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हरिगह
ृ ी भक्तों के पाप-ताप का हरण करने वाले
3. कंसहन्
ता कंस का वध करने वाले
4. परात्मा परमात्म
5. पीताम्बर: पीतवस्त्रधारी
7. रमेश: रमावल्लभ
22. घण
ृ ी दयालु
30. कुन्तलस्
त्रक् केशराशि में फूलों के हार धारण करने वाले
33. सध
ु ासौधभच
ू ारण: चन
ू े से लिपे-पत
ु े छत की महल पर घम
ु ने वाले
43. शुभाङघ्रि: शभ
ु लक्षणसम्पन्न पैर वाले
46. कृशांग: दब
ु ले-पतले
हाथी की संड
ू के समान सन्
ु द र भज
ु दण्
डमण्
डल
48. इभशण्
ु डासुदोर्दण्
डखण्ड:
वाले
पथ्
ृ वी, ब्रह्मा तथा रुद्र आदि दे वताओं की प्रार्थना
धराब्रह्मरुद्रा दिभि: प्रार्थित: सन ्
60. सन
ु कर भमि
ू का भार दरू करने के लिए अवतार
धराभारदरू ीक्रियार्थं प्रजात:
ग्रहण करने वाले
नत
ू न पल्लवों के समान कोमल एवं अरूण
77. पल्लवाङ्घ्रि:
चरण वले
78. तण
ृ ावर्त संहारकारी तण
ृ ावर्त का संहार करने वाले
86. सव
ु ाच: मनोहर बात करने वाले
87. क्वणत्रप
ू ुरै: शब्दयुक् खनकते हुए नूपुरों से शब्दयुक्त
89. दधिस्पक
ृ ् दही का स्पर्श (दान) करने वाले
94. मद
ृ ं भुक्तवान ् मिट्टी खाने वाले
एक समय प्रचण्
ड वायु और घने बादलों से
घनैर्मारूतैश्छन्न भाण्डीरदे श
108. आच्छादित भाण्
डीरवन के प्रदे श में नन्दजी के
नन्दहस्ताद् राधया गहृ ीतो वर:
हाथ से श्रीराधा द्वारा गहृ ीत वरस्वरूप।
110. साममन्
त्र:ै पजि
ू त: सामवेद के मंत्रों द्वारा पजि
ू त
114. आनन्
दद: आनन्द प्रदान करने वाले
123. क्वापि भयी कहीं-कहीं डरे हुए की भांति लीला करने वाले
वंद
ृ ावन में विचरण करने वाले और भक्तों के
137. विहारी
साथ नाना प्रकार विहार करने वाले
153. अग्निभक
ु ् दावानल को पी जाने वाले
154. पालक: रक्षक
158. पुष्
पशील: स्वभावत: फूलों का श्रंग
ृ ार धारण करने वाले
190. नन्दपत्र
ु : नन्दरायजी के बेटे
198. प्राकस्तत
ु : पहले जिनका स्तवन हुआ है , ऐसे
200. दे वगोविन्
द नामा ‘गोविन्ददे व’ नाम धारण करने वाले
246. स्
त्रजासंवत
ृ : आजानल
ु म्बिनी वनमाला धारण करने वाले
247. वल्
लवीमध्यसंस्थ: गोपांगना मण्डल के मध्य बैठे हुए
250. सव
ु ेश: सन्
ु द र वेश वाले
253. वल्
लभेश: प्राणवल्लभा श्रीराधा के हृदयेश
256. नप
ू रु ाढय: चरणों में नप
ू रु ों की शोभा से सम्पन्न
272. सख
ु ाढ्य: स्वरूपभत
ू सख
ु से सम्पन्न
282. शंखचड
ू प्रणाशी ‘शंखचड़
ू ’ नामक यक्ष को मार भगाने वाले
296. अक्रूरसेवापर: नन्द-व्रज में आये हुए अक्रूर की सेवा में संलग्न
यमन
ु ा के जल में अक्रूर को अपने रूप का
313. जलेऽक्रूरसंदर्शित:
दर्शन कराने वाले
333. यश:स्पक
ृ ् यशस्वी
340. सदापजि
ू त सदा सबसे पजि
ू त
348. दण्डधक
ृ पूज्य: दण्डधारी यमराज के लिये पूजनीय
351. यशोदाघण
ृ ी मैया यशोदा के प्रति अत्यन्त कृपालु
358. सख
ु ी सर्वदर्शी सौख्ययक्
ु त, सबके साक्षी अथवा सर्वज्ञ
359. नप
ृ ानन्द-कारी राजा उग्रसेन को आनन्द दे ने वाले
रुक्मी की आधी मछ
ूं मुंड़कर उसे कुरूप बनाने
374. रूक्मिरूपप्रणाशी
वाले
375. सख
ु ाशी स्वरूपभत
ू आनन्
द के आस्वादक
376. अनन्
त: शेषनागस्परूप
387. स्
मर : काम
397. महाचक्रधक
ृ ् महान सद
ु र्शन चक्र धारण करने वाले
398. खड्गधक
ृ ् ‘नन्दक’ नामक खड्ग धारण करने वाले
404. फाल्
गनु प्रीतिकृत ् सखा अर्जुन पर प्रेम रखने वाले उनके सखा
405. नग्नकर्ता खाण्डव-वन को जलाकर नग्न (शून्य) करने वाले
408. नप
ृ प्रेमकृत ् राजा नग्नजित ् से प्रेम करने वाले
418. शुनासीरमोहावत
ृ : इन्द्र के प्रति मोह (स्नेह एवं कृपाभाव) से युक्
त
423. सव
ु ीर: शिर:खण्डन: श्रेष्ठवीर असरु ों का मस्तक काटने वाले
पथ्
ृ वी दे वी के मुख से अपना गुणगान सुनने
428. धरासंस्तत
ु :
वाले
430. महारत्नयक
ु ् महान ् मणिरत्नों से सम्पन्न
432. शचीपजि
ू त: स्वर्ग में इन्द्रपत्नी शची के द्वारा सम्मानित
गह
ृ स्थ के रूप में रहकर श्वेत चंवर डुलाये जाने
436. गह
ृ ी चामरै : शोभित:
के कारण अतिशय शोभायमान
दस
ू रे कामदे व के समान मनोरम सष
ु मा से
443. कामदे वापरश्री:
सम्पन्न
449. सत
ु ी भद्रचारु: पत्र
ु वान ् भद्रचारु
460. समि
ु त्र: समि
ु त्र
464. वष
ृ : वष
ृ
471. सुबाहु: वष
ृ : उत्तम भुजाओं-युक्त वष
ृ
481. वक
ृ : वक
ृ
489. जय: जय
495. रुक्
महा रुक्मी का वध करने वाले
503. कामपत्र
ु : प्रद्यम्
ु न के पत्र
ु अनिरूद्धरूप
508. मध
ृ े रुद्रजित ् युद्ध में रुद्र को जीतने वाले
जम्
ृ भणास्त्र के प्रयोग से रुद्रदे व को मोहित
509. रुद्रमोही
करने वाले
510. मध
ृ ार्थी युद्धाभिलाषी
522. नग
ृ ं मुक्तिद: राजा नग
ृ का उद्धार करने वाले
528. पष्ु
पमाली पष्ु प मालाओं से अलंकृत
556. सदा षोडशस्त्रीसहस्थित: सर्वदा सोलह हजार पत्नियों के साथ रहने वाले
557. गह
ृ ी आदर्श गह
ृ स्थ
561. उग्रसेनावत
ृ : उग्र सेनाओं से घिरे हुए
562. दर्ग
ु युक्त: दर्ग
ु से युक्त
567. नप
ृ ैर्मन्त्रकृत ् राजाओं के साथ सलाह करने वाले
569. पत्र
ु पौत्रैर्वृत: पुत्र-पौत्रों से घिरे हुए
570. कुरुग्रामगन्ता घण
ृ ी कुरुग्राम-इन्द्रप्रस्थ में जाने वाले दयालु
571. धर्मराजस्तत
ु : धर्मराज यधि
ु ष्ठिर से संस्तत
ु
572. भीमयुक्त: भीमसेन से सप्रेम मिलने वाले
580. गदायद्ध
ु कर्ता भीमरूप से गदायद्ध
ु करने वाले
588. चैद्यदर्वा
ु क्क्षम: चेदिराज शिशुपाल के दर्व
ु चनों को सह लेने वाले
राजाओं को आनन्
द प्रदान करने वाले सार्वभौम
592. चक्रवर्ती नप
ृ ानन्दकारी
सम्राट्
594. सभासंवत
ृ : सभा सदों से घिरे हुए
599. वष्णि
ृ : वष्णि
ृ वंशी
606. वर्मधक
ृ कवचधारी
612. गदाधक
ृ ् गदाधारी
617. स्
मतृ ीश: धर्मशास्त्रों के स्वामी
619. बल्वलांगप्रभाखण्
डकारी बल्वल की अंग कान्ति को खण्डित करने वाले
620. भीमदर्यो
ु धनज्ञानदाता भीमसेन और दर्यो
ु धन को ज्ञान दे ने वाले
627. श्रीसद
ु ाम्न सहाय: श्रीसद
ु ामा के सहायक
बलरामसहित, परशुरामजी के शूर्पारक क्षेत्र की
628. सराम: भार्गवक्षेत्रगन्
ता :
यात्रा करने वाले
विख्यात सर्य
ू ग्रहण के अवसर पर सबसे मिलने
629. श्रुते सूर्योपरागे सर्वदर्शी
वाले
633. पाण्
डवप्रीतिद: पाण्डवों को प्रीति प्रदान करने वाले
648. नन्दपत्र
ु : नन्दकुमार
663. सम
ु न्त:ु सम
ु न्तु
677. विभाण्
ड: विभाण्ड
685. दे वल: दे वल
686. श्रीमक
ृ ण्
ड: श्रीमक
ृ ण्ड
691. पल
ु स्त्य: पुलस्त्य
692. भग
ृ ु: भग
ृ ु
702. गुरु: बह
ृ स्पति
703. गीष्पति: वाचस्पति बह
ृ स्पति
709. ऋष्यश्रंग
ृ : ऋष्यश्रंग
ृ
712. जातद्भ
ू व: जातक
ू र्ण्य
714. घन: घन
717. भार्गव: भग
ृ ुपत्र
ु च्यवन
721. मक
ृ ण्डस्य पुत्र: मार्क ण्
डये
724. सत ् सम
ु न्त:ु सत्
समु न्
तु
731. मन
ु ीशस्तत
ु : मन
ु ीश्वरों द्वारा संस्तत
ु
734. आभथ
ृ स्नानपज्
ू य: यज्ञान्त में किये जाने वाले
736. नप
ृ ै: पारिबर्ही राजाओं से भें ट लेने वाले
सभ
ु द्रा के शभ
ु विवाह में दहे ज के रूप में हाथी,
744. सत्सुभद्राविवाहे द्विपाश्रवप्रद:
घोड़े दे ने वाले
भग
ृ ु आदि ब्राह्मणों ने परीक्षा करके सब
753. अमरे षु ब्राह्मणै: परीक्षावत
ृ :
दे वताओं में श्रेष्ठ रूप से जिनका वरण किया है
754. भग
ृ ुप्रार्थित: भग
ृ ु से प्रार्थित
759. विप्रपत्र
ु प्रद: ब्राह्मण को पत्र
ु प्रदान करने वाले
ब्राह्मण के पत्र
ु ों को लाने के लिये अपने
760. धामगन्ता
दिव्यधाम में जाने वाले
779. वक
ृ : वक
ृ
781. दे वक: दे वक
783. नप
ृ अजातशत्र:ु राजा युधिष्ठिर
785. माद्रीपत्र
ु : नकुल सहदे व
789. पाण्
डु: पाण्डवों के पिता राजा पाण्
डु
792. भरि
ू श्रवा: भरि
ू श्रवा
795. शल: शल
जिसके साथ युद्ध करना कठिन हो, वह राजा
796. दर्यो
ु धन:
दर्यो
ु धन
801. पाण्
डव: पांचों पाण्डव
816. वष
ृ : वष
ृ भानु
817. वल्
लवेश: गोपेश्वर
852. पन
ु : श्रीव्रजे राधया रासरं गस्य कर्ता पन
ु : श्रीव्रज में श्रीराधिका के साथ रास-रं ग करने
हरि: वाले श्रीहरि
864. वक्ष
ृ रूप: विश्ववक्ष
ृ रूप
870. सर्य
ू : सर्य
ू स्वरूप
876. त्
वक् त्वगिन्द्रिय
888. वा: जल
892. रस: रस
893. गन्ध: गन्ध
902. अण्डश
े यान: ब्रह्माण्ड के गर्भ में शयन करने वाले ब्रह्माजी
935. दे वपत्र
ु : वसुदेवनन्दन
941. मन्वन्
तरम ् मन्
वन्तरकाल
954. स्
मति
ृ : धर्मशास्त्र
962. सनत्
कुमार: सनत्कुमार आदि
वराह: वराहावतार
963.
नारद: दे वर्षि नारदरूप
968. श्रीपथ
ृ ु: श्रीमान ् राजा पथ
ृ ु
969. सुमत्स्य: सुन्द
र मस्त्यावतार
975. रे णक
ु ापत्र
ु रूप: परशरु ामरूप
981. नप
ृ : सेतुकृत ् समुद्र पर पल
ु बांधने वाले नरे श
988. हं स: हं सावतार
993. मन्वन्
तरस्यावतार: मन्
वन्तरावतार
संदृष्ट: श्रत
ु : भत
ू : एवं भविष्यत ्
998. दृष्ट, श्रुत, भूत, भविष्यत ् एवं वर्तमानस्वरूप
भवत ्