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त्रिविधयान
त्रिविधयान
- बौ धम के अनुसार वधयान का
ववेचन क जये
1. ावकयान - बौ धम के अंतगत ा णय क
दो े णयां बताई गई है। पृथक जन और आय
इनम से पृथकजन वे कहलाते ह जो अपनी
अ ानता के कारण संसार के पंच म फं से रहते
ह और उसी परमहंस म अपना जीवन यापन करते
ह कतु उ ह म से कोई जब गु के
समीप जाकर अ ानता को र कर के नवाण के
माग पर चल पड़ता है तो वह पृथकजन से आय
हो जाता है जसका धान ल य अहत् क ा त
है परंतु अहत् क ा त इतनी सहज नह होती।
उसके लए चार भू मय को पार करना होता है
जो क इस कार ह -
स काय - आ मा और शरीर को भ भ
जानना ही स काय है।
व च क सा - व च क सा का अथ है संदेह। मु
के लए इस संदेह का नाश परम आव यक है
य क जहाँ संदेह होता है वहां व ास नह होता
और जहां व ास नह होता वहां कोई काय स
नह हो पाता।
शील त परामश - शील त परामश का ता पय है
त उपवास म आस । य द साधक त उपवास
के च म ही पड़ा रहेगा तो उसक दनचया और
साधना के व न पड़ेगा जससे मु क
संभावनाएं समा त होती जायग ।
3. अनागामी - अनागामी का अथ है फर से न
ज म लेने वाला। राग तथा तघ नामक दोन
ब न को काट दे ने पर भ ु अनागामी बनता है।
वह न तो संसार म ही ज म लेता है और न ही
कसी द लोक म।
4. अहत्- गत नवाण पदक ा त अहत्
का धान येय है।इस अव ा को ा त करने के
लये भ ु को बाक बचे ये पाँच ब न का
तोड़ना अ य त आव यक होता है जो इस कार
ह -
( १ ) पराग,
(२) अ पराग
(३) मान
(४) औ य
(५) अ व ा ।
बो धचया - बो धचया का ार बो ध च - हण
से होता है।बु ो भवेयं जगतो हताय' अथात सभी
ा णय को :ख से मु करने के लए म
बु व ा त क ँ गा-ऐसी अकृ म अ भलाषा
'बो ध च ' कहलाती है और सम जीव के
समु रणाथ बु व क ा त के लए स यक्
संबो ध म च को त त करना ही बो धस व
हण कहलाता है।बो ध च सव अथ साधन क
यो यता रखता है। भवजाल से मु पाने वाले
जीव के लए बो ध च का आ य नतांत
आव यक है य क यह महायानी साधना का
थम सोपान है। इसके अभाव म साधना का
ारंभ हो ही नह सकता। महायान म
बो ध च दो कार का बताया गया है -
1. बो ध ाणच
2 . बो ध ान च
ब दन
पूजन
पापदे शना
पु य अनुमोदन
बु ा येषण
बु याचना
बो धप रणामना
न कष - इस कार हम दे खते ह क बौ धम
के तीन यान क याण क भावना से ओत ोत ह
कतु उन तीन म से बो धस वयान सवा धक उदार
एवं ापक है क तु इसका अथ ये नह है
ावकयान तथा येकबु यान कम मह वपूण ह।
इन दोन क अपनी अलग वशेषताएं ह जो
बो धस वयान म नह पाई जाती। ावकयान म
गृह होते ए भी नवाण का अ धकारी
बन सकता है। येकबु यान उनके लए है जो
संसार के पंच म नह फं सना चाहते। सरे श द
म वधयान नवाण ा त के वे तीन सोपान ह
जो येक वग के साधक के अनुसार ह। जो
जस माग से चाहे उस माग से नवाण ा त कर
सकता है। येक साधक क मता के अनुसार ये
तीन यान सरल से लेकर क ठन तक भी होते ह
जससे येक साधक इनसे लाभा वत होकर
नवाण पद ा त कर सके ।