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बाल रामकथा पाठ-2 (जंगल और जनकपुर)

शब्दार्थ:
1. दृष्टि – नज़र 9. अनुचर – नौकर
2. बसेरा – रहने का स्र्ान 10. हतप्रभ – हैरान
3. बबस्तर – बबछौना 11. सन्नािा – बबलकुल शाांतत
4. ककथश – कठोर 12. वनस्पततयााँ – लता, पेड़-पौधे, इत्यादद
5. अनुटठान – यज्ञ 13. आश्वस्त – ष्िसका डर दरू कर ददया गया हो
6. प्रत्यांचा – धनुष की डोरी 14. सांगम – िहााँ दो नददयााँ ममलती हैं
7. मूष््छथ त – बेहोश होना 15. अनुमतत – इिाज़त
8. अद्भत
ु – अनोखा 16. भयमक्
ु त – बबना डर के

प्रश्न / उत्तर :
प्रश्न-1 सांगम की दस
ू री नदी कौन सी र्ी?
उत्तर- सांगम की दस
ू री नदी गांगा र्ी ।

प्रश्न-2 महर्षथ र्वश्वाममत्र चलते–चलते रास्ते में राम–लक्ष्मण को क्या बता रहे र्े?
उत्तर - महर्षथ र्वश्वाममत्र चलते–चलते रास्ते में राम–लक्ष्मण को रास्ते में पड़ने वाले आश्रमों के
बारे में , पेड़ों और वनस्पततयों के सांबांध में और स्र्ानीय के इततहास के बारे में बता रहे र्े ।

प्रश्न-3 नदी पार िांगल का वणथन कीष्िए ।


उत्तर – नदी पार िांगल इतना घना र्ा कक सूरि की ककरणें धरती तक नहीां पहुांचती र्ी । वह
िांगल डरावना भी र्ा । हर ओर से झीांगुरों की आवाज़, िानवरों की दहाड़, डरावनी आवािें
आती रहती र्ी I

प्रश्न-4 सुांदर वन का नाम ताड़का वन कैसे पड़ा ?


उत्तर - ताड़का का डर सांद
ु र वन में इतना र्ा कक सांद
ु र वन का नाम ताड़का वन पड़ गया र्ा ।

प्रश्न-5 राम-ताड़का युद्ध का वणथन कीष्िए ।


उत्तर - राम ने महर्षथ की आज्ञा से धनुष पर प्रत्यांचा चढाई और उसे खीांचकर छोड़ा । क्रोध से बबलबबलाई
ताड़का राम की ओर दौड़ी और पत्र्र बरसाने शुरू कर ददए । राम ने उस पर बाण चलाए । लक्ष्मण ने भी
तनशाना साधा । राम का एक बाण उसके हृदय में लगा । वह गगर पड़ी और किर नहीां उठ पाई ।

प्रश्न-6 ताड़का के मरने के बाद ताड़का वन कैसा लग रहा र्ा?


उत्तर- ताड़का के मरने के बाद ताड़का वन बदला हुआ लग रहा र्ा । भयानक आवाज़ें गायब
हो चुकी र्ी । पत्तों की सरसराहि का सांगीत र्ा, गचडड़यों की चहचहाहि र्ी और शाांतत र्ी ।
प्रश्न-7 अनुटठान के अांततम ददन क्या हुआ ?
उत्तर - अनटु ठान के अांततम ददन सब
ु ाहु और मारीच ने राक्षसों के दल बल के सार् आश्रम पर
हमला कर ददया र्ा।

प्रश्न-8 मारीच क्यों क्रोगधत र्ा ?


उत्तर - मारीच इस बात से क्रोगधत र्ा कक राम-लक्ष्मण ने उसकी मााँ ताड़का को मारा र्ा ।

प्रश्न-9 मशव धनष


ु का वणथन कीष्िए ।
उत्तर - मशव धनुष र्वशाल र्ा । वह लोहे की पेिी में रखा हुआ र्ा ष्िसमें आठ पदहये लगे हुए
र्े । मशव धनुष को उठाना लगभग असांभव र्ा । पदहयों के सहारे उसे खीांचकर एक से दस ू री
िगह ले िाया िाता र्ा ।

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