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प्रवासन
प्रवासन लंबे समय तक या स्थायी रूप से रहने के इरादे से लोगों का
एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना होता हैं। (कम से कम 6 महीने)
प्रवासन यात्रा या पयर्थटन से अलग है क्यों क इसमें कसी के नवास
स्थान को बदलने का नणर्थय शा मल होता है ।
प्रवासन के मुख्य कारण
दे श से जाने वाले कारण दे श में जाने वाले कारण
प्रवासन के प्रकार
1) आंत रक प्रवासन 2) वदे शी प्रवासन
- शहर से गाँव
- गाँव से शहर
3) अस्थायी प्रवासन 4) स्थायी प्रवासन
प्रवासन के, भारतीय संस्कृ त पर प्रभाव।
सकारात्मक नकारात्मक
1) सांस्कृ तक व वधता: प्रवासन व भन्न 1) सांस्कृ तक समरूपता: बढ़ते प्रवासन के साथ,
संस्कृ तयों के लोगों को एक साथ लाता है , िजससे कुछ लोग अपनी संस्कृ त को खोने लगते हैं।
सांस्कृ तक समृद् ध होती है । नई भाषाएं, री त- 2) सामािजक तनाव: व भन्न संस्कृ तयों के
रवाज, और वचारधाराएं भारतीय संस्कृ त में लोगों के बीच टकराव हो सकता है , िजससे
व वधता लाते हैं।
सामािजक तनाव पैदा हो सकता है ।
2) नई वचारधाराएं: प्रवासी भारतीयों के साथ नए
वचार, दशर्थन, और कला रूप आते हैं, जो भारतीय 3) " दमाग का पलायन": उच्च शक्षा प्राप्त
संस्कृ त को वक सत करने में योगदान करते हैं। भारतीयों के वदे श जाने से दे श को कुशल
3) आ थर्थक लाभ: प्रवासी भारतीय अक्सर अपनी लोगों की कमी हो सकती है ।
आय का एक हस्सा भारत भेजते हैं, जो दे श की 4) प रवारों का टू टना: प्रवासन के कारण प रवारों
अथर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद करता है । का टू टना, सामािजक ताने-बाने को कमजोर
4) मानव पूंजी: प्रवासी भारतीय अपनी शक्षा, कर सकता है ।
कौशल, और अनुभव भारत वापस लाते हैं, जो दे श
के वकास में योगदान करते हैं।
मुहावरे