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2 (i) .

सु
सं
गत त य

सुसंगत त य (Relevant Facts) – ववा क त य को लै


टन भाषा म ‘’फैटा ोबै
स’’ कहते है
| जब क सुसं
गत त य को
‘’फैटा ोबडा’’ कहतेहैअथात जन त य को सा बत करना होता है
, वे
त य सु
सं
गत त य कहलाते है| सरेश द म,
सुसंगत त य वेत य हैजनसेववा क त य के अ त व का न कष नकाला जा सकता है | ऐसे त य को सा क त य भी
कहा जा सकता है अथात सुसं
गत त य, वे
त य है
जो कसी न कसी कार सेववा क त य पर रोशनी डालते है
|

सा य अ ध नयम क धारा 6-55 तक जो त य आते है, उ ह सु


संगत त य कहा गया है| यायालय म ऐसे सु
सं
गत त य का ही
सा य दया जा सकता है , जो कसी वाद या कायवाही केलए प कार के अ धकार या दा य व का नधारण करने म सहायक
होते
है | यह सा बत करने केलए क कोई त य सु संगत है अथवा नह है , के
वल यह सा बत करना होता हैक उस त य का
स ब ध ववा क त य से कै
सा है
| यायालय म केवल वे ही त य ा होते हैजो त य सुसंगत होतेहै| ऐसा नयम इस लए
बनाया गया ता क अनाव यक प सेववाद ल बा न खच जाये अथवा अ न तता क थ त न पै दा हो जाये|

अंेजी व ध केअंतगत सु
सं
गत त य वे
त य ह, जो ान और अनु
भव के
आधार पर ववा क त य सेकसी न कसी कार
स बंधत होतेहै
|

स वल या आपरा धक व ध के
अंतगत सु
सं
गत त य का सा य ही दया या लया जाता है
|

भारतीय व ध के
अंतगत यह प कर दया गया हैक यायालय के
वल उ ही त य का सा य हण करे
गी जो त य सु
सं
गत
है
|

जै
से – जब यह हो क या A ने
B क ह या कया है
तो यह त य सु
सं
गत हैक A ने
B को धमक दया था | यह त य
भी सु
संगत हैक A, B को मरने
का आशय रखता था तथा यह त य सु
सं
गत हैक B क ह या के
बाद A फरार हो गया था |

जब कसी सं
प का ववाद होता है तो यह त य सु
सं
गत हैक सं
प कसके
नाम से
है
, कसका क ज़ा है
, सं
प कहा
थत है
और उसक कृ त कैसी है|

इस कार वे
सभी त य जो कसी न कसी कार सेववा क त य से
स बं
धत होते
है
, वे
त य सु
सं
गत त य है
|

या सु
सं
ग त और ा ता दोन एक ही चीजे
हैया उनम भ ता है
?
राम बनाम बहारी बहार रा य के
मामलेम यह कहा गया क ायः यह मान लया जाता हैक सु
सं
ग त और ा ता दोन एक
ही चीजेहै
| उ ह पयायवाची समझ लया जाता है
पर तुऐसा नह है
|

सामा य नयम यह हैक के वल वेही त य ा है जो सुसंगत हैअथात वेत य जो सु


संगत नह है, सामा य तौर पर ा नह
है
पर तुकुछ ऐसी प र थ तयांआती ह वहां सु
सं
गत त य ा नह होते हैब क अपवजन क ण ेी म आते हैऔर कुछ
ऐसेत य भी है
जो सुसं
गत न होतेए भी ा होते है| जै
से – वै
वा हक काल केदौरान प त-प नी क बातचीत तक के
आधार पर सुसं
गत हो सकती हैलेकन व धक तौर पर सु संगतता होने
केकारण ा नही होती हैय क धारा 122 के
अं
तगत ऐसी बातचीत अपवजन क ण ेी म आती है
, जो लोकनी त को बनायेरखनेके उ ेय सेहै, इस लए ता कक तौर पर
सु
संगत होतेए भी प त-प नी क बातचीत ा नही होती है |

इसी तरह वक ल और मु व कल केबीच क बातचीत य प तक के आधार पर सु सं


गत हो सकती है
लेकन व धक तौर पर
अपवजन क ण ेी म आती है
इस लए ा नही होती हैय क धारा 126 इस बात को मना करती हैक वक ल ारा
मु
व कल के त अपनेव ास को भं ग न कया जा सके अथवा सं
वदा भं
ग न हो पर तु
य द मु
व कल वे छा से अनु
म त दे
दे
ता है
अथवा कसी अ य तरीके सेरकॉड कर ली जाती है
तो वतंसा य के प म ा होती हैय क यह तक के
आधार पर सुसं
गत है| इससे
यह प होता हैक वे त य जो तक केआधार पर सु सं
गत हैलेकन व धक तौर पर सु
सं
गत
नही है
तो वे
त य ा नही ह गे|

इसकेवपरीत कु
छ ऐसी प र थ तयां
हैजहाँ
पर उन त य को ा कर लया जाता हैजो वा तव म सु
सं
गत नही होते
| जै
से
– वे
त य जो कसी गवाह क व सनीयता को खंडत करतेहैया भा वत करते
है
, वे
त य ववा दत न होतेए भी ा
होते
है|

जै
से– जब कोई गवाह कसी मामलेक गवाही दे
ने
केलए आता है तो उसक व सनीयता को खं डत करने केलए ऐसे
पू
छेजा सकतेहैक या वह रोज कचहरी म गवाही दे
ता है
या कतने पया ले
कर गवाही दे
ने
आया है| ऐसेतय
ववा दत त य से
सीधेस बं
धत नही है
पर तु
इस कारण ा हैय क गवाह को अ व सनीय बना दे तेहै|

सु
सं
गतता और ा ता म अं
तर –

1- सु
सं
गतता, तक तथा अ धसं
भा ता पर आधा रत होती है
जब क ा ता व ध के
कठोर नयम पर आधा रत होती है
|

2- यायालय के
वल उ ह त य को सु
सं
गत होना घो षत कर सकता है
, जो सा य अ ध नयम क धारा 6-55 तक केपर े
म आते ह जब क यायालय ारा कसी त य क ा ता व ध के अपेत ावधान अथवा यु युता केस ां तो के
अनु
सार या यक म त क का योग करतेए नधा रत कया जा सकता है
|

3- सु
सं
गतता प प से
अ धसं
भा ता से
स बं
धत होती है
जब क ा ता यु युा से
स बं
धत होती है
|

4- सु
संगतता का नयम कसी त य वशे ष क ा थ त क मा घोषणा करता हैजब क ा ता का नयम कसी वशे
षत य
को सा य के प म वीकारनेया ब ह कृत कये
जानेकेस ब ध म ावधा नत करता है
|

कौन नणय करे


गा ?

इस बात का नणय करनेका अ धकार यायालय का है


जो धारा 136 के
अंतगत व णत है
| यह यायालय का अ धकार है
और यायालय ही इस बात को सु
न त करेगी क कौन सेत य ा है और कौन सेत य ा नही है |

इस कार अंे जी व ध केअंतगत वेसभी त य सु


संगत मानेजातेहै
जब तक यह द शत न कर दया जायेक वेकसी कानू

ारा असं
गत है| इस कार अंेजी व ध केअंतगत सु
संग त को नकारा मक प सेलया गया है
जब क भारतीय व ध म
इसेसकारा मक प सेवीकार कया गया है |

जै
सा क धारा 5 म प कहा गया हैक के
वल उ ही त य का सा य दया जा सके
गा जो या तो ववा क त य है
या सु
सं
गत
त य है
|

इस स ब ध म वु
डरोफ और आ मर अली का वचार हैक जै सा ट फे
न महोदय का कहना है
, वह सही नही हैय क धारा
165 व 167 केअं
तगत यायाधीश व जू
र ी को असी मत अ धकार दया गया हैक वेकायवाही केकसी करण पर असं गत
त य को हण कर ले अथात जो कु
छ सकारा मक है वह इन उपब ध (165, 167) ारा न फल कर दया गया है|

कौन न त करता हैक त य ा ह गे – धारा 136 यह सु


न त करती हैक यह काय यायाधीश का है
| वह अ धव ा
सेपू
छ सकता हैक जो सा य पे
श कया गया हैवह कस कार सुसं
गत है| यायालय का यह भी कत हैक असं गत और
अ ा सा य को हण करने केपू
व पू
छ सके और उनका हण कया जाना नवा रत करे |

शा ल सह बनाम रा य केमामलेम सव च यायालय ने कहा क ऐसे


सा य यायालय म ा है , जो सु
सं
गत हैपर तु
अवैध तरीकेसेलए गयेहै
| जै
से– वक ल और मुव कल क बातचीत को अगर धोखे से
टे
प कर लया जाता है
तो ऐसे
सा य सु
संगत होने
केकारण ा है , भले
ही टे
प कया जाना धोखे
सेकया गया था |
ोफ़े
सर वगमोर महोदय नेयह प कया हैक वेतय ा होते
हैजो व ध के
उ लं
घन सेा त कये
जाते
हैअथवा
जनका अ त व व ध के उ लं
घन से
जुड़ा आ है
|

उदहारण केलए – य द कसी थान क तलाशी ले


ने
पर जु
आ खे
लने
केउपकरण बरामद होते
हैतो जु
ए के
अ त व को
सा बत करने
केलए यह बरामदगी ा है|

कसी त य को हण करते
समय यायालय को ापक कोण अपनाना चा हए और के
वल उ ह त य को ा करना
चा हए जो सु
सं
गत है
|

सा बत – ‘’सा बत’’ का अथ हैकसी त य के


अ त व को सकारा मक प म स कर दे ना अथात कोई चीज व मान है
,
कोई अ धकार या यो यता व मान है अथवा कसी अ धकार, यो यता, नय यता का अ त व बना आ है तो इसे
सा बत
करना कहा जाता है |

जै
से

(1) जब यह हो क या कोई मकान X का है


तो यह सा य X के
नाम मकान के
कागजात है
| X का मकान पर क ज़ा है
और उ मकान न त थान पर थत है |

(2) जब यह हो क X क ज म त थ या है
तो X के
जी वत होने
का माणप जसम यह उ ले ख हो क X का ज म
कस अ पताल म आ था, जन लोग नेउसके ज म दवस केअवसर पर ज म दवस म भाग लया था, उनका बयान
सकारा मक प म सा बत करतेहैक X क ज म त थ या है|

(3) इसी कार य द यह हो क या कोई एलएल.बी. पा म म वे


श ले
ने
का पा है, तो ऐसे सा य जो यह
दशातेहैक X नेनातक परी ा म 40 तशत अं क ा त कये है
, व व ालय ारा आयो जत वे श परी ा म सफल
परी ा थय म उसका नाम हैतथा इस बात का सा य हैक वह व व ालय केलै क ल ट म नही है, इन सभी सा य से
सा बत होता हैक X एलएल.बी. क पढ़ाई म वे श पाने
का अ धकारी है|

नासा बत – ‘नासा बत’ से


ता पय कसी त य केअ त व को नकारा मक प सेस कर दे ना नासा बत कहलाता है
| जै
से
– यह सा य क कोई इमारत बम ला ट से उड़ा द गयी, इस बात से
नकारा मक प से
यह होता हैक उस ब डं ग का
अ त व अब नही है |
जै
से

अमे
रका का व ड े ड सटर जो आतं
क हमले
म उड़ा दया गया जो अब अ त व म नही है
| इसी कार कसी अ धकार का
स कर देना नासा बत कहलाता है
|

जब कोई यह कहता हैक उ मकान उसका है , तब वप ी ारा यह सा बत कया जाना क उस ने


अपना
मकान बे
च दया है
, इस बात को नास बत करता हैक उसका उस मकान पर अ धकार है|

जब यह हो क या अमुक रा तेसे लोग को आने -जानेका अ धकार है


, तो इस बात का सा य क वह रा ता नही है
ब क कसी के खे
त का ह सा है तथा यह सा य क बरस से इस पर कोई यातायात नही आ है और न ही सरकारी
अ भले
ख म उसेरा ता दखाया गया है
, इस कार माग के अ धकार को नासा बत कया जा सकता है |

सा बत नही आ – इस वा यां
श का अथ है
न तो सकारा मक प सेस आ और न ही नकारा मक प सेस आ
ब क कसी भी तरह स नही कया जा सका | य प क घटना ई है |

जै
से- य द X केमकान म डकैती पड़ी हो और गवाह A, B तथा C पे
श कयेजाते है
, गवाह A गवाही के
पहल मर जाता है
|
सरा गवाह B बीमारी से सत होनेके कारण बोल नही पाता है
और तीसरा गवाह C प ोही हो जाता है
तो ऐसी थ त म
घटना तो ई हैलेकन घटना के अ त व को यायालय म न तो सा बत कया जा सका, न ही नासा बत कया गया तथा इसे
सा बत नही आ कहा जाएगा |

‘’सा य’’ श द क जो अधू


र ी प रभाषा अ ध नयम म द गयी है
उस अधू
रप
ेन को सा बत, नासा बत के
साथ जोड़ने
पर पू
रा
कया जाता है |

धारा 4. उपधारणा – उपधारणा से ता पय मानवीय ान, अनु


भव, यो यता के
आधार पर, कसी मा य त य के आधार पर
कसी सरे त य का अनुम ान लगा ले
ना उपधारणा कहलाता है
| उपधारणा तक पर आधा रत होती है
| सा य व ध के
अंतगत दो कार क उपधारणाये होती है

1- त या मक उपधारणा

2- व धक उपधारणा
1- त या मक उपधारणा - त या मक उपधारणा जो सदैव ख डनीय होती है | जै
से– य द कही धु

ं दखाई दे ता है
तो यह
उपधारणा हो सकती हैक कही आग लगी हो ले कन ऐसा न होकर मृ
ग मरी चका हो अथात म हो सकता है , जसका खं डन
कया जा सकता है | इस स ब ध म सा य अ ध नयम क धारा 4 केअंतगत ‘’उपधारणा कर सके गा’’(May Presume)
जसका ता पय है , यायालय त य के आधार पर उपधारणा कर सकता है जो कसी अ धकार, यो यता, नय यता के सबध
म हो सकता है|

इस स ब ध म यायालय को यह अ धकार हैक अपनेववे


क का योग करे
और खं
डन केलए सा य क मां
ग करे
|

य द कसी के पास कसी संप का क जा है तो यह उपधारणा क जा सकती हैक सं प उसी क है लेकन इसका
खंडन हो सकता है| य द कसी को कोई प मलता है और उसम भे जनेवाले
का नाम, पता होता है
तो यह उपधारणा
हो सकती हैक प भे जनेवाला वही होगा पर तुइसका खंडन हो सकता है
और यायालय इसके ख डन का सा य
मां
ग सकती है
|

2- व धक उपधारणा – व धक उपधारणा ऐसी उपधारणा है


जो व ध केनयम के
आधार पर क जाती है
| वधक
उपधारणा दो कार क होती है

(i) उपधारणा करे


गा (Shall Presume) – अथात यायालय व ध के
मा य नयमो के
अनु
सार कसी अ धकार, यो यता या
त य के बारे
म मानने केलए बा य हैक कोई त य ऐसा है
|

जै
से– यह हो क या कोई ज दा है
या मर चु
का है
तो सा य अ ध नयम क धारा 107, 108 उपबंधत करती है
क जो 30 वष के
अ दर जी वत दे
खा गया है
तो यायालय उस के जी वत होने
क उपधारणा करेगी अथात
यायालय माननेकेलए बा य है
और जो यह कहता हैक उसेस करना पड़े गा पर तुयायालय वयंखंडन का सा य नही
मां
गे
गी |

य द खं
डन का सा य दया जाता है
तो ले
ने
सेइ कार भी नही करे
गी |

धारा 113-A सा य अ ध नयम के


अंतगत य द ववाह क त थ से 7 वष केभीतर ी क मृ युअ वाभा वक प से
हो
जाती और यह सा य आता हैक उसके साथ ू रता क गयी थी तो यायालय यह उपधारणा कर सके
गी क उसको
आ मह या केलए ववश कया गया है लेकन,

धारा 113-B म य द यह सा य आता हैक दहे


ज़ क मां
ग क गयी थी तो यायालय यह उपधारणा करे
गी क उसक दहे

ह या क गयी है
| यह यायालय क मानने
क बा यता होगी क उसक दहे
ज़ ह या क गयी है
|

(ii) न या मक सबूत (Conclusive Proof) – सा य अ ध नयम के अंतगत जहाँ कही भी इस श द का योग कया गया
है, वहां
उन त य केअ त व के स ब ध म न ायक सबू त माना जाये
गा जो एक व धक उपधारणा है | ऐसी थ त म
यायालय न तो खं
डनीय सा य क मांग करे
गी और य द ऐसा सा य दया जाता हैतो ले
नेसेइ कार करेगी | जै
से– भारतीय
द ड सं हता क धारा 82 के
अंतगत 7 वष सेकम उ के बालक ारा कया गया काय अपराध नही माना जाये गा|

जहाँ पर कसी यायालय ारा कसी को अपनेनणय के मा यम से


कोई है
सयत दान क गयी है तो सा य अ ध नयम क
धारा 41 के
अंतगत यह एक न ायक सबू त माना जाये
गा, जसके ख डन का सा य नह लया जाये
गा |

इसी अ ध नयम क धारा 112 के अं


तगत धमज व का स ां त दया गया है
, जसम यह बताया गया हैक वै
वा हक काल के
दौरान जो सं
तान पै
दा होती है
वह धमज है
, यह एक व धक बा यता हैक यायालय ऐसेत य का न ायक सबू त माने
गी |
यह नयम लोक नी त और सामा जक मयादा को बनाये रखने केलए दया गया है|

इस कार ‘उपधारणा कर सके गा’ सेता पय यायालय को ख डन का सा य मांगनेका अ धकार है


| ‘’उपधारणा करेगा’’ म
यायालय को ऐसा अ धकार नह है लेकन य द ऐसा सा य दया जाता हैतो यायालय उसेले
नेसेइ कार नह करे गी और
न ायक सबूत के स ब ध म य द ख डन का कोई सा य दया भी जाये तो अपवाद को छोड़कर कसी भी पा र थ त म
खंडन का सा य न तो माँ
गा जाये
गा न लया जायेगा |

भारतवष म केवल त य क उपधारणा एवंव ध क उपधारणा मा य है


जब क अंे
जी व ध के
त य और व ध क म त
उपधारणा भी मा य है
|

रसे
ल के
अनु
सार – जब हम एक त य के
आधार पर अ य त य का अनु
म ान लगा ले
ते
हैतो यह उपधारणा करना कहलाता है
|

वेट महोदय के
अनु
सार – उपधारणा एक न कष है जो यायालय सं
भा तक का योग कर केकसी अ य स य या मा य
स य स सेक ह त य के सकारा मक या नकारा मक अ त व को मान ले
ना उपधारणा करना है
|

शा दक अथ म – उपधारणा बना जांच के


सबू
त मान ले
ता है
| सं त म कहा जा सकता हैक उपधारणा एक अनु
म ान है
जो वपरीत सा य पर ली जाती है
|
उपधारणा से
स बंधत व भ धाराएँ – सा य अ ध नयम क धारा 86-88, 90 तथा 111 म ख डनीय उपधारणा का
उ ले
ख कया गया हैजब क धारा 112 और 113 म अख डनीय उपधारणा का उ ले ख कया गया है
जो एक न ायक
सबू
त है|

इसके अ त र धारा 114 म ख डनीय उपधारणा का उ ले ख कया गया है जो मानवीय ान और अनु भव पर आधा रत
होता है| जै
से
- चोरी के
बाद चोरी का माल कसी केपास से
बरामद होता है
तो यह उपधारणा होती हैक वह चोर है
लेकन
वह इस बात का ख डन कर सकता हैक वह व तु एंउसक है|

उपधारणा से
लाभ – जब कसी त य क उपधारणा कर ली जाती है
तो सबू
त का भार कम हो जाता है
|

धारा 5. ववा क त य और सुसंगत त य का सा य दया जा सके


गा – सा य अ ध नयम क धारा 5 यह प करती हैक
कसी वाद या कायवाही म ववा क त य या सुसं
गत त य का सा य दया जा सकेगा, क ह अ य का नह |

ववा क त य से
ता पय वे
त य जन पर प कार म मतभे
द है
| जै
से

यह क या कोई खे
त X का है
, एक प कहता हैक मेर ा है
और सरा प कहता हैक मे
र ा है
| यहाँ
दोन प म
मतभे
द केकारण ववा क यह हैक खेत कसका है|

A पर इस बात का आरोप हैक उसनेह या क है


तो यह त य ववा क हैक A ने
B क ह या क थी अथवा नही अथवा A
नेB पर गोली चलाई या जस समय B क ह या ई उस समय A मान सक प सेवकृत था तो ऐसे
त य ववा क त य होने
केकारण यायालय के सम सा य के प म तु त कये जा सकतेहै
|

सु
सं
गत त य वे
त य है
जो ववा क त य के
साथ इस कार जु
ड़े
हैक उसेप करते
है| जै
से

य द कोई पानी म डू
ब रहा है
तो डू
बते
समय उसनेया आवाज कया था, यह सु
सं
गत त य है
|

य द कसी का पया मे
लेम लू
ट लया जाता है
तो यह त य सु
सं
गत हैक वो मे
ले
म गया था और लोग को पया
दखाया था | लू
ट क घटना के
स ब ध म यह सु
संगत त य है|

धारा 5 के
अंतगत यह प कर दया गया हैक के
वल उ ही त य का सा य दया जाये
गा जो क ववा क है
या सु
सं
गत है
|

इस कार धारा 5 अंे


जी व ध केअंतगत नकारा मक प सेयह कहा गया हैक उन वषय त य का सा य नही दया
जाये
गा, जो ववा क या सु
सं
गत नही है
| प हैक अंेजी व ध नकारा मक है
ले कन दोन व ध का भाव एक है
|
ऐसेववा क या सु
सं
गत त य का सा य कसी वाद या कायवाही म दया जाता है
| वाद का ता पय स वल कायवाही से
है
जो प कार केअ धकार और कत के स ब ध म स वल या सं
हता केनयमानु सार संचा लत होती है
|

जब कसी ेका ववाद हो क इसका वा म व कसका है


या मकान का वा म व कसका है
तो इस स ब ध म स वल वाद
लाया जाता है
|

कायवाही सेता पय – जाँ


च क कायवाही या वचारण क कायवाही या अ य कोई कायवाही से
है | आपरा धक मामल म
ऐसी कायवा हयांक जाती है
, जनम ववा क त य और सु सं
गत त य का सा य दया जाता है |

जां
च – वह कायवाही होती है
जो यायालय ारा वचारण से
पू
व क जाती है
| इसके
अतर कसी आयोग ारा जां
चक
जाती है
|

वचारण – जब क वचारण से ता पय, स वचारण, वारं


ट वचारण, समन वचारण और सं त वचारण से
है| इन व भ
कार केवचारणो म सु
सं
गत या ववा क त य का सा य दया जा सकता है|

प र थ तज य सा य - कुछ घटनाये
ऐसी होती है
जो अचानक हो जाती हैजनका य सा य मलना सं भव नही हो पाता |
ऐसी थ त म प र थ तज य सा य पर भरोसा करना पड़ता है| यह माना जाता हैक आदमी झू
ठ बोल सकता है
ले कन
प र थ तयाँ
झूठ नही बोल सकती है
| प र थ तयाँ
भी घटना को उतना ही प कर दे ती हैजतना य सा य ारा होता है
| सव च यायालय ने यह बात पू
णतया था पत कर दया हैक जब कोई मामला प र थ तय पर आधा रत होता हैतो यह
आव यक हैक जो भी प र थ तयां अ भयोजन के सामनेलायी जाती है उनक दशा एकमा अ भयु को दोषी सा बत
होनेक ओर होनी चा हए |

प र थ तज य सा य के मामल म त य क ख ंला होनी चा हए और यह ख


ृ ंला कही टू
ृ टनी नही चा हए | अगर एक भी
कड़ी टू
ट जाती है
तो प र थ तज य सा य का भाव उसी तरह न हो जाता हैजस तरह टू
टेए मालेके दानेबखर जाते
है
|

शं
करलाल बनाम महारा रा य के मामलेम यायालय नेयह कहा क जहाँ एक बालक क ह या का है
और जसेकसी
ने
दे
खा नही हैवहांप र थ तज य सा य पर भरोसा करना पड़ता है और य द प र थ तय क ख ंला इतनी स पू
ृ ण हो और
उसम एक ही न कष नकलता हो, जै से– ब चे
को घर म दौड़ाना, उसे
मारना, कु

ए म फकना अ भयु के अलावा कसी
अ य का काय नही था तो यहाँ
प र थ तज य सा य सु
संगत है|
एक अ य मामले म एक क प नी इस लए मायके चली गयी य क वह उसे मारता-पीटता था | कई बार वह उसे
लेने
गया लेकन वह नही आई | उसेयह कहतेए सु ना गया क दे
ख लुँ
गा | कु
छ समय बाद वह अपने साले के10 वष य लड़के
को लेजाते
देखा गया | जब लोग नेउसेघे
र ा, तब वह बोला क मैब चे को वापस कर ंगा | इसकेप ात् ब चेका शव एक
कु

ए म मला | यायालय ने प र थ तज य सा य के आधार पर अ भयु को सजा सु नाई |

कसी घटना के समय कुे का भ कना असंगत हो सकता है


ले कन य द कुे नेकसी का पीछा कया, वह कुे
सेजान
बचाकर भागा, सामने
लारी आ गयी और वह कुचल दया गया | यहाँ
कुे का भ कना अ तसु
संगत है
|

पोलक महोदय केअनु


सार – प र थ तयाँ
झूठ नह हो सकती पर तु
कभी-कभी प र थ तज य सा य गलत स हो सकता
है| जै
से
– यायालय का न कष |

ट फे
न महोदय नेअपनी पुतक म एक उदाहरण दया जसमे बताया गया हैक एक मकान म माल कन और नौकरानी ही
रहतेथे| वहां
कोई आता-जाता नही था | एक दन माल कन कमरे म मरी पायी गयी और नौकरानी गायब थी | प र थ तज य
सा य क क ड़य का इशारा नौकरानी पर था | इस आधार पर नौकरानी को सजा द गयी पर तु इस सजा केदए जाने के
प ात्कसी अ य मामले म कुछ अपराधी पकडे गयेज ह नेयह कबू ल कया क माल कन क ह या उन लोग ने क थी |
यहाँयायालय का न कष गलत स हो गया | प र थ तज य सा य के मामले म ऐसी स भावना रहती है
|

धारा 6. – भारतीय सा य व ध के अं
तगत धारा 6 अंे जी व ध के स जे
‘’रे टे
’’ केस ां
त का सु
धरा आ प है | जसके
अंतगत एक ही संवहार का भाग होने वालेत य को सु संगत बताया गया है
| चाहे
वेत य ववा क रहेहो या न रहे
हो | य द
वेएक ही संवहार के भाग ह, तो वे
सु
संगत है| संवहार से ता पय काय क वह ख ंला हैजसे
ृ एक नाम दया जा सकता
है
, जैसे– संवदा, बं
धक, संप का व य, अनु दान, ववाह, तलाक, द क हण या कोई अ य संवहार |

इस स ब ध म अंेजी व ध का स ां
त रे
स जेटे
केनाम सेजाना जाता है
, जसका अथ है
स बंधत त य, काय और
घोषणाय अथात जो कु छ आ, जो कु
छ कया गया और जो कु
छ कहा गया सब एक ही संवहार केभाग के प म रे
स जे
टे
केअंतगत सु
संगत है|

अंे
जी व ध का रे
स जे टे
का स ां
त इतना अ न तता भरा हैक यह न त नह हो पाता हैक कौन से
त य सु
सं
गत ह गे
और कब सु
संगत ह गे|

इस स ां
त क अ न तता के
कारण व भ व धशा य ने
इसे
अंे
जी व ध से
हटा दे
ने
का सु
झाव दया है
|
ोफे
सर वगमोर महोदय ने
– इसे थ और नरथक बताया है
|

लाड टा वन के
अनु
सार – यह एक त त लबादा है
और उन व भ मामल केलए लागू
होता है
, जनकेलए कोई सू
नही है
|

वु
डरोफ केअनु
सार – रे
स जेटे
वह प र थ तयां
ह, जो कसी व श मु
कदमे
बाजी क वतः और अनाश यत घटनाएं
है| जो
उस दशा म ा होतेह, जब वे
ऐसेकाय का ा त बन जाते है|

रे
स जेटे
केअंतगत वेसभी त य आ जाते
हैजो ववा क त य के
भाग है
| जन त य म काय और कारण का स ब ध होता
है
, वे
सु
सं
गत त य होते
है|

ट फे
न महोदय के अनु
सार – वे
त य रे
स जे
टेकेभाग है
| जो एक ही संवहार म आते है
| संवहार से ता पय त य का
वह समुदाय, जो आपस म इस कार स बंधत हैक उसेएक ही नाम दया जा सकता है
, जै
से – अपराध, संवदा या
अपकृ य|

स ां
त क अ न तता – अंे जी व ध म यह स ां त एकदम अ न त है और अलग-अलग मामलो म अलग-अलग प म
लागू
होता है
| जै
से
– रटन बनाम वी न केमामलेम एक पर अपनी प नी क ह या का आरोप था | यह त य क प नी
नेपु
लस को फोन मलाया और पु लस सेसहायता मांगी | जब पुलस घटना थल पर प चंी तो वह मरी पाई गयी | उसके ारा
टे
लीफोन मलाना और टे
लीफोन पर सहायता मां
गना ‘रे
स जे टे
’ का भाग माना गया |

लेकन वह आर. बनाम बेडंगफ ड के मामलेम इस स ां त को नह अपनाया गया | एक पर अपनी प नी क ह या


का आरोप था | उसने
अपनी प नी का गला काट लया था | अ भयोजन के गवाह ने
यह कहा क जब मृ
तका घर सेबाहर
नकली तो अपना गला पकड़ी ई थी और कह रही थी क ‘’दे खो चाची तु
हारे
बेडंगफ ड नेमेरे
साथ या कया है |’’

यायाधीश काकबन ने कहा क म हला का यह कथन रे


स जे टेका भाग नह माना जाएगा य क घटना हो जाने
केबाद कहा
गया कथन था | य द गला काटे
जाते
समय उसने ऐसा कहा होता तो अव य ा होता |

य द वह यह कहती हैक- मु
झे
मत मारो मनेया बगाड़ा है
तो उसके
यह कथन ा होते
|

यह तक लया गया क उसे


मृयु
का लक कथन मान लया जाए | यायालय ने
इस तक को भी नही माना और कहा क अंे
जी
व ध के
अंतगत मृ
यु
का लक कथन तभी ा होगा जब मृ
युक आशं
का म कया गया हो |

इस नणय क व भ व ान ने
आलोचना क ले
कन आगे
केनणय म भी कोई न त पै
म ाना नही रहा |

इसी क ठनाई को यान म रखतेए सा य अ ध नयम क धारा 6 के


अंतगत एक ही संवहार के
भाग होने
वाले
त य को
सु
संगत बताया गया है
|

भारतीय व ध -

(1)- वे
त य सु
सं
गत ह, जो ववा क त य के
स ब ध म उसी संवहार का भाग बन जाते
है|

(2)- वेत य उसी समय और उसी थान पर घ टत ए ह या व भ समय या व भ थान पर घ टत ए ह , वेसु


संगत ह,
य द उनमे नरं
तरता है , काय क सहचा रता है
और सहवत घटनाएं
हैऔर काय क सहवत घोषणाएं
है
, जै
से
- जब कोई
डूब रहा हो तो डूबतेसमय बचाओ-बचाओ च लाना सु
सं
गत त य है
|

इस स ब ध म ा ता क कु
छ शत बताई गयी ह –

(1)- स ब धत काय को ववा क या सु


सं
गत होना चा हए तथा घोषणा को स बं
धत होना चा हए |

(2)- घोषणाएं
समकालीन हो और म या सा य रचने
का समय न मला हो |

(3)- घोषणाएं
मौ खक अथवा ल खत हो सकती है
|

(4)- ऐसी घोषणाएं


भारतीय व ध के
अंतगत त य का सबू
त है
|

इसके
अलावा कलक ा उ च यायालय ने
उन त य को एक ही संवहार का भाग माना है
और सु
सं
गत माना हैजनमे

(a)- काल क एकता हो,

(b)- थान क नकटता हो,

(c)- काय क सहचा रता हो,

(d)- योजन या अ धक प क सहचा रता हो |

समकालीन घोषणाएं– जे.बी.राव बनाम आं- दे श रा य के मामले


म यह कहा गया क उन य के
कथन सु
सं
गत नह
माने
जायगेजो घटना बीत जाने केबाद ब त दे
र म आये हो |

ले
कन उन य के
कथन सु
सं
गत ह जो घटना के
तुरत
ंबाद वहां
उप थत होते
हैऔर जानकारी हा सल करते
है|

भारतीय व ध क ापकता – भारतीय व ध के अं


तगत एक ही संवहार केभाग होने
वालेत य को सुसंगत बताया गया
है
l साथ ही साथ धारा 16 तक इस स ां
त के
उदहारण दए गयेहैजनम उन त य को सु
संगत बताया गया है
जो एक ही
संवहार के उदाहरण है |

प र थ तज य मामल म धारा 6 का स ां
त भावी है
|

ए.एल.हजारा के
मामले
म 4 बात को मह वपू
ण बताया गया है

(1)- उस काय को या तो ववा होना चा हए या सु


सं
गत तथा घोषणा को उससे
स बं
धत होना चा हए |

(2)- क गयी घोषणाएं


त य के
समकालीन ह और उसेप करने
वाली ह |

(3)- काय के
साथ होने
वाली घोषणाएं
मौ खक ह या ल खत ह |
(4)- ऐसी घोषणाएं
उन त य का सबू
त ह, जनका वह सहगमन करती है
|

अंे
जी व ध के
अंतगत ऐसे
त य को वतंसा य सेथा पत करना होता है
जब क भारतीय व ध के
अंतगत ऐसा करने

आव यकता नह है|

इससे
यह प हैक भारतीय व ध, अंे
जी व ध क तु
लना म अ धक ापक है
|

शारी रक व मान सक ल ण - शरीर पर पाए जाने


वाले
घाव, चोट या शारी रक दशा आ द सु
सं
गत त य है
|

मान सक त य – पागल होना, व त होना, यह त य भी सु


सं
गत ह |

धारा 7. - धारा 7 के
अंतगत वे
त य सु
सं
गत ह जो ववा क या सु
सं
गत त य के सं
ग, हे
तु
क या प रणाम ह | अथवा उन
त य को घ टत होने का अवसर दान करते
है|

सं
ग - से
ता पय वह यथेसमय है, जो कसी काय या घटना केलए मह वपू
ण होता है
| जै
से
- परी ा का समय, मे
ले
का
समय, कसी धा मक उ सव का समय, कसी क ज म त थ या ज मो सव सं ग के प म सुसं
गत होतेह|

उदाहरण – कुभ मे
ले
केसमय या य का न त समय पर मे
ले
म प चने
केलए उ सु
क होना, उस सं
ग को सं
के
त करता
है
जो कुभ मेले
का समय है
|

हे
तु
क – हेतुक सेता पय वह बा प र थ तयां
ह, जो कसी काय को कये
जाने
केलए कसी को बा य करती है
या
आक षत करती है | जै
से– कसी कान के शो म म रखी ई चीज ाहक को आक षत करती है
तो व तु का शो म म
रखा जाना, वह हे
तु
क हैजो उनक ब का आधार बनता है |

जब कसी वमान क घटना हो जाती है


तो घटना का हे तु
क कसी पहाड़ से
टकरा जाना या इं
जन फे
ल हो जाना या
आतंकवा दय ारा इं
जन म व फोटक पदाथ डाल दे
ना, यह हे
तु
क है
|

य द कोई सरे
को धमक देता हैक उसकेखलाफ थाने
म रपोट कर दे
गा | यह धमक वह हे
तु
क हैजसके भाव म
आकर सरा उसक ह या कर देता है
|
कोई खु
ले
आम मे
ले
म पया दखाता है
तो यह वह हे
तु
क है
जो लू
ट का कारण बनता है
|

प रणाम – ये क काय का कोई न कोई प रणाम होता है


| प रणाम का सा य सु
संगत होता है
जो काय क कृ त पर काश
डालता है| य द कहा जाता हैक X थान पर मारपीट ई है तो उस थान पर गु थम-गुथा केनशान, पै
र केनशान, टू

च पल, टू
ट अं गठू, घडी, च मा, बखरा आ खू न आ द सभी चीज काय के प रणाम क ओर इशारा करती ह क यहाँमार-
पीट ई थी |

य द कह कोई लाश मलती है तो उसक ह या ई है


या आ मह या, काय केइस प रणाम को जानने
केलए पो टमाटम
कराया जाता हैजससे पता चलता हैक उस नेआ मह या कया है अथवा उसक ह या क गयी है
| यह पो टमाटम से
पता चलता हैजो काय का प रणाम होगा |

अवसर – वे प र थ तयाँ, जो कसी घटना म को पू


र ा होने
का अवसर दे
ती है
, सु
सं
गत ह, य क कोई भी काय बना अवसर
केनही हो सकता | आपरा धक मामल म ायः यह दे खा जाता हैक कसे अवसर था | य द अवसर नही था तो अपराध नह
कया गया होता, यह उपधारणा होती है
|

य द कसी पर यह आरोप हैक उसनेअपनी माल कन को जहर दे कर मार डाला तो यह त य सु


सं
गत हैक माल कन
अकेली रहती थी और वह उनकेघर आता-जाता रहता था | यहाँ
अवसर का सा य सु सं
गत है|

वष दे
नेवाले
अपराध के
स ब ध म जो घर म आता-जाता है
, मे
ल-जोल है
, उसके ारा वष दे
ने
क स भावना अ धक
रहती है
|

पाकला नारायण वामी केमामलेम – मृ तक, अ भयु (पाकला) के घर गया था | रात म वह खा कर सोया था और सरे
दन उसे
वापस लौटना था जब क सरे दन उसक लाश पुर ी रे
लवेटे
शन पर पाई गयी | अ भयु को मारने का अवसर था
य क मृतक उसी केघर ठहरा था | यहाँ
अवसर का सा य सु सं
गत है
|

य द कोई यह स करना चाहता हैक उसे


ऐसे
काय करने
का अवसर नही था तथा घटना के
समय वह सरेथान पर
था तो वह उसकेलए बचावकता होगा |

अवसर को सा बत करने
केलए स बं धत त य और प र थ तय का सा य दया जाता है | ऐसे
मामलेम यायाधीश को
सावधानी और सतकता सेवचार करना चा हए य क कभी-कभी जसे अवसर होता है, उसके ारा अपराध नह कया
जाता है
ब क कसी सरे ारा अपराध कर दया जाता है
|

आर. बनाम रचडसन केमामले म अ भयु पड़ोस म रहता था | जब लड़क के माता- पता खे
त पर काम करने चलेगये
तो
उसनेमौका दे
खकर, सु
नसान पाकर चोरी व यौन अपराध का रत कया | यह अवसर का सा य सु
संगत माना गया |

धारा 8. हे
तु, तै
यारी, पू
ववत और प ातवत आचरण का सा य – ऐसा त य, जो ववा क त य या सु संगत त य का हे
तु
,
तै
यारी या आचरण (पू ववत और प ातवत ) द शत करता है
, वह त य सु
सं
गत है
| कसी वाद या कायवाही के
प कार का
हे
तु
, तैयारी या आचरण सु संगत होता है
|

हे
तुसेता पय वह मान सक वचलन है , जो कसी को कु
छ करने केलए ेरत करता है
| हे
तु
, वह मनोभाव है, जो
आशय को ज म दे ता है
| जब हे
तु
अ छा होता है
तब भी आशय बुर ा हो सकता है
लेकन जब हेतुबु
र ा होता है
तो आशय हर
हाल म बु
र ा होगा |

भू
खे
, नं
गे
को दे
खकर दया का भाव हे
तु
हैऔर इस भाव सेभा वत हो कर कानदार से
व तु
एं
छ न ले
ना अपराध है
, जो बु
रे
आशय का प रणाम है
|

आपरा धक मामल म हे तुका सा य मह वपू


ण होता हैऔर सबसे पहले इसी पर बहस क जाती हैलेकन हर मामलेम हे
तु
का बड़ा होना आव यक नह है | कभी-कभी छोटे
-छोटेहे
तु पर बड़े
-बड़े गं
भीर अपराध हो जातेहै
| जै
से– ेन या बस म
सीट न पानेपर अपमा नत होनेका हे
तु
, कानदार ारा देर ी सेसामान दे
नेपर अपमा नत होनेका हे
तु
, कसी नतक रा
फरमाइशी गाना न सु
नानेपर बे
इ जत होनेका हेतु| बकरीद केदन, मु सलमान को गाय ले जातेए देखना हे
तु
क हैऔर उसे
दे
खकर दया का भाव आ जाना हे तु
हैऔर बचाने का आशय हे तुके प ात्क थ त है |

व स महोदय के
अनु सार – हे
तु
एक मह वपू ण त य हैl हम कसी के
मन को नही जान सकते
| मन के
भाव श द ारा, चे
हरे
क अभ ारा और आचरण से अनुम ान लगाया जाता है
|

हे
तु
क अ त थ मनोभाव है
जब क हे
तु
बा प र थ तयाँ
है|

य द कसी मामले
म हे
तु
हैतो अपराध कये
जाने
क स भावना अ धक रहती है
|

ो. वगमोर के
अनु
सार – ये
क काय केलए हे
तु
का होना आव यक है
|
राज बनाम पं जाब रा य के मामलेम हे
तु
के सा य को सु
सं
गत माना गया | य द आपरा धक मामलो म हेतुहै
तो न कष को
प का माना जाता है| हे
तुवह ऐसी श है जो को कु
छ करने केलए मजबू र कर दे
ती है
| लालच, घृ
णा, दया, ोध,
ई या, वै
मन य आ द ऐसे कारक है
, जो कसी को अपराध क ओर अ सर करते है
|

आर. बनाम पामर के


मामले म, अ भयु आ थक क ठनाइय से जू
झ रहा था | उसने
अपनेम सेपया उधार लया | दोन
साथ-साथ एक होटल म ठहरे| सु
बह घु
ड़सवारी करने
जाते
थे| एक दन धनी म मरा पाया गया | सरा म गायब हो गया |
इस त य को सु
सं
गत माना गया क कज सेमु का जो मनोभाव था वह हे
तु के प म सु
सं
गत था |

ह रयाणा रा य बनाम शे
र सह के
मामले
म यह कहा गया क ऐसा सा य जसम हे
तु
का अभाव है
, कमजोर क म का सा य
है|

तै
यारी – कसी काय को पू र ा करने सेपहले तै
यारी क जाती है| तै
यारी वयं
म कोई अपराध नह है
पर तु
जब तै
यारी के
प ात् काय हो जाता है
तो तै यारी का सा य सु
संगत हो जाता है|

आपरा धक मामल म तै
यारी को तब तक ा नह करते
जब तक काय घ टत न आ हो य क तै
यारी करने
केप ात्
अपनेआशय को बदल सकता है |

ब क, चाकू, क ा खरीदना, फज द तावे


ज केलए वक ल से
राय-मशवरा करना, बार-बार कचहरी आना, तै
यारी के
सा य के
प म सु
संगत है|

कुछ ऐसेअपराध है
, जनम तैयारी को दं
डनीय बनाया गया है
| जै
से– डकै
ती क तै
यारी, राज ोह क तै
यारी, नकली स के
या टैप बनाने
क तै यारी और आतं कवाद घटना क तयारी सु सं
गत है
|

आचरण - कसी वाद या कायवाही के


प कार का आचरण सु
सं
गत होता है
| जो पू
ववत हो सकता है
या प ातवत हो
सकता है
|

वेट महोदय केअनुसार – आचरण को हम न न प म जान सकते है– च कना, डर जाना, बहाने बाजी करना, रोने
-धोने
का
नाटक करना, हकलाना या कां
पना, बार-बार बात बदल दे
ना, घटना थल सेफरार हो जाना, बार-बार कचहरी आना, छपने क
को शश करना, गवाह को धमकाना आ द आचरण के प म सु सं
गत है| बना मां
गेघू
स क पे शकश करना, बना पू छेसफाई
दे
नेलगना, आचरण के प म सु सं गत त य है | पुलस का नाम सु
नकर घटना थल से फरार हो जाना आचरण के प म
सु
सं
गत है
|

धारा 8. – धारा 8 के
अंतगत हे
तु
, तै
यारी और आचरण के सा य सुसं
गत है| साम यतया आचरण केअंतगत श द नह आते
लेकन जब वे श द उसके आचरण को प करते हैतो सु
सं
गत हो जाते
है| जैसे
- जब कोई पीटा जाता है
तो उसके
ारा इसक शकायत आचरण के प म सु सं
गत है
|

धारा 9. – वे
त य सु
सं
गत हैजो ववा क त य या सु
सं
गत त य को प करते
ह या पु
नः था पत करते
है| धारा 9 के
अंतगत व भ थ तयां द गयी ह जै
से

(1)- वे
त य सु
सं
गत है
जो ववा क त य या सु
सं
गत त य केप ीकरण केलए या पु
नः थापना केलए आव यक ह |

(2)- ववा क त य या सु
सं
गत त य से
होने
वाले
इंगत अनु
म ान का जो त य समथन करते
हैअथवा खं
डन करतेहै
|

(3)- वे
त य सु
सं
गत है
, जो कसी या व तु
क पहचान को सु
न त करते
है|

(4)- वे
त य सु
सं
गत ह, जो कसी थान को थर करते है अथवा वे
त य सु
सं
गत ह, जो कसी घटना के
समय को सु
न त
करते है
अथवा वेत य सुसं
गत ह जो क ही स ब ध को द शत करते
है|

प ीकरण त य - जब चोरी या डकै


ती क घटना के प ात्
पुलस केआने
का नाम सु
नकर कोई फरार हो जाता है
तो
वह संदे
ह के
घेरे
म आ जाता हैले कन वह इस बात का प ीकरण दे
सकता हैक कसी आव यक काय सेउसे जाना पड़ा
था |

पु
नः थापना वाले
त य - जब यह हो क या A कसी बलवे म शा मल था तो यह त य पु
न थापना केलए सु
सं
गत हैक
वह बलवाइय के आगे-आगे चल रहा था और नारे
लगा रहा था |

अनु
म ान का समथन करने वालेत य – जब यह हो क या A ने कोई चोरी कया तो वे
त य सु
सं
गत ह जो यह दशाते

क A के पास चोरी क व तु
एंबरामद ई अथवा यह चोरी केथान सेभागतेए देखा गया था |

ख डन करने
वाले
त य - अगर कसी पर यह आरोप हो क उसने
नकली नोट चलाने
का यास कया था तो यह त य
सु
संगत हैक उसनेवह नोट कई लोग को दखाया था और सबने
यह बताया क नोट असली है
तो ख डनकारी त य के प
म यह सा य सु
सं
गत है
|

क पहचान वाले त य - वे त य सु
संगत ह, जो कसी क पहचान कराते ह | अ ात अपरा धय के स बधम
जहाँचोरी या डकैती केअपराध होते है
य द कोई गवाह यह कहता हैक य द सं द ध को मे रे
सामनेलाया जायेतो मै उसे
पहचान सकता ँ | ऐसी थ त म जे ल मै
युअल के अनु
सार कायवाही शना त करायी जाती हैजससे संद ध क पहचान हो
सके | पहचान केलए मुय प से आव यक त व न न ल खत है – रंग, वे
श-भू
षा, शारी रक बनावट, च ह, भाषा, धम,
अँ
गुलय और पै र केनशान, लखावट, आवाज आ द सु सं
गत त य है | इन त य ारा व शारी रक च ह के मा यम से
क पहचान क जाती है | कटेकेनशान, तल केनशान, ऑपरे शन केनशान आ द पहचान है | इसके अलावा र
परी ण और डी.एन.ए. टे ट भी पहचान केलए आव यक है , जहाँ
ऐसा ज री हो |

कायवाही शना त क या - कायवाही शना त म ज े ट क उप थ त म क जाती है और इसकेलए वह म ज े ट


अ धकृ त होगा जसनेकम से कम 6 बार व र म ज े ट के साथ कायवाही शना त म ह सा लया हो | अ भयु को
उसी क शारी रक बनावट वाले 1:9 के अनुपात म एक साथ मला कर कतार म खड़ा कर दया जाता है और गवाह से
पहचानने केलए कहा जाता है | य द गवाह नेएक ही को बार-बार पहचाना हो तो पहचान प क है और य द भ -
भ य को पहचानता हैतो पहचान सही नही है | ऐसी पहचान क कायवाही सही होने के स ब ध म न न त य को
भी यान म रखा जाता है| जै
से – घटना थल पर रोशनी का होना, दे खने वालेारा देखने क स भावना, नकट पडोशी का
घर होना, दे
खनेवालेक आँ ख क रोशनी का सही होना तथा गर तारी के त काल बाद शना त कायवाही का कराया जाना
| य द वल ब सेशना त कायवाही करायी जाती है तो मा य नह होगी | कायवाही शना त केलए यह आव यक हैक
फोटो अख़बार म न छपी हो |

य प अं
तरा ीय अपरा धय के
स ब ध म के
च जारी कये
जा सकते
ह, जो इं
टरपोल ारा ह गे
|

धारा 9 केअंतगत ‘अन यता’ श द का योग कया गया है


, जसका मतलब है
वही , कोई और नही, जसे
अंगल
ुी च ह
आ द से भी पहचाना जा सकता है|

व तु क पहचान - चोरी और डकैती केमामले म जो व तु


एं
बरामद होती ह, उ ह उसी तरह क व तु के
साथ मला
दया जाता है
और गवाह सेपहचान कराई जाती है|

थान का सुन त कया जाना – धारा 9 केअं


तगत वेत य सु सं
गत ह जो कसी घटना का थान सु
न त करते है| जैसे

जब सभी गवाह घटना थल को एक ही थान पर बताते
है
, तो वह थान सुन त हो जाता है
जो एक सु
सं
गत त य है |

सं
बं
धो को दशाने
वाले
त य – ऐसे
त य सु
सं
गत ह, जो स ब ध या र त को दशाते
है
, जै
से
– कसी ब चे
क परव रश
करना, उसको कू ल लेजाना, उससेे म करना, उसका एड मशन कराना और अपना नाम दे
ना आ द र त को दशाने
वाले
त य सुसं
गत ह | श ु
ता या म ता को द शत करने वाले
त य भी सु
संगत होते
है|यदश ु ता है
तो झू
ठेआरोप म फं
सा सकता
हैअथवा मनी के कारण कोई अपराध कया होगा तो येसभी त य सु
संगत है
जो मनी को दशाते है
|

धारा 9 और धारा 11 म स ब ध -

(1)- धारा 9 केअंतगत समथनकारी और खं


डनकारी दोन कार केत य सु
सं
गत है
जब क धारा 11 के
अंतगत वे
तय
सुसं
गत है जो अ धसंभावना पर आधा रत होते
हैतथा खं
डन करनेम योग कयेजाते
ह|

(2)- जहाँ
धारा 9 को प रचायक धारा कहा जाता है
वह पर धारा 11 को प धारा कहा जाता है
|

धारा 10. सामा य प रक पना के


बारे
म ष ंकारी ारा कही गयी या क गयी बात – आपरा धक ष ंके
बारे
म कही
गयी या क गयी बात का स म लत होना, जब यह व ास करनेका यु यु आधार हो – दो या अ धक य ने
मलकर इस बात केलए ष ं कया हैक –

(1)- कोई अपराध का रत करे


अथवा

(2)- कोई अनु


यो य दोष का रत करे
|

ष ंसे ता पय 2 या 2 सेअ धक य का कसी व ध व उ ेय केलए मलन | ष ंहोनेकेलए भारतीय द ड


सं
हता क धारा 120-A को यान म रखना होगा | इसके
अनु
सार जब दो या दो से
अ धक य नेमलकर कोई अपराध
करने
का या अपराध का रत करनेका करार कया हो, वह ष ंकारी होता है |

ष ंहोने केलए एक से अ धक का होना आव यक हैऔर एक- सरेको आशय का ान होना चा हए अथात एक


ही उ ेय को पू
र ा करने केलए जब दो या दो सेअ धक य नेमलकर कोई ष ं कया है तब – पहली बार आशय
ग ठत करनेके प ात् , उसनेजो कुछ भी कहा हो अथवा जो कु
छ आ हो या जो कु
छ लखा गया हो, वह सब ष ंको
सा बत करने का सुसंगत त य है|

ष ंएक अवै ध या करार है


, जो कसी व ध व उ ेय केलए व ध व आशय सेकया जाता है
अथवा
अनु
यो य दोष करनेकेलए कया जाता है|
ष ंका रय ारा कया गया काय अलग-अलग हो सकता है
लेकन एक ही आशय सेकये
जाने
केकारण ष ंक ण
ेी
म आता है
|

जैसा क धारा 10 सेयह प हैक एक बार आशय हण करने केप ात्ष ंका रयो ारा कहा गया, कया गया या
लखा गया कथन, इस बात को सा बत करने केलए सु सं
गत होता हैक उन लोगो नेमलकर ष ं कया है अथवा कोई
अनुयो य दोष का रत कया हैऔर वे सभी ष ंकारी एक सरे केएजट समझे जाते
हैऔर एक केकाय केलए सरा
दायी होता हैय क वे एक इकाई बन जातेहै, जो यह सा बत करनेकेलए सुसंगत हैक कस बात का ष ं कया गया
तथा कौन-कौन से लोग ष ंका रय म शा मल ह |

सामा य आशय – ष ंहोने


केलए यह स करना ज री हैक सामा य आशय के
अ सरण म ऐसा काय कया गया है
और यह दशातेए क ऐसा उस ष ंका भागीदार था |

स ां
त यह हैक वह कथन या घोषणाएं
, एक इकाई के प म ष ंके
अ त व को स करने
केलए सु
सं
गत है
|

व ास करने का यु यु आधार - इस धारा म यह वा यां


श दया गया हैक जब यु यु आधार पर व ास कया जाता
हैक दो या दो से अ धक य ने
अपराध का रत करने केलए कोई ष ं कया है तो इसका कोई यु यु कारण
होना चा हए | सामा य नयम यह हैक कोई अपनेकयेकये गये कृय केलए दायी होता है
, सरे
केकृ
य केलए
नह ले कन जब ष ं कया जाता है तो संयु करार होने
केआधार पर सब ष ंकारी मलकर एक इकाई बन जाते है
,
चाहेवैध काय को अवै ध तरीके
सेकरनेकेलए या कसी अवै ध काय को करनेकेलए एक हो जाते ह|

सामा य आशय केअ सरण म - सामा य आशय के अ सरण म कया गया काय ऐसा होना चा हए क सामा य प रक पना
केआधार पर यह व ास कया जा सकेक अमु क य ने
कोई ष ं कया है तो उनके ारा लखे गयेखत के मा यम
सेया आंशक प से कहेगये
, कयेगये या लखेगयेश द केआधार पर दो षता का नधारण होता है
|

करार ले
कन सीधी मु
लाकात नह – ष ंको स करने केलए के वल यह स करना होता हैक ष ंका रय ारा
कोई करार कया गया था य प उनक सीधी मु
लाक़ात न ई हो फर भी वह एक- सरे
केअ भकता समझे
जाते
हैऔर
एक के ारा कयेगयेकाय केलए सरा दायी होता है
|

इसम केवल यह स करना होता हैक पहली बार आशय हण करने केप ात्या लखा गया, या कया गया तथा या
कहा गया, सु
सं
गत त य है
| ायः ष समा त होने
केप ात्
या उ ेय वफल होने
केप ात्कये गये
कथन, सा य म
ा नह होते |
इस स ब ध म मह वपू
ण मामले

आर. बनाम लैक एंड टाई, इस मामलेम लै क एक क टम क प रचालक था, टाई वहां आयात करता था | उन पर इस बात
का आरोप लगाया गया था क बना पू र ा शुक चु
काए ही माल को पार कराते
थे| टाई ने
र ज टर म म या व याँ क , जो
कपट करनेकेउ ेय से था | यायालय ने कहा क र ज टर म क गयी व याँलै क केव ा थ |

मजा अकबर बनाम स ाट के मामले म मजा अकबर तथा मे हर ते


जा, जो असगर क प नी थी उ ह ने
भाई केह यारे
उमर
शे
ख को ह या करने केलए ष ंम शा मल कया और उसने असगर को तब गोली मार दया जब वह खेत म काम कर रहा
था | तीनो को गर तार करके
पेशावर से
शन कोट म पे
श कया गया, जहाँ मेहर ते
जा ने
यह संवीकृत क थी क उसनेमजा
अकबर के साथ मलकर असगर के ह या का ष ंरचा था |

अधीन थ यायालय ने
मृयु
द ड क सजा द , जसे आयु के
पास पु केलए भेजा गया तथा उसे
आयु ारा पु कया
गया | आयु केनणय केव वी क सल म अपील क गयी | नणय म यह कहा गया क आयु ारा क गई पु वै

नही थी य क आयु को ऐसा अ धकार नही था |

अ भयु ारा यह तक लया गया था क मे


हर ते
जा के
कथन को गलत तरीके
सेलया गया |

यायालय ने
पहलेतक को नह माना और सरे
तक म कहा गया क धारा 10 इतनी ापक नही हैक इसके
अंतगत यह
कथन भी आ जाए जो एक ष ंकारी नेसरे
क अनुप थ त म कया हो |

यायालय ने
सामा य आशय के
स ब ध म कहा क ऐसा आशय वहांहोना चा हए जब पहली बार इसकेअ त व केबारे

यु यु आधार हैक ष ंका रय ारा कहा गया, कया गया या लखा गया कथन एक- सरे केव ा है|

भारतीय द ड सं हता क धारा 34 केअंतगत यह कहा गया हैक जब कोई आपरा धक काय कई य केसं
चालन म
होता है
, तब उनमेसेहर कोई उस काय केलए उसी कार ज मे दार होता है
, मानो वह काय उसनेवयंकया है
और
सबका काय एक ही माना जाता है|

के
हर सह बनाम द ली शासन इस मामलेम अ भयुगण एक जलसे म दे
खे गये| वेएक- सरेसे काना-फू
सी कर रहे
थे|
इसकेप ात्घटना घ टत ई | ऐसेष ंकारी एक- सरे
केकाय केलए दा य वाधीन माने
गये| इ ह ने
पहली बार आशय
हण करनेकेप ात् काय कया |
भारतीय और अंेजी व ध म अ तर - भारतीय व ध के
अंतगत सामा य आशय के
अ सरण म कये
गये
काय को ष ंके
स दभ म सु
संगत बताया गया है
|

अंे
जी व ध के
अंतगत सामा य योजन के
अ सरण म कये
गये
काय को सु
सं
गत बताया गया है
|

भारतीय व ध, अंे
जी व ध क तु
लना म अ धक ापक है
|

के
हर सह के
मामले
म यायालय ने
यह कह दया क अब भारतीय व ध और अंे
जी व ध म अ तर लगभग समा त हो गया
है
|

भारतीय व ध के अंतगत उन कथन को भी सु


सं
गत बनाया गया है
जो आशय समा त हो जाने
केप ात्
कहे
गये
, कये
गयेया
लखे गये ह | पर तुवे
धारा 10 के
अंतगत सु
सं
गत नह हैब क आचरण के प म या अ य प म सरी धारा के अं
तगत
सु
संगत ह गे|

अंेजी व ध म ष ंका रय म से
एक ारा स ब ध समा त कर ले
ने
केप ात्सरे
ष ंका रय के
कथन व काय पहले
वालेष ंका रय केव ा नह है
|

जब क भारतीय व ध म ा है
| य प यह अ तर लगभग समा त हो गया है
, जै
सा क के
हर सह के
मामले
म वीकारा गया
है
|

शरगुन सह बनाम बॉ बे रा य केमामले म यू पटर बीमा कंपनी केपय के बारे


म आपरा धक यासभं ग का अपराध कया
गया था | यूपटर बीमा कंपनी केपय को ॉ पकल बीमा कं पनी के फायदे केलए लगा दया गया था | यह ष ं1
दसं
बर 1948 से 31 जनवरी 1949 तक चला था | ष ंके दौरान जो संवहार कये गयेथे, वे
फज थे | इस मामलेम दो
थे– धारा 10 केअंतगत ष ंके अ त व और ष ंका रय क भागीदारी | इस स ब ध म ष ंका रय के कथन
तभी ा ह जब वा त वक वतन काल के दौरान कहेगये ह या कये गयेह तथा कसी ष ंकारी क याशीलता के
बारे
म सा य अ य ष ंका रय केव तब ा नही होगा जब कया गया कथन या काय ष ंसमा त हो जाने के
प ात्का हो अथात ष ंहोने केदौरान या ष ंचालू रहनेके दौरान जो कुछ भी कहा गया, कया गया या लखा गया वे
त य सुसंगत ह और य द स ब ध समा त हो गया है तो ऐसे कथन तभी सु संगत ह गेजब यु यु समयकाल के भीतर कये
गयेह |
ष ंसमा त हो जाने के
प ात्
ष ंका रय ारा कही गयी, क गई या लखी गई बात धारा 8 के
अंतगत आचरण के प
म अथवा धारा 14 के
अंतगत आशय, ान या स ावना को दशाने
वाला होने
केनाते
सु
सं
गत ह, जो बचावकारी ह |

कसी सह-अ भयु ारा क गयी संवीकृ


त सा य अ ध नयम क धारा 10 ारा तो ा नह है
पर तु
धारा 30 के
अंतगत
यायालय उसको वचार म ले
सकती है
|

महारा रा य बनाम गोपीनाथ शदे


केमामले म 4 अ भयु पहरण और ह या केअपराध केलए आरो पत कये गयेथे|
एक अ भयु ारा क गई सं वीकृ
त सरे केलए ा थी, जो ष ंको सा बत करनेकेलए थी | इस स ब ध म सा य
अ ध नयम क धारा 30 म नयम बताया गया हैक एक सह-अ भयु ारा क गई सं
वीकृत पर यायालय वचार कर
सकती है|

ां
त (धारा 10) – यह व ास करने
का यु यु आधार हैक ‘क’ भारत सरकार केव यु करने
केष ंम
स म लत आ है |

‘ख’ नेउस ष ंके योजनाथ यू र ोप म आयुध उपा त कये , ‘ग’ नेवै


सेही उ ेय सेकलक े म धन संह कया, ‘घ’ नेमु

ंई
म लोग को उस ष ंम स म लत होने केलए े रत कया, ‘ङ’ ने आगरे म उस उ ेय के प -पोषण म ले
ख का शत
कये और ‘ग’ ारा कलक ेम सं
गह
ृीत धन को ‘च’ नेद ली से ‘छ’ केपास काबुल भे
जा | इन त य और उस ष ंका
वृांत दे
नेवाले
‘झ’ रा ल खत प क अं तव तुम से हर एक ष ंका अ त व सा बत करने केलए तथा उसम ‘क’ क
सह-अपरा धता सा बत करनेकेलए भी सु सं
गत है, चाहे
वह उन सभी के बारे
म अन भ रहा हो और चाहे उ ह करने वाले
उसकेलए अप र चत रहेह और चाहे वेउसके ष ंम स म लत होने सेपू
व या उसके ष ंसे अलग हो जाने के
प ात् घ टत ए ह |

धारा 11. वे
त य जो अ यथा सु
सं
गत नह है
, कब सु
सं
गत है

(1)- य द वेकसी ववा क त य या सु


सं
गत त य से
असं
गत है
|

(2)- य द वे
त य वयमे
व या अ य त य केसं
संग म कसी ववा क त य या सु
सं
गत त य का अ त व या अन त व
अ य धक सं भा या अन धसंभा बना देतेहै
|

यह क A ने B को गोरखपु
र म 20 जनवरी 2013 को शाम 5:00 बजेचे
तना तराहे पर लू
ट ा | यह सा य क 20 जनवरी
2013 को A ब बई केअ पताल म इलाज केलए भत था | A का बीमार होना, इलाज केलए ब बई अ पताल म रहना
साम यतया सु
संगत नही हैलेकन 20 जनवरी 2013 क त थ को गोरखपुर म होने
वाली डकैती के
स ब ध म य द उस पर
अ भयोग चलाया जाता तो उस त थ को अ पताल म भत होना, अ य उप थ त के तक के आधार पर धारा 11 केअं
तगत
सु
संगत त य हैय क ऐसा सं भव ही नही हैक जो अ पताल म भत है वह उसी त थ को डकैती भी करे
|

वेत य सु
सं
गत ह, जो ववा क त य या सु
सं
गत त य के
अ त व को अ य धक सं
भा या अन धसं
भा बनाते
ह - या तो
वयंअथवा अ य त य के सं
सग म ऐसा करते
है|

धारा 11 क थम ा या व ान ारा मा य नह हैय क ववा क त य या सु सं


गत त य सेअसंगत अनेक त य हो
सकते हैतो सभी त य को सु
सं
गत मानना यु यु तीत नही होता है| इस लए सरी ा या को अ धक मह व दया
जाता है| जो ववा क त य सेइस कार जु ड़ेहोते
हैक या तो उसेअ य धक संभव बनातेहै
या अ य धक असंभव |

सं
भा ता क बलता ही उनकेसुसं
गत होनेका आधार ह, जसम त य क सु
सं
ग त ववा दत त य सेउनक नकटता पर
नभर करती है
तथा सं
पा क त य केसुसंगत तथ क तरह ा होने केलए दो बात आव यक है–

(1)- सं
पा क त य यु यु तरीके
सेन या मक सबू
त ारा होने
चा हए, तथा

(2)- ऐसे
त य अ य धक सं
भा या अन धसं
भा होते
हैअथवा यु यु अवधारणा को ज म दे
ते
ह|

धारा 11 क यह सरी ा या ही मा य हैय क पहली ा या इतनी ापक हैक इसके


अंतगत वे
त य भी आ जाते

जो र थ है | उ ह सु
सं
गत मानना यु यु नही है
|

पां
च प र थ तयाँ

(1)- अ य उप थ त का तक

(2)- उ रजी वता का तक

(3)- प च
ँका न होने
का तक
(4)- वतःका रत त

(5)- अपराध कसी अ य नेकया है


|

अ य उप थ त – इसका ता पय यह हैक ववा दत समय पर अ भयु का अ य उप थत होना | जै से–यदA


पर यह आरोप हैक 21 जनवरी 2013 को शाम 5:00 बजे उसने गोरखपु
र म कोई अपराध का रत कया तो यह त य
सु
संगत हैक उसी तारीख और उसी समय A लाहौर म था | दोन बात एक साथ सं
भव नही हो सकती, इस लए अ य
उप थ होना बचावकारी सा य के प म सुसं
गत है |

उ रजी वता – जस क ह या केलए कसी को आरो पत कया जाता है


, य द वह ह या क तथाक थत
त थ के बाद जी वत दे
खा जाता है
तो ह या का आरोप गलत होगा | य क दोन बाते
एक साथ संभव नही हो सकती क जो
मर गया हो वह ज दा भी हो |

इस कार उ रजी वता का त य सु


सं
गत त य है
|

प च
ँका न होना – जहाँकसी सं
तान केधमज व का हो, वहां
सा य अ ध नयम क धारा 112 के
अंतगत यह त य
सु
सं
गत हैक वैवा हक काल केदौरान सं
तान का ज म आ था |

ले
कन यह त य भी सु
सं
गत होगा क जस समय गभधारण सं भव था उस समय प त क प च
ँनही थी पर तु
इस तक को
तु
त करनेका अ धकार के
वल प त को है
, कसी अ य को नह |

अपराध कसी अ य ारा कया जाना – य द A को कसी अपराध केलए आरो पत कया जाता है
तो यह त य क
अपराध B नेकया है
सु
सं
गत होगा जो A केलए बचावकारी होगा |

वतःका रत त – जब कसी पर उपह त का रत करनेका आरोप लगाया गया हो तो यह त य सु


सं
गत हैक ऐसी
उपह त उसेवयंआई है
| जै
से– सीढ सेगर पड़ा हैया वतः आ मह या करने का यास कया है |

य द X क ह या केलए B आरो पत कया जाता है


तो यह त य सु
सं
गत हैक X ने
आ मह या कया था | जसने
आ मह या
कया उसक ह या नही हो सकती |

धारा 12. वे
त य सुसंगत है
, जो नु
कसानी क रकम को नधा रत करने
म यायालय क सहायता करते
है– साम यतया
नु
कसानी के दावेदो तरह के वाद म होते
है–

सं
वदा भं
ग होने
पर, या

अपकृ
य होने
पर |

जब संवदा क शत का उ लं
घन प कार म सेकसी ारा कया जाता है
, तब सं
वदा भं
ग से
होनेवाले
नु
कसान के
स बं
ध म,
वे
त य सु
संगत हैक वे
नुकसानी क रकम को सु
न त करनेम यायालय क सहायता करते है|

जै
से
– बाजार मूय म कतने
का अ तर हो गया है
|

उदाहरण केलए – य द A नेB से50 बोरे


ग 900 पये त वं टल क दर से ख़रीदा | ले
कन B ने
ग आपू त नही कया
| प रणाम व प A को 1100/- त वं टल क दर सेग खरीदना पड़ा | तो उन त य का सा य सु
सं
गत है
जो यायालय
को इस बात केलए स म बनाते हैक वह नधा रत कर सकेक वा तव म कतने का नु
कसान आ है |

मूय का घटना या बढ़ना दोन के


सा य सु
सं
गत ह |

धारा 13. जब कसी अ धकार अथवा ढ़ के अ त व का हो तो कौन से


त य सु
सं
गत ह – वे
संवहार सु
सं
गत ह
अथवा वे उदहारण सु
सं
गत है
जो धारा 13 के
अंतगत सु
सं
गत दशाए गये ह|

अ धकार – अ धकार से
ता पय मू
त अ धकार या अमू
त अ धकार है
|

ढ– ढ से
ता पय उन था से
हैज ह व ध का बल ा त हो चु
का है
|

कोई था ढ तब बन जाती है जब वह था अ यं त ाचीन हो, यु यु हो, नरं


तर चलती आ रही हो, लोकनी त केव
न हो तथा उस पर कभी ववाद न आ हो तो ऐसी ढ़याँव ध का बल ा त कर ले ती है
, तो इन ढय के अ त व के बारे
म उठनेपर, वे
त य सु
सं
गत ह, जो यह सा बत करते
ह क ढय का अ त व है या अ त व नही रह गया है
|
संवहार – संवहार से
ता पय, काय क उस ख
ंला से
ृ हैजसेएक नाम दया जा सके
| जै
से
– ववाह का संवहार,
तलाक, द क हण, सं
प का व य, सं प का बं
धक आ द |

उदाहरण – उदाहरण से ता पय अनु


सरण करने से है
, जै
से– कसी थान पर ता जया बठानेका य द ववाद हो तो यह त य
सुसं
गत हैक उस गाँ व केसभी लोग ने उस न त थान पर ता जया बठाया था | जब एक बार कसी ने ता जया बठाया
होगा तो उसके प ात्जन- जन लोग ने वै
सा ही ता जया बठाया यह उदाहरण सं
गत त य है
| जो यह दशाता हैक ता जया
बनाने का, ता जया बठाने का अ धकार लोग को इस उदाहरण सेमला |

इसी तरह कसी थान पर काली क पू


जा करनेकेस ब ध म काली क पू
जा करने
का अनु
सरण कया जाना, ऐसा सु
सं
गत
त य हैजो इन उदाहरण के
आधार पर उनका अ धकार सु
र त रखता है|

जै
सा क धारा 13 सेप हैक वे संवहार सु
संगत ह जो कसी अ धकार या ढ़ केस ब ध म दावा कयेगयेह,
उपां
त रत कये गयेहै
, मा य कये
गये
ह, वीकार कये गयेह या खं
डत कये गये
ह अथवा ऐसे
त य सुसंगत ह जो उन
अ धकार को मा यता देतेह|

उदहारण केलए – या कसी मीन ेपर A का अ धकार है


अथवा नही तो यह त य सु
संगत हैक मीन ेपर अ धकार
दलानेवाला वले
ख सु
सं
गत हैअथवा उसकेपता ारा उस सं
प का बंधक कये जानेका वलेख सु
संगत है
|

धारा 13 केअं
तगत उन उदाहरण को सु संगत बताया गया है
जो अ धकार और ढय के दावा कये जानेया मा यता दए
जाने केस ब ध म ह | यह त य भी सु
सं
गत हैक कब ऐसे अ धकार का योग ववा दत हो गया था या इसका योग नही
कया गया |

मू
त और अमूत अ धकार – मू
त अ धकार से
ता पय वे
अ धकार ह जो प प सेदखाई दे
ते
है| अमू
त अ धकार वे
अ धकार है
जो दखतेनह है जैसे
– सु
खा धकार |

इसके
अलावा सावज नक और ाइवे
ट अ धकार भी आतेहै| सावज नक अ धकार वे
अ धकार ह जनका योग सभी लोग
करते
ह जै
से
– सड़क पर चलनेका अ धकार, कु
एंसे
पानी नकलने का अ धकार |

कलेटर ऑफ़ गोरखपु
र बनाम कनकधारी सह के मामले
म इलाहाबाद उ च यायालय ने
यह धा रत कया क धारा 13 के
अं
तगत सावज नक और ाइवेट दोन ही कार के
अ धकार आते ह|
धारा 32(4) के
अंतगत – कसी मृत के ारा अ भ क गयी राय सु
सं
गत मानी गई है
जो कसी ढ़ के
बारे
म हो
लेकन ऐसा तब कहा गया हो जब ववाद न उठा हो |

धारा 32(4) के
अंतगत सावज नक अ धकार का उठता है
|

धारा 32(7) के
अंतगत – उन लोग क राय सु
सं
गत है
जो अ धकार से
प र चत होते
ह|

धारा 48 केअंतगत भी अ धकार क सु


सं
ग त के
स ब ध म सामा य अ धकार के
बारे
म उन जी वत य क राय
सु
सं
गत है जो उसकेअ त व म होने
पर उसे
जानतेहोते
|

इस तरह धारा 13 के
साथ धारा 32(4), 32(7) और 48 के
अंतगत क गयी राय भी अ धकार और ढय के
सबध
म सु
संगत है|

धारा 32(4) के
अंतगत लोक हत से
स बं
धत अ धकार आते
ह जब क धारा 32 (7) के
अंतगत ाइवे
ट अ धकार आते
ह|

महं
थ व मदास चे
ला बनाम ड ट क म र केमामलेम यह कहा गया क त य के
सा य सु
सं
गत है, जो उन lवहा रक
अवसर या ा त को द शत करते ह, जनम गत अ धकार या ढ़ का अनुसरण कया गया है |

पू
णचं द घोष बनाम बल चंद के मामले
म कहा गया क– जहाँकाली पू
जा का उठा, वहाँवेत य सु
संगत ह क वहाँ के
आस-पास के लोग नेतथाक थत थान पर काली पू
जा का अनु
सरण कया था अथवा नही | य द बना ह त पेकेनबाध
प सेशांतपूण तरीकेसेकसी अ धकार का योग कया गया हैया लोग ारा उसका अनु सरण कया गया है तो यह त य
धारा 13 केअंतगत सुसं
गत है|

धारा 14. शरीर या मन क दशा को या शारी रक सं


वे
दना को द शत करने
वाले
त य सु
सं
गत ह – धारा 14 इस स ां
त पर
आधा रत हैक वे त य जो –

1- मान सक दशा को द शत करते


ह,
2- शारी रक दशा को द शत करते
है
,

3- कसी भावना को द शत करते


है
,

वे
त य सु
सं
गत ह |

यह धारा उन त य को सु
सं
गत बताती है
जो त य शारी रक या मान सक दशा को कट करते
है|

शरीर क दशा - इसका ता पय हैव थ होना, बीमार होना, अपा हज होना या अ य कोई शारी रक वकृ
त | घायल होना
आ द त य सु
सं गत है
|

बीमा केमामलेम का व थ होना सुसंगत त य है| वष दए जाने के स ब ध म वष दए जाने सेपहलेवा य क


दशा सुसं
गत त य है
| य द कसी को मारा-पीटा जाता है
तो उस का घायल होना सु
सं
गत त य है जो मारपीट क घटना
को मा णत करता है | य क य द कोई घायल नही होता है
तो मारपीट क घटना झू
ठ होगी |

मान सक दशा - इसकेअंतगत आशय, ान, स ाव, उपेा, उतावलापन, वै


मन य, स द छा को द शत करनेवालेतय
सु
संगत है
| ऐसेत य मान सक त व है
| जो मन क दशा या आपरा धक मनः थ त को दशातेहै| आपरा धक मामल म
आशय का त व मह वपू ण होता है
|

य द A पर इस बात का आरोप हैक उसने B पर गोली चलाकर उसे


घायल कया तो यह त य क मारने
सेपहले
A ने
कई
बार कहा था क म तुहेदे
ख लुँ
गा तो यह त य उसके आशय को द शत करने
वाला होनेकेकारण सु
संगत है
|

ान - ान का त य भी मह वपू
ण होता है
| जब अ भयु को यह ात हैक चोरी का माल उसके
घर म रखा है
तो उसका
दा य व बढ़ जाता है
और ान का त य सुसं
गत हो जाता है
|

A पर इस बात का आरोप हैक वह नकली स केका कारोबार करता है


| यह त य क उसकेपास नकली स केथेजसे
वह जानता था और उसके क जेसेऐसेस केबरामद ए तो A नकली स केरखने केअपराध केलए दोषी होगा |

स ाव या भाव – स ाव का ता पय अ छ भावना से
है| य द कोई च क सक कसी मरीज का इलाज स ावनापू
वक
अपनी पू
र ी यो यता या मता से
करता है
लेकन मरीज मर जाता है
तो स ावना का सा य सु
सं
गत त य होगा |

X जो एक सु
र ा अ धकारी है
, आ दोलनकारी भीड़ पर गोली चलाने
का आदे
श दे
ता है
| यह त य क उसने
ऐसा आदे

स ावनापूवक दया था, सु
सं
गत त य है|

उपेा या उतावलापन – उपेा से ता पय यह हैक जब कसी से


कोई काय न करने
केलए कहा जाये
और वह बार-
बार वही काय हराता है
, तो यह उपेा है|

प नी ारा बार-बार मां


ग कये
जाने
केबावजू
द आव यक साम य का न लाना उपेा है
, जो श द ारा भी हो सकती है
या
आचरण ारा भी हो सकती है |

य द कसी नेहसक कुा पाल रखा हो, जसने कई य को काट खाया हो और बार-बार शकायत क गयी हो क
कुे को बां
ध ली जये
लेकन वह कुे को नही बां
धता है
तो वह उपेा का काय करता है
, यह सु
सं
गत त य है
|

लापरवाही - उपेा और लापरवाही एक समान है


लेकन दोन म अ तर है
| लापरवाही यह हैक कसी बात पर यान नही
दे
ना | जै
से
- यातायात केनयमो का यह मुख नयम हैक सड़क पर ब त ती ग त से गाड़ी न चलाये
| ले
कन
लापरवाहीवश लोग ती ग त से गा ड़यां
चलतेहैऔर घटना केशकार होते है|

बजली वभाग के कमचा रय ारा ख भेम लटकतेए बजली के तार को सही ढं


ग से
न जोड़ना या खु ला छोड़ दे
ना
लापरवाही का माण है
और य द घटना होती है
तो बजली वभाग लापरवाही केलए ज मेदार होगा |

वे
बी बनाम सेस केमामले
म एक पर इस बात केलए मु
कदमा कया गया क उसके
बेटे
नेलापरवाही से
बार-बार
एयर गन चलाया, जससेपडोसी घायल हो गया |

उतावलापन - उतावलेपन का सा य सु
सं
गत त य है| जब कोई अ य धक ज दबाजी दखाता है तो यह उतावलापन है
,
जो उ साह का माण हो सकता हैअथवा लापरवाही का | जैसे– ती ग त से गाड़ी चलाना लापरवाही और उतावलापन दोन
है| जब कोई कसी घटना थल सेया कसी थान से उतावलेपन म भागना चाहता हैअथवा कसी सरे को
खाने क कोई चीज दे
नेकेलए उतावलापन दखाता है , तो कोई घटना घ टत हो जानेकेबाद उसका उतावलापन सु संगत
त य है|
भावना – भावना वह मान सक थ त है जो कोई सरेकेलए रखता है| य द यह दशाया जाता हैक X क
भावना Y के
साथ थी तो अ द X का कु
छ नु
कसान होता है
तो Y के
दा य व केनधारण म भावना का त य सु संगत है
|

शारी रक सं
वे
दना – शारी रक सं
वे
दना से
ता पय, कसी घटना से
शरीर पर पड़ने
वाला भाव, जो एक सु
सं
गत त य है
|

जै
से – य द कोई सड़क पर घायल अव था म है तो उसे दे
खकर दया का भाव उ प होना सं
वे
दना है
| कसी भू
खे को
दे
खकर उसपर दया का भाव सं वेदना है
, या ा करतेसमय े न , बस म म हला को खड़ी दे
खकर उसकेलए सीट छोड़ देना
सं
वेदना को दशाता है
| ऐसेत य सु
संगत है | ऐसेत य को सा बत करने केलए प र थ तज य सा य का सहारा ले
ना पड़ता
है
|

धारा 14 का सप ीकरण (1) – म त क क सु


संगत दशा को कट करने वाला त य ऐसा होना चा हए, जससे
यह द शत हो
क म त क क वशे ष अव था वशे
ष ववा क त य के स ब ध म थी अथात ववा दत वषय और मान सक थ त म
स ब ध होना चा हए |

धारा 14 का प ीकरण (2) – कसी अपराध केअ भयु केवचlरण म उस अ भयु ारा पहले
अपराध कया
जाना, सु
संगत त य है
, जसकेआधार पर द ड क मा ा म वृ क जाती है
|

धारा 15. (काय आक मक है या साशय इस पर काश डालने वालेत य) – धारा 15 के


अंतगत वेत य सु
सं
गत है
, जो
यह दशाते हैक काय आक मक था, साशय नही | जब कोई काय अचानक हो जाता हैजसका न तो आशय होता है न ान
होता हैतो यह त य बचावकारी होनेके
कारण सुसं गत है
| य द कसी गाड़ी से
कोई घटना हो जाती है
तो अ भयु यह
बचाव ले सकता हैक अचानक े क फे
ल हो गया इस लए घटना ई जो एक बचावकारी सा य होगा |

लेकन यह त य क जस ाइवर सेघटना ई उसने जो-जो गाडी चलाई उससेघटना ई | इसम यह द शत होता हैक
घटना आक मक नही थी ब क ाइवर क लापरवाही का प रणाम थी |

आर. बनाम े केमामले म अ भयु ने अपनेमकान का बीमा करवाया, मकान म आग लग गयी, बीमा का पै
सा लया, सरे
भी मकान का बीमा करवाया, आग लगी और फर इसी तरह तीसरे
| यहाँआग लगाना आक मक नही माना जा सकता |

हेस बनाम करे


केमामलेम एक नाई ने
कई य क दा ढ़याँ
बनाई और जनक दाढ़ बनाया सबमे
खाज हो गया | यह
त य सु
सं
गत हैक ऐसी खाज आक मक नही आई थी ब क उसक उपेा का प रणाम थी |
आर, बनाम रचडसन के मामले म एक पर इस बात का आरोप था क पै
सा मलने
क गलत व बही-खाते म कया
था | यह त य सु
सं
गत हैक जन- जन लोग केस ब ध म उसने व कया था, सभी व याँ गलत थी, तो इसे
आक मक नह माना जाये गा |

कग ए परर बनाम पंचल


ूाल केमामले
म दो थे| एक राजा बनता था, सरा उसका दरबान | दोन कलक ा के
धनी-
मनी वेया के वहांआते-जातेथेऔर वेमरी पायी गयी | पहली वाली ह या के
मामले
म बाद वाली घटना का सा य
सु
संगत नह माना गया य क वेघटनाएंबाद म ई थी |

ले
कन अं
तम घटना के
स ब ध म पू
ववत घटना का सा य यह दशाने
केलए सु
सं
गत माना गया क आशय था |

धारा 14 और धारा 15 म अ तर –

(1)- धारा 14 केअं


तगत शरीर क या मन क सभी दशा का सा य सु
सं
गत है
जब क धारा 15 के
अंतगत मन क दशा का
सा य सु संगत है
|

(2)- धारा 14 के
अंतगत हर वह त य सु
सं
गत होगा जो धारा 15 म सु
सं
गत है
लेकन धारा 15 के
अंतगत मन क दशा को
दशाने केलए सम प घटना का ख ंलाब होना ज री है
ृ |

समान त य क सु
सं
ग त – समान त य दो वग म आते
है–

वे
समान त य, जनका एक- सरे
सेस ब ध है
|

ऐसे
समान त य, जो एक- सरे
सेस ब धत नह है
|

जो त य एक- सरे
सेस ब धत है
वेसु
सं
गत ह और जो स ब धत नही है
वेसु
सं
गत नही है
|

धारा 16. (कारोबार के


अनुम का त य सुसं
गत त य है
) – इस धारा का यह स ां
त हैक जब कसी काय के सामा य
वहार को सा बत कर दया जाता है
तो उसकेभाग को अलग-अलग सा बत करने क आव यता नही होती | कारोबार दो
कार के होतेह–

सावज नक
ाइवे

सावज नक काय के स ब ध म यह माना जाता हैक सभी सरकारी कामकाज उ चत तरीकेसेकये जातेहै
| यह नयम
‘omina prosemunterte it set sole men resa actus’ (सभी सरकारी कामकाज उ चत तरीके
सेकये जाते
है
) पर
आध रत है| यह धारा, धारा 114 के ां
त (च) से
पुहोती है
|

अशोक कु मार बनाम पटे


ल मुह मद केमु
कदमे
म यह कहा गया क य द कोई प , पो ट ऑ फस के पो ट बॉ स म डाला
जाता हैतो यह उपधारणा होगी क प गं
त पर प चंा होगा और य द इसकेवपरीत कोई बात होती हैतो इसका सा य दे
ना
होगा |

इस धारा केअं
तगत क जाने
वाली उपधारणा अनुात उपधारणा है
अथात यायालय इससे
बा य नही है
| इसका ख डन हो
सकता है |

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