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व्यभिचारी भाव
आलंबन उद्दीपन 4 33
9 रस
9स्थायीभाव
रस के 9 प्रकार
स्थायी भाव
• जो भाव मनुष्य के हृदय में चिरकाल तक स्थिर रहते हैं अर्थात स्थायी
रूप से रहते हैं और समय आने पर जागृत होते हैं उसे स्थायी भाव कहते
हैं |
1.
रति नायक-नायिका प्रेम
श्रंग
ृ ार रस
2
हास वाणी या अंगों के विकार से उत्पन्न हं सी,
हास्य रस
उल्लास
3
शोक वियोग /हानि के कारण उत्पन्न दख
ु
करुण रस
4
क्रोध दया,दान, वीरता आदि प्रकट करने के कारण
रौद्र रस
उत्पन्न आनंद
5 विनाश करने में समर्थ या वस्तु को देखकर उत्पन्न व्याकु लता
भयानक रस भय
6 जुगुप्सा / घृणा घिनौने पदार्थ को देखकर ग्लानि
वीभत्स रस
7
उत्साह वीरता पूर्ण कार्य के कारण उत्पन्न भाव
वीर रस
8
अनोखी वस्त/ु घटना को दे ख/सन
ु कर चकित
ु रस आश्चर्य
अदभत
शृंगार रस--रति
इसके दो भेद हैं – 1- संयोग शृंगार 2- वियोग शृंगार
संयोग शृंगार- जहाँ पर नायक- नायिका के बीच मिलन का भाव दिखया जाता है वहां संयोग शृंगार रस
होता है |
उदाहरण-
1-एक जंगल है तेरी आँखों में जहाँ मैं राह भूल जाता हूँ |
तू किसी रेल सी गुजरती है, मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ |
संजू दांगी