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MPPSC PRE 2024


मध्यप्रदे श के प्रमख
ु जनजातीय व्यक्क्तत्व
जोधईया बाई, भूरी बाई,जमुना दे वी, तीजन बाई
लहरी बाई,दर् ु ााबाई व्याम, सरदार र्ंजन लसंह कोरकू,अजन
ुा लसंह धुवे BY ROOP SIR

पेमा फत्या, भज्जु लसंह श्याम, जर्र्ढ़ लसंह श्याम, भीमा नायक
तांततया भील,सीताराम कँवर , रघुनाथ लसंह मंडलोई, वीर सुरेंद्र साए,
खाज्या नायक,वीरसा र्ोंड, शंकर शाह , संग्राम शाह ,
रानी दर्
ु ाावती , ददलीप लसंह भूररया BY ROOP SIR
ज्वाइन टे लीग्राम चैनल –Gurugyan Classes

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MPPSC 2024 PRE. COURSE


STARTED 31 JAN. 2024
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जोधईया बाई
❑ बैंर्ा जनजातत की जोधईया बाई का संबंध उमररया क्जले से है । यह प्रलसद्ध आददवासी िच्रककार है ।
❑ 22 माचा, 2023 को राष्ट्रपतत श्रीमती द्रौपदी मुमुा ने कला क्षे्रक में ववलशष्ट्ट योर्दान के ललये मध्य
प्रदे श की प्रलसद्ध बैर्ा िच्रककार जोधइया बाई बैर्ा को वर्ा 2023 के पद्म श्री परु स्कार से सम्मातनत
ककया।
❑ 8 माचा, 2022 को अंतरााष्ट्रीय मदहला ददवस के अवसर पर तत्कालीन राष्ट्रपतत रामनाथ कोववंद ने
मदहला सशक्तीकरण की ददशा में असाधारण काया के लये जोधइया बाई बैर्ा को ‘नारी शक्क्त
पुरस्कार’से सम्मातनत ककया था।
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भूरी बाई
❑ भील िच्रककार भूरी बाई का जन्म झाबुआ क्जले के वपटोल र्ाँव में में हुआ है ।
❑ भूरी बाई वपथौरा िच्रककला की एक प्रलसद्ध िच्रककार हैं।
❑ इन्हें 26 जनवरी 2021 को पद्मश्री परु स्कार से सम्मातनत ककया र्या है ।
❑ भरू ी बाई अपनी िच्रककारी के ललए कार्ज और कैनवास का इस्तेमाल करने वाली प्रथम भील
कलाकार हैं।
❑ उन्हें मध्यप्रदे श सरकार से सवोच्च परु स्कार लशखर सम्मान (1986-87) प्राप्त हो चक
ु ा है ।

❑ 1998 में मध्यप्रदे श सरकार ने उन्हें अदहल्या सम्मान से ववभूवर्त ककया।


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जमन
ु ा दे वी -:
❑ जमन
ु ादे वी का जन्म धार क्जले के सरदारपरु में 19 नवंबर 1929 को हुआ था। इन्हें बआ
ु जी के नाम
से भी जाना जाता है ।
❑ जमुनादे वी मध्य प्रदे श की प्रथम मदहला उपमुख्यमं्रकी तथा मध्य प्रदे श की प्रथम मदहला नेता
प्रततपक्ष रहीं।
❑ जमुनादे वी को 2001 में भारत ज्योतत सम्मान से सम्मातनत ककया र्या।
❑ जमन
ु ादे वी की मत्ृ यु 24 लसतंबर 2010 में हुई।
तीजन बाई ज्वाइन टे लीग्राम चैनल - Gurugyan Classes
❑ तीजन बाई का जन्म दर्
ु ा क्जला, छत्तीसर्ढ़ में हुआ है ।
❑ ये पंडवानी र्ीत के ललए प्रलसद्ध है
❑ इन्हे पद्मश्री (1987-88), पद्मभर्
ू ण (2003) व पद्मववभर्
ू ण (2019) परु स्कार से सम्मातनत ककया
र्या है ।
लहरी बाई

❑ प्रदे श के डडंडौरी क्जले में मोटा अनाज का बीज बैंक चलाने वाली लहरी बाई को राष्ट्रपतत द्रौपदी
मम ु ूा ने "प्लांट जीनोम सेववयर फामार परु स्कार" से सम्मातनत ककया है ।
❑ लमलेट्स उत्पादन में मध्य प्रदे श अभी दे श में दस
ू रे नंबर पर है .पहला नंबर छत्तीसर्ढ़ का है
❑ डडंडौरी क्जला लमलेट्स उत्पादन में प्रदे श में पहले नंबर पर है .
❑ लमलेट्स यानी मोटा अनाज को सुपर फूड कहा जाता है .ये पोर्क तत्वों का खजाना हैं.
❑ केंद्रीय ववत्त मं्रकी तनमाला सीतारमण ने भी संसद में इसे 'श्रीअन्न' कहा और इसके उत्पादन को
बढ़ाने पर जोर ददया. साल 2023 अंतरराष्ट्रीय लमलेट्स ईयर भी मनाया जा रहा है .
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दर्ु ााबाई व्याम
❑ इनका जन्म मंडला क्जले में हुआ है ।
❑ र्ोंड आददवासी िच्रककार दर् ु ब
ा ाई व्याम का संबंध दिर्ना िच्रककला से है ।
❑ 2022 में इन्हें पद्म श्री सम्मान से सम्मातनत ककया र्या है ।

सरदार र्ंजन लसंह कोरकू -:


र्ंजन लसंह कोरकू का जन्म बैतल
ू क्जले के घोडा डोंर्री के पास छतरपरु र्ांव में हुआ था।
महात्मा र्ांधी जी के कहने पर 1930 में र्ंजन लसंह कोरकू ने घोडाडोंर्री जंर्ल सत्याग्रह में
आददवालसयों का नेतत्ृ व ककया। इस जंर्ल सत्याग्रह को दरु रया जंर्ल सत्याग्रह भी कहा जाता
है । र्ंजन लसंह कोरकू का दे हांत सन ् 1963 में हुआ।
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अजुन
ा लसंह धुवे-
❑ अजनुा लसंह बैर्ा नत्ृ य कला के मख्
ु य कलाकार है । आपको बैर्ा नत्ृ य की परधोनी/प्रधानी नत्ृ य में
महारथ हालसल है ।
❑ पदम ् श्री सम्मान 2022- डडंडोरी के बैर्ा आददवासी नताक और र्ायक के रूप में उनकी सेवा के
सम्मान में ददया र्या।

❑ “बैर्ा र्ीत: बैर्ा जनजातत के प्रचललत पारम्पररक र्ीत” – नामक पस्


ु तक ललखी क्जसे आददवासी
लोककला एवं बोली ववकास अकादमी, म.प्र. संस्कृतत पररर्द् द्वारा वर्ा 2010 में प्रकालशत ककया
र्या ।
❑ संर्ीत नाटक अकादमी परु
ु स्कार 2018
❑ तलु सी सम्मान – 1993-94 जनजातीय संपदा के कलात्मक संवधान ववकास के ललए मध्य प्रदे श
द्वारा ददया र्या।
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पेमा फत्या -:
❑ भील जनजातत के प्रलसद्ध िच्रककार पेमा फत्या का जन्म चंद्रशेखर आजाद नर्र, झाबआ
ु में हुआ
था।
❑ पेमा फत्या भील आददवालसयों की प्रलसद्ध िच्रककला वपथौरा के सवाश्रेष्ट्ठ िच्रककार थे।
❑ वपथौरा िच्रककला को वपठोरा नाम से भी जाना जाता है ।
❑ वपथौरा िच्रककला भारत में एक मा्रक ऐसी िच्रककला है क्जसमें ध्वतन सुनना, उसे समझना और कफर
लेखन से उसे िच्रक बनाना होता है ।
❑ पेमा फत्या को मध्य प्रदे श शासन ने साल 1986 में लशखर सम्मान से सम्मातनत ककया था।
❑ साल 2017 में मध्य प्रदे श शासन के संस्कृतत ववभार् द्वारा तल
ु सी सम्मान से सम्मातनत ककया। 31
माचा 2020 को पेमा फत्या का तनधन हो र्या।
भज्जु लसंह श्याम
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❑ पद्म श्री से सम्मातनत भज्जु लसंह श्याम प्रलसद्ध र्ोंड िच्रककार है ।


• इनका जन्म डडंडोरी क्जले के पाटनर्ढ़ में हुआ है ।
• पाटनर्ढ़ को 'िच्रककारों का र्ाँव' कहा जाता है ।
जर्र्ढ़ लसंह श्याम -:
❑ र्ोंड िच्रककार जंर्र्ढ़ लसंह श्याम का जन्म डडंडोरी क्जले के पाटनर्ढ़ में 1962 में हुआ था। वह
र्ोंड जनजातत की उपजातत परधन र्ोंड से थे।
❑ इन्होंने र्ोंड िच्रककला में सवाप्रथम कार्ज और कैनवास का उपयोर् ककया।
❑ र्ोंड िच्रककला में हुए इस नए उपयोर् को जंर्र्ढ़ कलाम कहा र्या। इसललए इन्हें भारतीय
कला के एक नए स्कूल जंर्र्ढ़ कलाम का तनमााता माना जाता है ।
❑ जंर्र्ढ़ लसंह श्याम के िच्रकों में र्ोंड दे वताओं की प्रमुखता रही है ।
❑ जंर्र्ढ़ लसंह श्याम को 1986 में लशखर सम्मान से नवाजा र्या।
❑ जंर्र्ढ़ लसंह श्याम का दे हांत 2001 में जापान में क्स्थत लमिथला संग्रहालय में हुआ।
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भीमा नायक -
❑ बडवानी के भीमा नायक को ' आददवालसयों का रॉबबनहुड ‘, तनमाड का रॉबबनहुड ' कहा
जाता है ।
❑ भीमा जी नायक का जन्म सन ् 1840 में पक्श्चमी तनमाड ररयासत के पंचमोहली र्ाँव
में हुआ था।
❑ उसने 1857 के स्वतं्रकता संग्राम में हुए अम्बापानी युद्ध में अंग्रेजों के ववरुद्ध संघर्ा
ककया था । उसे िर्रफ्तार करके कालीपानी की सजा दे कर अंडमान - तनकोबार भेज
ददया र्या । वहीं पर पोटा ब्लेयर जेल में उसकी मत्ृ यु 29 ददसंबर , 1876 को हुई ।
❑ जब तात्या टोपे तनमाड आए थे , तो उनकी मुलाकात भीमा नायक से भी हुई थी । उस
दौरान भीमा ने उन्हें नमादा पार करने में मदद की थी ।
❑ बडवानी क्जले के धआ
ु व
ं ा वावडी र्ांव में भीमा नायक का स्मारक स्थल क्स्थत है ।
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तांततया भील
❑ तांततया भील को आददवालसयों का जननायक, तनमाड का र्ौरव, तांततया मामा, टांदटया या टं ड्रा
कहा जाता है ।
❑ इनका जन्म सन 1842 में पक्श्चम तनमाड के र्ांव ववरी में हुआ था
❑ इनका वास्तववक नाम तांततया भील था क्जसे अंग्रेजों ने टं ट्या भील नाम दे ददया था। 4
ददसम्बर 1989 को उन्हें फांसी दी र्ई ।
❑ भील जनजातत के लोर् टं ट्या भील की एक दे वता की तरह पज
ू ा करते हैं। उन्हें र्ुररल्ला यद्
ु ध पद्धतत में
तनपण
ु ता हालसल थी।
❑ टं ट्या भील को 1857 के स्वतन््रकता संग्राम का आददवासी जननायक कहा जाता है ।
❑ मध्य प्रदे श शासन द्वारा लशक्षा एवं खेल क्षे्रक में अच्छा प्रदशान करने वाले आददवासी यव
ु ा को जननायक
टं ट्या भील सम्मान 2008 प्रदान ककया जाता है । क्जसके अंतर्ात 1 लाख रुपए की सम्मान तनिध एवं प्रशक्स्त
प्रक प्रदान ककया जाता है ।
❑ टांदटया मामा के नाम पर पातालपानी स्टे शन ,भवरकुआं का चौराहा नाम पर रखा
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सीताराम कँवर - इन्होंने 1857 की क्ांतत में तनमाड (बडवानी) क्षे्रक से अंग्रेजों के िखलाफ मोचाा संभाला था।

रघन
ु ाथ लसंह मंडलोई
इन्होंने 1857 की क्ांतत में तनमाड (टांडा बरूद) क्षे्रक में लभलाला क्ांतत से अंग्रेजों के िखलाफ मोचाा संभाला था।

भार्ोजी नायक और काजर लसंह


1857 के ववद्रोह के दहस्से के रूप में भर्ोजी नायक और काजर लसंह के नेतत्ृ व में ववंध्य और सतपड
ु ा पवातमाला के
बीच ववद्रोह ककया।

भोई समुदाय
❑ भोई समदु ाय के लोर्ों ने 1857 की क्ांतत में अंग्रेजों के िखलाफ ववद्रोह का नेतत्ृ व तालमया क्षे्रक तछन्दवाडा क्जले
से ककया था।
❑ भोई समदु ाय में बादलभोई, इमरतभोई, सहराभोई, अमरूभोई, लोदटयाभोई, टापरूभोई और झंकाभोई ने अमर बललदान
ददया था।
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खाज्या नायक
❑ खाज्या नायक जन्म सन ् 1830 में तनमाड के एक छोटे र्ांव में हुआ था।
❑ भीमा की जोडी ने 1857 की क्ांतत का शंखनाद होते ही कफरं िर्यों के िखलाफ युद्ध छोड ददया।
❑ 11 अप्रैल 1858 को अम्बापानी के युद्ध में खाज्या नायक को बिदटश कनाल जेम्स आउरम ने
मार ददया। इस युद्ध में खाज्या नायक के पु्रक दौलत लसंह भी शहीद हुए।
❑ मध्य प्रदे श शासन द्वारा 11 अप्रैल को खाज्या नायक शहीद ददवस के रूप में मनाया जाता है ।

वीरसा र्ोंड -:

❑ वीरसा र्ोंड नमादा घाटी क्षे्रक में स्वतं्रकता संग्राम के प्रमुख क्ांततकारी आददवासी नेता थे।
❑ 19 अर्स्त 1942 को वीरसा र्ोंड और अन्य क्ाक्न्तकाररयों ने लमलकर बैतूल क्जले के
घोडा डोंर्री शाहपुर क्षे्रक के रे लवे स्टे शन पर आंदोलन ककया।
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वीर सरु ें द्र साए
▪ संबलपरु राज्य के राजकुमार वीर सरु ें द्र साय ने 1857 की क्ांतत में अंग्रेजों के िखलाफ क्ांतत में भार् ललया था।
▪ बाद में इन्हें बरु हानपरु के असीरर्ढ़ ककले में कैद कर ददया र्या।
झलकारी दे वी -महारानी लक्ष्मीबाई की अंर्रक्षक्षका और उनके तोपची परू नलसंह की पत्नी थी।

राजा डेलनशाह – र्ोंड शासक डेलनशाह ने नरलसंहपरु क्जले से अंग्रेजों का ववद्रोह ककया था।

मड्
ु डे बाई -लसवनी के टुररया सत्याग्रह में 9 अक्टूबर 1930 को शहीद क्ांततकारी मदहला।

मंशु ओझा - भारत छोडो आंदोलन में बैतूल के मंशु ओझा ने भार् ललया था।

श्रीमक
ू ा और श्रीरामप्रसाद - वन अिधतनयम के िखलाफ लसवनी क्जले के टुररया क्षे्रक में चंदन बर्ीचा में घाँस काटकर 9
अक्टूबर 1930 को सत्याग्रह ककया र्या।
▪ इस सत्याग्रह में श्रीमक
ू ा, श्रीरामप्रसाद और दर्
ु ााशंकर मेहता सदहत कई लोर्ों ने भार् ललया।
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शंकर शाह -:
❑ र्ढ़ मंडला के र्ोंड शासक शंकर शाह का जन्म सन ् 1783 में हुआ था।
❑ जबलपुर में 1857 की क्ांतत का नेतत्ृ व शंकर शाह ने ककया था। अंग्रेजों ने अपने मुखबबरों और
राजा शंकर शाह के र्द्दारों के साथ लमलकर 14 लसतंबर 1857 को राजा शंकर शाह, कंु वर
रघुनाथ शाह और अन्य क्ाक्न्तकाररयों को िर्रफ्तार कर ललया।
❑ राजा शंकर शाह और रघन
ु ाथ शाह को 18 लसतंबर 1857 को तोप के मंह
ु पर बांध कर तोप चला
दी र्ई।
❑ शंकरशाह और रघन
ु ाथ शाह की खुकफया जानकारी खुशहालचंद्र नामक व्यक्क्त ने अंग्रेजों को दी थी।

संग्राम शाह -:
संग्राम शाह (1482-1532) र्ोंड वंश के 48वे शासक थे।
संग्राम शाह का मल
ू नाम अमन दास था।
52 र्ढ़ों यातन ककलों को जीतने के बाद इन्होंने खुद को संग्राम शाह की उपािध दी।
दलपत शाह -: ज्वाइन टे लीग्राम चैनल - Gurugyan Classes
दलपत शाह का जन्म र्ढ़ मंडला में हुआ था। इनके वपता संग्राम शाह थे। दलपत शाह र्ोंड वंश के
शासक थे। दलपत शाह का वववाह राजकुमारी दर्ु ाावती से हुआ। जो कक एक वीरांर्ना थी।

रानी दर्
ु ाावती -:
रानी दर्ु ाावती र्ोंड शासक दलपत शाह की पत्नी थीं। दलपत शाह की मत्ृ यु के बाद रानी दर्
ु ाावती ने
16 साल (1548-1564) तक शासन ककया। 24 जून 1564 को मुर्लों से लडते हुए वीरांर्ना रानी
दर्
ु ाावती शहीद हो र्ईं।

धीर लसंह -: रीवा राज्य में 1857 की क्ांतत के प्रमुख नेता धीरलसंह बघेल ( धीरज लसंह ) का जन्म
सन ् 1820 में रीवा के कतछया टोला र्ांव में हुआ था।
र्ुंडाधुर - छत्तीसर्ढ़ के बस्तर में इंद्रावती नदी के तट पर 1910 में अंग्रेजों के िखलाफ धनुर् की
प्रत्यंचा चढ़ाई थी ।
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कांततलाल भूररया -:
❑ कांततलाल भूररया का जन्म झाबुआ में 1 जून 1950 को हुआ।
❑ वे पांच बार सांसद रहे हैं।
❑ कांततलाल भरू रया वतामान में मध्य प्रदे श ववधानसभा में ववधायक के पद पर तनवाािचत हैं।

ददलीप लसंह भूररया -:


❑ ददलीप लसंह भूररया का जन्म झाबुआ में 18 जून 1944 को हुआ था। वे 6 बार सांसद रहे ।
❑ वे अटल बबहारी वाजपेयी जी की सरकार में राष्ट्रीय अनुसूिचत जातत एवं जनजातत आयोर् के
अध्यक्ष रहे ।
❑ ददलीप लसंह भरू रया अिखल भारतीय सहकारी संघ के अध्यक्ष भी रहे ।
❑ ददलीप लसंह भरू रया की अध्यक्षता में तें दपू त्ता नीतत बनाने के ललए भरू रया कमेटी बनाई र्ई।
क्जसकी अनुशंसा पर मध्य प्रदे श की तें दप ू त्ता नीतत लार्ू हुई थी।
❑ ददलीप लसंह भूररया का दे हांत 24 जून 2015 को हुआ।
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जार्ीरदार राजवा शाह –
अंग्रेजों कक िखलाप अप्पा साहब को तछं दवाडा के सोनपुर के जार्ीरदार चेनशाह और प्रतापर्ढ़ के
सैतनक सहयोर् ददया था ।
दोनों र्ोंड आददवासी सरदारों को ववर् दे कर मार डाला ।

महावीर लसंह - हराकोटा ( रावखेडी ) के जार्ीरदार ने स्वतं्रकता सेनानी तात्या टोपे को शरण दी थी ।

लशवराज लसंह - धमाजयर्ढ़ ( छत्तीसर्ढ़ के रायपुर ) लशवराज लसंह अंग्रेजों के ववरुद्ध ववद्रोह का
शंखनाद ककया था ।

अजीत लसंह –
छत्तीसर्ढ़ के बरर्ढ़खोला के जमींदार अजीत लसंह ने अंग्रेजों के ववरुद्ध ववद्रोह का शंखनाद ककया था

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रामू और मकडू - जम्बाडा ( बेतूल ) यह दोनों र्ोंड जंर्ल सत्याग्रह के समय शहीद हुए थे ।

ववष्ट्णु लसंह र्ोंड - घोडाडोंर्री शाहपुर ( बेतूल ) क्षे्रक में अंग्रेजो के िखलाफ शोले भडका ददए थे ।
रामाधान र्ोंड –
दर्
ु ा क्जले के वनाच्छाददत क्षे्रक में जंर्ल सत्याग्रह का नेतत्ृ व ककया था ।
डोंर्रर्ढ़ ( छत्तीसर्ढ़ ) के तनकट बदरा टोला में तनहत्थे आददवासी सत्याग्रही पर ररयासती पुललस ने
र्ोललयां चलाई थी क्जसमें रामाधान र्ोंड शहीद हो र्ए थे ।

वाकपतत द्ववतीय / मुंज


एक कवव ह्रदय राजकुमार था उसके राजदरबार में ' यशोरूपावलोक ' के रचतयता धतनक , '
नवसाहसांकचररत ' के लेखक पद्मर्प्ु त , ' दशरूपक ' के लेखक धनंजय आदद रहते थे ।
राजा मुंज को ' कवव वर्
ृ ' भी कहा जाता था ।

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