुड़ी पर त नारंगी रंग के तुंग व ा
कु म रहती है। मंज ुमेधा सुमाधुरा सुमा या मधुरेक ना तनुम या मधु यंद गुण चुषा और बरगदा
साखे उसके समूह के ह।

सुदेवे गौरा लेला म वासुदेव घोष रंगदे व क जुड़वां बहन।


उनका रंग और पहनावा रागादे वे जैसा ही है। उसका तथाक थत प त व े कना का छोटा भाई है।
उसके पास एक तेज वपरीत कृ त है। उसक सेवा पानी दे रही है। वह पीले रंग के सुदेव कु म नवास
करती ह जो योगपीठ के उ र प मी पंख ुड़ी पर त है।

कावेरे चा कबारा सुके के मंज ुकु हे हराहेरा महाहेरा हारा कांटे और मनोहर साखे उसके समूह से
संबं धत ह।

प र श तीन

Maïjarés . के रंग और पोशाक का ववरण

ré Rupa maïjaré Çréla Rupa Gosvamé in gaura lélä उसका रंग सुंदर चमक ला पीला
गोरोकाना है। उसक पोशाक मोर पंख के रंग क है उनक सेवा सुनहरे रंग क सुपारी दे रही है। वह
ल लता कुं ज के उ र म त पोलस कुं ज म रहती है।

र त मांज रे गौरा लेला म ील रघुनाथ दास गो वामी सरा नाम तुलासे मौजारे है। कु छ लोग उ ह
भानुमते मौजरे कहते ह। उसका रंग बजली क चमक क तरह है। उसक पोशाक सतार से सजी है।
उनक सेवा राधा और कृ ण के चरण क मा लश कर रही है। वह इं रेख ा कुं ज के द णम त
र यमुबुज कुं ज म रहती है।
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लवंगा मांज रे गौरा लेला म ऑरेला सनातन गो वामी सरा नाम रेटे मौजारे है। उसका रंग
ह का जैसा दखता है। उसक पोशाक सतार से सजी है। उनक सेवा ल ग क माला चढ़ा रही है।
वह तुंग व ा कुं ज के पूव म त लवंग कुं ज म रहती है।

एक और नाम लेला माजारे है।


मंज ुली गौरा लेला म ील लोकनाथ गो वामी उसका रंग पघला आ सोना है। उसक पोशाक
चमकदार लाल है। उनक सेवा राधा और कृ ण क पोशाक है। वह वशाखा कुं ज के उ र म त
लेलानंद कुं ज म रहती है। उसका सरा नाम Lélä Maïjaré है।

रस मांज रे गौरा लेला म ील रघुनाथ भाऊ गो वामी उसका रंग कपका फू ल जैसा है।
उसक पोशाक हंस क वशेषता से बनी है। उनक सेवा प टग है। वह च कु के पूव म
त रसान द कु म नवास करती ह।

क तूरे मांज रे गौर लीला म ील कृ णदास क वराज गो वामी उसका रंग शु सोने जैसा है।
उसक पोशाक टलीय है। उनक सेवा म चंदन का गूदा चढ़ाया जाता है। वह सुदेवी कु के
उ रम त क तूरी आन द कु म नवास करती ह।

गुआ मांज रे गौरा लेला म ऑरेला गोपाल भाऊ गो वामी उसका रंग बजली क
चमक क तरह है। उसक पोशाक ह ब कस फू ल के रंग क तरह है। उनक सेवा राधा और कृ ण
को जल अ पत कर रही है। वह चंपकलता कुं ज के उ र पूव म त गुंडानंद कुं ज म रहती है।

वलासा मांज रे गौरा लेला म ऑरेला जेवा गो वामी उसका रंग सुनहरे दे वदार के फू ल जैसा
है। उसक पोशाक मधुम खय क तरह दखती है। उनक सेवा राधा और कृ ण पर म कारा
लगाना है। वह वलासानंद कुं ज म रहती है जो रंगदे व कुं ज के प म म त है।

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