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2 (i) - सुसंगत evidence act
2 (i) - सुसंगत evidence act
सु
सं
गत त य
अंेजी व ध केअंतगत सु
सं
गत त य वे
त य ह, जो ान और अनु
भव के
आधार पर ववा क त य सेकसी न कसी कार
स बंधत होतेहै
|
स वल या आपरा धक व ध के
अंतगत सु
सं
गत त य का सा य ही दया या लया जाता है
|
भारतीय व ध के
अंतगत यह प कर दया गया हैक यायालय के
वल उ ही त य का सा य हण करे
गी जो त य सु
सं
गत
है
|
जै
से – जब यह हो क या A ने
B क ह या कया है
तो यह त य सु
सं
गत हैक A ने
B को धमक दया था | यह त य
भी सु
संगत हैक A, B को मरने
का आशय रखता था तथा यह त य सु
सं
गत हैक B क ह या के
बाद A फरार हो गया था |
जब कसी सं
प का ववाद होता है तो यह त य सु
सं
गत हैक सं
प कसके
नाम से
है
, कसका क ज़ा है
, सं
प कहा
थत है
और उसक कृ त कैसी है|
इस कार वे
सभी त य जो कसी न कसी कार सेववा क त य से
स बं
धत होते
है
, वे
त य सु
सं
गत त य है
|
या सु
सं
ग त और ा ता दोन एक ही चीजे
हैया उनम भ ता है
?
राम बनाम बहारी बहार रा य के
मामलेम यह कहा गया क ायः यह मान लया जाता हैक सु
सं
ग त और ा ता दोन एक
ही चीजेहै
| उ ह पयायवाची समझ लया जाता है
पर तुऐसा नह है
|
इसकेवपरीत कु
छ ऐसी प र थ तयां
हैजहाँ
पर उन त य को ा कर लया जाता हैजो वा तव म सु
सं
गत नही होते
| जै
से
– वे
त य जो कसी गवाह क व सनीयता को खंडत करतेहैया भा वत करते
है
, वे
त य ववा दत न होतेए भी ा
होते
है|
जै
से– जब कोई गवाह कसी मामलेक गवाही दे
ने
केलए आता है तो उसक व सनीयता को खं डत करने केलए ऐसे
पू
छेजा सकतेहैक या वह रोज कचहरी म गवाही दे
ता है
या कतने पया ले
कर गवाही दे
ने
आया है| ऐसेतय
ववा दत त य से
सीधेस बं
धत नही है
पर तु
इस कारण ा हैय क गवाह को अ व सनीय बना दे तेहै|
सु
सं
गतता और ा ता म अं
तर –
1- सु
सं
गतता, तक तथा अ धसं
भा ता पर आधा रत होती है
जब क ा ता व ध के
कठोर नयम पर आधा रत होती है
|
2- यायालय के
वल उ ह त य को सु
सं
गत होना घो षत कर सकता है
, जो सा य अ ध नयम क धारा 6-55 तक केपर े
म आते ह जब क यायालय ारा कसी त य क ा ता व ध के अपेत ावधान अथवा यु युता केस ां तो के
अनु
सार या यक म त क का योग करतेए नधा रत कया जा सकता है
|
3- सु
सं
गतता प प से
अ धसं
भा ता से
स बं
धत होती है
जब क ा ता यु युा से
स बं
धत होती है
|
4- सु
संगतता का नयम कसी त य वशे ष क ा थ त क मा घोषणा करता हैजब क ा ता का नयम कसी वशे
षत य
को सा य के प म वीकारनेया ब ह कृत कये
जानेकेस ब ध म ावधा नत करता है
|
जै
सा क धारा 5 म प कहा गया हैक के
वल उ ही त य का सा य दया जा सके
गा जो या तो ववा क त य है
या सु
सं
गत
त य है
|
इस स ब ध म वु
डरोफ और आ मर अली का वचार हैक जै सा ट फे
न महोदय का कहना है
, वह सही नही हैय क धारा
165 व 167 केअं
तगत यायाधीश व जू
र ी को असी मत अ धकार दया गया हैक वेकायवाही केकसी करण पर असं गत
त य को हण कर ले अथात जो कु
छ सकारा मक है वह इन उपब ध (165, 167) ारा न फल कर दया गया है|
कसी त य को हण करते
समय यायालय को ापक कोण अपनाना चा हए और के
वल उ ह त य को ा करना
चा हए जो सु
सं
गत है
|
जै
से
–
(2) जब यह हो क X क ज म त थ या है
तो X के
जी वत होने
का माणप जसम यह उ ले ख हो क X का ज म
कस अ पताल म आ था, जन लोग नेउसके ज म दवस केअवसर पर ज म दवस म भाग लया था, उनका बयान
सकारा मक प म सा बत करतेहैक X क ज म त थ या है|
अमे
रका का व ड े ड सटर जो आतं
क हमले
म उड़ा दया गया जो अब अ त व म नही है
| इसी कार कसी अ धकार का
स कर देना नासा बत कहलाता है
|
सा बत नही आ – इस वा यां
श का अथ है
न तो सकारा मक प सेस आ और न ही नकारा मक प सेस आ
ब क कसी भी तरह स नही कया जा सका | य प क घटना ई है |
जै
से- य द X केमकान म डकैती पड़ी हो और गवाह A, B तथा C पे
श कयेजाते है
, गवाह A गवाही के
पहल मर जाता है
|
सरा गवाह B बीमारी से सत होनेके कारण बोल नही पाता है
और तीसरा गवाह C प ोही हो जाता है
तो ऐसी थ त म
घटना तो ई हैलेकन घटना के अ त व को यायालय म न तो सा बत कया जा सका, न ही नासा बत कया गया तथा इसे
सा बत नही आ कहा जाएगा |
1- त या मक उपधारणा
2- व धक उपधारणा
1- त या मक उपधारणा - त या मक उपधारणा जो सदैव ख डनीय होती है | जै
से– य द कही धु
आ
ं दखाई दे ता है
तो यह
उपधारणा हो सकती हैक कही आग लगी हो ले कन ऐसा न होकर मृ
ग मरी चका हो अथात म हो सकता है , जसका खं डन
कया जा सकता है | इस स ब ध म सा य अ ध नयम क धारा 4 केअंतगत ‘’उपधारणा कर सके गा’’(May Presume)
जसका ता पय है , यायालय त य के आधार पर उपधारणा कर सकता है जो कसी अ धकार, यो यता, नय यता के सबध
म हो सकता है|
य द कसी के पास कसी संप का क जा है तो यह उपधारणा क जा सकती हैक सं प उसी क है लेकन इसका
खंडन हो सकता है| य द कसी को कोई प मलता है और उसम भे जनेवाले
का नाम, पता होता है
तो यह उपधारणा
हो सकती हैक प भे जनेवाला वही होगा पर तुइसका खंडन हो सकता है
और यायालय इसके ख डन का सा य
मां
ग सकती है
|
जै
से– यह हो क या कोई ज दा है
या मर चु
का है
तो सा य अ ध नयम क धारा 107, 108 उपबंधत करती है
क जो 30 वष के
अ दर जी वत दे
खा गया है
तो यायालय उस के जी वत होने
क उपधारणा करेगी अथात
यायालय माननेकेलए बा य है
और जो यह कहता हैक उसेस करना पड़े गा पर तुयायालय वयंखंडन का सा य नही
मां
गे
गी |
य द खं
डन का सा य दया जाता है
तो ले
ने
सेइ कार भी नही करे
गी |
(ii) न या मक सबूत (Conclusive Proof) – सा य अ ध नयम के अंतगत जहाँ कही भी इस श द का योग कया गया
है, वहां
उन त य केअ त व के स ब ध म न ायक सबू त माना जाये
गा जो एक व धक उपधारणा है | ऐसी थ त म
यायालय न तो खं
डनीय सा य क मांग करे
गी और य द ऐसा सा य दया जाता हैतो ले
नेसेइ कार करेगी | जै
से– भारतीय
द ड सं हता क धारा 82 के
अंतगत 7 वष सेकम उ के बालक ारा कया गया काय अपराध नही माना जाये गा|
रसे
ल के
अनु
सार – जब हम एक त य के
आधार पर अ य त य का अनु
म ान लगा ले
ते
हैतो यह उपधारणा करना कहलाता है
|
वेट महोदय के
अनु
सार – उपधारणा एक न कष है जो यायालय सं
भा तक का योग कर केकसी अ य स य या मा य
स य स सेक ह त य के सकारा मक या नकारा मक अ त व को मान ले
ना उपधारणा करना है
|
इसके अ त र धारा 114 म ख डनीय उपधारणा का उ ले ख कया गया है जो मानवीय ान और अनु भव पर आधा रत
होता है| जै
से
- चोरी के
बाद चोरी का माल कसी केपास से
बरामद होता है
तो यह उपधारणा होती हैक वह चोर है
लेकन
वह इस बात का ख डन कर सकता हैक वह व तु एंउसक है|
उपधारणा से
लाभ – जब कसी त य क उपधारणा कर ली जाती है
तो सबू
त का भार कम हो जाता है
|
ववा क त य से
ता पय वे
त य जन पर प कार म मतभे
द है
| जै
से
–
यह क या कोई खे
त X का है
, एक प कहता हैक मेर ा है
और सरा प कहता हैक मे
र ा है
| यहाँ
दोन प म
मतभे
द केकारण ववा क यह हैक खेत कसका है|
सु
सं
गत त य वे
त य है
जो ववा क त य के
साथ इस कार जु
ड़े
हैक उसेप करते
है| जै
से
–
य द कोई पानी म डू
ब रहा है
तो डू
बते
समय उसनेया आवाज कया था, यह सु
सं
गत त य है
|
य द कसी का पया मे
लेम लू
ट लया जाता है
तो यह त य सु
सं
गत हैक वो मे
ले
म गया था और लोग को पया
दखाया था | लू
ट क घटना के
स ब ध म यह सु
संगत त य है|
धारा 5 के
अंतगत यह प कर दया गया हैक के
वल उ ही त य का सा य दया जाये
गा जो क ववा क है
या सु
सं
गत है
|
जां
च – वह कायवाही होती है
जो यायालय ारा वचारण से
पू
व क जाती है
| इसके
अतर कसी आयोग ारा जां
चक
जाती है
|
प र थ तज य सा य - कुछ घटनाये
ऐसी होती है
जो अचानक हो जाती हैजनका य सा य मलना सं भव नही हो पाता |
ऐसी थ त म प र थ तज य सा य पर भरोसा करना पड़ता है| यह माना जाता हैक आदमी झू
ठ बोल सकता है
ले कन
प र थ तयाँ
झूठ नही बोल सकती है
| प र थ तयाँ
भी घटना को उतना ही प कर दे ती हैजतना य सा य ारा होता है
| सव च यायालय ने यह बात पू
णतया था पत कर दया हैक जब कोई मामला प र थ तय पर आधा रत होता हैतो यह
आव यक हैक जो भी प र थ तयां अ भयोजन के सामनेलायी जाती है उनक दशा एकमा अ भयु को दोषी सा बत
होनेक ओर होनी चा हए |
शं
करलाल बनाम महारा रा य के मामलेम यायालय नेयह कहा क जहाँ एक बालक क ह या का है
और जसेकसी
ने
दे
खा नही हैवहांप र थ तज य सा य पर भरोसा करना पड़ता है और य द प र थ तय क ख ंला इतनी स पू
ृ ण हो और
उसम एक ही न कष नकलता हो, जै से– ब चे
को घर म दौड़ाना, उसे
मारना, कु
ँ
ए म फकना अ भयु के अलावा कसी
अ य का काय नही था तो यहाँ
प र थ तज य सा य सु
संगत है|
एक अ य मामले म एक क प नी इस लए मायके चली गयी य क वह उसे मारता-पीटता था | कई बार वह उसे
लेने
गया लेकन वह नही आई | उसेयह कहतेए सु ना गया क दे
ख लुँ
गा | कु
छ समय बाद वह अपने साले के10 वष य लड़के
को लेजाते
देखा गया | जब लोग नेउसेघे
र ा, तब वह बोला क मैब चे को वापस कर ंगा | इसकेप ात् ब चेका शव एक
कु
ँ
ए म मला | यायालय ने प र थ तज य सा य के आधार पर अ भयु को सजा सु नाई |
ट फे
न महोदय नेअपनी पुतक म एक उदाहरण दया जसमे बताया गया हैक एक मकान म माल कन और नौकरानी ही
रहतेथे| वहां
कोई आता-जाता नही था | एक दन माल कन कमरे म मरी पायी गयी और नौकरानी गायब थी | प र थ तज य
सा य क क ड़य का इशारा नौकरानी पर था | इस आधार पर नौकरानी को सजा द गयी पर तु इस सजा केदए जाने के
प ात्कसी अ य मामले म कुछ अपराधी पकडे गयेज ह नेयह कबू ल कया क माल कन क ह या उन लोग ने क थी |
यहाँयायालय का न कष गलत स हो गया | प र थ तज य सा य के मामले म ऐसी स भावना रहती है
|
धारा 6. – भारतीय सा य व ध के अं
तगत धारा 6 अंे जी व ध के स जे
‘’रे टे
’’ केस ां
त का सु
धरा आ प है | जसके
अंतगत एक ही संवहार का भाग होने वालेत य को सु संगत बताया गया है
| चाहे
वेत य ववा क रहेहो या न रहे
हो | य द
वेएक ही संवहार के भाग ह, तो वे
सु
संगत है| संवहार से ता पय काय क वह ख ंला हैजसे
ृ एक नाम दया जा सकता
है
, जैसे– संवदा, बं
धक, संप का व य, अनु दान, ववाह, तलाक, द क हण या कोई अ य संवहार |
इस स ब ध म अंेजी व ध का स ां
त रे
स जेटे
केनाम सेजाना जाता है
, जसका अथ है
स बंधत त य, काय और
घोषणाय अथात जो कु छ आ, जो कु
छ कया गया और जो कु
छ कहा गया सब एक ही संवहार केभाग के प म रे
स जे
टे
केअंतगत सु
संगत है|
अंे
जी व ध का रे
स जे टे
का स ां
त इतना अ न तता भरा हैक यह न त नह हो पाता हैक कौन से
त य सु
सं
गत ह गे
और कब सु
संगत ह गे|
इस स ां
त क अ न तता के
कारण व भ व धशा य ने
इसे
अंे
जी व ध से
हटा दे
ने
का सु
झाव दया है
|
ोफे
सर वगमोर महोदय ने
– इसे थ और नरथक बताया है
|
लाड टा वन के
अनु
सार – यह एक त त लबादा है
और उन व भ मामल केलए लागू
होता है
, जनकेलए कोई सू
नही है
|
वु
डरोफ केअनु
सार – रे
स जेटे
वह प र थ तयां
ह, जो कसी व श मु
कदमे
बाजी क वतः और अनाश यत घटनाएं
है| जो
उस दशा म ा होतेह, जब वे
ऐसेकाय का ा त बन जाते है|
रे
स जेटे
केअंतगत वेसभी त य आ जाते
हैजो ववा क त य के
भाग है
| जन त य म काय और कारण का स ब ध होता
है
, वे
सु
सं
गत त य होते
है|
ट फे
न महोदय के अनु
सार – वे
त य रे
स जे
टेकेभाग है
| जो एक ही संवहार म आते है
| संवहार से ता पय त य का
वह समुदाय, जो आपस म इस कार स बंधत हैक उसेएक ही नाम दया जा सकता है
, जै
से – अपराध, संवदा या
अपकृ य|
स ां
त क अ न तता – अंे जी व ध म यह स ां त एकदम अ न त है और अलग-अलग मामलो म अलग-अलग प म
लागू
होता है
| जै
से
– रटन बनाम वी न केमामलेम एक पर अपनी प नी क ह या का आरोप था | यह त य क प नी
नेपु
लस को फोन मलाया और पु लस सेसहायता मांगी | जब पुलस घटना थल पर प चंी तो वह मरी पाई गयी | उसके ारा
टे
लीफोन मलाना और टे
लीफोन पर सहायता मां
गना ‘रे
स जे टे
’ का भाग माना गया |
य द वह यह कहती हैक- मु
झे
मत मारो मनेया बगाड़ा है
तो उसके
यह कथन ा होते
|
इस नणय क व भ व ान ने
आलोचना क ले
कन आगे
केनणय म भी कोई न त पै
म ाना नही रहा |
भारतीय व ध -
(1)- वे
त य सु
सं
गत ह, जो ववा क त य के
स ब ध म उसी संवहार का भाग बन जाते
है|
इस स ब ध म ा ता क कु
छ शत बताई गयी ह –
(2)- घोषणाएं
समकालीन हो और म या सा य रचने
का समय न मला हो |
(3)- घोषणाएं
मौ खक अथवा ल खत हो सकती है
|
इसके
अलावा कलक ा उ च यायालय ने
उन त य को एक ही संवहार का भाग माना है
और सु
सं
गत माना हैजनमे
–
(a)- काल क एकता हो,
ले
कन उन य के
कथन सु
सं
गत ह जो घटना के
तुरत
ंबाद वहां
उप थत होते
हैऔर जानकारी हा सल करते
है|
प र थ तज य मामल म धारा 6 का स ां
त भावी है
|
ए.एल.हजारा के
मामले
म 4 बात को मह वपू
ण बताया गया है
–
(3)- काय के
साथ होने
वाली घोषणाएं
मौ खक ह या ल खत ह |
(4)- ऐसी घोषणाएं
उन त य का सबू
त ह, जनका वह सहगमन करती है
|
अंे
जी व ध के
अंतगत ऐसे
त य को वतंसा य सेथा पत करना होता है
जब क भारतीय व ध के
अंतगत ऐसा करने
क
आव यकता नह है|
इससे
यह प हैक भारतीय व ध, अंे
जी व ध क तु
लना म अ धक ापक है
|
धारा 7. - धारा 7 के
अंतगत वे
त य सु
सं
गत ह जो ववा क या सु
सं
गत त य के सं
ग, हे
तु
क या प रणाम ह | अथवा उन
त य को घ टत होने का अवसर दान करते
है|
सं
ग - से
ता पय वह यथेसमय है, जो कसी काय या घटना केलए मह वपू
ण होता है
| जै
से
- परी ा का समय, मे
ले
का
समय, कसी धा मक उ सव का समय, कसी क ज म त थ या ज मो सव सं ग के प म सुसं
गत होतेह|
उदाहरण – कुभ मे
ले
केसमय या य का न त समय पर मे
ले
म प चने
केलए उ सु
क होना, उस सं
ग को सं
के
त करता
है
जो कुभ मेले
का समय है
|
हे
तु
क – हेतुक सेता पय वह बा प र थ तयां
ह, जो कसी काय को कये
जाने
केलए कसी को बा य करती है
या
आक षत करती है | जै
से– कसी कान के शो म म रखी ई चीज ाहक को आक षत करती है
तो व तु का शो म म
रखा जाना, वह हे
तु
क हैजो उनक ब का आधार बनता है |
य द कोई सरे
को धमक देता हैक उसकेखलाफ थाने
म रपोट कर दे
गा | यह धमक वह हे
तु
क हैजसके भाव म
आकर सरा उसक ह या कर देता है
|
कोई खु
ले
आम मे
ले
म पया दखाता है
तो यह वह हे
तु
क है
जो लू
ट का कारण बनता है
|
वष दे
नेवाले
अपराध के
स ब ध म जो घर म आता-जाता है
, मे
ल-जोल है
, उसके ारा वष दे
ने
क स भावना अ धक
रहती है
|
पाकला नारायण वामी केमामलेम – मृ तक, अ भयु (पाकला) के घर गया था | रात म वह खा कर सोया था और सरे
दन उसे
वापस लौटना था जब क सरे दन उसक लाश पुर ी रे
लवेटे
शन पर पाई गयी | अ भयु को मारने का अवसर था
य क मृतक उसी केघर ठहरा था | यहाँ
अवसर का सा य सु सं
गत है
|
अवसर को सा बत करने
केलए स बं धत त य और प र थ तय का सा य दया जाता है | ऐसे
मामलेम यायाधीश को
सावधानी और सतकता सेवचार करना चा हए य क कभी-कभी जसे अवसर होता है, उसके ारा अपराध नह कया
जाता है
ब क कसी सरे ारा अपराध कर दया जाता है
|
आर. बनाम रचडसन केमामले म अ भयु पड़ोस म रहता था | जब लड़क के माता- पता खे
त पर काम करने चलेगये
तो
उसनेमौका दे
खकर, सु
नसान पाकर चोरी व यौन अपराध का रत कया | यह अवसर का सा य सु
संगत माना गया |
धारा 8. हे
तु, तै
यारी, पू
ववत और प ातवत आचरण का सा य – ऐसा त य, जो ववा क त य या सु संगत त य का हे
तु
,
तै
यारी या आचरण (पू ववत और प ातवत ) द शत करता है
, वह त य सु
सं
गत है
| कसी वाद या कायवाही के
प कार का
हे
तु
, तैयारी या आचरण सु संगत होता है
|
हे
तुसेता पय वह मान सक वचलन है , जो कसी को कु
छ करने केलए ेरत करता है
| हे
तु
, वह मनोभाव है, जो
आशय को ज म दे ता है
| जब हे
तु
अ छा होता है
तब भी आशय बुर ा हो सकता है
लेकन जब हेतुबु
र ा होता है
तो आशय हर
हाल म बु
र ा होगा |
भू
खे
, नं
गे
को दे
खकर दया का भाव हे
तु
हैऔर इस भाव सेभा वत हो कर कानदार से
व तु
एं
छ न ले
ना अपराध है
, जो बु
रे
आशय का प रणाम है
|
व स महोदय के
अनु सार – हे
तु
एक मह वपू ण त य हैl हम कसी के
मन को नही जान सकते
| मन के
भाव श द ारा, चे
हरे
क अभ ारा और आचरण से अनुम ान लगाया जाता है
|
हे
तु
क अ त थ मनोभाव है
जब क हे
तु
बा प र थ तयाँ
है|
य द कसी मामले
म हे
तु
हैतो अपराध कये
जाने
क स भावना अ धक रहती है
|
ो. वगमोर के
अनु
सार – ये
क काय केलए हे
तु
का होना आव यक है
|
राज बनाम पं जाब रा य के मामलेम हे
तु
के सा य को सु
सं
गत माना गया | य द आपरा धक मामलो म हेतुहै
तो न कष को
प का माना जाता है| हे
तुवह ऐसी श है जो को कु
छ करने केलए मजबू र कर दे
ती है
| लालच, घृ
णा, दया, ोध,
ई या, वै
मन य आ द ऐसे कारक है
, जो कसी को अपराध क ओर अ सर करते है
|
ह रयाणा रा य बनाम शे
र सह के
मामले
म यह कहा गया क ऐसा सा य जसम हे
तु
का अभाव है
, कमजोर क म का सा य
है|
तै
यारी – कसी काय को पू र ा करने सेपहले तै
यारी क जाती है| तै
यारी वयं
म कोई अपराध नह है
पर तु
जब तै
यारी के
प ात् काय हो जाता है
तो तै यारी का सा य सु
संगत हो जाता है|
आपरा धक मामल म तै
यारी को तब तक ा नह करते
जब तक काय घ टत न आ हो य क तै
यारी करने
केप ात्
अपनेआशय को बदल सकता है |
कुछ ऐसेअपराध है
, जनम तैयारी को दं
डनीय बनाया गया है
| जै
से– डकै
ती क तै
यारी, राज ोह क तै
यारी, नकली स के
या टैप बनाने
क तै यारी और आतं कवाद घटना क तयारी सु सं
गत है
|
वेट महोदय केअनुसार – आचरण को हम न न प म जान सकते है– च कना, डर जाना, बहाने बाजी करना, रोने
-धोने
का
नाटक करना, हकलाना या कां
पना, बार-बार बात बदल दे
ना, घटना थल सेफरार हो जाना, बार-बार कचहरी आना, छपने क
को शश करना, गवाह को धमकाना आ द आचरण के प म सु सं
गत है| बना मां
गेघू
स क पे शकश करना, बना पू छेसफाई
दे
नेलगना, आचरण के प म सु सं गत त य है | पुलस का नाम सु
नकर घटना थल से फरार हो जाना आचरण के प म
सु
सं
गत है
|
धारा 8. – धारा 8 के
अंतगत हे
तु
, तै
यारी और आचरण के सा य सुसं
गत है| साम यतया आचरण केअंतगत श द नह आते
लेकन जब वे श द उसके आचरण को प करते हैतो सु
सं
गत हो जाते
है| जैसे
- जब कोई पीटा जाता है
तो उसके
ारा इसक शकायत आचरण के प म सु सं
गत है
|
धारा 9. – वे
त य सु
सं
गत हैजो ववा क त य या सु
सं
गत त य को प करते
ह या पु
नः था पत करते
है| धारा 9 के
अंतगत व भ थ तयां द गयी ह जै
से
–
(1)- वे
त य सु
सं
गत है
जो ववा क त य या सु
सं
गत त य केप ीकरण केलए या पु
नः थापना केलए आव यक ह |
(2)- ववा क त य या सु
सं
गत त य से
होने
वाले
इंगत अनु
म ान का जो त य समथन करते
हैअथवा खं
डन करतेहै
|
(3)- वे
त य सु
सं
गत है
, जो कसी या व तु
क पहचान को सु
न त करते
है|
(4)- वे
त य सु
सं
गत ह, जो कसी थान को थर करते है अथवा वे
त य सु
सं
गत ह, जो कसी घटना के
समय को सु
न त
करते है
अथवा वेत य सुसं
गत ह जो क ही स ब ध को द शत करते
है|
पु
नः थापना वाले
त य - जब यह हो क या A कसी बलवे म शा मल था तो यह त य पु
न थापना केलए सु
सं
गत हैक
वह बलवाइय के आगे-आगे चल रहा था और नारे
लगा रहा था |
अनु
म ान का समथन करने वालेत य – जब यह हो क या A ने कोई चोरी कया तो वे
त य सु
सं
गत ह जो यह दशाते
ह
क A के पास चोरी क व तु
एंबरामद ई अथवा यह चोरी केथान सेभागतेए देखा गया था |
ख डन करने
वाले
त य - अगर कसी पर यह आरोप हो क उसने
नकली नोट चलाने
का यास कया था तो यह त य
सु
संगत हैक उसनेवह नोट कई लोग को दखाया था और सबने
यह बताया क नोट असली है
तो ख डनकारी त य के प
म यह सा य सु
सं
गत है
|
क पहचान वाले त य - वे त य सु
संगत ह, जो कसी क पहचान कराते ह | अ ात अपरा धय के स बधम
जहाँचोरी या डकैती केअपराध होते है
य द कोई गवाह यह कहता हैक य द सं द ध को मे रे
सामनेलाया जायेतो मै उसे
पहचान सकता ँ | ऐसी थ त म जे ल मै
युअल के अनु
सार कायवाही शना त करायी जाती हैजससे संद ध क पहचान हो
सके | पहचान केलए मुय प से आव यक त व न न ल खत है – रंग, वे
श-भू
षा, शारी रक बनावट, च ह, भाषा, धम,
अँ
गुलय और पै र केनशान, लखावट, आवाज आ द सु सं
गत त य है | इन त य ारा व शारी रक च ह के मा यम से
क पहचान क जाती है | कटेकेनशान, तल केनशान, ऑपरे शन केनशान आ द पहचान है | इसके अलावा र
परी ण और डी.एन.ए. टे ट भी पहचान केलए आव यक है , जहाँ
ऐसा ज री हो |
य प अं
तरा ीय अपरा धय के
स ब ध म के
च जारी कये
जा सकते
ह, जो इं
टरपोल ारा ह गे
|
सं
बं
धो को दशाने
वाले
त य – ऐसे
त य सु
सं
गत ह, जो स ब ध या र त को दशाते
है
, जै
से
– कसी ब चे
क परव रश
करना, उसको कू ल लेजाना, उससेे म करना, उसका एड मशन कराना और अपना नाम दे
ना आ द र त को दशाने
वाले
त य सुसं
गत ह | श ु
ता या म ता को द शत करने वाले
त य भी सु
संगत होते
है|यदश ु ता है
तो झू
ठेआरोप म फं
सा सकता
हैअथवा मनी के कारण कोई अपराध कया होगा तो येसभी त य सु
संगत है
जो मनी को दशाते है
|
धारा 9 और धारा 11 म स ब ध -
(2)- जहाँ
धारा 9 को प रचायक धारा कहा जाता है
वह पर धारा 11 को प धारा कहा जाता है
|
जैसा क धारा 10 सेयह प हैक एक बार आशय हण करने केप ात्ष ंका रयो ारा कहा गया, कया गया या
लखा गया कथन, इस बात को सा बत करने केलए सु सं
गत होता हैक उन लोगो नेमलकर ष ं कया है अथवा कोई
अनुयो य दोष का रत कया हैऔर वे सभी ष ंकारी एक सरे केएजट समझे जाते
हैऔर एक केकाय केलए सरा
दायी होता हैय क वे एक इकाई बन जातेहै, जो यह सा बत करनेकेलए सुसंगत हैक कस बात का ष ं कया गया
तथा कौन-कौन से लोग ष ंका रय म शा मल ह |
स ां
त यह हैक वह कथन या घोषणाएं
, एक इकाई के प म ष ंके
अ त व को स करने
केलए सु
सं
गत है
|
सामा य आशय केअ सरण म - सामा य आशय के अ सरण म कया गया काय ऐसा होना चा हए क सामा य प रक पना
केआधार पर यह व ास कया जा सकेक अमु क य ने
कोई ष ं कया है तो उनके ारा लखे गयेखत के मा यम
सेया आंशक प से कहेगये
, कयेगये या लखेगयेश द केआधार पर दो षता का नधारण होता है
|
करार ले
कन सीधी मु
लाकात नह – ष ंको स करने केलए के वल यह स करना होता हैक ष ंका रय ारा
कोई करार कया गया था य प उनक सीधी मु
लाक़ात न ई हो फर भी वह एक- सरे
केअ भकता समझे
जाते
हैऔर
एक के ारा कयेगयेकाय केलए सरा दायी होता है
|
इसम केवल यह स करना होता हैक पहली बार आशय हण करने केप ात्या लखा गया, या कया गया तथा या
कहा गया, सु
सं
गत त य है
| ायः ष समा त होने
केप ात्
या उ ेय वफल होने
केप ात्कये गये
कथन, सा य म
ा नह होते |
इस स ब ध म मह वपू
ण मामले
–
आर. बनाम लैक एंड टाई, इस मामलेम लै क एक क टम क प रचालक था, टाई वहां आयात करता था | उन पर इस बात
का आरोप लगाया गया था क बना पू र ा शुक चु
काए ही माल को पार कराते
थे| टाई ने
र ज टर म म या व याँ क , जो
कपट करनेकेउ ेय से था | यायालय ने कहा क र ज टर म क गयी व याँलै क केव ा थ |
अधीन थ यायालय ने
मृयु
द ड क सजा द , जसे आयु के
पास पु केलए भेजा गया तथा उसे
आयु ारा पु कया
गया | आयु केनणय केव वी क सल म अपील क गयी | नणय म यह कहा गया क आयु ारा क गई पु वै
ध
नही थी य क आयु को ऐसा अ धकार नही था |
यायालय ने
पहलेतक को नह माना और सरे
तक म कहा गया क धारा 10 इतनी ापक नही हैक इसके
अंतगत यह
कथन भी आ जाए जो एक ष ंकारी नेसरे
क अनुप थ त म कया हो |
यायालय ने
सामा य आशय के
स ब ध म कहा क ऐसा आशय वहांहोना चा हए जब पहली बार इसकेअ त व केबारे
म
यु यु आधार हैक ष ंका रय ारा कहा गया, कया गया या लखा गया कथन एक- सरे केव ा है|
भारतीय द ड सं हता क धारा 34 केअंतगत यह कहा गया हैक जब कोई आपरा धक काय कई य केसं
चालन म
होता है
, तब उनमेसेहर कोई उस काय केलए उसी कार ज मे दार होता है
, मानो वह काय उसनेवयंकया है
और
सबका काय एक ही माना जाता है|
के
हर सह बनाम द ली शासन इस मामलेम अ भयुगण एक जलसे म दे
खे गये| वेएक- सरेसे काना-फू
सी कर रहे
थे|
इसकेप ात्घटना घ टत ई | ऐसेष ंकारी एक- सरे
केकाय केलए दा य वाधीन माने
गये| इ ह ने
पहली बार आशय
हण करनेकेप ात् काय कया |
भारतीय और अंेजी व ध म अ तर - भारतीय व ध के
अंतगत सामा य आशय के
अ सरण म कये
गये
काय को ष ंके
स दभ म सु
संगत बताया गया है
|
अंे
जी व ध के
अंतगत सामा य योजन के
अ सरण म कये
गये
काय को सु
सं
गत बताया गया है
|
भारतीय व ध, अंे
जी व ध क तु
लना म अ धक ापक है
|
के
हर सह के
मामले
म यायालय ने
यह कह दया क अब भारतीय व ध और अंे
जी व ध म अ तर लगभग समा त हो गया
है
|
अंेजी व ध म ष ंका रय म से
एक ारा स ब ध समा त कर ले
ने
केप ात्सरे
ष ंका रय के
कथन व काय पहले
वालेष ंका रय केव ा नह है
|
जब क भारतीय व ध म ा है
| य प यह अ तर लगभग समा त हो गया है
, जै
सा क के
हर सह के
मामले
म वीकारा गया
है
|
ां
त (धारा 10) – यह व ास करने
का यु यु आधार हैक ‘क’ भारत सरकार केव यु करने
केष ंम
स म लत आ है |
धारा 11. वे
त य जो अ यथा सु
सं
गत नह है
, कब सु
सं
गत है
–
(2)- य द वे
त य वयमे
व या अ य त य केसं
संग म कसी ववा क त य या सु
सं
गत त य का अ त व या अन त व
अ य धक सं भा या अन धसंभा बना देतेहै
|
यह क A ने B को गोरखपु
र म 20 जनवरी 2013 को शाम 5:00 बजेचे
तना तराहे पर लू
ट ा | यह सा य क 20 जनवरी
2013 को A ब बई केअ पताल म इलाज केलए भत था | A का बीमार होना, इलाज केलए ब बई अ पताल म रहना
साम यतया सु
संगत नही हैलेकन 20 जनवरी 2013 क त थ को गोरखपुर म होने
वाली डकैती के
स ब ध म य द उस पर
अ भयोग चलाया जाता तो उस त थ को अ पताल म भत होना, अ य उप थ त के तक के आधार पर धारा 11 केअं
तगत
सु
संगत त य हैय क ऐसा सं भव ही नही हैक जो अ पताल म भत है वह उसी त थ को डकैती भी करे
|
वेत य सु
सं
गत ह, जो ववा क त य या सु
सं
गत त य के
अ त व को अ य धक सं
भा या अन धसं
भा बनाते
ह - या तो
वयंअथवा अ य त य के सं
सग म ऐसा करते
है|
सं
भा ता क बलता ही उनकेसुसं
गत होनेका आधार ह, जसम त य क सु
सं
ग त ववा दत त य सेउनक नकटता पर
नभर करती है
तथा सं
पा क त य केसुसंगत तथ क तरह ा होने केलए दो बात आव यक है–
(1)- सं
पा क त य यु यु तरीके
सेन या मक सबू
त ारा होने
चा हए, तथा
(2)- ऐसे
त य अ य धक सं
भा या अन धसं
भा होते
हैअथवा यु यु अवधारणा को ज म दे
ते
ह|
पां
च प र थ तयाँ
–
(1)- अ य उप थ त का तक
(3)- प च
ँका न होने
का तक
(4)- वतःका रत त
प च
ँका न होना – जहाँकसी सं
तान केधमज व का हो, वहां
सा य अ ध नयम क धारा 112 के
अंतगत यह त य
सु
सं
गत हैक वैवा हक काल केदौरान सं
तान का ज म आ था |
ले
कन यह त य भी सु
सं
गत होगा क जस समय गभधारण सं भव था उस समय प त क प च
ँनही थी पर तु
इस तक को
तु
त करनेका अ धकार के
वल प त को है
, कसी अ य को नह |
अपराध कसी अ य ारा कया जाना – य द A को कसी अपराध केलए आरो पत कया जाता है
तो यह त य क
अपराध B नेकया है
सु
सं
गत होगा जो A केलए बचावकारी होगा |
धारा 12. वे
त य सुसंगत है
, जो नु
कसानी क रकम को नधा रत करने
म यायालय क सहायता करते
है– साम यतया
नु
कसानी के दावेदो तरह के वाद म होते
है–
सं
वदा भं
ग होने
पर, या
अपकृ
य होने
पर |
जब संवदा क शत का उ लं
घन प कार म सेकसी ारा कया जाता है
, तब सं
वदा भं
ग से
होनेवाले
नु
कसान के
स बं
ध म,
वे
त य सु
संगत हैक वे
नुकसानी क रकम को सु
न त करनेम यायालय क सहायता करते है|
जै
से
– बाजार मूय म कतने
का अ तर हो गया है
|
अ धकार – अ धकार से
ता पय मू
त अ धकार या अमू
त अ धकार है
|
ढ– ढ से
ता पय उन था से
हैज ह व ध का बल ा त हो चु
का है
|
जै
सा क धारा 13 सेप हैक वे संवहार सु
संगत ह जो कसी अ धकार या ढ़ केस ब ध म दावा कयेगयेह,
उपां
त रत कये गयेहै
, मा य कये
गये
ह, वीकार कये गयेह या खं
डत कये गये
ह अथवा ऐसे
त य सुसंगत ह जो उन
अ धकार को मा यता देतेह|
धारा 13 केअं
तगत उन उदाहरण को सु संगत बताया गया है
जो अ धकार और ढय के दावा कये जानेया मा यता दए
जाने केस ब ध म ह | यह त य भी सु
सं
गत हैक कब ऐसे अ धकार का योग ववा दत हो गया था या इसका योग नही
कया गया |
मू
त और अमूत अ धकार – मू
त अ धकार से
ता पय वे
अ धकार ह जो प प सेदखाई दे
ते
है| अमू
त अ धकार वे
अ धकार है
जो दखतेनह है जैसे
– सु
खा धकार |
इसके
अलावा सावज नक और ाइवे
ट अ धकार भी आतेहै| सावज नक अ धकार वे
अ धकार ह जनका योग सभी लोग
करते
ह जै
से
– सड़क पर चलनेका अ धकार, कु
एंसे
पानी नकलने का अ धकार |
कलेटर ऑफ़ गोरखपु
र बनाम कनकधारी सह के मामले
म इलाहाबाद उ च यायालय ने
यह धा रत कया क धारा 13 के
अं
तगत सावज नक और ाइवेट दोन ही कार के
अ धकार आते ह|
धारा 32(4) के
अंतगत – कसी मृत के ारा अ भ क गयी राय सु
सं
गत मानी गई है
जो कसी ढ़ के
बारे
म हो
लेकन ऐसा तब कहा गया हो जब ववाद न उठा हो |
धारा 32(4) के
अंतगत सावज नक अ धकार का उठता है
|
धारा 32(7) के
अंतगत – उन लोग क राय सु
सं
गत है
जो अ धकार से
प र चत होते
ह|
इस तरह धारा 13 के
साथ धारा 32(4), 32(7) और 48 के
अंतगत क गयी राय भी अ धकार और ढय के
सबध
म सु
संगत है|
धारा 32(4) के
अंतगत लोक हत से
स बं
धत अ धकार आते
ह जब क धारा 32 (7) के
अंतगत ाइवे
ट अ धकार आते
ह|
महं
थ व मदास चे
ला बनाम ड ट क म र केमामलेम यह कहा गया क त य के
सा य सु
सं
गत है, जो उन lवहा रक
अवसर या ा त को द शत करते ह, जनम गत अ धकार या ढ़ का अनुसरण कया गया है |
पू
णचं द घोष बनाम बल चंद के मामले
म कहा गया क– जहाँकाली पू
जा का उठा, वहाँवेत य सु
संगत ह क वहाँ के
आस-पास के लोग नेतथाक थत थान पर काली पू
जा का अनु
सरण कया था अथवा नही | य द बना ह त पेकेनबाध
प सेशांतपूण तरीकेसेकसी अ धकार का योग कया गया हैया लोग ारा उसका अनु सरण कया गया है तो यह त य
धारा 13 केअंतगत सुसं
गत है|
वे
त य सु
सं
गत ह |
यह धारा उन त य को सु
सं
गत बताती है
जो त य शारी रक या मान सक दशा को कट करते
है|
शरीर क दशा - इसका ता पय हैव थ होना, बीमार होना, अपा हज होना या अ य कोई शारी रक वकृ
त | घायल होना
आ द त य सु
सं गत है
|
ान - ान का त य भी मह वपू
ण होता है
| जब अ भयु को यह ात हैक चोरी का माल उसके
घर म रखा है
तो उसका
दा य व बढ़ जाता है
और ान का त य सुसं
गत हो जाता है
|
स ाव या भाव – स ाव का ता पय अ छ भावना से
है| य द कोई च क सक कसी मरीज का इलाज स ावनापू
वक
अपनी पू
र ी यो यता या मता से
करता है
लेकन मरीज मर जाता है
तो स ावना का सा य सु
सं
गत त य होगा |
X जो एक सु
र ा अ धकारी है
, आ दोलनकारी भीड़ पर गोली चलाने
का आदे
श दे
ता है
| यह त य क उसने
ऐसा आदे
श
स ावनापूवक दया था, सु
सं
गत त य है|
य द कसी नेहसक कुा पाल रखा हो, जसने कई य को काट खाया हो और बार-बार शकायत क गयी हो क
कुे को बां
ध ली जये
लेकन वह कुे को नही बां
धता है
तो वह उपेा का काय करता है
, यह सु
सं
गत त य है
|
वे
बी बनाम सेस केमामले
म एक पर इस बात केलए मु
कदमा कया गया क उसके
बेटे
नेलापरवाही से
बार-बार
एयर गन चलाया, जससेपडोसी घायल हो गया |
उतावलापन - उतावलेपन का सा य सु
सं
गत त य है| जब कोई अ य धक ज दबाजी दखाता है तो यह उतावलापन है
,
जो उ साह का माण हो सकता हैअथवा लापरवाही का | जैसे– ती ग त से गाड़ी चलाना लापरवाही और उतावलापन दोन
है| जब कोई कसी घटना थल सेया कसी थान से उतावलेपन म भागना चाहता हैअथवा कसी सरे को
खाने क कोई चीज दे
नेकेलए उतावलापन दखाता है , तो कोई घटना घ टत हो जानेकेबाद उसका उतावलापन सु संगत
त य है|
भावना – भावना वह मान सक थ त है जो कोई सरेकेलए रखता है| य द यह दशाया जाता हैक X क
भावना Y के
साथ थी तो अ द X का कु
छ नु
कसान होता है
तो Y के
दा य व केनधारण म भावना का त य सु संगत है
|
शारी रक सं
वे
दना – शारी रक सं
वे
दना से
ता पय, कसी घटना से
शरीर पर पड़ने
वाला भाव, जो एक सु
सं
गत त य है
|
जै
से – य द कोई सड़क पर घायल अव था म है तो उसे दे
खकर दया का भाव उ प होना सं
वे
दना है
| कसी भू
खे को
दे
खकर उसपर दया का भाव सं वेदना है
, या ा करतेसमय े न , बस म म हला को खड़ी दे
खकर उसकेलए सीट छोड़ देना
सं
वेदना को दशाता है
| ऐसेत य सु
संगत है | ऐसेत य को सा बत करने केलए प र थ तज य सा य का सहारा ले
ना पड़ता
है
|
धारा 14 का प ीकरण (2) – कसी अपराध केअ भयु केवचlरण म उस अ भयु ारा पहले
अपराध कया
जाना, सु
संगत त य है
, जसकेआधार पर द ड क मा ा म वृ क जाती है
|
लेकन यह त य क जस ाइवर सेघटना ई उसने जो-जो गाडी चलाई उससेघटना ई | इसम यह द शत होता हैक
घटना आक मक नही थी ब क ाइवर क लापरवाही का प रणाम थी |
आर. बनाम े केमामले म अ भयु ने अपनेमकान का बीमा करवाया, मकान म आग लग गयी, बीमा का पै
सा लया, सरे
भी मकान का बीमा करवाया, आग लगी और फर इसी तरह तीसरे
| यहाँआग लगाना आक मक नही माना जा सकता |
ले
कन अं
तम घटना के
स ब ध म पू
ववत घटना का सा य यह दशाने
केलए सु
सं
गत माना गया क आशय था |
धारा 14 और धारा 15 म अ तर –
(2)- धारा 14 के
अंतगत हर वह त य सु
सं
गत होगा जो धारा 15 म सु
सं
गत है
लेकन धारा 15 के
अंतगत मन क दशा को
दशाने केलए सम प घटना का ख ंलाब होना ज री है
ृ |
समान त य क सु
सं
ग त – समान त य दो वग म आते
है–
वे
समान त य, जनका एक- सरे
सेस ब ध है
|
ऐसे
समान त य, जो एक- सरे
सेस ब धत नह है
|
जो त य एक- सरे
सेस ब धत है
वेसु
सं
गत ह और जो स ब धत नही है
वेसु
सं
गत नही है
|
सावज नक
ाइवे
ट
सावज नक काय के स ब ध म यह माना जाता हैक सभी सरकारी कामकाज उ चत तरीकेसेकये जातेहै
| यह नयम
‘omina prosemunterte it set sole men resa actus’ (सभी सरकारी कामकाज उ चत तरीके
सेकये जाते
है
) पर
आध रत है| यह धारा, धारा 114 के ां
त (च) से
पुहोती है
|
इस धारा केअं
तगत क जाने
वाली उपधारणा अनुात उपधारणा है
अथात यायालय इससे
बा य नही है
| इसका ख डन हो
सकता है |