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रैदास के पद

1. अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी।


भु जी, तुम चंदन हम पानी, जाक अँग-अँग बास समानी।
भु जी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चतवत चंद चकोरा।
भु जी, तुम द पक हम बाती, जाक जो त बरै दन राती।
भु जी, तुम मोती हम धागा, जैसे सोन हं मलत सुहागा।
भु जी, तुम वामी हम दासा, ऐसी भि त करै रैदासा॥

श दाथ –
बास – गंध, वास
घन – बादल
मोरा – मोर
चतवत – देखना
बाती – ब ी
जो त – यो त
बरै – बढ़ाना, जलना
राती – रा
दासा – सेवक

भावाथ- क व कहते ह क उ ह भगवान राम का नाम लेने क आदत लग गई है जो


छूट नह ं सकती है। भु जी आप चंदन और म पानी हूँ । िजस तरह चंदन को पानी
म मलाने पर पानी सुगं धत हो जाता है, उसी कार आपक भि त मेरे अंग-अंग को
सुगं धत कर रह है । भु जी आप बादल ह और म मोर हूँ तथा आप चं ह और म
चकोर हूँ, जो चं मा को देखकर खुश होता है । उसी कार म भी आपक भि त करके
स न होता हूँ । भु जी आप द पक ह और म उसक बाती । िजस कार द पक क
बाती दन रात जलती है, उसी तरह आपक भि त क आग म म भी दन-रात जलता
रहता हूँ । भु जी िजस तरह मोती धागे क तथा सुहागा सोने क सुंदरता बढ़ा देता है,
उसी तरह आप क भि त करके म नखर जाता हूँ । भु जी आप वामी ह और म
आपका दास हूँ । म आपक इसी तरह भि त करना चाहता हूँ ।

2. ऐसी लाल तुझ बनु कउनु करै।


गर ब नवाजु गुसईआ मेरा माथै छ ु धरै।।
जाक छो त जगत कउ लागै ता पर तुह ं ढरै।
नीचहु ऊच करै मेरा गो बंदु काहू ते न डरै॥
नामदेव कबी तलोचनु सधना सैनु तरै।
क ह र वदासु सुनहु रे संतहु ह रजीउ ते सभै सरै॥

श दाथ
लाल – वामी
कउनु – कौन
गर ब नवाजु – द न-दु खय पर दया करने वाला
छो त – छुआछूत
तलोचनु- लोचन
सैनु – सेन
ह रजीउ – ह र जी से
सभै सरै – सब कुछ संभव हो जाता है

भावाथ- रैदास कहते ह क भु अपने भ त पर जो दया आपने क है और कौन कर


सकता है ? गर ब पर दया करने वाले मेरे भु आपने राजाओं के समान मेरे माथे पर
छ रख दया है । िजसके छूने से यह जग अपने आप को अछूत समझता था, उस
पर भी आपने दया क है । मेरे भु आप नीच को भी ऊँची पदवी दान करते ह ।
आप कसी से भी नह ं डरते ह। आपने नामदेव, कबीर, लोचन, साधना, सेन आ द
संतो को भी तारा है । रैदास जी कहते ह क उस ह र के वारा इस संसार म सबकुछ
संभव है ।

नो र-

न 1
क – पहले पद म भगवान और भ त क िजन-िजन चीज से तुलना क गई है, उनका
उ लेख क िजए।
उ र- भगवान भ त
चंदन पानी
बादल मोर
चाँद चकोर
मोती धागा
द पक बाती
सुहागा सोना
वामी दास

ख – पहले पद क येक पंि त के अंत म तुकांत श द के योग से नाद-स दय आ


गया है, जैसे: पानी, समानी, आ द। इस पद म अ य तुकांत श द छाँटकर ल खए।
उ र – पानी-समानी, मोरा-चकोरा, बाती-राती, धागा-सुहागा, दासा-रैदासा।

ग- पहले पद म कुछ श द अथ क ि ट से पर पर संब ध ह। ऐसे श द को


छाँटकर ल खए।
उ र – द पक – बाती
चंदन - पानी
मोती - धागा
घन - बनमोरा,
चंद - चकोरा,
सोना - सुहागा
न 4 – दूसरे पद म क व ने ‘गर ब नवाजु’ कसे कहा है? प ट क िजए।
उ र – ‘गर ब नवाजु’ का अथ है- द न-दु खय पर दया करने वाला। दूसरे पद म
भगवान को ‘गर ब नवाजु’ कहा गया है य क भगवान गर ब और द न-दुः खय पर
दया करने वाले ह। वे नीची जा त के लोग पर अपनी कृपा कर उ ह ऊँचा पद दलाते
ह ।

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