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दिल्ली पब्लिक स्कूल आगरा

कक्षा . 6
दिषय. द िं िी
उपदिषय. ि दिदिया जो
ि दिदिया जो
कदिता के कदि
केिारनाथ अग्रिाल का सिंदक्षप्त पररिय

• जन्म-1 अप्रैल 1911 को उत्तर प्रदे श के


बाांदा जनपद के कमासिन गााँव में।
• मृत्यु-22 जून 2000 को।
• प्रमुख रचनाएां -युग की गांगा ,नी ांद के बादल,
आग का आइना ,पांख और पतवार
• िम्मान- िासित्य अकादमी पुरस्कार ,सिांदी
िांस्थान पुरस्कार ,तुलिी पुरस्कार ,
मैसथलीशरण गुप्त पुरस्कार
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िू ध भरे - कच्चे ,अधपके िाने
जिं डी- गेहूँ , जौ ि बाजरे की बादलयाूँ
रुदि से- आनिंिपूिवक
सिंतोषी- सिंतोष िाली
बूढे़ े - पराने
दिजन- दनजव न स्थान
मूँ बोली- प्यारी
िढ़ी निी- ऐसी निी दजसमें खूब पानी ो
जल का मोती- जल की बूूँि
प्रथम छां द
ि दिदिया जो भािाथव -दिदिया को जिं डी
िोिंि मारकर अथाव त गेहूँ , जौ ि बाजरे
की बादलयाूँ खाने में बहुत
िू ध-भरे जिंडी के िाने आनिंि प्राप्त ोता ै । ि
रुदि से, रस से खा लेती ै उन्हें रुदि के साथ बडेे़
पेे्रम से रस ले कर खाती
ि छोटी सिंतोषी दिदिया ै । नीले पिंखोिं िाली ,
नीले पिंखोिं िाली मैं हूँ छोटी ि अनाज के िाने
खाकर सिंतोष प्राप्त करने
मझे अन्न से बहुत प्यार ै िाली दिदिया को भोजन
में अनाज के िाने बहुत
दप्रय लगते ै ।
सितीय छां द
वि सचसिया जो- भावाथथ- सचसिया अपने
कांठ खोलकर मधुर कांठ िे बूढ़े
बूढ़े वन-बाबा की खासतर जांगल बाबा के सलए
रि उाँ डेलकर गा ले ती िै रिीले गीत गाती िै।
वि छोटी मुाँि बोली
वि छोटी ,प्यारी व
सचसिया नीले पांखोांवाली
नीले पां खोां वाली मैं हाँ सचसिया जांगल िे
मुझे सवजन िे बहुत प्यार
बहुत प्रेम करती िै ।
िै ।
तृतीय छां द भािाथव -य दिदिया निी
का जल योिं ी ग्र ण न ीिं
ि दिदिया जो करती बब्लि उफनती
िोिंि मारकर निी में िोिंि मारकर
िढ़ी निी का दिल उसका हृिय टटोलती
टटोलकर ै । अथाव त उसकी इच्छा
जानकर ी अपनी िोिंि
जल का मोती ले जाती ै से जल रूदप मोती ग्र ण
ि छोटी गरबीली दिदिया करती ै । ि नीले
नीले पिंखोिंिाली मैं हूँ पिंखोिंिाली दिदिया बहुत
मझे निी से बहुत प्यार ै । गिीली ै ,उसे निी से
बहुत प्रेम ै ।
प्रश्नोत्तर
• कसवता िे-
1 तुम्हें कसवता का कोई और शीर्थक दे ना िो तो क्या दे ना चािोगे? उपयुक्त शीर्थक
सलखखए।
नीले पांखोां वाली ,िांतोर्ी सचसिया , प्यारी सचसिया

2 प्रस्तुत कसवता के आधार पर बताओ सक सचसिया को सकन-सकन चीज़ोां िे प्यार िै ?


• 1 सचसिया को दू ध भरे अनाज के दानोां िे बहुत प्यार िै ।
• 2 सचसिया सवजन िे प्यार िै ।
• 3 सचसिया नदी िे बहुत प्यार िै ।
3 आशय स्पष्ट कीसजए-
(क) रि उाँ डेलकर गा लेती िै
वि छोटी िी सचसिया बहुत िी मधुर स्वर में गाती िै उिका स्वर बहुत मीठा िै
इििे िारा वातावरण रिमय िो जाता िै ।
4 आशय स्पष्ट कीसजए-
(ख) चढ़ी नदी का सदल टटोलकर
जल का मोती ले जाती िै
सचसिया उफनती नदी िे मोती िमान जल की बूाँद लेकर अपनी प्याि बुझाती िै ।
वि उफनती हुई नदी के सदल को टटोलकर अथाथत उिकी इच्छा जानकर जल
की बूाँद ले जाती िै ।
असतररक्त प्रश्न
1 नीले पांखोां वाली सचसिया की कौन-कौन िी सवशेर्ताओां िे आप प्रभासवत हुए िै ?
और क्योां सलखखए ?
िम नीले पांखोां वाली सचसिया के गवीलेपन िे बहुत प्रभासवत हुए िैं । िमे भी उििे यि
प्रेरणा समलती िै सक िमें भी गवीला अथाथत् स्वासभमानी िोना चासिए।

2 सचसिया का स्वर कैिा िै ?


सचसिया का स्वर मधुर िै ।

3 सचसिया का स्वभाव कैिा िै ?


सचसिया का स्वभाव िांतोर्ी िै ।

4 सचसिया को सवजन िे क्योां प्यार िै ?


सचसिया को सनजथ न स्थान िे लगाव िै क्योांसक सनजथ न स्थान में वि स्वतांत्रता पूवथक किी ां
भी आ , जा िकती िै । इिसलए वि जां गल बाबा िे प्यार करती िै ।

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