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डॉ॰ किरण माला

संस्िृत विभाग

B॰A॰ part III Hons॰

समास

तत्परु
ु ष समास

सत्र
ू :- द्विगश्ु च - द्विगु समास भी तत्परुु ष संज्ञि होता है । अर्ाात द्विगु समास भी
तत्परु
ु ष िहलाता है ।

तत्पुरुष समास िा सूत्र ;-

द्वितीया श्रितातीत –पततत-गतात्यस्त–प्राप्तापन्ने: -

द्वितीयांत सुबंत िा श्रित ,अतीत ,पततत ,गत ,अत्यस्त ,प्राप्त और आपन्न िे सार् समास
होता है । उदा ॰

1. श्रित – िृष्णम ् श्रित: द्वितीयांत िृष्णम ् िा सब


ु न्त श्रित: से समास होिर िृष्णश्रित:
रूप बना ।
2. अतीत - द:ु खमतीत : इस विग्रह मे द्वितीयांत द:ु खम ् िा सुबन्त अतीत: िे सार्
समास हुआ है । दख
ु ातीत: रूप बना।
3. पततत – नरिम ् पततत : इस विग्रह मे द्वितीयांत नरिम ् िा सब
ु न्त पततत: िे सार्
समास हुआ है । नरिपततत: रूप बना ।
4. गत – स्िगाम ् गत : इस विग्रह मे द्वितीयांत स्िगाम ् िा सुबन्त गत : िे सार् समास
हुआ । स्िगागत: रूप बना।
5. अत्यस्त – िूपम ् अत्यस्त इस विग्रह मे द्वितीयांत िूपम ् िा सुबन्त अत्यस्त: िे सार्
समास हुआ है ।िूपात्यस्त: रूप बना ।
6. प्राप्त – सुखम ् प्राप्त: इस विग्रह मे द्वितीयांत सब
ु ंत प्राप्त: िे सार् समास हुआ और
सुखप्राप्त: रूप बना ।

आपन्न –संिट्म ् आपन्न्म ् इस विग्रह मे द्वितीयांत संिटम ् िा सुबंत आपन्न्म ् िे सार्


समास हुआ है और रूप बना संिटापन्न: रूप बना ।

तत
ृ ीया तत्िृतार्ेन गण
ु िचनेन :- तत
ृ ीयान्त सुबंत िा उसिे द्िारा किए गए गुणिची
प्राततपददि िे सुबंत िे सार् और अर्ा प्राततपददि िे सुबंत िे सार् समस होता है । इस
समास िो तत्पुरुष समास िहते हैं ।

उदा॰ – शंिुल्या खण्ड: इस विग्रह मे तत


ृ ीयान्त शंिुल्या िा सुबंत खण्ड: िे सार् समास
होिर शंिुलाखण्ड: रूप बनता है ।यहााँ पर यह ध्यान दे ना है कि गुणिाचि प्राततपददि िा
गुण जब तत
ृ ीयान्त सुबत
ं िे द्िारा होगा, तभी समास होग अन्यर्ा समस नह ं होगा ।
उदा॰-शंिुल्या खण्ड : इस विग्रह मे तत
ृ ीयान्त शंिुल्या िा तत्िृत (तत
ृ ीया िे द्िारा किया
हुआ ) गण
ु िाचि सब
ु त
ं खण्ड : िे सार् समास होिर रूप बनता है - शंिुलाखण्ड:।
अक्ष्णािाण : उदाहरण मे अक्ष्णा तत
ृ ीयान्त है लेकिन गुणिाचि सुबंत िाण: िा गुण
िानापन तत
ृ ीयान्त सुबत
ं अक्ष्णा िे द्िारा नह ं अवपतु उसिे पूिा जन्म िे िमो िे
फलस्िरूप है अत: यहााँ िाया िारण संबंध न होने िे िारण समास नह ं होगा ।

ित–ा ृ िरणे िृता बहुलम ्:- िताा और िरण अर्ा मे ितामान तत


ृ ीयान्त सुबंत िा सुबंत
िृदन्त िे सार् बहुलता से समास होता है उस समास िो तत्पुरुष समास िहते हैं ।

उदा॰ हररणा त्रात: विग्रह मे िताा अर्ा मे ितामान तत


ृ ीयान्त हररणा िा िृदन्त त्रात: िे
सार् समास होिर रूप बना है हररत्रात: ।

नखैर्भान्न: उदाहरण मे िारण अर्ा मे ितामान तत


ृ ीयांत िा नाखै : िा िृदन्त र्भन्न: िे
सार् समास होिर नखैर्भान्न:रूप र्सद्ध हुआ है ।

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